diff --git a/Data Collected/Hindi/Yojana_magazine_OCRed_Hindi/Yojana_2021_April_.txt b/Data Collected/Hindi/Yojana_magazine_OCRed_Hindi/Yojana_2021_April_.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..8879a7438119945f5dcc0ac5814e59f8e2598ff4 --- /dev/null +++ b/Data Collected/Hindi/Yojana_magazine_OCRed_Hindi/Yojana_2021_April_.txt @@ -0,0 +1,7312 @@ +0001.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +ISSN-0971-8397 + +योजलौा . + +विकास को समर्पित मासिक = 30 + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +जल जीवन मिशन + +हर घर जल + +प्रमुख आलेख + +हर घर और हर व्यक्ति को पानी +गजेन्द्र सिंह शेखावत + +विशेष आलेख +जल सुरक्षा +सुरेश प्रभु + +फोकस + +जलवायु संकट और पानी का भविष्य: भारतीय अनुभव +सुनीता नारायण + +सामाजिक क्रांति की दिशा में बढ़ते कदम +रतन लाल कटारिया + +कवर आलेख + +जल जीवन मिशन - हर घर जल +भरत लाल, मनोज कुमार साह्‌ + + +0002.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +ae 6 मैंने पिछली बार यहां पर जल-जीवन मिशन की घोषणा की थी, आज उसको एक साल हो रहा है। मैं +आज गर्व से कह सकता हूं कि जो हमने सपना लिया है कि पीने का शुद्ध जल, 'नल से जल' हमारे देशवासियों +को मिलना चाहिए, स्वास्थ्य की समस्याओं का समाधान भी शुद्ध पीने के जल से जुड़ा हुआ होता है। अर्थव्यवस्था +में भी उसका बहुत बड़ा योगदान होता है और उसको लेकर जल-जीवन मिशन शुरू किया। +आज मुझे संतोष है कि प्रतिदिन हम एक लाख से ज्यादा घरों में जल पहुंचा रहे हैं... पाइप से जल पहुंचा रहे +हैं। और पिछले एक साल में 2 करोड़ परिवारों तक हम जल पहुंचाने में सफल हुए हैं। और विशेष करके जंगलों में +दूर-दूर रहने वाले हमारे आदिवासियों के घरों तक जल पहुंचाने का काम... बड़ा अभियान चला है। और मुझे खुशी +है कि आज 'जल-जीवन मिशन' ने देश में एक तंदुरुस्त स्पर्धा का माहौल बनाया है। जिले-जिले के बीच में तंदुरुस्त +स्पर्धा हो रही है, नगर-नगर के बीच में तंदुरुस्त स्पर्धा हो रही है, राज्य-राज्य के बीच में तंदुरुस्त स्पर्धा हो रही है। +हर किसी को लग रहा है कि प्रधानमंत्री का 'जल-जीवन मिशन' का ये जो सपना है, उसको हम जल्दी से जल्दी +अपने क्षेत्र में पूरा करेंगे। कोऑपरेटिव कम्प्टीटिबव फेडरलिज़्म की एक नई ताकत जल-जीवन मिशन के साथ जुड़ +गई है और उसके साथ भी हम आगे बढ़ रहे ZI 5 5 + +15 अगस्त, 2020 + +6 6 आज मैं लाल किले से घोषणा करता हूं कि हम आने वाले दिनों में जल-जीवन मिशन को आगे ले +करके बढ़ेंगे। यह जल-जीवन मिशन, इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार साथ मिलकर काम करेंगे और आने +वाले वर्षों में साढ़े तीन लाख करोड रुपये से भी ज्यादा रकम इस जल-जीवन मिशन के लिए खर्च करने का + +हमने संकल्प लिया हे। 5 5 +15 अगस्त, 2019 + +स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से + +प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी + +द्वारा दिए गये भाषण के मूल पाठ से + + + + + + +0003.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +i. www.publicationsdivision.nic.in + +वर्ष : 65 | अप्रैल 2021 + +अंक :; 04 | चेत्र-वैशाख, शक संवत्‌ 1943 + + + + + +प्रधान संपादक : राकेशरेणु +वरिष्ठ संपादक : कुलश्रेष्ठ कमल +संपादक : डॉ ममता रानी + +संपादकीय कार्यालय +648 , सूचना भवन, सीजीओ परिसर, +लोधी रोड, नयी दिल्‍्ली-110 003 + +उत्पादन अधिकारी : के रामालिंगम + +योजना का लक्ष्य देश के आर्थिक विकास से संबंधित +मुद्दों का सरकारी नीतियों के व्यापक संदर्भ में गहराई +से विश्लेषण कर इन पर विमर्श के लिए एक जीवंत +मंच उपलब्ध कराना है। + +योजना में प्रकाशित लेखों में व्यक्त विचार लेखकों के +अपने और व्यक्तिगत हैं। जरूरी नहीं कि ये लेखक +भारत सरकार के जिन मंत्रालयों, विभागों अथवा +संगठनों से संबद्ध हैं, उनका भी यही दृष्टिकोण हो। + +योजना में प्रकाशित विज्ञापनों की विषयवस्तु के लिए +योजना उत्तरदायी नहीं हैं। + +योजना में प्रकाशित आलेखों में प्रयुक्त मानचित्र व +प्रतीक आधिकारिक नहीं है, बल्कि सांकेतिक हैं। ये +मानचित्र या प्रतीक किसी भी देश का आधिकारिक +प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। + +योजना लेखकों mt ace के साथ अपने +विश्वसनीय स्रोतों से एकत्र कर उपलब्ध कराए +गए आंकडों/तालिकाओं/इन्फोग्राफिक्स के संबंध में +उत्तरदायी नहीं हे। + +योजना घर मंगाने, शुल्क में छूट के साथ दरों व प्लान +की विस्तृत जानकारी के लिए पृष्ठ-67 पर देखें। + +योजना की सदस्यता का शुल्क जमा करने के बाद +पत्रिका प्राप्त होने में कम से कम 8 सप्ताह का समय +लगता है। इस अवधि के समाप्त होने के बाद ही +योजना प्राप्त न होने की शिकायत करें। + +योजना न मिलने की शिकायत या पुराने अंक मंगाने +के लिए नीचे दिए गए ई-मेल पर लिखें - +pdjucir@gmail.com + +या संपर्क करें- दूरभाष; 011-24367453 +(सोमवार से शुक्रवार सभी कार्य दिवस पर +प्रात; 9:30 बजे से शाम 6:00 बजे तक) + +योजना की सदस्यता की जानकारी लेने तथा विज्ञापन +छपवाने के लिए संपर्क करें- +गौरव शर्मा, संपादक, पत्रिका एकांश +प्रकाशन विभाग, कमरा सं. 779, सातवां तल, +सूचना भवन, सीजीओ परिसर, +लोधी रोड, नयी दिल्‍ली-110003 + +("1 @DPD_India + + + + + + + + + + + +नदी संरक्षण के लिए अवसंरचना +प्रमुख आलेख राजीव रंजन मिश्रा : 32 +हर अर और हर व्यक्ति को पानी . reeenannnnnnneceeegannnnnnenee +गजेन्द्र सिंह शेखावत 6... भूजल प्रबंधन : एक आदर्श बदलाव +Re ल्कन्मा्याए देवश्री मुखर्जी ......................-००«+_लननन- 36 +75९: " 4५ आगे बढ़ता स्वच्छता अभियान +7 अरुण बरोका....................७५५००५०००३३००४६००००० 40 + +तीव्र सामाजिक-आर्थिक विकास और जल +संरक्षण के लिए एकीकृत जल प्रबंधन + +भरत लाल..................००--०«_न्‍न_लल-नननन 45 +जल तक पहुंच, शिक्षा और + +अवसरों का खजाना + +विशेष आलेख डॉ यास्मीन अली हक्‌........................-- 52 + +Stet Gall सुरक्षित, पर्याप्त और स्थायी पेयजल + +सुरेश प्रभु................---०««_न्‍_ननननननन 10 | डॉ रोडेरिको एव ऑफरीन...................... 56 +सुनिश्चित जलापूर्ति के लिए + +'फोकस तकनीकी नवाचार + +जलवायु संकट और पानी का भविष्य: प्रदीप सिंह, सिद्धांत मस्सन..................... 59 + +भारतीय अनुभव नगरीय अनुभवों से सीखें गांव + +ATE ARTA serene a 62 + +आजादी का अमृत महोत्सव + +*आजूादी का अमृत महोत्सव' +इंडिया&75 के पूर्वावलोकन + + + +४ J — ma : कार्यकलापों का शुभारंभ... .....-«« 66 +सामाजिक क्रांति की दिशा में बढ़ते कदम +रतन लाल कटारिया ........................५-०० 19. क्या आप जानते हैं? +जल शासन भारत में स्वच्छता अभियान +पंकज कुमार........................------«ब_ब_---+-« 23... का इतिहास...............«ननननननननीनननाननन 69 + +विकास पथ + +कवर आलेख विश्व जल दिवस के अवसर पर + +जल जीवन मिशन - हर घर जल “वर्षा जल संचयन अभियान! + +भरत लाल, मनोज कुमार साहू......... 26 का शुभारंभ..................-५५५५००५००००००००० 70 + + + +ae प्रकाशन विभाग के देश भर में स्थित विक्रय केंद्रों की सूची के लिए देखें पृ.सं. 38 + + + +आवरण : जल शक्त मंत्रालय के सौजन्य से + + + +147६५ हिंदी, असमिया, बांग्ला, अंग्रेजी, गुजरती, कननड़, मलयालम, तमिल, तेलुगु, मराठी, ओडिया, +1४7५४ पंजाबी तथा उर्दू में एक साथ प्रकाशित। + + + + + + + + + + +0004.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +yojunshindi/a gmail com + + + + + +विषय समझने में काफी मददगार + +'योजना' का फरवरी 2021 अंक +'भारतीय साहित्य' के प्राचीनतम इतिहास पर +केंद्रित रहा है, जिसमें इतिहास के विभिन्न +पक्षों, परंपरा, उद्भव और विकास पर विस्तृत +रूप से प्रकाश डाला गया था। जिससे हिंदी +साहित्य के शोधार्थी और भारतीय इतिहास +के अध्ययनकर्ता को भी विषय समझने में +काफी मददगार साबित हुई है। सबसे बड़ी +बात यह कि साहित्य का जब उद्भव हुआ +तो वह वाच्चिक माध्यम ही था बाद के दिनों +में भाषा, कला, संस्कृति को संरक्षण प्रदान +करने के उद्देश्य से लिखित माध्यम विकसित +किया गया। तब, अभी की तरह कागज का +विकास नहीं हुआ था। जिस कारण पेड़ों की +पत्तियां व छाल पर ही लेखन परंपरा की +शुरुआत हुई। प्राचीनतम साहित्य का विकास +विश्वपटल पर कैसे हो? और भारत की +आजादी के बाद हिंदी साहित्य के विभिन्न +उतार-चढ़ाव को डॉ निशात जैदी व मैनेजर +पांडेय ने क्रमबद्ध लिख कर समझाने की + + + + + + + + + + + + + +“हिंदी भाषा व देवनागरी लिपि का विकास' +जैसे आलेख के अंतर्गत संस्कृत, उर्दू, +तोल्कप्पियम, मराठी साहित्य जैसे गूढ़ विषय +के अलग-अलग प्रसंग पर प्रकाश डाल कर +देवनागरी लिपि के विकास को समझाने में +आलेख काफी हद तक सफल साबित रहा +है। प्रकाश मनु ने 'हिंदी बाल साहित्य का +परिदृश्य” आलेख के माध्यम से बाल साहित्य +के वर्तमान परिस्थितियों और भविष्य के +संदर्भ में चुनौतियां व संभावनाएं पर विशेष +जोर देते हुए कुछ बाल कविता के प्रसंगों को +समझाया है, जिससे बाल कविता लेखन को +नई दिशा दी जा सके। इसके साथ ही सूचना +क्रांति के दौर में ई-प्लेटफार्म के माध्यम से +बाल साहित्य को बढ़ावा देकर भावी पीढ़ी +के बच्चों तथा बालमन को संवारने की दिशा +में बाल साहित्य के योगदान पर भी चर्चा है। + +आशा है आगे भी ऐसे साहित्य पर +केंद्रित अंक आते रहेंगे ताकि बच्चों, प्रतियोगी +विद्यार्थियों और शोधार्थियों को गहन अध्ययन +करने में मददगार साबित हो सके। + +बजट का अच्छा विश्लेषण + +योजना के बजट विशेषांक के संपादकीय +में बजट के मुख्य प्रावधानों का अच्छा विश्लेषण +किया गया है। किसी भी देश के लिए मानव-पूंजी +में निवेश ही सर्वोत्तम निवेश होता है। मानवपूंजी +में निवेश से लक्षित वर्ग का कल्याण तो होता +ही है, साथ ही देश भी बहुमुखी विकास के मार्ग +TR अग्रसर होने लगता है। + +बजट के विभिन्‍न स्तंभ- यथा स्वास्थ्य +तथा आरोग्य, भौतिक तथा वित्तीय पूंजी तथा +अवसंरचना, आकांक्षी भारत के लिए समावेशी +विकास, मानव पूंजी को सशक्त करना, +नवाचार और अनुसंधान एवं विकास, कृषि +क्षेत्र पर जोर तथा न्यूनतम सरकार-अधिकतम +शासन पर विभिन्‍न आलेखों से बजट को +समझने में काफी मदद मिली। + +हम आशा करें कि केंद्रीय बजट +2021-22 में जिन जनकल्याणकारी नीतियों +को समाहित किया गया है उनका क्रियान्वयन +सफलतापूर्वक हो और आम जन की अपेक्षाएं +पूर्ण हो। + + + + + + + +कोशिश की है। इसके साथ भाषाविज्ञान के - नितेश कुमार सिन्हा - विश्वनाथ सिंहानिया + +शोधकर्ताओं के लिए आलोक श्रीवास्तव के गया (बिहार) जयपुर, राजस्थान + +a —— पत्रिकाएं +Eu ee हमारी पश्चिकाएं ' + + + + + + + +योजना, कुरुक्षेत्र, आजकल, बाल भारती + +में पिज्ञापन दैने हेते + +संपर्क करें ; +ates wat, ames +प्रवशन विसाग +SOF एवं प्रसारण Waite, HRT Adar + +सूचनां भवग, सी जी ओ कॉम्प्लेक्स, जॉनी रोज, गई दिंज्ली-110003 +CY : 011-झबउ87453, भौधाइल : 75057158729 + +# Fea + pcljuelr@egmail.cam + + + + + + + + + + + +योजना, अप्रैल 2021 + + +0005.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + + + + + + + + + + + +हर घर जल + + + +( “यह दिव्य जल हमारी रक्षा की अनुकपा करे, यह हमारी प्यास बुझाए और हर्षोल्लास की धारा बन कर बहे ) +- ऋग्वेद 10-9-4 + + + +र-बार सूखे के प्रकोप, बढ़ते मरुस्थलीकरण और पानी की अपर्याप्त उपलब्धता से आज दुनिया भर में पानी की किल्लत महसूस +की जा रही है। मानवीय विकास के लिए स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है। पानी और स्वच्छता की + +सुविधाओं तक सबकी पहुंच सुनिश्चित करने संबंधी सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी)-6 में इन बुनियादी सुविधाओं से वंचित उन लोगों तक +इनकी उपलब्धता सुनिश्चित करने की बात कही गयी है। जल प्रबंधन को चिरस्थायी बनाए रखने के लिए आम लोगों को केन्द्र में रखकर +रणनीति बनायी गयी है ताकि उनकी भागीदारी को प्रोत्साहित और सुनिश्चित किया जा सके। + +कोविड-19 महामारी के दौर में लोगों को इस बात का अहसास हुआ कि 'हाथों को धोना' उनके पास महामारी से बचाव का सबसे +आसान और बेहतरीन उपाय है। करीब एक साल तक जीवन में स्वच्छ पेयजल के महत्व और उपलब्धता पर बार-बार जोर दिया जाता रहा। +साफ-सफाई और आरोग्य के लिए पाइप लाइनों के जरिए स्वच्छ जल की आपूर्ति भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री ने स्वच्छ पेय जल के +महत्व को बहुत पहले महसूस कर लिया था और अगस्त 2019 में ही जल जीवन मिशन के तहत पाइप लाइनों के जरिए घरों तक पानी +की आपूर्ति करने की घोषणा कर दी थी। इस पहल के जरिए देश में 2024 तक प्रत्येक ग्रामीण परिवार को पाइप वाले पानी का कनेक्शन +उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है। मिशन के जरिए जल-स्रोत की निरंतरता बनाए रखने के लिए अनिवार्य उपाय करने का भी प्रावधान +किया गया है। इन उपायों में जल स्रोतों का पुनर्भण और अवजल प्रबंधन के जरिए गंदे पानी को फिर से उपयोग में लाने योग्य बनाना, जल +संरक्षण और वर्षा जल संचय भी शामिल हैं। + +जल जीवन मिशन पानी के बारे में सामूहिक दृष्टिकोण अपनाने पर आधारित है जिसमें पानी के लिए जनांदोलन चलाकर इसे हरएक व्यक्ति +की प्राथमिकताओं में शामिल किया जाता है। इसमें सबसे बड़ी चुनौती जल आपूर्ति प्रणाली की निरंतरता बनाए रखने की है। जल जीवन मिशन में +पानी से जुड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की कमियों की पहचान की गयी है और मिशन में इस बात पर जोर दिया गया है कि इसका उद्देश्य +निरंतरता बनाए रखना है ताकि पाइप लाइनों और नलों से पानी की आपूर्ति जारी रह सके। जल जीवन मिशन का उद्देश्य 2024 तक देश के सभी +ग्रामीण परिवारों तक स्वच्छ पेयजल पहुंचाने के लक्ष्य को हासिल करना है जो सतत विकास लक्ष्य-6 के लिए निर्धारित लक्ष्य से पूरे छह साल +पहले है। यह अन्य विकासशील देशों के लिए भी एक अनुकरणीय मॉडल बन सकता है और वे भी इस अपनाकर एसडीजी-6 के लक्ष्य को +प्राप्त कर सकते हैं। इससे पहले चलाए गये स्वच्छ भारत अभियान ने स्वच्छता को प्राथमिकता बनाकर और देश को खुले में शौच की बुराई से +मुक्ति दिलाकर पहले ही बुनियाद तैयार कर दी है। अब स्वच्छ भारत अभियान 2.0 के अंतर्गत जैब अपघटनशील ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, अवजल +प्रबंधन और मल-जल प्रबंधन के कार्यक्रमों से अगले स्तर तक ले जाने का प्रयास किया जा रहा है। + +भारत दुनिया में भूजल का सबसे बड़ा उपयोगकर्ता देश है। यहां दुनिया में उपलब्ध कुल भूजल संसाधनों के एक चौथाई से भी अधिक +का उपयोग किया जाता है। भूजल ने देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके साथ ही निर्णय लेने की +प्रक्रिया में नियोजन से लेकर क्रियान्वयन, प्रबंधन, संचालन और ग्रामीण पेयजल आपूर्ति योजनाओं के अनुरक्षण जैसे कार्यों में महिलाओं को +शामिल करना बहुत जरूरी है। देश भर के गांवों में दीर्घकालीन जल सुरक्षा के लिए महिलाओं को ग्रामीण पेय जल आपूर्ति योजनाओं में +भागीदार बनाया जाना चाहिए। अटल भूजल योजना इसी तरह की एक पहल है जिससे जन समुदाय के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर टिकाऊ भूजल +प्रबंधन का पता चलता है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य वर्तमान में चल रही विभिन्‍न योजनाओं को समेकित कर भूजल संसाधनों के प्रबंधन +में सुधार लाना है। यह एक अग्रणी और अनोखा प्रयोग है जिसमें स्थानीय समुदायों को प्रेरित कर सभी संबंधित पक्षों के सहयोग से भूजल +के प्रबंधन में अभिनव सुधार लाने का प्रयास किया जा रहा है। + +सूक्ष्म सिंचाई प्रणालियों पर आधारित प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का उद्देश्य कृषि क्षेत्र में ड्रिप सिंचाई व स्प्रिंकलर जैसी उपयुक्त +टेक्नोलॉजी का उपयोग करके पानी के उपयोग की दक्षता बढ़ाना और किसानों को पानी की किफायत तथा संरक्षण करने वाले टेक्नोलॉजी +संबंधी उपायों को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करना है। त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम, हर खेत को पानी, पर-ड्रॉप मोर क्रॉप और जलसंभर +विकास जैसी चार सूत्री सोच से सुसज्जित इस योजना का उद्देश्य देश की सूक्ष्म सिंचाई क्षमता में अंतराल को पाटना है। + +यह बात बड़ी दिलचस्प है कि किस तरह भारतीय अनुभव अत्यंत बहुमूल्य रहा है। इसने विश्व को सिखाया है कि किस तरह सबको पानी +सुलभ कराया जा सकता है और इसकी आपूर्ति निरंतर जारी रखी जा सकती है। ऐसी पहलों के तहत पानी को समुदायों के नियंत्रण में दिया +जाता है भर विकेन्द्रित दुबारा भराई (रीचार्ज) तथा फिर से इस्तेमाल पर ध्यान केन्द्रित किया जाता है। इस तरह पानी हर एक की जिम्मेदारी +बन जाता है। हा + +योजना, अप्रैल 2021 5 + + +0006.txt +<----------------------------------------------------------------------> +पानी +जब + +हर घर ओर हर व्यक्ति को पानी + +गजेन्द्र सिंह शेखावत + +जल जीवन मिशन केन्द्र सरकार के अग्रणी कार्यक्रमों में शामिल है। इसका उद्देश्य 2024 तक देश के प्रत्येक +परिवार को पाइपलाइनों के जरिए स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत आवश्यक +घटकों के रूप में जल स्रोतों को पानी से लबालब बनाए रखने के उपायों जैसे भूमिगत जल स्रोतों का +पुनर्भरण, गंदे पानी को साफ करके फिर से इस्तेमाल करने, जल संरक्षण और वर्षाजल संचय को भी +शामिल किया गया है। जल जीवन मिशन पानी को लेकर सामुदायिक दृष्टिकोण अपनाने और जल संरक्षण +को जनांदोलन बनाकर इसे हर व्यक्ति की प्राथमिकता बनाने पर आधारित है। + +हौल-स्पीति में समुद्र तल से 15,256 फुट की ऊंचाई +पर स्थित साधारण-सा गांव ताशिंगंग की अनोखी +विशेषता यह रही है कि यहां दुनिया का सबसे अधिक +ऊंचाई पर स्थित मतदान केन्द्र है। यह सुंदर गांव बड़ा ही अलौकिक +प्रतीत होता है। सर्दियों के मौसम में कड़ी ठंड से यहां सब कुछ जम +जाता है और घाटी बर्फीले तूफान की चपेट में आ जाती है। ऐसे में +अगर यहां दिन का तापमान शून्य से 10 डिग्री कम हो तो मौसम +गुनगुनी धूप वाला खुशनुमा और सुहाना माना जाता है। लेकिन ऐसे +कठोर मौसम के बावजूद ताशिगंग भारतीय लोकतंत्र के उच्च मानदंड +के प्रमाण की तरह खड़ा है। हाल में इसने एक और असंभव को +संभव कर दिखाया है। यहां सितंबर 2020 में ही एक असंभव कार्य +को पूरा करते हुए पानी का पहला घरेलू कनेक्शन दिया गया। ताशिगंग +का मतदान केन्द्र जहां इस बात का प्रमाण है कि हमारे देश में कोई +भी नागरिक अपने लोकतांत्रिक अधिकार का उपयोग करने से छूटने +नहीं पाता, वहीं घरेलू पानी का नल भी माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र +मोदी की “सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास'' की +परिकल्पना के साकार होने की पुष्टि करता है। चाहे वर्षा हो या बर्फ +गिरे, चाहे रात हो या दिन, चाहे जो सड़क हो या जो भी ऊंचाई हो, +जल जीवन मिशन सभी घरों में पाइपलाइनों के जरिए स्वच्छ पेयजल +उपलब्धता सुनिश्चित कर रहा है। +ताशिगंग जैसी कहानियां जल जीवन मिशन की अनेक यश +गाथाओं का हिस्सा हैं जो भारत सरकार का अत्यंत महत्वपूर्ण कार्यक्रम +है। इसका उद्देश्य 2024 तक देश के प्रत्येक ग्रामीण परिवार को पाइप +लाइनों के जरिए पीने के पानी का कनेक्शन देना है। इस संकल्प +की शुरुआत माननीय प्रधानमंत्री के उन शब्दों से मानी जा सकती है +जिसमें उन्होंने “मन की बात” कार्यक्रम के दौरान पानी को परमेश्वर +और पारस की संज्ञा दी थी। लेकिन जल जीवन मिशन की टीम के +लिए पानी उपलब्ध कराना अपने अधिकार क्षेत्र के उल्लंघन जैसा था +क्योंकि उसे नीति पर अमल की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी, लेकिन +हमारे लिए यह परमेश्वर को लोगों के घरों में लाने जैसा था। यह + + + +लेखक भारत सरकार के जल शक्ति मंत्री ZT Get: minister mowr@nic.in + +6 + +ऐसा कार्य था जो मानवता और ईश्वर दोनों ही की सेवा में किया जा +रहा था। इसी से मंत्रालय के इतनी तेजी से इस काम को करने की +तत्परता के कारण का पता चल जाता है। + +जहां एक ओर पिछले 70 साल में देश भर में 3.23 करोड +परिवारों को पानी के कनेक्शन दिये गये, वहीं जल जीवन मिशन की +शुरुआत के एक साल में ही 3.73 करोड से अधिक परिवारों को +नलों से स्वच्छ पेयजल उपलब्ध करा दिया गया। पिछले साल देश +में 81,154 गांवों, 41,835 पंचायतों, 669 ब्लॉकों, 52 जिलों और दो +राज्यों में शत-प्रतिशत परिवारों को पीने के पानी के कनेक्शन उपलब्ध +कराने में कामयाबी हासिल कर ली। इस साल कई अन्य गांवों, जिलों +और राज्यों में कई परिवारों को पाइप लाइनों के जरिए स्वच्छ पेयजल +उपलब्ध करा दिया जाएगा। वैसे तो आंकडों से ही सारी स्थिति स्पष्ट +हो जाती है, लेकिन इसकी पुष्टि के लिए एक निष्पक्ष पार्टी की जांच + + + + +0007.txt +<----------------------------------------------------------------------> +से बेहतर और कुछ नहीं हो सकता। जब प्रमुख मीडिया संगठनों +ने शत-प्रतिशत घरेलू पानी के कनेक्शन वाले गांवों का दौरा किया +तो उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि सख्याएं सिर्फ कागजों तक +सीमित नहीं है, बल्कि काम पर वास्तव में अमल हुआ है। हालांकि +कुछ मामूली विवरणों की पुष्टि होना बाकी है, जो कुछ समय में हो +जाएगी। जल जीवन मिशन के बारे में उनका आकलन सकारात्मक, +उत्साहजनक और प्रशंसनीय है। मिशन की प्रगति से उत्साहित पेयजल +और स्वच्छता विभाग के लिए बजट आवंटन 2020-21 के 21,518 +करोड रुपये से बढ़ाकर 2021-22 में 60,030 करोड़ रुपये कर दिया +गया है। + +फिलहाल पेयजल और स्वच्छता विभाग जल जीवन मिशन +की वजह से खबरों की सुर्खियों में है। स्वच्छ भारत अभियान +के बाद - स्वच्छ भारत अभियान 2.0 ने जो शानदार कार्य किया +है वह भी मंत्रालय द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा उतना ही +महत्वपूर्ण कार्यक्रम है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा कराये गये एक +अध्ययन के अनुसार मिशन के प्रयासों से 2014 और अक्तूबर 2019 +के दौरान डायरिया और प्रोटीन-ऊर्जा न्यूनता से उत्पन्न होने वाले +कुपोषण से 3,00,000 संभावित मौतों को टाला जा सका है। स्वच्छ +भारत मिशन के जल, भूमि और खाद्य पदार्थों पर पर्यावरण संबंधी +प्रभाव के बारे में यूनीसेफ के अध्ययन से पता चला है कि मलजल +प्रदूषण की दृष्टि से खुले में शौच से मुक्त नहीं हो पाए गांवों के +भूजल के संक्रमित होने की आशंका औसतन 11.25 प्रतिशत अधिक +है (जो अकेले मनुष्यों की वजह से होने वाले प्रदूषणकारी तत्वों के +मुकाबले 12.8 गुना अधिक है)। जहां स्वच्छता का दायरा स्वच्छ +भारत अभियान की शुरुआत के समय के 38.7 प्रतिशत से बढ़कर +2 अक्तूबर, 2019 को शत-प्रतिशत हो गया, लेकिन सबको स्वच्छता +सुविधा के दायरे में लाने की बड़ी चुनौती अभी भी बनी हुई है। स्वच्छ +भारत मिशन के दूसरे चरण के लिए हाल में आवंटित 1.40 लाख +करोड़ रुपये से अधिक की राशि का उद्देश्य समग्र कचरा प्रबंधन की +चुनौती से निपटना है। इसके लिए ग्रामीण भारत में अपशिष्ट प्रबंधन + +योजना, अप्रैल 2021 + + + +के विभिन्‍न पहलुओं पर ध्यान केन्द्रित किया जा रहा है जिसके अंतर्गत +जलमल प्रबंधन और अपशिष्ट जल का उपचार करने, अपशिष्ट को +घर में ही छांटरर अलग करना, और सिर्फ एक बार इस्तेमाल किये +जाने वाले प्लास्टिक की मात्रा में कमी लाना भी शामिल हें। + +स्वच्छ भारत मिशन 2.0 बडे सही समय में शुरू किया गया +है। पूरे विश्व में प्लास्टिक कचरे से होने वाले प्रदूषण में भारत का +हिस्सा बहुत बड़ा है। कचरे की मात्रा कम करने के लिए उपयुक्त +सामुदायिक कार्रवाई और कचरे का सही तरीके से निस्तारण करना +आज समय की आवश्यकता बन गया है। स्वच्छ भारत अभियान 2.0 +के अन्य तीन प्रभाव क्षेत्र हें जैव-अपघटनशील ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, +अवजल प्रबंधन और मलजल प्रबंधन। इस सरकार की दुरदर्शिता से +देश भर में दो गड्ढों वाले 10 करोड से अधिक घरेलू शौचालयों का +निर्माण किया जाना एक वरदान साबित हुआ, क्योंकि इनमें मलजल +का गड्ढे में ही उपचार हो जाता है। लेकिन अर्ध शहरी/शहरी इलाकों +में स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत से पहले निर्मित शौचालयों से +उत्पन्न करीब 1 20,000 टन मलजल का उपचार नहीं हो पाता क्‍योंकि +इन शौचालयों में से दो तिहाई मुख्य सीवर लाइन से नहीं जुड़े हैं। + + + + + + +0008.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +जल शक्ति अभियान +पहल के प्रमुख क्षेत्र : + + + + + + + + + + +स्वच्छ भारत अभियान 2.0 की आवश्यकता मलजल के कुप्रबंधन से +उत्पन्न स्वास्थ्य संबंधी जबरदस्त खतरे को दूर करने के लिए भी है। + +जल शक्ति मंत्रालय के अंतर्गत जल संसाधन, नदी विकास +और गंगा संरक्षण विभाग देश में जल सुरक्षा बनाये रखने के लिए +महत्वपूर्ण नीतियों का सूत्रपात भी कर रहा है। 6,000 करोड़ रुपये लागत +की अटल भूजल योजना का उद्देश्य सामुदायिक भागीदारी पर जोर देते +हुए भूजल के सतत प्रबंधन में मदद करना और सात राज्यों के 78 +जिलों की 8,353 ग्राम पंचायतों के अंतर्गत पानी की कमी वाले इलाके +के रूप में चिह्नित क्षेत्रों में भूजल के सतत प्रबंधन के लिए पानी के +मांग पक्ष को ध्यान में रखकर कार्रवाई करना है। अटल भूजल योजना +देश के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण समय पर आयी है जब हमारे करीब 22 +प्रतिशत भूजल संसाधन या तो नाजुक या अत्यधिक दोहन वाली श्रेणी +में आ चुके हैं। जिन 6,881 इकाइयों का मूल्यांकन किया गया उनमें +से 1,499 या तो नाजुक या अत्यधिक दोहन वाली श्रेणी में पहुंच गयी +थी। भूजल की वार्षिक निकासी इसके पुनर्भरण से अधिक होने से मांग +पक्ष का प्रबंधन वक्‍त की जरूरत बन गया था। अटल भूजल योजना +इसी उद्देश्य के लिए खास तौर पर बनायी गयी। यह भी पाया गया कि +अगर हमारे देश में जल संसाधनों का प्रमुख रूप से उपयोग करने वाला +केवल कृषि क्षेत्र, पानी के किफायत से उपयोग करने के तौर-तरीकों को +अपनाकर 10 प्रतिशत पानी की भी बचत कर ले तो अगले 50 साल +तक सबको पानी उपलब्ध कराया जा सकेगा। सूक्ष्म सिंचाई के बारे में +केन्द्र द्वारा प्रायोजित योजना का उद्देश्य ड्रिप और स्प्रिंकलर विधियों से +सिंचाई जैसे प्रौद्योगिकी आधारित उपयुक्त उपायों से कृषि क्षेत्र में पानी +के उपयोग में दक्षता को बढ़ाना और किसानों को पानी की बचत और +संरक्षण करने वाली टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने को प्रेरित करना है। + + + +त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (ए,आई.बी.पी. ), हर खेत को पानी +(एच.के.के.पी.), पर ड्रॉप मोर क्रॉप यानी हर बूंद से अधिक फसल +और जलसंभर विकास की चार सूत्री परिकल्पना के मजबूत स्तंभों पर +आधारित यह योजना 50,000 करोड़ रुपये के परिव्यय से स्थापित +की गयी थी। इसका उद्देश्य देश की सूक्ष्म सिंचाई की कुल संभावित +क्षमता का फायदा उठाना और इस क्षेत्र में क्षमता की कमी को दूर +करना है। इस समय देश की सूक्ष्म सिंचाई क्षमता 6.95 करोड हैक्टेयर +है जिसमें से 2014 तक सिर्फ 10 प्रतिशत का उपयोग हो रहा था। +2022 तक 100 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को सूक्ष्म सिंचाई के अंतर्गत लाने +से किसानों की आमदनी में प्रति एकड़ 10,000 से 25,000 रुपये की +संभावित बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। + +मंत्रालय इस तरह की कई पहल का नेतृत्व कर रहा है जिनसे +एक ओर देश का पानी के मामले में लचीलापन बढ़ेगा वहीं दूसरी +ओर करोडों लोगों को स्वच्छ पेय जल मिल पाएगा। हमारे लिए यह +बडे उत्साह का वक्‍त है, जब देश का भाग्य बदलने वाला है। इस्राइल +के प्रथम राष्ट्रपति बेन गुरियन ने ओल्ड टेस्टामेंट के विद्वत्तापूर्ण शब्दों +से प्रेरणा लेकर अपने देशवासियों का आहवान करते हुए रेगिस्तान +को 'प्रोमिस्ड लैंड' में बदलने को कहा था। पानी की किल्लत वाला +देश इस्राइल आज पानी के मामले में सुरक्षित राष्ट्र की श्रेणी में आ +गया है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का भी हमारे राष्ट्र पर +वैसा ही असर है। उन्होंने पानी का महिमामंडन करते हुए उसे ईश्वर +का दर्जा दिया है और हमें हर घर के प्रत्येक व्यक्ति तक स्वच्छ +पेयजल पहुंचाने के लिए पानी परमेश्वर का आशीर्वाद प्राप्त करने +को प्रोत्साहित किया है। इस संबंध में मंत्रालय निश्चित रूप से ईश्वर +का काज या सेवा कार्य ही कर रहा है। = + + + +भारत । ग्रामीण घरों में नल के जरिये जल आपूर्ति की स्थिति + + + +घरों की 15 अगस्त, 2019 को जल के लिए नल के कनेक्शन वाले +कुल संख्या आपूर्ति के लिए नल के घरों की संख्या +कनेक्शन वाले घरों की संख्या -1.13.717 +19,19,10,552 3,23,62,838 7,01,17,638 +(16.86%) £76,545] + +इन घरों की संख्या जिनमें मिशन शुरू होने के बाद नल के जरिये पानी का कनेक्शन मुहैया कराया गया +उ,77,54, 801 [+9.57%) + +मौजूदा समय में जल आपूर्ति + + + + + +योजना, अप्रैल 2021 + + +0009.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + +Ss: + + + +Now ONLINE from Delhi Centre +(AS al dart ara कहीं से भी और कभी भी + +eS + + + + + + + + + + + + +c के + +6.) छः +oa “> ONLINE & OFFLINE +we, Classes +{ls > Both ENGLISH & HINDI +ei Medium + + + +‘’» More than 700 +selections in UPSC + + + + + + + +AYUSH KHARE + +UPSC 2018 +AIR 267 (RAILWAY SERVICES) XL + +फिर, NEW BATCHES // Online/Offline + +& STATE SERVICES + + + + + + + + + + + + + + + + +/ + +UPSC + +(OFFLINE ALL INDIA BATCH) +Foundation Batch - 19 April 2021, 5-8 PM + +(ONLINE/LIVE ALL INDIA BATCH) + + + +\ + +Foundation Batch - + +1 April 2021 + +CGPSC +(OFFLINE BATCH) + +Integrated Batch - 12 April 2021, 5-8 PM + +(ONLINE BATCH) +Integrated Batch - 12 April 2021 + +Study Material & Current Affairs are same everywhere, +What makes us different is + +Approach & Strategy + +PATH +(Since 2011) ) + +HAD OFFICE GELHI +Afa2, Radia Colony, Ranlal Kapoor Marg, + +Mukherjee Nagar, Belhi-09, 7628 11 22 22 + + + + + +OATH + +your Oran feran epitome + + + + + +RAIPUR ; BILASPUR + +Near C.M. Hause, Clul} Lines, + +Raipur (C.6.) 6224 922 922 +fs pathiasacademy@gmail.com + + + + + +038 www. pathiasacademy.com + +EPP Ey + + + +योजना, अप्रैल 2021 + +1५5 ACADEMY + + + + + +Nalanda Library, Oayatband, +Bilaspur (C.G.) $9111 922 922 + +YH-1551/2021 + + +0010.txt +<----------------------------------------------------------------------> +जल सुरक्षा + +सुरेश प्रभु + +सदियों पुरानी सभ्यता- भारत, पवित्र नदियों सिंधु और सरस्वती के तट पर जन्मी और फली-फूली। प्रात्नीन +ग्रंथों में जल संरक्षण और इसके प्रबंधन के महत्व को प्रायः रेखांकित किया गया है। 2900 किलोमीटर तक +फैली सिंधु नदी क्षेत्र की सबसे लंबी नदी है। इसके बाद ब्रह्मपुत्र , गंगा, गोदावरी , नर्मदा, कृष्णा, महानदी और +कावेरी का स्थान आता है। भारत में प्रच्चुर मात्रा में प्राकृतिक संसाधन हैं। यहां पौधों की 47,000 किस्मों और +जानवरों की 89,451 प्रजातियां पाई जाती हैं। इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट ( आईएसएफआर ) 2019 के +अनुसार, देश में वनों और वृक्षों का आवरण बढ़कर कुल भौगोलिक क्षेत्र का 24.56 प्रतिशत हो गया है। + +षो से जनसंख्या में वृद्धि के साथ पानी की बढ़ती मांग +के कारण, आज भारत जल क्षेत्र में कई चुनौतियों का + +सामना कर रहा है। 130 करोड की वर्तमान जनसंख्या +वाले इस देश में पानी की कमी पहले से ही दिखाई दे रही है और +2050 तक आबादी के 160 करोड़ तक बढ़ने का अनुमान है जिससे +यह समस्या और भी विकट हो जाएगी। इसके साथ ही बढ़ते प्रदूषण +और जलवायु परिवर्तन के कारण विश्वभर में जल चक्र में महत्वपूर्ण +परिवर्तन होने की संभावना है। भारत की जनसंख्या दुनिया की आबादी +का 16 प्रतिशत है, लेकिन यहां जल संसाधन दुनिया के संसाधनों +का केवल 4 प्रतिशत ही है। भारत में वर्षा से उपलब्ध वार्षिक जल +लगभग 4,000 घन कि.मी. है। सतही जल और पुनर्भरणीय उपयोग +योग्य भूजल 1,869 घन कि.मी. है, लेकिन इसका केवल 60 प्रतिशत +ही लाभकारी उपयोगों के लिए रखा जा सकता है, जिसका अर्थ है + +दिया गया है कि 2030 तक देश में पानी की मांग उपलब्ध आपूर्ति +से दुगुनी होने का अनुमान है, जिससे करोड़ों लोगों के लिए जल +की गंभीर कमी हो सकती है और भारत के सकल घरेलू उत्पाद में +6 प्रतिशत की हानि हो सकती है। यह माना जाता है कि पानी भी +इस सदी में भूराजनीतिक संघर्ष का एक प्रमुख कारण होगा, इसलिए +इस प्राकृतिक संसाधन का अच्छी तरह से प्रबंधन करना जरूरी है। + +हमें अपने देश के सभी नागरिकों के हित में, जल संकट से +निपटने पर पूरा ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। जल संकट के +समाधान के लिए सरकार अपनी विभिन्‍न पहलों के माध्यम से पानी +के वैज्ञानिक प्रबंधन पर काम कर रही है। संपूर्ण आबादी को पर्याप्त +मात्रा में स्वच्छ जल की विश्वसनीय पहुंच और निरंतर उपलब्धता +सुनिश्चित करने के लिए जल सुरक्षा सर्वोपरि है। + +प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, सरकार जल प्रबंधन को + + + +कि भारत में उपयोग योग्य जल संसाधन +केवल 1,122 घन कि.मी. हैं। + +2018 समग्र जल प्रबंधन सूचकांक +(सीडब्ल्यूएमआई) 2.0, एक अखिल +भारतीय मेट्रिक्स मापक है जो जल प्रबंधन + +भारत का हरित क्षेत्र + +बन शत +व कक हेक्टेयर + +(भौगोलिक क्षेत्र का 24.55 प्रतिशत) + + + +वन क्षेत्र में वृद्धि दर्शाने वाले + + + + +के विभिन्‍न आयामों को मापता है और | शीर्ष तीन राज्य +जीवनचक्र में उपयोग होता है। जल शक्ति पु + +मंत्रालय और ग्रामीण विकास मंत्रालय के stat ( a ai +साथ मिलकर नीति आयोग द्वारा जारी की + +देश में क्षेत्रवार अधिकतम +वन्य क्षेत्र वाले राज्य + +गई जल रिपोर्ट में संकेत दिया गया है कि +दिल्ली, बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद सहित +21 बड़े शहर 2020 तक शून्य भूजल स्तर +तक पहुंचने के कगार पर थे जिससे 100 +मिलियन से अधिक लोगों के प्रभावित +होने के आसार हैं। रिपोर्ट में यह भी संकेत + + + + + + + + + + +५ 31 पाए: + + + + + + + +लेखक सांसद (राज्यसभा), जी-20 के लिए भारत के शेरपा और पूर्व कोंद्रीय मंत्री Fi Ga: sprabhu@sansad nic.in + +10 + +योजना, अप्रैल 2021 + + +0011.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +नीति आयोग के संयोजित जल सूचकांक स्कोर +के अनुसार गुजरात, मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश +प्रभावी रूप से जल संसाधनों का प्रबंधन करते +हैं। मेघालय , उत्तराखंड और नगालैंड का स्थान +सूचकांक में सबसे नीचे है। + +संयोजित जल सूचकांक +स्कोर (वित्त वर्ष 16-17) + +सर्वोत्तम निष्पादन +(स्कोर: > 65 + +मिश्रित +बैग + + + + +मध्यम निष्पादन +(50-65) + + + + +CL] आंकड़े नहीं हि कम निष्पादन (<50) + +निदेशकों ने विचार किया : भूजल पुनर्भरण, +सिंचाई प्रबंधन, खेतों में जल के इस्तेमाल, +पेय जल आपूर्ति, जल नीति रूपरेखा + + + + + + + +लेकर 2014 से ही पूरी तरह सक्रिय रही है। भारत ने विशेष रूप से +“सतत विकास लक्ष्य 6: स्वच्छ पानी और स्वच्छता' में काफी प्रगति +की है। इसके लिए 2014 में शुरू किए गए स्वच्छ भारत अभियान +के माध्यम से 11 करोड़ से अधिक शौचालयों का निर्माण करके पांच +वर्षों में खुले में शौच से मुक्ति (ओडीएफ) के लक्ष्य को प्राप्त करने +के बाद सतत विकास लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में काफी प्रगति +की गई। इस अभियान के लिए 2019 में बिल एंड मेलिंडा गेट्स +फाउंडेशन ने प्रधानमंत्री को ग्लोबल गोलकीपर पुरस्कार प्रदान किया, +इसी वर्ष महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती भी थी। हाल में, कैंब्रिज +एनर्जी रिसर्च एसोसिएट्स (सीईआरए) ने भी माननीय प्रधानमंत्री +को ग्लोबल एनर्जी एंड एनवायरनमेंट लीडरशिप अवार्ड से सम्मानित +किया, उन्हें यह सम्मान देश और दुनिया की भावी ऊर्जा जरूरतों को +पूरा करने के लिए सतत विकास में भारत के नेतृत्व के विस्तार की +उनकी प्रतिबद्धता के लिए दिया गया। + +राष्ट्रीय नदी गंगा को प्रभावी तरीके से प्रदूषित होने से बचाने और +इसके संरक्षण के उद्देश्यों को पूरा करने के +लिए जून 2014 में 20,000 करोड़ रुपये के +बजट परिव्यय के साथ नमामि गंगे फ्लैगशिप + +सरकार ने 15 + +5 वर्ष (2000-2025 ) के दौरान किया +जाने वाला 6000 करोड़ रुपये का परिव्यय + +7 राज्यों में सामुदायिक भागीदारी के जरिए + +भूजल प्रबंधन में सुधार का उद्देश्य + +इन राज्यों में 78 जिलों की लगभग 8350 +ग्राम पंचायतों को लाभ होगा + +भागीदारी से भूजल प्रबंधन को बढ़ावा +मिलेगा और किसानों की आमदनी बढ़ेगी + + + +कानूनी ढांचे के प्रावधानों वाले राष्ट्रीय जल तंत्र विधेयक, 2016 के +मसौदे का सुझाव दिया गया। इस समिति का गठन जल संसाधन, नदी +विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय ने 2016 में किया था। सरकार +राष्ट्रीय जल नीति के 2012 संस्करण को अद्यतन करने और जल +प्रबंधन में प्रतिमान संबंधी बदलाव लाने के लिए एक राष्ट्रीय जल +उपयोग क्षमता ब्यूरो स्थापित करने की योजना बना रही है। + +जल संसाधन, नदी विकास तथा गंगा संरक्षण और पेयजल तथा +स्वच्छता मंत्रालय का विलय करके 2019 में जल शक्ति मंत्रालय +बनाकर जल सुरक्षा और प्रभावी प्रशासन सुनिश्चित करने के प्रयासों +को दोगुना किया गया है। जल संरक्षण को संपदा निर्माण और व्यापक +संचार के माध्यम से जन आंदोलन बनाने के लिए 2019 में जल +संरक्षण और जल सुरक्षा के लिए जल शक्ति अभियान शुरू किया गया +था। पांच महत्वपूर्ण गतिविधियों-जल संरक्षण तथा वर्षा जल संचयन; +पारंपरिक तथा अन्य जल निकायों / टैंकों का नवीनीकरण; पानी का +दोबारा इस्तेमाल; संरचनाओं का पुनर्भरण, जल संभर विकास और +सघन वच्य क्षेत्रों को सुनिश्चित करने के लिए +भारत के 256 जिलों में जल की कमी वाले +1592 ब्लॉकों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। + +अगस्त 2019 + +कार्यक्रम शुरू किया गया था। राष्ट्रीय गंगा +परिषद के अध्यक्ष माननीय प्रधानमंत्री हैं और +वे इस लक्ष्य के लिए काम कर हहे हैं। +इसके लिए 1) व्यापक नियोजन तथा प्रबंधन +के वास्ते अंतर-क्षेत्रीय समन्वय को बढ़ावा +देने के लिए नदी घाटी मार्ग या पहलू को +अपनाया जा रहा है और 2) पानी की गुणवत्ता +सुनिश्चित करने के लिए गंगा नदी में न्यूनतम +पारिस्थितिक प्रवाह बनाए रखा जा रहा है। +डॉ मिहिर शाह की अध्यक्षता में एक +समिति के माध्यम से एक महत्वपूर्ण और +कम होते प्राकृतिक संसाधन के रूप में जल +की सुरक्षा, संरक्षण, विनियमन तथा प्रबंधन के +लिए सिद्धांतों के साथ सर्वसमावेशी राष्ट्रीय + +योजना, अप्रैल 2021 + +को भारत के 73वें स्वतंत्रता +दिवस पर जल जीवन मिशन +का शुभारंभ किया, ताकि 2024 +तक प्रत्येक ग्रामीण परिवार (हर +घर नल जल ) को प्रति व्यक्ति +55 लीटर पानी उपलब्ध कराने +के लिए कार्यात्मक घरेलू नल +कनेक्शन उपलब्ध कराया जा सके। +2019-20 के दौरान, 7 महीनों में +( अगस्त से मार्च तक ), 84 लाख +से अधिक घरों में नल कनेक्शन +दिए गए थे। + +विशेष उपायों वाले क्षेत्रों में ब्लॉक तथा जिला +जल संरक्षण योजना, कृषि विज्ञान केंद्र मेला, +शहरी अपशिष्ट जल का दोबारा इस्तेमाल, +वैज्ञानिक तथा आईआईटी और 3 डी विलेज +mex मैपिंग शामिल zi + +सरकार ने 15 अगस्त 2019 को भारत +के 73वें स्वतंत्रता दिवस पर जल जीवन मिशन +का शुभारंभ किया, ताकि 2024 तक प्रत्येक +ग्रामीण परिवार (हर घर नल जल) को प्रति +व्यक्ति 55 लीटर पानी उपलब्ध कराने के +लिए कार्यात्मक घरेलू नल कनेक्शन उपलब्ध +कराया जा सके। 2019-20 के दौरान, 7 +महीनों में (अगस्त से मार्च तक), 84 लाख +से अधिक घरों में नल कनेक्शन दिए गए + +11 + + +0012.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +जल शक्ति अभियान fib, + +यह अभियान शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में चलाया जाएगा + +Se nt जल संभर विकास a और +rn oa +लक्षित संचार Sg ean aR + + + + +Tan वर्षा-जल संचयन + +केंद्रित गतिविधियां ine +rn परंपरागत और अन्य +मानिटरिंग जल निकायों/टेंकों का +डेशबोर्ड नवीनीकरण +oe +a +अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी हा aaa Fen sai +का प्रयोग शा का पुनर्प्रयोग + +सघन वनीकरण + + + + + +fit, + +tbe +a Nd +2024 तक सभी ग्रामीण स्थानीय स्तर पर पानी की +घरों में नल जल आपूर्ति समेकित मांग और आपूर्ति +का प्रबंधन + +जल जीवन मिशन + +gs en + +खेती में पुनर्प्रयोग के लिए + +केंद्र और राज्यों की वर्षा-जल संचयन, भूजल +अन्य योजनाओं के साथ पुनर्भरण और घरेलू अपशिष्ट +अभिसरण किया जाएगा जल प्रबंधन के वास्ते स्थानीय + +संरचना का निर्माण + + + + + + + +थे। 19,119 10,552 घरों में नल कनेक्शन देने के लक्ष्य के तहत 27 +'फरवरी 2021 तक 7,00,03 921 (36.48 प्रतिशत) ग्रामीण घरों में +नल कनेक्शन दिए गए। + +25 दिसंबर, 2019 को पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी +की 95 वीं जयंती पर भूजल प्रबंधन योजना- अटल भूजल योजना +शुरू की गई थी। इस योजना का उद्देश्य भारत के स्रात राज्यों - +गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, और +उत्तर प्रदेश में भूजल प्रबंधन में सुधार करना है। इस योजना पर +2020-21 से 2024-25 तक 5 वर्षों में कुल मिलाकर 6,000 +करोड़ रुपये व्यय किए जाएंगे। इस योजना से इन स्रात राज्यों के +78 जिलों की लगभग 8350 ग्राम पंचायतों +को लाभ होगा। + +2021-22 के केंद्रीय बजट में, सार्वभौमिक +जल आपूर्ति और स्वच्छ भारत मिशन पर + +से 2004 तक मेरे कार्यकाल के दौरान मैंने भारत सरकार के एक +व्यापक कार्यक्रम की अध्यक्षता की। इस कार्यक्रम का उद्देश्य देश के +हिमालयी और प्रायद्वीपीय क्षेत्रों में प्रमुख नदियों को जोड़ने के माध्यम + +से पानी की कमी को दूर करना सुनिश्चित करना है। +व्यवहार्यता अध्ययन पूरा करने और सामाजिक- आर्थिक प्रभावों, +पर्यावरणीय प्रभावों और आर्थिक व्यवहार्यता के संबंध में वैयक्तिक +परियोजनाओं के मूल्यांकन के मानदंडों पर मार्गदर्शन प्रदान करने के +लिए एक कार्य योजना बनाने की दिशा में कार्यबल को आगे बढ़ाया +गया। नदियों को आपस में जोड़ने के कार्यक्रम पर संबंधित राज्य +सरकारों के साथ आम सहमति तक पहुंचने के लिए जमीन तैयार +की गई। मैंने विभिन्‍न अंतर्राष्ट्रीय मंचों के साथ + +25 दिसंबर, 2019 को पूर्व भी काम किया है और कई अन्य के अलावा +प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी + +दक्षिण एशिया-ग्लोबल वॉटर पार्टनरशिप और +ऊर्जा, पर्यावरण तथा जल के बारे में परिषद्‌ + +विशेष ध्यान दिया गया है। 2.86 करोड़ घरेलू वाजपेयी की 95 वीं जयंती पर की अध्यक्षता की। 11 अफ्रीकी देशों में जल +नल कनेक्शनों के साथ सभी 4378 शहरी. भूजल प्रबंधन योजना- अटल संबंधी नीतियों का अध्ययन करने के लिए +स्थानीय निकायों में सार्वभौमिक जल आपूर्ति भूजल योजना शुरू की गई थी। संदर्भ समूह का भी सदस्य रहा। केंद्रीय रेल +के लिए जलजीवन मिशन (शहरी) शुरू करने _ इस योजना का उद्देश्य भारत के मंत्री के रूप में मैंने 2014 से 2017 तक रेलवे +की घोषणा की गई, साथ ही 500 अमृत शहरों सात राज्यों - गुजरात, हरियाणा, स्टेशनों पर वाटर वेंडिंग मशीनों की शुरुआत + +में तरल अपशिष्ट प्रबंधन के लिए 5 साल +के वास्ते 2,87,000 करोड़ रुपये का प्रावधान + +कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट , + +की। महाराष्ट्र के सूखाग्रस्त क्षेत्रों में जलदूत +रेलगाडियां भेजी गईं। + +किया गया है। शहरी स्वच्छ भारत मिशन को... स्थान, और उत्तर प्रदेश में जल निकायों की बहाली, जल पुनर्चक्रण +2021-2026 तक 5 वर्षों में 1 41,678 करोड. भूजल प्रबंधन में सुधार करना संयंत्रों की स्थापना, वर्षा जल संचयन, कुशल +रुपये के कुल वित्तीय आवंटन के साथ लागू. है। इस योजना पर 2020-21 से जल उपयोग, स्वचालित कोच gens Waa +करने का प्रस्ताव किया गया है। 2024-25 तक 5 वर्षों में कुल आदि के लिए नई जल नीति शुरू की गई। + +नदियों को आपस में जोड़ना पूर्व +प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी का +दीर्घ-कालिक सपना है और इस परियोजना + +मिलाकर 6,000 करोड़ रुपये कोंकण क्षेत्र के एक सांसद के रूप +व्यय किए जाएंगे। इस योजना से + +में मैंने सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना +के तहत पेयजल, पुलों और बिजली जैसी + +में प्रायद्वीपीय क्षेत्र की 14 और हिमालयी | सोते राज्यों के 78 जिलों की महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर कार्य किया। वे +मूल की 16 नदियां शामिल हैं। नदियों को लगभग 8350 ग्राम पंचायतों को जल संरक्षण तथा प्रबंधन पर संसदीय मंच से +जोड़ने के लिए गठित कार्य दल के अध्यक्ष लाभ होगा। भी जुड़ा रहा तथा वर्ल्ड बॉटर फोरम में एक + +(कैबिनेट मंत्री समतुल्य) के रूप में 2002 + +12 + +विचारक नेता के रूप में भी कार्य किया। + +योजना, अप्रैल 2021 + + +0013.txt +<----------------------------------------------------------------------> +जी 7 और जी 20 के लिए वर्तमान + +जल संकट को हल करने के लिए + +एक सदस्य को लिया जाएगा। परियोजना को + +प्रधानमंत्री के शेरपा के रूप में मैं इन समूहों चार प्रभागों के माध्यम से कार्यान्वित किया +के शिखर सम्मेलन के लिए प्रमुख मुद्दों पर सरकार पहले से ही कई weet | जाएगा: राज्य->जिला-2तालुका-2 गांव। +भारत सरकार के आधिकारिक एजेंडे को पर काम कर रही है, लेकिन केंद्र जल परियोजना का मुख्य घटक पर्यावरण और +आकार दे रहा हूं जिसमें (सतत विकास लक्ष्य सरकारों जल संरक्षण के बारे में काम करने के लिए +6: स्वच्छ जल और स्वच्छता' पर विशेष ध्यान और योजनाओं की विभिन्‍न स्थानीय साधनों का उपयोग करके परियोजना +केंद्रित किया जा रहा है। योजनाओं के कार्यान्वयन को. कौ प्रभावशीलता और कम लागत वाले तरीकों +जल संकट को हल करने के लिए आसान बनाने के लिए विभिन्‍न को बढ़ाने के लिए डेटा एनालिटिक्स का +सरकार पहले से ही कई पहलों पर काम कर हितधारकों को कई मुद्दों पर विच्चार उपयोग करना होगा। पेड़ों को बचाने के लिए + +रही है, लेकिन केंद्र और राज्य सरकारों की +विभिन्‍न योजनाओं के कार्यान्वयन को आसान +बनाने के लिए विभिन्‍न हितधारकों को कई +मुद्दों पप विचार करने की आवश्यकता हे। + +इन मुद्दों से निपटने के लिए, भारत के +72 वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर पर्यावरण +संरक्षण और जल संरक्षण पर 'निसर्ग रक्षा' +नामक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू किया गया है। यह समूचा अभियान +विभिन्‍न हितधारकों के विचारों के साथ जल क्षेत्र में मेरे अनुभवों को +देखते हुए संकल्पित किया गया था। यह अभियान लोगों द्वारा चलाया +जाएगा और यह लोगों का अभियान होगा। + +हमारा लक्ष्य लगभग 10 लाख निसर्ग रक्षक - देश के प्रत्येक +गांव के लिए एक स्वयंसेवक को प्रशिक्षित करना है। इन स्वयंसेवकों +को देश भर में 50,000 निसर्ग शिक्षकों द्वारा प्रशिक्षित किया जाएगा +और वे स्थानीय स्तर पर पर्यावरण संरक्षण और जल संरक्षण की दिशा +में विभिन्‍न गतिविधियों को अंजाम देंगे। शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण +घटक में ऋषिहुड विश्वविद्यालय द्वारा अपने विशेषज्ञों के माध्यम से +संबंधित क्षेत्रों की स्थानीय भाषाओं में ऑनलाइन शिक्षण मॉड्यूल +शामिल किए जाएंगे और संगठनों की सुविधा के लिए ई-सर्टिफिकेशन +भी प्रदान किया जाएगा। + +इसके अलावा, हम इस परियोजना के कार्यान्वयन की निगरानी +के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर नेचर प्रोटेक्टर फोरम नाम से +एक मंच बना रहे हैं। राष्ट्रीय स्तर के इस मंच के लिए, किसी +प्रमुख संगठन से प्रत्येक राज्य से एक सदस्य को लिया जाएगा। +राज्य-स्तरीय मंच के लिए, प्रत्येक जिले से किसी प्रमुख संगठन के + + + + + + + + + + + +योजना, अप्रैल 2021 + +करने की आवश्यकता है। भारत के +72 वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर +पर्यावरण संरक्षण और जल संरक्षण +पर “निसर्ग रक्षा' नामक राष्ट्व्यापी +अभियान शुरू किया गया है। + +चिपको आंदोलन जैसी परिवर्तन की स्थानीय +कहानियों और स्थानीय संस्कृति के विषयों +का उपयोग जल संसाधनों के संरक्षण और +पर्यावरण की रक्षा के लिए नई पहल की +कार्यनीतियों के लिए किया जाएगा। + +जागरूक नागरिकों को प्रकृति संरक्षण +अभियान में भाग लेने में मदद करने के लिए +नेचर प्रोटेक्टर ऐप बनाया गया है। इस अभियान में भाग लेने वाले +पर्यावरणविद लंबे समय के अनुभव और सुसंगत उद्यमशीलता को +संयोजित करने में सक्षम होंगे। अभियान में भाग लेने के इच्छुक किसी +भी नागरिक के लिए यह ऐप एक खुला मंच बना रहेगा। इस ऐप के +माध्यम से प्रतिभागियों को उचित और उपयोगी जानकारी दी जाएगी। +इसके अलावा इस क्षेत्र में अनुभव भी साझा किए जा सकते हैं। +संचार के माध्यमों को तीन भागों में विभाजित किया जाएगा जो इस +नेटवर्क को बनाने और बनाए रखने में मदद करेंगे। ये हैं- संगठनात्मक +आउटरीच सामग्री (सोशल मीडिया और डेटा एनालिटिक्स)। यह +राष्ट्रीय स्तर पर भारत में पर्यावरण और जल संरक्षण पर अपनी तरह +की पहली परियोजना होगी। + +इसके अलावा, ऋषिहुड यूनिवर्सिटी के माध्यम से नीति आयोग +और जल शक्ति मंत्रालय के सहयोग से जल क्षेत्र में युवा पेशेवरों के +लिए एक साल का फेलोशिप कार्यक्रम शुरू करने की योजना बनाई +जा रही है। इन युवा पेशेवरों की भूमिका स्थानीय मुद्दों, प्रशासनिक +संरचना को समझने और जल प्रशासन में अंतर्दृष्टि प्राप्त करने के +लिए संबंधित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों के साथ +काम करना है। इस सीख का उपयोग करते हुए, वे पानी के मुद्दों +पर उद्यमशीलता/उद्यमता समाधान विकसित करेंगे और सरकार को +सर्वोत्तम उपायों को लागू करने और बढ़ाने में भी मदद करेंगे। + +हमें यदि भविष्य को बचाना है और संधारणीय विश्व का निर्माण +करना है तो पानी के सही, बहुआयामी महत्व का एहसास करने का +यह उपयुक्त समय है। माननीय प्रधानमत्री के नेतृत्व में, भारत ने पिछले +7 वर्षों में सभी क्षेत्रों में कई चुनौतियों को पार किया है और मुझे पूरा +विश्वास है कि जल सुरक्षा सुनिश्चित करने और जल क्षेत्र प्रशासन +को मजबूत करने की दिशा में बहुत कुछ किया जा रहा है। = +संदर्भ +प्रेस सूचना कार्यालय (पीआईबी), भारत सरकार +swachhbharatmission.gov.in +jaljeevanmission. gov.in + +ejalshakti.gov.in +knowindia.gov.in + +जी की 2 २ ४ + +13 + + +0014.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + + + + + + +fext/English ?105[0221 165 + +ऑफलाइन / ऑनलाइन Institute for Civil Services Examination + +Prospect IAS + +वाज्ञॉण॑रणि एांश 5४८९5 ६४परंतपरॉणा + + + + + + + + + + + +विक्रम +समसामयिक 1] स्तरीय सामग्री ee Soy » लाइफ मैनेजमेंट Et, i) ऑनलाइन व्यक्तिगत +2 Be - Se Oz 1 +-- विश्लेषण हिथिएः “ययन-साम rare सेशन | डेशबोर्ड +#'.. अपनी विशिष्ठताओं के साथ ?०४०९०८/ ॥५७$ आपकी सफलता की अधिकतम सम्भावना सुनिश्चित करता है। +हमसे end +be सभी विषयों के विभिन्न खण्डों का विशेषज्ञता आधारित अध्यापन श्षसामान्य अध्ययन (प्रारम्भिक तथा मुख्य परीक्षा हेतु) +af 0$६ विशेषज्ञों तथा अकादमिक फैकल्टी का बेहतरीन सन्तुलन nee +[01] प्रभावी लेखन शैली के विकास हेतु भाषा-प्रवीणता का विशेष कोर्स ;_* वैकल्पिक विषय : +कक ७ इतिहास [न भुद न +@ mem को दोष न देते हुए गुणवत्ता पर फोकस ७ भूगोल (कप as +& अभ्यर्थियों को औसत नहीं बल्कि विशिष्ट बनने का वातावरण ७ राजनीति विज्ञान तथा अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्ध रा गज Mes +पट atk +(3 कैलेण्डर आधारित रिवीजन तथा नियमित प्रैक्टिस ° feat जिया नि, +# हिन्दी तथा ६&19॥5॥ माध्यम के लिए अलग-अलग बैच (9 भाषा-प्रवीणता का विशेष कोर्स + + + + + +५ 011-43584646 / +91 १821 9821 04 / +91 १821 9821 07 + +७ B-18, 1* Floor, Opp. Aggarwal Sweets, Mukherjee Nagar, Delhi 110009 + + + +enquiry@prospectias.in o00 prospectias www.prospectias.in + + + + + +14 + + + +योजना, अप्रैल 2021 + +YH-1561/2021 + + +0015.txt +<----------------------------------------------------------------------> +सतत प्रबंधन + +जलवायु संकट और पानी का भविष्य : भारतीय अनुभव + + + +भारतीय अनुभव न +केवल हमारे, बल्कि +पूरे विश्व के शिक्षण + +के लिए बहुमूल्य है कि +जल-प्रबंधन को कैसे +नया रूप दिया जाए +कि वह किफायती और +टिकाऊ हो। ऐसा प्रबंधन +जन-समुदायों के हाथों +में होगा और विकेंद्रीकृत +रूप में स्थानीय स्तर पर +इसमें पानी के स्त्रोतों के +पुनर्भगकरण और पानी +के बार-बार इस्तेमाल हो +सकने की व्यवस्था होगी। +जल-प्रबंधन हर व्यक्ति +का काम और जिम्मेदारी +होनी चाहिए। + +योजना, अप्रैल 2021 + +सुनीता नारायण + +तथ्य तो निर्विवाद हैं: एक, स्वास्थ्य सुरक्षा और आर्थिक प्रगति के लिए पानी +नव एक महत्वपूर्ण निर्धारक है। दूसरा, पानी को लेकर युद्ध टाले जा सकते हैं +लेकिन अगर हम अपने संसाधनों का विवेक से इस्तेमाल नहीं करेंगे तो ऐसे + +युद्ध संभव हैं। कोविड-19 के दौर में हमने समझा है कि स्वच्छ पानी का मुद्य कितना +महत्वपूर्ण है। महामारी से बचाव का यही तरीका था कि हम बार-बार साफ पानी से हाथ +धोएं। इसीलिए 2021 के केंद्रीय बजट में सरकार ने पानी को स्वास्थ्य के घटक से जोड़ कर +रखा है। यह मेरी राय में निर्णायक कदम है क्योंकि इसमें साफ पानी को स्वास्थ्य सुरक्षा का +एक महत्वपूर्ण घटक माना गया है। + +मेरा यह भी मानना है कि पानी के अभाव की स्थिति के ज्यादा बढ़ने के बावजूद, +ऐसा होना अनिवार्य नहीं है कि शहरों में पानी खत्म हो जाए और हमारे पास पीने को पानी +न बचे। मैं ऐसा इसलिए कह रही हूं क्योंकि जल एक पुनर्भरणीय संसाधन है। हर साल यह +बर्फ और बारिश के रूप में आता है। ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह भी है कि कृषि को छोड +कर, हम पानी का पूरी तरह उपभोग नहीं करते। हम इसका इस्तेमाल करके इसे वापस कर +देते हैं। इसलिए, इसका शोधन कर इसे फिर इस्तेमाल के लायक बनाया जा सकता है। इस +तरह, इस क्षेत्र में हम भविष्य को बदल सकते हैं। + +इसका मतलब है कि जल प्रबंधन की हमारी नीति और व्यवहार सही हों। अच्छी बात +यह है कि पानी के बारे में समझ बढ़ी है। पिछले कुछ दशकों में देश ने जल प्रबंधन से जुड़ी +महत्वपूर्ण बातें समझी हैं और एक नया परिदृश्य बनाया है। 1980 के दशक के अंत तक, +जल प्रबंधन सिंचाई परियोजनाओं तक सीमित था। यानी पानी को जमा करके दूर-दूर तक +इसकी आपूर्ति के लिए बांध और नहरें बनाना। लेकिन 1980 के दशक में जो बड़े सूखे पड़े, +उनसे यह स्पष्ट हुआ कि बड़ी परियोजनाओं के जरिए पानी का प्रवाह बढ़ा देना ही काफी + + + + + +लेखिका सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की महानिदेशक 1 Get: sunita@cseindia.org + +15 + + +0016.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +a + +नहीं है। इसी दौर में सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) + +ने अपनी रिपोर्ट - 'डाइंग fase’ प्रकाशित की जिसमें भारत के +पर्यावरणीय विविधता वाले क्षेत्रों में बरसाती पानी को समेट कर रखने +की परंपरागत प्रौद्योगिकियों को प्रस्तुत किया गया था। इस समझ का +नारा था, “बरसात सब जगह होती है और पानी की मांग भी सभी +जगह है।'” इसलिए, बारिश होते ही इसके पानी को समेट कर रखें। + +इसके बाद नीतियों में एक बुनियादी बदलाव आया। 1980 के +दशक के सूखों के दौरान, राज्य सरकारों ने बरसात के पानी को जमा +करने के लिए तालाब-पोखरे बनाने और नदियों पर बांध बनाने के +व्यापक कार्यक्रम चलाए। 2000 के दशक के मध्य तक, ये प्रयास +महात्मा गांधी रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा - एमजीआरईजीए) +में समाहित हो गए जिसके तहत स्थानीय +श्रमिकों को रोजगार देकर गांवों में जल-ग्रहण +के लिए व्यवस्थाएं की गई। इस समय तक, + +50 प्रतिशत से ज्यादा खेती अब + + + +: ple: ae See अं re ete ee ae +2010 के दशक में, शहरी घरों तक सूखे का संकट पहुंच गया। +तब समझ में आया कि पानी की आपूर्ति बढ़ाना चुनौती का मात्र एक +हिस्सा है। शहर दूर स्थित जल-स्रोतों पर ज्यादा से ज्यादा निर्भर होते +गए। वहां से पानी को पंप करके लाने में वितरण में होने वाला पानी +का नुकसान तो था ही, बिजली की लागत भी बढ़ती थी। इस तरह, +पानी महंगा होता गया और इसका साधन-सम्पन्न और अन्य लोगों के +बीच वितरण बेहद असमानता के साथ होने लगा। जल-आपूर्ति कम +होने से लोगों ने जमीन के अंदर के भूजल को खींचना बढ़ा दिया +लेकिन इसको फिर से भरने के कोई प्रयास नहीं हुए। शहरों में मकानों +और संपत्ति के कारोबारियों ने तालाबों और अन्य जल-स्रोतों को सुखा +डाला। दूसरी ओर, पूरी तरह अनदेखी की वजह से भी ये जल-स्रोत +सूख गए। इस तरह, जमीन में पानी का स्तर +और नीचे चला गया। + +इससे भी बड़ी बात यह थी कि पानी + +यह बात भी समझ में आ गई थी कि जमीन भी बरसाती पानी पर नि की आपूर्ति प्रदूषण से जुड़ी थी। जितनी ज्यादा +के नीचे का भूजल, जिसे अब तक ‘rT’ है इसलिए STARA SUT पानी की आपूर्ति होगी, उतना ही गंदा पानी +संसाधन समझा जाता था, वास्तव में पेयजल छोटी-छोटी परियोजनाओं के जरिए बढ़ेगा। पानी की सफाई की पर्याप्त व्यवस्था + +और सिंचाई का “बड़ा' संसाधन है। यह भी +समझ में आया कि 50 प्रतिशत से ज्यादा खेती +अब भी बरसाती पानी पर निर्भर है इसलिए +जल-संरक्षण और छोटी-छोटी परियोजनाओं +के जरिए बरसात के पानी को जमा करना +जमीन की उत्पादकता बढ़ाने और लोगों के +बेहतर जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और +इसलिए हर कुए और नदी-तालाब-पोखर जैसे +जल-संग्राहक स्रोत को सूखने न देना जुरूरी है। + +16 + +बरसात के पानी को जमा करना +जमीन की उत्पादकता बढ़ाने और +लोगों के बेहतर जीवन के लिए +बहुत महत्वपूर्ण है और इसलिए +हर कुएं और नदी-तालाब-पोखर +जैसे जल-संग्राहक स्त्रोत को सूखने +न देना जुरूरी है। + +न होने से नदियों-तालाबों का प्रदूषण बढ़ता है +जिससे साफ पानी की उपलब्धता कम होती है +और पानी साफ करने की लागत भी बढ़ती है। + +कुछ वर्ष बाद, शोध से पता चला कि +ज्यादातर शहरी निवासी भूमिगत जल-मल +प्रबंधन व्यवस्था (अंडरग्राउंड सीवरेज नेटवर्क) +से भी नहीं जुड़े हैं जिसमें ज्यादा पूंजी और +संसाधन लगते हैं। वास्तव में, ज़्यादातर लोग +घर की जगह पर ही 'जल-मल निस्तारण + +योजना, अप्रैल 2021 + + + + +0017.txt +<----------------------------------------------------------------------> +(सीवरेज) ' व्यवस्था से जुड़े हैं जिसमें घर का जल-मल सेप्टिक +टैंकों या फिर, मामूली टैंकों या फिर आस-पास की खुली नालियों में +ही निपटाया जाता है। जल-मल निस्तारण की यह व्यवस्था शहरों की +मुख्य सफाई व्यवस्था से नहीं जुड़ी होती और उसका सही इस्तेमाल +नहीं हो पाता। सही जल-मल व्यवस्था नहीं होने से नदियों में प्रदूषण +बढ़ता जाता है। + +इस तरह, नए समाधानों की समझ बढ़ी। अगर वाजिब कीमत +पर जल आपूर्ति की समस्या है तो शहरों में जल-वितरण पाइपलाइनों +की लंबाई कम करनी होगी। यह तभी हो सकेगा जब तालाबों-पोखरों +तथा बरसाती पानी जमा करने जैसी स्थानीय प्रणालियों पर ज्यादा ध्यान +देना होगा। शहरों में सभी लोगों के लिए किफायती जल तथा स्वच्छता +व्यवस्था सुनिश्चित करनी होगी और घरों-मुहल्लों के आसपास की +ऐसी स्थानीय व्यवस्थाओं को नया स्वरूप देना होगा जिसमें स्थानीय +तौर पर हर घर से जल-मल संग्रहण और उसकी सफाई और निपटान +की व्यवस्था हो। पीने के पानी की आपूर्ति के लिए दूर-दूर तक +पाइप बिछाने और फिर घरों से जल-मल ले जाने तथा निस्तारण के +लिए उससे भी लंबी पाइप लाइनों की जरूरत नहीं होनी चाहिए। +इस अनुभव से हमने सबसे बड़ी बात यह सीखी कि अगर इस +शहरी-औद्योगिक जल-मल का सही तरीके से निस्तारण हो सके और +इसे दुबारा इस्तेमाल के योग्य बनाया जा सके तो पानी बर्बाद नहीं +होगा। महत्वपूर्ण बात यह है, हमारी नदियां बर्बाद नहीं होंगी। इसीलिए, +पानी के सही इस्तेमाल के तरीकों पर हमें ज़्यादा ध्यान देना होगा। + +भारतीय अनुभव न केवल हमारे, बल्कि पूरे विश्व के शिक्षण +के लिए बहुमूल्य है कि जल-प्रबंधन को कैसे नया रूप दिया जाए +ताकि वह किफायती और टिकाऊ हो। ऐसा प्रबंधन जन-समुदायों के +हाथों में होगा और विकेंद्रीकृत रूप में स्थानीय स्तर पर इसमें पानी +के स्रोतों के पुनर्भीकरण और पानी के बार-बार इस्तेमाल हो सकने +की व्यवस्था होगी। जल-प्रबंधन हर व्यक्ति का काम और जिम्मेदारी +होनी चाहिए। + +इसलिए बड़ी चुनौती यह है कि पानी की आपूर्ति प्रणाली +को निरंतर बनाए रखने की चुनौती सबसे बड़ी है। भारत सरकार + +के महत्वाकांक्षी और बेहद wed ‘et a we’ fam A va +अवसरंचना परियोजनाओं की इस बुनियादी कमी को पहचाना गया +है और जल व्यवस्था को निरंतर टिकाऊ बनाए रखने पर जोर दिया +गया है ताकि पाइपों और नालों में पानी की सप्लाई बनी रहे। इसके +लिए इस बात पर फोकस करना होगा कि जो पानी जुटाया गया है, +वह बर्बाद न हो; झीलों, तालाबों और पोखरों पर अवैध कब्जे न +हों; वे सिमटें नहीं; पानी के निकास के लिए जुरूरी जलागम और +जल-विभाजक क्षेत्रों की देखभाल व संभाल की जाए। + +समस्या यह है कि पानी और जूमीन के विभिन्न मुद्दों से जुड़ा +अमला अलग-अलग है। तालाब की व्यवस्था किसी के पास है, +नाली-निकासी दूसरे के पास है, जलागम क्षेत्र किसी और के कार्य +क्षेत्र में है। पानी के सुरक्षित प्रबंधन के लिए इस स्थिति को बदलना +होगा। इसके लिए पानी से जुड़े संसाधनों और व्यवस्थाओं पर स्थानीय +लोगों को ज्यादा नियंत्रण देने होंगे! इसलिए सही जल प्रबंधन के +लिए लोकतन्‍्त्र को और गहरे लाना होगा, जमीनी स्तर पर अधिकार +देने होंगे। + +इन सब बातों के साथ-साथ हमें अपना पानी का इस्तेमाल कम +से कम करना होगा। हर बूंद का किफायती इस्तेमाल करना होगा। +इसमें पानी के किफायती इस्तेमाल वाली सिंचाई व्यवस्था तथा घरेलू +उपकरणों और खान-पान में भी किफायती तरीके अपनाने होंगे। ताकि +हमारी फसलों में भी पानी का समझदारी से इस्तेमाल हो। + +यही अवसर है - हमने जो कुछ सीखा है, इस दशक में उन +सारी बातों को व्यवहार में लाएं और भारत में पानी की उपलब्धता +की नई इबारत लिख डालें। यह संभव है। हम बस, पानी पर सबसे +ज्यादा ध्यान देना शुरू कर दें। पानी आजीविका से, भोजन और पोषण +से, हमारे भविष्य से जुड़ा है। + +जलवायु-संकट से घिरी हमारे दुनिया के लिए यह और भी +ज्यादा जुरूरी है। इस दशक में प्रकृति के बदले के रूप में जलवायु +परिवर्तन के प्रभाव बढ़ने की आशंका है। इसलिए हमें जल-प्रणालियों +में निवेश बढ़ा कर उन्हें ज्यादा टिकाऊ बनाना होगा ताकि वे न केवल +अगली बारिश को, बल्कि अगली बाढ़ को भी झेल सकें। हमें अपने + + + + + +प्रयासों में तेजी लानी होगी क्योंकि जलवायु +परिवर्तन के साथ बारिश तो ज्यादा हो +| सकती है पर बारिश के दिन कम हो सकते +छ#ि| हैं। इसका मतलब है कि हमें बारिश होते +7“ ही इसके पानी को समेटने के ज्यादा प्रयास +की करने होंगे ताकि भूजल का स्तर ऊपर उठे। +कल पानी को लेकर हमारा भविष्य पानी के +बारे में हमारी समझदारी पर निर्भर है। हमें +समझना होगा कि जल और संस्कृति का +CeCe साथ हे। पानी की कमी का मतलब महज +Same कम बारिश होना नहीं है, इसका मतलब +wee यह भी हे कि पानी की जो नेमत समाज +जज को मिल रही है, वह उसे सही तरीके +बज से बांटने और उसके अनुरूप जी पाने में +3 असमर्थ हो रहा है। हमें पानी की सुरक्षा +कक तभी मिल सकती है, जब हम पानी से जुड़े +1 मुद्दों में समझदार बनें। | + + + +योजना, अप्रैल 2021 + +17 + + +0018.txt +<----------------------------------------------------------------------> +R 5 UNION +V.K. TRIPATHI + +OFFLINE / ONLINE / PENDRIVE COURSE + +राजनीति | राजनीति विज्ञान + +विज्ञान | NET/IRF + +Lecturer, Asst. Professor + +( वैकल्पिक विषय ) 7७1 आदि परीक्षाओं के लिए +IAS / PCS a fan + +@ Uy Wasa UT Printed Notes e aul Waa UT Printed Notes +० साप्ताहिक टेस्ट की सुविधा e 300 वीडियो +० मॉडल उत्तर पुस्तिका ०» 20,000 प्रश्नों की अभ्यास पुस्तिका + +सामान्य अध्ययन-1 ( मुख्य परीक्षा ) + + + +राजव्यवस्था, अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध +सामाजिक न्याय, अभिशासन + +सामान्य अध्ययन सामान्य अध्ययन +( मुख्य परीक्षा ) ( प्रारम्भिक परीक्षा ) + +नीतिशास्त्र | राजव्यवस्था + +Ethics POLITY (PT) + +wyut WEA UT Printed Booklet अभ्यास के लिए प्रश्न टेस्ट सुविधा उपलब्ध + +ST a a + +§999421699-33 + +18 योजना, अप्रैल 2021 + + + + +0019.txt +<----------------------------------------------------------------------> +सामाजिक क्रांति की दिशा में बढ़ते कदम + +रतन लाल कटारिया + +प्रत्येक परिवार को पानी उपलब्ध कराना एक ऐसा दायित्व है जिससे कोई सरकार भाग नहीं सकती। पानी +जीवन के लिए अमृत के समान है और “इसे एक ऐसी उपयोगी वस्तु माना जाता है जिस पर सबका +अधिकार है भले ही कोई इसके लिए भुगतान करने की क्षमता रखता हो या नहीं, क्योंकि यह जीवन के +लिए अनिवार्य है।'' संयुक्त राष्ट्‌ महासभा के संकल्प संख्या 64/292 के अनुसार इसे मानवाधिकार की +तरह प्रतिष्ठित किया गया है और सरकारों से अपेक्षा की गयी है कि वे घरेलू उपयोग के लिए स्वच्छ जल + +की पर्याप्त और वाजिब मात्रा सुनिश्चित करें। + +रा जन्म हरियाणा के एक छोटे से गांव में हुआ। दलित +परिवार में जन्म होने से गरीबी और उपेक्षा ही मेरे जीवन +का जायका रहे हैं। मेरे माता-पिता की रोजमर्रा की + +गतिविधियां परिवार के लिए दो जून की रोटी जुटाने तक सीमित थी। +मेरे पिता मोची का काम करते जबकि मेरी माता दिहाड़ी मजदूर के +तौर पर हाड़ तोड़ मेहनत करतीं। मुझे याद है एक खास कुएं से पीने +का पानी लाने के लिए मां को रोजाना कितनी कड़ी मेहनत करनी + +कमोबेश यही देश की अधिकांश ग्रामीण महिलाओं की एक +जैसी कहानी है जिनकी संख्या 2011 की जनगणना के अनुसार 40.5 +करोड़ है क्योंकि 15 अगस्त, 2019 तक देश के कुल 19.18 करोड +परिवारों में से केवल 3.23 करोड ग्रामीण परिवारों के पास ही पानी +के नलों वाले कनेक्शन थे। समाज के सबसे दुर्बल तबके और खास +तौर पर महिलाओं को नलों के जरिए स्वच्छ पेयजल उपलब्ध न होने +के कितने दूरगामी परिणाम होते थे इसका आकलन करने के लिए + + + +पड़ती थी। अपने बच्चों को पीने का साफ पानी उपलब्ध कराने के +उसके संकल्प ने उसे जीवन में शारीरिक और सामाजिक मुसीबतों +को झेलने का जज्बा दिया। + +केवल आंकडे काफी नहीं होंगे। +भारत में महिलाएं और लड़कियां दिनभर काफी समय रोजमर्रा के + + + + + +ge ac +a + + + + + + + + + + + +लेखक भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय में राज्य मंत्री J) Sat: mos-mowr@nic.in + +योजना, अप्रैल 2021 + +19 + + +0020.txt +<----------------------------------------------------------------------> +मुकाबले (जो इसके लिए 52 मिनट देते हैं) + +57.7 प्रतिशत अधिक है और दक्षिण अफ्रीका समूचे मिशन में बॉटम अप यानी +नीचे से ऊपर की ओर आगे बढ़ने +वाला दृष्टिकोण अपनाया गया +है। इसके लिए ग्राम जल और +स्वच्छता समिति/पानी समिति का +गठन करना होता है जो पेयजल +स्रोत सुदृढ़ीकरण, जल आपूर्ति, +अवजल प्रबंधन और संचालन व +रखरखाव के बारे में पंचवर्षीय +ग्राम कार्य योजना तैयार करती है +ताकि गांव के लोगों को नियमित + +तथा चीन की महिलाओं की तुलना में 40 +प्रतिशत अधिक है (ओईसीडी के आंकड़े ) +। अपने परिवार के लिए पीने का पानी लाना +इसका मुख्य हिस्सा होता है। लड़कियों के +स्कूल में दाखिला लेने में सबसे बड़ी बाधा +परिवार के लिए पीने का पानी जुटाने की +उनकी जिम्मेदारी ही है, खास तौर पर गरीब +परिवारों की लड़कियों के लिए। यह समस्या +कितनी गंभीर है इसका अनुमान इस बात से +लगाया जा सकता है कि भारत में 11 करोड से +अधिक ग्रामीण महिलाएं गरीबी रेखा से नीचे +जीवनयापन करने को अभिशप्त हैं (पूर्ववर्ती +योजना आयोग का अनुमान, 2004-05)। + +संसाधनों पर पड़ता है। इसका खामियाजा +महिलाओं और बालिकाओं को भुगतना होता +है और वे ही सबसे अधिक नुकसान झेलती +हैं। इससे उनकी शारीरिक बढ़वार रुक जाती +है जिसका दूरगामी असर पीढ़ियों तक चलता +रहता है। एक अध्ययन के अनुसार यह देखा +गया कि ऐसी महिलाएं जिन्होंने बचपन में बड़ी +संख्या में सूखे की स्थिति (औसत से कम +वर्षा) को झेला है, उनके बच्चों को किसी न +किसी एश्रोपोमीट्रिक यानी मानव शरीर संबंधी +गड़बड़ी की 29 प्रतिशत अधिक आशंका रहती +है। यानी अपनी उम्र के लिहाज से उनका +वजन या कद कम हो सकता है (विश्व बैंक +रिपोर्ट: अनचार्टेड वार्ट्स)। इसलिए यह जरूरी है +कि प्रत्येक परिवार को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध + +मानसून की वर्षा और भूजल पर भारी आधार ® बिना किसी व्यवधान कराया जाए ताकि हमारी मानवीय पूंजी सुरक्षित +निर्भरता के कारण पानी की उपलब्धता में... के नलों के जरिए पानी की रहे और हमारी भावी पीढ़ियों के बच्चों की +उतार-चढ़ाव की वजह से उनकी मुसीबतें और सुनिश्चित आपूर्ति हो। बढ़वार न रुके। + +भी बढ़ जाती हैं। स्त्री-पुरुष असमानता की +स्थिति पर तो इसका और भी बुरा असर पड़ता है। भारत में 70 प्रतिशत +बारिश मानसून के मौसम में होती है और मानसून की अधिकता या +कमी में भी भौगोलिक क्षेत्र के अनुसार हर साल अंतर आता रहता है। +इसी का नतीजा है कि भारत की 42 प्रतिशत जमीन बाढ़ की आशंका +वाले क्षेत्र के अंतर्गत आती है (प्रारंभिक सूखा चेतावनी प्रणाली रिपोर्ट ++ मार्च 2019)। यह सर्व विदित है कि भीषण सूखे जैसी मौसमी +आपदा से समाज के दुर्बल वर्गों पर विनाशकारी असर पड़ता है। +इससे उनके मवेशी मर जाते हैं और फसल चौपट हो जाती है। खाद्य +पदार्थों की कीमतें आसमान छूने लगती है जिससे उनके स्वास्थ्य और +पोषण पर भी बुरा असर पड़ता है और इसका परिणाम अंततः: मानवीय + +प्रत्येक परिवार को पानी उपलब्ध कराना +एक ऐसा दायित्व है जिससे कोई सरकार भाग नहीं सकती। जीवन +के लिए पानी अमृत तुल्य है और ''इसे एक ऐसी उपयोगी वस्तु +माना जाता है जिस पर सबका अधिकार है, भले ही कोई इसके लिए +भुगतान करने की क्षमता रखता हो या नहीं, क्योंकि यह जीवन की +अनिवार्य आवश्यकता है।'” संयुक्त राष्ट्र महासभा के संकल्प संख्या +64/292 के अनुसार इसे मानवाधिकार के रूप में प्रतिष्ठित किया गया +है और सरकारों से अपेक्षा की गयी है कि वे घरेलू उपयोग के लिए +पर्याप्त और वाजिब मात्रा में स्वच्छ जल उपलब्ध कराएं। + +इसी के अनुसार 2019 में प्रधानमंत्री श्री नरेद्ध मोदी ने महत्वपूर्ण +कार्यक्रम जल जीवन मिशन के अंतर्गत प्रत्येक ग्रामीण परिवार को नलों + + + + + +जल शक्ति अभियान + +जलसंभर विकास की दिशा में केन्द्रित गतिविधियों +में मदद की पहल + + + +20 + +योजना, अप्रैल 2021 + + +0021.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +से पेयजल उपलब्ध कराने के सरकार के +संकल्प की घोषणा की। हाल में गठित +जल शक्त मंत्रालय केन्द्र द्वारा प्रायोजित +इस कार्यक्रम को राज्यों के सहयोग से +लागू कर रहा है और इसमें 2024 तक +“नल से जल” और “हर घर जल" +उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है। +दरअसल इस कार्यक्रम के अंतर्गत +एक साल की छोटी-सी अवधि में ही +3.77 करोड परिवारों को पाइपलाइनों के +जरिए जल आपूर्ति के कनेक्शन दिये गये ff +हैं। जल जीवन मिशन के तहत गोवा और +तेलंगाना शत-प्रतिशत परिवारों को पानी +के कनेक्शन देकर क्रमशः प्रथम और [| +द्वितीय स्थान पर रहे हैं। आज की तारीख BF +में 52 जिलों, 669 विकास खंडों, 42,000 +ग्राम पंचायतों और 82 हजार गांवों ने हर +घर जल का लक्ष्य प्राप्त कर लिया है। +लेकिन इस मिशन के परिणामस्वरूप +कई अन्य महत्वपूर्ण बातें भी हो रही हैं। +पानी के कनेक्शन जाति, समुदाय, +धर्म, वर्ग आदि का ध्यान रखे बिना सभी +को उपलब्ध कराए जा रहे हैं और इस + + + + + + + + + +बात का ध्यान रखा जा रहा है कि “कोई भी व्यक्ति छूटने न पाए!!। + +ऐसे गांवों को प्राथमिकता दी जा रही है जहां अनुसूचित जातियों/ +अनुसूचित जनजातियों के लोग अधिक संख्या में हैं और इस बात का +ध्यान रखा जा रहा है कि रोजाना प्रति व्यक्ति 55 लीटर पानी उपलब्ध +कराया जाए। इस तरह के धर्मनिरपेक्ष और समावेशी दृष्टिकोण से +मूलतः समाज के दुर्बल वर्गों और उपेक्षित तबकों के लोगों को फायदा +हो रहा है और यह मिशन एक सामाजिक क्रांति साबित हुआ है। + +मिशन के तहत अभूतपूर्व पैमाने पर जल आपूर्ति अवसंरचना की +अनिवार्य रूप से व्यवस्था करने का प्रावधान किया गया है। इसके +लिए नलसाज, राजमिस्त्री, इलेक्ट्रीशियन, फिट्टर, पंप ऑपरेटर जैसी +कुशल श्रम शक्ति की आवश्यकता उत्पन्न हो रही है जिसे संबंधित +गांवों के लोगों को प्रशिक्षण देकर पूरा किया जाएगा। इस तरह इससे +गांव में कुशल श्रम शक्ति के लिए रोजुगार के अवसर पैदा होंगे और +उद्यमिता के अवसर भी बढ़ेंगे। + +समूचे मिशन में बॉटम-अप यानी नीचे से ऊपर की ओर आगे +बढ़ने वाला दृष्टिकोण अपनाया गया है। इसके लिए ग्राम जल और +स्वच्छता समिति/पानी समिति का गठन करना होता है जो पेयजल स्रोत +सुदृढ्दकरण, जल आपूर्ति, अवजल प्रबंधन और संचालन व रखरखाव +के बारे में पंचवर्षीय ग्राम कार्य योजना तैयार करती है ताकि गांव के +लोगों को नियमित आधार पर बिना किसी व्यवधान के नलों के जरिए +पानी की सुनिश्चित आपूर्ति हो। एक दिलचस्प बात यह है कि इन +समितियों के सदस्यों में 50 प्रतिशत महिला सदस्यों का होना जरूरी +है क्योंकि उन पर ही पानी की व्यवस्था करने का दारोमदार होता है। +परियोजना पर कारगर तरीके से अमल के लिए उनकी भागीदारी को +अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। इतना ही नहीं, यह भी एक तथ्य है + +योजना, अप्रैल 2021 + +कि जिन पंचायतों में महिला सदस्यों की भागीदारी अधिक है, वहां +पेयजल आपूर्ति, स्वच्छता आदि की परियोजनाओं में अच्छा कार्य हुआ +है (संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट)। इसके अलावा पानी समिति में समाज के +दुर्बल वर्ग को भी उपयुक्त प्रतिनिधित्व दिया जाता है जिससे यह +मिशन उनकी भागीदारी के साथ-साथ सशकतीकरण के लिए एक मंच +उपलब्ध कराने का प्रयास करता है। + +आखिर में, सूचना टेक्नोलॉजी का फायदा उठाकर एफ. +ejalshakti.gov.in Wea पर देश भर के पानी से संबंधित डेटा +को संकलित और प्रदर्शित किया गया है। कॉरपोरेट कंपनियां, +संगठनों और ग्रामीण पृष्ठभूमि वाले ऐसे व्यक्तियों से जिनका अब +भी अपने जन्म स्थान के प्रति लगाव है, अंशदान स्वीकार करने के +लिए राष्ट्रीय जल जीवन कोष (आर.जे.जे.कोष) बनाया गया ZI +बहुत जल्द ऐसे इंतजाम किये जा रहे हैं जिससे वे इस पोर्टल के +जरिए पानी समिति के सदस्यों से बातचीत कर सकेंगे और माउस +को क्लिक करके जल आपूर्ति संबंधी किसी खास परियोजना के +लिए चंदा दे सकेंगे। + +इसलिए जल जीवन मिशन कोई ऐसी योजना नहीं है जिसका +मकसद अधिक संख्या में नलों के जरिए घरों तक पानी पहुंचाने +का लक्ष्य प्राप्त करने तक सीमित है। बल्कि इसका उद्देश्य ऐसी +आर्थिक, सामाजिक और शारीरिक मुश्किलों को दूर करना है जिन्हें +घर के पास नियमित, विश्वसनीय और स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था +नहीं होने से हमारे समाज के दुर्बल वर्गों को झेलना पड़ता है। इसके +माध्यम से एक ऐसी सामाजिक क्रांति लाने का प्रयास किया जा रहा +है जिसमें जन भागीदारी होगी, सशक्तीकरण होगा, समन्वय होगा, +समावेशन होगा और समता होगी। छा + +21 + + +0022.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +The Complete Administrattve Culture + +अरिबल मूर्ति के निर्देशन में + +ऑफलाइन “आऑफन्‍नलाइन प्रोग्राम +| स्ाम्मान्य अध्ययन | + +श्री अखिल मूर्ति 2 +(IGNITED MINDS) (DISCOVERY IAS) + +गवर्नेंस, आंतरिक सुरक्षा +ooo + +श्री विकास रंजन +भूगोल, पर्यावरण | भारतीय राजव्यवस्था सामान्य विज्ञान +आपदा प्रबंधन अंतर्राष्ट्रीय संबंध | विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी + + + + + + +(TRIUMPH IAS) + + + + + +ee) ूगोल्ठ इतिहास राजनीति विज्ञान + +द्वारा - कुमार गौरव द्वारा - अखिल मूर्ति द्वारा - राजेश मिश्रा + + + + + +185 (21) 2024 सामान्य अध्ययन ऑनलाइन टेस्ट सीरीज़ + + + +कुल 25 टेस्ट + +प्रत्येक टेस्ट के व्याख्या-सहित उत्तर +री e + + + + + + + + + +सम्पर्क करें: 7428085757158 +मिस्ड-कॉल करें: 9555-124-124 + +Website: www.sanskritilIAS.com + +Follows us on: ‘wits £7 छा 1 (9 + + + + + + + + + +पता: 631, भू-तल, मुखर्जी नगर, दिल्‍्ली-110009 + + + + + + + + + +22 योजना, अप्रैल 2021 + +YH-1550/2021 + + +0023.txt +<----------------------------------------------------------------------> +जल शासन + +पंकज कुमार + +जल शासन यानी जल का समग्र प्रबंधन में विभिन्‍न मोर्चों पर कई मुद्दों पर कार्रवाई की आवश्यकता है। +इन मुद्दों की जटिलता को देखते हुए, इनसे प्रभावी ढंग से निपटने के लिए बहु-विषयक दृष्टिकोण की +आवश्यकता है। इन सबसे ऊपर, जल जैसे बहुमूल्य संसाधन के सतत उपयोग के लिए, इससे संबंधित मुद्दों +के बारे में जागरूकता और समुदाय प्रेरण को, कार्यनीति के केंद्र में रखना भी महत्वपूर्ण है। + +ल, जीवन की एक मूलभूत +जज आवश्यकता है। यह एक + +सीमित प्राकृतिक संसाधन +है। भारत में दुनिया की आबादी का 18 +प्रतिशत से अधिक है, जबकि इसके पास +नवीकरणीय जल संसाधन विश्वभर के +संसाधनों का केवल 4 प्रतिशत ही हैं। भारत +में 3,880 बिलियन घन मीटर की औसत +वार्षिक वर्षा होती है लेकिन समय और +स्थान दोनों दृष्टियों से इसमें अत्यधिक +भिन्‍नता है। कहीं-कहीं 50 प्रतिशत से +अधिक वर्षा लगभग 15 दिनों में होती है +और कई स्थानों पर एक वर्ष में 100 घंटे से +कम वर्षा होती है। वाष्पीकरण के बाद, यहां +लगभग 2,000 बिलियन घन मीटर पानी ही +मिल पाता है। भूवैज्ञानिक और अन्य कारकों +की वजह से इस मात्रा का पूर्ण उपयोग नहीं +हो पाता है। उपयोग योग्य जल संसाधन +लगभग 1,122 बिलियन घन मीटर (690 +बिलियन घन मीटर, या 61 प्रतिशत, सतही +जल और 432 बिलियन घन मीटर, या 39 +प्रतिशत, भूजल) हैं। उपयोग किए जाने +वाले जल संसाधन लगभग 700 बिलियन +घन मीटर (सतह जल के 450 बिलियन +घन मीटर और भूजल के 250 बिलियन घन +मीटर) हैं। अनुमान है कि देश की पानी की +वार्षिक आवश्यकता 2025 में लगभग 843 +बिलियन घन मीटर और 2050 में 1,180 +बिलियन घन मीटर हो जाएगी। + +उपयोग किया जाने वाला लगभग 78 +प्रतिशत पानी कृषि के लिए, 8 प्रतिशत घरेलू +उपयोग के लिए, 6 प्रतिशत उद्योगों के लिए +और शेष 8 प्रतिशत अन्य कार्यों में इस्तेमाल +किया जाता है। + +बढ़ती जनसंख्या के साथ, भारत की प्रति +व्यक्ति जल उपलब्धता घट रही है । यह +2001 में 1,816 घन मीटर से घटकर 2011 +में 1545 घन मीटर हो गई। हमारे देश में +पानी की उपलब्धता पहले से ही प्रति व्यक्ति +परिभाषित उपलब्धता 1,700 घन मीटर से कम +है। पानी की उपलब्धता और कम होकर 2025 +तक प्रति व्यक्ति 1340 घन मीटर और 2050 +तक 1,140 घन मीटर हो जाने का अनुमान है। + +बढ़ती जनसंख्या, शहरीकरण, +औद्योगिकीकरण, जल प्रदूषण और अकुशल +उपयोग के कारण देश के सीमित जल +संसाधन दबाव में हैं। जलवायु परिवर्तन एक +और बड़ी चुनौती बन गया हेै। +जल शासन के मुद्दे + +उपरोक्त संदर्भ को देखते हुए, जल शासन +से संबंधित कई मुद्दे हैं। पहला मुद्दा लोगों +को पर्याप्त मात्रा में पेयजल उपलब्ध कराना +है। दूसरा मुद्दा सिंचाई और उद्योगों में पानी +के किफायती उपयोग की दक्षता में सुधार +करना है - पानी की एक बूंद की बचत से +पारिस्थितिकी तंत्र में एक और बूंद शामिल +होती है। तीसरा मुद्दा जल निकायों, विशेष रूप + + + + + + + + + + + +लेखक जल संसाधन, नदी विकास तथा गंगा संरक्षण विभाग और पेयजल तथा स्वच्छता विभाग के सचिव हैं। GAet: secydws@nicin + +योजना, अप्रैल 2021 + +23 + + +0024.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + + + + + +से नदियों के प्रदूषण से निपटने का है। चौथा +मुद्दा पानी का पुनरूपयोग और पुनर्चक्रण है। +दृष्टिकोण + +भारत में जल संसाधनों के प्रबंधन में हाल +के वर्षों में एक बदलाव देखा गया है क्योंकि +देश के विकास के एजेंडे में जल शासन +को सबसे आगे रखा गया है। मई 2019 में, +मांग पक्ष और आपूर्ति पक्ष प्रबंधन पर विशेष +ध्यान देने के साथ जल संसाधनों के एकीकृत +प्रबंधन पर जोर देने के लिए जल शक्ति +मंत्रालय का गठन करके, उच्चतम स्तर पर +एक बहुत आवश्यक नीतिगत सुधार किया गया +था। इसका मुख्य उद्देश्य भारत की राष्ट्रीय जल +नीति के अनुरूप पानी के सभी पहलुओं को +एक ही छतरी के नीचे लाना और वर्गीकृत की +बजाए व्यापक दृष्टिकोण अपनाना था। + +2019 में शुरू किया गया जल शक्ति +अभियान, एक जल संरक्षण अभियान है, +जिसके तहत भारत सरकार के अधिकारी, +भूजल विशेषज्ञ और वैज्ञानिक राज्यों तथा +जिला अधिकारियों के साथ मिलकर सबसे +अधिक पानी की कमी वाले जिलों में काम +करते हैं। इस अभियान के लक्षित कार्य हैं - +जल संरक्षण और वर्षा जल संचयन; पारंपरिक +तथा अन्य जल निकायों / टेंकों, पुनरुपयोग व +पुनर्भरण संरचनाओं का पुनर्निमाण; जल संभर +विकास और सघन वनीकरण। इस अभियान के +मूल में सामुदायिक जागरूकता और प्रेरणा है। +घरों में पाइप जलापूर्ति + +2019 में शुरू किए गए जल जीवन +मिशन का लक्ष्य 2024 तक देश के प्रत्येक +ग्रामीण घर में प्रति व्यक्ति 55 लीटर पानी +उपलब्ध कराना है, जिस पर 3.60 लाख + +24 + +करोड़ रुपये की राशि खर्च की जाएगी। +पानी की कमी का सबसे ज्यादा प्रभाव उन +महिलाओं पर पड़॒ता है, जिन्हें पानी लाने के +लिए काफी ऊर्जा और समय खर्च करना +पड़ता है। उन्हें इससे उबारने के लिए जल +जीवन मिशन के तहत घरों में पाइपलाइनों +के जरिए पानी की आपूर्ति की जानी है। +2021-22 के केंद्रीय बजट में 2.87 लाख +करोड रुपये के परिव्यय के साथ जल जीवन +मिशन (शहरी) की घोषणा की गई है। इसके + +भारत में जल संसाधनों के प्रबंधन +में हाल के वर्षों में एक बदलाव +देखा गया है क्योंकि देश के +विकास के एजेंडे में जल शासन +को सबसे आगे रखा गया है। मई +2019 में, मांग पक्ष और आपूर्ति +पक्ष प्रबंधन पर विशेष ध्यान +देने के साथ जल संसाधनों के +एकीकृत प्रबंधन पर जोर देने के +लिए जल शक्ति मंत्रालय का गठन +करके, उच्चतम स्तर पर एक बहुत +आवश्यक नीतिगत सुधार किया +गया था। इसका मुख्य उद्देश्य भारत +की राष्ट्रीय जल नीति के अनुरूप +पानी के सभी पहलुओं को एक ही +छतरी के नीचे लाना और वर्गीकृत +की बजाए व्यापक दृष्टिकोण +अपनाना था। + +तहत 2.68 करोड़ शहरी परिवारों को नल से +पानी उपलब्ध कराया जाएगा। +जल उपयोग क्षमता में सुधार + +प्रधानमंत्री कृषि सिचाई योजना +(पीएमकेएसवाई) का प्रति बूंद अधिक फसल +पर ड्रॉप मोर क्रॉप घटक ड्िप और स्प्रिंकलर +सिंचाई के माध्यम से जल उपयोग दक्षता को +बढ़ावा देता है। देश में माइक्रो सिंचाई को +प्रोत्साहन देने के लिए, प्रति बूंद अधिक फसल +घटक के लिए 2018-19 के दौरान नाबार्ड के +साथ 5,000 करोड़ रुपये की निधि बनाई गई +थी। वित्त वर्ष 2021-22 के केंद्रीय बजट में, +माइक्रो सिंचाई निधि के प्रारंभिक कोष में और +5000 करोड़ रुपये डालकर इसे दोगुना करने +की घोषणा की गई हे। + +राष्ट्रीय जल मिशन के तहत गतिविधियों +का उद्देश्य पानी का संरक्षण और उसके +न्यूनतम अपव्यय के लिए जल उपयोग दक्षता +को 20 प्रतिशत तक बढ़ाना है। + +राष्ट्रीय जल मिशन के तहत “सही +फसल' अभियान कृषि में हितधारकों को +ऐसी फसलें उगाने के लिए प्रोत्साहित करने +की पहल हे, जिनमें पानी का कम उपयोग +होता है। सिंचाई और उद्योगों में जल उपयोग +दक्षता में सुधार के माध्यम से पानी की बचत +की काफी संभावनाएं ZI +जल प्रदूषण + +अपनी तरह के दुनिया के सबसे बड़े +कार्यक्रमों में से एक, जलभर प्रबंधन पर +राष्ट्रीय परियोजना (एनएक्यूयूआईएम), भूजल +के स्थायी प्रबंधन की सुविधा के लिए जलभर +प्रबंधन योजनाएं बनाने के at FZ aa +तक कुल 24.8 लाख वर्ग किलोमीटर में से +13 लाख वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र का +मानचित्रण किया गया है। + +राष्ट्रीय जल मिशन, जल उपयोग दक्षता +को 20 प्रतिशत तक बढ़ाने के उद्देश्य के साथ, +पानी का संरक्षण, जल अपव्यय को न्यूनतम +करने और अपशिष्ट जल के पुनर्चक्रण पर +विशेष ध्यान देते हुए, राज्यों में और उनके +भीतर दोनों तरह से पानी का अधिक समान +वितरण सुनिश्चित करने जैसी गतिविधियों को +बढ़ावा देता है। यह, कैच द रेन और सही +'फसल जैसे अभियानों के माध्यम से पानी +को सीमित संसाधन के रूप में देखने और +इसके सदुपयोग के लिए विभिन्‍न हितधारकों +को सक्षम बनाता है। छा + +योजना, अप्रैल 2021 + + +0025.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +जानिए देश का गौरवशाली इतिहास + +प्रकाशन विमाग को पुप्तकों से + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +चुनिंदा ई-बुक Vater +एमेज़ॉन और गूगल प्ले Ta +aa Bake +पर उपलब्ध oes Ean | +Tht +COLLET ER +डर [ले है है जरा +a +कानूती परिमल MAHATMA +गण न्‍ GANDHI +eS 20 सभा nanan — += CTARHIA we +aah sary = — - oe +oa +जज +a Mere oy +Tent +Wout ra +Medd pote teriter +NEY *) -_ UN । +3 +“4h 4 +शारत के कि +ट् जारी zeal | हि वन +“eye || «Daten ee । ' +wa हि वि +BPE हूँ + + + + + + + +प्रकाशन विभाग + +सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार + +सूचना भवन, सी जी ओ कॉम्पलेक्स, लोधी रोड, नई दिल्‍ली -110003 +वेबसाइट : www.publicationsdivision.nic.in + +ऑर्डर के लिए संपर्क करें- + +फोन : 011-24367260, ई मेल : businesswng@gmail.com + +हमारी पुस्तकें ऑनलाइन खरीदने के लिए कृपया www.bharatkosh.gov.in W oy + +ट्विटर पर फॉलो करें [w] @ DPD_India + + + +योजना, अप्रैल 2021 + + + + +0026.txt +<----------------------------------------------------------------------> +जल जीवन मिशन - हर घर जल + + + +नल के जरिये हर घर स्वच्छ जल पहुंचा कर जीवन सुगमता में सुधार + +भरत लाल +मनोज कुमार साहू + +जल जीवन मिशन में न्‍्यायसंगतता और समावेशन पर जोर दिया गया है। इसका मकसद हर ग्रामीण घर में +निर्धारित गुणवत्ता वाले पानी की नल के जरिये पर्याप्त मात्रा में नियमित और स्थाई आपूर्ति सुनिश्चित करना + +है। इससे गांववासियों के जीवन स्तर में सुधार आयेगा। + +धानमंत्री ने 15 अगस्त, 2019 को जल जीवन मिशन + +(जेजेएम) की शुरुआत की घोषणा की। इस मिशन का + +उद्देश्य देशवासियों के जीवन स्तर में सुधार लाना और +उनकी जिंदगी की सुगमता को बढ़ाना है। मिशन के तहत 2024 तक +हर ग्रामीण घर को सक्रिय घरेलू नल कनेक्शन (एफएचटीसी) मुहैया +कराया जाना है। इसके लिये 3.60 लाख करोड़ रुपये की रकम रखी +गयी है। इसमें केन्द्र सरकार की हिस्सेदारी 2.08 लाख करोड़ रुपये +की और राज्यों का हिस्सा 1.52 लाख करोड़ रुपये का हे। + +ही + + + +कं सर a A + +जब जेजेएम कौ घोषणा की गयी उस समय लगभग 18.93 +करोड ग्रामीण परिवारों में से सिर्फ 3.23 करोड़ यानी 17 प्रतिशत +के घरों में नल के जरिये जल आपूर्ति का कनेक्शन था। इस तरह +15.70 करोड़ ग्रामीण परिवार अपने घर के बाहर के पेयजल खोतों +से पानी लाते थे। + +भारत को खुले में शौच के अभिशाप से मुक्त करने के लिये +2014 में स्वच्छ भारत मिशन शुरू किया गया। इसके तहत ग्रामीण +क्षेत्रों में 11 करोड़ शौचालय बनाये गये। देश को दो अक्टूबर, 2019 + + + + + +श्री भरत लाल जल शक्ति मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव और मिशन निदेशक और श्री मनोज कुमार साहू निदेशक, राष्ट्रीय जल जीवन मिशन हैं। + +ईमेल; as.jjm@gov.in, mksahoo.ias@nic.in + +26 + +योजना, अप्रैल 2021 + + +0027.txt +<----------------------------------------------------------------------> +को महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर खुले में शौच के अभिशाप +से मुक्त घोषित कर दिया गया। जेजेएम का मकसद सतत विकास +लक्ष्य-6 को हासिल करने के लिये निर्धारित समय सीमा से छह साल +पहले ही 2024 तक सभी ग्रामीण घरों में नल के जरिये जल आपूर्ति +की व्यवस्था करना है। इस तरह यह सतत विकास लक्ष्य को हासिल +करने में अन्य विकासशील देशों के लिये आदर्श बन सकता है। + +इस मिशन से निर्माण उद्योग को बढ़ावा मिलेगा, रोजगार के +अवसर पैदा होंगे और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। +ग्रामीण घरों में नल के जरिये जल आपूर्ति सुनिश्चित किये जाने से +महिलाओं को कम मेहनत करनी पडेगी। इससे उन्हें शिक्षा हासिल +करने, अपने बच्चों को पढ़ाने, नया कौशल सीखने और आजीविका +के बेहतर विकल्पों को खोजने के लिये समय मिल सकेगा। +सेवा पहुंचाने पर जोर + +जेजेएम का लक्ष्य सिर्फ आधारभूत संरचना तैयार करने का नहीं +है। इसमें हर ग्रामीण घर में पीने योग्य पानी की आपूर्ति सुनिश्चित +करने पर जोर दिया जा रहा है। इसके तहत सार्वजनिक स्वास्थ्य +इंजीनियरों तथा राजमिस्त्री, प्लंबर, फिटर और पंप ऑपरेटर जैसे काम +करने वाले स्थानीय निवासियों की दक्षता बढ़ाने के लिये बड़े पैमाने +पर प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं ताकि हर घर तक सेवा की +नियमित आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके। इस मिशन में लोक स्वास्थ्य +अभियांत्रिकी विभाग तथा ग्राम पंचायतों और उनकी उपसमितियों की +भूमिका सार्वजनिक सेवा की हे। + +जल जीवन मिशन के लिये प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की पहचान +की गयी है। इन क्षेत्रों में खराब पानी वाले रिहायशी इलाके, रेगिस्तानी +और सूखा प्रभावित क्षेत्र तथा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति +बहुल और सांसद आदर्श ग्राम योजना के अधीन गांव शामिल हें। +मिशन में मानव विकास सूचकांकों में पिछड़े 112 आगकारक्षापूर्ण +जिलों तथा जापानी इंसेफेलाइटिस और एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम +से प्रभावित 61 जनपदों को हर घर में नल के जरिये जल आपूर्ति +सुनिश्चित करने में सर्वोच्च प्राथमिकता दी गयी है। + +दूषित जल के इस्तेमाल से पानी से पैदा +होने वाले रोग होते हैं। हमारे देश में पेयजल +का एक बड़ा स्रोत भूमिगत पानी है। देश के +कुछ हिस्सों में भूमिगत जल में आर्सेनिक, +फ्लोराइड, लोहा, नाइट्रेट और भारी धातुओं का +प्रदूषण तथा खारापन पाया जाता है। + +जेजेएम के तहत उन गांवों को नल के + +जिनमें अच्छी गुणवत्ता वाला पानी उपलब्ध +नहीं है। इसके लिये प्रणाली के निर्माण में +समय लगने की दशा में फौरी उपाय के तौर +पर सामुदायिक जल शोधन संयंत्र लगाने का +प्रावधान किया गया है। इन संयंत्रों के जरिये +हर घर को रोजाना प्रति व्यक्ति आठ से 10 +लीटर सुरक्षित जल मुहैया कराया जायेगा। + +में आम जनता के लिये पेयजल की गुणवत्ता + +योजना, अप्रैल 2021 + +जेजेएम का लक्ष्य सिर्फ आधारभूत +संरचना तैयार करने का नहीं है। +इसमें हर ग्रामीण घर में पीने योग्य +पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने +पर जोर दिया जा रहा है। जल +जरिये जल आपूर्ति में तरजीह दी गयी है जीवन मिशन के लिये प्राथमिकता +वाले क्षेत्रों की पहच्चान की गयी +है। इन क्षेत्रों में खराब पानी वाले +'रिहायशी इलाके, रेगिस्तानी और +सूखा प्रभावित क्षेत्र तथा अनुसूचित +जाति और अनुसूचित जनजाति +बहुल और सांसद आदर्श ग्राम +विभिन्‍न राज्यों और संघ शासित प्रदेशों योजना के अधीन गांव शामिल हैं। + +जल जीवन मिशन के लिए बजटीय प्रावधान (रुपये करोड में) + +455,HKI +50.00 +45, CHK +aK) +35,00) +30,000 +35,000 +20,000 + +1s000 FP one J +10,000 + +a || + +5,000 +2019-2000 2020-25 + +30,911 + +गैड़ में + +4021-27 + +की जांच करने वाली प्रयोगशालाएं खोली गयी हैं। इनमें मामूली रकम +देकर पानी के नमूनों की जांच करायी जा सकती है। इससे सार्वजनिक +स्वास्थ्य में सुधार लाने और पानी से होने वाले रोगों को घटाने में +मदद मिलेगी। इसका फायदा समूची ग्रामीण आबादी तथा खास तौर +से गर्भवती महिलाओं और बच्चों जैसे संवेदनशील समूहों को होगा। +इसके अलावा हर गांव से कम-से-कम पांच लोगों और खास तौर +से महिलाओं को पानी की गुणवत्ता की जांच के लिये फील्ड टेस्टिंग +किट (एफटीके) के इस्तेमाल का प्रशिक्षण दिया गया है। +बच्चों पर विशेष ध्यान + +दूषित पानी से पैदा होने वाली बीमारियों की चपेट में ज्यादातर +बच्चे ही आते हैं। वे अपना काफी समय स्कूल, आंगनवाड़ी केन्द्र +या आश्रमशाला में गुजारते हैं। इसलिये इन संस्थाओं में नल के जरिये +पीने लायक पानी की आपूर्ति की व्यवस्था को तरजीह दी गयी है। +सभी स्कूलों, आंगनवाड़ी केन्द्रों और आश्रमशालाओं में पीने, दोपहर +का भोजन पकाने, हाथ धोने और शौचालय में इस्तेमाल के लिये +पर्याप्त मात्रा में पेयजल की नल के जरिये आपूर्ति सुनिश्चित करने +के लिये दो अक्टूबर, 2020 से 100 दिनों का एक अभियान चलाया +गया। अब तक आंगघ्र प्रदेश, गोवा, हरियाणा, +हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु और तेलंगाना में +शत-प्रतिशत स्कूलों और आंगनवाड़ी केन्द्रों में +नल के जरिये पीने योग्य पानी की आपूर्ति +की व्यवस्था की जा चुकी है। देश भर में +5.4 लाख स्कूलों और 4.86 लाख आंगनवाड़ी +केन्द्रों को नल के जरिये पीने योग्य पानी +मिलने लगा है। +पानी हर किसी का सरोकार + +जेजेएम में एक समग्र नजरिया अपनाते +हुए स्रोत की संवहनीयता, जल आपूर्ति, गंदे +जल के शोधन और फिर से उपयोग तथा +समूची प्रणाली के संचालन और रख-रखाव +पर ध्यान दिया गया है। इसके तहत हर गांव +को 15वें वित्त आयोग के काल में ग्रामीण +कार्ययोजना (वीएपी) तैयार करनी है। इस +वीएपी में गांव के स्तर पर सभी उपलब्ध + +27 + + +0028.txt +<----------------------------------------------------------------------> +; 2 re + + + +का विस्तृत विवरण दिया जाना है। दीर्घकालिक जल सुरक्षा के +लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजुगार +गारंटी योजना, जेजेएम, स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण), पंचायती राज +संस्थाओं को 15वें वित्त आयोग के अनुदान, जिला खनिज विकास +कोष, कंपनी सामाजिक जिम्मेदारी कोष और सामुदायिक योगदान +के धन का इस्तेमाल किया जा सकता है। इस समग्र दृष्टिकोण से +संसाधनों के न्याय संगत उपयोग के जरिये जल सुरक्षा हासिल करने +में सहायता मिलेगी। + +जल जीवन मिशन का सूत्र वाक्य “भागीदारी निर्माण, जीवन +परिवर्तन' है। इसके तहत ग्राम जल और स्वच्छता समितियों +(वीडब्ल्यूएससी) को योजना बनाने, संसाधन जुटाने, समुदायों को +जोड़ने, सूचनाओं के प्रसार और महिला भागीदारी बढ़ाने का प्रशिक्षण +देने में क्रियान्वयन समर्थन एजेंसी (आईएसए) के रूप में गैरसरकारी, + + + + + +मौजूदा जल आपूर्ति प्रणाली की कमियों का विश्लेषण + +संसाधनों के तालमेल से इन लक्ष्यों को हासिल करने की योजना + + + +aa, Wal ae an a लए पानी की मांग... पशुओं और कोष के लिए पानी की मांग + + + +स्रोत को संवहनीयता + + + +गंदा पानी प्रबंधन + + + +प्रस्तावित जल आपूर्ति योजना + + + +सामुदायिक योगदान, प्रस्तावित उपयोगकर्ता शुल्क + + + +समुचित प्रौद्योगिकी, वित्तीय कुशलता, व्यय के लिए पर्याप्त पूंजी तथा आसान संचालन और रखरखाव + + + +an + +समुदाय आधारित और स्वैच्छिक संगठनों तथा स्वयं सेवा समूहों की +मदद ली जा रही है। प्रयासों और संसाधनों के तालमेल से जल सुरक्षा +हासिल करने के लिये पानी के संकट बाले क्षेत्रों में 2019 में जल +शक्ति अभियान (जेएसए) शुरू किया गया। इसके माध्यम से पानी +को हर किसी का सरोकार बनाने का प्रयास किया जा रहा है। सात +राज्यों के जल संकट वाले 78 जिलों में अटल भूजल योजना शुरू की +गयी है। इस योजना का मकसद ग्रामीण समुदाय और ग्राम पंचायतों +के सहयोग से जल संरक्षण करना है। + +जेजेएम का उद्देश्य पेयजल के क्षेत्र में काम करने वाले संगठनों +तक पहुंच कर जनसाधारण की विशाल क्षमता का उपयोग करना है। +मिशन में उन ट्रस्टों, फाउंडेशनों और गैरसरकारी संगठनों को क्षेत्रीय +साझीदार के रूप में शामिल किया जा रहा है जो जेजेएम के लक्ष्यों +की समयबद्ध प्राप्ति के मकसद से समुदायों को संगठित करने और + +उनकी क्षमता बढ़ाने के लिये योगदान के इच्छुक हैं। + +महिलाएं पेयजल क्षेत्र में सबसे महत्वपूर्ण हितधारक +गा 111 के कई हें। इसलिये जल जीवन मिशन के हर कदम से उन्हें जोड़ने +॥ पर ध्यान दिया गया है। ग्राम सभा में गठित की जानी वाली +ग्रामीण जल और स्वच्छता समिति या पानी समिति के सदस्यों +में आबादी के अनुपात में 50 प्रतिशत महिलाएं और 25 +प्रतिशत कमजोर तबकों के प्रतिनिधि होते हैं। +क्रियान्वयन की रणनीति + +हर घर में नल के जरिये जल आपूर्ति सुनिश्चित करने +के लिये स्थितियों के अनुरूप अलग-अलग रणनीति अपनायी +जा रही है। जिन गांवों में पाइप के माध्यम से पानी आपूर्ति +की प्रणाली पहले से मौजूद है उनमें इसका आकलन कर +जरूरी सुधार किये जा रहे हैं। जल स्रोतों को दुरुस्त किया +जा रहा है ताकि अगले 30 वर्षों तक उनका उपयोग किया +जा सके। इन गांवों में हर घर को नल के जरिये जल आपूर्ति +के कनेक्शन दिये जा रहे हैं। + + + +28 + +योजना, अप्रैल 2021 + + +0029.txt +<----------------------------------------------------------------------> +सुनहरे भविष्य के +लिएजल,संरक्षण + +ज्यादा जानकारी के लिए लॉग ऑन करें: +https://jalshakti-dowQs.gov.in/jalshakti + + + +ee है न हक है हि =a +Oo oak oy gee ee a a + +जिन गांवों में निर्धारित गुणवत्ता वाला भूजल पर्याप्त मात्रा में +मौजूद है उनमें स्थानीय जल स्रोत पर आधारित पाइप के माध्यम से +पानी आपूर्ति की ग्राम स्तरीय योजना बना कर सभी घरों को कनेक्शन +दिया जायेगा। जिन गांवों में भूगर्भीय प्रदूषण वाला पानी पर्याप्त मात्रा +में उपलब्ध है उनमें ग्राम स्तरीय जल आपूर्ति योजना में शोधन संयंत्र +को भी शामिल किया जा रहा है। + +भरोसेमंद जल स्रोत के अभाव से ग्रस्त पानी की तंगी वाले, +सूखा प्रभावित और रेगिस्तानी इलाकों में तथा जल की अत्यंत खराब +गुणवत्ता बाले क्षेत्रों में शोधन संयंत्र समेत बड़े पैमाने पर पानी वितरण +की प्रणाली बनायी जा रही है। ऐसी क्षेत्रीय जल आपूर्ति योजनाओं के +जरिये यह सुनिश्चित किया जायेगा कि इस तरह के सभी इलाकों में +हर घर में पाइप से पानी पहुंचाया जा सके। + +आदिवासी, पर्वतीय और बन क्षेत्रों में गुरुत्वाकर्षण या सौर ऊर्जा +आधारित जल आपूर्ति योजनाओं का प्रबंध किया जा रहा है। इस तरह +की योजनाओं के संचालन और रखरखाव का खर्च अपेक्षाकृत कम +होने के कारण इन्हें चलाना आसान होता है। पहाड़ियों और पर्वतों में +पेयजल के भरोसेमंद स्रोत के तौर पर झरनों का दोहन किया जा रहा +है। गर्म और ठंडे रेगिस्तानों में नवाचारी प्रौद्योगिकीय समाधानों को +बढ़ावा दिया जा रहा है। +प्रौद्योगिकी का उपयोग + +जल जीवन मिशन में पारदर्शिता, जवाबदेही, धन के सदुपयोग + + + + +और सेवा की डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिये प्रौद्योगिकी का +इस्तेमाल किया जा रहा है। जेजेएम की समेकित प्रबंधन सूचना प्रणाली +(आईएमआईएस) एक सार्वजनिक समर्पित डैशबोर्ड के जरिये भौतिक +और वित्तीय प्रगति का लेखाजोखा रखती है। कामकाज में सहूलियत +के मकसद से सभी हितधारकों के लिये एक मोबाइल ऐप तैयार किया +गया है। जल आपूर्ति के परिमाण, गुणवत्ता और नियमितता को मापने +और उनकी निगरानी के लिये सेंसर आधारित वस्तुओं के इंटरनेट +(आईओटी) का सहारा लिया जा रहा है। जल आपूर्ति के लिये बनायी +गयी हर संपदा की जियो टैगिंग की जा रही है। ग्राम स्तरीय योजनाओं +में पेयजल स्रोत की तलाश और भूजल रिचार्ज संरचनाओं के निर्माण +में हाइड्रो-जियो मॉफोलॉजिकल (एचजीएम) मानचित्रों का उपयोग +किया जा रहा है। घरों में दिये जा रहे नल कनेक्शन को परिवार के +मुखिया की आधार संख्या से जोड़ा गया है। इसके अलावा सभी तरह +की वित्तीय लेन-देन सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) +के जरिये की जा रही है। +प्रगति + +जेजेएम की घोषणा के समय से अब तक 3.77 करोड घरों को +नल के जरिये जल आपूर्ति के कनेक्शन मुहैया कराये जा चुके हैं। देश +में नल के जरिये जल प्राप्त करने वाले घरों की संख्या 3.23 करोड +(17 प्रतिशत) से बढ़ कर सात करोड़ (37 प्रतिशत) हो गयी है। +मौजूदा समय में गोवा और तेलंगाना 'हर घर जल' राज्य बन चुके हैं। + + + +ग्राम जल और स्वच्छता समिति +की भूमिका + +a +[+है | स्थानीय जल सेवा का कार्य + + + +Te ग्राम जल आपूर्ति प्रणाली के योजना निर्माण, क्रियान्वयन, +' #3 प्रबंधन तथा संचालन और रखरखाव में प्रमुख भूमिका + +नह. . गांव के पूंजीगत व्यय के 5 प्रतिशत या 10 प्रतिशत हिस्से +[ का नकदी, वस्तु या श्रम के रूप में योगदान करने के लिए +“WE समुदाय को एकजुट और प्रेरित करना + +38) एफटीके के जरिये समय-समय पर पानी की गुणवत्ता की +SS / ” जांच सुनिश्चित करना + +(| जल उपयोग शुल्क का निर्धारण और संग्रह + + + + + +ग्राम जल और स्वच्छता समिति +क्‍या हे + + + += + +(pag .. ग्राम पंचायत की उपसमिति +छः +cae! + +इसे पानी समिति भी कहा जाता है + +सदस्यों की संख्या 10-15 + +- 25 प्रतिशत तक ग्राम पंचायत के निर्वाचित सदस्य + +- 25 प्रतिशत सदस्य गांव के कमजोर तबकों (एससी/एसटी) से +कम-से-कम 50 प्रतिशत महिलाएं + +ग्राम सभा के निर्णय अनुसार सरपंच, उपसरपंच या पारंपरिक मुखिया में +उ* से कोई समिति का प्रधान होगा + +पंचायत सचिव, पटवारी या तलाटी में से कोई होगा समिति का सचिव + + + + + + + +योजना, अप्रैल 2021 + +29 + + +0030.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +15.08, 2019 की स्थिति + + + +5-10 + +7159-72 :7४ eH + + + + + +ग्रामीण घरों में नल के जरिये जल आपूर्ति की स्थिति +स्रोत : जेजेएम डेशबोर्ड, 08.03.2021 + +08,03,2021 की स्थिति + +51 ७7५७ Th hee TO 1५ + + + + + + + + + + + +देश के 52 जिलों और 82 हजार गांवों में हर घर को नल के जरिये +जल की आपूर्ति की जा रही है। इससे मिशन की रफ्तार और उसके +विस्तार का अंदाजा लगाया जा सकता है। जेजेएम ने 'हर घर जल' +सुनिश्चित करने के लिये राज्यों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को जन्म +दिया है। अनेक राज्यों ने 2024 से काफी पहले ही हर घर में नल के +जरिये जल आपूर्ति की व्यवस्था करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। +निष्कर्ष + +जल जीवन मिशन के लक्ष्य को हासिल करने के मकसद से +स्थानीय समुदायों को ग्रामीण जलापूर्ति प्रणाली के लिये योजना +निर्माण, क्रियान्वयन, प्रबंधन, संचालन और रखरखाव का प्रशिक्षण + +देकर उनका सशक्तीकरण जरूरी है। इस योजना में विभाग आधारित +और निर्माण आधारित दृष्टिकोण के बजाय सेवा की डिलीवरी +का नजरिया अपनाया गया है। इसके तहत लक्ष्य रखा गया है कि +सशक्त समुदाय अपने गांवों में जल आपूर्ति का प्रबंधन खुद करें। +ग्राम पंचायतों और वीडब्ल्यूएससी या पानी समितियों को स्थानीय +जल आपूर्ति सेवा के तौर पर काम करना है। उनके पास हर घर +को निर्धारित गुणवत्ता वाले पानी की स्थाई आधार पर नियमित +और पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये कौशल +होना चाहिये। इस तरह “जल प्रबुद्ध गांव' से 'आत्मनिर्भर भारत' +के निर्माण का मार्ग प्रशस्त होगा। | + + + +[नि | a] mle + +50 nit LAM + + + +Visit : https://www.publicationsdivision nic.in/ + +30 + +योजना, अप्रैल 2021 + + +0031.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +लोक प्रशासन - 60% समान्य अध्ययन GS + +लोकप्रशासन ued sie WAR अध्ययन पर अपनी मजबूत पकड़ बनाईये। + + + + +SAT Bet oot + + + + + + +eee eer Ae en eT +nll RE |। +meers rm + +ese awe +aie wt oo नी yo + +॥ Tw "feer + +leew fame जन्म 7" + + + + + + + +et 3 8 ऑ>णण बम. +td. | cian all meaamtad asliasdlasmdieoateandee tt + +woes. eT FPGAS HE ret dee a ee eee +eee FO अब्मवूूूमत- Bette see नी +Fi ae ee + + + + + + + + + + + + +2 pee ee ee ee + +grads seme dius a eer +An ae +ie ae owl : + +ae et a हो +गांधी des Gs ee ie ee es to eet el + +| ६1 [| eee cere dere, Meee ee Sed and a4 ST. +1119 के आजा शा ee. epee elie आओ जता + + + +ete Heeen + + + +a Hebd DA TTA nD TA better HT + +! peepee ees eee el + +| Met oh ite pel tet eee ee ed | eT +a ee ee ee ere Be + + + +| ro ee ee ee eg ee ee +th as a el ag nhl कक + + + + + + + +ae “ye ae +लक eet zt ret | हु + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +Modules for GS Available + +Ethics Paper-IV +by Uniyal Sir + +Polity Governance +Paper - Il +by Uniyal Sir + + + +प्रतिदिन उत्तर लेखन अभ्यास + +प्रथम बैच 20 मार्च 2021 सांय 4 बजे है| हि।: है 87 क. |. CROC + +लोकप्रशासन से सीधे जुडे हुए सामान्य अध्ययन के टॉपिक + +General Studies Paper-ll — Topics Overlap with Public + +Administration: + +सामान्य अध्ययन ए-गा व लोक प्रशासन + +Governance +Indian constitution — evolution, features, amendments, etc. +Functions and responsibilities of the Union and the States + +Separation of powers between various organs + +Dispute Redressal Mechanisms and institutions +Parliament and State Legislatures + +Structure, organisation and functioning of the Executive and +Judiciary + +Ministries and Departments of the Government +Constitutional, statutory, regulatory and quasi-judicial +bodies + +Government policies and interventions for development in + +different sectors +Welfare schemes for vulnerable sections + +Issues relating to poverty and hunger + +Aspects of governance, transparency and accountability + +E-governance +Role of civil services ina democracy + +General Studies Paper Ill — Topics Overlap with Public + +Administration: + +सामान्य अध्ययन ?-गा व लोक प्रशासन + +Disaster Management, Planning and Budgeting + +Planning issues + +Inclusive growth + +Government budgeting + +Environment + +Disaster management + +Challenges to internal security through communication +networks + +Role of media and social networking sites in internal security +Security forces and agencies and their mandate. + +General Studies Paper IV (Ethics) — Topics Related to +Public Administration: + +सामान्य अध्ययन ?-५ व लोक प्रशासन + +Ethics and Human Interface (foundational concept of + +Administrative values & ethics of Public Administration) +Attitude: content, structure, function; + +its influence and +relation with thought and behaviour; moral and political +attitudes; social influence and persuasion. + +Public Administration and Essay Paper: + +लोक प्रशासन व निबन्ध + +There will mostly be an essay topic from ‘Polity, Governance +and Democracy’. + + + + + +AS | + +PUBLIC ADMINISTRATION +& GS + + + + + +631, Mukherjee Nagar, +Opp. Signature View Apartment, +Delhi - 110009 +Contact : 9818567494 | 9821176997 + + + + + + + +योजना, अप्रैल 2021 + +31 + +YH-1563/2021 + + +0032.txt +<----------------------------------------------------------------------> +55: + +नदी संरक्षण के लिए अवसंरचना + +राजीव रंजन मिश्रा + +गंगा नदी हमारे देश की राष्ट्रीय नदी है जिसकी पूजा की जाती है। यह हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक +चेतना का आधार है। इसके थाले में देश की 45 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है। गंगा नदी का थाला +कृषि और जैव विविधता की दृष्टि से देश का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण थाला है और करोड़ों लोगों की +जीवन रेखा है। शहरीकरण, औद्योगेकरण और कृषि तथा अन्य गतिविधियों के लिए बड़े पैमाने पर पानी +निकाले जाने से गंगा नदी में पानी की गुणवत्ता और बहाव के स्तर पर असर पड़ा है। हमारी खुद की भलाई +के लिए गंगा और इसकी पारिस्थितिकीय प्रणाली का संरक्षण करना आवश्यक है। इसके लिए कई प्रयास +किये गये। नमामि गंगे इसी तरह का एक विस्तृत कार्यक्रम है जिसके अच्छे नतीजे सामने आने लगे हैं और +देश में नदियों के संरक्षण का आधार तैयार हुआ है। + +मामि गंगे का शुभारंभ 2014-15 में गंगा और उसकी +सहायक नदियों के संरक्षण के लिए 20,000 करोड + +रुपये की धनराशि के आश्वासन से किया गया। राष्ट्रीय +स्वच्छ गंगा मिशन (नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा-एनएमसीजी) +नमामि गंगे मिशन को लागू करने वाली एजेंसी है। सात भारतीय +प्रौद्योगिकी संस्थानों (आई.आई.टीज.) के संघ के सहयोग से इस +मिशन में मोटे तौर पर चार श्रेणियों में बहु-क्षेत्रीय, बहु-एजेंसी और +बहु-स्तरीय दृष्टिकोण अपनाया जाता है। ये श्रेणियां हैं: प्रदूषण में +कमी लाना (निर्मल गंगा); नदी के प्रवाह और पारिस्थितिकी में +सुधार (अविरल गंगा); नदी और लोगों के बीच संबंध को सुदृढ़ +करने (जन गंगा) और अनुसंधान व ज्ञान प्रबंधन (ज्ञान गंगा) +पर जोर दिया जाता है। पहले के प्रयासों से अलग नमामि गंगे +नदी की सफाई या कुछ गिने चुने शहरों में नदी की सफाई तक + +सीमित नहीं है, बल्कि इसमें नदी केन्द्रित और समूचे नदी थाले +पर आधारित दृष्टिकोण को अपनाकर नदी के समग्र संरक्षण पर +जोर दिया जाता है। +अभिशासन में सुधार और संस्थाओं का सशक्तीकरण + +एक महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णय में सरकार ने पर्यावरण संरक्षण +अधिनियम, 1986 के तहत राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की अधिसूचना +जारी की और अधिकार प्राप्त संस्थाओं का गठन किया। गंगा थाले +की नदियों के संरक्षण के लिए समग्र ढांचे के विकास के साथ +ही कुछ मूल सिद्धांत निर्धारित किये गये। इस दृष्टिकोण को देश +की अन्य नदियों के संरक्षण के लिए लागू किया जाने वाला आदर्श +बुनियादी सिद्धांत माना जाता है। यह नदियों, उनकी सहायक नदियों, +aig aa, Te के मैदान, धाराओं और छोटी-छोटी नदियों को एक +ही प्रणाली के अंतर्गत लाता है। राष्ट्रीय स्तर से लेकर जिला स्तर + + + +निर्मल +गंगा + +अविरल +गंगा + +प्रदूषण में कमी * ई-बहाव + +मलजल अवसंरचना * आर्द क्षेत्र मानचित्रण और संरक्षण +* उद्योगों में फिर से उपयोग और * टिकाऊ कृषि + +पुनर्चक्रण *« वनीकरण और जैव विविधता संरक्षण +* ग्रामीण स्वच्छता * छोटी नदियों को फिर से जलमय + +ठोस अपशिष्ट प्रबंधन बनाना + + + +an + +जन ज्ञान +गगा गगा +विभिन क्षेत्रों में अनुसंधान, +वैज्ञानिक मानचित्रण और प्रमाण +आधारित नीतियों का निर्माण +रिवरफ्रंट, घाट और श्मशान * पानी की गुणवत्ता कौ निगरानी + +* गंगा का उच्च रिजोल्यूशन पर मानचित्रण + +* जतलक्षेत्र का मानचित्रण और जल स्रोतों +को फिर से जलमय करना + +* सांस्कृतिक मानचित्रण और जलवायु +परिदृश्य मानचित्रण + +* माइक्रोबियल विविधता + +* शहरी नदी प्रबंधन योजना + +सामुदायिक जुड़ाव + +गंगा दौड़ + +गंगा आमंत्रण (राफ्टिंग अभियान) +गंगा उत्सव (राष्ट्रीय नदी आयोजन) +गंगा क्वेस्ट (ऑनलाइन क्विज) + + + + + +चित्र 1 + +: नमामि गंगे के अंतर्गत कार्यो का सिंहावलोकन + + + +लेखक राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के veers 71 Pha: de@nmeg.nic.in + +32 + +योजना, अप्रैल 2021 + + +0033.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +== गंगा परिषद +( अध्यक्ष : माननीय प्रधानमंत्री ) + + + +|अधिकार संपल कार्व बल. aust कार्य बल + + + + + +राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन + + + + + +राज्य गंगा समितियां + + + + + + + +जिला गंगा कमेटी +(जिला मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में ) + + + + + +गंगा का जलमय करने का खर्च (करोड़ रुपयों में) +9768 + +नमामि गंगे मिशन +आवंटन- + +20,000 करोड़ रुपये +स्वीकृत परियोजनाएं- 335 +स्वीकृत लागत- + +29 578 करोड़ रुपये + +० है हैं हैं | $ | हैं ह $ £ + + + +1986 से 2014 तक 2014 से + + + + + + + +चित्र 2 : समन्वित संस्थागत ढांचा + +तक समन्वित प्रशासनिक ढांचा होने से साझा दृष्टिकोण अपनाने, +तालमेल कायम करने, कारगर क्रियान्वयन और लोगों की सहभागिता +हासिल करने में सुविधा होती है। + +नमामि गंगे के अंतर्गत 29,578 करोड रुपये लागत की कुल +335 परियोजनाएं मंजूर की गयी हैं। इनमें से 142 परियोजनाएं पूरी +हो चुकी हैं और बाकी पर अमल किया जा रहा है। क्रियान्वयन की +रफ्तार कई गुना बढ़ गयी है जिसका पता 2014 से फरवरी 2021 +तक हुए 9,795.62 करोड़ के कुल खर्च से भी स्पष्ट हो जाता है। +यह राशि 1985-2014 तक हुए खर्च की तुलना में दुगने से भी +अधिक है। (चित्र-3). +प्रदूषण में कमी (निर्मल गंगा ) + +गंगा थाले में 4856 एम.एल.डी. शोघन क्षमता का सृजन करने +के लिए कुल 156 मलजल अवसंरचना परियोजनाओं को मंजूरी दी + +चित्र 3 : गंगा को पुनर्जीवित करने का खर्च + +गयी। 2014 में केवल 28 शोधन संयंत्र थे जिनकी क्षमता केवल +462.85 एम.एल.डी. थी। चित्र-4 से उत्पन्न मलजल की मात्रा +और उसके शोधन की क्षमता के बीच के अंतर को कम करने के +प्रयासों में तेजी और 15 साल के लिए पर्याप्त क्षमता के सृजन का +संकेत मिलता है। + +नमामि गंगे ने भारत में पहली बार मलजल अवसंरचना के लिए +पीपीपी (सार्वजनिक-निजी भागीदारी) मॉडल की शुरुआत की। +हाइब्रिड एन्युइटी मोड (हैम) के जरिए 40 प्रतिशत पूंजीगत खर्च +निर्माण के दौरान दिया जाता है और 60 प्रतिशत ब्याज के साथ 15 +साल की एन्युइटी पर ब्याज के रूप में दिया जाता है और संचालन +व रखरखाव के लिए अलग से भुगतान किया जाता है। इस मॉडल +को अपनाने से निर्माण के लिए भुगतान वाले तरीके में आमूल +परिवर्तन आ गया है और भुगतान को कार्यनिष्पादन से जोडु दिया + + + +0 + +cut + +250 + +200 + +130 + +100 + + + +156 + + + +बिहार + +-+- कुल 9... 50 ३0 a +>> 2014 के बाद 5 4g PL] i +— 2014 से पहले 10 16 1 1 + +उत्तर प्रदेश + +उत्तराखंड झारखंड + + + + + + + +परचम दिल्ली हरियाणा हिमाचल कुल +24 11 2 1 156 +20 ll a 4 123 +a o 2 9 28 + + + +चित्र 4 : सीवेज परियोजनाओं की स्थिति + +योजना, अप्रैल 2021 + +33 + + +0034.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +1 वाराणसी में 140 एम.एल.डी क्षमता का +अत्याधुनिक सीवरेज शोधन संयंत्र + + + +न मा a + +7.5 एम.एल.डी. क्षमता का पहला +चार म॑जिला चंदेश्वर नगर संयंत्र + + + + + +गया है। एक शहर-एक ऑपरेटर वाले तरीके में पुराने का पुनर्वास +और नयी परिसम्पत्तियों के सृजन का विलय कर दिया गया है और +उन सबके लिए हाइब्रिड एन्युइटी मोड पर संचालन और रखरखाव +का कार्य किया जा रहा है ताकि अभिशासन में सुधार हो। नीति +आयोग ने भी हैम को स्वीकार कर लिया है और गंगा थाले के +बाहर के राज्यों ने भी इसे अपनाना शुरू कर दिया है। + +गंगा के किनारे के सभी 97 शहरों/कस्बों के लिए विस्तृत +योजना के अनुसार परियोजनाओं पर कार्य किया जा रहा है जिसमें +पुनर्वास, पुराने संयंत्रों की हालत का आकलन करने के बाद उनके +उच्चीकरण भी शामिल है। इसके बाद सहायक नदियों के लिए भी +परियोजनाएं शुरू की गयी हैं। गंगा में गिरने वाले प्रमुख गंदे नालों +को रोककर उन्हें जलमल शोधन संयंत्रों की ओर मोड दिया हेै। +उत्तराखंड और झारखंड में गंगा नदी पर सभी परियोजनाएं पूरी की +जा चुकी हैं। कानपुर, प्रयागगाज और वाराणसी तथा उत्तर प्रदेश के + + + +cepa in + +Mopar ही + + + + + + + + + +अन्य गंगा शहरों में ज्यादातर परियोजनाएं भी पूरी कर ली गयी हैं। +पानी की गुणवत्ता में सुधार की पुष्टि निगरानी केन्द्रों के जरिए हो +चुकी है और आम लोगों को भी साफ दिखाई देती है। इसका एक +उदाहरण कुंभ मेला है। + +विशेषज्ञ संस्थाओं द्वारा अत्यधिक प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों +की वार्षिक जांच, ऑनलाइन निगरानी, प्रक्रियाओं में सुधार, संयुक्त +अवजल उपचार संयंत्र (सीईटीपी) से औद्योगिक प्रदूषण की रोकथाम +में मदद मिली है। घाटों की स्वच्छता में सुधार, ठोस अपशिष्ट को +नदी में मिलने से रोकने, सतही जल की सफाई और शहरी स्थानीय +निकायों की साफ करने की क्षमता में सुधार से नदियों की सफाई में +बड़ी मदद मिली है। आज 4,500 गंगा ग्राम खुले में शौच की बुराई +से मुक्त हो चुके हैं। +नदी के बहाव और पारिस्थितिकी में सुधार ( अविरल गंगा ) + +अक्तूबर 2018 में गंगा नदी में पारिस्थितिकीय प्रवाह के बारे + + + +8... # + + + + + + + +उ4 + +योजना, अप्रैल 2021 + + +0035.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +नेशनल कैडेट कोर + + + + + + + + + + + + + +Sars +( सामुदायिक संगठन ) + +वार्षिक गतिविधियां + +गंगा ware + +गंगा उत्सव + +गंगा आत्मंत्रण ( राष्ट्रीय अभियान ) +ग्रेट गंगा रन + +क्लीनाथॉन + +वृक्षारोपण + + + +गंगा प्रहरी +गंगा बाल प्रहरी +प्रवासी गंगा प्रहरी +( डब्लूआईआई ) + + + + + + + +राष्ट्रीय सेवा योजना +( एनएसएस ) + + + + + +चित्र 5 : गंगा-रक्षा के लिए समर्पित कार्यकर्ता + +में ऐतिहासिक अधिसूचना गंगा के प्रवाह को अविरल बनाने की +दिशा में एक बड़ा कदम है। नदियों के खादर और बांगर भूमि का +चिन्हांकन और संरक्षण, आर्द्र भूमि, खास तौर पर खादर और बांगर +क्षेत्र की आर्द्र भूमियों, शहरी आर्द्र भूमियों, जल स्रोतों और छोटी +नदियों के संरक्षण की परियोजनाओं पर अमल किया जा रहा है। +जैव खेती, इको-कृषि, औषधीय पौधारोपण और पानी के उपयोग +की दक्षता में सुधार लाकर सतत कृषि को बढ़ावा दिया जा रहा है। +मांग पक्ष के प्रबंधन, वर्षा जल संचयन, जलसंभर मानचित्रण और +भूमिगत जल स्रोतों का पुनर्भरण प्रगति पर हे। + +वन अनुसंधान संस्थान की वैज्ञानिक योजना के अनुसार गंगा +नदी के तटों के आस-पास वनीकरण का कार्य ऐसा मॉडल है +जिसे 13 अन्य नदियों में भी अपनाया sem मात्स्यिकी और जैव +विविधता के संरक्षण के लिए एक विस्तृत कार्यक्रम के अंतर्गत +आधार रेखा सर्वेक्षण, पर्यावास और प्रजाति सुधार और गंगा के +जैव-विविधता की अधिकता वाले स्थानों पर सामुदायिक भागीदारी +शामिल हैं। गंगा नदी में पायी जाने वाली डॉल्फिनों (राष्ट्रीय +जलचर) के संरक्षण को भी सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। +जनता और नदी के बीच संपर्क सेतु (जन गंगा ) + +पिछले प्रयासों के भिन्‍न, जन भागीदारी इस मिशन का केन्द्रीय +विषय है। नदी तटों का सुधार किया गया है, उन्हें साफ-सुथरा +बनाया गया है। 150 से अधिक घाट और शवदाह गृह बनाए गये +हैं या उनमें सुधार किया गया है। जनता की भागीदारी से घाटों को +गंदगी से भरे स्थान से सुंदर नदी तटों का रूप दिया जा रहा है। + +गंगा उद्धार के लिए समर्पित कार्यकर्ताओं के समूह जनसमुदाय +में जाकर जागरूकता बढ़ाने के कार्य में लगे हैं। इन लोगों को +कौशलों का प्रशिक्षण दिया गया है और उन्हें अपनी आजीविका + +योजना, अप्रैल 2021 + +सुधारने में भी मदद दी जाती है जिसके लिए उन्हें नदी और जैव +विविधता के संरक्षण के कार्य से जोड़ा जाता है। + +लोक संपर्क की कई अभिनव गतिविधियां, जैसे गंगा we +frat (www.gangaquest.com), UfteT afwar, aM cs, +गंगा उत्सव आदि आयोजन पूरे साल चलते रहते हैं ताकि सामुदायिक +स्वयंसेवकों और आम लोगों को इनसे प्रेरणा तथा प्रोत्साहन मिले +जिससे व्यवहार परिवर्तन हो और यह अभियान एक जनांदोलन का +रूप ले सके। +अनुसंधान, नीति और ज्ञान प्रबंधन (ज्ञान गंगा ) + +नदी थाले के दीर्घावधि अध्ययन और टेक्नोलॉजी संबंधी +विकास के लिए आई.आई.टी. कानपुर में गंगा प्रबंधन और अध्ययन +केन्द्र की स्थापना की गई थी। वैज्ञानिक मानचित्रण के विभिन्‍न +पक्षों जैसे उच्च रिजॉल्यूशन वाले डीईएम और जीआईएस सक्षम +डेटाबेस के लिए लिडार मानचित्रण से जल स्रोतों के मानचित्रण, +सूक्ष्म जीवाणुओं संबंधी विविधता, मात्स्यिकी, जैव विविधता और +जलक्षेत्रों के हेली-सर्वेक्षण से प्राप्त प्रमाणों पर आधारित निर्णय +करने मदद मिलती है। प्राकृतिक, निर्मित और अमूर्त धरोहर के लिए +अनोखा सांस्कृतिक मानचित्रण के जरिए पर्यटन, धरोहर और रोजगार +के परम्परागत अवसरों का विकास किया जा सकता है। नदियों +की स्थिति को शहरी नियोजन की मुख्य धारा में लाने के लिए +नदी-नगर नियोजन के रूप में एक नया आयाम जुड़ा है और शहरों +के उपचारित अवजल को फिर से उपयोग में लाने के लिए नयी +रूपरेखा तैयार की जा रही है। नमामि गंगे अब अर्थ-गंगा मॉडल +के विकास की ओर अग्रसर हो रहा है जिसके अंतर्गत गंगा थाले +के आर्थिक विकास को पारिस्थितिकीय सुधार और गंगा संरक्षण के +साथ जोड़ा जाएगा। हा + +35 + + +0036.txt +<----------------------------------------------------------------------> +भूजल प्रबंधन : एक आदर्श बदलाव + +देवश्री मुखर्जी + +तीव्रता से गहरे हो रहे जल-संकट से लड़ने के लिए, हमारे पास +एकजुट होने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। + +भूजल - एक अदृश्य स्रोत + +भूजल को कई बार अदृश्य स्रोत +की संज्ञा दी जाती है। यह सब लोगों की +जरूरत भी है। यह अधिकांशत: निःशुल्क है +और उनको आसानी से उपलब्ध है जिनके +पास इसे निकालने के साधन मौजूद हें। +ae aed, amt प्रदेशों और जंगलों जैसे +महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र की बुनियाद +के तौर पर भी काम करता है। फिर भी +यह अधिकतर अदृश्य स्रोत ही है और +इसे इस्तेमाल करने वालों को भूजल को +बनाए रखने वाली जलदाई जमीन के बारे में +जानकारी नहीं होती और वह इस साझा-ग्रोत +के सुनियोजित एवं संधारणीय इस्तेमाल से +भी अनजान रहते हैं। +भारतीय संदर्भ + +भारत में विश्व में सबसे अधिक भूजल +का इस्तेमाल होता है। समूचे विश्व के +एक-चौथाई स्रोत का इस्तेमाल हमारे यहां +होता है। देश में भोजन की उपलब्धता +सुनिश्चित करने के लिए भूजल ने +महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। लाखों ट्यूब +वेल्स के जरिए इसने “हरित क्रांति' की +सफलता की कहानी लिखी थी। मौजूदा +समय में यह सीमित स्रोत सिंचित कृषि के +60 प्रतिशत से अधिक, ग्रामीण पेयजल की +85 प्रतिशत और शहरी पेयजल की 50 +प्रतिशत से अधिक की आपूर्ति करता है। + +बेहिसाब और असंधारणीय तौर पर +भूजल निकाले जाने से इसमें भारी कमी +आई और पर्यावरण पर नकारात्मक असर + +- अटल बिहारी वाजपेयी + +पड़ा है। शुद्ध पेयजल की कमी से स्वास्थ्य +पर विपरीत असर के कारण रोजगार का +भारी नुकसान हुआ और लोगों को प्रवासित +भी होना पड़ा है। इस तरह, पानी की कमी +का गहरा असर पड़ता है। वहीं, जलवायु +परिवर्तन के कारण समस्या में भारी वृद्धि हुई +है, जिसके चलते वर्षा ढांचे में अनियमितता +के कारण भूजल में कमी देखी गई है। + + + +ciate nem + + + +अटल भूजल योजना /# +( अटल जल ) +ao +/ +/ +C= ai wee + +मौजूदा समय में, देश के एक-तिहाई हिस्से +में भूजल स्रोत विभिन्‍न कमियों से जूझ +रहे हैं। भूजल की कमी और मलिनता का +छोटे और हाशिये पर पडे सीमांत किसान, +महिलाएं और समाज के पिछडे वर्ग के +लोगों पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है। +केंद्रीय जल आयोग की 2019 में +प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, भारत में + + + + +मुख्य विशेषताएं, + +सामुदायिक भागीदारी से सतत +भूजल प्रबंधन + +* अविरल प्रयासों से भूजल +प्रबंधन में स्वभावजन्य परिवर्तन + +*» गांग पक्ष का प्रबंधन + +* जल की कमी वाले पहचान +किए गए क्षेत्रों में कार्यान्वयन + +* केंद्र और राज्यों के जारी +कार्यक्रमों के साथ अभिसरण + + + +i oe ee eer | + + + +लेखक जल संसाधन, नदी विकास तथा गंगा संरक्षण विभाग और पेयजल तथा स्वच्छता विभाग की अतिरिक्त सचिव हैं। ईमेल: 48णा४-पर०जाद्षिंट्जा। + +36 + +योजना, अप्रैल 2021 + + +0037.txt +<----------------------------------------------------------------------> +उपयोगी जल की मात्रा प्रतिवर्ष 1122 अरब +क्यूबिक मीटर्स (बीसीएम) तक रहती है +और इस उपलब्धता में देश और काल के +अनुसार अंतर होता है। वर्ष 2025 और +2050 में देश भर में भूजल की व्यापक +जरूरत को विभिन्‍न परिदृश्यों के अनुसार +इस मात्रा को क्रमशः 843 और 1180 +बीसीएम आंका गया है। इसका अर्थ हुआ +कि यदि हम मौजूदा जल की प्रत्येक बूंद +का संरक्षण करें तो भी 2050 में हम जरूरत +से पीछे होंगे। इसके लिए हमें मांग पश्ष पर +अधिकाधिक ध्यान देना होगा। +आपूर्ति-पक्ष मध्यवर्तन या हस्तक्षेप + +अतीत में जल क्षेत्र से जुड़ी योजनाओं +के कारण भूजल उपलब्धता की स्थिति में +कुछ सुधार जरूर हुआ था, परंतु किफायत +न बरतने के कारण इसकी मांग में कमी +लाने पर ध्यान केंद्रित नहीं किया गया। इन +योजनाओं में आंशिक या ना के बराबर +सामुदायिक दखल के कारण ऊपर से नीचे +तक कमी रही। साथ ही, इनमें से अधिकांश +योजनाओं को अकेले ही अमल में लाया +गया, जिससे अन्य जारी योजनाओं का +समुचित लाभ उठाना संभव नहीं हो सका। +वहीं, अधिकांशत: गैर-सरकारी क्षेत्रों में +सामुदायिक स्तर पर चल रहे भूजल प्रबंधन +के अनुभवों को भी इन योजनाओं में शामिल +नहीं किया गया था। +सामुदायिक पहल + +देश में भूजल स्रोत गहरे संकट से +जूझ रहे थे, इसलिए भूजल प्रबंधन से जुड़ी +योजनाओं में परिवर्तन करने पर विचार +किया गया। इस संबंध में रालेगांव सिद्धि +के हित्रे बाजार और देश के अय्य क्षेत्रों +में सामुदायिक भूजल संरक्षण की लिखी +गई सफलता की गाथाएं प्रेरणास्पद रहीं। +महाराष्ट्र के हिब्ने बाजार गांव में ग्राम सभा, +स्थानीय प्रशासन और गेर-सरकारी संस्थाओं +के सम्मिलित प्रयासों से सूखा ग्रस्त गांव +आज खुशहाल समुदाय में बदल चुका है। +गांव में भूजल स्तर 70-80 फीट से 20 +से 25 फीट तक बढ़ा, फसलों में परिवर्तन +(ज्वार, बाजरा से प्याज, आलू, बागवानी +फसलें) लाया गया, और आर्थिक समृद्धि +से जीवनस्तर में व्यापक परिवर्तन आया। +हालांकि, ऐसे उदाहरण इक्का-दुक्‍्का ही थे +और क्षेत्र के अनुसार व्यापक स्तर पर उन + +योजना, अप्रैल 2021 + + + + + + + +भूजल संरक्षण की दिशा में एक कदम + +° qa संरक्षण में तेजी लाने के लिए मंत्रिमंडल +ने 6000 करोड़ रुपये की राशि से महत्वाकांक्षी +योजना- अटल भूजल योजना की घोषणा की। + +* इसमें जल वितरण पर विचार के लिए ग्राम +पंचायत, निगरानी समितियों और जल पंचायतों +की स्थापना कर जल सुरक्षा योजनाएं शामिल हैं। + +*« इस कार्यक्रम से अगले पांच साल में गुजरात, +; हरियाणा, कर्नाटक, मध्यप्रदेश , महाराष्ट्र, राजस्थान +और उत्तर प्रदेश को लाभ होगा। + +| » पानी की एक-एक बूंद का संरक्षण और उसका +पूरा सदुपयोग सुनिश्चित करने के लिए 3.5 करोड़ +रुपये के जल जीवन मिशन की संगत परवर्ती +योजना के रूप में है। + + + + + +पर काम किए जाने की जरूरत थी। +अटल जल - मांग प्रबंधन में सुधार + +इस पहल को संस्थागत करने के लिए +सरकारी दखल की जरूरत महसूस की +गई। राज्य और जिला स्तरों पर संस्थानों +को सशक्त करना, सामुदायिक एकजुटता, +पानी के अधिक किफायती इस्तेमाल के +लिए मौजूदा योजनाओं को जोड़ना, और +पानी के संबंध में किफायत बरतने के +लिए सामुदायिक सोच में परिवर्तन लाने के +प्रयासों पर जोर देने की जरूरत महसूस हुई। + +इस दिशा में अटल भूजल योजना +(अटल जल) महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ +है। अटल जल का उद्देश्य भूजल प्रबंधन +के मामले में सामुदायिक पहल को आगे +बढ़ाना है। योजना का प्रमुख लक्ष्य विभिन्‍न +योजनाओं को जोड़कर भूजल स्रोतों का +बेहतर प्रबंधन करना है। स्थानीय समुदायों +को एकजुट कर सरकारी संस्थानों और +नागरिक समाज की मदद से भूजल प्रबंधन +की दिशा में कार्य करने वाला यह अग्रणी + +अटल जल का उद्देश्य भूजल +प्रबंधन के मामले में सामुदायिक +पहल को आगे बढ़ाना है। योजना +का प्रमुख लक्ष्य विभिन्‍न योजनाओं +को जोड़कर भूजल स्रोतों का +बेहतर प्रबंधन करना है। + +और अनोखा प्रयोग है। + +अटल भूजल योजना एक केंद्र प्रायोजित +योजना है जिसकी लागत 6000 करोड रुपये +की है। अभी तक यह योजना सात राज्यों में +अमल में लाई गई है जिनमें पानी की कमी +से जूझ रहे गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, +मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर +प्रदेश शामिल हैं। 80 से अधिक जिलों के +222 ब्लॉक/तालुकों की करीब 9000 ग्राम +पंचायतों को इस योजना से लाभ पहुंचने +की उम्मीद है। आंशिक तौर पर विश्व बैंक +द्वारा वित्तपोषित इस योजना का शुभारंभ +25 दिसंबर 2019 यानी सुशासन दिवस पर +किया गया था। +सांकेतिक मानकों के संसाधन संवितरण + +परिणाम आधारित इस योजना की +प्रमुख विशेषता चुनिंदा संकेतकों के संबंध +में राज्यों को कार्य के आधार पर वित्तीय +प्रोत्साहन (डिस्बर्समेंट लिंक्ड इंडिकेटर्स - +डीएलआई) देना है। डीएलआई का चुनाव +उन गतिविधियों के आधार पर किया जाता +है जो भूजल के संधारणीय प्रबंधन, मापन +और पहचान में आसानी पर आधारित होती +हैं और साथ ही यह नतीजे पाने में साझीदारों +की क्षमता पर भी निर्भर करता है। समग्रता +में देखें तो योजना के उद्देश्य पर केंद्रित +डीएलआई में योजना के अंतिम लक्ष्य की +प्राप्ति पर अनुदान देने का प्रावधान निहित +है, जो है, सामुदायिक सहभागिता से भूजल +स्थिति में सुधार। + +37 + + +0038.txt +<----------------------------------------------------------------------> +डीएलआई#1 _- भूजल डेटा/सूचना +एवं रिपोर्टों का सार्वजनिक प्रकाशन ; +इस डीएलआई के अंतर्गत भूजल संबंधित +सूचना एकत्र और सार्वजनिक करने के लिए +प्रोत्साहन दिया जाता है ताकि भूजल प्रबंधन +संस्थानों को सशक्त बनाया जा सके। + +डीएलआई#2 - सामुदायिक जल सुरक्षा +योजनाओं की तैयारी : इसके अंतर्गत निचले +स्तर से भूजल प्रबंधन प्रक्रिया में सहभागिता +शुरू करने को प्रोत्साहन दिया जाता है। + +डीएलआई#3 - नई/जारी योजनाओं +के सम्मिलन के माध्यम से स्वीकृत जल +सुरक्षा योजनाओं को सार्वजनिक वित्तपोषण; +डीएलआई भूजल योजना प्रक्रिया की जड़ों +से शुरुआत को प्रोत्साहन देती है ताकि इससे +जुडे सार्वजनिक वित्तपोषण को बढ़ावा मिले +और भूजल के संबंध में विभिन्‍न सरकारी +योजनाओं से जोड़ने की पहल हो। + +डीएलआई#4 - पानी के किफायती +इस्तेमाल की आदतें अपनाना : डब्ल्यूएसपी +के अंतर्गत मांग को अमल में लाने को +प्रोत्साहन देना। + +डीएलआई#5 - गिरते भूजल स्तर की +मात्रा में सुधार : गिरते भूजल स्तर को +रोकने को प्रोत्साहन देना। + +योजना भूजल प्रबंधन के क्षेत्र में +परिवर्तन की अगुआ है। यह 'जल जागरूक' +समुदायों के निर्माण को प्रोत्साहन देती हे, + +चुनिंदा राज्यों के अनुभव को +देखते हुए, अखिल भारतीय स्तर +पर पानी की कमी झेल रहे क्षेत्रों +के लिए नए कार्यक्रम तैयार करने +का कार्य चल रहा है। भूजल के +सतत या लगातार इस्तेमाल के +लिए जल-जागरूक समुदायों का +सशक्तीकरण, निर्णय लेने में +लाभदायक भरोसेमंद जल डेटा +और सहभागिता नियामक तंत्र, +तीन महत्वपूर्ण स्तंभ हैं, जिनकी +मदद से जीवन, रोजगार और +सांस्कृतिक संरक्षण के लिए जल +उपलब्ध हो सकेगा और हम +जलवायु परिवर्तन की चुनौती का +भी सामना कर सकेंगे। + +अनुसार अपनी जरूरतें पूरा करने की समझ +और क्षमता हो। जल प्रबंधन के क्षेत्र में, मांग +और आपूर्ति मानकों को देखते हुए, योजना +के तहत प्रोत्साहन लचीले तौर पर इस्तेमाल +किए जा सकते हैं। +आगे की राह + +योजना से जुडे राज्यों ने इसे पूरी + +कर दिया है। राज्यों को इसे अमल में लाने +के लिए अपनी ओर से बदलाव करने की +भी छूट दी गई है क्‍योंकि कर्नाटक की +जरूरतें उत्तर प्रदेश की जरूरतों से अलग +हो सकती हैं। नव परिवर्तन अभी नजर आ +रहे हैं। महामारी के इस दौर में समय व्यर्थ +ना जाए, इसलिए कर्नाटक प्रशासन अपने +गांवों तक डिजिटल रूप में पहुंच बना +रहा है। उत्तर प्रदेश ने अटल भूजल योजना +के मानक के अनुसार भूजल में सुधार के +लिए अपनी सभी ग्राम पंचायतों तक पहुंचने +की योजना निर्धारित की है। विशेष तौर +पर निर्मित मोबाइल ऐप की मदद से जल +सुरक्षा योजनाओं के निर्माण से जुड़े समुदाय +भू-चिह्नित क्षेत्रों की पहचान के लिए नई +पद्धतियां अपना रहे हैं। + +चुनिंदा राज्यों के अनुभव को देखते +हुए, अखिल भारतीय स्तर पर पानी कौ +कमी झेल रहे क्षेत्रों के लिए नए कार्यक्रम +तैयार करने का कार्य चल रहा है। भूजल के +सतत या लगातार इस्तेमाल के लिए +जल-जागरूक समुदायों का सशक्तीकरण, +निर्णय लेने में लाभदायक भरोसेमंद जल +डेटा और सहभागिता नियामक तंत्र, तीन +महत्वपूर्ण स्तंभ हैं, जिनकी मदद से जीवन, +रोजगार और सांस्कृतिक संरक्षण के लिए +जल उपलब्ध हो सकेगा और हम जलवायु +परिवर्तन की समस्या का भी सामना कर + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +यानी ऐसे समुदाय जिनमें उपलब्ध जल के ईमानदारी के साथ अमल में लाना शुरू सकेंगे हा +प्रकाशन विभाग के विक्रय केंद्र +नई दिल्‍ली | पुस्तक दीर्घा, सूचना भवन, सीजीओ कॉम्प्लेक्स, लोधी रोड 110003 | 011-24367260 +नवी मुंबई ।701, सी- विंग, सातवीं मंजिल, केंद्रीय सदन, बेलापुर 400614 | 022-27570686 +कोलकाता ।8, एसप्लानेड ईस्ट 700069 | 033-22488030 +चेन्नई 'ए! विंग, राजाजी भवन, बसंत नगर 600090 | 044-24917673 +तिरुअन॑तपुरम | प्रेस रोड, नयी गवर्नमेंट प्रेस के निकट 695001 | 0471-2330650 +हैदराबाद कमरा सं. 204, दूसरा तल, सीजीओ टावर, कवाड़ीगुड़ा, सिकंदराबाद | 500080. | 040-27535383 +बेंगलुरु फर्स्ट फ्लोर, 'एफ' विंग, केंद्रीय सदन, कोरामंगला 560034 | 080-25537244 +पटना बिहार राज्य कोऑपरेटिव बैंक भवन, अशोक राजपथ 800004 | 0612-2683407 +लखनऊ हॉल सं-1, दूसरा तल, केंद्रीय भवन, क्षेत्र-एच, अलीगंज 226024 | 0522-2325455 +अहमदाबाद | 4-सी, नेप्चून टॉवर, चौथी मंजिल, नेहरू ब्रिज कॉर्नर, आश्रम रोड | 380009 | 079-26588669 + + + + + + + + + +38 + +योजना, अप्रैल 2021 + + +0039.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + +The a a + +Republican +Ethic + +1-०८ - Be Wah Fired + +sae. eth + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +पूर्सी तट माउत मैं +स्वामष्म नींद + + + + + + + + + + + + + + + +चुनिंदा ई-बुक +एमेज़ॉन और गूगल प्ले +पर उपलब्ध + + + +गांधी साहित्य, भारतीय इतिहास, जाने-माने व्यक्तियों की जीवनियां, उनके भाषण और लेखन, +आधुनिक भारत के निर्माता शृंखला की पुस्तकें, कला एवं संस्कृति, बाल साहित्य + +UB +of” +प्रकाशन विभाग +सूचना और प्रसारण मत्रालय, मारत सरकार +हमारी पुस्तकें ऑनलाइन खरीदने के लिए कृपया www.bharatkosh.gov.in पर जाएं। + +ऑर्डर के लिए कृपया संपर्क करें : फोन ; 011-24365609, ई-मेल : 0५थ16888916801741.00॥ +बेवसाइट : www.publicationsdivision.nic.in + + + +[ऋ @ DPD _India + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +योजना, अप्रैल 2021 + +39 + + +0040.txt +<----------------------------------------------------------------------> +आगे बढ़ता स्वच्छता अभियान + +अरुण बरोका + +स्वच्छ भारत अभियान, लोगों के व्यवहार में बदलाव से जुड़ा दुनिया का सबसे बड़ा अभियान बन चुका +है। इसने असंभव नजर आने वाले अभियान- खुले में शौच्च से मुक्ति का लक्ष्य महज पांच साल में हासिल +'किया है। प्रधानमंत्री के बेहतर नेतृत्त और इस अभियान को जन आंदोलन में बदलने की वजह से यह संभव +हुआ है। जीवन के सभी क्षेत्रों से जुड़े 130 करोड़ लोगों के योगदान की वजह से इस अभियान को बड़ी +सफलता मिली है। + +कवरेज का दायरा महज पांच साल में 100 प्रतिशत वाले हर परिवारों को शौचालय के निर्माण के लिए 12,000 रुपये +तक पहुंच गया। साल 2014 में यह आंकड़ा 38.7 मुहैया कराए गए। यूनिसेफ, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) , +प्रतिशत था, जो 2019 में बढ़कर 100 प्रतिशत हो गया। इस दौरान बीएमजीएफ, डालबर्ग और अन्य वेश्विक एजेंसियों का मानना हे +देशभर में 10.25 करोड़ से भी ज्यादा शौचालयों का निर्माण किया कि स्वच्छ भारत अभियान के तहत हासिल की गई उपलब्धियों +गया और सभी राज्यों और जिलों ने खुद को खुले में शौच से मुक्त का देश के आर्थिक-शैक्षणिक माहौल, पर्यावरण, स्वास्थ्य आदि पर +(ओडीएफ) घोषित कर लिया। इस पूरी कवायद में सरकार ने 130 व्यापक असर हो सकता है। भारत ने इस मामले में संयुक्त राष्ट्र के + +cea भारत अभियान की वजह से ग्रामीण स्वच्छता के हजार करोड़ रुपये का बड़ा निवेश किया। शौचालय की जरूरत + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +लेखक पेयजल ओर स्वच्छता विभाग, जल शक्ति मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव हैं। ईमेल: #प्र1#ब०ग॑सब(&ो010.17 + +40 योजना, अप्रैल 2021 + + +0041.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +2 अक्दुबर 2019: +सच हुआ स्वच्छ भारत का सपना + +( अक्टूबर 2, 2014 ) + +> 2, 2019) + +1 + +10.28 करोड़ नए टॉयलेट बने ;/ + + + + + + + +6,03,175 गांवों को तीसरे पक्ष से खुले +में शौच से मुक्ति का प्रमाणपत्र मिला + +706 जिलों ने खुद को खुले में +vita से मुक्त घोषित किया + +सम | +में श़ौच से मुक्त घोषित किया गया + + + + + +100% my 91-99% + + + +™_ 61-90% mm <30% a + +[Ey 31-60% + + + + + +घोषित सतत विकास लक्ष्य (एसडीजे) लक्ष्य को तय समय से 11 +साल काफी पहले ही हासिल कर लिया। गौरतलब है कि संयुक्त +राष्ट्र संघ ने सभी के लिए स्वच्छता हासिल करने के लक्ष्य के तहत +साल 2030 का समय निर्धारित किया है। + +इस अभियान की सफलता के चार प्रमुख पहलू हैं- राजनीतिक +नेतृत्व, सार्वजनिक वित्त पोषण, साझेदारी और जन भागीदारी। चूंकि +प्रधानमंत्री खुद इस अभियान की देखरेख कर रहे थे, इसलिए स्वच्छ +भारत अभियान सही मायनों में जनता का ऐसा व्यापक आंदोलन बन +गया, जिसकी कल्पना काफी कम लोगों ने की थी। महात्मा गांधी +की 150वीं जयंती यानी 2 अक्टूबर 2019 को माननीय प्रधानमंत्री +ने अहमदाबाद में कहा था, “हालांकि, अब सवाल यह है कि हमने +जो भी हासिल किया है, कया वह पर्याप्त है? इसका जवाब काफी +स्पष्ट है। फिलहाल हमने जो हासिल किया है, वह सिर्फ एक चरण +है। स्वच्छ भारत की दिशा में हमारी यात्रा इसी तरह से आगे भी +जारी रहेगी।! + +चरण के लिए इस तरह से योजना तैयार की गई है कि यह +वित्त पोषण के अलग-अलग माध्यमों और केंद्र व राज्य सरकारों +की विभिन्न योजनाओं के बीच संमिलन का नया मॉडल बन +सके। पेयजल और स्वच्छता विभाग, अभियान के दूसरे चरण को +2020-21 से 2024-25 के बीच लागू करेगा। दूसरे चरण का यह +अभियान, घरों में शौचालयों और सामुदायिक स्वच्छता कॉम्प्लेक्स +के निर्माण के साथ-साथ ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन (मसलन +कंपोस्ट पिट, सोक पिट, बायो गैस संयंत्र आदि) को बढावा देगा। +स्वच्छ भारत अभियान का दूसरा चरण: ओडीएफ (खुले में +शौच्र से मुक्ति ) से ओडीएफ प्लस + +स्वच्छ भारत अभियान के दूसरे चरण का मकसद देश के +गांवों को 'ओडीएफ प्लस गांव' बनाना है। इसका मतलब ऐसे गांव +से है जहां खुले में शौच से मुक्ति की स्थिति आगे भी कायम +रहेगी और ठोस व तरल अपशिष्ट प्रबंधन पूरी तरह से साफ नजर +आएगा। अभियान के दूसरे चरण में स्वच्छ + +फरवरी 2020 में स्वच्छ भारत अभियान +(ग्रामीण) के दूसरे चरण को मंजूरी दी +गई। इसका कुल बजट 1,40, 881 करोड +रुपये का है और इसमें ठोस और तरल +अपशिष्ट प्रबंधन और खुले में शौच से मुक्ति +की स्थिति को बनाए रखने पर फोकस +किया जाएगा। इस बीच, साल 2020-21 +के लिए 15वें वित्त कमीशन की रिपोर्ट +भी जारी गई। इसमें भी स्थानीय ग्रामीण +निकायों के लिए स्वच्छता संबंधी अनुदान +(ग्रांट) मुहैया कराया गया है। स्वच्छ भारत +अभियान-ग्रामीण (एसबीएम-जी) के दूसरे + +योजना, अप्रैल 2021 + +इस अभियान की सफलता के चार +प्रमुख पहलू हैं- राजनीतिक नेतृत्व, +सार्वजनिक वित्त पोषण, साझेदारी +और जन भागीदारी। चूंकि + +प्रधानमंत्री खुद इस अभियान की + +देखरेख कर रहे थे, इसलिए स्वच्छ + +भारत अभियान सही मायतों में +जनता का ऐसा व्यापक आंदोलन +बन गया, जिसकी कल्पना काफी +कम लोगों ने की थी। + +दृश्य' को भी पारिभाषित किया गया है। +इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए किसी +गांव के कम से कम 80 प्रतिशत घरों और +सार्वजनिक स्थानों में कूड़ा और जमा हुआ +पानी, कम से कम होना चाहिए। साथ ही, +गांव में प्लास्टिफ के कचरे का ढेर नहीं +हो। किसी गांव को ओडीएफ प्लस बनाने +में ये लक्ष्य भी मददगार हो सकते हैं: निजी +शौचालयों का निर्माण, शौचालयों में जरूरत +के हिसाब से बदलाव, सामुदायिक स्वच्छता +कॉम्प्लेक्स का निर्माण, प्रकृति में आसानी +से नष्ट हो जाने वाले कचरे का प्रबंधन, + +41 + + +0042.txt +<----------------------------------------------------------------------> +प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन, धूसर जल प्रबंधन +और मलयुक्‍त गाद प्रबंधन। + +अतः, ओडीएफ प्लस का दर्जा हासिल +करने के लिए किसी गांव को ये बातें +सुनिश्चित करनी होंगी: 1. सभी घरों में ऐसे +शौचालय हों जिनका इस्तेमाल किया जा +Wal 2. सभी स्कूलों, आंगनवाड़ी केंद्रों +और पंचायत घरों में इस्तेमाल किए जा +सकने वाले लायक शौचालय हों। साथ ही, +महिलाओं के लिए अलग शौचालय हों। 3. +सार्वजनिक जगहें साफ दिखें। 4. कम से कम +80 प्रतिशत घरों और सभी सार्वजनिक संस्थानों में ठोस और तरल +अपशिष्ट प्रबंधन की व्यवस्था हो। 5. गांव में प्लास्टिक अपशिष्ट को +अलग रखने और उसे इकट्ठा करने की व्यवस्था हो। 6. खुल में +शौच से मुक्ति की स्थिति बने रहने, साबुन से हाथ धोने, विभिन्न +माध्यमों के जरिये प्रकृति में नष्ट हो जाने वाले कचरे जैसी थीम पर +आधारित कम से कम पांच ओडीएफ प्लस आईईसी दीवार पेंटिंग +गांव में मौजूद हो। +स्वच्छ भारत अभियान के दूसरे चरण के लिए नियोजन + +स्वच्छ भारत अभियान स्वच्छता के लिए विकेन्द्रीकृत उपायों +को बढ़ावा देता है। इसलिए, यह जरूरी है कि हर ग्राम पंचायत +स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) और जल जीवन मिशन के तहत +अपने गांव के लोगों के लिए एकीकृत तरीके से ग्राम कार्ययोजना +तैयार करे और इसमें महिलाओं और अन्य वंचित लोगों की ज्यादा +से ज्यादा भागीदारी सुनिश्चित की जा सके। दरअसल, इसका +मकसद यह है कि ग्राम कार्ययोजना के अमल का फायदा सभी +लोगों को बराबर-बराबर मिल सके। इस योजना को ग्राम सभा में + +स्वच्छ भारत अभियान के दूसरे +चरण का मकसद देश के गांवों +को “ओडीएफ प्लस गांव' बनाना +है। इसका मतलब ऐसे गांव से है +जहां खुले में शौच्च से मुक्ति की +स्थिति आगे भी कायम रहेगी और +ठोस व तरल अपशिष्ट प्रबंधन पूरी +तरह से साफ नजर आएगा। + +पेश कर सभी की अनुमति ली जानी चाहिए। +जहां तक जिला स्तर की बात है, तो ग्राम +कार्ययोजनाओं को इकट्ठा करने के बाद के +बाद हर जिले को जिला स्वच्छता योजना तैयार +करनी होगी। राज्य जल और स्वच्छता समिति +की तरफ से हर साल तय की गई तारीख +के मुताबिक, जिलों को हर साल योजना +तैयार करनी होगी। साथ ही, राज्य सरकार +से मंजूरी मिलने के बाद इसे एमआईएस में +अपलोड करना होगा। राज्य और केंद्रशासित +प्रदेशों को हर साल परियोजना कार्यान्वयन +योजना (पीआईपी) और सालाना कार्यान्वयन योजना (एआईपी) +तैयार करनी होगी, ताकि जिला स्वच्छता योजनाओं पर एकीकृत +तरीके से काम कर स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के लक्ष्यों को +हासिल किया जा सके। इसके बाद, राष्ट्रीय योजना मंजूरी समिति +(एनएसएससी) पीआईपी और एआईपी को मंजूरी देती है। साथ ही, +राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों को हर साल 1 मार्च तक इन योजनाओं +को एकीकृत प्रबंधन सूचना प्रणाली (आईएमआईएस) पर अपलोड +करना होगा। +क्षमता निर्माण + +स्वच्छाग्रही, स्वच्छ भारत अभियान (ग्रामीण) के असली +सिपाही हैं। लोगों के व्यवहार में बदलाव और शौचालयों के +निर्माण व इस्तेमाल को बढ़ावा देने में इनकी अहम भूमिका रही है। +अभियान के दूसरे चरण में भी इन स्वयंसेवकों की भूमिका अहम +है। ये स्वच्छाग्रही इन अभियानों के साथ लगातार जुडुकर क्षमता को +और मजबूत बनाने और लोगों को प्रोत्साहित करने में अपनी सक्रिय +भूमिका निभा सकते हैं। + + + +स्वच्छ भारत अभियान ने बचाई जिंदगी +भारत के खुले में शौच से मुक्त होने की +-“ वजह से डायरिया से होने बाली 3,07,000 += मौतों को रोका जा सका + + + +स्वच्छ भारत अभियान में संसाधनों का उपयोग +इसमें सूचना, शिक्षा और संचार संबंधी गतिविधियों +पर मौद्रिक और गैर-मौद्रिक गतिविधियों के तहत +26,000 करोड़ रुपये खर्च किए गए + +" : है स्वच्छ भारत अभियान ने पर्यावरण को भी +fs बचाया + +खुले में शौच से मुक्त गांवों में भूजल के प्रदूषित +होने की आशंका 11.25 गुना कम है + + + +स्वच्छ भारत अभियान का व्यापक असर +वैश्विक एजेंसियों का अध्ययन + + + +स्वच्छ भारत अभियान के जरिये खुले में शौच + +से मुक्ति को 50 प्रतिशत तक कम करने के + +लिए 2019 का “लोबल गोल कीपर अवॉर्ड' +ग्रहण करते माननीय प्रधानमंत्री + +स्वच्छ भारत मिशन (निवेश पर लाभ ) +निवेश पर 430 प्रतिशत लाभ + +€ + + + +स्वच्छ भारत मिशन ने पैसे बचाए + +खुले में शौच से मुक्त गांव में हर परिवार +को इस वजह से सालाना औसतन 720 +डॉलर की बचत होती है + + + +स्वच्छ भारत मिशन ने पैदा किया रोजगार +इस अभियान को वजह से अक्टूबर 2014 से +फरवरी 2019 के दौरान 75.5 लाख रोजगार +पैदा हुए + +ee lace: | |e: + + + + + + + + + + + +42 + +योजना, अप्रैल 2021 + + +0043.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +मलयुक्‍त गाद प्रबंधन + + + + + +धूसर जल प्रबंधन + + + + + +पंचायती राज संस्थानों की भूमिका + +संविधान के 73वें संशोधन (1992) के मुताबिक, स्वच्छता +को 11वीं अनुसूची में शामिल किया गया है। लिहाजा, स्वच्छ भारत +अभियान (ग्रामीण) को लागू करने में ग्राम पंचायत की भूमिका अहम +है। अभियान के दूसरे चरण में भी पंचायती राज संस्थानों की बड़ी +और काफी महत्वपूर्ण भूमिका है। खास तौर पर 15वें वित्त आयोग +द्वारा स्वच्छता गतिविधियों के लिए तय किए गए प्रावधानों के +बाद यह भूमिका और अहम हो जाती है। ग्राम पंचायत के ढांचे में +काम करने वाले सभी संस्थानों और समितियों को अपने कार्यक्रमों +में स्वच्छता को प्राथमिकता देनी होगी। हर ग्राम पंचायत को हर +वित्तीय वर्ष के लिए ग्राम स्वच्छता योजना तैयार करनी होगी और +इसे जीपीडीपी नियोजन के नियमों के मुताबिक तय सॉफ्टवेयर और +स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) एमआईएस में फोड करना होगा। अगर +हम पंचायती राज संस्थानों की अहम भूमिकाओं की बात करें, तो +इनमें फंड हासिल करना (राज्य सरकारों के तय निर्देशों के आधार), +सामुदायिक शौचालयों और एसएलडब्ल्यूएम आधारभूत संरचना के +वित्त पोषण के लिए इन फंडों का योगदान लेना आदि प्रमुख हें। +निगरानी और मूल्यांकन + +स्वच्छ भारत अभियान (ग्रामीण) के दूसरे चरण की निगरानी +और मूल्यांकन के काम की अगुवाई पेयजल और स्वच्छता विभाग +कर रहा है। विभाग यह काम राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों और जिलों +के साथ मिलकर कर रहा है। इस निगरानी और मूल्यांकन के दो +पहलू हैं: पहला ओडीएफ प्लस गांवों का दर्जा सुनिश्चित करना + +योजना, अप्रैल 2021 + +और दूसरा इस अभियान पर होने वाले खर्च और इसके लिए तैयार +हुई संपत्तियों पर भी नजर रखना। इसके तहत यह पता लगाया +जाएगा कि लोगों के व्यवहार में बदलाव के लिए पर्याप्त जागरुकता +गतिविधियां चलाई गईं या नहीं। साथ ही, गांव का खुले शौच से +मुक्ति का दर्जा बरकरार है या नहीं, गांव स्वच्छ दिखता है या नहीं। +निगरानी संबंधी गतिविश्चियों का मकसद अभियान के लिए बेहतर +और असरदार नतीजे हासिल करना है। इसके तहत, कार्यक्रम की +प्रगति के लिए निष्पक्ष मूल्यांकन, एक तय अवधि पर समीक्षा, +फील्ड दौरा, थीम को लेकर सलाह-मशवरा जैसी चीजें शामिल हैं। +संचालन संबंधी दिशा-निर्देशों में गुणवत्ता और परिमाण के स्तर पर +प्रगति की निगरानी की बात कही गई है। +आगे की राह + +पेयजल और स्वच्छता विभाग ने तरल अपशिष्ट प्रबंधन (धूसर +जल और मलयुक्‍त गाद प्रबंधन) के साथ-साथ प्रकृति में आसानी +से नष्ट होने वाले अपशिष्ट, पशुओं से संबंधित अपशिष्ट (गोबर) +और प्लास्टिक अपशिष्ट के प्रबंधन की दिशा में काम शुरू किया +है, जिसका मकसद अपशिष्ट को धन में बदलना है। इन लक्ष्यों को +हासिल करने की दिशा में राज्य और जिला स्तर पर योजना तैयार +कर इस पर अमल शुरू हो गया है। इस अभियान को लेकर सरपंचों +की अगुवाई में गांवों में नए किस्म का उत्साह है। स्वच्छता अभियान +रफ्तार पकड़ चुका है और उम्मीद है कि ओडीएफ (खुले में शौच +से मुक्ति) की सफलता की तरह ही 2025 तक ओडीएफ प्लस +का लक्ष्य भी हासिल कर लिया जाएगा। | + +43 + + +0044.txt +<----------------------------------------------------------------------> +[०] + +प्रयागराज केंद्र | जयपुर केंद्र + +(ऑफलाइन बैच) (ऑफलाइन बैच) + +9५5 फाउडेशन बैच +18 मार्च + +प्रातः 8 बजे + + + +प्रारंभ + + + + + + + +IAS फाउंडेशन बैच + + + +2 अप्रैल + +शाम 6 बजे + + + + + + + +एडमिशन लेने वाले पहले 500 विद्यार्थियों को शुल्क में विशेष छूट + +- .. ऑनलाइन फाउंडेशन कोर्स + +सामान्य अध्ययन (प्रिलिम्स + मेन्स) +डॉ. विकास दिव्यकीर्ति के निर्देशन में + +अतिरिक्त जानकारी के लिये 9311406442 नंबर पर | इंस्टॉलमेंदट्स पर भी उपलब्ध ! +कॉल करें या 55 लिखकर मैसेज या वाट्सएप करें | लॉग-इन कीजिये : श्रथ-ताजाप55.०णा। Drishti Learning App + + + +YH-1552/2021 + +44 योजना, अप्रैल 2021 + + +0045.txt +<----------------------------------------------------------------------> +तीव्र सामाजिक-आर्थिक विकास और +जल संरक्षण के लिए एकीकृत जल प्रबंधन + +““ जल संचय हो, जल सिंचन हो, वर्षा की बूंद-बूंद पानी को रोकने का +काम हो, समुद्री पानी को वेस्ट वाटर को ट्रीटमेंट करने का विषय हो, +किसानों के लिए पर ड्रॉप, मोर क्रॉयप , माड़क्रो इररगरेशन का काम हो, पानी +बचाने का अभियान हो, पानी के प्रति सामान्य से सामान्य नागरिक सजग +बने, संवेदनशील बने, पानी का महत्व समझें , हमारे शिक्षा कर्मों में भी बच्चों +को भी बचपन से ही पानी के महत्व की शिक्षा दी जाए। पानी संग्रह के +लिए, पानी के स्त्रोतों को पुनर्जीवित करने के लिए हम लगातार प्रयास करें +और हम इस विश्वास के साथ आगे बढ़ें कि पानी के क्षेत्र में पिछले 70 +साल में जो काम हुआ है, हमें 5 साल में चार गुना से भी ज्यादा उस काम + +को करना होगा। अब हम ज्यादा इंतजार नहीं कर सकते... a +(15 अगस्त, 2019 को लाल किले की प्राच्ीर से प्रधानमंत्री के .। | +स्वतंत्रता दिवस के संबोधन से उद्धुत ) + +भरत लाल + + + +remy + +rr +june frm, | + +| oe rag! + + + +रत में वेश्विक मीठे पानी के संसाधनों का केवल +4 प्रतिशत संसाधन है जबकि यहां मानव आबादी विश्व + +की 18 प्रतिशत और पशुधन 15 प्रतिशत है। इस दृष्टि +से गुजरात की स्थिति काफी खराब है। इसका भौगोलिक क्षेत्र देश +का 6.4 प्रतिशत, मानव आबादी 5 प्रतिशत और पशुधन 2 करोड़ +से अधिक है, जबकि यहां मीठे पानी की उपलब्धता देश की कुल +उपलब्धता का केवल 2 प्रतिशत ही है। यहां तक कि राज्य में पानी +के वितरण में काफी असमानता भी है। राज्य में कुल उपलब्ध जल +का 70 प्रतिशत केवल लगभग 25 प्रतिशत क्षेत्र को मिलता है (देखें +तालिका-1)। + +तालिका 1: असमान वितरण: गुजरात के विभिन्‍न + + + + + + + + + + + +हिस्सों में वर्षा और पानी की उपलब्धता: +क्षेत्र क्षेत्र में हिस्सा | औसत वार्षिक | जल उपलब्धता +वर्षा (मिमी में) | में हिस्सा + +दक्षिण और मध्य | 24.26 प्रतिशत | 1,114 69 प्रतिशत +गुजरात + +उत्तर गुजरात 19.63 प्रतिशत | 694 11 प्रतिशत +सौराष्ट्र 32,82 प्रतिशत | 659 17 प्रतिशत +कच्छ 23.29 प्रतिशत | 402 3 प्रतिशत + + + + + + + + + + + + + +गुजरात को भारत के डेयरी उद्योग की राजधानी माना जाता हे। +गुजरात के किसान और उनके परिवार उद्यमी और बहुत मेहनती हैं। +पशुपालन ग्रामीण परिवारों की आय के प्रमुख स्रोतों में से एक है। +मवेशियों के लिए स्वच्छ पानी की पर्याप्त और सुनिश्चित उपलब्धता +सुनिश्चित करना उत्पादकता के लिए आवश्यक है। + +गुजरात में वार्षिक वर्ष काफी असमान - मध्य तथा दक्षिण +गुजरात में 80-200 सेमी., उत्तर गुजरात तथा सौराष्ट्र में 40-80 सेमी. + + + + + +कि Saye +ci?” मध्य +मध्य ...« +५” प्रदेश +हे ot व देश +रे x yy Tr दक्षिण — +2 ya % HY +7 etsem “a aw 1 +260 cm “ee % BM += i040cm co है +5 इ-एा ला, अरब सागर 2 महाराष्ट्र +CO tba em : + + + + + + + +चित्र 1 : गुजरात में बारिश का वितरण + + + +लेखक अतिरिक्त सचिव और मिशन निदेशक, राष्ट्रीय जल जीवन मिशन हैं। ईमेल: 3४.17छि8०ए+7 + +योजना, अप्रैल 2021 + +45 + + +0046.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +चित्र 2 : वर्ष 2002 में गुजरात में पानी लेने के लिए एकत्रित ; + +और कच्छ में 40 सेमी. से कम होती है। गुजरात में पानी का असमान +वितरण एक अजीब स्थिति पैदा करता है, जिसमें राज्य के 1 चौथाई +क्षेत्र में पर्याप्त पानी होता है जबकि तीन-चौथाई क्षेत्र में पानी की +कमी है। विशेष रूप से कच्छ में पानी की बहुत कमी है, इसका क्षेत्र +तो राज्य का 23.29 प्रतिशत है, लेकिन पानी की उपलब्धता केवल +3 प्रतिशत है। + +एक अनुमान के अनुसार, 2011 में, राज्य में प्रति व्यक्ति पानी +की वार्षिक उपलब्धता देश के 1,720 घन मीटर के मुकाबले केवल +920 घन मीटर थी। प्रति व्यक्ति पानी की न्यूनतम आवश्यकता कम +से कम 1,000 घन मीटर वार्षिक होती है। + +गुजरात में भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 6 प्रतिशत है, +लेकिन यहां पानी की कमी वाला क्षेत्र देश का 12.36 प्रतिशत है। +गुजरात के कुल क्षेत्रफल के लगभग 58.6 प्रतिशत क्षेत्र में शुष्क, +अर्ध-शुष्क और लवणता की स्थिति के कारण पानी की कमी हेै। +गंभीर रूप से पानी कौ कमी झेल रहे राजस्थान के बाद, यह देश +का दूसरा राज्य हे। + +पश्चिमी भारत, विशेष रूप से राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र + +चित्र 3 : वर्ष 2002 में टैंकर से पानी भरते लोग + +प्रबंधन में जुटा रहता था। 26 जनवरी, 2001 में आए भूकंप, जिसका +मुख्य केंद्र कच्छ था, के कारण जल आपूर्ति के बुनियादी ढांचे सहित +जीवन और संपत्ति का भारी नुकसान हुआ था, जिससे क्षेत्र में जल +संकट और अधिक बढ़ गया। +अक्टूबर, 2001 में गुजरात का मुख्यमंत्री बनने के बाद प्रधानमंत्री +श्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात में पानी की कमी को अतीत की बात बनाने +का दृढ़ संकल्प लिया। इसके मद्देनजर दृढ़ कई नीतिगत निर्णय लिए +गए जिनसे राज्य में पेयजल सुरक्षा प्राप्त करने में मदद मिली। मांग +और आपूर्ति के प्रबंधन के साथ-साथ विभिन्‍न स्तरों पर जवाबदेही +सुनिश्चित करने के लिए जल क्षेत्र को एकीकृत किया गया था। +बढ़ती आर्थिक गतिविधियों और बेहतर जीवन की लोगों की +आकांक्षाओं के कारण पानी की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए, +जल सुरक्षा को प्राप्त करने के वास्ते निम्नलिखित व्यापक कार्यनीति +अपनाई गई: +1. पानी से संबंधित सभी निर्णय लेने में, लोगों की भागीदारी +गैर-समझौतावादी सिद्धांत बन गई। लोगों को सभी जल संरक्षण +और प्रबंधन प्रयासों में शामिल किया गया; + + + +के कुछ हिस्सों में अजीबोगरीब मृदा-जलवायु परिस्थितियों +के कारण नियमित रूप से पानी कौ कमी का सामना +करना पड़ता है। इसलिए यहां टैंकरों और पानी की गाडियों +से पेयजल आपूर्ति की जाती रही है। 1980 के दशक के +मध्य में, लगातार तीन वर्ष सूखा पड़ने के कारण पानी की +अत्यधिक कमी के परिणामस्वरूप फसलों की पैदावार और +चारे की कमी के साथ-साथ पेयजल और घरेलू उपयोग के +लिए भी पानी की कमी हो गई। + +एक बार फिर 1999-2002 के दौरान, गुजरात को +गंभीर सूखे जैसे हालात और पानी की कमी का सामना +करना पड़ा। इस दौरान टेंकरों और रेलगाडियों के जरिए +बड़े पैमाने पर पेयजल पहुंचाने सहित विभिन्‍न प्रयास किए +गए थे। सौराष्ट्र, कच्छ, पूर्वी जनजातीय क्षेत्र और उत्तर +गुजरात के कुछ हिस्सों में पीने के पानी की जरूरत को पूरा +करने के लिए हर साल कुछ हजार टेंकरों की सेवाएं लेनी +पड़ती थीं। हर साल, 6-8 महीनों के लिए, समूचा प्रशासन + + + + + +उत्तर गुजरात 4 + +oil 5, + +मध्य गुजरात है ++ + +pa suo +रे + + + + +तू f pater गुजरात +Se be + +yee +g + +[hy + +| + +fal + + + + + +को पानी की कमी विशेष रूप से पेयजल की आपूर्ति के + +46 + +चित्र 4 : वर्ष 2011 में गुजरात में प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता घनमीटर में + +योजना, अप्रैल 2021 + + +0047.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +चित्र 5 : वैस्मो द्वारा प्रायोजित सामुदायिक मीटिंग + +2. उपग्रह डेटा का उपयोग करते हुए जल संभर सिद्धांतों पर +आधारित वैज्ञानिक नियोजन और निगरानी के साथ वर्षा जल +संचयन या कृत्रिम पुनर्भरण किया गया; + +3, नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बांध को पूरा किया गया और +वितरण नहर नेटवर्क को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई; + +4. प्रचुर जल वाले दक्षिण तथा मध्य गुजरात से उत्तर गुजरात, +सौराष्ट्र और कच्छ तक पानी के अंतर घाटी अंतरण की योजना +बनाई गई; + +5. मौजूदा नहर प्रणाली को मजबूत करने, भागीदारी सिंचाई प्रबंधन +और माइक्रो सिंचाई को बडे पैमाने पर बढ़ावा दिया गया; + +6. प्रति बूंद अधिक फसल की अवधारणा को बढ़ावा देने और +जल संरक्षण के लिए किसानों को शिक्षित करने के वास्ते कृषि +विस्तार गतिविधियों को एक अभियान के रूप में शुरू किया +गया था; + +7. यह निर्णय लिया गया कि लोगों को अपने घरों में पीने का +पानी मिलना चाहिए और इसके लिए आवश्यक कार्यों को पूरा +करने के लिए तीन संगठनों के रूप में पेयजल आपूर्ति क्षेत्र को +पुनर्गठित किया गया- + +क. अधिक मात्रा में जल अंतरण बुनियादी ढांचे के निर्माण के +लिए गुजरात वाटर इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड, + + + +चित्र 6 : ग्राम कार्य योजना ( बैप ) को अंतिम रूप देते हुए + +ख. ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति और वितरण +नेटवर्क के प्रबंधन के लिए गुजरात जल आपूर्ति और +सीवरेज बोर्ड, + +ग. जल और स्वच्छता प्रबंधन संगठन - योजना बनाने, +कार्यान्वित करने, प्रबंधन करने, संचालित करने तथा अपनी +स्वयं की जल आपूर्ति प्रणालियों के लिए स्थानीय गांव +समुदाय को सशक्त बनाकर और सुविधाएं प्रदान कर +गांवों में विकेन्द्रीकृत, मांग-संचालित, समुदाय-प्रबंधित जल +आपूर्ति प्रणालियों के नियोजन के लिए फरवरी, 2002 में +बनाया गया एक अनूठा संगठन है। + +तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेंद्र मोदी, ने व्यक्तिगत रूप से राज्य में + +जल संरक्षण अभियान का नेतृत्व किया और घर का पानी घर में, गांव +का पानी गांव में, खेत का पानी खेत में की अवधारणा दी। किसानों +को उनके खेत में और आसपास चेकडैम, तालाब आदि बनाने के +लिए वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान की गई। + +सामुदायिक प्रेरण और उनके सहयोग के लिए जल और स्वच्छता + +प्रबंधन संगठन के तहत, गैर सरकारी संगठनों के साथ भागीदारी की +गई थी। परिणामस्वरूप, बड़े पैमाने पर जल संसाधनों को मजबूत करने +और घरेलू अपशिष्ट जल के प्रबंधन के साथ-साथ जल आपूर्ति कार्य +को एक अभियान के रूप में शुरू किया गया। गैर सरकारी संगठनों + + + +चित्र 7 : पानी समिति द्वारा प्रशासनिक प्रक्रिया + +योजना, अप्रैल 2021 + +चित्र 8 : सामुदायिक जागरुकता कार्यक्रम + +47 + + +0048.txt +<----------------------------------------------------------------------> +पहले + + + + + + + + + + + +चित्र 9 : राणेज गांव, बनासकांठा में जल संरक्षण कार्यों की भंडारण क्षमता 5 लाख क्यूबिक फीट बढ़ाई गई + +की मदद से, सभी गांवों ने पेयजल सुरक्षा हासिल करने के लिए अपने +गांव की कार्ययोजना तैयार करना शुरू कर दिया। + +प्रत्येक गांव में पांच व्यक्तियों, विशेषकर महिलाओं को पानी +की गुणवत्ता का परीक्षण करने के लिए प्रशिक्षित किया गया। सरकार +ने पंचायती राज अधिनियम के तहत एक विशेष प्रस्ताव जारी किया। +जिसमें ग्राम पंचायत की उप-समिति के रूप में पानी समिति के +नाम से मशहूर ग्राम जल और स्वच्छता समिति बनाने का प्रावधान +किया गया। इस समिति में 10-15 सदस्य होते हैं जिनमें 50 प्रतिशत +महिलाएं और 25 प्रतिशत समाज के कमजोर वर्गों के प्रतिनिधि, +उनकी आबादी के अनुपात में होते हैं। + +ग्राम जल और स्वच्छता समिति/पानी समिति, गांवों में पेयजल +स्रोत प्रबंधन, पीने के पानी की आपूर्ति, घरेलू अपशिष्ट जल प्रबंधन +और संचालन तथा रखरखाव का आधार बन गई। इसके कारण +स्थानीय समुदाय के साथ गांव-स्तर पर जिम्मेदार और उत्तरदायी नेतृत्व +का विकास हुआ। वर्षा जल संचयन और जलदायी स्तर के कृत्रिम + +पुनर्भणण के लिए बडे पैमाने पर काम किया गया, ताकि स्थानीय जल +स्रोत पूरे वर्ष भर बने रहें। + +ग्राम जल और स्वच्छता समिति/पानी समिति ने हर घर से जल +वितरण शुल्क एकत्र करने का निर्णय लिया, ताकि जल आपूर्ति +प्रणालियों का संचालन और रखरखाव ठीक से हो सके। विशेष रूप +से सूखाग्रस्त उत्तरी गुजरात, सौराष्ट्र और कच्छ में पानी की बढ़ती +मांग को पूरा करने के लिए जल सुरक्षा सुनिश्चित करने के ae, +नर्मदा के पानी को नहर नेटवर्क की एक श्रृंखला के माध्यम से इन +क्षेत्रों में ले जाया गया। नर्मदा से बाढ़ के पानी को उत्तरी गुजगत और +सौराष्ट्र के जल की कमी वाले क्षेत्रों में अंतरित करने का एक अनूठा +तरीका अपनाया गया जिसमें नर्मदा मुख्य नहर के समानांतर, उत्तरी +तरफ 332 कि.मी. लंबी सुजलाम सुफलाम नहर का निर्माण किया +गया था। इससे भूजल पुनर्भरण में मदद मिली। + +जल संरक्षण अभियान के हिस्से के रूप में, लगभग 1.85 लाख +चेकडैम, 3.22 लाख खेत तालाब और बड़ी संख्या में बोरिबंध का + +4- + + + +योजना, अप्रैल 2021 + + +0049.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +[he + +(1 , नर्मदा नदी Tak fat | ty +| | बल्क लाईन पूरी o> eee छा +} + +ses rst or fei ts * + + + +गुजरात को जल सुरक्षा राज्य बनाने के लिए, +2018 में सुजलाम सुफलाम जल अभियान शुरू +किया गया, जिसके तहत तालाबों, नहरों, टेंकों +चेकडैम और जलाशयों की सफाई तथा गहरीकरण, +जल संग्रहण संरचनाओं की मरम्मत, वर्षा जल +संचयन संरचनाओं के निर्माण सहित जल संरक्षण +संबंधी कई कार्य किए गए। 41,000 से अधिक +जल भंडारण संरचनाओं के निर्माण के अलावा, +16,588 तालाबों को गहरा किया गया और 8,100 +चेकडैम से गाद हटाया गया। इससे 420 करोड़ +क्यूबिक फीट अतिरिक्त जल भंडारण क्षमता +उपलब्ध हुई। + +सूखाग्रस्त सौराष्ट्र क्षेत्र में जल सुरक्षा सुनिश्चित +करने के लिए, सोराष्ट्र नर्मदा अवतरण सिंचाई +— योजना शुरू की गई जिसके पूरा होने पर, मानसून + + + + + +चित्र 11 : गुजरात पेयजल आपूर्ति ग्रिड + +निर्माण खेतों में पानी देने के लिए किया गया था। राज्य में लगभग +31,500 तालाबों को गाद रहित और गहरा किया गया, 1,000 से +अधिक बावडियों को साफ किया गया और पुनर्जीवित कर उपयोग +में लाया गया। + +इन सभी प्रयासों के बावजूद, पानी की पर्याप्त मात्रा सुनिश्चित +करना, विशेष रूप से सूखे के वर्षों में एक चुनौती थी। पेयजल +सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, एक राज्यव्यापी पेयजल आपूर्ति ग्रिड +की योजना बनाई गई थी। इस परियोजना के तहत बड़ी मात्रा में +जल अंतरण के लिए 2,900 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन, 270 जल +उपचार संयंत्र, 350 बडे पंपिंग स्टेशन, 1,073 एलिवेटेड भंडारण +जलाशय और 1,883 भूजल भंडारण संरचनाएं बनाई गई हैं। यह ग्रिड +5 नगर निगमों और 106 नगर निकायों सहित 207 यूएलबी और +लगभग 14,000 गांवों को पेय जल उपलब्ध करा रहा है। + +पानी की आवश्यकता को पूरा करने के लिए, विशेष रूप से + +के दौरान, नर्मदा के अधिशेष जल को अंतरित +किया जाएगा और सौराष्ट्र के लगभग 115 जलाशयों में संग्रहीत किया +जाएगा। इस काम से सोराष्ट्र में 8.25 लाख एकड क्षेत्र को फायदा +होगा। यह योजना पूरा होने के अग्रिम चरण में है। +जनजातियों द्वारा बसाए गए दक्षिणी और पूर्वी गुजरात में, लघु +लिफ्ट सिंचाई योजनाओं को बड़े पैमाने पर शुरू किया गया है। +इससे जनजातीय समुदायों से संबंधित लगभग 3.50 लाख एकड +कृषि भूमि को सुनिश्चित सिंचाई मिलती है, जिससे उनकी आय +में सुधार होता है। +इस एकीकृत जल प्रबंधन दृष्टिकोण ने गुजरात को 70.80 लाख +हेक्टेयर की कुल सिंचाई क्षमता से 68.88 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि +की सिंचाई सुनिश्चित करने में मदद की। राज्य में कुल सिंचाई योग्य +क्षेत्र 2001 में 38.77 लाख हेक्टेयर से 77 प्रतिशत तक बढ़कर +68.68 लाख हेक्टेयर हो गया। उपयोग योग्य भूजल पुनर्भरण में +2002 की तुलना में, 2017 तक 50 प्रतिशत यानी लगभग 700 + + + +लवणता वाले भूजल क्षेत्रों में, विलवणीकरण +संयंत्र लगाए जा रहे हैं और अब तक, राज्य के +तटीय क्षेत्रों में 70 एमएलडी पानी का उत्पादन +करने वाले 4 ऐसे संयंत्र लगाए गए हैं। + +पानी के इस्तेमाल की आदतों में बदलाव, +जल संरक्षण और इसके विवेकपूर्ण उपयोग +को बढ़ावा देने के लिए माइक्रो सिंचाई को +बड़े पैमाने पर बढ़ावा दिया गया। 2005 में, +गुजरात ग्रीन रिवोल्यूशन कंपनी लिमिटेड की +स्थापना ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणालियों +को बढावा देकर कृषि क्षेत्र में जल के कम +उपयोग को बढ़ावा देने के लिए की गई थी। +तब से, 12.28 लाख किसानों ने कुल लागत +के 70 से 90 प्रतिशत तक की सब्सिडी +का लाभ उठाया है और इन माइक्रो सिंचाई +प्रणालियों के तहत 19.67 लाख हेक्टेयर कृषि + +अरब सागर + + + + + + + + + +भूमि को कवर किया गया हे। + +योजना, अप्रैल 2021 + +चित्र 12 : सॉनी योजना +49 + + +0050.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +चित्र 13 : घर पर नल से पानी भरती महिला + +एमसीएम/वर्ष की वृद्धि हुई। पूरे राज्य में भूजल तालिका में लगातार +सुधार हो रहा है। राज्य में 20 प्रतिशत यानी 19.48 लाख से अधिक, +बुवाई क्षेत्र माइक्रों सिंचाई के तहत आने से 12.28 लाख किसानों +को लाभ हो रहा है। राज्य में यूएलबी के 647 एमएलडी उपचारित +अपशिष्ट जल का उपयोग किया जाता है जो कुल ताजे पानी का +लगभग 17 प्रतिशत है। 2001 के बाद से, राज्य में कृषि उत्पादन में +255 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। +तालिका 2: 2002 और 2017 में राज्य के विभिन्‍न +हिस्सों में भूजल विकास का स्तर + +(संख्या, मूल्यांकन इकाइयों को डग्रित करती हे) + + + + + + + + + + + + + + + + + +श्रेणी 2002 2017 +अत्यधिक दोहन किए गए 30 25 +संकटमय 12 05 +अर्द्ध संकटमय 63 11 +सुरक्षित 104 194 +लवणीय 14 13 + + + + + + + +राज्य-व्यापी पेयजल ग्रिड के निर्माण के साथ, जल और स्वच्छता +प्रबंधन संगठन तथा बडे पैमाने पर जल संरक्षण अभियानों के माध्यम +से विकेन्द्रीकृत संवर्द्धन, मांग-संचालित, समुदाय-प्रबंधित पेयजल +आपूर्ति कार्यक्रम को बढ़ावा देने के साथ, राज्य में टैंकरों और रेलवे +रेक के माध्यम से पेय जल की ढुलाई बीते दिनों की बात हो गई है। +आज गुजरात में, 82 प्रतिशत से अधिक ग्रामीण घरों में नल के पानी +की आपूर्ति सुनिश्चित की गई है। प्रधानमंत्री के सबका साथ, सबका +विकास और सबका विश्वास के दर्शन का पालन करते हुए, कुल +18,191 गांवों में से 8214 में , हर घर नल जल की आपूर्ति हो रही + +50 + +है और यह सुनिश्चित किया जा जा रहा है कि एक भी घर पानी से +वंचित न रहे। ग्राम जल और स्वच्छता समितियां/पानी समितियां गांव में +पानी की आपूर्ति का प्रबंधन कर रही हैं और 76 प्रतिशत से अधिक +परिवार मासिक जल सेवा शुल्क का भुगतान कर रहे हैं। + +ग्राम जल और स्वच्छता समिति को 2018 में प्रधानमंत्री सिविल +सेवा पुरस्कार, 2009 में संयुक्त राष्ट्र लोक सेवा पुरस्कार और 2010 +में सीएपीएएम अंतर्राष्ट्रीय नवाचार पुरस्कार सहित कई सम्मान मिले हैं। + +गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की दूरदृष्टि के +अच्छे नतीजे सामने आए हैं और आज गुजरात में पानी की कमी +केवल पुरानी पीढ़ी की याद में है। गुणवत्ता और मात्रा के मामले में +पर्याप्त पानी सुनिश्चित करके, गुजरात दोहरे अंकों की वृद्धि के मार्ग +पर आगे बढ़ गया। इसके अलावा, अब महिलाओं और बच्चों को +पानी लाने के लिए लंबी दूरी तय करने की आवश्यकता नहीं। गुजरात +में इस एकीकृत दृष्टिकोण की सफलता ने 2019 में जल शक्ति +मंत्रालय के गठन को प्रेरित किया। इसने सभी के लिए जल सुरक्षा +हासिल करने और इसके संरक्षण के लिए सरकार को जल शक्ति +अभियान शुरू करने के लिए भी प्रेरित किया। 15 अगस्त 2019 को, +प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 2024 तक देश के प्रत्येक ग्रामीण घर +में नल जल आपूर्ति के लिए राज्यों के साथ भागीदारी से जल जीवन +मिशन लागू करने की घोषणा को। यदि सूखाग्रस्त गुजरात में जल +सुरक्षा हासिल की जा सकती है तो केंद्र सरकार द्वारा अपनाए जा रहे +एकीकृत और केंद्रित दृष्टिकोण से देश में जल सुरक्षा प्राप्त करना भी +संभव है। निस्संदेह इससे तीव्र सामाजिक-आर्थिक विकास तथा उच्च +आर्थिक विकास सुनिश्चित हो सकेगा। | +संदर्भ +1. डीओडब्ल्यूआर, आरडी एण्ड जीआर. भविष्य का मूल्यांकन जनसंख्या + +अनुमान पर आधारित a + +योजना, अप्रैल 2021 + + +0051.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +INSPIRING + +(@°VISIONIAS + +INNOVATION + + + +7 IN TOP 10 SELECTIONS IN CSE 2019 4_ <2८७८८०७८८ Congratulations + + + +from various programs of VISION IAS + +JATIN PRATIBHA VISHAKHA + + + +GANESH + +भी उपलब्ध + +www.visionias.in + +to all successful candidates + +Cy +—— + +ABHISHEK RAVI + + + + + + + + + +- सामग्री के साथ पूर्णतः: +रिवीजन करें + + + +लाइव/ऑनलाइन व ऑफलाइन कक्षाएं +SO el फाउंडेशन ++ कोई क्लास न छटे +a cau) रिकार्डेड क्लास्सेस, मिनी टेस्ट, फाउंडेशन कोर्स +©) + डेली असाइनमेंट और अध्ययन ३ + + + +PT 365 + +संपूर्ण वर्ष के करेंट अफेयर्स को +सिर्फ 60 घंटों में कवर करती +कक्षाओं से ऑनलाइन जुड़ें + + + + + + + + + +वन दू वन मार्गदर्शन + +किसी भी समय किसी भी +लोकेशन से विशेषज्ञों से सीधे +तौर पर जुड़ें + + + + + + + + + +अभ्यास ही सफलता +की चाबी है + +पव1$5101195 प्रारंभिक/मुख्य टेस्ट +सीरीज हर 3 में से 2 सफल ++ . उम्मीदवारों द्वारा चुना गया + + + +७ सामान्य अध्ययन 0 निबंध ७ दर्शनशास्त्र + + + +व्यक्तित्व परीक्षण कार्यक्रम +सिविल सेवा परीक्षा 2020 + +# शाअणा |8$ के वरिष्ठ संकाय सदस्यों के साथ +# . ०#+ विश्लेषण सेशन + +‘eo कै पूर्व-प्रशासनिक अधिकारियों / शिक्षाविदों के + +| साथ मॉक इंटरव्यू सेशन + + + + + + + +सभी द्वारा पढ़ी गई एवं +सभी द्वारा अनुशंसित + + + +iy VisionlAS hie etc + + + +° 1st Floor, Apsara Arcade, Near Metro Gate 6,1/8 B, Pusa Road, Karol Bagh + +DELHI , Contact : 8468022022, 9019066066 +JAIPUR | PUNE | HYDERABAD | LUCKNOW | AHMEDABAD | CHANDIGARH | GUWAHATI +9001949244 " 8007500096 " 9000104133 " 8468022022 ' 9909447040 8468022022 8468022022 + + + +5 अफेयर्स पत्रिका + + + + + +योजना, अप्रैल 2021 + +51 + +YH-1564/2021 + + +0052.txt +<----------------------------------------------------------------------> +परिवर्तन + +जल तक पहुंच , शिक्षा और अवसरों का खजाना + +डॉ यास्मीन अली हक + +भारत सरकार और राज्य सरकारों के सुनियोजित प्रयासों के कारण जल जीवन मिशन के तहत 3.71 करोड़ +ग्रामीण परिवारों को नल से पानी देने के कनेक्शन दिए जा चुके हैं। परिणामस्वरूप, देश के 6.95 करोड़ +( 36.3 प्रतिशत ) ग्रामीण घरों तक पेयजल की पहुंच सुनिश्चित हुई है। इससे, जल जीवन मिशन के अंतर्गत +कार्य की रफ्तार और स्तर तथा सरकार की प्रतिबद्धता का पता चलता है। + +श॒ भर में सरकारी अधिकारी, +a अध्यापक वर्ग और अभिभावक +विमर्श कर रहे हैं कि कैसे + +स्कूलों को पुनः: खोलकर उन्हें कोविड-19 की +पहुंच से दूर रखा जाए। इस संबंध में बच्चों +को स्कूलों में मास्क पहनने की नई पहल के +साथ सामंजस्य बैठाना होगा और पानी और +साबुन से लगातार हाथ धोना भी जरूरी होगा, +जिसका अभ्यास गत वर्ष भी बेहद जरूरी रहा। + +इस संबंध में शौचालयों में जल की निरंतर +व्यवस्था से न केवल बच्चों की स्वच्छता +सुनिश्चित होगी बल्कि रजोधर्म के दिलों में +किशोर कन्याओं और अध्यापिकाओं को भी +स्कूलों से दूर न रहने की प्रेरणा मिलेगी। + +दरअसल, स्कूल और आंगनवाड़ी केंद्र +बच्चों के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते +हैं और यह शिक्षा एवं सामाजीकरण के +महत्वपूर्ण स्थल होते हैं। आखिर, यही वह +क्षेत्र हैं जहां बच्चे सकारात्मक और स्वस्थ +आचार-व्यवहार सीखते हैं जबकि माताओं को +यहां देखभाल और अभिभावकत्व से जुड़ी +योग्यता के गुर सीखने को मिलते हैं। इसलिए, +उक्त सुविधाओं के अभाव में स्वच्छता और +आरोग्यता से जुड़ी बुनियादी आदतों को नहीं +सिखाया जा सकता। और कहना ना होगा +कि सफाई कर्मियों को संक्रमण रोकथाम और +नियंत्रण उपायों को अमल में लाना बेहद जरूरी +होता है। + +भारत में कोविड-19 महामारी के +आगमन से पहले, स्कूल और आंगनवाड़ी + + + +केंद्र पानी की लगातार सप्लाई की कमी झेल +रहे थे। इनमें भी, पिछड़े समुदायों और क्षेत्रों +की हालत अधिक खराब थी। 2019 में लोक +सभा में प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार 160,000 +आंगनवाडी केंद्रों में पानी की कमी थी और +दूर-दराज के समुदायों में भी भारी किल्लत +थी। पानी और स्वच्छता की कीमत के संबंध +में जल प्राप्ति और स्वच्छता पर किए जाने +वाले प्रत्येक डॉलर निवेश के बदले, स्वास्थ्य +और उत्पादन मूल्य से औसतन 6.80 डॉलर +का लाभ प्राप्त होता है। कुछ अन्य अध्ययनों +के अनुसार, पानी तक पहुंच के कारण +विद्यार्थियों, विशेषकर बालिकाओं की स्कूली +अनुपस्थिति में भी कमी देखी गई है। + +2019 में शुरू किए गए जल जीवन +मिशन (जेजेएम) का लक्ष्य 2024 तक प्रत्येक +ग्रामीण घर को पाइप के जरिए पानी की +सप्लाई मुहैया कराने का है। इसके अलावा, +जल के सतत इस्तेमाल में निवेश की उम्मीद +के साथ-साथ महिलाओं एवं बालिकाओं का +समय बचाने का भी लक्ष्य इससे जुड़ा है जिन्हें +पानी के लिए घरों से दूर जाना पड़ता है। + +भारत सरकार और राज्य सरकारों के +सुनियोजित प्रयासों के कारण जलजीवन +मिशन के तहत 3.71 करोड़ ग्रामीण +परिवारों को नल से पानी देने के कनेक्शन +दिए जा चुके हैं। परिणामस्वरूप, देश के +6.95 करोड़ (36.3 प्रतिशत) ग्रामीण घरों तक + + + +लेखिका भारत के लिए यूनिसेफ की प्रतिनिधि हैं। ईमेल: जाब्रव॒प०छेपाएंएर्णा.ण९ + +52 + +योजना, अप्रैल 2021 + + +0053.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +पेयजल की पहुंच सुनिश्चित हुई है। इससे, +जल जीवन मिशन के अंतर्गत कार्य की रफ्तार +और स्तर तथा सरकार की प्रतिबद्धता का पता +चलता है। + +महामारी के कारण बंद होने पर स्कूलों +और आंगनवाडियों तक पानी न पहुंचने के +स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर को देखते हुए +सरकार ने 100 दिवसीय अभियान की शुरुआत +की। अभियान के अंतर्गत राज्यों और केंद्रशासित +प्रदेशों को दूर-दराज तथा अब तक उपेक्षित रहे +क्षेत्रों के स्कूलों और आंगनवाडियों तक पाइप +के जरिए पानी सप्लाई को प्राथमिकता देने का +अधिकार दिया गया। + +प्रधानमंत्री सहित सरकार के उच्चतम +स्तर के नेतृत्व और प्रतिबद्धता के कारण +ही इस अभियान को व्यापक सफलता प्राप्त +हुई। अभियान की आधार-रेखा के मुताबिक, +छह राज्यों ने 100 प्रतिशत स्कूलों को और +अन्य पांच राज्यों ने अपने यहां 90 प्रतिशत +स्कूलों को सुविधा उपलब्ध कराई। इसका +अधिकांश श्रेय योजना की सम्मिलित और +समावेशी प्रकृति को जाता है, जिसने इसे आगे +बढ़ाया। अनेक सरकारी मंत्रालयों एवं विभागों +ने एकजुट होकर कर्मियों को प्रशिक्षित करने + +योजना, अप्रैल 2021 + +का बीडा उठाया, जिन्होंने स्थानीय समुदायों के +साथ ऐसे संस्थानों को चिह्नित किया जिनकी +जरूरत सबसे अधिक थी। + +अभियान के अंतर्गत महिलाओं को +केवल लाभान्वित ही नहीं बल्कि समस्या +निवारक, स्वयंसेवी समूहों की कार्यकर्ता, +अध्यापक और आंगनवाड़ी कर्मी के तौर पर +देखा जाता है, जिन्होंने समुदायों को पाइप + +अभियान के अंतर्गत महिलाओं +को केवल लाभान्वित ही नहीं +बल्कि समस्या निवारक, स्वयंसेवी +समूहों की कार्यकर्ता, अध्यापक +और आंगनवाड़ी कर्मी के तौर +पर देखा जाता है, जिन्होंने अपने +समुदायों को पाइप जल सप्लाई से +जुड़े सूचना प्रसार की महत्वपूर्ण +जिम्मेदारी उठाई। वहीं स्कूल प्रबंधक +समितियां और बच्चे पानी की सभी +तक पहुंच सुनिश्चित करने वाले +वाहक साबित हुए। + + + +1, +ele te A +से पानी की सप्लाई से जुड़े सूचना प्रसार +की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी उठाई। वहीं स्कूल +प्रबंधक समितियां और बच्चे पानी की सभी +तक पहुंच सुनिश्चित करने वाले वाहक +साबित हुए। +इस अभियान में यूनिसेफ दोनों केंद्र एवं +राज्य सरकारों का सहभागी रहा और सभी के +लिए पेयजल और स्वच्छता उपलब्ध कराने +के लक्ष्य प्राप्ति में साथी रहा है। इस कार्य से +भारत सतत विकास लक्ष्य-6 प्राप्ति के मार्ग +पर चल पड़ा है और वहीं बेहतर स्रोत प्रबंधन +और सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान +के सहारे अन्य लक्ष्य प्राप्ति पर भी कार्य चल +रहा है। अभियान को अमल में लाने के लिए, +इसके आरंभिक चरण में सीमित गतिशीलता +के समय स्कूलों और आंगनवाडियों में जल +सप्लाई डेटा प्राप्त करना चुनौतीपूर्ण कार्य था। +इसके लिए, यूनिसेफ ने ग्रामीण जल वितरण +विभाग, शिक्षा, महिला एवं बाल विकास +विभाग के प्रमुख एवं प्रधान सचिवों से इस +संबंध में अमलीकरण की प्राथमिकता तय +करने को कहा। यूनिसेफ ने विभिन्‍न लाइन +विभागों के बीच डेटा शेयर कर राज्यों को +सहयोग दिया, जल सप्लाई स्रोतों के आधार + +53 + + +0054.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +नल से पानी +की सप्लाई +वाले स्कूल + +>,45,442 + + + +भारत । स्कूलों/आंगनवाड़ियोंग्रामपंचायतों/सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र इत्यादि में नल से पानी की आपूर्ति + +नल से पानी +की सप्लाई वाले +आंगनवाड़ी केंद्र + +4,88,88 1 + +नल से पानी की +सप्लाई वाली ग्राम +पंचायत/सामुदायिक +स्वास्थ्य केंद्र + +1,15,357 + + + + + +पर स्कूलों और आंगनवाडियों को पाटने +की योजनाएं विकसित कीं, साथ ही इसमें +सौर-ऊर्जा जैसी संधारणीय तकनीकों की +मदद से पानी को ऊपरी टैंकों तक पहुंचाने +में राज्यों की मदद करना जिससे क्षेत्र-विशेष +के प्रगति कार्य को बल मिले और प्रगति पर +सतत निगाह रखने जैसे कार्य शामिल थे। +राजनीतिक पहल, लोक वित्त, विभिन्‍न +साझीदारों से सहयोग और आमजन की +सहभागिता के दम पर सरकार ने व्यापक +परिवर्तन के लिए सफलता का मंत्र प्राप्त किया +है। देश भर में 20 लाख आंगनवाड़ी कर्मियों + +और 52 लाख शिक्षकों के इस अभियान से +जुड़ने के साथ, हमारे बच्चों के सामने सीखने +के लिए अनंत विस्तार बिखरा है। + +लिहाजा, जल जीवन मिशन केवल पेयजल +उपलब्धता प्रदान करने वाला ही नहीं, बल्कि +कार्यस्थल और अर्थव्यवस्था में महिलाओं की +सहभागिता बढ़ाने वाला अभियान है, जिसके +आधार पर उन्हें उनकी महत्वाकांक्षाएं पूर्ण करने +के लिए अधिक समय मिलता है। अभियान +के आधार पर किशोर बालिकाओं को शिक्षा +के साथ-साथ रजोधर्म स्वच्छता प्रबंधन में भी +मदद मिलती है। इसके आधार पर हमारे सभी + +कार्यों में स्वच्छक और आरोग्यता को बढ़ावा +और बच्चों को घर और बाहर सुरक्षित रखने में +सहायता मिलती है। + +लाखों लोगों और विशेषकर महिलाओं और +बालिकाओं के जीवन में जल की सहभागिता +को बढ़ाकर, उन्हें लगातार स्कूल भेजना, +अध्यापिकाओं की कम अनुपस्थिति सुनिश्चित +करना और उन्हें नए आरोग्य अभ्यास सिखाकर +बीमारियों से दूर रखा जा सकता है। यदि हम +भारत को अधिकाधिक शक्ति संपन्‍न बनते +हुए देखना चाहते हैं तो पानी की आपूर्ति को +प्राथमिकता देनी होगी। हा + + + + + + + + + + +aa + +i + +Yen 74 पंरियांए +प्राज््याण मग्नाज्नय + + + +Ay ele us tn +_. A help you + + + + + + + + + +Seen les, हज अब था, कोपिड-19 हीकाकाण अभियान + +| wma + + + + + +end eqean at Faw +बीकाचक्राएफज के शा +ग्गीं पाँच सासद्यासियों + +ere ec | खरतौं। en एं। ग्रयान + + + +54 + +cS Help!ing No.: 4075 (Tollfree) 3 mottegovin + +A) OG® @, + +ath a Rarer eer ही + +कलाम eer [ 1 बा) इनक: निंरुण्णे गा + +पा मे हा a ete of eer + +7 += ote ot + +¥ GMoKF Hina + +aaa + +SS MOE RY INA + + + + +Peiaies ea Eg +है, “71 ली + + + + +are ork er +7pm ore are + + + +3] Cpr नए ज Qi wontons + +योजना, अप्रैल 2021 + + +0055.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + + + +गांधी साहित्य +के अग्रणी प्रकाशक + +कम + +wage oft + + + + + + + + + +—_- + +eGo | BRGT TH +&: + + + + + +agg +[11.1 :-- +Fe +aa ! ‘ ——— +unis as है 1 +. i wees +$i +wtb cy asp td +Ant ‘ee | +wet wl | +: ‘ el =r +1 है | + + + + + + +WORKS +oa +MAHATMA +1 | G +चाडूजरा ANIDEIT +l +हज ie | + +प्रकाशन विभाग + +सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार +सूचना भवन, सी जी ओ कॉम्प्लेक्स, लोधी रोड, नई दिल्‍ली -110003 +ऑर्डर के लिए संपर्क करें : +फोन : 011-24367260, ई-मेल : businesswng@gmail.com +हमारी पुस्तकें ऑनलाइन खरीदने के लिए grat www.bharatkosh.gov.in ax Ig | +चुनिंदा ई-बुक एमेज़ॉन और गूगल प्ले पर उपलब्ध | +वेबसाइट : www.publicationsdivision.nic.in + +फॉलो करें +[w| @ DPD_India + + + + + +योजना, अप्रैल 2021 + + + +55 + + + + +0056.txt +<----------------------------------------------------------------------> +सुरक्षित, पर्याप्त और स्थायी पेयजल + +डॉ रोडेरिको एच ऑफरीन + +हमें ग्रामीण आबादी को सुरक्षित और पर्याप्त पानी उपलब्ध कराने में समुदायों सहित विभिन्न हितधारकों को +शामिल करने के लिए प्रभावी रणनीति विकसित करने की आवश्यकता है। साथ ही इसकी स्थिरता सुनिश्चित +करना भी महत्वपूर्ण है। पानी को केवल एक इंजीनियरिंग का मुद्दा ही नहीं बल्कि इसे स्वास्थ्य का मुद्दा +बनाने के लिए पुनर्विच्चार और फिर से रणनीति बनाने की तत्काल आवश्यकता है ताकि जल प्रणालियों का +प्रबंधन करने और प्रतिक्रियात्मक कार्यों से दूर रहने के लिए सक्रिय तरीके सामने आ सके। + +78 में प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल पर अल्मा-अता +घोषणा ने 2000 तक 'हेल्‍थ फॉर ऑल' लक्ष्यों को + +प्राप्त करने के लिए आवश्यक सुरक्षित पानी और +बुनियादी स्वच्छता की उपलब्धता की पहचान की थी। यद्यपि कई देश +ने इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को अभी तक हासिल नहीं कर पाए हैं। सतत +विकास लक्ष्य (एसडीजी) 6 के तहत तय उद्देश्यों के बावजूद भी +पानी, स्वच्छता जैसे मुद्दे अंतर्राष्ट्रीय एजेंडे पर अभी भी प्रभावी रहे हैं। +लक्ष्य 6.1 का उद्देश्य सभी के लिए सुरक्षित और सस्ते पीने के पानी +के लिए न्यायसंगत, सार्वभीमिक और समान रूप से व्यवस्था करना है। +प्रत्यक्ष प्रभाव के कारण, देशों ने स्वास्थ्य संबंधित सतत विकास लक्ष्य + +के तहत पानी के स्वास्थ्य पर असर के लिए दो लक्ष्य रखे हैं, अर्थात्‌ + +प्रथम 2030 (3.3) से जल-जनित रोगों से निपटने के लिए; और दूसरा +जल प्रदूषण और प्रदूषण (3.9) से मौतों और बीमारियों की संख्या को +काफी हद तक कम करना है। + +जल जीवनदायी है, फिर भी यह रोगजनकों +और विषैले रसायनों का वाहक है, जिसका सेवन +करने से बीमारियां और मौतें होती हैं। डायरिया +रोग, हैजा, टाइफाइड, पोलियो, हेपेटाइटिस ए +तथा ई जैसे जल जनित रोग हैं। पानी व्यक्तिगत +स्वच्छता के लिए आवश्यक है जिसमें हाथ +की सफाई आदि का ध्यान रखा जाता है जो +श्वसन रोगों और ट्रेकोमा के प्रसार को रोकने में +महत्वपूर्ण कारक हैं जिन्हें भारत में समाप्त किया +जाना बाकी है। कोविड-19 महामारी ने पानी के +लक्ष्यों में तेजी लाने की आवश्यकता को उजागर +किया है। सामाजिक और स्वास्थ्य सुविधाओं के +लिए नियमित रूप से साबुन से हाथ धोने से +इस महामारी के निवारण में एक प्रमुख उपचार + +के साधन के रूप में स्वीकृत हुआ है। कई रोग वाहक जो लसीका +'फाइलेरिया, डेंगू, मलेरिया, जापानी एन्सेफलाइटिस, आदि जैसे रोगों +को जल निकायों में प्रजनन करते हैं। लिम्फेडेमा रोगियों (लसीका +'फाइलेरिया) के लिए रुग्णता प्रबंधन और विकलांगता की रोकथाम +के लिए पानी आवश्यक है। भारत में आठ अत्यधिक प्रभावित राज्यों +में लगभग 396 ,000 लिम्फेडेमा रोगी हैं, जिन्हें अपने प्रभावित पैरों +को साफ रखने और आगे उसे निरोधित करने लिए घर में पानी की +आवश्यकता होती है। आर्सेनिक और फ्लोराइड प्रभावित क्षेत्रों में, पीने +का पानी लोगों को इन रसायनों के संपर्क में ला सकता है और लंबे +समय तक संपर्क में रहने से आर्सेनिकोसिस और फ्लोरोसिस हो सकता +है। इसके अलावा, सुरक्षित पेयजल का बच्चों की पोषण स्थिति पर +सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और यह घरेलू आर्थिक नुकसान को +रोकता है और देश की समग्र अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित करता है। + + + + + +लेखक विश्व स्वास्थ्य संगठन के कंट्री डायरेक्टर हैं। ईमेल: छामंग्रतंब'्घेफ्र10.17 + +56 + +योजना, अप्रैल 2021 + + +0057.txt +<----------------------------------------------------------------------> +पानी की गुणवत्ता के मापदंड + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +क्र. | विशेषता इकाई आवश्यकता बैकल्पित स्रोत के अभाव में +अनुकेय सीमा + +1. | पीएच वैल्यू मिलीग्राम/लीटर 6.5-8.5 कोई ढील नहीं + +2. | पूर्णतः: घुलनशील ठोस एनटीयू 500 2,000 + +3. | गंदगी मिलीग्राम/लीटर 1 5 + +4. | eines मिलीग्राम/लीटर 250 1,000 + +5. | कूल क्षारीयता मिलीग्राम/लीटर 200 loo कझ + +6. | जल की कुल कठोरता मिलीग्राम/लीटर 200 loo कझ + +7. | सल्फेट मिलीग्राम/लीटर 200 400 + +is. | आयरन मिलीग्राम/लीटर 1.0 कोई ढील नहीं + +9. | कुल आर्सेनिक मिलीग्राम/लीटर 0.01 कोई ढील नहीं + +10. | फ्लोराइड मिलीग्राम/लीटर 1.0 1.5 + +11. |नाइट्रेट मिलीग्राम/लीटर 45 कोई ढील नहीं + +12. | कुल कोलीफार्म बैक्टीरिया किसी भी 100 मि.ली. नमूने में पता नहीं लगाया जा सकता + +13. |ईकोलि या थर्मोटॉलरेंट कोलीफॉर्म बैक्टीरिया |किसी भी 100 मि.ली. नमूने में पता नहीं लगाया जा सकता + + + + + + + +पीने के पानी में भारत की उपलब्धि + +भारत सरकार ने अपने लोगों को पीने का पानी उपलब्ध कराने में +जबरदस्त प्रगति की है। 2019 तक, आबादी के 93 प्रतिशत' से +अधिक लोगों को बुनियादी पीने के पानी को पहुंचाने में सफलता +प्राप्त की है। स्वच्छ भारत अभियान के सफल कार्यान्वयन के बाद, + +सरकार ने अपने जल जीवन मिशन के माध्यम +से 2024 तक ग्रामीण क्षेत्रों में 806 से छह +साल आगे हर घर को सुरक्षित और पर्याप्त +पानी उपलब्ध कराने के लिए जो एक नया +मिशन शुरू किया है, जो अति सराहनीय हेै। +राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति-2017 जो केवल सुरक्षित +पेयजल और स्वच्छता को एक क्रॉस-सेक्टोरल +लक्ष्य के रूप में ही पहचानी नहीं जाती +है अपितु पानी और स्वच्छता से संबंधित +बीमारियों को खत्म करने की आवश्यकताओं +पर Wt aa edt SP + +Tal SAR @ fH 15 3m, 2019 +को अपनी शुरुआत के बाद से जल जीवन +मिशन के तहत 37 मिलियन से अधिक ग्रामीण +परिवारों को घरेलू नल का जल कनेक्शन प्रदान +किया है। ग्रामीण स्तर पर पानी की आपूर्ति की +प्रगति की निगरानी के लिए एक वास्तविक +समय (रीयल टाइम) डैशबोर्ड विकसित किया +गया है जो आज भी सक्रिय है। इस सक्रियता +का वातावरण और नई प्रतिबद्धता एक सुदूर +गांव में अंतिम घर तक सुरक्षित और पर्याप्त +पानी पहुंचाने के लिए एक नये परिवर्तन की + +योजना, अप्रैल 2021 + +क्षमताएं विकसित करती है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस + +ऐसा अनुमान है कि 15 अगस्त, +2019 को अपनी शुरुआत के बाद +से जल जीवन मिशन 37 मिलियन +से अधिक ग्रामीण परिवारों को +घरेलू नल का जल कनेक्शन प्रदान +किया है, जो कि लगभग 20 +प्रतिशत ग्रामीण घरों में है। मिशन +ने 0.5 मिलियन ग्रामीण स्कूलों +और 0.45 मिलियन शुरुआती +बाल विकास केंद्रों को सुरक्षित +पानी प्रदान करने के लिए एक +अभियान शुरू किया है। ग्रामीण +स्तर पर पानी की आपूर्ति की +प्रगति की निगरानी के लिए +वास्तविक समय (रीयल टाइम ) +का डैशबोर्ड विकसित किया गया +है जो आज भी सक्रिय है। + +तरह की प्रतिबद्धताओं के कारण समाज के कमजोर तबके को पानी +से संबंधित बीमारियों से बचाने में मदद मिलेगी और साथ ही पानी +संग्रह करके रखने के अथाह परिश्रम से भी मुक्ति मिलेगी, जो कि +मुख्य रूप से महिलाओं और लड़कियों को करना पड़ता है। लड़कियों + +के पास पढ़ाई के लिए अधिक समय बच +सकेगा और महिलाओं के पास उनके बच्चों +की देखभाल तथा अन्य गतिविधियों के लिए +भी अधिक समय मिल सकेगा। + +हमें ग्रामीण आबादी को सुरक्षित और +पर्याप्त पानी उपलब्ध कराने में समुदायों +सहित विभिन्न हितधारकों को शामिल करने +के लिए प्रभावी रणनीति विकसित करने +की आवश्यकता है। साथ ही इसकी स्थिरता +सुनिश्चित करना भी महत्वपूर्ण है। पानी को +केवल एक इंजीनियरिंग का मुद्दा ही नहीं +बल्कि इसे स्वास्थ्य का मुद्दा बनाने के लिए +Tita si फिर से रणनीति बनाने की +तत्काल आवश्यकता है ताकि जल प्रणालियों +का प्रबंधन करने और प्रतिक्रियात्मक कार्यों +से दूर रहने के लिए सक्रिय तरीके सामने +आ सके। जिसके लिए हम निम्नलिखित का +प्रस्ताव करते हैं; +अभिसरण: स्वास्थ्य और जल + +गांवों/प्रखंडों में पानी की योजनाओं को +प्राथमिकता दें, जहां पानी से संबंधित बीमारी +की घटनाएं (डायरियल, मिट्टी से संक्रमित + +57 + + +0058.txt +<----------------------------------------------------------------------> +हेल्मिन्थ्स, लसीका फाइलेरिया, काला अजार +आदि) अधिक है। इसके लिए स्वास्थ्य +क्षेत्र के साथ काम करने की आवश्यकता +होगी ताकि आम स्वास्थ्य-आधारित लक्ष्यों +की पहचान की जा सके और संयुक्त रूप +से सहमत लक्ष्य क्षेत्रों के लिए कार्यान्वयन +योजना विकसित की जा सके। इसे मूलभूत +रूप से राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा वार्षिक +कार्यक्रम कार्यान्वयन योजनाओं को विकसित +करने के लिए बाध्य किया जा सकता है। + +प्राथमिकताएं इस प्रकार से हो जो कि +प्रगतिशील भी हो तथा साथ ही डेटा निगरानी +और जल उपयोग या सेवा स्तरों के क्षेत्र +निगरानी का मूल्यांकन डब्ल्यूएचओ और +यूनिसेफ के संयुक्त मोनिटरिंग कार्यक्रमों के +तहत जल आपूर्ति, स्वच्छता के सतत विकास +लक्ष्य 6.1 जिसमें “सुरक्षित रूप से प्रबंधित! +अथवा जल सेवाओं के तत्व जैसे गुणवत्ता, पहुंच और उपलब्धता भी +सम्मिलित हो, उसे सुनिश्चित कर सकें। ऐसा करने के लिए, निगरानी +क्षमता को मजबूत किया जाना चाहिए। + +जल सुरक्षा योजना के सिद्धांत के साथ एक व्यवस्थित जोखिम +मूल्यांकन और जोखिम प्रबंधन दृष्टिकोण पेश करके जल योजनाओं के +वर्तमान संचालन और प्रबंधन को मजबूत करें, जो कि पीने के पानी +की गुणवत्ता के लिए डब्ल्यूएचओ के अनुसार दिशानिर्देशों की केंद्रीय +सिफारिश है। यह दृष्टिकोण पानी की मात्रा और गुणवत्ता के लिए +जोखिम की पहचान करेगा, ताकि जब वे सामने आए तो समस्याओं +को ठीक करने की पारंपरिक प्रणाली के विपरीत सुधारात्मक कार्रवाई + + + + + +जलजीवन मिशन के 1 +अंतर्गत लगभग 3 करोड़ +नये कनेक्शनों की व्यवस्था + +& + + + +आजूदी के बाद से अगस्त 2019 तक 3.23 करोड़ ग्रामीण +घरों में नलों का कनेक्शन था, लेकिन एक साल के अंतराल में +3.04 करोड़ नये कनेक्शन जोड़े गए। + +गोबा शत प्रतिशत पाइप कनेक्शन प्रदान करने वाला पहला राज्य +है। अब तक 27 जिलों, 35,516 ग्राम पंचायतों और 66 210 +गांवों ने 'हर घर जल' की सुविधा प्राप्त की है। + +बिहार, तेलंगाना, पुहुच्चेरी और अंडमान निकोवार में शत +प्रतिशत कवरेज करने की संभावना है। + + + + + + + + + +58 + +सुरक्षित पानी बीमारियों को +रोकने और पोलियो जैसी +बीमारियों के उन्मूलन की +स्थिति को बनाए रखने के +लिए महत्वपूर्ण है। पानी और +स्वास्थ्य के बीच का संबंध +स्पष्ट है। हालांकि, हम आम तौर +पर अलगाव में काम करते हैं। +इसलिए, जल जीवन मिशन से +अधिकतम स्वास्थ्य लाभ के लिए +स्वास्थ्य के साथ जुड़कर काम +करने के तरीके को बदलने की +तत्काल आवश्यकता है। + +को सक्षम किया जा सके। इसमें समुदाय और +स्थानीय सरकार की भागीदारी महत्वपूर्ण है। +इस दृष्टिकोण पर राष्ट्रीय और राज्य/केन्द्र शासित +प्रदेशों के मास्टर प्रशिक्षकों का विकास इस +दिशा में पहला कदम होगा। + +पीने के पानी के गुणवत्ता की निगरानी +एक ऐसी स्वतंत्र संस्था द्वारा विकसित की +जानी चाहिए जो पानी की सेवाओं के प्रावधानों +से प्रभावित हो। यह सत्यापन के रूप में कार्य +करेगा कि जल प्रणालियां सुरक्षित पानी की +आपूर्ति कर रही हें। प्रत्येक राज्य/केंद्रशासित +प्रदेश में पानी की गुणवत्ता या पीएचईडी द्वारा +पानी की गुणवत्ता की परिचालन निगरानी की +जा सकती है। जल गुणवत्ता और उपलब्धता +पर प्रमुख मापदंडों को शामिल करने के लिए +वर्तमान डैशबोर्ड का विस्तार करने से जल +जीवन मिशन की समग्र उपलब्धि को समझने +में मदद मिलेगी। + +पानी की गुणवत्ता निगरानी प्रणाली एक विशेष क्षेत्र में पानी की +गुणवत्ता के रुझान पर डेटा विश्लेषण के लिए काम करेगी; इसे पानी +से संबंधित बीमारियों के विश्लेषण और नीतिगत कार्रवाई करने के +लिए सबूत का उपयोग करने के लिए रोग निगरानी प्रणाली से भी +जोड़ा जा सकता है। + +सुरक्षित पानी बीमारियों को रोकने और पोलियो जैसी बीमारियों +के उन्मूलन की स्थिति को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। पानी +और स्वास्थ्य के बीच का संबंध स्पष्ट है। हालांकि, हम आम तौर पर +अलगाव में काम करते हैं। इसलिए, जल जीवन मिशन से अधिकतम +स्वास्थ्य लाभ के लिए स्वास्थ्य के साथ जुड़कर काम करने के +तरीके को बदलने की तत्काल आवश्यकता है। जल क्षेत्र का लक्ष्य +जल प्रणालियों और नलों का निर्माण करना होगा, लेकिन यदि नल +सुरक्षित पानी नहीं देते और खास तौर पर तब पानी नहीं देते जब +जरूरत हो तो योजनाओं का संपूर्ण महत्व ही समाप्त हो जाएगा। अत: +पेयजल की सुरक्षा, उपलब्धता और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए +समुदाय और स्थानीय सरकार की भागीदारी के साथ पानी के लिए +स्वास्थ्य आधारित लक्ष्य रखने और सक्रिय और निवारक दृष्टिकोण +की आवश्यकता है। + +स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के दो स्तंभों के साथ सरकार का +आयुष्मान भारत कार्यक्रम 500 मिलियन गरीब और कमजोर आबादी +तक पहुंचता है और 150,000 स्वास्थ्य और कल्याण केद्रों की +स्थापना करता है, स्वच्छ भारत 2.0, आत्मनिर्भर भारत पर नया +अभियान और जल जीवन मिशन भारत में पहल कर रहा हे स्वास्थ्य +और पानी के लिए सतत विकास लक्ष्य प्राप्त करने के लिए यह +एक लाभप्रद स्थिति में डालता है। = +संदर्भ +1. डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ की संयुक्त निगरानी रिपोर्ट, 2019 - घरेलू + +पेयजल, स्वच्छता और स्वच्छता पर प्रगति। 2000-2017 + +2, 2017 राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति +3... https://ejalshakti.gov.in/jjmreport/JJMIndia.aspx + +योजना, अप्रैल 2021 + + +0059.txt +<----------------------------------------------------------------------> +सुनिश्चित जलापूर्ति के लिए तकनीकी नवाचार + +प्रदीप सिंह +सिद्धांत मस्सन + +क्रियान्वयन के दौरान पारदर्शिता, उत्तरदायित्व और जनता के धन की विवेकपूर्ण व्यय की आवश्यकता है +जबकि इसकी गति और पैमाना को ग्रामीण स्तर पर “निगरानी डैशबोर्ड' के माध्यम से सुनिश्चित किया +जा रहा है। प्रत्येक योजना की जानकारी को जल जीवन मिशन - एकीकृत प्रबंध प्रणाली ( सेंट्ल जेजेएम +इंटिगरेटेड मैनेजमेंट इन्फॉरमेशन सिस्टम ) में संग्रहित किया जा रहा है, जिसमें लागत का विवरण, आधारभूत +संरचना तथा गांब के प्रत्येक घर के जल-गस्रोतों का विवरण दिया जा रहा है। + +'फफ पीने योग्य पानी एक बुनियादी आवश्यकता है। +किसी भी समाज के अस्तित्व के लिए यह मूलभूत +आवश्यकता है। नेशनल सैंपल सर्वे (एनएसएस) यानी +राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय के 76वें चरण की रिपोर्ट के अनुसार +ग्रामीण क्षेत्रों के लगभग 87.6 प्रतिशत घरों में, शहरी क्षेत्रों के करीब +90.9 प्रतिशत घरों में तथा कुल मिलाकर लगभग 88.7 प्रतिशत घरों +में प्राथमिक स्रोतों के माध्यम से साल भर पीने योग्य पानी आता हेै। +ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 94.5 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में लगभग +95.5 प्रतिशत परिवारों ने पेय जल के उन्नत स्रोतों का प्रयोग किया है। +इसी समय में वर्ष 2001 और 2011 में प्रति व्यक्ति जल की +वार्षिक औसत उपलब्धता HAM: 1816 घन मीटर और 1,545 घन +मीटर आंका गया था, जो कि वर्ष 2021 और 2031 में घटकर क्रमशः +1,486 घन मीटर और 19367 घन मीटर रह जा +जाएगा। इस प्रकार अब वो समय आ गया है जब +हमें जल को पीने के लिए संरक्षित करके रखना . +चाहिये नहीं तो आगे चलकर पेय जल का संरक्षण +हमें मजबूरी में करना ही पडेगा। हमें इस प्रकार +की व्यवस्था करनी चाहिये कि पीने का पानी हमारे +समाज के स्वास्थ्य और इसके विकास में रुकावट +न बने। इन आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए +भारत सरकार ने वर्ष 2019 में जल जीवन मिशन +की घोषणा की थी, जिसका उद्देश्य वर्ष 2024 तक +गांव के सभी घरों में नल के माध्यम से (फंक्शनल +हाऊसहोल्ड टैप वाटर कनेक्शन - एफएचटीसी) +पानी उपलब्ध कराया जाएगा। +गांवों में लम्बी अवधि तक जल के वितरण +के लिए आधारभूत संरचना विकसित करने के लिए शििनिर + +i +॥ +i +i +iH + +4 + + + +3.60 लाख करोड़ का निवेश किया जा रहा है, जिसमें देशभर के +6 लाख से ज्यादा गांवों को जल - जीवन मिशन के तहत समयबद्ध +तरीके से बहुत ही विशिष्ट परिमाण में कम से कम 55 लीटर +प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन जल, 10500:2012 बीआईएस - भारतीय मानक +ब्यूरो के मापदंडों की गुणवत्ता के अनुसार नियमित और लंबे समय +तक उपलब्ध कराने के उद्देश्य से किया जा रहा है। ग्रामीण जल +आपूर्ति के लिए आधारभूत संरचना के निर्माण से लेकर जल सेवा +आपूर्ति के मानदंडों के लिए एक सुनियोजित दृष्टिकोण अपनाया जा +रहा है। इसका अर्थ यह है कि एक समग्र दृष्टिकोण अपनाना होगा +और स्रोत और प्रणाली स्थिरता, धूसर जल प्रबंधन, संचालन और +रखरखाव, सामुदायिक भागीदारी को ध्यान में रखते हुए ग्रामीण स्तर +पर पूंजी का अभिसरण किया जाए ताकि नियमित और दीर्घकालिक + +emetic | + + + +प्रदीप सिंह राष्ट्रीय जल जीवन मिशन & freee Z1 Ee: pradeep.singh78@gov.in +सिद्धांत मस्सन आईओटी विशेषज्ञ हैं। ईमेल: siddhant.masson@tatasustainability.com + +योजना, अप्रैल 2021 59 + + +0060.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +Water Pumped Today ili +2 5.50K +Asm Locanong = Gharet + +Mares! deur. bees DATE: Tey 72 + + + +Populathon: +34 + +Scheme Type: SV Botewell - Puntp +VASE Chaleman: Samia Ram Te rod 4 +Treatment: asic CAMerinaticn + +Hours of Supple & hin O00 AA - Sho Pt +Year of Commissloning: 2019-20 + +Source Name: Borewell + +ESR Capeclty 7 KL + +Target Dally Supply: 7.75 KL + +Water Tana: Rs, 50 per howsehedd p.m. + + + +JJM Smart Water Village - Gharal. Sirohi, Rajasthan + +Overview +Water Supplied Today Cha LFCO Today +5.6K 43.1 +Dady Water Supoied hi + + + +Calonne thg'b! + + + + + + + + + + + + + + + +DF Marck 208 33.11 +rad inc- ng mtr +ir +"La kp iat +Chuan Waa Conpampyon Today +Cluster रखा जाएंगींद्धां toh if at +‘Cluster a (7 hy an an +Charter 2 (7? Hey 1.00 जा का +नाश © 15 bef] a1 H +Chatter 7 AAD TH aT +Clover = (B44 Las “i +जज हुक ॥ fee gaya atte eben thar S. 2a +Tet lee a Serge +Daity LPCG trend +was tan Sr]! +Pras + + + +जल जीवन मिशन के तहत राजस्थान के ware aret facta & fafaer sities aeilar डैशबोर्ड + +आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके। क्रियान्वयन के साथ ही साथ +क्रियान्वयन के बाद के चरणों के उद्देश्यों को प्राप्ति को ध्यान में + +रखते हुए जल-जीवन मिशन को विशेष रूप +पर केन्द्रित किया जा रहा हेै। + +क्रियान्वयन के दौरान पारदर्शिता, उत्तरदायित्व और जनता के +धन की विवेकपूर्ण व्यय की आवश्यकता है जबकि इसकी गति और +पैमाना ग्रामीण स्तर पर “निगरानी डैशबोर्ड' के माध्यम से सुनिश्चित + +किया जा रहा है। प्रत्येक योजना की जानकारी +को जल जीवन मिशन - एकीकृत प्रबंध +प्रणाली (सेंट्रल जेजेएम इंटिगरेटेड मैनेजमेंट +इन्फॉस्मेशन सिस्टम) में संग्रहित किया जा +रहा है, जिसमें लागत का विवरण, आधारभूत +संरचना तथा गांव के प्रत्येक घर के जल-सख्रोतों +का विवरण दिया जा रहा है। सार्वजनिक +वित्त प्रबंधन प्रणाली का प्रयोग राज्यों या +केंद्रशासित प्रदेशों द्वार ऑनलाइन भुगतान के +लिए सुनिश्चित किया जा रहा है। प्रत्येक घर +में नल के पानी का कनेक्शन उपलब्ध कराने +के लिए घर के मुखिया के आधार संख्या को +जोड़ा जा रहा है। + +ग्रामीण जल आपूर्ति में हो रही समस्याओं +को सुनिश्चित करने के लिए जल जीवन +मिशन, भारत में डिजिटल क्रांति का लाभ +उठा रहा है। भारत में ग्रामीण जल आपूर्ति +में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है +जैसे स्रोतों का असमय सूखना, खराब गुणवत्ता + +60 + +से तकनीकी के प्रयोग + +का कच्चा पानी, पंपों के संयोजन में विफलता या पंप द्वारा अपर्याप्त +ग्रहण, अपर्याप्त जल, या ट्रीटमेंट प्लांट में खराब गुणवत्ता वाले पानी +का उत्पादन, जल भंडारण इकाई से पानी का बहना, लगातार पानी का + +रिसाव और छोटे-छोटे रिसाव को ढूंढना, और पाइप में अपर्याप्त दबाव + +यह तय किया गया कि दूरस्थ +निगरानी के लिए इंटरनेट ऑफ +fara (amg att et) ar wart +किया जाए जो मानवीय हस्तक्षेप +के बिना संवेदक और संचार +के बुनियादी ढांचे ( सेंसर और +कम्युनिकेशन इंफ्रास्ट्क्चर ) का +प्रयोग करते हुए वास्तविक- +समय की जानकारी दे सके। यह +ना सिर्फ उस स्थान का प्रभावी +ढंग से निगरानी और प्रबंध +करेगा, बल्कि उच्च अधिकारियों, +जन-प्रतिनिधियों और जनता को +वास्तविक समय में समस्या की +जानकारी भी देगा। + +आदि। इन समस्याओं के कारण कई मामलों में घर की महिलाओं +को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, कई बार उन्हें घंटों +पैदल चलकर पानी लाना पड़॒ता है। इस वजह से कई बार उन्हें जल + +जनित बीमारियां हो जाती हैं जिन्हें आसानी से +रोका जा सकता है अगर जल आपूर्ति योजना +क्रियाशील रहती। इस वजह जो अवरोध होता +है वह सिर्फ शारीरिक और मानसिक नहीं +होता, बल्कि अगर हम मजदूरी या वेतन में +नुकसान और स्वास्थ्य सेवा में हुए खर्च की +गणना करें तो वह आर्थिक भी होता है। + +इन मामलों को संबोधित किया जा सकता +है अगर हमारे पास जल आपूर्ति की सही +ढंग से जांच करें, और एक जिम्मेदार व्यक्ति +के उत्तरदायित्व को सुनिश्चित करें। भारत जैसे +विस्तृत और विविधता से भरे देश में ग्रामीण जल +आपूर्ति प्रणाली का प्रभावी ढंग से निगगनी और +प्रबंधन चुनौतिपूर्ण कार्य है। कई गांव तो काफी +दूर दराज में स्थित हैं और वहां शारीरिक रूप +से पहुंचना बहुत ही मुश्किल है, जिससे निगरानी +की परम्परागत विधि अप्रभावी हो जाती है। यहां +तक कि दूसरे गांवों में इन मुद्दों या समस्याओं +की दृश्यता भी काफी कम ही हो पाती हे। + +योजना, अप्रैल 2021 + + +0061.txt +<----------------------------------------------------------------------> +विभिन्‍न समुदायों को जिन समस्याओं का सामना +करना पड़ता है, उससे उच्च अधिकारियों को + +अखिल भारतीय स्तर तक पहुंचने + +कमी, संसाधनों का कुशलता से प्रयोग (जल +और बिजली), और ग्रामीणों की मजदूरी और + +अवगत कराने ही ही ea fer हि जाते हैं। के के लिए तथा पारिस्थितिक तंत्र स्वस्थ्य या के 2 में कमी। (ने के लिए +पृ + +लिए जल जीवन मिशन डिजिटल रूट का के निर्माण के लिए जल जीवन तथा पारिस्थितिक तंत्र के निर्माण के लिए जल + +समर्थन करता है, ताकि प्रत्येक गांव में जल मिशन ने दो प्रकार की पहल की जीवन मिशन ने दो प्रकार की पहल की हेै। + +आपूर्ति की निगरानी प्रभावी ढंग से कौ जा +सके। यह तय किया गया कि दूरस्थ निगरानी +के लिए इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आई ओ टी) +का प्रयोग किया जाए जो मानवीय हस्तक्षेप +के बिना संवेदक और संचार के बुनियादी + +है। इन चुनौतियों को स्वीकार कर +उसका समाधान ढूंढने के लिए + +स्टार्ट अप और उद्यमियों, के साथ +भागीदारी की गई। इलेक्ट्रॉनिक + +इन चुनौतियों को स्वीकार कर उसका समाधान +ढूंढने के लिए स्टार्ट अप और उद्यमियों, के +साथ भागीदारी की गई । इलेक्ट्रॉनिक और +सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सहयोग से एक +वृहत चुनौती की शुरुआत की गई। आई ओ + +ढांचे (सेंसर और कम्युनिकेशन इंफ्रास्ट्रक्चर) और सहयोग ans - चुनौती टी इंडस्ट्री को सटीक सिग्नल पहुंचाने में यह +का प्रयोग करते हुए वास्तविक- समय की सहयाग स॒ एक वृहत चछु चुनौती सफल हुई और इसने आत्मनिर्भर भारत +जानकारी दे सके। यह ना सिर्फ उस स्थान के विचार को प्रोत्साहन दिया। वर्तमान में + +का प्रभावी ढंग से निगरानी और प्रबंध करेगा, +बल्कि उच्च अधिकारियों, जन-प्रतिनिधियों और जनता को वास्तविक +समय में समस्या की जानकारी भी देगा। जल जीवन मिशन (जे जे +एम) एक डिजिटल वाल और रिमोट कमांड और नियंत्रण केंद्र के +निर्माण की परिकल्पना कर रहा है जो लगभग 19 करोड से ज्यादा +ग्रामीण घरों में प्रतिदिन अच्छी गुणवत्ता वाले जल की आपूर्ति और +प्रबंधन की व्यवस्था की निगरानी करेगा। + +इन परियोजनाओं के लिए प्रायोगिक अध्ययन किया गया जिसमें +यह प्रमाणित हुआ कि तकनीकी सक्षम वास्तविक समय (रियल टाइम) +की निगरानी सकारात्मक व्यावहारिक बदलाव की अगुवाई करता है, +जिसके फलस्वरूप ग्रामीण समुदायों को सामाजिक - आर्थिक और +स्वास्थ्य मानदंडों में सुनिश्चित और अर्थपूर्ण लाभ मिला है; + +जल का उचित वितरण - सभी समूहों को अब जल +वितरण होगा (पर्याप्त मात्रा और जल दबाव के साथ) : दो +समूहों में निम्न दबाव की समस्या की जानकारी के बाद समूह ने दो +गेट वाल्व लगाया जिससे दबाव को नियंत्रित किया जा सके। + +जल स्रोतों की लंबे समय तक निरंतरता : वास्तविक समय +के आधार पर टी.वी. स्क्रीन डेशबोर्ड पर भूमिगत जल के तेजी से +घटते स्तर को देखते हुए समुदायों में वर्षा जल संरक्षण की संरचना +और जलविभाजन के प्रबंधन के प्रति जागरुकता आई है। + +वितरण जलागार में नियमित रूप से क्‍्लोरीनीकरण की +प्रक्रिया: टीवी स्क्रीन डैशबोर्ड पर क्लोरीन के स्तर को देख पाने के कारण +एक दूसरा व्यावहारिक बदलाव आया। अब स्थानीय समुदाय संचालकों +द्वारा नियमित रूप से कीटाणुशोधन किया जाने लगा। + +प्रायोगिक क्षेत्रों में एक दूसरा लाभ भी दिखा जिसमें ग्राहकों के +द्वारा कुशलता और जिम्मेदारी से जल का प्रयोग किया जाने लगा +क्योंकि डाटा-इनेबल्ड लीक डिटेक्शन (डाटा सक्षम रिसाव अन्वेषण) +और पूर्व निर्धारित रखरखाव और स्वचालन के जरिये घरेलू स्तर पर +मीटरिंग (माप लेने) और संचालन के खर्च को कम किया गया। + +एक सुनियोजित स्तर पर इस प्रकार की व्यवस्था से ये लाभ हो +सकते हैं- गैर-राजस्व जल (जल रिसाव और अनधिकृत कनेक्शन) +पंपों के स्वचालन और पूर्व- निर्धारित रखरखाव से मरम्मती और +रखरखाव पर होने वाले व्यय में कमी, अत्यधिक श्रमशक्ति में + + + +योजना, अप्रैल 2021 + +की शुरुआत की गई। + +चार स्वदेश विकसित समाधान सामने आए हैं +जिनका प्रयोग देशभर में विभिन क्षेत्रों के गांवों की स्थिति के परीक्षण +के लिए किया जा रहा है। + +घरेलू स्तर तक जल की गुणवत्ता के प्रमाण के लिए जल जांच +प्रयोगशालाएं ग्रामीण जल आपूर्ति और जन स्वास्थ्य और अभियांत्रिकी +विभाग के नियंत्रण में है, इसे जनता के लिए खोला गया ताकि जल +के नमूनों की जांच हो सके। प्रयोगशालाओं के नेटवर्क को सुदृढ़ करने +के लिए दो प्रतिशत की पूंजी को विशेषकर इसी उद्देश्य के लिए +निर्धारित किया गया है। राष्ट्रीय परीक्षण और अंशशोधन प्रयोगशाला +प्रत्यायन बोर्ड (एन ए बी एल) द्वारा सभी प्रयोगशालाओं का +प्रमाणन और मान्यता को अनिवार्य किया गया है ताकि प्रयोगशाला +स्तर पर गुणवत्ता के परीक्षण को उन्‍नत किया जा सके। इसका भी +उल्लेख किया गया है कि जल गुणवत्ता परीक्षण डाटा जैसे प्रयोगशाला +में जांच का डाटा, गांवों में फील्ड टेस्ट किट (एफ टी के) और +संवेदक यंत्र से लिये गए डेटा को वेब पोर्टल जिसे जेजेएम - +डबल्यूक्यूएसआईएस (जल जीवन मिशन-जल गुणवत्ता जांच और +निरीक्षण) में डाला जाएगा ताकि डाटा को दोबारा से जांचा जा सके +और उस आधार पर समस्या का निदान तुरंत किया जा सके। + +जल की गुणवत्ता की जांच के लिए एक छोटा यंत्र बनाने के +लिए, तथा शहरी और ग्रामीण दोनों इलाकों में जल की जांच को +सब तक पहुंचाने के लिए दूसरी तकनीकी चुनौती की शुरुआत +डीपीआईआईटी के साथ की गई। जब यह यंत्र बन जाएगा तब जल +की गुणवत्ता की जांच के लिए इसका प्रयोग घर में ही किया जा +सकेगा। इससे लोगों का विश्वास सप्लाई किये हुए जल पर बढ़ेगा +और उन्हें नल का पानी पीने के लिए प्रोत्साहित भी करेगा और जल +शुद्धिकरण संयंत्र में होने वाले अनावश्यक खर्च को भी कम करेगा। + +ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के जीवन को आसान करने +और घरेलू स्तर तक पीने योग्य पानी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से +जल जीवन मिशन राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों के सहयोग से देश + +भर में पहुंच रहा है। = +संदर्भ +1. जेजेएम डेशबोर्ड को https//ejalshakti. gov.in/jjmreport वेबलिंक पर देखा +जा सकता है। +61 + + +0062.txt +<----------------------------------------------------------------------> +नगरीय अनुभवों से सीखें गांव + +अरूण तिवारी + +जल जीवन मिशन ने तो मार्गदर्शी निर्देश लिखकर दे दिए हैं। अब गांवों की परीक्षा है कि वे इनकी पालना +में अपनी समझ, साझा, सदाचार और सक्रियता का कितना विवेकपूर्ण इस्तेमाल करते हैं। हम विचार करें +कि कोई अवसर, भले ही एक पूरी यात्रा न होता हो; किंतु यात्रा मार्ग की मील का ऐसा पत्थर जुरूर +होता है, जिसका हासिल हमें यात्रा में आगे जाने की ऊर्जा देता है। नल से जल पहुंचाने में जल जीवन +मिशन द्वारा प्रदत यह लोकतांत्रिक अवसर , गांवों को लोकतांत्रिक आजादी देने की यात्रा का पथ प्रदर्शक +बन सकता है; बशतें, हम भारत के गांववासी इस अवसर को व्यर्थ न गवाएं। + +ह गर्व की बात है और ऐतिहासिक पहल है कि जब +ae केन्द्रीय सरकार ने 73वें संविधान संशोधन की +लोकतांत्रिक भावना के अनुरूप स्थानीय जल प्रबंधन की +योजना, क्रियान्वयन, कर्मचारी, निगरानी और संस्थागत अधिकारों को +वास्तव में उन गांवों को सौंपने का कार्य किया है, जिन्हें पानी पीना +है। यह सब कुछ संभव हो पाया हे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के +नेतृत्व में शुरू हुए 'हर घर जल' तथा “जल जीवन मिशन' के कारण। +यह सच है कि प्रथम पंचवर्षीय योजना से लेकर जलजीवन +मिशन की शुरुआत से पहले यानी 2019 तक स्वच्छ-शुद्ध पेयजल +मुहैया कराने की मुहिम में भारत 1500 अरब रुपये से अधिक +धनराशि खर्च कर चुका है; बावजूद इसके नतीजे अनुकूल नहीं +थे। पेयजल की अशुद्धि से मरने वालों की संख्या बढ़ी थी। जल +उपलब्धता लगातार घटती जा रही है। वर्ष 1951 में जल उपलब्धता +5177 Fifa मीटर प्रति व्यक्ति थी। वर्ष 2050 में 1000 क्यूबिक +मीटर के आसपास प्रति व्यक्ति हो जाने का आकलन हे। जाहिर है +पुराने ढर्रे से निकल कर नया रास्ता चुनना जरूरी हो गया था। +निस्‍्संदेह, जल-जीवन मिशन ने एक नूतन पथ चुना है। ग्रामीण, +नगरीय...हर घर को नल से जल देने का पथ। उपभोक्ता को जल +प्रबंधन की जवाबदेही सौंपने का पथ। परम्परा, प्यासे को कुएं के +पास जाने का निर्देश देती रही है। नल, पानी को प्यासे के पास ले +जाने वाला अविष्कार है। अगर इस नये पथ की पड़ताल करें तो दो +बुनियादी प्रश्न उठते हैं। +पेयजल यदि सीधे हेण्डपंप अथवा कुएं से मिले, तो क्‍या सभी +को शुद्ध पीने का पानी मिलने की गारण्टी असंभव होगी? क्‍या हर +घर को नल से जल पहुंचा देने मात्र से गारण्टी संभव हो जाएगी? +इन प्रश्नों के उत्तर पाए बगैर न तो शुद्ध पेयजल प्राप्ति को लेकर +जुरूरी सावधानियों के प्रति सजग हुआ जा सकता है और न ही उन +व्यवस्थाओं तथा मार्गदेशी निर्देशों के महत्व को समझा जा सकता है, + + + +लेखक, गांव तथा पानी के लोकतांत्रिक सरोकारों के प्रतिनिधि पत्रकार हें। +ईमेल; amethiarun@gmail.com + +62 + +जो जल-जीवन मिशन के दस्तावेज में दर्ज हैं। + +गौर करें कि 11वीं पंचवर्षीय योजना के शुरू में प्रस्तुत “वाटर +एड' की रिपोर्ट में प्रति वर्ष 3.77 करोड़ भारतीय आबादी के +जल-जनित बीमारियों से ग्रसित होने का आंकड़ा है। यहां जलजनित +का अर्थ है - केन्द्रीय स्वास्थ्य आसूचना ब्यूरो तथा स्वास्थ्य-परिवार +कल्याण मंत्रालय ने वर्ष-2018 पर आधारित आंकड़ों में जल-जनित +बीमारियों से ग्रसितों की संख्या 36 हजार व्यक्ति प्रतिदिन, अर्थात्‌ +1.314000 करोड व्यक्ति प्रति वर्ष; तदनुसार हमारी तत्कालीन कुल +आबादी का लगभग एक प्रतिशत। अप्रैल, 2021 में यह आंकड़ा भिन्‍न +हो सकता है। किंतु इन आंकड़ों को सामने रखकर सरकार यह दावा +तो कर ही सकती है कि भारत की बहुमत आबादी को उपलब्ध + + + +ab + +योजना, अप्रैल 2021 + + +0063.txt +<----------------------------------------------------------------------> +पेयजल अभी भी जलजनित बीमारियों से सुरक्षित है। अब चूंकि भारत +की 80 प्रतिशत आबादी को अभी हासिल पेयजल का मुख्य स्रोत +भूगर्भ जल ही है; अत: उक्त आंकड़ों के आधार पर कहा जा सकता +है कि हां, बहुमत आबादी को आज भी काआं, हैण्डपम्प, बोरवेल +आदि से पीने योग्य पानी देना संभव है। लेकिन ये सभी भूजल के +स्तर पर निर्भर है जो अधिकांश गांवों और शहरों में घटता जा रहा +है या फिर प्रदूषित हो रहा है। उपभोक्ता की दृष्टि से संचालन में +सुचारुपन के छह पैमाने हैं : स्रोत का टिकाऊपन, उपलब्ध पानी की +पर्याप्त मात्रा, सर्वश्रेष्ठ गुणवत्ता, न्यूनतम लागत, उपयोग में अनुशासन +तथा संचालन में स्वावलम्बन। ग्रामीण समुदाय की दृष्टि से एक अन्य +बुनियादी जुरूरत है- आपसी साझा। + +कुआं-हैंडपम्प से पानी की निर्भरता का समर्थन करने वालों का +तर्क है कि ये स्रोत 24 घंटे पेयजल सुलभता की गारंटी हैं। अतः +लोग जितनी जरूरत, सिर्फ उतना निकालते हैं। ताजा निकालते हें। +कुआं-हैंडपम्प से मिलने वाले पानी की आपूर्ति व रखरखाव का खर्च +न्यूनतम होता है। बिल नहीं देना पड़ता। पाइप लीकेज के कारण होने +वाली पानी की बर्बादी शून्य है। कुआं-हैंडपम्प से पानी लेने के लिए +बिजली, ईंधन जैसे सतत्‌ खर्च वाले बाहरी संसाधन पर निर्भर रहने +की जरूरत नहीं होती। + +उनका यह भी मानना है कि यदि नगरों तथा भौगोलिक विषमता +के चलते पहाड़ी इलाकों के हर परिवार को नल से पानी पहुचाने +की आवश्यकता को एकबारगी मंजूर कर भी लिया जाए, तो मैदानी +गांवों के पाइप से पानी के अनुभव प्रतिकूल हैं। पाइप से पानी की +उपलब्धता, लोगों को पानी के मामले में पराधीन बनाती है। पाइप से +पानी मिलने लगता है, तो लोग पानी के टिकाऊ जलस्रोतों के बारे में +सोचना और करना - दोनों बंद कर देते हैं। +नल से पानी के नगरीय अनुभव + +नल-जल प्रबंध के संबंध में नगरीय अनुभवों से गहरा कोई और + + + +योजना, अप्रैल 2021 + + + +a RL" +a - te lA +ton . +- . i. 4 । +eS ४ 4 +a, on _ = ._ आर 2 +: Ls - 2 है + + + +नहीं सिखा सकता। + +एक नगरीय अनुभव शिमला; शिमला का नगरीय क्षेत्रफल मात्र +35.34 वर्ग किलोमीटर है। 1878 से जलापूर्ति का मुख्य स्रोत - 25 +प्राकृतिक नाले, खुरली व हौज। फरवरी, 2016 - सीवेज मिश्रित +पानी के कारण पीलिया फैला। मार्च, 2018-19 प्राकृतिक नालों में +से 17 हुए बेपानी। बेपानी होने के मुख्य कारण : राष्ट्रीय राजमार्ग +के डिजाइन में त्रुटि और दिसम्बर में पड़ने वाली बर्फ का फरवरी में +'पड़ना। परिणाम : नगरीय जलापूर्ति हुई तीन दिन में एक बार; वह +भी मात्र दो घण्टे। 40 मिलियन डॉलर के विश्व बैंक कर्ज से नई +'परियोजना। ब्याज और शुल्क मिलाकर लागत इससे भी ज्यादा। नए +संस्थागत प्रबंधन तंत्र के रूप में शिमला जल प्रबंधन निगम का गठन। +नया स्रोत-21 किलोमीटर दूर सतलुज नदी। वर्ष 2021 - आपूर्ति हुई +देनिक। जलापूर्ति लागत 117 रुपये प्रति किलोलीटर। सभी लीकेज +दुरुस्त करने के बाद लागत घटकर हुई 90 रुपये प्रति किलोलीटर। + +जल-जीवन-मिशन ने नल-जल का कम से कम 30 वर्ष की +गारण्टी तंत्र विकसित करने के निर्देश दिए है। शिमला के परम्परागत +जल-तंत्र ने 150 वर्ष तक की गारण्टी दी। विशेष यह कि शिमला की +जल-गारंटी प्रकृति ने नहीं, राजमार्ग के डिजाइन में त्रुटि के कारण हुई। + +सीख स्पष्ट है कि स्रोत समृद्ध-सुरक्षित तो जल गारण्टी सुरक्षित। +जलापूर्ति तंत्र, यदि पानी को गुरुत्वाकर्षण अनुकूलता के अनुसार स्रोत +से गंतव्य तक पहुंचाने के सिद्धांत पर आधारित है तो लागत कम +आएगी; व्यावधान भी कम होंगे। + +गर्मी के दिनों में भारत के कई नगरों में 17 लीटर प्रति व्यक्ति, +प्रति दिन जलापूर्ति का आंकड़ा है। दुनिया के 200 नगर डे जीरो श्रेणी +की ओर बढ रहे हैं। 'जीरो डे' का मतलब है कि नलों में पानी की +आपूर्ति बंद है। टैंकरों के माध्यम से प्रति व्यक्ति प्रति दिन 25 लीटर +की औसत से पानी पहुंचाया जा रहा है। विज्ञान पर्यावरण केंद्र ने भारत +के चेन्नई और बेंगुलुरु शहर को सावधान किया है। + +प्रदूषण के दो चित्रों पर गौर फरमाइए - “'प्रयागराज से लेकर +मिर्जापुर, भदोही, बनारस, चंदोली, बलिया, बक्सर तक की 300 +किलोमीटर लम्बी गंगा तटवर्ती पट्टी में गंजेटिक पर्किसन और +गंजेटिक डिमेंशिया के रोगी बढ़े हैं। मोटर न्‍्यूरगान नामक जो बीमारी, +इस पट्टी के लोगों को तेजी से अपना शिकार बना रही है, उसका +एक कारण गंगा में मौजूद धात्विक प्रदूषण है। यह बीमारी अंगों +में कसाव के साथ फड़फडाहट जैसे लक्षण लेकर आती है। खेती + +63 + + +0064.txt +<----------------------------------------------------------------------> +मार्गदर्शी निर्देश : एक लोकतांत्रिक अवसर + +भारतीय संविधान ने ग्रामसभा व नगर स्तरीय निर्वाचित इकाइयों +al ‘aden Tete’ at ‘cad में सरकार' कहा है। 73वें +संविधान संशोधन ने राज्यों को राज्य स्तरीय पंचायती अधिनियम +बनाने का अधिकार देते हुए अपेक्षा की थी कि वे ग्राम सभाओं को +“स्वयं में सरकार' के उनके दर्ज के अनुरूप कार्य करने का अवसर +देंगी। सरकार के मंत्रालय व विभाग होते हैं। राज्यों ने इसी तर्ज पर +ग्राम पंचायतों को वित्त, नियोजन, प्रशासन, शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, +जल, स्वास्थ्य कार्य संबंधी समितियों के गठन के अवसर तो दिए, +किंतु ग्रामसभा को महत्वहीन ही रखा। लिहाजा, आज भी जूमीनी +हकीकत यही है कि ज्यादातर राज्य सरकारें और पंचायत प्रतिनिधि +खुद को विकास संबंधी केन्द्र और राज्य के अनुसूचित 29 विषयों +की क्रियान्वयन एजेन्सी मात्र ही मानते हैं। + +इस दिशा में बदलाव की खिड़की खोली, वर्ष 2014 में केन्द्र +सरकार द्वारा नियोजित “ग्राम पंचायत विकास योजना' ने। अपनी +ग्राम पंचायत की पंचवर्षीय योजना खुद बनाने और उसे मंजूर करने +का सर्वोपरि अधिकार ग्रामसभाओं को सौंप दिया गया। अब जल +जीवन मिशन ने इसी लोकतांत्रिक दिशा में आगे बढ़ने का जज्बा +दिखाया है। + +गौर कीजिए कि ग्राम स्तरीय पानी समितियां ved a Zi +ग्राम स्तरीय पेयजल प्रबंधन का दायित्व पहले भी पानी समिति +का ही था। किंतु यह पहली बार हुआ है कि ग्राम स्तरीय पेयजल +प्रबंधन की तैयारी, नियोजन, डिजाइन, क्रियान्वयन, प्रचालन, खरीद, +कनेक्शन देना, पानी का वितरण, खाता, रिकॉर्ड, कर्मचारी की +नियुक्ति, काम की निगरानी आदि की सम्पूर्ण जिम्मेदारी व अधिकार +वास्तव में पानी समितियों को सौंप दिए गए हैं। इसका दस्तावेजी +सबूत देखना हो, तो जल जीवन मिशन द्वारा ग्राम पंचायत तथा पानी +समितियों द्वारा घरों में स्वच्छ जल प्रदान किए संबंधी मार्गदर्शिका +देखिए। + +पानी कनेक्शन देना, मीटर की जांच करना, दूट-फूट की +मरम्मत, 24 घण्टे जलापूर्ति, एवज्‌ में मासिक शुल्क तय करने +से लेकर संग्रह करने तक की जिम्मेदारी पंचायतों को निभानी +है। सरपंच को देखरेख की जिम्मेदारी सौंपी गई है। पानी समिति +चयन में सहयोग, प्रशासन-पंचायत के बीच समन्वय, रिकॉर्ड रखने +तथा ग्राम सभा बैठक बुलाने की जिम्मेदारी पंचायत सचिव की + + + +है। जल ग्रामसभा का प्रावधान किया गया है। पानी प्रबंधन की +ग्राम कार्य योजना के संबंध में अंतिम निर्णय देने का अधिकार, +ग्रामसभा का है। + +प्रत्येक घर को पानी कनेक्शन देना अनिवार्य अवश्य किया +गया है, किंतु साथ में शुल्क तय करने तथा अक्षम उपभोक्ता +को जलोपयोग शुल्क में छूट देने का अधिकार भी पानी समिति +को होगा। पानी समिति को दिए ये अधिकार यह सुनिश्चित कर +सकें कि नई पेयजल व्यवस्था, पानी के बिल में मनमानी वृद्धि व +रखरखाव के नाम पर लूट का पर्याय न बन सकें, इसके लिए पानी +समितियों को पूरी ईमानदारी, सहभागिता व सक्षमता से अपने दायित्व +का निर्वाहन करना होगा। + +पेयजल व्यवस्था के रखरखाव हेतु भी 15वें वित्त आयोग +की निधि का प्रावधान तो है, किंतु कुछेक व्यक्तिगत मामलों को +छोड़कर शेष सभी के लिए सामुदायिक अंशदान जूरूरी किया गया +है। हिमालयी, पूर्वोत्तर व अन्य पहाड़ी प्रदेश तथा 50 प्रतिशत से +अधिक अनुसूचित जाति-जनजाति आबादी वाली ग्राम पंचायतों को +5 प्रतिशत सामुदायिक अंशदान देना होगा; अन्य पंचायतों को 10 +प्रतिशत। अच्छी बात यह भी है कि नकदी के अलावा वस्तु व श्रम +के रूप में प्राप्त अंशदान भी स्वीकार्य होगा। सामुदायिक अक्षमता +की स्थिति में अंशदान किस्तों में देने की छूट रहेगी। पानी समिति +को अधिकार दिया गया है कि व्यक्तिगत अक्षमता की स्थिति में +अंशदान में छूट दे सके। + +प्रेरक प्रावधान है कि परियोजना सफल होने पर 10 प्रतिशत +अंशदान के बराबर धनराशि को प्रोत्साहन राशि के रूप में वापस +किया जाएगा। +यह अवसर पथ प्रदर्शक बन सकता है. + +जल जीवन मिशन ने तो मार्गदर्शी निर्देश लिखकर दे दिए हैं। +अब गांवों की परीक्षा है कि वे इनकी पालना में अपनी समझ, साझा, +सदाचार और सक्रियता का कितना विवेकपूर्ण इस्तेमाल करते हैं। हम +विचार करें कि कोई अवसर, भले ही एक पूरी यात्रा न होता हो; +किंतु यात्रा मार्ग की मील का ऐसा पत्थर जरूर होता है, जिसका +हासिल हमें यात्रा में आगे जाने की ऊर्जा देता है। नल से जल पहुंचाने +में जल जीवन मिशन द्वारा प्रदव॒ यह लोकतांत्रिक अवसर, गांवों को +लोकतांत्रिक आजादी देने की यात्रा का पथ प्रदर्शम बन सकता है; +बशर्ते, हम भारत के गांववासी इस अवसर को व्यर्थ न गवाएं। + + + + + +में प्रयोग होने वाले इंडोसल्फान ऑग्नोफास्फोरस, डीडीटी, लिन्डेन, +एन्ड्रिन जैसे रसायनों के रिसकर गंगा में मिलने से इन इलाकों में पेट +व पित्ताश्य की थेली के कैंसर रोगी बढ़े हैं। शोधकर्ता आशंकित है +कि गंगा प्रदूषण, अनुवांशिक दुष्प्रभाव भी डाल सकता है। इसके लिए +फिलहाल, गंगा के जलीय जीवों पर अनुवांशिक प्रभावों का अध्ययन +भी शुरू किया गया है।'! + +यह समाचार जनवरी - 2020 का है। समाचार, डॉक्टर सूरज +द्वारा 2500 मरीजों पर किया गए शोध पर आधारित है। डॉक्टर + +64 + +सूरज, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के सर सुन्दरलाल अस्पताल में +न्यूरोलॉजी विभाग के शोधार्थी हैं। स्पष्ट है कि नल से पानी के साथ +जल स्रोत की सुरक्षा और उन्हें संरक्षित करने की भी आवश्यकता +होगी। + +रसायन, कपड़ा, चमडा, ताप-विद्युत आदि अधिक प्रदूषक उद्योगों +के प्रदूषण पर नियंत्रण की कोशिशें जब तक लीकप्रूफ नहीं हो जाती, +तब तक जलापूर्ति का स्रोत चाहे सतही अथवा भूगर्भीय, हम उसके +साफ होने की गारण्टी नहीं दे सकते। + +योजना, अप्रैल 2021 + + +0065.txt +<----------------------------------------------------------------------> +पोषकता का पक्ष अहम + +जल-प्रोत सुरक्षा की दृष्टि से आइए आगे बढ़ें। गौर करें कि स्वच्छ +मतलब कचरा HH शुद्ध मतलब स्वच्छ भी, पोषक भी। अब चूंकि +कोई आंकड़ा कोई भी नई व्यवस्था बनाने से पहले यह सुनिश्चित तो +करना ही होगा कि पेय-जलापूर्ति का मूल स्रोत पोषक तत्वों से युक्त +भी हों और हानिकारक तत्वों से मुक्त भी। किंतु आरओ यानी रिवर्स +ऑस्मोसिस जैसी तकनीक यह सुनिश्चित नहीं कर सकती। + +राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण का राज्य सरकारों का आदेश है कि +जिन इलाकों में एक लीटर पानी के घुलनशील ठोस तत्वों की कुल +मात्रा 500 मिलीग्राम से कम पाई जाए, वहां आरओ मशीनों के +इस्तेमाल को प्रतिबंधित करें। क्यों? क्योंकि आरओ तकनीक पोषक +तत्वों को निकाल बाहर करती है। आरओ मतलब स्वच्छ पानी, किंतु +सबसे कमजोर पानी। +जल जीवन मिशन की विशेषता एवं तैयारियां + +जल जीवन मिशन द्वारा की तैयारियों का विश्लेषण करें; प्रत्येक +परिसम्पत्ति की जियो टेगिंगा प्रत्येक कनेक्शन होगा सेंसरयुक्त। +STRAIN का आधार नंबर होगा दर्ज राज्य प्रमाणित पानी +परीक्षण प्रयोगशालाओं का बनाया जा रहा देशव्यापी नेटवर्क। सूचना +व पारदर्शिता के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म। राज्य व जिला स्तरीय +जल-स्रोतों की होती रहेगी क्रमानुसार 13 बुनियादी गुणवत्ता आधारित +औचक जांच। ब्लॉक अधिकार क्षेत्र के 100 फीसदी यानी सभी +जल-स्रोतों की वर्ष में एक बार रासायनिक, दो बार जीवाणु जांच का +प्रावधान। फील्ड किट जांच की उपलब्धता। जांच हेतु पांच ग्रामीणों +को प्रशिक्षण। किसी एक समर्पित को सौंपी जाएगी पूरी जिम्मेदारी। +अशुद्धि पाए जाने पर जल शुद्धिकरण संयंत्र। मरम्मत व रखरखाव का +प्रशिक्षण व अभियांत्रिकी विभाग की सहयोगी भूमिका। + +शुद्धता सुनिश्चित करने में नई तकनीकों सहायक सिद्ध होगी। +गुणवत्ता तथा मात्रा की दूरदर्शी निगगानी आवश्यक है ही। कारणों के +निवारण की ओर ले जाने वाले 6 मूल कदम हैं : प्रदूषित जल का +अधिकतम शोधन, पुर्नोपयोग, वर्षाजल का अधिकतम संचयन, भूजल +की न्यूनतम निकासी, अनुशासित जलोपयोग और स्थानीय जुरूरत का +स्थानीय प्रबंधन। + +सुखद है कि जल-शक्त मंत्रालय के आंकड़े और दस्तावेज इस +दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। किंतु वह झरने, तालाबों, झीलों, नदियों +आदि सतही स्रोतों को सीधे पीने योग्य बनाने के लक्ष्य की ओर बढ़ने +में जनभागीदारी के बिना केवल सरकार के कंधों पर सब कुछ डाल +कर नहीं रहा जा सकता। “आत्मनिर्भर भारत' के आइने को सामने +रखें और निम्नलिखित सुझावों पर विचार करें; सिर्फ सरकारें नहीं, +हम भारत के लोग भी। +जल स्वावलम्बन सूत्र +1. भूजल स्तर में गिरावट का संकट का मूल कारण, भूजल-संचयन + +की तुलना में भूजल-निकासी का अधिक होना है। जल निकासी + +एवं संचयन में संतुलन स्थापित करने में जवाबदेही सुनिश्चित + +वाली नीति यह हो कि जिसने प्रकृति से जितना और जैसा लिया, + +वह प्रकृति को कम से कम उतना और वैसी गुणवत्ता का जल + +लौटाए; किसान भी, फैक्टरी मालिक भी। +2. बाध्यता हो कि सभी ग्राम पंचायतें अधिकारिक रूप से प्रत्येक + +योजना, अप्रैल 2021 + +न्याय पंचायत क्षेत्रवार भूजल-निकासी की एकसमान अधिकतम +गहराई तय करे। उससे नीचे जाने की अनुमति सिर्फ लगातार +पांच साला सूखे से उत्पन्न आपात स्थिति में ही हो। यह गहराई, +'डार्क जोन' घोषित किए जाने के लिए तय गहराई से हर हाल +में कम से कम 10 फीट कम ही हो। पालन नहीं करने पर +संबंधित व्यक्ति के शासकीय योजना लाभ वापस लिए जा सकें। +किसी ग्राम पंचायत में 10 से अधिक परिवारों द्वारा ऐसा करने +पर संबंधित ग्राम पंचायत को वित्तीय आवंटन रोक दिए जाएं +जलवायु परिवर्तन के संकेत सावधान कर रहे हैं कि यदि समय +रहते नहीं चेता गया तो परम्परागत खेती बचेगी नहीं। यदि हमारा +इलाका बाढ़ क्षेत्र से सुखाड़ क्षेत्र होने की ओर अग्रसर है, तो भी +धान, गन्ने जैसी फसलों को सिर्फ इसलिए बोते जाना कि परम्परा +से हम इन्हें ही बो रहे हैं; क्या समझदारी होगी? आवश्यक है कि +जल और वायु बदल रहें हैं तो कृषि चक्र, बीजों के चुनाव और +सिंचाई के तौर-तरीके भी बदलें। रासायनिक उर्वरकों, खर-पतवार +व कीटनाशकों ने पानी की गुणवत्ता की गारण्टी छीन ली है। +प्राकृतिक खेती की ओर लौटे बगैर यह गारण्टी हमेशा असंभव ही +रहने वाली है। अतः स्थानीय भूगोल तथा जलवायु अनुकूल बीजों, +प्रजातियों, तौर-तरीकों व खान-पान को प्राथमिकता देकर अपनाएं। +धरती सिर्फ जुरूरत पूर्ति के लिए है। अतः सिर्फ अजीविका चलाने +वाली कृषि हो। अधिक धन की मांग करने वाले ग्रामीण सपनों +की पूर्ति के लिए उपलब्ध ग्राम्य उत्पाद, शिल्प व कौशल आधारित +आय मार्ग प्रशस्त करने पर ध्यान दिया जाए। + +. स्वच्छ भारत मिशन का निर्देश था कि जल स्रोत से 30 फीट + +की दूरी के भीतर शौचालय का निर्माण न किया जाए। गंगा में +मलीय कॉलीफॉर्म की बढ़ी मात्रा प्रमाण है कि इस निर्देश की +कई स्थानों पर अनदेखी हुई है। शौचालय के टैंक भी तल से +सील नहीं किए गए। इस कारण आज नहीं तो कल, निकटस्थ +जल ख्रोत प्रदूषित होने की आशंका है। + +. विशेष रूप से उद्योगों और चारदीवारीयुक्त आवासीय परिसर + +वाली नई बसावटों को उनके उपयोग का पानी स्वयं शोधित +करने तथा शोधित जल के पुर्नोपयोग के लिए प्रोत्साहित किया +जाए। उनके सीवेज को पाइप से जोड़ने की बजाय, उनके परिसर +के भीतर शोधित करने विशेष प्रोत्साहन योजना बनाई जाए। +शोधित मल को खाद के रूप में इस्तेमाल किया जाए। + +. सभी राज्य व केन्द्र शासित क्षेत्र अपने अधिकार क्षेत्र की प्रत्येक + +नदी, जल संरचना तथा वन/उचद्चान क्षेत्र की भूमि का चिन्हीकरण, +सीमांकन तथा उसका भू-उपयोग अधिसूचित करे। ऐसी भूमि के +भू-उपयोग बदलने की इजाजत किसी को नहीं हो। + +. विद्यार्थियों को प्रशिक्षित करने के लिए उन्हीं संस्थानों के + +भूगोल तथा पर्यावरण व सिविल इंजीनियरिंग प्राध्यापकों हेतु एक +अंशकालिक 'ग्राम्य जल प्रबंधन प्रशिक्षक प्रमाणपत्र कोर्स' तैयार +किया जा सकता है। इसी तर्ज पर पंचायती पानी समितियों तथा +संबंधित स्वयंसेवी प्रतिनिश्चियों हेतु 'ग्राम्य जल प्रबंधन प्रेक्टिसनर्स +कोर्स' तैयार किया जा सकता है। ऐसे प्रशिक्षितों व तकनीकी +सलाहकारों की अतिरिक्त सेवाएं लेने के लिए क्षेत्र पंचायत वार +पैनल तैयार किए जा सकते हैं। = + +65 + + +0066.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +“आजादी का अमृत महोत्सव' ( इंडिया८)75 ) के +पूर्वावलोकन कार्यकलापों का शुभारंभ + +आजादी का अमृत महोत्सव भारत की स्वाधीनता की 75वीं वर्षगांठ मनाने के लिए भारत सरकार द्वारा +आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रमों की एक श्रृंखला है। यह महोत्सव जनभागीदारी की भावना में एक +जन-उत्सव के रूप में मनाया जाएगा। + +धानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 12 +मार्च, 2021 अहमदाबाद के -. ob) WA AHMET Pang aay +साबरमती आश्रम से “पदयात्रा' =. | + +(फ्रीडम मार्च) को झंडी दिखाई तथा +'आजूादी का अमृत महोत्सव' (इंडिया&75) +के पूर्वावलोकन कार्यकलापों का उद्घाटन +किया। उन्होंने इंडिया&975 समारोहों के लिए 4 ie +अन्य विभिन्न सांस्कृतिक और डिजिटल पहलों eee 4 | | शा मी nf +का भी शुभारंभ किया। a nt + +साबरमती आश्रम में जनसमूह को संबोधित +करते हुए प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त 2022 से +75 सप्ताह पूर्व “आजादी का अमृत महोत्सव” +आरंभ किए जाने की चर्चा की जो 15 अगस्त +2023 तक चलेगा। उन्होंने महात्मा गांधी और +महान व्यक्तित्वों को श्रद्धांजलि अर्पित कौ +जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में अपने प्राणों की +आहुति दी। प्रधानमंत्री ने पांच स्तंभों- फ्रीडम +स्ट्रगल अर्थात स्वतंत्रता संग्राम, तथा आईडियाज +एट 75 यानी 75 पर विचार, एचीवमेंट्स एट 75 +यानी 75 पर उपलब्धियां, एक्शन्स एट 75 यानी +75 पर कार्रवाइयां तथा रिजाल्व्जु एट 75 यानी +75 पर संकल्प को प्रेरणा मानते हुए सपनों और +दायित्वों को बनाए रखने तथा आगे बढ़ने के +मार्गदशी बल के रूप में दोहराया। प्रधानमंत्री ने +जोर देकर कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव +का अर्थ स्वतंत्रता की ऊर्जा का अमृत है। इसका +अर्थ हुआ स्वतंत्रता संग्राम के योद्धाओं की बिक: i +प्रेरणाओं का अमृत; नए विचारों और संकल्पों का अमृत और प्रधानमंत्री के 'आत्मनिर्भर भारत' की भावना से ओतप्रोत भारत 2.0 +आत्मनिर्भरता का अमृत। को क्रियाशील बनाने की शक्ति तथा क्षमता रखते हैं। + +यह महोत्सव भारत के उन लोगों को समर्पित है, जो न केवल आजादी का अमृत महोत्सव भारत की सामाजिक-सांस्कृतिक, +भारत को अपनी विकास यात्रा में आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका राजनीतिक और आर्थिक पहचान दर्शने का अवसर है। “आजादी का +निभा चुके हैं, बल्कि उन लोगों को भी समर्पित है जो माननीय अमृत महोत्सव” की आधिकारिक यात्रा 12 मार्च, 2021 को शुरू हुई। न + + + + + + + + + + + + + + + +66 + + + +योजना, अप्रैल 2001. >ऋ; + + + + +0067.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +# योजना । €1(0]४५५ fs [ब 80770800 | went tarts +“Pee Ts | ) 5 गान es a +@ Rurukshetra वि: हि 1 की ECS + +हरा अदा शैजॉगार समाचार एप Kew एयर ._ अधजकल Cie Heat + + + + + + + + + + + + + + + +योजना ' ee प्रकाशन विभाग 1 कुरुक्षेत्र +विकास को समर्पित मासिक । सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय | । ग्रामीण विकास पर मासिक +(हिंदी, अंग्रेजी, उदूँ व 10 अन्य भारतीय भाषाओं में) । 2, ४ | भारत सरकार 1 (हिंदी और अंग्रेजी) +आजकल | रोजगार समाचार! बाल भारती +साहित्य एवं संस्कृति का मासिक । साप्ताहिक 1 बच्चों की मासिक पत्रिका +(हिंदी तथा उर्दू) ! (हिंदी, अंग्रेजी तथा उर्दू) ! (हिंदी) + +घर पर हमारी पत्रिकाएं मंगाना है काफी आसान... + +आपको सिर्फ नीचे दिए गए 'भारत कोश' के लिंक पर जा कर पत्रिका के लिए ऑनलाइन डिजिटल भुगतान करना है- +https://bharatkosh.gov.in/Product/Product + + + + + + + + + + + +सदस्यता दरें +योजना, करुक्षेत्र, सदस्यता शुल्क में रजिस्टर्ड डाक का शुल्क भी +प्लान 3 बाल भारती रोज़गार समाचार 3 3 + +आजकल (सभी भाषा) शामिल है। कोविड-19 महामारी के मद्देनज़र +वर्ष रजिस्टर्ड डाक रजिस्टर्ड डाक | मुद्रित प्रति (साधारण डाक) | ई-संस्करण | नए ग्राहकों को अब रोज़गार समाचार के +1 ₹ 434 ₹ 364 ₹ 530 ₹ 400. | अलावा सभी पत्रिकाएं केवल रजिस्टर्ड +2 ₹ 838 ₹ 708 = 1000 ₹750 | StH a et Vat Sree पुराने ग्राहकों के + +3 ₹ 1222 ₹ 1032 ₹ 1400 ₹ 1050 | लिए मौजूदा व्यवस्था बनी रहेगी। + + + + + + + + + + + + + + + + + +ऑनलाइन के अलावा आप डाक द्वारा डिमांड ड्राफ्ट, भारतीय पोस्टल आर्डर या मनीआर्डर से भी प्लान के अनुसार निर्धारित राशि भेज सकते हैं| डिमांड ड्राफ्ट, +भारतीय पोस्टल ऑडर या मनीआर्डर “अपर महानिदेशक, प्रकाशन विभाग, सचना एवं प्रसारण मंत्रालय? के पक्ष में नई दिल्‍ली में देय होना चाहिए। +रोज़गार समाचार की 6 माह की सदस्यता का प्लान भी उपलब्ध है, प्रिंट संस्करण रु, 265/-, ई-संस्करण रु. 200/-, कृपया ऑनलान भगतान के लिए +https://eneversion.nic.in/membership/login fem 1 STU] feats ETFs ‘Employment News’ } Va 4 as eee 4 ea ett aTfeU| +अपने डीडी, पोस्टल आर्डर या मनीआर्डर के साथ नीचे दिया गया सदस्यता कृपन” या उसकी फोटो कॉपी में सभी विवरण भरकर हमें भेजे। भेजने का पता है +संपादक, पत्रिका एकांश, प्रकाशन विभाग, कक्ष सं. 779, सचना भवन, सीजीओ कॉम्प्लेक्स, लोधी रोड, नई दिल्‍ली-110003. +अधिक जानकारी के लिए ईमेल करें- pdjucir@gmail.com +हमसे संपर्क करें- फोन: 011-24367453, (सोमवार से शुक्रवार सभी कार्य दिवस पर प्रात: साढ़े नौ बजे से शाम छह बजे तक) + +कृपया नोट करें कि पत्रिका भेजने में, सदस्यता शुल्क प्राप्त होने के बाद कम से कम आठ सप्ताह लगते हैं, +कृपया इतने समय प्रतीक्षा करें और पत्रिका न मिलने की शिकायत इस अवधि के बाद करें। + +YE ~~ = anna nn nnn Eon nnn nnn nnn 3G a nnn nnn Ene eee +सदस्यता कूृपन ( नई सदस्यता/नवीकरण»पते में परिवर्तन ) +कृपया मुझे 1/2/3 वर्ष के प्लान के तहत पत्रिका भाषा में भेजें। + + + +नाम (साफ व बड़े अक्षरों में ) + + + + + + + + + + + +पता : +जिला पिन +ईमेल मोबाइल नं, +डीडी./पीओ./एमओ सं, दिनांक ..................५७५६+ सदस्यता सं. .....................-६०५०+ + + + +योजना, अप्रैल 2021 67 + + +0068.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +अब उपलब्ध है + +बा: + +ECONOMIC +SURVEY + +2020-71 + +e vo +VOLUAIE-2 +- ह : + + + +Fl wo +~ an +«see + +इकोनॉमिक सर्वे 2020-21 (अंग्रेजी संस्करण) +खंड-4 और 2 + +भारत के आर्थिक विकास की गहन समीक्षा से युक्‍त +इस पुस्तक में देश के औद्योगिक, कृषि, विनिर्माण इत्यादि +सभी क्षेत्रों के विस्तृत सांख्यिकीय आंकड़े दिए गए हैं। + +आज ही नजदीकी पुस्तक विक्रेता से खरीदें +ऑर्डर के लिए संपर्क करें : + +फोन 5: 011-24365609 + +ई-मेल ; 9५51655५076(86#791.00171 +वेबसाइट : publicationsdivision.nic.in + +a +प्रकाशन विभाग + +सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार +सूचना भवन, सी जी ओ कॉम्पलेक्स, +लोघधी रोड, नई दिल्‍ली -110003 + + + +द्विटर पर फोलो करें 'ह्लञी @ DPD_India + + + +68 योजना, अप्रैल 2021 + + +0069.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +कया आप जानते हैं? + + + + + +भारत में स्वच्छता अभियान का इतिहास + +मिला। निजी शौचालयों के निर्माण के लिए, गरीबी रेखा से नीचे +गुजर-बसर करने वाले परिवारों को वित्तीय मदद मुहैया कराई गई, +ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग शौचालय का इस्तेमाल कर सके। + +श के गांवों के लिए पहला स्वच्छता अभियान 1954 में शुरू + +किया गया था। यह कार्यक्रम भारत सरकार की पहली पंचवर्षीय +योजना का हिस्सा था। 1981 की जनगणना के मुताबिक, देश में +ग्रामीण स्वच्छता का कवरेज सिर्फ 1 प्रतिशत था, लिहाजा पेयजल +और स्वच्छता के लिए तय अंतरराष्ट्रीय दशक (1981-90) के दौरान +ग्रामीण स्वच्छता पर खास जोर दिया गया। भारत सरकार ने 1986 +में केंद्रीय ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम की शुरुआत की। इसका मुख्य +उद्देश्य गांवों में रहने वाले लोगों के जीवन स्तर में सुधार करना +और महिलाओं के लिए निजता और गरिमा सुनिश्चित करना था। +साल 1999 से “पूर्ण स्वच्छता अभियान' के तहत “मांग आधारित' +फॉर्मूला अपनाया गया। इसमें सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) , +मानव संसाधन विकास और क्षमता विकास पर जोर दिया गया, ताकि +स्वच्छता को लेकर जागरूकता बढ़ाई जा सके। इससे स्वच्छता संबंधी +सुविधाओं के लिए मांग में बढ़ोतरी हुई। साथ ही, लोगों को अपनी +आर्थिक हैसियत के मुताबिक उचित विकल्प चुनने का अवसर भी + +1 अप्रैल 2012 को “निर्मल भारत अभियान' की शुरुआत +की गई। इसकी शुरुआत “पूर्ण स्वच्छता अभियान' की अगली कड़ी +के तौर पर की गई थी। इस कार्यक्रम का मकसद नई रणनीतियों +और कई उपायों के जरिये ग्रामीण समुदाय में स्वच्छता के दायरे +का विस्तार करना था। “निर्मल भारत अभियान' के तहत ग्राम +पंचायतों को निर्मल बनाने की दिशा में काम किया गया। “निर्मल +भारत अभियान' के तहत निजी शौचालय बनाने के लिए मदद में +बढ़ोतरी की गई और मनरेगा के साथ इस मद में और गुंजाइश +बढ़ाई गई। ऊपर बताए गए कार्यक्रमों की मदद से देश में ग्रामीण +स्वच्छता के स्तर पर कुछ हद तक प्रगति हुई। हालांकि, 2011 की +जनगणना के मुताबिक, ग्रामीण स्वच्छता का कवरेज (निजी शौचालय +के साथ मकान) सिर्फ 33 प्रतिशत था। | + + + +योजना, अप्रैल 2021 + +69 + + + + +0070.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +rc जल दिवस के अवसर पर +“वर्षा जल संचयन अभियान' का शुभारंभ + +प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के विकास के साथ जल संकट की चुनौती समान रूप से बढ़ रही है। उन्होंने +कहा कि देश की वर्तमान पीढ़ी की जिम्मेदारी आने वाली पीढ़ियों के लिए अपनी जिम्मेदारी को निभाना है। +उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार ने अपनी नीतियों और फैसलों में जल प्रशासन को प्राथमिकता दी है। +पिछले 6 वर्षों में, इस दिशा में कई कदम उठाए गए हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, हर खेत को +पानी अभियान, प्रति बूंद अधिक फसल अभियान और नमामि गंगे मिशन, जल जीवन मिशन तथा अटल +भूजल योजना के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि इन सभी योजनाओं पर तेजी से काम किया जा रहा है। + +धानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 22 मार्च, 2021 को विश्व जल +Uk के अवसर पर नई दिल्ली में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग + +के माध्यम से “जल शक्ति अभियान; वर्षा जल संचयन +(कैच द रेन)' अभियान की शुरुआत की। प्रधानमंत्री की उपस्थिति +में, केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री और मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश के +मुख्यमंत्रियों ने केन बेतवा लिंक परियोजना को लागू करने के लिए एक +ऐतिहासिक समझौते पर भी हस्ताक्षर किए। यह परियोजना नदियों को +आपस में जोड़ने के लिए राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना की पहली परियोजना + + + +है। प्रधानमंत्री ने राजस्थान, उत्तराखंड, कर्नाटक, महाराष्ट्र और गुजरात +के सरपंचों और वार्ड पंचों के साथ भी बातचीत की। इस अवसर +पर प्रधानमंत्री ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय जल दिवस पर “कैच द रेन +अभियान' की शुरुआत के साथ केन-बेतवा लिंक नहर के लिए +भी एक बड़ा कदम उठाया गया है। उन्होंने कहा कि यह समझौता +नदियों को जोड़ने के लिए भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी की +परिकल्पना और स्वप्न को साकार करने के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने +कहा कि आज का समझौता उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के लाखों + + + + + + +0071.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +a के हित में होगा। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि जल सुरक्षा +और प्रभावी जल प्रबंधन के बिना तेजी से विकास संभव नहीं है। उन्होंने +कहा कि भारत के विकास और भारत की आत्मनिर्भरता की परिकल्पना, +हमारे जल स्रोतों और हमारी जल कनेक्टिविटी पर निर्भर है। +प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के विकास के साथ जल संकट की +चुनौती समान रूप से बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि देश की वर्तमान +पीढ़ी की जिम्मेदारी आने वाली पीढ़ियों के लिए अपनी जिम्मेदारी +को निभाना है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार ने अपनी नीतियों +और फैसलों में जल प्रशासन को प्राथमिकता दी है। पिछले 6 वर्षों +में, इस दिशा में कई कदम उठाए गए हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री कृषि +सिंचाई योजना, हर खेत को पानी अभियान, प्रति बूंद अधिक फसल +अभियान और नमामि गंगे मिशन, जल जीवन मिशन या अटल भूजल +योजना के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि इन सभी योजनाओं पर +तेजी से काम किया जा रहा है। + +प्रधानमंत्री ने कहा कि बेहतर भारत वर्षा जल का प्रबंधन करता है, +भूजल पर देश की निर्भरता कम होती है। इसलिए, “कैच द रेन' जैसे +अभियानों की सफलता बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि शहरी और +ग्रामीण दोनों क्षेत्रों को जल शक्ति अभियान में शामिल किया गया है। +उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि जल जीवन मिशन के शुभारंभ के +बाद इतने कम समय में लगभग 4 करोड़ नए परिवारों को पाइपलाइन +के जरिये पेयजल कनेक्शन मिले हैं। उन्होंने कहा कि जन भागीदारी +और स्थानीय शासन मॉडल जल जीवन मिशन के मूल में हैं। +प्रधानमंत्री ने टिप्पणी की कि आजादी के बाद पहली बार +कोई सरकार पानी की जांच को लेकर इतनी गंभीरता से काम + +कर रही है। उन्होंने बताया कि पानी की जांच के इस अभियान में +ग्रामीण बहन-बेटियों को हिस्सेदार बनाया गया है। उन्होंने कहा कि +कोविड-19 की अवधि के दौरान, लगभग 4.5 लाख महिलाओं को +पानी की जांच के लिए प्रशिक्षित किया गया था। हर गांव में कम +से कम 5 प्रशिक्षित महिलाएं पानी की जांचकर रही हैं। प्रधानमंत्री ने +अंत में कहा कि जल प्रशासन में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी के +साथ बेहतर परिणाम मिलना निश्चित हे। + +कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री श्री +गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि आज एक ऐतिहासिक दिन है जिसे +भारत में जल प्रबंधन के इतिहास में सकारात्मक रूप से दर्ज किया +जाएगा। श्री शेखावत ने कहा कि केन बेतवा लिंक परियोजना के लिए +सर्वसम्मति केन्द्र सरकार के सकारात्मक हस्तक्षेप से प्राप्त की गई जो +जल प्रबंधन के क्षेत्र में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के गतिशील नेतृत्व +में अथक प्रयास कर रही है। समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने से +देश की पहली नदी परियोजना को जोड़ने का मार्ग प्रशस्त होगा। यह +समझौता अन्य राज्यों के लिए सहकारी संघवाद के सिद्धांतों का पालन +करने और उन्हें बरकरार रखने के लिए सही मायने में अनुकरणीय है। + +श्री शेखावत ने कहा कि देश में जल शक्ति अभियान “जब +पानी बरसे, जहां भी बरसे वर्षा जल संचयन” की शुरूआत प्रधानमंत्री +ने की है, जिसका उद्देश्य सरकारी अधिकारियों के साथ-साथ आम +जनता में बारिश का पानी के पानी का दोहन करने की क्षमताएं बनाना +है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा उठाए जा रहे ये सभी उपाय +देश में एकीकृत जल प्रबंधन के लिए गंभीरता को दर्शाते हैं। + +इस अवसर पर जल शक्तिराज्य मंत्री श्री रतन लाल कटारिया + + + + + +a ser ठिहरी TTPaTs | TEHRE GARHWAL + +ने कहा कि हमारे पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल +बिहारी वाजपेयी का सपना जल्द ही हकीकत +में बदलने जा रहा है। उत्तर प्रदेश और मध्य +प्रदेश केन-बेतवा नदी परियोजना को आपस +में जोड़ने की प्रस्तावित परियोजना से पानी +के बंटवारे पर एक समझौते तक पहुंच गए +हैं। उन्होंने राज्यों, एनडब्ल्यूडीए - राष्ट्रीय जल +विकास प्राधिकरण और जल शक्ति मंत्रालय +के सभी अधिकारियों को इस महत्वाकांक्षी +योजना को लागू करने में उनकी ईमानदारी और +समर्पण के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि +इसके अलावा जल जीव मिशन के तहत चालू +घरेलू नल का पानी उपलब्ध कराने का 100 +प्रतिशत लक्ष्य हासिल करने के लिए अंडमान +और निकोबार ने स्वयं को तीसरा राज्य/संघ +शासित प्रदेश घोषित किया है। + +इस अवसर पर जल शक्त मंत्रालय में +सचिव और अन्य प्रमुख लोग भी मौजूद थे। +7 उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री इस +&| कार्यक्रम में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से +5५ शामिल हुए। हा + +Bid : पत्र सूचना कार्यालय + + + + + + +0072.txt +<----------------------------------------------------------------------> +रजि.सं. एफ hk Licenced under U (DN)-55/2021-23 +Reg. No. DL(S)-05/3231/2021-23 at RMS, Delhi आर.एन.आई. 951 +28 मार्च, 2021 को प्रकाशित “आई, 93167 + +*० 2-3 अप्रैल, 2021 को डाक द्वारा जारी R.N.I. 951/57 + + + +अब प्रिंट संस्करण और ई-बुक संस्करण उपलब्ध + +C 2020 + + + + + + + +भारत के प्रांतों, केंद्रशासित प्रदेशों, +भारत सरकार के मंत्रालयों और विभागों तथा +नीतियों, कार्यक्रमों और उपलब्धियों की +आधिकारिक जानकारी देने वाला + +वार्षिक संदर्भ ग्रंथ +मूल्य: प्रिंट संस्करण ₹ 300/- ई-बुक संस्करण ₹ 225/- + +पुस्तक खरीदने के लिए प्रकाशन विभाग की +dqerge : www.publicationsdivision.nic.in a जाएं + +ई-बुक एमेज़ॉन और गूगल प्ले पर उपलब्ध + +देश भर में प्रकाशन विभाग के विक्रय केन्द्रों और +पुस्तक विक्रेताओं से भी खरीद सकते हैं + +El +e +ऑर्डर के लिए संपर्क करें: प्रकाशन विभाग +फोन : 011-24365609 सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, + +ईनमेल ; businesswng@gmail.com “Rd Uh + +Tae aif सूचना भवन, सी जी ओ कॉम्पलेक्स, +हमारी पुस्तकें ऑनलाइन खरीदने के लिए लोधी रोड नई दिल्‍ली -110003 + +7a www.bharatkosh.gov.in पर जाएं। वेबसाइट : www.publicationsdivision.nic.in +सूचना भवन की पुस्तक दीर्घा में पधारें दि्विटर पर फोलो करें | £7] @ DPD_indla + + + + + + + + + + + + + + + +प्रकाशक व मुद्रकः मोनीदीपा मुखर्जी , महानिदेशक, प्रकाशन विभाग, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ( भारत सरकार ) द्वारा + +प्रकाशन विभाग के लिए चन्वु प्रेस, डी-97, शकरपुर, दिल्‍ली-110092 द्वारा मुद्रित एवं प्रकाशन विभाग, सूचना भवन, +सी.जी.ओ. परिसर, लोधी रोड, नई दिल्‍ली-110003 से प्रकाशित। वरिष्ठ संपादकः कुलश्रेष्ठ कमल + + + + diff --git a/Data Collected/Hindi/Yojana_magazine_OCRed_Hindi/Yojana_2021_August_.txt b/Data Collected/Hindi/Yojana_magazine_OCRed_Hindi/Yojana_2021_August_.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..ed3979d6cf67ca1dd0e7b38ca7541fc69ed2b1e5 --- /dev/null +++ b/Data Collected/Hindi/Yojana_magazine_OCRed_Hindi/Yojana_2021_August_.txt @@ -0,0 +1,6257 @@ + +0001.txt +<----------------------------------------------------------------------> +ISSN-0971-8397 + + + +लोक प्रशासन + +प्रमुख आलेख + +भारतीय प्रशासन तंत्र +प्रोफेसर श्रीकृष्ण देव राव + +विशेष आलेख + +शासन में ईमानदारी +मीनाक्षी गुप्ता + +फोकस +भारतीय विदेश सेवा: + +निरंतर उत्कृष्ठता की ओर +\ हर्ष वी पंत + + + + + +0002.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + +[enn ... + +-- + +सिविल सर्विसेज्ञ परीक्षा की तेयारी की रणनीति + +वी पलानीचामी + +“सिविल सर्विसेज्ञ की परीक्षा मैराथन दौड़ की तरह है, जिसका मकसद जीत हासिल करना होता है।” + +'फल उम्मीदवारों की रणनीतियों में कई बातें आम होती हैं, +जैसे कि कड़ी मेहनत, प्रेरणा, समय का बेहतर प्रबंधन, +समर्पण, संकल्प, आत्मविश्वास, सुनियोजित तरीके से +अध्ययन, सकारात्मक रवैया, थैर्य, वैकल्पिक विषयों के चुनाव और +स्मार्ट तरीके से तैयारी। ये सब सिविल सर्विसेज्ञ परीक्षा के पहले या +दूसरे चरण में सफल होने के मंत्र हैं। +प्रारंभिक परीक्षा के लिए रणनीति +सिविल सर्विसेज़ की प्रारंभिक परीक्षा शुरुआती बाधा है और इसे +बेहद सावधानी के साथ पार करने की जरूरत होती है। हालांकि, संघ +लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा आयोजित इस परीक्षा के लिए 10 +लाख से भी ज्यादा आवेदन मिलते हैं, लेकिन असली मुकाबला सिर्फ +20,000 से 30,000 लोगों के बीच होता है। किसी भी उम्मीदवार को +हमेशा यह ध्यान में रखना चाहिए कि प्रारंभिक परीक्षा छंटनी की प्रक्रिया +है, न कि चयन प्रक्रिया। + +पहले प्रयास में सिविल सर्विसेज्ञ में सफल होने का मंत्र + +* पढ़ाई के लिए अपने हिसाब से समय-सारणी तैयार कर इसका +पालन सुनिश्चित करें + +* पाठ्यक्रम में शामिल सामग्री को पूरा पढ़ें और कोई भी हिस्सा न छोड़ें + +* मूल खोतों या किताबों से बेहतर नोट्स बनाएं, + +*« ज्ञान और जानकारी के स्तर को और बढ़ाने के लिए एनसीईआरटी +की किताबों से संबधित विषयों की बुनियादी जानकारी हासिल करें + +* परीक्षा के दृष्टिकोण से अवधारणा और तथ्यों को समझें और उनका +इस्तेमाल करें + +* पिछले साल के सवालों को देखें और उनका विश्लेषण करें + +* अलग-अलग अध्यायों और विषयों के आधार पर मॉक टेस्ट +का अभ्यास करना जरूरी है। इससे आपको असली परीक्षा का +अहसास मिलेगा और खुद को सुधारने में भी मदद मिलेगी + +शेष पृष्ठ 58 पर + + + + + + + +0003.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +लॉक प्रशासन +वर्ष : 65 | अगस्त 2021 | मूल्य : ₹ 22 +अक : 08 | श्रावण-भाद्रपद, शक संबत्‌ 1943 | पृष्ठ : 60 +वेबसाइट www.publicationsdivision.nic.in 4 tt +ve +. re +वरिष्ठ संपादक : कुलश्रेष्ठ कमल यो ai +संपादक : डॉ ममता रानी sa अंक में + +संपादकीय कार्यालय 8 +648 , सूचना भवन, सीजीओ परिसर, +लोधी रोड, नयी दिल्‍ली-110 003 सिविल सर्विसेज्ञ परीक्षा की लोक सेवाओं में सुधार +प्रभारी अधिकारी : सं पांडेय तैयारी की रणनीति समीरा सौरभ .................................---५-७ 30 +प्रभारी उत्पादन आर्थकार्रो : सजय कुमार पा्डंय a पलानीचामी .............................. कवर-2 st महामारी के सबक +आवरण : गजानन पी धोपे हि +डॉ राकेश कुमार...................५००००००००५०५५+ 36 +योजना का लक्ष्य देश के आर्थिक विकास से संबंधित. अमुख आलेख + +मुद्दों का सरकारी नीतियों के व्यापक संदर्भ में गहराई +से विश्लेषण कर इन पर विमर्श के लिए एक जीवंत +मंच उपलब्ध कराना है। + +योजना में प्रकाशित लेखों में व्यक्त विचार लेखकों के +अपने और व्यक्तिगत हैं। जरूरी नहीं कि ये लेखक +भारत सरकार के जिन मंत्रालयों, विभागों अथवा +संगठनों से संबद्ध हैं, उनका भी यही दृष्टिकोण हो। + +योजना में प्रकाशित विज्ञापनों की विषयवस्तु के लिए +योजना उत्तरदायी नहीं हैं। + +योजना में प्रकाशित आलेखों में प्रयुक्त मानचित्र व +प्रतीक आधिकारिक नहीं है, बल्कि सांकेतिक हैं। ये +मानचित्र या प्रतीक किसी भी देश का आधिकारिक +प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। + +योजना लेखकों द्वारा आलेखों के साथ अपने +विश्वसनीय स्रोतों से एकत्र कर उपलब्ध कराए +गए आंकडों/तालिकाओं/इन्फोग्राफिक्स के संबंध में +उत्तरदायी नहीं है। + +योजना घर मंगाने, शुल्क में छूट के साथ दरों व प्लान +की विस्तृत जानकारी के लिए पृष्ठ-53 पर देखें। + +योजना की सदस्यता का शुल्क जमा करने के बाद +पत्रिका प्राप्त होने में कम से कम 8 सप्ताह का समय +लगता है। इस अवधि के समाप्त होने के बाद ही +योजना प्राप्त न होने की शिकायत करें। + +योजना न मिलने की शिकायत या पुराने अंक मंगाने +के लिए नीचे दिए गए ई-मेल पर लिखें - +pdjucir@gmail.com +या संपर्क करें- दूरभाष; 011-24367453 + +(सोमवार से शुक्रवार सभी कार्य दिवस पर +प्रात; 9:30 बजे से शाम 6:00 बजे तक) + + + +योजना की सदस्यता की जानकारी लेने तथा विज्ञापन +छपवाने के लिए संपर्क करें- +अभिषेक चतुर्वेदी, संपादक, पत्रिका एकांश +प्रकाशन विभाग, कमर सं. 779, सातवां तल, +सूचना भवन, सीजीओ परिसर, लोधी रोड, +नयी दिल्‍्ली-110003 + + + + + +भारतीय प्रशासन तंत्र + + + +कैच द रेन - एक प्रगतिशील अभियान + +करिश्मा शर्मा.................५५५३७७७०००००००३३०००६६६ 40 +मानव विकास की शक्ति +देविका चावला .......................५५५५५५५५५०५०५७ 45 + +प्रशासनिक सेवाओं से मिलती गति लोक प्रशासन : भर्ती और प्रशिक्षण + + + +डॉ सुभाष शर्मा 12 के मूल प्रश्न +सु ++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ प्रेमपाल शर्मा ५...५५०५०५०५०५५०५५५०५०५५०५०५०.५५५०५०५०»५० 50 +विशेष आलेख +शासन में ईमानदारी +मीनाक्षी गुप्ता........... .. >> 16 + +सामाजिक बदलाव के लिये लोक प्रशासन +डॉ एम आर श्रीनिवास मूर्ति...................- 20 + +फोकस आजादी का अमृत महोत्सव +भारतीय विदेश सेवा: + +निस्तर पुस्तक चर्चा +निरंतर उत्कृष्टता की ओर 3 हे +. 1947-द स्टोरी ऑफ रिहैबिलिटेशन .....57 +BHA Td, .. 26 + +7 + +क्या आप जानते हैं? +इंडियन सार्स-कोव-2 +जीनोमिक्स कंसोर्टियम... ............ 48 + + + + + + + +प्रकाशन विभाग के देश भर में स्थित विक्रय केंद्रों की सूची के लिए देखें Ga. 39 + + + +(6070 ॥तां4 +शशि @dpd_india + + + +e| feat, safer, aren, sei, yond, Heats, मलयालम, तमिल, तेलुगु, मराठी, ओडिया, +Bel) पंजाबी तथा उर्दू में एक साथ प्रकाशित। + + + + + + + + + + + +0004.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +yojanahindi-dpd@gov.in + + + + + + +i ysl _ + +हमारे देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र पर कोॉद्रित +योजना का जुलाई 20271 अंक +व्यावहारिक सामग्री, रचनात्मक विजुअल +ग्राफिक्स ओर विषयों को चयन के सरदर्भ +में अनुकरणीय है- यह सभी इसको एक +संग्रहणीय अक बनाते हैं। + +- डॉ मनोज सोनी +सदस्य, संघ लोक सेवा आयोग + +अपने स्वास्थ्य और पर्यावरण के + +स्वास्थ्य के बीच सामंजस्य + +योजना के जून अंक में पर्यावरण व +स्वास्थ्य से संबंधित विविध आयामों को +सुस्पष्ट तरीके से प्रकाशित किया गया है। +इसमें मानव तथा पर्यावरण संबंध पर प्रकाश +डालते हुए बताया है कि जीवनशैली से +जुडे संकटों को दूर रखने के लिए अपने +स्वास्थ्य और पर्यावरण के स्वास्थ्य के बीच +सामंजस्य स्थापित करना ही होगा। स्वास्थ्य +एक प्राथमिक अधिकार है, वस्तुतः मानव +अधिकारों का मुद्दा है। शिक्षा, गरीबी, जेंडर +इन सब कारकों का हमारी सेहत से सीधा +संबंध है। अतः हमें संतुलित आहार के सेवन +पर बल देना चाहिए क्योंकि वर्तमान दौर में +विविध बीमारियां रासायनिक खाद्य पदार्थों व +असंतुलित भोजन के सेवन से उत्पन्न हुई +हैं। अत: ऐसी स्थिति में समाज को जैविक +अनाज के उत्पादन पर बल देना चाहिए। + +वही दूसरी ओर कोविड-19 विषाणु को +लेकर पूरी दुनिया में चिंताएं बढ़ी है और + +4 + + + + + + +आम vd soe + + + + + + + + + + + + + + + +SS eS + + + +सेवा में, + +प्रकाशन विभाग + +सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, +सूचना थवन, लोधी रोड, + +नई दिल्‍ली-110003 + +वे इसे गंभीर खतरे के रूप में देख रहे हैं। +इस महामारी ने हमें सामाजिक, मनोवैज्ञनिक, +भावनात्मक, चिकित्सकीय, मनोस्वास्थ्य और +आर्थिक तौर पर बुरी तरह से सताया हे। +महामारी के प्रकोप से उत्पन्न स्थिति से निपटने +के लिए वर्तमान मे कोविड प्रोटोकॉल का +पालन सुनिश्चित करके और टीका लगवा कर +विषाणु के फैलाव को रोका जा सकता है। +- सौरभ कुमार यादव +हरदोई (उत्तर प्रदेश) + +राह दिखाने वाला अंक +योजना का जून, 2021 का अंक +विश्लेषण के दृष्टिकोण का विकास करने +वाला और संकट के वर्तमान समय में राह +दिखाने वाला रहा। इस अंक के अंतर्गत डॉ +सुचिता कृष्णप्रसाद ने अपने आलेख “महामारी + +को अपने नित्य जीवन में अपनाने पर बल +दिया है। “गांधीवाद' महात्मा गांधी के +विचारों को ही कहा जाता है। गांधीवाद की +अवधारणा के अनुसार, हर वह व्यक्ति +गांधीवादी है, जो अपने दायित्वों के निर्वहन +के प्रति समर्पित रहता हो; जो अहिंसक +विचारधारा का समर्थक हो अर्थात जो +किसी भी माध्यम से हिंसा न करता हो; +जो साहसी हो अर्थात जो सत्य बोलने और +असत्य का विरोध करने का साहस रखता हो; +जो मानवतावादी व लोकतांत्रिक मूल्यों का +संरक्षक हो अर्थात जो मानव सेवा व कल्याण +को सर्वोपरि रखता हो; और जो बौद्धिक, +विवेकशील व सहनशील हो। गांधीवाद के +अनुसार, किसी भी व्यक्ति के मन को अपनी +वाणी से दुख पहुंचाना भी हिंसा है। गांधीवाद +रामराज्य की अवधारणा से प्रभावित है। यह +विचारधारा सार्वजनिक व निजी दोनों जीवन +में नेतिक मूल्यों के अनुपालन पर बल देता +है। यह आपसी विद्वेष व असहिष्णुता की +भावना, धार्मिक, साम्प्रदायिक व जातीय +कट्टरता का विरोध करता है और इसे +सम्पूर्ण सृष्टि के अस्तित्व के लिए खतरा +बताता है। मनुष्य अपने समस्त दुःखों व +समस्याओं से गांधीवाद को अपने जीवन में +लागू कर मुक्त हो सकता है। अंत में, कहा +जा सकता है कि महात्मा गांधी के विचार +वर्तमान में भी प्रासंगिक हे। +- अमित कुमार “विश्वास' +रामपुर नौसहन, हाजीपुर, वैशाली, बिहार + + + + + +और गांधीवादी परिप्रेक्ष्य' के +माध्यम से वर्तमान में महात्मा + +Se के आगामी अंक + + + +गांधी की प्रासंगिकता +को बखूबी समझाया है। +उन्होंने गांधीवाद के मूल्यों + + + +सितंबर 2021 - नारी शक्ति! + +आज ही अपनी प्रति निकटतम पुस्तक विक्रेता के पास सुरक्षित कराएं। + +शीघ्र आ रहा है- “विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी' पर केंद्रित अंक + + + +योजना, अगस्त 2021 + + + +0005.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + + + + + + + + + + + +अधिकार और दायित्व + +गर मानव जाति का लक्ष्य ही स्वतंत्र रहना है तो उसको प्रशासन की क्‍या जरूरत है? लोक प्रशासन की आवश्यकता +aT क्यों है? क्‍या लोक का प्रबन्धन या उसको प्रशासित किया जाना जुरूरी है अथवा लोक तथा समाज को स्थायित्व देने +के लिए प्रशासकों की आवश्यकता है? क्‍या लोक प्रशासन का दायरा मात्र प्रबंधकीय संसाधनों तक सीमित है अथवा इसके +साथ व्यवस्था के व्यापक मुद्दे जुड़े हैं? लोक प्रशासन पर विचार करते समय हमें इन व्यापक क्षेत्रों के बारे में भी सोचना होगा। +भारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण समाज में संसाधनों और सेवाओं का न्यायपूर्ण वितरण ही सभी की समृद्धि का मूल +मंत्र है। इस चर्चा को सही दिशा महात्मा गांधी का प्रसिद्ध जंतर देता है। गांधीजी के शब्द हैं- “तुम्हें एक जंतर देता हूं। जब भी +तुम्हें संदेह हो या तुम्हारा अहं तुम पर हावी होने लगे, तो यह कसौटी अपनाओ - जो सबसे गरीब और कमज़ोर आदमी तुमने +देखा हो, उसकी शक्ल याद करो और अपने दिल से पूछो कि जो कदम उठाने का तुम विचार कर रहे हो, वह उस आदमी के +लिए कितना उपयोगी होगा।” लोक प्रशासन ऐसी व्यवस्था है जो सुनिश्चित करे कि जो भी कार्य सोचे या किए जा रहे हें वे +सबसे निर्धन-वंचित व्यक्ति सहित सभी लोगों के विकास, भलाई और खुशहाली के लिए हों। +प्रशासन या प्रबंधन का कार्य मानव शरीर की कार्य-प्रणाली की तरह है। मस्तिष्क शरीर के सभी प्रमुख अंगों को काम +करने और जीवित रहने के लिए संदेश भेजता है; हृदय ताजा रक्त धमनियों के जरिए शरीर के हर अंग तक पहुंचाता है; शरीर +के हर अंग का अपना विशिष्ट कार्य है और हर अंग को अपने विकास और जिंदा रहने के लिए पर्याप्त पोषण चाहिए। लोक +प्रशासन किसी भी सरकार के काम-काज का तंत्रिका केंद्र है जो सुनिश्चित करता है कि शरीर (यानी देश-समाज में) के सभी +काम ठीक से हो रहे हैं और अगर कहीं कुछ गलत हो रहा होता है तो पहले से ही निर्धारित प्रक्रियाओं को अपनाते हुए समय +रहते हस्तक्षेप कर गलती ठीक कर ली जाती है। +इस तुलना को एक अन्य तरीके से समझते हैं। अगर मस्तिष्क एक हाथ पर ज्यादा ध्यान देने लगे और दूसरे हाथ की उपेक्षा +करने लगे तो उपेक्षित हाथ में लकवा हो जाएगा। इसलिए प्रशासन में निष्पक्षता का सही आधार है कि सभी के साथ समान व्यवहार +किया जाए। +अब ऐसी स्थिति की कल्पना करें कि शरीर के किसी हिस्से में घाव हो जाए जिसका ठीक होना जुरूरी है, लेकिन श्वेत +रक्त कोशिकाएं थोड़ा अतिरिक्त प्रयास कर तुरंत वहां जाने से मना कर दें तो घाव में सड़न आ जाएगी। इसलिए प्रशासन से +जुडे व्यक्ति के लिए कर्तव्य और जिम्मेदारी का अहसास बेहद जरूरी है। +अगर मस्तिष्क अथवा हृदय अचानक अवकाश ले ले या बहुत थका होने या आलस की वजह से काम करना टाल दे तो +शरीर के लिए कितना घातक हो सकता है! इसीलिए प्रशासन के अंतर्गत आने वाली हर प्रणाली का कुशल तथा उत्पादक होना +और सही समय पर अपना काम करना आवश्यक है। +एक अन्य तुलना देखिए। अगर हाथ, केवल मस्तिष्क को खुश करने के लिए ही प्लेट से अखरोट उठाए और इसके बदले +में मस्तिष्क हृदय को निर्देश दे कि उस हाथ को कुछ अतिरिक्त खून पहुंचा दिया तो क्या होगा? इसी तरह भ्रष्टाचार पूरी व्यवस्था +में असंतुलग और विकृति पैदा कर सकता है। +इसलिए, एक सक्षम प्रशासक में निष्पक्षता और श्रेष्ठठटम स्तर की कार्य-कुशलता, उत्पादकता और सत्य-निष्ठा आवश्यक है। +सक्षम प्रशासक बनने के लिए देश और देशवासियों के प्रति सेवाभाव होना अनिवार्य है। +'शासन' में “प्र” उपसर्ग जोड़ने से 'प्रशासन' शब्द बनता है। 'प्र' उपसर्ग किसी शब्द को अधिक सशक्त बनाता है। इसलिए, +“*प्रशासन', 'शासन' को ज्यादा कारगर बनाता है। 'शासन' (सरकार) की नीतियों पर कारगर तरीके से अमल 'प्रशासन' ही कराता है। +पीटर पार्कर का प्रसिद्ध कथन- “अधिक शक्ति या सत्ता के साथ अधिक जिम्मेदारी भी आती है” - अक्सर उद्धृत किया +जाता है। सत्ता और अधिकारों वाले पदों पर आसीन व्यक्तियों के लिए यह कथन हमेशा प्रासंगिक रहेगा। 'योजना' के इस अंक +में लोक प्रशासन के विविध पक्षों - इसकी क्षमताओं, ऐतिहासिक परिप्रेन्‍्य और लोक सेवाओं में सुधारों के अगले स्तर के बारे में +चर्चा की गई है। = + +योजना, अगस्त 2021 5 + + + +0006.txt +<----------------------------------------------------------------------> +परिप्रे + +भारतीय प्रशासन तंत्र +प्रोफेसर श्रीकृष्ण देव राव + +ब्यूरोक्रेती यानी अफसरशाही देश के प्रशासनिक तंत्र की रीढ़ है जो सरकार की स्थायी कार्यकारिणी शाखा +भी है। भारत अनेक प्राचीन सभ्यताओं की भूमि रहा है और यहां बहुत पहले ही जन-प्रशासन की कला +और उसका विज्ञान विकसित किए गए थे। ऐतिहासिक साहित्य के अध्ययन से पता चलता है कि भारत में +लोक-प्रशासन का उल्लेख कौटिल्य रचित “अर्थशास्त्र' में किया गया है। इसके बाद के अगले महत्वपूर्ण +दौर में भारत में गुप्तकाल का समय आया जिसे इतिहासकार “स्वर्णिम काल' की संज्ञा भी देते हैं। भारतीय +ब्यूरोक्रेसी ( अफसरशाही तंत्र ) के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य' पर चर्चा भारत में सिविल सेवाओं के इतिहास के +अवलोकन से शुरू होती है। इस लेख के दूसरे भाग में सिविल सेवाओं में भर्ती हुए उन शुरुआती भारतीयों +की बात शामिल की गई है जो संस्थागत मूल्यों और प्रतिबद्धता के प्रति अडिग आस्था रखते हैं। भारतीय +संविधान में भी अनुच्छेद 310, 311 और 312 के अंतर्गत इन सेवाओं को राजनीतिक हस्तक्षेप और अकारण +परेशान करने की प्रवृत्ति से बच्चाव की व्यवस्था की गई है। इस बारे में लेख के तीसरे भाग में चर्चा की गई +है जिसमें संविधान और सिविल सेवा का विश्लेषण किया गया है। चौथे भाग में भारतीय सिविल सेवा की +अग्रणी नेतृत्व वाली भूमिका की चर्चा है और पांचवें भाग में भारतीय सिविल सेवाओं के समक्ष चुनौतियों +और उनमें अपेक्षित सुधारों का उल्लेख किया गया है। + + + + + + + +0007.txt +<----------------------------------------------------------------------> +भारत में सिविल सेवाओं का इतिहास +“सिविल सेवा' की मूल अवधारणा ईस्ट +इंडिया कम्पनी को देश में नागरिक और +सैनिक व्यवस्था बनाए रखने के उद्देश्य से +सैनिकों को कॉडर बनाने संबंधी अधिकारी +देने संबंधी नागरिक जनादेश यानी चार्टर जारी + +19वीं शताब्दी के मध्य में प्रतियोगी +परीक्षाओं की प्रणाली लागू करने + +की महत्वपूर्ण शुरुआत हुई जिसके +अंतर्गत किसी की सिफारिश या + +रखने का दायित्व निभा रही थीं। + +19वीं शताब्दी के मध्य में प्रतियोगी +परीक्षाओं की प्रणाली लागू करने की +महत्वपूर्ण शुरुआत हुई जिसके अंतर्गत किसी +की सिफारिश या संदर्भ के आधार पर +अधिकारी रखने की जगह प्रतियोगी परीक्षा + +होने के साथ शुरू हुई मानी जाती है। भारतीय संदर्भ के आधार पर अधिकारी लेकर योग्यता के आधार पर नियुक्ति करने +प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी श्री दीपफी रखने की जगह प्रतियोगी परीक्षा की व्यवस्था शुरू हो गई। + +गुप्ता ने अपनी पुस्तक- 'द स्टील फ्रम : ए लेकर योग्यता के आधार पर लोक सेवाओं में सुधार के लिए “मैकाले +fest ain द आईएएस ' में टिप्पणी की है नियुक्ति करने की व्यवस्था शुरू कमेटी ' से लेकर 'इस्लिंग्टन कमेटी' और फिर + +कि इन अधिकारियों को धीरे-धीरे व्यापार- +अधिकारियों से प्रशासनिक अधिकारियों में +परिवर्तित कर लिया गया जो “कॉविनेन्ट्स +यानी प्रतिज्ञापत्रों पर हस्ताक्षर कर सकते थे +और इस प्रकार उन्हें 'कॉविनेटेड सिविल सेवा! + +हो गई। लोक सेवाओं में सुधार +के लिए “मैकाले कमेटी' से लेकर +“इस्लिंग्टन कमेटी' और फिर “ली + +आयोग' बनाए गए थे और इन + +“ली आयोग' बनाए गए थे और इन सभी ने +संवैधानिक लोक सेवा आयोग गठित करने की +जोरदार सिफारिश की थी। + +संविधान सभा की बहसों के दौरान +भारतीय सिविल सेवा के अधिकारियों को + +का अंग बना लिया गया। “कॉविनेटेड” और संवैधानिक बनाए रखने पर तथा उनकी भूमिका और निष्ठा +“अनकॉविनेटेड” (यानी अधीनस्थ) सेवा के ee 8 eae oe पर विस्तार से चर्चा और बहस की गई और +बीच एक बड़ा अन्तर यह था कि “कॉविनेटेड आयाग गाठत कर रदार यह चर्चा भी हुई कि क्‍या स्वतंत्रता के बाद +सेवा के अधिकारियों की भर्ती इंग्लैंड से सिफारिश की थी। भी यह व्यवस्था लागू रखना बुद्धिमानी होगी। + +की जाती थी जबकि अधीनस्थ सेवाओं के + +अधिकांश अधिकारी भारत से ही होते थे। इसी “अनकॉविनेटेड ” सेवा +को बाद में भारतीय सिविल सेवा (आईसीएस) का नाम दिया गया +और इन अधिकारियों का दायित्व महारानी की ओर से यहां के मामलों +को संभालना और निपटाना था। ये सिविल सेवाएं बाद में 'स्टील फ्रेम! +नाम से जानी गई जो पहले विशाल ब्रिटिश साम्राज्य का नियंत्रण बनाये + + + +हम सरदार वल्‍लभ भाई पटेल के योगदान को + +नहीं भुला सकते जिन्होंने स्वतंत्र भारत में सिविल सेवाओं के गठन +के लिए सबसे अग्रणी भूमिका निभाई थी और इसीलिए उन्हें ' भारत +का लौह पुरुष' कहा जाता है। +सिविल सेवाओं में आने वाले शुरुआती भारतीय + +आईसीएस परीक्षा पास करने वाले पहले भारतीय थे सत्येन्द्र +नाथ टेगोर, जिन्होंने 1864 में यह सफलता प्राप्त की थी। यह याद +रखना भी जरूरी है कि मोन्‍्टैगो चेम्ससफोर्ड सुधारों के बाद 1922 +तक यह परीक्षा सिर्फ लन्दन में ली जाती थी जिसकी वजह से +भारतीय लोगों को परीक्षा देने के लिए वहां जाने की परेशानी झेलनी +पड़ती थी और आम भारतीय के लिए तो यह बूते से बाहर ही था। +फिर भी परीक्षा पास करने वालों में भारतीयों की संख्या अच्छी-खासी +थी। इनमें प्रमुख नाम हैं बिहारी लाल गुप्ता और रोमेश चंद्र दत्त जो +आगे चलकर 1899 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष बने। उन्होंने +“द इकोनॉमिक हिस्ट्री ऑफ इंडिया पुस्तक भी लिखी जो इस विषय +की शुरुआती पुस्तक मानी जाती है। + +नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने भारतीय सिविल सेवा की परीक्षा पास +तो कर ली थी लेकिन उन्होंने इस सेवा के तहत काम करने से इंकार +कर दिया जिससे उनके सैद्धांतिक मूल्यों और निष्ठा का पता चलता +है और यह फैसला उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान लिया था। सर +बेनेगल नरसिंग राव एक अन्य आईसीएस अधिकारी थे जिन्हें भारत के +स्वतंत्र होने से एक वर्ष से कुछ ज्यादा समय पहले 1 जुलाई, 1946 +को संविधान सलाहकार नियुक्त किया गया था। वे आगे चलकर +अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में पहले भारतीय जज (न्यायाधीश) बने। + +सिविल सेवा में शुरू में शामिल होने वाले कुछ भारतीय +अधिकारियों ने समय की मांग के अनुरूप भूमिका निभाई और भारत +में लोकतंत्र को उसके सही रूप और सच्ची भावना में सशक्त बनाने + + + + + +लेखक दिल्‍ली की नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के कुलपति हैं। +ईमेल; ve@nludelhi.ac.in + + + +0008.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + + + +सत्येंद्र नाथ टेगोर +के उद्देश्य से अडिग संस्थागत मूल्यों, तौर-तरीकों और प्रणालियों में +दृढ़ आस्था का परिचय दिया। इनमें भारत के प्रथम मुख्य चुनाव +आयुक्त सुकुमार सेन का नाम भी प्रमुख है जो बाद में सूडान के +पहले मुख्य चुनाव आयुक्त भी बने। +भारत में सिविल सेवाओं की सफलता का बड़ा श्रेय कैरियर +ब्यूरोक्रेट्स को जाता है क्‍यों कि वे भ्रष्टाचाय और लोभ लालच में न +पड़कर निष्पक्षता से सेवा भाव से कार्य करते हैं। 'एकता में बल हे' +और 'भाईचारा तथा सौहार्द' ही सिविल सेवाओं के अधिकारियों के +मूलमंत्र हैं। ये अधिकारी अपने अधीनस्थों को नीचा दिखाने जैसा काम +नहीं करते बल्कि उनमें विश्वास का भाव जगाने की शैली अपनाते हैं +तथा अपने बेचों के अधिकारियों से निकटता और अपनापन बढ़ाकर +प्रतिकूल परिस्थितियों से निपटते हैं। +संविधान और सिविल सेवाएं +भारतीय संविधान के अनुच्छेद 310, 311 और 312 केन्द्र और +राज्य के अंतर्गत सेवाओं के बारे में हैं। अनुच्छेद-310 में व्यवस्था है कि +केंद्रीय और अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों की नियुक्ति भारत +के राष्ट्रपति करते हैं और राज्य-स्तर की सेवाओं +के अधिकारियों की नियुक्ति संबंधित राज्यों के +राज्यपाल करते हैं। राष्ट्रपति और राज्यपाल की +प्रसन्नता बनी रहने तक वे अपने पद पर बने +रहते हैं। इसलिए उनका कार्यकाल सुनिश्चित +और सुरक्षित रहता है। अनुच्छेद-311 में सेवा से +हटाने, बर्खास्त करने और पद घटाने (अवनति + + + +जिससे कानून की प्रक्रिया का पालन करने की +पक्की व्यवस्था रहती है। यह भी सुनिश्चित +किया जाता है कि सिविल अधिकारी अकारण +राजनैतिक हस्तक्षेप (दबाव) या परेशानी के +शिकार न बनें। अनुच्छेद-312 में व्यवस्था +दी गई है कि अखिल भारतीय सेवाएं, संघ +लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) और विभिन्‍न +राज्यों के राज्य लोक सेवा आयोग संवैधानिक +संस्थाएं हैं। + +सिविल सेवाओं के अधिकारियों ने स्वतंत्र + + + +योगेश Tk TT बी एन राव + +आईसीएस परीक्षा पास करने वाले +पहले भारतीय थे सत्येन्द्र नाथ +टैगोर, जिन्होंने 1864 में यह +सफलता प्राप्त की थी। यह याद +रखना भी जरूरी है कि मोन्‍्टैगो +करने) से जुड़ी प्रक्रियाएं और शर्तें शामिल हैं चैम्ससफोर्ड सुधारों के बाद 1922 +तक यह परीक्षा सिर्फ लन्दन में ली +जाती थी जिसकी वजह से भारतीय +लोगों को परीक्षा देने के लिए वहां +जाने की परेशानी झेलनी पड़ती थी +और आम भारतीय के लिए तो +यह बूते से बाहर ही था। फिर भी +परीक्षा पास करने वालों में भारतीयों +की संख्या अच्छी-खासी थी। + + + +और निष्पक्ष चुनावों के आयोजन, आपदा प्रबंधन, सड़क और रेल +जैसी महत्वपूर्ण सुविधाओं के निर्माण और रखरखाव तथा राष्ट्रीय +एकता और अखंडता को बनाए रखने जैसी राष्ट्रीय महत्व की अनेक +गतिविधियों में अहम भूमिका निभाई है। + +हर वर्ष 21 अप्रैल को 'सिविल सेवा दिवस' के रूप में मनाया +जाता है और उस दिन सिविल सेवाओं के अधिकारियों को लोगों की +सेवा के प्रति समर्पण का भाव रखने और अपना कर्तव्य पूरी निष्ठा के +साथ बढ़िया ढंग से निभाने की बात याद दिलाई जाती है।” जिलों और +केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा किए गए उल्लेखनीय कार्यों के लिए +प्रधानमंत्री के श्रेष्ठता पुरस्कार भी प्रदान किए जाते हैं। +सिविल सेवाओं के अधिकारी युवाओं के आदर्श हैं + +भारत में लाखों विद्यार्थी हर वक्‍त सिविल सेवा परीक्षा पास +करने की आस लगाए रहते हैं। इन युवाओं के सिविल सेवा में आने +के अपने-अपने अलग कारण हो सकते हैं पर एक बड़ा कारण +किसी जाने-माने सिविल सेवा अधिकारी का अनुकरण करने की +प्रबल इच्छा होती है। इसका सही और सटीक उदाहरण है 1956 के +बेच के लोकप्रिय आईएएस अधिकारी एसआर +शंकरन। उनका नाम उन गिने-चुने सिविल +सेवा अधिकारियों में है जिनकी प्रतिमा बनाई +गई है और उनका नाम आंध्र प्रदेश के घर-घर +में लोकप्रिय है। बंधुआ मजदूरी समाप्त करने +की दिशा में उनके प्रयास और बेहद गरीबी +में जीवन जी रहे लोगों के उत्थान के कार्य +में उनकी जबरदस्त पहल को समाज के सभी +वर्गों के लोगों ने सराहा है और विशेष रूप से +उन्होंने जो सफाई कर्मचारी आन्दोलन चलाया +था उससे तो सभी उनके प्रशंसक बन गए थे। + +माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्य नडेला +के पिता बीएन युगंधर भी ऐसे सिविल सेवा +अधिकारी थे जिनकी बडी संख्या में लोग +प्रशंसा करते थे। 2 रुपये प्रति किलोग्राम की +दर पर चावल उपलब्ध करवाने की योजना +से जल संरक्षण विकास परियोजनाएं चलाने +और लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन + +योजना, अगस्त 2021 + + + +0009.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +Gy Te ae + +अकादमी के युवा प्रशिक्षुओं के मार्गदर्शन जैसे महत्वपूर्ण प्रयासों +के कारण ही उनका नाम आज भी सत्ता के गलियारों में अत्यंत +सम्मानपूर्वक लिया जाता है। एक ताजा उदाहरण के तौर पर +आईएएस अधिकारी मधुलकर शेट्टी अभी कुछ वर्ष पहले हमारे +बीच से सदा के लिए चले गए। लोकायुक्त के रूप में कार्यकाल +के दौरान शेट्टी ने एक अन्य आईपीएस अधिकारी हर्ष गुप्ता +के साथ मिलकर उन रईस किसानों का जबरदस्त विरोध किया +जिन्होंने गरीब ग्रामीणों की जमीन पर जबरन कब्जे कर लिए +थे। इन दोनों अधिकारियों ने चिकमंगलुरु के ग्रामीण लोगों की +जबरन कब्जाई गई जमीनें वापिस दिलाई थीं। इनके प्रति आभार +प्रकट करते हुए इन ग्रामवासियों ने समूचे गांव का नाम ही +“गुप्ता-शेट्टी हल्ली' रख लिया ame +सिविल सेवाओं की चुनौतियां और सुधार + +भारत में स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद विकास का सामाजिक कल्याण +मॉडल अपनाया गया था जिससे अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्रों में +सरकारी हस्तक्षेप की संभावना बहुत बढ़ गई। प्रशासन तंत्र को सुचारू +और गतिशील बनाने के लिए व्यवहारिक सोच रखना और समानता +तथा समभाव पर आधारित नीति पर चलना + +सुकुमार सेन ः + + + +बी एन are + +प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण, विशेषज्ञता हासिल करने की जरूरत, दक्षता +और जवाबदेही आदि के बारे में बदलाव और सुधार के सुझाव दिए +हैं। दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग (वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता +वाले) में खामियों का उल्लेख करते हुए भर्ती, कामकाज की प्रगति, +और परिणामोन्मुख प्रशासन-तंत्र विकसित करने के सुझाव रखे गए थे। + +पिछले दशक में कई सुधार लागू किए गए हैं। इनमें विशेषज्ञ +परामर्श सेवाएं प्राप्त करने के उद्देश्य से संयुक्त सचिव स्तर पर सीधी +भर्ती करना, सिविल सेवा अधिकारियों के लिए विभिन्न स्तरों पर +ट्रेनिंग की व्यवस्था करना और कार्य-प्रगति की आकलन रिपोर्ट तैयार +करना शामिल हैं। + +हमारे देश के लोगों को प्रशासनिक अधिकारियों से बेहतर +प्रशासन और जवाबदेह व्यवस्था की अपेक्षा है। सूचना का अधिकार +कानून, 2005 जैसे विधेयक आने से नागरिकों के लिए जानकारी +प्राप्त करने के नियम और प्रक्रियाएं निर्धारित कर दी गई हैं जिससे +प्रशासन व्यवस्था में अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही आई है। +भारत सरकार के प्रशासनिक सुधार एवं जन शिकायत विभाग +द्वारा शुरू की गई “'सिटिजन्स चार्टर' यानी नागरिक अधिकार पत्र +व्यवस्था के अंतर्गत “लोगों की अपेक्षा के + +होता है। जनता की सेवा के लिए नियुक्त सिविल सेवा में शुरू में अनुरूप सेवा मानक और समय-सीमाएं तय +अधिकारियों को राजनीतिक मेलजोल या शामिल होने वाले कुछ भारतीय की जानी चाहिए जो उचित और व्यवहारिक +गठजोड़ अथवा राजनीतिक संबंध नहीं रखने अधिकारियों ने समय की मांग हों और इनमें शिकायतों की सुनवाई और +चाहिए बल्कि बिना पक्षपात किए निष्ठापूर्वक उनके निवारण तथा स्वतंत्र जांच की व्यवस्था +ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का पालन करना के अनुछूप भूमिका निभाई और होनी चाहिए। फिर, नागरिक और उपभोक्ता +चाहिए। भारत में लोकतंत्र को उसके सही भी इनमें शामिल किए जाने चाहिए।' इसमें + +उनके लिए संविधान सर्वोपरि होता है +इसलिए उन्हें हरदम संविधान की परिधि में +रहकर काम करना चाहिए। लोक प्रशासन में +नैतिक मूल्य सबसे महत्वपूर्ण होते हैं। सिविल +सेवाओं के अधिकारियों को बहुत ज्यादा +अधिकार और शक्तियां प्राप्त होती हैं, ऐसे में +नेतिक बल के आधार पर ही सुशासन स्थापित +किया जा सकता है। + +अनेक समितियों ने सिविल सेवाओं में +भर्ती, कार्यकाल के दौरान समय-समय पर + +योजना, अगस्त 2021 + +रूप और सच्ची भावना में सशक्त +बनाने के उद्देश्य से अडिग संस्थागत +मूल्यों, तौर-तरीकों और प्रणालियों +में दृढ़ आस्था का परिच्रय दिया। +इनमें भारत के प्रथम मुख्य चुनाव +आयुक्त सुकुमार सेन का नाम भी +प्रमुख है जो बाद में सूडान के +पहले मुख्य चुनाव आयुक्त भी बने। + +विजन और मिशन का वितरण शामिल है +जिससे यह पक्का हो जाता है कि उपयोगकर्ता +की जरूरतों और शिकायतों का निपटारा कर +दिया गया है। + +ब्यूरोक्रेोसी और खासकर प्रशासनिक सेवा +से जुडी हाल में शुरू हुई बहस 'सभी कार्य कर +सकने ale’ (Generalists) और “विशेषज्ञ' +(Specialists) अधिकारियों की तुलना पर +उठी है। प्रशासक की भूमिका अपनी यूनिट +में कामकाज निष्पक्ष, समानता पर आधारित + +9 + + + +0010.txt +<----------------------------------------------------------------------> +और कुशलतापूर्वक सुनिश्चित कराने की है और उपडिवीजन और +जिले से लेकर राज्य और केन्द्र के विभिन्न विभागों और मंत्रालयों +तक यही व्यवस्था बनी रहनी चाहिए। इसलिए जनशिकायतें सुनकर +शीघ्र ही कुशलतापूर्वक उनका समाधान करने के वास्ते जरूरी है +कि प्रशासनिक अधिकारी को विभिन्न मुददों, विभागों, नियमों और +दायित्वों की अच्छी जानकारी हो। इसलिए स्वास्थ्य, कृषि, रक्षा आदि +विविध क्षेत्रों से जुड़ी शिकायतों के प्रभावी एवं तत्काल समाधान के +लिए प्रशासनिक अधिकारी को सभी विषयों की संतुलित जानकारी +होना जरूरी है न कि किसी क्षेत्र की विशेषज्ञ जानकारी मात्र होना। + +कहा तो यह भी जाता है कि प्रशासन की योग्यता अपने-आप +में एक बड़ी विशेषज्ञता है। फिर भी, उच्च स्तर पर पहुंचकर विशेषज्ञ +जानकारी अधिकारियों के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकती है। इसके +लिए शैक्षिक योग्यता, रुचि और अनुभव ही आधार बन सकते हैं। +प्रौद्योगिकी के विकास और सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनों को देखते +हुए यह सुनिश्चित करना होगा कि इन क्रांतिकारी बदलावों के कारण +कहीं हमारे नीतिगत सुधार न पिछड॒ जाएं। + +आईआईटी, आईआईएम एनएलयू के नए ग्रेजुएट और डॉक्टर, +चार्टर्ड एकाउंटेंट आदि भी हर वर्ष यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा +में बैठते हैं। इससे ब्यूरोक्रेसी में नई ऊर्जा और सोच आई है। ये लोग +अपनी व्यवसायिक योग्यता और विशेषज्ञ जानकारी से प्रशासनिक +सेवाओं को और सशक्त बना रहे हैं। कहा जा सकता है कि यह लोग +देश के प्रशासन तंत्र में क्रांतिकारी सुधार ला रहे हैं। + +पिछले कुछ दशकों में मैं ऐसे कई सिविल सेवा अधिकारियों से + +मिला जिन्होंने देश की प्रगति और उन्नति में जबरदस्त योगदान किया + +है। उनके कार्य को बारीकी से देखकर मुझे यह समझ आया कि + +वकील किसी भी सिविल सेवा में कुशलता से काम करने में सफल +हो सकते हैं। लॉ कॉलेजों में अपना पक्ष प्रस्तुत करने की कला, +वाकपटुता, वाद-विवाद प्रतियोगिता आदि के जरिये उन्हें निपुण बना +देते हैं और ड्राफ्ट लिखने की कला भी भली प्रकार सीख लेते हैं। +उनमें समग्र सोच विकसित हो जाती है। इनके साथ ही, लॉ कॉलेज +संवैधानिक मूल्यों और नेतिक सिद्धान्तों की भी शिक्षा देते हैं जो +कैरियर ब्यूरोक्रेट के लिए बेहद उपयोगी होती है। + +उदाहरण के लिए, दिल्‍ली की नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी और अन्य +लॉ कॉलेजों के विद्यार्थी पिछले कुछ वर्षो में बड़ी संख्या में सिविल +सेवाओं के लिए चुने गए हैं। तभी तो विद्यार्थी अब लॉ की पढ़ाई +ज्यादा पसंद करने लगे हैं। + +अतः यह जरूरी है कि विविध सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि +और शैक्षिक योग्यता वाले युवा ज्यादा से ज्यादा संख्या में प्रशासनिक +सेवाओं में आएं और राष्ट्रनिर्माण के महान कार्य में सहयोग atl oe +संदर्भ + +1. वैधानिक मान्यता चार्टर एक्ट, 1793 में मिली। + +2 1947 में भारत के प्रथम गृहमंत्री सरदार पटेल ने इस दिन नई दिल्‍ली के +मेटकॉफ हाउस में आईएएस प्रोबेशनरों को संबोधित किया था। विवरण; +https://darpg.gov.in/relatedlinks/civil-services-day W SUcTH al + +3. Has AMT A Wa al ‘eect’ Hed ZI +विवरण https://darpg. gov.in/citizens-charters-historical-background +पर उपलब्ध है। + + + +सडक ग्रिंट संस्करण और ईन्बुक संस्करण उपलब्ध + + + +PE | 2 तथा नीतियों, कार्यक्रमों और उपलब्धियों की +आधिकारिक जानकारी देने वाला + +वार्षिक संदर्भ ग्रंथ + +oo: प्रिंट संस्करण ३ आजा ईन्बुक संस्करण है 775/- +पुर चअरीदने के जिए प्रकाशन Tea) att + +adage ¢ www publicationsdivision.nic.in पर जाएँ +ईन्युक एग्रैजोंन और गुगंस प्ले पर उपलब्ध + +देंशा पर में प्रकाशन विभाग को विक्रम Eee) afc + +पुरसक विक्रेताओं शें भी खरीद सकते हैं + +ire ak Foy aga nt a eT di > bese gma. com + + + + + +HR & ural, कंद्रेशापित weet. ara ava के मत्रालेयों और + +amd] eid atddig aaict & faa eran bharalkosh.govin 3 we | + +भारत +2021 + + + +प्रकाशन विभाग + +सूचना एवं प्रसारण मंजालय, + +गारत सरकार + +सूचना भवन, सी जी ओ फॉम्पलेफ्रा, + +लोधी whe ad Rrectt -1 10003 + +वेबसाइट © www. pUblicationsdivision nic.in + + + +face esha et RF Oro le + + + +10 + +योजना, अगस्त 2021 + + + +0011.txt +<----------------------------------------------------------------------> +rN + +RU । | है।। ॥ +MIT-SOG Government + +Kindling the flame of Democratic Leadership... + +Join Us + +for emerging +(3/९९।/ 0090170(७॥॥।(६1९५ + +in Politics + +Master’s Degree Program in + +ADMISSION OPEN +Political Leadership & + +M PG Government + +Batch 2021-23 + +- 1st year on-campus learning +- 2nd year field training & internships + + + + + +“Only the educated youth of India can bring + +about the much needed change in Politics” +- Rahul V, Karad, Initiator, MIT-SOG + +PROGRAM HIGHLIGHTS: + +Interactive sessions with Political leaders. + +Visits to Gram Panchayat, Zilla Parishad, +Municipal Corporation, State Aassembly. + +paign & Electi +Management, National Study Tour to Delhi. + +Optional International Study Tour to Europe. + +Apply Online + +mitsog.org | mitwpu.edu.in +Email: sog@mitwpu.edu.in + + + +Dy st Ad + +steele arg + +EW 11५ ही) 11 ०४ मै + +BE MC Ue) + +CAREER PROSPECTS | + +RESEARCH | POLITICAL | POLITICAL +ASSOCIATE | ANALYST | STRATEGIST + +CAMPAIGN |_| CONSTITUENCY +MANAGER : MANAGER + +CONTEST ELECTIONS & +BE A PART OF ACTIVE POLITICS + +OFFICE BEARERS IN PROMINENT +POLITICAL PARTIES + +MIT-SOG has 450 strong alumni. Many of whom +are associated with political parties and political +leaders. Some have contested elections from +Gram Panchayat to Parliament and some are +associated with the offices of Governor, Chief +Minister, and Speaker while others are active in +youth wings of political parties. + + + + + + + +Eligibility: Graduate with min. 50% aggregate + +FIRST INSTITUTE OF ITS KIND TO +CREATE FUTURE +POLITICAL LEADERS + +(nO STURT LAE + + + + + +DO: + +MIT-WPU + +11 arenes er ॥। + + + + + +@ Mo.: 98508 97039, 77200 61611 © 91460 38947 + +- MIT School of Government is part of MIT World Peace University +recognised by the UGC under the Govt. of Maharashtra Act XXXV 2017, since 2017 + +- MPG PG Degree is confered as Master of Arts (MA) in Political Leadership & Government + + + + + + + +योजना, अगस्त 2021 11 + + + + +YH-1616/2021 + + + +0012.txt +<----------------------------------------------------------------------> +प्रशासनिक सेवाओं से मिलती गति + +डॉ सुभाष शर्मा + +अठारहवीं शताब्दी में जब यूरोप में नवजागरण की लहर आई तो मुख्य फोकस तर्क और विवेक +पर दिया जा रहा था। जाने-माने विचारक इमानुएल कांत के अनुसार नैतिकता का सर्वोच्च सिद्धान्त +ताकिकता का ही मानक है, अतः विवेकपूर्वक तर्क को ध्यान में रखकर वैश्विक नैतिक नियम के +अनुरूप कार्य करना चाहिए। एक अन्य विख्यात विचारक रेने डे काट कहते हैं कि “मेरा अस्तित्व +इसलिए है कि मैं विचार कर सकता हू'' अर्थात्‌ व्यक्ति का अस्तित्व उसकी तर्कसंगत और वैज्ञानिक +सोच पर निर्भर है न कि भावनाओं, व्यक्तिगत निष्ठाओं या पक्षपातपूर्ण विचार पर। मैक्स वेबर +( 1864-1920 ) पहले समाजशास्त्री थे जिन्होंने 'अफसरशाही ' अथवा “नौकरशाही ' शब्द की रचना की + +और इसे विस्तार से समझाया भी। + +धुनिक काल से पहले सत्रहवीं शताब्दी के दौर तक हर 2. +al कबीले का मुखिया उनका सरदार होता था और थोड़ी + +प्रगति हुई तो एक स्थानीय “मालिक' लोगों पर हुक्म +चलाता था तथा फिर राजशाही का सिलसिला शुरू हो गया जिसके +तहत एक शासक या सम्राट पूर्व परम्पराओं के अनुसार शासन करता था +और उसकी सत्ता उसके उत्तराधिकारी को मिल जाती थी। जन-जागरण +आने के साथ ही आधुनिक लोकतंत्र की स्थापना हुई जिसमें लोगों +द्वारा चुने गए “प्रतिनिधि' सत्ता में आ गए और शासन संभालने लगे +(स्वयं 'लोग' शासन नहीं संभालते, जैसी कि स्विट्जरलैंड में प्रत्यक्ष +लोकतंत्र के तहत ऐसी व्यवस्था है।) इसीलिए दैनिक प्रशासन कार्य में +जाति, वर्ग, नस्ल, लिंगभेद, भाषा अथवा जन्म-स्थान आदि का किसी +भी प्रकार का कोई भेदभाव रखे बिना यथार्थ और वास्तविक स्थिति के +अनुरूप व्यवस्था करनी होगी। मैक्स वेबर ने इस तथ्य को ध्यान में रखते +हुए सत्ता को तीन वर्गों में विभाजित किया- परम्परागत = +सत्ता (उत्तराधिकार, रीति रिवाजों, भौतिक इच्छाओं आदि +पर आधारित); प्रतिभागत सत्ता (जन्मजात प्रतिभा और +गुणों पर आधारित) जैसी स्वामी विवेकानन्द, भगवान राम चहः " +आदि में थी; और तर्कसंगत वेध सत्ता यानी अफसरशाही बे +या नौकरशाही वास्तविकता और तर्क पर आधारित होने +के कारण यही शासन-व्यवस्था सर्वाधिक उपयुक्त मानी +गई है। उन्होंने परिभाषित किया कि 'अफसरशाही' ऐसा +* औपचारिक संगठन' है जिसमें नीचे बताई विशेषताएं +होती हैं:- +1. औपचारिक चयन और पदोन्नति जो सुस्पष्ट मानकों हु +और मानदंडों पर और मुख्यतया योग्यता (मेरिट) +और पारदर्शिता पर आधारित हो। + + + +लिखित नियम, विनिमय प्रक्रियाएं और तौर-तरीके हों ताकि किसी +तरह के भेदभाव या व्यक्तिगत पसन्द-नापसन्द से किसी का +समर्थन या विरोध न होने पाए। + +परम्परागत संगठन-वरिष्ठ, मध्यम और कनिष्ठ वर्गों का स्पष्ट निर्धारण +ताकि जहां एक ओर वरिष्ठ लोग अपने कनिष्ठ या अधीनस्थ +सहयोगियों के कार्य का निरीक्षण, आकलन और निगरानी कर सके +और उन्हें दिशानिर्देश दे सकें और साथ ही कनिष्ठ अधिकारियों +के आदेशों के खिलाफ अपील या पुनर्विचार आवेदनों की सुनवाई +हो सके; और फिर, निचले स्तर वाले सहयोगियों की फीडबैक +से नियमों/प्रक्रियाओं/मानदंडों/मानकों में समुचित बदलाव हो सके। +विशेषज्ञता और श्रम तथा दायित्वों का निर्धारण- कार्य वहन, +अधिकारों के विभाजन (इच्छा से या इच्छा के विरुद्ध जबरन) +और दायित्व के बीच स्पष्ट संतुलन। + + + +a= St L + + + +लेखक भारतीय प्रशासनिक सेवा के 1984 बैच के पूर्व अधिकारी हैं और हिंदी तथा अंग्रेजी में समान अधिकार d dea ae 21 La: sush84br@yahoo.com + +12 + +योजना, अगस्त 2021 + + + +0013.txt +<----------------------------------------------------------------------> +5. व्यावसायिक योग्यता को व्यक्तिगत जिद +से न दबाया जाए। + +6. कैरियर (भविष्य) को ध्यान में रखना- +अफसरशाही मूल रूप से स्थायी व्यवस्था +है- लम्बे अर्स तक के कार्यकाल में +विभिन्न कार्यों और प्रणालियों का अनुभव +मिलता है और विविध क्षेत्रों में काम करने +से परिपक्वता आती है जिससे सार्वजनिक +नीति तैयार करने की क्षमता और योग्यता + +व्यावसायिक कुशलता और +योग्यता प्रशासनिक सेवाओं का +मूल मंत्र है। इसमें चार तत्व +समाहित रहते हैं: समानता, +'निष्पक्षता, कार्यकुशलता और +गुमनाम रहना। स्थायित्व और +'निरन्तरता की भावना से भविष्य + +चौथे, श्रम विभाजन के बारे में सर्वोत्तम +परिणाम प्राप्त करने के लिए अधिकारों और +दायित्वों के संतुलित विभाजन का सिद्धान्त +अपनाया जाना चाहिए. वर्ना बिना किसी +जिम्मेदारी के अधिकार मिल जाने से तानाशाही +और भ्रष्टाचार पनपेंगे। लॉर्ड एक्शन ने ठीक ही +कहा है, “सत्ता भ्रष्टाचार लाती है और निरंकुश +सत्ता तो बेलगाम भ्रष्टाचार का कारण बनती हेै। +दूसरी तरफ अधिकार के बिना जिम्मेदारी देने से + +विकसित होती है। धारने के विचार से प्रशासनिक किसी भी प्रयास में सफलता नहीं मिल पाती +तभी तो मैक्स वेबर ने लोकतांत्रिक समाज | T a चार में सं के और विजुन और मिशन जैसे लक्ष्य कतई हासिल +में त्कसंगत बैध शासन व्यवस्था को अन्य दो सेवाओं से समाज में सतुलन और नहीं feu oT aad” + +प्रकार की शासन प्रणालियों की अपेक्षा ज्यादा +उपयुक्त माना है। सर्वप्रथम आइए देखते हैं कि +भारत में अफसरशाही कैसे काम कर रही है। +संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी), राज्य +लोक सेवा आयोग या राज्य कर्मचारी चयन बोर्ड +प्रतियोगी परीक्षाओं के आधार पर वर्ग 'क', +“'ख' और 'ग' के प्रत्याशियों का चयन करते हैं। +प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद ये प्रत्याशी काम +करना शुरू कर देते हैं। प्रशासनिक सेवाओं में +प्रत्याशी को निदेशक पद तक पहुंचने से पहले + +कम से कम 18 वर्ष की सेवा के बाद संयुक्त +सचिव (भारत सरकार) के पद पर पहुंचता है जबकि सचिव (भारत +सरकार) बनने से पहले कम से कम 32 वर्ष का सेवाकाल पूरा करना +पड़ता है। + +दूसरे, नियमों और विनियमों के अनुपालन के बारे में ऐसे कई +मामले हुए हैं जहां सक्षम अधिकारी द्वार बनाए गए नियमों और +विनियमों का पालन नहीं किया जाता और निर्धारित प्रक्रियाओं और +विधियों का भी पालन नहीं होता (जबकि नियम मंत्रिमंडल द्वारा और +कानून संसद/विधायी संस्था द्वारा बनाए जाते हें)। + +उदाहरण के लिए, सामान्य नियम में व्यवस्था है कि अधिकारी/ +मंत्री केवल एयर इंडिया से ही यात्रा करें और विशेष स्थिति में +वित्तीय सलाहकार (एफए) की अनुमति लेनी होती है। परन्तु एक +खास मौके पर एक वरिष्ठ अधिकारी को विदेश जाना था और वहां +अधिकारी ने एयर इंडिया से ही यात्रा करने की शर्त से छूट लेने +का आवेदन किया लेकिन वित्तीय सलाहकार ने प्राइवेट एयरलाइन +के विमान से यात्रा का प्रस्ताव नहीं माना। दुर्भाग्य से, वरिष्ठ +अधिकारियों ने संबद्ध अधिकारी का पक्ष लिया और अंततः एफए +की टिप्पणी को निरस्त कर दिया। + +तीसरे, जहां तक परम्परागत व्यवस्था का सवाल है, यह व्यवस्था +अधीनस्थ सहयोगियों के काम के निरीक्षण, निगरानी और दिशानिर्देश +में तो उपयोगी है पर कई दफा अधीनस्थ कर्मचारी को जाति, धर्म, +क्षेत्र भाषा आदि के आधार पर फायदा पहुंचाने के लिए इन नियमों +को तोड़-मरोड़ दिया जाता है। vant तरह स्थापित और समय की +कसौटी पर खरे पाए गए नियमों का भी उल्लंघन किया जाता है जिससे +व्यवस्था संबंधी कई समस्याएं खड़ी हो जाती हैं, यहां तक कि अधीनस्थ +कर्मचारी आदेश मानने भी इंकार करने लग जाता है। + +योजना, अगस्त 2021 + +दुरदर्शिता आते हैं। विशेषकर +अखिल भारतीय सेवाओं ( भारतीय +प्रशासनिक सेवा, भारतीय विदेश +सेवा और भारतीय पुलिस +सेवा ) में विभिन्न समुदायों, +उप-संस्कृतियों , क्षेत्रों, भाषाओं +इत्यादि पर आधारित “विविधता में +एकता' का समग्र राष्ट्रीय दृष्टिकोण +कम से कम 14 वर्ष काम करना होता है और पूरा करने का अवसर मिलता है। + +सभी नीति-निर्माताओं और प्रशासकों से +अपेक्षा की जाती है कि वे निर्णय लेने की +प्रक्रिया में संशोधन करें और अपने-अपने स्तर +पर सत्ता और अधिकारों का विकेन्द्रीयकरण +करके सबसे निचले वाले स्तर तक पहुंचने की +कोशिश करें। + +पांचवें, व्यावसायिक कुशलता और योग्यता +प्रशासनिक सेवाओं का मूल मंत्र है। इसमें चार +तत्व समाहित रहते हैं: समानता, निष्पक्षता, +कार्यकुशलता और गुमनाम रहना। गुमनामी में +रहने से तात्पर्य है अकारण प्रचार और प्रोपेगंडा +के चक्कर में पड़े बिना चुपचाप जनहित के +लिए कार्य करते रहना। जॉर्ज ऑर्वेल के सिद्धान्त- “सभी समान है +लेकिन कुछ लोग ज्यादा समान होते हैं'” को निर्णय लेने की प्रक्रिया में +जरा भी न आने दें। प्रशासनिक अधिकारी से आशा की जाती है कि +सार्वजनिक कार्यों का निपटारा तुरन्त (समय-सीमा के भीतर) और मूल +नियमों का उल्लंघन किए बिना किया जाए। + +अंतिम यह कि स्थायित्व और निरन्तरता की भावना से भविष्य +सुधारने के विचार से प्रशासनिक सेवाओं से समाज में संतुलन और +दूरदर्शिता आते हैं। विशेषकर अखिल भारतीय सेवाओं (भारतीय +प्रशासनिक सेवा, भारतीय विदेश सेवा और भारतीय पुलिस सेवा) में +विभिन्न समुदायों, उप-संस्कृतियों, क्षेत्रों, भाषाओं इत्यादि पर आधारित +“विविधता में एकता” का समग्र राष्ट्रीय दृष्टिकोण पूरा करने का +अवसर मिलता है। लेकिन, स्थायित्व और निरन्तरता से यह मतलब भी +नहीं निकाल लेना चाहिए कि परिवर्तन की सोची ही न जाए क्योंकि +परिवर्तन तो प्रकृति का नियम है, इसलिए प्रशासनिक अधिकारियों को +जनता की भलाई और देश की सर्ृद्धि के लिए परिवर्तन अपनाने होंगे। +स्थायित्व, सुरक्षा और स्थिरता की भावना तो इसलिए होनी जरूरी है कि +अधिकारी कहीं लालच या लोभवश भ्रष्ट तरीके न अपना लें। फिर भी +भ्रष्टाचार तो मौजूद है ही। इसे रोकने के लिए तुरन्त कड़ी और प्रभावी +कार्रवाई जुरूरी है। + +सरदार वलल्‍लभभाई पटेल ने 10 अक्तूबर, 1949 को संविधान सभा +में प्रशासनिक सेवाओं, विशेषकर अखिल भारतीय सेवाओं का पुरजोर +समर्थन किया था और उनके पक्ष में नीचे लिखे तथ्य दिए a: +1. देशभक्ति की दृष्टि से, स्वामीभक्ति की दृष्टि से, ईमानदारी की दृष्टि + +से और योग्यता की दूष्टि से इनका कोई विकल्प नहीं है। ये उतने + +ही कुशल हैं जितने हम हैं। + +13 + + + +0014.txt +<----------------------------------------------------------------------> +2. मैं ब्लैक शीष यानी गद्यरों (निकम्मों) का +बचाव नहीं कर रहा। पिछले दो-तीन वर्ष +में इनमें से अधिकांश सेवाओं ने देशभक्ति +और वफादारी की भावना से काम न +किया होता तो संघ (देश) ढह जाता। + +3. जिन साधनों से काम लेना है, उनसे मत +लडो... प्रशासनिक सेवाएं नहीं होंगी तो +अराजकता और अव्यवस्था फैल जाएगी। + +4. यदि आप “कुशल अखिल भारतीय +सेवा' चाहते हैं तो मेरा सुझाव है कि +उन्हें खुलकर अपनी बात कहने का +मौका दो... खुलकर, बिना किसी डर +या पक्षपात के... आज मेरा सचिव नोट लिखकर मेरे विचारों से +असहमति व्यक्त कर सकता है...यदि आप केवल इस भय से +अपनी बात खुलकर नहीं कहना चाहते हैं कि इससे आपके मंत्री +महोदय नाराज हो जाएंगे तो फिर आपकी कोई जरूरत नहीं है। + +5. बद्तमीज़ी करने वाले या गलत काम करने वाले प्रशासनिक +अधिकारी को मैं कभी माफ नहीं करूंगा। + +6. देश में स्थिरता आने और देश के सशक्त बन जाने के बाद उन +पर परिवर्तन का दबाव बनाया जा सकता है। ये लोग मान-सम्मान +और आदर के लिए काम करने वाले हैं और इन्हें जनता का स्नेह +मिलना ही चाहिए। +इसलिए उपरोक्त तथ्यों पर विचार करना आवश्यक है और सत्ता + +में आने वालों को इन बुनियादी सिद्धान्तों को लागू करना ही होगा। + +व्यवस्था के रोग का विश्लेषण +अधिकारियों और व्यवस्था के दैनिक व्यवहार में कई प्रकार की +खामियां दिखती हैं। अफसरशाही पर अक्सर 'लालफीताशाही' (अकारण + +देरी करने) का आरोप लगाया जाता है और कई तरीके अपनाकर निर्णय न + +ले पाने का दोष भी लगाया जाता है। कुछ उदाहरण नीचे दिए जा रहे हैं:- + +1. कई बार उच्च (बड़े) अधिकारी फाइल में लिख देते हें कि +“प्लीज़ डिस्कस' अर्थात्‌ वार्ता करें' लेकिन यह नहीं लिखते कि +किस तारीख को और किस समय चर्चा करनी है। ऐसे में जब +संबद्ध अधिकारी बॉस के पास जाते हैं तो उक्त चर्चा हो ही नहीं +पाती। इस संबंध में यह उदाहरण अक्सर दिया जाता है कि एक +बडे (उच्च) अधिकारी ने मेज पर फाइलों के लिए दो ट्रे रखीं +थीं; (1) अभी नहीं (नॉट नाऊ) और (2) कभी नहीं (नेवर)। + +2, कभी-कभी किसी मामले में विधि मंत्रालय या वित्त मंत्रालय की +विशेषज्ञ राय लेने की जरूरत पड़॒ती है (यदि नियम स्पष्ट नहीं होते +और कुछ उलझन बनी रहती है) पर हमेशा ऐसा नहीं होता है। + +3. उच्चतम अधिकारी कई हिस्सों में और जल्दी-जल्दी प्रश्न उठाते +हैं और सभी पहलुओं को जोड़कर एक बार में ही स्पष्टीकरण नहीं +मांगते। इससे निर्णय लेने की प्रक्रिया में देरी हो जाती है। + +4. देरी के लिए अक्सर “बहुत काम हे' का सहारा लिया जाता है, +इसलिए और ज्यादा विकेन्द्रीकरण, कार्य के बेहतर वितरण और +काम को “आवश्यक ', “महत्वपूर्ण” या “सामान्य! श्रेणियों में बांटने +की सख्त जरूरत है। +बीमारी का दूसरा लक्षण है “अत्यंत व्यस्त होने के कारण फोन पर + +बात करने या शिकायतें सुनने की फुर्सत नहीं है। इससे और भी ज्यादा + +देरी होती है और स्थिति बिगड़ने से अधीनस्थ सहयोगी या बिचोलिए भ्रष्ट + +14 + +गृहमंत्री सरदार वलल्‍लभ भाई पटेल +ने परिपक्व अनुभव पर आधारित + +विचारों की स्वतंत्र अभिव्यक्ति को + +उचित ठहराया था और दूसरी ओर + +उन्होंने भारत के विभिन्न भागों को +सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक +और प्रशासनिक दृष्टि से संगठित + +और एकजुट बनाया था। + +तरीके अपनाने को मजबूर कर देते हैं। नतीजा +यह होता है कि उस अधिकारी की छवि धूमिल +हो जाती है और साख बिगड़ने की बात पंख +लगाकर दूर-दूर तक पहुंच जाती है। + +तीसरी बीमारी है ट्रांसफर-उद्योग यानी +तबादले का खौफ तीन वर्ष के कार्यकाल +के सिद्धान्त का बहुत ही कम पालन किया +जाता है और कई अधिकारी तो एक वर्ष या +उससे पहले ही ट्रांसफर कर दिए जाते हें। +इस कार्रवाई का कोई उचित/उपयुक्त कारण +भी नहीं बताया जाता। राज्यों में सिविल सेवा +बोर्ड केवल औपचारिक भूमिका निभाते हैं और +उनका कार्य केवल सत्तारूढ़ लोगों या 'ऊपर' से आने वाले प्रस्तावों +को स्वीकृति देकर आगे बढ़ाने तक ही सीमित रहता है। असल में +देखा जाए तो ईमानदारी और पारदर्शिता का लक्ष्य तो बुरी तरह पिछड़ +जाता है। दूसरी ओर ऐसी भी स्थिति होती है कि कोई अधिकारी नौ +से दस वर्ष तक एक ही पद पर बना रहता है। ऐसा या तो राजनैतिक +संबंधों और समर्थन के कारण या फिर जाति, धर्म या समुदाय आधारित +कारणों से होता है। यही वजह है कि अन्य कई योग्य अधिकारी इस पद +के कार्य का अनुभव ले ही नहीं पाते जबकि हर पद पर काम करने में +अलग प्रकार की चुनौतियां, समस्याएं और अवसर आते हैं। और ऐसे में +वहां जमकर बैठे अधिकारी में दम्भ, चालबाजी और अकड़॒ आ जाती है। + +इसी प्रकार कई ऐसे पद होते हैं जहां कोई काम नहीं होता, कोई +'फाइल नहीं आती और न ही कोई सुविधा होती है। इन फिजूल किस्म +के पदों पर ऐसे नकारा और निठल्ले अधिकारी भेजे जाते हैं जिन्हें दंड +देना होता है। इस तरह इन पदों के लिए पैसे, समय और साधनों की +बर्बादी होती है। पसनन्‍्दीदा पदों और फिजूल पदों पर तबादले की आड़ +में भ्रश्नचार का जाल भी फैलता रहता है। + +और आखिर में उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण की नीतियों +पर विचार करें तो हम पाएंगे कि नीतिगत फैसला कई बार इसी आधार +पर ले लिया जाता है कि सार्वजनिक (सरकारी) क्षेत्र खराब है और निजी +क्षेत्र बेहतर होता है। इसी आधार पर कई कंपनियों के शेयर या फिर पूरी +कंपनी को ही बेच दिया जाता है और इसे 'विनिवेश' का नाम दे दिया +जाता है। फिर, विकास कार्यों की बढ़ा-चढ़ाकर खबरें देना और नुकसान +की बात छुपाकर रखना भी संविधान की शपथ का अनादर है। दुर्भाग्य से +कुछ प्रशासनिक अधिकारी ऐसा करते हैं जो सरासर गूलत है। + +निष्कर्ष में कहा जा सकता है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में जन +प्रतिनिधि सत्ता की बागडोर संभाले रहें लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों +को दिशानिर्देश देते रहें कि उनकी सलाह को अन्यथा नहीं लिया +जाएगा। जैसा कि स्वतंत्र भारत के प्रथम गृहमंत्री सरदार वल्‍लभ भाई +पटेल ने परिपक्व अनुभव पर आधारित विचारों की स्वतंत्र अभिव्यक्ति +को उचित ठहराया था और दूसरी ओर उन्होंने भारत के विभिन्न भागों +को सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और प्रशासनिक दृष्टि से संगठित +और एकजुट बनाया था। यदि प्रशासनिक सेवाओं की अच्छाइयों और +खामियों का विश्लेषण किया जाए तो हम पाएंगे कि इनकी खूबियां +ज्यादा हैं जबकि खामियों में लालफीताशाही और गद्दार लोग ही कुछ +हद तक परेशानी का कारण हैं। इन सेवाओं के पास अवसर हैं कि +नए तरीके अपनाकर चुनौतियों को हराएं और देश की सेवा में भरपूर +योगदान करें। | + +योजना, अगस्त 2021 + + + +0015.txt +<----------------------------------------------------------------------> +98] rw et 1 8 + +टीम वही, कोचिंग नई +अखिल मूर्ति के निर्देशन में + + + + + + +श्री सीबीपी श्रीवास्तव + +| (DISCOVERY IAS) +राजव्यवस्था, सामाजिक न्याय + + + +श्री कुमार गौरव | sit user fren | श्री रीतेश आर जायसवाल | श्री विकास रंजन + +Oe ed At) + + + +( प्रिलिम्स.+मेन्स ) +प्रारंभ : 25 अगरत, 2021 + + + +फाउंडेशन कॉर्स मुख्य परीक्षा प्रारंभिक परीक्षा +adisd da लाइव बैच पेनड्राइव कोर्स + + + + + + + +छ सप्ताह में 6 कक्षाएँ ( प्रतिदिन एक कक्षा ) संचालित होंगी। > लैकल्पिक विषय « +७ सम्पूर्ण कोर्स की अध्ययन anni after द्वारा आपके पते | हृलिक्लास अनजूज्णोट्ठ राजनीति विज्ञान +पर भेजी जाएगी। anges janet nt ह eee nae wom oe pone ove | + + + +C 7428085757 | मिस्ड-कॉल करें: +7428085758 | 9555-124-124 + +Website: www.sanskritilAS.com + +Follows us on: You OH wie + + + +YH-1613/2021 + + + +योजना, अगस्त 2021 + + + +0016.txt +<----------------------------------------------------------------------> +विशेष आलेख + +शासन में ईमानदारी + +मीनाक्षी गुप्ता + +“भ्रष्टाचार जैसी बुराह्यां कहां से उत्पन्त होती हैं? यह कभी न खत्म होने वाले लालच से आता है। भ्रष्टाचार +मुक्त नैतिक समाज के लिए इस लालच के खिलाफ लड़ाई लड़नी होगी और “मैं क्‍या दे सकता हू” की + +भावना से इस स्थिति को बदलना होगा। + +चारनीति ऐसा मानक है जो व्यक्तियों के व्यवहार, +पसंद और कार्यों को निर्देशित करने में मदद करता +है। यह बहुआयामी है क्योंकि यह अधिकारों, दायित्वों, +निष्पक्षता, गुणों आदि की अवधारणा सहित समाज की मूल्य +प्रणाली द्वारा संचालित है। आचारनीति और ईमानदारी लोक प्रशासन +प्रणाली की आधारशिला हैं। आज की दुनिया में, जब सरकारें देश +के सामाजिक-आर्थिक विकास में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं, +सरकारी तंत्र और उसमें कार्य कर रहे कर्मियों की भूमिका अधिक +चुनौतीपूर्ण हो जाती है क्योंकि वे कानून और नियमों के सूत्रधार और +प्रवर्तक दोनों हैं। दूसरों के प्रति सहानुभूति की भावना और दूसरों के +लिए स्वयं के आध्िपत्य को सुगम बनाने वाले मूल्यों को कम समय +में आसानी से आत्मसात नहीं किया जा सकता है। इसके लिए सोच +में बदलाव को जीवन भर विकसित करने की आवश्यकता होती है। +जिम्मेदार और जवाबदेही आचारनीति के अभिन्‍न आंग हैं। +कानूनों और नियमों की प्रकृति जिसके माध्यम से जवाबदेही लागू +की जाती है, समाज के नैतिक विचारों पर आधारित है। कई देशों +में उनके मंत्रियों, विधायकों और सिविल सेवकों के लिए आचार +संहिता/आचार नीति निर्धारित की गई हैं। ब्रिटेन में मंत्रिस्तरीय +संहिता, अमेरिकी सीनेट में आचार संहिता और कनाडा में मंत्रियों +के लिए मार्गदर्शिका है। स्पेन में मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों +के लिए सुशासन संहिता है। +इस लेख में विशेष रूप से भारत के संदर्भ में लोक प्रशासन में +आचार नीति की अवधारणा और संस्थागत तंत्र द्वारा ईमानदारी सुनिश्चित +करने के तरीकों के बारे में पड़ताल करने की कोशिश की गई है। इसके +खंड 1 में आचार नीति की अवधारणा और इस पर विचार किया गया है +कि लोक प्रशासन में नैतिकता के पारिस्थितिकी तंत्र को परिभाषित करने +के लिए इसे विभिन्‍न कानूनों, नियमों और विनियमों में कैसे प्रतिष्ठापित +किया जाता है। इसके खंड 2 में अंतरराष्ट्रीय अनुभवों का वर्णन किया +गया है। खंड 3 में देश में शासन में ईमानदारी को मजबूत करने के +लिए संस्थागत और विधायी ढांचे की चर्चा की गई है। + +- डॉ एपीजे अब्दुल कलाम + +खंड-1 + +अवधारणा : एथिक्स यानी आचार नीति शब्द मूल ग्रीक शब्द +एथिकोस से लिया गया है, जिसका अर्थ है आदत से उत्पन्न होना। +feeds, संस्कृति, मूल्य, चरित्र, और सही-गलत का ज्ञान नैतिकता +के सर्वोत्कृष्ट निर्धारक हैं। साथ ही, नीतिपरक शासन सुनिश्चित करने +के लिए संस्थानों और संस्थागत ढांचे की भूमिका को कम करके +नहीं आंका जा सकता है। आचार नीति केवल उच्च नैतिक मूल्यों +की अभिव्यक्ति तक ही सीमित नहीं है, इसका संबंध सार्वजनिक +पदाधिकारियों को उनकी चूक के लिए कानूनी रूप से जवाबदेह +ठहराने के लिए तंत्र से भी है। + +भ्रष्टाचार निवारण समिति (1964) : इसे संथानम समिति के नाम +से भी जाना जाता है। इसने कहा था: + + + +“नैतिक तत्परता की कमी, जो हाल के वर्षों की एक विशिष्ट +विशेषता रही है, शायद यह सबसे बड़ा एकमात्र कारक है + +जो ईमानदारी और दक्षता की मजबूत परंपराओं के विकास +Reo Te + + + +पदाधिकारियों को जो जनता का विश्वास और सम्मान +मिलता है, वह काफी हद तक सामूहिक प्रयासों का परिणाम है। + + + + + +लेखिका उप नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक रह gat an feces Hi aaen @1 FA: meenakshig¢@hotmail.com + +16 + +योजना, अगस्त 2021 + + + +0017.txt +<----------------------------------------------------------------------> +सत्यनिष्ठा, ईमानदारी, वस्तुनिष्ठता के प्रमुख सिद्धांतों का पालन +हितधारकों के बीच विश्वास और भरोसा बढ़ाता है। सरकारी +पदाधिकारियों का आचरण सभी परिस्थितियों में निन्‍दा से परे +होना चाहिए। उनके पेशेवर या व्यक्तिगत आचरण में कोई भी +कमी उनकी व्यक्तिगत सत्यनिष्ठा और काम की गुणवत्ता की +प्रतिकूलता को प्रदर्शित करती है और उनके कार्यों के बारे में +संदेह पैदा करती है। + +शासन में आचार नीति + + + +आचार नीति मानव चरित्र और आचरण से संबंधित है। यह सभी +प्रकार के झूठ की निंदा करती है। द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग ने +आचार नीति पर अपनी दूसरी रिपोर्ट में शासन में नेतिकता के सिद्धांतों +का सुझाव दिया और कहा किः + +. नैतिक व्यवहार के किसी भी तंत्र में निम्नलिखित को +शामिल किया जाना चाहिए। +2. आचार नीति मानदंडों और आचरण को संहिताबद्ध करना। + +3. सार्वजनिक हित और व्यक्तिगत लाभ के बीच टकराव से +बचने के लिए व्यक्तिगत हित का खुलासा करना। +. प्रासंगिक संहिताएं लागू करने के लिए एक तंत्र बनाना। + + + +किसी सार्वजनिक अधिकारी की पद के लिए योग्यता और +अयोग्यता के संबंध में मानदंड निर्धारित करना मूल्य, समाज के सभी +सदस्यों को मार्ग दिखाने वाले मार्गदर्शक सितारों के रूप में कार्य +करते हैं और सभी से अपेक्षा की जाती है कि वे उनका सम्मान +करें और पालन करें। चूंकि वे संहिताबद्ध नहीं हैं और व्याख्या पर +आधारित हैं इसलिए टकराव या संघर्ष की स्थितियां उत्पन्न होती +हैं। साथ ही, संस्कृति और सभ्यता में सही और गलत की पहचान +गहराई से निहित है। समाज का लोकाचार, विश्वास और भरोसे के +वातावरण का निर्माण करने वाले नागरिकों के व्यवहार के तरीके से +तैयार किया गया है। + +सत्यनिष्ठा को आचरण के विभिन्‍न पहलुओं को शामिल करते +हुए एक समग्र अवधारणा के रूप में देखा जाना चाहिए और वित्तीय +ईमानदारी तक सीमित नहीं होना चाहिए। सार्वजनिक पद को एक +ट्रस्ट के रूप में माना जाना चाहिए जो पदधारकों पर बहुत अधिक +जिम्मेदारी डालता है और उन्हें समाज के प्रति जवाबदेह बनाता +है। नीतिपपरायणता की शक्ति और सत्यता को बनाए रखने की +क्षमता भीतर से आनी चाहिए। ईमानदारी केवल एक सरकारी आदेश +से निकलने वाला जनादेश नहीं हो सकता। सत्यनिष्ठा के लिए +सार्वजनिक पदाधिकारियों को अपने कर्तव्यों का जिम्मेदारी से निर्वहन + + + + + + + + + +भ्रष्टाचार के खिलाफ संयुक्त राष्ट्‌ कन्वेंशन नोलन समिति स्पेन की सुशासन संहिता +भ्रष्टाचार के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन की परिकल्पना- | सार्वजनिक जीवन के सात | संहिता में विकसित नैतिकता और अच्छे आचरण +1. भ्रष्टाचार समाप्त करने के लिए प्रत्येक देश द्वारा अन्य | सिद्धांत: के सिद्धांत: +बातों के साथ-साथ, अपनी कानूनी प्रणाली के मूल | 1. निस्वार्थता 1. निष्पक्षता +सिद्धांतों के अनुसार अपने सरकारी अधिकारियों के बीच | 2. सत्यनिष्ठा 2, सत्यनिष्ठा +सत्यनिष्ठा, ईमानदारी और जिम्मेदारी को बढ़ावा देना। |3. निष्पक्षता 3, तटस्थता +2. सार्वजनिक कार्यों के सही, सम्मानजनक और उचित | 4. जवाबदेही 4. जिम्मेदारी +प्रदर्शन के लिए आचार संहिता या मानक स्थापित करना। | 5. खुलापन 5. विश्वसनीयता +3, सार्वजनिक अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचार के कृत्यों की | 6, ईमानदारी 6. निष्पक्षता +उपयुक्त प्राधिकारियों को रिपोर्ट करने की सुविधा के |7. नेतृत्व 7. गोपनीयता +लिए उपाय करना और प्रणालियों की स्थापना करना। 8. जनसेवा के प्रति समर्पण +4. सार्वजनिक अधिकारी अपनी उन बाहरी गतिविधियों, 9. पारदर्शिता +रोज़गार, निवेश, संपत्ति और उपहार या लाभों के बारे 10. अनुकरणीय आचरण +में घोषणा कर सकें जिनसे सार्वजनिक अधिकारियों के 11. आत्मसंयम +रूप में उनके कार्यों में हितों का टकराव हो सकता हे, 12. पहुंच +इसके लिए आवश्यक उपायों की घोषणा और प्रणालियों 13. दक्षता +की स्थापना करना। 14. ईमानदारी और +5. स्थापित संहिता या मानकों का उल्लंघन करने वाले 15. संस्कृति, पर्यावरण तथा स्त्री-पुरुष समानता +सार्वजनिक अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक या को बढ़ावा देना। +अन्य कार्रवाई करना। + + + + + + + +योजना, अगस्त 2021 + +17 + + + +0018.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +करते हुए उचित परिश्रम करने, जनहित को ध्यान में रखते हुए निर्णय +लेने और अपने काम को करने तथा सरकारी संसाधनों को संभालने +में ईमानदार होने की आवश्यकता है। हितों के टकराव से हर हाल +में और हर समय बचना चाहिए। तदनुसार, किसी भी परिस्थिति में, +आधिकारिक पद का उपयोग निजी उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाना +चाहिए। सरकारी अधिकारियों को हितधारकों के साथ अपने संबंधों +के बारे में सावधान रहना चाहिए जो समाज की सर्वांगीण बेहतरी के +लिए निष्पक्ष रूप से कार्य करने की उनकी क्षमता को प्रभावित कर +सकते हैं और उन्हें जोखिम में डाल सकते हैं। निर्णय कभी भी समाज +के कुछ चुनिंदा या विशिष्ट वर्गों के लाभ से प्रेरित नहीं होने चाहिए। + +भारत सरकार ने एक आचार संहिता निर्धारित की है, जो केंद्र +सरकार और राज्य सरकार दोनों के मंत्रियों पर लागू होती है। इसमें +अन्य बातों के साथ-साथ, मंत्रियों द्वारा उनकी संपत्ति और देनदारियों +का खुलासा करने, सरकार में शामिल होने से पहले जिस व्यवसाय में +थे उससे सभी संबंध विच्छेद करने और स्वयं या परिवार के किसी +सदस्य आदि के लिए कोई योगदान या उपहार + +लिए निर्देशों की संचालक शक्ति हैं। कानूनी ढांचे में नए आयामों +की शुरूआत के आधार पर, 1964 के संस्करण के बाद से आचरण +नियमों में संशोधन किया गया है। कुछ उल्लेखनीय समावेशन में +शिष्टाचार का पालन करने, दहेज मांगने तथा स्वीकार करने पर रोक +लगाने, महिला कर्मचारियों के यौन उत्पीड़न पर रोक लगाने (विशाखा +मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर) और हाल में, 14 साल +से कम उम्र के बच्चों को घरेलू नौकर के रूप में नियुक्त करने पर +रोक लगाने की आवश्यकता शामिल हैं (बाल श्रम निषेध अधिनियम +में संशोधन के मद्देनजर)। यह सतत प्रक्रिया सरकारी कर्मियों से समाज +की बदलती अपेक्षाओं का प्रतिबिंब है। + +आचरण नियम, सामान्य व्यवहार के कुछ मानदंडों को निर्धारित +करते हैं जैसे ईमानदारी तथा कर्तव्य के प्रति पूर्ण समर्पण बनाए रखना +और एक सरकारी कर्मचारी का अशोभनीय आचरण में शामिल नहीं +होना। यह उल्लेख करने की आवश्यकता है कि भारत में सिविल +सेवकों के लिए कोई आचार-नीति निर्धारित नहीं है, जबकि ऐसी +संहिता अन्य देशों में मौजूद हैं। हालांकि, हमें + +स्वीकार नहीं करने की बात कही गई है। सत्यनिष्ठा के लिए सार्वजनिक इस बात की सराहना करने की आवश्यकता +सिविल सेवकों के लिए आचार संहिता प्रदाधिकारियों को अपने कर्तव्यों है कि हमारी सिविल सेवा प्रणाली में संतुलित +समय के साथ विकसित हुई है। 1930 का जिम्मेदारी से निर्वहन करते ईष्टिकोण की परंपरा है। + +के दशक में सिविल सेवकों के लिए क्‍या +करें और क्‍या न करें वाले निर्देशों का एक +संग्रह जारी किया गया था और इसे आचरण +नियमावली कहा गया था। संथानम समिति +की सिफारिशों के अनुसरण में, आचरण +नियमावली को संशोधित और विस्तारित किया +गया जिसके परिणामस्वरूप आज सीसीएस +आचरण नियम 1964 का पालन किया जा +रहा है। ये नियम सरकारी कर्मचारियों के + +18 + +हुए उच्चित परिश्रम करने, जनहित +को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेने +और अपने काम को करने तथा +सरकारी संसाधनों को संभालने में +ईमानदार होने की आवश्यकता है। +हितों के टकराव से हर हाल में +और हर समय बचना चाहिए। + +सिविल सेवकों के लिए निर्धारित आचार +संहिता काफी व्यापक है और एक निवारक +के रूप में कार्य करती है, लेकिन फिर भी +अपेक्षित व्यवहार के मानदंडों से विचलन +के मामले सामने आए हैं। यह भी उल्लेख +किया जा सकता है कि विचलन विभिनन तंत्रों +के माध्यम से देखे जाते हैं और सीसीएस +(सीसीए) नियमों में बड़े और मामूली दंड का +प्रावधान है । हालांकि, सिविल सेवकों की + +योजना, अगस्त 2021 + + + +0019.txt +<----------------------------------------------------------------------> +जवाबदेही और सत्यनिष्ठा सुनिश्चित करने के लिए तंत्र प्रदान किया +गया है, लेकिन तर्क दिया जाता है कि दंड देने की पूरी प्रक्रिया बहुत +उबाऊ और समय लेने वाली है। ऐसे प्रक्रियात्मक मुद्दों को प्रक्रिया +के प्रत्येक चरण के लिए समय-सीमा निर्धारित करके और अधिक +महत्वपूर्ण रूप से निगरानी करके निपटाया जा सकता है। +खंड-2 + +अंतरराष्ट्रीय अनुभव : संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2003 में +भ्रष्टाचार के खिलाफ संकल्प को मंजूरी दी। संकल्प के अनुच्छेद 8 +में सार्वजनिक अधिकारियों के लिए आचार संहिता का उल्लेख है। +ब्रिटेन में सार्वजनिक जीवन में मानकों पर समिति, जिसे नोलान समिति +के नाम से जाना जाता है, ने सार्वजनिक जीवन के सात सिद्धांतों +को रेखांकित किया। स्पेन में सुशासन की संहिता की परिकल्पना है +जिसके तहत सरकार के सदस्य और सामान्य राज्य प्रशासन के वरिष्ठ +अधिकारी निर्धारित सिद्धांतों का पालन करते हुए संविधान और बाकी +कानूनी प्रणाली के अनुसार अपनी गतिविधियों को अंजाम देंगे। इन्हें +नीचे संक्षेप में प्रस्तुत किया गया हैः + +समय-समय पर संशोधित सीसीएस आचार संहिता (1964) को +ध्यान से पढ़ने से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि संयुक्त राष्ट्र की +घोषणा या ब्रिटेन में सार्वजनिक जीवन में मानकों पर समिति या स्पेन +में सुशासन की संहिता में उल्लिखित अधिकांश सिद्धांत प्रत्यक्ष या +परोक्ष रूप से उसमें निहित है। हालांकि, इस बात पर भी जोर देने की +आवश्यकता है कि सही आचरण के मानदंडों को केवल कानूनों और +नियमों के कठोर प्रवर्तन के माध्यम से लागू नहीं किया जा सकता है +और दृष्टिकोण में परिवर्तन बहुत महत्वपूर्ण है। +खंड-3 + +संस्थागत एवं विधायी ढांचा : शासन की कुशल और प्रभावी +प्रणाली के लिए शासन में ईमानदारी नितांत आवश्यक है। नेतिकता +और सत्यनिष्ठा को अलग-अलग करके नहीं देखा जा सकता। दोनों +आपस में जुड़े हुए हैं और इन्हें एक दूसरे के पूरक के रूप में देखा +जाना चाहिए। संविधान के कामकाज की समीक्षा के लिए राष्ट्रीय +आयोग द्वारा 2001 में प्रशासन में ईमानदारी पर जारी परामर्श पत्र +में कई विधायी और संस्थागत मुद्दों पर प्रकाश डाला गया, जिनमें +शामिल हें: +1. बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम की धारा 5 को लागू करने + +की आवश्यकता, +2. लोक सेवकों की अवैध रूप से अर्जित संपत्तियों की जब्ती का + +प्रावधान करने वाले कानून की आवश्यकता, +3. जनहित प्रकटीकरण कानून का अधिनियमन, +4. सूचना की स्वतंत्रता कानून का अधिनियमन, +5. केंद्रीय सतर्कता आयोग कानून के अलावा लोकपाल विधेयक को + +अधिनियमित करने की आवश्यकता और +6. आपराधिक न्यायिक प्रणाली को मजबूत करना। + +सुशासन विश्वास और भरोसे पर टिका होता है। शासन में +ईमानदारी से सार्वजनिक जीवन में जवाबदेही, पारदर्शिता और सत्यनिष्ठा +सुनिश्चित किया जाना अपेक्षित है। भारत में, हमारे पास ईमानदारी से +संबंधित मुद्दों के समाधान के लिए एक व्यापक विधायी और संस्थागत +ढांचा है, जिसका विवरण नीचे दिया गया हैः + +योजना, अगस्त 2021 + + + + + +संस्थागत और कानूनी ढांचा +संस्थान कानून +1. सीवीसी 1. बेनामी लेनदेन निषेध अधिनियम +2, सीबीआई 2. भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम +3. सीएजी 3. सूचना का अधिकार अधिनियम +4. लोकपाल और |4. भारतीय दंडसंहिता और आपराधिक +लोकायुक्त दंडसंहिता + + + + + + + + + +उपरोक्त ढांचा काफी व्यापक है, फिर भी अन्य देशों की तरह +हमारे पास सरकारी अधिकारियों के लिए आचारनीति संहिता और +व्हिसल ब्लोअर संरक्षण अधिनियम आदि जैसे कानूनों नहीं है। एक +समाज के रूप में हम निश्चित रूप से भ्रष्टाचार मुक्त बनने की +आकांक्षा रखेंगे। मौजूदा मजबूत ढांचे के बावजूद, व्यवस्था में कुछ +ऐसे लोग हैं जो अपने फायदे के लिए अधिकारों का दुरुपयोग करते +हैं। मौजूदा तंत्र के अलावा विभिन्‍न कार्यों में इस प्रकार जवाबदेही +और पारदर्शिता को बढ़ाया जा सकता है: +1. कार्य स्वतंत्रता को कम से कम कर, +2, शासन के सभी क्षेत्रों में सूचना प्रौद्योगिकी का अधिक प्रयोग कर, +3, सेवाओं और संबंधित गतिविधियों के प्रतिपादन के लिए स्पष्ट + +समय सीमा के साथ-साथ उन्हें प्रदान करने की जिम्मेदार निश्चित + +करने के साथ नागरिक चार्टर को अधिक विस्तृत बनाकर, इनके + +अलावा नागरिक चार्टर के अनुपालन पर एक मासिक रिपोर्ट + +संगठन की वेबसाइट पर डाली जा सकती हे। + +हमारे पास प्रत्येक श्रेणी में सफलता की कहानियां हैं। कुछ +प्रवेश-श्रेणी के पदों पर साक्षात्कार को समाप्त करने के सरकार के +हालिया निर्देशों ने चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता को बढ़ावा दिया हे। +रेलवे द्वारा यात्री टिकटों की बुकिंग के लिए और नगर निकायों द्वारा +जन्म तथा मृत्यु प्रमाण-पत्र जारी करने और संपत्ति कर के भुगतान के +लिए सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग के उदाहरण सर्वविदित हैं। +निष्कर्ष + +सरकारी अधिकारी और कर्मचारी समाज का हिस्सा हैं और +किसी हद तक वे भी सामाजिक मानदंडों से प्रभावित होते हैं। साथ +ही, शासन संरचना का हिस्सा होने के नाते, उन्हें अधिक जिम्मेदार +होना चाहिए और हर समय निष्कपट दिखना चाहिए। सत्यनिष्ठा +सुनिश्चित करने के लिए एक मजबूत कानूनी और संस्थागत तंत्र +विद्यमान है। लोगों को देश के कानूनों का पालन करने के लिए प्रेरित +करके और साथ ही अपराधियों को बहुत कठोर दंड देकर इसे अधिक +मजबूत और प्रभावी बनाने की आवश्यकता है। +“हम अपने बच्चों से ईमानदारी से कह सकें कि ईमानदारी सबसे अच्छी +नीति है, इससे पहले हमें दुनिया को ईमानदार बनाना चाहिए'' + +- जॉर्ज बर्नार्ड शॉ + +संदर्भ +1. दूसरा प्रशासनिक सुधार आयोग, चौथी रिपोर्ट- शासन में नैतिकता, +2. संविधान के कामकाज की समीक्षा के लिए राष्ट्रीय आयोग द्वारा शासन में + +सत्यनिष्ठा पर परामर्श पत्र + +3. सीसीएस सीसीए नियम + +«. सीसीएस आचरण नियम 1964 +5. http:/Awww.oecd.org/dataoecd/17/35 + +19 + + + +0020.txt +<----------------------------------------------------------------------> +सामाजिक बदलाव के लिये लोक प्रशासन + +डॉ एम आर श्रीनिवास मूर्ति + +Se War ने ई-शासन को सफलतापूर्वक लागू करने के लिये अनेक कदम उठाये हैं। लेकिन केन्द्र , +राज्य, जिला और स्थानीय शासन के बीच अंतर-संचालकता से संबंधित जटिलताएं अब भी मौजूद हैं। +मौजूदा समय में भारत के सामने अंतर-संचालकता , अवसंरचनना , डिजिटल विभाजन और कोविड 19 जैसी +वैश्विक महामारी की चुनौतियां हैं। वह इनसे निपटने तथा नागरिकों के नजरिये से सेवा प्रदाता प्रणाली +की समग्र प्रभावशीलता विकसित करने के लिये नये कदम उठा रहा है। देश शहरी और ग्रामीण ई-शासन +अवसंरचनाओं के बीच अंतर को मिटाने की कोशिश में जुटा है। + +-शासन आधुनिक युग में +3 एक सफल सरकार के लिये +अपरिहार्य जरूरत बन गया हेै। + +सरकारों को संयोजक और सेवा प्रदाता होने +के नाते अपने नागरिकों की मांगों को पूरा +करने के लिये सूचना और संचार प्रौद्योगिकी +अपनाने की दरकार होती है। मौजूदा समय में +प्रभावी और कुशल सरकार के लिये सरल, +नेतिक, जवाबदेह, जिम्मेदार और पारदर्शी +शासन जरूरी हो गया है। विश्व के सबसे +बडे लोकतंत्र भारत ने 1970 के दशक में +ई-शासन को अपनाना शुरू किया। उसने +बदलाव को तेजी से अपनाते हुए अच्छी +शासन नीति की ओर त्वरित प्रगति की है। + +ई-शासन का मकसद सरकार के +नागरिकों और व्यावसायिक उद्यमों के साथ +संवाद तथा एजेंसियों के दरमियान संबंधों को +सुविधाजनक, पारदर्शी, मैत्रीपूर्ण, प्रभावी और +किफायती बनाना है। + +TER Sade Hea alsa’ के +अनुसार ई-शासन के चार चरण हैं- सूचना, +संवाद, व्यवहार और बदलाव। ई-शासन +आधुनिक युग में किसी लोकतांत्रिक देश +को जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने में +मदद करता है। संयुक्तराष्ट्र ई-शासन सर्वेक्षण +2008 में 'गार्टनर ई-गवर्नेंस मैच्योरिटी मॉडल' +को विस्तार देते हुए इसमें पांचवें चरण, +जनोन्मुख सरकार को भी शामिल किया गया। + +इस पांचवें चरण में सरकारों को खुद को +नागरिकों की जरूरतों के अनुरूप काम करने +वाले संयोजक मंच में तब्दील करना है। +इसके लिये वे निम्नलिखित विशेषताओं को +अपना कर समेकित बैक-ऑफिस अवसंरचना +विकसित करेंगी- + +बीच तालमेल के लिये प्लेटफॉर्म की स्थापना। +ऊर्ध्व संयोजन: केन्द्र और राज्य सरकारों +तथा स्थानीय शासन के बीच तालमेल के +लिये प्लेटफॉर्म की स्थापना। +अवसंरचना संयोजन: अंतर-संचालकता +से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिये + + + + + + + + + + + +क्षेतेज संयोजन: सरकारी एजेंसियों के संयोजक प्लेटफॉर्म की स्थापना। +a +नागरिकों के « ., +सेवाओं की | +i बेहतर डिलीवरी + + + +7 fx और * + + + + + +डॉ व्यवसाय और +| उद्योग के साथ | ', जवाबदेही का +इंटरफेस में सुधार 3 ५ + विकास +शासन ४ +i an wn + +| के लक्ष्य + +जाए एल, + +cz ean. | oA rn ae +| का a , नागरिकों का +सुधार ५ सशक्तीकरण + + + + + + + + +हम +जे +a + + + + + +लेखक नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ स्टडी एंड रिसर्च इन लॉ, रांची में एसोसिएट vivax Z) Ga: meenigam@gmail.com + +20 + +योजना, अगस्त 2021 + + + +0021.txt +<----------------------------------------------------------------------> +सरकार और हितधारकों के बीच संबंध +तथा हितधारकों के मध्य आपसी तालमेल: +सरकार, निजी क्षेत्र, उद्योगों, व्यावसायिक +प्रतिष्ठानों, शैक्षिक संस्थानों, गैर-सरकारी +संगठनों, नागरिक संस्थाओं इत्यादि के बीच +तालमेल के लिये प्लेटफॉर्म की स्थापना। + +भारत सरकार ने ई-शासन को +सफलतापूर्वक लागू करने के लिये अनेक +कदम उठाये हैं। लेकिन केन्द्र, राज्य, +जिला और स्थानीय शासन के बीच अंतर- +संचालकता से संबंधित जटिलताएं अब भी +मौजूद हैं। संयुक्तराष्ट्र के सामाजिक और +आर्थिक मामलों के विभाग (यूएनडीईएसए) +के ई-शासन सर्वेक्षण, 2020 में भारत को +सौवां स्थान दिया गया है। इस ई-शासन +विकास सूचकांक में भारत का स्थान 2016 +वें 107वां, 2014 में 118वां और 2018 में +96वां था। इस तरह 2016 और 2018 के +बीच भारत ने 22 स्थानों की छलांग लगायी। +लेकिन 2020 में वह चार पायदान उतर कर +बोलिविया (97) और ईरान (89) से भी +नीचे सौवें स्थान पर पहुंच गया। ई-भागीदारी +में भारत 2020 में 29वें स्थान पर रहा। वह +2018 में इससे 14 पायदान ऊपर 15वें स्थान +पर था। मानव पूंजी सूचकांक में भारत ने +यथास्थिति बरकरार रखी। मगर ऑनलाइन +सेवा और दूरसंचार अवसंरचना के सूचकांकों +में वह फिसल गया। + +मौजूदा समय में भारत के सामने +अंतर-संचालकता, अवसंरचना, डिजिटल +विभाजन और कोविड 19 जैसी वेश्विक +महामारी की चुनौतियां हैं। वह इनसे निपटने +तथा नागरिकों के नजरिये से सेवा प्रदाता +प्रणाली की समग्र प्रभावशीलता विकसित +करने के लिये नये कदम उठा रहा है। देश +शहरी और ग्रामीण ई-शासन अवसंरचनाओं +के बीच अंतर को मिटाने की कोशिश में +जुटा है। भारत सरकार ने अगस्त, 2019 +में राष्ट्रीय ई-शासन सेवा आपूर्ति आकलन +(एनईएसडीए) फ्रेमबक की शुरुआत की। +इसका मकसद केन्द्र सरकार से स्थानीय +शासन के स्तर तक विभिन्‍न सरकारी विभागों +की ई-शासन पहलकदमियों की प्रभावशीलता +का आकलन करना है। एनईएसडीए का +ऑनलाइन सेवा सूचकांक (ओएसआई) +वास्तव में यूएनडीईएसए के ई-शासन +सर्वेक्षण पर आधारित है। इसके पीछे उद्देश्य + +योजना, अगस्त 2021 + + + +fitted at +g bandas + +डिजिटल अपनायें +कागज का इस्तेमाल +बंद करें पेड़ बचाएं +क्या आप किसी प्रत्यक्ष लाभ +हस्तांतरण योजना के लाभार्था हैं? + +fil उमंग ऐप ने 75 प्रत्यक्ष लाभ +५४५ हस्तांतरण योजनाओं के लिए आवेदन +आसान और कागज-रहित बनाया + +जा + +(] अपने पंजीकृत बैंक खाते में + +| रकम के हस्तांतरण के लिए उमंग + +४- ऐप के जरिये आवेदन करें और +उसकी स्थिति जानें + + + + + + + + + +भारतीय ई-शासन के ढांचे को विकसित कर +अंतर्राष्ट्रीय स्तर का बनाना है। + +भारत सरकार की ई-शासन पहलकदमियों +के प्रमुख मूल अवसंरचनात्मक घटकों में राज्य +डाटा केनद्र (एसडीसी), राज्यव्यापी क्षेत्रीय +नेटवर्क (एसडब्ल्यूएएन-स्वान), सार्वजनिक +सेवा केन्द्र, राष्ट्रीय ई-शासन सेवा प्रदाता गेटवे +(एनएसडीजी) , राज्य ई-शासन सेवा प्रदाता गेटवे +(एसएसडीजी) और मोबाइल ई-शासन सेवा +प्रदाता गेटवे (एमएसडीजी) जैसे मिडिलवेयर +गेटवे, त्वरित आकलन प्रणाली, आधार +डिजिटल बायोमेट्रिव पहचान इंफ्रास्ट्रक्चर, + +तहत सरकार ने भारतीयों को 12 अंकों +की विशिष्ट पहचान संख्या जारी की है। +प्रधानमंत्री जन धन योजना, महात्मा गांधी +राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून, खाद्य +और सार्वजनिक वितरण प्रणाली तथा गरीबी +उन्मूलन और कल्याण से संबंधित कई अन्य +वित्तीय समावेशन योजनाओं में इस संख्या +का इस्तेमाल किया जा रहा है। +राष्ट्रीय ई-शासन योजना + +इस योजना का उद्देश्य सार्वजनिक +सेवा डिलीवरी केन्द्र के जरिये सभी सरकारी +सेवाओं को आम आदमी के लिये उसके + + + +उमंग, राष्ट्रीय भू-सूचना विज्ञान केन्द्र, कार्यक्रम +प्रबंधन सूचना प्रणाली, ओपनफोर्ज, ज्ञानार्जन +प्रबंधन प्रणली, डिजिटल लॉकर, ओपन डाटा, +शासकीय खरीद-शासन ई-बाजार (जीईएम), +जीआई क्लाउड (मेघराज), ईताल, आर्काइव +इत्यादि शामिल हैं। + +बायोमेट्रिक पहचान योजना आधार ने +ई-शासन में डिजिटल क्रांति ला दी है। इसके + +गार्टनर ई-गवर्नेंस मैच्योरिटी मॉडल ' +के अनुसार ई-शासन के चार चरण +हैं- सूचना, संवाद, व्यवहार और +बदलाव। ई-शासन आधुनिक युग +में किसी लोकतांत्रिक देश को +जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने +में मदद करता है। + +इलाके में ही उपलब्ध कराना है। इस योजना + +के तहत सामान्य नागरिकों की बुनियादी + +जरूरतों को पूरा करने के लिये इन सेवाओं +को किफायती रखने और कुशलता, पारदर्शिता +और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने पर ध्यान +दिया जा रहा हेै। + +एनईजीपी के सफल क्रियान्वयन के +लिये निम्नलिखित रणनीति, दृष्टिकोण और +तौर-तरीके अपनाये जा रहे हैं- + +° wr, wet, सीएससी और +इलेक्ट्रॉनिक सेवा डिलीवरी गेटवे जैसी +सार्वजनिक समर्थन अवसंरचनाएं + +* एनईजीपी के क्रियान्वयन की निगरानी + +और इसमें तालमेल के लिये समुचित + +शासन प्रणालियों का विकास + +केन्द्रीकृत योजना, विकेन्द्रित क्रियान्वयन + +* सरकार और निजी क्षेत्र के बीच साझीदारी + +* समग्रता के तत्व + +21 + + + +0022.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +भारत में ई-शासन की विकास यात्रा + +1970 | भारत सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग की स्थापना की + +1977 | राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र (एनआईसी) की स्थापना + +1987 | राष्ट्रीय उपग्रह-आधारित कम्प्यूटर नेटवर्क निकनेट शुरू + +1990 | निकनेट को राज्यों की राजधानियों के जरिये सभी जिला मुख्यालयों तक पहुंचाने की प्रक्रिया शुरू + +1999 | सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय का गठन + +2000 |ई-शासन के लिये 12 सूत्री न्यूनतम एजेंडा तैयार + +2006 | राष्ट्रीय ई-शासन योजना (एनईजीपी) शुरू। इसमें मिशन की तरह चलायी जा रही 27 परियोजनाएं और आठ घटक शामिल हैं। + +2009 | इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने राष्ट्रीय ई-शासन प्रभाग का गठन किया। यह डिजिटल इंडिया निगम के तहत +स्वतंत्र व्यावसायिक प्रभाग है। + +2011 | मिशन की तरह चलायी जा रही परियोजनाओं की संख्या 27 से बढ़ कर 31 हुई। इनमें स्वास्थ्य, शिक्षा, सार्वजनिक वितरण प्रणाली +और डाक से जुड़ी चार परियोजनाओं को शामिल किया गया। + +2015 | डिजिटल इंडिया कार्यक्रम की शुरुआत + + + + + +« राष्ट्रीय और राज्य स्तरों पर कार्यक्रम +का दृष्टिकोण + +*« विभिन मंत्रालयों और राज्य सरकारों द्वारा +एनईजीपी के क्रियान्वयन में तकनीकी +सहायता मुहैया कराने की डीआईटी की +सहायक भूमिका + +* मिशन की तरह चलायी जा रही +परियोजनाओं (एमएमपी) पर मंत्रालयों +का स्वामित्व + +मिशन के तौर पर चलायी जा रही + +परियोजनाएं, +एनईजीपी में 31 एमएमपी शामिल हैं। + +इनमें 11 केन्द्रीय, 13 राज्यों की और सात + +समेकित परियोजनाएं तथा आठ घटक हैं। + +एमएमपी स्पष्ट उद्देश्यों, दायरों, क्रियान्वयन + +की समय-सीमाओं और उपलब्धियों के साथ + +शासन के किसी एक पहलू पर केन्द्रित होती + +है। उसके नतीजे और सेवा स्तर मापनीय + +होते हैं। +asta wut: dfn, ada +उत्पाद और आयात शुल्क, आयकर, +बीमा, एमसीए 21, पासपोर्ट, आब्रजन, +वीसा, विदेशी पंजीकरण और ट्रैकिंग, +पेंशन, ई-कार्यालय, डाक तथा यूआईडी + +* राज्य एमएमपी: कृषि, वाणिज्य +कर, ई-जिला, नियोजन कार्यालय, +भूमि रिकॉर्ड (एनएलआरएमपी) , +नगरपालिका, ई-पंचायत, पुलिस +(सीसीएनटीएस), सड॒क परिवहन, +कोषागार कम्प्यूटरीकरण, सार्वजनिक + +22 + +वितरण प्रणाली, शिक्षा और स्वास्थ्य +* समेकित एमएमपी: सीएससी, ई-बिज, +ई-अदालत, ई-खरीद, ई-व्यापार के +लिये ईडीआई, राष्ट्रीय ई-शासन सेवा +डिलीवरी गेटवे और भारत पोर्टल +डिजिटल इंडिया कार्यक्रम +डिजिटल इंडिया कार्यक्रम की शुरुआत +2015 में की गयी। इसके तहत डिजिटल +अवसंरचना में निवेश और डिजिटल साक्षरता +को बढ़ावा देकर तथा ऑनलाइन सेवाओं + +उपयोग के तौर पर डिजिटल अवसंरचना +° मांग पर शासन और सेवाएं +* नागरिकों का डिजिटल सशक्तीकरण + +डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के दायरे में +सरकार के कई मंत्रालय और विभाग आते +हैं। इस कार्यक्रम के पूरे तालमेल का जिम्मा +इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग +के पास है। इसमें विकास के इन नो स्तंभों पर +ध्यान केन्द्रित किया गया है - ब्रॉडबेंड हाइवे, +सबके लिये मोबाइल कनेक्टिविटी, सार्वजनिक + + + + + + + + + + + + + +के प्रावधान के +विस्तार के जरिये mtn, | - है +शहरी और ग्रामीण ' +क्षेत्रों के बीच खाई ई-कोर्ट +पाटने कौ कोशिश | सर्विसेज्ञ मोबाइल ऐप +की जा रही है। | आसान और सुलभ बन रही है +इस कार्यक्रम का | भ्ञारत में न्याय डिलीवरी प्रणाली +मकसद भारत को | _ | +डिजिटल तौर पर | एलिसका्मयो ek are +समाज , सरकारी एजेंसियों और अन्य +सशक्त समाज हितधारकों के लिए उपयोगी मोबाइल ऐप +और ज्ञान आधारित +अर्थव्यवस्था. में ii मामले की स्थिति, मामलों की सूचियों और +तब्दील करना झा न्यायालय क आदशा का देखे +है। इसके तहत fy SR मामले की विस्तृत जानकारी कभी +fatafafera भी और कहीं भी पाने के लिए ई-कोर्ट +क्षेत्रों सर्विसेज माबाइल एप डाउनलाड कर +महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर +ध्यान केन्द्रित किया +जा रहा है। +*» हर नागरिक t 4. | | मी +के लिये मुख्य है |] | + + + +योजना, अगस्त 2021 + + + +0023.txt +<----------------------------------------------------------------------> +इंटरनेट पहुंच कार्यक्रम, ई-शासन: प्रौद्योगिकी +के जरिये सरकार में सुधार, ई-क्रांति: सेवाओं +की इलेक्ट्रॉनिक डिलिवरी, सबसे लिये सूचना, +इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण, रोजगारों के लिये सूचना +प्रौद्योगिकी तथा शीघ्र लाभ कार्यक्रम। इन +सभी क्षेत्रों के उपघटक हैं और इनका संबंध +अनेक मंत्रालयों और विभागों से है। + +राष्ट्रीय ई-शासन प्रभाग (एनईजीडी) +मुख्य सूचना अधिकारियों के लिये ई-शासन +नेतृत्व कार्यक्रम चला रहा है। यह नीति और +कार्यक्रम स्तर के उन अधिकारियों के लिये +है जो केन्द्र और राज्य के मंत्रालयों और +विभागों की ई-शासन परियोजनाओं और +पहलकदमियों से जुडे हैं। इस कार्यक्रम +का उद्देश्य संबंधित मंत्रालयों में ई-शासन +चैम्पियनों को तैयार करना है। इससे सरकार +में सभी स्तरों पर ई-शासन पहलकदमियों के +क्रियान्वयन में तेजी आयेगी। +राष्ट्रीय ई-शासन सेवा डिलीवरी आकलन +( एनईएसडीए ) + +एनईएसडीए का मकसद राज्य और केन्द्र +के स्तर पर विभिन्‍न विभागों और मंत्रालयों +के रोजमर्रा के कामकाज में ई-शासन फेमवर्क +के उपयोग को बढ़ावा देना है। नीति निर्माण +में नागरिकों और व्यवसायों की ई-भागीदारी +को प्रोत्साहन देना, संयुकतराष्ट्र के संवहनीय +विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में भारत +की मदद करना और डिजिटल खाई को +पाट कर देश में आबादी के सभी स्तरों पर +सार्वजनिक सेवा की कुशल डिलीवरी इसके +अन्य उद्देश्य हैं। इसके जरिये सूचना और +संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) अवसंरचना +के क्षमता निर्माण से नवाचारी और उन्‍नत +सार्वजनिक सेवा डिलीवरी के विकास का +प्रयास किया जा रहा है। यह केन्द्र से लेकर +स्थानीय स्वशासन तक शासन के हर स्तर +पर सभी ई-सेवाओं के लिये एक आसान +और एकल प्रवेश बिंदु के विकास में सहायक +है। एनईएसडीए के तहत आकलन के मानदंडों +में अभिगम्यता, उपयोग में आसानी, प्रयोजन +सेवा की डिलीवरी, समेकित सेवा डिलीवरी, +सामग्री उपलब्धता, सूचना सुरक्षा और निजता +तथा स्थिति और अनुरोध की ट्रैकिंग शामिल हें। +ई-शासन और कोविड 19 की वेश्विक +महामारी + +मौजूदा वैश्विक महामारी के दौर में +संचार, नेतृत्व और नीति निर्माताओं, प्रशासन + +योजना, अगस्त 2021 + + + +TUK TAS बला a +ST ea TA, Het | | g 5 ae + +डिजिटल अपनायें +कागज का इस्तेमाल +बंद करें पेड़ बचायें + +ई-चालान + +डिजिटल यातायात» +परिवहन प्रवर्तन समाधान + +इस सेवा के जरिये यातायात +अधिकारी कागज के इस्तेमाल के +बिना इलेक्ट्रॉनिक चालान तुरंत +जारी कर सकते हैं + + + +181 ।| 1 | +Pe Hed AT ad + + + + + +और समाज के बीच तालमेल के जरूरी तत्व +के रूप में ई-शासन की केन्द्रीय भूमिका +हो गयी है। ई-शासन की पहलकदमियों के +जरिये स्थापित डिजिटल प्रौद्योगिकियां ज्ञान +के आदान-प्रदान, सहयोगात्मक अनुसंधान +को बढ़ावा देने और नागरिकों को पारदर्शी +दिशा-निर्देश मुहैया कराने के महत्वपूर्ण +स्रोत बन गयी हैं। ई-शासन कोविड 19 +से संबंधित सूचनाओं के ज्यादा पारदर्शी, +सुरक्षित और अंतर-प्रचालनीय ढंग से प्रसार +के लिये महत्वपूर्ण आईसीटी औजार बन +गया है। कोविड 19 मामलों के ऑनलाइन +आंकड़ों, लॉकडाउन के दिशा-निर्देशों, यात्रा +प्रतिबंधों , अस्पतालों में खाली बिस्तरों का पता +लगाने, ऑक्सीजन सिलिंडर उपलब्ध कराने +तथा वित्तीय सहायता और राहत के वितरण +इत्यादि से संबंधित काम ई-शासन अवसंरचना + +आरोग्य सेतु और कोविन ऐप +कोविड मरीजों का पता लगाने +और टीकाकरण के प्रबंधन में +नागरिकों और सरकार की मदद +करने के ई-शासन के मुख्य साधन +हैं। अस्पतालों में भीड़भाड़ को +घटाने के लिये ई-चिकित्सक +टेली-वीडियो परामर्श सुविधा शुरू +की गयी है। + +के माध्यम से ही किये गये। जनधन आधार +मोबाइल (जैम) डिलीवरी प्रणाली वेश्विक +महामारी के दौरान जनसाधारण की मदद +के लिये नकद भुगतानों, सार्वजनिक वितरण +प्रणाली के जरिये खाद्याननों की आपूर्ति और +प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत +राहत सामग्री के वितरण का मुख्य वाहक +बन गयी। + +आरोग्य सेतु और कोविन ऐप कोविड +मरीजों का पता लगाने और टीकाकरण के +प्रबंधन में नागरिकों और सरकार की मदद +करने के ई-शासन के मुख्य साधन हैं। +अस्पतालों में भीड़भाड़ को घटाने के लिये +ई-चिकित्सक टेली-वीडियो परामर्श सुविधा +शुरू की गयी है। तेज प्रतिक्रिया और संकट +का अनुमान लगाने के लिये स्मार्ट सिटी की +अवसंरचना का उपयोग किया गया। पिंपरी +चिंचवाड में स्मार्ट सिटी मिशन के तहत +2015 में समेकित सार्वजनिक नियंत्रण केन्द्रों +की शुरुआत की गयी थी। इन्हें कोविड 19 +नियंत्रण केन्द्रों में तब्दील कर दिया गया। +इन केन्द्रों ने कोविड 19 से निपटने के +काम में रियल टाइम डेशबोर्डों और वीडियो +मॉनिटरों का इस्तेमाल किया। कोविड 19 +मामलों का पता लगाने, खुले हुए दवाखानों +की पहचान करने और अस्पताल की क्षमता +की निगरानी के लिये रियल-टाइम डेशबोडों, +वीडियो मॉनिटरों और ड्रोनों का इस्तेमाल +किया गया। जिन शहरों में स्मार्ट सिटी मिशन + +23 + + + +0024.txt +<----------------------------------------------------------------------> +के तहत समेकित कमान और नियंत्रण केन्द्र +काम कर रहे थे उनमें इन्हें जागरूकता फैलाने +और आपतकालीन सेवाओं का संचालन करने +वाले प्रबंधकों के लिये चौबीसों घंटे सक्रिय +केन्द्रों में बदल दिया गया। कोविड 19 +के मामलों का पता लगाने, एकांतवास की +निगरानी और शहर के विभिन्‍न विभागों के +बीच तालमेल और लॉजिस्टिक्स में ऐप्स की +प्रमुख भूमिका रही। +चुनौतियां और आगे का रास्ता +कोविड 19 के प्रकोप के दौरान ई-शासन +परियोजनाओं के दायरे का अप्रत्याशित गति +से विस्तार हुआ। इनमें अनेक नयी विशेषताओं +और नवाचारी ई-अवसंरचना को जोड़ा गया। +मौजूदा समय में ई-शासन से जुड़ी भारत की +आबादी को व्यक्तियों की निजी सूचनाओं +वाले विश्व के सबसे aS Seal Fa +एक माना जा सकता है। इसके साथ ही भारत +के संविधान प्रदत्त बुनियादी अधिकारों और +मूल्यों के अनुरूप एक सुरक्षित, प्रभावशाली, +विश्वसनीय और पारदर्शी प्रणाली सुनिश्चित +करने की महत्वपूर्ण चुनौती भी पैदा हुई है। +डिजिटल विभाजन को घटाने के मकसद से +नये तौर-तरीकों को अपनाना और किसी को +पीछे नहीं छोड़ने के संकल्प को पूरा करने +के लिये समावेशी ई-शासन को बढ़ावा देना +एक अन्य चुनौती हे। +सरकार को कोविड के बाद की स्थिति +में निम्नलिखित उपायों के जरिये प्रभावशाली +ई-शासन विकसित करने की दरकार हे- +© Se अवसंरचना की सरकारी +विभागों और एजेंसियों के बीच +अंतर-प्रचालकता +* समावेशी ई-शासन ढांचे का विकास +ताकि कोई भी इसके दायरे से बाहर +नहीं छूटे +* प्रभावशाली डाटा संरक्षण कानून और +प्रशासनिक विनियमों का निर्माण +* सूचनाओं की चोरी और दुरुपयोग से +बचने के लिये डाटा सुरक्षा का विकास +* समावेशी डिजिटल पारिस्थितिकी बना +कर डिजिटल विभाजन घटाना। समावेशन +के लिये ई-साक्षरता तथा ज्यादा उपयोग +के वास्ते सुलभता को बढ़ाना +* संवहनीय विकास लक्ष्यों को हासिल +करने के लिये अनिवार्य क्षेत्र निर्दिष्ट +सेवा पर ध्यान केन्द्रित करना + +24 + +ई-शासन की पहलकदमियों +के जरिये स्थापित डिजिटल +प्रौद्योगिकियां ज्ञान के +आदान- प्रदान, सहयोगात्मक +अनुसंधान को बढ़ावा देने +और नागरिकों को पारदर्शी +दिशा-निर्देश मुहैया कराने के +महत्वपूर्ण स्रोत बन गयी हैं। +ई-शासन कोविड 19 से संबंधित +सूचनाओं के ज्यादा पारदर्शी , +सुरक्षित और अंतर-प्रचालनीय +ढंग से प्रसार के लिये +महत्वपूर्ण आईसीटी औजार बन +गया है। कोविड 19 मामलों के +ऑनलाइन आंकड़ों, लॉकडाउन +के दिशा-निर्देशों, यात्रा प्रतिबंधों, +अस्पतालों में खाली बिस्तरों का +पता लगाने, ऑक्सीजन सिलिंडर +उपलब्ध कराने तथा वित्तीय +सहायता और राहत के वितरण +इत्यादि से संबंधित काम ई-शासन +अवसंरचना के माध्यम से ही +किये गये। + +* सेवा डिलीवरी में सुधार के लिये नवीन +प्रौद्योगेकियों को अपनाना और समेकित +सेवा डिलीवरी पर ध्यान केन्द्रित करना। बल + +संदर्भ + +1. Fe wm, ई-गवर्नेंस पॉसिबिलिटीज इन + +इंडिया फॉर द पोस्ट कोविड 19 एरगा (2020) , +आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन! यहां देखें- +https://www.orfonline.org/expert-speak/ +egovernance-possibilities-india-post- +covid19-era-663 16/ + +2 Fe सूचना अधिकारी (सीआईओ): +ई-शासन नेतृत्व कार्यक्रम। यहां देखें- +https://digitalindia.gov.in/content/chief- +information-officerscio-e-governance- +leadership-programme + +3. सिटिजन सेंट्रिक एडमिनिस्ट्रेन : द हार्ट +ऑफ गवर्नेंस (2009), बारहवीं रिपोर्ट, दूसरा +प्रशासनिक सुधार आयोग, भारत सरकार। यहां +देखें- https://darpg.gov.in/sites/default/ +files/ccadmin12.pdf + +4. डिजिटल इंडिया: प्रोग्राम पिलर्स। यहां देखें- +https://digitalindia.gov.in/content/ + +10. + +11, + +12. + +13, + +14. + +15. + +16. + +programme-pillars +ई-गवर्नेंस स्टैंडर्ड्स, एसटीक्यूसी निदेशालय, +wei और सूचना प्रौद्योगिकी + +मंत्रालय, भारत सरकार। यहां देखें - ॥#9:/ +egovstandards. gov.in/ + +ई-गवर्नमेंट सर्वे, 2020: डिजिटल गवर्नमेंट इन द्‌ +डेकेड ऑफ एक्शन फॉर सस्टेनेबेल डेवलपमेंट +विद एडेंडम ऑन कोविड 19 रेसपॉन्स, संयुक्‍तराष्टर +आर्थिक और सामाजिक मामले विभाग। यहां + +देखें- https://publicadministration.un.org/ +egovkb/Portals/egovkb/Documents/ +un/2020-Survey/2020%20UN%20 +E-Government%20Survey%20(Full%20 + + + + + + + +Report).pdf +गवर्नेंस. कैपेसिटी बिल्डिंग; ई-गवर्नेंस +प्रोजक्ट लाइफ साइकिल, इलेक्ट्रॉनिक्स + +और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, संचार और +सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार। + +यहां. देखें- https://www.meity. gov.in/ +writereaddata/files/e-Governance_Project_ +Lifecycle Participant_Handbook-5Day_ + +CourseV1_20412.pdf +ई-शासन के लिये राष्ट्रीय पुरस्कारों से पुरस्कृत + +परियोजनाओं को सूची 2020। यहां देखें- + +https://nceg. gov.in/sites/default/files/ +NAceG-2020.pdf + +मिशन मोड प्रोजेक्ट्स, एनईजीपी। यहां देखें- + +https://www.meity.gov.in/content/mission- +mode-projects + +ई-शासन के लिये राष्ट्रीय पुरस्कार 2020-21, +प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग, + +भारत सरकार। यहां देखें- ॥#1फ8:/010०8.8०ए. +in/sites/default/files/2021-01/portal%20 +launch.pdf + +ई-शासन के लिये राष्ट्रीय पुरस्कार, ई-शासन +पर राष्ट्रीय सम्मेलन, ई-शासन खंड, प्रशासनिक +सुधार और लोक शिकायत विभाग। यहां देखें- + +https://neeg.gov.in/national awards _ +for_e-governance + +राष्ट्रीय ई-शासन पुरस्कार, 2020। यहां देखें- +https://nceg. gov.in/sites/default/files/ +NAeG-2020.pdf + +राष्ट्रीय ई-शासन खंड। यहां देखें- #॥95:/ +negd.gov.in/node/67 + +राष्ट्रीय ई-शासन योजना, इलेक्ट्रॉनिक्स और +सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय। यहां देखें- ॥॥8:/ + +www. meity. gov. in/divisions/national-e- +governance-plan + +प्रोमोटिंग ई-गवर्नेंस द स्मार्ट वे फॉटवर्ड, +ग्यारहवीं रिपोर्ट, दूसरा प्रशासनिक सुधार +आयोग (2008 )। यहां देखें- #195://0898. +gov.in/sites/default/files/promoting | +egovll.pdf + +सारांश, ए करपेंडियम ऑफ मिशन मोड +wire अंडर एनईजीपी (2011), +सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, संचार और +सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार। +यहां देखें- +in/writereaddata/files/Compendium _ +FINAL Version_220211(1).pdf + +https://www.meity. gov. + +योजना, अगस्त 2021 + + + +0025.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +Because leaming changes everything! + +Pam AU eel Ces ef + + + +ISBN: 9789390727896 + +मौलिक-स्रे-उत्च समझ विकस्मित करने के +ula फंन्ट्रित एवं अंतर-पैषयिक चविवेचजा। +pie से लेकर बाह्य - सभी क्षेत्रों का पूर्ण +Holle एवं अद्यतन जानकारियों सहित +सिविल सेचा, विण्वविद्यालय एवं अन्य +प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु लौकप्रिय पुस्तक | + +‘ISBN: 9788194244622 + +26 अध्यायों एवं 5 परिशिष्टों में +समायोजित यह पुस्तक एक अकुठी +संग्रहििका की तरह है, जिसमें आरतीय +कला एवं संस्कृति के विभिज्ज आयागों +के विविध पक्षों के अनछए पहलुओं का +aulls faa + + + + + +पे पुस्तकें स्त्रीदजे +amazon के लिए स्कैन करें + + + + + +Toll free number: 18001035875 support.india@mheducation.com | www.mheducation.co.in + + + +योजना, अगस्त 2021 + +25 + + + +YH-1610/2021 + + + +0026.txt +<----------------------------------------------------------------------> +भारतीय विदेश सेवा: निरंतर उत्कृष्टता की ओर + +हर्ष वी पंत + +आईएफएस विश्व की सबसे कठिन प्रतिस्पर्धी और व्यापक स्वरूप वाली सेवा है जिसने वैश्विक राजनयिक +क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। इसने विभिन्न रूपों से अन्य देशों के साथ भारत के राजनयिक संबंधों +का प्रबंधन किया है। इन रूपों या तरीकों में अंतर्राष्ट्रीय मंचरों पर भारत का प्रतिनिधित्व करना तथा देश के +हितों को बनाए रखना, देश के मैत्रीपूर्ण विदेश सम्बन्धों को बनाए रखना तथा राष्ट्रीय हितों की रक्षा करना +और विदेशों से राजनयिक महत्व की जानकारियां जुटा कर सरकार को प्रस्तुत करना शामिल है। + +सितंबर 1783 को ईस्ट इंडिया कंपनी के निदेशक मण्डल +(बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स) ने फोर्टविलियम, कलकत्ता +(अब कोलकाता) में एक ऐसा विभाग बनाने का फैसला +लिया जो वारेनहेस्टिंग्स प्रशासन पर “काम का दबाव कम करने के +लिए' उसके “गोपनीय तथा राजनैतिक कार्यों में मदद कर सके। ईस्ट +इंडिया कंपनी के लिए यह कठिन समय था। मराठा साम्राज्य से वह +बड़ी मुश्किल से पार पा सकी थी और दक्षिण में हैदर अली से हार +रही थी। ब्रिटिश संसद ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारों को और कम +करने के लिए पिट का इंडिया एक्ट (1884) पारित करने वाली थी। +उस समय बने उक्त विभाग ने राजनय का क्षेत्र में अपनी भूमिका का +निरंतर विकास किया। आज की भारतीय विदेश सेवा उसी विभाग का +आधुनिक रूप है। +भारत में ब्रिटिश सत्ता 1843 तक बहुत शक्तिशाली हो चुकी थी। +उसके लिए केवल पंजाब पर कब्जा जमाना बाकी था। लेकिन विभिन्न +चार्टर कानूनों के लागू हो जाने सेईस्ट इंडिया कंपनी का पहले जैसा +रुतबा नहीं रह गया था। बेहतर प्रबंधन के लिए ब्रिटिश सत्ता ने विदेश +विभाग को पुनर्गठित करने का फैसला किया। गवर्नर जनरल एलनबरो +ने प्रशासनिक सुधार करते हुए निम्न चार विभाग गठित किए; विदेश, +गृह, वित्त और सैन्य विभाग। +सितंबर 1946 में भारत स्वतंत्रता की दहलीज पर खड़ा था। +नवगठित देश के लिए संस्थाओं के नए नाम और संरचना जुरूरी थी। +अन्य देशों में देश के राजनयिक, काउंसलर और राजनयिक प्रतिनिधित्व +के लिए भारतीय विदेश सेवा (इंडियन फॉरेन सर्विस-आईएफएस) का +गठन किया गया। +आईएफएस विश्व की सबसे कठिन प्रतिस्पर्धी और व्यापक स्वरूप +वाली सेवा है जिसने वेश्विक राजनयिक क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान +बनाई है। इसने विभिन्न रूपों से अन्य देशों के साथ भारत के राजनयिक +संबंधों का प्रबंधन किया है। इन रूपों में, तरीकों में अंतर्राष्ट्रीय मंचों +पर भारत का प्रतिनिधित्व करना तथा देश के हितों को बनाए रखना, + + + +लेखक किंग्स कॉलेज, लंदन (यू.के.) के रक्षा अध्ययन विभाग में “अंतर्राष्ट्रीय +संबंध' विषय के प्रोफेसर हैं। ईमेल: harsh.pant@kcl.ac.uk + +26 + +देश के मैत्रीपूर्ण विदेशी सम्बन्धों को बनाए रखना तथा राष्ट्रीय हितों की +रक्षा करना और विदेशों से राजनयिक महत्व की जानकारियां जुटा कर +सरकार को प्रस्तुत करना शामिल है। + +भारतीय विदेश सेवा विदेशों में भारत के हितों का प्रतिनिधित्व +करती है और ऐसी जानकारियों को प्राप्त तथा विश्लेषित करती है +जिसके आधार पर विदेश नीति संबंधी मुख्य फैसले लिए जाते हें। +इस शाखा का आधार विदेश सेवा के अधिकारी हैं जो अन्य देशों के +साथ भारत के हितों को बनाए रखते हुए परस्पर शांति और समृद्धि +के लिए काम करते हैं। उनके काम का दायरा बहुत विस्तृत है जिसमें + + + +ait १४ ; hod + +७०० eee 2 ४ ॥ + +"h +. Stat atte ort a ito apie eae 77 वर्ष a +eT TO YEARS OF CAPLOMAPRC RELATIONS BETWEEN INCAA AND GERAANY +see eeeeeeeeeeeeseeeeteeeeeeees + + + +योजना, अगस्त 2021 + + + +0027.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +-. +i +os: + +1 + +राजनैतिक महत्व के प्रमुख मुद्दों पर भारत के हितों को बनाए रखना +और विभिन्न देशों में जा रहे अथवा वहां से आ रहे भारतीय नागरिकों +की मदद करना है। + +निरंतर वैश्वीकृत हो रही दुनिया में प्रभावी विदेश सेवा का बहुत +अधिक महत्व है। वैश्विक राजनीति में प्रमुख ताकत बनने का संकल्प +रखने वाली भारत जैसी उभरती विश्व-शक्ति के लिए तो यह खास तौर +से महत्वपूर्ण है और इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रयासरत है। +भारतीय विदेश सेवा के अंतर्गत कार्यरत भारतीय राजनयिकों ने भारत +को विश्व-शक्ति बनाने की दिशा में कारगर भूमिका निभाई है। आज + +भारतीय विदेश सेवा विदेशों में +भारत के हितों का प्रतिनिधित्व +करती है और ऐसी जानकारियों +को प्राप्त तथा विश्लेषित करती है +जिसके आधार पर विदेश नीति +संबंधी मुख्य फैसले लिए जाते हैं। + + + + + +योजना, अगस्त 2021 + + + +a —_ + +की भारतीय विदेश सेवा की स्थापना 9 अक्तूबर 1946 को हुई और +इसी वर्ष (अक्टूबर 2021 में) यह 75 वर्ष पूरे कर लेगी। इस दौर में, +इस सेवा ने भारत को वेश्विक महत्व का आधुनिक राष्ट्र-राज्य बनते +देखा है। इस समय, इस सेवा के करीब 850 अधिकारी भारत के +193 दूतावासों और पोस्टों तथा भारत में विदेश मंत्रालय तथा सम्बद्ध +कार्यालयों में कार्यरत हैं। ये अधिकारी द्विपक्षीय राजनैतिक और आर्थिक +सहयोग, व्यापार तथा वाणिज्य संवर्धन, सांस्कृतिक संपर्क, प्रेस तथा +मीडिया संपर्क सहित अनेक आपसी और बहुपक्षीय मुद्दों को tad ZI + +मूलतः: भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी भारतीय दूतावासों, +उच्चायोगों, कोंसुलेटों और संयुक्त राष्ट्र जैसे बहुपक्षीय संगठनों में भारत +का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये अधिकारी अपनी तैनाती के देश में भारत के +हितों की रक्षा करते हैं; उन देशों और वहां रहने वाले प्रवासी भारतीयों/ +भारतीय मूल के लोगों सहित उन देशों के नागरिकों से मैत्रीपूर्ण सम्बन्धों +को प्रगाढ़ बनाने के लिए प्रयास करते हैं; उनकी तैनाती के देश के +घटना-क्रम के बारे में प्रामाणिक तरीके से रिपोर्ट पेश करते हैं ताकि +भारत की नीतियां उसी के अनुरूप तय की जा सकें; तैनाती के देश या +संगठन के साथ विभिन्न मुद्दों पर चर्चा और समझौते, करार आदि करने +की प्रक्रिया में हिस्सेदारी करते हैं तथा विदेश में भारतीयों तथा वहां के +नागरिकों को काउंसलर सेवाएं प्रदान करते हैं। + +शीत युद्ध के दौर की तुलना में वर्तमान वैश्विक व्यवस्था काफी +बदल गई है। तो दूसरे विश्व युद्ध की यादें ताजा थीं और भारत ने दोनों +महाशक्तियों में से किसी के भी प्रभाव-द्षेत्र में न रहने का फैसला किया +था। आज का भारत प्रमुख विश्व-शक्ति बनने का आकांक्षी है और +अपनी भौगोलिक सीमाओं के बाहर भी अपने प्रभाव-द्षेत्र का विस्तार +करना चाहता है। वैश्विक स्तर पर अपने संवाद-संपर्कों का विस्तार +कर, भारत अब नियमों के मात्र पालनकर्ता से बढ़ कर नियम-निर्माता +बनने का आकारक्षी है। + +इस नई दुनिया के दौर में, विदेश मंत्रालय शीत युद्ध के जमाने +की नीतियों के दायरे में नहीं सिमट सकता। बदलते समय के साथ +अनेक परिवर्तन हुए भी हैं। लेकिन आईएफएस की अपनी सीमाएं हैं। +इतनी बड़ी जिम्मेदारियों को देखते हुए इस सेवा में अधिकारियों की + +27 + + + +0028.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +संख्या बहुत कम है। इस विशिष्ट सेवा के लिए अधिकारियों की चयन +प्रक्रिया भी ज्यादा समग्र होनी चाहिए। साथ ही, अब तक यह सेवा +विभिन्न निजी और सरकारी क्षेत्र से विशेषज्ञों को, + +पदानुक्रम के बीच में लेकर अथवा दूसरे तरीकों आईएफएस की एक बड़ी उपलब्धि +यह रही है कि भारत 2021-22 + +से, शामिल करने को लेकर उदासीन बनी हुई +है। आईएफएस के विकास में एक बड़ी बाधा + +~~ we + +ie ert ata +* ९६ & भ की आर Ne कं a +विविध प्रकारों के साथ भी स्रामंजस्य बनाना होगा, जिनकी प्रासंगिकता +बढ़ रही है, जैसे लोक-केन्द्रित और डिजिटल डिप्लोमेसी आदि। +पिछले कुछ वर्षों में भारत ने स्वयं को इस +क्षेत्र में चीन के प्रभाव को संतुलित करने वाली +और डिजिटल शक्ति के रूप में प्रस्तुत किया +है। आईएफएस को इस विजन को भी आगे + +इसकी सीमित दायरे की चयन प्रक्रिया है जो के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा बढ़ाना है। एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि +इस सेवा की जरूरतों के अनुरूप नहीं है। अगर परिषद के लिए, अब तक प्राप्त आईएफएस में सुधार लाने के लिए, पहले देश +इसे एक श्रेष्ठ संस्था बनाया जाना है तो इसकी सर्वाधिक मतों से चुना गया है। के शिक्षा संस्थानों-स्कूलों और विश्वविद्यालयों +चयन प्रक्रिया ऐसी होनी चाहिए कि केवल इस क्कोरोना-काल में विदेशों में फंसे की शिक्षा को इतना बेहतर बनाना होगा ताकि +सेवा में ही आने के इच्छुक युवा इसके लिए भारतीयों को स्वदेश लाने के आईएफएस जैसी सेवा में सफल हो पाने वाले + +आवेदन करें। इसे किसी संयुक्त आवेदन प्रक्रिया +के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए। साथ ही, +चूंकि विदेश नीति से जुड़े मुद्दें के निर्वहन के +लिए देश के अंदर के मुद्दों के लिए आवश्यक +नीतियों के निर्वहन से अलग तरीके के कौशल +चाहिए,आईएफ्‌एस में नियुक्ति के मानदंडों का +भी विस्तार किया जाना जुरूरी है। + +आईएफएस में सुधार लाने की प्रक्रिया को +आगे बढ़ाने के लिए इसकी चयन प्रक्रिया ऐसी + +आवेदकों को सही निर्देश से सके, साथ ही सेवा +की गुणवत्ता में भी किसी प्रकार की रियायत न +दी जाए। आईएफृएस में दूसरे क्षेत्रों के विशेषज्ञों +को लाने की नीति सुनियोजित तरीके से विभिन्न +चरणों में लागू की जानी चाहिए जिसमें सेवा के +विभिन्न स्तरों/पदों के अधिकारियों के बीच समुचित संतुलन बना रहे। इस +सेवा को दुनिया भर में राजनयिक क्षेत्र के बड़े परिवर्तनों और राजनय के + + . iS + + + + + +mid VANDE BHARA +MISSION ' + +POH + +28 + +विराट प्रयास-वंदे भारत मिशन की +सफलता में आईएफएस की बड़ी +भूमिका रही है। 150 से अधिक +देशों को कोविड महामारी की +दवाएं और मेडिकल साज-सामान +पहुंचाने के बड़े प्रयास को सफल +बनाने के लिए आईएफएस +बनाई जानी चाहिए जो हर वर्ष बड़ी संख्या में अधिकारियों और उनके सहयोगियों +ने सरकारी और निजी क्षेत्र के +कायकर्ताओं के साथ मिल कर +अथक परिश्रम किया। + +विद्यार्थियों की पीढ़ी तैयार हो सके। + +आलोचनाओं के बावजूद, भारत पिछले +कई दशकों से अंतर्राष्ट्रीय जगत में अपना महत्व +बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयासरत है। इस दौरान, +आईएफएस की एक बडी उपलब्धि यह रही है +कि भारत 2021-22 के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा +परिषद के लिए, अब तक प्राप्त सर्वाधिक मतों +से चुना गया है। कोरोना-काल में विदेशों में फंसे +भारतीयों को स्वदेश लाने के विराट प्रयास-वंदे +भारत मिशन की सफलता में आईएफएस की +बड़ी भूमिका रही है। 150 से अधिक देशों +को कोविड महामारी की दवाएं और मेडिकल +साज-सामान पहुंचाने के बड़े प्रयास को सफल +बनाने के लिए आईएफएस अधिकारियों और +उनके सहयोगियों ने सरकारी और निजी क्षेत्र के +कायकर्ताओं के साथ मिल कर अथक परिश्रम किया। + +एक असरदार विदेश सेवा भारत के हितों की रक्षा के लिए अत्यंत +आवश्यक है क्योंकि सर्वाधिक विकसित देश भी अपने हितों को बनाए +रखने के लिए अन्य देशों पर निर्भर होते हैं और यही स्थिति भारत की +भी है। चूंकि कोई भी देश आज की दुनिया में अकेले नहीं चल सकता, +इसलिए आधुनिक राष्ट्र-राज्यों के लिए पुख्ता विदेश नीति अपनाना +अनिवार्य है ताकि ये देश अन्य देशों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और स्वयंसेवी +संस्थाओं के साथ आर्थिक, सांस्कृतिक, सामाजिक, राजनयिक, शैक्षिक +और अन्य क्षेत्रों में संबंध मजबूत कर सके। इसलिए, अंतर्राष्ट्रीय परिवेश +में, भारत का सुरक्षित और समृद्ध स्थान बनाए रखने में भारतीय विदेश +सेवा निरंतर महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रहेगी। 2 + +योजना, अगस्त 2021 + + + +0029.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +@°VISIONIAS + + + + + + + +INSPIRING INNOVATION www.visionias.in +37 'N TOP 10 SELECTIONS IN CSE 2019 7 OQheartiett Congratulations +from various programs of VISION IAS to all successful candidates +JATIN PRATIBHA VISHAKHA GANESH ABHISHEK RAVI YOU CAN +KISHORE VERMA YADAV KUMAR BASKAR' SARAF JAIN BE NEXT + + + +लाइव/ऑनलाइन व ऑफलाइन कक्षाएं + + + + + + + +(2 + डेली असाइनमेंट और अध्ययन ast te अध्ययन +[= सामग्री के साथ पूर्णतः हर 2९, ४ eg TAT यन 2022 + + + + + + + + + +:4£ प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा + +है. + +रिवीजन करें प्र +Ae A “ae 0७०५८ के सामान्य अध्ययन +PT 365 —- 5S पाठ्यक्रम का व्यापक कवरेज + +संपूर्ण वर्ष के करेंट अफेयर्स को 1 दिल्‍ली: बॉ: +ही + +सिर्फ 60 घंटों में कवर करती +जयपुर: ६.1 4, दिल + +कक्षाओं से ऑनलाइन जुड़े +व्यक्तित्व परीक्षण कार्यक्रम अभ्यास ही सफलता += ES हू... सिविल सेवा परीक्षा 2020 ° की चाबी है + +Ai 5 wh # पूर्व-प्रशासनिक अधिकारियों /शिक्षाविदों के VisionIAS URE /मुख्य टेस्ट +=” साथ मॉक इंटरव्यू सेशन सीरीज हर 3 में से 2 सफल + ++ उम्मीदवारों द्वारा चुना गया +अभ्यास 2024 + +- 8 सामान्य अध्ययन ७ निबंध ७दर्शनशास्त्र +4 w - w +J ऑल इंडिया प्रीलिम्स मॉक + +गई . +टेस्ट सीरीज (ऑनलाइन) सभी द्वारा पढ़ी 13 एव + +| _ सभी द्वारा अनुशंसित +on पता ae ey VisionlAS Ria aX +fie 4 पंजीकरण करें; www.visionias.in/abhyaas| __## + +2 अफेयर्स पत्रिका +DELHI - 1st Floor, Apsara Arcade, Near Metro Gate 6,1/8 B, Pusa Road, Karol Bagh +¢ Contact : 8468022022, 9019066066 + +JAIPUR | PUNE | HYDERABAD | LUCKNOW | AHMEDABAD | CHANDIGARH | GUWAHATI +9001949244 * 8007500096 " 9000104133 8468022022 9909447040 8468022022 8468022022 + +जे + + + + + +a whi + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +. ५». कोईक्लासनछटे SS आस आज फाउंडेशन | +ot im BRET NV फाउंडेशन कोर्स + + + + + +योजना, अगस्त 2021 29 + +YH-1611/2021 + + + +0030.txt +<----------------------------------------------------------------------> +लोक सेवाओं में सुधार + +समीरा सौरभ + +लोक सेवा, सरकार के कामकाज के संचालन के लिए आवश्यक है। औपनिवेशिक काल से ही लोक सेवा +को भारत में प्रशासन का “लौह ढांचा ( स्टील फ्रेम )' माना जाता है। लोक सेवा की यह औपनिवेशक विरासत +वैश्वीकरण के इस तेजी से बदलते युग में भी चली आ रही है। इसी संदर्भ में लोक सेवा में सुधार सुशासन +का अतिआवश्यक अंग हो गया है। सेवाओं को कारगर ठंग से जन-जन तक पहुंचाने हेतु लोक सेवा में नई + +सोच और पुनः अभिविन्यास की आवश्यकता है। + +क सेवा का तात्पर्य ऐसे करियर लोक सेवकों से हैं जो +लो भारत गणराज्य की स्थायी अधिशासी शाखा हैं। लोक +सेवा देश की प्रशासनिक मशीनरी की रीढ़ है। भारत के + +संसदीय लोकतंत्र में, प्रशासन को चलाने की जिम्मेदारी मुख्य रूप +से जनप्रतिनिधियों (जनता द्वारा निर्वाचित) यानी कैबिनेट मंत्रियों और +संसद के सदस्यों की है। मंत्रीगण नीतियां निर्धारित करते हैं और उन्हें +कार्यान्वित करने का काम भारत के राष्ट्रपति के अधीन कार्यरत लोक +सेवकों का है। हालांकि संविधान के अनुच्छेद 311 में लोक सेवकों +को राजनीति से प्रेरित प्रतिशोधी कार्रवाई से सुरक्षा प्रदान की गई है। +भारत में लोक सेवा का विकास +Wart ata + +कौटिल्य के अर्थशास्त्र में प्रशासनिक ढांचे के सप्तांग का +वर्णन है- स्वामी (शासक), अमात्य (नौकरशाह), जनपद (क्षेत्र), +दुर्ग (किला बंद राजधानी), कोष (खजाना), दंड (सेना) और मित्र +(सहयोगी )। अर्थशास्त्र के अनुसार नौकरशाही के ऊंचे स्तर में मंत्री +और अमात्य शामिल होते थे। मंत्री, राजा के सबसे ऊंचे दर्ज के +सलाहकार और अमात्य लोक सेवक हुआ करते थे। + +मध्यकालीन भारत: मुगल काल के दौरान नौकरशाही मनसबदारी +व्यवस्था पर आधारित थी। मनसबदारी प्रणाली मूल रूप से लोक सेवकों +का समूह थी जिन्हें असैन्य या सैन्य सेवा में तैनात किया जाता था। + +ब्रिटिश भारत: ब्रिटिश भारत में मैकॉले की 1835 की रिपोर्ट के +कार्यान्वयन से लोक सेवा में बड़े बदलाव आए। मैकॉले की रिपोर्ट +में सिफारिश की गई थी कि सिर्फ सर्वश्रेष्ठ और मेधावी लोग ही +ब्रिटिश साम्राज्य के हितों की पूर्ति के लिए भारतीय लोक सेवा में +शामिल होंगे। + +स्वतंत्रता पश्चात: स्वतंत्रता के बाद भारतीय लोक सेवा प्रणाली +में ब्रिटिश ढांचे के कुछ तत्वों जैसे शैक्षिक उपलब्धियों पर आधारित +खुली प्रवेश प्रणाली और स्थाई कार्यकाल को एकीकृत प्रशासनिक + +व्यवस्था के तौर पर जारी रखा गया। + +1947 में ब्रिटिश शासन से मुक्ति के पश्चात्‌ भारत के विभाजन +के साथ ही भारतीय लोक सेवा का भी भारत और पाकिस्तान के नए +शासन के बीच बंटवारा हो गया। आईसीएस को भारत में भारतीय +प्रशासनिक सेवा और पाकिस्तान में पाकिस्तान प्रशासनिक सेवा कहा +गया। आधुनिक भारतीय प्रशासनिक सेवा का गठन भारत के संविधान +के भाग 14 में अनुच्छेद 312 ( दो) और अखिल भारतीय सेवा +अधिनियम 1951 के तहत किया गया। +लोक सेवाओं का वर्गीकरण + +भारत के संविधान के भाग 14 में भारत हेतु सेवाओं की विभिन्न +श्रेणियां निर्धारित की गई हैं। इस अध्याय का नाम केद्र और राज्यों +के अंतर्गत सेवाएं रखा गया है। संविधान में सेवाओं के प्रकार और +श्रेणियों का विस्तारपूर्वक वर्णन नहीं किया गया है। संविधान के +अनुसार हम सेवाओं को निम्नलिखित श्रेणियों में वर्गीकृत करते हैं- +अखिल भारतीय सेवाएं (एआईएस) , राज्य सेवाएं एवं स्थानीय तथा +नगर निगम सेवाएं। केंद्रीय सेवा के चार समूह हैं-केद्रीय सेवा समूह +क, ख, ग और घ। + + + + + +लेखिका भारत सरकार में निदेशक हैं तथा विदेश मामलों, अंतर्राष्टीय श्रम मानकों, जी-20, ब्रिक्स, ग्रामीण विकास और वाणिज्य के क्षेत्रों में नीतियां बनाने से लेकर उनके + +कार्यान्वयन का अनुभव है। ईमेल: sameera.saurabh@gmail.com + +30 + +योजना, अगस्त 2021 + + + +0031.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +चुरई कनारन +भारत में पहले उप कलेक्टर +चुरई कनारन (1812) , थिय्यार कुलीन पुरुष, भारत में पहले +उप कलेक्टर, उस समय किसी भारतीय के लिए सबसे ऊंचा पद। +लोक सेवा का बीज 1854 के नोर्थकोट-त्रिवेलयान सुधार +अपनाए जाने से पड़ा। ईस्ट इंडिया कंपनी के काल में लोक सेवाओं +को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया- प्रसंविदाबद्ध , अप्रसंविदाबद्ध +और विशेष लोक सेवाएं। प्रसंविदाबद्ध लोक सेवा को सम्मानीय ईस्ट +इंडिया कंपनी की लोक सेवा (एचईआईसीसीएस) के नाम से +जाना जाता था और इसमें मुख्य रूप से सरकार के शीर्ष पदों पर +विराजमान लोक सेवक शामिल होते थे। +अनकॉविनेटेड (अप्रसंविदाबद्ध» लोक सेवा की शुरुआत केवल +प्रशासन के निचले स्तर पर भारतीयों को प्रवेश देने के लिए की +गई थी। विशेष सेवा में भारतीय वन सेवा, इंपीरियल पुलिस और +भारतीय राजनीतिक सेवा जैसे विशिष्ट विभाग थे जिनके सदस्य +प्रसंविदाबद्ध लोक सेवा या भारतीय सेना से लिए जाते थे। इंपीरियल +पुलिस के सदस्यों में भारतीय सेना के कई अधिकारी शामिल + + + + + + + +थे, यद्यपि 1893 के बाद उसके ६ +अधिकारियों के चयन के लिए _ +वार्षिक परीक्षा शुरू की गई। +1858 में एचईआईसीसीएस के +स्थान पर भारतीय लोक सेवा (६ +(आईसीएस) शुरू की गई जो >> ««५- : oe +1858 और 1947 के बीच भारत में सर्वोच्च लोक सेवा रही। +आईसीएस में अंतिम नियुक्ति 1942 में की गई थी। + +ब्रिटेन की संसद द्वारा भारत सरकार अधिनियम 1919 पारित +किए जाने के साथ ही भारत के लिए नियुक्‍त मंत्री की देखरेख में +भारतीय लोक सेवा को दो भागों में बांठा गया, अखिल भारतीय सेवा +एवं केंद्रीय सेवा। 1946 में आयोजित सम्मेलन में केंद्रीय मंत्रिमंडल +ने भारतीय लोक सेवा के आधार पर भारतीय प्रशासनिक सेवा एवं +इंपीरियल पुलिस के आधार पर भारतीय पुलिस सेवा गठित करने +का फैसला लिया। + + + + + +केंद्रीय सेवा के समूह क में 34 प्रकार हैं। इनमें से कुछ हैं +भारतीय विदेश सेवा, भारतीय लेखा परीक्षा एवं लेखा सेवा, भारतीय +सांख्यिकी सेवा, भारतीय आर्थिक सेवा, भारतीय सूचना सेवा, भारतीय +रेलवे सेवा इत्यादि। समूह ख की सेवाओं में निम्नलिखित श्रेणियां +शामिल हैं- केंद्रीय सचिवालय सेवा, भारतीय +भौगोलिक सर्वेक्षण, भारतीय प्राणि सर्वेक्षण, +केंद्रीय सचिवालय आशुलिपिक सेवा। + +कार्मिक संवर्गों में सबसे अधिक संख्या केद्रीय +सचिवालय सेवा और भारतीय राजस्व सेवा +(आईटी एवं सी तथा सीई) में है। लोक सेवक +भारत सरकार या राज्य सरकारों के कर्मचारी +होते हैं लेकिन सरकार का हर कर्मचारी लोक +सेवक नहीं होता। 2010 तक भारत में 64 +लाख सरकारी कर्मचारी थे लेकिन उनमें से +50,000 से भी कम लोक सेवक थे। + +भारत सरकार ने 2015 में भारतीय कौशल +विकास सेवा, और 2016 में भारतीय उद्यम +विकास सेवा के गठन को स्वीकृति दी थी। + +ने रेलवे तंत्र में संरचनात्मक सुधार के तहत +भारतीय रेलवे के अंतर्गत आने वाली सभी +लोक सेवाओं के विलय से एकीकृत भारतीय +रेल प्रबंधन सेवा के गठन की स्वीकृति दी थी। + +““प्रशासनिक प्रणाली का कोई +विकल्प नहीं है। संघ चला +भारत में संपूर्ण लोक सेवा तंत्र में जाएगा, अगर आपके पास ऐसी +अच्छी अखिल भारतीय सेवा +नहीं है जिसे अपनी राय देने की +आज़ादी हो, जिसे यह विश्वास +हो कि आप उसके काम में +उसका साथ देंगे तो अखंड भारत +नहीं बना सकते। अगर आप इस +प्रणाली को नहीं अपना सकते +तो मौजूदा संविधान का पालन +न करें। इसकी जगह कुछ और +इसके अतिरिक्त 2019 में केन्द्रीय मंत्रिमंडल व्यवस्था करें.....यह लोग औजार +हैं। इन्हें हटाने पप और मुझे. १ +देशभर में उथल-पुथल की स्थिति “* +के सिवा और कुछ नजर नहीं + +प्रौद्योगिकी उन्नयन, अधिक विकेद्रीकरण तथा सामाजिक सक्रियता +के कारण वैश्विक स्तर पर बदलाव तेज हुआ है। सरकार समझ +रही है कि इन बदलावों के असर से सेवाओं की प्रभावी डिलीवरी, +पारदर्शिता, जवाबदेही और कानून के शासन के जरिए बेहतर +प्रशासन की अपेक्षा बढ़ रही है। लोक +सेवा, सरकार का प्रमुख अंग है इसलिए +उसे लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने +के लिए बदलते समय के अनुसार कदम +से कदम मिलाना होगा। 'सुधार' का उद्देश्य +लोक सेवा का पुनर्विन्यास कर उसे जन +सेवाएं प्रदान करने हेतु ओजस्वी, कारगर +और जवाबदेह तंत्र बनाना है जो सदाचार एवं +सत्यनिष्ठा, निष्पक्षता और तटस्थता के मूल्यों +से संचालित हो। सुधार से तात्पर्य है नागरिकों +तक पहुंचने वाली जन सेवाओं की गुणवत्ता +बढ़ाना तथा सरकार के मूल क्रियाकलाप की +क्षमता में संवर्धन करना जिसके फलस्वरूप +सतत विकास की दिशा में आगे बढ़ा जा +सके। + +भारतीय लोक सेवाओं की कमियां + +क्षमता निर्माण में कमजोरी + +अकुशल प्रोत्साहन प्रणालियां जिसमें +ईमानदार और उत्कृष्ट लोक सेवकों को सराहने +की बजाय भ्रष्ट और अक्षम लोगों को सम्मानित + +सरकार ने अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए की anal में अखिल किया जाता है। +सोच समझ कर लोक सेवा में qe fea OT OR aT WaT A आखल , समयातीत नियम और कार्य प्रक्रियाएं +कि भारतीय सेवाओं के बारे में चर्चा के हे + +ताकि नीतियों को प्रभावी और कुशलतापूर्वक +कार्यान्वित किया जा सके। हाल के समय में + +योजना, अगस्त 2021 + +दौरान सरदार वल्‍लभभाई पटेल + +जो लोक सेवक के प्रभावी ढंग से काम करने +में बाधा उत्पन्न करती हैं। + +31 + + + +0032.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +* पदोन्नति और मनोनयन में सर्वागी असंगतियां। +*« पर्याप्त पारदर्शी और जवाबदेही प्रक्रियाओं का अभाव- +विह्सलब्लोअर यानि चेतावनी देने वालों के लिए कोई सुरक्षा +भी नहीं है। +* मनमाने और सनक से किए गए तबादले- कार्यकाल की असुरक्षा +से संस्थानीकरण में बाधा आती है। +* राजनीतिक हस्तक्षेप और प्रशासनिक मिलीभगत +* पदोन्नतियों, कार्य आवंटन और कामों में कुछ विशिष्ट सेवाओं +का वर्चस्व। +संरचनात्मक मुद्दे +सामान्य अधिकारी बनाम विशेषज्ञ अधिकारी: लोक सेवाओं की +स्थापना मुख्यतः सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन, +कानून-व्यवस्था बनाए रखने तथा सरकारी आदेशों को लागू करने जैसे +शासन के मुख्य कामकाज करने हेतु की गई हे। +हालांकि, वैश्वीकरण और आर्थिक सुधारों के आरंभ होने से +बदलती जरूरतों के कारण शासन की भूमिका में परिवर्तन आया +है। अतः प्रौद्योगिकी के क्रमिक विकास (उदाहरणस्वरूप साइबर +सुरक्षा) और जटिल कारोबारी, व्यापारिक एवं कानूनी पहलुओं के +कारण नई चुनौतियां उत्पन्न हुई हैं जिसका सरकार को मार्ग निर्देशन +करना होगा। इसलिए नीतिगत स्तर पर क्षेत्र विशिष्ट ज्ञान के लिए +(विशेषज्ञ अधिकारियों की) अधिक मांग है। भारतीय राजस्व सेवा, +भारतीय आर्थिक सेवा, भारतीय सांख्यिकी सेवा जेसी मौजूदा विशेषज्ञ +सेवाओं के भीतर यह भावना बढ़ रही है कि इन्हें जिस काम के +लिए प्रशिक्षित किया गया है उसके लिए न +तो पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिलता है और न ही + +Pg oie छत तिल जय + +सरकार ने अपनी क्षमता बढ़ाने + + + +सेवाओं में सुधार पर जोर दे रहे हैं। + +सरकार की नीतिगत परामर्श संस्था नीति आयोग के पास 2018 +की ऐतिहासिक रिपोर्ट में इस मुद्दे को समर्पित अध्याय है। नए +भारत&)75 हेतु रणनीति रिपोर्ट में “जन सेवाओं को और अधिक +प्रभावी एवं कुशलतापूर्वक पहुंचाने के लिए लोक सेवकों की भर्ती, +प्रशिक्षण और कार्य-निष्पादन के मूल्यांकन में सुधार करने का तंत्र +स्थापित करने पर जोर दिया गया है ताकि नव भारत 2022 (न्यू +इंडिया) के लिए परिकल्पित विकास लक्ष्यों को हासिल किया जा +सके।” + +सरकार ने 2 सितंबर 2020 को यह घोषणा की थी कि मिशन +कर्मयोगी कार्यक्रम के अंतर्गत लोक सेवकों को अधिक सृजनात्मक, +रचनात्मक कल्पनाशील, नवप्रवर्तनशील, सक्रिय पेशेवर, प्रगतिशील, +ओजस्वी, सामर्थ्यवान पारदर्शी और प्रौद्योगिकी-समर्थ बनाने हेतु प्रशिक्षित +किया जाएगा। + +प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने +लोक सेवा क्षमता निर्माण के लिए नई राष्ट्रीय व्यवस्था अर्थात्‌ “मिशन +कर्मयोगी” को स्वीकृति दी थी जिसका उद्देश्य भारत सरकार में +व्यक्तिगत, संस्थागत और प्रक्रियाओं के स्तर पर क्षमता निर्माण के +ढांचे का कायाकल्प करना है। केंद्र सरकार के 46 लाख कर्मचारियों +को लक्षित करने वाली यह पहल “शासन, कार्य-निष्पादन और +जवाबदेही ” के तीन स्तंभों पर टिकी होगी। इसमें कहा गया है कि +नियमों की जगह भूमिकाओं को, संपर्कहीनता की जगह तालमेल, +बहु-विभागीय संपर्क को महत्व दिया जाएगा तथा क्षमता निर्माण के +अनवरत कार्यक्रम होंगे। + +सुधार का मूलभूत उद्देश्य “जन केंद्रित लोक + +अवसर। भारत सरकार में अधिकांश प्रतिष्ठि.._ के लिए सोच समझ कर लोक सेवा' का निर्माण करना है जो आर्थिक वृद्धि +पदों पर विशिष्ट सेवाएं हावी हो जाती हैं सेवा में सुधार किया ताकि नीतियों और जनकल्याण के लिए हितकारी सेवाओं +जिससे प्रतिभा का असमान उपयोग होता है a wart sit gered विकास और डिलीवरी करने में सामर्थ्यवान + +तथा अन्य सेवाओं के मनोबल पर भी प्रतिकूल +प्रभाव पड़ता है। +नए सुधार: मिशन कर्मयोगी + +सरकार ने लोगों तक बेहतर सेवाएं +पहुंचाने के उद्देश्य से एक नए व्यापक लोक +सेवक सुधार कार्यक्रम की घोषणा की हे। +अपने पहले कार्यकाल से ही प्रधानमंत्री लोक + +32 + +कार्यान्वित किया जा सके। हाल के +समय में प्रौद्योगिकी उन्नयन, अधिक +'विकेंद्रीकरण तथा सामाजिक +सक्रियता के कारण वैश्विक स्तर +पर बदलाव तेज हुआ है। + +हो। तदनुसार मिशन कर्मयोगी में “नियम +आधारित प्रशिक्षण की जगह भूमिका आधारित +प्रशिक्षण” को महत्व दिया गया है। अधिक जोर +व्यवहारात्मक परिवर्तन पर दिया गया है। + +राष्ट्रीय लोक सेवा क्षमता निर्माण कार्यक्रम +को इस तरह से बनाया गया है कि यह +भारतीय संस्कृति और संवेदनाओं की परिधि + +योजना, अगस्त 2021 + + + +0033.txt +<----------------------------------------------------------------------> +में रहने के साथ-साथ दुनिया भर की सर्वश्रेष्ठ कार्य पद्धतियों एवं +संस्थानों से अध्ययन संसाधन प्राप्त कर सकें। इस कार्यक्रम के लिए +एकीकृत सरकारी ऑनलाइन प्रशिक्षण आईजीओटी कर्मयोगी प्लेटफार्म +की स्थापना की जाएगी। + +प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में सार्वजनिक मानव संसाधन परिषद +तथा केद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री, प्रतिष्ठित मानव संसाधन पेशेवर (एचआर +प्रैक्टिशनर) , राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ इस संपूर्ण क्षमता निर्माण +कार्यक्रम की निगरानी करेंगे। + +प्रशिक्षण मानकों के साथ सामंजस्य स्थापित करने, साझा फैकल्टी +और संसाधन तैयार करने तथा सभी केद्रीय प्रशिक्षण संस्थानों पर नजर +रखने के लिए क्षमता निर्माण आयोग नाम से विशेषज्ञ संस्था बनाई +जाएगी। धारा 8 के अंतर्गत लाभ के लिए नहीं कंपनी के रूप में विशेष +प्रयोजन व्यवस्था (स्पेशल पर्पस व्हीकल), एसपीवी की स्थापना की +जाएगी जिसके पास आईजीओटी कर्मयोगी प्लेटफार्म का स्वामित्व होगा +तथा उसका प्रबंधन करेगी। एसपीवी के पास भारत सरकार की ओर से +सभी बौद्धिक संपत्ति अधिकारों का स्वामित्व होगा। + +आईजीओटी कर्मयोगी प्लेटफार्म के सभी उपयोगकर्ताओं के +कार्य-निष्पादन के मूल्यांकन हेतु एक उपयुक्त निगरानी और आकलन +ढांचा भी तैयार किया जाएगा ताकि प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों को +डेशबोर्ड पर दिखाया जा सके। + +कोविड महामारी के दौरान स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित करने +के लिए आईजीओटी मॉडल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया। +12 लाख 73 हजार से अधिक स्वास्थ्य कर्मियों ने 3 महीने के भीतर +विभिन्न अवधियों के 17 लाख 66 हजार कोर्स पूरे किए। + +आईजीओटी कर्मयोगी अध्ययन सामग्री के लिए जीवंत एवं +विश्वस्तरीय मंच के रूप में उभर सकता है जहां सोच-समझ कर तैयार +जांची-परखी डिजिटल ई-अध्ययन सामग्री उपलब्ध होगी। क्षमता निर्माण +के अलावा परिवीक्षा अवधि, तैनाती, कार्य तथा रिक्तियों की अधिसूचना +जैसी सेवाएं प्रस्तावित दक्षता ढांचे में अंततः एकीकृत हो जाएंगी। + +लगभग 46 लाख केद्रीय कर्मचारियों को प्लेटफार्म पर जोड़ने +के लिए 2020-21 से 2024-25 की 5 साल की अवधि में 510 +करोड़ 86 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे। मिशन कर्मयोगी का उद्देश्य +भारतीय लोक सेवक को अधिक सृजनात्मक, रचनात्मक और नागरिक + +जरूरत पड़ती है तो नजरिए और परिप्रेक्ष्य पर निर्भर रहने की बजाय + +प्रौद्योगिकी की मदद से अधिकारियों के विवरण को देखकर कर भर्ती + +की जा सकती है। + +मुख्य विशेषताएं +ऐसी आशा है कि यह सुधार लोक सेवकों की क्षमता निर्माण की + +नींव रखेंगे ताकि वह भारतीय संस्कृति और संवेदनाओं की परिधि में + +रहें तथा अपनी जड़ों से हमेशा जुड़े रहने के साथ-साथ दुनिया भर के +सर्वश्रेष्ठ संस्थानों और पद्धतियों से भी सीख लें। यह कार्यक्रम एकीकृत +सरकारी ऑनलाइन प्रशिक्षण आईजीओटी कर्मयोगी प्लेटफार्म की +स्थापना के साथ शुरू होगा। कार्यक्रम के मुख्य निर्देशन सिद्धांत हैं- + +1. “नियम आधारित' से “भूमिका आधारित” एचआर प्रबंधन की +तरफ बढ़ने में सहयोग देना। पद की आवश्यतकताओं के अनुरूप +लोक सेवकों की दक्षता को देखते हुए काम आवंटित करना। + +2. “कार्यस्थल पर सीखने (ऑनसाइट लर्निंग) ' के पूरक के रूप में +“कार्यस्थल के बाहर सीखने (ऑफसाइट लर्निंग) ' पर जोर देना। + +3. अध्ययन सामग्री, संस्थानों और कर्मियों सहित साझा प्रशिक्षण +बुनियादी ढांचे का तंत्र तैयार करना। + +4, सिविल सेवा से संबंधित सभी पदों को भूमिकाओं, गतिविधियों +तथा दक्षता के ढांचे (एफआरएसी) संबंधी दृष्टिकोण के साथ +व्यवस्थित करना तथा प्रत्येक सरकारी संस्थान में चिह्नित +एफआरएसी हेतु उपयुक्त अध्ययन सामग्री का सृजन करना और +सुलभ कराना + +5. सभी लोक सेवकों को सीखने की आत्म-प्रेरित तथा अधिदेशित +प्रक्रिया में अपने व्यवहार, क्रियाकलाप और कार्यक्षेत्र से संबंधित +दक्षताओं को निरंतर विकसित एवं सुदृढ़ करने का अवसर +उपलब्ध कराना। + +6. सभी केद्रीय मंत्रालयों और विभागों एवं उनके संगठनों को समर्थ +बनाना कि वे वार्षिक वित्तीय सब्सक्रिप्शन के जरिए प्रत्येक +कर्मचारी के लिए अध्ययन सामग्री के सह-सृजन तथा सहयोगी +एवं समान तंत्र को साझा करने हेतु अपने संसाधनों का सीधे +निवेश करें। + +7. सार्वजनिक प्रशिक्षण संस्थानों विश्वविद्यालयों स्टार्टअप तथा +व्यक्तिगत विशेषज्ञों सहित सर्वश्रेष्ठ अध्ययन सामग्री का सृजन + + + +हितकारी बनाकर भविष्य के लिए तैयार +करना है। सरकार ने कहा है कि नोडल +भर्ती एजेंसी के जरिए उसके द्वारा पिछले +महीने लाए गए सुधार के बाद यह +संपूर्ण संवर्ग और पदों-कॉन्स्टेबल से +लेकर पुलिस महानिदेशक, सहायक +सेक्शन अधिकारी से लेकर सचिवालय ## +स्तर तक के लिए भर्ती के बाद का ६ +सुधार कार्यक्रम होगा। करियर के मध्य +में प्रशक्षण अब केवल शीर्ष स्तर के +अधिकारियों की बजाय सभी सरकारी +कर्मचारियों के लिए उपलब्ध होगा तथा +उनके विवरण एवं मूल्यांकन अनवरत +जारी रहेंगे। अगर विशेष नियुक्ति की + + + +मिशन कर्मयोगीः + +राष्ट्रीय लोक सेवा क्षमता + +निर्माण कार्यक्रम के छह स्तंभ +नागरिकों को सेवा देने हेतु दक्षता निर्माण + +नीतिगत ढांचा + +संस्थागत ढांचा + +दक्षता ढांचा + +डिजिटल अध्ययन सामग्री ढांचा आईजीओटी कर्मयोगी +} इलेक्ट्रॉनिक मानव संसाधन प्रबंधन प्रणाली + + + +मूल्यांकन एवं आकलन ढांचा + + + +योजना, अगस्त 2021 + +33 + + + +0034.txt +<----------------------------------------------------------------------> +करने वालों को प्रोत्साहित करना तथा +उनके साथ भागीदारी करना। + +8. क्षमता निर्माण, अध्ययन सामग्री का +सृजन, उपयोगकर्ता की प्रतिक्रिया के +विभिन्न पहलुओं के बारे में आईजीओटी +कर्मयोगी द्वारा उपलब्ध कराए गए डाटा +का विश्लेषण करना तथा दक्षता निर्धारण +और नीतिगत सुधार हेतु क्षेत्रों का चयन +करना। +सहयोगी और सहभागी क्षमता निर्माण तंत्र + +का प्रबंधन और नियमन करने में एकसमान + +दृष्टिकोण सुनिश्चित करने हेतु क्षमता निर्माण +आयोग गठित करने का भी प्रस्ताव किया +गया है। + +आयोग की भूमिका इस प्रकार होगी- + +* वार्षिक क्षमता निर्माण योजनाओं को +स्वीकृति दिलाने में प्रधानमंत्री सार्वजनिक +संसाधन मानव संसाधन परिषद को +सहयोग करना। + +“सुधार' का उद्देश्य लोक +सेवा का पुनर्विन्यास कर उसे +जन सेवाएं प्रदान करने हेतु +ओजस्वी, कारगर और जवाबदेह +तंत्र बनाना है जो सदाचार +एवं सत्यनिष्ठा, निष्पक्षता और +तटस्थता के मूल्यों से संचालित +हो। सुधार से तात्पर्य है नागरिकों +तक पहुंचने वाली जन सेवाओं +की गुणवत्ता बढ़ाना तथा +सरकार के मूल क्रियाकलाप की +क्षमता में संवर्धन करना जिसके +फलस्वरूप सतत विकास की +दिशा में आगे बढ़ा जा सके। + +वित्तीय आवश्यकता + +लगभग 46 लाख केद्रीय कर्मचारियों +को कार्यक्रम से जोड़ने में 2020-21 से +2024-25 तक की पांच साल अवधि में +510 करोड 86 लाख रुपये खर्च किए +जाएंगे। यह खर्च 5 करोड अमेरिकी डॉलर +के बराबर आंशिक रूप से बहुस्तरीय सहायता +द्वारा वित्त पोषित होगा। कंपनी अधिनियम +2013 की धारा 8 के तहत एनपीसीएससीबी +हेतु विशेष प्रयोजन व्यवस्था (स्पेशल पर्पस +व्हीकल एसपीवी) स्थापित की जाएगी। +एसपीवी गैर-लाभकारी कंपनी होगी तथा +उसके पास आईजीओटी कर्मयोगी प्लेटफार्म +का स्वामित्व होगा और उसका प्रबंधन करेगी। +एसपीवी सामग्री का सृजन और संचालन +करेगी, उन्हें एक जगह सम्मिलित करने से +जुड़ी गतिविधियां तैयार करेगी तथा सामग्री +की पुष्टि, स्वतंत्र मूल्यांकन के निरीक्षण एवं + +दूरमापी डाटा उपलब्धता से जुड़े आईजीओटी कर्मयोगी प्लेटफार्म की +मुख्य कारोबारी सेवाओं का प्रबंधन करेगी। एसपीवी के पास भारत +सरकार की ओर से सभी बौद्धिक संपत्ति अधिकार का स्वामित्व +होगा। आईजीओटी कर्मयोगी प्लेटफार्म के सभी उपयोगकर्ताओं के +कार्य-निष्पादन के मूल्यांकन हेतु उपयुक्त निगरानी और मूल्यांकन +ढांचा स्थापित किया जाएगा ताकि प्रदर्शन के मुख्य संकेतकों को +डैशबोर्ड पर दिखाया जा सके। + +केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस वर्ष आयुध निर्माणी बोर्ड (ओएफबी) के +निगमीकरण को भी स्वीकृति दी है जो रक्षा मंत्रालय के रक्षा उत्पादन +विभाग (डीडीपी) की उत्पादन शाखा है तथा 41 आयुध निर्माणियों +का समन्वय करता है। हालांकि ओएफबी कर्मचारियों की सेवा शर्तों +में कोई बदलाव नहीं होगा तथा सरकार उनके हितों की सुरक्षा के +प्रति संकल्पबद्ध है। विभिन्न उत्पादन इकाइयों के सभी ओएफबी + +कर्मचारियों (समूह क, ख, और ग) +मिशन कर्मयोगीः का तबादला सरकारी कर्मचारियों के +आम आदमी हेतु लाभ + +रूप में उनकी सेवा शर्तों को बदले +नागरिकों की जरूरतों के लिए लोक | OT Wa (डीम्ड) प्रतिनियुवित +सेवकों को उत्तरदायी बनाया जा रहा है + +पर शुरुआत में 2 वर्ष की अवधि +हेतु निगम इकाइयों में किया जाएगा। + +लोक सेवाओं के एचआर प्रबंधन में + +आमूल परिवर्तन लाना + +* लोक सेवाओं के क्षमता निर्माण से जुडे सभी केंद्रीय प्रशिक्षण +संस्थानों के कामकाज का निरीक्षण करना। + +*« आंतरिक और बाहरी फैकल्टी तथा संसाधन केद्रों सहित साझा +अध्ययन संसाधन का सृजन करना। + +* संबद्ध विभागों के साथ क्षमता निर्माण योजनाओं के कार्यान्वयन +का समन्वय और निरीक्षण करना। + +« प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण, शिक्षणशास्त्र तथा कार्यप्रणाली के +मानकीौकरण पर सिफारिशें देना। + +* सभी लोक सेवाओं के करियर के मध्य में सामान्य प्रशिक्षण +कार्यक्रम हेतु नियम स्थापित करना। + +* सरकार को एचआर प्रबंधन तथा क्षमता निर्माण के क्षेत्रों में +आवश्यक नीतिगत उपायों का सुझाव देना। + + + +Leelee aA anda + +Lt dae ०. + +<> +ee ia + +ss + +निष्कर्ष + +लोक सेवकों के क्षमता संवर्धन +की विविध प्रकार की सेवाएं प्रदान +करने, कल्याणकारी कार्यक्रमों +के कार्यान्वयन तथा शासन के +मूल क्रियाकलापों के निष्पादन +में महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। +नागरिकों तक सेवाएं कुशलतापूर्वक +पहुंचाने के उद्देश्य से लोक सेवा +क्षमता के निर्माण के लिए कार्य + +हि सुनिश्चित करना कि सही पद पर सही +जा दक्षता के साथ सही व्यक्ति हो +लोक सेवक को नागरिकों की जुरूरत +हेतु अधिक कुशल, कारगर, जवाबदेही +और उत्तरदायी बनाना। + +&. कार्यक्रम से शासकीय प्रणाली की +wv गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार होगा + + + + + + + + + +34 योजना, अगस्त 2021 + + + +0035.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +संस्कृति का कायाकल्प, सार्वजनिक संस्थानों का सुदृढ़करण तथा +आधुनिक प्रौद्योगिकी को अपनाकर लोक सेवा क्षमता में क्रांतिकारी +कायाकल्प का प्रस्ताव है। देश का भविष्य नौकरशाही में सुधार के +बिना प्रगतिशील नहीं हो सकता। + +सेवा का युक्तिकरण और समन्वय समय की मांग है। +सेवाओं के युक्तिकरण और समन्वय के जरिए केंद्र और राज्य +स्तर पर मौजूदा 60 से अधिक अलग-अलग लोक सेवाओं को +कम करने की जरूरत है। अभ्यर्थियों को प्रतिभा की केंद्रीय +व्यवस्था के अंतर्गत लाया जाना चाहिए जिसके बाद उम्मीदवार +की क्षमताओं तथा पद के कार्य विवरण को देखते हुए उम्मीदवारों +को कार्यभार दिए जाएंगे। मौजूदा लोक सेवकों को भी उनकी +शैक्षिक विशेषज्ञता तथा कार्यस्थल पर प्राप्त व्यावहारिक अनुभव +के आधार पर कार्य सौंपे जाने चाहिए। एक बार परीक्षा लेने, पद +आवंटन तथा तदनुसार जीवन भर सुविध्राओं देने पर अत्यधिक +जोर दिए जाने की व्यवस्था को खत्म किया जाना चाहिए। लोक +सेवक, प्रधान जन सेवक होते हैं, उनके लिए उत्कृष्टता की कसौटी +संभ्रांतता नहीं बल्कि यह होनी चाहिए कि वे जिनका प्रतिनिश्चित्व +करते हैं उनके साथ कितने जुडे हुए हैं। लोक सेवा सुधारों को +सेवाओं की पुरानी संरचना और संस्कृति का पुनर्विन्यास करना +चाहिए तथा औपनिवेशिक परंपरा का त्याग करना चाहिए ताकि + +he +td + +& |. ० | 1 1 + +मिशन कर्मयोगी के तहत क्षमता निर्माण आयोग +सरकारी कर्मचारियों को रचनात्मक, सक्रिय और +प्रौद्योगिकी समर्थ बनाकर सशक्त करेगा + + + +शासन प्रक्रिया और नीति निर्माण में पारदर्शिता +बढ़ाने हेतु प्रमुख सुधार अभियान + + + +नागरिकों के लिए सेवाओं की गुणवत्ता और संवेदनशीलता को +बढाया जा सके जो कि सतत आर्थिक और सामाजिक विकास +के लिए जरूरी है। = + + + + + +अक्तूबर को की जाएगी जो सरदार पटेल की जयन्ती भी है। + +सरदार पटेल राष्ट्रीय एकता पुरस्कार + +स पुरस्कार का उद्देश्य राष्ट्रीय एकता और अखंडता को बढ़ावा देने और +सशक्त तथा संगठित भारत की भावना को मजबूत बनाने वाले उत्कृष्ट और +प्रेरक्त योगदान को मान्यता देना है। पुरस्कार की घोषणा राष्ट्रीय एकता दिवस 31 + +पुरस्कार में एक पदक और प्रशस्ति पत्र दिया जाता है। इस पुरस्कार के + +साथ कोई आर्थिक सहायता या नकद पुरस्कार नहीं दिया जाता। एक वर्ष में तीन +से ज्यादा पुरस्कार नहीं दिए जाएंगे। अपवाद और अत्यधिक विशेष मामलों को +DISH, यह पुरस्कार मरणोपरान्त नहीं दिया जाएगा। + +पात्रता : भारत का कोई भी नागरिक इस पुरस्कार के लिए पात्र होगा चाहे +वह किसी भी धर्म, नस्ल, जाति, लिंग, जन्मस्थान, आयु या व्यवसाय का हो और +पुरस्कार के लिए व्यक्ति/संस्थान/संगठन भी आवेदन करने के पात्र होंगे। + +पुरस्कार के लिए मानदंड : पुरस्कार के लिए आवेदन करने वाले प्रत्याशी +ने राष्ट्रीय एकता और अखंडता की भावना को बढ़ावा देने और उसे मजबूत करने + +संगठित भारत की भावना को बल मिले। +ऑनलाइन भेजने होंगे। +नामित कर सकता है। व्यक्ति स्वयं को भी नामित कर सकते हैं। + +की जा सकती हैं जो अपनी-अपनी सिफारिशें ऑनलाइन ही भेजेंगे। + + + +की दिशा में कोई उल्लेखनीय प्रयास अथवा विशिष्ट योगदान किया हो जिससे अन्य लोगों को भी प्रेरणा मिले और सशक्त एवं +आवेदन करने का तरीका : हर वर्ष सार्वजनिक रूप से नामांकन आमंत्रित किए जाएंगे। आवेदन गृह मंत्रालय की वेबसाइट पर +कोई भी भारतीय नागरिक या संस्थान अथवा भारत में स्थित कोई भी संगठन इस पुरस्कार के लिए विचारार्थ किसी व्यक्ति को + +पुरस्कार के लिए राज्य सरकारों/केंद्रशासित प्रदेशों और भारत सरकार के मंत्रालयों/विभागों से भी सुझाव और सिफारिशें आमंत्रित + + + +पुरस्कार के लिए नामांकन 15 अगस्त, 2021 तक भेजे जा सकते हैं। +अधिक faa ah fae ea aaa - www.nationalunity.mha.gov.in + + + + + +योजना, अगस्त 2021 + +35 + + + +0036.txt +<----------------------------------------------------------------------> +कोरोना महामारी के सबक + +डॉ राकेश कुमार + +कोरोना महामारी की दूसरी लहर में साढ़े तीन लाख से भी ज्यादा लोगों को जान गंवानी पड़ी।' मरने वाले +तकरीबन 88 प्रतिशत लोग 45 साल और इससे ज्यादा उप्र के थेः, जो अपने परिवार के लिए आजीविका +हासिल करने का एकमात्र माध्यम थे। इन मौतों से कई परिवारों और बच्चों का भविष्य अनिश्चित हो गया। +हमारे आसपास ऐसे पीड़ित लोग मौजूद हैं। देश में कोरोना के मामले कम होने के साथ ही, हमें अपने-आप +से यह सवाल पूछना चाहिए- भारत किस तरह से ऐसी तैयार कर सकता है कि उसे आगे फिर कभी ऐसी + +स्थिति का सामना नहीं करना पड़े? + +रोना महामारी की वजह से हुई त्रासदी की कड॒वी +को यादें लंबे समय तक हमारे साथ रहेंगी। इस महामारी +ने दोहरा संकट पैदा किया है और इससे स्वास्थ्य और + +अर्थव्यवस्था, दोनों पर काफी प्रतिकूल असर हुआ है। एक अनुमान +के मुताबिक, लॉकडाउन की वजह से कम से कम 23 करोड +भारतीय गरीबी रेखा के नीचे पहुंच गए! संकट और उथल-पुथल +के इस दौर में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को बेहतर बनाने पर फोकस +के साथ-साथ “सबको स्वास्थ्य सुविधा' की दिशा में तेजी से काम +करने की जरूरत है। + +यूनिवर्सल हेल्‍थ कवरेज ( सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज ) +यूनिवर्सल हेल्‍थ कवरेज (यूएचसी) के तहत किसी तरह के +वित्तीय बोझ के बिना सभी लोगों को बेहतर गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य +सुविधा मुहैया कराने की बात है, जिसमें बीमारियों की रोकथाम, +इलाज समेत अन्य तरह की स्वास्थ्य सुविधाएं भी शामिल हैं। वेश्विक +स्तर पर कोविड-19 के अनुभव ने साबित किया है कि सतत +विकास से जुडे कुछ लक्ष्यों को हासिल करने में यूनिवर्सल हेल्‍थ +कवरेज योजना कारगर हो सकती है। यूएचसी की दिशा में आगे +बढ़ने के लिए, स्वास्थ्य प्रणली को मजबूत करने की जरूरत है। + + + + + + + +लेखक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार में संयुक्त सचिव रह चुके हैं। + +36 + +योजना, अगस्त 2021 + + + +0037.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +ey स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, + +as भारत सरकार + +Seen ole + +6 फुट +( 2 गज ) + +6 फुट +2 गज ) + +eo, + + + + + + + +£ @MoHEWindia + + + +दूसरे लोगों से शारीरिक दूरी बनाए रखने के लिए +अपने कार्यालय की सीटों को फिर से व्यवस्थित करें + +gh @MoHFW_IMDIA + +f हमारी मदद करें, +4 ताकि आप सुरक्षित रहें + +6 फुट 6 फुट + + + +कै अपने सहकर्मियों से हमेशा 6 फुट की दूरी बनाए रखें + +सफाई , दवाई, कड़ाई +जीतेंगे कोरोना से लड़ाई + +& mnohfw.gov.in + +कोरोना से जुड़ी ज्यादा जानकारी के लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण +मंत्रालय, भारत सरकार के हेल्पलाइन नंबर 1075 (टॉल फ्री) पर संपर्क करें + +ह्ल @mohtwindia 2 mohhwindia &. @mohfw_india + + + +विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लृएचओ) द्वारा 2007 में जारी सलाह के +मुताबिक, स्वास्थ्य प्रणाली को 6 ब्लॉक में बांदा गया है- सेवाओं +की डिलीवरी, स्वास्थ्यकर्मी, स्वास्थ्य संबंधी सूचना प्रणाली, जरूरी +दवाओं की उपलब्धता, स्वास्थ्य सेवाओं के लिए वित्तीय सुविधाएं +और प्रशासनिक व्यवस्था। यूएचसी से जुड़े 3 नीतिगत सवालों के +जवाब देकर स्वास्थ्य प्रणाली से जुड़े इन ब्लॉक की कार्यप्रणाली को +कारगर बनाया जा सकता है- इसके दायरे में किन्हें शामिल किया +गया है (कितनी बड़ी आबादी इसके दायरे में है), कौन सी सेवाएं +उपलब्ध कराई जा रही हैं (कार्यक्रम और सेवाओं का दायरा), कवरेज +की रकम कया है (कार्यक्रम का वित्तीय ढांचा) +एशिया-प्रशांत के लिए यूएचसी के सबक + +पूरी दुनिया की 60 प्रतिशत आबादी एशिया-प्रशांत क्षेत्र में रहती +है। तकरीबन 26.3 करोड़ गरीब इस क्षेत्र में रहते हैं जो 1.90 डॉलर +रोज पर गुजारा करते हैं। साथ ही, इस क्षेत्र के 1.1 अरब लोग 3.20 +डॉलर रोजाना पर गुजर-बसर करते हैं। दुनिया भर में 5 साल से +कम उम्र के बच्चों की होने वाली मौतों में इस क्षेत्र की हिस्सेदारी +41 प्रतिशत है। साथ ही, प्रसूताओं और नवजात की मौत के मामले +में एशिया-प्रशांत क्षेत्र की हिस्सेदारी क्रमश: 44 प्रतिशत और 56 +प्रतिशत है। इसी तरह, बच्चों की लंबाई नहीं बढ़ने और कम वजन +वाले बच्चों के जन्म के मामले में इस क्षेत्र का हिस्सा क्रमश: 60 +प्रतिशत और 66 प्रतिशत है। एशिया-प्रशांत क्षेत्र में तेजी से शहरीकरण +हो रहा है और यहीं पर सबसे ज्यादा प्रवासी आबादी भी है। इस क्षेत्र +में सार्वजनिक स्वास्थ्य पर खर्च काफी कम है। हालांकि, कुछ देशों +ने सार्वजनिक स्वास्थ्य पर खर्च में बढ़ोतरी कर यूएचसी की दिशा में + +योजना, अगस्त 2021 + +प्रगति हासिल की है। इन उपायों का इन देशों पर सकारात्मक असर +देखने को मिला है। हमारे पड़ोसी देशों की सफलता की कहानियां +इस बात को समझने में मददगार साबित हो सकती हैं कि यूएचसी +पर केंद्रित उनकी स्वास्थ्य प्रणाली का मौजूदा महामारी में किस तरह +बेहतर ढंग से इस्तेमाल किया गया। उदाहरण के तौर पर, श्रीलंका +ने कोविड-19 और अन्य बीमारियों के लिए मुफ्त और एकसमान +स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए बेहतर नेटवर्क तैयार किया +है। इस देश ने वित्तीय संसाधन जुटाने के लिए सार्वजनिक-निजी +सहयोग की व्यापक रणनीति तैयार की जिससे कोरोना महामारी की +चुनौतियों से बेहतर ढंग से निपटने में मदद मिली। यहां पर इलाज +और रोकथाम के लिए अलग-अलग क्षेत्र बनाकर काम किया जा रहा +है और प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं में भी काफी सुधार किया गया +eo इसके अलावा, जरूरी सामानों के वितरण तंत्र पर निगरानी के +लिए उच्चस्तरीय कार्यबल का गठन किया गया है।” इसके तहत पूरे +समाज को ध्यान में रखकर काम किया जा रहा है। इसके अलावा, +लॉकडाउन और यात्रा संबंधी पाबंदियों को सख्ती से लागू करने एवं +जांच और इलाज पर काफी जोर दिया गया है। + +कोरिया गणराज्य राष्ट्रीय स्तर पर लागू अपनी स्वास्थ्य योजना की +मदद से इस महामारी से निपटने में सफल रहा। यहां की तकरीबन 97 +प्रतिशत आबादी के पास एकल-भुगतान राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना +है, जबकि बाकी 3 प्रतिशत लोगों का पूरा कवर सरकारी सब्सिडी पर +आधारित है। साल 2015 में कोरिया में फैले मार्स वायरस की वजह +से यहां की सरकार ने 2020 में कोरोना को लेकर तुरंत सक्रियता +दिखाते हुए कई तरह के कदम उठाए। थाइलैंड में 75 प्रतिशत आबादी + +37 + + + +0038.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + +केंद्रीय क्षेत्र (सीएस ) के तहत सहयोग + +४: केंद्रीय अस्पतालों, एम्स और अन्य संस्थानों को सहयोग + +हैं: केंद्रीय वॉर रूम + +® कोविड-19 पोर्टल समेत आईटी सिस्टम + + ई-संजीवनी टेली-कंसल्टेशन प्लेटफॉर्म + +क्ष कोविड हेल्पलाइन नंबर-1075 + +है कोबिड टेलीफोनी और कॉल सेंटर + +७! एकीकृत नियंत्रण और आदेश केंद्र (आईसीसीसी) +से जुड़ा प्लेटफार्म स्थापित करना + +हु कोविन प्लेटफॉर्म और राष्ट्रीय बीमारी नियंत्रण केद्र + +(एनसीडीसी) को मजबूत करना + +ee + + + + + +को यूएचसी कार्यक्रम के दायरे में लाया गया है। इससे वहां इलाज +पर नकद खर्चों को कम करने में मदद मिली है। कोरोना और इससे +जुडे खर्चा को राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा योजना के दायरे में शामिल +किया गया और इस महामारी के दुष्प्रभावों को नियंत्रित करने में +थाइलैंड काफी हद तक सफल रहा। साथ ही, जमीनी स्तर पर मौजूद +कार्यकर्ताओं की मदद से तत्काल कार्रवाई की गई, ताकि संक्रमित +मामलों की पहचान कर इस बीमारी को और फैलने से रोका जा +सके। इन कार्यकर्ताओं द्वारा लोगों को बड़े पैमाने पर जागरूक भी +किया गया। सरकारी और निजी अस्पतालों में सुविधाएं बढ़ाकर जांच +प्रयोगशालाओं की संख्या में भी बढ़ोतरी की गई। यूएचसी हासिल +करने के लिए रणनीतिक तौर पर सीमित संसाधनों का इस्तेमाल करने +में वियतनाम का प्रदर्शन शानदार रहा। वियतनाम की 87 प्रतिशत +आबादी राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा के दायरे में शामिल है। न सिर्फ लोगों +में जागरूकता फैलाने बल्कि सेवाओं की डिलीवरी के मामले में भी +यहां की स्थानीय आबादी की भूमिका अहम रही है। यहां प्राथमिक +स्वास्थ्य सेवाओं पर काफी जोर है और निजी, सरकारी और एनजीओ +क्षेत्रों से वित्तीय संसाधन जुटाए जाते हैं। वियतनाम ने एहितायत के तौर +पर महामारी से पहले ही इमरजेंसी स्तर पर तैयारी शुरू कर दी थी।* +मामलों की निगरानी और अपने प्रदर्शन के मूल्यांकन के मामले में भी +वियतनाम अग्रणी रहा है। वियतनाम ने सीमित संसाधनों के बावजूद +सेना, निजी सुरक्षा सेवाओं और जमीनी स्तर पर काम करने वाले +एनजीओ की मदद से अपना काम जारी रखा। इस तरह, उसने साबित +किया कि सफलता दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति और सामुदायिक स्तर +पर सहयोग के जरिये मिलती है।? +यूएचसी में निवेश से बनेगी बात + +कोरोना के प्रकोप से पहले, भारत यूएचसी की दिशा में काफी +तेजी से आगे बढ़ रहा था। कोरोना की वजह से यूएचसी संबंधी +कोशिशों को झटका लगा है। इस वजह से सेवाओं की गुणवत्ता और +दक्षता भी प्रभावित हुई है। हालांकि, उम्मीद अभी बाकी है। निवेश में + +38 + +बढ़ोतरी और यूएचसी को लागू करने की प्रक्रिया फिर से तेज होने की +संभावना है। इस अवसर पर अस्ताना घोषणा पत्र (2018) में यूएचसी +को प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा से जोड़ने को लेकर जताई गई राजनीतिक +प्रतिबद्धता का भी जिक्र करना जरूरी है, क्योंकि दुनिया भर में करोड़ों +लोगों को अब भी प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध नहीं है। इस +घोषणा पत्र में पिछले कुछ वर्षों के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं के खर्च में +हुई बढ़ोतरी पर चिंता जताई गई थी। साथ ही, यह भी कहा गया था +कि प्राथमिक लोगों की स्वास्थ्य जरूरतों को पूरा करने में प्राथमिक +स्वास्थ्य केंद्र सबसे बेहतर, असरदार और समावेशी माध्यम हें। +घोषणा पत्र के मुताबिक, स्वास्थ्य संबंधी मौजूदा आधारभूत संरचना +पर बोझ कम करने के लिए रोकथाम संबंधी उपायों पर भी काम +करने की जरूरत है। + +भारत में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को टिकाऊ बनाने के लिए +आयुष्मान भारत योजना के तहत प्राथमिक केद्रों के स्तर पर 75,500 से +भी वेलनेस सेंटर का संचालन हो रहा है। अप्रैल 2021 तक ऐसे सेंटर +पर पहुंचने वालों की संख्या 44.24 करोड़ हो चुकी थी।' केंद्रीय बजट +2021-22 में स्वास्थ्य के मद में 138 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है, +जो एक बेहद सकारात्मक कदम है। इससे स्वास्थ्य के क्षेत्र में समग्र +तरीके से काम करने में मदद मिलेगी। आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना +के लिए 64,180 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, ताकि प्राथमिक +समेत सभी स्तरों पर स्वास्थ्य सुविधाएं को बेहतर बनाया जा सके।॥! + +देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में स्वास्थ्य क्षेत्र का +योगदान 4.2 प्रतिशत है और इसमें निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी 70 +प्रतिशत से भी ज्यादा है। भारत को अपने यूएचसी अभियान को निजी +क्षेत्र से भी जोड़ने की कोशिश करनी चाहिए, ताकि स्वास्थ्य बीमा के +दायरे को ज्यादा व्यापक बनाया जा सके। नए डेवलपमेंट इम्पैक्ट बॉन्ड +बनाकर और स्वास्थ्य क्षेत्र के बजट में बढ़ोतरी के जरिये यूएचसी को +फिर से पटरी पर लाया जा सकता है।? + +लिहाजा, स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए मजबूत वित्तीय ढांचा तैयार करना +बेहद जरूरी है। हालांकि, सिर्फ आवश्यक स्रोतों (जैसे कर राजस्व) +से फंड इकट्ठा करना इसके लिए पर्याप्त नहीं होगा। यूएचसी +कार्यक्रम को बढ़ावा के लिए सरकारी फंडिंग अहम है, लेकिन + + + +भारत कोविड-19 आपात प्रतिक्रिया और +स्वास्थ्य प्रणाली तैयारी पैकेज: दूसरा चरण + +वित्त वर्ष 2021-22 के लिए 23,123 करोड़ रुपये + +# कोबिड-19 की वजह से पैदा हुए खतरों +का पता लगाकर उन्हें रोका जा सके + +७ केंद्रीय स्तर पर और राज्यों/केंद्रशासित +प्रदेशों में स्वास्थ्य प्रणाली को +मजबूत करना + + + + + + + +ee ee ee ee पाओ + + + +योजना, अगस्त 2021 + + + +0039.txt +<----------------------------------------------------------------------> +फंडों को इकट्ठा करने, प्रशासनिक लागत कम करने +और जवाबेदही तय करने में निजी क्षेत्र की भूमिका भी +कारगर हो सकती है। श्रीलंका और इंडोनेशिया जैसे देशों +का अनुभव बताता है कि निजी क्षेत्र के फंड को सामान्य +कर राजस्व और सामाजिक स्वास्थ्य बीमा के मद में किए +जाने वाले योगदानों से मिलाने पर बेहतर नतीजे देखने को +मिल सकते हैं। वित्तीय जवाबदेही को दुरुस्त करने के +लिए. किए गए उपायों को निगरानी और मूल्यांकन की +बेहतर प्रणाली के साथ जोड़ा जाना चाहिए, ताकि बेहतर +नतीजे मिल सके। + +एशिया-प्रशांत का अनुभव बताता है कि समाज में +सबसे निचले पायदान पर मौजूद लोगों और कार्यक्रम के +खास फायदों, दोनों को ध्यान में रखते हुए काम करने पर +बेहतर और ठोस नतीजे हासिल होते हैं। इससे स्वास्थ्य + + + +डर कलिनेट की मंजूरो + +भारत कोविड-19 आपात प्रतिक्रिया और +स्वास्थ्य प्रणाली तैयारी पैकेज: दूसरा चरण + +केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित योजनाओं के तहत सहयोग: + +*« सभी 736 जिला अस्पतालों में शिशु रोग से जुड़ी इकाइयां स्थापित करना +«» आईसीयू बेड की क्षमता में बढ़ोतरी करना +४७ आसपास के बाकी सरकारी अस्पतालों में बेड की संख्या बढ़ाना + + + + +« एम्बुलेंस के मौजूदा बेडे में वृद्धि ह + +७ अंडर-ग्रेजुएट और पोस्ट-ग्रेजुएट मेडिकल इंटर्न, एमबीबीएस, बीएससी और | +जीएनएम नर्सिंग के आखिरी साल के छात्र-छात्राओं को इस अभियान से जोड़ना + +» जरूरी दवाओं का बफर स्टॉक तैयार करना + += लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन टैंक और मेडिकल गैस पाइपलाइन सिस्टम +इंस्टॉल करना + +४ दवा और जांच को उपलब्धता सुनिश्चित करना + +७ आईटी संबंधी पहल जिनमें सभी जिलों में टेलीफोन से मेंडिकल सलाह की सुविधा सुनिश्चित +करना भी शामिल है। + +४७ राज्य और जिला स्तर पर कंट्रोल रूम स्थापित करना और हेल्पलाइन नंबर मुहैया कराना, ताकि बेड, +एंबुलेंस, जांच की स्थिति, टीकाकरण केंद्र आदि के बारे में जानकारी उपलब्ध कराई जा सके। + + + + + +Boum. | ot ee व्यू + +Ce | “७. —- = + +a :- + + + +संबंधी निर्धारकों-पोषण, पर्यावरण, लैंगिक समानता, पानी, +स्वच्छता आदि की स्थिति में सुधार होगा। महामारी के बाद उभरी +चुनौतियों से निपटने के लिए बहु-आयामी दृष्टिकोण के साथ काम +करने की जरूरत है और इसमें बेरोजगारी, प्रदूषण आदि मुद्दों का भी +ध्यान रखना होगा। प्रवासियों व सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े +लोगों समेत तमाम समूहों के लिए सामाजिक सुरक्षा का दायरा मजबूत +करने की जरूरत है। यह अगले 3-4 साल के लिए राष्ट्रीय विकास के +एजेंडे का हिस्सा होना चाहिए, जिसमें प्रवासी आबादी के लिए सेवा +प्रदाता प्रणाली स्थापित करना भी शामिल हो। लोगों के जीवन और + +2. + +3. + +88 प्रतिशत ऑफ ऑल कोविड डेथ्स इन इंडिया इन एज ग्रुप ऑफ 45 +ईयर्स एंड एबव; गवर्नमेंट + +एडिशनल 230 मिलियन इंडियंस फेल बिलो पावर्टी लाइन ड्यू दू +पैंडेमिक: स्टडी + +ए न्यू एरा फॉर द डब्ल्यूएचओ हेल्‍थ सिस्टम बिल्डिंग ब्लॉक/हेल्थ +सिस्टम ग्लोबल + +डब्ल्यूएचओ/यूनिवर्सल कवरेज- श्री डाइमेंशंस + +पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप्स फॉर यूनिवर्सल हेल्‍थ कवरेज? द फ्यूचर ऑफ +“फ्री हेल्थ” इन श्रीलंका + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +आजीविका को बचाए रखने के लिए यह जरूरी है। स्वास्थ्य क्षेत्र से कि गवर्नमेंट दू होम ae एसेंशियल कमोडिटीज बकिंग दूबर्ड्स यूनिवर्सल हेल +सवालों . ५ वियतनाम एड रिपब्लिक आफ कोरिया; alhy ease quel ee + +जुड़े तीन -कवरेज, सेवा और फंड के निदान के लिए लिए दृढ़ कवरेज वाइल फाइटिंग कोविड-19 * +इच्छाशक्ति और आधारभूत संरचना बेहद जरूरी है। स्वास्थ्य के मुद्दे को 9, यूनिवर्सल हेल्‍थ कवरेज लेसंस फ्रॉम वियतनाम +जनआंदोलन में बदलने पर ही यूएचसी का लक्ष्य साकार हो सकेगा। ह्व. 10. इंडिया हैज ऑपरेशनलाइज्ड ओवर 75,500 आयुष्मान भारत हेल्‍थ एंड वेलनेस +संदर्भ सेंटर्स सो फॉर: गवर्नमेंट + +1. 3 लाख कोविड-19 डेथ्स इन इंडिया; हाऊ फॉर इज द्‌ सेकेंड वेव11- बजट लेज फाउंडेशन फॉर आत्मनिर्भर हेल्थकेयर सिस्टम + +पीक? 12, रोल ऑफ प्राइवेट सेक्टर टूबर्ड्स यूनिवर्सल हेल्‍थ कवरेज इन इंडिया। +प्रकाशन विभाग के विक्रय केंद्र + +नई दिल्‍ली [| पुस्तक दीर्घा, सूचना भवन, सीजीओ कॉम्प्लेक्स, लोधी रोड 110003 | 011-24367260 +नवी मुंबई 701, सी- विंग, सातवीं मंजिल, केंद्रीय सदन, बेलापुर 400614 | 022-27570686 +कोलकाता | 8, WAS ईस्ट 700069 | 033-22488030 +चेन्नई *ए' विंग, राजाजी भवन, बसंत नगर 600090 | 044-24917673 +तिरुअनंतपुरम | प्रेस रोड, नयी गवर्नमेंट प्रेस के निकट 695001 | 0471-2330650 +हेदराबाद कमय सं. 204, दूसय तल, सीजीओ टावर, कवाडीगुड़ा, सिकंदराबाद | 500080 | 040-27535383 +बेंगलुरु फर्स्ट फ्लोर, 'एफ' विंग, केंद्रीय सदन, कोरामंगला 560034 | 080-25537244 +पटना बिहार राज्य कोऑपरेटिव बैंक भवन, अशोक राजपथ 800004 | 0612-2683407 +लखनऊ हॉल सं-1, दूसरा तल, केंद्रीय भवन, क्षेत्र-एच, अलीगंज 226024 | 0522-2325455 +अहमदाबाद | 4-सी, नेप्चून टॉवर, चौथी मंजिल, नेहरू ब्रिज कॉर्नर, आश्रम रोड. | 380009 | 079-26588669 +गुवाहाटी असम खाड़ी एवं ग्रामीण उद्योग बोर्ड, भूतल, एमआरडी रोड, चांदमारी | 781003 | 0361.2668237 + + + + + + + + + + + + + +योजना, अगस्त 2021 + +39 + + + +0040.txt +<----------------------------------------------------------------------> +कैच द रेन - एक प्रगतिशील अभियान + +करिश्मा शर्मा + +कैच द रेन अभियान देश भर में वर्षा जल संच्रयन तकनीकों को नियोजित करके उपलब्ध भूजल के उपयोग +को वर्षा जल से प्रतिस्थापित करने का प्रयास है। कैच द रेन, वेयर इट फाल्स, बैन इट फाल्स, टैगलाइन +के साथ इस अभियान का उद्देश्य , 2021 के मानसून से पहले जलवायु परिस्थितियों और उप-मृदा स्तर के +लिए उपयुक्त वर्षा जल संचयन संरचनाएं ( आरडब्ल्यूएचएस ) बनाने के वास्ते राज्यों और हितधारकों को +प्रेरित करना है। इसमें चेक डैम, जल संचयन गड्ढे और छत पर वर्षा जल संचयन संरचनाएं आदि बनाना +शामिल है। इस अभियान के तहत कुओं की मरम्मत और निष्क्रिय बोर-वैल तथा अप्रयुक्त कुओं का उपयोग + +कर उन्हें फिर से जलभर बनाने का प्रयास करना है। + +edt dan stadt, ait A aed wed at, +1: जैव ऊर्जा की मांग और जलवायु परिवर्तन के +साथ आसनन्‍न जल संकट दुनिया की वास्तविकता है। +पानी की कमी पहले से ही दुनिया के 2.3 बिलियन लोगों को +प्रभावित कर रही है। भारत में वर्ष 2001 और 2011 में औसत +वार्षिक प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता क्रमश: 1816 घन मीटर +और 1545 घन मीटर आंकी गई थी, जो चालू वर्ष में और कम +होकर 1486 घन मीटर हो सकती है। प्रति व्यक्ति 1700 घन मीटर +से कम पानी की वार्षिक उपलब्धता को जल-अभाव की स्थिति +माना जाता है। हमारे देश में महिलाएं और लडकियां घरेलू कामों +में काफी समय-औसतन 6 घंटे तक लगाती हैं, और इसमें उनका +अधिकतर समय पानी लाने में लगता है। यह दक्षिण अफ्रीका और +चीन में महिलाओं द्वारा इस कार्य में लगाए गए समय से 40 प्रतिशत +अधिक है। +किसी भी देश में पानी की कमी के प्राथमिक कारणों में से, +जनसंख्या और जलवायु परिवर्तन के मुद्दों को वैश्विक सहयोग के +माध्यम से हल किया जा सकता है, लेकिन शहरीकरण या ऊर्जा +की मांग को रोकना शायद ही संभव है, क्योंकि ये विकास के +उप-उत्पाद हैं। दुनिया के सामने इस अपरिवर्तनीय स्थिति और पानी +को एक दुर्लभ संसाधन के रूप में मानने के लिए संयुक्त राष्ट्र की +लगातार अपील के साथ, यह उचित समय है कि सरकारें भूजल +उपयोग के विकल्पों को सक्रिय रूप से नियोजित करना शुरू करें। +संयुक्त राष्ट्र के सारांश प्रगति अपडेट 2021: सतत विकास लक्ष्य 6 - +सभी के लिए पानी और स्वच्छता के अनुसार, भारत में पानी के अभाव +का स्तर 66 प्रतिशत तक है, जो कि पिछले कुछ वर्षों में बढ़ रहा +है। भारत की जनसख्या दुनिया की आबादी का 17 प्रतिशत हे, + +लेकिन यहां मीठे पानी के संसाधन दुनिया के संसाधनों का केवल +4 प्रतिशत हैं। + +प्रधानमंत्री का नवीनतम अभियान “कैच द रेन' देश भर में वर्षा +जल संचयन तकनीकों को नियोजित करके उपलब्ध भूजल के उपयोग +को वर्षा जल से प्रतिस्थापित करने का प्रयास है। कैच द रेन, वेयर इट +WICH, वैन इट फाल्स, टेगलाइन के साथ इस अभियान का उद्देश्य, +2021 के मानसून से पहले जलवायु परिस्थितियों और उप-मृदा स्तर +के लिए उपयुक्त वर्षा जल संचयन संरचनाएं (आरडब्ल्यूएचएस) +बनाने के वास्ते राज्यों और हितधारकों को प्रेरित करना है। इसमें चेक + + + + + +लेखिका इन्वेस्ट इंडिया की स्ट्रेटेजिक इन्वेस्टमेंट रिसर्च यूनिट में शोधार्थी हैं। ईमेल; karishma.sharma@investindia.org.in + +40 + +योजना, अगस्त 2021 + + + +0041.txt +<----------------------------------------------------------------------> +डैम, जल संचयन गड्ढे और छत पर वर्षा जल संचयन संरचनाएं +आदि बनाना शामिल है। इस अभियान के तहत कुओं की मरम्मत और +निष्क्रिय बोर-वैल तथा अप्रयुक्त कुओं का उपयोग कर उन्हें फिर से +जलभर बनाने का प्रयास करना है। + +इन गतिविधियों को सुविधाजनक बनाने के लिए, राज्यों से +अनुरोध किया गया है कि वे प्रत्येक जिले में- कलेक्ट्रेट/नगर +पालिकाओं या जीपी कार्यालयों में वर्षा केंद्र खोलें। इन वर्षा केंद्रों +में एक समर्पित फोन नंबर होगा और इसे एक इंजीनियर या वर्षा +जल संचयन सरचनाओं में प्रशिक्षित व्यक्ति संचालित करेंगे। यह +केंद्र जिले में सभी के लिए तकनीकी मार्गदर्शक केंद्र के रूप में +कार्य करेगा। + +संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, विश्व स्तर पर कुल जल +निकासी का 72 प्रतिशत कृषि में, 16 प्रतिशत नगर पालिकाओं +द्वारा घरों और सेवाओं के लिए और 12 प्रतिशत उद्योगों में उपयोग +किया जाता है। इस प्रकार, यह स्पष्ट है कि जल संकट की स्थिति +में कृषि सबसे बुरी तरह प्रभावित होगी। इससे पता चलता है +कि किसी भी देश में जल प्रबंधन योजनाओं में ग्रामीण क्षेत्रों पर +महत्वपूर्ण ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है क्योंकि अधिकांश +कृषि गतिविधियां इन्हीं क्षेत्रों में होती हैं। “कैच द रेन! अभियान +का प्रयास है कि वर्षा जल संचयन के माध्यम से संधारणीय कृषि +के प्रचार के लिए सरकार के प्रयासों में सहयोग करने के वास्ते +जल-अभाव वाले जिलों की ग्राम पंचायतों को कार्यरत किया जाए। +अभियान के उद्घाटन के अवसर पर ग्राम पंचायतों ने जल संरक्षण +के लिए जल शपथ ली। इस उद्देश्य के लिए, सरकार विशेष रूप +से मानसून के आगमन तक अभियान के लिए मनरेगा निधि का +उपयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस निश्चि का उपयोग अनिवार्य +रूप से कृषि में लगे लाखों लोगों के रोज़गार को बेहतर बनाने और +बचाने के लिए किया जाता है। + +इस अभियान के तहत जल संरक्षण और प्रबंधन पर भी ध्यान +केंद्रित करने वाली कई पिछली योजनाओं को भी सफल बनाया +जाएगा और पिछली योजनाओं के जमीनी कार्य को प्रभावी ढंग से +बढ़ाया जाएगा। केवल लगभग डेढ़ साल पहले, हमारे देश के 19 +करोड ग्रामीण परिवारों में से केवल 3.5 करोड़ को ही पाइप के +जरिए पीने का पानी मिलता था। जल जीवन मिशन के शुभारंभ +के बाद, लगभग 4 करोड परिवारों को कुछ +ही महीनों में पीने के पानी के कनेक्शन +मिले। बेहतर जल प्रशासन की दिशा में +एक कदम के रूप में, ग्रामीण महिलाओं +को जल परीक्षण के अभियान में भागीदार +बनाया गया है। कोविड-19 की अवधि के +दौरान ही, लगभग 4.5 लाख महिलाओं को +जल परीक्षण के लिए प्रशिक्षित किया गया +था और प्रत्येक गांव में कम से कम 5 +महिलाओं को विशेष रूप से इस उद्देश्य के +लिए प्रशिक्षित किया गया था। + +सत्ता के विभाजन के साथ भारत की +यात्रा व्यापक और फायदेमंद रही है और सभी + +योजना, अगस्त 2021 + +मूल रूप से तीन हितधारक हैं- +सरकार, लोग और संस्थान- +जिन्हें अभियान में अलग-अलग +जवाबदेही लेनी चाहिए। सरकार ने +अपनी प्रशासनिक कार्रवाई बहुत +पहले शुरू की थी और वह इसे +जारी रखे हुए है। जमीनी स्तर पर +सत्ता लोगों के हाथों में निहित होती +है जो बारिश जहां भी हो और जब +भी हो उसका संचयन करेंगे। + + + +जलाशय में बड़ी मात्र में वर्षा जल भर सकता +है। लेकिन इसका प्रयोग करने से पहले इस +लघु वर्षा जल संचयन प्रणाली से उबालें। + + + + + +नेताओं ने पदानुक्रम के विभिन्‍न स्तरों पर हितधारकों को बनाकर हर +दृष्टिकोण को समायोजित करने के साथ-साथ नीतियों की दक्षता +सुनिश्चित करने का प्रयास किया है। सरकार वर्षा जल संचयन +अभियान का नेतृत्व कर रही है और देश की आवश्यकताओं के +अनुरूप इसे प्रभावी बनाने के लिए प्रशासनिक प्रमुख होगी। इसके +साथ ही यह भी जरूरी है कि सभी हितधारकों को भी सरकार के +साथ तालमेल बनाते हुए संसाधनों को लगाना और प्रयास करना होगा। + +इसमें मूल रूप से तीन हितधारक हैं - सरकार, लोग और +संस्थान- जिन्हें अभियान में अलग-अलग जवाबदेही लेनी चाहिए। +सरकार ने अपनी प्रशासनिक कार्रवाई बहुत पहले शुरू की थी और +वह इसे जारी रखे हुए है। जमीनी स्तर पर सत्ता लोगों के हाथों +में निहित होती है जो बारिश जहां भी हो और जब भी हो उसका +संचयन करेंगे। + +संस्थागत स्तर पर, आईआईएम, आईआईटी, केंद्रीय विश्वविद्यालय, +निजी विश्वविद्यालय, रेलवे के अध्यक्ष, हवाई अड्डा प्राधिकरण, +सार्वजनिक उपक्रम और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल, जिनके पास +भूमि का एक बड़ा भाग है, उन्हें बारिश +के पानी के संचयन के लिए कदम उठाने +का अनुरोध किया गया है। इनमें से कई +संस्थानों के प्रमुखों ने सरकार को अपने-अपने +संस्थान में पहले से मौजूद जल प्रबंधन प्रणाली +के बारे में सूचित किया। उदाहरण के लिए, +भारतीय सेना, वृक्ष-संरक्षण के लिए एसटीपी +से उपचारित सीवेज पानी का उपयोग करने +के लिए प्रतिबद्ध है और अधिकांश स्टेशनों ने +“लशिंग सिस्टम के लिए इस उपचारित पानी +का उपयोग करने के लिए पहले से ही डबल +पाइपिंग सिस्टम को सक्रिय कर दिया है। +भारतीय स्टेट बैंक ने सक्रिय सोशल मीडिया + +41 + + + +0042.txt +<----------------------------------------------------------------------> +खुशहाल और +हरित कल के लिए +वर्षा जल + +_ महत्वपूर्ण है +कैच द रेन + +वेयर इट फाल्स, +बैन इट फाल्स + +Cat rt + + + +के माध्यम से सरकार के जल प्रबंधन कार्यक्रमों की जमीनी स्तर तक +पहुंच को लगातार सुनिश्चित किया हेै। + +आईआईएम अहमदाबाद में पहले से ही एक समर्पित वर्षा +जल संचयन प्रणाली है जो भूजल पुनर्भरण प्रणाली के रूप में +कार्य करती है। तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय के मुख्य परिसर में +अपशिष्ट जल उपचार सुविधा और वर्षा जल संचयन सरेचना भी है। +जैसा कि देश के शिक्षण संस्थानों से अपेक्षा की जाती है, ऐसे कई +प्रमुख संस्थानों में पहले से ही आवश्यक बुनियादी ढांचा है और वे +मौजूदा अभियान के लिए अपनी क्षमताओं को बढ़ाने के इच्छुक हैं। +इसके अलावा, आईआईटी रुड़की ने शैक्षणिक सत्र 2021 से बांध +सुरक्षा और पुनर्वास में एम.टेक और आईआईएससी बैंगलोर ने बांध +इंजीनियरिंग में कार्यक्रम शुरू किया है। आईआईटी मद्रास भी जल्द +ही इस कार्यक्रम की घोषणा कर सकता है। + +हाल के एक उदाहरण में, तमिलनाडु के उत्तर-पश्चिमी भाग +में, कोयंबटूर जिले ने विकास गतिविधियों में अपने भूजल संसाधनों +का इतना अधिक दोहन किया कि 228 में से 213 ग्राम पंचायतों +में स्थिति गंभीर हो गई। शेष 15 ग्राम पंचायतों में भी भूजल स्तर +अर्ध-गंभीर स्तर पर पहुंच गया। जिले में औसत वर्षा 690 मि.मी. से +घटकर 616 मि.मी. रह गई, जिससे क्षेत्र में जल संसाधन अत्यधिक +दबाव में आ गए। + +पानी की कमी के कारण, घरेलू और सिंचाई उद्देश्यों के लिए +इसकी उपलब्धता कम होकर खतरनाक स्तर तक पहुंच गई | इस +स्थिति में जिला प्रशासन और ग्राम पंचायतों ने क्षेत्र को इस संकट +से उबारने के लिए मिट्टी के बंधनों के माध्यम से वर्षा जल संचयन +शुरू करने का निर्णय लिया। इस परियोजना के कार्यान्वयन के बाद, +कोयंबटूर जिले में भूजल स्तर काफी बढ़ गया है, इसका स्तर क्रमशः +2017, 2018, और 2019 के दौरान क्रमश: 29.76 मीटर, 22.31 +मीटर और 17.62 मीटर की गहराई पर दर्ज किया गया है। हर साल +लगभग 6,764 करोड लीटर (2.4 टीएमसी) पानी का संचयन किया +जाता है, जिससे जलभरों के पुनर्भरण में मदद मिली है। + +भारतीय कृषि में प्रौद्योगिकी का समावेश बहुत आवश्यक +है, यह एक ऐसी मूल आवश्यकता है जिससे कृषि में वैज्ञानिक +प्रकृति की गति निर्धारित होगी। यह अभियान ग्रामीण आजीविका में +योगदान देने के अलावा, निकट भविष्य में अधिक ग्रामीण परिवारों +को पाइप के जरिए पेयजल उपलब्ध कराने के जल जीवन मिशन +के लक्ष्य को भी आगे बढाएगा। + +इस अभियान से शहरी बस्तियों में सड़कों पर जलभराव होने +और उन्हें इससे होने वाले नुकसान से भी बचाने में भी मदद +मिलेगी। इससे शहरी बाढ़ को भी रोका जा सकेगा। + +भारत सतही जल संसाधन होने के बावजूद, दिन-प्रतिदिन की +आवश्यकताओं के लिए भूजल संसाधनों पर अत्यधिक निर्भर है। भारत +में प्रति व्यक्ति जल भंडारण क्षमता लगभग 209 एम3 है जो ऑस्ट्रेलिया +(3223एम3) , अमरीका (2193 एम3), और + +इस अभियान से कृषि क्षेत्र को बहुत इस अभियान से कृषि क्षेत्र को बहुत ब्राजील (2652 एम3) जैसे देशों में प्रति व्यक्ति +ae हक पे हे a यह न केवल न वाली अधिक लाभ हुआ है। यह न केवल ma क्षमता की तुलना में ही on है। इस + +न ए पानी का एक स्थायी प्रवाह पीढ़ियों अभियान का एक फायदा यह होगा कि खराब +प्रदान करने और मिट्टी की खोई हुई नमी को एक स्थायी के लिए के हो चुके बोरवेल और बावड़ियों को फिर से +लौटाने में मदद करता है, बल्कि यह अधिशेष PT Ue Cae प्रवाह प्रदान करन जान किए जाने के बाद पूरे साल भंडारण +जल और मानसून की अच्छी वर्षा वाले राज्यों और मिटटी की खोई हुई नमी को क्षमता में वृद्धि हो सकेगी। + +का पानी, कमी वाले और मानसून की कम +वर्षा वाले राज्यों के साथ साझा करने का रास्ता + +लौटाने में मदद करता है, बल्कि +यह अधिशेष जल और मानसून की + +इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि +यह अभियान भारत को हर संभव तरीके से + +भी खोलता है, जिससे कृषि उत्पादन और >चच्छी वर्षा बाले राज्यों का पानी, अओत्मनिर्भर बनाने कौ दिशा में एक और बड़ा +किसान की आय ae में अंतर-राज्यीय कमी वाले और मानसन की कम OF साबित हो सकता है। महंगी आयातित +असमानताएं कम । केन-बेतवा लिंक राज्यों हि प्रौद्योगिकी या ज्ञान भागीदारी के उपयोग के +परियोजना के लिए ऐतिहासिक समझौता ज्ञापन वर्षा वाले राज्यों के साथ साझा बिना, भारत सबसे कीमती जैव संसाधन में +पर उसी दिन हस्ताक्षः किए गए जिस दिन... करने का रास्ता भी खोलता है, संधारणीयता हासिल करने के लिए खड़ा है। +इस अभियान की शुरुआत की गई थी। यह जिससे कृषि उत्पादन और किसान जल संकट अंततः दुनिया की वास्तविकता +अभियान वर्षा जल संचयन के उप-उत्पाद के की आय के संदर्भ में अंतर-राज्यीय होगी और इससे वही लोग सुरक्षित होंगे +रूप में जल बंटवारे के महत्व को भी दर्शाता असमानताएं कम होंगी। जो तेजी से प्रयास करेंगे और तत्काल + +है और भूजल को कम होने से रोकता है। + +42 + +कदम उठाएंगे। 7 + +योजना, अगस्त 2021 + + + +0043.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + +‘otal’ मानल-लजौीौलथन OT +sitet sfor ver &1 geet oe +ats ott ast उपचललब्याज्ञा कत्श +et vet @ sa Rete aA. +Tae BR AVTEBT were sitz +wero ase ast + +प्यारे चच्चछों, पाली bez +mere? आप 'पानी यचाओ! +४“... अभियान में Be wea we +wept हैं? sma fee +काछानी, काचित्ता, लेसत या +fs हे माध्यम से “लाल +'भारती' को भेजें) पुरस्कृत +लथा सराहनीय कुलियाँ को +४“ ump में प्रकाशित किया +जाएगा और मानदेय दिखा +[| ज्जाएणगा। छस प्रतियोगिता 47, +.._16 लर्ष aes BS बच्चे भाण of +* zp HI + + + + + + + + + + + + + + + + + +| अपनी रचनाए संपादक, बाल भारती का +‘ef ga ud ue Aa f + +प्रकाशन विभाग pe 5" “ #._: + +सूचन। एवं प्रसारण मजालय, मारत सरकार +qa aaa, a जी ओ कॉम्पलेक्रा, + +जलोधी रोड, नई दिल्‍ली -११0005 + + + + + +रिवटर पर फॉलों करें ही (छ800 ॥तींस + + + +योजना, अगस्त 2021 43 + + + +0044.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +अब उपलब्ध है + + + + + +योग सचित्र + +मूल्य -₹ 355/- + +आज ही नजदीकी पुस्तक विक्रेता से खरीदें +ऑर्डर के लिए संपर्क करें : + +फोन : 011-24365609 + +ई-मेल ; 9प79165590(01791.0०॥॥ +वेबसाइट : [000॥081071500ं8101.110.11 + +Lg +Alc +प्रकाशन विभाग + +सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार +सूचना भवन, सी जी ओ कॉम्पलेक्स, +लोघधी रोड, नई दिल्‍ली -110003 + + + +ट्विटर पर फोलो करें है @DPD_India + + + + + +44 योजना, अगस्त 2021 + + + +0045.txt +<----------------------------------------------------------------------> +मानव विकास की शक्ति + +देविका चावला + +किसी राष्ट्र का मानव संसाधन उन प्रमुख स्तंभों में से एक है जिन पर उसकी भविष्य की क्षमता और यात्रा +निर्भर करती है। मानव संसाधन का सर्वोत्तम इस्तेमाल उच्च जीवन स्तर, जिंदगी की गुणवत्ता में वृद्धि, +संसाधनों का न्‍्यायोत्रित और समावेशी वितरण तथा समाज के अंदर शत्रुता की आशंका में कमी जैसे बेहतर + +सामाजिक परिणाम लाता है। + +थिंक रूप से कुशल मानव पूंजी अर्थव्यवस्था के अंदर +संपन्‍नता, नवाचार और मूल्य संवर्द्धन में इजाफा करती +है। लिहाजा, मानव विकास में निवेश सामाजिक और +आर्थिक, दोनों तौर पर फायदेमंद है। भारतीय लोक प्रशासन के प्रति +सरकार के दृष्टिकोण के पीछे भी यही सिद्धांत है। सरकार एक ऐसे +प्रभावशाली और कुशल शासन के लिये काम कर रही है जो नागरिकों +के जीवन को ज्यादा आसान बनाये। प्रधानमंत्री ने लालफीताशाही और +अफसरशाही की अकुशलताओं को घटाने के सिलसिले में सरकार के +“न्यूनतम सरकार और अधिकतम शासन' के अपने मंत्र को कई बार +दोहराया है। इसके पीछे उनका मकसद जहां कहीं भी गैर-जरूरी हो, +वहां सरकार की भूमिका और मौजूदगी को घटाना है। +मौजूदा सरकार ने सात साल पहले सत्ता संभालने के समय से +ही भारत के लोक प्रशासन तंत्र में सुधार और परिवर्तन को अपना +प्रमुख एजेंडा बनाया है। वह इस तंत्र को एक उभरती वैश्विक आर्थिक +शक्ति की जरूरतों और उम्मीदों के अनुरूप बनाने के लिये काम कर +रही है। इस संबंध में उसने जरूरी अनुमतियों की संख्या घटाने और +सरकारी नौकरियों के लिये परीक्षा कराने के मकसद से एक राष्ट्रीय + +dl aie reer For +ed de a +है: हित 77०11: 0 आन ae + +राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी (एनआरए ) + +भर्ती की प्रक्रिया में + +नियोजन एजेंसी का गठन जैसे फैसले किये हैं। + +प्रधानमंत्री ने इसी संदर्भ में संसद में हाल ही में कहा था कि +सरकार के व्यवसाय में होने का कोई तुक नहीं है। उन्होंने गैर-जरूरी +आधिकारिक प्रक्रियाओं को घटाने पर जोर दिया है। ये बयान सिर्फ +प्रधानमंत्री के उद्गार भर नहीं हैं। सरकार के नजरिये को नजदीक से +देखें तो पता चलेगा कि उनका शासन इस काम को कितना महत्व +देता है। + +व्यवसाय में सरकार की मौजूदगी की एक बड़ी निशानी सरकारी +स्वामित्व वाले उद्यम हैं जिन्हें सार्वजनिक उपक्रम (पीएसयू) के +नाम से जाना जाता है। ये उपक्रम बैंकिंग से लेकर दूरसंचार, बीमा +और कोयला क्षेत्रों तक मौजूद हैं। प्रधानमंत्री समेत शासन तंत्र की +उच्च हस्तियां पिछले कई वर्षों से इन उपक्रमों में सरकार की +बहुसंख्यक हिस्सेदारी के विनिवेश की बात करती रही हैं। इसके +पीछे उद्देश्य इन विशाल प्रतिष्ठानों में उत्पादकता के विकास और +बेहतर व्यावसायिक कामकाज के लिये इनका कॉरपोरेटीकरण करना +है। विनिवेश के बारे में शासन के महत्वाकांक्षी लक्ष्य और इसे हासिल +करने में अब तक के प्रभावशाली परिणाम सरकार और नागरिकों, +दोनों के लिये फायदेमंद हैं। इनसे +प्रशासनिक कामकाज, धन की बर्बादी +और संसाधनों के अकुशल उपयोग से + + + + + +पारदर्शिता और आसानी + +} वर्तमान में सरकारी नौकरी चाहने वाले विभिन्‍न +एजेंसियों द्वाय आयोजित अनेक रीक्षाएं देते हैं + +हूं? ,, उम्मीदवारों को साल में कई बार फीस देने के अलावा +ood dai ae लंबा सफर तय करना पड़ता है + +एनआरए अनेक सरकारी नौकरियों के लिए टीयर-1 की +संयुक्त भर्ती परीक्षा आयोजित कर इस परेशानी को दूर करेगी + +fy एनआरए उम्मीदवारों के अलावा संबंधित भर्ती + +ey + +s एजेंसियों पर बोझ भी घटायेगी + +होने वाले सरकारी खर्च में कमी आती +है। इसके अलावा करदाताओं के धन +के बेहतर और ज्यादा पारदर्शी इस्तेमाल +और अधिक प्रतिस्पर्धा से जनता को भी +लाभ पहुंचता है। सरकार ने सार्वजनिक +उपक्रमों के विनिवेश से 1.75 लाख +करोड़ रुपये हासिल करने का लक्ष्य +निर्धारित किया है। उसे उम्मीद है कि +कोविड 19 की वैश्विक महामारी के +बावजूद वह विनिवेश के ज्यादातर +लक्ष्यों को प्राप्त कर सकेगी। + + + +लेखिका इनवेस्ट इंडिया में शोधकर्ता हैं। ईमेल: devika.chawla@investindia.org.in + +योजना, अगस्त 2021 + +45 + + + +0046.txt +<----------------------------------------------------------------------> +Dalen eg ae +er ee + +fal eat eh LL +el be ed + +"fl + +© + + + +सरकार ने पिछले साल सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों का विलय +कर चार बैंक बनाने का फैसला किया। इस निर्णय के पीछे का मकसद +भी सार्वजनिक प्रतिष्ठानों में अकुशलता और अफसरशाही अनिर्णय को +दूर करने तथा जवाबदेही के एक पारदर्शी तंत्र को बढ़ावा देने का ही था। + +पिछले कुछ वर्षों से सरकारी सेवा में सरकार के तंत्र से बाहर +के विशेषज्ञों के प्रवेश को बढ़ावा दिया जा रहा है। सरकार के इस +SHIEH HA ने काफी ध्यान आकर्षित किया है। संघ लोक +सेवा आयोग (यूपीएससी) की सिविल सेवा परीक्षाओं में सुधार +और परिवर्तन के जरिये उन्हें अभूतपूर्व रफ्तार से विकास कर रहे +इक्कीसवीं सदी के राष्ट्र की जरूरतों और आकारक्षाओं के अनुरूप +बनाने को लेकर व्यापक राष्ट्रीय सहमति है। सिविल सेवा का देश +में काफी सम्मान है। लेकिन इसकी चयन प्रक्रिया और सेवा नियमों +के हमारे गतिशील और विकासमान राष्ट्र के अनुरूप नहीं होने को +लेकर वाजिब चिंताएं भी हैं। कुछ हद तक इन चिंताओं के कारण भी +श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार 2014 से ही वैसे विशेषज्ञों +को सरकारी तंत्र में प्रवेश देने का प्रयोग कर रही है जो यूपीएससी +की परीक्षाओं से चुन कर नहीं आये हैं। अपने क्षेत्रों के ऐसे विशेषज्ञों +को 2018 से मंत्रालयों और विभागों में संयुक्त सचिव और निदेशक +समेत विभिन्‍न पदों पर निर्धारित अवधि के अनुबंध के जरिये नियुक्त +किया जा रहा है। + +अब तक सरकारी सेवा में बिचले और निचले स्तर की नियुक्तियों +के लिये एजेंसियों और परीक्षाओं की भरमार रही है। सरकार ने +इस मकड़॒जाल को खत्म करने के लिये एक राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी +(एनआरए) का गठन किया है। यह देश में लोक प्रशासन को सुचारू +बनाने के सरकारी प्रयासों की एक और मिसाल है। + +वैश्विक स्तर पर हो रहे तकनीकी बदलावों को देखते हुए सरकार +शासन प्रक्रियाओं के डिजिटलीकरण की ओर तेजी से बढ़ रही हे। +उसके इस कदम की व्यापक रूप से प्रशंसा हुई है। डिजिटल इंडिया +इस दिशा में एक प्रमुख आच्छादन कार्यक्रम है। डिजिटल भुगतान से +लेकर जनधन-आधार-मोबाइल (जैम) तिकड़ी और लाभ के सीधे + +46 + +राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी (एनआरए ) + +पारदर्शिता के जरिये उत्तम ज्ासन + +& चयन प्रक्रिया में लगने वाले समय में कमी + + + +समान योग्यता शर्तों वाली विभिन्‍न एजेंसियों की अनेक परीक्षाओं में +बैठने से उम्मीदवारों को होने वाली परेशानी का समाधान + +1000 से ज्यादा केन्द्रों पर करायी जायेगी संयुक्त योग्यता परीक्षा (सीईटी) , +117 आकारक्षापूर्ण जिलों समेत हर जिले में होगा कम-से-कम एक परीक्षा केन्द्र + +ग्रामीण, वंचित उम्मीदवारों और महिलाओं के लिए बेहतर पहुंच + +हस्तांतरण (डीबीटी) तक डिजिटल सेवाओं में जबर्दस्त बढ़ोतरी +हुई है। डाटा की न्यूनतम कीमतों और अधिकतम खपत के साथ +डिजिटल अवसंरचना के लिहाज से भारत ने जबर्दस्त छलांग लगायी +है। देशवासियों के लिये स्वयं पोर्टल (ऑनलाइन शिक्षा), ई-आधार +सेवाएं, ऑनलाइन पैन, मतदाता पहचान पत्र और आयकर रिटर्न सेवाएं, +ऑनलाइन बैंकिंग तथा माई गॉव, डिजिलॉकर, उद्यमी और ई-वीज़ा +सेवा जैसे पोर्टल समेत अनेकों डिजिटल संसाधन मौजूद हैं। प्रधानमंत्री +ने आम जन के लिये ई-शासन को कितना महत्व दिया है इसका +सबूत डिजिटल क्षेत्र में सरकार के विशाल नेटवर्क की मौजूदगी है। +वह जनसाधारण के वास्ते सरकारी प्रक्रियाओं को यथासंभव सरल +बनाने के लिये प्रयासरत हैं। + +इस आलेख में देश में शासन प्रणाली में आमूल-चूल परिवर्तन +लाने के लिये भारत सरकार के व्यापक सुधारों का वर्णन किया गया हे। +बीमार और आशा से कम सफल पीएसयू के तेज विनिवेश, सरकारी +नौकरियों के लिये एनआरए के गठन, सरकारी सेवा में विशेषज्ञों के +प्रवेश को प्रोत्साहन, शासन में सुधार के लिये डिजिटलीकरण को +बढ़ावा देने तथा कुशल सरकारी सेवाओं को गांबों में लाभार्थियों के +दरवाजों तक पहुंचाने जैसे कदम भारतीय नागरिकों की जिंदगी आसान +बनाने में निर्णायक भूमिका अदा करेंगे। इन कदमों से अफसरशाही की +बाधाएं, लालफीताशाही, भ्रष्टाचार और नीतियों की अनिश्चितता दूर +होगी जिनका इंतजार विदेशी और स्वदेशी निवेशक लंबे समय से कर +रहे हैं। इससे भारत का आर्थिक और सामाजिक विकास निचले स्तर +पर समाज के सबसे ज्यादा कमजोर तबकों तक पहुंचेगा। इस तरह एक +उदीयमान वैश्विक शक्ति का भविष्य सही मायनों में आकार लेगा। +संदर्भ +1. https://www.hindustantimes.com/analysis/transforming-public- + +administration/story-PZEGbLXbUIAR9IQ3fQOXmvJ.html + +2. — https://www.financialexpress.com/economy/govt-may-attain-up-to- +90-of-fy22-disinvestment-target-on-strong-liquidity/224095 1/ + +3. https://theprint.in/india/governance/modi-govt-gives-lateral-entry-a- +fresh-push-wants-to-recruit-30-senior-officers/599797/ + +योजना, अगस्त 2021 + + + +0047.txt +<----------------------------------------------------------------------> +UU ticle + +MIT WORLD PEACE +UNIVERSITY | Pune + +TECHNOLOGY, RESEARCH, SOCIAL INNOVATION & PARTNERSHIPS: + +50पा 0९८30९5 0ए160३९० गा 4 (शापाए ४1९४ + +इंउड़े ३४108 + +Best Private University 1.18 :41 ०1 हैं।।है।। । (| +10 आए09 ॥ ॥08 (Jagran Josh, B School +(INDIA TODAY 2018) ranking 2020) + +३2 डर ई5४ + +10 शांप्रब९ धाक्षा।९/(शा।। Brae SL +॥॥प्रां४६1॥ ४९६४ 206... रि8९३ 0 (०|०७॥ 1 ॥1019 +(TOI 2020) (TOI 2020) + +GOVERNMENT & +ADMINISTRATION + +Be an Impactful +Policy Maker + +Avail Merit Based 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+admissions@mitwpu.edu.in @ 020 7117 7137 / 42 © 7774023698 + + + +योजना, अगस्त 2021 + +47 + + + +YH-1617/2021 + + + +0048.txt +<----------------------------------------------------------------------> +इंडियन सार्स-कोव-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम + +प्रन्‍न- इंडियन सार्स-कोव-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम +( आईएनएसएसीओजी-इंसाकॉग ) यानी भारतीय सार्स-कोव-2 +जीनोमिक्स कंसोर्टियम क्‍या है? + +उत्तर- भारतीय सार्स-कोव-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम +(इंसाकॉग) 30 दिसंबर 2020 को भारत सरकार द्वारा स्थापित +जीनोम सीक्वेंसिंग प्रयोगशशालाओं (आरजीएसएल) का एक राष्ट्रीय +बहु-एजेंसी कंसोर्टियम है। शुरुआत में इस कंसोर्टियम में 10 +प्रयोगशालाएं शामिल थीं। बाद में इंसाकॉग के तहत प्रयोगशालाओं +के दायरे का विस्तार किया गया और वर्तमान में इस कंसोर्टियम +के तहत 28 प्रयोगशालाएं हैं, जो सार्स-कोव-2 में हुई जीनोमिक +विविधताओं की निगरानी करती हैं। + +प्रश्न- इंसाकॉग का उद्देश्य कया है? + +उत्तर- सार्स-कोव-2 वायरस को आमतौर पर कोविड-19 +वायरस के रूप में जाना जाता है। इस वायरस ने विश्व स्तर पर +अभूतपूर्व सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियां पैदा की हैं। इस वायरस +के प्रसार और विकास तथा इसके म्यूटेशनों एवं परिणामी रूपों +(वैरिएंट्स) को अच्छी तरह से समझने के लिए इसके म्यूटेशनों +और परिणामी वेरिएंट की गहराई से सीक्वेंसिंग करने तथा जीनोमिक +डेटा के गहन विश्लेषण करने की जरूरत अनुभव की गई। +इस पृष्ठभूमि में इंसाकॉग की स्थापना की गई ताकि पूरे देश में +सार्स-कोव-2 वायरस की पूरी जीनोम सीक्वेंसिंग का विस्तार किया +जा सके और इस वायरस का प्रसार और विकास कैसे होता है, +यह समझने में हमें मदद मिले। इस वायरस के आनुवंशिक कोड +या म्यूटेशन में आए किसी भी परिवर्तन को इंसाकॉग के तहत इन +प्रयोगशालाओं में नमूनों के किए गए विश्लेषण और सिक्‍वेंसिंग के +आधार पर देखा जा सकता है। + +इंसाकॉग के निम्नलिखित विशिष्ट उद्देश्य हैं- +* देश में वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट (वीओआई) और वेरिएंट ऑफ + +कंसर्न (वबीओसी) की स्थिति का पता लगाना। + +जीनोमिक वेरिएंट का जल्दी पता लगाने के लिए प्रहरी + +निगरानी और बढोतरी निगरानी तंत्र स्थापित करना और प्रभावी + +सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया तैयार करने में सहायता करना। + +बहुत तेजी से संक्रमण की घटनाओं के दौरान लिए गए नमूनों + +और बढ़ते मामलों और मृत्यु के रुझान की रिपोर्ट करने वाले + +क्षेत्रों में जीनोमिक वेरिएंट की उपस्थिति का निर्धारण करना। + +प्रश्न- भारत मेंसार्स कोव-2 वायरल सीक्वेंसिंग कब शुरू +की गई? + +उत्तर- भारत ने वर्ष 2020 में सार्स कोव-2 वायरल जीनोम की +सीक्वेंसिंग शुरू की। शुरुआत में, एनआईवी और आईसीएमआर ने +इंग्लैंड, ब्राजील या दक्षिण अफ्रीका से भारत आने वाले या इन देशों +से होकर आने वाले अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों के नमूनों की सीक्वेंसिंग की, + +क्योंकि इन देशों ने मामलों में अचानक बढ़ोतरी होने की जानकारी +दी थी। अपने राज्यों में अचानक मामले बढ़ने की रिपोर्ट करने +वाले राज्यों से प्राप्त आरटीपीसीआर पॉजीटिव नमूनों की सीक्‍्वेंसिंग +को प्राथमिकता दी गई। वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद +(सीएसआईआर ) , जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) और राष्ट्रीय +रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) के साथ-साथ व्यक्तिगत संस्थानों +के प्रयासों के माध्यम से सीक्वेंसिंग का और विस्तार किया गया। + +भारत ने प्रारंभ में वैश्विक वेरिएंट ऑफ कंसर्न (वीओसी )-अल्फा +(बी.1.1.7), बीटा (बी.1.351) और गामा (पी.1) के प्रसार को +रोकने पर ध्यान केंद्रित किया, क्योंकि ये वेरिएंट अधिक तेजी से फैलने +वाले थे। इन वेरिएंट के प्रवेश की इंसाकॉग ने बड़ी सावधानीपूर्वक +ट्रेकिंग की। इसके बाद इंसाकॉग प्रयोगशालाओं में किए गए +संपूर्ण सीक्वेंसिंग विश्लेषण के आधार पर डेल्टा और डेल्टा प्लस +वेरिएंट की पहचान की गई। + +प्रश्न- भारत में सार्स कोव-2 निगरानी के लिए क्‍या +रणनीति है? + +उत्तर- शुरू में जीनोमिक निगरानी कुल आरटीपीसीआर +संक्रमित नमूनों के 3-5 प्रतिशत की सीक्वेंसिंग के माध्यम से +अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों और उनके समुदाय में संपर्कों द्वारा लाए गए +वेरिएंटों पर केंद्रित थी। + +इसके बाद, अप्रैल 2021 में प्रहती निगरानी भी की गई। इस +रणनीति के तहत किसी क्षेत्र के भौगोलिक प्रसार का पर्याप्त रूप +से प्रतिनिधित्व करने के लिए अनेक प्रहरी स्थलों की पहचान +की जाती है और आरटीपीसीआर संक्रमित नमूनों को पूरे जीनोम +सीक्वेंसिंग के लिए प्रत्येक प्रहरी स्थल से भेजा जाता है। पहचान +किए गए प्रहरी स्थलों से नामित रीजनल जीनोम सीक्वेंसिंग लेबोट्रीज +(आरजीएसएल) को नमूने भेजने के लिए विस्तृत एसओपी राज्यों +और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ साझा की गई। टैग किए गए +इंसाकॉग आरजीएसएल की सूची भी राज्यों को भेजी गई थी। पूरी +जीनोम सीक्वेंसिंग की गतिविधि में तालमेल के लिए सभी राज्यों/ +केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा एक समर्पित नोडल अधिकारी भी नामित +किया गया था। + +प्रहरी निगरानी (सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए): +यह पूरे देश में चल रही निगरानी गतिविधि है। प्रत्येक राज्य/केंद्र +शासित प्रदेश ने प्रहरी स्थलों (आरटीपीसीआर प्रयोगशालाओं और +तृतीयक स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं सहित) की पहचान की है, +जहां से आरटीपीसीआर संक्रमित नमूनों को पूरी जीनोम सीक्‍्वेंसिंग +के लिए भेजा जाता है। + +बढ़ती हुई निगरानी (कोविड-19 मामलों में क्लस्टरों वाले +जिलों या बढ़ोतरी की रिपोर्ट देने वाले जिलों के लिए) नमूनों की +प्रतिनिधि संख्या (राज्य निगरानी अधिकारी/केंद्रीय निगरानी इकाई +द्वारा अंतिम रूप दी गई नमूना रणनीति के अनुसार) उन जिलों से + + + + + +0049.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +7 7 7 7 7 +एकत्र की जाती है जो बड़ी संख्या में मामलों को दर्शाते हैं और +जिन्हें आरजीएसएल भेजा जाता है। + +प्रश्न- इंसाकॉग प्रयोगशालाओं में नमूने भेजने के लिए +मानक संचालन प्रक्रिया ( एसओपी ) क्‍या है? + +उत्तर- इंसाकॉग प्रयोगशालाओं में नमूने भेजने और उसके +बाद जीनोम सीक्वेंसिंग विश्लेषण पर आधारित कार्रवाई की मानक +संचालन प्रक्रिया इस प्रकार हैः + +1. एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) मशीनरी जिलों/ +प्रहरी स्थलों से नमूने एकत्रित करके रीजनल जीनोम सीक्वेंसिंग +प्रयोगशालाओं में भेजने में समन्वय करती है। आरजीएसएलजीनोम +सीक्वेंसिंग और वेरिएंट ऑफ कंसर्न और वेरिएंट ऑफ इन्टरेस्ट +तथा अन्य म्यूटेशनों की पहचान के लिए जिम्मेदार है। वेरिएंट +ऑफ कंसर्न और वेरिएंट ऑफ इन्टरेस्ट के बारे में जानकारी +केद्रीय निगरानी इकाई आईडीएसपी को दी जाती है ताकि राज्य +निगरानी अधिकारियों के साथ समन्वय में क्लीनिकों-महामारी +विज्ञान सहसंबंध स्थापित किया जा सके। + +2, इंसाकॉग को सहायता प्रदान करने के लिए वैज्ञानिक और +नेदानिक सलाहकार समूह (एससीएजी) में चर्चा के आधार +पर यह निर्णय लिया गया कि एक जीनोमिक म्यूटेशन की +पहचान की जाए, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रासंगिकता का हो +और जिसे एससीएजी को प्रस्तुत किया जाएगा। एससीएजी +संभावित वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट और अन्य म्यूटेशनों के बारे में +चर्चा करता है और यदि उचित समझता है तो आगे की जांच +के लिए केंद्रीय निगरानी इकाई को सिफारिश करता है। + +3, आईडीएसपी स्थापित जीनोम सीक्वेंसिंग विश्लेषण स्थापित + +जीनोम सीक्वेंसिंग विश्लेषण और क्लीनिको महामारी विज्ञान से +संबंधित आवश्यक सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों को तैयार करने +और उन्हें लागू करने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार +कल्याण मंत्रालय, आईसीएमआर, डीबीटी, सीएसआईआर और +राज्यों/केद्र शासित प्रदेशों के साथ साझा किया जाता है। + +4. नए म्यूटेशन/वेरिएंट ऑफ कंसर्न और वेरिएंट ऑफ इन्टरेस्ट +का कल्चर और जीनोमिक अध्ययन किया जाता है ताकि +वैक्सीन की प्रभावकारिता और प्रतिरक्षा से बचने के गुणों के +प्रभाव का पता लगाया जा सके। + +प्रश्न- वेरिएंट ऑफ कंसर्न (वीओसी ) की मौजूदा स्थिति +क्या है? + +उत्तर-वेरिएंट ऑफ कंसर्न भारत में 35 राज्यों के 174 जिलों +में पाया गया है। महाराष्ट्र, दिल्‍ली, पंजाब, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल +और गुजरात के जिलों से सबसे अधिक वीओसी की सूचना प्राप्त +हुई है। देश में सामुदायिक नमूनों में सार्वजनिक स्वास्थ्य महत्व के +वेरिएंट ऑफ कंसर्न इस प्रकार हैं; अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा। + +बी.1.617 लाइनेज को पहली बार महाराष्ट्र में देखा गया जो +राज्य के अनेक जिलों में असामान्य वृद्धि से जुड़ा था। यह अब +भारत के कई राज्यों में पाया गया है। + +प्रश्न- डेल्टा प्लस वेरिएंट क्‍या है? + +उत्तर- बी.1.617.2.1 (एवाई-1) या जिसे आमतौर पर डेल्टा +प्लस वेरिएंट के रूप में जाना जाता है, यह अतिरिक्त म्यूटेशन के +साथ डेल्टा वेरिएंट को दर्शाता है। + + + +स्रोत : पत्र सूचना कार्यालय + + + ++ eerie TA Gare wear eT +td Watt + + + +#LargestVaccineDrive + +Help us to + +wy help you + +कोरोना को हम तभी हरा पाएंगे, +जब सभी टीका लगवाएंगे + +a + +F + +wy +«2» + +zur +& फीड > + + + +/ + +पक +a +qt, + +$ फीट + + + +८0५०-19 टीके के लिए ८०५४॥.७०४-॥ पर जाएं और पंजीकरण करें + +43 mohfwgov.in ff @MoHe Windia + + + +So @MoHFW_INDIA + +(G] @mohiwinda = QB mohiwindia = @mohfw_india + + + + + +0050.txt +<----------------------------------------------------------------------> +लोक प्रशासन : भर्ती और प्रशिक्षण के मूल प्रश्न + +प्रेमपाल शर्मा + +लोक प्रशासन में हम सब को यह समझने की जरूरत है कि हम जनता के सेवक हैं उनके हाकिम नहीं +अंग्रेजी काल की औपनिवेशक मानसिकता को ऐसे ही कदमों से बदला जा सकता है। पिछले कुछ वर्षों में +लोक प्रशासन के क्षेत्र में जो सुधार हुए हैं उससे मौजूदा केंद्र सरकार की इच्छा शक्ति और लोक प्रशासन + +को लोक हित में बदलने का सबूत भी मिलता है। + +ने-माने वैज्ञानिक डॉ कृष्णस्वामी कस्तूरीरंगन ने नई + +शिक्षा नीति 2020 पर जो रिपोर्ट भारत सरकार को सौंपी +थी, उसका शुरुआती हिस्सा पूरी भारतीय नौकरशाही + +या अफसरशाही यानी लोक प्रशासन तंत्र के लिए एक आईना है। +उन्होंने इस बात पर दुःख प्रकट किया कि सर्वोच्च नौकरशाही जनता +से बहुत कटी रहती है। वे भाषा, व्यवहार रहन-सहन, चाल-ढाल में +जनता से दूरी बनाए रहते हैं और इसका मुख्य कारण हमारी शिक्षा +व्यवस्था में है। इस आलेख में इसी की रोशनी में लोक प्रशासन +की उपलब्धियों और उसकी कुछ कमियों की जांच पड़ताल की गई +है। 1947 में आज़ादी के वक्‍त यह बहस चली थी कि क्या अंग्रेजों +द्वारा स्थापित इंडियन सिविल सर्विस को खत्म करके कोई नई व्यवस्था +लाई जाए? देशभर में अंग्रेजी हुकूमत के प्रति आक्रोश भरा हुआ था +लेकिन सरदार वलल्‍लभ भाई पटेल का विचार था, “इसमें गलती इन +प्रशासनिक नौकरशाहों की नहीं है। यह तो वही काम करते हैं जो सत्ता +इनको कहती है। इतने बड़े देश को एक सूत्र में एक समान व्यवस्था में +शासित करने के लिए ऐसी ही अखिल भारतीय सेवा की जरूरत है।'! +लोक प्रशासन तंत्र की सर्वोच्च अफसरशाही या नौकरशाही की + +इस सेवा का नाम इंडियन एड्मिनिस्ट्रेटिव सर्विस (आईएएस) यानी +भारतीय प्रशासनिक सेवा कर दिया गया। केंद्र और राज्य सरकारें भले +ही बदलती रहें, भारत के संघीय ढांचे को एक सूत्र में पिरोने वाली +यही नौकरशाही है। इतने विशाल देश में राष्ट्रीय एहसास इसी लोक +प्रशासन तंत्र के बूते हैं। इन अखिल भारतीय सेवाओं में भारतीय +प्रशासनिक सेवा, पुलिस सेवा समेत भारत सरकार के लगभग 25 +विभाग एवं संस्थाओं की सेवाएं शामिल हैं। शुरुआत में रेलवे, आयकर, +रक्षा लेखा सेवाएं थीं तो बाद में भारतीय सूचना सेवा, भारतीय ट्रेड +सर्विस, रेलवे प्रोटक्शन फोर्स आदि सेवाएं धीरे-धीरे जरूरतों के हिसाब +से जुड़ती गईं। इसी के समानांतर पूरे देश के लिए भारतीय इंजीनियरिंग +सेवा, भारतीय वन सेवा, चिकित्सा सेवा आर्थिक सेवा आदि भी बनाई +गईं लगभग समान नियम सुविधाओं के ढांचे के रूप में। यह भी सच +है कि देश की इन सर्वोच्च सेवाओं में शामिल होने के लिए लाखों + +मेधावी नौजवान लालायित रहते हैं और नई दिल्‍ली स्थित संघ लोक +सेवा आयोग शाहजहां रोड को एक तीर्थ की तरह देखते हैं। + +कठिन से कठिन दौर में भी भारत के लोक प्रशासन ने एक +महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है वह चाहे बाढ़, सूखा या समुद्री तूफान से +सामना करना हो अथवा जमीन जायदाद या कानून व्यवस्था के प्रश्न। +इसीलिए हर राज्य सरकार केद्र से ज्यादा से ज्यादा इन नौजवानों की +तैनाती की मांग करती हैं। संघ लोक सेवा आयोग देश का ऐसा संस्थान +है जिसकी ईमानदारी और सत्यनिष्ठा पर कभी उंगली नहीं उठी। इसका +एक महत्वपूर्ण पक्ष यह भी है कि बदलते वक्त के साथ भर्ती आदि +की प्रक्रिया में बदलाव भी होते रहे हैं। + +इसमें सबसे बड़ा बदलाव वर्ष 1979 में आया जब कोठारी समिति +की सिफारिशों को मानते हुए भारतीय प्रशासनिक सेवा परीक्षा का नाम +बदलकर सिविल सेवा परीक्षा किया गया और सभी भारतीय भाषाओं +में उत्तर देने की छूट दी गई। यह बहुत क्रांतिकारी कदम था क्योंकि +आज़ादी के बाद से लगातार अंग्रेजी माध्यम की वजह से केवल वे +लोग ही इस सेवा में आते थे जो अंग्रेजी माध्यम में देश या विदेश + + + + + + + +लेखक रेल मंत्रालय में संयुक्त सचिव रह yh Z LHe: ppsharmarly@gmail.com + +50 + +योजना, अगस्त 2021 + + + +0051.txt +<----------------------------------------------------------------------> +#0 लोक मेरा wires ira) + +aT x + +में पढ़े होते थे। भारतीय भाषाओं में पढ़ने वाले गरीब आदिवासी के +लिए कोई जगह नहीं थी। डॉक्टर कोठारी, जो जाने-माने वैज्ञानिक +और शिक्षाविद थे, उन्होंने अपनी सिफारिश में कहा था कि “जिन +अधिकारियों को भारतीय भाषाएं नहीं आती उन्हें देश की इन सर्वोच्च +सेवाओं में आने का कोई हक नहीं है। जब तक वे किसी भारतीय भाषा +को नहीं जानते हों, कैसे जनता के दुख-दर्द को समझेंगे और न केवल +भाषा उन्हें अपनी भाषाओं का साहित्य भी जानना चाहिए।'” इस कदम +ने भारतीय नौकरशाही का रूप सचमुच में जनवादी बना दिया। 1970 +में जहां इस परीक्षा के देने वाले सिर्फ 11000 थे, वर्ष 1979 में उनकी +संख्या 10 गुना बढ़ गई। वर्ष 1988 में बनाई गई सतीश चंद्र कमेटी ने +10 वर्ष की भर्ती के आकलन में भारतीय भाषाओं में परीक्षा आयोजित +किए जाने की भूरी-भूरी प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि पहली बार +आज़ाद भारत के इतिहास में पहली पीढ़ी के गरीब दलित आदिवासी +भारत की सर्वोच्च सेवाओं में पहुंचे हैं। लगभग 15 से 20 प्रतिशत +हिंदी, तमिल, मराठी, मलयालम सहित संविधान की आठवीं अनुसूची +में शामिल भारतीय भाषाओं के माध्यम से इन सेवाओं में लोग चुने गए, +उनकी कार्यक्षमता भी उतनी ही संवेदनशील +और सक्षम साबित हुई। लेकिन वर्ष 2011 में +कुछ अंग्रेजी के पक्षधरों ने ऐसे बदलाव किए +कि भारतीय भाषाओं के परीक्षार्थी कम से कम +होते गए और फिलहाल यह 5 प्रतिशत से भी +कम हे। इसे तुरंत भारतीय भाषाओं के पक्ष में +बदलने की जरूरत है। + +इसीलिए भर्ती प्रक्रिया का प्रश्न +महत्वपूर्ण हो जाता है। देखा जाए तो आज्ञादी +के इतने वर्षो के बाद इन सेवाओं का ऐसा +भारतीयकरण होना चाहिए था जिससे भारतीय +भाषाओं के ज्यादा से ज्यादा पढ़े हुए नौजवान +इन सेवाओं में शामिल हो पाते। अंग्रेजी जानने +वाले 5 प्रतिशत से कम होने के बावजूद भी +वह 95 प्रतिशत भर्ती क्‍यों होती है? क्‍या देश +को औपनिवेशक मानसिकता से मुक्ति नहीं +चाहिए? क्या भारतीय भाषाएं इतनी कमजोर हैं? +और यह कि क्‍या भारतीय भाषाओं में पढे हुए +नौजवान कमतर साबित हुए हैं? यदि नहीं तो + +योजना, अगस्त 2021 + +COMP LBS) oo eee | + + + +निश्चित रूप से नौकरशाही हमारी +शिक्षा व्यवस्था में जुड़ी हैं लेकिन +भर्ती प्रक्रिया को भी ऐसा बनाने की +जरूरत है जिससे नौकरशाही और +ज्यादा जमीनी अनुभव प्राप्त करे +और संवेदनशील बने। आएचर्य की +बात है कि कोठारी समिति सभी +सिविल सेवाओं में भारतीय भाषाओं +की बात की थी लेकिन दुर्भाग्य से +केवल प्रशासनिक सेवा में अभी +भारतीय भाषाओं में परीक्षा शुरू की +गई है। वन सेवा, इंजीनियरिंग सेवा, +मेडिकल सेवा जैसे लोक प्रशासन में +भी सरकार को इस पक्ष पर ध्यान +देने की जरूरत है। + +“8 फिर ऐसा क्‍यों हो रहा है कि अंग्रेजी लगातार इस +है हद तक हावी होती जा रही है कि डॉ कस्तूरीरंगन +Hoo वैज्ञानिक और शिक्षाविद को ऐसी तीखी +टिप्पणी करनी पड़ी है। निश्चित रूप से नौकरशाही +हमारी शिक्षा व्यवस्था में जुड़ी हैं लेकिन भर्ती +प्रक्रिया को भी ऐसा बनाने की जरूरत है जिससे +नौकरशाही और ज्यादा जमीनी अनुभव प्राप्त करें +| और संवेदनशील बने। आश्चर्य की बात है कि +५ कोठारी समिति सभी सिविल सेवाओं में भारतीय +भाषाओं की बात की थी लेकिन दुर्भाग्य से केवल +प्रशासनिक सेवा में अभी भारतीय भाषाओं में परीक्षा +शुरू की गई है। वन सेवा, इंजीनियरिंग सेवा, +मेडिकल सेवा जैसी सेवाओं में भी सरकार को इस पक्ष पर ध्यान देने +की जरूरत है। +वैसे तो समय-समय पर कई सुधार हुए हैं जैसे निबंध का पेपर +शामिल करना, 'रूसी, चीनी जैसे विषयों को बाहर करना', लेकिन +कुछ कमियां लगातार बनी हुई हैं। अधिकतम उम्र सीमा वर्ष 1978 +तक 24 और 26 वर्ष थी जिसे कोठारी समिति ने बढ़ाकर सभी +सेवाओं के लिए 28 वर्ष कर दिया था। उम्र बढ़ाने के पीछे यह भी +कारण था कि सुदूर के गांव आदिवासियों के बच्चों की शिक्षा देर से +शुरू हो पाती है लेकिन 40 वर्ष बाद 2021 में देश की साक्षरता और +शिक्षा की पहुंच बहुत बेहतर हुई है। जबकि उम्र की सीमा राजनीतिक +कारणों से पहले मंडल कमीशन के बाद बढ़ाकर 30 वर्ष की गई +और उसके बाद 32 वर्ष। कमजोर वर्गों के लिए यह 37 वर्ष है। +जिस दौर में कॉरपोरेट वर्ल्ड 20 वर्ष तक की आयु के लोगों को +इंजीनियरिंग कॉलेजों, विश्वविद्यालयों से सीधे भर्ती कर रहा है, ऐसे +समय सरकार को भी इस चुनौती को देखते हुए आयु सीमा पर विचार +करने की जरूरत है। प्रोफेसर अलग कमेटी और कई प्रशासनिक सुधार +आयोगों ने भी ऐसी सिफारिश की है। प्रोफेसर +अलग कमेटी ने कानून और लोक प्रशासन जैसे +विषयों की अनिवार्यता की भी बात की थी। +यह भी एक महत्वपूर्ण पक्ष है। +निश्चित रूप से तीन चरणों में आयोजित +होने वाली इस परीक्षा से देश के सर्वश्रेष्ठ +नौजवान चुने जाते हैं जिन्हें मसूरी, सिकंदराबाद, +वडोदरा तथा नागपुर प्रशिक्षण के लिए भेजा +जाता है, प्रशिक्षण केंद्रों को शायद और भी +बेहतर बनाने की जरूरत है। बार-बार के +अध्ययनों से यह सामने आया है कि 2 वर्ष +की प्रशिक्षण अवधि में उन्हें किताबी ज्ञान तो +दिया जाता है लेकिन जमीनी अनुभव पर्याप्त +नहीं दिया जाता। 21वीं सदी के इस दौर में यह +इसलिए जरूरी है कि परीक्षा की पूरी प्रक्रिया +ही ऐसी है जिसमें बहुत कड़ी प्रतियोगिता है +और इसीलिए कोचिंग संस्थानों की भूमिका +लगातार बढ़ रही है। इसका नकारात्मक पक्ष +यह है कि सहज मेधावी नौजवान सफल होने + +51 + + + +0052.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +की बजाय बड़ी उम्र के नौजवान, रटने की क्षमता के बूते इन सेवाओं +में शामिल हो रहे हैं, सर्वश्रेष्ठ मेधा नहीं। इसलिए प्रशिक्षण को +आमूलचूल बदलने की जरूरत है। जब तक उन्हें देश की सच्चाई, +उसका भूगोल, उसका समाज, गरीबी परंपराओं से रूबरू व्यावहारिक +रूप से नहीं कराया जाएगा, नौकरशाही या अफुसरशाही असरदायक +नहीं बन सकती। + +इन प्रशिक्षण केद्रों में ऐसे योग्य सक्षम संवेदनशील अधिकारियों +की तैनाती की जरूरत है जिनके जीवन और प्रशासनिक कार्य से नए +प्रशिक्षु प्रेणा ले सके, न कि ऐसे लोगों को तैनात किया जाए जो +किसी निजी स्वार्थ या नकारापन की वजह से वहां हैं। पूर्व प्रशासनिक +अधिकारी और राज्यपाल श्री त्रिलोकी नाथ चतुर्वेदी ने प्रशिक्षण +संस्थानों के बारे में कहा था कि जब तक वहां उनके वेतन भत्ते कम +थे, वहां ऐसे तथाकथित अयोग्य लोगों को भेजा जाता था। लेकिन जब +वहां भत्ते आदि कई गुना बेहतर बढ़ा दिए गए तब भी सच्चे अर्थों +में वे लोग तैनात नहीं हो पाए जो बेहतर होते। फिर इन सुविधाओं +के लिए दौड़ शुरू हो गई। यह प्रश्न भी उतना ही महत्वपूर्ण है। +इनको ऐसे सांचे में डालने की जरूरत है जिससे बेईमानी से तो बचे +ही, सुविधाओं की दौड़ में भी शामिल न हो। +जनता के हित में साहसिक निर्णय भी ले पाएं। + +नौकरशाही या लोक प्रशासन तंत्र में सुधार +के लिए कई बार कमेटी आदि बनी है जिनमें +महत्वपूर्ण हैं साठ के दशक में संथानम कमेटी +तो 90 के दशक में एन एन बोहरा कमेटी। +इस बीच राज्य सरकारें भी अपने-अपने ढंग +से कदम उठाती रही हैं, जिनका लब्बोलुआब +यह है कि सर्वोच्च सेवा के इन अधिकारियों +को राजनीतिक हस्तक्षेप से कैसे दूर रखा +जाए। इनमें बढ़ते भ्रष्टाचार पर कैसे लगाम +रखी जाए। इसीलिए छठे केंद्रीय वेतन आयोग +की सिफारिशों में लोक सेवकों के वेतन भत्तों +में खासी वृद्धि की गई। उसके पीछे तर्क +यही था कि यदि लोक सेवकों को मूलभूत +सुविधाएं मिलती रहेंगी तो शायद वे भ्रष्टाचार + +52 + +परीक्षा की पूरी प्रक्रिया ही ऐसी +है जिसमें बहुत कड़ी प्रतियोगिता +है और इसीलिए कोचिंग संस्थानों +की भूमिका लगातार बढ़ रही +है। इसका नकारात्मक पक्ष यह +है कि सहज मेधावी नौजवान +सफल होने की बजाय बड़ी उम्र +के नौजवान, रटने की क्षमता के +बूते इन सेवाओं में शामिल हो +रहे हैं, सर्वश्रेष्ठ मेधा नहीं। इसलिए +प्रशिक्षण को आमूलचूल बदलने +की जरूरत है। + +की तरफ नहीं जाएंगे। लेकिन पिछले आंकडे बताते हैं कि भ्रष्टाचार +में बहुत ज्यादा सुधार नहीं हुआ है। नई सूचना तकनीक ने भ्रष्टाचार +को कम करने में जरूर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, राजनीतिक +हस्तक्षेप को कम करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। 1970 के बाद +जब सरकारें आई और वे अपनी मर्जी के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट पुलिस +कप्तान की तैनाती और उन्हें स्थानांतरित करने के लिए दबाव बनाने +लगी तो प्रशासन की पकड़ लगातार कमजोर होती गई जितना अधिक +राजनीतिक हस्तक्षेप बढ़ा, उतना ही प्रशासनिक ढांचा चरमरा गया। यहां +भी सुधार की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दाखिल की गई +थी जिससे आईएएस, आईपीएस अधिकारियों को काम करने के लिए +एक निश्चित 2 वर्ष जैसी अवधि दी जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने +सिविल सेवा बोर्ड की अनुशंसा भी की थी। इस पक्ष पर भी दृढ़ता से +कार्यान्वयन की जरूरत है। मौजूदा सरकार की इच्छाशक्ति यह बताती +है कि वे ऐसे सुधारों के लिए कृत संकल्प है। प्रतिवर्ष 21 अप्रैल को +सिविल सेवा दिवस भी मनाया जाता है जिसमें देश के विभिन्न भागों +में काम कर रहे कलेक्टर, पुलिस कप्तान आदि को उनके कामों के +लिए पुरस्कृत किया जाता है। जमीन के रिकॉर्ड, सफाई अभियान, +मैला ढोने के काम से मुक्ति से लेकर रेलवे में टिकट आरक्षण, शिक्षा +जैसे महत्वपूर्ण कार्य लोक प्रशासन के काम इन अधिकारियों ने नई +प्रक्रिया से निभाए हैं और लगातार लोकहित में निभा रहे हैं। वर्ष 1994 +में सूरत में प्लेग फैला था। वहां के कलेक्टर श्री राव ने प्लेग पर तो +काबू किया ही सूरत शहर की सफाई और पूरी व्यवस्था बदल कर +शहर की सूरत ही बदल डाली। वैसा ही पिछले 3 वर्षों में इंदौर के +कलेक्टर ने किया। देश का सबसे स्वच्छ शहर इस समय इंदौर है। +क्या मेट्रोमैन श्रीधरन की लोक प्रशासन में भूमिका लोग भूल सकते +हैं! केवल दिल्‍ली शहर में ही नहीं देश के बाकी शहरों में भी दिल्ली +मेट्रो का मॉडल शहरों के लिए अनिवार्य लग रहा है। ऐसे सैकडों +नौकरशाहों की भूमिका को नकार नहीं सकते। + +हाल ही में श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के +मंत्रिपरिषद का विस्तार हुआ है। मंत्रिपरिषद में लोक प्रशासन में +सफल कई चेहरे भी शामिल हैं जो इस बात का सबूत है कि भारतीय +नौकरशाही परिवर्तन में एक बड़ी भूमिका +निभा सकती है। यदि लोक प्रशासन के शीर्ष +नौकरशाही में भर्ती प्रशिक्षण और उसके बाद +भी वांछित परिवर्तन किए जाएं तो लोक +प्रशासन देश के कायाकल्प में एक क्रांतिकारी +भूमिका निभा सकता है। नौकरशाही के शीर्ष +में यह बदलाव निचले स्तर तक असर पैदा +करेगा। लोक प्रशासन में हम सब को यह +समझने की जरूरत है कि हम जनता के +सेवक हैं उनके हाकिम नहीं, अंग्रेजी काल +की औपनिवेशक मानसिकता को ऐसे ही +कदमों से बदला जा सकता है। पिछले कुछ +वर्षों में लोक प्रशासन के क्षेत्र में जो सुधार +हुए हैं उससे मौजूदा केंद्र सरकार की इच्छा +शक्ति और लोक प्रशासन को लोक हित में +बदलने का सबूत भी मिलता है। = + +योजना, अगस्त 2021 + + + +0053.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +a + + + + + + + + + + + + + + + +es Kurukshetra BR i a eects ote) +योजना | LB प्रकाशन विभाग 1 कुरुक्षेत्र +विकास को समर्पित मासिक । ‘al ge] Go एवं प्रसारण मंत्रालय 1 ग्रामीण विकास पर मासिक +(हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू व 10 अन्य भारतीय भाषाओं में) ! का भारत सरकार ! (हिंदी और अंग्रेजी) +आजकल | रोजगार समाचार! बाल भारती +साहित्य एवं संस्कृति का मासिक । साप्ताहिक 1 बच्चों की मासिक पत्रिका +(हिंदी तथा उर्दू) ! (हिंदी, अंग्रेजी तथा उर्दू) ! (हिंदी) + +घर पर हमारी पत्रिकाएं मंगाना है काफी आसान... + +आपको सिफ नीचे दिए गए 'भारत कोश' के लिंक पर जा कर पत्रिका के लिए ऑनलाइन डिजिटल भुगतान करना है- +https://bharatkosh. gov.in/Product/Product + + + + + + + + + + + +सदस्यता दरें +योजना, करुक्षेत्र, सदस्यता शुल्क में रजिस्टर्ड डाक का शुल्क भी +| प्लान | 3 बाल भारती रोज़गार समाचार >> 3 + +आजकल (सभी भाषा) शामिल है। कोविड-19 महामारी के मद्देनज़र +वर्ष रजिस्टर्ड डाक रजिस्टर्ड डाक | मुद्रित प्रति (साधारण डाक) | ई-संस्करण | नए ग्राहकों को अब रोज़गार समाचार के +1 ₹ 434 ₹ 364 ₹ 530 ₹ 400. | अलावा सभी पत्रिकाएं केवल रजिस्टर्ड +2 ₹ 838 ₹ 708 ₹ 1000 ₹750 | डाक से ही भेजी जाएंगी। पुराने ग्राहकों के + +3 ₹ 1222 ₹ 1032 ₹ 1400 ₹ 1050 | लिए मौजूदा व्यवस्था बनी रहेगी। + + + + + + + + + + + + + + + + + +ऑनलाइन के अलावा आप डाक द्वारा डिमांड ड्राफ्ट, भारतीय पोस्टल आर्डर या मनीआर्डर से भी प्लान के अनुसार निर्धारित राशि भेज सकते हैं| डिमांड ड्राफ्ट, +भारतीय पोस्टल ऑडर या मनीआर्डर 'अपर महानिदेशक, प्रकाशन विभाग, सचना एवं प्रसारण मंत्रालय” के पक्ष में नई दिल्‍ली में देय होना चाहिए| +रोज़गार समाचार की 6 माह की सदस्यता का प्लान भी उपलब्ध है, प्रिंट संस्करण रु, 265/-, ई-संस्करण रु. 200/-, कपया ऑनलान भगतान के लिए +https://eneversion.nic.in/membership/login लिंक पर जाएं। डिमांड Erg! ‘Employment News के पक्ष में नई दिल्‍ली में देय होना चाहिए] +अपने डीडी, पोस्टल आर्डर या मनीआर्डर के साथ नीचे दिया गया 'सदस्यता कृपन” या उसकी फोटो कॉपी में सभी विवरण भरकर हमें भेजे। भेजने का पता है. +संपादक, पत्रिका एकांश, प्रकाशन विभाग, कक्ष सं. 779, सूचना भवन, सीजीओ कॉम्प्लेक्स, लोधी रोड, नई दिल्‍ली-110003. +अधिक जानकारी के लिए इमेल करें- pdjucir@gmail.com +हमसे संपर्क करें- फोन: 011-24367453, (सोमवार से शुक्रवार सभी कार्य दिवस पर प्रात: साढ़े नौ बजे से शाम छह बजे तक) + +कृपया नोट करें कि पत्रिका भेजने में, सदस्यता शुल्क प्राप्त होने के बाद कम से कम आठ सप्ताह लगते हैं, +कृपया इतने समय प्रतीक्षा करें और पत्रिका न मिलने की शिकायत इस अवधि के बाद करें। + +GE nnn nena nnn nnn GR nnn nnn nnn HE nnn nnn HE ce nec +कृपया मुझे 1/2/3 वर्ष के प्लान TT cc cccecccssessssssssesssssessssssneecsssseessssseeesees पत्रिका ....................- भाषा में भेजें। +नाम ( साफ व बड़े अक्षरों में ) ..................-------न«_नननन-नननननननननननननननन नमन न नग्न नननन नि नननन न ननननननि न +पता : ................----०+«>-नननन-न-ननननननिननननिननननिननननननननननननननननननन नितिन ननिननिननिनननिननिननिननिननिनन तन नन नितिन निनिननिननिननिननिननिनननननन +हनन ननिन मनन न नननभननननन न भनन लत नितिन निभाना भननन न जिला .................-००>न्‍्नन्‍नननननननतत>» पिन ५..५५०००-न्‍>नननननननननन- +ईमेल .......................------«+>>_-_-_ननिनननननननिननिनननननिननननन न मोबाइल नं. ..........................-------न्‍_-___नन_ननननननननन- +डीडी/पीओ/एमओ सं. ....................................--------------------- दिनांक ........................-- सदस्यता सं. ........................... + +योजना, अगस्त 2021 53 + + + +0054.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +; Cen Te + + + +ere hn] + +धानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 13 जुलाई, 2021 को वीडियो +कॉन्फ्रेंस के माध्यम से टोक्यो ओलंपिक जाने वाले भारतीय + + + +neg CUctel के दल के साथ बातचीत कौ। इस अवसर पर केन्द्रीय +_ मल युवा कार्य और खेल मंत्री तथा सूचना एवं प्रसारण मंत्री श्री अनुराग +| ठाकुर, युवा कार्य और खेल राज्य मंत्री श्री निसिथ प्रमाणिक तथा + +कं विधि मंत्री श्री किरेन रिजिजू भी उपस्थित थे। + +प्रधानमंत्री ने एक अनौपचारिक एवं अत्यंत सहज संवाद के + +७] दोरान इस अवसर पर उपस्थित समस्त एथलीटों को प्रेरित किया +की ओर उनके परिवारों के अमूल्य त्याग के लिए उनका धन्यवाद +किया। प्रधानमंत्री ने दीपिका कुमारी (तीरंदाजी) से बात करते हुए + +में उनकी अब तक की यात्रा के बारे में उनसे जानकारी प्राप्त की। + +मई प्रधानमंत्री ने अत्यंत कठिन हालात के बावजूद अपने पूर्व निर्धारित +पथ पर निरंतर अडिग रहने के लिए प्रवीण जाधव (तीरंदाजी) की + +की भूरि- भूरि प्रशंसा की। प्रधानमंत्री ने उनके परिवार से भी बातचीत +धर की ओर उनके अथक प्रयासों की सराहना की। श्री मोदी ने उनके + +है परिवार के साथ मराठी में बातचीत की। + +प्रधानमंत्री ने नीरज चोपड़ा (जैवलिन श्रो या भाला फेक) + +से बात करते हुए भारतीय सेना में काम करने के उनके अनुभवों + +के साथ-साथ कुछ समय पहले लगी चोट से उबरने के बारे में + +प्रधानमंत्री की भारतीय एथलीटों के दल से बातचीत + +Cee लिन नमक, +=.) + + + + + +भी उनसे जानकारी ली। श्री मोदी ने इस एथलीट से चिर-परिचित +व्यापक अपेक्षाओं के बारे में कुछ भी सोचे बिना अपना सर्वश्रेष्ठ +देने को कहा। श्री मोदी ने दुती चंद (स्प्रिंटई) के साथ अपने +संवाद की शुरुआत उनके नाम के अर्थ के साथ की जो कि +दरअसल “चमक' है। इसके साथ ही श्री मोदी ने उनके खेल +कौशल के माध्यम से प्रकाश फैलाने के लिए उनकी सराहना +की। प्रधानमंत्री ने उससे निडर होकर आगे बढ़ने को कहा क्‍योंकि +पूरा भारत एथलीटों के साथ है। प्रधानमंत्री ने आशीष कुमार +(मुक्केबाजी) से पूछा कि उन्होंने आखिरकार बॉक्सिंग को ही +क्यों चुना। प्रधानमंत्री ने उनसे पूछा कि उन्होंने कोविड-19 और +अपने प्रशिक्षण को निरंतर जारी रखने दोनों ही लड़ाई किस तरह +से लड़ी। पिता का निधन हो जाने के बावजूद अपने लक्ष्य से +न डगमगाने के लिए प्रधानमंत्री ने उनकी काफी प्रशंसा की। +एथलीट ने इससे उबरने के दौरान अपने परिवार और दोस्तों से +मिले व्यापक सहयोग को याद किया। श्री मोदी ने उस अवसर को +स्मरण किया जब क्रिकेट खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर ने इसी तरह +की परिस्थितियों में अपने पिता को खो दिया था और फिर किस +तरह से उन्होंने अपने विशिष्ट खेल के माध्यम से अपने पिता को +श्रद्धांजलि दी थी। + +प्रधानमंत्री ने इस बात को लेकर मैरी कॉम (मुक्केबाजी) की +प्रशंसा की कि वे बहुत सारे एथलीटों की आदर्श हैं। उन्होंने यह भी +पूछा कि मैरी कॉम अपना खेल जारी रखने के साथ-साथ परिवार + +LP + + + + + + + + + + + +0055.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +की देखभाल कैसे कर पाईं, खासकर इस महामारी के दौरान। +प्रधानमंत्री ने उनसे उनके पसंदीदा पंच और पसंदीदा खिलाड़ी के +बारे में भी पूछा और उन्हें शुभकामनाएं दीं। पीवी सिंधु (बैडमिंटन) +से बात करते हुए प्रधानमंत्री ने हैदराबाद के गाचीबोवली में उनकी +प्रैक्टिस के बारे में जानकारी ली। उन्होंने उनकी ट्रेनिंग में आहार के +महत्व के बारे में भी पूछा। प्रधानमंत्री ने पीवी सिंधु के माता-पिता +से पूछा कि वे उन माता-पिता को क्‍या सलाह और सुझाव देना +चाहेंगे जो अपने बच्चों को खिलाड़ी बनाना चाहते हैं। ओलंपिक +में सिंधु की सफलता की कामना करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि +जब वे एथलीटों की वापसी पर उनका स्वागत करेंगे तो वे उनके +साथ आइसक्रीम खाएंगे। + +प्रधानमंत्री ने इलावेनिल वलारिवन (निशानेबाजी) से पूछा कि +उन्हें खेल में दिलचस्पी क्‍यों है। एक व्यक्तिगत मामले में, श्री मोदी +ने उस निशानेबाज से बातचीत की, जो अहमदाबाद में, गुजराती में +पली-बढ़ी थी और उनके माता-पिता को तमिल में बधाई दी और +उसके शुरुआती वर्षों को याद किया क्‍योंकि श्री मोदी उनके क्षेत्र + + + +है मानसिक संतुलन में सुधार लाने में योग की भूमिका के बारे में +बातचीत की। प्रधानमंत्री ने अनुभवी खिलाड़ी अचंत शरत कमल +(टेबल टेनिस) से पिछले और इस ओलंपिक के बीच अंतर के +बारे में पूछा और इस अवसर पर महामारी के प्रभाव के बारे में +बातचीत की। श्री मोदी ने कहा कि उनका विशाल अनुभव पूरे +दल की मदद करेगा। एक अन्य टेबल टेनिस खिलाड़ी मनिका बत्रा +(टेबल टेनिस) के साथ, प्रधानमंत्री ने गरीब बच्चों को खेल में +4 प्रशिक्षण देने के लिए उनकी प्रशंसा की। उन्होंने खेलते समय हाथ +में तिरंगा पहनने की उनकी प्रथा के बारे में बातचीत की। उन्होंने + +मणिनगर से विधायक थे। उन्होंने पूछा कि वह अपनी पढ़ाई और +खेल प्रशिक्षण दोनों में केसे संतुलन बना पाती हैं। +प्रधानमंत्री ने सौरभ चौधरी (निशानेबाजु) से एकाग्रता और + +पूछा कि क्‍या नृत्य के प्रति उनका जुनून उनके खेल में तनाव घटाने +का काम करता है। + + + + + + + + + +प्रधानमंत्री ने पूछा कि विनेश फोगाट (कुश्ती) अपनी +पारिवारिक विरासत के कारण बढ़ी हुई उम्मीदों का सामना कैसे +करती हैं। प्रधानमंत्री ने उनकी चुनौतियों का जिक्र करते हुए पूछा +कि वह उनसे कैसे निपटती हैं। उन्होंने विनेश के पिता से भी +बातचीत की और ऐसी शानदार बेटियों को संवारने के तरीकों के +बारे में पूछा। उन्होंने साजन प्रकाश (तैराकी) से उनकी गंभीर चोट +के बारे में पूछा और यह भी पूछा कि वे इससे कैसे ठीक हुए। + +प्रधानमंत्री ने मनप्रीत सिंह (हॉकी) से बात करते हुए कहा +कि उनके साथ बातचीत करने से उन्हें मेजर ध्यानचंद जैसे हॉकी +के दिग्गजों का स्मरण हो रहा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि मनप्रीत +सिंह की टीम देश की विरासत को जिंदा रखेगी। + +भारतीय टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा के साथ प्रधानमंत्री ने +टेनिस के खेल की बढ़ती लोकप्रियता के बारे में बात की और +इस वरिष्ठ खिलाडी से उभरते खिलाडियों को सलाह देने और अपने +अनुभव साझा करने के लिए कहा। उन्होंने टेनिस के खेल में +डबल्स मुकाबलों में अपने साथी के साथ तारतम्यता और समीकरण +के बारे में भी उत्सुकता से बात की। साथ ही प्रधानमंत्री ने पिछले +5-6 वर्षों के दौरान खेलों में उनके द्वारा देखे गए बदलावों के बारे +में भी पूछा। सानिया मिर्जा ने कहा कि भारत में हाल के वर्षों में +आत्मविश्वास देखा जा रहा है और यह खिलाडियों के प्रदर्शन में +भी दिखाई देगा। + +प्रधानमंत्री ने कहा कि सभी एथलीटों में एक कॉमन फेक्टर +है- डिसिप्लीमन, डेडीकेशन और डिटरमिनेशन। उन्होंने कहा कि +सभी एथलीट में प्रतिबद्धता और प्रतिस्पर्धा की भावना है। यही गुण, +न्यू इंडिया के भी हैं। सभी एथलीट नए भारत का प्रतिनिधित्व +करते हैं और वे देश के भविष्य का प्रतीक हैं। उन्होंने कहा कि +सभी एथलीट इस बात के गवाह हैं कि आज देश कैसे अपने + +प्रत्येक खिलाड़ी के साथ नई सोच और नए दृष्टिकोण के साथह्ष नया + +खड़ा है। आपकी प्रेरणा देश के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि ही + +एथलीटों को अपनी पूरी क्षमता के साथ खुलकर खेलने ik oc + +अपने खेल एवं तकनीक में सुधार करने को सर्वोच्च प्राथमिकता +दी गई है। प्रधानमंत्री ने खिलाडियों को समर्थन देने के लिए हाल हक +के वर्षों में किए गए विभिन्न बदलावों को भी रेखांकित किया। शी +प्रधानमंत्री ने कहा कि खिलाडियों के लिए बेहतर प्रशिक्षण +शिविर लगाने और उन्हें बेहतर उपकरण देने का प्रयास किया है + +गया। आज खिलाड़ियों को ज्यादा इंटरनेशनल एक्सपोजर भी प्रदान, x + +किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि चूंकि खेल से जुड़ी संस्थाओं + +ने खिलाडियों के सुझावों को प्राथमिकता दी है, इसलिए इतने कम 4 . + +समय में काफी सारे बदलाव हुए हैं। उन्होंने इस बात पर भी खुशी + +व्यक्त कि पहली बार इतनी बड़ी संख्या में खिलाडियों ने ओलंपिक *> ह + +के लिए क्वालीफाई किया है। उन्होंने कहा कि “फिट इंडिया' [है a +और “खेलो इंडिया' जैसे अभियानों ने इसमें योगदान दिया। भारतीय + +सभी देशवासियों का आशीर्वाद उनके साथ है। +स्रोत : पत्र सूचना कार्यालय + + + + + +0056.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +Le +ot +प्रकाशन विभाग +सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार + + + +क्ोचिड -19 जे फ़िट से हमें घरों में कैद किया | +फिर स्रे दोस्तों से मिलजा छूटा। कॉलिज जाजा छूदा | +काफी कुछ छूटा,.. काफी कुछ ऊूका... लेकिन, क्या हम Dat +खुद से पुछिए और लिखिए अपनी आंखों-देखी, अपना अनुभव, +जो दे Wea Hear सोचले की, +जो दिखाए राह मुश्किलों में झड़ने की, +जो दे दृष्टि समस्या में समाच्ान हुंड़ने की। +ens | A + +dg pra: + + + +| हे - are श्राष्ता होने वाली रचनाओ मैं से श्रेष्ठ को मिलेगा 'योजना' में प्रकाशित होने का मौका। +| val (feat /attull) et 31a sec-vojansene-moi@gov.in # | + + + +[करा रवाना गत Wea वे नो ape cheered apt opt alt & | aad al जदु रोज मी कि हे रा!तिरिगंत कब कि रवगा तौजिय जाँर जपकातिए A | aerate ee for कभी +Neal हर पीकार / खरा॥ीगगूर करने णा पूर्ण ख्रापिकार प्रकाशन चिसाग फेँ पारा शुरक्षिद हैं | लैस्पर्कों को रमनगाए न लौटाई जाएंगी और त॒ उनयो राग्बन्ध गे ख़ाग॑ कॉकआंगात +है... 1 अमक्गाए।ा। ' ५ | लक + +if = “ a a ae + + + +56 योजना, अगस्त 2021 + + + + + +0057.txt +<----------------------------------------------------------------------> +wee tector +1947-2 स्टोरी ऑफ रिहैबिलिटेशन + +लेखक - यू भास्कर राव + +मूल्य : रु. 425 ( पेपरबैक ), रु. 475 (हार्ड बाउंड ) + + + + + +12 में भारतीय उपमहाद्वीप के +इतिहास में सबसे बड़ा सामूहिक +Ta देखा गया। अंग्रेजों ने +उपमहाद्वीप से जाते समय एक +“विभाजन योजना” तैयार की और +दो नए देशों- भारत और पाकिस्तान +का निर्माण किया गया। इसके बाद, +लाखों लोग विस्थापित हुए और +'शरणार्थी! बन गए। ये वो लोग 7 +थे, जिन्होंने अपनी पसंद या फिर +जबर्दस्ती अनमने मन से नवगठित +सीमाओं को पार किया। + +इन शरणार्थियों को भोजन, +वस्त्र और आश्रय जैसी बुनियादी +सुविधाएं प्रदान करने के कठिन +कार्य को अंजाम देने लिए, सितंबर +1947 में भारत सरकार द्वारा एक +अलग राहत और पुनर्वास मंत्रालय +बनाया गया था। अखिल भारतीय +स्तर पर शरणार्थियों को शिक्षा, +रोज़गार के अवसर और व्यवसाय +शुरू करने के लिए आसान ऋण +जैसी कई योजनाएं उपलब्ध कराई गईं। इस पुस्तक में आस्था और +उम्मीदें बंधाती अनगिनत कहानियां हैं। + +आज़ादी के 75 वर्ष यानी अमृत महोत्सव के पावन अवसर पर +निश्चय ही यह पुस्तक पाठकों को उस कठिन समय में वापस ले +जाएगी जिससे 20वीं शताब्दी में हुई सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक +को समझने में मदद मिलेगी। आज की पीढ़ी उन लाखों लोगों को +किस्से जानेगी, जिन्होंने अपने जीवन की यात्रा नए सिरे से शुरू की। + +इस पुस्तक को इसके पहले प्रकाशन के 50 से अधिक वर्षो +के बाद फिर से प्रकाशित करने के दो कारण हैं। एक तो यह +सामायिक है दूसरा - यह अनमोल यादों से परिपूर्ण थी। हमारा +प्रयास अतीत को फिर से देखना और परखना है क्‍योंकि यह पुस्तक +विभाजन और उसके बाद की हृदय विदारक घटनाओं का विवरण +भी देती है। + +मोटे तौर पर भारत के नवगठित गणराज्य के शुरुआती 15 वर्षों +की अवधि की दास्ता हैं। पुस्तक में बताया गया है कि कैसे लाखों + + + + + +लोग अपने वर्षों पुराने घरों को +छोड कर नए स्थानों पर बसने के +| लिए मजबूर हुए। पुनर्वास अपने +| आप में एक कठिन कार्य है और +जब हजारों की संख्या में लोगों को +फिर से बसाना हो, तो यह और +भी दुरूह हो जाता है। लेकिन इस +कार्य को सरकार ने किया। + +राहत और पुनर्वास मंत्रालय +के गठन से शुरू होने वाली पुस्तक +में, सैन्य निकासी संगठनों, अंतहीन +समितियों और उप-समितियों आदि +के सरकार के उपायों को संक्षेप +में प्रस्तुत किया गया है। जिस +| तरह से फंसे हुए शरणार्थियों को +सुरक्षित रूप से निकाला गया और +फिर उन्हें अपने पैरों पर खडे होने +में मदद की गई, इन सबका इस +पुस्तक में दिया विवरण उस दौर +की घटनाओं को मानो सजीव कर +देता है। + +न्‍ इसे दोहराने की आवश्यकता +नहीं है कि यह पुस्तक उन मूल्यों को सहेजती है, इसलिए इसके +विरासत वाले पहलू को सरक्षित करने के लिए हर संभव प्रयास +किया गया है। इसे बिना किसी बदलाव के शब्दश: वैसे ही देने +का प्रयास किया गया है। आधुनिक पाठकों की बेहतर समझ के +लिए, वर्तमान में शहरो या अन्य जगहों के नए नाम, जब भी +यह पहली बार पुस्तक में प्रयोग में आए है, वहां कोष्ठक में +दिए गए हैं। पूर्वी पंजाब (भारत) , पश्चिम पंजाब (पाकिस्तान) , +सिमला, गौहाटी, पूना जालंदर, बॉम्बे, कलकत्ता जैसे स्थानों में +या तो नया नाम है या नई वर्तनी है। यहां तक कि उस समय +के प्रमुख व्यक्तियों के नाम से पहले आने वाले नियमित सम्मान +(श्री, श्रीमती या कुमारी) को भी उस समय के रिपोर्ताज +लेखन के तरीके को दर्शाने के लिए. जस का तस बरकरार रखा +गया है। विरासत को संरक्षित करने का यह प्रयास आज्ञादी के +अमृत महोत्सव के अवसर पर प्रकाशन विभाग का एक छोटा सा +प्रयास है। छा + + + + + +विभिन्‍न विषयों पर पुस्तकें खरीदने और अधिक जानकारी के लिए लॉग इन करें +हमारी वेबसाईट : www.publicationsdivision.nic.in + + + + + + + +0058.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +कवर 2 का शेष + +पिछले साल के सामान्य अध्ययन के प्रश्न पत्रों को हल करने +की कोशिश करें। इससे आपको अपनी कमजोरियां के बारे में पता +करने में मदद मिलेगी। इससे आप अपनी तैयारी, ज्ञान, रफ्तार और +सटीक जानकारी के स्तर का भी पता लगा सकेंगे + +विषयों को बार-बार देखना-पढ़ना जरूरी है। कम से कम एक +बार पूरे विषय को फिर से पढ़ना चाहिए. और तीसरी बार पढ़ने +पर नोट्स तैयार करने चाहिए + +आखिरी एक महीने में नए विषय-सामग्री नहीं पढ़ें। अंतिम एक +महीना पढ़ी गई सामग्री को सिर्फ दोहराने, दोहराने और दोहराने +के लिए ta + +हालांकि, सीएसएटी-सी सैट सिर्फ अर्हता हासिल करने ( क्वॉलिफाई) +के लिए है, लेकिन इसे भी गंभीरता से लिया जाना चाहिए +समाचारों और सम-सामयिकी पर नियमित रूप से नजर रखें और +विषयों के अलावा राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय घटनाओं से जुड़ी नई +सूचनाओं के बारे में जानकारी रखें + +आपकी तैयारी की रणनीति इस तरह होनी चाहिए मानो आप +अगले दिन ही बोर्ड की परीक्षा देने जा रहे हैं + +सोने से पहले उन विषयों का मनन करें जिनका आपने पूरे दिन +अध्ययन किया। इस तरह विषयों से जुड़ी आपकी स्मरण शक्ति +कई गुना बढ़ जाएगी + +'सिविल सर्विसेज्ञ परीक्षा में क्‍या करें, क्‍या नहीं करें + +परीक्षा के बारे में कभी चिंता नहीं करें, क्योंकि ऐसा करने से +आपको किसी तरह की मदद नहीं मिलेगी + +तैयारी के दौरान हमेशा आत्मविश्वास बनाए, खखें + +इस दौरान मानसिक उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है, लेकिन +सफलता हासिल करने के लिए इन पर विजय पानी होगी + +अगर आपने पूरे पाठ्यक्रम के हिसाब से पढ़ाई की है, तो तैयारी +के स्तर को लेकर चिंतित न हों + +ओएमआर शीट में लापरवाही वाली गलतियां न करें + +जवाब देने से पहले सभी विकल्प पढ़ें + +संघ लोक सेवा आयोग की तरफ से दिए गए सभी निर्देशों को +ध्यान से पढ़ें + +वैकल्पिक विषय के चुनाव को लेकर रणनीति + +विषय का चुनाव अपनी दिलचस्पी और स्नातक के अपने विषय +के आधार पर करें + +हालांकि, यह जरूरी नहीं है कि आपका विषय आपकी डिग्री से +जुड़ा हो + +इस बात का भी विश्लेषण करें कि आपके द्वारा चुना गया विषय +सामान्य अध्ययन और निबंध के लिए कितना उपयोगी है + +इस बात पर भी गौर करें कि चुने गए वैकल्पिक विषय का पिछले +कुछ साल के दौरान प्रदर्शन कैसा रहा है + +यह देखें कि क्‍या चुने गए विषय के लिए कोचिंग की जरूरत है +विषय के लिए पूरी तैयारी करने में कितना समय लगेगा + +स्तरीय किताबें और नोट्स की उपलब्धता भी जरूरी है + +यह देखें कि विषय के लिए स्नातक स्तर पर तैयारी की जरूरत +है या परा-स्नातक स्तर पर। एमबीबीएस, बीएसएसी (कृषि), +बीवीएससी जैसे विषयों के लिए सिर्फ स्नातक स्तर के पाठ्यक्रम + +के आधार पर तैयारी की जरूरत होती है। हालांकि, भूगोल, +लोक प्रशासन और इतिहास जैसे विषयों में परा-स्नातक स्तर के +पाठ्यक्रम के आधार पर तैयारी करनी पड़ती है + +वैकल्पिक विषय का चुनाव कर लेने के बाद आपको इसे बार-बार +बदलना नहीं चाहिए, क्योंकि किसी भी वैकल्पिक विषय के +उम्मीदवारों की सफलता दर हर साल अलग-अलग हो सकती है + +मुख्य परीक्षा के लिए रणनीति + +पहले पढ़ाई के लिए बेहतर योजना तैयार करें और इसके बाद +नियमित तौर पर इसका पालन भी करें + +सम-सामयिकी के लिए. रोज अध्ययन करें और नई सूचनाओं से +खुद को वाकिफ रखें + +नियमित तौर पर पढ़ाई करें + +हर विषय के लिए तय अंक के हिसाब से उस पर समय दें (सभी +विषयों पर ध्यान देना भी जरूरी है) + +अलग-अलग विषय के लिए तय किए गए समय के हिसाब से +पढ़ें, ताकि पढ़ाई में बोरियत न हो + +उम्मीवादर जब पहली बार पढ़ाई करें तो अहम बिंदुओं को चिह्नित +या हाइलाइट कर सकते हैं त़ाकि उन्हें पढ़ने के बाद उसे दोहराने +में ज़्यादा समय न लगे। किसी सामग्री को पहली बार पढ़ने का +मकसद यह है कि आप पाठय सामग्री को घटाकर आधा करें +यानि इसमें से गैर-जरूरी बिंदुओं को हटा दें। दूसरी बार पढ़ने के +बाद इसे इतना छोटा बना लिया जाना चाहिए, ताकि आप परीक्षा +से ठीक दो दिन पहले पूरे पाठ्यक्रम की फिर से समीक्षा कर सके +पिछले साल के सवालों के आंधार पर लिखने का भी अभ्यास करें +असली परीक्षा का सामना करने के लिए आप कितने तैयार हैं, यह +समझने के लिए नियमित तौर पर मॉक टेस्ट करें + +“अभ्यास ही गुरु है”, मुख्य परीक्षा के लिए यही मंत्र है +कोचिंग में पढ़ने वाले उम्मीदवारों को मॉडल टेस्ट को गंभीरता से +लेना चाहिए + +प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा की तैयारी से जुड़ा मुख्य अंतर यह है +कि प्रारंभिक परीक्षा का मॉक टेस्ट, किसी तीसरे पक्ष की मदद के +बिना ऑनलाइन या ऑफलाइन किया जा सकता है। हालांकि, मुख्य +परीक्षा के मामले में तीसरे पक्ष का मूल्यांकन जरूरी है। इसमें किसी +विशेषज्ञ या अच्छे कोचिंग संस्थान की मदद ली जा सकती है +मुख्य परीक्षा का मकसद न सिर्फ उम्मीदवार की याददाश्त या +सूचना संबधी क्षमता का आकलन करना है, बल्कि इसमें उनकी +बौद्धिक क्षमता और चीजों को समझने की गहराई को भी परखा +जाता है। सामान्य अध्ययन में आपके पास किसी तरह का विकल्प +नहीं होता है। सवालों की प्रकृति, पेपर के हिसाब से अलग-अलग +होती है। हालांकि, उम्मीदवारों को तेजी से जवाब लिखने होंगे- +सवाल कई होंगे और शब्द सीमा भी ज्यादा होगी + +मुख्य परीक्षा में शब्द सीमा एक अहम पहलू है और इस बात का +खास तौर पर ध्यान रखा जाना चाहिए + +मुख्य परीक्षा में पूछे गए सवालों के जवाब लिखते समय उम्मीदवार +का नजरिया बिल्कुल स्पष्ट होना चाहिए। उम्मीदवारों के पास +परीक्षा भवन में सोचने का बिल्कुल वक्‍त नहीं होता और प्रश्न पत्र +मिलने के तुरंत बाद उन्हें जवाब देना पड़ता है। अत:, सवाल चुनने +और जवाब देने का तरीका बुद्धिमानी भरा होना चहिए + + + +58 + +योजना, अगस्त 2021 + + + + + +0059.txt +<----------------------------------------------------------------------> +निबंध + + + + + + + +7 7 7 7 7 +सवालों में मौजूद, “टिप्पणी दें”, “राय दें”, “विस्तार से बताएं”, +“दिखाएं” और “प्रकाश डालें” जैसे निर्देशों के आधार पर जवाब +लिखे जाने चाहिए + +बंध लिखने से जुड़े सुझाव +परीक्षार्थी को तीन घंटे में दो लेख लिखने होते हैं। यह अवधि +पर्याप्त है। हर लेख के लिए 1,000 शब्द सीमा तय की गई है। +लेख को तीन हिस्सों में बांटकर लिखें (1) भूमिका (1) मुख्य +हिस्सा (॥1) निष्कर्ष। +निबंध लिखने के लिए दिए गए विषयों में से विकल्प सोच-समझकर +चुनें। विषय चुनते समय उसके बारे में अपनी जानकारी के स्तर +को ध्यान में रखें (आप उस विषय के बारे में कितना जानते हैं)। +दरअसल, आपके पास संबंधित विषय से जुड़े आंकड़े और तथ्य +होने पर आप बेहतर ढंग से अपनी बात कह पाएंगे। +लेख की भूमिका बेहद अहम है। याद रखें- अगर शुरुआत अच्छी +हो तो आधा काम अपने-अपने हो जाता है। निबंध के मामले में +यह बात और बेहतर तरीके से लागू होती है। आप इसकी शुरुआत +किसी कहावत या उद्धरण से कर सकते हैं। इससे निबंध पढ़ने +लायक और दिलचस्प बनता है। +अगर आप दिमाग में निबंध लिखने का क्रम तय नहीं कर पा रहे +हैं, तो पहले रफ कागज पर अहम बिंदुओं को नोट कर लें। पहले +एक बिंदु को विस्तार से लिखें, फिर दूसरे पर आएं। अगर आप +दूसरे बिंदु पर लिखना शुरू कर चुके हैं, तो पहले बिंदु पर फिर +से नहीं लौटें। इससे लेख में दोहराव और नीरसता पैदा होती है। +अगर संभव हो, तो पैरग्राफ के आखिरी वाक्य को संबंधित बिंदु +से जोड़ने की कोशिश करें। +अपने वाक्य छोटे रखें। लंबे वाक्य न सिर्फ वाक्‍्यों को जटिल बनाते +हैं, बल्कि सोच के स्तर पर आपकी अस्पष्टता और जटिलता को +प्रदर्शित करते हैं। समुच्चय बोधक का कम से कम इस्तेमाल करें। +यह एक निबंध है, लिहाजा समस्याओं की तरफ इशारा करने के +साथ-साथ उनके उपाय भी सुझाएं। +निष्कर्ष उतना ही अहम है, जितनी भूमिका। यह आपके विश्लेषण +को एक नजरिया मुहैया कराता है। निष्कर्ष में निबंध का सार पेश +करने की कोशिश होनी चाहिए। + +पर्सनिलिटी टेस्ट ( इंटरव्यू/साक्षात्कार ) + +इंटरव्यू आजकल पर्सनैलिटी टेस्ट के तौर पर जाना जाता है। इसकी +वजह यह है कि इसमें उम्मीदवार के ज्ञान की जांच नहीं होती, +बल्कि उसके पूरे व्यक्तित्व का मूल्यांकन किया जाता है। +इंटरव्यू का मतलब सामग्री आधारित मूल्यांकन न होकर मनोवैज्ञानिक +जांच है। हालांकि, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि +बेहतर संवाद कौशल और आत्मविश्वास के साथ-साथ बेहतर ज्ञान +आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। हालांकि, यह बात ध्यान में +रखना जरूरी है कि इंटरव्यू में हिस्सा लेने वाले तकरीबन सभी +उम्मीदवार जानकारी और ज्ञान के मामले में कमोबेश एक जैसे +होते हैं। + +आपको यह पता होना चाहिए कि इंटरव्यू हमेशा सिर्फ सवाल-जवाब +का सत्र नहीं होता है और बोर्ड के सदस्य आपके व्यक्तित्व के + +7 7 7 + +अलग-अलग पहलुओं को देखते हैं। +आपसे यह उम्मीद नहीं की जाती है कि आपके पास दुनिया की +सभी जानकारी हो। अगर आपको किसी सवाल का जवाब नहीं +पता है, तो बेझिझक कह दें कि मुझे इस बारे में पता नहीं है। +हालांकि, यह बात भी आत्मविश्वास के साथ सामान्य तरीके से +कही जानी चाहिए। यह याद रखें कि आपकी जानकारी और ज्ञान +के स्तर की जांच प्रारंभिक और मुख्य परीक्षाओं में हो चुकी हे। +हमेशा याद रखें कि इंटरव्यू कठघरे में खड़ा कर सवाल पूछने का +मामला नहीं है, बल्कि यह एक स्वाभाविक बातचीत है। +व्यक्तित्व जीवन भर की संपत्ति की तरह है और इसमें हर रोज +बदलाव भी होता रहता है। +मुख्य आवेदन के विस्तृत आवेदन पत्र (डीएएफ ) में सेवा की +प्राथमिकताएं भरना +सूची में मौजूद सेवाओं की प्रकृति और उसके काम-काज को +समझें। उदाहरण के लिए, कुछ उम्मीदवार एक जैसी सेवाएं पसंद +कर सकते हैं, जबकि कुछ ऐसा नहीं करेंगे। अगर आपको विदेश +में रहना पसंद नहीं है, तो भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) +आपके लिए उपयुक्त नहीं है +आपके लिए किस तरह के संगठन में करना बेहतर होगा- +उदाहरण के लिए प्रशासन/संचार/रक्षा आदि +समाज को लेकर आपका दृष्टिकोण +आप नवाचार को पसंद करने वाले/अंतर्मुखी/बहिर्मुखी हैं +आप कहां पोस्टिंग पसंद करेंगे, ग्रामीण क्षेत्रों में या शहर में, विदेश +में आदि +मित्रों और परिवार के सदस्यों से भी इस मामले में सलाह लें +विशेषज्ञों से सेवाओं के बारे में विस्तार से जानकारी लेने की +कोशिश करें +सेवाओं के लिए मिलने वाले वेतन और भत्ते के बारे में पता करें +कुछ और तथ्यों के बारे में जानना जरूरी है + +सामान्य अध्ययन और वैकल्पिक विषय, दोनों की रोजाना पढ़ाई +करने से आप बोर नहीं होते और ज्यादा लंबे समय तक बैठना आसान +हो जाता है। इस तरह, पढ़ाई को लेकर आपका उत्साह बना रहता है। +प्रारंभिक परीक्षा खत्म होने के तुरंत बाद बिना समय गंवाए मुख्य परीक्षा +की तैयारी शुरू कर दी जानी चाहिए। इसके लिए 10-12 घंटे रोजाना +पढ़ाई करनी चाहिए। कुछ लोग दावा कर सकते हैं कि वे 18-20 घंटे +तक पढ़ाई करते थे। यह असंभव है। हर किसी को अपनी क्षमता के +बारे में पता होना चाहिए। + +इसके लिए आपको पूरी तरह से समर्पित होना चाहिए और अपनी +क्षमता और ईश्वर पर भरोसा रखना चाहिए। अगर आप अपने लक्ष्य +हासिल नहीं कर पाते हैं, तो इससे आपको निराश नहीं होना चाहिए। + +जिनके पास सिविल सर्विसेज की परीक्षा में शामिल होने के लिए +2-3 साल का वक्‍त बचा है उन्हें तुरंत तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। +अगर आपने सिविल सर्विसेज्ञ में जाने के बारे में फैसला कर लिया है, +तो आपको करियर हासिल करने के लिए कुछ खास कदम उठाने होंगे, +ताकि आप हाल की जानकारी और घटनाक्रम से पूरी तरह अवगत हों +और पहले प्रयास में पूरी तरह से इसके लिए तैयार हो सके। छा + + + + + +लेखक प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो (पत्र सूचना कार्यालय) और रीजनल आउटरीच ब्यूरो, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, तिरुअनंतपुरम में अपर महानिदेशक हैं। +ईमेल; vpalanichamy.pib@gmail.com + + + + diff --git a/Data Collected/Hindi/Yojana_magazine_OCRed_Hindi/Yojana_2021_December_.txt b/Data Collected/Hindi/Yojana_magazine_OCRed_Hindi/Yojana_2021_December_.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..2126c4ef1964bb2218be5bc213323e81ab7a037b --- /dev/null +++ b/Data Collected/Hindi/Yojana_magazine_OCRed_Hindi/Yojana_2021_December_.txt @@ -0,0 +1,6356 @@ +0001.txt +<----------------------------------------------------------------------> +ISSN-0971-8397 + + + +आत्मनिर्भर भारत + +प्रमुख आलेख + +उत्पादों का भौगोलिक संकेतक +जी आर चिंतला + +विशेष आलेख + +संसाधनों की साझेदारी +डॉ प्रवीण कुमारी सिंह + + + +फोकस + +हर घर जल +युगल जोशी + +ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता +डॉ अमिय कुमार महापात्रा + + +0002.txt +<----------------------------------------------------------------------> +के + + + + + + + +न विकास योजनाएं + +अमृत 2.0 +नगरों को “जल सुरक्षित + +£ + +और ““आत्मनिर्भर'' बनाकर “ आत्मनिर्भर +भारत” की दिशा में एक और कदम +q बढ़ाने के उद्देश्य से नवीकरण और शहरी +है परिवर्त के लिए अटल मिशन 2.0 +(अमृत 2.0) को वित्त वर्ष 2025-26 +है तक जारी रखने की स्वीकृति मिल गई है। +है शहरी घरों में भरोसेमंद और किफायती +जल-आपूर्ति और साफसफाई व्यवस्था +|; उपलब्ध कराने के लिए सभी घरों में +'फंक्शनल यानी सही प्रकार से काम करने वाले नल-कनेक्शन मुहैया कराए +जा रहे हैं और जल संसाधनों के संरक्षण/सुदृढ़ीकरण, जल स्रोतों और कुंओं +का नवीकरण किया जा रहा है तथा इस्तेमाल हो चुके उपचारित पानी और +बारिश के पानी को संचित किया जा रहा है। इस परियोजना से जीवन +आसान हो जाएगा क्‍योंकि सभी शहरी घरों में पाइपलाइन से पेयजल पहुंच +जाएगा और गन्दे पानी की निकासी की भी उपयुक्त व्यवस्था हो जाएगी। + +“aga” के अंतर्गत मिली उल्लेखनीय सफलताओं के क्रम को आगे +बढ़ाते हुए “अमृत 2.0'' में सभी 4,378 विधायी कस्बों में नलों से पानी +पहुंचाने के लिए जल आपूर्ति की समग्र व्यवस्था उपलब्ध कराने का लक्ष्य +रखा गया है। 500 “अमृत '” नगरों में सभी 100 प्रतिशत घरों में सीवरेज/ +सेप्टेज यानी अपजल निकासी प्रणाली बनाना भी इस मिशन का लक्ष्य हे। +लक्षित परिणाम प्राप्त करने के लिए 2.68 करोड़ नल-कनेक्शन और 2.64 +करोड़ सीवर/सेप्टेज कनेक्शन उपलब्ध कराने की योजना हेै। + +“अमृत 2.0” के लिए कुल 2 लाख 77 हजार करोड़ रुपये का +प्रावधान किया गया हे जिसमें वित्त वर्ष 2021-22 से 2025-26 की +पांच वर्ष की अवधि के लिए 76,760 करोड़ रुपये का केंद्रीय अंशदान +भी शामिल है। इस मिशन के कामकाज की प्रगति की निगरानी के +लिए प्रौद्योगिकी पर आधारित मजबूत पोर्टल बनाया जाएगा। “अमृत 2.0 +(शहरी) ” के अन्य मुख्य विशेष पहलुओं में पेयजल सर्वेक्षण शामिल हे +जिससे शहरी जल सेवाओं के मूल्यांकन के लिए स्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा। +पीएम गति शक्ति-राष्ट्रीय मास्टर प्लान ( एनएमपी ) + +आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने पीएम +गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान +को स्वीकृति प्रदान कर दी है +जिसमें मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी +उपलब्ध कराने के लिए योजना +बनाने, उसे लागू करने, उसकी +प्रगति आंकने और समर्थन तंत्र की +हि स्थापना के लिए संस्थागत रूपरेखा +कक तेयार करना शामिल है। प्रधानमंत्री +ने 13 अक्तूबर, 2021 को मल्टी + +5 न ४४ मोडल कनेक्टिविटी के लिए पीएम +गतिशक्ति-एनएमपी का शुभारम्भ किया था। क्रियान्वयन प्रारूप में सचिवों +का अधिकार प्राप्त ग्रुप (ईजीओएस), नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप (एनपीजी) +और तकनीकी समर्थन इकाई (टीएसयू) शामिल हैं जिनके पास आवश्यक +तकनीकी योग्यता भी हेै। + +पीएम गति शक्ति - एनएमपी का उद्देश्य विभागीय व्यवस्था को +तोड़कर अधिक समग्र और समेकित योजनाएं बनाकर उन्हें क्रियात्मक रूप + + + +eRe 1 + +Rae + +ENHANCING EASE OF LIVING + +हि + +pera 1 a + +4 Fadeeed oar Ur og eA cone | +Seem eer 5 + + + + + +देना है ताकि मल्टी मोडल कनेक्टिविटी पहुंचाने से जुड़े मुद्दों के समाधान +पर समुचित ध्यान दिया जा सके। इससे संसाधनों को पहुंचाने की व्यवस्था +करने की लागत कम होगी और ग्राहकों, किसानों और युवाओं तथा व्यापार +करने वालों को बड़ा आर्थिक लाभ प्राप्त होगा। +सचिवों के अधिकार प्राप्त ग्रुप ईजीओएस की अध्यक्षता कैबिनेट +सचिव करेंगे और इस ग्रुप में 18 मंत्रालयों के सचिव सदस्य के रूप में +शामिल होंगे और लॉजिस्टिक्स डिवीजन के प्रमुख इसके सदस्य संयोजक +होंगे। इस ग्रुप को पीएम गति शक्ति-एनएमपी के क्रियान्वयन पर निगाह +रखने का अधिकार दिया गया है ताकि संभारतंत्र की कार्यकुशलता सुनिश्चित +रहे। ईजीओएस को एनएमपी में बाद में कोई संशोधन करने की प्रक्रिया +और संबद्ध मानक निर्धारित करने का अधिकार भी होगा। यह ग्रुप विभिन्‍न +गतिविधियों में सामंजस्य रखने की प्रक्रिया तय करने के साथ ही निश्चित +प्रारूप भी निर्धारित करेगा और ऐसी पक्की व्यवस्था भी करेगा कि बुनियादी +ढांचे के विकास के विभिन्‍न प्रयास साझा समेकित डिजिटल प्लेटफॉर्म के +हिस्से हों। ईजीओएस इस्पात, कोयला, उर्वरक, आदि मंत्रालयों की मांग +के अनुसार थोक मात्रा में सामान तेजी से और सुरक्षित ढंग से पहुंचाने के +वास्ते उनकी मांग पूरी करने के तौर-तरीकों पर ध्यान देगा। पीएम गति +शक्ति विभिन्‍न हितार्थियों को एकसाथ लाकर परिवहन के विभिन्‍न साधनों +में समन्वय स्थापित करेगा। +मेगा समेकित वस्त्र क्षेत्र और परिधान ( पीएम मित्र ) पार्क +भारत को वैश्विक मानचित्र पर मजबूत स्थिति में लाने के उद्देश्य से +५ ime 1 सरकार ने 2021-22 के +केंद्रीय बजट में की गई +घोषणा के अनुसार सात +पीएम मित्र पार्क स्थापित +करने की स्वीकृति प्रदान +शी पीएम मित्र +प्रधानमंत्री के 5 एफ विजून यानी फार्म (खेत) से फाइबर (रेशा); फाइबर +से फेक्ट्री; फैक्ट्री से फैशन; और फेशन से फोरेन (विदेश) से प्रेरित है। +इस समन्वित दृष्टिकोण से अर्थव्यवस्था में वस्त्र उद्योग की वृद्धि को और +आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। +सात पीएम मित्र पार्क विभिन्‍न इच्छुक राज्यों में ग्रीनफील्ड/ब्राउनफील्ड +साइटों पर खोल जाएंगे। वे राज्य इसके लिए प्रस्ताव भेज सकते हैं जिनके +पास 100 एकड़ से ज्यादा बिना किसी ऋण-भार वाली समीपस्थ जमीन +उपलब्ध है और वस्त्र उद्योग से जुड़ी अन्य सुविधाओं वाला अनुकूल +पर्यावरण है। इन पार्कों में नीचे दी व्यवस्थाएं होंगी:- +मुख्य बुनियादी ढांचा: इनक्यूबेशन सेंटर और प्लग एंड प्ले सुविधा, +विकसित फेक्ट्री साइट्स, सड़कें, बिजली, पानी और अपजल निस्तारण +प्रणाली, साझा प्रसंस्करण भवन और साझे अपजल उपचार संयंत्र तथा +डिजाइन केंद्र, परीक्षण केंद्र आदि अन्य संबद्ध सुविधाएं। +समर्थक बुनियादी ढांचा: श्रमिकों के लिए होस्टल और रहने के +मकान, लॉजिस्टिक्स (परिवहन सुविधा) पार्क, गोदाम, स्वास्थ्य, प्रशिक्षण +और कौशल विकास सुविधाएं। +पीएम मित्र पार्क का विकास स्पेशल पर्पजु व्हीकल (एसपीवी) करेगा +जिसका स्वामित्व राज्य सरकार या केंद्र सरकार के हाथ में रहेगा और +उसका संचालन सार्वजनिक-निजी भागीदारी यानी पीपीपी तरीके से किया +जाएगा। मास्टर डेवेलपर औद्योगिक पार्क का विकास करने के साथ ही +रियायत या छूट की अवधि में उसकी देखरेख और रखरखाव भी करेगा। + + + +शेष कवर 3 पर... + + +0003.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + + + +wR oA +वर्ष दिसम्बर 2021 | मूल्य : ₹ 22 न +अक : 12 | अग्रहन-पौष, शक संवत्‌ 1943 पृष्ठ ; +वेबसाइट www.publicationsdivision.nic.in +वरिष्ठ संपादक : कुलश्रेष्ठ कमल +संपादक : डॉ ममता रानी +संपादकीय कार्यालय इस अक में +648 , सूचना भवन, सीजीओ परिसर, +लोधी रोड, नयी दिल्‍ली-110 003 +प्रमुख आलेख + +उत्पादन अधिकारी : डी के सी हृदयनाथ +आवरण : बिंदु वर्मा + +योजना का लक्ष्य देश के आर्थिक विकास से संबंधित +मुद्दों का सरकारी नीतियों के व्यापक संदर्भ में गहराई +से विश्लेषण कर इन पर विमर्श के लिए एक जीवंत +मंच उपलब्ध कराना है। + +योजना में प्रकाशित लेखों में व्यक्त विचार लेखकों के +अपने और व्यक्तिगत हैं। जरूरी नहीं कि ये लेखक +भारत सरकार के जिन मंत्रालयों, विभागों अथवा +संगठनों से संबद्ध हैं, उनका भी यही दृष्टिकोण हो। +योजना में प्रकाशित विज्ञापनों की विषयवस्तु के लिए +योजना उत्तरदायी नहीं हैं। + +योजना में प्रकाशित आलेखों में प्रयुक्त मानचित्र व +प्रतीक आधिकारिक नहीं है, बल्कि सांकेतिक हैं। ये +मानचित्र या प्रतीक किसी भी देश का आधिकारिक +प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। + +योजना लेखकों द्वारा आलेखों के साथ अपने +विश्वसनीय स्रोतों से एकत्र कर उपलब्ध कराए +गए आंकडों/तालिकाओं/इन्फोग्राफिक्स के संबंध में +उत्तरदायी नहीं है। योजना किसी भी लेख में केस +स्टडी के रूप में प्रस्तुत किसी भी ब्रांड या निजी +संस्थाओं का समर्थन या प्रचार नहीं करती है। +योजना घर मंगाने, शुल्क में छूट के साथ दरों व प्लान +की विस्तृत जानकारी के लिए पृष्ठ-57 पर देखें। +योजना की सदस्यता का शुल्क जमा करने के बाद +पत्रिका प्राप्त होने में कम से कम 8 सप्ताह का समय +लगता है। इस अवधि के समाप्त होने के बाद ही +योजना प्राप्त न होने की शिकायत करें। + +योजना न मिलने की शिकायत या पुराने अंक मंगाने +के लिए नीचे दिए गए ई-मेल पर लिखें - +pdjucir@gmail.com +या संपर्क करें- दूरभाष : 011-24367453 + +(सोमवार से शुक्रवार सभी कार्य दिवस पर +प्रात: 9:30 बजे से शाम 6:00 बजे तक) + + + +योजना की सदस्यता की जानकारी लेने तथा विज्ञापन +छपवाने के लिए संपर्क करें- +अभिषेक चतुर्वेदी, संपादक, पत्रिका एकांश +प्रकाशन विभाग, कमर सं. 779, सातवां तल, +सूचना भवन, सीजीओ परिसर, लोधी रोड, +नयी दिल्‍्ली-110003 + + + + + + + + + +उत्पादों का भौगोलिक संकेतक +at am face, ans Aft +सुरेंद्र बाबू................----०--न्‍_नननननननन+ 7 + + + +वोकल फॉर लोकल तथा + + + +लोकल से ग्लोबल +डॉ रहीस सिंह.................-----+-_-_-___न्‍ननन-+ 30 +आत्मनिर्भर कृषि +विशेष आलेख मंजुला वाधवा..............-----००००००+++__न्‍लबलनन->- 35 +ष आलेख +साधनों आत्मनिर्भरता के लिए आर्थिक उपाय +संसाधनों कौ साझेदारी प्रो तनय कुरोडे, डॉ मेघना भिलारे...........40 +डॉ प्रवीण कुमारी सिंह, महिला उद्यमिता +त्रिशलजीत सेठी......................-----०- 12 +पूर्वा अग्रवाल..................-------_+न्‍__न्‍नननन-++ 44 +भारतीय पुलिस : मूल्यांकन और स्वरूप +फोकस 3 T +हर घर जल +युगल जोशी.............. _>_-_-_+> 17 + +ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता +डॉ अमिय कूमार महापात्रा, + +आधुनिक भारत के निर्माता +डॉ भीमराव आंबेडकर + + + +तमन्ना महापात्रा ........७०००-७«७««न्‍न्‍्ललन्‍वनवन्‍न्‍न्‍-* 24 + + + + + + + + + +ए +विकास पथ +विभिन्‍न विकास योजनाएं ,.......... कवर-2 + +क्या आप जानते हैं? +नदीतट विकास पर नीतियां +और विनियम + + + +(__अगला अंक : आजादी का अमृत महोत्सव ) + + + + + +प्रकाशन विभाग के देश भर में स्थित विक्रय केंद्रों की सूची के लिए देखें पृ.सं. 43 + + + +i @DPD_India +Lc @dpd_india + + + + + + +1 हिंदी, असमिया, बाग्ला, अंग्रेजी, गुजगती, कन्‍नड़, मलयालम, तमिल, तेलुगु, मराठी, ओडिया, +| पंजाबी तथा उर्दू में एक साथ प्रकाशित। + + + + + + + + +0004.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + + +yojanahindi-dpd@gov.in + + + + + +पंचायती राज का दर्पण +योजना पत्रिका का नवंबर माह का +“पंचायती राज' पर अंक उपलब्ध कराने पर +सम्पादक महोदय का बहुत-बहुत आभार। +प्रस्तुत अंक में पंचायती राज का भारत में +प्रारम्भ से लेकर अब तक उसके कार्यान्वयन +एवं प्रभाव का वास्तविक चित्रण बेहद +सराहनीय ढंग से प्रदर्शित है। देश के विभिन्न +हिस्सों में पंचायती राज संस्थाओं को समृद्ध +बनाने हेतु हो रहे प्रयासों तथा उसमें वर्तमान +सूचना प्रौद्योगिकी के सहयोग से हो रहे +परिवर्तनों की स्पष्ट जानकारी दी गयी है जोकि +बेहद उपयोगी है। +देश के विभिन्न राज्यों में कार्यान्वित +विभिन्न योजनाएं यथा स्वामित्व, ई-ग्रामस्वराज +आदि की वर्तमान स्थिति, प्रभाव व कार्यान्वयन +में आयी समस्याओं को समाधान के साथ +प्रदर्शित किया गया है जो कि वर्तमान भारत +का वास्तविक प्रतिबिम्ब सामने रखता है। +प्रस्तुत अंक सही मायने में भारत की +पंचायती राज व्यवस्था व वर्तमान स्थिति का +दर्पण सिद्ध हुआ हेै। +- प्रशान्त राजपूत +जयराम नगर, फतेहपुर, उत्तर प्रदेश +प्रामाणिक विस्तृत जानकारी +योजना का सितंबर 2021 का नारी +शक्ति पर केंद्रित विशेषांक में डॉ रंजना +कुमारी का आलेख “स्त्री हत्या की +रोकथाम '' सभ्य समाज के दुखद पहलू की +ओर इशारा है सचमुच हिंसा के डरावने स्वर +हमारे मानव होने पर ही Wales Gel +कर रहे है। भगवान बुद्ध एवं महावीर स्वामी +के अहिंसा परम नियम संदेशों को भीतर से +अपनाना होगा। इसी अंक में डॉ सुभाष शर्मा +के आलेख लैंगिक न्याय में विभिन्न राज्यों +की स्थितियों और शासन की योजनाओं की +विस्तृत जानकारी से सशक्तीकरण का स्वप्न +साकार होने का संबल प्रदान किया। इस +अंक के सभी आलेख मार्गदर्शक का कार्य +कर रहे हैं। सभी लेखकों को विविध विषयों + +4 + + + + + + + + + + + + + +पर प्रामाणिक विस्तृत जानकारी प्रदान करने +हेतु धन्यवाद। +- प्रदीप गौतम सुमन +रीवा मध्य प्रदेश +हर गांव बने ग्लोबल विलेज +जाने-माने कैनेडियाई दार्शनिक और +विद्वान मार्शल मक्लुहान ने बताया था कि +विज्ञान और प्रौद्योगिकी ने सम्पूर्ण विश्व को +एक वेश्विक गांव के रूप में परिवर्तित कर +दिया है, ऐसे में भारत का हर गांव भी +ग्लोबल विलेज बनना चाहेगा। भारत गांवों में +बसता है और बिना ग्रामीण विकास के नए +भारत का निर्माण करना नामुमकिन है। यद्यपि +अब स्थिति में काफी सुधार हुआ हे जेसा +कि योजना के नवम्बर अंक के संपादकीय में +“पंचलाइट '' कहानी के माध्यम से बहुत ही +रोचक तरीके से बताया गया है। +पहले एक बात अक्सर सुनने में आती +थी जिसमें भारत और इंडिया दो नामों पर का +अलग अर्थ बताया जाता था। माना जाता था +कि एक तरफ इंडिया है जो शहरों की चमक +दमक, बडे बड़े महानगर, मॉल, आधुनिक +सुविधाओं से पूरी तरह लैस है; वहीं दूसरी +तरफ भारत है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में.मूलभूत +सुविधाओं की अनुपलब्धता, सड़कों की +खस्ता स्थिति, शिक्षा की समस्या, पेयजल +समस्या आदि से निरंतर जूझ रहा है। +आजकल गांवों के सुधार से एक ओर +शिक्षा से संबंधित कार्यक्रमों से साक्षरता दर +में वृद्धि हुई है तो दूसरी तरफ पेयजल आपूर्ति +हेतु जलजीवन मिशन जैसे कार्यक्रम चलाए +जा रहें है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना +ने शहरों को गांवों से जोड़ने में अभूतपूर्व +योगदान दिया है। साथ ही पिछले कुछ वर्षों +में ग्रामीण स्वच्छक्ष और खुले में शौच जैसे +विषयों पर काफी ध्यान दिया गया है जिसके +नतीजे काफी उत्साहवर्थक है। यद्यपि कौशल +विकास प्रशिक्षण जैसे कार्यक्रम चलाए जा +रहें है परंतु अभी कुछ इलाकों में स्थितियां +उतनी नहीं सुधरी जितनी आपेक्षित है। इनमे + +से कुछ कौशल प्रशिक्षण केंद्रों को चलाने +का काम स्थानीय नेताओं, उनके रिश्तेदारों +या प्रभुत्वशाली लोगो को सौंप दिया गया हे, +जिससे नियमित प्रशिक्षण का स्तर निम्न है। +इसका फीडबैक लेना चाहिए. और उचित +कार्यवाही करनी चाहिए। ग्रामीण विकास हेतु +शिक्षा पर विशेष ध्यान की आवश्यकता है। +शिक्षा सिर्फ डिग्री के लिए नहीं वरन रोजगार +परक होनी चाहिए। +उत्तर प्रदेश सरकार की “एक जिला +एक उत्पाद योजना'' को गांव स्तर पर “एक +गांव एक उत्पाद योजना” के रूप में प्रयोग +में लाकर गांव की आय में वृद्धि एक अच्छा +विकल्प हो सकता है। बहुत से ऐसे गांव हैं +जिन्होंने अपने मॉडल से पूरे देश को प्रभावित +किया है ऐसे मॉडल विलेज की जानकारी +अन्य गांवों में भी प्रसारित करनी चाहिए +जिससे विकास की दर को तीत्र किया जा +सके। +- माधवेंद्र मिश्रा +रायबरेली, उत्तर प्रदेश +अतिसुन्दर समाकलन +योजना का पूर्वोत्तर पर आधारित अंक, +सभी हिमालयी राज्यों के पर्यावरणीय तथा +सामाजिक स्थिति एवं उनकी अपनी अनूठी +संस्कृति के विषय का सूक्ष्म शब्दों में +अतिसुन्दर समाकलन था। हमारे जैसे पहाड़ी +युवाओं को इस अंक को पढ़ने में इसलिए भी +अति आनंद की अनुभूति हुई, क्योंकि इसमें +हमारी संस्कृति की झलक भी दृष्टिमान थी। +इस अंक नें हमे यह सोचने पर मजबूर +कर दिया है कि हमारा देश विभिन्न संस्कृतियों +का समागम है। हम जिस प्रकार अनेकों +आक्रमणों और आक्रांताओं से अपनी संस्कृति +को बचा कर इस मुकाम तक लाये उसे आगे +भी संभाल के रखना होगा। भविष्य में भी इस +तरह के अंकों की प्रतीक्षा रहेगी। योजना की +पूरी टीम का धन्यवाद एवं आभार। +- दीपक चंदोला “बधाणी' +थराली, चमोली, उत्तराखंड + +योजना, दिसम्बर 2021 + + +0005.txt +<----------------------------------------------------------------------> +ett Te “0 + +a. + + + + + + + + + + + + + + + + + + +आत्मनिर्भरता की ओर + +ज ब विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा आपातकालीन उपयोग के लिए दो स्वदेशी टीकों को मंजूरी दी गई थी, तो भारत +को महामारी के खिलाफ निम्न और मध्यम आय वाले देशों के लिए आशा की किरण के रूप में देखा गया +था। यह चिकित्सा अनुसंधान की भी एक जीत थी जिसने आत्मनिर्भर भारत के महत्व को रेखांकित किया। यही वह +समय था जब हमने आत्मनिर्भरता की अवधारणा पर दोबारा गौर किया और आत्मनिर्भरता के लिए की जाने वाली पहलों +को परखते हुए उन क्षेत्रों पर चर्चा की जहां ये 'पहलें' युगांतकारी बदलाव ला सकती हैं। + +सरकार ने पिछले साल ही, यानी मई 2020 में 'आत्मनिर्भर भारत अभियान' के तहत 20 लाख करोड़ रुपये के +आर्थिक पैकेज की घोषणा की, ताकि देश को आत्मनिर्भर बनाकर कोविड-19 संकट से बाहर निकाला जा सके। +*आत्मनिर्भर भारत” अभियान के 5 स्तंभ हैं- अर्थव्यवस्था यानी इकोनॉमी में क्वांटम जंप, इंफ्रास्ट्रक्चर यानी बुनियादी +अवसरचना, टेक्नोलॉजी ड्रिवेन सिस्टम यानी तकनीक से संचालित प्रणाली या तंत्र, वाइब्रेंट डेमोग्राफी यानी जीवंत +जनसांख्यिकी और डिमांड यानी मांग। इस अभियान के तहत केंद्र सरकार ने कई साहसिक सुधार किए, जिनमें कृषि +के लिए आपूर्ति श्रृंखला में सुधार, तर्कसंगत टैक्स प्रणाली, सरलीकृत कानून, कुशल मानव संसाधन और वित्तीय तंत्र +को मजबूत बनाना शामिल हैं। कोविड-19 महामारी से सबसे बुरी तरह प्रभावित क्षेत्रों में स्थानीय विनिर्माण इकाइयां, +मनोरंजन, रियल एस्टेट, शिक्षा, आतिथ्य, रसद यानी लॉजिस्टिक, सूचना प्रौद्योगिकी, खुदय और कई अन्य क्षेत्र शामिल +हैं। इसके अलावा व्यावसायिक गतिविधियों पर प्रतिबंध की वजह से आयात-निर्यात, आपूर्ति श्रृंखलाएं, परिवहन और +भारतीय अर्थव्यवस्था में प्रमुख योगदानकर्ता-एमएसएमई यानी सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुए थे। +पुनरुद्धार प्रोत्साहन के उपायों में प्रवासियों और सीमांत जनसंख्या को मदद, व्यवसायों, विशेष रूप से एमएसएमई की +परिचालन मांगों को पूरा करने के लिए अतिरिक्त वित्त पोषण, गैर-बैंकिंग और अन्य वित्तीय संस्थानों को समर्थन और +व्यापार करने में सुगमता को बढ़ावा देना शामिल था। + +टीकाकरण की गति बढ़ने और कोरोना वायरस के मामलों में कुछ हद तक कमी के साथ यहां यह भी उल्लेखनीय +है कि कैसे प्रत्येक क्षेत्र स्वयं को विजयी रूप से पुनर्जीवित और पुनर्निर्मित कर सकता है। अधिकांश लोग ऑनलाइन +“वर्क फ्रॉम होम' के बजाय फिर से कार्यालयों में जाकर कार्य करने लगे हैं। सार्वजनिक परिवहन लगभग पूरी क्षमता +से काम करने लगा है। मॉल और सिनेमा हॉल पूर्ण रूप से खुलने लगे हैं। बच्चे लंबे अंतराल के बाद धीरे-धीरे स्कूल +वापस जा रहे हैं। अधिकांश लोग, जो अपने कार्यक्षेत्र में अप्रत्याशित ठहराव के कारण अस्थायी रूप से अपनी आजीविका +खो चुके होंगे, वे धीरे-धीरे अपने संबंधित व्यवसायों में वापस जा रहे हें। + +अर्थव्यवस्था के इस पुनरुद्धार के पार्श्व में जो विचार है - वह है - वोकल फॉर लोकल यानी स्थानीय उत्पादों +के लिए मुखर होना और एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करना जो भारतीय कंपनियों को वैश्विक मंच पर अत्यधिक +प्रतिस्पर्धी बनाए। स्वदेश में निर्मित कोविंड के टीके, पीपीई किट्स तथा अन्य चिकित्सीय साजो-सामान इस आत्मनिर्भरता +के सफर को स्वयं बयां कर रहे हें। + +भारतीय रिजर्व बैंक की हाल ही में शुरू की गई दो अभिनव ग्राहक-केंद्रित पहलें, देश में निवेश के दायरे का +विस्तार करने और पूंजी बाजार तक पहुंच को आसान और निवेशकों के लिए अधिक सुरक्षित बनाने की दिशा में +महत्वपूर्ण कदम हैं। लॉकडाउन के दिनों से ही यूपीआई ने बहुत ही कम समय में देश को डिजिटल लेनदेन के मामले +में आत्मनिर्भर बना दिया है। + +योजना का यह अंक अर्थव्यवस्था, उद्यमिता, विनिर्माण, उपभोक्ताओं, ग्रामीण बुनियादी ढांचे, और निर्यात प्रोत्साहन +सहित राष्ट्र निर्माण के विभिन्न पहलुओं को छूता है ताकि इन क्षेत्रों की अंतर्निहित क्षमता में वृद्धि और आगे की चुनौतियों +का पता लग सके। अब जब यह घटनाओं से परिपूर्ण वर्ष समाप्त हो रहा है, हमें उम्मीद है कि नया साल सभी के +लिए और बेहतर संभावनाएं और अवसर लेकर आएगा। = + +योजना, दिसम्बर 2021 5 + + +0006.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +दृष्टि Vision 0 + +टीम दृष्टि की नई प्रस्तुति +अब दिल्‍ली क्लासरूम से लाइव ऑनलाइन क्लासेज़ + +155 फाउंडेशन लाडन बैच + +सामान्य अध्ययन (प्रिलिम्स + मेन्स) + + + + + + + + + + + + + + +दृष्टि लर्निंग ऐप द्वारा + + + + + + +Jew : TiSCCCS %90000 + += अध्यापकों की 500+ लाइव कक्षाओं +के साथ ये सुविधाएँ एकदम निशुल्क + +3 वर्षों तक प्रिलिम्स टेस्ट सीरीज़ हैं. 3 वर्षों तक प्रिलिम्स क्रैश कोर्स सभी टॉपिक्स के प्रिंटेड नोट्स +<24000/- निशुल्क ₹45090/- निशुल्क ₹45090/-(9-४०) निशुल्क + +मुख्य परीक्षा के 24 टेस्ट 3 वर्षों तक करेंट अफेयर्स दुडे ॥ प्रिलिम्स प्रैक्टिस सीरीज (6 बुक्स) +=400060/- निशुल्क ₹4320/- निशुल्क ₹4845/- निशुल्क +मेन्स कैप्सूल सीरीज (5 बुक्स) +=r + +॥1$ प्रिलिम्प eat +tte सीरीज-2022 25 68 + +18 सेक्शनल टेस्ट्स +एडमिशन प्रारंभ 2 रिवीज़न टेस्ट्स +5 संपूर्ण पाठ्यक्रम ठेस्ट्स + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +मोड : ऑनलाइन और ऑफलाइन + +हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों माध्यमों में + +अतिरिक्त जानकारी के लिये 9311406442 नंबर पर इंस्टीलमेंद्स पर भी उपलब्ध ! अपने एंड्रॉयड फोन पर इंस्टॉल करें +5. है. 318८ है. है: है“: है की की. 5 81 | Drishti Learning App + + + + + + + +5 CSAT +$ संपूर्ण पाठ्यक्रम ठेस्ट्स + + + +6 योजना, दिसम्बर 2021 + +YH-1690/2021 + + +0007.txt +<----------------------------------------------------------------------> +er + +उत्पादों का भौगोलिक संकेतक + +जी आर चिंतला +ज्ञानेंद्र मणि +सुरेंद्र बाबू + +भारत को अपने देशी, अनूठे और प्रतिष्ठित उत्पादों की रक्षा जीआई टैग ( भौगोलिक संकेतक ) के जरिये +करने की जरूरत तब महसूस हुई, जब बासमती चावल का पेटेंट एक अमेरिकी कंपनी को दे दिया गया +और इस पेटेंट को अमेरिकी अदालत में चुनौती देने के लिए भारत को बहुत महंगी कवायद करनी पड़ी। +इसी कारण भारत को 2003 में वस्तुओं के भौगोलिक संकेतक (पंजीकरण एवं संरक्षण ) अधिनियम, 1999 +लागू करना पड़ा, जो जीआई के जरिये सुरक्षा देने वाला अपनी तरह का इकलौता कानून है। इस प्रक्रिया में +सहायता के लिए चेन्नई में पंजीयक के नेतृत्व वाली भारतीय भौगोलिक संकेतक रजिस्ट्री की स्थापना की गई। + +गोलिक संकेतकों (जीआई) की वर्तमान अंतरराष्ट्रीय +भो व्यवस्था बौद्धिक संपदा अधिकार के व्यापार संबंधी पक्ष +(ट्रिप्स) समझौते के अनुच्छेद 22 से संचालित होती + +है, जिसके अनुसार जीआई “किसी वस्तु का उद्गम' किसी सदस्य +की भूमि अथवा उस भूमि के किसी क्षेत्र या स्थान पर होने की +पुष्टि करते हैं, जहां उस वस्तु की गुणवत्ता, प्रतिष्ठा अथवा अन्य +विशेषताओं का कारण उसका भौगोलिक उद्गम स्थल ही होता है।' +इसके अंतर्गत सदस्य देश सभी जीआई को संरक्षण प्रदान करने के +लिए बाध्य हैं और “संबंधित पक्षों को उनके जीआई के लिए संरक्षण +प्राप्त करने हेतु कानूनी साधन' प्रदान करने का जिम्मा सदस्यों का ही +होता है। भौगोलिक संकेतकों को औद्योगिक संपदा के संरक्षण हेतु की +गई पेरिस संधि के अनुच्छेद 1(2) के तहत बौद्धिक संपदा अधिकार +(आईपीआर) के एक अंग के रूप में भी शामिल गया है। आम तौर +पर सशक्त कारोबारी प्रबंधन के साथ जीआई किसी भी उत्पाद को +प्रतिस्पर्द्धा में आगे कर देते हैं, उसका मूल्यवर्द्धन करते हैं, निर्यात के +अधिक अवसर दिलाते हैं और उत्पाद के ब्रांड को मजबूत बनाते हैं। +साथ ही जीआई एक अन्य प्रकार की बौद्धिक संपदा “ट्रेडमार्क! से +अलग होते हैं क्‍योंकि ट्रेडमार्क किसी उद्यम को दिया जाने वाला वह +चिह्न है, जिसका प्रयोग अपनी वस्तुओं एवं सेवाओं को अन्य उद्यमों +की वस्तुओं एवं सेवाओं से अलग दिखाने के लिए करने का विशिष्ट +अधिकार उस उद्यम को प्राप्त हो जाता है। किंतु जीआई किसी व्यक्ति +को प्रयोग के लिए दिया जाने वाला संपदा अधिकार नहीं है। यह +किसी विशेष क्षेत्र में पाई जाने वाली वाली वस्तुओं एवं सेवाओं के +लिए दिया जाता है, जिसका प्रयोग उस क्षेत्र में प्रत्येक उत्पादक तब +तक कर सकता है, जब तक जीआई वस्तुओं की गुणवत्ता उस क्षेत्र +के चिह्नित उत्पाद के लिए बताई गई गुणवत्ता के समान रहती है। + +2019 में दुनिया भर में लगभग 55,800 संरक्षित जीआई थे, +जिनमें सर्वाधिक जीआई जर्मनी (14,289) में थे। उसके बाद चीन +(7,834) और हंगरी (6,949) थे। अमेरिका के पास केवल 529 +और भारत के पास 361 जीआई थे। चीन और भारत में लागू सभी +जीआई को राष्ट्रीय प्रणालियों के जरिये संरक्षण प्राप्त है, जबकि +ऑस्ट्रेलिया में 90.7 प्रतिशत, इजुरायल में 99.9 प्रतिशत और यूक्रेन +में 99.2 प्रतिशत जीआई को अंतरराष्ट्रीय समझौतों के माध्यम से +संरक्षण मिला है। 2019 में दुनिया भर के कुल जीआई में 56.6 +प्रतिशत मदिरा से संबंधित थे और 34.2 प्रतिशत कृषि उत्पादों एवं +खाद्य पदार्थों से संबंधित थे। कुल जीआई में हस्तशिल्प की हिस्सेदारी +महज 3.5 प्रतिशत थी। + +दार्जिलिंग चाय पहला भारतीय उत्पाद था, जिसे 2004 में अपनी +प्राकृतिक गुणवत्ता, स्वाद तथा बाजार में संभावना के लिए जीआई टैग +3 ok." LEE 2 --—-— > + +A : हे + +—_ + + + + + +hy Ae + + + +जी आर चिंतला नाबार्ड के चेयरमैन, ज्ञानेंद्र मणि मुख्य महाप्रबंधक और सुरेंद्र बाबू उप महाप्रबंधक 21 Ect: gyanendra.mani@nabard.org + +योजना, दिसम्बर 2021 + + +0008.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +प्रदान किया गया था। वास्तव में दार्जिलिंग + +मौजूद परिचालकों तथा उत्पादक समूहों एवं + +चाय की तीन किस्में- काली, ही और भारत के जीआई टैग वाले उत्पादों प्रमाणन संस्थाओं द्वारा दी गई प्रामाणिक +सफेद - जीआई टैग हासिल कर चुकी हैं। एवं शिल्पियों के कार्यों को लोकप्रिय जानकारी एवं संबंधित आंकडे भी रखता है। +अभी तक 370 उत्पादों को भारतीय जीआई बनाने के लिए सरकार का लक्ष्य जीआई उत्पादों को बढ़ावा देने के +ene जीआई ae पंजीकरण कप चुका उत्पादों की मार्कोटिंग अंतरराष्ट्रीय को गई हैं. लेकिन में कुछ Be आरंभ + +, जिनमें 214 ल्‍प, 112 कृषि, 16 बाजारों में गई हैं, लेकिन उनकी गति एवं संख्या +खाद्य पदार्थ, विदेशी खाद्य पदार्थ एवं 14 उत्पादों के में करने me जाए करते सीमित है। उनमें से कुछ उल्लेखनीय पहलें +विनिर्मित, 12 भारत में विनिर्मित तथा 2 SUT लिए नया लोगो जारी करते +चे दी गई हैं: + +प्राकृतिक वस्तुएं हैं। कर्नाटक के पास सबसे +अधिक 47 उत्पादों के जीआई टैग हैं और +39 जीआई टेग के साथ तमिलनाडु दूसरे +स्थान पर है। + +हुए प्रोत्साहन के लिए नई टैगलाइन ै. +“इनवैल्यूएबल टरेजर ऑफ इनक्रेडिबल +इंडिया' चुनी गई है। + +भारत के जीआई टैग वाले उत्पादों एवं +शिल्पियों के कार्यों को लोकप्रिय बनाने के +लिए सरकार का लक्ष्य उत्पादों की मार्केटिंग +अंतरराष्ट्रीय बाजारों में करने का है। जीआई + + + +यद्यपि पिछले 18 वर्षों में जीआई टेग के साथ पंजीकृत वस्तुओं +की संख्या (370) में अच्छी प्रगति देखी गई है फिर भी जीआई +उत्पादों के मामले देखने के लिए समर्पित संस्थागत ढांचे एवं व्यवस्था +की आवश्यकता है। वस्तुओं का पंजीकरण होने भर से उन्हें आर्थिक +लाभ तब तक नहीं मिलते, जब तक घरेलू और निर्यात बाजार में उसे +क्रियान्वित करने की सुदृढ़ व्यवस्था नहीं होती। इसके लिए भारत ने +सरकारी एवं कॉरपोरेट स्तरों पर उत्पादों के बारे में पता लगाने की +व्यवस्थाएं लागू करने की पहल आरंभ की है। कृषि एवं प्रसंस्कृत +कृषि उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) का कार्यक्रम ग्रेपनेट +इसी का उदाहरण है। इसके अलावा एपीडा ने इसी तर्ज पर हॉर्टिनेट, +पीनट.नेट, बासमती.नेट, ट्रेसनेट, मीटरनेट जैसे कार्यक्रम भी लागू किए +हैं। हॉर्टिनेट ने अंगूर, अनार, आम, सब्जियों (करेला, लौकी, ग्वार +'फली, करी पत्ता, सहजन, बैंगन, सेम, फ्रेंच बीन, हरी मिर्च, कुंदरू, +लोबिया की फली, भिंडी, आलू और टिंडा) , पान के पत्ते तथा खट्टे +फल (संतरे, मौसमी आदि) जैसी फसलों का आदि से अंत तक +पता लगाने के समाधान प्रदर्शित किए हैं। एपीडा के तहत काम करने +वाला ट्रेसनेट किसी भी उत्पाद के उत्पन्न होने से अंतिम उपयोग +तक की जानकारी इकट्ठी करता है, जमा करता है और प्रस्तुत +करता है। साथ ही यह भारत में जैविक आपूर्ति श्रृंखला के भीतर + +8 + + + +उत्पादों के लिए नया लोगो जारी करते हुए प्रोत्साहन के लिए नई +टेगलाइन 'इनवैल्यूएबल ट्रेजर ऑफ इनक्रेडिबल इंडिया' चुनी गई +है। वाणिज्य मंत्रालय जीआई टैग वाले उत्पाद प्रदर्शित करने के +लिए नागर विमानन मंत्रालय तथा रेल मंत्रालय के साथ मिलकर +काम कर रहा है। + +2. भारत का सबसे पहला भौगोलिक संकेतक (जीआई) भारतीय + +- My Ss, +7 ; + +योजना, दिसम्बर 2021 + + +0009.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + +काजू निर्यात dasa dite +(सीईपीसीआई) का स्टोर +था, जो 2019 में गोवा के +प्रस्थान टर्मिनल पर आरंभ (सीईपीसीआई ) का स्टोर था, जो 2019 में गोवा नीति (एफटीपी) ने निर्यात नीति + +किया गया था। गोवा की करे प्रस्थान टर्मिनल पर आरंभ किया गया था। गोवा के मसौदे में जीआई टैग वाली + +योजना अन्य हवाई अड्डों पर +जीआई स्टोर खोलने की भी +है। सार्वजनिक खरीद बाजार में + +भारत का सबसे पहला भौगोलिक संकेतक +( जीआई ) भारतीय काजू निर्यात संवर्द्धन परिषद्‌ + +की योजना अन्य हवाई अड्डों पर जीआई स्टोर +खोलने की भी है। सार्वजनिक खरीद बाजार में + +3, 2025 तक 1 लाख करोड +डॉलर का निर्यात हासिल करने के +लक्ष्य वाली भारत की विदेश व्यापार + +कृषि जिंसों को वृद्धि के कारकों में +शुमार किया है, जिससे खरीदारों से +दिशा पाले वाले वैश्विक बाजूर में + +आने का और सरकारी खरीदारों आने का और सरकारी खरीदारों को अनूठे उत्पाद प्रतिस्पद्धात्मक बढ़त हासिल करने +को अनूठे उत्पाद तथा सेवाएं. तथा सेवाएं बेचने का मौका प्रदान करने के लिए में मदद मिलेगी। नई एफटीपी के +बेचने का मौका प्रदान करने सरकारी ई-मार्केट प्लेस ( जेम ) का कार्यक्रम जेम तहत प्रस्तावित दो प्रमुख पहल हैं + +के लिए सरकारी ई-मार्कट +प्लेस (जेम) का कार्यक्रम जेम + +स्टार्टअप रनवे भी आरंभ किया गया। + +(आ) प्रत्येक जिले में “जिला निर्यात +केंद्रों' (डिस्ट्रिक्ट एक्सपोर्ट हब) को + + + +स्टार्टअप रनवे भी आरंभ किया गया। स्टार्टअप रनवे उद्यमों को +सरकारी खरीदारों का बाजार आजमाने और संभावित खरीदारों +तथा निवेशकों से तय समय के भीतर प्रतिक्रिया पाने, वास्तविक +उत्पाद, मूल्य की तुलना करने एवं बाजार मूल्यांकन हासिल करने +का अवसर भी देगा। + += + +योजना, दिसम्बर 2021 + +बढ़ावा देना और जिला निर्यात संवर्द्धन पैनल स्थापित करना तथा +छोटे कारोबारों एवं किसानों को लक्ष्य कर जिला निर्यात कार्य +योजनाएं तैयार करना; और (आ) लॉजिस्टिक एवं यूटिलिटी +सेवाओं का दक्ष, किफायती और पर्याप्त बुनियादी ढांचा तैयार +कर भारत की अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रक्रियाओं में 'असंतुलन दूर +करना” तथा सौदों की लागत कम करने और कारोबारी सुगमता +बढ़ाने के लिए नीतिगत, नियामकीय एवं परिचालनगत ढांचे से +संबंधित “घरेलू एवं विदेशी बाधाएं' कम करने की दिशा में +काम करना। + +सरकार द्वारा खिलौना (गुणवत्ता नियंत्रण) द्वितीय संशोधन +आदेश, 2020 पारित किया जाना शिल्पियों तथा सूक्ष्म, लघु एवं +मझोले उद्यमियों की मदद के लिए स्वदेशी खिलौना उत्पादन +को बढ़ावा देने की दिशा में एक अन्य छोटा कितु महत्वपूर्ण +कदम है। इसमें शिल्पियों द्वारा बनाई एवं बेची जाने वाली और +भौगोलिक संकेतकों (जीआई) के रूप में पंजीकृत वस्तुओं को +गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों से मुक्त रखा गया है। + +भारत में जीआई टेग वाले उत्पादों का पहला खास और सबसे +बड़ा ऑनलाइन स्टोर भी जीआई उत्पादों को प्रचार एवं तैयार + +9 + + +0010.txt +<----------------------------------------------------------------------> +बाजार हासिल करने में मदद करने +वाला महत्वपूर्ण प्रयास है। + +6. कई एजेंसियां और राज्य सरकारें अब +जीआई टैग वाले उत्पादों पर विशेष +ध्यान देते हुए अक्सर क्रेता-विक्रेता +मीट आयोजित करती हें। +उत्पादन का स्तर बढ़ाने और जीआई + +टैग वाले ग्राम आधारित उत्पादों को बड़े + +शहरी बाजारों तथा निर्यात के ठिकानों से +जोड़ने के लिए कुछ सुझाव नीचे दिए गए +हैं; + +1. स्थानीय किसानों, उपभोक्ताओं एवं +अन्य हितधारकों के बीच विभिन्‍न + + + +भारत को अन्य देशों के साथ +सक्रियता के साथ बातचीत आरंभ + +करनी होगी ताकि उनके बाजार भी + +भारत से जीआई टैग वाले उत्पादों +विशेषकर कृषि उत्पादों के लिए +उपलब्ध हो सकें क्‍योंकि भारत में + +पंजीकृत 370 जीआई उत्पादों में से + +लगभग 111 कृषि उत्पाद ही हैं। + +बदले में भारत से भी जीआई टैग + +वाले उत्पादों की मदद करने की +अपेक्षा की जाएगी। + +प्रोडक्ट) के रूप में प्रचलित है और दोनों +देशों में किसानों की आय में इसने कथित +रूप से सकारात्मक योगदान किया है। इस +संबंध में सुझाव है कि क्रियान्वयन करने +वाली एजेंसियां जीआई टैग वाली अथवा +जीआई उत्पाद मानने के लिए आवश्यक +विशेषताओं वाली फसलों को उचित महत्व +देने का प्रयास करें। + +4. सरकार को wea faa +सुविधाओं, प्रयोगशाला परीक्षण सुविधाओं , +पैक हाउस और प्री-कूलिंग सुविधाओं जैसा +आवश्यक बुनियादी ढांचा तैयार करने के +लिए प्रयास करने होंगे ताकि जीआई उत्पादों + +10 + +जीआई उत्पादों तथा जीआई एवं + +के निर्यात की संभावना बढ़ सके। + + + +गैर-जीआई उत्पादों में अंतर के बारे में जागरूकता बढ़ाने के +लिए रणनीति तैयार करने की आवश्यकता हे। + +एपीडा भारतीय कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए +विभिन्‍न देशों में वर्चुअल और वास्तविक विक्रेता-क्रेता मीट +आयोजित करती है। उसने हाल ही में जीआई उत्पादों को विशेष +रूप से दिखाना आरंभ किया है। ऐसे प्रयास स्वागत योग्य हें +किंतु भारत विशेषकर केंद्र सरकार को भारतीय जीआई उत्पादों +के लिए सुनिश्चित घरेलू एवं विदेशी बाजार मुहैया कराने हेतु +कोई दीर्घकालिक नीति बनानी +होगी। + +10,000 कृषि आधारित +कृषक उत्पादक संगठनों +(एफपीओ) को बढ़ावा देने +की केंद्रीय योजना 3 राष्ट्रीय +एजेंसियों नाबार्ड, एसएफएसी +और एनसीडीसी तथा कुछ +अन्य ए्जेंसियों के माध्यम से +क्रियान्वित की जा रही है। +मूल्यवर्द्धन, विपणन और निर्यात +बढ़ाने के लिए एक जिला +एक उत्पाद (वन डिस्ट्रिक्ट +वन प्रोडक्ट यानी ओडीओपी) +पर आधारित क्लस्टर प्रणाली +अपनाई गई है, जिससे छोटे, +सीमांत तथा भूमिहीन किसानों +को उनकी फसलों के लिए +प्रौद्योगिकी सामग्री, ऋण +तथा बेहतर बाजार एवं दाम +के जरिये फायदा मिलेगा। +ओडीआओपी का सिद्धांत जापान +में ओवीओपी (वन विलेज +वन प्रोडक्ट) तथा थाईलैंड में +ओटीओपी (वन ताम्बोन वन + +5. + + + +भारत को अन्य देशों के साथ सक्रियता के साथ बातचीत आरंभ +करनी होगी ताकि उनके बाजार भी भारत से जीआई टैग वाले +उत्पादों विशेषकर कृषि उत्पादों के लिए उपलब्ध हो सकें क्‍योंकि +भारत में पंजीकृत 370 जीआई उत्पादों में से लगभग 111 कृषि +उत्पाद ही हैं। बदले में भारत से भी जीआई टैग वाले उत्पादों +की मदद करने की अपेक्षा की जाएगी। + +जीआई टैग मिलने के बावजूद कई जीआई उत्पादों का +वाणिज्यिक प्रदर्शन घरेलू बाजार में भी ठीक नहीं है। इसलिए + +a a ela a हे + +योजना, दिसम्बर 2021 + + +0011.txt +<----------------------------------------------------------------------> +करने वाले जीआई-ट्रेसेबिलिटी समाधानों, +मौसम संबंधी परामर्श सेवाओं, ट्रेसेबिलिटी +समाधानों, सूचना देने संबंधी उपयोगों, भंडार +4 अर प्रबंधन, ऑर्डर प्रबंधन, उपग्रह आधारित +है। . क्ष॑ उपयोग एवं उपज का अनुमान लगाने के +'.- लिए प्रायोगिक परीक्षण करना। +10, नाबार्ड जीआई टैग प्राप्त करने के लिए +कृषि एवं गैर कृषि उत्पादों के पंजीकरण +में मदद करता है। यह खेतों से दूर उत्पादन +करने वालों के संगठन (ओएफपीओ) +बनाने एवं बढ़ाने में विभिन्‍न एजेंसियों की +मदद भी करता है क्‍योंकि क्षेत्र विशेष की +खेतों से इतर गतिविधियों के क्लस्टर को +बढ़ावा देने में उनका फायदा उठाया जा + +सकता है। हा +अस्वीकरण: ये निजी विचार हैं और नाबार्ड की + +इससे सहमति होना आवश्यक नहीं है। + +संदर्भ + +* वर्ल्ड इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी इंडीकेटर्स + + + +भारत सरकार ऐसे उत्पादों के स्थान के क्लस्टर चिह्नित +कर सकती है और उनके सर्वांगीण विकास के लिए उनका +वाणिज्यिक मूल्यांकन कर सकती है। + +डब्ल्यूआईपीओ, 2020 चिंताला, जीआर और ज्ञानेंद्र मणि (2020) न्यू +एग्री-रिफॉर्म्स: फार्मर्स कलेक्टिव्स सेट टु गेन द मोस्ट ॥#॥198:/एछएफण. +financialexpress.com/2039242 30 जुलाई, 2020 + +क्लेमोन, यूपिन (2011); अ स्टडी ऑन वन विलेज बन प्रोडक्ट प्रोजेक्ट + +7. देखा गया है कि बासमती चावल, नासिक के अंगूरों और (ओवीओपी) इन जापान एंड थाईलैंड एज्‌ एन अल्टरनेटिव ऑफ कम्युनिटी +दार्जिलंग चाय के अलावा जीआई टैग वाले अधिकतर उत्पादों डेवलपमेंट इन इंडोनेशिया: अ पर्सपेक्टिव ऑन जापान एंड थाईलैंड #॥08:/ +: : नहीं www.researchgate.net/publication/255801823 +aan लिए मे 5 उस मोर्चे a a a नहीं है ता है। कॉगोपोर्ट (2021), विदेश निर्यात नीति 2021-2026: आयात-निर्यात क्षेत्र के +शवावस्था | 3a पर प्रया आवश्यकता है। लिए अपेक्षाएं; 2 अगस्त, 2021 +8. जीआई और उनकी उपज ट्रेस करने के समाधान प्राप्त करने आईबीबीसी (2021) उत्तर प्रदेश जीआई प्रोडक्ट्स wae 2021, http:// + +में प्रयोगकर्ताओं/किसानों/उद्यमियों की मदद करने के लिए +इनक्यूबेशन सेंटर स्थापित करने से जीआई उत्पादों के विकास + +www.ibbc.bg/uttar-pradesh- gi-products-expo-2021-18th-24th- +january-2021/ 18-24 SAeRT 2021 +पीटीआई (2021)( Sica site wh visaes fact ot de arg we aia + +में मदद मिल सकती है। +9. चुनिंदा एफपीओ को चिह्नित करना तथा खेतों का सर्वेक्षण + +10 एयरपोर्ट्स, सेजू सुरेश प्रभु (॥05:/छएछए-.ऐपथ्ञा15880049.1/168819- +2019-02-20, 20 फरवरी, 2019 + +न; +Qe ने किसानों के दीर्घकषलिक कल्याण के लिए कई उपायों की घोषणा की है। पीएम ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा + +कि सरकार ने कृषि विकास और किसान कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। उन्होंने कहा कि किसानों की स्थिति को सुधारने +के लिए बीज, बीमा, बाजार और बचत के चौतरफा उपाय किए गए। अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों के साथ-साथ सरकार ने किसानों को +नीम लेपित यूरिया, मृदा स्वास्थ्य कार्ड और सूक्ष्म सिंचाई जैसी सुविधाओं से भी जोड़ा। किसानों को उनकी मेहनत के बदले में उनकी +उपज का सही मूल्य दिलाने के लिए कई पहल की गई हैं। देश ने अपने ग्रामीण बाजार के बुनियादी ढांचे को मजबूत किया है। + +प्रधानमंत्री ने कहा कि किसानों की स्थिति में सुधार के लिए देश में तीन कृषि कानून लाए गए थे। उद्देश्य यह था कि देश के +किसानों, विशेषकर छोटे किसानों को मजबूत किया जाए, उन्हें उनकी उपज का सही मूल्य और उपज को बेचने के लिए अधिकतम +विकल्प मिले। इससे पहले भी कई सरकारों ने इस पर मंथन किया था। इस बार भी संसद में चर्चा हुई, मंथन हुआ और तीन कानून +लाए गए जिन्हें अब संवैधानिक प्रक्रिया के माध्यम से निरस्त किया जाएगा। + +उन्होंने शून्य-बजट आधारित कृषि को बढ़ावा देने, देश की बदलती जरूरतों के अनुसार फसल पैटर्न बदलने और एमएसपी को +अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए एक समिति के गठन की भी घोषणा की। समिति में केंद्र सरकार, राज्य सरकारों, किसानों, +कृषि वैज्ञानिकों और कृषि अर्थशास्त्रियों के प्रतिनिधि होंगे। + + + +स्रोत: पीआईबी + + + + + + + +योजना, दिसम्बर 2021 11 + + +0012.txt +<----------------------------------------------------------------------> +निर्माण + +संसाधनों की साझेदारी + +डॉ प्रवीण कुमारी सिंह +त्रिशलजीत सेठी + +मौजूदा गतिशील परिदृश्य में प्रशिक्षण की जरूरतों को पूरा करने के लिये सार्वजनिक उपक्रमों के बीच +संसाधनों की साझेदारी तथा तकनीकी ज्ञान और अन्य संबंधित विचारों का ज्यादा सक्रिय आदान-प्रदान +जरूरी है। सार्वजनिक उपक्रमों के प्रशिक्षण संस्थानों के बीच सहयोग और संसाधनों का एक साझा पूल +तैयार करने की आवश्यकता है। विभिन्‍न सार्वजनिक उपक्रमों के प्रशिक्षण संस्थानों के बीच सफल सहयोग +से उनमें परस्पर तालमेल बनेगा। इससे संसाधनों का एक जीवंत साझा पूल विकसित होगा जिसे बाकियों के + +साथ भी बांटा जा सकेगा। + +्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में प्रशिक्षण और क्षमता +निर्माण का महत्व खास तौर से प्रौद्योगिकी और +अन्य संचालन प्रक्रियाओं में तेज प्रगति की वजह से +बढ़ता जा रहा है। मौजूदा गतिशील परिदृश्य में प्रशिक्षण की जरूरतों +को पूरा करने के लिये सार्वजनिक उपक्रमों के बीच संसाधनों की +साझेदारी तथा तकनीकी ज्ञान और अन्य संबंधित विचारों का ज्यादा +सक्रिय आदान-प्रदान जरूरी है। +सार्वजनिक उपक्रमों के प्रशिक्षण संस्थानों के बीच सहयोग +और संसाधनों का एक साझा पूल तैयार करने की आवश्यकता है। +यह राष्ट्रीय सिविल सेवा क्षमता निर्माण कार्यक्रम - नेशनल प्रोग्राम +फॉर सिविल सर्विसेज कैपेसिटी बिल्डिंग (एनपीसीएससीबी) के भी +अनुरूप होगा जिसे कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग लागू कर रहा है। +वर्तमान में देश में 256' केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम काम +कर रहे हैं। इनमें लगभग 10 लाख कार्मिक कार्यरत हैं। कुल 96 +सार्वजनिक उपक्रमों को रत्न का दर्जा दिया गया है। इनमें से 10 +महारत्न, 14 नवरत्न और 72 मिनीरत हैं। इन सब ने मिल कर +2019-20 में 93294 करोड़ रुपये” का शुद्ध मुनाफा अर्जित किया। +भारतीय अर्थव्यवस्था और महत्वपूर्ण +अवसंरचना के विकास में इनका काफी +योगदान है। +इन सार्वजनिक उपक्रमों से जवाबदेही, +कार्यकुशलता और पारदर्शिता सुनिश्चित +करते हुए विवेकपूर्ण प्रबंधन और +गुणवत्तापूर्ण फैसलों के जरिये प्रतिस्पर्धी +ढंग से काम करने की उम्मीद की जाती +है। इसलिये इनमें विश्वस्तरीय प्रशिक्षण + +fs + +iG@T + +एकीकृत शासकीय ऑनलाइन प्रशिक्षण + +की आवश्यकता से इनकार नहीं किया जा सकता। इनमें आधुनिक +प्रक्रियाओं, कौशल और व्यवहार के लिहाजा से क्षमता निर्माण की +जरूरत है। इससे कुशलता, प्रतिस्पर्धा, ईमानदारी और निष्ठा की +संस्कृति बनेगी तथा प्रशासनिक कदाचारों को रोका जा सकेगा। + +खास तौर से रत्न दर्जा वाले बड़े सार्वजनिक उपक्रमों के पास +अपने अत्याधुनिक प्रशिक्षण संस्थान हैं। ये उपक्रम इन सुविधाओं +का इस्तेमाल मुख्य तौर पर अपने कार्मिकों के प्रशिक्षण और क्षमता +निर्माण के लिये करते हैं। कुछ सार्वजनिक उपक्रमों के पास तो +अलग-अलग क्षेत्रों की विशेषज्ञता वाले एक से ज्यादा प्रशिक्षण +संस्थान हैं। इनमें से ज्यादातर संस्थानों की अपने कामकाज के +क्षेत्र में कुछ खास मूल दक्षताएं हैं। लेकिन कुछ अन्य संस्थानों +का मकसद अपने कार्मिकों में नेतृत्व क्षमता, टीम निर्माण, संचार +कौशल, निर्णय करने की क्षमता और अन्य प्रबंधकीय विशेषज्ञताओं +का विकास करना है। इन प्रशिक्षण संस्थानों के बीच सहयोग की +कोई संस्थागत व्यवस्था नहीं है। इनमें से हरेक संस्थान सिर्फ +अंदरूनी संसाधनों और कुछ हद तक बाहरी व्यक्तियों के उपयोग से +मुख्य तौर पर अपने कार्मिकों के लिये काम करता है। + +विभिन्‍न सार्वजनिक उपक्रमों के +प्रशिक्षण संस्थानों के बीच सफल सहयोग +से उनमें परस्पर तालमेल बनेगा। इससे +संसाधनों का एक जीवंत साझा पूल +विकसित होगा जिसे बाकियों के साथ भी +बांटा जा सकेगा। ये संस्थान अपनी मूल +दक्षताओं और प्रबंधकीय क्षेत्रों के लिहाज +से एकदूसरे की प्रशिक्षण क्षमताओं के +पूरक हों तो यह सहयोग बेहद लाभकारी + + + +डॉ प्रवीण कुमारी सिंह केंद्रीय सतर्कता आयोग में अतिरिक्त सचिव हैं। ईमेल: त-छप्जाछ॥छे8०0-॥॥ +त्रिशलजीत सेठी एनटीपीसी में मुख्य सतर्कता अधिकारी हैं। ईमेल: ॥ग्रावा#छोडगथ.०णा + +12 + +योजना, दिसम्बर 2021 + + +0013.txt +<----------------------------------------------------------------------> +है पूरा करने के लिये आधुनिक अवसंरचना और मानव +संसाधनों से लैस हैं। इनमें से हरेक के पास वरिष्ठ +प्रबंधन के लिये विशेष फ्लैगशिप कार्यक्रम हैं। हरेक +संस्थान का मूल दक्षता या प्रशिक्षण का विशेष क्षेत्र है। +इन संस्थानों की मूल दक्षता अपने सार्वजनिक उपक्रम +के कार्य क्षेत्र से संबंधित होती है। मसलन, तेल और +प्राकृतिक गैस निगम के प्रशिक्षण संस्थान की विशेषज्ञता +०.५ डिलिंग प्रौद्योगिकी, भू-डेटा प्रसंस्करण, भंडार अध्ययन +|. और तेल क्षेत्र उपकरण जैसे क्षेत्रों में है। कोल इंडिया +1, लिमिटेड के रांची स्थित संस्थान में मुख्य तौर पर उसके +ही अधिकारियों को प्रशिक्षित किया जाता है। + +इनमें से कुछ संस्थान अन्य सार्वजनिक उपक्रमों के +अधिकारियों और विदेशी नागरिकों के लिये भी उनकी +जरूरतों के अनुसार पाठ्यक्रम तैयार कर रहे हैं। लेकिन +होगा। कोई जरूरी नहीं है कि यह सहयोग समान क्षेत्रों के संस्थानों के बीच सहयोग और संसाधनों की साझेदारी की कोई +सार्वजनिक उपक्रमों के प्रशिक्षण संस्थानों के बीच ही सीमित हो। संस्थागत व्यवस्था अब तक नहीं है। +संसाधनों के सर्वश्रेष्ठ अनुकूलन के लिये SE संसाधनों की साझेदारी को संस्थागत रूप +इस सहयोग को विभिनन क्षेत्रों के प्रशिक्षण संसाधनों की साझेदारी को दिये जाने की जरूरत है। जब दो या इससे +संस्थानों तक बढ़ाया जा सकता है। इसके संस्थागत रूप दिये जाने की. प्रशिक्षण संस्थान दी कर रहे हों +लिये प्रशिक्षण के साझा क्षेत्रों की पहचान की तो उन्हें उत्कृष्टता के केंद्र का दर्जा दिया जा +जा सकती है ताकि एक सार्वजनिक उपक्रम जरूरत है। जब दो या इससे सकता है। संसाधनों की साझा अवसंरचना +के कार्मिक दूसरे के प्रशिक्षण संस्थान से नदी प्रशिक्षण संस्थान सहयोग तैयार करने के लिये सबसे पहले विभिन्‍न +लाभान्वित हो सकें। कर रहे हों तो उन्हें उत्कृष्टता के सार्वजनिक उपक्रमों के सभी प्रशिक्षण संस्थानों + +केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में केंद्र का दर्जा दिया जा सकता है। में मौजूद सुविधाओं की मैपिंग की जानी +एकीकृत शासकीय ऑनलाइन प्रशिक्षण. संसाधनों की साझा अवसंरचना चाहिये। इसके बाद साझा अवसंरचना तैयार +- इंटीग्रेटेड गवर्नमेंट ऑनलाइन ट्रेनिंग तैयार करने के लिये सबसे पहले और मजबूत करने के तौरतरीके विकसित +(आईजीओटी ) पोर्टल की शुरुआत करते हुए विभिन्‍न सार्वजनिक उपक्रमों के किये जाने की बारी आती है। किसी खास +एनपीसीएससीबी को मंजूरी दे दी है। इसका at ats संस्थानों में दक्षता को विकसित करने के लिये विभिन्‍न +लक्ष्य विभिन्‍न सेवाओं के बीच एकीकृत सभी प्रशिक्षण संस्थानों में मौजूद संस्थानों को पहचान की जानी चाहिये। यह +प्रशिक्षण अवसंरचना का विकास करना है। सुविधाओं की मैपिंग की जानी काम इस ढंग से किया जाना चाहिये कि + +(१9% ॥॥11 ६ + +. + +. +*~ +-_ + + + + + +इसके मूल निर्देशक सिद्धांतों में अध्ययन चआाहिये। प्रक्रिया का दोहराव नहीं हो और चिह्नित +सामग्रियों, संस्थानों और कार्मिकों समेत साझा संस्थान खास क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल + +प्रशिक्षण अवसंरचना का परिवेश तैयार करना है।? करें। इसके बाद संस्थानों के बीच विशेषज्ञों/शिक्षकों, अवसंरचना, +लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादेमी, हे न +सरदार वलल्‍लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादेमी, ह। +इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादेमी, राष्ट्रीय प्रत्यक्ष है +कर अकादेमी, रफी अहमद किदवई राष्ट्रीय डाक +अकादेमी और नेशनल एकेडमी ऑफ इंडियन रेलवेजु +जैसे सिविल सेवा के प्रमुख प्रशिक्षण संस्थानों को | +संसाधनों के तालमेल के लिये इस मिशन में शामिल +किया गया है। सार्वजनिक उपक्रमों के कार्मिकों के +प्रशिक्षण संस्थानों के बीच संसाधनों का साझा पूल +बनाने के लिये भी इसी तरह का एकीकृत दृष्टिकोण +अपनाया जाना चाहिये। +उत्कृष्टता के केंद्र +ज्यादातर बड़े सार्वजनिक उपक्रमों के प्रमुख +प्रशिक्षण संस्थान अपने कार्मिकों की जरूरतों को धुआ + + + +योजना, दिसम्बर 2021 13 + + +0014.txt +<----------------------------------------------------------------------> +अनुसंधान और विकास, इत्यादि की साझेदारी +हो सकती है। विभिन्‍न सार्वजनिक उपक्रमों +के कार्मिकों के लिये साझा कार्यक्रम बनाये + +एक जैसी मूल दक्षता वाले अनेक +प्रशिक्षण संस्थान हो सकते हैं। + +ज्यादा अनुकूल हो। +भौगोलिक समूह +शुरुआत में वैसे भौगोलिक समूहों की + +जा सकते हैं जिसके परिणामस्वरूप विचारों उनके बीच सहयोग से विषय. पहचान की जा सकती है जिनमें अलग-अलग +का आदान-प्रदान और सर्वश्रेष्ठ प्रक्रयाओं आधारित उत्कृष्टता केंद्रों के गठन WA S कई प्रशिक्षण संस्थान एक ही जगह + +की साझेदारी होगी। + +विभिन्न क्षेत्रों को जिन पहलुओं में +एक दूसरे से सबसे ज्यादा लाभ हो सकता +है उनकी पहचान की जानी चाहिये। इसके +बाद एक दूसरे की सुविधाओं का उपयोग + +सार्वजनिक उपक्रम अन्य उपक्रमों के लिये +महत्वपूर्ण उपकरणों का निर्माण या आपूर्ति +करते हैं। मिसाल के तौर पर भारी उद्योग मंत्रालय के अधीन भारत +हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (बीएचईएल) बिजलीघरों के लिये +Zar और कई सार्वजनिक उपक्रमों के वास्ते अनेक उपकरण +बनाता है। अगर उपयोगकर्ता सार्वजनिक उपक्रम के कर्मचारियों +के लिये बीएचईएल के प्रशिक्षण संस्थान के अनुकूलन sh a +आयोजन किया जाये तो उन्हें अपने इस्तेमाल के उपकरणों की +निर्माण प्रक्रिया, आकार, क्षमता और अन्य विशेषताओं की जानकारी +मिलेगी। इसके परिणामस्वरूप वे अपने कामकाज का निर्वाह बेहतर +ढंग से कर सकेंगे। + +छोटे सार्वजनिक उपक्रमों में प्रशिक्षण की व्यवस्था नहीं होना +संभव है। ऐसे सार्वजनिक उपक्रमों के कार्मिकों के वैसे संस्थानों +में प्रशिक्षण की व्यवस्था की जा सकती है जो उनके लिये सबसे + +में मदद मिलेगी। इसके लिये एक +ही विशेषज्ञता क्षेत्र में समान मूल +दक्षता वाले संस्थानों को अनुसंधान +और विकास तथा प्रशिक्षण के +किया जा सकता है। कई मामलों में कुछ तौर तरीकों में साझेदारी के लिये +एकीकरण करने की जरूरत होगी। + +स्थित हैं। इन्हें उत्कृष्टता के ऐसे केंद्र बनाया +जा सकता है जिनमें संसाधनों, विशेषज्ञों, +अनुसंधान और विकास तथा भौतिक +अवसंरचना की साझेदारी के लिये संस्थागत +व्यवस्था विकसित की जा सके। उत्कृष्टता के +ये केंद्र माहिर प्रशिक्षकों का एक पूल तैयार +कर सकते हैं जो विभिन्‍न स्थानों पर जाकर +भी प्रशिक्षण देंगे। + +इन केंद्रों में एकदूसरे के मूल दक्षता के क्षेत्रों का उपयोग किया +जा सकेगा। प्रबंधन, एहतियाती सतर्कता और नेतृत्व जैसे प्रशिक्षण +के सामान्य क्षेत्रों पर मोड्यूल डिजाइन कर उन्हें आपसी सहयोग से +चलाया जा सकता है। इससे प्रक्रिया का दोहराव रुकेगा, विभिन्‍न +संस्थानों के एक समान मोडयूल बनेंगे और प्रशिक्षण के तौर तरीकों +का मानकौकरण होगा। +विषय आधारित समूह + +एक जैसी मूल दक्षता वाले अनेक प्रशिक्षण संस्थान हो सकते +हैं। उनके बीच सहयोग से विषय आधारित उत्कृष्टता केंद्रों के गठन +में मदद मिलेगी। इसके लिये एक ही विशेषज्ञता क्षेत्र में समान मूल +दक्षता वाले संस्थानों को अनुसंधान और विकास तथा प्रशिक्षण के +तौर तरीकों में साझेदारी के लिये एकीकरण करने की जरूरत होगी। + + + +योजना, दिसम्बर 2021 + + +0015.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +विषय आधारित समूह बैंकिंग क्षेत्र में भी मददगार हो सकते +हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के ज्यादातर बैंकों के विभिन्‍न स्थानों पर प्रमुख +प्रशिक्षण संस्थान हैं। इन संस्थानों में अधिकारियों और प्रबंधन +के लिये प्रशिक्षण के मोड्यूल हैं। साथ ही ये ब्याज प्रबंधन, +सूक्ष्म वित्त, ग्रामीण बैंकिंग और ऋण प्रबंध +जैसे विशेष क्षेत्रों का प्रशिक्षण भी मुहैया +कराते हैं। सार्वजनिक उपक्रमों की तरह ही +बैंकों के प्रशिक्षण संस्थान भी एक दूसरे के +अधिकारियों और कर्मचारियों को प्रशिक्षित +करने के लिये एक मंच पर आ सकते हैं। + +विभिन्‍न बैंकिंग संस्थानों की क्षेत्र के +हिसाब से मूल दक्षताओं की मैपिंग की जानी + + + +सामाजिक-आर्थिक विकास और +बदलाव के दूत तथा औपचारिक +और अनौपचारिक आर्थिक +अवसरों के सृजनकर्ता के रूप में +सार्वजनिक उपक्रमों की महत्वपूर्ण +भूमिका है। वे कॉरपोरेट सामाजिक + +कर सकते हैं ताकि इनमें भाग लेने वाले कार्मिक देश की आर्थिक +और सामाजिक संरचना तथा शासन के सर्वोच्च लक्ष्य को समझ +सकें। सभी हितधारकों को नैतिकता और संवेदना के आदर्शों के +प्रति उत्साहित और प्रशिक्षित किया जाये तभी सबके लिये प्रगति +और विकास तथा निष्पक्ष और प्रभावशाली +शासन के लक्ष्यों को हासिल किया जा +सकेगा। इसके अलावा सार्वजनिक उपक्रमों +के प्रशिक्षुओं के लिये कॉरपोरेट सामाजिक +जवाबदेही के कार्यस्थलों के दौरे आयोजित +किये जा सकते हैं ताकि उन्हें राष्ट्र निर्माण +की प्रक्रिया की समग्र दृष्टि मिल सके। +भारत जैसी विकासशील अर्थव्यवस्था में + +चाहिये। यह पहचान की जानी चाहिये कि जवाबदेही गतिविधियों के जरिये संस्थाएं संसाधनों कौ साझेदारी तथा एक +किसी i बैंक की विशेषज्ञता किस विशेष गरीबी मिटाने तथा समाज के. हरे की मजबूतियों और कार्यकुशलताओं +क्षेत्र में है। इससे प्रक्रियाओं का दोहराव नहीं वंचित तबकों की और को आपस में बांटे बिना अलग-थलग काम +होगा तथा मानव शक्ति, अवसंरचना और वाचत तब जरूरतों स्वास्थ्य आर नहीं कर सकतीं। प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण +विशेषज्ञ प्रशिक्षकों का अधिकतम इस्तेमाल शिक्षा की जरूरतों को पूरा करने जे काफी धन, मानव शक्ति, साजों सामान + +किया जा सकेगा। +आचार और नैतिक मूल्य + +संस्थाओं के कामकाज के तौर तरीके तथा कानून का शासन, +पारदर्शिता और कार्यकुशलता जैसे मूल्य समावेशी, समुचित और +SIRT समाज के व्यापक लक्ष्यों को हासिल करने में योगदान +करते हैं। लिहाजा, प्रशिक्षण की प्रक्रिया में इस तथ्य के प्रति +जागरूकता और समझ पैदा करने को महत्व दिया जाना चाहिये। +सामाजिक-आर्थिक विकास और बदलाव के दूत तथा औपचारिक +और अनौपचारिक आर्थिक अवसरों के सृजनकर्ता के रूप में +सार्वजनिक उपक्रमों की महत्वपूर्ण भूमिका है। वे कॉरपोरेट सामाजिक +जवाबदेही गतिविधियों के जरिये गरीबी मिटाने तथा समाज के वंचित +तबकों की स्वास्थ्य और शिक्षा की जरूरतों को पूरा करने में +सहायता कर सकते हैं। + +प्रशिक्षण से राष्ट्र निर्माण के प्रति जवाबदेही का भाव विकसित +करने में सहायता मिलेगी। उत्कृष्टता के केंद्र इन मुद्दों पर अंतर्दुष्टि +प्रदान करने वाले विशेषज्ञ संस्थानों के साथ तालमेल कर सकते +हैं। ये केंद्र समय-समय पर इन संस्थानों में प्रशिक्षण आयोजित + + + +योजना, दिसम्बर 2021 + +में सहायता कर सकते हैं। + +और अन्य अवसंरचना का उपयोग होता है। +इसलिये समान क्षेत्र और विभिन क्षेत्रों के +सार्वजनिक उपक्रमों की एकीकृत प्रशिक्षण अवसंरचनाओं को बनाने +और विकसित करने की जरूरत है। हाल में शुरू किये गये सरकार +के आईजीओटी पोर्टल के मुख्य निर्देशक सिद्धांतों में अध्ययन +सामग्रियों, संसाधनों और कार्मिकों समेत साझा प्रशिक्षण अवसंरचना +का तंत्र तैयार करना शामिल है। सार्वजनिक उपक्रमों और बैंकों को +भी क्षमता निर्माण, संसाधनों की साझेदारी और मूल दक्षताओं की +पहचान कर उन्हें मजबूत बनाने के लिये सहयोग करने की जरूरत +है। इससे संसाधन का अधिकतम इस्तेमाल संभव होगा तथा प्रक्रिया +के दोहराव को रोका जा सकेगा। साथ ही प्रशिक्षण के मानकीकरण + +और विशेषज्ञता सृजन के लाभ भी मिल सकेंगे। छा + +संदर्भ + +1. सार्वजनिक उपक्रम विभाग, भारत सरकार की वार्षिक रिपोर्ट (2020-21) , +पृष्ठ संख्या 101 + +2, सार्वजनिक उपक्रम विभाग, भारत सरकार की वार्षिक रिपोर्ट (2020-21) , +पृष्ठ संख्या 130 + +3. मंत्रिमंडल का फैसला-मिशन कर्मयोगी, तारीख 2 सितंबर, 2020 + +15 + + +0016.txt +<----------------------------------------------------------------------> +ee Pri +CAREERWILL IAS +CAREERWILL APP + +5 meee + +4 +IAS ASPIRANTS!! + +भारत का प्रथम रवनिर्मित कोर्स जिसे आप अपनी क्षमता, +SCD MC Mt MMC ot Mr ee + +IAS FOUNDATION COURSE 2022-23 + +Integrated CLASSROOM CUM MENTORSHIP Program +Especially Designed for Freshers and Working Professionals + +भारत के सर्वश्रेष्ठ मार्गदर्शकों की टीम + +राजेश मिश्र + +डॉ. अभिषेक डॉ. मंजेश कुमार रवि मिश्रा +विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा भारतीय राजव्यवस्था एवं भगोल +पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी संविधान हि + +संजीव शर्मा डॉ. मनोज छपरिया — एस.के. झा के. आर्शीवाद + +lal eee डी chet +नीतिशास्त्र, सत्यनिष्ठा +उपलब्ध वैकल्पिक विषय : इतिहास, भूगोल, समाजशास्त्र एवं लोक प्रशासन +FIRST OF ITS KIND IN IAS PREPARTION + +We don't just claim to be the best, we indeed are, attend two free classes and decide for yourself + +v Permanent faculty and fixed schedule - Integrated Coverage of PT-MAINS Syllabus - Interactive Live Classes +¥ Conceptual Clarity Along with Factual Information v Mentorship & Doubt clearance session v Special focus on +Answer Writing ~ High Quality Updated Study Material (Pdf Format) v Integration of Current Affairs + +ee Se) ane), + +FEE --€4,10;999/- FEE - €4,40;999+- Course Duration Course Validity +%20999/- %2499/- per month 12 Month 15 Month +Call us : 9310934121, 9310998566 + +16 योजना, दिसम्बर 2021 + + + +YH-1691/2021 + + +0017.txt +<----------------------------------------------------------------------> +जीवनयापन + +हर घर जल + +युगल जोशी + +आत्मनिर्भर भारत' पहल की घोषणा के अंतर्गत दीर्घावधि लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए अर्थव्यवस्था को +रिबूट करने यानी फिर से तेज करने और उसे नया स्वरूप देने, आर्थिक प्रणाली में संगठनात्मक सुधार लाने, +आर्थिक प्रगति से जुड़े व्यक्तियों और संगठनों को अधिक सशक्त बनाने तथा व्यापार के कुशल संचालन +में “बाधा डालने वाले संगठनात्मक अवरोध' समाप्त करने का संकल्प तय किया गया था। आत्मनिर्भर भारत +के पांच स्तम्भों- अर्थव्यवस्था, इंफ्रास्ट्क्तर ( बुनियादी ढांचा ), टेक्नोलॉजी संचालित तंत्र, वाइब्रेंट डेमोग्राफी +यानी जीवंत जनसांख्यिकी और मांग का मूल उद्देश्य घरेलू ( स्वदेशी ) उद्योगों को मजबूत बनाना और भारतीय +अर्थव्यवस्था और वैश्विक मूल्य श्रृंखला के बीच निकट समन्वय कायम करना है। गहराई से देखा जाए तो +इससे संगठित क्षेत्र और एमएसएमई-उद्यमों के क्षेत्र में नीतिगत हस्तक्षेप के जरिये अर्थव्यवस्था और मजबूत +बनेगी तथा समुदायों को सक्षम बनाकर , सामाजिक-आर्थिक सुधारों में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करके और +ग्रामीण समुदाय को सक्रिय और दायित्वपूर्ण नेतृत्व के रूप में विकसित करके लोकतंत्र भी सुदृढ़ बनेगा। इससे +भारत के लाखों गांवों में सही अर्थों में ग्राम स्वराज आ जाएगा। + +रकार लोगों के और खासकर गांवों के लोगों का जीवन +स्तर सुधारने और उन्हें सुगम जीवनयापन की सुविधा + +उपलब्ध कराने की दिशा में निरन्तर प्रयास करती +आ रही है। पूरी तेजी से और बडे पैमाने पर तथा एकाग्रता से +कार्य करके सबके लिए आवास, +हर घर में बिजली, हर परिवार के +लिए शौचालय, महिलाओं को रसोई +में धुएं से छुटकारा, हर परिवार +का वित्तीय समावेशन, सामाजिक +सुरक्षा और सभी के लिए सहज +सुलभ किफायती स्वास्थ्य सुविधाएं +उपलब्ध कराई गई हैं। + +15 अगस्त, 2019 को +प्रधानमंत्री ने जल जीवन मिशन की +घोषणा की थी जो गांवों के लोगों +का जीवन-स्तर बेहतर बनाने और +जन-स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार +लाने की दिशा में बहुत बड़ा कदम +है। जल जीवन मिशन सभी राज्यों के +सहयोग से चलाया जा रहा है ताकि +देश के प्रत्येक घर में नल से पानी +पहुंच सके। 2024 तक देश के हर + + + +घर में नल से ही निर्धारित गुणवत्ता स्तर का (बीआईएस: 10,500) +पीने का पानी पर्याप्त मात्रा में नियमित रूप से उपलब्ध हो जाने की +उम्मीद है। इस मिशन को कार्यरूप देने के लिए विभिन्‍न स्तरों पर +संस्थागत प्रबंध किए गए हैं और राज्यों के जल और साफ-सफाई/जन +स्वास्थ्य इंजीनियरिंग (पीएचई) तथा +ग्रामीण जल आपूर्ति (आरडब्ल्यूएस) +विभाग इसमें प्रमुख भूमिका निभा +रहे हैं। ये ग्राम पंचायतों और/या +उनकी उपसमितियों, ग्राम जल और +स्वच्छता समिति (वीडब्ल्यूएससी) या +पानी समिति को ग्राम के भीतर की +“इन-विलेज” जल आपूर्ति व्यवस्था +की योजना तैयार करने, उन्हें लागू +करने, उनके प्रबंधन, संचालन और +रखरखाव के कार्यों में सहयोग देते +हैं। पानी समितियों को इस कार्यक्रम +का स्वामित्व अपने हाथ में लेने का +अधिकार प्राप्त है। +सामूहिक स्वामित्व और कार्यवाही +जल जीवन मिशन संविधान के +— 73वें संशोधन पर आधारित है जिसके +है, “आन, तहत ग्राम पंचायतों को पानी और + + + +लेखक जल जीवन मिशन, जल शक्ति मंत्रालय में डायरेक्टर हैं। ईमेल: एा241.0०॥1छ820ए.॥ + +योजना, दिसम्बर 2021 + +17 + + +0018.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +आज़ादीका + +उससे संबद्ध अन्य विषयों का प्रशासनिक अधिकार सौंपा गया है। + +/eg= + + + +अमृत महोत्सव + +जल जीवन मिशन | +के 2 वर्ष ra) + +हर घर जल +जल जीवन मिशन + +हर घर जल कठोर श्रम से मुक्ति +een) ee +lm + +करने को प्राथमिकता दी जाएगी। पर्याप्त मात्रा में भूमिगत जल + +जल जीवन मिशन विकेंद्रित, मांग-आधारित और समुदाय उपलब्ध होने के बावजूद अच्छी गुणवत्ता का नहीं होने वाले गांवों +द्वारा चलाया जाने वाला जल आपूर्ति कार्यक्रम है। ग्राम पंचायत में घरों तक पानी की सप्लाई करने से पहले उसे उपचारित किया + +या उसकी उप समिति/राज्य और केद्रशासित + +की सभी पानी समितियां 'इन-विलेज' यानी तीक्रता से बड़े पैमाने पर और +गांव के भीतर ही जल-आपूर्ति व्यवस्था की एकाग्रता से कार्य करके सबके +लिए आवास , हर घर में बिजली, +हर परिवार के लिए शौचालय, +निभाती हैं। महिलाओं को चूल्हे के धुएं से +ग्राम पंचायत या उसकी उपसमिति जल मुक्ति, हर परिवार का वित्तीय +Bt Use, Wa FAM व्यवस्था समावेशन, सामाजिक सुरक्षा और +मजबूत बनाने और गन्दे पानी को उपचारित सबके लिए कम खर्चीली स्वास्थ्य +सुविधाएं तथा और भी बहुत कुछ +देने की सुनिश्चित व्यवस्था की +स्वच्छता समिति के सदस्यों को संगठित किया गई है। + +योजना बनाती हैं और उन्हें चलाने, उनका +प्रबंधन संभालने, उनके सुचारू संचालन +तथा नियमित रखरखाव में प्रमुख भूमिका + +करके उसे फिर इस्तेमाल योग्य बनाने की +योजना बनाकर उसका जिम्मा संभालती हेै। +इस उद्देश्य के लिए ग्राम पंचायत/ग्राम जल + +जाता है ताकि लम्बे समय तक नियमित रूप +से जल आपूर्ति की सुनिश्चित व्यवस्था हो जाए। + +जाता है और ऐसी व्यवस्था अलग-थलग +पड़ी जनजातीय बस्तियों/पर्वतीय या बन क्षेत्रों +में की जाती हैं और इस उद्देश्य के लिए +एकल सौर-आधारित और/या गुरुत्वाकर्षण +के आधार पर चलने वाली जल आपूर्ति +प्रणाली अपनाने को तरजीह दी जाती है। +पानी की कमी वाले इलाकों में अन्य स्थानों +से बडी मात्रा में पानी लाने, जल उपचार +संयंत्र लगाने और वितरण प्रणाली बनाने की +योजनाएं लागू की जा रही हैं। + +इस मिशन के तहत खराब गुणवत्ता +के पानी वाले इलाकों, विशेषकर आर्सनिक +और फ्लोराइड प्रभावित बस्तियों, जापानी +एनसिफेलाइटस/एक्यूट एनफिसेलाइट सिंड्रोम +वाले जिलों, सामाजिक-आर्थिक दृष्टि से + +पिछडे आकांक्षी जिलों, सूखे की आशंका वाले तथा रेगिस्तानी + +देश के 6.05 लाख राजस्व गांवों में से 3.03 लाख से ज्यादा जिलों, सांसद आदर्श ग्राम योजना वाले गांवों और अनुसूचित + +गांवों में ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति बनाई जा चुकी हैं। स्थानीय +ग्रामीण समुदाय गावों में ही जल व्यवस्था में योगदान कर रहे हें +और उनमें स्वामित्व और गर्व की भावना भी है। + +महात्मा गांधी का ग्राम स्वराज का सपना साकार करने की +दिशा में जल जीवन मिशन पर करीब 1.75 लाख ग्राम सभाओं +के 62 लाख से ज्यादा लोगों और पानी समितियों के सदस्यों से 2 +अक्तूबर, 2021 को चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने पानी पर सबके +समान अधिकार, जल संरक्षण और उसका सही उपयोग करने के +मुद्दों पप जोर दिया और कहा कि इन उपायों को अपनाने से गांव +अपनी पानी की आवश्यकताएं स्वयं पूरी करने में समर्थ होकर +आत्मनिर्भर बन जाएंगे। + +प्रधानमंत्री के “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, +सबका प्रयास'' दृष्टिकोण के सिद्धांत के अनुरूप इस मिशन का +मोटो है “कोई भी छूट न पाए” और गांव के हर परिवार को +नल से पानी का कनेक्शन मिलना चाहिए। जिन गांवों में अच्छी +गुणवत्ता वाला भू-जल पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो उनमें एकल +गांव योजनाएं (सिंगल विलेज स्कीम्स) तैयार करके उन्हें लागू + +18 + + + + + +kee + + + + + +योजना, दिसम्बर 2021 + + +0019.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +जल जीवन मिशन +हर घर जल +जल गुणवत्ता प्रबंधन +सूचना प्रणाली + +eee Le ea ५॥॥| + + + +जाति/अनुसूचित जनजाति बहुल गांवों में प्राथमिकता के आधार को ध्यान में रखकर 5-वर्षीय ग्राम योजना बनाती है। + +पर नलों से पानी की सप्लाई की जाती है। उदाहरण के लिए, + +ये ग्राम कार्य योजनाएं भी 15वें वित्त आयोग की अवधि पूरी + +15 अगस्त, 2019 को जल जीवन मिशन की घोषणा किए जाने होने के साथ ही पूरी हो जाएंगी। 15वें वित्त आयोग ने स्थानीय + +के समय जापानी एनसिफेलाइटस-एक्यूट +एनसिफेलाइटस सिंड्रोम प्रभावित जिलों के +केवल 8 लाख (2.6 प्रतिशत) घरों में ही +पीने के पानी का कनेक्शन उपलब्ध था। +गत 26 महीनों में, कोविड वैश्विक महामारी +और लॉकडाउन की स्थिति के बावजूद 1.17 +करोड (38.5 प्रतिशत) और परिवारों को +पानी के जल के कनेक्शन उपलब्ध कराए +गए हैं। जल जीवन मिशन शुरू होने से +पहले आकांक्षी जिलों में सिर्फ 24 लाख +(7.2 प्रतिशत) परिवारों में पानी के कनेक्शन +थे और अब तो 1.22 करोड़ से ज्यादा (36.9 +प्रतिशत) घरों में नल से पानी पहुंच रहा है। +ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा + +ग्राम जल और स्वच्छता समिति + +जिन गांवों में पर्याप्त मात्रा में +भूमिगत जल उपलब्ध होने के +बावजूद अच्छी गुणवत्ता वाला पानी +नहीं होता वहां घरों में सप्लाई करने +से पहले उसे उपचारित किया जाता +है और ऐसी व्यवस्था अलग-थलग +पड़ी जनजातीय बस्तियोंपर्वतीय +या वन क्षेत्रों में की जाती हैं और +वहां एकल सौर-आधारित और/या +गुरुत्वाकर्षण पर आधारित जल +सप्लाई व्यवस्था अपनाने पर जोर +दिया जाता है। + +ग्रामीण निकायों/पंचायती राज संस्थानों को दी +कुल अनुदान राशि में से 60 प्रतिशत राशि +केवल जल और साफ-सफाई से जुडे कार्यों +के लिए स्वीकृत की है। इस तरह 2021-22 +से 2025-26 की अवधि के लिए 1.42 +लाख करोड रुपये की सुनिश्चित राशि- (1) +पेयजल संसाधन सुदृढकरण, (2) पेयजल +आपूर्ति व्यवस्था, (3) गन्दे पानी का उपचार +और दोबारा इस्तेमाल, (4) गांव के भीतर +(इन विलेज) जल आपूर्ति की आधारभूत +संरचना, (5) गांव की खुले शौच से मुक्त +स्थिति बनाये रखने के लिए निश्चित रूप +से उपलब्ध रहेगी। साथ ही यह प्रावधान भी +है कि महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी +योजना, स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण, जल + +(वीडबल्यूएससी ) दीर्घावधि संसाधनों को टिकाऊ बनाने, गन्दे पानी +को उपचारित करने और जल संरक्षण कार्यों की सुनिश्चित व्यवस्था + + + + + + + + + +योजना, दिसम्बर 2021 + +जीवन मिशन, जिला खनिज विकास कोष, नियमित सामाजिक +दायित्व कोष और सामुदायिक अंशदान जैसे संसाधनों से लागू की +जाने वाली ग्रामीण कार्य योजनाएं 3 लाख गांवों के लिए तैयार की +जा चुकी हैं। + +जल जीवन मिशन के लिए कुल 3.60 लाख करोड रुपये +का प्रावधान किया गया है जिसमें से 2.08 लाख करोड रुपये +सरकार की ओर से दिए जाएगे। इस तरह कुल मिलाकर 5 +लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि जल संबंधी कार्यों के +लिए उपलब्ध है। + +जल जीवन मिशन हर गांव को पानी, साफ-सफाई और +स्वच्छता की दृष्टि से यानी वॉटर, सेनिटेशन एंड हाईजीन-वॉश +कार्यक्रम के अनुरूप जागरूक बनाने की दिशा में प्रयासरत है। हर +गांव में वहां की पानी-उपयोगिता की देखरेख और प्रबंधन के वास्ते +25-30 लोगों का कैडर (समूह) बनाया जा रहा है। ऐसे प्रत्येक +समूह में ग्राम जल स्वच्छता समिति के 10-15 सदस्यों के अलावा +कम से कम पांच कुशल कारीगर रहेंगे जिनमें एक राज-मिस्त्री, +एक प्लम्बर, एक फिटर, एक इलेक्ट्रिशियन और एक पम्प ऑपरेटर +शामिल करना जरूरी होगा। मिशन ने इन कुशल कारीगरों के लिए +क्षमता निर्माण और क्षमता विकास कार्यक्रम शुरू कर दिए हैं। इस + +19 + + +0020.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +6 & +2024 तक सभी गामीण स्थानीय स्तर पर पानी कीं +घरों में नहा जल आपूर्ति समंकित मांग और आपूर्ति +, का प्रबंधन + +जल जीवन मिशन +Lie + +खेली Hop & fag +वर्षा-जल्ल A, eT +arg an 'चरेलू आपशिप्ट +जल प्रबंधन क॑ बास्ते स्थानीय +Beat a निर्माण + +: +केंद्र और ग़ज्यों को +अन्य यौजनाओं के साथ +AT किया जाएगा + +3.23 करोड (17.7 प्रतिशत) घरों में ही पानी के लिए +नल का कनेक्शन था। उसके बाद से 5.22 करोड +कनेक्शन और दिए जा चुके हैं और महिलाओं को +दूर-दूर जाकर पानी भरकर लाने के झंझट से छुटकारा +मिल गया जिससे उनका जीवन एक हद तक आसान हो +गया है। ग्राम जल एवं स्वच्छता समितियों के सदस्यों से +चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री ने लोगों को भरोसा दिलाया +कि आने वाले समय में किसी भी महिला को पानी लाने +के लिए घर से बाहर नहीं जाना पड़ेगा। साथ ही, उन्होंने +ग्रामीण समुदायों से अनुरोध किया कि वे अपने गांव में +आवश्यकता और मांग से अधिक पानी का बन्दोबस्त +करने का हर संभव उपाय करें। + +ग्रामीण महिलाओं का जीवन आसान हो जाने से +उन्हें आत्मनिर्भ बनने का अवसर मिल सकेगा और +ग्राम जल एवं स्वच्छता समितियों में जल प्रबंधक का +उनका अनुभव उपयोगी सिद्ध होगा तथा उन्हें अपने + + + + + +गांवों में पानी की गुणवत्ता श्रेष्ठ बनाए रखने का दायित्व + + + +तरह जल जीवन मिशन के तहत गांवों में पानी की सुविधाओं के +प्रबंधन के लिए कुशल कारीगरों का विशाल पूल तैयार हो जाएगा। + +देश में ग्रामीण क्षेत्रों में इतना भारी निवेश होने से आर्थिक +गतिविधियों में तेजी आ रही है और गांवों में रोजगार के लाखों +अवसर पैदा होने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को जृबरदस्त बढ़ावा मिल +रहा है। + +मिशन के दृष्टिकोण पर ध्यान देते हुए प्रधानमंत्री ने ग्रामसभाओं +के लिए अपने 2 अक्तूबर, 2021 के राष्ट्रव्यापी संबोधन और +पानी समितियों के सदस्यों के साथ हुए विचार-विनिमय में ग्रामीण +समुदायों से आग्रह किया कि वे जल प्रबंधन के लिए युद्ध स्तर +पर कार्य करें ताकि किसी भी गांव को पीने का पानी टैंकरों और +रेलगाडियों से मंगाने की जरूरत न पडे। उन्होंने कहा, वास्तविक +ग्राम स्वराज तो ग्राम विकास में ग्रामीण लोगों की भागीदारी से ही +आएगा। +महिला सशक्तीकरण + +जल जीवन मिशन के एक विशेष लाभ के बारे में बताते हुए +प्रधानमंत्री ने कहा, “एक अन्य बड़ा लाभ यह होगा कि ग्रामीण +महिलाओं को पानी लाने के लिए काफी दूर चलकर जाने की +भारी परेशानी से छुटकारा मिल जाएगा और वे अपनी ऊर्जा का +और किसी कार्य में बेहतर इस्तेमाल कर +पाएंगी।'” इस दृष्टिकोण के आधार पर ही + +ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति + +भी सौंपा जा सकेगा। अभी तक 7.39 लाख से अधिक महिलाओं +को फील्ड टेस्ट किट की मदद से पानी की गुणवत्ता जांचने का +प्रशिक्षण दिया जा चुका है। जल जीवन मिशन के अंतर्गत हर गांव +में 5 प्रशिक्षित महिलाओं का समूह घरों तक पहुंचने वाले नल के +जल की गुणवत्ता परखने और उस पर लगातार निगाह रखने का +दायित्व संभालेगा। + +“sa fac’ (Ta के भीतर) जल आपूर्ति योजनाओं के +प्रबंधन में ग्राम जल एवं स्वच्छता समितियों की भूमिका की सराहना +करते हुए प्रधानमंत्री ने इन समितियों की महिला सदस्यों की प्रशंसा +की और एफटी किट्स की मदद से पानी की गुणवत्ता परखने में +उन्हें दिए जा रहे प्रशिक्षण पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने गांवों +के कल्याण और समृद्धि में इन समितियों की महिला सदस्यों की +महत्वपूर्ण भूमिका का भी उल्लेख किया और उनकी सराहना करते +हुए कहा कि ये महिला-सदस्य अनुसूचित जनजातियों, अनुसूचित +जातियों, पिछड़े वर्गों और आर्थिक दृष्टि से कमजोर समुदायों के +जीवन में सकारात्मक क्रांतिकारी परिवर्तन लाने में सफल रही हैं। + +ग्राम जल एवं स्वच्छता समितियों की महिला सदस्यों ने पानी +की गुणवत्ता आंकने में ग्रामीण समुदायों को आत्मनिर्भर बनाने +का बड़ा दायित्व निभाया और सुनिश्चित किया कि ग्रामीण क्षेत्रों +में जल-जनित बीमारियों और संक्रमण पर +नियंत्रण पाया जा सके। + +यह अनिवार्य कर दिया गया है कि ग्राम जल पानी और साफ-सफाई के बारे में बच्चों को स्वास्थ्य और बाल कल्याण + +एवं स्वच्छता समितियों में कम से कम 50 +प्रतिशत सदस्य महिलाएं होंगी। इस प्रकार +गांवों में जल प्रबंधन का महत्वपूर्ण कार्य +महिलाएं संभालने लगेंगी जो जल प्रबंधक +की उनकी परम्परागत भूमिका के सर्वथा +अनुकूल होगा। + +15 अगस्त, 2019 को जल जीवन +मिशन की घोषणा किए जाने के समय सिर्फ + +20 + +5-वर्षीय ग्राम कार्यवाही योजना + +तैयार करती है जिससे जल +संसाधन लम्बे समय तक मजबूत +बने रहें, गन्दे पानी का प्रबंधन +किया जा सके और जल संरक्षण उद्देश्य से 100 दिन का जागरूकता कार्यक्रम +के कार्य चलाए जा सकें। + +प्रधानमंत्री ने सितम्बर, 2020 में हर +स्कूल, आंगनवाड़ी केंद्र और आश्रमशाला +(जनजातीय बच्चों के रिहायशी स्कूल) +में पानी के नल के कनेक्शन उपलब्ध +कराने की आवश्यकता पर जोर देने के + +चलाने का आह्वान किया था। केंद्रीय जल +शक्ति मंत्रालय ने 2 अक्तूबर, 2020 को + +योजना, दिसम्बर 2021 + + +0021.txt +<----------------------------------------------------------------------> +यह सुनिश्चित करने का अभियान शुरू +किया कि स्कूलों, आंगनवाडियों और +आश्रमशालाओं सहित सभी शिक्षण केंद्रों में +पीने के साफ पानी के लिए नल-कनेक्शन +उपलब्ध हो जाएं। हर राज्य प्रयास कर +रहा है कि पीने का पानी, दोपहर का +भोजन पकाने के लिए, हाथ धोने के लिए +और शौचालय में इस्तेमाल के लिए पर्याप्त +मात्रा में पानी उपलब्ध कराने की पक्की +व्यवस्था हो जाए। इस समय 8.15 लाख +(79.2 प्रतिशत) स्कूल और 8.15 लाख +(73 प्रतिशत) आंगनवाडी केंद्रों में नल से +पानी की सप्लाई हो रही है। + +कोविड-19 महामारी के दौरान हर +किसी को बार-बार साबुन से हाथ धोने +और साफ-सफाई रखने की जरूरत थी। इन +शिक्षण केद्रों में पानी पहुंचाने की व्यवस्था + +मिशन के तहत हर गांव में +घरों तक पहुंच रहे पानी की +गुणवत्ता पर निगाह रखने के +लिए 35 प्रशिक्षित महिलाओं का +समूह बनाया जाएगा। ग्राम जल +एवं स्वच्छता समिति की महिला +सदस्यों ने पानी की गुणवत्ता +आंकने और उसे पीने योग्य होने +की पक्की व्यवस्था करने के +वास्ते सबको आत्मनिर्भर बना +दिया है जिससे जल-जनित रोगों +पर नियंत्रण रखने में मदद +'मिल रही है। + +पारदर्शिता और जवाबदेही + +किसी भी कार्यक्रम की सफलता का +मूल आधार पारदर्शिता और जवाबदेही होते +हैं। घरों तक नल से पानी पहुंचाने के कम +की प्रगति ऑनलाइन देखी जा सकती हे +जिससे जाना जा सकता है कि घरों, स्कूलों +और आंगनवाड़ी केंद्रों में नल-कनेक्शन +उपलब्ध कराने की मौजूदा स्थिति क्‍या है। +are et cafet https://ejalshakti. gov. +in/jjmreport/JJMIndia.aspx वेबसाइट +पर इस बारे में जानकारी प्राप्त कर सकता +él + +इस डैशबोर्ड पर जल जीवन मिशन लागू +करने के बारे में राष्ट्रीय स्तर पर हो रही प्रगति +की जानकारी तो मिलती ही है, साथ ही राज्य/ +केद्रशासित प्रदेश स्तर, जिला स्तर और ग्राम +स्तर पर इस मिशन की प्रगति भी जानी जा + +करना भावी पीढ़ी के स्वास्थ्य और कल्याण की दृष्टि से बहुत सकती है जिसमें पानी कनेक्शन पाने वाले परिवारों के मुखिया का +नाम, स्कूल और आंगनवाड़ी केद्रों में पानी की ताजा स्थिति का भी + +महत्वपूर्ण निवेश है। + +1.08 लाख स्कूलों में गंदे पानी को इस्तेमाल लायक बनाने +और 93 हजार से ज्यादा स्कूलों में वर्षा के पानी के संचय की +व्यवस्था की जा चुकी है। इससे विद्यार्थियों को 'वॉश' के महत्व +के प्रति जागरूक बनाने में बहुत मदद मिलेगी। + +पता चल जाता है जिसमें शौचालयों में पाइपलाइन से पहुंच रहे पानी +और हाथ धोने की सुविधा के लिए उपलब्ध पानी की मात्रा भी जानी +जा सकती है; इनके अलावा, वर्षा जल संचयन और गन्दे पानी को + +इस्तेमाल लायक बनाने की जानकारी भी इस साइट पर उपलब्ध रहती + + + +योजना, दिसम्बर 2021 + +21 + + +0022.txt +<----------------------------------------------------------------------> +हर घर जल +जल जीवन मिशन + +जल जीवन + +हर घर जल + +मिशन + + + +2024 तक हर घर में +नल से पानी की निश्चित सप्लाई + +है। डेशबोर्ड पर पानी की गुणवत्ता जांच सहित +जल आपूर्ति के अन्य विभिन्‍न पहलुओं के +प्रबंधन के वास्ते संस्थागत प्रबंधों की जानकारी +भी उपलब्ध रहती है। + +जल जीवन मिशन डेशबोर्ड विभिन्‍न +गांवों में चल रही सेंसर-आधारित आईओटी +प्रायोगिक परियोजनाओं को भी दर्शाता +है जिससे मात्रा, गुणवत्ता और नियमित +सप्लाई की दृष्टि से पानी की दैनिक सप्लाई +की जानकारी मिलती है। इन प्रायोगिक +परियोजनाओं में पानी की गुणवत्ता जानी जा +सकती है जिसमें क्लोरीन की मात्रा, पाइपों +में पानी के दबाव और प्रति व्यक्ति दैनिक +उपलब्धता जानी जा सकती है। + +जल जीवन मिशन के उद्देश्यों और +दृष्टिकोण ( विजून ) तथा नीतिगत +उपायों और क्षेत्रीय सुधारों और +सामुदायिक सशकतीकरण के +नजूरिये से देखें तो हम पाएंगे कि +यह आत्मनिर्भर भारत के निर्माण +के लिए हर प्रकार से आदर्श +मॉडल है। जल जीवन मिशन का +लक्ष्य जल सुरक्षा सुनिश्चित करने +हेतु समुदाय की क्षमता विकसित +करना है। + + + +करने के उद्देश्य से ग्राम-स्तर पर सूचना +प्रौद्योगिकी की सहायता उपलब्ध कराई जा +रही है। देश में पानी की गुणवत्ता की जांच +करने वाली 2000 से ज्यादा प्रयोगशालाएं हैं +जिनका प्रयोग सामान्य व्यक्ति भी मामूली +लागत देकर कर सकते हैं। जल जीवन मिशन +के डेशबोर्ड पर पानी की गुणवत्ता की जांच +के लिए आए नमूनों की संख्या, ऐसे गांवों +की संख्या जहां पानी के नमूनों की जांच की +गई, प्रयोगशालाओं का विवरण, प्रदूषित पाए +गए नमूनों की संख्या आदि की भी विस्तृत +जानकारी दर्शायी जाती है। +आरएलबी/पीआरआई को धनराशि तेजी +से ट्रांसफर करने की पक्की व्यवस्था करने के + +मात्रा, गुणवत्ता और नियमित सप्लाई की दृष्टि से निगरानी +रखने और जन शिकायतें जानकर उन्हें दूर करने का तंत्र स्थापित + + + +; +जल जीवन मिशन. * | । +पहले की नल से जल के | & +कनेक्शन दोगुने से भी अधिक * । + +a7 # 8.2 | +aie हर घर नल, +हर घर जज: +i 2072 तक +_ = ay ante +जगभग जरा precy लगमग ग्रामीण च +हि anit प्ररिचिर ल aoa ghar क्रनेक्शन से +सितंबर 2021 जोड़ा जाएगा + +अगर रणाप + +22 + +उद्देश्य से राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को सलाह दी जाती है कि वे +जल जीवन मिशन लागू करने के लिए मिलने वाली केंद्रीय सहायता +राशि प्राप्त करने के लिए “एस्क्रो'” खाता खोल लें। 2019-20 के +बाद से प्रत्येक राज्य/केद्रशासित प्रदेश में जल जीवन मिशन की +वित्तीय प्रगति भी सार्वजनिक की गई है जिसमें प्रारंभिक शेष, आबंटन, +निश्चित कोष, निकाला गया फंड, उपलब्ध कोष और व्यय का पूरा +लेखा-जोखा है। + +जल जीवन मिशन के उद्देश्यों और दृष्टिकोण तथा नीतिगत +उपायों और क्षेत्रीय सुधारों और सामुदायिक सशक्तीकरण के नज्रिये +से देखें तो हम पाएंगे कि यह आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के +लिए हर प्रकार से आदर्श मॉडल है। जल जीवन मिशन का लक्ष्य +जल सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु समुदाय की क्षमता विकसित करना +है। प्रधानमंत्री के शब्दों को दोहराते हुए “जितना जल जीवन को +प्रभावित करता है उतना कोई अन्य पदार्थ प्रभावित नहीं Hea” +इससे गांव में सही अर्थों में शांति और समृद्धि आती है। पानी तक +आसानी से पहुंच न होने के कारण लाखों महिलाएं और लड॒कियां +शिक्षा के अवसर से वंचित रह गईं और पानी की कमी तथा इसके +पहुंच से बाहर होने के कारण लाखों लोगों को अपने घर छोड़कर +अन्य स्थानों पर जाने को मजूबूर होना पड़ा है। आत्मनिर्भर भारत +का वास्तविक और मूल उद्देश्य ऐसी सुनिश्चित व्यवस्था करना है +कि हर घर में नल से ही पीने का पानी पूरी और पर्याप्त मात्रा में +पहुंचाया जा सके। हा + +योजना, दिसम्बर 2021 + + +0023.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +ने The Officer's Academy + +Our wishes, Education to All + +Exclusive for BPSC & Other PCS Exam + +PT | MAINS | OPTIONAL | INTERVIEW + +BPSC 67th/68th e QO + +* शिक्षकों की अनुभवी एवं बेहतरीन टीम ++ 511 घंटे से ज्यादा की क्लास + +* विशेष मेंटरशिप बैच (Success - 60} + +* बिहार स्पेशल we DI की विशेष क्लास +* डिजिटल और इंटरएक्टिव क्लासरूम + + + + + + + +सामान्य अध्ययन + + + + + + + +वेकल्पिक विषय कोर्स ८: +जाए ज: +For 67" BPSC + +* इतिहास *[?10./80. + + + + + +हिन्दी एवं अंग्रेजी माध्यम हेत्‌ू अलग-अलग बैच की सुविधा + +1.0 ;- 2॥/23 , 000 15118 ॥[ 1, 80110 ९030, 7818 - 300001 $ 7856956809 +Google है रे Fee IS nh mtn hips: Aheoticersacademy.in ® 952 3986201 + + + + + + + + + + + + + + + + + +योजना, दिसम्बर 2021 + +23 + +YH-1700/2021 + + +0024.txt +<----------------------------------------------------------------------> +121: 0/:| + +ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता + +डॉ अमिय कुमार महापात्रा +तमन्ना महापात्रा + +भारत, दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उत्पादक और खपत बाला देश है। भारत में बेहतर जीवन +स्तर और उपभोग में वृद्धि के कारण ऊर्जा खपत की पद्धति बदल गई है। अर्थव्यवस्था, जनसंख्या, +ओऔद्योगीकरण और शहरीकरण जैसे व्यापक आर्थिक कारकों के कारण वर्ष 2000 से समग्र ऊर्जा उपयोग +दोगुना हो गया है। ऊर्जा को किसी राष्ट्र की सभी आर्थिक गतिविधियों की कुंजी माना जाता है और यह +तेज आर्थ्रिक विकास की नींव रखता है। इस संदर्भ में, भारत ने अपने नागरिकों को ऊर्जा सेवाएं प्रदान + +करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है। + +wera है कि पिछले दो दशकों में 90 करोड़ लोगों तक +बिजली पहुंच चुकी है, जिसमें 2018 में 10 करोड का +रिकॉर्ड शामिल है। इसके अलावा यह पाया गया है कि +भले ही ऊर्जा की मांग दोगुनी हो गई हो लेकिन भारत में प्रति व्यक्ति +बिजली की खपत वैश्विक औसत का केवल एक तिहाई है। इसलिए +ऊर्जा की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए सुरक्षित और टिकाऊ +व्यवस्था करने की आवश्यकता हेै। +ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता : आत्मनिर्भरता, आर्थिक गतिविधियों +में आत्मनिर्भरता और अन्य अर्थव्यवस्था पर कम से कम निर्भर होने को +प्रकट करती है। यह दिए गए आर्थिक संसाधनों में से अपने नागरिकों +के लिए सर्वोत्तम प्राप्त करने/प्रदान करने में आर्थिक प्रणालियों को दक्ष +और प्रभावकारी बनाती है। +आत्मनिर्भर भारत: आत्मनिर्भरता से देश की वेश्विक स्थिति भी + + + +उन्नत होती है और वैश्विक अर्थव्यवस्था में अपने योगदान को चिह्नित +करती है। आत्मनिर्भर भारत सही मायने में केवल आर्थिक स्वतंत्रता +नहीं है, बल्कि बुनियादी ढांचे, प्रणालियों के निर्माण और उत्पादन तथा +खपत के मामले में दक्षता हासिल करने और लोगों की पसंद तथा +क्षमताओं में नवाचार को बढ़ावा देना है। यह “वसुधैव कुटुम्बकम' के +रूप में स्वयं (भारत) और दूसरों (दुनिया) के लिए सर्वश्रेष्ठ योगदान +करने पर केंद्रित है। + +भारत सरकार ने राज्य सरकारों के साथ ऊर्जा क्षेत्र को बढ़ावा देने +के लिए विशेष रूप से अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए विभिन्‍न +योजनाओं को लागू किया है। “आजादी का अमृत महोत्सव', भारत +की स्वतंत्रता के 75 वर्ष के साथ, श्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत +की पहल के तहत स्पष्ट कर दिया है कि भारत को हरित और स्वच्छता +की दृष्टि से अग्रणी अर्थव्यवस्था बनाया जाएगा। सरकार ने हाल में + +a) __ aon J j + + + +_संसाधन | डिडॉ:डफकफससअससससकसकस + + + + + +डॉ अमिय कुमार महापात्रा फोसटिमा बिजनेस स्कूल, द्वारका, नई दिल्‍ली में उप निदेशक हैं। ईमेल; क्रापए०४१०ाां०ढदोड्ञापक्षों .०णा.. +तमन्ना महापात्रा आईटीईआर, शिक्षा ओ 'अनुसंधान मानित विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर, ओडिशा में स्कॉलर हैं। ईमेल: 1कक्षा114125 6 87भ. ००. + +24 + +योजना, दिसम्बर 2021 + + +0025.txt +<----------------------------------------------------------------------> +शुरू किए गए राष्ट्रीय हाइड्रोजज मिशन' सहित विभिन्‍न योजनाएं +शुरू की हैं। इन योजनाओं को विशेष रूप से पांच सिद्धांतों (अंग्रेजी के +5-आई) इन्टेंट यानी इरादा, इन्कक्‍्लूजन यानी समावेशन, इन्वेस्टमेंट यानी +निवेश, इन्फ्रास्ट्रक्चर यानी बुनियादी ढांचा और इनोवशन यानी नवाचार +के आधार पर वांछित लक्ष्यों को पूरा करने के लिए बनाया गया हेै। +अक्षय ऊर्जा पहल + +कच्चे तेल के भंडार में कमी, पेट्रोलियम/जीवाश्म ईंधन की +कीमतों में वृद्धि और ग्लोबल वार्मिग के कारण आज के समय में +अक्षय ऊर्जा अधिक प्रासंगिक होती जा रही है। यह जीवाश्म ईंधन का +एक बेहतर और अधिक व्यवहार्य विकल्प है, जो स्वच्छ और हरित +पर्यावरण के लिए समय की आवश्यकता है। पिछले कुछ वर्षो में, +बिजली और परिवहन ईंधन के रूप में ऊर्जा की मांग और खपत में +वृद्धि हुई है। इसलिए प्रदूषण तथा जहरीली गैसों के उत्सर्जन को कम +करने और पर्यावरणीय खतरों को कम करने के लिए, अक्षय ऊर्जा +का उत्पादन बहुत आवश्यक है। अक्षय ऊर्जा पहल धरती के बढ़ते +तापमान और आजीविका के खतरे से निपटने में मदद करेगी जो बदले +में हरित और स्वच्छ अर्थव्यवस्था की दिशा में मार्ग निर्धारित करेगी। +सौर ऊर्जा में अभूतपूर्व वृद्धि + +विश्व स्तर पर, भारत अक्षय ऊर्जा के उत्पादन में अग्रणी है और +वैश्विक हरित अर्थव्यवस्था में योगदान देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा +रहा है। ऊर्जा के स्रोत के रूप में नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग के बारे +में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है। नवीकरणीय ऊर्जा में शामिल +प्रमुख स्रोत - सौर, पवन, पनबिजली, जैव ईंधन और हरित हाइड्रोजन, +कम कार्बन अर्थव्यवस्था की ओर ले जाते हैं। भारत में नवीकरणीय +ऊर्जा उत्पादन और उपयोग को बढावा देने के लिए, सरकार ने विशेष +रूप से सौर ऊर्जा के क्षेत्र में प्रगति के लिए विभिन्‍न पहल की हें। +बिजली उत्पादन की क्षमता बढ़ाने के लिए सरकार सब्सिडी और अन्य +प्रोत्साहन प्रदान कर रही है। 'रूफटॉप सोलर एनर्जी” बिजली उत्पादन +की क्षमता बढ़ाने के लिए शुरू की गई ऐसी योजनाओं में से एक हे। +भारत ने सतत विकास प्राप्त करने के लिए 'प्रधानमंत्री-कुसुम' और +“अजय' की शुरुआत की है। भारत ने सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन + +as +सरकार छतों पर + +सोर प्रणालियों की दा AE ats +को प्रोत्साहित ia cana + + + + + + + +स्थापना त्साहित +कर रही है + + + +छत पर 3 किलोवाट क्षमता के सौर संयंत्रों के लिए +बैंचमार्क कीमत की 40 प्रतिशत तक सब्सिडी + +छत पर 3 किलोवाट से अधिक और 10 किलोवाट तक +क्षमता के सौर संयंत्रों के लिए 20 प्रतिशत तक सब्सिडी + +परियोजना मंजूरी रिपोर्ट प्रस्तुत करने और निगरानी प्रगति +में तेजी लाने के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म एस पी आई एन +विकसित किया गया + +को देखते हुए यह भी अक्षय ऊर्जा का एक बड़ा स्रोत है। सरकार +बायोगैस उत्पादन के लिए विभिन्‍न योजनाओं को बढ़ावा देती +है, जिसमें “नव राष्ट्रीय बायोगोसो और जैविक खाद कार्यक्रम' +(एनएनबीओएमपी ) और “बायोगैस बिजली उत्पादन और थर्मल एनर्जी +एप्लीकेशन कार्यक्रम' (बीपीजीटीपी) शामिल हैं और ये योजनाएं पूरे +भारत में लगभग 10170 मेगावाट बिजली का योगदान करती हैं। इसके +अलावा, 2023 तक समूचे भारत में 5,000 कम्प्रैस्ड बायोगैस संयंत्र +स्थापित करने का प्रस्ताव है। हाइड्रो ऊर्जा आर्थिक रूप से दोहन योग्य +है और इसमें दोहन की उच्च क्षमता है, क्योंकि यह न केवल ऊर्जा +प्रदान करती है बल्कि सिंचाई, बाढ़ नियंत्रण, सूखा रक्षक, मनोरंजन +और पर्यटन के अतिरिक्त लाभ प्रदान करके पारिस्थितिकी तंत्र को भी +मजबूत करती है। अन्य नवीकरणीय स्रोतों की तुलना में इसकी उच्च +दक्षता (90 प्रतिशत से अधिक) है। + + + +में उल्लेखनीय वृद्धि की है, यह 2012-13 +में 165 करोड़ यूनिट से बढ़कर 2019-20 +में 5,010 करोड़ यूनिट हो गया है। + +भारत को तटीय क्षेत्रों का विशेषाधिकार +प्राप्त है जो बड़े पैमाने पर पवन ऊर्जा +उत्पादन का उपयोग करने के लिए पर्याप्त +अवसर प्रदान करते हैं। हाल के वर्षो में +पवन ऊर्जा के उत्पादन में कई गुना वृद्धि +हुई है। एमएनआरई रिपोर्ट 2021 के अनुसार +सभी नवीकरणीय संसाधनों में पवन ऊर्जा +का योगदान 40.8 प्रतिशत है। सरकार के +साथ-साथ निजी क्षेत्र के प्रयासों के कारण, +पवन ऊर्जा उत्पादन 2009 के 10.9 गीगावाट +से बढ़कर 2020 में 30.37 गीगावाट हो गया + +इसी तरह, जैव-ऊर्जा की बडी +उपलब्धता और इसके बहुउद्देश्यीय उपयोगों + +भारत को तटीय क्षेत्रों का +विशेषाधिकार प्राप्त है जो बड़े पैमाने +पर पवन ऊर्जा उत्पादन का उपयोग +करने के लिए पर्याप्त अवसर प्रदान +करते हैं। हाल के वर्षो में पवन ऊर्जा +के उत्पादन में कई गुना वृद्धि हुई है। +एमएनआरई रिपोर्ट 2021 के अनुसार +सभी नवीकरणीय संसाधनों में पवन +ऊर्जा का योगदान 40.8 प्रतिशत है। +सरकार के साथ-साथ निजी क्षेत्र के +प्रयासों के कारण, पवन ऊर्जा उत्पादन +है। 2009 के 10.9 गीगावाट से बढ़कर +2020 में 30.37 गीगावाट हो गया है। + +राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन + +प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने अक्षय +संसाधनों से कार्बन मुक्त ईंधन का उत्पादन +करने और भारत को उत्पादन के साथ-साथ +हरित हाइड्रोजन के निर्यात का वेश्विक +केंद्र बनाने के लिए 15 अगस्त, 2021 +को औपचारिक रूप से ररशष्ट्रीय हाइड्रोजन +मिशन' शुरू करने की घोषणा की हैे। इस +मिशन का अंतिम उद्देश्य स्वतंत्रता के 100 +वर्ष पूरे होने पप 2047 तक ऊर्जा उत्पादन +में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना और निर्धारित +लक्ष्य को प्राप्त करना है। यह अक्षय स्रोतों से +अर्थव्यवस्था में प्राकृतिक गैस के उपयोग को +बढ़ाने के लिए है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने +के लिए, श्री मोदी ने भारत को ऊर्जा क्षेत्र +में आत्मनिर्भर बनाने के वास्ते दिशानिर्देशक +निर्धारित किये हैं जिसके लिए सीएनजी और + + + +योजना, दिसम्बर 2021 + +25 + + +0026.txt +<----------------------------------------------------------------------> +तालिका 1: सतत विकास लक्ष्य ( स.वि.ल. ) - एसडीजी और अक्षय ऊर्जा लिंकेज मैट्रिक्स + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +स.वि.ल.. | स.वि.ल. के फोकस वाले |स.वि.ल, का विवरण 'लिंकेज की +क्षेत्र डिग्री: स.वि.ल. +और अक्षय ऊर्जा +स.वि.ल.. 1 | निर्धनता हर जगह गरीबी को उसके सभी रूपों में समाप्त करना lo | +स.वि.ल. 2 | शून्य भुखमरी भुखमरी समाप्त करना, खाद्य सुरक्षा और बेहतर पोषण प्राप्त करना और संधारणीय ।2 +कृषि को बढ़ावा देना +स.वि.ल. 3 | अच्छा स्वास्थ्य और आरोग्यता | स्वस्थ जीवन सुनिश्चित करना और सभी उम्र के लोगों के लिए आरोग्यता को बढ़ावा | 1 +स.वि.ल. 4 | सर्वोत्तम शिक्षा समावेशी और समान गुणवत्ता वाली शिक्षा सुनिश्चित करना और सभी के लिए "| +आजीवन सीखने के अवसरों को बढ़ावा देना +स.वि.ल. 5 | महिला-पुरुष समानता महिला-पुरुष समानता हासिल करना और सभी महिलाओं तथा लड़कियों को सशक्त बनाना lo | +स.वि.ल.6 | स्वच्छ पानी और स्वच्छता | सभी के लिए पानी तथा स्वच्छता की उपलब्धता और इसके टिकाऊ प्रबंधन को |1 +सुनिश्चित करना +स.वि.ल. 7 | सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा सभी के लिए किफायती, विश्वसनीय, सतत और आधुनिक ऊर्जा तक पहुंच 3 +सुनिश्चित करना +स.वि.ल. 8 | उम्दा काम और आर्थिक सभी के लिए सतत, समावेशी और सतत आर्थिक विकास, पूर्ण तथा उत्पादक 1 +विकास रोजगार और अच्छे काम को बढ़ावा देना +स.वि.ल. 9 | उद्योग, नवाचार और लचीले बुनियादी ढांचे का निर्माण, समावेशी तथा टिकाऊ औद्योगीकरण और 2 +बुनियादी ढांचा नवाचार को बढ़ावा देना +स.वि.ल.10. | असमानता कम करना देशों के भीतर और उनके बीच असमानता को कम करना lo | +स.वि.ल. 11 | सतत शहर और समुदाय शहरों और मानव बस्तियों को समावेशी, सुरक्षित, लचीला और संधारणीय बनाना |2 +स.वि.ल. 12 | जिम्मेदार खपत और उत्पादन | संधारणीय खपत और उत्पादन पैटर्न सुनिश्चित करना 3 +स.वि.ल. 13 | जलवायु क्रिया जलवायु परिवर्तन और उसके प्रभावों से निपटने के लिए तत्काल कार्रवाई करना |3 +स.वि.ल. 14 | पानी के नीचे जीवन सतत विकास के लिए महासागरों, समुद्रों और समुद्री संसाधनों का संरक्षण और 3 +सतत उपयोग +स.वि.ल. 15 | जमीन पर जीवन स्थलीय पारिस्थितिक तंत्र के सतत उपयोग की रक्षा, पुनर्स्थापना और बढ़ावा देना, |3 +जंगलों का स्थायी प्रबंधन करना, मरुस्थलीकरण, भूमि क्षरण और जैव विविधता के +नुकसान को रोकना +स.वि.ल. 16 | शांति, न्याय और मजबूत सतत विकास के लिए शांतिपूर्ण और समावेशी समाजों को बढ़ावा देना, सभी को सं +संस्थान न्याय तक पहुंच प्रदान करना और सभी स्तरों पर प्रभावी, जवाबदेह तथा समावेशी +संस्थानों का निर्माण करना। +स.वि.ल. 17 | लक्ष्यों के लिए साझेदारी कार्यान्वयन के साधनों को मजबूत करना और सतत विकास के लिए वैश्विक 1 +साझेदारी को पुनर्जीवित करना + + + + + + + +( एसोसिएशन की डिग्री: 3 > उच्चतम, 2 > मध्यम, 1 5 निम्नतम, और 0 > सीधे जुड़े नहीं) + +पाइप्ड प्राकृतिक गैस का एक पैन नेटवर्क रखा गया है जो 20 प्रतिशत +इथेनॉल मिश्रण लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगा। राष्ट्रीय हाइड्रोजन +मिशन ऊर्जा क्षेत्र में भारी बदलाव लाएगा और गैस आधारित स्वच्छ +अर्थव्यवस्था में योगदान देगा। + +हाइड्रोजन का उत्पादन प्रोटॉन एक्सचेंज मेंम्ब्रेन इलेक्ट्रोलिसिस के +माध्यम से हाइड्रोजज और ऑक्सीजन में पानी को विपाटन करके किया +जाता है और भाष मीथेन सुधार द्वारा भी किया जाता है जो जीवाश्म +ईंधन का उपयोग करता है। इसलिए स्वच्छ और हरित पर्यावरण के +लिए, सरकार ने अक्षय बिजली और इलेक्ट्रोलिसिस के माध्यम से हरित +हाइड्रोजन का उत्पादन करने का निर्णय लिया है, जिसे 2050 तक +हासिल करने की उम्मीद है। यह आयात निर्भरता के बोझ को कम करने + +26 + +में मदद करेगा और गैस आधारित सतत विकास के लिए मिशन को +मजबूत करेगा। सरकार ने स्वच्छ ऊर्जा के उत्पादन में सहायता के लिए +गन्‍ने और अन्य जैव तत्वों से इथेनॉल निकालने का प्रस्ताव किया है। +सरकार लोगों और उद्योग की बढ़ती मांग को पूरा करने में ऊर्जा +के स्थायी स्रोतों पर सीधे ध्यान केंद्रित कर रही है। मिशन के उद्देश्यों के +आधार पर, यह उम्मीद की जाती है कि 2050 तक दुनिया की ऊर्जा +जरूरतों का 25 प्रतिशत भारत द्वारा पूर किया जाएगा और इससे भारत +को 10 ट्रिलियन डॉलर का बाजार बनने में मदद्‌ मिलेगी। हरित हाइड्रोजन +का उत्पादन भारत को आत्मनिर्भर बनाने में सहायता करेगा और सरकार, +कंपनियों तथा अन्य उत्पादन इकाइयों को कार्बनमुक्त अर्थव्यवस्था के +निर्धारित लक्ष्यों से समझौता किए बिना अपनी दीर्घकालिक विकास + +योजना, दिसम्बर 2021 + + +0027.txt +<----------------------------------------------------------------------> +क्षमता को पूरा करने में मदद करेगा। + +हाइड्रोजन का उत्पादन और उसका भंडारण बहुत हद तक +प्रौद्योगिकी और नवाचार पर निर्भर करता है, जहां सरकार और उद्योग +के बीच समन्वय आवश्यक हे। इससे लागत को नियंत्रण में रखने में +मदद मिलेगी, जिससे ऊर्जा पर निर्भर क्षेत्रों को कार्बन मुक्त करने में +मदद मिलेगी। नवीकरणीय ऊर्जा से हाइड्रोजन का उत्पादन, न केवल +लागत अनुकूल है बल्कि मानव जीवन और आजीविका पर कम से +कम प्रतिकूल प्रभाव के साथ-साथ कार्बन मुक्त भी है। +सतत विकास लक्ष्य और अक्षय ऊर्जा + +सतत विकास लक्ष्यों को तभी बेहतर ढंग से पूरा किया जा सकता +है जब सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय आयामों को संतुलित और +टिकाऊ तरीके से संबोधित किया जाए। संयुक्त राष्ट्र द्वारा सतत विकास +लक्ष्यों (2030) के एजेंडे में 169 लक्ष्यों के साथ 17 सकल विकास +लक्ष्यों को सूचीबद्ध किया गया है, जो समग्र सामाजिक-आर्थिक +परिवर्तन में मील के पत्थर हैं और मुख्य रूप से लोगों के कल्याण तथा +पर्यावरण पर ध्यान केंद्रित करते हैं। हरित ऊर्जा पहल के माध्यम से +आत्मनिर्भरता एक हरित और टिकाऊ अर्थव्यवस्था की नींव है। हरित +ऊर्जा पहल, ऊर्जा आयात को कम करने और स्थायी घरेलू उत्पादन के +प्रवर्धन के लिए ऊर्जा के वैकल्पिक म्रोतों को सुनिश्चित करने के लिए +किए गए ठोस प्रयास हैं। ये पहल, स्वच्छ ऊर्जा और सभी व्यक्तियों +तथा व्यवसायों के लिए इसकी उपलब्धता पर केंद्रित है। यह भारत को +ऊर्जा सुरक्षित बनाने और सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की प्राप्ति +सुनिश्चित करने के लिए हे। + +सतत विकास लक्ष्य और अक्षय ऊर्जा (तालिका 1) के बीच +संबंध की प्रकृति और डिग्री का पता लगाने के लिए, हमने मैट्रिक्स +मैपिंग के लिए 0-3 बिंदु पैमाने का उपयोग किया है। संघों की डिग्री +का मानचित्रण, सतत विकास लक्ष्य विवरण और नवीकरणीय ऊर्जा +से प्राप्त कारकों के आधार पर किया जाता है। यह पाया गया है कि +17 सतत विकास लक्ष्यों में से 5 सतत विकास लक्ष्य तीन के पैमाने +में अत्यधिक जुडे हुए हैं, और 3 सतत विकास लक्ष्य मध्यम रूप से 2 +के पैमाने में जुड़े हुए हैं। इसी तरह, 4 सतत विकास लक्ष्य सबसे कम + + + +[ हरित हाइड्रोजन ] + +हरित हाइड्रोजन का उत्पादन पानी के + + + + + +इलेक्ट्रोलिसिस द्वारा किया जाता है, + +जो नवीकरण स्रोत (सोलर पीवी या + +पवन टर्बाइन ) से उत्पन्न विद्युत प्रवाह ve" +का उपयोग करके पानी (एच ओ) को io aaa +हाइड्रोजज और ऑक्सीजन के घटक ” +तत्वों में तोड़ देता है। + + + + + +में 5,000 कम्प्रैस्ड बायोगैस संयंत्र स्थापित करने का प्रस्ताव हे। +नवीकरणीय क्षेत्र में अगले कुछ वर्षो में 89 बिलियन डॉलर के निवेश +को आकर्षित करने का अनुमान है। इसके अलावा, यह भी अनुमान +है कि कुल बिजली का 49 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा द्वारा 2040 +तक प्राप्त किया जाएगा। जीवाश्म ईंधन की कमी और परिणामी कार्बन +उत्सर्जन को ध्यान में रखते हुए, अक्षय ऊर्जा भविष्य की ऊर्जा है जो +भारत के ऊर्जा संकट को कम करेगी और अपने नागरिकों के लिए +सतत और सस्ती ऊर्जा प्रदान करेगी । सरकार ने 2022 तक अक्षय +बिजली क्षमता को 175 गीगावाट और 2030 तक 450 गीगावाट तक +बढ़ाने की योजना बनाई हे। + +इसके अलावा इस क्षेत्र को मजबूत करने के लिए, सरकार सुरक्षित +और सस्ती स्वच्छ ऊर्जा प्रदान करने के लिए नीतिगत ढांचा स्थापित +करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। नवीकरणीय क्षमता का बढ़ता महत्व +भारत की बिजली व्यवस्था को कोयले से नवीकरणीय ऊर्जा में परिवर्तित +कर देगा और इस तरह हरित तथा स्वच्छ गैस-आधारित अर्थव्यवस्था + + + +नवीकरणीय ऊर्जा से जुडे हुए हैं लेकिन +शेष 5 सतत विकास लक्ष्य सीधे जुडे नहीं + +का रास्ता खोलेगा। नवीकरणीय ऊर्जा के +बढ़ते उपयोग से जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता + +हैं। इसलिए, यह पाया गया है कि अक्षय +ऊर्जा क्षेत्र में प्रगति के माध्यम से सतत +विकास लक्ष्यों को बेहतर ढंग से हासिल +किया जा सकता है और इसलिए नीति +निर्माण और बजटीय आवंटन में ऊर्जा क्षेत्र +को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए। +भारत में अक्षय ऊर्जा का अवलोकन +भारत सरकार ने अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा +देने के लिए नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा +मंत्रालय की स्थापना की है और 2022 तक +227 गीगावाट की क्षमता प्राप्त करने का +लक्ष्य रखा है, जिसमें सौर ऊर्जा से 114 +गीगावाट, पवन ऊर्जा से 67 गीगावाट और +जैव तथा पन ऊर्जा सहित अन्य शामिल +हैं। इसके अलावा, 2023 तक समूचे भारत + +योजना, दिसम्बर 2021 + +हाइड्रोजन का उत्पादन और उसका +भंडारण बहुत हद तक प्रौद्योगिकी +और नवाचार पर निर्भर करता है, +जहां सरकार और उद्योग के बीच +समन्वय आवश्यक है। इससे लागत + +को नियंत्रण में रखने में मदद मिलेगी, + +जिससे ऊर्जा पर निर्भर क्षेत्रों को +कार्बन मुक्त करने में मदद मिलेगी। +नवीकरणीय ऊर्जा से हाइड्रोजन का + +उत्पादन, न केवल लागत अनुकूल है +बल्कि मानव जीवन और आजीविका + +पर कम से कम प्रतिकूल प्रभाव के +साथ-साथ कार्बन मुक्त भी है। + + + +कम होगी जो कार्बन आधारित उद्योगों की +जगह डीकार्बोनाइजेशन में मदद करेगी । +इससे कम प्रदूषण वाले बेहतर इकोसिस्टम में +मदद मिलेगी। नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग +से पर्यावरण के अनुकूल ऊर्जा के उत्पादन +में मदद मिलेगी जो भारत को ऊर्जा के क्षेत्र +में सुरक्षित और ऊर्जा स्वतंत्र बनाएगी। इससे +निर्यात में सहायता मिलेगी जिससे देश की +विदेशी मुद्रा आय में वृद्धि होगी और भारत +की वैश्विक स्थिति मजबूत होगी। + +अक्षय ऊर्जा पहलों को कुछ अंतर्निहित +चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है जो +हमारे लक्ष्य प्राप्ति में बाधा बन सकती हैं। +प्रमुख चुनौतियां हैं; उपभोक्ताओं के लिए +सामर्थ्य, डिस्कॉम यानी बिजली वितरण + +27 + + +0028.txt +<----------------------------------------------------------------------> +कपनियों के लिए वित्तीय स्थिरता, एकीकरण के मुद्दे, नियामक और +बाजार ढांचे में खामियां या बाधाएं, अनिश्चित लागत-लाभ परिणाम, +बिजली प्रणाली लचीलेपन में समस्या आदि। + +राज्यवार पहल और उपलब्धियां अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में महत्वपूर्ण +योगदान देंगी। यह पाया गया है कि भारतीय राज्यों में अक्षय ऊर्जा के +प्रवेश का हिस्सा अत्यधिक परिवर्तनशील और विषम हे। + +तमिलनाडु, राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, +महाराष्ट्र, तेलंगाना, पंजाब और केरल जैसे राज्य राष्ट्रीय औसत (8.2 +प्रतिशात) से अधिक अक्षय ऊर्जा में योगदान करते हैं। भारत के दस +राज्य कुल सौर और पवन ऊर्जा का 97 प्रतिशत योगदान करते हैं। +अक्षय ऊर्जा से समृद्ध राज्य भी अपने बिजली क्षेत्र के विकास में आगे +पाए गए हें। इसके विपरीत, अन्य राज्यों में हरित पहल की कमी हे +और वे एकीकरण तथा तकनीकी मुद्दों से जूझ रहे हैं। संभावित बिजली +प्राप्त करने के लिए, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय संदर्भ को ध्यान में रखते हुए +लचीलेपन के इष्टतम मिश्रण की आवश्यकता है। इस लचीलेपन में +मांग-पक्ष लचीलापन, बिजली लचीलापन, भंडारण लचीलापन शामिल +है, और बाजार तथा नियामक समाधानों के लिए अच्छी तरह से प्रलेखित +नीतियों की आवश्यकता है। +आगे का रास्ता + +हरित ऊर्जा में आय, रोजगार और उद्यमिता में योगदान देने +और निस्संदेह सतत विकास को बढावा देने की जबरदस्त क्षमता है। +रोजगार और आय सृजन के अलावा, यह नए उत्पादों तथा सेवाओं +के लिए निवेश और बाजारों के लिए अवसर / रास्ते खोलता है। घरों +और कंपनियों की बिजली की बढ़ती मांग को देखते हुए, कार्बन +मुक्त अर्थव्यवस्था बनाने के लिए जीवाश्म ईंधन ऊर्जा के विकल्प के + +तालिका 2: 2020-21 में चुनिंदा भारतीय राज्यों में +सौर और पवन ऊर्जा का योगदान + + + + + + + + + + + + + + + +क्र. | राज्य अंशदान (: प्रतिशत हिस्सा) +1 | कनटिक 29 प्रतिशत +2 राजस्थान 20 प्रतिशत +3 तमिलनाडु 18 प्रतिशत +4 | आंध्र प्रदेश 16 प्रतिशत +5 गुजरात 14 प्रतिशत + + + + + + + + + +स्रोत: नवीन और नवीकरणीय उर्जा मंत्रालय की रिपोर्ट + +रूप में अक्षय ऊर्जा का उत्पादन आवश्यक है। भारत को लोगों की +लगातार बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए अपनी बिजली व्यवस्था में +सौर तथा पवन ऊर्जा, और विशेष रूप से हरित हाइड्रोजन ऊर्जा का +दोहन करना चाहिए। यह मुख्य रूप से मांग लचीलेपन, और भंडारण +तथा ग्रिड लचीलेपन के साथ-साथ बाजार और नियामक सहायता +को संबोधित करके संभव होगा। भले ही योजनाएं/पहल उत्साहजनक +हैं और आने वाले दिनों में बड़ी भूमिका निभाएंगे, फिर भी कुछ +चुनौतियां हैं जिनसे निपटने की आवश्यकता है। विकास प्रक्रिया में +समावेशन को पूरा करने के लिए अधिक निवेश, बुनियादी ढांचा +विकास, निजी-सार्वजनिक भागीदारी, हरित वित्तपोषण और नीतिगत +ढांचे को क्षेत्रीय तथा राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत करने की आवश्यकता +है। भारत के आकार, जनसांख्यिकी, हरित पहल और इसकी वेश्विक +स्थिति को ध्यान में रखते हुए, विश्व को स्वच्छ ऊर्जा अर्थव्यवस्था +में बदलने में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका है। छा + + + + + +दिशा अगर हो + +dicho a +MUST HAVE books + +Publication Inc + + + +सही तो पूरे होंगे सपने + +for UPSC CSE Prelim & Main + + + + + + + + + +मम्नीग्यर हस्त RT = 4 +rand -sia) + + + +ad +a a 12 ०25। sy += = 7 +छः u psc yesc यूपोाएससोी AS = +Pata LS Mame Maines L MATT WR | = +सामान्य jt निबंध ea Tae + +Year-wite Sohved Paper +03-20 + +का: एहैएं1 01516 पति +(101 08 | + +A न ही है. ee | + + + + + +ENGLISH Compuleary +Wear-wise Sohsed Papers +ORO + +हिन्दी + + + +Scan +or Visit + +https://bit.ly/upsc-hindi + +11 fe + + + + + + + + + +ote +8'Upsc +fafa ten 1851-15 +झजिलार्य +Year wise Salved Papers +(शक 9-200 + += * Ss +aa +| + + + + + + + + + + + + + +Available at : dishapublication.com | amazon. in | flipkart.com | Leading Bookshops + + + + + +28 + +योजना, दिसम्बर 2021 + +YH-1702/2021 + + +0029.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + +69 SELECTIONS IN BPSC 65th + +OUR TOPPERS IN TOP 100 + + + + + +RAGHVENDRA PRATAP KESHAV RAJ ALOK KUMAR SWETA PRIYADARSHI + +RANK 15 RANK 31 RANK 32 RANK 33 +BIHAR ADMINISTRATIVE SUB REGISTRAR/ BIHAR POLICE SERVICE BIHAR ADMINISTRATIVE +SERVICE (BAS) JOINT SUB REGISTRAR (Dy SP) SERVICE (BAS) + + + +NIPUN KUMARI KUMAR SUBHAM RAVI KR. ROUSHAN RISHU RAJ SINGH +RANK 39 RANK 59 RANK 69 RANK 73 +BIHAR ADMINISTRATIVE DISTRICT COMMANDANT BIHAR EDUCATION BIHAR EDUCATION +SERVICE (BAS) SERVICE SERVICE + + + +KUNDAN KUMAR RAVI RAJ PARAS KUMAR MANI BHUSHAN +RANK 74 RANK 75 RANK 78 RANK 91 +BIHAR EDUCATION RURAL DEVELOPMENT BIHAR EDUCATION BIHAR EDUCATION +SERVICE OFFICER SERVICE SERVICE +and many more + + + +OREM Vere) (311: ०|।। है है ५ ०))| wre © 9155090871/72/73 + +©/Perfection IAS ©Perfection |AS(Official) @www.perfectionias.com + + + +योजना, दिसम्बर 2021 + + + + + +29 + +YH-1699/2021 + + +0030.txt +<----------------------------------------------------------------------> +वोकल फॉर लोकल तथा लोकल से ग्लोबल +डॉ रहीस सिंह + + + + + +ce सा नहीं है कि सिर्फ बड़ी-बड़ी चीजें ही भारत को आत्मनिर्भर बनाएंगी। भारत में बने कपड़े, +ऐश हैंडीक्राफ्ट, भारत के इलेक्ट्कि उपकरण, भारत के मोबाइल, हर एक क्षेत्र में, हमें इस गौरव को +बढ़ाना है। आत्मनिर्भरता की पहली शर्त होती है-अपने देश की चीजों पर गर्व होना, अपने देश के +लोगों द्वारा बनाई गई वस्तुओं पर गर्व होना। जब प्रत्येक देशवासी गर्व करता है, जब प्रत्येक देशवासी जुड़ता +है तो आत्मनिर्भर भारत सिर्फ एक आर्थिक अभियान न रहकर एक राष्ट्रीय भावना बन जाता है।'' प्रधानमंत्री +श्री नरेन्द्र मोदी के ये शब्द प्रत्येक भारतवासी की अंतःचेतना को स्पर्श करने वाले और उसमें स्पंदन पैदा करने +वाले हैं ताकि प्रत्येक भारतीय उनके इस अभियान के साथ जुड़कर भारत को आत्मनिर्भर बनाने में अपना +यथोत्रित योगदान दे सके। इस संवदेनशील संदेश में वही प्रेरणा व ऊर्जा दिख रही है जो आजादी की लड़ाई +के दौरान महात्मा गांधी के चरखा और स्वदेशी अभियान में दिखायी दी थी। उस समय प्रत्येक भारतीय एक +आत्मबल और ऊर्जा के साथ भारत को स्वतंत्र कराने के संकल्प के साथ आजादी की लड़ाई में शामिल हुआ +था, आज भी ज्यादा से ज्यादा भारतीय भारत को आत्मनिर्भर बनाने के अभियान में नवजागरण अभियान की +तरह जुड़ते दिखायी दे रहे हैं। जिस गति से प्रधानमंत्री का 'वोकल फॉर लोकल' मंत्र आगे बढ़ेगा आत्मनिर्भर +भारत की तस्वीर उतनी ही भव्य होती जाएगी। + +“वोकल फॉर लोकल' मंत्र पर बहुत से पाश्चात्यवादी और +बाजारवादी यद्यपि आरम्भ में पूरी तरह से संतुष्ट नहीं दिखे लेकिन +अब वे भी स्वीकार की मुद्रा में दिख रहे हैं। आज भी जो इस बात +से सहमत नहीं हैं, उन्हें कम से कम कोविड कालखण्ड में वैश्विक +परिदृश्य और तमाम राष्ट्रों के मनोविज्ञान का अध्ययन करना चाहिए। +इससे ज्ञात होता है कि कोविड-19 के उच्चतम स्तर के दौर में +प्रत्येक देश अपने और अपने नागरिकों के लिए संघर्ष करता दिखायी +दे रहा था। महामारी के समय उपजी चुनौतियों ने स्पष्ट बता दिया + + + + + +था कि ‘sit आपका है, वही सिर्फ आपका है।' भारत कोविड-19 लोकल sere + +आपदा से सबसे बेहतर ढंग से निपटने में सफल रहा, साथ ही यह भारत के कुल निर्यात में 33% से अधिक की वृद्धि +अनुभव किया गया कि जो हमार है, सिर्फ वही हमारा है। इसी ने 52 + +*राष्ट्र प्रथम, सदैव प्रथम' के विचार को अंतःस्थल में गहरी पैठ बनाने E _ ph + +का अवसर प्रदान किया और स्थानीय उत्पादों और उनसे सम्बंधित पु o + +भारतीय बाजार को नई ऊर्जा तथा दिशा प्रदान की। 12 मई 2020 को ; + +प्रधानमंत्री के आह्वान के बाद आत्मनिर्भर भारत अभियान ने स्थानीय = + +उत्पादों को वैश्विक बनाने और उसके साथ ही 'स्वदेशी संग उत्सव” i + +द्वारा लोकजीवन में एक नये आयाम को विकसित करने में सफलता E a df + +प्राप्त की। यह इसी अभियान का परिणाम है कि आज स्थानीय उत्पादों अगस्त 2020 अगस्त 2021 + +की खरीद के प्रति उत्साह राष्ट्रीय उत्सव का रूप लेता हुआ दिख 1 आग देद १720 विगत से ;४दिक के नस का निर्यात. एक ATA che ae +रहा है, नवम्बर 2021 की दीपावली में इसे स्पष्ट रूप से देखा गया। न! ताक याा के cows + + + +लेखक वरिष्ठ आर्थिक पत्रकार हैं। ईमेल; raheessingh@gmail.com + +30 योजना, दिसम्बर 2021 + + +0031.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + +“POW +Ch + +eT | a . +समर्पण tem + +Wes के 29 सात्त' + +आत्मनिर्भर मैन्यूफैक्चरिंग + +FP पीएलआई योजनाएं: मेक इन इंडिया + +a + +SS uaa + +(yy Te shrs + +इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी हार्ईवेयर, ऑटोमोबाइल +मोबाइल, फामस्थूरिकल्स, ईसी वेटरी सहित 15 चिन्द्ित +कैत्री के लिए 797 लाख करोड़ रुपये स्वीकृत + +a उन्पादन 5 aS A 500 बिलियन aries +aa dice + +प्रधानमंत्री के 'बोकल फॉर लोकल मंत्र से जुड़ने में यदि किसी +को लेशमात्र का भी संशय हो तो उसे भारत की परंपरा और उसके +प्रभाव पर आंशिक रूप से ही सही, पर एक नजर अवश्य डालनी +चाहिए ताकि यह पता चल सके कि भारत ने विकासक्रम में अपनी +संस्कृति और अध्यात्म की वृहत परम्परा का निर्माण किया और इस +क्रम में ज्ञान, विज्ञान, कला, शिल्प तथा उद्यम की ऐसी शैलियों को +विकसित किया जो न केवल भारत की विशिष्ट पहचान बनीं बल्कि +भारत को उस हद तक समृद्ध एवं आत्मनिर्भर बनाया कि दुनिया +भारत की ओर देखने के लिए विवश हुई। इन शिल्पों और शैलियों +का उद्भव देशज अथवा स्थानीय था लेकिन इनकी प्रभाव राष्ट्रीय और +पहुंच अंतरराष्ट्रीय थी। भारत के विकास की यही वह परंपरा अथवा +तकनीक थी जिसने भारत को नगरीय क्रांतियों से परिचित कराया और +भारत के गांवों को आत्मनिर्भर आर्थिक इकाई के रूप में प्रतिष्ठित +किया। यही वजह थी कि उन सदियों में + +ee ः ae i +समर्पण € + +Wes के 29 सात्त' + + + +नई पींद्ी की Hepat a प्रदर्शित करने +वाला एक गया. आत्मविश्वास से भरपूर भारत + +Mg + +विनिर्माण से कृषि; सेंदा से निर्यात तक; +रक्षा से स्वास्थ्य संता और उसे भी आगे +देश की आम्मविएर बनाने की शौच + +©. + +- (ee आत्गनिर्भरत्ञा को एक सोच +rd i! बनाने की पहल + +हैं और महाकवि तुलसीदास जी ये पंक्तियां भी अंकित हैं कि -'नहिं +दरिद्र कोड दुखी न दीना, नहिं HIS अबुध न लच्छन हीना॥ + +प्राचीन भारत आर्थिक इतिहास का सूक्ष्म अध्ययन करें तो पाएंगे +कि उस दौर में भारत की श्रेणियों ने अपने कौशल, अपनी तकनीक +और अपने उत्पादों के जरिए विदेशी बाजार में इतनी प्रभावशाली +उपस्थिति दर्ज करायी थी कि पश्चिम के व्यापारी और विचारक +अपने-अपने देशों के शिल्पों को बचाने के लिए ही नहीं बल्कि +अर्थव्यवस्था से धन के बहाव को रोकने के लिए विलाप करने को +विवश हो गये थे। भारत के सूती वस्त्रों, मोतियों, मणियों से लेकर +अस्थियों व धातुओं से बने विभिन्न प्रकार के उत्पादों ने पश्चिमी दुनिया +में ऐसी हनक जमायी कि पहली सदी ईसवी के आसपास प्लिनी +जैसे यात्रियों को विलाप करते हुए लिखना पड़ा था कि प्रत्येक वर्ष +55 करोड सेस्टर्टियस (रोमन मुद्रा) रोम से भारत की ओर बह जाते +हैं। यही व्याकुलता 18वीं-19वीं शताब्दी + + + +विदेशी आक्रांताओं ने स्थानीय उत्पादों और +उत्पादन की स्थानीय तकनीकों व शैलियों +को नष्ट करने का सर्वाधिक प्रयास किया। +शायद वे इस निष्कर्ष अवश्य पहुंचे होंगे कि +यदि भारत को पूरी तरह से विजित करना +है तो भारत की स्थानीय संस्कृतियों और +स्थानीय उत्पादन पद्धतियों को नष्ट करना +होगा। जब प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत +के लिए “वोकल फॉर लोकल" मंत्र दिया तो +एक बार दिमाग ने इतिहास के वे पन्ने फिर +पलटने शुरू किए जिनमें भारत की 'लोकल +से ग्लोबल' तक बेहद सुंदर तस्वीरें बनी हुई + +भारत ने विकासक्रम में अपनी संस्कृति +और अध्यात्म की वृहत परम्परा का + +निर्माण किया और इस क्रम में ज्ञान, +विज्ञान, कला, शिल्प तथा उद्यम की + +ऐसी शैलियों को विकसित किया जो +न केवल भारत की विशिष्ट पहचान +बनीं बल्कि भारत को उस हद तक +समृद्ध एवं आत्मनिर्भर बनाया कि + +दुनिया भारत की ओर देखने के लिए + +विवश हुई। + +के कई पाश्चात्य विचारकों व अर्थशास्त्रियों +में भी देखी गयी जो अफसोस जताते हुए +लिख रहे थे कि यूरोपीय लोगों की भारतीय +कपड़ों व वस्तुओं के प्रति आशक्ति यूरोप +को कंगाल बना रही है। यही नहीं, 18वीं +सदी तक पहुंचते-पहुंचते यूरोपीय देश +भारत निर्मित सूती वस्त्रों पर कानून बनाकर +प्रतिबंध लगाने के लिए विवश हो गये थे। +इसी के बाद भारत के स्थानीय उद्यमों को +नष्ट किया गया, स्थानीय बाजारों पर कब्जा +किया गया और स्थानीय उत्पादों को नेपथ्य +में डाल दिया गया। हालांकि वे इसमें पूरी + + + +योजना, दिसम्बर 2021 + +31 + + +0032.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +तरह से सफल नहीं हो पाए क्योंकि वे भारत की देशज संस्कृति +को कभी खत्म नहीं कर पाए। अपनी माटी, मां का दिया हुआ मोटा +कपड़ा और मोटे अनाज की रोटी, ने अपने 'स्व' और अपने अभिमान +को कभी खत्म नहीं होने दिया और यही आगे चलकर राष्ट्रीय संघर्ष +का मूलाधार भी बना। 21वीं सदी हमसे फिर वैसी ही अपेक्षा कर रही +है, जिसका संदेश प्रधानमंत्री ने सभी भारतवासियों को दिया है। आज +यह जरूरी हो चुका है कि देशन और पारंपरिक कलाओं, शिल्पों +व उत्पादों को भारतीयों की भावना से जोड़ा जाए, उनमें तकनीक व +कौशल का प्रयोग कर आज की मांग के अनुरूप बनाया जाय और +उनकी पैकेजिंग, ब्राण्डिग व विपणन व विक्रय कर वैश्विक प्रतिस्पर्धा +के योग्य बनाया जाए। ताकि यह भारतीय लोकजीवन में खुशहाली +और भारत की आत्मनिर्भरता का निर्णायक चर बन सके। + +अच्छी बात यह है कि लोकल अब ग्लोबल बन रहा है। इसके +बहुत से उदाहरण देखे भी जा सकते हैं। एक उदाहरण तो खादी +के ओहाका ब्राण्ड का है, जिसे एक मैक्सिको के युवा मार्क ब्राउन +द्वारा स्थापित किया गया। उल्लेखनीय है कि मैक्सिकन युवा मार्क +ब्राउन की गांधी खादी के अर्थशास्त्र को समझने के प्रति रुचि +उन्हें महात्मा गांधी के आश्रम तक खींच लायी। यहां आकर उन्होंने +महात्मा गांधी और खादी मंत्र के बारे में गहराई से जाना-समझा, तब +उन्हें यह एहसास हुआ कि हुआ कि भारत का खादी केवल एक +कपड़ा ही नहीं है, बल्कि यह सम्पूर्ण जीवन पद्धति है। इससे ग्रामीण +अर्थव्यवस्था और आत्मनिर्भरता का दर्शन जुड़ा है। + +यानी महात्मा गांधी के विचार में खादी रोजगार और भोजन +की व्यवस्था के साथ-साथ व्यक्तित्व को + +चंदौली का बुद्ध का महाप्रसाद रहा कालानमक चावल हो, +वाराणसी की रेशम की साडियां हों, लखनऊ की चिकनकारी हो, +गोरखपुर की टेराकोटा मूर्तियां हों, आजमगढ़ की पकी मिट्टी (काली) +की पॉटरी हो, तमिल के टोडा जनजाति के कलाकारों द्वारा बनाई गयी +शॉलें हों, चंदेरी का कॉटन हो, मधुबनी की पेंटिंग किए गये परिधान +हों या पश्चिम बंगाल की जनजातियों द्वारा बनाए जाने वाले जूट के +उत्पाद, ये सभी मिलकर भारत की परम्परा और दर्शन की कहानी +बयां करते हैं। थोड़ा और आगे बढ़कर देखें तो आज हथकरघा हो या +कृषि क्षेत्र, रक्षा क्षेत्र हो या आईटी, मेडिकल क्षेत्र हो या टेक्सटाइल, +इन तमाम क्षेत्रों में भारत का बढ़ता निर्यात ब्रांड इंडिया के ग्लोबल +होने की कहानी लिख रहा है। + +इस दृष्टि से उत्तर प्रदेश का 'एक जिला-एक उत्पाद' कार्यक्रम +एक अति महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है जिसने स्थानीय उत्पादों को +वैश्विक बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया गया है। इसकी शुरुआत +24 जनवरी 2018 को उत्तर प्रदेश दिवस के अवसर पर हुई है। +दरअसल यह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ब्रेन चाइल्ड है जिसे +लेकर उत्तर प्रदेश सरकार मिशन मोड पर कार्य कर रही है। एक +जिला-एक उत्पाद कार्यक्रम मार्केट मैकेनिज्म के अनुरूप वातावरण +निर्मित करने के साथ-साथ प्रधानमंत्री के 'बोकल फॉर लोकल मंत्र +के साथ आत्मनिर्भर भारत अभियान की एक महत्वपूर्ण कड़ी बनने में +सफल हुआ है। एक जिला-एक उत्पाद (वन डिस्ट्रिक्ट-वन प्रॉडक्ट; +ओडीओपी ) भारत के देशज उत्पादों को बढ़ावा देकर देशज संस्कृति +का मूल्यवर्धन करता है। + + + +किसी भी राष्ट्र के विकास की पटकथा + + + +सृजनशील बनाने का एक महत्वपूर्ण जरिया +भी है। यही वजह है कि मार्क ब्राउन +इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि खादी भारत +की एक जीवनशैली है। दरअसल खादी +हमारी विशिष्ट और परम्परागत अर्थव्यवस्था +एवं लोकजीवन की प्रतिनिधि भी है और +प्रतीक भी। यही बात अन्य उत्पादों पर +भी लागू होती है जो भारत की देशजता, +भारत की परम्परा, भारत की संस्कृति, +भारत की भौगोलिक विशिष्टता और पहचान +का प्रतिनिधित्व करते हैं। फिर वह चाहे + +खादी भारत की एक जीवनशैली है। +दरअसल खादी हमारी विशिष्ट और +परम्परागत अर्थव्यवस्था एवं लोकजीवन +की प्रतिनिधि भी है और प्रतीक भी। +यही बात अन्य उत्पादों पर भी लागू +होती है जो भारत की देशजता, भारत 2: +की परम्परा, भारत की संस्कृति, भारत +की भौगोलिक विशिष्ठटता और पहचान +का प्रतिनिधित्व करते हैं। + +लिखते समय स्थानीय उत्पादों, शैलियों व +परम्पराओं की उपेक्षा नहीं की जा सकती। +इसके लिए उपयुक्त कारण भी हैं, अर्थात- +1. ये लोकजीवन में समृद्धि और खुशहाली +में मूल्य वर्धन (वैल्यू एडीशन) का कार्य +करते हैं। +ये ग्रामीण अर्थव्यवस्था में अतिरिक्त +आय के सृजन में सहभागी बनते हैं जिससे +प्रतिव्यक्ति ग्रामीण आय में वृद्धि होती है। +ये ग्रामीण अर्थव्यवस्था में अतिरिक्त +रोजुगार पैदा करने में समर्थ होते हैं। + + + +32 + +योजना, दिसम्बर 2021 + + +0033.txt +<----------------------------------------------------------------------> +4. ये ग्रामीण अर्थव्यवस्था में वाणिज्यीकरण को बढावा देते हैं और + +बाजार प्रतिस्पर्धा के अनुरूप बनाने में सहायक होते हैं। + +ध्यान रहे कि 1991 के बाद वेश्विक अर्थव्यवस्था एक नये +रूप और नए चरित्र के साथ सामने आयी थी और इस बदले हुए +चरित्र अनुरूप प्रत्येक इकोनॉमी को स्वयं को बदलना था फिर वह +चाहे राष्ट्रीय हो या प्रादेशिक अथवा स्थानीय। बदलाव आया लेकिन +परिवर्तन के रूप में इसलिए स्थानीय उत्पाद (विशेषकर हैंडीक्रॉफ्ट) +नेपथ्य में चले गये। मोटे तौर यह मान लिया गया कि इन उत्पादों +की नई अर्थव्यवस्था में भूमिका नहीं है क्योंकि ये ग्लोबल बाजार में +प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता नहीं रखते। लेकिन ऐसा था नहीं बल्कि +इन्हें एक नया आयाम और नया फलक देने के लिए जरूरी था कि +इन्हें एक ऐसे कार्यक्रम का हिस्सा बनाया जाए जो इन उत्पादों के +लिए. एक “एफीशिएंट मार्केट मैकेनिज्म” निर्मित कर सके। इसके +लिए. जरूरी था-फैसलिटेशन, डिजाइनिंग, पैकेजिंग, ब्राण्डिय और +मार्केटिंग। यहां पर फैसलिटेशन (सुविधाएं उपलब्ध कराने) का दायरा +वित्तीय सहयोग अथवा सहायता तक सीमित न होकर व्यापक है जैसे +इन उत्पादों के लिए विपणन विक्रय स्थान उपलब्ध कराना, उन तक +इन उत्पादों की पहुंच सुनिश्चित कराना, इनमें नियोजित लोगों को +प्रशिक्षित करना, तकनीकी रूप से उन्‍नत बनाने के लिए प्रौद्योगिकीय +संस्थाओं को सहयोग सुनिश्चित कराना, बेहतर पैकेजिंग एवं ब्राण्डिंग +के लिए फैशन एवं डिजाइनिंग संस्थाओं की सहभागिता सुनिश्चित +कराना तथा प्रतिस्पर्धा के लिए संभावित तकनीकी व वित्तीय उपाय +सुनिश्चित कराना आदि। ध्यान रहे कि पश्चिमी बाजार, विशेषकर +यूरोप के देश इस बात पर विशेष जोर देते हैं कि किसी नए उत्पाद +को ऐसे अवसर पर बाजार में उतारा जाए जब कोई विशेष अवसर +या त्योहार हो ताकि लोगों की भावनाओं को उससे जोड़ने में आसानी + + + +योजना, दिसम्बर 2021 + + + + + +जाता है तो फिर उसकी मांग का पक्ष स्वतःफूर्त हो जाता है। दूसरे +शब्दों में कहें तो किसी भी उत्पाद को बाजार में विशिष्ट और डिमांड +ओरिएंटेड बनाने के लिए “प्वाइंट ऑफ टाइम' को ध्यान रखने की +आवश्यकता होती है। + +आज के संदर्भ में एक बात और प्रमुख है। आज 'क्वालिटी +sith ese’ के मुकाबले 'क्वालिटी ऑफ ब्राण्डिग” कहीं अधिक +निर्णायक हो गयी है। “क्वालिटी ऑफ स्टैंडर्ड' की निर्भरता किसी +संस्था द्वारा किए गये सर्टीफिकेशन (प्रमाणन) पर निर्भर करती है। +सर्टीफिकेशन किसी भी उत्पाद (प्रॉडक्ट) की साख की दृष्टि से +बेहद महत्वपूर्ण होता है। इसलिए जितनी बड़ी संस्था प्रॉडक्ट का +सर्टिफिकेशन करती है, बाजार में उत्पाद की साख उसके संगत +अनुपात में बढ़ जाती है। इस बढ़ी हुई साख के अनुरूप उत्पाद की +बाजार मांग में वृद्धि होती है। यह उत्पादन की तकनीक (टेक्नीक +ऑफ प्रॉडक्शन) का हिस्सा है जो मुख्यतौर पर अंतरराष्ट्रीय बाजार में +गुणवत्ता आधारित प्रतिस्पर्धा की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। यही वह +विशेषता है जो प्रोडक्ट में वैल्यू एडीशन (मूल्य वर्धन) करता है। + +यह प्रधानमंत्री की ही दूरदृष्टि थी कि देश में पहली बार क्लस्टरों +का निर्माण कर कृषि निर्यात को बढ़ावा दिया गया। जैसे-बनारस से +ताजी सब्जियों और चंदौली से कालानमक चावल का; नागपुर से संतरे, +अनंतपुर से केले और लखनऊ से आम का। ऐसे बहुत से उत्पाद हैं +जिनका पहली बार निर्यात किया गया और उन्होंने अपनी गुणवत्ता के +आधार पर विदेशी बाजारों में धूम मचायी। जैसे-पहली बार मई में +चार हजार किलो आर्गेनिक- सांवा चावल और जौ डेनमार्क भेजे गए। +इसी वर्ष पहली बार असम से 40 मीट्रिक टन लाल चावल अमेरिका +को, पूर्वोत्तर का बर्मी अंगूर और त्रिपुरा से कटहल लंदन भेजा गया, +नगालैंड से चिली, कानपुर का जामुन जून-जुलाई 2021 में ब्रिटेन, +ओमान और संयुक्त अरब अमीरात भेजा गया। इसी तरह से भागलपुर से +जर्दालु आम को लंदन, कश्मीर की मिश्री चेरी को दुबई और हिमाचल +प्रदेश के सेब को बहरीन, छत्तीसगढ़ के महुआ आदि को पहली बार +फ्रांस भेजा गया है। यानी भारत के अन्नदाता किसानों ने सिर्फ देश +के लोगों का ही भरण-पोषण नहीं किया बल्कि विश्व के कोने-कोने +पर दस्तक देकर भारतीय उत्पादों के स्वाद का ऋणी बनाया। इससे +सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि आने वाले समय में ये उत्पाद + +33 + + +0034.txt +<----------------------------------------------------------------------> +भारत की आत्मनिर्भरता का नया इतिहास लिखने में कामयाब होंगे, +यदि भारतवासियों ने प्रधानमंत्री के संकल्प के अनुसार अपने विचारों +और कार्यों में परिवर्तन करने में सफलता अर्जित कर ली तो। “क्या +हम संकल्प ले सकते हैं कि 2022 में जब आजूदी के 75 वर्ष पूरे +हो रहे हैं, कम से कम इस समय तक हम भारत के स्थानीय उत्पाद +खरीदने के आग्रही बनें। भारत में बना, हमारे देशवासियों के हाथों से +बना, हमारे देशवासियों के पसीने की जिसमें महक हो, ऐसी चीजों +को खरीदने का हम आग्रह कर सकते हैं क्‍या? मैं लंबे समय के +लिए यह नहीं कह रहा, लेकिन सिर्फ 2022 तक, आजादी के 75 +वर्ष हों तब तक हम ऐसा करते हैं।'” प्रधानमंत्री के इस संवेदनशील + +सहयोग और शांति की चिंता होती है। भारत की प्रगति में तो हमेशा +विश्व की प्रगति समाहित रही है। भारत के लक्ष्यों का प्रभाव, भारत +के कार्यों का प्रभाव विश्व कल्याण पर तो पड़ता ही है।'” इसलिए +हमें आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए उन पांच +स्तम्भों को सबल बनाना होगा जिन्हें प्रधानमंत्री द्वार मई 2020 में +सुनिश्चित किया गया था। ये हैं-अर्थव्यवस्था, जो वृद्धिशील परिवर्तन +(इन्क्रीमेंटल चेंज) नहीं बल्कि लंबी छलांग (क्वांटम चेंज) सुनिश्चित +करती है; बुनियादी ढांचा, जिसे भारत की पहचान (आइडेंटिटी ऑफ +इंडिया) बन जाना चाहिए; प्रणाली (सिस्टम), जो 21वीं सदी की +प्रौद्योगिकी संचालित व्यवस्थाओं (टेक्नोलॉजी ड्रिवेन) पर आधारित हो; + + + +संकल्प के साथ प्रत्येक भारतीय को जुड़कर 'वोकल फॉर लोकल' +बनना चाहिए। अर्थात हम देश में निर्मित वस्तुओं को केवल खरीदें +नहीं बल्कि साथ में गर्ब से इसका प्रचार भी करें। 12 मई 2020 को +प्रधानमंत्री ने देश को सम्बोधित करते हुए कहा था- आज विश्व में +आत्मनिर्भर शब्द के मायने पूरी तरह से बदल गये हैं। ग्लोबल वर्ल्ड में +आत्मनिर्भरता की परिभाषा बदल रही है। अर्थकेन्द्रित वैश्वीकरण बनाम +मानव केन्द्रित वैश्वीकरण की चर्चा आज जोरों पर है। विश्व के सामने +भारत का मूलभूत चिंतन आशा की किरण नजर आता है। भारत की +संस्कृति भारत के संस्कार उस आत्मनिर्भरता की बात करते हैं जिसकी +आत्मा वसुधेव कुटुम्बकम की है यानी विश्व एक परिवार है। भारत +जब आत्मनिर्भरता की बात करता है तो आत्मकेन्द्रित सम्पूर्ण व्यवस्था +की वकालत नहीं करता। भारत की आत्मनिर्भरता में संसार के सुख, + +जीवंत जनसांख्यिकी (वाइब्रेंट डेमोग्रॉफी), जो आत्मनिर्भर भारत के +लिए हमारी ऊर्जा का स्रोत है; और मांग, जिसके तहत हमारी मांग +एवं आपूर्ति श्रृंखला (सप्लाई चेन) की ताकत का उपयोग पूरी क्षमता +से किया जाना चाहिए। + +फिलहाल आज भारत एग्रीकल्चर से एस्ट्रोनॉमी तक, डिजास्टर +मैनेजमेंट से डिफेस टेक्नोलॉजी तक, वैक्सीन से लेकर वर्चुअल +रियलिटी तक, बायोटेक्नोलॉजी से लेकर बैटरी टेक्नोलॉजी तक +या दूसरे शब्दों में कहें तो लोकल से ग्लोबल तक हर दिशा में +आत्मनिर्भ और सशक्त बनने की ओर अग्रसर है। इसलिए हमारा +यह विश्वास सुदृढ़ होना चाहिए कि इस देश की 130 करोड़ की +मानव पूंजी प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत अभियान कौ गति थमने +नहीं देगी। हा + + + + + + + +@ Bia गण आर “a + +ly om - es ब्टकमोम + +rari) 1D eee * +fj + +Peet + + + +i Wea aa ere Tot + +Mt ala +foo— esi + + + +पृक ARE करते के लिए RE +Of code Fl Ghat करे + +34 + +— +ras + + + + + +YH-1701/2021 + +योजना, दिसम्बर 2021 + + +0035.txt +<----------------------------------------------------------------------> +आत्मनिर्भर कृषि + +fie सिद्धांतों में सर्वजन कल्याण हेतु “' पेरेटो +ऑप्टिमैलिटी (पेरेटों अनुकूलतम) '” को सर्वश्रेष्ठ +माना जाता है जिसमें संसाधनों के आबंटन सहित सब +कुछ बाजारी शक्तियों- मांग और पूर्ति से निर्धारित होने की बात की +जाती है लेकिन गत इतने दशकों का अनुभव बताता है कि भारत +में कृषि क्षेत्र में बाजुरी शक्तियों को सक्रिय नहीं होने दिया जाता। +साल भर जी तोड़ मेहनत-मशक्‍्कत करने पर भी किसान के हिस्से +दो वक्‍त की रोटी भी नहीं आ पाती। खेती करने के लिए एक बार +जो वह ऋण के दुष्चक्र में फंसता है, पीढ़ी दर पीढ़ी उससे निकल +नहीं पाता। वर्षों पहले पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने भारत की कृषि +प्रधान अर्थव्यवस्था को देखते हुए जो मंत्र दिया था, “हर खेत को +पानी और हर हाथ को काम' - जब तक किसानों के दुःख-दर्द को +समझकर उनकी समस्याओं का हल नहीं निकाला जाता, तब तक +देश का समग्र विकास आकाशकुसुम ही बन कर रहेगा। +इसीलिए, भारत के अन्नदाता की बदहाली को ठीक करने के +मकसद से वर्तमान केन्द्र सरकार ने 13 अप्रैल 2016 को डॉ अशोक +दलवाई की अध्यक्षता में 'डबलिंग फार्मर्स इनकम कमेटी” का गठन +किया, जिसका मुख्य लक्ष्य कृषि नीति को “उत्पादन केन्द्रित” के +बजाय “आय केन्द्रित” बनाने के प्रयोजन से उन संभावनायुकत क्षेत्रों +की पहचान करना था जिनमें ज्यादा निवेश होना चाहिए। इस प्रयोजन +हेतु बनाई गई सात-सूत्रीय रणनीति हैं:- +प्रति बूंद-अधिक फसल (पर ड्रॉप मोर क्रोप) के सिद्धांत पर +पर्याप्त संसाधनों के साथ सिंचाई पर विशेष बल +* प्रत्येक खेत की मिट्टी की किस्म के अनुसार अच्छे बीज एवं +पोषक तत्वों का प्रावधान +* कटाई के बाद फसल नुकसान को रोकने के लिए गोदामों एवं +कोल्डचेन्स में अधिक निवेश +* खाद्य प्रसंस्करण के माध्यम से मूल्य संवर्धन को प्रोत्साहन +* राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नैम) का कार्यान्वयन +* जोखिम को कम करने हेतु कम कीमत पर फसल बीमा योजना +की शुरुआत +* डेयरी, पशुपालन, मुर्गीपालन, मधुमक्खी पालन, मेढ़ पर पेड, +बागवानी व मछली पालन जैसी सहायक गतिविधियों को +बढ़ावा देना। +अगर हम इतिहास पर नजर डालें तो पायेंगे कि अंग्रेजों ने +हमारी कृषि अर्थव्यवस्था को सबसे बड़ा आघात पहुंचाया। जुमीन +का लगान वसूलने के तो सारे तरीके उनके पास थे किंतु खेती के + +मंजुला वाधवा + +लिए बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने से उनका दूर-दूर तक कोई +aren vet था। जमींदारी प्रथा के जन्म और जूमीनों पर किसानों +का मालिकाना हक समाप्त होने से हमारे किसानों का रहा-सहा +आत्मविश्वास भी धराशायी होने लगा। जब जूमीन ही अपनी न रही +तो कैसे हमारे अन्नदाता खेती का उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने +के प्रति उत्साहित होते, लिहाजा देश के स्वतंत्र होते-होते कृषि की +प्रगति पर तो मानो विराम लग गया। आजादी मिली, जमींदारी प्रथा +समाप्त हुई, विनोबा भावे ने भूदान और ग्राम-दान आंदोलन भी +चलाए परंतु देश के छोटे और सीमांत किसानों को लाभ पहुंचाने के +उनके प्रयास फलीभूत नहीं हुए। बडी जूमीनों पर भू-स्वामियों का +कब्जा जारी रहा और छोटे और सीमांत किसानों की जूमीनें पीढी +दर पीढ़ी टुकड़ों में बंटती चली गई। आजादी के बाद पंचवर्षीय +योजनाओं में भी खेती और खेतिहरों की समस्याओं की ओर हमारे +नीति निर्माताओं का ज़्यादा ध्यान नहीं गया, नतीजतन, उत्पादन और +उत्पादकता लगातार घटने लगी। धन्य हैं डॉ स्वामीनाथन, जिनकी +अगुवाई में 1960 के बाद के दशक में भारत में “हरित क्रांति! का +सूत्रपात हुआ। हाइब्रिड बीज, रसायनिक खाद और उर्वरक, कृषि +मशीनीकरण, खेती के वैज्ञानिक तरीकों आदि के प्रयोग से बेशक +उल्लेखनीय सुधार आया और हम भारतवासी अनाज के मामले में +आत्मनिर्भर तो हुए परंतु हर चारागाह की सारी घास तो हरी होती +नहीं, लिहाजा, तकनीकों का लाभ बडे किसानों को ही पहुचा, +बड़े और छोटे किसानों के बीच की खाई दिन-ब-दिन बढ़ने लगी, +मिट्टी की उपजाऊ शक्ति घटने लगी, लवणीयता बढ़ने लगी, भूजल +के anya दोहन से उसका स्तर निरंतर नीचे जाने लगा। भूजोतें +दिन प्रति दिन छोटी होने से कृषि लागतें बढ़ती जा रही हैं, पैदावार +के मूल्य गिरते जा रहे हैं, किसानों को अपनी उपज का सही मूल्यी +नहीं मिलता। भंडारण सुविधाएं न होने के कारण वे औने-पौने दामों +पर उपज बेचने के लिए मजबूर हो जाते हैं। किसान मानसून की +मार तो झेल ही रहा था, अब जलवायु परिवर्तन की समस्याओं ने +कंगाली में आटा गीला करने मे कोई कसर नहीं छोडी। + +आइए, अब जायजा लेते हैं, हाल ही में भारत सरकार, रिजर्व +बैंक, नाबार्ड द्वारा किसानों की आय बढ़ाने के लिए किए जा रहे +प्रयासों का - 2016 से चल रही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना' +जिसके अंतर्गत किसी भी आपदा की स्थिति में किसानों को खाद्य +और तिलहनी फसलों तथा वार्षिक वाणिज्यिक/बागवानी फसलें, +जिनके लिये पिछली उपज के आंकडे उपलब्ध हैं, का बीमा प्रदान +करने का प्रावधान है। इस योजना में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव लाते + + + +लेखिका नाबार्ड में सहायक महाप्रबंधक हैं। ईमेल: 1धगंप4.भंएपरद्घेााभन.०णा + +योजना, दिसम्बर 2021 + +35 + + +0036.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +किसान रैल ने कोविड-19 के +भुश्किल समय में निर्बाध् नेशनल +dies wend da aria at + +ए सितंबर 702 तक 103 रूटों +पर कुल 1,277 द्ैनें चलाई गई + +लगपग 4.2 लाख रन माल का +पर्विहन क्रिया गया + + + + + + + + + +हुए इसका प्रभावी व कार्यकुशल कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के +उद्देश्य से खरीफ 2020 से सभी किसानों के लिये इस योजना में +नामांकन अनिवार्य की बजाय शत प्रतिशत स्वैच्छिक कर दिया गया +है। गैर-सिचित क्षेत्रोंफसलों के लिये बीमा किस्त की दरों पर केंद्र +सरकार की हिस्सेदारी को 30 प्रतिशत और सिंचित के लिये 25 +प्रतिशत तक सीमित करने का भी निर्णय लिया गया है। राज्यों/ +केद्रशासित प्रदेशों को योजना लागू करने के लिये व्यापक छूट देने +के साथ ही अतिरिक्त जोखिम कवर/सुविधाओं का चयन करने का +विकल्प भी दिया गया है। अब इस योजना के तहत बीमा कंपनियों +द्वारा एकत्र किये गए कुल प्रीमियम का 0.5 प्रतिशत सूचना, शिक्षा +और संचार गतिविधियों पर खर्च करना होगा। फसल नुकसान का + +फंड - 'पीओडीएफ' के अंतर्गत 5000 के लक्ष्य के समक्ष 5060 +किसान उत्पादक संगठनों” का गठन अब तक कर चुका है और +उन्हें ऋण, क्षमता-निर्माण, उपज की बिक्री आदि के लिए वित्तीय +सहायता एवं अन्य सुविधाएं लगातार पंहुचा रहा है। भारत सरकार +द्वारा 2019-20 के केन्द्रीय बजट में घोषित अगले 5 वर्षों में +10000 किसान उत्पादक संगठन बनाने का काम देश की तीन +महत्वपूर्ण संस्थाओं-नाबार्ड, स्मॉल फार्मर्स एग्रीबिजुनेस कसोर्टियम +(एसएफएसी) तथा नेशनल कोऑपरेटिव डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन +(एनसीडीसी) को सौंपा गया है जो समुदाय आधारित व्यवसाय +संगठनों (सीबीबीओ) के माध्यम से देश भर में इस योजना को +चलाकर किसानों की आय दुगणी करने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य की +पूर्ति की दिशा में प्रयास कर रहे हैं। किसान उत्पादक संगठनों को +आसानी से ऋण देने के लिए बैंकों को सक्षम बनाने हेतु नाबार्ड +और एनसीडीसी के पास क्रमश: 1000 करोड तथा 500 करोड +रुपये का क्रेडिट गारंटी फंड भी बनाया गया है जिनमें केन्द्र सरकार +बराबर का अंशदान करेगी। + +अगस्त 1998 से चल रही नाबार्ड की किसान क्रेडिट कार्ड +योजना निश्चय ही इस दिशा में मील का पत्थर साबित हो रही है। +किसानों को फसलें उगाने से लेकर कटाई के बाद तक, उपभोग, +कृषि आस्तियों के सृजन आदि की सारी ऋण जरूरतों के लिए +रियायती लोन आसानी से उपलब्ध करवाने के प्रयोजन से 2020 +में नाबार्ड के साथ ही भारत सरकार ने भी किसान क्रेडिट कार्ड +अभियान मिशन मोड में चलाते हुए प्रधानमंत्री किसान सम्मान +योजना के लाभार्थियों को भी इस योजना के दायरे में लाने का +निर्णय लिया है। + +आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत, जुलाई 2020 में केद्रीय +मंत्रिमंडल ने एक लाख करोड़ रुपये की राशि की कृषि अवसरचना +कोष (एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्क्चर फंड) नामक एक नई अखिल +भारतीय योजना को मंजूरी दी थी। यह फंड फसल कटाई के बाद +बुनियादी ढांचा प्रबंधन एवं सामुदायिक कृषि परिसंपत्तियों में निवेश +करने के लिए मध्यम एवं दीर्घकालीन ऋण वित्तपोषण की सुविधा +प्रदान करता है ताकि किसानों की पंहुच नवीन तकनीकों के माध्यम + + + +आकलन करने के लिये सैटेलाइट इमेजरी, +रिमोट-सेंसिंग तकनीक, ड्रोन, कृत्रिम मेधा +और मशीन लर्निंग का उपयोग किया जाने +लगा है। भूमि रिकॉर्ड के एकीकरण के +लिये जैसे देश में प्रधानमंत्री फसल बीमा +योजना पोर्टल (पीएमएफबीवाई) की +शुरुआत की गई है। फसल बीमा ऐप +किसानों को आसान नामांकन की सुविधा +प्रदान करता है। + +भारत जैसे देश में जहां 86 प्रतिशत +भूजोतें छोटी व सीमांत हैं, में कृषि भूमि +के समूहन की अवधारणा किसानों की +आय दोगुनी करने की दिशा में बेहद +कारगर साबित हो रही है। इसके तहत देश +का शीर्षस्थ ग्रामीण विकास बैंक, नाबार्ड +भारत सरकार के “प्रोड्यूस फंड” तथा + +भारत जैसे देश में जहां 86 प्रतिशत +भूजोतें छोटी व सीमांत हैं, में कृषि +भूमि के समूहन की अवधारणा +किसानों की आय दोगुनी करने की +दिशा में बेहद कारगर साबित हो +रही है। इसके तहत देश का शीर्षस्थ +ग्रामीण विकास बैंक, नाबार्ड भारत +सरकार के “प्रोड्यूस फंड' तथा अपने +प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन डेवलपमेंट +फंड - 'पीओडीएफ' के अंतर्गत +5000 के लक्ष्य के समक्ष 5060 +'किसान उत्पादक संगठनों का गठन +अब तक कर चुका है। + +से फाइटोसैनेटिक मानडंडों को पूरा करते +हुए राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक बढ़ाई +जा सके। ऋण पर ब्याज में 3 प्रतिशत +की छूट देने के साथ ऋणदाता संस्था को +दो करोड़ तक के ऋण पर बैंक गारंटी +सरकार द्वारा दी जाती है। आगे 8 जुलाई +2021 को इस योजना को संशोधित करते +हुए पात्रता का विस्तार राज्य एजेंसियों/ +कृषि उपज बाजार समितियों (एपीएमसी) , +राष्ट्रीय और राज्य सहकारी समितियों के +परिसंघों, किसान उत्पादक संगठनों के +परिसंघों (एफपीओ फेडरेशन्स) तथा स्वयं +सहायता समूहों के परिसंघों (एसएचजी +फेडरेशन्स) तक किया गया है। एपीएमसी +के लिए एक ही बाजार यार्ड के भीतर +विभिन्न बुनियादी ढांचे के प्रकारों जैसे + + + +अपने प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन डेवलपमेंट +36 + +योजना, दिसम्बर 2021 + + +0037.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + + + +‘ee पीएम किसान + +किसान कल्याण और ग्रामीण +tana - समृद्धि के लिए प्रतिबद्ध +₹6,0100 प्रति वर्ष 7 +की आय सहायता ic a कै . +/ 1४ * +11.60 करोड़ से अधिक +किसान हुए लाभान्वित +विभिन्न किश्ों में \1 ७ टू +२1.50 लाख करोड (४ ४. " . +जारी किए गए हैं हि + + + + + + + + + +आत्मनिर्भर किसान + +किसानों की आय दोगुना +करने की दिशा में पहल + +प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के +तहत 235 करोड ट्ैक्टेयर it aT aT, +1.46 करोड़ किसान हुए रजिस्टर्ड + +अब तक 22.90 करोड़ से अधिक +Afar Bee ore भेजे जा चुके हैं + + + + + +कोल्ड स्टोरेज, छंटाई, पैकिंग, ग्रेडिंग +की प्रत्येक परियोजना के लिए 2 करोड +रुपये तक के ऋण पर ब्याज छूट (इंट्रेस्ट +सबवेंशन) की सुविधा प्रदान की जाएगी। +ऋण मंजूर करने की अवधि 2023-24 से +बढ़ाकर 2025-26 तक यानी 4 की बजाय +6 वर्ष कर दी गई है और योजना की +कुल अवधि जो पहले 10 वर्ष थी हाल +ही में बढ़ाकर 13 वर्ष अर्थात 2032-33 +कर दी गई है। + +कोविड काल में केन्द्र सरकार ने +दो नयी योजनाएं लागू की हैं- 15000 +करोड की कॉर्पस राशि से पशुपालन +अवसरंचना विकास निधि” (एनिमल +हस्बैंडरी इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड) +जिसके अंतर्गत पात्र लाभार्थियों में, किसान +उत्पादक संगठन (एफपीओ) , एमएसएमई, +धारा 8 में शामिल कंपनियां, निजी क्षेत्र +की कंपनियां और व्यक्तिगत उद्यमी सभी +शामिल हैं, न्यूनतम 10 प्रतिशत मार्जिन +राशि के अंशदान सहित। शेष 90 प्रतिशत +राशि, अनुसूचित बैंकों द्वारा ऋण के रूप +में मुहैया करवाई जा रही है। 3 प्रतिशत +ब्याज छूट के साथ ही नाबार्ड में 750 +करोड रुपये के ऋण गारंटी कोष की +स्थापना करके स्वीकृत परियोजनाओं को +ऋण गारंटी भी प्रदान की जा रही है। + +योजना, दिसम्बर 2021 + + + +भारत सरकार द्वारा 2019-20 के +केन्द्रीय बजट में घोषित अगले 5 वर्षो +में 10000 किसान उत्पादक संगठन +बनाने का काम देश की तीन +महत्वपूर्ण संस्थाओं-नाबार्ड, स्मॉल +'फार्मर्स एग्रीबिजुनेस कंसोर्टियम +(एसएफएसी ) तथा नेशनल +कोऑपरेटिव डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन +(एनसीडीसी ) को सौंपा गया है जो +समुदाय आधारित व्यवसाय संगठनों +(सीबीबीओ ) के माध्यम से देश भर +में इस योजना को चलाकर किसानों +की आय दोगुणी करने के महत्वाकांक्षी +लक्ष्य की पूर्ति की दिशा में प्रयास कर +रहे हैं। किसान उत्पादक संगठनों को +आसानी से ऋण देने के लिए बैंकों को +सक्षम बनाने हेतु नाबार्ड और एनसीडीसी +के पास क्रमशः 1000 करोड़ तथा 500 +करोड़ रुपये का क्रेडिट गारंटी फंड +भी बनाया गया है जिनमें केन्द्र सरकार +बराबर का अंशदान करेगी। + + + +एक और बेहद उल्लेखनीय कदम हे +20050 करोड़ रुपये के कॉर्पस सहित +प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना! - जिसके +माध्यम से मछली पालन व्यवसाय से जुडे +लोगों की आय में वृद्धि करने के साथ +ही उनके जीवन स्तर में सुधार लाने और +2024 तक मत्स्य निर्यात 1 लाख करोड +तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। + +आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक +और कदम बढ़ाते हुए भारत सरकार +ने मार्च 2020 से अर्थव्यवस्था के 13 +महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए 1.97 लाख +करोड रुपये के परिव्यय वाली उत्पादन से +जुड़ी प्रोत्साहन योजना” (प्रोडक्शन-लिंक्ड +इन्सेंटिव स्कीम) लागू की है जिसके तहत +'फूड प्रोसेसिंग भी शामिल है ताकि खाद्यान्न +प्रसंस्करण इकाइयों को प्रोत्साहन राशि +देकर इस काम में गति लाई जा सके और +परिणामस्वरूप किसानों की आय बढ़ सके। + +भारतीय रिजर्व बैंक ने किसानों व +कमजोूर वर्गों को बैंकों से ज़्यादा उत्पादक +ऋण उपलब्ध करवाने के प्रयोजन +से 2020 में प्राथमिकता क्षेत्र ऋण के +मानदंड संशोधित किए हैं तो दूसरी ओर +नाबार्ड यूएनओ और भारत के पर्यावरण +मंत्रालय के तीन जलवायु-परिवर्तन फंडों +के माध्यम से क्लाइमेट-स्मार्ट एग्रीकल्चर + +37 + + +0038.txt +<----------------------------------------------------------------------> +की दिशा में काफी काम कर रहा है +ताकि खेती को न केवल तेजी से बढ़ रहे +जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से बचाया +जा सके बल्कि स्मार्ट WHER का रूप +भी दिया जा सके। कोविड से किसानों +को हुए नुकसान की भरपाई हेतु नाबार्ड +ने वाटरशेड और वाडी क्षेत्रों, माइक्रो फूड +प्रोसेसिंग इकाइयों तथा सहकारी ऋण +समितियों को मल्टी-सर्विस-सेंटर बनाकर +किसानों की आमदनी बढ़ाने की दिशा में +भी कदम उठाए हैं। + +राह की चुनौतियां: सतत प्रयासों +के बावजूद, इन योजनाओं को जमीनी +हकीकत बनाना उतना आसान नहीं लगता। +अलग-अलग राज्यों में किसानों की आय +में बहुत अंतर है। पूरे देश में एक किसान + + + +आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक +और कदम बढ़ाते हुए भारत सरकार +ने मार्च 2020 से अर्थव्यवस्था के +13 महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए 1.97 +लाख करोड़ रुपये के परिव्यय वाली +उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना +( प्रोडक्शन-लिंक्ड इन्सेंटिव स्कीम ) +लागू की है जिसके तहत फूड +प्रोसेसिंग भी शामिल है ताकि खाद्यान्न +प्रसंस्करण इकाइयों को प्रोत्साहन +राशि देकर इस काम में गति लाई +जा सके और परिणामस्वरूप किसानों +की आय बढ़ सके। + +के मक्का किसान कम कीमतों से परेशान +हैं क्योंकि उनके पास फसल बेचने के +लिए असंगठित मंडियों के सिवा कोई और +विकल्प नहीं है। कुछ मंडियां तो रेलवे +यार्ड में चल रही हैं। खेत के आकार का +भी किसान की आय पर असर पड़ता है। +एक हेक्टेयर से छोटे खेत वाले किसानों +की आय बढ़ाना मुश्किल है। + +वस्तुतः आय बढाने के लिए न सिर्फ +कृषि बल्कि अर्थव्यवस्था के अय्य क्षेत्रों +का भी समान रूप से विकास करने की +जरूरत है, लिहाजा, 2021-22 के बजट +में संबद्ध क्षेत्रों (एलाइड एरियाज) के +लिए अलग से बजट आबंटित किया गया +है ताकि किसान डेयरी, मुर्गी व मछली +पालन और बागवानी आदि से भी कमा + + + +की मासिक आय का औसत भले ही +6,426 रुपये हो, जहां बिहार में एक किसान 3,558 रुपये और +पश्चिम बंगाल में 3,980 रुपये कमाता है वहीं, पंजाब के किसान +की मासिक आय 18,059 रुपये तक है फलस्वरूप उच्च आय +वाले राज्यों जैसे केरल, पंजाब और हरियाणा के मुकाबले बिहार, +झारखंड ओर ओडिशा में किसानों की आय बढ़ाना आसान नहीं है। + +फिर, भारत के हर क्षेत्र की अपनी मजबूतियां और कमियां +हैं, पूरे देश के लिए एक तरीका नहीं अपनाया जा सकता। बिहार +और झारखंड में मंडी की व्यवस्था नहीं है और किसान छोटे +व्यापारियों पर निर्भर हैं। कृषि उपज बाजार समिति (एपीएमसी) +की कमियां समय-समय पर उजागर होती रहती हैं। वहीं, बाजार + +सके। + +दलवाई समिति के गठन से लेकर 5 साल बीत चुके हैं- +2016-2017 के दौरान रही कृषि की स्थिति के मद्देनजर, इस लक्ष्य +को हासिल करने के लिए किसानों की औसत वार्षिक आय 10.4 +प्रतिशत (समिति द्वारा अनुशंसित) की बजाय 13 प्रतिशत की दर +पर बढ़नी चाहिए और इसके लिए (2011-12) के मूल्यों पर 64 +लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त निवेश” की जरूरत होगी। + +इसके अतिरिक्त व्यापार व बिक्री नीतियों में चल रहे भारी +उपभोक्ता पक्षपात (कज्यूमर बायस), खाद्यान्नों पर दी जा रही भारी +सब्सिडी, अकार्यकुशल एपीएमसी, अचानक लग जाने वाले निर्यात +प्रतिबन्ध, प्रचलन से बाहर हो चुकी एक्सपोर्ट क्रेडिट एजेंसी (आकेक +ईसीए) मसलों पर भी ध्यान देना होगा। दलवाई समिति की सिफारिशों + + + +नियमों का न होना भी सही साबित नहीं हुआ है। वास्तव में बिहार + +vy + + + +CA +. Aad + +720,000 कराोंड की राशि गंदी के दौरान 1.34 लाख + + + + + +मात आयी के परियारी को आजीविका +को स्वीकृति सहायता +GEM ie oe +cas sae ra +तर्देशीय जलकृषि के तहत 1,033 वा के इकाड्यां +6,400 हेक्टेयर के area और 155३ रीसकलिटर! एक्चावल्बर +oa wl iene fren स्वीकृत + + + +38 + +\ =) * + +०५ जमर्पण + + + + + + + + + +-- सशाप्तन के 279 स्ताल -- + +Plate cl aan fet at +पहली बार लंदन निर्यात किया +गया + +निमुरा ये लंदन और जर्मनी को +कटहल का निर्यात + + + +असम का 'लाल Tae, TT +की निर्यात किया गया + +कै जामुन की पहली खेप +किंगडेंप निर्यात की गई + + + + + + + +योजना, दिसम्बर 2021 + + +0039.txt +<----------------------------------------------------------------------> +के कार्यान्वयन से अगर उत्पादन बढ़ता +है तो क्या उसी हिसाब से उपभोग भी +बढ़ पाएगा? यदि हां, तो क्‍या बढ़ी +पैदावार की प्रोसेसिंग, निर्यात और मांग +भी बढ़ पाएगी। इस यथार्थ को परखते +हुए आज की स्थिति के संदर्भ में बेहतर +होगा कि हम “सब्सिडी मॉडल' को +छोड़कर “निवेश मॉडल' अपनाने पर +गंभीरता से विचार करें। + +केन्द्रीय बजट 2021-22 में +किए गए उपाय: निःसंदेह भारत +सरकार ने लक्ष्य पूर्ति हेतु बेहतरीन सात +कदम उठाए हैं जैसे कृषि ऋण का +लक्ष्य 15 लाख करोड़ से बढ़ाकर 16.5 +लाख करोड़ रुपये करना, 2018-19 +से 3 मदों तक सीमित रहे “ऑपरेशन +ग्रीन' के दायरे में 22 जल्दी खराब +होने वाली कृषि फसलें लाना, 1000 + + + +- ए + +pif आ * +'तर्णण / + +1०. _ सुशासन के २0 साझ्ष -- ६; + + + + + + + +नह + +os vt सशक्त किसान +SF सशक्त राष्ट्र + ++ + +Seta + +eHAM aratay Saat 1. +एपीएमसी चाजरों और एफसी भो + +वर्नेकशल पाहँट तय RAT + +CNAM ae Clea 1.74 करोड़ से अधिक = +rant, Sar eT, Pea, AT ° * +और वर्णीशग Te CaN ae” -— की + +2,04,2592 ate At aR F +*~-. गए के Ser a asats om फिसाने +— She cart nel fae at + +* + +| + + + + + +लक्ष्य की पूर्ति में निश्चय ही सहायक +साबित होंगी। + +० वैश्विक बाजार में +संभावनाओं की तलाशः वर्तमान में +भारत में सरप्लस पैदावार की बिक्री +हेतु अतिरिक्त जरिया मुहैया करवाने +हेतु वैश्विक बाजारों की खोज पर +अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। +° अ्रमिकों का पुनः +आवंटन: कृषि क्षेत्र से जुडे श्रम +संसाथनों को अच्य क्षेत्रों में भी पुनः +आवंटित करने की आवश्यकता है। +यद्यपि संरचनात्मक परिवर्तनों के तहत +कृषि क्षेत्र में श्रमिकों की संख्या को +कम करना और सेवा क्षेत्र के रोजगार +की हिस्सेदारी में वृद्धि करना शामिल +था परंतु बड़ी संख्या में उपलब्ध +श्रमिकों को उपयुक्त रोजगार उपलब्ध + +अतिरिक्त मंडियों को राष्ट्रीय ई-नैम के दायरे में लाना, नाबार्ड द्वारा +चलाई जा रही ग्रामीण अवसरंचना विकास निधि (आरआईडीएफ) +में आबंटन 30000 करोड रुपये से बढ़ाकर 40000 करोड रुपये +करना, न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कृषि पैदावार को सरकारी दरों पर +खरीदना जैसे उपाय किसानों की बेहतरी के लिए केन्द्र सरकार की +प्रतिबद्धता बखूबी दर्शाते हें। + +समाधान क्‍या है? + +सिंचाई सुविधाओं का विस्तार: प्रभावी जल संरक्षण तंत्र +सुनिश्चित करते हुए सिंचाई सुविधाओं के विस्तार की +आवश्यकता है। माइक्रो इरीगेशन फंड में आबंटन 5000 से +बढ़ाकर 10000 करोड़” रुपये किया जाना यकीनन सराहनीय +प्रयास है। + +कृषि ऋण में सुधार: कृषि ऋण के क्षेत्र में व्याप्त क्षेत्रीय +वितरण की असमानता का मुद्दा हल करने के लिये समावेशी +दृष्टिकोण अपनाया जाना आवश्यक है। + +भूमि सुधार: छोटी और सीमांत जोतों का अनुपात देखते हुए +भूमि बाजार के उदारीकरण जैसे उपायों से किसानों को अपनी +आय बढ़ाने में सहायता मिल सकती है। + +सहबद्ध क्षेत्रों को बढ़ावा: विशेषकर छोटे और सीमांत +किसानों के लिये रोजुगार और आय का एक सुनिश्चित दूसरा +स्रोत प्रदान करने हेतु सहबद्ध क्षेत्रों जैसे पशुपालन, डेयरी, +पोल्ट्री और मत्स्यपालन को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। +फार्म मशीनीकरण: भारत में अल्प कृषि मशीनीकरण” (मात्र +40 प्रतिशत) जो चीन के 57 प्रतिशत और ब्राजील के 75 +प्रतिशत की तुलना में काफी कम है, को भी बढ़ाने की +जरूरत है। + +खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र: फसल कटाई के बाद के नुकसान +के मद्देनजर खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र पर अधिक ध्यान देने की +आवश्यकता है। भारत सरकार तथा नाबार्ड द्वारा माइक्रो फूड +प्रोसेसिंग को बढ़ावा देने के लिए चलाई गई योजनाएं इस + +योजना, दिसम्बर 2021 + +कराने के लिये विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार अवसरों के विकास +हेतु और अधिक कार्य करने की आवश्यकता है। + +अन्य मुद्दे: कोल्ड चेन में पैक-हाउस, राइनिंग चैम्बर और रीफर +व्हीकल्स आदि में निवेश बढ़ाना, बीमा कवरेज, जल संरक्षण, +आधुनिक कृषि पद्धतियों के माध्यम से पैदावार का उन्नयन, +बाजार तक पहुंच, संस्थागत ऋण की उपलब्धता, कृषि और +गैर-कृषि क्षेत्रों के बीच बेहतर तालमेल जैसे मुद्दों पर तत्काल +ध्यान देने की आवश्यकता है। बड़े और अमीर किसान खेती +छोड़कर अपना पैसा शहरों में जाकर अन्य व्यवसायों में लगाएं +तो बेहतर होगा ताकि खुद के अलावा दूसरे किसानों के लिए +भी रोजगार के वैकल्पिक अवसर पैदा कर सके। विकास में +क्षेत्रीय असमानताओं को दूर करना जैसा शीर्षस्थ बैंक नाबार्ड +ने 2020-21 के दौरान पूर्वोत्तर भारत के ऋणदाता बैंकों को +रियायती पुनर्वित्त देकर किया है। इतना ही नहीं, गांवों में +साफ-सफाई के प्रति जागरूकता लाने के लिए खास तौर से +“वॉश' (वाटर, सैनिटेशन एंड हाईजीन) नामक कार्यक्रम चलाया +है ताकि कोविड काल में किसान, मजदूर, शिल्पकार आदि +महामारी से बच सके और आय उत्पादक कार्यों में लगे रह सके। +आवश्यकता इस बात की है कि कृषि से जुड़े सभी हितधारक + +मिलकर ईमानदारी से प्रयास करें क्योंकि अन्नदाता खुशहाल होगा तो +यह खेती-प्रधान देश भी खुशहाल हो पाएगा और चहुंमुखी विकास + +कर पाएगा। a +संदर्भ + +1. pmfby.gov.in + +2. नाबार्ड वार्षिक रिपोर्ट 2020-21 + +3. https://agriinfra.dac.gov.in + +4... https://dahd.nic.in 4-a https://pmmsy.dof. gov.in + +5. https://mofpi.gov.in-PLI Scheme for Food Processing + +6. एनएसएसओ est =: 2013-Situational Assessment Survey of + +गो + +Agricultural Households +https://indiabudget. gov.in +https://indiabudget. gov.in +https://publications.iadb. org + +39 + + +0040.txt +<----------------------------------------------------------------------> +आत्मनिर्भरता के लिए आर्थिक उपाय + +प्रो तनय कुरोडे +डॉ मेघना भिलारे + +कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न मौजूदा संकट दुनिया के अधिकांश देशों की अर्थव्यवस्था को +नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है। इसमें विकासशील देशों के साथ-साथ कुछ अत्यधिक विकसित राष्ट्र +भी शामिल हैं। भारत जैसे देशों के पास मौजूद आर्थिक संसाधनों की कमी को देखते हुए, विभिनन क्षेत्रों +को मजबूत वित्तीय सहायता प्रदान करने के बारे में सोचना इनके लिए अधिक महत्वपूर्ण था। आत्मनिर्भर +भारत अभियान या सरकार की ऐसी ही एक महत्वपूर्ण पहल है। इसका उद्देश्य देश और उसके नागरिकों को +सभी क्षेत्रों में स्वतंत्र और आत्मनिर्भर बनाना है। आत्मनिर्भर भारत के पांच स्तंभ- अर्थव्यवस्था, बुनियादी +ढांचा, टेक्नोलॉजी से संचालित तंत्र, जीवंत जनसांख्यिकी और मांग हैं। इस लेख में भारत में वित्तीय संकट +को रोकने के लिए महामारी के दौरान किए गए आर्थिक उपायों की समीक्षा की गई है। + +हामारी ने कई अर्थव्यवस्थाओं को बुरी तरह प्रभावित +Ea: है। स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे के गंभीर रूप से +चरमराने की अत्यधिक आशंका ने देशों को औद्योगिक +और साथ ही सामाजिक स्तर पर विभिन्‍न उपायों को लागू करने के +लिए प्रेरित किया है ताकि महामारी को नियंत्रित किया जा सके या +विनाश को कम किया जा सके। अमरीका, ब्रिटेन, स्पेन, इटली जैसे +विभिन्न विकसित देशों और भारत, चीन, ब्राजील, फिलीपीस आदि +जैसे विकासशील देशों ने इसके परिणाम और इसके प्रभाव देखे हैं। +कई देशों ने महामारी से समाज को होने वाले नुकसान से बचाने +के लिए लंबे समय तक लॉकडाउन नीतियां लागू कीं। अर्थव्यवस्था +के निर्वाह और विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले विभिन्‍न +महत्वपूर्ण क्षेत्र प्रभावित हो रहे थे और व्यवसाय या राजस्व के मामले +में कोई प्रगति नहीं हो पा रही थी। कुल मिलाकर, अर्थव्यवस्थाओं की +स्थिति निराशाजनक हो गईं थीं, विशेष रूप से सूक्ष्म, लघु और मध्यम +उद्योगों पर विपरीत प्रभाव पड़ा क्योंकि वे इस तरह की मंदी के लिए +सबसे अधिक असुरक्षित थे। हर कोई अंततः स्वास्थ्य तंत्र को मजबूत +करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा था, ताकि संक्रमण को फैलने से रोका +जा सके। देश के सभी वित्तीय और आर्थिक संसाधनों को स्वास्थ्य +और चिकित्सा क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को सहायता प्रदान करने +में लगाने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा था। इसके कारण, आर्थिक +क्षति का आकलन करना और अर्थव्यवस्थाओं के अस्तित्व के लिए +प्रभावी कदम उठाना महत्वपूर्ण था। +भारत दुनिया का दूसरी सबसे अधिक आबादी वाला देश है। +यहां सीमित वित्तीय संसाधनों के साथ-साथ अपर्याप्त चिकित्सा + +बुनियादी ढांचा है। यह शुरू में आर्थिक उथल-पुथल के बीच बहुत +कमजोर दिख रहा था, लेकिन भारत सरकार उन क्षेत्रों या उद्योगों +को आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए समर्पित थी जो नुकसान +सहने की स्थिति में नहीं थे। वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक ने +उद्योग और देश के करदाताओं को राहत पैकेज प्रदान करने पर तुरंत + + + +भारत के 5 स्तंभ + +अर्थव्यवस्था: तैज॑ प्रगति के लिए एक पारिस्निग्िर्फी तंज +का निर्षाण + +aera: (a Bath GTR की विकास + +प्रौद्योगिकी संचालित सिस्टम: प्रौद्योगिकी आधारित ज्यवस्था +का विकास + +| जनसांख्यिकी: देश की ताकत्त + +के... मांग:पांग और आपूर्तिकी ध्रृंखला का सुहढ़ीकरण + + + +प्रों तनय कुरोडे इंदिग स्कूल ऑफ बिजनेस स्टडीजु में सहायक प्रोफेसर 21 Ge: tanaykurode@gmail.com +मेघना भिलारे, डॉ डी वाई पाटिल इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड रिसर्च, पिंपरी, पुणे में aime Z) Gc: meghabhilare@gmail.com + +40 + +योजना, दिसम्बर 2021 + + +0041.txt +<----------------------------------------------------------------------> +#Aatma MirbharBharatAbhiyan + + + +Ey 200 करोड स्मये तक की सरकारी खरीद की निविदाओं मैं ग्लोडल ++4 ऊँ की अनुमति नहीं + +सरकार कै सामान्य निंतीय नियपों (जीएफओर) में आतशयंक्र + +आत्म-निर्षर भारत की दिशा में एक पहाल और इससे मेंक इन ड्रंडिया +को प्रोत्माहत मिततेगा + +a +कार्रवाई की। संबंधित अधिकरणों ने पहली लहर के दौरान कार्रवाई +की तैयारी शुरू कर दी। इस लहर के कारण लॉकडाडन किया गया +था। यह वास्तव में आपदा की वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए +सबसे महत्वपूर्ण कदम था। देश की अर्थव्यवस्था और स्वास्थ्य के +बीच संतुलन बनाने के उद्देश्य से लॉकडाउन का पहला चरण 24 +मार्च 2020 को शुरू हुआ। + +भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रमुख रूप से प्रभावित क्षेत्रों में स्थानीय +विनिर्माण इकाइयां, मनोरंजन, अचल संपत्ति, शिक्षा, आतिथ्य, रसद, +सूचना प्रौद्योगिकी, खुदरा, विमानन जैसे क्षेत्र शामिल थे। चूंकि सेवा +उद्योग भारतीय सकल घरेलू उत्पाद में सबसे अधिक योगदान देता है, +वर्तमान में सेवाओं की स्थिति आर्थिक विकास के पतन का कारण +बन रही थी। + +आयात-निर्यात, परिवहन, आपूर्ति श्रृंखलाओं के मामले में +प्रतिबंधित व्यावसायिक गतिविश्चियों और अंततः नगण्य या बहुत कम +औद्योगिक तथा खुदरा खपत से प्रभावित होने के कारण देश के सूक्ष्म, +लघु और मध्यम उद्यम सबसे खराब स्थिति में थे। भारत में सूक्ष्म, +लघु और मध्यम उद्यम क्षेत्र सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में प्रमुख +योगदानकर्ताओं में से एक है। यह क्षेत्र सेवा से संबंधित गतिविधियों +के माध्यम से सकल घरेलू उत्पाद के एक चौथाई से अधिक और +विनिर्माण गतिविधियों से सकल घरेलू उत्पाद के एक तिहाई से +अधिक योगदान करता है। विभिन्‍न अर्थशास्त्रियों और थिंक टैंक ने +सरकार से आग्रह किया कि वे ऐसे जरूरतमंद क्षेत्रों का अस्तित्व +बचाने के लिए त्वरित उपाय तथा नीतिया और प्रोत्साहन तथा राहत +पैकेज लेकर आएं। + +विभिन्‍न व्यावसायिक और सामाजिक गतिविधियों पर निरंतर +प्रतिबंधों के कारण जब भारतीय अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई +थी, तो भारत सरकार के लिए देश को मंदी से उबारने के लिए +मजबूत आर्थिक राहत और वित्तीय सहायता उपाय करना समय की +आवश्यकता थी। 12 मई 2020 का प्रधानमंत्री, वित्त मंत्रालय के +साथ एक व्यापक सर्व-समावेशी प्रोत्साहन पैकेज लेकर आए, जिसे +“आत्मनिर्भर भारत अभियान” कहा जाता है। विशेष आर्थिक प्रावधानों + +योजना, दिसम्बर 2021 + + + +@ 2021 4 Wien He रूफशोप +क्षमता में 521 //४४ की वृद्धि, +जो तिमाही पैं अवसे अधिक है + += + +सर ऊर्जा टेशिफ में 75% से +अधिक की करी + + + +पिछले 7 वर्षों में सौर झ्षपता +26 5४४ से बढ़कर 47 दफा +(17 गुना) से अधिक हो गई + +वाले इस पैकेज का उद्देश्य मजदूरों; कुटीर उद्योगों; मध्यम वर्ग; सूक्ष्म, +लघु तथा मध्यम उद्योगों और अन्य वर्गों के लिए 20 लाख करोड़ +रुपये तक की सहायता प्रदान करना था। यह देश के सकल घरेलू +उत्पाद के लगभग 10 प्रतिशत के बराबर है। इसमें स्थानीय उत्पादन +पर ध्यान केंद्रित करना, राष्ट्र को आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर करना +और देश की आर्थिक स्थिति में सुधार करना शामिल था। यह एक +चरण-वार कार्यक्रम था जो इन पांच स्तंभों पर केंद्रित था; + +1. भारतीय अर्थव्यवस्था, + +2. देश में बुनियादी ढांचा, + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत +उपलब्ध कराया गया कुल प्रोत्साहन +(क्र. मद (रु. करोड़ में ) +1 | भाग 1 5,94 ,550 +2 | भाग 2 3,10,000 +3 | भाग 3 1.50,000 +4 | भाग 4 और 5 48 000 +उप कुल |11,02,650 +5 | पीएमजीकेपी सहित (पहले की | 1,92,800 +पूर्व के उपाय स्लाइड) +a आरबीआई उपाय 80,16,03 +(वास्तविक ) +उप कुल | 9,94 403 +कुल योग | 20,97 ,053 + + + + + + + + + + + +स्रोत: वित्त मंत्रा अतरमंत्रालय अधिसूचना (रा.सू को ) + +41 + + +0042.txt +<----------------------------------------------------------------------> +इंडिया + += 1 ra + + + + + +पैन्युफैक्चरिंग में अप्ृतपूर्व परिचततन , + +आत्मनिर्भर भारत +अभियान:एमएसएउमर्ई +को मदद + +एमएमसएएई की नई परिभाषा + +आगे बढ़ाने मैं उन्हें सक्षम बनाया +गया + +ई्‌ + +क3 लाख करोड़ के अफिरिए) +जमानएं मुक्त सापाएिं। ऋण + +है७ + +एमएत्तएमई के लिए ए10,000 +करोंड की फंड ऑफ फंडम स्वंगेम + +all + +3. तंत्र, +4. जीवंत जनसांख्यिकी +5. मांग + +आत्मनिर्भः भारत योजना के तहत विशिष्ट फोकस क्षेत्रों में + +शामिल हैं: + +भाग 1: सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उद्योगों +सहित व्यवसाय + +भाग 2: गरीब, प्रवासी और किसान +सहित + +भाग 3: कृषि + +भाग 4: विकास के नए आयाम + +भाग 5: सरकारी सुधार और समर्थक + +आत्मनिर्भर भारत अभियान द्वाण प्रदान +किए गए विभिन्‍न महत्वपूर्ण सुधारों की मुख्य +विशेषताएं नीचे दी गई हैं: + +सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उद्योगों को +सहायता: व्यवसायों और सूक्ष्म, लघु तथा +मध्यम उद्योगों को, मौजूदा ऋणों के भुगतान, +कच्चा माल की खरीद और व्यावसायिक +गतिविधियों को फिर से शुरू करने जैसी +परिचालन मांगों को पूरा करने के लिए +अतिरिक्त वित्तपोषण की आवश्यकता होती है। +इसका उद्देश्य ऐसे उद्यमों के लिए रियायती +ब्याज दरों पर कार्यशील पूंजी के रूप में 3 +लाख करोड़ रुपये की राशि प्रदान करना था। +इस सुधार की सबसे बड़ी विशेषता यह थी +कि इस तरह के वित्त पोषण का लाभ उठाने +के लिए व्यवसायों को कोई संपत्ति गिरवी नहीं + +42 + + + +का उपयोग + +se +tA ? + +गकरग्रग्ल णाएग्राणार्ड +इलाहयों के प्रमोत्रों को पीएलआई योजना: घरेलू और +220, 0४ करोड की वैश्विक कंपनियों को प्रोत्साहित +Bead wero करने के लिए सौर पीदी मॉफ्यूल +के लिए केंद्रित योजना + +भौर उर्जा की स्थापित क्षमता मैं . +Ra विश्व स्तर पर 5वें स्थान पर + + + +कुसुम योजना: ean का वि +पंपो को फैंटीय और से जुडे an +से सौरीकृत किए जाने की सुविधा + +रखनी पड़ेगी। इस योजना के तहत आपातकालीन ऋण के लिए 45 + +लाख से अधिक सूक्ष्म, + +लघु तथा मध्यम उद्योगों को वित्तीय सहायता + +प्रदान की जानी है। इसके अलावा, वित्तीय संकट का सामना कर रहे + +सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उद्योगों के प्रमोटरों को 20,000 करोड रुपये + +तक का ऋण दिया जाएगा, जिसे वे अपने व्यवसायों में इक्विटी के + +व्यवसायों और सूक्ष्म, लघु तथा +मध्यम उद्योगों को, मौजूदा +ऋणों के भुगतान, कच्चा माल +की खरीद और व्यावसायिक +गतिविधियों को फिर से शुरू +करने जैसी परिचालन मांगों को +पूरा करने के लिए अतिरिक्त +वित्तपोषण की आवश्यकता होती +है। इसका उद्देश्य ऐसे उद्यमों +के लिए रियायती ब्याज दरों +पर कार्यशील पूंजी के रूप में +3 लाख करोड़ रुपये की राशि +प्रदान करना था। इस सुधार की +सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि +इस तरह के वित्त पोषण का +लाभ उठाने के लिए व्यवसायों +को कोई संपत्ति गिरवी नहीं +रखनी पड़ेगी। + +रूप में लगा सकते हैं। इसके अलावा, ऐसे +उभरते उद्यमों को एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने +के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा और लगभग +50,000 करोड़ रुपये का इक्विटी इन्फ्यूजन +प्रदान करने के लिए फंड ऑफ फंड्स की +स्थापना की जाएगी। + +गैर-बैंकिंग और अन्य वित्तीय संस्थानों +को सहायता: फडिंग एजेंसियों के लिए तंत्र +में आवश्यक विश्वास पैदा करने के लिए +पर्याप्त तरलता होना महत्वपूर्ण था। इसलिए +इस पैकेज के तहत तरलता जरूरतों पर ध्यान +केंद्रित करने वाली एक विशेष योजना को +ध्यान में रखा गया, जिसमें सरकार प्राथमिक +और द्वितीयक बाजार में ऐसे फडिंग निकायों +के विभिन्‍न ऋण साधनों में निवेश करके +30,000 करोड़ रुपये तक की सहायता प्रदान +करती है। इसके अलावा, कम क्रेडिट रेटिंग +वाली ऐसी संस्थाओं पर, आंशिक ऋण गारंटी +योजना के माध्यम से विशेष ध्यान दिया जाता +है, जिसका उद्देश्य तरलता को 45,000 करोड +रुपये तक पहुंचाना है। + +कर से संबंधित उपाय: टीडीएस और +टीसीएस की मौजूदा दरों में एक चौथाई तक + +योजना, दिसम्बर 2021 + + +0043.txt +<----------------------------------------------------------------------> +की कमी से 50,000 करोड़ रुपये तक का + +राज्य सरकारों को प्रवासियों को + +पर ध्यान दे रही है। रोजगार को बढ़ावा देने + +डिस्पोजेबल फंड मिलेगा। सरकार ने सभी के लिए मनरेगा के लिए आवंटन में 40,000 +संबंधित पक्षों के लंबित टैक्स रिफंड को तेजी भोजन, आश्रय और पानी उपलब्ध करोड रुपये की वृद्धि के अलावा प्रमुख क्षेत्रों +से जारी करने का निर्णय लिया। आयकर कराने के लिए केंद्र सरकार के में कराधान मानदंडों को सरल बनाना, संपत्ति + +रिटर्न दाखिल करने आदि जैसे विभिन्‍न +अनुपालन-संबंधित पहलुओं के लिए पालन +की जाने वाली समय सीमा को पर्याप्त समय +प्रदान करने के लिए कुछ महीनों के लिए बढ़ा +दिया गया था। + +प्रवासियों, किसानों और गरीबों +को सहायता: लॉकडाउन की घोषणा और +परिणामस्वरूप नौकरी छूटने के कारण विभिन्‍न +राज्यों में मजदूरों का भारी पलायन हुआ। +यह समाज की इस श्रेणी के लिए दिन-प्रतिदिन के अस्तित्व का +प्रश्न था। राज्य सरकारों को प्रवासियों को भोजन, आश्रय और पानी +उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार के 11,000 करोड़ रुपये के +योगदान के साथ-साथ राज्य आपदा कार्यवाही कोष के तहत धन का +उपयोग करने का निर्देश दिया गया था। इसके बाद उनकी सुरक्षा के +उपायों के लिए मास्क और सैनिटाइजर भी प्रदान किए गए। उच्च +ऋण संवितरण, ऋणों पर विस्तारित स्थगन, ऋणों का पुनर्वित्त और +किसान क्रेडिट कार्ड की मंजूरी कृषि क्षेत्र के लिए प्रदान किए गए +कुछ सहायक उपाय थे। इसमें विभिन्‍न अन्य वित्तीय और गैर-वित्तीय +सहायता के अलावा, गरीबों के लाभ के लिए उपाय शामिल थे। + +कारोबार सुगमता से संबंधित सुधार: पिछले कुछ वर्षों में, +भारत में सुचारू रूप से व्यापार करने से संबंधित निरंतर सुधारों ने +अपनी वैश्विक रैंकिंग को 2014 की 142 से बढ़ाकर 2019 में 63 +कर दिया है। इसमें स्व-प्रमाणन, परमिट देने और अन्य के अलावा +क्लियरेंस तथा तृतीय-पक्ष प्रमाणन जैसी प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित +करना शामिल है। सरकार अब चीजों को अगले स्तर पर ले जाने + +11,000 करोड़ रुपये के योगदान +के साथ-साथ राज्य आपदा +कार्यवाही कोष के तहत धन का +उपयोग करने का निर्देश दिया +गया था। इसके बाद उनकी सुरक्षा +के उपायों के लिए मास्क और +सैनिटाइजर भी प्रदान किए गए। + +के पंजीकरण को आसान बनाना, वाणिज्यिक +विवादों का तेजी से समाधान आदि शामिल हैं। +आईबीसी से संबंधित उपाय: सूक्ष्म, +लघु तथा मध्यम उद्योगों को सुरक्षा प्रदान करने +के लिए, दिवालिएपन के लिए कार्यवाही शुरू +करने के लिए न्यूनतम सीमा को पहले के 1 +लाख रुपये से बढ़ाकर 1 करोड़ रुपये कर +दिया गया था। केंद्र सरकार को दिवालिया +घोषित करने की कार्यवाही शुरू करने के +उद्देश्य से महामारी से संबंधित ऋण को 'डिफॉल्ट' की परिभाषा से +बाहर करने का अधिकार दिया गया है। +अर्थव्यवस्था और व्यापार में उत्पन्न संकट को दूर करने के लिए +वर्तमान महामारी के मद्देनजर भारत द्वारा विभिन्‍न सुधारों की योजना +बनाई और कार्यान्वित की जा रही हे। हा +संदर्भ +1. भारत सरकार (2020) आत्मनिर्भ. भारत +aatmanirbharbharat-mygov-in/ से लिया गया +2... भारत सरकार (2020) आत्मनिर्भर भारत का निर्माण और कोविड-19 पर +काबू पाना। भारत के राष्ट्रीय पोर्टल से लिया गया; https:sswww.india. +8०0.17०४०ण1 ९० आत्मनिर्भर भारत का निर्माण और कोविड-19 पर काबू +3. भारत सरकार (2020)। कोविड-19, अंतर-मंत्रालयी अधिसूचनाएं। वित्त +मंत्रालय से लिया गया: https://covid 19. india. gov.in/document-category/ +ministry-of-finance/ +4... पीटीआई। (09 अप्रैल 2020, ) कोविड -19 महामारी एमएसएमई निर्यातकों + +को अधिक प्रभावित करेगी व्यापार विशेषज्ञ। +5- https://cdnbbsr.s3 waas. gov.in/s3 850af92f8d9903e7a4e- +0559a98ecc857/uploads/2020/05/202005 1740. pdf + +अभियान ॥॥118:/ + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +प्रकाशन विभाग के विक्रय केंद्र +नई दिल्‍ली | पुस्तक दीर्घा, सूचना भवन, सीजीओ कॉम्प्लेक्स, लोधी रोड 110003 | 011-24367260 +नवी मुंबई |701, सी- विंग, सातवीं मंजिल, केंद्रीय सदन, बेलापुर 400614 | 022-27570686 +कोलकाता |8, एसप्लानेड ईस्ट 700069 | 033-22488030 +चेन्नई *ए! विंग, राजाजी भवन, बसंत नगर 600090 | 044-24917673 +तिरुअनंतपुरम | प्रेस रोड, नयी गवर्नमेंट प्रेस के निकट 695001 | 0471-2330650 +हैदराबाद कमरा सं. 204, दूसस तल, सीजीओ टावर, कवाड़ीगुड़ा, सिकंदरबाद | 500080 | 040-27535383 +बेंगलुरु फर्स्ट फ्लोर, 'एफ' विंग, केंद्रीय सदन, कोरामंगला 560034 | 080-25537244 +पटना बिहार राज्य कोऑपरेटिव बैंक भवन, अशोक राजपथ 800004 | 0612-2675823 +लखनऊ हॉल सं-1, दूसरा तल, केंद्रीय भवन, क्षेत्र-एच, अलीगंज 226024 | 0522-2325455 +अहमदाबाद [4-सी, नेप्चून टॉवर, चौथी मंजिल, नेहरू ब्रिज कॉर्नर, आश्रम रोड. | 380009 | 079-26588669 +गुवाहाटी असम खाड़ी एवं ग्रामीण उद्योग बोर्ड, भूतल, एमआरडी रोड, चांदमारी | 781003 | 0361.2668237 + + + + + + + + + +योजना, दिसम्बर 2021 + +43 + + +0044.txt +<----------------------------------------------------------------------> +महिला उद्यमिता + +पूर्वा अग्रवाल + +आत्मनिर्भर भारत के विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में महिलाओं का योगदान प्राप्त करने का सबसे प्रभावी +तरीका उनका आर्थिक विकास करना ही है। महिला उद्यमिता देश को आत्मनिर्भर बनाने का अहम पहलू +है। इससे रोजगार के अवसर जुटाकर अर्थव्यवस्था तो मजबूत होती ही है, महिलाओं का भी सामाजिक +और व्यक्तिगत दृष्टि से उत्थान होता है। इस लेख में महिला उद्यमियों के महत्व, उनके सामने आने वाली +चुनौतियों, भारतीय अर्थव्यवस्था में उनकी अहम भूमिका और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में उनके योगदान + +के बारे में विस्तार से बताया गया है। + +हिला उद्यमियों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है और +Ea उद्योगों में उन्हें पहचान और मान्यता भी मिल +रही है। रोजगार के नए अवसर जुटाने और सकल घरेलू + +उत्पाद बढ़ाने तथा गरीबी दूर करने और सामाजिक समावेशन के +माध्यम से महिलाएं उद्यमशीलता और आर्थिक विकास से जुड़ी +गतिविधियों में उल्लेखनीय योगदान कर रही हैं। सरकार महिला +उद्यमिता का महत्व समझती है और महिला उद्यमियों को प्रोत्साहन +देने की कई पहल कर रही है। एक अध्ययन के अनुसार महिला +उद्यमियों को बढ़ावा देने से उद्यमों की सफलता पर अनुकूल प्रभाव +पडता है। उद्यमशीलता को प्रोत्साहन देने से जुड़े विभिन्‍न पहलुओं में +आकांक्षा, कौशल और अनुभव, परिवार का समर्थन, बाजार (बिक्री) +संभावना, स्वतंत्रता, सरकारी सहायता और कार्य संपन्‍न करने का +संतोष आदि शामिल हैं। + +वर्तमान परिवेश में महिला उद्यमशीलता की अवधारणा का +विश्लेषण और व्याख्या करना; और भारतीय उद्यमियों के समक्ष +चुनौतियों और विशेष पहलुओं की व्यापक समीक्षा करना तथा +भारतीय अर्थव्यवस्था में महिला उद्यमियों की भूमिका और आत्मनिर्भर +भारत के निर्माण में उनके योगदान पर विशेष ध्यान देना जरूरी है। + +महिला उद्यमी वही हैं जो अपना उद्यम शुरू करने, उसकी +व्यवस्था संभालने और उसके लिए वित्तीय संसाधनों का प्रबंधन +करने के सभी दायित्व निभाती हैं। + +भारत सरकार के अनुसार महिला उद्यमी होने के लिए उद्यम +की वित्तीय भागीदारी में कम से कम 51 प्रतिशत योगदान होना +आवश्यक है। इस तरह, प्रमुख वित्तीय भागीदारी होने पर ही वह +महिला उद्यमी की श्रेणी में मानी जाएगी। +चुनौतियां + +उद्यमियों को सामान्यतवया भी अनेकानेक कठिनाइयां और + +चुनौतियां झेलनी पड़ती हैं और ऐसे में महिला उद्यमियों के लिए तो +फंड जुटाने और वित्तीय व्यवस्था करने से लेकर विपणन, प्रशिक्षण, +सरकारी समर्थन प्राप्त करने, मौलिकता लाने और नए विचार अपनाने +की चुनौतियों का सामना करने के साथ ही कुछ अनोखी समस्याएं +भी सहनी पड़ती हैं। + +काम के दबाव और व्यक्तिगत प्रतिबद्धताओं के कारण भी +महिलाओं के दायित्व बेहद तनावपूर्ण हो जाते हैं। + +साथ ही, अनिश्चितता से भी महिलाएं काफी दबाव में रहती +हैं। उनमें असफलता का भय बना रहता है खासकर इसलिए कि +लोगों को उनकी व्यापार क्षमता के बारे में संदेह रहता है। उन्हें +व्यापार में इसलिए भी संघर्ष करना पड़ता है क्योंकि उन्हें समर्थन +देने की व्यवस्था भी समुचित नहीं है। उन्हें संबद्ध स्रोतों से समर्थन +प्राप्त करने में भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। +महिलाओं को पुरुष-प्रधान मानसिकता वाले माहौल में काम करना +होता है जहां उन्हें भेदभाव और सामाजिक लांछन से भी निपटना + + + + + +लेखिका इंदिरा स्कूल ऑफ fasta wet, yt A were wher 21 Ga: purva.agarwal@indiraisbs.ac.in + +44 + +योजना, दिसम्बर 2021 + + +0045.txt +<----------------------------------------------------------------------> +Ca +7 _t — +¥ + +पड़ता है। यह तो सही है कि कानूनों और नीतियों के लागू हो जाने +से महिलाओं के लिए व्यापार करने की स्थितियां अनुकूल बनी हैं +परन्तु नए बदलाव अभी लागू नहीं हो पाए हैं। + +महिला उद्यमियों के समक्ष एक चुनौती यह भी है कि सामाजिक +बंधनों और परंपरागत सोच के कारण उनका व्यापार नेटवर्क इतना +जमा हुआ नहीं रहता और उन्हें हर प्रयास स्वयं ही करना पड़ता है। +इसी कारण महिलाओं की व्यापार भागीदारी का दायरा सीमित और +सिमटा हुआ रहता है। + +भारत में स्टार्ट-अप परिवेश के निरन्तर विस्तार से अब ज्यादा +संख्या में महिलाएं अपने उद्यम लगाने में रुचि ले रही हैं और +कारोबार में सफलता भी प्राप्त कर रही हैं। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण +के अनुसार देश के कुल उद्यमियों में से केवल 14 प्रतिशत ही +महिलाएं हैं। इनमें से अधिकांश व्यापार स्व-वित्तपोषित हैं और छोटे +पैमाने पर चलाए जा रहे हैं। + +भारत जैसे देश में जहां अधिकांश महिलाओं को अपनी क्षमता +का पता ही नहीं है और वे (खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली) +अपनी आकांक्षा पर ध्यान ही नहीं दे पातीं +और इसी वजह से बहुत कम महिला उद्यमी +ही सामाजिक मानकों से अधिक सफलता पा +सकती हैं। ये महिला उद्यमी उन महिलाओं +की रोल मॉडल (आदर्श) होती हैं जो अपना +उद्यम शुरू करना चाहती हैं। तभी तो भारत +इस दिशा में लगातार आगे बढ़ रहा है और +देश में महिला उद्यमियों को स्टार्ट-अप लगाने +के लिए अनुकूल माहौल और तगड़ा सरकारी +समर्थन मिल रहा है। +सरकार के विभिन्‍न कदम + +अर्थव्यवस्था के विकास के लिए +महिला उद्यमियों की भूमिका महत्वपूर्ण है, +इसलिए महिलाओं को उद्यम चलाने से जुड़ी + +योजना, दिसम्बर 2021 + +महिला उद्यमी वे हैं जो अपना +उद्यम शुरू करने, उसकी व्यवस्था +संभालने और उसके लिए वित्तीय +संसाधनों प्रबंधन करने के सभी +दायित्व निभाती हैं। भारत सरकार +के अनुसार महिला उद्यमी के +पास वित्तीय भागीदारी में कम +से कम 51 प्रतिशत योगदान +होना अनिवार्य है। प्रमुख वित्तीय +भागीदार होने पर ही वह महिला +उद्यमी की श्रेणी में मानी जाएंगी। + + + +aw 4 + +गतिविधियों की ओर आकर्षित करने का वातावरण तैयार करना + +जरूरी है। भारत सरकार ने अपने उद्यम शुरू करने वाली महिलाओं + +के लिए अनेक प्रशिक्षण कार्यक्रम और विकास के साथ-साथ +रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के कार्यक्रम तैयार किए हैं। + +* विशेष लक्षित समूह : देश के सभी प्रमुख विकास कार्यक्रमों +में महिलाओं को विशेष लक्षित समूह मानने के उद्देश्य से यह +सुझाव लाया गया था। + +* नए उपकरण विकसित करना : उपयुक्त प्रौद्योगिकी, उपकरण +और कार्य-विधियां अपनाकर महिला उद्यमियों की कार्यकुशलता +और उत्पादकता बढ़ाने के प्रयास किए जाने चाहिए। + +* हाट-व्यवस्था में सहायता : यह सुझाव महिला उद्यमियों के +उत्पादों की बिक्री की समुचित व्यवस्था करने में आवश्यक +सहायता उपलब्ध कराने के उद्देश्य से लाया गया था। + +* निर्णय लेने की प्रक्रिया : यह सुझाव महिलाओं को निर्णय +लेने की प्रक्रिया में शामिल करने के विचार से लाया गया +है। इसके साथ ही ऐसे अनेक संगठन हैं जो भारत में महिला + +उद्यमियों को प्रोत्साहन दे रहे हैं। ये संगठन + +विकास संबंधी समर्थन उपलब्ध कराके इन +महिला उद्यमियों की मदद करते हैं। + +1. महिला उद्यमिता मंच ( डब्ल्यूई.पी. ) +महिला उद्यमिता मंच (डब्ल्यूई.पी.) + +की स्थापना नीति आयोग ने देश भर की + +उभरती युवा महिला उद्यमियों के लिए +उपयुक्त परिवेश उपलब्ध कराने के उद्देश्य +से की थी। इस पहल को लागू करने और +बढ़ावा देने के वास्ते नीति आयोग ने सिडबी + +(एसआईडीबीआई) को भागीदार बनाया है। + +2. प्रधानमंत्री मुद्रा योजना +भारत सरकार द्वारा शुरू की गई प्रमुख + +योजनाओं में शामिल यह योजना उन उत्साही + +45 + + +0046.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +महिला उद्यमियों को समर्थन और प्रोत्साहन +देने के उद्देश्य से चलाई गई है जो ब्यूटी +पार्लर, खुदरा दुकान या ट्यूशन केन्द्र जैसी +कम लागत और आसानी से शुरू किए जाने +वाले स्टार्ट-अप लगाना चाहती हैं। +3. स्त्री शक्ति ऋण + +भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) द्वारा +चलाई जा रही यह अनूठी योजना महिला +उद्यमियों को कई रियायतें देने के लिए शुरू +की गई है। इस योजना का लाभ पाने के +लिए महिला उद्यमियों को पहले उद्यमिता +विकास कार्यक्रम (ईडीपी) में नाम दर्ज +कराना होगा जिसमें व्यापार सफलतापूर्वक +चलाने का प्रशिक्षण दिया जाता है और उनकी +कार्यकुशलता बढाई जाती है। + +अर्थव्यवस्था के विकास के लिए +महिला उद्यमियों की भूमिका +महत्वपूर्ण है, इसलिए महिलाओं +को उद्यम चलाने से जुड़ी +गतिविधियों की ओर आकर्षित +करने का वातावरण तैयार करना +जरूरी है। भारत सरकार ने अपने +उद्यम शुरू करने वाली महिलाओं +के लिए अनेक प्रशिक्षण कार्यक्रम +और विकास के साथ-साथ +रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने +के कार्यक्रम तैयार किए हैं। + +द्वारा मुहैया किए जा रहे विकास अवसरों +के बारे में अनभिज्ञ रहती हैं। महिलाओं को +सफल उद्यमी बनाने में सहायता देने के लिए +उन्हें विशेष प्रशिक्षण की सुविधाएं दी जानी +चाहिए ताकि उनकी प्रतिभा और कौशल को +निखारा जा सके। 7 + +सन्दर्भ + +1. वी. कृष्णमूर्ति और आर, बालासुब्रमणि, +“मोटिवेशनल फैक्टर्स अमंग विमेन एंत्रप्येन्योर्स एंड +aR Waiter सक्सेस : ए स्टडी '' इंटरनेशनल +जर्नल ऑफ मैनेजमेंट रिसर्च एंड बिजनेस स्ट्रेटजी। +2. बोवेन, डोनाल्ड डी और हिश रॉबर्ट डी +(1986), द्‌ फीमेल एंत्रप्रेन्योर ; ए कैरियर डेबेलपमेंट +पर्सपेक्टिब, अकेडमी ऑफ मैनेजमेंट रिव्यू; वॉल्यूम वा +अंक 3 पृष्ठ 393-407. + +3. हेंडबुक ऑन विमेन-ओन्‍ड एसएमईज, + + + + + +आगे की राह + +महिला उद्यमी भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास की सबसे + +अहम कडियों में से हैं। महिलाओं की प्रगति के लिए हम नीचे दिए +गए सुझावों पर विचार कर सकते हैं- + +1. + +महिलाओं में उद्यमिता कौशल विकसित करने के लिए कम +से कम लागत के या मुफ्त प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जाने +चाहिए। + +2. महिलाओं को बचपन से लेकर उच्च शिक्षा तक निःशुल्क +पढ़ाई की सुविधा उपलब्ध कराने वाले शिक्षण संस्थान खोले +जाएं। + +3. उद्यमिता से जुड़ी गतिविधियों के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध +कराई जाए। + +4. सरकारी प्रोत्साहनों और योजनाओं के प्रति उन्हें जागरूक +बनाया जाए। + +5. योजनाओं का लाभ पाने के वास्ते कागृजी कार्रवाई को कम से +कम किया जाए और पूरी प्रक्रिया सरल बनाई जाए। + +निष्कर्ष + +महिला को विविध कार्य करने होते हैं और अनेक दायित्व + +निभाने पड़ते हैं जिससे उसे सामाजिक बंधनों के कारण अपना उद्यम +चलाने के वास्ते कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। सरकारी योजनाओं +और कार्यक्रमों से महिला उद्यमियों को प्रोत्साहन देने के उपाय +उपलब्ध कराए गए हैं। भारतीय महिलाएं सरकार और अन्य एजेंसियों + +46 + +10. + +ll. + +चैलेंजेज्‌ एंड एपॉर्चुनिटीजू इन ties ws ve, +इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन फॉर नॉलेज इकॉनामी एंड एंटरप्राइज डेवलपमेंट। +कुबेक्चकों, के. रैमट्सरटाइनर, ई. (2002). इनोवेशन एंड एंत्रप्रेन्योरशिप- +ए न्यू टॉपिक फॉर फोरेस्ट रिलेटिड रिसर्च? डिस्कशन पेपर पी/2002-1, +इंस्टिट्यूट ऑफ फॉरेस्ट सेक्टर पॉलिसी एंड इकॉनोमिक्स, बोकु विएना। +लाल, मधुरिमा, एंड सहाय शिखा, 2008, विमेन इन फैमिली बिजनेस, +इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस, हैदराबाद में फैमिली बिजनेस पर आयोजित +प्रथम एशियन इनविटेशनल कांफ्रेंस में प्रस्तुत। +मैरमैन, जे.पी. एंड ठुशमैन एम.एल. 2001. फ्रॉम द टेक्नॉलोजी साइकिल दू +द एंत्रेप्रेननोरिअल डायनामिक। इन सी. बर्ड स्कूनहोवेन, एंड ई, रोमानेल्लि +(ईडीएस) , द एंत्रप्येन्योरशशिप डायनमिक स्टैनफोर्ड , कैलिफोर्निया; स्टैनफोर्ड +यूनिवर्सिटी प्रैस। +मायर्स, एस.पी. 1984, द कैपिटल स्ट्रकक्‍्चर पजुल। +ऐमिटी जर्नल ऑफ छएत्रप्रेन्योरशशिप। (1), (86-100) (ब) 2016 +एडीएमएए बेरियर्स फेसिंग विमेन Wed इन रूरल इंडिया : ए स्टडी +इन हरियाणा। +इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एप्लाइड एंड प्योर Wea US Whe www. +ijapsa.com@UAPSA-2015, Galfer gfe 75 e-ISNN 2394- +5532 p-ISSN : 2394-823X, स्टडी ऑन द डेवलेपमेंट ऑफ विमेन +एंत्रप्येन्योरशशिप इन गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत, सीमा जोहर रिसर्च +स्कॉलर, एमवीजीयू (४ए७7)। +व्हाई रिसर्च नीडेड इन विमेन एंत्रप्रेन्योरशिप इन इंडिया :; ए व्यूप्बाइंट +आर्टिकल इन इंटरनेशनल जर्नल ऑफ सोशल इकॉनोमिक्स, फरवरी-2018 +डॉ. रंजना शर्मा “विमेन एंत्रप्रेन्योर्स इन इंडिया - इमर्जिंग इश्यूज एंड +dasa" इंटरनेशनल जर्नल ऑफ डेवेलपमेंट रिसर्च, वॉल्यूम: 07, +अंक: 12, पृष्ठ: 17917-17923, दिसम्बर, 2017, आईएसएसएन : +2230-9926. + + + + + + + + + + + +योजना, दिसम्बर 2021 + + +0047.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +आज़ादी जादीक। +अब उपलब्ध हैं अमृठ + +PANCHAYATI RA] +in india + +Dr, Mahipal + + + + + +आज ही नजदीकी पुस्तक विक्रेता से खरीदें + +Ba +प्रकाशन विभाग +सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार + +हमारी Tae stags atte S fem ava www.bharatkosh.gov.in 3 ay | +आर्डर के लिए कृपया संपक्क करें: फोज : 011-24305009, ई-ोल | businesswng@gmail.com +ararge : www. publicationsdivision.nic.in + +fe] iapd_India WF GOD, India Fi गा ० + + + + + + + +योजना, दिसम्बर 2021 + + +0048.txt +<----------------------------------------------------------------------> +भारतीय पुलिस : मूल्यांकन और स्वरूप + + + +भारत में पुलिस का इतिहास, परीक्षणों, त्रुटियों, उलटफेर, एक राजशाही सरकार की आवश्यकताओं और +बदलती प्राथमिकताओं तथा संदर्भों का विवरण है। स्वतंत्रता के बाद भारत ने पुलिस संगठन के बुनियादी +ढांचे को बरकरार रखा, लेकिन पुलिस व्यवस्था की प्रकृति बदल गई। एक संस्था के रूप में वह आज जिस +स्वरूप में मौजूद है, उसे यह हासिल करने में कई शताब्दियां लगी हैं। भारत में यह व्यवस्था एक स्वतंत्र +प्रशासनिक संस्थान के रूप में कार्य करती है, हालांकि यह केवल ब्रिटिश औपनिवेशिक काल के दौरान +विकसित हुई, जो काफी हद तक मध्यकालीन युग के दौरान प्रचलित विभिन्न विशेषताओं का मिलाजुला +रूप था और कुछ ब्रिटिश कानून और व्यवस्था की संरचना से लिया गया था। वर्तमान पुलिस प्रणाली में भी +संरचनात्मक और कार्यात्मक रूप से औपनिवेशिक शासकों द्वारा प्रख्यापित विभिन्‍न अधिनियमों का प्रभाव है। + +लिस, जीवन और संपत्ति की रक्षा के लिए राज्य के +कार तंत्र का एक हिस्सा होने के नाते सभ्य + +समाज की स्थापना के साथ अस्तित्व में आई। इसे +देश/शासक वर्ग का प्राथमिक अंग माना जाता था। पुलिस, प्रशासन +या नियमन के एक तंत्र को दर्शाती है, लेकिन अब इस शब्द का +इस्तेमाल आमतौर पर सिविल अधिकारियों के संगठित निकाय को +इंगित करने के लिए किया जाता है, जिसका विशेष कर्तव्य कानून +और व्यवस्था का सरक्षण है।' "भारतीय पुलिस इतिहास को हमेशा +ग्रामीण संस्थाओं के एक अपरागम्य स्तर पर स्थापित साम्राज्य संबंधी +अधिकारों के विस्तार और संकुचन के रूप में देखा जा सकता Zz +संरचनाएं आईं और गईं, लेकिन गुण संबंधी कोई क्रमागत वृद्धि नहीं +Gel? वर्तमान पुलिस प्रणाली में भी संरचनात्मक और कार्यात्मक +रूप से औपनिवेशिक शासकों द्वारा प्रख्यापित विभिन्‍न अधिनियमों +का प्रभाव है। भारत ने विरासत में मिली पुलिस संरचना को बनाए + +रखा और समेकित तथा विस्तारित किया है। +प्राचीन काल + +भारत में प्राचीन काल में पुलिस धर्म, समुदाय और नेतिकता की +संस्थाओं के साथ जटिल रूप से समवर्ती थी। भारत के प्राचीन ग्रंथों +में कई संदर्भ हैं जो देश के खिलाफ अपराधों का पता लगाने के +लिए एक विशेष इकाई के अस्तित्व का संकेतक देते हैं।' कौटिल्य +के अर्थशास्त्र में हमें एक नगर पुलिस संगठन की झलक मिलती +है। शांति बनाए रखने के लिए पुलिस एक महत्वपूर्ण इकाई थी जो +सामान्य कल्याण के लिए एक आवश्यक पूर्व शर्त थी। भारत में +स्वदेशी पुलिस प्रणाली का गठन पट्टेदारी और ग्राम समुदाय की +सामूहिक जिम्मेदारी के आधार पर किया गया था। +मध्यकाल + +उत्तर भारत में मुस्लिम शासन बारहवीं शताब्दी में शुरू हुआ +और पुलिस प्रणाली धीरे-धीरे लेकिन तेजी से विकसित हुई क्‍योंकि + + + +लेखिका दिल्‍ली विश्वविद्यालय के श्री वेंकटेश्वर कॉलेज में सहायक प्रोफेसर (इतिहास) हैं। ईमेल: #रपवाक्षापरॉबद्धेडए०.8०५ा॥ + +48 + +योजना, दिसम्बर 2021 + + +0049.txt +<----------------------------------------------------------------------> +उसके अधीन जीते गए क्षेत्रों का विस्तार +हुआ। सत्ता और राजनीतिक गतिविधि का केंद्र +सुल्तान होता था। फौजदार को प्रांतीय स्तर + +1860 में एक पुलिस आयोग +गठित किया गया था। आयोग + +एक पुलिस बल की अवधारणा की गई “जो +पूरी आबादी में सत्ता का भय पैदा कर सके +और रक्षा की पहली पंक्ति के रूप में काम + +पर आपराधिक न्याय प्रणाली का प्रमुख होने. क्का उद्देश्य पुलिस विभाग को कर सके।” 1860 में एक पुलिस आयोग +के नाते, शांति और सुरक्षा बनाए. रखने की गठित किया गया था। आयोग का उद्देश्य +जिम्मेदारी सोंपी गई थी। कोतवाल मजिस्ट्रेट ax के लिए से पुनर्गठित कुशल पुलिस विभाग को और अधिक प्रभावी तथा +होता था, पुलिस प्रमुख होता था, चौकीदार बना ए इस पुनर्गाठत करना कुशल बनाने के लिए इसे पुनर्गठित करना + +स्थानीय भूमिधारक या ग्राम प्रधान के अधीन +ग्राम शांति और व्यवस्था के लिए जिम्मेदार +था। चौकीदारों को रखने का काम गांव स्वयं +करते थे और उनके पारिश्रमिक का भुगतान +फसलों के हिस्से से किया जाता था। +औपनिवेशिक काल + +जैसे-जैसे भारतीय क्षेत्र पर अंग्रेजों +की पकड़ मजबूत हुई, व्यापार और संपत्ति +की सुरक्षा के मुद्दों के लिए किसी प्रकार +की पुलिस व्यवस्था की आवश्यकता पडी। +विभिन्‍न परीक्षणों के माध्यम से और त्रुटियों +से अंग्रेजों ने एक पुलिस तंत्र का गठन किया जिसने भारत में उनके +समूचे औपनिवेशिक शासन-काल में उनकी सेवा की। + +वारेन हेस्टिंग्स ने 1772 में, हिंसक अपराधों को दबाने और +रोकने के उपाय के रूप में आपराधिक अदालतों की स्थापना की।" +1792 में, लॉर्ड कॉर्नवालिस ने, “पुलिस प्रशासन को बडे जमीदरों +के अधिकार क्षेत्र से हटा लिया और उसके स्थान पर कंपनी के +एजेंटों के प्रति जिम्मेदार पुलिस बल की स्थापना की। जिलों को +विभाजित कर दिया गया था और प्रत्येक के लिए, दरोगा कहे जाने +वाले एक पुलिस अधिकारी को तैनात किया गया था। ...... नगरों +में कोतवाल, पुलिस प्रशासन का प्रभारी बना रहा।” हालांकि इन +सुधारों से वांछित परिणाम नहीं मिले। + +1857 में भारतीय समाज के कई वर्गों ने ब्रिटिश शासन के +खिलाफ व्यापक आंदोलन चलाया था जिसने अंग्रेजों को इस विशाल +देश को नियंत्रित करने के लिए एक नियमित संस्था की अनिवार्य +आवश्यकता का एहसास कराया। 11850 के दशक तक नागरिक +पुलिस बलों के गठन का इरादा, आंतरिक पुलिसिंग के लिए सेना +पर निर्भरता के खतरे को कुछ हद तक कम करने के लिए किया +गया था” सेना पर अत्यधिक निर्भरता महंगी भी पड़ती थी, इसलिए + +था। आयोग ने सैन्य पुलिस को +समाप्त करने और एकल वर्दी +नागरिक पुलिस बल की स्थापना +की सिफारिश की जो प्रांतीय +सरकार के अधीन हो। इसके +परिणामस्वरूप 1861 का पुलिस +अधिनियम ( अधिनियम 5) लागू +हुआ। यह वर्तमान भारतीय पुलिस +का मूल आधार है। + +था। आयोग ने सैन्य पुलिस को समाप्त करने +और एकल वर्दी नागरिक पुलिस बल की +स्थापना की सिफारिश की जो प्रांतीय सरकार +के अधीन हो। इसके परिणामस्वरूप 1861 +का पुलिस अधिनियम (अधिनियम 5) लागू +हुआ। यह वर्तमान भारतीय पुलिस का मूल +आधार है। +पुलिस अधिनियम, 1861 + +16 मार्च 1861 को एक विधेयक पारित +किया गया। 22 मार्च 1861 को इसे भारतीय +पुलिस अधिनियम के रूप में लागू किया +गया। 1860 के पुलिस आयोग ने पुलिस संगठन के निम्नलिखित +सिद्धांतों की स्थापना की: (1) सैन्य पुलिस को समाप्त किया जाना +था और पुलिस को एक सिविल कांस्टेबल को सौंपा जाना था, (2) +सिविल पुलिस को प्रत्येक प्रांत में एक महानिरीक्षक की अध्यक्षता +में अपनी अलग प्रशासनिक संस्था की स्थापना करनी थी, (3) +महानिरीक्षक प्रांतीय सरकार के प्रति जिम्मेदार था क्योंकि अधीक्षक +नागरिक कलेक्टर के प्रति जिम्मेदार था और (4) अधीक्षक पर ग्राम +पुलिस की निगरानी की जिम्मेदारी थी।" + +महानिरीक्षक को जिला पुलिस अधीक्षकों द्वारा सहायता प्रदान +की जाती थी, और उनकी सहायता के लिए. सहायक पुलिस +अधीक्षक होते थे। अधीनस्थ पुलिस सेवा को भी पुनर्गठित किया +गया और अधिकारियों को इंस्पेक्टर, हेड कांस्टेबल, सार्जेट और +कांस्टेबल के रूप में नामित किया गया। भारतीय पुलिस में पहली +बार एक स्पष्ट आदेश और नियंत्रण के साथ एक संगठनात्मक +पदानुक्रम को मजबूत किया गया था। अधिकारियों के उच्च पद, +विशेष रूप से यूरोपीय लोगों के पास थे, और अधीनस्थ रैंकों पर +भारतीयों की भर्ती की गई थी, हालांकि ऐसा पूरी तरह से नहीं +किया गया था। + + + +योजना, दिसम्बर 2021 + + +0050.txt +<----------------------------------------------------------------------> +अधिनियम की एक अन्य विशेषता ग्राम +पुलिस व्यवस्था में सुधार पर जोर देना था जो कण ” +स्थानीय मजिस्ट्रेट की देखरेख और नियंत्रण में शी +होना था। यह भी सिफारिश की गई थी कि | +पुलिस के वेतन और पारिश्रमिक में सुधार किया +जाना चाहिए और इसे सैन्य बलों के वेतन के +अनुरूप अधिक न्यायसंगत बनाया जाना चाहिए। +1892 में, प्रांतीय सिविल सेवा बनाई गई थी। + +1902 में, लॉर्ड कर्जन ने पुलिस प्रणाली के +कामकाज को देखने के लिए और पुलिस द्वारा दी +जाने वाली यातनाओं को रोकने, पुलिस पर बेहतर +मजिस्ट्रेट पर्यवेक्षण और अन्य संबद्ध मामलों के +लिए प्रभावी उपाय सुझाने के वास्ते एक और +आयोग का गठन किया था।!! + +आयोग पुलिस के कामकाज के लिए काफी +आलोचनात्मक था, हालांकि, उसने पुलिस प्रणाली में किसी भी +बडे संरचनात्मक सुधार की सिफारिश नहीं की। इसने सिफारिश +की कि शिक्षित भारतीयों को अधिकारी स्तर पर पुलिस संगठन में +भर्ती किया जाए। 1902 में, विशेष रूप से भारतीय अधिकारियों के +लिए एक नया रैंक - पुलिस उपाधीक्षक बनाया गया था, जो कि +अधीक्षक से एक रैंक नीचे था। जैसे-जैसे समय बीतता गया, पुलिस +सेवा का भारतीयकरण होता गया। 1920 में, भारतीयों को एक +प्रवेश परीक्षा के माध्यम से भारतीय पुलिस के उच्च पदों में प्रवेश +करने की अनुमति दी गई थी, जो भारत के साथ-साथ इएलैंड में +भी आयोजित की जाती थी। 1924 में ली आयोग का गठन किया +गया जिसके माध्यम से भर्ती निश्चित रूप से भारतीयों के पक्ष में +हो गई। पुलिस सेवा का भारतीयकरण बहुत धीमी गति से जारी +रहा, हालांकि उन्‍नीसवीं और बीसवीं सदी की +शुरुआत के दौरान किए गए पुलिस सुधारों ने +एक समान और उच्च श्रेणीबद्ध पुलिस का +निर्माण किया, जिसे औपनिवेशिक सरकार +की जरूरतों के अनुरूप बनाया गया था। + +बीसवीं शताब्दी में जैसे-जैसे राष्ट्रवादी +आंदोलन ने गति और उग्रता हासिल की, +भारतीय पुलिस का इस्तेमाल इन आंदोलनों +को दबाने और नियंत्रित करने के लिए किया +जाने लगा। यहां भारतीय पुलिस के लिए बड़ी +दुविधा थी, क्‍योंकि भारतीयों के खिलाफ +भारतीयों का बड़ी चतुराई से इस्तेमाल किया +गया। यह “परीक्षा का कष्टदायक समय +था।? 1947 में स्वतंत्रता के बाद भारत +ने अपने प्रशासनिक और पुलिस ढांचे का +निर्माण मुख्य रूप से अंग्रेजों की स्थापना के +आधार पर किया था। +मद्रास प्रेसीडेंसी में पुलिस का इतिहास + +विजयनगर साम्राज्य के ऐतिहासिक +साक्ष्यों से समझा जा सकता है कि दक्षिण + +50 + +बीसवीं शताब्दी में जैसे-जैसे +राष्ट्रवादी आंदोलन ने गति और +उग्रता हासिल की, भारतीय पुलिस +का इस्तेमाल इन आंदोलनों को +दबाने और नियंत्रित करने के लिए +किया जाने लगा। यहां भारतीय +पुलिस के लिए बड़ी दुविधा थी, +क्योंकि भारतीयों के खिलाफ +भारतीयों का बड़ी चतुराई से +इस्तेमाल किया गया। यह परीक्षा +का कष्टदायक समय ' Atl 1947 +में स्वतंत्रता के बाद भारत ने अपने +प्रशासनिक और पुलिस ढांचे का +निर्माण मुख्य रूप से अंग्रेजों की +स्थापना के आधार पर किया an + + + +भारत में एक विकसित पुलिस व्यवस्था थी। + +कवलकर, मूल रूप से सरकार में नियुक्त व्यक्ति थे जिन्होंने +स्थानीय सहायक के रूप में भी काम किया। वे, तलियारियों के +विपरीत, कई गांवों के लिए जिम्मेदार थे और उन्हें संरक्षक के +रूप में किए गए कार्य के लिए सुरक्षा शुल्क (कवल) लेने का +अधिकार था। वे इसे 'डाकू पुलिस” की भूमिका मानकर हिंसक +और भ्रष्ट हो गए।? + +मद्रास एक बहुत बड़ा प्रांत था और यह क्षेत्र यूरोपीय अधिकारियों +की निगरानी में था, लेकिन यह पर्याप्त नहीं थी। स्थानीय स्वदेशी +पुलिस अधिकारियों द्वारा प्रताड़ित किए जाने की लगातार शिकायतें +मिलती थीं। मद्रास प्रेसीडेंसी के कई आंतरिक जिलों के दूरदराज +में होने से भी कई समस्याएं पैदा हुईं। व्यापार तथा संपत्ति के +लिए सुरक्षित वातावरण बनाने और राजस्व के +निर्बाध प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए +प्रांत में मौजूदा पुलिस प्रशासन की विफलता +का एक अंतर्निहित अहसास था। + +1859 के मद्रास पुलिस अधिनियम ने +निहत्थी पुलिस को पुलिस के सशस्त्र वर्गों +से अलग कर दिया। इस प्रकार बल की +दो अलग-अलग, शाखाओं में कर्मियों का +आदान-प्रदान नहीं किया जा सकता था। +अधिनियम की एक अन्य प्रमुख विशेषता +प्रांतीय राज्य संरचना के साथ पुलिस बल का +पूर्ण एकीकरण था। पुलिस अखिल भारतीय +आधार के बजाय प्रांतीय आधार पर गठित +की गई थी।'” यह महसूस किया गया था कि +मद्रास प्रेसीडेंसी व्यापक क्षेत्रीय विविधताओं +के साथ विशाल थी, जिससे एक ही केंद्र से +पुलिस के काम की निगरानी करना असंभव +हो गया था। 'इस अधिनियम के माध्यम से, +पर्यवेक्षण और नियंत्रण के तीन स्तरों को +अधिनियमित किया गया था। एक, पुलिस + +योजना, दिसम्बर 2021 + + +0051.txt +<----------------------------------------------------------------------> +विभाग पर नागरिक प्रशासन की निगरानी; +दूसरा, भारतीय अधीनस्थों पर यूरोपीय +अधिकारियों का पर्यवेक्षण; तीसरा, शीर्ष पर +अधीक्षण के बीच एक कठोर पदानुक्रमित +विभाजन, मध्य में निरीक्षणालय और सबसे +नीचे argent" मुख्य सचिवालय ने +मद्रास प्रांत में पुलिस के लिए नोडल एजेंसी +के रूप में काम किया। जिला स्तर पर, +पुलिस जिला मजिस्ट्रे/कलेक्टर के अधीन +थी। 1856 में, अधीक्षक के लिए एक पद +बनाया गया था, लेकिन जिले में मजिस्ट्रेट को +अधीक्षक से बड़ा पद दिया गया था। +विशेष पुलिस बल + +बीसवीं सदी में पूरे देश में नए सिरे से और अधिक राष्ट्रवादी +आंदोलन की शुरुआत हुई। मौजूदा जिला पुलिस, हालांकि समय +के साथ विस्तारित हुई, लेकिन यह नियंत्रण लागू करने के लिए +पर्याप्त नहीं थी। इसलिए, सशस्त्र प्रहारक बलों का गठन करने का +निर्णय लिया गया। मद्रास प्रेसीडेंसी में ऐसे दो प्रमुख बलों का गठन +किया गया था। मालाबार विशेष बल और पूर्व तट विशेष बल। +दोनों बल विशेष, सुप्रशिक्षित, अनुशासित कर्मियों और नवीनतम +हथियारों से लैस थे। उन्हें आज के अर्धसैनिक बलों का अग्रदूत +कहा जा सकता है। + +1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के प्रसार और आक्रामकता +के साथ और 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत के साथ, +सरकार को मजबूरन पुलिस रिजर्व के साथ-साथ अर्धसैनिक बलों +की ताकत बढानी Tet +पुलिस सुधार + +पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था, भारत के संविधान की सातवीं +अनुसूची के तहत राज्य का विषय है। हालांकि, भारत सरकार ने, +सितंबर 2017 में, पुलिस बलों के आधुनिकीकरण की छत्र योजना +के कार्यान्वयन को मंजूरी दी। इस योजना के दो कार्यक्षेत्र हैं- पुलिस +आधुनिकीकरण और सुरक्षा संबंधी व्यय (एसआरई)। इसमें अपराध +तथा आपराधिक ट्रैकिंग नेटवर्क तथा सिस्टम (सीसीटीएनएस) +परियोजना और ई-जेल परियोजना जैसी केंद्रीय क्षेत्र की उप-योजनाएं +शामिल हैं, जिन्हें सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में लागू किया गया + + + +योजना, दिसम्बर 2021 + +बीसवीं सदी में पूरे देश में नए +सिरे से और अधिक राष्ट्रवादी +आंदोलन की शुरुआत हुई। +मौजूदा जिला पुलिस, हालांकि +समय के साथ विस्तारित हुई, +लेकिन यह नियंत्रण लागू करने +के लिए पर्याप्त नहीं थी। इसलिए, +सशस्त्र प्रहारक बलों का गठन +करने का निर्णय लिया गया। + +है। सरकार ने वामपंथी उग्रवादग्रस्त जिलों +में विकास उपाय करने के लिए विशेष +केंद्रीय सहायता योजना भी लागू की है। +इसके अतिरिक्त, पुलिस वायरलेस और अन्य +बुनियादी ढांचे के उन्‍नयन पर भी ध्यान दिया +जा रहा है। + +इस योजना में राज्य सरकारों को उनके +पुलिस बलों के आधुनिकीकरण में सहायता +और पुलिस बुनियादी ढांचे के उन्‍नयन के +लिए विशेष परियोजनाओं/कार्यक्रमों के लिए +सहायता की केंद्र प्रायोजित उप-योजनाएं भी +शामिल हैं। सुरक्षा संबंधी व्यय के दूसरे +क्षेत्र में जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर राज्यों और +वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों के लिए सुरक्षा संबंधी व्यय की +उप-योजनाओं के साथ-साथ विशेष बुनियादी ढांचा योजना शामिल +है। इस योजना का एक प्रमुख उद्देश्य वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित +क्षेत्रों, पूर्वोत्तर के क्षेत्रों और जम्मू-कश्मीर जैसे विभिन्‍न इलाकों +में आने वाली चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना करने के लिए +सरकार की क्षमता को मजबूत करना; विकास के उपाय कर जीवन +की गुणवत्ता में सुधार करना और इन क्षेत्रों में इन चुनौतियों का +प्रभावी ढंग से मुकाबला करने में मदद करना है। + +वामपंथी उग्रवाद का मुकाबला करने के लिए, सरकार ने 2015 में, +* राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना ' को मंजूरी दी थी। इसमें सुरक्षा, विकास, +जनजातियों/स्थानीय समुदायों के अधिकारों को सुनिश्चित करना और +अवधारणा प्रबंधन के क्षेत्रों को शामिल करते हुए एक बहु-आयामी +दृष्टिकोण शामिल है। नीति और कार्य योजना के प्रभावी कार्यान्वयन +के परिणामस्वरूप वामपंथी उग्रवाद और उससे जुडी हिंसा के +भौगोलिक प्रसार में कमी आई है। = +संदर्भ +1. सेन, शंकर- पुलिस टुडे नई दिल्‍ली, 1986, पृष्ठ 86 +2. बेली, डेविड- द पुलिस एण्ड पोलिटिकल डेवलपमेंट इन इंडिया, प्रिंसटन + +यूनिवर्सिटी प्रेस, प्रिंसरन, 1969. 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TOP 10 SELECTIONS IN CSE 2020 OQbeartiete Congratulations +from various programs of VISION IAS — to all candidates selected in CSE 2020 += el AL + +6 a \, 7" . + +: \ y +आज़ादीका +अमृत महोत्सव + +“आधुनिक भारत के निर्माता' विद्वानों द्वारा लिखे गए आसान खंडों +की एक श्रृंखला है, जिसे प्रकाशन विभाग ने प्रकाशित किया +है। भारत रत्न डॉ भीमराव आंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस +6 दिसम्बर पर इसी श्रृंखला की यह पुस्तक हमारे देश के प्रख्यात +और बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न नेता की एक अंतर्दृष्टि प्रदान करती है। +इस पुस्तक से लिए गए कुछ अंश: +आर सोचते थे कि सरकार की सत्ता और व्यक्ति की +स्वतंत्रता में संतुलत होना चाहिए। परंतु उनका विचार था +कि यदि वैयक्तिक स्वतंत्रता छीन लेने से समाज के हितों को आघात +पहुंचता है तो यह अधिकार हरण नहीं होना चाहिए। वे कहते थे कि +अच्छी सरकार वही है जो एक समुदाय को दूसरे +समुदाय के शोषण से बचाए और देश में आंतरिक +उपद्रवों, हिंसा और अव्यवस्था पर नियंत्रण करे। +एक वकील और न्यायशास्त्री होने के नाते +वे सभ्य समाज में विधि की भूमिका पर बहुत +बल देते थे। उनकी दृष्टि में सामाजिक शांति और +जनता के विभिन्‍न वर्गों के बीच न्याय-व्यवहार +में कानून का बहुत बड़ा हाथ होता है। यही तो +समानता और स्वाधीनता का प्रहरी है। उनका मत +था कि कानून केवल वैधानिक क्रिया ही नहीं, +बल्कि ये पूरे समाज और राष्ट्र की कार्य प्रणाली +को नियंत्रित रखता है। वह हर वर्ग के मानव को +उसकी सीमाओं में बांधकर रखता है। कानून ने इंसान को पैदा +नहीं किया है बल्कि इंसान ने ही अपनी सुविधा के लिए कानूनों +को जन्म दिया है। कानूनों में संशोधनों की सदा गुंजाइश है कितु +यह संशोधन सभी व्यक्तियों की सहमति से होना चाहिए। कानून +के संबंध में आंबेडकर की धारणा थी कि वह न केवल दंड +देकर लागू किया जाए बल्कि यह शिक्षा और सामाजिक भावनाओं +के आधार पर लागू हो। वे कहते थे कि मुट्ठी भर राजनैतिक +अधिकार ही लोकतंत्र नहीं कहला सकते बल्कि लोकतंत्र के लिए +सामाजिकता एवं नैतिकता का बहुत बड़ा स्थान है। उनकी दृष्टि से +लोकतंत्र का आधार है : स्वतंत्रता, समानता, भ्रातृत्व तर्क मानवीय +व्यवहार, विधि का शासन, प्राकृतक अधिकार और सामाजिक +परिप्रेक्ष्य में वैयक्तिक स्वतंत्रता का महत्व। + + + + + +a= ll: + +आधुनिक भारत के निर्माता + +डॉ भीमराव आंबेडकर + +लेखक: डब्ल्यू एन कुबेर +प्रकाशक: प्रकाशन विभाग +मूल्य : 120 रुपये + +«संविधान सरकार ही राजनैतिक, सामाजिक और आर्थिक +दिशा के निर्देशन का स्रोत हैं। वह समाज के लिए एक आर्थिक +व्यवस्था का भी निर्धारण करता है। यदि संविधान यह निर्धारित +करता है कि उत्पादन साधनों के स्वामित्व तथा प्रबंध का क्‍या +स्वरूप हो और समाज में आय का वितरण किस प्रकार किया जाए। +आंबेडकर ने कहा कि समाज के आर्थिक स्वरूप का निर्धारण कर +देना वैयक्तिक स्वतंत्रता पर आघात है। लेकिन आगे उन्होंने यह भी +कहा कि वैयक्तिक स्वतंत्रता के संरक्षण का तकाजा है कि संविधान +समाज के आर्थिक स्वरूप का निर्धारण करे। + +उनका विचार था कि राजनैतिक स्वतंत्रता के चार स्तंभ हैं- +1. व्यक्ति अपने में संपूर्ण है, 2. व्यक्ति के कुछ अहरणीय अधिकार +हैं जिन्हें संवैधानिक गारंटी मिलनी चाहिए, 3. +किसी व्यक्ति को विशेष सुख-सुविधाए प्राप्त +करने के लालच में अपने संवैधानिक अधिकारों +का परित्याग नहीं करना चाहिए, 4. सरकार को +व्यक्तिगत आधार पर किसी इंसान को अन्य +व्यक्ति को नियंत्रित रखने का अधिकार नहीं +सौंपना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि सरकार +के नियंत्रण से छूट का प्रभाव यह होता है कि +निजी मालिकों की तानाशाही आ जाती है। उन्होंने +कहा कि मूल अधिकारों की पूर्ति बहुमत की +कृपा पर निर्भर नहीं रहनी चाहिए। आंबेडकर का +विचार था कि मजदूरों को छूट और समानता +मिलनी जरूरी है और इनके संतुलन के लिए एक संविधान हो। +वे समाजवाद को प्राथमिकता देते थे। उनकी टिप्पणी यह थी +कि भारत के श्रमिकों को यह जोर देना चाहिए कि भारतीय +संविधान एक राजनैतिक साथन होने के साथ-साथ आर्थिक +विकास का भी स्रोत हो। + +आंबेडकर अर्थशास्त्र के लगनशील विद्यार्थी थे। एमए के लिए +उनका शोध प्रबंध था 'एन्शिएन्ट इंडियन कामर्स' तथा एमएससी +(लंदन) के लिए 'इवोल्यूशन ऑफ प्रोविंशियल फाइनेंस इन ब्रिटिश +इंडिया' डीएससी के लिए *द प्रॉब्लम ऑफ रूपी' भारत की मुद्रा +समस्या के विषय में हिल्टन युवा आयोग के सामने जो विचार +प्रकट किए वे उनके भारत की मुद्रा समस्या के विषय में महत्वपूर्ण +योगदान थे। 7 + + + + + +आज़दी का अमृत महोत्सव से जुड़ी अन्य किताबों के लिए +www.publicationsdivision.nic.in 9% OT) + + + + + +योजना, दिसम्बर 2021 + +53 + + +0054.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + +नदीतट विकास पर नीतियां और विनियम + +भार में मौजूदा समय में शहरी नदीतट योजना और विकास +(यूआरएफडी) में निर्माण, लैंडस्केपिंग और सौंदर्यीकरण +जैसे निर्माणात्मक पहलुओं पर ही ध्यान दिया जाता है। इस बात +पर गौर किया जाता है कि इन परियोजनाओं के संभावित आर्थिक +लाभ क्‍या होंगे। इन परियोजनाओं के सामाजिक, sedate, +पर्यावरणीय और पारिस्थितिकीय प्रभावों पर कम ही विचार किया +जाता है। बाढ़ और सूखे जैसी जलवायु से संबंधित आकस्मिक +घटनाएं नदीतट परियोजनाओं पर सीधा असर डालती हैं। नदीतट +योजना और विकास के इन पहलुओं को नजरअंदाज किये जाने +के कारण अपेक्षित परिणाम नहीं मिल पाते। इससे जलवैज्ञानिक, +पर्यावरणीय और पारिस्थितिकीय तनाव पैदा होने के अलावा बाढ़ +जैसी आपदाओं से जानमाल का नुकसान होता है। + +भारत के कई शहर नदियों के किनारे बसे हैं। देश में गंगा तट +पर बसे वाराणसी जैसे सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण अनेक स्थल +नदियों के किनारे हैं। लिहाजा, भारत जल और पर्यावरण के प्रति +संवेदनशील शहरी नदीतट विकास के लाभों को प्रदर्शित करने +की अच्छी स्थिति में है। विभिन्‍न नदियों के किनारे यूआरएफडी +परियोजनाओं को काफी निवेश मिल रहा है। मुंबई अकेले मीठी +नदीतट के विकास पर 68.5 करोड़ रुपये खर्च कर रहा है (दास +2017)। एक संतुलित यूआरएफडी में विकास के साथ ही +पारिस्थितिकीय , पर्यावरणीय और जलीय चिंताओं का निवारण +किया जाना चाहिये। इस तरह के यूआरएफडी से शहरों को आर्थिक +लाभ मिलने के साथ ही नागरिकों और नदी पारिस्थितिकियों को +अनेक फायदे होंगे। + +इसके अलावा यूआरएफडी परियोजनाओं के लिये दिशानिर्देश +प्रदान करने वाली कुछ एजेंसियां भी हैं। + +पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अधीन +राष्ट्रीय नदी संरक्षण निदेशालय ( एनआरसीडी ) - नदियां देश +में जल का सबसे बड़ा स्रोत हैं। एनआरसीडी का उद्देश्य प्रदूषण +घटाने के उपायों को लागू कर नदियों के पानी की गुणवत्ता में +सुधार लाना है। + +राष्ट्रीय हरित अभिकरण (एनजीटी ) - यह पर्यावरण से +संबंधित विवादों के निपटारे के लिये विशेषज्ञता रखने वाली एक +विशेष न्यायिक संस्था है। एनजीटी के पास कानूनों और नियमों का +अनुपालन नहीं किये जाने की स्थिति में व्यक्तियों, सरकारी एजेंसियों +और अन्य संस्थाओं के खिलाफ आदेश जारी करने का अधिकार है। + +नगर और क्षेत्रीय भूमि उपयोग योजनाएं तथा भवन +विनियम - ये स्थानीय स्तर की विकास प्रबंधन व्यवस्थाएं हैं। +ये योजनाएं और विनियम विकास प्राधिकरणों, राज्य स्तरीय नगर +योजना विभागों और शहरी स्थानीय निकायों के दायरे में आते हैं। ये +भूमि उपयोग विनियम और भवन संबंधी नियम नदियों और उनके +जल आजच्छादन क्षेत्रों को सबसे ज्यादा प्रभावित करते हैं। + +विशेष उद्देश्य तथा हृदय, प्रसाद, स्मार्ट सिटी और +अमृत जैसे राष्ट्रीय मिशनों के अधीन परियोजनाएं - इन +विकास योजनाओं और परियोजनाओं का संबंध शहरों, नगरों, +पर्यटन स्थलों और गलियारों तथा धार्मिक केंद्रों से है। अगर ऐसी +परियोजना का स्थल नदी के किनारे या नजदीक है तो इसके +प्रस्ताव में नदीतट विकास दिशानिर्देशों का ध्यान रखना होगा + + + + + +भारत में नदियों की पूजा की जाती है। उनका सांस्कृतिक +महत्व त्योहारों और अनुष्ठानों में दिखायी देता है। लेकिन देश +में घरेलू और आर्थिक उद्देश्यों से स्थानीय नदियों के नियमित +इस्तेमाल से उत्पन्न होने वाले गहरे संबंध में कमी आयी है। +इसके परिणामस्वरूप नदी संरक्षण और पुनर्जीवन के लिये स्थानीय +गतिविधियों में गिरावट देखी गयी है। भारत में नदी के उद्धार का +मतलब उसकी सफाई और सौंदर्यीकरण है। दूसरी ओर वैश्विक +स्तर पर नदियों को स्वस्थ बनाने की ओर ध्यान दिया जा रहा +है ताकि मछलियों, पक्षियों और अन्य जीवों की विविधता की +हिफाजत हो सके। + +वर्तमान में भारत में नदी प्रबंधन पर केंद्रित कोई विशेष +कानून या नीति नहीं है। अलबत्ता, किसी नदी प्रणाली के अनेक +पर्यावरणीय और सामाजिक पहलुओं के नियमन और प्रबंधन के +लिये कानून और नीतियां मौजूद हैं। जल की गुणवत्ता, पर्यावरण, +जैवविविधता और आपदा जोखिम से जुड़े विशेष कानून और +नीतियां हैं। संलग्न तालिका में यूआरएफडी परियोजनाओं पर लागू +होने वाले कुछ प्रमुख पर्यावरणीय और सामाजिक कानूनों तथा +नियमों का जिक्र किया गया है। + +ताकि कोई टकराव नहीं हो (हृदय), (अमृत), (पर्यटन मंत्रालय +2016)। ऐसी किसी परियोजना को तैयार और लागू करने के लिये +जिम्मेदार अधिकारी को यह सुनिश्चित करना चाहिये इस तरह का +कोई टकराव पैदा नहीं हो। + +भारत में शहरी नदीतट योजना और विकास नागरिकों के +इस्तेमाल और सुविधा तथा अचल संपत्ति से वाणिज्यिक लाभ +के लिये नदी जल को निर्देशित और नियंत्रित करने तथा उसके +डूब क्षेत्र के दोहन तक ही सीमित है। भारत में यूआरएफडी +की आधुनिक परिकल्पना की शुरुआत अहमदाबाद में साबरमती +नदीतट विकास से हुई है। इसके तहत लगभग 10 किलोमीटर तक +“ग्रे इंफ्रास्ट्क्चर' (बांध, सागरभित्ती, सड़क, पाइप, जल शोधन +संयंत्र, इत्यादि) आधारित विकास किया गया है। इसके बाद अनेक +यूआरएफडी परियोजनाएं मंजूर की गयी हैं। इनमें गोदावरी नदीतट +विकास (महाराष्ट्र), पटना नदीतट विकास (बिहार), द्रव्यवती +नदीतट विकास (राजस्थान) और गोमती नदीतट विकास (उत्तर +प्रदेश) शामिल हैं। + +wid: https: //nmeg.nic. in/writereaddata/fileupl oad/34_RFT% 20Document-8_com.pdf + + +0055.txt +<----------------------------------------------------------------------> +तालिका + + + + + +arr raat उद्देश्य उपयुक्तता प्राधिकार +जल जीवन मिशन इस मिशन का प्रमुख उद्देश्य संयुक्तराष्ट्र शहरी हरित क्षेत्र और स्पंज सिटी बाढ़ के | आवास और शहरी मामले +(शहरी), 2021 संवहनीय विकास लक्ष्य 6 के अनुरूप 4378 | प्रभाव को घटायेंगे। वे शोधित अवशिष्ट मंत्रालय, शहरी स्थानीय + +वैधानिक शहरों में सबके लिये जल आपूर्ति +की व्यवस्था करना है। मिशन में एक +समेकित दृष्टिकोण अपनाया गया है। इसमें +इस बात को समझा गया है कि ताजा जल +आपूर्ति को मजबूत करने के लिये जलाशयों +को पुनर्जीवित करना और संवहनीय जलभूृत +प्रबंधन महत्वपूर्ण है। + +जल की रिसाइकिलिंग और रिचार्ज की +चक्रीय प्रक्रिया के जरिये शहरी जल संपदा +(भूमिगत और सतही) के विकास में +सहायक होंगे। + +निकाय + + + +गंगा नदी (पुनर्जीवन, +संरक्षण और प्रबंधन) +प्राधिकरण आदेश, +2016 + +यह आदेश गंगा में प्रदूषण को प्रभावी तौर +पर घटाने तथा इस नदी के पुनर्जीवन, संरक्षण +और प्रबंधन के लिये है। इसका मकसद + +गंगा की समूची लंबाई में पर्यावरणीय प्रवाह +बरकरार रखना तथा नदी के तटवर्ती उद्योगों +पर जरूरी पाबंदियां लगाना है। इसमें नदी पर +औद्योगिक परिसरों, संयंत्रों और मशीनरी के +प्रभाव के आकलन के लिये उनके निरीक्षण +का प्रावधान किया गया हे। + +यह आदेश उन राज्यों पर लागू होगा जिनसे +होकर गंगा, उसकी सहायक नदियां और +धाराएं गुजरती हैं। यह परियोजना के योजना +निर्माण, क्रियान्वयन और आकलन के +चरणों में लागू होगा। + +जल शक्ति मंत्रालय, राज्य +गंगा घाटी प्राधिकरण + + + +राष्ट्रीय जल नीति, +2012 + +यह नीति राज्य और केंद्र के स्तर पर जल +प्रबंधन से संबंधित अनिवार्य कानूनों के लिये +पेमवर्क कानून की तरह है। इसमें जल को +सिर्फ विभिन्‍न प्रतिस्पर्धी उपयोगकर्ताओं के +बीच बंटवारे के लिये दुर्लभ संसाधन नहीं +माना गया है। उसे जीवन और पर्यावरण के +लिये अनिवार्य तत्व के रूप में मान्यता दी +गयी है। + +नदी क्षेत्रों, जलाशयों और अवसंरचनाओं + +के संरक्षण के बारे में खंड 8 में शहरी +नदियों के महत्व को रेखांकित किया गया +है। खंड 8.2 में कहा गया है कि नदियों, +झीलों, जलाशयों , तालाबों तथा जल निकासी +प्रणालियों के अतिक्रमण और मार्ग परिवर्तन +की इजाजत नहीं दी जानी चाहिये। जहां +अतिक्रमण हो चुका है वहां इसे यथासंभव +दूर कर समुचित देखभाल की जानी चाहिये। + +भारत सरकार, राज्य +सरकारें, केंद्रीय जल शक्ति +मंत्रालय, केंद्रीय आवास + +और शहरी मामले मंत्रालय + + + +तटीय विनियमन क्षेत्र +अधिसूचना 1991 +(2011) + +संवेदनशील तटीय क्षेत्रों का संरक्षण। + +अगर परियोजना स्थल तटीय क्षेत्र में है। + + + +पर्यावरणीय प्रभाव +आकलन अधिसूचना +14 सितंबर, 2006 +(संशोधित) + +विशेष श्रेणी की नयी विकास गतिविधियों +के लिये पर्यावरणीय प्रभाव आकलन के बाद +अनिवार्य मंजूरी। + +परियोजना का निर्मित क्षेत्र 20000 वर्ग +मीटर से अधिक और कुल निर्माण क्षेत्र +150000 वर्ग मीटर से ज्यादा होने पर लागू। + +राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, +राज्य पर्यावरणीय प्रभाव +आकलन प्राधिकार + + + +ध्वनि प्रदूषण (नियमन +और नियंत्रण) +विनियम, 2000 + +पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय +ने भूमि के विभिन्‍न उपयोगों के लिये दिन +और रात के ध्वनि स्तर निर्धारित किये हैं। + +ये नियम निर्माण के चरण में लागू होंगे। + +राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड + + + + + +पर्यावरण (संरक्षण) +कानून, 1986 + + + +संपूर्ण पर्यावरण का संरक्षण और उसमें सुधार। + + + +पर्यावरण से संबंधित अधिसूचनाएं, नियम +और अनुसूचियां इस आच्छादन कानून के +तहत ही जारी की जाती हैं। + +केंद्रीय पर्यावरण, वन और +जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, +राज्य सरकार का पर्यावरण +विभाग, केंद्रीय प्रदूषण +नियंत्रण बोर्ड, राज्य प्रदूषण +नियंत्रण बोर्ड + + + + + +तालिका अगले पृष्ठ पर जारी... + + + + +0056.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + + + + + +ole वन नीति, जैव विविधता के संरक्षण और बहाली के परियोजना में या उसके आसपास राज्य सरकार का वन विभाग, +1988 जरिये पारिस्थितिकीय स्थिरता को बरकरार | पारिस्थितिकीय संवेदनशीलता की स्थिति में | केंद्रीय पर्यावरण, बन और + +रखना। यह नीति लागू होगी। जलवायु परिवर्तन मंत्रालय +केंद्रीय मोटर वाहन वाहन से होने वाले वायु और ध्वनि प्रदूषण | यह कानून निर्माण के चरण में लागू होगा। | मोटर वाहन विभाग +कानून, 1988 को नियंत्रित करना। मगर इसे संचालन के चरण में भी लागू + +किया जा सकता है। + +वायु (प्रदूषण निर्धारित मानकों के अनुरूप प्रदूषकों का यह कानून निर्माण के चरण में लागू होता | राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड +ग्रेकथाम और नियंत्रण) | उत्सर्जन नियंत्रित कर वायु प्रदूषण पर है। मगर कुछ मामलों में यह संचालन चरण +कानून, 1981 नियंत्रण। के दौरान भी लागू हो सकता है (मसलन, + +अगर परियोजना में 15 केवीए से ज्यादा +क्षमता का जेनरेटर या शवदाह गृह हो)। + + + +जल (प्रदूषण रोकथाम +और नियंत्रण) कानून, +1974 + +निर्धारित मानदंडों के अनुरूप प्रदूषकों का +निस्तारण नियंत्रित कर जल प्रदूषण नियंत्रण। + +यह कानून निर्माण के चरण में लागू होगा। +मगर इसे संचालन के चरण में भी लागू +किया जा सकता है। + +राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड + + + +वन्यजीव (संरक्षण) +कानून, 1972 + +अभयारण्यों और राष्ट्रीय उद्यानों में वन्‍्यजीव +का संरक्षण। + +परियोजना स्थल के 10 किलोमीटर के +दायरे में अभयारण्य या राष्ट्रीय उद्यान होने +पर यह कानून लागू होता हे। + +परियोजना स्थल के नजदीक डॉलफिन जैसे +संरक्षित वन्‍्यजीव के गुजरने की जगह होने +पर भी यह कानून लागू होगा। + +मुख्य वन्यजीव संरक्षक, +राज्य बन विभाग की +वन्यजीव शाखा, केंद्रीय +पर्यावरण, वन और जलवायु +परिवर्तन मंत्रालय + + + +भूमि अधिग्रहण कानून, +1894 (संशोधित) + + + + + +सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण से संबंधित +नियम इसके तहत ही बनाये गये हैं। + + + +भूमि अधिग्रहण के मामलों में लागू होता है। + + + +राज्य सरकार का राजस्व +विभाग + + + + + + + +पत्रिकाओं की सदस्यता के संबंध में नोटिस + +कोविड-19 महामारी से उत्पन्न स्थितियों के कारण साधारण डाक से भेजी गईं हमारी पत्रिकाओं की डिलिवरी न हो पाने से +संबंधित शिकायतें प्राप्त हो रही हैं। हमारे माननीय उपभोक्ताओं को योजना, कुरुक्षेत्र, बाल भारती और आजकल पत्रिका की +समय पर डिलिवरी सुनिश्चित करने के लिए यह निर्णय लिया गया है कि नए उपभोक्ताओं को साधारण डाक से पत्रिकाओं +का प्रेषण तत्काल प्रभाव से रोक दिया जाए। यह केवल नए उपभोक्ताओं के लिए लागू होगा तथा मौजूदा उपभोक्ताओं को + + + +उनकी सदस्यता दरों के अनुसार पत्रिकाएं भेजी जाती रहेंगी। +हमारी पत्रिकाओं के लिए नई सदस्यता दरें जिनमें रजिस्टर्ड डाक से पत्रिका भेजने का शुल्क भी शामिल है, निम्नलिखित हैं- + + + + + + + + + + + + + +योजना, कुरुक्षेत्र तथा आजकल +सदस्यता प्लान . बाल भारती +(सभी भाषाएं ) +1 वर्ष रु, 434 रु, 364 +2 वर्ष रु, 838 रु, 708 +3 वर्ष रू, 1222 रू, 1032 + + + + + + + +दिया जाएगा। + + + +वर्तमान परिस्थितियों में यह एक अस्थायी व्यवस्था है क्योंकि डाक विभाग साधारण डाक के वितरण में कठिनाइयों का सामना +कर रहा है। अतः जैसे ही देश में सामान्य स्थितियां बहाल हो जाएंगी पत्रिकाओं को पुनः साधारण डाक से भेजना आरंभ कर + + + +56 + +योजना, दिसम्बर 2021 + + + + +0057.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +a + + + + + + + + + + + + + + + +es Kurukshetra BR i a eects ote) +योजना | LB प्रकाशन विभाग 1 कुरुक्षेत्र +विकास को समर्पित मासिक । ‘al ge] Go एवं प्रसारण मंत्रालय 1 ग्रामीण विकास पर मासिक +(हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू व 10 अन्य भारतीय भाषाओं में) ! का भारत सरकार ! (हिंदी और अंग्रेजी) +आजकल | रोजगार समाचार! बाल भारती +साहित्य एवं संस्कृति का मासिक । साप्ताहिक 1 बच्चों की मासिक पत्रिका +(हिंदी तथा उर्दू) ! (हिंदी, अंग्रेजी तथा उर्दू) ! (हिंदी) + +घर पर हमारी पत्रिकाएं मंगाना है काफी आसान... + +आपको सिफ नीचे दिए गए 'भारत कोश' के लिंक पर जा कर पत्रिका के लिए ऑनलाइन डिजिटल भुगतान करना है- +https://bharatkosh. gov.in/Product/Product + + + + + + + + + + + +सदस्यता दरें +योजना, करुक्षेत्र, सदस्यता शुल्क में रजिस्टर्ड डाक का शुल्क भी +| प्लान | 3 बाल भारती रोज़गार समाचार >> 3 + +आजकल (सभी भाषा) शामिल है। कोविड-19 महामारी के मद्देनज़र +वर्ष रजिस्टर्ड डाक रजिस्टर्ड डाक | मुद्रित प्रति (साधारण डाक) | ई-संस्करण | नए ग्राहकों को अब रोज़गार समाचार के +1 ₹ 434 ₹ 364 ₹ 530 ₹ 400. | अलावा सभी पत्रिकाएं केवल रजिस्टर्ड +2 ₹ 838 ₹ 708 ₹ 1000 ₹750 | डाक से ही भेजी जाएंगी। पुराने ग्राहकों के + +3 ₹ 1222 ₹ 1032 ₹ 1400 ₹ 1050 | लिए मौजूदा व्यवस्था बनी रहेगी। + + + + + + + + + + + + + + + + + +ऑनलाइन के अलावा आप डाक द्वारा डिमांड ड्राफ्ट, भारतीय पोस्टल आर्डर या मनीआर्डर से भी प्लान के अनुसार निर्धारित राशि भेज सकते हैं| डिमांड ड्राफ्ट, +भारतीय पोस्टल ऑडर या मनीआर्डर 'अपर महानिदेशक, प्रकाशन विभाग, सचना एवं प्रसारण मंत्रालय” के पक्ष में नई दिल्‍ली में देय होना चाहिए| +रोज़गार समाचार की 6 माह की सदस्यता का प्लान भी उपलब्ध है, प्रिंट संस्करण रु, 265/-, ई-संस्करण रु. 200/-, कपया ऑनलान भगतान के लिए +https://eneversion.nic.in/membership/login लिंक पर जाएं। डिमांड Erg! ‘Employment News के पक्ष में नई दिल्‍ली में देय होना चाहिए] +अपने डीडी, पोस्टल आर्डर या मनीआर्डर के साथ नीचे दिया गया 'सदस्यता कृपन” या उसकी फोटो कॉपी में सभी विवरण भरकर हमें भेजे। भेजने का पता है. +संपादक, पत्रिका एकांश, प्रकाशन विभाग, कक्ष सं. 779, सूचना भवन, सीजीओ कॉम्प्लेक्स, लोधी रोड, नई दिल्‍ली-110003. +अधिक जानकारी के लिए इमेल करें- pdjucir@gmail.com +हमसे संपर्क करें- फोन: 011-24367453, (सोमवार से शुक्रवार सभी कार्य दिवस पर प्रात: साढ़े नौ बजे से शाम छह बजे तक) + +कृपया नोट करें कि पत्रिका भेजने में, सदस्यता शुल्क प्राप्त होने के बाद कम से कम आठ सप्ताह लगते हैं, +कृपया इतने समय प्रतीक्षा करें और पत्रिका न मिलने की शिकायत इस अवधि के बाद करें। + +GE nnn nena nnn nnn GR nnn nnn nnn HE nnn nnn HE ce nec +कृपया मुझे 1/2/3 वर्ष के प्लान TT cc cccecccssessssssssesssssessssssneecsssseessssseeesees पत्रिका ....................- भाषा में भेजें। +नाम ( साफ व बड़े अक्षरों में ) ..................-------न«_नननन-नननननननननननननननन नमन न नग्न नननन नि नननन न ननननननि न +पता : ................----०+«>-नननन-न-ननननननिननननिननननिननननननननननननननननननन नितिन ननिननिननिनननिननिननिननिननिनन तन नन नितिन निनिननिननिननिननिननिनननननन +हनन ननिन मनन न नननभननननन न भनन लत नितिन निभाना भननन न जिला .................-००>न्‍्नन्‍नननननननतत>» पिन ५..५५०००-न्‍>नननननननननन- +ईमेल .......................------«+>>_-_-_ननिनननननननिननिनननननिननननन न मोबाइल नं. ..........................-------न्‍_-___नन_ननननननननन- +डीडी/पीओ/एमओ सं. ....................................--------------------- दिनांक ........................-- सदस्यता सं. ........................... + +योजना, दिसम्बर 2021 57 + + +0058.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +7 fairer +सूचना और प्रसारण मंत्रालय +भारत सरकार + +देश के सबसे Fy ASL प्रकाशन समूह संग ब्यापार का अवधच्चर +हमारी लोकप्रिय पत्रिकाओं ओर साप्ताहिक रोज़गार समाचार की विपणन एजेंसी +लेकर सुनिश्चित करें आकर्षक नियमित आय + +असीमित लाभ Ihe me (eb cee स्थापित ब्रांड का साथ +पहले दिन से आमदनी न्यूनतम निवेश-अधिकतम लाभ + +रोज़गार समाचार के एजेंसी धारकों के लिए लाभ मासिक पत्रिकाओं के एजेंसी धारकों के लिए लाभ + +Se + +1001-2000 SE + + + +विपणन एजेंसी पाना बेहद आसान +० किसी शेक्षणिक योग्यता की बाध्यता नहीं + +० कोर व्यावसायिक अनुभव जरूरी नहीं +० खरीद का न्यूनतम तीन गुना निवेश (पत्रिकाओं हेतु) अपेक्षित + + + + + + + + + + + +e रोज़गार समाचार "० पत्रिका एकक न. + +७ . THA: 011-24365610 ७ ० ई-मेलः pdjucir@gmail.com e + +* ई-मेलः sec-circulation-moib@gov.in . °. tala: 011-24367453 e° +Peoeeeseneeneeeeeeed ७ ७७७७७७७७७७७७७७७७७७७ + + + + + + + + + + + +पत्र भेजें : रोज़गार समाचार, कक्ष संख्या-779, 7वां तल, सूचना भवन, लोधी रोड, नई दिल्‍ली-110003 + + + +58 योजना, दिसम्बर 2021 + + +0059.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + += 2 का शेष + +मास्टर डेवेलपर का चयन राज्य सरकार और केंद्र सरकार मिलकर निर्धारित +मानदंडों के आधार पर करेंगी। + +केंद्र सरकार और राज्य सरकार की अन्य योजनाओं के साथ इनका +समायोजन उन योजनाओं के दिशानिर्देशों के अनुसार पात्रता के आधार पर +किया जा सकता है। इससे वस्त्र उद्योग में स्पर्धा की भावना विकसित होगी +और लाखों लोगों को इस उद्योग में काम/रोजुगार के अवसर प्राप्त होंगे। इस +योजना की व्यापकता को देखें तो इससे भारतीय कंपनियों को विश्व-स्तर +पर चैंपियन की तरह उभरने का मौका मिलेगा। +भारत और विश्व बैंक ने मेघालय में स्वास्थ्य प्रणालियों को सशक्त +बनाने के करार पर हस्ताक्षर किए + +भारत सरकार, मेघालय सरकार और विश्व बैंक ने मेघालय राज्य में 4 +करोड़ अमरीकी डॉलर की +लागत से चलाई जाने वाली +a परियोजना के समझोते पर +हस्ताक्ष॥ किए हैं। इस +परियोजना से राज्य की +| स्वास्थ्य सेवाओं के स्तर में + +हा SE सुधार आएगा ओर भविष्य + +में कोविड-19 महामारी या किसी अन्य आपात स्थिति से राज्य मजबूती +से निपट सकेगा। + +मेघालय स्वास्थ्य प्रणाली सशक्तीकरण परियोजना से राज्य की और +उसकी स्वास्थ्य सुविधाओं की प्रबंधन और संचालन क्षमता भी बढ़ जाएगी +और राज्य के स्वास्थ्य बीमा कार्यक्रम का स्वरूप बदल जाएगा तथा ज्यादा +लोग स्वास्थ्य-बीमा सुविधा के लाभ प्राप्त करने लगेंगे; प्रमाणीकरण और +बेहतर मानव संसाधन प्रणालियों के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाओं के स्तर और +उनकी गुणवत्ता में सुधार आएगा तथा अधिक लोगों को बेहतर औषधियां +और निदान सेवाएं मिलने लगेंगी। + +परियोजना का लाभ राज्य के सभी ग्यारह जिलों को मिलेगा। इससे +प्राथमिक और माध्यमिक स्तर के स्वास्थ्य कर्मचारियों को भी फायदा +पहुंचेगा क्योंकि इन स्तरों पर योजना बनाने और प्रबंध करने की क्षमताओं में +सुधार होगा और इन स्वास्थ्यकर्मियों की चिकित्सकीय कुशलता भी बढ़ेगी। +इस परियोजना से महिलाएं भी सामुदायिक स्तर पर स्वास्थ्य देखभाल की +बेहतर सुविधाओं का लाभ ले सकेंगी। + +इस परियोजना से मेघालय के स्वास्थ्य बीमा कार्यक्रम की कुशलता +बढ़ेगी और उसका विस्तार भी होगा। इसका नाम मेघा स्वास्थ्य बीमा स्कीम +(एमएचआईएस ) है और इस समय राज्य के 56 प्रतिशत परिवार इस स्कीम +के अंतर्गत कवर हो रहे हैं। राष्ट्रीय स्तर वाली प्रधानमंत्री जन अरोग्य योजना +(पीएम-जेएवाई) में विलय के बाद इस स्कीम के तहत और ज्यादा व्यापक +कवरेज उपलब्ध कराके सभी 100 प्रतिशत परिवारों को इसका लाभ पहुंचाने +की योजना है। इससे लोगों को अस्पताल की सुविधाएं प्राप्त करने में आने +वाली परेशानियों और बाधाओं से छुटकारा मिल जाएगा और गरीब परिवार +इलाज पर होने वाले बड़े खर्च से बचे रह सकेंगे। + +परियोजना अपनी मुख्य नीति के अंतर्गत कार्य आधारित वित्त प्रणाली +अपनाएगी जिसमें स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग और उसके सहयोगी +विभागों के बीच सभी स्तरों पर बेहतर जवाबदेही होगी और आंतरिक कार्य +प्रदर्शन समझौते (इंटरनल परफॉर्मेंस एग्रीमेंट) किए जाएंगे। इससे प्रणाली के +प्रबंधन में सुधार आएगा और लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हो +सकेंगी। परियोजना से विभिन्‍न योजनाओं में सामंजस्य लाने और राज्य बीमा +एजेंसियों की क्षमता बढ़ाने में सहायता मिलेगी। + +परियोजना के तहत संक्रमण रोकथाम और नियंत्रण पर निवेश करके + + + +भविष्य में महामारी या स्वास्थ्य आपात स्थिति न आने देने के उद्देश्य +से लचीली नीति अपनाई जाएगी। स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार होने से जैब +चिकित्सकीय (बायो-मेडिकल) कचरा ज्यादा होने लगेगा। कचरा चाहे +बायो-मेडिकल हो या प्लास्टिक-कचरा अथवा ई-कचरा हो, हर हाल में +स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए हानिकारक और खतरनाक ही हे। इस +परियोजना में बायो मेडिकल कचरे (ठोस और तरल दोनों) के समग्र +प्रबंधन पर निवेश किया जाएगा। इस प्रक्रिया में कूडे को छांटकर अलग +करना, उसे डिसइनफेक्ट करना और उसे इकट्ठा करते समय पर्यावरण +को जहां तक संभव हो सके सुरक्षित बचाए रखना और स्वास्थ्य सेवा और +योगी की सुरक्षा को बेहतर बनाना शामिल हे। + +पूर्वोत्तिर क्षेत्र में जनजातीय लोगों के लिए बायोटेक्नोलॉजी केंद्र + + + +अरुणाचल प्रदेश के दूरस्थ स्थान किमिन में पूर्वोत्तर क्षेत्र के +जनजातीय लोगों के लिए नया बायोटेक्नोलॉजी (जैव-प्रौद्योगिकी) केंद्र +शुरू किया जा रहा है। + +“सेंटर फॉर बायो-रिसोर्सेज एंड सस्टेनुबल डेवेलपमेंट'” अर्थात्‌ +जैविक संसाधन एवं स्थायी विकास केंद्र ने भारतीय कृषि अनुसंधान +परिषद्‌ (आईसीएआर) और वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद्‌ +(सीएसआईआर ) के अनेक संस्थानों के साथ अकादमिक संपर्क स्थापित +किए हैं ताकि इन कार्यक्रमों को बेहतर कुशलता से क्रियान्वित किया जा +सके क्योंकि इन कार्यक्रमों से अरुणाचल प्रदेश राज्य के युवा उद्यमियों के +लिए रोजगार के बेहतर तथा ज्यादा अवसर मिल सकेंगे। इन कार्यक्रमों को +लागू करने की सुविधा अरुणाचल प्रदेश के चार जिलों में उपलब्ध कराई +जाएगी जिससे आने वाले 2 वर्ष में 50 से ज्यादा गांवों के 10 हजार से +ज्यादा किसानों को लाभ मिलेगा। + +सरकार इस क्षेत्र के विकास और लाभ के लिए तीन बड़े कार्यक्रमों +पर ध्यान केंद्रित कर रही है- (1) किमिन के मुख्य केंद्र में अति-आधुनिक +आर्चिडेरियम (फल उद्यान) बनाकर प्राथमिकता वाली नस्लों का संरक्षण +और गुणन किया जाएगा तथा अरुणाचल प्रदेश के चुने हुए जिलों में उनकी +सहायक (सैटेलाइट) यूनिटें भी विकसित की जाएंगी; Gi) अरुणाचल +प्रदेश के चुने हुए जिलों में केले के रेशे निकालने और उनके प्रसंस्करण +की यूनिटें खोली जाएंगी; और (11) सुगंधि वाली फसलों की खेती को +बढ़ावा देने के लिए सुगंधि यूनिटें लगाकर उद्यमिता विकास किया जाएगा। + +इस कार्यक्रम के माध्यम से अलग-अलग प्रकार के चार प्रशिक्षण +कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं जिनमें: (1) विद्यार्थी प्रशिक्षण कार्यक्रम +(एसटीपी), (2) तकनीशियन प्रशिक्षण कार्यक्रम (टीटीपी), (3) +फैकल्टी (शिक्षक) प्रशिक्षण कार्यक्रम (एफटीपी), और (4) उद्यमिता +विकास कार्यक्रम (ईडीपी) शामिल हैं। कौशल विकास और उद्यमिता +विकास मंत्रालय के भारतीय राष्ट्रीय कौशल विकास निगम की तीन +कौशल विकास परिषदें भी अरुणाचल प्रदेश राज्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी +परिषद्‌ के साथ हुए समझौते में शामिल हैं जो अरुणाचल प्रदेश राज्य के +लिए कौशल विज्ञान कार्यक्रम चलाने में सहयोग और समर्थन देंगी। . ब्रा + + + + + + +0060.txt +<----------------------------------------------------------------------> +रजि.स. डी.एल.(एस)-05/3231/2021-23 Licenced under U (DN)-55/2021-23 +Reg. No. DL(S)-05/323 1/202 1-23 at RMS, Delhi आर,एन. आई, 951/57 + +28 नवम्बर, 2021 को प्रकाशित + +० 2-3 दिसम्बर, 2021 को डाक द्वारा जारी R.N.I. 951/57 + + + +Bw ee one tae Reale + +पढ़िये देश की सर्वश्रेष्ठ टीम से! + +श्री सीबीपी श्रीवास्तव +श्री अखिल मूर्ति ek WAR at Ee, ote |_(DISCOVERY IAS) , +TR Me oy a + +सामान्य अध्यरटान +फाउंडेशन कॉरोर्सि ( प्रिलिम्स+मेन्स ) + +छठा बैच आरंभ : 9 दिसंबर, शाम 6:30 बने + +सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा 2022 वैकल्पिक विषय +टेस्ट सीरीज डलिलास + +द्वारा - अखिल मूर्ति. पेनड्राइव /मोबाइल ऐप कोर्स + +azjones + +द्वारा - कुमार गौरणल पेनड्राइव /मोबाइल ऐप कोर्स + +राजनीति विज्ञान + +छारा - राजेश मिश्रा प्रेनड्राइव /मोबाइल ऐप कोर्स + +सामान्य अध्ययन प्रिलिम्स कोर्स के लिये ऑनलाइन/पेनड्राइव कोर्सेज भी उपलब्ध + +9555-124-124 636 , भू-तल, Website: +7428085757/58 | सुखर्जी नगर, दिल्‍ली-09 sanskritiilAS.com + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +प्रकाशक व मुद्रक : मोनीदीपा मुखर्जी, महानिदेशक, प्रकाशन विभाग, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ( भारत सरकार ) द्वारा +प्रकाशन विभाग के लिए चन्दु प्रेस, डी-97 , शकरपुर, दिल्‍ली-110092 द्वारा मुद्रित एवं प्रकाशन विभाग, सूचना भवन +सी.जी.ओ. परिसर, लोधी रोड, नई दिल्‍ली-110003 से प्रकाशित। वरिष्ठ संपादक : कुलश्रेष्ठ कमल + + + + + + + + + +YH- 1689/2021 + + diff --git a/Data Collected/Hindi/Yojana_magazine_OCRed_Hindi/Yojana_2021_February_.txt b/Data Collected/Hindi/Yojana_magazine_OCRed_Hindi/Yojana_2021_February_.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..a8811f4860ecf27e61ba56f0adcee45d3ad1c44c --- /dev/null +++ b/Data Collected/Hindi/Yojana_magazine_OCRed_Hindi/Yojana_2021_February_.txt @@ -0,0 +1,8356 @@ + +0001.txt +<----------------------------------------------------------------------> +ISSN-0971-8397 + +शिशिशि। + +14७ + + + + + + + + + + + + + +विकास को समर्पित मासिक Bre + +Gigs A aT __ +CEQ yeale ४० | | +प्रभावी शिकायत निपटान : सुशासन का सार + +के वी इयप्पन + +लोक शिकायत समाधान : सुशासन की चुनौतियां +डॉली अरोड़ा + +निजी सेवा प्रदाता : समाधान तंत्र +उदय एस मेहता, सिद्धार्थ नारायण + + + + + + + + + + +विशेष लेख +ई-शासन : नवभारत 2022 + +के लिए शिकायत समाधान +योगेश सूरी, देश गौरव सेखरी + +फोकस Z है +महिलाओं की शिकायूती जि + +1 + +का निवारण,“ Fe +वी अमुदावल्ली = + +Poke + += +F + +जरा हटके +स्वच्छ भारत के लिए + +व्यवहार परिवर्तन संचार +परमेश्वरन अय्यर + +ee + + + + + +© www yojana.gov.in, www.publicationsdivision.nic.in £ http:/Avww.facebook.com/yojanahindi +wer aoe i ee : a aoe, ae + + + +0002.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +हमारी पत्रिकाएंँ + +के + +ih - + +oral Ee oven + + + +प्रकाशन विभाग +सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार +सूचना मवन, सी जी ओ कॉम्पलेक्स, लोघधी रोड, नई दिल्‍ली -110003 +aauige : www.publicationsdivision.nic.in +ऑर्डर के लिए संपर्क करें- +फोन : 011-24367260, 24365609, ई मेल : businesswng@gmail.com + +yw @ DPD_India www.facebook.com/publicationsdivision +~ www.facebook.com/yojanaJournal + + + + + + + +0003.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +वर्ष : 62 + +अंक 02 + +=, योजना + +* फरवरी 2018 +* माघ-फाल्गुन, शक संवत्‌ 1939 बरें: वार्षिक: हें 230 द्विवार्षिक: हैं 430, त्रिवार्षिक: हैं 610 + +/ प्रधान संपादकः दीपिका कच्छल +संपादकः ऋतेश पाठक +संपादकीय कार्यालय + +648, सूचना भवन, सीजीओ परिसर, +लोधी रोड, नयी दिल्‍ली-110 003 ° +दूरभाष (प्रधान संपादक): 24362971 +संयुक्त निदेशक (उत्पादन): वी के मीणा +संपादक ( प्रसार एवं विज्ञापन ): +गोपाल के एन चौधरी + + + + + + + +स्वच्छ भारत के लिए व्यवहार +परिवर्तन संचार + +प्रभावी शिकायत निपटान: सुशासन +का सार + +परमेश्वरन अय्यर .....................५५५५ 33 + +भारत में नागरिक घोषणापत्र + +° ° + + + +आवरण: गजानन पी धोपे ई-शासन: नवभारत 2022 के लिए मीना नायर .....................७०५००००००० 39 +पत्रिका मंगवाने, सदस्यता, नवीकरण, पुराने शिकायत समाधान जी क्या आप जानते है? 42 +अंकों की प्राप्ति एवं एजेंसी आदि के लिए योगेश सूरी तर: जनशिकायतों +मनीऑर्डर/डिमांड ड्राफ्ट/पोस्टल आर्डर “अपर गौरव सेखरी * सुशासन का मंत्र; जनशिकायतों +महानिदेशक, प्रकाशन विभाग' के नाम से देश गौरव सेखरी .................०५५० 13. का समाधान +बनवा कर निम्न पते पर भेजें: * लोक शिकायत समाधान: सुशासन +प्रसार एवं विज्ञापन अनुभाग की चुनौतियां भास्कर ज्योति ....................५५६५५७ 43 +प्रकाशन विभाग, कमरा सं. 48-53 चु मे +भूतल, सूचना भवन, सीजीओ परिसर डॉली अरोडा 1।7 * चिकित्सा क्षेत्र में शिकायत व +लोधी रोड, नयी दिल्ली-110003.. | ली अरोड़ा .....हननििियितिण परिवाद निदान प्रणाली +BEATA: 011° 24367453 * सूचना का अधिकार; आमजन का 22 + +ईमेल: pdjucir@gmail.com +सदस्य बनने अथवा पत्रिका मंगाने के लिए +हमारे निम्नलिखित विक्रय केंद्रों पर भी संपर्क | © +किया जा सकता है। साथ ही हमारी वेबसाइट तथा +योजना हिन्दी के फेसबुक पेज पर भी संपर्क किया +जा सकता है। + +सशक्त हथियार +निजी सेवा प्रदाता; समाधान तंत्र +उदय एस मेहता + +सिद्धार्थ नारायण ......................५५० 25 ७ सुशासन व राज्यों की शिकायत + +* योजना का लक्ष्य देश के आर्थिक विकास से + +के अपने हैं। जरूरी नहीं कि ये लेखक भारत +सरकार के जिन मंत्रालयों, विभागों अथवा संगठनों +से संबद्ध हैं, उनका भी यही दृष्टिकोण हो। + + + + + + + + + +० विज्ञापनों शहर पता पिनकोड दूरभाष +मत नहीं हैं। की विषयवस्तु के लिए योजना नयी दिल्‍ली सूचना भवन, सीजीओ कॉम्प्लेक्स, लोधी रोड 110003 011-24367260 +« योजना में प्रकाशित आलेखों में प्रयुक्‍त मानचित्र व नबी मुंबई हाल सं. 196, पुराना सचिवालय केंद्रीय 110054 011-23890205 +प्रतीक आधिकारिक नहीं है, बल्कि सांकेतिक हैं। नवी मुंबई 701, सी- विंग, सातवीं मंजिल, केंद्रीय सदन, बेलापुर 400614 022-27570686 +ये मानचित्र या प्रतीक किसी भी देश का आधि कोलकाता 8, एसप्लानेड ईस्ट 700069 033-22488030 +कारिक प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। चेन्नई “ए' विंग, राजाजी भवन, बंसल नगर 600090 044-249 17673 +तिरुअन॑तपुरम प्रेस रोड, नयी गवर्नमेंट प्रेस के निकट 695001 0471-2330650 +हेदराबाद कमरा सं. 204, दूसरा तल, सीजीओ मीनार, कवादिंगुड़ा सिकंदराबाद 50080 040-27535383 +बंगलुरु फर्स्ट फ्लोर, 'एफ' विंग, केंद्रीय सदन, कोरामंगला 560034 080-25537244 +पटना बिहार राज्य कोऑपरेटिव बैंक भवन, अशोक राजपथ 800004 061 -22683407 +लखनऊ हॉल सं-1, दूसरा तल, केंद्रीय भवन, क्षेत्र-एच, अलीगंज 226024 0522-2225455 +अहमदाबाद अंबिका कॉम्प्लेक्स, फर्स्ट फ्लोर 380007 079-26588669 + +LO SS) गुवाहाटी मकान सं. 4, पेंशन पारा रोड, गुवाहाटी 781003 030-2665090. + +फोकस निवारण प्रणाली +संबंधित मुद्दों का सरकारी नीतियों के व्यापक Racal + +संदर्भ में गहराई से विश्लेषण कर इन पर विमर्श महिलाओं की शिकायतों का निवारण गोविन्द कुमार झा + +के लिए एक जीवंत मंच उपलब्ध कराना है। शिवाजी त्रिपाठी 57 +« योजना में प्रकाशित लेखों में व्यक्त विचार लेखकों वी अमुदावल्ली ....................५०० 29 ral पार्ली ........हहहरन + + + + + + + + + +हिंदी, असमिया, बांग्ला, अंग्रेजी, गुजराती, कन्‍नड़, मलयालम, तमिल, तेलुगु, मराठी, उड़िया, पंजाबी तथा उर्दू में एक साथ प्रकाशित + +योजना, फरवरी 2018 + + + + + +0004.txt +<----------------------------------------------------------------------> +लोग खुद जागें + +लोकप्रिय पत्रिका “योजना' हमारे लिए +यह बहुत कारगर साबित हुआ है क्‍योंकि +इसी पत्रिका के माध्यम से अपनी वैचारिक +बुद्धिमत्ता एवं नए-नए शब्दों से जुड़ने का +अवसर मिला है। पत्रिका के पिछले अंक +के माध्यम से “स्वच्छता मिशन' के तथ्यों +को जानने का मौका मिला। दुर्भाग्य है कि +प्रधानमंत्री को देश को 'स्वच्छ' रखने के लिए +जनता को जगाना पड़ता है, क्या हमारा यही +कर्तव्य बनता है कि अपने देश को गंदा रहने +देना चाहिए। हमारी अंतरात्मा इतनी मरणासन्न +हो गई है कि मानवीयता की माला को भी न +बचा सके। स्वर्णिम भारत के गणतंत्र इतिहास +में पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिन्हें भारतीय +ग्राम की दुर्दात दशा को बंद करने के लिए +“दरबाजा बंद अभियान! चलाना पड़ रहा हे, +क्या अपनी इज्जत बचाने के लिए 133 करोड +देशवासी आगे नहीं आ सकते। ऐसी नौबत +आ गई कि अब स्वच्छता के बाद शौचालय +बनाने के लिए प्रधानमंत्री ने मोर्चा संभाल +रखा है, क्‍योंकि वे समझते हैं कि गांव में +ही भारत की सांस्कृतिक-विरासत रची बसी +है। अगर गांव को ही छोड़ दिया जाए तो न्यू +इंडिया की कल्पना को स्वीकार नहीं किया +जा सकता, मैं कुछ व्यक्ति को देखता हूं + +तो आश्चर्य होता है कि कूड़ा-कचरा को +कूडेदान में न डालकर यत्र-तत्र फेकते हैं, +जब मैं स्कूल जाता था तो कक्षा को प्रतिदिन +साफ रखता था और साफ-सफाई में पूरा +लगाव था। भारतीयों को अपने मन से पहले +गंदगी दूर करनी होगी तभी भारत को साफ +रखा जा सकता है। जब तक जनता जागरूक +नहीं होगी, साफ-सुथरा के महत्व को नहीं +समझेगी। सिर्फ स्वच्छता पखवाड़ा KW BS +उठाने से नहीं होगा, यहां साफ-सफाई +को दिनचर्या में शामिल करना होगा। हर +एक भारतीय के रग-रग में भारतीयता की +भावना झलकनी चाहिए तभी हमारे देश को +आर्थिक, सांस्कृतिक, वैचारिक, राजनैतिक + + + +मंदी के दौर में जब अमेरिका के बेहद +मजबूत बैंक, एक-एक कर धराशाही हो +रहे थे, भारतीय बैंक बेहद मजबूती के साथ +टिके रहे। पिछले कुछ वर्षों से भारतीय बैंक +अनर्जक परिसम्पतियों के भार से जूझ रहे हैं। +इसका प्रभाव भारत की सकल वृद्धि दर पड़ +रहा है। भारत सरकार ने बैंकों की मजबूती के +लिए कई अहम कदम उठाये हैं यथा इंद्रधनुष +योजना, बैड बैंक का गठन, दिवालिया कानून +में संशोधन आदि। पिछले दिनों सरकार ने +बैंकों में 211 लाख करोड रूपये पूंजी निवेश +कर इनको बड़ा सहारा दिया है। इस पूंजी +के चलते बैंकों को जहां अपने घाटे को +कम करने में मदद मिलेगी, जिसके चलते + + + +और ऐतिहासिक रूप से बचाया जा सकता +है। तभी हमारा सपना साकार होगा। + +- निक्‍कू कुमार मिश्रा + +गोगरी (ब्राह्मण टोला) + +खगडिया (बिहार) + +किसानों की आय दुगुनी +करने के उपाय +'बैकिंग सुधार' पर क्रेन्द्रित योजना का +जनवरी 2018 अंक मिला। आजादी के बाद +से ही भारतीय अर्थव्यवस्था में बैंकों की बेहद +अहम भूमिका रही है। 2008 के वैश्विक + +वह बेसल-3 मानक के अनुरूप बन सकेगे, +दूसरी ओर वह ऋण के प्रवाह को बढ़ा +सकेंगे। इस तरह से सकल अर्थवयस्था में +तेजी आएगी। + +“जरा हटके' स्तम्भ के तहत युद्धवीर +मलिक का भारतमाला पर आलेख बहुत +अच्छा लगा। निश्चित ही भारत को वेश्विक +Teed बनने में राजमार्ग प्रमुख भूमिका +निभा सकते हें। भारत में मॉल परिवहन +विकसित देशों से तुलनात्मक रूप में बेहद +शिथिल हेै। राजमार्गों के विस्तार, उन्नतिकरण +के जरिये भारत आंतरिक व्यापार के साथ + +योजना, फरवरी 2018 + + + +0005.txt +<----------------------------------------------------------------------> +साथ वैश्विक स्तर पर अपने उत्पाद तेजी +से पहुंचा सकता है। सन्नी कुमार जी ने +अपने लेख में बैंकों की कृषि विकास में +भूमिका को स्पष्ट किया है। अगर हमें किसानों +की आय 2022 तक दोगुनी करनी है तो +कृषि में भारी पूंजी निवेश के जरिये कोल्ड +चेन स्टोरेज, उन्नत कृषि यंत्रों की खरीद, +बीज शोधन, सिंचाई की नूतन तकनीक को +अपनाना होगा। +- आशीष कुमार +उन्नाव, उत्तर प्रदेश +उपभोक्ता जागरूक बनें +“योजना' का उपभोक्ता जागरूकता पर +आधारित दिसंबर, 2017 के अंक को पढ़ा। +उपभोक्ता अधिकारों के बारे काफी अच्छी व +नवीन जानकारी मिली। मैं इस पत्रिका को +विगत वर्ष जुलाई से पढ़ रहा हूं। उपभोक्ता +आंदोलन की शुरुआत अमरीका के राष्ट्रपति +द्वारा 15 मार्च, 1962 को किए गए उपभोक्ता +अधिकारों के समर्थन से मानी जाती है। +इसलिए इस तिथि पर प्रतिवर्ष “विश्व +उपभोक्ता दिवस' मनाया जाता है। भारत +सरकार ने उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा +के लिए 24 दिसम्बर, 1986 को “उपभोक्ता +अधिकार संरक्षण अधिनियम' को लागू किया +है। इसलिए इस तिथि को 'राष्ट्रीय उपभोक्ता +दिवस' मनाया जाता हैं। इस अधिनियम की +धारा में 'उपभोकता' शब्द को परिभाषित किया +गया है। इसके अनुसार, उपभोक्ता वह व्यक्ति +है, जो उपयोग करने हेतु निश्चित भुगतान +कर निश्चित वस्तुओं को खरीदता है। इस +अधिनियम के अंतर्गत उपभोक्ता को सूचना +का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, हर्जाने +का अधिकार, चुनाव या पसंद का अधिकार, +घातक वस्तुओं के विरुद्ध सुरक्षा का अधिकार +सहित अन्य अधिकार प्रदान किया गया हे। +अधिनियम की धारा 2(1)(छ) के अंतर्गत +सेवा में आई किसी भी प्रकार की कमी के +लिए कार्रवाई का प्रावधान किया गया है। +उपभोक्ता अधिकारों के संरक्षण के लिए +इस अधिनियम के प्रावधानों का प्रचार-प्रसार +किया जाना चाहिए। महात्मा गांधी ने +उपभोक्ता संतुष्टि की वकालत करते हुए कहा +है - “सभी प्रकार के व्यवसाय का आधार +उपभोक्ता संतुष्टि ही है।'' +- प्रिंस कुमार गुप्ता +प्रबोधि सराय, वैशाली, बिहार + +योजना, फरवरी 2018 + +“योजना' की खास पहल + +आज के दौर में जहां पत्रिकाएं लाभ +हानि और लोकप्रियता से प्रभावित होकर +अपने विचार और कलेवर को बदल रही हैं +उस दौर में 'योजना' पत्रिका अपने विविध +आयामों से अपनी अलग राह गढ़ रही है +पत्रिका ने निरंतरता के साथ अपने स्तर को +बढ़ाया हे योजना की संपादक मंडली के +तीक्ष्ण और अन्वेषी नजरिए का ही परिणाम +है कि हर माह पत्रिका नवीन विषय पर नए +लेखकों के लेखों के साथ नियत समय पर +उपस्थित रहती है। + +योजना का सितंबर अंक भी अपने +आप में खास ot ‘aah few stare’! +रोटी, कपड़ा और मकान मनुष्य की मूलभूत +जरूरतें हैं। रोटी और कपडों का इंतजाम +तो आप और हम कर ही लेते हैं लेकिन +मकान आज भी मध्यवर्ग के लिए दूर की +कौडी है। + +उपभोक्ता जागरूकता बाजार को आगे +आने में सही दिशा देती है। व्यापारी और +उद्योगपति भी अपने उत्तम माल के प्रति +सजग रहते हैं जो ग्राहक दूकान या एजेंसी +अपने उपभोग या व्यापार के लिए उपभोक्ता +माल के प्रति जागरूकता दिखाते हैं उसे बेचने +वाले भी सही और उत्तम किस्म का माल +विशेष रूप से उचित रेट पर देते हैं ताकि +उनके ग्राहक बने रहे और बाजार में उनकी +साख बनी रहे। + +एक बात यदि यह मानी जाय की +उपभोक्ता ही सारे व्यापार और उद्योगों की +धुरी है तो यह गलत नहीं होगा लेकिन कुछ +दलाल टाइप के लोग अपने पास कम्पनियों +का खराब माल आधे पौने दाम पर खरीद +कर बाजार में उचित रेट से कम पर +उपभोक्ताओं को बेचने का प्रयास करते हें +जो सर्वथा निंदनीय है! कई फर्म दिवालिया +होने की कगार पर आने से बचने के लिए +ऐसे हथकंडे अपनाते हैं और अपना नुकसान +कम से कम रखने का प्रयास करती है! +इस दशा में उपभोक्ता संरक्षण हो जाता हे! +सही व्यक्ति के पास सही माल पहुंचने से +समाज में सुशासन और खुशहाली आती हे +इसलिए व्यापारिक फर्मों को अपने हर माल +पर निर्माण तिथि और एक्सपाइरी डेट का +वर्णन करना होता है जिसे शिक्षित ग्राहक +समझ लेता है पर अनपढ़ ग्राहक यह नहीं + +समझता है और बाजार के फुटकर केन्द्रों पर +एक्सपाइरी डेट का माल ज्यादा बिक जाता +है कुछ लालची किस्म के उपभोक्ता इन +दुकानों से माल खरीद कर उपभोग करते +हैं जिससे फुटकर व्यापारियों के मन में +एक्सपाइरी डेट का खौफ हट जाता है जो +समाज में घातक स्थिति बनती है बाजार में +जो एक्सपाइरी डेट का माल बना रहता है +उसे अक्सर बड़ी बडी फर्मे वापस करने में +टालमटोल करती हैं !उनका तर्क होता है कि +आप बेच नहीं पाए तो हमारा क्‍या दोष हे। +जब माल अच्छा होगा उपभोक्ता के मापदंडों +पर खरा उतरेगा तो वो सीधे आकर प्राप्त +कर लेगा और खुशी-खुशी उसकी उचित +कीमत देगा इसमें व्यापारी के विशेष कौशल +की क्‍या जरूरत है! ज्यादातर विशेष कौशल +की जरूरत तब होती है जब उन्हें महंगे +माल बेचने होते हैं उस सिथति में बडी +बड़ी कम्पनियां तुरंत बाजार से एक्सपाइरी +डेट का माल उठाकर उसे सुधारकर फिर +से बाजार में पेश कर देती है क्‍योंकि वो +जानती है अगर उनकी फर्म माल न बिक +पाने पर घाटे में आ जाएगी तो कुछ समय +बाद उनकी कम्पनियों पर ताले डालने की +नौबत आ जाएगी। + +उपभोक्ता सतर्कता उस समय प्रभावित +होती है जब मीडिया में उनके विज्ञापन का +तिलस्मी ग्लैमर निम्न मध्यम वर्गीय आय के +ग्राहकों पर छाने लगता है ये वो उपभोक्ता +हैं जो समूचे बाजार की अधिक से अधिक +गतिशीलता को प्रेरित करते है! + +आज मेडिकल एक उद्योग हो गया है +जैसे-जैसे इसकी तरक्की हो रही हे वैसे +वैसे पूरे समाज को नई-नई बातों का सामना +करना पड़ता है! यदि उपभोक्ता हाई प्रोफाइल +हुआ तो उसकी सजकता के आगे मेडिकल +प्रबंधन को बेहतर सौहार्दपूर्ण सेवा उपलब्ध +करते है लेकिन निम्न मध्यम वर्गीय व्यक्ति +के परिवार का एकमात्र आर्थिक स्रोत मुखिया +की तबियत खराब होने पर अस्पताल प्रंबधन +की हर मनमानीपूर्ण बातों को सहना होता +है इसलिए सरकार को निगरानी तंत्र बनाना +चाहिए! + + + +- डी पी सिंह +2/159, विश्वास खंड, +गोमती नगर, लखनऊ, + +उत्तर प्रदेश + + + +0006.txt +<----------------------------------------------------------------------> +14 20 //6 दृष्टि 91494 /// (1.६ +TCA Drishti + +सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी +को समर्पित मासिक पत्रिका + +थे समसामयिक मुद्दों पर आधारित +महत्त्वपूर्ण लेख। +थ्य आगामी मुख्य परीक्षा के लिये + +| COR ae + +वर्ष 3 | अंक 6 | कुल अंक 30 | दिसंबर 2017 | ₹ 100 + + + +सामान्य अध्ययन पर महत्त्वपूर्ण +सामग्री। + +प्रमुख आकर्षण थि प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा के लिये +llc al प्रत्येक महीने सामान्य अध्ययन के +मुख्य परीक्षा 2017 के सॉल्व्ड पेपर्स विभिन्‍न खण्डों के रिवीज़न के लिये +“टू द पॉइंट' सामग्री। +Muna पत्र-पत्रिकाओं (साइंस +रिपोर्टर, डाउन टू अर्थ, इकॉनमिक +एंड पोलिटिकल वीकली, द हिन्दू + +ह Sevres cae, : ee +।॒ टारगेट ॥॒ == न : आदि ) के महत्त्वपूर्ण लेखों का +a -2018 SS सारांश। + +Ls = +Pd c + +थिं मुख्य परीक्षा 2017 के सॉल्ड पेपर्स। + +कद es M1 dant ar अभ्यर्थियों के लिये +CON OO ON On कॉलम। + + + +करेंट अफेयर्स अब नए अंदाज़ में... [एस इंटरव्यू की तैयारी के लिये महत्त्वपूर्ण +सामग्री। + + + +पत्रिका का सैम्पल निःशुल्क पढ़ने के लिये हमारी वेबसाइट: +www.drishtiias.com a विज्िट करें। + + + + + +To Subscribe, Call - 8130392351, 8130392359 + +For business/advertising enquiry, Call - 8130392355 +Web : www.drishtiias.com, Email : info @drishtipublications.com + + + +YH-643/10/2017 + +6 योजना, फरवरी 2018 + + + +0007.txt +<----------------------------------------------------------------------> +९) + + + + + + + + + + +en Temes ee ge नए का विवनआ + +संतुष्टि का रास्ता + +आपको यह शिकायत रहती है कि आपका बिजली का बिल +क्या बढ़ा-चढ़ाकर भेजा गया है और जब आप अपनी बात रखने के +लिए बिजली के दफ्तर जाते हैं तो आपको वहां से भगा दिया जाता + +है। या आपकी कॉल बहुत अधिक ड्रॉप होती है और आपको पता ही नहीं चलता कि +समस्या दूर करने के लिए किससे शिकायत की जाए। या आपको अपनी संपत्ति अपने +नाम करानी है और संबंधित दफ्तर के दर्जनों चक्कर काटने पर भी आपका काम नहीं +होता। हममें से अधिकतर लोगों को कभी न कभी ऐसी समस्याओं का सामना करना ही +पड़ता है, जिनका समाधान किसी सरकारी अधिकारी या संस्था से कराना होता है। और जब भी हम समस्या हल कराने की कोशिश +करते हैं या केवल जवाब ही मांगते हैं तो कोई हमारी बात ही नहीं सुनता। + +कोई भी व्यवस्था पूरी तरह निर्दोष नहीं होती। खामियों की गुंजाइश हमेशा बनी रहती है, लेकिन अगर ये खामियां लोगों के +बुनियादी हितों को ही प्रभावित करने लगें तो उन्हें अपनी तकलीफें दूर कराने का पूरा अधिकार है। शिकायत करने वाले ग्राहक के +लिए यह दिखाने का अच्छा अवसर हो सकता है कि आप कितने अच्छे हैं। इसीलिए जनशिकायत निवारण को अच्छे प्रशासन वाले +लोकतंत्र की बुनियाद कहा जाता है। + +हमारे संविधान ने अपने नागरिकों को विभिन्‍न अधिकार दिए हैं, लेकिन लोगों की रोजमर्रा की तकलीफें दूर करने की प्रभावशाली +प्रणाली नहीं होना आज भी भारत में प्रशासन की कमजोरी है। पिछले कुछ वर्षों में विभिन्‍न सरकारों ने सुशासन का प्रयास करते हुए +आम आदमी की तकलीफें दूर करने के लिए व्यवस्था तैयार करने की कोशिश की है। स्थिति सुधारने के बिल्कुल शुरुआती प्रयासों में +नागरिक घोषणापत्र शामिल है, जो 1994 में लाया गया था। लोक शिकायत विभाग द्वारा तैयार किए गए नागरिक घोषणापत्र के घटकों +में संगठन की दृष्टि एवं मिशन उद्घोषणा, शिकायत निवारण प्रणाली का विवरण और उसका इस्तेमाल करने की विधि शामिल है। +दुर्भाग्य से विभिन्‍न संगठनों के नागरिक घोषणापत्र कोरे दस्तावेज ही बनकर रह गए और ग्राहकों की हालत पहले जैसी ही रह गई। + +उसके बाद 2005 में सूचना का अधिकार ( आरटीआई) कानून लागू किया गया। आरटीआई लोक शिकायत निवारण के मामले में +ऐतिहासिक सुधार साबित हुआ क्‍योंकि इसने निवारण का जिम्मा उस मामले से जुड़े अधिकारियों पर डाल दिया और दंड का प्रावधान +भी किया। इसके कारण संबंधित अधिकारी अथवा संगठन समय पर शिकायत दूर करने के लिए ही विवश नहीं हुए बल्कि भ्रष्टाचार +में भी कमी आई क्योंकि शिकायतकर्ता को फाइलों में लिखी टिप्पणियों समेत समस्या से जुड़े सभी दस्तावेज हासिल हो जाते हैं और +जवाबदेही तय हो जाती है। + +ई-प्रशासन और न्यूनतम शासन, अधिकतम प्रशासन की अवधारणा बढ़ने के साथ ही वेब और मोबाइल पर आधारित शिकायत +निवारण प्लेटफॉर्मों पर जोर बढ़ता गया है। हाल ही में आरंभ की गई कुछ प्रणालियां हैं - विभिन्‍न मंत्रालयों और विभागों से जुड़ी +शिकायतें प्राप्त करने की प्रक्रिया को सुचारू तथा एकीकृत बनाने के लिए लोक शिकायत निवारण विभाग द्वारा आरंभ की गई वेब +आधारित लोक शिकायत निवारण प्रणाली सीपीग्राम्स (केद्रीकृत लोक शिकायत निवारण एवं नियरानी प्रणाली) आम आदमी की +शिकायतें दूर करने और केंद्र तथा राज्य सरकारों के कार्यक्रमों एवं परियोजनाओं की निगरानी करने के लिए संबादपरक प्लेटफॉर्म प्रगति +(प्रो-एक्टिव गवर्नमेंट एवं टाइमली इप्लीमेंटेशन) नागरिकों को जोड़ने वाला मंच मारईगॉव और कर से जुड़ी शिकायतों को कागजों के +बगैर ही निपटाने के लिए ई-निवारण आदि। विभिन्‍न सेवाओं से जुड़ी शिकायतें दूर करने के लिए विभिन्‍न नियामकीय प्रणालियां भी +आरंभ की गई हैं, जैसे दूरसंचार के लिए ट्राई, बैंकिंग के लिए बैंक लोकपाल, स्वास्थ्य सेवाओं के लिए एमसीआई आदि। + +महिलाएं अक्सर आबादी का सबसे अधिक संवेदनशील हिस्सा होती हैं, जिनके साथ घर और कार्यस्थल में उत्पीड़न का खतरा +होता है। हालांकि महिलाओं को घरेलू हिंसा और घर तथा कार्यस्थल पर उत्पीड़न से बचाने के लिए विभिन्‍न प्रकार के कानून हैं जैसे +कार्यस्थल पर महिला यौन उत्पीड़न अधिनियम, 2013 दहेज निरोधक अधिनियम, 1961 घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 आदि। फिर भी +महिलाएं शिकार बनती ही रहती हैं। समस्याओं से निपटने के लिए सरकार ने हाल ही में शी बॉक्स (सेक्सुअल हेरासमेंट इलेक्ट्रॉनिक +बॉक्स) आरंभ किया है, जो प्रत्येक महिला को किसी भी प्रकार के उत्पीड़न की शिकायत करने की एकल खिड़की प्रदान करती हे। + +सभी नीतियों और गतिविधियों के लिए जनता के प्रति सरकार की जवाबदेही ही लोकतंत्र का मूल है। और प्रभावी तथा सक्षम +शिकायत निवारण प्रणाली ही नागरिकों में विश्वास कायम कर सकती है और उन्हें यह आश्वासन दे सकती है कि सरकार ' जनता +की है और जनता के लिए हे।' Q + +योजना, फरवरी 2018 7 + + + +0008.txt +<----------------------------------------------------------------------> +Also known as Abhivyakti Civil Services + +UNDER THE GUIDANCE OF SUNIL SIR + +संपादक | लेखक | Srataet (Abhivyakti ) + + + + + +“नवाचार , रचनात्मकता एवं 17786! पास कराने की कला सिखाने पर जोर + +कम से कम पढ़ाकर ज्यादा सिखाना लक्ष्य + +मुख्य परीक्षा की सुनील सर की विशेषज्ञता + +नियमित उत्तर लेखन एक वर्षीय कार्यक्रम प्रारंभ कराने वाला एकमात्र संस्थान + +करेंट-अफेयर्स का पूरे वर्ष वीकेंड बैच ( फाउंडेशन सामान्य-अध्ययन के एक अंग के रूप में करेंट अफेयर्स पढ़ाने वाला एकमात्र संस्थान। +केस स्टडी पर विशेष जोर देकर प्रश्नपत्र-4 में अधिकतम अंक दिलाने की सोच + +निबंध ( 250 अंक ९१००९ ० ०$ ) को 2 माह एक विषय की तरह पढ़ाने वाला एकमात्र संस्थान। + +हमारा क्लास प्रोग्ञाम + +सामान्य अध्ययन हल्लीः व्याहिल्य +टारगेटेड फाउंडेशन-2018-19 feset 2९6६ ६62८ ९<६ + +प्रश्न उत्तर लेखन शैली से हिंदी साहित्य पढ़ाने की शैली + +वनीसिशास्तञ्ा करेंट अफेयर्स + +जिन +foraer माडयूटठ प्रत्येक शनिवार 4 ७ नया वैक्ष प्रारंभ + +Fivset of +Best “ +a +. +Oho are I! OMY brothers comd sus texs +appeaving for CSe-2016%. y alse +MENA te say that duerng rey exe + + + + + +PE very very Atl the + + + +er + +Preewed ton To uted be eectd अश्किटसतितो mee ne +vequtanty. Tt ve the pevdect sega doe + + + + + + + + + +ei J + +Prelims pomaing amd Interview prepancitent ‘. = + +AN crcaet goes te te farter cans) Kamn | Ajeet Kumar Neetu Vijay Singh + +Gis. Toalse uted te teach Gk SPEPA Canna), CSE- 2016- Rank-1094 CSE- 2016- Rank-409 CSE-2014- Rank-794 + +SPCE CRajket >, MAMTA C&e VagenD when JL cas + +Preparing for crerl Seavices sama E recmmmerted + +this venmqa ain te cll my frvemas. Three Best + +~ tugs chou Hus megusine cre, Next + +MIHIRPATEL 9 octane means + +@ Answer weiting framework you +(CSE - 2014) के ला अप anne taney | gy ee fn + +This we Ve ™ fer . + +AIR - 27 दि core Le backs round ALR— QF cate {RAS- 2012-4th Rank) satbew Su Te A ort Bs would Sr SP are +Bradened CSE-2014-1071 निज के जड़ा । teenies and many more.... + + + + + + + + + +स्थापना वर्ष-4 | १ वर्ष2 | मई प्रथम एवं द्वितीय 2017 संस्करण + +MM +Se +Lat * दढाएस आड़ इंडिया ' दैनिक भास्कर ' योजना... राज्यसभा एवं लोदसभा टीवी + +M-3, Mezzanine Floor, A-37-38-39, Ansal Building, Near Safal Diary, Dr. Mukherjee Nagar + +01-40610911, 981180921, 90821900900 + +8 योजना, फरवरी 2018 + + + +YH-750/4/2017 + + + +0009.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + +प्रभावी शिकायत निपटानः सुशासन का सार + + + +शिकायत निवारण के क्षेत्र +में विभिन्‍न प्रयासों का एक +मात्र उद्देश्य है: सुशासन +के रास्ते पर चलने के +लिए शिकायतों के त्वरित +एवं प्रभावी निपटारे के +जरिये नागरिकों में विश्वास +बहाली करना। सुशासन के +युग में प्रवेश का प्रयास +बहुत ही सकारात्मक तरीके +से शुरू हुआ है। हालांकि +यह भी समझना महत्वपूर्ण +है कि शासन एक ऐसा क्षेत्र +है, जहां नागरिकों को भी +एक बिंदु पर अपनी विशिष्ट +भूमिका निभानी पड़ती है + + + + + +के वी इयप्पन + + + +शासन राष्ट्र की प्रगति के +सु लिए महत्वपूर्ण कारक होता +है और सरकार के कामकाज +और प्रक्रियाओं को सरल बनाना इस दिशा +में एक महत्वपूर्ण कदम होता है, ताकि +सम्पूर्ण प्रणाली को पारदर्शी और तीत्र बनाया +जा सके। साथ ही, नागरिक केंद्रित उपायों का +लगातार विस्तार प्रभावी सार्वजनिक प्रशासन +प्रणाली के महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक हे, +क्योंकि इससे न केवल शासन में पारदर्शिता +और जिम्मेदारी आती है, बल्कि न्यायसंगत +विकास को मजबूती भी मिलती है। इस प्रकार +प्रौद्योगिकी नागरिकों को सशक्त बनाने का +माध्यम है तो सरकार के उत्तरदायित्वों का +पैमाना भी। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री का +दृष्टिकोण भी “न्यूनतम सरकार-महत्तम शासन' +पर ज्यादा बल देने का रहा है। +कामकाज की प्रक्रियाओं को सरल +बनाने तथा मजबूत प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल +के अलावा, जनशिकायत निवारण जवाबदेह +प्रशासन का बहुत ही महत्वपूर्ण कारक होता +है। किसी संगठन का शिकायत निवारण +तंत्र उसकी दक्षता एवं सफलता को मापने +का एक पैमाना होता है, क्योंकि इससे उस +संगठन के काम का महत्वपूर्ण फीडबैक प्राप्त +होता है। भारत सरकार ने भी जनशिकायतों +के निवारण के लिए इंटरनेटर आधारित +केंद्रीकृत सार्वजनिक शिकायत निवारण एवं +निगरानी प्रणाली (सीरपीग्राम्स) की स्थापना +की है। यह प्रणाली ऐसी वेब प्रौद्योगिकी पर +आधारित है, जिसका लक्ष्य देश के किसी +भी हिस्से से किसी भी वक्‍त, किसी भी +मंत्रालय/विभाग/संगठन से संबंधित शिकायत + + + + + + + +डालने की प्रक्रिया को सुगम बनाना है। इस +प्रणाली के तहत शिकायत करने पर सिस्टम +से प्राप्त विशिष्ट पंजीयन संख्या के सहारे +अपनी शिकायत की स्थिति का पता भी +लगाया जा सकता है। इतना ही नहीं, मैनुअली +प्राप्त शिकायतों को डिजिटाइज्ड करके +सिस्टम पर अपलोड भी किया जाता है। यह +प्रणाली मंत्रालयों/विभागों को उचित कार्रवाई +करने तथा कार्रवाई रिपोर्ट अपलोड करने में +मददगार साबित होती है। इसे शिकायतकर्ता +अपनी विशिष्ट पंजीयन संख्या की मदद से +ऑनलाइन देख भी सकता है। + +शिकायतों के निपटारे के दौरान इस +प्रणाली के दायरे में आने और न आने वाली +शिकायतों में विभेद करना भी महत्वपूर्ण +होता है। इस प्रणाली के तहत उन शिकायतों +को नहीं लिया जाता, जो या तो अदालत +के विचाराधीन लंबित हो, निजी अथवा +पारिवारिक विवाद हो, आरटीआई से संबंधित +मामले हों, देश की क्षेत्रीय अखंडता या अन्य +देशों के साथ दोस्ताना संबंधों को प्रभावित +करने वाली चीजें तथा सलाह व परामर्श की +प्रकृति वाले पत्राचार हों। +जनशिकायत प्रणाली + +प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) , +राष्ट्रति सचिवालय, जनशिकायत निदेशालय +(कैबिनेट सचिवालय) , प्रशासकीय सुधार एवं +सार्वजनिक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) +तथा पेंशनर्स पोर्टल को सीपीग्रास्स के माध्यम +से एक साथ जोड़ा गया है। इससे इन विभागों +के लिए की गयी शिकायतें सीपीग्राम्स के +माध्यम से केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों एवं राज्य +सरकारों को ऑनलाइन स्थानांतरित हो जाती हैं। + + + +लेखक प्रशासनिक सुधार व जनशिकायत विभाग, भारत सरकार में सचिव हैं। असम मेघालय कैडर के आइएएस (1984 बैच) के तौर पर उन्होंने राज्य व केंद्र सरकार +के विभिन्न पदों पर अपनी सेवाएं दी Zl ईमेल: secy-arpg@nic.in + +योजना, फरवरी 2018 9 + + + +0010.txt +<----------------------------------------------------------------------> +डीएआरपीजी जनशिकायतों से +संबंधित पॉलिसी बनाने, निगरानी तथा +समन्वय करने वाला विभाग हेै। इसे कार्य +आव्टन नियम (एलॉकेशन ऑफ बिजनेस +रूल्स), 1961 से शक्ति प्राप्त होती है। +इन नियमों के तहत सामान्य जनशिकायतों +और केद्र सरकार की एजेंसियों से संबंधित +शिकायतों से जुडे कार्यो का बंटवारा किया +गया है। इतना ही नहीं नियमों के तहत +शिकायतों का निपटारा संबंधित मंत्रालयों/ +विभागों द्वारा विकेंद्रीकृत तरीके से किया +जाना आवश्यक होता है। + +जनशिकायतों के लिए प्रत्येक मंत्रालय/ +विभाग में नोडल अधिकारी नियुक्त किया +गया है। एक मंत्रालय/विभाग में कामकाज के +आंतरिक आवंटन के अनुसार अलग-अलग +अधिकारी जनशिकायतों के निपटारे का +जिम्मा उठाते हैं। इसके अलावा, सभी +मंत्रालयों अथवा विभागों को यह सुनिश्चित +करने का परामर्श दिया गया है कि ताकिक +कारणों का उल्लेख करते हुए शिकायतों का +निपटारा किये जायें। प्रत्येक मंत्रालय/विभाग/ +संगठन में जनशिकायत निदेशक का होना +अनिवार्य है, जिससे पीडित नागरिक शिकायत +निपटारे की मांग को लेकर सम्पर्क कर सके। +इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए सप्ताह में +एक दिन “बुधवार' निर्धारित किया गया हे। +संबंधित मंत्रालयों/विभागों और उनसे सम्बद्ध +अधीनस्थ संगठनों के प्रमुखों द्वारा लंबित +शिकायतों की प्रासंगिक जानकारी प्राप्त करने +के लिए सीपीग्राम्स पर एक डेशबोर्ड तैयार +किया गया है। + +यहां यह उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री +खुद भी प्रो-एक्टिव गवर्नेंस एंड टाइमली +इम्प्लीमेंटेशन (प्रगति) प्लेटफॉर्म के तहत +प्रत्येक माह एक या अधिक मंत्रालय/विभाग +में लंबित शिकायतों की निगरानी या समीक्षा +करते हैं। +शिकायत निपटारे की दर + +पिछले तीन वर्षों के दौरान हालांकि, +शिकायतों की कुल संख्या बढ़ी है, लेकिन +यह भी उल्लेखनीय है कि इन शिकायतों के +निपटारे की दर में भी सुधार हुआ है। केंद्र +सरकार के संगठनों से संबंधित शिकायतों +के निपटारे की दर (नवम्बर 2017 तक) +निम्न है, इनमें पहले के लंबित मामले भी +शामिल हैं। + + + +10 + +तालिका 1: सीपीग्राम्स शिकायत + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +निपटान दर +वर्ष शिकायतें | निपटारा | प्रतिशत +2015 1049751 | 797453 | 76 +2016 1479862 | 1229428 | 83 +2017* 1728194 | 1601544 | 93 +FIR Th eid : Grier ster + + + + + +हमारा मानना है कि समूचे भारत में +एकल जनशिकायत निवारण प्रणाली तथा देश +के नागरिकों को इस मामले में एक समान +संतोषप्रद परिणाम सुनिश्चित करने के लिए +राज्यों की शिकायत निवारण प्रणालियों को +सीपीग्राम्स से जोड़ने की आवश्यकता हे। +तभी सीपीग्राम्स के जरिये की गयी राज्यों +से जुड़ी शिकायतों को समेकित और प्रभावी +तरीके से निपटाया जा सकेगा। गौरतलब +है कि कुछ राज्य इसके लिए सीपीग्राम्स +का इस्तेमाल करते हैं, जबकि कुछ राज्यों +के पास खुद का शिकायत निवारण तंत्र +मौजूद है। सीपीग्राम्स राष्ट्रीय स्तर पर सभी +राज्य सरकारों से भी सम्बद्ध है। गौरतलब है +सीपीग्राम्स के जरिये प्राप्त राज्य सरकारों से +संबंधित शिकायतें निपटारे के लिए संबंधित +राज्य सरकारों को अग्रसारित कर दी जाती +हैं, लेकिन केंद्र स्तर पर उनकी निगरानी नहीं +की जाती। स्थानीय भाषाओं के इंटरफेस वाले +सीपीग्राम्स प्लेटफॉर्म अभी तक नौ राज्यों व +केंद्र शासित प्रदेशों में शुरू किये जा चुके हें। +ये राज्य हैं- हरियाणा, ओडिशा, राजस्थान, +मिजोरम, मेघालय, उत्तराखंड, झारखंड, पंजाब +और पुडडुचेरी। +नयी पहल + +सीपीग्राम्स का एक नया, संशोधित और +अपडेटेड वर्जन जल्द ही आने वाला है, जो +न केवल नागरिकों के इस्तेमाल की दृष्टि से +सरल होगा, बल्कि उसमें ऐसे फीचर भी +होंगे, जिससे मंत्रालयों/विभागों में शिकायतों +के क्षैतिज हस्तांतरण, एक जैसी शिकायतों के + +जनशिकायतों के लिए प्रत्येक +मंत्रालय/ विभाग में नोडल अधिकारी +नियुक्त किया गया है। एक मंत्रालय/ +विभाग में कामकाज के आंतरिक +आवंटन के अनुसार अलग-अलग +अधिकारी जनशिकायतों के निपटारे का +जिम्मा उठाते हैं। + +एकमुश्त निवारण, शिकायतों की पुनरावृत्ति +से बचने के लिए एकल पंजीकरण, नहीं +निपटायी जा सकी शिकायतों को उच्च +अधिकारियों को सुपुर्द करने, कई लोगों को +एक साथ अग्रसारित करने तथा स्थानीय +भाषाओं में जानकारी उपलब्ध कराये जाने की +सुविधा मौजूद होगी। + +इतना ही नहीं, कोई भी व्यक्ति मामूली +फीस देकर अपने इलाके में स्थित कॉमन +सर्विस सेंटर के जरिये जनशिकायत पोर्टल पर +अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है। लंबित +शिकायतों के संबंध में रिमाइंडर के लिए एक +टॉल-फ्री नम्बर भी शुरू किया जा रहा है। +एंड्रॉयड मोबाइल पर जनशिकायतें दायर करने +और उनकी स्थिति जानने के लिए अक्टूबर +2015 में एक मोबाइल ऐप भी लांच किया +गया था, जिसे पीजी पोर्टल से डाउनलोड +किया जा सकता है। इसके अलावा, कुछ +अन्य फीचरों के साथ एक नया मोबाइल ऐप +विकसित किया गया है, जिसका इस्तेमाल +और अधिक आसान होगा। इसे यूनिफाइड +मोबाइल एऐप्लीकेशन फॉर न्यू-एज गवर्नेंस +(उमंग) के साथ जोड़ा गया हे। +शिकायतों की व्याख्या + +प्रभावी जनशिकायत निवारण के लिए +प्राप्त जनशिकायतों की नियमित व्याख्या +करना अत्यंत अनिवार्य होता है, ताकि +संबंधित समस्याओं की पहचान की जा सके +एवं उनके समाधान के लिए नीतियां बनायी +जा सके। इसका उद्देश्य हो- सदा ही सेवाओं +की डिलीवरी को और अधिक आसान बनाना +तथा इसमें तेजी लाना। जहां तक संभव हो, +जनशिकायतों के कारणों की पहचान करके +उसे खत्म करने के लिए चरणबद्ध तरीके +से बदलाव लाने के बास्ते मौजूदा नीतियों +और प्रक्रियाओं की समीक्षा किये जाने की +आवश्यकता है। + +उपरोक्त बातों को ध्यान में रखते हुए +शिकायतों की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों की +पहचान करने, इसके मूल कारणों की व्याख्या +करने तथा सीपीग्राम्स पोर्टल से सम्बद्ध एवं +सर्वाधिक शिकायतों का दंश झेलने वाले 20 +शीर्ष मंत्रालयों/विभागों/संगठनों में चरणबद्ध +सुधारों के लिए भारतीय गुणवत्ता परिषद के +माध्यम से एक शिकायत व्याख्या अध्ययन +कराया गया था। अध्ययन में पाया गया हे +कि शिकायत निवारण प्रणाली को प्रभावी + +योजना, फरवरी 2018 + + + +0011.txt +<----------------------------------------------------------------------> +बनाने के लिए 81 सुधार किये जाने की +आवश्यकता है। अध्ययन रिपोर्ट संबंधित +मंत्रालयों/विभागों/संगठनों को सौंपी जा चुकी +हैं। सुधारों की निगरानी के लिए प्रोजेक्ट +मैनेजमेंट यूनिट (पीएमयू) भी गठित की गयी +है। कुल 81 सुधारों में से 35 का क्रियान्वयन +संबंधित मंत्रालयों/विभागों द्वारा किया जा +चुका है। ऐसे ही कुछ सुधारों में शामिल हैं- +रेलवे टिकटों के रद्द होने पर राशि का स्वतः +वापस होना, एकल खिड॒की पेंशन, डिब्बों की +व्यापक यंत्रचालित सफाई, आयकर रिटर्न का +ई-सत्यापन, 50 हजार रुपये तक का आयकर +रिटर्न त्वरित निपटाना आदि। + +बड़े पैमाने पर शिकायत वाले 20 +मंत्रालयों व विभागों का भी अध्ययन किया +गया और चरणबद्ध तरीके से सुधार की +सिफारिश वाली रिपोर्ट अगस्त 2017 में जारी +की गयी थी, जिसमें शिकायतों में कमी लाने +के लिए 100 चरणबद्ध सुधारों का सुझाव +दिया गया ZI +पुरस्कार योजना + +डीएआरपीजी ने जनशिकायतों के +निपटारे में बेहतर प्रदर्शन करने वालों को +पुरस्कृत किये जाने की योजना शुरू की हे, +जिसके तहत तिमाही आधार पर प्रशस्ति-पत्र +जारी किया जाता है। इस योजना के तहत +मंत्रालयों/विभागों/संगठनों द्वारा निपटायी गयी +शिकायतों की संख्या पर ही केवल विचार +नहीं किया जाता, बल्कि उन शिकायतकर्ताओं +का फीडबेक भी लिया जाता है, जिनकी +शिकायतों का निपटारा करके मामले को बंद +किया गया हो। अभी तक 21 प्रशस्ति पत्र +जारी किये जा चुके हैं। वर्ष 2016-17 के +दौरान 12 मंत्रालयों/विभागों को प्रशस्ति-पत्र +जारी किये गये थे। + +इसके अलावा फरवरी 2016 में एक +जनशिकायत कॉल सेंटर भी शुरू किया +गया है, जो बडे पैमाने पर शिकायती पत्र +पाने वाले शीर्ष 40 मंत्रालयों/विभागों के +अधिकारियों को दो माह से अधिक समय +से लंबित शिकायतों के त्वरित निपटारे के +लिए स्मरण भी कराता है। यह कॉल सेंटर +प्रति माह करीब 20 हजार से 22 हजार +कॉल करता है। + +शिकायतों की निगरानी के लिए +डीएआरपीजी में समय-समय पर समीक्षा +बैठक आयोजित की जाती हेै। वर्ष 2017 के + +योजना, फरवरी 2018 + +केंद्रीकृत जनशिकायत समाधान एवं निगरानी प्रणाली + +( सीपीजीआरएमएस ) + + + +आवश्यकता नहीं हाती + +प्रारंभिक क्रियान्वयन: जून 2007; स्थापना 2008 + +जनशिकायत पोर्टल ऋएऋए..270191.20ए41 पर उपलब्ध हे + +भारत सरकार के सभी मंत्रालय व विभाग इसके अंदर आते हैं + +यह प्रणाली वेब आधारित है इसलिए मंत्रालयों व विभागों को अलग सर्वर की + +* मंत्रालयों के अंतर्गत अधीनस्थ कार्यालयों, संलग्न कार्यालयों तथा क्षेत्रीय कार्यालयों + +को भी इसके अंतर्गत रखा गया है + +* पत्राचार में होने वाले समय में कटौती + +* भौतिक रूप से की गई शिकायतों को भी स्कैनिंग आदि के जरिये इलेक्ट्रोनिक +शिकायतों के साथ समेकित करने की सुविधा उपलब्ध है। + + + +5 सितंबर 2017 + +प्रशासनिक सुधार एवं जन शिकायत + +सचिव के समक्ष दी गई प्रस्तुति + +दौरान पांच समीक्षा बैठकें आयोजित की गयीं, +जिनमें 66 मंत्रालयों/विभागों ने हिस्सा लिया। +'सिटीजन्स चार्टर + +सिटीजन्स/क्लाइण्ट्स चार्टर सुशासन का +एक अन्य महत्वपूर्ण जरिया है। यह सरकारी +विभाग द्वारा तैयार एक लिखित शासनादेश हे, +जो सेवा डिलीवरी के मानकों को रेखांकित +करता है, जिनमें उपभोक्ताओं की पसंद की +उपलब्धता, शिकायत निवारण के अवसर एवं +अन्य संबंधित जानकारियां शामिल हैं। यह +सेवाओं के मानकों से संबंधित प्रतिबद्धताओं +का एक सेट है। हालांकि इसे अदालत में +चुनौती नहीं दी जा सकती, लेकिन यह +सिटिजन्स चार्टर उपभोक्ताओं और ग्राहकों +को सशक्त बनाने के लिए है, ताकि उन्‍हें +मानकों पर आधारित सेवाएं उपलब्ध हो सकें। +सेवा-प्रदाता संगठनों द्वारा मानकों का पालन +न कर पाने की स्थिति में उपभोक्ताओं को + +उसका हर्जाना मिले। सिटिजन्स चार्टर का मुख्य +उद्देश्य सार्वजनिक सेवाओं को आपूर्ति-आधारित +सेवा के बजाय मांग-आधारित सेवा बनाना हे। +डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट जीओआईचार्टर डॉट +एनआईसी Se FF (www.goicharter.nic. +11) एक पोर्टल है, जिस पर केंद्र सरकार और +राज्यों के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों, संगठनों के +सिटीजन्स चार्टर अपलोड किये गये हैं। +अंततः इन प्रयासों का एक मात्र उद्देश्य +है; सुशासन के रास्ते पर चलने के लिए +शिकायतों के त्वरित एवं प्रभावी निपटारे के +जरिये नागरिकों में विश्वास बहाली करना। +सुशासन के युग में प्रवेश का प्रयास बहुत +ही सकारात्मक तरीके से शुरू हुआ है। +हालांकि यह भी समझना महत्वपूर्ण है कि +शासन एक ऐसा क्षेत्र है, जहां नागरिकों को +भी एक बिंदु पर अपनी विशिष्ट भूमिका +निभानी पड़ती है। QO + + + +/ः + + + +कृपया ध्यान दें + +सदस्यता संबंधी पूछताछ अथवा पत्रिका प्राप्त न होने की स्थिति में कृपया +वितरण एवं विज्ञापन व्यवस्थापक से इस पते पर संपर्क करें: + +वितरण एवं विज्ञापन व्यवस्थापक +प्रकाशन विभाग, कमरा नं. 48-53 , सूचना भवन, सी.जी.ओ. कॉम्पलेक्स, +लोधी रोड, नयी दिल्‍्ली-110003 +फोन नं: 011-24367453 +ई-मेल: pdjucir@gmail.com + +~ + + + +11 + + + +0012.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +12 + + + + + + + + + + + +i Ce + +—_— हि INSPIRING $INNOYATION +APS] ._ - मी + +ae ee /“/ 3 ऑन +available + +सामान्य अध्ययन वि शी, . +*फाउंडेशन कोर्स 2019 कि + +» प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा के लिए बा शा +» प्रारंभिक परीक्षा के लिए एक + + + +* मुख्य परीक्षा के लिए ALL INDIA TEST SERIES +Get the Benefit of Innovative Assessment ++ इनोवेटिव क्लासरूम प्रोग्राम के घटक System from the leader in the Test Series +प्रारंभिक परीक्षा निबंध Program +प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा और के लिए PRELIMS MAINS +महत्वपूर्ण सभी का विस्तृत v General Studies | ४ 6 | Studi +ओरिएंटेड eneral Studies +* योजनाबद्ध तैयारी हेतु करेंट ओरिएंटेड अप्रोच (हिन्दी माध्यम में भी) (हिन्दी माध्यम में भी) +* नियमित क्लास टेस्ट एवं व्यक्तिगत मूल्यांकन VY CSAT $” ६5599 (हिन्दी माध्यम में भी) +* मौलिक अव्धारणाओं की समझ के विकास एवं (हिन्दी माध्यम में भी) v Philosophy y Sociology +विश्लेषणात्मक क्षमता निर्माण पर विशेष ध्यान ¥ Geography + + + +* अंतर - विषयक समझ विकसित करने का प्रयास +« एनीमेशन, पॉवर प्वाइंट, वीडियो जैसी तकनीकी PHILOSOPHY +सुविधाओं का प्रयोग + +» निबंध लेखन शैली की कक्षाएं by Anoop Kumar Singh + + + +¢ PT 365 ag * MAINS 365 कक्षाएं @ JAIPUR | PUNE + +PT eee UNIT * मुख्य परीक्षा टेस्ट सीरीज > Includes comprehensive and updated study material +» निबंध टेस्ट सीरीज » सीसैट टेस्ट सीरीज > Answer Writing Program for Philosophy (QIP) + +* कॉम्प्रीहेंसिव स्टडी मटेरियल * करेंट अफेयर्स मैगजीन 500+ Selections 15 in top 20 + +in CSE 2015 70+ Selections in Top 100 in CSE 2016 + ++ PT 365 |ENGLISH MeDIUM| | हिन्दी माध्यम | = 3 +«@ One Year Current Affairs for Prelims 2 छ 3 ++ MAINS 365 [ENGLISH Mepium| | f8-at area | J + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +TINA ANMOL SHER SAUMYA ABHILASH + +@ One Year Current Affairs for Mains DABI SINGH BEDI PANDEY MISHRA +La [ AIR-2 | [ AIR-4 | [ AIR-5 | + +be 4 pe be a DELHI JAIPUR 201५६ हि] 7 ही + +ey 8468022022 | 9001949244 | 8007500096 | 9000104133 + +www.visionias.in 9650617807 | 9799974032 | 020-40040015 9494374078 + +e 2"Floor, Apsara Arcade, Near Metro Gate 6, 1/8 8, Pusa Road, Karol Bagh +pam is i + +¢ 635, Opp. Signature View Apartments, Banda Bahadur Marg, Mukherjee Nagar + +YH-737/10/2017 + +योजना, फरवरी 2018 + + + +0013.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +ई-शासनः नवभारत 2022 के लिए शिकायत समाधान + + + +सार्वजनिक सेवाओं और +शिकायत निवारण के भविष्य +को देखते हुए कुछ ऐसे बुनियादी +सिद्धांत हैं, जिन्हें जारी रखने +की जरूरत हो सकती है। +इसमें सार्वजनिक सेवाओं को +व्यक्तिविहीन, कागजविहीन +और नकदविहीन बनाना, +सबको डिजिटल पहचान और +कनेक्टिविटी प्रदान करना, +आधार सक्षम प्रत्यक्ष लाभ +हस्तांतरण के जरिये लाभार्थियों +को लाभ पहुंचाना, प्रपत्र और +प्रक्रिया को सरल बनाना तथा +ई-मंच प्रदान करना शामिल है। +सुशासन पर सचिवों के समूह ने +अपनी रिपोर्ट में पाया कि सेवा +वितरण अधिकारियों के लिए +जवाबदेह शासन की दिशा में +अनुशासनात्मक बदलाव जरूरी है + +योगेश सूरी +देश गौरव सेखरी + + + +नतम सरकार, अधिकतम +ay शासन की आधारशिला के +GN [रूप में जन-शिकायतों का +निवारण नव भारत, 2022 का एक महत्वपूर्ण +पहलू है। इसी से जुड़ा ई-शासन विशेष रूप +से पिछले कुछ वर्षों में भारत में अद्वितीय +और अत्याधुनिक पहल के माध्यम से बढ़ा +है। सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) +में प्रगति के साथ कई सार्वजनिक सेवाएं +ऑनलाइन उपलब्ध कराना संभव हो गया है। +इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग +के राष्ट्रीय ई-गवर्नेस डिविजन के अनुमानों +के मुताबिक, विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों एवं +राज्य सरकारों द्वारा 3500 से ज्यादा विभिन्न +ई-सेवाएं दी जा रही हें। राष्ट्रीय सूचना विज्ञान +केंद्र (एनआईसी) के अनुमानों के अनुसार, +केद्रीय मंत्रालय और राज्य सरकारों के 8000 +से ज्यादा विभिन्न पोर्टल्स और बेवसाइटों की +देखभाल उसके द्वारा की जाती हे। +सेवोत्तम एवं सीपीग्राम्स +प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत +विभाग (डीएआरपीजी) भारत सरकार के +मंत्रालयों व विभागों के कामकाज से पैदा +होने वाली जनशिकायतों के लिए नीति +निर्माण, निगरानी और समन्वय बनाने वाला +प्रमुख विभाग है। डीएआरपीजी ने एक +फ्रेमवर्क विकसित किया है, जिसे सेवोत्तम +कहा जाता है, जिसका मतलब अनिवार्य +रूप से सार्वजनिक सेवा में उत्कृष्टता है। इस +योजना के तहत प्रत्येक सरकारी विभाग के +पास नागरिकों का एक चार्टर होना चाहिए, +जो सेवा मानकों और समयसीमा के साथ + + + + + + + +मुख्य सेवाओं को दर्शाता हो, जिसमें एक +सार्वजनिक शिकायत निवारण तंत्र हो और +लोक सेवा वितरण मानकों के आकलन +और सुधार का तंत्र हो। इसमें सेवा वितरण +समर्थकों पर भी जोर दिया जाता है, जिसमें +ग्राहक प्रतिक्रिया, कर्मचारियों की प्रेरणा और +बुनियादी ढांचा शामिल होते हैं। +डीएआरपीजी ने वर्ष 2007 से एक +केद्रीकृत लोक शिकायत निवारण ओर +निगरानी प्रणाली (सीपीग्राम्स) तैयार की हे। +यह केद्रीकृत, पारदर्शी, जवाबदेह और प्रभावी +तरीके से सार्वजनिक शिकायतों को हल करने +के लिए भारत सरकार द्वारा की गई एक +प्रमुख पहल है। यह एक मानकीकृत वेब +आधारित समाधान और एकीकृत एप्लीकेशन +है, जो ऑनलाइन, डाक द्वारा या हाथोंहाथ +प्राप्त शिकायतों का पंजीयन और निदान करने +के लिए है। इस समय 139 मंत्रालय/विभाग/ +राज्य/केंद्र शासित प्रदेश और अन्य शीर्ष +संगठन सीपीग्राम्स से जुड़े हैं। यह हिंदी में +भी उपलब्ध है। नो राज्यों/केंद्र शासित क्षेत्रों, +जैसे हरियाणा, ओडिशा, मिजोरम, राजस्थान, +मेघालय, पुडडुचेरी, उत्तराखंड, झारखंड और +पंजाब के सरकारी विभागों में स्थानीय भाषा +इंटरफेस के साथ शुरू की गई है। +सीपीग्राम्स द्वारा विभाग को जो शिकायतें +प्राप्त होती हैं, उन्हें संबंधित मंत्रालयों/विभागों +को भेज दिया जाता है। शिकायतों का निवारण +संबंधित मंत्रालयों/विभागों द्वारा विकेंद्रीकृत +तरीके से किया जाता है। विभाग केंद्र सरकार +के तहत प्रभावी शिकायत प्रबंधन के लिए +सार्वजनिक शिकायतों के निवारण की स्थिति + + + +डॉ. योगेश सूरी नीति आयोग में सलाहकार हैं, जहां वे प्रशासन व अनुसंधान, जल व भूमि संसाधन वर्टिकल्स के प्रभारी हैं। वे प्रधानमंत्री के आर्थिक परामर्श परिषद्‌ +(इकॉनॉमिक एडवाइजुरी काउंसिल) से भी जुड़े eu 21 Ge: yogesh.suri@gov.in +देश गौरव सेखरी नीति आयोग में सलाहकार (प्रशासन व अनुसन्धान) हैं जहां वे अर्थशास्त्र, प्रशासन, खेलकूद व अन्य नीति विषयक पहलुओं पर विशेष ध्यान देते हैं। + +ईमेल: dg.sekhri@nic.in +& + +योजना, फरवरी 2018 + +13 + + + +0014.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +सेवोत्तम सफलता + + + + + + + + + + + +की समय-समय पर समीक्षा करता है। कई +राज्य सरकारें भी अपने राज्य में शिकायतों +की निगरानी के लिए इसका इस्तेमाल करती +हैं। अनुभवों से पता चलता है कि सीपीग्राम्स +ने एक अच्छी शुरुआत की है, इसलिए +जनशिकायतों और उसके निवारण का प्रमुख +मंच बनाने के लिए इसके व्यापक विस्तार +की जरूरत है। इसी तरह, सीपीग्राम्स में +उपलब्ध आंकडों को सबसे ज्यादा शिकायत +प्राप्त करने वाले विभागों में सुधार के लिए +ध्यान केंद्रित करने लायक क्षेत्रों और प्रमुख +कारणों को पहचानने में प्रभावी ढंग से +इस्तेमाल करने की जरूरत है। इस तंत्र को +बेहतर एकीकरण और संबंधित मंत्रालयों/ +विभागों/संगठनों में एक समानांतर तंत्र की +जरूरत है। + +डीएआरपीजी लोक शिकायत कॉल +सेंटर, ट्विटर सेवा जैसी योजनाओं को +शुरू करके नवोन्मेष में भी अपनी भूमिका +निभा रहा है और यहां तक कि अतिरिक्त +फीचर्स (सुविधाओं) के साथ ही +सीपीग्राम्स का नया संस्करण भी शीघ्र शुरू +करने वाला है। सूचना प्रौद्योगिकी आधारित +निवारण की ओर बढ़ने के लिए प्रोत्साहन +भी दिया जाता है, जिसमें बेहतर प्रदर्शन +के लिए प्रशंसा पत्र के जरिये पुरस्कार +देने की योजना शामिल है। इसके अलावा +उल्लेखनीय सुधारों की निगरानी के लिए +एक ऑनलाइन डैशबोर्ड की शुरुआत भी +आगे होने वाली है। + +14 + +लोक सेवा वितरण अधिनियम + +भारत सरकार ने नागरिकों को सामान एवं +सेवाओं की समयबद्ध अदायगी का अधिकार +तथा उनकी शिकायत निवारण से संबंधित +विधेयक, 2011 लोकसभा में पेश किया था। +इस विधेयक में प्रत्येक नागरिक को वस्तु +एवं सेवाओं के समयबद्ध वितरण, नागरिक +चार्टर का अनिवार्य प्रकाशन, नागरिक चार्टर +के अनुपालन के लिए शिकायत निवारण तंत्र +और चूक करने वाले अधिकारी को दंड तथा +आवेदक को उतनी ही राशि का मुआवजा +प्राप्त करने के अधिकार का प्रावधान था। +हालांकि पंद्रहवी लोकसभा के विघटन के +साथ ही यह विधेयक खत्म हो गया। माना +जा रहा है कि एक नए कानून पर विचार +किया जा रहा है। इस बीच एक योजना शुरू +होने की उम्मीद है और उससे प्राप्त अनुभव +संशोधित कानून बनाने में मददगार होंगे। + +माय गॉव डॉट इन एक अद्वितीय +और अत्याधुनिक प्रशासनिक पहल है, +जिसमें व्यापक स्तर पर आम नागरिकों +की भागीदारी है, इसकी शुरुआत +प्रधानमंत्री ने 2014 में की थी। + +माय गॉव का अनुमान है कि 17.8 +लाख से ज्यादा उपयोगकर्ता इसमें +भागीदारी करते हैं, जबकि कार्यों का +एजेंडा बनाने हेतु प्रगति के लिए प्रति +सप्ताह इसे दस हजार से अधिक पोस्ट +मिलते हैं। + +उमंग + +चूंकि ई-शासन में मोबाइल फोन +तेजी से महत्वपूर्ण होते जा रहे हैं, इसलिए +सरकार ने हाल ही में नए युग के शासन +के लिए एक एकीकृत मोबाइल एप्लीकेशन +(यूनिफाइड मोबाइल एप्लीकेशन फॉर न्यू +एज गवर्नंस-उमंग) भी लॉन्च किया है। +इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय +और राष्ट्रीय ई-शासन डिविजन द्वारा विकसित +उमंग सभी भारतीय नागरिकों को केंद्र से +लेकर स्थानीय सरकारी निकायों तक अखिल +भारतीय स्तर पर ई-सेवा तथा अन्य नागरिक +केंद्रित सेवाओं तक पहुंच बनाने के लिए +एकल मंच प्रदान करता है। ये सेवाएं केंद्र और +राज्य सरकारों के विभागों, स्थानीय निकायों +और निजी संगठनों की अन्य सेवाओं तक +फैली हैं। यह एक एकीकृत दृष्टिकोण प्रदान +करता है, जहां नागरिक कई सरकारी सेवाओं +के लिए एप्लीकेशन इंस्टाल कर सकता है। +इसे स्मार्टफोन, टेबलेट्स और डेस्कटॉप के +जरिये उपयोग किया जा सकता है। +माय गॉव + +माय गाव डॉट इन एक अद्वितीय और +अत्याधुनिक प्रशासनिक पहल है, जिसमें +व्यापक स्तर पर आम नागरिकों की भागीदारी +है, इसकी शुरुआत प्रधानमंत्री ने 2014 में +की थी। यह मंच अब सूचनाओं के प्रसार +और जनता की राय लेने का एक अभिन्न अंग +है। यह देश की शासन प्रक्रिया में नागरिकों +को एक आवाज प्रदान करता है और उनके +लिए एक समान रूप से हितधारक बनने +का आधार तैयार करता है, जिनमें कार्यकारी +कार्यों के जरिये क्रियान्वयन शामिल है। माय +गॉव का अनुमान है कि 17.8 लाख से ज्यादा +उपयोगकर्ता इसमें भागीदारी करते हैं, जबकि +कार्यों का एजेंडा बनाने हेतु प्रगति के लिए +प्रति सप्ताह इसे दस हजार से अधिक पोस्ट +मिलते हैं। +अन्य नागरिक केंद्रित सेवाएं + +यह ध्यान देने योग्य है कि कई राज्य +सरकारों ने नागरिकों की शिकायतें दर्ज करने +के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का उपयोग +किया है। कुछ ऐसी ही पहलों में उत्तर प्रदेश +की लोकवाणी शामिल है, जो नागरिकों को +सरकारी सेवाओं से संबंधित अपनी शिकायतें +आसानी से दर्ज करने और कियोस्क केद्रों के +माध्यम से शिकायत करने के पंद्रह दिनों के + +योजना, फरवरी 2018 + + + +0015.txt +<----------------------------------------------------------------------> +भीतर उसका समाधान पाने में मदद करती है। +ई-गवर्नेंस के माध्यम से शिकायत निवारण +के लिए पूरी तरह समर्पित जनसुनवाई +या ई-संवाद जैसी पहल भी की गई है। +अब सभी लोकवाणी शिकायतें इस पोर्टल +पर उपलब्ध हैं। आंध्र प्रदेश का ऑनलाइन +पोर्टल एपीऑनलाइन डॉट कॉम सरकार और +नागरिकों के बीच ई-इंटरफेस (ऑनलाइन +संपर्क) के लिए राज्य सरकार का सबसे +व्यापक पोर्टल है, जिसके साथ वास्तविक +समय शासन (रियल टाइम गवर्नेंस) पहल के +हिस्से के रूप में एकीकृत शिकायत निवारण +चैनल भी है। इस चैनल को पीपुल फर्स्ट या +www.meekosam.ap.gov.in hel Sid है +और पीपुल फर्स्ट मोबाइल ऐप्प भी सितंबर, +2017 में लॉन्च किया गया। इसके अलावा +शिकायत दर्ज करने की सुविधा के लिए +केरल में ई-परिहरण भी शुरू किया गया +है। शिकायतें एसएमएस, वाट्सऐप्प, ई-मेल +आदि के जरिये भी प्राप्त की जा सकती हें। +जी 2 सी (सरकारी विभागों) से परे +सार्वजनिक शिकायतें + +यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि +सार्वजनिक शिकायतों को केवल सरकारी +विभागों से नागरिकों के संपर्क तक सीमित +नहीं किया जा सकता। नागरिक जब कुछ +वस्तुएं खरीदते या सेवाओं का लाभ उठाते +हैं, तो भी उनको काफी शिकायतें हो सकती +हैं, जो उपभोक्ता संरक्षण के दायरे में आती +हैं। एकीकृत शिकायत निवारण तंत्र (इनग्राम) +एक ऐसा पोर्टल है, जिसे उपभोक्ता मामले +विभाग द्वारा उपभोक्ताओं को अपने असंतोष +के बारे में शिकायतें दर्ज करने की अनुमति +देने के लिए शुरू किया गया है। इसने +सभी हितधारकों, जिसमें उपभोक्ता, सरकारी +एजेंसियां, निजी कंपनियां, विनियामक और +कॉल सेंटर शामिल हैं, को एक ही मंच पर +लाने का काम किया है। +भावी दृष्टिकोण + +सार्वजनिक सेवाओं और शिकायत +निवारण के भविष्य को देखते हुए कुछ +ऐसे बुनियादी सिद्धांत हैं, जिन्हें जारी रखने +की जरूरत हो सकती है। इसमें सार्वजनिक +सेवाओं को व्यक्तिविहीन, कागजविहीन और +नकदविहीन बनाना, सबको डिजिटल पहचान +और कनेक्टिविटी प्रदान करना, आधार +सक्षम प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के जरिये + +योजना, फरवरी 2018 + +लाभार्थियों को लाभ पहुंचाना, प्रपत्र और +प्रक्रिया को सरल बनाना तथा ई-मंच प्रदान +करना शामिल है। सुशासन पर सचिवों के +समूह ने अपनी रिपोर्ट में पाया कि सेवा +वितरण अधिकारियों के लिए क्षमता निर्माण, +अद्यतन ज्ञान, प्रक्रियाओं को व्यवस्थित बनाने, +उचित निगरानी और सरकारी कर्मचारियों के +बीच ज्यादा पारदर्शी और जवाबदेह शासन +की दिशा में अनुशासनात्मक बदलाव जरूरी +है। सेवा का अधिकार अधिनियम के तहत +जन-जागरूकता अभियान भी जरूरी है। इस +अधिनियम के तहत अनुरोध और अपील +दर्ज करने की प्रणाली और प्रक्रियाओं को +ई-गवर्नेंस के माध्यम से दाखिल करने हेतु +वैकल्पिक माध्यम प्रदान करने के लिए सरल +और अभिनव प्रक्रियाओं की आवश्यकता है। +इसके अलावा जागरूकता बढ़ाने तथा जनता +को रि-इंजीनियरिंग सिस्टम के जरिये परेशानी +मुक्त शिकायतें दर्ज कराने हेतु मीडिया और +नागरिक समूह से रचनात्मक सहयोग प्राप्त +करने के लिए संस्थागत तंत्र स्थापित किया +जाना चाहिए। इन मुद्दों को प्राथमिकता के +स्तर पर केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा निपटाया +जाना चाहिए। + +सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी को +अपनाने के बाद सरकार ने विभिन्न स्तरों पर +महत्वपूर्ण प्रगति की है। सरकारी कर्मचारियों +की बॉयोमीट्रिक उपस्थिति से लेकर सभी +योजनाओं के लाभार्थियों के आंकडे को + +डिजिटलीकृत करना, आधार नंबर के साथ +जोड़ना, लाभार्थियों के प्रमाणीकरण के लिए +पीओएस मशीन का इस्तेमाल करना और धन +को आधार से जुड़े बैंक खातों में हस्तांतरित +करने जैसे कदमों ने सार्वजनिक सेवाओं के +वितरण के तरीके में उल्लेखनीय सुधार किया +है। कल्याणकारी योजनाओं को आधार से +जोड़ने पर रिसाव खत्म हुआ और लाभार्थियों +की सूची से नकली और फर्जी लाभार्थियों को +हटाने में मदद मिली। प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण +योजना & Tet (dbtbharat.gov.in) Tals +गेस और खाद्य सब्सिडी देने की योजना +पहले ही शुरू कर दी गई है और 2017 में +उर्वरकों के लिए अलग लाभार्थी मॉडल तैयार +किया गया है। प्रधानमंत्री जन-धन योजना भी + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +आधार से जोड़ने पर ज्यादा प्रभावी हो गई है। +सारणी-1: ई-ताल के तहत लेन-देन +की संख्या ( मिलियन में ) +वर्ष | कुल लेन-देन | मासिक लेन-देन +2013 | 2,418 6.5 +2014 | 3,577 9.6 +2015 | 7,608 20.7 +2016 | 10,898 29.6 +2017 | 30,191 82.5 +ala: etaal.gov.in + + + + + + + +ई-ताल के तहत, जो ई-गवर्नेंस +परियोजनाओं के इलेक्ट्रनिक्स लेन-देन का + + + + + +भारत में गुणवत्ता आधारित लोक सेवा +वितरण और 1$ 15700:2005 के +अंतर्गत इनका प्रमाणन + + + + + + + +15 + + + +0016.txt +<----------------------------------------------------------------------> +प्रसार करने वाला एक वेब पोर्टल है, कैलेंडर +वर्ष 2017 में 3500 से अधिक सेवाओं में +30 अरब से अधिक लेन-देन किया गया +है। ई-ताल पर दर्शाएं गए लेन-देन की +संख्या, वर्ष 2013 में प्रति दिन मात्र 65 +लाख थी, जो अब बढ़कर प्रति दिन 8.2 +करोड़ के आंकडे को पार कर गई है। (देखें +सारणी 1) यह स्पष्ट रूप से इंगित करता +है कि ई-सेवा तेजी से नागरिकों के साथ +संपर्क का तरीका बनती जा रही है। देश +के दूर-दराज के इलाकों में भी मोबाइल +फोन, स्मार्ट फोन और वाट्सऐप्प, इत्यादि +जैसे प्रौद्योगिकी को अपनाने की गति देखते +हुए अब कोई संदेह नहीं रह गया है कि कुछ +वर्षो में शायद ही कोई सेवा बचेगी, जिसमें +मानवीय हस्तक्षेप की जरूरत रहेगी। +सीपीग्राम्स एक प्रमुख पहल के रूप में +उभरा है और इसमें न सिर्फ केंद्र सरकार, +बल्कि सभी राज्य सरकारों और उप-राज्य +स्तरों (जिन्हें पोर्टल से जोड़ने की आवश्यकता +है) के लोक-शिकायत निवारण के एक +प्रमुख मंच के रूप में उभरने की क्षमता हे। + +यह सभी प्रमुख स्थानीय भाषाओं में उपलब्ध +होना चाहिए। + +अगले पंद्रह वर्षों में भारत को उस +शासन व्यवस्था में पहुंचना चाहिए, जहां +सेवा मानक दुनिया में सर्वोत्तम है। नागरिकों +के लिए सभी सरकारी सेवाओं (जी 2 सी +सेवाओं) को ऑनलाइन चलाना चाहिए (शुरू +से लेकर अंत तक), लोगों को लाइसेंस, +मंजूरी, प्रमाणपत्र, पंजीयन, सामाजिक लाभ, +आदि किसी भी जरूरत के लिए किसी भी +सरकारी दफ्तर का चक्कर लगाने या किसी +सरकारी अधिकारी से मिलने की जरूरत को +खत्म किया जाना चाहिए। सार्वजनिक सेवा +वितरण अधिनियम पहले से ही बीस राज्यों +में लागू है और अन्य राज्यों को भी इसका +पालन करने की आवश्यकता है। + +जहां तक उपभोक्ता शिकायतों की बात +है, निवारण प्रणाली को ज्यादा कुशल और +पारदर्शी बनाने में सूचना प्रौद्योगिकी औजारों +की उपयोगिता की दिशा में आगे बढ़ने के +लिए लंबा रास्ता तय करना है। व्यापक +प्रसार और नागरिकों को अपने अधिकारों + +और शिकायत निवारण के अवसरों के बारे +में जागरूकता के दृष्टिकोण को समझाने के +लिए. जायो ग्राहक जायो जैसी पहल मुख्य +आधार बने। इसके अलावा, कोंफोनईटी +स्कीम के अंतर्गत, सभी उपभोक्ता मंचों को +कम्प्यूटरीकृत करके नेटवर्क से जोड़ा जाना +चाहिए, ताकि सूचना के ऑनलाइन प्रसार +को सक्षम किया जा सके और मामलों के +त्वरित निपटान को सुनिश्चित किया जा सके। +इसलिए, नव भारत, 2022 की ओर अग्रसर +रणनीतिक योजना में कई अत्याधुनिक और +अभिनव पहल के माध्यम से सार्वजनिक +शिकायतों के निवारण के लिए ई-गवर्नेंस +प्रक्रियाओं का उपयोग करना होगा और यह +सुनिश्चित करना होगा कि उनका उपयोग +ज्यादा से ज्यादा संभव हो सके। जागरूकता +बढ़ाने, सूचना का प्रसार और जनता द्वारा +अधिक भागीदारी के साथ-साथ यह राष्ट्रों +के सद्भाव के बीच ई-गवर्नेंस मॉडल के +जरिये सार्वजनिक अधिकार निवारण प्रणाली +में अग्रणी राष्ट्रों में भारत को उभरने में मदद +करेगा। Q + + + + + + + + + + + + + + + +185 टॉपर से जानें +प्रकाशन की गौरवशाली परंपरा 1॥[75 ८5 परीक्षा T A सफलता के ठिप्सि + + + + + +यूपीएससी की वर्ष 2014 की सिविल सेवा परीक्षा में 13वीं रैंक हासिल करने वाले +निशान्त जैन, हिंदी/भारतीय भाषाओं के माध्यम के टॉपर हैं। मुख्य परीक्षा में देश के तीसरे +सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वाले निशान्त ने निबंध और वैकल्पिक विषय के प्रश्न-पत्र में +सर्वाधिक अंक प्राप्त किए थे। इतिहास, राजनीति विज्ञान व अंग्रेजी में ग्रेजुएशन और हिंदी +साहित्य में पोस्ट-ग्रेजुएशन के बाद यूजीसी की नेट-जे.आर.एफ. परीक्षा उत्तीर्ण कौ। + + + + + + + +» परीक्षा की समग्र, संपूर्ण और व्यापक तैयारी + +७२8८ प्रतियोगियों के लिए क्‍यों जरूरी है यह पुस्तक? + +« प्रारंभिक का कुक परीक्षा और इंटरव्यू + +केटिप्स के लिए विस्तृत fet +» तैयारी के अनछुए पहलुओं पर खुलकर चर्चा. # निबंध और एथिक्स में श्रेष्ठ अंक कैसे पाएँ +हैं. 100०० » परीक्षा के लिए केसे सँवारें अपना व्यक्तित्व ० क्या पढ़ें, क्या न पढ़ें और कैसे पढ़ें +* सकारात्मकता और मोटिवेशन लेवल कैसे « नए पैटर्न में कैसी हो प्रासंगिक रणनीति +बनाए रखें * साथ में सफलता की कुछ अनकही कहानियाँ +»« लेखन कौशल को कैसे सुधारें भी + + + +सिविल सेवा परीक्षा के अभ्यर्थियों की उलझनों को सुलझाने के लिए मददगार पुस्तक। + +--आनंद कुमार (सुपर 30) + + + + + + + +परीक्षा की तैयारी में मदद करने के साथ ही सकारात्मकता से भरपूर एक मोटिवेशनल पुस्तक। --गौरब अग्रवाल, 18$ + + + + + + + +a + + + +९ b boo @g a re] + + + + + + + +|: प्राच्यात प्र्ठाह्शाज 4/19 आसफ अली रोड, नई दिल्‍ली-110002 TF 011-23257555 + +हेल्पलाइन नं. है 7827007777 )2 अब आपके नजदीकी बुक स्टॉल और धााध्चद्र01 पर ऑनलाइन उपलब्ध। + + + + + +16 + +योजना, फरवरी 2018 + +YH-743/2017 + + + +0017.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +लोक शिकायत समाधान: सुशासन की चुनौतियां + + + + + + + + + + + +जनशिकायतें उन समस्याओं और +चुनौतियों को प्रतिबिंबित करती +हैं, जिनसे सेवाओं की डिलीवरी +और प्रशासन से जुड़े संस्थान +जूझ रहे हैं। ये उन समस्याओं +से निपटने का भी मौका मुहैया +कराती हैं, जो भविष्य में जन +असंतोष के रूप में सामने आ +सकते हैं। शिकायतों के बारे +में जागरूकता इनसे असरदार +तरीके से निपटने की पहली +शर्त है। अगर शासन को सुधारने +या जनता का भरोसा जीतने +का मकसद है, तो आवाज को +दबाने के बजाय इसे मुखर +बनाने को प्रोत्साहन दिया जाना +चआहिए। जनशिकायतों को समय +पर पकड़ने और इसके सटीक +विश्लेषण से सार्वजनिक संस्थानों +को चीजों से सही तरीके से +निपटने का मौका मिलता है + +डॉली अरोड़ा + +न शिकायतों को किसी भी + +| जज प्रणाली में देश के शासन का +1. अहम संकेतक होता है। लोकतंत्र + +में सरकार की वैधता मुख्य तौर पर सरकारी +भरोसे और समर्थन पर निर्भर करती है, जो +अक्सर शासन मुहैया कराने की गुणवत्ता से +संबंधित होती है। + +दक्ष और असरदार सार्वजनिक संस्थाएं वह +बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराती हैं, जिन पर +लोगों के भरोसे का माहौल विकसित किया जा +सकता है और प्रशासन और सेवा मुहैया कराने +के जरिये लोगों को संतुष्टि दी जा सकती है। + +इतिहास इस बात का गवाह है कि +जनता के असंतोष ने कई सत्ताओं का तख्ता +पलट किया है। लोकतांत्रिक देशों में बदलाव +शांतिपूर्ण और सुगम तरीके से होते हैं, जबकि +गैर-लोकतांत्रिक देशों में हिंसात्मक कार्रवाइयां +भी देखने को मिलती हैं और बदलाव अचानक +से होते हैं। बहरहाल, जन असंतोष शिकायतों +की लहर में ही उभरता है। शिकायत बढ़ने +के साथ असंतोष भी तेज होता है। लिहाजा, +जनशिकायत किसी भी सरकार के सामने सबसे +अहम चुनौती होती है। हालांकि, यह चुनौती +बेहद जटिल होती है और इसमें कई दायरों पर +'फोकस करने और कई स्तरों पर दखल देने की +जरूरत होती है। इसके तहत (अ) शिकायतों +के इजहार के लिए जगह बनाकर उसे समय +पर पेश करना; (ब) मजबूत शिकायत तंत्र +बनाकर मौजूदा शिकायतों का निपटारा करना; +(स) जरूरत के हिसाब से संस्थागत सुधार +या वैकल्पिक नीतियों पर काम करना और +शिकायतों की मूल वजहों से निपटते हुए +शिकायत मुक्त शासन का लक्ष्य शामिल हैं। +सवाल यह है कि हमें भारत में जनशिकायतों +के परिदृश्य के विकास को कैसे समझना + +चाहिए और इसकी चुनौती से किस तरह निपटा +जाए। +शिकायतों की जटिलता + +निपटारा या रोकथाम की संभावनाओं के +आकलन से पहले जनशिकायतों की जटिलता +को समझने की जरूरत है। शिकायतों की +मौजूदगी कई क्षेत्रों में होती है। सरकारी संस्थानों +मसलन विभिन्न मंत्रालयों एवं केंद्र और राज्य +सरकारों के अलावा स्थानीय स्तर के विभागों +में भी शिकायत का दायरा होता है। साथ ही, +कई क्षेत्रों में सेवा मुहैया कराने की जिम्मेदारी +अब सरकार से हटकर प्राइवेट क्षेत्र और सिविल +सोसायटी से जुडे संस्थानों की तरफ पहुंच +गई है, लिहाजा इनसे जुड़ी शिकायतों में भी +बढ़ोतरी हुई है। अलग-अलग शिकायतों से +जुडे संबंधित पक्षों में जन प्रतिनिधि, प्रशासक , +प्रबंधक, नियोक्‍ता, नियामक, सेवा प्रदाता, सेवा +का इस्तेमाल करने वाले और संविधान और +कानून प्रणाली के तहत अधिकार हासिल करने +वाले नागरिक शामिल हैं। कई शिकायतें भर्ती, +कामकाजी हालात, मेहनताना, भत्ते, सेवा शर्तों, +बर्खास्तगी सेवा और अन्य मामलों से जुड़े होते +हैं। इनमें से कुछ विकास योजनाओं, उनके +अमल, फायदे के समय पर हस्तांतरण आदि से +संबंधित होते हैं। इसके अलावा, ये सेवाएं नहीं +दिए जाने या स्वास्थ्य से संबंधित अधिकारों, +शिक्षा और बैंक, संचार जैसी अन्य सेवाएं से +भी संबंधित हो सकते है। + +हर क्षेत्र में शिकायत के कुछ मामले एक +ही प्रकृति के होते हैं, लेकिन कई शिकायतें +प्रशासकों को सौंपी गई खास जिम्मेदारी और +संबंधित क्षेत्र में नागरिकों के अधिकार से जुड़ी +होती है। शिक्षा संबंधी शिकायत के मामले में +मिसाल के तौर पर फीस रिफंड, स्थानातंरण +प्रमाण पत्र, डिग्री, परीक्षा, नतीजे, स्कॉलरशिप, + + + +लेखिका भारतीय लोक प्रशासन संस्था में राजनीति विज्ञान की प्रोफेसर हैं। प्रशासन व लोक नीति से जुड़े मसलों पर उनकी रचनाएं प्रकाशित होती रही हैं और वे सरकार +की कई नीति मूल्यांकन अध्ययनों से जुड़ी रही हैं। वे कई सरकारी व अकादमिक समितियों से भी जुड़ी रही हैं। ईमेल: #ण-३१०ाएद्लेत1णाए।क्षो. "गा + +योजना, फरवरी 2018 + +17 + + + +0018.txt +<----------------------------------------------------------------------> +शोध कोष,शिक्षकों की उपलब्धता और शिक्षा +की बाकी स्थितियां और नियामकी संस्थानों +की भूमिका शामिल हैं। इनमें कई संबंधित पक्ष +शामिल होते हैं- छात्र, शिक्षक, दाखिला लेने +वाले, प्रशासक नियामक या शिक्षा मुहैया कराने +वाले संस्थान आदि। कभी-कभी इसमें टकराव +वाला मामला भी रहता है। + +जनशिकायतें कई परिस्थितियों में पैदा +होती हैं: लाभ या अधिकार को लेकर +विवाद, नियमों की व्याख्या, अधिकार के +गलत इस्तेमाल को लेकर शिकायत, गलत +फैसले, पक्षपात, भेदभाव भ्रष्टाचार या खास +तरह की गड॒बियां। ये शिकायतें निजी शख्स +से जुड़ी हो सकती हैं या किसी पहचान +या परिस्थितियों की वजह से इसमें कुछ +लोगों का समूह शामिल हो सकता है। लिंग, +जाति, आदिवासी पहचान या महिलाओं के +अधिकार, अनुसूचित जाति और जनजाति के +अधिकारों के उल्लंघन से जुडे मामलों में +पिछले कुछ सालों में बढ़ोतरी हुई है। + +साझा परिस्थितियों के आधार पर तैयार +समूहों की शिकायतें अक्सर काफी अलग-अलग +होती हैं। मसलन विस्थापित लोगों का मामला, +जंगलों में रहने वाले, रोजगार चाहने वाले, +छात्र, शिक्षक, सरकारी कर्मचारी, बुनकर, +हॉकर, मेहतर, कर भुगतान करने वाले आदि। +समूह शिकायतें लाभार्थी योजनाएं या विशेष +समूह मसलन गरीब, बेरोजगार, विधवा आदि +या सेवा का इस्तेमाल करने वाले या मोबाइल, +इंश्योरेंस और पानी-बिजली का इस्तेमाल करने +वाले आदि में देखने को मिलती हैं। इस तरह +के समूह निजी शिकायतों के लिए भी आवाज +उठाती हैं, जो कभी-कभी जगह या समय +आधारित होती हैं। + +हालांकि, ये अक्सर सामूहिक निपटारा या +प्रशासनिक या नीति के स्तर पर मुद्दों को दुरुस्त +करने या रोकथाम की संभावना पेश करते हें। +विकास + +आजादी के बाद भारत में सार्वजनिक +शिकायतों का दबाव महसूस होना शुरू हुआ। +दरअसल, राजनीतिक सत्ताओं को राजनीति के +समर्थन में बदलाव से भी जूझना पड़ा। सरकारी +तंत्र से उम्मीदों के पूरे नहीं होने के कारण +इस असंतोष को रोकने के लिए तंत्र की +जरूरत अपरिहार्य हो गई। लोगों की शिकायतों +को दूर करने के लिए 1960 के दशक के +मध्य प्रशासनिक सुधार राजनीतिक विमर्श का +अहम हिस्सा हो गया। हालांकि, 1987 में +हुए मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन और प्रभावी व + +18 + +नागरिक केंद्रित प्रशासन के लिए कार्य योजना +को स्वीकार किए जाने के बाद सार्वजनिक +शिकायत निपटारा तंत्र बनाने के अभियान को +रफ्तार मिली। + +इसके बाद तीन अहम तंत्र तैयार करने +के लिए संयुक्त स्तर पर कोशिशें हई। इसके +तहत केंद्र और राज्य सरकारों के सभी +विभागों और मंत्रालयों में नागरिक घोषणापत्र, +सूचना व सुविधा काउंटर और जनशिकायत +निपटारा मशीनरी बनाई गई। इस अभियान +में शुरुआती दौर में काफी उत्साह देखने को +मिला और इससे संबंधित पद्धति को मजबूत +करने के लिए डीएआरपीजी से कई तरह के +निर्देश मिल रहे हैं। इस सिलसिले में बाद में +अपनाए गए सेवोत्तम मॉडल में जनशिकायत +निपटारा तंत्र केंद्र में था। इस मॉडल को बाद +में स्वीकार किया गया और ये नतीजे से जुड़े +ढांचागत दस्तावेज में अहम वेरिएबल था। + +लोगों की शिकायतों को दूर करने +के लिए 1960 के दशक के मध्य +प्रशासनिक सुधार राजनीतिक विमर्श +का अहम हिस्सा हो गया। हालांकि, +1987 में हुए मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन +और प्रभावी व नागरिक केंद्रित प्रशासन +के लिए कार्य योजना को स्वीकार किए +जाने के बाद सार्वजनिक शिकायत +निपटारा तंत्र बनाने के अभियान को +रफ्तार मिली। + +भारत में शिकायत निपटारा पद्धति के +विकास में दो अहम चीजें इस तरह रहीं- पहला +मंत्रालयों, विभागों व संगठनों में सार्वजनिक +शिकायत सेल का बनना और शिकायत निपटारा +की जिम्मेदारी एक तयशुदा अफसर को सौंपना। +साथ ही, चुनिंदा संस्थानों में जनशिकायतों के +निपटारे के लिए डीपीजी बनाना। + +वेब आधारित केद्रीय सार्वजनिक +शिकायत निफ्टय और निगरानी सिस्टम +(सीपीजीआरएएमएस) बनाने का मकसद भारत +सरकार के 94 मंत्रालयों, विभागों व संगठनों में +लोगों की शिकायतें स्वीकार करने की प्रक्रिया +को एक समान बनाना था। उम्मीद जताई गई +थी कि इससे लोग किसी भी समय अपनी +शिकायत का निपटारा कर सकेंगे और इस +पर नजर भी बनाए wa wet पद्धति में +संबंधित एजेंसी द्वारा शिकायतों की निगरानी +और विश्लेषण की सहूलियत थी और निरोधक + +कार्रवाई के अलावा चीजों का दुरुस्त करने के +लिए पहल का भी प्रावधान था। + +भारत सरकार के मंत्रालयों, विभागों और +संगठनों में शिकायत निपटारा तंत्र की समीक्षा +का काम 2008 में हुआ। हालांकि, इसमें पाया +गया कि पर्याप्त अधिकार, मानव संसाधन की +मदद या अफसरों की लापरवाही के कारण यह +तंत्र मोटे तौर पर बेअसर रहा है। सार्वजनिक +शिकायत तंत्र को भी जनशिकायतों से ज्यादा +कर्मचारियों के दबाव का सामना करना पड़ा। +सीपीजीआरएएमएस को प्रशासन को बेहद +कारगर बनाने की उम्मीदों के साथ स्थापित +किया गया था। हालांकि, जागरूकता की +कमी, टेक्नोलॉजी की उपलब्धता का अभाव +और लोगों का भरोसा काफी कम होने के +कारण इस तंत्र का ज्यादा इस्तेल नहीं हुआ। +टेक्नोलॉजी में निवेश और क्षमता निर्माण के +लिए प्रशिक्षण में निवेश के बावजूद हाल तक +इस दिशा में ज्यादा प्रगति नहीं हुई। तमाम +कोशिशों के बावजूद जनशिकायत निपटारा एक +बड़ी चुनौती बना रहा। +उभरता परिदृश्य + +बहरहाल, सूचना प्रौद्योगिकी के तेजी +से फैलने, इंटरनेट की उपलब्धता बढ़ने +और शिकायत निपटारा तंत्र के बारे में +जागरूकता बढ़ने से पिछले कुछ सालों में +सीपीजीआरएएमएस अभियान का उपयोग +काफी बढ़ा है। प्रगति प्लेटफॉर्म जेसे सहयोगी +तंत्र और सोशल मीडिया के कारण भी इस +सिलसिले में टेक्नोलॉजी इटरफेस को मजबूत +बनाने में नई दिलचस्पी पैदा हुई है। + +शिकायतें लेने के लिए डीएआरपीजी +और डीपीजी के अलावा पीएमओ भी नोडल +एजेंसी बन गया है। ऐसी शिकायतों की संख्या +में 2014 के मुकाबले अब तक सात गुना +बढ़ोतरी हुई है। हालांकि, इस बात पर विवाद +हो सकता है कि यह शिकायतों में बढ़ोतरी +की तरफ इशारा करता है या निपटारा प्रक्रिया +में लोगों के शामिल होने में तेजी का संकेत +है लेकिन यह बात उल्लेख करने योग्य हे +कि 40 फीसदी शिकायतें दो मंत्रालयों से +जुड़ी थीं-25 फीसदी वित्त मंत्रालय से और +17 फीसदी सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से +संबंधित थीं। शिकायतों के निपटारे की कुल +दर काफी ऊंची रही। निपटारे का आंकड़ा 97 +फीसदी है। हालांकि, अलग-अलग विभागों +और मंत्रालयों में शिकायतों के निपटारे में +लगने वाले समय और इसकी दर में थोडा +सा अंतर हेै। + +योजना, फरवरी 2018 + + + +0019.txt +<----------------------------------------------------------------------> +इस अंतर और इसकी वजहों के विश्लेषण +और इसमें सुधार की कई संभावनाओं पर प्रकाश +डाल सकते हैं। मुद्दा आधारित विश्लेषण भी +सार्थक हो सकता है, बशर्ते पोर्टल पर रजिस्टर +की गई शिकायतों को उचित श्रेणी में डाला +गया हो और उसे व्यापक श्रेणी में डालने के +बजाय खास श्रेणी में डाला गया हो। शिकायतों +की श्रेणी या कैटेगरी का इस्तेमाल आमतौर +पर नोडल एजेंसियां द्वारा किया जाता है। कम +से कम शिकायतों का वर्गीकरण जरूरत के +हिसाब से संबंधित एजेंसी के स्तर पर किया +जाना चाहिए, ताकि ऑनलाइन विश्लेषण में +शिकायतों की मूल प्रकृति के बारे में जानकारी +हासिल की जा सके। + +प्रधानमंत्री के स्तर पर इस बात को पक्का +करने की पुरजोर कोशिश की जा रही है +कि लंबित मामले कम हों और शिकायतों के +निपटारे में लगने वाला वक्‍त घटकर एक महीना +हो जाए। 23 मार्च 2016 को प्रगति संवाद के +दौरान सबसे ज्यादा शिकायतें हासिल करने वाले +20 मंत्रालयों व विभागों के लिए डीएआरपीजी +की तरफ से किए गए काम का विश्लेषण +किया गया। + +शिकायतों को तेजी से निपटाने के लिए +मंत्रालयों व विभागों को अपनी नीतियों व +प्रक्रियाओं की समीक्षा कर उन्हें दुरुस्त बनाने +का निर्देश दिया गया। डीएआरपीजी ने पाया +कि मंत्रालयों व विभागों को उन शिकायतों +को वापस करने में काफी समय लग जाता +है, जो उनके संबंधित विभाग के नहीं होते हैं। +इसी तरह, संलग्न व सहायक दफ्तरों ने उन +शिकायतों को लौटाने में लंबा वक्‍त लगाया, जो +उनके मंत्रालय व विभागों से नहीं जुड़े थे। इस +वजह से कई मामले लंबे समय तक के लिए +अटक गए। + +लिहाजा, यह सुझाव दिया गया कि मंत्रालय +व विभागों को मिलने वाली शिकायतों की तेजी +से पड़ताल करनी चाहिए और अधिकतम पांच +कामकाजी दिनों के भीतर वैसी शिकायतों को +वापस कर दिया जाना चाहिए, जो उनसे जुड़ी +नहीं हैं। मंत्रालय व विभागों के तहत सभी जुड़े +हुए और सहायक संगठनों को भी इस हिसाब +से निर्देश जारी किया जाना चाहिए। यह वाकई +में तारीफ के काबिल है। हालांकि, जमीनी स्तर +पर शिकायतों के निपटारे की हकीकत वैसी +नहीं, जो पोर्टल में नजर आती है। +सुधार बनाम निपटारा + +इन निर्देशों का पालन करने की उत्सुकता +में कुछ विभाग या संस्थान जल्दबाजी में दूसरी + +योजना, फरवरी 2018 + + + +ण्जेंसी से संपर्क करने के सुझाव के साथ +मामलों को निपटा देते हैं। इसमें कभी-कभी +सहायक कार्यालय से संपर्क करने की सलाह +भी दी जाती है। कुछ मामलों में शिकायत को +उस एजेंसी को भेजा जाता है, जिसके खिलाफ +शिकायत भेजी जाती है और कुछ दूसरे मामलों +में ऑनलाइन शिकायत का मामला इसे एजेंसी +के पोर्टल या किसी शिकायत कमेटी के पास +भेजने की सलाह के साथ निपटाया जा रहा है। + +ये राय सीपीजीआरएएमएस पोर्टल पर +आधारित शिकायतों के सीमित सैंपलों के +हालिया विश्लेषण पर आधारित हैं। हालांकि, +शिकायतें दूर करने से जुड़े वास्तविक मुद्दों से +निपटने में सभी मंत्रालयों, विभागों और संगठनों +के निपटारे की प्रक्रिया के व्यापक अध्ययन +की जरूरत है। यहां तक कि जहां माना जाता +है कि शिकायतें दूर कर दी गई हैं, वहां भी +इस बात की तस्दीक नहीं हो पाती है कि इससे +पीड़ित संतुष्ट है या सिर्फ आधिकारिक स्थिति +को सिर्फ दोहराए जाने का मामला है। प्रक्रिया +के सिलसिलेवार विश्लेषण और निपटारे को +लेकर मिली राय ही इस पर रोशनी डाल सकती +हैं। डीएआरपीजी ने भी कई मामलों में इस बात +को लेकर चिंता जताई कि शिकायतकर्ता को +वजहों के बारे में जानकारी दिए बिना शिकायतों +को बंद कर किया जाता है। इसके लिए उसने +मामले को बंद करने के लिए ठोस वजह बताने +की खातिर निर्देश भी जारी किए। हालांकि, कई +मामलों में ऐसा नहीं किया जा रहा है। + +सोशल मीडिया +दिन-रात संवादपूर्ण सरकार + + + +संघीय पहलू + +सीपीजीआरएएमएस पर मिलने वाली कई +शिकायतें राज्य सरकारों से जुड़ी हैं- यूपी, +महाराष्ट्र और दिल्‍ली इसमें सबसे आगे हैं। इन +शिकायतों की प्रकृति और इनकी वजहों के +बारे में पड़ताल करना जरूरी है। कुछ राज्यों +द्वारा सार्वजनिक सेवा गारंटी कानून के अपनाए +जाने से शिकायतों में बढ़ोतरी या गिरावट हुई +है? क्‍या कुछ राज्यों ने अन्य कदमों के बजाय +केंद्र सरकार की तरफ देखने की प्रवृत्ति दिखाई +है? या इस मामले में केंद्र सरकार की मानी +जाने वाली प्रासंगिकता के कारण अस्थिरता +रही है। इस बात की पड़ताल भी जरूरी +है कि क्‍या राज्यों से जुड़ी सभी शिकायतें +उन्हें भेजी जाती हैं या नहीं, और अगर इन +शिकायतों को भेजा जाता है, तो क्या जवाब का +इंतजार किया जाता है या एक साथ निपटारा +होता है। सीपीजीआरएएमएस पर मिली कुछ +शिकायतों के हालिया विश्लेषण से खुलासा +हुआ है कि याचिकाकर्ता को राज्य सरकार से +संपर्क करने को कहा गया था और शिकायत +को आगे बढ़ाने का या भेजने के बजाय बंद +कर दिया गया। शिकायतों का कोई हल नहीं +किया गया। यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि +सीपीजीआरएएमएस संघीय ढांचे के मिजाज पर +अतिक्रमण किए बिना समन्वयक की भूमिका +अदा करे। पोर्टल पर राज्यों का प्रदर्शन उन पर +छोड़ दिया जा सकता है, लेकिन जनशिकायत +दर्ज होने और अधिकार क्षेत्र का विवाद होने + +19 + + + +0020.txt +<----------------------------------------------------------------------> +की स्थिति में केंद्र सरकार की समन्‍्यवक की +भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। +नतीजा जनता को दिखना चाहिए। +सार्वजनिक सेवा के निजी प्रावधान + +शासन की बदली पद्धति के कारण सेवाएं +मुहैया कराने का काम निजी इकाइयों की तरफ +केंद्रित हो गया है। ऐसे में यह पक्का करने के +लिए जवाबदेही तंत्र को तैयार करने की जरूरत +है कि सेवाओं का इस्तेमाल करने वालों का +अधिकार खतरे में नहीं पड़े और पीड़ित की +शिकायतों को उचित स्तर पर दूर किया जा +सके। कुछ मामलों में नियामकीय प्राधिकरण +तैयार किए गए हैं और इन संस्थानों की +स्वायत्तता पर सवाल खडे हुए हैं। नियामकों पर +सरकारी और प्राइवेट दोनों तरह के खिलाडियों +के प्रभाव का असर सेवाओं के इस्तेमाल करने +वालों के लिए निपटारे की उनकी क्षमता पर +पड़ता है। हालांकि, नियामकीय एजेंसियों की +जवाबदेही के सिलसिले में स्वायत्तता की अपनी +चुनौतियां होती हैं। ऐसे में इन संस्थानों को +पारदर्शी बनाकर इनकी सार्वजनिक जवाबदेही +जरूरी हो जाती है। + +फैसलों की प्रक्रिया और वजह को +सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए खुला रखने से +उनके खिलाफ शिकायतें कम करने में मदद +मिल सकती है। साथ ही, इससे सेवा प्रदाताओं +के खिलाफ शिकायतों के असरदार निपयरे में +मदद मिलेगी। कई शिकायतों में जटिल मुद्दे होते +हैं और अधिकार क्षेत्र के अतिक्रमण का भी +मामला होता है। ऐसे में शिकायतों के निपटारे +के लिए नियमों, नियमन, प्रक्रियाओं, अधिकार +क्षेत्र के बारे में स्पष्टीकरण और निपटारे के लिए +उचित तंत्र की जरूरत होती है। इसके अलावा, +कई शिकायतों की हालत में कई प्राधिकरणों के +बीच समन्वय का मुद्य भी होता है। + +इन मुद्यें और पीड़ितों को कई प्राधिकरणों +के बीच घूमते रहने के बजाय इस तरह के +एकीकृत कदम के लिए उचित तंत्र जरूरी है। +इस जटिलता के मद्देनजर, यह अहम है कि +शिकायत निपटारा के लिए उचित स्तर पर इस +तरह के तंत्र बनाए जाएं, ताकि संपर्क और +असर से जुड़ी शिकायतों को सही तरीके से दूर +किया जा सके। + +संपर्क की सहूलियत से तंत्र का +विकेद्रीकरण बढ़ सकता है। हालांकि, इसमें +स्थानीय पूर्वग्रह का मुद्दा आ सकता है और +स्वायत्त ढांचा जब तक तैयार नहीं होता, तब +तक शिकायत का निपटारा नहीं हो सकता हे। +वैसे इसमें अपील के लिए गुंजाइश है। + +20 + +केंद्रीकृत ऑनलाइन तंत्र इस चुनौती से +निपट सकता है और अलग-अलग प्राधिकरणों +के बीच जनता की स्थिति को बेहतर बना सकता +है। साथ ही, पारदर्शिता और निगरानी की भी +गुंजाइश बनेगी। + +हालांकि, इसका प्रभावी होना इन शर्तों पर +निर्भर करता है- + +(अ) तकनीक से संपर्क और लिखने-पढ़ने +की क्षमता जैसे मुद्दों से कैसे निपटा जाए; + +(ब) यह सुनिश्चित करने के लिए किस +तरह से जवाबदेही तंत्र तैयार किया जाए कि +लोगों की शिकायत को निपटाने का मतलब इसे +बंद किया जाना नहीं माना जाए। + +लिहाजा, एक साथ कई अन्य तंत्रों के +इस्तेमाल की जरूरत है: मसलन लोक अदालत, +जन सुनवाई, सामाजिक ऑडिट, मोबाइल एप्स +आदि के जरिये उन लोगों को इस प्रक्रिया +में शामिल किया जाए सके, जो शायद +सीपीजीआरएएमएस से वंचित हें। + +सूचना प्रौद्योगिकी के तेजी से +फैलने, इंटरनेट की उपलब्धता बढ़ने +और शिकायत निपटारा तंत्र के बारे में +जागरूकता बढ़ने से पिछले कुछ सालों +में सीपीजीआरएएमएस अभियान का +उपयोग काफी बढ़ा है। प्रगति प्लेटफॉर्म +जैसे सहयोगी तंत्र और सोशल मीडिया +के कारण भी इस सिलसिले में +टेक्नोलॉजी इंटरफेस को मजबूत बनाने +में नई दिलचस्पी पैदा हुई है। + +मौके के तौर पर जनशिकायतें + +जनशिकायतें उन समस्याओं और चुनौतियों +को प्रतिबिंबित करती हैं, जिनसे सेवाओं की +डिलीवरी और प्रशासन से जुड़े संस्थान जूझ रहे +हैं। ये उन समस्याओं से निपटने का भी मौका +मुहैया कराती हैं, जो भविष्य में जन असंतोष +के रूप में सामने आ सकते हैं। शिकायतों +के बारे में जागरूकता इनसे असरदार तरीके +से निपटने की पहली शर्त है। अगर शासन +को सुधारने या जनता का भरोसा जीतने का +मकसद है, तो आवाज को दबाने के बजाय इसे +मुखर बनाने को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। +जनशिकायतों को समय पर पकड़ने और इसके +सटीक विश्लेषण से सार्वजनिक संस्थानों को +चीजों से सही तरीके से निपटने का मौका +मिलता है। + +यह महसूस करना जरूरी है कि शिकायतों +को दूर करने में एकतरफा रवैया कभी-कभी + +सहभागिता के रवैये के मुकाबले कम असरदार +साबित हो सकता है। इसके तहत संस्थानों +के कामकाज या नीतियों को बेहतर बनाने या +शिकायतों को रोकने के लिए लोगों से सुझाव +मांगे जाते हैं। + +शिकायतों और सुझावों के सिलसिलेवार +विश्लेषण और यहां तक कि संबंधित पक्षों की +तरफ से मिले सवाल सुधार के संभावित तरीकों में +बेहतर नजरिया मुहैया करा सकते हैं। + +चूंकि सभी शिकायतें औपचारिक शिकायत +निपटारा तंत्र से जुड़े नहीं होते हैं और संचार की +बाधा सत्ता के ढांचे और संपर्क से जुड़ी होती +है, लिहाजा संचार के अनोपचारिक माध्यमों से +मिली शिकायतों का ध्यान रखना जरूरी है। +इससे शासन व्यवस्था को बेहतर बनाने में मदद +मिल सकती है। +शिकायतों की गैर-मौजूदगी को समझना + +किसी संस्था को मिली शिकायतें उसके +प्रदर्श और शासन-प्रशासन की अपेक्षाकृत +हालत के बारे में बताती हैं। हालांकि, यहां +पर एक सावधानी की भी जरूरत है। अगर +शिकायतें कम हैं, तो इसके बारे में ज्यादा +सकारात्मक आकलन ठीक नहीं है। दरअसल, +मुमकिन है कि इसकी वजह शिकायत के लिए +आवाज उठाने से जुड़े तंत्र का ठीक नहीं होना +और शिकायत दूर होने को लेकर जनता में +भरोसे की कमी आदि हो। हो सकता है कि +बदले की कार्रवाई के डर या निपटारे के लिए +गुंजाशश के अभाव, इसमें लगने वाले समय +और खर्च या पद्धति में भरोसे की कमी के +कारण शिकायतें गुम हो जाती हों। + +बेशक असली चुनौती वैसे शासन की +दिशा में काम करना है, जहां शिकायतें नहीं +मिलती हैं, मगर शिकायतों के सही समय +पर और असरदार निपटारे के लिए बहुतंत्रीय +संस्थान सुनिश्चित करना जरूरी है। इससे +शिकायतों के विश्लेषण और संभावित उपायों +या रोकथाम की रणनीति तैयार करने में भी +मदद मिल सकती है। Q +संदर्भ +« डॉली अरोड़ा: भारत सरकार के मंत्रालयों और + +विभागों में जनशिकायत और निगरानी प्रणाली, + +आईआईपीए, 2008। यह अध्ययन, डीएआरपीजी, + +भारत सरकार के लिए किया गया। +* द इकनॉमिक टाइम्सः 8 दिसंबर 20171 +* सीपीजीआरएएमएस पोर्टल +« नंबर-₹-11017/3/2015-060 ८1, 15 जुलाई + +2016 +© नंबर-₹-11019/4/2015-70, 9 नवंबर 2015; + +ए६-11011/4/2015-70 , 15 नवंबर 2015 + +योजना, फरवरी 2018 + + + +0021.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + +ge प्रवासी सांसद सम्मलेन का उद्घाटन प्रधानमंत्री +द्वारा 9 जनवरी 2018 को नई दिल्ली में किया गया। + +भारतीय मूल के 141 सांसद और महापौर को +सम्मलेन में प्रतिभागिता हेतु आमंत्रित किया गया। मीडिया +से बातचीत करते हुए सचिव, सीपीए एंड ओआईए, +विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारतीय मूल के नागरिकों +ने उन देशों के आर्थिक व सामाजिक उत्थान में +महत्वपूर्ण भूमिका रही है, जहां वे रहते हैं। इन देशों में +हिन्दी, भोजपुरी जैसी भाषाएं, रामायण और महाभारत ग्रंथ +और भारतीय लोककथाएं, साहित्य, पारंपरिक भोजन आदि +न केवल बची हुईं हैं बल्कि काफी समृद्ध स्थिति में हैं +क्योंकि इन देशों में बसे भारतीय अपनी परंपराओं और अपने +रिवाजों के संरक्षण को प्रतिबद्ध हैं। अनुमानतः विभिन्न सांसदों +में और विभिन्न पदों पर मसलन सरकार के मुखिया, राज्य +प्रमुख, सांसद व अध्यक्ष समेत मंत्री पदों पर 270 से अधिक +भारतीय हैं। सम्मलेन का आयोजन भारतीय मूल के नागरिकों +को भारत से जोडे रखने के प्रधानमंत्री के प्रयासों व भारत +द्वारा उन्हें दिए गए अवसरों का लाभ उठाने को ध्यान में रखते +हुए किया गया। + +प्रथम प्रवासी सांसद सम्मलेन के उद्घाटन सत्र में + +प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए भाषण के कुछ महत्वपूर्ण अंशः + +भले ही सौ सालों के इतिहास में कई लोग भारत को +छोड़ कर चले गए किन्तु भारत उनके दिल और दिमाग +पर अभी भी काबिज हे। + +ऐसा प्रतीत होता है कि आज दिल्ली में भारतीय मूल +का छोटा विश्व संसद इकट्ठा हुआ है। उन्होंने कहा +कि आज भारतीय मूल के व्यक्ति मॉरिशस, पुर्तगाल व +आयरलैंड के प्रधानमंत्री हैं। भारतीय मूल के लोग कई +अन्य देशों में सरकार व राज्य के मुखिया रहे हैं। + +गत तीन से चार वर्षों में भारत के प्रति विश्व का नजरिया +बदला है। उन्होंने कहा कि इसका कारण भारत में हो +रहा बदलाव है। + +पीआईओ उन देशों में जहां वे रहते हैं, भारत के स्थाई +राजदूत की तरह हैं। + +सरकार का मानना है कि प्रवासी भारतीय भारत के +विकास के साझेदार हैं और नीति आयोग द्वारा तैयार किए +गए 2020 तक के कार्रवाई एजेंडा में प्रवासी भारतीयों +की महत्वपूर्ण भूमिका है। | + + + + + +योजना, फरवरी 2018 + +21 + + + +0022.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +. का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 19(1) के तहत +कक अधिकारों का हिस्सा है। अनुच्छेद 19101) कहता +हे भी नागरिक को अभिव्यक्ति की आजादी है। 1976 में +सर्वोच्च न्यायालय ने राजनारायण बनाम उत्तर प्रदेश सरकार मामले +में कहा था कि जनता बिना जानकारी के कुछ नहीं कह सकती। +इसलिए सूचना के अधिकार को अनुच्छेद 19 में शामिल किया +गया। उसी मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने आगे कहा कि भारत एक +लोकतांत्रिक देश है और यहां जनता सबसे प्रमुख है और इस नाते +उन्हें यह जानने का पूरा अधिकार है कि उनकी सरकार कैसे काम +कर रही है। प्रत्येक नागरिक भले ही वह आयकर के दायरे में न +आता हो, वस्तु व सेवा कर के रूप में कर का भुगतान करता है। +सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 सरकारी सूचना +के लिए नागरिक के अनुरोध के प्रति समयबद्ध प्रतिक्रिया को +अनिवार्य बनाता है। सूचना का अधिकार अधिनियम का मूल +लक्ष्य नागरिकों को सशक्त बनाना, सरकार की कार्यप्रणाली में +पारदर्शिता व जवाबदेही को बढावा देना, भ्रष्टाचार को रोकना +और लोकतंत्र को सही मायनों में जनता के लिए कार्य करने +हेतु तैयार करना है। अभिप्राय यह कि एक सुविज्ञ नागरिक को +प्रशासन की कार्यप्रणाली पर नजर रखने व उसे नागरिकों के +प्रति अधिक जिम्मेदार बनाने के लिए सूचनाओं +से समर्थ बनाना जुरूरी है। यह अधिनियम सरकार +के क्रियाकलापों से नागरिकों को अवगत कराने +की दिशा में एक बड़ा कदम है। +कार्मिक, लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय +ने नागरिकों की सुविधा के लिए एक वेब पोर्टल +तैयार किया है और यह आरटीआई पोर्टल उनके +लिए राज्य सरकारों के साथ-साथ भारत सरकार के +तहत विभिन्न जन अधिकारियों द्वारा बेब पर प्रस्तुत +आरटीआई संबंधी सूचना/प्रकटीकरण के अलावा प्रथम अपील +प्राधिकारी, लोक सूचना अधिकारी पीआईओ आदि के विवरणों से +संबंधित सूचना की खोज की दिशा में गेटवे रूप में कार्य करता है। +इसके अलावा प्रत्येक लोक अधिकारी सभी रिकॉर्ड्स की +सॉफ्ट प्रति का अनुरक्षण इस रूप में करता है कि उसे देश भर में +कहीं से भी नेटवर्क के जुरिए एक्सेस किया जा सके और सूचना +का अनुरोध करने वाले व्यक्ति को सूचना दी जा सके। +प्रत्येक लोक अधिकारी को नियमित अंतराल पर विभिन्न +चैनलों (इंटरनेट समेत) के जूरिए जनता को महत्वपूर्ण सूचनाएं +देनी चाहिए ताकि सूचना प्राप्त करने के लिए आरटीआई अधिनियम +का उपयोग कम से कम करना पड़े। + +सूचना प्राप्त करने के इच्छुक व्यक्ति को केन्द्रीय लोक +सूचना अधिकारी या राज्य स्तर पर डनके समकक्ष अधिकारी को +अंग्रेजी या हिन्दी या संबंधित राज्य की राजभाषा में लिखित या +इलेक्ट्रोनिक अनुरोध प्रस्तुत करना होगा। किसी भी आवेदक के +लिए आवेदन हेतु संपर्क विवरण के अलावा, यदि अधिकारियों +के लिए आबेदक को संपक करना जरूरी हो, कोई भी व्यक्तिगत +सूचना देना अपेक्षित नहीं है। + + + +सामान्य परिस्थितियों में मांगी गई सूचना मांगे गए प्रारूप में +प्रदान की जाएगी- आदि नागरिक अपेक्षित सूचना ईमेल के जरिए +मांगता है तो वह उसी जरिए दी जाएगी बशर्ते उससे मूल दस्तावेज +को कोइ क्षति न हो। + +प्राधिकारी ऐसी किसी भी सूचना को देने के लिए बाध्य नहीं +है जिससे देश की संप्रभुता व एकता खंडित होने की आशंका हो, +जो किसी न्यायालय द्वारा दिया जाना मना हो, विदेशी सरकारों से +प्राप्त गोपनीय सूचना व कैबिनेट पेपर्स आदि। + +यहां आरटीआई अधिनियम से संबंधित बार-बार पूछे जाने +वाले प्रश्न प्रस्तुत हैं: +यदि आरटीआई एक मौलिक अधिकार है तो इस अधिकार +को देने के लिए अधिनियम की क्‍या आवश्यकता है? + +क्योंकि यदि आप किसी भी सरकारी विभाग में गए हैं और +वहां के अधिकारी से आपने कहा है “आरटीआई मेरा मौलिक +अधिकार है और मैं इस देश का प्रमुख व्यक्ति हूं, इसलिए कृपया +अपने सभी फाइल्स दिखाएं” वह अधिकारी ऐसा नहीं करेगा। +इसलिए हमें एक ऐसी प्रक्रिया/ऐसे प्रावधान की जुरूरत है जिसके +जरिए हम अपने मौलिक अधिकार का प्रयोग कर सकें। सूचना का +अधिकार अधिनियम 2005 हमें वह प्रक्रिया प्रदान करता है। सूचना +का अधिकार अधिनियम हमें कोई नया अधिनियम +नहीं देता। सामान्य तौर पर यह सूचना कैसे प्राप्त +करना है, आवेदन कहां करना है, शुल्क की राशि +क्या है आदि बताता है। +आरटीआई अधिनियम कब आया? + +केन्द्रीय सूचना का अधिकार अधिनियम 12 +अक्तूबर 2005 से प्रभावी हुआ हालांकि इसके पूर्व +9 राज्य सरकारों ने राज्य अधिनियम पारित कर लिया +था वे 9 राज्य जम्मू व कश्मीर, दिल्ली, राजस्थान, +मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, असम व गोवा थे। +आरटीआई अधिनियम 2005 के तहत कौन से अधिकार +मौजूद हैं? + +सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 सभी नागरिकों को +निम्नलिखित के लिए समर्थ बनाता हे: +* सरकार से किसी भी तरह का सवाल करने या सूचना मांगने +* किसी भी सरकारी दस्तावेजों की प्रति लेने +* किसी भी सरकारी दस्तावेजों के निरीक्षण करने +* किसी भी सरकारी कार्य का निरीक्षण करने +* किसी भी सरकारी कार्य की सामग्री का नमूना लेने +आरटीआई के दायरे में कौन? + +केन्द्रीय आरटीआई अधिनियम जम्मू कश्मीर के अलावा पूरे देश +में लागू है संविधान या किसी कानून या किसी सरकारी अधिसूचना +के दायरे में गठित सभी निकाय या एनजीओ समेत सरकार के +स्वामित्व, सरकार द्वारा नियंत्रित या वित्तपोषित सभी निकाय हैं। +क्‍या निजी निकाय आरटीआई के दायरे में हैं? + +सरकार के स्वामित्व, सरकार द्वारा नियंत्रित या वित्तपोषित +सभी निजी निकाय प्रत्यक्षतः आरटीआई हैं। अन्य अप्रत्यक्ष रूप + + + +22 + +योजना, फरवरी 2018 + + + + + +0023.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +से दायरे में हैं अर्थात, यदि कोई सरकारी विभाग किसी अन्य +अधिनियम के तहत किसी निजी निकाय से सूचना प्राप्त कर +सकता है, तो उसे नागरिक द्वारा उस सरकारी विभाग से आरटीआई +अधिनियम के तहत प्राप्त किया जा सकता है। +आरटीआई अधिनियम की राह में क्‍या सरकारी गोपनीयता +अधिनियम 1923 बाधा नहीं है? + +नहीं, आरटीआई अधिनियम की धारा 22 स्पष्टतः कहते ही +कि आरटीआई अधिनियम सरकारी गोपनीयता अधिनियम समेत +सभी मौजूदा अधिनियमों को अधिभावी करेगा। +क्‍या पीआईओ सूचना देने से इनकार कर सकता है? + +पीआईओ आरटीआई अधिनियम की धारा 8 में सूचीबद्ध +11 विषयों से संबंधित सूचना देने से इनकार कर सकता है। +इनमें विदेशी सरकारों से प्राप्त गोपनीय सूचना, देश की सुरक्षा, +रणनीतिगत, वैज्ञानिक या आर्थिक हित से संबंधित सूचना, +विधान सभा के विशेषाधिकारों के उल्लंघन से संबंधित सूचना +शामिल हैं। + +अधिनियम की दूसरी अनुसूची में 18 एजेंसियों की सूची दी +गई है, जिनपर आरटीआई अधिनियम लागू नहीं होगा। + +हालांकि, उन्हें भी सूचना देनी होगी यदि मामला मानवाधिकारों +के उल्लंघन या कि भ्रष्टाचार के आरोपों से संबंधित हो। +क्‍या अधिनियम आंशिक प्रकटीकरण प्रदान करता है? + +अपना आवेदन कहां प्रस्तुत करना है? + +आप अपना आवेदन पीआईओ या एपीआईओ को प्रस्तुत +कर सकते हैं। सभी केंद्र सरकार के विभागों के मामले में 628 +डाकघरों को एपीआईओ के रूप में पदनामित किया गया है। इसका +तात्पर्य है कि आप इनमें से किसी भी डाकघर में जा सकते हैं और +इन डाकघरों के आरटीआई काउंटर पर अपना शुल्क व आवेदन +जमा कर सकते हैं। वे आपको एक पावती जारी करेंगे और यह +उस डाकघर की जिम्मेदारी होगी कि वह इसे उपयुक्त पीआईओ +al Aa St SHR Fl Felt http:/Avww.indiapost.gov.in/ +rtiannuall6a.html % दी गई है। यदि मैं अपने पीआईओ या +एपीआईओ का पता न लगा पाऊं: यदि आपको अपने पीआईओ या +एपीआईओ का पता लगाने में कठिनाई हो रही है तो आप अपना +आरटीआई आवेदन पीआईआओ द्वारा विभागाध्यक्ष को दे सकता है +और इसे अपेक्षित आवेदन शुल्क के साथ संबंधित लोक अधिकारी +को भेज सकता है। विभागाध्यक्ष को आपका आवेदन संबंधित +पीआईओ को अग्रेषित करना हे। +क्या मुझे अपना आवेदन प्रस्तुत करने के लिए खुद जाना होगा? + +भुगतान के मोड हेतु आपके राज्य के नियमों के आधार +पर आप डीडी, मनी ऑर्डर, पोस्टल ऑर्डर या न्यायालय शुल्क +स्टाम्प लगाकर डाक के जरिए अपने राज्य सरकार के संबंधित +विभाग से सूचना हेतु आवेदन जमा कर सकते हैं। केंद्र सरकार + + + +हां, आरटीआई अधिनियम की +धारा 10 के तहत इस अधिनियम +से छूट प्राप्त मामले से इतर सूचना +दी जा सकती हे। +क्या फाइल नोटिंग्स की सूचना +नहीं दी जा सकती? + +नहीं, फाइल नोटिंग्स सरकारी +'फाइलों का अनिवार्य हिस्सा है और +इस अधिनियम के तहत उनका +प्रकटीकरण किया जाना है। + +इसे केन्द्रीय सूचना आयोग के + +नोट, सार व +दस्तावेजों की प्रति + +या रिकॉर्ड्स रखें + + + + + + + +के सभी विभागों के लिए डाक +विभाग ने राष्ट्रीय स्तर पर 629 +डाकघरों को पदनामित किया +है। seer में पदनामित +अधिकारी सहायक पीआईओ +के रूप में काम करेंगे और +संबंधित पीआईओ को अग्रेषित +करने के लिए आवेदन +प्राप्त करेंगे। सूची http:// +www.indiapost. gov.in/ +rticontents html WW उपलब्ध + + + + + +एक आदेश दिनांकित 31 जनवरी +2006 द्वारा स्पष्ट किया गया। +सूचना के अधिकार अधिनियम का प्रयोग कैसे किया जाए? +पूरे अधिनियम को कहां से प्राप्त किया जा सकता है? + +पूरा अधिनियम हिन्दी और अंग्रेजी में कार्मिक व प्रशिक्षण +faa at aaad2 www.persminnic.in पर और आरटीआई +al aqaee http://righttoinformation.gov.in/rtiact.htm +उपलब्ध हे। +मुझे सूचना कौन देगा? + +प्रत्येक सरकारी विभाग में एक या अधिक अधिकारी को +लोक सूचना अधिकारी (पीआईओ) के रूप में पदनामित किया +जाता है। ये पीआईओ नोडल अधिकारी के रूप में कार्य करते +हैं। आपको उनके समक्ष आवेदन देना है। वे विभाग के विभिन्न +शाखाओं से आपके द्वारा मांगी गई सूचना जुटाने और आपको प्रदान +करने के लिए उत्तरदायी हैं। इसके अलावा कई अधिकारियों को +सहायक लोक सूचना अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया +है। उनका कार्य जनता से आवेदन प्राप्त करना और उन्हें उपयुक्त +पीआईओ को अग्रेषित करना हे। + +सूचना किसी +भी मोड में +1 (71 कि. +है। क्‍या सूचना प्राप्त करने की + +कोई समय-सीमा है? हां, पीआईओ को आवेदन देने के 30 दिनों +के भीतर सूचना दी जानी चाहिए। + +यदि आपने अपना आवेदन सहायक पीआईओ को दिया है तो +सूचना 35 दिनों के भीतर दी जानी चाहिए। यदि सूचना से संबंधित +मसला किसी के जीवन व स्वतंत्रता को प्रभावित करता है तो सूचना +48 घंटों के भीतर डपलब्ध कराई जानी चाहिए। +नवीनतम पहल + +केंद्रीय सूचना आयोग (सीवीसी) ने घोषणा की है कि +आरटीआई (सूचना के अधिकार) अधिनियम के तहत अपील/ +मामला दर्ज करने वाले नागरिक को उनके मामलों की स्थिति के +बारे में वास्तविक समय अपडेट दिया जाएगा। ये अपडेट ईमेल या +एसएमएस के जरिए भेजा जाएगा। नागरिक का कर्तव्य मत देना भर +नहीं है और आरटीआई अधिनियम नागरिकों के लिए एक साथ आने +और अधिक जुड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण जरिया है। सरकार +यह सुनिश्चित करने के लिए कि नागरिकों को सूचना प्राप्त हो और +अनुवर्तन प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए कदम उठा रही है। छा + +CATR: www.righttoinformation.org.in ) + + + +योजना, फरवरी 2018 + +23 + + + + + +0024.txt +<----------------------------------------------------------------------> +You Deserve the Best... +198-2016 RRR eR Re RR CCRC ae + +a +Committed to Excellence errr TRSTT oo TT OTT +eee (Roll No. 0441143) ere est (Roll No, 0576755) + +ISO 9001 Certified Rank33rd Rank&8th Rank 445th Rank 500th + +And Many More... + + + +Niraj Singh (M.D.) दिल्ली DRT im MLE Lp] + +सामान्य अध्ययन ..... 19.79 + +1 हि] 30 am + +सामान्य अध्ययन 13: FEB + +00pm + +सामान्य अध्ययन | RAS crresrouncation + +Complete Prepration For IAS/PCS +: FEB FEB +—_ 7S __ _ +8:30 am/6:00 pm 9:00 am + +Integrated Mains Test Series NCERT Pre Test Series GS WORLD की नयी प्रस्तुति + +एकमात्र मुख्य परीक्षा की ऐसी टेस्ट सीरीज जिसमें| आपकी तैयारी का स्तर निर्भर करता है कि आपकी नयी | Current 360° + +आपके उत्तर लेखन की गुणवत्ता बढ़ाने VT NCERT, | एवं it NCERT fat Gare &, cant ga टेस्ट +योजना, कुरुक्षेत्र, वर्ल्ड फोकस जैसी स्तरीय मासिक | सीरीज का उद्देश्य प्रत्येक सप्ताह आपकी 4०६२ +पत्रिकाओं, राज्यसभा, लोकसभा टीवी की महत्वपूर्ण की विषयवार तैयारी कराना है। + +परिचर्चाओं, सारगर्भित निबंध लेखन आदि कई प्रकार + +के टेस्ट शामिल हैं। Total Test- 52 Total Test- 40 ख़ण्डया + +Offline & Online Available Offline & Online Available मई प्रथम सप्ताह + + + + + + + +खण्ड-ा +जनवरी अंतिम सप्ताह + + + + + + + + + + + +DELHI CENTRE ALLAHABAD CENTRE || LUCKNOW CENTRE JAIPUR CENTRE + +629, Ground Floor, Main Road | GS World House, Stainly Road, | A-7, Sector-J , Puraniya Chauraha |Hindaun Heights 57, Shri Gopal Ngr, +Dr. Mukherjee Nagar, Delhi- 09 | Near Traffic Choraha, Allahabad Aliganj, Lucknow Dees mae eel on +2॥.:7042772062/63, 9868365322| ey Oe DP 8756450894 [व/0ए' ?।. :9610577789, 9680023570 + +॥9://जरण्नण्र.85ज9०101985.00॥|| 1119://806०00०८.०००/४४७४०1०1 | (श[ु उस + + + + + +24 योजना, फरवरी 2018 + +YH-697/4/2017 + + + +0025.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +निजी सेवा प्रदाता: समाधान तंत्र + + + +ग्राहक सुविधा केंद्र के बारे +में सफलता और जरूरत +पर पुनर्विचार करने के +लिए उसके अनुभवों से +महसूस किया जा सकता +है, जो जयपुर स्थित कटस +इंटरनेशनल द्वारा संचालित +किया जा रहा है। अस्तित्व +में आने के 18 महीनों के +दौरान ग्राहक सुविधा केंद्र ने +विभिन्न क्षेत्रों की शिकायतें +प्राप्त कीं। हालांकि इनमें से +11 प्रतिशत वित्तीय क्षेत्र से +संबंधित हैं, जो विमुद्रीकरण +के बाद डिजिटल भुगतान के +प्लेटफार्मों की ओर बदलाव +के कारण हो सकता है। +ग्राहक सुविधा केंद्र जैसी +पहल को मापने के लिए ये +आंकड़े उत्साहजनक थे + +उदय एस मेहता +सिद्धार्थ नारायण + +श अपना 69वां गणतंत्र दिवस +मना चुका है, 1.3 अरब +भारतीयों को एक बार फिर +दुनिया के सबसे बडे लोकतंत्र भारत की +सुंदरता की याद दिला रहा है। लोगों की, लोगों +के लिए और लोगों द्वारा चुनी गई सरकार होने +के नाते यह वास्तव में मूल्यवान है, क्योंकि +यह नागरिकों को सरकार को जवाबदेह बनाने +का अधिकार देता है। हालांकि भारत की +सरकार अक्षम नौकरशाही से त्रस्त है, जिसके +चलते औसतन हर भारतीय नागरिक सरकार +और निजी व्यवसायियों के खिलाफ शिकायतों +के लिए अजीब से निवारण मंच पर निर्भर +है। इसलिए नागरिक शिकायतों के निवारण +के लिए उचित तंत्र तैयार करके लोकतंत्र की +वास्तविक भावना को पूरा करने की तत्काल +जरूरत है। +मौजूदा सरकार ने कई शिकायत निवारण +तंत्र को डिजिटल बना दिया है और सरकारी +मंत्रालयों और विभागों आदि के खिलाफ +शिकायतों के निवारण के लिए नए तंत्र को +पुनःस्थापित करने के साथ-साथ नागरिकों को +सशक्त बनाया है, हालांकि उनकी प्रभावशीलता +बहसतलब है। इसके अलावा, लोकपाल की +अनुपस्थिति के कारण निजी सेवा प्रदाताओं +के खिलाफ एक प्रभावी विनियामक तंत्र में +अंतर अब भी मौजूद है, मसलन, दूरसंचार, +इत्यादि। यह भारतीय दूरसंचार विनियासक +प्राधिकरण (ट्राई), इत्यादि जैसे संबंधित +क्षेत्रीय नियामक निकायों के एक व्यक्तिगत +सार्वजनिक शिकायत निवारण मंच बनने की +जरूरतों और भूमिका पर प्रकाश डालता है। + +आज तक, उपभोक्ता के लिए भरोसे के +एक घटक के रूप में कुशल और प्रभावी +शिकायत निवारण का महत्व दुर्भाग्य से +महत्वहीन रहा है। विभिन्न क्षेत्रों में मुख्य रूप +से वस्तुओं और सेवाओं तक पहुंच बनाने +पर ध्यान केंद्रित किया जाता है, बिक्री के +बाद ग्राहकों के साथ संलग्नता और शिकायत +निवारण पर बहुत कम विचार किया जाता है। +एक भारतीय उपभोक्ता को निवारण के लिए +शिकायत दर्ज कराने में तीन गुना चुनौतियों +का सामना करना पड़ता है। सबसे पहले, +शिकायतकर्ता अपनी शिकायतों के हल के +लिए उपलब्ध मंचों से अनजान होता है। +दूसरा, अगर उन्हें डचित निवारण मंच के +बारे में पता भी होता है, तो वहां तक पहुंच +उनकी शिकायत दर्ज करने में एक बड़ी बाधा +बन जाती है। तीसरा, भले ही कोई पीड़ित +उचित सरकारी मंच पर अपनी शिकायत दर्ज +कराने में सक्षम होता है, तब भी शिकायतों +के अनसुलझे रहने की ज्यादा आशंका रहती +है। इन प्रतिकूलताओं के बगैर भी भारतीय +उपभोक्ताओं में आम तौर पर शिकायत दर्ज +कराने की संस्कृति का अभाव होता है, जो +सरकार से समाधान पाने में एक अन्य बड़ी +बाधा है। प्रोत्साहन के माध्यम से शिकायत +निवारण संस्कृति को बढ़ावा देकर इन बाधाओं +को दूर किया जा सकता है। + +इन चुनौतियों से निपटने के लिए +और एक सुविधाजनक शिकायत निवारण +तंत्र के जरिये सभी नागरिकों को सशक्त +बनाने के लिए मौजूदा सरकार ने शासन +के लिए एआरटी यानी दायित्व, उत्तरदायित्व + + + +उदय एस मेहता कंज्यूपर युनिटी एंड ट्रस्ट सोसायटी (सीयूटीएस) में उप कार्यपालक निदेशक हें। इंफ्रास्ट्रक्चर व एनर्जी क्षेत्रों में विशेष रुचि के साथ वे प्रतिस्पर्द्धा निवेश व +आर्थिक विनियमन से संबंधित सीयूटीएस के अंतरराष्ट्रीय प्रमुख हैं। उन्होंने पहले प्रतिस्पर्द्धा नीति व बौद्धिक संपदा नियमों के क्षेत्र A ot ard fora 21 Set: usm@outs.org +सिद्धार्थ नागययण डिजिटल टेक्नॉलॉनी क्षेत्र के तहत लोक नीति मसलों से संबंधित शोधार्थी के तौर पर सीयूटीएस इंटरनेशनल में रिसर्च एसोसिएट हैं। ईमेल: पद्म &े०्परा5.णछ + +योजना, फरवरी 2018 + +25 + + + +0026.txt +<----------------------------------------------------------------------> +और पारदर्शिता लागू की है, जिसके तहत न +केवल देश के मौजूदा सार्वजनिक शिकायत +निवारण तंत्र को डिजिटल बनाया गया हे, +बल्कि रेल मंत्रालय निवारण, पेट्रोलियम, तेल +एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय की ई-सेवा, एक +बहुद्देश्यीय शिकायत निवारण मंच सक्रिय +शासन और समयबद्ध क्रियान्वयन (प्रगति), +इत्यादि जैसे कई नए मंच की भी शुरुआत +की है, जो नागरिकों को सरकारी सेवाओं +के साथ-साथ कुछ मामलों में निजी सेवा +प्रदाताओं के खिलाफ ऑनलाइन शिकायत +दर्ज कराने की अनुमति देती है। + +सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के उपयोग +के जरिये अपनी विस्तृत पहुंच के साथ इन +सरकारी पहलों व मंचों ने पहली दो चुनौतियों +पर काबू पाने में कुछ हद तक कामयाबी +हासिल की हेै। हालांकि तीसरी चुनौती यानी +शिकायतों पर कार्रवाई अब भी काफी हद +तक बनी हुई है। कम से कम सार्वजनिक +सेवाओं के दृष्टिकोण से एक प्रस्तावित +लोकपाल विधेयक इससे निपटने में सक्षम है। +वस्तु एवं सेवाओं का समयबद्ध वितरण का +नागरिकों का अधिकार और उनकी शिकायतों +के निवारण से संबंधित विधेयक (जो +लोकपाल विधेयक के नाम से लोकप्रिय है) +को लागू नहीं किया जा सका है। यह 2011 +से लंबित है। हालांकि सरकार सेवाओं के +वितरण और शिकायत निवारण योजना-2015 +को लाने पर विचार कर रही है, लेकिन यह +पर्याप्त निवारण तंत्र नहीं हो सकता हे। + +इसके अलावा, हालांकि विभिन्न +ऑनलाइन निवारण मंच एक स्वागतयोग्य +कदम हे, लेकिन इनका बुनियादी ढांचा +कमजोर है और इन ऑनलाइन मंचों तक +पहुंचने के लिए जरूरी ज्ञान का अभाव हे, +नतीजतन एक बड़ी आबादी ऐसे शिकायत +निवारण तंत्र का लाभ लेने से वंचित है। +इसलिए उपभोक्ता शिकायतों का निवारण +करने के लिए एक लोकपाल स्थापित करने +की जरूरत है। इस तरह की व्यवस्था बैंकिंग, +विद्युत और बीमा क्षेत्र में पहले से ही शुरू +हो चुकी है, लेकिन अन्य महत्वपूर्ण आर्थिक +क्षेत्रों में इसे लागू किया जाना अभी शेष है। + +प्रभावी उपभोक्ता निवारण के लिए दूसरे +विकल्प, क्षेत्रीय नियामकों को निजी सेवा +प्रदाताओं के खिलाफ सार्वजनिक शिकायत +निवारण मंच के उपकरण के रूप में + +26 + +कार्य करने के लिए सशक्त बनाना होगा। +नियामकों को सशक्त बनाने का एक मजबूत +तर्क नियामकों का सरकार के मुकाबले +उपभोक्ताओं के करीब होना हो सकता है, +दोनों के बीच एक सेतु निर्माण के जरिये। +व्यक्तिगत उपभोक्ता शिकायतों के निवारण +के लिए उन्हें सशक्त बनाने के अलावा +उन्हें लोगों के प्रति जवाबदेह बनाने की भी +जरूरत है। + +निर्वाचित सरकार हर पांच साल में लोगों +का जनादेश हासिल करके अपनी क्षमता और +योग्यता साबित करती है। हालांकि नियामकों +को चुना नहीं जाता, इसलिए उन्हें लोगों के +प्रति ज्यादा जवाबदेह बनाने की जरूरत है। + +हालांकि कई क्षेत्रीय नियामकों, जैसे +दूरसंचार क्षेत्र में ट्राई के पास ऐसी शक्ति +का अभाव हे। अपनी क्षमता की कमी को + +मौजूदा सरकार ने कई शिकायत +निवारण तंत्र को डिजिटल बना दिया +है और सरकारी मंत्रालयों और विभागों +आदि के खिलाफ शिकायतों के +निवारण के लिए नए तंत्र को पुनःस्थापित +करने के साथ-साथ नागरिकों को +सशक्त बनाया है, हालांकि उनकी +प्रभावशीलता बहसतलब है। इसके +अलावा, लोकपाल की अनुपस्थिति +के कारण निजी सेवा प्रदाताओं के +खिलाफ एक प्रभावी विनियामक तंत्र +में अंतर अब भी मौजूद है, मसलन, +दूरसंचार, इत्यादि। + +स्वीकार करते हुए नियामक ने 2016 में +दूरसंचार क्षेत्र में शिकायत/शिकायत निवारण +पर टिप्पणी के लिए अनुरोध करते हुए एक +परामर्श पत्र जारी किया था, जो दूरसंचार +क्षेत्र में त्रिस्तरीय शिकायत निवारण तंत्र की +वकालत करता है-दूरसंचार सेवा प्रदाताओं +द्वारा समाधान, उपभोक्ता शिकायत निवारण +मंच द्वारा समाधान और दूरसंचार लोकपाल +द्वारा दृढ़ संकल्प। हालांकि इस पर कोई +प्रगति नहीं हुई है, जिसके कारण एक पीड़ित +जिसकी शिकायतों का दूरसंचार सेवा प्रदाता +द्वारा निवारण नहीं किया है, उसे या तो +शिकायत को लेकर दूरसंचार विवाद निपटान +और अपीलीय ट्रिब्यूबल (टीडीसेट) और +आगे दूरसंचार विभाय (डीओटी), केद्रीय + +लोक शिकायत निवारण ओर निगरानी प्रणाली +(सीपीजीआरएएमसएस) के पास ले जाना +पड़ता है, या अदालत का दरवाजा खटखटाना +पड़ता है। इस तरह के उदाहरण अन्य क्षेत्रों +में भी देखे जा सकते हें। + +इसके अलावा, देश के विशाल भौगोलिक +प्रसार को देखते हुए, एक लोकपाल बनाने +के लिए विभिन्न केद्रीय और राज्य पहलों +के साथ तालमेल बिठाने की आवश्यकता +हो सकती है,जैसे उपभोक्ता मामले विभाग, +भारत सरकार की निलंबित पहल ग्राहक +सुविधा केंद्र या उपभोक्ता देखभाल केंद्र, जो +उपभोक्ताओं के कल्याण के लिए विभिन्न +तरह की सेवाएं एक ही केंद्र से उपलब्ध +कराता है। वे राष्ट्रीय और राज्य उपभोक्ता +हेल्पलाइन के साझा सूचना एवं प्रौद्योगिकी +मंच पर काम करते हैं। उम्मीद की जाती +है कि परामर्शदाता, शिकायतों का मसौदा +तैयार करने और सूचना प्रदान करने में सक्षम +प्रशिक्षित कर्मियों से लैस ग्राहक सुविधा केंद्र +से पीडित उपभोक्ताओं द्वारा किसी भी निजी +वस्तु या सेवा प्रदाता के खिलाफ अपनी +शिकायत दर्ज कराने के लिए संपर्क किया +जा सकता है। + +ग्राहक सुविधा केंद्र के बारे में सफलता +और जरूरत पर पुनर्विचार करने के लिए +उसके अनुभवों से महसूस किया जा सकता +है, जो जयपुर स्थित कट्स इंटरनेशनल +द्वारा संचालित किया जा रहा है। अस्तित्व में +आने के 18 महीनों के दौरान ग्राहक सुविधा +केंद्र ने विभिन्न क्षेत्रों की शिकायतें प्राप्त कीं। +हालांकि इनमें से 11 प्रतिशत वित्तीय क्षेत्र से +संबंधित हैं, जो विमुद्रीकरण के बाद डिजिटल +भुगतान के प्लेटफार्मो की ओर बदलाव के +कारण हो सकता है। ग्राहक सुविधा केंद्र +जैसी पहल को मापने के लिए ये आंकड़े +उत्साहजनक थे, क्योंकि उपभोक्ता विभिन्न +तरीकों से और विभिन्न भाषाओं में अपनी +शिकायतें दर्ज कराने में सक्षम थे, जिसने +बैंकिंग लोकपाल के होने के बावजूद लोगों +को ग्राहक सुविधा केद्र जाने के लिए प्रेरित +किया। इसके अलावा, उपभोक्ता कई अन्य +सेवाओं का लाभ उठाने में भी सक्षम थे, +जैसे, उपभोक्ता अधिकार के बारे में सूचनाएं +प्राप्त करना, परामर्श और समाधान के माध्यम +से उपभोक्ता शिकायतों पर मार्गदर्शन और +सहायता, औपचारिक शिकायत निवारण तंत्र + +योजना, फरवरी 2018 + + + +0027.txt +<----------------------------------------------------------------------> +तक पहुंचने के लिए आमने-सामने बैठकर +सलाह और सहयोग। + +स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठनों द्वारा +वैकल्पिक विवाद निवारण के ऐसे तरीकों +को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, जो उपभोक्ता +संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत स्थापित +विवाद निवारण एजेंसियों-राष्ट्रीय आयोग, राज्य +आयोग और जिला मंच के बोझ को कम +करने में मददगार साबित होगा। + +हालांकि सिविल कोर्ट का त्वरित और +समर्पित विकल्प बनने के लिए इन उपभोक्ता +अदालतों की परिकल्पना तीस साल पहले +की गई थी, लेकिन इन अदालतों में भी +सिविल कोर्ट के लक्षण ही विकसित होने के +आरोप लगाए गए हैं। राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद +निवारण आयोग के वेबसाइट पर दर्शाए गए +आंकडे बताते हैं कि उपभोक्ता अदालतों ने +अपनी स्थापना के बाद से राष्ट्रीय आयोग में +86.26 प्रतिशत मामलों को सफलतापूर्वक +निपटाया है, राज्य आयोग में 85.67 प्रतिशत +मामलों को और जिला मचों में 92.43 +प्रतिशत मामलों को निषटाया है। + +अध्ययनों से संकेत मिलता है कि इनमें +से अधिकतर मामले सीओपीआर की निर्धारित +समय सीमा में निपटाए गए। इसके अलावा +लंबित मामलों की संख्या चार लाख के आंकड़े +को पार कर गई। लोकप्रिय कहावत, ' न्याय में +देरी न्याय से इन्कार करना है' को देखते हुए +ये उपभोक्ता अदालतें भारतीय उपभोक्ताओं +की शिकायत निवारण आकांक्षाओं पर भी +खरा नहीं उतरती हैं। ताजा उपभोक्ता संरक्षण +विधेयक, 2018 में, जो मौजूदा उपभोक्ता +संरक्षण अधिनियम को हटाने के लिए लाया +गया है, एक केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण +प्राधिकरण का प्रावधान है, जो उपभोक्ताओं + +को त्वरित शिकायत निवारण का काम करेगा +और वह क्लास एक्शन (लोगों के समूह +द्वारा दायर शिकायत) मामलों को भी देखेगा। + +मौजदा लंबित मामलों पर सीसीपीए के +प्रभाव का परीक्षण समय के साथ ही होगा। +हालांकि, यह उल्लेख किया गया है कि ऐसी +देरी अक्सर बड़ी सख्या में रिक्तियों, अपर्याप्त +बुनियादी ढांचे और केंद्रीय और राज्य सरकारों +के बीच झड़पों के कारण होती है, जो इन +उपभोक्ता मंचों के उत्तरदायित्व और धन के +आधार पर व्यापार शुल्क रखती हैं। इसलिए, +एक कुशल निवारण तंत्र को सक्षम करके, +उपभोक्ता शिकायतों के लिए त्वरित निवारण +के कार्यान्वयन में बेहतर केंद्र-राज्य समन्वय +की भी आवश्यकता है। + + + +के + +eo + +q + + + + + +ग्राहक सुविधा केंद्र + + + +समस्या केवल केंद्र-राज्य संघर्ष को +लेकर नहीं है, अन्य चुनौती एक क्षेत्र में +संचालित बहु-विभागीय या बहु-मंत्रालयी +निवारण तंत्र भी है। ई-कॉमर्स इसी तरह +का एक उद्योग है, और राष्ट्रीय उपभोक्ता +हेल्पलाइन पर शिकायतों की संख्या में +भारी वृद्धि हुई है। यह बताया गया कि +वर्ष 2014-15 में 13,812 शिकायतें, वर्ष +2015-16 में 23,955 शिकायतें और वर्ष + +2016-17 में 50,767 शिकायतें थीं, इसके +बावजूद सरकार ई-कॉमर्स कंपनियों के +खिलाफ उपभोक्ता शिकायतों को संबोधित +करने के लिए एक समर्पित नियामक नियुक्त +करने पर विचार नहीं कर रही है। हालांकि +सीसीपीए को उपभोक्ताओं का संकट कम +होने की उम्मीद है, एक एकल नियामक +की अनुपस्थिति ने उपभोक्ताओं को ट्विटर, +फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्मों +पर शिकायतों और नकारात्मक समीक्षाओं +के माध्यम से ई-कॉमर्स खिलाडियों की +अग्रणी संपत्ति यानी डिजिटल प्रौद्योगिकी का +'फायदा उठाने के लिए प्रोत्साहित किया है, +जो शिकायत निवारण के लिए एक अच्छा +मौका प्रदान करता है। + +उपरोक्त घटनाओं को ध्यान में रखते +हुए, उपभोक्ता शिकायत निवारण प्रक्रिया +की समीक्षा करते हुए, प्रधानमंत्री ने हाल +ही में समग्र उपभोक्ता शिकायतों की बढ़ती +संख्या पर अपनी चिंता जताई है। इसके +बाद, उन्होंने उपभोक्ता शिकायतों के शीतदघ्र +समाधान के लिए प्रशासनिक व्यवस्था में +पर्याप्त सुधार की बात कही। यह सुझाव +दिया जा सकता है कि सीसीएए के निर्माण +के अलावा, स्वतंत्र और नियामक क्षेत्रीय +नियामकों, स्वतंत्र लोकपाल, ग्राहक सुविधा +केंद्रों के साथ-साथ बेहतर अंतर-सरकारी +और अंतर-मंत्रालयी व अंतर-विभागीय +समन्वय सुनिश्चित करने से बढ़ती उपभोक्ता +निवारण मुद्दों को हल करने में सहायता +मिलेगी। मोदी शासन मॉडल के एआरटी +का परीक्षण उपभोक्ताओं द्वारा झेली जा +रही तीन स्तरीय चुनौतियों से निपटने और +उनकी शिकायतों के निवारण के लिए किया +जाएगा। पे + + + +कम किए जाएंगे। + + + +रेलगाड़ियों में जीपीएस समर्थित उपकरण + +भाई अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के साथ रेल मंत्रालय रियल-टाइम ट्रेन इन्फोर्मेशन सिस्टम (आरटी आइएस) को कार्यान्वियत +करा रहा है जिसमें ट्रेन में जीपीएस- जीएजीएएन (जीपीएस एडेड जियो ऑगमेंटेड नेविगेशन सिस्टम) आधारित उपकरणों को +लगाते हुए उसकी ट्रैकिंग शामिल है। चरण 1 में आरटीआइएस प्रोजेक्ट 2700 इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव्स को कवर करेगा जिनमें जीपीएस +उपकरण प्रतिष्ठापित किया जाएगा। इस चरण को दिसंबर 2018 तक पूरा किए जाने की योजना है। शेष लोकोमोटिव्स अगले चरणों में + +इस सिस्टम की जांच 6 इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव्स पर नई दिल्‍ली-गुवाहाटी और नई दिलली-मुम्बई राजधानी ट्रेन्‍्स पर की गई है। +आगमन व प्रस्थान समय की रियल टाइम रिपोर्टिंग के भरोसेमंद और उच्च स्तरीय (लगभग 99.3 प्रतिशत) अपडेट्स पाए गए जिसे + + + + + +आरटीआइएस अपेक्षाओं को पूरा करने की दिशा में पर्याप्त माना गया। Q +योजना, फरवरी 2018 27 + + + +0028.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + + + +पूरे भारत में सबसे सफल शिक्षक + +अमित्त कुमार सिंह के मार्गदर्शन में + +1 + + + + + + + + + +निःशुल्क परिचर्चा के साथ नया बैच प्रारम्भ + +15 जनवरी से + +Time: 3:30 pm Time: 7:00 pm + +हमसे ज्यादा सफल परिणाम दिखाइये, फीस में 100% छूट पाइये” + +1.0.5$ प्रारंभिक परिक्षा की तैयारी का मौका +७०३९ में सफल विद्यार्थियों के साथ 90 दिन कक्षा कार्यक्रम + +16 जनवरी से प्रारम्भ +प्रथम 200 दाजों के लिए शुल्क 5000 + + + + + +दर्शनशास्त्र [#॥1०5०७७५४), एथिक्स (65 7४७०1-।४) और निबंध का सर्वश्रेष्ठ संस्थान + +mM en + + + +A Premier Institute for LAS/PCS + +A-2, 124 Floor, Comm. Comp. Mukherjee Sagar, Belhi-110009 H-41, 14t Floor, Ram Mohan Plaza, Madho Mun, Katra +( 011-27654704, 9643760414, 8744082373 ) 33893765168, & 9793022444, 0532-26422541 + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +Visit us: www.ignitedmindscs.com + + + + + +28 + +योजना, फरवरी 2018 + +YH-650/9/2017 + + + +0029.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +Be + +| + + + +महिलाओं की शिकायतों का निवारण + +ge « +जा शरण हु + +घरेलू हिंसा गरिमा के साथ +जीवन जीने के बुनियादी +अधिकारों का उल्लंघन है। +गौरतलब है कि अनुच्छेद 21 +न सिर्फ प्रक्रियात्मक सुरक्षा +उपायों की मांग करता है, +बल्कि सरकार से यह अपेक्षा +भी करता है कि वह गरिमा +के साथ जीवन जीने के +अधिकार की रक्षा और उसे +पूर्ण करने के लिए यथोचित +रूप से कार्य करेगी या उचित +प्रक्रियाओं का पालन करेगी। +हालांकि निजी दायरे में निजी +लोगों या गैर सरकारी लोगों +द्वारा की जाने वाली हिंसा जैसे +घरेलू हिंसा को रोकना एक +कठिन कार्य है + +वी अमुदावल्ली +क शिकायत निवारण तंत्र +के माध्यम से प्रशासनिक + +लो | | प्रक्रियाओं की दक्षता और + +प्रभाव का आकलन सदैव किया जाता हे। +यह उम्मीद भी की जाती है कि किसी भी +प्रशासनिक प्रणाली में लोक शिकायतों का +स्थान होगा ही। प्रशासन आम जनता का +तभी उचित तरीके से ध्यान रख पाएगा, जब +वह उनकी शिकायतें सुनेगा और फिर समय +रहते उनका निवारण करेगा। इस दिशा में +भारत सरकार ने कई कदम उठाए हैं। केंद्रीय +स्तर पर ऐसी दो नोडल एजेंसियां हैं जो +जनशिकायतों का निपटान करती हैं: + +1. कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन +मंत्रालय के अंतर्ग आने वाला +प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत +विभाग और + +2, लोक शिकायत निदेशालय, कैबिनेट +सचिवालय, शिकायत निवारण के लिए +सचिवों की स्थायी समिति, जिसकी +अध्यक्षता कैबिनेट सचिव द्वारा की जाती +है और जो भारत सरकार के विभिन्न +मंत्रालयों/विभागों के शिकायत निवारण +तंत्र की समीक्षा करती है। +विभाग को जिस प्रकार की शिकायतें + +प्राप्त होती हैं, उनके आधार पर वह समस्याग्रस्त + +क्षेत्रों को चिन्हित करता है, खासकर जिन +क्षेत्रों से संबंधित शिकायतें बार-बार प्राप्त +होती हैं। फिर उन शिकायतों पर सोच-विचार +किया जाता है और यह प्रयास किया जाता +है कि उनमें सुधार किया जाए। सरकारी +विभागों में ऐसे अधिकारियों को नियुक्त +किया गया है जो केवल शिकायत निवारण + +करें। इसके लिए विभागों के प्रत्येक कार्यालय +के रिसेप्शन और अन्य सुविधाजनक स्थानों +पर उन अधिकारियों के नाम, कमरा नंबर, +टेलीफोन नंबर आदि प्रदर्शित किए जाते हैं। + +सरकार ने महिलाओं का भी पूरा ध्यान +रखा है। महिलाओं की घरों में और काम +करने की जगहों से संबंधित जो भी शिकायतें +हैं, उन्हें दूर करने के लिए कई तरह के प्रयास +किए हैं। महिलाओं के विरुद्ध सभी प्रकार +के भेदभाव के निवारण संबंधी अभिसमय +(सीईडीएडब्ल्यू), सहस्नाब्दि विकास लक्ष्यों +(एमडीजी) , महिलाओं के सशक्‍तीकरण हेतु +राष्ट्रीय नीति और लिंग समावेशी समाज के +लिए सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजीज) के +मद्देनजर सरकार ने ऐसी कई योजनाएं शुरू +की हैं जिनका सकारात्मक असर हुआ हेै। +साथ ही महिलाओं की जरूरतों का भी ध्यान +रखा गया है। + +महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और +सामाजिक न्याय एवं सशक्‍्तीकरण मंत्रालय +ने लैंगिक समानता और लिंगानुपात में सुधार +करने तथा बालिका भ्रूण हत्या का उन्मूलन +करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। विभाग +विभिन्न योजनाओं के माध्यम से बच्चों, +महिलाओं, वरिष्ठ नागरिकों और किन्नरों की +देखभाल और उन्हें संरक्षण प्रदान करता है। ये +योजनाएं इस प्रकार हैं: विंग वूमेन हॉस्टल, +वन स्टॉप सेंटर, शॉर्ट स्टेहोम्स और वृद्धाश्रम +इत्यादि। साथ ही विभाग ने महिलाओं, बच्चों +और बुजुर्गों के लिए हेल्पलाइन भी शुरू +की हे। + +विभाग कई सामाजिक कानूनों को भी +लागू करता है जिनसे महिलाओं, बच्चों और + + + + + + + +लेखिका सामाजिक कल्याण, तमिलनाडु सरकार में निदेशक हैं। उन्होंने महिला विकास हेतु तमिलनाडु कॉर्पोरेशन में प्रबंध निदेशक व प्रोजेक्ट निदेशक समेत तमिलनाडु +सरकार में विभिन्न पदों पर कार्य किया है। उन्होंने 44 तमिल उपन्यासों की रचना की है जिनमें विधवा पुनर्विवाह, अनाथ बच्चों को अपनाने, महिला साक्षरता व महिला +सशकक्‍तीकरण जैसे सामाजिक विषयों पर बात की गई है। ईमेल: amuthakalyan@gmail.com + +योजना, फरवरी 2018 + +29 + + + +0030.txt +<----------------------------------------------------------------------> +बुजुर्ग नागरिकों को वह सुरक्षा और अधिकार +प्राप्त हो सकें, जो उन्हें भारत के संविधान में +प्रदत्त हैं। ये कानून इस प्रकार हैं: + +* घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005, + +* दहेज निषेध अधिनियम, 1961, + +* बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006, +* कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से महिलाओं +का संरक्षण अधिनियम, 2013 तथा +* माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिकों का भरण + +पोषण तथा कल्याण अधिनियम, 2007। + +भारत के संविधान के अनुच्छेद 15 +(1) और (3) के अंतर्गत देश के प्रत्येक +नागरिक को समानता का अधिकार प्राप्त +है। जहां अनुच्छेद 14 व्यापक समता का +उल्लेख करता है, वहीं अनुच्छेद 15 के तहत +भेदभाव न करने की बात कही गई है। इनके +माध्यम से संविधान राज्य को यह अधिकार +देता है कि वह महिलाओं के लिए ठोस +कदम उठाए ताकि अनुच्छेद 14 में निहित +समानता के सिद्धांत को लागू किया जा सके। +इसके अतिरिक्त अनुच्छेद 21 में यह कहा +गया है कि प्रत्येक व्यक्ति को जीवन और +व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार है। अगर +अनुच्छेद 21 में प्रदत्त वचन को निभाना है तो +‘TAT तरीके से जीवन जीने का +अधिकार प्रदान करना बहुत आवश्यक है। +घरों में महिला उत्पीड़न के खिलाफ +शिकायत निवारण प्रणाली + +घरेलू हिंसा गरिमा के साथ जीवन +जीने के बुनियादी अधिकारों का उल्लंघन + +है। गौरतलब है कि अनुच्छेद 21 न सिर्फ +प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपायों की मांग करता +है, बल्कि सरकार से यह अपेक्षा भी करता +है कि वह गरिमा के साथ जीवन जीने के +अधिकार की रक्षा और उसे पूर्ण करने के +लिए यथोचित रूप से कार्य करेगी या उचित +प्रक्रियाओं का पालन करेगी। हालांकि निजी + +दायरे में निजी लोगों या गैर सरकारी लोगों + +द्वारा की जाने वाली हिंसा जैसे घरेलू हिंसा +को रोकना एक कठिन कार्य है। इसीलिए यह +न्याय प्रदान की अवधारणा के लिए बहुत +बड़ी चुनौती पेश करती है। अतः यह जरूरी +है कि कानून में निजी दायरे में हिंसा को +पारिभाषित किया जाए और उसे रोकने के +उपाय किए जाएं। + +2012 में दिल्‍ली में दुखद बलात्कार +और हत्या के मामले के बाद सरकार ने +एक निर्भया कोष बनाया ताकि महिलाओं की +सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए विशेष +योजनाओं के कार्यान्वयन पर नजर रखी जा +सके। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने +भारत के संविधान के अंतर्गत महिलाओं को +प्रदत्त सुरक्षा के आधार पर कई नई पहल +की है जिन्हें राज्य सरकारों द्वारा लागू किया +गया है। + +महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने और +उनके अधिकारों को पुष्ट करने के लिए +केंद्रीय स्तर पर राष्ट्रीय महिला आयोग की +स्थापना की गई है। इसके अतिरिक्त राज्य +सरकारों द्वारा महिलाओं के अधिकारों के + + + +30 + +उल्लंघन से संबंधित मुद्दों को उठाने के लिए +महिला आयोग का गठन किया गया है। दहेज +उत्पीड़न, घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न, अपहरण, +छेड़छाड़ और अन्य पारिवारिक विवादों से +पीडित महिलाएं अपनी शिकायतों के त्वरित +और प्रभावी निवारण के लिए राज्य महिला +आयोगों से संपर्क कर सकती हैं। इस संबंध +में लोगों की राय जानने, उनकी शिकायतों को +हल करने के लिए राज्य महिला आयोग जन +सुनवाई भी करते हैं। + +इसी प्रकार स्वतंत्र मानवाधिकार आयोगों +और राज्य बाल अधिकार आयोग जैसे अन्य +मंच भी हैं जो आम जनता और विशेष रूप +से बच्चों आदि की शिकायतों का निवारण +करते हैं। +कार्यस्थलों पर महिलाओं के लिए +शिकायत निवारण प्रणाली + +सामाजिक कानूनों पर एक पुस्तिका +तैयार की गई है और विभिन्न विभागों में +कार्य करने वाले हितधारकों को प्रशिक्षण +प्रदान किया जा रहा है। कार्यस्थल पर +महिलाओं के यौन उत्पीड़न (निषेध, +रोकथाम और निवारण) अधिनियम 2013 +से संबंधित पोस्टर छापे गए हैं और उन्‍हें +सभी जिलों को भेजा गया है ताकि वे उन्‍हें +महत्वपूर्ण स्थानों पर प्रदर्शित कर सके। मेट्रो +रेलों और एमटीसी बसों में भी इन पोस्टरों +को प्रदर्शित किया गया है। + +भारत सरकार ने महिला और बाल +विकास मंत्रालय के माध्यम से शि-बॉक्स +(SHe-Box) नामक एक अनूठी ऑनलाइन +शिकायत प्रणाली विकसित की है (एऋएफ़. +mwcosQhebox.nic.in)| यौन उत्पीड़न +इलेक्ट्रॉनिक बॉक्स ($ाप्त८-305) भारत +सरकार की ऐसी पहल हे जिसका उद्देश्य +प्रत्येक महिला को यौन शोषण की शिकायत +दर्ज कराने के लिए सिंगल विंडो एक्सेस +प्रदान करना है, चाहे वह कोई भी कार्य +करे, संगठित या असंगठित क्षेत्र से जुड़ी +हो, निजी या सार्वजनिक क्षेत्र में संलग्न +हो। इस पोर्टल पर कोई भी महिला काम +करने की जगह पर होने वाले यौन उत्पीड़न +की शिकायत दर्ज करा सकती है। एक बार +शिकायत ‘SHe-Box’ ¥ War et we a +उसे सीधे उस संबंधित प्राधिकारी को भेज +दिया जाता है जिसे इस मामले में कार्रवाई +करने का अधिकार हो। + +योजना, फरवरी 2018 + + + +0031.txt +<----------------------------------------------------------------------> +भारत सरकार ने सखी नामक एक +विशेष योजना प्रस्तावित की है जो एक वन +स्टॉप सेंटर (ओएससी) है। इसका उद्देश्य +निजी और सार्वजनिक स्थानों में, परिवार के +भीतर, समुदाय और कार्यस्थल पर, हिंसा से +प्रभावित महिलाओं को सहयोग प्रदान करना +है। इस योजना का लक्ष्य यह है कि निजी +और सार्वजनिक स्थानों पर हिंसा से प्रभावित +महिलाओं को न केवल एकीकृत सहायता +(चिकित्सा, कानूनी और पुलिस सहायता) +प्राप्त हो बल्कि उन्हें सहयोग भी प्रदान किया +जाए। + +ओएससी पीडित महिलाओं के लिए किस +प्रकार कार्य करता है, इसके संबंध में ओएससी +के कर्मचारियों को प्रशिक्षण प्रदान किया जा +रहा है। जिला समाज कल्याण अधिकारियों, +सुरक्षा अधिकारियों, स्थानीय पुलिसकर्मियों, +जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण, सामुदायिक +आधारित संगठनों, आईसीडीएस और स्वास्थ्य +विभाग के अधिकारियों को पीड़ित महिलाओं +की मदद करने के बारे में जागरूक किया जा +रहा है। ओएससी में काउंसलर्स नियुक्त किए +जा रहे हैं और जो महिलाएं स्वयं या केंद्र +द्वारा रेफर किए जाने के बाद इस केद्र में पहुंच +रही हैं, उन्हें मनोवैज्ञानिक-सामाजिक सहायता +प्रदान की जा रही हैं। + +भारत सरकार ने महिला हेल्पलाइन के +सार्वभौमीकरण की योजना का शुभारंभ किया +है। इसका उद्देश्य रेफलल (पुलिस, वन स्टॉप +सेंटर, अस्पताल जैसे उपयुक्त प्राधिकारियों से +जोड़ना) के जरिए हिंसा की शिकार महिलाओं +को 24 घंटे तत्काल और आपात मदद देना है +और सिंगल यूनिफॉर्म नंबर के माध्यम से देश +भर में महिलाओं के लिए संचालित सरकारी +योजनाओं की जानकारी प्रदान करना है। + +विभाग के भीतर सूचनाओं के + +५11९-11305४ ऑनलाइन ज्ञिकायत प्रबंधन प्रणाली +यदि आप कार्यस्थल पर योन उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं + + + +और कार्यों की जानकारी प्रदान की जाए +और वे सूचनाएं प्राप्त हों जिसमें सरकार की +जिम्मेदारियों और सेवाएं प्रदान करने की उनकी +क्षमता का आकलन किया जा सके। + +नागरिक घोषणा-पत्र सरकार की +प्रतिबद्धता और दृष्टिकोण को स्पष्ट करता है +कि वह किस प्रकार शिकायतों का निवारण +करेगी। साथ ही इसमें लगने वाले समय, +संभावित उपायों का दायरा, शिकायत दर्ज + +वरिद्र नागरिक अधिनियम के अंतर्गत +राजस्व विभाग के स्तर पर अधिकरणों का +गठन किया गया है जिससे माता-पिता और +वरिष्ठ नागरिकों की शिकायतों का निवारण +किया जा सके और अगर उनके बच्चे उन पर +ध्यान नहीं देते, तो बच्चों से उन्हें मुआवजा +दिलाया जा सके। +निष्कर्ष + +किसी भी शिकायत प्रणाली को + + + +कराने की प्रक्रिया, उसके लिए जरूरी सूचना +एवं दस्तावेज, सेवा के मानक, शिकायतकर्ताओं +के अधिकार, शिकायतकर्ताओं-आवेदकों से +की जाने वाली अपेक्षाएं और सेवाएं प्रदान +करने वाले कर्मचारियों की जानकारियों को +भी स्पष्ट किया गया है। + +ग्रामीणों की शिकायतों को हल करने के +लिए ग्राम स्तर पर ग्राम सभाएं आयोजित की +जाती हैं और इस प्रक्रिया को एक मजबूत +पंचायती राज प्रणाली आसान बनाती हे, + +किशोर न्याय अधिनियम के जरिए बाल +गृहों पर निरीक्षण किया जाता है। साथ ही +बच्चों की ट्रैकिंग प्रणाली पर नजर रखी जाती +है और बच्चों के खिलाफ सभी प्रकार के + + + +साझाकरण और ज्ञान प्रबंधन को बढ़ाने के +लिए ऑनलाइन एमआईएस रिपोर्टिंग सिस्टम +के सहयोग से एक यूजर फ्रेंडली वेबसाइट +को विकसित किया गया है। इस वेबसाइट में +विभाग की योजनाओं और कानूनों, घटनाओं +आदि से संबंधित सभी जानकारियों को +अपडेट किया गया है। +शिकायत निवारण के अन्य उपाय + +सूचना का अधिकार अधिनियम में अपेक्षा +की गई है कि जनता को सामाजिक कल्याण +और अभिशासन हेतु प्रारंभ की गई गतिविधियों + +योजना, फरवरी 2018 + + + +उत्पीड़न एवं उनकी तस्करी को रोकने का +प्रयास किया जाता है। विभाग ने 40,000 से +अधिक महिलाओं की शिकायतों को प्रभावी +ढंग से निपटाया है और राज्यों में 6000 से +अधिक बाल विवाह रोके हें। + +कामकाजी महिलाओं के हॉस्टलों में +महिलाओं को सुरक्षा एवं राहत प्रदान करने +का काम हॉस्टल्स अधिनियम करता है। +इसके अतिरिक्त हॉस्टलों में उनकी बुनियादी +सुविधाओं जैसे उनके रहवास, भोजन एवं +सुरक्षा को सुनिश्चित करता हेै। + +मजबूती तभी मिल सकती है जब सूचनाओं +को एकत्रित करने के साथ-साथ उनका +विश्लेषण भी किया जाए। इसलिए ऐसी +समितियों का गठन किया जाना चाहिए +जो यह देखें कि कितनी शिकायतें प्राप्त +होती हैं, किन मामलों को निपटाया जाता +है। इसके अलावा कितने मामलों को उच्च +स्तरीय अधिकारी को रेफर किया जा सकता +है, इत्यादि। इसी प्रकार अक्सर पूछे जाने +वाले प्रश्नों (एफएक्यू) और सरकारी विभागों +द्वारा गलतियां दोहराएं जाने को भी रिकॉर्ड +किया जाना चाहिए और उनकी समीक्षा +होनी चाहिए। लोक सेवा के लिए समर्पित +संगठनात्मक संस्कृति को विकसित करना ही +एक प्रभावी शिकायत प्रबंधन प्रणाली का +आधार हे। + +कुल मिलाकर, जनशिकायतें किसी +सार्वजनिक संस्थान के लिए महत्वपूर्ण होती +हैं। इनके जरिए प्रशासन मजबूत होता है +और उनकी प्रतिष्ठा बढ़ती है। इससे किसी +प्रशासनिक प्रणाली पर लोगों का विश्वास +भी बढ़ता है। शिकायत करने वाले को +अपना मित्र बनाया जाना चाहिए और बेहतरी +के लिए स्वयं में सुधार करने का प्रयास +करना चाहिए। QO + +31 + + + +0032.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +पढ़े उनसे जिनसे पढ़ने का सपना छात्रों के +साथ-साथ शिक्षकों का भी रहता है। + + + + + + + + + + + + + +6) (Reg ee see) ) 25 years Exp. — +' (७७1 | 25 ५९४४५ 590). | | LR & था +"1 ६008$90,100,| + | Polity + + + + + + + + + + + + + + + + + +Akhtar Malik $01|१५ आधी +a p | 15 years Exp छू Expert in +: History History & +& Culture Current Affairs + + + + + +ma +ee |. 20 years Exp 15 years Exp +। भ Economy Polity & +& Sci. Tech. Governance & Ethics +है. +"* Selected (2 An Expert of +4 sans ‘f Geography + + + + + + + + + + + + + + + + + +Madhukar +Kotway + +Uildilod Steadol + + + +बैच प्रारम्भ + + + + + + + + + +बैच प्रारम्भ + + + +प्रयाग महिला विद्यापीठ के सामने, +वात्सल्य हॉस्पिटल के प्रास, +सिविल लाइन्स, इलाहाबाद + + + + + +8 42, (Aliganj Plaza)Sector J +opposite, Mr. Brown & +Bakery, Aliganj, Lucknow. |. + + + +8182815193, 8182815292] 9628948321, 8917851269 | + +32 + +योजना, फरवरी 2018 + + + +0033.txt +<----------------------------------------------------------------------> +स्वच्छ भारत के लिए व्यवहार परिवर्तन संचार + +परमेश्वरन अय्यर + + + + + + + + + +डुबकी सेहत +Ro FR + +भारत की ही तरह अन्य +विभिन्न देशों में भी स्वच्छता +अभियान की सफलता की +राह में अनेक रोड़े हैं जिनकी +वजह से अभियान की +कामयाबी कठिन एवं जटिल +हो जाती है। इन समस्याओं +का सफलता पूर्वक सामना +करने के लिए, स्वच्छ भारत +अभियान के अंतर्गत राज्यों +में अनुकूल कार्य योजनाओं +को तैयार करने की दृष्टि से +पर्याप्त लचीलापन बरता गया +है। अभियान में क्षेत्रीय भाषाओं +का प्रयोग, अभियान को +प्रभावी बनाने के लिए स्थानीय +लोक कलाकारों का उपयोग, +वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगों +के लिए अनुकूलित शौचालय +प्रौद्योगिकी आदि समाधान +इसमें सम्मिलित हैं। इसमें राज्यों +पर किसी प्रकार की कोई +पाबंदी नहीं है + + + + + + + +रत में पिछले चार दशक में +OT देश में विभिन्न सरकारों द्वारा +ग्रामीण स्वच्छता के लिए अनेक +कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों +में सुरक्षित स्वच्छता का ऐसा प्रथम प्रयास +केंद्रीय ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम 1981 था। +इसे संपूर्ण स्वच्छक_ा अभियान (टीएससी) +के रूप में 1999 में निर्मल भारत अभियान +के रूप में पुनर्गठित किया गया। देश में +स्वच्छ भारत अभियान के रूप में इस प्रकार +का अपूर्व जन उभार पहले कभी नहीं देखा +गया। यह दुनिया का सबसे बड़ा स्वच्छता +कार्यक्रम है। स्वच्छ भारत अभियान अपने +पूर्व निर्धारित प्रारूप से भी आगे निकल चुका +है, यह जनसमुदाय की व्यापक भागीदारी पर +आधारित एक व्यापक जन आंदोलन का रूप +लेता जा रहा है। +यह आलेख स्वच्छ भारत अभियान +(ग्रामीण) के अपने लक्ष्य पूर्ण स्वच्छता +की प्रगति की यात्रा को प्रदर्शित करता है। +लेख में कार्यक्रम का सिंहावलोकन, इसकी +प्रगति और उपलब्धियों पर नजर डालने के +बाद, अभियान के मुख्य आधार समुदायिक +भागीदारी और कार्यक्रम के श्रेष्ठतम प्रभावों +पर विचार किया गया है। इसके अलावा, +प्रपत्र में विभिन्न अभियानों और घटनाओं की +चर्चा की गई है, जिन्होंने इसे जनआंदोलन +के रूप में विकसित किया। यह लेख 2019 +में स्वच्छ भारत की दिशा में आगे बढ़ने, +इसे जारी रखने के लिए इसके संदेशों के +प्रसारण और इन्हें श्रोताओं के अनुकूल बनाने +तथा व्यवहार परिवर्तन संवाद (बीसीसी) का +महत्व रेखांकित करता हे। +लाल किले से 2 अक्टूबर 2014 को +अपने ऐतिहासिक संबोधन में प्रधानमंत्री ने + + + + + + + +स्वच्छ भारत के लिए आह्वान किया और +फिर इस असाधारण तथा साहसिक कार्य में +सफलता के लिए उन्‍होंने पथ प्रदर्शन किया। +2014 के बाद से, शौचालय युक्‍त घरों की +संख्या का प्रतिशत दो गुना बढ़ चुका है। +शौचालय युक्त घर सिर्फ 3 वर्षों के भीतर +6 करोड़ हो गए हैं। ये 2014 में 39 प्रतिशत +थे जो अब बढ़कर 76 प्रतिशत से अधिक +हो चुके हैं। इन तीन वर्षों में स्वच्छता मोर्चे +पर देश ने जो यह उपलब्धि हासिल की हे, +वह आजादी के 67 वर्षों के बराबर है! सात +राज्यों (सिक्किम, केरल, हिमाचल प्रदेश, +उत्तराखंड, हरियाणा, गुजगत और अरुणाचल +प्रदेश) के ग्रामीण इलाके और दो केंद्र +शासित प्रदेश (चंडीगढ़ और दमन और दीव) +खुले शौच मुक्त ( ओडीएफ) हो चुके हैं। +खुले में शौच की समस्या को कम करने +की दिशा में स्वच्छ भारत अभियान की अनेक +उल्लेखनीय उपलब्धियां हैं। इस अभियान में +व्यवहार परिवर्तन, जरूरत-आधारित क्षमता +निर्माण और परिणामों के लगातार आकलन +पर जिस प्रकार जोर दिया गया उसके बदौलत +ही यह कामयाबी मुमकिन हो सकी है। +कार्यक्रम की निरंतरता बनी रहे इसके लिए +शौचालयों के निर्माण तक सीमित रहने की +जगह लोगों के व्यवहार में परिवर्तन और +खुले में शौच मुक्त के लिए सामाज की +भागीदारी के आकलन पर मुख्य जोर दिया +गया। स्वच्छ भारत अभियान (एसबीएम) के +प्रमुख संप्रेषक खुद प्रधानमंत्री हैँ और सब +कुछ उनके नेतृत्व में संचालित हुआ हे, +इसने गेमचेंजर की तरह निर्णायक भूमिका का +निर्वाह किया। अतीत के स्वच्छता अभियानों +एवं वर्तमान स्वच्छ भारत अभियान में यह +एक प्रमुख अंतर है। यह अभियान जैसे-जैसे + + + +लेखक पेयजल व स्वच्छता मंत्रालय, भारत सरकार में सचिव हैं। स्वच्छता के क्षेत्र में उनका अनुभव बेहद व्यापक है। वे पहले वर्ल्ड बैंक में प्रोग्राम लीडर व लीड +प्रमुख जल विशेषज्ञ रह चुके हैं और साथ ही विश्व बैंक के वाटर ऐंकर कार्यक्रम से भी संबद्ध @ 1 La: param.iyer@gov.in + +योजना, फरवरी 2018 + +33 + + + +0034.txt +<----------------------------------------------------------------------> +आगे बढ़ता है, व्यक्तियों और समुदायों +के लिए यह बात अधिक महत्वपूर्ण होती +जाती है कि वे स्वयं ओर अपने आस-पास +साफ-सफाई और स्वच्छता की जिम्मेदारी +ग्रहण करें। अत्यंत पुराने समय से चले आ रहे +परंपरागत तौर-तरीकों, प्रवृति एवं मनःस्थिति +में परिवर्तन के साथ व्यवहार में बदलाव द्वारा +ही यह मुमकिन हेै। + +इस बारे में पारस्परिक संवाद ( आईपीसी ) +स्वच्छ भारत अभियान का एक महत्वपूर्ण पक्ष +है। आईपीसी के अंतर्गत विभिन्न गतिविधियां + + + +जैसे कि दरवाजे-दरवाजे जाकर जागरूकता +उत्पन्न करना, गांवों में सुबह-सुबह ऐसे खुले +शौच के स्थानों जहां आम तौर पर लोग +शौच किया करते हैं, निगरानी करना आदि +सम्मिलित हैं। जागरूकता कार्यक्रम आयोजित + +करने और सुधार प्रक्रिया में नागरिकों की +सहभागिता पर जोर दिया गया है। देश के +सभी गांवों में स्वच्छाग्रहियों की वाहिनी बनाई +गयी हैं, विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम +से इसके सदस्यों की बहुआयामी क्षमताओं +को विकसित किया गया। ये स्वच्छता के वे +अग्रिम सिपाही हैं, जिनके माध्यम से अभियान +को अतर-व्यक्तिगत संवाद (आईपीसी) के +जरिए आधारभूत, गहराई और व्यापक स्तर पर +विकसित किया जाता हैं। वर्तमान में, प्रबंधन +सूचना प्रणाली (एमआईएस) में लगभग +3.5 लाख स्वच्छताग्रही पंजीकृत हैं और यह +संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। + +गांव की बेठकों के दोरान स्वच्छाग्रही +जन भावनाओं को उद्देलित करने में +प्रत्यक्ष भूमिका अदा करते हैं। सामुदायिक + + + +स्वच्छता कवरेज + +तब + +38,7% + +2 अक्टूबर 2014 + + + +अब + + + +भारत के स्वच्छ भारत समिद्ान में + +त्वरित प्रगति + +12 जनवरी 2018 + +785 89 + +34 + + + +दृष्टिकोण से स्वच्छता कार्यक्रम (सीएएस) +के अंतर्गत सभी जिलों में प्रमुख प्रशिक्षक +(मास्टर ट्रेन) के माध्यम से सर्वेक्षण +और बैठकों का आयोजन किया जाता है। +ग्रामीणों को शौचालय बनाने के महत्व के +साथ भावनात्मत्मक रूप से प्रेरित किया +जाता है। इसके लिए मानव के व्यवहार को +संचालित करने वाले विभिन्न पक्ष, जैसे कि +परिवार के प्रति प्रेम, बच्चों की देखभाल, +सामाजिक स्तर, स्वाभिमान, समाज में सम्मान +आदि भावों को जाग्रत किया जाता है। प्रतिष्ठा +या निजी गरिमा, सुरक्षा और स्वास्थ्य पर जोर +देने के लिए गंदगी के प्रति घृणा या मातृत्व +की भावनाओं को प्रेरित किया जाता हे। + +ये “प्रेरक'” सामान्य तौर पर ग्रामीणों +से शौचालय बनाने के लिए सीधे-सीधे नहीं +कहते हैं, बल्कि कुछ इस अंदाज में सवालों +को पेश करते हैं कि वे स्वयं आत्मनिरीक्षण +करने के लिए प्रेरित होते हैं और उन्हें खुद यह +अहसास होता है कि घर में शौचालय बनाना +और उसका नियमित प्रयोग करना ही उनके +और उनके परिवारों के लिए सबसे अच्छा +है। इसका एक उदाहरण है, स्वच्छाग्रही एक +सीधा सा सवाल करता है, “एक समय में +एक व्यक्ति कितना मलोत्सर्जन करता 3?” +विकल्प यह दिया जाता है 200 ग्राम से 400 +ग्राम; 400 ग्राम से 600 ग्राम; या 600 ग्राम +से अधिक। अधिकांश लोगों का जवाब 500 +ग्राम प्रति व्यक्ति होता है। इस हिसाब से पांच +सदस्यों के एक परिवार द्वारा यदि प्रतिदिन +खुले में एक समय में 2.5 किलोग्राम मल +पदार्थ का उत्सर्जन और चार परिवारों द्वारा 10 +किलो मल उर्त्सजन किया जाता है, तो इस +मल पर बेठने वाली मक्खियां जब भोजन पर +बैठती हैं तो इस माध्यम से वह मल हमारे +भोजन में सम्मिलित हो जाती हैं। इस तरह के +सवाल-जवाब के माध्यम से होने वाले संवाद +का ग्रामवासियों पर जबरदस्त प्रभाव पड़ता है। + +स्वच्छाग्रही सभी उम्र, लिंग, जाति एवं +धर्म से संबंधित होते हैं। बच्चे स्वच्छता के +सर्वोत्तम समर्थक हैं। देश के सभी जिलों में +वानरसेना के रूप में छोटे बच्चों की टीम +इसकी निगरानी करती है कि कोई भी खुले +में शौच नहीं करे। वह इसकी निगरानी में +बड़ी कारगर भूमिका अदा कर रही हे। वे इसे +खेल बना लेते हैं। खुले में शौच को रोकने के +लिए उनके दिलचस्प उपाय हैं, जैसे कि कोई + +योजना, फरवरी 2018 + + + +0035.txt +<----------------------------------------------------------------------> +खुले में शौच करता हो तो सीटी बजाना, गाने +गाते हुए जागरूकता फैलाना। वे खुले शौच +के हानिकारक प्रभाव से लोगों को अवगत +कराने में उत्साह के साथ जुट जाते हैं। वे +सुबह-सवेरे गांव में खेतों एवं आम स्थल +जहां लोग खुले शौच जाया करते हैं, पहुंच +जाते हैं और लोगों से शौचालय बनाने और +उसका उपयोग करने के लिए कहते हैं। जब +तक शौचालय न बने तब तक मल पर मिट्टी +डाल कर उसे ढक देने की सलाह देते हैं, +ताकि खुले शौच से जुड़ी बीमारियों के फैलने +से बचाव हो सके। इसके अलावा, बच्चे +घर-घर जाकर स्वच्छ भारत अभियान का +संदेश देते हैं। ये बच्चे क्योंकि गांव-समाज +के ही बच्चे हैं, इसलिए वे जब लगातार +लोगों को टोकते हैं या स्वच्छता का संदेश +देते हैं तो लोग बुरा नहीं मानते। इस प्रकार +वानर सेना समाज के भीतर से उसे प्रेरित और +जागरूक करने का बेहद कारगर माध्यम हे। + +वानरसेना और अन्य ऐसे उदाहरणों से +यह स्थापित हुआ है कि समाज के भीतर से +स्वच्छता अभियान के हरावलों को विकसित +करने की कार्यप्रणाली ऊपर से निर्देशित +कमांड श्रृंखला की तुलना में अधिक बेहतर, +प्रेरक और प्रभावशाली है। इस कार्यशैली से +खुले में शोच मुक्त ग्राम विकसित करने के +लक्ष्य को हासिल करने के लिए पूरे समाज +में एकता विकसित होती है। + +राष्ट्रीय स्तर पर, जमीनी स्तर पर किए +जा रहे कामों को बल प्रदान करने के लिए +विभिन्न कार्यक्रम और आयोजन किए जाते हैं। +इनके अंतर्गत किए जा रहे कामों को संदेश +के रूप में प्रचारित करने, इनकी चर्चाओं को +ताजा रखने और जनआंदोलन को गुंजायमान +रखना भी अभियान का महत्वपूर्ण अंग है। +गांवों में शौचालय के उपयोग को बढ़ावा +देने के लिए, मई 2017 में पेयजल और +स्वच्छता मंत्रालय ने दरवाजा बंद नाम से +एक नया आक्रामक अभियान प्रारंभ किया है। +दरवाजा बंद एक प्रतीक है, खुले में शौच की +जगह दरवाजा बंद करके शौच करना चाहिए +इसके माध्यम से यह संदेश दिया गया है। +सुप्रसिद्ध अभिनेता अमिताभ बच्चन के नेतृत्व +में इस कार्यक्रम को उन लोगों के व्यवहार +में परिवर्तन के लिए तैयार किया गया है, +जिनके घरों में शौचालय तो हैं, लेकिन वे +उनका इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। अभिनेत्री + +योजना, फरवरी 2018 + +| 5. छः * +अनुष्का शर्मा द्वारा गांवों में महिलाओं को इस +अभियान में सम्मिलित होने और नेतृत्वकारी +भूमिका अदा करने के लिए प्रोत्साहित किया +गया हे। + +इन ब्रांड एंबेसडरों द्वारा मास मीडिया के +माध्यम से सामाजिक गतिशीलता को बढ़ावा +देने से राष्ट्रीय स्तर पर अभियान को जबरदस्त +मान्यता मिली है। मुख्यधारा के फिल्म उद्योग +में भी स्वच्छता के सरोकार ने अपनी जगह +बनाई है। इसमें, टॉयलेट: एक प्रेम कथा, +उल्लेखनीय फिल्म है, जिसमें अक्षय कुमार +और भूमि पेडनेकर मुख्य किरदार में हैं। इसमें +स्वच्छता के संदेश, इसके प्रति जागरूकता के +साथ जमीनी हकीकत को भी उजागर किया +गया है और इस अभियान द्वारा धरातल पर +किए गए कामों को भी बताया गया है। यह + +खुले में शौच्र मुक्त गांवों में +निगरानी समितियों के रूप में +बीकानेर में रेत के टिब्बों में सूयोदय +की पूर्व बेला में, पुरुषों, महिलाओं +और बच्चों के समूह उन लोगों पर +निगरानी और उन्हें शर्मिन्दरगी का +अहसास कराने के लिए निकल पड़ते +हैं जो खुले में शौच करते हैं। अक्सर +बच्चों की छोटी टोलियां इसमें सबसे +आगे रहती हैं। इस बैंको बीकाना +अभियान का लक्ष्य पश्चिमी राजस्थान +में बीकानेर जिले में खुले में शौच +मुक्त ( ओडीएफ ) ग्राम पंचायतें हैं। +व्यवहार बदलने का प्रयास समय बीत +जाने के बाद हासिल सफलता पलट +न जाए इस खतरे को कम करता है। + + + + + +| aS a +एक पत्नी की कहानी है जो अपनी ससुराल में +शौचालय नहीं होने के कारण अपने पति का +घर छोड़ देती है। यह एक असाधारण मामला +था, परंतु स्वच्छ भारत मिशन के शुरू होने +के बाद से, ग्रामीण भारत में महिलाओं का +अपने अधिकार के लिए संघर्ष में शौचालय +एक जीवंत विषय बन गया है। + +सितंबर 2017 में स्वच्छता ही सेवा +पखवाडे में 9 करोड़ से अधिक लोगों ने +अपने समुदायों के साथ स्वच्छता के लिए +श्रमदान किया, स्वच्छता की शपथ ली, +साफ-सफाई पर निबंध लिखे, चित्र और +फिल्में बनाई। इस तरह यह पखवाड़ा नागरिक +भागीदारी को बढ़ाने के लिए एक मंच बन +गया। अनेक विख्यात हस्तियां समर्थन में +आगे आईं, हॉकी टीम ने बंगलुरू को साफ +करने का बीडा उठाया, राजनीतिक नेताओं ने +पूरे देश में स्वच्छता अभियानों का उद्घाटन +किया। भारतीय क्रिकेट टीम ने भी थधब्बों +को साफ कर अभियान में सहभागिता की, +स्वच्छता पर लघु वीडियो बनाए गए, जिन्हें +उनके मैचों के टीवी शो के दौरान प्रसारित +हुए। इसने अभियान को गति प्रदान की +और इसे नयी ऊंचाई पर पहुंचाया। समाज +की सहभागिता बढ़ने के साथ स्वच्छ भारत +अभियान (ग्रामीण) आगे बढ़ा हे। + +भारत की ही तरह अन्य विभिन्न देशों में +भी स्वच्छता अभियान कौ सफलता की राह +में अनेक रोडे हैं जिनकी वजह से अभियान +की कामयाबी कठिन एवं जटिल हो जाती +है। इन समस्याओं का सफलता पूर्वक सामना +करने के लिए, स्वच्छ भारत अभियान के +अंतर्गत राज्यों में अनुकूल कार्य योजनाओं को +तैयार करने की दृष्टि से पर्याप्त लचीलापन + +35 + + + +0036.txt +<----------------------------------------------------------------------> +स्वच्छ भारत मिशन + +स्वच्छता: 2017 में हासिल उल्लेखनीय उपलब्धियां + +a स्वच्छता कवरेज प्राप्त करने के प्रयासों को तेज +करने के लिए और सुरक्षित सैनिटेशन पर विशेष ध्यान देने +के लिए प्रधानमंत्री ने महात्मा गांधी के जन्मदिवस 2 अक्तूबर 2014 +को स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) की शुरुआत की। एसबीएम का +लक्ष्य 2 अक्तूबर 2019 तक स्वच्छ भारत का निर्माण है जिससे कि +गांधी जी के जन्मदिन 150 वीं वर्षगांठ पर उन्हें देश की ओर से सच्ची +श्रद्धांजलि दी जा सके। + +खुले में शौच मुक्त भारत के स्वप्न को साकार करने के लिए +व्यवहारगत बदलाव की सबसे ज्यादा व आधारभूत जुरूरत है। पेयजल +व स्वच्छता मंत्रालय मंत्रालय इसे अपने केन्द्रित सूचना, शिक्षा व +संप्रेषण कार्यक्रम के जरिए कर रहा है। यह जेंडर सेंसिटिव सूचना, +व्यवहारगत बदलाव दिशानिर्देश तथा विभिन्न जन शिक्षा गतिविधियों को +प्रमोट करता है। मंत्रालय ने 2017 में जेंडर दिशानिर्देश और 2015 में +ऋतुचक्र प्रबंधन दिशानिर्देश जारी किया। + +2 अक्तूबर 2014 को एसबीएम की शुरुआत के वक्‍त सैनिटेशन +कवरेज 38.70 प्रतिशत था। 18 दिसंबर 2017 तक यह बढ़कर 74.15 +प्रतिशत हो गया। +स्वच्छ भारत मिशन : स्वच्छता सबकी जिम्मेदारी + +पेयजल व स्वच्छता मंत्रालय को इसे आबंटित एसबीएम- ग्रामीण +के प्रभार के अलावा, स्वच्छ भारत के लक्ष्य को पूरा करने की दशा +में सभी गतिविधियां व पहल अनिवार्य रूप से करने हैं। इस जिम्मेदारी +को पूरा करने में मंत्रालय अन्य सभी मंत्रालयों, राज्य सरकारों, स्थानीय +संस्थाओं , एनजीओ, विश्वसनीय संगठनों, मीडिया व अन्य स्टेकधारकों +के साथ मिलकर लगातार काम कर रहा है। यह प्रयास प्रधानमंत्री +के उस आह्वान पर आधारित हे कि स्वच्छता सबकी जिम्मेदारी होनी +चाहिए न कि सिर्फ स्वच्छता विभाग की। इस प्रक्रिया में काफी कम +समय में कई विशेष पहल व प्रोजेक्ट्स शुरू हुए हैं। सभी स्टेकधारकों +से मिला रही प्रतिक्रियाएं काफी उत्साहवर्द्धक हैं। +स्वच्छता पखवाड़ा + +अप्रैल 2016 में शुरू स्वच्छता पखवाड़ा का लक्ष्य केन्द्रीय मंत्रालयों + +व उनके विभागों द्वारा स्वच्छता के विभिन्न मसलों पर केन्द्रित पखवाड़े का +आयोजन करना है। पखवाड़ा गतिविधियों के लिए योजना बनाने में मंत्रालयों +की मदद करने के लिए उन्हें एक वार्षिक कैलेण्डर बांटा गया। +नमामि गंगे + +नमामि गंगे कार्यक्रम जल संसाधन मंत्रालय की एक पहल +है जिसके तहत गंगा तट पर बसे गांवों को खुले में शौच मुक्त +(ओडीएफ) बनाना है और ठोस व तरल कचरा प्रबंधन की दिशा में +आ रही समस्याओं को पेयजल व स्वच्छता मंत्रालय द्वारा दूर करने का +प्रयास किया जा रहा है। + +Pr 5५ + +vy i + +Lad +. 3,00,000 ; 10 राज्य और +1 । केंद्रशासित प्रदेश + +खुले में शौच से मुक्त ( ओडीएफ ) + +2 अक्टूबर 2014 से अब तक +5.92 करोड़ नये शौचालय बनाये गये + +nn + +स्वच्छ भारत मिशन : सफलता के +नये आयाम +12 जनवरी 2018 + +1.1K 99 + + + + + +बरता गया है। अभियान में क्षेत्रीय भाषाओं +का प्रयोग, अभियान को प्रभावी बनाने के +लिए स्थानीय लोक कलाकारों का उपयोग, +वरिष्ठ नागरिकों और अन्यथा सक्षम लोगों के +लिए अनुकूलित शौचालय प्रौद्योगिकी आदि +समाधान इसमें सम्मिलित हैं। इसमें राज्यों पर +किसी प्रकार की कोई पाबंदी नहीं हे। + +देश में खुले में शौच मुक्त गांवों की +संख्या 300,000 से अधिक हो चुकी है। यहां +यह जानना महत्वपूर्ण है कि इनमें से कई जिलों +में खुले में शौच से मुक्त लक्ष्य हासिल करने में +अनेक चुनौतियों से गुजरना पड़ा है। अन्य कई + +36 + +जिले हैं जिनके लिए इन जिलों के अनुभव + +जनता की अगुआई में समुदाय संचालित + + + +काम आ सकते हैं। पेयजल और स्वच्छता +मंत्रालय (एमडीडब्ल्यूएस) जिला एवं विकास +खंडों के स्तर पर प्रशासकों को इन अनुभवों से +सीखने के लिए अनेक प्रकार से पहल ले रहा +है। उदाहरण के लिए राजस्थान के शुष्क थार +मरुस्थल में स्थित बीकानेर जिले में स्वच्छता +कार्यक्रम के दौरान अनेक सांस्कृतिक और +भौगोलिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा +लेकिन जब बैंकों बिकानो शुरू किया गया, तो +सभी आश्चर्य चकित रह गए। लक्ष्य आधारित +सरकारी कार्यक्रमों से अलग, यह गांव की + +कार्यक्रम है। इसके अलावा, इस कार्यक्रम का +मूल आधार महिलाओं के लिए प्रतिष्ठा और +आत्म सम्मान, परिवार, गांव और जिले के +लिए प्रतिष्ठा एवं गौरव है। बैंको बीकानों के +अभियान में स्थानीय भाषा और रीति-रिवाजों +का उपयोग किया गया। इस प्रकार ग्रामीण +बीकानेर के सामाजिक ताने-बाने में घुल मिल +कर यह कार्यक्रम लगभग स्व-चालित एवं +स्वतः स्फूर्त तरीके से विकसित हुआ है। + +यह एकीकृत और अभिनव नजरिया है +जिसके अंतर्गत ग्रामीण भारत में हर किसी + +योजना, फरवरी 2018 + + + +0037.txt +<----------------------------------------------------------------------> +उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड +और पश्चिम बंगाल के 52 जिलों के सभी +4470 गांवों को राज्य सरकारों की मदद से ४ +खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) घोषित किया +गया है। अब मंत्रालय ने एनएमसीजी के | +सहयोग से गंगा तट पर बसे 24 गांवों को गंगा +ग्राम में तब्दील करने का प्रयास कर रहा है। +स्वच्छता कार्य-योजना ( एसएपी ) + +एसएपी स्वच्छता हेतु अपनी तरह का +अनूठा अंतरमंत्रालयीय कार्यक्रम है जो कि +प्रधानमंत्री के इस नजरिए कि स्वच्छता सबकी ay हे | +जिम्मेदारी है का साकार रूप है। सभी युनियन +मंत्रालय/विभागों ने इसे साकार करने के लिए उपयुक्त बजट प्रावधानों +के साथ अर्थपूर्ण तरीके से काम करना शुरू कर दिया है। वित्त +मंत्रालय द्वारा इस दिशा में एक अलग बजट शीर्ष बनाया गया है। +वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान मंत्रालयों/विभागों ने अपने एसएपी +के लिए रुए 12468.62 करोड़ खर्च किया है। एसएपी कार्यान्वयन 1 +अप्रैल 2017 को आरंभ हुआ। +स्वच्छ आइकॉनिक स्थान ( एसआइपी ) + +पेय जल व स्वच्छता मंत्रालय ने भारत के 100 ऐसे स्थानों, जो +कि अपनी बहु हितधारक पहल शुरू किया है। इस पहल का लक्ष्य +इन स्थानों की सफाई को बेहतर करना है। यह पहल शहरी विकास +मंत्रालय, पर्यटन व संस्कृति मंत्रालय की साझेदारी में किया जा रहा +है जिसका नोदल मंत्रालय पेय जल व स्वच्छता मंत्रालय है। पहले दो +चरणों में अब तक 20 महत्वपूर्ण स्थानों पर काम शुरू किया गया है। +इन सभी 20 स्थानों के पास वित्तीय व तकनीकी सहयोग के लिए +पदनामित पीएसयू या कॉरपोरेट्स हें। +स्वच्छ शक्ति + +8 मार्च 2017 स्वच्छ शक्ति का आयोजन अंतरराष्ट्रीय महिला +दिवस, 8 मार्च 2017 को महात्मा मन्दिर, गांधी नगर में किया गया। +प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर सभा को संबोधित किया। इस मौके +पर देश भर से लगभग 6000 चुनिन्दा महिला सरपंच, जूमीनी स्तर +पर काम करने वालों ने शिरकत की और स्वच्छता चैम्पियंस को +ग्रामीण भारत में स्वच्छ भारत का सपना साकार करने की दिशा में +महत्वपूर्ण योगदान के लिए सम्मानित किया गया। स्वच्छ संकल्प + +से स्वच्छ सिद्धि प्रतियोगिता (17 अगस्त से 8 सितंबर) माननीय +प्रधानमंत्री ने स्वच्छ संकल्प से स्वच्छ सिद्धि के तहत 2022 तक नए +भारत के निर्माण के लक्ष्य का आह्नान किया। इस सपने के परिदृश्य +में पेय जल व स्वच्छता मंत्रालय ने स्वच्छता को जन आंदोलन बनाने +की दिशा में 17 अगस्त से 8 सितंबर 2017 तक देश भर में फिल्म, +निबंध व चित्रकला प्रतियोगिताओं का आयोजन किया। +दरवाजा बन्द मीडिया अभियान + +व्यहारगत बदलाव के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए दरवाज़ा बंद +शीर्षक से एक गंभीर मास मीडिया अभियान चलाया गया जिसमें +लोगों खासकर पुरुषों द्वारा शौचालय के प्रयोग को प्रमोट करने का +प्रयास किया गया। इसमें अमिताभ बच्चन का सहयोग रहा। इस +अभियान में हिन्दी समेत 9 भाषाओं में 5 टीवी व रेडियो स्पॉट +शामिल थे और इसे देश भर में सफलतापूर्वक शुरू किया गया। +स्वच्छता ही सेवा ( एसएचएस ) 16 सितंबर से 2 अक्टूबर 2017 + +प्रधानमंत्री ने 27 अगस्त 2017 की अपने मन की बात में +स्वच्छता के भाव को जगाने और श्रमदान करने का आह्वान किया तथा +सभी एनजीओ, स्कूलों, कॉलेजों, सामाजिक, सांस्कृतिक व राजनीतिक +कार्यकर्ताओं, कॉरपोरेट व सरकारी अधिकारियों, कलेक्टरों तथा सरपंचों +से 15 सितंबर से 2 अक्तूबर 2017 के दौरान स्वच्छता गतिविधियों +के आयोजन की अपील की। प्रधानमंत्री ने वाराणसी के शहंशाहपुर +गांव में शौचालय निर्माण में श्रमदान करते हुए अभियान का नेतृत्व +fea उन्होंने कहा कि “स्वच्छता को स्वभाव बनाना होगा- अपने देश +को स्वच्छ रखना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।' QO + + + +के दिमाग में स्वच्छक और साफ-सफाई +सबसे ऊपर हेैं। बैंको बीकाना के अंतर्गत +व्यवहार परिवर्तन संवाद खुले में शौच से +मुक्ति हासिल करने के साथ समाप्त नहीं हो +जाता, बल्कि इस लक्ष्य को हासिल करने के +बाद भी व्यवहार में परिवर्तन का संवाद जारी +रहता है। इस प्रकार अभियान की निरंतरता +सुनिश्चित रहती है। खुले में शौच मुक्त गांवों +में निगरानी समितियों के रूप में बीकानेर +में रेत के टिब्बों में सूयोद्य की पूर्व बेला +में, पुरुषों, महिलाओं और बच्चों के समूह +उन लोगों पर निगरानी और उन्हें शर्मिन्दगी + +योजना, फरवरी 2018 + +का अहसास कराने के लिए निकल पड़ते हें +जो खुले में शौच करते हैं। अक्सर बच्चों के +छोटी टोलियों इसमें सबसे आगे रहती हैं। इस +बैंको बीकाना अभियान का लक्ष्य पश्चिमी +राजस्थान में बीकानेर जिले में खुले में शौच +मुक्त (ओडीएफ) ग्राम पंचायतें हैं। व्यवहार +बदलने का प्रयास समय बीत जाने के बाद +हासिल सफलता पलट न जाए इस खतरे को +कम करता है। + +जैसा कि प्रधानमंत्री ने बार-बार बताया +है, खुले में शौच से मुक्ति की स्थिति को +प्राप्त करने और बनाए रखना पूरे राष्ट्र की + +सामूहिक जिम्मेदारी है, यह सभी का साझा +सरोकार है। स्वच्छ भारत मिशन आम जनता +के सोच में रच-बस चुका है। इसमें हर +कोई शामिल है। यह जनता का अभियान है +और जनता के लिए है। तीन साल से भी +कम समय में 30 करोड़ से अधिक ग्रामीण +भारतीयों तक शौचालयों की सुविधा पहुंच +चुकी है। यह अभियान 2 अक्टूबर 2019 तक +स्वच्छ और खुले में शौच से मुक्ति भारत के +लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में तेजी से +आगे बढ़ रहा है, महात्मा गांधी की 150 वीं +जयंती पर यह उचित श्रद्धांजलि ert =O + +३7 + + + +0038.txt +<----------------------------------------------------------------------> +— लोक सेवा परीक्षा 2018-19 का कार्यक्रम TT mS +Ht man Y ile wenye Baa] Sey MAL A +ai 2| way iat के sma 3 fer a pect +add yh di away ow में yer ar hi daz +Mod da A oman मे सकी में सर कमा + +राहुल aire Yi Stren mat # ‘na fei अप्यण आ wy a +AIR - 209 + +CSE 2016 - egy snk eae +2016 clue : 5, 7, 14, 30, 44, 52, 53, 73, 80, 87, 91, 99 ... + +प्रारंभिक परीक्षा -- सबसे बड़ी मुश्किल +10 में से करीब 7 उम्मीदवार प्रारंभिक परीक्षा नहीं पास कर पाते। इस अनिश्चितता +खत्म करें और हमारे 90 दिन के अभिनव कार्यक्रम a + +को +pnd "प्रारंभिक परीक्षा समाधान" से जुड़ें PINE Ceo +eae प्रारंभिक परीक्षा समाधान” से जुड़ें। _ see +Pek 03 फरवरी से +2018 समसामयिकी मॉड्यूल 12 मार्च से शुरू + +एक साल की महत्त्वपूर्ण घटनाएं, आर्थिक सर्वेक्षण, बजट और +भारत 2018 विस्तृत विश्लेषण और व्यवस्थित तथा समृद्ध +अध्ययन सामग्री के साथ + +1, (181. ]। है |. | | (ऊ LS . हिन्दी माध्यम +06 FEB. (01 PM) (प्रारंभिक और Te हयात 06 फरवरी (10 बजे से) + +वैकल्पिक विषय मुख्य परीक्षा सीरीज 2018 + +« इतिहास « भूगोल « लोक प्रशासन सामान्य अध्ययन 04 फरवरी से + +<« समाजशारस्त्र, लोक प्रशासन तथा +05 मार्च से बैच प्रारम्भ भूगोल 03 फरवरी से + +अवधि -- 04 महीने « नीति शास्त्र, निबंध ०2 जनवरी से + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +MUKHERJEE NAGAR :- 871, FIRST FLOOR, MAIN ROAD, +CONTACTS: 011-41415591 & 7836816247 +eR St aC ee URE Sa a 1, + +YH-651/2/2017 + +CONTACTS: 011-45696019, 8506099919 & 9654034293 © + +38 योजना, फरवरी 2018 + + + +0039.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +भारत में नागरिक घोषणापत्र की +अवधारणा सबसे पहले 1994 +में आयी। उस वक्‍त उपभोक्ता +अधिकारों के लिए लड़ने वाले +कार्यकर्ताओं ने दिल्ली में केंद्रीय +उपभोक्ता संरक्षण परिषद की +बैठक में स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं +के लिए चार्टर का मसौदा तैयार +'किया। एक पहल के तौर पर +इसे मई 1997 में और बल +मिला, जब मुख्यमंत्रियों के एक +सम्मेलन में केंद्र और राज्य स्तर +पर प्रभावी और कारगर सरकार +के लिए कार्य योजना' के मसौदे +को स्वीकार किया गया। इससे +जनता से सीधे तौर पर जुड़े +मंत्रालयों, विभागों और एजेंसियों +में चार्टर बनाने का रास्ता साफ +हुआ। केंद्र सरकार के प्रशासनिक +सुधार और जनशिकायत विभाग +(डीएपीआरजी ) ने नागरिक +घोषणापत्र तैयार कर संचालित +करने की जिम्मेदारी संभाली + +भारत में नागरिक घोषणापत्र + +मीना नायर + +रत में एक आम नागरिक के +OT लिए सरकारी गलियारों में +किसी तरह का फायदा लेना +या इसके लिए आवेदन करना अक्सर काफी +परेशान करने वाला अनुभव रहा है। इसकी +मुख्य वजह सरकारी विभाग और आवेदक +या उपभोक्ता के बीच मौजूद सूचनाओं की +प्रणाली का व्यवस्थित नहीं होना है। +सरकार के पास सभी तरह की सूचनाएं +होती हैं, लेकिन मुमकिन है कि वह इसे +सार्वजनिक पटल पर नहीं पेश करे। साथ ही, +हो सकता है कि आवेदक या ग्राहक के पास +प्रक्रिया का पालन करने के लिए जागरूकता +या सूचना नहीं हो। इसके अलावा, शिकायत +निपटारा तंत्र की कमी और उपभोक्ताओं के +पास काम कराने के लिए बिचौलिए के +पास जाने के सिवा कोई विकल्प न होने +जैसी समस्याएं भी हैं। भारत में नागरिक +घोषणापत्र को 1990 के दशक में लागू किया +गया। इसका मकसद सिस्टम की गड॒बडियों +से निपटना है। +हालांकि, सूचना साझा तंत्र और शिकायत +निपटारा विकल्प, दोनों के लिहाज से इस +सुधारवादी उपाय के असर को लेकर बार-बार +चिंताएं जताई गई हैं। पिछले दो दशकों में +सूचना के अधिकार और जन सेवाओं के +अधिकार जैसे कानून पेश किए गए, ताकि +सूचनाएं मुहैया कराने को कानूनी जरूरत +बनाया जा सके। इसके बावजूद नागरिक +घोषणापत्र कौ अहमियत को कमतर नहीं +आंका जा सकता है। अब मौजूदा वक्‍त की +जरूरत है कि इस कार्यक्रम को पुनर्जीवित +किया जाए और इसे सरकारी विभागों में +फिर से लागू किया जाए, ताकि वे न सिर्फ + +अपने उपभोक्ताओं बल्कि खुद के प्रति भी +जवाबदेह बनें। +नागरिक घोषणापत्र का विकास +नागरिक घोषणापत्र के मामले में ब्रिटेन +ने सबसे पहले पहल की थी। वहां की +कंजवेटिव पार्टी की सरकार के तत्कालीन +प्रधानमंत्री जॉन मेजर ने 1991 में इसका +ऐलान किया था। इसका मकसद लोगों की +जरूरतों और उम्मीदों को ध्यान में रखते हुए +सार्वजनिक सेवाओं की तरफ फिर से ध्यान +केंद्रित करना था। इसमें नागरिक घोषणापत्र +लागू करने वाले सार्वजनिक सेवा प्रदाताओं +के कुछ सिद्धांतों को अपनाने की बात कही +गई थी। इनमें ये बातें शामिल थीं- +* सेवा का स्तर तय करना +* खुलापन और पारदर्शिता पर बल +© आखिरी उपभोक्ता की सहभागिता और +उससे सलाह +* पसंद को बढ़ावा और प्रोत्साहन +* सभी के साथ बिना भेदभाव वाला व्यवहार +* मामला गलत दिशा में जाने पर उसे +दुरुस्त करना +* संसाधनों का असरदार इस्तेमाल +* नवोन्मेष और सुधार +* अन्य प्रदाताओं के साथ मिलकर काम +करना। +ब्रिटेन की इस पहल से कई देशों ने इस +राह पर चलने की कोशिश की। बेशक उन +देशों ने इस अभियान का नाम अलग-अलग +रखा। मसलन बेल्जियम में इसे पब्लिक सर्विस +यूजर्स चार्टर, फ्रांस में सर्विस चार्टर और स्पेन +में क्वॉलियी ऑब्जरवेटरी नाम दिया गया। इन +सभी देशों में 1992 में ये चार्टर बनाए गए। +इसी तरह, मलेशिया में इसे क्लाइट चार्टर नाम + + + +लेखिका बेंगलुरू स्थित स्वतंत्र थिंक टैंक लोक मामलात केंद्र (पब्लिक अफेयर्स सेंटर/पीएसी) के रिसर्च ग्रुप की प्रमुख हैं। उन्होंने भारत में प्रशासन की गुणवत्ता +को सुधारने के लिए अपनी संस्था के मैंडेट के रूप में प्रशासन व जन सेवा डिलिवरी के विभिन्न पहलुओं के मूल्यांकन हेतु सामाजिक उत्तरदायित्व जरूरी बताया + +है। ईमेल: meena@pacindia. org + +योजना, फरवरी 2018 + +39 + + + +0040.txt +<----------------------------------------------------------------------> +दिया गया, जबकि पुर्तगाल में द क्वॉलिटी +चार्टर इन पब्लिक सर्विसेज की तरह इसे शुरू +किया गया। दोनों देशों में इसकी शुरुआत +1993 में हुई। इसके अलावा, कनाडा में +1995 में सर्विस स्टेंडर्ड्स इनिशिएटिव और +ऑस्ट्रेलिया में 1997 में सर्विस चार्टर नाम से +इसका आगाज किया गया। ब्रिटेन की लेबर +पार्टी की सरकार ने 1998 में इस कार्यक्रम +में संशोधन कर इसे फिर से सर्विसेज फर्स्ट +के नाम से पेश किया। हालांकि, सभी चार्टरों +से जुड़ी अहम चीजें मसलन सेवाओं की +गुणवत्ता सुधारना, स्तर को बनाए रखना और +शिकायत निपटारा प्रक्रिया एक समान रहीं। + +भारत में नागरिक घोषणापत्र की +अवधारणा सबसे पहले 1994 में आयी। +उस वक्‍त उपभोक्ता अधिकारों के लिए +लड़ने वाले कार्यकर्ताओं ने दिल्‍ली में +केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण परिषद्‌ की बैठक +में स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के लिए चार्टर +का मसौदा तैयार किया। एक पहल के +तौर पर इसे मई 1997 में और बल मिला, +जब मुख्यमंत्रियों के एक सम्मेलन में “केंद्र +और राज्य स्तर पर प्रभावी और कारगर +सरकार के लिए कार्य योजना' के मसौदे +को स्वीकार किया गया। इससे जनता से +सीधे तौर पर जुडे मंत्रालयों, विभागों और +एजेंसियों में चार्टर बनाने का रास्ता साफ +हुआ। केंद्र सरकार के प्रशासनिक सुधार +और जनशिकायत विभाग (डीएपीआरजी) +ने नागरिक घोषणापत्र को तैयार कर इसे +संचालित करने की जिम्मेदारी संभाली। + +डीएपीआरजी नागरिक घोषणापत्र को +इस तरह से पारिभाषित करता है- नायरिक +घोषणापत्र एक ऐसा दस्तावेज हे, जो सेवाओं के +स्तर, सूचना, पसंद और सलाह, गैर- भेदभाव, +शिकायत निफ्टार, वेल्यू फॉर मनी आदि +के लिए अपने नागरिकों के प्रति संगठन या +स्थान की प्रतिबद्धता की कोशिश को दर्शाता +है। इसमें संस्थान की प्रतिबद्धता को पूरा करने +के मद्देनजर नागरिकों से संस्थान की उम्मीदें भी +शामिल हैं। यहां यह भी बताना जरूरी है कि +जब अंतिम उपभोक्ता की जरूरतों को ध्यान +में रखते हुए नागरिक घोषणापत्र का मसौदा +तैयार किया जा रहा था, तो डीएआरपीजी ने +उपभोक्ता संस्थानों, नागरिक समूहों और बाकी +संबंधित पक्षों के इससे करीबी तौर पर जुड़ने +पर जोर दिया था। + +40 + +ब्रिटिश मॉडल के आधार पर +डीएआरपीजी ने सार्वजनिक एजेंसियों द्वारा +तैयार चार्टर के मसौदे में 6 पहलुओं का +खाका पेश किया: +* विजन (भविष्य की रूपरेखा) और +मिशन घोषणा पत्र +« संस्थान की तरफ से किए गए कामकाज +का ब्यौरा +उपोभकता का ब्यौरा +* हर उपभोक्ता समूह को मुहैया कराई +जाने वाली सेवा का ब्यौरा +*« शिकायत निपटारा तंत्र का ब्यौरा और +किस तरह से इससे संपर्क किया जाए +* उपभोक्ताओं से उम्मीदें +डीएआरपीजी की वेबसाइट में +फिलहाल इस बात का जिक्र है कि 23 +दिसंबर 2013 को 144 नागरिक घोषणापत्र +को केंद्र सरकार के विभागों ने तैयार किया। + +नागरिक घोषणापत्र एक ऐसा +दस्तावेज है, जो सेवाओं के स्तर, +सूचना, पसंद और सलाह, गैर- +भेदभाव, शिकायत निपटारा, वैल्यू +फॉर मनी आदि के लिए अपने +नागरिकों के प्रति संगठन या संस्थान +की प्रतिबद्धता की कोशिश को दर्शाता +है। इसमें संस्थान की प्रतिबद्धता को +पूरा करने के मद्देनजर नागरिकों से +संस्थान की उम्मीदें भी शामिल हैं। + +हालांकि, अब यह संख्या कम हो जाएगी, +क्योंकि पिछले साल भारतीय स्टेट da +की अगुवाई में सभी स्टेट बैंक का विलय +हुआ और कई नागरिक घोषणापत्र पिछले +अवतार वाले थे। मसलन स्टेट बैंक ऑफ +हैदराबाद, त्रावणकोर, बीकानेर एंड जयपुर, +मैसूर, पटियाला और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया +( भारतीय स्टेट बैंक)। जहां तक राज्यों की +बात है, तो 24 राज्य सरकारों और केंद्र +शासित प्रदेशों की तरफ से 24 जनवरी +2011 को 729 नागरिक घोषणापत्र तैयार +किए गए। हालांकि, इससे जुडे वेबपेज के +आखिरी अपडेट की तारीख निराश करने +वाला तथ्य है। ऐसा लगता है कि नागरिक +घोषणापत्र अब ऐसा कार्यक्रम नहीं रह गया +है, जिस पर ऊर्जा और संसाधन खर्च किया +जाए। + +ऐसे में एक सवाल उठता है- क्‍या +नागरिक घोषणापत्र बनाना और इसे लागू +करना इतना मुश्किल है? अगर ऐसा है, तो +इस अभियान को रफ्तार देने के मकसद से +केंद्र और राज्य/केद्र शासित प्रदेशों के बाकी +विभागों में नई जान Gad के लिए क्‍या +किया जा सकता है? +नागरिक घोषणापत्र का ढांचा + +नागरिक घोषणापत्र की विवरण पुस्तिका +(हैंडबुक) इस कार्यक्रम की शुरुआत के +वक्‍त ही तैयार की गई थी। यह डीपीएआरजी +की तरफ से तैयार व्यापक दस्तावेजों में से +एक हे। हैंडबुक में प्रभावकारी और लागू +करने योग्य नागरिक घोषणापत्र तैयार करने +के लिए किन प्रक्रियाओं को अपनाया जाना +चाहिए, उसका खाका दिया गया है। इनमें ये +चीजें शामिल हैं-(1) कार्य बल का गठन; +(2) सभी संबंधित पक्षों और संस्थान की +तरफ से दी जाने वाली अहम सेवाओं की +पहचान करना; (3) उपभोक्ता/संबंधित पक्ष/ +स्टाफ (मुख्य तौर पर ऊपरी स्तर पर) और +उनके संबंधित संगठनों से सलाह; (4) चार्टर +के मसौदे की तैयारी; (5) कोर ग्रुप द्वारा +चार्टर पर विचार (6) कोर ग्रुप के सुझावों/ +टिप्पणियों के आधार पर मंत्रालय/विभाग की +तरफ से चार्टर में संशोधन; (7) प्रभारी मंत्री +की तरफ से मंजूरी; (8) प्रशासनिक सुधार +और जनशिकायत विभाग को चार्टर की प्रति +सौंपना; (9) चार्ट को औपचारिक तौर पर +जारी करना और इसे वेबसाइट पर पेश करना; +(10) जनप्रतिनिधियों और सभी पक्षों को +प्रतियां भेजना और प्रभावी अमल सुनिश्चित +करने के लिए नोडल अधिकारी की नियुक्ति +करना। यह प्रक्रिया साफ तौर पर समावेशी +रवैये की तरफ इशारा करती है, जिसमें +विभाग के सभी कर्मचारियों को जोड़ने की +बात है। खासतौर पर वैसे कर्मचारी जो सीधे +तौर पर जनता से जुड़े हैं। इसके अलावा, +हैंडबुक में मॉडल दिशा-निर्देश, सामान्य +ढांचा संबंधी दिशा-निर्देश, क्या करें और क्‍या +नहीं करें और ऐसे मॉडल के स्वरूप का +जिक्र है, जिसे अपनाया जा सकता है। बाकी +विभागों को प्रेरित करने के लिए हैंडबुक +में अलग-अलग राज्यों के बेहतर चलन का +उदाहरण पेश किया गया है। इस हैंडबुक का +ताजा संस्करण अब एक और दस्तावेज के +रूप में पाया जा सकता है। “'जनशिकायतों + +योजना, फरवरी 2018 + + + +0041.txt +<----------------------------------------------------------------------> +के निपटारे के लिए दिशा-निर्देशों का पालन +(कर्मचारियों संबंधी शिकायतें, नागरिक +घोषणापत्र और भारत सरकार में सूचना प्रदाता +काउंटर समेत) के नाम से डीपीएआरजी ने +इस दस्तावेज को 2010 में पेश किया था। +इसमें 'शिकायत निपटारा तंत्र के ढांचागत +सुधार के पहलू' पर जोर दिया गया है और +सीपीजीआरएएमएस (केंद्रीकृत जनशिकायत +निपटारा और निगरानी प्रणाली) और सेवोत्तम +ढांचा की शुरुआत की गई है, जिसमें न सिर्फ +नागरिक घोषणापत्र को शामिल किया गया है, +बल्कि जनशिकायत निपटारा और जन सेवा +मुहैया कराने की क्षमता का मामले का भी +ध्यान रखा गया है। + +लोगों को सेवाएं मुहैया कराने की स्थिति +सुधारने में ये कोशिशें कितनी कारगर रही +हैं? इस बारे में डीपीएआरजी ने खुद कई बार +मूल्यांकन किया है। बाकी संस्थानों ने भी इस +बारे में आकलन किया हेै। +नागरिक घोषणापत्र का मूल्यांकन और +आगे की राह + +डीएआरपीजी ने उपभोक्ता समन्वय +परिषद्‌, नई दिल्‍ली के साथ मिलकर 1998 +में नागरिक घोषणापत्र कार्यक्रम का मूल्यांकन +शुरू किया। इसके बाद चार्टर के अंदरुनी और +बाहरी मूल्यांकन के लिए मानकीकृत मॉडल +तैयार करने की खातिर 2002 से 2003 के +दौरान एक प्रोफेशनल एजेंसी की मदद ली +गई। पब्लिक अफेयर्स सेंटर (पीएसी) ने +नागरिक घोषणापत्र का प्रारंभिक आकलन +किया, जिसे कर्नाटक सरकार के 8 अहम +विभागों द्वारा तैयार किया गया था। ये विभाग +बडे पेमाने पर सीधे तौर से जनता से जुड़े थे। +इस आकलन में चार्टर में मौजूद बातों का गहन +मूल्यांकन किया गया और नागरिक घोषणापत्र +के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण कर उसके +विषय-वस्तु की गुणवत्ता का आकलन किया +गया। मसलन, विभाग के बारे में बुनियादी +सूचना; सेवाओं का स्तर; शिकायत निपटारा +प्रणाली और जनता फ्रेंडली नियम। + +ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल, भारत ने दिल्‍ली +सरकार के 10 नागरिक घोषणापत्रों और +केंद्र सरकार के दो विभागों का अध्ययन +किया। राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद्‌ (एनपीसी) +ने इस तरह के चार्टर को लागू करने के +लिए कसौटी तैयार करने, चार्टर के खुद +मूल्यांकन और लाभार्थियों व कर्मचारियों की + +योजना, फरवरी 2018 + +राय के विश्लेषण के जरिये चार्टर कार्यक्रम +का असर बढ़ाने के मकसद से संभावित +सुधारों की सिफारिश की खातिर गुजरात में +नागरिक घोषणापत्र की व्यापक समीक्षा की। +पीएसी ने 2007 में इस सिलसिले में एक +और अहम और प्रभावी अध्ययन किया था, +जिसमें 10 मानकों पर नागरिक घोषणापत्र +की व्यापक समीक्षा शामिल थी। इसके तहत +(1) विभाग/एजेंसी का विजन/मिशन/मकसद, +(2) काम या मुहैया कराई गई सामान्य +सेवाओं का ब्योरा, (3) अहम अधिकारों का +नाम, पता और फोन नंबर, (4) सेवाओं का +लाभ उठाने के लिए प्रक्रियाएं, (5) मुहैया +कराई गई सेवा की लागत के बारे में सूचना, +(6) सेवाओं का मानक (समयसीमा आदि), +(7) शिकायत निपटारा तंत्र, (8) शिकायत +निपटारा तंत्र में प्रभारा अधिकारियों का नाम, +पता और फोन नंबर, (9) नागरिकों की +जिम्मेदारी और (10) आसान और समझने +योग्य भाषा और प्राथमिक आंकड़े इकट्ठा +करने जैसे पहलू थे। + +आंकडे इकट्ठा करने के तहत देश भर +के विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ +और विभिन्न सेवाओं को इस्तेमाल करने वालों +के साथ इंटरव्यू का मामला भी शामिल था। + +इन अलग-अलग अध्ययनों के नतीजों +में कुछ खास तरह के तथ्य उभरकर सामने +आए। इनमें सबसे अहम तथ्य यह था कि +कई नागरिक घोषणापत्र अधूरे हैं। मसलन +मुहैया कराई गई सेवाओं, किसी सेवा के लिए +आवेदन के लिए जरूरी प्रक्रिया, शिकायत +निपटारे की प्रक्रिया, अहम अधिकारियों के +नाम, पते और उनके फोन नंबर के बारे में +ठीक तरीके से जानकारी नहीं दी गई थी। +कुछ अध्ययनों के मुताबिक, कई चीजों के +बारे में बिल्कुल भी जानकारी नहीं मुहैया +कराई गई या आधी-अधूरी सूचना उपलब्ध +थी। विभागीय कर्मचारियों के साथ इंटरव्यू +वाले अध्ययन में साफ तौर पर खुलासा हुआ +कि ज्यादातर सदस्य अपने विभाग के नागरिक +घोषणापत्र का मसौदा तैयार करने में शामिल +नहीं थे। + +इन निष्कर्षो के आधार पर इस +सिलसिले में आगे की राह साफ है- सरकार +के हर विभाग में नागरिक घोषणापत्र हो, +यह सुनिश्चित करने के लिए दोतरफा रवैये +के साथ करने की जरूरत है- नागरिक + +घोषणापत्र के सभी 10 अहम मानकों +पर खरा उतरने के लिए मौजूदा नागरिक +घोषणापत्र की समीक्षा सुनिश्चित की जाए। +इसके अलावा, आम-सहमति के आधार पर +हर नागरिक घोषणापत्र को तैयार किया जाए, +जो व्यवहारिक हो और जिसका लक्ष्य हासिल +करने लायक हो। +इस सिलसिले में आधी-अधूरी कोशिशों +से काम नहीं चल सकता। किसी भी तरह की +नई कोशिश में ये शर्ते जरूरी होंगी- अंदर +से प्रेरणा और प्रोत्साहन, जिसमें स्टाफ को +इस 'मिशन' का हिस्सा बनने और खुद के +लिए मानक तय करने के लिए विभाग के +भीतर जोरदार आंदोलन, सफलता के पहलुओं +पर फिर से विचार शामिल हैं, जिससे मौजूदा +चुनौतियों और क्षमताओं के आधार पर +वास्तविक मानक और प्रतिबद्धता का लक्ष्य +तय करने में मदद मिलेगी। विशेषज्ञों (लोगों +या सिविल सोसायटी संगठनों) समेत अन्य +की बाहरी मदद भी लेनी होगी। मसलन वेसे +लोग जिनका सलाह-मशवरा के आधार पर +दस्तावेज तैयार करने का बेहतर रिकॉर्ड रहा +है। शर्तों के तहत खासतौर पर शिकायत +निपटारा मामले में जवाबदेही तंत्र भी बनाना +भी जरूरी है, ताकि शिकायत निपटारा से जुड़े +कर्मी जिम्मेदारी से अपने काम को अंजाम दे +सके। साथ ही, नियमित तौर पर काम के बारे +में राय भी देने की जरूरत है, जिससे विभागों +को लगातार खुद को सुधारने में मदद मिलेगी। +अगर दो साल में इसे तैयार करने और +लागू करने के लिए गंभीर कोशिशें की जाती +हैं, तो सहयोग के लिए विभागों की प्रतिबद्धता +से लैस और बेहतर तरीके से तैयार किए +गए नागरिक घोषणापत्र को शिकायत निपटारा +बिल या कानून जैसे सहारे या बैसाखी की +जरूरत नहीं पडेगी। अगर ऐसा नहीं हो पाता +है, तो इस कार्यक्रम को हमेशा के लिए छोड़ +देना चाहिए। Q +संदर्भ +¢ — http://goicharters.nic.in/faq.htm +¢ http://goicharters.nic.in/charter. +htm +¢ http://goicharters.nic.in/charter- +state. htm +* http://goicharters.nic.in/ +cchandbook.htm + +¢ http://goicharters.nic.in/PGR_ +Guideline.pdf + +41 + + + +0042.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +7 + +OI सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने हाल +ही में नारी पोर्टल आरंभ किया है। नारी का पूरा नाम +“नेशनल रिपॉजिटरी ऑफ इन्फॉर्मेशन फॉर विमेन' है। महिला +संबंधित सूचना का राष्ट्रीय केन्द्र। यह एक राष्ट्रीय भंडार के रूप +में काम करेगा, जिसमें देश भर की महिलाओं को लाभ पहुंचाने +वाली सभी प्रकार की जानकारी होगी। + +इस पोर्टल में महिला कल्याण की लगभग 350 विभिन्‍न +योजनाएं हैं और उन्हें नियमित रूप से अद्यतन भी किया जाएगा। +इसके बाद यह केंद्र सरकार, राज्य सरकारों एवं केंद्रशासित प्रदेशों +की महिलाओं से संबंधित सभी योजनाओं की जानकारी प्रदान +UT http://www.narinic.in K WT इन करने के बाद +आसानी से इन योजनाओं की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। + +नारी पोर्टल पर विभिन्‍न योजनाएं दी गई हैं, जिन्हें आठ श्रेणियों +में बांदा गया है। कोई भी महिला अपने Set ७० : + +जानकारी ले सकती है। पोर्टल ने सुविधा BF + +के लिए इन योजनाओं को चार आयु वर्गों +में बांट दिया है। ये आयु वर्ग हैं - सन +* 0-6 वर्ष + +© 7-17 a + +* 18-60 वर्ष + +* 60 वर्ष से अधिक + +आठ विभिन श्रेणियां इस प्रकार हैं; +स्वास्थ्य + +शिक्षा + +रोजगार + +आवास एवं आश्रय + +हिंसा से छुटकारा + +निर्णय लेना + +सामाजिक सहायता एवं + +कानूनी सहायता + +संक्षेप में कहें तो यह पोर्टल महिलाओं को उनके जीवन +पर प्रभाव डालने वाले सभी मुद्‌दों के बारे में जानकारी प्राप्त +कराएगा। ऊपर बताया भी गया है, महिलाओं को समान अधिकार, +आर्थिक अवसर, सामाजिक सहायता, कानूनी मदद, आवास आदि +प्रदान करने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा कई योजनाएं +एवं कानून बनाए गए हैं लेकिन अक्सर इन प्रावधानों के बारे में +जागरूकता की कमी होती है और उनके लाभ पाने में दिक्कत +आती है। उदाहरण के लिए कई लोगों को यही नहीं पता कि +कठिन परिस्थितियों में घिरी महिलाओं के लिए 168 जिलों में +एकल समाधान केन्द्र बने हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना में महिला + +9० जा को ७ # ४ DY > + + + +42 + + + +~ + +के नाम पर मकान की रजिस्ट्री को प्राथमिकता दी जाती है और +कई राज्य सरकारें बालिका की शिक्षा के लिए वित्तीय सहायता देती +हैं। नागरिक महिला शक्ति केंद्र, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, जननी +सुरक्षा योजना जैसे विभिन्‍न सरकारी कार्यक्रमों और अन्य योजनाओं +के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हें। + +विभिन्‍न मंत्रालयों, विभागों और स्वायत्तशासी संस्थाओं के +विवरण एवं लिंक के साथ-साथ यह पोर्टल ऑनलाइन आवेदन +तथा शिकायत निवारण को भी सुगम बनाता है और समुचित +पोषण, स्वास्थ्य जांच एवं पोषण के बारे में सलाह देता हे, प्रमुख +बीमारियों की जानकारी देता है, नौकरी तलाशने एवं साक्षात्कार के +बारे में सलाह देता है और निवेश तथा बचत की सलाह भी देता +है। प्रयोगकर्ता सुरक्षा, गोद लेने और प्रत्यक्ष लाभ से जुड़े विषयों +पर भी जानकारी और सलाह ले सकते हें। + +PEPOQITORT OF INFORMATION -O8 WOMEN +aly हम ge fh el epg, See yl ie + +पोर्टल पर “नॉलेज कॉर्नर' प्रयोगकर्ताओं को निम्न प्रक्रियाओं +की जानकारी प्रदान करता है - + +मतदाता पहचान पत्र बनवाना +आधार कार्ड बनवाना + +बैंक खाता खोलना + +पासपोर्ट के लिए आवेदन करना + +बचत एवं निवेश के बारे में जानना + +मातृत्व अवकाश जैसे बुनियादी महिला अधिकारों की +जानकारी प्रदान करना + +पोर्टल पर प्रयोगकर्ता “गेट इनवॉल्व्ड' सेक्शन में जाकर बेहतर +भारत के लिए सरकार के प्रयासों जैसे बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, +पालक सेवा (फोस्टर केयर) आदि में हाथ भी der सकता हे। +इस पर महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों तथा उनकी सूचना +देने की प्रक्रिया की जानकारी मिल सकती है और कानूनी सहायता +प्रकोष्ठों के संपक सूत्रों तथा गोद लेने की सरलीकृत प्रक्रिया का +पता भी चल सकता है। QO + +y, + + + +योजना, फरवरी 2018 + + + +0043.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +सुशासन का मंत्र: जनशिकायतों का समाधान + + + + + +किसी देश में सुशासन +तभी सुनिश्चित किया जा +सकता है जब शासन में +जन-भागीदारी हो। जन +भागीदारी के लिए यह अत्यंत +आवश्यक है कि देश के +नागरिकों की समस्याओं का +ससमय समाधान सुनिश्चित +किया जा सके। अन्तरराष्ट्रीय +अनुभवों के आधार पर एक +सशक्त लोकपाल जिसे देश +के हर बड़े-छोटे भ्रष्टाचार से +जुड़े मामलों की जांच करने +का अधिकार हो, वह देश +में जनशिकायत समाधान +को सुलभ बना सकता है। +लोकतंत्र में लोगों को सरकार +से अंतहीन अपेक्षाएं रहती हैं +क्योंकि लोक-कल्याणकारी +राज्य में सरकार ही आखिरी +सेवा प्रदाता है + + + + + +भास्कर ज्योति + +श्व बैंक ने 1992 के अपने +रिपोर्ट सुशासन एवं विकास +में Wa सुशासन को + +परिभाषित करते हुए लिखा था कि सुशासन +का पर्याय ऐसे शासन से है जिसमें राज्य के +प्रत्येक नागरिक तक सरकार द्वारा लागू नीतियों +का लाभांश पहुंच सके तथा इस प्रक्रिया में +यदि कोई बाधा उत्पन्न हो तो सरकार के +पास ऐसा तंत्र होना चाहिए. जिससे जनमानस +की शिकायतों को सरकारी आलाकमानों तक +पहुंचाई जा सके। विश्व के विभिनन देशों में +जनशिकायत समाधान प्रणाली का विकास +dyad: fara da at sot परिभाषा से +प्रेरित है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का मानना +था कि भारत का सम्पूर्ण विकास तभी संभव +है जब देश का आखिरी व्यक्ति भी इसके +विकास में स्वयं को हिस्सेदार मानेगा तथा यह +हिस्सेदारी तभी सुनिश्चित होगी जब देश की +सरकार उस आखिरी व्यक्ति के समस्याओं +एवं उसके निवारण हेतु प्रयत्नशील रहेगी। +सुशासन काल निरपेक्ष एवं सत्ता निरपेक्ष +अवधारणा है। इतिहास के हरेक काल में +किसी भी राजा अथवा सरकार द्वारा अपनी +प्रजाओं के लिए सुशासन सुनिश्चित करना +सवोपरि लक्ष्य रहा है। इस तरह से देखा जाये +तो सुशासन कोई नयी अवधारणा नहीं है किन्तु +वैश्विक पटल पर लोक प्रशासन जैसे विषयों +के विकास से सुशासन एक विशिष्ट विषय +के रूप में उभर कर सामने आया है। विश्व +भर में सुशासन के ऊपर बहुविध अनुसंधान +हो रहे हैं एवं हरेक अनुसंधान में सुशासन +सुनिश्चित करने हेतु जनगशिकायत समाधान पर + + + + + + + + + +विशेष बल दिया जा रहा है। पूर्व प्रधानमन्त्री +अटल बिहारी वाजपेयी जी के जन्मदिवस, 25 +दिसंबर को देश में सुशासन दिवस के रूप में +मनाया जाता है। सुशासन दिवस के उद्देश्यों +को उजागर करते हुए प्रधानमन्त्री ने कहा +था कि सुशासन दिवस का लक्ष्य सरकारी +प्रक्रिया को व्यावहारिक बनाकर देश को एक +खुला और जवाबदेह शासन प्रदान करना है +तथा नागरिकों को सरकार के करीब लाकर +उन्हें सरकारी नीतियों में भागीदार बनाने का है। +सुशासन के विभिन्न आयामों में जनभागीदारी, +सामाजिक न्याय, सार्वजनिक वितरण प्रणाली +तथा जनशिकायत समाधान शामिल हैं। इन +सभी आयामों में जनशिकायत समाधान का +विशेष महत्व है क्योंकि अन्य सभी आयामों +की सफलता जनशिकायत समाधान के सुचारू + +क्रियान्वयन पर निर्भर हे। +भारत में जनशिकायतों का समाधान: +एक अवलोकन + +वीरप्पा मोईली की अध्यक्षता में + +गठित द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग में +जनशिकायत समाधान पर विशेष बल देते +हुए आयोग के 12वें रिपोर्ट में अलग से +एक अध्याय जनशिकायत समाधान को +समर्पित किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, +भारत जैसे लोक कल्याणकारी देश में जन +सामान्य एवं सरकार के मध्य विभिन्न प्रकार +का पारस्परिक आदान-प्रदान होता है, चाहे +वह सेवा प्रदाता का हो अथवा नियामक +या सामाजिक न्याय एवं आधार भूत संरचना +के प्रदाता एवं लाभार्थी का हो, जनता की +आशाओं एवं अपेक्षाओं को पूरा कर पाना + + + +योजना, फरवरी 2018 + +लेखक दिल्‍ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय अध्ययन केद्र में डॉक्टोरल रिसर्च फेलो हैं। डेनमार्क में जनभागीदारी से सुशासन विषय पर लेखक ने गत +वर्ष मुंबई स्थित शोध संस्था रामभाऊ म्हालगी प्रबोधिनी में एक शोध आलेख प्रस्तुत किया था तथा इस विषय we PR fered Ma ZI Ee: bhaskar-jyoti@yahoo.com + +43 + + + +0044.txt +<----------------------------------------------------------------------> +किसी भी सरकार के लिए हमेशा एक चुनौती +भरा कार्य रहता है। इन्हीं कार्यों को बेहतर +ढंग से पूरा कर पाने तथा अपूर्ण कार्यों से +डपजे असंतोष के निवारण हेतु अलग-अलग +सरकारों ने जनशिकायत समाधान को मूर्त रूप +प्रदान करने की कोशिश की। जनशिकायत +समाधान के मूल में एक ऐसे तंत्र के निर्माण +से है जिसके तहत जनता उन सेवाओं के +प्रति अपने आक्रोश अथवा असंतोष जता सके +जिन सेवाओं को बेहतर तरीके से पहुंचाने का +वादा सरकारी विभागों अथवा सेवा प्रदाताओं +द्वारा किया गया था। ऐसे तंत्रों का समुचित +प्रचार करना सरकार की जिम्मेदारी है तथा +जनशिकायतों के ऐसे सारे माध्यम सहजता से +प्रयोग करने लायक हो, त्वरित हो तथा सबसे +ऊपर जनता को उन तंत्रों से न्याय मिलने का +विश्वास हो, यह सुनिश्चित करना भी सेवा +प्रदाता अर्थात सरकार की जिम्मेदारी है। +जनता की शिकायतों के निवारण हेतु +भारत सरकार, विभिन्न राज्य सरकारें तथा +सरकारों के अंतर्गत चलने वाले विभिन्न +विभागों एवं संस्थानों ने शिकायत निवारण +की अनेकानेक तंत्रों की स्थापना की है। +भ्रष्टाचार तथा अधिकारियों द्वारा सार्वजनिक +पदों का निजी लाभ हेतु प्रयोग आदि से +जुडे मामलों को देखने हेतु कई विशिष्ट +संस्थान जैसे कि केन्द्रीय सतकता आयोग +तथा राज्यों में लोकायुक्त आदि की स्थापना +की गयी है। देश के केन्द्रीय बैंक, रिजर्व +बैंक ने लोगों के बैंक सम्बन्धी शिकायतों के +निवारण हेतु हरेक बैंक में बैंक लोकपाल का +होना सुनिश्चित किया है। राष्ट्रीय तथा राज्य +मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय महिला आयोग, +अनुसूचित जाति एवं जनजाति हेतु राष्ट्रीय +आयोग आदि कुछ ऐसे तंत्रों का उदाहरण है +जिनका कार्य अपने क्षेत्र विशेष की शिकायतों +एवं असंतोष का निवारण करना है। देश में +बढ़ती जागरूकता एवं मीडिया सक्रियता से +लोगों की सरकार के प्रति ना सिर्फ अपेक्षाएं +बढ़ी हैं बल्कि शिकायतों के त्वरित एवं +प्रभावा समाधान की आशा भी, अतएव, +प्रभावी जनशिकायत समाधान तंत्रों का निर्माण +अवश्यम्भावी हो गया है। +जनशिकायत निवारण का ढांचा +जनशिकायतों को विभिन्न मंत्रालयों द्वारा +विभिन्न माध्यमों एवं मंचों से एकत्रित किया + +44 + +जाता है लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर इन शिकायतों + +के निवारण हेतु दो नोडल केंद्र बनाए गए हैं + +जो निम्नलिखित हें:- + +1. प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत +विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत और +पेंशन मंत्रालय + +2, लोक शिकायत निदेशक, कैबिनेट +सचिवालय +प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत + +विभाग जनशिकायतों के निवारण सम्बन्धी + +बनाए जाने वाले नीतियों का नोडल एजेंसी +है। इस विभाग का कार्य मुख्य रूप से +नागरिक केन्द्रित सेवाओं को बहाल करने हेतु +प्रशासनिक सुधारों का प्रारूप तैयार करना है +ताकि नागरिकों की शिकायतों का आसानी +से निपटारा किया जा सके तथा सरकार +द्वारा गुणवत्तापूर्ण सेवाओं को नागरिकों तक + +राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का मानना +था कि भारत का सम्पूर्ण विकास तभी +संभव है जब देश का आखिरी व्यक्ति +भी इसके विकास में स्वयं को हिस्सेदार +मानेगा तथा यह हिस्सेदारी तभी +सुनिश्चित होगी जब देश की सरकार +उस आखिरी व्यक्ति के समस्याओं एवं +उसके निवारण हेतु प्रयत्तनशील रहेगी। + +पहुंचाया जा सके। इस विभाग द्वारा प्राप्त +किये गए शिकायतों को सम्बंधित मंत्रालयों, +विभागों या राज्य सरकारों तक भेज दिया +जाता है ताकि सम्बंधित विभाग उस शिकायत +के सम्बन्ध में उचित कदम उठा सके। +शिकायतों की गंभीरता को ध्यान में रखते +हुए प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत +विभाग प्रति वर्ष तकरीबन 1000 शिकायतों +को स्वीकार करता है तथा उन शिकायतों के +निवारण तक उनकी खबर लेता रहता है। +प्रत्येक मंत्रालयों को प्रभावी तथा त्वरित +जनशिकायत निवारण सुनिश्चित करने हेतु एक +समर्पित जनशिकायत निवारण प्रणाली स्थापित +करने का निर्देश दिया गया हे, इन निर्देशों के +तहत मंत्रालयों के साथ-साथ सार्वजनिक क्षेत्र +के उपक्रम (पीएसयू) को भी जनशिकायत +निवारण के लिए एक समर्पित अधिकारी +नियुक्त करना है। जनशिकायत निवारण को +नागरिक चार्टर का हिस्सा बनाने का भी निर्देश + +दिया गया है। मंत्रालयों द्वारा प्राप्त शिकायतों +को एक समय सीमा के तहत निपटाना होता +है इतना ही नहीं मंत्रालयों को इस बात का भी +निर्देश दिया गया है कि अखबारों में प्रकाशित +खबरों के आधार पर नागरिकों की समस्याओं +का स्वतः संज्ञान लेते हुए उनके निवारण की +दिशा में कदम उठाये जाएं। + +2007 में प्रशासनिक सुधार और +लोक शिकायत विभाग ने जनशिकायतों के +पंजीकरण हेतु केंद्रीकृत जनशिकायत समाधान +तथा निगरानी प्रणाली (सीपीग्राम) की नींव +रखी। इस प्रणाली के तहत कोई नागरिक +ऑनलाइन माध्यमों से अपनी शिकायतें दर्ज +करवा सकता है तथा विभाग उसके शिकायतों +की तब तक निगरानी करता रहेगा जब तक +कि शिकायत का समाधान ना हो जाए। + +जनशिकायत के निवारण हेतु राज्य +सरकारों में भी केंद्र सरकार के समानांतर +व्यवस्थाएं की गयी हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय +में अमूमन जनशिकायत समाधान का एक +समर्पित सेल होता है। इस सेल में प्राप्त तमाम +जनशिकायतों को सम्बंधित विभागों को भेज +दिया जाता है। जिला स्तर पर जिलाधिकारी +जनशिकायत समाधान अधिकारी के रूप में +कार्य करता है। किसी-किसी राज्य में जिला +पंचायतों ने जनशिकायतों के निवारण हेतु स्वयं +का जनशिकायत निवारण प्रणाली भी बनाया +है। निचले स्तर पर ग्राम सभा जनशिकायतों +के निवारण का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है जहां +ग्रामीणों के सहयोग से तत्क्षण बहुत सारे मुद्दों +को सुलझा लिया जाता है। +इंटरनेट तथा जनशिकायत समाधान + +इन्टरनेट तथा जन संचार के अन्य माध्यमों +के लोकप्रिय होने के बाद से जनशिकायत +समाधान की प्रक्रिया में आमूलचूल परिवर्तन +आया है तथा सुशासन के स्वप्न को वास्तविक +पंख मिले हैं। सीपीग्राम की तर्ज पर तकरीबन +हरेक राज्य ने अपने-अपने जनशिकायत +समाधान के पोर्टल का निर्माण किया है जहां +उस राज्य के नागरिक अपनी शिकायतों को +दर्ज करवा सकते हैं। झारखंड के ऐसे ही +एक पोर्टल का नाम मुख्यमंत्री जन संवाद +पोर्टल है तथा झारखंड संवाद एवं समाधान +खंड में जाकर कोई भी व्यक्ति झारखंड +सरकार के विभिन्न मंत्रालयों एवं विभागों +से सम्बंधित अपनी शिकायत दर्ज करवा + +योजना, फरवरी 2018 + + + +0045.txt +<----------------------------------------------------------------------> +सकता है। ऐसी ही प्रणाली का नाम बिहार +में बिहार जनशिकायत निवारण प्रणाली है +तथा हिमाचल प्रदेश में ई-समाधान है। अनेक +राज्यों ने इन पोर्टलों के सुचारू क्रियान्वयन +हेतु जगह-जगह पर लोक सेवा केंद्र की भी +स्थापना की है जो आम तौर पर एक साइबर +कैफे जैसा होता है, जहां सरकार द्वारा नियुक्त +प्रतिनिधि उनलोगों को अपनी शिकायत दर्ज +कराने में मदद करते हैं जो कम्प्यूटर अथवा +इन्टरनेट को चलाने में अक्षम होते हैं। + +अमूमन इन सारे पोर्टलों पर हरेक दिन +दर्ज होने वाले शिकायतों के साथ-साथ कुल +शिकायतों की संख्या बताई जाती है साथ ही +अब तक कितनी शिकायतों का निवारण हो +चुका है यह भी दर्शाया जाता है, इन तमाम +प्रयासों से जनशिकायत निवारण के क्षेत्र में +विगत वर्षों में काफी पारदर्शिता आई है। +इन्टरनेट आदि के आने से पूर्व शिकायतों को +पत्रों के माध्यम से दर्ज करवाया जाता था, +कई बार पत्र समय पर पहुंच नहीं पाते थे +और साथ ही पत्रों का कोई सटीक विवरण +भी नहीं रह पाता था जिससे जनशिकायतों +का समाधान प्रभावी तरीकों से नहीं हो पाता +था। राज्य के मुख्यमंत्री अक्सर जनता दरबार +लगाकर भी जन सुनवाई करते हैं और इनमें +कई बार हाथों-हाथ जनता की समस्याओं को +सुलझा दिया जाता है। जनता की शिकायतों के +अनुसार मुख्यमंत्री तुरंत ही सम्बंधित जिले के +कलक्टर अथवा एसपी से वीडियो कांफ्रेंसिंग +के जरिये बात कर जनता की शिकायत को +दूर करने का निर्देश जारी करते हैं। +2017 में जनशिकायत समाधान + +सीपीग्राम वेब पोर्टल की वार्षिक समीक्षा +से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2017 में +देश के 29 राज्यों में छत्तीसगढ़ ने सर्वाधिक +जनशिकायतों का समाधान किया है। सीपीग्राम +पोर्टल के जरिये छत्तीसगढ़ को कुल 18,735 +शिकायतें प्राप्त हुईं जिनमें से जनशिकायत +निवारण कार्यालय ने 15,299 शिकायतों का +समाधान किया जो कुल शिकायतों का 81. +66 प्रतिशत है। छत्तीसगढ़ सरकार का मानना +है कि इन त्वरित समाधान के पीछे राज्य द्वारा +बडे स्तर पर वीडियो कांफ्रेंसिंग की व्यवस्था +है जिसके तहत मंत्रालयों के अधिकारी राज्य +के सुदूरतम क्षेत्र के नागरिकों से सुलभता से +संपर्क साध पाते हैं। + +योजना, फरवरी 2018 + +जनशिकायतों के समाधान में 71.24 +प्रतिशत शिकायतों का निवारण कर तमिलनाडू +ने छत्तीसगढ़ के बाद दूसरा स्थान प्राप्त किया +तथा 65.46 प्रतिशत के साथ गुजरात इस +कड़ी में तीसरे पायदान पर रहा। रुचिकर तथ्य +यह है कि मध्य प्रदेश जिससे कि छत्तीसगढ़ +पृथक हुआ था वह गत वर्ष सिर्फ 11 प्रतिशत +जनशिकायतों का ही समाधान कर पाने में +सक्षम रहा। +जनशिकायत समाधान में नवाचार + +प्रधानमंत्री ने विगत वर्षो में जनशिकायतों +के निवारण पर विशेष बल देते हुए इसे +सुशासन की धुरी बताया है। प्रधानमंत्री ने + +अनेक राज्यों ने पोर्टलों के सुचारू +क्रियान्वयन हेतु जगह-जगह पर लोक +सेवा केंद्र की भी स्थापना की है जो +आम तौर पर एक साइबर कैफे जैसा +होता है, जहां सरकार द्वारा नियुक्त गए +प्रतिनिधि उनलोगों को अपनी शिकायत +दर्ज कराने में मदद करते हैं जो कम्प्यूटर +अथवा इन्टरनेट को चलाने में अक्षम +होते हैं। अमूमन इन सारे पोर्टलों पर +हरेक दिन दर्ज होने वाले शिकायतों के +साथ-साथ कुल शिकायतों की संख्या +बताई जाती है साथ ही अब तक कितनी +शिकायतों का निवारण हो चुका है यह +भी दर्शाया जाता है, इन तमाम पहलों से +जनशिकायत निवारण के क्षेत्र में विगत +वर्षों में काफी पारदर्शिता आई है। + +हरेक सांसदों को सोशल मीडिया के विभिन्न +मंचों से जनता से संवाद करने का निर्देश दिया +है और सोशल मीडिया से प्राप्त जनशिकायतों +का अविलम्ब निराकरण भी करने का निर्देश +दिया गया है। प्रधानमंत्री की इसी पहल का +नतीजा है कि आज हरेक सांसद, विधायक +एवं अन्य जन-प्रतिनिधि फेसबुक से लेकर +ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर +नागरिकों की समस्याओं से अवगत हो रहे हैं। +विदेश मंत्री सुषमा स्वराज अक्सर ट्विटर के +माध्यम से विदेश में रह रहे भारतीय नागरिकों +को वीजा आदि उपलब्ध करवाने में मदद +कर रही हैं। आये दिन इस तरह की खबरें +आती हैं कि आपात स्थिति में किसी ने विदेश +मंत्रालय से मदद मांगी और सुषमा स्वराज +स्वयं प्रार्थी को मदद हेतु आश्वासन देती हैं। + +ट्विटर के जरिये नागरिकों की +समस्याओं के समाधान में रेलवे मंत्रालय, +भारत सरकार ने भी एक मिसाल कायम +किया है। रेल मंत्रालय की पहल पर रेल +में सफर कर रहे यात्रियों को अपनी समस्या +का तत्काल समाधान करने का नायाब जरिया +मिला है। यात्री अपने पीएनआर संख्या एवं +ट्रेन संख्या का हवाला देकर रेल मंत्रालय को +ट्विटर पर अपनी समस्या बता सकते हैं, रेल +मंत्रालय फौरन उन शिकायतों को सम्बंधित +डीआरएम को भेज देती है और डीआरएम के +कार्यालय से शिकायतों को सम्बंधित स्टेशन +मास्टर अथवा रेलवे पुलिस के कार्यालय में +हस्तांतरित कर दिया जाता है। इस तरह से +अगले दो से तीन स्टेशन तक यात्रियों की +शिकायतें दूर कर दी जाता हैं, शिकायत के +समाधान के उपरान्त एक ट्विट भी आता है +जिसमें इस शिकायत प्रणाली के प्रति यात्री +की संतुष्टि को जानने की कोशिश की जाती +है। भारतीय रेल ने कई बार ऐसी शिकायतों +पर वृद्ध तथा वरिष्ठ नागरिकों के लिए स्टेशन +पर व्हील चेयर से लेकर शिशुओं के लिए +गर्म पानी अथवा दूध तक की भी व्यवस्था +की है। इस तरह सुशासन के क्षेत्र में विभिन्न +मंत्रालयों द्वारा ये पहल काफी सकारात्मक हें। + +ट्विटर पर इसी तरह प्रधानमन्त्री कार्यालय +का भी अकाउंट है जिसके जरिये कार्यालय +के काम-काज का निरंतर विवरण प्राप्त होता +रहता है, साथ ही प्रधानमंत्री के मन की बात +कार्यक्रम के बाद जिन नागरिकों को अपनी +शिकायत या बात रखनी होती हे वे प्रधानमंत्री +कार्यालय के ट्विटर हैंडलर को ट्विट कर +सकते हैं अथवा इंडिया डॉट गॉव डॉट इन +पोर्टल के जरिये अपनी शिकायत दर्ज करवा +सकते हैं, पीएमओ द्वारा उन शिकायतों पर +संज्ञान लिया जाता है। इस तरह से शिकायतों +के निवारण में अनेकानेक नवाचार देखने को +मिलते हैं। इन्टरनेट तथा सोशल मीडिया के +आने से जनशिकायत प्रणाली में जैसे क्रान्ति +आ गयी है एवं सुशासन की ओर हमारे कदम +को मजबूती प्राप्त हुआ है। +द्वितीय एआरसी एवं प्रस्तावित अनुशंसा + +द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग ने +अपने 2009 के रिपोर्ट में जनशिकायत +समाधान पर विस्तार से एक अध्याय समर्पित +किया है जिसमें कि जनशिकायत समाधान + +45 + + + +0046.txt +<----------------------------------------------------------------------> +के वर्तमान ढांचे पर विस्तृत अध्ययन है। +आयोग ने जहां वर्तमान ढांचे के अधिकतम +बिन्दुओं को उचित एवं तकसंगत माना हे +वहीं बहुत सारे बिन्दुओं पर असंतोष भी +जाहिर किया है। उन्ही संतोष एवं असंतोष के +आधार पर द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग +ने जनशिकायत समाधान प्रणाली को और +मजबूती प्रदान करने हेतु कुछ अनुशंसा किये +हैं, जो निम्नलिखित हैं:- + +आ) प्रत्येक संस्थाओं में एक मजबूत तथा +प्रभावी आंतरिक जनशिकायत समाधान +प्रणाली की आवश्यकता हे। + +ब) जिस तरह सूचना के अधिकार कानून के +तहत हरेक संस्थाओं में एक जन सूचना +अधिकारी होता है उसी तरह केंद्र एवं राज्य +सरकारों के आदेश से हरेक सार्वजनिक +प्राधिकरणों में एक जनशिकायत समाधान +अधिकारी नियुक्त होना चाहिए। ये +अधिकारी सेवा की दृष्टि से वरिष्ठ हो ऐसा +आवश्यक है तथा उन्हें उनके पद्‌ के +अनुपात में शिकायत निवारण की शक्ति +भी प्रदान करनी चाहिए। +इन अधिकारियों द्वारा प्राप्त तमाम +शिकायत पत्र को तीस दिन के अन्दर +संतोषप्रद॒ तरीके से निपटाना चाहिए। +समय पर शिकायतों के निवारण नहीं +होने के स्थिति में वित्तीय दंड का भी +प्रावधान होना चाहिए) + +द) हरेक संस्था को एक अपील प्राधिकरण +का भी निर्माण करना चाहिए जिसके +पास पर्याप्त शक्ति हो और वह +प्राधिकरण दोषी अधिकारियों पर दंड + +स) + +तय करने की क्षमता रखता हो। + +द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग ने कई +ऐसे क्षेत्रों को भी चिन्हित किया, जिनके +खिलाफ बारंबार शिकायतें प्राप्त हो रही +हैं, आयोग की अनुशंसा के अनुसार भारत +सरकार की संस्थाओं को ऐसी शिकायतों +को चिन्हित करनी चाहिए एवं उन क्षेत्रों की +पहचान कर उनसे सम्बंधित समस्याओं को +दूर करने की कोशिश करनी चाहिए जिनके +खिलाफ बार बार शिकायत आ रही है तथा +ऐसे प्रयास सिर्फ एक बार करने के बजाय +एक खास समय सीमा के बाद निरंतरता के +साथ करनी चाहिए। +निष्कर्ष + +किसी देश में सुशासन तभी सुनिश्चित +किया जा सकता है जब शासन में +जनभागीदारी हो। जन भागीदारी के लिए यह +अत्यंत आवश्यक है कि देश के नागरिकों की +समस्याओं का ससमय समाधान सुनिश्चित +किया जा सके। अन्तरराष्ट्रीय अनुभवों के +आधार पर एक सशक्त लोकपाल जिसे कि +देश के हर बड़े-छोटे भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों +की जांच करने का अधिकार हो, वह देश में +जनशिकायत समाधान को सुलभ बना सकता +है। लोकतंत्र में लोगों को सरकार से अंतहीन +अपेक्षाएं रहती हैं क्योंकि लोक-कल्याणकारी +राज्य में सरकार ही आखिरी महत्वपूर्ण सेवा +प्रदाता है, अतएवं सेवाओं का संतोषप्रद +प्रतिपादन एवं जनता जनार्दन की संतुष्टि तभी +संभव है जब देश में एक प्रभावी जनशिकायत +समाधान प्रणाली हो। द्वितीय प्रशासनिक सुधार +आयोग के रिपोर्ट को स्वीकार कर उन्हें + +अमल में लाना चाहिए तथा सुशासन की ओर +एक सशक्त कदम बढ़ाकर वर्तमान सरकार +को देश में लोकपाल तथा हरेक राज्यों में +लोकायुक्त की नियुक्ति शीघ्रातिशीघ्र करनी +चाहिए। Q + +सन्दर्भ + +* शिकायत निवारण तंत्र: अध्याय 7, द्वितीय +प्रशासनिक सुधार आयोग 12 बीं रिपोर्ट, पृष्ठ +संख्या 79-92 + +* लोकतंत्र एवं सुशासनः द्वारा सुभाष कश्यप, +वितस्ता पब्लिशिंग प्राइवेट लिमिटेड + +* सुशासन, सार्वजनिक संस्थान तथा भारत में +जनशिकायत समाधानः क्या नागरिक शिकायत +तंत्र सार्वजनिक संस्थानों के कार्य क्षमता को +बढ़ा सकती है? द्वारा बिष्णु प्रसाद मोहपात्रा, +सेंटर फॉर इकनोमिक एंड सोशल स्टडीज, +हैदराबाद + +* पंचायत तथा सुशासनः द्वारा एस आर सिंह, +एपीएच पब्लिशिंग कारपोरेशन + +* हमारे बारे में: मुख्यमंत्री जन संवाद बेब पोर्टल, +झारखंड सरकार + +*« शिकायत खंडः ई-समाधान, हिमाचाल प्रदेश +सरकार + +*« मेरी सरकारः भारत का राष्ट्रीय पोर्टल इंडिया +डॉट गॉव डॉट इन + +* जनशिकायत समाधान में छत्तीसगढ़ देश में +अव्वलः द्वारा एजाज कैसर, इंडियन एक्सप्रेस, +दिनांक 31 दिसंबर 20171 + +*« सुशासन विवस कब और क्यों मनाया +जाता हैः द्वारा पियूष, सरकारीइन्फो, ऑनलाइन +सरकारी इनफार्मेशन। + +* तसादुक फॉर फ्रेश पुश टुवर्ड्स गुड गवर्नेंस +श्रू इफेक्टिव ग्रिएवांस रेड्रेस्सलः द्वारा +संवाददाता, डेली एक्सेलसियर, दिनांक 26 मई +2017, डेली एक्सेलसियर डॉट कॉम। + + + + + +7 + +ane + + + +\N + +46 + + + +| योजना + +L आगामी अंक + +मार्च 2018 + +, +J + +केन्द्रीय बजट 2018 + + + +~ + +आपकी राय +व सुझावों की +प्रतीक्षा है + + + +मै + +योजना, फरवरी 2018 + + + +0047.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +My Haspital + +स्वास्थ्य व परिवार कल्याण +मंत्रालय में एक हॉस्पिटल +मैनुअल 60 है जिसमें प्रबंधन, +प्रशासन, विभिन्न विभागों +व वार्ड्स के क्षेत्रों में निजी +अस्पतालों के निर्बाध परिचालन +का प्रावधान है। मैनुअल 61 +प्रत्येक सरकारी अस्पतालों के +लिए शिकायत निपटान प्रणाली +की कल्पना करता है और इसके +अनुबंध में केंद्र सरकार के +अस्पतालों के नागरिक घोषणापत्र +है। इस प्रणाली के लिए अपेक्षित +है कि प्रत्येक अस्पताल में एक +व्यक्ति को शिकायत निदान +अधिकारी के रूप में पदनामित +किया जाए, शिकायत पेटी रखी +जाए और उसमें आई शिकायतों +को पंजीकृत किया जाए + +tA +चिकित्सा क्षेत्र में शिकायत व परिवाद निदान प्रणाली + + + +संजीव कुमार + + + +रत के सर्वोच्च न्यायालय ने +OT स्वास्थ्य के अधिकार को +भारतीय संविधान के अनुच्छेद +21 के तहत जीवन के अधिकार के अनिवार्य +हिस्से के रूप में माना है फिर भी इस +अधिकार के प्रवर्तन हेतु प्रणाली निष्प्रभावी है। +वस्तुतः प्रवर्तन का सवाल बेशक असामयिक +जान पड़े, स्वास्थ्य के अधिकार की रूपरेखा +और इसके द्वारा लागू किए जाने वाले कर्तव्य +को अभी तक वैधता नहीं प्राप्त हुई है। +शिकायतों व परिवादों का समाधान स्वास्थ्य +सेवा डिलिवरी (वितरण) और सेवा मानकों +की गुणवत्ता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। +इस संबंध में स्वास्थ्य व चिकित्सा क्षेत्र, निजी +व सार्वजनिक दोनों ही क्षेत्रों ने समय के +साथ कई चुनौतियों का सामना किया है और +दोनों ही समय के साथ विकसित हुए हैं तथा +जनता व रोगियों के शिकायतों व विवादों के +समाधान हेतु हाल के वर्षो में इन दोनों क्षेत्रों +ने और अधिक विकास किया है। दुर्भाग्यवश +हमारे पास कोई एक एजेंसी, नीति या संगठन +नहीं है जो जनता या रोगियों के लिए उनकी +शिकायत या परिवाद को दर्ज करने और +त्वरित समाधान पाने के लिए व्यापक तौर +पर उपलब्ध हो। इसी क्रम में, शिकायत व +परिवाद को दर्ज करने की प्रक्रिया व प्रणाली +तथा उनका अनुवर्तन भी काफी सरल नहीं है +या यह आवश्यक गति व सहयोग के साथ +किया जाता है। +राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, 2017 की +धारा 14.2 में क्लिनिकल (रोगविषयक) +प्रतिष्ठानों के विनियमन का स्पष्ट उल्लेख + + + + + + + + + +है। इसके अनुसार कुछ राज्यों ने क्लिनिकल +(रोगविषयक) प्रतिष्ठान अधिनियम 2010 को +अपनाया है। इस अधिनियम के अंगीकार हेतु +अन्य राज्यों के साथ सिफारिश की जाएगी। +क्लिनिकल (रोगविषयक) प्रतिष्ठानों की +ग्रेडिंग और तेज पदोन्नति और मानक उपचार +दिशानिर्देशों का अंगीकार एक शुरुआती कदम +होगा। क्लिनिकल (रोगविषयक) प्रतिष्ठानों +में रोगियों के अधिकारों की रक्षा (मसलन +सूचना का अधिकार, चिकित्सा रिकॉर्ड्स +a fel ce पहुंच, सूचित सहमति, +दूसरी राय, गोपनीयता व निजता) एक +महत्वपूर्ण कदम होगा। नीति सेवा स्तर, सेवा +मूल्य, लापरवाही और अनुचित व्यवहार के +संबंध में विवाद व शिकायत के त्वरित +समाधान हेतु एक विशिष्ट सशक्त चिकित्सा +ट्रिब्यूबूल के गठन की सिफारिश करता है। +प्रयोगशालाओं व इसमेजिंग सेंटर्स के लिए +मानक विनियामक रूपरेखा, विशेषीकृत +उभरती सेवाएं मसलन असिस्‍्टेड रीप्रोडक्टिव +टेक्नीक, सरोगेसी, स्टेम सेल बैंकिंग, ऑर्गन +व ॒टिश्यू ट्रांसप्लांटेशन तथा नैनो मेडिसिन +को सृजित किया जाएगा। स्थिति यह है कि +प्रस्तावित प्रणली अब तक लागू नहीं है। +क्लिनिकल (रोगविषयक) प्रतिष्ठान अधिनियम +(सीईए) 2010, देश के सभी क्लिनिकल +(रोगविषयक) प्रतिष्ठानों (सार्वजनिक व निजी) +के पंजीकरण व विनियमन हेतु केंद्रीय नियम +है। यह उनके द्वारा दत्त सुविधाओं व सेवाओं +के न्यूनतम मानकों तथा रोगियों से लिए जाने +वाले शुल्क का उल्लेख करता है। मानकों का +गैर अनुपालन होने पर अधिनियम के तहत + + + + + +लेखक संप्रेषण व मीडिया क्षेत्र में 26 वर्षों के लंबे अनुभव के साथ वरिष्ठ संप्रेषण व मीडिया प्रोफेशनल हैं। उन्होंने राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय एनजीओ, कंसल्टिंग फर्म्स, +यूएन निकायों, द्विपक्षीय एजेंसियों, डोनर्स एंड फाउंडेशंस, केंद्र व राज्य सरकार के मंत्रालयों व विभागों के साथ स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, पोषण व कॉर्पोरेट सामाजिक +जिम्मेदारी (सीएसआर) क्षेत्रों में कार्य किया है। ईमेल: sanjeevbec@gmail.com + +योजना, फरवरी 2018 + +47 + + + +0048.txt +<----------------------------------------------------------------------> +लाइसेंस को निरस्त किया जा सकता है और +अधिनियम में तयशुदा दंड लगाया जा सकता +है। न सीईए पूरे देश में लागू नहीं है और यही +इसकी सबसे बड़ी कमजोरी है अर्थात देश +के सभी क्लिनिकल (रोगविषयकः) प्रतिष्ठानों +के लिए कोई न्यूनतम एकीकृत मानक नहीं +हैं। हालांकि यदि सीईए पूरे देश में लागू भी +होता, इसके तहत उल्लेख्य न्यूनतम मानकों +के साथ क्लिनिकल (रोगविषयकः) प्रतिष्ठानों +के विभिन्न प्रवर्गों के लिए संबंधित नियम +25 में शिकायत निवारण से संबंधित कोई +प्रावधान नहीं है। + +क्लिनिकल (रोगविषयक) प्रतिष्ठानों +में अधिनियम के तहत अनंतिम या स्थाई +पंजीकरण हेतु पूर्वपिक्षा के तौर पर शिकायत +कक्ष का होना आवश्यक नहीं है। पंजीकरण +के आवेदन के लिए भी इस प्रभाव वाले +वचनपत्र या प्रकटीकरण की भी अपेक्षा +नहीं है। सीईए के अनुसार अस्पताल 26 +के निश्चित प्रवर्ग अपेक्षित हैं जहां रोगी +नागरिक चार्टर हो; हालांकि इस चार्टर के +लिए भी शिकायत निवारण प्रणाली का गठन +अपेक्षित नहीं है। इससे स्पष्ट होता है कि + +4 + +बकनाला'। कर की) अपाप F arly Pa +Getnn ner Of + + + +मेरा अस्पताल +मोबाइल एप + +सरकार से प्राप्त स्वास्थ्य +सुविधाओं पर फीडबैक के +लिए स्वास्थ्य एवं परिवार +कल्याण मंत्रालय द्वारा शुरू +की गई एक पहल + +मोबाइल एप डाउनलोड करें + +Miebsite: btqoctAana hp gov + +48 + +देश में क्लिनिकल (रोगविषयकः) प्रतिष्ठानों से +संबंधित एकल केंद्रीय विनियामक रूपरेखा में +भी वैयक्तिक रोगी अधिकारों के प्रवर्तन का +कोई प्रावधान नहीं है। + +हाल ही में संशोधित उपभोक्ता संरक्षण +अधिनियम (सीपीए) 1986 के तहत +उपभोक्ता शिकायत दर्ज कर सकता है +परंतु जन स्वास्थ्य प्रतिष्ठानों के साथ सीपीए +की प्रयोज्यता देश के विभिन्न न्यायालयों +द्वारा उपभोक्ता व सेवाओं की भिन्न-भिन्न +व्याख्याओं की वजृह से विवादास्पद है। +सीपीए के अनुसार, उपभोक्ता वह है जो +वस्तुएं खरीदता है और सेवाओं का लाभ +उठाता है और सेवाओं का अभिप्राय स्वास्थ्य +सेवा समेत विभिन्न सेवाओं से है परंतु इसका +अर्थ निःशुल्क सेवा प्रदान करना नहीं है। अतः +ऐसा लगेगा कि जन स्वास्थ्य प्रतिष्ठानों के +साथ सीपीए की प्रयोज्यता को अलग किया + +स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय में +एक हॉस्पिटल मैनुअल 60 है जिसमें प्रबंधन, +प्रशासन, विभिन्न विभागों व वास के क्षेत्रों +में निजी अस्पतालों के निर्बाध परिचालन का +प्रावधान है। मैनुअल 61 प्रत्येक सरकारी +अस्पतालों के लिए शिकायत निपटान प्रणाली +की कल्पना करता है और इसके अनुबंध +में केंद्र सरकार के अस्पतालों के नागरिक +घोषणापत्र है। इस प्रणाली के लिए अपेक्षित +है कि प्रत्येक अस्पताल में एक व्यक्ति +को शिकायत निदान अधिकारी के रूप में +पदनामित किया जाए, शिकायत पेटी रखी +जाए और उसमें आई शिकायतों को पंजीकृत +किया जाए और उसका जवाब दिया जाए, +नियमित अनुवर्तन किया जाए, उनपर कार्रवाई +की जाए, शिकायतों व अनुवर्तन तथा कृत +कार्वाई के प्रबोधन के लिए एक समिति +गठित की जाए तथा सिटिजंस चार्टर के + + + +जाए जहां सामान्यतः सेवाएं निःशुल्क दी +जाती हैं। हालांकि इस धारणा को चुनौती दी +गई है और इसकी व्याख्या सर्वोच्च न्यायालय +के साथ-साथ राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निदान +आयोग के कुछ निर्णयों द्वारा की गई है। + +da HEALTH PORTO + +NHP/S) Se + +CRE या Tt a + + + + + + + + + + +ip Moopiial + +Share your Gupirioce +Io imancve hospitals + +See te ety +eT 1 आयी + +DE कक! +भगत ह्मक्रापर हे + +Toll 6760 19.: 1600 1 फ)-1 11 + +क्रियान्वयन के प्रबोधन हेतु एक नोडल +अधिकारी नियुक्त किया जाए। + +इस संदर्भ में एक पहल देखने योग्य है। +राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने अपने राष्ट्रीय स्वास्थ्य +पोर्टल के जरिए 2017 में मेरा अस्पताल +wa! शुरू किया। मेरा अस्पताल एसएमएस, +ओबीडी मोबाइल एप्लिकेशंस व बेब पोर्टल +जैसे यूजर फ्रेंडली चैनलों के जरिए अस्पताल +में प्राप्त सेवाओं के लिए रोगी की प्रतिक्रिया +प्राप्त करने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय, भारत +सरकार की एक पहल है। रोगी विगत 7 +दिनों के दौरान अस्पताल के अपने अनुभव +के संबंध में अपनी प्रतिक्रिया मोबाइल ऐप +तथा वेब पोर्टल पर सात भिन्न भाषाओं में दे +सकता है। + +रोगी अपने द्वारा प्रस्तुत प्रतिक्रिया को +देख भी सकता हे। प्राप्त प्रतिक्रियाओं का +संकलन व विश्लेषण किया जाता है और उसे +डैशबोर्ड के रूप में दृष्टिगोचर किया जाता है +जिसे विभिन्न स्टेकधारक सुविधा, जिला, राज्य +व राष्ट्रीय स्तर पर देख सके। + +मेयर अस्पताल जन सुविधाओं के मध्य +स्वास्थ्य सेवा डिलिवरी की गुणवत्ता बढ़ाने +में सरकार की मदद करता है जिससे रोगी +को प्रभावी व समुचित सेवा प्राप्त होगी। +मेरा अस्पताल अंततः रोगी डन्मुख, उत्तरदायी +स्वास्थ्य सेवा (हेल्‍थ केयर) सिस्टम स्थापित +करने में मददगार होगा। ऐप अपने डैशबोर्ड + +योजना, फरवरी 2018 + + + +0049.txt +<----------------------------------------------------------------------> +पर प्रतिक्रियाओं, अस्पतालों की कुल संख्या, +संतुष्ट व असंतुष्ट उत्तदाताओं की कुल संख्या, +प्रदर्शित करता है जो काफी स्पष्ट है। जो स्पष्ट +नहीं है वह यह कि इन प्रतिक्रियाओं को +केसे देखा जाता है और उन्हें कैसे प्रदर्शित +किया जाता है। + +अस्पतालों व स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं +हेतु राष्ट्रीय प्रमाणन बोर्ड भारतीय गुणवत्ता +परिषद के तहत एक अन्य प्रणाली है +जो शिकायतों व अपीलों को देखता है। +अस्पतालों व स्वास्थ्य सेवाप्रदाताओं हेतु राष्ट्रीय +प्रमाणन बोर्ड भारतीय गुणवत्ता परिषद का +एक संघटक बोर्ड है जिसका गठन हेल्थकेयर +संगठनों हेतु मान्यता कार्यक्रमों की स्थापना +व परिचालन के लिए हुआ है। बोर्ड का +गठन उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं को +पूरा करने और स्वास्थ्य उद्योग की प्रगति +की दिशा में बेंचमार्क तय करने के लिए +हुआ है। उद्योग, उपभोक्ता, सरकार, समेत +सभी स्टेकधारकों से समर्थन प्राप्त बोर्ड अपने +परिचालन में पूर्णतः स्वायत्त है। बोर्ड के +पास शिकायतों व परिवादों के निपटान की +अपनी व्यवस्था निर्धारित है किंतु यह व्यापक +तौर पर उसके साथ पंजीकृत अस्पतालों व +हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स के दायरे में आता हे। + +भारतीय चिकित्सा परिषद्‌ अधिनियम +1956 के तहत भारतीय चिकित्सा परिषद +(एमसीआइ) * ने नीति संहिता विनियम +2002 जारी किया जो पंजीकृत चिकित्सकों +के लिए व्यावसायिक आचार, शिष्टाचार +व नीति हेतु मापदंड निर्धारित करता हे। +शिकायतों को उपयुक्त चिकित्सा परिषद- +राज्य या एमसीआइ के समक्ष दर्ज किया +जाए। यदि चिकित्सक व्यासायिक दुराचार +का दोषी पाया जाता है तो संबंधित परिषद्‌ +आवश्यक सजा या रजिस्टर से चिकित्सक +का नाम हमेशा के लिए या किसी खास +समय तक के लिए हटाने का निर्देश दे +सकता है। ऐसी कार्रवाई को निवारक के तौर +पर प्रदर्शित किया जाता है। संहिता के तहत +किसी उल्लंघन में रोगी के प्रति लापरवाही, +रोगी के हितों को प्राथमिकता न देना, लिंग +निर्धारण जांच करना शामिल हें। + +भारतीय चिकित्सा संघ (आइएमए) +आधुनिक वैज्ञानिक चिकित्सा प्रणाली का +एकमात्र प्रतिनिधि, राष्ट्रीय स्वैच्छिक संगठन + +योजना, फरवरी 2018 + + + +साथ-साथ +व्यापक तौर पर समुदाय के हितों का +ध्यान रखता है। आइएमए में एक आइएमए +मध्यस्थता व शिकायत कक्ष है जो शिकायतों +को प्राप्त करता है और महीने में एक बैठक +करता है तथा दर्ज शिकायतों पर चर्चा करता +है और अपने राज्य मुख्यालयों व अन्य +इकाइयों के माध्यम से उनका समाधान करता +है। आइएमए एचक्यू मध्यस्थता, सुलह व +शिकायत समाधान कक्ष को 162 शिकायत +प्राप्त हुए जिनमें से 88 शिकायतें राज्य +व स्थानीय शाखाओं से संबंधित थीं और +मुख्यालय में 55 शिकायतों का समाधान +किया गया, लंबित शिकायतों की संख्या 19 +थी। राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन पर भी +संपर्क किया जा सकता है और चिकित्सा +संबंधी लापरवाही के लिए शिकायत दर्ज कर +सकते हैं। चिकित्सा एक श्रेष्ठ कार्य है और +चिकित्सकों को अपने इस कार्य को कौशल +व ज्ञान से जोड़ना चाहिए और सेवा का +भाव जुरूर रखना चाहिए। नियमों के अनुसार +प्रत्येक मामले में सेवा व दक्षता का संतुलन +होना चाहिए। + +दिल्‍ली व गुड़गांव के कुछ निजी +अस्पतालों के साथ देश भर के विभिन्न हिस्सों +में स्थित सरकारी अस्पतालों के हालिया हाइ +प्रोफाइल मामलों से यह साफ होता है कि +एक स्पष्ट व व्यावहारिक शिकायत व परिवाद +निवारण प्रणाली के गठन व कार्यावयन की +काफी आवश्यकता है जो रोगी व आम + + + +a “i है हा * +जन के लिए सहज हो और उपलब्धता व +गुणवत्ता में सुधार हो। सभी निजी व सरकारी +अस्पतालों में प्रभावी प्रवर्तन प्रणाली की +अनुपस्थिति काफी दुखद है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य +नीति 2017 के वादों के अनुसार विनियामक +प्राधिकरण का गठन इस दिशा में काफी + +कारगर होगा। Q +विस्तृत सामग्री +1. राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, 2017, स्वास्थ्य व परिवार + +कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार, 2017 + +7... मेरा अस्पताल, http://meraaspataal.nhp.gov. +in/about us + +iii. http://www.nabh.co/a + +iv. https://www.mciindia.org/ActivitiWeb +Client/footer/guidelineF orComplaint + +v. http://ima-india. org/ima/free-way-page. +php?pid=2 + +vi. https://imahq.blogspot.in/2017/12/ +straight-from-heart-ima-grievances-cell. +html + +vii. http://nationalconsumerhelpline.in/ +medicalnegligence.aspx + +सन्दर्भ + +* http://eghs.gov.in/index1.php?lang= + +1&level=1 &sublinkid=6022&lid=3947 + +http://meraaspataal.nhp.gov.in/ + +http://pib.nic.in/newsite/PrintRelease. + +aspx ?relid=149307 + +https://www.mciindia.org/documents/ + +vigilance/whistle_blower_policy_PIDPI. + +pdf + +https://imahq. blogspot.in/2017/12/straight- + +from-heart-ima-grievances-cell._html + +http://nationalconsumerhelpline.in/ + +Annual _Report_2016-17.pdf + +http://nationalconsumerhelpline.in/ + +medicalnegligence.aspx + +49 + + + +0050.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + +¥ Dr, Adarsh Sir +Voted क Tied Pane +मसल +जांधस्सि सुख + + + +DR. KHURSHID ALAM 4 + +tere seeren +. To iter + + + + + + + + + + + + + + +; ANT sift <. +मूगोल + + + + + + + +Amit Jain +Bind Pagowr + +itr wen TF aig rare + +Tras as + + + +Ths Ay + +पाया ee + + + + + + + + + + + +The Hindu, Indian Express, +शप्त, 880 व अन्य प्रहललपूर्ण झलोत + + + + + +ममसाप्रधिकी माम्मिक +साक्षात्कार कार्यक्रम PROGRAMME) पत्रिका उपलब्ध +| hyo +el FES > tates fra +( प्ररंभिक एवं एज्ड फोक्षा) (विश्लेषण - विशेषयों के द्वार) (इतिह्वाम एवं भुगोल) + +पत्राचार अध्ययन साम्रग्री की सुविधा उपलब्ध ( सम्पर्क सूत्र: 011-47058219 ) + + + + + + + + + +Dethi { Head Office} +996, First Floor, Dr. Mukherjee Nagar (Near Gandhi Vihar Bandh), Dethi - 110009 + +PH.: 011-47098219, 9911981693, 9717767797 + +ALLAHABAD eel JAIPUR + + + +10/14, Elgin Read, Civil Line, Allahabad 2/3 Aziz Complex, New Khera Pati Colony | M-85, JP Phatak Under Pass + +(U.P):- 241001, Phi:- 09984474888 Phooi Bagh Gwalior (MP}, Ph. : 29753002277 Jaipur Ph. + 7580856503 + +Website: www.nirmanias.com E-mail nirmanias07@qmail.com Eq sirman.ias + + + + + + + +50 योजना, फरवरी 2018 + +YH-717/5/2017 + + + +0051.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +वस्त्र उद्योग पर जीएसटी का प्रभाव + + + +जहां तक वस्त्र उत्पादन पर +जीएसटी के प्रभाव की बात +है तो विस्कोस, पॉलिएस्टर +जैसे वस्त्र उत्पादों की कीमतें +जुलाई, 2017 में मामूली बढ़ीं +और उसके बाद अगस्त, +2017 में घट गई। किंतु +मानव निर्मित धागे से बने +कपड़ों की कीमतें उसी दौरान +बढ़ गई। उपरोक्त अवधि +में कपड़ा उत्पादन भी कुछ +कम हो गया। कपड़ा निर्यात +जून-जुलाई , 2017 में 10.7 +प्रतिशत घटा और उसके बाद +अगस्त, 2017 में 6 प्रतिशत +बढ़ गया। वस्त्र एवं परिधान +आयात अगस्त, 2017 तक +38,61 प्रतिशत बढ़ गया +और इसका कारण बाजार +की ताकतों का प्रभाव भी हो +सकता है तथा आयात शुल्क +में कमी भी हो सकती है + +सी चिन्नप्पा + +रत में बस्त्र उद्योग का +OT विनिर्माण में 13.5 प्रतिशत +और सकल घरेलू उत्पाद +(जीडीपी) में 2.1 प्रतिशत योगदान है। वर्ष +2016-17 में कुल निर्यात में वस्त्र निर्यात +की 14 प्रतिशत हिस्सेदारी रही थी। कृषि के +बाद यह सबसे बड़ा रोजगार प्रदाता क्षेत्र है +(2011 की जनगणना के अनुसार लगभग +10.5 करोड़ लोगों को रोजगार, जिनमें 4.5 +करोड़ प्रत्यक्ष रोजगार)। अहम बात यह है +कि परिधान विनिर्माण क्षेत्र में काम कर रहे +कर्मचारियों में 70 प्रतिशत महिलाएं हैं। कितु +भारतीय वस्त्र उद्योग के सामने कई चुनौतियां +हैं, जिनमें प्रतिस्पद्धी देशों की लागत के +मुकाबले ऊंची लागत, गैर प्रतिस्पद्धी कर +ढांचे समेत विभिन्‍न कारणों से वैश्विक बाजार +में मिल रही कड़ी प्रतिस्पर्द्धा भी शामिल है। +वस्त्र उद्योग एक समान कम कर ढांचे की +मांग लगातार कर रहा था। +122वें संविधान संशोधन के अनुरूप 1 +जुलाई, 2017 से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी ) +लागू कर दिया गया। यह विनिर्माता से उपभोक्ता +तक वस्तुओं एवं सेवाओं की आपूर्ति पर लगने +वाली एकल कर प्रणाली है। केंद्र तथा राज्य +सरकारों के सभी अप्रत्यक्ष कर जीएसटी में +ही समाहित हो गए हैं। प्रत्येक चरण पर दिए +जाने वाले इनपुट टैक्स का क्रेडिट यानी वापसी +WRIST के बाद के चरणों में होती रहेगी +- प्रत्येक चरण में मूल्यवर्द्धन होने पर ही कर +वसूला जाएगा। वित्त मंत्री की अध्यक्षता वाली +राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों के वित्त मंत्रियों +की जीएसटी परिषद वस्तुओं एवं सेवाओं की +आपूर्ति पर कर की दरें तय करती है अथवा +उनकी सिफारिश करती हे। +कपड़े पर जीएसटी की दर +रेशम और जूट के अलावा सभी प्रकार +के वस्त्र पर जीएसटी लगाया गया है। आरंभ + + + + + + + + + +में कपास और अन्य प्राकृतिक रेशों पर 5 +प्रतिशत प्राकृतिक धागों पर 5 प्रतिशत, मानव +निर्मित धागों पर 18 प्रतिशत, सभी प्रकार के +बुने हुए कपड़े पर 5 प्रतिशत, 1,000 रुपये +से कम कीमत के परिधान पर 5 प्रतिशत +और इससे अधिक कीमत के परिधान पर +12 प्रतिशत, जॉब वर्क पर 18 प्रतिशत से +घटाकर 5 प्रतिशत और कालीन एवं कपड़े +से बनी दरी आदि पर 12 प्रतिशत जीएसटी +तय किया गया था। वस्त्र व्यापार एवं उद्योग +के संगठनों ने दर पर चिंता जताई और कपड़े +से बने विभिन्‍न सामान, माल के हस्तांतरण, +निर्यात को कर से छूट देने, रुके हुए करों +की वापसी करने, मानव निर्मित धागे समेत +परिधान तैयार होने तक मूल्यवर्द्धन के सभी +चरणों में जॉब वर्क के लिए 5 प्रतिशत दर +तय करने की मांग की। इन सभी मुददों +और मांगों को जीएसटी परिषद्‌ के सामने +रखा गया। +कपड़े पर जीएसटी का प्रभाव + +वस्त्र उद्योग पर जीएसटी के प्रभाव +का आकलन मूल्य, उत्पादन, कपडे के +आयात-निर्यात, रोजगार आदि के आंकडों +से किया जाता है। वस्त्र उद्योग के संगठनों +का दावा था कि इस उद्योग पर जीएसटी +विशेषकर प्रतिलोम कर यानी मानव निर्मित +रेशों से बने धागे पर 18 प्रतिशत और कपड़े +पर 5 प्रतिशत जीएसटी, जॉब वर्क पर 5 +प्रतिशत और 18 प्रतिशत जीएसटी तथा आयात +शुल्क में कमी (29 प्रतिशत से घटाकर 15 +प्रतिशत) के कारण कीमतें बढ़ गई हैं अथवा +प्रतिस्पर्द्धा योग्य नहीं रह गई हैं, उत्पादन और +निर्यात घट गया है, उद्योग बंद हो रहे हैं और +बेरोजगारी फैल रही है। हालांकि कपड़े की +कीमतों, उत्पादन और निर्यात पर जीएसटी के +प्रभाव का पता लगाने के लिए तीन महीने +की अवधि संभवतः पर्याप्त नहीं होगी कितु + + + +योजना, फरवरी 2018 + +लेखक वख्र मंत्रालय, भारत सरकार के अपर आर्थिक सलाहकार eI Let: c.chinnappa@nic.in + +51 + + + +0052.txt +<----------------------------------------------------------------------> +तालिका 1: वस्त्र एवं संबद्ध वस्तुओं का उत्पादन + +मानव निर्मित रेशे से + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +वस्त्र उत्पाद “वस्तुएं उत्पादन ( आंकड़े करोड़ में ) बने सामान को कौमत +स्तर रे न 5 से 15 प्रतिशत के +2016-17 | 2016* | 2017* | अंतर# | बीच बढ़ी है, जो +मानव निर्मित धागा 136.4 45.9 |45.5 |-0.9 | तालिका 2 में दिया +मानव निर्मित फिलामेंट [1159 377. [40.1 [|-6.4 | गया है। +धागा वस्त्र उत्पादन पर +सूती धागा 405.6 [138.8 [135.1 |-2.7 | जीएसटी का प्रभाव +मिश्रित एवं 100 160.6 54.3 53.3 1.8 जीएसटी के +प्रतिशत गैर-सूती धागा . . पहले और बाद की +x अवधि में वस्त्र उत्पादों +काता गया कुल धागा | 566.2 193.1 |188.4 |-2.4 | के माहवार उत्पादन +वस्त्र मिल में बना 226.4 78.5 |73.1 |-6.9 | & आंकडे उपलब्ध +असंगठित क्षेत्र में बना | 6163.0 | 2089.6 | 2093.0 | -0.2 | wet el fea wre +योग 6359.1 | 2168.1 |2166.1 |-0.1 | उत्पादन पर जीएसटी +अल जुलाई : के प्रभाव का पता +*अप्रैल-जुलाई, #2016 व 2017 के बीच लगाने के लिए +स्रोत: वस्त्र आयुक्त कार्यालय, मुबई एवं भारतीय कपास निगम लगा s + + + +वस्त्र आयुक्त मुंबई के कार्यालय, वाणिज्यिक +खुफिया एवं सांख्यिकी महानिदेशक, केंद्रीय +रेशम बोर्ड, भारतीय केंद्रीय कुटीर उद्योग निगम +लिमिटेड, भारतीय कपास निगम, भारतीय जूट +निगम लिमिटेड और राष्ट्रीय हथकरघा विकास +निगम से जुटाए गए आंकड़ों के आधार पर +प्रभाव का आकलन करने का प्रयास किया +गया है। (तालिका 1) +कपड़े के सामान की कीमतों पर जीएसटी +का प्रभाव + +सूती होजरी, विस्कोस, पॉलिएस्टर जैसे +प्रमुख कपड़ों की कीमतें जून से जुलाई, +2017 के बीच 15 प्रतिशत तक बढ़ी हैं +और सितंबर, 2017 में इनमें कमी आई है +और ये जून, 2017 की तुलना में 8 प्रतिशत +कम रही हैं लेकिन उपरोक्त अवधि के दौरान + +अप्रैल-जुलाई, 2016 +और अप्रैल-जुलाई, 2017 के वस्त्र उत्पादन +आंकड़ों का उल्लेख किया गया है। नीचे दी +गई तालिका बताती है कि अप्रैल-जुलाई, +2016 की तुलना में अप्रैल-जुलाई, 2017 +के दौरान मानव निर्मित रेशों का उत्पादन +0.8 प्रतिशत और फिलामेंट धागे का उत्पादन +6.4 प्रतिशत घटा। अप्रैल-जुलाई, 2017 में +सूती धागे का उत्पादन पिछले वर्ष की समान +अवधि के मुकाबले 2.7 प्रतिशत कम हुआ +और मिश्रित तथा 100 प्रतिशत गैर सूती +धागे का उत्पादन 1.8 प्रतिशत घट गया। +इसी प्रकार अप्रैल-जुलाई, 2017 में कपड़े +का उत्पादन भी अप्रैल-जुलाई, 2016 के +मुकाबले 0.1 प्रतिशत कम हुआ। केवल +असंगठित क्षेत्र का कपड़ा उत्पादन उस दौरान +0.2 प्रतिशत बढ़ गया। + +वस्त्र निर्यात पर जीएसटी का प्रभाव +तालिका 3 में दिए गए वाणिज्यिक +खुफिया एवं सांख्यिकी महानिदेशक के +आंकडे बताते हैं कि जून, 2017 में कुल +300.87 करोड़ डॉलर का वस्त्र एवं परिधान +निर्यात हुआ था, जो जुलाई, 2017 में घटकर +268.68 करोड़ डॉलर (यानी 10.7 प्रतिशत +कम) रह गया और उसके बाद अगस्त, +2017 में यह बढ़कर 284.03 करोड़ डॉलर +तक (5.7 प्रतिशत वृद्धि) पहुंच गया था। +अगस्त, 2017 में हुए वस्त्र निर्यात की +तुलना भी अगर जून, 2017 से की जाए तो +पता चलता है कि अगस्त, 2017 में वस्त्र +निर्यात 5.6 प्रतिशत कम हो गया, जबकि +जून तथा जुलाई के बीच 10.7 प्रतिशत की +कमी आई। इससे भी पता चलता है कि वस्त्र +निर्यात में तेजी आई है। +वस्त्र आयात पर जीएसटी का प्रभाव +तालिका 4 में दिए गए आंकडे बताते +हैं कि जुलाई, 2017 में वस्त्र एवं परिधान +आयात 14.59 प्रतिशत कम हो गया और +उसके बाद अगस्त, 2017 में 38.61 प्रतिशत +तक उछल गया। इसका कारण आयात शुल्क +में कमी और अन्य बाजार संबंधी कारक हो +सकते हैं। अगस्त, 2017 और जून, 2017 में +आयात की तुलना करने से भी वस्त्र उत्पादों +के आयात में तेजी दिखती हे। +क्षेत्र विशेष पर जीएसटी का प्रभाव +रेशम: जून से अगस्त, 2017 के बीच +कच्चे रेशम का उत्पादन और रेशम उद्योग +में रोजगार सृजन 70 प्रतिशत से अधिक बढ़ +गया है। (तालिका 5)। +फिलेचर कच्चे रेशम के अलावा अन्य +कोकूनों की कीमत जून-सितंबर, 2017 के + +तालिका 2: मानव निर्मित रेशों से बनी वस्तुओं के मूल्य + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +क्र. | वस्त्र उत्पाद “वस्तुएं औसत मूल्य (रु.) | वृद्धि/कमी (का. | औसत मूल्य | वृद्द्धि/कमी ( कॉलम +जून, जुलाई, | लम 3 की तुलना | (at) 3 की तुलना में +2017. [2017 | में कॉलम 4) सितंबर, 17 | कॉलम 6) +(1)|(2) (3) (4) (5) (6) (7) +1 (सूती धागा (20) 200 195 (-)5 (-2.5:) 190 (-)10 (-5:) +2 सूती होजरी धागा (30 कॉम्ब) 229 229 los 212 (-)17 (-7.4:) +3 [| पॉलिएस्टर/विस्कोस 199 214.76 | (+)15.8 (+7.9:) | 215 (+)16 (+8:) +4 | पॉलिएस्टर/सूती (70:30:) 161.28 | 173.23 | (+)11.9 (+7:) | 143.4 (-)17.9 (-11:) +5 मानव निर्मित धागा (30 विस्कोस धागा) 210 217 (+)7 (+3.3:) 220 (+)10 (+5:) +[6 | मानव निर्मित धागा (300 डी पॉलिएस्टर) | 147 173 (+)26 (+18:) | 173 (+)26 (+18:) +7 ।लिंट कपास 1 गांठ (355.62 किग्रा) 42,642 | 42,422 | (-)220 (-0.5:) | 40,930 (-)1,712 (-4:) +स्रोतः वस्त्र आयुक्त कार्यालय, मुंबई एवं भारतीय कपास नियम +52 योजना, फरवरी 2018 + + + +0053.txt +<----------------------------------------------------------------------> +तालिका 3: वस्त्र एवं परिधान निर्यात + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +क्र. | वस्त्र उत्पाद वस्तुएं निर्यात ( आंकड़े करोड़ डॉलर में ) +जून जुलाई |कॉलम (3) की | अगस्त कॉलम (4) की |कॉलम (3) की +तुलना में कॉलम तुलना में कॉलम | तुलना में कॉलम +(4) में प्रतिशत (6) में प्रतिशत |(6) में प्रतिशत +बदलाव बदलाव बदलाव +(1) | (2) (3) (4) (5) (6) (7) (8) +1 [| रेडीमेड परिधान 151.59 |124.38 | -17.9 131.14 +5,43 (-)13.5 +2 | at aes 81.46 |76.66 | -5.9 78.97 +3.01 (-)3.1 +3 | मानव निर्मित वस्त्र 42.51 43.09 -1.4 46.25 +7.33 (-)8.8 +4 | ऊन एवं ऊनी वस्त्र 0.0 3.08 fs 3.14 +1.95 | +5 1 रेशम परिधान 1.88 1.66 -11.7 1.45 -12.65 (-)22.9 +lo | हथकरघा उत्पाद 3.34 3.23 -3.2 3.28 +1.55 (-)1.8 +7 | कालीन 11.30. |1057 | -6.5 13.18 +24,69 (+)16.6 +[8 | जूट उत्पाद 2.79 3.07 +10.0 3.61 +17.59 (+)29.4 +lo | कॉइर एवं कॉइर विनिर्माता | 2.69 2.93 +8.9 2.99 +2.04 (+)11.2 +कुल वस्त्र एवं परिधान 300.87 | 268.68 | -10.7 284.03 +5.71 (-)5.6 +ata: वाणिज्यिक खुफिया एवं सांख्यिकी महानिदेशक, कोलकाता + + + + + + + +दौरान गिरती रही है। फिलेचर कच्चे रेशम +के कोकून की कीमत अगस्त-सितंबर, 2017 +में बढ़ गई, जैसा कि तालिका 6 में दिखाया +गया है। +कपास एवं जूट + +कच्चे कपास की कीमतें जून, 2017 +और सितंबर, 2017 के बीच घरेलू एवं +अंतरराष्ट्रीय बाजारों में उतार-चढ़ाव के कारण +4 प्रतिशत गिरीं और कच्चे कपास की कीमत + +पर जीएसटी का कोई प्रभाव नहीं पड़ा। कच्चे +जूट के मूल्य पर भी जीएसटी का कोई +प्रभाव नहीं हुआ। जुलाई, 2017 में सूती और +रेशमी धागे की आपूर्ति में कमी आई थी +क्योंकि कई उपभोक्ता एजेंसियों (हथकरघा) +ने जीएसटी के अंतर्गत अपना पंजीकरण नहीं +कराया था। उन सभी का जीएसटी के तहत +पंजीकरण अगस्त/सितंबर, 2017 में हो गया +और उसके बाद से ही आपूर्ति भी बढ़ गई। + +तालिका 4: वस्त्र एवं परिधान आयात + +हथकरघा उत्पादों की कौमत उन पर लगने +वाले जीएसटी के कारण 5 से 12 प्रतिशत +बढ़ गई। +कपड़े पर जीएसटी के कारण वस्त्र व्यापार +संगठनों /बुनकरों का विरोध “चिंता + +खबर आई थी कि भारत भर के शहरों +और कपड़ा A के वस्त्र व्यापार संगठनों, +पावरलूम बुनकरों, रेडीमेड परिधान इकाइयों +आदि ने 1 जुलाई से 20 जुलाई, 2017 + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +क्र. | वस्त्र उत्पाद “वस्तुएं आयात ( आंकड़े करोड़ डॉलर में ) +जून जुलाई |कॉलम (3) से |अगस्त |कॉलम (4) से |कॉलम (3) से +प्रतिशत बदलाव प्रतिशत बदलाव | प्रतिशत बदलाव +(1) |(2) (3) (4) (5) (6) (7) (8) +1 रेडीमेड परिधान 4.913 5.077 (+)3.34 7.695 (+)51.56 (+)56.6 +2 सूती वस्त्र 28.395 |15.744 | (-)44.55 26.820 | (+)70.35 (+)5.5 +3 | मानव निर्मित वस्त्र 18.894 | 15.839 | (-)16.17 18.177 | (+)14.76 (-)3.8 +4 | ऊन एवं ऊनी ae 2,972 3,011 (+)1.31 3.961 (+)31.58 (-)33.3 +5 | रेशम परिधान 1.911 1.860 (-)2.70 2,092 (+)12,51 (+)9.5 +le | हथकरखा उत्पाद 0.09 0.03 (-)62.47 0.08 (+)125.41 (-)11.1 +7 | कलीन 0.652 0.473 (-)27.38 0.711 (+)50.24 (-)9.0 +[8 | जूट उत्पाद 0.723 2.097 (+)189.97 1.666 (-)20.56 (+)130.4 +9 | कॉइर एवं कॉइर विनिर्माता | 0.05 0.06 (+)12,51 0.06 (+)0.47 (+)20 +कुल वस्त्र एवं परिधान 58.605 | 44.196 | (-)24.59 61.262 | (+)38.61 (+)4.45 +ata: वाणिज्यिक खुफिया एवं सांख्यिकी महानिदेशक, कोलकाता + + + + + +योजना, फरवरी 2018 + +53 + + + +0054.txt +<----------------------------------------------------------------------> +तालिका 5: कच्चे रेशम के मूल्यों में विचलन + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +वस्तु जीएसटी पूर्व जीएसटी के उपरांत +(जून, जुलाई, | कॉलम (2) की अगस्त, | कॉलम (2) की +2017 ) 2017 [तुलना में वृद्द्धि/कमी | 2017 [तुलना में वृद्द्धि/कमी +(1) (2) (3) [|(4) (5) [(6) +कच्चे रेशम का उत्पादन (टन) 5474 7447 | (+)1973 (+36:) |9713 | (+)4239 (+77:) +अनुमानित रोजगार सृजन (लाख व्यक्तियों में) | 15.05 20.02 | (+)4.97 (+33:) | 26.25 | (+)11.2 (+74:) +स्रोत: केद्रीय रेशम बोर्ड, बेंगलूर, नोट; रेशमकीट पालन अगस्त से आरंभ होता है और रेशम उत्पादन जुलाई से बढ़ने लगता है। + + + + + +तक विरोध प्रदर्शन किए और धागे से लेकर +कपडे तथा जॉब वक इकाइयों पर जीएसटी +समाप्त करने, मानव निर्मित रेशे/धागे, जॉब +वर्क पर जीएसटी दर कम करने की मांग +की। कपड़ा व्यापारियों और उद्योग के विरोध +तथा असंतोष के कारण उत्पादन में अस्थायी +मंदी आई क्योंकि कोई बाजार से उत्पाद नहीं +उठा रहा था। +कुछ वस्त्र संबंधी वस्तुओं पर जीएसटी +दरों में परिवर्तन का प्रभाव + +वस्त्र संगठनों और कारोबारियों ने सरकार +के सामने जीएसटी से जुड़े तमाम मसलों पर +अपनी चिंताएं जताई, जिनमें (अ) मानव +निर्मित रेशे पर जीएसटी दर 18 से घटाकर +5 प्रतिशत या कम से कम 12 प्रतिशत करने +( (आ) कपडे से जुडे सभी प्रकार के जॉब +वर्क पर जीएसटी समाप्त करने ( (इ) वस्त्र +पर आयात शुल्क बढ़ाने (ई) हस्तशिल्प और +हस्तनिर्मित हथकरघ्रा उत्पादों को जीएसटी +से मुक्त किए जाने आदि की मांग थी। +उनके अनुरोध पर विचार करते हुए सरकार ने +कपडे की कुछ श्रेणियों/बस्तुओं पर जीएसटी +दर कम कर दी (कपडे के सभी प्रकार +के जॉब वर्क पर जीएसटी 18 प्रतिशत से +घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया) मानव निर्मित +रेशों के धागों पर जीएसटी 18 प्रतिशत से +घटाकर 12 प्रतिशत कर दिया और असली + +जरी को एचएस कोड हेडिंग 5605 के तहत +लाते हुए उस पर जीएसटी 12 प्रतिशत से +घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया। इसके अलावा +20 लाख रुपये (जम्मू कश्मीर के अलावा +विशेष श्रेणी वाले राज्यों में 10 लाख रुपये) +से कम कुल वार्षिक कारोबार वाले सेवा +प्रदाताओं को जीएसटी के अंतर्गत पंजीयन +से छूट प्रदान कर दी गई चाहे वे कर योग्य +सेवाएं एक राज्य से दूसरे राज्य में ही क्‍यों +न दे रहे हों। 1.50 करोड़ रुपये तक वार्षिक +कारोबार वाले अब तिमाही रिटर्न दाखिल कर +सकते हैं और हर महीने इनपुट टैक्स क्रेडिट +ले सकते हैं। 1.50 करोड़ रुपये तक सकल +वार्षिक कारोबार वाले करदाताओं को वस्तुओं +की आपूर्ति पर अग्रिम भुगतान प्राप्त करते +समय जीएसटी देने की जरूरत नहीं है। ऐसे +आपूर्तिकर्ताओं को केवल तभी जीएसटी देना +होगा, जब वस्तुओं एवं सेवाओं की आपूर्ति +की जाएगी। इससे छोटे सेवा प्रदाताओं पर +अनुपालन का खर्च कम हो जाएगा। इन सभी +कदमों से कपड़ा उद्योग को वैश्विक उत्पाद +एवं मांग रुझानों के अनुरूप बढ़ावा मिलने +की संभावना है। + +व्यापारी एवं उद्योग संगठनों के अनुसार +मानव निर्मित धागे पर जीएसटी 18 प्रतिशत +से घटाकर 12 प्रतिशत करने और कपड़े +पर 5 प्रतिशत करने से बुनकरों के पास + +वापस नहीं होने वाले इनपुट टैक्स क्रेडिट +का जमावड़ा घटेगा और कार्यशील पूंजी +का प्रवाह बढेगा। फिलहाल सांकेतिक राशि +वापस किए जाने और 1 अप्रैल, 2018 से +उसे ई-बॉलेट में समायोजित किए जाने से +निर्यातकों की नकदी की समस्या का स्थायी +समाधान हो जाएगा। निर्यात योग्य कपडे के +उत्पादन के लिए जरूरी सामग्री पर एडवांस +ऑथराइजेशन, ईपीसीजी एवं ईओयू योजनाओं +के जरिये छूट दिए जाने और विनिर्माता से +व्यापारी को होने वाली आपूर्ति पर केवल +0.1 प्रतिशत शुल्क लगाए जाने से व्यापारी +निर्यातकों के सामने आ रही समस्याएं हल हो +जाएंगी। असली जरी को एचएस कोड हेडिंग +5605 के अंतर्गत लाकर उस पर जीएसटी +की दर 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत +करने से उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और +अधिक महिलाओं को रोजगार मिलेगा। + +1.5 करोड़ रुपये तक सालाना कारोबार +वाले छोटे एवं मझोले उद्यमियों (एसएमई) +को तीन महीने में एक बार रिटर्न दाखिल +करने तथा कर अदा करने की अनुमति देने +के कारण और निर्यातकों को निर्यात के लिए +माल छुड॒वाते समय बॉण्ड एवं बैंक गारंटी +पेश करने से छूट देने के कारण कारोबार +करना आसान हो जाएगा। कुछ समस्याएं अब +भी हैं, जिनसे मानव निर्मित रेशों से बनने + +तालिका 6: कोकून की कीमतों में परिवर्तन ( रामनानरम कोकून बाजार ) + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +aed जीएसटी पूर्व जीएसटी के उपरांत +(जून, 2017) |जुलाई, |कॉलम (2) | अगस्त, |कॉलम (2) | सितंबर, | कॉलम (2) +औसत मूल्य | 2017 | की तुलना में | 2017 की तुलना में |2017 |की तुलना में +रु/किग्रा, वृद्द्धि/कमी वृद्द्धि/कमी वृद्धि,/कमी + +(1) (2) (3) (4) (5) (6) (7) (8) + +संकर प्रजाति का कोकून | 387 344 (-)43 376 (-)11 (-3:) | 363 (-)24 (-6:) + +(-11:) +बाइवोल्टाइन 489 408 (-)81 459 (-)30 (-6:) | 462 (-)27 (-6:) +फिलेचर कच्चा रेशम | 3296 3248 (-)48 3255 (-)41 (-15:) | 3488 (+)192 (+6:) +स्रोतः केद्रीय रेशम बोर्ड, बेंगलूरू + + + +54 + +योजना, फरवरी 2018 + + + + + +0055.txt +<----------------------------------------------------------------------> += वस्त्र के उद्योग पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। ये समस्याएं हैं; (अ) +मानव निर्मित धागे पर 18 प्रतिशत जीएसटी, (आ) वस्त्र आयात, +(इ) जमा हुए इनपुट टैक्स क्रेडिट की वापसी की अनुमति नहीं +मिलना, (ई) मालवहन पर 18 प्रतिशत जीएसटी, (ड) हस्तनिर्मित +हथकरघा एवं हस्तशिल्प उत्पादों को जीएसटी के दायरे से छूट +नहीं मिलना आदि। + +निष्कर्ष + +जहां तक वस्त्र उत्पादन पर जीएसटी के प्रभाव की बात है तो +विस्कोस, पॉलिएस्टर जैसे वस्त्र उत्पादों की कीमतें जुलाई, 2017 +में मामूली बढ़ीं और उसके बाद अगस्त, 2017 में घट गईं। कितु +मानव निर्मित धागे से बने कपड़ों की कीमतें उसी दौरान बढ़ गईं। +उपरोक्त अवधि में कपड़ा उत्पादन भी कुछ कम हो गया। कपड़ा +निर्यात जून-जुलाई, 2017 में 10.7 प्रतिशत घटा और उसके बाद +अगस्त, 2017 में 6 प्रतिशत बढ़ गया। वस्त्र एवं परिधान आयात +अगस्त, 2017 तक 38.61 प्रतिशत बढ़ गया और इसका कारण +बाजार की ताकतों का प्रभाव भी हो सकता है तथा आयात शुल्क में +कमी भी हो सकती है। इससे प्रतीत होता है कि आयात शुल्क को +इस तरह बढ़ाया जाना चाहिए कि आयातित बस्त्र उत्पादों की लागत +भारत में बन रहे वस्त्र उत्पादों की लागत के बराबर ही रहे। क्षेत्र +विशेष के आंकडे बताते हैं कि उपरोक्त अवधि में रेशम उत्पादन + + + +देश भर में 412 स्थानों पर + + + +चाइल्ड लाइन सेवाएं शुरू + +Wk सरकार ने किशोरवय न्याय (बच्चों का देखरेख एवं +संरक्षण) अधिनियम 2015 (जेजे अधिनियम) लागू कर +दिया है। सरकार समेकित बाल विकास योजना के अंतर्गत एक केंद्र +प्रायोजित योजना बाल सरेक्षण सेवाएं शुरू कर रही है जिसका लक्ष्य +जेजे अधिनियम के अंतर्गत आने वाले संवेदनशील बच्चों के लिए +सांस्थानिक और संस्थेतर सुरक्षा चक्र प्रदान करना है। + +यह सेवा एक समर्पित टॉल फ्री नंबर 1098 के जरिये उपलब्ध +होगी जो कि संकट में घिरे बच्चों या उनकी तरफ से वयस्कों के +द्वारा भारत में कहीं भी प्रयोग की जा सकेगी। इस समय देश में +412 विभिन्‍न स्थानों पर चाइल्ड लाइन सेवाएं सक्रिय हैं। साथ ही +विभिन्‍न स्थानों पर चाइल्ड हेल्प डेस्क भी संचालित किये जा रहे +हैं जिनके माध्यम से गत तीन वर्ष में प्राप्त शिकायतों का विवरण +निम्नलिखित हे। + + + +तथा उससे मिलने वाले रोजगार में वृद्धि हुई। इससे पता चलता है +कि जीएसटी के क्रियान्वयन के समय कपड़ा उद्योग में मंदी आई, +लेकिन दीर्घावधि में जीएसटी उत्पादन, निर्यात तथा रोजगार सृजन +की दृष्टि से कपड़ा उद्योग की वृद्धि की गति बढ़ाएगा। Q + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +ag | 2014-15 | 2015-16 | 2016-17 | 2017-18 कुल +नवंबर 2017 तक +कुल | 134226 | 171257 | 211217 | 153138 669838 + + + + + + + + + + + +SARVODAYA IAS +भारतीय अर्थव्यवस्था + +4y A.K.Arun + +New Batch Starts +Pre - Cum Mains | Pre Exclusive + + + + + + + +26°" Feb + + + + + + + +11.00 + + + + + +P FLOOR BHANDAR + +9773-71-72-00, 8130-953-963 + +योजना, फरवरी 2018 + + + +55 + +YH-743/1/2017 + + + +0056.txt +<----------------------------------------------------------------------> +विकास + + + +पथ +ऑप्टिमाइजेशन हि इन्फॉर्मेशन के + +स्मार्ट फ़़ेटड ऑपरेशन ऑप्टिमाइजेशन एंड रियल टाइम इन्फॉर्मेशन ( स्फूर्ति ) + +या aad के प्रवाह को योजनाबद्ध बनाने और मालदुलाई + +के काम को यशथेष्ट स्तर तक पहुंचाने में मदद के इरादे + +से रेल मंत्रालय ने माल प्रबंधकों के लिए बड़ी डिजिटल पहल + +करते हुए स्मार्ट फ्रट ऑपरेशन ऑप्टिमाइजेशन एड रियल टाइम + +इन्फॉर्मेशन (स्फूर्ति) ऐप पेश की है, जिसमें भोंग्रोलिक सूचना + +प्रणाली (जीआईएस) के व्यू और डैशबोर्ड का प्रयोग करते हुए + +माल ढुलाई के कारोबार की निगरानी और प्रबंधन की सुविधा मौजूद + +है। स्फूर्ति एप्लिकेशन की प्रमुख विशेषताएं निम्न प्रकार से हैं: + +* इस एप्लिकेशन से भौगोलिक सूचना प्रणाली जीआईएस व्यू +पर मालगाडियों की आवाजाही का पता लगाया जा सकता हे। + +* एक ही जीआईएस व्यू में क्षेत्रों/मंडलों/प्रभागों में यात्री एवं +माल गाड़ियों का पता लगाया जा सकता है। + +* मालदुलाई के कारोबार पर नजर रखी जा सकती है। + +* क्षेत्रीय/मंडलीय यातायात का तुलनात्मक विश्लेषण हो +सकता है। + +* नए यातायात और गंवाए गए यातायात का विश्लेषण हो +सकता हेै। + +* यह ऐप मालदुलाई से संबंधित सभी संपत्तियों का एक ही +विंडो में सिंहावबलोकन करने की सुविधा प्रदान करती है। + +* भूस्थानिक व्यू के साथ रेक की आरंभ से अंत तक आवाजाही +को दिखाती है। + +* रोजाना के प्रदर्शन का मूल्यांकन करने के लिए इंटरचेंज +बिंदुओं पर संभावित यातायात दिखाती है। + +* माल की चढ़ाई और ढुलाई से संबंधित संपत्तियों के उपयोग +के मामले में प्रत्येक क्षेत्र और मंडल का प्रदर्शन देखा जा +सकता हेै। + +* सेक्शन, मंडल और क्षेत्रों में सेक्शनवार प्रदर्शन की निगरानी से + +यातायात का मार्ग तय करने में मदद मिलेगी। + +फ्रेट टर्मिनल और साइडिंग की बेहतर निगरानी हो सकेगी + +ताकि रेक में वृद्धि सुनिश्चित हो सके। + +सांसद क्षेत्र विकास योजना 12वीं पंचवर्षीय के बाद भी जारी + +qe की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय +समिति ने सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास (एमपीलैड) योजना को +14वें वित्त आयोग के अंत तक अर्थात्‌ 31.03.2020 तक जारी रखने +की मंजूरी दे दी है। योजना के तहत अगले तीन वर्ष तक 3,950 +करोड रुपये का वार्षिक आवंटन होगा और कुल व्यय 11,850 करोड़ +रुपये होगा। इसके अलावा स्वतंत्र एजेंसियों द्वारा निगरानी के लिए +और राज्य/जिला अधिकारियों के क्षमता निर्माण/प्रशिक्षण के लिए हर +वर्ष 5 करोड़ रुपये का आवंटन भी किया जाएगा। + +एमपीलैड योजना के लिए धन आवश्यक दस्तावेज प्राप्त होने + +पर तथा एमपीलैड्स संबंधी दिशानिर्देशों के प्रावधानों के अनुसार +नोडल जिला अधिकारियों को जारी किया जाएगा। एमपीलैड योजना +के अंतर्गत स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप टिकाऊ संपत्तियों +जैसे पेयजल, शिक्षा, जन स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं सड़क आदि के +अनुरूप टिकाऊ संपत्तियों के निर्माण से पूरे देश की जनता को +लाभ होगा। एमपीलैड योजना केंद्रीय योजना है, जो 1993-94 +में आरंभ की गई थी। योजना के आरंभ से लेकर अगस्त, 2017 +तक 44,929.17 करोड़ रुपये के कुल 18,82,180 कार्यों को +एमपीलैड्स कोष से स्वीकृति मिल चुकी है। + +प्रमुख क्षेत्रों में एफडीआई नीति बनी और भी उदार + +Qe की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रत्यक्ष विदेशी +निवेश (एफडीआई) नीति में कई संशोधनों को मंजूरी दे दी है। +उनका उद्देश्य एफडीआई नीति को उदार तथा सरल बनाना हे ताकि +देश में कारोबार करना सुगम हो जाए। बदले में इससे देश में अधिक +एफडीआई आएगा, जिससे निवेश, आय एवं रोजगार में वृद्धि होगी। +संशोधनों के प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं: +* एकल ब्रांड खुदरा व्यापार के लिए स्वत: (ऑटोमैटिक) 100 +प्रतिशत एफडीआई। +* निर्माण क्षेत्र में भी 100 प्रतिशत स्वतः एफडीआई। +* विदेशी विमानन कंपनियों को मंजूरी के जरिये एयर इंडिया में +49 प्रतिशत तक निवेश की अनुमति। +© एफआईआई/एफपीआई को प्राथमिक बाजार के जरिये पावर +एक्सचेंजों में निवेश की अनुमति। +एफडीआई नीति में “चिकित्सा उपकरणों” की परिभाषा बदली गई। + + + +1 ० + +प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आर्थिक वृद्धि का प्रमुख +वाहक और देश के आर्थिक विकास के लिए ऋण से इतर धन का +स्रोत है। सरकार ने एफडीआई के लिए निवेशकों के अनुकूल नीति +बनाई है, जिसके तहत अधिकतर क्षेत्रों/गतिविधियों में स्वत: मार्ग से +100 प्रतिशत तक एफडीआई की अनुमति है। हाल ही में सरकार +ने रक्षा, निर्माण विकास, बीमा, पेंशन, अन्य वित्तीय सेवाओं, संपत्ति +पुनर्गठन कंपनियों, प्रसारण, नागर विमानन, औषधि, ट्रेडिंग जेसे कई +क्षेत्रों में एफडीआई नीति को उदार बनाया है। + +सरकार द्वारा किए गए उपायों के कारण देश में एफडीआई की +आबक बढ़ी है। वित्त वर्ष 2014-15 में कुल 45.15 अरब डॉलर का +एफडीआई आया, जबकि 2013-14 में 36,05 अरब डॉलर ही आए +थे। 2015-16 में देश को कुल 55.46 अरब डॉलर का एफडीआई +हासिल हुआ। वित्त वर्ष 2016-17 में 60.08 अरब डॉलर का कुल +एफडीआई आया है, जो अब तक की सबसे अधिक राशि है। ० + + + + + +0057.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + +देश के विभिन्न राज्यों + +द्वारा जनशिकायत निवारण +के लिए एक प्रणाली तो + +विकसित कर ली गयी किंतु +इनके क्रियान्वयन के स्तर +पर मौजूद कई कमियों के +कारण यह अपेक्षित लाभ + +से दूर हैं। विभिन्न राज्यों + +में विभिन्न मॉडल हैं किंतु +सभी जगह समस्याएं लगभग +समान ही हैं। बिहार, उत्तर +प्रदेश और झारखण्ड जैसे +निम्न साक्षरता वाले राज्यों +में जनता द्वारा शिकायत दर्ज +करने के लिए तीसरे व्यक्ति +का सहारा लेना पड़ता है, + +जिस वजह से निःशुल्क + +दायर की जा सकने वाली +शिकायत के लिए उन्हें पैसे + +देने पड़ते हैं + +गोविन्द कुमार झा +शिवाजी त्रिपाठी + +धाममंत्री द्वारा वर्ष 2016 में लाल +किले की प्राचीर से दिए गए +भाषण में यह कहा गया था +कि “वर्तमान भारत में शासन नहीं सुशासन +तथा स्वराज्य को सुराज्य में बदलने की +आवश्यकता है।' शासन को चलाने वाले +प्रशासन का जनता के प्रति उत्तरदायी होना +एवं सरकारी सेवाओं की डिलीवरी तय समय +सीमा में करना ही सुशासन की प्रथम शर्त +है। शिकायत निवारण तत्र का मजबूत ढांचा +एवं उसका व्यवहारिक क्रियान्वयन इस पूरी +प्रक्रिया की सबसे अहम कड़ी है। +आजादी के बाद प्रशासन की +औपनिवेशिक मानसिकता, जिसमें सरकारी +सेवाओं एवं योजनाओं को जनता तक पहुंचाना +सरकारी कृपा माना जाता है, को समाप्त करने +के लिए ही शिकायत निवारण तंत्र को मजबूत +किया जाना जरूरी है। इसी उद्देश्य को ध्यान +में रखते हुए केंद्र सरकार ने शिकायत निवारण +तंत्र प्रणाली को लेकर कई नए कदम उठाए, +किंतु वर्तमान भूमंडलीकृत विश्व में मात्र केंद्र +द्वारा ऐसी प्रणाली विकसित करने से कुछ +नहीं होगा, राज्यों का भी इसमें प्रतिभागी होना +आवश्यक है। इसी क्रम में कई राज्यों द्वारा +एक जनोन्मुख एवं सशक्त शिकायत निवारण +तंत्र का विकास किया गया है। चाहे वह +मध्य प्रदेश का लोकसेवा गारंटी अधिनियम +हो या उत्तर प्रदेश का जन सुनवाई पोर्टल, +सभी प्रयास इसी दिशा में हैं कि किस प्रकार +शासन को जनता द्वारा एवं जनता के लिए +बनाया जाए। +मूल रूप से भारत में वर्ष 1988 में +लोक शिकायत निदेशालय की स्थापना के + + + +व राज्यों की शिकायत निवारण प्रणाली + +साथ केंद्र स्तर पर विभागीय शिकायतों +के निपटारे का कार्य आरंभ हुआ। आज +के अधिकार संपन्न व प्रबुद्ध नागरिकों की +सरकार से अपेक्षाएं बढ़ गईं, जिस वजह +से राज्य स्तर पर भी एक सशक्त शिकायत +निवारण तंत्र की आवश्यकता महसूस हुई। +इसी को देखते हुए देश के विभिन्न राज्यों +ने इस दिशा में प्रयास आरंभ किए, जिसमें +कुछ राज्यों द्वारा बनाया गया तंत्र एक मॉडल +बनकर उभरा। आगे इस लेख में कुछ राज्यों +की शिकायत निवारण प्रणाली का secre +किया गया हे। +मध्यप्रदेश + +मध्य प्रदेश में वर्तमान सरकार ने +सुशासन को सर्वोच्च प्राथमिकता में रखा है। +इस प्राथमिकता की पूर्ति हेतु आम जनता +को अधिक आसानी से शासकीय सेवाएं देने +तथा उनकी शिकायतों के त्वरित निराकरण +की दिशा में कई कदम उठाए हैं, जिनमें +सबसे प्रमुख मध्य प्रदेश लोक सेवा गारंटी +अधिनियम-2010 है। यह कानून इतना +लोकप्रिय हुआ कि इसका अनेक प्रदेशों ने +भी अनुकरण किया। इस कानून को संयुक्त +राष्ट्र संघ ने लोक सेवा प्रदाय की श्रेणी में +पुरूस्कृत किया। इस अधिनियम के दायरे में +अभी तक लगभग 25 से ऊपर विभागों की +करीब 200 सेवाओं को लाया गया है। जिनमें +अधिकांश शिकायतों हेतु ऑनलाइन आवेदन +भी किए जा सकते हैं। इसी वजह से लोक +सेवा गारंटी अधिनियम के सफल क्रियान्वयन +हेतु मध्य प्रदेश को वर्ष 2013 में स्कॉच +अवार्ड तथा वर्ष 2014 में स्टेट ई-गवर्नेंस +अवार्ड प्रदान किया गया। + + + +गोविन्द कुमार झा नयी दिल्‍ली स्थित शोध संस्था सभ्यता अध्ययन केद्रे में शोधार्थी हैं। सामाजिक विषयों पर शोध में रुचि है। ईमेल: 8०णा॥व141 8feb@gmail.com +शिवाजी त्रिपाठी स्वतंत्र लेखक एवं शोधार्थी हैं। शैक्षिक संस्थान जीएस वर्ल्ड में अकादमिक प्रमुख भी हैं। ईमेल: ॥7छथवांडगंए४06(ोछ7क्ष.०णा + +योजना, फरवरी 2018 + +57 + + + +0058.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +ue हिंदी शब्दों सेवा और उत्तम +का संयोग है जिसका मतलब उत्तम +सेवा अर्थात सेवाओं में उत्कृष्टता लाना +है। सेवोत्तम मॉडल का विकास अंतरराष्ट्रीय +स्तर पर सर्वोत्तम परिपाटियों, हितधारकों से +परामर्श और वैधता के अध्ययन के बाद +विशेषज्ञों की मदद से किया गया था। इसमें +मूल रूप से तीन मॉड्यूल हैं- नागरिक +अधिकार पत्र, लोक शिकायत समाधान +प्रणाली और सेवा डिलीवरी क्षमता। प्रत्येक +मॉड्यूल को आगे तीन कसौटियों और +11 तत्वों के आधार पर विभाजित किया +गया है। यह ढांचा सरकारी विभागों को +अपनी लोक सेवा डिलीवरी सुधारने में +मदद करता है। +प्रायोगिक परियोजना के रूप में सेवोत्तम +शुरू में सेवोत्तम ढांचा जनता से +व्यापक रूप से जुड़े सरकार के 10 विभागों +में अप्रैल 2009 से जून 2010 के दौरान +लागू किया गया था। ये विभाग हैं - डाक +विभाग, सीबीईसी, सीबीडीटी , रेलवे , पासपोर्ट + + + +कार्यालय, पेंशन, खाद्य प्रसंस्करण, कारपोरेट +मामले, केन्द्रीय विद्यालय और ईपीएफओ। इन +सभी संगठनों ने प्रायोगिक जगहों में मानकों +की घोषणा कीं और उन्हें कार्यान्वित किया। +इस परियोजना का विस्तार अब सरकार के +62 मंत्रालयों में कर दिया गया हे। +सेवोत्तम की कार्य प्रणाली + +सेवोत्तम के सात चरण हैं। इनके तहत +उन सभी सेवाओं को परिभाषित किया जाता +है जो कोई विभाग उपलब्ध कराता है तथा +ग्राहकों की पहचान करता है। प्रत्येक सेवा के +लिए मानक और मापदंड निर्धारित करता है। +निर्धारित मापदंडों पर खरा उतरने की क्षमता +का विकास करता है। मानक हासिल करने के +लिए कार्य करता है एवं निर्धारित मानकों के +आधार पर कार्यनिष्पादन की निगरानी करता +है। स्वतंत्र तंत्र के जरिए प्रभाव का मूल्यांकन +करता है तथा निगरानी एवं मूल्यांकन परिणामों +के आधार पर निरंतर सुधार करता है। सेवोत्तम +अनुवर्ती शिकायत समाधान प्रणाली के सात +चरण इस प्रकार हैं- अच्छी तरह स्थापित + +शिकायत प्राप्ति प्रणाली, सभी उपभोक्ताओं + +के लिए अनुकूल, उसका व्यापक प्रचार, + +समय पर पावती देना, समाधान के लिए +समय सीमा, समाधान के लिए की गई +कार्रवाई का संचार, अपील का मंच और +प्रणालीगत सुधार के लिए शिकायत की +आशंका वाले क्षेत्रों का विश्लेषण। + +सेवोत्तम मॉडल की गुणवत्ता को सुधारने +के व्यापक उद्देश्य के साथ विकसित किया +गया है। देश में सार्वजनिक सेवा वितरण +मॉडल के तीन घटक हैं- + +* प्रथम घटक, प्रभावी चार्टर कार्यान्वयन +की आवश्यकता साथ ही नागरिकों +को बेहतर जानकारी देना और बेहतर +सेवाओं की मांग करने के लिए उन्‍हें +सशक्त बनाना। + +* दूसरा घटक, 'लोक शिकायत निवारण! +के लिए एक अच्छी शिकायत निवारण +की आवश्यकता है। + +* तीसरा घटक, एक्सीलेंस इन सर्विस +डिलिवरी। | + + + + + +मध्य प्रदेश सरकार ने लोक शिकायत +प्रणाली के बेहतर निष्पादन के लिए पब्लिक- +प्राइवेट पार्टनरशिप को भी अपनाया। साथ +ही सी-एम हेल्पलाइन, पंचायत-महापंचायत, +जन-दर्शन, सुशासन संस्थान, समाधान पोर्टल, +ई-भुगतान व्यवस्था आदि को भी कई स्तरों +पर लागू किया गया है। +सी-एम हेल्पलाइन + +मध्य प्रदेश में यह अपनी तरह की +हेल्पलाइन है जो मुख्यमंत्री व नागरिकों में +समन्वय करती है। इसकी शुरुआत 2014 +में हुई। यह एक कॉल सेंटर के माध्यम से +कार्य करती है। प्रदेश भर के सब सरकारी +संस्थान व अन्य को इसके प्रति उत्तरदायी +बनाया गया है। मध्य प्रदेश में सभी सुखी हों, +frit हों, सबका कल्याण हो, यही शासन +व्यवस्था का ध्येय है। इसी की पूर्ति के लिए +प्रदेश में सी-एम हेल्पलाइन 181 प्रांरभ की +गई है।' प्रदेश की सुशासन व्यवस्था को +अधिक चुस्त-दुरुस्त और जनहित में सक्रिय +करने के लिए शुरू की गई यह हेल्पलाइन + +58 + +देश में अपने तरह की अनूठी हेल्पलाइन हे +और इससे प्रदेश के विभिन्न विभागों के तेरह +हजार अधिकारी-कर्मचारियों को जोड़ा गया +है, जो इस हेल्पलाइन से प्राप्त समस्याओं +का निराकरण करेंगे। 2014 में शुरू की +गई हेल्पलाइन 181 में अब तक 45 लाख +से ज्यादा शिकायतें पहुंचीं, जिनमें से नब्बे +फीसदी का समाधान होना बता दिया गया। + +जनशिकायतों के निवारण के लिए +शिवराज सिंह चौहान ने सी-एम हेल्पलाइन +181 के रूप में अभिनव पहल की है। यह +कॉल सेंटर सुबह 7 बजे से रात्रि 10 बजे तक +काम करता है। इसमें प्रतिदिन लगभग 40 +हजार कॉल प्राप्त कर संबंधितों को निराकरण +के लिए भेजी जाती है। +समाधान ऑनलाइन + +यह कार्यक्रम पूरे मध्य प्रदेश में प्रत्येक +माह के प्रथम मंगलवार को होता है। कार्यक्रम +के प्रारंभ से और अभी तक के ज्ञात आंकड़ों +के अनुसार लगभग 3850 प्रकरण चयनित +हुए, जिसमें लगभग 95 प्रतिशत मामलों का + +निराकरण कर दिया गया। समाधान ऑनलाइन +की लोकप्रियता से विगत माहों में शिकायतों +की संख्या तथा उनके निराकरण की संख्या +बढी हे। +उत्तर प्रदेश + +उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जन सुनवाई +पोर्टल जो सूचना तकनीक का प्रयोग कर +सुशासन के उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु उत्तर +प्रदेश सरकार द्वारा विकसित 'ई-संवाद' का +एक समन्वित शिकायत निवारण प्रणाली है। +इस पोर्टल की सबसे मुख्य विशेषता यह है +कि इसमें नागरिकों द्वारा किसी भी समय +शिकायतों को ऑनलाइन दर्ज एवं ट्रैक किया +जा सकता है तथा इसमें विभिन्न माध्यमों से +प्राप्त शिकायतें एक ही पोर्टल पर उपलब्ध +हो सकेंगी। इस पोर्टल पर अभी तक लगभग +48 लाख शिकायतें दर्ज करायी गयीं, जिनमें +से लगभग 45 लाख शिकायतों का निस्तारण +कर दिया गया, जिसका अर्थ है कि यह +पोर्टल लगभग 94 प्रतिशत की सफलता रेट +से कार्य कर रहा है। + +योजना, फरवरी 2018 + + + +0059.txt +<----------------------------------------------------------------------> +इस पोर्टल के अतिरिक्त हाल ही में उत्तर +प्रदेश के नए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने +भी मुख्यमंत्री हेल्प लाइन की शुरुआत करने +की घोषणा की है। साथ ही नयी सरकार +ने वर्ष 2018 के प्रारंभ में ही 1000 सीटों +की क्षमता वाले “ग्रीवांस सेल” को लखनऊ +में स्थापित करने का प्रस्ताव पास किया है, +जिसके माध्यम से स्थानीय स्तर पर किए जा +रहे लोक कार्यों के संबंध में शिकायत की +जा सकेगी। इस हेल्पलाइन की सबसे बड़ी +विशेषता यह होगी कि यह शिकायत निवारण +के बाद शिकायतकर्त्ता को फोन कर के +'फीडबैक भी प्राप्त करेगा। +बिहार + +बिहार सरकार द्वारा सर्व साधारण की +शिकायतों का एक निश्चित समय-सीमा में +समाधान कराने के उद्देश्य से 5 जून 2016 से +पूरे राज्य में बिहार लोक शिकायत निवारण +अधिनियम लागू किया गया है। इस कानून +के अंतर्गत सभी आवेदकों को 60 दिनों में +शिकायतों की सुनवाई, उनके निवारण का +अवसर तथा उस पर निर्णय की सूचना प्राप्त +होने का कानूनी अधिकार प्राप्त हो गया है। +इस अधिनियम ने पारदर्शिता के मामले में +काफी बेहतर कार्य किया है। इस पोर्टल के +माध्यम से परिवादी स्वयं या विभिन्न नागरिक +समूहों द्वार अपनी शिकायत दर्ज करा सकते +हैं। इस पोर्टल में शिकायकर्त्ताओं की सुविधा +हेतु दायर किए जाने वाले विषयों की सूची +लोक शिकायत प्राप्ति केंद्रों एवं वेबसाइट पर +उपलब्ध करायी जाती है। + +विगत 1 वर्ष में लगभग 1.50 लाख से +अधिक व्यक्ति पेयजल, सफाई, शौचालय +निर्माण, बिजली संबंधी मामले, शिक्षा, +स्वास्थ्य जैसे मुद्दों से + + + +योजना, फरवरी 2018 + +ee an ei ae + +कार्यक्रमों के संबंध में अपनी समस्याओं के +समाधान हेतु शिकायतों को इस अधिनियम +के तहत दर्ज करा चुके हैं। आंकड़ों पर +गौर करें तो लगभग 2 लाख 60 हजार +शिकायतें दर्ज हुईं, जिनमें से 2 लाख 20 +हजार से अधिक शिकायतों का निवारण कर +दिया गया। बिहार के मुख्यमंत्री द्वारा कई +बार योजनाओं की निगरानी एवं उनसे जुड़ी +शिकायतों के क्रियान्वयन के संबंध में अपने +विचार दिए जाते रहे हैं, ऐसा ही एक वक्तव्य +उनके द्वारा जमुई जिले में दिया गया था, +जिसमें उन्होंने कहा था कि “हमारा उद्देश्य +सिर्फ पटना में बैठकर नहीं बल्कि क्षेत्रों में +जाकर धरातल पर विकास कार्यो की समीक्षा +करने की है और हम क्षेत्र में जाकर देखते भी +हैं कि योजना का क्रियान्वयन किस प्रकार से +हुआ है और उसे लागू करने में क्या कठिनाई +आई या उसका क्‍या प्रभाव पड़ा।'! +झारखंड एवं छत्तीसगढ़ + +झारखण्ड एवं छत्तीसगढ़ राज्यों का गठन +वर्ष 2000 में किया गया। दोनों ही राज्यों में +साक्षरता एवं आर्थिक समृद्धता का स्तर निम्न +ही है, किंतु दोनों प्रदेशों में स्थापित वर्तमान +सरकारों के प्रयास से वहां की जनता के +लिए शिकायत निवारण तंत्र की स्थापना की +गयी। झारखंड में वर्ष 2016 में पोर्टल का +शुभारंभ मुख्यमंत्री द्वारा किया गया, जनता +अपनी शिकायत झारखंड शिकायत पोर्टल +जनसंवाद पर ऑनलाइन दर्ज करा सकती हे। + +वही छत्तीसगढ़ इस मामले में एक कदम +आगे बढ़ गया, छत्तीसगढ़ देश के ऐसे राज्यों +में से एक है जिसमें संबंधित मंत्री स्वयं कॉल +के माध्यम से शिकायतों को सुनते हैं तथा +निवारण के लिए जरूरी दिशा-निर्देश भी देते + + + +हैं। छत्तीसगढ़ में जन सुनवाई के लिए सभी + +A रा + +31859 + +कक Pie + +27 जिलों को वीडियो कांन्‍्फ्रेंसिंग से भी + +जोड़ा गया है। + +गुजरात +पूरे देश में सुशासन एवं विकास का + +अग्रणी राज्य गुजरात में अन्य राज्यों की +अपेक्षा पहले ही जनशिकायत निवारण हेतु +एक प्रणाली विकसित कर ली गयी थी। +गुजरात में वर्ष 2003 में शुरू किए गए +स्वागत ऑनलाइन कार्यक्रम के तहत आम +नागरिकों की ओर से प्रस्तुत शिकायतों +के संबंध में तहसील एवं जिला प्रशासन +तंत्र के अधिकारियों और संबंधित विभाग +के सचिव सहित राज्यस्तरीय अधिकारियों +की मौजूदगी में प्रतिमाह चौथे गुरुवार को +मुख्यमंत्री जनगशिकायतों का निबटारा करते +हैं। सार्वजनिक सेवाओं के प्रदान में अपनी +भूमिका में परिवर्तन लाने के लिए 'स्वागत' +ने प्रतिष्ठित "संयुक्त राष्ट्र लोक सेवा पुरस्कार! +जीता। + +राजस्थान +राजस्थान सम्पर्क जन सामान्य की + +शिकायतों को दर्ज करने और समस्याओं का + +निराकरण पाने का अभिनव प्रयास है। इस +पर जनता को निम्नलिखित सुविधाएं मिलेंगी: + +1. बिना कार्यालय में उपस्थित हुए समस्याओं +को ऑनलाइन दर्ज करने की सुविधा। + +2. पंचायत समिति एवं जिला स्तर पर +राजस्थान सम्पर्क केन्द्रों पर निःशुल्क रूप +से शिकायतों को दर्ज कराने की सुविधा। + +3. सिटीजन कॉल सेंटर (181) पर फोन +के माध्यम से शिकायतों को दर्ज +कराने व उसकी सूचना प्राप्त करने की +निःशुल्क सुविधा। +राजस्थान सरकार द्वारा नागरिक केन्द्रित + +प्रशासन को सशक्त करने हेतु पारदर्शी + +नागरिक सेवा वितरण को सुनिश्चित करने +हेतु राजस्थान सर्वर्क नामित एक परियोजना +को लागू किया गया है। नागरिकों के लिए +उचित सेवा सुनिश्चित करने के लिए एक +नए प्रयास के रूप में, राजस्थान संपर्क नामित +एक परियोजना को आईटी और संचार विभाग +के माध्यम से लागू किया गया है। +तमिलनाडु + +तमिलनाडु राज्य में चल रही योजनाओं +को एक ही वेब पोर्टल पर लाया गया तथा +उस पोर्टल को ही शिकायत निवारण प्रणाली +से जोड़ा गया है। साथ ही शिकायतकर्ता इसी + +59 + + + +0060.txt +<----------------------------------------------------------------------> +वेब पोर्टल से जुड़े सी-एम सेल वर्चुअल +पोर्टल पर अपनी शिकायत दर्ज करा सकते +हैं एवं अपनी दर्ज की गयी पूर्व शिकायतों +को ट्रैक भी कर सकते हैं। इस वेब पोर्टल +को केंद्र स्टार पर मौजूद शिकायत निवारण +विभाग से भी जोड़ा गया है जिससे लोग केंद्र +स्तर की प्रणाली और राज्य स्तर की प्रणाली +को देख एवं समझ सके। तमिलनाडु राज्य के +सी-एम सेल पर प्रतिदिन लगभग 23 हजार +शिकायतें आती हैं जो विभिन्न समस्याओं से +जुड़ी होती हैं। एक शिकायत के निपटारे में +औसत ढाई दिन लगते हैं जो अन्य राज्यों +से काफी बेहतर है। शिकायत निपटान की +सफलता के प्रतिशत के मामले में तमिलनाडु +कई उत्तर भारतीय राज्यों से बेहतर दिखाई +पड़ता है। हाल ही में तमिलनाडु प्रान्त से +लगे केंद्र शासित राज्य पुडुचेरी के निवासियों +ने वहां के उपराज्यपाल एवं मुख्यमंत्री से +उनके क्षेत्र में चलने वाली योजनाओं की +साप्ताहिक समीक्षा के लिए उपस्थित होने +के लिए प्रतिवेदन दिया गया, जो लोगों की +शिकायत निवारण के संबंध में जागरूकता +को दर्शाता है। +आंध्र प्रदेश + +आंध्र प्रदेश राज्य में शिकायत निवारण +प्रणाली को वर्ष 2008 से ही मजबूत किया +जाने लगा था जिसका पहला कदम जिला +स्तर पर कर प्रणाली से जुडे मामलों को +लेकर ई- परिश्कारम पोर्टल को लॉन्च करके +शुरू किया गया था। इस पोर्टल से राजस्व, +पुलिस, आवास, भूजल, सिंचाई, मत्स्य +पालन, श्रम, उद्योग, समाज कल्याण, नगर +निगम, चिकित्सा और स्वास्थ्य, बिजली और +अन्य विभाग जुड़े हुए हैं। इसके अतिरिक्त +वर्तमान मुख्यमंत्री द्वार जनता से शिकायत +लेने के लिए पोर्टल एएए.116९05क्षा1. +80.800-1 शुरू किया गया है। यह पोर्टल +एक मंच होगा जहां लोग स्थानीय समस्याओं +की रिपोर्ट कर सकते हैं, सुझाव दे सकते हैं +और तस्वीरों और दस्तावेजों को पोस्ट कर +सकते हैं। पोर्टल आधार संख्या के माध्यम +से शिकायत रिकॉर्ड करेगा। इसका उपयोग +करके, लोग अपने आवेदन की प्रगति को +ट्रैक कर सकते हैं। एक बार शिकायत दर्ज हो +जाने के बाद, शिकायतकर्ता को एसएमएस +या ई-मेल के माध्यम से एक स्लिप प्राप्त +होगी। सरकार शिकायत पंजीकृत, ट्रैक और + +60 + +संबंधित विभाग को भेज दी जाएगी। आन्ध्र +प्रदेश में राज्य सरकार द्वारा अपने विभागों की +भी रैंकिंग जारी की जाती है जिससे उनके +जनता की शिकायत निपटान की स्थिति का +पता चलता है। +कर्नाटक + +कर्नाटक्क सरकार द्वारा ई-जनस्पदन +नामक पोर्टल के माध्यम से राज्य सरकार +से जुड़ी शिकायतों का निवारण किया जाता +है। जनस्पदेन सेल की स्थापना कार्मिक और +प्रशासनिक सुधार विभाग (डीपीआर) के +अंतर्गत की गयी। जनस्पदन को डीपीआर के +दिशानिर्देश के अंतर्गत सभी जिलों में एक +साथ शुरू किया गया। +हेल्पलाइन + +लोक शिकायत और निवारण मॉड्यूल +(पीजीआरएम), जिसे हेल्पलाइन भी कहा +जाता है। जो वर्तमान में कर्नाटक राज्य में +213 शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) में + +कर्नाटक सरकार के द्वारा +ई-जनस्पंदन नामक पोर्टल के माध्यम +से राज्य सरकार से जुड़ी शिकायतों का +निवारण किया जाता है। जनस्पंदन सेल +की स्थापना कार्मिक और प्रशासनिक +सुधार विभाग (डीपीआर ) के अंतर्गत +की गयी। + +संचालित है यह कर्नाटक राज्य के पांच +सुधारों में से एक है जिसे वर्तमान में लागू +किया जा रहा है। हेल्पलाइन कर्नाटक +सरकार (जीओसी) के नगर सुधार कार्यक्रम +(एमआरपी) का हिस्सा है। +गोवा + +गोवा राज्य में सार्वजनिक शिकायतों +के राज्य निदेशालय ने सार्वजनिक शिकायत +निवारण और निगरानी प्रणाली को लोक +शिकायतों से निपटने में निगरानी प्रक्रियाओं के +लिए एक समान और व्यवस्थित दृष्टिकोण प्राप्त +करने के उद्देश्य से लॉन्च किया गया। यह +प्रणाली वेबसाइट www.grievances.goa. +80०0.॥ पर उपलब्ध है, जहां नागरिक अपनी +शिकायतों को पंजीकृत कर सकते हैं और +कहीं भी और कभी भी (24%) इंटरनेट का +इस्तेमाल कर प्रगति की जांच कर सकते हें। +पूर्वोत्तर राज्यों में शिकायत निवारण तंत्र +* पूर्वत्तर राज्यों में शिकायत निवारण को + +केंद्र सरकार द्वारा उत्तर पूर्वी क्षेत्रीय + +विकास मंत्रालय के अंतर्गत विनियमित +किया जाता है। + +¢ FMT WI SRI megpgrams.gov. +71 के माध्यम से ऑनलाइन शिकायत +निवारण प्रणाली को संचालित किया +जा रहा है नागरिक अपनी शिकायतें +ऑनलाइन क्लिक करके मेनू पर +दाखिल कर सकते हैं। शिकायत का +सफल पंजीकरण होने पर एक यूनिक +पंजीकरण संख्या के साथ एक fea +मिलेगी, जो एक एसएमएस के रूप +में शिकायतकर्ता को प्राप्त होगा। इस +पंजीकरण संख्या का उपयोग उसकी +शिकायतों की स्थिति, अनुस्मारक भेजने +के लिए और कार्रवाई की स्थिति को +देखने के लिए किया जा सकता है। + +* अरुणाचल प्रदेश में योजना और +निगरानी प्रक्रिया को स्कीम मैनेजमेंट +सिस्टम (एसएमएस) सॉफ्टवेयर +को लॉन्च कर ऑनलाइन कर दिया +गया। यह सॉफ्टवेयर वार्षिक संचालन +योजना और बजट की त्वरित तैयारी +के लिए बेहतर रूप में काम करेगी +जबकि लागत में उतार-चढ़ाव की जांच +के लिए परियोजनाओं को समय पर +कार्यान्वित करके भ्रष्टाचार और निधियों +का दुरूपयोग रोकने के लिए पारदर्शिता +को सुनिश्चित किया जाएगा। यह +सॉफ्टवेयर परियोजना प्रबंधन, वार्षिक +योजना, तीसरे पक्ष की निगरानी और +'फाइल प्रबंधन जैसे बहुमुखी मॉड्यूल +प्रदान करता है। + +राज्यों में जनशिकायत निवारण प्रणाली + +की सीमाएं +देश के विभिन्न राज्यों द्वारा जनशिकायत + +निवारण के लिए एक प्रणाली तो विकसित +कर ली गयी किंतु इनके क्रियान्वयन के स्तर +पर मौजूद कई कमियों के कारण यह अपेक्षित +लाभ से दूर हैं। विभिन्न राज्यों में विभिन्न मॉडल +हैं किंतु सभी जगह समस्याएं लगभग समान +ही हैं। बिहार, उत्तर प्रदेश झारखण्ड जैसे निम्न +साक्षरता वाले राज्यों में जनता द्वारा शिकायत +दर्ज करने के लिए तीसरे व्यक्ति का सहारा +लेना पड़ता है, जिस वजह से निःशुल्क दायर +की जा सकने वाली शिकायत के लिए उन्हें +पैसे देने पड़ते हैं। इसके अतिरिक्त कई राज्यों +विशेषकर उत्तर प्रदेश में ऐसे मामले भी सामने + +योजना, फरवरी 2018 + + + +0061.txt +<----------------------------------------------------------------------> +आए हैं, जिनमें शिकायतकर्ता को सरकारी विभागों द्वारा धमकाया एवं +डराया गया। दक्षिण के राज्यों में शिकायत निवारण प्रणाली के कार्य न +करने की शिकायतें भी देखी गयी हें। + +राज्यों के अतिरिक्त केंद्र राज्य संबंधों को साथ चलाने वाली +संस्था नीति आयोग स्वयं जनशिकायत निवारण में काफी पीछे रह +गयी है, अगर आंकडों को देखें तो पता चलता है कि नीति आयोग +जनशिकायत के निपटारे में 62 केन्द्रीय मंत्रालयों में सबसे सुस्त +रहा है। यह बात केंद्र सरकार की एक रिपोर्ट से प्रकाश में आई +है। केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण व निगरानी तंत्र की रिपोर्ट के +मुताबिक, नीति आयोग को 1 जनवरी 2014 से 28 दिसंबर 2017 +तक 5,883 शिकायतें मिलीं थीं, जिनमें आयोग द्वारा सिर्फ 54 +फीसदी शिकायतों का निपटारा हो सका। रिपोर्ट में बताया गया कि +2,677 मामलों में से 774 मामले एक साल से लंबित हें। +लोक शिकायत निवारण में प्रयुक्त तकनीकी + +वेब आधारित केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण तथा मानीटरिंग +प्रणाली (सीपीजीआरएएमएस विकसित की गयी है) जो भारत +सरकार के सभी मंत्रालयों-विभागों में क्रियान्वित है। राज्य सरकारों +के लिए स्थानीय भाषा इंटरफेस के साथ एक कस्टमाइज्ड सॉफ्टवेयर +भी विकसित किया गया है। इस साफ्टवेयर को सीपीजीआरएएमएस +कहा जाता है तथा इसे 9 राज्यों, संघ व क्षेत्रों नामतः हरियाणा, +ओडिसा, राजस्थान, पुदुचेरी, मेघालय, मिजोरम, उत्तराखंड, झारखण्ड +और पंजाब में लागू किया गया है। +भावी रूपरेखा + +उपर्युक्त कमियों के बावजूद आज के समय में राज्यों द्वारा +शिकायत निवारण प्रणाली को जनता के हितों के अनुरूप बनाए जाने +से शासन की मूल भावना एवं संविधान के आदर्शों की पूर्ति संभव +हुई है। दिल्‍ली का नागरिक घोषणापत्र अधिनियम हो या दिल्ली +का लोक शिकायत आयोग विभाग जिसमें जनता की दिन-प्रतिदिन +की समस्याओं के निवारण हेतु प्रयास किया गया है। आंध्र प्रदेश +की सरकार ने सिंगापुर की तर्ज पर शिकायत निवारण प्रणाली को +विकसित करने की दिशा में कार्य किया है। राज्यों एवं केंद्र के +मध्य समन्वय बनाने की दिशा में प्रधानमंत्री द्वारा ' प्रगति' कार्यक्रम ने +महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। प्रधानमंत्री के एक वक्तव्य “मैं मानता +हूं कि लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत उसकी शिकायत निवारण +प्रणाली होती है।' से स्पष्ट है कि शासन का सुशासन में परिवर्तन +इसी तंत्र की मजबूती से होगा। Q + +सन्दर्भ + +* “सेवाओं में उत्कृष्टता सुनिश्चित करने के लिए सेवोत्तम” पीआईबी, दिनांक +15 नवम्बर 2010 + +* “सीएम हेल्पलाइन मध्यप्रदेश”, विकिपीडिया + +* “राजस्थान संपर्क के बारे में” राजस्थान संपर्क , राजस्थान सरकार बेब पोर्टल, + +दिनांक 30/12/2017 + +Meghalaya.gov.in + +www.janspandana.com + +http://www.mdoner.gov.in + +Research paper on janaspandana by Dr. Amita Prasad(IAS), http:// +www.atimysore.gov.in + +Grievance Redressal mechanism in Andhra Pradesh, http:// +accessfacility.org + +Arunachal grievance Redressal system, http://www.thehindubusinessline.com +the hindu.com,13 jan 2018 + +योजना, फरवरी 2018 + + + + + + + +www.ateias.com + +IAS at Free dant + +10७ की परीक्षा के निःशुल्क मार्गदर्शन +के लिए डॉ. विजय अग्रवाल की वेबसाइट + +इस पर आपको मिलेगा - + +* प्रतिदिन ऑडियो लेक्चर + +« अखबारों पर समीक्षात्मक चर्चा +* परीक्षा सम्बन्धी लेख + +« आकाशवाणी के समाचार + +« वीडिओ + +* नॉलेज सेंटर + +* अखबारों की महत्वपूर्ण कतरनें +« फ्री मॉक-टेस्ट। + +सुनिए डॉ. विजय अग्रवाल का +Sica + + + +लॉग ऑन Te ALAA E ROY IN + + + + + +Se ate 9 aes ee 2 + + + +डॉ. विजय अग्रवाल +की पुस्तक + +‘sna IAS +केसे बनेंगे + + + + + +यह किताब |/५$ की तैयारी करने वालों के लिए एक +“चलता-फिरता कोचिंग संस्थान' है। + +सभी प्रमुख पुस्तक-विक्रेताओं के यहाँ उपलब्ध + +31. fara SET se ” + + + + + +61 + +YH-655/9/2017 + + + +0062.txt +<----------------------------------------------------------------------> +पुस्तक चर्चा ( प्रकाशन विभाग की नई पुस्तकें ) + +दादाभाई नौरोजी ( उर्दू ) + + + +डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ( उर्दू ) + + + + + + + + + + + + + + + + +ऑफ +हक + +nt +rat alae tle + +Beep. + +लेखक: काली किंकर दत्ता +मूल्य: है 325 + +लेखक: आर.पी. मसानी +मूल्य: ₹ 245 + + + + + +डा. राजेन्द्र प्रसाद महान स्वतंत्रता सेनानी ++व राष्ट्र-निर्माता थे। भारत के स्वतन्त्रता +संघर्ष के साथ-साथ राष्ट्र-निर्माण में उनका +महत्वपूर्ण योगदान है। यह किताब स्वतंत्र भारत +के प्रथम राष्ट्रपति की महानता से आज की पीढ़ी +का परिचय कराती है। + +मूल रूप से अंग्रेजी में लिखी इस किताब +का उर्दू में अनुवाद रिजु॒वान अब्बास द्वारा किया +गया है। QO + +Gls. नौरोजी ब्रिटिश भारत में बहुविध जनगतिविधियों से जुड़े +द्‌ रहे। उनके अथक प्रयासों के परिणाम स्वरूप भारतीय नेताओं की +नीतियों में महत्वपूर्ण बदलाव आए और स्वराज्य की प्राप्ति की दिशा में +शांतिपूर्ण व क्रमिक प्रगति की कामना लिए 1937-38 के दौरान राष्ट्रीय +आन्दोलन के एक-एक नए युग का सूत्रपात किया। यह किताब भारतीय +राजनीति के इस पुरोधा के व्यक्तित्व व उपलब्धियों से आज की पीढ़ी +का परिचय कराती है। + +मूल रूप से अंग्रेजी में लिखी इस किताब का उर्दू में अनुवाद फरहद +उस्मानी द्वारा किया गया हे। | + + + + + + + +मतदान में विश्वास + +भाः रत में चुनाव का आयोजन देश में व्याप्त +आकार, स्केल, विविधता को देखते हुए +एक जटिल कार्य है। लाखों लोग इसके निर्बाध +आयोजन को सुनिश्चित करने में लगते हैं। यह +संकलन साहस, बलिदान, आशा, रचनात्मकता, +उत्साह तथा चुनावों की कहानियों को प्रतिबिंबित +करता है। + +चुनाव भारतीय लोकतंत्र के महाकुंभ हैं। +भारत के विशाल क्षेत्र, जनसंख्या और विभिन्न +जलवायु प्रदेशों और अनेक विविधताओं को +ध्यान में रखते हुए लोकतंत्र के इस महापर्व को +संपन्न कराना एक विराट चुनौती है। चुनाव का + + + + + +मूल्य: ₹ 295 + +महत्वपूर्ण दायित्व भी। चुनाव अधिकारी स्थानीय +समुदाय की मदद से कठिन भू-भाग, विभिन्न +सामाजिक-राजनीतिक परिस्थितियों, विधि और +व्यवस्था संबंधी समस्याओं को तो सुलझाते ही +हैं, मतदाता वर्ग की उदासीनता या जागरूकता +की कमी के प्रति भी उन्हें सजग रहना पड़ता है। + +पुस्तक “मतदान में विश्वास! में 101 +प्रसंगों को शामिल किया गया है जिनमें चुनाव +अधिकारियों और मतदाताओं के प्रयासों का +सफल चित्रण है। यह छोटे-छोटे प्रसंग उन +खामोश नायकों के जीवन का एक अहम हिस्सा +हैं जिन्होंने चुनाव कार्य को सफल बनाने में + +संबंध जनता, उनकी पसंद, उनके सपने और उनकी आकाक्षाओं महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ये नायक अपने कर्तव्य का पालन +से है। जनता को ध्यान में रखते हुए चुनावों का संचालन एक करने हेतु अपने व्यक्तिगत जीवन में तो त्याग करते ही हैं, +बहुत बड़ा कार्य है एवं चुनाव अधिकारियों के लिए एक कभी-कभी अपनी जान की बाजी तक लगा देते हैं। QO + + + +हमारी पुस्तकें खरीदने के लिए 110:/9प्श16ग्रांजाइ0एंगंणा .0०.11 पर लॉग ऑन करें। + + + + + +टी + +62 योजना, फरवरी 2018 + + + +0063.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +हलचल + + + + + + + + + +be. +विश्व पुस्तक मेला 2018 में प्रकाशन विभाग +pm वकीअज़्कल प्पपएय + +ul + +stl +‘at Som + +| + + + + + +are विभाग ने 6-14 जनवरी 2018 को प्रगति मैदान, + +नई दिल्ली में हुए विश्व पुस्तक मेले में प्रतिभागिता की। +प्रकाशन विभाग ने गांधी साहित्य, कला व संस्कृति, राष्ट्रीय +स्वतंत्रता संग्राम, राष्ट्रीय नेताओं की जीवनियां, बाल पुस्तक +व भारतीय परिदृश्य के अन्य क्षेत्रों की अपनी पुस्तकें लगाई। +परंपरा के अनुसार, प्रकाशन विभाग ने जीवनियों, बच्चों की +किताबों व अन्य प्रकाशनों समेत अंग्रेजी, हिंदी व उर्दू की 15 +किताबों का विमोचन किया। डीपीडी की किताबों के eter +का उद्घाटन मेले के पहले दिन अर्थात 6 जनवरी 2018 +को सूचना व प्रसारण मंत्रालय के सचिव श्री एन.के. सिन्हा +द्वारा किया गया। + +इसी दिन, श्री सिन्हा ने वरिष्ठ उप निवीचन आयुक्त श्री +उमेश सिन्हा तथा इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सदस्य +सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी की उपस्थिति में प्रकाशन विभाग +की 4 किताबों का लोकार्पण किया। ये किताबें हैं: मतदान में +विश्वास, जो भारत की चुनाव प्रणाली को समझने का नजरिया + + + + + + + + +/ 5 +Se... +Aa, FE eect + +€ . +sa fy + +ET? + +देता है, सुभाष काश्यप की पुस्तक भारतीय संविधान और आम +आदमी, जो सामान्य आदमी के नजरिए से भारतीय संविधान +की व्याख्या करती है, प्रतिष्ठित नृत्य आलोचक श्रीमती लीला +वेंकटरमण रचित 36 आलेखों का संग्रह इंडियन डांस: श्रू ए +क्रिटिक्स आई और हमारे संस्कार और संस्कृति जो मूल्य +आधारित परवरिश के महत्व की बात करता है। + +8 जनवरी 2018 को पीआईबी के पूर्व महानिदेशक डॉ +उमाकांत मिश्रा व सस्ता साहित्य मंडल की सचिव डॉ. रीता रानी +पालीवाल द्वारा 11 अन्य किताबों का लोकार्पण किया गया। इन +किताबों में राष्ट्रीय नेताओं की जीवनियां, बाल साहित्य व प्रमुख +पब्लिशिंग हाउस सस्ता साहित्य मंडल के सह प्रकाशन में आई +किताबें शामिल हें। + +मेले ने प्रकाशन विभाग को पुस्तक प्रेमियों के विस्तृत +वर्ग तक पहुंचने व उनकी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया जानने का +अवसर दिया। QO + + + + + + + + + +0064.txt +<----------------------------------------------------------------------> +रजि.सं.डीएल (एस)-05/3231/2018-20 Licenced under U (DN)-55/2015-17 +Reg.No. D.L. (s)-05/3231/2018-20 at RMS, Delhi आर.एन.आई. 951/57 + +29 जनवरी, 2018 को प्रकाशित « 2-3 फरवरी, 2018 को डाक द्वारा जारी RNI 951/57 + +Just Released « My + + + +IRA + + + + + + +op! aifa +me OTOIoll +बैंकिंग सुधार + + + + + + + + + + + + + + + +बैंकिंग सेक्टर में सुधार a | +आतिशा कुमार oy | +डूबे कर्ज के निपटान की चुनौतियां +दीपक नारंग +विशेष आलेख +बैंक पुनर्पुजीकरण +आशुतोष कुमार +| जरा हटके +फोकस - | : भारतमालाः राजमार्ग विकास +दिवालिया कानून: op का नया आयाम +समाधान की तलाश HA युद्धवीर सिंह मलिक + +इंदिवजल धस्माना + + + + + + + +0002.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +BCC Bo + + + +आईएनएस कलवरी राष्ट्‌ को समर्पित + +प्रात नरेंद्र मोदी ने 14 दिसम्बर 2017 को मुंबई के +एक कार्यक्रम में नौसैनिक पनडुब्बी आईएनएस कलवरी +राष्ट्र को समर्पित की। + +इस अवसर पर देशवासियों को बधाई देते हुए प्रधानमंत्री +ने आईएनएस कलवरी को मेक इन इंडिया का प्रमुख +उदाहरण बताया। उन्होंने इसके निर्माण में शामिल सभी लोगों +की सराहना की। उन्होंने पनडुब्बी को भारत और फ्रांस के +बीच बढ़ती सामरिक साझेदारी का शानदार उदाहरण बताया। +उन्होंने कहा आईएनएस कलवरी से भारतीय नौसेना और + + + + + +अधिक सुदृढ़ होगी। + +प्रधानमंत्री ने कहा कि 21वीं सदी को एशिया की +सदी कहा जाता है और यह भी तय है कि 21वीं सदी +में विकास का मार्ग हिन्द महासागर से होकर गुजरता है। +इसलिए सरकार की नीतियों में हिन्द महासागर को विशेष +स्थान प्राप्त है। उन्होंने कहा कि इस विजन को 'सागर' - +सुरक्षा के माध्यम से समझा जा सकता है। + +प्रधानमंत्री ने कहा कि रक्षा और सुरक्षा से संबंधित पूरा +पारिस्थितिकीय तंत्र पिछले तीन वर्षों में बदलने लगा है। +उन्होंने कहा कि आईएनएस कलवरी के +निर्माण के दौरान संचित किया गया कौशल +ह भारत के लिए अमूल्य निधि है। + +डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी आईएनएस +wees कलवरी को भारतीय नौसेना के लिए +कल प्जगोन डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड ने +॥ निर्मित किया है। यह भारतीय नौसेना में +शामिल की जाने वाली छह पनडुब्बियों +'-| में से एक है। यह मेक इन इंडिया की +.| सफलता की कहानी कहती है। इस +परियोजना को फ्रांस के साथ मिलकर +शुरू किया गया है। QO + + + + + + + +0003.txt +<----------------------------------------------------------------------> +le f=}f=) +° ad: 62 +* अंक 01 +* कुल पृष्ठ :72 +* जनवरी 2018 +* पौष-माघ, शक संवत्‌ 1939 + +योजना + +बरें: वार्षिक: ₹ 230 द्विवार्षिक: ₹ 430, त्रिवार्षिकः ₹ 610 + +f=) yojanahindi@gmail.com # www.yojana.gov.in, www.publicationsdivision.nic.in KE] htto:/Awww.facebook.com/yojanahindi + + + +( yar daa: afr wat) +संपादकः ऋतेश पाठक +संपादकीय कार्यालय + +648, सूचना भवन, सीजीओ परिसर, +लोधी रोड, नयी दिल्‍ली-110 003 +दूरभाष (प्रधान संपादक): 24362971 +संयुक्त निदेशक (उत्पादन): वी के मीणा +संपादक ( प्रसार एवं विज्ञापन ): +गोपाल के एन चौधरी +आवरण: गजानन पी धोपे + + + +पत्रिका मंगवाने, सदस्यता, नवीकरण, पुराने +अंकों की प्राप्ति एवं एजेंसी आदि के लिए +मनीऑर्डर/डिमांड ड्राफ्ट/पोस्टल आर्डर “अपर +महानिदेशक, प्रकाशन विभाग” के नाम से +बनवा कर निम्न पते पर भेजें: +प्रसार एवं विज्ञापन अनुभाग +प्रकाशन विभाग, कमरा सं. 48-53 +भूतल, सूचना भवन, सीजीओ परिसर +लोधी रोड, नयी दिल्‍ली-110003 +दूरभाष: 011-24367453 +ईमेल: pdjucir@gmail.com +सदस्य बनने अथवा पत्रिका मंगाने के लिए +हमारे निम्नलिखित विक्रय केंद्रों पर भी संपर्क +किया जा सकता है। साथ ही हमारी वेबसाइट तथा +योजना हिन्दी के फेसबुक पेज पर भी संपर्क किया +जा सकता है। + +* योजना का लक्ष्य देश के आर्थिक विकास से +संबंधित मुद्दों का सरकारी नीतियों के व्यापक +संदर्भ में गहराई से विश्लेषण कर इन पर विमर्श +के लिए एक जीवंत मंच उपलब्ध कराना है। + +* योजना में प्रकाशित लेखों में व्यक्त विचार लेखकों +के अपने हैं। जरूरी नहीं कि ये लेखक भारत +सरकार के जिन मंत्रालयों, विभागों अथवा संगठनों +से संबद्ध हैं, उनका भी यही दृष्टिकोण हो। + + + + + +मिशन इंद्रधनुष: भारत में सार्वजनिक + + + + + +लेख + +बैंकिंग सेक्टर में सुधार बैंकिंग का कायाकल्प + +आतिशा कुमार ................५६०५०००००७ 9. डी एस मलिक ........ननिानि 41 + +बैंकिंग क्षेत्र: कल, आज और कल * बेंकिंग सुधारों की अनिवार्यता + +विवेक कुमार आदित्य पी त्रिपाठी 43 + +संकेत टंडन नूपुर अग्रवाल ......................५५५५५- + +शुभदा राव ..............--ननननननननन 13 ०» + +डूबते कर्ज के निपटान की चुनौतियां भारतमाला: राजमार्ग विकास का + +दीपक नारंग .............-०-«नन्‍नततननत 17 नया आयाम + +युद्धवीर सिंह मलिक .................- 49 + +बैंक पुनर्पूजीकरण * बेंकिंग सुधार से कृषि का उद्धार + +आशुतोष कुमार ............०न_ननन-न_-* 21 सन्नी कुमार .................--०-न्‍_नन्‍न> 53 + +बैंकों का बैंक: रिजर्व बैंक 24 ० उद्देश्यपरक बैंकिंग अवधारणा और + +विकास + +दिवालिया कानून: समाधान की तलाश गौरव कुमार ..................०००-«०५५+ 57 + +SPAS धस्माना ................००+« १० कह कया आप जानते 62 +७ में ग्रामीण बैंकिंग F . बैंकिंग . + +भारत में ग्रामीण . कौ * परंपरागत भारतीय बैंकिंग व्यवस्था + +समस्याएं और चुनौतियां + +रवि शंकर ................००«न्‍न्‍न्‍्लतनल-- 65 + +मंजुला वाधवा ................----न्‍न्‍न्‍न्‍-न न 33 + + + +० विज्ञापनों शहर पता पिनकोड दूरभाष +मत नहीं हैं। की विषयवस्तु के लिए योजना नयी दिल्‍ली सूचना भवन, सीजीओ कॉम्प्लेक्स, लोधी रोड 110003 011-24367260 +« योजना में प्रकाशित आलेखों में प्रयुक्‍त मानचित्र व नबी मुंबई हाल सं. 196, पुराना सचिवालय केंद्रीय 110054 011-23890205 +प्रतीक आधिकारिक नहीं है, बल्कि सांकेतिक हैं। नवी मुंबई 701, सी- विंग, सातवीं मंजिल, केंद्रीय सदन, बेलापुर 400614 022-27570686 +ये मानचित्र या प्रतीक किसी भी देश का आधि कोलकाता 8, एसप्लानेड ईस्ट 700069 033-22488030 +कारिक प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। चेन्नई “ए' विंग, राजाजी भवन, बंसल नगर 600090 044-249 17673 +तिरुअन॑तपुरम प्रेस रोड, नयी गवर्नमेंट प्रेस के निकट 695001 0471-2330650 +हेदराबाद कमरा सं. 204, दूसरा तल, सीजीओ मीनार, कवादिंगुड़ा सिकंदराबाद 50080 040-27535383 +बंगलुरु फर्स्ट फ्लोर, 'एफ' विंग, केंद्रीय सदन, कोरामंगला 560034 080-25537244 +पटना बिहार राज्य कोऑपरेटिव बैंक भवन, अशोक राजपथ 800004 061 -22683407 +लखनऊ हॉल सं-1, दूसरा तल, केंद्रीय भवन, क्षेत्र-एच, अलीगंज 226024 0522-2225455 +अहमदाबाद अंबिका कॉम्प्लेक्स, फर्स्ट फ्लोर 380007 079-26588669 + +/) गुवाहाटी मकान सं. 4, पेंशन पारा रोड, गुवाहाटी 781003 030-2665090.. / + + + + + + + +हिंदी, असमिया, बांग्ला, अंग्रेजी, गुजराती, कन्‍नड़, मलयालम, तमिल, तेलुगु, मराठी, उड़िया, पंजाबी तथा उर्दू में एक साथ प्रकाशित + +योजना, जनवरी 2018 + + + + + +0004.txt +<----------------------------------------------------------------------> +बेरोजगार युवाओं को कुटीर +उद्योगों से जोड़ें + +आजादी से पहले महात्मा गांधी ने खादी +को एक सशक्त लघु कुटीर उद्योग के रूप +में स्थापित कर ले गए जो आज भी भारत +की आर्थिक नींव में मजबूती प्रदान कर रहा +है। स्वतंत्रता के बाद नेहरू सरकार ने विश्व +में औद्योगिक शक्ति के रूप में देश को +आगे लाने के लिए बडे बडे कल कारखानें +सार्वजनिक संस्थान को निर्माण कर प्रोत्साहित +किया। पर आज भारत में औद्योगिक व्यवस्था +पूंजीपतियों में सिमटती जा रही है। लेकिन +लघु एवं कुटीर उद्योगों पर ज्यादा जोर नहीं +दिया गया इसलिए ग्रेजुएट पोस्ट ग्रेजुएट +बेरोजगारों की फौज करोड़ों में तैयार हो गयी +है वो तो मोटी कमाई वाली नौकरी पाना +चाहते हैं। ऐसी मानसिकता से देश में सुस्ती +और आलस्य का माहौल पैदा हो रहा है। + +सरकार को लघु एवं He vari +की बेहतरी के लिए रिसर्च केंद्र बनाकर +उसे हाईटेक बनाना चाहिए जिससे देश में +औद्योगिक मजबूती के साथ हर हाथ को +एक कुटीर उद्योग की परिकल्पना साकार हो +सके। ऐसा होने पर ही सरकार की सफलता +वास्तविक मानी जाएगी। यह सही है कि लघु +एवं कुटीर उद्योग से तकरीबन 11 करोड़ + +4 + +लोगों को रोजगार मिला है। इसलिए यह +जरूरी हो जाता है उच्च शिक्षित बेरोजगारों +का ध्यान इस तरफ आकृष्ट कर उन्हें जीवन +में खुशहाली लाने का भरोसा जगायें। लाखो +इंजीनियर बड़ी-बड़ी कम्पनियों में नौकरियां +तलाशते हैं पर वो उनके स्तर का आकलन +नहीं कर पाते हैं और हकीकत के धरातल +पर गिरकर उनके सपने चूर-चूर हो जाते हैं! +मध्यमवर्गाय नौजवानों को नौकरी नहीं मिलती +है तो वो बिजनेस कर लेते हैं। वो बिजनेस +विपणन या मार्केटिंग आधारित होता है जैसे +हर गली मुहल्ले में खुलती छोटी-छोटी दुकानें +होती हैं जो अक्सर दस पंद्रह साल में आर्थिक +परिस्थितियां बदलने से उनकी रफ्तार धीमी +पड़ जाती है। उस वक्‍त नौजवान प्रौढ़ होकर +अपनी शारीरिक शक्ति कम होने से अधिक +ध्यान नहीं दे पाता है लेकिन लघु एवं कुटीर +उद्योग चलाने वाले लोग प्रोडक्शन से लेकर +मार्केटिंग की सारी व्यवस्था में भागदौड़ करने +से लगभग 70-80 साल तक चुस्त-दुरुस्त +रहता है। + +सरकारी कर्मचारियों को पेंशन के लिए +हर साल अरबों रुपये उपलब्ध की जा सकती +है पर लघु एवं कुटीर उद्योगों को जन जन में +लोकप्रिय बनाने की पहल क्यूं नहीं की जाती +है। उन्हें धन मुहैया करने के लिए पारदर्शी + + + +सिस्टम अपनाना चाहिए। इनके विकास के +लिए सिर्फ सरकार की जवाबदेही ही नहीं है +वरन उन रिटायर्ड नौकरशाहों की जवाबदेही +बननी चाहिए जो अपने बेटे बेटियों के लिए +सब कुछ लुटा देते हैं। वो अपने जीवनकाल +में कम से कम दस गरीब नौजवानों को दस +हजार रुपये में कुटीर उद्योग की व्यवस्था क्‍यों +नहीं कराते हैं जो उनके ऊपर आर्थिक बोझ +नहीं बनेगी वरन आत्मिक संतुष्टि प्राप्त होगी। +इसी तरह बड़ी-बड़ी कम्पनियों के मैनेजर +करोडों रुपये पगार में लेकर उसे महंगी गाड़ियों +wea TR होटलों में विलायती शराबों में +उड़ाते हैं। जब इन काबिल लोगों की ऐसी +अस्वस्थ मानसिकता है तो इसे बदलने के +लिए कौन पहल करेगा। उच्च शिक्षित गरीब +नौजवान अपनी तथा अपने परिवार की भूख +मिटाने के लिए कहीं पराश्नित होकर छोटी +मोटी नौकरी करने लगते हैं। उन्हें इस स्थिति +से संतोष नहीं होता है और घुट घुट कर +जिंदगी भर मरते हैं। हमे हमेशा याद रखना +चाहिए कि विकसित देशो की जनसंख्या बड़ी +तेजी से अधेड़ होती जा रही है। पर हमारा +देश 2020 तक दुनिया के सबसे युवा देशों +में से एक होगा। इस स्थिति में इन उद्योगों +को प्रोत्साहन मिले तो आने वाले पंद्रह-बिस +सालों में भारत मार्केटिंग से लेकर प्रोडक्शन + +योजना, जनवरी 2018 + + + +0005.txt +<----------------------------------------------------------------------> +के मामले में विश्व अर्थव्यस्था की केंद्र बन +जाएगा। +लघु उद्योगों का सशक्तीकरण ग्रामीण +इलाकों में आर्थिक मजबूती ला सकता हे! +एक बात और हमारे देश के नौजवानों में +भीतर से काम करने की भावना होनी चाहिए +तभी हमारे दूरदर्शी नीति नियंताओं की नीति +सफल होगी यदि आपमें कोई खास प्रतिभा +है तो उसका उपयोग व्यवसाय में कर रहे हैं +तो ठीक है। यदि अन्य व्यवसायों से पर्याप्त +धनार्जन कर लेते हैं तो अपनी खास प्रतिभा +से समाज के दबे कुचले लोगों का हौसला +अफजाई कर देश के विकास में योगदान कर +सकते हैं। यह योगदान लघु एवं कुटीर उद्योग +भी प्रदान करता है साथ में हर व्यक्ति की +आर्थिक मानसिक खुशहाली भी सुनिश्चित +भी करता हे। +- डी पी सिंह +पत्रकार और कवि +2/159, विश्वास खंड, गोमती नगर, +लखनऊ, (उत्तर प्रदेश) +कुटिर उद्योग पर्यावरण +के अनुरूप +योजना (नवंबर 2017) का लघु एवं +कुटीर उद्योग पर केंद्रित अंक पढ़ा। सकल +घरेलू उत्पाद में लघु एवं कुटीर उद्योग की +17 प्रतिशत भागीदारी है। इससे 11 करोड़ + +लोगों को रोजगार मिलता है। लघु उद्योग एक +ओर देश के बडे उद्योग के लिए कच्चा माल +उपलब्ध कराता है तो दूसरी ओर यह श्रम +सघन होने के चलते, बड़ी संख्या में देश की +कार्यशील जनसंख्या को रोजगार भी देता है। +सारगर्भित सम्पादकीय के साथ साथ अरुण +जी रेड्डी जी का लेख अच्छा है। अनिल +भारद्वाज जी ने इससे जुड़ी चुनौतियों पर +बखूबी प्रकाश डाला है। देश के प्रधान मंत्री +समय-समय पर मन की बात तथा अन्य मंचों +से लघु उद्योगों के तेज विकास की हिमायत +करते रहे हैं। खादी उद्योग के लिए उनका +प्रोत्साहन सर्वजनित है। उन्होंने जीरो इफेक्ट +जीरो डिफेक्ट की सुंदर संकल्पना दी है। +भारत सरकार ने स्टार्ट अप इंडिया, स्टैंड +अप इंडिया, मेक इन इंडिया, मुद्रा योजना +आदि के माध्यम से लघु एवं कुटीर उद्योग +को बहुआयामी संबल प्रदान किया है। चंदन +कुमार जी का आलेख उद्योग और पर्यावरण +संबंधी जागरूकता के कारण महत्वपूर्ण है। +भारत 2015 में पेरिस जलवायु संधि के +अग्रिम व महत्वपूर्ण हस्ताक्षरकर्ता है। लघु +एवं कुटीर उद्योग को बढ़ावा देकर भारत +जलवायु संबंधी अपने दायित्वों को भी पूरा +कर सकेगा, ऐसी आशा की जा सकती है। +- आशीष कुमार +उन्नाव, उत्तर प्रदेश + +कुटीर उद्योग +सामाजिक ताना-बाना +“लघु एवं कुटीर उद्योग” पर आधारित +नवंबर अंक अत्यंत शानदार रहा। शायद यह +अंक वित्तीय संस्थाओं में थोड़ा विश्वास +जागृत कर पाये कि छोटी इकाइयां और +छोटे उपक्रम भी वांछित सहायता प्राप्त कर +देश की उन्‍नति में सहायक हो सकते हें। +लघु एवं कुटीर उद्योग तो प्राचीनकाल से +ही हमारे सामाजिक ताने-बाने की संजीवनी +रहे हैं। अरुण पांडा ने अपने आलेख में जहां +उन उद्योगों की अपार संभावनाओं के साथ +बुनियादी ढांचे को मजबूती प्रदान करने की +वकालत की है तो चंद्रशेखर रेड्डी जी का +आलेख प्रोत्साहन योजनाओं पर बल देता है। +जतिंदर सिंह जी का आलेख प्रतिस्पर्धा की +दौड़ में भी गुणवत्ता पर अधिक बल दिए जाने +की सिफारिश करता है। +खादी उद्योग में भी अपार संभावनाएं हें +और सबसे बड़ी बात कि ये उद्योग पर्यावरण +की दृष्टि से भी अनुकूल हैं और आर्थिक +अस्थिरता के समय में भी बहुत लोगों के +लिए रामबाण बनते हैं। +- रजनीश्ट त्रिवेदी +पीजीटी (हिन्दी) +जीआरएम सीनियर सेके. स्कूल, +बरेली (उ.प्र. )-243122 + + + + + +योजना + +आगामी अंक + + + + + + + +la + +Ne + +योजना, जनवरी 2018 + +फरवरी 2018 + +लोक शिकायत निवारण + + + +आपकी राय व सुझावों की प्रतीक्षा है + + + + + +0006.txt +<----------------------------------------------------------------------> +Think afte न्नो 117#7 +as. Drishti + +सिविल सेवा परीक्षा की तेयारी +को समर्पित मासिक पत्रिका + +Manama मुद्दों पर आधारित +महत्त्वपूर्ण लेख। + +थ्य आगामी मुख्य परीक्षा के लिये +सामान्य अध्ययन पर महत्त्वपूर्ण +सामग्री। + + + + + + + + + +थि प्रांभिक और मुख्य परीक्षा पर +9मदत्त्वपूर्ण लेख. ७ दूद पॉइंट. ७ऑडियो आर्टिकल. ७टेंपर्स की डाययी ७ महत्त्वपूर्ण पत्र-पत्रिकाओं का जिस्ट केंद्रित सामान्य अध्ययन के विभिन्न + +Jed CR COU) GS Cie (aS खण्डों के रिवीज़्ञन के लिये टू द +पॉइंट सामग्री। + + + +थि प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं (साइंस +रिपोर्टर, डाउन टू अर्थ, इकॉनमिक +एंड पोलिटिकल वीकली, द हिन्दू +आदि ) के महत्त्वपूर्ण लेखों का +साराश। + + + + + + + + +प्रथम स्थान पर चयनित +राजस्थान सिल्रिल सेवा परीक्षा-2016 + +टारगेट , + +-2018 + +Myer utter 2017 के ales +निंबध। + +1 तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों के लिये + + + +१] (हा + +yids jae BAN प्रेरणादायक कॉलम। +अब और भी बेहतर स्वरूप में... [रा इंटरव्यू की तैयारी के लिये महत्त्वपूर्ण + +सामग्री। + +पत्रिका का सैम्पल निःशुल्क पढ़ने के लिये हमारी वेबसाइट: +www.drishtiias.com ut fafste at! + + + +To Subscribe, Call - 8130392351, 8130392359 + +For business/advertising enquiry, Call - 8130392355 +Web : www.drishtiias.com, Email : info @drishtipublications.com + + + +YH-643/9/2017 + +6 योजना, जनवरी 2018 + + + +0007.txt +<----------------------------------------------------------------------> +९) + + + + + + + + + + +बेहतर बैंकिंग की ओर + +a चत की अवधारणा दुनिया की विभिन्‍न संस्कृतियों में हमेशा से रही हे। + + + +मुद्रा/सोने की मुहरें बर्तनों में इकट्ठी करने और उन्हें जमीन के भीतर +दबा देने का काम प्राचीन काल में पूरी दुनिया में किया गया है। साम्राज्य +में कर के रूप में एकत्र किये गये या अपने अधीन जागीरदारों/राज्यों से शुल्क के +रूप में वसूले गये धन को राजकोष में रखा जाता था। + +आधुनिक बैंकिंग के आविष्कार के साथ ही धन घरों से बैंकों में पहुंच गया। +लोगों को धन और गहने बैंकों में जमा करना अधिक सुरक्षित लगा क्योंकि वहां उनकी +संपत्ति की सुरक्षा के लिए. अलग कमरे होते हें। बैंकों ने जमा धन पर ब्याज भी दिया, जिससे अतिरिक्त आय हो गयी। बैंकों ने +उस जमा राशि को विभिन्‍न शेयरों और प्रतिभूतियों में निवेश करना शुरू कर दिया। इस तरह निवेश बैंकिंग और कारपोरेट बैंकिंग +की नयी व्यवस्था आरंभ हुई। सरकारी धन भी राजा के खजाने से निकलकर केंद्रीय बैंक में पहुंच गया, जो धीरे-धीरे मौद्रिक नीति +का नियामक भी बन गया। आज कोई केंद्रीय नियामक बैंक के बगैर अर्थव्यवस्था की कल्पना भी नहीं कर सकता। भारत में केंद्रीय +बैंक यानि भारतीय रिजर्व बैंक केवल सरकारी धन ही जमा नहीं रखता है बल्कि वह मौद्रिक नीति का नियामक, बैंकों का बैंकर +और मुद्रा नियामक भी बन चुका हे। + +भारत में बैंकिंग व्यवस्था छोटे, निजी वाणिज्यिक बैंकों से शुरू हुई लेकिन जब उनमें से कुछ नाकाम होने लगे या उनमें जमा +राशि बैंकरों द्वारा चुपके से निकाली जाने लगी और ग्राहकों की जमा की गयी मेहनत की कमायी डूब गयी तो सरकार हरकत में +आयी और उसने बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया। इस बड़े सुधार से यह सुनिश्चित हो गया कि बैंक को होने वाले किसी भी घाटे +का ग्राहकों पर असर नहीं पड़ेगा या बैंक ग्राहकों की रकम का दुरूपयोग नहीं कर पाएंगे। उसके बाद के वर्षों में धीरे-धीरे सार्वजनिक +क्षेत्र के बैंकों के नियमन के लिए अन्य व्यवस्थाएं बनायी गयी। बैंकिंग क्षेत्र पर नरासिम्हन समिति की सिफारिशें इस दिशा में एक और +प्रमुख सोपान साबित हुईं। उसके बाद बैंकिंग क्षेत्र की क्षमता एवं प्रशासन सुधारने के उद्देश्य से एक के बाद कई सुधार किये गये। + +एक समय सरकार को लगा कि वेश्विक चलन की तर्ज पर अन्य क्षेत्रों की तरह बैंकिंग क्षेत्र में भी निजीकरण होना चाहिए) +एचडीएफसी, आईसीआईसीआई , एक्सिस और येस बैंक जैसे निजी क्षेत्र के बैंकों को भारतीय बैंकिग क्षेत्र में काम करने की अनुमति +दे दी गयी। ये बैंक ग्राहकों की संतुष्टि प्राप्त करने के मामले में सार्वजनिक बैंकों के मुकाबले अधिक सफल साबित हुए और +कॉर्पोरेट बैंकिंग तथा खुदरा बैंकिंग में मुख्य स्तंभ बन गये। उनसे सीख लेते हुए सार्वजनिक बैंक भी ग्राहकों के अधिक अनुकूल +बनने लगे और उन्होंने अपने कामकाज में प्रौद्योगिकी से जुड़े सुधार लागू किये। + +अनिष्पादित संपत्तियों (एनपीए) की समस्या सफल बैंकिंग की राह में बहुत बड़ा रोड़ा रही है। सार्वजनिक क्षेत्र हो या निजी +क्षेत्र, भारत के अधिकतर बैंकों के लिए यह चिंता का बड़ा कारण रही हे। बैंकिंग क्षेत्र में इस बड़ी समस्या के समाधान के लिए +सरकार ने मिशन इंद्रधनुष की घोषणा की, जो पुनर्पूजीकरण, बैंकिंग बोर्ड ब्यूगो के गठन और जवाबदेही का ढांचा तैयार करने पर +केंद्रित है। बाद में धनशोधन अक्षमता और दिवालिया कानून ने एनपीए की समस्या सुलझाने का एक और रास्ता मुहैया कराया। + +आधुनिक बैंकिंग विशेषकर नकद रहित अर्थव्यस्था और बैंकिंग लेनदेन के डिजिटलीकरण के दौर में साइबर सुरक्षा चिंता का +एक और विषय है। सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने आईआईटी जैसी संस्थाओं के साथ मिलकर विभिन्‍न तरीकों से इससे निपटने के +प्रयास किये हैं। जन-धन योजना और डीबीटी जैसी योजनाओं के माध्यम से बैंकिंग के जरिये वित्तीय समावेश पर सरकार का बहुत +जोर है। ग्रामीण बैंकिंग भी चिंता का एक और विषय है क्योंकि दुर्गम होने के कारण कई क्षेत्रों में अब भी बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध +नहीं हैं। कम साक्षरता, बैंकिंग सेवाओं की अनुपलब्धता आदि के कारण बड़ी तादाद में ग्रामीण जनता अब भी बैंकिंग प्रणाली के +प्रति सहज अनुभव नहीं करती है। सरकार ने बैंकिंग कॉरेस्पांडेंट की नियुक्ति कर इस समस्या का समाधान करने का प्रयास किया +है। ये कॉरैस्पांडेंट बैंकों तथा ग्रामीण जनता के बीच कड़ी का काम करते हैं। + +अर्थशास्त्रियों और नीति निर्माताओं को बैंकिंग सुधारों की अवधारणा एक समस्या लग सकती हे लेकिन बैंक वह स्थान है, जहां +लोग विश्वास के साथ अपनी मेहनत की कमायी रखते हैं। अपने धन पर अपना नियंत्रण हो तो तनाव बहुत कम हो जाता है और +सक्षम बैंकिंग व्यवस्था हर किसी के जीवन से यह तनाव दूर करने की कुंजी हे। Q + + + + + + + +योजना, जनवरी 2018 7 + + + +0008.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +4 विभाग +Waar और सारण मंत्रालय, भारत WIR + +प्रगति मैदान, नई दिल्‍ली +(6-14 जनवरी 2018) + +आप सादर आमंत्रित हैं। af r) अत + +! q MAHATMA +भारत की ab. ः ; 2 GANDHI + +सांस्कृतिक धरोहर +को जन-जन ज्ञक पहुचात्ती पुस्तकें + + + + + + + + + + + +हि +७0 ६ | ७1॥-॥ ५७ + +गांधी साहिष्य, जीपनियां, » ree +बाल साह्िित्य, पर्यावरण, +कला-रांरकुति और +विविध विषयों की +अनेक श्रेष्ठ पुस्तकों + +ae + +ae + + + +हमारी पुस्तक ऑनलाइन 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मौजूदगी है + +"| + +in >>. +us eel Goran हा छा +हि : मुआवजा +a ——_ + +बैंकिंग सेक्टर में सुधार + +आतिशा कुमार + +माँ और परिवारों दोनों के लिए + +बैंकिंग सिस्टम भारत में कर्ज + +हासिल करने का अहम जरिया +है। बैंकों का आकार, चुनौतियों से निपटने +की उनकी क्षमता और पूंजी का उनका स्तर +वित्तीय बाजारों के सुचारु रूप से काम करने +के लिए बेहद अहम हैं। भारत में बैंकिंग +सेक्टर में सरकार के नियंत्रण वाले बैंकों की +बड़ी संख्या है। बैंकिंग सिस्टम के लिए मुख्य +चुनौतियों में उनकी अनिष्पादित संपत्तियों में +बढ़ोतरी और बड़ी संख्या में सार्वजनिक क्षेत्र +के बैंकों की मौजूदगी है। + +इन वजहों से बैंकों को औद्योगिक +कर्ज मुहैया कराने और अंतरराष्ट्रीय पूंजी की +जरूरतों को पूरा करने में दिक्कतों का सामना +करना पड़ता है। इन चुनौतियों से निपटने के +लिए मौजूदा उपाय पर्याप्त नहीं रहे हैं। बैंकिंग +सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए हमें आने +वाले वक्‍त में तीन क्षेत्रों में काम करने की +जरूरत हे: बैंकों के गवर्नेंस में सुधार, सेक्टर +में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना और कॉरपोरेट +बॉन्ड मार्केट विकसित करना, ताकि बैंकों +पर उधारी के स्रोत के रूप में दबाव कम +हो सके। +भारत में बैंकों के सुधार का इतिहास +1991 से पहले भारत बड़े पैमाने पर + +बैंकों का राष्ट्रीकरण कर रहा था। सरकार +ने 1969 में 50 करोड़ से ज्यादा डिपॉजिट +वाले बेंकों का राष्ट्रीयरण कर दिया था। +इसके जरिये उसने 80 फीसदी से ज्यादा बैंक +शाखाओं पर नियंत्रण हासिल कर लिया था। +सरकार ने 1980 में कई और बैंकों को अपने +नियंत्रण में लिया और देश भर में 200 करोड़ +से ज्यादा डिपॉजिट वाले बेंकों का राष्ट्रीयकरण + +किया। इस तरह से तकरीबन 90 फीसदी +बैंकों का नियंत्रण सरकार के पास हो गया +और लंबे समय तक यह मामला बना रहा। +1969 से 1991 के बीच बेंकों का +जबरदस्त विस्तार हुआ। इनकी जमा और +कर्ज के बिजनेस में भी काफी बढ़ोतरी हुई। +प्राथमिकता बाले क्षेत्रों को कर्ज देने में 14 से +41 फीसदी के बीच बढ़ोतरी हुई। हालांकि, +1991 तक बैंकों की दक्षता और उत्पादकता +में गिरावट होने लगी। ग्राहकों की सेवा की +गुणवत्ता अच्छी नहीं थी और मुनाफा भी +कम होने लगी। 1991 में जब सरकार ने +अर्थव्यवस्था के उदारीकरण की शुरुआत +की तो उसने बेंकिंग क्षेत्र में कई तरह के +सुधार किए। एम नरसिम्हन की अध्यक्षता में +वित्तीय प्रणाली से जुड़ी कमेटी ने वैधानिक +तरलता अनुपात (एसएलआर) और नकद +आरक्षी अनुपात (सीआरआर) को घटाने की +सिफारिश की, ताकि बैंकों के संसाधनों को +मुक्त किया जा सके, ब्याज दरों को तय +करने के लिए बाजार की ताकतों पर निर्भरता +हो और प्राइवेट और विदेशी बैंकों का भारत +में प्रवेश आसान हो सके, जिससे इस सेक्टर +में प्रतिस्पर्धा बढ़े और सरकारी बैंकों की +संख्या घट सके। कमेटी की कई सिफारिशों +को लागू किया गया। इनमें एसएलआर और +सीआरओआर में कटौती, बाजार के हिसाब से +ब्याज दर तय किया जाना और नए प्राइवेट +और विदेशी बैंकों को खोला जाना शामिल +था। +नरसिम्हन की अगुवाई में बैंकिंग सेक्टर +में सुधार को लेकर बनी कमेटी ने बैंकिंग +सेक्टर को और मजबूत बनाने के लिए 1998 +में कई और उपायों की सिफारिश कीं। इसने + + + +लेखिका नीति आयोग में कार्यरत अर्थशास्त्री हैं। इन्होंने व्यापार, वित्त और प्राइबेट सेक्टर में भी काम किया है। इसके पहले वाशिंगटन विश्व बैंक में भी काम किया +Zl ईमेल: atisha.kumar@nic.in + +योजना, जनवरी 2018 9 + + + +0010.txt +<----------------------------------------------------------------------> +मौजूदा उपायों में हुई प्रगति की समीक्षा की +और बैंकों के विलय, पूंजी की पर्याप्तता +और नियम-कानून से जुड़े कई और उपायों +का प्रस्ताव किया। इसके अलावा, 1998 +में कमेटी ने बैंकों में तकनीक के ज्यादा +इस्तेमाल, कौशल प्रशिक्षण और प्रोफेशनल +मैनेजमेंट संबंधी कदमों का भी सुझाव दिया। + +ऐसे कई सुधारों को 1991 से लागू +किया गया, जिससे देश के बैंकिंग सेक्टर के +प्रदर्श और ताकत में सुधार हुआ। मिसाल के +तौर पर बैंकिंग सिस्टम के डधारी की सकल +घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में हिस्सेदारी 1990 +में 51.5 फीसदी थी, तो 2000 में बढ़कर +53.4 फीसदी हो गई। हालांकि, यह बाकी +देशों में यह जीडीपी अनुपात और उधारी के +अनुपात का मामला काफी ज्यादा था। साल +2000 में चीन में यह अनुपात 133 फीसदी, +मलेशिया में 143 फीसदी और थाईलैंड में +122 फीसदी था। + +साल 2000 में बैंकिंग सुधार से जुड़ी +कई कमेटियां बनाई गईं और इसके बाद और +सुधारों को आगे बढ़ाया गया। वित्तीय क्षेत्र +में सुधार पर बनी कमेटी में देश की मैक्रो +अर्थव्यवस्था और नियामकीय ढांचे, वित्तीय +समग्रता और घरेलू वित्तीय विकास को लेकर +भी सुझाव दिए गए थे। 2014 में पी जे +नायक की अगुवाई में बेंकों में बोर्ड के +कामकाज की समीक्षा के लिए कमेटी बनाई +गई। इसकी अहम सिफारिशें सार्वजनिक क्षेत्र +के बैंकों के कामकाज और प्रबंधन को बेहतर +बनाना था, जिनकी देश के बैंकिंग सेक्टर में +बड़े पैमाने पर मौजूदगी है। +सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का दबदबा + +आज भी देश के बैंकिंग सिस्टम में +सार्वजनिक क्षेत्र यानि सरकारी बेंकों की +हिस्सेदारी काफी ज्यादा है। बैंकों की कुल +संपत्तियों में इन बैंकों का हिस्सा 70 फीसदी +है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का प्रदर्शन पूरे +बैंकिंग सिस्टम के प्रदर्शन की नुमाइंदगी करता +है। बैंकों की गैर-निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) +में इनका सबसे बड़ा योगदान है। मार्च 2016 +के मुताबिक, एनपीए में सरकारी बैंकों की +हिस्सेदारी 88 फीसदी थी। वक्‍त बीतने के +साथ हालात और खराब हुए हैं। दूसरे शब्दों में +कहें तो सरकारी बैंकों का एनपीए मार्च 2015 +में 278 लाख करोड़ था, जो जून 2017 में +बढ़कर 7.33 लाख हो गया। + +10 + +तालिका 1: बैंकों के कुल कर्ज में जोखिम +वाले कर्ज का हिस्सा ( प्रतिशत में ) + +मार्च 2008 | मार्च 2017 +3.5 15.6 +4.2 4.6 +3.0 4.5 + +3.5 12.1 +स्त्रोतः भारतीय रिजर्व बैंक + +सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में जोखिम- +पूर्ण संपत्तियों (स्ट्रेस्ड एसेट्स) का हिस्सा +16 फीसदी से ज्यादा है। यह प्राइवेट बैंकों +के इसी आंकड़े के मुकाबले तीन गुना ज्यादा +है। एनपीए में बढ़ोतरी से सार्वजनिक क्षेत्र के +बैंकों की सेहत पर भी बुरा असर पड़ा है और +इसका असर रिटर्न ऑन एसेट्स (आरओए) +और रिटर्न ऑन इक्विटी (आरओई) रेशियों +में भी नजर आता है। ये रेशियो 2016 में +नकारात्मक दायरे में चले गए। पिछले एक +दशक में ऐसा पहली बार हुआ है। + +हालांकि, प्राइवेट बैंक भी एनपीए की +बढ़ती हिस्सेदारी से परेशान हैं। मार्च 2016 +के मुताबिक सभी व्यावसायिक बैंकों का +एनपीए 6.1 लाख करोड़ रुपये था। इसके +अलावा, बैंकों की संपत्तियों की गुणवत्ता और +मुनाफे में भी गिरावट हो रही है। मार्च 2008 +और मार्च 2017 के दौरान बेंकों का स्ट्रेस्ड +कर्ज कुल कर्ज के 3.5 फीसदी से बढ़कर +12.1 फीसदी हो गया। वित्त वर्ष 2016-17 +की पहली छमाही में बैंकों का टैक्स के बाद +मुनाफे में साल दर साल आधार पर गिरावट +आई। बैंकों के मुनाफे में गिरावट की मुख्य +वजह जोखिम से जुडे प्रावधानों में बढ़ोतरी, +कर्ज का राइट ऑफ और नेट इंटरेस्ट इनकम +में गिरावट है। + +बैंकिंग सेक्टर में इस तरह की दिक्कतों +के कारण औद्योगिक क्षेत्र से जुड़े कर्ज के +वितरण में सुस्ती आ गई है। इससे बैंकों +की अंतरराष्ट्रीय पूंजी जरूरतों की क्षमता भी +सीमित हुई है। जनवरी 2017 में औद्योगिक +क्षेत्र की कर्ज ग्रोथ में 511 फीसदी की +गिरावट हुई थी, जबकि जनवरी 2016 में +इसमें 5.6 फीसदी की बढोतरी हुई थी। +एनपीए ज्यादा रहने से बैंकों को बाजल-3 +के तहत बड़ी पूंजी की जरूरतें पूरी करने में +भी दिक्कत होगी। ये शर्ते जनवरी 2019 से +अमल में आएंगी। + + + + + +सरकारी बेंक +प्राइवेट बैंक + +विदेशी बेंक + +सभी बैंक + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +सरकार ने इस चुनौती से निपटने के +लिए बैंकों को फंड दिया है। वित्त वर्ष +2015-16 में इंद्रधनुष प्लान के तहत बैंकों +के पुनर्पूजीकरण के जरिये एनपीए में भारी +बढ़ोतरी और अर्थव्यवस्था पर इसके खराब +असर को स्वीकार किया गया था। इसके +बुरे नतीजों में बैंकों की कर्ज ग्रोथ में और +गिरावट, बैंकों के मुनाफे और पूंजी पर्याप्तता +अनुपात में गिरावट शामिल हैं। इससे निपटने +के लिए वित्त मंत्रालय ने बैंकों को फिर से +पूंजी मुहैया कराने के लए 24 अक्टूबर को +2.1 लाख करोड के प्लान का ऐलान किया। +ये फंड न सिर्फ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों +को पूंजी की न्यूनतम जरूरतों को पूरा करने +में मदद करेंगे, बल्कि बैंकों को अपनी बैलेंस +शीट को साफ करने और बैड कर्ज को कवर +करने में भी मदद मिलेगी। + +इंद्रधनुष योजना में पुनर्पुजीकरण के +अलावा बैंकिंग सुधार को और व्यापक बनाने +की बात है। इसके 7 विंदुओं में जवाबदेही +के लिए ढांचा तैया करना, सार्वजनिक क्षेत्र +के बैंकों में सीईओो और चेयरमैन के रोल को +अलग करना, भर्तियों और गवर्नेंस में सुधार +के लिए बैंक बोर्ड ब्यूरो (बीबी) बनाना +आदि शामिल हैं। हालांकि, इसके अमल पर +पूरी तरह से काम नहीं हो पाया है। साथ ही, +इंसॉल्वेंसी और बैंकरप्सी कोड (आईबीसी) +भी एनपीए की चुनौती से निपटने के लए +चैनल मुहैया कराता है। इसमें बैंकों और +प्रमोटरों को 270 दिनों के भीतर निपटारा +प्लान पर सहमत होने या संपत्तियों की बिक्री +जैसी कार्रवाई की बात है। +वैश्विक संदर्भ: गहराई और प्रतिस्पर्धा + +भारत के बैंक, बाकी वित्तीय संस्थान +और बाजार आकार या वित्तीय ताकत के +मामले में अपने वैश्विक समकक्षों से पीछे +हैं। वित्तीय मजबूती न सिर्फ बैंकिंग सिस्टम +के आकार को बढ़ाने में अहम है, बल्कि +यह आर्थिक वृद्धि और गरीबी कम करने से +भी जुडी है। भारत में सरकारी आंकड़ों के +हवाले से की गई एक स्टडी के मुताबिक, +ग्रामीण इलाकों में गरीबी कम करने में +बैंकों की वित्तीय मजबूती का योगदान +रहा है। भारत में बाकी विकासशील देशों +के मुकाबले प्राइवेट क्रेडिट-जीडीपी और +लोन-डिपॉजिट अनुपात कम है। 2015 में +भारत का प्राइवेट क्रेडिट-जीडीपी अनुपात + +योजना, जनवरी 2018 + + + +0011.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +भारत + +आरेख 1: जीडीपी में बैंकों के डिपॉजिट का हिस्सा ( प्रतिशत ), 2015 + +जापान पक» 1 6८ ९८ +Fe 153 +FT a 116% +ब्रिटेन ee 135% +i a 104° +eo 3) LT 78° +69% + +CU BE 61" + + + +0% 20% 40% 60% + +80% 100% 120% 140% 160% + +180% + + + + + +स्त्रोत: इंटरनेशनल फाइनेंशियल स्टैटिस्टिक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएयएफ?) + + + + + +50.2 फीसदी थी, जबकि चीन और ब्राजील +का यह आंकडा क्रमशः 140 फीसदी और +71 फीसदी रहा। + +पर भी साथ-साथ काम करने की जरूरत हे। +वैश्विक स्तर पर अनुभव बताते हैं कि एनपीए +की समस्या से निपटने के लिए बैंकिंग सेक्टर + + + +बैंकिंग सिस्टम में बडे बैंकों का दबदबा +होता है और इसमें कुछ नए खिलाड़ी भी +हैं। मार्च 2016 के मुताबिक, टॉप 10 बेंकों +(संपत्तियों के हिसाब से रैंकिंग) का सिस्टम +की कुल संपत्तियों में 58 फीसदी हिस्सा था। +1991 के बाद पूर्णकालिक बैंकिंग के लिए +सिर्फ 14 लाइसेंस दिए गए हैं। इसके उलट +अमेरिका में 1976 से 2009 के बीच सालाना +130 नए बैंक वजूद में आए। भारत में विदेशी +बैंकों की संख्या काफी कम है। मार्च 2016 +के मुताबिक, देश की कुल बेंकिंग संपत्तियों +में विदेशी बैंकों की हिस्सेदारी 6 फीसदी थी। +भविष्य की बात + +देश को आने वाले वक्‍त में मजबूत और +पर्याप्त पूंजी से लैस बैंकिंग सिस्टम बनाना + +में सुधार वाले कदम काफी कारगर रहे हें। +मिसाल के तौर पर चीन में पुनर्पूुजीकरण के +अलावा बैंकिंग सेक्टर में सुधार पर काफी +फोकस किया गया। इसके तहत वित्तीय +नियमन और निगरानी को मजबूत किया गया, +कॉरपोरेट गवर्नेंस को बेहतर बनाया गया और +पारदर्शिता बढ़ाई गई। + +इसी तरह, दक्षिण कोरिया ने 1990 के +दशक के आखिर में पूर्वी एशियाई देशों में +आए, वित्तीय संकट के बाद फाइनेंशियल +सुपरवाइजरी सर्विस (एफएसएस) का गठन +किया, ताकि उनके बैंकों की बेहतर तरीके +से देखरेख हो सके। कुछ हद तक सरकार +पहले ही बैंकों के कामकाज को बेहतर +बनाने की जरूरत को स्वीकार कर चुकी है। + + + +चाहिए। कर्ज मुहैया कराने और संसाधनों के +बेहतर आवंटन के लिए इसकी क्षमता भी +बढ़नी चाहिए। बैंकिंग सिस्टम को मजबूत +बनाने के लिए पुनर्पुजीकरण के अलावा कई +अन्य उपाय भी करने होंगे। मसलन कॉरपोरेट +Tada में सुधार, बिजनेस से जुड़ी बाधाओं +को कम करना, वित्तीय देखरेख के काम में +सुधार, बेहतर कॉरपोरेट डेट मार्केट विकसित +करना और कर्ज की रिकवरी का असरदार +सिस्टम। + +बैंकिंग सेक्टर में तीन खास क्षेत्रों को +प्राथमिकता दी जा सकती है। पहला बेंकों +खासतौर पर सरकारी इकाइयों के कामकाज +में सुधार और इन्हें मजबूत बनाना। ये सुधार +पुनर्पूजीकरण की तरह भी अहम हैं और इन + +योजना, जनवरी 2018 + +इंद्रधनुष योजना ने बैंक अधिकारियों से जुड़े +रोजगार पर नजर रखने के लिए स्वतंत्र बेंक +बोर्ड ब्यूरो बनाने का सुझाव दिया था। अगर +वाकई में स्वतंत्र ब्यूगो का गठन किया जाता +है, तो इसका सरकारी बैंकों के कामकाज पर +गहरा असर होगा। ज्यादा जवाबदेही बैंकों की +कर्ज देने के सिस्टम में बेहतरी सुनिश्चित कर +सकती है। हमें यह पक्का करने की जरूरत +है कि इस पर अमल समयबद्ध तरीके से हो। + +सुधार का दूसरा क्षेत्र कॉरपोरेट बॉन्ड +मार्केट विकसित करना हे। बॉन्ड मार्केट को +वित्त के अहम साधन के तौर पर बेंकों के +पूरक बनने की जरूरत है। लिक्विड और डीप +बॉन्ड मार्केट फर्मों को सस्ते में कर्ज जुटाने +में मदद करेंगे। आदर्श स्थिति के तहत आने + +वाले समय में कॉरपोरेट कर्ज के साधन के +तौर पर बॉन्ड मार्केट की हिस्सेदारी बढ़ेगी +और उचधारी में बैंकों की हिस्सेदारी घटेगी। +बैंकिंग सेक्टर में सुधार का तीसरा क्षेत्र +बैंकिंग क्षेत्र को लगातार प्रतिस्पर्धी बनाए +रखना है। इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा तेज करने +और नवाचार के लिए भारत को प्राइवेट +और विदेशी खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करना +चाहिए। बैंकों के लिए 'ऑन-टैप' (हमेशा +या कभी भी) लाइसेंस की नई पॉलिसी +इस दिशा में सकारात्मक कदम है। हालांकि, +बैंकिंग सेक्टर में प्रवेश से जुड़ी बाधाओं को +कम करने के लिए शर्तों में और ढील दी +जा सकती है। सब्सिडियरी ढांचे की वकालत +करना a fan facet dat at anda +बैंकिंग सेक्टर में घुसने के लिए प्रोत्साहित +करेगा, बल्कि इससे वेश्विक झटकों का +खतरा भी सीमित करने में मदद मिलेगी। लंबे +वक्‍त में प्रतिस्पर्धा बढ़ने से बेंकिंग सेक्टर की +क्षमता और मुनाफे में बेहतरी आएगी। +देश में बैंकिंग सेक्टर में सुधार में +ऐतिहासिक तौर पर (खासतौर पर 1990 के +दशक से) प्रतिस्पर्धा बढ़ाने, गवर्नेंस और +नियमन को मजबूत करने पर ध्यान रहा है। +भविष्य में होने वाले सुधार के जरिये इन क्षेत्रों +में और बेहतरी आनी चाहिए और पिछली +गलतियों से भी सीखने की जरूरत हे। ए +संदर्भ +*« 1998, बैंकिंग सेक्टर में सुधार पर कमेटी की +रिपोर्ट। भारत सरकार। +* 2009 'ए हंडेड स्मॉल स्टेप्स: कमेटी रिपोर्ट ऑन +'फाइनेंशियल सेक्टर रिफॉर्म', सेज पब्लिकेशन, + +http%//planningcommission.nic.in/reports/ +genrep/rep_fr/cfsr_all.pdf + +« “फाइनेंस, फाइनेंशियल सेक्टर पॉलिसी और लॉन्ग +रन ग्रोथ॥ एम स्पेन्स ग्रोथ कमीशन बैकग्राउंड पेपर +11, वर्ल्ड बैंक , वॉशिंगटन डीसी। + +*« apart, Fen, da, थॉर्स्टन और हुसैनी +मोहम्मद, फाइनेंस एंड पोवर्टी: एविडेंस फ्रॉम +इंडिया (जून 2013 ) , शीईपीआर डिस्कशन पेपर +नंबर... डीपी 9497। + +« इंडीकेटर बैंकों और बाकी वित्तीय संस्थानों के +प्राइवेट क्रेडिट और डिपॉजिट और जीडीपी से +जुड़ा अनुपात बताता है। + +© स्रोत : इंटरनेशनल फाइनेंशियल स्टैटिस्टिक्स, +अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) + +« 6 एड्स, रॉबर्ट एम और जेकब ग्रैमलिच “वेयर +आर ऑल द न्यू saa? = Tea ate Bet +बर्डन इन न्यू बैंक फॉर्मेशन' रिव्यू ऑफ इंडस्ट्रियल +ऑर्गनाइजेशन 48.2 (2016) :181-2081 + + + +11 + + + +0012.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +प्रारभिक परीक्षा-20/8/ + +11:30 AM + + + + + + + +996, First Floor, Dr. Mukherjee Nagar (Near Gandhi Vihar Bandh). Delhi - 110009 + + + +10/14, Elgin Road, Civil Line, Allahabad + +Delhi|{;Head Office) + +ee ee + +GWALIOR + +213 Aziz Complex, New Khera Pati Colony +40. P):- 211001, Ph:- 09984474838 Phool Bagh Gwalior (MP), Ph. : 09753002277 + +JAIPUR +M-85, JE Phatak Under Pass + +ALLAHABAD + + + + + + + + + +nirman.ias + + + +Jaipur Ph. : 7580856503 +Website: www.ooirmanias.com E-mail: nirmaniasO?@ag mail. com ३ + + + +12 + +योजना, जनवरी 2018 + +YH-717/4/2017 + + + +0013.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +बैंकिंग क्षेत्र: कल, आज और कल + + + + + + + +भविष्य में प्रौद्योगिकी बैंकिंग +रूपरेखा को परिभाषित करेगी। +इसमें बिग डेटा, क्लाउड +कंप्यूटिंग, स्मार्ट फोन और ऐसे +अन्य नवाचार शामिल होंगे। +ग्राहकों का बैंकों के साथ संवाद +करने का तरीका पूर्णतः बदल +जाएगा। उदाहरण के लिए, +ग्राहकों के मोबाइल फोन पर +विभिन्न ऑफरों की पेशकश, +वैयक्तिक संपर्क के लिए होम +वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सिस्टम का +उपयोग, प्रभावी बिक्री के लिए +फेस डिटेक्शन प्रौद्योगिकी का +उपयोग ऐसे कुछ तरीके हैं जिनके +माध्यम से प्रौद्योगिकी भविष्य +में बैंकिंग की सहायता करेगी +और यह कहने की आवश्यकता +नहीं है कि मोबाइल बैंकिंग और +मोबाइल भुगतान व वाणिज्य +वास्तव में भविष्य की बैंकिंग है + +F + +विवेक कुमार +संकेत टंडन +शुभदा राव + + + +रष॑ 2018 में भारतीय अर्थव्यवस्था +व में व्यापक बदलाव होने की +संभावना है। पहली बार देश की + +प्रति व्यक्ति डॉलर आय 2000 पर पहुंचेगी। +यह वह सीमा रेखा है जो वेश्विक आर्थिक +इतिहास में आमतौर पर घरेलू उपभोग में कई +गुणा विस्तार से जुड़ी होती है। इसमें लोगों +की जरूरतों और विलासिता के साथ-साथ +वस्तुएं एवं सेवाएं खरीदने की क्षमता में भी +सुधार देखने को मिलता है। + +इस आर्थिक परिवर्तन में भारतीय बैंकिंग +प्रणाली को अग्रणी भूमिका निभानी होगी। +हम न केवल बेंकिंग सेवाओं में निरंतर वृद्धि +देखने जा रहे हें, बल्कि हम समाधान और +वितरण के बढ़ते परिष्करण को भी देखेंगे। +सुधारों पर बैंकिंग क्षेत्र की प्रतिक्रिया + +इस विषय पर चर्चा प्रारंभ करने से +पहले इसकी संक्षिप्त ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को +जानना भी अनिवार्य हो जाता है। 1969 व +1980 में बैंकों के राष्ट्रीकरण के पश्चात्‌, +बैंकिंग क्षेत्र ने 11991 की अवधि के बाद +दूरगामी सुधारों के अगले चरण को देखा था। +क्रेडिट प्रक्रियाओं और ब्याज दर संरचनाओं +का अविनियमन, पूर्व-छूटों में क्रमिक कटोती, +सीबीएस में प्रवेश और नये युग की निजी +क्षेत्र की बैंकिंग प्रणाली के लाइसेंसिंग ने +21वीं सदी के दशकों में बैंकिंग सेवाओं के +तीव्र विस्तार का मार्ग प्रशस्त किया और यह +आश्चर्यजनक नहीं है कि वित्त वर्ष 1997 में +बैंकों में जमा राशि का सकल घरेलू उत्पाद +में प्रतिशत 35.6 की तुलना में बढ़कर वित्त + + + + + + + +वर्ष 2007 में 60.8 प्रतिशत हो गया है। +जबकि ऋण की प्रतिशतता वित्त वर्ष 1997 +में सकल घरेलू उत्पाद के 19.6 प्रतिशत की +तुलना में वित्त वर्ष 2007 में बढ़कर दोगुने +से भी अधिक हो गयी हेै। वर्ष 2008 के +वेश्विक वित्तीय संकट के बाद से आर्थिक +और वित्तीय बाजार में अत्यधिक अस्थिरता +के बावजूद अगले 10 वर्षों में जीडीपी के +संबंध में जमाराशि और ऋण अनुपात क्रमशः +71.2 प्रतिशत और 51.9 प्रतिशत हो गया। +इस विस्तार (1990 में) के प्रारंभिक +चरण में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का वर्चस्व +था। हालांकि यह परिदृश्य धीरे-धीरे बदलना +शुरू हो गया क्‍योंकि अर्थव्यवस्था में ऋण +प्रसार की प्रक्रिया में निजी क्षेत्र के बैंकों की +भूमिका सहायक बेंकों से बदलकर मुख्य +उत्प्रेकक के रूप में हो गयी। यह इस तथ्य से +स्पष्ट है कि वित्त वर्ष 2007 में निजी क्षेत्र के +बैंकों का बकाया ऋण में 20 प्रतिशत हिस्सा +था, जो अब वित्त वर्ष 2017 के मुकाबले +29 प्रतिशत है। निजी क्षेत्र के बैंकों द्वारा जारी +किये गये वृद्धिशील ऋण के 75 प्रतिशत +के साथ वृद्धिशील ऋण में हिस्सेदारी भी +स्थिर है। यह तक दिया जा सकता है +कि उपरोक्त आंकडे सार्वजनिक क्षेत्र के +बैंकों पर परिसंपत्ति गुणवत्ता के मामले में +पक्षपातपूर्ण हैं जिनके कारण सार्वजनिक +क्षेत्र के बेंकों पर बिना वजह का भार +पड़ता है। हालांकि उन्होंने अर्थव्यवस्था में +अलग-अलग भूमिका निभायी हे, परन्तु वर्ष +2010 से निजी क्षेत्र के बैंकों की क्रेडिट + + + +विवेक कुमार वरिष्ठ अर्थशास्त्री और यस बैंक मुंबई के उपाध्यक्ष हैं। इन्हें अर्थशास्त्र के शोध क्षेत्र में भारतीय वित्त बाजार में विशेषज्ञता हासिल है। ईमेल: एांण्थ. + +kumar 1@yesbank.in + +संकेत टंडन यस बैंक मुंबई के वाणिज्य अर्थशास्त्र बैंकिंग प्रभाग soe 1 ct: sanket.tandon@yesbank.in +शुभदा राव यस बैंक की समूह अध्यक्ष मुख्य अर्थशास्त्री हैं और वाणिज्य और बैंकिंग व्यवस्था की विशेषज्ञ SY) Fer: shubhadarao@yesbank.in + +योजना, जनवरी 2018 + +13 + + + +0014.txt +<----------------------------------------------------------------------> +वृद्धि ने सार्वजनिक aa के बैंकों के मामले +में वृद्धि को निरंतर पीछे छोड़ दिया है। + +निजी क्षेत्र के बैंकों के विकास की तीकत्र +गति का मुख्य कारण यह है कि वे ग्राहकों +की उभरती जरूरतों को निरन्तर पूर्ण करने +में सफल हुए हैं। निजी क्षेत्र के बैंक बेहतर +ग्राहक अनुभव पर अपना ध्यान केंद्रित करने +में सक्षम हैं। यह इस तथ्य से स्पष्ट है कि +निजी क्षेत्र के बैंक जमाराशि में भी अपना +एक बडा हिस्सा बना लेने में सफल हो पाये +हैं। निजी क्षेत्र के बैंकों की जमा राशि का +प्रतिशत वित्त वर्ष 2007 में 20 प्रतिशत की +तुलना में वित्त वर्ष 2017 में बढ़कर 24 +प्रतिशत हो गया है। + +पिछले 10 वर्षों में निजी क्षेत्र के बेंकों +के लिए बाजार हिस्सेदारी में वृद्धि के लिए +योगदान देने वाले कारक मुख्य रूप से दो +प्रकार के हें: +विंटेज + +स्वाभाविक रूप से, सार्वजनिक क्षेत्र के +अधिकांश बैंकों ने औद्योगिक व बुनियादी +ढांचे के वित्तपोषण के साथ अपनी बेलेंस +शीट्स को व्यापारिक रूप से नीचे गिरावट +को निमंत्रण दिया था। इसके विपरीत नए +युग के ज्यादातर निजी क्षेत्र के बैंक किसी +भी परिसंपत्ति गुणवत्ता से वंचित थे क्योंकि +वे 2000 के दशक में अपने विस्तार के बाद +उदारीकरण के बाद के युग में पैदा हुए थे। +अपेक्षाकृत नये विंटेज ने निजी क्षेत्र के बेंकों +को नवीनतम प्रौद्योगिकी में गहन समाधानों +में निवेश करने और उनकी क्षमताओं को +बढ़ाने में मदद की जो ग्राहक अनुभव को +सुधारने के अलावा नये राजस्व मंचों के लिए +खोज करने में महत्वपूर्ण हैं। निजी बेंकों द्वारा +प्रौद्योगिकी को शुरुआती रूप में अपनाने का +एक उदाहरण बिक्री मशीनों (90०! ० sale) +के विस्तार में देखा जाता है। वर्ष 2012 में +क्रेडिट में केवल 18 प्रतिशत हिस्सेदारी होने +के बावजूद निजी क्षेत्र के बैंकों ने पीओएस +मशीनों को लगाकर अपनी पहुंच का विस्तार +करना शुरू कर दिया था, जहां 2012 में उनका +80 प्रतिशत हिस्सा था। जबकि सार्बजनिक क्षेत्र +के बैंकों ने तेजी की है। उल्लेखनीय है कि +इस विविधीकरण के साथ निजी क्षेत्र के बेंकों +की कुल आय में 20 प्रतिशत योगदान देता +है जबकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए +यह 14 प्रतिशत हे। + +14 + +उत्पादकता + +बैंकों के आमदनी अनुपात- सीआई- +(कर्मचारी व्यय, अन्य परिचालन व्यय) / +(शुद्ध ब्याज आय, अन्य आय) की लागत +का विश्लेषण करने पर हमें सार्वजनिक और +निजी क्षेत्र के बैंकों के बीच नितांत अंतर +देखने को मिलता है। निजी बैंकों के लिए +सीआई लगातार गिरती जा रही है, वित्त वर्ष +2016 में 47 प्रतिशत से घटकर वित्त वर्ष +2017 में 43 प्रतिशत रही। जबकि सार्वजनिक +क्षेत्र के बैंकों के लिए इसी समयावधि में यह +अनुपात 44 प्रतिशत से बढ़कर 49 प्रतिशत +हो गया है। कुल लागतों को नियंत्रित करना +एक प्रमुख प्रतिस्पर्धात्मक लाभ है क्‍योंकि +यह संपत्ति पर लाभ को बढ़ाता है जो फर्म +को दोनों मोर्चों पर प्रदर्शन करने में सक्षम +बनाता है। यह मौजूदा शेयरधारकों को पर्याप्त +लाभ प्रदान करता है और आगे के विस्तार + +निजी क्षेत्र के बैंकों के विकास की +ha गति का मुख्य कारण यह है कि वे +ग्राहकों की उभरती जरूरतों को निरंतर +पूर्ण करने में सफल हुए हैं। निजी क्षेत्र +के बैंक बेहतर ग्राहक अनुभव पर अपना +ध्यान केंद्रित करने में सक्षम हैं। यह इस +तथ्य से स्पष्ट है कि निजी क्षेत्र के बैंक +जमाराशि में भी अपना एक बड़ा हिस्सा +बना लेने में सफल हो पाए हैं। + +के लिए और अधिक पूंजी जुटाने का अवसर +प्रदान करता है। +त्वरित कार्य निष्पादन + +नये युग के अधिकतर निजी क्षेत्र के बैंक +सही प्रतिभा की भर्ती करने में उल्लेखनीय +रूप से लचीले हैं, जबकि यह भी सुनिश्चित +करना होगा कि मुआवजा और अवधारण +नीतियां आकर्षक हों। इसके अलावा निजी +क्षेत्र के बैंक भी दबाव व नुकसान की जल्दी +पहचान के संबंध में फैसले लेने में भी तेज +हैं। उसके बाद वे उसके समाधान/पुनर्प्राप्त +को सुनिश्चित करते हैं। इसने मानव संसाधन +चुनौती और परिसंपत्ति गुणवत्ता की चिंताओं +( आरबीआई द्वारा हाल ही में परिसंपत्ति गुणता +समीक्षा के बाद) दोनों में अब तक उनके +पक्ष में काम किया है जिनका सार्वजनिक +क्षेत्र के बैंकों पर अनुपातहीन रूप से बहुत +प्रभाव पड़ता है। + +सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक +हालांकि पिछले एक दशक के दौरान + +सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने निजी क्षेत्र में +अपने साथियों को पीछे छोड़ दिया है जबकि +हाल ही में सरकार द्वारा किये गये ढांचागत +सुधारों से निश्चित रूप से बेहतर प्रदर्शन करने +वाले बैंकों को उनकी स्थिति को समेकित +करने में मदद मिलेगी। + +* गवर्नेंस से संबंधित सुधार जैसे बैंक बोर्ड +ब्यूरो की स्थापना, सीएमडी के पद को +गैर-कार्यकारी अध्यक्ष और सीईओ में +विभाजित करना और सीईओ (5 साल) +के लिए लंबे कार्यकाल की सिफारिश +से दीर्घकाल में निषुणता में सुधार होने +की उम्मीद हे। + +* सीआरआईएलसी के निर्माण (बड़े +ऋणों से संबंधित सूचना का केन्द्रीय +भंडार) और आईबीसी (दिवाला और +दिवालियापन संहिता) के कार्यान्वयन +ने सूचना साझा करने और थमी हुईं +परिसंपत्तियों के समाधान हेतु संस्थागत +ढांचा प्रदान किया है। इससे वर्तमान में +बैंकों की बैलेंस शीटों में अटकी हुई +पूंजी के एक बडे हिस्से का उपयोग +किया जा सकेगा जिससे क्रेडिट विस्तार +के लिए उनकी भूख कम हो जाएगी। + +* सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए हाल +ही में घोषित 2.11 लाख करोड़ रुपये +मूल्य से बडे पेमाने पर पुनर्पूजीकरण +योजना संभावित रूप परिवर्तक हो +सकती है। हालांकि यह सही समय में +लिया गया निर्णय है और इससे यह +सुनिश्चित होगा कि सार्वजनिक क्षेत्र के +बैंक बेसल गा नियामक आवश्यकताओं +को पूरा करने में सक्षम होंगे, इसमें +बैंकों के लिए विकास पूंजी के लिए +स्थान भी शामिल है जो बेहतर आंकड़े +प्रदर्शित करने में सक्षम हैं। मेरी राय +में यह सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के +बीच प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहन देने का +एक प्रभावी तरीका है, जो अंततः समग्र +अर्थव्यवस्था को लाभ पहुंचाएगा। + +अगली पीढ़ी की बैंकिंग +वर्ष 2025 तक भारत दुनिया की चौथी + +सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की उम्मीद +के साथ निम्न 4 कारक बैंकिंग परिदृश्य को +निर्धारित करेंगे :- + + + +योजना, जनवरी 2018 + + + +0015.txt +<----------------------------------------------------------------------> +* विकास : इसमें सरकार का वित्तीय +समावेशन एजेंडा और अन्य प्रमुख क्षेत्रीय +और संरचनात्मक सुधार शामिल हैं। + +* अविनियमन : वित्तीय मध्यस्थता और +बचत प्रवृत्ति में नीतिगत सुधार। + +* जनसांख्यिकी: युवा और डिजिटल रूप +से सुसज्जित आबादी का प्रभुत्व। + +* विघटन: इसमें डिजिटलीकरण और +बैंकिंग तथा दूरसंचार का एकीकरण +शामिल है। +इन 4 कारकों के आधार पर निम्नलिखित + +सात रुझान भारत में अगली पीढी की बैंकिंग + +को परिभाषित करेंगे। + +प्रौद्योगिकी से बदलेंगे बैंक +भविष्य में प्रौद्योगिकी बैंकिंग रूपरेखा को + +परिभाषित करेगी। इसमें बिग डेटा, क्लाउड + +कंप्यूटिंग, स्मार्ट फोन और ऐसे अन्य नवाचार +शामिल होंगे। ग्राहकों का बैंकों के साथ +संवाद करने का तरीका पूर्णतः बदल जाएगा। +उदाहरण के लिए ग्राहकों के मोबाइल फोन +पर विभिन्न ऑफरों की पेशकश, वैयक्तिक +संपर्क के लिए होम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग +सिस्टम का उपयोग, प्रभावी बिक्री के लिए +फेस डिटेक्शन प्रौद्योगिकी का उपयोग ऐसे +कुछ तरीके हैं जिनके माध्यम से प्रौद्योगिकी +भविष्य में बेंकिंग की सहायता करेगी और +यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि +मोबाइल बैंकिंग और मोबाइल भुगतान व +वाणिज्य वास्तव में भविष्य की बेंकिंग है। +भारत में मोबाइल की बढ़ती पहुंच को देखते +हुए इस प्रौद्योगिकी में वित्तीय सेवाओं की +सुपुर्दुगी के लिए अपार क्षमता बनी हुई है। +भारत में लगभग 94.6 करोड से भी अधिक +मोबाइल उपयोगकर्ता हैं लेकिन उनमें से +केवल 5 करोड़ ही मोबाइल बैंकिंग का +उपयोग करते हैं। इस संबंध में जैम ट्रिनिटी + +(जनधन-आधार-मोबाइल) में बैंकिंग का + +रूप परिवर्तित करने की क्षमता है। +बैंकों को ऐसे नवाचारों पर ध्यान केंद्रित + +करना होगा जो प्रतिस्पर्धा को बढ़ाते हैं और +ग्राहकों के लिए बेहतर और सस्ती सेवाएं +मुहैया करा पाएं। बैंक भी अपने इंफ्रास्ट्रक्चर +को संयुक्त उद्यमों में मिलाकर पैमाना और +सर्वोत्तम प्रथाओं की खोज कर सकते हें। +इसके साथ-साथ, मौजूदा प्रौद्योगिकी सेवा +प्रदाताओं को ग्राहकों का प्रमाणीकरण, +धोखाधड़ी की जांच, भुगतान प्रसंस्करण, + +योजना, जनवरी 2018 + +अकाउंट इंफ्रास्ट्रक्चर, केवाईसी प्रसंस्करण +जैसी आउटसोर्सिग उपयोगिताएं भविष्य के +लिए महत्वपूर्ण कदम हो सकते हैं। +नकदरहित और शाखारहित बैंकिंग + +विमुद्रीकरण के बाद और नकद रहित +अर्थव्यवस्था पर सक्रिय नीतिगत जोर से, +इंटरनेट के अतिरिक्त प्रसार (दिसंबर 2015 +के अनुसार, 40 करोड़ उपयोगकर्ता) से +नकद-रहित बैंकिंग लेनदेन की प्रक्रिया में +क्रांतिकारी बदलाव कर देगी और मोबाइल +बैंक एक निजी बैंक शाखा (केवल एक ही +साल में वर्ष 2014 में स्मार्ट फोन का उपयोग +8 करोड़ तक पहुंच कर दुगुना हो गया है) +का रूप लेते जा रहे हैं। मॉर्गन स्टेनली के +अनुसार भारतीय इंटरनेट बाजार वर्ष 2013 में +11 अरब डॉलर की तुलना में बढ़कर वर्ष +2020 तक 137 अरब डॉलर हो सकता है +और यह एक निर्विवाद अवसर के रूप में +उभर सकता है। + +विश्वभर में बेंकिंग उद्योग जल्द ही +अपने पारंपरिक समय 9 से 5 बजे के स्थान +पर चौबीसों घंटे की सेवाएं शुरू कर सकता +है। शाखारहित बैंकिंग राजस्व सृजन और +लागत प्रबंधन में पैमाने की मितव्ययिता को +प्राप्त करने में मदद कर सकती है। विकसित +देशों में शाखारहित बैंकिंग की बढ़ती प्रवृत्ति +के कारण बैंकिंग की पारंपरिक शाखाएं +बंद होने की ओर अग्रसर हैं। (बेंक ऑफ +अमेरिका ने पिछले 5 वर्षों में 1000 से ज्यादा +शाखाएं बंद कर दी हैं) शाखारहित बैंकिंग +मॉडल को अधिक व्यवहारिक बनाने के लिए +ग्राहक पहुंच लागत को 40 प्रतिशत तक कम +करने के लिए आधार जैसे राष्ट्रीय प्लेटफार्मों +बैंकिंग बिजनेस मॉडल के साथ जोड़ा जा +सकता है। +एटीएम उपयोग में नवाचार + +विश्व बैंक के अनुमान के अनुसार, +भारत में भारतीय बैंकों के प्रति लेन-देन के +संचालन के लिए लागत 48 रुपये प्रति शाखा, +फोन बैंकिंग के लिए 25 रुपये, एटीएम के +लिए 18 रुपये, आईवीआर के लिए 8 रुपये +और ऑनलाइन के लिए 4 रुपये है। भारत +में एटीएम की बहुत कम उपलब्धता है - +भारत में प्रति 10 लाख लोगों के लिए 11 +एटीएम है जबकि चीन और मलेशिया यह +संख्या क्रमशः 37 और 52 है। इस संबंध +में सौर एटीएम लगभग 50 प्रतिशत तक की + +लागत को कम कर सकते हैं और बिजली +विहीन ग्रामीण क्षेत्रों की जरूरतों को भी पूरा +कर सकते हैं। +बुनियादी ढांचा वित्तपोषण: नींव का +निर्माण + +वैश्विक बुनियादी ढांचे के बाजार में +भारत का 5 प्रतिशत हिस्सा है, जिसमें 2025 +तक 9 से 10 प्रतिशत बढ़ोतरी होने की +उम्मीद है। भविष्य के विकास के मॉडल +दीर्घकालिक वित्तपोषण के लिए 5:25 +संरचना और पीपीपी मॉडल की तर्ज पर +विकसित होंगे। इसके अतिरिक्त, इंफ्रास्ट्रक्चर +ऋण फंड, हरित बैंकिंग और वायबिलिटी +गैप फंडिंग के रूप में नयी व्यवस्थाएं होंगी। +एमएसएमई के लिए नये मॉडल + +देश के जीडीपी में एमएसएमई क्षेत्र का +योगदान 8 प्रतिशत है। सिडबी ने अनुमान +लगाया है कि एमएसएमई क्षेत्र की कुल +ऋण वित्त मांग 650 अरब अमेरिकी डॉलर +है। कलस्टर आधारित वित्तपोषण, प्रौद्योगिकी +उन्नयन के लिए पूर्जीगत रियायत नीति, मुद्रा +बैंक, क्रेडिट गारंटी योजनाएं, FG HT +और स्टार्ट अप सुविधाएं जैसे नयी व्यवस्थाएं +आगामी वर्षों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। +प्रतियोगिता और समेकन + +नये युग के विशेषीकृत बैंकों के प्रवेश +से भारत में बैंकिंग परिदृश्य का रूप-परिवर्तन +हो जाएगा। नवाचार, प्रतिस्पर्धा करने और +व्यवसाय में बने रहने जैसे उपाय सहक्रियाशील +समेकन का मार्ग प्रशस्त करेंगे। निम्नलिखित +कुछ नवीन विचार हैं जो अगले 15-20 वर्षों +में वास्तविकता बन सकते हैं: +* खाता सख्या पोर्टेबिलिटी (मोबाइल नंबर + +पोर्टेबिलिटी की तर्ज पर)। +* बिग डेटा विश्लेषिकी का कुशल लाभ। +* खुदरा कर्ज का प्रतिभूतिकरण। +निष्कर्ष + +निजी तथा सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों के +उन्हीं बैंकों को बैंकिंग सुधारों का लाभ मिल +सकेगा जो इन बदलावों का प्रभावी रूप +से लाभ उठाने योग्य होंगे। इन पूर्वानुमानित +बदलावों को संपूर्ण रूप से अपना कर न +सिर्फ भारतीय बैंकों को वैश्विक श्रेणी का +बनाया जा सकता है बल्कि उनके द्वारा अगले +पांच वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था को विश्व +में शीर्ष चार अर्थव्यवस्थाओं में भी स्थान +मिल सकता हेै। छा + +15 + + + +0016.txt +<----------------------------------------------------------------------> +te + + + + + + + + +it hed भविष्य के 1॥$, 17$ तथा 11१5 अधिकारियों की मार्गदर्शिका + +Education UPSC fadact aar परीक्षा +की तैयारी को लिए आपको सथक्तिकरण हेतु उपयोगी पुस्तकों + + + + + +गविशिप्ट +समसामयिक + +निबंध + + + +& afte tea + + + +at ~ + +पु ce हा he ' ; obi tin +1580: 9789352607679 ISBN: 9789387067721 TST ESEEy ICU NCEE + + + + + + + + + +ara ui + + + +आंतरिक सुरक्षा +मुख्य चुनी तियां +a ar ael* + + + +ISBN: 9789352606993 ISBN: 9789352606160 + +सामान्य अध्ययन ( प्रश्नपत्र [| ओर 1 2018) + +के नि:शुल्क प्रश्नपत्र प्राप्त करने के लिए पंजीकृत करें + +www.mheducation.co.in/upscsamplepapers + +“goljou Jold jnoyym eBueyo 0} polqns ose seo + + + +Fei fect एजुकेशन (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड + +1016 8 2 है 110: थे 601 1 1 1७ 21101 0 0 801 161 ४ 0 मम aE 8111 2 + +Rieke 160 7 A eee ial 111 1 | . /MHEducationIN in /Company/McGraw-HillEducation-India >» = /McGrawHillEducationIndia + + + +16 योजना, जनवरी 2018 + +फत-731/4/2017 + + + +0017.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +डूबते कर्ज के निपटान की चुनौतियां + + + +वर्तमान सरकार ने एक +दिसंबर, 2016 को एक सही +कदम उठाते हुए दिवालियापन +के लिए एक कानून लागू +किया, जो आमूलचूल +परिवर्तन करने वाला +( गेमचेंजर ) है। सरकारी कर्ज +चुकाये बिना भागने वालों +का रास्ता रोकने और कर्ज +agent के लिए एक कठोर +कानून बनाने के लिए दो बार +अध्यादेश लायी। एनपीए जैसे +दानव को नष्ट करने के लिए +अब इन्सोल्वेंसी एवं बैंकरप्सी +कोड जैसे ब्रह्मास्त्र का +उपयोग किया जाएगा। इसकी +प्रभावकारिता का उच्चित और +न्यायसंगत समाधान खोजने के +लिए इस कानून का इस्तेमाल +करने वालों की इच्छाशक्ति +और ईमानदार इरादे पर +निर्भर करेगा + +दीपक नारंग + + + +a क वित्तीय मध्यस्थता विकास +a का इंजन है क्‍योंकि वह जिन +लोगों के पास बचत है उनसे +पैसे जमा करवाकर उसे निवेश गतिविधियों +के लिए उधार देकर अर्थव्यवस्था में पैसे के +परिचालन करते हैं। इससे अर्थव्यवस्था पर +व्यापक प्रभाव पड़ता है। उधार से उत्पादक +संसाधनों की मांग का निर्माण होता है और +वस्तु एवं सेवाओं की आपूर्ति करने वाले +लोगों की आय में बढ़ोतरी होती है। एक का +खर्च दूसरे की आय है। यह उच्च सकल +घरेलू उत्पाद (जीडीपी) और तेज उत्पादक +वृद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है। +उधार देने में संकुचन से विपरीत प्रभाव +पड़ता है और विकास लडखड़ा जाता है। कर्ज +देने के मामले में मंदी का एक प्रमुख कारण +बैंकों के बेलेंस शीट (तुलन पत्र) में गैर +निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) की तेजी +से वृद्धि है। एससीबी (अनुसूचित वाणिज्यिक +बैंकों) के बकाया कर्ज के बाजार शेयर +का लगभग 72 फीसदी हिस्सा सार्वजनिक +क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) का है। ट्विन +बैलेंस शीट की समस्या यानि अति प्रवाह +और संकटग्रस्त कंपनियां मिलकर पीएसबी +के एनपीए को बढ़ाती हैं जिससे अर्थव्यवस्था +में निवेश बाधित होता है। +भारतीय बैंकों का सकल एनपीए (यानि +बुरे कर्ज) तीस सितंबर, 2017 तक 8.40 +लाख करोड़ रुपये हो गया। जो दिखाता है कि +30 जून, 2017 के 8.29 लाख करोड़ रुपये +के मुकाबले इसमें 1.31 फीसदी की वृद्धि +हुई है। सितंबर 2015 से एनपीए में तेजी से +उछाल का कारण कथित रूप से वर्ष 2008 +से पूर्ववर्ती वर्षों के दौरान बैंकों के क्रेडिट + + + + + + + +ग्रोथ में तेजी है। वर्ष 2008 से 2014 के +दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का सकल +उधार 18 लाख करोड़ रुपये से 54 लाख +करोड़ रुपये तक पहुंच गया और सितंबर, +2017 तक यह आंकड़ा 55.01 लाख करोड +रुपये था। हैरानी की बात नहीं कि बुरे कर्ज +के इस ढेर में सरकारी स्वामित्व वाले बैंकों +की फंसी परिसंपत्तियों का हिस्सा लगभग +90 फीसदी है। वित्तीय वर्ष 2017-18 की +पहली तिमाही के मुकाबले दूसरी तिमाही में +सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का खराब कर्ज +लगभग 7.33 करोड रुपये ज्यादा था जबकि +17 निजी क्षेत्र के बैंकों का बुरा कर्ज 10.5 +'फीसदी बढ़कर 1.06 लाख करोड पहुंच गया। + +अनुसूचित व्यावसायिक बैंकों (एससीबी) +के अग्रिम में पांच करोड़ रुपये और उससे +अधिक की सीमा वाले बडे उधारकर्ताओं +का हिस्सा 56 फीसदी है, लेकिन उनके +एनपीए का हिस्सा 86.5 फीसदी है। एनपीए +में अधिकतम गिरावट उन खातों में (संख्या +और राशि, दोनों में) आयी है जिनकी बकाया +राशि 20 करोड़ रुपये से 50 करोड़ रुपये के +बीच है और उसके बाद उन खातों में जिनकी +बकाया राशि 50 करोड़ रुपये से 100 करोड +रुपये के बीच है। + +शीर्ष 100 बडे उधारकर्ता (बकाया +अग्रिम वाले) सकल अग्रिम का लगभग 15.2 +फीसदी हैं लेकिन 100 शीर्ष गैर-निष्पादित +खाते में उनका हिस्सा एससीबी के सकल +एनपीए का 25.6 फीसदी हे। + +एससीबी के मार्च 2017 तक उद्योगों का +स्ट्रेस्ड एडवांस रेशो लगभग 23 फीसदी था +जबकि कृषि, सेवा, और खुदरा क्षेत्र के लिए +यह अनुपात क्रमशः 6.3 फीसदी, 7 फीसदी + + + +लेखक पुणे स्थित एनआईएमबी में विजिटिंग प्रोफेसर हैं। इससे पूर्व वे यूनाइटेड बैंक में कार्यकारी निदेशक के पद से सेवानिवृत्त हो चुके हैं। बैंकिंग क्षेत्र में 37 वर्षों + +योजना, जनवरी 2018 + +का अनुभव रखते ZI ईमेल: d.navang@nibmindia.org + +17 + + + +0018.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +जीएनपीए क्रेडिट + + + + + +वर्ष अनुपात ग्रोथ + +2001-02 11 23.6 +2002-03 9.5 14.4 +2003-04 7A 16.2 +2004-05 5.2 31 + +2005-06 3.5 31 + +2006-07 2.6 28.5 +2007-08 2.4 23.1 +2008-09 2.4 19.6 +2009-10 2.5 17.1 +2010-11 2.4 22.3 +2011-12 2.9 16.9 +2012-13 3.4 15.1 +2013-14 3.8 10.9 +2014-15 4.3 12.6 +2015-16 7.6 10.7 +2016-17 9.3 5.08 + + + +और 2.1 फीसदी था। इसमें एक समूह के +रूप में पीएसबी द्वारा उद्योगों स्ट्रेस्ड एडवांस +रेशो का एडवांस 28.8 फीसदी था जबकि +निजी बैंकों और विदेशी बैंकों का अनुपात +क्रमशः 9.3 फीसदी और 7.1 फीसदी था। +उनमें प्राथमिक रूप से बुनियादी धातु और +उनके उत्पाद, सीमेंट और उनके उत्पाद, +टेक्सटाइल, अवसंरचना (इन्फ्रास्ट्क्चर) आदि +इससे प्रभावित हें। + +इस स्थिति के कारण समझना वांछनीय +है, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:- + +« अपने पिछले कर्ज के इतिहास के +कारण अयोग्य उधारकर्ताओं को उधार देने से +बढ़ते बैलेंस शीट के आकार में अधिकता। + +* वैश्विक क्षमता व मांग-आपूर्ति की +स्थिति में तालमेल बिठाए बिना मांग की +प्रत्याशा में क्षमता विकसित करने के लिए +उधार लिया गया। + +« विभिन्न कारणों से परियोजनाओं को +पूरा करने में देरी हुई। + +* प्राप्तियों की वसूली बहुत खराब थी। + +« कारपोरेट इक्विटी जारी करके या अन्य +ऋण साधनों के जरिये पूंजी बाजार से पूंजी +जुटाने में सक्षम नहीं था और दोगुना फायदा +उठाने के लिए इक्बविटी के रूप में उधार लिए +गए धन का इस्तेमाल किया। बैंकों ने इक्विटी + + + +18 + +क्रेडिट ग्रोथ बनाम जीएनपीए ( प्रतिशत में ) + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +है Ss \ +LNT N\A +5 iv d Mw AQ ee FT OTT TT +eis Ne +आज 7 + +ES EPE ISIS ES ES ILS + + + + + + + +हा क्रेडिट ग्रोथ प्रतिशत हा सकल एनपीएप्रतिशत + + + + + +की प्रकृति के बारे में जानकारी नहीं ली। + +अति आशावादी अनुमानों की वजह से +व्यावसायिक विफलता। + +विस्तार व आधुनिकौकरण के लिए धन +का इस्तेमाल। जिन उद्देश्यों के लिए +धन उधार लिया गया, उसका इस्तेमाल +उनके लिए नहीं किया गया। +जान-बूझकर ऋण अदायगी में चूक, +कर्ज के धन का निजी उपयोग, +धोखाधड़ी, गलत विनियोग आदि। + +बैंकों के पास धन के अंतिम उपयोग +पर निगरानी रखने के लिए कौशल का +अभाव और फर्जी कंपनियों आदि के +जाल के जरिये उधारकर्ता द्वारा धन का +अन्य उद्देश्यों के लिए उपयोग। + +क्रेडिट मूल्यांकन में कमी और अनुचित +तत्परता। + +किसी भी नये ऋण को एनपीए में + +कोई भी व्यक्ति जो धोखाधड़ी + +का दोषी पाया जाता है उसे कम से +कम छह महीने की जेल की सजा हो +सकती है। इसे दस वर्षों तक बढ़ाया +जा सकता है। दंड की राशि धोखाधड़ी +में शामिल राशि से कम नहीं होती, +लेकिन उसे धोखाधड़ी में शामिल राशि +के तीन गुना तक बढ़ाया जा सकता है। +अगर धोखाधड़ी में जनहित का सवाल +भी जुड़ा होता है, तो जेल की सजा +तीन साल से कम नहीं होगी। + +बदलने में 3-4 वर्षों का समय लगता है। +विकास की तेज गति के दौरान जब नया +एनपीए उत्पन्न होता है तो वह विकास की +ओट में छिप जाता है। सकल एनपीए अनुपात +खतरनाक रूप में नहीं दिखता है, क्योंकि +विभाजक (अग्रिम) अंश (एनपीए) की +तुलना में ज्यादा तेजी से बढ़ता है। प्रभावशाली +निगरानी के जरिये बैंकों को उभरती हुई +परिस्थितियों के बारे में सतर्क रहना चाहिए +था। ऊपर बताये गये कारणों के लिए सुधार +के कदम उठाने के साथ-साथ जान-बूझकर +कर्ज न चुकाने वाले उधारकर्ताओं एवं अति +आशावादी परियोजनाओं हेतु कर्ज देने से +इन्कार कर देना चाहिए था। उन्हें भारतीय +रिजर्व बैंक के परिपत्रों में निगरानी व प्रारंभिक +चेतावनी संकेतों के प्रति पूरी गंभीरता दिखानी +चाहिए थी। नियमों का पालन नहीं करने +वाले उधारकर्ताओं का गैर-सहयोगी या +जान-बूझकर कर्ज न चुकाने वाले के रूप में +नाम घोषित करना चाहिए था। + +नीचे दिये गये विवरण के अनुसार कंपनी +नियम के प्रावधान बैंकरों को कार्रवाई शुरू +करने और ऐसे मामलों को गंभीर धोखाधड़ी +जांच कार्यालय (एसएफआईओ) को भेजने +के लिए अवसर प्रदान करते हैं। + +कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 447 +के अनुसार कंपनी से संबंधित धोखाधड़ी का +एक नया अपराध इसके तहत है- + +कोई भी कृत्य या चूक, किसी भी तथ्य +को छिपाना, किसी भी व्यक्ति द्वारा प्रतिबद्ध पद + +योजना, जनवरी 2018 + + + +0019.txt +<----------------------------------------------------------------------> +का धोखा देने के इरादे से दुरूपयोग, कंपनी के +हित को नुकसान पहुंचाना, इसके शेयरधारकों, +क्रेडिटधारकों के हितों को नुकसान पहुंचाना, +चाहे गलत तरीके से लाभ या हानि न हुआ +हो, इन सबकी जांच एसएफआईओ द्वारा की +जाएगी। + +जान-बूझकर कर्ज न चुकाने के मामले +जांच के लिए एसएफआईओ को भेजे +जा सकते हैं। इस तरह की चूक कंपनी +अधिनियम की धारा 447 के तहत गंभीर +धोखाधड़ी का है। जब तक बैंक गलत +इरादे और उधारकर्ताओं की तरफ से गलत +प्रतिनिधित्व को साबित नहीं करता, तब तक +उधारकर्ता के खिलाफ जान-बूझकर चूक के +लिए आपराधिक कार्यवाही शुरू करना कठिन +होता है। + +कोई भी व्यक्ति जो धोखाधड़ी का दोषी +पाया जाता है उसे कम से कम छह महीने +की जेल की सजा हो सकती है। इसे दस +वर्षों तक बढ़ाया जा सकता है। दंड की राशि +धोखाधड़ी में शामिल राशि से कम नहीं होती, +लेकिन उसे धोखाधड़ी में शामिल राशि के +तीन गुना तक बढ़ाया जा सकता है। + +अगर धोखाधड़ी में जनहित का सवाल +भी जुड़ा होता है, तो जेल की सजा तीन साल +से कम नहीं होगी। + +हमारे यहां ऐसे सक्षम कानून हैं जो +विशेष रूप से बेंकों के लिए उधारकर्ताओं +से बकाया कर्ज वसूलने के लिए बनाये +गये हैं जेसे आरडीडीबीएफआई अधिनियम, +एसएआरएफएईएसआई अधिनियम-02 और +हाल का इन्सोलवेंसी ऐंड बेंकरप्सी कोड, 2016। + +एसएआरएफएईएसआई (सरफेसी ) +अधिनियम बैंकरों को आरोपित संपत्ति पर +कब्जा करने और बिना अदालत के हस्तक्षेप +के उसकी नीलामी करने की अनुमति देता +है। निस्संदेह यह एक ताकतवर औजार है +और समुचित योजना और सही क्रियान्वयन +के जरिये संपति को बेचा जा सकता है। जैसा +कि अक्सर होता है बैंकरों को हराने के लिए +डिफाल्टर सभी साधनों का इस्तेमाल करते +हैं ताकि उन्हें संपत्ति की नीलामी न करने +दी जाए। प्राधिकृत अधिकारियों के खिलाफ +वे गलत आरोप लगाते हैं या उनके खिलाफ +अत्याचार के आपराधिक मामले दायर कर +देते हैं। हालांकि कुछ मामलों में बैंक का +प्रबंधन इस तरह से परेशान अधिकारियों के + +योजना, जनवरी 2018 + + + +21.1 +na + +(1.2%) + +कागज व संबंधित उत्पाद +रसायन व संबंधित उत्पाद + +(6.5%) + +खनन व +-2% + +a ee we +g EE BS +A © लत += Pw C +oe os + +व संबंधित उत्पाद + +रबड्‌, प्लास्टिक + +@ we 2015 B +r 2016 + + + +(1.4%) + +उद्योग के अंतर्गत विभिन्‍न उपक्षेत्रकों का अग्रिम अनुपात +(उनके संबद्ध उपक्षेत्रकों को अग्रिम प्रतिशत के रूप में) + + + +iz a संबंधित उत्पाद + +ob +45 + +ita +ig +[8.5 + +(5.5%) +(3.0%) + +निर्माण +(3.5%) + +(1.9%) + +मौलिक धातुएं व उनके उत्पाद + +(14.7%) + +रलाभूषण +(2.7%) + +अवसंरचना +(34.0%) + +अभियां + +वाहन, उनके पुर्जे व यातायात उपकरण + +@ fade 2016 हा मार्च 2017 + + + + + +बचाव में सक्रिय रूप से आगे आता है। ऐसी + +घटनाओं से कार्यबल का उत्साह भंग होता + +है और वसूली टॉस का विषय बन जाता +है। दीपक नारंग बनाम हरियाणा राज्य और +अन्य के एक निर्णित मामले में पंजाब एवं + +हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने 14 + +सितंबर, 2006 को न केवल इलाहाबाद बैंक + +के पीड़ित एजीएम (इन पंक्तियों के लेखक) +को बचाया, जो बैंक का प्राधिकृत पदाधिकारी +था, बल्कि एफआईआर स्वीकार करने वाले +मजिस्ट्रेट को फटकार लगायी और तथ्यों पर +आधारित मुकदमा चलाने का आदेश दिया। + +न्यायमूर्ति आरएस मदन ने यह बात +कही- + +* यह एक ऐसा मामला है जहां याचिकाकर्ता +न केवल आपराधिक प्रक्रिया संहिता की +धारा 197 के तहत संरक्षित है बल्कि +2002 के कानून की धारा 32 के तहत +भी संरक्षित है जिसे निम्न रूप में पुनः +प्रस्तुत किया जा सकता है। + +* सरकारी कर्मचारी के अभियोजन के +लिए उनके द्वारा कथित तौर पर किये + +वर्ष 2015-16 में बेंकों द्वारा +64 ,519 संपत्तियों को जब्त किया गया +या उन पर कब्जा किया गया, जबकि +जून 2017 का यह आंकड़ा 33,928 +है। यह बेहद जरूरी है कि सरकार +कानून में संशोधन करे, ताकि जिला +कलक्टर व जिला मजिस्ट्रेट के लिए +यह अनिवार्य हो। + +गये किसी भी अपराध, चाहे उसने +कार्यकारी या अपने आधिकारिक कर्तव्य +के निष्पादन के रूप में किया हो, के +लिए ऐसा आवश्यक है। आधिकारिक +कर्तव्य का अर्थ है कि सरकारी कर्मचारी +द्वारा अपनी सेवा के दौरान वह कार्य +या चूक की गयी हो और इस तरह +के कार्य या चूक उसके कर्तव्य के +हिस्से के रूप में किया गया हो, जिसे +आगे अपनी प्रकृति में भी आधिकारिक +होना चाहिए। आपराधिक प्रक्रिया संहिता +की थारा 19 उन्हीं कार्यों पर लागू +होगा, जिन्हें कर्तव्य निष्पादन के रूप में +अंजाम दिया गया हो। + +प्रतिभूतिकरण अधिनियम, 2002 की +धारा-32 - सद्भावना में की गयी +कार्रवाई का संरक्षण-किसी भी सुरक्षित +ऋणदाता या सुरक्षित ऋणदाता के +किसी भी अधिकारी या प्रबंधक के +किसी भी अधिकार का उपयोग करते +हुए या डधारकर्ता ने इस अधिनियम के +तहत कोई भी कार्य या चूक सद्भावना +के तहत किया हो तो उसके खिलाफ +कोई मुकदमा, अभियोजन या अन्य +कानूनी कार्यवाही नहीं होगी। + +बेशक, प्रतिवादी संख्या 2 के पास +याचिकाकर्ता पर मुकदमा चलाने का +कोई कारण नहीं था क्‍योंकि वह उस +(प्रासंगिक) समय पर घर में उपलब्ध +नहीं था। इसलिए वर्तमान शिकायत +बकायेदारों की ओर से एक बदले की +कार्रवाई है। वर्तमान शिकायत झूठी + +19 + + + +0020.txt +<----------------------------------------------------------------------> +शिकायतों के आधार पर उनके पुत्र + +द्वारा दायर की गयी है जो कभी साबित + +नहीं होगी। इसलिए वर्तमान शिकायत + +न्यायालय की प्रक्रिया का दुरूपयोग है, + +जिसकी कार्यवाही की अनुमति नहीं दी + +जा सकती है। + +बैंक अधिकारियों के पक्ष में इस +अधिनियम से संबंधित विभिन्न न्यायिक +घोषणाओं के बावजूद इस प्रक्रिया ने अपनी +चमक खो दी है और बैंक इतने ताकतवर +नहीं हैं कि इस अधिनियम के तहत वसूली +कर सके। + +इस अधिनियम के तहत वर्ष 2015-16 +में बैंकों द्वारा 64,519 संपत्तियों को जब्त +किया गया या उन पर कब्जा किया गया +जबकि जून 2017 का यह आंकड़ा 33 ,928 +है। यह बेहद जरूरी है कि सरकार कानून +में संशोधन करे ताकि जिला कलक्टर व +जिला मजिस्ट्रेट के लिए यह अनिवार्य हो कि +वे जब प्राधिकृत अधिकारी द्वारा इस कानून +के तहत आवेदन किया जाये तो संपत्ति का +भौतिक कब्जा बैंकों को सौंपें। + +उधारकर्ताओं के पास अन्य तरह के +उपाय भी होते हैं जिनसे वे बैंकों के प्रयासों +को विफल करने के लिए बाधाएं उत्पन्न +करते हैं। उधारकर्ता लंबे समय तक बेकों +के साथ खेल खेलते रहते हैं। क्योंकि एक +बैंकर एक ईमानदार उधारकर्ता की स्थिति को +समझ सकता है। इसका मूल्यांकन करते हुए +लुधियाना के एक उद्यमी संजय लोगवालिया +कहते हैं कि में वही सब वस्तुओं का +विनिर्माण करता हूं जो लुधियाना में अन्य +उद्यमी करते हैं। वे कानूनी दर पर ब्याज +का भुगतान करते हैं, समय पर किस्त या +अन्य कर आदि चुकाते हैं लेकिन बैंक ब्याज +में कमी के उनके अनुरोध पर विचार नहीं +करता है और उनके पिछले उत्कृष्ट आचरण +के लिए पुरस्कृत करती है, जो बहुत कम +क्रेडिट और डिफॉल्ट के जोखिम का संकेत +करता है। वे दुख व्यक्त करते हुए कहते हैं +कि बेइमान उडधारकर्ता धन को दूसरे कामों में +लगाने के बाद विभिन्न पुनर्रचना योजनाओं के +तरह ब्याज दर में छूट और किस्त चुकाने में +निषेध के जरिये अपने व्यवसाय को आसानी +से चलाने की व्यवस्था कर लेते हैं। जाहिर +तौर पर वह अपने उत्पादों के विपणन बनाम +बेइमान उधारकर्ता के रूप में हानि उठाते + +20 + +हैं। वे सवाल उठाते हैं कि क्‍या बेइमानी पर +भी कोई प्रीमियम होता है? क्‍या ईमानदार +उधारकर्ताओं को पीड़ा होनी चाहिए? यही +समय था जब प्रधानमंत्री के शब्द मेरे जेहन +में गूंजने लगे। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा +कि वे जान-बूझकर कर्ज न चुकाने वालों +को कानून का मजा चखाएंगे। वर्तमान +सरकार ने एक दिसंबर, 2016 को एक सही +कदम उठाते हुए दिवालियापन के लिए एक +कानून लागू किया जो आमूलचूल परिवर्तन +करने वाला (गेमचेंजर) है। सरकार कर्ज न +चुकाकर भागने वालों का रास्ता रोकने और +कर्ज वसूली के लिए एक कठोर कानून बनाने +के लिए दो बार अध्यादेश लायी। एनपीए जैसे +दानव को नष्ट करने के लिए अब इच्सोल्वेंसी +एवं बेंकरप्सी कोड जैसे ब्रह्मास्न का उपयोग +किया जाएगा। इसकी प्रभावकारिता उचित +और न्यायसंगत समाधान खोजने के लिए +इस कानून का इस्तेमाल करने वालों की +इच्छाशक्ति और ईमानदार इरादे पर निर्भर +करेगी। ऐसे में कानून के असली उद्देश्यों को +खत्म करने के किसी के बुरे उद्देश्यों को +समझना और उसे नष्ट करना बेहद जरूरी हे। +आईबीसी के तहत संकल्प निर्णय के जरिये +विवेक पर आधारित होना चाहिए। + +हालिया अध्यादेश जानबूझकर ऋण +न चुकाने वाले डधारकर्ताओं को कर्ज की +राशि दूसरी जगह खर्च करने के बाद अपनी +कंपनी वापस खरीदने से रोकता है या अपने +खातों को एनपीए बनाने वाले ऐसे प्रमोटरों +की अराजकता को चुनौती देता है। सरकार +ने जिस तत्परता से काम किया है, वह +उल्लेखनीय है और एनपीए की समस्या से +व्यवस्था को छुटकारा दिलाने का इरादा स्पष्ट +है साथ ही वह किसी को भी व्यवस्था से +खेलने की इजाजत नहीं देता है। यह कंपनी +अधिनियम, 2013 की धारा 447 के साथ +मिलकर जान-बूझकर ऋण न चुकाने वालों +को हतोत्साहित करता है। यही समय है कि +भारतीय रिजर्व बैंक की परिभाषा के अनुसार +जान-बूझकर ऋण न चुकाने को एक गंभीर +अपराध बनाया जाए, जैसा कि कुछ देशों +में है। + +ऐसे जान-बूझकर कर्ज न चुकाने वालों +की ताबूत में अंतिम कौल ठोकने के लिए +किया जाता है। ये उपाय उन लोगों के रवैये +पर अच्छा प्रभाव डालेंगे, जो बैंकों से धन + +उधार लेते हैं और मानते हैं कि उसे न +चुकाना उनका जन्मसिद्ध अधिकार है। गुमराह +उधारकर्ताओं का हिसाब-किताब करने का +समय आखिरकार आ ही गया है। + +आगे बढ़ने के लिए बैंकों को निधियों +के अंतिम उपयोग का पता लगाने के लिए +'फाोरेंसिक ऑडिट की जरूरत ei se +उधारकर्ताओं के उचित उद्यम का पता लगाने +के लिए बिग डाटा एनालिटिक्स और अन्य +सूचना प्रौद्योगिकी आधारित समाधानों का +उपयोग करना चाहिए, जैसा कि फिनटेक +कंपनियां करती हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस +(एआई) से कम से कम एक वर्ष पहले +अस्सी फीसदी विश्वास के साथ संभावित +डिफॉल्ट का पता लगाया जा सकता है। नवी +मुंबई की एक फिनटेक कंपनी डी2के ने ऐसा +एक सॉफ्टवेयर विकसित किया है, जिसका +परिणाम उल्लेखनीय है। बैंकों को अपनी +मानव संसाधन (एचआर) नीतियों को बेहतर +बनाकर युवा कार्यबल को प्रशिक्षित करना +होगा और उनके कौशल को उन्नयन करना +होगा, जिसकी फिलहाल कमी हे। + +सरकार को अपनी ओर से बेंकों के +बोर्ड में ऐसे पेशवरों की नियुक्ति करनी +होगी, जिन्हें डोमेन का ज्ञान हो और बैंकों +के कामकाज का पर्याप्त अनुभव हो। बैंकों +के बोर्ड में स्वच्छ ट्रैक रिकॉर्ड वाले एमडी +और ईडी जैसे सेवानिवृत्त कार्यकारी का चयन +जांच-पड़ताल के लायक है। शीघ्र वसूली +के लिए सरकार को कुछ और नेशनल +कंपनी लॉ ट्रिब्यूनलों (एनसीएलटीज) बनाना +अच्छा रहेगा और इस उद्देश्य को हासिल +करने के लिए अभी कर्ज वसूली ट्रिब्यूनल +(डीआरटीज) बहुत कम हैं। कामकाज के +भार का सामना करने के लिए जजों की +संख्या बढ़ायी जा सकती है। व्यक्तियों, उद्यम +स्वामियों और भागीदारी में चलने वाली +कंपनियों के दिवालियापन के मामले सामने +आने से इसकी कमी तीव्रता से महसूस की +जाएगी। दिवालियापन से संबंधित संहिता लागू +होने के बाद उधार लेने की संस्कृति और +बैकों द्वारा कर्ज देने की संस्कृति भविष्य में +ज्यादा सुरक्षित होंगे। ऐसे में निश्चित रूप +से बेंक राहत की सांस लेंगे। उल्लेखनीय +बदलाव के लिए सरकार प्रशंसा की पात्र है। +निश्चित रूप से उधारकर्ताओं की मानसिकता +में परिवर्तन आएगा। QO + +योजना, जनवरी 2018 + + + +0021.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + +रेटिंग एजेंसी के अनुसार +क्षेत्रों के संबंध में, विद्युत +क्षेत्र में सामान्य कटौती की +आवश्यकता होगी जबकि धातु +और निर्माण क्षेत्र में आक्रामक +कटौती अपेक्षित है। क्रिसिल +का कहना है कि अधिक +कटौती की आवश्यकता वाले +ज्यादातर ऋण अनिश्चित +व्यवसाय वाली कंपनियों से +संबंधित हैं इसलिए धन की +वसूली के लिए संपत्ति की +बिक्री आवश्यक है। सामान्य +या आक्रामक कटौती की +आवश्यकता वाली कंपनियों ने +ऋण द्वारा वित्तपोषित पूंजीगत +व्यय को अपनाया है। हालांकि, +मांग में कमी या परियोजनाओं +के विनियामक संबंधी मामलों +में उलझने के कारण समय +और लागत में बढ़ोतरी होने से, +इन्हें अलाभकारी रूप से ऋण +प्रदान किया गया था + + + +बैंक पुनर्पूजीकरण + +आशुतोष कुमार + +स वर्ष केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले +ड़ कुछ वर्षों से गैर- कार्यनिष्पादन +परिसम्पत्तियों (एनपीए) के +बोझ से दबे हुए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों +(पीएसबी) की स्थिति में सुधार करने के +लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया। पीएसबी के +तुलन पत्रों पर एनपीए का भार पड़ने से बेंकों +की ऋण देने की क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव +पड़ा है जिससे निजी निवेश और निजी क्षेत्र +के कुल पूंजी निर्माण में भी रुकावट आई है। +जून 2017 में पीएसबी में एनपीए 7.33 करोड़ +रुपये तक पहुंच गए जबकि मार्च 2015 में +यह 2.73 करोड़ थे। परिणामस्वरूप दो वर्ष से +भी कम समय में सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकिंग +प्रणाली में डूबे हुए ऋण तीन गुना हो गए हैं। +बैंकिंग व्यवस्था की चुनौतियों को दर्शाने वाले +एक अन्य आंकड़े के अनुसार हाल ही में घरेलू +बैंकों का एनपीए ऋण और अग्रिम के लगभग +10 प्रतिशत तक पहुंच चुका है। +केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 24 अक्टूबर को +2,11,000 करोड़ रुपये की व्यापक योजना +को अंतिम रूप दिया जो बाजार से ऋण प्राप्त +करने, बजटीय सहायता और सबसे महत्वपूर्ण- +बैंक पुनर्पुजीकरण ऋणपत्र जारी करने जैसे +विभिन्न साधनों सहित घरेलू बैंकिंग व्यवस्था +को पुनर्जीवित करेगी। इस योजना की +घोषणा करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली +ने कहा, “बैंकों से सुदृढ़ीकरण से अधिक +नौकरियों का सृजन होगा, विकास होगा और +अधिक निवेश होगा।” 2 11 ,000 करोड़ रुपये +की बैंक पुनर्पूजीकरण योजना का विवरण +इस प्रकार है: 18,000 करोड़ रुपये बजटीय +सहायता से, 58,000 करोड़ रुपये इक्विटी +जारी करके और 1.35 ,000 करोड़ रुपये बैंक +पुनर्पुजीकरण ऋणपत्र जारी करके। + +अब हम ऋण पत्रों को देखते हैं और +यह समझने की कोशिश करते हैं कि इससे +बैंकिंग प्रणली को किस तरह लाभ होगा। +अभी तक वित्तीय सेवा विभाग वित्त मंत्रालय +के आर्थिक कार्य विभाग के साथ मिलकर +ऋणपत्रों की रूपरेखा को अंतिम रूप दे रहा +है। कौन सा बैंक ऋणपत्रों के जरिए कितनी +पूंजी प्राप्त करने वाला है, इस संबंध में जल्द +ही घोषणा होने वाली है। ऋणपत्र जारी करने +के दौरान यह कहा गया था कि ऋणपत्र फ्रंट +लोडेड होंगे। इसका तात्पर्य यह है कि अगले +कुछ महीनों में बैंकिंग प्रणाली में 1,35,000 +करोड़ रुपये की बड़ी राशि डाली जाएगी। + +अब हम यह पता लगाते हैं कि +पुनर्पुजीकरण ऋणपत्र कैसे कार्य करेगा और +इससे व्यवस्था पर क्‍या प्रभाव पड़ने की +संभावना है। यह संभावना है कि सरकार +ऋणपत्र जारी करेगी और बैंक इन्हें सीधे +प्राप्त करेंगे। इस दौरान मुख्य राशि कहीं नहीं +जाएगी बल्कि खाते में प्रविष्टि होगी। पैसा +एक ही जगह रहने से यह सुनिश्चित होगा +कि सरकार राजकोष पर पड़ने वाले अतिरिक्त +भार से बच जाएगी। + +अब बस यह देखना बाकी हे कि +सरकार ऋण देने वालों को बाजार में ऋणपत्र +बेचने की अनुमति देती है अथवा नहीं। चूंकि +ऋणपत्र जारी करने की रूपरेखा अभी भी +वित्त मंत्रालय द्वारा बनाई जा रही है, इसलिए +इसे समझने के लिए इसके विस्तृत ब्योरे की +घोषणा की प्रतीक्षा करनी होगी। तथापि, यह +तर्क किया जा सकता है कि दोनों मामलों +में बैंकों को लाभ होगा क्‍योंकि उनका पूंजी +आधार बढ़ेगा। साथ ही, सरकार द्वारा बेंकों +को बाजार में ऋणपत्र बेचने की अनुमति देने +की स्थिति में, बैंकों को धन प्राप्त करने तथा + + + + + +लेखक वाणिज्य सलाहकार और विश्लेषक हैं। वे अंतरराष्ट्रीय और भारतीय अर्थव्यवस्था के विशेषज्ञ भी हैं। ईमेल: [6.4-1709शभ.०णा + +योजना, जनवरी 2018 + +21 + + + +0022.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + +अपना ऋण आधार बढ़ाने में मदद मिलेगी। +दूसरी ओर, यदि बैंकों को ऋणपत्र बेचने की +अनुमति नहीं मिलने की स्थिति में ये निवेश +के रूप में ब्याज प्राप्त करने का जरिया +बनेंगे। दोनों मामलों में यह स्पष्ट रूप से कहा +जा सकता है कि पुनर्पूजीकरण ऋणपत्रों का +जारी किया जाना बैंकिंग व्यवस्था के लिए +लाभकारी है। + +विमुद्रीकरण के बाद बैंकिंग प्रणाली में +आई पैसों की बाढ़ के मद्देनजर भी ऋणपत्र +जारी करना सही दिशा में उठाया गया कदम +है। बैंक अन्यथा केवल पूंजी की प्रचुरता के +कारण ही ऋण नहीं दे देते। भारतीय रिजर्व +बेंक (आरबीआई) के अनुसार 500 और +1000 रुपये के 99 प्रतिशत विमुद्रीकृत नोट +बैंकिंग प्रणाली में वापस आ चुके हैं। + +ऋणपत्र जारी करने का महत्व दिवाला +और दिवालियापन कोड के नजरिए से भी +मापा जा सकता है। पिछले वर्ष बनाये गए +इस कोड का इस्तेमाल लगभग 300 खातों +का समाधान करने के लिए किया जा रहा +है। इनमें से 12 खाते बड़े एनपीए खाते + +द्वारा कटौती का भार वहन करने की संभावना +से इनकार नहीं किया जा सकता। वास्तव में +विशेषज्ञों का मानना है कि कुछ बड़े एनपीए +खातों के मामले में बैंकों को 60 प्रतिशत तक +कटोती वहन करनी पड़ेगी। + +जुलाई में जारी क्रिसिल की रिपोर्ट +इंगित करती है कि 50 बडे दवाबपूर्ण +खातों का समाधान करने के लिए बैंकों +को 2,40,000 करोड रुपये अथवा 60 +प्रतिशत कटोती करनी होगी। ये कंपनियां +अर्थव्यवस्था के बहुत महत्वपूर्ण क्षेत्रों का +प्रतिनिधित्व करती हैं। ये कंपनियां धातु +क्षेत्र, निर्माण क्षेत्र और विद्युत क्षेत्र की +हैं जिनका कुल ऋण में हिस्सा क्रमशः +30 प्रतिशत, 25 प्रतिशत और 15 प्रतिशत +है। इस वर्ष 31 मार्च तक की स्थिति के +अनुसार कुल एनपीए में इन क्षेत्रों का +लगभग पचास फीसदी हिस्सा है। + +रेटिंग एजेंसी का कहना है “4 लाख +करोड रुपये के ऋण वाली 50 बडी +दबावपूर्ण परिसम्पत्तियों के निपटान के +लिए बैंकों को 60 प्रतिशत कटौती की + + + +हैं जिनका मूल्य लगभग 2.25 लाख करोड़ +रुपये है, को आरबीआई ने इस वर्ष जून में +नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (एनसीएलटी) +को भेजा था। यदि बैंक और चूककर्ता कंपनी +स्वयं समाधान करने को तैयार हो जाते हें +तो इस महीने के अंत में एनसीएलटी को +29 कंपनियों की एक और सूची भेजे जाने +का अनुमान है। जबकि कई कर्जदार खातों +का समाधान करने जा रहे हें, ऐसे में बैंकों + +22 + +आवश्यकता हो सकती है जिसका मूल्य +2.4 लाख करोड रुपये है।” + +इस एजेंसी ने कटोती को चार श्रेणियों में +बांटा है। ये श्रेणियां हैं; अधिक (75 प्रतिशत +से ज्यादा), आक्रामक (50-75 प्रतिशत) +सामान्य (25-50 प्रतिशत) और सीमांत +(25 प्रतिशत से कम)। इन आंकडों को +एक निश्चित परिदृश्य में ढाला जाए तो +लगभग 25 प्रतिशत ऋण के लिए सीमान्त + +से सामान्य कटौती की आवश्यकता हो +सकती है जबकि तीसरे के लिए आक्रामक +तथा लगभग 40 प्रतिशत अधिक कटौती +की अपेक्षा हो सकती हे। + +रेटिंग एजेंसी के अनुसार क्षेत्रों के +संबंध में, विद्युत क्षेत्र में सामान्य कटौती +की आवश्यकता होगी जबकि धातु और +निर्माण क्षेत्र में आक्रामक कणोती अपेक्षित है। +क्रिसिल का कहना है कि अधिक कटौती की +आवश्यकता वाले ज्यादातर ऋण अनिश्चित +व्यवसाय वाली कंपनियों से संबंधित हें +इसलिए धन की वसूली के लिए संपत्ति की +बिक्री आवश्यक है। सामान्य या आक्रामक +कटोती की आवश्यकता वाली कंपनियों +ने ऋण द्वारा वित्तपोषित पूंजीगत व्यय को +अपनाया है। हालांकि, मांग में कमी या +परियोजनाओं के विनियामक संबंधी मामलों +में उलझने के कारण समय और लागत में +बढोतरी होने से, इन्हें अलाभकारी रूप से +ऋण प्रदान किया गया था। + +इसके अतिरिक्त क्रिसिल रिपोर्ट के +अनुसार वे कंपनियां सीमांत कटौती की +अपेक्षा रखती हैं जो अस्थायी गिरावट से +जूझ रही हैं जिन्हें भविष्य में ठीक किया +जा सकता है। रेटिंग एजेंसी का कहना है, +“ अर्थव्यवस्था का व्यापक हित इसी में है कि +बाजार से बाहर होने की बजाय कटौती के +कड॒वे घूंट को पी लिया जाए।”! + +बेसल गा के तहत दिवालियापन के +समाधान और पूंजीगत मानदंडों को पूरा करने +के कारण अब तक होने वाली कटौती के +लिए पीएसबी को प्रेरणा की आवश्यकता है +जो बहुमत शेयरधारक होने के नाते सरकार +की प्राथमिक जिम्मेदारी है। पुनर्पुजीकरण +ऋणपत्र विधेयक में यहां पर ठीक बैठते +हैं। फिर भी इस बारे में अधिक स्पष्टता तब +आएगी जब सरकार अन्य बातों के साथ-साथ +धनराशि, जारीकर्ता, ग्राहक, टिकट के आकार +तथा कूपन की दर के बारे में सटीक विवरण +की घोषणा करेगी। + +हालांकि यह देखना काफी रोचक है कि +ऋणपत्र जारी करने का वृहत्‌ अर्थव्यवस्था, +खासतौर से राजकोषीय घाटे, पर क्या प्रभाव +पड़ता है। ऋणपत्रों की वार्षिक ब्याज लागत +8,000 करोड़ रुपये से 9,000 करोड रुपये +के बीच रहने का अनुमान हेै। मुख्य आर्थिक +सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम के अनुसार + +योजना, जनवरी 2018 + + + +0023.txt +<----------------------------------------------------------------------> +ऋणपत्रों से मुद्रास्फीति या राजकोषीय घाटा +नहीं बढेगा। वैसे राजकोषीय घाटा बढ़ेगा या +नहीं, यह लेखा पद्धति पर निर्भर करता है। + +मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद +सुब्रमण्यम ने ऋणपत्र जारी करने की घोषणा +के एक दिन बाद दिल्‍ली विश्वविद्यालय में +एक व्याख्यान देते हुए कहा “8000-9000 +करोड रुपये की वार्षिक ब्याज लागत +के बावजूद 1.35 लाख करोड रुपये के +पुनर्पुजीकरण ऋणपत्र जारी करने कौ +वार्षिक ब्याज लागत से न तो मुद्रास्फीति +होगी और न ही आर्थिक गतिविधियों और +परिसंपत्ति सूजन के कारण राजकोषीय घाटे +में बढ़ोतरी होगी। उन्होंने कहा, भारतीय +लेखा प्रणाली के अंतर्गत पुनर्पुजीकरण +ऋणपपन्रों से ऋण में बढ़ोतरी होगी जिससे +राजकोषीय घाटा बढेगा किन्तु यदि खातों +को आईएमएफ पद्धति से तैयार किया जाए +तो वित्तीय घाटा नहीं बढेगा। + +इस बीच, ऋणपत्र जारी करने के +साथ ही बैंकिंग क्षेत्र में व्यापक सुधार +किए जाने भी जरूरी हैं। सरकार ने इस +ओर संकेत किया है और इसके लिए +प्रतिबद्ध भी है। 12 नवंबर को गुड़गांव में +आयोजित पीएसबी मंथन में बैंकिंग और +वित्तीय सेवा के सचिव राजीव कुमार ने +भी यह संकेत दिया कि पूंजी आधार का +विस्तार करने के साथ ही जवाबदेही की +भी जरूरत है। कुमार कहते हैं “सब कुछ +बैंकिंग सुधारों से जुड़ा हुआ है और प्रत्येक +बोर्ड अल्पावधि में इस बात पर विचार +करेगा कि व्यवसाय किस तरह का है और +वह कैसे आगे बढ़ना चाहता है। मुख्य +बात यह है कि यह आसानी से मिलने +वाला पैसा नहीं है। इसके साथ बहुत सारे +सुधार जुड़े हुए हैं।” कुमार आगे बताते हें +कि बैंकिंग सुधारों में बैंक के बोर्ड भी +शामिल हैं जिनकी एक निश्चित सोच है + +तथा विचार हेतु एक स्पष्ट योजना के साथ +आगे आते हें। + +कुमार के अनुसार, पुनर्पूुजीकरण अपने +आप नहीं हो जाता, इसके पहले और बाद में +कई सुधार आवश्यक हैं। ऋणपत्रों के संबंध +में उन्होंने कहा कि इन्हें फ्रंट-लोड करने +की योजना है अर्थात्‌ इनमें से अधिकांश को +वर्तमान वर्ष में किया जाएगा। + +इस बीच, भारत के कारपोरेट जगत +ने भी बैंक पुनर्पूुजीकरण के विचार का +समर्थन किया है। वित्त मंत्री अरुण जेटली +को सौंपे गए बजट-पूर्व प्रतिवेदन में +भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने +कहा कि इस विचार से बैंकिंग क्षेत्र को +और मजबूती मिलेगी। सीआईआई ने कहा, +“बैंकों को पुनर्पुजीकरण ऋणपत्र बेचने की +अनुमति दी जाए जिन्हें संस्थान, निवेशक +और यहां तक कि आम जनता भी खरीद +सकती है।” QO + + + + + +ce कैबिनेट ने यूरोपियन बैंक फॉर रिकस्ट्रक्शन एंड +डेवलपमेंट (ईबीआरडी) में भारत की सदस्यता को मंजूरी +दे दी है। ईबीआरडी की सदस्यता से भारत की अंतरराष्ट्रीय पहचान * +समृद्ध होगी और इसके आर्थिक हितों में भी इजाफा होगा। इसी +के साथ ईबीआरडी के देशों की कार्यप्रणाली और सेक्टर जानकारी. * + +कैबिनेट ने पुनर्निर्माण और विकास हेतु यूरोपियन बैंक + + + +में भारत की सदस्यता को मंजूरी दी + +नियति भी बढ़ेगा। आर्थिक गतिविधियों में बढ़ोतरी होने से +रोजगार निर्माण की सामर्थ्य का भी विकास होगा। +इससे भारतीय नागरिकों को बैंक में रोजगार प्राप्ति के अवसर + +मिलेंगे। + + + +तक भी पहुंच बढ़ेगी। + +भारत के निवेश के अवसर बढ़ेंगे। निर्माण, सेवाओं, सूचना +तकनीक और ऊर्जा के क्षेत्र में सह-वित्तीय अवसरों के +माध्यम से भारत और ईबीआरडी में सहयोग की संभावना में +वृद्धि होगी। + +ईबीआरडी वाले देशों में इसकी कार्यप्रणाली निजी क्षेत्र तक +ही सीमित है। इसकी सदस्यता से भारत को अपने निजी क्षेत्र +के विकास हेतु बैंक से तकनीकी सहायता और सेक्टोरल +जानकारी प्राप्त करने में मदद मिलेगी। + +इससे देश में निवेश की बेहतर परिस्थितियां पेदा होंगी। +ईबीआरडी की सदस्यता से भारतीय फर्मों की प्रतियोगी क्षमता +का विकास होगा और व्यावसायिक अवसरों, प्रोक्‍्योरमेंट +गतिविधियों, परामर्शक कार्यों के रूप में अंतरराष्ट्रीय बाजार +तक हमारी पहुंच बढेगी। इससे जहां एक ओर भारतीय +व्यावसायिकों के लिए नई दिशाएं खुलेंगी वहीं दूसरी ओर + +ईबीआरडी की सदस्यता प्राप्त करने के लिए न्यूनतम आरंभिक +निवेश लगभग एक मिलियन होगा। हालांकि यह मान्यता +भारत द्वारा सदस्यता प्राप्त करने हेतु आवश्यक न्यूनतम शेयरों +(100) खरीदने के निर्णय पर आधारित है। यदि भारत इससे +अधिक बैंक शेयर खरीदता है तो निवेश की राशि और +अधिक होगी। सैद्धांतिक रूप से इस स्टेज पर कैबिनेट की +मंजूरी बैंक की सदस्यता प्राप्त करने हेतु ली गई है। + +यूरोपियन बैंक फॉर रिकन्सट्रक्शन एंड डेवलपमेंट ईबीआरडी +की सदस्यता प्राप्त करने से संबंधित मुद्दे अभी सरकार +के विचाराधीन हैं। पिछले कुछ सालों में देश को प्रभावी +आर्थिक विकास और अंतरराष्ट्रीय राजनैतिक पहचान में +वृद्धि को देखते हुए यह उपयुक्त होगा कि भारत मल्टी- +लेट्रल डेवलपमेंट बैंक (एमडीबीएस) जैसे कि वर्ल्ड बैंक, +एशियन डेवलपमेंट बैंक और अफ्रीकन डेवलपमेंट बैंक +से परे भी वैश्विक विकास लैंडस्केप पर अपनी उपस्थिति +दर्ज करे। Q + + + + + +योजना, जनवरी 2018 + +23 + + + +0024.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +OT 'रतीय रिजर्व बैंक ( आरबीआई ) की स्थापना 1 + +अप्रैल 1935 में की गई थी। इसका गठन भारतीय +रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 के प्रावधानों के मुताबिक +किया गया था। शुरू में रिजर्व बैंक का केंद्रीय कार्यालय +कोलकाता में बनाया गया, लेकिन 1937 में इसे स्थायी रूप +से मुंबई (तब के बंबई ) भेज दिया गया। शुरू में इसका +मालिकाना निजी हाथों में था, लेकिन 1949 में इसका +राष्ट्रीयकरण कर दिया गया। तब से यह पूरी तरह से भारत +सरकार के स्वामित्व के तहत है। + +रिजर्व बैंक की प्रस्तावना में इस बैंक के बुनियादी कामकाज +के बारे में कुछ इस तरह बताया गया हे: + +'बैंक नोटों से जुड़े मुद्दे का नियमन करना और भारत में +मौद्रिक स्थिरता बनाए रखने के लिहाज से रिजर्व रखना। इसके +अलावा, देश के हित में करेंसी और क्रेडिट सिस्टम का संचालन +करना; लगातार जटिल होती जा रही अर्थव्यवस्था के लिए +मौद्रिक नीति का आधुनिक ढांचा तैयार करना और वृद्धि दर के +मकसद को ध्यान में रखते हुए कीमतों में स्थिरता बनाए रखना।' + +रिजर्व बैंक के मामले केंद्रीय निदेशक बोर्ड द्वारा +संचालित होते हैं। भारत सरकार भारतीय रिजर्व बैंक +अधिनियम के तहत बोर्ड की नियुक्ति करती है। +रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति + +मौद्रिक नीति में केद्रीय बैंक के नियंत्रण के तहत मोद्रिक +उत्पादों के इस्तेमाल के सिलसिले में चीजें तय की जाती हैं और +इसका मकसद अधिनियम में तय लक्ष्यों को हासिल करना होता +है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पास मौद्रिक नीति तैयार +करने की जिम्मेदारी है। भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 +के तहत इस जिम्मेदारी का साफ तौर पर जिक्र है। + +मौद्रिक नीति का मुख्य मकसद वृद्धि दर के लक्ष्य को ध्यान + +[पा हट +fe 2 : oe - + + + + + +& aesenve 8A + +| + + + + + + + +ला pe) TTT Nt yk EG + +Ca +A y + + + + + + +Poa fi +' a - | + +मुंबई के सर फिरोजशाह मेहता रोड स्थित अमर बिल्डिंग में मौजूद +रिजर्व बैंक का मौद्रविक स्यूजियम। + +में रखते हुए कीमतों में स्थिरता को बनाए रखना है। सतत और +टिकाऊ वृद्धि दर के लिए कीमतों में स्थिरता अहम शर्त है। +हालिया पहल + +मई 2016 में भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 में +संशोधन किया गया। इसका मकसद महंगाई दर के लचीले ढांचे +को वैधानिक आधार प्रदान कर इसका अमल करना था। रिजर्व +बैंक के संशोधित कानून में केंद्रीय बैंक के साथ सलाह-मशवरे +से महंगाई दर को लेकर भारत सरकार के तय लक्ष्य को भी पूरा +करने की बात है। मई 2016 में रिजर्व बैंक कानून में संशोधन +से पहले महंगाई दर से जुड़ा सिस्टम सरकार और रिजर्व बैंक +के बीच 20 फरवरी 2015 को मौद्रिक नीति ढांचे को लेकर हुई +सहमति के आधार पर संचालित होता था। + +भारत सरकार के साथ मिलकर रिजर्व बैंक देश की मुद्रा +के डिजाइन, उत्पादन और सकल प्रबंधन के लिए जिम्मेदार है + + + + + + + + + + + + + + + +योजना, जनवरी 2018 + + + +0025.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +और इसका मकसद साफ और सही नोटों की पर्याप्त आपूर्ति +सुनिश्चित करना है। भारत सरकार सिक्के जारी करने वाला +प्राधिकार है और वह मांग के आधार पर रिजर्व बैंक को सिक्‍कों +की आपूर्ति करती है। + +सरकार से सलाह के आधार पर रिजर्व बैंक मुद्रा में भरोसा +बनाए रखने की दिशा में करता है। इसके लिए रिजर्व बैंक नई +डिजाइन और सुरक्षा फीचर के जरिये बैंक नोट की विश्वसनीयता +बनाए रखने की लगातार कोशिश करता रहता है। +नियम के तौर पर रिजर्व बैंक + +जिम्मेदारी /लक्ष्य : नियमन का मकसद जमाकरताओं के +हितों की रक्षा करना, बैंकिंग कामकाज का व्यवस्थित विकास +ओर संचालन और बेंकिंग सिस्टम और वित्तीय स्थिरता की +सेहतमंद बनाना है। + +दायरे में : व्यावसायिक बैंक (91), अखिल भारतीय +वित्तीय संस्थान (5), क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनियां (4), क्षेत्रीय +ग्रामीण बैंक (56), स्थानीय इलाके के बैंक (4) + +बदलाव: भारतीय बैंकिंग प्रणाली के विकास और अंतरराष्ट्रीय +स्तर पर बेहतर चलन के आधार पर अपनाए गए नियमों के +मद्देनजर नियामकीय कामकाज में भी बदलाव हुआ है। +यूनिवर्सल बैंक लाइसेंस नीति + +सैद्धांतिक तौर पर दो नए आवेदकों-आईडीएफसी लिमिटेड +और बंधन फाइनेंशियल सर्विसेज प्राइबेट लिमिटेड को बेंक +खोलने के लिए नए बैंकों से जुड़ी लाइसेंस संबधी दिशा-निर्देशों +के तहत 2 अप्रैल 2014 को मंजूरी दी गई। रिजर्व बैंक का +इरादा लाइसेंस मुहैया कराने के इस अनुभव का इस्तेमाल कर + + + +ag TE RE ES + +ri e ~~ oH eat: a eee + +कक PS iy, ere ¢'= ae +500 रुपये का नोट 2000 रुपये का नोट + + + +200 रुपये का नोट + +50 रुपये का नोट +दिशा-निर्देशों को संशोधित कर इसे और बेहतर बनाना है। रिजर्व +बैंक यूनिवर्सल बैंकों के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने के +सिलसिले में लगातार काम कर रहा हे। +जोखिम भरी संपत्तियों (स्टेस्ड एसेट ) का प्रबंधन + +बैंकों की ऐसी संपत्तियों के असरदार प्रबंधन के लिए बेंकों +को दिशा-निर्देश जारी किए गए थे। इसमें कई चीजों के अलावा +बैंकिंग सिस्टम को वित्तीय मुश्किलों के बारे में जल्दी भांपने +ओर इससे निपटने के लिए तत्काल कदम उठाने की बात कही +गई थी। +भारत में बैंकों के संचालन से जुड़े बोर्ड की समीक्षा + +रिजर्व बैंक फिलहाल बैंकों के संचालन से जुड़े बोर्ड की +समीक्षा कर रहा है +सहकारी बैंकों का नियमन + +भारत में ग्रामीण सहकारी उधारी प्रणाली का मुख्य मकसद +कृषि के क्षेत्र में कर्ज की सुविधा सुनिश्चित करना है। इसमें +छोटी अवधि के और लंबी अवधि के सहकारी उधार ढांचे + + + +रिजर्व बेंक का गठन बैंक नोटों के नियमन, मौद्रिक +स्थिरता के लिए रिजर्व बनाए रखने और देशहित में क्रेडिट +ओर करेंसी सिस्टम के संचालन के लिए किया गया था। बैंक +ने सरकार से उस कामकाज को अपने हाथों में लिया, जिसे +मुद्रा नियंत्रक और इंपीरियल बैंक ऑफ इंडेया और कुछ +अन्य इकाई मिलकर कर रही थी। कोलकाता, मुंबई, चेन्नई, +रंगून (म्यांमार), कराची, लाहौर और कानपुर में मौजूदा मुद्रा +कार्यालय इश्यू डिपार्टमेंट के दफ्तर बन गए। बर्मा (म्यांमार) +1937 में भारत से अलग हो गया, लेकिन रिजर्व बैंक बर्मा में +अप्रैल 1947 तक केंद्रीय बेंक की तरह काम करता रहा। भारत +के विभाजन के बाद रिजर्व बैंक ने जून 1948 तक पाकिस्तान +के केंद्रीय बैंक के तौर पर काम किया। इसके बाद पाकिस्तान +स्टेट बैंक ने अपना कामकाज शुरू किया। + +इस बैंक को पहले शेयरधारकों के बैंक के तौर पर +स्थापित किया गया था और 1949 में इसका राष्ट्रीयचरण +कर दिया गया। रिजर्व बैंक की एक दिलचस्प बात यह हे + + + +केंद्रीय बैंक का इतिहास: एक नजर में + +कि शुरू से ही इसे विकास खासतौर पर कृषि के संदर्भ में +विशेष भूमिका निभाने के तौर पर देखा गया है। जब भारत +ने योजना प्रणाली शुरू की तो बैंक की भूमिका सुर्खियों में +आईं। खासतौर पर 1960 के दशक में रिजर्व बैंक ने विकास +में अहम बदलाव के लिए वित्त की अवधारणा और चलन +को नए सिरे से पारिभाषित किया। संस्थानों के विकास +में भी बैंक की अहम भूमिका रही और इसने भारत में +इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, यूनिट +टूस्ट ऑफ इंडिया, इंडस्ट्रियल डेवेलपमेंट बैंक ऑफ इंडिया +(आईडीबीआई), नेशनल बैंक ऑफ एग्रीकल्चर एंड रूरल +डिवेलपमेंट (नाबार्ड) आदि के गठन में मदद की, जिससे +देश का वित्तीय ढांचा खड़ा हो सका। + +उदारीकरण के बाद बैंक का ध्यान फिर से केंद्रीय बैंक +के मुख्य कामकाज मसलन मौद्रिक नीति, बैंकों की निगरानी +और नियमन, भुगतान पद्धति की देखरेख और वित्तीय बाजारों +के विकास पर हो गया। O + + + + + + + + + +योजना, जनवरी 2018 + +25 + + + +0026.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +भारत में लंबे समय तक विदेशी मुद्रा को नियंत्रित +कमोडिटी जैसा माना जाता था। इसकी वजह इसकी सीमित +उपलब्धता थी। देश में विदेशी मुद्रा प्रबंधन के शुरुआती दौर +में इसकी सीमित आपूर्ति के कारण फोकस सिर्फ मांग को +कम कर कर विदेश मुद्रा के नियंत्रण पर था। भारत में 3 +सितंबर 1939 को अस्थायी तौर पर भारत के रक्षा नियमों के +तहत एक्सचेंज नियंत्रण पेश किया गया था। मुद्रा विनिमय के +लिए वैधानिक अधिकार विदेशी मुद्रा नियमन कानून, 1947 +(फेरा) के जरिये मिला। इसके बाद इसे और व्यापक बनाते +हुए विदेशी मुद्रा नियमन कानून, 1973 लाया गया। इस कानून +ने रिजर्व बैंक और कुछ मामलों में केंद्र सरकार को भारत के +बाहर विदेशी मुद्रा के भुगतान संबंधी सोदों, करेंसी नोटों और +सरीफे के आयात और नियात, निवासियों और प्रवासियों के +बीच प्रतिभूतियों के ट्रांसफर, विदेशी प्रतिभूतियों के अधिग्रहण +और भारत के भीतर व बाहर अचल संपत्तियों आदि सौदों को +नियंत्रित करने और इसके नियमन संबंधी अधिकार दिए गए। + +विदेशी मुद्रा को संचालित करने वाले नियमों में व्यापक +स्तर पर ढील की पहल की गई। 1991 में उदारीकरण से जुड़े + + + +उपाय पेश किए गए और इस कानून में संशोधन कर नया +विदेशी मुद्रा नियमन (संशोधन) कानून, 1993 पेश किया गया। +बाहरी कारकों मसलन विदेशी मुद्रा रिजर्व में भारी बढ़ोतरी, +विदेशी व्यापार में बढ़ोतरी, शुल्कों को तर्कसंगत बनाए जाने +आदि में अहम बदलावों को ध्यान में रखते हुए 1999 में +विदेशी मुद्रा नियमन (फेरा) की जगह विदेशी मुद्रा प्रबंधन +कानून (फेमा) लाया गया। फेमा को 1 जून 2000 से लागू +किया गया। फेमा का मकसद बाहरी व्यापार और भुगतान के +लिए राह आसान करना और भारत में विदेशी मुद्रा बाजारों के +व्यवस्थित ग्रोथ को बढ़ावा देना है। रिजर्व बैंक ने 31 दिसंबर +2004 से अपने इस विभाग का नाम भी बदल दिया। विदेशी +मुद्रा विभाग से बदलकर इसका नाम मुद्रा नियंत्रण विभाग कर +दिया गया है। + +केंद्र सरकार और राज्य सरकारें कंसॉलिडेटेड फंड, +आपातकालीन फंड या सार्वजनिक खाते से पैसे लेने या भुगतान +करने के लिए नियम बना सकती हैं। ये नियम रिजर्व बैंक पर +कानूनी रूप से बाध्यकारी होते हैं, क्योंकि इन फंडों से जुड़े +खाते रिजर्व बैंक के पास होते हैं। + + + + + + + +भी शामिल हैं। छोटी अवधि का सहकारी उधार ढांचा तीन +स्तर के सिस्टम से संचालित होता है- गांव स्तर पर प्राथमिक +कृषि सहकारी समितियां (पीएसीएस), जिला स्तर पर केंद्रीय +सहकारी बैंक (सीसीबी) और राज्य स्तर पर राज्य सहकारी बैंक +(एसटीसीबी)। प्राथमिक कृषि सहकारी समितियां बैंकिंग नियमन +अधिनियम, 1949 के दायरे से बाहर हैं, लिहाजा ये रिजर्व बैंक +के नियमों से संचालित नहीं होते हैं। शहरी कोऑपरेटिव बैंक +शहरी और अर्द्ध-शहरी इलाकों में ग्राहकों की वित्तीय जरूरतों +को पूरा करते हैं। + +रिजर्व बेंक बाकी नियामकों मसलन सहकारी सोसायटी +रजिस्ट्रार और सहकारी सोसायटी से जुड़े केद्रीय रजिस्ट्रार जैसे +बाकी नियामकों के साथ मिलकर काम करता है। +गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों का नियमन + +भारत में ऐसे वित्तीय संस्थान भी हैं, जो बैंक नहीं हें +लेकिन जमा लेते हैं और बेंकों की तरह कर्ज भी देते हें। इन्हें +नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियां (एनबीएफसी) कहा जाता है। +रिजर्व बेंक इस सेक्टर के विकास पर हमेशा नजर बनाए रखता +है। वित्तीय स्थिरता, उपभोक्ताओं और जमाकताओं के हितों, +वित्तीय बाजार में और खिलाडियों की जरूरत, नियामकीय पंचाट +चिंताओं से निपटने जेसे मकसदों को ध्यान में रखते हुए रिजर्व +am इन पर नजर रखता है। भारतीय रिजर्व बेंक फिलहाल +एनबीएफसी के नियामकीय ढांचे की समीक्षा कर रहा है। + +उपभोक्ता संरक्षण के क्षेत्र में रिजर्व बैंक की पहल में + + + +उपभोक्ता शिकायत निपटारा सेल, 2006 में उपभोक्ता सेवा +विभाग बनाया जाना शामिल हैं, जिसका नाम हाल में बदलकर +उपभोक्ता शिक्षा और संरक्षण विभाग कर दिया गया हेै। विवादों +के निपटारे के लिए संस्थागत तंत्र को मजबूत बनाने के लिए +भारतीय रिजर्व बैंक ने 1995 में बैंकिंग लोकपन स्कीम शुरू की। +बेंकिंग लोकपन बैंक और उसके ग्राहकों के बीच विवादों के +निपटारे के लिए वैकल्पिक प्रणाली है। फिलहाल, देश में बेंकिंग +लोकपन के 20 दफ्तर हैं। इस स्कीम के तहत व्यावसायिक +बैंकों, प्राथमिक सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के +खिलाफ शिकायतों को निपटाया जाता है। रिजर्व बैंक ने 2006 +में बैंकिंग ओऑबड्समैन सिस्टम में संशोधन किया। इसके तहत +बैंकिंग ऑंबड्समैेन और इस ऑफिस के स्टाफ रिजर्व बैंक के +मौजूदा कर्मचारी ही होंगे। +बैंकर और कर्ज प्रबंधक के तौर पर रिजर्व बैंक की भूमिका +रिजर्व बैंक ने शुरू से ही केंद्रीय बैंक के पारंपरिक +कामकाज सरकार के बैंकिंग लेनदेन के प्रबंधन का काम संभाला +है। भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 के मुताबिक, केंद्र +सरकार पर अपने सभी पैसे, रेमिटेंस, भारत में होने वाले एक्सचेंज +ओर बैंकिंग सौदों और सरकारी कर्ज का प्रबंधन रिजर्व बैंकों को +सौंपने की जिम्मेदारी है। सरकार अपनी नकदी बेलेंस भी रिजर्व +बैंक में जमा करती है। रिजर्व बेंक राज्य सरकारों की सहमति से +उनके बैंकर और कर्ज प्रबंधक के तौर पर भी काम कर सकता +है। फिलहाल रिजर्व बेंक भारत में सभी राज्य सरकारों के बेंकर + + + + + +26 + +योजना, जनवरी 2018 + + + +0027.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +के तौर पर काम करता है। हालांकि, सिक्किम इसमें शामिल नहीं +है। जहां तक सिक्किम का सवाल है, तो उसके सरकरी कर्ज +के प्रबंधन के लिए रिजर्व बैंक से उसका सीमित समझौता हेै। +रिजर्व बैंक की तय जिम्मेदारियां हैं और यह सरकार को कई +तरह की बैंकिंग सेवाएं मुहैया कराता है। सरकार के बैंकर के तौर +पर रिजर्व बैंक विभिन्न सरकारी विभागों के बदले पैसा लेता और +इसका भुगतान करता है। यह सरकार को छोटी अवधि के लिए +कर्ज भी देता है, ताकि प्राप्तियों और भुगतान में अंसतुलन को +तत्काल दूर किया जा सके। इसके अलावा, पोर्टफोलियो मैनेजर +की तरह रिजर्व बैंक सरकारों के लिए सरप्लस नकदी बेलेंस के +लिए निवेश का भी इंतजाम करता है। रिजर्व बैंक मौद्रिक और +बैंकिंग से जुड़े मामलों में सरकार के सलाहकार के तौर पर भी +काम करता है। +ग्राहक सेवाओं में सुधार की पहल +कटे-फटे नोटों को छोड़ने और बेहतर नोट इकट्ठा करने +के लिए इंसेंटिव +* बैंक शाखाओं को मुद्रा बदलने की सुविधा देना +« बैंकों को नोटों और सिक्‍कों के वितरण और दूर-दराज तक +पहुंच के लिए बैंकों को बिजनेस कॉरस्पॉन्डट्स और कैश +इन ट्रांजिट कंपनियों की सेवा लेने के लिए इजाजत देना +* अंतरराष्ट्रीय प्रचलन के मुताबिक, पुरानी सीरीज (2005 से +पहले जारी किए गए) के नोटों को वापस लेना +*« 'पैसा बोलता है! नामक ज्ञानवर्धक माइक्रो-साइट तैयार +करना, इसमें बैंक नोट पर लोगों को जागरूकता के लिए +फिल्म भी शामिल है +सार्वजनिक कर्ज का प्रबंधन +केंद्रीय बजट केंद्र सरकार की सालाना उधारी जरूरतों के +बारे में फैसला करता है। ब्याज दर, समय और कर्ज जुटाने +जैसी चीजें केश की हालत और बाजार की उम्मीदों पर निर्भर +करती हैं। रिजर्व बेंक की कर्ज प्रबंधन रणनीति का मकसद +कर्ज की लागत कम करना, बाकी जोखिम को घटाना, कर्ज +की मैच्योरिटी के ढांचे को बेहतर बनाना और एक सक्रिय +सेकेडरी मार्केट विकसित सरकारी प्रतिभूति बाजार की तरलता +को सुधारना है। + + + + + + + +रिजर्व बैंक ने बैंकों के लिए उपभोक्ताओं के अधिकारों +से जुड़ा चार्टर तैयार किया है। इसे उपभोक्ता संरक्षण में +वैश्विक स्तर पर बेहतर परंपराओं को ध्यान में रखते हुए तैयार +किया गया है। इसमें बैंक ग्राहकों के संरक्षण के सिद्धांतों और +उनके 5 बुनियादी अधिकारों के बारे में बताया गया है +* निष्पक्ष तरीके से बताव का अधिकार +* पारदर्शिता का अधिकार +*» उपयुक्तता का अधिकार +*« निजता का अधिकार +° शिकायतों के निपटारे और मुआवजे का अधिकार। + +रिजर्व बैंक : सभी बैंकों के बैंकर + +रिजर्व बैंक लगातार इन खातों के कामकाज पर निगरानी +रखता है, ताकि डिफॉल्ट नहीं हो। जहां तक बाकी प्रावधानों की +बात है, तो रिजर्व बेंक इन खातों में कम से कम बैलेंस रखने +के लिए कहता है। चूंकि बैंकों को देश के विभिन्न जगहों पर हो +रहे सौदों को एक-दूसरे के साथ निपटाने की जरूरत होती है, +लिहाजा उन्हें रिजर्व बेंक के अलग-अलग क्षेत्रीय कार्यालयों में +खाते खोलने की इजाजत होती है। + +रिजर्व बैंक एक ठिकाने पर बैंक के सरप्लन खाते से दूसरे +डेफिसिट (घाटे) वाले खाते में फंड भेजने की सुविधा भी मुहैया +कराता है। इस तरह के ट्रांसफर ई-कुबेर नामक कंप्यूटर सिस्टम +के जरिये होते हैं। रिजर्व बैंक में खातों के कंप्यूटराइजेशन से +बैंकों को रियल टाइम बेसिस पर अपने विभिन्न खातों में फंड के +बारे में नजर रखने में मदद मिली है। +भुगतान और सेटलमेंट सिस्टम की निगरानी + +भुगतान और सेटलमेंट सिस्टम की निगरानी केंद्रीय बैंक +का काम है। बैंक की निगरानी के मौजूदा सिस्टम के जरिये +सुरक्षा और दक्षता के लक्ष्यों को बढ़ावा दिया जाता है। साथ +ही, इस निगरानी में जरूरी पाए जाने पर सिस्टम में बदलाव भी +किए जाते हैं। पेमेंट और सेटलमेंट सिस्टम पर +निगरानी बनाकर केद्रीय बैंक सिस्टम की स्थिरता +बनाए रखने और इससे जुड़े जोखिम को कम +कर इस सिस्टम में लोगों का भरोसा कायम कर +अपनी भूमिका का निवीह करता है। भुगतान और +निपटारा प्रणाली कानून, 2007 और भुगतान और +निपटारा प्रणाली नियमन 2008 बनाकर रिजर्व +बैंक को देश में भुगतान और सेटलमेट सिस्टम +की निगरानी के लिए जरूरी वैधानिक अधिकार +दिए गए हैं। (1 + +aia: रिजर्व बैंक की आधिकारिक वेबसाइट + + + + + + + + + + + +योजना, जनवरी 2018 + +27 + + + +0028.txt +<----------------------------------------------------------------------> +You Deserve the Best... + +Cee RCRD mC Re ae + +| +C) os +४८ 1 +Dhawal Jaiswal Ashutosh Kr. Rai +(Roll No. 0807519) (Roll No. 0576755) + + + + + + + + + + + + + + + +Hemant Sati + +Ganga Singh +(Roll No, 0078265) Roll No, 0441143) + +Committed To Excellence Rank 33rd Rank 88th Rank 445th Rank 500th + +And Many More... + +Niraj Singh (M.D.) + + + +1114 ।11॥ 4 511 [| । है । 7:17 ७॥| +16 Jan. | 30 Jan. +11:30 am 8:30 am + +Complete Prepration For IAS/PCS | Complete Preparation for RAS + +Jan. ae (४ Jan. +2 am 4% 1 9:15 am +IAS INTEGRATED MAINS TEST SERIES-2018 +Complete 52 Tests only 15000/- At all GS World Center + +Magazine & TV Debate | [AS-2018 +Total Test Series 5 ifl Total Total +IE test-10 DOCHIC 168४-12 Test - 10 +2 1110 Total Test - 20 Tae ue + +DELHI CENTRE ALLAHABAD CENTRE || LUCKNOW CENTRE JAIPUR CENTRE + +629, Ground Floor, Main Road | GS World House, Stainly Road, | A-7, Sector-J , Puraniya Chauraha |Hindaun Heights 57, Shri Gopal Ngr, +Dr. Mukherjee Nagar, Delhi- 09 | Near Traffic Choraha, Allahabad Aliganj, Lucknow Near Mahesh Ngr Police Station, +Ph.:7042772062/63, 9868365322] Ph.: 0532-2266079, 8726027579 Ph. : 0522-4003197, 8756450894 | Jaipur Ph. :9610577789, 9680023570 + +http://www.gsworldias.comll http://facebook.com/gsworld1 || (७) 9654349904] 9654349902 + +YH-697/3/2017 + +28 योजना, जनवरी 2018 + + + +0029.txt +<----------------------------------------------------------------------> +दिवालिया कानून: समाधान की तलाश + + + +इंदिवजल धस्माना + +¥ 2018 4 भारत ने कारोबार + +सुगमता सूची में अपनी स्थिति + +सुधार ली। इस सूची को हर +वर्ष विश्व बैंक जारी करता है। भारत ने +30 अंकों की छलांग लगाकर अब 103वें +स्थान पर अपनी जगह बना ली है। हालांकि +भारत अब भी निचली पायदान पर खड़ा +है, पर पिछले वर्ष की तुलना में उसकी +स्थिति बेहतर हुई है। पिछले कई वर्षों से +भारतीय अर्थव्यवस्था धीमी गति से बढ रही +थी। इस सूची में भारत की कदमताल भी + +सकती है। अगर मामला किसी कंपनी का +होता है तो कर्ज के पुनर्गगन का विकल्प +तलाशने के बाद दूसरा विकल्प यह होता है +कि ऋणदाताओं को भुगतान करने के लिए +परिसंपत्तियों को बेच दिया जाए। + +व्यापार को सुविधाजनक बनाने के +लिए न सिर्फ उसमें प्रवेश के रास्ते सरल +बनाए जाने चाहिए, बल्कि उससे निकासी +भी सहज होनी चाहिए। दिवालिया होने की +स्थिति में व्यापार से निकासी की प्रक्रिया +समयबद्ध होनी चाहिए। इस संहिता ने इन + +मौजूदा दिवाला और धीमी ही थी। 2016 में ओ इस सूची दोनों il को आसान बनाने का रास्ता + +at संहिता में 136वें स्थान पर था और उससे पिछले सुझाया है। +शोधन अक्षमता वर्ष यानि 2015 में 137वें स्थान पर। अब इस अधिनियम के लागू होने से पहले +( आईबीसी ) यह संहिता स्थिति में जो सुधार हुआ है, उसका एक दिवाला समाधान प्रक्रिया में लंबा समय लग +पहले की निपटान प्रणाली कारण दिवालिया कानून में होने वाले तमाम जाता था। मुकदमेबाजी में भी समय बर्बाद +अलग है क्योंकि बदलाव भी हैं। होता था। इसका एक कारण कानूनों की +से बिल्कुल अलग है क्योंकि दिवालिया कानून में बदलाव की पहल जटिलता थी। दिवालिया समाधान के लिए +यह कॉरपोरेट देनदार के 2016 में शुरू हुई, जब सरकार ने दिवाला हमारे देश में लगभग 12 कानून हैं। जैसे संविदा +खिलाफ निपटान प्रक्रिया को और शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) अधिनियम, बैंकों और वित्तीय संस्थानों में +शुरू करने की जिम्मेदारी जैसे रेगुलेटर के साथ दिवाला और शोधन बकाया ऋणों की वसूली अधिनियम, वित्तीय +सौंपती अक्षमता संहिता (आईबीसी) को लागू आस्तियों के प्रतिभूतिकरण एवं पुनर्निर्माण +लेनदार को सौंपती है। किया। हालांकि व्यक्तियों और पार्टनरशिप और प्रतिभूति हित का प्रवर्तन अधिनियम +पहले की व्यवस्था इससे कंपनियों के लिए इस संहिता के प्रावधानों इत्यादि। इस कारण अपेक्षित परिणाम नहीं + +अलग थी। उसमें देनदार ही +निपटान प्रक्रिया चालू करता +था, जबकि लेनदार को + +को अभी अधिसूचित नहीं किया गया +है। चूंकि इस संबंध में फिलहाल नियम +जारी नहीं किये गये हैं। कोई व्यक्ति या +कंपनी दिवालिया तब होते हैं जब वे अपने + +प्राप्त हो रहे थे। साथ ही बीमार औद्योगिक +कंपनियां (विशेष प्रावधान) अधिनियम और +कंपनी अधिनियम, 1956 के प्रावधान भी +प्रभावहीन थे। + +बकाया कर्ज की वसूली के द्वारा लिये गये ऋण को चुकाने में असमर्थ इनके अतिरिक्त दो कानून- प्रेसीडेंसी +होते हैं। इस स्थिति से निपटने के लिए टाउन दिवालियापन अधिनियम 1909 और + +लिए कानूनी कार्रवाई करनी कर्ज को पुनर्गठित किया जाता है। फिर प्रांतीय. दिवालियापन अधिनियम 1920 +पड़ती थी भी अगर कर्ज का निपटारा नहीं होता तो व्यक्तियों के दिवालिया होने से संबंधित + +व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा + +थे। लेकिन इन दशकों पुराने कानून का + + + +लेखक समाचार पत्र बिजनेस स्टैंडर्ड में आर्थिक विषयों के संपादक हैं। इससे पहले वे समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया में मुख्य वित्तीय संवाददाता के तौर पर कार्यरत +थे। इनका पत्रकारिता के क्षेत्र में 20 वर्ष का अनुभव है। आर्थिक नीतियों, कराधान और माइक्रो इक्नॉमिक्स इनके मुख्य विषय रहे 1 Pa: indivjal@gmail.com + +योजना, जनवरी 2018 29 + + + +0030.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +तकनीकी समिति की सिफारिशों +के आधार पर भारतीय दिवाला और +दिवालियापन बोर्ड ने निम्नलिखित मामलों +के लिए आईबीबीआई (सूचना उपयोगिता) +विनियम, 2017 के विनियम के तहत प्रमुख +सेवाओं के कार्य-निष्पादन के तकनीकी +मानदंड निर्धारित किए हैं: +1) सेवा का मानक समय; +2) प्रयोकता का पंजीकरण; + + + +3) प्रत्येक रिकॉर्ड और प्रयोक्ता के लिए +विशिष्ट पहचान; + +4) सूचना प्रस्तुत करना; + +5) व्यक्ति की पहचान और सत्यापन; + +6) सूचना का प्रमाणीकरण; + +7) सूचना का सत्यापन; + +8) आंकड़ों की सत्यता; + +9) तृतीय पक्षकारों को सूचना तक पहुंच +प्रदान करने के लिए सहमति की रूपरेखा; + +10) प्रणाली की सुरक्षा; +11) सूचना की सुरक्षा; +12) जोखिम प्रबंधन रूपरेखा; +13) सूचना का संरक्षण; और +14) सूचना का परिष्करण। + +सेवा प्रदान करते समय सूचना उपयोगिता +लागू तकनीकी मानदंडों के अनुसार होगी। +4 femféet www.mea.gov.in और +www.ibbi.gov.in % sare #1 O + + + + + +भी कोई लाभ नहीं मिल रहा था। यह नयी +संहिता इन दोनों कानूनों को निरस्त करती +है। संहिता की धारा 243 में इन कानूनों +को रद्द करने का प्रावधान है। हालांकि इन्हें +अभी अधिसूचित नहीं किया गया है। + +दिवालिया संहिता में दो अधिकरणों की +स्थापना की गयी है- राष्ट्रीय कंपनी कानून +अधिकरण (एनसीएलटी) और ऋण वसूली +अधिकरण (डौआरटी)। राष्ट्रीय कंपनी कानून +अधिकरण के क्षेत्राधिकार में कंपनियां और +लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप आएंगी +और ऋण वसूली अधिकरण के अधिकार +क्षेत्र में व्यक्ति और पार्टनरशिप कंपनियां +आएंगी। + +यह संहिता समस्याग्रस्त कंपनियों के +निपटान के लिए समयबद्ध प्रक्रिया तैयार +करती है। अगर डीफॉल्ट एक लाख रुपये से +अधिक का होता है, तो लेनदार दिवालिया +निपटान प्रक्रिया शुरू कर सकता है और +एनसीएलटी में गुहार लगा सकता है। + +यह संहिता पहले की निपटान प्रणाली +से बिल्कुल अलग है क्‍योंकि यह कॉरपोरेट +देनदार के खिलाफ निपटान प्रक्रिया को शुरू +करने की जिम्मेदारी लेनदार को सौंपती है। +पहले की व्यवस्था इससे अलग थी। उसमें +देनदार ही निपटान प्रक्रिया चालू करता था, +जबकि लेनदार को बकाया कर्ज की वसूली +के लिए कानूनी कार्रवाई करनी पड़ती थी। +हालांकि कॉरपोरेट देनदार भी इस निपटान +प्रक्रिया के लिए आवेदन कर सकता था। + +संहिता के नियमों के अनुसार एक +बार मामला राष्ट्रीय कंपनी कानून अधिकरण +के पास पहुंचा तो निपटान प्रक्रिया 180 + +30 + +दिनों के भीतर पूरी हो जानी चाहिए। इस +अवधि को 90 दिनों के लिए और बढाया +जा सकता हे। + +छोटी कंपनियों के लिए यह प्रावधान +थोड़ा भिन्न है। इनकी निपटान प्रक्रिया को +90 दिनों में पूरा किया जाना चाहिए। इस +अवधि को 45 दिनों के लिए बढाया जा +सकता है। यह प्रावधान 50 लाख रुपये तक +की भुगतान पूंजी या दो करोड़ रुपये के +टर्नओवर वाली कंपनियां और स्टार्टअप्स +के लिए है। इस फास्ट ट्रैकिंग प्रणाली को +ऐसी गैर सूचीबद्ध कंपनियां भी चुन सकती +हैं जिनकी परिसंपत्ति पूर्ववर्ती वित्तीय वर्ष में +एक करोड़ रुपये थी। + +निपटान प्रक्रिया के दौरान ऋणदाता +आकलन करता है कि देनदार के कर्ज +का पुनर्गठन किया जाए या कारोबार को +पुनर्जीवित किया जाए। इस दौरान लेनदार +किसी प्रकार का दावा नहीं कर सकता। +अगर निषटान प्रक्रिया सफल नहीं होती तो +परिसंपत्ति की बिकवाली प्रक्रिया शुरू हो +जाती है। + +लाइसेंसशुदा दिवाला पेशेवरों +(आईपीज) द्वारा निपटान प्रक्रियाएं चालू + +'निपटान प्रक्रिया के दौरान ऋणदाता +आकलन करता है कि देनदार के कर्ज +का पुनर्गठन किया जाए या कारोबार +को पुनर्जीवित किया जाए। इस दौरान +लेनदार किसी प्रकार का दावा नहीं +कर सकता। अगर निपटान प्रक्रिया +सफल नहीं होती तो परिसंपत्ति की +बिकवाली प्रक्रिया शुरू हो जाती है। + +की जाती हें। चार्टर्ड एकाउंटेंसी, कंपनी +सचिव, कॉस्‍्ट एकाउंटेंसी, वकालत अथवा +प्रबंधन में कम से कम दस वर्ष का अनुभव +प्राप्त व्यक्ति आईपी हो सकता है। इसके +लिए उसे इनसॉल्वेंसी परीक्षा भी पास करनी +होगी। कोई अन्य व्यक्ति भी राष्ट्रीय दिवाला +परीक्षा पास करके आईपी बन सकता है। + +एनसीएलटी आवेदन मंजूर होने के 14 +दिनों के भीतर आईबीबी द्वारा पुष्टि करने पर +अंतरिम आईपी नियुक्त करता है। अंतरिम +आईपी का कार्यकाल 30 दिनों का होता है। +वह देनदार की परिसंपत्तियों और कंपनी के +प्रबंधन को नियंत्रित करता है तथा सूचना +केंद्र (इनफॉरमेशन यूटिलिटी) से देनदार +की वित्तीय जानकारी एकत्र करता है। वह +लेनदार समिति का गठन करता है। कॉरपोरेट +देनदार से संबंधित लेनदारों को छोड़कर शेष +सभी वित्तीय लेनदार इस समिति के सदस्य +होते हैं। आपरेशनल लेनदारों को भी समिति +का हिस्सा होना चाहिए लेकिन बिना मतदान +के अधिकार के। हां, उनका बकाया, कुल +बकाया राशि का कम से कम दस प्रतिशत +होना चाहिए। + +गठन के सात दिनों के भीतर लेनदार +समिति बैठक करेगी। इस बैठक में 75 +प्रतिशत वोटों के साथ यह फैसला किया +जाएगा कि अंतरिम आईपी को निपटान +पेशेवर नियुक्त करे अथवा नहीं। इसके +बाद आईपी एनसीएलटी द्वारा नियुक्त किया +जाएगा। + +संहिता प्रावधान करती है कि +परिसंपत्तियों को बेचने के बाद जो धन प्राप्त +होगा, उसका वितरण किस प्रकार किया + +योजना, जनवरी 2018 + + + +0031.txt +<----------------------------------------------------------------------> +जाएगा। इसके लिए एक वरीयता क्रम तय +किया गया है। इस क्रम में सुरक्षित लेनदारों +को पूरी बकाया राशि दी जाएगी। असुरक्षित +लेनदारों को कारोबारी लेनदारों से ऊपर रखा +गया है। इसके बाद सरकार का बकाया +चुकाया जाएगा। + +इस प्रक्रिया से समस्याएं भी उत्पन्न +होंगी। चुंकि इस वरीयता क्रम में कुछ +बिल्डरों को नहीं रखा गया है। इसलिए +मकान के खरीदारों को समस्या का सामना +करना पड़ सकता है। कुछ विरोधों के बाद +दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड ने मकान +के खरीदारों को नया फॉर्म एफ जारी किया +है लेकिन वे अभी भी वरीयता क्रम में +शामिल नहीं हैं। + +संहिता के लागू होने के बाद अन्य +समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं। उदाहरण +के लिए, दिवालिया संहिता के तहत देश +की पहली दिवालिया निपटान योजना में +एनसीएलटी ने 90 प्रतिशत से अधिक के +हेयरकट की अनुमति दी। हेयरकट का +अर्थ है, ऋण में छूट देना। सिनर्जीज-डोरे +ऑटोमोटिव एल्यूमीनियम अलॉय ica +का निर्माण और विश्वस्तरीय कार निर्माता +कंपनियों को उनकी आपूर्ति करती थी। +उसके दिवालिया होने पर उसका अधिग्रहण +सिनर्जीज कास्टिंग ने किया। इसके बाद +एनसीएलटी ने सिनर्जीजु कास्टिंग्स से 900 +करोड़ रुपये की कुल बकाया राशि में से +54 करोड़ रुपये लेनदारों को चुकाने का +आदेश दिया। + +एनसीएलटी ने कंपनी से इस कुल +राशि में से 20 करोड़ रुपये का भुगतान +एडवांस में करने को कहा। बकाया राशि +पांच साल में चुकानी होगी। ऋण की मूल +राशि 215 करोड़ रुपये थी। शेष 685 करोड +रुपये में ब्याज, सांविधिक देय राशि और +अन्य लेनदारों के भुगतान शामिल हैं। + +सिनर्जीजु-डोरे का मामला उन 93 ,000 +मामलों में से एक है जो औद्योगिक और +वित्तीय पुनर्गठन बोर्ड (बीआईएफआर) +में लंबित थे और आईसीसी के तहत +एनसीएलटी को स्थानांतरित कर दिये गये +थे। यह मामला संहिता के तहत दायर होने +वाले शुरुआती मामलों में से एक था। + +इससे पूर्व सरकार मई में एक अध्यादेश +जारी कर चुकी है जिसके स्थान पर सरकार + +योजना, जनवरी 2018 + +बैंकिंग विनियमन (संशोधन) अधिनियम, +2017 लेकर आयी है। इसके तहत भारतीय +रिजर्व बेंक (आरबीआई) को व्यापक +शक्तियां प्रदान की गयीं ताकि वह बकाया +ऋणों की वसूली के लिए लेनदारों को +दिवालिया निपटान प्रक्रिया शुरू करने का +निर्देश जारी कर सके। + +सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबीज) +की गैर निष्पादित परिसंपत्तियां एनपीए +(खातों में फंसे कर्ज) उच्च स्तर पर पहुंच +चुके हैं। बिजली, इस्पात, सड़क अवसंरचना +ओर वश्र जैसे क्षेत्रों की कंपनियों की इसमें +बड़ी हिस्सेदारी है। + +अध्यादेश के बाद आरबीआई ने बैंकों +को संहिता के अंतर्गत निपटान के लिए +12 सबसे बडे कणों की जानकारी देने + +नीलामी प्रक्रिया में प्रमोटरों के +शामिल होने का मामला अभी अस्पष्ट +है। फिलहाल सरकार ने संहिता में +संशोधन के लिए अध्यादेश जारी +किया है। अध्यादेश विलफुल +डीफॉल्टर, संदिग्ध प्रमोटरों को तो +बोली लगाने से प्रतिबंधित करता +ही है, साथ ही एनसीएलटी में जिन +कंपनियों के खिलाफ मामले दायर +किए गए हैं, उनके प्रमोटरों और +'सिस्टर कंपनियों को इस प्रक्रिया में +शामिल होने से रोकता है। इस संबंध +में अध्यादेश ने संहिता में धारा 29 +को शामिल किया है। + +को कहा। आरबीआई ने अपनी आंतरिक +सलाहकार समिति (आईएसी) की +सिफारिशों के आधार पर यह फैसला लिया। +उसने कहा कि इन मामलों को जल्द से +जल्द, एक निश्चित समय सीमा में निपटाया +जाना चाहिए। + +जिन 12 कंपनियों के नाम इस +सूची में शामिल हैं, वे हैं- भूषण स्टील, +लैंको इंफ्रा, एस्सार स्टील, भूषण पावर, +आलोक इंडस्ट्रीन, एमटेक ऑटो, मोनेट +इस्पात, इलेक्ट्रोस्टील स्टील्स, एरा इंफ्रा, +जेपी इंफ्राटेक, एबीजी शिपयार्ड और ज्योति +स्ट्रक्चवर्स। बैंकों के कुल एनपीए में इन +कंपनियों की हिस्सेदारी 25 प्रतिशत है। इस +वर्ष मार्च तक भारतीय बैंकों में कुल 7.11 + +लाख करोड़ रुपये का एनपीए था, जिसका +मतलब है कि इन 12 कंपनियों के हिस्से +1.78 लाख करोड़ रुपये आता है। + +वित्तीय सेवा कंपनी मोतीलाल ओसवाल +की एक रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा केलेंडर +वर्ष के पहले नौ महीनों में दिवालिया +निपटान प्रक्रिया के अंतर्गत 376 मामले +एनसीएलटी को सौंपे गये हैं। इनमें 187 +मामले ऑपरेशनल लेनदारों, 122 मामले +वित्तीय लेनदारों और शेष देनदारों द्वारा दायर +किये गये हैं। + +इन मामलों के हल होने से कॉरपोरेट +ऋणदाताओं को लाभ होगा। हालांकि, +शुरुआत धीमी है। रिपोर्ट के मुताबिक +केवल दो मामलों का निपटारा किया जाएगा +यानि उन्हें हेयरकट प्राप्त होगा। सात मामलों +में कंपनियों का परिसमापन किया जाएगा +और अन्य 14 के संबंध में आगे अपील +की जाएगी। + +भारतीय रिजर्व बैंक की सिफारिश पर +एनसीएलटी को सौंपे गये 12 मामलों में +हेयरकट का प्रस्ताव रखा गया है। + +दूसरी समस्या यह है कि प्रमोटर ही +अपनी कंपनियों के लिए बोलियां लगा रहे +हैं। इसका हल निकालने के लिए संहिता +के अंतर्गत नियमों को संशोधित किया +गया है ताकि संदिग्ध प्रमोटर कंपनियों पर +दोबारा कब्जा न कर पाएं। ऐसा करने से +ऋणदाताओं की शंकाओं और भय को दूर +किया जा सकेगा। चूंकि ऋणदाता इस बात +के लिए परेशान होते हैं कि समस्या उत्पन्न +करने वाले ही कम कीमत में कंपनी दोबारा +हासिल न कर लें। + +संहिता के अंतर्गत डीफॉल्टर किसी +को कंपनी को दोबारा नहीं खरीद पाएंगे +क्योंकि समिति द्वारा उनकी जांच की +जाएगी। दिवालिया कंपनियों के लिए बोली +लगाना भी मुश्किल होगा क्योंकि इससे +संबंधित नियमों को भी सख्त बनाया गया +है। संशोधित नियमों के अंतर्गत दिवालिया +पेशेवव के लिए यह सुनिश्चित करना +अनिवार्य है कि प्रस्तावित ऋण योजना की +पूरी जांच की गयी है। इस योजना में ऐसे +सभी विवरण शामिल होने चाहिए जिनकी +मदद से प्रमोटरों सहित निपटान का प्रस्ताव +रखने वालों का मूल्यांकन किया जा सके। +यह देखा जा सके कि वे भरोसेमंद हैं + +31 + + + +0032.txt +<----------------------------------------------------------------------> +अथवा नहीं। इसी प्रकार प्रमोटरों की ऋण +योग्यता और विश्वसनीयता की कड़ी जांच +की जा सकेगी। + +इस योजना में निपटान का प्रस्ताव +रखने वाले की भी पूरी जानकारी होगी, +जैसे अपराध सिद्धि, अयोग्यता, आपराधिक +कार्यवाहियां, आरबीआई के दिशानिर्देशों के +अनुसार विलफुल डीफॉल्टर (स्वैच्छिक चूक +करने वाला) के रूप में वर्गीकरण, सेबी +द्वारा प्रतिबंध लगाना। हालांकि, नीलामी +प्रक्रिया में प्रमोटरों के शामिल होने का +मामला अभी अस्पष्ट है। फिलहाल सरकार ने +संहिता में संशोधन के लिए अध्यादेश जारी +किया है। अध्यादेश विलफुल डीफॉल्टर, +संदिग्ध प्रमोटरों को तो बोली लगाने से +प्रतिबंधित करता ही है, साथ ही एनसीएलटी +में जिन कंपनियों के खिलाफ मामले दायर +किए गए हैं, उनके प्रमोटरों और fae +कंपनियों को इस प्रक्रिया में शामिल होने से +रोकता है। इस संबंध में अध्यादेश ने संहिता +में धारा 29 को शामिल किया है। + +अध्यादेश के अनुसार जिन कंपनियों +के खाते में एक वर्ष से अधिक के एनपीए +हैं, उनके प्रमोटर या सिस्टर कंपनियां +नीलामी की प्रक्रिया में शामिल नहीं हो +सकतीं। अध्यादेश सैद्धांतिक रूप से तो +प्रमोटरों को प्रतिबंधित नहीं करता, चूंकि +वे मूलधन और बकाया राशि का भुगतान +कर सकते हैं और एक वर्ष पूरा होने से +पहले एनपीए को सामान्य परिसंपत्ति में +बदल सकते हैं। + +हालांकि एनसीएलटी द्वारा दिवालिया +निपटान मामले को स्वीकार करने के बाद +ऐसा करने की अनुमति नहीं है। इसका अर्थ +यह है कि प्रमोटर या उनके सहयोगियों में +से कोई भी उपरिलिखित 12 बडे खातों के +स्ट्रेस्ड एसेट्स को नहीं खरीद सकते। + +इसके अतिरिक्त कॉरपोरेट जमानतदार +भी इन कंपनियों की नीलामी प्रक्रिया में +शामिल नहीं हो सकते। इसमें होल्डिंग +कंपनी या स्ट्रेस्ड एसेट्स के प्रमोटरों से +संबंधित पक्ष भी शामिल हैं। + +यहां “प्रमोटरों से संबंधित पक्ष' की +परिभाषा का उल्लेख किया जाना जरूरी +है। उदाहरण के लिए आर्सेलर मित्तल जैसी +कंपनी एक साल से अधिक समय से एनपीए +की सूची में शामिल है। उसने उत्तम गल्वा + +32 + +केस्ट्रेस्ड एसेट्स की नीलामी में दिलचस्पी +दिखाई है। क्या वह इस नीलामी प्रक्रिया में +भाग लेने के योग्य है? + +आर्सेलर मित्तल इस संबंध में बहुत जोर +भी दे रही है कि उसे नीलामी प्रक्रिया में +भाग लेने दिया जाए। उसका दावा है कि +वह उत्तम गल्वा में गैर-नियंत्रित अल्पमत +शेयरधारक है। कंपनी के निर्देशक बोर्ड +में उसका कोई प्रतिनिधित्व नहीं है, न ही +प्रबंधकीय निर्णयों में उसकी कोई भागीदारी +है। वह उत्तम गल्वा की प्रमोटर भी नहीं है +और इसलिए उसे पुनर्गठन प्रक्रिया के तहत +किसी भी स्टील परिसंपत्ति के लिए बोली +लगाने से नहीं रोका जा सकता। + +दिवालिया संहिता के तहत +अधिकरण में जिन 12 कंपनियों के +खिलाफ कार्रवाई की जा रही है, +उनमें से पांच स्टील कंपनियों और +एमटेक ऑटो के लिए संभावित +खरीबारों के प्रस्ताव प्राप्त हो चुके हैं। +इन 12 खातों के अलावा आरबीआई +ने बैंकों को 29 कंपनियों की दूसरी +सूची भी दी है ताकि 13 दिसंबर तक +दोनों पक्षों द्वारा एनपीए का समाधान +किया जा सके। अन्यथा इन खातों +को एनसीएलटी के सुपुर्द कर दिया +जाएगा। + +वैसे मिलगानी परिवार उत्तम गल्वा का +सर्वेसर्वा है। इस कंपनी में आर्सेलर मित्तल +की हिस्सेदारी 29 प्रतिशत है। हां, मुंबई +स्टॉक wade में इस कंपनी के प्रमोटरों +में आर्सेलर मित्तल को भी सूचीबद्ध किया +गया है। + +दिवालिया संहिता में संबंधित पक्ष की +परिभाषा कुछ इस प्रकार है- संबंधित पक्ष +वह होता है, जिसका समस्याग्रस्त (डिस्ट्रेस्ड) +कंपनी में वोटिंग का अधिकार 20 प्रतिशत +से अधिक है और जो 2 प्रतिशत से अधिक +की हिस्सेदारी के साथ पब्लिक कंपनी में +निदेशक हेै। + +हालांकि सेबी एक्ट कहता है कि प्रमोटर +और प्रमोटर समूह वह है जिसकी किसी +कंपनी में 10 प्रतिशत से अधिक इक्विटी है +और जिसका कंपनी पर नियंत्रण है। + +इसलिए संबंधित पक्ष की परिभाषा में +स्पष्टता होनी चाहिए जिससे यह पता चले +कि किसे नीलामी प्रक्रिया में भाग लेने की +अनुमति है और किसे नहीं। + +दिवालिया संहिता के तहत अधिकरण +में जिन 12 कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई +की जा रही है, उनमें से पांच स्टील कंपनियों +और एमटेक ऑटो के लिए संभावित +खरीदारों के प्रस्ताव प्राप्त हो चुके हैं। + +इन 12 खातों के अलावा आरबीआई +ने बैंकों को 29 कंपनियों की दूसरी सूची +भी दी है ताकि 13 दिसंबर तक दोनों पक्षों +द्वारा एनपीए का समाधान किया जा सके। +अन्यथा इन खातों को एनसीएलटी के सुपुर्द +कर दिया जाएगा। + +इस संबंध में एक और तर्क पेश +किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि +पहली सूची में जिन 12 खातों को शामिल +किया गया है उन्हें दूसरी सूची में शामिल +29 खातों की तरह पर्याप्त समय क्‍यों +नहीं दिया गया। चूंकि दूसरी सूची के +लिए बैंकों को दिवालिया निपटान के लिए +काफी समय दिया जा रहा है। पहली सूची +में शामिल 12 मामलों को अधिकरण के +सुपुर्द किये जाने से पहले इतना वक्‍त क्‍यों +नहीं दिया गया। + +ऐसे विवाद और समस्याएं आती ही +रहेंगी, लेकिन व्यापार में प्रवेश या निकास +से जुडी प्रक्रियाओं को सरल बनाने से +भारत में व्यापार करना सुविधाजनक होगा। +हालांकि इस बात का भी ध्यान रखना होगा +कि इस प्रक्रिया में भी इतना विलंब न हो +जाए कि कंपनियों के लिए कारोबार करना +एक उबाऊ काम हो जाए। + +फिलहाल सिनर्जी डोरे मामले में +एडलवाइस एआरसी ने रीकास्ट योजना का +विरोध करते हुए अपीलीय अधिकरण - +राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय अधिकरण +(एनसीएलएटी) का दरवाजा खटखटाया +है। सिनर्जीज कास्टिंग्स, सिनर्जी डूरे की +संबंधित पक्ष है। अध्यादेश में इस संबंध +में तो प्रावधान मौजूद हैं। हालांकि सिनर्जी +डोरेऔर सिनर्जी कास्टिंग्स पर बड़ा आरोप +यह है कि दोनों कंपनियों के बीच +नकली लेनदेन किया गया है। फिलहाल +अधिकरण इस मामले की सुनवायी कर +रहा है। छा + +योजना, जनवरी 2018 + + + +0033.txt +<----------------------------------------------------------------------> +sil + +भारत में ग्रामीण बैंकिंग की समस्याएं और चुनौतियां + + + + + + + + + + + + + + + +मंजुला वाधवा +राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा पहुंच को प्रभावित करता है। ग्रामीण भारत +आरबीआई भी नये उत्पादों QT था- भारत गांवों में बसता के बिजलीकरण की वास्तविकता कुछ इस +प्रावधानों है, ग्रामीण विकास भारत के प्रकार हैः + +के प्रावधानों, विनियामक समूचे विकास की अनिवाय शर्त है। आजादी देश की औसत ग्रामीण +विशानिर्देशों में छट और समूचे विकास की अनिवार्य श हि आजा श सत ग्रामीण साक्षरता दर +टिकाऊ शानिदः गणनीय समावेश के बाद से हमारे नीति निर्माताओं का यह 171 प्रतिशत है लेकिन यह भी सच्चाई +काऊ एवं गणनांय समावश निरंतर प्रयास रहा है कि भारत में ग्रामीण है कि एक आम ग्रामीण को बैंक शाखा +प्रदान करने के लिए अन्य समृद्धि लाने पर पर्याप्त जोर दिया जाये। तक सफर करने के लिए पूरे एक दिन +सहायक उपायों के माध्यम आजादी के 70 वर्षों के दौरान सहकारी की मजदूरी का त्याग करना पड़ सकता +से मिशन मोड में वित्तीय ऋण संरचना से लेकर सार्वजनिक क्षेत्र है जो सुबह 10 बजे खुलकर शाम को +समावेश की पहल कर रहा के बैंकों के राष्ट्रीयररण, ग्रामीण क्षेत्रों में पांच बजे बंद हो जाता है। ऋण और बचत +है। इनमें से कुछ कदम हैं: उनकी शाखाओं के विस्तार और 1976 में खाते की सुविधा बढ़ाने के लिए बैंकों द्वारा +छोटी जमा और ऋण के क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की शुरुआत के साथ गैर-सरकारी संगठनों, स्व-सहायता समूहों +लिए नो फ्रिल अकाउंद्स औपचारिक ग्रामीण संस्थागत संरचना में जैसे मध्यस्थों, बैंकिंग कॉरेसपॉन्डेंट्स और +ए्‌ a 8 कई गुना बढ़ोतरी हुई। इसके बावजूद हमारी बिजनेस फेसिलिटेटर्स जैसे अर्ध औपचारिक +और जनरल क्रेडिट कार्ड ग्रामीण आबादी का बड़ा हिस्सा अभी भी डिलिवरी चैनल्स का प्रयोग किया जाता +(जीसीसी ) की सुविधा, आर्थिक रूप से बहिष्कृत और साहूकारों के है। हालांकि ये चैनल अपने मौजूदा रूप में +50,000 रुपये से कम चुंगल में है जो गंभीर चिंता का विषय है। सीमित सेवाएं प्रदान करते हैं और इनमें कई + +की वार्षिक जमा के साथ आज भी बैंकों से अछती विश्व की समस्याएं भी हैं। + +खाते खोलने के इच्छुक 24 प्रतिशत आबादी और दक्षिण एशिया इसके अतिरिक्त कई बैंक ग्रामीण +लोगों के लिए मानदंडों को = तिहाई लोग भा में बसते डे पक रेत गेट को एक ame ne सच +गरीबों गांवों की लगभग 31 करोड़ जनसंख्या एक रेगुलेटरी जरूरत के रूप में देखते हैं। +बंचितों को आसानी का औपचारिक बैंकिंग सेवा प्राप्त नहीं है। जैसा इसका कारण यह है कि ग्रामीण परिवारों की +a करने के wet fe एसएलबीसी की रिपोर्ट कहती है, 30 आय और व्यय अनियमित होता है। इसलिए +प्रदान कर उद्देश्य से जून 2016 तक भारत के 6,00,000 में से इन इलाकों में बैंकों के ऋण गैर-निष्पादक +उन्हें जीसीसी जारी करना। 4,.52,151 गांवों को बैंकिंग सेवाएं प्रदान होते हैं। चूंकि ग्रामीण अर्थव्यवस्था मानसून +किसानों को परेशानी मुक्त की गयी हैं। इनमें से 14,976 को बैंक पर निर्भर रहती है। राजनीतिक पार्टियां लाभ +और समय पर ऋण प्रदान शाखाओं, 4,16,636 को बीसी (बिजनेस पाने के लिए ऋण छूट भी देती हैं जिससे +करने के लिए सितंबर 2016 कॉरेसपॉन्डेंट्स) और 20,539 को अन्य बेंकों का संकट बढ़ता है। गांवों में जमा +तक पांच करोड किसान माध्यमों जैसे एटीएम, मोबाइल वैन आदि के राशि और ऋण दोनों का आकार कम +क्रेडिट कार्ड ( केसीसी ) जारी माध्यम से बैंकिंग से जोड़ा गया है। इसके होता है जिसका अर्थ यह है कि बैंकों को +किये गये हैं अतिरिक्त खराब भौतिक और सामाजिक प्रत्येक शाखा में अधिक ग्राहकों की जरूरत +बुनियादी ढांचा भी वित्तीय सेवाओं तक होती है। चूंकि बहुत से ग्रामीण साक्षर नहीं + + + + + + + +लेखिका राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के चंडीगढ़ स्थित हरियाणा क्षेत्रीय कार्यालय में सहायक महाप्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। इनके 400 से +अधिक शोध प्रकाशित हैं और वे आकाशवाणी और दूरदर्शन की विभिन्‍न चर्चाओं A fecar edt ct Sf) SA: manjula jaipur@gmail.com + +योजना, जनवरी 2018 33 + + + +0034.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +का प्रतिशत, राज्यवार . + + + + + + +wid: garv.govin + +आरेख 1: भारत में बिजलीकरण: बिजली वाले ग्रामीण परिवारों + +7%) ०८, प्रतिशत बिजलीकरण 39% +नयी दिल्‍ली / वाले परिवार हैं +कुल गांव +बिजली वाले परिवार जाँच +हे ; “of | +: बा 91 - io +कोलकाता बा Si. 90% +me 71 - हाफ +mm 61.7. +5t- Bo +50 प्रतिशत से कम + +झारखंड में सबसे कम + + + + + +हैं और इसलिए वे एटीएम, फोन बैंकिंग +या इंटरनेट बैंकिंग आदि का उपयोग नहीं +कर पाते। वे बेंक शाखाओं पर निर्भर रहते +हैं जिससे बैंकों की लागत बढ़ती है। साथ +ही बैंकों को गांवों में अनियमित आय +और आकस्मिक जरूरतों के चलते ऋण +देना जोखिमपूर्ण लगता है। एक ओर गरीब +लोगों को मूल बचत सेवाओं और उत्पादन +लागत एवं आकस्मिक खर्चों के लिए छोटे +ऋणों की जरूरत होती है, वहीं दूसरी ओर +किसानों एवं किसान संगठनों को उत्पादन, +इनपुट, प्रोसेसिंग, मार्केटिंग के लिए बड़े +ऋण तथा जोखिम से बचाव करने वाले +उत्पादों जेसे जीवन या संपत्ति बीमा की +आवश्यकता होती है। + +वित्त के नये ग्रामीण आदर्श को इस +बात पर आधारित होना चाहिए कि ग्रामीण +लोग बैंक योग्य हें। यह भी कि ग्रामीण +tea केवल किसानों और अशिक्षित लोग +नहीं हैं, बल्कि इसमें एक ऐसी पीढ़ी भी +शामिल है जो तकनीक का उपयोग करती +है और उसे अपनाना सकती है। इसलिए +आज जरूरत इस बात की है कि वित्तीय +क्षेत्र समावेशी बने और इसमें टिकाऊ +संस्थान शामिल हों जिनकी रूपरेखा मांग +आधारित हो और जिनमें अनेक प्रकार के + +34 + +वित्तीय उत्पाद एवं सेवाओं का प्रावधान +हो। इस प्रकार एक समावेशी और टिकाऊ +ग्रामीण वित्तीय प्रणाली विकसित करना +बेहद चुनौतीपूर्ण है और इसमें कई व्यापक +मुद्दे शामिल हों। इन्हें हम सात श्रेणियों में +रख सकते हैं: +उत्पाद रणनीति + +छोटे लेनदेन के लिए क्‍या ऐसे विविध +उत्पादों और सेवाओं को विकसित किया +जा सकता हे जिनके लिए उत्पाद के +लचीलापन, निरंतर उपलब्धता और सुविधा +के साथ समझोता न किया जाए। किस +किस्म के वित्तीय उत्पादों को विकसित +किया जा सकता है? किस किस्म के +वित्तीय उत्पादों की मदद से गरीबी को कम + +आज जरूरत इस बात की है कि +वित्तीय क्षेत्र समावेशी बने और इसमें +टिकाऊ संस्थान शामिल हों जिनकी +रूपरेखा मांग-आधारित हो और जिनमें +अनेक प्रकार के वित्तीय उत्पाद एवं +सेवाओं का प्रावधान हो। इस प्रकार, +एक समावेशी और टिकाऊ ग्रामीण +वित्तीय प्रणाली विकसित करना बेहद +चुनौतीपूर्ण है और इसमें कई व्यापक +मुद्दे शामिल हों। + +किया जा सकता है और ग्रामीण क्षेत्रों की +विकास दर में वृद्धि की जा सकती है? +प्रक्रियाएं + +वंचितों और कमजोर तबकों तक +पहुंचने और वित्तीय व्यवहार्यता को खतरे में +डाले बिना ग्राहकों को आसानी से सेवाएं +प्रदान करने में किस प्रकार की व्यावसायिक +प्रक्रियाएं मददगार साबित हो सकती हैं? +शाखा विहीन बैंकिंग की बाधाओं को दूर +करने के लिए हम एक कुशल हब और +स्पोक मॉडल कैसे डिजाइन कर सकते हें? +साझेदारी + +बैंकों में खाते न होने के कारण लोगों +को वित्तीय सेवाओं का लाभ उठाने में किन +कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है? +क्या बेंक-गैर-बैंक भागीदारी, जेसे बिजनेस +कॉरेसपॉन्डेंट, एसएचजीजु, एमएफआई आदि +वित्तीय सेवाओं की सुविधा और उपलब्धता +को सहज बनाने में कुशल होते हैं? +संरक्षण + +सेवा प्रदाताओं और ग्राहकों को +दुर्व्यवहार और दुरुपयोग से बचाने के लिए +किन उपायों की आवश्यकता है? क्‍या इस +क्षेत्र की संवेददशीलता के मद्देनजर लोगों +को ऋण संबंधी जोखिम से बचने के पर्याप्त +रास्ते हैं? क्या ऋणदाता ऋण संस्कृति की +अनिश्चितता से सुरक्षित हैं? +लाभपरकता + +क्या व्यापार रणनीतियों और डिलीवरी +मॉडल ग्रामीण ग्राहकों को सस्ती और +स्वीकार्य सेवाएं प्रदान करने के लिए तैयार +हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि ग्रामीण +वित्त सेवा प्रदाता को निरंतर लाभ प्राप्त हो +रहा है। हम एक उपयुक्त मूल्य निर्धारण +मॉडल के माध्यम से ग्राहकों की भुगतान +करने की इच्छा को कैसे टैप करते हैं? +उत्पादकता + +ग्रामीण क्षेत्रों में प्रदान की जाने वाली +वित्तीय सेवाओं की उत्पादकता को हम कैसे +बढ़ाए? वित्तीय सेवाओं के अधिक उत्पादक +और सर्वश्रेष्ठ उपयोग को सुनिश्चित करने +के लिए वित्त के साथ अन्य संसाधनों +को सहयोग देने के लिए आवश्यक क्‍या +रणनीतियां (क्रेडिट प्लस दृष्टिकोण के +अंतर्गत) हैं? + +योजना, जनवरी 2018 + + + +0035.txt +<----------------------------------------------------------------------> +लोग + +क्या ग्रामीण बैंक शाखा के कर्मचारी +ज्ञान, कौशल ओर व्यवहार के संदर्भ में +वित्तीय समावेशन की प्रक्रिया की जरूरतों +को पूरा करने में सक्षम हैं? क्या इन लोगों +में संभावित ग्राहकों की पहचान करने और +उन्हें समय पर सलाह देने एवं बैंकिंग की +विविध सेवाएं प्रदान करने की क्षमता, समझ +और प्रतिबद्धता है? + +जैसा नेल्सन मंडेला ने कहा, “हमारी +प्रगति की जांच इस बात से नहीं होती कि +हम उन लोगों को बहुत कुछ देते हैं जिनके +पास पहले से बहुत अधिक हे। हमारी प्रगति +इस बात से साबित होती है कि क्‍या हम +उन लोगों को पर्याप्त लाभ प्रदान करते हैं +जिनके पास बहुत कम है।'”' इस तथ्य को +ध्यान में रखते हुए हम इस परीक्षा में कहां +ठहरते हैं- हमारी सरकार ने ग्रामीण बैंकिंग +की चुनौती से निपटने के लिए क्या कदम +उठाए हैं: + +भारत में वित्तीय समावेश का पहला +प्रयास 2005 में इंडियन बैंक के चेयरमैन +के सी चक्रवर्ती ने शुरू किया था। मंगलम +गांव भारत का पहला गांव बना जहां सभी +परिवारों को बैंकिंग सुविधाएं प्रदान की +गयी। अब आरबीआई भी नये उत्पादों के +प्रावधानों, विनियामक दिशानिर्देशों में छूट +और टिकाऊ एवं गणनीय समावेश प्रदान +करने के लिए अन्य सहायक उपायों के +माध्यम से मिशन मोड में वित्तीय समावेश +की पहल कर रहा है। इनमें से कुछ कदम +हैं: छोटी जमा और ऋण के लिए नो +फ्रिल अकाउंट्स और जनरल क्रेडिट कार्ड +(जीसीसी) की सुविधा, 50,000 रुपये से +कम की वार्षिक जमा के साथ खाते खोलने +के इच्छुक लोगों के लिए मानदंडों को सरल +बनाना। गरीबों और वंचितों को आसानी से +ऋण प्रदान करने के उद्देश्य से उन्हें जीसीसी +जारी किये गये। किसानों को परेशानी मुक्त +और समय पर ऋण प्रदान करने के लिए +सितंबर 2016 तक, पांच करोड़ किसान +क्रेडिट कार्ड (केसीसी) जारी किये गये हैं। +जनवरी 2006 में आरबीआई ने वाणिज्यिक +बैंकों को वित्तीय और बेंकिंग सेवाएं प्रदान +करने के लिए मध्यस्थों के रूप में गैर- + + + +योजना, जनवरी 2018 + +आरेख 2: भारत में बीसी के मार्ग में बाधाएं + +अधिक व्यवसाय करने के मार्ग में सबसे बड़े बाधक + + + +यह बिंदु संभावित ग्राहकों में जागरूकता बढ़ाने के लिए अधिक महत्वाकांक्षी तरीके से + +मार्केटिंग करने की जरूरत को इंगित करता है। + +J जून 2015 में इंटरमीडिया की बेब 2 रिसर्च रिपोर्ट से सिद्ध + +हुआ + +जो यह कहती है कि भारत में 48 प्रतिशत बैंक खाते + +कि हैं। भारत सरकार की पीएमजेडीवाई वेबसाइट भी कहती +है कि 46 प्रतिशत खातों में बैलेंस नहीं है। + +ग्राहकों में सेवाओं व्यक्तिगत ग्राहकों व्यापार में बहुत +के संबंध मे +जागरूकता का मांग नियमित + +एजेंट्स प्रतिस्पर्धा +अभाव नहीं हे + +कर रहे हैं + +सरकारी संगठनों (एनजीओ/एसएचजी) , +लघु ऋण संस्थानों और नागरिक समाज के +अन्य संगठनों की सेवाओं का उपयोग करने +की अनुमति दी। ये मध्यस्थ वाणिज्यिक +बैंकों की ओर से बिजनेस फेसिलिटेटर्स या +बिजनेस कॉरेसपॉन्डेंट्स के रूप में कार्य +करते हैं। भारतीय रिजर्व बैंक ने विभिन्न +क्षेत्रों में वाणिज्यिक बैंकों को 100 प्रतिशत +वित्तीय समावेश अभियान शुरू करने का +भी निर्देश दिया है, जिसके परिणामस्वरूप +पुदूचेरी जैसे केंद्र शासित प्रदेश और +हिमाचल प्रदेश जैसे राज्य ने अपने सभी +जिलों में 100 प्रतिशत वित्तीय समावेश की +घोषणा की है। यह आरबीआई का लक्ष्य है +कि वह 2020 तक 60 करोड़ नये ग्राहकों + +भारतीय रिजर्व बैंक ने विभिन्न +क्षेत्रों में वाणिज्यिक बैंकों को 100 +प्रतिशत वित्तीय समावेश अभियान +शुरू करने का भी निर्देश दिया है, +जिसके परिणामस्वरूप get जैसे +केंद्र शासित प्रदेश और हिमाचल +प्रदेश जैसे राज्य ने अपने सभी जिलों +में 100 प्रतिशत वित्तीय समावेश +की घोषणा की है। यह आरबीआई +का लक्ष्य है कि वह 2020 तक 60 +करोड़ नये ग्राहकों के खाते खोले +और आईटी का लाभ उठाते हुए उन्हें +विभिन्न सेवाएं प्रदान करे। + +|| + +पर्याप्त फ्लोट बीसी कंपनी से अधिक व्यवसाय + +की सेवा संबंधी अधिक संख्या में खरीदने के लिए पर्याप्त सहयोग का करने का मतलब है. + +धोखाधड़ी या चोरी +का अधिक जोखिम + +संसाधनों का +अभाव + +अभाव + + + +के खाते खोले और आईटी का लाभ उठाते +हुए उन्हें विभिन्न सेवाए प्रदान करे। हालांकि +कई राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों में निरक्षरता और +कम आय, बचत व बैंक शाखाओं की कमी +जैसे अवरोध मौजूद हैं और यहां कानूनी +ओर वित्तीय संरचना भी अपर्याप्त है। + +यहां हम एक-एक करके कुछ मुद्दों +पर चर्चा करेंगे : + +1, बीसी मॉडल गरीब गांवों में अच्छी +तरह से काम करे, इसके लिए निम्नलिखित +की आवश्यकता हे: +© कम आय वाले और कम मात्रा में + +लेनदेन करने वाले ग्राहकों को सेवाएं +प्रदान करने के कारण बीसीज्‌ को +पर्याप्त आय प्राप्त नहीं होती। बीसी +के सर्वश्रेष्ठ उपयोग के लिए उन्हें +बैंकों द्वारा पर्याप्त रूप से मुआवजा देने +की आवश्यकता है ताकि वे ग्रामीणों +को उनकी दहलीज तक बैंकिंग सेवाएं +प्रदान करने के लिए पर्याप्त रूप से +प्रोत्साहित हो सके। + +*» बीसी के कामकाज के निरीक्षण, नकदी +प्रबंधन और ग्राहकों की शिकायतों पर +ध्यान देने के लिए बैंकों को उचित +दूरी पर छोटी ब्रिक और मोर्टार शाखाएं +खोलनी चाहिए। + +e इसके अतिरिक्त बेंकों को बीसी के +प्रभावी कामकाज के लिए उपयुक्त +प्रशिक्षण और कौशल विकास कार्यक्रम + +35 + + + +0036.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +आरंभ करने की जरूरत हे। + +2. सस्ती दरों पर गरीब ग्रामीणों की +जरूरतों को पूरा करने के लिए उपयुक्त नये +उत्पादों को डिजाइन करना एक अनिवार्यता + +है। + +ग्रामीणों को साहूकारों से उधार न +लेना पड़े इसके लिए बैंकों को सरल +ऋण वितरण प्रक्रियाओं का विकास +करना चाहिए और उनकी प्रक्रियाओं में +लचीलापन भी होना चाहिए। + +3, सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के + +परिवेश में तकनीक ही वह मुख्य साधन +है जो अधिक से अधिक समावेश कर +सकता हे। + +36 + +ग्रामीणों को सेवाएं प्रदान करने के +लिए बैंकों को अपने एटीएम नेटवर्क +को ग्रामीण और बिना बैंक वाले क्षेत्रों +में बढ़ाने की जरूरत है। इसके साथ +पर्याप्त सुरक्षा उपायों के साथ-साथ +वित्तीय साक्षरता अभियानों को भी शुरू +किया जाना चाहिए। + +ग्रामीण क्षेत्रों में छोटी लेनदेन के साथ +जुड़ी लागत को कम करने के लिए +घरेलू रूपे कार्ड का उपयोग बढ़ाया +जा सकता है। + +हालांकि हमारे देश के राष्ट्रीय कृषि +और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने +पहले से ही केसीसी को इलेक्ट्रॉनिक +क्रेडिट कार्डों और रूपे केसीसी में + + + + + +उठाए है। बैंक बहुउद्देशीय कार्ड जारी +करने की संभावना तलाश सकते हैं +जो डेबिट कार्ड, केसीसी और ग्रामीण +क्षेत्रों की जरूरत के अनुसार जीसीसी +के रूप में कार्य कर सकते हैं। +ग्रामीण भारत में मार्च 2017 तक 50 +करोड़ 60 लाख मोबाइल उपभोक्ता +हैं। इस बात का विकल्‍प तलाशा जा +सकता है कि एक एप्लीकेशन का +प्रयोग करते हुए एन्क्रिप्टेड एसएमएस +आधारित फंड ट्रांसफर का प्रयोग +किया जाए और वह एप्लीकेशन किसी +भी प्रकार के मोबाइल पर सहजता से +चलायी जा सके। + +हाल के नाबार्ड सर्कुलर के प्रावधानों के +अनुसार बैंक पीएसीजु का उपयोग कर +सकते हैं जो बिजनेस कॉरैसपॉन्डेंट्स + +हमारे देश के राष्ट्रीय कृषि और + +ग्रामीण विकास बैंक ( नाबार्ड ) ने पहले +से ही केसीसी को इलेक्ट्रॉनिक क्रेडिट +कार्डों और रूपे केसीसी में रूपांतरित +करने के लिए कई नये कदम उठाए है। +बैंक बहुउद्देशीय कार्ड जारी करने की +संभावना तलाश सकते हैं जो डेबिट +कार्ड, केसीसी और ग्रामीण क्षेत्रों की +जरूरत के अनुसार जीसीसी के रूप में +कार्य कर सकते हैं। + +के रूप में सहकारी समितियों का +सबसे बड़ा ग्रामीण नेटवर्क हे। + +चूंकि प्रवासी लोगों के लिए रेमिटेंस +सुविधा सर्वोपरि है इसलिए प्रवासियों +को आसान और सस्ती रेमिटेंस +सुविधाएं प्रदान करना एक अनिवार्य +शर्त है। + +गरीब ग्रामीणों के साथ काम करने के +लिए बैंकों को बैंकिंग के मानवीय +पक्ष के संबंध में अपने कर्मचारियों को +बीसी को लैस करने के लिए प्रशिक्षण +कार्यक्रम शुरू करना होगा। + +अर्थपूर्ण वित्तीय समावेश करने के +लिए बैंकों को बड़े किसानों की तुलना +में छोटे किसानों को ऋण देने को +वरीयता देनी चाहिए। + +बैंकों को अपने सीबीएस प्लेटफार्म्स +की स्केलेबिलिटी सुनिश्चित करनी +चाहिए। + +ग्रामीण बैंकिंग के लिए प्रभावी ढंग +से इलेक्ट्रॉनिक लाभ हस्तांतरण प्रणाली +को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। +रोजगार और अन्य अवसरों को बढ़ावा +देकर ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण अवशोषण +क्षमता बढ़ाने के लिए सरकार/बैंकों को +कदम उठाने चाहिए। + +नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है +कि ग्रामीण क्षेत्रों में बेंक शाखाओं +की संख्या मार्च 2010 में 33 378 +से बढ़कर मार्च 2016 में 51,830 +हो गयी। जबकि ग्रामीण भारत में +शाखाहीन बैंकिंग आउटलेट की संख्या +मार्च 2010 के 34316 से बढ़कर +मार्च 2016 में 534,477 हो गयी +है। यह शाखाहीन बैंकिंग के जरिए +बैंकिंग सेवाओं की एक प्रभावशाली +आउटरीच दिखाता है। फिर भी निजी +क्षेत्र के बैंकों के मामले में मार्च +2017 तक कुल शाखाओं में ग्रामीण +शाखाओं की हिस्सा सिर्फ 20 प्रतिशत +है इसलिए निजी बैंकों द्वारा ग्रामीण +शाखाओं की संख्या में वृद्धि करने की +अत्यंत आवश्यकता हे। + +कथित तौर पर भारत में 6 लाख में से +करीब 18000 गांवों में बिजली नहीं है + +योजना, जनवरी 2018 + + + +0037.txt +<----------------------------------------------------------------------> +इसलिए सरकार को पर्याप्त बुनियादी +ढांचे जेसे भौतिक और डिजिटल +कनेक्टिविटी, निरंतर बिजली आपूर्ति +आदि के संबंध में प्रयास करने की +आवश्यकता है। + +e सभी बेंकों को भाषाई होने की जरूरत +है, कम से कम प्रमुख भाषाओं में। +वित्तीय साक्षरता के अभियान के अंग +के रूप में बैंकों को आम जनता के +मन से अंग्रेजी भाषा का भय भी +समाप्त किया जाना चाहिए। + +* भारत में 1.:54,882 डाकघरों के +साथ विश्व का सबसे बड़ा पोस्टल +नेटवर्क है जिसमें 139,182 (89. +86 प्रतिशत) डाक घर ग्रामीण इलाकों +में हैं। इसके मद्देनजर यह सुनिश्चित +करने की जरूरत है कि पोस्ट ऑफिस +उनके ज्ञात लाभों के कारण अधिक से +अधिक सक्रिय भूमिका निभाएं। भारत +सरकार द्वारा भारतीय डाक बैंक की +शुरुआत निस्संदेह इस दिशा में एक +उल्लेखनीय कदम हे। + +* हालांकि नाबार्ड का एसएचजी-बेंक +लिंकेज कार्यक्रम दुनिया का सबसे +बड़ा लघु ऋण कार्यक्रम बन गया +है। लघु उद्यम संबंधी मुद्दों पर उनकी +स्थिरता और क्रमिक वृद्धि अभी देखी +जानी बाकी है। + +* बीसी सेवाओं के प्राप्तकर्ता अधिकतर +अशिक्षित और तकनीक से अनजान हे +जिनके कारण बीसी द्वारा उनका गलत +मार्गदर्शन किया जाना संभव है। +सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक ने + +उपरोक्त मुद्दों को हल करने के लिए हाल + +ही में विभिन्न उपाय किये हैं जैसे: + +71. जन धन योजना के तहत लगभग 26 +करोड़ खातों को खोलने में सफलता। + +2. लघु ऋण प्रदान करने के लिए सूक्ष्म +इकाई विकास पुनर्वित्त एजेंसी (मुद्रा) +की स्थापना। + +3. विभिन्न सामाजिक योजनाएं जेसे अटल +पेंशन योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा +योजना और प्रधानमंत्री जीवन ज्योति +बीएमए योजना, जो सामाजिक सुरक्षा +प्रदान करेंगी। + +योजना, जनवरी 2018 + + + +आरेख 3: ग्रामीण बैंकिंग- दृष्टिकोण 2025 + + + + + +100 प्रतिशत बिजलीकरण + +100 प्रतिशत साक्षरता + + + + + +mat १... वसोवीएफ चेनल बीसी/बीएफ चैनल “जज + +बिक्री केंद्र एटीएम +“fanaa Nf ame 7 कॉल सेंटर ई-शक्ति + +a ae एफएलसीज + +et NOY ea २6 f जेएलजी + +ame \ जय बैंकिंग + +So + + + +\74 + + + + + +एप + + + + + +सेवाएं प्रदान करना। + +बैंकिंग कॉरेसपॉन्डेंट्स और बिजनेस +फेसिलिटेटर्स के माध्यम से बैंकिंग + +खोले गये खातों में बड़ी संख्या में +कोई पैसा नहीं है और ये निष्क्रिय हैं। +इससे इन खातों को चलाने से बेंकों + +. क्रेडिट और डेबिट लेनदेन पर प्रस्तावित की लागत बढ़ती है। गरीब लोगों की +रियायतें। कमायी गुजर-बसर लायक ही होती +. नकद लेनदेन के बजाय माइक्रो एटीएम है और उनकी कोई नियमित कमायी + +और रुपे कार्ड्स आधार से लिंक किये + +गये। + +. 11 भुगतान बैंकों और 10 छोटे वित्त +बैंकों को नये लाइसेंस देकर अंतर + +नहीं होती। उनके पास बेंक खाते में +बचत करने या किसी भी अन्य वित्तीय +साधन की कोई गुंजाइश ही नहीं होती। +नतीजतन उनके वित्तीय समावेश का + +कोई अर्थ नहीं है। + +प्रौद्योगिकी सक्षम सेवाओं जेसे जनधन, +आधार ओर मोबाइल (जेएएम) को +जोड़ने का काम धीमा है। + +भुगतान बैंकों की पहुंच व्यापक हे +लेकिन उन्हें कई समस्याओं से +निपटने की जरूरत है जेसे जटिल +यूजर इंटरफेस, इंटरनेट की कमी, +शिकायत निवारण तंत्र का न होना, जो +उपयोगकर्ताओं के लिए परेशानियां पैदा +करता है। इसके अतिरिक्त आरबीआई +नये भुगतान बैंकों की जिम्मेदारी +बढ़ाएगा, विशेष रूप से उत्तरदायित्व + +बैंकिंग को बढ़ावा देना। + +हालांकि इन कार्यक्रमों को भी कुछ * +चुनौतियों का सामना करना पड़ता हैः +पीएमजेडीवार्ड में खातों की बहुलता +की समस्या है। पीएमजेडीवाई के तहत * + +भारत में 1,54,882 डाकघरों के +साथ विश्व का सबसे बड़ा पोस्टल +नेटवर्क है, जिनमें 1,39 ,182 ( 89,86 +प्रतिशत ) डाक घर ग्रामीण इलाकों +में हैं। इसके मद्देनजर यह सुनिश्चित +करने की जरूरत है कि पोस्ट ऑफिस +उनके ज्ञात लाभों के कारण अधिक + +से अधिक सक्रिय भूमिका निभाएं। के संबंध में। तरण में देरी +«प्रत्यक्ष +भारत सरकार द्वारा भारतीय डाक HART CH हस्ताकरय या लाभ +प्रदान करने से इनकार करने की स्थिति + +बैंक की शुरुआत निस्संदेह, इस दिशा + +में एक उल्लेखनीय कदम है। में बैंक के अधिकारियों को मध्यस्थों + +का सहयोग लेना पड़ सकता है। + +३7 + + + +0038.txt +<----------------------------------------------------------------------> +भुगतान बैंकों के विस्तार से बैंकों +को नियमित रूप से प्राप्त होने वाले +शुल्क से वंचित रहना पड़ सकता है +जो वे ग्राहकों से वसूलते हैं, जैसे +डिमांड ड्राफ्ट, नकद हस्तांतरण, +रेमिटेंस, चेक के माध्यम से नकद +निकासी और एटीएम लेनदेन शुल्क। +पीएमजेजेबीवार्ड, पीएमएसबीवार्ड, +एपीआई जेसी योजनाएं इस बात पर +बहुत हद तक निर्भर करती हैं कि +बैंक सफलतापूर्वक गरीबों तक पहुंच +बनाता है और यह एक महती काम +है। चूंकि बहुत से लोगों को पेंशन +या बीमा उत्पादों के बारे में जानकारी +ही नहीं है। + +बहुत सारे मामलों में बिजनेस +कॉरेसपॉन्डेंट्स पर पैसे बसूलने का +आरोप लगाया गया है। + +बैंकिंग प्रौद्योगिकी संबंधी धोखाधड़ी +की दर खतरनाक तरीके से बढ़ रही +है। + +ग्रामीण और पश्चिमी क्षेत्र में मोबाइल +कनेक्टिविटी अभी भी खराब स्थिति +में है। + +प्राथमिकता क्षेत्र के ऋण उचित लोगों +तक नहीं पहुंच पाते क्‍योंकि बहुत से + +यह उसम्मीद की जा सकती है कि +ग्रामीण वित्तीय प्रणाली का आकार +और दायरा बढ़ेगा और ग्रामीण वित्त +की चुनौतियों का हल होगा। साथ +ही ग्रामीण जनता में भी मात्रात्मक +और गुणात्मक रूप से सुधार होगा। +आइए ग्रामीण बैंकिंग की अंतर्निहित +परिकल्पना को साकार रूप दें। + +बैंक गरीबों को उधार नहीं देते। इसलिए +लक्ष्य प्राप्त करने के लिए वे ऐसे लोगों +को ऋण देते हैं जो धोखाधड़ी से +दस्तावेज बनाते हैं। उदाहरण के लिए +स्वर्ण ऋण सस्ती दरों पर किसानों के +लिए उपलब्ध हैं। लेकिन जो लोग +खेती भी नहीं करते वे बैंकों से अपने +संपर्कों का उपयोग करते हुए ये ऋण +प्राप्त कर लेते हैं। इस तरह प्राथमिक +क्षेत्र के ऋण उचित से अनुचित लोगों +को मिल जाते हैं। सरकार को इस +मुद्दे पप गौर करना चाहिए और यह +सुनिश्चित करना चाहिए कि उचित +आवेदकों को ऋण प्रदान किया गया है +और धोखाधड़ी से आवेदन करने वालों +और बैंक के अधिकारियों के खिलाफ +सख्त कार्रवाई की गयी हे। + +उम्मीद है कि भारतीय रिजर्व बैंक +एक अनुकूल विनियामक वातावरण बनाने +के लिए प्रतिबद्ध है जहां संस्थाएं गरीबों +को सहजतापूर्वक वित्तीय सेवाए प्रदान +करें और वित्तीय स्थिरता पर खतरा न +मंडराए। बैंकों को भी अपने वित्तीय +दर्शन के साथ समावेश की रणनीति +निर्धारित करने और इसे एक व्यावसायिक +गतिविधि के रूप में आगे बढ़ाने की +स्वतंत्रता दी जाए। वे जोखिम को समझते +हुए अपने वित्तीय उत्पाद बनाने के लिए +आजाद हों। जबकि कुछ ही वित्तीय +सेवा प्रदाताओं खासकर लघु ऋण सेवा +प्रदाताओं, को बैंक बनने की अनुमति +दी गयी है और प्राथमिक क्षेत्र के ऋणों +को ध्यान में रखते हुए विदेशी बेंकों +के प्रवेश के अतिरिक्त छोटे बैंकों एवं +भुगतान बैंकों को लाइसेंस दिया गया है। +यह उम्मीद की जा सकती है कि ग्रामीण +वित्तीय प्रणाली का आकार और दायरा +बढ़ेगा और ग्रामीण वित्त की चुनौतियों +का हल होगा। साथ ही ग्रामीण जनता +में भी मात्रात्मक और गुणात्मक रूप से +सुधार होगा। आइए ग्रामीण बैंकिंग की +अंतर्नेहित परिकल्पना को साकार रूप +ql O + + + +डेबिट कार्ड/भीम यूपीआई/एईपीएस लेन-देन में + + + +एमडीआर शुल्क पर छूट को अनुमोदन + + + +धानमंत्री की अध्यक्षता वाले केद्रीय मंत्रिमंडल ने यह + +अनुमोदित किया कि सभी डेबिट कार्डों / भीम यूपीआई +/ आधार समर्थित भुगतान प्रणाली (एईपीएस) लेनदेनों पर लागू +होगी, जिसमें 2000 रुपए तक की व्यापारी छूट दर (एमडीआर) +को सरकार बैंकों को इसकी प्रतिपूर्ति करके स्वयं वहन करेगी जो +1 जनवरी, 2018 से दो वर्ष की अवधि के लिए होगा। + +सचिव, वित्तीय सेवा विभाग, सचिव, इलेक्ट्रॉनिक्स और +आईटी तथा सीईओ, भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) +की सदस्यता वाली समिति ऐसे लेनदेनों की उद्योग लागत संरचना +को देखेगी जो प्रतिपूर्ति के स्तर के निर्धारण के आधार का निर्माण +करेगी। + +इस अनुमोदन के परिणामस्वरूप, 2000 रुपए से कम के +लेनदेनों के लिए उपभोक्ता और व्यापारी को एमडीआर के रूप + +में अतिरिक्त भार वहन नहीं करना पडेगा जिससे ऐसे लेनदेन के +लिए भुगतान के डिजिटल तरीकों को अपनाया जाएगा। चूंकि ऐसे +लेनदेन की बड़ी संख्या है इसलिए इससे अर्थव्यवस्था में नकदी +के कम इस्तेमाल को प्रोत्साहन मिलेगा। + +अनुमान है कि 2000 से कम के लेनदेन के संबंध में बैंकों +को की जाने वाली एमडीआर की प्रतिपूर्ति का मूल्य वित्तीय वर्ष +2018-19 में 1,050 और वित्तीय वर्ष 2019-20 में 1,462 करोड +रुपए होगा। + +जब व्यापारी के बिक्री केंद्र पर भुगतान किया जाता है तो +व्यापारी द्वारा बैंक को एमडीआर देय होता है। इस कारण कई +लोग डेबिट कार्ड होने के बावजूद नकद भुगतान करते हैं। इसी +प्रकार, भीम यूपीआई और एईपीएस के जरिए व्यापारी को किए +गए भुगतान पर एमडीआर लगाया जाता है। a + + + +38 + +योजना, जनवरी 2018 + + + + + +0039.txt +<----------------------------------------------------------------------> +fast gare: and Yo ada बैंकिंग का कायाकल्प + + + +सरकार ने ऋण वृद्द्धि तथा +रोजगार सृजन को बढ़ावा देने +के उद्देश्य से सार्वजनिक +बैंकों में पुनः पूंजी डालने का +निर्णय लिया है। इसके लिए +अगले दो वर्षों में लगभग +2,11,000 करोड़ रुपये की +पूंजी जुटाना आवश्यक है, +जिसमें अधिकाधिक आवंटन +इसी वर्ष करना होगा। इसके +लिए 18,139 करोड़ रुपये +की व्यवस्था बजट से होगी, +1,35 ,000 करोड़ रुपये के +पूनर्पूुजीकरण बॉण्ड होंगे +और शेष राशि बैंकों द्वारा +बाजार से पूंजी ( 58,000 +करोड़ रुपये का अनुमान ) +जुटाकर लाई जाएगी, जिसके +लिए सरकार ऋण वृद्धि एवं +रोजगार सृजन में मदद के +इरादे से अपनी हिस्सेदारी +कम करेगी + +डी एस मलिक + +छले दो महीनों में वित्तीय सेवा +क्षेत्र में सरकार की उस घोषणा +की ही चर्चा है, जिसके तहत + +अगले दो वर्षों में सार्वजनिक बेंकों में 2.11 +लाख रुपये की भारी पूंजी लगाई जाएगी +ताकि ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवालिया +संहिता (आईबीसी) में किए गए संशोधनों +का पालन हो सके और सार्वजनिक बैंकों के +विलय पर भी ध्यान केंद्रित हो सके, जिसे +गति देने के लिए “वैकल्पिक व्यवस्था' कर +दी गई है। ऐसा लग सकता है कि सार्वजनिक +क्षेत्र की बैंकिंग प्रणाली को नया कलेवर देने +के लिए अचानक ये कदम उठाए गए हैं। +लेकिन सरकार ने इन कदमों की रणनीतिक +योजना बनाई थी और अब इन्हें लागू किया +जा रहा है। 2014 में इस सरकार के गठन +के बाद से ही सार्वजनिक बैंकों के प्रदर्शन +पर बहस चल रही हैं क्‍योंकि भारत की +अर्थव्यवस्था में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका हे। +बुनियादी ढांचे को अधिकतर ऋण उपलब्ध +कराने वाले सार्वजनिक बैंकों पर पिछले कुछ +वर्षों में मंजूरी मिलने तथा भूमि अधिग्रहण में +विलंब, धीमी वैश्विक तथा घरेलू मांग जैसे +कारणों से बुरा प्रभाव पड़ा था। इस प्रकार +लाभदेयता भी कम हो गई थी। ऐसी चुनौतियों +से पार पाने के लिए सरकार ने 2015 में एक +योजना तैयार की, जिसे “इंद्रधनुष योजना' +कहा जाता है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के +पुनर्पूुजीकरण तथा पुनर्निर्माण के लिए केंद्र +सरकार ने 14 अगस्त, 2015 को राष्ट्रीय +राजधानी में इस योजना की घोषणा की और +1970 में बैंकों के राष्ट्रीयकरण के बाद से +यह सरकार द्वारा आरंभ किए गए सबसे +व्यापक सुधारों में से एक है। + + + + + + + + + +नियुक्तियां + +सरकार ने चेयरमैन और प्रबंध निदेशक +(एमडी) के पद को यह कहते हुए अलग +कर दिया कि आगे से जो भी रिक्तियां भरी +जाएंगी, उनमें मुख्य कार्य अधिकारी (सीईओ) +को एमडी और सीईओ का पद मिलेगा तथा +सार्वजनिक बैंकों के गैर कार्यकारी चेयरमैन +के रूप में किसी अन्य व्यक्ति की नियुक्ति +की जाएगी। +बैंक बोर्ड ब्यूरो ( बीबीबी ) + +बीबीबी प्रसिद्ध पेशेवरों तथा अधिकारियों +की एक समिति होगी, जो सार्वजनिक बेंकों +के पूर्णकालिक निदेशकों तथा गैर कार्यकारी +चेयरमैन की नियुक्ति के मामले में नियुक्ति +बोर्ड का स्थान लेगी। सार्वजनिक बैंकों की +वृद्धि एवं विकास के लिए उपयुक्त रणनीतियां +तैयार करने के उद्देश्य से वे सभी बैंकों के +निदेशक मंडलों के साथ भी लगातार संपर्क +में रहेंगे। +पूंजीकरण + +फिलहाल सार्वजनिक बैंकों के पास +पर्याप्त पूंजी है और वे बेसल 3 नियम तथा +भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के सभी +नियम पूरे कर रहे हैं। कितु भारत सरकार +सभी को पर्याप्त पूंजी प्रदान करना चाहती +है ताकि बेसल 3 के न्यूनतम नियमों के +अतिरिक्त भी सुरक्षित पूंजी मौजूद रहे। वित्त +वर्ष 2019 तक यानि अगले चार वर्षों में +लगभग 1,80,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त +पूंजी की आवश्यकता होगी। यह अनुमान +इस वर्ष ऋण में 12 प्रतिशत की वृद्धि दर +तथा बैंकों के आकार तथा वृद्धि की क्षमता +के अनुसार अगले तीन वर्षों में 12 से 15 +प्रतिशत की वृद्धि दर पर आधारित है। भारत + + + +लेखक सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत पत्र सूचना कार्यालय में महानिदेशक (मीडिया एवं संचार) हैं। वहां वे वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय तथा भारतीय +प्रतिस्पर्धा आयोग के लिए मीडिया संपर्क का काम देखते हैं। ईमेल: 6एागिक्षाए०्छोझाभ.०णा + +योजना, जनवरी 2018 + +39 + + + +0040.txt +<----------------------------------------------------------------------> +सरकार ने कुल आवश्यक धन में से 70,000 +करोड़ रुपये बजट आवंटन में से उपलब्ध +कराने का प्रस्ताव रखा है, जो चार वर्ष में +निम्न प्रकार से दिए जाएंगे: + +(अ) सार्वजनिक बैंकों का बोझ +घटाना: पिछले दशकों में सार्वजनिक बैंकों +से सबसे अधिक ऋण बुनियादी ढांचा क्षेत्र +और मुख्य क्षेत्र की परियोजनाओं को ही मिला +है। किंतु विभिन्‍न कारणों से ये परियोजनाएं +ठप हो गईं अथवा फंस गईं, जिसके कारण +बैंकों पर गैर निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) +का बोझ बढ़ गया। हाल ही में हुई समीक्षा +में बिजली, इस्पात तथा सडक क्षेत्रों पर +दबाव डालने वाली समस्याओं की पड़ताल +की गई। क्षेत्र विशेष के +हितधारकों के साथ चर्चा +की गई। उन बैठकों के बाद +की गई कुछ कार्रवाइयां इस +प्रकार हैं:- + +परियोजना निगरानी +समूह (कैबिनेट सचिवालय) +संबंधित मंत्रालय लंबित +मंजूरी/परमिट की समस्या +को तेजी से हल कराने में +संबंधित एजेंसियों के साथ +काम करेंगे। परियोजना के +क्रियान्वयन/परिचालन में +मदद करने के लिए संबंधित +मंत्रालय/विभाग रुके हुए +नीतिगत निर्णय लेंगे। + +कोयला/पेट्रोलियम._ एवं +प्राकृतक गैस मंत्रालय इन +परियोजनाओं के लिए ईंधन की दीर्घकालिक +उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए नीतियां +तैयार करेंगे। संबंधित बिजली वितरण +कंपनियों को जल्द सुधार लागू करने में मदद +की जाएगी। + +इन परियोजनाओं में ऋण के बिगड़ते +अनुपात को सुधारने के लिए प्रवर्तकों से +अतिरिक्त इक्विटी लगाने के लिए कहा +जाएगा। जहां प्रवर्तक ऐसा करने की स्थिति +में नहीं होंगे, वहां बेंक वैकल्पिक व्यवस्था +करने अथवा प्रबंधकीय नियंत्रण अपने हाथ +में लेने के लिए व्यावहारिक विकल्पों पर +विचार करेंगे। + +उपयोगकर्ता उद्योग पर प्रतिकूल प्रभाव +डाले बगैर शुल्क प्रणाली को बदलने की + +40 + +संभावना पर भी सरकार विचार करेगी। इस्पात +पर आयात शुल्क बढ़ाने का निर्णय पहले ही +लिया जा चुका है। + +आरबीआई से बैंकों के उस प्रस्ताव पर +विचार करने का अनुरोध किया जा चुका है, +जिसके अनुसार बैंकों को पहले से दिए गए +ऋणों के पुनर्गठन में आवश्यकता के अनुसार +और भी लचीलापन बरतने की अनुमति दी +जानी चाहिए। + +( आ) जोखिम नियंत्रण के उपायों +तथा एनपीए के खुलासों को मजबूत +बनाना: एनपीए की समस्या से निपटने +के लिए डीआरटी तथा सरफेसी प्रणाली +के अंतर्गत होने वाले वसूली के उपायों के + + + +अलावा निम्न अतिरिक्त कदम उठाए गए हैं; + +आरबीआई ने 2014 में “वित्तीय दबाव +की जल्द पहचान, समाधान एवं ऋणदाताओं +हेतु समाधान एवं उचित वसूली के लिए +त्वरित कदम: अर्थव्यवस्था में फंसी हुई +संपत्तियों को पुनर्जीवन देने के लिए रूपरेखा ' +के दिशानिर्देश जारी किए, जिसमें दबावयुक्त +संपत्तियों की जल्द पहचान करने तथा उनका +समाधान करने के लिए विभिन्‍न कदम बताए +गए थे। + +अब रिजर्व बेंक ने ऋण लेने वालों की +एक नई श्रेणी असहयोगी (नॉन-कोऑपरेटिव +बॉरोअर) बनाई है। असहयोगी करार दिए गए +व्यक्ति अथवा संस्था को नया ऋण देते समय +अधिक प्रावधान करना आवश्यक हेै। + +संपत्ति पुनर्गठन कंपनियां (एआरसी ) + +रिजर्व बैंक ने संपत्ति पुनर्गठन कंपनियों +के लिए नियम सख्त कर दिए हैं, जिनके +अनुसार प्रतिभूति (सिक्‍योरिटी रिसीप्ट) में +कम से कम 15 प्रतिशत निवेश करना होगा, +जो पहले 5 प्रतिशत था। इस कदम से +एआरसी को खरीदी गई संपत्तियों में अधिक +नकद हिस्सेदारी करनी होगी। साथ ही अधिक +नकदी हाथ में होने के कारण बैंकों को +अपने बहीखाते साफ करने के लिए अधिक +प्रोत्साहन प्राप्त होगा। +छह नई डीआरटी की स्थापना + +केंद्र सरकार ने बैंकिग क्षेत्र के बुरे कर्जों +की वसूली तेज करने के लिए चंडीगढ़, +ane, एर्नाकुलम, देहरादून, +सिलिगुड़ी और हैदराबाद में +छह नए ऋण वसूली पंचाट +(डीआरटी) स्थापित करने का +निर्णय लिया हेै। +सशकतीकरण + +सरकार ने यह परिपत्र जारी +किया है कि सरकार की ओर +से कोई हस्तक्षेप नहीं होगा और +बैंकों को अपने वाणिज्यिक हितों +का ध्यान रखते हुए स्वतंत्र रूप +से निर्णय लेने के लिए प्रोत्साहित +किया जाएगा। +जवाबदेही का ढांचा + +सार्वजनिक बैंकों के प्रदर्शन +को मापने के लिए प्रमुख प्रदर्शन +सूचकांकों का नया ढांचा होगा। + +वित्त मंत्रालय के वित्तीय +सेवा विभाग ने सार्वजनिक बैंकों को एक +परिपत्र जारी किया है, जिसमें धोखाधड़ी +के मामलों की शिकायत केंद्रीय जांच ब्यूरो +(सीबीआई ) के पास दर्ज कराने तथा प्रत्येक +मामले की लगभग रोज निगरानी करने के लिए +सख्त समयसीमा तय की गई है। कर्मचारियों +की मिलीभगत समेत बड़ी धोखाधड़ी पर तुरंत +कार्रवाई करने के लिए सतर्कता की प्रक्रिया +को सुचारू करने के उद्देश्य से रिजर्व बैंक +ने मई, 2015 में दिशानिर्देश जारी किए हें +ताकि कर्ज संबंधी धोखाधड़ी से निपटने का +ढांचा दुरुस्त किया जा सके। +प्रशासन संबंधी सुधार + +प्रशासन संबंधी सुधारों की प्रक्रिया +2015 के आरंभ में पुणे में संपन्‍न “ज्ञान + +योजना, जनवरी 2018 + + + +0041.txt +<----------------------------------------------------------------------> +संगम' से आरंभ हुई, जो सार्वजनिक dat +तथा वित्तीय संस्थानों का सम्मेलन था और +जिसमें रिजर्व बैंक के गवर्नर तथा सभी +सार्वजनिक बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों के +सीएमडी समेत सभी हितधारकों ने हिस्सा +लिया था। प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री और +तत्कालीन वित्त राज्य मंत्री ने प्रतिभागियों +को संबोधित किया और उनकी समस्याएं +समझने तथा हल करने के इरादे से सार्थक +चर्चा की। प्रधानमंत्री ने बैंकिंग प्रणाली को +सुधारने के लिए सरकार के पूरे दृष्टिकोण +से उन्हें अवगत कराया, जिसमें वित्तीय +स्वायत्तता प्रदान करना तथा रोजमर्रा के +व्यावसायिक कामकाज में सरकार का +हस्तक्षेप नहीं होने का भरोसा दिलाना +शामिल था। किंतु उन्होंने कहा कि इसके +साथ बैंकों की जवाबदेही होगी और उन्हें +यह भी बताया कि उनसे किस प्रकार की +अपेक्षा है। "ज्ञान संगम' की सिफारिशों +में जोखिम प्रबंधन के तरीकों को मजबूत +बनाना भी शामिल था। इसमें मानव संसाधन +प्रबंधन के तरीके सुधारने तथा बाधाएं हटाने +पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है ताकि बैंक +साझा संसाधनों पर साथ मिलकर काम कर +सकें। बैंकों के निदेशक मंडलों को सशक्त +बनाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। + +पिछले एक वर्ष में बैंकिंग सुधारों के +अनुरूप तस्वीर बदल देने वाले प्रमुख कदम +उठाए गए हैं, जैसे: +ऋणशोधन अक्षमता तथा दिवालिया +संहिता + +कर्ज चुकाने की कंपनियों की अक्षमता +तथा सीमित जवाबदेही वाले निकायों (सीमित +जवाबदेही वाली साझेदारी तथा सीमित +जवाबदेही वाली अन्य संस्थाओं समेत), +असीमित जवाबदेही वाली साझेदारियों तथा +व्यक्तियों से संबंधित विभिन्‍न कानूनों को +एक ही कानून में लाने के उद्देश्य से 28 +मई, 2016 को ऋणशोधन अक्षमता तथा +दिवालिया संहिता, 2016 लागू की गई थी। +हाल ही में संहिता में कुछ संशोधन किए +गए हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि +कर्ज चुकाने से जानबूझकर मुकरने वालों +को अपनी उन फंसी हुई संपत्तियों के लिए +दोबारा बोली लगाने का मौका नहीं मिले, +जिन संपत्तियों ने बैंकों पर एनपीए का बोझ +लाद दिया है। + +योजना, जनवरी 2018 + +सार्वजनिक बैंकों का पुनर्पूुजीकरण + +सरकार ने ऋण वृद्धि तथा रोजगार सृजन +को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सार्वजनिक +बैंकों में पुनः पूंजी डालने का निर्णय लिया +है। इसके लिए अगले दो वर्षों में लगभग +2,/1,000 करोड़ रुपये की पूंजी जुटाना +आवश्यक है, जिसमें अधिकाधिक आवंटन +इसी वर्ष करना होगा। इसके लिए 18,139 +करोड़ रुपये की व्यवस्था बजट से होगी, +1.35,000 करोड़ रुपये के पूनर्पुजीकरण +बॉण्ड होंगे और शेष राशि बेंकों द्वारा बाजार +से पूंजी (58,000 करोड़ रुपये का अनुमान) +जुटाकर लाई जाएगी, जिसके लिए सरकार +ऋण वृद्धि एवं रोजगार सृजन में मदद के +इरादे से अपनी हिस्सेदारी कम करेगी। + +वैकल्पिक व्यवस्था द्वारा मंजूर किए +गए प्रस्तावों पर एक रिपोर्ट प्रत्येक +तीन माह में कैबिनेट के पास भेजी +जाएगी। वैकल्पिक व्यवस्था बैंकों को +एकीकरण के प्रस्तावों की पड़ताल करने +का निर्देश भी दे सकती है। सैद्धांतिक +मंजूरी देने से पहले वैकल्पिक व्यवस्था +भारतीय रिजर्व बैंक के विचार जानेगी। +बैंकों के एकीकरण के प्रस्तावों का +मूल्यांकन करने के लिए वैकल्पिक +व्यवस्था अपनी प्रक्रिया तैयार करेगी +और राष्ट्रीयकरण कानूनों ( बैंकिंग +कंपनी (अधिग्रहण एवं व्यवसाय +हस्तांतरण ) अधिनियम, 1970 तथा +1980 ) के उद्देश्यों का पालन करेगी। + +बैंकों का एकीकरण + +हालांकि पिछले कुछ वर्षों से +एकीकरण आरबीआई की सूची में रहा हे, +लेकिन भारतीय स्टेट बैंक के छह सहयोगी +बैंकों तथा भारतीय महिला बैंक का विलय +स्टेट बैंक के साथ होने के अलावा अधिक +महत्वपूर्ण विलय नहीं हुए हैं। एकीकरण +निजी क्षेत्र में कुछ विलय सौदों तथा विशेष +रूप से स्टेट बैंक के सहयोगी बैंकों तक ही +सीमित रहा है। रिजर्व बैंक के गवर्नर डॉ. +ऊर्जित पटेल ने कहा है कि यदि सार्वजिनक +क्षेत्र के कुछ बैंकों का विलय कर कम +लेकिन अधिक स्वस्थ बैंक बनें तो भारतीय +बैंकिंग तंत्र बेहतर हो सकता है क्‍योंकि +इससे फंसी हुई संपत्तियों की समस्या से + +निपटने में मदद मिलेगी। + +इस बीच केंद्र सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र +के बैंकों के एकौकरण हेतु एक वैकल्पिक +व्यवस्था तैयार की है, जिसकी अध्यक्षता +वित्त एवं कंपनी मामलों के मंत्री अरुण +जेटली कर रहे हैं। वैकल्पिक व्यवस्था की +संरचना इस प्रकार होगी; + +अध्यक्ष: अरुण जेटली, वित्त एवं कंपनी +मामलों के मंत्री + +सदस्य: पीयूष गोयल, रेल एवं कोयला +मंत्री + +सदस्य: निर्मला सीतारमण, रक्षा मंत्री + +एकीकरण की योजना तैयार करने के +लिए सैद्धांतिक अनुमति मांगने वाले बैंकों +के प्रस्ताव उपरोक्त वैकल्पिक व्यवस्था के +समक्ष रखे जाएंगे। वैकल्पिक व्यवस्था द्वारा +मंजूर किए गए प्रस्तावों पर एक रिपोर्ट प्रत्येक +तीन माह में कैबिनेट के पास भेजी जाएगी। +वैकल्पिक व्यवस्था बैंकों को एकीकरण +के प्रस्तावों की पड़ताल करने का निर्देश +भी दे सकती है। सैद्धांतिक मंजूरी देने से +पहले वेकल्पिक व्यवस्था भारतीय रिजर्व +बैंक के विचार जानेगी। बैंकों के एकीकरण +के प्रस्तावों का मूल्यांकन करने के लिए +वैकल्पिक व्यवस्था अपनी प्रक्रिया तैयार +करेगी और राष्ट्रीयकरण कानूनों (बैंकिंग +कंपनी (अधिग्रहण एवं व्यवसाय हस्तांतरण) +अधिनियम, 1970 तथा 1980) के डद्देश्यों +का पालन करेगी। + +केंद्र सरकार की मंजूरी के उपरांत बनाई +गई अंतिम योजनाओं को संसद के दोनों सदनों +में रखा जाएगा। वित्तीय सेवा विभाग इस काम +में वैकल्पिक व्यवस्था की मदद करेगा। + +इसके अतिरिक्त केंद्र सरकार सार्वजनिक +क्षेत्र के ऋणदाताओं के पूंजीकरण के लिए +निकट भविष्य में एक व्यापक योजना +“इंद्रधनूष 2.0' भी लाना चाहती है ताकि +यह सुनिश्चित किया जा सके कि बैंक ऋण +चुकाने के योग्य होंगे और पूंजी पर्याप्तता के +वैश्विक नियम बेसल-3 का पूरी तरह पालन +करने योग्य होंगे। किंतु भारतीय रिजर्व बैंक +द्वारा संपत्ति गुणवत्ता समीक्षा का विस्तृत +विश्लेषण होने के बाद ही 'इंद्रधनुष 2.0” को +अंतिम रूप दिया जाएगा। आंकड़ों पर दोबारा +नजर डाली जा रही है और इंद्रधनुष 2.0 के +अंतर्गत सार्वजनिक बैंकों के पुनर्पूुजीकरण का +संशोधित कार्यक्रम जारी किया जाएगा। + +41 + + + +0042.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +पूरे भारत में सबसे सफल शिक्षक ow +afta ear fie "anes कक + +सिविल सेवा परीक्षा 2016 में संस्थान से कुल 70चयन ) + + + + + +प्रथम 100 में 9 रैंक हमारे संस्थान इग्नाइटेड मांइड्स से + +पूरे भारत में हिन्दी माध्यम में किसी भी वैकल्पिक विषय और +एथिक्स (Gs Paper-Iv) EM वाले संस्थानों में सर्वाधिक परिणाम + +हमसे ज्यादा सफल परिणाम दिखाइये, फीस में 100% छूट पाइये +2016 में दर्शनशास्त्र विषय से कुल 9 चयन + +1४१1 |: | (१॥। 05 teensy ‘bruary + +3:30 pm + + + + + + + +Best optional subject +परीक्षा परिणाम के आधार पर भी दर्शनशास्त्र सर्वाधिक चयन देने वाला विषय + + + + + + + + + + + + + + + + + +New Batch Starts from +ARLEN 20°" +Paper, 6:45 pm + + + + + + + +ESSAY 222) 10 1255%. + +दर्शनशास्त्र (201॥1०05०97५), एथिक्स (85 7०००-५४) और निबंध का सर्वश्रेष्ठ संस्थान + + + + + + + +A Premier Institute for LAS/PCS + +A-2, 1st Floor, Comm. Comp. Mukherjee Nagar, Delhi-110009 H-1, 1st Floor, Ram Mohan Plaza, Madho Kunj, Katra +© 011-27654704, 9643760414, - 8744082373 || © 9389376518, ~ 9793022444, 0532-2642251 + +Visit us: www.ignitedmindscs.com + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +42 + +योजना, जनवरी 2018 + +YH-650/8/2017 + + + +0043.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +a + + + + + + + + + +वर्तमान सरकार के आर्थिक +सुधारों की राह में भारतीय +बैंकिंग व्यवस्था विशेषकर +सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का +योगदान अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। +यद्यपि भारतीय बैंकिंग व्यवस्था +ने अपने कठोर नियमों एवं +उसके प्रभावी अनुपालन के +कारण वैश्विक स्तर पर अपनी +एक अलग पहचान बनायी +है, किन्तु इस पहचान को +स्थायी रखने के लिए पूंजीगत +सहायता के साथ ही साथ +बैंकिंग नियामक एवं सरकार +को ऐसे प्रभावी कदम भी +उठाने होंगे जिससे सार्वजनिक +क्षेत्र के बैंकों की लगातार +बढ़ रही गैर-निष्पादनीय +परिसंपतियों से न सिर्फ निपटा +जा सके बल्कि भविष्य में +इनकी पुनरावृत्ति भी न हो + + + + + +आदित्य पी त्रिपाठी +नूपुर अग्रवाल + + + +रष॑ 2008 में आये वैश्विक वित्तीय +व संकट का भारतीय अर्थव्यस्था +एवं इसके वित्तीय संस्थानों पर +बहुत नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा था और +इसका एक मात्र कारण भारत की प्रभावशाली, +नियोजित एवं अनुशासनात्मक मौद्रिक नीति +रही। अनुशासनिक वित्तीय प्रणाली तथा +विनियमन का श्रेय वर्ष 1991 से शुरू किये +गये वित्तीय क्षेत्र के सुधारों को जाता है। भारत +में बैंकिंग क्षेत्र के सुधारों में नरसिम्हन समिति +1 (वर्ष 1991) एवं 2 (वर्ष 1998) की +संस्तुतियों की अपनी भूमिका रही है, जिसने +भारतीय बैंकिंग व्यवस्था को अधिकाधिक +पारदर्शी, नियोजित और नियंत्रित बनाकर +भारत बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नया +मुकाम दिलाया है। वर्ष 2014 से आरम्भ +तृतीय पीढ़ी के आर्थिक सुधारों की पहल ने +बैंकों विशेषकर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की +भूमिका को अत्यंत महत्वपूर्ण बना दिया है। +इस आलोक में प्रस्तुत आलेख तीसरी पीढ़ी +के आर्थिक सुधारों के मध्य बैंकिंग क्षेत्र में +व्याप्त चुनौतियों, अवसरों एवं वांछित सुधारों +को चिह्नित करने का एक प्रयास है। +भारतीय अर्थव्यवस्था एवं आर्थिक सुधार +भारत में आर्थिक सुधार का प्रारंभ वर्ष +1991 में नवीन औद्योगिक नीति के माध्यम +से किया गया। उस समय जो भी संरचनात्मक +सुधार लागू किये गये वे कहीं न कहीं +अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की +शर्तों के कारण भारत द्वारा अपनाये गये और +उनका उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था को संकट +से निकालना था। मुख्य रूप से उन सुधारों +को वैश्वीकरण, निजीकरण एवं उदारीकरण + + + + + + + +बैंकिंग सुधारों की अनिवार्यता + +के रूप में जाना जाता है। इन सुधारों के +लगभग 7 वर्ष बाद वर्ष 1998 में भारत एक +बार फिर राजकोषीय एवं चालू खाते के भारी +घाटों के साथ वैश्विक बाजार में अपनी कम +होती साख एवं ढांचागत शिथिलता के कारण +उस अवस्था में पहुंच गया जहां उसे आर्थिक +सुधारों की दूसरी बड़ी खुराक की जरूरत +महसूस हुई। तत्कालीन सरकार ने महत्वपूर्ण +आर्थिक नीतियों एवं सुधारों को लागू किया +और उसे दूसरी पीढ़ी के सुधारों का नाम +दिया, जिसका निहितार्थ यह था कि 1991 +में शुरू किये गये सुधार पहली पीढ़ी के +आर्थिक सुधार थे। इन दोनों ही सुधारों में एक +महत्वपूर्ण समानता यह थी कि वे संकटग्रस्त +अर्थव्यवस्था को सामान्य एवं विकासशील +स्थिति में लाने के प्रयास थे अर्थात संकट +आने के बाद उसे दूर करने का प्रयास किया +गया क्‍योंकि इन संकटों से बचने हेतु कोई +उपाय नहीं किये गये थे। +संकट-जनित सुधारों के स्थान पर +विकास-प्रेरित सुधार + +वर्ष 2014 में निर्वाचित वर्तमान सरकार, +जो एक नये भारत की ओर अग्रसर होने के +साथ इसे वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी एवं +नवाचार-अभिमुखी अर्थव्यवस्था के रूप में +संपूर्ण विश्व के समक्ष प्रस्तुत करने हेतु संकल्पित +है, ने तीसरी पीढ़ी के सुधारों की बात की। + +इस बार जो लगभग सभी क्षेत्रों एवं +उद्योगों को प्रभावित करने वाले 6 व्यापक +ढांचागत परिवर्तन की पेशकश किसी संकट +से निपटने हेतु नहीं बल्कि भारत को विश्व +बाजार में एक अलग पहचान और मुकाम +दिलाने के मकसद से की गयी। + + + +आदित्य पी त्रिपाठी दिल्‍ली विश्वविद्यालय के श्याम लाल कॉलेज (संध्या) के वाणिज्य विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं। ईमेल: ॥-8॥४१1982दगक्षो.०णा +नुपूर त्रिपाठी दिल्‍ली विश्वविद्यालय के शहीद भगत सिंह कॉलेज के वाणिज्य विभाग में असिस्‍टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं। ईमेल; ॥०कपण्र३ए०४६ो8भ्षो.०णा + +योजना, जनवरी 2018 43 + + + +0044.txt +<----------------------------------------------------------------------> +ये सुधार हैं : + +1. लोक वित्त के आवंटन में विवेकाधिकार +का समापन। + +2. अर्थव्यवस्था को व्यापक रूप से +औपचारिक बनाना। + +3. भारतीय राजकोषीय नीति में आमूलचूल +परिवर्तन। + +4, मौद्रिक नीति के निर्धारण हेतु बिलकुल +नयी विधि का प्रयोग जिससे वे पूर्बानुमेय +में भी अनुमान लगाया जा सके। + +5. वित्तीयन प्रक्रिया में बैंक- अभिमुखी +दृष्टिकोण से अधिकाधिक इक्विटी +अभिमुखी दृष्टिकोण की ओर पलायन। + +6. क्रांतिकारी सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों +का आरम्भ +यदि इन समस्त सुधारों के मूल में जाएं, + +तो इनका उद्देश्य एक पारदर्शी प्रशासनिक + +व्यवस्था की स्थापना करना है, जिससे भारत +वैश्विक स्तर पर एक मजबूत प्रतिस्पर्थी के +रूप में स्थापित हो सके। प्रमुख सुधारों में +जन-धन, आधार, मोबाइल त्रिकोण ([ब्ला। +पा ) प्रत्यक्ष लाभ अंतरण में क्रांतिकारी +भूमिका अदा कर रहा है। समस्त सामाजिक +सुरक्षा कार्यक्रम जैसे उज्ज्वला योजना, +महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी +अधिनियम, वृद्धावस्था एवं विधवा पेंशन, +मातृत्व लाभ, जीवन ओर स्वास्थ्य बीया +आदि का लाभ वास्तविक लाभार्थी तक +पहुंचाने का श्रेय प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना +को जाता है, और इस कार्य में बैंकों की +भूमिका और उत्तरदायित्व दोनों ही महत्त्वपूर्ण +हैं। उपरोक्त सुधार निश्चित रूप से भारतीय +अर्थव्यवस्था में स्थिरता के साथ तीज््र +विकास को सुनिश्चित करेंगे और यह सब +कुछ एक मजबूत बैंकिंग प्रणाली के बिना +संभव नहीं होगा। + +इस पृष्ठभूमि में इस बात का मूल्यांकन +करना आवश्यक है कि तीसरी पीढ़ी के इन +सुधारों के मार्ग में कौन सी चुनौतियां हैं और +उनके समाधान क्या हैं। यहां हम मुख्य रूप +से बैंकिंग व्यवस्था से जुड़ी चुनौतियों का +अवलोकन एवं मूल्यांकन करेंगे और यह +जानने का प्रयास करेंगे कि जो बैंकिंग सुधार +अभी तक किये गये हैं अथवा जो सुधार +प्रक्रिया में हैं क्या वे विकास के वर्तमान +लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु समुचित एवं पर्याप्त +हैं अथवा नहीं। + +44 + +प्रथम एवं द्वितीय पीढ़ी के आर्थिक सुधारों +के मध्य बैंकिंग सुधार + +पहली पीढ़ी के आर्थिक सुधार मूलतः +संकट से निपटने के लिए आरम्भ किये गये +थे। इन सुधारों की चर्चा से पहले तत्कालीन +संकटों को जानना आवश्यक है: भारतीय +अर्थव्यवस्था की दशा की बात करें तो वर्ष +1991 में मुद्रास्फीति की दर 6.7 प्रतिशत +से बढ़कर 16.7 प्रतिशत तक पहुंच गयी, +गैर-विकास खर्चों के लगातार बढ़ते रहने +से राजकोषीय घाटा इतना बढ़ गया कि वर्ष +1991 में भारत का ब्याज दायित्व कुल +सरकारी खर्च के 36.4 प्रतिशत तक पहुंच +गया; प्रतिकूल भुगतान संतुलन की ओर देखें +तो वर्ष 1980-81 में इसका घाटा 2214 +करोड़ रुपये था जो वर्ष 1990-91 में बढ़कर +17367 करोड़ हो गया और इस प्रतिकूलता +को कम करने लिए भारत को विदेशी ऋण +का सहारा लेना पड़ा जिससे पुनः ऋण और +ब्याज का बोझ बढ़ता गया। उधर इराक युद्ध +के कारण पेट्रोल की कीमतें बढ़ीं और खाड़ी +देशों से विदेशी मुद्रा का प्रवाह बंद हो गया +जिसने समस्या को बद से बदतर कर दिया; +विदेशी मुद्रा कोष जो 1986-87 में 8151 +करोड़ रुपये था, 1989-90 में घटकर 6252 +करोड़ हो गया और 1990-91 में यह दो +सप्ताह के आयात बिल का भुगतान करने हेतु +भी अपर्याप्त था। + +इन समस्याओं से निपटने हेतु क्रमिक +रूप से दो बार भारतीय रुपये का 18 +प्रतिशत तक अवमूल्यन किया गया, भारतीय +अर्थव्यवस्था को विश्व बाजार के अनुरूप + +प्रमुख सुधारों में जन-धन, आधार, +मोबाइल त्रिकोण (12॥ पाएं ) प्रत्यक्ष +लाभ अंतरण में क्रांतिकारी भूमिका +अदा कर रहा है। समस्त सामाजिक +सुरक्षा कार्यक्रम जैसे उज्ज्बला योजना, +महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार +गारंटी अधिनियम, वृद्धावस्था एवं +विधवा पेंशन, मातृत्व लाभ, जीवन और +स्वास्थ्य बीमा आदि का लाभ वास्तविक +लाभार्थी तक पहुंचाने का श्रेय प्रत्यक्ष +लाभ अंतरण योजना को जाता है, और +इस कार्य में बैंकों की भूमिका और +उत्तरदायित्व दोनों ही महत्त्वपूर्ण हैं। + +बनाने तथा कोटा-लाइसेंस राज को खत्म +करने हेतु उदारीकरण की नीति अपनायी +गयी, लगातार नुकसान का बोझ झेल रहे +लोक उपक्रमों के सुधार एवं उनके निजीकरण +की नीति अपनायी गयी और भारतीय बाजार +को वैश्विक बाजारों के लिए खोलने हेतु +वैश्वीकरण की नीति को अपनाया गया। +वित्तीय सुधारों जिसमें नरसिंघम समिति +का गठन प्रमुख रहा। इस समिति ने अन्य +सुधारों के साथ मुख्य रूप से बैंकों की +खराब लाभदायकता के कारण के रूप में +निर्देशित विनियोग कार्यक्रमों को जिम्मेदार +ठहराया और एसएलआर (सांविधिक तरलता +अनुपात) की दर को तत्कालीन 38.5 प्रतिशत +से घटाकर 25 प्रतिशत तक करने और +सीआरआर (नकद संचय अनुपात) को 15 +प्रतिशत से घटाकर 3-5 प्रतिशत के बीच +लाने की सिफारिश की ताकि बेंकों के 53.5 +प्रतिशत अप्रयुक्त संसाधनों को प्रयोग में लाया +जा सके। इसके साथ ही निर्देशित ऋण +कार्यक्रमों (मुख्यतः प्राथमिकता क्षेत्र वाले +ऋण जिनमें कृषि और लघु उद्योगों को ऋण +शामिल हैं) के बोझ को कम करने, ब्याज +दर को बाजार शक्तियों-मांग और आपूर्ति पर +छोड़ने, बढ़ते हुए गैर निष्पादनीय संपत्तियों +से निपटने के लिए संपत्ति पुनर्निर्माण कोष +की स्थापना करने, बैंकों पर रिजर्व बैंक और +भारत सरकार के वित्त मंत्रालय-बैंकिंग प्रकोष्ठ +के दोहरे नियंत्रण के स्थान पर उन्‍हें सिर्फ +fed da के नियंत्रण में सौंपने और बैंकों +को स्वायत्तता प्रदान करने की सिफारिश की। +1991 में आरंभ किये आर्थिक सुधारों +को वर्ष 2001 तक पूर्ण रूप से लागू नहीं +किया जा सका, जिसका प्रमाण इस बात से +मिलता है कि 1991 की नवीन औद्योगिक +नीति को तब भी नवीन औद्योगिक नीति के +रूप में ही माना गया। यद्यपि दूसरी पीढ़ी के +सुधारों के समय यह कहा गया था कि ये +संकट-ग्रसित न होकर विकास प्रेरित हैं किन्तु +विकास के आंकडे इस बात की ओर संकेत +कर रहे थे कि भारतीय अर्थव्यवस्था संकट +से पूर्ण रूप से निकल नहीं पायी थी। दूसरी +पीढ़ी के सुधारों में राजकोषीय सुधार (आय +एवं कर आधार को वृहद्‌ बनाने, सीमा एवं +उत्पाद शुल्कों को तर्कसंगत करने), वित्तीय +सुधार (मुख्यतः विदेशी बीमा कंपनियों को +भारतीय बीमा क्षेत्र में प्रवेश की अनुमति देने, + +योजना, जनवरी 2018 + + + +0045.txt +<----------------------------------------------------------------------> +विदेशी बैंकों को भारत में अपनी शाखाएं +खोलने की अनुमति देने), श्रम कानून सुधार, +और कृषि सुधार लाने की बात कही गयी +ताकि पहली पीढ़ी के सुधारों को और गति +दी जा सके। + +नरसिंघम समिति द्वय की बात करें +तो इसका गठन वर्ष 1991 में शुरू किये +गये बैंकिंग सुधारों की समीक्षा करने और +एक ऐसे कार्यक्रम की रचना के उद्देश्य +से किया गया था जिससे भारतीय वित्तीय +प्रणाली को और मजबूती दी जा सके। इस +समिति का मुख्य ध्यान पूंजी पर्याप्तता, बैंक +विलय और बैंकिंग कानूनों की समीक्षा पर +था। मुख्य सुधारों के रूप में इस समिति ने +चालू खाते की परिवर्तनीयता के संदर्भ में +भारतीय बैंकों को सशक्त बनाने के लिए +शक्तिशाली बैंकों के विलय की बात कही। +गैर-निष्पादनीय संपत्तियों की समस्या को दूर +करने के लिए नैरो बैंकिंग की नीति अपनाने +की सिफारिश की जिसमें कमजोर बैंकों को +यह अनुमति होगी कि बे अपने कोषों को +सिर्फ अल्पकालीन एवं जोखिमरहित संपत्तियों +में निवेश कर सके। बैंकों की कार्यशैली +में सुधार लाने के लिए इनके प्रबंधन में +प्रोफेशनल कारपोरेट रणनीति को लागू करने +और प्रमुख बैंकिंग कानूनों यथा रिजर्व बैंक +ऑफ इंडिया अधिनियम, बैंकिंग विनियमन +अधिनियम, भारतीय स्टेट बैंक अधिनियम +और राष्ट्रीयररण अधिनियमों में संशोधनों की +सिफारिश की ताकि बेंकों की कार्यक्षमता एवं +लाभदायकता में सुधार लाने के साथ ही उन्‍हें +प्रतिस्पर्धी बनाया जा सके। +बैंकिंग सुधार समग्र रूप में + +यदि वर्ष 1991 से आज तक बैंकिंग +क्षेत्र में सुधारों की संरचना को देखें तो तीन +महत्वपूर्ण पॉलिसी दस्तावेज सामने आते हें +जो क्रमशः नरसिंघम समिति प्रथम (1991), +द्वितीय (2008) एवं रघुराम राजन समिति +(2009) हैं। यद्यपि इन समितियों के समस्त +सुझावों एवं विचारों को अक्षरशः नहीं लागू +किया गया किन्तु इन तीनों ने भारतीय बैंकिंग +व्यवस्था के ढांचागत सुधार में अपनी महती +भूमिका अदा की है। + +भारतीय मुद्रा बाजार में जब भी बैंकिंग +सुधारों की बात आती है तो उसके पर्यायवाची +के तौर पर बासेल 1, 2 एवं 3 नियमों और +नरसिंघम कमिटी की संस्तुतियों की चर्चा + +योजना, जनवरी 2018 + +तालिका 1: बासेल 1, 2 एवं 3 एक दृष्टि में + + + +बासेल 3 + + + +बासेल 1 बासेल 2 +* बैंक ऑफ बैंक ऑफ इंटरनेशनल +इंटरनेशनल सेटलमेंट सेटलमेंट द्वारा वर्ष 2004 +द्वारा वर्ष 1988 में में दिया गया। +दिया गया। aise, बाजार एवं +* सिर्फ क्रेडिट एवं परिचालनात्मक जोखिमों +बाजार रिस्क पर का समावेश। +केन्द्र. जोखिम न्यूनतम पूंजी, पर्यवेक्षक +प्रबंध के अख्त्र के समीक्षा एवं बाजार +रूप में सीआरएआर अनुशासन के तीन +(कैपिटल टूरिस्क महत्वपूर्ण स्तंभों पर +ace एसेट्स आधारित। +twat) बीसीबीएस द्वारा +* न्यूनतम पूंजी निर्धारित: न्यूनतम पूंजी +पर्याप्तता अनुपात पर्याप्तता अनुपात जोखिम +जोखिम भारित भारित संपत्तियों के 8 +संपत्तियों के 8 प्रतिशत के बराबर रखने +प्रतिशत के बराबर की अनिवार्यता (दर में +रखने की अनिवार्यता कोई परिवर्तन नहीं। +बीसीबीएस द्वारा fe 1 5 4 प्रतिशत। +निर्धारित)। आरबीआई द्वारा निर्धारित + +* आर.बी.आई. द्वारा + +न्यूनतम सीआरएआर दर + +निर्धारित न्यूनतम 9 प्रतिशत। + +ब्याज दर 9 प्रतिशत। टियर 1 5 6 प्रतिशत। +*» भारत ने इसे वर्ष भारत सरकार द्वारा + +1999 में लागू सार्वजनिक क्षेत्र के + +किया। बैंकों हेतु संस्तुत दर +* बेंकिंग जोखिमों से सीआरएओआर 12 प्रतिशत। + +निपटने हेतु पहला भारत ने इसे वर्ष 2009 + +अंतरराष्ट्रीय उपाय। + + + +में लागू किया। + + + +बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट +द्वारा सर्वप्रथम वर्ष 2010 में दिया +गया, किन्तु संशोधन के पश्चात +वर्ष 2011 में लाया गया। + +क्रेडिट, बाजार, परिचालनात्मक +एवं तरलता जोखिमों के साथ +काउंटर साइकिल जोखिम का भी +समावेश। + +जोखिम प्रबंध के अस्र के रूप +में न्यूनतम पूंजी, पर्यवेक्षक समीक्षा, +बाजार अनुशासन, लिक्विडिटी +कवरेज रेश्यो, काउंटर साइकिल +बफर, कैपिटल कंजरवेशन बफर +एवं लिवरेज रेश्यो का समावेश। +बीसीबीएस द्वारा निर्धारित। +न्यूनतम पूंजी पर्याप्तता अनुपात +जोखिम भारित संपत्तियों के 10 +प्रतिशत - 13 प्रतिशत के बीच +रखने की अनिवार्यता + +टियर 1 5 6 प्रतिशत + +कामन समता > 4.5 प्रतिशत +एाठ द्वारा निर्धारित न्यूनतम +(२७३२ दर 11.5 प्रतिशत +टियर 1 5 7 प्रतिशत + +कामन समता - 5.6 प्रतिशत +भारतीय रिजर्व बैंक ने बासेल +3 को पूर्ण रूप से 31 मार्च +2019 तक लागू करने का लक्ष्य +रखा हे। + + + +जोरिब्रम भारित संपत्तियां + +होते हैं। + + + +पूंजी पर्याप्तता अनुपात न टियर 1 पूंजी टियर 2 पूंजी। +टियर 1 पूंजी - बैंक की मुख्य पूंजी जिसमें समता पूंजी और उल्लेख्य संचय शामिल + +टियर 2 पूंजी का प्रयोग समापन कौ दशा में हानियों की पूर्ति के लिए किया जाता है। + +(aa: BCBS (Basel Committee on Banking Supervision)] www.bis.org + + + + + +अवश्य होती है। वर्तमान में वांछित बैंकिंग +सुधारों से पहले एक दृष्टि डालते हैं भारतीय +बैंकिंग व्यवस्था में अब तक हुए सुधारों पर। + +जोखिम और प्रत्याय किसी भी वित्तीय +प्रणाली और बैंकिंग उद्योग की रीढ़ के समान +होते हैं। चूंकि बैंकों का मुख्य कार्य जमा +स्वीकार करना और ऋण देना है जिसमें +क्रेडिट जोखिम का होना अवश्यम्भावी है। +मुख्यतः बैंकिंग में इस प्रकार के जोखिम से +निपटने के लिए 1988 में बीसीबीएस (बेसेल +कमिटि ऑन बैंकिंग सुरविजन) ने पहले + +अंतरराष्ट्रीय मानक बासेल 1 का निर्माण +किया जिसमें मानकीकृत पूंजी पर्याप्तता +अनुपात मुख्य अस्त्र के रूप में सामने आया। +पूंजी पर्याप्तता अनुपात के द्वारा जोखिम भरे +आस्तियों (ऋ्रणों) से जमाकर्ताओं के धन +की सुरक्षा करने की बात कही गयी। किन्तु +जल्दी ही बढ़ते हुए कपटपूर्ण कृत्यों एवं +व्यवस्थागत विफलताओं से यह सिद्ध हुआ +कि क्रेडिट एवं बाजार जोखिम के साथ +परिचालनात्मक जोखिम भी बैंक के जोखिमों +का एक महत्वपूर्ण घटक है। उक्त समस्या + +45 + + + +0046.txt +<----------------------------------------------------------------------> +वर्तमान में भारतीय बैंकिंग क्षेत्र के समक्ष निम्न प्रमुख चुनौतियां हैं जिनके लिए समुचित सुधारात्मक कदम भी दिए गये हैं + + + +मुख्य चुनौती + +वांछित सुधारात्मक उपाय + + + +अरसे से लंबित सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को स्वायत्तता प्रदान करना जिससे बैंकिंग क्षेत्र +में संरक्षण की नीति से बाहर निकलकर स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दिया जा सके। + +सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को स्वायत्तता देना। + + + +तनावग्रस्त आस्तियों का बढ़ता हुआ बोझ विशेषकर सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों में : + +1. आरबीआई की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट जून 2017 के अनुसार बैंकिंग व्यवस्था में ग्रॉस +बेड कर्ज रेश्यो मार्च 2017 के 9.6 प्रतिशत से बढ़कर मार्च 2018 में कुल ऋण +का 10.2 प्रतिशत हो जाएगा और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए यह दर 14.2 +प्रतिशत (मार्च 2017 के 11.4 प्रतिशत से बढ़कर) होगी जो कि चिंताजनक है) + +2. मार्च 2012 में सिर्फ 6 सार्वजानिक बैंकों का सकल एनपीएदर 3 प्रतिशत से +अधिक था। + +3, मार्च 2017 में सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (सिर्फ 5 बैंकों को छोड़कर) में यह +दर दो अंकों में पहुंच गयी। + +4. दो ऐसे बैंक भी पाये गये हैं जिनके एनपीए की दर 20 प्रतिशत से भी ज्यादा हो गयी। + +निजी क्षेत्र के बैंकों में एनपीए की यह दर एक अंक में ही पायी गयी है, जो इस बात + +को सिद्ध करता है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को सुदृढ़ करने हेतु एक बड़े कदम + +की आवश्यकता है। + +बढ़ते हुए एनपीए के बोझ को कम करने हेतु +प्रभावी कदम उठाना साथ ऋण वसूली व्यवस्था +को और प्रभावी बनाना होगा। + + + +बैंकों के पूंजी पर्याप्तता अनुपात में लगभग 2 प्रतिशत की गिरावट (मार्च 2017 के 13.3 +प्रतिशत की तुलना में मार्च 2018 में 11.2 प्रतिशत होने की सम्भावना। (आरबीआई की +वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट जून 2017) + +पूंजी पर्याप्तता अनुपात को बढ़ाना ताकि बेंकों +को विभिन्न प्रकार के जोखिमों से बचाना। + + + +सार्वजानिक बैंकों के घाटों का बजट पर बढ़ता दबाव। + +(सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का एनपीए मार्च 2015 के 2.78 लाख करोड़ से बढ़कर जून +2017 में 7.33 लाख करोड़ हो गया) + +पिछले तीन वर्षों में सरकार द्वारा इस क्षेत्र को 51000 करोड़ की सहायता दी जा चुकी +है हाल ही में सरकार द्वारा एनपीए की मार झेल रहे सार्वजानिक क्षेत्र के बैंकों को +मजबूती प्रदान करने के लिए दो वर्ष की समयावधि में 2.11 लाख करोड की सहायता +जिसमें पुनः पूंजीकरण बांड्स, बजटीय सहायता और इक्विटी /शा,एडा0४ शामिल है + +सार्वजानिक क्षेत्र के बैंकों में सरकारी निवेश +को 51 प्रतिशत से कम करना और साथ ही +रणनीतिक निवेश को आकर्षित करना ताकि इन +बैंकों की कार्य क्षमता में सुधार हो। + + + +(पीटीआई, नवंबर 12, 2017) + + + + + + + +से निपटने हेतु बासेल 2 की संरचना वर्ष +2004 में की गयी जिसमें क्रेडिट, बाजार एवं +परिचालन की जोखिमों के साथ लोचशीलता +को भी शामिल किया गया। बासेल 2 में +छोटे से लेकर उच्च स्तर तक के मानकीकृत +उपायों एवं सुरक्षाओं की व्यवस्था की गयी +ताकि बैंकों के विभिन्न जोखिम स्तरों के +अनुरूप उन्हें अपनाया जा सके। + +यदि भारतीय बैंकिंग की बात करें तो +रिजर्व बैंक ने इस मामले में स्वयं को +अत्यधिक रुढिवादी सिद्ध करते हुए बासेल +नियमों द्वारा निर्धारित मानकों से भी कठोर +मानकों को अपनाया। यदि अन्तरराष्ट्रीय स्तर +पर बात करें तो बासेल 2 भी सबप्राइम +संकट को नहीं रोक पाया और लेहमन +ब्रदर्स जेसी वित्तीय संस्थाएं भी उस संकट +का शिकार हो गयीं, जिनकी वैश्विक स्तर +पर अच्छी साख थी। इस संकट के पीछे + +46 + +जो मुख्य समस्याएं उच्च लिवरेज, असंतुलित +संपत्ति-दायित्व और तरलता की थी, जिससे +निपटने के लिए वर्ष 2010 में बासेल 3 +नियमों को लाया गया जिसमें लिक्विडिटी +कवरेज रेश्यो, काउंटर साइकिल बफर, +कैपिटल कोस्सेवतिओन बफर और लिवरेज +अनुपात जैसे मानकों को लाया गया। बासेल +मानकों एवं उनमें निहित परिनियमों को +निम्नलिखित से समझा जा सकता हे: +भारतीय बेंकिंग व्यवस्था को उपरोक्त +सुधारों एवं उनके प्रभावी निष्पादन की वजह +से ही वर्ष 2008 के दौरान आयी वैश्विक +मंदी में संपूर्ण विश्व ने सराहा और इस संकट +से भारतीय बेंकिंग क्षेत्र पर बहुत अधिक +नकारात्मक प्रभाव नहीं पडे। अपनी इस स्वस्थ +परम्परा को बरकरार रखने के लिए आज फिर +से वह समय आ गया है कि 21वीं सदी की +चुनौतियों के अनुरूप भारतीय बैंकिंग व्यवस्था + +में वांछित सुधार के कदम उठाये जाएं। +बासेल 3 : बैंकिंग सुधारों की दिशा में +नया अध्याय + +बासेल 3 मूलतः बैंकिंग नियामकों द्वारा +बैंकिंग प्रणाली के उन पक्षों को परिमार्जित +करने का प्रयास है जिनके कारण सपूर्ण विश्व +को वैश्विक आर्थिक संकट या मंदी का सामना +करना पड़ा। चूंकि विकसित अर्थव्यवस्थाओं +को वित्तीय प्रणाली की सुरक्षा एवं उसे बचाने +हेतु एक बड़ी धनराशि खर्च करनी पड़ी है। +अतः ये देश नहीं चाहते कि भविष्य में +इनकी पुनरावृत्ति हो। परिणामस्वरूप बैंकिंग +व्यवस्था को कुछ इस प्रकार से नियंत्रित +करना होगा जिससे कि न सिर्फ आस्तियों +में गुणात्मक सुधार हो बल्कि बैंकों की +हानि सहन करने की क्षमता में भी यथोचित +वृद्धि हो। बासेल 3 के अंतर्गत इस प्रकार +के प्रावधान किये गये हैं कि पूंजी पर्याप्तता + +योजना, जनवरी 2018 + + + +0047.txt +<----------------------------------------------------------------------> +अनुपात की गणना में सभी प्रकार के जोखिमों यथा क्रेडिट ,बाजार +और परिचालनात्मक का समावेश हो। +बासेल 3 जिन प्रमुख उद्देश्यों के साथ लागू किया जाना है, वे हैं: +1. बैंकिंग क्षेत्र की क्षमता में इस प्रकार अभिवृद्धि करना जिससे + +कि यह वित्तीय एवं आर्थिक तनावों से उत्पन्न झटकों को सहन + +कर सके। +2. जोखिम प्रबंधन एवं शासन में सुधार। +3, बैंकों की पारदर्शिता एवं प्रकटीकरण और मजबूत बनाना। +बासेल 3 नियमन, बासेल 2 की तुलना में निम्न रूप से बेहतर हैः +1. यह पूंजी के स्तर एवं गुणवत्ता में अभिवृद्धि करेगा। +2. तरलता मानकों का आरम्भ। +3. प्रावधान सम्बन्धी नियमों में संशोधन। +4. पहले से बेहतर और व्यापक प्रकटीकरण। + +भारत में पूंजी नियमन 1 अप्रैल 2013 से क्रमिक रूप में लागू +किया जा चुका है और यह 31 मार्च 2019 को पूरी तरह से लागू हो +जाएगा। इसी क्रम में भारत ने बासेल 3 के तरलता कवरेज अनुपात +(लिक्विडिटी कवरेज रेश्यो) को अपनाने के साथ ही शुद्ध स्थायी +वित्तीयन अनुपात (नेट स्टेबल फंडिंग रेश्यो) को भी लागू करने की +दिशा में सराहनीय कदम उठाये हैं। + +बासेल 3 को लागू करने में भारतीय बैंकिंग व्यवस्था के समक्ष +जो प्रमुख चुनौतियां सामने आयी हैं वे हैं गैर निष्पादनीय आस्तियां, +पूंजी की गुणवत्ता की समीक्षा, बैंकों के प्रबंधन एवं प्रशासन में सुधार +एवं तरलता की समसस्‍्या। + +अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (अक्टूबर 2017) के अनुसार भारत को +अपनी विकास दर को बढ़ाने हेतु प्राथमिकता के क्रम में सार्वजनिक +क्षेत्र के बैंकों में संरचनात्मक सुधार करना होगा। इसी के साथ श्रम एवं +उत्पाद बाजारों की दक्षता में अभिवृद्धि और कृषि क्षेत्र को आधुनिकीकृत +करना होगा। प्राथमिकता के इस क्रम में आईएमएफ द्वारा बैंकिंग सुधारों +को प्रथम स्थान देना इस बात की ओर इंगित करता है कि भारतीय +बैंकिंग व्यवस्था विशेषकर सार्वजनिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधारों की +जरुरत है। + +उपरोक्त तथ्यों एवं उनके विश्लेषण के आधार पर हम यह +कह सकते हैं कि वर्तमान सरकार के महत्वाकांक्षी तीसरी पीढी +के आर्थिक सुधारों की राह में भारतीय बैंकिंग व्यवस्था विशेषकर +सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का योगदान अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। यद्यपि +भारतीय बैंकिंग व्यवस्था ने अपने कठोर नियमों एवं उसके प्रभावी +अनुपालन के कारण वैश्विक स्तर पर अपनी एक अलग पहचान +बनायी है, किन्तु इस पहचान को स्थायी रखने के लिए पूंजीगत +सहायता के साथ ही साथ बैंकिंग नियामक एवं सरकार को ऐसे +प्रभावी कदम भी उठाने होंगे जिससे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की +लगातार बढ रही गैर-निष्पादनीय परिसंपतियों से न सिर्फ निपटा +जा सके बल्कि भविष्य में इनकी पुनरावृत्ति न हो, ऐसा सुनिश्चित +किया जा सके। Q +सन्दर्भ +* Basel [II in International and Indian Context_Ten Questions we +should know the Answers for, % Duvuri Subbarao] RBI Bulletin] +October 2012 + +Financial Stability Report, June 2017 released on June 30th, 2017, +Reserve Bank of India (www.rbi.org) + +योजना, जनवरी 2018 + + + + + + + +www.ateias.com + +IAS at Free dant + +10७ की परीक्षा के निःशुल्क मार्गदर्शन +के लिए डॉ. विजय अग्रवाल की वेबसाइट + +इस पर आपको मिलेगा - + +* प्रतिदिन ऑडियो लेक्चर + +« अखबारों पर समीक्षात्मक चर्चा +* परीक्षा सम्बन्धी लेख + +« आकाशवाणी के समाचार + +« वीडिओ + +* नॉलेज सेंटर + +* अखबारों की महत्वपूर्ण कतरनें +« फ्री मॉक-टेस्ट। + +सुनिए डॉ. विजय अग्रवाल का +Sica + + + +लॉग ऑन Te ALAA E ROY IN + + + + + +Se ate 9 aes ee 2 + + + +डॉ. विजय अग्रवाल +की पुस्तक + +‘sna IAS +केसे बनेंगे + + + + + +यह किताब |/५$ की तैयारी करने वालों के लिए एक +“चलता-फिरता कोचिंग संस्थान' है। + +सभी प्रमुख पुस्तक-विक्रेताओं के यहाँ उपलब्ध + +31. fara SET se ” + + + + + +47 + +YH-655/8/2017 + + + +0048.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +i) +° + + + + + + + + +(oe- + +| te ~~ VISIONIAS + +Classes also ne के +available + +सामान्य अध्ययन |e 77. न ++फाउंडेशन कोर्स 2019 es ee + + + + + +प्रारंभिक Sa +ve ok Ga Seer > लिए i +* प्रारंभिक T ए +| मुख्य परीक्षा के लिए ALL INDIA TEST SERIES +Get the Benefit of Innovative Assessment ++ इनोवेटिव क्लासरूम प्रोग्राम के घटक System from the leader in the Test Series +» प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा और निबंध के लिए Program +महत्वपूर्ण सभी टॉपिक का विस्तृत v ee anes v one Nie +* योजनाबद्ध तैयारी हेतु करेंट ओरिएंटेड अप्रोच (हिन्दी माध्यम में भी) (हिन्दी माध्यम में भी) +* नियमित क्लास टेस्ट एवं व्यक्तिगत मूल्यांकन Y CSAT V Essay (Rai aren 4) +* मौलिक अवधारणाओं की समझ के विकास एवं (हिन्दी माध्यम में भी) v Philosophy v Sociology +विश्लेषणात्मक क्षमता निर्माण पर विशेष ध्यान v¥ Geography + +* अंतर - विषयक समझ विकसित करने का प्रयास + +*» एनीमेशन, पॉवर प्वाइंट, वीडियो जैसी तकनीकी PHILOSOPHY 7२ +भी + +सुविधाओं का प्रयोग + +i 111] +» निबंध लेखन शैली की कक्षाएं by Anoop Kumar Singh +¢ PT 365 Gay ¢ MAINS 365 @aiy @ JAIPUR | PUNE +* 1 टेस्ट सीरीज » मुख्य परीक्षा टेस्ट सीरीज > Includes comprehensive and updated study material +« Praag टेस्ट सीरीज » सीसैट टेस्ट सीरीज > Answer Writing Program for Philosophy (QIP) +* कॉम्प्रीहेंसिव स्टडी मटेरियल * करेंट अफेयर्स मैगजीन 500+ Selections 15 in top 20 + +in CSE 2015 70+ Selections in Top 100 in CSE 2016 + ++ PT 365 [ENGLISH MEDIUM| | fé-dt Areqa | = eS हल +@ One Year Current Affairs for Prelims fy rm a 3 ++ MAINS 365 [ENGLISH MeDiuM| | f§d) AIeaa | | + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +TINA ANMOL SHER SAUMYA ABHILASH + +@ One Year Current Affairs for Mains DABI SINGH BEDI PANDEY MISHRA +EL [ AIR-2 | [ AIR-4 | [ AIR-S | + +fa प्र 4 be DELHI JAIPUR PUNE बह 1] 7 + + + + + +pl ey § 8468022022 | 9001949244 | 8007500096 | 9000104133 +www.visionias.in 9650617807 | 9799974032 | 020-40040015 | 9494374078 + +e 2" Floor, Apsara Arcade, Near Metro Gate 6, 1/8 B, Pusa Road, Karol Bagh +ama a 6 + +¢ 635, Opp. Signature View Apartments, Banda Bahadur Marg, Mukherjee Nagar + +YH-737/9/2017 + +48 योजना, जनवरी 2018 + + + +0049.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +भारतमाला परियोजना: राजमार्ग विकास का नया आयाम + + + + + +एक सुसंगत aie wits +को अपनाते हुए पूरे देश में +सड़कों पर यातायात की क्षमता +में सुधार किया गया है। इस +नेटवर्क से देश के विभिन्न +जिलों में लगभग 80 प्रतिशत +माल ढुलाई होने की संभावना +है। इससे देश में बाहनों की +औसत रफ्तार 20 से 25 +प्रतिशत तक बढ़ जाएगी। + +आर्थिक गलियारों और संबंधित +अंतर-गलियारे और फीडर मार्गों +के विकास के परिणामस्वरूप +सड़कों के ढांचे में सुधार होगा, +बाईपास, रिंग रोड्स के माध्यम +से भीड़भाड़ समाप्त होगी। +कॉरिडोर में प्रवेश व निकासी +आधारित टोलिंग के साथ +नियंत्रित प्रवेश वाले एक्सप्रेसवे +जैसी पहल से राजमार्गों की +औसत रफ्तार में अधिक +सुधार होगा + + + + + + + + + +युद्धवीर सिंह मलिक +fies ase की मंत्रिमंडलीय +समिति ने 24 अक्टूबर, 2017 + +ST al Aft WH don A +भारतमाला परियोजना के चरण -1 के प्रस्ताव +को मंजूरी दे दी है। भारतमाला देश का एक +व्यापक राजमार्ग विकास कार्यक्रम है। मौजूदा +कमियों और परिवहन की बढ़ती जरूरतों +के कारण भारत राजमार्ग क्षेत्र में महत्वपूर्ण +बुनियादी ढांचा तैयार कर रहा है। भारतमाला +राजमार्गों के बुनियादी ढांचे के लिए एक नए +युग की शुरुआत का प्रतीक है। + +राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना +(एनएचडीपी) 1998 में एनडीए सरकार +द्वारा प्रारंभ किया गया देश का पहला प्रमुख +राजमार्ग विकास कार्यक्रम था। योजना और +निष्पादन के कॉरिडोर एप्रोच के आधार पर +देश में राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास, संचालन +और अनुरक्षण के लिहाज से सड़क विकास +में एक ऊंची छलांग लगाने की भारतमाला +की परिकल्पना है। भारतमाला का उद्देश्य +उपयुक्त पहल के जरिए पूरे देश के राष्ट्रीय +राजमार्गों पर माल ढुलाई और यात्रियों, दोनों +स्तर पर लॉजिस्टिक संबंधी दक्षता में सुधार +करना है। +भारतमाला को डिजाइन करने का +दृष्टिकोण + +उच्च घनत्व वाले मूल-गंतव्य स्थान, +दोनों के बीच वैज्ञानिक स्तर पर माल की +आवाजाही का एक व्यापक अध्ययन किया +गया। इसके बाद नये आर्थिक गलियारों को +पहचानने और विकसित करने के लिए एक +नयी रणनीति तैयार की गयी ताकि आर्थिक +क्षेत्र की लॉजिस्टिक संबंधी दक्षता को +अधिकतम किया जा सके। इसके बदले में +अर्थव्यवस्था पर बहुस्तरीय प्रभाव पड़ने की +संभावना है। इस मूल गंतव्य स्थान अध्ययन ने + + + + + + + +एनएचडीपी के तहत संचालित परियोजनाओं +के साथ आर्थिक गलियारों के एकीकरण को +ध्यान में रखा। + +इस अध्ययन में यह भी पता चला है +कि देश के अधिकांश आर्थिक गलियारों में +बुनियादी ढांचे में भिन्नताएं हैं। उदाहरण के +लिए मुंबई-कोलकाता गलियारे में ओडिशा +राज्य में एक बड़ा खंड दो लेन वाला हे +और वहां भी अक्सर लेन परिवर्तन होते हें। +अगर यह पूरा खंड कम-से-कम एक समान +4-लेन में नहीं बदला गया तो यातायात पर +तो असर होगा ही, माल भाड़ा भी बढ़ेगा और +इसका असर अंत उत्पाद, स्टील और ऊर्जा +पर पडेगा। इसी प्रकार देश भर के राजमार्गों +में मौजूदा असमानताओं को कम करने की +तत्काल जरूरत थी। + +नये गलियारों और फीडर मार्गों के +विकास के अतिरिक्‍त राष्ट्रीय राजमार्ग विकास +परियोजना (एनएचडीपी) के तहत पहले +से विकसित सडक विस्तारों (ast) at +क्षमता में सुधार किए जाने की आवश्यकता +है। खासकर माल ढुलाई को समूहबद्ध और +अलग-अलग करने और मोडल शिफ्ट को +सहज बनाने के लिए बाइपास, रिंग रोड्स +तथा मल्टीमोडल लॉजिस्टिक पार्कों के +विकास के जरिए। + +भारत के निर्यात-आयात व्यापार को +बढ़ावा देने के लिए सीमाओं और तटीय क्षेत्रों +के साथ बुनियादी सुविधाओं का विकास +महत्वपूर्ण है। भारत के पड़ोसी देशों, नेपाल, +बांग्लादेश और भूटान के साथ व्यापार संबंधी +कनेक्टिविटी में सुधार के साथ रणनीतिक +महत्व के आधार पर सीमा स्थित सड़कों को +चिह्ित किया गया है। नौवहन मंत्रालय के +सागरमाला कार्यक्रम के साथ तटीय सड़क +विकास और बंदरगाह कनेक्टिविटी सड़कों के + + + +लेखक भारत सरकार में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग विकास विभाग के सचिव हैं। ईमेल: ४००ए४-1०११६ो॥10.॥1 + +योजना, जनवरी 2018 + +49 + + + +0050.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +उन्नयन को सहयोग दिया गया है। + +परियोजना आधारित सड़क विकास के +स्थान पर कोरिडोर आधारित दृष्टिकोण को +महत्व देने तथा कमियों को दूर करने के +लिए सड॒क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय +ने ' भारतमाला परियोजना' को तैयार किया है। +भारतमाला के छह घटक +आर्धिक गलियारा + +चिहित किए गए आर्थिक महत्व के +गलियारों से आने वाले वर्षों में 25 प्रतिशत माल +Gas की संभावना है। एक बार निर्मित होने +के बाद राष्ट्रीय और आर्थिक गलियारों, अपने +अंतर-गलियारों और फीडर मार्गों के साथ, +द्वारा माल ढुलाई के 80 प्रतिशत तक पहुंचने +की संभावना है। लगभग 26,200 किलोमीटर +लंबे खंडों को आर्थिक गलियारे के रूप में +विकसित किया जाएगा, जिसमें से चरण -1 +में 9,000 किलोमीटर पर काम किया जाएगा। +अंतर-गलियारा और फीडर मार्ग + +लगभग 8,000 किलोमीटर अंतर-गलियारों +और लगभग 7,500 किलोमीटर फीडर मार्गों +को चिह्नित किया गया है जिनमें चरण-1 में +6,000 किलोमीटर पर काम किया जाएगा। +राष्ट्रीय गलियारा दक्षता सुधार + +स्वर्ण-चतुर्भुन और उत्तर-दक्षिण और +पूर्व-पश्चिम गलियारे भारत की 35 प्रतिशत +माल ढुलाई करते हैं और उन्हें राष्ट्रीय +गलियारा घोषित किये जाने का प्रस्ताव है। 6 +राष्ट्रीय गलियारों में औसत यातायात 30,000 +से अधिक पीसीयूज (पैसेंजर कार यूनिट) +है। जैसी जरूरत हो, इन गलियारों की 6/8 +लेनिंग की जाएगी। समय के साथ राष्ट्रीय +गलियारों में चेक प्वाइंट्स बन गए हैं जो +उनकी क्षमता को प्रभावित कर रहे हैं। इन +गलियारों में भीड़ को कम करने के लिए रिंग + +50 + +रोड्स और बायपास व एलिवेटेड कॉरिडोर्स + + + +को बनाया जाना चाहिए। साथ ही सड़कों +को विस्तार भी दिया जाना चाहिए। इसके +अतिरिक्त मोडल ट्रांसफर और माल ढुलाई +को समूहबद्ध एवं अलग-अलग करने के +लिए रणनीतिक स्थानों पर लॉजिस्टिक्स पार्कों +को विकसित करने की भी योजना बनायी +गयी है। चरण -1 में इस श्रेणी के अंतर्गत +लगभग 5000 किलोमीटर पर काम किया +जा रहा है। +सीमा और अंतरराष्ट्रीय कनेक्टिविटी सड़क +लगभग 3,300 किलोमीटर लंबी +सीमा सड़कों को चिह्नित किया गया है जो +अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर उनके रणनीतिक +महत्व के कारण विकसित की जाएंगी। भारत +के प्रमुख राजमार्ग गलियारे को अंतरराष्ट्रीय +व्यापार बिंदुओं से जोड़ने के लिए लगभग +2,000 किलोमीटर लंबी सड़कों की जरूरत +है ताकि पड़ोसी देशों जैसे नेपाल, भूटान, +बांग्लादेश और म्यांमार के साथ निर्यात-आयात +को सुविधाजनक बनाया जा सके। चरण-1 में + +लगभग 3,300 किलोमीटर लंबी +सीमा सड़कों को चिह्नित किया गया +है जो अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर उनके +रणनीतिक महत्व के कारण विकसित +की जाएंगी। भारत के प्रमुख राजमार्ग +गलियारे को अंतरराष्ट्रीय व्यापार +बिंदुओं से जोड़ने के लिए लगभग +2,000 किलोमीटर लंबी सड़कों +की जरूरत है ताकि पड़ोसी देशों +जैसे नेपाल, भूटान, बांग्लादेश और +म्यांमार के साथ निर्यात-आयात को +सुविधाजनक बनाया जा सके। + + + +=e = वा + +लगभग 2,000 किलोमीटर लंबी सड़कों पर +काम किया जा रहा हे। +तदीय और बंदरगाह कनेक्टिविटी सड़क + +भारत के तटीय किनारों पर लगभग +2,100 किलोमीटर की तटीय सड़कों को +fated feat wa है। इन सड़कों द्वारा तटीय +क्षेत्रों में पर्यटण और औद्योगिक विकास के +बढ़ने की संभावना है। गैर-प्रमुख बंदरगाहों +की कनेक्टिविटी में सुधार के लिए लगभग +2,000 किलोमीटर की बंदरगाह कनेक्टिविटी +सड़कों को चिह्नित किया गया है ताकि +निर्याा-आयात को सहज किया जा सके। +चिहित सड़कों को नौवहन मंत्रालय के +सागरमाला कार्यक्रम के साथ सहयोग दिया +गया है। चरण -1 में इस श्रेणी में करीब +2,000 किलोमीटर लंबी सड॒कों पर काम +किया जा रहा है। +ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे + +राष्ट्रीय और आर्थिक गलियारों के कुछ +हिस्सों में ट्रैफिक 50,000 पीसीयू से अधिक +है और कई चोक प्वाइंट्स भी बन गए हैं। +इनके 1,900 किलोमीटर हिस्से को ग्रीनफील्ड +एक्सप्रेसवे के विकास के लिए चिह्नित किया +गया है जिसके चरण-1 में लगभग 800 +किलोमीटर पर काम किया जा रहा है। +भरतमाला चरण-1 - घटक और संभावित +निवेश + +भारतमाला चरण-1 में लगभग 24,800 +किलोमीटर लंबी सड़कें विकसित करने +की योजना है। इसके अतिरिक्त चरण-1 +में एनएचडीपी के तहत लगभग 10,000 +किलोमीटर का शेष सड़क निर्माण कार्य +भी शामिल है। चरण-1 के लिए पांच वर्षों +में 5.35,000 करोड़ रुपये का परिव्यय +अनुमानित है। + +योजना, जनवरी 2018 + + + +0051.txt +<----------------------------------------------------------------------> +24,800 किलोमीटर से अधिक की +सड़कों को चिह्नित करने के मामले में पर्याप्त +लचीलापन है क्योंकि जैसा सड़क परिवहन +और राजमार्ग मंत्री इस कुल लंबाई के 15 +प्रतिशत हिस्से को दूसरी उपयुक्त परियोजनाओं +में शामिल करने के लिए अधिकृत हैं। अगर +किसी स्थिति में भूमि अधिग्रहण या अन्य +अनपेक्षित कारणों से कुछ निश्चित हिस्सों को +विकसित न किया जा सके। +परियोजनाओं का मूल्यांकन और अनुमोदन + +इस कार्यक्रम की मुख्य विशेषता हे +एकल परियोजना का प्रभावी मूल्यांकन व +अनुमोदन करना। इससे चिह्नित परियोजनाओं +को समय पर लागू करना आसान होगा। +राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) को +परियोजनाओं का मूल्यांकन और अनुमोदन +करने का अधिकार दिया गया है। इसके +अतिरिक्त इस बात को सुनिश्चित करने का +प्रयास भी किया जा रहा है कि मूल्यांकन +व अनुमोदन की प्रक्रिया में गुणवत्ता +से कोई समझौता न किया जाए। सभी + +चरण 1 के अनुमोदित घटकों और परिव्यय का सारांश इस प्रकार है + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +घटक लंबाई-कि.मी. में. | परिव्यय-करोड़ रू. में +आर्थिक गलियारे का विकास 9,000 120,000 +अंतर-गलियारा और फीडर मार्ग 6,000 80,000 + +राष्ट्रीय गलियारा दक्षता सुधार 5,000 100,000 + +सीमा और अंतरराष्ट्रीय कनेक्टिविटी सड़क | 2,000 25,000 + +तटीय और बंदरगाह कनेक्टिविटी सड़क | 2,000 20,000 + +एक्सप्रेसवे 800 40,000 + +कुलः 24 ,800 385,000 + +एनएचडीपी के तहत शेष सड़क कार्य 10,000 150,000 + +कुल 5 35,000 + + + + + + + +आंतरिक क्षमता को बढ़ाने के लिए जागरूक +प्रयास किये जा रहे हैं। “सड़क परिवहन और +राजमार्ग मंत्रालय तथा उसकी कार्यान्वयन +एजेंसियों का संगठन और प्रक्रियागत +परिवर्तन” पर एक अध्ययन किया गया है +और अध्ययन की कुछ सिफारिशें लागू की +जा चुकी हैं जैसे भूमि अधिग्रहण से संबंधित +सुधार, परियोजना डीपीआर की गुणवत्ता + + + + + +परियोजनाओं का मूल्यांकन कुशल प्रॉजेक्ट +एप्रेजल एंड टेक्निकल स्क्रूटनी कमिटियों +द्वारा तकनीकी और आर्थिक स्तर पर किया +जाए। इन कमिटियों को गठन प्राधिकरण और +मंत्रालय में किया जाए और इनमें नीति आयोग +के विशेषज्ञ शामिल हों। ठेका देने की कार्रवाई +में तेजी लाने के लिए कार्यान्वयन एजेंसियों +द्वारा परियोजना संबंधी गतिविधियों को पहले +ही शुरू किया गया है। नीति आयोग के +सीईओ को एनएचएआई बोर्ड (प्राधिकरण) +में अंशकालिक सदस्य के रूप में शामिल +किया गया है। +बड़ी चुनौती की व्यवस्था + +बडी चुनौती के माध्यम से विकास +प्रक्रिया में भाग लेने के लिए राज्य सरकारों +को प्रोत्साहित करना इस कार्यक्रम की एक +और विशेषता है। इसके अंतर्गत, परियोजनाओं, +जिसमें संबंधित राज्य सरकारों को एक सक्रिय +भूमिका निभानी होती है, विशेष रूप से +परियोजना के लिए जमीन उपलब्ध कराने के +मामले में, को कार्यान्वयन के लिए चिह्नित +करने में प्राथमिकता दी जाएगी। +संस्थागत क्षमता में वृद्द्धि + +कार्यक्रम को प्रभावी ढंग से लागू +करने के लिए सड़क परिवहन और राजमार्ग +मंत्रालय तथा उसकी कार्यान्वयन एजेंसियों की + +योजना, जनवरी 2018 + +बढ़ाने से संबंधित सुधार, ऑनलाइन प्रोजेक्ट +मॉनिटरिंग सूचना प्रणाली (पीएमआईएस) +और अन्य का विकास और कार्यान्‍्वयन। +भारतमाला का प्रभाव + +एक सुसंगत कॉरिडोर एप्रोच को अपनाते +हुए पूरे देश में सड़कों पर यातायात की +क्षमता में सुधार किया गया है। इस नेटवर्क +से देश के विभिन्न जिलों में लगभग 80 +प्रतिशत माल ढुलाई होने की संभावना है। + +इससे देश में वाहनों की औसत रफ्तार 20 से +25 प्रतिशत तक बढ़ जाएगी। +आर्थिक गलियारों और संबंधित + +अंतर-गलियारे और फीडर मार्गों के विकास + +“सड़क परिवहन और राजमार्ग +मंत्रालय तथा उसकी कार्यान्वयन +एजेंसियों का संगठन और प्रक्रियागत +परिवर्तन'' पर एक अध्ययन किया +गया है और अध्ययन की कुछ +सिफारिशें लागू की जा चुकी हैं जैसे +भूमि अधिग्रहण से संबंधित सुधार, +परियोजना डीपीआर की गुणवत्ता +बढ़ाने से संबंधित सुधार, ऑनलाइन +प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग सूचना प्रणाली +(पीएमआईएस ) और अन्य का +विकास और कार्यान्वयन। + +के परिणामस्वरूप सड़कों के ढांचे में सुधार +होगा, बाईपास, रिंग रोड्स के माध्यम से +भीड॒भाड़ समाप्त होगी। कॉरिडोर में प्रवेश व +निकासी आधारित टोलिंग के साथ नियंत्रित +प्रवेश वाले एक्सप्रेसवे जैसी पहल से राजमार्गों +की औसत रफ्तार में अधिक सुधार होगा। +माल ढुलाई वाले वाहनों की औसत रफ्तार में +सुधार करने से तीन मुख्य लाभ होंगे (क) +वाहन उपयोग में सुधार होने से तेजी से +ब्रेकहवन (जब लागत-आय समान होती है) +होगा और माल ढुलाई की लागत प्रति टन प्रति +किलोमीटर कम होगी, (ख) फालतू समय +न लगने के कारण वाहनों की ईंधन क्षमता +में सुधार होगा और माल ढुलाई की लागत +कम होगी और (ग) तीत्र और विश्वसनीय +माल पारगमन से माल ढुलाई के दौरान औसत +इन्वेंटी की खपत भी कम होगी। एक बार +विकसित होने के बाद नेटवक की मदद से +आपूर्ति श्रृंखला की लागत में कम होगी। यह +लगभग 5-6 प्रतिशत कम हो जाएगी। देश के +लॉजिस्टिक्स कुशलता सूचकांक (एलपीआई) +पर भी इसका सकारात्मक प्रभाव TSM + +देश के 550 जिलों को एनएच लिंकेज +से जोड़ा जा रहा है। वर्तमान में लगभग 300 +जिलों में एनएच लिंक हैं। + +राजमार्गों और संबंधित बुनियादी ढांचे के +विकास, संचालन और रखरखाव से निवेश +और निर्माण गतिविधियों का रास्ता खुलेगा। + +भारतमाला क चरण-1 में 24,800 +किलोमीटर के कॉरिडोर नेटवर्क के उन्नयन +से निर्माण के चरण में लगभग 34 करोड श्रम +दिवस उत्पन्न होंगे और आर्थिक गतिविधियों +के बढ़ने के साथ लगभग 220 लाख स्थायी +नौकरियों का सृजन होने की संभावना 21 O + +51 + + + +0052.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +SLUKMAAN IAS_ +co — CSE 2018 - 19 + +बैच प्रारम्भ 29 जनवरी से, अवधि -- 10 महीने +*. 55 टेस्ट सीरीज 2048... + +प्रारम्भिक परीक्षा 060 जनवरी से मुख्य परीक्षा 00 जनवरी से + +मुख्य परीक्षा सीरीज नीति शास्त्र टेस्ट सीरीज + +नीति शास्त्र प्रश्नपत्र में 120 से अधिक अंक प्राप्त + +Walon लोक प्रशासन भूगोल करने के अपने प्रयासों को साकार करें| +बैच प्रारम्भ 08 जनवरी से + +05 जनवरी से प्रारंभ + + + + + + + + + + + +प्री. स्पेशल da ary || cere fava + +15 जनवरी से प्रारंभ * इतिहास « भूगोल *« लोक प्रशासन + +22 जनवरी से बैच प्रारम्भ +अवधि -- 04 महीने + + + + + + + +OLD RAJINDER NAGAR :-60/19, BEHIND ANDHRA BANK, DELHI-60 +CONTACTS: 011-45696019, 8506099919 & 9654034293 @ + +MUKHERJEE NAGAR :- 871, FIRST FLOOR, MAIN ROAD, +CONTACTS: 011-41415591 & 7836816247 + + + +a +PH + +52 योजना, जनवरी 2018 + + + +0053.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +बैंकिंग सुधार से कृषि का उद्धार + + + +बैंकिंग प्रणाली सांस्थानिक +वित्तीय प्रवाह का सबसे +महत्वपूर्ण चैनल है। वित्त के +प्रवाह के किसी भी प्रकार +के दुष्चक्र को तोड़ने में +इसकी सबसे बड़ी भूमिका +होती है। राहत की बात +यह है कि वर्तमान सरकार +एक तरफ जहां 2022 तक +कृषकों की आय दुगुनी +करने का लक्ष्य लेकर चल +रही है तथा इसके लिये +तमाम योजनाएं चला रही +है तो साथ ही बैंकों के +पुनर्पूुजीकरण तथा बैंकों के +विलय जैसे तमाम प्रयासों के +माध्यम से बैंकिंग सुधार को +प्रोत्साहन दे रही है + +मा Se ae ae 57 + + + +सन्‍नी कुमार + +रत एक “कृषि प्रधान' देश +है, यह जुमला सिर्फ इसलिये +प्रचलित नहीं है कि भारत की +अधिकांश जनसंख्या कृषि पर अश्रित हे, +बल्कि सही अर्थों में यह उस पर्यावरणीय +अनुकूलता को दर्शाता है जो भारतीय संदर्भ +में कृषि को प्राप्त zl +भारत में जहां उष्णकटिबंधीय फसल +गन्ना पर्याप्त मात्रा में उपजाया जाता है वहीं +उंडे प्रदेशों में होने वाले सेब जैसे फल +भी बहुतायत में होते हैं। इसी प्रकार पहाड़ी +भूमि पर की जाने वाली चाय की खेती में +भारत वैश्विक स्थान रखता है तो गेहूं, धान +जैसे समतल भूमि की फसलों के लिये भी +अनुकूल दशा उपलब्ध है। इतना ही नहीं +TS, कपास, जूट जैसे नकदी फसलों की +जलवायु दशाएं भी मौजूद हैं। सबसे बढ़कर +मानसूनी जलवायु के कारण कृषि की एक +स्वाभाविक दशा निर्मित हो जाती है, साथ ही +कृत्रिम सिंचाई साधनों की उपयोगिता काफी +हद तक सीमित हो जाती है। नदियों का उर्वर +मैदान एक विस्तृत उपजाऊ कृषि क्षेत्र का +निर्माण करता है तो काली मिट्टी, लेटेराइट +मिट्टी, पीट मृदा जैसी मिट्टियों की उपस्थिति +'फसल उत्पादन को व्यापक विविधता प्रदान +करती हैं। भारत का भौगोलिक क्षेत्रफल का +बड़ा हिस्सा कृषि योग्य है जबकि चीन जैसे +देशों का लगभग 90 प्रतिशत भू-भाग कृषि +योग्य है ही नहीं। कुल मिलाकर कहें तो +भारत प्राकृतिक रूप से एक ऐसे भोगोलिक +क्षेत्र के रूप में उभरता है जहां कृषि के +'फलने-फूलने की संभावना किसी भी अन्य +भौगोलिक इकाई से कहीं अधिक है। लेकिन +अगर इस संभावना के बरक्स यथार्थ के + +धरातल पर देखें तो भारतीय कृषि 'घाटे का +सौदा' साबित हो रही है। + +भारत में जहां औसत गेहूं उत्पादन 27 +क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, वहीं फ्रांस में यह +71.2 तथा ब्रिटेन में 80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर +है। इसी प्रकार भारत में जहां एक कृषक +श्रमिक की औसत वार्षिक उत्पादकता मात्र +162 डॉलर है वहीं नार्वे में यह 973 डॉलर +जबकि यूएसए में यह 2408 डॉलर है। एक +दिलचस्प तथ्य यह भी है कि भारत के +कुल जोत भूमि के लगभग 75 प्रतिशत पर +खाद्य फसलें उपजायी जाती हैं जबकि मात्र +25 प्रतिशत भूमि पर ही वाणिज्यिक फसलें +उगायी जाती हैं। कुल भारतीय जनसंख्या के +आधे से अधिक लोग कृषि से जुड़े हें किंतु +जीडीपी में इसका योगदान 15 प्रतिशत से भी +कम है। सवाल यह है कि प्राकृतिक रूप से +इतनी अनुकूलता के बावजूद भारतीय कृषि +की दशा इतनी दयनीय क्‍यों है? + +इसके तमाम कारण गिनाए जा सकते +हैं, मसलन-एक विशाल जनसंख्या का होना, +औपनिवेशिक शासन में कृषि का उपेक्षित होना, +उन्नत प्रौद्योगिकी का अभाव, सिंचाई-डर्वरक +जैसी मूलभूत कृषि आवश्यकताओं की कमी +इत्यादि। लेकिन इन सबसे महत्वपूर्ण वजह +है भारतीय कृषि में 'पूंजी का अभाव'। हम +आज पूंजी प्रधान युग में जी रहे हैं और जिस +पेशे में पूंजी का प्रवाह सुचारू नहीं है उसका +घाटे का सौदा होना तय है। कृषि भी इस +नियम का अपवाद नहीं है। बहुत सीधी सी +बात है कि कृषि का विकास जिन आधारभूत +तत्वों- उन्नत बीज, विकसित प्रौद्योगिकी, +सिंचाई के साधनों की उपलब्धता, उर्वरक +इत्यादि पर निर्भर है वो सब पूंजी के बिना + + + +बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी से स्नातक, सम्प्रति “दृष्टि करेंट अफेयर्स टुडे" के संपादक मंडल में शामिल। स्वतंत्र लेखक के रूप में विभिन्न अखबारों, पत्रिकाओं तथा ऑनलाइन +बेबसाइट्स में नियमित रूप से लेखों का प्रकाशन। GA: sunnyand65@gmail.com + +योजना, जनवरी 2018 + +53 + + + +0054.txt +<----------------------------------------------------------------------> +बैंकिंग जैसी सांस्थानिक व्यवस्था +की बजाय स्थानीय साहूकार कृषकों +तक वित्त उपलब्ध करा रहे हैं। एक +तो यह अधिक महंगा है दूसरे इससे +निर्वाहमूलक कृषि तक के लिये ही +कर्ज मिल सकता है। इस प्रकार पूंजी +प्रवाह का जो दुष्चक्र निर्मित होता है +उससे कृषि की स्थिति दिन ब दिन +खराब होती जा रही है। ऐसे में व्यापक +बैंकिंग सुधार के माध्यम से ही कृषि +में सुधार किया जा सकता है। + +संभव नहीं है। पूंजी के अभाव में भारत का +अधिकांश कृषि निर्वाहमूलक है क्‍योंकि उच्च +लागत वाली और उच्च जोखिम किंतु उच्च +प्रतिदान वाली नकदी फसलों के उत्पादन के +लिये पर्याप्त वित्तीय संसाधन उपलब्ध नहीं है। + +अव्वल तो यह कि जो पूंजी भारतीय +कृषि तक पहुंच रही है उसका एक बड़ा +हिस्सा गैर-सांस्थानिक निवेश है। अर्थात +बैंकिंग जैसी सांस्थानिक व्यवस्था की बजाय +स्थानीय साहूकार कृषकों तक वित्त उपलब्ध +करा रहे हैं। एक तो यह अधिक महंगा हे +दूसरे इससे निर्वाहमूलक कृषि तक के लिये +ही कर्ज मिल सकता है। इस प्रकार पूंजी +प्रवाह का जो दुष्वक्र निर्मित होता है उससे +कृषि की स्थिति दिन ब दिन खराब होती +जा रही है। ऐसे में व्यापक बैंकिंग सुधार +के माध्यम से ही कृषि में सुधार किया जा +सकता हे। + +बैंकिंग प्रणाली सांस्थानिक वित्तीय प्रवाह +का सबसे महत्वपूर्ण चैनल है। वित्त के प्रवाह + +कृषि को लाभकारी बनाए बिना बैंकिंग सुधार +दीर्घकालिक व स्थायी नहीं रह सकता क्योंकि +सिर्फ विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों की उन्नति से +समावेशी विकास संभव नहीं है। + +बैंकिंग और कृषि क्षेत्र के संबंध का +इतिहास + +कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार +क्षेत्र है। स्वतंत्रता के बाद की भारत की जो +तस्वीर थी उसमें शहरीकरण और औद्योगिक +गतिविधियों की दर निम्न थी। ग्रामीण क्षेत्र +प्रधान देश में कृषि और उससे संबंधित क्षेत्र +की गतिविधियां ही अर्थव्यवस्था के केंद्र में +थीं। साठ के दशक में ग्रामीण अंचल में +ऋण या साख की उपलब्धता का सर्वेक्षण +किया गया इसे “ग्रामीण साख सर्वेक्षण” कहा +गया। सर्वेक्षण की 1964 में प्राप्त रिपोर्ट के +अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में संगठित क्षेत्रों की +कमी थी जिस कारण महाजनों द्वारा दिए +जाने वाले ऋण पर निर्भरता थी जिसकी +ब्याज दर ऊंची थी। इसलिए यहां निवेश का +स्तर कम था निवेश कम रहने के कारण +संवृद्धि दर प्रभावित होकर कम रह जाती थी। +इसी सर्वेक्षण के आधार पर 1967 में रिजर्व +बैंक के गवर्नर 'एलके झा' ने 'सामाजिक +बैंकिंग” अपनाने की अवधारणा का सुझाव +दिया। अर्थात किसी बैंक का इस प्रकार +से प्रबंधन कि इस के कारोबारी हित एवं +व्यापक सामाजिक हित के उद्देश्य में समन्वय +स्थापित हो। + +War से पूर्व कृषि सहित +अर्थव्यवस्था के कोरे क्षेत्र में संस्थागत ऋण +उपलब्धता बहुत कम थी। उस अवधि में +औद्योगिक क्षेत्र जो कि राष्ट्रीय उत्पादन में + + + +के किसी भी प्रकार के दुष्चक्र को तोड़ने +में इसकी सबसे बड़ी भूमिका होती है। राहत +की बात यह है कि वर्तमान सरकार एक +तरफ जहां 2022 तक कृषकों की आय +दुगुनी करने का लक्ष्य लेकर चल रही है तथा +इसके लिये तमाम योजनाएं चला रही हे तो +साथ ही बैंकों के पुनर्पूुजीकरण तथा बैंकों +के विलय जैसे तमाम प्रयासों के माध्यम +से बैंकिंग सुधार को प्रोत्साहन दे रही हे। +सुधार एक विस्तृत अर्थवत्ता वाला शब्द है +जिसका सिरा उस संदर्भ तक जाता है जहां +अधिकतम लोगों का लाभ निहित है। ऐसे में +बैंकिंग सुधार सही रूप में तभी स्थापित हो +सकता है जब इसके मूल में कृषि सुधार हो। + +54 + +केवल 15 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखता था, +को बैंकों का दो तिहाई ऋण प्राप्त होता +था जबकि कृषि जिसकी राष्ट्रीय उत्पादन में +आधी हिस्सेदारी थी को बैंकों द्वारा लगभग +नजरअंदाज किया जाता था। इन कमियों को +ध्यान में रखते हुए फरवरी 1968 में सरकार +ने सामाजिक बैंकिंग की अवधारणा अपनायी। +1969 में 14 बडे निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण +कर दिया गया एवं अर्ध शहरी एवं ग्रामीण +अंचलों में बैंकों की शाखा प्रसार की प्रक्रिया +शुरू की गयी। 1970 में राष्ट्रीयकृत किये गये +बैंकों को यह निर्देश दिया गया कि वे ऋण +योग्य निधि का एक निश्चित प्रतिशत अंश +उत्पादन के उन क्षेत्रों, उन भौगोलिक अंचलों + +एवं समाज के उन समूहों को आवंटित करें +जिन्हें सरकार ने “प्राथमिकता क्षेत्र' के रूप +में मान्यता दी। कृषि को मुख्य रूप से चिह्नित +किया गया था। इसी कार्यक्रम को “प्राथमिकता +क्षेत्र ऋण' कार्यक्रम कहा जाता है। + +1980 के दशक में बैंकों के सम्मुख +अलग तरह के संकट आये। बैंक कम लाभ +अर्जन, निम्न पूंजी दर और अपारदर्शिता के +संकट से ग्रस्त थे। 1991 में जब देश में +आर्थिक सुधारों का दौर आरंभ हुआ तो वित्तीय +क्षेत्र खासकर बैंकिंग व्यवस्था में व्यापक स्तर +पर सुधार हेतु नरासिम्हम समिति का गठन +किया गया। इस समिति ने वित्तीय क्षेत्र में +प्रतिस्पर्धात्मक दक्षता लाने, वित्तीय क्षेत्र में +सरकारी हस्तक्षेप कम करके स्वायत्तता लाने +और ब्याज दरों का नियमन समाप्त करने +जैसे कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए। इस समिति +के सुझावों के आधार पर बैंकिंग व्यवस्था +में व्यापक परिवर्तन किया गया। बैंकों को +अधिक स्वायत्तता दी गयी, सरकारी हस्तक्षेप +कम किया गया और व्यवस्था को पारदर्शी +बनाने पर जोर दिया गया। + +बैंकिंग क्षेत्र में सुधारों की शुरुआत के +बाद, वर्ष 1996 में भारत सरकार ने एक नयी +“कृषि विकास रणनीति' अपनाई और इसे लागू +करने की मंशा से कृषि साख पर “आरवी +गुप्ता समिति' का गठन किया, जिसे आरवी +गुप्ता कमेटी ऑन फार्म क्रेडिट नाम दिया +गया। इस समिति ने 1997 में एक प्रतिवेदन +पेश किया और सिफारिश की कि कृषि ऋण +के प्रवाह में वृद्धि हेतु एक नये प्रकार के +कार्यक्रम शुरू किये जाएं। इसे ध्यान में रखते +हुए किसान क्रेडिट कार्ड' (केसीसी ) बनाया +गया। इसे 1998 में लागू कर दिया गया। इस + +1991 में जब देश में आर्थिक सुधारों +का दौर आरंभ हुआ तो वित्तीय क्षेत्र +खासकर बैंकिंग व्यवस्था में व्यापक +स्तर पर सुधार हेतु नरसिम्हम समिति +का गठन किया गया। इस समिति ने +वित्तीय क्षेत्र में प्रतिस्पर्धात्मक दक्षता +लाने, वित्तीय क्षेत्र में सरकारी हस्तक्षेप +कम करके स्वायत्तता लाने और ब्याज +दरों का नियमन समाप्त करने जैसे कई +महत्वपूर्ण सुझाव दिए। इस समिति के +सुझावों के आधार पर बैंकिंग व्यवस्था +में व्यापक परिवर्तन किया गया। + +योजना, जनवरी 2018 + + + +0055.txt +<----------------------------------------------------------------------> +बैंकिंग क्षेत्र में सुधारों की शुरुआत +के बाद, सन 1996 में भारत सरकार +ने एक नई “कृषि विकास रणनीति' +अपनाई और इसे लागू करने की मंशा +से कृषि साख पर “आर वी गुप्ता +समिति' का गठन किया, जिसे आर +वी गुप्ता कमेटी ऑन फार्म क्रेडिट नाम +दिया गया। इस समिति ने 1997 में एक +प्रतिवेदन पेश किया और सिफारिश +की कि कृषि ऋण के प्रवाह में gfe +हेतु एक नए प्रकार के कार्यक्रम शुरू +fea we + +कार्यक्रम के क्रियान्वयन की प्रक्रिया में तीन +संस्थाओं, वाणिज्यिक बेंक, क्षेत्रीय ग्रामीण +बैंक और सहकारी बैंक को शामिल किया +गया। इस योजना का उद्देश्य है कि किसानों +को कृषि कार्यों हेतु आधुनिक तकनीकों के +प्रयोग को बढावा देने के लिए प्रोत्साहित +किया जाए, खाद्य उत्पादन हेतु प्रोत्साहित +किया जाए और आपदा वाले समय में भी +एक निश्चित कृषि आय सुनिश्चित की जाए। +केसीसी कार्ड किसानों को उनकी भूमि +जोत के आधार पर जारी किये जाते हैं, जिस +कारण सीमा का निर्धारण बैंकों के विवेकाधीन +है सामान्यतः कार्ड तीन वर्ष के लिए जारी +किये जाते हैं और कार्ड से निकाली गयी +धनराशि का भुगतान एक वर्ष में करना होता +है। यदि कृषक धन राशि का भुगतान एक +वर्ष के अंदर कर देते हैं तो सरकार उन्हें +ब्याज सब्सिडी भी प्रदान करती है। +भू-धारिता के आधार पर नाबार्ड ने 40 +प्रतिशत किसानों को इसका पात्र पाया। इस +योजना से फायदा हुआ कि कृषि में निवेश +बढ़ गया जिससे कृषि क्षेत्र में समृद्धि भी +बढी। हालांकि समृद्धि गैर समावेशी रही है। +जुलाई 2004 में एक नयी कृषि साख नीति +की घोषणा की गयी और लक्ष्य रखा गया कि +अगले तीन वर्षों में कृषि साख की मात्रा को +कम से कम दोगुना कर दिया जाएगा। फिर +भी वर्ष 2006 की मध्यावधि समीक्षा में ऐसा +पाया गया कि कृषि ऋण में वृद्धि के लाभ +से कई प्रकार के किसान वंचित रह गये। +दरअसल, भूमि के स्वामित्व प्रमाण पत्र का +अनुमोदन होता था लेकिन हमारी सामाजिक +व्यवस्था ऐसी है कि ज्यादातर भूमि पुरुषों +के नाम से पंजीकृत है। इसलिए केसीसी + +योजना, जनवरी 2018 + +के लाभ से महिला किसान वंचित रह गयी। +इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए सरकार +ने कब्जा के आधार पर महिलाओं को भी +कार्ड उपलब्ध कराने का प्रयास किया और +आरबीआई ने 2006 में निर्देश दिया स्वामित्व +के बजाए स्वामित्व कब्जे के आधार पर कर्ज +का अनुमोदन किया जाए। इस प्रकार केसीसी +का सामाजिक आधार व्यापक हुआ कृषि +में निवेश बढ़ा और समग्र उत्पादन में वृद्धि +हुई जिसे समावेशी प्रकार का विकास कहा +जा सकता है। हालांकि ऐसा देखा गया कि +कुछ ग्रामीण किसान खास तौर पर जो सूखा +प्रभावित अंचलों में निवास करते हैं वक्‍त पर +कर्ज नहीं चुका पाते जिससे बैंकों का बकाया +बढ़ रहा है। इसको ध्यान में रखकर सरकार ने +2008 में कृषि ऋण पुनर्गठन कार्यक्रम शुरू +किया जिससे ऋण माफी कार्यक्रम भी कहते +हैं। किसानों के लिए यह कार्यक्रम बेहद +लाभकारी साबित हुआ लेकिन बुद्धिजीबी वर्ग +द्वारा इस कार्यक्रम की यह आलोचना भी +हुई कि इससे सरकार का राजकोषीय घाटा +बढ़ेगा। + +मौजूदा सरकार भी केसीसी कार्यक्रम को +और व्यापक एवं सर्वसुलभ बनाने हेतु प्रयासरत +है। साथ ही सरकार यह प्रयास भी कर रही है +कि कृषकों को मिलने वाले विभिन्न तरह के +सरकारी लाभों को बेंक खातों के माध्यम से +कृषकों को सीधा पहुंचाया जाए। इसी उद्देश्य +के तहत प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना पर +सरकार का फोकस ज्यादा हे। + +वर्तमान समय में बैंकों द्वारा कृषि क्षेत्र +को दिए जा रहे कर्ज की बात करें तो उन्‍हें +प्राथमिकता क्षेत्र ऋण दान कार्यक्रम को ध्यान +में रखकर करना होगा। फिलहाल देसी बेंकों +के लिए ऋण योग्य निधि का 40 प्रतिशत +एवं विदेशी बैंकों के लिए ऋण योग्य निधि +का 32 प्रतिशत (20 प्रतिशत से अधिक +शाखा होने पर 40 प्रतिशत) प्राथमिकता प्राप्त +क्षेत्र को देना अनिवार्य है। साथ ही ब्याज +की अधिकतम सीमा 11 प्रतिशत तय कर +दी गई है। + +प्राथमिकता क्षेत्र को प्राप्त कुल 40 +प्रतिशत ऋण के 18 प्रतिशत भाग को +कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण हेतु आवंटित +करना सरकार ने बैंकों के लिए अनिवार्य +कर दिया है। साथ ही वर्ष 2017-18 के +बजट में कृषि ऋण हेतु 10 लाख करोड + +के रिकॉर्ड स्तर पर निर्धारित किया गया +है। बजट के द्वारा नाबार्ड में एक समिति +सूक्ष्म सिंचाई कोश भी स्थापित करने की +घोषणा की गयी जिसकी आरंभिक निधि +5000 करोड़ होगी इस सुनिश्चित करने +हेतु 2000 की निधि से नाबार्ड में दुग्ध +प्रसंस्करण एवं अवसंरचना निधि स्थापित +की जाएगी। +बैंकिंग सुधार की जरूरत + +इन उपायों के बावजूद कुछ अंतर्निहित +कमियां हैं जिससे कृषि क्षेत्र बेंकिंग व्यवस्था +से समग्रता से नहीं जुड़ पाया है। + +पहली समस्या है ग्रामीण क्षेत्रों में बैंक +शाखाओं का सीमित विस्तार। आरबीआई द्वारा +वित्तीय समावेशन पर गठित की गई 'नचिकेत +मोर समिति' ने अपने सिफारिशों में कहा था +कि देश के हर वयस्क आदमी के निकट में +बैंक शाखा होना चाहिए जिससे वह अपनी +आवश्यकता के सभी बैंकिंग सुविधाएं प्राप्त +कर सके। साथ ही समिति ने सिफारिश की +थी कि देश के किसी भी कोने में खाता +धारक को बैंकिंग सुविधा तक पहुंचने के +लिए 15 मिनट से अधिक समय नहीं लगना +चाहिए। नए बैंकों को लाइसेंस आवंटित करने +पर गठित 'विमल जालान समिति' ने इसी +को ध्यान में रखते हुए नए बैंकों को लाइसेंस +देने में 25 प्रतिशत शाखाओं का ग्रामीण क्षेत्रों +में ले जाने का अधिकारी उपाय आया है। +बैंकिंग सुधार को अनिवार्यत: इस पक्ष को +शामिल करना होगा। + +दूसरा, ऐसे कई मामले सामने आए हैं +जिसमें यह देखा गया है कि बैंक अधिकारियों +द्वारा कृषि ऋण अनुमोदन के बदले कमीशन + +1996 में भारत सरकार ने एक +नयी “कृषि विकास रणनीति' अपनाई +और इसे लागू करने की मंशा से कृषि +साख पर आरवी गुप्ता समिति' का +गठन किया, जिसे आरवी गुप्ता कमेटी +ऑन फार्म क्रेडिट नाम दिया गया। इस +समिति ने 1997 में एक प्रतिवेदन पेश +किया और सिफारिश की कि कृषि +ऋण के प्रवाह में वृद्द्धि हेतु एक नये +प्रकार के कार्यक्रम शुरू किये जाएं। +इसे ध्यान में रखते हुए “किसान क्रेडिट +कार्ड' ( केसीसी ) बनाया गया। इसे +1998 में लागू कर दिया गया। + +55 + + + +0056.txt +<----------------------------------------------------------------------> +मांगा जाता है। इस भ्रष्टाचार को दूर करना +होगा। इस भ्रष्टाचार के कारण सब्सिडी युक्त +ऋण भी बाजार दर के ऋण के बराबर ही +हो जाता है। इससे किसानों को प्रभावी लाभ +नहीं मिल पाता है। + +तीसरा, बैंक आरबीआई द्वारा प्राथमिकता +प्राप्त क्षेत्र कार्यक्रम के तहत निर्धारित लक्ष्य +को प्राप्त करने में हीलाहवाली कर रहे हैं। +बैंक ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि कृषकों +के संबंध में एक नकारात्मक अवधारणा का +विकास कर दिया गया है कि वह कृषि +ऋण का निवेश विवेकपूर्ण तरीके से नहीं +करते। विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा चुनावों +के समय किसानों के लिए ऋण माफी की +घोषणा अवधारणा को और भी पुष्ट कर देता +है। ऐसे में सबसे पहले यह जरूरत है कि +कृषि ऋण वितरण की प्रक्रिया पूर्ण रूप से +पारदर्शी बनायी जाए। इस संबंध में बैंकिंग +लोकपाल की प्रक्रिया को सरल एवं स्पष्ट +बनाये जाने पर विशेष बल दिया जाए। साथ +ही शिकायत निवारण प्रणाली को त्वरित +प्रतिक्रिया देने वाली और प्रभावपूर्ण बनाया +जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि सस्ते + +कृषि को लाभकारी बनाने के लिए +जिस कॉरपोरेट फार्मिंग की बात की +जा रही है उसका सीधा सा अर्थ कृषि +में निवेश करने का है। यदि बैंक सीधे +किसानों तक वित्त की पहुंच सुनिश्चित +कर दे तो सीधा लाभ किसानों को +मिलेगा। बैंकिंग सुधार में इस पक्ष का +अनिवार्य समावेशन होना चाहिए। अभी +तक पूंजी के अभाव में अधिकांशतः +निर्वाहमूलक कृषि की जाती है जिससे +लाभ नहीं होता। पूंजी प्रवाह के वृद्ध्धि +से नकदी फसलों की खेती को बढ़ावा +मिलेगा जो लाभदायी होगा। + +कृषि ऋण का उपयोग कृषि कार्य में ही हो +अन्यत्र नहीं। + +चौथा, कृषि को लाभकारी बनाने के +लिए जिस कॉरपोरेट फार्मिंग की बात की जा +रही है उसका सीधा सा अर्थ कृषि में निवेश +करने का है। यदि बेंक सीधे किसानों तक +वित्त की पहुंच सुनिश्चित कर दे तो सीधा +लाभ किसानों को मिलेगा। बैंकिंग सुधार में + +इस पक्ष का अनिवार्य समावेशन होना चाहिए। +अभी तक पूंजी के अभाव में अधिकांशतः +निर्वाहमूलक कृषि की जाती है जिससे लाभ +नहीं होता। पूंजी प्रवाह के वृद्धि से नकदी +फसलों की खेती को बढ़ावा मिलेगा जो +लाभदायी होगा। + +पांचवां और अंत में यह कि कृषि +से संबंधित शब्दावली और पूर्वाग्रही धारणा +को बदलना होगा। उदाहरण के लिए उद्योग +जगत की ऋण पूर्ति को 'बेल आउट पैकेज' +और कृषि क्षेत्र में इसी प्रक्रिया को ‘ast +माफी' कहा जाता है। इसका पहला अर्थ +यह निकलता है कृषि अनिवार्यतः नुकसान +का पेशा है। यह गलत है। बैंकिंग सुधार +के माध्यम से इस धारणा को बदला जाना +चाहिए। यह बात ठीक है कि घाटे में चल +रही खेती के लिए कर्ज माफी की जानी +चाहिए। किंतु इसे एक निवेश के रूप में +देखा जाए न कि खर्च के रूप में। कृषि +सुधार के बिना कोई भी बैंकिंग सुधार +स्थायी नहीं हो सकता। इसलिए बैंकिंग +सुधार में कृषि का स्थान सर्वप्रमुख होना +चाहिए। 3 + + + +1/05 की तैयारी करें सबसे कम फीस में + + + + + + + + + +Ojaank Sir +(Director) + + + + + + + +Demo Videos & fav git) IAS with Ojaank Sir +Visit: www.ojaankiasacademy. + + + + + +0 5 8 Aviéy, TGs {eS + + + +© 8285894079, 8506845434 | + +-49 Vardharman Mall + +Nehru Vihar Delhi - + +“4 + + + +56 + +योजना, जनवरी 2018 + +YH-739/2017 + + + +0057.txt +<----------------------------------------------------------------------> +पड़ताल + +उद्देश्यपरक बैंकिंग अवधारणा और विकास + +बैंकों को अपने उत्पादों और +सेवाओं को ग्राहकों के अनुरूप +बदलने की जरूरत है। ग्राहकों +का समूह अब ऐसे उत्पादों +से संतुष्ट नहीं होता जो बैंक +दे रहे हैं बल्कि उन्हें उनकी +प्रत्येक आवश्यकता के अनुसार +विशिष्ट उत्पाद चाहिए। लोगों +की प्रोफाइल बदल रही हैं, +सामाजिक आदतें परिवर्तित +हो रही हैं और भावी पीढी के +ग्राहकों की जरूरतें भी भिन्न +होती जा रही हैं। वहीं दूसरी +तरफ बैंकों को वृद्ध आबादी +का भी ध्यान रखने की जरूरत +आई है। अगले 15 वर्षों में +लगभग 70 मिलियन लोग और +60 वर्ष की आयु पार कर +लेंगे। ऐसी स्थिति में वृद्ध लोगों +की बैंकिंग जरूरतें भिन्न होंती +जायेंगी जिन्हें उपयुक्त डिलीवरी +चअनलों के माध्यम से दिया +जाना होगा। इसी प्रकार आने +वाले वर्षों में शहरीकरण की +गति भी बहुत तीव्र हो जायेगी +और बैंकों को इस प्रकार से +प्रवासी आबादी की जरूरतों के +लिए तैयार रहना होगा + +गौरव कुमार + +रत सहित विश्व के तमाम + +देशों में आज बैंकिंग की + +अवधारणा में बड़ी तेजी से +परिवर्तन आ रहे हैं। भारत के संबंध में ही +यदि देखा जाय तो यहां बैंकिंग का इतिहास +बड़ा लंबा और रोचक रहा है। भारत में बैंकिंग +को हमेशा एक व्यवहारिक नजरिए से देखा +जाता रहा है। देश में ऐसी कई नीतियां और +कानून बने जिसने लक्ष्य आधारित बैंकिंग +को प्रोत्साहित किया। सिडबी, आईडीबीआई , +एचडीएफसी, नाबार्ड, ग्रामीण बैंक, महिला +बैंक आदि तमाम ऐसे बैंको के उदाहरण हें +जिनकी स्थापना कुछ सीमित उद्देश्यों और +लक्षित समूहों को ध्यान में रख कर किया +गया था। किन्तु आज ये सभी बैंक अपने +आरंभिक स्वरूप से बिलकुल भिन्न नजर +आते हैं। ऐसी स्थिति में सतही तौर पर ऐसा +प्रतीत होता है कि भारतीय बैंकिंग भटकाव +की ओर तो नही हे? + +इसे समझने के लिए हमें बैंकिंग क्षेत्र +में आ रहे लगातार बदलाव को समझना +होगा। एक ऐसे देश में जो 7 प्रतिशत +की विकास दर से बढ़ रहा है, जिसमें +उद्यमिता की भावना हो, जिसकी आबादी +युवा हो और जो मोबाइल प्रौद्योगिकी के +साथ पली-बढी हो, उस देश के बारे में +कोई भी यह नजरिया रखेगा कि वहां का +बैंकिंग क्षेत्र अत्यधिक तीब्रगामी है, साथ ही +अत्यधिक बदलावकारी भी हेै। +बैंकिंग क्षेत्र में बदलाव +इन बदलाओं के नजरिए से देखा जाय + +तो वास्तव में बैंकिंग की परिभाषा ही आज +बदल चुकी है। समय और स्थान सापेक्ष + +तरीके से आज बैंकिंग प्रक्रिया में निरंतर +बदलाव आ रहे हैं। वैश्विक स्तर पर बैंकिंग +की शुरुआत की स्थिति को देखा जाय तो +जिस समय से मुद्रा की संकल्पना को समझा +जाने लगा था उसी समय से उधार देना +और लेना शुरू हुआ। लेकिन बैंकिंग की +अवधारणा उस समय नहीं थी। संगठित रूप +से उधार लेनदेन का कार्य करीब 700 वर्ष +पहले प्रारम्भ हुआ था जब आधुनिक प्रकार +के नए बैंकों की स्थापना हुई थी। यहीं से +बैंकिंग की नींव पड़ी। बैंकिंग की परिभाषा +को यदि बैंककारी विनियमन अधिनियम के +अनुसार देखें तो बैंकिंग वह गतिविधि हे +जिसे बैंक अंजाम देता है अथवा बैंक वे +कहलाते हैं जो बैंकिंग का कार्य करते हैं। +किन्तु आज बैंकिंग वह नहीं रहा जो बैंक +कर रहे हैं। अब वे गतिविधियां भी बैंकिंग +की परिभाषा में शामिल हें जो गैर बैंक भी +कर रहे हैं। बैंक अब वे संस्थाएं नहीं रहे +जो विशेष रूप से बैंकिंग का कार्य कर +रहे थे। अब अन्य गैर बैंक भी बैंकिंग का +कार्य कर रहे हैं। आज बैंकिंग के मानदंड +बादल गए हैं। अब नया मानदंड हे ढेर +सारी बैंकिंग गतिविधियां करना और इन +ढेर सारी गतिविधियों में से प्रत्येक समूह +की गतिविधि को करने के लिए कुछ खास +प्रकार की संस्थाएं भी हैं जो केवल उन्हीं +गतिविधियों का निष्पादन करती हैं। +उद्देश्यपरक बैंकिंग व्यवस्था से भटकाव +भारत में सुधार काल में और उसके +पूर्व भी बैंकिंग व्यवस्था की उस समय +सबसे बेहतर व्यवस्था के तौर पर बैंकिंग +को उद्देश्यपरक बनाने की कोशिश की गई। + + + +लेखक नीतिगत मामलों की एक प्रतिष्ठित शोध संस्था से जुड़े हैं। सामाजिक-आर्थिक विषयों पर विभिन्‍न पत्र-पत्रिकाओं में नियमित लेखन। भारतीय रिजर्व बैंक की ओर +से 2010 में यंग स्कॉलर अवार्ड से सम्मानित। ईमेल: gauravkumarsssi@gmail.com + +योजना, जनवरी 2018 + +57 + + + +0058.txt +<----------------------------------------------------------------------> +इस दौरान विभिन्न अध्ययन समूहों, समितियों +और विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया कि +बैंकिंग क्षेत्र में क्रान्ति का दौर है और इसके +अनुकूल व्यवस्थाएं की जानी चाहिए। इसी +का नतीजा है कि सरकारी और निजी क्षेत्रों +में बैंकिंग को अधिक ग्राहक और लक्ष्य +केन्द्रित बनाया गया। इस क्रम में कई सारे +बैंक स्थापित भी किये गए। किन्तु कालान्तर +में बैंकिंग की बदलती परिभाषा और बैंकिंग +संव्यवहार ने इन बैंकों को अपने उद्देश्य से +अधिक दायरे में विस्तृत किया है। ऐसे कुछ +उदाहरण आज हमारे सामने मौजूद हें। + +भारतीय औद्योगिक विकास बैंक + +( आईडीबीआई ) +भारतीय औद्योगिक विकास बैंक +(आईडीबीआई) की स्थापना भारतीय + +औद्योगिक विकास बैंक अधिनियम 1964 +के तहत एक वित्तीय संस्था के रूप में +हुई थी। 22 जून 1964 को जारी भारत +सरकार की एक अधिसूचना के द्वारा 01 +जुलाई, 1964 से यह अस्तित्व में आया। +इसे कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 4 +ए के प्रावधानों के अंतर्गत एक सार्वजनिक +वित्तीय संस्था का दर्जा दिया गया। अगले +चालीस वर्षों तक यानि वर्ष 2004 तक +इसने एक वित्तीय संस्था के रूप में कार्य +किया। केंद्र सरकार द्वारा औद्योगिक विकास +बैंक अधिनियम, 1964 की जगह इंडस्ट्रियल +डेवलपमेंट बैंक ऑफ इंडिया (उपक्रम का +अंतरण व निरसन) अधिनियम, 2003 +(निरसन अधिनियम) पारित किया गया। +इसके परिणामस्वरूप 01 अक्तूबर 2004 +से आईडीबीआई का उपक्रम आईडीबीआई +लि. में अंतरित व निहित हुआ और एक +वित्तीय संस्था की अपनी पूर्ववर्ती भूमिका +के अतिरिक्त यह बेंक के रूप में भी +कार्यशील हुआ। + +आज आईडीबीआई बैंक एक यूनिवर्सल +बैंक है जो कोर बैंकिंग सूचना प्रौद्योगिकी +(आईटी) प्लेटफॉर्म का प्रयोग करते हुये +विभिन्न शाखाओं और एटीएमों के नेटवर्क +के जरिए रिटेल और कॉरपोरेट खंड के +ग्राहकों को व्यक्तिगत बैंकिंग सेवाएं तथा +वित्तीय समाधान प्रदान कर रहा है। आज +बैंक के तुलन पत्र का कुल आकार +3,74 372 करोड रुपये और कुल कारोबार +4,81 ,613करोड रुपये हे। + +58 + +हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन +लिमिटेड ( एचडीएफसी ) + +एचडीएफसी बैंक, भारतीय रिजर्व बैंक +के उदारीकरण की नीति के एक भाग +के रूप में 1994 में सैद्धांतिक रूप से +अनुमोदन प्राप्त करने वाला पहला निजी +बैंक था। इसकी स्थापना अगस्त 1994 में +की गयी थी तथा जनवरी 1995 से इसने +एक अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक के रूप +में कार्य शुरू किया। आज यह भारत की +प्रमुख आवास वित्त कंपनी के रूप में ज्ञात +है। वर्तमान में इसका मुख्य फोकस भारत में + +इस प्रकार से देखा जाय तो आज +ये सभी बैंक अपने स्थापना काल के +उद्देश्यों, मान्यताओं और संव्यवहारों की +प्रकृति से काफी विस्तार पा चुके हैं। +आज इनका दायरा सीमित नहीं रहा +और ये अपने ग्राहकों के साथ-साथ +अपने क्षेत्रों में भी अधिक आधुनिक +तरीके और विधियों से लगातार जुड़ते +जा रहे हैं। इसका कारण क्या है? आज +यह एक विचारणीय पहलू है कि क्‍या +उन्हें उनके पूर्ववर्ती उद्देश्यों तक सीमित +किया जाना चाहिए या बाजार बलों के +ताकतों तथा प्रकृति के भरोसे छोड़ देना +चआहिए? सबसे अधिक तर्कसंगत तो यह +है कि चूंकि सम्पूर्ण आर्थिक व्यवस्था +का नियंत्रक बाजार की शक्तियां होती +हैं। ऐसे में यदि हम इसमें किसी तरह +का अवरोध या सीमित उपायों का +सहारा लेते हैं तो इसकी प्राकृतिक +प्रवृति विकृत होगी जो दीर्घकाल के +लिए एक चुनौती बन सकती है। + +विश्वस्तरीय बैंक के रूप में स्थापित होना +है। अपने आरंभिक दौर में इसने आवास +ऋण को फोकस किया था, इसमें इसकी +विशेषज्ञता भी थी। बाद में इसने खुदरा +ओर थोक दोनों तरह के ग्राहकों को अपना +लक्षित समूह बनाया है और आज यह रिटेल +बैंकिंग में तीव्रता से अपना पांव जमा रहा +है। इसके साथ ही खुदरा और थोक लेनदेन +सहित वाणिज्यिक और निवेश बैंकिंग में +भी अपना कारोबार विस्तृत किया है। मुख्य +रूप से यह बेंक अपना लक्ष्य थोक बैंकिंग, +ट्रेजी और खुदरा बैंकिंग तक केन्द्रित किया + +है। बैंक ने थोक ग्राहकों के रूप में भारतीय +कॉरपोरेट क्षेत्र में बड़ी कंपनियों, विनिर्माण +कम्पनियों सहित छोटे, मझोले उद्यमों और +कृषि को चिह्नित कर रखा है। सामान्य +बैंकिंग के अनुरूप इसने विदेशी मुद्रा और +संजात, स्थानीय मुद्रा, मुद्रा बाजार, ऋण +सिक्‍यूरिटी, इक्विटी में भी इसका कदम रखा +जा चुका है। +राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक +( नाबार्ड ) + +भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति +देने में संस्थागत ऋण प्रवाह के उद्देश्य से +नाबार्ड का गठन किया गया था। भारतीय +रिजर्व बैंक ने कृषि और ग्रामीण विकास +के लिए संस्थागत ऋण की व्यवस्था की +समीक्षा के लिए एक समिति (क्रैफिकार्ड) +गठित की। श्री बी. शिवरामन, पूर्व सदस्य, +योजना आयोग, भारत सरकार की अध्यक्षता +में 30 मार्च 1979 को समिति का गठन +किया गया। 28 नवंबर1979 को समिति ने +अपनी अन्तरिम रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसमें +ग्रामीण विकास से जुड़े ऋण से संबन्धित +मुद्दों पर एकनिष्ठ ध्यान केन्द्रित करने और +उन्हें सशक्त दिशा देने के लिए एक नए +संगठनात्मक साधन की आवश्यकता रेखांकित +की गई। समिति ने एक ऐसे अलग तरह से +विकास वित्तीय संस्था के गठन की अनुशंसा +की जो इन आकाक्षाओं की पूर्ति करे। संसद +ने 1981 के अधिनियम 61 के माध्यम +से राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक +(नाबार्ड) के गठन का अनुमोदन किया। + +इसका उद्देश्य वित्तीय, विकासात्मक +तथा पर्यवेक्षण के माध्यम से एक सशक्त +और आर्थिक रूप से समावेशी ग्रामीण +भारत का निर्माण करना है, जो ग्रामीण +अर्थव्यवस्था के लगभग हर पहलू को +स्पर्श करता है। ग्रामीण बुनियादी ढांचे के +निर्माण के लिए पुनर्वित्त सहायता से लेकर, +जिला स्तर पर ऋण योजना तैयार करने से +लेकर इन लक्ष्यों को प्राप्त करने में बेंकिंग +उद्योग का मार्गदर्शन और उन्‍हें प्रेरित करना, +सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों +(आरआरबी) के पर्यवेक्षण से लेकर उनमें +स्वस्थ बैंकिंग प्रथाओं को विकसित करने +में मदद करने और उन्हें सीबीएस प्लेटफॉर्म +पर ले जाने तक, नई विकास योजनाओं +को डिजाइन करने से लेकर भारत सरकार + +योजना, जनवरी 2018 + + + +0059.txt +<----------------------------------------------------------------------> +की विकास योजनाओं का कार्यान्वयन, +हस्तशिल्प कारीगरों को प्रशिक्षण देने से +लेकर उनकी बिक्रीो हेतु एक मंच प्रदान +करने जैसी सेवाएं देश भर में ग्रामीण क्षेत्रों +से जुड़े लोगों को प्रदान करते हैं। क्षेत्रीय +ग्रामीण बैंकों के माध्यम से आज खुदरा +बैंकिंग का क्षेत्र ग्रामीण भारत की तस्वीर +को बदलने की दिशा में कारगर तरीके से +कार्यशील हे। +भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक +( सिडबी ) + +भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक +(सिडबी) की स्थापना सूक्ष्म, लघु एवं +मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र के +संवर्द्धन, वित्तपोषण और विकास तथा इसी +प्रकार की गतिविधियों में संलग्न संस्थाओं +के कामकाज में समन्वय के लिए 02 +अप्रैल, 1990 को संसद के एक अधिनियम +के अंर्तगत प्रधान वित्तीय संस्था के रूप +में की गई थी। इसके कारोबार का दायरा +सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम हें। इस क्षेत्र +में लगभग 5.1 करोड इकाइयों का विशाल +नेटवर्क है, जो 11.7 करोड से अधिक लोगों +के लिए रोजगार पैदा करते हैं, 6,000 से +ज्यादा उत्पाद बनाते हैं। विनिर्माण उत्पादों में +उनका योगदान लगभग 45 प्रतिशत, मूल्य +के हिसाब से निर्यात में 40 प्रतिशत तथा +राष्ट्र के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 37.5 +प्रतिशत है। + +एमएसएमई क्षेत्र के विकास हेतु, +सिडबी “क्रेडिट प्लस” दृष्टिकोण अपनाता +है, जिसमें सिडबी अपनी संवर्धनशील एवं +विकासपरक सहायता के तहत एमएसएमई +को ऋण के साथ-साथ, एमएसएमई +परामर्श, उद्यमिता विकास, कौशल उन्नयन, +विपणन सहायता, उद्यम-समूहों का विकास, +आदि सहायता देता है। ऐसे संवर्धनशील +एवं विकास सहयोगों से एमएसएमई क्षेत्र +के 2.3 लाख से अधिक व्यक्ति लाभान्वित +हुए हैं, 1.5 लाख से अधिक रोजगार सृजित +हुए हैं और 80,000 से अधिक ईकाइयों +की स्थापना में मदद मिली है, जिनमें से +अधिकतर ग्रामीण उद्यम हैं। +मुद्रा बैंक + +बैंकिंग क्षेत्र में एक और क्रांतिकारी +कदम उठाते हुए मुद्रा यानि माइक्रो यूनिट्स +डेवलपमेंट एंड रिफाइनेन्स एजेंसी लि. + +योजना, जनवरी 2018 + +यानि मुद्रा का गठन किया गया। यह सूक्ष्म +इकाइयों के विकास तथा पुनर्वित्तपोषण +से संबंधित गतिविधियों हेतु भारत सरकार +द्वारा गठित एक नयी संस्था है। 2015-16 +के बजट भाषण में इसकी घोषणा की गई +थी। केद्रीय मंत्रिमंडल ने मुद्रा लिमिटेड +को सिडबी के पूर्ण स्वामित्वों वाले एक +सहायक निकाय मुद्रा भारतीय लघु उद्योग +विकास बैंक (सिडबी) में तब्दील करने को +भी अपनी मंजूरी दे दी है। अब बैंक के +रूप में इसके गठन से यह साबित किया +जा चुका है कि लक्ष्य आधारित बैंकिंग की +प्रासंगिकता अभी भी बरकरार है। हालांकि +यह अभी सिडबी के साथ जुदा है, आगे +इसे अलग बैंक के रूप में विकसित किया +जा रहा हे। + +भारत में सरकारी क्षेत्र के बैंक +Titre किये जाने से अस्तित्व में +आये। इसके बाद अगले कुछ दशकों +में बैंकिंग का स्वरूप लगातार बदलता +रहा। आरंभिक दशकों में इसकी +विशिष्ठटता यह रही कि ऋण का प्रवाह +अत्यधिक विनियमित था। प्रौद्योगिकी +के प्रति विरोध था और यूनियनों का +आक्रामक वातावरण था। इसके साथ +ही साथ शाखा प्राधिकरण, ऋण मेला +आदि के सख्त मानदंड थे। सुधार +काल 1991 के बाद बैंकिंग क्षेत्र में +कुछ अहम्‌ सुधार देखे गए। + +मुद्रा का उद्देश्य गैर निगमित लघु +व्यवसाय क्षेत्र को अंतिम छोर पर स्थित +विभिन्न संस्थाओं जैसे बैंकों व गैर बैंकिंग +वित्तीय कंपनियों तथा अल्प वित्त संस्थाओं +के माध्यम से निधिपोषण उपलब्ध कराना +है। मुद्रा अंतिम छोर पर स्थित उन सभी +वित्तपोषकों, जैसे लघु व्यवसायों के +वित्तपोषण में संलग्न विभिन्न प्रकार की गैर +बैंकिंग वित्तीय कंपनियों, समितियों, न्‍्यासों, +धारा 8 (पूर्ववर्ती धारा 25) की कंपनियों, +सहकारी समितियों, छोटे बैंकों, अनुसूचित +वाणिज्यिक बैंकों तथा क्षेत्रीय ग्रामीण +बैंकों को पुनर्वित्त उपलब्ध कराने के लिए +उत्तरदायी होगा, जो विनिर्माण, व्यापार तथा +सेवा- गतिविधियों में लगी सूक्ष्म व लघु +व्यवसाय इकाइयों को ऋण प्रदान करते हैं। + +यह बेंक राज्य और क्षेत्रीय स्तर के मध्यवर्ती +समन्वयकों के साथ भागीदारी करेगा, ताकि +लघु व सूक्ष्म व्यवसाय उद्यमों के अंतिम +छोर पर स्थित वित्तपोषकों को वित्त उपलब्ध +कराया जा सके। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के +तत्वावधान में, मुद्रा ने पहले से ही अपने +प्रारंभिक उत्पाद व योजनाएं तैयार कर ली +हैं। इन पहलकदमियों को 'शिशु', 'किशोर' +तथा “तरुण” नाम दिए गए हैं, जो वृद्धि/ +विकास के चरण और लाभग्राही सूक्ष्म इकाई +व उद्यमी की निधिक आवश्यकताओं के +द्योतक हैं। साथ ही वे विकास व वृद्धि के +अगले चरण का भी बोध करता है। + +इस प्रकार से देखा जाय तो आज ये +सभी बैंक अपने स्थापना काल के उद्देश्यों, +मान्यताओं और संव्यवहारों की प्रकृति से +काफी विस्तार पा चुके हैं। आज इनका +दायरा सीमित नहीं रहा और ये अपने ग्राहकों +के साथ-साथ अपने क्षेत्रों में भी अधिक +आधुनिक तरीके और विधियों से लगातार +जुड़ते जा रहे हैं। इसका कारण क्‍या है? आज +यह एक विचारणीय पहलू है कि क्‍या उन्हें +उनके पूर्ववर्ती उद्देश्यों तक सीमित किया +जाना चाहिए या बाजार बलों के ताकतों +तथा प्रकृति के भरोसे छोड़ देना चाहिए? +सबसे अधिक तक॑संगत तो यह है कि चूंकि +सम्पूर्ण आर्थिक व्यवस्था का नियंत्रक बाजार +की शक्तियां होती हैं। ऐसे में यदि हम इसमें +किसी तरह का अवरोध या सीमित उपायों +का सहारा लेते हैं तो इसकी प्राकृतिक प्रवृति +विकृत होगी जो दीर्घकाल के लिए एक +चुनौती बन सकती है। दूसरी तरफ यह भी +एक प्रबल तर्क है कि चूंकि भारतीय ग्राहकों +की बदलती बैंकिंग जरूरतों का ध्यान रखते +हुए उद्देश्परक और लक्षित ग्राहक समूह +होने से अधिक प्रभावी तरीके से बैंकिंग +सुविधा प्रदान की जा सकती है। किन्तु +इसका एक डर हमेशा बना रहेगा कि इससे +कहीं प्रतियोगिता का अंत न हो जाए जिसका +परिणाम बाजार की शक्तियों पर से अनियंत्रण +का शिकार होना होगा। +भारतीय बैंकिंग व्यवहार + +भारत में सरकारी क्षेत्र के बैंक +राष्ट्रीयररण किये जाने से अस्तित्व में आये। +इसके बाद अगले कुछ दशकों में बैंकिंग +का स्वरूप लगातार बदलता रहा। आरंभिक +दशकों में इसकी विशिष्टता यह रही कि + +59 + + + +0060.txt +<----------------------------------------------------------------------> +ऋण का प्रवाह अत्यधिक विनियमित था। +प्रौद्योगिकी के प्रति विरोध था और यूनियनों +का आक्रामक वातावरण था। इसके साथ +ही साथ शाखा प्राधिकरण, ऋण मेला आदि +के सख्त मानदंड थे। सुधार काल 1991 के +बाद बेंकिग क्षेत्र में कुछ अहम्‌ सुधार देखे +गए। जैसे ऋण प्रक्रियाओं एवं ब्याज दर +संरचना का अविनियमन किया गया, निजी +क्षेत्र के बैंकों का लाइसेंसीकरण किया गया +ओर सरकारी बेंकों में आंशिक विनिवेश +किया गया। इन सभी कारणों से 2008 +तक बैंक के तुलनपत्र काफी सुदृढ़ बन +गए, संवृद्धि बहुत मजबूत थी, एनपीए 12 +प्रतिशत की सर्वाधिक ऊंचाई से घटकर 2 +प्रतिशत के आसपास हो गई। उसके बाद +अन्य प्रगति भी हुई। विश्व में वित्तीय संकट +आया और इचन्फ्रास्ट्रक्चर में पीपीपी मॉडल +की शुरुआत हुई। इससे बैंकों में उत्साह +का संचार हुआ। बैंकों के लिए नए अवसर +पैदा हुये, किन्तु कई कारणों से यह उत्साह +फीका पड़ गया। + +आज की स्थिति में भारतीय बेंकिंग क्षेत्र +में बहुत कुछ बदल चुका है। परिवर्तनकारी +घटनाएं घट चुकी हैं, नवोन्मेषी प्रथाएं +प्रारम्भ हो चुकी हैं और प्रतिस्पर्धा पहले से +कहीं ज्यादा बढ़ गई है। आने वाले समय +में इसके और तीत्र हो जाने की संभावना +है। आने वाले दिनों में बैंकिंग क्षेत्र के +सामने अत्यधिक चुनौतीपूर्ण मुद्दे दिख रहे +हैं। अनेक चुनौतियां जो पहले अमूर्त दिखाई +पड़ती थीं अब वे महत्वपूर्ण हो गई हैं। +ये मुद्दे निश्चित रूप से परिवर्तनकारिता, +नवोन्मेष और प्रतिस्पर्धा के आसपास घूमते +हैं। आज बैंक इस समय जिस प्रकार के +ग्राहकों के साथ कारोबार कर रहे हैं, उन +ग्राहकों के प्रोफाइल में अत्यधिक बदलाव +आते जा रहे हैं। + +इसके लिए बैंकों को अपने उत्पादों +और सेवाओं को ग्राहकों के अनुरूप बदलने +की जरूरत है। ग्राहकों का समूह अब ऐसे +उत्पादों से संतुष्ट नहीं होता जो बैंक दे रहे +हैं बल्कि उन्हें उनकी प्रत्येक आवश्यकता +के अनुसार विशिष्ट उत्पाद चाहिए। लोगों +की प्रोफाइल बदल रही हैं, सामाजिक आदतें +परिवर्तित हो रही हैं और भावी पीढ़ी के +ग्राहकों की जरूरतें भी भिन्न होती जा रही +हैं। वहीं दूसरी तरफ बैंकों को वृद्ध आबादी + +60 + +का भी ध्यान रखने की जरूरत आई है। +अगले 15 वर्षों में लगभग 70 मिलियन लोग +और 60 वर्ष की आयु पार कर लेंगे। ऐसी +स्थिति में वृद्ध लोगों की बैंकिंग जरूरतें +भिन्न होंती जायेंगी जिन्हें उपयुक्त डिलीवरी +चैनलों के माध्यम से दिया जाना होगा। इसी +प्रकार आने वाले वर्षों में शहरीकरण की +गति भी बहुत तीज हो जायेगी और बैंकों को +इस प्रकार से प्रवासी आबादी की जरूरतों +के लिए तैयार रहना होगा। ऐसी स्थितियों +में देखें तो क्या ऐसा नहीं लगता कि जरूरतें +ओर परिवर्तित आदतों ने पारंपरिक बैंकिंग +व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव पेदा किया +है। ऐसी स्थिति में क्या संभव है कि हम +लक्ष्य आधारित और समूह को लक्षित कर +बैंकिंग प्रणाली को संगठित करें? + +आज की स्थिति में भारतीय बैंकिंग +क्षेत्र में बहुत कुछ बदल चुका है। +परिवर्तनकारी घटनाएं घट चुकी हैं, +नवोन्मेषी प्रथाएं प्रारम्भ हो चुकी हैं +और प्रतिस्पर्धा पहले से कहीं ज्यादा +बढ़ गईं है। आने वाले समय में इसके +ak da a जाने की संभावना है। +आने वाले विनों में बैंकिंग क्षेत्र के +सामने अत्यधिक चुनौतीपूर्ण मुद्दे दिख +रहे हैं। अनेक चुनौतियां जो पहले अमूर्त +दिखाई पड़ती थीं अब वे महत्वपूर्ण हो +गई हैं। + +आधुनिक बैंकिंग का दौर + +वर्तमान में जिस तरीके से बेंकिंग +व्यवहार और उपभोक्ताओं की जरूरतों में +परिवर्तन आ रहे हें वेसी स्थिति में बेंकों +का भविष्य भी संकट के घेरे में है। आज +तो यह भी माना जा रहा है कि परंपरागत +बैंकिंग का दौर खत्म हो चुका है और बैंक +लेस बैंकिंग की अवधारणा भी प्रबल हुई +है। इस संबंध में माइक्रोसॉफ्ट अध्यक्ष बिल +गेट्स ने 1994 में कहा था कि “बैंकिंग +आवश्यक है, लेकिन बैंक नहीं”। आज 23 +वर्षों के बाद क्‍या उनकी भविष्यवाणी या +पूर्वानुमान सही साबित हुआ है? हम ऐसे +दोराहे पर खड़े हैं जहां क्रांतिकारी परिवर्तन +हमारे सामने है। ऐसा इसलिए है कि किसी +भी क्षेत्र में बदलती हुई प्रवृति को देख पाने +में हमें समय लगता है और जब तक कि + +हम उसे देखें, उभरते पैटर्न बड़ी आसानी से +गायब हो जाते हैं। जिसका खामियाजा सभी +हितधारकों को भुगतना पड़ता है। + +परिवर्तनों के इस दौर को देखने से +बैंकिंग का आधुनिक स्वरूप तो दिखता +ही है, साथ ही इसके भावी परिणाम भी +दिखते हैं। इसी क्रम में देखे तो जुलाई 2014 +में पीडब्लूसी की एक रिपोर्ट में “बैंकिंग +का भावी आकार - बैंकिंग और बेंकों +के कायाकल्प का समय” में मेक्रो स्तर +पर उन पांच वैश्विक प्रवृतियों की पहचान +की गई थी, जिनके प्रभाव, परस्पर क्रिया +तथा परस्पर संघर्ष विश्व के कारोबार को +पुनः आकार दे रहे हैं। या ये कहें कि नई +बैंकिंग परिभाषा गढ़ रहे हैं। यह समझना +जरूरी है कि इन नई प्रवृतियों से किस तरह +के बदलाव आ रहे हैं। ये सभी बैंकिंग के +लिए प्रासंगिक हैं वहीं दूसरी तरफ रिपोर्ट +में सबसे अधिक प्रभाव डालने वाली प्रवृत्ति +जनांकिकी और सामाजिक परिवर्तन को माना +गया है। जो ग्राहकों की नई मांगें पैदा कर +रहे हैं ओर प्रत्याशाओं को बढ़ा रहे हैं। तथा +सभी स्थानों पर प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल ने +ग्राहक के सम्बन्ध से लेकर कारोबारी मॉडल +तक को बदल डाला है। + +प्रौद्योगिकी की यदि हम बात करें तो +आज हमारे सामने यह स्पष्ट हो रहा हे +कि प्रौद्योगिकी में विकास उतनी ही तेजी +से हो रहा है जिस तरीके से बेंक और +उनके ग्राहकों के बीच आपस में संव्यवहार। +इन घटनाओं ने नए प्रवेशकर्ताओं के लिए +अवसर खोल दिए हैं, जरूरी नहीं कि नए +बैंक ही हों, इसने पुराने कारोबार मॉडल +को दूर कर दिया है और नए मॉडल को +AI Ter zl + +उपभोक्ता व्यवहार में भी देखें तो +आज काफी हद तक बदलाव आ चुका है। +आज हमारे सामने युवाओं की नई पीढ़ी +है जिनकी उम्मीदें अलग-अलग हैं और +बैंकों के साथ अलग तरीके से व्यवहार +करते हैं। वे पारंपरिक ग्राहकों या सेवानिवृत +ग्राहकों की तरह विश्वसनीयता पर भरोसा +नहीं करते। वे चाहते हैं कि उन्हें बैंकिंग +सेवाओं के लिए बैंक न जाना पड़े बल्कि +इसके लिए वे ऑनलाइन या सोशल मीडिया +प्लेटफॉर्म का उपयोग करना ज्यादा पसंद +करते हैं। एक तरफ तो नयी पीढ़ी की + +योजना, जनवरी 2018 + + + +0061.txt +<----------------------------------------------------------------------> +wed sik बैंकिंग व्यवहार इस तरह का +है, वही दूसरी तरफ बहुत ही परिपक्व और +TH wen निवेश पर अधिक प्रतिफल +की मांग कर रहे हैं तथा अधिक पारदर्शिता +चाहते हैं। इसने बैंकों की चुनौती को काफी +हद तक बढ़ाया है। + +बैंकिंग का भविष्य तय करने में विनियम +की उपलब्धता और प्रभाव काफी महत्वपूर्ण +है। वित्तीय संकट के बाद से विनियामकीय +फोकस ज्यादातर पूंजी पर रहा है। इसकी +वजह से अनेक बैंकों ने जोखिमपूर्ण या बहुत +अधिक पूंजी वाली आस्तियों, कारोबार एवं +यहां तक कि बाजारों से स्वयं के निवेश को +हटा लिया है। इससे बैंकरों की जोखिम को +लेकर मनोवृति में काफी परिवर्तन आ गया है +और खुदरा तथा थोक बैंकिंग के बीच स्पष्ट +विभाजन रेखा खींच गई है। नई विनियामकीय +अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए बैंक बहुत +अधिक निवेश कर रहे हैं तथा भर्ती भी +कर रहे हैं। एक अन्य उपशाखा भी जिसमें +विनियमों को कठोरता से लागू किया जा +रहा है, वह है गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं +के बढ़ते कारोबार का क्षेत्र एवं उनमें होने +वाली वृद्धि। शैडो बेंक (आभासी बैंक) पर +विनियमन को उतनी सख्ती से नहीं लागू +किया जाता है, वे बैंक के ग्राहकों को स्पर्धी +सेवाएं दे रहे हैं विशिष्ट निधि की स्थापना +करते हैं या निजी इक्विटी प्रदान करते हैं। +बैंकों से कुछ गतिविधियों को अलग कर देने +से गैर बैंक सम्बंधित कारोबार बहुत बढ़ गया +है। उनकी वृद्धि भी बहुत ज्यादा हुई है। चूंकि +वे विशिष्ट एवं फोकस सेवा प्रदान कर रहे हैं। +इसलिए वो चयनित सेवा को अधिक क्षमता, +गति एवं किफायती दरों पर उपभोक्ताओं +को दे रहे हैं। इस स्थिति ने आज बैंकों को +अस्थिर किया है। और इसमें सभी प्रकार की +संभावना, क्षमता है कि बैंक के विकास को +रोक दे। +बैंकों की प्रासंगिकत और आगे की राह + +इन सभी परिवर्तनों ने बैंकों के अस्तित्व +पर प्रश्न चिन्ह खड़ा किया है। पीडब्लूसी +अनुसंधान रिपोर्ट में यह कहा गया है कि +जहां हम बैंकिंग के अंतिम छोर की ओर +नहीं देख रहे हैं वहीं हम बैंकिंग और बैंक +के समापन की ओर निश्चित रूप से देख +पा रहे हैं। इसके साथ ही हमारे सामने दूसरा +अन्य प्रश्न भी है कि क्या आज हमारे सामने + +योजना, जनवरी 2018 + +बैंकों के बने रहने का कोई ओऔचित्य है? +समाज क्‍यों बेंकों का कार्य केवल बेंकों +को ही करने दे? अर्थात बैंकिंग कार्य करने +के लिए लाइसेंस की आवश्यकता क्‍यों है? +पश्चिमी देश में किसी को भी आधिकारिक +रूप से बैंक का नाम नहीं दिया जाता है। +उनके पास केवल निक्षेप संस्थाएं या क्रेडिट +संस्थाएं हैं। हमारी एफएसएलआरसी ने भी +इसी प्रकार के विचार को भारतीय वित्तीय +संहिता में अपनाए जाने के लिए सिफारिश +की है। अब यह कहां तक प्रासंगिक है कि +एक ही छत के नीचे सारी बैंकिंग सेवाएं +प्रदान की जाय? + +बैंकों के अस्तित्व के लिए एक अन्य +चुनौती समाज की वित्तीय संकट के प्रति +प्रतिक्रया रही है- बैंकों के प्रति उपभोक्ताओं +की अविश्वसनीयता। यहां वाल स्ट्रीट के + +बैंकों के अस्तित्व के लिए एक +अन्य चुनौती समाज की वित्तीय संकट +के प्रति प्रतिक्रया रही है- बैंकों के +प्रति उपभोक्ताओं की अविश्वसनीयता। +यहां वाल स्ट्रीट के विरोध में जन +आन्दोलन का उदाहरण यह और +अधिक स्पष्ट करता है। इस प्रकार +घटती हुई विश्वसनीयता की चुनौती +का सामना कर रही वित्तीय संस्थाएं +काफी हद तक नए परिदृश्य एवं +वित्तीय सेवाओं में नए प्रतिमानों की +आवश्यकता महसूस AT Tet Zl + +विरोध में जन आन्दोलन का उदाहरण यह +और अधिक स्पष्ट करता है। इस प्रकार घटती +हुई विश्वसनीयता की चुनौती का सामना +कर रही वित्तीय संस्थाएं काफी हद तक नए +परिदृश्य एवं वित्तीय सेवाओं में नए प्रतिमानों +की आवश्यकता महसूस कर रही हैं। + +इन बातों से स्पष्ट संकेत है कि या तो +बैंक मृतप्राय हो जाएगा या फिर भविष्य का +बैंक कल का और आज का बेंक नहीं रह +जाएगा। यदि हमें बैंकों की वर्तमान स्थिति +को सुदृढ़ करना है या उन्हें बचाना है तो +हमें आज की हकीकतों को समझना होगा, +नई संचालन शक्तियों के दबाव को समझना +होगा जो बैंकिंग में नए बदलाव चाहती है +और भावी कार्रवाइयों को प्रतिबिम्बित करती +है। प्रौद्योगिकी विकास का पूरा फायदा + +उठाया जाय, ग्राहकों की उम्मीद को पूरा +करने के लिए उन्हें अपने अनुरूप बनाएं। +नया उपभोक्ता कनेक्टिविटी, सुविधाजनक +स्थिति एवं आजादी से कार्य करने का +आदी है। इस संबंध में हमें यह सोचना +है कि उपभोक्ताओं को कुछ ज्यादा सेवा +नहीं चाहिए बल्कि ऐसी सेवा चाहिए जो +कभी भी, कहीं भी, किसी भी प्रकार से +उपलब्ध हों। जहां बैंकों को विकास करने +के लिए नए अवसरों को पहचानने की +सख्त जरूरत है और नई सूचना आधारित +प्रौद्योगिकी को अपनाने की आवश्यकता +है, वहीं यह बात सर्वाधिक महत्वपूर्ण है +कि वे वित्तीय सेवा प्रदान करने वालों की +सामाजिक जिम्मेदारियों को ज्यादा से ज्यादा +समझने के लिए सकारात्मक रूप से बदलाव +लाएं। किसी भी प्रकार के नए प्रतिमान के +साथ यह बात जुड़ी होनी चाहिए कि ग्राहकों +के फायदे के साथ बैंक के फायदे को भी +संतुलित रखना है। + +इन सबके साथ एक जो महत्वपूर्ण +प्रश्न अक्सर हमारे जेहन में रहता है कि +एक खास उद्देश्य और खास ग्राहकों के लिए +बैंकिंग करना कितना जरूरी रह गया है? +इसका जवाब हमारे वर्तमान के परिवर्तनों में +निहित है और स्पष्ट भी है। क्या आज के इन +बदलावकारी समय में बैंकों के लिए एक +ग्राहक पर और किसी एक क्षेत्र पर फोकस +रख पाना संभव हे? यदि ऐसा होता है तो +बैंकों की उत्पादकता घटने के साथ ही +प्रतिस्पर्धा समाप्त होगी और इसके साथ ही +बैंक का अस्तित्व भी। ऐसा कर के देखा जा +चुका है और बाजार बलों ने उन उद्देश्यपरक +बैंकिंग व्यवस्था को तोड-मरोड कर रख +दिया। बैंकों के लिए आज बंध कर कारोबार +करना आसान नहीं है। रिटेल बैंकिंग का दौर +इसी का नतीजा है। जब हम बैंकों को किसी +एक क्षेत्र से जोड़ देते हैं और ग्राहकों तक +सीमित कर देते हैं तो यह बैंकों के लिए +नुकसानदायक होने के साथ साथ ग्राहकों +के लिए भी विकल्पगत चुनौतियां प्रस्तुत +कर सकता है। बाजार से प्रतिस्पर्धा गायब +हो जाएगी और जैसा कि होता है कि बाजार +बल से नियंत्रित होने वाली सभी प्रतिक्रियाएं +और संव्यवहार कृत्रिम बन जाएंगे जिसका +दीर्घतालीन नकारात्मक परिणाम सम्पूर्ण +आर्थिक व्यवस्था पर रेखांकित होगा। 1 + +61 + + + +0062.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +a + +Toa संस्थाएं किसी भी देश की वित्तीय व्यवस्था +की महत्वपूर्ण अंग होती हैं क्योंकि वे अर्थव्यवस्था के +विभिन क्षेत्रों को मध्यम से दीर्घकालिक वित्त अथवा ऋण +मुहैया कराती हैं। भारत में ग्रामीण, आवासीय, लघु उद्योग, +निर्यात एवं आयात जैसे विशेष क्षेत्रों की बढ़ती मांग पूरी करने +के लिए इन संस्थाओं की स्थापना की गई हैं। + +अपने देश में चार प्रमुख विशेषीकृत बैंक अथवा +वित्तीय संस्थाएं हैं। ये हैं- भारतीय निर्यात-आयात बैंक +(एक्जिम बैंक), राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक +(नाबार्ड), राष्ट्रीय आवास बैंक (एनएचबी) और भारतीय +लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी)। +भारतीय निर्यात-आयात बैंक ( एक्जिम बैंक ) + + + +देश की विशेषीकृत वित्तीय संस्थाओं में निर्यात-आयात +बैंक को ऊंचा स्थान प्राप्त है। इसे वैश्विक निर्यात ऋण +एजेंसियों की तर्ज पर निर्यात ऋण प्रदान करने के लिए +भारतीय निर्यात-आयात बैंक अधिनियम, 1981 के अंतर्गत +स्थापित किया गया था। एक्जिम बैंक ने 1982 में काम +आरंभ किया था। यह विभिन्‍न प्रकार के उत्पादों तथा सेवाओं +के जरिये उद्योगों और लघु एवं मझोले उद्यमों (एसएमई) +की वृद्धि को गति देता है। इसमें प्रौद्योगिकी का आयात +तथा निर्यात उत्पाद का विकास, निर्यात उत्पादन, निर्यात +विपणन, लदान से पहले तथा लदान के बाद ऋण एवं विदेश +में निवेश शामिल हैं। + +यह आयातकों तथा निर्यातकों को वित्तीय सहायता मुहैया +कराता है और विभिन्‍न वित्तीय संस्थाओं के बीच कड़ी का +काम भी करता है ताकि भारतीय वित्तीय बाजार का समग्र + +विकास सुनिश्चित हो सके। आधुनिकीकरण, उपकरणों की +\ + + + + + +62 + +खरीद, अधिग्रहण आदि के लिए सावधि ऋण दिए जाते हैं। +निर्यातकों के लिए बैंक वेयरहाउसिंग ऋण, निर्यात के लिए +ऋण (लाइन ऑफ क्रेडिट) उपलब्ध कराता है। बैंक द्वारा +मुहैया कराई जाने वाली फंडेड पूंजी योजना में दीर्घकालिक +कार्यशील पूंजी, नकद प्रवाह के लिए ऋण शामिल है और +गैर फंडेड पूंजी योजना में लेटर ऑफ क्रेडिट लिमिट, गारंटी +लिमिट शामिल हैं। फिल्म उद्योग के मामले में बेंक फिल्म +निर्माण के लिए नकदी और विदेशी बाजार में प्रदर्शन के लिए +धन मुहैया कराता है। बैंक मानव संसाधन प्रबंधन, अनुसंधान +एवं नियोजन, आंतरिक ऑडिट जेसी विशेषीकृत सेवाएं भी +देता है। भारतीय निर्यात-आयात बैंक ने पूरे देश में और +विदेशों में भी अपने कार्यालय बनाए हैं। इसका मुख्यालय +मुंबई में है। +राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक ( नाबार्ड ) +ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने में संस्थागत +ऋण की महत्ता भारत सरकार के सामने आरंभ से ही स्पष्ट +रही है। इसीलिए भारत सरकार के कहने पर भारतीय रिजर्व +बैंक (आरबीआई) ने इस महत्वपूर्ण आयाम की पड़ताल +के लिए कृषि एवं ग्रामीण विकास हेतु संस्थागत ऋण की +व्यवस्था की समीक्षा के उद्देश्य वाली समिति (क्राफिकार्ड) +का गठन किया। समिति का गठन 30 मार्च, 1979 को किया +गया। समिति की रिपोर्ट में ग्रामीण विकास से जुडे ऋण +संबंधी मसलों पर अनवरत ध्यान देने, मजबूत दिशा देने तथा +केंद्रित प्रयास करने के लिए नई सांगठनिक व्यवस्था की +आवश्यकता रेखांकित की गई। उसने ऐसी अनूठी वित्तीय +संस्था बनाने की सिफारिश की, जो इन आकाक्षाओं को + + + + + + + + + +योजना, जनवरी 2018 + + + + + +0063.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + +- पूरा करे और इस प्रकार +| 1981 के अधिनियम 61 +के जरिये संसद ने राष्ट्रीय +कृषि एवं ग्रामीण विकास +& “ete (Tae) की +हक स्थापना को मंजूरी दे दी। +की आरबीआई के कृषि ऋण +कार्यों और तत्कालीन +कृषि पुनर्वित्त एवं विकास निगम (एआरडीसी) के पुनर्वित्त +कार्यों के हस्तांतरण के जरिये जुलाई 1982 में नाबार्ड अस्तित्व +में आया। 100 करोड़ रुपये की आरंभिक पूंजी के साथ +स्थापित हुए इस बैंक की चुकता पूंजी 31 मार्च, 2016 को +5,000 करोड़ रुपये थी। भारत सरकार और रिजर्व बैंक के +बीच शेयर पूंजी की संरचना की समीक्षा के बाद अब भारत +सरकार के पास 4,980 करोड़ रुपये (99.60 प्रतिशत) पूंजी +है और भारतीय रिजर्व बैंक के पास 20 करोड़ रुपये (0.40 +प्रतिशत) है। +राष्ट्रीय आवास बैंक + + + + +1 + + + +\ हु | + +राष्ट्रीय आवास बैंक (एनएचबी) की स्थापना आवास +ऋण संस्थाओं को वित्तीय एवं अन्य आवश्यक सहायता +प्रदान कर उनकी वृद्धि को तेज करने के इरादे से राष्ट्रीय +आवास बैंक अधिनियम, 1987 के दिशानिर्देशों के अनुसार +1988 में हुई थी। यह समूचे बुनियादी ढांचा विकास के लिए +वित्तीय सहायता प्रदान करता है और मौजूदा आवास ऋण +कंपनियों को पुनर्वित्त प्रदान करता है। बैंक ने विकास एवं +जोखिम प्रबंधन, परियोजना ऋण, पुनर्वित्त परिचालन, संसाधन +जुटान एवं प्रबंधन जेसे विशेषीकृत विभाग बनाए हैं। एनएचबी +का पूर्ण स्वामित्व भारतीय रिजर्व बैंक के पास है, जिसने उसे +समूची चुकता पूंजी प्रदान की। एनएचबी के कामकाज का +सामान्य अधीक्षण, निर्देशन एवं प्रबंधन अधिनियम के अंतर्गत + +एक निदेशक मंडल के हाथ में होता है। +NS + +Noh + + + + + + + + + + + + + + + +योजना, जनवरी 2018 + +. +भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक ( सिडबी ) » +भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) की स्थापना +भारतीय संसद के एक अधिनियम के तहत 2 अप्रैल, 1990 +को की गई। यह सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (एमएसएमई) +क्षेत्र के संवर्द्धन, वित्तपोषण एवं विकास के लिए और इसी +प्रकार की गतिविधियों में लगी संस्थाओं के कामकाज के +Tae के लिए प्रधान वित्तीय संस्था के तौर पर काम +करता है। सिडबी के कार्यक्षेत्र में सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम +(एमएसएमई) आते हैं, जो उत्पादन, रोजगार एवं निर्यात के + + + +E- Tore Pee ee: +—_— = 1:3 + +Lares peer 7 1] Bt = 3s ite + +मामले में राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान करते हैं। +एमएसएमई क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण स्तंभ है +क्योंकि लगभग 5.1 इकाइयों के बडे नेटवर्क के साथ वह +अर्थव्यवस्था की वृद्धि में बहुत अधिक योगदान करता है। +यह क्षेत्र लगभग 11.7 करोड़ लोगों के लिए रोजगार उपलब्ध +कराता है, 6,000 से अधिक प्रकार के उत्पाद बनाता है, +विनिर्माण उत्पादन में लगभग 45 प्रतिशत योगदान करता है, +निर्यात मूल्य में इसका योगदान लगभग 40 प्रतिशत है और +सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में इसका लगभग 37 प्रतिशत +योगदान है। + +समूचे एमएसएमई तंत्र में वित्तीय एवं गैर-वित्तीय +कमियों को दूर करना ही सिडबी का काम है। एमएसएमई +को दो प्रकार से वित्तीय सहायता दी जाती है - (क) +एमएसएमई को ऋण देने के लिए बेंकों/वित्तीय संस्थाओं +को परोक्ष सहायता अर्थात्‌ पुनर्वित्त प्रदान करना और (ख) +जोखिम पूंजी, सतत वित्त, प्राप्य वस्तुओं के लिए वित्तपोषण, +सेवा क्षेत्र के लिए वित्तपोषण आदि। एमएसएमई क्षेत्र को +बढ़ावा देने और विकसित करने के लिए सिडबी ने “क्रेडिट +प्लस' योजना आरंभ की है, जिसके तहत ऋण के अलावा +वह एमएसएमई को प्रोत्साहन एवं विकास सहयोग के +जरिये एमएसएमई क्षेत्र में उद्यम विकास, कौशल उन्नयन, +विपणन सहयोग, क्लस्टर विकास, प्रौद्योगिकी आधुनिकीकरण +में सहायता देता है। इस प्रकार के प्रोत्साहन एवं विकास +समर्थन से एमएसएमई क्षेत्र में 23 लाख से अधिक लोगों +को लाभ हुआ है, 1.5 लाख से अधिक रोजगार सूजित हुए +हैं और 80,000 से अधिक इकाइयां स्थापित करने में मदद +मिली है, जिनमें से अधिकतर ग्रामीण उद्यम हैं। [- + + + + + +A + +63 + + + +0064.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +हिन्दी माध्यम हिन्दी माध्यम Eng. Med Eng. Med. + +c> || EN पढ़िये उनसे जिनकी प्रामाणिकता +~' — एं श्रेष्ठता निर्विवाद है तथा जिनसे +a हिन्दी माध्यम व्हे साथ-साथ + + + + + + + + + + + + + +Gaurav Kumar Hemant Sati Athar Aamir Khan Bharti Dixit + +धारक] «राज थर्ड हु अंग्रेजी माध्यम के टॉपरों ने भी पढा है। +— TFPI PICy| +सामान्य +नी 16 J PI FI + +प्रातःकालीन बैच ; सायंकालीन aa + +छ Jan. |: Jan. +11:30 am 6:00 pm + +प्रारंभिक परीक्षा टेस्ट सीरीज + +* सबसे छोटा सिलेबस, लाखों तथ्यों को रटने से छुटकारा +० रिवीजन में आसान » अंकदायी एवं सफलतादायी विषय +* 6.5 और निबंध में बहुत उपयोगी + +(ओऑडियो-वीडियो) 42 निःशुल्क कार्यशाला + +एक दी को छोड़कर दर्शनशास्त्र के साथ + + + + + + + + + + + +मुखर्जी नगर +(पोस्ट ऑफिस +के ऊपर ) + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +हिन्दी माध्यम यादव. खब्व में सफल लगभग AM +सभी अभ्यर्थी “पत॑जलि ? संस्थान से है। Dec. 9:00 +ny P धर्मेन्द्र सर के निर्देशन में पढ़िये उनसे जिनकी + +प्रामाणिकता एवं श्रेष्ठता निर्विवाद है लथा जिनसे 1२8७8 टॉपरों ने भी पढ़ा है। + +२६७ 77105: +7 201 22 जनवरी +Pre.+ Mains राजस्थान के विद्यार्थियों को अब + +ahs विश्वसनीय सस्थान dd प्रात साय ४ 188 की तैयारी हेतु दिल्‍ली जाने की जरूरत नहीं 4 +प्रामाणिक Ne टीम बेहतरीन are oot dd जारी पृ बजे / बे | ५, पतंजलि संस्थान में धर्मेन्द्र सर के मार्गदर्शन में विल्‍ली एवं | + + + + + + + + + + + + + +जयपुर की प्रामाणिक विशेषज्ञों द्वारा अध्यापन +CENTRE ARAVENDRA f 6 DAPUR GENTE + + + +202, 3rd Floor, BhandariHouse 104, 2nd Floor, Near Axis Bank, : 31, Satya Vihar, Lal Kothi, Near Jain +(above Post Office)Dr. Mukherjee Nagar, Delhi-09 : Old Rajinder Nagar Market, Delhi-60 : ENT Hospital, New Vidhan Sabha, Jaipur +Ph.: 011-43557558, 9810172345 Ph. 011-45615758, 9811583851 : Ph.: 9571456789, 9680677789 + + + +64 योजना, जनवरी 2018 + +YH-738/2017 + + + +0065.txt +<----------------------------------------------------------------------> +६555. + +परंपरागत भारतीय बैंकिंग व्यवस्था + + + +न ही —s , +Cet सु +at + +पहली शताब्दी से लेकर 18 +शताब्दी तक विश्व व्यापार +में भारत की सहभागिता +कभी भी 25 प्रतिशत से कम +नहीं रही। प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय +अर्थशास्त्री अंगस मेडिसिन +ने अपनी पुस्तक में विभिन्न +शताब्दियों के विश्व व्यापार +में भारत तथा अन्य देशों की +सहभागिता के आंकड़े दिये हैं। +इन आंकड़ों से स्पष्ट हो जाता +है कि औद्योगिक उत्पादन में +पिछले दो हजार वर्षों तक +भारत पूरी दुनिया में सर्वोच्च +स्थान पर था। उत्पादित +वस्तुओं का व्यापार होना तो +स्वाभाविक ही है और उत्पादन +और व्यापार में धन की आपूर्ति +के लिए बैंकिंग या महाजनी +या साहूकारी की व्यवस्था होना + +भी उतना ही स्वाभाविक है + + + + + +रवि शंकर + + + +म तौर पर बैंकिंग भारत को +ST T अंग्रेजों की दी गयी व्यवस्थाओं +में सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती +है। समझा और कहा जाता है कि आधुनिक +बैंकिंग प्रणाली की शुरुआत करके अंग्रेजों +ने भारत की अर्थव्यवस्था में क्रांति कर दी। +बैंकिंग के इतिहासकार 18वीं शताब्दी से +ही बैंकिंग का प्रारंभ मानते हैं। हालांकि +माना जाता है कि पहला बैंक वर्ष 1740 +या उसके बाद ही स्थापित हो गया था, +परंतु इंग्लैंड की ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा +उन्नीसवीं शताब्दी में तीन बैंकों की स्थापना +आधुनिक बैंकिंग प्रणाली की सही शुरुआत +है। क्या इससे पहले भारत में बैंकिंग की +कोई प्रणाली थी या नहीं? यदि थी तो +कैसी थी? +नगद लेन-देन की पृष्ठभूमि + +बैंकिंग का मुख्य काम धन का लेन-देन +है। धन का लेन-देन यानि ऋण लेना और +ऋण देना। ऋण की बात करें तो हमें तुरंत +सूदखोर कहे जाने वाले साहूकारों और +महाजनों की याद आती है। साहूकार और +महाजन यानि आधुनिक बैंकिंग से परे धन के +लेन-देन की एक व्यवस्था। यदि हम इसमें +से शोषण के मामले को हटाकर और केवल +इसे एक व्यवस्था के तौर पर देखें तो हम +पाएंगे कि पूरे भारतवर्ष में बैंकिंग की यह +एक शानदार व्यवस्था रही है। इस व्यवस्था +के मूल सिद्धांतों का प्रारंभ वेदों से ही हो +जाता है। वेदों में ब्याज पर ऋण देने-लेने की +व्यवस्था को कुसीद कहा है। यही शब्दावली +बाद के वैदिक वांग्मय में भी प्रयोग की +गयी है। + + + + + + + +वैदिक प्रेरणा तो हमें कर्ज मुक्त +रहने के लिए कहती है। गह्मसूत्रों में +कहा है- अनृणास्याम यानि हम कर्जमुक्त +रहें। परंतु फिर भी वेदों ने कुसीद को एक +व्यवसाय माना है। वेदों के आधार पर ही +विधान देने वाली मनुस्मृति में कहा हे- पशूनां +रक्षणं दानमिज्याध्ययनमेव च। वणिक्पर्थ aS +च वेश्यस्य कृषियेव च॥ अर्थात्‌ (गौ आदि +पालतू) पशुओं की रक्षा, विद्या-धर्म आदि +की वृद्धि के लिए दान देना, नित्य अग्निहोत्र +करना, वेदादि शास्त्रों का अध्ययन करना और +ब्याज पर धन लेना-देना और कृषि करना +वैश्यों के कर्तव्य हैं। यहां कुसीद की व्याख्या +करते हुए महर्षि दयानंद सरस्वती लिखते हैं- +सवा रुपये सैंकड़े से अधिक और चार आने +से न्यून ब्याज न लेवें न देवें। जब दूना धन +आ जाए तो उसके आगे कौड़ी न लेवें, न +देवें। जितना न्यून ब्याज लेवेगा, उतना ही +उसका धन बढेगा। कभी धन का नाश नहीं +होगा और कुसंतान उसके कुल में न होंगे। +हालांकि दयानंद सरस्वती ने इस कथन के +प्रमाण में किसी ग्रंथ को उद्धृत नहीं किया +है, परंतु इससे यह समझा जा सकता है कि +कम से कम उस समय आदर्श व्यवस्था यही +मानी जाती रही होगी। + +कुसीद की प्राचीन व्यवस्था का ही +आगे चलकर महाजनी या फिर साहूकारी +व्यवस्था में रूपांतरण हुआ। लेकिन आज की +भांति इसमें किसी का भी एकाधिकार नहीं +माना गया। घरेलू औरतें भी सामान गिरवी +रखकर ब्याज पर धन देती थीं। इस प्रकार +यह व्यवस्था पूरी तरह विकेंद्रित व्यवस्था +थी। भले ही इस व्यवस्था में ब्याज के + + + +लेखक सेंटर फॉर सिविलाइजेशन स्टडीज में शोध निदेशक तथा गांधी दर्शन के शोधार्थी हैं। भारत के आर्थिक इतिहास पर इन दिनों शोध कार्य कर रहे हैं। इन्होंने पंचवटी +फाउंडेशन के लिए गौसंपदा के आर्थिक वैज्ञानिक-पर्यावरणीय आयामों पर पांच खंडों में शोध ग्रंथ के संकलन व संपादन के अलावा पारंपरिक कृषि पर शोध कार्य भी किया +है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय की शोध परियोजना के अन्तर्गत राष्ट्रवादी पत्रकारिता विषय पर पुस्तक प्रकाशित हो gat V1 Sct: ravinoy@gmail.com + +योजना, जनवरी 2018 + +65 + + + +0066.txt +<----------------------------------------------------------------------> +निर्धारण पर आज की भांति किसी आरबीआई + +का नियंत्रण नहीं था परंतु इस पर राज्य + +का नियंत्रण निश्चित रूप से था। जब भी +न्यायकारी शासन व्यवस्था रही, तब हमेशा ही +महाजनी या साहूकारी समाजहित में ही रही। +केवल अराजक स्थितियों में ही यह व्यवस्था +शोषणकारी बनी। + +इस प्रकार प्राचीन काल में बैंकिंग का +जो स्वरूप विकसित हुआ उसकी दो प्रमुख +विशेषताएं थीं। पहली यह कि वह पूरी तरह +विकेंद्रित व्यवस्था थी और दूसरी यह कि इस +व्यवस्था में राज्य की भूमिका केवल नियामक +भर की ही थी, आज की भांति संचालक और +नियंत्रक की नहीं। इस व्यवस्था में भी कई +स्तर विकसित हुए थे। + +1. सबसे निचले स्तर पर ग्रामीण साहूकार +या महाजन थे। + +2. उससे ऊपर बडे सेठ तथा नगर सेठ +हुआ करते थे। कुछेक स्थानों पर ये सेठ +जमींदार भी बन गए थे। + +3. सबसे ऊपर जगत सेठ बने। हालांकि +यह शब्दावली मुगल काल में विकसित +हुई परंतु यदि हम शब्द को छोड़कर +भाव पर ध्यान दें तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर +व्यापारियों को धन देने वाले सेठ भी पूरे +देश में पाये जाते थे। + +जगत सेठ: साख संस्था +इस प्रकार हम पाते हैं कि ब्याज पर धन + +देने वाली घरेलू औरतों, छोटे-छोटे महाजनों + +और साहूकारों से यह व्यवस्था विकसित होती +गयी और इसका स्वरूप अंतरराष्ट्रीय हो गया। +18वीं शताब्दी यानि आर्थिक व्यवहारों पर +ईस्ट इंडिया कंपनी के निर्णायक स्थिति में +आने तक डेरा में जगत सेठों की चलती थी। +बंगाल, गुजरात आदि प्रदेशों जहां व्यापार कौ +विपुल संभावनाएं हुआ करती थीं, जगत सेठ +हुआ करते थे। + +थॉमस ए टिम्बरबर्ग लिखते हैं, “प्राचीन +और मध्यकालीन भारत के इतिहासकारों ने +व्यापारियों द्वारा बड़े पैमाने पर सामानों के +लंबी दूरी तक परिवहन करने का इतिहास +दर्ज किया है। ये व्यापारी न केवल व्यापार +की धरनापूर्ति करते थे, बल्कि राज्यों तथा +राजाओं को भी धन दिया करते थे और इस +प्रकार एक बडे भूभाग में एक विशाल बाजार +आधारित अर्थव्यवस्था का संचालन किया +करते थे।” वास्तव में व्यापार में धन की + +66 + +आवश्यकता पड़ती ही है और धन की आपूर्ति +करने का काम ही बेंकिंग कहलाता हे। +पहली शताब्दी से लेकर 18वीं शताब्दी +तक विश्व व्यापार में भारत की सहभागिता +कभी भी 25 प्रतिशत से कम नहीं रही। +प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय अर्थशात्री अंगस मेडिसिन +ने अपनी पुस्तक में विभिन्न शताब्दियों के +विश्व व्यापार में भारत तथा अन्य देशों की +सहभागिता के आंकड़े दिये हैं। इन आंकड़ों +से स्पष्ट हो जाता है कि औद्योगिक उत्पादन +में पिछले दो हजार वर्षों तक भारत पूरी +दुनिया में सर्वोच्च स्थान पर था। उत्पादित +वस्तुओं का व्यापार होना तो स्वाभाविक ही +है और उत्पादन और व्यापार में धन की +आपूर्ति के लिए बैंकिंग या महाजनी या +साहूकारी की व्यवस्था होना भी उतना ही +स्वाभाविक है। यहां हमें यह ध्यान रखना +चाहिए कि 18वीं शताब्दी तक भारत की + +जगतसेठ फतेहचंद स्थानीय शासकों +और प्रमुख विदेशी व्यापारिक प्रतिष्ठानों +को वित्तीय सहायता दिया करता था। +वर्ष 1718 से 1730 के बीच ईस्ट +इंडिया कंपनी ने उससे प्रतिवर्ष औसतन +चार लाख रुपये उधार लिए। वर्ष 1757 +तक जगतसेठ से ईस्ट इंडिया कंपनी +प्रतिवर्ष चार लाख रुपये और फ्रांसीसी +ईस्ट इंडिया कंपनी 15 लाख रुपये कर्ज +लिया करती थी। + +सीमाएं पश्चिमोत्तर में काबुल तक थीं, उस +समय तक अफगानिस्तान या पाकिस्तान का +कोई अस्तित्व नहीं था। + +सोलहवीं शताब्दी के बाद से भारतीय +अर्थव्यवस्था में यूरोपीय व्यापारियों का प्रवेश +बढ़ गया था। उन्होंने यहां कई सहयोगी पाये +जिनमें कुछ मारवाड़ी भी थे। बाजार आधारित +अर्थव्यवस्था के निर्माण में मारवाड़ी जगत +सेठों की महत्वपूर्ण भूमिका थी। टिम्बरबर्ग +ने अपनी पुस्तक में इन मारवाड़ी जगत सेठों +का अच्छा वर्णन किया है। वे लिखते हैं, +“एक शुष्क गृह प्रदेश और पारंपरिक जमीनी +व्यापारिक मार्ग का महत्वपूर्ण अंग होने +के कारण मारवाड़ी पूरे देश में फैल गये, +विशेषकर उन इलाकों में जहां व्यावसायिक +गतिविधियां अभी काफी उभार पर थीं।” +टिम्बरबर्ग विस्तार से बताते हैं कि किस +प्रकार ये मारवाड़ी व्यापारी राजस्थान के + +विभिन्न राजघरानों को धन प्रदान किया करते +थे। शेखावटी के एक ठाकुर ने लिखा है +कि उसके पिता मुम्बई और कोलकाता की +यात्राओं में उनके इलाकों से आये मारवाडियों +से धन प्राप्त किया करते थे। कुछ मारवाड़ी +घराने स्थानीय विद्रोहियों को भी धन दिया +करते थे। + +एक अन्य उल्लेख बताता है कि ओसवाल +घराना बैंकर और फाइनेंसर के रूप में काफी +प्रसिद्ध हुआ था और वह मुगलों को वित्तीय +साधन उपलब्ध कराता था। बात केवल मुगल +शासकों तक ही सीमित नहीं थी। ये मारवाड़ी +घराने लगभग सभी शासकों चाहे वे हिंदू हों +या मुस्लिम, को कर्ज दिया करते थे। बंगाल +के जगतसेठ स्थानीय शासकों के अलावा +देशी-विदेशी व्यापारिक प्रतिष्ठानों को भी कर्ज +दिया करते थे। टिम्बरबर्ग लिखते हैं, “वह +(जगतसेठ फतेहचंद) स्थानीय शासकों और +प्रमुख विदेशी व्यापारिक प्रतिष्ठानों को वित्तीय +सहायता दिया करता था। वर्ष 1718 से 1730 +के बीच ईस्ट इंडिया कंपनी ने उससे प्रतिवर्ष +औसतन चार लाख रुपये उधार लिए। वर्ष +1757 तक जगतसेठ से ईस्ट इंडिया कंपनी +प्रतिवर्ष चार लाख रुपये और फ्रांसीसी ईस्ट +इंडिया कंपनी 15 लाख रुपये कर्ज लिया +करती थी।” + +प्लासी का प्रसिद्ध युद्ध भी मूलतः बंगाल +के जगत सेठ के कारण हुआ। जगत सेठ से +बंगाल के नवाब ने काफी सारा धन उधार +लिया हुआ था। सिराजुद्दोला ने जब बंगाल पर +कब्जा किया तो जगत सेठ ने उससे अपना +धन मांगा। सिराजुद्दोला का कहना था कि +कर्ज उसके पहले वाले नवाब ने लिया था, +वह नहीं चुकाएगा। जगत सेठ का कहना +था कि नवाब कोई भी रहे, कर्ज तो राज्य +ने लिया था, उसे चुकता करना ही चाहिए। +इससे पहले के सभी राजा इस परिपाटी का +पालन करते थे। परंतु सिराजुद्दोला ने इस +परंपरा का पालन करने से इनकार कर दिया। +इस पर जगत सेठ ने उसे अपदस्थ करने में +अंग्रेजी सेना की सहायता ली। वह मीरजाफर +को नवाब बनाना चाहते थे, जो परंपरा का +पालन करते हुए उनका धन वापस करने +के लिए तैयार था। मीरजाफर के नेतृत्व में +सिराजुद्दोला की सेना अंग्रेजों से जा मिली और +इस प्रकार बिना युद्ध हुए सिराजुद्दोला पराजित +हो गया। परंतु अंग्रेजों ने मीरजाफर को नवाब + +योजना, जनवरी 2018 + + + +0067.txt +<----------------------------------------------------------------------> +नहीं बनने दिया। वे स्वयं ही शासक बन +बैठे और उन्होंने कालांतर में जगत सेठ को +पेंशनयाफ्ता बना दिया। +व्यवसाय के समानांतर ऋण बाजार +मारवाडियों के अलावा पंजाब, सिंध +और मुल्तान के व्यापारी भी बैंकिंग का काम +किया करते थे। ये भारतीय व्यापारी भारत के +अंदर ही नहीं विदेशों में भी बैंकिंग किया +करते थे। आज की भाषा में कहें तो वे एक +प्रकार से मल्टीनेशनल de Al स्कॉट सी. +लेवी की पुस्तक कारवां, पंजाबी खत्री मर्चंट्स +ऑन द सिल्क रोड, की भूमिका में गुरुचरण +दास लिखते हैं, “हिंदू व्यापारी मध्य एशियायी +अर्थव्यवस्था के केद्र बिंदू थे। वे रोपाई के +लिए किसानों को ऋण दिया करते थे, कटाई +के मौसम में उनकी फसलों की खरीद करते +थे और उनके परिवहन की भी व्यवस्था करते +थे। स्थानीय शासक उनकी इन सेवाओं का + +में जब शासन व्यवस्थाएं कमजोर होने लगीं तो +इनके द्वारा शोषण भी शुरू हो गया। अंग्रेजों +द्वारा जब पूरे भारत का आर्थिक शोषण किया जा +रहा था, उस काल में देश में अधिकतम अकाल +पड़े और अभाव के उस काल में ये व्यवस्थाएं +चरमरा गयी। अंग्रेजों के काल में इन पर नियंत्रण +करने के लिए कई कानून बनाए गये। +भारतीय साख बाजार: +विकेंद्रीकण का उदाहरण + +ऐसा नहीं कहा जा सकता है कि +आज स्थानीय साहूकारों या महाजनों की +वह परंपरा समाप्त हो गयी है। देखा जाए +तो यूरोप में विकसित आधुनिक बैंकिंग के +पहले भारतीय बैंकिंग प्रणाली में कभी भी +कोई केंद्रीय व्यवस्था नहीं रही है। वह एक +विकेंद्रित व्यवस्था रही है। हालांकि आज +इसे एक अवगुण के रूप में देखा जाता +है परंतु भारतीय अर्थव्यवस्था में आज भी + + + +काफी सम्मान करते थे, जिनके कारण उनकी +अर्थव्यवस्था सुदृढ़ रहती थी और करों का +संग्रह बढ़ता था।” +ईसा पूर्व काल में अंतरराष्ट्रीय लेन-देन + +दक्षिण भारत भी इनसे अलग नहीं था। +मलाबार के तटों से लेकर तत्कालीन मद्रास +तक अंग्रेजी राज आने तक भारतीय बैंकरों की +एक समृद्ध परंपरा थी। विएना के संग्रहालय +में हाल ही में ढूंढा गया एक प्राचीन भोजपत्र +रखा है, जिसकी कालावधि ईसा की दूसरी +शताब्दी है। इस पत्र में मुसीरी, तमिलनाडु +के भारतीय व्यापारी और अलेक्जेंड्िया के +रोमन व्यापारी के बीच हुए एक समझौते का +उल्लेख है। इस पत्र की दूसरी ओर रोमन +व्यापारी द्वारा मुसीरी में व्यावसायिक कर्ज +लिया जाना लिखा है। व्यावसायिक कर्ज का +उल्लेख यह साबित करता है कि लेन-देन +प्राचीन काल में भी लंबी समयावधि के लिए +कर्ज की व्यवस्था विद्यमान थी। +विचलन + +उपरोक्त परंपरा अंग्रेजों ने नष्ट की। भारतीय +व्यापारियों के वर्चस्व के कारण उनका शासन +खतरे में रहता था क्योंकि ये व्यापारिक घराने +शासन तक को धन दिया करते थे ओर उनके +मनोनुकूल न होने पर विद्रोहियों द्वारा शासन +पलटवाया भी करते थे। बड़े बैंकरों की इस +व्यवस्था के अतिरिक्‍त पूरे देश में छोटे साहूकारों +तथा महाजनों की भी बड़ी श्रृंखला विद्यमान थी। +कालांतर में विशेषकर सत्रहवीं और 18वीं शताब्दी + +योजना, जनवरी 2018 + +विएना के संग्रहालय में हाल ही में +ढूंढा गया एक प्रात्ीन भोजपत्र रखा +है, जिसकी कालावधि ईसा की दूसरी +शताब्दी है। इस पत्र में मुसीरी , तमिलनाडु +के भारतीय व्यापारी और अलेक्जेंडिया +के रोमन व्यापारी के बीच हुए एक +समझौते का उल्लेख है। इस पत्र की +दूसरी ओर रोमन व्यापारी द्वारा मुसीरी में +व्यावसायिक कर्ज लिया जाना लिखा है। + +इस विकेंद्रित बैंकिंग प्रणाली का महत्वपूर्ण +योगदान है। इसका एक उदाहरण है लगभग +पूरे भारत में लघु बैंकिंग प्रणाली के तर्ज +पर खेली जाने वाली कमिटी। उत्तर भारत +में लगभग सर्वत्र इसे कमिटी कहा जाता है +और देश के लगभग सभी व्यावसायिक लोग +इसे खेलते ही हैं। कमिटी 12 से लेकर 20 +महीने की छोटी अवधि के लिए होती है +और इसमें निश्चित संख्या में सदस्य होते हैं। +वे एक निश्चित राशि प्रतिमाह एकत्र करते +हैं जिसे जरूरतमंद सदस्य बोली लगाकर +प्राप्त करता है। उस सदस्य से हुई आय को +प्रत्येक सदस्य में बराबर मात्रा में बांट दिया +जाता है। इस प्रकार यह छोटे स्तर पर लघु +और मध्यम व्यापारियों को सरलता से पूंजी +उपलब्ध करवाता है। हालांकि कमिटी की यह +व्यवस्था सरकारी तंत्र के अनुसार गैरकानूनी +ही मानी जाती है और इसलिए इसमें किसी + +प्रकार की धोखाधड़ी होने पर उसे सरकार से +न्याय नहीं मिल सकता, परंतु फिर भी यह +लघु बैंकिंग प्रणली आज भी आधुनिक बैंकों +से कहीं अधिक व्यापक है। +उपसंहार + +निष्कर्ष यह है कि परंपरागत भारतीय +बैंकिंग प्रणाली हमेशा से विकेंद्रित और +राज्यनिरपेक्ष रही है। यही व्यवसाय के हित +में भी है। व्यवसाय का राज्याश्रित होने से +केवल नुकसान ही हैं और वह देश कभी +विकास नहीं कर सकता। इसलिए परंपरागत +भारतीय बैंकिंग प्रणाली की ही देन थी कि +जिस कालखंड को भारत की राजनीतिक +गुलामी का दौर कहा जाता है, उस दौर में +भी भारत दुनिया में सबसे बड़ी आर्थिक +महाशक्ति था। आज भी यदि हम ठीक से +ध्यान दें और सरकारी आंकड़ों को छोड़ +कर सामाजिक आंकलन करें तो समाज +में धन के वितरण में परंपरागत भारतीय +बैंकिंग का योगदान आधुनिक केंद्रीकृत और +राज्यश्रित बैंकिंग प्रणाली से कहीं अधिक है। +परंपरागत भारतीय बैंकिंग प्रणाली में एकमात्र +आवश्यकता है न्याय की उपलब्धता की। +अंग्रेजों से पहले राज्य इसे उपलब्ध करवाया +करते थे और इसलिए अंग्रेजों से पहले +विशेषकर हिंदू शासकों के शासन में कभी +भी आम जनता पीड़ित नहीं रही। अंग्रेजों +के काल में कागजों का महत्व बढ़ने पर +परंपरागत भारतीय बैंकिंग प्रणाली को न्याय +व्यवस्था से बाहर कर दिया गया। अच्छा तो +यह होगा कि बैंक सुधारों के आधुनिक युग +में हम फिर से परंपरागत भारतीय बैंकिंग +प्रणाली में भी पीडित को न्याय दिलाने की +व्यवस्था करें। कागजों के बिना मौखिक +आर्थिक व्यवहारों में होने वाली गडबडियों +को पकड़ने में राज्य को अपना सामर्थ्य + +बढाना चाहिए, तभी यह संभव हे। छा + +संदर्भ + +1. बोधायन गृह्यसूत्र 4/4/9 + +2. मनु 1/90 + +3. संस्कारविधि पृष्ठ 176 + +4. द मारवाड़िज, फ्राम जगत सेठ टू द बिड़लाज, पृष्ठ 18 + +5. वही, पृष्ठ 19-20 + +6. वही, पृष्ठ 10-11 + +7. ॥010:/छण्ज्ा.2प्रालाँलए&8,09/॥18301/फ711/ +haa01.pdf + +8. कैरावांस, इंडियन मर्चेट्स ऑन द सिल्क रोड, +Ys XIII + +9 द वर्ल्ड ऑफ द तमिल मर्चेट्स, पृष्ठ 25-26 + +67 + + + +0068.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +WI. दिवाला और दिवालियापन बोर्ड (आईबीबीआई) ने +7 दिसंबर, 2017 को भारत के राजपत्र में आईबीबीआई +(प्रतिवेदन और शिकायत समाधान प्रक्रिया) विनियम, 2017 को +अधिसूचित किया है। यह नियम भारतीय दिवाला और दिवालियापन +कोड 2016 (कोड) के अंतर्गत हितधारक को एक सेवा प्रदाता, +दिवालिया पेशेवर एजेंसी, दिवालिया पेशेवर, दिवाला पेशेवर संस्था +या सूचना उपयोगिता के खिलाफ शिकायत दर्ज करने में सक्षम +बनाता है। इसके साथ-साथ यह विनियम आईबीबीआई द्वारा +प्रतिवेददों और शिकायतों के निपटान के लिए एक पारदर्शी +प्रक्रिया प्रदान करता है जिसमें न तो गलत व्यवहार करने वाले +सेवा प्रदाताओं छोड़ा जाता है और न ही निर्दोष सेवा प्रदाताओं को +परेशान किया जाता है। + +इस नियम के तहत एक हितधारक सेवा प्रदाता के ऐसे +आचरण, जिससे पीडित को परेशानी हुई हो; पीडित को हुई +परेशानी का ब्योरे, चाहे आर्थिक हो अथवा किसी अन्य प्रकार की +हो; सेवा प्रदाता के आचरण ने पीडित को किस प्रकार प्रभावित +किया; सेवा प्रदाता से शिकायत के समाधान के लिए किए गए +प्रयासों के ब्यौरे तथा शिकायत का समाधान किस प्रकार किया जा +सकता है, के संबंध में शिकायत दर्ज करा सकता है। + +एक हितधारक दो हजार पांच सौ रुपए (2,500 रुपए) के + +शुल्क के साथ निर्दिष्ट फॉर्म में इसकी शिकायत दर्ज करा सकता +है। शिकायतकर्ता को इस संदर्भ में किसी भी सेवा प्रदाता या +उससे संबंधित व्यक्तियों के विरुद्ध कोड, नियमों, विनियमों अथवा +उनके तहत बनाए गए दिशानिर्देशों अथवा आईबीबीआई द्वारा जारी +परिपत्रों अथवा निदेशों के किसी भी प्रावधान के कथित उल्लंघन +के लिए विवरण देना आवश्यक है, जिसके साथ सेवा प्रदाता +या उससे संबंधित व्यक्तियों के कथित आचरण या गतिविधि के +लिए आचरण या गतिविधि की तिथि और स्थान के साथ कथित +उल्लंघन के समर्थन में साक्ष्य प्रस्तुत करना होगा। यदि शिकायत +गंभीर है और दुर्भावनापूर्ण नहीं है तो शुल्क वापस कर दिया +जाएगा। + +अगर आईबीबीआई यह मानती है कि प्रथमदृष्टया मामला +बनता है तो वह भारतीय दिवाला और दिवालियापन बोर्ड (निरीक्षण +और अन्वेषण) विनियमन, 2017 के विनियम 3 के उप-विनियम +(3), विनियम 7 के उप-विनियम (2) और विनियम 11 के +उप-विनियम (2) के तहत जांच का आदेश अथवा कारण बताओ +नोटिस जारी कर सकता है, जैसा कि अनुबद्ध हो तथा इस मामले +को तदूनुसार आगे बढ़ाया जाएगा। + +ये विनियम 7 दिसंबर, 2017 से प्रभावी हुए हैं। ये एएऋए. +mca.gov.in ait www.ibbi. gov.in WK उपलब्ध हैं। QO) + + + + + + + +अब उपलब्ध है .. हमारी पत्रिकाओं की ऑनलाइन सदस्यता + +०० + + + +४. +t कि a itn + +oo + +लॉग ऑन कई + + + +htte:/publicationsdivislon.nic.ini, +bharatkosh.gov.in की सहयोग से + + + +68 + +योजना, जनवरी 2018 + + + + + +0069.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + +ग्लोः एंटरप्रन्योशिप समिट (जीईएस) का आयोजन +दक्षिण एशिया में पहली बार हेदराबाद, भारत में +28-30 नवंबर 2017 को किया गया। भारत और अमेरिका सरकार +द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस समिट का उद्घाटन भारत के +प्रधानमंत्री ने किया और अमरीकी राष्ट्रपति की सलाहकार इंवाका +ट्रंप ने जीईएस में अमरीका का प्रतिनिधित्व किया। जीईएस वेश्विक +स्तर पर उभरते हुए उद्यमियों, निवेशकों और व्यावसायिओं की एक +विशिष्ट वार्षिक सभा है। इस वर्ष महिला उद्यमियों पर विशेष रूप +से फोकस किया गया था और बहुत सी प्रतिभावान महिलाओं को +उद्यम के क्षेत्र से जोड़ा गया। + +ग्लोबल एंटरप्रेन्योरशशिप समिट का यह आठवां संस्करण था। +“महिलाएं सर्वप्रथम सबके लिए समृद्धि '' पर आधारित यह प्रथम +जीईएस था, जिसमें महिलाओं का बहुमत था कुल प्रतिभागियों में +से 52.5 प्रतिशत से भी अधिक महिलाएं थीं। + +इसमें विश्व की उद्यमी प्रतिभा का प्रतिनिधित्व करने वाले +विभिन पृष्ठभूमि से संबंधित 1600 से अधिक डेलिगेट्स जिसमें +उद्यमी, निवेशक, प्रमुख ज्ञान आधारित इकाइयों के सीईओ शामिल +थे, ने भाग लिया। 10 से अधिक देशों, जिनमें अफगानिस्तान, +सऊदी अरब और इजरायल भी सम्मिलित थे का प्रतिनिधित्व ऑल +'फीमेल शिष्टमंडल ने किया। यह समिट प्रमुख रूप से चार क्षेत्रों +पर केन्द्रित था- ऊर्जा तथा संसाधन, स्वास्थ्य एवं लाइफ साईंस, +आर्थिक तकनीक और डिजिटल अर्थव्यवस्था एवं मीडिया एवं +मनोरंजन सेक्टर। + +अपने उद्घाटन भाषण में प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र अमरीका +की सरकार की सहभागिता से ग्लोबल एंटरप्रेन्योरशशिप समिट 2017 + +की सह-मेजबानी पर हर्ष व्यक्त किया। उनके वक्तव्य के प्रमुख + +बिंदु इस प्रकार हैं- + +* यह समिट दक्षिण एशिया में पहली बार आयोजित की गई +है। यह अग्रणी निवेशकों, उद्यमियों, शिक्षाविदों , बुद्धिजीवियों +और अन्य स्टेक होल्डर्स को एक साझा मंच प्रदान करता +है ताकि वे ग्लोबल एंटरप्रेन्योशशिप इको-सिस्टम at ge +कर सकें। + +* यह आयोजन मात्र सिलिकॉन वैली को हेदराबाद से सम्पृक्‍त +ही नहीं कर रहा अपितु यह संयुक्त राज्य अमरीका और भारत +के घनिष्ट संबंधों का भी परिचायक हे। + +* जीईएस के इस संस्करण का विषय विमेन फर्स्ट, प्रास्पेरियी +फॉर ऑल इसे विलक्षण बनाता है। भारतीय पुराणों में स्त्री +को शक्ति का अवतार माना जाता है- शक्ति की देवी-दुर्गा। +हम महिला सशक्तीकरण को अपने देश के विकास के लिए +अत्यंत महत्वपूर्ण मानते हैं। + +* में भारत के अपने युवा उद्यमी मित्रों से कहना चाहूंगा कि +आप सब में ऐसी अमूल्य प्रतिभा है कि आप 2022 तक न्यू +इंडिया के निर्माण में अपना बहुमूल्य योगदान दे सकते हैं। +आप भारत के रूपांतरण का माध्यम और साधन हैं। + +* विश्व के अन्य भागों से आए अपने उद्यमी मित्रों से में +कहना चाहता हूं कि आइए मेक इन इंडिया भारत में निवेश +कीजिए, भारत के लिए और विश्व के लिए। मैं आप में से +हरेक को भारत के विकास की कहानी में सहभागी होने का +निमंत्रण देता हूं और एक बार फिर आपको भरपूर समर्थन का +आश्वासन देता हूं। + + + +योजना, जनवरी 2018 + +69 + + + + + +0070.txt +<----------------------------------------------------------------------> +मूल्य: F 400 (as बाउंड ) +₹ 285 ( पेपरबैक संस्करण ) + +यः पुस्तक उन 23 फिल्‍मी हस्तियों पर लिखे गए + +आलेखों का संकलन है जिन्हें 1992-2014 में +दादा साहब फाल्के अवार्ड प्रदान किया गया था। ये +पुरस्कार विजेता निर्देशन, अभिनय, सिनेमाटोग्राफी, संगीत +ak fates जैसे विभिन क्षेत्रों से संबंधित हैं। इनमें +बी.आर. चोपड़ा, शशि कपूर, के. बालचंद्र, शिवाजी +गणेशन, भूपेन हजारिका इत्यादि शमिल हैं। इस संकलन +में प्रख्यात लेखकों और फिल्‍म आलोचकों जैसे सैबल +चैटजी, रैंडर गाय, रशेल ड्वेयर, जय अर्जुन सिंह ने +योगदान दिया है। इन आलेखों में इन फिल्‍मी हस्तियों +के भारतीय सिनेमा में योगदान से संबंधित संक्षिप्त स्केच +से लेकर आलोचनात्मक विश्लेषण तक किया गया हे। +विभिनन खोतों से प्राप्त उपयुक्त चित्रों से सुसज्जित यह +पुस्तक सेलुलायड प्रेमियों के लिए ज्ञान और मनोरंजन का +माध्यम होगी। Q + +Fee Ca +और +Fone + +मूल्य: ₹ 430 + +3 पुस्तक में सौ वर्षों से भी अधिक पुराने भारतीय सिनेमा की + +यात्रा का वृतांत है। अपने नाम के अनुरूप यह पुस्तक भारतीय +सिनेमा के विकास का विश्लेषण करते हुए उसकी सामाजिक +महत्ता और भूमिका को उजागर करती है। मोशन पिक्चर के दिनों +से लेकर आधुनिक विश्व के डिजिटल सिनेमा तक आने वाले +विभिन्‍न परिवर्तनों को इसमें स्पष्टतापूर्वक बताया गया है। भारतीय +सिनेमा में अपना अमूल्य योगदान देने वाली प्रमुख हस्तियों जैसे- +एच.एस. भाटवोकेकर, हीरालाल सेन, दादा साहब फाल्के के +बारे में लेखक ने दुर्लभ जानकारी उपलब्ध करवाई है। इसमें +सिनेमा से जुड़े विभिन्‍न पहलुओं जैसे कि मनोरंजन के साधन +के रूप में सिनेमा, फिल्मों में संगीत और नृत्य की भूमिका, +महिला केन्द्रित फिल्में, स्टाइल तथा बॉलीवुड का स्वर्णयुग इत्यादि +विषयों के अतिरिक्त फिल्म सेंसर पर भी विचार किया गया +है। रंग-बिरंगे चित्रों सहित वरिष्ठ पत्रकार संजीव श्रीवास्तव ने +अपनी इस पुस्तक में हिन्दी सिनेमा के प्रमुख घटकों का परिचय +दिया है। QO + + + +Sant Gee wttar & few http://publicationsdivision .nic.in WATT att Ft + + + + + + + +कृपया ध्यान दें + +सदस्यता संबंधी पूछताछ अथवा पत्रिका प्राप्त न होने की स्थिति में कृपया वितरण एवं विज्ञापन +व्यवस्थापक से इस पते पर संपर्क करें: + +वितरण एवं विज्ञापन व्यवस्थापक +प्रकाशन विभाग, कमरा नं. 48-53 , सूचना भवन +सी.जी.ओ. कॉम्पलेक्स, लोधी रोड, +नयी दिल्‍ली-110003, फोन नं: 011-24367453 +ई-मेल: pdjucir@gmail.com + + + +S/ + +योजना, जनवरी 2018 + + + +0071.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + +ce Q" भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्‍म महोत्सव-आईएफएफआई +20-30 नवंबर, 2017 तक बड़ी धूमधाम से मनाया गया +जिसमें भारत और दुनिया की सर्वश्रेष्ठ फिल्में प्रदर्शित की गईं। फिल्म +महोत्सव के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए केंद्रीय वस्त्र +एवं सूचना और प्रसारण मंत्री श्रीमती स्मृति जुबिन ईरानी ने कहा कि +भारत त्योहारों, उत्सवों, ऊर्जावान युवाओं और कहानियों का देश है +जहां 1600 से अधिक बोलियों में कहानियां सुनाईं जाती हैं। उन्होंने +कहा कि इस महोत्सव से सिनेमा प्रेमियों को भारतीय फिल्‍म जगत +के सबसे बड़े और चमकदार सितारों से मिलने में मदद मिलेगी। +आईएफएफआई 2017 में 195 फिल्में प्रदर्शित की गईं, जिनमें +10 वर्ल्ड प्रीमियर, 10 एशियाई और अंतरराष्ट्रीय प्रीमियर तथा 64 +भारतीय प्रीमियर शामिल हैं। इंडियन फिल्म पर्सनेलिटी ऑफ द +ईयर अवार्ड बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन को तालियों की +गड़गड़ाहट के बीच प्रदान किया गया। +आईएफएफआई 2017 देश में अपनी तरह का पहला कार्यक्रम +था जिसमें जेम्स बांड की फिल्‍मों को एक अलग वर्ग में विशेष +रूप से प्रदर्शित किया गया। इसके अलावा, टोरंटो इंटरनेशनल +फिल्म फेस्टिवल की सहायता से आईएफएफआई 2017 में कनाडा +पर विशेष ध्यान दिया गया। + +आईएफएफआई 2017 के अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता वर्ग में 15 +फिल्में गोल्डन और सिल्वर पिकॉक पुरस्कार के लिए मैदान में +थीं। 48वें आईएफएफआई में अभिनेता ओम पुरी, विनोद खन्ना, +टॉम अल्टर, रीमा लागू, जयललिता, निर्देशक अब्दुल माजिद, कुंदन +शाह, दसरी नारायण राव और सिनेमेटोग्राफर रामानंद सेनगुप्ता को +श्रद्धांजलि दी गई। + + + +मोरक्को में जन्मे फ्रांसिसी निर्देशक रॉबिन केपिलो की ड्रामा +फिल्म “120 बीपीएम' या “120 बीट्स पर मिनट' ने प्रतिष्ठित +गोल्डेन पिकॉक पुरस्कार जीता। 1990 के दशक के फ्रांस की +पृष्ठभूमि पर बनी यह फिल्म समलैंगिकता और एड्स की महामारी +पर आधारित है। चीनी निर्देशक विवियन क्यो ने 2017 की अपनी +फिल्म 'एंजेल्स वियर व्हाइट' के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार +जीता। यह फिल्म दो किशोरियों की पीड़ा की कहानी है जिनका +एक अधेड़ व्यक्ति चीन के किनारे बसे नगर में उत्पीड़न करता है। + +नेहुएल पेरेज बिस्कारियत को “120 बीपीएम' फिल्म में उनके +द्वारा निभाए गए एड्स कार्यकर्ता के किरदार के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता +(पुरुष) का पुरस्कार दिया गया। सर्वश्रेष्ठ अभिनेता (महिला) का +पुरस्कार पार्वती टी.के. को महेश नारायणन की मलयालम फिल्‍म +“टेक ऑफ ' के लिए दिया गया। इस फिल्म में उन्होंने एक नर्स का +किरदार निभाया है जो युद्ध-ग्रस्त इराक में विद्रोही सेना के चंगुल में +'फंसे अपने पति की रिहाई के लिए लड़ाई aed ZI + +महेश नारायण को उनकी पहली निर्देशित फिल्में 'टेक ऑफ' +के लिए विशेष ज्यूरी पुरस्कार प्रदान किया गया। यह फिल्म तिरकित +में फंसे भारतीय की रिहाई पर आधारित है। बोलिवियाई निर्देशक +कीरो रुसो ने निर्देशक की सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्‍म के लिए सिल्वर +पिकॉक पुरस्कार जीता। रुसो की पहली फिल्‍म “डार्क स्काल' +वातावरण और शोक का खूबसूरती और बारीकी से अध्ययन करती +है। मनोज कदम की मराठी फिल्म “क्षितिज' ने आईसीएफटी-यूनेस्को +गांधी पुरस्कार जीता। कनाडा के प्रसिद्ध कला निदेशकों में से एक, +एटम इगोयान को आईएफएफआई 2017 लाइफटाइम अचीवमेंट +अवार्ड प्रदान किया OO + + + + + + + + + +0072.txt +<----------------------------------------------------------------------> +रजि.सं.डीएल (एस)-05/3231/2015-17 Licenced under U (DN)-55/2015-17 +Reg.No. D.L. (s)-05/3231/2015-17 at RMS, Delhi आर.एन.आई. 951/57 + +22 दिसंबर, 2017 को प्रकाशित « 29-30 दिसंबर, 2017 को डाक द्वारा जारी RN 951/57 + +Just Released + +बी +हाथह सेकण्डरी लेबल 10+2) aSen + +पदों के लिए + + + + + + + +गत वर्षों के हल +प्रश्न-पत्रों सहित + + + + + + + + + + + + + + + +onda bn” a ke ae छिंउप्रकार 2 +soa » oe ri Tl +एसा.हासा.सी. हे df ee Bizea Az +संयुक्त हायर कै if ee आर पा +सेक्तण्डरी Sas | +"जीवन tte छस, एस. सी. +प्रथम = ? एसें सॉसन्‍वड पेणर Vitra छघ्तसारः +। =: ‘ wat. ueLzi हि कोकीन स्नेसस्न +il “513 1: 0 के 11३० nares ४० बीमा +) (५ ५ : wuss Aas Potten +आज 4० ०५०० cet PTR iy a Cee eee ee ee +. ; ms a को += oe +Code 600 % 340.00 Code 2532 % 215.00 Code 2366 = 240.00 + + + + + + +a4 ed +HL AK AAS + +Practice Sets + +दि मे: 3: >> अ] +PRACTICE SETS & +SOLVED PAPERS + + + + + + + + + +COMBINED HIGHER +ra SC SECONDARY LEVEL + +| . al 0+} +ssc 4111] 111 है 11 2 + +EXAM NOTION +COMBINED HIGHER SECONDARY LEVEL + +SECONDARY LEVEL (10+5४)]) +(1442) EXAM. EXAMINATION + +| CTiae- Th + +ee ey + + + + + + + +Code 1957 215.00 Code 493 % 315.00 Code 1852 205.00 + +हिन्दी संस्करण Code No. 1110 %195.00 Stich WPT Code No. 1507 199.00 + +| 2/11 ए, स्वदेशी बीमा नगर, आगरा-282 002 फोन : (0562) 4053333, 2530966; फैक्स : (0562) 4053330 +[5 7 : , 7 +IP SUIS प्रकाशन | कफ E-mail - care@upkar.in e@ Website ८: www.upkar.in +० नई दिल्‍ली 23251844/66 ० हैदराबाद 24557283 ७ Tem 2303340 © कोलकाता 25551510 ०७ लखनऊ 4109080 ७ हल्द्वानी मो. 07060421008 # नागपुर 6564222 ० इन्दौर 9203908088 + + + + + + + + + + + +प्रकाशक व मुद्रक: डॉ. साधना राउत, महानिदेशक, प्रकाशन विभाग, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ( भारत सरकार) द्वारा +प्रकाशन विभाग के लिए जे.के. ऑफसेट, बी-278, ओखला इंडस्ट्रीयल एरिया, फेस-1, नई दिल्‍ली से मुद्रित एवं +प्रकाशन विभाग, सूचना भवन, सी.जी.ओ. परिसर, लोधी रोड, नयी दिलली-110003 से प्रकाशित। संपादक: ऋतेश पाठक + + + + + + + + + +YH-644/9/2017 + + diff --git a/Data Collected/Hindi/Yojana_magazine_OCRed_Hindi/Yojana_2021_July_.txt b/Data Collected/Hindi/Yojana_magazine_OCRed_Hindi/Yojana_2021_July_.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..94890939b8512774c53dfbbc58080d56a42d39e6 --- /dev/null +++ b/Data Collected/Hindi/Yojana_magazine_OCRed_Hindi/Yojana_2021_July_.txt @@ -0,0 +1,6557 @@ + +\0001.txt +<----------------------------------------------------------------------> +ISSN-0971-8397 + +प्रमुख आलेख +पूर्वोत्तर क्षेत्र में प्रशासन + +पी एस sitet fread + +फोकस +पूर्वोत्तर में शिक्षा + +प्रोफेसर के एम बहरूल इस्लाम + + + + + +\0002.txt +<----------------------------------------------------------------------> +रत सरकार का विद्युत मंत्रालय पर्यावरण में कार्बन +डाइऑक्साइड के उत्सर्जन स्तर को कम करने और +ऊर्जा बचाने के उद्देश्य से उद्योगों और प्रतिष्ठानों में +आधुनिक उपकरणों के उपयोग के जरिये विभिन्न उपायों को लागू कर +रहा है। इस संबंध में परफॉर्म अचीव एंड ट्रेड (पीएटी) यानी ' प्रदर्शन, +उपलब्धि एवं व्यापार! योजना बडे उद्योगों और प्रतिष्ठानों के लिए +एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है। इस योजना का उद्देश्य प्रौद्योगिकियों को +उन्नत करके अथवा ऊर्जा की खपत को कम करने संबंधी आंतरिक +पहल के जरिये ऊर्जा बचत की लागत प्रभावशीलता को बढ़ाना है। +इस योजना के तहत पहचान की गई बड़ी इकाइयों के लिए अनिवार्य +लक्ष्य और उनके द्वारा बचाई गई अतिरिक्त ऊर्जा के लिए ऊर्जा बचत +प्रमाण पत्र जारी किया जाता है। विभिन्न उद्योगों और प्रतिष्ठानों को +उनके ऊर्जा खपत के स्तर और ऊर्जा बचत की क्षमता के आधार पर +अलग-अलग ऊर्जा दक्षता लक्ष्य दिए गए हैं। +वर्ष 2020 तक इस योजना का विस्तार सीमेंट, लौह एवं इस्पात, +उर्वरक, ताप विद्युत संयंत्र, रिफाइनरी, पेट्रोकेमिकल्स और रेलवे सहित +सबसे अधिक ऊर्जा खपत वाले देश के 13 क्षेत्रों तक किया गया है। +इस पहल से फिलहाल लगभग 1.7 करोड़ टन तेल समतुल्य ऊर्जा +की बचत हो रही है और इसके परिणामस्वरूप कार्बन डाइऑक्साइड +के उत्सर्जन में प्रति वर्ष लगभग 8.7 करोड टन की कमी आई है +जो बांग्लादेश जैसे देश के कुल कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन के +लगभग बराबर है। +घरेलू स्तर पर अथवा कार्यालय और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में +बिजली की खपत के मुख्य बिंदु विद्युत उपकरण होते हैं। अत्यधिक +ऊर्जा खपत वाली उपभोक्ता वस्तुओं में तेजी से हो रही वृद्धि के +मद्देनजर विद्युत ऊर्जा की मांग हर साल बढ़ रही है। यदि उपभोक्ता +उच्च दक्षता वाले उपकरणों को प्राथमिकता देंगे तो बिजली इस बढ़ती +हुई मांग को नियंत्रित किया जा सकता है। ऊर्जा कुशल उत्पादों के +बाजार में बदलाव के लिए ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएसी (बीईई) +यानी ऊर्जा दक्षता ब्यूरो द्वारा मानक एवं लेबलिंग यानी स्टैंडर्डस एंड +लेबलिंयग (एसएंडएल) कार्यक्रम शुरू किया गया था। एसएंडएल +का उद्देश्य ऊर्जा बचत की संभावना के बारे में उपभोक्ताओं को +एक विकल्प प्रदान करना और इस प्रकार बाजार में उपलब्ध उत्पादों +के जरिये लागत में बचत करना है। इस योजना में न्यूनतम ऊर्जा +प्रदर्शन मानकों की व्यवस्था के साथ प्रमुख ऊर्जा खपत करने वाले +उपकरणों पर ऊर्जा प्रदर्शन संबंधी लेबल को प्रदर्शित करना शामिल +है। अब इस योजना में मार्च 2021 तक 28 उपकरणों को शामिल +किया गया है और ऊर्जा कुशल उत्पादों के 15,000 से अधिक +मॉडलों को स्टार लेबल दिया गया है जो ऊर्जा बचत को प्रोत्साहित +करने के लिए उपभोक्ताओं के बीच एक लोकप्रिय प्रतीक है। +नागरिकों द्वारा बड़ी तादाद में ऊर्जा कुशल उत्पादों का उपयोग करने +के परिणामस्वरूप 2020-21 के दौरान 56 अरब यूनिट बिजली की +बचत होने का अनुमान है जिसकी कीमत करीब 30,000 करोड रुपये +है। यह पहल कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन को हर साल लगभग + +4.6 करोड़ टन कम करने में प्रभावी रही है। इस प्रकार के कदम +बहुत प्रभावी हो गए हैं और वैश्विक स्तर पर ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा +देने के लिए एक सरल दृष्टिकोण को कहीं अधिक उपयोगी माना +जाता है। कई देशों ने इस लेबलिंग कार्यक्रम को अपनाया है जिससे +ऊर्जा बचत का फायदा मिल रहा है और कार्बन डाइऑक्साइड के +उत्सर्जन में भी कमी आई है। + +यदि सभी संभावित उपभोक्ताओं द्वारा ऊर्जा दक्षता संबंधी उपायों को +अपनाया जाता है तो विभिन्न क्षेत्रों में नियामकीय और बाजार आधारित +नीतियों के मेल से काफी आशाजनक परिणाम मिलेंगे। यह पर्यावरणीय +अखंडता को बनाए रखने और जलवायु के लिए हमारी प्रतिबद्धताओं +को पूरा करने के लिए कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन को कम करने +की दिशा में सरकार के महत्वपूर्ण प्रयासों का समर्थन करेगा। + +कार्बन डाइऑक्साइड पृथ्वी पर एक चर्चित ग्रीनहाउस गैस है। +वायुमंडल में इसकी सांद्रता तेजी से बढ़ने के कारण वैश्विक तापमान +में वृद्धि होती है जिससे पर्यावरण एवं स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याएं +पैदा होती हैं। 'ग्रीनहाउस प्रभाव' कार्बन डाइऑक्साइड की उस स्थिति +में काम करता है जब सौर विकिरण पृथ्वी की सतह से टकराता है +और गर्मी का कुछ हिस्सा वायुमंडल से बाहर निकल जाता है लेकिन +शेष गर्मी उसमें फंस जाती है जिससे पृथ्वी के तापमान में वृद्धि होती +है। यह एक ऐसी घटना है जिसे ग्लोबल वार्मिंग के रूप में जाना +जाता है। यह मुख्य रूप से जलवायु परिवर्तन पर गंभीर प्रभाव डालता +है जिसका सभी प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्रों पप और सभी उद्योगों +एवं दुनिया भर के लोगों पर प्रभाव पड़॒ता है। +बीईई के बारे में + +भारत सरकार ने ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के प्रावधान +के तहत 1 मार्च 2002 को ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) की स्थापना +की थी। ऊर्जा दक्षता ब्यूरो का मिशन ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 +के दायरे में भारतीय अर्थव्यवस्था में ऊर्जा तीव्रता को कम करने +के प्राथमिक उद्देश्य के साथ स्व-विनियमन एवं बाजार सिद्धांत पर +नीतियों और रणनीतियों को विकसित करने में सहायता करना है। इसे +सभी हितधारकों की सक्रिय भागीदारी और सहयोग से प्राप्त किया +जाएगा। इसके परिणामस्वरूप सभी क्षेत्रों में ऊर्जा दक्षता को तेजी से +और लगातार अपनाने पर जोर दिया जाएगा। बीईई के ऊर्जा संरक्षण +एवं ऊर्जा दक्षता प्रयासों के दायरे में उपकरण, भवन, परिवहन और +कृषि, नगरपालिका एवं उद्योग व अन्य प्रतिष्ठानों में प्रमुख मांग के +प्रबंधन कार्यक्रम शामिल हैं। = + + + + + +\0003.txt +<----------------------------------------------------------------------> += ४ +हक + +cco Co ans + + + + +आषाढ-श्रावण, शक संबत्‌ 1943 | TS : + +वेबसाइट www.publicationsdivision.nic.in + + + + + +वरिष्ठ संपादक : कुलश्रेष्ठ कमल +संपादक : डॉ ममता रानी + + + + + + + + + +संपादकीय कार्यालय ou +648 , सूचना भवन, सीजीओ परिसर, +met रोड, नयी दिल्‍ली-110 003 +दि प्रमुख आलेख विशेष आलेख +उत्पादन अधिकारी : के रामालिंगम पूर्वोत्तर क्षेत्र में प्रशासन अनुवाद - विश्व को समझने का +आवरण : गजानन पी धोपे पी एस श्रीधरन पिल्लई...................... 6. | एक माध्यम + +योजना का लक्ष्य देश के आर्थिक विकास से संबंधित अनुराग बसनेत.......... . न्‍न्‍ननन 31 +मुद्दों का सरकारी नीतियों के व्यापक संदर्भ में गहराई सुरों की मधुर विविधता +से विश्लेषण कर इन पर विमर्श के लिए एक जीवंत बिजय शंकर बोरा 36 + +मंच उपलब्ध कराना है। +योजना में प्रकाशित लेखों में व्यक्त विचार लेखकों के + + + + + +अपने और व्यक्तिगत हैं। जरूरी नहीं कि ये लेखक मंजू बोरा....................००० व 42 +भारत सरकार के जिन मंत्रालयों, विभागों अथवा कपडे और +संगठनों से संबद्ध हैं, उनका भी यही दृष्टिकोण हो। 1 ह कपड़े और डिजाइन +योजना में प्रकाशित विज्ञापनों कौ विषयवस्तु के लिए ae बी. सोनम दूबल...............|*“#.न्‍न्‍न-+ 48 +जना में प्रकाशित विज्ञाप घयव q संस्कृति +नहीं हैं SPITS संस्कृति के माध्यम से विकास +योजना उत्तरदायी नहीं हैं। + ai +डॉ नरेंद्र जोशी......................५-०००००-+-०५+++ 12 + +योजना में प्रकाशित आलेखों में प्रयुक्त मानचित्र व +प्रतीक ' a नही है, व a sees हैं। ये gaia क्षेत्र में कृषि +मानचित्र या प्रतीक श का आधिकारिक हे एम प्रेमजीत सिंह + + + + + +प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। ++९+९++१++९९+++++९+++++९९++++** 16 + +योजना लेखकों द्वारा आलेखों के साथ अपने दीघ्घावधि शांति और विकास " reed ; 7 + +विश्वसनीय स्रोतों से एकत्र कर उपलब्ध कराए मृणाल तालुकदार 20 में + +गए आंकड़ों/तालिकाओं/इन्फोग्राफिक्स के संबंध में नेक्टर: पूर्वोत्तर में विज्ञान और + +उत्तरदायी नहीं है। प्रौद्योगिकी का मजबूत आधार + +योजना घर मंगाने, शुल्क में we के साथ दरों व प्लान फोकस निमिष कपूर..........५०३००+०+«+«+बबनब्वन्नबननननरन+०+++ 51 +की विस्तृत जानकारी के लिए पृष्ठ-58 पर देखें। पूर्वोत्तर में शिक्षा + +बांस: आजीविका का महत्वपूर्ण संसाधन +योजना की सदस्यता का शुल्क जमा करने के बाद प्रोफेसर के एम बहरूल इस्लाम ....... 26 अंकिता शर्मा + +पत्रिका प्राप्त होने में कम से कम 8 सप्ताह का समय +लगता है। इस अवधि के समाप्त होने के बाद ही +योजना प्राप्त न होने की शिकायत करें। + + + +SES खेलों में तेजी से आगे बढ़ता पूर्वोत्तर + +ECONDARY राजेश राय ......................०-----०-««>नननन-- 59 +योजना न मिलने की शिकायत या पुराने अंक मंगाने शा SIKKIM + +के लिए नीचे दिए गए ई-मेल पर लिखें - +pdjucir@gmail.com +या संपर्क करें- दूरभाष; 011-24367453 + +(सोमवार से शुक्रवार सभी कार्य दिवस पर +प्रातः 9:30 बजे से शाम 6:00 बजे तक) + + + + + +योजना की सदस्यता की जानकारी लेने तथा विज्ञापन +छपवाने के लिए संपर्क करें- +गौरव शर्मा, संपादक, पत्रिका एकांश +प्रकाशन विभाग, कमरा सं. 779, सातवां तल, +सूचना भवन, सीजीओ परिसर, +लोधी रोड, नयी दिल्‍ली-110003 + +विकास पथ + + + + + + + +प्रकाशन विभाग के देश भर में स्थित विक्रय केंद्रों की सूची के लिए देखें पू.सं. 24 + + + + + +ae हिंदी, असमिया, बांग्ला, अंग्रेजी, गुजग़ती, wee, मलयालम, तमिल, तेलुगु, मराठी, ओडिया, +| पंजाबी तथा उर्दू में एक साथ प्रकाशित। + + + + + + + +{J @DPD_India + + + + + +\0004.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + +बह oe +ae SOLS + +yojanahindi-dpd@gov.in + + + + + + + + + +क्रांतिकारी और ऐतिहासिक कदम + +होगा - एक राष्ट्र, एक चुनाव + +योजना “मई' अंक अपने में एक विशेष +अंक था। जिसके अंतर्गत कई आकर्षित करने +वाले तत्व थे। उसमें सबसे ज्यादा आकर्षित +करने वाला विषय; एक राष्ट्र एक चुनाव +लगा। देशभर में लोकसभा और विधानसभा +के चुनाव एक साथ आयोजित करने से +न केवल मतदान में वृद्धि होगी, बल्कि +बेहतर शासन की सुविधा भी मिलेगी क्योंकि +पार्टियां राष्ट्रीया राज्य और शहर स्तर के +घोषणापत्रों को जोड़ने के लिए मजबूर होंगी। +“एक राष्ट्र, एक चुनाव' चुनाव कराने की +लागत को कम करेगा, और सभी चुनावों को +एक ही सत्र तक सीमित कर देगा। वर्तमान +में, चुनाव कहीं न कहीं लगभग हर समय +होते हैं, और अक्सर यह तर्क दिया जाता है +कि आदर्श आचार संहिता सरकार द्वारा लोगों +के लाभ के लिए परियोजनाओं या नीति +योजनाओं की घोषणा के रास्ते में आ जाती +है। मुझे इस अंक से काफी सारी जानकारी +एक ही स्थान पर मिल गई। वैसे तो 'योजना' +की सारी जानकारियां काफी अच्छी होती हैं। +अंक की प्रस्तुति के लिए योजना टीम को +धन्यवाद देता हूं। + +- ऋशव राज, पटना, बिहार +rishavrajnce@gmail.com + +प्रतिस्पर्धी संघवाद की भूमिका +योजना “मई! विशेषांक अत्यधिक +ज्ञानवर्धक रहा, जिसमें सभी प्रतिष्ठित लेखकों +द्वारा भारतीय नव संघवाद की सफलता और +चुनौतियों पर चर्चा की गई, जिसमें नीति +आयोग एक “थिंक टैंक' मात्र न होकर केंद्र +राज्यों के बीच सहयोग के जरिए प्रतिस्पर्धी + +4 + + + +ला 2 3 aitita a +ata aT + + + + + + + + + +संघवाद की भूमिका में कार्य कर रहा है +जो “पुरानी टॉप टू बॉटम”” रणनीति त्याग +कर “बॉटम टू टॉप' की अवधारणा के साथ +सबका साथ, सबका विकास रणनीति पर +कार्यरत हैं। परंतु संघीय व्यवस्था केवल +एक संस्थानात्मक प्रबंधन नहीं है बल्कि +इनके निर्धारण में राजनीतिक प्रक्रियाओं का +अत्यधिक महत्व है जिसके कारण ही सहयोग +और संघर्ष निर्धारित होते हैं। + +वर्तमान कोरोना महामारी में राजकोषीय +संघवाद की सुदृढ़ता से ही राज्यों की आर्थिक + +गतिविधियों को सुचारू किया गया। जिससे +ये स्पष्ट हो गया कि संघ व राज्यों के बीच +परस्पर सहयोग के बिना आर्थिक विकास +संभव नहीं है। +संघवाद की चुनौतियों को केवल शक्ति +सन्तुलन के माध्यम से ही हल किया जा +सकता है, क्‍योंकि राज्यों की अत्यधिक +स्वायत्तता, राष्ट्रीय एकता एवं अखंडता के +लिए खतरा हो सकती हे। +- विनीत कुमार +शामली, उत्तर प्रदेश + + + + + += + +योजना के आगामी अंक + +S + + + +अगस्त 2021- लोक प्रशासन' +आज ही अपनी प्रति निकटतम पुस्तक विक्रेता +के पास सुरक्षित कराएं। + + + +ः शीघ्र आ रहा है- “नारी शक्ति' पर केंद्रित अंक J + +\ + + + + + + + + + + + +पत्रिका न मिलने की शिकायत अथवा +योजना की सदस्यता लेने या +पुराने अंक मंगाने के लिए +[00] प८ं/60917191.८077 पर ईमेल करें। +या संपर्क करें- दूरभाष: 011-24367453 +(सोमवार से शुक्रवार सभी कार्य दिवस पर + +प्रात: 9:30 बजे से शाम 6:00 बजे तक) +SD + +योजना, जुलाई 2021 + + + + + + + +\0005.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + + + + + +योजना, जुलाई 2021 + + + + + + + + + + + + + +विविधता का अद्भुत संगम + +पू ah राज्यों के युवाओं के लिए दिल्‍ली में अपना पारंपरिक व्यंजन बनाना कितना मुश्किल हो सकता +है? इसकी बानगी पिछले वर्ष ही आई इस व्यंजन- 'अखनी' पर बनी फिल्म “5०10 ' में देखी +जा सकती है। अखनी की गंध अलग तरीके की होती है। इस वजह से फिल्म के नायक को भेदभाव और +उपेक्षा का सामना करना पड़ता है। हालांकि, फिल्‍म के आखिर में दिल्‍ली को ऐसे केंद्र के रूप में दिखाया +जाता है, जहां देश के अलग-अलग हिस्सों की संस्कृति और विविधता का जश्न मनाया जाता है। सिक्किम में +शमनवाद पर हाल में आई ड्रामा सीरीज की शूटिंग पूर्वोत्तर क्षेत्र में ही हुई है। इसमें कई स्थानीय प्रतिभाओं के +जरिये पूर्वोत्तर क्षेत्र की जीवन शैली और चुनौतियों के बारे में बताया गया है। पूर्वोत्तर भारत को 'मुख्यधारा' +से जोड़ने का मौजूदा नजरिया अदूरदर्शी और अनुचित है। यह कुछ ऐसा है मानो आप किसी दिल्ली या मुंबई +वाले को कह रहे हों कि उनकी पहचान तभी है, जब कोई आम अमेरिकी इसे मान्यता दे। दरअसल, यह +कुछ ऐसा है कि हम अपनी अज्ञानता को कुछ ऐसी चीज पर थोप रहे हैं जिसका अस्तित्व लंबे समय से +सफलतापूर्वक कायम है। + +पूर्वोत्तर राज्यों में कई तरह की खूबियां मौजूद हैं- उपजाऊ जमीन, प्रचुर जल संसाधन, हरियाली और जंगल, +वर्षा, व्यापक जैव-विविधता, वनस्पति व जीव और सामाजिक-आर्थिक, राजनीतिक, जातीय तथा सांस्कृतिक +विविधता का अद्भुत संगम। योजना के इस अक में पूर्वोत्तर क्षेत्र के संबंध में समग्र तौर पर जानने की कोशिश +की गई है। इस क्षेत्र के पास अलग तरह की चुनौतियां और अवसर हैं। आज जहां पूरी दुनिया प्राकृतिक जीवनशैली +की तरफ बढ रही है, वहीं पूर्वोत्तर राज्यों के लोगों का जीवन सहज रूप से प्रकृति से जुड़ा है। पूर्वोत्तर क्षेत्र की +अनोखी देशी संस्कृति है और इसे बचाना होगा। साथ ही, इस क्षेत्र के लोगों को आधुनिक समय के हिसाब से +प्रासंगिक भी बनाना होगा। + +इस अंक के लिए आलेख/सामग्री तैयार करना मुश्किल, लेकिन दिलचस्प काम था। इसमें संगीत, नृत्य, +अलग-अलग कलाओं, साहित्य, फिल्म से लेकर शासन प्रणाली, विकास, रोजगार और शैक्षणिक अवसर जैसे +विविध विषयों पर आलेख दिए गए हैं। हम विनग्रतापूर्वक यह स्वीकार करना चाहते हैं कि 8 राज्यों- अरुणाचल +प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा को कुछ पन्नों में समेटना असंभव है। +हालांकि, हमने इस क्षेत्र की अलग-अलग झलकियों, विचारों और शोध को पेश करने की कोशिश की है। हमें +लगता है कि इन राज्यों से जुडी अलग-अलग तरह की चुनौतियों से निपटने के लिए अंतर-संकाय शोध समुदाय, +नीति निर्माताओं, नीतियों को लागू करने वालों और सिविल सोसायटी को समन्वित आधार पर काम करने की +जरूरत है। आम धारणा यह है कि पूर्वोत्तर राज्यों की संभावनाओं का अब तक तक सही तरीके से दोहन नहीं +किया गया है, जिसका लाभ यहां के लोगों को मिलता। पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय के तत्वावधान में इस क्षेत्र +के सामाजिक-आर्थिक विकास की रफ्तार तेज करने के लिए केंद्र सरकार प्रतिबद्ध है, ताकि यह क्षेत्र भी विकास +के मामले में देश के बाकी हिस्सों के साथ कदम में कदम मिलाकर चल सके। + +हम अपने लेखकों के आभारी हैं जिन्होंने महामारी और लॉकडाउन की वजह से पैदा हुई समस्याओं और +दुःख के दौर में भी इस अंक के लिए अपना योगदान दिया। धैर्य बनाए रखने और लगातार सहयोग प्रदान करने +के लिए हम अपने पाठकों का भी आभार प्रकट करना चाहते हैं। अपने पाठकों के सुझावों के माध्यम से ही +हम उन विषयों की पहचान कर पाते हैं जो लोगों की पसंद और जरूरतों के मुताबिक होते हैं। हम उम्मीद करते +हैं कि यह अंक ज्ञानवर्द्धध और बेहतर होगा। सुरक्षित रहें और अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें! | + +5 + + + +\0006.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +- ne ar Te eee + +rf 7S + +पूर्वोत्तर क्षेत्र में प्रशासन + +पी एस श्रीधरन Treas + +'मिजोरम का शाब्दिक अर्थ है मिजो लोगों की भूमि। “मिजो' एक व्यापक शब्द है जो ल्युसेई (पहले यह +ल्युशाई कहलाती थी) लई , मारा, हार, पैले जैसे अनेक जनजातियों और कबीलों के लिए प्रयुक्त किया +जाता है। ब्रिटिश शासन से पहले विभिन्न मिजो जनजातियां कबीलों के स्वतंत्र सरदारों के अधीन रहती +थीं। ब्रिटिश लोग इस इलाके को “्युशाई हिल्स'' नाम से जानते थे और यह 1895 में विधिवत ब्रिटिश +इंडिया का हिस्सा बन गया था। भारत के स्वाधीनता प्राप्त करने के बाद ल्युशाई हिल्स (जो बाद में मिजो +जिला बना ) असम राज्य का जिला बन गया। 1972 में इसे केंद्रशासित प्रदेश मिजोरम बना दिया गया। फिर +लगभग दो दशकों तक विद्रोह के बाद 1987 में पूर्ण राज्य का दर्जा पाकर मिजोरम भारतीय संघ का एक + +पूर्ण राज्य बन गया। + +पूर्वोत्तर क्षेत्र - एक नजर में + +भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में आठ राज्य आते हैं और इस क्षेत्र में +अपार प्राकृतिक संपदा और व्यापक संभावनाएं हैं। इस क्षेत्र में विभिन्न +संस्कृतियों, भाषाओं और रीति रिवाजों वाले अनेक समुदाय रहते हें। +यहां भौगोलिक दृष्टि से कठिनाई भरा भूभाग है, पिछड़े इलाके हैं और +कनेक्टिविटी भी सीमित है। अभी हाल तक इस क्षेत्र में कई उग्रवादी +ग्रुप (संगठन) सक्रिय थे। लेकिन, केंद्र की मौजूदा सरकार के अंतर्गत +हुए नगालैंड शांति समझौते और बोडो शांति समझौते के बाद वहां अब +काफी हद तक शांति स्थापित हो चुकी है। + +यह क्षेत्र भारत की मुख्य भूमि से सिर्फ करीब 22 किलोमीटर +चौडे गलियारे से जुड़ा हुआ है जिसे सिलिगुड़ी गलियारा कहा जाता है +(इसे पहले चिकेन्स नैक यानी मुर्गे की गर्दन कहा जाता था)। इस तंग +गलियारे को छोड़कर देश का समूचा पूर्वात्तिर क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय सीमाओं + +से घिरा हुआ है। इस भौगोलिक स्थिति के फायदे भी हैं और नुकसान +भी हैं। इसी कारण इस समूचे पूर्वोत्तर क्षेत्र के सर्वागीण विकास पर +दायित्व प्रशासन को सर्वाधिक ध्यान देना चाहिए। +पूर्वोत्तर भारत के लिए संस्थागत सहायता + +वर्ष 2001 में पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास विभाग की स्थापना की गई थी। +इसे 2004 में पूर्ण मंत्रालय का दर्जा दे दिया गया। पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास +मंत्रालय पूर्वोत्तर भाग के सभी आठ राज्यों के सामाजिक-आर्थिक +विकास से जुड़े मुद्दों और समस्याओं से निपटने के उपाय करता है। +यह मंत्रालय समयातीत न होने वाले संसाधनों के केद्रीय पूल का +प्रबंधन करता था और अब पूर्वोत्तर विशेष इंफ्रास्ट्रक्चर विकास योजना +चला रहा है। + +पूर्वोत्तर परिषद भारत की क्षेत्रीय योजना बनाने वाली संवैधानिक +संस्था है जिसका गठन पूर्वोत्तर परिषद अधिनियम, 1971 के अंतर्गत + + + +लेखक मिजोरम के राज्यपाल हैं। ईमेल; 8०एथ॥ण-ग2द्वे 8००. + +6 + +योजना, जुलाई 2021 + + + +\0007.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +किया गया था। पूर्वोत्तर क्षेत्र के आठों राज्यों के राज्यपाल और मुख्यमंत्री +इस पूर्वोत्तर परिषद के सदस्य होते हैं। इस परिषद के अध्यक्ष केंद्रीय +गृहमंत्री और उपाध्यक्ष पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री होते हैं। +'मिजोरम परिचय + +मिजोरम का शाब्दिक अर्थ है मिजो लोगों की भूमि। 'मिजो' एक +व्यापक शब्द है जो ल्युसेई (पहले यह ल्युशाई कहलाती थी) लई, +मारा, ह्यार, पैले जैसे अनेक जनजातियों और कबीलों के लिए. प्रयुक्त +किया जाता है। ब्रिटिश शासन से पहले विभिन्न मिजो जनजातियां +कबीलों के स्वतंत्र सरदारों के अधीन रहती थीं। ब्रिटिश लोग इस +इलाके को “'ल्युशाई हिल्स” नाम से जानते थे और यह 1895 में +विधिवत ब्रिटिश इंडिया का हिस्सा बन गया था। भारत के स्वाधीनता +प्राप्त करने के ae was fers (जो बाद में मिजो जिला बना) +असम राज्य का जिला बन गया। 1972 में इसे केद्रशासित प्रदेश +मिजोरम बना दिया गया। फिर लगभग दो दशकों तक विद्रोह के बाद +1987 में पूर्ण राज्य का दर्जा पाकर मिजोर्म भारतीय संघ का एक +पूर्ण राज्य बन गया। +संस्कृति और धर्म + +ब्रिटिश लोगों के आने से पहले यहां के जनजातीय लोग जीववादी +(एनिमिस्टि) थे। वे लोग पुराने ढंग की खेती + +करते थे, वन्य पशुओं का शिकार करते थे और वर्ष 2001 में पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास +विभाग की स्थापना की गई थी। +इसे 2004 में पूर्ण मंत्रालय का +दर्जा दे दिया गया। पूर्वोत्तर क्षेत्र +विकास मंत्रालय पूर्वोत्तर भाग के +सभी आठ राज्यों के सामाजिक- +इत्यादि। वे तीन मुख्य त्यौहार मनाते थे- पाडल आर्थिक विकास से जुड़े मुद्दों और +समस्याओं से निपटने के उपाय +करता है। यह मंत्रालय समयातीत न +होने वाले संसाधनों के केंद्रीय पूल +का प्रबंधन करता था और अब +गैर-यहूदी लोग क्रिश्वयन धर्म अपनाकर ईसाई पूर्वोत्तर विशेष इंफ्रास्ट्क्चर विकास +योजना चला रहा है। + +ग्रामीण लोग अक्सर आपस में लड॒ते रहते थे। +उस दौर के लोकगीतों में मुख्य रूप से तीन +विषय शामिल रहते थे- “प्रेम', 'शिकार', और +“योद्धा उनके कोई लिखित आलेख नहीं होते +थे। कुछ जनजातीय नृत्य भी थे, जैसे : चेरॉव +(बेम्बू डांस), सरलमकई, छेईहलम, खुवाल्लंम + +कुट, चपचार कुट और मिम कुट। + +ब्रिटन का शासन आने के साथ ही +ईसाई मिशनरियां भी आईं जिन्होंने मिजो भाषा +की लिपि खोजी और उसकी वर्णमाला का +विकास किया। आज मिजोरम के लगभग सभी + +बन चुके हैं, राज्य की जनसंख्या के 87 +प्रतिशत लोग ऐसा कर चुके हैं। उनके जीवन + +योजना, जुलाई 2021 + +का हर पहलू और उनका रहन-सहन पूरी तरह क्रिश्वयन लोगों जैसा +बन चुका है ओर पुरानी देशीय मान्याताएं और परम्पराएं अब कहीं नहीं +दिखाई देतीं। मिजोर्म की लगभग 8 प्रतिशत जनसंख्या बौद्ध धर्म को +मानती है जिनमें मुख्य रूप से भारत-बांग्लादेश सीमा से लगे इलाके +के चमका जनजातीय लोग शामिल हैं। + +first fagie ( 1966-1986 ) + +1959 4 fast feca में 'मौतम” अकाल पड़ा था। उस वक्‍त +यह जिला असम राज्य का भाग था। करीब 48 वर्ष बाद बांस में +अंकुर फूटते हैं और तभी कीडे-मकौड़ों और चूहों के मरने से प्लेग +का प्रकोप आता है जिससे कृषि क्षेत्र में अकाल पड़ता है। उस समय +केंद्र सरकार और असम सरकार, दोनों की ओर से उपेक्षा किए जाने +का अनुमान लगाकर आक्रोश में भरकर लोगों ने मिजो नेशनल फैमिन +फ्रंट का गठन किया जिसका नेतृत्व ललडेंगा कर रहे थे। 1961 में +यही मिजो नेशनल फैमिन फ्रंट एक राजनीतिक दल में परिवर्तित हो +गया और इसे मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) के नाम से जाना +गया। इसके अध्यक्ष ललडेंगा ही बने थे। एमएनएफ ने 28 फरवरी, +1966 की रात में भारत सरकार के विरुद्ध सशस्त्र विद्रोह छेडु दिया +और अगले दिन 1 मार्च, 1966 को उन लोगों ने स्वतंत्र हो जाने +की घोषणा कर दी। भारतीय सेना द्वारा दबा +दिए जाने के बाद एमएनएफ पीछे हट गया +लेकिन पूर्वी पाकिस्तान और बर्मा (म्यांमार) +से अपनी गतिविधियां चलाता रहा और चीन +उसे ट्रेनिंग और समर्थन देता रहा। मिजो विद्रोह +करीब बीस वर्ष चलता रहा और इस दोरान +एमएनएफ और भारत सरकार एक-दूसरे पर +ज्यादतियों के आरोप लगाते रहे। आखिरकार +30 जून, 1986 को एमएनएफ के नेता +ललडेंगा, केंद्रीय गृह सचिव आरडी प्रधान +और मिजोरम के मुख्य सचिव ललखामा के +बीच भारत के संविधान के प्रावधानों के +अंतर्गत मिजोरम शांति समझौते पर हस्ताक्षर +किए गए। इसी के साथ मिजोरम 20 फरवरी, +1987 को भारतीय संघ का 23वां राज्य बन +गया। एमएनएफ राज्य में चुनाव जीत गया और +ललडेंगा वहां के पहले मुख्यमंत्री बने। + + + +\0008.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +मिजोरम - मूल मापदंड + +मिजोरम का भौगोलिक क्षेत्र 21,081 वर्ग किलोमीटर है। राज्य +में 11 जिले हैं जिन्हें 23 उप-डिवीजनों में बांठा गया है। राज्य में 26 +ग्रामीण विकास खंड बनाए गए हैं। राजधानी आइजोल में एक नगर +पालिका है। 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य में 830 गांव हैं और +राज्य की कुल जनसंख्या 10,97 ,206 थी। राज्य में प्रति वर्ग किलोमीटर +52 लोग रहते हैं। शहरी आबादी 51.11 प्रतिशत है और 47.89 प्रतिशत +लोग ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं। +अंतरराष्ट्रीय सीमाएं + +मिजोरम के पश्चिम में 318 किलोमीटर लम्बी सीमा बांग्लादेश से +लगती है जिसकी रखवाली सीमा सुरक्षा बल करता है। भारत-बांग्लादेश +सीमा पर कंटीलें तारों की फेसिंग (बाड़) लगाई गई है। पूर्वी दिशा में +राज्य की 404 किलोमीटर लम्बी सीमा म्यांमार से लगती है जिसकी +रखवाली अर्द्धधधैनेक बल असम राइफल्स संभालता है। सीमा पर रहने +वाले दोनों देशों के बीच भाईचारा और मेलजोल होने के कारण सामान्य +समय में भारत म्यांमार से मुक्त आवाजाही की व्यवस्था पर सहमत +रहता है जिसके तहत सीमा के दोनों तरफ 16 किलोमीटर के भीतर +लोग 72 घंटे के लिए बिना वीजा के बेरोकटोक आ-जा सकते हैं। + +एक तरफ से म्यांमार और दूसरी तरफ से बांग्लादेश के बीच फंसे +होने का यह लाभ भी है कि यह क्षेत्र इन दोनों देशों को जोड़ने वाले +सेतु की भूमिका निभाता है। हमारी 'एक्ट ईस्ट” नीति के तहत मिजोरम +का यह क्षेत्र दक्षिण-पूर्व एशिया का प्रवेश द्वार + +'ममिज़ोरम की अर्थव्यवस्था + +कोविड-19 महामारी आने से पहले मिजोरम के सकल राज्य घरेलू +उत्पाद में निरंतर वृद्धि हो रही थी। वर्तमान मूल्यों के आधार पर 2019-20 +में राज्य का सकल घरेलू उत्पाद 26,502 करोड़ रुपये का होने का +अनुमान है जो उससे पिछले वर्ष के मुकाबले 18.91 प्रतिशत ज्यादा था। +2011-12 के स्थिर मूल्यों के आधार पर 2011-12 से 2019-20 के +वित्तीय वर्षों की अवधि में राज्य के सकल मूल्यर्वद्धित उत्पाद में औसतन +12.63 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई। + +सकल राज्य मूल्य संवर्द्धन में सेवा क्षेत्र का योगदान करीब 43.28 +प्रतिशत है। औद्योगिक क्षेत्रों का इसमें करीब 30.64 प्रतिशत योगदान +है जबकि बड़ी फैक्ट्रियां और उद्योग वहां लगभग न के बराबर हें। +आधी से ज्यादा जनसंख्या की आय का साधन खेती ही है परन्तु सकल +घरेलू मूल्य संवर्द्धन में कृषि क्षेत्र का योगदान सिर्फ 26.08 प्रतिशत है। + +मिजोरम का 2021-22 का बजट 11 148.89 करोड़ का है और +2019-20 में राज्य की प्रति व्यक्ति आय 2,01,741 रुपये रहने का +अनुमान है। +कृषि + +मिजोरम की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है और +राज्य की, विशेषकर ग्रामीण इलाकों की जनसंख्या खेती और उससे +जुड़ी गतिविधियों पर निर्भर रहती है। अनुमान है कि 2018-19 में +कुल 2,17,000 हैक्टेयर क्षेत्र में खेती की गई। 2019-20 की मुख्य +'फसलों का उत्पादन इस प्रकार रहा: तिलहन-8,087 मीट्रिक टन, गन्ना: +46,842 मीट्रिक टन, आलू: 534 मीट्रिक टन, मक्का: 11,668 मीट्रिक +टन, धान: 60,239 मीट्रिक टन और दालें: 5,507 मीट्रिक टन। + +मिजूरम में ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 2017 +से मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट (एमओबीसीडीएनआर) +योजना चलाई गई है। इस योजना के तहत 13,000 हेक्टेयर क्षेत्र +में खेती करने वाले 14,104 किसानों को कवर किया गया है +और 9 कृषि उत्पाद संगठन (एफपीओ) और 5 कृषि उत्पादक +कंपनियां भी स्थापित की गई हैं। इसका मूल + +बन सकता है जो अत्यन्त महत्वपूर्ण उपलब्धि भारतीय संविधान की छठी उद्देश्य परंपरागत कृषि प्रणालियों की जगह +साबित हो सकती है। अनुसूची के अंतर्गत मिजोरम._ जार अनुकूल क्लस्टर खेती को अपनाना +अल्पसंख्यक और पिछड़े इलाके में परिषदें और फिर हल्दी, मिर्च, अदरख और चाय +संविधान में तीन स्वायत्त जिला ahaa फसलों +भारतीय संविधान की छठी अनुसूची के हैं जिन्हें जैसी अधिक मूल्यवान फसलों पर ध्यान +अंतर्गत मिजोस्म में तीन स्वायत्त जिला परिषदें ( एडीसी ) हैं जिन्हें लई एडीसी, केंद्रित करना है। + +(एडीसी) हैं जिन्हें लई एडीसी, मारा एडीसी +और चकमा एडीसी कहते हैं। लई, मारा +और चकमा इन परिषदों में पाई जाने वाली +बहुसंख्यक जनजातियों के नाम हैं। लई और +मारा जनजातियों के बीच आपसी संबंध होते +हैं और ये “मिजो' जनजाति के तहत आती हैं +जबकि चकमा जनजाति के लोग संस्कृति, भाषा +और धर्म के मामलों में मिजो लोगों से भिन्न हैं। +भारतीय संविधान की छठी अनुसूची के अंतर्गत +मिजोरम के राज्यपाल को इन इलाकों के बारे में +विशेष अधिकार और दायित्व प्राप्त हैं तथा कई +विवेकाधीन शक्तियां भी उनके पास हें। + +8 + +मारा एडीसी और च्रकमा एडीसी +कहते हैं। लई, मारा और चकमा + +इन परिषदों में पाई जाने वाली + +बहुसंख्यक जनजातियों के नाम +हैं। लई और मारा जनजातियों के +बीच आपसी संबंध होते हैं और +ये “मिजो' जनजाति के तहत आती + +हैं जबकि चकमा जनजाति के + +लोग संस्कृति, भाषा और धर्म के भी शामिल है। कृषि विज्ञान केंद्र, समेकित +मामलों में मिजो लोगों से भिन्न fF प्रणाली और हरली-आधारित खेती जैसी + +बीजों और पौध सामग्री के बारे में +उप-मिशन का उद्देश्य सभी फसलों के अधिक +उपज देने वाले बीजों का उत्पादन करना हे। +राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के अंतर्गत कुल +404 हैक्टेयर में जैतून की खेती की गई है। +2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के +केंद्र सरकार के संकल्प के तहत भी अनेक +कार्यक्रम शुरू किए गए हैं जिनमें अधिक +उपज देने वाली किस्मों को लोकप्रिय बनाना + +योजनाएं भी अपनाई जा रही हैं। + +योजना, जुलाई 2021 + + + +\0009.txt +<----------------------------------------------------------------------> +बागवानी + +मिजोरम में कृषि और जलवायु की दृष्टि से +परिस्थितियां अनुकूल होने के कारण बागवानी +बहुत उपयोगी और लाभप्रद व्यवसाय है। वर्ष +2020 में बिना मौसम के टमाटर की खेती से +240.80 लाख रुपये से अधिक की आमदनी +हुई थी और बन्द गोभी की बेमौसम फसल +से 330.20 लाख रुपये के करीब आमदनी +हुई। ड्रैगन फ्रूट की क्लस्टर खेती का विस्तार +किया गया है जिससे 2019-20 के दौरान 300 +लाख रुपये के आसपास आय हुई। 2019-20 +में मैंडेरिन ऑरेंज (संतरे) की उपज करीब +53984 मीट्रिक टन हुई जिसका मूल्य लगभग +16 करोड़ रुपये था। मिजोर्म की विश्व प्रसिद्ध लाल मिर्च का तो +विशेष स्थान और महत्व है ही। +सामाजिक-आर्थिक विकास नीति (एसईडीपी ) + +मिजोरम में वर्तमान सरकार की प्रमुख नीति है सामाजिक-आर्थिक +विकास नीति। इस नीति का उद्देश्य अल्पावधि और दीर्घावधि टिकाऊ +विकास लाना है। इस नीति को कई भागों में बांधा गया है जिनमें +राजनैतिक, प्रशासनिक, आर्थिक और सामाजिक विकास भी शामिल हें। + +प्रशासनिक नीति का असल मकसद प्रभावी प्रशासन की दृष्टि से +सूचना और संचार प्रौद्योगिकी का व्यापक इस्तेमाल करना है। आर्थिक +नीति में शामिल मुख्य मुद्दों में कृषि, बागवानी, बांस की खेती, रबड +की खेती, बुनियादी सुविधाओं का विकास और प्रबंधन, व्यापार और +निवेश का वातावरण विकसित करना, आदि विशेष हैं। सामाजिक +विकास नीति में जनशक्ति विकास, शिक्षा, सामाजिक सुरक्षा वगैरह पर +ध्यान दिया जाता है। +मिजोरम-खूबियां + +मिजोरम के 85 प्रतिशत भाग में वन क्षेत्र है और इस दृष्टि से +यह भारत का सर्वश्रेष्ठ राज्य है। राज्य में साक्षरता दर 91.58 प्रतिशत +है जो देश में तीसरी सबसे ज्यादा दर है। इससे ज्यादा साक्षरता केरल + + + + + +*» अगरतला से अखौरा तक रेल मार्ग + +/ा रे *« इस मार्ग पर पूर्वोत्तर भारत से +meee तन 1 बांग्लादेश तक यात्री तथा माल +रेलगाड़ियों की आवाजाही + + + + + + + +योजना, जुलाई 2021 + +मिजोरम के 85 प्रतिशत भाग में +वन क्षेत्र है और इस दृष्टि से यह +भारत का सर्वश्रेष्ठ राज्य है। राज्य +में साक्षरता दर 91.58 प्रतिशत है +जो देश में तीसरी सबसे ज्यादा दर +है। इससे ज्यादा साक्षरता केरल +और लक्षद्वीप में है। 2011 की +जनगणना के अनुसार मिजोरम में +1000 पुरुषों के मुकाबले 975 +महिलाएं हैं। + +और लक्षद्वीप में है। 2011 की जनगणना के +अनुसार मिजोरम में 1000 पुरुषों के मुकाबले +975 महिलाएं हैं। राज्य के दक्षिण भाग में तेल +और प्राकृतिक गैस के भंडार भी मिले हैं। यह +क्षेत्र म्यांमार के अराकान से लगा हुआ है। +मिजोरम की सभी नदियों का दोहन किया जाये +तो यहां 4500 मेगावाट बिजली उत्पादन की +क्षमता विकसित की जा सकती है। राष्ट्रीय सौर +ऊर्जा संस्थान (एनआईएसई) के आकलन के +अनुसार राज्य में लगभग 9.09 गीगावाट ऊर्जा +का उत्पादन किया जा सकता है। देश के बांस +भंडार में मिजोरम का योगदान 14 प्रतिशत है। +प्रगतिशील समुदाय + +मिजोरम में वर्गहीन समाज है और समुदाय की बहुत सशक्त +भावना है। लोग आमतौर पर मन से अच्छे हैं और कानून का पालन +करने वाले नागरिक हैं। लोगों के अनुशासित होने का तो इसी बात से +पता चलता है कि मिजोरम की राजधानी आइजोल में कोई भी व्यक्ति +हॉर्न नहीं बजाता और ड्राइवर लोग अकारण हॉर्न नहीं दबाते। आम +जनता की ईमानदारी का सबसे बड़ा सबूत यही है कि हाईवे के किनारे +दुकानें बिना दुकानदार के ही चलती हैं और पूरा कारोबार आपसी +विश्वास और भरोसे पर चलता है। + +कोविड-19 महामारी के दौरान समुदाय की महत्वपूर्ण भूमिका +साफ दिखाई दी। राज्य सरकार ने राज्य भर में ग्राम/स्थानीय स्तर +के अनेक कार्यबल गठित किए जिनका नेतृत्व स्थानीय नेताओं ने +ही संभाला था। लॉकडाउन लगाए जाने की स्थिति में मिजोरम के +स्थानीय लोगों ने पहरा दिया और चौकसी बनाए रखी जिससे राज्य में +इस महामारी से बहुत कम मौतें हुईं। स्थानीय स्तर के इन कार्यबलों +ने सरकार और विभिन्न धार्मिक संस्थानों के सहयोग से उन गरीब +और जरूरतमंद लोगों तक बराबर आर्थिक सहायता और आवश्यक +सामान-सामग्री पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई जो लॉकडाउन के +कारण परेशानी में हें। +'मिजोरम-चुनौतियां + +चारों तरफ से घिरा हुआ राज्य होने के कारण मिजोरम के लिए +कनेक्टिविटी की समस्या एक बड़ी चनौती है। राज्य में सिर्फ एक ही +हवाई अड्डा है- cE cas SES Wa A एक ही रेल संपर्क +है जो असम की सीमा पर स्थित बेराबी में है। अब बेराबी रेल लाइन +को सैंरग तक पहुंचाने का कार्य चल रहा है जो आइजोल से करीब +20 किलोमीटर की दूरी पर है। + +मिजोरम में कुल दो राष्ट्रीय राजमार्ग हैं जिनमें से एक असम से +और दूसरा त्रिपुरा से इसे जोड़ता है। राज्य को असम से जोड़ने वाला +राजमार्ग तो वास्तव में मिजोरम की जीवनरेखा है। किसी वजह से यह +मार्ग अवरुद्ध हो जाए तो मिजोस्म का देश के सभी भागों से संपर्क +कट जाता है। + +दुर्भाग्य ही है कि मिजोरम में कैंसर और एचआईवी के रोगियों +की संख्या अपेक्षाकृत ज्यादा है और इसकी बड़ी वजह है कि वहां के +लोगों की जीवनशैली स्वस्थ नहीं है। राज्य में 67 प्रतिशत लोग तंबाकू +का सेवन करते हैं जबकि धूप्रपान करने वालों का राष्ट्रीय औसत 37 + +9 + + + +\0010.txt +<----------------------------------------------------------------------> +Be wrester oF noone oF +dt NORTH Treen + + + +मिजोरम और मणिपुर में _ + +पुनर्विकास परियोजना + +तामेंग्लांग-तौसेम-लिसांग +करोड़ रुपये की लागत से मणिपुर +बदला जाएगा + +भारतमाला परियोजना के तहत मिजोरम में राष्ट्रीय राजमार्ग-6 +(# के वुलते-क्वाल्कलह रोड (अंतरराष्ट्रीय गलियारों के खंड को +374.39 करोड़ के बजट के साथ ट्‌-लेन पक्‍की सड़क का विस्तार + +सड़कों ( एनएच-37 ) को 483.87 +MC Me + +ue + +प्रतिशत का है। इस समस्या को देखते हुए यह स्पष्ट है कि राज्य में +स्वास्थ्य सुविधाओं के क्षेत्र में बहुत कुछ करना जरूरी है। +'मिजोरम-क्षमता + +कृषि, बागवानी और संबद्ध गतिविधियों की दृष्टि से राज्य में +अपार संभावनाएं हैं। बहुत बड़ी संख्या में किसान अब भी झूम खेती +यानी शिफ्टिंग कल्टिवेशन में ही अटके हुए हैं और पुरानी लीक पर +चलकर ही खेती कर रहे हैं। कृषि क्षेत्र बहुत सी अन्य समस्याओं का +भी सामना कर रहा है जिनमें औसत कृषि जोत छोटी होना, किसानों +का वृद्ध और अशिक्षित होना, भौगोलिक दृष्टि से जमीन अनुकूल न +होना यानी कि जमीन समतल और इकसार न होना, जमीन की उर्वरता +घट जाना तथा कृषि मशीनों का अभाव। आज आधुनिक और मशीनों +से की जाने वाली खेती बेहद जरूरी है। अभी उत्पादन मुख्य रूप से +स्थानीय खपत के हिसाब से किया जाता है जबकि इसे व्यावसायिक +स्तर पर लाने की बड़ी जरूरत है। टमाटर, बंद गोभी, ड्रैगन फ्रूट, +संतरे, नारियल, लाल मिर्च और केले जैसे +बागवानी उत्पादों के मामले में तो मिजोरम +काफी सफल हे। खाद्य प्रसंस्करण अपनाकर +इन उत्पादों से और भी ज्यादा आय प्राप्त +की जा सकती है। इन सबके लिए कोल्ड +स्टोरेज, कृषि लिंक रोड और आसान पहुंच की +भीतर हाट-व्यवस्था उपलब्ध कराने को पहली +प्राथमिकता दी जानी चाहिए। + +पर्यटन और खासकर पर्यावरण पर्यटन +तथा ग्रामीण पर्यटन के क्षेत्र में भी यहां व्यापक +संभावनाएं हैं। राज्य के स्वच्छ वातावरण, ताजा +हवा, आरामदायक जलवायु और घनी हरियाली +पर्यटकों के आकर्षण के मुख्य पहलू हैं। यहां +की रोमांचक भौगोलिक संरचना साहसिक +सैलानियों को मोहने वाली है और ग्रामीण +वातावरण में रहने का अनुभव भी बहुत बड़ा + +10 + +पूर्वोत्तर क्षेत्र काफी समय से +उपेक्षित रहा है और इस पर ध्यान +नहीं दिया गया है। परन्तु, वर्तमान +प्रधानमंत्री की पहल पर अब +केंद्रीय मंत्री नियमित रूप से इस +क्षेत्र के दौरे पर जाते हैं। हालांकि +पूर्वोत्तर क्षेत्र की जनसंख्या देश +की कुल आबादी का मात्र +3.76 प्रतिशत है ( 2011 +जनगणना ) फिर भी केंद्र सरकार +ने इस क्षेत्र के लिए कुल बजट +का 10 प्रतिशत उपलब्ध कराने +का आशएवासन दिया है। + +आकर्षण है। हैल्थ रिजॉर्ट और वैलनेस केद्र स्थापित करना भी +लाभकारी और उपयोगी सिद्ध होगा। परन्तु पर्यटन के विकास में एक +बड़ी अड्चन है राज्य में लागू इनर लाइन परमिट व्यवस्था जिसके +रहते गैर जनजातीय लोगों को राज्य के भीतर जाने की अनुमति नहीं +है। पर्यटन मंत्रालय से जारी आंकड़ों के अनुसार पर्यटकों की आवक +की दृष्टि से मिजोरम सबसे नीचे के स्थान पर हेै। राज्य में इस क्षेत्र के +विकास पर ध्यान देना अत्यन्त आवश्यक है। + +राज्य की विशिष्ट वस््र-संस्कृति के बल पर यहां हथकरघा और +हस्तशिल्प उद्योग में जबरदस्त संभावनाएं हैं। इस क्षेत्र में कुशल +और अकुशल, दोनों प्रकार के कारीगरों को रोजुगार मिल रहा है। +अगला अनिवार्य कदम होगा राज्य के अनूठे पारंपरिक हस्तशिल्प और +आकर्षक रंग-बिरंगी पोशाकों के लिए उपयुक्त बाजार खोजना। +कलादान मल्टी मोडल टदांजिट परिवहन परियोजना +( केएमएमटीटीपी ) + +भारत सरकार की कलादान मल्टी मोडाल ट्रांजिट परिवहन +परियोजना (केएमएमटीटीपी) से पश्चिम बंगाल की हल्दिया +बंदरगाह को म्यांमार की सिफ्टले बंदरगाह से जोड़ा जा रहा है जो +बाद में मिजोरम के दक्षिण भाग बाली बंदरगाह से होते हुए भारत +में पहुंचेगी। + +जैसा पहले भी बताया गया है कि समूचा पूर्वोत्तर क्षेत्र केबल 22 +किलोमीटर चौडे सिलीगुड़ी गलियारे से ही शेष भारत से जुड़ा हुआ +है। यह स्थिति सुरक्षा, आवागमन और यातायात सभी प्रकार से खराब +है। केएमएमटीटीपी समूचे हालात को बदल देगा क्योंकि इससे नई +कनेक्टिविटी बन जाएगी और सिलीगुड़ी कॉरिडोर से होकर लम्बा मार्ग +पार करके आने की जरूरत नहीं रह जाएगी। परियोजना का भारत वाला +भाग तो लगभग पूरा होने वाला है, परन्तु म्यांमार की तरफ वाले भाग +के निर्माण में अभी कुछ अड॒चनें हैं जो वहां की मौजूदा राजनीतिक +उठापटक के कारण दूर नहीं हो सकी हैं। +निष्कर्ष + +पूर्वोत्तर क्षेत्र काफी समय से उपेक्षित रहा है और इस पर ध्यान +नहीं दिया गया है। परन्तु, वर्तमान प्रधानमंत्री की पहल पर अब केद्रीय +मंत्री नियमित रूप से इस क्षेत्र के दौरे पर जाते +हैं। हालांकि पूर्वोत्तर क्षेत्र की जनसंख्या देश की +कुल आबादी का मात्र 3.76 प्रतिशत है (2011 +जनगणना) फिर भी केद्र सरकार ने इस क्षेत्र के +लिए कुल बजट का 10 प्रतिशत उपलब्ध कराने +का आश्वासन दिया है। माननीय प्रधानमंत्री ने +स्वयं कहा है कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में देश का +विकास इंजन बनने की क्षमता और सामर्थ्य है। + +इन आशाओं और सकारात्मक सोच के +साथ ही सभी हितार्थियों को अपनी-अपनी +भूमिका निभानी होगी। यह तो सही है कि इस +क्षेत्र की अपनी खास चुनौतियां और मुश्किलें +हैं लेकिन एल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा था- +“कठिनाई में ही अवसर छिपा रहता है।'' इस +क्षेत्र के लोगों को यह अवसर दोनों हाथों से +थामना होगा। | + +योजना, जुलाई 2021 + + + +\0011.txt +<----------------------------------------------------------------------> +Pa Unit + +MIT WORLD PEACE +UNIVERSITY | Pune + +TECHNOLOGY, RESEARCH, SOCIAL INNOVATION & PARTNERSHIPS + +ताप + +॥ विश्वशान्तिर्धुवं धरुवा ।। + +Four Decades of Legacy and a Century Ahead + +Ce aE + +8651 8 $८10011॥1 1019 +(lagran Josh, B School +ranking 2020) + +ई 5 + +US 8. 10।| +रि85९३८ी (०]०0०॥1 11 1019 +(TOI 2020) + +Best Private University +To Study In India +(INDIA TODAY 2018) + +Te + +है| ' है ॥।। “1:94: - [| +Cee i we) +(TOI 2020) + +GOVERNMENT & +ADMINISTRATION + +Be an Impactful +Policy Maker + + + +Avail Merit Based Scholarships +10: १1 7॥॥- है ५ ६0 -1ै- [0 (1010 + +scholarships as per the MIT-WPU's +Scholarship Policy. + + + + + + + +Key Highlights of the Program: + += A tailor made program to improve readiness for +various competitive examinations. + += Imparts necessary knowledge, skills and +develop a positive attitude to blend your future. + += Delivered & Mentored by eminent pra- +cademicians, UPSC Rank holders, Civil servants +& the members of political fraternity. + += Blend of interactive learning methods with +classroom teaching and Experiential learning. + +Career Opportunities: + +m= UPSC Examinations- Civil Services, CRPF, EFPO +Etc. m State Service Commission Exams-MPSC, +RJSC, UPPSC m@ Banking and Staff Selection +Commission Exams-RBI, PSU Banks, NABARD +etc. » Defence Examinations- Combined Defence +services, SSB etc. # NGO and Think Tanks-Multi +lateral Organisations, NGOs Fellowship programs +etc. ...and many more... + +Apply Online mitwpu.edu.in | Q Kcthrua, pune 38 + +admissions@mitwpu.edu.in @ 020 7117 7137 / 42 © 9881492848 + +योजना, जुलाई 2021 + + + +11 + + + +YH-1600/2021 + + + +\0012.txt +<----------------------------------------------------------------------> +संस्कृति के माध्यम से विकास + +डॉ नरेंद्र जोशी + +भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में सौर, जल और पवन ऊर्जा उत्पादन की प्रचुर संभावनाओं के बल पर देश की +ऊर्जा राजधानी होने की अपार सामर्थ्य है किंतु अब तक उसका अंश मात्र भी दोहन शायद ही हो पाया है। +अपने स्थलों के मनमोहक सौंदर्य तथा जीव-जंतुओं और वनस्पति की विविधता के बावजूद ये क्षेत्र पर्यटन +का स्वर्ग नहीं बन पाया है। किंतु इन गुत्थियों को सुलझाने का मुद्दा कुछ नाजुक भी है। हमें आज विकास +बनाम संस्कृति नहीं अपितु संस्कृति के माध्यम से विकास की आवश्यकता है। + +7 वत्तिर क्षेत्र के आठ राज्य आदि काल से भारत के अखंड +Le और अभिन्न अंग रहे हैं। भारत के साथ-साथ एशिया के +लिए भी सामरिक रूप से अति महत्वपूर्ण हैं। इस क्षेत्र +के चारों तरफ बांग्लादेश, म्यांमार, तिब्बत, चीन इत्यादि जैसे कई देश +हैं। पूर्वोत्तर क्षेत्र का 262 ,230 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्रफल भारत का +लगभग 8 प्रतिशत है। यह क्षेत्र, भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया के +बीच का सेतु होने के साथ-साथ तथा चीन के दक्षिणी हिस्से सहित +दक्षिण-पूर्व एशिया की जीवंत अर्थव्यवस्थाओं के लिए भारत का +प्रवेश द्वार भी है। प्राकृतिक संसाधनों (तेल, गैस, कोयला ,जलशक्ति, +उपजाऊ भूमि आदि) से समृद्ध यह क्षेत्र आर्थिक दृष्टि से भी बहुत +मूल्यवान है क्योंकि इन संसाधनों का दोहन राष्ट्रीय विकास के लिए +किया जा सकता है। +सांस्कृतिक संबंध और समृद्ध खजाना +अनगिनत प्रमाण बताते हैं कि 10वीं से 8वीं शताब्दी ईसा पूर्व में +वेदों के संकलन काल से लेकर 21वीं शताब्दी तक पूर्वोत्तर भारत के +हमारे भाई और बहन भारत माता की अपार संतति में समाहित रहे हैं। +युगों युगों से चले आ रहे ऐसे सम्पर्कों और विलय की एक झलक +दिखाने का प्रयास इस लेख में किया जा रहा है। पाश्चात्य चिंतन +से प्रभावित आज के बहुत से बुद्धिजीवी जिन्हें मंगोलॉइड (मंगोल +प्रजाति) के नाम से पहचानते हैं वे उस काल में किरात कहलाते थे। +यजुर्वेद और अथर्वेद दोनों में किरात समुदाय का उल्लेख है। महाभारत +में वर्णन किया गया है कि शिव और उमा किरात दंपति का भेष +धारण कर अर्जुन की तपस्या की परीक्षा लेने आए थे। (वनपर्व का +किरात पर्व भाग: उनकी सोने जैसी त्वचा थी)। पूर्व दिशा में अपने +सभी विजयी अभियानों में भीम की भेंट विदेह प्रदेश में किरातों से +हुई। सभा पर्व में सूर्योदय की आभा से मंडित पर्वतों, लोहित्य नदी +और पहाडियों से घिरे प्राग्ज्योतिष का वर्णन है। रामायण के किष्किन्धा +कांड में किरातों के बारे में लिखा हैः वे स्वर्ण, रत्नों से समृद्ध और + + + +लेखक विवेकानंद प्रबोधिनी में परियोजना निदेशक हैं। +ईमेल; narendrajoshil710@gmail.com + +12 + +कपड़ा बुनने में निपुण थे। वे अपने केशों की नुकीली चोटी बांधते +थे। श्री एन एन वासु ने अपनी पुस्तक 'सोशल हिस्ट्री ऑफ कामरूप' +(कामरूप का सामाजिक इतिहास) में उनकी आदतों का वर्णन कुछ +इस प्रकार किया है- सादा जीवन, फल और जडी-बूटियों का भोजन, +चर्मछाल पहनना, केशों का जूड़ा बांधना, स्वभाव से मधुर किंतु शस्त्र +धारण कर लें तो विकराल स्वरूप, गेहुंआ रंग, बुनाई में निपुण इत्यादि। +विष्णु पुराण में किरातों के भारत के पूर्वोत्तर भाग में होने का वर्णन +है। यूनानियों ने ईसा पश्चात्‌ पहली शताब्दी में किरातों लोगों के बारे + + + +योजना, जुलाई 2021 + + + +\0013.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +में सुना था। चीन के एक सेनापति और अन्वेषक केन के अनुसार +दूसरी शताब्दी ईस्वी में चीन के साथ व्यापार किरातों के जरिए होता +था। उसके बाद सभी नस्लों का विलय पूरा हो गया। + +मीननाथ से जुड़ी तंत्र विद्या की एकधारा का संबंध कामरूप +जिले से है। 10वीं शताब्दी तक चीन के पास एक सौ तंत्र संहिताएं +थीं। सम्माह तंत्र में किरात, भोटा, सिना और महासिना की तांत्रिक +संस्कृति का वर्णन है। किंतु यह विलय केवल चित्त यानी विचारों, +कल्पना और शब्दों तक सीमित नहीं था। भारत के तत्कालीन शासकों +के प्रयासों से इसे मूर्त रूप मिला जो स्वयं को ' धर्म रक्षक' कहलवाने +में गौरवान्वित महसूस करते थे। भारत में राजा ऋषियों के समक्ष शीश +झुकाते थे और सांसारिक या शासकीय विषयों में उनसे मार्गदर्शन लेते +थे। राजा भास्कर वर्मन ऊर्फ ठगी राजा ऐसे राजाओं में एक प्रसिद्ध +नाम है। ठगी राजा को ब्रिटिश शासकों ने बंदी बना लिया था। बंदीगृह +में एक संन्यासी ने उनके मन में ब्रिटिश हुकुमत से लोहा लेने की +अलख जगाई। इस सृजन युग में, समूचे असम और आसपास के +क्षेत्र में अनेक मंदिरों का निर्माण हुआ, जिनके अवशेष आज भी +मालिनीथान जैसे स्थानों पर सांस ले रहे हैं। वहां पार्वती, इंद्र और +नंदी की मनमोहक प्रतिमाएं हैं। सुनपुरा के पास तामरेश्वरी में शैव, +शाक्ता और वैष्णव सम्प्रदायों के तीन शिलालेख उपलब्ध हैं। कालिका +पुराण में इस क्षेत्र में विष्णुपीठ होने का वर्णन है। कहा जाता है कि +मंदिर की खोज में निकले कई बैरागियों ने भूख से या जंगली जानवरों +का शिकार होने के कारण अपने प्राण गंवा दिए। “बुरा बुरी' नामक +उपासना की वेदी मिली है जिसे महादेव या आदि बुद्ध की वेदिका +माना जाता है। लोहित में ब्रह्मकुंड और परशुराम नाम से तीर्थ स्थल +हैं और लोहित जिले के पाया में शिवलिंग स्थल का पता चला है। + +योजना, जुलाई 2021 + + + +1 + +12वीं सदी के बाद भी जब सामान्यतः सृजनशीलता के भाव का पतन +आरम्भ हो चुका था तब भी भक्ति आंदोलन की सशक्त गूंज इस क्षेत्र +में ही नहीं समूचे भारत वर्ष में सुनाई दे रही थी। भारत भूमि पर हर +ओर संत ही संत हुए हैं। इस महान देश में संतत्व की प्राप्ति ही महती +उद्देश्य रहा है। हालांकि आमजन भी सामान्यतः इस ओरे प्रवृत्त था। +स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि भला और कहां कबीर, दादु, और +तुकाराम जैसे संतों को इस सहजता से स्वीकार किया गया। इन संतों +ने इस विशाल भूमि के एक छोर से दूसरे छोर तक भ्रमण करते हुए +अपने अनुकरणीय जीवन, प्रेरक उपदेशों और श्रुतिमधुर भक्ति संगीत +Be > Nt i "1 + + + +77८: ० > ह हा 3 + + + +13 + + + +\0014.txt +<----------------------------------------------------------------------> +से वेदों और उपनिषदों का संदेश सभी वर्गों +और सम्प्रदायों तक पहुंचाया। उस काल खंड +में असम में महान संत शंकरदेव (1449 से +लेकर 1669 ईस्वी तक) अवतरित हुए जिन्होंने +वैष्णव भक्ति का अनथक प्रसार किया। भारत +के अन्य संतों की तरह इन्होंने अधिकांश गूढ़ +सत्यों को समझाने के लिए आमजन की भाषा +का प्रयोग किया और नामघर, कीर्तन, नाटक +जैसी अनेक अवधारणाओं के प्रचलन के साथ +भागवत आदि का अनुवाद किया। माधव देव, +वामसी गोपाल देव, अनिरुद्ध देव, पुरुषोत्तम +ठाकुर आदि इनके अनुयायी थे। इनमें से +कुछ ने थोड़ी-बहुत बौद्ध तांत्रिक पद्धतियां +भी अपनाई। गोपाल देव अपनी माता के साथ +कालीता से अकामादेश (असम) आए थे। +कालीता अकामा देश के पूर्वोत्तर में स्थित था +और वहां अबोर (आदि) तथा मिरि रहा करते थे। डॉ ककाती ने +इस विचार का समर्थन किया है कि कालीता लोग आर्य या क्षेत्रीय +बौद्ध अधिवासी क्षत्रिय थे और पूर्वोत्तर में उनकी वैष्णव बस्ती हुआ +करती थी। अरुणाचल प्रदेश के तिरप जिले में नोक्तियों के मुखिया +खुनबाओ, बाली सत्र के UW Ae के अनुयायी हो गए। वे संत +नरोत्तम के नाम से विख्यात हैं। भक्ति की सब कुछ समा लेने वाली +लहरों की कथा बौद्ध लहर के अध्याय के बिना संपूर्ण नहीं होगी। +अरुणाचल प्रदेश के बहुत बडे हिस्से में बौद्ध अनुयायी रहते हैं। तवांग +में मोनपा, शेरुप्केन महायान बौद्ध मार्ग को मानते हैं तथा दिबांग +जिले में खाम्पटि, सिगफोहीनयान बौद्ध मार्ग के अनुयायी हैं। बौद्धों की +करीबी जनजातियां भी उनसे प्रभावित हुईं। बौद्ध, शैव, शाकत और नाथ +तंत्रिका को एक दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता। मान्यता है कि +मीननाथ ही लुईपा हैं जो अवलोकितेश्वर के समतुल्य हैं। अरुणाचल +की सभी बौद्ध जनजातियों में प्रार्थना ध्वज, स्तूप, प्रार्थना-चक्र, पत्थर +at dank इत्यादि हैं। ऊं मणि पद्म हम: अर्थात्‌ ओम वह मणि जो + +विकास के मुद्दे को भारतीय +संस्कृति और स्थानीय संस्कृतियों , +मूल आस्थाओं, जातीय विविधता, +जैव विविधता और इस विशाल +एवं अदभुत क्षेत्र की अनूठी किंतु +पर्यावरण अनुकूल विशेषताओं +के परिपेक्ष्य में देखना होगा। +पूर्वोत्तर क्षेत्र का सांस्कृतिक एवं +'विकासमूलक पुनर्जागरण हमें पुनः +दक्षिण-पूर्व एशिया और उत्तर पूर्व +एशिया की प्रबल विनम्र शक्ति +बना देगा। + +कमल पर विराजमान है' का मंत्र पूरे हिमालय +में जपा जाता है। यह मंत्र असमिया भाषा में +लिखा गया है जो कि लगभग देवनागरी लिपि +के समान है, चीनी लिपि के नहीं। ऊं वेदों +का मूल तत्व है, उपनिषदों का ब्रह्मनाद है, +कई मंत्रों का आदि सूत्र है और जगत के +अस्तित्व का आधार है। यह जानना बहुत ही +रोचक है कि आदि कथाओं के अनुसार विश्व +की रचना “केयुम' शब्द से हुई। संभवतः +दलाई लामा (पद्म मणि) ही संत पद्मसंभव थे। +उन्हें उपासना पद्धतियों का जनक माना जाता +है जिनका आज भी लद्दाख से ल्हासा तक +अनुसरण होता है। 640 ईस्वी में युवराज गोम्पा +ने ऊपरी बर्मा और पश्चिमी चीन के हिस्सों +तक अपना साम्राज्य फैला लिया था। उन्होंने +चीन की एक राजकुमारी से विवाह किया +जिनका उनकी नेपाली पत्नी की तरह ही बौद्ध धर्म की तरफ गहरा +रुझान था। दोनों ने उन्हें बौद्ध धर्म अंगीकार करवा दिया। उन्होंने भारत +से बौद्ध पुजारी बुल॒वाए और उन्हें तिब्बती भाषा को भारतीय लिपि +में लिखने लायक बनाने को कहा। आज तक तिब्बत भाषा की लिपि +वही है। लगभग सभी देवी-देवताओं के नाम संस्कृत में हैं: मंजूश्री, +अवलोकित, वज्रपाल, वज््सत्व, अमितायु आदि। दोरजी नाम का अर्थ +होता है वज्ञ या बिजली और वहां यह सबसे आम नाम है। तिब्बत +में कुछ स्थानों पर कई गुफाओं में काली की प्रतिमा देखी गई है +faa coral कहते हैं। अधिकांश प्रार्थना ध्वजों पर सिंह पर आरुढ +देवी व्याप्नेश्ववी की छवि अंकित होती है; ताशी लामा की मुहर पर +“मंगलम' अंकित है। तिब्बत में ताशी का अर्थ मंगलम होता है। देवी +मां को तारा या डोल्मा' कहा जाता है। +पूर्वोत्तर भारत का वृद्धि संचालक + +भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में सौर, जल और पवन ऊर्जा उत्पादन +की प्रचुर संभावनाओं के बल पर देश की ऊर्जा राजधानी होने की + + + + + +\0015.txt +<----------------------------------------------------------------------> +अपार सामर्थ्य है किंतु अब तक उसका अंश + +प्रथम-पीढ़ी को मदद देने के लिए विशेष रूप + +मात्र भी दोहन शायद ही हो पाया है। अपने. उद्यमियों की प्रथम-पीढी को से पूर्वोत्तर विकास वित्त निगम अवसर योजना + +स्थलों के मनमोहक सौंदर्य तथा जीव-जंतुओं | (एनओएसएसई) बनाई गई है। एक्ट ईस्ट नीति +मदद देने के लिए विशेष रूप + +और वनस्पति की विविधता के बावजूद ये से पूर्वोत्तर विकास ्स वित्त निगम के तहत सड़कें और राजमार्ग बनाकर, हवाई + +क्षेत्र पर्यटन का स्वर्ग नहीं बन पाया है। किंतु Fate Tate संपर्क बढ़ाकर, रेल नेटवर्क का विस्तार कर, + +इन गुत्थियों को सुलझाने का मुद्दा कुछ नाजुक +भी है। हमें आज विकास बनाम संस्कृति नहीं +अपितु संस्कृति के माध्यम से विकास की +आवश्यकता है। + +विकास के मुद्दे को भारतीय संस्कृति +और स्थानीय संस्कृतियों, मूल आस्थाओं , +जातीय विविधता, जैव विविधता और इस + +अवसर योजना ( एनओएसएसई ) + +बनाई गई है। एक्ट ईस्ट नीति के +तहत सड़कें और राजमार्ग बनाकर, +हवाई संपर्क बढ़ाकर, रेल नेटवर्क +का विस्तार कर, व्यापार मार्गों को +खोलकर तथा सीमा पार व्यापार + +विशाल एवं अदभुत क्षेत्र की अनूठी किंतु के लिए ढांचागत सुविधाएं बनाकर + +व्यापार मार्गों को खोलकर तथा सीमा पार +व्यापार के लिए ढांचागत सुविधाएं बनाकर क्षेत्र +के सम्पूर्ण विकास पर जोर दिया गया। + +समूचे पूर्वोत्तर क्षेत्र के नौ शहरों- +अगरतला, गुवाहाटी, इम्फाल, कोहिमा, नामची, +गांगतोक , पासीघाट, ईटानगर और आइजोल को +“स्मार्ट सिटी' घोषित किया गया है और पहले +चरण में 464 परियोजनाओं के लिए 14,124 + +पर्यावरण अनुकूल विशेषताओं के परिपेक्ष्य में क्षेत्र के सम्पूर्ण विकास पर जोर करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की गई है। +देखना होगा। पूर्वोत्तर क्षेत्र का सांस्कृतिक एवं दिया गया। क्षेत्र में युवाओं के कौशल विकास प्रयासों पर + +विकासमूलक पुनर्जागरण हमें पुनः दक्षिण-पूर्व +एशिया और उत्तर पूर्व एशिया की प्रबल विनम्र शक्ति बना देगा। +ऐतिहासिक काल में इस क्षेत्र की यही पहचान थी। आधुनिक तरीकों +से क्षेत्र का विकास करते हुए भी समृद्ध कला, शिल्प और संस्कृति +के साथ गहन एवं सुदृढ़ संबंध रखना और लुप्त हो चुकी पहचान +को पुनः प्राप्त करना पूर्वोत्तर भारत की उन्नति का मंत्र हैं। भारत के +प्रधानमंत्री ने हाल ही में एक भाषण में कहा था, “पूर्वोत्तर भारत में +देश का विकास इंजन बनने की क्षमता है। दिन-प्रतिदिन मेरा यह +विश्वास गहरा होता जा रहा है क्‍यों कि अब समूचे क्षेत्र में शांति +स्थापित हो रही है। शांति, प्रगति और खुशहाली का मंत्र पूर्वोत्तर में +गूंज रहा है।” उन्होंने कहा “मणिपुर में नाकेबंदी अब इतिहास की +बात हो गई है, असम ने दशकों तक हिंसा का दौर देखा है। त्रिपुरा +और मिजूोरम में भी युवाओं ने हिंसा का रास्ता छोड दिया है। अब +ब्रू-रिआंग शरणार्थी बेहतर जिंदगी का रुख कर रहे हैं।” + +लगभग सभी आठ पूर्वोत्तर राज्यों की वृद्धि दर दहाई में पहुंच +गई है। जैविक आहार से लेकर नवीकरणीय ऊर्जा तक। + +जलापूर्ति, बिजली और कनेक्टिविटी जैसी बुनियादी ढांचागत +परियोजनाओं के लिए नवीनतम पहल पूर्वोत्तर विशेष ढांचागत +विकास योजना (एनईएचआईडीएस) है जो पूरी तरह से केंद्र सरकार +द्वारा वित्तपोषित है। अपने दिव्य नैसर्गिक सौंदर्य, प्राकृतिक दृश्यों और +मनमोहक स्थलों तथा अद्भुत पेडु-पौधों, जीव-जंतुओं, पुरातात्विक +स्थलों, स्नेहिल निवासियों, और लुभावने जलवायु के साथ पूर्वोत्तर में +पर्यटन की अद्भुत क्षमता है। इसलिए इसका हाल में विशेष संवर्धन +किया गया है तथा अब और बेहतर बुनियादी ढांचे के लिए सहायता +की गई है। अब प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा तथा स्वास्थ्य पर +भी अधिक ध्यान दिया गया है। लगभग 885 करोड रुपये मूल्य की +करीब 22 परियोजनाएं हाल ही में इन सबके लिए निर्धारित की +गईं है और अब तो इनकी संख्या और भी बढ़ गई होगी। उपद्रवी +गतिविधियां, प्रयासों में कमी और दुर्गम क्षेत्र के कारण लंबे समय तक +औद्योगिकीकरण न होना, इस क्षेत्र के विकास में बहुत बड़ी बाधा +रहे हैं। लेकिन अब एनईएसआईडी विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में बडे +पैमाने पर क्षेत्र में औद्योगिकीकरण को बढ़ावा दे रहा है। उद्यमियों की + +योजना, जुलाई 2021 + +विशुद्ध रूप से बल दिया गया है और पूर्वोत्तर + +क्षेत्र में लगभग 93 प्रशिक्षण केंद्र और 69 कौशल भागीदार काम कर +रहे हैं। हाल के एक अध्ययन के अनुसार इनमें 39 कौशल भागीदारों +और 48 प्रशिक्षण केद्रों के साथ असम सबसे ऊपर है, मणिपुर में एक +कौशल भागीदार और एक प्रशिक्षण केंद्र है, मिजोरम में एक कौशल +भागीदार और छह प्रशिक्षण केद्र हैं, मेघालय में 8 कौशल भागीदार +और 10 प्रशिक्षण केद्र हैं, नगालैंड में पांच कौशल भागीदार और आठ +प्रशिक्षण केद्र हैं, त्रिपुण में 12 कौशल भागीदार और 16 प्रशिक्षण केंद्र +हैं तथा सिक्किम में तीन कौशल भागीदार और चार प्रशिक्षण केंद्र हैं। +इस क्षेत्र, जनसंख्या और संभावनाओं तथा भारत विरोधी +विभाजनकारी ताकतों की तरफ से स्थिति के दुरुपयोग की आशंका, +सब बातों को देखते हुए यह प्रयास सराहनीय तो हैं, पर आने +वाले समय में इनके संवर्धन एवं नवोन्मेष की जरूरत है। विकास +करते समय पर्यावरण एवं सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के बीच +सतर्कतापूर्वक संतुलन भी रखना होगा। तथाकथित सभ्य भारत के +अन्य भागों तथा विश्वभर में पर्यावरण विनाशक और संस्कृति उन्‍्मूलक +आधुनिकीकरण एवं विकास की जो भारी भूलें हुई हैं, उन्हें पूर्वोत्तर +में दोहराया नहीं जाना चाहिए। संस्कृति के जरिए विकास ही पूर्वोत्तर +के उन्नयन का मूल मंत्र है और यह अवश्य ही हमें लुक ईस्ट और + +एक्ट ईस्ट संकल्पों में सफलता दिलाएगा। | +संदर्भ + +« अश्वत्थ, डॉ नरेंद्र जोशी, विकेकानंद केंद्र प्रकाशन + +2. डेबलेपमेंट थ्रू कल्चर, एस. गुरुमूर्ति, वीकेआईसी, गुवाहाटी में भाषण + +3, नॉर्थईस्ट इंडिया, इंडियाज ग्रेटेस्टक एसेट, सेवरल श्रेट, डॉ नरेंद्र जोशी, +एफआईएनएस बुलिटेन + +4... https://en.wikipedia.org/wiki/Northeast_India + +5. https://in.boell.org/en/2019/03/19/youth-and-infrastructure-develop- +ment-northeast-india + +6. https://www.hindustantimes.com/india-news + +7. https://idsa.in/idsacomments/EconomicPotentialofNortheastIn- +diaAnAssetorThreat_shivanandah_120511 + +8. https://economictimes.indiatimes.com/news/politics-and-nation/insur- +gents-from-other-states-are-considering-arunachal-pradesh-as-a-safe- +haven-for-their-hideouts-governor/articleshow/71036802.cms?utm_ +source=contentofinterest&utm_medium=text&utm_campaign=cppst + +15 + + + +\0016.txt +<----------------------------------------------------------------------> +पूर्वोत्तर क्षेत्र में कृषि + +डॉ एम प्रेमजीत सिंह + +पूर्वोत्तर क्षेत्र में अनेक अनूठी और बेजोड़ विशिष्टताएं हैं। उपजाऊ जमीन, प्रचुर जल संसाधन, सदाबहार घने +जंगल, उच्च और विश्वसनीय वर्षा, वृहत जैव विविधता तथा सामाजिक-आर्थिक, राजनीतिक, जातीय और +सांस्कृतिक विविधताओं का मेल इन विशिष्टताओं में शामिल है। इस क्षेत्र की समशीतोष्ण जलवायु कृषि के +लिये अनुकूल है। लिहाजा, पूर्वोत्तर क्षेत्र के निवासियों का मुख्य पेशा भी खेती ही है। + +पर are क्षेत्र में कुल 8 राज्य +हैं - अरुणाचल प्रदेश, असम, +मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, +ames, fg sik fafera sa aa +का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 262230 वर्ग +किलोमीटर है। यह समूचे देश के भौगोलिक +क्षेत्ररल का लगभग 9.12 प्रतिशत है। पूर्वोत्तर +क्षेत्र की कुल आबादी 4.6 करोड से ज्यादा +है। क्षेत्र का लगभग 35 प्रतिशत भाग मैदानी +है। अलबत्ता, असम में कुल भौगोलिक +क्षेत्रफल का 84.44 प्रतिशत हिस्सा मैदानी +है। शुद्ध बुवाई क्षेत्र के लिहाज से असम +(34.12 प्रतिशत) पहले और त्रिपुरा (23.48 +प्रतिशत) दूसरे स्थान पर है। क्षेत्र में सबसे +कम शुद्ध बुवाई क्षेत्र अरुणाचल प्रदेश में +है। फसल तीव्रता पर गौर करें तो त्रिपुरा +(156.5 प्रतिशत) पहले, मणिपुर (152.1 +प्रतिशत) दूसरे, मिजोरम (136.36 प्रतिशत) +तीसरे और असम (123.59 प्रतिशत) चौथे +स्थान पर है। पूर्वोत्तर क्षेत्र के लगभग 16 +लाख हेक्टेयर भूभाग पर झूम खेती होती +है। पूर्वोत्तर का शुद्ध बुवाई क्षेत्र 40 लाख +हेक्टेयर है। इसमें से 13 लाख हेक्टेयर भूभाग +भूक्षण की गंभीर समस्या से जूझ रहा है। +इस क्षेत्र में सालाना 2000 मिलीमीटर वर्षा +होती है जो देश में कुल बारिश का तकरीबन +10 प्रतिशत है। क्षेत्र की मिट्टी अम्लीय या +अत्यंत अम्लीय होने के बावजूद कार्बनिक + +तत्वों से भरपूर है। +क्षेत्र की आबादी का लगभग 80 + + + +प्रतिशत हिस्सा गांवों में रहता है। असम +को छोड दें तो क्षेत्र में बड़े उद्योगों का +घोर अभाव है। पूर्वोत्तर क्षेत्र के निवासी +आजीविका के लिये मुख्य रूप से कृषि और +इससे जुडे उद्यमों पर निर्भर करते हैं। देश +के इस भाग के कुल क्षेत्रफल का तकरीबन +56 प्रतिशत हिस्सा कम, 33 प्रतिशत मध्यम +और बाकी उच्च ऊंचाई का है। कृषि उपज +प्रणाली मुख्यतः सीडीआर किस्म की है। यह +प्रणाली आम तौर पर एक फसली होती है। +इसमें फसल तीव्रता कम (114 प्रतिशत) +और उपज सिर्फ जीवन निर्वाह के लायक +होती है। क्षेत्र में जोतों का आकार 1.15 +हेक्टेयर के राष्ट्रीय औसत की तुलना में +1.69 हेक्टेयर है। जोतों का आकार बड़ा भले +ही लगता हो मगर भौगोलिक असुविधाओं + +की वजह से समूची जोत का कृषि के लिये +इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। भूमि के +इस्तेमाल का तौर-तरीका अपेक्षाकृत त्रुटिपूर्ण +है। इस वजह से ऊपरी मिट्टी का सालाना +क्षय 16 टन प्रति हेक्टेयर के अखिल भारतीय +औसत से काफी ज्यादा 46 टन प्रति हेक्टेयर +है। इसी तरह जल संचय के समुचित उपायों +के अभाव में 42.5 एमएचएम पानी में से +सिर्फ 0.88 एमएचएम का इस्तेमाल हो पाता +है। कुल सिंचित क्षेत्र का कोई विश्वसनीय +आकलन मौजूद नहीं है। विभिन्‍न स्रोतों से +एकत्र जानकारियों से लगभग 20.74 प्रतिशत +क्षेत्र के सिंचित होने का संकेत मिलता है। +क्षेत्र में उर्वक का उपयोग भी बहुत ही +कम, लगभग 11 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है। +अरुणाचल प्रदेश में यह सबसे कम (2.7 + + + + + + + + + + + +@ + +PTT tdci +Peg + +Pn + +AR a + +Pott + + + + + +x i ba ey +rey el en +rer % +IERO TALLAGE न ८5 parr +ae lerdal eee +Pore + + + + + + + + + + + + + +cere au! East + +Tee! ne +a ee eed + +yeast nd Pe a ee ah +Poe ra +Tce ls 1 आंड + + + + + + + + + +लेखक केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, इंफाल (मणिपुर) के पूर्व कुलपति हैं। ईमेल: + +16 + +mpremjit5S@gmail.com + +योजना, जुलाई 2021 + + + +\0017.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +किलोग्राम प्रति हेक्टेयर) और मणिपुर में +सर्वाधिक (72 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर) है। +कृषि मुख्य रूप से धान पर आधारित है। +सिक्किम इसका अपवाद है जहां मुख्य फसल +मक्का है। ज्यादातर किसान चाहते हैं कि वे +अपने परिवारों की खाद्यान्न और पोषण की +जरूरतों को बिना बाहरी स्रोत पर निर्भर हुए +खुद पूरा कर सकें। इसलिये वे मिश्रित कृषि +प्रणाली को अपनाते हैं जिसमें बागवानी और +भोजन में मांसाहार की प्रमुखता की वजह से +पशुपालन भी शामिल है। क्षेत्र में लगभग 85 +लाख टन की आवश्यकता की तुलना में कुल +82 लाख टन खाद्यान्न की उपज होती है। +इस तरह खाद्यान्न उपज जरूरत की तुलना +में 3 लाख टन कम है। पशुपालन की ओर +वांछित रुझान के बावजूद दूध की 31.39 +लीटर, मांस की 9.36 किलोग्राम, अंडे की +33.50 और मछली की 4.12 किलोग्राम प्रति +व्यक्ति सालाना उपलब्धता ही है। पूर्वोत्तर +क्षेत्र के निवासियों की आजीविका का मुख्य +स्रोत कृषि और इससे संबंधित गतिविधियां +हैं। लिहाजा, गरीबी घटाने और क्षेत्र में प्रगति +लाने की कोई भी कोशिश कृषि विकास +की सुनियोजित और पर्यावरण के अनुकूल +क्षेत्रीय योजना पर आधारित होनी चाहिये। +इसके साथ ही क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों +के न्‍्यायसंगत उपयोग और संरक्षण पर भी +ध्यान दिया जाना चाहिये। उत्पादन में वृद्धि, +उत्पादों के मूल्य संवर्द्धन और विक्रय प्रबंधन +की नीतियों को इसके अनुरूप बनाया जाना +सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। +पूर्वोत्तर क्षेत्र का कायाकल्प + +आर्थिक सुधार की मौजूदा प्रक्रिया ने +अनेक अवसरों के साथ ही चुनौतियां भी पेश +की हैं। अप्रयुक्त क्षमता के लाभ के दोहन +के लिये जरूरी है कि पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्य +समग्र वृहत आर्थिक ढांचे के अंदर विकास + +योजना, जुलाई 2021 + + + +की अपनी रणनीति को नयी दिशा दें। मजबूत + +राज्य ही सशक्त क्षेत्र का निर्माण करते हैं। +लिहाजा, व्यापक विकास लक्ष्यों को हासिल +करने के लिये यह काम जरूरी है। दुर्भाग्य +से पूर्वोत्तर क्षेत्र के ज्यादातर राज्य आर्थिक +बाध्यताओं और अवसंरचनात्मक सीमाओं की +वजह से पिछड॒ जाते हैं। + +हाल के वर्षों में केन्द्र और राज्य +सरकारों ने क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था और कृषि +विकास को बढ़ावा देने के लिये कई कदम +उठाये हैं। पहले से ही बिगड़ी हुई ग्रामीण +आजीविका के मुख्य कारण कम उत्पादकता +और कृषि उपज का जोखिम भरा परिवेश हैं। +दुर्भाग्य से फलों और सब्जियों, फूलों और +जड़ी-बूटियों, मसालों तथा चाय, कॉफी और +रबर जैसी बागवानी की फसलों के लिये +व्यापक संभावनाओं के बावजूद क्षेत्र में यह +स्थिति है। इन उत्पादों में से ज्यादातर का +प्रसंस्करण कर देश के बाकी हिस्सों और +विदेश में इनका लाभकारी ढंग से व्यापार +किया जा सकता है। + +कुल खेती योग्य क्षेत्र का छोटा आकार +कृषि उत्पादन के तौर-तरीकों के श्लैतिज +विस्तार को रोकता है। अरुणाचल प्रदेश में + +ज्यादातर किसान चाहते हैं कि +वे अपने परिवारों की खाद्यान्न +और पोषण की जरूरतों को बिना +बाहरी स्रोत पर निर्भर हुए खुद +पूरा कर सकें। इसलिये वे मिश्रित +कृषि प्रणाली को अपनाते हैं +जिसमें बागवानी और भोजन में +मांसाहार की प्रमुखता की वजह से +पशुपालन भी शामिल है। + +कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का सिर्फ 2 प्रतिशत + +हिस्सा शुद्ध बुवाई का क्षेत्र है। मिजोरम + +और मणिपुर में यह 10 प्रतिशत से कम +तथा नगालैंड और मेघालय में 13 प्रतिशत +है। पूर्वोत्तर के कुल कृषि योग्य क्षेत्र का + +78 प्रतिशत भाग अकेले असम में है। कुल + +फसल क्षेत्र में से औसतन 74 प्रतिशत में + +अनाजों की खेती होती है। + +लेकिन धान आधारित मौजूदा उपज +प्रणाली परिवारों के लिये पर्याप्त आमदनी +मुहैया कराने में नाकाम रही है। कुल मिला +कर देखें तो पूर्वोत्तर क्षेत्र में कृषि का चरित्र +कुछ इस प्रकार है - + +1. पूर्वत्तर क्षेत्र अत्यंत विविधतापूर्ण है। +असमतल जमीन, उच्च और परिवर्तनशील +वर्ष तथा विभिन्‍न जातीयताएं इसकी +विविधता को बढ़ाती हैं। + +2. कृषि पर धान का वर्चस्व है। लेकिन +इसकी उत्पादकता कम और उपज +अनिश्चित है। + +3. भू-भौतिक सीमाओं की वजह से खेती +की जमीन का विस्तार मुश्किल है। क्षेत्र +के 7 में से 5 राज्यों में कुल भौगोलिक +क्षेत्र में से खेती की जमीन का हिस्सा +लगभग 10 प्रतिशत है। + +4. क्षेत्र में खेती-पशुपालन-मछली पालन- +रेशम पालन के विभिन्‍न संयोजनों +को अपनाये जाने के बावजूद इस +विविधीकरण का योगदान नगण्य है। + +5. छोटे और सीमांत किसानों की प्रधानता +इस क्षेत्र की एक महत्वपूर्ण विशिष्टता +है। भारत में कुल कृषकों में छोटे +और सीमांत किसानों का हिस्सा 59 +प्रतिशत है। लेकिन पूर्वत्तिर क्षेत्र में +यह अरुणाचल प्रदेश में 65 प्रतिशत +से लेकर मणिपुर और नगालैंड में 84 +प्रतिशत तक है। + +17 + + + +\0018.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +में ग्रामीण जनजीवन बाढ़, जलप्लावन +और सूखे जैसी प्राकृतिक आपदाओं से +प्रभावित होता है। इससे गांवों में जीवन +स्तर में गिरावट आने के अलावा गरीबी +का प्रसार हुआ है। +धान और खाद्यान्न की उपज में +आत्मनिर्भरता के लिये रणनीतियां +पूर्वोत्तर क्षेत्र में खाद्यान और खास तौर +से चावल की कमी पिछले वर्षों में आबादी +में वृद्धि के साथ ही बढ़ती जा रही है। +धान की उपज में कमी का एक प्रमुख +कारण कृषि के कम उत्पादन वाले स्थानीय +तौर-तरीकों का इस्तेमाल है। इस स्थिति के +लिये जिम्मेदार अन्य वजहों में बीज और +नस्ल की अदला-बदली की न्यून दर, सिंचाई +की अपर्याप्त सुविधाएं, पुरानी तकनीकों का +इस्तेमाल, उर्वरक उपयोग की कम कुशलता +और आधुनिक तौर-तरीकों को अपनाये जाने +का अभाव शामिल हैं। + +नीचे वर्णित रणनीतियों से क्षेत्र में चावल +उत्पादन में इजाफा किया जा सकता है - + +1. बीज अदला-बदली की दर को बढाया +जाये। + +2. Tet wl अदला-बदली की दर में +वृद्धि की जाये। + +3. सिंचाई सुनिश्चित कर फसल तीक्रता में +इजाफा किया जाये। + +4. प्रभावी सिंचाई सुविधाओं का विस्तार +किया जाये। + +5. एसआरआई, आईसीएम sik diag +रोपण जैसी ज्यादा सघन बुवाई प्रथाओं +को अपनाया जाये। + +6. मृदा पोषकों के तक॑संगत इस्तेमाल से +मिट्टी का स्वास्थ्य बरकरार रखा जाये। + +7. विस्तार की प्रणाली पर फिर से विचार +किया जाये। + +18 + +6. कृषि पर पूर्ण निर्भरता के कारण क्षेत्र + +8 ऋण, वित्त और फसल बीमा की +सुविधाएं प्रदान की जायें। +9, विपणन सुविधाओं और भंडारण की ग्रामीण +अवसंरचना का निर्माण किया जाये। +10. कृषि का मशीनीकरण किया जाये। +पूर्वोत्तर में बागवानी और पशुपालन aa +क्षेत्र में हाल के बरसों में कीवी, कृष्णा +फल (पैशन फ्रूट), गैर-मौसमी सब्जियों, +एंथूरियम, गुलाब, सुगंधरा (पैचौली) और +जेरेनियम की संगठित ढंग से बागवानी शुरू +की गयी है। खाद्यान्नों की खेती घाटियों के +समतल और कम ढलान वाले इलाकों में की +जाती है। दूसरी ओर बागवानी फसलों को +ऊंची पर्वतीय ढलानों में उपजाया जाता है। +एक अनुमान के अनुसार क्षेत्र में फलों की +11.20 प्रतिशत और सब्जियों की 14.81 +प्रतिशत सालाना चक्रवृद्धि विकास दर दर्ज + +आर्थिक सुधार की मौजूदा +प्रक्रिया ने अनेक अवसरों के +साथ ही चुनौतियां भी पेश की हैं। +अप्रयुक्त क्षमता के लाभ के दोहन +के लिये जरूरी है कि पूर्वोत्तर +क्षेत्र के राज्य समग्र वृहत आर्थिक +ढांचे के अंदर विकास की अपनी +रणनीति को नयी दिशा दें। मजबूत +राज्य ही सशक्त क्षेत्र का निर्माण +करते हैं। लिहाजा, व्यापक विकास +लक्ष्यों को हासिल करने के लिये +यह काम जरूरी है। दुर्भाग्य +से पूर्वोत्तर क्षेत्र के ज्यादातर +राज्य आर्थिक बाध्यताओं और +अवसंरचनात्मक सीमाओं की वजह +से पिछड़ जाते हैं। + + + +की गयी है। वर्ष 2012 की 19वीं मवेशी +गणना के अनुसार पूर्वोत्तर में 132.90 लाख +पशु हैं। क्षेत्र में सर्वाधिक 77.56 प्रतिशत +मवेशी सबसे बडे राज्य असम में हैं। उसके +बाद त्रिपुरा (7.14 प्रतिशत) और मेघालय +(6.74 प्रतिशत) का स्थान है। मवेशियों +में सबसे ज्यादा संख्या स्थानीय गायों की +है। संकर गायों की संख्या 21 प्रतिशत के +राष्ट्रीय औसत से बहुत कम सिर्फ 7 प्रतिशत +है। सिक्किम (90 प्रतिशत), मिजोरम (33 +प्रतिशत) और नगालैंड (55 प्रतिशत) में +संकर मवेशियों का अनुपात राष्ट्रीय औसत +से भी ज्यादा हे। + +पूर्वोत्तर. AF 1999-2000 ak +2012-2013 के बीच मान्यताप्राप्त क्षेत्र में +मांस उत्पादन में 38 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज +की गयी। यह वृद्धि 29 प्रतिशत के राष्ट्रीय +स्तर से अधिक है। अरुणाचल प्रदेश को +छोड क्षेत्र के सभी राज्यों में मांस उत्पादन +में वृद्धि हुई है। नगालैंड और मेघालय में +संभवत: मवेशियों के बड़े आधार और +मांसाहारी भोजन की लोकप्रियता के कारण +मांस उत्पादन में बढ़ोतरी काफी रही है। + +क्षेत्र में दूध का उत्पादन 1999-2000 +में 1021 हजार टन था जो 17 प्रतिशत बढ़ +कर 2012-2013 में 1236 हजार टन हो +गया। लेकिन इस दौरान राष्ट्रीय स्तर पर +दूध उत्पादन में 41 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज +की गयी। अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम +को छोड क्षेत्र के सभी राज्यों में इस काल +में दूध उत्पादन में इजाफा हुआ। दिलचस्प +बात यह है कि क्षेत्र में मवेशियों की सबसे +बड़ी आबादी वाले असम में दूध उत्पादन +में वृद्धि की दर धीमी रही। इसकी वजह +शायद यह हो कि राज्य में मवेशियों की कुल +आबादी का ज्यादातर हिस्सा स्वदेशी नस्‍्लों +का है। वर्ष 2012-13 में पूर्वोत्तर में दूध +का कुल उत्पादन देश में उत्पादन का महज +0.93 प्रतिशत रहा। क्षेत्र में हरेक व्यक्ति +के लिये दूध की उपलब्धता प्रति दिन 86 +ग्राम है। यह 299 ग्राम प्रति दिन के राष्ट्रीय +औसत का सिर्फ 29 प्रतिशत है। गौरतलब +है कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद +(आईसीएमआर) ने प्रति व्यक्ति रोजाना 220 +ग्राम दूध के उपभोग की सिफारिश की +है। क्षेत्र में इस दौरान प्रति व्यक्ति दूध की +उपलब्धता में गिरावट आयी जबकि राष्ट्रीय + +योजना, जुलाई 2021 + + + +\0019.txt +<----------------------------------------------------------------------> +औसत में 27 प्रतिशत का सुधार हुआ हे। +अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और मेघालय में +प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता कम हुई +मगर क्षेत्र के बाकी राज्यों में इसमें इजाफा +हुआ। पूर्वोत्तर में संकर नस्ल के मवेशियों का +औसत दूध उत्पादन प्रतिदिन 6.26 लीटर है। +यह 7.02 लीटर प्रति दिन के राष्ट्रीय औसत +से बहुत कम है। देश के बाकी हिस्सों की +तुलना में पूर्वोत्तर क्षेत्र की भैंसें बहुत कम +दूध देती हैं। + +नीति परिदृश्य +प्रचुर प्राकृतिक संसाधनों, अनुकूल + +मौसम और संपन्न मानव पूंजी के बावजूद +पूर्वोत्तर क्षेत्र सामाजिक कल्याण के विशाल +अवसरों का फायदा उठा पाने में नाकाम +रहा है। इसके परिणामस्वरूप कृषि आधारित +अर्थव्यवस्थाएं कम उत्पादकता, बेरोजगारी, +नन्‍्यून आय और गरीबी के चक्रव्यूह में +'फंसती जा रही हैं। इससे सामाजिक संकट +की आशंका बढ़ गयी है। इस बहुआयामी +संकट से निपटने के लिये अंतर-विषयक +अनुसंधान समुदाय, नीति निर्माताओं, +क्रियान्वयनकर्ताओं, और नागरिक समाज के +बीच तालमेल की जरूरत है। क्षेत्र में विकास +की प्रक्रिया को बढ़ावा देने के लिये समुचित +नीति और निवेश की आवश्यकता महसूस +की जा रही है। + +1. पूर्वोत्तर क्षेत्र एक पूरी तरह से वर्षा +आधारित उत्पादन प्रणाली का प्रतीक +है। यह प्रणाली क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था पर +बुरा प्रभाव डालती है। क्षेत्र में बड़े +पैमाने पर विविधताओं को देखते हुए +कृषि और इससे संबंधित उद्यमों के +विकास के लिये अलग-अलग तरह की +रणनीतियां अपनाये जाने की जरूरत है। +कई राज्यों में भू-भौतिक सीमाओं के +कारण जोतों का विस्तार मुश्किल होता +है। इस तरह के राज्यों में कृषि प्रणाली +का उर्ध्व विस्तार उपयोगी होगा। चावल +के प्रभुत्व वाले इलाकों में उन्‍नत “राइस +प्लस' रणनीति अपनाना बेहतर होगा। +बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बोरो धान की +फसल की अच्छी संभावना हो सकती +है। लेकिन इसके लिये ऐसी उत्पादन +प्रणाली की दरकार होगी जो बाढ़ से +प्रभावित नहीं हो। बढ़ती स्वदेशी और +अंतर्राष्ट्रीय मांगों को पूरा करने के लिये + +योजना, जुलाई 2021 + +पूर्वोत्तिर क्षेत्र में खाद्यान्न और खास +तौर से चावल की कमी पिछले +वर्षों में आबादी में वृद्धि के साथ +ही बढ़ती जा रही है। धान की +उपज में कमी का एक प्रमुख +कारण कृषि के कम उत्पादन वाले +स्थानीय तौर-तरीकों का इस्तेमाल +है। इस स्थिति के लिये जिम्मेदार +अन्य वजहों में बीज और नस्ल की +अदला-बदली की न्यून दर, सिंचाई +की अपर्याप्त सुविधाएं, पुरानी +तकनीकों का इस्तेमाल, उर्वरक +उपयोग की कम कुशलता और +आधुनिक तौर-तरीकों को अपनाये +जाने का अभाव शामिल हैं। + +किफायती और संसाधनों की बचत वाले +उपायों के साथ काला जोहा, पचौली +और पैशन फ्रूट जैसी उच्च मूल्य वाली +फसलों तथा सुगंध और चिकित्सीय +उपयोग वाले पौधों को उपजाया जा +सकता है। जिन क्षेत्रों में जोतों के छोटे +आकार के कारण फसल की उपज +सीमित होने के बावजूद संबंधित +गतिविधियों के लिये काफी गुंजाइश +है उनमें 'कृषि प्लस' की रणनीति की +जरूरत होगी। कृषि प्लस का मतलब +खेती के साथ ही पशुपालन, बागवानी, +फूलों और चिकित्सकीय पौधों की +उपज तथा रेशम पालन को अपनाना +है। पर्वतीय इलाके उच्च मूल्य वाली +बागवानी फसलों के साथ ही पशुपालन +और रेशम पालन को अपनाये जाने के +अनुकूल हैं। इन क्षेत्रों में झूम खेती एक +अरसे से की जा रही है। इसमें धान +और अन्य फसलों, ऑर्किड जैसे फूलों +तथा मवेशियों की उत्पादकता बढ़ाने के +लिये नवाचारी रणनीति की जरूरत है। + +2, मौजूदा कम खर्च वाली खेती को + +नजरंदाज नहीं किया जाना चाहिये। +यह पर्यावरण की दृष्टि से अच्छी हे +इसलिये इसे अवसर में तब्दील किया +जाना चाहिये। इस संबंध में ऑर्गेनिक + +6. + +उत्पादों के बाजार की संभावना की +तलाश करने की आवश्यकता है। +पूर्वोत्तर में कृषि प्रसंस्करण क्षेत्र की +अब तक घोर उपेक्षा की गयी है। +इसमें मूल्य संवर्द्धन और कटाई के बाद +नुकसान घटाने की व्यापक संभावनाएं +हैं। कृषि प्रसंस्करण और पैकेजिंग में +नयी पहलकदमियों को बढ़ावा देने के +साथ ही विपणन के नये अवसरों की +तलाश की जानी चाहिये। इस संबंध +में पड़ोसी देशों के साथ सीमा के +आर-पार व्यापार की अच्छी संभावनाओं +का उपयोग किया जा सकता है। +ग्रामीण संस्थानों को मजबूत और +संवेदनशील बनाने के लिये नवाचार +पर जोर दिया जाना चाहिये। ज्ञान की +व्यापक पहलकदमियों के जरिये क्षमता +निर्माण, अनुबंध खेती तथा क्षेत्रीय +प्रबंधन समितियों और ग्राम पंचायतों या +परिषदों को पुनर्जीवित या मजबूत करना +महत्वपूर्ण है। ये संस्थाएं मूल्यवान +सामाजिक पूंजी हैं तथा इनमें ज्ञान के +प्रसार का वाहक बनने और ग्रामीण +नेतृत्व में सुधार करने की क्षमता है। यह +इसलिये भी प्रासंगिक है कि नाबार्ड, +नेडफी, सिंडबी और आईडीबीआई +जैसे वित्तीय संस्थान ऋण की प्रभावी +डिलीवरी के लिये समुदाय आधारित +संस्थाओं के रेहन का इस्तेमाल कर +सकते हैं। + +छोटे और सीमांत किसानों के लिये +मददगार नयी कृषि प्रौद्योगिकी बनाने +के लिये लगातार अनुसंधान और +विकास की प्रणाली होनी चाहिये। +क्षेत्र में कृषि से संबंधित अनुसंधान +और विकास में निवेश पर ध्यान नहीं +दिया गया है जिसे अब बढावा दिये +जाने की जरूरत है। + +क्षेत्र की कृषि अर्थव्यवस्था के प्रभावी +नीतिगत विश्लेषण के लिये आंकड़ों +का अभाव एक गंभीर समस्या है। +इसलिये कृषि से संबंधित आंकड़ों +को इलेक्ट्रॉनिक क्रांति की मदद से +प्राथमिकता के आधार पर व्यवस्थित +किया जाना चाहिये। इस सिलसिले +में ई-शासन का बुनियादी औजार +आवश्यक है। = + +19 + + + +\0020.txt +<----------------------------------------------------------------------> +दीर्घावधि शांति और विकास + +मृणाल तालुकदार + +सोशल इम्पेक्ट इनक्यूबेटर अलसिसार इसम्पेक्ट में आयोजित इनक्यूबेशन कार्यक्रम +में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया तो नगालैंड के एक अखबार में +प्रमुखता से खबर छपी थी। दीमापुर स्थित नागाएड के संस्थापकों : केविसातो सान्युत और +शिरोइ लिलिशेजा ने बताया कि कोविंड-19 महामारी के दौरान अपने परिवार के सदस्यों को +सीखने-पढ़ने के अच्छी किस्म के तरीकों के लिए जूझते देखा तो उन्होंने नागाएड बनाने की +ठान ली। +कोविड संक्रमण के कारण स्कूल बंद हो जाने के दौर में केविसातो सान्‍्यु और शिरोइ शैजा +ने डिजिटल शिक्षण अनुभव के इच्छुक विद्यार्थियों, अध्यापकों और संस्थानों को सीखने और +पढ़ाने की यह प्रणाली उपलब्ध कराई। +नागाएड से “वांडर नगालैंड' तक की यात्रा 4 नवम्बर, 2019 को शुरू की गई थी। ‘aise +नगालैंड' यात्रा के बारे में राज्य का पहला सोशल उद्यम है जो पर्यटन के माध्यम से नगालैंड + +जज ब नगालैंड के शिक्षा प्रौद्योगिकी स्टार्टअप - 1५४४०३6 (नागाएड) को मुम्बई के + + + + + + + + + + + +पिछले दशक में के आम लोगों को रोजगार का अवसर उपलब्ध कराने के प्रयास में लगा है। +समूचे पूर्वोत्तर क्षेत्र वांडर नगालैंड के संस्थापकों के अनुसार “पर्यटन उद्योग' उभर रहा हे और अभी नया हे। +में लम्बे समय तक हमें पता नहीं है कि अपने मूल्यों को कैसे प्रदर्शित करें और अभी तक हम पर्यटकों को यह भी +शांति रही जिससे [= 10758... +नए विचार सामने +आए और निवेश सामाजिक एवं +भी हुआ। अब यह अवसंरचना +चुनौती सामने आ रही विकास कोष +बनाने की प्रक्रिया में ; +राज्यों की भागीदारी ही +सुनिश्चित की जाए yi lag +और विकास के gee >> OCR! +प्रमुख क्षेत्रों में उन्हें हम (एसआईडीएफ ) का सृजन +प्रभावी ढंग से लागू कक 2 =e विशेष कठिनाइयों का सामना कर रहे +करने के नए तरीके oe a अरुणाचल ग्रदेश व अन्य सीमा क्षेत्र के +खोजे जाएं। _.. / लि CR Seca Cla + +एसआईडीएफ परियोजना में 37 + + + +लेखक असम के वरिष्ठ पत्रकार हैं। ईमेल; mrinal.talukdar@gmail.com + +20 योजना, जुलाई 2021 + + + +\0021.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +नहीं समझा पाए हैं कि हमारे पास उन्हें देने या पेश करने यानी ऑफर +करने के वास्ते क्या कुछ है? + +आपस में पूरे विश्वास से चल रहे ये दोनों शिक्षित युवा उद्यमी +अरुणाचल प्रदेश की मिशिमि हिल्स से मिजो हिल्‍्स तथा असम की दो +घाटियों तक इम्फाल घाटी और खुले विस्तृत मैदानी क्षेत्र सहित असम +का पूरा लैंडस्केप ही बदलने में लगे हैं। + +परम्परागत उद्यमों की सीमाओं का विस्तार करके ये लोग ऐसी +दुनिया की कल्पना में लगे हैं जिसके बारे में दस साल पहले कोई सोच +भी नहीं सकता था। इसका मुख्य आधार हे इस क्षेत्र में लम्बे समय से +शांति कायम रहना। + +असम के वेंटेज सर्कल की ही बात लें। 2010 में स्टार्ट-अप +विचारों पर चर्चा के दौरान दो मित्र अंजन पाठक और पार्था न्‍्याग +कर्मचारियों को भागीदार बनाने का कार्यक्रम चलाने की अवधारणा तक +पहुंच गए। + +पार्था को विभिन्न टेक कम्पनियों में काम करने का दस साल का +अनुभव था। उसने कंपनियों की बडे खर्च करने की प्रवृत्ति से अन्य +ब्रांडों पर पड़ने वाले प्रभाव को देखा-समझा। फिर इन दोनों ने 2011 +में 30 लाख रुपये की मूल पूंजी से वैंटेज सर्किल शुरू करने का +फैसला किया। इसकी शुरुआत कर्मचारियों के +लिए 'डील और डिस्काउंट' कार्यक्रम के तौर +पर की गई थी। + +आज वेंटेज सर्किल कर्मचारियों को लाभ +पहुंचाने और उन्हें शामिल करने का क्लाउड +आधारित व्यापक प्लेटफार्म है जो कॉरपोरेट + +कंपनी कर्मचारियों को लाभ-पैकेज उपलब्ध +करा रहा हे। + +पिछले वर्ष अमेरिका की सबसे बडी +कंपनियों में शामिल एक कंपनी ने वेंटेज + +आपस में पूरे विश्वास से चल +रहे ये दोनों शिक्षित युवा उद्यमी + +अरुणाचल प्रदेश की मिशिमि +हिल्स से मिजो हिल्स तथा असम +ऑफर, रिवार्ड एंगेजमेंट कार्यक्रमों के जरिए की दो घाटियों तक इम्फाल घाटी + +और खुले विस्तृत मैदानी क्षेत्र +सहित असम का पूरा लैंडस्केप +ही बदलने में लगे हैं। परम्परागत + + + +ऐसे अनेक उदाहरण हैं और पूर्वोत्तर में बदलाव आता जा रहा है +क्योंकि नई पीढ़ी अनछुए क्षेत्रों में जाकर चुनौतियों के बीच नए अवसर +खोज रही है। + +पिछले दस वर्षों के दौरान विदेशों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के +बाद नगा युवा अपने मूल राज्य में ही लौटकर नई संभावनाएं तलाशने +की चाहत रखता है। + +छिटपुट घटनाएं होती हैं, नगा समस्या के समाधान की प्रगति धीमी +है लेकिन शांति अब भंग नहीं हो सकती क्योंकि इस क्षेत्र के सभी लोग +सच्चे मन से और पक्के तौर पर चाहते हैं कि वहां शांति बनी रहे। तभी +तो कट्टर से कट्टर उग्रवादी भी अब शांति चाहने लगे हैं। + +अब नई चुनौती यह है कि राष्ट्रीय नीतियां बनाने में राज्यों की +भागीदारी सुनिश्चित की जाए और प्रमुख विकास क्षेत्रों में इन योजनाओं +को प्रभावी ढंग से लागू करने के नए तरीके खोजे जाएं। + +बीती बातें भुला दें - प्रधानमंत्री ने क्षेत्र के सर्वागीण विकास +की दूष्टि से सहकार और स्पर्था पर आधारित संघवाद की स्थापना की +आवश्यकता पर बल दिया है और 'सभी के लिए एक समाधान' का +दृष्टिकोण छोड़कर विभिन्न राज्यों की विविध परिस्थितियों और स्थानीय +आवश्यकताओं के अनुरूप अलग-अलग समाधान अपनाने को कहा है। + +सहकारी संघवाद की धारणा के पीछे मूल +सोच सरकार के तीन स्तरों के बीच अधिकारों +और दायित्वों का विभाजन करना है ताकि +योजना निर्माण सबकी भागीदारी बनी रहे। इसी +क्रम में अनुच्छेद 263 के अंतर्गत गठित परिषद्‌ +को अधिकार देना और राज्यों के बीच समन्वय +रखते हुए संगठनात्मक बदलाव लागू करने का +जिम्मा भी सौंपना शामिल है। + +14वें वित्त आयोग की सिफारिशें लागू +करने पर राज्यों को कुल निधि की 10 प्रतिशत +ज्यादा राशि मिलने लगेगी जिससे उन्हें अधिक + +सकिल को एम्पलॉई रिवार्ड्स एंड रिकॉगनिशन sae ये लोग ऐसी निया की राजस्व स्वायत्ता प्राप्त होगी। वास्तव में यही केन्द्र +प्लेटफॉर्म के लिए बहुत बड़ा ठेका दिया. में | ऐ कुनया में और राज्यों के बीच संसाधनों और दायित्वों के +था। इसके तहत वैंटेज सकिल का प्लेटफॉर्म कल्पना में लगे हैं जिसके बारे में आवंटन की व्यवस्था में बदलाव की शुरुआत + +अमेरिका और भारत में इन कंपनियों के 90,000 +से ज्यादा कर्मचारियों को अपने रिवार्ड का लाभ +आसानी से लेने की सुविधा प्रदान करेगा। इसके +परिणामस्वरूप वैंटेज सर्किल को न्यूयॉर्क में भी +अपना कार्यालय खोलना पड़ा। + +योजना, जुलाई 2021 + +दस साल पहले कोई सोच भी नहीं +सकता था। इसका मुख्य आधार है +इस क्षेत्र में लम्बे समय से शांति +कायम रहना। + +का संकेत भी हेै। + +यह दायित्व अब राज्यों को सौप दिया गया +है कि वे अपनी प्राथमिकताओं और जरूरतों +के अनुरूप विकास योजनाएं तैयार करके उन्हें +क्रियान्वित करें। + +21 + + + +\0022.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + += + +सामाजिक और आर्थिक रूप से टिकाऊ बने रहने के लिए देश +की प्रगति समग्र होनी चाहिए। परन्तु पूर्वोत्तर क्षेत्र में औद्योगिकीकरण की +गति अपेक्षाकृत धीमी है और सामाजिक-आर्थिक विकास भी धीमा है। +यद्यपि इस क्षेत्र में प्राकृतिक संसाधन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं जिनसे +औद्योगीकरण और सामाजिक विकास बहुत ज्यादा हो सकता है लेकिन +उनकी पूरी क्षमता का उपयोग नहीं हो पा रहा है। + +इस क्षेत्र के कई प्राकृतिक पहलू भी हैं। भौगोलिक स्थिति के +कारण परम्परागत घरेलू बाजार तो इस क्षेत्र की पहुंच में हैं ही, कई +पूर्वी राज्य और पड़ोसी देश बांग्लादेश और म्यांमार भी इसकी पहुंच +के दायरे में आते हैं। दक्षिण पूर्वी एशिया के बाजारों में जाने के लिए. +यह प्रवेश द्वार है। + +पर, अब स्थिति तेजी से बदल रही है, भूतल परिवहन में बड़े +पैमाने पर बुनियादी सुविधाओं के निर्माण से यह संभव हो रहा है। इस +क्षेत्र की दो सबसे तेजी से बन रही सबसे बड़ी परियोजनाओं में से एक +1500 किलोमीटर लम्बी ट्रांस अरुणाचल हाइवे है जो तेजपुर के उत्तर +में सेसा से नगालैंड के नजदीक नाहरकटिया तक जाता है। यह हाइवे +अरुणाचल प्रदेश से होकर जाएगा। + +दूसरी परियोजना है जिरबाम-इम्फाल रेल-लाइन का निर्माण जिससे +मणिपुर को भारत के मुख्य रेल नेटवर्क से जोड़ा जा रहा है। इसके लिए +भारत सरकार ने 13,809 करोड़ रुपये का बजट रखा है। + +साथ ही ब्रह्मपुत्र नदी पर कम से कम पांच बड़े पुल बनाए जा +रहे हैं जिनमें धुबरी-फुलबारी में विश्व का सबसे बड़ा पुल भी शामिल +है। इससे पूर्वोत्तर क्षेत्र पूरी तरह से अन्य सभी + +क्षेत्रों के लिए खुल जाएगा। ये सभी योजनाएं इस क्षेत्र के कई प्राकृतिक पहलू +भी हैं। भौगोलिक स्थिति के +कारण परम्परागत घरेलू बाजार +तो इस क्षेत्र की पहुंच में हैं ही, +कई पूर्वी राज्य और पड़ोसी देश +बांग्लादेश और म्यांमार भी इसकी +पहुंच के दायरे में आते हैं। दक्षिण +पूर्वी एशिया के बाजारों में जाने +के लिए यह प्रवेश द्वार है। + +इस समय निर्माणाश्ीन हैं। + +पूर्वोत्तर क्षेत्र में प्राकृतिक संसाधनों का +अपार भंडार है और विस्तृत कृषि योग्य +उपजाऊ भूमि है तथा जबरदस्त प्रतिभा भी +है और इसीलिए यह भारत सबसे समृद्ध क्षेत्र +बन सकता है। +पूर्वोत्तर क्रियान्वयन एजेंसी + +इस क्षेत्र के लिए अनेक लाभकारी योजनाएं, +और कार्यक्रम तैयार किए गए हैं और इसीलिए +क्षेत्र के कई इलाकों में काफी प्रगति दिखाई देने + +22 + +लगी है। अपेक्षित सफलता इसलिए नहीं प्राप्त की जा सकी क्योंकि +क्रियान्वयन एजेंसियों का योजनाओं में पूरी तरह तालमेल नहीं था। +इसीलिए जरूरी है कि क्रियान्वयन क्षमता को अधिक मजबूत करने की +योजना बनाई जाए। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए पूर्वोत्तर क्षेत्र परियोजना +क्रियान्वयन का गठन करना जरूरी है जो परियोजनाओं के लिए दी जाने +वाली निधि की व्यवस्था संभालने के साथ ही प्रत्येक परियोजना के +काम की प्रगति आंकने के लिए मॉनीटर दल भी गठित करेगा जो निजी +क्षेत्र के चुने हुए भागीदारों के सहयोग से हर योजना को लागू कराने +की जिम्मेदारी निभाएगा और राज्य सरकारों तथा अन्य संबंद्ध एजेंसियों +के साथ समन्वय बनाएगा। + +पूर्वोत्तर क्षेत्र में न केवल भारत की आत्मनिर्भर आर्थिक इकाई बनने +की भरपूर क्षमता है बल्कि देश की बड़ी उपलब्धियों में अहम योगदान +करने का सामर्थ्य भी है और यही तथ्य इस क्षेत्र के प्रति प्रधानमंत्री के +विशेष ध्यान केन्द्रित करने से भी उजागर होता है। + +इस क्षेत्र में उपजाऊ भूमि और जल स्रोत हैं जिससे यह बागवानी +के लिए सर्वथा उपयुक्त है तथा यहां की समृद्ध संस्कृति और प्राकृतिक +संपदा का उपयुक्त दोहन करके विकास की गति में और तेजी लाई +जा सकती है। + +बागवानी, हथकरघा और हस्तशिल्प के अपेक्षाकृत लाभों पर +जोर देना तो ठीक है पर ग्रामीण उद्योगों पर ध्यान देते समय शहरों में +रोजुगार मुहैया कराने वाले विनिर्माण उद्योग की अनदेखी भी नहीं की +जानी चाहिए। + +वास्तव में “मेक इन नॉर्थ-ईस्ट' अर्थात +दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ पूर्वोत्तर क्षेत्र +के व्यापार को और बढ़ाने की जरूरत है। +म्यांमार और बांग्लादेश के साथ व्यापार में +कच्चे माल का कारोबार मुख्य है। उदाहरण के +तौर पर, मेघालय बांग्लादेश को स्टोन बोल्डर्स, +लाइमस्टोन (चूना-पत्थर) और बागवानी उत्पाद +निर्यात करता है। + +इन्हें प्रोसेस करके चिप्स और सीमेंट +बनाकर वापिस भारत को भेज दिया जाता है। +इससे मूल्य संवर्द्धऔ और सीमापार सहयोग को +बढ़ाने की काफी गुंजाइश है। बागवानी का भी + +योजना, जुलाई 2021 + + + +\0023.txt +<----------------------------------------------------------------------> +विस्तार और विकास करने की भी संभावना है +क्योंकि इस क्षेत्र में बढ़िया किस्म की हल्दी +और अदरख पैदा की जाती है और आसानी से +उगने वाले किवी और पैशन-फ्रूट का भी खूब +उत्पादन होता है। + +परन्तु हाट व्यवस्था पर्याप्त न होने के +कारण बागवानी उत्पाद पिछड़े हुए हैं। कोल्ड +स्टोरेज चेन की कमी के कारण भी बागवानी +में लगे उत्पादकों को बाजार के उतार-चढ़ाव +झेलने पड़ते हैं। + +बुनियादी सुविधाओं का विकास न हो +पाने के कारण पर्यटन उद्योग खास प्रगति नहीं +कर सका। राज्य आपस में तालमेल रखे बिना +अपने स्तर पर अलग-थलग प्रयास कर रहे +हैं। समन्वित प्रयासों के लिए पूर्वोत्तर प्लेटफार्म +(मंच) स्थापित करने, गंतव्य स्थलों का विकास +करने, पर्यटन क्षेत्र निर्धारित करने, स्थानीय लोगों +को और निजी क्षेत्र को भी शामिल करने जैसे +साधारण उपाय तेज गति से लागू करके पर्यटन +क्षेत्र के विकास का बड़ा कार्यक्रम शुरू किया जा सकता है। + +केंद्र सरकार के प्रत्येक मंत्रालय को अपने बजट का कम से +कम 10 प्रतिशत पूर्वोत्तर क्षेत्र में खर्च करना पड़ता है। पर, अभी तक +बिना खर्च की गई राशि का बड़ा पूल जमा हो चुका है क्योंकि खर्च +करने योग्य प्रस्ताव ही तैयार नहीं हो पा रहे हैं। इसीलिए पूर्वोत्तर क्षेत्र +के विकास की कोई भी नीति लाने से पहले यह जान लेना जरूरी है +कि निर्धारित धनराशि खर्च क्‍यों नहीं की जा सकी। कोई भी दोहरी +परियोजना तैयार करने के लिए विभिन्न संस्थानों की विशेषज्ञता का भी +लाभ लेना चाहिए। + +आज पूर्वोत्तर क्षेत्र विद्रोह और घुसपैठ की समस्या से मुक्त हो +चुका है। इस सुखद स्थिति को देखते हुए क्षेत्र में होने वाली छिटपुट +घटनाओं की कोई अहमियत नहीं है। देर-सवेर आखिरी बचे “नगा +समझौते' पर भी हस्ताक्षर हो ही जाएंगे। + +नगालैंड विधानसभा ने 18 फरवरी, 2021 को ही दशकों पुराने +नगा राजनीतिक विवाद को निपटाने के बारे में चार सूत्रीय प्रस्ताव पारित + +किया है जिसमें 60 सदस्यों के सदन ने केंद्र और नगा राजनैतिक समूहों + +के बीच अंतिम समाधान के लिए चल रहे विचार-विमर्श के +में एकजुट होकर प्रयास करने का संकल्प व्यक्त किया Tl gee +स्थानीय जलवायु की परिस्थितियां; सुरक्षित और स्वच्छ +तथा प्रदूषण मुक्त वातावरण। +केंद्र सरकार नगा-वार्ताकारों के साथ अलग- अलग +दो विचार-विमर्श जारी रखे हुए हैं, पहली वार्ता 1997 से +एनएससीएन (आईएम) के साथ चल रही है और दूसरी +वार्ता राजनीतिक ग्रुपों (एनएनपीजी) के साथ 2017 से +जारी है जिसमें सात ग्रुप शामिल हैं। इन क्षेत्रों की पूरी +क्षमता का उपयोग करने के लिए सभी क्षेत्रों की बुनियादी +सुविधाएं, शिक्षा और कौशल विकास सुविधाएं बढ़ाने के +वास्ते काफी निवेश की जरूरत पड़ेगी, और यह सभी कार्य ees + +योजना, जुलाई 2021 + +बुनियादी सुविधाओं का विकास न +हो पाने के कारण पर्यटन उद्योग +खास प्रगति नहीं कर सका। राज्य + +आपस में तालमेल रखे बिना अपने +स्तर पर अलग-थलग प्रयास कर +रहे हैं। समन्वित प्रयासों के लिए +पूर्वोत्तर प्लेटफार्म ( मंच ) स्थापित +करने, गंतव्य स्थलों का विकास +करने, पर्यटन क्षेत्र निर्धारित करने, +स्थानीय लोगों को और निजी क्षेत्र + +को भी शामिल करने जैसे साधारण ९* + +उपाय तेज गति से लागू करके +पर्यटन क्षेत्र के विकास का बड़ा +कार्यक्रम शुरू किया जा सकता है। + + + +इस क्षेत्र की समृद्ध जैव-विविधता संरक्षण +संबंधी आवश्यकता को ध्यान में रखकर करने +होंगे। फिर, योजनाएं क्रियान्वित करके ही +विकास संभव हो सकेगा। पूर्वोत्तर क्षेत्र के +विकास के लिए मंत्रालय की ओर से शुरू +की गई नई पहलों से यह प्रक्रिया और सशक्तर +होगी। राज्यों की प्रो-एक्टिव भूमिका पर भी +काफी कुछ निर्भर है। + +खूबियां + +° ब्ल्यू माउंटेन (फवागपुई-मिजोरम) , + +पलक लेक (fs), amen we + +(मणिपुर) , माजुली नदी (असम) जैसे आकर्षक + +पर्यटक स्थुल; + +अनूठे रिवाज और परम्पराओं वाली + +जनजाति संस्कृति; + +अनेक टी एस्टेट (चाय बागान); +पूर्वोत्तर क्षेत्र में काफी अच्छा स्त्री-पुरुष +समानता सूचकांक, + +° बांस के अपार भंडार; + +स्थानीय लोगों ने हथकरघा और बुनकरी का हुनर अपना लिया है; + +* पनबिजली परियोजनाओं के लिए लाइमस्टोन (चूना पत्थर) और +पानी प्रचुर मात्रा में उपलब्धि; + +* स्थानीय जलवायु की परिस्थितियां; और + +* सुरक्षित और स्वच्छ तथा प्रदूषण-मुक्त वातावरण। + +खामियां + +* समुचित कनेक्टिविटी का अभाव : इस क्षेत्र का बड़ा भाग पर्वतीय +है जिससे यहां के राज्यों को सड़क मार्ग पर ही निर्भर रहना पड़ता +है और फिर सड़कों की हालत भी अच्छी नहीं है। हवाई अड्डों +की संख्या कम होने से भी यहां कनेक्टिविटी कम है। + +* पर्यटन संबंधी मूलभूत सुविधाएं बहुत सीमित हैं। पर्यटकों के लिए +रहने-ठहरने की सुविधा भी मांग के मुकाबले काफी कम है और +है भी निम्न स्तर की। + +* कुशल और अकुशल श्रमिकों का अभाव + +* मानसून के दौरान बाढ़ और भू-स्खलन के कारण इस क्षेत्र में +पहुंचना बेहद मुश्किल हो जाता है। + +23 + + + +\0024.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +राज्य में भूमि अधिग्रहण और हस्तांतरण संबंधी कानूनों में +सार्वजनिक-निजी भागीदारी को ध्यान में रखकर उन परियोजनाओं +में निवेश के लिए अनुकूल हालात बनाने होंगे। + +* परियोजना के क्रियान्वयन में देरी के कारण विकास प्रक्रियाएं +पिछड॒ जाती हें। + +* राज्यों तक पहुंचने के मार्ग अवरुद्ध रहते हैं। + +अवसर + +* हथकरखा उद्योग का विकास। + +* वर्षा के मौसम में राज्य के उन भागों तक पहुंचने की सुविधा +उपलब्ध कराने के लिए बाढ़ प्रबंधन व्यवस्था करना जिन्हें +पर्यटन-स्थलों के रूप में विकसित किया जा सकता है। + +* मौजूदा पर्यटन सर्किटों से संपर्क विकसित करना और नए सर्किट +विकसित करना। + +* बुनियादी सुविधाएं और आने-जाने की व्यवस्था में सुधार करके +व्यापार में जबरदस्ती वृद्धि की जा सकती है। + +खतरे + +* पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों में संसाधनों के बेहद ज्यादा + + + +* क्षेत्रीय कनेक्टिविटी से जुड़ी चिन्ताएं। + +* यदि भूमि बैंक और भूमि उपलब्ध पर ध्यान न दिया गया तो निजी +क्षेत्र का विकास रुकने लगेगा। + +* स्थानीय लोगों का रोजगार की तलाश में शहरी क्षेत्रों की ओर + +पलायन। + +पिछले वर्ष कई पहल की गई हैं और सफलता भी मिली है। +उदाहरण के लिए, सरकार ने सड़कों और रेलों के निर्माण के लिए +92 000 करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की है। + +“पूर्वोत्तर क्षेत्र में विशेष त्वरित सड़क विकास कार्यक्रम +(एसएआरडीपीएनई) के अंतर्गत ट्रांस अरुणाचल हाइवे विकसित किया +जा रहा है। भूटान, बांग्लादेश, भारत और नेपाल (बीबीआईएन) के +बीच समझौते के तहत शुरू में बसों को और बाद में निजी वाहनों को +इन चारों देशों के परमिट पर एक-दूसरे के यहां आने-जाने की सुविधा +दी गई है। इसी तरह बांग्लादेश के साथ बस सुविधाएं भी सुधरी हैं। + +थोड़े और प्रयास करने और स्थानीय तथा केंद्र सरकार के समर्थन +से और लम्बे समय तक शांति बनी रहने पर भविष्य में पूर्वोत्तर क्षेत्र + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +इस्तेमाल और व्यापारिक रवैया अपनाने से संसाधन बर्बाद होते का जबरदस्त विकास हो सकेगा। | +प्रकाशन विभाग के विक्रय केंद्र + +नई दिल्‍ली । पुस्तक दीर्घा, सूचना भवन, सीजीओ कॉम्प्लेक्स, लोधी रोड 110003 | 011-24367260 +नवी मुंबई |701, सी- विंग, सातवीं मंजिल, केंद्रीय सदन, बेलापुर 400614 | 022-27570686 +कोलकाता 18, एसप्लानेड ईस्ट 700069 | 033-22488030 +चेन्नई *ए' विंग, राजाजी भवन, बसंत नगर 600090 | 044-24917673 +तिरुअन॑तपुरम | प्रेस रोड, नयी गवर्नमेंट प्रेस के निकट 695001 | 0471-2330650 +हैदराबाद कमरा सं 204, दूसग तल, सीजीओ टावर, कवाडीगुड़ा, सिकंदरबाद | 500080 | 040-27535383 +बेंगलुरु फर्स्ट फ्लोर, 'एफ' विंग, केंद्रीय सदन, कोरामंगला 560034 | 080-25537244 +पटना बिहार राज्य कोऑपरेटिव बैंक भवन, अशोक राजपथ 800004 | 0612-2683407 +लखनऊ हॉल सं-1, दूसरा तल, केंद्रीय भवन, क्षेत्र-एच, अलीगंज 226024 | 0522-2325455 +अहमदाबाद ।4-सी, नेप्चून टॉवर, चौथी मंजिल, नेहरू ब्रिज कॉर्नर, आश्रम रोड | 380009 | 079-26588669 + +24 योजना, जुलाई 2021 + + + +\0025.txt +<----------------------------------------------------------------------> +४281० / 220 12010 101 + +टीम वही, कोचिंग नई +अखिल मूर्ति के निर्देशन में +एडमिशन लेने से पहले जान लें कि आपको कौन पढ़ाएगा! +शिक्षक, जो सुनिश्चित करेंगे आपकी सफलता + +श्र | © = £ +है Pree! | ५ +Mn, . of \ कर + +के, अरुण | श्री सीबीपी श्रीवास्तव + +4, (DISCOVERY IAS) + + + + + + + + +सामान्य अध्ययन वैकल्पिक विषय + + + + + + + +हाय) | इतिहास भूगोल. राजनीति विज्ञान +"ta ta द्वारा - द्वारा - छारा - +में नामांकन जारी अखिल मूर्ति कुमार गौरव राजेश मिश्रा + + + + + + + +९ 7428085757 Tfacs-atct wt: Website: www.sanskritilAS.com +7428085758 9555-124-124 Follows us on: You €2 (Ss) ७ © + +YH-1592/2021 + + + +योजना, जुलाई 2021 25 + + + +\0026.txt +<----------------------------------------------------------------------> +१1077: ॥ + +पूर्वोत्तर में शिक्षा + +प्रोफेसर के एम बहरूल इस्लाम + +दुनिया भर में शिक्षा नीतियों को लोगों की आर्थिक समृद्धि, गतिशीलता और सामाजिक विकास के हिसाब +से बदला जा रहा है। जानकार लंबे समय से इस बात पर जोर देते रहे हैं कि किसी भी संगठन या समाज +में उपयोगी मानव पूंजी तैयार करने के लिए निवेश की जरूरत होती है। राष्ट्रीय स्तर पर बनाई गई हमारी +शिक्षा नीतियां आम तौर पर बेहद जरूरी लक्ष्यों से संचालित होती हैं। हालांकि , जमीनी स्तर पर इन लक्ष्यों +को लागू करने के लिए ( खास तौर पर पूर्वोत्तर में) बारीकी से काम करना होगा। हमारी शिक्षा नीतियों में +क्षेत्रीय स्‍तर पर समीक्षा की सख्त जरूरत है, ताकि ऐसा माहौल तैयार हो सके जहां छात्र-छात्राएं रोजगार +हासिल करने में अपनी शिक्षा और प्रशिक्षण का उपयोग कर सकें, अपना जीवन स्तर सुधार सकें और इस + +इलाके के सामाजिक विकास में अपना योगदान दें। + +प्टीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी) का मकसद 21वीं + +सदी के भारत की जूरूरतों को पूरा करने के लिए शिक्षा +प्रणाली में बड़े पैमाने पर बदलाव करना है। हालांकि, + +क्या हम क्षेत्रीय स्तर पर अपनी शिक्षा प्रणली और इससे जुड़े तमाम +पहलुओं को दुरुस्त करने के लिए तैयार हैं? साथ ही, क्‍या हम तेजी +से बदलते समय और कामकाज स्थल पर उभरते तरीकों के हिसाब +से अपनी प्रणाली में बदलाव करने के लिए तैयार हैं (विश्व विकास +रिपोर्ट, 2019)? अगर ऐसा है, तो भौगोलिक-रणनीतिक लिहाज से +महत्वपूर्ण इस पूर्वोत्तर क्षेत्र को अगले कुछ साल में मानव पूंजी का +केंद्र बनाने के लिए कौन से रणनीतिक बदलाव करने होंगे? इस +लेख में हम इन मुद्दों की पड़ताल करेंगे। साथ ही, भविष्य की उन +गतिविधियों के बारे में जानेंगे जो शिक्षा नीतियों को इस क्षेत्र की +वृहतर चुनौतियों से जोड़ती हैं। पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए रणनीतिक योजना +बनाते समय हमें इस क्षेत्र की कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना होगा। +यहां सबसे पहले यह बताना जरूरी है कि पूर्वोत्तर में उद्योगों + +की मौजूदगी काफी कम है। इस वजह से पूर्वोत्तर के नौजवानों को +रोजगार के लिए पलायन करना पड़ता है। हमारे छात्र-छात्राएं लंबे +समय तक “स्थायी' सरकारी नौकरी पर निर्भर रहे। हालांकि, अब +“पढ़े-लिखे' लोगों की बड़ी तादाद है, जबकि इस तरह की नौकरियों +की भारी कमी है। हमारी शिक्षा प्रणाली में (खास तौर पर कॉलेज +और विश्वविद्यालय स्तर पर) में अब भी पारंपरिक विषयों पर जोर +है और संस्थानों से पारंपरिक शिक्षा आधारित डिग्री ही मुहैया कराई +जा रही हैं। इसका मोटे तौर पर राष्ट्रीय या वेश्विक स्तर के उद्योग से +कोई संबंध नहीं है, जबकि रोजगार हासिल करने के लिए किसी खास + + + +कौशल से जुडी डिग्री जरूरी हो गई है। यह एक तरह से प्रतिस्पर्थी +रोजगार बाजार में “प्रवेश का जरिया' भी है। + +अतः, जब कोई औसत विद्यार्थी किसी स्नातक कोर्स में प्रवेश +लेता है, तो न तो विद्यार्थी और न ही किसी शैक्षणिक प्रशासन के पास +ऐसी कोई योजना होती है जिससे विद्यार्थी को रोजगार के आधुनिक +ठिकानों में जगह मिल सके। पूरा जोर किसी खास विषय में डिग्री +हासिल करने पर है जो एक आदर्श मिशन हो सकता है, लेकिन +हकीकत यह है कि अगर निकट भविष्य में रोजुगार हासिल करना है, +तो इस तरह का एकतरफा रवैया कारगर नहीं होगा। बेशक हमें किसी +विषय में विशेषज्ञता हासिल करने के लिए जानकार और बुनियादी +शोध करने वाले लोगों की जरूरत है, लेकिन हमें उस व्यावहारिक +जरूरत के बारे में भी सोचना होगा जिसके तहत बडी संख्या में +छात्र-छात्राओं के लिए किसी तरह के कौशल या प्रशिक्षण जरूरी +है, ताकि बेहद प्रतिस्पर्थी बाजार में उन्हें रोजगार मिल सके। पूर्वोत्तर + +sd ic 1 +a a +i + + + + + + + + + +लेखक भारतीय प्रबंधन संस्थान काशीपुर में प्रोफेसर और संस्थान के “सार्वजनिक नीति तथा सरकार के उत्कृष्टता केंद्र' (सेंट ऑफ एक्सीलेंस) के अध्यक्ष हैं। + +ईमेल; drbahar@gmail.com + +26 + +योजना, जुलाई 2021 + + + +\0027.txt +<----------------------------------------------------------------------> +क्षेत्र के लिए हमारी शिक्षा नीति के ढांचे में बदलाव इसी सोच के +आधार पर होना चाहिए। + +भारतीय-अमेरिकी अर्थशासत्री और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल ने अपनी +किताब “'रीथिंकिंग द एमबीए: बिजनेस एजुकेशन एट ए क्रॉसरोड्स'! +में कहा है कि शिक्षा में 'जानने' के बजाय 'करने' और 'होने' पर +फोकस होना चाहिए। इसका आशय यह है कि शिक्षा में सिर्फ यह +अहम नहीं है कि आप क्‍या जानते हैं, रोजुगार के संदर्भ में भी इसकी +उपयोगिता जरूरी है। पूर्वोत्तर के शिक्षा नीति निर्माताओं को भी इस पर +विचार करने की जरूरत है, ताकि हमारी सरकारें, संस्थाएं, प्रशासक +और शिक्षक पाठ्यक्रमों और कार्यक्रमों में इन तीन अहम चीजों को +शामिल कर सकें- वैश्वीकरण, नेतृत्व और एकीकरण। हालांकि, इन +तीनों बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए यह जरूरी नहीं कि मौजूदा +प्रणालियों को पूरी तरह उलट दिया जाए पर इन पर विशेष ध्यान +केंद्रित करने की आवश्यकता है। इसके अलावा, शैक्षणिक नियामक +इकाइयों , संस्थागत नेतृत्व और शिक्षकों के सहयोग के मामले में +रणनीतिक बदलाव की जरूरत है। अब हम पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए +नीति के स्तर पर इन तीनों बदलावों की संभावना पर बात करते हैं। + +विश्व विकास रिपोर्ट 2019 में शिक्षा के क्षेत्र में वैश्वीकरण की +रणनीति के तहत तीन सुझाव दिए गए हैं। पहला हमें ऐसे कौशल +पर ध्यान देने की जरूरत है जिनकी मांग ज्यादा है। साथ ही, ग्रामीण +इलाकों और वंचित समुदायों में निवेश करना चाहिए और हमें अपने +कार्यक्रमों में ऊंचे स्तर की बौद्धिक और सामाजिक-व्यावहारिक +सामग्री को शामिल किया जाना चाहिए। पूर्वोत्तर क्षेत्र में स्नातक +और परा-स्नातक पाठ्यक्रमों को बनाने वालों को राज्यवार या कम +से कम क्षेत्रीय स्तर (इस क्षेत्र के सभी राज्यों की कमोबेश एक +जैसी चुनौतियां हैं) पर मिलकर काम करना चाहिए। साथ ही, +अंतर-विभागीय समूह बनाकर यह विचार करना चाहिए कि किस +तरह से पाठ्यक्रमों, कार्यशालाओं और प्रशिक्षण कार्यक्रमों को शिक्षा +का अटूट हिस्सा बनाया जा सकता है जिससे हमारी शिक्षा व्यवस्था +वैश्विक हो सकेगी। यहां वैश्विक होने का मतलब शिक्षा के क्षेत्र +में ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रमों और अन्य सामग्री को शामिल करना है, +ताकि हमारे छात्र-छात्राएं देश के वृहतर आर्थिक संदर्भ के साथ-साथ +वैश्विक अर्थव्यवस्था के र॒ुझानों और बाजार की मांग को समझ +सके। आसान शब्दों में कहें, तो मिजोरम या +त्रिपुरा के किसी गांव के कॉलेज में पढ़ने वाले +छात्र-छात्राओं को रोजगार व कामकाज की +मौजूदा स्थितियों, देश और दुनिया के बाकी +हिस्से के सांस्कृतिक ढांचे आदि से परिचित +होना चाहिए। + +हमारे अकादमिक कोर्स में पारंपरिक तौर +पर किसी विषय से जुड़ी 'ज्ञान' सामग्री, मूल +विषय और सिद्धांतों पर जोर दिया जाता है, +ताकि उस विषय की मजबूत बुनियाद तैयार हो +सके। यह एक बेहतर तरीका है और शायद +यही वजह है कि भारतीय शिक्षा प्रणाली को +दुनिया भर में इस मजबूत 'बुनियाद' के लिए +जाना जाता है जिसे हमारे संस्थानों द्वारा कई + +योजना, जुलाई 2021 + +हमारे अकादमिक कोर्स में +पारंपरिक तौर पर किसी विषय से +जुड़ी ज्ञान' सामग्री, मूल विषय +और सिद्धांतों पर जोर दिया जाता +है, ताकि उस विषय की मजबूत +बुनियाद तैयार हो सके। यह एक +बेहतर तरीका है और शायद +यही वजह है कि भारतीय शिक्षा +प्रणाली को दुनिया भर में इस +मजबूत “बुनियाद' के लिए जाना +जाता है। + + + +वर्षों में तैयार किया गया है। हालांकि, बदलते वक्‍त के साथ इसमें +बदलाव की जरूरत है। इसके तहत 'नेतृत्व क्षमता संबंधी कौशल' +को भी इसमें शामिल किया जाना चाहिए, ताकि छात्र-छात्राओं +को समस्या को हल करने वाले तौर-तरीके सीखने के साथ-साथ +अलग-अलग माहौल में काम करने की समझ विकसित हो सके। इस +तरह, अलग-अलग लोगों के साथ काम करने की क्षमता और अपने +कार्यों के लिए जवाबदेही की भावना विकसित हो सकेगी। ये तमाम +गुण एक दिन में या नौकरी के लिए होने वाले साक्षात्कार से ठीक +पहले हासिल नहीं किए जा सकते। इसके लिए हर कॉर्स में सत्र +का प्रावधान किया जाना चाहिए और इस सिलसिले में शिक्षकों को +छात्र-छात्राओं का मार्गदर्शन करना चाहिए। फिलहाल, यह पाठ्यक्रम +का हिस्सा नहीं है, लिहाजा छात्र-छात्राओं को इसके लिए खुद पहल +करनी पड॒ती है। इससे ज्यादातर छात्र-छात्राएं इस कौशल से वंचित रह +जाते हैं और नौकरी पाने में भी पिछड़ जाते हैं। हमारे विश्वविद्यालयों +और कॉलेजों को सभी तरह के कोर्स में “नेतृत्व विकास' को अहम +हिस्से के तौर पर शामिल करना चाहिए। + +इसके अलावा, पूर्वोत्तर क्षेत्र की शिक्षा प्रणाली में 'एकीकरण' +से जुड़े कौशल को भी शामिल किया जाना चाहिए। यह क्षेत्र +भारत के मुख्य हिस्से से थोड़ा कटा हुआ है। साथ ही, इसकी +अलग और विविधतापूर्ण संस्कृति की वजह से यहां के लोग +विकास में थोड़ा अलग-थलग पड़ जाते हैं। हालांकि, इस क्षेत्र +के छात्र-छात्राएं भारत के अन्य हिस्सों +या विदेश में पढ़ाई करते हैं, तो वे काफी +अच्छा प्रदर्शन करते हैं। अतः हमारी शिक्षा +नीति के तहत यहां रहने वालों के लिए ऐसे +शैक्षिणक कार्यक्रम होने चाहिए, ताकि उनके +पास चीजों को देखन का समग्र नजरिया +हासिल हो सके और ज्ञान के अलग-अलग +स्रोत भी उपलब्ध हो सकें। इस लिहाज से +राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 कारगर है, क्‍योंकि +इसमें कोर्स के तहत अलग-अलग तरह की +जानकारी का समावेश करने का सुझाव दिया +गया है। आज राजनीति शात्र के छात्र-छात्राओं +के लिए कंप्यूटर विज्ञान का कोर्स भी जरूरी +है, ताकि उन्हें सोशल मीडिया राजनीति के + +27 + + + +\0028.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +3 cate ae any +बारे में बेहतर समझ हासिल हो सके। इससे छात्र-छात्राओं को +राजनीतिक सिद्धांतों के बारे में बेहतर ढंग से सीखने में मदद मिलेगी +और वे राजनीति में तकनीक के मायने समझ सकेगे। आने वाले समय +में हमें राजनीतिक कैंपेन या सोशल मीडिया प्रबंधन जैसे क्षेत्रों के +लिए इसी तरह के पेशेवरों की जरूरत होगी। अगर इसी विषय के +छात्रों को सांख्यिकी का कोर्स पढ़ाए जाए तो वे चुनावी नतीजों की +भविष्यवाणी के काम से जुड़ सकेंगे। एकीकरण की प्रक्रिया मौजूदा +वक्‍त की जरूरत है और हमारे शिक्षा नीति निर्माता बेहतर ढंग से इस +दिशा में शुरुआत कर सकते हैं। + +अगर हम इस क्षेत्र की शिक्षा प्रणाली को देखें, तो यह कहा जा +सकता है कि स्थानीय जगह को ध्यान में रखते हुए भी कुछ पहल +की जा सकती हे, खास तौर पर ‘am se’ am ‘uae ईस्ट' की +सरकारी नीतियों को ध्यान में रखते हुए यह पहल की जा सकती है। +बेशक इन नीतियों को राष्ट्रीय एजेंडे में शामिल किया गया है, लेकिन +इस क्षेत्र के शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में नाम मात्र जगह दी गई है। इस +क्षेत्र के एक औसत छात्र-छात्रा को इस बात की कोई जानकारी नहीं +होती कि वह पूर्व एशिया के देशों में उद्यम, पेशेवर करियर या अन्य +रोजगार पाने के लिए अपने ज्ञान का इस्तेमाल किस तरह कर सकता +है। खास तौर पर, आसियान देशों के साथ भारत के बढ़ते संपर्कों के +बीच यह बात और अहम है। इस क्षेत्र की शैक्षणिक संस्थाएं पूर्वोत्तर +भारत और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के बीच सांस्कृतिक और अन्य +संबंधों को और मजबूत कर सकती हैं। साथ ही, साझा सांस्कृतिक +इतिहास और व्यापारिक मार्गों के आधार पर भी कोर्स में जरूरी +चीजें जोड़ी जा सकती हैं। अगर इस क्षेत्र के हमारे कैंपस का संवाद +आसियान देशों के विश्वविद्यालयों और संयुक्त कार्यक्रमों से बढ़ता +है, तो हमारे छात्र-छात्राओं को ज्यादा अवसर उपलब्ध हो सकेगे। +लिहाजा, हमारे शैक्षणिक संस्थानों को इस तरह का अकादमिक संपर्क +बनाने की दिशा में काम शुरू कर देना चाहिए। + +दो दशक से भी पहले, यूनेस्को ने जैक डेलर्स की अध्यक्षता में +एक रिपोर्ट तैयार की थी। इसका शीर्षक था: (लर्निंग: द ट्रेजर विदइन +फॉर द इंटरनेशनल कमीशन ऑन एजुकेशन फॉर द ट्वेंटी-फर्स्ट सेंचुरी +(शिक्षा: 21वीं सदी के लिए शिक्षा से जुड़े अंतरराष्ट्रीय आयोग के +कीमती सुझाव।' इस रिपोर्ट में दुनिया भर में शिक्षा के लिए एकीकृत +दृष्टिकोण अपनाने की बात कही गई थी। पिछले कई वर्षों से हमारी + +28 + +शिक्षा नीति का आधार यही है। साल 1990 के बाद हुए मुक्त बाजार +संबंधी आर्थिक सुधारों और सामाजिक-आर्थिक बदलाव के साथ ही +इस रिपोर्ट पर एक बार फिर से गौर करना जरूरी है। साथ ही, हमें +वर्तमान परिप्रेक्ष्य में अपनी शिक्षा नीतियों की भी समीक्षा करनी होगी। + +शिक्षा क्षेत्र से जुड़ा एक अहम सुझाव यह है कि छात्र-छात्राओं +को अपनी रुचि के हिसाब से पढ़ाई करने का अवसर मिलना चाहिए, +मसलन अगर किसी की दिलचस्पी किसी खास विषय या क्षेत्र में है, तो +उसके पास उसका चुनाव करने और सपनों को पूरा करने का विकल्प +होना चाहिए। पूर्वोत्तर क्षेत्र के हमारे नीति निर्माताओं को आने वाले वर्षों +में इस बिंदु पर फिर से जोर देने की जरूरत है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 +में भी यह बात कही गई है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में 'लचीलापन' +का प्रमुखता से जिक्र किया गया है, ताकि बच्चे पढ़ाई के अपने लक्ष्य +तय कर अपनी प्रतिभा और दिलचस्पी के हिसाब से जीवन में आगे +बढ़ सकें। अतः, अब शिक्षा से जुड़े कार्यक्रमों में सभी स्तरों, विषयों +और संकायों में अहम बदलाव करने की जरूरत है, ताकि छात्र-छात्राओं +को इस “लचीलेपन' का लाभ मिल सके। जैसा कि पहले बताया जा +चुका है कि जरूरी बदलाव के बाद राजनीतिक शास्त्र का एक छात्र भी +कंप्यूटर विज्ञान, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस या जीव विज्ञान के बारे में +जानकारी हासिल कर सकेगा। इसके लिए हमारे शिक्षाविदों और नीति +निर्माताओं और संबंधित सरकारी संस्थानों को विषय आधारित मौजूदा +ढांचे से अलग हटकर अलग-अलग जरूरी विषयों को एक साथ पढ़ाने +का विकल्प मुहैया कराना होगा। इसके तहत, अंतर-संकाय कार्यक्रमों +के लिए सामूहिक केंद्र स्थापित करने होंगे, जहां छात्र-छात्राओं को +अपनी दिलचस्पी के हिसाब से तमाम विभागों के कोर्स का विकल्प +चुनने की सुविधा होगी। + +मशहूर अमेरिकी लेखक एल्विन टॉफलर ने अपनी किताब “पावर +शिफ्ट (1990) में बताया है कि पैसे और हिंसा की ताकत से निपटने +का सबसे सुलभ, सस्ता और लोकतांत्रिक साधन ज्ञान की ताकत है। +पूर्वोत्तर क्षेत्र में ज्ञान (संस्थानों में पारंपरिक तरीके से दी जाने वाली +शिक्षा) को वास्तविक ताकत में बदलने की जरूरत है, ताकि इस +क्षेत्र के लोगों के लिए आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त हो सके। युवाओं +को शिक्षित करने के लिए सिर्फ डिग्री मुहैया कराने वाले कोर्स जैसे +पारंपरिक रास्तों का विकल्प पर्याप्त नहीं है। ऊंचे स्तर पर शोध का +विकल्प सिर्फ चुनिंदा छात्र-छात्राओं के लिए होना चाहिए, जबकि +ज्यादातर छात्र-छात्राओं को शुरुआती दौर में ही करियर या पेशा चुनने +का विकल्प दिया जाना चाहिए, ताकि वे जरूरी कौशल सीख सके। +संस्थानों में प्रशिक्षित काउंसलेर, कोर्स की योजना बनाने वाले और +मार्गदर्शकों के बिना इस तरह की नीति लागू नहीं की जा सकती। अतः, +हमें शिक्षकों और प्रशासकों के भीतर ऐसे कुशल लोगों की पहचान कर +उन्हें बदलती भूमिका के मुताबिक तैयार कर मार्गदर्शक बनाना होगा। +इस तरह के बदलाव का शायद हमें लंबे अर्स से इंतजार है। | +संदर्भ +1. डाटर, श्रीकांत एम., डेविड ए, गार्विन और पैट्रिक कलेन (201)। रीथिंकिंग + +द्‌ एमबीए: बिजनेस एजुकेशन एट ए क्रॉसरोड्स। बोस्टन: हार्वर्ड बिजनेस प्रेस। +2. डेलर्स, जे (1996)। लर्निंग: द ट्रेजः विद्‌इन। पेरिस: यूनेस्को। +3. Shera, % (1990)! पावरशिफ्ट। न्यूयॉर्क: बंटन। + +विश्व विकास रिपोर्ट (2019); द चेजिंग नेचर ऑफ बकक॑। वॉशिंगटन डीसी, +द वर्ल्ड बैंक। + +योजना, जुलाई 2021 + + + +\0029.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +Aa + +सही दिशा में + +राजनीति विज्ञान + +व्यावहारिक दृष्टिकोण पर आधारित, आसानी से तैयार किया जाने +वाला, लोकप्रिय एंव अंकदायी विषय + +सामान्य अध्ययन, निबंध एवं साक्षात्कार की तैयारी +में सर्वाधिक सहायक विषय + +डा. जितेन्द्र + +दिल्‍ली-इलाहाबाद के अग्रणी संस्थानों में 20 से अधिक वर्षो से अध्यापनरत + +राजनीति विज्ञान ऑनलाइन कोर्स की विशेषता + +# सम्पूर्ण पाठ्यक्रम का समकालीन प्रासंगिक मुद्दो व परीक्षा में पूछे गये प्रश्नो की प्रकृति को ध्यान में रखकर +अध्यापन ४ प्रत्येक कक्षा को पूरे कोर्स के दौरान अनगिनत बार देखने की सुविधा. ४ नियमित लाइव +डाउट क्लासेज व व्यक्तिगत ऑनलाइन परामर्श ४ Concept, Approach & Answer writing पर विशेष बल +# पूर्व की परीक्षओं में पूछे गये व भविष्य के संभावित प्रश्नों की चर्चा व लेखन अभ्यास ह प्रत्येक टॉपिक +की समाप्ति पर 09०४९0 Notes # पूरे पाठ्यक्रम के दौरान 9 टेस्ट, मूल्यांकन व फीडबैक + + + + + + +| मुख्य परीक्षा <4? ae oat @ fay freee Revision a Practice batch + + + + + +A Quality Batch for + +G.S Pre + +डा. जितेन्द्र श्रीवास्तव व +अनुभवी विशेषज्ञों द्वारा +566 “-+2596- हें 4500 + + + +A Special Batch for + +Polity, I.R. + +Governance +(G.S Paper-ll) +डा. जितेन्द्र श्रीवास्तव + + + + + +Fee £40500 5500 + + + + + +Online Test Series + +Prelims 2021 + +Test 1 to 10 + +हिन्दी माध्यम + +Fee &+506 रे 499 + + + +srr 9076720077 + +Visit- Xp +Youtube Channel + +9315683899 + + + +00911080 00, ॥॥] - 21016 188 +10000 है ५ ५4 MeCN eC + + + + + + + + + + + +योजना, जुलाई 2021 + +YH-1606/2021 + + + +\0030.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + +अब उपलब्ध है + + + +Ea — +We ICM + +INDIAN COUNCIL. + + + + + +e MEDICAL RESEARCH +oy lot ws 4 + + + +प्रकाशन विभाग + +(सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार) +तथा + +इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च + +का प्रकाशन + +COVID-19 Pandemic + +(History, Science & Society) + + + +7 _ + +See CT -< 215/- + +कोविड-49 पेंडेमिक + +(हिस्ट्री, साइंस एंड सोसाइटी) + +आज ही नजदीकी पुस्तक विक्रेता से खरीदें +ऑर्डर के लिए संपर्क करें : + +tlt : 011-24365609 + +g-ta_ : businesswng@gmail.com +aqerge : publicationsdivision.nic.in + + + +ट्विटर पर फोलो करें [| @DPD_India + + + + + + + +30 + +योजना, जुलाई 2021 + + + + + +\0031.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +अनुवाद - विश्व को समझने का एक माध्यम + +अनुराग बसनेत + +अनुवाद दुनिया के लिए खिड़कियां खोलता है, जो अन्यथा हमेशा बंद रहेंगी। यह संस्कृतियों और +लोगों के बीच समझ का सेतु बनाने के अवसर प्रदान करता है। भारत जैसे देश में जहां कई संस्कृतियों +का संगम है, यह बहुत महत्वपूर्ण है। लोकप्रिय मुख्यधारा की कल्पना में, पूर्वोत्तत भारत एक एकाएम +( मोनोलिथ ) है। फिर भी इस निकटवर्ता क्षेत्र के भीतर कई उप-राष्ट्रीयताएं पनपती हैं। ऐतिहासिक +रूप से, पूर्वोत्तर के लोगों की यह शिकायत रही है कि “मुख्य भूमि' का भारत उन्हें समझता नहीं है। +उनकी इस शिकायत को दूर करने का एक तरीका पूर्वोत्तर की भाषाओं से अधिक से अधिक अनुवाद +करना है। विशेष रूप से उन भाषाओं से अधिक अनुवाद होना चाहिए जिनका अधिक प्रतिनिधित्व नहीं +है जैसे कि नेपाली, बोडो, कुकी, मिजो , कोकबोरोक, मेतेई और अन्य। इसी तरह, अन्य भाषाओं की +अधिक से अधिक सामग्री का इन भाषाओं में भी अनुवाद होना चाहिए। + +रत के मैदानी इलाकों से लेकर कई पहाड़ी राज्यों +भा तक के राजमार्गों पर, सबको सामान्य यातायात +बाधाओं का सामना करना पड़ता है। धीमी गति से + +चलने वाले ट्रक सामग्री को घाटियों में नदी किनारों से पहाडियों +पर तेजी से फैले निर्माण स्थलों तक ले जाते हैं। जैसे ही ट्ूक + +पहाड़ी क्षेत्रों में रेंगे हैं और सड॒क पर गांवों से गुजरते हैं तो +कुछ रेत हवा से उड़ जाती है या सड॒क किनारे गिर जाती है या +यदि गीली हो तो स्थिर डिप में बह जाती है। रेत धूल से आवास +में बदल जाती है, लेकिन नदी के तल से निकलने वाली समूची +रेत ठोस नहीं बन पाती है। + + + + + + + +लेखक एसआरएम विश्वविद्यालय (सिक्किम) में पत्रकारिता व जन संचार संकाय के विभागाध्यक्ष हैं। ईमेल: + +योजना, जुलाई 2021 + +anuragbasnet@gmail.com + +31 + + + +\0032.txt +<----------------------------------------------------------------------> +अनुवाद बहुत कुछ ऐसा ही है। मूल +पाठ एक भाषा, एक रूप से दूसरी भाषा में +रूपांतरित होता है, लेकिन पाठक के लिए यह +जानना असंभव है कि इस प्रक्रिया में लेखक +का अर्थ, सुझाव और इरादा उस तक कितना +पहुंच पाया। + +लेखक, लिखने की भाषा चुनते + +समय, अपने पाठकों के बारे में +स्वाभाविक धारणाएं बनाता है। वे +क्या जानते हैं, वे क्‍या समझते हैं, + +और वे पाठ, उपपाठ और अर्थ + +है कि किसी का पहला नाम उसकी मृत्यु +के दिन तक कभी नहीं जाना जाना। इसलिए, +यदि किसी व्यक्ति को “बसनेत जेठा' कहा +जाता है, तो इसका शाब्दिक अनुवाद होगा +पैदा हुआ पहला बेटा या यहां तक कि पहला +भाई बेसनेत जो हास्यास्पद लगता है। इस + +; = a om स्रोतों ते निकली को कितनी अच्छी तरह समझेंगे। oe an 3 = किरदार बना के का +भूगोल, स्थलाकृति और अन्य। जो ती- तीन किसी श्रोता विशेष के लिए जो कभी भी उस समाज की भावना को व्यक्त +भाषाएं मैं अच्छी तरह से जानता हूं उनमें पूरी तरह से स्पष्ट है वह दूसरे के नहीं कर पाएंगे जिसमें व्यक्ति पारिवारिक + +से जब मैं हिंदी और नेपाली से अंग्रेजी में +अनुवाद करता हूं तो मुझे इस नुकसान का +गहरा अनुभव होता है। इस रूपांतरण के +सूत्रधार के रूप में, मुझे अच्छी तरह पता है +कि कितनी रेत उड़ गई है। + +सीढ़ियों की तरह दिखने वाले रास्ते या +सीढियां बनाने के लिए हम अपनी पहाडियों +को काटते हैं। इसे 'वेदिका कृषि या सीढीदार +खेती' कहते हैं। मैंने हमेशा कल्पना की है कि +जिस व्यक्ति ने इसे यह नाम दिया है, उसने +इसे दूर से देखा और इस प्रकार का नाम दे +दिया। करीब से जानें तो ये जीवनदायी क्षेत्र हैं +जहां हम चावल, मक्का, दालें, सब्जियां, फूल आदि उगाते हैं। नेपाली +में, प्रत्येक सीढ़ी के लिए एक नाम है, 'गड़ा'। सीढ़ी के बाहरी किनारे +को 'कनला' कहते हैं और उसका भीतरी छोर 'भिट्टा' कहलाता है, +दीवार जो अगले चरण के कनला का आधार बनाती है। चावल की +खेती के लिए बहुत अधिक बहते पानी की आवश्यकता होती है और +हर कुछ वर्षो में सीढ़ी के अंदरूनी छोर को पहाड़ी की ढाल की तरह +काटना पड़ता है। इस प्रक्रिया को 'भिट्ठाछिलनु' कहा जाता है, जो +कटाव की भरपाई करने तथा रोपण के लिए और अधिक जगह बनाने +के लिए है। वे सिंचाई चेनल जो पहाड़ियों से नीचे की ओर बहते हैं, +छोटी नदियों से पौधों की जड़ों तक पानी लाते हैं, कुलो कहलाते हैं। +अंग्रेजी में बहुत कम या बिना किसी शब्द लहर के साथ, इन शब्दों +की व्याख्या करने में अर्थ को सटीक रूप से बताए बिना मूल पाठ +को बेरहमी से बड़ा कर दिया जाता है। + +पहाड़ी क्षेत्रों में अधिकतर ग्रामीण परिवार बडे होते हैं। इसका +एक कारण साक्षरता की कमी है, इसलिए उनका सरल आर्थिक +तर्क हे- ज्यादा बच्चों का मतलब है जमीन की जुताई में ज्यादा +हाथ। हालांकि अब जैसे-जैसे कृषि से इतर आजीविका के अधिक +आकर्षक साथनों पर ध्यान केंद्रित हो रहा है, यह सोच भी बदल रही +है। आमतौर पर, प्रत्येक बच्चे को घरों में जातिगत नाम से बुलाया +जाता है। जन्म के क्रम में बेटों के लिए 'जेठा, मैला, सैनला, कैनला +तथा कांछा' और बेटियों के लिए 'जेठी, मैली, सैनली, कैनली और +कांछी '। जिनके पांच से अधिक बेटे और बेटियां हैं, उनके लिए +और भी नाम हैं। जैसे-जैसे लोग बडे होते हैं, ये नाम पक्के हो +जाते हैं और वे अपने समुदायों में अपने कुल या कबीले के नाम +और अपने जन्म के क्रम से जाने जाते हैं। वास्तव में, यह सामान्य + +32 + +लिए अभेद्य हो सकता है। बेशक, +लेखक और पाठक के बीच +एकसमान अनुभव और संस्कृति +भी हैं। ये पारस्परिक रूप से साझा +किए गए अनुभव गहरा अर्थ बनाते +हैं जो अनकहा रहता है और +समझा दिया जाता है। अनुवादक +कितना भी कुशल क्‍यों न हो, +संदर्भ के लिए पूरी तरह से लेखक +पर निर्भर होता है। + +और सामाजिक संरचनाओं के भीतर समाया +हुआ है, या कई संतानों का पालन करने वाले +परेशान माता-पिता द्वारा उसकी इतनी उपेक्षा +की जाती है कि उसे यहां तक कि पहले नाम +की साधारण विलासिता भी नहीं मिल पाती +है। टेढ़े थामी नाम को भेंगा थामी के रूप +में प्रस्तुत किया जा सकता है, लेकिन एक +इंसान को संबोधित करने के लिए उसकी +शारीरिक विकृति का उपयोग करने में निहित +लापरवाह, अर्ध-स्नेही अवमानना की परतें +ज्यादातर धीरे-धीरे हट गईं हैं। इसी तरह +की समस्या “बास्तेय” नामक चरित्र के साथ +उत्पन्न होती है, जो स्वयं 'बासत्ते” का संकुचन है या उसके लिए +है जो वर्ष 1962 में पैदा हुआ था। अनुवादक के रूप में, मेरे पास +‘area’ al FAG रखने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। लेकिन +इससे किसी समाज में प्रचलन के अनुरूप यदि किसी परिवार में +इतने अधिक बच्चे हों कि उनकी पहचान उनके जन्म के वर्ष से +ही होती हो तो यह अर्थ पूरी तरह खो जाता है। + +इन समस्याओं से निपटने के लिए एक स्वीकार्य रणनीति यह +हो सकती है कि संदर्भ का अर्थ स्पष्ट किया जाए। लेखक, लिखने +की भाषा चुनते समय, अपने पाठकों के बारे में स्वाभाविक धारणाएं +बनाता है। वे क्‍या जानते हैं, वे क्या समझते हैं, और वे पाठ, उपपाठ +और अर्थ को कितनी अच्छी तरह समझेंगे। किसी श्रोता विशेष के +लिए जो पूरी तरह से स्पष्ट है वह दूसरे के लिए अभेद्य हो सकता है। +बेशक, लेखक और पाठक के बीच एकसमान अनुभव और संस्कृति +भी हैं। ये पारस्परिक रूप से साझा किए गए अनुभव गहरा अर्थ +बनाते हैं जो अनकहा रहता है और समझा दिया जाता है। अनुवादक +कितना भी कुशल क्‍यों न हो, संदर्भ के लिए पूरी तरह से लेखक +पर निर्भर होता है। + +दार्जिलिंग के प्रत्येक नागरिक के लिए तुरंत पहचाना जाने वाला +“सिआर्पी' शब्द जिले के बाहर के किसी भी व्यक्ति के लिए अस्पष्ट +है। यह समझाने के लिए फुटनोट का सहारा लेना चाहिए कि यह +केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के लिए स्थानीय भाषा है। यदि धमकी का +अनुवाद लें जिसे दार्जिलिंग के ठग इस्तेमाल करते हैं- भुगतान करें, +वे कह सकते हैं, या मैं तुम्हें छह इंच कम कर दूंगा। यहां, गलत +व्याख्या को रोकने के लिए एक फुटनोट की आवश्यकता है। छह +इंच कम करना, सिर काटने के लिए बोलचाल की अभिव्यक्ति है। + +योजना, जुलाई 2021 + + + +\0033.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +मैं जब भी अनुवाद करने के लिए बैठता हूं तो इस तरह की आत्मकथाएं होंगीं, वर्तमान और अतीत दोनों। + +कुछ समस्याएं सामने आती हैं। मुझे लगता है कि सभी अनुवादकों के + +हमारे जैसे महत्वाकांक्षी देश में, पुस्तकें जो हमें दुबला, मोटा, + +लिए ऐसा ही होता होगा और हमें उनसे निपटने के तरीके ढूंढने होंगे। होशियार, तेज, मजबूत, शांत, अधिक आध्यात्मिक तथा गर्व करने +भारत में पुस्तक प्रकाशन उद्योग, विशेष रूप से व्यापार प्रकाशन, योग्य स्थान यानी शीर्ष पर किसी और से पहले पहुंचना सिखाती +अपारदर्शी है। पश्चिम में मजबूत बुक एजेंटिंग का उप-उद्योग भारत में हैं। यह एक बाजार है, जिसमें एक उच्च प्रोफाइल और एक + +बहुत छोटा है। जब प्रकाशन कंपनियां अपनी +वेबसाइटों के माध्यम से प्रस्तुतियां आमंत्रित +करती हैं, तो उन्हें अपना काम भेजकर +पांडुलिपि को एक तेज बहती नदी में फेंकने +जैसा महसूस हो सकता है। यह पूरी तरह से +उनकी भी गलती नहीं है। भारत में अधिकांश +प्रकाशन कंपनियों, खासकर उनके संपादकीय +विभाग में कम कर्मचारी होते हैं। यह सबसे +बड़ी कंपनियों के लिए भी सच है। लेकिन +यह जानने से किसी नए लेखक या अनुवादक +को जरा भी मदद नहीं मिलती। + +किसी भी अन्य कारोबार की तरह +प्रकाशन भी एक व्यवसाय है। निवल लाभ के +दबाव का मतलब है कि जोखिम की भूख, जो +पहले ही बहुत अधिक नहीं है, बहुत कम हो +गई है। प्रकाशक लगातार अगली सबसे अच्छी +चीज की तलाश में रहते हैं। बड़ा विक्रेता +व्यवसाय को अधिक लाभ कमाने की ओर +ले जाएगा और अगली बड़ी चीज सेलिब्रिटी + +योजना, जुलाई 2021 + +अधिक से अधिक संस्थानों को +इसमें शामिल होना चाहिए। +सार्वजनिक और निजी, दोनों +विश्वविद्यालयों में भाषा विभाग के +साथ अनुबद्ध अनुवाद विभाग होने +चाहिएं जो ग्रंथों की पहचान करने +के लिए सक्रिय रूप से काम करें। +साथ ही, विद्यार्थियों को प्रशिक्षण +देना महत्वपूर्ण है। डिजिटल स्पेस +का अधिक प्रभावी ढंग से उपयोग +करना भी महत्वपूर्ण है। ऑनलाइन +पोर्टल, अनुवाद प्रदर्शित करने के +लिए एक प्रभावी मंत्र प्रदान करते +@1 www.rekhta.org 34 WEA GS +लिए इसे बखूबी प्रदर्शित करता है। + +उभरती हुई आवाज को एक बड़ा गुण माना +जाता हैं। विशेष रूप से साहित्यिक प्रकार की +कथाओं पर ध्यान जाना मुश्किल है। अनुवाद, +किसी कारण से, साहित्यिक होने का पूर्वाभास +दिलाता है। ta Yo se cea नुकसान हो +रहा है। + +इसका मतलब यह नहीं है कि अनुवाद +प्रकाशित नहीं होते हैं। वो प्रकाशित होते हैं। +बडे प्रकाशक के पास अनुवाद की बडी सूची +रहती है, हालांकि उसका बाजार भी कम हो +रहा है। इस सिकुड़ते बाजार को अस्तित्व के +संकट का सामना करना WS WI ZI + +अन्य प्रश्न पुस्तक प्रकाशन के अर्थशास्त्र +का है। अपने पश्चिमी समकक्षों के विपरीत, +भारतीय प्रकाशक शायद ही कभी अनुवादकों +को उनके काम के लिए एकमुश्त शुल्क +देते हैं। ज्यादातर मामलों में, रॉयल्टी प्रणाली +अनुवाद के मामले में उसी प्रकार काम करती +है जेसे कि यह किसी अन्य प्रकार की पुस्तकों + +33 + + + +\0034.txt +<----------------------------------------------------------------------> +में। रॉयल्टी प्रणाली के तहत, कवर मूल्य का +प्रतिशत - 8 से 10 प्रतिशत के बीच होता +है जो इस पर निर्भर करता है कि पुस्तक +id a scan के रूप में प्रकाशित +हुई है। प्रकाशित की जाने वाली पुस्तकों की +संख्या कम यानी 1,500 से 3,000 प्रतियों के +बीच रहती है और कीमतें भी कम होती हें। +एमेजॉन पर देखें तो शायद ही आपको 899 +रुपये से अधिक कीमत की किताबें मिलेंगी, +बशर्ते कि वह कोई अकादमिक पुस्तक न हो। +लिफाफे के पीछे की गणना आपको बताएगी +कि एक लेखक अपनी पुस्तक पर कितना +कमाता है। यदि कोई पुस्तक बेस्टसेलर नहीं बन पाती तो वह मामूली +रकम ही कमा पाता है। अनुवाद के मामले में, लेखक और अनुवादक +के बीच रॉयल्टी साझा की जाती है, जिससे यह राशि और भी कम +हो जाती है। +तो अनुवाद क्‍यों करें? + +ऐसी निराशा के सामने इस प्रश्न का विशेष महत्व है। + +मैं अनुवाद को अंतिम पाठक की अनुशंसा के रूप में सोचना +पसंद करता हूं। पढ़ना एक एकांतवासी गतिविधि है लेकिन एक बार +जब हम किसी पुस्तक को पूरा पढ़ लेते हैं, और अगर हमें यह पसंद +आती है, तो सबसे पहले अपने मित्र को इसे पढ़ने की सिफारिश +करते हैं। अनुवाद भी बस यही है। यह दुनिया से यह कहने का एक +तरीका है कि मुझे यह किताब उस भाषा में मिली जिसे मैं जानता हूं +और आप भी इसका उतना ही आनंद लें जितना मैंने लिया। + +एक एकांतवासी अभ्यास, अनुवाद बेहद संतोषजनक भी है। +जब मैं लेखक के इरादे, लय और विभक्ति के सबसे करीब +आने का प्रयास करता हूं, तो मैं वैसा ही महसूस करता हूं जैसा +कि एक गणितज्ञ किसी जटिल समस्या का समाधान करते समय +करता होगा। + +हमें अनुवाद अवश्य करना चाहिए। अनुवाद दुनिया के लिए +खिड़कियां खोलता है, जो अन्यथा हमेशा बंद रहेंगी। यह संस्कृतियों +और लोगों के बीच समझ का सेतु बनाने के अवसर प्रदान करता +है। भारत जैसे देश में जहां कई संस्कृतियों का संगम है, यह बहुत +महत्वपूर्ण है। लोकप्रिय मुख्यधारा की कल्पना में, पूर्वोत्तर भारत एक +एकाश्म है। फिर भी इस निकटवर्ती क्षेत्र के भीतर कई उप-राष्ट्रीयताएं +पनपती हैं। ऐतिहासिक रूप से, पूर्वोत्तर के लोगों की यह शिकायत +रही है कि “मुख्य भूमि' का भारत उन्हें समझता नहीं है। उनकी +इस शिकायत को दूर करने का एक तरीका पूर्वोत्तर की भाषाओं से +अधिक से अधिक अनुवाद करना है। विशेष रूप से उन भाषाओं से +अधिक अनुवाद करना है जिनका अधिक प्रतिनिधित्व नहीं है जैसे +कि नेपाली, बोडो, कुकी, मिजो, कोकबोरोक, मेइती और अन्य। इसी +तरह, अन्य भाषाओं की अधिक से अधिक सामग्री का इन भाषाओं +में भी अनुवाद होना चाहिए। + +तो आगे का रास्ता क्‍या है? मुझे नहीं लगता कि अनुवाद के +अनुकूल व्यवस्था को विकसित करने के लिए केवल प्रकाशन बाजार +पर निर्भर होना एक व्यावहारिक योजना है। अधिक से अधिक संस्थानों + +उ4 + +भारत में अधिकांश प्रकाशन +कंपनियों खासकर उनके +संपादकीय विभाग में कम +कर्मचारियों होते हैं। यह सबसे +बड़ी कंपनियों के लिए भी सच +है। लेकिन यह जानने से किसी +नए लेखक या अनुवादक को जरा +भी मदद नहीं मिलती। + +को इसमें शामिल होना चाहिए। सार्वजनिक और +निजी दोनों विश्वविद्यालयों में भाषा विभाग के +साथ अनुबद्ध अनुवाद विभाग होने चाहिए. जो +ग्रंथों की पहचान करने के लिए सक्रिय रूप से +काम करें। साथ ही, विद्यार्थियों को प्रशिक्षण +देना महत्वपूर्ण है। डिजिटल स्पेस का अधिक +प्रभावी ढंग से उपयोग करना भी महत्वपूर्ण +है। ऑनलाइन पोर्टल, अनुवाद प्रदर्शित करने +के लिए एक प्रभावी मंच प्रदान करते हैं। +www.rekhta.org 34 Te & fae sa +बखूबी प्रदर्शित करता है। ग्रोव अटलांटिक +के अध्यक्ष और प्रकाशक मॉर्गन एंट्रेकिन +द्वारा 2015 में शुरू की गई एक दैनिक साहित्यिक वेबसाइट लिटरेरी +हब भी एक उत्कृष्ट मॉडल है। महत्वपूर्ण रूप से, अनूदित पुस्तकों +को स्कूल और कॉलेज पाठ्यक्रम में अधिक व्यापक रूप से शुरू +किया जाना चाहिए। + +द मूर्ति क्लासिकल लाइब्रेरी ऑफ इंडिया, अनुवाद कार्य देने तथा +उसे प्रकाशित करने का काम करती है। संभवत: इस तरह की और +कॉरपोरेट संस्थाओं को निवेश के रूप में नहीं, बल्कि अनुदान के रूप +में पूंजी लगाने के लिए राजी किया जा सकता है। मेरा दृढ़ विश्वास +है कि यदि अनुवादकों को उनके प्रयासों के लिए समुचित भुगतान +किया जाए तो हमें विभिन्‍न भाषाओं से और भी अधिक तथा ज्यादा +गुणवत्तापूर्ण अनूदित रचनाएं मिल सकती हैं। + +साहित्य अकादमी ने पिछले कुछ वर्षों में भारतीय भाषाओं से +अंग्रेजी के साथ-साथ विभिन्‍न भारतीय भाषाओं के बीच व्यापक +अनुवाद कार्यों को प्रोत्साहित किया है। 24 भाषाओं में दिया जाने +वाला साहित्य अकादमी पुरस्कार आज भी देश के सबसे प्रतिष्ठित +साहित्यिक पुरस्कारों में से एक है। इसका भारत-व्यापी नेटवर्क है +और इसका इतिहास 1954 से है। अकादमी विशाल परिमाण में रचना +करने वाली संस्था भी है। इसकी वेबसाइट बताती है कि यह हर 19 +घंटे में एक पुस्तक प्रकाशित करती है। हालांकि ये किताबें बाजार में +अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करा पाती हैं। इस तरह के नेटवर्क और +समर्थन वाली एजेंसी निश्चित रूप से अपनी पुस्तकों को प्रभावी ढंग +से पैकेज और विपणन करने के लिए और बहुत कुछ कर सकती +है। अनुवाद और अनुवादकों को बढ़ावा देने का एक अन्य तरीका +भारत की विभिन्‍न भाषाओं में वार्षिक अनुदान की स्थापना करना है, +जो किसी बड़ी परियोजना के लिए वित्तीय अनिश्चितताओं को दूर +कर सकता है। + +सबसे बढ़कर, हमें जो करना चाहिए वह है जिज्ञासु बनना। अपनी +दुनिया के बारे में, अपने पड़ोसियों के बारे में, उन साथी-नागरिकों +के बारे में जानने की जिज्ञासा होना जरूरी है जिनके साथ हम अपने +देश में रहते हैं। इन वर्षों में, हमने बहुत कुछ सोचा है कि भारत +भाषाओं , संस्कृतियों और लोगों के बारे में हम भिन्‍न-भिन्‍न विचारों +पर चर्चा की स्थिति में हैं। यदि हम अनुवाद द्वारा प्रदान की जाने +वाली खिड़कियों को देखने में रुचि नहीं रखते यानी विश्व को +समझने के माध्यम के रूप में इसे नहीं देखते तो हम वास्तव में +एक नहीं बन सकते हैं। = + +योजना, जुलाई 2021 + + + +\0035.txt +<----------------------------------------------------------------------> +Because learning changes everything® + + + +10111 1022 + +नितिन सिंघानिया + +यू.पी. पी. सी. एस + +परीक्षा के लिए ग्ममग्र अध्यधन + +कक एन डक क्‍ड अब इक ० ५ । peer + + + + + + + + + + + + + + + + + +UPPSC-UPPCS + +उत्तर प्रदेश +समग्र अध्ययन + +उतर प्रदेश be dar Sree aT Apo +PCS yee Td Peis eta के लिए + +2021 + +राकैश सारस्वत + + + + + + + + + + + +Toll free number: 18001035875 | support.india@mheducation.com | www.mheducation.co.in + +योजना, जुलाई 2021 35 + +YH-1593/2021 + + + +\0036.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +सुरों की मधुर विविधता + +fas viet aT + +भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र सैकड़ों जातीय समूहों का मिलन-स्थल है, सांस्कृतिक फुलवारी है। असम, +अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मणिपुर , मेघालय , मिजोरम, त्रिपुरा और सिक्किम राज्यों वाले इस क्षेत्र को +अनेक विधाओं और रंगतों वाली संगीत-लहरियां एकजुट करती हैं। इस संगीत में धुनों, लय-ताल और +गीतों की विविधता है। यहां का कृषि-प्रधान जनजातीय जीवन नीलाभ पहाड़ियों और चंचल नदियों की + +हरी-भरी वादियों के बीच बसता है। + +7 वॉत्तर भारत के लोक, शास्त्रीय, रॉक और समकालीन +कु संगीत की अनूठी शैलियों ने भारत के संगीत परिदृश्य में +महत्वपूर्ण योगदान दिया है। + +असम + +असम इस क्षेत्र का सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य है। +अपने समृद्ध इतिहास, एक हजार साल पुरानी लोक संगीत परंपरा, +पांच सौ साल पुरानी लिखित गीत-नाट्य Woe और तीन सौ साल +पुरानी शास्त्रीय नृत्य परंपरा के साथ असम पूर्वोत्तर भारत की संगीत +परंपरा में अग्रणी है। + +असम की आधुनिक संगीत परंपरा 1883 से शुरू होती है जब +सत्यनाथ बोरा ने असमिया गीतों की पहली पुस्तक 'गीताबली ' प्रकाशित +की। बीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ में अंबिका गिरि रायचौधुरी (जन्मः +1885) ने राष्ट्रीय भावनाओं से ओत-प्रोत संगीत-रचनाओं से असम के +आधुनिक संगीत में क्रांतिकारी रुझान का प्रारम्भ किया। ज्योतिप्रसाद +अगरवाला (1903-1951), पार्वती प्रसाद बरुआ (1904-1964) +और बिष्णु प्रसाद राभा (1909-1969) जैसी विभूतियों ने असम की +ब्रह्मपुत्र घाटी में आधुनिक संगीत का अपना विशिष्ट घराना प्रारम्भ +किया। ज्योतिप्रसाद जी ने ही इस क्षेत्र में आधुनिक संगीत की नींव +रखी और फिल्मों को एक उद्योग की तरह चलाने की शुरुआत की। + +अद्भुत प्रतिभाशाली डॉ भूपेन हजारिका (जन्म:1926) के आगमन +के साथ ही असम के संगीत उद्योग का सबसे गौरवशाली अध्याय +प्रारम्भ हुआ। 1980 के दशक तक वह असम के संगीत-क्षितिज पर +छाए रहे और उनके गीत असम के पहाड़ों-घाटियों में गूंजते हुए +सब का मन मोहते रहे। डॉ हजारिका के संगीत की नूतन शैली +और राष्ट्रीय भावनाओं तथा पाश्चात्य धुनों सहित आधुनिक संगीत +में रचे-बसे उनके गीतों ने असम के संगीत को राज्य की सीमा से + +बाहर निकाल कर देश-विदेश तक पहुंचा दिया। डॉ हजारिका के +गीत-संगीत ने फिल्मों और रेडियो के जरिये असम के संगीत-उद्योग +का विस्तार किया। उनके छोटे भाई जयंत हजारिका ने 1970 के +दशक में असम के संगीत को पूरी तरह पाश्चात्य थुनों में ढालने +में अग्रणी भूमिका निभाई। + +इस दौर के अन्य श्रेष्ठ संगीतकारों में खगेन महंता, ब्रजेन बरुआ, +दीपाली बोड्ठाकुर, हेमंत दत्ता, ज्योतिष भट्टाचार्य, पुलोक बनर्जी, +कुला बरुआ और जीवू-तपन आदि शामिल हैं। + +बीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में, संगीत के परिदृश्य में ताजगी भरा +एक नया दौर शुरू हुआ। इस दौर में, इस क्षेत्र में उच्च टेक्नोलॉजी +और डिजिटल संगीत की शुरुआत हुई। प्रतिष्ठित गायक और संगीतकार +जीतूल सोनोवल ने इस रुझान को दिशा दी। 1990 के दशक में +बहुमुखी प्रतिभा-सम्पन्न जुबीन गर्ग के एलबम “अनामिका' ने असम + + + + + +लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। ईमेल; bijaysankar.bora@gmail.com + +36 + +योजना, जुलाई 2021 + + + +\0037.txt +<----------------------------------------------------------------------> +के संगीत-श्षेत्र में धूम मचा दी। 1992 से आज +तक जुबीन संगीत-प्रेमियों के दिलों की धड़कन +बने हुए हैं। उन्होंने न केवल पाश्चात्य और +स्थानीय संगीत का फ्यूजन किया, बल्कि असम +के परंपरागत गीत-संगीत को पुनर्जीवित करने +में योगदान दिया। + +जुबीन के समकालीन लोकप्रिय गायक- +संगीतकारों में तराली शर्मा और अंगराग (पेपोन) +महंता शामिल हैं। पेपोन संगीत-जगत के तेजी +से उभरते कलाकार हैं। उन्होंने, नया प्रयोग +करते हुए, लोक संगीत और इलेक्ट्रॉनिक संगीत +को मिला कर एक नई शैली- “फोक्ट्रोनिका' +विकसित की। संगीत का यह चरण वैश्वीकरण +से प्रभावित है। लोकप्रिय असमी गायक- संगीतकार जॉय बरुआ के +संगीत को कान्स फिल्म समारोह में 'सर्वश्रेष्ठ साउंडट्रैक' के पुरस्कार +से सम्मानित एनिमेशन फिल्म “'फेंटेसी ऑफ कंपेनियनशिप बिटवीन +ह्यूमन एंड इनानिमेट' के संगीत में शामिल किया गया। + +इस बीच, राज्य में कुछ रॉक बैंड भी लोकप्रिय हो रहे हें। +“*ल्यूसिड रीसेस' गुवाहाटी का एक आल्टरनेटिव मैटल रॉक बैंड है। +दो भाइयों - सिद्धार्थ और अमिताभ बरुआ द्वारा 2004 में बनाया गया +यह बैंड भारत के सबसे अच्छे मैटल बैंडों में माना जाता है। गुवाहाटी +का यह सबसे शानदार मैटल बैंड है। इसने 2011 में 'टोटो अवार्ड +फॉर म्यूजिक' जीता। असम के अन्य प्रमुख रॉक बैंड हैं - एस्केप +वेलोसिटी, हुवोरोनी, सेलेस्टियल डूम, तिपरासा और रंपाजी। + +बैंड ऑफ हरीकेन गाल्स गुवाहाटी का एक आल्टरनेटिव/ब्लूजु/ +बॉलीवुड/फ्यूजन/इंडी/जाजु/मैटल/रॉक बैंड है। ममोनी कालिता (प्रमुख +गायक, संगीतकार और निर्देशक) और आरजू बेगम (ड्ूमर) के प्रयासों +से 2010 में इस बैंड की स्थापना हुई। यह बैंड पारंपरिक असमी वाद्यों- +जैसे नगाड़ा, ढोल और डोतारा के साथ fier, sisted, ड्रम सेट्स +और कुछ आधुनिक तालवाद्यों का इस्तेमाल करते हैं। + +सिबसागर के 19-वर्षीय संगीतकार तनन्‍्मय क्रिप्टोन क्षेत्र के +रिद्य एंड ब्लूज (आरएंडबी) संगीत के साथ प्रयोग करने वाले +प्रारम्भिक संगीतकारों में एक हैं। उनकी एक ताजा रचना 'अलकनंदा' +को यू ट्यूब पर 30 लाख से ज्यादा “व्यू' मिले हैं। उनकी अन्य +संगीत-रचनाएं भी अनेक प्लेटफॉर्मों पर बहुत लोकप्रिय हैं। शंकुराज +कुंवर और मैत्रेयी पातर की रचना “प्रोजेक्ट बार्तालाप' को भी अच्छी +सफलता मिली है। + +कुलदीप, जिनका मंचीय नाम “कूल-डी +है, चर्चित रैप आर्टिस्ट हैं। उनके ट्रैक “जोरू +मनुह' को 50 लाख “व्यू' मिले हैं और यह +सिलसिला लगातार बढ़ रहा है। + +गायक शंकुराज PA Hl MEAS, ATA, +जर्मनी, अमेरिका, बांग्लादेश, इन्डोनेशिया और +चीन से अच्छी प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं। भारत +के विभिन्न राज्यों में भी वह लोकप्रिय हैं। उन्हें +अपने संगीत को अंग्रेजी भाषा में ढालने के +भी अनुरोध मिल रहे हैं। + +योजना, जुलाई 2021 + +Min test, + + + + +ALL SONGS HOW AVALABLE FOR STREAMING AT + +eee DT] + +1 es + +असम इस क्षेत्र का सबसे अधिक +जनसंख्या वाला राज्य है। अपने +समृद्ध इतिहास, एक हजार साल +पुरानी लोक संगीत परंपरा, +पांच सौ साल पुरानी लिखित +गीत-नादय परंपरा और तीन सौ +साल पुरानी शास्त्रीय नृत्य परंपरा +के साथ असम पूर्वोत्तर भारत की +संगीत परंपरा में अग्रणी है। + + + +1 THONG + +CHAMBER CHOIR + + + + + + + + + + + + + +असम ने भारतीय फिल्म उद्योग को श्रेष्ठ साउंड इंजीनियर अमृत +प्रीतम को दिया है। श्रेष्ठ फिल्‍म संगीत स्कोरर और निर्देशक अनुराग +सैकिया भी असम से ही हैं। + +45 वर्षीय अमृत प्रीतम गुवाहाटी के डॉ भूपेन हजारिका फिल्म +एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट से प्रशिक्षित हैं। सलमडॉग मिलियनेयर, कल +हो ना हो, लव सोनिया, काबिल, विलेज रॉकस्टर्स, ब्यूटीफुल टाइम्स, +इशू, मैन विद दि बाइनोकुलर, रेनबो और कोर्ट फिल्मों का साउंडस्केप +तैयार करके उन्होंने भारतीय फिल्म उद्योग में अपनी अलग पहचान +बनाई है। अमृत प्रीतम ने रसूल पूकुट्टी के साथ काम किया है और +वह अकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर्स एंड साइन्सेज के सदस्य ZI + +अनुराग सैकिया (उम्र: 32 वर्ष) ने चेन्नई की स्वर्णपूमि अकेडमी +ऑफ म्यूजिक से प्रशिक्षित हैं। इस समय वह असम और बॉलीवुड +के सम्मानित संगीतकार माने जाते हैं। राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार -रजत +कमल पाने वाले वह सबसे कम उम्र के संगीतकार हें जो उन्हें +गैर-फीचर फिल्म 'युगदृष्ट' के लिए प्रदान किया गया। उन्होंने अनेक +फिल्मों के लिए संगीत दिया है। असम के शास्त्रीय भक्ति-गीतों- +“बोरगीत' को सिंफोनिक ऑक्स्ट्रा से जोड़ने के प्रयास के लिए उन्हें +बडी प्रशंसा मिली। +मेघालय + +मेघालय में बहुसंख्यक आबादी ईसाई है और गोस्पेल गायन वहां +हमेशा से जीवन का हिस्सा है। धीरे-धीरे यह संगीत गिरजाघरों से +संगीत के मंचों तक आ गया। इस सुंदर पहाड़ी राज्य में संगीत के +मंच के बादशाह रहे हैं लोड माजाव, जो अब एक किंवदती बन गए +हैं और कई पीढियों का मनोरंजन करते रहे हें। + +शिलांग चेम्बर कॉयर (एससीसी) 2001 +में नील नोंगकिनरिह द्वारा स्थापित किया गया। +विविधतापूर्ण गायन-वादन वाले इस ग्रुप को +2010 में 'इंडियाज गॉट टेलेंट' रियलिटी टीवी +शो में पुरस्कार मिला। इसी वर्ष इस कॉयर +को छटे वर्ल्ड कॉयर गेम्स में म्यूजिका साक्रा, +गोस्पेल और लोकप्रिय संगीत वर्गों में स्वर्ण +पदक मिले। + +इस ग्रुप ने अमेरिका के तत्कालीन +राष्ट्रति बराक ओबामा और मिशेल ओबामा + +37 + + + +\0038.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +SOULMATE + +K Mark Swer on India’s teading blucs band + +f +sf - if + + + +प्रदर्शन किया। + +इस मंडली के गायन-वादन में बड़ी विविधता है। जहां +इन्होंने विएना चेम्बर ऑकेस्ट्रा और फिट्जु विलियम क्वार्टेट के +ma wea a हैं, वहीं “कौन बनेगा +करोड॒पति' के सीजन 6 में उद्घाटन समारोह +में अमिताभ बच्चन के साथ भी अपना +जलवा दिखाया। शंकर एहशान लोय और +उषा उत्थप के साथ भी इन्होंने प्रस्तुतियां +दी हैं। इनका 2011 का क्रिसमस एल्बम +गैर-सिनेमाई संगीत में देश में सबसे ज्यादा +बिकने वाला एल्बम था। + +शिलांग का “फोर्थ एलीमेंट' बैंड +ब्लैंडस फंक, जाज, आर'एन'बी और +सोल - चारों शैलियों का मिला-जुला +गीत-संगीत प्रस्तुत करते हैं। उन्होंने +देश-विदेश में अनेक प्रस्तुतियां दी हैं। इस +बैंड ने निशविले जाज फेस्टिवल-2019 + +शिलांग को भारत की “रॉक +कैपिटल ' कहा जाता है। यहां +भारत का सबसे सफल ब्लू बैंड +-सोलमेट भी है। यह भारत का +एकमात्र ब्लू बैंड है जिसने भारत +का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व +किया है। पूर्वोत्तर के इस बैंड का +नेतृत्व जाने-माने गिटार-वादक, +गायक और गीतकार रूडी वालांग +और गायिका तिपरीति खरबंगार +करते हैं। शिलांग का एक अन्य +रॉक बैंड 'एबेरेंट' है। इसे मेघालय + +नगालैंड + +नगालैंड में 2020 में आलोबो नगा बैंड शुरू हुआ। राज्य के +अन्य प्रमुख बेंडों में मेलोड़ामा, सुनेप, असेंबल बैंड, इन्सीपिट, +क्रोनिक, ईस्टर्न हाटूज, ट्रोजन्स, ब्लू क्लोवर बैंड और डिवाइन +कनेक्सन शामिल हें। + +टेत्सिओ fared am feces at ak संगीतकार बहनों - +मुत्सेवेलु (मर्सी), अजीन वेजिवोलु (आजी), कुवेलु (कूकू) और +अलीन टेत्सिओ (लुलू) का बैंड है। इन्हें लोकगीत गाने में महारत +हासिल है। ये प्राय; एक तार वाला पारंपरिक नगा वाद्य - ताटी/हेका +लिबुह बजाती हैं। इन बहनों ने पिछले दिनों दिल्‍ली में “मिक्स दि +सिटी ' साउडफेस्ट में प्रस्तुति दी। इसका आयोजन ब्रिटिश काउंसिल ने +किया था। टेत्सिओ बहनों ने बहुत कम उम्र में संगीत की प्रस्तुतियां +देनी शुरू कर दी थीं। गोस्पेल, रॉक और पॉप की लोकप्रियता के दौर +में, इन बहनों ने लोक संगीत को अपनाया। +मणिपुर + +मणिपुर ch ‘ada’ रॉक बेंड के +प्रतिभाशाली सदस्य पूरी दुनिया के लोगों का +आहवान करते हैं कि वे आधुनिक समाज +की बुराइयों को नष्ट (अंग्रेजी शब्द 'क्लीव' +का अर्थ) कर दें और इस बैंड की मौलिक +संगीत-कृतियों का भारी मैटल वाले बुलंद +संगीत का आनंद लें। इन प्रतिभाशाली +संगीतकारों का दावा है कि यह संगीत आपको +मंत्रमुग्थ कर देगा; बार, शर्त यह है कि आप +नशीले पदार्थों का सेवन न कर रहे हों और +अन्याय की ताकतों के साथ न हों। यह बेंड +अपनी मौलिक संगीत-कृतियों को “प्रोग्रेसिव + +(सर्बिया), बेलीज seer जाज में रॉक संगीत प्रतियोगिता में. सेक्लूजन मैटल' कहते हैं। +फैस्टिवल-2018, फिलिपीन इन्टरनेशनल “मेघालय आइकॉन 111 ' प्रदान मणिपुर में श्रेष्ठ संगीत-प्रस्तुतियों वाले +जाज फैस्टिवल-2015 (मनीला) , जाजमांडू किया गया। अनेक नए बैंड उभर रहे हैं। इनमें स्टैपिंग + +फैस्टिवबल-2013 (काठमांडू), नॉर्थ ईस्ट +इंडिया फैस्टिवल-2019 (बेंकाक), दिल्‍ली इन्टरनेशनल जाज +फैस्टिवल-2016, हैदराबाद इन्टरनेशनल जाज फैस्टिवल-2019 +तथा साउथ एशियन बैंड्स फैस्टिवल-2010 (दक्षिण एशियाई +क्षेत्रीय सहयोग संगठन - 'सार्क' द्वारा आयोजित) में हिस्सा लिया। +इस बैंड ने सिंग जाज क्लब (सिंगापुर) में 2015 में और तुलुम +(मैक्सिको) में 2018 में भी हिस्सा लिया। + +शिलांग को भारत की 'रॉक कैपिटल' कहा जाता है। यहां भारत +का सबसे सफल ब्लू बैंड-सोलमेट भी है। यह भारत का एकमात्र +ब्लू बैंड है जिसने भारत का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व किया +है। पूर्वोत्तर के इस बैंड का नेतृत्व जाने-माने गिटार-वादक, गायक +और गीतकार रूडी वालांग और गायिका तिपरीति खरबंगार करते हैं। +शिलांग का एक अन्य रॉक बेंड 'एबेरेंट' है। इसे मेघालय में रॉक +संगीत प्रतियोगिता में “मेघालय आइकॉन 1ए* प्रदान किया गया। +मेघालय के प्रमुख रॉक बेंडों में win aie, det, wate, fe ae, +आई 2 आई, वर्ब्स, डोसर्स अर्ज, एप्लाटस आदि हैं। एप्लाटस केवल +astral वाला एकमात्र बेंड है। + +38 + +स्टोन, रिसाइकिल, सिग्नस, डेजल सिटी और + +अंजेलिका प्रमुख हैं। + +मांग्का मयंगलंबाम मणिपुरी लोक, wel sk समकालीन +संगीत-प्रस्तोता और पेना-वादक हैं। अपनी शानदार प्रस्तुतियों से वह +मणिपुरी + + + + + +योजना, जुलाई 2021 + + + +\0039.txt +<----------------------------------------------------------------------> +युमलेमबाम गांभिनीदेवी मणिपुर की चर्चित +नृत्यांगग और गायिका हैं। आकाशवाणी की +सर्वश्रेष्ठ वर्ग की मान्यता (ग्रेड) पाने वाली +वह मणिपुर की प्रथम कलाकार हैं। उन्हें +2008 में नट संकीर्तन संगीत के लिए यह +ग्रेड मिला। उन्हें नृत्य और गायन में उनकी +उपलब्धियों के लिए भारत सरकार ने उन्हें +2005 में “पद्मश्री' से सम्मानित किया। नट +संकीर्तन संगीत में उनकी उपलब्धियों के लिए, +उन्हें 1988 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार +भी दिया गया। +'मिजोरम + +आइजॉल के पांच बेमिसाल लड़कों का +बूमरैंग बैंड शानदार प्रदर्शन कर रहा है। इनके +संगीत के प्रवाह को बढ़ाने वाले सूत्रधार दो +जिंदादिल लुशान (मिजो) वादक हैं जो छह +तारों वाले वाद्य से मैटल, हिप-हौप, जाज, +फंक, पंक और रॉक थुनें बजाते हैं। ये अपने +आप को 'जंक रॉक' कहा जाना पसंद करते हैं। इस बैंड ने अनेक +राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय समूहों के साथ प्रस्तुति दी है जिनमें eric +fea बेंड, लेंब ऑफ गॉड, इंट्रोन आउट, फायरहाउस, परिक्रमा, +पेंटाग्राम आदि शामिल हैं। इन्हें विजेता अथवा उपविजेता के रूप +में अनेक समारोहों में पुरस्कार मिले +हैं। इन पुरस्कारों में नोकिया लॉडर्स +ऑफ म्यूजिक, इंडिपेंडेंट रॉक और +आईआईटी, मुंबई तथा एनआईटी, +सिलचर में हुए आयोजन शामिल हें। + +आइजॉल के पांच लड॒कों ने +2005 में “मैगडालेन' क्रिश्चियन रॉक +as FM इस बैंड ने रॉक विधा में +काफी नए प्रयोग किए हैं। इन्हें भी + +युमलेमबाम गांभिनीदेवी मणिपुर +की चर्चित नृत्यांगगा और गायिका +हैं। आकाशवाणी की सर्वश्रेष्ठ' +वर्ग की मान्यता ( ग्रेड ) पाने +वाली वह मणिपुर की प्रथम +कलाकार हैं। उन्हें 2008 में नट +संकीर्तन संगीत के लिए यह ग्रेड +fret उन्हें नृत्य और गायन में +उनकी उपलब्धियों के लिए भारत +सरकार ने उन्हें 2005 में “पदाश्री' +से सम्मानित किया। नट संकीर्तन +संगीत में उनकी उपलब्धियों के +लिए, उन्हें 1988 में संगीत नाटक +अकादमी पुरस्कार भी दिया गया। + + + +अनेक राष्ट्रीय-अंतर्रष्ट्रीय आयोजनों में पहला +या दूसरा पुरस्कार मिला है। इन आयोजनों में +ग्रेट इंडियन रॉक, होर्नबिल नेशनल रॉक तथा +कई आईआईटी तथा एनआईटी में हुए समारोह +शामिल हैं। इनका एल्बम “लाइफ बियोंड डेथ' +रॉक संगीत के नए आयाम खोलता है और +सभी रॉक संगीत-प्रेमियों को नई दृष्टि देने +वाला हे। + +“दि चोजन' आइजॉल की छह प्रतिभाशाली +और उत्साही लड़कियों का गोस्पेल बैंड है। +अनेक साझा प्रस्तुतियों के बाद इन लडकियों +ने 2009 में यह बैंड बनाया। अपनी पहली दो +प्रस्तुतियों - 'ब्रोकन विंग्स”' और “कान फाक +आ चे' से यह बैंड चर्चित हो गया। इस बैंड +की छह सदस्य हैं - सेनी (गिटार-वादिका) , +फिओना (गायिका), मावितेई (गायिका), +जोई (बासिस्ट), अफेली (Sax), मलसावमी +(कीबोर्डिस्ट)। + +“दि एपल्‍्स' लड़कियों का धूम-धड़ाके वाला रॉक us ta as +है जो 2007 में बना। रेट्रो रॉक स्टाइल वाली चुलबुली गिटार-वादिका +जोडिन्गलियानी इस बेंड की प्रमुख हैं। बेंड की अन्य सदस्य हैं- +जोजो (गायिका), + + +लिखने में सिद्धहस्त हैं। वह अपने संगीत को 'इलेक्ट्रो-रॉक प्रोग्रेसिव' +बनाना चाहते हैं, जिसमें इलेक्ट्रोनिक, प्रोग्रेसिव रॉक, हिप हॉप और +मेटल का मिश्रण है। + +लंदन में जोसेफ और डैनी की 2010 में लंदन में कामडेन टाउन +में मुलाकात हुई। भारत लौट कर उन्होंने दो बैंडवादकों - अंगू और +वेलेंटिनो से बातचीत आगे बढ़ाई। इन सबने मिलकर ‘feat fren’ +बैंड की शुरुआत की। + +इन्होंने भारत में अनेक आयोजनों में प्रस्तुतियां दी हैं। इनमें ली +रोनाल्‍डो एंड दि डस्ट (सोनिक यूथ ऑफ यूएसए), दि सेवन सिस्टर्स +रॉक फैस्टिवल, दि इंडियन बाइक वीक, न्यू वेब फैस्टिबल गोआ +आदि शामिल हैं। इन्होंने 'हार्ड रॉक राइजिंग' जैसी प्रतियोगिताओं में +भी भाग लिया और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता तथा ऑन-लाइन +वोटिंग सिस्टम जीतते हुए “टॉप 25 वर्ल्डवाइड' में जगह पाई। इस +स्तर तक पहुंचने वाला यह पहला भारतीय बैंड था। इस बैंड को उदय +बेनेगल (इंडस क्रीड) ने एमटीवी पर 'रेबन नेवर हाइड साउंड सीरीज' +के हिस्से के रूप में शामिल करने के लिए चुन लिया। इस बैंड ने +“कनवर्स रोड टु रबर' प्रतियोगिता का दिल्‍ली चरण भी जीता। इस बैंड +को 'रोलिंग स्टोन मैगजीन' ने 2013 की सबसे बेहतर उभरती प्रस्तुति +के लिए नामांकित किया गया। एमटीवी इंडीज ने इसे “स्टार होने की +संभावना वाले 10 अत्यंत प्रतिभाशाली युवा बेंडों' में शामिल किया। + +‘See’ छह सदस्यों वाला प्रोग्रेसिव रॉक बैंड है। 2016 में +जारी इनके एल्बम 'सेक्रिफाइस' पर अच्छी प्रतिक्रियाएं आईं। +अरुणाचल प्रदेश + +“एलियन गोड्स' इटानगर का डेथ मेटल बैंड है। इसकी स्थापना +2005 में हुई। इसके प्रतिभाशाली सदस्य पहले से ही स्थानीय कंसर्टो +में गाते थे। अरुणाचल प्रदेश के अन्य प्रमुख रॉक बेंडों में मंगल्ज, +सिमेट्री क्लान और दि विनाइल रेकॉर्ड्स शामिल हैं। + +'सोल ऑफ फीनिक्स' 2011 में आलो (पश्चिमी सियांग जिला, +अरुणाचल प्रदेश) में बना हैवी मैटल/हार्ड रॉक बैंड है। इस समय +यह शिलांग से काम कर रहा है। यह बैंड इस क्षेत्र में निरंतर +प्रस्तुतियां देता रहा है। इसकी शैली क्लासिक + +रॉक, हैवी मैटल वाली है। इस बैंड में सदस्य त्रिपुरा के लोग हमेशा से संगीत +से आपस में जुड़े होते हैं। हर +त्यौहार और आयोजन लोगों को +अवसर के अनुरूप गाने-बजाने +का मंच प्रदान करते हैं। + +हैं- डेविड (गायक) , आनंद (गिटार-वादक) , +नरमी Cara) att alam (SAR) + +“दि विनाइल रेकॉर्ड्स' चार महिलाओं का +बैंड है जो नई दिल्‍ली और अरुणाचल प्रदेश- +दोनों जगह से काम करता है। इसकी प्रमुख + +40 + +गायिका और कीबोर्ड-प्लेयर चेरियन बार्क है। मिथी ताटक ड्ूरम बजाती + + + +a + +हैं। मिनम तेकसेंग बास गिटार बजती हैं और बैंड जिनी गिटार-वादिका +और गायिका हैं। इन्होंने फरवरी 2010 में अपना ग्रुप बनाया और +मुख्यतः पोस्ट-पंक रॉक संगीत पर ध्यान केन्द्रित किया। इनका पहला +एल्बम “व्हिम्स' था। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जारी इनका पहला गीत 'रेडी, +सेट, गो' 2004 में जारी हुआ। +त्रिपुरा + +त्रिपुरा के लोग हमेशा से संगीत से आपस में जुडे होते हैं। हर +त्यौहार और आयोजन लोगों को अवसर के अनुरूप गाने-बजाने का +मंच प्रदान करते हैं। + +सचिन देव बर्मन (1 अक्तूबर 1906 - 31 अक्तूबर 1975) त्रिपुरा +के राज-परिवार से थे। उन्होंने 1937 में अपना फिल्‍मी सफर शुरू +किया। बाद में उन्होंने हिन्दी फिल्मों के लिए संगीत देना शुरू किया और +बॉलीवुड के सफलतम और सबसे सम्मानित संगीतकारों में शामिल हुए। + +1980 और 1990 के दशक में, बिमल देबबर्मा ने स्थानीय +युवाओं के जुड़ाव के अनुरूप गीतों और संगीत की रचना की। उन्होंने +त्रिपुरा के संगीत को नया रूप दिया। उनके गीतों में रोमांस, देशप्रेम +और राजनीति से मोहभंग के स्वर हैं। उनका 14 अप्रैल 2021 को +निधन हो गया। + +बिमल देबबर्मा ने अपनी संगीत-यात्रा 1980 के दशक में तब +शुरू की जब कोकबोराक (त्रिपुरा की मुख्य जनजातीय बोली) का +संगीत लोकगीतों तक सीमित था। उन्होंने और उनके सहयोगियों - +जयंत जमातिया, क्वाप्लाई जमातिया और गौतम देबबर्मा ने नई थधुनों +और आधुनिक संगीत-वाद्यों के इस्तेमाल से इस परिदृश्य में नई जान +EH दी। + +होरज्वलाई त्रिपुण का सबसे उभरता हुआ बैंड है। यह मैटल +बैंड 2004 में शुरू हुआ। शैडोज, as और दबानोल बैंड +और टि्विजलांग आल्टरनेट मेटल बैंड अन्य प्रमुख संगीत-समूह +हैं। कोलोमा बैंड की शुरुआत 2014 में हुई। 2015 में उन्होंने +अपना पहला एल्बम - 'म्वर्वी' निकाला। यह बैंड दूसरी विधाओं- +जैसे त्रिपुरा की लोक-धुनों के साथ ब्लूज और रॉक का फ्यूजुन +करता है जिसके जरिए प्रेम, जीवन के विविध +भाव और स्थानीय संघर्षों को अभिव्यक्ति +मिलती है। इस बैंड के पांचों सदस्य देबबर्मा +परिवार के हैं, जो बांसुरी, गिटार और +पारंपरिक लोक-वाद्य जैसे सारिन्दा (वायलिन +जैसा वाद्य) और चोंगप्रेंग (एक तार-वाद्य) +बजाते हैं। = + +योजना, जुलाई 2021 + + + +\0041.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + +@°VISIONIAS + +INSPIRING INNOVATION www.visionias.in + + + + + +a7" N TOP 10 SELECTIONS IN CSE 2019 4_ Qhartiett: Congratulations + +from various programs of VISION IAS to all successful candidates + + + +() + + + +JATIN PRATIBHA VISHAKHA GANESH ABHISHEK RAVI You CAN +KISHORE VERMA YADAV KUMAR BASKAR' SARAF JAIN BE NEXT + +लाइव/ऑनलाइन व ऑफलाइन कक्षाएं + +cot ep eae age WO yng wise +Shanes फाउंडेशन कोर्स + + + + + + + +डेली असाइनमेंट और अध्ययन +सामग्री के साथ पूर्णतः +रिवीजन करें + + + + + + + +७7०६८ के सामान्य अध्ययन + + + + + + + +#ह पूर्व-प्रशासनिक अधिकारियों / शिक्षाविदों के +साथ मॉक इंटरव्यू सेशन + +अभ्यास 2021 + +ऑल इंडिया प्रीलिम्स मॉक +टेस्ट सीरीज (ऑनलाइन) + +LPN | GS CRORE |e al सितंबर +a 2 + +fal iGaew करें; www.visionias.in/abhyaas + +धवा51011/5 प्रारंभिक/मुख्य टेस्ट +सीरीज हर 3 में से 2 सफल ++ उम्मीदवारों द्वारा चुना गया + + + +७8 सामान्य अध्ययन 6 निबंध ७&दर्शनशास्त्र + + + + + +(छि सभी द्वारा पढ़ी गई एवं +सभी द्वारा अनुशंसित + + + + + + +वी श्ांडां००9185 मासिक करेंट +0 अफेयर्स पत्रिका + + + + + + + + + + + + + +¢ 1st Floor, Apsara Arcade, Near Metro Gate 6,1/8 B, Pusa Road, Karol Bagh + +DELHI , contact : 8468022022, 9019066066 +JAIPUR | PUNE | HYDERABAD | LUCKNOW | AHMEDABAD | CHANDIGARH | GUWAHATI +9001949244 ' 8007500096 9000104133 8468022022 9909447040 8468022022 8468022022 + + + + + +PT 365 4 Sc पाठ्यक्रम का व्यापक कवरेज +संपूर्ण वर्ष के करेंट अफेयर्स को ४ दिल्ली कद +सिर्फ 60 घंटों में कवर करती अर 15जुलाई |5 श 23 मार्च | 1:30 एए: +कक्षाओं से ऑनलाइन जुड़े LINO : +wae AROS 11217 अप्रेल | 412५ यू +व्यक्तित्व परीक्षण कार्यक्रम अभ्यास ही सफलता +सिविल सेवा परीक्षा 2020 की चाबी है + + + + + + + + + +योजना, जुलाई 2021 41 + +YH-1594/2021 + + + +\0042.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +पूर्वोत्तर भारत में सिनेमा + +मंजू बोरा + +असम, अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मणिपुर, मिजोरम, मेघालय, त्रिपुण और सिक्किम को समेटे पूर्वोत्तर क्षेत्र +अपनी विविधतापूर्ण जीवन-शैली, भाषाई विविधता, कला और संस्कृति की दृष्टि से अनूठा है। इस क्षेत्र में +बनी अनेक फिल्मों को राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं। लेकिन देश के दूसरे हिस्सों में फिल्म उद्योग +की वृद्धि को देखते हुए ऐसा लगता है कि पूर्वोत्तर क्षेत्र की फिल्‍मों की सीमित संख्या एक जीवंत फिल्म + +उद्योग की प्रगति के लिए पर्याप्त नहीं है। + +नेमा मूलतः एक दृश्य माध्यम है। अच्छा सिनेमा दृश्य +सि चित्रों के जरिए कहानी सुनता है और साथ ही लालित्य +के साथ परोसे एक पूर्ण पैकेज में, दृश्य बिंबों का +प्रभाव और गहन करती ध्वनियों के साथ दर्शक की आंखों को तृप्त +करता है। +भारत का पूर्वोत्तर भाग प्रकृति की स्वाभाविक हरीतिमा, अद्भुत +जैव-विविधता और अनेक नस्लों और संस्कृतियों की फुलवारी के +साथ संवेदनशील फिल्म-निर्माताओं को मनुष्य और प्रकृति के विविध +आयामों पर फिल्में अनेक अवसर प्रदान करता है। उत्तर में भव्य +हिमालय- श्रृंखलाओं , अनेक पहाड़ियों और वादियों, नदियों-धाराओं +से भरा यह मनोसम क्षेत्र किसी भी सिनेकर्मी को आकर्षित करेगा। + +भी हैं। राज्य के विभिन्न हिस्सों, खास तौर से दूर-दराज के इलाकों +में अब भी संचार और आवागमन की दिकक्‍कतें है। सड़कें बहुत +अच्छी नहीं है और रेल-संपर्क भी बढ़िया नहीं हैं। विशाल ब्रह्मपृत्र +नदी राज्य के बीच में बहती है लेकिन अच्छे जल-मार्ग नहीं हैं। +राज्य के सबसे प्रमुख नगर - गुवाहाटी के लिए विमान-सेवाएं भी +बहुत अच्छी नहीं हैं। दूसरे शहरों के लिए तो विमान-सेवाएं और +भी कम हैं। पेट्रोलियम-पदार्थों पर बहुत अधिक शुल्कों और खराब +सड़कों के कारण सडक परिवहन महंगा है। इस इलाके के बाजार +भी ठीक से विकसित नहीं हैं और रोजमर्रा की जरूरत की चीजें +भी सब जगह आसानी से नहीं मिलतीं। अच्छी क्वालिटी के सिनेमा +उपकरण भी सब जगह सुलभ नहीं हैं। इस क्षेत्र में बहुत थिएटर + + + +यहां के अनेक जातीय और नस्‍्ली समूहों +की अपनी बोलियां, व्यवहार और रंगारंग +रीति-रिवाज तथा संस्कृतियां हैं। यहां ऐसे लोग +भी हैं जो एकदम आदिम परिस्थितियों में रहते +हैं; तो दूससी ओर अति आधुनिक जीवन-शैली +वाले लोग भी हैं। यहां की जलवायु सुहावनी LE +है। गर्मियों में भारी बरसात होती है और कुछ 5: +उत्तरी इलाकों में हल्का हिमपात भी होता है। +यहां के लोग मैत्रीपूर्ण, मददगार और अतिथि +प्रेमी होते हैं। बे अथितियों की हर संभव मदद +करने को तैयार रहते हैं। इसीलिए, इस राज्य +में हमेशा वैध-अवैध रूप से बाहरी लोग +आते-जाते रहे हैं। यह भी सिनेमा के लिए +एक अच्छा विषय है। + +इन अवसरों के साथ-साथ, इस क्षेत्र +में फिल्म-निर्माताओं के लिए कुछ चुनौतियां + + + + + +भी नहीं हैं और सिनेमा-दर्शकों को उचित +| प्रोत्साहन तथा जानकारी नहीं मिलने से अच्छे +£ | सिनेमा के लिए दर्शकों की भी कमी है। इस +क्षेत्र में जातीय,भाषाई और सांप्रदायिक तनावों +| की स्थिति भी नाजुक बनी रहती है। विद्रोही +गतिविधियां भी चलती रहती हैं। इन कारणों +से सामान्य जन-जीवन अस्थिर बना रहता है। + +लेकिन हिम्मती फिल्म-निर्माता ऐसे +हालात में भी अच्छी फिल्में बनाने के अवसर +निकाल ही लेते हैं। इस क्षेत्र के युवा और +प्रतिभाशाली फिल्म-निर्माताओं ने ऐसी अनेक +श्रेष्ठ फिल्में बनाई हैं जिन्हें अनेक राष्ट्रीय तथा +अंतर्राष्ट्रीय समारोहों तथा प्रतियोगिताओं में +पुरस्कार और सम्मान मिले हैं। चारों ओर +जमीन से घिरे, अक्सर उपेक्षित, अल्पविकसित +तथा मनोरम प्रकृति से सम्पन्न इस क्षेत्र के + +murs + +wees + +ot hee + + + + + + + +लेखिका गुवाहाटी A vedi & sik ada den yeepa freer 21 Sta: manjupatraborah@gmail.com + +42 + +योजना, जुलाई 2021 + + + +\0043.txt +<----------------------------------------------------------------------> +लोगों को अपने नेताओं से अक्सर शिकायतें रहती जि 1] +हैं कि वे लोगों की तकलीफों पर ध्यान नहीं देते। 58 +इसीलिए, यहां के फिल्मकार अपने लोगों और उनकी +संस्कृति के प्रति अपने प्रेम और उनके अभावों की +अभिव्यक्ति सिनेमा के माध्यम से करते हैं और इसे +वैश्विक दर्शकों के सामने रखते हैं। वे इस उक्ति को ! +सार्थक करते हैं कि चुनौतियां अवसरों को जन्म देती £थ +हैं। मुझे लगता है कि पूर्वोत्तर भारत के सिनेमां की +सफलताओं का यही रहस्य है। +पूर्वोत्तर क्षेत्र का सिनेमा + +अपनी विविधतापूर्ण जीवन-शैली, भाषाओं के +उद्गम, कला और संस्कृति की वजह से पूर्वोत्तर +क्षेत्र अनुपम है। यहां 200 से ज्यादा नस्‍्ली समूह +हैं जिनकी अपनी विशिष्ट रंगत और पहचान है। यह +भी एक विचित्र तथ्य है कि भारतीय सिनेमा के +अग्रणी व्यक्तियों में एक - प्रमथेश बरुआ असम के थे। आर्दशिर +ईरानी द्वारा 1930 में भारत की प्रथम सवाक (टॉकी) “आलम आर!' +के बनाए जाने के पांच ही वर्ष बाद, असमिया सिनेमा के पिता माने +जाने वाले ज्योति प्रसाद अगरवाला ने असमिया की प्रथम फिल्म +“जयमती' बनाई थी। उस जमाने की नकली भावुकता वाली फिल्मों +के दौर में अगरवाला यथार्थपरक फिल्में बनाने वाले अग्रणी निर्माता +थे। “जोयमती' 16वीं शताब्दी में असम के अहोम राजवंश के दौर +की एक ऐतिहासिक चरित्र है जिसके सबल व्यक्तित्व, वीरता और +राजनैतिक दृष्टि की कहानी फिल्म में कही + +असमिया सिनेमा के पिता माने + + + +में यह तकनीकी दृष्टि से बहुत उन्नत थी। इस काल के एक अन्य +महत्वपूर्ण फिल्म-निर्देशक थे निप बरुआ, जिनकी फिल्म “रोंगा +पुलिस' को राष्ट्रीय फिल्‍म पुरस्कारों में रजत पदक मिला। इसके बाद +डॉ भूपेन हजारिका ने अपनी पहली फिल्म “एरा बतोर सुर” बनाई +जिसमें लता मंगेशकर ने प्रसिद्ध 'जोनकोरे आसोमिरे मती जिलिकी +जिलिकी उठे' गया। इस फिल्‍म से असमिया सिनेमा पर देश के +दूसरे हिस्सों के दर्शकों की भी नजर पड़ी। डॉ भूपेन हजारिका को +1965 में बनाई उनकी फिल्म “प्रतिध्वनि' और 1966 की फिल्म +“लोटीघोटी' के लिए राष्ट्रपति के रजत पदक + +गई है। इस फिल्म में काफी घाटा होने के मिले। +बावजूद, अगरवाला ने 1937-38 में अपनी जाने वाले ज्योति प्रसाद अगरवाला असम के एक प्रमुख फिल्म-निर्माता +दूसरी फिल्म 'इन्द्रमालती' बनाई जो 1939 में ने असमिया की प्रथम फिल्म अब्दुल मजीद ने 1968 में अपनी पहली +प्रदर्शित हो सकी। प्रमथेश बरुआ ने 'देवदास' | | फिल्म “मोरोम तृष्णा' बनाई। 1975 में बनी +का असमिया संस्करण 1937 में बनाया। जोयमती' बनाई थी। उस ae उनकी फिल्‍म “चमेली मेमसाब' को श्रेष्ठ +ज्योति प्रसाद अगर्वाला के असमय की नकली भावुकता वाली फिल्मों क्षेत्रीय फिल्‍म के लिए राष्ट्रपति का रजत +निधन के बाद, असमिया फिल्मों के निर्माण के दौर में अगरवाला यथार्थपरक पदक मिला। इस फिल्‍म में डॉ भूपेन हजारिका +की गति मंद पड़ गई। 1941 में रोहिणी कुमार फिल्में बनाने वाले अग्रणी निर्माता ने संगीत दिया था जिसके लिए फिल्म को + +बरुआ ने तीसरी असमिया फिल्‍म “मनोमती' +बनाई। यह भी एक ऐतिहासिक फिल्म थी। +इसके बाद आई फिल्में इस प्रकार हैं - + +थे। “जोयमती' 16वीं शताब्दी में +असम के अहोम राजवंश के दौर + +सर्वश्रेष्ठ संगीत का पुरस्कार भी दिया गया। +1969 में ब्रजेन बरुआ की लोकप्रिय फिल्म +'डॉ बेजूबरुआ' क्षेत्रीय फिल्म वर्ग में राष्ट्रपति + +परभाती प्रसाद बरुआ की फिल्‍म “रूपाही' की एक ऐतिहासिक चरित्र है का रजत पुरस्कार मिला। + +(1946), कमल नारायण चौधरी की 'बदन जिसके सबल व्यक्तित्व, वीरता 1970 से 1982 के बीच असमिया +बोरफुकन' (1947), फरणि सरमा की और राजनैतिक दृष्टि की कहानी सिनेमा में अनेक नए फिल्म-निर्देशक आए +“सिराज', असित सेन को “बिपलोबी', प्रबीन फिल्म में कही गई है। इस फिल्म इनमें प्रमुख हैं - समरेन्द्र नारायण देब, +फुकन की “पारघाट' और सुरेश गोस्वामी की प्रें काफी घाटा होने के बावजूद, कमल चौधरी जिन्होंने पहली रंगीन फिल्म + +“रूनुमी '। + +1950 के दशक में इस क्षेत्र की सबसे +महत्वपूर्ण फिल्‍म फणि सरमा द्वारा निर्देशित दूसरी +“पियाली फुकन' थी। इस फिल्‍म का संगीत +युवा संगीतकार भूपेन हजारिका ने दिया था। +यह राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार पाने वाली पहली +असमिया फिल्‍म थी। अपने समय की तुलना + +योजना, जुलाई 2021 + +अगरवाला ने 1937-38 में अपनी +सरी फिल्म “इन्द्रमालती' बनाई जो +1939 में प्रदर्शित हो सकी। प्रमथेश +बरुआ ने देवदास' का असमिया +संस्करण 1937 में बनाया। + +' भैती' बनाई, पुलम गोगोई, पदम बरुआ, डॉ +भबेन्द्रनाथ सैकिया और अतुल बोरदोलोई। +1976 में बनी पदुम बरुआ की फिल्‍म +“गंगा सीलोनीर पाखी' ने असमिया सिनेमा +को आधुनिक यथार्थपरक सिनेमा की एक +नई दिशा दी। 1964 में बनी सर्बेश्वर चक्रवर्ती +की फिल्‍म ‘aia cram’ को 1964 + +43 + + + +\0044.txt +<----------------------------------------------------------------------> +राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। इस फिल्म में डॉ भूपेन / 7 +हजारिका का संगीत था। इस फिल्म में डॉ | +हजारिका ने 'बुकु होम होम कोरे' मधुर गीत +गाया था जिसे बाद में हिन्दी फिल्म 'रुदाली' +में लता मंगेशकर ने गा कर राष्ट्रीय स्तर पर +चर्चित कर दिया। + +जाहनु बरुआ और डॉ भबेन्द्रनाथ +सैकिया ने अपनी फिल्मों से असमिया सिनेमा +को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाई। , +डॉ भबेन्द्रनाथ सैकिया असमिया के प्रख्यात +लेखक भी थे। उन्होंने आठ फिल्में निर्देशित , +कीं जिन्हें कांस, कार्लोवो वेरी, नांटेस (फ्रांस) , के +aestas (SA), aes, ain an 2. +(ar aif), fast, wha, alfa, BS: +टोरंटो आदि अनेक अंतर्राष्ट्रीय फिल्‍म समारोहों +में प्रदर्शश किया गया। दूसरी ओर, जाहनु + +बरुआ की सभी फिल्मों को राष्ट्रीय पुरस्कार मिले और कुछ को + +तो अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिले। सेल्यूलॉइड के उन दिनों में, इन +फिल्मकारों ने असमिया सिनेमा का परचम विश्व के कोने-कोने में +'फहराया। + +इनके बाद, गौतम बोरा, बिद्युत चक्रवर्ती , डॉ सांत्वना बोरदोलाई, +संजीब हजारिका, जंगदेव बदोसा और मंजु बोरा (इस लेख की +लेखिका) का दौर आया। इन फिल्मकारों ने असमिया भाषा और इस +क्षेत्र की कुछ बोलियों में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित +फिल्में बनाई। + +इसी क्षेत्र के मणिपुर राज्य की भी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर +है जो उसके संगीत, नाटक, साहित्य और हस्तशिल्प के माध्यम से +अभिव्यक्त होती है। इस राज्य की फिल्मों का भी विशिष्ट स्थान है। +देब कुमार बॉस द्वारा 1972 में प्रदर्शित निर्देशित प्रथम मणिपुरी फिल्म +“माताम्का मणिपुर” को सर्वश्रेष्ठ मणिपुरी फिल्‍म के रूप में राष्ट्रीय +पुरस्कार मिला। मणिपुरी के श्रेष्ठ फिल्म-निर्देशक अरीबाम श्याम +सरमा ने 1974 में अपनी पहली फिल्‍म “लम्जा परशुराम' बनाई। +उनकी चौथी फिल्म “इमाकी निंगेथम' को 1982 में नांतेस (फ्रांस) +फिल्म समारोह में “गोल्डन मोटोगोल्फर' पुरस्कार मिला। इस तरह +उन्हें अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिली। 1990 में बनी उनकी फिल्म Soret’ +1991 के कान्स फिल्म समारोह अंसर्टेन रिगर्ड +सैक्सन में प्रदर्शित की गई। निश्चय ही वह +पूर्वोत्तर के सबसे महत्वपूर्ण फिल्म-निर्देशक +हैं जिन्होंने पूरे क्षेत्र को गौरवान्वित किया +है। मणिपुर के अन्य फिल्म-निर्देशकों, जैसे +एम ए सिंह, मखोमोनी मिंकसूबा, ओइनाम +गौतम सिंह, एच पवन कुमार आदि ने बढिया +फिल्में बनाई हैं। इतनी प्रगति के बावजूद, +हिन्दी फिल्मों के प्रदर्शन के खिलाफ स्थानीय +आंदोलन की वजह से एक समय मणिपुर +में फिल्‍म निर्माण का काम पूरी तरह ठप +हो गया था और सिनेमा हॉल बंद हो गए + +44 + + + +1950 के दज्ञक में इस क्षेत्र की +सबसे महत्वपूर्ण फिल्म फणि सरमा +द्वारा निर्देशित “पियाली फुकन' +थी। इस फिल्म का संगीत युवा +संगीतकार भूपेन हजारिका ने दिया +था। यह राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार +पाने वाली पहली असमिया फिल्म +थी। अपने समय की तुलना में यह +तकनीकी दृष्टि से बहुत उन्नत थी। + +थे। डिजिटल फिल्मों की शुरुआत के बाद +मणिपुर के फिल्म उद्योग का विस्तार हो रहा +है, फिल्में व्यावसायिक तरीके से प्रदर्शित हो +रही हैं, फिल्मों को राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर +मान्यता भी मिल रही है; लेकिन सही मायने +में फिल्‍म उद्योग का विकास नहीं हो रहा है। +इस वर्ष राज्य की फिल्‍म विकास सोसाइटी +और फिल्म समुदाय के लोग मणिपुरी सिनेमा +की स्वर्ण जयंती मना रहे हैं। इस अवसर पर +४४ वे उन अग्रणी फिल्मकारों को श्रद्धांजलि दे रहे +“कलह हें जिन्होंने 1970 के दशक में अनेक चुनौतियों +1 के बीच, बिना किसी सहायक बुनियादी ढांचे +के, मणिपुर में फिल्म-निर्माण का काम प्रारम्भ +किया। +मेघालय के मातृसत्तात्मक समाज की +2 ८ अपनी पहचान है जहां वंश-परंपरा और धरोहर +स्त्रियों से होती है। मानव, संस्कृति और परिवेश के बीच संतुलन +बनाते अनेक पर्व-उत्सव यहां होते हैं लेकिन फिल्म उद्योग की यहां +शुरुआत लंबे समय तक प्रयासों के बाद हुई। “का सिंजुक री की +लाईफ्यू स्येम' मेघालय में खासी भाषा में बनी पहली फिल्म है जिसे +1981 में हामलेट बारे पकयान्ता ने बनाया। इसके बाद, 1984 में +अर्ध॑दु भट्टाचार्जी ने पहली रंगीन फिल्‍म - 'माणिक राइतोंग' बनाई। +वर्ष 2000 के बाद, जब मेघालय में उग्रवादी घटनाएं तेजी से +कम हुईं तो मनोरंजन तथा फिल्मों के लिए बाजार बना। अनेक लघु, +बड़ी और वीडियो फिल्में बनानी शुरू हुईं। 2014 में प्रदीप कुरबाह +की फिल्‍म 'री' को पहली बार राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। 2016 की +उनकी फिल्म “ओनाताह' को भी राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। उन्हीं की +2019 की फिल्म 'ल्यूदुह' खासी भाषा की ऐसी पहली फिल्म बनी +जिसे दक्षिण कोरिया के प्रतिष्ठित बुसान फिल्‍म समारोह में प्रथम +प्रदर्शन (प्रीमियर) और पुरस्कृत होने का गौरव मिला। इस फिल्म को +खासी भाषा की फिल्‍म के रूप में 2019 में राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला +और लोकेशन साउंड के लिए भी पुरस्कृत किया गया। मेघालय के +फिल्म-निर्माताओं के लिए यह बड़ी उपलब्धि थी, जहां फिल्मों के +लिए निर्माता और धन लगाने वाले बड़ी मुश्किल से मिल पाते हैं। +मेघालय के डोमिनिक संगमा ने गारो भाषा (यह भी मेघालय +की राजकीय भाषा है) 2019 “मा अमा' में +फिल्‍म बनाई। +लेकिन प्रश्न यह है कि इन फिल्मों को +कहां प्रदर्शित किया जाए? दर्शकों का रुख +क्या होगा? प्रदीप जैसे निर्देशकों का मानना +है कि फिल्‍मों को अलग-अलग स्थान पर ले +जाकर दिखाने (ट्रेवलिंग टॉकीजु) के तरीके +से इन फिल्मों की लागत निकल सकती है। +हालांकि पूरा मेघालय ही इतना सुरम्य है कि +वहां किसी भी तरह की फिल्‍म शूट की +जा सकती है, लेकिन महान फिल्म-निर्देशक +ऋत्विक घटक ही सही मायने में खासी + +योजना, जुलाई 2021 + + + +\0045.txt +<----------------------------------------------------------------------> +aa ch aed al wes Wh an अपनी +चिर-स्मरणीय बांग्ला फिल्‍म “मेघे ढाका तारा' +में विषाद के क्षणों को चित्रित कर सके। + +पूर्वोत्तः क्षेत्र के एक अन्य राज्य +अरुणाचल प्रदेश में 20 से अधिक जनजातियों +की पहचान है। राज्य के अधिकतर लोग बौद्ध +हैं। तवांग और पश्चिमी कामेंग जिलों के मोन्पा +और शेरदुकपेन लोग महायान बौद्ध मत की +लामा परंपरा में विश्वास करते हैं। कुछ अन्य +जनजातियों के लोग दोन्यी-पोलो नामों से सूर्य +और चन्द्र देवता की पूजा करते हैं। कुछ लोग +ईसाई तथा हिन्दू भी हैं। अरुणाचल प्रदेश की +संस्कृति में संगीत और नृत्य का स्थान बहुत +महत्वपूर्ण है। अरुणाचल प्रदेश अब सिनेमा के +विकास पर ध्यान दे रहा है और केंद्र सरकार +इस काम में मदद देते हुए इटानगर में फिल्म +प्रशिक्षण संस्थान भी खोलने जा रही है। + +पिछले कुछ समय से फिल्म-निर्माण युवा पीढ़ी के बीच +लोकप्रिय हो रहा है। इनमें से कुछ की फिल्में राष्ट्रीय स्तर पर भी +चर्चित हो रही हैं। शेरुकपेन बोली में पहली फिल्म “क्रॉसिंग ब्रिज' +थी जो 2013 में सांगे दोरजी थोंगदोक ने बनाई। इसे सर्वप्रथम मुंबई +अंतर्राष्ट्रीय फिल्‍म समारोह में प्रदर्शित किया गया। लेकिन राज्य में +2016 तक भी कोई सिनेमा हॉल नहीं था जहां ये फिल्म दिखाई +जा सके। इसलिए, यहां बनी फिल्मों से स्थानीय लोगों का परिचय +हो ही नहीं पाता। + +अहसान मजीद की बनाई फिल्म “सोनम' मोन्पा बोली में बनी +पहली फिल्‍म थी। इसे 2020 में 37वें अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह +के भारतीय पैनोरमा खंड में दिखाया गया। फिल्म को राष्ट्रीय फिल्‍म +पुरस्कार भी मिला और इसे विश्व भर में +अनेक अंतर्राष्ट्रीय फिल्‍म समारोहों में दिखाया +गया। + +अरुणाचल प्रदेश में बनी तीसरी फिल्‍म +‘de हंटर' वांचू बोली में बनाई गई। इसके +निर्देशक नीलांजन दत्ता पूने फिल्‍म और +टेलीविजन संस्थान में प्राध्यापक हैं। फिल्म +में बताया गया है कि वनों की अनियमित +कटाई और अनियोजित निर्माण-कार्यों से इस +सुंदर राज्य के लिए खतरा हो wed Zi +निर्देशक अरुणाचल प्रदेश की अनूठी संस्कृति +को बचाने के लिए चिंतित हैं जबकि वहां +की नई पीढ़ी “मुख्य धारा' में शामिल होने +की होड में अपने अतीत से मुंह मोड रही है। + +अरुणाचल प्रदेश में 2018 में दो और +फिल्में बनाई गईं। ये मैंने (मंजु बोर) और +बॉबी सरमा बरुआ ने बनाईं। दोनों फिल्में +अरुणाचल प्रदेश के साहित्य अकादमी +पुरस्कार विजेता लेखक येशे दोरजी थोंगची + +sea a Pd + +योजना, जुलाई 2021 + +| eee + +pee era lee re aed © + +ed कि + + + +असम के एक प्रमुख +फिल्म-निर्माता अब्दुल मजीद ने +1968 में अपनी पहली फिल्म +'मोरोम तृष्णा' बनाई। 1975 +में बनी उनकी फिल्म “चमेली +मेमसाब ' को श्रेष्ठ क्षेत्रीय फिल्म +के लिए राष्ट्रति का रजत पदक +मिला। इस फिल्म में डॉ भूपेन +हजारिका ने संगीत दिया था +जिसके लिए फिल्म को सर्वश्रेष्ठ +संगीत का पुरस्कार भी दिया +गया।1969 में ब्रजेन बरुआ की +लोकप्रिय फिल्म “डॉ बेजबरुआ' +क्षेत्रीय फिल्म वर्ग में राष्ट्रपति का +रजत पुरस्कार मिला। + +के उपन्यासों पर आधारित थीं। इन दो +फिल्मों- 'इन दि लैंड ऑफ पॉइजन वुमन' +और 'मिशिंग' को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिले +और इन्हें अनेक अंतर्राष्ट्रीय फिल्‍म समारोहों +में भी दिखाया गया। अरुणाचल प्रदेश में बनी +सबसे ताजा फिल्‍म शांतनु दत्ता की “वाटर +बरियल' है जिसे पर्यावरण पर सर्वश्रेष्ठ फिल्‍म +का पुरस्कार मिला है। + +राज्य में बनी सभी फिल्में वहां के किसी +न किसी महत्वपूर्ण सामाजिक-सांस्कृतिक मुद्दे +को उठाती हैं। लेकिन राज्य को अपने फिल्म +उद्योग को खड़ा करने के लिए अभी लंबा +सफर तय करना हेै। + +मिजोरम राज्य के निवासी मिजो लोग +मंगोलॉइड नस्ल के हैं। इनमें से अधिकांश +ईसाई हैं और एक विशिष्ट नैतिक सिद्धान्त +“त्लावमंगाइना ' का पालन करते हैं। इन मान्यताओं ने मिजो समाज को +घनिष्टता से एकजुट किया है। ये लोग नृत्य और संगीतप्रेमी हैं। यहां +का चेयाव अथवा “बांस नृत्य' प्रसिद्ध है। स्थानीय वाद्यों के साथ, ये +लोग अनेक लोकगीत गाते हैं। यहां हथकरघा और हस्तशिल्पों की +भी समृद्ध परंपरा है। + +मिजो भाषा में अब तक एकमात्र फीचर फिल्‍म माउपुईया +चोंगथन द्वारा निर्देशित 'खान्नग्लुंग रन' है। यह 1856-59 के दौर में +Gera में हुए हत्याकांड की घटना से जुड़ी एक्शन और रोमांस +वाली फिल्म है। इसे कुछ राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोहों में +दिखाया गया है। फिल्म्स डिवीजन, मुंबई और कुछ निजी निर्माता +कुछ डॉक्युमेंट्री फिल्‍में भी बना रहे हैं। इन दिनों राज्य सरकार, +एक फिल्‍म सोसाइटी के सहयोग से मिजो फिल्मों को बढ़ावा देने +में लगी है। + +नगालैंड राज्य में मुख्य जनसंख्या नगा +लोगों की है जिनमें जनजातियों के अनेक +समूह शामिल हैं। ये भारत के पूर्वोत्तर भाग +के साथ-साथ उत्तर-पश्चिम म्यांमार में भी +बसे हैं। समान मंगोलॉइड नस्ल परिवार के +होने के बावजूद, हर समूह की अपनी विशिष्ट +बोली, संस्कृति और परंपराएं हैं। कोई भी +समूह दूसरे समूह की भाषा नहीं बोल पाता। +इनकी एक समान भाषा नगामीज है और यहां +के अधिकांश लोग ईसाई हैं। इनकी संस्कृति +बड़ी जीवंत है और नृत्य भी अनूठे हैं। इनका +लोक-संगीत भी बहुत विविधतापूर्ण है जिसमें +धार्मिक विश्वासों, रोमांस और वीरता के भाव +व्यक्त करती परंपरागत सुरीली थधुनें होती हैं। + +नगालैंड में कई डॉक्युमेंट्री और कुछ +वीडियो फिल्में बनाई गई हैं। नगालैंड की +पांच प्रतिभाशाली महिला फिल्म निर्देशकों +ने अपना विशिष्ट स्थान बनाया है। ये हैं- + +॥ + +eet + +45 + + + +\0046.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +सोफी लसुह, तीयाइनला जमीर, सेसिनो होशु +और यापांगनारी लोंगकुमार। सोफी लसुह और +सेसिनो होशु “क्यू हु' फिल्म-निर्माण कंपनी +चलते हैं। उनकी पहली फिल्म “दि स्टोरी +ऑफ ए हाउस” काफी चर्चित हुई और अनेक +फिल्‍म समारोहों में प्रदर्शित की गई। उनकी +ग्रेजुएशन फिल्‍म “चिल्डूनू ऑफ साइलेंस' +नगालैंड में सेना के कथित दुर्व्यवहार के +बारे में हे जो ब्रिटिश अकेडमी फिल्म एंड +टेलीविजून sted (बीएएफूटीए -बाफ्टा) +पुरस्कारों के लिए नामित हुई। + +विकेयेनो जाओ नागालैंड की एक +और प्रतिष्ठित डॉक्युमेंट्री फिल्म-निर्माता +हैं जो पूर्वोत्त भारत की एसी एकमात्र +फिल्म-निर्देशक हैं जिनकी fect aR +फिल्म समारोह में दिखाई गईं। उनकी फिल्‍म + + + + + +समृद्ध सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के बावजूद, +त्रिपुण को फिल्म-निर्माण में अपनी यात्रा +अभी शुरू करनी है। केरल के फादर +जोसेफ पुलथानाथ ने, इस क्षेत्र के निवासी +नहीं होने के बावजूद, 2003 में त्रिपुरा की +पहली फिल्‍म - 'मथिया' (चूडियां) बनाई +जिसे राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला। कोकबोराक +बोली में बनी इस फिल्म में किसी महिला +को जादूगरनी करार देने की कथा है। आज +भी त्रिपुरा में यह कुप्रथा कहीं-कहीं नजर +आती है। उनकी दूसरी फिल्म 'यारांग' भी +कोकबोराक बोली में है जो 2008 में भारत +के अंतर्राष्टीय फिल्‍म समारोह में उदघाटन +फिल्‍म के रूप में दिखाई गई। इन दो +फिल्मों के जरिए, त्रिपुरा ने फिल्म समारोहों +के जरिए फिल्‍मों की दुनिया में दस्तक दी + + + + + +“लास्ट ऑफ दि टेटूड हैड हंटर' को 2010 में 63वें और 'दिस लेंड +al mics अवर होम' को 2011 में 64वें कान्‍्स फिल्‍म समारोह +में लघु फिल्‍म वर्ग में चुना गया। फिल्म-निर्माता मा जाओ ने कई +डॉक्यूमेंटरी फिल्में, टेली-फिल्में और टेली-सीरियल बनाए जिनके +विषय नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश की प्रकृति और यहां की +जनजातियों के मानव-विज्ञान तथा सामाजिक जीवन से जुडे पहलुओं +के बारे में हैं। + +तीयाइनला जमीर ने नगालैंड में कई डॉक्यूमेंटरी फिल्में बनाई +हैं। उनकी फिल्म ‘tien fe fea’ ond के अंतर्राष्ट्रीय फिल्‍म +समारोह, गोवा में (1916 में) चुनी जाने वाली राज्य की पहली +फिल्‍म थी। इस फिल्म को अनेक फिल्‍म समारोहों में प्रदर्शित किया +गया और काफी सराहना मिली। + +सेसिनो होशु कोहिमा में एक फिल्म-निर्माण कंपनी “टेक +वन' चलाती हैं। उनकी पहली डॉक्यूमेंटरी फिल्म “अप्फुस्ता' उनके +दादाजी के बारे में थी। इसे नेशनल पोर्टेट गैलरी, लंदन; बांग शॉर्ट +फिल्म फेस्टिवल, नॉटिंघम; युनिवर्सिटी ऑफ रोशेस्टर, न्यू यॉर्क तथा +रूबिन म्यूजियम ऑफ आर्ट, न्यू यॉर्क में दिखाया गया। सोफी लसुह +के साथ सह-निर्देशित उनकी फिल्में (दि इमेजिनरी लाइन' और ‘fe +स्टोरी ऑफ ए हाउस” अनेक फिल्म समारोहों में दिखाई गईं और +पसंद की गई। + +यापांगनारी लोंगकुमार की चर्चित डॉक्यूमेंटरी 'एंड डाउन दि +रिवर दे वेंट' इटली में एसियाटिका फिल्म मेडियाले तथा न्यू यॉर्क +के रूबिन म्यूजियम में प्रदर्शित की गई। उन्होंने (दि डाययी ऑफ +मिमी ', 'टु दि बीट ऑफ देयर ate Sn’, 'राइजू ऑफ जाइंट्स', +“दि लास्ट ऑफ दि ईस्ट'। ए टच ऑफ समथिंग गुड” और “दि दान +ऑफ फेथ' आदि डॉक्यूमेंटरी बनाई हें। + +पूर्वोत्तर क्षेत्र के एक अन्य राज्य -त्रिपुरा के मूल निवासी +“त्रिपुरी' कहे जाते हैं। इनमें सी अधिकतर जनजातीय लोग हैं। यहां +19 जनजातियों के निवासी हैं जिनमें एक बंगाली जनजाति समूह है। +दूसरे समूह में भारतीय-मंगोलॉइड जनजातियों के लोग हैं जिनकी +अपनी बोलियां तथा विशिष्ट रीति-रिवाज तथा परम्पराएं हैं। + +46 + +है लेकिन राज्य को फिल्म उद्योग की स्थापना के लिए अभी +लंबा सफर तय करना है। + +क्षेत्र के खूबसूरत राज्यों में से एक सिक्किम में सिनेमा अभी +भी अपने नवोदित चरण में है। हालांकि सिक्किम सरकार द्वारा +स्थानीय और बाहरी लोगों के लिए सिनेमा निर्माण के लिए कुछ +सिनेमा अनुकूल योजनाएं शुरू की गई हैं, फिर भी सिक्किम को +वहां एक सिनेमा उद्योग स्थापित करने के लिए एक लंबा सफर तय +करना है। हालांकि राज्य के सिनेमा प्रेमियों और सिनेमा निर्माताओं +के लिए यह बहुत उत्साहजनक है कि इस वर्ष 67वें राष्ट्रीय फिल्‍म +पुरस्कारों में सिक्किम को देश का सबसे अधिक सिनेमा अनुकूल +राज्य घोषित किया गया। सिक्किम की वर्तमान सरकार राज्य को +न केवल पर्यटन स्थल बल्कि फिल्म गंतव्य भी बनाने का प्रयास +कर रही हे। + +यदि हम सिक्किम में सिनेमा निर्माण के इतिहास को देखें, +तो हम पाते हैं कि सत्यजीत राय ने वर्ष 1971 में एक वृत्तचित्र +“सिक्किम '' बनाया था। यह सिक्किम की संप्रभुता के बारे में था। + +इस तरह, इस क्षेत्र के आठ राज्यों की फिल्‍मों ने समय-समय +पर अनेक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार तथा सम्मान हासिल किए +हैं। लेकिन देश के दूसरे हिस्सों में फिल्म उद्योग की वृद्धि को देखते +हुए ऐसा लगता है कि पूर्वोत्तर क्षेत्र की फिल्‍मों की सीमित संख्या +एक जीवंत और सफल फिल्म उद्योग की प्रगति के लिए पर्याप्त नहीं +है। साथ ही, इस क्षेत्र की जनसंख्या जिलों के स्तर तक भी अनेक +नसली और भाषाई समुदायों में बंटी है। इसीलिए किसी एक भाषा +की फिल्‍म के चल पाने के लिए पर्याप्त दर्शक ही नहीं मिलते। +इससे निर्माताओं की फिल्म में लगी लागत भी वसूल नहीं हो पाती। +असम और मणिपुर को छोड कर, अन्य राज्यों में सालाना पांच फिल्में +भी नहीं बन पातीं। ऐसी स्थिति में, हम यही उम्मीद कर सकते हैं +कि सरकार अथवा कुछ कॉर्पोरेट घराने तथा बडे स्टूडिओ यहां के +फिल्म-निर्माताओं की मदद के लिए आगे आएंगे। तभी यहां पर्याप्त +संख्या में अच्छी फिल्में बन सकेगी और स्थानीय फिल्म उद्योग जड़ें +जमा सकेगा। हा + +योजना, जुलाई 2021 + + + +\0047.txt +<----------------------------------------------------------------------> +rN = MIT School of + +MIT-SOG Government + +Kindling the flame of Democratic Leadership... + +]017 (४५ + +for emerging +(3/€९। 0979071[ए७॥1(01€५ + +in Politics + + + + + + + +Master’s Degree Program in + +ADMISSION OPEN +Political Leadership & + +6 00% + +Batch 2021-23 + +- 1st year on-campus learning +- 2nd year field training & internships + + + + + + + + + + + + + + + +“Only the educated youth of India can bring + +about the much needed change in Politics” +- Rahul V. Karad, Initiator, MIT-SOG + +PROGRAM HIGHLIGHTS: + +Interactive sessions with Political leaders. + +Visits to Gram Panchayat, Zilla Parishad, +a कि + +Management, National Study Tour to Delhi. + +Optional International Study Tour to Europe. + +eye Ae its + +[80 ९ हैं। |! हैहै।। [॥ ै।। हि: हि।।| +Email: sog@mitwpu.edu.in + +steele a +| 11 है 11 11 421०1 +Be aU) + + + + +CAREER PROSPECTS > + +RESEARCH | POLITICAL | POLITICAL +ASSOCIATE | ANALYST | STRATEGIST + +CAMPAIGN | CONSTITUENCY +MANAGER . MANAGER + +CONTEST ELECTIONS & +BE APART OF ACTIVE POLITICS + +OFFICE BEARERS IN PROMINENT +POLITICAL PARTIES + +MIT-SOG has 450 strong alumni. Many of whom +are associated with political parties and political +leaders. Some have contested elections from +Gram Panchayat to Parliament and some are +associated with the offices of Governor, Chief +Minister, and Speaker while others are active in +youth wings of political parties. + + + + + + + +Eligibility: Graduate with min. 50% aggregate + + + +FIRST INSTITUTE OF ITS KIND TO + +CREATE FUTURE +POLITICAL LEADERS + + + + + +MIT-WPU + +॥ विज्वशान्तिधुव ध्रुवा ॥ + + + + + + + + + +@ Mo.: 98508 97039, 77200 61611 (© 91460 38947 + +- MIT School of Government is part of MIT World Peace University +recognised by the UGC under the Govt. of Maharashtra Act XXXV 2017, since 2017 + += MPG PG Degree is confered as Master of Arts (MA) in Political Leadership & Government + + + + + +योजना, जुलाई 2021 + +47 + +YH-1601/2021 + + + +\0048.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +सोनम दूबल + +पूर्वोत्तर के कपड़ों और हस्तकलाओं में प्राकृतिक अंदाज की गहरी समझ दिखाई पड़ती है। कपड़े की बुनाई +यहां एक तरह से जीवनशैली है। हालांकि, कपड़े की इस संस्कृति को बचाए रखने और इसे बाहरी दुनिया +से जोड़ने के लिए सरकार को डिजाइनरों, कारीगरों, बुनकरों के साथ मिलकर काम करना होगा, ताकि +स्थानीय और वैश्विक स्तर पर बाजार की जरूरतों को पूरा करने की दिशा में काम किया जा सके और इस +हस्तकला को बेहतर बनाने के लिए उपाय ढूंढे जा सकें। इस तरह, शोध और अन्य गतिविधियों के जरिये +इस उद्योग को फैशन बाजार के लिए उपयोगी और प्रासंगिक बनाया जा सकेगा। + +श के पूर्वत्तर क्षेत्र की संस्कृति एशिया के अन्य हिस्से +को समझने के लिए पुल की तरह है। भारत के पूर्वोत्तर +क्षेत्र और दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों (जैसे कि बर्मा (अब +म्यांमार) , थाइलैंड, कंबोडिया, इंडोनेशिया और जापान) के बीच मजबूत +ऐतिहासिक जुड़ाव रहा है। इन देशों के साथ द्विपक्षीय संबंधों के लिहाज +से यह बेहद अहम है। कपड़ा, हस्तकला और संस्कृति के मामले में +इन देशों के साथ समानता होने की वजह से यह स्पष्ट है कि भारत के +लिए सीमा पार इन देशों में भी बाजार उपलब्ध है। +फैशन की पढ़ाई और शोध के आधार पर मैं कह सकता हूं +कि यह (फैशन) गहरे तौर पर इतिहास और संस्कृति से जुड़ा होता +है और नए कलेक्शन के उभरने के पीछे ऐसी एक कहानी होती है। +मिली-जुली पृष्ठभूमि से होने के कारण मैंने अपनी निजी इतिहास के +बारे में विस्तार से जानकारी हासिल की और पाया कि मैं ऐसे उत्पाद +तैयार करना चाहता हूं जो समकालीन होने के साथ-साथ परंपराओं से +जुड़ा हो। इस सिलसिले में मुझे असम में बुने जाने वाले 'एरी सिल्क' +के बारे में पता चला। इस कपडे की बुनाई धीरे-धीरे होती है, लेकिन +इसकी प्रक्रिया काफी बेहतर है और इसमें कई सारी खूबियां होती हैं। +एरी सिल्क में औषधीय गुण भी होते हें। +यह सिल्क (रेशम) कीडे को मारे बिना तैयार किया जाता हे, +इसलिए इसे 'अहिंसा सिल्क' कहा जाता है और साधु-संन्यासी इसे +ओढ़्ते हैं। इसे बुनने की प्रक्रिया अपने-आप में एक यात्रा है। इस +हस्तकला से मुख्य तौर पर महिलाएं जुड़ी हैं और इसे जारी रखने +के लिए सहयोग की जरूरत है। यह सिर्फ केंद्र या राज्य सरकारों +की योजनाओं से ही संभव हो सकता है। इस क्षेत्र के बुनकरों को + +लेखक पूर्वोत्तर क्षेत्र के मशहूर डिजाइनर हैं और अपना फैशन उद्यम चलाते हैं। + +ईमेल; www.sonamdubal.com + + + +48 + +भी सहयोग की जरूरत होती है, क्योंकि वे मुख्य तौर पर हथकरघा +पर निर्भर हैं जिसका चलन धीरे-धीरे खत्म हो रहा है। पूर्वोत्तर की +भौगोलिक संरचना की वजह से बुनकर समुदाय की स्थिति कमजोर + + + +योजना, जुलाई 2021 + + + +\0049.txt +<----------------------------------------------------------------------> +है। उनके उत्पादों के लिए तत्काल बाजार विकसित करने की जरूरत +है। खास तौर पर कोविड महामारी के इस दौर में इसकी सख्त जरूरत +है। इसमें निवेश को बढ़ावा देकर बुनकरों को पारंपरिक हस्तकला के +जरिये आजीविका हासिल करने में मदद मिल सकेगी। इस तरह की +कोशिश की जा रही है और बुनकरों की जिंदगी की तकलीफों को +समझा जा रहा है। पूर्वोत्तर के बुनकरों के कामकाज के लिए नई शर्तें +तय करना सार्थक हो सकता है। बुनाई को घरों में सांस्कृतिक इतिहास +से जुडे रहने के तौर पर भी प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। + +पूर्वोत्त के कपड़ों और हस्तकलाओं में प्राकृतिक अंदाज की +गहरी समझ दिखाई पड़ती है। कपडे की बुनाई यहां एक तरह से +जीवनशैली है। शुरू में इस क्षेत्र में तैयार उत्पाद स्थानीय इस्तेमाल +के लिए ही होते थे। उदाहरण के लिए, मणिपुर या नगालैंड या +मिजोरम में सिल्क या शॉल, असम और मेघालय में एरी या मूगा +सिल्क और त्रिपुण और अरुणाचल प्रदेश में स्थानीय कपास से +कपडे की बुनाई होती थी। इनका उत्पादन त्योहारों, विवाह और अन्य +आयोजनों के मकसद से किया जाता था। इस क्षेत्र का कपड़ा उद्योग +शुरू में आत्मनिर्भ था और यह अपने लिए बाजार ढूंढ लेता था। +हालांकि, आर्थिक विकास के साथ ही बुनकरों को अब मुख्यधारा की +अर्थव्यवस्था पर निर्भर रहना पड़ता है। इससे उद्योग की खास पहचान +को बनाए रखना मुश्किल हो गया है और व्यावसायिक बाजारों के +लिए भी उपयुक्त डिजाइन तैयार करना चुनौती हे। + +हालांकि, कपडे की इस संस्कृति को बचाए रखने और इसे बाहरी +दुनिया से जोड़ने के लिए सरकार को डिजाइनरों, कारीगरों, बुनकरों +के साथ मिलकर काम करना होगा, ताकि स्थानीय और वैश्विक स्तर + + + +योजना, जुलाई 2021 + + + +पर बाजार की जरूरतों को पूरा करने की दिशा में काम किया जा +सके और इस हस्तकला को बेहतर बनाने के लिए उपाय ढूंढे जा +सकें। इस तरह, शोध और अन्य गतिविधियों के जरिये इस उद्योग +को फैशन बाजार के लिए उपयोगी और प्रासंगिक बनाया जा सकेगा। +घरों से जुडे उत्पाद हों, फैशन का मामला हो या कोई अन्य उत्पाद, +देसी संस्करण का जादू बिखेरा जा सकता है। नगालैंड की जसमिना +जेलियांग ने बुनाई के अपने पुश्तैनी काम के जरिये साज-सज्जा, +बास्केट बुनाई और नगा कपड़ों से तैयार घरेलू उत्पादों के क्षेत्र में +शानदार काम किया है। साथ ही, इन उत्पादों को वैश्विक बाजार के +हिसाब से तैयार किया गया है। + +रोजगार के प्राकृतिक तरीके, शिक्षा, डिजाइन के क्षेत्र में नियमित +काम और शोध मौजूदा वक्‍त की जरूरत हैं। पूर्वोत्तर के मूगा, एरी +और मटका सिल्क व सूती कपड़ों के अलावा कई और प्रयोग हो +रहे हैं। उदाहरण के लिए बांस और केले के पत्तों के अलावा नेटल +फाइबर, कई तरह के सिल्क और ऊनी व अन्य मिले-जुले कपड़ों का +भी इस्तेमाल किया जा रहा है। इस तरह, डिजाइनर और उपभोक्ताओं +की दिलचस्पी इस क्षेत्र में बढ़ रही है। पूर्वोत्तर क्षेत्र में काम करने की +अलग चुनौती है। हालांकि, अब यहां बेहतर कलेक्शन तैयार होकर +बडे बाजारों में पहुंच रहे हैं। मेरे काम का मुख्य आधार यह है कि +अतीत को भविष्य से जोडे रखा जाए। मैंने 1999 में 'संस्कार' नाम + +49 + + + +\0050.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +से अपना काम शुरू किया था। शुरुआत में मैं बचे-खुचे कपड़ों को +रीसाइकल और अपसाइकल कर भारत-एशियाई आकार में कुछ ऐसा +बनाता था, जो एक समूह के तौर पर हो। जब मैंने विदेश और भारत +में फैशन कार्यक्रमों में हिस्सा लेना शुरू किया, तो एरी सिल्क मेरे +कलेक्शन का अहम हिस्सा बन गया। यह सिलसिला लंबे समय से +चल रहा है। साल 2003 से मेरे कलेक्शन में पूर्वोत्तर के पारंपरिक +अंदाज वाले कपड़े शामिल रहे हैं। इसके तहत मैंने मिली-जुली +विरासत को ध्यान में रखते विभिन्न तरह की कशीदाकारी और आकारों +पर काम किया है। पिछले कुछ वर्षों में मैंने महसूस किया है कि +इस तरह के उत्पादों की मांग दुनिया भर में है। मुझे अमेरिका, यूरोप +और एशिया के अन्य हिस्सों में बुलाया जाता है, जहां मैं फैशन, +इतिहास और संस्कृति के बीच संबंधों के बारे में बात करता हूं। +कनाडा के वैनकूवर शहर में 2016 में आयोजित 'इको फैशन वीक' +में हिस्सा लेने के लिए मुझे आमंत्रित किया गया था। इस आयोजन +के लिए बुलाया जाने वाला मैं पहला डिजाइनर था। इस कार्यक्रम में +मैंने मूगा व एरी सिल्क और सिल्क रूट की कशीदाकारी और प्रिंट +के बीच संबंध के बारे में बताने की कोशिश की। उत्तर अमेरिका +में मेरी प्रतिनिधि और मानव विज्ञानी गेल +पर्सी ने भी इससे सहमति जताई और हमें +2017 में फिर बुलाया गया। लेक्मै फैशन वीक +2018 में असम का प्रतिनिधित्व करने के लिए +आईएमजी रिलायंस के क्रिएटिव रणनीतिकार +गौतम वजीरानी ने मुझसे संपर्क किया। गौतम +इस कार्यक्रम में पूर्वोत्तर के कपड़ों, बुनाई और +अन्य चीजों को प्रमुखता से पेश करना चाहते +थे। मैंने सुआलकुची के बुनकरों द्वारा तैयार +कलेक्शन को 'माजुली' के तौर पर पेश किया +जो कपडे और छाया चित्र के रूप में असम +की सांस्कृतिक विशिष्टताओं को पेश करता +था। इस कलेक्शन ने मुख्य शो की पृष्ठभूमि +में पूर्वोत्तर की समकालीन छवि पेश की और +यह कोशिश काफी सफल रही। इसमें जेनजुम +गादी जैसे डिजाइनरों की अहम भूमिका रही +जिन्होंने नगालैंड के देसी हथकरघों से तैयार + +50 + +भारत में कृषि के बाद कपड़ा +और फैशन क्षेत्र ही सबसे बड़े +रोजगार प्रदाता की भूमिका में +हैं। हमें डिजाइन विशेषज्ञों और +फैशन संचारकों के साथ मिलकर +काम करना होगा। ये लोग सोशल +मीडिया का इस्तेमाल कर न सिर्फ +जागरूकता पैदा कर सकते है, +बल्कि देश और दुनिया में हमारे +कपड़ों और जीवनशैली के बारे +में लोगों को संवेदनशील तरीके +से जानकारी भी मुहैया करा +सकते हैं। + +कपडे को पुरुषों के कलेक्शन के तौर पर पेश किया। + +* डेनियल सियम ने मेघालय के रिभोई जिले के बुनकरों द्वारा तैयार +एरी सिल्क से जुडे कलेक्शन को पेश किया। + +* कर्मा सोनम ने सिक्किम का प्रतिनिधित्व करने वाले सूती कपडे +और नेट की बुनाई वाले पुरुषों और महिलाओं के कलेक्शन +पेश किए। + +* रिचाना खुमानथम ने मणिपुर के मेतई समुदाय द्वारा तैयार कपड़ों +का कलेक्शन पेश किया। + +* असात्रिक बर्मन ने त्रिपुरा की परंपरागत शैली में अपना कलेक्शन +पेश किया, जिसमें स्कार्फ (हेडरैप) और मोतियों वाले हार पर +जोर रहा। +पूर्वोत्तर मोजो में डिजाइनरों और लेक्मै फैशन वीक की अहम + +भूमिका रही। साथ ही, आईएमजी और संयुक्त राष्ट्र के एक संयुक्त + +कार्यक्रम में हम लोगों ने आजीविका की जरूरत, महिलाओं के +सशक्तीकरण और पूर्वोत्तर क्षेत्र की हस्तकला पर विशेष ध्यान देने +को लेकर बात की। इसी तरह के मॉडल को ध्यान में रखते हुए केद्र +सरकार भी अन्य राज्यों के साथ मिलकर काम कर सकती है। भारत +में कृषि के बाद कपड़ा और फैशन क्षेत्र ही सबसे बड़े रोजगार प्रदाता +की भूमिका में हैं। हमें डिजाइन विशेषज्ञों और फैशन संचारकों के +साथ मिलकर काम करना होगा। ये लोग सोशल मीडिया का इस्तेमाल +कर न सिर्फ जागरूकता पैदा कर सकते है, बल्कि देश और दुनिया में +हमारे कपड़ों और जीवनशैली के बारे में लोगों को संवेदनशील तरीके +से जानकारी भी मुहैया करा सकते हैं। पूर्वोत्तर क्षेत्र में देसी कपड़ों +की अनोखी संस्कृति है और हमें इस संस्कृति को बचाकर रखने के +साथ-साथ इसे मौजूदा समय में ज्यादा से ज्यादा प्रासंगिक बनाना है। +इस दिशा में मिल-जुलकर काम करने की शुरुआत हो चुकी हे। +इस दिशा में '7 वीव्स” नाम से एक महत्वपूर्ण पहल की गई है। +इसके तहत असम के लोहारघाट बन क्षेत्र पर निर्भर स्थानीय समुदायों +के साथ मिलकर कपडा-परिधान विनिर्माण इकाई की स्थापना की +गई है। इस उद्यम को मंदाकिनी गोगोई, उमा माधवन और ऋतुराज +दीवान ने मिलकर शुरू किया है। हस्तकलाओं +और फैशन के बीच इस तरह के और भी +सहयोग की जरूरत है। इस तरह के मॉडल +के विकास के लिए हमें काम करने का +ज्यादा लोकतांत्रिक रवैया अपनाने होगा, ताकि +कच्चे माल और तैयार माल के लिए बेहतर +आपूर्ति श्रृंखला सुनिश्चित सके। पुरानी चीजों +को नए रूप में पेश करने वाले डिजाइनर +के तौर पर मेरा मानना है कि हमें पूर्वोत्तर +क्षेत्र में प्रचलन में मौजूद आजीविका के इन +प्राकृतिक साथनों को बढ़ावा देना होगा। पूरी +दुनिया अब प्राकृतिक जीवनशैली की तरफ +बढ रही है और पूर्वोत्तर में यह जीवनशैली +पहले से मौजूद है। इस बदलते हुए दौर में +हमें विकास और प्राकृतिक जीवन को मिलाने +की जरूरत है। खास तौर पर महानगरों में +यह बेहद जरूरी है। छा + +योजना, जुलाई 2021 + + + +\0051.txt +<----------------------------------------------------------------------> +नेक्टर: पूर्वोत्तर में विज्ञान और प्रौद्योगिकी का मजबूत आधार + +'निमिष कपूर + +नेक्टर-नॉर्थ-ईस्ट सेंटर फॉर टेक्नोलॉजी एप्लीकेशन एंड रीच अर्थात्‌ पूर्वोत्तर में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के +प्रयोग और उसे लाभार्थियों तक पहुंचाने का केंद्र भारत सरकार के विज्ञान और टेक्नोलॉजी विभाग द्वारा +गठित स्वायत्त संगठन है जो पूर्वोत्तर के लोगों को प्रौद्योगिकी से संबद्ध सहायता और समर्थन उपलब्ध कराने +वाली “वन स्टॉप शॉप' है। नेक्टर पूर्वोत्तर क्षेत्र के उन किसानों, उद्यमियों तथा ग्रामीण निगमों, निर्माण कार्यों +या किसी अन्य उद्योग से जुड़े किसी भी संगठन को टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल और विज्ञान संबंधी समर्थन देता + +है जिसे जरूरत होती है। + +क्टर की स्थापना 2012 में तत्कालीन नेशनल मिशन ऑन + +बैम्बू एप्लीकेशंस (एनएमबीए) और मिशन ऑन जियो- +स्पेशियल (एमजीए) का विलय करके की गई थी। इसका +मुख्यालय मेघालय के शिलांग में है। नेक्टर पूर्वोत्तर क्षेत्र के लोगों +को टेक्नोलॉजी के लाभ समझाने और पहुंचाने के उद्देश्य से उन तक +पहुंचता है ताकि उन्हें टेक्नोलॉजी पर आधारित सर्वोत्तम सेवाएं और +समाधान उपलब्ध हो सके। नेक्टर को पूर्वोत्तर क्षेत्र के समानता पर +आधारित समग्र सामाजिक-आर्थिक विकास का दायित्व सौंपा गया है। +कुछ वर्ष पहले तक पूर्वोत्तर क्षेत्र के बैम्बू (बांस) बोर्ड उद्योग + +और उससे जुड़ी औद्योगिक इकाइयों के सामने बड़ी रुकावटें थीं। +वैज्ञानिक तरीके और संपर्क-साधन न होने और काफी ज्यादा लागत +आने के कारण उन्हें बाजार तक पहुंचाने में कठिनाइयां झेलनी पड़ती +थीं। नेक्टर ने इन इकाइयों की मदद के लिए दो पहल शुरू कीं - +पहली तो यह कि कच्चे माल (बांस की चटाई) तक पहुंच कायम +की और दूसरे उन इकाइयों को देश के प्रमुख महानगरों के बाजारों से +जोड़ा। उचित मूल्य पर कच्चे माल की निरंतर उपलब्धता सुनिश्चित +करने के लक्ष्य को ध्यान में रखकर नेक्टर ने विभिन्न जनजातीय + + + +समूहों को बांस की चटाई बनाने के लिए आर्थिक प्रोत्साहन दिया +और नेशनल मिशन ऑन बेम्बू एप्लीकेशन के समर्थन वाली उत्पादन +इकाइयों से उनका संपर्क स्थापित कराया। इससे बिचौलियों की +दलाली पूरी तरह खत्म हो गई और वास्तविक चटाई बुनकरों को +अपने माल की सर्वाधिक कीमत मिलने लगी तथा इकाइयों को भी +बढ़िया क्वालिटी का सामान मिलने लगा। बांस बोर्ड उद्योग को नेक्टर +का कारोबारी समर्थन मिलने से बांस बोर्ड बनाने वाली 16 इकाइयों +का विकास हुआ जिनमें से 9 इकाइयां पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्यों में हैं। +पूर्वोत्तर क्षेत्र में नेक्‍्टर के विज्ञान और प्रौद्योगिकी संबंधी समर्थन +से जुड़ी सफलता की अनेक कहानियां हैं। जिन क्षेत्रों में नेक्टर +ने प्रमुख भूमिका निभाई है उनमें कृषि और खाद्य प्रसंस्करण, +नवीकरणीय ऊर्जा संसाधन, निर्माण और संबद्ध क्षेत्रों में बांस का +इस्तेमाल तथा कौशल विकास और रोजगार पैदा करना शामिल है। +नेक्टर का गठन शिलंग में 2009 में आयोजित 96वें भारतीय +विज्ञान सम्मेलन की ही एक सिफारिश के आधार पर किया गया +था जिसमें सुझाव दिया गया था कि इस क्षेत्र में उपलब्ध प्राकृतिक +संसाधनों को लोगों के आर्थिक लाभ और विकास में परिवर्तित करने + + + + + +लेखक भारत सरकार के विज्ञान और टेक्नोलॉजी विभाग में विज्ञान प्रसार में वरिष्ठ वैज्ञानिक Zz faa: nkapoor@vigyanprasar.gov.in + +योजना, जुलाई 2021 + +51 + + + +\0052.txt +<----------------------------------------------------------------------> +के उद्देश्य से आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी +का इस्तेमाल करने के लिए पूर्वोत्तर क्षेत्र में +संपर्क कार्यालय खोला जाए। इसीलिए भारत +सरकार के विज्ञान और टेक्नोलॉजी मंत्रालय ने +स्वायत्त संगठन नेक्टर के रूप में पूर्वोत्तिर क्षेत्र +में नोडल सेंटर बनाने का निर्णय लिया। + +नेक्टर की अनूठी और विशिष्ट भूमिका +यही है कि वह राज्य सरकारों और अन्य +संबद्ध संस्थानों के परामर्श से पूर्वोत्तर क्षेत्र की +समस्याओं के समाधान के लिए प्रौद्योगिकी के +इस्तेमाल पर ध्यान केन्द्रित करता है और सामाजिक डिजाइनर का +दायित्व निभाता है। यह ऐसी टेक्नोलॉजी अपनाता है जो कामयाब +है और केन्द्र और राज्य सरकारों की प्रयोगशालाओं तथा सभी +महत्वपूर्ण क्षेत्रों के स्टॉर्ट-अप्स में आसानी से उपलब्ध हो सकती है। +नेक्टर आंतरिक सुरक्षा, जल संभरण विश्लेषण, फिक्स्ड विंग माइक्रो +अन-मैन्ड (मानव रहित) हवाई वाहनों के विकास, सुनामी की +आशंका बाले क्षेत्रों के मानचित्रीकरण, ब्रह्मपुत्र नदी के किनारों का +मानचित्र तैयार करने तथा भूमि के कटाव का अध्ययन करने में भी +इन प्रौद्योगिकियों का प्रयोग करता है। + +नेक्टर ने बांस के उत्पादों की ई-मार्केटिंग पोर्टल के जरिये बिक्री +भी शुरू की है जिससे उसके समर्थन वाली इकाइयों और पूर्वोत्तर +के स्थानीय लोगों को फायदा मिल सके तथा उत्पादक समूहों और +उपभोक्ताओं के बीच की दूरी कम हो सके। यह सेंटर इन क्षेत्रों की +जैविक विविधताओं से जुड़ी समस्याओं, बांस, खाद्य प्रसंस्करण, जल +संभरण प्रबंधन, टेलीमेडिसिन, बागवानी और नवीकरणीय ऊर्जा की + + + +जिन क्षेत्रों में नेक्टर ने प्रमुख +भूमिका निभाई है उनमें कृषि और +खाद्य प्रसंस्करण , नवीकरणीय +ऊर्जा संसाधन, निर्माण और संबद्ध +क्षेत्रों में बांस का इस्तेमाल तथा +कौशल विकास और रोजूगार पैदा +करना शामिल है। + +जरूरतों को स्थानीय उत्पादों और संसाधनों के +हिसाब से पूरा करने का जिम्मा भी निभाता +है। अभी तक बांस का इस्तेमाल मुख्य रूप +से कागज बनाने के और हस्तशिल्प उद्योगों +में होता है। अब नेक्टर बन जाने से बांस +के क्षेत्र में नई प्रौद्योगिकी अपनाकर विविध +उत्पाद बनाए जाने लगे हैं और बांस की +मूल्य-संवर्धन गतिविधियां 10 प्रतिशत से +बढ़कर 70 प्रतिशत हो गई हैं। नेक्टर ने बांस +उत्पादों की व्यापक रेंज विकसित कर ली है, +इससे अनेक उपकरण तैयार किए हैं और बाजार में बांस के नए +उत्पादों को लोकप्रिय बनाने में मदद की है। खासतौर पर छत और +फर्श बनाने में बांस को इस्तेमाल करने की प्रौद्योगिकी का विकास +और विस्तार किया हे। कचरे और छीजन को इस्तेमाल करने की +तकनीक भी विकसित की जा रही है। + +लकड़ी के विकल्प तैयार करने की दिशा में अनेक प्रौद्योगिकियां +विकसित की गई हैं और इन्हें व्यापारिक तौर पर अपनाया भी जा रहा +है, प्लाईवुड की बंद यूनिटों की जगह बांस की प्लाई आ गई है, जूट +और प्लास्टिक की जगह भी बांस का इस्तेमाल किया जा रहा है, +बिजली उत्पादन और थर्मस जैसे उत्पादों में भी बांस का प्रयोग होने +लगा है, कचरे और छीजन को काम में लाकर ईंधन जरूरतें पूरी की +जा रही हैं, बांस से रेशेदार और कम चिकनाई वाले पदार्थ भी बनाए +जा रहे हैं, ग्रामीण इलाकों के लिए बांस की लुग्दी से साफ-सफाई के +सामान भी बन रहे हैं, बांस की उपलब्ध नस्ल (किस्म) के अनुरूप +मशीनें विकसित की जा रही हैं, अग्निरोधक, भूकंपरोधी और आसानी + + + +\0053.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +n = it +7 + 2 +i = +7 है if ही a +४ | न ही +॥॥ Te +Pa I +cll - 4 : | fi ar ae +; ar +ae 1 | +a re 14 ~ - +re न |] Pa हि +[न aes ! Ee nd | + +से इंस्टाल किए जाने वाले प्री-फैब्रिकेटेड और स्थायी ढांचे भी अब +बांस से बनाए जाने लगे हैं जो ग्रामीण और शहरी मकानों, स्कूलों, +अस्पतालों और आपदा-नुकसान कम करने के लिए इस्तेमाल होते हैं। + +केद्र ने कृषि और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में बांस की टहनी और +अन्नानास प्रोसेसिंग तथा बड़ी मिर्च का अचार बनाने की यूनिटें लगाने +में सहयोग और समर्थन दिया है। मधुमक्खी पालन गतिविधियों का +विस्तार करने और मसालों की प्रोसेसिंग के लिए यूनिटें लगाने के +लिए भी केंद्र मदद कर रहा है। शहद जांच प्रयोगशाला, चावल के +मांड के फरमेंटेशन से ड्रिंक बनाने और मांस के नॉन-कैर्सिनोजेनिक +स्मोकर्स जैसे उद्यमों को भी सहायता दी जा रही है। हल्दी, कालीमिर्च , +तेजपत्ता और शहद जैसे मूल्य वर्ध्चित उत्पादों के कारोबार को बढ़ावा +देने के लिए नेक्टर ने किसानों और प्रमुख महानगरों के बाजारों के +बीच संपर्क विकसित किए हैं। जाने-माने ई-मार्कोटिंग पोर्टलों के +जरिए भी पूर्वोत्तर के इन उत्पादों को लोगों तक पहुंचाया जा रहा है। + +पूर्वोत्तर क्षेत्र में नवीकरण ऊर्जा की अपार संभावना है और +तभी नेक्टर अन्य संस्थानों के साथ सहयोग करके इन संसाधनों +पर कार्य कर रहा है और इसका इरादा सौर, + + + +हो जाती है। पूर्वोत्तर क्षेत्र में बांस और बांस आधारित सामग्री को +विभिन्न निर्माणों में इस्तेमाल करने को बढ़ावा दिया जा रहा है। + +लकड़ी के विकल्पों और कम्पोजिट्स के बारे में प्रौद्योगिकियों +के विकास के क्षेत्र में बैम्बू कम्पोजिट मैटिरियल और प्री-फैब्रिकेटिड +आवासीय यूनिटों का इस्तेमाल करके विभिन्न राहत और पुनर्वास +परियोजनाएं शुरू की गई हैं। उद्यम के तौर पर इनकी जांच की जा +चुकी है और इन्हें व्यापारिक विस्तार दिया जा रहा है। छत्तीसगढ़ के +प्रभावित इलाकों में इंजीनियर्ड बांस से स्कूलों के 676 कमरे बनाए +गए हैं जिनमें 25 हजार बच्चे बैठते हैं। अंडमान-निकोबार द्वीप समूह +में प्रतिगूंजरोेधी कम्पोजिट सामग्री से निर्माण बनाए गए हैं जिनके +दरवाजे और खिड॒कियों में बांस-बोर्ड इस्तेमाल किया गया है। लेह +और आसपास के क्षेत्रों में बादल फटने से आने वाली अचानक बाढ़ +से होने वाला नुकसान कम से कम करने के उद्देश्य से करीब 55 +हजार वर्गफुट क्षेत्र में प्री-फैब्रिकेटेड आवासीय परिसर बनाया गया है +जिसमें 10 हजार लोग एक साथ रह सकते हैं। + +सिक्किम में राहत और पुनर्वास कार्यों के तहत तीन जगहों पर 10 +बड़ी आवासीय यूनिटें बनाई गई थीं। मणिपुर + +पवन, बायोमास और हाईब्रिड प्रक्रियओं नेक्टर की अनूठी और विशिष्ट. में “सर्व शिक्षा अभियान' के अंतर्गत “मिड-डे +जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों प आधारित भूमिका यही है कि वह राज्य. मील योजना' के तहत किचन-सह-स्टोर बनाने +टेक्नोलॉजी विकसित करने का है। सरकारों और अन्य संबद्ध के लिए बांस के प्री-फैब्रिकेटेड स्ट्रक्चर बनाने +हरित सामग्री पहल वाली बांस-आधारित संस्थानों के परामर्श से पूर्वोत्तर शुरू किए गए थे। स्वच्छ और नवीकरणीय +प्रौद्योगिकियां सस्था पूर्वोत्तर बिजली का उत्पादन करने के लिए बांस के + +नेक्टर हरित सामग्री पहल के तहत बांस से. क्षेत्र की समस्याओं के समाधान बने गैसीफायर्स विकसित किए गए हैं और +बनी निर्माण सामग्री विकसित करने की दिशा के लिए प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल हाईग्रेड चारकोल जैसे कई उपयोगी सह-उत्पाद + +में कार्य कर रहा है। इसके तहत स्ट्रकक्‍्चरल +इंजीनियरिंग से जुडी परियोजनाओं को मदद +दी जा रही है और उच्च-टेनसाइल-स्ट्रेंथ +तथा वेट-टु-स्ट्रेंथ - अनुपात के हिसाब से +बांस के निर्माण विकसित किए जा रहे हैं। +इन परियोजनाओं के आधार पर ही विभिन्न +उपयोगों के लिए भूकंपरोधी, कम भार वाले, +टिकाऊ और आकर्षक ढांचे बनाने पर जोर +दिया जा रहा है। इससे रिहाइशी मकान और +विशेष उद्देश्य वाली इमारतें बनाने में सुविधा + +योजना, जुलाई 2021 + +पर ध्यान केन्द्रित करता है और +सामाजिक डिजाइनर का दायित्व +निभाता है। यह ऐसी टेक्नोलॉजी +अपनाता है जो कामयाब है और +केन्द्र और राज्य सरकारों की +प्रयोगशालाओं तथा सभी महत्वपूर्ण +क्षेत्रों के स्टॉर्ट-अप्स में आसानी से +उपलब्ध हो सकती है। + +भी विकसित किए गए हैं। + +बांस की छीजन और कचरे से बढ़िया +किस्म का लकड़ी का कोयला और एक्टिवेटिड +कार्बन बनाने की प्रक्रिया के तहत अनुसंधान +और विकास के लिए बांस के विविध और +व्यापक औद्योगिक इस्तेमाल की पहचान +की गई हेै। बांस का प्रयोग दुर्गधनाशक, +कीटाणुनाशक, औषधि, कृषि रसायन और +प्रदूषण तथा अत्यधिक नमी को सोखने वाले +उत्पाद तैयार करने में किया जाने लगा है। नेक्टर + +53 + + + +\0054.txt +<----------------------------------------------------------------------> +ने प्लास्टिफ कम्पोजिंट उत्पादों, मेकेनाइज्ड +बैम्बू ब्लाइंड्स, एक्रिलिक उत्पादों, फाइबर से +बने हाइजिन उत्पादों आदि अनेक नवाचारों +और प्रौद्योगिकियों को सहायता उपलब्ध करा +रहा है। बांस की कलम की आयु का पता +लगाने के लिए केंद्र ने परिपक्वता नापने की +प्रणाली भी विकसित की है। इस प्रणाली में +बांस की कलम के फूटने (निकलने) का वर्ष +पेंट से अंकित किया जाता है। नेक्टर ने फ्लूट + +नेक्टर ने ग्रामीण लोगों को +समुचित और टिकाऊ आजीविका +उपलब्ध कराने के उद्देश्य +से कौशल विकास के कई +कार्यक्रम शुरू किए हैं। विभिन्न +गतिविधियों और खासकर निर्माण + +दूसरी “बांस” अर्थात बेम्बू एप्लीकेशन्स एंड +सपोर्ट स्कीम। इन दोनों योजनाओं का उद्देश्य +लोगों, समुदायों, स्थानीय निकायों, स्वैच्छिक +संगठनों, स्व-सहायता समूहों और अनुसंधान +तथा टेक्नोलॉजी के साथ भागीदारी बनाकर इस +क्षेत्र का विस्तार करना है। + +“टॉस' नेक्टर की प्रमुख योजना है जिसके +तहत लोगों और संस्थानों से संपर्क बनाकर +पूर्वोत्तर क्षेत्र के प्रौद्योगिकी पर आधारित + +टेक्नोलॉजी (बांसुरी प्रौद्योगिकी) विकसित की और चटाई बनते ये के sm में समाधान तैयार किए जाते हैं जिनसे इस क्षेत्र +है जिसे कलम कटाई या स्टेम सैटिंग (डंठल Bt AAT a ae eT 3 at annie sik othe wife संभव हो +रोपण) तकनीक कहा जाता है जिससे बांस. करोड़ जनदिनों के रोजगार के सकती है। इसके माध्यम से लोगों को अपने + +का प्रथम रीजैनरेशन (नवजीवन) होता है। +कौशल आधारित प्रशिक्षण से मानव +संसाधनों का विकास + +नेक्टर ने ग्रामीण लोगों को समुचित और +टिकाऊ आजीविका उपलब्ध कराने के उद्देश्य +से कौशल विकास के कई कार्यक्रम शुरू +किए हैं। विभिन्न गतिविधियों और खासकर +निर्माण और चटाई बनाने के उद्योग में ही +नेक्टर ने प्रतिवर्ष करीब 3 करोड़ जनदिनों (मैन डेजु) के रोजगार +के अवसर जुटाए। पूर्वोत्तर क्षेत्र की महिला बुनकर चटाई बनाने की +गतिविधियों में लगी हुई हैं और आमदनी करने के साथ ही अपनी +सामाजिक-आर्थिक स्थिति सुधारने में सफल हो रही हैं। गांवों और +सामुदायिक स्थलों में बांस की डंडियों का निर्माण करने के लिए +नेक्टर और किफायती दरों पर कच्चा माल देने के अलावा कौशल +विकास के लिए ट्रेनिंग भी देता है तथा प्रोसेसिंग के लिए बुनियादी +मशीनें भी उपलब्ध कराई जाती हैं। चटाई बुनने, प्राकृतिक रंगों का +इस्तेमाल, बांस की टहनियों की प्रोसेसिंग, अगरबत्ती बनाने जैसी +गतिविधियों में लगे लोगों को कौशल विकास प्रशिक्षण दिया जाता +है। मधुमक्खी पालन, बुनकरी आदि क्षेत्रों में भी व्यापक प्रशिक्षण +दिया जा रहा है। +रोजगार जुटाने के लिए प्रौद्योगिकी समाधानों की योजनाएं + +यह केंद्र पूर्वोत्तर क्षेत्र में दो बड़ी योजनाएं चला रहा है। पहली +है 'टॉस' अर्थात टेक्नोलॉजी आउटरीच एंड सर्विस स्कीम तथा + + + + + +अवसर जुटाए। पूर्वोत्तिर क्षेत्र की +महिला बुनकर Wels TAM at +गतिविधियों में लगी हुई हैं और +आमदनी करने के साथ ही अपनी +सामाजिक-आर्थिक स्थिति सुधारने +में सफल हो रही हैं। + + + +उत्पादों और सेवाओं में मूल्यसंवर्धन और +सुधार करके अपना जीवन बेहतर बनाने का +अवसर मिलता है। फिर यह कि इसके लिए +स्थानीय प्राकृतक और मानव संसाधन ही +पर्याप्त होते हैं। + +दूसरी योजना “बांस' में सार्वजनिक-निजी +भागीदारी (पीपीपी) व्यवस्था के अंतर्गत +रोजगार जुटाने और आजीविका के टिकाऊ +साधन उपलब्ध कराने के लिए बांस के प्रयोग के विभिन्न क्षेत्रों में +सहायता दी जाती है और यह योजना विशेष रूप से गरीब और वंचित +वर्गों के लोगों और महिलाओं के लिए चलाई जा रही है। इस योजना +से सामुदायिक समूहों, स्वयं-सहायता समूहों और लोगों के विकेंद्रित +संघों को भी बांस उत्पादों से जुड़ी आर्थिक गतिविधियों और मूल्य +संवर्धन प्रोसेसिंग के लिए तथा बांस प्रौद्योगिकियों के विस्तार और +BHO के उपाय अपनाने के लिए मदद दी जाती है। + +qa A फरवरी, 2019 के तीसरे सप्ताह में हुई बेमौसम +बरसात से आलू की फसल को हुए नुकसान का वैज्ञानिक विश्लेषण +करने हेतु “प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना' के तहत पूर्वोत्तिर क्षेत्र के +विद्यार्थियों के लिए टेक्नोलॉजी आउटरीच कार्यक्रम शुरू किया था। +इसने दो जिलों में करीब 12,035 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में रिमोट सेंसिंग +टेक्नोलॉजी इस्तेमाल करके 25 दिन के रिकॉर्ड समय में समूचा फील्ड +वर्क और विश्लेषण करके अंतरिम और फाइनल रिपोर्ट एनआईसी +को सौंप दी। + +Tw + +योजना, जुलाई 2021 + + + +\0055.txt +<----------------------------------------------------------------------> +ot + +इस परियोजना का उद्देश्य पूर्वत्तिर क्षेत्र के विद्यार्थियों को रिमोट +सेंसिंग और जीआईएस एप्लीकेशन्स टेक्नोलॉजी इस्तेमाल करके +उपग्रह से प्राप्त चित्रों के आंकड़ों का विश्लेषण करने का अनुभव +कराना भी था। +3-डी डिजिटल टेरेन मॉडलों के प्रयोग से आंतरिक सुरक्षा +एप्लीकेशन + +3-डी डिजिटल टेरेन मॉडलों को राज्य पुलिस और अर्धसैनिक +बल घुसपैठ रोकने की और फील्ड ऑपरेशन चलाने की गतिविधियों +की योजना बनाने में इस्तेमाल कर सकते हैं। पूर्वोत्तर राज्यों और शेष +भारत के लगभग 6 लाख वर्ग किलोमीटर भौगोलिक क्षेत्र का डिजिटल +नक्शों और उच्च रेजोल्यूशन z +चित्रों और एलिवेशन डाटा § +के रूप में करीब 70 +टेट्राबाइट्स डिजिटल डाटा OS +की सफलतापूर्वक मैपिंग # +और प्रोसेसिंग करके 3-डी +टेरेन डिजिटल मॉडल तैयार +किए गए हैं। इस केन्द्र के +अत्यधिक कुशल तकनीकी Kee, ay 2 SO ch +कर्मियों ने देश के विभिन्न * थ +स्थानों और स्टेशनों में विभिन्न अर्थसैनिक बलों और राज्य पुलिस बलों +को इनके सफलतापूर्वक इस्तेमाल की ट्रेनिंग दी है। + +नेक्‍्टर ने 3-डी टेरेन मॉडल की मदद से विभिन्न श्रेणियों +(प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, माध्यमिक और सीनियर सेकेंडरी स्तर) +के स्कूलों की नेबरहुड मैपिंग और जीआईएस विश्लेषण किया है। +केंद्र ने भारत सरकार के 'शिक्षा के अधिकार' कार्यक्रम के मानकों +के आधार पर उन जगहों में स्कूल बनाए हैं जहां अभी तक स्कूल +नहीं थे। असम में 66,115 स्कूलों और 81 240 बस्तियों का और +मणिपुर में करीब 4,460 स्कूलों का विश्लेषण किया गया है। +मानवरहित फिकस्डविंग माइक्रो हवाई वाहन + +नेक्टर द्वारा विकसित मानवरहित हवाई वाहन (यूएवी) Traces +विंग किस्म के माइक्रो यूएवी हैं। ये स्वतः निर्देशित विमान हैं +जिनमें विभिन्न किस्मों के उपभोक्ता सेंसर भेजे जा सकते हैं और +इन-बिल्ट जीपीएस की मदद से भूमि पर भेजे जा सकने वाले चित्र +लिए जा सकते हैं। रेडियो नियंत्रण वाले इस ग्लाइडर विमान में एक + + + +योजना, जुलाई 2021 + + + + + +छोटा जीपीएस, एक अति लघु ऑटो पायलट और कंज्यूमर ग्रेड +वाला डिजिटल कैमरा लगा रहता है। इस यूएवी को आसानी से +ऑपरेट किया जा सकता है। 5 पौंड भार वाला यह विमान किसी +भी लोकेशन से लांच किया जा सकता है। इसका शक्तिशाली ऑटो +पायलट ही इसे पूर्वनिर्धारित ऊंचाई पर चलाता है। उड़ान सत्र के +दौरान यूएवी वापिस वहीं लौट आता है और ऑपरेटर इसे हाथ से +as Hua zl +नेक्टर के माइक्रो यूएवी से सुनामी की आशंका वाले 500 +वर्ग किलोमीटर क्षेत्र के चित्र खींचकर नक्शा तैयार किया गया था। +3-डी टेरेन मॉडल इस्तेमाल करने से बाढ़ के प्रकोप वाले क्षेत्र +॥ और उससे प्रभावित होने +वाली इमारतों, ढांचों और +आबादी का काफी हद +तक अनुमान लगाया जा +सकता है। +ag से होने वाले +भयंकर नुकसान और +उसे कम से कम रखने +के तरीकों को दर्शाने के +aS fa ब्रह्मपुत्र नदी के +किनारे करीब 50 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र के डिजिटल सर्फस मॉडल +(डीएसएम) और लैंड यूज डाटा की केस स्टडी पूरी की जा चुकी +है। इस क्षेत्र के चित्रों से सुरक्षा तटों की स्थिति और भूमि के कटाव +की हालत की जानकारी मिली है। +नेक्टर पूर्वोत्त क्षेत्र के विकास में अहम भूमिका निभा रहा +है। प्रौद्योगिकियों को सामान्य लोगों, विभिन्न संगठनों, उद्यमियों और +किसानों से जोड़ना बहुत जरूरी है ताकि उस टेक्नोलॉजी का मैंडेट +सिद्ध हो जाए। पूर्वोत्तर के लोगों को नेक्टर द्वारा विकसित और +समर्थित प्रौद्योगेकियों का लाभ उठाना चाहिए। नेक्टर की सफलता +की कहानियों को पूर्वोत्तर के कृषि विज्ञान केंद्रों, एनजीओ, सामुदायिक +केंद्रों, नवाचार केंद्रों और कॉलेज, यूनिवर्सिटी आदि में भेजा जाना +चाहिए ताकि पूर्वोत्तर क्षेत्र के सभी वर्गों के लोग इनका लाभ प्राप्ति +कर सके। +qa Hl UM Fr fact www.nectarorg.in +उपलब्ध है। = + +55 + + + +\0056.txt +<----------------------------------------------------------------------> +बांस : आजीविका का महत्वपूर्ण संसाधन + +अंकिता शर्मा + +एक लोकप्रिय कहावत है कि अपनी वास्तविक क्षमता को उजागर करने के लिए भीतर देखें। इसी प्रकार +जब भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नए रास्ते खोलने की बात आती है, तो इसके लिए सामाजिक-आर्थिक +संधारणीयता के उत्प्रेक्क के रूप में एक प्रमुख संसाधन-बांस का कायाकल्प करना आवश्यक होगा। + +निया में सबसे तेजी से बढ़ने वाले पौधों में से एक- +q बांस, कई तरह की जलवायु परिस्थितियों में जीवित रह +सकता है और पनप सकता है। कृषि और औद्योगिक + +दोनों क्षेत्रों में उपयोग किये जाने वाले बांस की अनुकूलन क्षमता, कम +लागत और आसान तथा बहु उपयोग इसे संसाधन-कुशल आजीविका +के लिए एक आदर्श सामग्री बनाते हैं। बांस का उपयोग जीवन के +कई क्षेत्रों में किया जाता है। कई लोग घरों के निर्माण के लिए बांस +का उपयोग करते हैं। बांस का उपयोग हस्तशिल्प जैसे चटाई, फर्नीचर +और टोकरियां, खिलौने, सजावटी सामान और उपकरण तथा औजार +बनाने में किया जा सकता है। गरीब इंसान की लकड़ी के रूप में +विख्यात बांस की उपयोगिता और जीवन शक्ति इसे एक अनमोल +कृषि-वानिकी संसाधन बनाती हे। + +वैश्विक उद्योग रिपोर्ट 2019-2025 के अनुसार, बांस का +वैश्विक बाजार 2018 में 68.8 बिलियन अमरीकी डॉलर था और +2019 से 2025 तक इसके 5.0 प्रतिशत की सीएजीआर (वार्षिक +चक्रवृद्धि बढ़ोत्तरी दर) से बढ़ने की आशा है। आधुनिक प्रौद्योगिकियां +बांस को टिकाऊ और उच्च गुणवत्ता की लकडी ॥ ny +के विकल्प के रूप में उपयोग करने के तरीके | af +उपलब्ध कराती हैं। ier + +भारत में, वन क्षेत्र और विविधता की दृष्टि हम +से बांस एक महत्वपूर्ण पौधा है। यह देश भर में ॥ै/ +13.96 मिलियन हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में उगाया Ef +जाता है। बांस मध्य प्रदेश और पूर्वोत्तर राज्यों है +में प्रमुख रूप से फल-फूल रहा है। वास्तव में, हैं॥(४ +Thc Ya क्षेत्र में भारत के कुल बांस का 60 a +प्रतिशत उत्पादन होता है और भारत में अनुमानतः है +बांस की लगभग 125 स्वदेशी और 11 विदेशी Be +किसमें पाई जाती हैं, जिससे देश अंतरराष्ट्रीय बांस & +निर्यात में एक महत्वपूर्ण वस्तु बन गया है। | + +हालांकि, विश्व में बांस का दूसरा सबसे +बड़ा उत्पादक होने के बावजूद भारत में, इस क्षेत्र + +में वांछित विकास नहीं हुआ है। पिछले कई वर्षों में, भारत बांस +उत्पादों के निर्यात की तुलना में अधिक आयात कर रहा है। अनुमानों +के अनुसार, भारत में बांस की खेती का केवल 6 प्रतिशत बाजार +तक पहुंचता है। घरेलू बांस उद्योग इसकी मूल्य श्रृंखला में कई तरह +के मुद्दों के कारण पीछे है, जिनमें बांस की खेती और कटाई के +लिए नियामक तथा विधायी बाधाएं, इसकी खरीद में चुनौतियां, बांस +के प्राथमिक उपयोगकर्ताओं में तकनीकी जानकारी की कमी और +अपर्याप्त बाजार मांग शामिल हैं। + +इस संदर्भ में, कोविड-19 के बाद अर्थव्यवस्था को उबारने के +लिए, आत्मानिर्भर भारत और सबका साथ, सबका विकास के साथ +ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने के भारत सरकार के प्रयासों से, बांस +क्षेत्र एक उत्कृष्ट अवसर मिल पाया है। + +बांस के बहुउद्देशीय और पर्यावरण के अनुकूल उपयोग ने इसे +ग्रामीण आबादी के लिए एक सार्वभौमिक संसाधन बना दिया है और +इसकी मांग लगातार बढ़ रही है। इसी के मद्देनजर भारत सरकार ने कृषि +मंत्रालय के तहत पुनर्गठित राष्ट्रीय बांस मिशन शुरू किया है। इसका + + + + + +लेखिका इन्वेस्ट इंडिया की कार्यनीतिक निवेष्ठा अनुसंधान इकाई में सहायक sues 21 Fc: ankita sharma@investindia.org.in + +56 + +योजना, जुलाई 2021 + + + +\0057.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +उद्देश्य इस क्षेत्र में विकास +को बढ़ावा देना, रोजगार के +अवसर सृजित करना और +किसानों की आय बढ़ाने में +मदद करना है। प्रधानमंत्री +श्री नरेंद्र मोदी का एजेंडा + +a + + + + +मणिपुर +6.19 + +कर्नाटक +6.36 + +2022-23 तक किसानों +की आय को दोगुना करना, +ग्रामीण कल्याण को बढ़ावा ask + +देना, खेती में कठिनाइयों को +कम करना और किसानों तथा +गैर-कृषि व्यवसायों में काम + + + +आंध्रप्रदेश + +तेलंगाना + +3.40 मध्यप्रदेश + +13.04 + +महाराष्ट्र +9.63 + +rw) प्रदेश +9.36 + + + + + +बालों छत्तीसगढ़ +करने वालों की आय के बीच 7.03 ओडिशा +समानता लाना है। इसे संभव 7.39 +बनाने के लिए बांस की खेती + +को प्रोत्साहित करना और +इसकी विपणन क्षमता को बढ़ाना देना महत्वपूर्ण है। +भारत में बांस उद्योग के तहत मांग वृद्धि के कारक + +जनसंख्या तथा आय वृद्धि; बढ़ते निर्यात और अनुकूल जनसांख्यिकी; +हाइब्रिड तथा आनुवंशिक रूप से संशोधित बीज; कृषि तथा विविध +फसलों के अनुकूल जलवायु; मशीनीकृत सिंचाई सुविधाएं; पूर्वी भारत +में हरित क्रांति; भारत में मजबूत जनसांख्यिकीय तथा व्यापक श्रम शक्ति +की उपलब्धता; संस्थागत ऋण में वृद्धि; न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि; +परम्परागत कृषि विकास योजना, प्रधानमंत्री ग्राम सिंचाई योजना, सांसद +आदर्श ग्राम योजना जैसी नई परियोजनाओं की शुरुआत; किसान रथ +(किसानों, एफपीओ और व्यापारियों के लिए मोबाइल ऐप); 200 से +अधिक किसान रेल और उत्पाद परिवहन के लिए कृषि उड़ान योजना +तथा खराब होने वाली वस्तुओं के लिए हवाई अड्डों पर कार्गो केंद्र, +शीत भंडार और अंतर्देशीय कंटेनर डिपो के साथ-साथ कार्गों टर्मिनल +गोदामों की सुविधा जैसी पहल। + +भारत में बांस क्षेत्र के विकास के लिए सामूहिक बहु-हितधारक +प्रयास किए जा रहे हैं। राष्ट्रीय स्तर पर, पर्यावरण, वन और जलवायु +परिवर्तन मंत्रालय, कृषि मंत्रालय, पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय और विज्ञान +तथा प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इस दिशा में कार्यनीतिक पहल की हैं। + +सितंबर 2020 में कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने नौ +राज्यों- गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, असम, नगालैंड, + +भारतीय वन सर्वेक्षण प्रतिवेदन 2019 के अनुसार राज्यवार वितरण + +का उद्घाटन किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय बांस मिशन के लिए लोगो +भी जारी किया गया। बेंत और बांस प्रौद्योगिकी केंद्र ने पूर्वोत्तर भारत में +लोगों की आजीविका के स्रोत के लिए बांस उद्योगों के सतत विकास +के वास्ते एक परियोजना तैयार की है। जनजातीय मामलों के मंत्रालय +ने 4 पी 1000 पहल: सीओपी 14 यूएनसीसीडी 2019 में बंबूनॉमिक्स +के माध्यम से जनजातीय परिप्रेक्ष्य की शुरुआत की है। नीति आयोग +ने उपलब्ध खाली भूमि संसाधनों के उपयोग और किसानों के लिए +वित्तीय वहनीयता के लिए खादी और ग्रामोद्योग आयोग की अपनी +तरह की पहल के तहत जुलाई 2020 में राज्य सरकारों को बांस और +चंदन वृक्षारोपण अभियान चलाने का आग्रह किया। + +इस तरह की पहल देश में बांस की संगठित खेती की संरचना +ला सकती है और ग्रामीण आबादी के लिए अधिक आय की सुविधा +प्रदान कर सकती है। इस प्रकार राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में इसका बड़ा +योगदान हो सकता है। + +भारत सरकार समग्र दृष्टिकोण अपनाते हुए बांस क्षेत्र के माध्यम +से ग्रामीण आजीविका और बुनियादी ढांचे के विकास के अवसरों को +बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसमें जानकारी के प्रसार और खेती के +उत्तम तरीकों के आदान-प्रदान के मजबूत तंत्र का निर्माण, तकनीकी +मानकों में सुधार, क्षमता निर्माण और काश्तकारों का कौशल विकास, +बांस स्टार्टअप में सहयोग और बांस उत्पादों के व्यावसायीकरण को + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +त्रिपुरा, उत्तराखंड और कर्नाटक में वर्चुअल माध्यम से 22 बांस समूहों सुविधाजनक बनाना शामिल हैं। हा +राष्ट्रीय स्तर +एमओईएफसीसी/पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय राष्ट्रीय बांस मिशन/विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय +a +क्षेत्रीय स्तर +पूर्वोत्तर परिषद/बेंत और बांस प्रौद्योगिकी केंद्र (सीबीटीसी) पूर्वोत्तर प्रौद्योगिकी केंद्र (एनईसीटीएआर)/एआरसीबीएआर +a +राज्य स्तर +राज्य बांस मिशन/राज्य वन विभाग राज्य उद्योग विभाग/कारोबार विकास एजेंसियां +योजना, जुलाई 2021 57 + + + +\0058.txt +<----------------------------------------------------------------------> +४ कुरुक्षेत्र + +2 Hurukshetra | ee ERs oe + +dame लैमाचार के Tanployment News . धार शाही + + + + + + + + + + + + + + + +योजना | Ea प्रकाशन विभाग | कुरुक्षेत्र +विकास को समर्पित मासिक । सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय 1 ग्रामीण विकास पर मासिक +(हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू व 10 अन्य भारतीय भाषाओं में) । क ७ | भारत सरकार ! (हिंदी और अंग्रेजी) +आजकल | रोजगार समाचार । बाल भारती +साहित्य एवं संस्कृति का मासिक । साप्ताहिक 1 बच्चों की मासिक पत्रिका +(हिंदी तथा उर्दू) ! (हिंदी, अंग्रेजी तथा उर्दू) ! (हिंदी) + +| घर पर हमारी पत्रिकाएं मंगाना है काफी आसान... | + +आपको सिफ नीचे दिए गए 'भारत कोश' के लिंक पर जा कर पत्रिका के लिए ऑनलाइन डिजिटल भुगतान करना है- +https://bharatkosh. gov.in/Product/Product + + + + + + + + + + + +सदस्यता दरें +योजना, करुक्षेत्र, सदस्यता शुल्क में रजिस्टर्ड डाक का शुल्क भी +| प्लाब | 3 बाल भारती रोज़गार समाचार की >> + +आजकल (सभी भाषा) शामिल है। कोविड-19 महामारी के मद्देनज़र +वर्ष रजिस्टर्ड डाक रजिस्टर्ड डाक | मुद्रित प्रति (साधारण डाक) | ई-संस्करण | नए ग्राहकों को अब रोज़गार समाचार के +1 ₹ 434 ₹ 364 ₹ 530 ₹ 400 | अलावा सभी पत्रिकाएं केवल रजिस्टर्ड +2 ₹ 838 ₹ 708 ₹ 1000 ₹750 | डाक से ही भेजी जाएंगी। पुराने ग्राहकों के + +3 ₹ 1222 ₹ 1032 ₹ 1400 ₹ 1050 | लिए मौजूदा व्यवस्था बनी रहेगी। + + + + + + + + + + + + + + + + + +ऑनलाइन के अलावा आप डाक द्वारा डिमांड ड्राफ्ट, भारतीय पोस्टल आर्डर या मनीआर्डर से भी प्लान के अनुसार निर्धारित राशि भेज सकते हैं| डिमांड ड्राफ्ट, +भारतीय पोस्टल ऑडर या मनीआर्डर “अपर महानिदेशक, प्रकाशन विभाग, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय? के पक्ष में नई दिल्‍ली में देय होना चाहिए। +रोज़गार समाचार की 6 माह की सदस्यता का प्लान भी उपलब्ध है, प्रिंट संस्करण रु. 265/-, ई-संस्करण रु. 200/-, कृपया ऑनलान भुगतान के लिए +https://eneversion.nic.in/membership/login fei % STU! fents gry! ‘Employment News’ के पक्ष में नई दिल्‍ली में देय होना चाहिए। +अपने डीडी, पोस्टल आर्डर या मनीआर्डर के साथ नीचे दिया गया 'सदस्यता कृपन' या उसकी फोटो कॉपी में सभी विवरण भरकर हमें भेजे। भेजने का पता है- +संपादक, पत्रिका एकांश, प्रकाशन विभाग, कक्ष सं. 779, सूचना भवन, सीजीओ कॉम्प्लेक्स, लोधी रोड, नई दिल्‍ली-110003. +अधिक जानकारी के लिए ईमेल करें- pdyjucir@gmail.com +हमसे संपर्क करें- फोन: 011-24367453, (सोमवार से शुक्रवार सभी कार्य दिवस पर प्रात: साढ़े नौ बजे से शाम छह बजे तक) + +कृपया नोट करें कि पत्रिका भेजने में, सदस्यता शुल्क प्राप्त होने के बाद कम से कम आठ सप्ताह लगते हैं, +कृपया इतने समय प्रतीक्षा करें और पत्रिका न मिलने की शिकायत इस अवधि के बाद करें। + +औ्--तपतततततयतय कैद नपतततत तप तपततततततत पापा औ< "“+7नपन+८ +कृपया मुझे 1/2/3 वर्ष के प्लान के तहत .........................-८----------_न्‍_-_-_>नन---ननननन+ पत्रिका ....................- भाषा में भेजें। +नाम ( साफ व बड़े अक्षरों में ) ...................------न«__नननन----ननननननन नमन नननन नमन नल ननननि नल मनन नल मनन नग्न नन न +पता :; ................----०«०«-न्‍नननननननननननननननिननिनननननननननननननननननिनिननि नितिन निननननिननननिननिननिननननननननिननिननननननिननिननिगनिननिननिनननननननन +हनन ननिन मनन न नननभननननन न भनन लत नितिन निभाना भननन न जिला .................-०«>न्‍्नन्‍नननननननत्त>» पिन ५..५५००--->तननननननननन- +ईमेल .......................------«+>>_-_-_ननिनननननननिननिनननननिननननन न मोबाइल नं. ..........................-------न्‍_-___नन_ननननननननन- +डीडी/पीओ/एमओ सं. ....................................--------------------- दिनांक ........................-- सदस्यता सं. ........................... + +58 योजना, जुलाई 2021 + + + +\0059.txt +<----------------------------------------------------------------------> +खेलों में तेजी से आगे बढ़ता पूर्वोत्तर + +राजेश राय + +आठ राज्यों - अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, त्रिपुता और सिक्किम से +मिलकर बना भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र देश के भौगोलिक क्षेत्र का 8 फीसदी है लेकिन खेलों के मामले में + +यह तेजी से अग्रसर हो रहा है। + +रत के कई प्रमुख खेलों के खिलाडी, पूर्वोत्तर क्षेत्र +से निकले हैं और फुटबॉल, मुक्केबाजी, एथलेटिक्स, +हॉकी और भारोत्तोलन में अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अपनी +छाप छोड रहे हैं। फूटबाल तो खास तौर पर इस क्षेत्र की जान है। देश +के अधिकतर क्लबों में पूर्वोत्तर के खिलाड़ी देखने को मिल सकते हैं। +पूर्वोत्तर भारत, भारत के कुछ जाने माने खिलाडियों का घर है जैसे +छह बार की विश्व चैंपियन मुक्केबाज एमसी मैरीकॉम, पूर्व फुटबॉल +कप्तान बाइचुंग भूटिया, 2014 ग्लासगो राष्ट्रमंडल खेलों की रजत +विजेता एल सरिता देवी, स्वर्ण विजेता और अर्जुन पुरस्कार विजेता +जयंत तालुकदार 2014 राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण विजेता भारोत्तोलक +के संजीता चानू, और विश्व चैंपियनशिप की स्वर्ण विजेता और +देश के शीर्ष खेल पुरस्कार राजीव +गांधी खेल रत्न से सम्मानित +भारोत्तोलक सैखोम मीरा बाई चानू £ +कुछ ऐसे नाम हैं जो इस समय +सबकी जुबान पर हैं और आने +वर्षों में भी याद किये जाएंगे। ः +एक सर्वेक्षण के अनुसार # +14 हजार से ज्यादा प्रतिभाशाली +पूर्वोत्तर के खिलाड़ी देश भर +में भारतीय खेल प्राधिकरण की : “८ + +विभिन्न योजनाओं में ट्रेनिंग ले रहे हैं जिनमें 109 हजार लड़के और + +चार हजार लड़कियां शामिल हैं। + +* साई केढद्रों में चार हजार लड़की प्रशिक्षुओं में से 23 फीसदी +यानी 910 अरुणाचल, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, +सिक्किम और त्रिपुरा में प्रशिक्षित हो रही हैं। इन्हें 290 साई +केंद्रों में आवासीय और गैर आवासीय आधार पर 27 खेलों में +ट्रेनिंग दी जा रही है। + +* देश में स्थित 14 क्षेत्रीय फुटबॉल अकादमियों में से एक +अकादमी इम्फाल में स्थित है। असम और मणिपुर में हर तरह +के मौसम के लिए सिंथेटिक एथलेटिक्स ट्रैक बने हुए हैं। + + + +पूर्वोत्तर के खिलाडियों ने वापस अपने समुदाय को भी कुछ न +कुछ दिया है। + +मैरीकॉम और कुजरानी देवी ने अपने क्षेत्रों में क्षेत्रीय मुक्केबाजी और +भारोत्तोलत अकादमियां खोली हैं। ये अकादमियां छात्रों को मुफ्त कोचिंग +के अलावा मुफ्त ठहरना और खाना भी उपलब्ध कराती हैं, इसके अलावा +वे प्रतियोगिताओं के दौरान अतिरिक्त खर्चे भी कवर करती हें। + +असम राज्य शिक्षा और खेलों पर 35 फीसदी खर्च करता है जो +16 फीसदी के राष्ट्रीय औसत से दोगुना से भी ज्यादा है। +'मिजोरम में खेलों को उद्योग का दर्जा + +मिजोरम मंत्रिमंडल ने 22 मई 2020 को राज्य में खेल क््षेत्र +को बढ़ावा देने के लिए खेलों को उद्योग का दर्जा दिया। मिजोरम +ऐसा करने वाला देश का पहला +राज्य है। मिजोर्म ने देश से +खेल जगत में अपनी पहचान +बनाई है। मिजोर्म ने खासकर +1 फुटबाल में अपनी पहचान बनाई +है। राज्य के कई खिलाड़ी देश +के अलग-अलग फुटबाल कलबों +में खेल रहे हैं। इस राज्य ने += फुटबॉल के अतिरिक्त हॉकी और +को भारोत्तोलन में भी अच्छा किया +है। मिजोरम के लगभग 150 खिलाड़ी भारत की शीर्ष फुटबॉल लीग +इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) में खेलते हैं। +143 खेलो इंडिया केंद्र खोलने का फैसला + +केंद्रीय खेल मंत्रालय ने जमीनी स्तर पर प्रतिभाओं को निखारने +के लिए सात राज्यों में कुल 143 “'खेलो इंडिया' केंद्र खोलने का +फैसला किया है, जिस पर कुल 14.30 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। +इन केंद्रों को महाराष्ट्र, मिजोर्म, गोवा, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, अरुणाचल +प्रदेश और मणिपुर में स्थापित किया जाएगा। प्रत्येक केंद्र में किसी +एक खेल की सुविधा उपलब्ध होगी। इनमें से तीन राज्य तो पूर्वोत्तर +में ही हैं। केंद्रीय खेल मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, ' भारत को 2028 + + + +लेखक, वरिष्ठ खेल पत्रकार हैं। ईमेल; rajeshraivarta@gmail.com + +योजना, जुलाई 2021 + +59 + + + +\0060.txt +<----------------------------------------------------------------------> +बत्तर में ज्यादातर महिला खिलाड़ी तीन राज्यों मणिपुर, +असम और मिजोरम से हैं। मणिपुर से लीजेंड मुक्केबाज +मैरीकाम, सात बार विश्व चैंपियनशिप की रजत + +विजेता भारोत्तोलक कुंजरानी देवी, हॉकी खिलाड़ी अनुराधा देवी +थोकचोम, फुटबॉलर रतनबाला देवी, फुटबॉलर नंगगोम देवी हैं। +असम से मुक्केबाज लवलीना बोगेहिन, तीरंदाज गहेला बोरो, +मुक्केबाज जमुना बोरों और मीराबाई चानू हैं। मिजोरम से हॉकी +खिलाड़ी लालरेमसियामि हैं। हालांकि माउंट एवरेस्ट को फतह +करने वाली महिला पर्वतारोही अंशु जामसेनपा अरुणाचल प्रदेश +से, दीपा करमाकर त्रिपुरा से तथा तीरंदाज चेक्रोवोलु स्वुरो +Sa id + +भारत के पूर्वोत्तर राज्य भारत के कुछ सबसे अधिक +मान्यता प्राप्त अंतरराष्ट्रीय खिलाडियों के घर हैं। 2012 लंदन +ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता और छह बार की विश्व +शौकिया-मुक्केबाजी चैंपियन मैरीकॉम, 2014 ग्लासगो राष्ट्रमंडल +खेलों में रजत पदक विजेता मुक्केबाज एल सरिता देवी, 2014 +ग्लासगो राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक विजेता भारोत्तोलक +के. संजीता चानू और मीराबाई चानू, जिन्होंने विश्व भारोत्तोलन +चैंपियनशिप जीतने के लिए राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोडा, कुछ ऐसे +नाम हैं। मीराबाई ने टोक्यों ओलम्पिक के लिए भी क्वालीफाई +कर लिया है। मुक्केबाज मैरीकॉम और लवलीना बोर्गोहैन भी +टोक्यो ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई कर चुकी हें। + +जनसंख्या के अनुसार पूर्वोत्तर भारत कुल भारतीय +आबादी का केवल 3.7 प्रतिशत है। वहां के युवा विभिन्न +खेलों, विशेष रूप से मणिपुर के लोग खेलों के प्रति अपने +झुकाव के लिए जाने जाते हैं। + +ओलंपिक में शीर्ष दस देशों में शामिल करने का हमारा प्रयास है। +इसे हासिल करने के लिए हमें खिलाडियों की उनकी छोटी उम्र में +ही पहचान करने और उन्हें निखारने की आवश्यकता है। राज्यवार +के हिसाब से पूर्वोत्तर में स्थापित होने वाले खेलो इंडिया केंद्रों का +विवरण इस प्रकार है- + +'मिजोरमः 20 लाख रुपये के बजट अनुमान के साथ कोलासिब +जिले में दो खेलो इंडिया केंद्र। + +अरुणाचल प्रदेश: 4.12 करोड रुपये के बजट अनुमान के +साथ 26 जिलों में 52 खेलो इंडिया केंद्र। + +मणिपुर: 1.60 करोड़ रुपये के बजट अनुमान के साथ 16 +खेलो इंडिया केंद्र। + +संबंधित राज्य सरकारों को अब इन सभी केद्रों के लिए पूर्व +चैंपियन एथलीटों को नियुक्त करना होगा। जमीनी स्तर पर देश में +खेल बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए सरकार के दृष्टिकोण +के हिस्से के रूप में, एक कम लागत वाला, प्रभावी खेल प्रशिक्षण + +60 + +एमसी मैरीकॉम +पूर्वोत्तर भारत के मणिपुर की इस महिला +बॉक्सर ने अपनी बॉक्सिंग के दम पर पूरी दुनिया +eS ee ee ed +मैरी 6 बार विश्व चैंपियन रह चुकी हैं। उन +पर बायोपिक बन चुकी है। राज्यसभा सांसद +बन चुकी मैरी को हाल ही में बेस्ट एशियन वूमन एथलीट अवॉर्ड +भी दिया गया है। इससे पहले मैरी कॉमनवेल्थ गेम्स सहित कई +प्रतियोगिताओं में ढेरों गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं। हाल में उन्होंने +दुबई में आयोजित एशियाई मुक्केबाजी में रजत पदक जीता जो उनका +सातवां एशियाई पदक था। उन्होंने देश को टोक्यो ओलम्पिक का +कोटा भी दिलाया है। +। असम के धिंग की रहने वाली धिंग एक्सप्रेस +के नाम से मशहूर हो चुकी हिमा दास ने हाल ही +में विश्वस्तरीय रेसिंग में एक के बाद एक लगातार +5 गोल्ड मेडल अपने नाम कर देश का सिर गर्व +” से ऊंचा कर दिया था। हिमा को असम सरकार +द्वारा राज्य में खेलों की ब्रांड एम्बेसेडर भी नियुक्त किया गया हे। +इसके अलावा उनको यूनिसेफ इंडिया की यूथ एंबेसेडर भी नियुक्ति + +दीपा करमाकर +त्रिपुण की रहने वाली दीपा ने पहली बार +है. 2016 समर ओलंपिक भारतीय जिम्नाष्ट के +| तौर पर भाग लिया था। इससे पहले उन्होंने +2014 कॉमनवेल्थ गेम्स में कांस्य पदक जीतकर +है देश ओर दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा। +ओलंपिक खेलों में भारतीय जिम्मास्ट के तौर पर भाग लेने वाली वो + + + +ढांचा तैयार किया गया है, जिसमें पूर्व चैंपियन एथलीट युवाओं के +लिए प्रशिक्षक और सलाहकार बनेंगे। + +मणिपुर के ज्ञानेंद्र निंगोम्बम हॉकी इंडिया के अध्यक्ष हैं। हॉकी +के शासी निकाय, हॉकी इंडिया ने 6 नवंबर, 2020 को अपनी +10वीं हॉकी इंडिया कांग्रेस और चुनाव आयोजित किए, जहां ज्ञानेंद्र +निंगोम्बम, निर्विरोध चुने जाने पर, पूर्वोत्तर क्षेत्र से हॉकी इंडिया के +पहले अध्यक्ष बन गए हैं। निंगोम्बम पिछले 40 वर्षों से राज्य में हॉकी +के खेल से जुड़े हैं। वह पूर्वोत्तिर क्षेत्र में जमीनी स्तर पर हॉकी के +खेल के विकास में भी सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं। +मुक्केबाजी के पहले सुपरस्टार डिंको सिंह + +मणिपुर के इम्फाल के एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता +मुक्केबाज नगंगोम डिंको सिंह का कैंसर और कोरोना से जूझने के +बाद जून 2021 में निधन हो गया। वह मात्र 42 वर्ष के AI feat +की लोकप्रियता का आलम यह था कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने +ट्वीट में स्टार मुक्केबाज के निधन पर दुख जताते हुए लिखा, “डिको + +योजना, जुलाई 2021 + + + +\0061.txt +<----------------------------------------------------------------------> +पहली महिला खिलाड़ी भी बनी हैं। 2016 के रियो ओलम्पिक में +दीपा ने ऐतिहासिक चौथा स्थान हासिल किया था जिसके कारण दीपा +को 2016 में ही राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड और 2017 में पद्मश्री +पुरस्कारों से भी नवाजा जा चुका है। +eet +फट कई विश्व चैंपियनशिप्स में कई सारे मेडल्स +a जीत चुकी हैं। उनको अपनी इस उपलब्धि पर +६. / ४ पद्मश्री और राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार +से भी नवाजा जा चुका है। चानू ने 2014 कॉमनवेल्थ गेम्स में 48 +किग्रा भार वर्ग में सिल्वर मेडल अपने नाम किया था। इसके अलावा +उन्होंने विश्व वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर अपना +व देश का नाम पूरी दुनिया में रोशन किया। अंतरराष्ट्रीय भारोत्ते +महासंघ (आइ डब्ल्यू यू एस) ने मीराबाई चानू के महिलाओं के +49 किलोग्राम भार वर्ग में टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई +करने की पुष्टि कर दी है। चानू ने अप्रैल में ताशकंद में एशियाई +चैंपियनशिप में क्लीन एंड जर्क में विश्व रिकॉर्ड के साथ कांस्य पदक +जीतकर टोक्यो ओलंपिक में अपना स्थान सुरक्षित किया था, जिसकी +अब आधिकारिक पुष्टि हो गई है। चानू ने आइ डब्ल्यू यू एस की +रैंकिंग सूची के आधार पर कोटा हासिल किया। वह भारोत्तोलन 49 +किलोग्राम वर्ग में दूसरे स्थान पर हैं। +कुंजरानी देवी +कुजरानी ने 1985 से राष्ट्रीय स्तर पर ज्यादातर +स्वर्ण पदक जीतने शुरू कर दिए। 44 किलोग्राम, +. 46 किलोग्राम और 48 किलोग्राम में भारोत्तोलन +4 चैंपियनशिप, बाद में उसका यह अंतिम भार +=> वर्ग रहा। उन्होंने 1987 में तिरुअनंतपुरम में दो + +सिंह एक खेल सुपरस्टार और एक उत्कृष्ट मुक्केबाज थे, जिन्होंने कई +पुरस्कार जीते और मुक्केबाजी की लोकप्रियता को आगे बढ़ाने में भी +योगदान दिया। डिंको सिंह ने 13वें एशियाई खेलों में बैंकॉक में 54 +किग्रा वर्ग मुक्केबाजी में स्वर्ण पदक जीतने के बाद भारतीय नौसेना +में सेवा की थी। उन्होंने 1997 में बैंकॉक में किंग्स कप भी जीता +था। मुक्केबाजी में देश का नाम रोशन करने के लिए उन्हें पद्मश्री +और अर्जुन पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। + +शिव थापा : असम के गुवाहाटी के रहने वाले और पांच बार +एशियन मेडल जीतने वाले शिव थापा पहले ऐसे भारतीय खिलाड़ी +हैं जिन्होंने प्रेसिडेंट्स कप बॉक्सिंग टूर्नामेंट में गोल्ड मेडल जीता है। +इसके अलावा वो सबसे युवा भारतीय खिलाड़ी के तौर पर 2012 +लंदन ओलंपिक्स में भी भाग ले चुके हैं। थापा तीसरे ऐसे भारतीय हैं +जिन्होंने एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीता है। + +बाईचुंग भूटिया : मणिपुर के भूटिया देश के सर्वश्रेष्ठ स्ट्राइकर, +100 मैच खेलने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी, पूर्व कप्तान रह चुके हैं। + +योजना, जुलाई 2021 + +नए राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाए। 46 किलोग्राम भार वर्ग में अपने वजन में +बदलाव करते हुए उन्होंने 1994 में पुणे में एक स्वर्ण जीता , लेकिन +मणिपुर में चार साल बाद 48 किलोग्राम वर्ग में प्रतिस्पर्धा करने की +कोशिश करने पर उन्हें रजत मिला। + +उनकी पहली विश्व महिला भारोत्तोलन चैम्पियनशिप 1989 में +मैनचेस्टर संस्करण थी और उन्होंने तीन रजत पदक जीते। तब से +उन्होंने लगातार सात विश्व चैंपियनशिप में भाग लिया और 1993 में +या एक | के अपवाद के साथ, उन्होंने उन सभी प्रतियोगिताओं +में से प्रत्येक में रजत पदक जीता। + +कुंजरानी का एशियाई भारोत्तोलन चैंपियनशिप में बेहतर प्रदर्शन +रहा है, जिसके लिए वह एक नियमित हिस्सेदार रही हैं। 1989 के +शंघाई में एक रजत और दो कांस्य पदक के साथ शुरुआत करते +हुए, उन्होंने इंडोनेशिया में 1991 के संस्करण में 44 किलोग्राम वर्ग +में तीन रजत पदक हासिल किए। 1992 में थाईलैंड में अगले में +५1111: कक कि: 1 CECT कक 10 +रखा। उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 1995 में दक्षिण कोरिया में प्रतियोगिता +में आया जहां उन्होंने 46 किलोग्राम वर्ग में दो स्वर्ण और एक +कांस्य जीता। + +1996 में उन्हें जापान में आयोजित चैंपियनशिप में दो रजत +और एक कांस्य मिला। उन्हें 1990 में अर्जुन पुरस्कार प्रदान किया +गया और राजीव गांधी खेल रत्न को लिएंडर पेस के साथ वर्ष +1996-1997 में बांठा। भारत सरकार ने 2011 में उन्हें पद्मश्री के +नागरिक सम्मान से सम्मानित किया। उनके पास पचास से अधिक +अंतर्राष्ट्रीय पदक हें। उन्होंने 38 साल की रिटायरमेन्ट लेने वाली उम्र +में 48 किग्रा वर्ग में 2006 कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीता, +जो कि मेलबर्न में आयोजित किया गया, जिसमें 166 किलोग्राम की +कुल लिफ्ट के साथ खेलों का रिकॉर्ड था जिसमें स्नैच में 72 किग्रा +और क्लीन एंड जर्क में 94 किग्रा भार शामिल था। + + + +पहला राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय + +मणिपुर में इम्फाल में देश का पहला राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय +स्थापित किया गया है। यह खेल एवं शारीरिक शिक्षा के क्षेत्र में +भारत सरकार द्वारा स्थापित पहला केन्द्रीय विश्वविद्यालय है। इस +विश्वविद्यालय के देशभर में “दूरस्थ परिसर' (आउटलाइंग कैंपस) खोले +जाएंगे जो एनएसयू के उद्देश्य को हासिल करने में मदद करेंगे। इस +पहले खेल विश्वविद्यालय में खेल विज्ञान, खेल तकनीक, खेल प्रबंधन +और खेल प्रशिक्षण जैसे विषयों पर अध्ययन-अध्यापन और शोध आदि +किया जाएगा। विश्वविद्यालय अपने तरह का इकलौता होगा और यहां +अंतरराष्ट्रीय मानक का प्रशिक्षण दिया जाएगा। + +भारत में विभिन्न राज्य सरकारों द्वार तमिलनाडु फिजिकल एजुकेशन +एण्ड स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी, स्वर्णिम गुजरात स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी और राजस्थान +क्रीड़ा विश्वविद्यालय नामक इसी तरह के तीन राज्य विश्वविद्यालय स्थापित +किए जा चुके हैं जबकि लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षा संस्थान नामक +एक डी-म्ड यूनिवर्सिटी पहले से खेलकूद के क्षेत्र में संचालित है।.. बा + +61 + + + +\0062.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +a + +अब प्रिंट संस्करण और ई-बुक संस्करण उपलब्ध + + + + + + + + + + + +ऑर्डर के लिए संपर्क करें : + +फोन : 011-24365609 +¥-ta : businesswng@gmail.com +हमारी पुस्तकें ऑनलाइन खरीदने के लिए + +pura w"~.bharatkosh.gov.in ux og | + +AIR 2021 + +8 + +; + +भारत के प्रांतों, केंद्रशासित प्रदेशों, + +\ सरकार के मंत्रालयों और विभागों तथा + +नीतियों, कार्यक्रमों और उपलब्धियों की + +आधिकारिक जानकारी देने वाला +वार्षिक संदर्भ ग्रंथ + +मूल्य: प्रिंट संस्करण ₹300/- ई-बुक संस्करण ₹ 225/- + +पुस्तकें खरीदने के लिए प्रकाशन विभाग की +वेबसाइट : www.publicationsdivision.nic.in 4 जाएं + +ई-बुक एमेज़ॉन और गूगल प्ले पर उपलब्ध + +देश भर में प्रकाशन विभाग के विक्रय केन्द्रों और +पुस्तक विक्रेताओं से भी खरीद सकते हैं + +प्रकाशन विभाग +सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, +भारत सरकार + +सूचना भवन, सी जी ओ कॉम्पलेक्स, +लोधी रोड नई दिल्‍ली -110003 + +aqaaige : www.publicationsdivision.nic.in + +ट्विटर पर फोलो करें + + + + + + + +vw @DPD_India . + + + + + + + + + + + + + +62 + +योजना, जुलाई 2021 + + + + + +\0063.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +OI स्वतंत्रता संग्राम भारत के +इतिहास में बहुत ही महत्वपूर्ण +भूमिका रखता है। अगर यह स्वतंत्रता +संग्राम ना हुआ होता, अगर भारत माता +के वीर सपूत ब्रिटिश हुकूमत को जड़ +से ना उखाड़ देते तो शायद आज स्वतंत्र +देशवासी आजादी का अमृत महोत्सव +ना मना रहे होते। इसलिए भारत के +कण-कण में उन स्वतंत्रता सेनानियों के +लिए अपार आदर एवं श्रद्धा बसी हुई है +जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति दे कर +देश को आजाद कराया। + +भारत के विभिन्न हिस्सों में चल +रहे विद्रोह एवं आंदोलन ने ब्रिटिश +साम्राज्य की बढ़ती उपनिवेशवादी +नीतियों एवं शोषण के खिलाफ आवाज +उठाई। समय-समय पर हुए विद्रोह एवं +आंदोलन जैसे '1857 का विद्रोह +असहयोग आंदोलन', “नागरिक अवज्ञा + +आंदोलन', “भारत छोडो आंदोलन ' ने अंग्रेजी शासन की नींव हिला +at etl stadt: अगस्त 1947 में भारत को शासकों, क्रांतिकारियों +और आम नागरिकों की कड़ी मेहनत, त्याग और निःस्वार्थता के + +बाद स्वतंत्रता हासिल हुई। + +इस स्वतंत्रता संग्राम में भारत भूमि के पूर्वोत्तर हिस्से के वीर + +लेखिका - स्वर्ण अनिल + +आईएसबीएन : 978-93-5409-069-1 +मूल्य : 135 रुपये + + + + + +पूर्वोत्तर भारत के +स्वातंत्रय वीर + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +ES +पूर्वोत्तर भारत के स्वातंत्रय वीर + +सेनानियों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। +पुस्तक “पूर्वोत्तर भारत के स्वातंत्रय वीर' के +जरिए लेखिका स्वर्ण अनिल ने 22 स्वतंत्रता +सेनानियों के जीवन एवं संघर्षों से पाठकों +को अवगत कराने की कोशिश की है। + +' भारत छोड़ो आंदोलन! में पूर्वोत्तर के +स्वतंत्रता सेनानियों की एक लंबी सूची हे +जिसमें एक ओर 17 वर्ष की कनकलाता +बरूआ हैं तो दूसरी ओर 60 वर्षीय +भोगेश्वरी फुकनानी और दोनों ने राष्ट्रीय +ध्वज फहराने के लिए अपना बलिदान दे +दिया। पुत्र मोह और अपने प्राणों का मोह +BSR मातृभूमि का चयन करने वाली +मिजो रानी रैपुइलीयानी ब्रिटिश अफसरों +की बर्बरता को अपने बेटे के साथ सहते +हुए शहीद हुई पर परतंत्रता नहीं स्वीकारी। +“आजाद हिंद! की कई अमर महिला + +| सेनानियों का उल्लेख मणिपुर सरकार के + +दस्तावेज में मिलता है। + +पूर्वोत्तर के कई अन्य क्रांतिकारी भी देश प्रेम के अपराध में काले +पानी की भीषण और अमानवीय यातनाओं का शिकार हुए। अंग्रेजों +की गोलियों को हंसते-हंसते झेलने वाले, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के + +इन प्रहरियों की जीवन गाथाओं को संग्रहित करने का लेखिका ने + +सफल प्रयास किया है। + + + +पुस्तक से लिए गए अंश... + +WT? की स्वतत्रता को समर्पित स्वाधीनता का संग्राम एक ऐसा महान यज्ञ था जिसमें हर भारतीय अस्पिता के प्रति समर्पित राष्ट्रधक्त +ने निःस्वार्थ भाव से अपने प्राणों की आहुति दी थी। भारत भूमि पर कोई थी थागय आत्योत्सर्य को इस पर्व में पीछे नहीं रहा था। + + + +हमारा पूर्वोत्तर जिसे आज हम अष्टलक्ष्यी अर्थात्‌ 8 राज्यों को रूप में पहचानते हैं इसके शूरवीरों ने भी स्वतत्रता संग्राम में अपनी महत्वपूर्ण +भूमिका निभाई परतु शेष भारत में प्रायः उनकी चर्चा नहीं हुई। अग्रेजों के दमन चक्र का शिकार बनने को विरोध में पूर्वोत्तर के स्वतंत्रता +सेनानियों को बलिदान का वर्णन करने से पूर्व पूर्वोत्तर चर्चा करना समीचीन होगा। हमारा पूर्वोत्तर जिसका वर्णन रामायण, महाभारत और +युराणों से पूर्ववर्ती वैदिक काल में कियत देश को नाग से मिलता है, वह कामरूप ओर प्रयाग प्राग्ज्योतिषपुर को नाम से विश्व के प्राचीन +साहित्य और यात्रा वर्णनों में समृद्ध प्रदेश को रूप में अपना स्थान रखता है। + +कोवल भारतीय साहित्य नहीं, तीसरी शताब्दी ईसापूर्व से पहली शताब्दी ईसाएूर्व के ग्रीक समुद्री व्यापारियों द्वार लिखित पेरिपल्स +एरीश्रियन समुद्र, जिसे आज एरीट्रियन समुद्र कहते हैं। वर्णनों (स्क्रोल्स) को 66वें अध्याय में पूर्वात्तर भारत का वर्णन करते हुए यहां के +“किरातों”” का वर्णन किया है। भारत के प्राचीन इतिहास में जिसका विशिष्ट स्थान है वह प्रदेश, आज को & राज्यों नहीं, एक समग्र +इकाई को रूप में वर्णित है। + + + + + + + + + +पुस्तक खरीदने के लिए लॉग इन करें हमारी वेबसाईट : छऋषफ्तएप्रतट्यांगाइवाएंडंता,बंट। + + + + + + + +\0064.txt +<----------------------------------------------------------------------> +रजि.सं. Shwe. (WA) -05/323 1/202 1-23 + +Reg. No. DL(S)-05/3231/2021-23 at RMS, Delhi Licenced under U (DN)-55/2021-23 +eg. No. - -23 ai , Delhi + +28 जून, 2021 को प्रकाशित आर.एन.आई. 951/57 +० 2-3 जुलाई, 2021 को डाक द्वारा जारी R.N.I. 951/57 + + + +अब उपलब्ध है + + + + + +योग सचित्र + +मूल्य -₹ 355/- + +आज ही नजदीकी पुस्तक विक्रेता से खरीदें +ऑर्डर के लिए संपर्क करें : + +फोन : 011-24365609 + +¥-4a_: businesswng@gmail.com +da@urge : publicationsdivision.nic.in + +हिय +e +प्रकाशन विभाग + +सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार +सूचना मवन, सी जी ओ कॉम्पलेक्स, +लोधी रोड, नई दिल्‍ली -110003 + + + +द्विटर पर फोलो करें हनी @DPD_India + + + + + +प्रकाशक व मुद्रकः मोनीदीपा मुखर्जी, महानिदेशक, प्रकाशन विभाग, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ( भारत सरकार ) द्वारा + +प्रकाशन विभाग के लिए चन्दु प्रेस, डी-97, शकरपुर, दिल्‍ली-110092 द्वारा मुद्रित एवं प्रकाशन विभाग, सूचना भवन, +सी.जी.ओ. परिसर, लोधी रोड, नई दिल्‍ली-110003 से प्रकाशित। वरिष्ठ संपादक: कुलश्रेष्ठ कमल + + + + + + + + + + diff --git a/Data Collected/Hindi/Yojana_magazine_OCRed_Hindi/Yojana_2021_June_.txt b/Data Collected/Hindi/Yojana_magazine_OCRed_Hindi/Yojana_2021_June_.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..348b2049be8b587bfe3435fc33da132984551c8e --- /dev/null +++ b/Data Collected/Hindi/Yojana_magazine_OCRed_Hindi/Yojana_2021_June_.txt @@ -0,0 +1,5646 @@ + +0001.txt +<----------------------------------------------------------------------> +ISSN-0971-8397 + + + + + +_ a =~ 1 ees +a = रे रा 7 ; ee — +c +L , +a पे ~ J | oe +1 I be +I. +a 4 | +कि ६ की ज + + + += आलेख f a | कि... विशेष आलेख + +(बदलनी होगी जीवन-शैली Be # ? 'चिरंतन आरोग्य +: mS ऑट। +ie नारायण ee ऋजुता दिवेकर +फोकस | +coe और मानवता के बीच संबंध ~ | नीति और व्यवहार +बाल्मीकि प्रसाद सिंह ~ डॉ सुभाष शर्मा +on ¢ + + + + + +0002.txt +<----------------------------------------------------------------------> +a Bact से सिद्धि” - ग्रामीण और डिजिटल जुड़ाव +सर अभियान से जुड़ी टीम (टीआरआईएफईडी-ट्राइफेड +के अधिकारी और राज्य स्तर पर संबंधित + +एजेंसियां) नियमित तौर पर गांवों का दौरा कर रही है, ताकि वन +धन विकास केन्द्रों पर तेजी से काम हो सके और निगरानी रखी जा +सके। टीम द्वारा देशभर में दोरा किया जा रहा है और इससे ट्राइफेड +को जमीनी स्तर पर वन धन विकास योजना केंद्रों को लेकर हो रहे +कार्यों के बारे में समझने में मदद मिली है। + +ओडिशा एक ऐसा राज्य है जहां वन धन योजना को काफी तेजी +से लागू किया जा रहा है। राज्य में वन धन विकास के कुल 660 +केंद्रों के आधार पर वन धन विकास के कुल 22 क्लस्टर तैयार किए +गए हैं और यहां जनजातीय समुदाय के 6,300 से भी ज्यादा लोगों +को इसका फायदा मिला है। इन क्लस्टरों में पिछले कुछ महीनों से +प्रशिक्षण का काम चल रहा है। साथ ही, प्रसंस्करण, पैकेजिंग आदि +के लिए जरूरी मशीन की खरीद भी की जा रही है। ये क्लस्टर +मयूरभंज, क्‍्योंझर, रायगढ़, सुंदरगढ़ और कोरापुट जिलों में हैं। हाल +ही में जनजातीय समुदाय के लोगों द्वारा कच्चे माल का उत्पादन और +प्रसंस्करण भी शुरू कर दिया गया हे। + +मयूरभंज जिले के तीन क्लस्टरों- लुगूबुरु वीडीवीकेसी, माधारित्री +वीडीवीकेसी और भीमकुंड वीडीवीकेसी में जनजातीय समुदाय के +लोग शाल के पत्ते, शाल के बीज, कुसुम बीज, जंगली शहद जैसे +कच्चे माल से प्लेट, कप, कुसुम बीज और शहद तैयार करेंगे। क्योंझर + +जिले में अंचलिका खंडाधार वीडेवीकेसी में जनजातीय समुदाय के +लोग कच्चे आम, सरसों और हल्दी से आम का पापड॒, आम का +अचार, हल्दी पाउडर और सरसों तेल तैयार करेंगे। बन दुर्गा क्लस्टर +वीडीवीकेसी क्लस्टर में इमली, शाल के बीज आदि से शाल शैंपू, +इमली वाले अलग-अलग उत्पाद तैयार किए जाएंगे। कोरापुट, रायगढ़ +और सुंदरगढ़ जिलों के वीडीवीके क्लस्टरों में भी प्रसंस्करण के जरिये +कई तरह के उत्पाद तैयार किए जाएंगे, जैसे कि इमली से जुड़े उत्पाद, +महुआ का तेल, जैविक चावल, नीम का तेल, नीम केक, गूदे वाली +चिरौंजी और हल्दी पाउडर। + +जनजातीय लोगों के लिए रोजुगार और आय बढ़ाने के मकसद +से ट्राइफेड, जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने कई तरह की पहल +की है, मसलन वन धन जनजाति स्टार्टअप कार्यक्रम। इसका +मकसद जंगलों में रहने वाले जनजातीय लोगों के लिए बन धन केंद्र +स्थापित कर जंगल से जुडे छोटे-छोटे उत्पादों को बेहतर बनाकर +उनकी ब्रांडिंग और मार्कोटिंग करना है। इससे इन लोगों के लिए +आजीविका का इंतजाम हो सकेगा। पिछले 18 महीनों में वन धन +विकास योजना पर तेजी से काम हुआ है और इसमें राज्यों की +एजेंसियों ने भी अहम भूमिका निभाई है। वीडीवीकेसी के रफ्तार +पकड़ने और ओडिशा के इन क्लस्टरों में उत्पादन शुरू होने के +साथ ही, इस कार्यक्रम का फायदा राज्य के जनजातीय समुदाय को +मिलेगा और उन्हें आजीविका का साधन मुहैया कराकर उनके जीवन +को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। + + + + + +0003.txt +<----------------------------------------------------------------------> +I + +nd 6 + +वेबसाइट www.publicationsdivision.nic.in + +Fr + +* स्यास्थ्य एये पर्यावरण + + + + + + + +वरिष्ठ संपादक : कुलश्रेष्ठ कमल +संपादक : डॉ ममता रानी + +संपादकीय कार्यालय +648 , सूचना भवन, सीजीओ परिसर, +लोधी रोड, नयी दिल्‍ली-110 003 + +उत्पादन अधिकारी : के रामालिंगम +आवरण : गजानन पी धोपे + +योजना का लक्ष्य देश के आर्थिक विकास से संबंधित +मुद्दों का सरकारी नीतियों के व्यापक संदर्भ में गहराई +से विश्लेषण कर इन पर विमर्श के लिए एक जीवंत +मंच उपलब्ध कराना है। + +योजना में प्रकाशित लेखों में व्यक्त विचार लेखकों के +अपने और व्यक्तिगत हैं। जरूरी नहीं कि ये लेखक +भारत सरकार के जिन मंत्रालयों, विभागों अथवा +संगठनों से संबद्ध हैं, उनका भी यही दृष्टिकोण हो। + +योजना में प्रकाशित विज्ञापनों की विषयवस्तु के लिए +योजना उत्तरदायी नहीं हैं। + +योजना में प्रकाशित आलेखों में प्रयुक्त मानचित्र व +प्रतीक आधिकारिक नहीं है, बल्कि सांकेतिक हैं। ये +मानचित्र या प्रतीक किसी भी देश का आधिकारिक +प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। + +योजना लेखकों द्वाया आलेखों के साथ अपने +विश्वसनीय स्रोतों से एकत्र कर उपलब्ध कराए +गए आंकडों/तालिकाओं/इन्फोग्राफिक्स के संबंध में +उत्तरदायी नहीं है। + +योजना घर मंगाने, शुल्क में छूट के साथ दरों व प्लान +की विस्तृत जानकारी के लिए पृष्ठ-49 पर देखें। + +योजना की 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+महामारी और गांधीवादी परिप्रेक्ष्य + +डॉ सुचिता कृष्णप्रसाद...................५५५५५५०० 22 + + + + + +(J @DPD_India + +विशेष आलेख + +चिरंतन आरोग्य +ऋजुता दिवेकर......................-५०५००५७ 32 + + + +कोविड-19 और मनोस्वास्थ्य + +डॉ कृष्ण चन्द्र चौधरी .......................... 28 +ई-कबाड प्रबंधन +ऋचा रश्मि...................५०००००००००००३०००००>>>>० 36 + +प्राकृतिक गैस के इस्तेमाल को प्रोत्साहन +डॉ दीपक कोहली ..................५-८५५५५५०७००० 44 + +योजना - सही विकल्प.......................५-- 48 + +हल्के/बिना लक्षण वाले कोविड-19 के +मरीजों के होम आइसोलेशन के संबंध में + + + +संशोधित दिशा-निर्देश.................... कवर-3 +छः +विकास पथ + +वन धन योजना: जनजातीय + +लोगों को आजीविका ............. कवर-2 + +क्या आप जानते हैं? +घरेलू अगरबत्ती उद्योग को सशक्त +बनाने के लिए राष्ट्रीय बांस मिशन + +का एमआईएस मॉड्यूल ................... 21 +पुस्तक चर्चा - योग (सचित्र) ......... 46 + +कण प्रकाशन विभाग के देश भर में स्थित विक्रय केंद्रों की सूची के लिए देखें पू.सं. 20 + + + + + + + + + + + +हिंदी, असमिया, बांग्ला, अंग्रेजी, गुजगती, कन्‍नडु, मलयालम, तमिल, तेलुगु, मराठी, ओडिया, +पंजाबी तथा उर्दू में एक साथ प्रकाशित। + + + +0004.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + + + + +yojanahindi-dpd@gov.in + + + + + +जल है तो कल है + +योजना अप्रैल 2021 “जल जीवन मिशन- +हर घर जल” में पानी के महत्व पर अच्छा +विश्लेषण किया गया है। विश्व की समस्त +सभ्यताएं पानी के किनारे ही फली-फूली +है। पानी एक मूलभूत आवश्यकता है। सभी +नागरिकों को शुद्ध जल मिलना ही चाहिए। +शुद्ध जल का संबंध नागरिकों के स्वास्थ्य से +भी जुड़ा हुआ है। यह दुर्भाग्य की बात हे +कि आबादी का एक बड़ा हिस्सा शुद्ध पेय +जल से वंचित है। यह सौभाग्य की बात हे +कि अब इस ओर तेजी से कार्य हो रहा है। +अधिक से अधिक लोगों की पहुंच शुद्ध नल + +के जल तक हो रही है। +सरकार ने अपनी नीतियों और फैसलों में +जल प्रशासन को महत्व दिया हे। प्रधानमंत्री +कृषि सिंचाई योजना, हर खेत को पानी +अभियान, प्रति बूंद अधिक फसल अभियान, +नमामि गंगे मिशन, जल जीवन मिशन, अटल +भूजल योजना, महत्वपूर्ण योजनाएं हैं। इन +योजनाओं की सफलता पर ही देश का +आर्थिक सामाजिक विकास निर्भर करता है। +इन योजनाओं में स्थानीय समुदाय को +अधिक से अधिक जोड़ा जाए ताकि इन +योजनाओं के क्रियान्वयन पर और इन पर +हो रहे व्यय पर निगरानी रहे और लोगों को + +विकास की अनुभूति हो। +भारत सरकार के जल शक्ति मंत्री श्री +गजेन्द्र सिंह शेखावत ने अपने आलेख में सिर्फ +एक बार इस्तेमाल किया जाने वाले प्लास्टिक +की मात्रा में कमी लाने की बात की है। सिर्फ +एक बार इस्तेमाल किये जाने वाले प्लास्टिक के + +उत्पादन पर प्रतिबंध लगाया ही जाना चाहिए। + +- विश्वनाथ सिंहानिया +जयपुर , राजस्थान + + + +am oe + + + +है आपकी राय डक संरचना + +ह् ने मा कमान, कमा अल + + + + + +मन दा ना के +a + + + + + +संग्रहणीय अंक + +योजना का 'हर घर जल' विशेषांक में +स्वच्छ पेय जल, भूजल का अंधाधुंध दोहन, +जैव अपघटनशील ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, +अवजल प्रबंधन जैसे ज्वलंत मुद्दों पर विचार +किया गया है, इससे यह संग्रहणीय और +दुर्लभ अंक बन गया है। + +सम्पादकीय में जल से संबंधित सभी +मुद्दों पर प्रकाश डाला गया है। आज पूरी +दुनिया में पानी की भारी किल्लत है, अतः +जरूरी है कि प्रत्येक नागरिक को स्वच्छ जल +सहज रूप से उपलब्ध हो। देश के महानगरों +में बोतल बंद पानी का जो रिवाज चल पड़ा +है, हमें इसे रोकना होगा। प्रधानमंत्री ने सभी +घरों को स्वच्छ पेय जल उपलब्ध कराने का +संकल्प लिया है, इस संबंध में उन्होंने कई +योजनाओं की शुरुआत की है। अगस्त 2019 +का जल जीवन मिशन के तहत पाइप लाइनों +के जरिए घरों तक पानी की आपूर्ति प्रारंभ +की गई थी। इसके तहत 2024 तक प्रत्येक +नागरिकों तक पाइप वाले कनेक्शन देने का +लक्ष्य रखा गया है। + +सम्पादकीय में विचारणीय प्रश्न रखा + +गया है, वह यह कि जल ख्रोतों का पुनर्भरण +और अवजल प्रबंधन के जरिए गंदे पानी +को फिर से उपयोग में लाने योग्य बनाना, +जल संरक्षण और रेन हार्वेस्टिंग, जैसे अधिक +वैज्ञानिक उपायों से ही देश को मौजूदा जल +संकट से उबारा जा सकता है। + +“जलवायु संकट और पानी का भविष्य: +भारतीय अनुभव” में सुप्रसिद्ध पर्यावरणविद्‌ +सुनीता नारायण जी ने ग्लोबल वार्मिंग +और इससे पड़ने वाले पर्यावरणीय प्रभाव +(विशेषकर भारतीय कृषि) पर अपने आलेख +में कई महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर अपने विचार +साझा किये हैं। देश में 50 प्रतिशत या इससे +अधिक कृषि मॉनसून (वर्षा) पर आधारित +है। जलवायु संकट का सामना कर रहीं पूरी +दुनिया और विशेष रूप से भारत, हमें जल +प्रणालियों में निवेश बढ़ा कर उन्हें ज्यादा +टिकाऊ बनाना है। बेकार बह रहे पानी का +संग्रहण करने के साथ ही पानी की हर बूंद +का किफायती इस्तेमाल करना होगा। + +- शैलेन्द्र कुमार पांडेय +सुहिया, शाहपुर, +जिला-भोजपुर , बिहार + + + + + +7 + +योजना के आगामी अंक + +~\ + + + + + +जुलाई 2021-'पूर्वोत्तर भारत' +आज ही अपनी प्रति निकटतम पुस्तक विक्रेता +के पास सुरक्षित कराए + +शीघ्र आ रहा है - लोक प्रशासन पर केंद्रित अंक + +\ + + + + + +योजना, जून 2021 + + + +0005.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + +योजना, जून 2021 + + + + + + + + + + + +सर्वे भवन्तु सुखिनः + +भूतपूर्व विपत्ति के इस काल में हमारे चारों ओर कष्ट, वेदना, दुःख, मृत्यु और स्वजुनों के बिछोह की कालिमा + +सतत जीवन-यापन + +प्रमुख आलेख + +बदलनी होगी जीवन-शैली + +सुनीता नारायण + +स्वास्थ्य पर्यावरण के प्रति हमें सचेत करने वाला सूचक है। जीवन-शैली से जुड़े संकटों को दूर रखने के +लिए अपने स्वास्थ्य और पर्यावरण के स्वास्थ्य के बीच सामंजस्य बनाना ही होगा। + +न 2017 में ब्रिटेन की एक मेडिकल पत्रिका - ‘fe +SiS ने भारत के 15 राज्यों में मधुमेह की स्थिति के +बारे में एक अध्ययन प्रकाशित किया। भारतीय चिकित्सा + +अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा वित्तपोषित यह अध्ययन कुछ +डॉक्टरों ने किया था। इसके निष्कर्ष चिंताजनक थे। इसके अनुसार, +(15 राज्यों के आंकड़ों के आधार पर) भारत के 7 प्रतिशत लोग +मथुमेह-ग्रस्त थे। मधुमेह-पूर्व के लक्षणों (प्रारम्भिक संकेतों में बढ़ी हुई +रक्‍त-शकरा वाले) वाले लोग (विभिन्न मानदंडों के अनुसार) तो 10-15 +प्रतिशत थे। किसी विकासशील देश के लिए यह एक बड़ा बोझ था। + +उनके निष्कर्ष के अनुसार हम एक महामारी के दौर में प्रवेश +कर रहे हैं। अधिक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वाले - गुजरात, +महाराष्ट्र, तमिलनाडु और चंडीगढ़ जैसे राज्यों/केद्र-शासित प्रदेशों में, +बिहार और झारखंड जैसे राज्यों की तुलना में यह प्रतिशत अधिक था। +अधिक आमदनी वाले दिल्‍ली और गोवा में अभी नमूने नहीं लिए गये +हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में, शहरी इलाकों की तुलना में मधुमेह का प्रकोप +कम है। लेकिन ज्यादा चिंताजनक निष्कर्ष यह था कि ज्यादा आमदनी +वाले शहरों में, वहां रहने वाले धनवान लोगों की तुलना में, गरीबों में +मथुमेह का प्रतिशत ज्यादा था। दूसरे शब्दों में, समृद्ध शहरों के अमीर +लोगों ने खान-पान की अच्छी आदतें अपना ली हैं। + +लेकिन गरीब लोग अब अस्वास्थ्यप्रद्‌ खान-पान के जाल में +फंसते जा रहे हैं। अध्ययन के अनुसार, गांवों में भी सामाजिक-आर्थिक +दृष्टि से ज्यादा बेहतर हालत वाले लोग मधुमेह की चपेट में आ रहे +हैं। अध्ययन में कहा गया कि “यह महामारी का संक्रमण काल है।'' +इतनी बड़ी संख्या में शहरी गरीबों और गांवों में गरीबी से ऊपर उठ +रहे लोगों में बीमारी के फैलाव से कभी भी स्थिति काबू से बाहर +हो सकती है। अब हम भोजन के अभाव अथवा कुपोषण की बजाय +गलत और अनावश्यक खानपान के दौर में पहुंच रहे हैं। हमें इस +प्रवृत्ति को रोकना ही होगा। + +सच्चाई यह है कि भारत को दोहरी बीमारियों की मार झेलनी +पड़ रही है। हम गरीबों की बीमारियां- कुपोषण से हैजा तक - झेल +रहे हैं। लेकिन हम अमीरों की बीमारियां - जैसे कैंसर और मधुमेह +भी झेल रहे हैं। इससे भी बुरी बात यह है कि, जैसे आईसीएमआर +के अध्ययन से पता चलता है - गरीबों के लिए अमीरों की बीमारियां +झेलना कठिन है लेकिन वे इनसे ग्रस्त हो रहे हैं। + + + +ऐसी स्थिति में बीमारी की रोकथाम की नीति अपनाने की जरूरत +है। हम जानते हैं कि चिकित्साकर्मी इन बीमारियों को असंक्रामक +बीमारियां (एनसीडी) कहते हैं। ये हमारी जीवन-शैली से जुड़ी हैं। हम +क्या खाते हैं? कैसी हवा में सांस लेते हैं? कैसे पर्यावरण में रहते हैं? ये +“विषैले' विकास के घटक हैं। यह विकास का ऐसा मॉडल हे जिसमें +हम पहले प्रदूषण फैलाते हैं और फिर उसे दूर करने की सोचते हैं। यह +ऐसा मॉडल है जिसमें हम अपने भोजन को औद्योगीकृत-रासायनिक +बनाते हैं, अस्वास्थ्यप्रद “जंक' खाते हैं और फिर कसरत करने जिम में +जाने या जैविक तरीके से उपजाया भोजन खाने के बारे में सोचते हें। +लेकिन प्रश्न यह है कि क्या हम इस बदलाव से बच नहीं सकते? कया +हम गरीब और अस्वास्थ्यप्रद जीवन-शैली वाले होने की बजाय अमीर +और स्वास्थ्यप्रद जीवन-शैली वाले नहीं हो सकते? हम ऐसी बीमारियों +वाली जीवन-शैली क्‍यों अपनाएं जिससे हम आसानी से बच सकते हैं? +इसीलिए बदलाव आवश्यक हो जाता है। यहीं हमें अपने स्वास्थ्य +और पर्यावरण के स्वास्थ्य के बीच महत्वपूर्ण कड़ी को जोड़ना है। +हमारी नदियों की मौत के साथ हमें प्रदूषित पानी नजर आ रहा है। +यही पानी देश में बच्चों की मृत्यु के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार है। +आज घरों में स्वच्छ ईंधन न होने से महिलाओं को लकडी-उपलों के +धुएं में खाना बनाना पड़ता है जिससे सांस की बीमारियां होती हैं। इसी +धुएं से जो प्रदूषण फैलता है वह हमारे वातावरण में हवा को जहरीली +बना रहा है। इस तरह, स्वास्थ्य पर्यावरण की स्थिति का सूचक है। +v7 ‘ + + + + + + + +लेखिका सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की महानिदेशक हैं। ईमेल: 5प्रगा४६&०8॥1018.0०8 + +6 + +योजना, जून 2021 + + + +0007.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +Ps . 7 ४ a 2 in ry + +इसी स्थिति को देखते हुए, संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2030 तक के +लिए जो सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) रखे हैं, उनके केद्र में बच्चों +को रखा जाना चाहिए। इनमें से हर लक्ष्य बच्चों और उनके स्वास्थ्य +से जुड़ा है और इस तरह हर लक्ष्य इस धरती के स्वास्थ्य से जुड़ा +है। सतत विकास लक्ष्यों के इस मानवीय चहरे से ही हमारी प्रगति +परिभाषित होनी चाहिए। लेकिन अब भी हम बहुत कम ही इन बातों +को जोड़ कर देख पा रहे हैं। + +कई वर्ष के विचार-विमर्श के बाद, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने +सतत विकास लक्ष्यों की राह में इन चार प्रमुख खतरों की पहचान की +है - शराब और तंबाकू का सेवन तथा पोषक आहार और शारीरिक +व्यायाम का अभाव। अब हमें ज्यादा नमक, चीनी और चर्बी वाले +तथा कम पोषक तत्वों वाली खाद्य-सामग्री पर रोक लगाने के लिए +कडी कार्रवाई करनी होगी। + +हम यह भी जानते हैं कि अर्थव्यवस्थाओं का निर्माण ही विषैले +पदार्थों की बुनियाद पर होता है। जितने ज्यादा आप धनवान होते हें, +स्वास्थ्य सेवाओं पर उतना ही ज्यादा बोझ पड़ता है और इन सेवाओं +की कीमत उतनी ही बढ़ती जाती है। याद रखें कि गरीबों की बीमारियों +का उपचार हमेशा सरल और सस्ता होता है। उदाहरण के लिए, हैजा +पानी में रोगाणुओं की वजह से होता है और पानी को इनसे मुक्त करना +आसान है। दूसरी ओर, कैंसर भी उसी पानी में कुछ रसायनों की थोड़ी +सी मात्रा की वजह से हो सकता है लेकिन इनसे पानी को मुक्त करना +काफी महंगा है। +इसी तरह, जलवायु परिवर्तन, जो जीवन- + + + +अच्छी बात यह है कि पर्यावरण के प्रति हमें सचेत करने वाला +एकमात्र सूचक भी हमारा स्वास्थ्य ही है। हम पर्यावरण को बेहतर +बनाने के लिए तब खडे होंगे जब हमें पता चलेगा कि इसके बिगड़ने +का असर सीधे हम पर पड़ रहा है। उदाहरण के लिए, अब दिल्‍ली +में वायु प्रदूषण के खिलाफ जन-चेतना बढ़ी है। ऐसा इसलिए हुआ है +कि जब प्रदूषण के बेकाबू हो जाने से जाड़ों में सार्वजनिक स्वास्थ्य +की स्थिति बेहद खराब हो जाती है, और तब हवा में विषैले तत्वों और +हमारे शरीर का संबंध लोगों को समझ में आने लगता है। लोग बदलाव +इसलिए चाहने लगते हैं क्योंकि उन्हें उनके स्वास्थ्य और पर्यावरण के +बीच संबंध समझ में आने लगता है। प्रदूषण की यह समझ महत्वपूर्ण भी +है और उस स्थिति से भिन्न भी है जब कीटनाशकों के घुलने से हमारा +पानी प्रदूषित होता है। अपने स्वास्थ्य से इस प्रदूषण का संबंध समझना +लोगों के लिए. थोड़ा कठिन होता है। इसी तरह, जल प्रदूषण की तुलना +में, सूखती-प्रदूषित होती नदियों का अपने घर के नल के पानी से संबंध +को समझना हमारे लिए ज्यादा कठिन होता है। अगर हमें थोड़ा समझ +आता भी है तो हमारे पास तो घर में वाटर फिल्टर लगा लेना अथवा +बाजार से पीने के पानी की बोतलें खरीदने का विकल्प होता है। + +लेकिन वायु प्रदूषण समाज के सभी वर्गों को एक ही स्तर पर +ले आता है। अपने घरों में एयर प्यूरिफायर लगा लेने के बावजूद, +दिल्‍ली और अन्य शहरों के अमीर लोग प्रदूषित हवा से बच नहीं +सकते। साथ ही, वायु को प्रदूषित करने वाले कारकों का स्वरूप +इतनी तेजी से बदल रहा है कि हमारे घरों + +शैली से जुड़ी सबसे भीषण आपदा है, औआ भारत को दोहरी बीमारियों की के एयर प्यूरिफायर इन मारक प्रदूषकों का +स्वास्थ्य को सतत विकास लक्ष्यों से जोड़ना मार झेलनी पड़ रही है। हम मुकाबला करने के लिए इतनी तेजी से बदले +अब बहुत जरूरी हो गया है। शहरों में रह गरीबों की बीमारियां रि कुपोषण से नहीं जा सकते। + +रहे लोग अब जानने लगे हैं कि मौसमों में... मा कर wat इसलिए, हमें बदलाव लाना ही होगा। +बदलाव की वजह से संक्रामक रोग बढ़ने लगे हैजा तक झेल रहे हैं। लेकिन हम अगर वायु प्रदूषण कम करने के लिए हमें +हैं। मौसमों में गर्मी और सर्दी बढ़ने से गरीबों अमीरों की बीमारियां-जैसे कैंसर अपनी डीजल वाली कार को छोड कर + +पर ज्यादा मार पड़ती है। + +लेकिन, इसके लिए मात्र विश्व स्वास्थ्य +संगठन के निर्देशों की जुरूरत नहीं है। हमारी +संस्थाओं को इस सच्चाई को समझना होगा। + +और मधुमेह भी झेल रहे हैं। इससे +भी बुरी बात यह है कि, जैसे +आईसीएमआर के अध्ययन से पता + +किफायती और सुविधाजनक बस या मेट्रो में +जाना पडेगा तो हम ऐसा करेंगे। क्योंकि यह +हमारे हित में है। हम अपना व्यवहार इसलिए +नहीं बदलेंगे कि वह इस धरती के हित में है, + +खराब पर्यावरण - यानी वायु तथा जल जलता है-गरीबों के लिए अमीरों बल्कि इसलिए बदलेंगे कि यह हमारे भी हित +प्रदूषण, कूड़े के ढेर और खाद्य-सामग्री में की बीमारियां झेलना कठिन है में है। अच्छी बात यह है कि जो हमारे हित +विषैले तत्वों का होना - और स्वास्थ्य के बीच. लेकिन वे इनसे ग्रस्त हो रहे हैं। में है, वह धरती के हित में भी है। यह सब +संबंध एकदम स्पष्ट है और इसका समाधान -_- ;उ:ः के हित में है। = +योजना, जून 2021 7 + + + +0008.txt +<----------------------------------------------------------------------> +पर्यावरण +प्रकृति ओर मानवता के बीच संबंध +बाल्मीकि प्रसाद सिंह + +हजारों सालों से मानवता प्रकृति के साथ समरसतापूर्ण तरीके से रहती आई है। लेकिन आज प्रकृति और +विश्व शांति दोनों ही खतरे में है जिसने मानव सभ्यता को भी खतरे में डाल दिया है। हमें पारिस्थितिकीय +सभ्यता के निर्माण की ओर बढ़ना होगा और शांतिपूर्ण जीवन तथा समावेशी विकास के साथ-साथ प्रकृति +का पूरा सम्मान करना होगा। + +श्विक महामारी, संघर्ष और +प्राकृतक आपदा के बीच पूरा +विश्व अवसाद से गुजर रहा है। + +उत्तराखंड का चमोली जिला जो चिपको +आंदोलन के लिए प्रसिद्ध है, यहां हाल ही में +हमने प्राकृतिक आपदा को देखा। प्राकृतिक +चेतावनियों से यह स्पष्ट है कि प्रकृति के +साथ मानवता के पुराने मैत्रीपूर्ण संबंधों में +दरार आ गई है। + +औद्योगिक क्रांति की लहर के कारण +पृथ्वी की पारिस्थितिकी और इंसानों के +पर्यावरण के साथ संबंधों में एक नया और +उल्लेखनीय मोड आया। करीब पांच हजार +वर्ष पहले हुए कृषि क्रांति ने समाज को +भोजन और स्थायित्व प्रदान किया था। पहली +औद्योगिक क्रांति 250 साल पहले हुई थी +जो मुख्यतया कोयले और भाप के साथ हुई +थी; दूसरी औद्योगिक क्रांति बिजली और तेल +के साथ; तथा तीसरी कम्प्यूटर और सहायक +सामग्रियों (एक्सेसरीज) के साथ; और अब +चौथी औद्योगिक क्रांति में भौतिक, डिजिटल +और तकनीकी दुनिया में प्रौद्योगिकी का +सम्मिश्रण है। 20वीं शताब्दी के दौरान परमाणु +बमों के विस्फोट के साथ मानवता ने नये युग +में प्रवेश किया। हमने स्वयं को विनाश करने +की शक्ति पा ली यह सुनिश्चित किये बिना +कि हम ऐसा होने से रोक सकते थे। + + + +लेखक सिक्किम के पूर्व राज्यपाल हैं। वे भारत सरकार +में पूर्व सांस्कृतिक सचिव तथा गृह सचिव तथा वर्ल्ड +बैंक, वाशिंगटन डीसी में कार्यकारी निदेशक और राजदूत +भी रह चुके zl ईमेल: bpsias@gmail.com + + + +8 + + + +0009.txt +<----------------------------------------------------------------------> +एक ऐसी दुनिया की कल्पना करना भी +मुश्किल है जहां देश शक्ति और प्रभुत्व के +लिए _ प्रतिस्पर्धा नहीं करेंगे। मेरे हिसाब से +21वीं शताब्दी में भविष्य की शांति और +सौहाद्र वर्तमान जीवन की कुछ मौलिक +वास्तविकताओं से संबंधित है : (1) +पारिस्थितिकी, ग्लोबल वार्मिंग (भूमंडलीय +तापक्रम वृद्धि) और जलवायु परिवर्तन (2) +नाभिकीय अस्त्र, युद्ध के लिए. नयी तकनीक +और राष्ट्रों के बीच हथियारों की स्पर्धा +(3) भूराजनीति और राष्ट्रवाद (4) धार्मिक +चरमपंथ और (5) गरीबी तथा असमानता। + +विस्तृत औद्योगिकीकरण, कारखानों के +प्रसार, सड़कों के निर्माण के लिए जंगलों के +कटाव, विशाल बांधों और विद्युत उत्पादन + +गृह के निर्माण के लिए नदियों को रोकने, +यातायात के साधनों की गतिविधियों और +लोगों के पलायन ने पारिस्थितिकी में गंभीर +गड़बड़ी पैदा की है। जिसके फलस्वरूप +पर्यावरण परिवर्तन और भूमंडलीय ताप में +वृद्धि को नकारा नहीं जा सकता है। पर्यावरण +परिवर्तन और भूमंडलीय ताप में वृद्धि के +संदर्भ में विशेषज्ञों ने भविष्यवाणी की है +कि इसके कारण कई विनाशकारी परिणाम +होंगे जिसमें विश्व भर के अरबों लोगों का +विस्थापन भी शामिल है। + +आज प्रकृति और विश्व शांति दोनों ही +खतरे में हैं। इन सारे विकास ने भू-राजनीति +के साथ मिलकर मानवता को खतरे में डाल +दिया है और हमें यह नहीं पता कि वर्तमान + +21वीं शताब्दी में भविष्य की शांति + + + +saw em ada stat at +. कुछ मौलिक वास्तविकताओं से + +संबंधित है : (1) पारिस्थितिकी , +ग्लोबल वार्मिंग ( भूमंडलीय +तापक्रम वृद्धि) और जलवायु +परिवर्तन ( 2) नाभिकीय अस्त्र, +युद्ध के लिए नयी तकनीक और +राष्ट्रों के बीच हथियारों की स्पर्धा +(3 ) भूराजनीति और राष्ट्वाद +(4) धार्मिक चरमपंथ और (5) +गरीबी तथा असम्मज्ञता। + +—_——_- अं» + + + +योजना, जून 2021 + +owe ONS + +की संकटमय परिस्थिति के आत्मघाती तरीकों +से कैसे उबरा जाए। इसे त्रिस्तरीय दृष्टिकोण +से बढ़ाने की जरूरत है : (1) प्रकृति (2) +विज्ञान (3) बुद्धिमत्ता। +प्रकृति + +आज मानव अस्तित्व को ग्लोबल +वार्मिग और जलवायु परिवर्तन से खतरा +हो रहा है और इसमें इतनी क्षमता है कि +दुनिया के विभिन्‍न हिस्सों के अरबों लोगों +के जीवन और निवास स्थान को नुकसान +पहुंचा सकता है। पारिस्थितिकी संरक्षण +की चुनौतियों की भयावहता और जलवायु +परिवर्तन दहला देने वाला है और अब इस +बात की आवश्यकता है कि हमारी सोच +और व्यवहार में बदलाव लाया जाए। इस +मुद्दे का केंद्र बिंदु यह है कि हम हमारी +सभ्यता की प्रक्रिया के संरक्षण के लिए +किस प्रकार नये और संवेदनशील निर्माण +की ओर बढ सकते हैं। + +इस संदर्भ में हाल की पांच घटनाओं +को उल्लेख किया जा सकता है : (1) वर्ष +2019 में ब्राजील और ऑस्ट्रेलिया के जंगलों +में लगी आग (2) विलुप्त होती प्रजातियां +(3) वर्ष 2002-03 में हांगकांग में सार्स +(सीवियर एक्यूट रेस्पीरेटरी सिंड्रोम) महामारी +(4) कैलीफोर्निया के जंगलों में लगी आग +(5) वर्ष 2020 में कोविड-19 महामारी। + +ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में लगी व्यापक +आग को बुझाना काफी कठिन था। इस आग +से 6.3 मिलियन हेक्टेयर से भी ज्यादा क्षेत्र +प्रभावित हुआ था। वर्ष 2019 में एमोजोन +के वर्षा जंगलों ने आग की भीषणता को +देखा था। + +यह वर्णित किया जा सकता है कि +बड़ी संख्या में प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं। +पुनर्गणना के लिए सिर्फ वर्ष 2019 में ही +हमने पक्षियों की तीन प्रजातियां, दो मेंढकों +की, एक शार्क की, एक घोंघा और एक +प्रसिद्ध स्वच्छ जल मछली को विलुप्त घोषित +किया गया था। + +वर्ष 2002 -03 में हांगकांग में सार्स के +प्रकाप के कारण लगभग 800 लोगों की मृत्यु +हो गई थी, और इसे विश्व स्तर पर महामारी +घोषित किया गया था। + +हम कोरोना वायरस की महामारी +कोविड-19 का सामना कर रहे हैं, जिसने +पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले रखा है, + +9 + + + +0010.txt +<----------------------------------------------------------------------> +और इसने यात्रा और व्यापार पर प्रतिकूल +रूप से असर डाला है, जिसका परिणाम +यह हुआ कि विश्व स्तर पर मंदी आ गई, +यहां तक कि अर्थव्यवस्था में भी मंदी आ +गई। इन सबका परिणाम यह हुआ कि निम्न +और मध्यम आय वर्ग के लोगों को काफी +नुकसान का सामना करना पड़ रहा है, साथ +at feet मजदूरी करने वालों के लिए +जीविका का साधन जुटाना बड़ी चुनौती +बन गया। + +वर्ष 2020 में कैलिफोर्निया के जंगलों +में लगी आग में करीब एक सौ मिलियन +एकड़ जमीन जल गई थी। यह आग बडी +संख्या में लोगों के पलायन और मृत्यु का +कारण बनी थी। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति +डोनल्ड ट्रंप को इसकी अनदेखी के लिए +बड़ी आलोचना का सामना करना पडा था। +उन्होंने इसे जलवायु परिवर्तन से जोड़कर न +देखकर सिर्फ वन प्रबंधन से जोड़कर देखा। +पहले अमेरिका ने जलवायु परिवर्तन समझौता +जो पेरिस समझौते के नाम से विख्यात है, से +स्वयं को बाहर कर लिया था। खेर! राष्ट्रपति +बाइडेन ने उस निर्णय को बदला और उन्होंने +चार वर्षों में दो ट्रेलियन डॉलर खर्च करने +का वादा किया ताकि स्वच्छ ऊर्जा के प्रयोग +को बढ़ाया जाए और अंततः तेल, गैस और +कोयले के प्रज्ज्वलल को हटाया जाए। ये +पांचों घटनाएं हमें यह संकेत देती हैं कि +अगर पारिस्थितिकी संबंधी समस्याओं को +शीघ्रता से नहीं सुलझाया गया तो विश्व को +स्वयं को बर्बाद करने के लिए विश्व युद्ध +की आवश्यकता नहीं होगी। + +10 + +विज्ञान + +20वीं शताब्दी के अंतिम दशक में +पश्चिमी और विकासशील देशों में समाज +का ध्यान विज्ञान और तकनीकी में केंद्रित +हो गया। इसने धन, राजनैतिक सहयोग और +जन समर्थन के आधार पर प्रमुखता दी, इसने +अर्थव्यवस्था को बड़े पैमाने पर प्रभावित किया +जो उद्योगों और सेवाओं पर आधारित है। वर्तमान +समय में प्रौद्योगिकी व्यापक और शक्तिशाली +होती जा रही है, और यह आने वाले दशकों +में भी जारी रहेगी। सूचना और संचार क्रांति +बड़ी ही शीघ्रता से हमारे सम्प्रेषण की शैली +को परिवर्तित करती जा रही है। इसने उत्पादों, +सांस्कृतिक मूल्यों और सूचना के वैश्वीकरण + +वर्तमान समय में प्रौद्योगिकी +व्यापक और शक्तिशाली होती +जा रही है, और यह आने वाले +दश्णकों में भी जारी रहेगी। सूचना +और संचार क्रांति बड़ी ही शाीघ्रता +से हमारे सम्प्रेषण की शैली को +परिवर्तित करती जा रही है। इसने +उत्पादों, सांस्कृतिक मूल्यों और +सूचना के वैश्वीकरण को प्रेरित +'किया। यह बाजार और व्यापार को +एकीकृत कर रही है। लेकिन इस +परिदृश्य में पर्यावरण और प्रकृति +का क्‍या हो रहा है, यह एक +बड़ी चिंता का विषय है। + + + + + +$3 + +को प्रेरित किया। यह बाजार और व्यापार को +एकीकृत कर रही है। लेकिन इस परिदृश्य में +पर्यावरण और प्रकृति का क्‍या हो रहा है, यह +एक बड़ी चिंता का विषय है। + +अत्यधिक लालसा, दोषपूर्ण योजनाएं, +असंवेदनशील राजनीति और कल्पना के +अभाव में हमने भयप्रद स्थिति को निमंत्रण +दिया है। मूल्य-विहीन तकनीकी ने नीचे की +ओर जाते मार्ग की गति को और भी तीब्र कर +दिया है। जलवायु परिवर्तन और भूमंडलीय +तापक्रम वृद्धि गंभीर समस्या उत्पन्न कर रहे +हैं। सबसे बड़ा प्रदूषक कार्बन डाइऑक्साइड +का उत्सर्जन है। इसे तीव्र गति से बदलने +के लिए हमें बाजार की शर्तों को बदलना +होगा। यह लाभ के सिद्धांत पर आधारित है। +इस बदलाव से तात्पर्य बाजार में लेन-देन +की आम प्रक्रिया का अस्वीकरण है ताकि +मानवीय सरोकार लंबे समय तक चले। क्‍या +हम इस प्रमुख बदलाव के लिए तैयार हैं? +और अब बुद्धिमत्ता की बारी आती है। +बुद्धिमत्ता + +केंब्रिज एडवांस लर्नर्स डिक्शनरी में +विसडम (बुद्धिमत्ता) को - बेहतर निर्णय +और न्याय के लिए व्यक्ति के ज्ञान और +अनुभव के प्रयोग की क्षमता के रूप में +परिभाषित किया गया है। बुद्धिमत्ता अनुभव +से उत्पन्न एक चीज है, और इसका प्रतिबिंब +न सिर्फ वर्तमान पीढ़ी में दिखता है बल्कि +देश के साथ विश्व भर की सभ्यता की +प्रक्रिया में भी दिखता है। बुद्धिमत्ता लोगों +को इस बात के लिए सक्षम बनाती है कि +वे धरती को ध्यान में रखते हुए विकास + +योजना, जून 2021 + + + +0011.txt +<----------------------------------------------------------------------> +और वैज्ञानिक खोजों के परस्पर विरोधी +दावों के संतुलन के संदर्भ में चुनौतियों +का सामना कर सकें। इंसान पर्यावरण को +बर्बाद कर सकता है, साथ ही साथ अपनी +संकीर्ण इच्छाओं से ऊपर उठ कर, तकनीकी +का प्रयोग कर, पौधा और विभिन्‍न प्रजातियों +के विनाश की प्रक्रिया को पलट सकता है, +तथा कार्बन के उत्सर्ज. को भी कम कर +सकता है। + +वर्तमान परिस्थिति में अगर हम अपनी +बुद्धिमत्ता का सही प्रयोग नहीं करते हें तो +प्रकृति का नुकसान होगा और आने वाली +पीढ़ी हमारी असफलता के लिए हमें दोष +देगी। हमें वैदिक नीतिवचन “माता भूमि: पुत्रो +अहं पृथिव्या:' (पृथ्वी हमारी माता और हम +उसकी संतान हैं) को अपने दिमाग में रखना +पड़ेगा। + +यह संतोषप्रद है कि 12 दिसंबर 2015 +को विश्व पर्यावरण समझौता विश्व के 195 +देशों तक पहुंचा। पेरिस समझौता, जैसा कि +यह जाना जाता है, इसने देशों को इस बात के +लिए वचनबद्ध किया है कि वे ऐसी कार्रवाई +और नीतियां बनाए जिससे कि वर्ष 2100 तक +वेश्विक तापमान 2 डिग्री सेल्सियस (3.6 +डिग्री फेरेन्हाइट) नीचे आ जाए। उन्हें यह +कोशिश करनी चाहिये कि ग्लोबलवार्मिंग 1.5 +डिग्री सेल्सियस से भी कम हो जाए। समझौते +में यह स्वीकार किया गया कि वर्तमान समय +में ग्रीनहाऊस गैस की समस्या का सबसे बड़ा +कारण औद्योगिक क्रांति और कोयला और +पेट्रोलियम में लगी आग है। और यूरोप और +उत्तरी अमेरीका के देश जो इस प्रक्रिया से +अमीर होते गए हैं, उनकी विकासशील देशों +के प्रति यह जिम्मेदारी बनती है कि उनका +भी यथोचित स्तर तक आर्थिक विकास हो +लेकिन जीवश्म ईंधन का प्रयोग कम हो। 19 + + + +योजना, जून 2021 + + + +~ + + + + + + + +से पेरिस समझौते में पुनः शामिल हो गया। +आगे की राह + +कोविड के बाद की दुनिया एक अलग +ही दुनिया होगी। इसने यह स्पष्ट कर दिया +कि हम सभी एक दूसरे पर आश्रित हैं और +हमें आर्थिक लाभ के साथ ही साथ विज्ञान +के नतीजों पर भी साथ मिलकर काम करना +होगा, धर्म, सम्प्रदाय आर्थिक और सांस्कृतिक +मतभेद के बिना। हमें प्रकृति के लिए आशा, +हिम्मत और आदर उत्पन्न करना होगा। हमें +विज्ञान और इंसानी सूझबूझ का प्रयोग दृढ़ +संकल्प के साथ करना होगा ताकि वर्तमान +में फैली मायूसी से उबरा जा सके। अगर +विज्ञान, आध्यात्मिकता और बुद्धिमत्ता हाथ से +हाथ मिला कर चलें तो इस पृथ्वी पर बेहतर +दुनिया का निर्माण किया जा सकता है। महात्मा +गांधी ने कहा था - “पृथ्वी इंसानों की जरूरतें +तो पर्याप्त रूप से पूरी कर सकती है लेकिन +उसके लालच को नहीं” यह कोविड के बाद +की दुनिया का सिद्धांत होगा कि हमें एक +दूरदर्शी नेतृत्व और शासन प्रणाली के लिए +सक्षम संस्थानों की आवश्यकता होगी। + +अब यह अनिवार्य आवश्यकता हो गई +है कि पारिस्थितिकीय सभ्यता के निर्माण की + +दिशा में काम हो जो प्रकृति के साथ सौहार्द्र + +के साथ जीने के तरीकों की रूपरेखा भी हो। + +कोविड-19 ने ना सिर्फ आधारभूत +चिकित्सा सेवा की कमी को उजागर किया +है बल्कि इसने पारिस्थितिकी को हुए नुकसान +को भी बताया है। चलें सब साथ मिलकर +ऐसी बुद्धिमत्ता विकसित करते हैं जो युवा वर्ग +को ना सिर्फ अपने बारे में बल्कि एक-दूसरे +के बारे में सोचने के लिए तैयार करे। ऐसे +वातावरण का निर्माण करें जिसमें नेतिक +मूल्यों जैसे ईमानदारी, परिश्रम, उत्तरदायित्व, +और हमारे कार्यो का प्रभुत्व हो। चलिये ऐसे +विश्व के निर्माण की ओर बढ़ते हैं, जिसमें +सभी को शिक्षा का अवसर मिले और सभी +लोग पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक हों +और भविष्य में होनेवाली महामारियों को हरा +सकें। यह सब तभी संभव है जब हम साथ +मिलकर काम करें। + +मैं बहुधा दृष्टिकोण को मानता हूं जो +ऋग्वेद में हमारे लिए वर्णित नीतिवचन पर +आधारित है। यह प्रगट करता है - एकम सत +विप्रा बहुधा वर्दोति। + +वास्तविकता एक है, विद्वानों ने इसे +विविध रूपों में बताया है। + +यह विभिन्‍न धर्मों, संस्कृतियों, के बीच +बातचीत का अवसर तथा जीने का मार्ग भी +प्रदान करता है। यह जीवन और प्रकृति की +विविधता और इसके सामंजस्य के प्रति श्रद्धा +उत्पन्न करती है। मैंने यह पाया है कि धर्म +और आध्यात्मिक मूल्य में इतनी क्षमता है कि +वे सामाजिक एकजुयता में विश्वास बनाने में +बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। हमें वर्तमान की +अनिश्चितता से हटकर पारिस्थितिकी संस्कृति +के निर्माण तथा शंतिपूर्ण जीवन तथा समावेशी +विकास और प्रकृति के सम्मान की ओर आगे +बढ़ना होगा। हा + +11 + + + +0012.txt +<----------------------------------------------------------------------> +नीति और व्यवहार + +डॉ सुभाष शर्मा + +भारत समेत तमाम विकासशील देशों को सबके लिए स्वास्थ्य' का लक्ष्य प्राथमिकता सूची में सबसे ऊपर +रखने की जरूरत है। यह न सिर्फ मानव संसाधन का विकास सुनिश्चित करता है, बल्कि हमारी आगामी +पीढ़ियों के लिए भी इसका काफी महत्व है। विकासशील देशों को अपने सकल घरेलू उत्पाद ( जीडीपी ) में +स्वास्थ्य बजट का हिस्सा बढ़ाना होगा। साथ ही, स्वास्थ्य पर प्रति व्यक्ति कुल खर्च में सरकारी खर्च की + +हिस्सेदारी को भी बढ़ाने की आवश्यकता है। + +मं युक्त राष्ट ने 198 के अल्मा आटा (अब अल्माटी) + +घोषणा पत्र में सभी के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं +का प्रारूप पेश किया था। सबके लिए स्वास्थ्य सुविधाओं + +को लेकर पहली बार इस तरह की पहल की गई थी। इसका मकसद +स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में समानता को बढ़ावा देना और सभी +समुदायों की स्वास्थ्य जरूरतों को पूरा करना था। विश्व स्वास्थ्य संगठन +(डब्ल्यूएचओ) के संविधान के मुताबिक, सभी के लिए स्वास्थ्य +सुविधा के संदर्भ में बेहतर स्वास्थ्य, जीवन स्तर, मेडिकल संबंधी + + + +पहलू उल्लेखनीय हैं। इसके अलावा, यूडीएचआर (मानवाधिकारों की +सार्वभौम घोषणा) के अनुच्छेद 3 में साफ तौर पर सभी को जीवन, +स्वतंत्रता और सुरक्षा का अधिकार होने की बात कही गई है। जाहिर +तौर पर, जीवन के अधिकार के तहत भोजन और स्वास्थ्य का अधिकार +(सुप्रीम कोर्ट की व्याख्या के मुताबिक) भी शामिल है। लिहाजा, 1978 +का अल्मा आटा घोषणा पत्र यूडीएचआर और विश्व स्वास्थ्य संगठन +के संविधान को ध्यान में रखकर बनाया गया गया था। दरअसल, +कजाकिस्तान के अल्मा आटा (अब अल्माटी) शहर में “प्राथमिक +स्वास्थ्य सुविधा' पर हुए इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में सभी देशों की + +कं] +हम + +eT + +eae + + + +लेखक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी हैं। ईमेल: 5प्रछा84फछेएबा००.००ा + +12 + +योजना, जून 2021 + + + +0013.txt +<----------------------------------------------------------------------> +सरकारों, स्वास्थ्यकर्मियों आदि की तरफ से तत्काल कार्रवाई की जरूरत + +बताई गई थी। घोषणा पत्र में यह भी कहा गया था कि दुनिया के सभी + +लोगों की सेहत की सुरक्षा के लिए भी विश्व समुदाय को कार्रवाई +करनी चाहिए। + +उदारीकरण और निजीकरण - स्वास्थ्य पर असर +विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2005 और 2011 में भी सभी के लिए + +स्वास्थ्य का नारा बुलंद किया। हालांकि, इसने 'सार्वभौमिक प्रणाली' + +का भी इस्तेमाल किया, जिसमें स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए वित्तीय +योगदान के पूर्व भुगतान का मामला भी शामिल था। इसका मकसद + +लोगों के जोखिम को साझा करना था। उदारीकरण और निजीकरण व + +खास तौर पर विश्व बैंक के प्रभाव में ऐसा किया गया। लोगों के हितों + +को ध्यान में रखते हुए दिसंबर 2012 में संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव में इस +एजेंडे पर और जोर दिया गया और इसे 2015 के बाद के विकास के +एजेंडे में शामिल किया गया। बहरहाल, विश्व बैंक ने अपनी विश्व +विकास रिपोर्ट (1993) में स्वास्थ्य सुविधा संबंधी उपायों की रैंकिंग +“लागत प्रभावशीलता” के आधार पर की। विश्व बैंक के कम आय +वाले देशों से जुड़े न्यूनतम स्वास्थ्य पैकेज के आधार अनुमानित एक +तिहाई बीमारियों से लड़ने पर विचार किया गया। हालांकि, कम आय +वाले देशों में कई आम बीमारियों (चोट, मधुमेह, मोतियाबिंद, रक्तचाप, +मानसिक बीमारी और बच्चेदानी का कैंसर) को सार्वजनिक फंडिंग +के दायरे से बाहर रखा गया। सबसे गरीब माने जाने वाले 37 देशों में + +1980 के दशक के दोरान 'ढांचागत बदलाव' या आर्थिक सुधार होने से + +इन देशों में स्वास्थ्य पर प्रति व्यक्ति सरकारी खर्च में 50 प्रतिशत तक + +गिरावट देखने को मिली। मैक्सिको में यह 60 प्रतिशत तक घट गया। +इसका असर कुछ इस तरह रहा; + +1. चूंकि सरकारें विकास संबंधी गतिविधियों से अलग हो गईं, लिहाजा +स्वास्थ्य और संबंधित अन्य क्षेत्रों (शिक्षा, वंचित समुदायों के कल्याण +आदि) में सरकारी निवेश में जबरदस्त गिरावट देखने को मिली; + +2. इससे सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों की +काफी कमी हो गई और मरीजों को निजी क्लीनिकों में जाने को +मजबूर होना पड़ा; + +3, सरकारी अस्पतालों में मेडिकल उपकरण, दवाएं और जांच सुविधाएं +भी कम हो गईं और इन अस्पतालों में मरीजों को दवा खरीदने +के लिए बाहर जाना पड़ा। साथ ही, उन्हें स्वास्थ्य जांच संबंधी +गतिविधियों के लिए भी खुले बाजार में जाना पड़ा और इसके +लिए ज्यादा पैसे चुकाने को मजबूर होना पड़ा; + +4. निजी डॉक्टर न सिर्फ फीस के तौर पर मोटी रकम लेने लगे, +बल्कि महंगी और गैर-जरूरी दवाएं भी लिखने लगे और ऐसे +जांच भी कराने लगे जिन्हें कराए बगैर भी काम चल सकता था; + +5. सरकार के नियामकीय तंत्र की ढिलाई को वजह से, सरकारी +डॉक्टर और संबंधित अन्य स्वास्थ्यकर्मी भी ज्यादा वक्‍त अपने +निजी क्लीनिकों को देने लगें; + +6. भोजन, स्वच्छता संबंधी सब्सिडी खत्म किए जाने से संक्रामक +और गैर-संक्रामक बीमारियों में बढ़ोती हुई और इसके +परिणामस्वरूप बीमारी के लंबा खिंचने और मौत के आंकड़े भी बढ़े; + +7. मुक्त बाजार (अदृश्य हाथ”) की अवधारणा “निजी देखभाल' पर +आधारित थी और “प्राइवेट/निजी' को बेहतर माना गया। हालांकि, + +योजना, जून 2021 + +सारणी 1: जीडीपी में स्वास्थ्य पर खर्च का हिस्सा +( प्रतिशत में ) ( 2018 ) + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +कस देश जीडीपी में स्वास्थ्य पर खर्च +का हिस्सा ( प्रतिशत में ) + +1. अमेरिका 16.9 प्रतिशत +2, स्विट्जरलैंड 12.2 प्रतिशत +3, जर्मनी 11.2 प्रतिशत +4, फ्रांस 11.2 प्रतिशत +5. क्यूबा 11.19 प्रतिशत +6. | स्वीडन 11.0 प्रतिशत +7. जापान 10.9 प्रतिशत +8. | कनाडा 10.7 प्रतिशत +lo, | डेनमाक 10.5 प्रतिशत +10. बेल्जियम 10.4 प्रतिशत +11. ऑस्ट्रिया 10.3 प्रतिशत +12. नॉर्वे 10.2 प्रतिशत +13, | नौदरलैंड्स 9.9 प्रतिशत +14, ब्रिटेन 9.8 प्रतिशत +15. ऑस्ट्रेलिया 9.3 प्रतिशत +16. ब्राजील 9.2 प्रतिशत +17. चिली 8.9 प्रतिशत +18. दक्षिण अफ्रीका 8.1 प्रतिशत +19, इजरायल 7.5 प्रतिशत +20. हंगरी 6.6 प्रतिशत +21... | मैक्सिको 5.5 प्रतिशत +22, रूसी फेडरेशन 5.3 प्रतिशत +23, चीन 5.0 प्रतिशत +24, भारत 1.26 प्रतिशत +25, बांग्लादेश 3.0 प्रतिशत+ +26. पाकिस्तान 3.0 प्रतिशत+ + + + + + + + + + +ज्यादातर विकासशील देशों में स्वास्थ्य सेवा और स्थानीय लोगों + +के लिए बराबरी और बेहतरी की दिशा में कोई सुधार नहीं हुआ, + +जबकि निजी बीमा कंपनियों, सलाहकार कंपनियों, निजी दवा + +कंपनियों और निजी अस्पतालों ने मुनाफा कमाया। + +आजकल, ज्यादातर विकसित और विकासशील देशों में +सार्वजनिक-निजी साझेदारी, आधुनिकीकरण, बेहतर स्वास्थ्य बीमा जैसे +शब्द प्रचलन में हैं। हालांकि, क्यूबा, चीन, कोस्टा रिका, मलेशिया, +श्रीलंका, रवांडा, वेनेजुएला और थाइलैंड में वैकल्पिक स्वास्थ्य प्रणालियां +भी मौजूद हैं। साल 2002 से थाइलैंड में यूनिवर्सल हेल्‍थ कवरेज के +तहत सभी लोगों के लिए मुफ्त इलाज की व्यवस्था है और सभी + +13 + + + +0014.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +अस्पतालों के 77 प्रतिशत बिस्तर सरकारी व्यवस्था के तहत हें। क्यूबा +में सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधा प्रणाली के तहत सभी बुजुर्ग लोगों का +मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया जाता है। थाइलैंड और क्यूबा में सभी +को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए कई तरह के +नियम बनाए गए हैं, मसलन डॉक्टरों और नर्सों के लिए ग्रामीण इलाकों +में कम से कम 3 साल करने की अनिवार्यता और शहरी अस्पतालों के +अलावा, प्राथमिक स्वास्थ्य केद्रों में भी बड़े पैमाने पर निवेश। थाइलैंड +में 2001 में स्वास्थ्य पर सरकारी खर्च सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) +का 1.7 प्रतिशत था। यह 2008 में बढ़कर 2.7 प्रतिशत हो गया, जो +भारत के मुकाबले ज्यादा है। प्रति 10,000 की आबादी पर मलेशिया +में 9.4, फिलिपींस में 11.5, वियतनाम में 12.2 और सिंगापुर में 18.3 +डॉक्टर हैं, जबकि भारत में हर 10,00 की आबादी पर सिर्फ 7 डॉक्टर +हैं। सारणी 1 में वैश्विक स्तर पर जीडीपी के मुकाबले स्वास्थ्य पर खर्च +का आंकड़ा दिया गया है। + +इससे स्वास्थ्य पर सरकारी खर्च में भारत की निचली रैंकिंग का +पता चलता है। यहां तक कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 में भी स्वास्थ्य +पर जीडीपी का सिर्फ 2.5 प्रतिशत खर्च करने की बात कही गई है। +इन नीतियों के परिणामस्वरूप, भारत में आम तौर पर लोगों को अच्छी +स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं। भारत ने 2030 तक यूनिवर्सल +हेल्‍थ केयर (यूएचसी) सुनिश्चित करने का वादा किया था। इसके +तहत 2025 तक स्वास्थ्य पर सरकारी खर्च 1.26 प्रतिशत से बढ़ाकर +2.5 प्रतिशत करने की बात है और इनमें से 70 प्रतिशत खर्च प्राथमिक +स्वास्थ्य सुविधाओं पर किए जाएंगे। इसी तरह, भारत में स्वास्थ्य पर +प्रति व्यक्ति खर्च सिर्फ 1,657 रुपये (2018-19) था, जो श्रीलंका +(5000) और इंडोनेशिया (3,500 रुपये) से भी काफी कम है। साथ +ही, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हर 1,000 लोगों पर 1 डॉक्टर होने का +मापदंड तय किया है, जबकि भारत में यह अनुपात 1:1,404 है। यानी +देश में 1,404 लोगों के लिए 1 डॉक्टर है (फरवरी 2021)। ग्रामीण +इलाकों में हालात और खराब हैं और यहां डॉक्टर-आबादी का अनुपात +1:11 000 है (2019)। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक (2016) के +मुताबिक, यूनिवर्सल हेल्‍थ कवरेज और सतत विकास के लक्ष्यों को +हासिल करने के लिए, हर 10,000 लोगों पर 44.5 स्वास्थ्यकर्मियों की +जरूरत है और भारत में यह आंकड़ा आधे से भी कम है। खास तौर पर +डॉक्टरों के मामले में स्थिति और खराब है। उत्तर भारत के कई राज्यों +में ज्यादातर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र/स्वास्थ्य केंद्र तकरीबन ठप पड़े हैं +और सिर्फ आशा कार्यकर्ता, फार्मासिस्ट, नर्स आदि ही यहां कभी-कभार +नजर आती हें। इन केद्रों पप न तो किसी तरह की जांच की व्यवस्था + +14 + +होती है और न ही दवा, बिस्तर वगैरह का इंतजाम होता है। + +विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों (2015) के मुताबिक, 1990 +-2015 के दौरान 5 साल से कम के बच्चों की मौत की प्रमुख वजह +कुपोषण रही। ऐसी 45 प्रतिशत मौतों का कारण कुपोषण पाया गया। +आंकड़ों के अनुसार, विकासशील देशों में कम वजन वाले बच्चों का +आंकड़ा 28 प्रतिशत था, जो 2015 में घटकर 16 प्रतिशत हो गया। इस +मानक से जुड़ा सहस्राब्दि विकास का लक्ष्य उत्तरी और दक्षिणी अमेरिकी +देशों, यूरोपीय और पश्चिमी प्रशांत के देशों में पूरा हो गया, लेकिन पूर्वी +भूमध्यसागरीय क्षेत्र, दक्षिण-पूर्व एशियाई और अफ्रीकी देशों में इसे पूरा +नहीं किया जा सका। भारत में तकरीबन 47 प्रतिशत बच्चों का वजन +तय मानक से कम है। इसी तरह, 1990-2013 के दौरान वैश्विक स्तर +पर नाटे कद के बच्चों की संख्या 25.7 करोड से घटकर 16.1 करोड +हो गई यानी इसमें 37 प्रतिशत की गिरावट हुई। हालांकि, हमारा देश इस +मोर्चे पर भी लक्ष्य पूरा नहीं कर सका। खाद्य और कृषि संगठन की एक +रिपोर्ट के मुताबिक, 2018 में दुनिया भर में 82,2 करोड़ लोग कुपोषण +के शिकार थे और 200 करोड़ लोग खाद्य असुरक्षा का सामना कर +रहे थे। कुपोषण की प्रमुख वजहों में गरीबी, मां का शिक्षित नहीं होना, +पोषक तत्वों से वंचित भोजन, साफ पानी और स्वच्छता का अभाव आदि +शामिल हैं। वैश्विक भुखमरी सूचकांक 2019 (ग्लोबल हंगर इंडेक्स) +में कुल 117 देशों की सूची में भारत 102वें पायदान पर था। इस सूची +में भारत को 30.3 अंक दिए गए थे और यह “गंभीर रूप से भुखमरी +के शिकार' देशों की श्रेणी में शामिल था। वैश्विक भुखमरी सूचकांक +2020 में कुल 107 देशों की सूची में भारत 94वें स्थान पर था और +उसे 27.2 अंक दिए गए थे। हालांकि, इससे ज्यादा यानी 30-34.9 अंक +वाले देशों को गंभीर रूप से भुखमरी के शिकार देशों की श्रेणी में रखा +गया था। इस रिपोर्ट के मुताबिक, देश की 14 प्रतिशत आबादी पोषण +की कमी से जूझ रही है और 5 साल से कम के 17.3 प्रतिशत बच्चे +भी इसी श्रेणी में हैं। इसके अलावा, 34.7 प्रतिशत भारतीय बच्चे नाटे +कद के हैं। हालांकि, 2000-2020 के दौरान, भारत में वैश्विक भुखमरी +सूचकांक 38.9 से घटकर 27.2 हो गया। + +सतत विकास लक्ष्य: भारत समेत ज्यादातर विकासशील देश साल +2015 तक सतत विकास से जुड़े अन्य लक्ष्य हासिल नहीं कर पाए। +इस वजह से संयुक्त राष्ट्र संघ ने 169 लक्ष्य समेत सतत विकास से +जुड़े 17 लक्ष्य घोषित किए, जिसे “दुनिया को बदलना: सतत विकास +का एजेंडा' के तौर पर जाना जाता है। ब्रंडटलैंड आयोग ने अपनी रिपोर्ट +“हमारा सामूहिक भविष्य (1987) ' में सतत विकास को इस तरह +पारिभाषित किया है: “जरूरतें पूरा करने की भविष्य की पीढ़ियों की + +योजना, जून 2021 + + + +0015.txt +<----------------------------------------------------------------------> +क्षमता से समझौता किए बिना मौजूदा पीढ़ी की जरूरतों को पूरा करना' +सतत विकास लक्ष्य संबंधी गतिविधियों को 2015 में शुरू किया गया +था और 6 साल से ज्यादा बीत जाने के बाद भी इस दिशा में ज्यादातर +देशों का प्रदर्शन ठीक नहीं है। ऐसे में कुछ ही देश 2030 तक सतत +विकास के लक्ष्यों को हासिल कर पाएंगे। + +बेहतर स्वास्थ्य के लिए अनुकूल माहौल: मौजूदा नीति में, स्वास्थ्य +से जुड़ी स्थिति को बेहतर बनाने के लिए प्राथमिकता वाले ० क्षेत्रों की +पहचान की गई है: (1) स्वच्छ भारत अभियान; (2) संतुलित और +पौष्टिक आहार; (3) तंबाकू, अल्कोहल और ऐसी अन्य चुनौतयों से +निपपटना; (4) यात्री सुरक्षा- रेल और सड़क दुर्घटना के कारण होने +वाली मौतों को रोकना; (5 ) निर्भय नारी- स्त्रियों के खिलाफ हिंसा +पर कार्रवाई; कार्यस्थल पर कामकाज का बेहतर माहौल और (6) घर +के बाहर और भीतर वायु प्रदूषण को कम करना। + +सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने से जुडे चरण: +सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए इन स्तरों पर +काम होता हैः +1. प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाएं- चुनिंदा + +स्वास्थ्य सुविधाएं और बडे अस्पतालों के + +तकरीबन 80 प्रतिशत बीमारियां + +बीमारी का शिकार होती हैं, लेकिन न सिर्फ पुरुषों के मुकाबले +उनका इलाज कम होता है, बल्कि इस बारे में पता भी नहीं चल +पाता। + +4. ज्यादा मोटापा और हार्मोन की वजह से महिलाओं के शरीर पर +दवाओं का कुछ अलग असर देखने को मिलता है। हालांकि, पुरुषों +के शरीर पर होने वाले मेडिकल टेस्ट/शोध को ही आधार या संदर्भ +बिंदु माना जाता है। +अतः इस तरह की लैंगिक असमानता को जल्द-जल्द दूर करने + +की जरूरत है, ताकि सभी के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुनिश्चित हो + +सके। 'सभी के लिए स्वास्थ्य! लक्ष्य को पूरा करने के लिए साफ +और सुरक्षित पर्यावरण की भी जरूरत है, जिसमें स्वच्छता के अलावा +रासायनिक खाद और कीटनाशकों से मुक्ति भी शामिल है। 2 अक्टूबर, + +2019 को देश के 700 से भी ज्यादा जिलों और 6 लाख से भी ज्यादा + +गांवों को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया गया। यह वाकई में एक + +बड़ी उपलब्धि है, लेकिन इस स्थिति को बनाए रखने की भी जरूरत + +है। ठोस और तरल कचरा प्रबंधन के लिए 6 + +लाख प्रशिक्षित स्वयंसेवकों की जरूरत है। उत्तर + +प्रदेश सरकार ने शौचालयों का नाम 'इज्जत घर' + +बारे में जानकारी मुहैया कराना; + +2. प्राथमिक केद्रों से ऊपर के स्तर पर +स्वास्थ्य सुविधाएं- इनपुट और आउटपुट +आधारित रणनीतिक खरीदारी; + +3, सरकारी अस्पताल- यूजर फीस और +लागत वसूलना और सबके लिए दवा, +जांच और आपातकालीन सेवाएं सुनिश्चित + +गंदे पानी की वजह से होती हैं, +इसलिए पीने वाला पानी साफ +होना चाहिए। सतत विकास जल +प्रबंधन के लिए मौजूदा आर्थिक + +ढांचे में आमूल-चूल बदलाव की + +जरूरत है और जल संसाधनों +का निजीकरण नहीं किया जाना + +रखा और इसका सकारात्मक असर हुआ। इसके +अलावा, जल संरक्षण पर भी ध्यान देना जरूरी +है, क्योंकि यह सामाजिक, आर्थिक और मानव +अधिकार है। तकरीबन 80 प्रतिशत बीमारियां +गंदे पानी की वजह से होती हैं, इसलिए पीने +वाला पानी साफ होना चाहिए। सतत विकास +जल प्रबंधन के लिए मौजूदा आर्थिक ढांचे + +करना; + +4. आधारभूत संरचना और मानव संसाधन +का विकास- सेवाओं से वंचित क्षेत्रों तक +पहुंचने के लिए अलग-अलग तरह की +रणनीति; + +5. शहरी स्वास्थ्य-प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं +मुहैया कराने और शहरी गरीबों की मदद के लिए ठोस स्तर पर +पहल + +6. राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम- कार्यक्रमों को असरदार बनाने के लिए +स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ा एकीकृत और बेहतर सिस्टम बनाना और + +7. आयुष सेवाएं- तीन आयामों के आधार पर इसे मुख्य धारा में +लाना। +स्वास्थ्य सेवाओं में वेश्विक राष्ट्रीय और स्थानीय स्तर पर लैंगिक + +असमानता है। इसकी कुछ बानगी इस तरह है; + +1. साल 2016 में 23.8 लाख मरीज इलाज के लिए नई दिल्ली के +एम्स पहुंचे, लेकिन इनमें सिर्फ 37 प्रतिशत महिलाएं थीं। हालांकि, +इस बात की पक्की जानकारी है कि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं +की बीमारी के मामले ज्यादा होते हैं, लेकिन उनका इलाज कम +होता है। + +2. गरीबी, स्थान और अन्य सामाजिक वजहों से भी लैंगिक असमानता +को बढ़ावा मिलता है। + +3, विकसित देशों में भी पुरुषों के बराबर ही महिलाएं भी दिल की + +योजना, जून 2021 + +चआहिए। ये जल संसाधन स्थानीय +लोगों और उनकी आगामी +पीढ़ियों के लिए सामुदायिक +संसाधन की तरह हैं। + +में आमूल-चूल बदलाव की जरूरत है और +जल संसाधनों का निजीकरण नहीं किया जाना +चाहिए। ये जल संसाधन स्थानीय लोगों और +उनकी आगामी पीढ़ियों के लिए सामुदायिक +संसाधन की तरह हें। + +जहां तक मानसिक स्वास्थ्य की बात है, +तो लोगों के बीच इस मामले में न तो पर्याप्त जागरूकता है और न +ही देश के सभी हिस्सों में इसके लिए मेडिकल सुविधाएं मौजूद हें। +राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण (2016) के मुताबिक, भारत में 13.7 +प्रतिशत लोग दीर्घकालिक मानसिक बीमारी से जूझ रहे हैं और 15 +करोड़ से भी ज्यादा मरीजों को तत्काल इलाज की जरूरत है। साथ +ही, सिर्फ 49 प्रतिशत लोगों के निवास के 25 किलोमीटर के दायरे में +मानसिक स्वास्थ्य केंद्र है, जबकि 2 प्रतिशत लोगों के ठिकाने के 50 +किलोमीटर के दायरे में मानसिक रोगों के इलाज की सुविधा नहीं है। +सर्वेक्षण की मानें तो 59 प्रतिशत लोगों तक नशे से छुटकारा पाने से जुड़ी +सेवा तक पहुंच नहीं है, 80 प्रतिशत लोगों के पास कोई स्वास्थ्य बीमा +नहीं है और 28 प्रतिशत खुदकुशी भारत में होती है। साल 2012-19 +के दौरान बिहार में मानसिक रोगों में 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। राज्य +के भोजपुर जिले में मौजूद कोइलवर मानसिक अस्पताल में 2019 में +मानसिक रोग से जुड़े 50,000 से भी ज्यादा मामले दर्ज किए गए। कई +मरीजों की मानसिक स्थिति ठीक होने के बावजूद उनके परिवार वाले +उन्हें वापस नहीं ले जा रहे हैं। = + +15 + + + +0016.txt +<----------------------------------------------------------------------> +weit + +निराशा के बीच आशा के दीप + +आजकल अखबारों के पन्ने पलटो या फिर अन्य माध्यमों +को सुनने देखने की चेष्टा करो तो अधिकतर हिंसा, दहशत, +भ्रष्टाचार, प्राकृतक आपदा, आगजनी, बीमारी, संकीर्णतावाद जैसे +नकारात्मक खबरों से ही सामना होता है। तारिक तथा वस्तुनिष्ठ +सोच वालों को भी उदासी, हताशा, खिन्नता महसूस होने लगती +है। कोविड-19 महामारी की इस आपदा में नकारात्मक और दुःख +देने वाली खबरें मिल रही हैं। जब उम्मीदों की डोर हर दिन +कमजोर होती लग रही हैं तब हम में से ही कुछ सामान्य जनों +के असामान्य कार्य से आशा के दीप टिमटिमाते हैं। मानव और +मानवता के संबंधों पर कोई आंच नहीं आने का भरोसा दिलाते हैं। + +पूरा देश कोरोना से निजात पाने में डटा हुआ है। मरीजों +की संख्या के अनुपात में संसाधन नहीं हैं। सरकार, समाजसेवी +संस्था अपनी क्षमतानुसार काम कर रहे हैं। इधर कुछ व्यक्तियों +द्वारा की गई अनुकरणीय समाज सेवा से मानवता को काफी +बल मिला है। +1, ऑक्सीजन दाता + +महाराष्ट्र के नागपुर से प्यारे खान की कहानी एक मिसाल +के रूप में देखी जा सकती है। प्यारे खान ट्रांसपोर्ट कॉन्ट्रैक्टर हैं। +विगत दिनों जब समूचे देश में ऑक्सीजन की कमी थी। नागपुर +में भी ऑक्सीजन की किल्लत से कोरोना रोगियों के सामने जीने +मरने का सवाल था, तभी प्यारे खान ने स्वयं करीब 1 करोड़ +रुपये खर्च कर, दो ऑक्सीजन टेंकर्स के माध्यम से सरकारी +अस्पतालों में ऑक्सीजन उपलब्ध करा कर मानवता का एक +अनोखा परिचय दिया। + +नागपुर और विदर्भ में कोरोना मरीजों की संख्या दिन ब +दिन अचानक से बढ़ रही थी और ऑक्सीजन बेड खाली न होने +से मरीज और परिजन परेशान थे। रमजान के महीने में लोगों +की सेवा से बड़ा कोई पुण्य नहीं, ऐसा मानने वाले प्यारे खान +ने गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, एम्स, मेयो जेसे कई अस्पतालों +और लोगों को ऑक्सीजन सिलेंडर्स ओर ऑक्सीजन कॉन्ेंट्रेटर +उपलब्ध कराया। + +नागपुर में प्रतिदिन 19 ट्रकों के माध्यम से करीब 200 टन +प्रति दिन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन लाकर उसे सभी सरकारी +अस्पतालों में आवश्यकता अनुसार देने का प्रयास किया गया। +नागपुर में आपूर्ति के बाद विदर्भ में आवश्यकतानुसार ऑक्सीजन +देते रहे। ऑक्सीजन का खर्च तो सरकार का था मगर ट्रकों का +रखरखाव, ड्राइवर और क्लिनर्स की पगार का खर्च प्यारे खान +ने उठाया। +2, तुरंत दान, महाकल्याण + +दूसरी कहानी है महाराष्ट्र के मोहनराव कुलकर्णी की, जो + + + +सातारा के मूल निवासी हैं, आजीविका हेतु मुंबई के नजदीक +अंबरनाथ में रहे और आजकल मुंबई में बसे हैं। आयु 75 वर्ष +की है। चालीस साल किसी निजी कंपनी में नौकरी कर जो भी +बचत की, फंड मिला, उसी के ब्याज की आमदनी से गुजारा +करते हैं। दो साल पहले उनकी पत्नी का देहांत हो गया। उनकी +कर्मभूमि अंबरनाथ के निवासी भी कोरोना संकट का सामना कर +रहे थे। शहरवासियों की सुविधा हेतु नगर परिषद्‌ का 700 बेड +का कोविड सेंटर है, जिसमें 500 ऑक्सीजन बेड हैं। लेकिन +संसाधन सीमित होने से नगर परिषद्‌ ने लोगों से सहायता हेतु +अपील की। मोहनराव जी ने उसे देखा। उनके पास साढ़े चार +लाख रुपये की व्यवस्था थी। नगर परिषद्‌ ने कोविड सेंटर के +लिये वेंटिलेटर देने की गुजारिश की लेकिन वेंटिलेटर के लिये +साढ़े छह लाख रुपये की आवश्यकता थी, तो मोहनराव जी ने +बाकी रकम का कर्ज लेकर वेंटिलेटर भेट किए। + +अपने पास जो भी भरपूर है उसमें से थोड़ा देने की नियत +रखने वाले तो दिखाई देते हैं पर मोहनराव जी का, ऋण लेकर +दान करने का असाधारण कार्य काफी सराहनीय हे। +3, सर्वोच्च त्याग + +नागपुर के नारायणराव जी दाभाडकर ने मनुष्य स्वभाव +के विरले गुण का परिचय समाज को कराया। नारायणराव जी +स्वयं, उनकी बेटी और उसका परिवार सभी कोरोना के शिकंजे +में थे। उनकी स्वयं की स्थिति कुछ ज्यादा बिगड़ने से बड़ी +मशक्कत के बाद शहर के इंदिरा गांधी महापालिका अस्पताल +में भर्ती होना पड़ा। उनकी ऑक्सीजन लेवल 50-55 थी अतः +ऑक्सीजन दिया जा रहा था। अस्पताल में रहते हुए उनको ये +एहसास हुआ की बेड की कमी से कई कम उम्र के व्यक्ति +इलाज के अभाव में कोरोना के शिकार हो रहे हैं। नारायणराव +जी को लगा कि 85 साल तक जीवन जी लेने के बाद आज +जब बेड की कमी से नौजवानों को जिंदगी से हाथ धोने का +प्रसंग हैं, तो ऐसी स्थिति में इस उम्र में अपना बेड छोड़ देंगे +ताकि किसी अधिक जरूरतमंद्‌ को इसका लाभ मिले। बस +उन्होंने बेटी को अपने विचार से अवगत कराया तथा अस्पताल +से डिस्चार्ज लेकर पहले तो अपने घर और फिर निजधाम को +निकल गये। किसी आम नागरिक द्वारा प्राण दान जैसे सर्वोच्च +त्याग की यह मिसाल निशब्द कर देती है। +वो सुबह कभी तो आएगी + +यह कहानियां यह बयान करती है कि डरो ना। कोरोना +आज जरूर कुछ मानव पर प्रहार करता नजर आ रहा है, लेकिन +मानव तथा मानवता को हराना कोरोना के लिये मुश्किल ही नहीं +नामुमकिन है। = + +- नितीन सप्रे + + + +16 + +योजना, जून 2021 + + + + + +0017.txt +<----------------------------------------------------------------------> +महामारी और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग + +भारत की वैक्सीन +मैत्री से लोकतान्रिक +ares, सहयोग, +मानवीयता, विकास +और करुणा से +भरे सांस्कृतिक +मूल्यों वाले भारत +के दृष्टिकोण को +पुनर्रेखांकित करने +का अवसर मिला +है। साथ ही स्वयं +को विश्व के एक +जिम्मेदार देश के +रूप में प्रस्तुत करने +का भी अवसर मिला +है जो संयुक्त राष्ट्र +सुरक्षा परिषद की +स्थायी सदस्यता का +हकदार है। + +डॉ गौरी शंकर नाग +आयुष मजूमदार + +भी बना हुआ है। मूलतः जीवविज्ञान के क्षेत्र की इस परिघटना ने वैश्विक स्वास्थ्य +आपदा बन गई महामारी का रूप ले लिया। इस महामारी का असर मानव जीवन +के अनेक अन्य क्षेत्रों - सामाजिक-सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्रों - में साफ +नजर आया। विभिन्न देशों के लोगों और स्थानों के परस्पर संपर्क का इस बीमारी के फैलने +में योगदान रहा। इस अंतर्सबंध को समझना 'विश्वग्राम' की बलवती धारणा के औचित्य के +लिए आवश्यक हेै। +राष्ट्र-राज्य मूलभूत संप्रभु इकाइयां है। इस दौर में विभिन्‍न राष्ट्रों की भूमिका की समझ +और दायरा- दोनों ही काफी बढ़ गए। इसकी वजह से, इनको विभिन्न स्तरों पर राजनैतिक +निर्णय लेने का ज्यादा अवसर मिले। विभिन्न टीकों (वैक्सीन) के विकास, उपलब्धता और +वितरण में ये अवसर सबसे ज्यादा नजुर आए। अच्छे स्वस्थ शरीर के साथ सभी लोगों के +स्वस्थ होने की गरिमा बने रहना निश्चय ही महत्वपूर्ण है। व्यक्ति से लेकर समाज तक, +स्वास्थ्य-व्यवस्था जन-कल्याण का केद्रीय पक्ष है। इस व्यवस्था पर संकट आने से सभी ओर +से तुरंत मदद की गुहार आने लगती है। इस बार आए संकट को दूर करने के लिए भी टीका +तैयार करने के प्रयास शुरू हुए। +ऐसी चुनौतियों का मुकाबला करने की बुनियादी इकाई राष्ट्र ही है। इसलिए टीकों के +विकास का काम भी राष्ट्रों के स्तरों पर ही हुआ। इसके साथ ही, राष्ट्रीय सीमाओं को पार + +पृ री दुनिया को हिला देने वाली कोविड-19 महामारी का विश्वव्यापी प्रकोप अब + + + + + + + + + + + + + +डॉ गौरी शंकर नाग एसकेबी विश्वविद्यालय, पश्चिम बंगाल में राजनीति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष हैं। ईमेल; 8०प1.5.148शाभ्।.०णा। +आयुष मजूमदार इसी विश्वविद्यालय के आतिश दीपंकर सृजन सेंटर ऑफ साउथ एशियन स्टडी में विद्यार्थी हैं। + +योजना, जून 2021 + +17 + + + +0018.txt +<----------------------------------------------------------------------> +कोविड-19 आपदा से निपटने में वैश्विक समुदाय से +प्राप्त सामग्री का कारगर तरीके से आबंटन + + + +को महामारी के खिलाफ सामूहिक लड़ाई में भारत +सरकार के प्रयासों के प्रति वेश्विक समुदाय ने मदद का + +हाथ बढ़ाया है। अनेक देशों ने चिकित्सा उपकरण, दवाएं, ऑक्सीजन +कंसन्‍्ट्रेटर, वेंटिलेटर आदि भेजे हें। +भारत की मदद के लिए मिल रही इस चिकित्सा और अन्य राहत +सामग्री के सुनियोजित आबंटन और कारगर वितरण के लिए उचित +व्यवस्था की गई है। + +भारतीय सीमा-शुल्क विभाग के कर्मचारी और अधिकारी ऑक्सीजन +और उसकी आपूर्ति से संबन्धित उपकरणों सहित कोविड महामारी के +उपचार की सामग्री के आयात के प्रति पर्याप्त संवेदनशील है और प्राप्त +सामग्री की आयात-संबंधी कार्रवाई जल्दी से जल्दी पूरा करने के लिए +चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं। इन कार्रवाइयों में निम्न बातें शामिल हैं: + +* इस सामग्री के क्लियरेंस को अन्य वस्तुओं की तुलना में उच्च +प्राथमिकता दी जा रही है। + +*« इस काम की प्रभावी निगरानी में और शीघ्र पूरा करने के लिए +संबन्धित अधिकारियों को पहले ही सचेत करने को ई-मेल +भेजे जाते हैं। + +* कोविड से संबद्ध आयातों के लंबित मामलों की वरिष्ठ +अधिकारियों द्वारा निरंतर निगरानी की जा रही है। + +* इन आयातों से जुड़े व्यवसायियों को जरूरी औपचारिकताएं पूरी +करने में मदद की जारी है। + +° मदद के लिए सहायता डेस्कों और संबद्ध व्यवसायियों तक +पहुंच कर उनकी मदद की जा रही है। +तेजी से क्लियरेंस में मदद के अलावा- + +* भारतीय सीमा-शुल्क विभाग ने कोविड के उपचार से जुड़ी +सामग्री पर बेसिक कस्टम ड्यूटी और स्वास्थ्य अधिभार (हैल्थ +सेस) हटा दिया है। + +* मुफ्त में आयात और (राज्य सरकारों के प्रमाणपत्र के आधार पर) +मुफ्त वितरण की स्थिति में आईजीएसटी भी हटा दिया गया है। + +करके, शोधकार्य में लगी प्रयोगशालाओं और निर्मात्री कंपनियों के +बीच परस्पर भागीदारी से भी प्रयास किए गए। + +वैक्सीन के उपयोग में सहयोग की दृष्टि भारत की पहल - +“'वैक्सीन मैत्री' इस महामारी का फैलाव रोकने और अर्थव्यवस्था +को फिर से पटरी पर लाने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास हैं। यह +मानवीय प्रयास भारत की “बहुजन सुखाय बहुजन हिताय' की +विवेकपूर्ण और सुनिश्चित नीति के अनुरूप ही है। भारतीय टीकों +के पीछे देश के वैज्ञानिकों का कौशल और पेशेवर दृष्टिकोण था +जिसे सराहना मिली। भारत की सुपरिचित क्षमताओं और विश्व में +टीकों का सबसे बड़ा निर्माता होने की वजह से उसकी वेश्विक +आपूर्ति श्रृंखला में महत्वपूर्ण भूमिका है। + +भारत की वैक्सीन-नीति को ठीक से समझने के लिए हमें +विकसित देशों की अपनी जनसंख्या से कहीं ज्यादा वेक्सीन जमा कर +लेने की प्रवृत्ति को देखना होगा। दूसरी ओर विकासशील और गरीब +देशों के लोग वैक्सीन नहीं खरीद पाने की वजह से असुरक्षित ही + +18 + +* निजी इस्तेमाल के लिए ऑक्सीजन Geet के आयात पर +आईजीएसटी 28 प्रतिशत से घटाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया है। +अप्रैल के अंतिम सप्ताह से देश के विभिन्न भागों से कोविड + +संक्रमण के मामलों के अचानक बढ़ने के बाद विभिन्न देशों से, + +विदेश मंत्रालय के जरिए, दान के रूप में चिकित्सा सामग्री आने +लगी। देश के विभिन्न भागों में तत्काल आवश्यकताओं को देखते +हुए इन देशों द्वारा यह मदद भेजी जा रही है। यह भारत सरकार +द्वारा विभिन्न राज्यों तथा केंद्र-शासित क्षेत्रों को दी जा रही मदद के +अलावा है। बाद में, निजी कंपनियों, संस्थाओं आदि की ओर से आ +रही सामग्री भी नीति आयोग के जरिये भेजी जाने लगी है। +विभिन्न देशों से आ रही मदद को प्राप्त करने और भारत +भिजवाने के लिए विदेश मंत्रालय केंद्रीय एजेंसी है। इस सिलसिले में +विदेश मंत्रालय ने अपनी कार्य-पद्धति (एसओपी) बनाई हैं जो सभी +देशों/संस्थाओं से मदद के लिए समान रूप से लागू की जा रही हैं। +इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी + +विभिन्न देशों से विदेश मंत्रालय के जरिए प्राप्त होने वाली सहायता +सामग्री इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी के नाम भेजी जा रही है। इस प्रक्रिया +के अंतर्गत जुरूरी कागजात प्राप्त होने के बाद इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी +सरकारी स्वास्थ्य सेवा कंपनी - एचएलएल को प्रमाणपत्र जारी करती +है ताकि वह हवाई अड्डों पर सीमा-शुल्क तथा अन्य क्लियरेंस करवा +सके। इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी केद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण + +मंत्रालय से निरंतर संपर्क में रहती है ताकि विभिन्न प्रक्रियाओं में देरी न + +हो और चिकित्सा सामग्री शीघ्र जरूरतमंदों तक पहुंच सके। + +भारत में तीसरा टीका स्पुतनिक भी +एक तीसरा टीका, रूस के स्पुतनिक-वी को भारत के औषधि + +महानियंत्रक (डीजीसीआई) से भारत में आपातकालीन उपयोग के + +लिए अनुमोदित किया गया है। स्पुतनिक-वी का स्थानीय उत्पादन +जुलाई 2021 में शुरू होगा और हैदराबाद स्थित डॉ रेड्डीज +लैबोरेट्रीज भारत में वैक्सीन का निर्माण करेगी। + +रह जाएंगे। इस परिप्रेक्ष्य में वेक्सीन-संजीवनी बनाने में अपने कौशल +को साथी देशों के साथ बांटने की भारत की उदारता को समझा जा +सकता है। इनमें दक्षिण एशिया ही नहीं, पश्चिम एशिया और अफ्रीका +के देश भी शामिल हैं। भारत की विदेश नीति और इसकी “सॉफ्ट +पावर' की दृष्टि से यह एक बड़ी उपलब्धि है। निश्चय ही, इससे +हमारी प्रतिष्ठा और शक्ति बढ़ेगी। + +शक्ति की धारणा को अनेक प्रतिष्ठित विद्वानों ने परिभाषित +किया है। बर्ट्रण्ड रसेल ने अपनी पुस्तक “पावर: ए न्यू सोशल +एनालिसिस (1938) में शक्ति को उद्देश्यपूर्ण प्रयासों का +परिणाम बताया है। रोबर्ट डाल ने अपनी पुस्तक “मॉडर्न पोलिटिकल +एनालिसिस (1991) ' में शक्ति को ऐसा प्रभाव बताया है जिसके +तहत “अपनी बात मनवाने के लिए इसे न मनाने पर कठिन प्रतिबंधों +का डर दिखाया जाता है/ इस परिभाषा में “प्रतिबंध' शब्द शक्ति से +मिल सकने वाली चीजों की सीमित-संकुचित कल्पना है। जोसेफ नाइ +का कहना है, “कभी-कभी हमें बिना प्रत्यक्ष धमकी या प्रलोभन के + +योजना, जून 2021 + + + +0019.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + + + + + +भी वांछित परिणाम मिल सकते हैं।'” यह 'शक्ति का दूसरा चेहरा' +है और कोई देश विश्व-राजनीति में वांछित परिणाम इसलिए पा +लेता है क्योंकि अन्य देश इसके आदर्शों की सराहना करते हैं, इसके +उदाहरण से सीखते हैं, इसके जैसी समृद्धि और खुलापन पाना चाहते +हैं और इस तरह इसकी दिखाई गई राह पर चलना चाहते हैं। वेक्सीन +डिप्लोमेसी' शब्द ऐसी ही नीति के लिए दिया गया है जिससे देश की +असामरिक, मानवीय 'सॉफ्ट' शक्ति का पता चलता है। ऐसी मानवीय +शक्ति दूसरे देशों की प्राथमिकताओं को निर्धारित करती है। नाइ तीन +संसाधनों पर जोर देते हैं: किसी देश की संस्कृति (जहां वह दूसरों +को आकर्षित करती है), उस देश के राजनैतिक आदर्श (जिन्हें वह +देश के अंदर और दूसरे देशों के संदर्भ में अपनाता है), और इसकी +विदेश नीति (जब वह वैध और नैतिक दृष्टि से उचित नजर आती +है)। (जोसेफ एस. नाइ (2012) + +भारत की वेक्सीन मैत्री से लोकतान्त्रिक आदर्शों, सहयोग, +मानवीयता, विकास और करुणा से भरे सांस्कृतिक मूल्यों वाले भारत +के दृष्टिकोण को पुनर्रखांकित करने का अवसर मिला है। साथ ही +स्वयं को विश्व के एक जिम्मेदार देश के रूप में प्रस्तुत करने का +भी अवसर मिला है जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता +का हकदार है। करुणा और उदारता भारतीय +मेधा की विशिष्ट पहचान हैं जो हमारे लोकततन्त्र +और हमारी संस्थाओं में स्पष्ट रूप से परिलक्षित +होती हैं। + +यह सही है कि आज के विश्व में +सामरिक और साधन-संपन्नता वाली “हार्ड पावर' +का ही सिक्का चलता है और 'सॉफ्ट पावर' +के रूप में हमारी क्षमता से ही सब कुछ नहीं +होता। लेकिन अपनी वेश्विक वैक्सीन नीति के +साथ भारत जिस राह पर चल रहा है, वेश्विक +राजनीति में सफलता में उससे विशिष्ट लाभ +होंगे। उदाहरण के तौर पर, वेक्सीन-उत्पादन में +हमारी क्षमता को कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन +टूदों ने सराहा है। भारत के सकारात्मक रुख +को देश की राजनैतिक मेधा में अंतर्निहित गहन +मानवीय और लोकतान्त्रिक जीवन-मूल्यों का +परिचायक माना जा रहा है। + +योजना, जून 2021 + +जुड़ाव और सहयोग के विभिन्न +मानदंडों के आधार पर अन्य +देशों के साथ अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्धों +को कुशलता के साथ निभाना ही +राजनय है। यह उल्लेखनीय है कि +भारत ने टीकों की पहली खेप +भूटान और मालदीव को भेजी +जो दक्षिण एशिया क्षेत्र में भारत +के सबसे घनिष्ठ पड़ोसी हैं। सार्क +देशों में भूटान ही ऐसा एकमात्र +देश है जो चीन के “बेल्ट एंड +रोड' कार्यक्रम (बीआरआई ) के +प्रलोभन में नहीं आया। + +भारत की दोनों अग्रणी कोविंड-19 वैक्सीन दुनिया की सबसे +सस्ती हैं। कोविशील्ड को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने विकसित +किया है और कोवैक्सीन भारत बायोटेक द्वारा, आईसीएमआर और +राष्ट्रीय वायरोलोजी संस्थान (एनआईवी) के सहयोग से तैयार किया +गया है (मण्डल, 2021)। वैज्ञानिक प्रयोगों का सिलसिला जारी है +लेकिन भारत की कई मायनों में बेजोड उत्पादन-क्षमता को देखते हुए +aan aad aia Hr रुझान भारत के पक्ष में हे। + +भारत ने भूटान, मालदीव, बांग्लादेश, नेपाल, म्यांमार, मॉरिशस, +Wace, श्रीलंका, यूएई, ब्राजील, मोरक्को, बहरीन, ओमान, मिस्त्र, +अल्जीरिया, कुवैत और दक्षिण अफ्रीका सहित अनेक देशों को वेक्सीन +दी है। अफगानिस्तान को 56 लाख टीके अनुदान के रूप में और +एक करोड़ टीके व्यावसायिक आधार पर दिए गए हैं। कैरिबियाई, +प्रशांत महासागरीय देशों और निकारागुआ आदि को भी टीके पहुंचाए +जा रहे हैं। विश्व के सभी भागों में टीके देने का यह कार्य 'वेक्सीन +मैत्री' नीति के अंतर्गत किया जा रहा है। यह भारत की “'सागर' +(सेक्यूरिटी एंड ग्रोथ फॉर ऑल इन दि रीजून - एसएजीएआर) +नीति के भी अनुरूप है। ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रा जेनेका द्वारा विकसित +वैक्सीन को विभिन्न देशों में इस्तेमाल के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन +की मंजूरी मिल गई है और सीरम इंस्टीट्यूट +ऑफ इंडिया ने उत्पाद-भागीदार के रूप में +ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रा जेनेका के साथ समझौता +किया है (मोरदानी, 2021)। इससे भारत के +वैक्सीन प्रयासों को वैधता मिली है। + +जुड़ाव और सहयोग के विभिन्न मानदंडों +के आधार पर अन्य देशों के साथ अंतर्राष्ट्रीय +सम्बन्धों को कुशलता के साथ निभाना ही +राजनय है। यह उल्लेखनीय है कि भारत ने +टीकों की पहली खेप भूटान और मालदीव +को भेजी जो दक्षिण एशिया क्षेत्र में भारत के +सबसे घनिष्ठ पड़ोसी हैं। सार्क देशों में भूटान +ही ऐसा एकमात्र देश है जो चीन के “बेल्ट +एंड रोड' कार्यक्रम (बीआरआई) के प्रलोभन +में नहीं आया। वैक्सीन देने के मामले में भारत +को विवेकशील और कुछ देशों को प्राथमिकता +देने वाली नीति अपनानी होगी। + +19 + + + +0020.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +उदार होना महान गुण है लेकिन उदारता के साथ सोच-समझ के +निर्णय लेना भी उचित हे। स्वतन्त्रता के बाद से ही भारत को अपने +पड़ोस में भी दुर्भाग्य का सामना करना पड़ा है। विश्लेषण करने से +पता चलता है कि भारत के ज्यादातर पड़ोसी देश उसे दोहरे मानदंडों +से देखते हैं। वे भारत से सहायता भी लेते हैं और उसे अपना दबदबा +कायम करने वाला बड़ा देश भी समझते हैं। लेकिन शीत युद्ध के बाद +की बदलती परिस्थितियों और दक्षिण एशिया क्षेत्र में चीन की दखल +की वजह से हो रहे निरंतर समायोजनों को देखते हुए इस नजरिए को +नए सिरे से समझने की जरूरत है। + +पारंपरिक राजनय तो राजनयिक सम्बन्धों के बारे में 1961 के +वियना समझौते के अंतर्गत सुपरिभाषित है। लेकिन वैश्वीकरण के इस +दौर में वेश्विक सम्बन्धों में जटिलताएं आई हैं। इससे वैश्विक राजनय +के नए आयाम खुले हैं जिसमें देशों के अलावा अन्य प्रतिभागी भी +शामिल हो गए है। इनमें बहुराष्ट्रीय निगम, सामाजिक संगठन और +गैर-सरकारी संस्थान शामिल हैं। लेकिन ये संप्रभु संस्थान नहीं हैं +और इन्हें जनता की इच्छा का प्रतिनिधित्व करने वाली संप्रभु सरकारों +की अनुमति से ही काम करने दिया जाना चाहिए। इसलिए ऐसी + + + +dt + +जटिलताओं का नियमन किया जाना जरूरी है क्योंकि 21वीं शताब्दी + + + +के दूसरे दशक के दौरान जो राजनीतिक बेचैनी जन्मी थी, उसकी अब +कोई गुंजाइश नहीं है। यह जटिलता ही तो लोकतान्त्रिक जीवन-मूल्यों +को उत्साह से अपनाने का अवसर देती है। वैश्विक चुनौतियों से +निपटने का एकमात्र मार्ग ठोस संयुक्त वैश्विक प्रयास ही है। यहां +“ठोस संयुकत' प्रयासों का तात्पर्य संप्रभु, लोकतान्त्रिक राष्ट्र-राज्यों +द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों से है। ये राष्ट्र ही संप्रभु, जिम्मेदार इकाइयां +हैं। इमेनुअल कांटियन द्वारा प्रस्तुत लोकतान्त्रिक शांति का विचार ही +हमें सही दिशा दिखा सकता है। छा +संदर्भ + +1. जोसेफ एस, नाइ, जे, (2012), सॉफ्ट पावर: दि मीन्‍्स ऑफ सकक्‍सेज इन + +वर्ल्ड पॉलिटिक्स, नई दिल्‍ली: के डब्ल्यू पब्लिशर्स प्राइवेट लिमिटेड + +2. मण्डल, डी, (9 जनवरी, 2021), https:/Awww.sundayguardianlive. +com/. Retrieved from https://www.sundayguardianlive.com/news: +https://www.sunday guardianlive.com/news/indian-vaccines-cov- +id-19-cheapest-world + +3. मोर्दानी, एस. (21 फरवरी, 2021), https://www.indiatoday.in/ +coronavirus-outbreak/story: — https://www.indiatoday.in/coronavi- +rus-outbreak/story/serum-institute-who-emergency-use-listing-ox- +ford-covid-vaccine-1769586-2021-02-15. + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +प्रकाशन विभाग के विक्रय केंद्र +नई दिल्‍ली ।| पुस्तक दीर्घा, सूचना भवन, सीजीओ कॉम्प्लेक्स, लोधी रोड 110003 | 011-24367260 +नवी मुंबई |701, सी- विंग, सातवीं मंजिल, केंद्रीय सदन, बेलापुर 400614 | 022-27570686 +कोलकाता | 8, CAS ईस्ट 700069 | 033-22488030 +चेन्नई “ए' विंग, राजाजी भवन, बसंत नगर 600090 | 044-24917673 +तिरुअन॑तपुरम | प्रेस रोड, नयी गवर्नमेंट प्रेस के निकट 695001 | 0471-2330650 +हैदराबाद कमय सं. 204, दूसस तल, सीजीओ टावर, कवाड़ीगुड़ा, सिकंदगबाद | 500080. | 040-27535383 +बेंगलुरु फर्स्ट फ्लोर, 'एफ' विंग, केंद्रीय सदन, कोरामंगला 560034 | 080-25537244 +पटना बिहार राज्य कोऑपरेटिव बैंक भवन, अशोक राजपथ 800004 | 0612-2683407 +लखनऊ हॉल सं-1, दूसरा तल, केंद्रीय भवन, क्षेत्र-एच, अलीगंज 226024 | 0522-2325455 +अहमदाबाद | 4-सी, नेप्चून यॉवर, चौथी मंजिल, नेहरू ब्रिज कॉर्नर, आश्रम रोड | 380009 | 079-26588669 +20 योजना, जून 2021 + + + +0021.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +घरेलू अगरबत्ती उद्योग को सशक्त बनाने के लिए + +oa + +राष्ट्रीय बांस + +asi + +हि + + + + + +fi +iv PB + +VT ट्टीय बांस मिशन ने हाल में प्रबंधन सूचना प्रणाली (एमआईएस) +का शुभारंभ किया, जो अगरबत्ती उत्पादन से जुड़ी सभी +सूचनाओं का एक मंच होगा। इस पर अगरबत्ती उत्पादन इकाइयों +के बारे में सूचना उपलब्ध रहेगी। साथ ही अगरबत्ती बनाने के लिए +कच्चे माल की उपलब्धता की सूचना, इकाइयों की कार्यप्रणाली, +उत्पादन क्षमता, विपणन इत्यादि की जानकारियां भी उपलब्ध रहेंगी। +इस मॉड्यूल की मदद से अगरबत्ती क्षेत्र को उद्योगों से जोड़ा जा +सकेगा और इससे उत्पादन इकाइयों से निर्बाध खरीद की व्यवस्था +बनेगी और जानकारी के अभाव की जो स्थिति थी उसमें सुधार होगा। +राष्ट्रीय बांस मिशन से जुड़े सभी राज्य अगरबत्ती उत्पादन इकाइयों का +दस्तावेजीकरण करने की प्रक्रिया में हैं ताकि 'बोकल फॉर लोकल' +और “मेक फॉर द वर्ल्ड' अभियानों के तहत इन इकाइयों को मदद +देने के तौर तरीकों का आकलन हो सके और भारतीय अगरबत्ती की +वैश्विक लोकप्रियता का लाभ उठाते हुए इस क्षेत्र को और सशक्त +किया जा सके। + +राष्ट्रीय बांस मिशन (एनबीएम) , सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम +मंत्रालय, खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) , राज्य सरकारें +और उद्योग जगत एक साथ आए हैं ताकि भारत को अगरबत्ती क्षेत्र +में आत्मनिर्भर बनाकर स्थानीय समुदायों की आजीविका को बेहतर +किया जा सके। साथ ही इस क्षेत्र का आधुनिकीकरण किया जा +सके। अगरबत्ती क्षेत्र आमतौर पर स्थानीय लोगों को बड़े स्तर पर +रोजगार उपलब्ध कराता है। हालांकि यह क्षेत्र विभिन्न बाधाओं के +चलते सिकुड॒ता जा रहा था, जिसमें सस्ते दर पर अगरबत्ती के +लिए गोल तीलियों और कच्चे माल की आयात प्रमुखता से शामिल +है। राष्ट्रीय बांस मिशन द्वारा 2019 में अगरबत्ती क्षेत्र पर एक वृहद +अध्ययन किया गया जिसके उपरांत सरकार द्वार कई नीतिगत +बदलाव किए गए। अगरबत्ती के लिए किए जाने वाले कच्चे माल +के आयात को आयात शुल्क मुक्त श्रेणी से हटाकर प्रतिबंधित श्रेणी + +मिशन का एमआईएस मॉड्यूल + +में अगस्त 2019 में डाला गया और जून 2020 में इस पर आयात +शुल्क बढ़ाकर 25 प्रतिशत कर दिया गया, जिससे घरेलू अगरबत्ती +उद्योग को बल मिला। +राष्ट्रीय बांस मिशन ( एनबीएम ) की पृष्ठभूमि + +बांस क्षेत्र के समग्र विकास के लिए राष्ट्रीय बांस मिशन को +2018-19 में नए स्वरूप में शुरू किया गया, यह हब (उद्योग) और +स्पोक मॉडल पर क्लस्टर आधारित व्यवस्था थी। इसके अंतर्गत सभी +पक्षों को किसानों और बाजारों से जोड़ा जाना था। बांस से बने भारतीय +उत्पादों के लिए न सिर्फ घरेलू बल्कि वैश्विक बाजार में अपनी +पहचान बनाने के लिए प्रबल संभावनाएं हैं। इसके लिए नवीनतम +प्रौद्योगिकी, आधुनिक प्रणाली और निर्यात किए जाने वाले देशों के +मानदंडों पर खरा उतरने के लिए जागरूकता जरूरी है। राष्ट्रीय बांस +मिशन घरेलू उद्योग गतिविधियों को बढ़ाने के साथ-साथ तकनीकी +एजेंसियों के माध्यम से समर्थन और सुविधाजनक कदमों के द्वारा +किसानों की आय बढ़ाने के लिए अपनी सक्रियता को व्यवस्थित +कर रहा है। विभिन्न उत्पादों से जुड़ी इकाइयां इत्यादि स्थापित करने +के लिए किसानों को प्रति हेक्टेयर 50 प्रतिशत की सीधी सब्सिडी +दी गई जो कि 1 लाख रुपये है। सरकारी एजेंसियों और उद्यमियों +द्वारा ऐसी इकाइयों को स्थापित करने पर छूट शत प्रतिशत दी गई। +यह मिशन इस समय 21 राज्यों में संचालित किया जा रहा है जिसमें +पूर्वोत्तर भारत के सभी 9 राज्य अपने अपने बांस मिशन के द्वारा इससे +जुड़े हैं। राष्ट्रीय बांस मिशन राज्यों को यह भी सुझाव दे रहा है कि +वाणिज्य क्षमता वाली प्रजातियों की खेती के लिए अपेक्षित और +गुणवत्तापूर्ण पौधारोपण सामग्री उपलब्ध कराए जाने चाहिए, कॉमन +फैसिलिटी सेंटर और अन्य पोस्ट हार्वेस्‍्ट इकाइयों की स्थापना की +जानी चाहिए, जो पहले से स्थापित और नए उद्योगों के साथ पूरी +तरह जुड़ा हुआ हो। यह किसानों और भारतीय बांस उद्योग दोनों के +लिए फायदे का सौदा होगा। = + + + +योजना, जून 2021 + +21 + + + + + +0022.txt +<----------------------------------------------------------------------> +Le +महामारी और गांधीवादी परिप्रेक्ष्य + +डॉ सुचिता कृष्णप्रसाद + +कोविड-19 ने मानव जीवन के हर पहलू को जकड़ते हुए समूचे विश्व को व्यापक संकट की ओर धकेल +दिया है। गुजरते समय के साथ जीवन रक्षा और जीविका की रक्षा के बीच की सामंजस्य कायम करना कठिन +हो चुका है। परिस्थितियों की यह विकटता मानवीय सरोकारों का प्रबंध करने के वैकल्पिक तरीके और गांधी +जी के दृष्टिकोण पर फिर से विचार करने का आह्वान करती है। यह आलेख मौजूदा संकट को गांधीवादी +चिंतन से जोड़ने का प्रयास करता है, ताकि किसी ठोस नतीजे पर पहुंचा जा सके। + +विड-19 ने मानव जीवन +chi के हर पहलू को जकड़ते + +हुए समूचे विश्व को +व्यापक संकट की ओर धकेल दिया है। +इसने हमारे उपभोग के स्वरूप को बदल +दिया है, हमारी स्मार्ट उत्पादन प्रणालियों को +स्तब्ध कर दिया है, शिक्षा और मनोरंजन के +माध्यमों को बदल दिया है तथा हमें अपने +“सामाजिक प्राणी' होने की परिभाषा के बारे +में नए सिरे से गंभीरतापूर्वक विचार करने +पर विवश कर दिया है, जिसने एक प्रजाति +के तौर पर उत्तरोत्तर रूप से इस ग्रह पर +प्रभुत्त कायम करना सीखा है। संभवत: इस +महामारी का सबसे भयानक लक्षण इसकी + +संकटपूर्ण, असंतुलित और अरक्षणीय बन +चुकी है। इच्छाओं पर नियंत्रण से शुरुआत +करते हुए अहिंसा, सत्य और अलिप्सा के +सिद्धांतों पर आधारित गांधीवादी अर्थशास्त्री +सीधे तौर पर मुख्यधारा के अर्थशास्त्र के +विपरीत है। श्रम की गरिमा, आत्मनिर्भर एवं +सशक्त ग्रामीण अर्थव्यवस्था तथा संरक्षण +(या ट्स्टीशिप) के सिद्धांत इस चिंतन +प्रणाली के तर्कसंगत परिणामों के तौर पर +उभरे हैं, जिनमें नेतिकता का सूत्र अंतर्निहित +है, जो अर्थव्यवस्था, राज्य व्यवस्था तथा +समाज के सद्भावपूर्वक प्रबंधन का समेकित +दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। आत्मविश्लेषण + +के इस अभ्यास के दौरान गांधीवादी + + + +अनिश्चितता है: इसके लक्षणों और उनकी +अनुपस्थिति से लेकर प्रतिशोध की भावना +के साथ इसकी वापसी की आशंका तक, +तथा रोगियों के शरीर के महत्वपूर्ण अंगों +पर इसके संभावित दीर्घकालिक नुकसानों +के संदर्भ में 'इससे उबर चुके' लोगों में +इसके गंभीर प्रभावों तक, संक्रमण के +समाप्त होने के लम्बे अरसे बाद के लगातार +चिकित्सकीय परीक्षणों तथा उचित हस्तक्षेपों +की आवश्यकता तक। अब समय आ चुका +है कि हम इस बारे आत्मविश्लेषण करें +कि पृथ्वी के 'सभ्यक' बाशिंदों के रूप में +हमसे ऐसी कौन सी गलतियां हुई हैं, जिनकी +वजह से आज हमारी जीवन पद्धति इतनी + + + +विचारधारा कुछ महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान +कर सकती है। + +जब यह सुनिश्चित करने के लिए लॉक +डाउन लगाया कि लोग - घर में रहें और +सुरक्षित रहें - तो गरीबी के हालात में जीवन +यापन करने वाले लोगों ने पलायन करने का +फैसला किया, क्योंकि उनकी बचत समाप्त +हो चुकी थी और साझा शौचालयों वाली +तंग बस्तियों में उनकी बसावट शायद ही +'सुरक्षित घर' थी। और यह लाखों लोगों की +भीषण कठिनाइयों से भरी दास्तान थी, जो +केवल इतना जानते थे कि यदि उन्हें अपना +वजूद बचाना है, तो उन्हें यहां से जाना होगा, +लेकिन वे यह नहीं जानते थे कि वह अपनी + +Se | + + + + + + + +लेखिका स्वतंत्र शोधकर्ता हैं, वे एल्फिन्स्टन महाविद्यालय, मुम्बई में प्राध्यापक और अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) में एक्सटर्नल कोलेब्रेटर एंड कंसल्टेंट रह चुकी हैं। + +ईमेल; drsuchk@gmail.com +22 + +योजना, जून 2021 + + + +0023.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + +मंजिल तक कैसे पहुंच पाएंगे तथा क्या वह +अपने गंतव्य पर पहुंचने तक जीवित भी +बचेंगे या नहीं। + +अर्थशास्त्र की पाठयपुस्तक उर्फ +सकारात्मक अर्थशास्त्र का आरंभ इसी आधार +वाक्य से होता है कि इच्छाएं सामान्यतः +अतृप्त होती हैं और संसाधन सीमित होते +हैं। नियामक चिंतन से ओत-प्रोत गांधीवादी +प्रणाली! की शुरुआत इच्छाओं पर नियंत्रण +के विचार से होती है, क्योंकि गांधीजी के +अनुसार पृथ्वी पर प्रत्येक व्यक्ति की जरूरतों +के लिए तो पर्याप्त संसाधन मौजूद है, लेकिन +किसी व्यक्ति के लालच के लिए पर्याप्त +संसाधन नहीं है। लालच हिंसा को जन्म देता +है और अन्य लोगों का शोषण करने की +आवश्यकता उत्पन्न करता है, जो गांधीवादी +व्य वस्था के प्रथम मौलिक सिद्धांत: अहिंसा +के विपरीत है। अल्प वेतन और कामगारों +का शोषण भी हिंसा के समान ही हे। +भूमि के स्वामित्व में असमानता लालच की +अभिव्यक्ति है, जिसे गांधीजी के प्रख्यात +अनुयायी विनोबा भावे ने भूदान आंदोलन +के माध्यम से सुधारने का प्रयास किया। +गांधीजी ग्रामीण समुदायों को सशक्त और +आत्मनिर्भर बनाना चाहते थे। उनका विचार +था कि उदार जजमानी व्यवस्था के माध्यम +से गांवों को सशक्त बनाया जाए और इस + +योजना, जून 2021 + + + +तरह भारत की जड़ों का पोषण किया जाए, +जो अधिकांशतः गांवों में बसती है। ग्रामीण +भारत का कल्याण उनके लिए सर्वाधिक + +इच्छाओं पर नियंत्रण से शुरुआत +करते हुए अहिंसा, सत्य और +अलिप्सा के सिद्धांतों पप आधारित +गांधीवादी अर्थशास्त्री सीधे तौर पर +मुख्यधारा के अर्थशास्त्र के विपरीत +है। श्रम की गरिमा, आत्मनिर्भर +एवं सशक्त ग्रामीण अर्थव्यवस्था +तथा संरक्षण (या ट्स्टीशिप ) के +सिद्धांत इस चिंतन प्रणाली के +तर्कसंगत परिणामों के तौर पर +उभरे हैं, जिनमें नैतिकता का सूत्र +अंतर्निहित है, जो अर्थव्यवस्था, +राज्य व्यवस्था तथा समाज के +सद्भावपूर्वक प्रबंधन का समेकित +दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। +आत्मविएलेषण के इस अभ्यास +के दौरान गांधीवादी विचारधारा +कुछ महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान कर +सकती है। + +महत्वपूर्ण था और इसके हासिल हो जाने के +बाद जो लोग पलायन करेंगे, वे ऐसा अपनी +पसंद से करेंगे। + +प्रौद्योगिकी के चयन के बारे में गांधीजी +के विचारों पर काफी चर्चा की जा चुकी +है, लेकिन स्थानीय संसाधनों और कौशल +का सर्वोत्तम उपयोग करने का विचार, +व्यापार की पद्धतियों की व्याख्या करने +वाली किसी भी पाठयपुस्तक के बुनियादी +सिद्धांत हैं। मशीनें उपयोगी हैं, लेकिन उन्हें +श्रम की गरिमा को प्रभावित नहीं करना +चाहिए। गांधीजी की श्रम की गरिमा की +अवधारणा के कई आयाम हैं।? सर्वप्रथम, +इसका आशय है कि कोई भी श्रम छोटा नहीं +होता। वास्तव में, उन्होंने प्रतिदिन कुछ घंटों +के शारीरिक श्रम की पुरजोर सिफारिश की। +यह शारीरिक श्रम करने वाले कामगारों के +atest को उपयुक्त रूप से संवेदनशील +बनाने के अलावा शारीरिक और मानसिक +स्वास्थ्य भी सुनिश्चित करेगा। श्रम की +गरिमा का आशय यह भी है कि मशीन के +पीछे काम करने वाले व्यक्ति को अधिक +महत्व दिया जाए। इसका आशय है कि +उस व्यक्ति के साथ शालीनतापूर्वक व्यवहार +करने की आवश्यकता है। शालीनता में काम +करने की स्वस्थ और स्वच्छ स्थितियां तथा +उचित मजदूरी शामिल होगी। अहमदाबाद + +23 + + + +0024.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +Hm HIS! att Ht seca FY sah +हस्तक्षेप को सम्मानजनक कार्य सुनिश्चित +करने के प्रयास के रूप में देखा जा सकता +है। वह उद्योगों के खिलाफ नहीं थे। प्रगति +के लिए उद्योगों की आवश्यकता होगी, +और उन्हें अस्तित्व बचाए रखने के लिए +लाभ कमाना होगा, लेकिन आखिरकार लाभ +समाज से जुड़े हैं, जिसने किसी उद्योगपति +को हर संभव संसाधन प्रदान किया है, जो +इस धन का एक ट्र॒स्टी मात्र है। ऐसे में यह +उसका दायित्व हो जाता है कि समाज की +आवश्यकताओं का ध्यान रखे। लाभ का +उपयोग बडे पैमाने पर सामाजिक भलाई +के लिए करना, जो कि कॉर्पोरेट सामाजिक +उत्तरदायित्व का केंद्र बिंदु है, जिसकी जड़े +गांधीजी के ट्रस्टीशिप के विचार में देखी +जा सकती है। यद्यपि उनके विचारों में सदैव +उच्च चेतना का ही आग्रह रहा है, उन्हें +किंवदंतियों के रूप में सराहे जाने की ही +प्रथा है, जिनकी केवल दूर से ही प्रशंसा +की जा सकती है। यह उन्हें लागू करने की +जिम्मेदारी अथवा उनके साथ प्रयोग करने से +बचने का एक आसान तरीका भी है। + +हालांकि, मौजूदा महामारी ने इस तरह +के प्रयोग की संभावनाओं का मार्ग प्रशस्त +किया है, और इस स्थिति को सही ठहराने +के लिए अनेक आधार हैं। +क ) उपभोग का बदलता स्वरूप + +उपभोग के स्वरूप में विशेषकर + +24 + +लॉकडाउन की अवधि के दौरान महत्वपूर्ण +बदलाव आया है। अध्ययनों में इस बात पर +गौर किया गया है कि 'विवेकगत' (सुस्पष्ट +तौर पर देखा जाए) उपभोग में महत्वपूर्ण +कमी आयी है। उपभोक्ता अब “ब्रांड-वेल्यू' +के द्वारा अपना विवेक ज्यादा नहीं खो रहे हें +तथा ब्रांड का चयन करने के बावजूद जरूरी +और गैर-जरूरी उपभोग के बीच फर्क करने +में तेजी से चौकस हो रहे हैं यह ' इच्छाओं +पर नियंत्रण” का स्वरूप हे, हालांकि ऐसा +हालात से विवश होकर किया गया है। बेशक +कोविड-19 के कारण परिवार प्रतिरोधक +क्षमता बढ़ाने के लिए स्वस्थ जीवन शैली + +उपभोग के स्वरूप में विशेषकर +लॉकडाउन की अवधि के दौरान +महत्वपूर्ण बदलाव आया है। +अध्ययनों में इस बात पर गौर +'किया गया है कि “विवेकगत' +(सुस्पष्ट तौर पर देखा जाए) +उपभोग में महत्वपूर्ण कमी आयी +है। उपभोक्ता अब “ब्रांड-वेल्यू' के +द्वारा अपना विवेक ज्यादा नहीं खो +रहे हैं तथा ब्रांड का चयन करने +के बावजूद जरूरी और गैर-जरूरी +उपभोग के बीच फर्क करने में +तेजी से चौकस हो रहे हैं। + +अपनाने को विवश हुए हैं, लेकिन इसके +बावजूद यह अप्रत्यक्ष रूप से वरदान भी है। +प्राकृतक और हर्बल उपचार अब उनकी +प्राथमिकता बन रहे हैं और वे उनके गुणों +और स्थायी प्रभावों के बारे में सीख रहे हैं। +लोगों का बड़ी संख्या में एक जगह जमा +होना खतरनाक हो जाने के कारण अब +आयोजन सादगी से हो रहे हैं। ज्यादा समय +घर पर बिताना तलवार की धार जैसा हो +गया है। जहां एक ओर अध्ययनों से मादक +पदार्थों के इस्तेमाल, शराब की लत, चिंता +और अवसाद के संकेत मिले हैं, वहीं दूसरी +ओर घर में ठहरने को ज्यादा अनुकूल बनाने +के लिए नवोन्मेषी और रचनात्मक तरीके +ईजाद किए जा रहे हैं। इनमें ऑनलाइन +शिक्षण कार्यक्रम शामिल हैं, जिनका उद्देश्य +आत्म- चिकित्सा के लिए अप्रयुक्त कौशलों +का इस्तेमाल करना और आं तरिक शांति की +तलाश करना है। यह सच है कि आर्थिक +तनाव के साथ-साथ महामारी से जुड़ी मौतों +और रुग्णता और बडे पैमाने पर घरों में +केद होने के कारण अवसाद और चिंता के +अधिक मामलों का सामना करना पड॒ रहा +है, लेकिन यह भी सच है कि हमारे समाज +में अधिक से अधिक am se ‘ar’ +मामलों के रूप में स्वीकार करने को तैयार हें +और कम से कम सोशल मीडिया के माध्यम +से ही सही, सहायता देने को तैयार हें। + +वास्तव में सब्जेक्टिव वेल-बीइंग +(एसडब्ल्यूबी) किसी भी दिशा का रुख +कर सकती है, जैसा कि चीन में सभी +वर्गों के 1000 से अधिक प्रतिभागियों पर +किए गए सर्वेक्षण” पर आधारित एक विस्तृत +अध्ययन द्वारा सामने लाया गया है, और +अब हम एक स्वस्थ जीवन शैली चुनने की +दिशा में समर्थन प्रणालियों को कैसे सुधार +सकते हैं, जिनका आने वाले समय के लिए +महत्वपूर्ण प्रभाव पडु सकता है। +ख ) उत्पादन का बदलता स्वरूप + +ऐसे में जबकि दुनिया आपूर्ति श्रृंखला +के टूट जाने की समस्या से जूझ रही है, +जैसे भी संभव हो उसे फिर से शुरू करने +की आवश्यकता है, उत्पादकों को अपने +आपूर्ति स्रोतों को नयी जगह स्थानांतरित +करने के लिए मजबूर किया जा सकता +है। यूएनसीटीएडी के एक अर्थशास्त्री, पी. +फोर्टुनैटे ने अपने अध्ययन 'हाउ कोविड-19 + +योजना, जून 2021 + + + +0025.txt +<----------------------------------------------------------------------> +चेंजिंग ग्लोबल वैल्यू चेन (सितंबर 2, +2020) ' में स्थानीय कौशलों और सामग्री के +अधिक उपयोग के पक्ष में जीवीसी (ग्लोबल +वैल्यू चेन) को नयी जगह स्थानांतरित करने +के चलन पर गौर किया है। परिस्थिति के +दबावों से विवश होकर हम संभवत: उसी +तरह की उत्पादन प्रणालियों का पुनर्विकास +कर सकते हैं, जिनकी पुरजोर वकालत +गांधीजी ने आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के +लिए की थी। + +इसके अलावा, विशेषज्ञों ने हरित +प्रौद्योगिकी! का रुख करने की विवशताओं +को रेखांकित किया है। उदाहरण के लिए, +कन्फेडरेशन ऑफ ब्रिटिश इंडस्ट्री ने सरकार +से हरित प्रौद्योगिकी और नौकरियों में निवेश +करने का अनुरोध किया है। यहां तक +कि ब्रिटिश सरकार ने कोविड के बाद के +परिदृश्य में निरंतरता सुनिश्चित करने के +लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए ग्रीन +रिकवरी चेलेंज फंड” की भी घोषणा की +है। दिलचस्प बात यह है कि आईएलओ के +अनुसार, हरित प्रौद्योगिकी में निवेश रोजगार +की व्यापक संभावनाओं सहित महत्वपूर्ण +गुणक प्रभाव प्रदान कर सकता है।'? + +अधिक निरंतरता लाने में संलग्न +किसी भी प्रयास की भावना +गांधीवादी है, क्योंकि यह केवल +लालच , हिंसा और क्षुद्र आत्म- +महत्व पर आधारित वृत्तियों से +ऊपर उठकर ही प्राप्त किया जा +सकता है। वास्तविक गांधीवादी +परिप्रेक्ष्य में, 17 सतत विकास +लक्ष्यों को एक एकीकृत वृष्टि +के रूप में देखा जा सकता है, +जो मानव के - एक दूसरे के +साथ, प्रकृति द्वारा समर्थित अन्य +प्राणियों के साथ शांतिपूर्ण और +सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व से जुड़ा +है, जिसका संभवत: गांधीजी को +इंतजार था। + +ग) वंचितों के प्रति सहानुभूति +वैध या अवैध तरीके! से पैदल चलकर +अपने गृह राज्य पहुंचने वाले प्रवासियों की + + + + + + + + +x te \ - ' + + + + + + + +योजना, जून 2021 + +कहानी दिल दहला देने वाली है।? लेकिन +इसने व्यक्तियों और गैर-सरकारी संगठनों को +यह अवसर भी प्रदान किया कि वे भोजन +के पैकेटों और अन्य सामग्रियों की आपूर्ति +के माध्यम से इन बदकिस्मत लोगों के +कष्ट मिटाने में उनकी सहायता करें। राज्यों +और केंद्र की सरकारों ने इनकी सुरक्षित +वापसी सुनिश्चित करने के लिए श्रमिक +ट्रेनों की व्यवस्था की, लेकिन बहुत ही +स्वाभाविक तरीके से मदद का हाथ बढ़ाने +वाले व्यक्तियों?, गैर सरकारी संगठनों +और धार्मिक संस्थानों” की भूमिका को +महत्व दिया जाना बहुत महत्वपूर्ण है। यदि +प्रवासियों की वापसी की मुहिम विभाजन +के समान है, तो समाज के विभिन्न वर्गों से +उन्हें सहायता और समर्थन उसी हद तक +का मिला है। गांधीजी ने सहानुभूति की इस +भावना की न केवल सराहना की होती, +बल्कि संभवत: इसे लंबे समय तक बनाए +रखने के लिए संस्थागत निर्माण करने में +कामयाबी हासिल कर ली होती। + +जब सामाजिक-आर्थिक प्रणालियों +की मौजूदा परिपाटियां डगमगा जाएं, तो +वे बदलाव की गुंजाइश तैयार करती हैं। +यह व्यवस्था की पिछली खराबियों को +दुरुस्त करने के लिए भी उपयुक्त समय हेै। +उदाहरण के लिए- + +ग्रामीण-शहरी असंतुलल को कम +करना: हमारी आबादी की कृषि पर व्यापक +निर्भरता, गैर-कृषि रोजुगारों की अनुपलब्धता +की ओर इंगित करती है। गैर-कृषि क्षेत्र में +तथा उससे भी बढ़कर विनिर्माण क्षेत्र में +और अधिक रोजगार प्रदान करना समय की +आवश्यकता है।!* मछली पालन और खाद्य +प्रसंस्करण जैसी कृषि आधारित और संबंधित +व्यावसायिक गतिविधियों को बढ़ावा देना +ग्रामीण क्षेत्र में लाभकारी रोजुगार के अधिक +अवसर प्रदान करने की दिशा में महत्वपूर्ण +हो सकता है, जो गांधीवादी दिशा में उठाया +गया कदम होगा। + +घरेलू हिंसा और महिलाओं से जुड़ा +मामला : यह एक प्रमाणित तथ्य है कि +आर्थिक कठिनाइयों के दौरान महिलाओं +के साथ हिंसक, अपमानजनक, आवेगपूर्ण, +जबरदस्ती और नियंत्रण में रखने वाले व्यवहार +और आक्रामकता में वृद्धि होती है। अध्ययनों +से पता चलता है कि बंद दरवाजों के + +25 + + + +0026.txt +<----------------------------------------------------------------------> +पीछे महिलाओं के उत्पीड़न में आश्चर्यजनक +वृद्धि हुई है। जब परिवार का हरेक सदस्य +संभवत: जीवन के संभावित खतरे, वित्तीय +दबाव, सामाजिकता के अवसरों के अभाव +में जी रहा हो, ऐसे में शराब या तंबाकू के +लिए बेताब पुरुषों के असर हिंसक हो जाने +को सामाजिक रूप से स्वीकार्य मान लिया +गया प्रतीत होता है। हिंसक या चालाक +व्यक्तियों के साथ एक जगह में फंस जाने +से खतरा, शारीरिक, यौन और मनोवैज्ञानिक +शोषण, अपमान, जोखिम और नियंत्रण में +रखने वाले व्यवहार की मात्रा और तीव्रता +बढ़ सकती है, जो लॉकडाउन से बढ़ गई +और विकसित देशों की भी यही हकीकत +रही।!” लॉकडाउन के पहले पांच हफ्तों में, +पुणे पुलिस ने घरेलू हिंसा के मामलों में 12 +गुना वृद्धि दर्ज की! इस संख्या ने घरेलू +हिंसा के लिए “समानांतर महामारी' शब्द +को तर्कसंगत ठहराया है, जो महिलाओं पर +इस महामारी के स्याह प्रभाव को रेखांकित +करता है, लेकिन साथ ही महिलाओं की +असमानता और उनके अधिकारों से वंचित +होने को इस प्रकार उजागर किया है, जिसे +अब और ज्यादा नजरंदाज नहीं किया जा +सकता। परिवार, जो समाज में आदर्श रूप +से मूलभूत पालन-पोषण करने वाली इकाई +है, उसको ऐसे मुश्किल दिनों में विशेषकर +पोषण करने वालों के प्रति बिल्कुल विपरीत +व्यवहार करना चाहिए, महामारी ने हमारे +सामने यह एक मजबूत और कर्णभेदी खतरे +की थंटी प्रस्तुत की है, जिस पर गौर किए +जाने की जरूरत है। +घ) वापस लौटे प्रवासियों के प्रति +व्यवहार + +जिन राज्यों पर वापस लौटे प्रवासियों के +रहने की व्यवस्था करने का दबाव है, उनके +पास अब घरेलू स्तर पर अपनी विशेषज्ञता +का उपयोग करने का अवसर है। ऐसे अनेक +राज्यों ने कथित तौर पर स्किल-मैपिंग की +है, जिसके बारे में पहले कभी सोचा तक +नहीं गया था। ये राज्य और ज्यादा कारोबार +को आकृष्ट करने के लिए इस अनुभवी श्रम +शक्ति का उपयोग अपने बुनियादी ढांचे में +सुधार लाने, औद्योगिक सम्पदा का निर्माण +करने, नए एमएसएमई स्थापित करने आदि +में कर सकते हैं। वास्तव में, इस तरह के +निवेश के माध्यम से प्रारंभिक रोजगार सृजन + +26 + + + + + + + +हो सकता है, जो कि आर्थिक विकास को +कई गुना बढ़ा सकता हे। + +छोटे या घर से संचालित किए जा +सकने वाले कारोबार करने का अनुभव +रखने वाले प्रवासियों को समूहों में एक +साथ लाकर सहकारी समितियां बनाई जा +सकती हैं। ऐसा केवल इसलिए, क्योंकि +जो प्रवासी वापस लौटे हैं, उनमें एक-दूसरे +के साथ तालमेल कायम करने और टीम +बनाने की संभावना अधिक है, और ऐसा +विश्वास, विशेष रूप से सहकारी समितियों +के रूप में, एक नए उद्यम की मजबूत +नींव साबित होगा।” अनेक देशों में प्रवासी +श्रमिकों की सहकारी समितियों के सफल +उदाहरण मौजूद हैं जो संकट की प्रतिक्रिया +के रूप में सामने आई हैं। राज्य आईएलओ +के साथ सहयोग करके लाभान्वित हो सकते +हैं जिसके पास दुनिया भर में ऐसी कई +परियोजनाओं को सहायता देने का समृद्ध +अनुभव है।" अंत में, सहकारी समितियां +महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि वे विकास की प्रक्रिया +के विकेद्रीकरण की सुविधा प्रदान करती हैं +जिनकी भावना गांधीवादी है। +S) शहरी विकास + +कोविड-19 ने स्वच्छता और साफ- +सफाई की आवश्यकता पर जिस तरह जोर +दिया है, वैसे पहले कभी नहीं दिया गया। +इसने शहरी स्थानीय निकायों को अपनी +स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार लाने और उनका +विस्तार करने के लिए मजबूर कर दिया है। +यह झुग्गी-बस्तियों और वहां रहन-सहन की +स्थितियों में बदलाव लाने की दिशा में खतरे + +की घंटी भी है। स्वच्छता को नजरअंदाज +करना या इसे कल्याणकारी या धर्मार्थ कार्य +मानने से कोई फायदा नहीं होने वाला, +क्योंकि अब यह सभी के अस्तित्व के लिए +आवश्यक है। एक तरह से, सम्मानजनक +रहन-सहन की स्थितियां सुनिश्चित करना, +जो श्रम की गरिमा में निहित हैं, अस्तित्व +की आवश्यकता के रूप में हम पर जोर देती +हैं। एक बात जो महामारी ने हमें सिखाई है, +वह यह है कि कहीं भी संक्रमण होना सब +जगह स्वास्थ्य के लिए खतरा है। +a) ware वेतन और कोविड +भत्ता + +जिन राज्यों से प्रवासी श्रमिक बाहर +चले गए हैं, उन्हें कामगारों की घोर कमी +के कारण मजदूरी बढ़ानी पड़ी है। ऐसे +उदाहरण हैं कि श्रमिकों को काम पर लौटने +के लिए हवाई टिकट दिया गया है।” ये +उदाहरण अविश्वसनीय हो सकते हैं, लेकिन +वे कामगारों के साथ गरिमापूर्ण व्यवहार +करने की आवश्यकता को दोहराते हैं। ऐसी +उम्मीद ही की जा सकती है कि कम से +कम इसी तरह के कुछ लाभ इतने लंबे +समय तक कायम रह सके, जो नई प्रथाओं +के रूप में उभरने के लिए पर्याप्त हों। यह +हमें अहमदाबाद कपडा हडताल में प्लेग भत्ते +के मुद्दे के बारे में बातचीत करने संबंधी +गांधीजी के हस्तक्षेप तक ले जाती है।” +छ ) पर्यावरणीय सरोकार + +लॉकडाउन ने कथित तौर पर वायु और +जल प्रदूषण को काफी हद तक कम किया +है।ः अब यह हम पर निर्भर करेगा कि हम +यथासंभव सावधानी के साथ इसे बरकरार +रखें। उदाहरण के लिए, रोजगार के अधिक +अवसरों के सृजन के साथ-साथ कार्बन +उत्सर्जन में कमी लाने में सक्षम बनाने वाली +पर्यावरण के अनुकूल शहरी परिवहन प्रणाली +और विनिर्माण प्रणालियों का रुख करने की +व्यापक संभावनाएं हो सकती हैं। +निष्कर्ष + +अधिक निरंतरता लाने में संलग्न +किसी भी प्रयास की भावना गांधीवादी +है, क्योंकि यह केवल लालच, हिंसा और +क्षुद्र आत्म-महत्व पर आधारित तवृत्तियों से +ऊपर उठकर ही प्राप्त किया जा सकता +है। वास्तविक गांधीवादी परिप्रेक्ष्य में, 17 +सतत विकास लक्ष्यों को एक एकीकृत दृष्टि + +योजना, जून 2021 + + + +0027.txt +<----------------------------------------------------------------------> +के रूप में देखा जा सकता है, जो मानव +के - एक दूसरे के साथ, प्रकृति द्वारा +समर्थित अन्य प्राणियों के साथ शांतिपूर्ण +और सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व से जुड़ा है, +जिसका संभवत: गांधीजी को इंतजार था। +महामारी ने हमें इस ग्रह पर अपने जीवन +जीने के तरीकों में समझदारी और अधिक +सहानुभूतिपूर्ण तरीके से सुधार लाने के +अवसर प्रदान किए हैं। हम अब जो चुनाव +करेंगे, उनका हमारे कल्याण पर दीर्घकालिक +प्रभाव पड़ सकता है। = + +atafeuror + +1. + +2. + +10. + +https://www.mkgandhi.org/momgandhi/ +chap41.htm +http://gandhiashramsevagram. org/voice- +of-truth/gandhiji-on-dignity-of-labour- +bread-labour. php +https://indianexpress.com/article/world/ +uks-labour-party-group-mahatma-gandhi- + +future-leaders-plan-6556198/ + +उपभोग के बदलते स्वरूप के विस्तृत सर्वेक्षण +के लिए देखिए ; हाओ द कोरोनावायरस इज्‌ +चेंजिंग कंसम्मीन पैटर्न्स Clivemint.com ) + +द नेक्स्ट पेंडेमिक: कोविड-19 मेंटल हैल्थ- +पेंडेमिक ईवलिन पैरिश : द नेक्स्ट पेंडेमिक: +कोविड-19 मेंटल हैल्थ पेंडेमिक-पबमेड +(॥1.80०), द असेस्मेंट ऑफ लाइफस्टा इल +dita ड्यूरिंग कोविड-19 पेंडेमिक यूजिंग अ +मल्टीडायमेंशनल Sha (nih.gov), इफैक्ट्स +ऑफ कोविड-19 होम कन्फाइनमेंट ऑन ईटिंग +बिहेव्यर एंड फिजिकल एटींग बिटी ; रिजल्ट्स +ate =< ईसीएलबी-कोविड-19 इंटरनेशनल +ऑनलाइन सर्वे-पबमेड (॥11.800) + +इम्पैक्ट ऑफ द कोविड-19 एपिडेमिक ऑन +लाइफस्टाइल बिहेव्यर्स एंड देयर एसोसिएशन +faq सब्जेक्टिव वैल-बींडग अमंग द जनरल +पॉपुलेशन इन मेनलैंड चाइना ; क्रॉस-सेक्शनल +स्टडी झाओ हू 1, एमडी; शूहुई लिन 1 एमडी; +एटिपात्सा चीवांडा कामिंगा 2, 3 एमडी; +हुइलान शू 1, एमडी देखिए ; जेएमआईआर - +इम्पैक्ट ऑफ द कोविड-19 एपिडेमिक ऑन +लाइफस्टाइल बिहेव्यिर्स एंड देयर एसोसिएशन +faq सब्जेक्टिव वैल-बींडग अमंग द जनरल +पॉपुलेशन इन मेनलैंड चाइना: क्रॉस-सेक्शनल +स्टडी हू - जर्नल ऑफ मेडिकल इंटरनेट +रिसर्च। + +क्लीन, ग्रीन एंड बेटर ; पॉलिसी प्राओरिटीजू +इन अ पोस्ट-कोविड-19 वर्ल्ड। क्लाइमेट +इन्वेस्टमेंट फंड्स। + +क्रीएट ग्रीन पोस्टी-कोविड रिकवरी अर्जिस +यूके इंडस्ट्री बॉडी-पॉजिटिव न्यूज-पॉजिटिव +=a + +बिल्डिंग बैक अ ग्रीन एंड रीजिलिएंट रिकवरी- +जीओगबी,. यूके (जज. 200.पांए ) + +माइक्रोसॉफ्ट वर्ल्डन - मेथडालजीस फॉर असे. + +योजना, जून 2021 + +11. + +12. + +13. + +14. + +15. + +16. + +17. + +18. + +19. + +20. + +21. + +22. + +सिंग ग्रीन जॉब्सव मार्च 2013 (110.08) यह +भी देखिए ; Looking-for-green-jobs_the- +impact-of-green-growth-on-employment. +pdf (Ise.ac.uk) +https://www.thestatesman.com/ +coronavirus/18-migrant-workers-trying-to- +reach-home-hiding-in-cement-mixer-held- +in-madhya-pradesh-1502883244.html +https://www.reuters.com/article/us- +health-coronavirus-india-migrants-spe/ +special-report-indias-migrant-workers- +fall-through-cracks-in-coronavirus- +lockdown-idUSKBN2230M3 +https://www.hindustantimes.com/ +sex-and-relationships/this-is-how- +good-samaritans-are-helping- +delhi-survive-in-lockdown/story- +MPp9xnxZ34zCCBglELZACL.html +https://timesofindia.indiatimes.com/ +city/dehradun/good-samaritans- +social-organisations-come-forward- +to-help-those-hit-by-lockdown/ +articleshow/74901311.cms +https://timesofindia.indiatimes.com/ +city/agra/gurdwara-along-nh2-has-fed- +over-a-million-people-during-lockdown/ +articleshow/76163085.cms, and_ https:// +www.tribuneindia.com/news/punjab/ +dsgme-launches-langar-on-wheels-for- +migrants-86473 + +देखिए ; रीबाइविंग जॉब्स ; ऐन एजेंडा फॉर +ग्रोथ (ईडी) बाय संतोष मेहरोत्रा (2020) +2020 की पहली तिमाही में घरेलू हिंसा के +मामलों की संख्या में फ्रांस में 30 प्रतिशत, +सिंगापुर में 100 प्रतिशत, अर्जेंटीना में 25 +प्रतिशत और साइप्रस में 33 प्रतिशत वृद्धि हुई। +चीन के हुबेई प्रांत के एक पुलिस स्टेशन में +फरवरी 2020 में क्वांरंटीन के दौरान घरेलू +हिंसा की रिपोर्ट्स तीन गुणा बढ़ गई। + +राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) +द्वारा प्रकाशित क्राइम इन इंडिया रिपोर्ट 2018 +के अनुसार, भारत में महिलाओं के खिलाफ +हर 1.7 मिनट में एक अपराध दर्ज किया +जाता है और हर 4.4 मिनट में एक महिला +को घरेलू हिंसा की शिकार होती है। महामारी +के दौरान यह स्थिति संभवत: और खराब + +हो गई होगी। +See: https://mfasia.org/migrant-workers- +cooperatives-as-a-crisis-response/ for + +Indonesian experience of migrant workers +co-opertives. +https://www.ilo.org/wemsp5/groups/ +public/---ed_emp/---emp_ent/---coop/ +documents/publication/wems_221743.pdf +https://timesofindia.indiatimes.com/ +india/3-times-more-pay-air-travel- +how-migrants-are-being-wooed-back/ +articleshow/76210270.cms. And https:// +www.indiatvnews.com/news/india/ +construction-firms-migrant-workers-air- +tickets-sops-623400 +https://nvdatabase.swarthmore.edu/ +content/ahmedabad-textile-laborers-win- +strike-economic-justice-1918, https:// +dialogueden.com/2020/blog/from-the- + +23. + +1918-influenza-pandemic-time-and- +gandhis-role-as-an-arbitrator/ + +https://www.sciencedaily.com/ +releases/2020/07/200716101621.htm, +https://www.sciencedirect.com/science/ +article/abs/pii/S0048969 7203 23378, +https://www.timesnownews.com/mirror- +now/in-focus/article/covid- 19-lockdown- +leading-to-significant-drop-in-ganga- +river-water-pollution/574016 + +संदर्भ + +10. + +11, + +12. + +13. + +14. + +15. + +बसु, कौशिक 2018: a शॉट हिस्ट्री ऑफ +इंडियाजू इकॉनोमी। अ चेप्टर इन द एशियन +ड्रामा यूनाइटेड नेशन्स यूनिवर्सिटी यूएनयू +वाइडर वकिंग पेपर/124 अक्टूबर + +बोंडुरेंट, जॉन वी. कॉन्वेस्ट ऑफ वॉयलेंस +1958: द गांधीयन फिलॉसफी ऑफ +कॉन्फिलक्टम। प्रिंस्टजन : प्रिंस्ट न यूनिवर्सिटी +प्रेस। + +चक्रबर्ती, बिद्युत 2006: सोशल एंड +पॉलिटिकल थॉट ऑफ महात्मा गांधी, लंदन; +न्यू यॉक॑; राउटलेज। + +चंद्र, सुधीर 2020: थिंकिंग ऑफ गांधी टूडे +संस्करण 55 अंक संख्या 38 + +चटर्जी राखाहरी 1976: द इंडियन जर्नल ऑफ +पॉलिटिकल साइंस संस्करण 37 सं. 4 पृष्ठ +संख्या 42-57 + +दासगुप्ता, ए.के. 1975: द इकॉनॉमिक्स 3 +ऑफ ऑस्टेरिटी ऑक्स फोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस +देसाई, महादेव, अ राइचस स्ट्रगल : अ +क्रॉनिकल ऑफ द अहमदाबाद टैक्सटाइल +लेबरर्स फाइट फॉर जस्टिस। अहमदाबाद, +भारत; जीवनजी दयाभाई देसाई, 1918 +wea, Ute wa 1969: गांधीज्‌ +ea: aft द ऑरिजन ऑफ मिलिटेंट +नॉन-वॉयलेंस। न्यूयॉर्क; डब्ल्यू डब्ल्यू नोर्टन +एंड कंपनी, इंक + +पटेल, सुजाता. 1984: क्लास कॉन्फ्लिक्ट +Us aed Wade इन अहमदाबाद tanec +इंडस्ट्री, 1918-23, इकॉनोमिक एंड पॉलिटिकल +वीकली संस्करण 19, सं, 20/21 (मई +19-26,), पृष्ठ संख्या 853-855; 857-864 , +http%//www.jstor.org/stable/4373280 +मेहरोत्रा, संतोष ईडी. 2020 रीबाइविंग जॉब्स: +ऐन एजेंडा फॉर ग्रोथ, पेंगुइन + +नायक पुलिन बी 2017: ए के दासगुप्ता/ +ऑन गांधी एंड द इकॉनोमिक ऑफ ऑस्टेरिटी +संस्करण 52, अंक सं. 50, दिसम्बर 16, 2017 +स्पो डेक हॉवर्ड 1965: द “मैनचेस्टएराइजेशन' +ऑफ अहमदाबाद मार्च 13, द इकॉनोमिक +aracit 483-490 + +स्पोडेक हॉवर्ड, 2011: अहमदाबाद; शॉक +सिटी ऑफ ट्वेन्टीअथ-सेंचुरी ऑफ इंडिया. +ब्लूमिंगटन, आईएन;: इंडियाना यूनिवर्सिटी प्रेस +व्यास, एम. (2020): द जॉब्स बल्डबाथ ऑफ +अप्रैल 2020, सीएमआईई, मुम्बई + +वेबर थॉमस 2020: गांधी एंड पेंडेमिक +ईपीडब्यू संस्करण 55, अंक सं, 25, 20 जून। + + + +27 + + + +0028.txt +<----------------------------------------------------------------------> +कोविड-19 ओर मनोस्वास्थ्य + +डॉ कृष्ण चन्द्र चौधरी + +कोविड-19 विषाणु को लेकर पूरी दुनिया में चिंताएं बढ़ी हैं और वे इसे गंभीर खतरे के रूप में देख +रहे हैं। भारत में दूसरी लहर में इस विषाणु का नया रूप ज्यादा लोगों को अप्रत्याशित रूप से प्रभावित +कर रहा है। इस महामारी ने हमें सामाजिक, मनोवैज्ञानिक, भावनात्मक, चिकित्सकीय, मनोस्वास्थ्य +और आर्थिक तौर पर बुरी तरह से प्रभावित किया है। भय और चिंता की अवस्था में व्यक्ति में प्राय: +सांवेगिक अनुक्रिया मनोसामाजिक डर, आशंका और घबराहट उत्पन्न होती है, जिसे नैसर्गिक रूप से +भावनाओं के आदान-प्रदान से कम किया जा सकता है। इसके साथ ही विचारों का आदान-प्रदान +मनोभावों की शानदार अभिव्यक्ति है जो हमें हर परिस्थिति में प्रेरित करती है। इससे परिस्थिति के +अनुरूप स्वयं को ढालने की क्षमता बढ़ती है। सकारात्मक सोच और रचनात्मक क्रियाकलापों को अपना +कर तनावपूर्ण स्थिति से बाहर निकला जा सकता है। महामारी के प्रकोप से उत्पन्न स्थिति से निपटने +के लिए वर्तमान में कोविड प्रोटोकॉल का पालन सुनिश्चित करके और टीका लगवा कर विषाणु के + +फैलाव को रोका जा सकता है। + +विड-19 विषाणु की महामारी बाकी महामारियों से +को अलग है क्योंकि ये असल मायनों में वैश्विक है। इसका +असर लोगों के भावनात्मक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। + +आम जीवन में तनाव सामान्य बात है, परंतु इस महामारी ने करोड़ों +लोगों को भौतिक रूप से शेष दुनिया से अलग-थलग कर दिया है। +लोगों में भविष्य के प्रति अज्ञात भय के कारण यह बहुत बड़ी समस्या +खड़ी कर सकता है। + +आज दुनिया के सबसे महत्त्वपूर्ण जोखिमों में से एक अकेलापन +है। अब जबकि लोगों की आजादी से घूमने फिरने की गतिविधियों पर +अंकुश लग गया है तो समस्या और बिगड़ गई है। भारतीय समाज में +सामूहिकता अधिक देखने को मिलती है, तो ऐसे में हमारी विशिष्ट +संस्कृति के संदर्भ में साझ्ना अनुभव की अहमियत और बढ़ जाती हे। +हमारे समाज में सामूहिक आयोजन, हमारे सामाजिक मेलजोल के +ताने-बाने का केंद्रीय आधार बिंदु रहा है। +मानसिक स्वास्थ्य पर असर + +कोरोना महासंकट लोगों की मनःस्थिति पर गहरा प्रभाव डाल +रहा है। घरों में बंद जीवन, वित्तीय संकट की आशंका, सामान्य जीवन +नहीं जी पाने की छटपटाहट और इन सबसे ऊपर कोरोना का डर, +इन सभी भावनाओं ने नकारात्मकता को उत्पन्न कर दिया है। आज +हर कोई भयभीत और भयाक्रांत है। + +व्यक्तिगत दूरी, मास्क का उपयोग व सामाजिक व्यवहारात्मक +अनुशासन + +सामाजिक एकांतवास एक व्यवहारवादी परिवर्तन है और +सम्पूर्ण टीकाकरण से कोरोना विषाणु को फैलने से रोका जा सकता +है। कोविड-19 महामारी के दौरान “घर पर रहें, सुरक्षित रहें" यह +अति महत्वपूर्ण है। अतः कोरोना महामारी के दौर में मानसिक स्वास्थ्य +पर ध्यान देना भी जरूरी है। संक्रामक रोगों का सभी पर गहरा + + + + + +लेखक एस.बी. कॉलेज, आर में मनोविज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष हैं और कोरोना को लेकर युवा एवं खेल मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से एनएसएस नोडल सह + +कार्यक्रम पदाधिकारी हैं। ईमेल; krishna.nipecd@gmail.com + +28 + +योजना, जून 2021 + + + +0029.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +हैं। इन बीमारियों को लेकर हमारी प्रतिक्रिया चिकित्सकीय ज्ञान पर +आधारित न होकर हमारी मनोसामाजिक समझ से भी संचालित होती +है। किसी वैश्विक महामारी का मनोवैज्ञानिक परिणाम हमारे सामाजिक +ताने-बाने पर भी असर डालता है। +मनोस्वास्थ्य का प्रभाव + +मनोवैज्ञानिकों ने कोरोना महामारी को तनाव का मुख्य कारण +बताया है। क्‍योंकि यह संक्रमित बीमारी है इसलिए कोई व्यक्ति इसके +बारे में सुनकर ही तनाव में आ जाता है। इस महामारी के संक्रमण +से बचने और अन्य लोगों में इस बीमारी के फैलने, मनोस्वास्थ्य +की देखभाल करने और मृत्यु के कारण लोगों के अपने कार्य से +मनोसामाजिक दूरियां बढ़ गयी हैं। सर्वविदित है कि यह महामारी एक +दूसरे के छूने से फैलती है और एक अदृश्य दुश्मन जिसने सब कुछ +उथल-पुथल कर रख दिया जिससे हम लोगों का जीवन तनावपूर्ण हो +गया है। इस कारण से, सभी लोग इस बीमारी +से और भी ज्यादा डर रहे हैं और अकेलापन व +अवसाद के शिकार हो रहे हैं। इन समस्याओं +के अलावा मनोवैज्ञानिकों ने कोरोना के बढ़ते +संक्रमण की वजह से अपनी प्रतिक्रिया में +कहा कि इस बीमारी के कारण आज लोगों +में अन्य बीमारी के बढ़ने का खतरा ज्यादा +बढ़ता जा रहा है। मनोस्वास्थ्य पर बुरा असर +न पडे, इसके लिए विशेषज्ञों का मानना है कि +सभी की भावनाओं को व्यक्त करने के लिए +सकारात्मक तरीके खोजने चाहिए। जितना हो + +योजना, जून 2021 + +मनोस्वास्थ्य पर बुरा असर न पड़े, + +इसके लिए विश्ेषज्ञों का मानना है + +कि सभी की भावनाओं को व्यक्त +करने के लिए सकारात्मक तरीके +खोजने चाहिए। जितना हो सके +नियमित दिनचर्या को अपनाये, + +रुचि का कार्य करें और प्रियजनों + +के संपर्क में रहें। + +सके नियमित दिनचर्या को अपनाये, रुचि का कार्य करें और प्रियजनों +के संपर्क में रहें। +मनोसामाजिक दशा व विशा + +वर्तमान परिवेश में इस परिस्थितिजन्य घटनाओं से उत्पन्न डर +अनुभव व महसूस होने वाली प्रतिक्रियाएं; जैसे नकारात्मक सोच, +उदास रहना, रुचि और खुशी की कमी, असुरक्षा का भाव और +अकेलापन, तनाव एवं कुंठा, हताशा, असामान्य व्यवहार, एकाग्रता +की कमी, पारिवारिक समायोजन में कठिनाइयां, लाचारी, निस्सहायता, +अत्यधिक सोचना, चिड्चिडापन, गुस्सा आना, आत्मविश्वास की +कमी, सामाजिकता का अभाव और सोने में परेशानी, रोजमर्रा की +नई दिनचर्या के कारण दबाव, आहारचर्या संबंधी विकार, प्रियजनों +को खोने का डर, संक्रमण का भय, अतिसंवेदनशीलता, उन्माद, +अवसाद, मृत्यु का भय, अनेकानेक मनोविकारों की उत्पत्ति, मनोदैहिक +विकृतियां, शारीरिक लक्षण जैसे अपच, थकान, मांसपेशियों में दर्द, +अचानक शरीर में गर्मी या ठंडा महसूस होना, +नींद से जग जाना, डर से पसीना आना आदि। + +कोविड-19 आपकी शारीरिक स्थिति के +साथ-साथ आपकी मनोस्थिति को भी प्रभावित +कर सकता है। संक्रमण के मनोवैज्ञानिक प्रभाव +में कुछ तत्कालिक नतीजे हो सकते हैं जैसे +अपने प्रियजनों की सेहत, वित्तीय स्थिति या +जिन सहयोग सेवाओं पर आप भरोसा करते +हैं उन्हें लेकर डर व चिंता। अतः तनाव, भय +और उत्तेजना का सामना करने के लिए आप +ऑडियो या वीडियो कॉल पर अपने प्रियजनों + +29 + + + +0030.txt +<----------------------------------------------------------------------> +al + +aro nha ; cogs 5 al +Mamie? ow! Em, ल्‍् + +के साथ जुडे रहें और कोविड-19 से जो लोग ठीक हुए हैं उनकी +सकारात्मक कहानियां साझा करें। वर्तमान प्ररिपेक्ष्य में मानसिक स्वास्थ्य +से जुड़ी कई तरह at fend होना स्वाभाविक है। इसलिए जन +सामान्य को दबाव तथा चिंता का सामना करने, संभालने एवं राहत +देने में मदद और समायोजन करने के लिए रचनात्मक कार्रवाई करना +महत्वपूर्ण है। सकारात्मक सोच और रचनात्मक क्रियाकलापों को अपना +कर इस दबावपूर्ण स्थिति से बाहर निकला जा सकता है। सभी को बथैर्य +व पूरी समझदारी के साथ कार्य करना है। सकारात्मक रहें-स्वस्थ रहें। +योग एवं ध्यान इत्यादी से मानसिक स्वास्थ्य +सही रखा जा सकता है। किसी प्रशिक्षित व्यक्ति +के देखरेख में योग क्रियाएं की जा सकती हें। +वर्तमान स्थिति में मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव +ऐसी परिस्थिति में मानसिक बीमारियों +से आक्रान्त होने की संभावनायें बढ़ जाती है। + +यह रोग आपकी शारीरिक स्थिति +के साथ-साथ आपकी मनोस्थिति +को भी प्रभावित कर सकता है। +संक्रमण के मनोवैज्ञानिक प्रभाव + + + +मानसिक स्वास्थ्य संवर्धन + +मानसिक स्वास्थ्य वर्तमान समय की बड़ी चुनौती है। अच्छा +स्वास्थ्य शरीर एवं मन की स्थिति पर निर्भर करता है। दोनों का +मनुष्य के स्वास्थ्य पर सीधा प्रभाव पड़ता है। स्वस्थ व्यक्ति केवल +शारीरिक रूप से ही नहीं, बल्कि मानसिक रूप से भी स्वस्थ होता +है। स्वास्थ्य का अर्थ है कि शरीर व मन दोनों कुशलतापूर्वक एवं +संतुलित रूप से काम करे। मानसिक स्वास्थ्य मनुष्य के शारीरिक तथा +सामाजिक स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करता है। मानसिक +रूप से स्वस्थ व्यक्ति अपने व्यक्तित्व की +विभिन्‍न इच्छाओं, आवश्यकताओं, शीलगुणों +आदि के बीच एक ऐसा सामंजस्य रखता है +और जिंदगी के सभी क्षेत्रों में एक संतोषजनक +समायोजी व्यवहार करने में समर्थ हो पाता है। +मानसिक स्वास्थ्य के दो महत्वपूर्ण पक्ष हैं: + +कछ ; में कुछ तत्कालिक नतीजे हो . +ऋुछ समाचार एवं सूचनाएं मानसिक आघात हैं जैसे प्रियजनों व्यक्तिगत एवं सामाजिक, व्यक्तिगत पक्ष इस +का कारण बन सकती है। कोरोना से बचने सकते हैं जैसे अपने प्रियजनों की बात का सूचक होता है कि व्यक्ति आंतरिक + +की पर्याप्त सूचनाएं सरकार द्वारा समय रहते +पहले से ही जन मानस में प्रेषित कर चुकी +है। सभी लोग आवश्यक जानकारियों से +परिचित हैं। अतः अपना ध्यान सकारात्मक +और रूचि के कार्य में जैसे चित्रकारी, पेंटिग, +संगीत, खेल, बागवानी, भोजन पकाने के प्रति + +सेहत, वित्तीय स्थिति या जिन +सहयोग सेवाओं पर आप भरोसा +करते हैं उन्हें लेकर डर व चिंता। +अतः तनाव, भय और उत्तेजना + +का सामना करने के लिए आप + +रूप से समायोजित है। वह आत्मविश्वासी, +उपयुक्त और आंतरिक दूंद्रों एवं दबावों से +आजाद है। वह नवीन परिस्थितियों में आसानी +से अनुकूलन कर लेता है। यदि आपको किसी +बात को लेकर ज्यादा दबाव और चिंता रहती +है तो आपको उसे अपने मित्र या माता-पिता + +झुकाव और भोजन पकाना, प्रेरक पुस्तकें, ऑडियो या वीडियो कॉल रहे से साझा करना चाहिए, क्‍योंकि मानसिक रूप +आध्यात्मिक पुस्तकें एवं महापुरुषों की अपने प्रियजनों के साथ जुड़े रहें से जुड़ाव जरूरी है। अतः दोस्त, दूर के + +प्रेरणादायी जीवनी, कहानियां, पढ़ने-लिखने +की आदत विकसित करना और अपने रुचि + +में व्यस्त रखना आदि क्रियाकलापों का सहारा +ले सकते हैं। + +30 + +और कोविड-19 से जो लोग +ठीक हुए हैं उनकी सकारात्मक +कहानियां साझा करें। + +नाते-रिश्तेदार, साथी और प्रियजनों आदि सबसे +ऑनलाइन साथ आते रहें तो मानसिक दूरी +नहीं बढ़ेगी। और तो और रिश्तों पर काम +करें, तभी जाकर मनोबल बना रहेगा। ऐसे में + +योजना, जून 2021 + + + +0031.txt +<----------------------------------------------------------------------> +हमें जीवन में अनुशासन लाने की जरूरत है। +इससे आपका दबाव एवं चिंता कम होगा और +समस्या का समाधान में मदद मिलेगी। +मनोवैज्ञानिकों और परामर्शदाताओं की +भूमिका + +कोविड-19 के काल में मानसिक +स्वास्थ्य, दुःख, भय, डर, अकेलेपन, चिंता, +अनिश्चितता, निराशा, दबाव, तनाव प्रबंधन, +मनोसामाजिक सरोकार और जरूरतमंद लोगों +के लिए परामर्श दिया जा रहा है। इस विकट +परिस्थिति से उत्पन्न मानसिक दबाव से बाहर +निकलने में मनोवैज्ञानिक सहायता सहायक +सिद्ध होती है। सकारात्मक सोच व रचनात्मक +क्रियाकलापों को अपना कर दबावपूर्ण स्थिति +से बाहर निकला जा सकता है। + +भारत सरकार के राष्ट्रीय हेल्पलाइन +(टोल फ्री) नम्बर - 1075, नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कण्ट्रोल (एन +सी डी सी), आरोग्य सेतु ऐप, कोविन टीकाकरण ऐप, और विश्व +स्वास्थ्य संगठन जैसे भरोसेमंद स्रोतों से सही जानकारी लें। अगर +आपको लगता है कि आप कोरोना वायरस के संपर्क में आए हैं। साथ +ही, आपको इसके लक्षण (बुखार, खांसी या सांस लेने में तकलीफ +आदि) दिख रहे हैं, तो मदद के लिए भारत सरकार की हेल्पलाइन +1075 या राज्य सरकार के हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करें। + +वर्तमान स्थिति में मानसिक स्वास्थ्य को उन्‍नत बनाये रखने के +लिये आधुनिकतम तकनीकि संसाधनों के साथ ही साथ महामारियों + +कोविड प्रोटोकॉल का पालन +सुनिश्चित रूप से करें। इस विकट +परिस्थिति से उत्पन्न मानसिक +दबाव से बाहर निकलने में +मनोवैज्ञानिक सहायता सहायक +सिद्ध होता है। सकारात्मक सोच +व रचनात्मक क्रियाकलापों को +अपना कर वबावपूर्ण स्थिति से +बाहर निकला जा सकता है। केवल +दृढ़ इच्छाशक्ति और हम की +भावना के साथ प्रयासरत रहने की +आवश्यकता है। + +से निपटने के परम्परागत उपायों, बडे के +अनुभव आदि का सम्मिलित इस्तेमाल काफी +लाभप्रद साबित हो सकता है। अपने घरों +में रहकर भी अपने प्रियजनों से जुड़े रहना +परम आवश्यक है। सामान्यतः व्यक्ति किस +प्रकार चिंतन, व्यवहार तथा प्रत्यक्षण करता +है और उसके भीतर किसी तरह की भावनाएं +उत्पन्न होती है, इसके संयोग के रूप में +मस्तिष्क एवं तंत्रिका तंत्र की कार्य प्रणाली +काम करती है। शारीरिक एवं मानसिक रूप +से क्रियाशील रहने में सकारात्मक सोच और +रचनात्मक क्रियाकलापों को अपनाना बहुत +जरूरी है। अपने आत्मविश्वास और मनोबल +को बनाये रखें। महामारियां आती-जाती रहती +हैं; लेकिन अंतिम विजय मानव की दृढ़ +इच्छाशक्ति और जिजीविषा की ही होती है। +कोरोना-19 कोई अंतिम महामारी नहीं है; निकट भविष्य में इस +पर विजय हमारी ही होगी। हा +संदर्भ + +1. भाटिया, एम, एस. (2004), मनोरोग, नेशनल बुक ट्रस्ट, नई feet + +2. मिश्र, भास्कर (2001), वैदिक शिक्षा पद्धति, महर्षि सन्दीपनि राष्ट्रीय + +वेद-विद्या प्रतिष्ठान, उज्जैन। +3, मिश्र, उमाशंकर “दुनिया में बढ़ती जंतु-जनित रोगों की दहशत'' विज्ञान +प्रगति, अप्रैल 2020, नई दिल्‍ली, पृष्ठ सं, 28 व 29 । + +4, चौधरी, के.सी. (2020) “an काल में तनाव प्रबंधन'', हाशिये की +आवाज, नई दिल्‍ली, अंक 7, जुलाई 2020, पृष्ठ सं, 28-30 । + + + +उनकी सदस्यता दरों के अनुसार पत्रिकाएं भेजी जाती रहेंगी। + +पत्रिकाओं की सदस्यता के संबंध में नोटिस + +कोविड-19 महामारी से उत्पन्न स्थितियों के कारण साधारण डाक से भेजी गई हमारी पत्रिकाओं की डिलिवरी न हो पाने से +संबंधित शिकायतें प्राप्त हो रही हैं। हमारे माननीय उपभोक्ताओं को योजना, कुरुक्षेत्र, बाल भारती और आजकल पत्रिका की +समय पर डिलिवरी सुनिश्चित करने के लिए यह निर्णय लिया गया है कि नए उपभोक्ताओं को साधारण डाक से पत्रिकाओं +का प्रेषण तत्काल प्रभाव से रोक दिया जाए। यह केवल नए उपभोक्ताओं के लिए लागू होगा तथा मौजूदा उपभोक्ताओं को + +हमारी पत्रिकाओं के लिए नई सदस्यता दरें जिनमें रजिस्टर्ड डाक से पत्रिका भेजने का शुल्क भी शामिल है, निम्नलिखित हैं- + + + + + + + + + + + + + +योजना, कुरुक्षेत्र तथा आजकल +सदस्यता प्लान . बाल भारती +(सभी भाषाएं ) +1 वर्ष रु. 434 रु, 364 +2 वर्ष रु. 838 रु, 708 +3 वर्ष रु. 1222 रु. 1032 + + + + + + + + + +दिया जाएगा। + +वर्तमान परिस्थितियों में यह एक अस्थायी व्यवस्था है क्योंकि डाक विभाग साधारण डाक के वितरण में कठिनाइयों का सामना +कर रहा है। अतः जैसे ही देश में सामान्य स्थितियां बहाल हो जाएंगी पत्रिकाओं को पुनः साधारण डाक से भेजना आरंभ कर + + + + + +योजना, जून 2021 + +31 + + + +0032.txt +<----------------------------------------------------------------------> +i ee + +चिरंतन आरोग्य + +ऋजुता दिवेकर + +स्वास्थ्य एक प्राथमिक अधिकार है, वस्तुतः मानव अधिकारों का मुद्दा है। शिक्षा, गरीबी, जेंडर इन सब कारकों +का हमारी सेहत से सीधा संबंध है। हमारा निवास स्थान, स्वास्थ्य सेवा की सुलभता, स्वच्छ हवा और ताजे उत्पाद +तथा कई अन्य कारक भी हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। ब्रिटेन में न्‍्यूकेसल बहुत ही सुंदर विश्वविद्यालय +शहर है। वहां किए गए बहुत ही रोचक अध्ययन में पाया गया कि जेसमॉन्ड में रहने वालों के मुकाबले बाइक +नाम के क्षेत्र में रहने वाले लोगों का प्रदर्शन, स्वास्थ्य पैमानों पर बेहद खराब है। बाइक एक मलिन इलाका +है जबकि पड़ोसी जैसमॉन्ड इलाके में अमीर लोग रहते हैं। आपका पोस्ट कोड यानी पिन कोड भी अब हमारे +स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहलू के रूप में उभर रहा है। और इससे कोई फर्क +नहीं पड़ता कि आप किस देश में रह रहे हैं। शहरों में यह और भी ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योंकि हर शहर की +निर्धन बस्तियां या मलिन इलाकों में खराब स्वास्थ्य के ज्यादा मामले देखने को मिलते हैं। + +धुनिक इतिहास में केवल एक देश ऐसा है जिसमें +सामूहिक रूप से लोगों का वजून घटा था (औसतन + +सभी वयस्कों का) और वह है क्‍्यूबा। यह 90 के +दशक की शुरू की बात है, सोवियत संघ टूट चुका था और क्‍्यूबा +के लोगों का औसत कैलोरी सेवन 3000-3200 से गिरकर 2400 रह +गया था। अमेरिका के प्रतिबंध के कारण भोजन और ईंधन की कमी +होने लगी तथा सार्वजनिक परिवहन की बसें तक चलनी बंद हो गई + += SS oo +on _ ea + + + + + +थीं। at ah राष्ट्रपति श्री फिदेल कासख्रो ने इसे पिरोयोदों एस्पैनशल +(विशेष काल अवधि) घोषित किया था। इसमें राशन व्यवस्था लागू +की गई, छोटे स्तर पर बागवानी को बढ़ावा दिया गया और 10 लाख +से अधिक साइकिलों का वितरण किया गया। कोई आश्चर्य नहीं कि +लोगों का वजन घट गया (औसत 5.5 किलो) और मधुमेह तथा हृदय +रोग के राष्ट्रीय औसत में गिरावट आ गई। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल +(बीएमजे) में भी यह घटना प्रकाशित हुई जिसमें कहा गया कि कैसे + + + + + +लेखिका भारत की प्रमुख पोषाहार और व्यायाम विज्ञान विशेषज्ञ हैं। ईमेल: wwwrujutadiwekar.com + +32 + +योजना, जून 2021 + + + +0033.txt +<----------------------------------------------------------------------> +अयापचयी (मेटाबॉलिक ) रूप से स्वस्थ मोटापा + +जुन घटाने को ही अच्छे स्वास्थ्य का एकमात्र पैमाना मानने + +में एक समस्या यह है कि इसमें चयापचय (मेटाबॉलिक) +रूप से स्वस्थ मोटापे की अवधारणा की पूरी तरह से अनदेखी हो +जाती है। ऐसा जरूरी नहीं है कि हर वह व्यक्ति जिसका वजुन +ज्यादा है या जो मोटा है अस्वस्थ है या बीमारियों की जकड॒ में +आ सकता है। वास्तव में लगभग 25 से 30 प्रतिशत मोटे लोग +वैसे पूरी तरह तंदुरुस्त और स्वस्थ रहते हैं। उनके किसी असंचारी +रोग से ग्रस्त होने की आशंका केवल लगभग 20 प्रतिशत होती है। +हालांकि उन्हें सबसे आम सलाह यह दी जाती है कि अपना वजुन + + + +कम खाने और अधिक चलने को जनहित स्वास्थ्य कार्यक्रम के रूप +में इस्तेमाल में किया जा सकता है। + +लेकिन 2000 के दशक में क्यूबा की अर्थव्यवस्था जैसे-जैसे +पटरी पर आने लगी मोटापे की दर भी 1995 से 2011 में तिगुनी हो +गई। खाना और ईंधन मिलने लगा, उसके साथ ही मधुमेह और हृदय +रोगों की भी वापसी होने लगी। पर कक्‍्यूबा के किसी भी नागरिक से +पूछें कि क्या वह 90 के दशक में वापस जाना चाहेंगे, तो वो जिंदगी +के उस दौर में कभी लौटना नहीं चाहेंगे। यहां तक कि बीएमजे में +जिन लेखकों ने इस बारे में लिखा था उनका भी यही निष्कर्ष था +कि 90 के दशक की त्रासदी मानव निर्मित थी (अंतरराष्ट्रीय राजनीति +द्वार) और फिर कभी किसी भी आबादी के साथ ऐसा नहीं होना +चाहिए। क्यूबा के लोगों ने विशेष काल अवधि की सामाजिक और +आर्थिक चुनौतियों का जिस गरिमा और साहस के साथ सामना किया +था उसके लिए भी पत्रिका में उनकी सराहना की गई। + +सौ बातों की एक बात यह है कि आर्थिक या सुरक्षा संकट में +उलझे बिना स्वास्थ्य सुधारने का केवल एक उपाय है कि उसके +लिए और अधिक समझ-बूझ के साथ टिकाऊ रास्ता अपनाया जाए +जैसे- शिक्षा, स्वास्थ्य संबंधी सहायता/समर्थन, आत्मसंयम। यह केवल +वजुन घटाने की बात नहीं है बल्कि सही तरीके, लगातार अपनाने +की बात है। + +हमेशा स्वस्थ रहने के लिए तीन आसान और व्यावहारिक नियम +इस प्रकार हैं- + +घटाएं और जल्दी घटाएं। जब वह उपरोक्त आहार शैलियां अपनाकर +अपना वजन जल्दी घटाते हैं तो न केवल दोबारा मोटे हो जाते हैं +(वजन घटाने की कोशिशों के 80 प्रतिशत मामलों में वजन फिर +बढ़ जाता है) बल्कि सबसे महत्वपूर्ण परिणाम यह होता है कि +अब वह चयापचयी (मेटाबॉलिक) रूप से स्वस्थ मोटे भी नहीं रह +जाते (एमएचओ)। अब उनके मधुमेह, कैंसर, हृदय रोग, हार्मोनल +असंतुलन, मानसिक स्वास्थ्य जैसी स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रसित होने +की संभावनाएं डेढ़ सौ प्रतिशत बढ़ जाती हैं। अब वे चयापचयी रूप +से अस्वस्थ मोटे होते हैं (एमयूएचओ)। + +चयापचयी ( मेटाबॉलिक ) स्वास्थ्य बनाम वजून घटाना + +आहार शैली (डायट ट्रेंड्स) कोई भी हो, सब का मूल उद्देश्य +है- वजून कम करना। कभी सीधे तौर पर तो कभी डिटॉक्सिफाई, +रिजूबनेशन, एंटी डायबिटीज, एंटी कैंसर आदि जैसे शब्दों और +धारणाओं की चाश्नी में लपेटकर ऐसा करने के लिए प्रेरित किया +जाता है। पर हर आहार शैली का मूल मंत्र वजन घटाना ही है। क्‍या +कभी ऐसी किसी आहार शैली को वायरल होते सुना है जिसका +एकमात्र संकल्प है 'सभी के लिए भोजन सुरक्षा' या और साधारण +ढंग से कहा जाए तो “पाचन बेहतर और कोई एसिडिटी नहीं? खरबों +डॉलर का आहार उद्योग अपने मुनाफे के लिए चाहता है कि हमारा +सारा ध्यान वजुन घटाने पर रहे। + +अगर हम अपनी रोजाना जिंदगी को ध्यान से देखें तो जो चीजें +हमारी तंदुरुस्ती के लिए वास्तव में जरूरी हैं उन्हें हम किसी तराजू +या अन्य पैमाने पर नहीं तौल सकते। क्‍या हम रात को गहरी नींद +लेते हैं, सोकर उठने पर तरोताजा महसूस करते हैं, क्या दिन भर फुर्ती +रहती हैं, क्या हमें एसिडिटी, अफारे और अपच की समस्या होती है, +क्या भोजन के बाद मीठा खाने की इच्छा होती है, क्या हम चुस्त +रह पाते हैं और व्यायाम कर पाते हैं और क्‍या हमें पीएमएस और +महावारी में दर्द होता, आदि। + +वैज्ञानिक भाषा में उपरोक्त पैमाने चयापचयी (मेटाबॉलिक) +स्वास्थ्य को मापने के उपाय हैं। यह संकेत देते हैं कि आपके हार्मोन +कितने बेहतर तरीके से काम कर रहे हैं, आपका हृदय कितना स्वस्थ + +योग और आयुर्वेद के अनुसार स्वास्थ्य + +स्वाए का अर्थ केवल बीमारी का न होना ही नहीं +है बल्कि उसमें यौवन के जोश के साथ जीवन की +हर अवस्था में सीखने की क्षमता भी होनी चाहिए। यह व्यक्ति +को सदा खुशी और संतुष्टि के रास्ते अपनाने और उन पर चलने +के लिए प्रेरित करता है। उपनिषद में सुख या प्रसन्नता को ऐसी +अवस्था बताया गया है जब हमारी सभी इंद्रियों- दृष्टि, त्राण, स्पर्श, +श्रवण और स्वाद के बीच परस्पर तालमेल हो। दुःख वह स्थिति +है जिसमें इंद्रियों के बीच कोई तालमेल नहीं होता और जिसके +कारण प्रसन्नता का अभाव होना स्वाभाविक है। हम सबने इसका +अनुभव किया है, हमारा शरीर कहीं होता है और चित्त कहीं और + +योजना, जून 2021 + +तथा इंद्रियां विक्षिप्त रहती हैं। तालमेल के इस अभाव को ही +आधुनिक युग में 'तनाव' कहा जाता है। आयुर्वेद में अंग्रेजी शब्द +“हेल्थ ' का अर्थ स्वास्थ्य माना जाता है यानी वह अवस्था जब स्व +(स्वयं) ही स्थान (केंद्रित) होता है। अर्थात्‌ स्वास्थ्य वह केन्द्रित +अवस्था है जिसमें सभी इंद्वियों में पूर्ण सामन्‍जस्य रहता है - या +जैसा महात्मा गांधी ने लिखा है स्वास्थ्य चिंतन, वाणी और कर्म +का संगम है और उनके बीच कोई दवंद्ग नहीं होता। योग हमें शांति +के मार्ग के जरिए स्वस्थ रहने की दिशा देता है और योग के +ग्रंथ हमें सिखाते हैं कि स्वास्थ्य, भीतरी और बाहरी शांति दोनों +के लिए पहला कदम है। + +33 + + + +0034.txt +<----------------------------------------------------------------------> +है, आपकी आंतों में कितने प्रकार के जीवाणु हैं, क्या आपका ब्लड +शुगर (मधुमेह) नियंत्रित है, इत्यादि इत्यादि। दूसरे शब्दों में कहा जाए. +तो यह बताते हैं कि आपके लिए मधुमेह, कैंसर, पीसीओडी, थायरॉएड +की स्थितियों, हृदय व मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं जैसे असंचारी रोगों +(एनसीडी) का शिकार होने की आशंका कितनी है। याद रखें विश्व +भर में कम आयु में होने वाली लगभग 75 प्रतिशत मौतों के कारण +असंचारी रोग हैं। हमें अब यह भी पता है कि व्यक्ति के अन्य रोगों +से ग्रस्त होने पर कोविड-19 संक्रमण कैसे भयावह रूप ले लेता है। + +तमाम आहार शैलियों के चलन के बावजूद बिगड़ते जन स्वास्थ्य +का सबसे बड़ा कारण चयापचयी (मेटाबॉलिक) स्वास्थ्य की कीमत +पर भी सिर्फ वजन घटाने की सोच है। अच्छे स्वास्थ्य की पहली +आवश्यकता वजन घटाने के बजाय चयापचयी (मेटाबॉलिक ) स्वास्थ्य +होनी चाहिए। +समग्र बनाम एकल-आयामी दृष्टिकोण + +जब हम वजुन घटाने की सोच को छोड कर आगे बढ़ते हैं तो +पाते हैं कि तंदुरुस्त शरीर के और भी अनेक पहलू हैं- हार्मोन, अंग, +हडिडयां, मांसपेशियां, लिगामेंट, तंतु, जोड़, त्वचा, केश इत्यादि। यह +अकेले काम नहीं करते बल्कि एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं। इस बात +से स्पष्ट हो जाता है कि पूरे शरीर को स्वस्थ रखने के लिए समग्र +दृष्टिकोण अपनाना जरूरी है। ऐसा उपाय जो न केवल एक पहलू पर +काम करे बल्कि उपरोक्त सभी पहलुओं पर ध्यान दे। तो ऐसा कोई +आहार न लें जिसका मंत्र हो- कोई व्यायाम न करें, केवल पैदल +चलें; ऐसा कोई व्यायाम व्यवस्था नहीं अपनाएं जो कहे- कुछ भी +खाएं, बस व्यायाम से घटाएं, ऐसी कोई जीवनशैली नहीं अपनाएं जो + + + + + +उ4 + +Ta: में मात्र 19 साल पहले के मुकाबले आज ज्यादा +मोटापा है फिर भी भुखमरी का खतरा आज भी उतना +ही मंडरा रहा है जितना कई साल पहले था। वैश्विक रूप से +हम कुपोषण के दोहरे बोझ की मार झेल रहे हैं। एक तरफ वह +जनसंख्या है जो इतना ज्यादा खाती है कि इस अति के कारण +उसकी मृत्यु की आशंका रहती है तो दूसरी ओर ऐसी जनसंख्या +है जिन्हें दो जून की रोटी भी नसीब नहीं होती। + +नींद और स्वस्थ रहने की जरूरत पर बल न दे। आहार, व्यायाम, +क्रियाएं और नींद मिलकर ही, सदैव स्वस्थ रहने के लिए समग्र +दृष्टिकोण बनाती है। इतना ही नहीं इनमें से प्रत्येक पहलू के बारे में +भी समग्र दृष्टिकोण अपनाना चाहिए- आहार को कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन +और वसा में न बांटें; क्रियाओं और व्यायाम को केवल पैदल चलने +और या कार्डियो कसरत तक ही सीमित न रखें; नींद और स्वस्थ +रहने को सप्ताहांत पर न टालें बल्कि रोजाना ध्यान दें। + +साथ ही, जीवन की दैनिक अपरिहार्य गतिविधियां, अर्थात्‌ +आपका काम, यात्रा, पारिवारिक दायित्व आदि सब इस समाधान के +अंग होने चाहिए. और कोई भी आहार या व्यायाम शैली जब तक +इनके साथ तालमेल नहीं बैठा पाती है तो सफल नहीं हो सकती। ऐसे +पेशे या व्यवसाय इसके आदर्श उदाहरण हैं जिनमें दिनभर मानसिक +या शारीरिक मेहनत करनी पड़ती है और कम कैलरी सेवन या आहार +न लेने पर उनका प्रदर्शन खराब हो जाता है। + + + +योजना, जून 2021 + + + +0035.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +a + +we + +Ae हि + +Ee ee: + + + + + + + +दीर्घकालिक बनाम अल्पकालिक समाधान + +टिकाऊ स्वास्थ्य का एक अन्य पहलू है लम्बे समय तक स्वस्थ +रहना, जो टिकाऊ शब्द के अर्थ में ही निहित है। आप जब भी कुछ +खाने लगें या कोई आहार या जीवन शैली अपनाने का फैसला लें तो +अपने आप से पहला सवाल यही पूछें कि क्‍या मैं शेष जीवन में भी +ऐसा करता रह सकता हूं? क्‍या यह मेरे पर्यावरण, मेरी पृथ्वी को भावी +पीढ़ियों के लिए बेहतर दशा में छोडेगा अथवा बुरी दशा में? अगर यह +सवाल समझने में बहुत कठिन लग रहा हो तो यह सोचें कि अगले 15 +साल या 5 साल में इसका असर क्या होगा? अगर नहीं, तो फिर सोचें +कि आप यह क्‍यों करना चाहते हैं? क्या जल्दी वजुन घटाने के लिए? +हम जानते हैं कि यह कितना नुकसानदायक है, तो और क्‍यों करें? और +अगर आपको अल्पकालिक आहार शैली या दिनचर्या अपनाने का कोई +उपयुक्त कारण दिखाई नहीं देता तो बिल्कुल न अपनाएं। + +यद्यपि मानव शरीर की संरचना अल्पकालिक उपायों पर अच्छी +प्रतिक्रिया देने के लिए उपयुक्त नहीं है, किंतु हमारे दिमाग को +दीर्घकालिक उपाय समझने में काफी परेशानी होती है और उसमें +तुरंत परिणाम पाने की इच्छा प्रबल होती है। वजुन घटाओ उद्योग इसी +प्रवृत्ति का फायदा उठाता है और इससे बचने का केवल यही तरीका +है कि अपने आपको निरंतर याद दिलाते रहे हैं कि इस जाल में नहीं +'फंसना है। त्वरित परिणाम की आड़ में आमतौर पर जल्दी वजुन घटाने +के नुस्खे प्रचारित किए जाते हैं जबकि उनके कारण धीरे-धीरे शरीर +का क्षय हो सकता है और अधिकतर होता भी है जिससे कभी-कभी +उबरना संभव नहीं होता। आमतौर पर हम समझ ही नहीं पाते कि 5 +साल पहले महीने भर लिए गए तरल आहार और अब गुर्दे को हुए +नुकसान के बीच क्‍या संबंध है। + +योजना, जून 2021 + +वास्तव में इस मुद्दे पर सरकारों को ध्यान देने, नीतिगत बदलाव +को गंभीरता से लेने और सबसे जरूरी स्थानीय भोजन और खाद्य +प्रणालियों को समर्थन देने की जरूरत है। इसमें हम सभी व्यक्तिगत +रूप से योगदान दे सकते हैं। अगर आप अक्सर यात्रा करते हैं तो +आपने देखा होगा कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक, बेंगलुरु से बॉस्ट्न +तक, और प्रत्येक हवाई अड्डे पर, हर जगह उन्हीं बड़ी आहार +श्रृंखलाओं (फूड चेन) का एक-जैसा खाना मिलता है। बर्गर, पिज्जा, +कॉफी कंपनियों का वर्चस्व है और अगर आप ढूंढने जाएं तो बड़ी +मुश्किल से ही कोई ऐसा रेस्रां दिखता है जहां स्थानीय खाना या +स्थानीय पेय पदार्थ मिलता हो। औद्योगीकरण काल के बाद विश्व भर +में भोजन की यह एकरसता ही वास्तव में मोटापे का प्रमुख कारण +है और अब वैज्ञानिकों को यह लगने लगा है कि जलवायु परिवर्तन +का भी यही कारण है। + +स्थानीय भोजन स्थानीय जलवायु के अनुसार ढलता रहता 21 +यह स्थानीय खाद्य प्रणालियों में रचा-बसा होता है और अपने +साथ-साथ अन्य फसलों तथा अपने आसपास के फलों, फूलों, कीटों, +मधुमक्खियों आदि को भी फलने-फूलने देता है। इसमें भरपूर पोषक +तत्व होते हैं और कुदरती उस स्थान के निवासियों के लिए पूरी तरह +से उपयुक्त होता है। यह आर्थिक रूप से भी लाभप्रद होता है क्योंकि +इससे छोटे किसान जैव प्रौद्योगिकी, संवर्धित बीजों और ज्यादा मजदूरी +में भी भारी निवेश (और अनिश्चित लाभ) के फेर में फंसे बिना +स्थानीय फसलें उगा सकते हैं। कुल मिलाकर यह स्थानीय निवासियों, +उनकी भूमि और उनके जंगलों को स्वस्थ रखने में मदद करता है। +असल में इसका सीधा सा अर्थ अपने पुरखों का यह चलन अपनाना है +कि स्थानीय, मौसमी और पारंपरिक भोजन dar afer om + +35 + + + +0036.txt +<----------------------------------------------------------------------> +ई-कबाड़ प्रबंधन + +ऋचा रश्मि + +ई-कबाड़ प्रबंधन एक जटिल प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में अनेक पक्ष शामिल रहते हैं। भारत में ई-कबाड़ +प्रबंधन से संबंधित नीतियां 2011 से ही मौजूद हैं। लेकिन इन नीतियों पर अमल कमजोर रहा है। देश में +मौजूदा समय में लगभग 95 प्रतिशत ई-कबाड़ का प्रबंधन अनौपचारिक क्षेत्र में किया जा रहा है। खराब कार्य +स्थितियों में काम करने वाला यह क्षेत्र विखंडन और रीसाइक्लिंग के लिये अपरिष्कृत तकनीकों पर निर्भर है। + +पयोगिता पूरी कर चुके कंप्यूटर और मोबाइल फोन जैसे +इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों से पैदा होने वाले कचरे को ई-कबाडु +कहते हैं। इस तरह का कबाड॒ वर्तमान में दुनिया में सबसे + +तेजी से बढ़ रहा कचरा है। वर्ष 2019 में विश्व भर में रिकॉर्ड 53.6 +मिलियन टन ई-कबाडु पैदा हुआ। इसमें से सिर्फ 17.4 प्रतिशत +ई-कबाड॒ की रीसाइकिलिंग की गयी (ग्लोबल ई-वेस्ट मॉनिटर, +2020) | + +भारत में ई-कबाड़ प्रबंधन नीति 2011 से ही मौजूद है। इसके +दायरे का 2016 और 2018 में विस्तार किया गया है। लेकिन इस +पर अमल की रफ्तार संतोषजनक नहीं है। देश में सिर्फ 5 प्रतिशत +ई-कबाडु का औपचारिक रीसाइकिलिंग केन्द्रों के जरिये प्रसंस्करण +किया जाता है। बाकी ई-कबाड़ का निस्तारण अनौपचारिक क्षेत्र के +हवाले है। इस क्षेत्र में पर्यावरण और सुरक्षा से जुड़े मानदंडों का पालन +बहुत कम किया जाता है (भारत सरकार, 2019)। + +ई-कबाड प्रबंधन को मांग और आपूर्ति, दोनों से संबंधित कारक +प्रभावित करते हैं और इसके गहराई से विश्लेषण की जरूरत है। इस +आलेख में भारत में रीसाइकिलिंग क्षमता को बाजार आधारित प्रणालियों +के जरिये सुधारने से संबंधित महत्वपूर्ण नीतिगत उपायों की रूपरेखा +प्रस्तुत करने की कोशिश की गयी है। इसमें खास तौर से भारत सरकार +की तरफ से निर्धारित विस्तारित उत्पादक जिम्मेदारी (ईपीआर) लक्ष्यों +के अनुरूप मोबाइल निर्माताओं के लिये व्यावसायिक समाधान सुझाये +गये हैं। +ई-कबाड़ मूल्य श्रृंखला + +ई-कबाड॒ प्रबंधन एक जटिल प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में अनेक पक्ष +शामिल रहते हैं। मूल्य श्रृंखला के महत्वपूर्ण हितधारकों में आयातक, +उत्पादक या निर्माता, खुदरा कारोबारी, उपभोक्ता, व्यापारी, कबाडी, +विखंडनकर्ता और रीसाइकिलकर्ता शामिल हैं (यूएनईपी, 2007)। खुदरा +कारोबारी और उपभोक्ता में व्यक्ति, व्यवसायी, सरकार और अन्य +शामिल हैं। प्रसंस्करण के विभिन्‍न चरणों में इनमें से हरेक के गहराई से +आकलन के लिये ई-कबाडु मूल्य श्रृंखला को समझना अहम है। इस +प्रक्रिया के चार चरण हैं - उत्पादन, संग्रह, पृथकीकरण और प्रशोधन + +या निस्तारण (द इलेक्ट्रॉनिक्स रीसाइक्लिंग लैंडस्केप, 2016)। + +ई-कबाड़ तब पैदा होता है जब किसी उत्पाद का उपयोगकर्ता यह +तय करे कि इस सामान का अब उसके लिये कोई इस्तेमाल नहीं रह +गया। इस उत्पाद का फिर उपयोग करने का कोई इरादा नहीं रहने के +कारण वह इसे दान में देता या बेचता है। इस ई-कबाड का प्रबंधन +संग्रह के जरिये औपचारिक ढंग से, कूडेदान में फेंके जाने या एक +विकसित तंत्र के माध्यम से अनौपचारिक तौर-तरीकों से किया जाता +है (ग्लोबल ई-वेस्ट मॉनिटर, 2020)। +औपचारिक संग्रह + +राष्ट्रीय ई-कबाड कानून के तहत इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं का प्रबंधन +औपचारिक संग्रह के जरिये किया जाना चाहिये। इस तरह के संग्रह +में ई-कबाड़ को संबंधित संगठन, उत्पादक और सरकार (मसलन, +नगरपालिकाओं के संग्रह केन्द्र) एकत्र करते हैं। इसके अलावा खुदरा +व्यापारी और उत्पादक भी उपयोग किये गये सामान को वापस ले +सकते हैं। इस तरह एकत्र ई-कबाड को विशेष प्रसंस्करण केन्द्र में ले +जाया जाता है। वहां इस कबाड़ से कीमती सामग्री को निकाले जाने +के बाद जहरीले पदार्थों का प्रबंधन पर्यावरण के लिहाज से नियंत्रित +ढंग से किया जाता है। इसके बाद बाकी बची सामग्री को जलाया या +सुरक्षित ढंग से जमीन में दफना दिया जाता है। +कूड़ेदान के जरिये संग्रह + +उपयोगकर्ता अक्सर इलेक्ट्रॉनिक सामान की उपयोगिता खत्म हो +जाने के बाद उसे घर के बाकी कचरे के साथ कूडेदान में डाल देता +है। आम तौर पर इस तरह के कचरे का पृथकीकरण नहीं किया जाता +है। इसलिये ई-कबाड़ भी अन्य घरेलू कचरे की तरह ही जला या +जमीन में दबा दिया जाता है। इसके परिणामस्वरूप संसाधन के मूल्य +का नुकसान होने के साथ ही पर्यावरण को भी क्षति पहुंचती है। +अनौपचारिक संग्रह + +कुछ देशों में कबाड़ का कारोबार करने वाले व्यक्तियों और +कंपनियों का एक स्थापित नेटवर्क है। वे विभिन्‍न माध्यमों से ई-कबाडु +को एकत्र कर उसका व्यापार करते हैं। ऐसी व्यवस्था में ई-कबाड से +धातु की रीसाइकिलिंग संभव है। इसके अलावा घरों से ई-कबाड़ को + + + +लेखिका रटगर्स यूनिवर्सिटी, न्यू wef, sitter a get 21 fac: richarashmi@rutgers.edu + +36 + +योजना, जून 2021 + + + +0037.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + +मरम्मत Pes +वाले + + + + + + + + + + + + + + + +am अलग +करने वाले + +(==) - + + + +अनुप्रवाही +विक्रेता + + + + + + + + + + + + + + + + + +Gd : अंवरराष्ट्रीय श्रम संगठन, जीडीएफर्ईईडब्ल्यू/2019 + + + +चार्ट 1 : अनौपचारिक मूल्य श्रृंखला + +एकत्र कर इसे अनौपचारिक कारोबारियों को बेचा जाता है। ये कारोबारी +या तो इसकी मरम्मत करते अथवा इसे किसी रीसाइकिलकर्ता को बेच +देते हैं। रीसाइकिलकर्ता इस उत्पाद का ज्वलन या निक्षालन के जरिये +अथवा पिघला कर विखंडन करता है। इस तरह उत्पाद एक द्वितीयक +कच्चे माल में तब्दील हो जाता है। इन दोनों प्रक्रियाओं में ई-कबाड +का निस्तारण किसी भी तरह किया जाये इसके पर्यावरण के लिये +अनुकूल ढंग से नहीं होने का जोखिम बना रहता है। एक अनौपचारिक +मूल्य श्रृंखला के सामान्य ढांचे को चार्ट-1 में दिखाया गया है। +भारत की नियामक व्यवस्था + +भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र ने पिछले +दशक में जबर्दस्त प्रगति की है। यह 2004-05 +में 11.5 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़ कर +2009-10 में 32 अरब अमेरिकी डॉलर का +हो गया (संसद की कार्यवाही, 2010)। +इलेक्ट्रॉनिक्स वस्तुओं के स्वदेश में उत्पादन +और आयात में वृद्धि के साथ ही ई-कबाड +उत्सर्जन में भी तेजी आयी। इससे इस क्षेत्र पर + +ई-कबाड़ प्रबंधन को मांग और +आपूर्ति, दोनों से संबंधित कारक +प्रभावित करते हैं और इसके +गहराई से विश्लेषण की जरूरत +है। इस आलेख में भारत में +रीसाइकिलिंग क्षमता को बाजार + +2008 में सामान्य कबाडु प्रबंधन नियम लागू किये। इन नियमों में +ई-कबाड॒ का प्रबंधन जिम्मेदार ढंग से करने की बात कही गयी थी। +इसके अलावा सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी निर्माता संघ (एमएआईटी) +और अन्य औद्योगिक संगठनों के सुझाव पर पंजीकरण और ई-कबाड़ +प्रबंधन दिशा-निर्देश जारी कर इलेक्ट्रॉनिक्स रीसाइकिलिंग उद्योग को +औपचारिक रूप देने की ओर ध्यान दिया। सरकार ने ई-कबाड़ प्रबंधन +को सुचारू बनाने के लिये इलेक्ट्रॉनिक कचरा (प्रबंधन और संभाल) +नियम, 2011 अधिसूचित किये। इन नियमों में एक्सटेंडिड प्रोड्यूसर +रिसपांसिबिलिटी (ईपीआर) यानी विस्तारित उत्पादक जिम्मेदारी का भी +प्रावधान किया गया था। इसके तहत उपयोग +की जा चुकी इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं को एकत्र +और रीसाइकिल करने की जिम्मेदारी उत्पादक +को सौंपी गयी। ईपीआर के तहत कबाड़ प्रबंधन +का भार निर्माताओं पर डाले जाने से सैद्धांतिक +रूप से पर्यावरण के ज्यादा अनुकूल उत्पादों +की डिजाइन के लिये माहौल तैयार हुआ। माना +गया कि चूंकि निस्तारण का खर्च निर्माताओं + +नियामक नियंत्रण की आवश्यकता महसूस की प्रणालियों को उठाना है इसलिये वे अपने उत्पादों में कम +जाने लगी। विकसित देशों में अक्सर ई-कबाड सपारने से सभी के eet जहरीली और आसानी से रीसाइकिल होने वाली +की रीसाइकिलिंग का खर्च बहुत ज्यादा होता सु ust Td Healy सामग्री का उपयोग करेंगे। इस बीच भारत +है। इन देशों में टूटे और खराब उपकरणों के नीतिगत उपायों की रूपरेखा प्रस्तुत में इलेक्ट्रॉनिक कबाड़ का उत्पादन 2014 में +निस्तारण के लिये कंपनियों को भुगतान करना करने की कोशिश की गयी है। 1.7 मिलियन टन से बढ़ कर 2015 में 1.9 +पड़ता है। इसलिये विकसित राष्ट्रों की कई इसमें खास तौर से भारत सरकार मिलियन टन हो गया (संयुक्तराष्ट्र, 2015 और +कंपनियां अपने ई-कबाड़ को विकासशील देशों 2016)। +में भेजने के अपेक्षाकृत किफायती विकल्प को की तरफ a os इंपीआए) क्रियान्वयन के बेहतर ढांचे और प्रणालियों +अपनाती हैं। उत्पादक दारी (ईपीआर ) वाले देशों के विपरीत भारत के ईपीआर नियमों +इस स्थिति ने गैर-सरकारी संगठनों को लक्ष्यों के अनुरूप मोबाइल में संग्रह और रीसाइकिलिंग के लक्ष्य तय +जागरूकता अभियान चलाने के लिये प्रेरित निर्माताओं के लिये व्यावसायिक नहीं किये गये थे। लक्ष्य के अभाव और +किया। बहुराष्ट्रीय संस्थाओं ने भी इस ओर समाधान सुझाये गये हैं। ढीले नियामक परिवेश के कारण उत्पादक + +ज्यादा ध्यान देना शुरू कर दिया। सरकार ने + +योजना, जून 2021 + +उपयोग किये जा चुके अपने सामान का संग्रह +37 + + + +0038.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +ELEMENTS COLOUR KEY: @ ALKALI METAL @) ALKALINE EARTH METAL + +स्क्रीन = | +व +हज +Ra +od +8 +1०1 Ts] +a Me 111 +a ay +Pr | Eu +tina keen है 1 +cy +en + + + +इंडियम ऑक्साइड और टिन ऑक्साइड का +मिश्रण इंडियम टिन ऑक्साइड कहलाता हैं। +विद्युत के संचालक इंडियम टिन ऑक्साइड +का उपयोग स्क्रीन में पारदर्शो फिल्‍म के +रूप में किया जाता है। टच स्क्रीन इससे ही +काम करती हे। + +ज्यादातर स्मार्टफोन में एल्युमिनोसिलिकेट +ग्लास का इस्तेमाल किया जाता हें। +यह एल्युमिना (#0,) और सिलिका +(ALO,) = मिश्रण है। ग्लास में +पोटेशियम आयन भी होते हैं जिनसे इसे +मजबूत बनाने में मदद मिलती है। + +स्मार्टफोन स्क्रीन को रंगीन बनाने के लिए +विभिन्‍न रेयर अर्थ एलिमेंट योगिकों का कम +मात्रा में उपयोग किया जाता है। फोन में +यूवी प्रकाश पहुंचने से रोकने के लिए भी +कुछ योगिकों का उपयोग किया जाता हें। + + + +ज्यादातर फोनों में लिथियम आयन बैटरी होती है। इसमें +पॉजिटिव इलेक्ट्रोड लिथियम कोबाल्ट ऑक्साइड और +नेगेटिव इलेक्ट्रोड ग्रेफाइट का होता है। कुछ बैटरियों +में कोबाल्ट की जगह मैगनीज जैसे अन्य धातुओं का +इस्तेमाल होता है। बैटरी का आवरण एल्युमिनियम का +बना होता हे। + + + + + +TRANSTION Métal @ GROUP 13 @ GrouPi4 @ ckouris @ GkouPie @ HALOGEN @ LANTHANIDE + +इलेक्ट्रॉनिक्स + +फोन में वायरिंग के लिए तांबे का इस्तेमाल +किया जाता है। माइक्रोइलेक्ट्रिकल पुर्जे तांबा +सोना ओर चांदी से बनते हैं। माइक्रोकपेसिटर +मुख्य तौर पर टैंटेलम से बना होता हैं। + + + +माइक्रोफोन में और अन्य विद्युत कनेक्शन +के लिए निकेल का उपयोग किया जाता +हैं। स्पीकर और माइक्रोफोन के चुंबकों +में प्रेसियोडिमियम, गेडोलिनियम _ और +नियोडिमियम के gay [ओं का इस्तेमाल + +होता है। वाइब्रेशन में नियोडिमियम +टर्बियम और डिसप्रोसियम होता है। + +55 La) हब +१ दम 1 +fr + +8 +१ मा +EE A] 3t +: +1 (05 अल 1 मी 1] +co +Less केसिंग +4 Rm +४ +1 |, "ही विधा: पलक, +EL +Ld ital + +फोन की चिप बनाने के लिए शुद्ध सिलिकॉन +इस्तेमाल किया जाता है। गैर-संचालक क्षेत्र +बनाने के लिए इसे ऑक्सीडाइज किया जाता +है। इसके बाद चिप को विद्युत के संचालन +योग्य बनाने के लिए अन्य तत्व मिलाये +जाते हैं। + +फोन में इलेक्ट्रॉनिक्स को जोड़ने के लिए +टिन और सीसे का इस्तेमाल होता है। नये +सीसा रहित सोल्डरों में टिन, तांबे और चांदी +का प्रयोग होता हे। + + + +कुछ फोनों की केसिंग मैग्नीनिशियम योगिकों के मिश्र +धातु से बनी होती है। बाकी फोनों की केसिंग प्लास्टिक +की होती है। अज्वलनशील बनाने के लिए प्लास्टिक में +मिलाये जाने वाले यौगिकों में से कुछ में ब्रोमीन होता +है। विद्युत चुंबकीय व्यवधान को रोकने के लिए निकेल +को शामिल किया जा सकता हें। + + + + + +: ब्रनिंग, एंडी/कंप्राउंड इटरेस्टी, 2014 + +al + +स्रोत + +स्मार्ट फोन में इस्तेमाल होने वाले तत्व + +सुनिश्चित करने के लिये प्रेरित नहीं हुए। इस स्थिति को देखते हुए +2016 में ई-कबाड़ नियमों में संशोधन कर संग्रह के लक्ष्य निर्धारित +किये गये। इसी के साथ अमानत वापसी प्रणाली (डीआरएस) की भी +शुरुआत की गयी (भारत सरकार, 2016)। डीआरएस में उत्पाद की +खरीद के समय उपभोक्ता से एक निर्धारित रकम अमानत के तौर पर +ली जाती है। उत्पादक को यह उत्पाद सुरक्षित ढंग से लौटाये जाने पर +अमानत की रकम उपभोक्ता को लौटा दी जाती है। इस प्रणाली के +तहत शुरुआती दो वर्षों में 30 प्रतिशत और सातवें साल के अंत तक +70 प्रतिशत संग्रह दर का लक्ष्य निर्धारित किया गया। लेकिन निर्माताओं +ने इसका विरोध करते हुए इसमें ढिलाई देने की मांग की। लिहाजा, +वर्ष 2018 में नियमों में संशोधन कर लक्ष्य को पहले दो वर्षों में 10 +प्रतिशत और सातवें साल के अंत तक 70 प्रतिशत किया गया। + +वर्ष 2018 के संशोधन में उत्पादक जिम्मेदारी संगठनों (पीआरओ) +के पंजीकरण का प्रावधान भी किया गया। भारत में पीआरओ व्यापक +अनुपालन सेवाएं मुहैया कराते हैं। इनमें संग्रह और रीसाइकिलिंग के सबसे +किफायती अनुबंध के लिये बातचीत से लेकर पहुंच और जागरूकता बढ़ाने +की जरूरतों को पूरा करने में उत्पादकों की मदद करना तक शामिल है +(सीआरबी और द ग्रीन इलेक्ट्रॉनिक्स काउंसिल, 2018)। +ई-कबाड़ रीसाइकिलिंग का मौजूदा परिदृश्य और मुद्‌दे + +भारत में ई-कबाडु प्रबंधन नीतियां 2011 से ही हैं मगर इन पर +अमल ढीला रहा है। मौजूदा समय में ई-कबाड़ के लगभग 95 प्रतिशत +हिस्से का प्रबंधन अनौपचारिक क्षेत्र करता है। खराब कार्य स्थितियों +में काम करने वाला यह क्षेत्र विखंडन और रीसाइकिलिंग के लिये + +38 + +अपरिष्कृत तकनीकों पर निर्भर है (भारत सरकार, 2019)। + +नीतिगत बदलावों के जरिये इस क्षेत्र को औपचारिक बनाने की +लगातार कोशिश की गयी है। लेकिन जमीनी स्तर पर इस प्रयास को +लेकर कठिनाइयां बरकरार हैं। पहला मुद्दा मूल्य का है। औपचारिक +रिसाइकिलकर्ताओं की तुलना में अनौपचारिक तौर पर रीसाइकिल करने +वालों का संचालन खर्च कम होता है। उन पर कोई ऊपरी खर्च और +अन्य प्रशासनिक शर्तों को पूरा करने का दबाव नहीं रहता। इसलिये वे +मूल्यवान धातुओं वाले ऊंची कीमत के इलेक्ट्रॉनिक ई-कबाड़ के लिये +बेहतर कीमत दे सकते हैं। संग्रहकर्ता भी ज्यादातर अनौपचारिक ही हैं +जिनकी मांग तुरंत नकद भुगतान की होती है। सरकार और बहुपक्षीय +संगठनों ने इस वित्तीय अंतर को सब्सिडी और आर्थिक सहायता से +भरने की कोशिश की है। मगर इस तरह की रणनीति हमेशा नहीं चल +सकती। अनौपचारिक नेटवर्क सुस्थापित होने के साथ ही सामाजिक +पूंजी संबंधों पर आधारित है। दूसरी ओर उत्पादक जिम्मेदारी संगठन +अब तक खुद को स्थापित नहीं कर सके हैं। इसलिये व्यावहारिक +संख्या में संग्रहकर्ताओं तक उनकी पहुंच नहीं बन पायी है। + +अक्सर इन अक्षमताओं की वजह से ईपीआर लक्ष्य अधूरे रह +जाते हैं। उत्पादक अपने ईपीआर लक्ष्य को पूरा करने के लिये नियमित +तौर पर धन खर्च नहीं करते। अनुपालन, पारदर्शिता और ई-कबाड +प्रवाह पर नजर रखने की क्षमता के अभाव में अनुचित बाजार लाभ +पैदा हुए हैं। इसके परिणामस्वरूप काफी बड़े परिमाण में ई-कबाड +उन तक नहीं पहुंच रहा जो पर्यावरण के लिये सुरक्षित ढंग से इसकी +रीसाइकिलिंग करते हैं। + +योजना, जून 2021 + + + +0039.txt +<----------------------------------------------------------------------> +धातु प्रसंस्करण की पर्याप्त अवसंरचना का + +प्रशल्क और सब्सिडी ई-कबाड़ वित्त प्रबंध + +अभाव भी एक महत्व मसला है। इसकी क्रियान्वयन के बेहतर ढांचे और नीति के सामने दो विशिष्ट चुनौतियां हैं। इनके +वजह से रीसाइकिलकर्ताओं को अपनी सामग्री प्रणालियों वाले देशों के विपरीत बजाय विकास का एक नव-शास्त्रीय तरीका +वैश्विक स्तर पर धातु गलाने वालों को निर्यात amt Atel Se नियमों में सं a अपनाया जाना चाहिये जिससे औपचारिक +करनी पड़ती है। इसलिये उन्हें प्रसंस्करण के भरते के ईपीआर नियमों में संग्रह शीसाइकिलकर्ताओं के लिये आपूर्ति बढ़ेगी और +खर्च तथा निकाले गये धातु की गुणवत्ता औआ और रीसाइकिलिंग के लक्ष्य तय देश में विखंडन और निष्कर्षण में सुधार के मार्ग +मात्रा के लिहाज से निस्सारण का वास्तविक नहीं किये गये थे। लक्ष्य के अभाव की अवसंरचनात्मक कमियां दूर होंगी। इसके +मूल्य नहीं मिल पाता। अगर इन सामग्रियों का और ढीले नियामक परिवेश @ रिणामस्वरूप ई-कबाड़ की रीसाइकिलिंग के + +प्रसंस्करण स्वदेश में ही हो तो देश में धातु +सुरक्षा और संसाधनों की कुशलता में इजाफा +होगा (नीति आयोग, 2017)। + +मांग पक्ष पर गौर करें तो उपभोग और +निस्तारण के तौर-तरीकों को लेकर उपभोक्ताओं +में जागरूकता की कमी एक बड़ी अड्चन हे। +आधुनिक समाज जीवन स्तर में सुधार के साथ +ही अपने उपभोग में संसाधन केन्द्रित हो गये हैं। +इससे इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की मांग में वृद्धि के +साथ ही उनकी उम्र भी कम हुई है। उत्पादक +के उत्पाद को प्रचलन से हटाने से संबंधित योजना और अमानत वापसी +की नीतियों के बारे में जागरूकता की कमी तथा मरम्मत के अपर्याप्त +विकल्पों की वजह से उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों को अन्य घरेलू +कचरे के साथ फेंक देते हैं। इससे अनौपचारिक बाजार में आने वाले +ई-कबाड़ की छंटाई को लेकर समस्या पैदा हो जाती है। +हितधारक विश्लेषण + +नियामक परिदृश्य के आलोक में मांग और आपूर्ति पक्षों के +बीच अंतर के विश्लेषण से प्रक्रिया के दो महत्वपूर्ण हितधारकों - +व्यवसाय पक्षकारों तथा जन और मीडिया पहरेदारों का पता चलता है। +सरकार इस समूची प्रक्रिया में बड़ा उत्प्रेक्क है। उसकी भूमिका एक +स्व-संचालित बाजार में मददगार और नियामक की है। लिहाजा, उसे +प्रशुल्कों और सब्सिडी पैकेजों के जरिये ई-कबाड़ की रिसाइकिलिंग +की मांग बढ़ाने का केन्स का दृष्टिकोण अपनाने से बचना चाहिये। + +नियामक + +वित्तीय + +तकनीकी + +कारण उत्पादक उपयोग किये +जा चुके अपने सामान का संग्रह +सुनिश्चित करने के लिये प्रेरित +नहीं हुए। इस स्थिति को देखते +हुए 2016 में ई-कबाड़ नियमों +में संशोधन कर संग्रह के लक्ष्य +निर्धारित किये गये। + + + +लिये अपेक्षित बाजार बनाने में काफी मदद +मिलेगी। मौजूदा नीतियों का जोर इसी दिशा +में होना चाहिये इसलिये सरकार की भूमिका +अनिवार्य हो जाती है। + +हमारे जीवन के हर पहलू में प्रौद्योगिकी +का दखल बढ़ता जा रहा है। इससे बाजार में +इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की मांग में इजाफा हो रहा +है। इसके साथ ही उपकरणों की उपयोगिता +की मियाद भी घट रही है। प्रौद्योगिकी के तेजी +से उन्‍नयन तथा उपकरणों की विशेषताओं और +प्रदर्शन में सुधार की वजह से लोग उत्पादों को उनकी उपयोगिता +की मियाद पूरी होने से पहले ही बदल देते हैं। यह महत्वपूर्ण है कि +उपभोक्ता किसी उत्पाद के उपयोग की मियाद पूरी होने तक उसका +इस्तेमाल करे। इसके बाद वह पर्यावरण के प्रति पूरी तरह सजग रहते +हुए उत्पाद की मरम्मत की संभावना और उसे बदलने के विकल्पों के +बीच चयन करे। + +उत्पादक अपने इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों को इस तरह डिजाइन करें +कि वे ज्यादा सुरक्षित, टिकाऊ तथा मरम्मत और रिसाइकिल करने +योग्य हों जिससे ई-कबाड में कमी आयेगी। सबसे महत्वपूर्ण बात यह +है कि वे जहरीली सामग्री का इस्तेमाल कम करें। निर्माण की अधिक +कुशल प्रक्रिया से उपयोग की जाने वाली ऊर्जा में भी कमी आयेगी। + +निर्माताओं को नये उत्पादों के लिये दुर्लभ तत्वों का उत्खनन करने +के बजाय रिसाइकिल किये जाने योग्य सामग्री का फिर से इस्तेमाल + + + +अमानत वापसी +प्रणालियां + + + +उपभोक्ताओं से +कबाड़ का निर्देशन + +स्रोत : लेखक द्वाय संकलित + +चार्ट 2 ; ई-कबाड़ समस्या के व्यावसायिक समाधान + +योजना, जून 2021 + +39 + + + +0040.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + + + +aid : इलेक्ट्रिकल्स एंड इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफेक्चरिंग इन इंडिया, एसोचैस-एनईसी, 2018 + + + + + +करना चाहिये। इससे वे संग्रह के ईपीआर लक्ष्यों को पूरा करने तथा +उपभोक्ताओं को ई-कबाड़ के फिर से इस्तेमाल और रीसाइकिलिंग +के विकल्पों के बारे में जागरूक बनाने के लिये प्रेरित होंगे। हम + +जापान का ई-कबाड़ निस्तारण तंत्र + +पक्ष लेते हुए रीसाइकिलिंग को बढ़ावा देता हे। +इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र को अपने उत्पादन के तौर-तरीकों में बदलाव +लाना होगा ताकि नये कच्चे माल के इस्तेमाल में कमी आये। उसे + +चलताऊ तौरतरीके जारी रखते हुए अनौपचारिक रिसाइकिलकर्ताओं के ऐसी प्रौद्योगिकियां अपनानी होंगी जो निस्सारण और रीसाइकिलिंग की + +औपचारिक होने के उम्मीद में बैठे नहीं रह +सकते। कंपनियों के लिये ऐसे कार्यक्रम बनाना +ज्यादा व्यावहारिक होगा जिनसे औपचारिक +रिसाइकिलकर्ताओं तक ई-कबाड आसानी से +पहुंच सके। +सुझाव + +ई-कबाड़ का मसला हमें एक ऐसे दोराहे +पर खड़ा करता है जहां एक तरफ मालथस +का सिद्धांत है और दूसरी ओर कोरनूकोपियन +विचार। इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में उत्पादों को +योजनाबद्ध ढंग से अप्रचलित करने की मौजूदा +व्यावसायिक परिपाटी कोरनूकोपियाई विचार के +ज्यादा अनुरूप है। इस विचार के अनुसार धरती +पर संसाधनों की प्रचुरता है और भविष्य में +किसी खास संसाधन की कमी की भरपाई +स्थिति के अनुरूप ढलने की क्षमता और +डिजाइनों में बदलाव से की जा सकती है। +लेकिन यह सिद्धांत इस बात पर गौर नहीं करता +कि दुर्लभ, जहरीले और बेशकीमती धातुओं के +विशाल भंडार का अंधाधुंध उत्खनन खतरनाक +हो सकता है। पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य +पर इनके संभावित दुष्प्रभाव इन औद्योगिक +तौर-तरीकों के असर को लेकर एक बड़ा +सवालिया निशान खड़ा करते हैं। दूसरी ओर, +नव-मालथसीय सिद्धांत संवहनीय विकास का + +40 + +नीतिगत बदलावों के जरिये इस +क्षेत्र को औपचारिक बनाने की +लगातार कोशिश की गयी है। + +लेकिन जमीनी स्तर पर इस प्रयास + +को लेकर कठिनाइयां बरकरार +हैं। पहला मुद्दा मूल्य का है। +औपचारिक रिसाइकिलकर्ताओं +की तुलना में अनौपचारिक तौर +पर रीसाइकिल करने वालों का +संचालन खर्च कम होता है। उन +पर कोई ऊपरी खर्च और अन्य +प्रशासनिक शर्तों को पूरा करने +का दबाव नहीं रहता। इसलिये +वे मूल्यवान धातुओं वाले ऊंची +कीमत के इलेक्ट्रॉनिक ई-कबाड़ +के लिये बेहतर कीमत दे सकते +हैं। संग्रहकर्ता भी ज्यादातर +अनौपचारिक ही हैं जिनकी मांग +तुरंत नकद भुगतान की होती है। + +वृहत्तर क्षमता के अनुकूल हो। प्रक्रियाओं में +क्रांतिकारी बदलाव लाकर मौजूदा तौर-तरीकों +के विकल्प खोजने होंगे जिनसे पृथ्वी के दुर्लभ +संसाधनों का गैर-संवहनीय ढंग से दोहन नहीं +हो। सामग्रियों के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले +कच्चे माल और ऊर्जा से लेकर पुराने उत्पादों +के लिये वैश्विक वापसी कार्यक्रम तक कंपनी +के समूचे कामकाज में पर्यावरण पर दुष्प्रभाव +को घटाना जरूरी है। इस तरह के वापसी +कार्यक्रमों को प्रोत्साहन देकर, अमानत लौटाने +की प्रणाली लागू कर और पुराने उत्पाद के +मूल्य के बराबर छूट के जरिये कबाड़ संग्रह +और निस्तारण की एक नैसर्गिक पारिस्थितिकी +बनेगी। अमानत वापसी प्रणालियों से कुल +उत्पन्न कबाड़ के भंडार और रीसाइकिलिंग +क्षमता का निर्माण होगा। आपूर्ति पक्ष की +कमियों के हमारे आकलन के नतीजे इसी +अवधारणा पर आधारित हैं जिन्हें चार्ट - 3 में +दर्शाया गया है। + +इसके अलावा, ई-कबाड॒ रीसाइकिलिंग +श्रृंखला को पर्याप्त मजबूत बनाने के लिये सख्त +निगरानी, अनुपालन, उसकी क्षमता के सर्वोत्तम +उपयोग और वेश्विक सहयोग की जरूरत है। +इनमें से किसी में भी नाकामी से संसाधनों का +सर्वोत्तम उपयोग नहीं हो सकेगा और पर्यावरण + +योजना, जून 2021 + + + +0041.txt +<----------------------------------------------------------------------> +के लिये भी जोखिम पैदा होगा। मूल्यवान सामग्री +को अनियंत्रित अनौपचारिक क्षेत्र के हाथों में +पहुंचने से रोकने के लिये ईपीआर लक्ष्यों को +लागू करना तथा औपचारिक रीसाइकिलिंग +प्रवाह और प्रक्रिया की विस्तृत निगरानी +पहला महत्वपूर्ण कदम है। इस निगरानी के +परिणामस्वरूप सबके लिये समानता आयेगी और +सभी हितधारक संग्रह, विखंडन, प्रसंस्करण, +निस्सारण और रीसाइकिलिंग की प्रक्रियाओं +के दौरान अपनी भूमिकाओं के लिये जवाबदेह +बनेंगे। इस तरह प्रक्रिया के सभी चरणों में +रीसाइकिलिंग श्रृंखला के सर्वोत्तम उपयोग के +लिये चरणबद्ध दृष्टिकोण अपनाना जरूरी है। +इसके विपरीत मौजूदा नीति में सिर्फ प्रक्रिया +के शुरुआती और आखिरी चरणों पर ध्यान +दिया जाता है। रीसाइकिलिंग की प्रक्रिया के +सभी चरणों की अंतर्राष्ट्रीय सर्वश्रेष्ठ परिपाटी +के आलोक में समीक्षा की जानी चाहिये ताकि +वित्तीय, पर्यावरणीय और संसाधनों की दृष्टि +से अधिकतम कुशलता हासिल की जा सके। + +मांग पक्ष में, नव-मालथसवादी सिद्धांत +के अनुसार ई-कबाड संग्रह की क्षमता को +ज्यादा-से-ज्यादा विकेन्द्रित बनाया जाना +महत्वपूर्ण है और इसके अनेक लाभ हैं - + +1. रीसाइकिलिंग सुविधा का आकार +स्थानीय आबादी की जरूरतों के अनुरूप + +हमारे जीवन के हर पहलू में +प्रौद्योगिकी का दखल बढ़ता +जा रहा है। इससे बाजार में +इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की मांग में +इजाफा हो रहा है। इसके साथ +ही उपकरणों की उपयोगिता की +faara भी घट रही है। प्रौद्योगिकी +के तेजी से उन्‍नयन तथा +उपकरणों की विशेषताओं और +प्रदर्शन में सुधार की वजह से +लोग उत्पादों को उनकी उपयोगिता +की मियाद पूरी होने से पहले ही +बदल देते हैं। यह महत्वपूर्ण है +कि उपभोक्ता किसी उत्पाद के +उपयोग की मियाद पूरी होने तक +उसका इस्तेमाल करे। इसके बाद +वह पर्यावरण के प्रति पूरी तरह +सजग रहते हुए उत्पाद की मरम्मत +की संभावना और उसे बदलने के +विकल्पों के बीच चयन करे। + +होने से उसके समग्र कार्बन फुटप्रिंट में कमी +आयेगी। + +2. स्थानीय आबादी की पहुंच के दायरे +में होने से रीसाइकिलिंग सुविधा का अधिकतम +इस्तेमाल होगा तथा लोग कबाड़ संग्रह के +औपचारिक बाजार चैनलों को प्रभावित करने +में सक्षम होंगे। इससे रीसाइकिल करने वालों +की एकाधिकार की प्रवृत्ति पर अंकुश लगेगा +और बाजार SAAT A ART होकर काम कर +सकेगा। उपभोक्ता और निर्माता, दोनों ही इस +स्थिति से लाभान्वित होंगे। वे अपने ई-कबाड +के निस्तारण के लिये विभिन्‍न स्थानीय विकल्पों +के बीच चयन कर सकेंगे। यह कबाड॒ प्रबंधन +से संबंधित मसलों को हल करने का सबसे +मजबूत तरीका है। + +3. रीसाइकिलिंग की सुविधाओं के +स्थानीयकरण से परिवहन और ऊर्जा के खर्चों +में भी कमी आयेगी। + +इसके अलावा जनसाधारण को संवहनीयता +के लाभों और उपभोकतावाद के नुकसान के +बारे में उद्योग के अभियानों और मीडिया के +जरिये जागरूक बनाया जाना चाहिये। यह काम +पर्यावरणीय न्याय के विश्लेषण के माध्यम से +भी किया जा सकता है। किसी उत्पाद के +अनौपचारिक श्रृंखला में पहुंचने के खास तौर +से कमजोर और सबसे ज्यादा उपेक्षित कामगारों + + + +ge TTT +28 8 ७ छ थ कि भुगतान + + + +निर्माता» + + + + + + + + + +आयातक +4 : + + + +उत्पादक + + + +( कच्चा माल ) + +Tah एआरएफ : + + + + + +/ +Vv + +f + + + + + +सा + +रीसाइकिलकर्ता + + + + + +८ + + + +निस्तारणकर्ता + + + + + + + + + +Pu +at +नि +बी + + + +nema + +बे meee + + + +% + +वितरक/खुदरा +व्यापारी + +आर +| + +उपभोक्ता + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +स्रोत : डीएस खेत्रीवाल और अन्य/जर्नल ऑफ एनवर्नमेंटल मैनेजमेंट 90, (2009), 153-163 + + + + + +चार्ट 3 ; स्विस ई-कबाड़ प्रबंधन प्रणाली में सामग्रियों और वित्त का प्रवाह + +योजना, जून 2021 + +41 + + + +0042.txt +<----------------------------------------------------------------------> +पर पड़ने वाले प्रभाव से लोगों को अवगत कराया जाना चाहिये। भारत +में किये गये शोधों और सर्वेक्षणों से पता चलता है कि ई-कबाड़ के +खतरे और रीसाइकिलिंग के बारे में जन-जागरूकता काफी कम है +(बोरठाकुर और गोविंद, 2017)। गैर-सरकारी और समुदाय आधारित +संगठन ई-कबाड का सुरक्षित निस्तारण सुनिश्चित करने के तौर-तरीकों +का प्रचार-प्रसार कर सकते हैं। वे इस बात की निगरानी भी कर सकते +हैं कि कॉरपोरेट और रीसाइकिल करने वाले स्वास्थ्य और सुरक्षा के +मानदंडों का पालन करें। +निष्कर्ष + +ई-कबाडु की समस्या के आकार और जटिलता में वृद्धि की +रफ्तार इसे नियंत्रित करने की हमारी रणनीतियों की प्रभावशीलता से +अधिक तेज है। इस स्थिति में जल्दी बदलाव आने की संभावना नहीं +दिखाई देती। कबाड़ उत्सर्जन में काफी कमी लाना इस समस्या के +व्यावहारिक समाधानों में से एक है। हमारी नीति में उत्पादकों की +ओर से जागरूकता अभियान चलाये जाने की बात कही गयी है। +लेकिन इसमें जिम्मेदारी से उपभोग को बढ़ावा देने और खपत के +स्तर में कमी लाने के लिये नागरिकों को शामिल करने के फ्रेमवर्कों +का सरासर अभाव है। भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना +प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने 2016 में औद्योगिक संघों के साथ मिल कर +ई-कबाड जागरूकता कार्यक्रम शुरू किया। इसका मकसद ई-कबाडु +की असंगठित क्षेत्र में रीसाइकिलिंग के खतरों के बारे में जनता में +जागरूकता पैदा करना था। इसके जरिये जनसाधारण को ई-कबाड़ का +निस्तारण करने के वैकल्पिक तरीकों के बारे में शिक्षित किया गया। +औपचारिक माध्यमों से निस्तारण और उपभोग के संवहनीय तरीकों को +बढ़ावा देने के लिये सतत प्रयास महत्वपूर्ण हैं। + +देश में ई-कबाड़ की रीसाइकिलिंग को मजबूत करने की व्यापक +संभावना मौजूद है। इस दिशा में कुछ प्रगति भी हुई है। लेकिन +जागरूकता अभियानों, कौशल विकास, मानव पूंजी निर्माण तथा देश +के अनौपचारिक क्षेत्र में सुरक्षा के पर्याप्त उपाय अपनाते हुए प्रौद्योगिकी +लाने के संबंध में काफी काम किया जाना बाकी है। देश में बेशकीमती +खनिज संसाधनों की बहुत तंगी है। हमें एक सुविचारित, ठोस और +नियंत्रित ई-कबाड़ रिकवरी व्यवस्था की जरूरत है जिससे रोजगार और +संपदा पैदा होगी। इस विश्लेषण का उद्देश्य नीति निर्माताओं को बाजार +आधारित प्रणालियों के जरिये रीसाइकिलिंग क्षमता में सुधार के उपायों + +के बारे में बताना है। ये उपाय सब्सिडी आधारित कोशिशों की मौजूदा +नीति से अलग हैं। संवहनीय व्यावसायिक समाधान और जनता की +सक्रिय भागीदारी ईपीआर लक्ष्यों की समयबद्ध प्राप्ति को निर्देशित कर +सकती है। इससे डिजिटल कबाड़ को एक दूसरा जीवन मिलेगा। so +नोट + +1. https:/Awww.ilo.org/wemsp5/groups/public/---ed_dialogue/---sector/ +documents/publication/wems_673662.pdf +2. http://Awww.compoundchem.com/2014/02/19/the-chemical-elements- + +of-a-smartphone/ +संदर्भ +1. अग्रवाल, आर (2010)। ए पॉलिसी? रबिश। ॥#195:/णज़ए-गां70प्रशक्षात165. +com/india/a-policy-rubbish/story[1]sjK DRIMXIKQ Ijc VeQk 5pM. html. +बेसल एक्शन नेटवर्क (2016)। स्कैम रीसाइकिलिंग : ई-डपिंग ऑन +एशिया बाई यूएस रीसाइकिलर्स ॥फ:/शांत॑.0क्षा,ण817182०08/1/12/ +ScamRecyclingReport-web.pdf +बोरठाकुर, ए और गोविंद एम (2017)। इमर्जिंग ट्रेंड्स इन कज्यूमर्स ई-वेस्ट +डिस्पोजल बिहेवियर एंड अवेयरनेस : ए वर्ल्डबाइड ओवरबव्यू विद स्पेशल +फोकस ऑन इंडिया। +4, सीबीएस न्यूज (निदेशक) (2008)। फॉलोइंग द ट्रेल ऑफ टॉक्सिक ई-वेस्ट +(मोशन fare) | +5. सीआरबी एंड द ग्रीन 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प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार +सूचना भवन, सी जी ओ कॉम्प्लेक्स, लोधी रोड, नई दिल्‍ली-110003 +वृर्भाष : 011-24387453, मोबाइल : 7503715820 +2 4a : pdjucir@gmail.com + + + + + + + + + + + +42 + +योजना, जून 2021 + + + +0043.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + +@°VISIONIAS + +INSPIRING INNOVATION www.visionias.in + + + +जार IN TOP 10 SELECTIONS IN CSE 2019 4_ OLheartictt: Congratulations + +from various programs of VISION IAS to all successful candidates + + + +() + + + +JATIN PRATIBHA VISHAKHA GANESH ABHISHEK RAVI YOU CAN +KISHORE VERMA YADAV KUMAR BASKAR' SARAF JAIN BE NEXT + + + +लाइव/ऑनलाइन व ऑफलाइन कक्षाएं + +कोई क्लास नछूटे ८ फाउंडेशन कोर्स + + + + + + + + + + + + + + +डेली असाइनमेंट और अध्ययन » +सामग्री के साथ पूर्णतः vo अध्ययन 2022 +रिवीजन करें BEE Ay ee प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा +oa 0 #)2७/१ २. +iN 3» UPSC @ सामान्य अध्ययन +PT 365 “Bx < ४॥ पाठ्यक्रम का व्यापक कवरेज + +पूर्ण वर्ष के करेंट अफेयर्स को +सिर्फ 60 घंटों में कवर करती +कक्षाओं से ऑनलाइन जुड़ें + +व्यक्तित्व परीक्षण कार्यक्रम + अभ्यास ही सफलता +सिविल सेवा परीक्षा 2020 की चाबी है + +# पूर्व-प्रशासनिक अधिकारियों / शिक्षाविदों के शपवां5०1185 प्रारंभिक/मुख्य टेस्ट +साथ मॉक इंटरव्यू सेशन सीरीज हर 3 में से 2 सफल + +vem उम्मीदवारों द्वारा चुना गया +दर 1 प्राम आ प्रवेश 3 + +_ 8 सामान्य अध्ययन ७ निबंध ७दर्शनशास्त्र + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +अभ्यास 2021 + +ऑल इंडिया 6& प्रीलिम्स मॉक (न सभी द्वारा पढ़ी गई एव +टेस्ट सीरीज (ऑनलाइन) S| 4 सभी द्वारा अनुशंसित +25 अप्रेल 9, 23 मई | + + + + + + + +eed em) Oo ४ oy VisionlAS ate oc +1 : oe +fall iawn करें: मत eh अफेयर्स पत्रिका + +DELHI ¢ 1st Floor, Apsara Arcade, Near Metro Gate 6,1/8 B, Pusa Road, Karol Bagh +e Contact : 8468022022, 9019066066 + +JAIPUR | PUNE | HYDERABAD | LUCKNOW | AHMEDABAD | CHANDIGARH | GUWAHATI +9001949244 " 8007500096 " 9000104133 8468022022 9909447040 8468022022 8468022022 + + + + + + + + + + + + + + + + + +योजना, जून 2021 43 + +YH-1583/2021 + + + +0044.txt +<----------------------------------------------------------------------> +प्राकृतिक गैस के इस्तेमाल को प्रोत्साहन + +डॉ दीपक कोहली + +ऊर्जा बास्केट में जीवाश्म ईंधन की औसत वैश्विक हिस्सेदारी 84 प्रतिशत है जो भारत के लिये और भी +अधिक है। अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के अनुसार, भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता है। कोयले +और तेल पर निर्भरता को कम किये जाने की आवश्यकता है तथा इसके लिये कोयले और तेल के स्थान +पर गैर पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों जैसे सौर तथा पवन ऊर्जा के अलावा प्राकृतिक गैस को अधिक-से-अधिक + +उपयोग में लाना अच्छा विकल्प होगा। + +रत के विभिन्न बुद्धिजीवी और विशेषज्ञ, जलवायु वार्ताकार, + +कॉरपोरेट और पर्यावरण संबंधी एजेंसियां एवं संगठन ' शुद्ध + +शून्य कार्बन उत्सर्जन” की अवधारणा और इसे प्राप्त करने +के उपयुक्त लक्ष्य वर्ष पर विचार कर रहे हैं। इस लक्ष्य की प्राप्ति के +संदर्भ में वैश्विक सर्वसम्मति प्राप्त करने हेतु किये जा रहे प्रयासों के +क्रम में भारत को सबसे पहले अपने जीवाश्म ईंधन बास्केट को 'हरित +ईंधन बास्केट' के रूप में परिवर्तित करना होगा। ऊर्जा उपयोग में +प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी को बढ़ाकर यह कार्य किया जा सकता +है। यद्यपि प्राकृतिक गैस अर्थव्यवस्था में प्राकृतिक गैस मूल्य श्रृंखला +के सभी क्षेत्रों-उत्पादन (घरेलू एवं अंतर्राष्ट्रीय) से बाजारों (वर्तमान + +एवं उभरते हुए) तक परिवहन (पाइपलाइन एवं एलएनजी) और +वाणिज्यिक (मूल्य निर्धारण, कराधान) तथा विनियामक मुद्दों के संदर्भ +में नीतिगत सुधार किये जाने की आवश्यकता है। +प्राकृतिक गैस: एक बेहतर विकल्प के रूप में + +बैविध्यपूर्ण और प्रच्चुरता: प्राकृतिक गैस के कई उपयोग हैं +और यह सभी जीवाश्म ईंधनों में (सबसे नया' है। इसके अलावा, यह +भारतीय उपमहाद्वीप में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। + +सरल संक्रमण ऊर्जा विकल्प: प्राकृतिक गैस का उपयोग एक +व्यवहार्य संभावना है क्योंकि यह कोयला खदानों को बंद करने पर +विपरीत परिस्थितियां उत्पन्न नहीं होने देगी। इसके अलावा, उद्योगों + + + + + +लेखक पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, उत्तर प्रदेश शासन में संयुक्त सचिव हैं। ईमेल: 0००७१च८णा॥64ोएथा०० + +44 + +योजना, जून 2021 + + + +0045.txt +<----------------------------------------------------------------------> +को अपनी प्रणाली के पुनः स्थापन में भारी निवेश +करने की आवश्यकता नहीं होगी। इसके अलावा, यह +पर्यावरण को प्रदूषित किये बिना सभी को सुरक्षित +और सस्ती ऊर्जा उपलब्ध कराने के उद्देश्य को पूरा +करने में मदद करेगी। + +जीवाश्म ईंधन का अतिरिक्त उपयोग: ऊर्जा +बास्केट में जीवाश्म ईंधन की औसत वैश्विक हिस्सेदारी +84 प्रतिशत है जो भारत के लिये और भी अधिक है। +अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के अनुसार, भारत दुनिया का +तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता है। कोयले और तेल +पर निर्भरता को कम किये जाने की आवश्यकता है +तथा इसके लिये कोयले और तेल के स्थान पर गैर +पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों जैसे सौर तथा पवन ऊर्जा के +अलावा प्राकृतिक गैस को अधिक-से-अधिक उपयोग +में लाना अच्छा विकल्प होगा। +प्राकृतिक गैस क्षेत्र से जुड़ी चुनौतियां + +मूल्य निर्धारण संबंधी विकृतियां: प्राकृतिक गैस के मूल्य का +निर्धारण कई अलग-अलग सूत्रों पर आधारित होता है। सार्वजनिक +क्षेत्र की कंपनियों और निजी कंपनियों द्वारा घरेलू क्षेत्रों से उत्पादित +गैस के मूल्यों में अंतर पाया जाता है। इसी तरह, गहरे पानी के +अपतर्टीय क्षेत्रों तथा उच्च तापमान वाले क्षेत्रों के तहत में किये +गए उत्पादन के आधार पर भी मूल्यों में अंतर पाया जाता है। यह +प्रतिस्पर्द्धी मूल्य निर्धारण में समस्याएं पैदा करता है। + +प्रतिगामी कराधान प्रणाली: यह एक व्यापक संरचना है +जिसके चलते गैस के एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में प्रवाहित होने पर +कर की दरों में वृद्धि होती है। इसका तात्पर्य यह है कि गैस के +स्रोत से दूर स्थित ग्राहक, स्रोत के निकट वाले ग्राहक की तुलना +में अधिक कीमत चुकाते हैं। परिणामस्वरूप मांग में कमी होती +है। इसके अलावा, गैस क्षेत्र वस्तु एवं सेवा कर के दायरे में भी +नहीं आता है। + +हितों के टकराव की स्थिति: वर्तमान +में गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड +(गेल) गैस के उत्पादन, परिवहन और +विपणन में संलग्न है। + +इसके परिणामस्वरूप गेल अपने प्रतिद्व॒ंद्वियों +को बाजार तक पहुंच से वंचित करने के + +प्राकृतिक गैस का उपयोग एक +व्यवहार्य संभावना है क्योंकि यह +कोयला खदानों को बंद करने + +पर विपरीत परिस्थितियां उत्पन्न + + + +केंद्र तथा राज्यों के बीच व्याप्त मतभेदों के कारण आयात +सुविधाओं के निर्माण तथा गैस बाजारों के सृजन में भी देरी हुई है। +आगे की राह : + +मूल्य निर्धारण के विनियमन में ढीलः घरेलू स्तर पर +उत्पादित गैस के लिये मूल्य निर्धारण के विनियमन में ढील, +गैस अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के संदर्भ में बाजार सुधारों को +सुनिश्चित करने का एक प्रमुख पहलू हो सकती है। यह कदम +घरेलू गैस की कीमतों के निर्धारण तथा विपणन में स्वतंत्रता प्रदान +करेगा, जिससे घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा तथा निवेशकों के +लिये निवेश करना अधिक व्यवहार्य हो जाएगा। + +इसके अलावा, बाजार-आधारित और किफायती मूल्य निर्धारण +से औद्योगिक विकास एवं आर्थिक प्रतिस्पर्द्धा को भी बढ़ावा मिलेगा। + +अवसंरचना विकास: इन बाजारों को बुनियादी ढांचे तक +खुली पहुंच, सिस्टम ऑपरेटर, विच्छिन्न विपणन और परिवहन कार्य, +बाजार-अनुकूल परिवहन तक पहुंच तथा टैरिफ के अलावा मजूबूत +पाइपलाइन अवसंरचना जैसे कारकों से बहुत लाभ हुआ हे। + +साथ ही केंद्र और राज्य सरकारों के +बीच बेहतर समन्वय हेतु संस्थागत तंत्र +स्थापित किए जाने से भी लाभ होगा। + +मुक्त गैस बाजार: प्राकृतिक गैस हेतु +मूल्य बेंचमार्क सुनिश्चित करने से यह मूल्य +श्रृंखला में प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देगा और + +लिये गैस पाइपलाइनों के संदर्भ में अपने. नहीं होने देगी। इसके अलावा, डाउनस्ट्रीम बुनियादी ढांचे के साथ इसके +स्वामित्व का लाभ उठा सकता है। अधिकांश. उद्योगों को अपनी प्रणाली के अन्वेषण एवं उत्पादन में निवेश को प्रोत्साहित +देशों ने परिवहन से अपस्ट्रीम (उत्पादन/ पुनः स्थापन में भारी निवेश करने करेगा। + +आयात) और डाउनस्ट्रीम (विपणन) हितों निष्कर्ष: + +को अलग कर इस संघर्ष की स्थिति का +निपटान कर लिया है। + +की आवश्यकता नहीं होगी। इसके +अलावा यह पर्यावरण को प्रदूषित + +यदि भारत वृद्धिशील रूप से आगे +बढ़ता है तो इसके पास स्वच्छ ऊर्जा प्रणाली + +केंद्र और राज्यों का मुद्दाः भूमि किये बिना सभी को सुरक्षित के गंतव्य तक पहुंचने का एक बेहतर +अधिग्रहण, पाइपलाइन मार्ग तथा Wael और सस्ती ऊर्जा उपलब्ध कराने अवसर है। इसके लिये भारत को अपनी +भुगतान जैसे मुद्दों पर केंद्र और राज्यों के के उद्देश्य को पूरा करने ऊर्जा यात्रा में प्राकृतिक गैस को 'अगला +बीच विवादों के कारण राष्ट्रीय पाइपलाइन में मदद करेगी। पड़ाव” बनाने और इसे प्रोत्साहन देने की +ग्रिड का निर्माण प्रभावित हो रहा है। आवश्यकता है। = +योजना, जून 2021 45 + + + +0046.txt +<----------------------------------------------------------------------> +पुस्तक चर्चा + +योग ( सचित्र ) +लेखक : धर्मवीर सिंह महीडा + +प्रकाशन विभाग की पुस्तक योगा इलस्ट्रेटेड का हिंदी संस्करण +अनुवादक : अरुण प्रकाश + + + + + + + +A योग +सचित्र + +enhipfar 'महीडा ; + +| + + + + + + + + + +भूमिका : डा० कर्ण सिंह + + + + + +योगी के मार्य का ही अनुसरण करो। + +ar भारतीय सभ्यता की अनुपम उपलब्धि है। अब इसका प्रचार +विश्व के कोने-कोने में हो चला है। योग का शाब्दिक अर्थ +संयोग है। आम तौर पर इस शब्द का उपयोग आत्मा और ब्रह्म के +मिलन, उनके संयोग को दर्शाने के लिए किया जाता है। जब यह +संयोग हो जाता है तो उसे ही ईश्वर का प्रत्यक्षीकरण कहा जाता +है। लेकिन यह कर्म योग, ज्ञान योग, भक्ति योग और राज योग के +सम्मिलित अभ्यास से ही प्राप्त किया जा सकता है। अत: योग व्यापक +अर्थों में आत्मिक अनुशासन ही है। + + + +तपस्विभ्योडऔधिको योगी ज्ञानिभ्योडपि मतोधिक:। +कर्मिभ्यश्चाधिको योगी तस्माद्योगी भवारजुन॥ +योगी तपस्वियों से श्रेष्ठ है। वह परम सत्य को पा लेने वालों से भी श्रेष्ठ +है। धर्मग्रंथों को कर्म में ढालने वालों से भी वह श्रेष्ठ है। अतः हे अर्जुन, तुम + +पा भगवद्गीता, छठा अध्याय, 46 + +राज योग पर लिखा गया सुव्यवस्थित और आधिकारिक ग्रंथ +पतंजलि का “योग सूत्र' ही है। पतंजलि की विधि सांख्य पर आधारित +है। 'योग सूत्र' का महत्व इतना रहा है कि महर्षि व्यास ने इसकी +टीका को लिखना जरूरी समझा। वेदांत में संपूर्ण भक्ति है तो सांख्य +में सौंदर्य की तरफ झुकाव है। “योग सूत्र' दोनों के बीच की शाखा है। +न्याय और वैशेषिक शाखा में योग साधना का जिक्र आता है। प्रसिद्ध +ग्रंथ “योग वाशिष्ठ' में महर्षि वशिष्ठ योग के बारे में भगवान राम +को विस्तार से बतलाते हैं। उपनिषद और वेदों में भी सांख्य योग की + +Joy | + + + +Hy uel + +4 +| +| +L + +गा + +| +है + +| + + + +| + +। +| + +it + +। + +{tig + +1 | + +1 + +iy + +| +1 + + + + + +46 + +योजना, जून 2021 + + + +0047.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +चर्चा है। सांख्य योग पर भगवदगीता में भी एक महत्वपूर्ण अध्याय है। +योग की परिभाषा + +इस शब्द के कई अर्थ हैं लेकिन हमारा सरोकार सिर्फ इस अर्थ +से होना चाहिए कि योग का अर्थ है शरीर को मस्तिष्क से और फिर +दोनों को आत्मा से जोड़ना। + +योग को एक दर्शन पद्धति भी कहा गया है, हमें उस पर भी +विचार करना चाहिए। + +महर्षि पतंजलि ने अपने “योग सूत्र” में योग की “वृत्ति निरोध' +कहा है। यानी योग वित्तवृत्ति कहते हैं और सचेतावस्था में प्रयास +करके इस विचार प्रवाह को रोकना निरोध कहलाता है। योग से +चित्तवृत्ति नियंत्रित हो जाती है और मस्तिष्क शांत हो जाता है। चेतना +में होने वाले उतार-चढ़ाव भी संतुलित हो जाते हैं। सरल शब्दों में +कहें तो योग हमारे मन के गहरे स्तरों को स्पर्श करता है-पहले ऊपरी +स्तर पर, फिर बहुत सूक्ष्म स्तर पर। +योग की स्थिति पर कैसे पहुंचें? + +महर्षि पतंजलि के अनुसार इसे “अष्टांग योग” यानी योग की +स्थिति के आठ अंगों-यानी यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, +धारणा, ध्यान और समाधि का अभ्यास कर प्राप्त किया जा सकता है। +योग के आठ अंग + +यम : इसमें पांच संयम बताए गए हैं- + +अहिंसा : मन, वचन और कर्म में हिंसा का परित्याग। + +सत्य : मन, वचन और कर्म में सत्य का पालन। + +अस्तेय : चोरी की प्रवृत्ति का त्याग। किसी के पास कुछ हे तो +इसकी लालसा भी नहीं करें। + +ब्रह्मचर्य : मन, वचन और कर्म से ऐसा आचरण हो जो ब्रह्म +al sik SAPS stl + +अपरिग्रह : संग्रह-वृत्ति का परित्याग। + +नियम : इन पांच नियमों का पालन होना चाहिए- + +शोध - बाह्य और आंतरिक शुद्धिकरण, संतोष, तपस - अभ्यास +के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति। + +स्वाध्याय - 'स्व' को समझने के विज्ञान का अध्ययन, ईश्वर +प्रणिधान - ईश्वर के समक्ष समर्पण। + +इस तरह हम देखते हैं कि यम और नियम योगाभ्यास की +आधारभूमि है। उसका पालन हर क्षण होना चाहिए। इन नियमों के +पालन से होने वाले लाभ के बारे में 'योग-सूत्र' वाले अध्याय में +विस्तार से बताया गया है। + +जो अध्यात्म के मार्ग से विमुख हैं, वे भी यदि योग के +साथ-साथ इन आचरण संबंधी नियमों का पालन करें तो उनका चरित्र +निखर सकता है; उनके मस्तिष्क से भ्रम की धुंध छंट सकती है और +वे उचित-अनुचित में अंतर करने का विवेक प्राप्त कर सकते हैं। इन +नियमों के पालन से मनुष्य मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ +रहता है तथा उसमें एकाग्रता बढ़ती है जिससे वह किसी भी कार्य में +सफलता अर्जित कर सकता है। +आसन + +एक आसन शरीर के विशेष भाग की जागृत कर देता है जिससे + +कि उस भाग की कोशिकाएं सक्रिय हो जाती हैं। इससे संवेदनशीलता +बढ़ जाती है जिससे पूरी शरीर प्रणाली के साथ उस भाग का संतुलन +बन जाता है। आसन के चलते हमारे शरीर का कल्प हो जाता है, +शरीर और मन में सुंदर तालमेल बन जाता है जिससे मन आंतरिक +लय को सुचारू रूप से संचालित करने लगता है। + +मनुष्य की शारीरिक प्रणाली बहुत जटिल है और इसलिए इस +लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कई आसनों का अभ्यास करना पड़ता है। + +जिस तरह की संवेदनशीलता हमारी तर्जनी उंगली में होती है, +उसी स्तर की संवेदनशीलता एक योगी के पूरे शरीर में आ जाती है। +लेकिन हमें बिल्कुल प्रारंभिक स्तर पर शुरुआत करनी होगी। यहां +आसनों से संबंधित अन्य बातों का विस्तार से लिखना अनावश्यक +होगा क्‍योंकि उन पर विस्तृत चर्चा इस पुस्तक में की गई हे। +प्राणायाम + +इसका अर्थ है श्वास अथवा प्राण-वायु का नियंत्रण। प्राण का अर्थ +होता है जीवनी शक्ति या उसके विभिन्‍न रूप। यम का अर्थ है नियंत्रण +करना, विस्तार करना और नियंत्रण करने की क्षमता प्राप्त कर लेना। +मनुष्य तभी तक जीवित रहता है जब तक उसका श्वास चल रहा होता +है। इसलिए प्राण ही है जो श्वास और जीवन पर नियंत्रण रखता है। + +प्राणायाम में प्राणवायु का विस्तार किया जाता है। इसमें श्वास +लेने, श्वास छोड़ने और उसे रोकने की अवधि को बढ़ाने का अभ्यास +किया जाता हेै। + +जब श्वास को रोका जाता है तो मन और चित्त दोनों स्थिर हो +जाते हैं। मन और प्राण घनिष्ठ रूप से जुडे हैं। इसलिए जब प्राण को +नियंत्रित किया जाता है तो मन अप्रत्यक्ष रूप से अपने आप नियंत्रित +हो जाता है। भगवद्गीता तक में कहा गया है कि चंचल मन को +नियंत्रित करना कठिन है लेकिन इसे अभ्यास तथा अनासक्ति से +नियंत्रित किया जाता है। +प्रत्याहार + +इसका अर्थ होता है इंद्रियों का नियंत्रण अथवा उन्हें उदासीन +करना। जब बाहय जगत के प्रति उदासीनता आ जाती है तो मनुष्य +*स्व' के प्रति पूर्णतः समर्पित हो जाता है। इंद्रियों की आसक्ति विषय +से वैसे ही होगी जैसे दृष्टि रंग से या श्रवण स्वर से आकर्षित होता है। +बहरहाल, प्रत्याहार के स्तर पर साधक तभी पहुंच सकता है जब यम, +नियम, आसन तथा प्राणायाम का कठोर अभ्यास्र किया जाता रहा हो। + +महर्षि पतंजलि के अनुसार प्रत्याहार पर आकर बहिरंग साथना +संपन्‍न हो जाती है। +धारणा + +यह एकाग्रता की वह स्थिति होती है जिसमें सारी ऊर्जा पर एक +बिंदु पर केंद्रित हो जाती है। भविष्य, अतीत और वर्तमान एक हो +जाते हैं। धारणा, ध्यान और समाधि को अंतरंग साथना कहा गया है। +ध्यान + +धारणा की निरंतरता जब बढ़ती है तब उसे ध्यान कहा जाता है। +धारणा की निरंतरता की परिणति ही ध्यान में होती है। ध्यान में एक +ऐसी स्थिति आ जाती है जब साथक पूर्ण रूप से चैतन्य हो जाता +है जिसकी परिणति समाधि या सर्व चैतन्य स्थिति में होती है। शा + + + +21 जून को अतरराष्ट्रीय योग दिवस को अवसर पर प्रकाशन विभाग की योग (सचित्र) पुस्तक से लिए गए अंश + + + + + + + +योजना, जून 2021 + +47 + + + +0048.txt +<----------------------------------------------------------------------> +योजना - सही विकल्प + +बहुविकल्‍्प प्रश्नों का स्तंभ 'योजना-सही विकल्प' में चार विकल्पों में से कोई एक विकल्प सही है। विभिन्‍न +प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठने वाले प्रतिभागियों के लिए अपना ज्ञान एवं स्मरण शक्ति परखने का यह अच्छा +अवसर है। यदि उत्तर समझ न आए तो “योजना' को उलट कर सही उत्तर जाना जा सकता है। + +1. “बायो-रिमेडिएशन' से संबद्ध कथनों पर विचार कीजिए: 3) फ्लुओराइड 4) फार्मेल्डिहाइड +1) इस प्रौद्योगिकी के माध्यम से पर्यावरण से प्रदूषकों को दूर 5) यूरेनियम +किया जाता है। नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए। +2) इसके तहत प्रदूषित स्थलों को एक नया रूप दिया जाता है। क) केवल 1 और 3 ख) केवल 2, 4 और 5 +3) जापान में वैज्ञानिक बड़े पैमाने पर बायो-रिमेडिएशन' ग) केवल 113 और 5. घ) 1, 2, 3, 4 और 5 +प्रौद्योगिकी का प्रयोग कर रहे हैं। 6. राष्ट्रीय हरित अधिकरण के संबंध में निम्नलिखित में से +निम्न कूटों की सहायता से सही उत्तर का चयन करें। कौन-सा कथन सही नहीं है? +क) 1 और 2 ख) 2 और 3 क) इसकी स्थापना वर्ष 2010 में हुई थी। +ग) 1 और 3 घ) 1, 2 और 3 ख) यह पर्यावरण संरक्षण तथा वनों के संरक्षण से संबंधित +2. सामान्य स्थितियों में वातावरण में प्रदूषण उत्पन्न करने मामलों के प्रभावी और शीघ्र निपटान में शामिल है। +वाली गैस है- ग) यह व्यक्तियों और सम्पत्तियों को हुई हानि के लिए रात और +क) कार्बन मोनोऑक्साइड (९0) मुआवजा देने पर विचार कर सकता है। +ख) कार्बन डाइऑक्साइड ((0,) घ) यह सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 के तहत निर्धारित +ग) नाइट्रोजन (1५०) प्रक्रियाओं से बंधा है। +घ) ऑक्सीजन (0,) 7. विटामिन “डी' में निम्नलिखित में से क्‍या पाया जाता है? +3. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिए: क) एस्कॉर्बिक अम्ल ख) केल्सिफेरॉल +कभी-कभी समाचारों उनका मूल स्रोत में देखे जाने वाले शब्द ग) फॉलिक अम्ल घर) रेटिनॉल +1) एनेक्स-देश कार्टाजेना प्रोटोकॉल। एमिशंस रिडक्शंस 8, हमारे शरीर में अम्लीयता तथा क्षरकता के बीच जो तत्व +2) प्रमाणित उत्सर्जन कटौतियां (सर्टिफाइड एमिशंस ): संतुलन बनाए रखता है, वह है- +नागोया प्रोटोकॉल। डेवलपमेंट क) फॉस्फोरस ख) सोडियम +3) स्वच्छ विकास क्रियाविधि (क्लीन , मेकेनिज्म): ग) पोटैशियम a) कैल्शियम +क्योटो प्रोटोकॉल हे 9. भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (IREDA) & Wat +उपयुक्त में से कौन-सा/से युग्म सही सुमेलित हे/हैं? में, निम्नलिखित में से कौन-सा>से कथन सही हैहैं? +क) केवल 1 और 2 ख) केवल 2 और 3 1) यह एक पब्लिक लिमिटेड सरकारी कंपनी है। +ग) केवल 3 घ) 1, 2 और 3 2) यह एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी है। + +4. राष्ट्रीय हरित अधिकरण ( एन.जी.टी. ) किस प्रकार केंद्रीय गए प्रयोग +प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ( सी.पी.सी.बी. ) से भिन्न हैं? नीचे दिए गए कट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए। + + + +1) एन.जी.टी. का गठन एक अधिनियम द्वारा किया गया है गा वा दोनों घ aa हि और न ही 2 +आदेश Sa है. 1 गठन सरकार क॑ कार्यपालक 10. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: at + +2) एन.जी.टी. पर्यावरणीय न्याय उपलब्ध कराता है और उच्चतर 1) feet ae is ae का मजदूर गा +न्यायालयों में सुकदमों के भार को झरनों औः के ie बनाने देने की दृष्टि से पारित किया गया था। हि +करता है Sats Si sah देश में का ae 2) ean rae ब्रिटिश भारत में मजदूर आन्दोलन संगठित +सुधार लाने का लक्ष्य रखता है। करने में rm हि + +उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही हे/हैं? + +क) केवल 1 ख) केवल 2 क) केवल 1 ख) केवल 2 + +ग) 1 और 2 दोनों घ) नतो 1, न ही 2 ग) 1, 2 दोनों घ) नतो 1 और नही 2 + +5. निम्नलिखित में से कौन-से भारत के कुछ भागों में पीने के BULLS SELLY +जल में प्रदूषक के रूप में पाए जाते हैं? २ +1) आर्सेनिक 2) सारबिटॉल % 5 को फेक '६ % 'ट क ग॒ 3.७७ Jae + + + +48 योजना, जून 2021 + + + +0049.txt +<----------------------------------------------------------------------> +/ कुरुक्षेत्र [५ | | व है, +< Kurukshetra In La PSE? Ley | + +रोजगार समाचार @ Employment News@ कु मा Ce dedi + + + + + + + + + + + + + + + + + + +है॥ आएगड ® ही +योजना Ea प्रकाशन विभाग ! कुरुक्षेत्र +विकास को समर्पित मासिक । सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय । ग्रामीण विकास पर मासिक +(हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू व 10 अन्य भारतीय भाषाओं में) ! 2 भारत सरकार ! (हिंदी और अंग्रेजी) +आजकल ' रोजगार समाचार | बाल भारती +साहित्य एवं संस्कृति का मासिक । साप्ताहिक 1 बच्चों की मासिक पत्रिका +(हिंदी तथा उर्दू) ! (हिंदी, अंग्रेजी तथा उर्दू) ! (हिंदी) + +COME COUR OM कटा: | +आपको सिफ नीचे feu me ‘and He’ के लिंक पर जा कर पत्रिका के लिए ऑनलाइन डिजिटल भुगतान करना है- +https://bharatkosh. gov.in/Product/Product + + + + + + + + + + + +सदस्यता दरें +योजना, करुक्षेत्र, सदस्यता शुल्क में रजिस्टर्ड डाक का शुल्क भी +प्लान 3 बाल भारती रोज़गार समाचार % 3 + +आजकल (सभी भाषा) शामिल है। कोविड-19 महामारी के मद्देनज़र +वर्ष रजिस्टर्ड डाक रजिस्टर्ड डाक | मुद्रित प्रति (स्राधारण डाक) | ई-संस्करण | नए ग्राहकों को अब रोज़गार समाचार के +1 ₹ 434 ₹ 364 ₹ 530 ₹ 400. | अलावा सभी पत्रिकाएं केवल रजिस्टर्ड +2 ₹ 838 ₹ 708 ₹ 1000 ₹750 | डाक से ही भेजी जाएंगी। पुराने ग्राहकों के + +3 ₹ 1222 ₹ 1032 ₹ 1400 ₹ 1050 | लिए मौजूदा व्यवस्था बनी रहेगी। + + + + + + + + + + + + + + + + + +ऑनलाइन के अलावा आप डाक द्वारा डिमांड ड्राफ्ट, भारतीय पोस्टल आर्डर या मनीआर्डर से भी प्लान के अनुसार निर्धारित राशि भेज सकते हैं। डिमांड ड्राफ्ट, +भारतीय पोस्टल ऑडर या मनीआर्डर *'अपर महानिदेशक, प्रकाशन विभाग, सचना एवं प्रसारण मंत्रालय” के पक्ष में नई दिल्‍ली में देय होना चाहिए| +रोज़गार समाचार की 6 माह की सदस्यता का प्लान भी उपलब्ध है, प्रिंट संस्करण रु, 265/-, ई-संस्करण रु. 200/-, कृपया ऑनलान भगतान के लिए +https://eneversion.nic.in/membership/login fei % जाएं। डिमांड ETF! ‘Employment News के पक्ष में नई दिल्‍ली में देय होना चाहिए] +अपने डीडी, पोस्टल आर्डर या मनीआर्डर के साथ नीचे दिया गया 'सदस्यता कूपन” या उसकी फोटो कॉपी में सभी विवरण भरकर हमें भेजे। भेजने का पता है. +संपादक, पत्रिका एकांश, प्रकाशन विभाग, कक्ष सं. 779, सचना भवन, सीजीओ कॉम्प्लेक्स, लोधी रोड, नई दिल्‍ली-110003. +अधिक जानकारी के लिए ईमेल करें- pdjucir@gmail.com +हमसे संपर्क करें- फोन: 011-24367453, (सोमवार से शुक्रवार सभी कार्य दिवस पर प्रात: साढ़े नौ बजे से शाम छह बजे तक) + +कृपया नोट करें कि पत्रिका भेजने में, सदस्यता शुल्क प्राप्त होने के बाद कम से कम आठ सप्ताह लगते हैं, +कृपया इतने समय प्रतीक्षा करें और पत्रिका न मिलने की शिकायत इस अवधि के बाद करें। + +> > CE > +कृपया मुझे 1/2/3 वर्ष Te TT ccc cceccsssseesssssseessssssssssssssesssssseessssseessees पत्रिका ..................... भाषा में भेजें। +नाम (साफ व बड़े अक्षरों में ) ..........................५-००००७०००-००००--->__न_->ब>>>ननतनन लत जलन जन ननन तन न जनम न जज जन +पता ; ................------+«>_-_ननन-न-नननननननननननिननिननिननिननिनननननननननननननननननननननननननिननिननिनिननिननिननिननिननिनननननिननिननिननिनिननिनिनिननिननिननिगनिननिननन +हनन ननिन मनन न नननभननननन न भनन लत नितिन निभाना भननन न जिला .................०५«»न्‍ननननननननननत लत». पिन .....५००-००««नलतनननननन +ईमेल .......................------«++>_-_न_नननननिनननननननिनननननननिननन न मोबाइल नं. ...........................-------_न्‍___न_-ननन-ननननन +डीडी/पीओ/एमओ सं. .....................---------०>न_न्‍न्‍नअन्‍च्लच-न्‍- दिनांक ....................०- सदस्यता सं. ........................---- + +योजना, जून 2021 49 + + + +0050.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +50 + + + +यूपी.एस.सी सिंविल सेवा परीक्षा + +आपके तैयारी हेतु सर्वश्रृष्ठ पुस्तकें + + + + + +ISBN: 9789390185184 + + + +ISBN: 9789390185351 + + + +ISBN: 9789390185931 + +पट m +Oo N +Ww fo] +fore] Oo +Ds wr +® 8 +oe Oo +७0) (४) +foe] ७0) +० ५ +हः 9 +ra Pd +oO 0) +” 7) + + + +Toll free number: 18001035875 | support.india@mheducation.com | www.mbheducation.co.in + +योजना, जून 2021 + + + +फत-156772021 + + + +0051.txt +<----------------------------------------------------------------------> +हल्के“बिना लक्षण वाले कोविड-19 के मरीजों के होम +आइसोलेशन के संबंध में संशोधित दिशा-निर्देश + +भाए सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने हल्के/ + +बिना लक्षण (एसिम्प्टोमेटिक) वाले कोविड-19 मरीजों के लिए + +होम आइसोलेशन के संशोधित दिशा-निर्देश जारी किए हें। + +1. + +कोविड-19 के हल्के/बिना लक्षण वाले मामलों में लैबोरेटरी मरीज के +शरीर में कोरोना वायरस की पुष्टि करती है, लेकिन मरीज में कोरोना +के लक्षण नहीं होते और कमरे की हवा में मरीज का ऑक्सीजन स्तर +भी 94 प्रतिशत से अधिक होता हे। + +नेदानिक जांच के आधार पर प्रमाणित कम लक्षण वाले कोविड के +मामलों में मरीज को ऊपरी श्वसन तंत्रिका संबंधी लक्षण (अपर +रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट सिम्प्टम) (और/अथवा बुखार) होते हैं, मगर उसे +सांस लेने में कोई तकलीफ नहीं होती और कमरे की हवा में मरीज +का ऑक्सीजन स्तर भी 94 प्रतिशत से अधिक होता है। + +इलाज कर रहे चिकित्सा अधिकारी द्वारा मरीज को नैदानिक जांच +के आधार पर कम लक्षण/बिना लक्षण वाले मरीज के तौर पर +प्रमाणित किया जाना चाहिए। ऐसे सभी मामलों में मरीज के घर पर +सेल्फ-आइसोलेशन और परिवार के लोगों को क्वारंटीन करने के लिए +पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए। + +मरीज की देखभाल करने वाले व्यक्ति को 24x7 आधार पर +उपलब्ध रहना चाहिए। होम आइसोलेशन की अवधि के लिए +मरीज की देखभाल करने वाले व्यक्ति और अस्पताल के बीच +टेलीफोन के माध्यम से नियमित आधार पर संपर्क बने रहना एक +अनिवार्य शर्त है। + +कमजोर फेफडे/यकृत/गुर्दे की बीमारी, सेरेब्रो-वास्क्युलर आदि बीमारी +वाले मरीजों को चिकित्सा अधिकारी द्वारा इलाज और पर्याप्त जांच +के बाद ही होम आइसोलेशन की अनुमति दी जाएगी। + +मरीज स्वयं को परिवार के अन्य सदस्यों से अलग कर ले, एक +निर्धारित कमरे में ही रहे और घर के अन्य सदस्यों विशेष रूप से +बुजुर्ग और उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, गुर्दे की बीमारी जैसे रोगों से +ग्रस्त सदस्यों से उचित दूरी बनाकर रखे। + +मरीज को अच्छे हवादार क्रॉस वेंटिलेशन वाले कमरे में रहना चाहिए +और कमरे की खिड़कियों को हमेशा खुला रखना चाहिए ताकि कमरे +में स्वच्छ हवा आ सके। मरीज को हमेशा तीन परतों वाला चिकित्सा +मास्क का उपयोग करना चाहिए। मास्क को प्रत्येक 8 घंटे के बाद, +या गीला अथवा गंदा होने की स्थिति में 8 घंटे से पहले ही नष्ट +कर देना चाहिए। मरीज की देखभाल करने वाले व्यक्ति के कमरे में +प्रवेश करते समय, मरीज और देखभाल करने वाले व्यक्ति इन दोनों +को ही एन 95 मास्क का उपयोग करना चाहिए। + +शरीर में पानी की पर्याप्त मात्रा बनाए रखने के लिए मरीज को +आराम करना चाहिए और तरल पदार्थों का अधिक मात्रा में सेवन +करना चाहिए। + +साबुन और पानी से कम से कम 40 सेकेंड तक थोड़ी-थोड़ी देर बाद +हाथ धोएं अथवा हाथों को एल्कोहल युक्त सैनिटाइजर से साफ करें। + +. घर के किसी भी सदस्य के साथ अपने वैयक्तिक सामानों को साझा + +न करें। कमरे में सामान्यतः छुए जाने वाले सामान/स्थान (टेबल, +दरवाजे का हत्था, हेंडल्स आदि) को 1 प्रतिशत हाइपोक्लोराइट +सॉल्यूशन के साथ अच्छे से साफ करें। + +- पल्‍्स ऑकक्‍्सीमीटर की मदद से ब्लड ऑक्सीजन के स्तर की नियमित + +तौर पर स्वयं निगरानी अवश्य करें। मरीज दैनिक स्तर पर शरीर के + +तापमान की जांच के साथ अपने स्वास्थ्य की स्वयं-निगरानी करेगा +और नीचे दिए गए लक्षणों में से किसी में स्थिति बिगड़ती हुई नजर +आती है तो तुरंत इसकी सूचना देगा। + +देखभाल करने वाले व्यक्ति के लिए निर्देश + +12. + +देखभाल करने वाले व्यक्ति को ट्रिपल-लेयर मास्क पहनना चाहिए। +बीमार व्यक्ति के साथ एक ही कमरे में होने की स्थिति में एन95 +मास्क पहनना चाहिए। मास्क का इस्तेमाल करने के दौरान मास्क +के सामने वाले हिस्से को नहीं छूना चाहिए। + +. स्वयं अपने चेहरे, नाक और मुंह को छूने से बचना चाहिए। +. मरीज के संपर्क में आने अथवा उसके आस-पास से गुजरने के बाद + +हाथों को अच्छी तरह से साफ करना चाहिए। खाना बनाने से पहले ओर +बाद में, खाना खाने से पहले, शौचालय का उपयोग करने के बाद हाथों +को अच्छी तरह से साफ करना अनिवार्य है। हाथों को कम से कम 40 +सेकेंड तक अच्छे से धोने के लिए साबुन और पानी का उपयोग करें। +साबुन और पानी से हाथों को धोने के बाद, हाथों को सुखाने के लिए, +डिस्पोजेबल पेपर का उपयोग कर सकते हैं। डिस्पोजेबल पेपर उपलब्ध +न होने की स्थिति में, कपड़े के तौलिये का उपयोग करें ओर गीला होने +पर इस तौलिये को तुरंत बदल दें। दस्ताने पहनने से पहले और उतारने +के बाद, हाथों को अच्छी तरह से साफ करें। + +. मरीज/मरीज के आस-पास के माहौल के संपर्क में आने की स्थिति + +में मरीज के शरीर के तरल पदार्थ, विशेष रूप से मौखिक या श्वसन +स्राव के सीधे संपर्क में आने से बचें। मरीज की देखभाल करते समय +डिस्पोजेबल दस्तानों का उपयोग करें। + +. मरीज के आस-पास के वातावरण में मौजूद संभावित रूप से दूषित + +वस्तुओं के संपर्क में आने से बचें हाथों से दस्ताने उतारने अथवा +इस्तेमाल किए गए सामान को रखने के बाद हाथों को अच्छे से साफ +करें। मरीज के द्वारा इस्तेमाल किए गए कपड़ों अथवा चादर और +आस-पास की सतहों को साफ करने के दौरान ट्रिपल-लेयर मेडिकल +मास्क और डिस्पोजेबल दस्तानों का उपयोग करें। + +- मरीज को इलाज कर रहे डॉक्टर के साथ नियमित रूप से संपर्क + +में रहना चाहिए. और तबीयत बिगड़ने की स्थिति में तुरंत सूचना देनी +चाहिए। इलाज कर रहे डॉक्टर से परामर्श के बाद अन्य बीमारियों +(कोविड के अतिरिक्त शरीर में पहले से जो भी बीमारी हो, जिसकी +दवा पहले से ले रहे हैं) की दवा को नियमित रूप से लेते रहें। + +- मरीज/देखभाल करने वाला व्यक्ति मरीज के स्वास्थ्य पर निगरानी + +रखेगा। गंभीर लक्षण दिखने पर तत्काल मेडिकल अटेंशन (चिकित्सा +सहायता) की जुरूरत होगी। इन लक्षणों में शामिल हैं - सांस लेने +में तकलीफ, ऑक्सीजन के लेवल में गिरावट (कमरे की हवा +में एपीओ2 का 94 प्रतिशत से नीचे जाना), छाती में दर्द/दबाव +का लगातार बने रहना, शारीरिक रूप से उठने में अक्षमता अथवा +मानसिक भ्रम की स्थिति। + +. होम आइसोलेशन का पालन कर रहे मरीज कोविड लक्षणों (बिना + +लक्षण वाले मरीज कोविड की पुष्टि होने की तिथि के बाद) की +शुरुआत के बाद कम से कम 10 दिन बीत जाने के बाद और पिछले +तीन दिन के दौरान बुखार न आने की स्थिति में होम आइसोलेशन +को समाप्त कर सकता है। होम आइसोलेशन की अवधि समाप्त होने +के बाद दोबारा जांच कराने की कोई आवश्यकता नहीं है। हा + +स्रोत : पत्र सूचना कार्यालय + + + + + +0052.txt +<----------------------------------------------------------------------> +UA. SLT. (GA) -05/323 1/2021-23 Licenced under U (DN)-55/2021-23 +Reg. No. DL(S)-05/3231/2021-23 at RMS, Delhi + +28 मई, 2021 को प्रकाशित RTE हि 7 , +e 2-3 जून, 2021 को डाक द्वारा जारी न + + + +अब प्रिंट संस्करण और ई-बुक संस्करण उपलब्ध + +भारत 2021 + + + + + + + + + +भारत के प्रांतों, केंद्रशासित प्रदेशों, +भारत सरकार के मंत्रालयों और विभागों तथा +नीतियों, कार्यक्रमों और उपलब्धियों की +आधिकारिक जानकारी देने वाला + +वार्षिक संदर्भ ग्रंथ +मूल्य: प्रिंट संस्करण ₹ 300/- ई-बुक संस्करण ₹ 225/- + +पुस्तकें खरीदने के लिए प्रकाशन विभाग की +वेबसाइट : ४४४४५७-|2५०1020017150[५ं5107.110.॥11 पर जाएं + +ई-बुक एमेज़ॉन और गूगल प्ले पर उपलब्ध + +देश भर में प्रकाशन विभाग के विक्रय केन्द्रों और +पुस्तक विक्रेताओं से भी खरीद सकते हैं + +हल +e +ऑर्डर के लिए संपर्क करें: प्रकाशन विभाग +फोन ; 011-24365609 सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, + +g-Fa : businesswng@gmail.com AIRd UHI + +पुस्तकें ऑ लिए घना भवन, सी जी ओ कॉम्पलेक्स, +हमारी पुस्तक ऑनलाइन खरीदने के लिए aie रोड नई दिल्‍ली -110003 + +7a www.bharatkosh.gov.in ue जाएं। वेबसाइट : www.publicationsdivision.nic.in + +ट्विटर पर फोलो करें [कक @ DPD_India + + + + + + + + + + + + + + + + + +प्रकाशक व मुद्रकः मोनीदीपा मुखर्जी, महानिदेशक, प्रकाशन विभाग, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ( भारत सरकार ) द्वारा + +प्रकाशन विभाग के लिए चन्दु प्रेस, डी-97, शकरपुर , दिल्‍ली-110092 द्वारा मुद्रित एवं प्रकाशन विभाग, सूचना भवन, +सी.जी.ओ. परिसर, लोधी रोड, नई दिल्‍ली-110003 से प्रकाशित। वरिष्ठ संपादक: कुलश्रेष्ठ कमल + + + + + + + + + + diff --git a/Data Collected/Hindi/Yojana_magazine_OCRed_Hindi/Yojana_2021_March_.txt b/Data Collected/Hindi/Yojana_magazine_OCRed_Hindi/Yojana_2021_March_.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..961493444630dfe9113748f64eb81f43b43c7767 --- /dev/null +++ b/Data Collected/Hindi/Yojana_magazine_OCRed_Hindi/Yojana_2021_March_.txt @@ -0,0 +1,9618 @@ + +0001.txt +<----------------------------------------------------------------------> +ISSN-0971-8397 + + + +मार्च 2018 विकास को समर्पित मासिक = 30 + +केंद्रीय बजट 2018-19 + +आर्थिक प्रगति का कदम +हसमुख अढ़िया + +अर्थव्यवस्था का पुनर्जीवन +जे डी अग्रवाल + +लघु एवं व्छुटीर उद्योग: मजबूती का वाहक +अनिल भारद्वाज + +अवसंरचना विकास:ः राष्ट्र का समेकन +जी रघुराम + +विशेष आलेख जरा हटके +मूल्य संवर्धित उत्पादों को प्रोत्साहन संभावनाशील जिलों का कायाकल्प +एस एस स्वामीनाथन >> एक विकास यात्रा +फोकस a . अमिताभ कांत + +स्वास्थूब्न सेवाओं को प्रधानता a +ma -ऊके श्रीनाथ ra ee + +का ar | + + + +हु = +, @ 8 +om | yyy | +yojanahindi@gmail.com €3 www.yojana.gov.in, www.publicationsdivision.nic.in f http:/vww.facebook.com/yojanahindi +जा का डा दा Fr. ‘ eae व i +' था का था | aan ce oo जि + + + + + + + + + +0002.txt +<----------------------------------------------------------------------> +केंद्रीय बजट 2018-19 पर प्रधानमंत्री के विचार + + + + + + + +rq rq बजट में कृषि से लेकर बुनियादी सुविधाओं तक के सभी क्षेत्रों का +ध्यान रखा गया हैः #NewIndiaBudget Wt Waraat + +rq 6 बजट किसान, सामान्य जन, व्यवसाय और विकास के लिए अनुकूलः +#NewIndiaBudget Wt Waraat + + + + + + + + + +बजट 8 ‘Sa ater fafan’ enit sit agar: #NewIndiaBudget + +Cz प्रधानमंत्री + + + +बजट से ग्रामीण भारत में आएंगे नए अवसर; इससे किसानों को +काफी लाभ मिलेगा: #५८जा॥0०ा987१४2० पर प्रधानमंत्री + + + + + +उज्ज्वला योजना के तहत गरीब परिवारों को मुफ्त एलपीजी गैस +कनेक्शन देने के लक्ष्य को 5 करोड़ से बढ़ाकर 8 करोड़ किया गया: + +#NewIndiaBudget at wWearaat + + + + + +आयुष्मान भारत विश्व का सबसे बड़ा हेल्‍थ केयर प्रोग्राम, गरीबों +को इसका Great ey fae: #NewIndiaBudget WW + +बजट में वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण पर विशेष ध्यानः +#NewIndiaBudget Wt Waraat + +4 + + + + + + + + + +0003.txt +<----------------------------------------------------------------------> +योजना + +बरें: वार्षिक: ₹ 230 द्विवार्षिक: ₹ 430, त्रिवार्षिकः ₹ 610 + + + + + + + +* वर्ष:62 * अंक 03 * कुल पृष्ठ: 76 * मार्च 2018 * फाल्गुन-चैत्र, शक संबत्‌ 1939-40 +ee ae पाठक +संपादक: ऋतेश पाठक +संपादकीय कार्यालय जद बजट अवसंरचना +© MM ...................... 7 * बजट और अवसंरचना विकास +648, सूचना भवन, सीजीओ परिसर, Bical जी +लोधी रोड, नयी दिल्‍ली-110 003 © आर्थिक प्रगति का कदम ५ समस्वित पर. +२२३३+++ गण = 41 +दूरभाष (प्रधान संपादक ): 24362971 हसमुख अढिया ...................५५५५०- g Abad eae द्शा +संयुक्त निदेशक (उत्पादन): वी के मीणा | ७ केंद्रीय बजट 2018-19: एक me an +संपादक ( प्रसार एवं विज्ञापन ): विश्लेषण * अरविंद कुमार सिंह, ३३३३३३३३३३३३१३३१३३३३३३३३९ 45 +गोपाल के एन चौधरी * काला धन के खिलाफ पारदर्शी +आवरण: गजानन पी धोपे जे डी अग्रवाल ................०+०«+_+_ 11 कर प्रशासन += OD Facts ancre +सका पत्रिका , सदस्यता, नवीकरण , पुराने रमेश कुमार यादव +अंकों की प्राप्ति एवं एजेंसी आदि के लिए मूल्य संवर्धित उत्पादों को प्रोत्साहन रोहित देव झा ............०नन्‍ततननत> 49 +“डिमांड ड्राफ्ट/पोस्टल आर्डर “अपर ० बन की में +महानिदेशक, प्रकाशन विभाग” के नाम से एम एस स्वामीनाथन .................« 17 महिला स्वावलंबन दिशा +बनवा कर निम्न पते पर भेजें: मील का पत्थर +ean +प्रसार एवं विज्ञापन अनुभाग ऋतु सारस्वत 55 +प्रकाशन विभाग, कम सं 4 संभावनाशील जिलों का कायाकल्प $++१+१++++++++++++++१+१९१९१९१+१+१+१+१+१+++ +भूतल, सूचना भवन, परिसर * छोटी बचत योजनाओं के लिए +लोधी रोड, नयी दिल्‍ली-110003 एक विकास यात्रा बड़ी +दश्भाष: 011 24367453 अमिताभ कांत .................६५००५०५५ 21 Sgt Teel +SAT: pdjucir@gmail.com है शिशिर सिन्हा ............७७७०००७००न्‍न्‍+०- 59 +सदस्य बनने अथवा पत्रिका मंगाने के लिए। * लघु एवं कुटीर उद्योग: मजबूती ककया आप जानते हें 63 +हमारे निम्नलिखित विक्रय केंद्रों पर भी संपर्क का वाहक 7 ३३३३३ +किया जा सकता है। साथ ही हमारी वेबसाइट तथा * बेहतरी का पर्याय बनेगी राष्ट्रीय +योजना हिन्दी के फेसबुक पेज पर भी संपर्क किया अनिल भारद्वाज ....................५५५५५५५ 29 स्वर्ण नीति +जा सकता है। — +योजना का लक्ष्य देश के आदिक विकास से Enea सतीश सिंह ................०५५००००००००« 65 +* याजना का लक्ष्य देश आर्थक कास स्वास्थ्य क्षेत्र में कई नई पहल ओं +संबंधित मुद्दों का सरकारी नीतियों के व्यापक a ई नई पह * युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने का +संदर्भ में गहराई से विश्लेषण कर इन पर विमर्श के श्रीनाथ रेड्डी ....................-०-+ 33 प्रयास +के लिए एक जीवंत मंच उपलब्ध कराना है। झलकिया ध्याय +« योजना में प्रकाशित लेखों में व्यक्त विचार लेखकों | * जार: 1विदायाद02॥ ................. 37 देवाशीष उपाध्याय ....................- 69 + +के अपने हैं। जरूरी नहीं कि ये लेखक भारत + +सरकार के जिन मंत्रालयों, विभागों अथवा संगठनों प्रकाशन विभाग के विक्रय केंद्र +से संबद्ध हैं, उनका भी यही दृष्टिकोण हो। केंद्र + + + + + + + + + + + +० विज्ञापनों शहर पता पिनकोड दूरभाष +मत नहीं हैं। की विषयवस्तु के लिए योजना नयी दिल्‍ली सूचना भवन, सीजीओ कॉम्प्लेक्स, लोधी रोड 110003 011-24367260 +« योजना में प्रकाशित आलेखों में प्रयुक्‍त मानचित्र व नबी मुंबई हाल सं. 196, पुराना सचिवालय केंद्रीय 110054 011-23890205 +प्रतीक आधिकारिक नहीं है, बल्कि सांकेतिक हैं। नवी मुंबई 701, सी- विंग, सातवीं मंजिल, केंद्रीय सदन, बेलापुर 400614 022-27570686 +ये मानचित्र या प्रतीक किसी भी देश का आधि कोलकाता 8, एसप्लानेड ईस्ट 700069 033-22488030 +कारिक प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। चेन्नई “ए' विंग, राजाजी भवन, बंसल नगर 600090 044-249 17673 +तिरुअन॑तपुरम प्रेस रोड, नयी गवर्नमेंट प्रेस के निकट 695001 0471-2330650 +हेदराबाद कमरा सं. 204, दूसरा तल, सीजीओ मीनार, कवादिंगुड़ा सिकंदराबाद 50080 040-27535383 +बंगलुरु फर्स्ट फ्लोर, 'एफ' विंग, केंद्रीय सदन, कोरामंगला 560034 080-25537244 +पटना बिहार राज्य कोऑपरेटिव बैंक भवन, अशोक राजपथ 800004 061 -22683407 +लखनऊ हॉल सं-1, दूसरा तल, केंद्रीय भवन, क्षेत्र-एच, अलीगंज 226024 0522-2225455 +अहमदाबाद अंबिका कॉम्प्लेक्स, फर्स्ट फ्लोर 380007 079-26588669 + +LO SS) गुवाहाटी मकान सं. 4, पेंशन पारा रोड, गुवाहाटी 781003 030-2665090. + + + + + + + +हिंदी, असमिया, बांग्ला, अंग्रेजी, गुजराती, कननड़, मलयालम, तमिल, तेलुगु, मराठी, उड़िया, पंजाबी तथा उर्दू में एक साथ प्रकाशित + + + +योजना, मार्च 2018 3 + + + +0004.txt +<----------------------------------------------------------------------> +कर्ज न लौटाने वालों पर सख्त +कार्रवाई हो + +योजना का जनवरी 2018 “बैंकिंग सुधार +विशेषांक ' बैंकिंग पर समग्र जानकारी देता है। +प्रारम्भ में निजी बैंकों का उदय हुआ जिनकी +कमियों को दूर करने के लिए 1969 एवं +1980 में बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया +जिसके दूरगामी प्रभाव हुए। बैंक सेवाएं खास +से आम हो गईं कालान्तर में सरकारी बेंकों +में शिथिलता आने लगी, सेवा का स्तर गिरने +लगा फलस्वरूप देश में निजी और विदेशी +बैंकों को पेर पसारने का अवसर मिला। आज +बैंकों के सामने अनुत्पादक एनपीए की बड़ी +समस्या है जो देश की अर्थव्यवस्था को भारी +नुकसान पहुंचा रही है। आज देश में मुट्ठी +भर लोग ऐसे पैदा हो गये हैं जिनका उद्देश्य +ही बैंकों से ऋण लेकर उसका दुरूपयोग +करना, विलासिता में खर्च करना और उसे +बैंकों को नहीं लौटाना हो गया है। देश में +बैंकों का ऋण लौटाने के संबंध में नेतिक +पतन हुआ है यह चिंता का विषय है। बैंक +ऋणों का जो दुरूपयोग कर रहे हैं उनके लिए +कठोर दण्ड की व्यवस्था होनी चाहिए ताकि +बैंकों/वित्तीय संस्थाओं के ऋण न चुकाने +की प्रवृति पर अंकुश लगाया जा सके। +व्यवसायिक/कृषि चक्रों के कारण संकट में +फंसे ऋणियों के लिए उचित नियम बनाये +जाये ताकि वे वास्तविक संकट से निजात पा +सकें। दिवालिया कानून समय की मांग है। जो + +4 + +लोग बैंक, सरकार और आम आदमी के पेसे +से खेल रहे हैं और उन्हें हानि पहुंचा रहे हें +उन्हें बाजार में बने रहने का अधिकार नहीं है। +उनको बाजार से बाहर करने एवं कठोर दण्ड +की व्यवस्था होनी चाहिए ताकि गलत इरादों +से सार्वजनिक धन के दुरूपयोग को रोका जा +सके। व्यापार चक्रों के कारण जो ईकाइयां +संकट में हैं उनके उद्धार के लिए उचित +नीतियां भी आवश्यक हैं। परम्परागत भारतीय +बैंकिंग व्यवस्था बैंकिंग के विकास का रोचक +वर्णन करती है। योजना का “बैंकिंग सुधार' +अंक विद्यार्थियों और आम जनता के लिए +उपयोगी सिद्ध होगा। +- विश्वनाथ सिंहानिया +10/829 , मालवीय नगर, +जयपुर-302017 + +लोक शिकायत निवारण तंत्र को + +मजबूत बनाना होगा + +यदि जन शिकायत निवारण को अधिक +से अधिक गतिशील बनाया जाए तो देश में +रामराज्य के आदर्श पूरी तरह से साकार होने +लगेंगे। लोगों को सार्वजनिक जन सुविधा +मुहैया होती रहें और वह इसका जिम्मा उठाने +के लिए आगे आएं। जब भी देश में पार्षद +और ग्राम प्रधान के चुनाव होते हैं तो हर +नेता शासन पर लोक शिकायत के नाम पर +आरोप लगाकर जनता को सुनाता है कहीं +बिजली नहीं आ रही है कहीं पानी की +किल्लत कहीं सड़क पर गड्डे कहीं पुल + + + +रेलिंग विहीन है। सीवर चौक की समस्या। +इसी तरह हम सबको ऐसी अन्य समस्याओं +से रूबरू होना पड़ता है! आज जब हम हर +ऋर में टायलेट सिस्टम बनाने की मांग रहे हैं +तब देश के नागरिकों का एक बडा हिस्सा +फुटपाथों पर सोता है वह टॉयलेट करने कहां +जाए। शहरों में ही सीबर लीक होने से लोगों +के पास बदबू सूंघने के अलावा कोई चारा +नहीं बचता है। इस समस्या से निबटने के +लिए निजी सफाईकर्मियों को हजारों रुपये +देने पड़ जाते हैं बस उनके हाथ लगने की +देर है और समस्या हल हो गयी। इस स्थिति +से बचने के लिए लोक शिकायत निवारण +तंत्र को प्रोत्साहन देना जरूरी हो जाता है। +चाहे देश में कितनी खुशहाली आ जाय या +विकसित देशों को प्रौद्योगिकी के मामलों में +frag el a तक लोक शिकायत निवारण +एक दिन में नहीं होगा तब तक देश के +सुशासन का अहसास आखिरी आम आदमी +तक नहीं पहुंचेगा। + +सरकार प्रशासन की कमजोरी दूर करने +के लिए 1994 में नागरिक घोषणा पत्र लागू +किया पर समय के साथ इसमें धार की +कमी आने लगी और लोक सेवक इस ओर +लापरवाह हो गए। सूचना का अधिकार कानून +लागू होते ही भारत में जबरदस्त क्रांतिकारी +बदलाव का युग आ गया। + +शहरों में जनकल्याण समितियां आम +आदमी की सहभागिता का सुंदर उदाहरण है + +योजना, मार्च 2018 + + + +0005.txt +<----------------------------------------------------------------------> +यदि लोक शिकायत निवारण विभाग इनका +सहयोग ले और इनके सहयोग से हर गांव +शहर मोहल्लों में सेमिनार कर जनता को +सुनने समझने का आमंत्रण दे तो देश में बहुत +तेजी से लोक शिकायत निवारण के प्रति +जागरूकता फैलेगी। +- श्रुव प्रकाश सिंह +2/159, विश्वास खंड, गोमती नगर, +लखनऊ, उत्तर प्रदेश + +लोक शिकायत समाधान से + +लोकतंत्र का सशक्तीकरण + +योजना के फरवरी अंक में सरकार की +लोक शिकायत समाधान प्रणाली को समझने +का सुअवसर मिला। जनशिकायत निवारण को +अच्छे प्रशासन वाले लोकतंत्र की बुनियाद कहा +जाता है। लोकतंत्र में जनप्रतिनिधियों अर्थात्‌ +सरकार की जिम्मेवारी है कि वह भारत के +सभी नागरिकों को पारदर्शी प्रशासनिक तंत्र +मुहैया करवाए और इसी दिशा में सरकार +द्वारा आरंभ की गई कुछ प्रणालियां- सीपीग्राम्स +(केन्द्रीकृत लोक शिकायत निवारण एवं +निगरानी प्रणाली) , प्रगति (प्रो-एक्टिव गवर्नमेंट +एवं टाइमली इस्प्लीमेंटेशनम) और mygov +(नागरिकों को जोड़ने वाला मंच) सराहनीय है। +इन्टरनेट आधारित ये वेब प्रौद्योगिकी निःसन्देह +ही जन शिकायत समाधान के संबंध में मील +का पत्थर साबित होंगे। + +सीपीग्राम्स के तहत मिलने वाली राज्य +सरकारों की शिकायतों में उत्तर प्रदेश, +महाराष्ट्र व दिल्‍ली सबसे आगे है, यहां पर +सुशासन लाना थोड़ा चुनौतीपूर्ण हो सकता +है पर जन जागरूकता के माध्यम से इस +चुनौती पर काबू पाया जा सकता है। सरकार + +द्वारा कार्यस्थल पर महिलाओं के लिए एक +ऑनलाइन शिकायत प्रणाली (शी-बॉक्स) +विकसित हुई है जो निःसन्देह एक प्रशंसनीय +कदम है। जिससे महिलाएं कार्यस्थल पर +स्वयं को सुरक्षित महसूस कर पाएगीं। इस +प्रकार लोक शिकायतों के निवारण से जनता +संतुष्ट होगी और जनता के संतुष्टीकरण से ही +लोकतंत्र का भी सशक्तीकरण होगा, क्योंकि +हम भारत के लोग ही लोकतंत्र के आधार है। +- पूजा बाथम + +धनोली, आगरा, उत्तर प्रदेश + +नव भारत की ओर + +योजना का फरवरी 2018 का अंक +एक जीवंत लोकतंत्र के लिहाज से अपरिहार्य +है, भारत में शिकायत निपटान की नूतन +प्रविधियों के बारे में विस्तार से चर्चा करता +है। किसी भी राष्ट्र की प्रगति, स्थायित्व तथा +जीवंतता, वहां के नागरिकों की शासन के +प्रति शिकायतों के प्रभावी निपटान पर निर्भर +करती है। भारत में सुशासन और विकास पर +जोर देने वाले माननीय प्रधानमंत्री जी ने सभी +राज्यों में विकास कार्यों पर सटीक निगरानी +रखने के लिए प्रगति संवाद जैसे नूतन व +प्रभावी कदम लिए हैं। इसके साथ नागरिक +घोषणा-पत्र, सेवा का अधिकार, उमंग एप, +सभी प्रमुख मंत्रालयों के ट्विटर हैंडल, फेसबुक +पेज, सीपीग्राम आदि प्रणाली, नागरिकों की +शिकायतों के निपटान का आसान जरिया बन +गयी हैं। इनके जरिये 2022 के लिए नव भारत +का संकल्प भी पूर्ण किया जा सकता है। जरा +हटके स्तंभ में परमेश्वरन अय्यर जी स्वच्छ +भारत के व्यवहार परिवर्तन पर जोर देते हुए +सारगर्भित लेख में सभी पहलुओं को समेटा है। + +निश्चित ही स्वच्छ भारत अभियान, आजादी +के बाद लागू योजनाओं में सबसे तेजी से +क्रियान्वित होने वाली योजना है। कुल 9 राज्य +खुले में शौच से मुक्त हो चुके हैं। भारत में +2014 के मुकाबले 2017 में स्वच्छता कवरेज +39 से 77 फीसदी तक पहुंच गया है। आने +वाले वर्षों में इसका असर भारतीय नागरिकों +के अच्छे स्वास्थ्य पर भी देखा जा सकेगा। +- आशीष कुमार +उन्‍नाव, उत्तर प्रदेश + +अन्याय से मुक्ति में सहायक +योजना का फरवरी अंक कई तरह से +महत्वपूर्ण है। इस अंक में लोक निवारण की +दृष्टि से यह उपयोगी लेख है, जो पीड़ितों +और शोषितों को इंसाफ दिलाने की एक +पहल करने के लिए प्रेरित करता है। खासकर +महिलाओं को विभिन्न तरह की समस्याओं और +अत्याचारों से मुक्ति के लिये वी अमुदावल्ली +का लेख बहुत कारगर है। महिलाओं के साथ +अत्याचार चाहे घर में हो या सड़क पर, सभी +से मुक्ति के लिए कानून बने हैं जिन्हें पूरी +निष्ठा से लागू करने की जरूरत हे। +इस अंक में गोविन्द कुमार झा और +शिवाजी त्रिपाठी का आलेख सुशासन ओर +राज्यों में शिकायत निवारण प्रणाली भी बहुत +उपयोगी लेख है, जिसमें विभिन्न राज्यों की +सरकारों द्वारा लागू लोक शिकायत निवारण +प्रणालियों का विस्तार से विवरण दिया गया +है। किसी एक ही लेख में सभी राज्यों से +संबंधित शिकायत निवारण प्रणालियों की +जानकारी saa कहीं दुर्लभ है। +- दोलन राय +औरंगाबाद, महाराष्ट्र + + + +८ + +तल +KM + +योजना, मार्च 2018 + + + + + +L + +योजना + +आगामी अंक + +अप्रेल 2018 + + + +J + + + +> +आपकी राय + +व सुझावों की +प्रतीक्षा है + + + +कट + +5 + + + +0006.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +CHANAKYA | @ +IAS ACADEMY 2287 + +Also known as Chanakya Civil Services Academy SINCE-1993 +A Unit of CHANAKYA ACADEMY FOR EDUCATION AND TRAINING PVT. LTD. + +25 Years of Excellence, Extraordinary Results every year, +4000+ selections in IAS, IFS, IPS and other Civil Services so far... +OUR RESULT IN CIVIL SERVICES EXAMINATION 2016 +5 in top 10 | 40 in top 100 | Total selections 435 + +IAS 2019 + +Upgraded Foundation Course” + +A Complete solution for Prelims, Mains & Interview +B 1 + + + + + + + + +20" February | 20" March | 20" April + +OPTIONAL SUBJECTS AVAILABLE” + +Geography | Sociology | Public Administration +Under the direction of History | Political Science | Psychology| Mathematics + +Success Guru AK MISHRA * Optional subjects may vary from centre to centre += Special modules on administrative traits by em me +STO Ge mC ee Perea eu eS + +mem RA ST Tm 0701 +MCS RE Cem URL CST coat MCA 1: | 1८ + +To reserve your seat Call: 1800-274-5005(Toll Free) + +CENTRAL DELHI (Rajendra Nagar Branch): Level 5, Plot No. 3B, Rajendra Park, Pusa Road, Next to Rajendra Place Metro Station, Gate No. 4, Delhi-60, Ph: 8447314445 +NORTH DELHI BRANCH: 1596, Ground Floor, Outram Lines, Kingsway Camp, Opp. Sewa Kutir Bus Stand, Near GTB Nagar Metro Station Gate No.2, Delhi-09, Ph: 9811671844/ 45 +HO/ SOUTH DELHI BRANCH: 124, 2nd Floor, Satya Niketan, Opp. Venkateswara College, Near Dhaula Kuan, Delhi-21, Ph: 9971989980/ 81 | www.chanakyaiasacademy.com + +1 1 rat +Allahabad: 9721352333 | Ahmedabad: 7574824916 | Bhubaneswar: 9078878233 | Chandigarh: 8288005466 | Dhanbad: 9771463546 +Faridabad: 8860403403 | Guwahati: 8811092481 | Hazaribagh: 9771869233 | Indore: 8818896686 | Jammu: 8715823063 | Jaipur: 9680423137 +Kochi: 7561829999 | Mangaluru: 7022350035 | Patna: 8252248158 | Pune: 9067975862 | Ranchi: 9204950999 | Rohtak: 8930018881 | Srinagar: 9599224341 + +Salient Features + + + + + + + +चेतावनी +अात्रों/अभ्यर्थियों को एतदद्दारा आगाह किया जाता है कि कुछ असम्बद्ध संस्थाएं ऐसे टेडमार्क/टेडनेम का इस्तेमाल कर रही हैं जो चाणक्य आईएएस एकेडमी/चाणक्य एकेडमी (1993 से सक्सेस गुरु एके मिश्रा के मार्गदर्कान में प्रोन्‍्नत) के टेडमार्क/टेडनेम के समरूप/भ्रामक +समान हैं। हम इसके द्वारा यह घोषणा करते हैं कि ये संस्थाएं हमसे सम्बद्ध नहीं हैं तथा ऐसी संस्थाओं के विरूद्ध कानूनी कार्रवाई पहले से ही शुरू कर दी गयी है। सभी छात्रों को नामांकन कराने के पूर्व ऐसी एकेडमी/अध्ययन केन्द्र/संस्थान की प्रामाणिकता की पुष्टि कर लेनी चाहिए +और अनुरोध किया जाता है कि समरूप/भ्रामक रूप से समान टेडमार्क/टेडनेम के तहत हो रही ऐसी किसी भी गतिविधि के बारे में 09650299662/3/4 पर फोन कर तथां॥0 8 01119/0198080011५ध100[.00171पर ईमेल भेजकर हमें सूचित करें। + +YH-738/2/2017 + +6 योजना, मार्च 2018 + + + +0007.txt +<----------------------------------------------------------------------> +९) + + + + + + + + + + + + +जनता का बजट + + + +बता रहा है कि आपका पैसा कहां जाना है। हम सभी घरेलू खर्च से +जुड़े बजट तैयार करने की अहमियत के बारे में जानते हैं, जहां आपको +जरूरत के हिसाब से आमदनी और खर्च के बारे में जागरूक रहना पड़ता है। हम मशहूर +कहावत “आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया' से भी वाकिफ हैं। ऐसे घर में जहां खर्च पर |= +नियंत्रण नहीं है, आमदनी का मामला पूरी तरह से गड़बड़ा जाता है। बजट तैयार करने a ec ea +का मतलब यह है कि आप योजना बनाएं और बजट को नियंत्रण से बाहर नहीं जाने दें। + +किसी भी देश का बजट नागरिकों की बेहतरी से तनिक भी कम अहम नहीं होता। +देश के काबिल प्रशासक विभिन्न मदों से आय का आकलन करने के बाद उसके हिसाब से खर्च को समायोजित करते हैं। घरेलू बजट +की तरह देश के बजट में भी शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचे के रखरखाव आदि के लिए आवंटन होते हैं। केंद्र सरकार का 2018-19 का +बजट 2019 के आम चुनाव से पहले मौजूदा सरकार का आखिरी पूर्ण बजट है। इसमें सरकार ने अपने आवंटनों को लेकर संतुलन साधने +की कोशिश की है, ताकि वह कार्यक्रम की योजना तैयार करे और कृषि, ग्रामीण विकास, अवसंरचना और स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में +फंड आवंटित कर सके। एक ऐसे देश में जहां कृषि अब भी बड़ी आबादी की आजीविका का मुख्य साधन है, किसानों के हित को किसी +भी सरकार के एजेंडे में ऊपर रखना होगा। सरकार ने कृषि के लिए अपने बजटीय आवंटन के तहत कृषि संबंधी सुधारों पर जोर दिया हे। + +कृषि आवंटनों में कई तरह की पहल के जरिये महत्वपूर्ण बदलाव को अंजाम देने की बात है। इनमें आलू, टमाटर, प्याज की +कीमतों में उतार-चढ़ाव से निपटने के लिए ऑपरेशन ग्रीन, खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में डेढ़ गुना बढ़ोतरी, 22,000 +ग्रामीण हाटों को ग्रामीण कृषि बाजारों में अपग्रेड करने, किसानों को खेती के लिए कर्ज की सुविधा मुहैया करना आदि शामिल हैं। + +किसानों के हित से जुड़े एक और क्षेत्र- ग्रामीण विकास को भी बजट में समुचित जगह दी गई है और ग्रामीण अवसंरचना और +रोजगार के मौके तैयार करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। 2022 तक सब के लिए घर का लक्ष्य पूरा करने के लिए 1 करोड़ से भी +ज्यादा घर बनाने का प्रस्ताव किया गया है। इसके अलावा, स्वच्छ भारत अभियान के तहत 2 करोड़ अतिरिक्त शौचालय बनाए जाएंगे। +महिला स्वयं सहायता संगठनों के लिए ऊंचे लक्ष्य, सौभाग्य के जरिये निम्न और मध्य वर्ग की चिंताओं से निपटे जाने की संभावना है। + +खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के लिए पिछले साल के मुकाबले आवंटन दोगुना कर 1,400 करोड़ रुपये कर दिया गया है। साथ ही, + +मछली पालन और पशु पालन के लिए कोष तैयार करना व राष्ट्रीय बांस मिशन का पुनर्गठन किसानों की आय बढ़ाने और गाबों से जुड़े +क्षेत्र में उद्यमिता के लिए मौके तैयार करने पर सरकार के फोकस का हिस्सा हैं। + +बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र पर काफी ध्यान दिया गया है। दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य सुरक्षा योजना कही जा रही राष्ट्रीय स्वास्थ्य +सुरक्षा योजना (एनएचपीएस) में स्वास्थ्य को केंद्र में रखा गया है और 10 करोड़ से ज्यादा गरीब परिवारों को सालाना 5 लाख रुपये +तक का स्वास्थ्य बीमा कवर देने का प्रावधान है। इसी तरह, आयुष्पान भारत कार्यक्रम के तहत 1.5 लाख स्वास्थ्य केंद्र बनाने के लिए +1,200 करोड़ का फंड मुहैया कराने की बात है। + +शिक्षा के मोर्चे पर बात करें, तो आदिवासी बच्चों को उनके अपने माहौल में बेहतर गुणवत्ता वाली शिक्षा देने के लिए एकलव्य +मॉडल आवासीय स्कूल खोलने का ऐलान स्वागत योग्य कदम है। नई योजना प्रधानमंत्री रिसर्च फेलोशिप (पीएमआरएफ) के तहत बीटेक +के 1,000 बेहतरीन छात्रों को शानदार फेलोशिप के साथ आईआईटी और आईआईएससी में पीएचडी करने का मौका दिया जाएगा। + +बुजुर्गों के लिए सम्मानजनक जीवन सुनिश्चित करने के मकसद से बजट में कई ऐलान किए गए हैं। मसलन बैंक और पोस्ट +ऑफिसों में जमा की गई रकम से ब्याज के तौर होने वाली आय पर टेक्स छूट की सीमा 10,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये +कर दी गई है और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम और मेडिकल खर्च के लिए कटौती की सीमा को 30,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये +कर दिया गया है। प्रधानमंत्री वय वंदना योजना की मियाद को बढ़ाकर मार्च 2020 तक कर दिया है। इसके तहत 15 लाख तक के +निवेश पर 8 फीसदी का निश्चित रिटर्न देने की बात है। जबकि पहले यह सीमा 7.5 लाख रुपये थी। + +एमएसएमई को विकास का इंजन बताते हुए बजट में लघु, छोटे और मझोले उद्योगों पर विशेष ध्यान दिया गया है। इनके लिए +कर्ज-पूंजी, ब्याज सब्सिडी और नवोन्मेष मुहैया कराने के मकसद से 3,794 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इससे युवाओं के लिए +रोजगार तैयार करने और स्वरोजगार के मौके बढ़ाने में मदद मिलेगी। सरकार ने देश के लोगों के लिए जीवन जीने की सहूलियत पर +फोकस कर व्यापार सुगमता में सुधार और आगे बढ़ाया है। कुल मिलाकर, यह बजट अर्थव्यवस्था के अहम क्षेत्रों में समग्र विकास +की दिशा में काम करते हुए लोगों की जिंदगी पर असर डाल रहा है। Q + +SIT पका पैसा कहां गया, इस संबंध में अटकलबाजी के बजाय बजट यह + + + + + + + +योजना, मार्च 2018 7 + + + +0008.txt +<----------------------------------------------------------------------> +Also known as Abhivyakti Civil Services +VS eT RY + +संपादक | लेखक | डायरेक्टर (49##7 7 ) + + + +== “नवाचार, रचनात्मक wa UPSC ara ant at कला सिखाने पर जोर अभिव्यक्ति पाक्षिक पत्रिका + +कम से कम पढ़ाकर ज्यादा सिखाना लक्ष्य + +मुख्य परीक्षा मे सुनील सर की विशेषज्ञता + +नियमित उत्तर लेखन एक वर्षीय कार्यक्रम प्रारंभ कराने वाला एकमात्र संस्थान + +करेंट-अफेयर्स का पूरे वर्ष वीकेंड बैच ( फाउंडेशन सामान्य-अध्ययन के एक अंग के रूप में करेंट +अफेयर्स पढ़ाने वाला एकमात्र संस्थान। + +केस स्टडी पर विशेष जोर देकर प्रश्नपत्र-4 में अधिकतम अंक दिलाने की सोच + +निबंध ( 250 atm equale to ७७ ) को 2 माह एक विषय की तरह पढ़ाने वाला एकमात्र संस्थान। + + + + + +कक्षा कार्यक्रम +सामान्य अध्ययन हिल्ढी ब्ाहित्य +'फाउंडेशन बैच we प्रश्न उत्तर लेखन शैली से हिंदी कट हाथ) + + + +« मेंस स्पेशल फाउंडेशन बैच +« प्री, स्पेशल फाउंडेशन बैच +« 2018 मुख्य परीक्षा क्रैश कोर्स + +||: छह | [| || है । है. || है. | +SR ek + +SACS) rl 2 SUCICC i 0 62 ict! +RE » प्रश्नपत्र | और वा के सभी खण्ड के महत्वपूर्ण आये हुए तथा संभावित +प्रश्नपत्र 1५ नीतिशास्त्र, सत्यनिष्ठा , प्रश्नों का उत्तर लेखन कराया जायेगा क्योंकि उत्तर लेखन अभ्यास ही + +अभिरुचि केस-स्टडी पर विशेष फोकस सफलता का माध्यम है। _ + +करेंट अफेयर्स +वीकेंड बैच + +रणनीतिक बैच प्रत्येक शनिवार 4 ?॥ नया बैच प्रारंभ + + + +निबंध : 45 लेक्चर का विशिष्ट + + + + + + + + + + +is + +Ajeet Kumar +CSE-2016- Rank-1094 + +la |e + +Neetu +CSE-2016- Rank -409 csi 201d Rane 7 + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +| Nex +| You MIHIR PATEL +AJITESH KR. MEENA (CSE - 2014) +CSE-2014-1071 — a and many more.... = + + + +M-3, Mezzanine Floor, A-37-38-39, Ansal Building, Near Safal Diary, Dr. Mukherjee Nagar + +areal PTT WA + +॥$ क्लासेज + + + +YH-750/5/2017 + +8 योजना, मार्च 2018 + + + +0009.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + + + +बजट में ग्रामीण ढांचे और +ग्रामीण रोजगार तैयार करने को +लेकर अधिकतम पैसा खर्च +करने का प्रावधान है। ग्रामीण +आजीविका कार्यक्रम के लिए +बजट आवंटन में बढ़ोतरी, +स्वयं सहायता समूहों को फंड +और बैंक लोन के जरिये मदद +के साथ ही खाद्य प्रसंस्करण +उद्योग के अलावा पशुपालन +के आवंटन में बढ़ोतरी से +कृषि क्षेत्र को मदद मिलेगी +और प्राथमिक कृषि उत्पादों +का मूल्य संवर्द्धन भी होगा। +टमाटर, प्याज और आलू से +जुड़ी फसलों की कीमत में +असंतुलन को रोकने के लिए +“ऑपरेशन ग्रीन' नामक नई +योजना का ऐलान किया गया +है, जो ऑपरेशन फ्लड' की +तरह काम करेगा + + + +आर्थिक प्रगति का कदम + + + +हसमुख अढ़िया +द्रीय बजट 2018-19 कई +मायनों में अनूठा है। यह + +के +ऐसे वक्‍त में आया हे, + +जब अर्थव्यवस्था पर पिछले दो साल में +सरकार की तरफ से किए गए दो ढांचागत +सुधारों (नोटबंदी और जीएसटी लागू होना) +का सकारात्मक असर दिख रहा है। ऐसे +वक्‍त में जब आर्थिक गतिविधियों के सभी +सूचकांकों में बेहतरी नजर आ रही है, इस +बजट का इरादा इसके लिए राह बनाना और +आने वाले वर्षों में भारत की वृद्धि दर 8 +फीसदी करने के लिए अनुकूल आर्थिक +माहौल बनाना हे। + +इस बजट का फोकस कृषि और ग्रामीण +अर्थव्यवस्था पर ज्यादा पैसे खर्च करना है, +ताकि किसानों की आमदनी बढ़ाने में मदद +के अलावा इससे वस्तुओं और सेवाओं के +लिए मांग तैयार हो सके। साथ ही इससे +निजी निवेश को बढ़ावा मिलेगा। + +बजट में ग्रामीण ढांचे और ग्रामीण +रोजगार तैयार करने को लेकर अधिकतम +पैसा खर्च करने का प्रावधान है। ग्रामीण +आजीविका कार्यक्रम के लिए. बजट आवंटन +में बढोतरी की गई है, जिसके तहत स्वयं +सहायता समूहों (खासतौर पर महिलाओं) +को फंड और बैंक लोन के जरिये मदद +की जा रही है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के +अलावा पशुपालन क्षेत्र के लिए आवंटन +में भी बड़ी बढोतरी हुई है। इससे कृषि +क्षेत्र से जुड़ी गतिविधियां तैयार करने में +मदद मिलेगी और प्राथमिक कृषि उत्पादों +का मूल्य संवर्द्ध भी होगा। तीन अहम + + + + + + + +सब्जियों- टमाटर, प्याज और आलू से जुड़ी +'फसलों की कीमत में असंतुलन को रोकने +के लिए “ऑपरेशन ग्रीन' नामक नई योजना +का ऐलान किया गया है, जो “ऑपरेशन +फ्लड' की तरह काम करेगा। “ऑपरेशन +फ्लड' दूध क्षेत्र के लिए बेहद कारगर +रहा था। + +' ऑपरेशन ग्रीन' के तहत उत्पादन और +खपत के केंद्रों को ठीक तरीके से जोड़ा +जाएगा और इन उत्पादों को पहुंचाने और +ले जाने के लिए जरूरी इंतजाम तैयार किए +जाएंगे। साथ ही, जहां भी जरूरी होगा, इन +फसलों के लिए किसान उत्पादक संगठनों +(एफपीओ) की मदद से वेयरहाउस और +प्रोसेसिंग की नई क्षमता तैयार की जाएगी। + +इस बजट में यह भी ऐलान किया गया +है कि 100 करोड तक के टर्नओवर वाली +इस तरह की किसान उत्पादक कंपनियों +को इनकम टैक्स में छूट मिलेगी। इससे +कृषि प्रसंस्करण क्षेत्र में पेशेवर रवैये को +प्रोत्साहन मिलेगा। ग्रामीण अर्थव्यवस्था के +लिए सरकार के बजटीय प्रस्तावों से 321 +करोड मानव दिवस का रोजगार तैयार होगा, +कृषि विकास को बढावा मिलने के अलावा +51 लाख नए ग्रामीण घर, 1.88 करोड +शौचालय, 3.17 लाख ग्रामीण सड॒कें और +1.75 करोड नए घरेलू बिजली के कनेक्शन +बनेंगे। + +केंद्रीय बजट 2018-19 का दूसरे +सबसे अहम हिस्सा स्वास्थ्य, शिक्षा और +सामाजिक सुरक्षा की बाकी योजनाओं पर +जोर देना है। शिक्षा पर फोकस के तहत + + + + + +लेखक भारतीय प्रशासनिक सेवा में आईएएस अधिकारी हैं और वर्त्तमान में भारत सरकार में केंद्रीय वित्त सचिव के रूप में कार्यरत हैं। वित्तीय सेवाओं के सचिव के +रूप में, उन्होंने बैंकिंग सुधार की दिशा में कई नई रणनीतियां बनाई। राजस्व सचिव के रूप में उन्होंने आयकर, उत्पाद शुल्क और सेवा कर में कई सारी करोन्मुख + +पहल किए। FA: adhia@hotmail.com + +योजना, मार्च 2018 + + + +0010.txt +<----------------------------------------------------------------------> +sae 2018-19 + + + + + + + + + + + + + +है, जो रोजगार तैयार करने के मुख्य +साधन हैं। ऐलान के मुताबिक नव +सृजित रोजगार के मामले में नियोक्‍ता +द्वारा वेतन के 12 फीसदी योगदान +का भार सरकार द्वारा वहन किया +जाएगा। यह नए रोजगार के वेतन +खर्च की 30 फीसदी लागत पर + + + +इनकम टैक्स छूट की इजाजत दिए +जाने के अतिरिक्त होगा। टेक्सटाइल +और चमड़ा क्षेत्र को बजट में +और बढावा दिया गया है। ढांचा +विकास के मामले में सरकार ने + + + +मौजूदा और नए रोड, रेल और शहरी +अवसंरचना परियोजनाओं को फंड +देने के लिए महत्वाकांक्षी योजना +का ऐलान किया है। इसके तहत + + + + + += 207-18 = 201718 = 20819. +em ale में. आह बजट संशोधित बजट +वास्तविक... अनुमान अनुमान अनुमान +राजस्व प्राष्तियां | 1314,203 | 15.15,71 . 15,05,428 = 17,253,798 +पूंणी प्राप्तियां। 60991 | 6,30,964 | 712,322 | 716,475 +weer UR | 49,75,194 | 2146,735 | 22.17,750 24,42,213 +wer aE | 19,75,194 | 21.48,735 22,17,750 24,42,213 +aT AT | 3.16981 | 321,163 458877 416,034 +प्रभावी राजस्व घाटा | 1,51,648 1.25,817 | 2,459,632 2,20,689 +mantis घाटा | 5.35818 | 546,531 5.94849 6.24,276 +प्राथमिक घाटा 31,901 23.453 64,006 43,481 +" बाजार शिगीकरण योणन। के अंतर्गत्ति आप्तियों को area PIB/KBK + +कुछ अतिरिक्त सीखने के लिए डिजिटल +तकनीक के इस्तेमाल के अलावा शिक्षा +और शिक्षकों की गुणवत्ता बेहतर किया +जाएगा। + +जहां तक उच्च शिक्षा की बात है, +तो अगले 4 साल में 1 लाख करोड के +पूंजीगत खर्च के जरिये एम्स समेत तमाम +उत्कृष्ट शैक्षिक संस्थान तैयार करने की +महत्वाकांक्षी योजना है, जिसकी फंडिंग +मुख्य तौर पर बजट के बाहर होगी। + +स्वास्थ्य क्षेत्र में 'आरोग्य भारत' की +महत्वाकांक्षी योजना के तहत हर बीपीएल +परिवार के लिए बीमारियों के इलाज के +लिए प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल और +स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत 5 लाख +का बीमा कवर होगा। इस महत्वाकांक्षी +कार्यक्रम के दायरे में 10 करोड परिवार +होंगे (जिसका मतलब 50 करोड लोग +होंगे) और उन्हें एक भी पैसा खर्च किए +बिना सूची में शामिल किसी भी सरकारी +या प्राइवेट अस्पताल में 5 लाख रुपये +सालाना तक के खर्च वाले ऑपरेशन या +सर्जरी का लाभ दिया जाएगा। यह कार्यक्रम +गरीब लोगों को इस बात का भी आश्वासन +देगा कि उनके परिवार में कैंसर, हृदय की +बीमारी या किडनी फेल होने जैसी गंभीर + + + +10 + + + +बीमारी का पता लगने पर सरकार उनकी +स्वास्थ्य जरूरतों का खयाल रखेगी। + +केंद्रीय बजट 2018-19 में लघु और +मध्यम दर्जे के उद्योगों की मदद के लिए +भी कई कार्यक्रमों का ऐलान किया गया + +केंद्रीय बजट 2018-19 में लघु +और मध्यम दर्जे के उद्योगों की +मदद के लिए भी कई कार्यक्रमों +का ऐलान किया गया है, जो +रोजगार तैयार करने के मुख्य साधन +हैं। ऐलान के मुताबिक नव सृजित +रोजगार के मामले में नियोक्‍्ता +द्वारा वेतन के 12 फीसदी योगदान +का भार सरकार द्वारा वहन किया +जाएगा। यह नए रोजगार के वेतन +खर्च की 30 फीसदी लागत पर +इनकम टैक्स छूट की इजाजत विए +जाने के अतिरिक्त होगा। टेक्सटाइल +और चमड़ा क्षेत्र को बजट में और +बढ़ावा दिया गया है। ढांचा विकास +के मामले में सरकार ने मौजूदा +और नए रोड, रेल और शहरी +अवसंरचना परियोजनाओं को फंड +देने के लिए महत्वाकांक्षी योजना +का ऐलान किया है। + +इसमें अतिरिक्त बजटीय संसाधनों +और उधारी को जोड़ा जाएगा। अगले +साल अवसंरचना पर खर्च की जाने +वाली कुल राशि 5.97 लाख करोड होगी, +जबकि 2017-18 में अनुमानित खर्च 4.94 +लाख करोड हे। +जीएसटी लागू होने के कारण +तत्कालिक तौर पर मची उथल-पुथल +ओर अप्रत्यक्ष कर के मोर्चे पर राजस्व +की अनिश्चितता के बावजूद केंद्रीय बजट +ने राजकोषीय कंसॉलिडेशन और इसके +संतुलन के लिए दूरदर्शी रोडमैप पेश किया +है। 2017-18 के लिए राजकोषीय घाटे के +3.2 फीसदी के आंकडे को संशोधित कर +3.5 फीसदी कर दिया गया है और अगले +साल के लिए यह आंकड़ा 3.3 फौसदी +रखा गया है। अगले दो सालों में (अगर +संभव हुआ, तो सिर्फ एक साल में) इसे 3 +'फीसदी के स्तर पर ले जाने की योजना हे। +नोटबंदी और जीएसटी के अच्छे प्रभाव के +कारण हमें अगले साल के लिए राजस्व के +सीमित लक्ष्य के मुकाबले इसमें और तेजी +आने की उम्मीद है। अगर ऐसा होता हे, +तो सरकार के पास कार्यक्रमों की फंडिंग +के लिए और पैसा उपलब्ध होगा। कुल +मिलाकर, यह बजट विकास के लिए है। +यह बजट ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नई +जान फूंकने और नए रोजगार तैयार करने +वाला है। QO + +योजना, मार्च 2018 + + + +0011.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + += ७ + +mat +“| +Ti asic + +te =| + +केंद्रीय बजट 2018-19 : एक विश्लेषण + + + + + +भारत की अर्थव्यवस्था अब +भी कृषि प्रधान है जहां +लगभग 49 प्रतिशत आबादी +कृषि पर प्रत्यक्षतः निर्भर +है। भारत असल में अपने +गांवों में बसता है। विगत में +सरकारों ने कृषि व ग्रामीण +विकास पर जोर देने का +प्रयास किया है फिर भी +कृषि पर निर्भर व गांवों में +बसने वाले लोग अब भी +निर्धनता, सुविधाओं की +कमी से जूझ रहे हैं और +उपयुक्त स्वास्थ्य व शैक्षिक +सुविधाओं के साथ ग्रामीण +व सामाजिक आधारभूत +संरचना के संबंध में +विशेष ध्यान दिए जाने की +जरूरत है + +जे डी अग्रवाल + +स साल के बजट का विश्लेषण +ड़ देश की मौजूदा आर्थिक, + +सामाजिक व राजनीतिक +परिस्थितियों के आलोक में किया जाएगा। +सरकार ने विगत चार वर्षों में कई प्रमुख +संरचनागत बदलाव किए हैं जिनके +परिणामस्वरूप 2017-18 में जीडीपी में +6.75 प्रतिशत की वृद्धि हुई। अनुमान है कि +यह 2018-19 में 7.5 प्रतिशत बढेगा। नवंबर +2016 में विमुद्रीकरण तथा 1 जुलाई 2017 +को संशोधित वस्तु व सेवा कर (जीएसटी), +नए दिवालिया कानून की शुरुआत, आधार +कार्ड का कार्याव्वयन, एफडीआई का +SIN, THAT सार्वजनिक क्षेत्र के +बैंकों को मजबूत करने के लिए रु. 88,000 +करोड़ के प्रमुख पुनर्पुजीकरण पैकेज के +कार्यान्वयन से उत्तरार््ध में अर्थव्यवस्था में +विकास देखा गया। + +7.2 प्रतिशत की आर्थिक संवृद्धि, स्थिर +मुद्रास्फीति (6 वर्षों में सबसे कम) व +मौद्रिक समेकन, 2017-18 के आर्थिक +परिदृश्य में सूक्ष्म आर्थिक स्थिरता व 14.1 +प्रतिशत की संवृद्धि दर को दर्शाता 409.4 +बिलियन डॉलर्स की मजबूत विदेशी विनिमय +आरक्षिती, 1 लाख करोड रुपये के विनिवेश +से प्रभावी है। सब्सिडीज में रु. 65000 करोड +की बचत डीबीटी के लिए आधार को मूल +बनाया है। इनमें से कुछ सूचकांक भारतीय +अर्थव्यवस्था की प्रतिरोध क्षमता को दशाते +हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था यकौनन विश्व भर +में बेहतरीन अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। +मुझे यह कहते हुए काफी प्रसन्नता हो रही +है कि विमुद्रीकरण तथा जीएसटी आदि +जैसे संरचनागत बदलावों से हुई बाधाओं + + + + + + + + + +से संवृद्धि तथा अर्थव्यवस्था के अन्य सूक्ष्म +आर्थिक मानदंडों पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं +पड़ा। उन बदलावों से हुए असंतुलन को +काफी हद तक दूर कर लिया गया है। + +हालांकि ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली व +पानी की सुविधा उपलब्ध कराकर महिला +सशकक्‍्तीकरण, किसानों की आय को बढ़ाने, +कृषि संबंधी उत्पादन को बढ़ाने, कृषि संबंधी +प्रतिरोध क्षमता को मजबूत करने, शिक्षा +व स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार, रोजगार +सृजन व निवेश व निर्यात को बढ़ावा देने +व गरीबी उन्मूलन संबंधी प्रधानमंत्री की +आकांक्षाओं को पूरा करने की दिशा में +2016-17 के दौरान 275.7 मिलियन टन +की अच्छे खाद्यान्न व 300 मिलियन टन +के फल उत्पादन के बावजूद 2017-18 में +अर्थव्यवस्था कृषि की निम्न संवृद्धि 2.1 +प्रतिशत जैसी चुनौतियों का सामना कर रही +है। एनपीए की बड़ी राशि व राज्यचालित +बैंकों में पूंजी लगाने की समस्या दूसरी +चुनौती है। + +मौजूदा बजट गत चार वर्षों के दौरान +हुए संरचनागत बदलावों व उपलब्धियों +के परिपार््व में है और अर्थव्यवस्था की +चुनौतियों के मद्देनजर यह कृषि, ग्रामीण +विकास, स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार व +एमएसएमई तथा आधारभूत संरचना क्षेत्रों +को मजबूत करने के प्रधानमंत्री के मिशन +से निर्देशित है। +आर्थिक संबवृद्द्रि व मौद्रिक समेकन + +इस साल का बजट भारत को 2.5 +ट्रिलियन अर्थव्यवस्था के रूप में चिह्नित +करता है। वित्त मंत्रालय ने 8 प्रतिशत संवृद्धि +का लक्ष्य सही ही निर्धारित किया है और + + + +लेखक वित्तीय मामलों के प्रतिष्ठित प्रोफ़ेसर, भारतीय वित्त संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष व निदेशक और फिनान्स इंडेया के मुख्य संपादक हैं। इन्होंने कई पुस्तकें और +आलेख लिखे हैं और रेडियो/टीवी टॉक शो/साक्षात्कार A art fer 21 Sct: jda@iif.edu + +योजना, मार्च 2018 + +11 + + + +0012.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +fit, + +CJR) + +a quale 2018-19 © + +pee सोने के व्यापार पर सरकार की पहल + +War al aka af Sot में लागे के लिए एक नीति बनाई जाएगी + +बनाई जाएगी + +Pals के विनियकि। जादांन-प्रदान के लिए जपमोवता शिंररधी और व्यापार पक्ष जे + +#ब्रिना परेशानी के गोल्ड डिपोष्िट खाता खौलने के लिए सौंगा +गुक्नीकरण योजना का पुनाशुदृद्ञोकरण किया जाएगा + +2018-19 के दौरान संवृद्धि दर का 7.2 +प्रतिशत से 7.4 प्रतिशत होना अनुमानित है। +भारत 2018-19 में विश्व की अर्थव्यवस्था +में योग देने वाले तेजी से उभरने वाली +अर्थव्यवस्थाओं में से एक होगा। उन्‍होंने +ठीक ही मेक इन इंडिया मिशन का लक्ष्य +रखते हुए कृषि व ओद्योगिक क्ष्षेत्र में +वांछनीय संवृद्धि के परिणाम वाले प्रावधान +बनाए हैं। + +वित्त मंत्री राजकोषीय घाटे को जीडीपी +के 3.2 प्रतिशत पर रोके रखने को लेकर +काफी सचेत हैं। 2010 में राजकोषीय घाटे +को 6.4 प्रतिशत से कम कर अंतरराष्ट्रीय रूप +से स्वीकृत स्तर पर लाया गया। राजकोषीय +घाटे को रोके रखने के सतत प्रयासों के +परिणामस्वरूप गत वर्ष भारत की सॉवरेन +रेटिंग में सुधार हुआ। + +ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर जीवनस्तर व +समाज कल्याण योजनाओं के सृजन हेतु +रु. 14.34 लाख का महत्वपूर्ण आवंटन +काफी प्रगतिगामी है और गरीबी हटाओ +मिशन को हासिल करने की दिशा में एक +महत्वपूर्ण कदम है। किसानों, निर्धनों व +समाज के अन्य जरूरतमंद तबकों तक +संरचनागत बदलावों संवृद्धि के लाभों को +पहुंचाने व वंचित तबके के उत्थान हेतु +बनाए गए विभिन्न कार्यक्रमों के प्रस्ताव +सराहनीय हैं। इस साल के बजट में ये सारे +लाभ शामिल हैं। + +12 + +कृषि व ग्रामीण अर्थ व्यवस्था + +भारत की अर्थव्यवस्था अब भी कृषि +प्रधान है, जहां लगभग 49 प्रतिशत आबादी +कृषि पर प्रत्यक्षत: निर्भर है। भारत असल में +अपने गांवों में बसता है। विगत में सरकारों +ने कृषि व ग्रामीण विकास पर जोर देने +का प्रयास किया है फिर भी कृषि पर +निर्भर व गांवों में बसने वाले लोग अब भी +निर्धनता, सुविधाओं की कमी से जूझ रहे हैं +और उपयुक्त स्वास्थ्य व शैक्षिक सुविधाओं +के साथ ग्रामीण व सामाजिक आधारभूत +संरचना के संबंध में विशेष ध्यान दिए जाने +की जरूरत है। वित्त मंत्री ने कृषि व ग्रामीण +अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए सही +ही ध्यान दिया है। + +2022 तक किसानों की आय को +दोगुना करने की प्रधानमंत्री की इच्छा- जो +एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य है- को पूरा करने +की दिशा में वित्त मंत्री ने कम लागत पर +अधिक पर जोर दिया है। इसके लिए जरूरी +है कि किसानों को उनके उत्पाद का सही +दाम मिले। बाजारों तक पहुंच को मजबूत +किए जाने की भी जरूरत है। + +उक्त के मद्देनजर, वित्त मंत्री ने प्रस्तावित +किया है कि खरीफ फसल के लिए न्यूनतम +क्रय मूल्य को सभी 23 फसलों पर उत्पाद +लागत का 1.5 गुना नियत किया जाए। +उन्होंने कृषि उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए +शुरू किए जाने वाले ऑपरेशन ग्रीन हेतु रु. + + + +500 करोड़ के आवंटन के अलावा कृषि +बाजार व इंफ्रा फंड हेतु रु. 2000 करोड +आवंटित किया है। + +कृषि ऋण किसानों को उनके कृषि +संबंधी कार्यों व उत्पादकता को बढ़ाने में +मददगार है क्योंकि अधिकांश किसान निर्धन +व सीमांत हैं। कृषि ऋण के लक्ष्य को +8.5 लाख करोड से बढ़ाकर 11 लाख +करोड़ करने से किसानों खासकर निर्धन +व सीमांत किसानों को काफी सहूलियत +होगी। हालांकि कोशिश की जानी चाहिए +कि लक्ष्य किसानों को ही ऋण देने का +रखा जाए। उक्त प्रस्तावों के क्रम में, वित्त +मंत्री ने संबद्ध क्षेत्रों मसलन मत्स्य पालन +व पशुपालन हेतु किसान क्रेडिट सुविधाएं +प्रदान की हैं। मत्स्यपालन व मत्स्यपालन +विकास निधि हेतु रु. 10,000/- करोड +और पशुपालन निधि हेतु रु. 10,000/- +करोड़ का आवंटन काफी विचाएपूर्ण है। +इन निधियों के उपयोग से इन क्षेत्रों से जुड़े +लोगों को मदद मिलेगी और उनकी आय +बढ़ाने में मदद मिलेगी। + +86 प्रतिशत से अधिक लघु व सीमांत +किसानों के हितों का ध्यान रखने व 1290 +करोड़ रुपये के निवेश के साथ 42 मेगा +फूड पार्क की स्थापना हेतु मौजूदा 22000 +ग्रामीण हाट को ग्रामीण कृषि बाजार +में अपग्रेड करने की बित्त मंत्रालय की +घोषणा से कृषि की उत्पादकता बढ़ाने +में काफी मदद मिलेगी। फसलोपरांत कर +प्रोत्साहन और फार्मिंग प्रोड्यूसिंग कंपनियों +के लिए 100 प्रतिशत रीबेट से उत्पादन +बढ़ाने में मदद मिलेगी और कृषि उपज के +100 बिलियन डॉलर निर्यात की संभावना +के लक्ष्य को पूरा करने के प्रयासों से +नियत समय में किसानों की आय बढ़ाने में +मदद मिलेगी। किसानों को उनके खेत में +सिंचाई हेतु सौर वाटर पंप लगाने के लिए +समर्थ बनाने का बजट प्रावधान सराहनीय है। +मत्स्यपालन व पशुपालन करने वाले किसानों +को किसान क्रेडिट कार्ड प्रदान करने के +लिए बजट प्रस्ताव से उन्हें उनके कार्यशील +पूंजी अपेक्षाओं को पूरा करने व उनकी आय +बढ़ाने में मदद मिलेगी। +ग्रामीण अर्थव्यवस्था + +वित्त मंत्री ने विभिन्न योजनाओं को +आवंटन के जरिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था में + +योजना, मार्च 2018 + + + +0013.txt +<----------------------------------------------------------------------> +गरीबी के उन्मूलन हेतु गंभीर प्रयास किए +हैं। यह बजट का मानवीय पक्ष हे। वित्त मंत्री + +रुपये का प्रावधान, प्रायोजना व वास्तु शिल्प +के लिए दो नए स्कूल की स्थापना, 2 नए + + + +ने निर्धन महिलाओं को उज्ज्वला योजना के +तहत 8 करोड़ निःशुल्क एलपीजी कनेक्शंस +देते हुए और सौभाग्य योजना के तहत रु. + +मेडिकल कॉलेजों के साथ हर तीसरे संसदीय +क्षेत्र के लिए एक नए मेडिकल कॉलेज +की स्थापना की घोषणा और अस्पतालों + + + + + +16000 करोड के आवंटन से 4 करोड +निर्धन परिवारों को निःशुल्क इलेक्ट्रिसिटी +कनेक्शन देते हुए निर्धन व निम्न मध्यवर्गीय +परिवारों का ख्याल रखा है। इन सबसे ईंधन +के इस्तेमाल में कटौती होगी, और वनों की +कटाई में कमी आएगी और महिलाओं की +परेशानियां भी कम होंगी। + +2022 तक सभी के लिए घर के +लक्ष्य की प्राप्ति हेतु 2019 तक ग्रामीण +क्षेत्रों में 1 करोड से भी अधिक घर और +स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनाए गए 6 +करोड शौचालयों के अलावा 2 करोड और +शौचालयों का निर्माण किया जाएगा जो +स्वागत योग्य कदम है। राष्ट्रीय आजीविका +के लिए 2018-19 के लिए 5750 करोड +तथा सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लिए रु. +9975 करोड़ का आवंटन भी प्रशंसनीय हेै। +ये योजनाएं भारतीय महिलाओं को सम्मान +दिलाने में मददगार होंगी। + +हालांकि ऐसा समझा जा सकता हे +कि क्या ऐसा लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता +है क्‍योंकि प्रभावी कार्यान्वयन की कमी +हो सकती है। जमीनी स्तर पर भ्रष्टाचार से +सरकारी योजनाओं का लाभ लक्ष्य समूह +तक पहुंचने की दिशा में प्रतिकूल प्रभाव +डालेगा। +शिक्षा, स्वास्थ्य व सामाजिक सुरक्षा + +शिक्षा व स्वास्थ्य सशक्त राष्ट्र के +निर्माण के लिए काफी आवश्यक हे। शिक्षा +जहां राष्ट्र की संपदा में योग देने के लिए +मानव संसाधन का उपयोग करने और बेहतर +जीवन के लिए आय सृजन में समर्थ बनाती +है वहीं स्वास्थ्य ऐसे मानव संसाधन को +बनाए रखने में मदद करता है। यह संसार +को प्रकृति का सबसे नायाब तोहफा है। +जीडीपी की प्रतिशतता के रूप में शिक्षा के +क्षेत्र में आवंटन अन्य ब्रिक देशों की तुलना +में कम है। उदाहरण के लिए, चीन जीडीपी +का 3.2 प्रतिशत खर्च करता है जबकि भारत +1.4 प्रतिशत करता है। + +शिक्षा के क्षेत्र में आधारभूत संरचना के +लिए वित्त मंत्री द्वारा किए गए 1 लाख करोड + +योजना, मार्च 2018 + +को मेडिकल कॉलेज में अपग्रेड करने से +मेडिकल शिक्षा व चिकित्सा सुविधाओं को +देशवासियों के लिए उपलब्ध कराने में मदद +मिलेगी। इसी प्रकार, 2020 तक 50 लाख +युवाओं को छात्रवृत्ति प्रदान करना प्रशंसनीय +है जिससे मध्यम व निम्न मध्यम वर्ग के +परिवार के योग्य युवाओं को शीर्ष संस्थाओं +में मेडिकल शिक्षा समेत उच्च शिक्षा प्राप्त +हो सकेगी। + +आयुष्मान भारत कार्यक्रम के तहत +1,200 करोड़ रुपये के आवंटन से स्वास्थ्य +सेवाएं प्रदान करने के लिए घर के निकट +1.5 लाख नए केन्द्रों की स्थापना का +प्रावधान उल्लेखनीय है। इसी तरह इस बजट +में टीबी पोषण सहयोग के लिए बडी राशि +का आवंटन स्वागत योग्य है। + +राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण के लिए सरकार +द्वारा संपोषित हेल्‍थ केयर कार्यक्रम जिससे +10 करोड़ गरीब व जरूरतमंद परिवारों +के लगभग 50 करोड लाभार्थी को कवर + +eaic 2018-19 + +सजकोषीय +घाटा + +45 + +ICT + +PYRE +Aare + +किया जाएगा और हर परिवार को प्रति वर्ष +द्वितीयक व तृतीयक अस्पताल सेवाओं के +लिए 5 लाख रुपये की सुविधा प्रदान करना +एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे बीमा के +कारोबार को बढ़ावा मिलेगा और देश में +रोजगार सृजन होगा। + +स्वास्थ्य सेवाओं, मेडिकल कॉलेजों व +सरकार संपोषित स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रमों +के लिए 1.5 लाख केंद्रों का गठन रोजगार +सृजन में मददगार होगा और राष्ट्र के स्वास्थ्य +का भी ख्याल रखेगा। इससे विभिन्न क्षेत्रों +के लोगों को बडे शहरों में जाने व समस्या +का सामना करने के बजाय अपने शहर +के निकट ही बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल +सकेंगी। + +सूक्ष्म बीमा व पेंशन योजना के तहत +प्रधानमंत्री जनधन योजना के अंतर्गत सभी 16 +करोड खातों को शामिल करने का प्रावधान +काफी सही है। सामाजिक समावेशन योजनाओं +के तहत अ.जा कल्याण हेतु रु52719 करोड़ +तथा अ.ज.जा. कल्याण हेतु रु. 39319 करोड़ +हेतु प्रावधान अ.जा व अ.ज.जा. के लोगों +को मदद करेगा। 50 प्रतिशत से अधिक की +अ.ज.जा आबादी वाले प्रत्येक खंड में नवोदय +विद्यालय के साथ-साथ एकलव्य स्कूल होंगे। + + + + + + + + + +जीडीपी का प्रतिशत of + +जप, है +“4c पथ पु + +५ ; + हि हु ; +Wr 2 i + + + +a ft + +I | | T r | + +ange FO09- 2040- 2D11- EOEE- ANS- BOid- 2015- 2006- 2017- e0i7- 2018- + +Woot 8 19 + +at: संशोधित अनुमान + +व अं... बज़ट अनुगाम + +189 160 1 18 17 19 +(aon) aad and + +PIB/KBK + +13 + + + +0014.txt +<----------------------------------------------------------------------> +Phi. 2018-15 + + + +शाज्यों जाँ? +संघ राज्य होमों +को कुल अंतरण + +ae +Ib + +edt ones +PIB/KBK +नए कर्मचारियों को सशक्त बनाने के लिए +अगले तीन वर्षों के लिए सभी क्षेत्रों में +ईपीएफ में वेतन का 12 प्रतिशत जोड़ने +का प्रावधान किया गया है और महिलाओं +के लिए अगले तीन वर्षों के लिए ईपीएफ +योगदान को घटाकर 8 प्रतिशत कर दिया +गया है। +आधारभूत संरचना व उद्योग + +आधारभूत संरचना के अर्थव्यवस्था का +संवृद्धि ड्राइवर होने पर जोर देते हुए वित्त +मंत्री आधारभूत संरचना में निवेश के लिए भी +काफी चिंतित हैं। उन्होंने 2018-19 के लिए +आधारभूत संरचना व सड़क, हवाई अड्डों, +रेलवे, पत्तन व इनलैंड वातार्वेज के नेटवर्क +से देश को जोड़ने के लिए बजट आवंटन +को बढ़ाकर रु. 5.97 लाख करोड कर +दिया है। इसके अलावा पर्यटन को बढ़ावा +देने के लिए आधारभूत संरचना व कौशल +विकास, प्रौद्योगिकी विकास, आकर्षक निजी +निवेश, ब्रांडिंग व मार्केटिंग से संबंधित समग्र +दृष्टिकोण अपनाते हुए 10 प्रमुख पर्यटन केंद्रों +को प्रतिष्ठित बनाने के लिए बजूट प्रस्ताव की +घोषणा स्वागत योग्य है जिससे रोजगार का +सृजन होगा व संवृद्धि होगी। + +रेलवे, विमानन व अर्थव्यवस्था के +डिजिटलीकरण में बड़ी राशि आवंटित +की गई है। मानवहीन रेलवे क्रॉसिंग को +हटाने, एस्केलेटर्स के निर्माण, वाईफाई व +सीसीटीवी कैमरा प्रदान करने, के लिए रु. +1.48 करोड़ की सीमा राखी गई है। मुम्बई +रेल नेटवर्क के लिए रु, 11000 करोड व +बेंगलुरु मेट्रो के लिए रु. 17000 करोड़ का + + + +i ES ao ere + +14 + +आवंटन किया गया है ताकि इन महानगरों +की जरूरतों का ख्याल रखा जा सके। + +इसके अलावा गांवों में ब्रॉड बैंड की +सुविधा पहुंचाने की दिशा में पांच करोड +ग्रामीणों को नेट कनेक्टिविटी प्रदान करने के +लिए पांच लाख वाई फाई हॉट स्पॉट के गठन +का प्रस्ताव है और टेलीकॉम इन्फ्रास्ट्रक्चर +के सृजन व संवर्धन हेतु 2018-19 में रु. +10000 करोड़ के आवंटन से सरकार के +डिजिटल इंडिया कार्यक्रम में मदद मिलेगी। + +वित्त मंत्री एमएसएमई को लेकर काफी +चिंतित हैं जो कंपनियों का 99 प्रतिशत +है और उन्हें ऋण सहयोग, पूंजी व ब्याज +सब्सिडी तथा नवोन्मेषों के लिए रु. 3794 +करोड प्रदान किया है। संयत्र व मशीनरी/ +उपकरण में निवेश से वार्षिक रु 50 करोड +से टर्न ओवर 250 करोड में वर्गीकरण के +आधार पर एमएसएमई बदलाव और कर दर +को 25 प्रतिशत तक कम करने से कारोबार +करने में सहूलियत होगी और इससे जीएसटी +के इर्द-गिर्द नई कर प्रणाली तैयार करने में +सहायता मिलेगी। वित्त मंत्री ने एमएसएमई +के लिए मुद्रा ऋण के लिए रु. 3 लाख +करोड का प्रस्ताव भी दिया है। 2018-19 में +हथकरुघा क्षेत्र के लिए 7148 करोड़ रुपये +के आउट ले से रोजगार सृजन व संवृद्धि +को बढाने में मदद मिलेगी। +रोजगार + +शिक्षित युवाओं में बेरोजगारी की दर +काफी अधिक है जिससे काफी निराशा +व्याप्त है, जिसे तत्काल ठीक किए जाने +की जरूरत है। इस साल बजट 70 लाख +नौकरियों के प्रावधान व आधारभूत संरचना, +सड़क, रेलवे, हवाई अड्डा व हेलिपैड, +ग्रामीण आधारभूत संरचना, रोजगार बढ़ाने +व लोगों के जीवन स्तर को बेहतर करने +के लिए शहरी क्षेत्रों से ग्रामीण क्षेत्रों को +जोड़ने के जरिए रोजगार सृजन पर काफी +जोर दिया गया है। रोजगार सृजन हेतु बजट +में लिए गए कदम की सराहना करते हुए +सरकार देश की बेरोजगारी की समस्या से +जूझने के लिए भारतीय वित्त संस्थान में पूर्ण +अध्ययनों में से एक व भारतीय वित्त में +प्रकाशित अनुसार राष्ट्रीय श्रम एकसचेंज के +गठन का विचार कर सकती है। + +यह सराहनीय है कि कृषि, शिक्षा, +स्वास्थ्य व आधारभूत संरचना में सामाजिक + +कल्याण योजनाओं को किए गए बडे +आवंटनों व रु. 80,000/- करोड के +विनिवेश के सामान्य लक्ष्य के बावजूद वे +मौद्रिक घाटे को 3.3 प्रतिशत पर रखने व +बिना किसी अतिरिक्त कर बोझ के जीडीपी +के संवृद्धि दर के 7.2 प्रतिशत से 7.4 +प्रतिशत होने के लक्ष्य को बनाए रखने में +सफल हुए हें। +कर प्रस्ताव + +यह हमेशा सही रहता है कि स्थिरता को +बनाए रखने के लिए कर नीति में न्यूनतम +परिवर्तन हो। तदनुसार, उन्होंने कर दर, +व्यक्तिगत व कॉर्पोरेट दोनों को अपरिवर्तित +रखा है। वेतनभोगियों को राहत देने के +लिए उन्‍होंने आहरित यात्रा भत्ता के रूप में +40,000/- रुपये की मानक कटोती शुरू की +है। वे वृद्धों के प्रति काफी उदार हैं और +उन्होंने बैंकों व डाक घर में वृद्धों की जमाओं +पर वृद्ध जन ब्याज आय पर राहत दी है तथा +194ए में रु. 10,000 की सीमा को बढ़ाकर +रु, 50,000 कर दिया है और सेक्शन 80 डी +के तहत स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम व चिकित्सा +व्यय हेतु कटोती सीमा को 30,000 रुपये से +बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दिया है जो मध्य +वर्ग के लिए लाभकर है। + +उन्होंने इक्विटी के आधार पर 10 +प्रतिशत के सामान्य दर पर दीघविधि पूंजी +अभिलाभ दर की शुरुआत की है क्योंकि +कर से छूट वाले इस आस्ति वर्ग से रु. 3.6 +लाख करोड की आय हेतु कोई स्पष्टीकरण +नहीं है। एलटीसीजी विषयक कर 20 +प्रतिशत रहा है जेसा अक्तूबर 2004 से +पहले था। बजट में यह भी प्रस्तावित है कि +इक्विटी म्युचुअल फंड द्वारा संवितरित सभी +लाभांश को10 प्रतिशत का भुगतान करना +है। इससे म्युचुअल फंड हाउसेस द्वारा उनके + +सूक्ष्म बीमा व पेंशन योजना के +तहत प्रधानमंत्री जनधन योजना के +अंतर्गत सभी 16 करोड़ खातों को +शामिल करने का प्रावधान काफी सही +है। सामाजिक समावेशन योजनाओं के +तहत आअ.जा कल्याण हेतु रु.52719 +करोड़ तथा अ.ज.जा. कल्याण हेतु रु. +39319 करोड़ हेतु प्रावधान अ.जा व +अ.ज.जा, के लोगों को मदद करेगा। + +योजना, मार्च 2018 + + + +0015.txt +<----------------------------------------------------------------------> +निवेशकों को दी जाने वाली निवल राशि में कमी होगी। एलटीसीजी +बाजार का प्रतिकूल प्रभाव अनावश्यक है। उन्होंने व्यापक सामाजिक +सुरक्षा योजनाओं के लिए राजस्व मीमांसा हेतु 1 प्रतिशत का शिक्षा +उपकर प्रस्तावित किया है। + +इसे एक आदर्श बजट बनाने के लिए न्यूनतम छूट सीमा को +रु. 3 लाख तक बढ़ाते हुए रु. 15000 करोड़ के राजस्व आय का +नुकसान सहा जा सकता है। इसे एलटीसीजी विषयक कर को 20 +प्रतिशत तक बढ़ाकर किया जा सकता है। + +संवृद्धि व रोजगार की दिशा में उन्होंने 250 करोड़ रुपये तक +के टर्नओवर वाले एमएसएमई के लिए कॉर्पोरेट कर को 25 प्रतिशत +घटा दिया गया है। निजी कराधान में राहत वाले इस प्रस्ताव से रु. +5995 करोड का राजस्व नुकसान हो सकता है। + +हालांकि मेक इन इंडिया को प्रमोट करने व राजस्व मीमांसा +के लिए उन्‍होंने पर्फ्यूम्स व प्रसाधन संबंधी वस्तुओं (10 प्रतिशत) , +ऑटोमोबाइल्स व ऑटोमोबाइल पार्ट्स (5 प्रतिशत), फुटवियर +(10 प्रतिशत), आभूषण (5 प्रतिशत), इलेक्ट्रॉनिक्स/हार्डबेयर (5 +प्रतिशत), फर्नीचर (10 प्रतिशत), घड़ी a दीवार घड़ी (10 +प्रतिशत), खिलौने व गेम्स (10 प्रतिशत), टेक्सटाइल्स (10 +प्रतिशत), खाद्य तेल (15-17.5 प्रतिशत) आदि जैसे विभिन्न मदों +पर सीमा शुल्क को 2.5 प्रतिशत से बढ़ा कर 10 प्रतिशत करने का +प्रस्ताव रखा है। इसके साथ ही पूंजीगत माल व इलेक्ट्रॉनिक्स (5 +प्रतिशत), चिकित्सा उपकरण (2.5 प्रतिशत), जैसे मदों में सीमा +शुल्क घटाया है। परिणामस्वरूप जिन वस्तुओं में सीमा शुल्क बढ़ाया +गया है, उनकी कीमत बढ़ गई है जबकि कुछ वस्तु सस्ते हुए हैं। +निष्कर्ष + +समग्र रूप से यह बजट बाजार प्रेरित आर्थिक व्यवस्था से +समाज कल्याण उन्मुख व्यवस्था की ओर एक स्वागत योग्य शिफ्ट +है, जहां सरकार देश की 80 प्रतिशत से अधिक आबादी की +आवश्यकताओं, अपेक्षाओं व आकांक्षाओं का ख्याल रखती है। + +केंद्रीय बजट 2018-19 जनता के हित में है, प्रगतिगामी है, +संतुलित व लीक से हटकर है तथा इससे उम्मीद है कि यह जनता +की आकांक्षाओं का ध्यान रखेगी। यह कृषि, ग्रामीण विकास,शिक्षा, +रोजगार व निवेश पर विशेष ध्यान देते हुए संवृद्धि उन्मुख सिद्ध +होगी। वहनीय आवास को बढावा देने, रियल एस्टेट सेक्टर को +बढ़ावा देने, संवृद्धि की गति को तेज करने और बाधाओं को दूर +करते हुए कारोबार को सरल बनाने के लिए वित्त मंत्री द्वारा उपयुक्त +प्रयास किए गए हैं। सरकार द्वारा खर्च की जा रही बड़ी राशि से +कृषि व उद्योग की धीमी संवृद्धि में तेजी आएगी। + +किसानों की आय को बढाने के लिए संरचनागत बदलावों व कृषि +क्षेत्र में पूण बदलाव करने की जरूरत है। हालांकि यह बजट प्रस्तावों +का हिस्सा नहीं है। इसी प्रकार, सभी स्तरों पर शिक्षा के विधिक +तथा न्यायिक बदलावों में भी संरचनागत बदलावों की जरूरत है। +मौजूदा व्यवस्था अर्थव्यवस्था व लोगों की जरूरतों के अनुरूप नहीं +है। नीति आयोग को नए तरीके से सोचने की जरूरत है। ऐड-ऑन +दृष्टिकोण मौजूदा व्यवस्था के साथ फाइन टूयूनिंग से अपेक्षित +परिणाम नहीं मिल रहे। केंद्रीय बजट 2018-19 “गरीबी हटाओ, +किसान बचाओ ” बजट है। | + + + + + +योजना, मार्च 2018 + + + + + + + + + + + + + + +बा. BHAVISHYAGKADEMY + +Wald +अर्धगवाधा + +(साम्रान्य अध्ययन) + + + +0५ +RISHI JAIN +15 DAYS CRASH COURSE ONLY + +10000 SR + +IAS PT 2017, IAS MAINS 2017 & asit +प्रश्न सीधे-सीथे क्लास नोट्स से पूछे गए हैं। + +ONLINE CLASSES +LAUNCHING SOON + +Youtube channel:www.youtube.com/BhavishyaAcademy + +Website: www.bhavishyaacademy.com Emall: bhavishya.academy1@gmall.com +Facehook Page : bhavishyaacademyoffice Twitter : @Bhavishyacademy + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +104, First Floor, A-31-34, Jaina House, Comm. Comp. +10008 91 575 ॥0श10५, 0. ॥#0७/॥९]९४ 48007 + +7289923254 +9999532466 + +15 + + + +YH-797/2017 + + + +0016.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + + + +Think द्ष्टि Think +188.../ Drishti + +सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी +को समर्पित मासिक पत्रिका + +थि समसामयिक मुद्दों पर आधारित + + + + + +aie महत्त्वपूर्ण लेख। +रो फर्श loyd PL Mae eer, oo सामान्य अध्ययन +वर्ष 3 | अंक 9 | कूल अंक 33 | मार्च 2018 | ₹ 120 कि पर Wy \ +प्रमुख आकर्षण धय प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा पर केंद्रित +महत्त्वपूर्ण लेख. >दूदपोइंड.._ ऑडियो आर्टिकल. [>ठेंपर से रूबरू. महत्त्वपूर्ण पत्र-पश्रिकाओं का जिस्ट सामान्य अध्ययन के विभिन खंडों के + +रिवीज़न हेतु 'दू द पॉइंट सामग्री। +थय॑ प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं ( साइंस रिपोर्टर, + +a an, + +डाउन दू अर्थ, इकॉनमिक एंड +पोलिटिकल वीकली, द हिंदू आदि ) +के महत्त्वपूर्ण लेखों का सारांश। + +थि प्रारंभिक परीक्षा पर केंद्रित टारगेट +'प्रिलिम्स खंड। + +MV टॉपर्स इंटरव्यू] +था इंटरव्यू की तैयारी के लिये महत्त्वपूर्ण + +सामग्री। + + + +पत्रिका का सैम्पल निःशुल्क पढ़ने के लिये हमारी वेबसाइट: +www.drishtiias.com ut fafste at + + + + + +To Subscribe, Call - 8130392351, 8130392359 + +For business/advertising enquiry, Call - 8130392355 +Web : www.drishtiias.com, Email : info @drishtipublications.com + + + +YH-643/11/2017 + +16 योजना, मार्च 2018 + + + +0017.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +मूल्य संवर्धित उत्पादों को प्रोत्साहन + + + +राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून 2013 +जन वितरण प्रणाली में मोटे +अनाजों और बाकी फसलों +को शामिल करने का प्रावधान +मुहैया कराता है। मीडिया की +एक हालिया रिपोर्ट में संकेत +दिए गए हैं कि कर्नाटक और +कुछ अन्य राज्यों में रबी और +मोटे अनाज की बुआई के +रकबे में अच्छी बढ़ोतरी हो +सकती है। इस तरह की फसलों +में दिलचस्पी बहाल करने में +वाजिब कीमत और बड़े पैमाने +पर खरीद अहम हैं। कर्नाटक +सरकार ने 1 लाख टन रागी +2000 रुपये प्रति क्विंटल के +हिसाब से खरीदा है। अगर +इसकी खरीद और खपत में +तेजी आती है, तो किसान +इसका और उत्पादन करेंगे + +एम एस स्वामीनाथन +रत शायद एकमात्र ऐसा देश +है, जिसने संसदीय कानून के + +भा जरिये हर जरूरतमंद घर के +लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की है। वैसे यह +इंतजाम घरेलू इकाइयों के लिए पक्का किया +गया है, लेकिन भूख से निपटने के लिए +सामाजिक सहयोग की जरूरत हे। + +देश में भूख और कुपोषण व्यापक +स्तर पर फैला हुआ है। नतीजतन, हमारे +बच्चों, महिलाओं और पुरुषों को अपने +शारीरिक और मानसिक विकास की जैविक +संभावनाओं को विकसित करने का पर्याप्त +मौका नहीं मिल पाता है। इस बजट और +इसके आगे के घटनाक्रम के आधार पर +मैं वैसे उन कुछ क्षेत्रों में काम करने की +सिफारिश करता हूं, जहां वित्तीय और +वैज्ञानिक दोनों तौर पर अतिरिक्त ध्यान देने +की जरूरत हे। +कीमतों में अस्थिरता + +हमारे किसान बडे पैमाने पर कीमतों +में अस्थिरता को झेलते हैं, जिससे उनकी +आमदनी और स्थिरता पर असर पड़ता +है। खासतौर पर आलू, टमाटर और प्याज +जैसी सब्जियों की कीमतों के मामले में +ऐसा होता है। कीमतों में उतार-चढ़ाव का +मामला सतत समस्या रही है। हमें सिर्फ +उपभोक्ताओं को शांत करने के लिए तदर्थ +कदमों के बजाय स्थायी समाधान ढूंढना +चाहिए। एक व्यावहारिक तरीका शहरी + +बागवानी को बढ़ावा देना है। शहरों के +भीतर और आसपास के इलाकों में जमीन + +का पर्याप्त रकबा उपलब्ध है और इनका +इस्तेमाल चारों ओर बागवानी आंदोलन को +बढावा देकर किया जा सकता है। इसमें +छतों पर बागवानी और खाली पड़ी जमीनों +पर टमाटर, प्याज, मिर्च और खाने-पाने से +जुड़े जरूरी पौधे शामिल कर सकते हैं। +इससे दोहरा फायदा होगा-एक तो कीमतों +में स्थिरता आएगी और दूसरे टिकाऊ पोषण +सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा। +तटीय इलाकों की समृद्द्धि के लिए खेती +भारत में तकरीबन 8,000 किलोमीटर +में तटीय इलाके फैले हुए हैं और समुद्री +पानी वाली खेती के बडे मौके हैं। यह खेती +फिलहाल मुख्य रूप से केरल के कुट्टनाद +इलाके में की जाती है। दोनों फसलों ओर +मछली पालन दोनों को समुद्री पानी वाले +एग्रोफॉरेस्ट सिस्टम में शामिल किया जा +सकता है। वैश्विक स्तर पर 97 फीसदी +पानी समुद्री जल है और भारत को यह +दिखाने में अगुवा बनना चाहिए कि किस +तरह से कई फसलों की खेती में समुद्री +पानी का इस्तेमाल किया जा सकता है। +इससे तटीय खेती के किसानों की आय +बढ़ेगी और इसे सुनामी जैसे आपदाओं का +सामना करने के लिए बेहतर तरीके से +तैयार किया जा सकेगा। समुद्री पानी से +जुड़ी खेती और समुद्री स्तर के नीचे वाली +खेती के लिए तकनीक एम एस स्वामीनाथन +शोध फाउंडेशन के पास उपलब्ध है। यह +फाउंडेशन इस क्षेत्र में प्रशिक्षण और क्षमता +निर्माण के काम को अंजाम देगा। इस + + + +लेखक एम.एस. स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष हैं। इन्हें आर्थिक पारस्थितिकी का जनक कहा जाता है। ये यूएन साइंस एडवाइजूरी समिति के +अध्यक्ष, एफएओ काउंसिल के स्वतंत्र अध्यक्ष, किसान विषयक राष्ट्रीय समिति के अध्यक्ष व अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्था, फिलिपिन्स के महानिदेशक जैसे +कई राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय समितियों में विभिन्न पदों पर कार्य कर चुके हैं। इन्हें सामुदायिक नेतृत्व के लिए रैमन मैग्सेसे, 1987 में पहला विश्व खान पान पुरस्कार, +यूनेस्को का महात्मा गांधी पुरस्कार सरीखे कई सम्मान प्राप्त हुए हैं। इन्हें पद्मश्री (1967), पद्मभूषण (1972) व पद्म विभूषण (1989) से भी सम्मानित किया जा +चुका है। प्रो. स्वामीनाथन रॉयल सोसायटी ऑफ लन्दन और यूएस नेशनल एकैडमी ऑफ साइन्सेजू समेत भारत व विश्व के कई सारे प्रमुख वेज्ञानिक अकादमियों + +के सदस्य हैं। ईमेल: swami@mssrf.res.in + +योजना, मार्च 2018 + +17 + + + +0018.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +कार्यक्रम में मैनग्रोव के संरक्षण और नमक +बर्दाश्त करने वाली बाकी प्रजातियों का +संरक्षण शामिल है। इस मकसद के लिए +हेलफाइट का जैविक बगीचा तैयार किया +गया है। +मोटे अनाज का राष्ट्रीय वर्ष + +भारत सरकार ने 2018 को मोटे अनाज +का राष्ट्रीय साल घोषित किया है। समई, +Ra, केजवरागू, कंबू और कुछ अन्य +मोटे अनाजों की खेती में तमिलनाडु अगुवा +राज्य है। कोलली की पहाडियों में इस तरह + + + +समानता बढ़ाने में अगुवा राज्य हो जाएगा। +पशुपालन और मछली पालन + +किसान क्रेडिट कार्ड न सिर्फ फसलों +की खेती से जुड़े लोगों को बल्कि मछली +पालन, पोल्ट्री और समुद्री खेती को बढ़ावा +देने के लिए भी मुहैया कराए जाने चाहिए। +बकरी-भेडु पालन और पोल्ट्री उत्पादों जैसे +कामों से किसानों की अतिरिक्त आमदनी +में पर्याप्त बढ़ोतती हो सकती है। इससे ऐसे +सीजन में मछुआरा परिवारों कौ आमदनी +बढ़ाने में भी मदद मिल सकती है, जब + + + +के मोटे अनाजों के लिए पर्याप्त जर्मप्लाज्म +हैं। लिहाजा, मोटे अनाजों के संरक्षण के +लिए जैव घाटी को तैयार करना उपयोगी +होगा। यह न सिर्फ कोल्ली की पहाडियों को +कवर करेगी बल्कि इससे नमक्कल, सलेम +आदि इलाके इसके दायरे में आएंगे। यहां +फिर से तमिलनाडु मोटे अनाजों के पोषक +और पारिस्थिक मूल्यों के प्रदर्शन में अगुवा +बनेगा। इस तरह के कार्यक्रम में कई तरह +के छोटे खाद्य उद्योग भी होने चाहिए, जो +नाश्ते से जुडे प्रसंस्करित मोटे अनाजों की +व्यापक किस्मों पर आधारित हें। +कृषि के क्षेत्र में महिलाओं का +सशक्तीकरण +मैं एक बिल की कॉपी के बारे में +बता रहा हूं, जिसे मैंने कृषि में महिलाओं +के प्रौद्योगिकी सशक्तीकरण के मकसद +से पेश किया था। खेती में महिलाओं के +सशकतीकरण के लिए इसके कुछ फीचर्स +तमिलनाडु कानून में शामिल किए जा सकते +हैं। तमिलनाडु फिर से खेती में लैंगिक + +18 + +पुनरुत्पादन को बढ़ावा देने के लिए मछली +पकड़ने पर रोक है। +चआवल जैव पार्क + +यह पार्क किसानों को यह दिखाएगा +कि बायोमास उपयोग के जरिये किस तरह +से उनकी आमदनी में बढ़ोतरी की जाए। +लिहाजा, चावल के पुआल, भुस्सी और +दानों से मूल्य संवर्द्धित उत्पाद तैयार किए +जाएंगे। दालों के मामले में भी इस तरह + +नेशनल ज्यॉग्राफिक मैगजीन +(फरवरी 2018) के हालिया अंक +में एक सवाल उठा है- चीन को +कौन खिलाएगा।' हमें यह भी सवाल +पूछना है, भारत को कौन खिलाएगा | +दरअसल, हमें कम से कम जमीन से +ज्यादा से ज्यादा लोगों के लिए भोजन +का इंतजाम करना है। मौजूदा बजट ने +इस असमानता को दूर करने के लिए +प्रक्रिया शुरू कर दी है। + +के जैवपार्क तैयार किए जा सकते हैं। इससे +किसानों को बायोमास के हर हिस्से से +आमदनी और रोजगार हासिल करने में मदद +मिलेगी। +पर्यावरण के हिसाब से खुद को ढालना + +कम से कम हर प्रखंड स्तर पर +पर्यावरण जोखिम प्रबंधन से जुड़े शोध और +विकास के केंद्र तैयार करना जरूरी है। +इस तरह के केंद्रों को प्रशिक्षत पर्यावरण +जोखिम प्रबंधकों द्वारा मदद दी जानी चाहिए +और इसमें हर पंचायत से एक महिला और +एक पुरुष होने चाहिए। पर्यावरण में बदलाव +बड़ी आपदा का सबब बन सकता है और +इसके शमन व इसके हिसाब से परिस्थिति +तैयार करने के लिए तत्काल कदम उठाने +की जरूरत है। एमएसएसआरएफ के साथ +प्रशिक्षण मैन्युअल उपलब्ध है, जो प्रशिक्षकों +के प्रशिक्षण अभियान को अंजाम दे सकता +Zl +कृषि स्कूलों की स्थापना + +किसानों के बेहतरीन खेतों में मौजूद +कृषि स्कूलों के जरिये एक किसान से दूसरे +किसान के सीखने की प्रक्रिया शुरू हुई है। +इसी तरह जमीन से जमीन का अभियान +खेती में कौशल से जुड़े काम के फैलाव +की प्रक्रिया को तेज कर सकता है। +पेरी (चौतरफा ) शहरी बागवानी क्रांति + +भारत में शहरीकरण तेजी से बढ़ रहा +है और शहरी इलाकों में खाद्य मुद्रास्फीति +की समस्या मुख्य तौर पर मांग-आपूर्ति में +अंतर से बढ़ रही है। शहरी इलाकों में +सब्जियों और फलों की कीमतों को स्थिर +करने का एक तरीका जरूरी प्रौद्योगिकी +और मार्केटिंग सहयोग मुहैया कराकर पेरी +(चौतरफा)-शहरी बागवानी को बढ़ावा +दिया जाए। मिसाल के तौर पर इजराइल +की तर्ज पर उत्पादन के विकेंद्रीकरण को +कोऑपरेटिव मार्केटिंग के जरिये अंजाम +दिया जा सकता है। शहरी और पेरी-शहरी +“बागवानी क्रांति' उपभोक्ता के लिए +और स्थिर कीमतों का मार्ग प्रशस्त कर +सकती है। साथ ही, हमें खाद्य सामग्री की +गुणवत्ता ऊंची रखने और इसे कौटनाशकों +के अवशेषों से मुक्त रखना भी सुनिश्चित +करना चाहिए। ऐसे में हम ऊंची गुणवत्ता +वाली और सुरक्षित खाद्य सामग्री के साथ +सप्लाई की स्थिरता सुनिश्चित कर सकते + +योजना, मार्च 2018 + + + +0019.txt +<----------------------------------------------------------------------> +हैं। तमिलनाडु तेजी से शहरीकृत हो रहा +है। शहरी आबादी खासतौर पर फल और +सब्जियों की मांग करती है। लिहाजा, +पेरी-शहरी कृषि कार्यक्रम प्रासंगिक है। + +राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून 2013 जन +वितरण प्रणाली में मोटे अनाजों और बाकी +फसलों को शामिल करने का प्रावधान मुहैया +कराता है। मीडिया की एक हालिया रिपोर्ट +में संकेत दिए गए हैं कि कर्नाटक और +कुछ अन्य राज्यों में रबी और मोटे अनाज +की बुआई के रकबे में अच्छी बढोतरी हो +सकती है। + +इस तरह की फसलों में दिलचस्पी +बहाल करने में वाजिब कीमत और बड़े +पैमाने पर खरीद अहम हैं। कर्नाटक सरकार +ने 1 लाख टन रागी 2000 रुपये प्रति +क्विंटल के हिसाब से खरीदा है। अगर +इसकी खरीद और खपत में तेजी आती है, +तो किसान इसका और उत्पादन करेंगे। 1992 + +हमें यह पक्का करने की जरूरत +है कि खाद्य सुरक्षा कानून और +स्कूल भोजन कार्यक्रम दोनों के तहत +पोषणकारी मोटे अनाजों का पर्याप्त +उपयोग हो सके। साथ ही, सरकार +को इस तरह के फसलों को खराब +दाना' करार देने का चलन बदलना +चआहिए। इन फसलों को पर्यावरण के +लिहाज से स्मार्ट पोषणकारी अनाज' +कहा जाना चाहिए। हमें संयुक्त राष्ट्र में +यह भी प्रस्ताव करना चाहिए कि इस +दशक के एक साल को कम उपयोग +वाला और जैव-सुदृढ़ फसलों का साल +घोषित किया जाए। + +में बड़े पैमाने पर इन पोषक और पर्यावरण +के लिहाज से लचीले फसलों की बडे पैमाने +पर खेती सुनिश्चित करने के लिए हमें बड़ा + + + +से एमएसएसआरएफ तमिलनाडु की कोल्ली +की पहाड़ियों और ओडिशा के कोरापुट में +व्यावसायीकरण के और मौकों के जरिये +छिटपुट मोटे अनाजों की बड़ी रेंज को +बढ़ावा दे रही है। खाद्य सुरक्षा कानून 2013 +में जन वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत +रागी, ज्वार, बाजरा जैसे मोटे अनाजों को +खाद्य बास्केट में शामिल किया गया है। अब +यह पूरी तरह से जाना जाता है कि इस तरह +के मोटे अनाज न सिर्फ पोषणकारी होते हैं +बल्कि पर्यावरण के लिहाज से भी चुस्त हैं +और वे बारिश के बंटवारे के लिहाज से +ज्यादा लचीले हैं। सूखी खेती वाले इलाकों + + + +योजना, मार्च 2018 + +बाजार भी पक्‍का करना पडेगा। सौभाग्य +से रागी, बाजरा, ज्वार और कई अन्य मोटे +अनाजों पर आधारित कई खाद्य प्रसंस्करण +कंपनियों का वजूद सामने आ रहा है। हमें +यह पक्‍का करने की जरूरत है कि खाद्य +सुरक्षा कानून और स्कूल भोजन कार्यक्रम +दोनों के तहत पोषणकारी मोटे अनाजों का +पर्याप्त उपयोग हो सके। साथ ही, सरकार +को इस तरह के फसलों को “खराब दाना' +करार देने का चलन बदलना चाहिए। इन +फसलों को “पर्यावरण के लिहाज से स्मार्ट +पोषणकारी अनाज' कहा जाना चाहिए। हमें +संयुक्त राष्ट्र में यह भी प्रस्ताव करना चाहिए + +कि इस दशक के एक साल को कम +उपयोग वाला और जैव-सुदृढ़ फसलों का +साल घोषित किया जाए। अगला साल दालों +का अंतरराष्ट्रीय साल है और दालें पर्यावरण +के लिहाज से स्मार्ट और प्रोटीन से भरपूर +होती हैं। इस तरह की फसलों की खेती और +खपत के लिए उपयुक्त नीतिगत समर्थन के +जरिये कुपोषित महिलाओं और बच्चों की +सबसे ज्यादा संख्या वाले देश के तौर पर +हमारी पहचान को खत्म करना मुमकिन +होगा। + +एक और तत्काल जरूरत इन 'अनाथ +wan के शोध पर बडे निवेश की +जरूरत है, ताकि उपज की संभावना में +अच्छी-खासी बढोतरी हो सके। ऊंची उपज +और सुनिश्चित मार्केटिंग से छोटे किसानों +के लिए इन फसलों का आकर्षण बढेगा। + +चिंता की एक बात कट चुके फसलों +की कटाई के बाद प्रबंधन की है। फिलहाल, +उत्पादन और कटाई के बाद तकनीकों के +बीच असमानता है, जिससे उत्पादकों और +उपभोक्ताओं दोनों को नुकसान होता है। +इसको ध्यान में रखते हुए खाद्य प्रसंस्करित +उद्योगों की सख्त जरूरत है। खुशकिस्मती +से 2018-19 के बजट में खाद्य सुरक्षा और +खाद्य प्रसंस्करण के लिए. अहम सहयोग +मुहैया कराया गया है। कटाई के बाद की +तकनीक में बड़े निवेश को बढावा देने +के लिए मूल्य संवर्द्धित उत्पादों को तैयार +करना होगा। कोल्ड स्टोरेज और कोल्ड चेन +की जरूरत है। अगर पंजाब और हरियाणा +इलाके में कोल्ड स्टोरेज उपलब्ध होते तो +पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और बिहार में +हालिया आलू संकट को टाला जा सकता +था। मुझे उम्मीद है कि जल्दी खराब होने +वाले कमोडिटीज के संरक्षण में किसानों की +सहभागिता और प्रौद्योगिकी व सरकारी नीति +इस असमानता को दूर करेगी। + +नेशनल ज्यॉग्राफिक मैगजीन (फरवरी +2018) के हालिया अंक में एक सवाल +उठा है- “चीन को कौन खिलाएगा।' हमें +यह भी सवाल पूछना है, 'भारत को कौन +खिलाएगा' दरअसल, हमें कम से कम +जमीन से ज्यादा से ज्यादा लोगों के लिए +भोजन का इंतजाम करना है। मौजूदा बजट +ने इस असमानता को दूर करने के लिए +प्रक्रिया शुरू कर दी हे। QO + +19 + + + +0020.txt +<----------------------------------------------------------------------> +Deserve the Best... + + + + + + + + + +I P है लि कं + +8 + +5 Cc = + +> + +5 5 i + +Pe Jaiswal a oO + +ISO 9001 Certified Rank33rd Rankésth Rank445th Ranksooth | + +Niraj Singh (M.D.) RIT ((०-ण बाण) + +सामान्य | | | | | अध्ययन न RIE MARCH +-- Foundation Batch 12:05 pm + + + +सामान्य अध्ययन 9 () MARCH + +| 71111 21॥[11| है / 1 / ५।| 5:00 pm + +सामान्य अध्ययन Complete Preparation for RAS +Complete Prepration For IAS/PCS + +11m 20 maser. + +8:00 am/5:00 pm + +PE ST + +Complete 52 Tests only 15000/- At all GS World Center + +Magazine & TV Debate | [AS-2018 +Total Test Series ifi Total Total +Test- 10 Snecific Test-12 + + + + + + + + + +Total Test- 20 Tost-10 + +DELHI CENTRE ALLAHABAD CENTRE || LUCKNOW CENTRE JAIPUR CENTRE + +629, Ground Floor, Main Road | GS World House, Stalnly Road, | A-7, Sector-J, Puranlya Chauraha |Hindaun Helghts 57, Shri Gopal Ngr, +Dr. Mukherjee Nagar, Delhi- 09 | Near Traffic Choraha, Allahabad Pel Dee ee 1 ६:01 +Ph.:7042772062/63, 9868365322) Ph.: 0532-2266079, 8726027579 | Ph.: 0522-4003197, 8756450894 | Jalpur Ph. : 9610577789, 9680023570 + +http://www.gsworldias.com| http://facebook.com/gsworld1 || (©}9654349902 + + + +YH-792/2017 + +20 योजना, मार्च 2018 + + + +0021.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +संभावनाशील जिलों का कायाकल्प : एक विकास यात्रा + + + +भारत सरकार ने हाल में +“ससंभावनाशील जिलों के +कायाकल्प' योजना की शुरुआत +की है। भारत छोड़ो आंदोलन +की 75वीं सालगिरह के मौके +पर 9 अगस्त 2017 को +प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग +के जरिये जिला समाहर्ताओं के +साथ संवाद किया और कहा +कि “जब 100 सबसे पिछड़े +जिलों में सामाजिक आर्थिक +हालात सुधरेंगे, तो इससे देश +के सकल विकास को काफी +बढ़ावा मिलेगा।'' इस अभियान +की मुख्य बातों में केंद्र और +राज्य सरकार की योजनाओं +की एकसूत्रता, केंद्र, राज्य +स्तर के प्रभारी अधिकारियों +और डीएम, राज्य के साथ +मिल-जुलकर काम करना, +योजनाओं के समायोजन, रियल +टाइम आंकड़े, जिलों के बीच +प्रतिस्पर्धा और जन आंदोलनों +से प्रेरणा आदि शामिल हैं + +अमिताभ कांत + + + +रत सुदृढ़ विकास के रास्ते +OT पर है। विश्व बैंक, मूडीज +इनवेस्टर. सर्विस आदि +अंतरराष्ट्रीय संस्थानों ने अनुमान जताया है +कि भारत फिर से सबसे तेजी से बढ़ने +वाली अर्थव्यवस्था होगा। व्यापार सुगमता +(ईज ऑफ डुइंग बिजनेस) से जुड़ी विश्व +बैंक की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारत +में इस संबंध में 42 श्रेणियों में अहम +उछाल देखने को मिला है। भारत एकमात्र +ऐसा देश है, जिसने इस मामले में इस कदर +उछाल हासिल किया है। +देश की आर्थिक वृद्धि की संभावनाओं +से जुड़े रुझान जहां सकारात्मक हैं, वहीं +हमारा सामाजिक क्षेत्र विकास की कुछ +चुनौतियों से जूझ रहा है। यूएनडीपी के +मानव विकास सूचकांक, 2016 में भारत +188 देशों की सूची में 131वें पायदान पर +है। इसी तरह, विश्व भूख सूचकांक में 119 +देशों की सूची में यह 100वें स्थान पर है। +राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (एनएफएचएस ) +की हालिया रिपोर्ट में पता चला है कि हर +दो में से एक महिला खून की कमी जैसी +बीमारी से पीड़ित हैं; हर तीन में से एक +बच्चा अल्पविकसित है; प्रत्येक चार में से +एक बच्चा कुपोषित है और हर पांच में से +एक बच्चे को अपनी जान गंवानी पड़ती है। +विभिन्न सर्वेक्षों के नतीजे भी +चुनौतीपूर्ण तस्वीर पेश करते हैं। हालांकि, +अगर आंकडों की तह में जाएं, तो तस्वीर +अलग जान पड़ती है और इन सूचकांकों +के लिहाज से हालात उतने डरावने नहीं हैं +जितने राष्ट्रीय स्तर पर नजर आते हैं। + + + + + + + +मिसाल के तौर अविकसित बच्चों +का प्रतिशत केरल में 19.7 फीसदी और +बिहार में 48.3 फीसदी है, सामान्य से कम +वजन वाले बच्चे मिजोरम में 11.9 फीसदी +और झारखंड में 47.8 फीसदी हैं। इसके +अलावा, नवजात मृत्यु दर अंडमान निकोबार +द्वीप समूह में 10 (प्रति एक हजार) और +उत्तर प्रदेश में 64 है। प्रसूति मृत्यु दर केरल +में हर एक लाख बच्चे पर 61 है, जबकि +असम में यह आंकड़ा 300 है। तमिलनाडु +में पांचवी क्लास का एनएएस स्कोर 56 +फीसदी और छत्तीसगढ़ में 32 फीसदी है। +इसी तरह, पढ़कर समझने के मामले में +तमिलनाडु का आंकड़ा 54 फीसदी और +बिहार का 29 फीसदी रहा। कुल मिलाकर, +देश भर के 200 जिले राष्ट्रीय औसत को +खराब करते हैं। + +आने वाले वक्‍त में जिला स्तर पर +रियल टाइम निगरानी तंत्र के साथ विभिन्न +सरकारी योजनाओं पर मिशनरी अंदाज में +तेजी से अमल से इन महत्वाकांक्षी जिलों +में अहम बदलाव होने की उम्मीद है और +अगले 3-5 साल में देश बेहतर आंकडे का +लक्ष्य हासिल कर सकेगा। + +देश के विभिन्न हिस्सों में आर्थिक +ओर सामाजिक दोनों स्तरों पर विकास के +सूचकांकों में फैली भारी असमानता लंबे +समय यानी 1960 के दशक से ही नीति +निर्माताओं का ध्यान अपनी तरफ खींचती +रही है। इस सिलसिले में पहले जिन जिलों +की पहचान की गई थी, उनमें मुख्य तौर +पर अविभाजित बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर +प्रदेश और राजस्थान के जिले शामिल + + + +लेखक वर्तमान में नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं। वे केरल कैंडर के 1980 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। ब्रेंडिंग इंडिया: एन इनक्रेडिबल स्टोरी के लेखक हें +और गेक-इन इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया, इनक्रेडिबल झडेया व यॉड्स ऑन कंट्री जैसे पहलों के प्रणेता रह चुके हें। इन्होंने टैक्सी ड्राइवर गाइड्स, इमिग्रेशन अधिकारी को प्रशिक्षित +करने के लिए पर्यटन विकास प्रक्रिया में हितधार्क बनाने के लिए. अतिथि देवों भव अभियान की रूपरेखा तैयार की ain ga cratafaa fran Sac: amitabh.kant@nic.in + +योजना, मार्च 2018 + +21 + + + +0022.txt +<----------------------------------------------------------------------> +तालिका 1: संभावनाशील 115 जिलों की सूची + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +राज्य नीति आयोग | मंत्रालय कोटे | गृह मंत्रालय | कुल राज्य नीति आयोग | मंत्रालय कोटे | गृह मंत्रालय | कुल +के देखरेख. | वाले जिले की अगुवाई के देखरेख. | वाले जिले की अगुवाई +वाले जिले वाले जिले वाले जिले वाले जिले +आंध्र प्रदेश 1, विजयनगरम | विशाखापत्तनम | 3 झारखंड 14, गुमला +आंध्र प्रदेश 2, कड़पा झारखंड 15. हजारीबाग +अरुणाचल 1. नमसाई 1 झारखंड 16. खूंटी +प्रदेश कर्नाटक 1. यादगिर 2 +असम 1. दर 1. Secret 7 कर्नाटक 2. राइचूर +असम 2, धुब्री 2, हैलाकंदी केरल 1. वयनाड 1 +असम 3, बारपेटा मध्य प्रदेश 1. दामोह 1. छतरपुर ls | +असम 4, गोलपारा मध्य प्रदेश 2, सिंगरौली 2, राजगढ़ +असम 5. बक्सा मध्य प्रदेश 3. बरवानी 3, गुना +बिहार 1. कटिहार |1. खगड़िया |1. औरंगाबाद | 13 मध्य प्रदेश |+ विदिशा +बिहार 2. बेगूसराय 2, पूर्णिया 2. बांका मध्य प्रदेश > ASA +महाराष्ट्र 1. ननदरबार 1. वाशिम 1, गढ़चिरौली | 4 +बिहार 3. शेखपुरा 3. गया +महाराष्ट्र 2, उस्मानाबाद +बिहार 4. अररिया 4. जमुई < कल +हार mana मणिपुर 1. चंदेल 1 +हार 5. सीताम 5. मुजफ्फरपुर +हार - eS मेघालय 1. रिभोई 1 +हार 6. नवादा +a ae मिजोरम 1. ममित 1 +छत्तीसगढ़ a +- L eRe LAER 10 नागालैंड 1. कैफाइर 1 +छत्तीसगढ़ 2, महासमुंद 2, बीजापुर ओडिशा 1, रायगढ़ +छत्तीसगढ़ 3. दतेवाड़ा 1. कंधमाल | 1. कोरपूट ls | +छत्तीसगढ़ 4. कांकेर ओडिशा 2, कालाहांडी | 2. गजपति 2, मलकानगिरी +छत्तीसगढ़ 5. कोंडागांव ओडिशा 3. ढेकानाल +छत्तीसगढ़ 6. गौरायणपुर ओडिशा 4. बालनगीर +छत्तीसगढ़ 7, राजनांदगांव पंजाब 1. फिरोजपुर +छत्तीसगढ़ 8, सुकमा पंजाब 2. मोगा +गुजरात 1.नर्मदा 2 राजस्थान 1, बारां 1. धौलपुर 5 +गुजरात 2. दाहोद राजस्थान 2, जैसलमेर 2, करौली +हरियाणा 1.मेवात 1 राजस्थान 3. सिरोही +हिमाचल प्रदेश 1.चंबा 1 सिक्किम 1. प. सिक्किम 1 +जम्मू-कश्मीर 1.कुपवाड़ा तमिलनाडु 1. रामनाथपुरम 2 +जम्मू-कश्मीर 2, बारामूला तमिलनाडु 2. विरुद्धानगर +* साहेबगंज तेलंगाना . भूपलपल्ली ee . +झारखंड 1, साहेबागंज | 1. गोड्डा 1. लातेहार 19 Seinen nm 1, भूपलपल्ली 1. खग्मम 3 +- लोहरदग्गा तेलंगाना 2, आसिफाबाद +झारखंड 2. पाकुड 2. लोहरदग्गा +झारखंड 3. पलामू त्रिपुरा 1. धलाई 1 +- पूर्वी सिहभूम उत्तर प्रदेश 1. चित्रकूट 1, चंदौली ls | +झारखंड 4. हभूम +- x हि उत्तर et | 2. बलरामपुर (2. सिद्धार्थनगर +झारखंड 5. रामगढ़ बहराइच +- a उत्तर प्रदेश |3. बहराइच | 3. फतेहपुर +SINGS 6. रांची उत्तर प्रदेश | 4. सोनभद्र +ARGS 7. सिमडेगा उत्तर प्रदेश | 5. श्रावस्ती +आरखड 8. प. सिंहभूम उत्तराखंड 1. हरिद्वार 2 +झारखड 9. बोकारो उत्तराखंड 2. उधमसिंहनगर +झारखंड 10. चतरा पश्चिम बंगाल | 1. मुर्शिदाबाद | 1. नदिया 5 +झारखंड 11. दुमका पश्चिम बंगाल | 2, मालदा 2. द. दिनाजपुर +झारखंड 12, गढ़वा पश्चिम बंगाल | 3. बीरभूम +झारखंड 13. गिरिडीह कुल 30 [sos 35 115 +22 योजना, मार्च 2018 + + + + + +0023.txt +<----------------------------------------------------------------------> +तालिका 2: संभावनाशील जिलों में शिक्षा संबंधी सूचकांक + + + + + + + + + + + +क्र | सूचकांक शिक्षा | कंपोजिट._ | स्रोत/अवधि (सभी सूचकांकों की सर्वे के +सूचकांक | इंडेक्स जरिये पुष्टि करनी होगी ) +में में कुल +ante | हिस्सेदारी +1 | एनईआर (ए) प्रारंभिक स्तर 14 4.2 मानव संसाधन विकास मंत्रालय-यूडीआईएसई/ +सालाना +(बी) माध्यमिक स्तर नि 1.8 मानव संसाधन विकास मंत्रालय-यूडीआईएसई/ +सालाना +2 शौचालय की सुविधा: प्रतिशत स्कूल लड़कियों | 5 1.5 सर्वे/सालाना +के लिए शौचालय के साथ +3 | सीखने का स्तर (सभी, लड़के, लड़कियां, 50 15 आकस्मिक सैंपल के जरिये चुने गए स्कूलों में +अनुसूचित जाति, जनजाति, अल्पसंख्यक ) थर्ड पार्टी द्वार मासिक आधार पर टेस्ट + +(ए) कक्षा 3 में गणित का प्रदर्शन +(बी) कक्षा 3 में भाषा का प्रदर्शन +(सी) कक्षा 5 में गणित का प्रदर्शन +(डी) कक्षा 5 में भाषा का प्रदर्शन +(ई) कक्षा 8 में गणित का प्रदर्शन +(एफ) कक्षा 8 में भाषा का प्रदर्शन + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +4 | महिला साक्षरता दर (15+ आयु वर्ग) [8 | 2.4 सर्वे/तिमाही +5 | aM के पानी (चालू) की सुविधा वाले स्कूलों [4 1.2 संबंधित अधिकारी-डीसी/मासिक्‌ सर्वे/तिमाही +का प्रतिशत +| माध्यमिक स्तर पर चालू अवस्था में बिजली की |1 0.3 संबंधित अधिकारी-डीसी/मासिक्‌ सर्वे/तिमाही +सुविधा वाले स्कूलों का प्रतिशत +7 | आरटीई के तहत तय शिक्षक-छात्र अनुपात का का 2.4 संबंधित अफसर-डीसी/मानव संसाधन विकास +पालन करने वाले प्राथमिक स्कूलों का प्रतिशत मंत्रालय द्वारा मासिक पुष्टि करनी होगी +है अकादमिक सत्र शुरू होने के 3 महीने के 4 1.2 मानव संसाधन विकास मंत्रालय/सालाना +भीतर बच्चों को पाठ्य पुस्तक मुहैया कराने वाले +स्कूलों का प्रतिशत +कुल 100 30 प्रतिशत +प्रतिशत + + + + + +आरेख 1: महत्वाकांक्षी जिलों में विकास के आकलन के लिए सूचकांक +( नीति आयोग ) + +बुनियादी अवसंरचना 10 प्रतिशत + +वित्तीय समग्रता और कौशल विकास 10 प्रतिशत _.- स्वास्थ्य और पोषण 30 प्रतिशत + +कृषि और जल संसाधन 20 प्रतिशत 5 + + + +शिक्षा 30 प्रतिशत + +ह स्वास्थ्य ओर पोषण हा शिक्षा हि कृषि ओर जल संसाधन +झ वित्तीय समग्रता ओर कौशल विकास हब बुनियादी अवसंरचना + + + + + + + +योजना, मार्च 2018 + + + +0024.txt +<----------------------------------------------------------------------> +तालिका 3: संभावनाशील जिलों में स्वास्थ्य और पोषण संबंधी सूचकांक + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +क्र. | सूचकांक स्वास्थ्य. | कुल स्रोत८/अवधि ( सभी सूचकांकों की सर्वे +और कंपोजिट | के जरिये पुष्टि करनी होगी ) +पोषण . | सूचकांक +सूचकांक | में +में भारांक | हिस्सेदारी +1 प्रसव पूर्व देखभाल के लिए रजिस्टर्ड कुल गर्भवती महिलाओं में 2.4 हेल्‍थ मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम +प्रसव से पहले 4 या ज्यादा बार चेक अप की सुविधा हासिल करने (एचएमआईएस) , स्वास्थ्य और परिवार +वाली महिलाओं का प्रतिशत कल्याण मंत्रालय 2016-17/मासिक +2 आईसीडीएस कार्यक्रम के तहत नियमित तौर पर अतिरिक्त पोषण 3 ee जिला कलक्टर (डीसी)धमासिक +लेने वाली गर्भवती महिलाओं का प्रतिशत +3 प्रसव पूर्व देखभाल के लिए रजिस्टर्ड कुल महिलाओं की संख्या में नि 2.7 एचएमआईएस/मासिक +सख्त एनीमिया से पीडित गर्भवती महिलाओं का प्रतिशत +4 कुल डिलीवरी में संस्थागत डिलीवरी का प्रतिशत 7 2.1 एचएमआईएस/मासिक +5 कुल डिलीवरी में बच्चा पैदा करने में भूमिका निभाने वाली प्रशिक्षित | 3 एचएमआईएस/मासिक +स्वास्थ्यकर्मी के जरिये घर में हुई डिलीवरी का प्रतिशत +| जन्म के एक घंटा के भीतर स्तनपान कराए जाने वाले नवजातों का | 10 3.0 एचएमआईएस/मासिक +प्रतिशत +7 5 साल से कम के कम वजन वाले बच्चों का प्रतिशत 7 2.1 सर्वे +|8 | 5 साल से कम के अविकिसित बच्चों का प्रतिशत ls | 2.4 सर्वे +lo | सख्त कुपोषण 5 1.5 सर्वे +10 | पर्याप्त भोजन (स्तनपान पूरक आहार) हासिल करने वाले 6-23 5 1.5 सर्वे +महीने के नवजातों का प्रतिशत +11 पूरी तरह से टीका लगाए जाने वाले (9-11 महीना) बच्चों का 10 3.0 एचएमआईएस/मासिक +प्रतिशत (बीसीजीडीपीटी३ओपीवी3मीजल्स।1 ) +12 | प्रति 1,00,00 आबादी पर टीबी के पाए गए मामले 5 1.5 डीसी/आरएनटीसीपी एमआईएस/मासिक +13 | स्वास्थ्य अवसंरचना सूचकांक 20 60. | +13ए | हेल्‍थ और वेलनेस सेंटर (एचडब्ल्यूसी) में बदले गए उपकेंद्रों/ eo 1.8 डीसी +पीएचसी का अनुपात +Bat | भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य स्तरों के अनुकूल मौजूद प्राथमिक 5 1.5 एचएमआईएस/मासिक +स्वास्थ्य केंद्रों का अनुपात +13सी | हर 5 लाख की आबादी पर 1 (पहाड़ी इलाकों में 30,000 पर 1) |3 एचएमआईएस/मासिक +के नियम को लेकर काम कर रहे एफआरयू (फर्स्ट रेफरल यूनिट्स) +का अनुपात +13डी | आईपीएचएस नियमों के मुताबिक जिला अस्पतालों में उपलब्ध 2 ee एचएमआईएस/मासिक +स्पेशल सेवाओं का अनुपात +13ई | पिछले एक महीने में आंगनवाड़ी केंद्रों/यूपीएचसी द्वारा कम से कम |2 ता एचएमआईएस/मासिक +एक बार ग्रामीण स्वास्थ्य सफाई और पोषण दिवस/शहरी स्वास्थ्य +सफाई और पोषण दिवस मनाए जाने का प्रतिशत +13एफ | अपनी बिल्डिंग वाली आंगनवाड़ी की हिस्सेदारी 2 [0.6 | संबंधित अधिकारी- डीसी/मसिक +कुल 100 30 +प्रतिशत | प्रतिशत + + + + + + + +* राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे 2015-16 + +# हेल्‍थ मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय 2016-17 +$ सर्वश्रेष्ठ जिले का संकेत करने के लिए अनीमिया से संबंधित आंकड़े काल्पनिक रूप से लिये गये हैं +“ आरएनटीसीपी सालाना रिपोर्ट 2017 + +24 + +योजना, मार्च 2018 + + + +0025.txt +<----------------------------------------------------------------------> +तालिका 4: संभावनाशील जिलों में कृषि और जल संसाधन संबंधी सूचकांक + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +क्र, सूचकांक कृषि कुल कंपोजिट.. | स्रोत/अवधि ( सभी +सूचकांक में | सूचकांक में सूचकांकों की सर्वे के +भारांक हिस्सेदारी जरिये पुष्टि करनी होगी ) +1 पानी से जुड़ा पॉजिटिव निवेश और रोजगार 30 6. [| +1(ए) |1 (ए) लघु सिंचाई के तहत बुआई के शुद्ध रकबे का | 17.5 3.5 संबंधित अधिकारी, डीसी +प्रतिशत और सर्वे/मासिक +1(बी) |1 (बी) मनरेगा के तहत जीर्णोद्धार की गई जल 12,5 2.5 संबंधित अधिकारी, डीसी +इकाइयों में बढ़ोतरी, प्रतिशत में और सर्वे/छमाही +2 'फसल बीमा-प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना 15 3 संबंधित अधिकारी, डीसी +(पीएमएफबीवाई ) के तहत बुआई के शुद्ध रकवे का और सर्वे/छमाही +प्रतिशत +3 अहम इनपुट के इस्तेमाल और आपूर्ति में बढ़ोतरी 17.5 3.5 +3 (ए) |3 (ए) कृषि ऋण में बढ़ोतरी, प्रतिशत में 7.5 1.5 संबंधित अधिकारी, डीसी +और सर्वे/मासिक +3(बी) |3 (बी) सर्टिफाइड क्वॉलिटी वाले बीजों का बंटवारा | 7.5 1.5 संबंधित अधिकारी, डीसी +और सर्वे/छमाही +3(सी) |3 (सी) खाद के इस्तेमाल में बढ़ोतरी 2.5 0.5 संबंधित अधिकारी, डीसी/ +तिमाही +4 मंडी जिले में ई-नेम से लिंक्ड लेनदेन की संख्या 10 2 संबंधित अधिकारी, डीसी, +सर्वे/भासिक +5 कीमतें हासिल होने में प्रतिशत बदलाव (फार्म हार्वस्ट |5 1 संबंधित अधिकारी, डीसी +प्राइस (एचएफपी) और न्यूनतम समर्थन मूल्य और सर्वे/छमाही +(एमएसपी) के बीच के अंतर के तौर पर पारिभाषित) +| जिले में बुआई के कुल क्षेत्र में ऊंची कीमत वाले 2.5 0.5 संबंधित अधिकारी, डीसी/ +फसलों का हिस्सा, प्रतिशत में छमाही +7 चावल और गेहूं की कृषि उत्पादकता 5 1 संबंधित अधिकारी, डीसी +और सर्वे/छमाही +््ँ टीकाकरण वाले पशुओं का प्रतिशत 7.5 1.5 संबंधित अधिकारी- डीसी/ +तिमाही +सं कृत्रिम बीजारोपण कवरेज 5 1 संबंधित अधिकारी, डीसी, +सर्वे/भासिक +10 पहले चरण की तुलना में दूसरे चरण में बांटे गए 2.5 0.5 संबंधित अधिकारी, डीसी/ +सॉयल हेल्‍थ का्ड्स की संख्या मासिक +कुल 100 प्रतिशत | 20 प्रतिशत + + + + + + + + + + + +थे। कमेटियों की प्रत्येक सिफारिश के +परिणामस्वरूप कार्यक्रम/योजना की शुरुआत +हुई, जो सेक्टर या इलाका आधारित थे। +एकसूत्रता और केंद्रीकृत निगरानी तंत्र की +कमी थी। रिपोर्टों की मानें तो जो आवंटन +किए गए, उनमें से महज छोटा हिस्सा इन +जिलों में पहुंचा। भरोसेमंद और रियल टाइम +(त्वरित) आंकड़ा भी बड़ी चुनौती थी। + +योजना, मार्च 2018 + +नीति निर्माण के साथ एक और दिक्कत +“हर मामले में एक जैसा समाधान पेश +ae’ की भी दिक्कत थी। भौगोलिक, +सांस्कृतिक और मान्यताओं के लिहाज से +व्यापक विभिन्नता वाले इस देश में दिक्कतों +का हल नीतिगत सुझावों के कुल दायरे +में मामला-दर-मामला आधार पर ही हो +सकता है। बहरहाल, पोलियो उन्मूलन जैसे + +सफल अभियानों को ध्यान में रखते हुए +कहा जा सकता है कि लोगों की भागीदारी +के बिना इन पिछडे जिलों में बड़ा बदलाव +मुमकिन नहीं होगा। दूसरे शब्दों में कहें तो +जन आंदोलन के जरिये ही अहम बदलाव +मुमकिन है। + +विकास की यात्रा में सीखे गए सबक +को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने हाल + +25 + + + +0026.txt +<----------------------------------------------------------------------> +तालिका 5: संभावनाशील जिलों में बुनियादी अवसंरचना संबंधी सूचकांक + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +क्र. |सूचकांक बेसिक कुल सत्रोत८/अवधि ( सभी +अवसंरचना | कंपोजिट_ |सूचकांकों की सर्वे के +सूचकांक में | सूचकांक में | जरिये पुष्टि करनी होगी) +भारांक हिस्सेदारी +1 बिजली के कनेक्शन वाले घरों का प्रतिशत 20 2 संबंधित अधिकारी-डीसी +और सर्वे/मासिक +2 | इंटरनेट के कनेक्शन वाले घरों का प्रतिशत 5 0.5 संबंधित अधिकारी-डीसी +और सर्वे/मासिक +3 13 किलोमीटर के दायेर में सभी मौसम वाली सडकों से संपर्क 15 1.5 संबंधित अधिकारी-डीसी +वाले घरों का प्रतिशत और सर्वे/मासिक +4 | निजी घरेलू शौचालय वाले घरों का प्रतिशत 15 1.5 संबंधित अधिकारी-डीसी +और सर्वे/मासिक +5 हल पर्याप्त मात्रा में पीने लायक पानी की सुविधा वाले घरों का 20 2 संबंधित अधिकारी-डीसी +प्रतिशत- गांवों में 40 एलपीसीडी पीने का पानी और शहरी और सर्वे/मासिक +इलाकों में 135 एलपीसीडी (घर के 100 मीटर या ऊंचे स्थान के +10 मीटर के अंदर) +| कवरेज/ग्राम पंचायत स्तर पर कॉमन सर्विस सेंटर की स्थापना 5 0.5 संबंधित अधिकारी-डीसी +और सर्वे/मासिक +7 | वैसे लोगों के लिए बनाए गए पक्के घर, जो आश्रयविहीन हैं या |20 2 संबंधित अधिकारी-डीसी +कच्ची दीवार या छत वाला एक या दो रूम हे और सर्वे/मासिक +कुल 100 प्रतिशत | 10 प्रतिशत + + + + + + + + + + + +में 'संभावनाशील जिलों के कायाकल्प' +योजना की शुरुआत की है। भारत छोड़ो +आंदोलन की 75वीं सालगिरह के मौके पर +9 अगस्त 2017 को प्रधानमंत्री ने वीडियो +कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये जिला समाहर्ताओं के +साथ संवाद किया और कहा कि “जब +100 सबसे पिछडे जिलों में सामाजिक +आर्थिक हालात सुधरेंगे, तो इससे देश +के सकल विकास को काफी बढ़ावा +मिलेगा।'” इस अभियान की मुख्य बातों +में केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं +की एकसूत्रता, केंद्र, राज्य स्तर के प्रभारी +अधिकारियों और डीएम, राज्य के साथ +मिल-जुलकर काम करना, योजनाओं के +समायोजन, रियल टाइम आंकडे, जिलों +के बीच प्रतिस्पर्धा और जन आंदोलनों से +प्रेरणा आदि शामिल हैं। + +कुल 115 जिलों की पहचान की गई +है। इसके तहत 28 यानी सभी राज्यों में +कम से कम एक जिले को इसमें शामिल +किया गया है। 30 जिलों का चुनाव नीति +आयोग ने किया है और बाकी 50 जिलों +का चुनाव केंद्रीय मंत्रालयों द्वारा किया + +26 + +गया है। इन जिलों का चुनाव उपलब्ध +प्रकाशित सरकारी आंकड़ों और राज्यों की +जांच पड़ताल के बाद तैयार मापदंडों का +इस्तेमाल कर किया गया है। बाकी 35 +जिलों की पहचान गृह मंत्रालय ने वामपंथी +चरमपंथ से प्रभावित जिलों के तौर पर की +है। नीति आयोग इस कार्यक्रम के संचालक +की भूमिका में होगा। जिले का चुनाव करते +वक्‍त राज्यों की क्षमता को भी ध्यान में रखा +गया, क्योंकि कार्यक्रम राज्य सरकारों द्वारा +चलाए जाएंगे। इन जिलों को 2022 तक +अहम मापदंडों पर सुधारने के लिए पुरजोर +कोशिशों की खातिर केंद्र सरकार राज्यों को +सहयोग करेगी। नीति आयोग मदद के तौर +पर समन्वय का काम करेगा और इन जिलों +में प्रदर्श आंकने के लिए मजबूत सिस्टम +(एमआईएस) भी तैयार करेगा। + +इन जिलों के कायाकल्प की रणनीति +का एक मुख्य बिंदु चुनिंदा अहम प्रदर्शन +सूचकांकों (केपीआई) की पहचान करना +है, इन सूचकांकों में की गई प्रगति की +निगरानी करना और विकास में बढोतरी +के आधार पर सालाना रैंकिंग बनाना है। + +इस कार्यक्रम का मुख्य मकसद संबंधित +जिलों में सामाजिक सूचकांकों को सुधार +कर जीवन स्तर और बुनियादी ढांचा बेहतर +करना और नागरिकों की आमदनी का स्तर +भी बढ़ाना है। इसी हिसाब से पांच सेक्टरों +की पहचान की गई हेै-स्वास्थ्य और पोषण, +शिक्षा, कृषि और जल संसाधन, बुनियादी +ढांचा और वित्तीय समग्रता तथा कौशल +निर्माण। अवसरों में व्यापक विभिन्नता और +किसी जिले की तरफ से पेश चुनौतियों के +मद्देनजर खास जिले को ध्यान में रखते हुए +आदर्श केपीआई का चुनाव किया गया है, +जो जिले के कायाकल्प या अहम बदलाव में +तमाम पक्षों की प्रतिबद्धताओं और कोशिशों +को समेटता है। ये केपीआई इन सभी पांच +क्षेत्रों में इनपुट, आउटपुट और नतीजों का +मिला-जुला रूप होंगे और रियल टाइम +आधार पर आंकडे जिला स्तर पर मुहैया +कराए जाएंगे। स्वास्थ्य और पोषण से जुड़े +केपीआई में मां और बच्चे का स्वास्थ्य; +नवजात पोषण; प्रसव पूर्व देखभाल और +पोषण; प्रतिरक्षा; स्वास्थ्य के लिए अन्य +ढांचा और मानव संसाधन शामिल हैं। शिक्षा + +योजना, मार्च 2018 + + + +0027.txt +<----------------------------------------------------------------------> +तालिका 6: संभावनाशील जिलों में वित्तीय समावेशन और कौशल निर्माण संबंधी सूचकांक + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +. | सूचकांक वित्तीय कुल स्त्रोत/अवधि ( सभी सूचकांकों की +समावेशन | कंपोजिट |सर्वे के जरिये पुष्टि करनी होगी ) +सूचकांक में | इंडेक्स में +भारांक हिस्सेदारी + +वित्तीय समावेशन +हर एक लाख आबादी पर मुद्रा लोन का कुल भुगतान 20 1 वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस)/ +(रुपये में) मासिक +प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई ) : | 20 1 डीएफएस/मासिक +प्रति एक लाख आबादी पर नामाकंन की संख्या +प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीवाई ) : प्रति एक | 20 1 डीएफएस/मासिक +लाख आबादी पर नामांकन की संख्या +अटल पेंशन योजना (एपीवाई): प्रति एक लाख आबादी ।|20 1 डीएफएस/मासिक +पर लाभार्थियों की संख्या +कुल बैंकिंग खातों में आधार से लिंक्ड खातों का प्रतिशत | 20 1 डीएफएस/मासिक +कुल 100 प्रतिशत | 5 प्रतिशत +कौशल निर्माण +छोटी अवधि और लंबी अवधि के प्रशिक्षण योजनाओं में. | 25 1.25 कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय +सर्टिफाइड युवाओं की संख्या//5-29” आयु वर्ग में जिले (एमएसडीई) और लाइन मंत्रालय/ +में युवाओं की संख्या मासिक +रोजगाररु पा चुके सर्टिफाइड युवाओं की संख्या/छोटी 15 0.75 एमएसडीई और लाइन मंत्रालय/मासिक +अवधि और लंबी अवधि प्रशिक्षण के तहत प्रशिक्षित +युवाओं की संख्या +पूरा करने वाले प्रशिक्षुओं की संख्या/पोर्टल पर रजिस्टर्ड | 25 1.25 प्रशिक्षण निदेशालय (डीजीटी )/मासिक +प्रशिक्षुओं की कुल संख्या +पहले सीखने की पहचान के तहत सर्टिफाइड लोगों की | 25 1.25 एमएसडीई और राष्ट्रीय कौशल विकास +संख्या/अनौपचारिक तौर पर कुशल कार्यबल'' निगम (एनएसडीसी)/मासिक +छोटी अवधि और लंबी अवधि के प्रशिक्षण के तहत 10 0.5 एमएसडीई और एनएसडीसी/मासिक +प्रशिक्षित कमजोर/हाशिए पर मौजूद युवाओं की संख्या +(ए) महिला- सर्टिफाइड प्रशिक्षित, +बी) अनुसूचित जाति- सर्टिफाइड प्रशिक्षित +सी) अनुसूचित जनजाति- सर्टिफाइड प्रशिक्षित +डी) ओबीसी- सर्टिफाइड प्रशिक्षित +ई) अल्पसंख्यक- सर्टिफाइड प्रशिक्षित +एफ) दिव्यांग- सर्टिफाइड प्रशिक्षित )/सर्टिफाइड प्रशिक्षित +युवाओं की कुल संख्या +कुल 100 प्रतिशत | 5 प्रतिशत + + + + + +* यहां सिर्फ पीएमकेवीवाई के आंकड़ों (2016-20) का हवाला दिया गया है। + +*The data नीति आयोग द्वारा 'जिले में 15-29 आयु वर्ग में युवाओं की संख्या' के आंकड़े का इस्तेमाल उसी स्त्रोत से किया जाएगा, जिससे बाकी मापदंडों के आकलन +के लिए उपयोग किया जाता है। + +**अनौपचारिक कौशल वाले कार्यबल के आंकड़े का अनुमान एनएसएसओ 2011-12 ईयूएस सर्वे और जनगणना 2011 के जरिये पेश किया गया है। + +योजना, मार्च 2018 27 + + + +0028.txt +<----------------------------------------------------------------------> +केपीआई के तहत शुद्ध नामांकन अनुपात; भौतिक बुनियादी +ढांचा; सीखने संबंधी नतीजे; साक्षता दर और आरटीआई का +अनुपालन आते हैं। कृषि केपीआई में पानी से जुड़ा निवेश और +रोजगार; प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत फसलों की +बीमा, अहम इनपुट इस्तेमाल और सप्लाई शामिल हैं। बुनियादी +ढांचा में सड़क, पानी, शौचालय, आवास, बिजली और इंटरनेट +कनेक्शन हैं। इसके अलावा दो एजेंसियां (टाटा ट्रस्ट और बिल +और मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन) आकस्मिक सैंपल तकनीक का +इस्तेमाल कर तिमाही आधार पर घरों का सर्व करेंगे। + +इस कार्यक्रम की एक उल्लेखनीय व नई चीज में अतिरिक्त/ +संयुक्त सचिव के स्तर पर प्रभारा और नोडल अफसर के तौर +पर केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारियों की भर्ती शामिल हैं। +ये अधिकारी अपने अनुभव के कारण न सिर्फ जिला प्रशासन +को निर्देश देने के लिए फिट हैं, बल्कि इनमें जिले ओऔर राज्य व +केंद्र सरकार के बीच पुल की तरह काम करने की भी संभावना +भी है। जिला स्तर पर अहम अधिकारी डीएम होंगे। सचिवों +की अधिकार प्राप्त कमेटी इस कार्यक्रम के अमल की निगरानी +करेगी और जिला स्तरीय टीम द्वारा इन जिलों में हासिल अनुभव +के आधार पर नीति स्तर पर जरूरी बदलाव करेगी। इसी तरह, +राज्यों में मुख्य सचिव, योजना/वित्त सचिव वाली टीम कार्यक्रम +के अमल पर नजर रखेगी और राज्य स्तर पर जरूरी नीतिगत +कदम उठाएगी। + +जिला स्तरीय टीम अलग-अलग सूचकांकों के मौजूदा हालात +की शुरुआती रिपोर्ट तैयार करेगी और उपलब्ध संसाधनों के +आधार पर सालाना लक्ष्य भी पेश करेगी, ताकि 2022 तक +संबंधित जिला हर सूचकांक के मामले में अपेक्षित स्तर हासिल +कर ले। केंद्र सरकार का प्रतिनिधि कम से कम दो महीने में +एक बार जिले का दौरा करेगा और नीति आयोग के लिए रिपोर्ट +भी तैयार करेगा। आयोग रिपोर्ट का विश्लेषण कर मामले को +विचार-विमर्श के लिए सचिवों की अधिकार प्राप्त समिति के +पास पेश करेगा। + +कुल 115 जिलों में नीति आयोग 30 जिलों का संचालन +करेगा, 35 जिलों की अगुवाई गृह मंत्रालय के हाथों में होगी और +बाकी 55 जिले स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय; महिला +ओर बाल विकास; पंचायत राज; कृषि और किसान कल्याण; +मानव संसाधन विकास, आवास और शहरी मामले; पेयजल और +सफाई; जल संसाधन; ऊर्जा; सामाजिक न्याय और जनजातीय +मामले जैसे मंत्रालयों के बीच बांटे गए हैं। + +बुनियादी आंकड़े जुटाने और रियल टाइम निगरानी का +काम 1 अप्रैल 2018 से शुरू होने की उम्मीद हे। इससे इन +संभावनाशील जिलों के लोगों का स्तर सुधारने के लिए राज्यों +के बीच प्रतिस्पर्धा भी तेज होगी। पिछडे जिलों का कायाकल्प +करना कोई अलग तरह का आइडिया नहीं है, लेकिन सरकार +इसे अलग तरीके से लागू कर रही है। जैसा कि कहा गया है- +“जीतने वाले कुछ अलग काम नहीं करते हैं, वे काम को अलग +तरीके से करते हैं””, इन जिलों के कायाकल्प में यह कहावत +अहम साबित होगी। Q + + + +28 + + + +हॉतल्िज्लास्य + + + + + +$ + +IAS + +रजनीश राज + + + + + +| 0 वाली #|॥्वाएा +9:30AM| # 6:30PM + + + + + +जय व्यायाना + +Score Booster Programme (mac yt A are +Preparation through Test [7g 30411, 1 |: +(11 Weekly Test) Starts From + +SS + + + +Online Classes available @ +www.neostencil.com/sihantaias + +Pe Uae ee Om mR है है ।। 140 ceca हि +Ph:011-42875012 © 8743045487 + + + +योजना, मार्च 2018 + +YH-794/2017 + + + +0029.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +यहां यह महसूस करना +महत्वपूर्ण है कि 1991 से +ही सीमा शुल्क में कमी की +जाती रही है, लेकिन घरेलू +विनिर्माण को बढ़ावा देने +के लिए इस पर पुनर्विच्चार +किये जाने की अब भी +जरूरत है। ये अधिक सूक्ष्म +रुख के सूचकांक हैं। +हरसंभव प्रयास के बावजूद , +ये शुल्क डब्ल्यूटीओ की +ओर से निर्धारित 25 और +40 प्रतिशत की दर के +दायरे में ही हैं। इस कदम +की आलोचना भी हुई है, +क्योंकि कुछ विशेषज्ञों ने इसे +दमनकारी बताया है। क्‍या +इससे यह संदेश जायेगा कि +भारतीय उद्योग वैश्विक स्तर +पर प्रतिर्स्पधात्मक होने के +बजाय संरक्षण चाहता है + + + +ai + +अनिल भारद्वाज + +त एक फरवरी 2018 को वित्त +UT मंत्री द्वारा संसद में पेश बजट +में चार क्षेत्रों पप विशेष जोर + +देने का लक्ष्य रखा गया है- कृषि एवं +ग्रामीण क्षेत्र, बुनियादी संरचना, स्वास्थ्य +एवं एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम +उपक्रमों) के माध्यम से स्वरोजगार के +अवसर उपलब्ध कराना। + +यह आलेख चोथे क्षेत्र सूक्ष्म, लघु +और मध्यम उपक्रम पर केंद्रित है। +बजट पेश करने के बाद अगले ही दिन +क्रिसिडेक्स का उद्घाटन करते हुए वित्त +मंत्री ने घोषणा की कि एमएसएमई +भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती दिलाने +में इंजन का कार्य करेगा। + +इसमें कोई संदेह नहीं कि भारत में +धीरे-धीरे संकट जैसी स्थिति बन रही +है, क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था प्रत्येक +वर्ष बढ़ रहे एक करोड़ से एक करोड +20 लाख बेरोजगारों के लिए रोजगार +के अवसर सृजित करने में असफल +रही है। निस्संदेह, सरकारें सकल घरेलू +उत्पाद (जीडीपी) में विनिर्माण क्षेत्र की +हिस्सेदारी 25 फीसदी से बढ़ाने को लेकर +प्रयास करती रही हैं, लेकिन यह हिस्सेदारी +15-16 प्रतिशत से आगे बढ़ नहीं पा +रही है। हालांकि बगैर किसी सुधार के +एमएसएमई के लिए जोखिम-पुरस्कार +अनुपात (रिस्क-रिवार्ड रेशियो) खिसकता +जा रहा है। + +2018-19 के आम बजट से +यथास्थिति में बदलाव के संकेत मिल रहे + +लघु एवं कुटीर उद्योग: मजबूती का वाहक + +हैं। प्रथमत:, कपड़ा क्षेत्र के अलावा अब +अन्य सभी क्षेत्रों में भी निश्चित अवधि +के रोजगार के अवसर की घोषणा श्रम +सुधारों की दिशा में महत्वपूर्ण बदलाव हो +सकती है। इससे भी रोजगार के अवसर +बढेंगे। कई ऐसे क्षेत्र हैं, जिनमें कारोबार +एक निश्चित अवधि के लिए हो पाता है। +नियोकता या तो लोगों को काम पर नहीं +रखते या रखने के संबंध में रिपोर्ट नहीं +करते, क्योंकि अल्पावधि के लिए नियुक्त +करना गैर-कानूनी है। (हालांकि मजदूर +संगठनों के प्रतिरोध के कारण प्रस्ताव +के आगे बढ़ने पर संशय के बादल मंडरा +रहे हैं।) + +कारोबारियों द्वारा ऐसी नियुक्तियों +को प्रोत्साहित करने के लिए बजट में +अतिरिक्त कार्यबल पर होने वाले व्यय पर +130 प्रतिशत तक की भारी कटौती की +अनुमति दी गयी है। इसमें नये कर्मचारियों +की भविष्य निधि का जिम्मा तीन साल +तक सरकार द्वारा उठाने के प्रावधान किये +गये हैं। + +विनिर्माण क्षेत्र को बजट में समर्थन +दिये जाने का एक और मजबूत संकेत +इस बात से मिलता है कि 40 से अधिक +श्रम-प्रधान उत्पादों में घरेलू मूल्य-संवर्धन +को प्रोत्साहित करने के वास्ते सीमा शुल्क +में बढ़ोतरी (पांच से 15 प्रतिशत) की +गयी है। + +उपरोक्त के मामले में आयात से +संरक्षण पाने वाले श्रेणियों में निम्नलिखित +उत्पादों को रखा गया है- + + + +लेखक भारतीय सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यम संघ, नई दिल्‍ली के महासचिव हें। इन्होंने एसएमई के प्रमोशन के लिए केंद्र द्वारा गठित कई सारी हाई प्रोफाइल समितियों +में अपनी सेवाएं दी हैं। वे विश्व बैंक, यूनिडो, आईएलओ , यूएनसीटीएडी, डीएफआईडी और जीटीजेड जैसी बहुपाश्विक और द्विपाश्विक डोनर एजेंसियों के कई सारे +एसएमई विकास परियोजनाओं में सलाहकार रह चुके हैं। ईमेल: ड8झा०.गछजा + + + +योजना, मार्च 2018 29 + + + +0030.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + += + +To: एवं कॉर्पोरेट मामलों के मंत्री ने केंद्रीय बजट +2018-19 में मध्यम, लघु और सूक्ष्म उद्यमों +(एमएसएमई) के लिए 3794 करोड़ रुपये के प्रावधान +की घोषणा करते हुए कहा कि इस क्षेत्र को ऋण सहायता, +पूंजी और ब्याज सब्सिडी तथा नवप्रयोग उपलब्ध कराने +के लिए प्रावधान किया गया है। केंद्रीय बजट 2018-19 +प्रस्तुत करते हुए उन्होंने यह भी बताया कि वस्त्र क्षेत्र +के लिए 7148 करोड रुपये के परिव्यय की भी व्यवस्था +की गई है। + +केंद्रीय वित्त एवं कॉर्पोरेट मामलों के मंत्री ने वित्तीय +वर्ष 2016-17 में 250 करोड़ रुपये तक का उत्पादन करने +वाली कंपनियों के लिए कर की दर घटाकर 25 प्रतिशत +करने का प्रस्ताव किया है। + +इससे समस्त सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम वर्ग को +लाभ मिलेगा जो कर विवरणी दायर करने वाली कंपनियों + +2018-19 के दौरान इस उपाय के लिए अनुमानित राजस्व +व्यय 7,000 करोड़ रुपये है। उन्होंने कहा, 'मैंने चरणबद्ध +तरीके से कॉर्पोरेट कर कम करने का वादा किया था और +यह इसी दिशा में उठाया गया कदम हे।' उन्होंने यह भी कहा +कि, '99 प्रतिशत कंपनियों के लिए कॉर्पोरेट कर की दर कम +होने से निवेश के लिए उनके पास अधिक अधिशेष बचेगा +जिससे नई नौकरियों का सृजन होगा।' + +वित्त मंत्री ने याद किया कि केंद्रीय बजट 2017 में उन्होंने +वित्तीय वर्ष 2015-16 में 50 करोड़ रुपये से कम उत्पादन +वाली कंपनियों के लिए कॉर्पोरेट: कर की दर घटाकर 25 +प्रतिशत करने की घोषणा की थी। इससे कर विवरणी दायर +करने वाली 96 प्रतिशत कंपनियां लाभान्वित हुई थीं। वित्त +मंत्री ने यह भी कहा कि इस उपाय के बाद विवरणी दायर +करने वाली 7 लाख कंपनियों में से 250 करोड़ रुपये से +अधिक की आय ओर उत्पादन वाली लगभग 7,000 कंपनियों + + + + + +का लगभग 99 प्रतिशत है। उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष + +के लिए कर की दर 30 प्रतिशत ही रहेगी। QO + + + + + +* प्रसंस्करित फुड्स + +* परफ्यूम्स एवं टॉयलेटरी + +* ऑटोमोबाइल्स एवं ऑटो पार्ट्स +© wear + +विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए इस पर +पुनर्विचार किये जाने की अब भी जरूरत +है। ये अधिक सूक्ष्म रुख के सूचकांक +हैं। हरसंभव प्रयास के बावजूद, ये शुल्क + + + +* डायमंड, कीमती स्टोन्स एवं ज्वेलरी + +* इलेक्ट्रॉनिक एवं हार्डवेयर + +* एलसीडी/एलईडी/ओएलईडी पैनल +एवं अन्य सामान + +*» फर्नीचर + +* घडियां एवं दीवार घड़ियां + +*« खिलौने, तिपहिया साइकिल, स्कूटर, +पेडल कार, खेल उपस्कर + +* कच्चा काजू + +* Ga da + +« ऐिफ्रैक्ट्री आइटम्स + +* विविध (मोमबत्तियां, चश्मे आदि) +इतना ही नहीं सौर बेट्री/पैनल/मॉडयूल्स + +के निर्माण से संबंधित सोलर टैम्पर्ड ग्लास + +तथा सी-इम्प्लांट के लिए जरूरी कच्चे + +माल, पार्ट अथवा एसेसरीज को सीमा + +शुल्क से मुक्त कर दिया गया है। +यहां यह महसूस करना महत्वपूर्ण + +है कि 1991 से ही सीमा शुल्क में + +कमी की जाती रही है, लेकिन घरेलू + +30 + +डब्ल्यूटीओ की ओर से निर्धारित 25 और +40 प्रतिशत की दर के दायरे में ही हैं। + +इस कदम की आलोचना भी हुई हे, +क्योंकि कुछ विशेषज्ञों ने इसे दमनकारी +बताया है। क्‍या इससे यह संदेश जायेगा +कि भारतीय उद्योग वेश्विक स्तर पर +प्रतिस्पधात्मक होने के बजाय संरक्षण +चाहता है। इतना ही नहीं, शुल्क में +बढ़ोतरी हमेशा लॉबी पर आधारित रही है, +उदाहरण के तौर पर स्टील, अल्युमिनियम +आदि। + +कारोबारियों द्वारा ऐसी नियुक्तियों +को प्रोत्साहित करने के लिए बजट +में अतिरिक्त कार्यबल पर होने वाले +व्यय पर 130 प्रतिशत तक की भारी +कटौती की अनुमति दी गयी है। इसमें +नये कर्मचारियों की भविष्य निधि का +जिम्मा तीन साल तक सरकार द्वारा +उठाने के प्रावधान किये गये हैं। + +घरेलू उद्योग को लंबे समय तक +संरक्षण नहीं दिया जा सकता, क्‍योंकि +भारत आसियान के दस देशों और +अन्य पांच देशों: आस्ट्रेलिया, चीन, +जापान, दक्षिण कोरिया एवं न्यूजीलैंड के +साथ क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी +(आरसीईपी) अर्थात्‌ मुक्त व्यापार समझौते +के लिए विचार विमर्श कर रहा है। इसके +परिणामस्वरूप भविष्य में एक समय सीमा +शुल्क शून्य हो जायेगा। + +तीसरा, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक तथा +कॉरपोरेट कंपनियों के ऑनलाइन बिल +डिस्काउंटिंग प्लेटफॉर्म ट्रेड इलेक्ट्रॉनिक +रिसीवेबल डिस्काउंटिंग सिस्टम (टीआरई +डीएस)- से जुड़ने की घोषणा की +जा चुकी है। इतना ही नहीं इसके +जीएसटीएन नेटवर्क से जुड़ने की भी +घोषणा की गयी है, ताकि बड़े ad +और एमएसएमई विक्रेताओं के बीच +लेन-देन स्वतः सत्यापित हो सकें और +एमएसएमई कंपनियों की कारोबारी पूंजी +की समस्याएं सुलझ सकें। इसके लिए +कुछ और विधायी उपाय किये जाने की +जरूरत है। + +योजना, मार्च 2018 + + + +0031.txt +<----------------------------------------------------------------------> +चौथा, एमएसएमई क्षेत्र को ऋण +सहयोग, पूंजी तथा ब्याज सब्सिडी एवं +नवाचार में सहयोग के लिए बजट में +3794 करोड़ रुपये का प्रस्ताव किया गया +है। यद्यपि एमएसएमई सेक्टर ने कमोबेश +इसका स्वागत किया है, लेकिन विस्तृत +ब्योरे के बिना इस बारे में टिप्पणी करना +कठिन होगा। + +पचास करोड़ रुपये के कारोबार की +कंपनियों के लिए कॉरपोरेट टैक्स में +25 फीसदी की कटौती को 250 करोड़ +तक के कारोबार वाली कंपनियों तक +बढ़ाये जाने की घोषणा से लाभ तो होगा, +लेकिन केवल एक छोटे-से हिस्से को, +क्योंकि यह प्रस्ताव 'कंपनियों' के लिए +है, जबकि हकीकत यह है कि 93 प्रतिशत +से अधिक एमएसएमई 'कंपनी' न होकर +“पार्टनरशिप” और 'प्रॉपराइटरशिप फर्म हें। + +कम रेटिंग वाली कंपनियों को बांड +मार्केट में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने +के लिए पात्र बनाने का फैसला भी +आगामी वित्त वर्ष के बजट का एक + +: i +mo. a aye , + +a + +Cf + + + +अच्छा प्रस्ताव है। यदि ज्यादा से ज्यादा +बडे कॉरपोरेट्स ब्रांड मार्केट तक पहुंच +बनाने में सक्षम होते हैं तो एमएसएमई +के लिए अधिक से अधिक da we +उपलब्ध हो सकेंगे। + +कुल मिलाकर, बजट की दिशा +सकारात्मक प्रतीत होती है। कृषि और + + + +चल डर मे ‘f - ay +; ay i " " + +बुनियादी संरचना के लिए व्यापक +परिव्यय जीडीपी विकास दर बढ़ाने के +लिए जरूरी मांग को प्रोत्साहित करेगा। +रोजगार सृजन के लिए एमएसएमई को +बेहतर विकल्प समझा जा रहा है। आशा +है कि एमएसएमई क्षेत्र में निवेश बढ़ेंगे +और इच्छित सफलता हासिल होगी। O + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +Otis A +योजना (हिन्दी ) मासिक पत्रिका के स्वामित्व तथा अन्य विवरण + +1. | प्रकाशन का स्थान नयी दिल्‍ली +2. | प्रकाशन की अवधि मासिक +3, | मुद्रक का नाम डॉ. साथना राउत + +नागरिकता भारतीय + +पता 665, सूचना भवन, सीजीओ परिसर, लोधी मार्ग, नयी दिल्‍ली-110003 +4. | प्रकाशक का नाम डॉ. साधना राउत + +नागरिकता भारतीय + +पता 665, सूचना भवन, सीजीओ परिसर, लोधी मार्ग, नयी दिल्‍ली-110003 +5. | संपादक का नाम ऋतेश पाठक + +नागरिकता भारतीय + +पता 648, सूचना भवन, सीजीओ परिसर, लोधी मार्ग, नयी दिल्‍ली-110003 +6. | उन व्यक्तियों का नाम व पते जो पत्रिका के | सूचना और प्रसारण मंत्रालय, + +पूर्ण स्वामित्व में कुल पूंजी के एक प्रतिशत | भारत सरकार, + +से अधिक के स्वामी/हिस्सेदार हों नयी दिल्‍ली-110001 + + + + + +मैं, डॉ. साधना राउत, एतत्‌ द्वारा घोषणा करती हूं कि ऊपर दिए गए विवरण मेरी पूरी जानकारी एवं विश्वास के अनुसार सत्य हें। + +योजना, मार्च 2018 + +& Flee £73 + +(डॉ. साधना राउत ) +प्रकाशक + +31 + + + +0032.txt +<----------------------------------------------------------------------> +Ta +Graw + + + +TAT afarg @ IAS, IPS cet IRS aftreanttat की मार्गदर्शिका + +eee UPSC खिचिल Gar Ween + + + +भारत एवं विश्व का भूगोल +Dita Seer + + + + + +199: 9789352607440 + +भारत का भूगोल + +Fie eye ie ea en yp + +1 5 | + + + +—————<——_ +a | + + + +ISBN: 9789352603862 + + + +II 2018) +के नि:शुल्क प्रश्नपत्र प्राप्त करने के लिए पंजीकृत करें + +_www.mheducation.co.in/upscsamplepapers + + + +मेक्‍्ग्रों हिल एजुकेशन (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड + +की तैयारीं को लिए आपको सथगक्लतिकरण डेतु उपयोगी पुस्तकों + + + +1$छप: 9789385965951 ISBN: 9789352607839 ISBN: 9789352607501 + + + +नकल + ++ cd. anit + +ISBN: 9789352605699 1958प्र: 978938706774 ISBN: 9789352602322 + + + + + + + + +-9910प 40146 jnouyM eBuey o} yelqns oie 59940 + + + +टोल फ्री A.: 1800 103 5875 | $-Het: support.india@mheducation.com | @el¢ @ www.mheducation.co.in + +संपर्क करें७ f /McGrawHillEducationIN . AD in PAG NA Cee 1 हि 1 1 (0 । | A + + + +32 + +/McGrawHillEducation|India + +योजना, मार्च 2018 + +YH-796/2017 + + + +0033.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +स्वास्थ्य क्षेत्र में कई नई पहल + + + +स्वास्थ्य का क्षेत्र हमेशा +से आम बजट में हाशिए +पर रहा है लेकिन मौजूदा +केंद्रीय बजट में स्वास्थ्य +क्षेत्र के लिए कई नई और +अपूर्व पहल की गई है। इसमें +“आयुष्मान भव' स्वास्थ्य के +क्षेत्र में दुनिया की सबसे +बड़ी योजना है, जिसमें 10 +करोड़ गरीब और कमजोर +परिवारों को लाभान्वित करने +का लक्ष्य रखा गया है। इसी +के साथ आइएसवावाई में +बढ़ोतरी से स्वास्थ्य पर होने +वाला अत्यधिक खर्च कम +होने की संभावना है। बजट +स्वास्थ्य के कुछ सामाजिक +और पर्यावरणीय निर्धारकों +को भी संबोधित करता है + +के श्रीनाथ रेड्डी + + + +त एक दशक के दौरान +UT स्वास्थ्य क्षेत्र के विशेषज्ञों को +केंद्रीय बजट से सालों साल +एक-सी निराशा मिलती रहती थी। उन्होंने +एक-सी शैली, एक से स्वर में बजट पूर्व +और बजट पश्चात के विश्लेषण किए। +हमेशा यह उम्मीद जताई कि स्वास्थ्य के +लिए कम से कम इस बार के बजट में +आवंटन बढ़ेगा लेकिन अफसोस ही हाथ +लगा, चूंकि सालों-साल बजट में ऐसा +नहीं हुआ। आखिरी बार स्वास्थ्य क्षेत्र में +खुशी की लहर तब दौड़ी थी, जब राष्ट्रीय +ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) +की घोषणा हुई। इसके बाद श्रम मंत्रालय +के अंतर्गत राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना +(आरएसबीवाई ) शुरू की गई। स्वास्थ्य क्षेत्र +बजट में हमेशा हाशिए पर पड़ा रहा। इस +तरह 2018 का बजट इस लिहाज से अलग +है कि इसमें स्वास्थ्य क्षेत्र में कई पहल की +गई है। इससे न केवल स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े +लोग प्रसन्न हैं बल्कि मीडिया और आम लोगों +में भी उत्साह है। इसने एक नयी बहस को +जन्म दिया है कि इस महत्वाकांक्षी पहल से +स्वास्थ्य सेवा को कितना लाभ होगा। +बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र की सबसे +महत्वाकांक्षी योजना है, आयुष्पान भव जिसमें +दो पहल शामिल हैं। पहली योजना व्यापक +प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल (सीपीएचसी) +कार्यक्रम के अंतर्गत 1,50,000 स्वास्थ्य +उपकेंद्रों को स्वास्थ्य एवं कल्याण (वेलनेस) +केंद्रों (एचडब्ल्यूसीजु) में रूपांतरित करना +है। दूसरी योजना राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण + + + + + + + +योजना (एनएचपीएस) है। इस योजना के +तहत 10 करोड़ गरीब और कमजोर परिवारों +को द्वितीयक या तृतीयक देखभाल के लिए +अस्पताल में भर्ती होने पर 5,00,000 रुपये +सालाना का वित्तीय कवरेज प्रदान की जाएगी। + +सीपीएचसी एनआरएचएम द्वारा निर्मित +प्लेटफॉर्म पर आधारित है जिसका उद्देश्य +प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता +को मजबूत करना है। जबकि एनआरएचएम +मातृत्व एवं बाल स्वास्थ्य सेवाओं पर केंद्रित +है। 2017 की राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति एनएचएम +को व्यापक, निरंतर प्राथमिक सेवा का वाहक +बनने का आह्वान करती है। इसके लिए +सेवाओं का विस्तार उन क्षेत्रों में किया जाना +चाहिए जिन पर अब तक ध्यान नहीं दिया +गया। जैसे गैर संचारी रोग (एनसीडीज) और +मानसिक स्वास्थ्य विकार। अंततः एनएचएम +को न केवल समुदाय में स्वास्थ्य देखभाल +को बढ़ावा देना होगा, बल्कि मातृत्व एवं +बाल स्वास्थ्य, संचारी और गैर संचारी रोगों +से संबंधित प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं का +एकीकृत मंच बनना होगा। + +आम लोगों को निरंतर सेवाएं उपलब्ध +होती रहें, इसके लिए प्राथमिक स्तर की +स्वास्थ्य सेवाओं द्वारा पुरानी बीमारियों का +अनुगमन (फॉलोअप) किया जा रहा है। +प्राथमिक स्तर पर ऐसे रेफरल और रिटर्न +लिंक भी तैयार किए गए हैं, जो मरीजों को +द्वितीयक एवं तृतीयक स्तर की उन्नत देखभाल +के लिए भेज सकें। हालांकि प्राथमिक स्तर +पर गर्भवती महिलाओं की निरंतर देखभाल +और तपेदिक एवं एचआईवी एड्स के उपचार + + + +लेखक भारतीय जन स्वास्थ्य संघ (पीएचएफआई) के अध्यक्ष हैं। इन्होंने 10 वर्षों तक भारतीय राष्ट्रीय मेडिकल जर्नल का संपादन किया है और कई सारी राष्ट्रीय व +अन्तरराष्ट्रीय पत्रिकाओं के संपादन मंडल में शामिल हैं। भारतीय व अंतरराष्ट्रीय पीयर रीव्यूड पत्रिकाओं में इनके 400 से भी अधिक वैज्ञानिक लेख प्रकाशित हो चुके +हैं। इन्हें तंबाकू नियंत्रण में उल्लेखनीय वैश्विक नेतृत्व के लिए डब्ल्यूएचओ डायरेक्टर जनरल सम्मान, पद्मभूषण और क्वीन एलिजृएथ मैडल जैसे कई पुरस्कार प्राप्त + +हुए हैं। ईमेल: ksrinath.reddy@phfi.org + +योजना, मार्च 2018 + +33 + + + +0034.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +प्राथमिक केंद्रों को आपात और एपीसोडिक +यानी तुरत-फुरत की सेवा के लिहाज से ही +स्थापित किया जाता है। पुरानी बीमारियों जैसे +हाइपरटेंशन और मानसिक स्वास्थ्य विकारों +को लंबे समय तक देखभाल की जरूरत +होती है। प्राथमिक उपचार केंद्रों को इस +लिहाज से भी तैयार किया जाना चाहिए। +इसके अतिरिक्त प्राथमिक स्तर की देखभाल +में अब तक सामुदायिक स्वास्थ्य, शिक्षा और +व्यक्तिगत परामर्श को नजरंदाज किया जाता +रहा है। जिस प्रकार समुदायों में स्वस्थ आहार +और नियमित शारीरिक व्यायाम के महत्व पर +जोर दिया जाना चाहिए, उसी प्रकार तंबाकू +निषेध कार्यक्रमों को भी लगातार संचालित +किया जाना चाहिए। + +उपकेंद्रों को एचडब्ल्यूसीज में रूपांतरित +करने के प्रस्ताव से प्राथमिक स्वास्थ्य +सेवा का विस्तार होगा और उसमें निरंतरता +आएगी। इससे ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को +बुनियादी स्वास्थ्य सेवाएं आसानी से उपलब्ध +होंगी। स्वास्थ्य केंद्र आधारित देखभाल के +साथ-साथ सामुदायिक लामबंदी से स्वास्थ्य +संबंधी जागरूकता बढ़ेगी और बीमारियों +की रोकथाम होगी। एचडब्ल्यूसी में मौजूदा +कर्मचारियों के अतिरिक्त नॉन फिजिशियन +स्वास्थ्यकर्मियों जैसे नर्स प्रेक्टिशनर, जरूरी +दवाएं और निदान मुफ्त उपलब्ध कराएंगे। +इस स्तर पर विभिन्न रोग नियंत्रण कार्यक्रमों +को शामिल किया जाएगा। सूचना प्रौद्योगिकी +का प्रयोग करते हुए एचडब्ल्यूसीज विभिन्न + +34 + +अनुमानों के रियल टाइम डेटा को एकत्र कर +सकते हैं और विभिन्न स्वास्थ्य सूचकांकों का +निरीक्षण कर सकते हैं। टेलीमेडिसिन और +मोबाइल फोन तकनीक से दूर बैठे डॉक्टरों +का परामर्श हासिल किया जा सकता है और +एचडब्ल्यूसी की स्वास्थ्य सेवा में सुधार हो +सकता हेै। + +हालांकि एचडब्ल्यूसी की शुरुआत एक +स्वागत योग्य कदम है, फिर भी प्राथमिक +तथा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की स्वास्थ्य +सेवाओं को मजबूत करने के प्रयास किए +जाने चाहिए। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के +बजटीय आवंटन में यह प्रतिबद्धता नजर नहीं +आती। पिछले वर्ष के संशोधित अनुमान से +इसमें 2.1 प्रतिशत की गिरावट हुई है। यह भी +निराशाजनक है कि बजट में एनएचएम के +शहरी स्वास्थ्य मिशन को पूरी तरह नजरंदाज +किया गया है। शहरों में प्राथमिक स्वास्थ्य +केंद्रों की पूरी तरह अनदेखी की गई है +डिजाइनिंग और सेवा उपलब्धता, दोनों लिहाज +से। ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों में लोगों का प्रवास +बढ़ रहा है, साथ ही शहरी मलिन बस्तियों + +आम लोगों को निरंतर स्वास्थ्य +सेवाएं उपलब्ध होती रहें, इसके लिए +प्राथमिक स्तर के केन्द्रों द्वारा पुरानी +बीमारियों का फॉलोअप किया जा रहा +है। प्राथमिक स्तर पर ऐसे रेफरल और +रिटर्न लिंक भी तैयार किए गए हैं, जो +मरीजों को द्वितीयक एवं तृतीयक स्तर +की उन्नत देखभाल के लिए भेज सकें। + +तथा निम्न आय वाले समुदायों की संख्या भी +बढ़ रही हे। इसके मद्देनजर शहरों और Heat +में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं की जरूरत +तत्काल होने वाली है। शहरी आबादी को भी +एचडब्ल्यूसीज चाहिए। जैसे-जैसे इस दिशा में +प्रयास तेज होंगे, एचडब्ल्यूसीजु को आवंटित +1,200 करोड़ रुपये की राशि में भी बढ़ोतरी +करनी होगी। + +एचडब्ल्यूसीजु को पूरी तरह से विकसित +करने की दिशा में सबसे बड़ी चुनौती मानव +संसाधन की कमी है। जबकि पीएचसीज +में डॉक्टरों की कमी है, एचडब्ल्यूसीज में +केवल नॉन फिजिशियन स्वास्थ्यकर्मी ही +कार्यरत होंगे। हालांकि नर्स प्रैक्टीशनरों और +सामुदायिक स्वास्थ्य सहायकों जैसे मध्यम +स्तर के स्वास्थ्य सेवाकर्मियों को तैयार किए +जाने की आवश्यकता है जिनके पास तीन +वर्ष की डिग्री हो और वे प्राथमिक स्वास्थ्य +देखभाल की आवश्यकताओं के अनुरूप हों। + +एलोपैथिक चिकित्सा के ब्रिज कोर्स +ओरिएंटेशन के साथ आयुष स्नातकों की +तैनाती का प्रस्ताव (पारंपरिक चिकित्सा +पद्धति में wet) हालांकि विवादास्पद +है। आदर्श रूप से, आयुष चिकित्सकों को +एचडब्ल्यूसी में रखा जाना चाहिए ताकि वे +पारंपरिक चिकित्सा उपचार और स्वास्थ्य +को बढ़ावा दे सकें, जिनमें उन्हें विशेषज्ञता +प्राप्त है। दो सहायक नर्स मिडवाइव्स के +अतिरिक्त एक पुरुष मल्टीपर्पज वर्कर की भी +आवश्यकता होगी। साथ ही एक प्रयोगशाला +तकनीशियन we en डिस्पेंसर की भी जरूरत +होगी। एचडब्ल्यूसी के लिए आवश्यक मानव +संसाधन जुटाने के लिए एक महती प्रयास +करना होगा लेकिन इसका एक अच्छा +परिणाम यह भी होगा कि बहुत से युवाओं +को रोजगार मिलेगा। सबसे महत्वपूर्ण बात यह +है कि इससे समुदायों के निकट स्वास्थ्य क्षेत्र +का एक मजबूत गढ़ तैयार होगा और स्वास्थ्य +सेवाओं के पोर्टलों का निर्माण होगा। + +आरएसबीवाई के अनुभवों और शिक्षा +से एनएचपीएस की रचना की गई हेै। +आरएसबीवाई के जरिए द्वितीयक स्वास्थ्य +देखभाल तक गरीबों की पहुंच बढ़ी थी, +लेकिन इसका कवरेज प्रति परिवार प्रति +वर्ष 30,000 रुपये ही था। इसे उन राज्यों +में सरकारी स्वास्थ्य बीमा योजनाओं से +प्रतिद्वंद्वेत का सामना करना पड़ा जो प्रति + +योजना, मार्च 2018 + + + +0035.txt +<----------------------------------------------------------------------> +परिवार को प्रति वर्ष 1 से 3 लाख रुपये +तक का कवरेज प्रदान करती हैं। सबसे बड़ी +बात यह थी कि इस योजना से महंगी होती +स्वास्थ्य सेवा का खर्चा उठाना संभव नहीं +था। इस योजना से प्राप्त अनुभवों ने सिखाया +कि सरकारी और निजी स्वास्थ्य सेवाओं, दोनों +को संलग्न किया जाना चाहिए और मजबूत +सूचना प्रौद्योगिकी प्लेटफॉर्म तैयार किया जाना +चाहिए। प्राथमिक देखभाल से विनियोजन ने +स्वास्थ्य सूचकांकों पर इन केंद्रीय और राज्य +स्वास्थ्य बीमा योजनाओं के प्रभाव को कम +किया हे। + +एनएचपीएस अस्पताल में भर्ती होने की +स्थिति में 19 करोड़ गरीब और कमजोर +परिवारों को हर साल 5,00,000 रुपये का +कवरेज प्रदान करता है। आरएसबीवाई में +बढोतरी से स्वास्थ्य पर होने वाला अत्यधिक +खर्च कम होने की संभावना है, साथ ही जेब +पर दबाव भी नहीं पडेगा-चूंकि आउटपेशेंट +देखभाल इसमें कवर ही नहीं है। एचडब्ल्यूसी +और दूसरी प्राथमिक देखभाल को मजबूत +करने के प्रयास से इस दिशा में राहत मिलेगी। +अगर प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूती +मिलेगी तो द्वितीयक और तृतीयक स्तर की +सेवाओं की जरूरत कम होगी, साथ ही इससे +उन्नत सेवाओं को रेफर करने की जरूरत +भी नहीं होगी। एक प्रभावशाली प्राथमिक +स्वास्थ्य सेवा के अभाव में एनएचपीएस की +बेकाबू होती मांग को पूरा करने में ही सारा +बजट खत्म हो जाएगा जिसकी वजह से +प्राथमिक सेवाओं और सरकारी अस्पतालों +को मजबूत करने के लिए धन उपलब्ध ही +नहीं होगा। + +वायु प्रदूषण भारत में बीमारियों +का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण कारण है। +इसके लिए घरों के बाहर और भीतर के +परिवेश को प्रदूषणमुक्त किया जाएगा। +facet के पड़ोसी राज्यों को वित्तीय +सहायता प्रदान की जाएगी ताकि वे +फसलों के कचरे को निस्तारण के +लिए उन्हें जलाने के बजाय दूसरे +तरीके अपनाएं। + +राजनीतिक दलों के बीच सहमति जरूरी है +क्योंकि अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग +दलों की सरकारें हैं। + +रणनीतिगत खरीद वह प्रक्रिया है +जिसके द्वारा एनएचपीएस एम्पैनल्ड सरकारी +और निजी अस्पतालों से सेवाओं की खरीद +करना चाहता है। इसके लिए जरूरी है कि +कवर की जाने वाली बीमारियों, उनकी जांच +और उपचार को सावधानीपूर्वक चुना जाए। +प्रमाण आधारित स्टैंडर्ड क्लिनिकल मैनेजमेंट +दिशानिर्देशों को विकसित किया जाए और +अपनाया जाए। लागत और गुणवत्ता मानकों +की स्थापना और निरीक्षण किया जाए तथा +स्वास्थ्य परिणामों का मूल्यांकन किया जाए। +धोखाधड़ी का पता लगाने और शिकायत +निवारण तंत्र को भी विकसित किया जाना +चाहिए। एनएचपीएस के अंतर्गत प्रदत्त लाभों +(बीमा साक्षरता) के संबंध में जागरूकता +बढ़ाई जानी चाहिए ताकि लोग अधिक से +अधिक लाभ उठाएं और उन्‍हें मार्गदर्शन मिले। +अगर सभी सुरक्षात्मक उपाय लागू नहीं होंगे +तो मांग बढ़ेगी (गैर जरूरी जांच और उपचार + + + +हालांकि इस वर्ष केवल 2,000 करोड +रुपये ही आवंटित किए गए हैं, चूंकि योजना +अक्टूबर 2018 में शुरू की जाएगी। जब +एनएचपीएस पूरी तरह से कार्य करेगा, +तो कम से कम पांच से छह गुना धन +की जरूरत होगी। राज्य सरकारों द्वारा 40 +प्रतिशत योगदान देने की उम्मीद है और +इससे एनएचपीएस के साथ राज्य सरकारों की +स्वास्थ्य बीमा योजनाओं का विलय किया जा +सकेगा। संसाधन बढ़ाने और लोगों के रिस्क +पूल को व्यापक बनाने के अतिरिक्त ऐसे +विलय से उन लोगों को कवरेज भी मिलेगा +जिनका आवागमन एक से दूसरे राज्य में होता +रहता है। हालांकि इसके लिए देश भर के + +योजना, मार्च 2018 + +के चलते) और लागत भी। + +एनएचपीएस को ट्स्ट या बीमा कंपनी +द्वारा प्रशासित किया जाएगा। मध्यस्थ का +विकल्प राज्य सरकारों को दिया गया है। +सरकार द्वारा स्थापित ट्रस्ट की जिम्मेदारी +अधिक होगी और अतिरिक्त खर्च कम। +एक बीमा कंपनी के पास रणनीतिक खरीद +और भुगतान संबंधी विशेषज्ञता होती हे +लेकिन उसका खर्चा अधिक होता है और +जैसे-जैसे यूटिलाइजेशन की दरें बढ़ती हैं, +अधिक प्रीमियम की मांग भी की जाती +है। दोनों स्थितियों में सरकार ही प्रीमियम +चुकाती है। जबकि यह व्यक्तिगत रूप से +खरीदी गई बीमा योजना से अलग होता है, +रिस्क पूलिंग का सिद्धांत एक समान ही +होता है। रिस्क बढ़ने पर क्रॉस सब्सिडी से +प्रीमियम गिरता है। हालांकि एनएचपीएस +गरीबों और कमजोर तबकों के लिए हे, +जिसे सरकार के कर राजस्व से वित्त पोषित +किया जाएगा, दूसरे वर्ग के लोग भी इस +योजना का लाभ उठा सकते हैं। इसके लिए +उन्हें एनएचपीएस में तय किए गए प्रीमियम +को चुकाना होगा। + +अधिक से अधिक डॉक्टरों और विशेषज्ञों +को तैयार करने की जरूरत भी समझी जा +रही है ताकि जिला अस्पतालों की जरूरतों +को पूरा किया जा सके। बजट में 24 नए +मेडिकल कॉलेजों को शुरू करने का प्रस्ताव +है जो उन्नत जिला अस्पतालों से संबद्ध होंगे। +प्रत्येक तीन संसदीय क्षेत्रों में एक मेडिकल +कॉलेज की स्थापना की परिकल्पना की गई +है। इसके लिए भी उच्च स्तरीय सरकारी +वित्त पोषण की जरूरत है, चूंकि निजी क्षेत्र +का निवेश केवल कुछ राज्यों तक सीमित है। +स्वास्थ्य बजट में कुल वृद्धि पिछले वर्ष के + + + +35 + + + +0036.txt +<----------------------------------------------------------------------> +संशोधित अनुमान के आवंटन से केवल 2.8 +प्रतिशत अधिक है। नए मेडिकल कॉलेजों की +स्थापना के लिए आवंटन 12.5 प्रतिशत कम +हुआ है। जब तक आने वाले वर्षों के बजट +को बढ़ाया नहीं जाएगा, तब तक 2025 तक +एनएचपी के लिए जीडीपी के 2.5 प्रतिशत +वित्त पोषण का लक्ष्य हासिल होना संभव +नहीं है। + +बजट स्वास्थ्य के कुछ सामाजिक और +पर्यावरणीय निर्धारकों को संबोधित करता है। +तपेदिक के रोगियों को स्वस्थ आहार मिले, +इसके लिए उन्हें 500 रुपये का मासिक +स्टाइपेंड देने के लिए 600 करोड रुपये +आवंटित किए गए हैं। इससे उनकी प्रतिरक्षा +बढेगी और उपचार में सुधार होगा। खुले शौच +से जुडे स्वास्थ्य संबंधी खतरों को कम करने +के लिए स्वच्छ भारत मिशन के स्वच्छता +घटक को अधिक शौचालयों के निर्माण के + +का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण कारण है। इसके +लिए घरों के बाहर और भीतर के परिवेश को +प्रदूषणमुक्त किया जाएगा। दिल्‍ली के पड़ोसी +राज्यों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी +ताकि वे फसलों के कचरे को निस्तारण के +लिए उन्हें जलाने कौ बजाय दूसरे तरीके +अपनाएं। गरीब महिलाओं को रसोई गैस +कनेक्शन प्रदान करने के लिए उज्ज्वला +योजना का विस्तार किया जाएगा ताकि वे +और उनके छोटे बच्चे ठोस बायोमास ईंधन +को जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण से बच +सकें। सांस संबंधी रोगों, हृदय विकार, कैंसर, +बच्चों में अस्थमा और सांस संबंधी संक्रमण +और यहां तक कि मधुमेह के खतरों को +भी वायु प्रदूषण के नियंत्रण से कम किया +जाएगा। + +2018 के केंद्रीय बजट ने स्वास्थ्य +को सार्वजनिक बहस का विषय बनाया है। +हालांकि इस महत्वाकांक्षी पहल की सफलता + +केंद्र और राज्य, दोनों स्तरों पर कितने वित्तीय +संसाधन दिए जाते हैं। साथ ही यह स्वास्थ्य +प्रणाली को क्षमतापूर्ण बनाने की दिशा में +किए गए ठोस प्रयासों पर भी आधारित है। +एनएचपी राज्यों से अपेक्षा करता है कि +वे 2020 तक अपने स्वास्थ्य बजट को 8 +प्रतिशत से अधिक करें। राज्यों के लिए ऐसा +करना आवश्यक है ताकि वे स्वास्थ्य क्षेत्र +में सरकारी वित्त पोषण का अपना वादा पूरा +कर सकें। बहुस्तरीय, बहु-कुशल कार्यबल में +निवेश, जो स्वास्थ्य देखभाल के सभी स्तरों +पर उच्च गुणवत्ता वाली सेवाएं प्रदान करने +में सक्षम हो, आवश्यक है। इसके साथ ही, +मजबूत विनियामक और निगरानी प्रणालियां +भी होनी चाहिए। जब ठोस और समयबद्ध +तरीके से इस दिशा में कदम बढाया जाएगा, +तभी भारत में सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज +का मार्ग प्रशस्त होगा। स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र + +माध्यम से बढ़ाया जाएगा। हालिया अनुमानों +के अनुसार, वायु प्रदूषण, भारत में बीमारियों + +इस बात पर निर्भर करती है कि अब से + +में बिगुल बज चुका है लेकिन कूच करना +अभी बाकी है। QO + + + + + +Tq न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के लिए केंद्रीय +बजट, 2018-19 में वर्ष 2017-18 की तुलना में बजट +आवंटन में 1210 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वर्ष 2017-18 में +यह 6908.00 करोड़ रुपये था जोकि वर्ष 2018-19 में बढ़कर +7750.00 करोड़ रुपये हो गया है। साथ ही योजनाओं के लिए +बजट आवंटन में 2017-18 की तुलना में 2018-19 में बजट +आवंटन में 11.57 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसके अतिरिक्त +बजट आवंटन में ओबीसी के कल्याण के लिए वर्ष 2018-19 +में 2017-18 की तुलना में 41.03 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। + +अनुसूचित जाति के लिए उद्यम पूंजी निधि की तर्ज पर ही +ओबीसी के लिए एक नई उद्यम पूंजी निधि योजना 200 करोड़ +रुपये की आरंभिक कायिक निधि के साथ आरंभ की जानी है। +वर्ष 2018-19 में इसके लिए 140 करोड़ रुपये निधि प्रदान की +गई है। 13587 मैन्यूअल स्कैवेंजर्स (हाथ से मैला ढोने वाले) और +उनके आश्रितों को कौशल विकास प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। +809 मैन्युअल स्कैवेंजर्स और उनके अश्नितों को बैंक लोन प्रदान +किए गए हैं। + +ओबीसी के लिए प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति हेतु, आय पात्रता को +44 ,500/- रुपये प्रतिवर्ष से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये प्रति वर्ष कर +दिया गया है। अनुसूचित जाति के लिए प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति हेतु +आय पात्रता को 2,00 लाख रुपये से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये +कर दिया गया है। दिवा छात्रों के लिए वजीफे की राशि को 150 +रुपये से बढ़ाकर 225 रुपये कर दिया गया है और आवासीय छात्रों + +बच + + + +36 + +सामाजिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आवंटन है + +के लिए इसे 350 रुपये से बढ़ाकर 525 रुपये कर दिया गया +है। अनुसूचित जाति के लिए सर्वोच्च स्तरीय शिक्षा हेतु छात्रवृत्ति +राशि को 4.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 6 लाख रुपये प्रति वर्ष कर +दिया गया है। अनुसूचित जाति और ओबीसी छात्रों के लिए आय +पात्रता को 4.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 6 लाख रुपये प्रति वर्ष कर +दिया गया है। स्थानीय छात्रों के लिए वजीफे की राशि को 1500 +रुपये से बढ़ाकर 2500 रुपये और बाहरी छात्रों के लिए 3000 +रुपये से बढ़ाकर 5000 रुपये कर दिया गया है। ओबीसी के लिए +प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति हेतु, छात्रवृत्ति की दरों को महत्वपूर्ण रूप से +बढ़ाया गया है। + +कक्षा पहली से पांचवी, कक्षा छठी से आठवीं और कक्षा +नौंवी से दसवीं के दिवा छात्रों की छात्रवृत्ति को 10 माह के +लिए क्रमशः 25 रुपये, 40 रुपये और 50 रुपये की पूर्वोक्त +दरों को संशोधित कर कक्षा पहली से दसवीं को 10 महीने +के लिए 100 रुपये प्रति माह कर दिया गया है। कक्षा तीसरी +से आठवीं और कक्षा नौंवी से दसवीं के आवासीय छात्रों की +पूर्वोक्त छात्रवृत्ति दरों को 10 माह के लिए क्रमशः 200 रुपये +और 250 रुपये से संशोधित कर कक्षा तीसरी से दसवीं को 10 +महीने के लिए 500 रुपये प्रति माह कर दिया गया है। योजना +के तहत सभी छात्रों को तदर्थ अनुदान 500 रुपये प्रति वर्ष +है। अनुसूचित जाति के लिए राष्ट्रीय अध्येतावृत्ति के तहत, इस +सहायता को बढ़ाकर 25,000 रुपये से बढ़ाकर 28,000 रुपये + +प्रति छात्र कर दिया गया है। छा 1 + + + +योजना, मार्च 2018 + + + +0037.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +रुपया आता है +( बजट 2018-19 ) + +ऋण व अन्य दायित्व +बजट 2017.18 19 पै. + +ऋण निम्न फ्री प्राप्तियां +19 पै. 3 पै. कप + + + + + + + + + + +कर मिला राजस्व +a निगमित कर +19 पै. +वस्तु व सेवा कर एवं +अन्य कर +23 पै, ++) +16 +केंद्रीय उत्पाद शुक्ल सीमा शुल्क +st. 4% +We: 1. कुल व्यय में कर व शुल्कों में राज्यों की हिस्सेदारी भी शामिल 21 +हब 2. बजट अनुमान 2017-18 में सेवा कर व अन्य करों का प्रतिनिधित्व। +रुपया जाता है +( बजट 2018-19 ) +‘aste 2017.18 +a केंद्रीय संपोषित योजनाएं +gq 10% अन्य नह 9% +8 4. Le सेक्टर +पेंशन जा +5%. बे ः +निवेश भुगतान + + + +18 U. + +कर व शुल्कों में +राज्यों की हिस्सेदारी +24 पै. + +वित्त आयोग व +अन्य हस्तांतरण सबसिडी + +नोट : कुल व्यय में कर व शुल्कों में राज्यों की हिस्सेदारी भी शामिल है। + + + + + + + +0038.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + +~ +केंद्रीय बजट 2018-19 की मुख्य बातें + +अधिकतर रबी फसलों की ही तरह सभी आघोषित खरीफ +फसलों की एमएसपी उनकी उत्पादन लागत से डेढ़ गुना +होगी; कृषि क्षेत्र को संस्थागत ऋण वर्ष 2014-15 के 8.5 +लाख करोड़ रुपये से बढ़कर वर्ष 2018-19 में 11 लाख +करोड रुपये। + +22,000 ग्रामीण हाटों को ग्रामीण कृषि बाजारों के रूप में +विकसित एवं उन्नत किया जाएगा। + +किसानों एवं उपभोक्ताओं के हित में आलू, टमाटर, और प्याज +की कीमतों में उतार-चढ़ाव की समस्या से निपटने के लिए +“ऑपरेशन ग्रीन्स' लांच किया जाएगा। + +मत्स्य पालन और पशुपालन क्षेत्रों के लिए 10,000 करोड़ +रुपये के दो नए कोष की घोषणा; पुनर्गठित राष्ट्रीय बांस मिशन +के लिए 1,290 करोड़ रुपये का आवंटन। + +महिला स्वयं सहायता समूहों को मिलने वाली ऋण राशि को +पिछले साल के 42,500 करोड़ रुपये से बढ़ाकर वर्ष 2019 +में 75,000 करोड़ रुपये किया जाएगा। + +निम्न एवं मध्यम वर्ग को निःशुल्क एलपीजी कनेक्शन, +बिजली और शौचालय सुलभ कराने हेतु उज्ज्वला, सौभाग्य, +और स्वच्छ मिशन के लिए अधिक लक्ष्य तय। + +स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक संरक्षण के लिए परिव्यय +1.38 लाख करोड़ रूपये होगा। जनजातीय छात्रों के लिए वर्ष +2022 तक हर जनजातीय ब्लॉक में एकलव्य आवासीय स्कूल +होगा। अनुसूचित जातियों के लोगों से जुड़े कल्याण कोष को +बढ़ावा मिला। + +द्वितीयक एवं तृतीयक इलाज के लिए प्रति परिवार 5 लाख +रुपये तक की सीमा के साथ दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य +संरक्षण योजना शुरू की गई है, जिसके दायरे में 10 करोड़ +से भी अधिक गरीब एवं कमजोर परिवारों को लाया जाएगा। +राजकोषीय घाटा 3.5 प्रतिशत तय किया गया, यह 2018-19 +में 3.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है। + +अवसंरचना के लिए 5.97 लाख करोड़ रुपये का आवंटन; 10 +प्रमुख स्थलों को प्रतीक पर्यटन गंतव्यों के रूप में विकसित +किया जाएगा। + +नीति आयोग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) पर एक +राष्ट्रीय कार्यक्रम शुरू होगा; रोबोटिक्स, एआई, इन्टरनेट ऑफ +थिंग्स इत्यादि पर उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किये जायेंगे। +विनिवेश 72,500 करोड रुपये के लक्ष्य को पार कर 1,00,000 +करोड़ रुपये के स्तर पर पंहुचा। + +पीली धातु को एक परिसंपत्ति श्रेणी के रूप में विकसित करने +के लिए व्यापक स्वर्ण नीति बनाने की तैयारी। + +100 करोड़ रुपये तक के वार्षिक कारोबार वाली किसान +उत्पादक कंपनियों के रूप में पंजीकृत कंपनियों को इस तरह +की गतिविधियों पर प्राप्त लाभ पर 2018-19 से लेकर पांच +वर्षों तक 100 प्रतिशत कटोती का प्रस्ताव। + +धारा 80 जेजेएए के तहत नए कर्मचारियों को अदा किए जाने +वाले कुल वेतन पर 30 प्रतिशत कटौती में ढील देकर इसे +'फुटवियर एवं चमड़ा उद्योग के लिए 150 दिन किया जाएगा, +ताकि ज्यादा रोजगार सृजित हो सके। +50 करोड़ रुपये से कम के कारोबार (वित्त वर्ष 2015-16 +में) वाली कंपनियों के लिए फिलहाल उपलब्ध 25 प्रतिशत +की घटी हुई दर का लाभ वित्त वर्ष 2016-17 में 250 करोड +रुपये तक के कारोबार की जानकारी देने वाली कंपनियों को +भी देने का प्रस्ताव रखा गया है ताकि सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम +उद्यम लाभान्वित हो सकें। + +परिवहन भत्ते के लिए मौजूदा छूट और विविध चिकित्सा + +खर्चों की प्रतिपूर्ति के स्थान पर 40000 रुपये की मानक + +कटोती। इससे 2.5 करोड नौकरीपेशा कर्मचारी एवं पेंशनभोगी +लाभान्वित होंगे। + +वरिष्ठ नागरिकों को प्रस्तावित राहतः + += dai an डाकघरों में जमाराशियों पर ब्याज आमदनी संबंधी +छूट 10000 रुपये से बढ़ाकर 50000 रुपये की जाएगी। + += धारा 194ए के तहत टीडीएस काटने की आवश्यकता +नहीं। सभी सावधि जमा योजनाओं और आवर्ती जमा +योजनाओं के तहत प्राप्त ब्याज पर भी लाभ मिलेगा। + +० धारा 80 डी के तहत स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम और अथवा +चिकित्सा व्यय के लिए कटौती सीमा 30000 रुपये से +बढ़ाकर 50000 रुपये की गई। + +« धारा 80डीडीबी के तहत कुछ विशेष गंभीर बीमारियों +पर चिकित्सा व्यय के लिए कटोती सीमा 60000 रुपये +(वरिष्ठ नागरिकों के मामले में) और 80000 रुपये (अति +वरिष्ठ नागरिकों के मामले में) से बढ़ाकर सभी वरिष्ठ +नागरिकों के लिए 1 लाख रुपये कर दी गई है। + +«० प्रधानमंत्री वय वंदना योजना की अवधि मार्च 2020 तक +बढ़ाने का प्रस्ताव। वर्तमान निवेश सीमा को प्रति वरिष्ठ +नागरिक के लिए 7.5 लाख रुपये की मौजूदा सीमा से +बढ़ाकर 15 लाख रुपये करने का प्रस्ताव। + +1 लाख रुपये से अधिक के दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ पर + +10 प्रतिशत की दर से टैक्स लगेगा जिसमें कोई भी सूचीकरण + +लाभ नहीं मिलेगा। हालांकि, 31 जनवरी, 2018 तक हुए सभी + +लाभ को सरेक्षित किया जाएगा। + +इक्विटी उन्‍्मुख म्यूचुअल फंडों द्वारा वितरित आय पर 10 + +प्रतिशत की दर से टैक्स लगाने का प्रस्ताव। + +व्यक्तिगत आयकर और कॉरपोरेशन cae पर देश उपकर को + +मौजूदा 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 4 प्रतिशत करने का प्रस्ताव। + +प्रत्यक्ष कर संग्रह में और अधिक दक्षता एवं पारदर्शिता +सुनिश्चित करने के उद्देश्य से आपसी संपर्क लगभग पूरी तरह +समाप्त करने के लिए देश भर में ई-निर्धारण शुरू करने का + +ea | oO +S + + + + + +0039.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +cr + +देः के ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका को बढावा +देने के लिए केंद्रीय वित्त एवं कॉर्पोरेट मामलों +के मंत्री श्री अरुण जेटली ने महत्वपूर्ण उपायों की दल +घोषणा की। उन्होंने कहा, “जैसा कि प्रस्तावों में ! +उल्लेख किया गया है, अगले वर्ष सरकार का मुख्य ! +जोर आजीविका, कृषि और संबद्ध क्रियाकलापों तथा +ग्रामीण अवसंरचना के निर्माण पर अधिक व्यय के [६ +जरिए ग्रामीण क्षेत्रों में जीवनयापन के अधिकतम , A +अवसर उपलब्ध कराना है।' | ane + +ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका और अवसंरचना :*-$ +के निर्माण के लिए वर्ष 2018-19 में fafa |e +मंत्रालयों द्वारा 14.34 लाख करोड़ रुपए खर्च +किए जाएंगे जिसमें 11.98 लाख करोड़ रुपए के +बजटीय ओर गैर-बजटीय संसाधन उपलब्ध हें। +कृषि क्रियाकलापों और स्वरोजगार से उत्पन्न रोजगार के अलावा +इस व्यय से 321 करोड़ व्यक्ति दिनों का रोजगार, 3.17 लाख +किलोमीटर लंबी ग्रामीण सड़कें, 51 लाख नए ग्रामीण मकान, +1.88 करोड़ शौचालय उपलब्ध होंगे तथा कृषि के विकास के +अतिरिक्त ग्रामीण परिवारों को बिजली के 1.75 करोड नए +कनेक्शमन प्रदान किए जाएंगे। + +इसके अलावा, सरकार ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका अभियान +के आवंटन को 2018-19 में बढ़ाकर 5750 करोड़ रुपए कर दिया +है। महिलाओं के स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) को दिए जाने +वाले ऋणों को 2016-17 में बढ़ाकर 42,500 करोड़ रुपए कर +दिया गया है जिनमें पिछले वर्ष की तुलना में 37 प्रतिशत बढ़ोतरी +हुई है। एसएचजी को दिए जाने वाले ऋणों के मार्च 2019 तक +बढ़कर 75,000 करोड़ रुपए होने की उम्मीद हे। + +प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना-हर खेत को पानी के तहत + +iS +MS + + + + + + + +& +Ana: + +प्रयोजन के लिए 2600 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं। इससे सिंचाई +से वंचित उन 96 जिलों के लिए सिंचाई की व्यवस्था होने की +उम्मीद है जहां वर्तमान में 30 प्रतिशत से भी कम भूमि पर सिंचाई +की व्यवस्था हे। +ग्रामीण जीवन में सुधार के लिए गोबर-धन योजना की शुरुआत + +गांवों को खुले में शौच की समस्या से छुटकारा दिलाने +और ग्रामीणों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए वित्त मंत्री ने +गैलवनाइजिंग ऑर्गेनिक बायो-एग्रो रिसोर्सिस धन (गोबर-धन) की +शुरुआत करने की घोषणा की। उन्होंने बताया कि इसके तहत +गोबर और ठोस अपशिष्ट को खेतों में कंपोजिट, बायो-गैस और +बायो-सीएनजी में बदला जाएगा। + +अवसंरचना विकास, विपरीत सतह की सफाई, ग्रामीण निकासी +व्यवस्था और अन्य कार्यक्रमों के लिए नमामी गंगे कार्यक्रम के +तहत 16,713 करोड़ रुपए की लागत से 187 परियोजनाओं को +मंजूरी दी गई है। इनमें से 47 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं तथा शेष +कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं। नदी के किनारे +कह स्थित सभी 4465 गंगा ग्रामों को खुले में शौच से +कक मुवत घोषित किया गया हे। +। समावेशी समाज के लक्ष्य को प्राप्त करने के +हैं लिए विकास की विभिन्न सूचियों को ध्यान में रखते +हुए सरकार ने 115 महत्वाकांक्षी जिलों की पहचान +है की है जिसका लक्ष्य स्वास्थ्य, शिक्षा, पोषण, +हक कौशल उन्नयन, वित्तीय समावेशन जैसी सामाजिक +ह सेवाओं तथा सिंचाई, ग्रामीण विद्युतीकरण, पेयजल +॥ शौचालय तक पहुंच जैसी अवसंरचना में तेजी से +» तथा समयबद्ध तरीके से निवेश करके इन जिलों में +रहने वाले लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार +करना है। ऐसी उम्मीद है कि ये 115 जिले विकास + +का आदर्श बनेंगे। Q + + + + + +0040.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +Serta Test + +a SrSvoT म्विश्या +The most trusted name in Political Science + +शराज्जनील्ि सब्विज्ञान car wesrss secret + +# सामान्य अध्ययन के प्राठ्यक्रम का सबसे ज्यादा भाग कवर करने वाला! विषय। + +हु वर्तमान पाठयक्रम में राजनीति विज्ञान सामान्य अध्ययन का ही विस्तार है। + +हज हमारे संस्थान के विद्यार्थियों में उ०प्र० टॉपर, उत्तराखण्ड में तीसरा स्थान, बिहार +मैं त्तीसरा एवं चौथा स्थान, झारखण्ड टॉपर एवं मध्यप्रदेश में 13वीं एवं राजस्थान में +941.18a1 va 25a स्थान प्राप्त किया है। + +हज सिविल सेवा परीक्षा में 28वीं रैंक, 55वीं रैंक, 11वीं रैंक त्तथा 175वीं रैंक प्राप्त किया है। + +#े परिणाम अध्ययन की गुणवत्ता प्रदर्शित्त करते हैं। + +हु सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों का मार्गदर्शन संस्थान के द्वारा किया गया है। + +४ हमारे सरथान की सफलता दर सर्वाधिक बेच्चत्तर है। + + + + + + + + + + + + + + +td + +भूमणएडलीकरण को दौर में + +4 भारतीय विदेश नीति + +Pate ren परीक्षाओं को लिए + +wes ee कैगा es ey a pes sic] +wt com char at Ae oes oe Te] + + + + + +4-20, 102, ist Floor, Indraprasth Tower, (Near Batra Cinema} +eT a te es ee els) + +Ph.: 01 1-27651250, 098991 56495 + +E-mall : saraswatLias@gmall.com Visit us : www.saraswatilas.com + +40 योजना, मार्च 2018 + +x + +YH-795/2017 + + + +0041.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + +भी अन्तः-श्षेत्रीय मुद्दे हैं। +सरकार ने भी इस मुद्दे पर +जागरूकता का प्रदर्शन किया +है। महत्वपूर्ण आवंटनों के साथ +रेलबे में भी विद्युत-कर्षण को +बढ़ावा दिया जा रहा है। इसी +प्रकार, सरकार ने घोषणा की +है कि एक नीति के तहत +2030 तक सभी सड़क वाहनों +को विद्युत से चलने वाले +वाहनों में परिवर्तित कर दिया +जाएगा। इस मुद्दे पर घोषित +समय-सीमा और हाइब्रिड +वाहनों के मुकाबले विद्युत +से चलने वाले वाहनों को +तरजीह देने, दोनों ही deat +में, उद्योग-जगत सरकार से पूरी +तरह सहमत नहीं है + +जी रघुराम + + + +018-19 का केंद्रीय बजट बुनियादी +2 ढांचे के लिए 5.97 खरब रुपयों के +कुल आवंटन की व्यवस्था करता +है। 2017-18 में इसमें 4.94 खरब के खर्च +का प्रावधान था। बुनियादी ढांचे के लिए +आवंटन न केवल समग्र रूप से बल्कि +सम्पूर्ण बजट आवंटन के एक हिस्से के +रूप में भी बढ़ रहा है। यह आवंटन रेलवे, +सड॒क, विमानन आदि समेत बुनियादी ढांचे +के सभी उप-दक्षेत्रों में बढ़ता गया है। +इसमें सर्वाधिक एकल इकाई खर्च +भारतीय रेलवे के लिए है। वर्तमान +बजट में क्षमता-निर्माण पर अधिक बल +है, जिसमें ट्रैक दोहरीकरण; तीसरी और +चौथी लाइन का काम; 5000 किलोमीटर +का गेज-परिवर्तन; 600 रेलवे स्टेशनों का +पुनर्विकास तथा आधुनिक ट्रेनों की प्रस्तावना +आदि हैं। प्रस्तावित गेज-परिवर्तन देश को +ब्रॉड-गेज (बड़ी लाइन) आधारित बहु-गेज +प्रणाली से लैस कर देगा। बजट में मुंबई +एवं बेंगलुरु समेत उप-नगरीय रेलवे पर +भी विशेष ध्यान दिया गया है। मुंबई पर +खर्च 0.55 खरब रुपयों वाली मुंबई नगरीय +परिवहन परियोजना के चरण का हिस्सा +होगा। +केंद्रीय बजट में सड॒क बुनियादी +ढांचा पर 1.21 खरब रुपयों का कुल व्यय +शामिल है। यह व्यय भारतमाला परियोजना +के लिए अनुमोदित 5.35 खरब रुपयों का +हिस्सा है, जिनमें आर्थिक गलियारों का +विकास, महत्वपूर्ण राष्ट्रीय गलियारों की +दक्षता में सुधार और सीमा, तटवर्ती क्षेत्रों + + + + + + + +बजट और अवसंरचनना विकास + +एवं बन्द्रगाहों को जोड़ने वाली सड़कों का +विकास शामिल हें। + +रेलवे एवं भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग +प्राधिकरण एनएचएआई दोनों से, केवल +आंतरिक अधिशेषों एवं बजट की सहायता +के अतिरिक्त कोष एकत्रित करने की +अपेक्षा है। रेलवे से, बॉण्ड के जरिये +पारंपरिक तौर पर धनराशि जुटाने के +अलावा सार्वजनिक-निजी भागीदारी से भी +धन एकत्र किये जाने की अपेक्षा है। रेलवे +स्टेशनों के पुनर्निर्माण और रेल के इंजन +एवं डिब्बों के विनिर्माण में आईएनएचएआई +टोल, ऑपरेट तथा ट्रान्‍्सफर टीओटी जैसी +योजनाओं का इस्तेमाल करेगा तथा ऐसी +सडक परिसंपत्तियां, जो बिल्ड, ऑपरेट और +ट्रास्सफर बीओटी के अंतरण-चरण को पार +कर गई हैं, उसके इस्तेमाल से बाजार से +इक्विटी एकत्र करेगा। + +सामुद्रिक क्षेत्र में, सायरमाला परियोजना +के हिस्से के रूप में व्यय पर ध्यान केन्द्रित +किया गया है। विमानन में, हवाई-अडडों +की क्षमता में सुधार, नए हवाई-अड्डों का +विकास करने और हेलिपैडों तक पहुंच +बढ़ाने पर बल है। बुनियादी ढांचा व्यय के +अन्य क्षेत्रों में 99 स्मार्ट शहर एवं ग्रामीण +सड़कों, घरों, विद्युत, स्वच्छता, सिंचाई तथा +जलापूर्ति के जरिए ग्रामीण बुनियादी ढांचा +शामिल है। +व्यय के लिए अपर्याप्त बैंडविथ + +बढ़ते आवंटन के साथ एक महत्वपूर्ण +चुनौती है। इसे प्रभावी रूप से खर्च करने की +हमारी क्षमता। उदाहरण के लिए, भले ही + + + + + +लेखक भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआइएम) , बंगलुरू के निदेशक हैं। इनकी विशेषज्ञता इन्फ्रास्ट्रक्चर और परिवहन व्यवस्था और लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चेन प्रबन्धन +में है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में इनके 35 से अधिक सन्दर्भ पत्र और 155 से अधिक केस स्टडीज्‌ प्रकाशित हुए हैं। इन्होने 6 किताबों को संयुक्त रूप से लिखा है। +ये भारत सरकार के कई सारे मंत्रालयों में सलाहकार समितियों व कई सरकारी नीति निर्माण से जुड़े रहे हैं। ईमेल: graghu@iimb.ac.in + +योजना, मार्च 2018 + +41 + + + +0042.txt +<----------------------------------------------------------------------> +Bile +है a + +Vb Fy + +बजट 2018-19 +प्रसिद्ध पर्यटन स्थल + +की + +शु+ 1 प्रमुख पर्यटन स्थलों को प्रसिद्ध पर्यटन स्थल के रूप में + +विकसित किया जाएंगा + +आधघारमृत सुविधाओं व॑ कौशल विकास, प्रौद्योगिकी का विकास, + +निजी निवेश आकर्षित करके ब्राड्िंग व॑ विषणन का अनुसरण +करते हुए व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाया जाएगा " + +| ४आ॥114 ॥88484 ४+॥४॥॥ | We ee + + + +2017-18 में कुल बजट सहायता से रेलवे +के लिए आवंटन 0.55 खरब रुपये था लेकिन +प्रत्याशित वास्तविक व्यय 0.42 खरब रुपये +ही रहा। परिणामस्वरूप, 2018-19 के लिए +कुल बजट सहायता प्रावधान 0.55 खरब +ही रखा गया है, यानी बिना किसी बढ़ोतरी +के और लगभग पिछले वर्ष के प्रावधान के +समरूप ही। + +खर्च करने की अक्षमता, जाहिर तौर पर +लिखित परियोजना-दस्तावेज तथा अनुमतियों +के त्वरित प्रसंस्करण को सामने रखने में +अपर्याप्त सरकारी क्षमता; कानूनी एवं न्यायिक +क्षमता का अभाव तथा ऋण-वित्त पोषण +को अवरुद्ध करने वाली महत्वपूर्ण अनर्जक +बुनियादी परिसंपत्तियों का एक प्रकार्य है। +अनुमतियों और कानूनी उलझनों के चलते +कई परियोजनाएं अधर में लटकी हुई हैं। +ऐसी परिसंपत्तियों को बचाने एवं फिर +से चालू करने के लिए एक सम्मिलित +प्रयास करना जरूरी है। कई परियोजनाओं +में कानूनी अड्चनों को दूर करने के लिए +किए गए प्रयासों के लिए सड़क परिवहन +एवं राजमार्ग मंत्रालय की निश्चित रूप से +सराहना की जानी चाहिए, हालांकि अभी भी +काफी परियोजनाएं लटकी हुई हैं। + +यह दुर्भाग्यपूर्ण ही है कि बजट को +इतना अधिक महत्व मिलता है लेकिन +बजट के निष्पादन की समीक्षा के लिए +कोई तंत्र नहीं है, न केवल वित्तीय तौर +पर बल्कि कारणों के विश्लेषण द्वारा प्राप्त + +42 + + + +वास्तविक परिणामों के लिए भी। वार्षिक +आर्थिक सर्वेक्षण एक बेहतरीन दस्तावेज है, +जो समग्रता से बजट निष्पादन को विभिन्न +उप क्षेत्रों में प्रस्तुत करता है। बजट में +राजनीतिक वाकपदुता पर ध्यान अधिक रहता +है, अक्सर समान गतिविधियों की पुनरावृत्ति +होती है। उदाहरण के लिए, रेलबे स्टेशनों +का विकास तथा नए हवाई-अड्डों का +निर्माण लगातार कई बजटों में दुहराया गया +है। हालांकि पिछले बजटों में सेतुभारतम +(राष्ट्रीय राजमार्गों से लेवल क्रॉसिंग +हटाना), स्पेशल यूनिट फॉर ट्रांसपोर्टेशन + + + + + +बंजट 2018-19 + +रिसर्च एंड एनालिटिक्स सूत्र, स्पेशल रेलवे +इसटैबलिशमेंट फॉर स्ट्रेटिजिक tacit +ऐंड होलिस्टिक ऐडवांसमेंट (श्रेष्ठ) जैसी +योजनाएं थीं लेकिन इन गतिविधियों को +उनके वास्तविक प्रयोजनों के समकक्ष +रखकर देखने पर उनकी प्रगति की अवस्था +का पता लगाना कठिन है। +व्यय निर्देशन साधन परियोजनाकरण + +पिछले कुछ वर्षों में यह चलन रहा +है कि विभिन्न क्षेत्रों में आवंटन, प्रधानमंत्री +ग्रामीण सड़क योजना, सागरमाला, द्वुत गति +रेल, भारतमाला परियोजना जैसी दीर्घावधि +बहु-गतिविधि वाली परियोजना की अवधारणा +द्वारा निर्देशित रहा है। द्रुत रेल और भारतमाला +परियोजनाओं की घोषणा क्रमशः सितंबर तथा +अक्तूबर 2017 में की गई थी। (बेशक, +भारतमाला कई मायनों में पहले की राष्ट्रीय +राजमार्ग विकास परियोजना का ही संशोधित +संस्करण है।) + +इस तरह की अवधारणा विभिन्न वार्षिक +मांगों से घिर जाने के बजाय अधिक स्थिरता +एवं निर्देशन प्रदान करती है। + +परियोजनाकरण के बावजूद, तीन क्षेत्र हैं, +जहां हम लड॒खड़ाते हैं। उदाहरणार्थ, भारतनेट +परियोजना (पूर्व की राष्ट्रीय ऑप्टिकल +फाइबर नेटवर्क परियोजना), जिसके द्वारा +प्रत्येक ग्राम पंचायत को ब्रॉडबैंड से जोड़ा +जाना था, में क्रियान्वयन संबंधी समस्याएं +थीं, जिस करण निर्धारित समय-सीमा में + +ti +Yad + +Oa ce a wolfe arden so 2018-19 & लिए रेलवे कैपेक्स 1,18,528 करोड़ + +ao + +फछआाए प्रभुख रजपे स्टेशनों को पुनर्मिकिंसित किया जाएगा + +४2०1) CA Rm (हि. 1 6.६ al है 80 Co + +लगाए जाएंगे + +परी पलये इटेशनों और रेलगाडियों में वाई- फाई फ जुकिधां + +%$ उन्नत सुविधाओं और विशेषताओं से युक्‍्ता आधुगिक ढरेगों के + +तैयार फिये जाएंगे + + + + + +Da +रु + +7 + +योजना, मार्च 2018 + +a + + + +0043.txt +<----------------------------------------------------------------------> +काफी विलंब हुआ। सार्वजनिक क्षेत्र के +उपक्रमों (जिन्होंने इसे प्राथमिकता नहीं दी) +को क्रियान्वयन का जिम्मा सौंपने के कारण +समस्या हुई। + +ग्रामीण बुनियादी ढांचा के संदर्भ +में देखें तो, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क +योजना सर्वाधिक सफल बुनियादी ढांचा +परियोजनाओं में से एक रही है। इस +परियोजना का द्वितीय दशकौय चरण 2021 +के. बजाय 2019 में ही पूरा हो गया है, +इसलिए अब तीसरे चरण को शुरू किया +जा सकता है। दूरगामी क्षेत्रों तक पहुंच +सुनिश्चित करने के अतिरिक्त ग्रामीण +सड॒क नेटवर्क सड॒कों के बेहतर रखरखाव +तथा दोतरफा संपर्क पर ध्यान दे रहा हे +ताकि केवल भौतिक रूप से संपर्क न +ae बल्कि सेवाओं को भी सुगम बनाया +जा सके ग्रामीण विद्युत के संदर्भ में देखें +तो, हमारा ध्यान ग्राम-स्तरीय संयोजकता +से घर के स्तर पर संयोजकता की ओर +केन्द्रित हो रहा है। स्वच्छता के संदर्भ में +बात करें तो, यद्यपि हमारा ध्यान शौचालय +निर्माण पर है लेकिन इसका पूरा लाभ तभी +मिल पाएगा जब इसका इस्तेमाल बढेगा। +इसके लिए ‘refer’ aa प्रयासों की +आवश्यकता है। +अंतः-द्षेत्रीय मुद्दे + +हालांकि, एक सम्बद्ध चुनौती अन्तः- +क्षेत्रीय निहितार्थों को परखने की है। +उदाहरण के लिए, सड॒क संपक में सुधार +को देखते हुए यह साफ नहीं है कि नए +हवाई-अड्डे बनाना और उन्हें जोड़ना +एक रास्ता हो सकता है या नहीं। अधिक +हवाई-अड्डे प्रति हवाई-अड्डा जगह को +कम कर देंगे, जिससे उड़ानों की आवृत्ति +कम हो जाएगी और इससे इसकी सम्पूर्ण +वहनीयता पर ही प्रश्न चिह्न खडे हो जाएंगे। +उदाहरणार्थ, हुबली और बेलगावी के बीच +की दूरी 100 किमी. से भी कम है और ये +बेहतरीन सड़क संपर्क से सम्बद्ध हैं, फिर +भी प्रतिदिन महज कुछ उड़ानों के लिए +वहां आधुनिक हवाई-अडडे बनाने की +योजना है इनमें से किसी भी हवाई-अड्‌डे +पर पहुंचने के लिए लगभग दो घंटे का +समय लगेगा। अगर तुलना करें तो, बेंगलुरु +में ऐसी कई जगहें हैं, जहां से हवाई-अडडे +तक पहुंचने में दो घंटे से अधिक का वक्‍त + +योजना, मार्च 2018 + + + + +cae + +a का + + + + +बंजट 2018-19 +नम [पर] निर्माण + +© + +<*एक वर्ष में एक बिलियन यात्राओं को संभालने के लिए हवाई +अड्ड़रो की क्षमता में रू गुना से अधिक विस्तार करने का प्रस्ताव + +ध*मारतीय विमान पत्लन प्राधिकरण के विस्तार और अधिक +Ta जुटाने के लिए भारतीय विमान पनक्ञन प्राधिकरण की + + + +लगेगा। सड़कों के एकीकरण और दूरी +के बजाय पहुंच में लगने वाले वक्‍त को +ध्यान में रखने के द्वारा हवाई-संयोजकता +की सम्पूर्ण समझ को देखना एक बेहतर +मार्ग हो सकता है। जैसे, पहाड़ी इलाकों में +हवाई-अड्डों का एक-दूसरे के निकट होना +फिर भी ठीक है। + +मेट्रो एवं रेलवे के बीच इंटरमॉडल +संयोजकता एक अन्य अन्तः-द्षेत्रीय क्षेत्र है। +बेंगलुरु और दिल्‍ली ऐसी ही संयोजकता का +उदाहरण है, इस समय यह सुविधा बहुत +अच्छी नहीं रह गई है, जो ग्राहक-अंतरण +के लिए खराब सेवा-गुणवत्ता की ओर बढ़ी +है। परिणामस्वरूप इसकी मांग में कमी आई +है। इससे यह पता चलता है कि “स्मार्ट! +शहरों के बजाय बुनियादी गुणवत्ता की +आवश्यकता है। + +केंद्रीय बजट में सड़क बुनियादी +ढांचा पर 1.21 खरब रुपयों का कुल +व्यय शामिल है। यह व्यय भारतमाला +परियोजना के लिए अनुमोदित 5.35 +खरब रुपयों का हिस्सा है, जिसमें +आर्थिक गलियारों का विकास, +महत्वपूर्ण राष्ट्रीय गलियारों की दक्षता +में सुधार और सीमा, तटवर्ती क्षेत्रों +एवं बन्दरगाहों को जोड़ने वाली +सड़कों का विकास शामिल है। + + + + + +| 3814॥444॥%1187980» | ब+॥क॥॥ ॥1॥॥#0# | ४६181884187417104॥ | हुआ॥॥॥॥॥4॥॥141॥81॥॥118॥ + +ऊर्जा तथा परिवहन के बीच भी +अन्तः-क्षेत्रीय मुद्दे हैं। सरकार ने भी इस +मुद्दे पर जागरूकता का प्रदर्शन किया है। +महत्वपूर्ण आवंटनों के साथ रेलवे में भी +विद्युत-कर्षण को बढ़ावा दिया जा रहा है। +इसी प्रकार, सरकार ने घोषणा की है कि +एक नीति के तहत 2030 तक सभी सड॒क +वाहनों को विद्युत से चलने वाले वाहनों में +परिवर्तित कर दिया जाएगा। इस मुद्दे पर, +घोषित समय-सीमा और हाइब्रिड वाहनों के +मुकाबले विद्युत से चलने वाले वाहनों को +तरजीह देने, दोनों ही संदर्भों में, उद्योग-जगत +सरकार से पूरी तरह सहमत नहीं है। +उपसंहार + +वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण +की शुरुआत में ही संकेत दिया कि +“जीडीपी की वृद्धि बढाने, देश को +सड़कों, हवाई- अड्डों, रेल, बन्द्रगाहों एवं +अन्तर्देशीय जलमार्गों के एक नेटवर्क से +जोड़ने और एकीकृत करने तथा बेहतर +सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए” भारत को +अवसरचना के क्षेत्र में 50 खरब रुपयों +से अधिक के निवेश की आवश्यकता है। +उन्होंने घोषणा की कि सरकार इसके लिए +प्रतिबद्ध है और आवश्यक निवेश सुनिश्चित +करेगी। धनराशि का आवंटन उतनी बडी +चुनौती नहीं है, जितनी समुचित रूप से +रणनीति बनाने एवं समय पर क्रियान्वयन +सुनिश्चित करने की है। | + + + + + +43 + + + +0044.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + +पूरे भारत में सबसे सफल शिक्षक +अमित कुमार सिह के मार्गदर्शन में | + +UCR CUTS PAU [1६:7५ ६: है। [हैं | | है। [/ [| + + + + + + + +सामान्य अध्ययन का स्वतंत्र माइयल ! पढ़ेंडनसे जो स्वयं सिविल सेवा में चयनित हो चुके हैं। + +//*/९/९/९/९/९/९/९/९/ WY yn + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +WAAAAAA AY AA +Geography + Environment + + + + +History Polity +1 0 March 02:00 pm 1 0 March 12:00 pm 1 0 March 10:00 am +by Aditya Patel by Sandeep Kumar by Ravi Prakash +(Selected UPSC 2016) (Selected UPSC 2016) + + + + +25 Class - Fee- 1500/- + +25 Class -Fee- 1500/- 25 Class - Fee- 1500/- + + + +F 5 से 6 महीने के बजाय 1S 12S A AA lla Aaah oil STMT AAA Ud धन दोनों की बचत करेगी | +७&- जब आप कहीं की कोचिंग करते है तो 60-80 हजार रुपये और 1५ वर्ष व्यर्थ करने के बावजूद कुछ +विषयों पर आपकी समझ कमजोर रह जाती है क्योंकि पूरी 55 की ०1४5 में एक से दो प्रख्यात शिक्षक ही +क्लास लेते हैं। + +इस माड्यूल के माध्यम से आप अपने कमजोर विषय को कम समय व मेहनत से तैयार कर पायेंगे। + +इस माड्यूल कार्यक्रम का मार्गदर्शन ऐसे शिक्षक करेंगे जो स्वयं इस परीक्षा (185) में उत्तीर्ण है, जिससे +आपकी तैयारी ज्यादा 10116 point eet | + +oe इस कार्यक्रम में आपके मूल्यांकन के लिए टेस्ट सीरीज भी शामिल हैं| + +दर्शन शास्त्र | एथिक्स (७४-१४) | Current Affairs बे + +| Aditya Patel, Ashutosh Dwivedi +Case Study + Previous year| "ste nrg rien + +' ड़ Sandeep Ki & our t +by Amit Kumar sir Question Paper Solve " 20 Days +३१000/ + +1 0 March 03:30 pm 15 March 07:00 pm 1 7 March 06:30 pm + +१ + +4 + + + + + + + + + + + +उपरोक्त कार्यक्रम दिल्‍ली सेन्टर. 5: + +Gh + +A Premier Institute for [AS/PCS + +A-2, 1st Floor, Comm. Comp. Mukherjee Nagar, Delhi-110009 H-1, 1st Floor, Ram Mohan Plaza, Madho Kunj, Katra +© 011-27654704, 9643760414, @ 8744082373 © 9389376518, @ 9793022444, 0532-2642251 + +Visit us: www.ignitedmindscs.com + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +44 + +योजना, मार्च 2018 + +YH-650/10/2017 + + + +0045.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +समन्वित परिवहन की दिशा में बढ़ते ठोस कदम + + + +हमारा परिवहन तंत्र दुनिया में +विशालतम होने के बावजूद +यात्री और माल यातायात +दोनों मामलों में धीमी रफ्तार +और अकुशलता का शिकार +रहा है। भीड़भाड़ और प्रदूषण +के भारी दबाव के अलावा +हर साल करीब डेढ़ लाख +लोगों की मौतें भी सड़क +दुर्घटनाओं के चलते हो रही +हैं। अकेले सड़क दुर्घटनाओं +से सालाना 65 से 75 हजार +करोड़ रुपये की हानि हो +रही है। सड़कें माल ढुलाई में +सबसे महंगी पड़ती हैं, जबकि +रेलें और जलमार्ग अधिक +'किफायती और पर्यावरण मैत्री +हैं। हमारा जोर सबसे अधिक +सड़कों पर रहा है जिस +कारण हमारी लॉजिस्टिक्स +लागत इतनी आती है कि +दुनिया के बाजार में हमारे +उत्पाद टिक नहीं पा रहे हैं + +अरविंद कुमार सिंह + +त्त और कारपोरेट मामलों के +मंत्री ने संसद में 2018-19 +का बजट पेश करते समय + +आधारभूत सुविधाओं के विकास पर फोकस +करने के साथ इस बात का साफ तौर पर +संकेत दिया है कि सरकार समन्वित परिवहन +ढांचे के तहत आगे की सेवाओं की प्राथमिकता +तय करेगी। बजट में बेशक सरकार ने रेल और +सडक क्षेत्र के महत्व को देखते हुए उनके +लिए अब तक का सबसे ज्यादा आवंटन का +प्रस्ताव किया है लेकिन बाकी साधनों पर भी +खास ध्यान रखा गया है। वित्त मंत्री ने माना +कि सड़कों, हवाई अड्डों, रेलवे, बंदरगाहों +और अंतर्देशीय जलमागों के नेटवर्क से देश को +जोड़ने और और एकीकृत करने के लिए और +नागरिकों को अच्छी और गुणवत्तापूर्ण सेवाएं +उपलब्ध कराने के लिए अवसंरचना में 50 +लाख करोड़ रुपये से अधिक निवेश की जरूरत +है। सरकारी ने निवेश बढ़ाने के प्रति प्रतिबद्धता +जताते हुए आम बजट 2018-19 में बुनियादी +ढांचे के विकास के लिए 5.97 लाख करोड +रुपये का प्रावधान किया है। + +आम बजट में बुनियादी ढांचे और खास +तौर पर परिवहन तंत्र के लिए कई नयी पहल +की गयी है। 2018-19 में करीब नौ हजार +किमी राष्ट्रीय राजमार्ग बनेंगे। भारतमाला के तहत +सरहदी और पिछड़े इलाकों में कनेक्टिविटी +सुधार को प्राथमिकता देते हुए सरकार ने पहले +चरण में करीब 5.35 लाख करोड़ की लागत +से 35 हजार किमी सड़कों के निर्माण का +लक्ष्य रखा है। सड़क परिवहन और राजमार्ग +क्षेत्र के लिए बजट में 71 हजार रुपये का +प्रावधान किया गया है जो पहले से 10 हजार +करोड़ रुपये अधिक है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग +प्राधिकरण को राजमार्गों के विकास के लिए +2018-19 में 29,663 करोड़ रुपये से अधिक + + + + + + + + + +का प्रावधान किया गया है जो पिछले बजट में +23 ,891 करोड़ रुपये था। इसी तरह सड़क तथा +पुलों के लिए 21 453 करोड़ रुपये का प्रावधान +किया है। इसी के साथ सरकार ग्रामीण क्षेत्रों +में सड़कों के कायाकल्प के लिए अलग से +विशाल राशि भी मुहैया करा रही है। प्रधानमंत्री +नियमित तौर पर प्रगति के माध्यम से बुनियादी +क्षेत्र में उपलब्धियों की समीक्षा कर रहे हें +और इसके तहत 9.46 लाख करोड़ रुपये की +परियोजनाएं शुरू की जा चुकी हैं। +समन्वित परिवहन पर जोर + +लेकिन यह गौर करने वाला तथ्य है कि +2017-18 के आम बजट में रेल बजट के +समाहित होने के बाद से बजट में बुनियादी +ढांचे का संपूर्ण तानाबाना परिवहन ढांचे के +समन्वित एवं संतुलित विकास पर रहा है। +सरकार संपूर्ण परिवहन क्षेत्र को एक इकाई के +रूप में देख रही है और इसके समन्वित व +एकीकृत विकास के बारे में लगातार रणनीति +तैयार करने के साथ उसे जमीन पर उतार रही +है। उसकी कोशिश है कि परिवहन का हर +साधन एक दूसरे का सहयोगी बने। इसी नाते +सरकार ने कमजोर और अल्प विकसित जल +परिवहन के कायाकल्प का बीडा उठाते हुए +छोटे शहरों और दुर्गम इलाकों की कनेक्टिविटी +पर खास जोर दिया है। + +किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के +विकास के लिए एक दक्ष और सक्षम समन्वित +परिवहन प्रणाली की जरूरत है। भारत जैसे +विशाल और विशिष्ट भौगोलिक परिस्थितियों +वाले देश को तो इसकी और भी जरूरत है। +क्योंकि यहां की आबादी का एक बड़ा हिस्सा +गावों में रहता है और आबादी का एक बड़ा +हिस्सा कमजोर माली हालत वाला है। हमें +ऐसी प्रणाली भी चाहिए जिनकी दरें आम +आदमी के जेब के दायरे में हो। हमारी परिवहन + + + + + +लेखक रेल मंत्रालय के पूर्व सलाहकार तथा संचार व परिवहन क्षेत्र के विशेषज्ञ और वरिष्ठ पत्रकार हैं। भारत सरकार के जहाजरानी मंत्रालय की परियोजना के तहत +भारत के अंतर्देशीय जल परिवहन का efaera caw at @ M1 Le: arvindksingh.rstv@gmail.com + +योजना, मार्च 2018 + +45 + + + +0046.txt +<----------------------------------------------------------------------> +प्रणाली रेलवे, राजमार्ग, अंतर्देशीय जलमार्ग, +तटीय नौवहन तथा वायुमार्ग जैसे साधनों से +मिल कर बनी है। कभी हमारी परिवहन प्रणाली +की जीवनरेखा जलमार्ग थे पर वे हाशिए पर +चले गए. और कई दशकों से रेलें और सड़कें +महाबली बनी हुई हैं। + +हमारा परिवहन तंत्र दुनिया में विशालतम +होने के बावजूद यात्री और माल यातायात +दोनों मामलों में धीमी रफ़्तार और अकुशलता +का शिकार रहा है। भीड़भाड़ और प्रदूषण के +भारी दबाव के अलावा हर साल करीब डेढ़ +लाख लोगों की मौतें भी सड़क दुर्घटनाओं के +चलते हो रही हैं। अकेले सड़क दुर्घटनाओं से +सालाना 65 से 75 हजार करोड़ रुपये की हानि +हो रही है। सड़कें माल ढुलाई में सबसे महंगी +पड़ती है, जबकि रेलें और जलमार्ग अधिक +किफायती और पर्यावरण मैत्री हैं। हमारा जोर +सबसे अधिक सड़कों पर रहा है जिस कारण +हमारी लॉजिस्टिक्स लागत इतनी आती है कि +दुनिया के बाजार में हमारे उत्पाद टिक नहीं +पाते रहे हैं। + +इन बातों को ही ध्यान में रख कर सरकार +ने 2014 के बाद कई पहल की है जिससे +तस्वीर बदलने लगी है। हमारे राष्ट्री य राजमार्ग +देश के सड़क तंत्र का महज दो फीसदी होने +के बावजूद 40 फीसदी माल ढुलाई कर रहे हैं। +2014 में 96 हजार किमी राष्ट्रीय राजमार्ग थे +जो अब करीब डेढ़ लाख किमी तक पहुंच गए +हैं। सरकार ने सागरमाला के तहत बंदरगाहों के +विकास और आधुनिकीकरण का तानाबाना बुना +है। इसके तहत सड़क, रेल तथा जलमार्गों के +जरिये अंदरूनी हिस्सों को बंदरगाहों से जोड़ा +जाएगा। इससे लॉजिस्टिक लागत में 35 हजार +से 40 हजार करोड़ रुपये की बचत होगी, +निर्यात बढेगा और एक करोड़ नए रोजगार के +मौके पैदा होंगे। गंगा और ब्रह्मपुत्र की नौवहन +क्षमता के कायाकल्प के साथ सरकार अगले +तीन सालों में 37 दूसरे जलमा्गों को विकसित +कर रही है। इसके साथ ही एकीकृत परिवहन +प्रणाली का विकास किया जा रहा है, जिससे +सस्ते दर पर माल परिवहन क्षमता में बढ़ोतरी +होगी। + +हमारा सड़क नेटवर्क आज सबसे ताकतवर +और हमारी परिवहन की जीवनरेखा बना हुआ +है। देश के पिछड़े और अविकसित इलाकों +में संपर्कता बढ़ाने के लिए सरकार ने 5.35 +लाख करोड़ लागत की महत्वाकांक्षी भारतमाला +परियोजना के पहले चरण को मंजूरी दी हे। +इससे करीब 35 हजार किमी सड॒कें बनेंगी। + +46 + +लेकिन जमीनी हकीकत देखें तो पता चलता है +कि सड़क परिवहन लगातार रेलों को चुनौती +देते हुए उसे पीछे धकेलता रहा है। 1950-51 +के दौरान रेलवे 88 फीसदी तथा सड़क +परिवहन महज 10 फीसदी माल Tes कर +रहा था। लेकिन आज माल परिवहन में रेलवे +की हिस्सेदारी करीब तीस फीसदी पर आ गयी +है। इससे सारा दबाव सड़कों पर आ रहा है और +वायु प्रदूषण भी तेजी से बढ़ रहा है। सड़कों +पर टोल बैरियर, नगर निकाय, क्षेत्रीय परिवहन +कार्यालय, वन, आवश्यक वस्तु अधिनियम और +खनन आदि विभागों के चेक पोस्ट भी यात्री +और माल वाहनों की गति को धीमी कर +देते हैं। भारत में 1947 में महज 2.11 लाख +मोटर गाड़ियां थीं;,जबकि आज राष्ट्रीय परिवहन +रजिस्टर में 21.2 करोड़ वाहन दर्ज हो चुके हें +और इनकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। + +हमारे पास साधनों की कमी नहीं +है। हमारा सड़क और रेल नेटवर्क +दुनिया में सबसे बड़े नेटवर्कों में +शुमार है। हमारे पास 14,500 किमी +लंबे जलमार्ग तथा 13 विशाल और +200 छोटे बंदरगाह के साथ सवा सौ +से अधिक हवाई अडडे की हमारी +ताकत कम नहीं है। लेकिन इन साधनों +में आपसी तालमेल या सामंजस्थ की +कमी है। + +वहीं रेलवे की माल Cas का हाल +देखें तो उनके पास आज 95 फीसदी से +अधिक माल चुनिंदा वस्तुओं जैसे कोयला, +कच्चा माल, इस्पात, खाद्यान्न, उर्वरक, चीनी +और सीमेंट आदि का है। रेलवे नमक, खाद्यान्न +और उर्वरकों आदि की छढुलाई रियायती दरों पर +करती है। हमारी मालगाड़ियों की औसत गति +25 किमी प्रतिघंटा है, जो अमेरिकी मालगाडियों +की तुलना में आधी है। हमारी परिवहन व्यवस्था +पर कुछ वस्तुओं की छुलाई का भारी बोझ है +और अगले दो दशकों में इनकी छुलाई की +समग्र मांग चार से छह गुणा तक बढ़ सकती +है, जिस कारण भी हमें परिवहन के संबंध में +एकीकृत दृष्टिकोण पर ध्यान देना होगा। + +18 फरवरी, 2018 को प्रधानमंत्री ने नवी +मुंबई में कहा कि हम रेल या सड़क की +जगह जलमार्ग का उपयोग करें तो पर्यावरण +को नुकसान पहुंचाए बिना यातायात को बढ़ावा +दिया जा सकता हैं। इसके पहले पिछले साल +बुलेट ट्रेन परियोजना से संबंधित समारोह में + +अहमदाबाद में प्रधानमंत्री ने समन्वित परिवहन +पर जोर देते हुए कहा था कि यही नए भारत +की जरूरत है। इसी नाते हमने रेलवे, राजमार्ग, +जल मार्ग और वायुमार्ग समेत सभी क्षेत्रों में +एक समान आधारभूत ढांचे पर जोर दिया है +और अप्रत्याशित गति से कार्य आगे बढ़ रहा +है। हम देश की खूबियों को ध्यान में रखते हुए +आने वाली पीढ़ियों के हिसाब से आधारभूत +ढांचे का निर्माण की पहल कर रहे हैं। 106 +नदियों को राष्ट्रीय जलमार्ग के रूप में विकसित +करने की दिशा में सरकार आगे बढ़ी है। वायु +परिवहन में भी नयी संभावनाएं दिख रही हैं। +पिछले तीन सालों में हवाई जहाज में सफर +करने वाले घरेलू यात्रियों की संख्या में करीब +तीन करोड़ यात्रियों की वृद्धि हुई है। राष्ट्रीय +वायु परिवहन नीति के तहत मध्यम वर्ग के +जीवन में “उड़ान योजना' के माध्यम से बदलाव +लाने के लिए देश के 70 छोटे शहरों को इससे +जोड़ा जा रहा है। + +हाल में संसद में अपने अभिभाषण में +राष्ट्रपति ने कहा कि रेलवे परिवहन का मुख्य +साधन बना हुआ है और मेरी सरकार इसे +विश्व स्तरीय बनाने की ओर प्रतिबद्ध है। +लेकिन आधुनिक परिवहन व्यवस्थाएं इस तरह +विकसित की जा रही हैं कि सभी एक-दूसरे +से जुड़ी हुई हों। सरकार रेलवे की अहमियत +नजरंदाज नहीं कर सकती लेकिन अब उसका +जोर समन्वित परिवहन ढांचे पर है। + +2017 में रेल बजट को आम बजट में +समाहित करने के बाद से इस बात ने जोर पकड़ा +था कि सरकार अब रेल, सड़क, जहाजरानी +और विमानन को मिला कर एक नया मंत्रालय +बनाएगी। चार मंत्रालयों की जगह एक मंत्रालय +होने से तस्वीर बदलेगी और समग्र परिवहन +नीति बनाने का रास्ता साफ होगा। और इससे +प्रणाली अधिक किफायती, सुविधाजनक और +एकीकृत बनाने में मदद मिलेगी। प्रौद्योगिकी तौर +पर तो ऐसा नहीं हुआ है लेकिन सरकार ने +इसी भाव को आगे रख कर कदम बढ़ाया है। + +3 से 5 मई, 2017 के दौरान राजधानी +में भारत एकीकृत परिवहन और लॉजिस्टिक्स +सम्मेलन का आयोजन हुआ जिसमें भारत और +विदेशों के करीब तीन हजार प्रतिनिधियों ने +भाग लिया था। इसमें केंद्र और राज्य सरकारों +के साथ विश्व बैंक और एशिया विकास बैंक +जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठन भी शामिल a इसमें +करीब दो लाख करोड़ रुपये के 34 समझौता +ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए। पहली बार सड़क +परिवहन और्‌ राजमार्ग मंत्रालय, रेलवे, नागरिक + +योजना, मार्च 2018 + + + +0047.txt +<----------------------------------------------------------------------> +विमानन और जहाजरानी मंत्रालय ने साथ +मिल कर रणनीति बनायी। सरकार देश में 33 +लॉजिस्टिक पार्क और 10 इंटरमाडल स्टेशन भी +बनाने जा रही है जो प्रमुख उद्योग व्यापार केंद्रों +के करीब स्थापित होंगे। इनमें माल लादने, +उतारने, संग्रहीत करने और वितरित करने में +विश्व की बेहतरीन तकनीकों का उपयोग होगा। +दादरी में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का लॉजिस्टिक +पार्क बनेगा जहां से 2025 तक सालाना पांच +करोड़ टन माल की आवाजाही संभव होगी। +सब कुछ ठीक रहा तो इससे परिवहन लागत +में 10 फीसदी तक कमी आएगी और प्रदूषण +भी नियंत्रित होगा। राज्यों के बीच की तमाम +कानूनी अड्चनों को दूर करने और एकरूपता +से भी आपूर्ति श्रृंखला की समग्र लागत में पांच +से छह फीसदी की कमी आएगी। अभी भारत +में लॉजिस्टिफ लागत 13 से 18 फीसदी तक +है, जबकि अमेरिका में 10 फीसदी से कम +और यूरोप में 7.1 फीसदी तक। + +हमारे पास साधनों की कमी नहीं है। +हमारा सड़क और रेल नेटवर्क दुनिया में +सबसे बड़े नेटवर्कों में शुमार है। हमारे पास +14,500 किमी लंबे जलमार्ग तथा, 13 विशाल +और 200 छोटे बंदरगाह के साथ सवा सौ से +अधिक हवाई अड्डे की हमारी ताकत कम +नहीं है। लेकिन इन साधनों में आपसी तालमेल +या सामंजस्य की कमी है। 11वीं पंचवर्षीय +योजना के दौरान तत्कालीन योजना आयोग +के सलाहकार मोंटेक सिंह अहलूबालिया की +अध्यक्षता में एकीकृत परिवहन नीति बनाने +के लिए एक समूह बना। इसने सड़कों के +सुधार, अंतर्देशीय जल परिवहन को बढ़ावा +देने समेत शहरी परिवहन व्यवस्था को चाक +चौबंद करने जेसे कई सुझाव दिए थे। इससे +पहले योजना आयोग के उपाध्यक्ष के.सी. पंत +की अध्यक्षता में बनी टास्क फोर्स ने परिवहन +के सभी साथनों के बीच बेहतर तालमेल की +वकालत करते हुए माना कि रेल और सड़क +परिवहन के बीच समन्वय का अभाव है और +भारी प्रतिस्पर्धा भी है। सड़क परिवहन घर से +घर तक सामान पहुंचाने की क्षमता रखता है +जबकि रेलवे इसमें सक्षम नहीं है। उसे कई मदों +में सस्ती माल ढुलाई करनी पड़ती है। कम दूरी +और अधिक लाभ वाले माल की ढुलाई सड़कों +से होती है जबकि रेलवे लंबी दूरी के माल +की अधिक छुलाई करता है। रेलवे और सड़क +परिवहन के बीच कारगर समन्वय की जरूरत +है लेकिन यह तभी संभव होगा जब कोई राष्ट्रीय +एकीकृत परिवहन नीति हो। संसद की लोक + +योजना, मार्च 2018 + +लेखा समिति 1980-81 से इस मसले को +उठाती रही है। लेकिन सरकार ने इस सिफारिश +को नहीं स्वीकारा। कुछ काम जरूर हुए लेकिन +जमीनी हकीकत यह रही कि देश में परिवहन +के खास साधनों की अपनी नीति बनी रही और +उसी के हिसाब से रणनीतियां तय होती रहीं। +नए भारत की नयी रेल + +वित्त मंत्री ने संसद में 2018-19 का +बजट पेश करते समय समन्वित परिवहन ढांचे +पर जोर देने के बावजूद रेलवे को खास महत्व +दिया है। रेलवे का राजस्व पूंजी व्यय 1 48 528 +करोड़ रुपये रखा गया है, जिसका बड़ा हिस्सा +इसके क्षमता विस्तार पर व्यय होगा। 2013-14 +के मुकाबले इस राशि में सरकार ने तीन गुना +बढ़ोत्तरी की है। संरक्षा और सुरक्षा संबंधी कार्यों +पर 73,065 करोड़ रुपये का प्रावधान किया +गया है। 2018-19 में रेलबे की कुल प्राप्तियां +सात फीसदी बढोत्तरी के साथ 201 ,090 करोड +आंकी गयी है, जबकि राजस्व व्यय चार + +भारत सरकार ने हाल के सालों में +पूर्वोत्तर भारत में विकास को गति देने +की दिशा में कई पहल की है। इसमें +कनेक्टिविटी की योजनाओं पर खास +जोर है। अगरतला-आखुरा रेल-लिंक +पर तेजी से कार्य चल रहा है जो भारत +को बांग्लादेश से जोड़ेगा। शिलांग तुरा +सड़क परियोजना हाल में पूरी हुई +जिससे इस इलाके का संपर्क सुधरा है। + +फीसदी बढ़ोत्तरी के साथ 1,88,100 करोड +रुपये का होगा। सरकार ने रेलवे के कायाकल्प +के लिए कई अहम कदम उठाए हैं। रेल मंत्री +नीतिगत और संसाधन के स्तर पर मिल रहे +समर्थनों से उत्साहित हैं। + +पहली बार भारत सरकार ने सारे रेल +नेटवर्क को विद्युतीकृत करने जैसा बड़ा और +ऐतिहासिक फैसला लिया है। 2021-22 +तक रेलवे अपने 38 हजार किमी रेलमार्ग +के विद्युतीकरण को साकार कर लेगी। इस +परियोजना पर 32,591 करोड़ रुपये व्यय होगा +और जब सभी गाड़ियां बिजली से चलने लगेंगी +तो ईंधन बिल में सालाना 13 510 करोड़ रुपये +की बचत होगी। इससे यात्री और माल छुलाई +की क्षमता में व्यापक विस्तार होगा अभी +भारतीय रेल के कुल 67,368 किमी मार्ग +में से 25,201 किमी विद्युतीकृत है जो कुल +रेलमार्ग का 37.41 फीसदी बैठता है। राजस्थान +में केवल 11 फीसदी और कर्णाटक में 14.40 + +फीसदी रेलमार्ग विद्युतीकृत है जबकि सबसे +बडे राज्य उत्तर प्रदेश में 36.46 फीसदी। लेकिन +अब राज्यों के बीच विद्यमान असमानताएं दूर +होंगी। + +तमाम चुनौतियों के बावजूद रेलवे में +कई स्तरों पर सुधार दिखने लगा है। इसका +परिचालन अनुपात 2018-19 में 92.8 फीसदी +तक आने की उम्मीद है जो कि 2017-18 में +96 फीसदी तक पहुंच गया था। 2018-19 में +एक हजार किमी नयी रेल लाइन, एक हजार +किमी का आमान परिवर्तन और 2100 किमी +का दोहरीकरण का लक्ष्य रेलवे ने रखा है। इसी +तरह 12,000 माल डिब्बों और 5160 सवारी +डिब्बों के साथ 700 इंजनों की खरीददारी से +भी रेलवे की ताकत और बढ़ेगी। मुंबई और +बंगलुरू में मेट्रो रेल के विस्तार के साथ +वडोद्रा में रेल विश्वविद्यालय स्थापित करने +की भी तैयारी है। इस बार 3900 किमी रेल +पथ नवीनीकरण के लिए 11,450 करोड़ रुपये +का आवंटन किया गया है। साथ ही भारतीय +रेल स्टेशन विकास कंपनी के तहत 600 प्रमुख +रेलवे स्टेशनों को फिर से विकसित करने का +काम शुरू किया जा रहा है। 25 हजार से +अधिक यात्रियों की क्षमता वाले रेलवे स्टेशनों +पर स्केलेटर लगेगे और सभी रेलवे स्टेशनों और +गाड़ियों में वाई फाई की सुविधा भी मुहैया +करायी जाएगी। + +यह उल्लेखनीय तथ्य है कि आजादी के +बाद से रेलवे में यात्री यातायात 1344 फीसदी +और माल यातायात में 1642 फीसदी बढ़ा +लेकिन रेलमार्ग महज 23 फीसदी बढ़ा। इस +नाते तमाम क्षेत्रों में सुविधाएं चरमराने लगीं। +इसी नाते 2014 में प्रधानमंत्री ने भारतीय रेल +के कायाकल्प को सरकार की प्राथमिकता का +हिस्सा बनाया। इसका असर अब दिखने लगा +है। भारतीय रेल 17 क्षेत्रीय रेलों और 68 +मंडलों के प्रशासनिक ताने-बाने के सहारे रोज +भारतीय रेल करीब ढाई करोड़ मुसाफिरों यानि +आस्ट्रेलिया की पूरी आबादी के बराबर लोगों +को गंतव्य तक पहुंचाती है। + +भारतीय रेल का नेटवर्क 67,368 किमी है +लेकिन यह भारी दबाव से जूझ रहा है। रेलवे +का सामाजिक सेवा दायित्व तेजी से बढ़ते हुए +आज 39,608 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। +इसमें केवल यात्री सेवाओं पर रेलवे को करीब +39,566 करोड़ रुपये की हानि उठानी पड़ रही +है। फिर भी यात्री सेवाओं की तरफ ध्यान देना +हर लिहाज से जरूरी है। आम आदमी को +बहुत सस्ती दर पर यात्रा सुलभ कराने के साथ + +47 + + + +0048.txt +<----------------------------------------------------------------------> +भारतीय रेल अनुकूल, सुरक्षित और यातायात +का सस्ता साधन है। सड़क परिवहन की तुलना +में रेलवे पांच से छह गुना अधिक कार्यकुशल +है और भूमि उपयोग के लिहाज से चार गुना +किफायती है। भारतीय रेल ने यात्री सुरक्षा, +रेलगाडियों की गति को बढ़ाने, यात्री और माल +टर्मिनलों के आधुनिकीकरण के साथ कई दिशा +में पहल की है। डेडिकेटेड फ्रेट कारिडोर पर +भी अच्छी प्रगति हो रही है, जिसका भविष्य में +रेलों की क्षमता विकास और गति विकास दोनों +में मदद मिलेगी। + +भारत सरकार ने हाल के सालों में पूर्वोत्तर +भारत में विकास को गति देने की दिशा में कई +पहल की है। इसमें कनेक्टिविटी की योजनाओं +पर खास जोर है। अगरतला-आखुरा रेल-लिंक +पर तेजी से कार्य चल रहा है जो भारत को +बांग्लादेश से जोड़ेगा। शिलांग तुरा सड़क +परियोजना हाल में पूरी हुई जिससे इस इलाके +का संपर्क सुधरा है। इसी तरह बहु प्रतीक्षित +देश के सबसे लंबे नदी पुल ढोला-सादिया को +भी राष्ट्र को समर्पित किया गया है। अकेले +इस पुल से असम और अरुणाचल प्रदेश के +बीच की दूरी 165 किलोमीटर कम हो गयी +है। भारत सरकार ने पूर्वोत्तर भारत में पिछले +तीन सालों में 970 किमी आमान परिवर्तन +के साथ सारी रेल लाइनों को बड़ी लाइन में +बदल दिया है। पूर्वोत्तर में 11 हवाई अड्डों से +रोज 1100 से अधिक उड़ानें संचालित हो रही +हैं। मिजोरम, मेघालय और अरुणाचल को रेल +नेटवर्क से जोड़ दिया गया है। हवाई संपर्क की +दिशा में भी यहां के कमजोर तंत्र को बेहतर +बनाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। कठिन +पहाड़ी भूभाग होने के अलावा प्राकृतिक प्रकोप, +आपदाओं और उग्रवाद की समस्या के कारण +भी तमाम बाधाएं आती रही हैं। +जल परिवहन और तटीय जहाजरानी से +नयी उम्मीदें + +भारत सरकार ने जल परिवहन के विकास +पर खास ध्यान दिया है। सरकारी मंशा है कि +घरेलू माल ढुलाई का कमसे कम दो फीसदी +हिस्सा सड़कों और रेलों से अंतर्देशीय जल +परिवहन की ओर स्थानांतरित हो जाये। जलमार्ग +सड़कों या रेलों का विकल्प बन सकते हैं, +लेकिन उनमें इतनी शक्ति है कि वे इनका बोझ +CAH कर सकते हैं। रेल और सडक परिवहन +तंत्र व्यवस्थित है जिस कारण माल छढुलाई के +काम में लगी कंपनियां उनको प्राथमिकता देती +हैं। जल परिवहन क्षेत्र का बजट आवंटन में +2017-18 में जहां 434 करोड़ था उसे बढ़ा + +48 + +कर 500 करोड़ किया गया है। पिछले साल +660 करोड़ रुपये का बांड भी जारी हुआ। +भारत सरकार जलमार्गों को नया जीवन देने के +लिए केंद्रीय सड़क निधि से सालाना 2300 +करोड़ रुपये इसके हक में देने की तैयारी में +भी जुटी है। + +भारत में 14,500 किलोमीटर अंतरदेशीय +जलमार्ग हैं और लेकिन 106 नए राष्ट्रीय +जलमार्गों को चरणबद्ध तरीके से विकसित +किया जा रहा है। विश्व बैंक की मदद से +करीब 5369 करोड़ रुपये लागत वाली जलमार्ग +विकास परियोजना में काफी प्रगति हुई है। गंगा +जल्दी ही प्राकृतिक हाईवे बनने की तैयारी में +है। हाल में कुछ ताप बिजलीघरों, सीमेंट और +खाद कंपनियों ने जल परिवहन में दिलचस्पी +दिखायी है। आकलन है कि सब कुछ ठीक +रहा तो अगले पांच सालों में जल परिवहन क्षेत्र + +भारत में 14,500 किलोमीटर +अंतरदेशीय जलमार्ग हैं और लेकिन +106 नए राष्ट्रीय जलमार्गों को +चअरणबद्ध तरीके से विकसित किया +जा रहा है। विश्व बैंक की मदद +से करीब 5369 करोड़ रुपये लागत +वाली जलमार्ग विकास परियोजना में +काफी प्रगति हुई है। गंगा जल्दी ही +प्राकृतिक हाईवे बनने की तैयारी में है। + +से करीब 1.8 लाख लोगों के लिए रोजगार +के मौके पैदा हो सकते हैं। जलमार्गों से माल +ढुलाई में प्रगति हो रही है। 2012-13 में यह +23.68 मिलियन टन थी जो 2016-17 में 55. +20 लाख टन हो गयी। 2016-17 के बजट +के बाद इस क्षेत्र में एक नयी उम्मीद जगी है। + +इसी तरह बंदरगाहों और तटीय जहाजरानी +के विकास की दिशा में काफी अहम कदम +उठे हैं। भारत की तट रेखा की कुल लंबाई +7516 किमी है। लेकिन अभी कुल माल +परिवहन में इसका हिस्सा महज सात फीसदी +है। यूरोप और चीन में तटीय जहाजरानी का +योगदान चालीस फीसदी तक है। भारत में 14 +राज्यों की परिधि में 13 बड़े बंदरगाह और +करीब 200 छोटे बंदरगाह हैं। अंतरदेशीय जल +परिवहन का बंदरगाहों से जुड़ाव बन गया तो +कई संभावनाएं बन सकती हैं। हमारे वेश्विक +व्यापार में 95 फीसदी हिस्सेदारी समुद्री मार्ग +की है। हमारे प्रमुख बंदरगाह 68 फीसदी माल +ढुलाई करते हैं, जबकि छोटे बंदरगाहों के + +द्वारा 32 फीसदी माल छुलाई होती है। अगर +तटीय जहाजरानी और अंतरदेशीय जलमार्गों +का जुड़ाव और विकास हो जाये तो हमारी +लॉजिस्टिक लागत काफी कम हो सकती हे। + +हमारा गंगा-ब्रहमपुत्र-सुंदरबन नदी प्रणाली +हल्दिया और कोलकाता बंदरगाह से पहले से +जुड़ा हुआ है। वहीं ब्राह्मणी और महानदी का +जुड़ाव पारादीप बंदरगाह से है। कृष्णा-गोदावरी +और बकिंघम का जलमार्ग चेन्ने बंदरगाह से +जुड़ा है। पश्चिम तटीय नहर कोचीन बंदरगाह +से और मांडवी-जुवारी तथा कंबर्जुआ का +जलमार्ग मुरगांव बंदरगाह से प्राकृतिक रूप +जुड़ा हुआ है। इनके विकास से एक नयी +ताकत बन सकती है। भारत में जल परिवहन +तंत्र सदियों से एक विश्वसनीय प्रणाली के +रूप में काम करता रहा है। बेहतर निवेश और +प्रौद्योगिकी उन्ननन के साथ इसकी क्षमता को +और बढ़ाया जा सकता है। नेशनल काउंसिल +TR Wess इकोनामिक्स रिसर्च ने अपने +अध्ययन में पाया है कि यह सबसे अधिक +किफायती है। जलमार्ग के विकास की लागत +रेलवे या चार लेन एक्सप्रेसवे की तुलना में पांच +से दस फीसदी तक है। एक ताकतवर बार्ज +15 रेलवे वैगन या 60 ट्रकों का माल अकेले +ढोने की क्षमता रखता है। बा्जों की प्रति किमी +परिचालन लागत रेल से दो गुना और ट्रक से +चार गुना सस्ती बैठती है। + +एकीकृत राष्ट्रीय जलमार्ग परिवहन ग्रिड +की दिशा में भी सरकार ने सक्रिय पहल की +है। इसकी स्थापना से जलमार्ग राष्ट्रीय राजमार्ग +और राज्य राजमार्गों से जुड़ेगा और काफी मात्रा +में माल छुलाई संभव होगी। इसमें पांच राष्ट्रीय +जलमार्गों को शामिल किया गया है। योजना है +कि इस ग्रिड में कम से कम ढाई मीटर न्यूनतम +गहराई उपलब्ध हो और टर्मिनलों के उन्नयन के +साथ इनको सड़क, रेल एवं बंदरगाहों से जोड़ा +जाये। इसके तहत राष्ट्रीय जलमार्गों के करीब +4,503 किमी खंड का व्यापक विकास होना है। +परियोजना पूरी होने के बाद इससे सालाना 159 +मिलियन टन माल सड़क तथा रेल से अंतर्देशीय +जलमार्गों की तरफ मोडने ने मदद मिलेगी। + +ये सारे प्रयास बताते हैं कि सरकार ने +समन्वित परिवहन की दिशा में एक ठोस पहल +कर दी है। काम बेहतर दिशा की ओर जा रहा +है। कुछ बुनियादी काम पूरे हो जाने के बाद +परिवहन क्षेत्र का यह कायाकल्प सबको प्रकट +रूप में दिखने लगेगा। इससे संकुचित हो चले +रेल और सड़क परिवहन को एक नयी ताकत +मिलेगी। Q + +योजना, मार्च 2018 + + + +0049.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +विदेश में मौजूद काला धन +से असरदार तरीके से निपटने +के लिए सजा के सख्त +प्रावधानों के साथ काला +धन ( अघोषित विदेशी आय +और संपत्तियां) और कर +अधिरोपण कानून, 2015 +को लागू किया गया है। +धनशोधन निवारण अधिनियम +( पीएमएलए ), 2002 के +तहत टैक्स चोरी को विधेय +अपराध बना दिया गया +है। सरकार ने पनामा और +पैराडाइज पेपर लीक केस में +तेज और समन्वित जांच को +अंजाम देने के लिए केंद्रीय +प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी ) +के चेयरमैन की अगुवाई में +बहु-एजेंसी ग्रुप बनाया है + +काला धन के खिलाफ पारदर्शी कर प्रशासन + +रमेश कुमार यादव + + + +रोहित देव झा +ला धन और भ्रष्टाचार के +का खिलाफ अभियान सरकार +की अहम प्राथमिकताओं +में शामिल है। इस अभियान के सफर +की शुरुआत जस्टिस एम बी शाह की +अगुवाई में काले धन पर विशेष जांच दल +(एसआईटी) बनाने के साथ हुई और यह +सिलसिला बदस्तूर जारी है। +काला धन न सिर्फ सरकार के खजाने +में राजकोषीय सुराख पैदा करता है, बल्कि +यह समाज के नैतिक ढांचे को भी भ्रष्ट कर +देता है। काला धन भ्रष्टाचार पैदा करता है, +जो समाज के लिए केसर की तरह है। साथ +ही, यह लोकतंत्र में नागरिकों के भरोसे को +कम करता है, रचनात्मकता और नवोन्मेष +के मिजाज को घटाता है, जिससे पूरे देश +की प्रतिभा बर्बाद होती है। +बजट 2018 ने काला धन को पूरी तरह +से खत्म करने के एजेंडे को आगे बढ़ाया +है। पारदर्शी व जवाबदेह कर प्रशासन की +दिशा में एक कदम आगे बढ़ाया गया है। +पारदर्शी और निष्पक्ष सिस्टम तैयार करने के +सिलसिले में सरकार की तरफ से की गई +कोशिशों से विश्व बैंक की तरफ से जारी +व्यापार सुगमता सूचकांक में भारत की रैंकिंग +में अहम सुधार हुआ है। भारत इस सूची में +30 पायदान छलांग लगाते हुए टॉप 100 देशों +की सूची में शामिल हो गया है। जहां तमाम + + + + + + + +सकारात्मक असर + +विमुद्रीकरण और जीएसटी लागू करने +जैसे ऐतिहासिक फेसलों के असर ने रंग लाना +शुरू कर दिया है। 2017-18 के आर्थिक +सर्वेक्षण में कहा गया है कि पहले की पद्धति +की तुलना में जीएसटी के तहत अप्रत्यक्ष +करदाताओं की संख्या में 50 फीसदी की +बढ़ोतरी हुई है। इसी तरह, प्रत्यक्ष कर के +मोर्चे पर नवंबर 2016 के बाद से आयकर +रिटर्न फाइल करने वाले लोगों की संख्या में +18 लाख की बढ़ोतरी हुई है। + +विमुद्रीकरण से 85.51 लाख नए +करदाताओं को जोड़ने में मदद मिली, जबकि +इससे ठीक पिछले साल यह आंकडा 66. +26 लाख था। आज करदाताओं का आधार +बढ़कर 8.27 करोड़ हो चुका है। आईटीडी +द्वारा उठाए गए कदमों से निजी आयकर +में काफी बढ़ोतरी हुई है। इन दो सालों से +पहले के 7 सालों में निजी आयकर में +तेजी का औसत 1.1 है। हालांकि, वित्त +वर्ष 2016-17 और 2017-18 (आरई) के +लिए निजी आयकर में तेजी का आंकड़ा +क्रमश: 1.95 और 2.11 है। + +विमुद्रीकरण के बाद केंद्रीय प्रत्यक्ष +कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने ऑपरेशन क्लीन +मनी (ओसीएम) शुरू किया और इसके +तहत डेटा एनालिटिक्स का इस्तेमाल करते +हुए संबंधित लोगों की पहचान की गई। + + + +10 डप-सूचकांकों में सकारात्मक बदलाव +देखने को मिला है, वहीं इस बात का उल्लेख +करना भी जरूरी है कि अधिकतम बदलाव +“कर भुगतान' श्रेणी में हासिल किया गया, +जहां भारत की रैंकिंग 172 से ऊपर उठकर +119 पर पहुंच गई। + +मसलन व्यापक जांच के लिए डेटा स्रोत +का मिलाना, संबंधों की पड़ताल और फंड +की निगरानी जेसे कदम भी शामिल थे। यह +ऑपरेशन “ईमानदार करदाताओं ', ' नागरिकों +के योगदान” और “सकारात्मक नतीजों पर +लगातार मिल रही राय' जैसे तीन खंभों पर + + + + + +रमेश कुमार यादव 87 बैच के आइआरएस हैं और वर्तमान में आयकर, दिल्ली के कार्यकारी निदेशक के रूप में कार्यरत V1 Ga: rky1961@gmail.com + + + +आइआरएस 13 बैच के रोहित देव झा वर्तमान में आयकर, दिल्‍ली में सहायक निदेशक हैं। ईमेल: 107 87भ.०णा + +योजना, मार्च 2018 + +49 + + + +0050.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +100 +i adalitiaa +75.40 +60 + +40 38.80 + +20 +0 +|| + +डिस्टेंस टू फ्रॉटियर + +निपटना +बदलावः +2.63 + +करना +बदलाव; +1.71 + +व्यापार शुरू निर्माण परमिट से बिजली मिलना संपत्ति पंजीकरण लोन मिलना +बदलावः +0.04 + +आरेख 1: डुइंग बिजनेस टॉपिक-भारत ( डिस्टेंस टू फ्रंटियर ) + +80.00 +75.00 + +66.06 + +47.08 + +की सुरक्षा + +बदलाव: +0.25 बदलाव: +10.00 + + + + + +डुइंग बिजनेस टॉपिक-भारत। डिस्टेंस टू फ्रॉटियर (डीटीएफ) पैमाना “फ्रॉटियर' (सीमा) से हर अर्थव्यवस्था की दूरी को दिखाने का पैमाना है। यह पैमाना तमाम +अर्थव्यवस्थाओं के हर सूचकांकों पर बेहतरीन प्रदर्शन की नुमाइंदगी करता है। + +छोटे निवेशकों टैक्स का भुगतान सीमा पार से संविदा लागू +करना +बदलावः +3.33 बदलाव; +18.39 बदलावः +0.95 + +58.56 + +40,75 + +i + +दिवालियापन +निपटारा +बदलावः +8.00 + +40.76 + +॥ + +व्यापार करना + +बदलाव: +1.86 + +स्रोतः डुइंग बिजनेस 2018-वर्ल्ड बैंक + + + + + +टिका है। बाकी चीजों के अलावा इसने +करदाताओं पर अनुपालन के कम बोझ के +साथ आईटीडी को नकदी जमा की ई-जांच +की सहूलियत मुहैया कराई है। + +पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) की +तरफ से जारी प्रेस विज्ञप्ति में नोटबंदी के +आंकड़ों के आधार पर हुई कार्रवाई में +जबरदस्त उछाल को प्रमुखता से पेश किया +गया है। इसके तहत छापेमारी की संख्या +में 106 फीसदी की बढोतरी हुई (447 से +1,152 समूह), जब्ती के मामलों में 106 +फीसदी की तेजी (712 करोड से 1,469 +करोड ), सर्वे में 183 फीसदी की बढोतरी +(4,422 से 12,250) और अघोषित आय +में 44 फीसदी की बढोतरी का पता जांच +पड़ताल की कार्रवाई के दौरान चला। +बेनामी सौदा ( निषेध ) संशोधन विधेयक + +बेनामी संपत्ति लेनदेन (प्रतिबंध) +कानून, 1988 में बेनामी सौदा (प्रतिबंध) +संशोधन कानून, 2016 के जरिये संशोधन +किया गया। इसमें तात्कालिक तौर पर कुर्की +और उसके बाद बेनामी संपत्ति को जब्त +करने के अलावा 7 साल की जेल का भी +प्रावधान है। संशोधित कानून ने बेनामी सौदे +की परिभाषा का दायरा व्यापक कर दिया +है। आईटीडी ने देश भर में 24 बेनामी +प्रतिबंध इकाइयों (बीपीयू) का गठन किया +है। विभाग की तरफ से जबरदस्त कोशिशों +के कारण 900 से भी ज्यादा मामलों में +3,500 करोड़ से ज्यादा की संपत्तियों को +तात्कालिक तौर पर जब्त किया गया है। + +50 + +विदेश में काले धन के जोखिम at +रोकना + +विदेश में मौजूद काला धन से +असरदार तरीके से निपटने के लिए सजा +के सख्त प्रावधानों के साथ काला धन +(अघोषित विदेशी आय और संपत्तियां) +और कर अधिरोपण कानून, 2015 को लागू +किया गया है। धनशोधन निवारण अधि +नियम (पीएमएलए), 2002 के तहत टेक्स +चोरी को विधेय अपराध बना दिया गया +है। सरकार ने पनामा और पैराडाइज पेपर +लीक केस में तेज और समन्वित जांच को +अंजाम देने के लिए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड +(सीबीडीटी) के चेयरमैन की अगुवाई में +बहु-एजेंसी ग्रुप बनाया है। पिछले तकरीबन +तीन साल में भारतीय नागरिकों द्वारा विदेशी +बैंकों में अवेध तरीके से हजारों करोड़ रुपये +रखे गए, जिन्हें कई बाधाओं के बावजूद +टैक्स के घेरे में लाया गया है। टैक्स मामलों + +बजट 2018 ने काला धन को पूरी +तरह से खत्म करने के एजेंडे को आगे +बढ़ाया है। पारदर्शी व जवाबदेह कर +प्रशासन की दिशा में एक कदम आगे +बढ़ाया गया है। पारदर्शी और निष्पक्ष +सिस्टम तैयार करने के सिलसिले में +सरकार की तरफ से की गई कोशिशों +से विश्व बैंक की तरफ से जारी +व्यापार सुगमता सूचकांक में भारत की +रैंकिंग में अहम सुधार हुआ है। + +पर सूचनाएं साझा करने के लिए भारत का +148 देशों के साथ समझौता है। इसके +अलावा, पारस्परिक कानूनी मदद के लिए +भी 39 देशों के साथ भी समझौते हैं। +इस तरह के समझोतों का नेटवर्क लगातार +व्यापक और मजबूत किया जा रहा है। +'फर्जी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई + +गैर-निजी कानूनी इकाइयों खासतौर +पर कंपनियों के दुरुपयोग की रोकथाम +आयकर विभाग की प्रमुख चिंता रही है। +पिछले कुछ समय में आसान कॉरपोरेट +प्रक्रियाओं का गलत इस्तेमाल कर गोबरछत्ते +की तरह शेल कंपनियों का उभार देखने को +मिला है। सैकड़ों कंपनियां एक ही पते पर +रजिस्टर्ड हैं। आमतौर पर इन कंपनियों के +पास कम पूंजी, एक या जीरो कर्मचारी और +डायरेक्टर हैं, जिसका कोई मतलब नहीं +है। इसके अलावा, एक शख्स एक दर्जन +से ज्यादा कंपनियों में डायरेक्टर है। पिछले +कुछ सालों में इस तरह की फर्जी कंपनियों +ने फर्जी बिल तैयार करने, बोगस शेयर +पूंजी मुहैया कराने, फर्जी लोन का सिस्टम +तैयार कर लिया है और किसी भी वित्तीय +सौदे में फर्जीवाड़े के लिए इस सिस्टम +का इस्तेमाल किया जाता है। बड़ी संख्या +के कारण इन सभी फर्जी कंपनियों का +पता लगाना बेहद मुश्किल है और इनके +पता लगा लिए जाने पर भी मौजूदा साक्ष्य +मानकों के तहत उनकी बेईमानी वाली और +अवैध गतिविधियों को साबित करना बेहद +मुश्किल काम रहा है। + + + +योजना, मार्च 2018 + + + +0051.txt +<----------------------------------------------------------------------> +प्रधानमंत्री कार्यालय ने राजस्व सचिव +और कॉरपोरेट मामलों के सचिव की संयुक्त +अगुवाई में विशेष कार्यबल (एसटीएफ) +का गठन किया है। इस विशेष कार्यबल का +मकसद विभिन्न सरकारी एजेंसियों की मदद +से ऐसी कंपनियों के खिलाफ अभियान +की देखरेख करना है। कानून का पालन +करने वाली अलग-अलग एजेंसियों द्वारा इन +कंपनियों के खिलाफ समन्वित कार्रवाई को +अंजाम दिया जा रहा हे। + +घरेलू और विदेशी कंपनियों पर +शिकंजा कसने के लिए कई तरह के उपाय +किए गए हैं। इनमें अन्य चीजों के अलावा +काला धन (अघोषित विदेशी आय और +संपत्तियां) और कर अधिरोपण कानून, 2015 +को लागू करना, बेनामी सौदे (प्रतिबंध) +कानून, 1988, आयकर अधिनियम, 1961 +में संशोधन और 'लाभदायक मालिकाना' +की परिभाषा को शामिल करने के लिए +कंपनी अधिनियम में संशोधन शामिल हैं। + +इसके अलावा, नियामकीय निगरानी को +बढ़ाने के लिए किसी कंपनी के शुरुआती +ग्राहकों का ई-केवाईसी “एसपीआईसीई ' +(सिंप्लीफाइड परफॉर्मा फॉर इनकॉरपोरेटिंग +कंपनी इलेक्ट्रॉनिकली) के जरिये देखा जाता +है। एसपीआईसीई का इस्तेमाल कंपनियों को +पैन नंबर आवंटित करने के लिए किया जाता +है। कंपनियों के सभी डायरेक्टरों के लिए +आधार का मामला जरूरी कर दिया गया है। + +कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने शेल +कंपनियों के खिलाफ व्यापक अभियान +छेडा है। 2017 में तकरीबन 2.24 लाख +ऐसी कंपनियों को खत्म किया गया हे। +इसके अलावा, और 1.20 लाख कंपनियों +के खिलाफ कार्रवाई शुरू की गई है। उनके +बैंक खातों के संचालन और चल व अचल +संपत्तियों के ट्रांसफर पर पाबंदी भी लगाई +गई है। इस कार्रवाई से इन कंपनियों के बोर्ड +में मौजूद तकरीबन 3.09 लाख डायरेक्टर +प्रभावित हैं। जांच-पड़ताल से खुलासा हुआ +है कि तकरीबन 3,000 लोग 20 से ज्यादा +सभी कंपनियों में डायरेक्टर हैं, जो कानून +के तहत तय सीमा से काफी ज्यादा है। जहां +इस तरह के लोगों के खिलाफ कार्रवाई की +जा रही हे वहीं फर्जीवाडा आदि के दोषी +पाए गए पेशेवरों के खिलाफ भी कानूनी +कार्रवाई की जा रही है। + +कंपनियों के वित्तीय स्टेटमेंट की +पड़ताल के लिए राष्ट्रीय वित्तीय सूचना +प्राधिकार (एनएफआरए) बनाया जा रहा +है। यह कंपनियों के लिए 'लेखा मानक +की सिफारिश करेगा और गड़बड़ी करने +वाले प्रोफेशनल के खिलाफ अनुशासनात्मक +कार्रवाई करेगा। आंकड़ों को नियमित और +स्वत :स्फूर्त तरीके से साझा करने के लिए +सीबीडीटी और एमसीए के बीच एमओयू +पर हस्ताक्षर हुए हैं। इससे नियामकीय +उद्देश्यों के लिए पैन-सीआईएन (कॉरपोरेट + + + +पंजीकरण 10 लाख में +| + + + + + +al जीएसटी पंजीकरण +कराने वाले + + + +आरेख 2: जीएसटी पंजीकरण में बृद्द्धि + + + +पुराने पंजीकरण +कराने वाले + +सख्रोतः आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 + + + + + +योजना, मार्च 2018 + +कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने +शेल कंपनियों के खिलाफ व्यापक +अभियान छेड़ा है। 2017 में तकरीबन +2,24 लाख ऐसी कंपनियों को खत्म +किया गया है। इसके अलावा, और +1,20 लाख कंपनियों के खिलाफ +कार्रवाई शुरू की गईं है। उनके बैंक +खातों के संचालन और चल व अचल +संपत्तियों के ट्रांसफर पर पाबंदी भी +लगाई गईं है। इस कारवाई से इन +कंपनियों के बोर्ड में मौजूद तकरीबन +3,09 लाख डायरेक्टर प्रभावित हैं। + +आइडेंटिटी नंबर) और पैन-डीआईएन +(डायरेक्टर आइडेंटिटी नंबर) लिंक बेहतर +तरीके से सुनिश्चित हो सकेगा। + +इसके अलावा, सरकार ने वित्त +अधिनियम, 2018 के जरिये पीएमएलए, +2002 में संशोधन के लिए बिल पेश किया +है। इसका मकसद कॉरपोरेट फर्जीवाडे को +कंपनी अधिनियम की धारा 447 के तहत +पीएमएलए के दायरे में आने वाले अपराधों +को शामिल करना है, ताकि उपयुक्त मामलों +में कंपनी रजिस्ट्रार प्रवर्तन निदेशालय के +जरिये पीएमएलए के तहत कार्रवाई के +लिए रिपोर्ट दे पाएंगे। +“इनसाइट ' परियोजना + +सरकार ने राजस्व फर्जीवाड़ा रोकने +और डेटा माइनिंग और बिजनेस एनालिटिक्स +के जरिये राजस्व बढ़ाने के लिए व्यापक +स्तर पर प्रौद्योगिकी को अपनाने का +कार्यक्रम शुरू किया है। सीबीडीटी का +प्रोजेक्ट 'इनसाइट' देश के सबसे बडे डेटा +माइनिंग और बिजनेस एनालिटिक्स प्रोजेक्ट +में शामिल हैं और इसके 2018-19 में +पूरी तरह से शुरू हो जाने की उम्मीद हे। +इस परियोजना का मकसद आयकर रिटर्न +नहीं फाइल करने वालों की पहचान करना, +रिफंड फर्जीवाड़े को रोकना, छूट के झूठे +दावों के कारण होने वाले राजस्व नुकसान +को रोकना और स्वेच्छा से कर देने की +आदत को बढ़ावा देना है। 'इनसाइट' के +जरिये पहले ही टैक्स रिर्टन नहीं दायर करने +वाले 60 लाख लोगों की पहचान की जा +चुकी है, जिससे कर के रूप में 26,425 +करोड रुपये से भी ज्यादा इकट्टा हुए हैं। + +51 + + + +0052.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +S +| +10 लाख में + + + +नव, 2011 नव, 2012 नव, 2013 + + + +आरेख 3: कर भुगतान में वृद्धि + +ml 2016 के बाद टैक्स भुगतान करने वाले +अतिरिक्त 1.8 करोड़ लोगों को जोड़ा गया। + + + +नव, 2010- नव, 2011- नव, 2012- नव, 2013- नव, 2014- नव, 2015- नव, 2016- + +नव, 2014 + +नव, 2015 नव, 2016 नव, 2017 + +खोतः आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 + + + + + +बजट 2018-19 + +इस साल प्रत्यक्ष कर से जुड़े बजट +प्रस्तावों का साफ-सुथरी अर्थव्यवस्था +के सरकार के एजेंडे पर बदलावकारी +असर होगा। बजट प्रस्तावों में अन्य चीजों +के अलावा “लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन' +(एलटीसीजी ) को तकसंगत बनाना, ट्रस्ट +के ढांचे के गलत इस्तेमाल पर लगाम +कसना और कंपनियों द्वारा आयकर रिटर्न +'फाइलिंग जरूरी की गई है। +टैक्स कंप्लायंस + +बजट में टैक्स कंप्लायंस यानी टेक्स +नियमों के ठीक-ठीक पालन पर खास +जोर दिया गया है। वित्त विधेयक के +तहत रिटर्न नहीं दाखिल करने पर कंपनी +के खिलाफ मुकदमे की कार्यवाही से +जुडे प्रस्तावों में संशोधन किया गया है। +मौजूदा प्रावधानों में इस तरह के अपराध +पर कार्रवाई के लिए किसी शख्स पर +कम से कम 3,000 रुपये का कर बकाया +होना जरूरी है। अब कंपनी पर टैक्स +देनदारी बनती है या नहीं, इस बात की +परवाह किए बिना उसे रिटर्न फाइल करना +जरूरी होगा, नहीं तो कार्रवाई का सामना +करना पडेगा। इस प्रावधान से कंपनियों +द्वारा टैक्स नियमों के पालन को बढ़ावा +मिलेगा। यह कुकुरमुत्ते की तरफ पैदा हो +गए फर्जी कंपनियों के खिलाफ निरोधक +का काम करेगा। + + + +52 + +एलटीसीजी को तक्क॑संगत बनाया जाना + +आयकर विभाग के इतिहास में +एलटीसीजी से टैक्स छूट सबसे दुरूपयोग +वाले प्रावधानों में रहा है। काले धन पर +आयकर से बचने के लिए बेहद छोटी +कंपनियों के शेयरों में निवेश के जरिये +फर्जी एलटीसीजी के तौर पर हजारों करोड +रुपये क्लेम किए गए हैं। लोगों ने कुछ +ऑपरेटर के साथ मिलकर फर्जी एलटीसीजी +की आडु में अपनी अवैध रकम को ठिकाने +लगा दिया। ये ऑपरेटर इस तरह के शेयरों +की खरीद और बिक्री के सौदों का प्रबंधन +करते हैं। + +इसके अलावा, वित्त मंत्री ने अपने +बजट भाषण में कहा कि एलटीसीजी पर +टैक्स छूट ने ऐसी व्यवस्था तैयार की है, +जो बुनियादी तौर पर विनिर्माण के खिलाफ + +सरकार ने वित्त अधिनियम, +2018 के जरिये पीएमएलए, 2002 में +संशोधन के लिए बिल पेश किया है। +इसका मकसद कॉरपोरेट फर्जीवाड़े +को कंपनी अधिनियम की धारा 447 +के तहत पीएमएलए के दायरे में आने +वाले अपराधों को शामिल करना +है, ताकि उपयुक्त मामलों में कंपनी +रजिस्टर प्रवर्तन निदेशालय के जरिये +पीएमएलए के तहत कार्रवाई के लिए +रिपोर्ट दे पाएंगे। + +भेदभावपूर्ण है और इससे निवेश को वित्तीय +संपत्तियों की तरफ मोडने में प्रोत्साहन मिला +है। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2016-17 +के लिए दायर रिर्टन के मुताबिक लिस्टेड +शेयरों और इकाइयों की कैपिटल गेन्स के +छूट के मद में रकम तकरीबन 3,67,000 +करोड रुपये है। इस गेन का बड़ा हिस्सा +कॉरपोरेट और एलएलपी के खाते में गया +है। इससे टेक्स के दायरे में बड़ी कटौती +हुई, नतीजतन राजस्व का नुकसान हुआ। +इन छूटों के कारण टैक्स आर्बिट्राज के +दुरूपयोग से समस्या और जटिल हो गई है। + +पिछले कुछ साल के दौरान आयकर +विभाग का वैसे लोगों से टकराव हुआ हे, +जिन्होंने इन फर्जी सौदों से फायदा लिया है। +पूर्व वित्त राज्य मंत्री ने संसद में बताया कि +आयकर विभाग ने 140 से ज्यादा अनोखे +शेयरों को सेबी के हवाले किया है, जिन +में साफ तौर पर "गड़बड़ गतिविधियां 'पाई +गईं। उनका यह भी कहना था कि आयकर +विभाग से मिली जानकारी और उसके अपने +निगरानी सिस्टम के आधार पर सेबी ने सेबी +अधिनियम, 1992 के तहत धारा 11(बी) +के तहत 13 ऐसी कंपनियों के खिलाफ +आदेश जारी किए और 1,336 इकाइयों पर +रोक लगा दी। इन शेयरों को आमतौर पर +प्राइवेट प्लेसमेंट के जरिये आवंटित किया +गया था। फर्जी एलटीसीजी के मामले को +रोकने के लिए 2017-18 के पूरे बजट में +सरकार ने एलटीसीजी से छूट को सिर्फ +वैसे मामलों तक सीमित कर दिया, जहां +सिक्‍योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (एसटीटी) का +भुगतान अधिग्रहण के वक्‍त किया गया था। +एलटीसीजी पर टैक्स सिस्टम को तर्कसंगत +बनाने के मकसद से वित्त मंत्री ने इस +साल के बजट में 1 लाख से ज्यादा के +एलटीसीजी पर सूचीकरण के फायदे की +इजाजत दिए बिना 10 फीसदी के टैक्स +का प्रस्ताव किया है। हालांकि, 31 जनवरी +2018 तक ऐसी सभी गेन्स पर नया नियम +लागू नहीं होगा। +‘arated’ ई-असेसमेंट + +विवेकाधिकार के उचित नियमन के +बिना शासन के ढांचे को पारदर्शी और +जवाबदेही सिस्टम में टिकाऊ तौर पर +बदलना मुमकिन नहीं है। ई-शासन का टूल +असरदार और दक्ष होने के अलावा पारदर्शी + +योजना, मार्च 2018 + + + +0053.txt +<----------------------------------------------------------------------> +और जवाबदेह सिस्टम तैयार करने में काफी +उपयोगी है। सेवाएं मुहैया कराने के लिए +ई-शासन के दूल के तौर पर आईटीडी की +अग्रणी भूमिका रही है। ई-टीडीएस, आयकर +रिटर्न की ई-फाइलिंग, रिफंड बैंकर, टेक्स +का ई-भुगतान, केंद्रीकृत प्रोसेसिंग सेंटर +और ई-असेसमेंट ने न सिर्फ एसेसी (कर +निर्धारिती) के लिए अनुपालन की लागत +को कम किया है, बल्कि आयकर विभाग +को एसेसी के लिए अनुकूल, पारदर्शी और +निष्पक्ष टैक्स प्रशासन तैयार करने में मदद +मिली हे। + +वित्त मंत्री ने वित्त मंत्रालय से जुड़ी +सलाहकार समिति की बैठक को संबोधित +करते हुए बताया कि पिछले साल 97 +फीसदी आयकर रिटर्न ऑनलाइन दायर +किए गए। इनमें से 92 फीसदी रिटर्न 60 +दिनों के भीतर प्रोसेस कर दिए गए और +90 फीसदी रिफंड भी 60 दिनों के भीतर +जारी कर दिए गए। यह आयकर विभाग +की तरफ से तैनात ई-टूल की सफलता को +दिखाता हे। + +सरकार ने पायलट आधार पर 2016 +में ई-एसेसमेंट की शुरुआत की थी और +इसे 2017 में 102 शहरों तक बढ़ा दिया +गया है। इसका एक प्रमुख मकसद आयकर +विभाग और टैक्सधारकों के बीच की कड़ी +को और सीधा और आसान बनाना था। +वित्त मंत्री ने इस बजट में पूरे देश में +ई-असेसमेंट का प्रस्ताव किया है। टैक्स +भुगतान करने वालों और टैक्स प्रशासन +के बीच संवाद को और आसान बनाने +के एजेंडे के तहत वित्त मंत्री ने आयकर +अधिनियम, 1961 में संशोधन कर एसेसमेंट +की नई योजना की अधिसूचना का प्रस्ताव +किया है। इसके तहत एसेसमेंट इलेक्ट्रॉनिक +तरीके से किया जाएगा, जो इस प्रक्रिया में +लोगों की भूमिका को तकरीबन खत्म कर +देगा, लिहाजा दक्षता और पारदर्शिता बढेगी। +इस प्रस्तावित 'मानवरहित' एसेसमेंट प्रक्रिया +की मुख्य बातों को अब तक पेश नहीं +किया गया है। हालांकि, वित्त विधेयक में +इस अहम पहल की झलक दिखाई गई है। +प्रौद्योगिकी इस परियोजनाओं को अंजाम देने +में अहम भूमिका निभाएगी, जिसका मकसद +एसेसिंग अफसर और एसेसी के बीच +माध्यमों और इकाइयों को खत्म व कम + +योजना, मार्च 2018 + +करना है। ब्रिटेन जैसे कई विदेशी मुल्कों +का टैक्स प्रशासन बडे पैमाने पर प्रौद्योगिकी +और “मानवरहित' प्रणाली के जरिये चलता +है। एसेसी से संवाद किए बिना दूर-दराज +के ठिकानों पर अलग-अलग टीमों द्वारा +स्क्रूटनी (जांच) की जाती है। 'मानवरहित' +टैक्स भुगतान प्रणाली से न सिर्फ टैक्स +प्रशासन में टेक्स भुगतान करने वालों का +भरोसा बढेगा, बल्कि यह स्क्रूटनी प्रक्रिया +के खिलाफ उनकी शिकायतों को भी दूर +करेगा। + +कंट्रोल. एंड ऑडिटर जनरल +(सीएजी), भारत सरकार ने जुलाई 2016 +से नवंबर 2016 के दौरान 2012-13 से +2015-16 तक निजी स्वास्थ्य क्षेत्र के +एसेसमेंट से जुडे प्रदर्श का ऑडिट किया। +इसमें सीएजी ने ट्रस्टों द्वारा टैक्स छूट के +कथित दुरूपयोग की बात कहीं। मौजूदा + +वित्त मंत्री ने वित्त मंत्रालय से +जुड़ी सलाहकार समिति की बैठक +को संबोधित करते हुए बताया कि +पिछले साल 97 फीसदी आयकर +रिटर्न ऑनलाइन दायर किए गए। +इनमें से 92 फीसदी रिटर्न 60 feat +के भीतर प्रोसेस कर दिए गए और +90 फीसदी रिफंड भी 60 विनों +के भीतर जारी कर दिए गए। यह +आयकर विभाग की तरफ से तैनात +ई-दूल की सफलता को दिखाता है। + +टैक्स व्यवस्था के तहत ट्रस्टों और चैरिटी +वाली बाकी संस्थानों की आय को कर से +छूट है, बशते ये संस्थाएं अपनी आय को +घोषित मकसद के लिए इस्तेमाल करें। +पिछले साल बजट में ce और +परोपकारी संस्थानों द्वारा नकद में चंदा लेने + +है कि 10,000 से ज्यादा के नकद भुगतान +की इजाजत नहीं होगी और इस पर टेक्स +भी लगेगा। इसके अलावा, इन इकाइयों +द्वारा टीडीएस कंप्लायंस (अनुपालन) को +सुधारने के लिए बजट में प्रस्ताव किया +गया है कि टीडीएस नहीं कटने की स्थिति +में 30 फीसदी राशि की इजाजत नहीं होगी +और यह टैक्स के योग्य होगी। + +कई गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) +के पास पैन नहीं है। इसके अलावा, उनसे +जुडे लोगों के पास भी पैन नहीं होता है। +लिहाजा, उनकी आय और खर्च का ऑडिट +आईटीडी के दायरे से बाहर रहता है। इन +इकाइयों को टेक्स के दायरे में लाने के +लिए बजट में प्रस्ताव किया गया है कि +हर इकाई (निजी व्यक्ति के तौर पर नहीं) +जो एक वित्त वर्ष में कुल 2.50 लाख या +इससे ज्यादा का वित्तीय लेन-देन करती +है, उसके लिए पैन बनवाना जरूरी होगा। +यह भी प्रस्ताव किया गया है कि इस +तरह की इकाइयों के बदले काम करने +वाले डायरेक्टरों, पार्टनर, मुख्य अधिकारियों, +कार्यालय से जुड़े या काम करने वाले अन्य +शख्स को पैन के लिए आवेदन करना होगा। +मंजिल अभी दूर है + +प्रधानमंत्री के आह्वान पर पिछले +साल नवंबर में सीबीडीटी के एक सदस्य +की अगुवाई में 6 सदस्यों का कार्य बल +बनाया गया, जिसमें देश के मुख्य आर्थिक +सलाहकार स्थायी आमंत्रित weer Zz +इसका मकसद आयकर कानून 1961 की +समीक्षा और देश की आर्थिक जरूरतों और +विदेशी मुल्कों में मौजूद बेहतर टेक्स चलन +को ध्यान में रखते हुए नया प्रत्यक्ष कर +कानून तैयार करना है। विशेषज्ञों की इस +कमेटी को 6 महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट +सौंपनी है। काले धन के खिलाफ अभियान + + + +की सीमा को 10,000 रुपये से घटाकर +2,000 रुपये कर दिया गया। हालांकि, ट्रस्टों +और ऐसे संस्थानों के नकदी खर्च को लेकर +कोई सीमा नहीं है। इस प्रावधान का गलत +इस्तेमाल ट्स्टों से नकद खर्च के रूप में +पैसे की हेराफेरी में किया जाता है। नकदी +खर्च के ऑडिट का रास्ता मुश्किल होता +है। नकदी अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करने +और ट्रस्टों के गलत इस्तेमाल की जांच के +लिए इस साल बजट में प्रस्ताव किया गया + +को सरकार द्वारा युद्धस्तर पर कई साल तक +चलाने की जरूरत है, ताकि 'स्वच्छ धन!' +के लिए सिस्टम तैयार हो सके और हम +सभी को “ईमानदारी का उत्सव' मनाने का +मौका मिले। सूचना प्रौद्योगिकी का ज्यादा +से ज्यादा इस्तेमाल और मानव संसाधन +विकास पर मौजूदा वक्‍त के मुकाबले +ज्यादा संसाधन का आवंटन काले धन के +खिलाफ थधर्मयुद्ध की टिकाऊ सफलता के +लिए अहम हैं। छा + +53 + + + +0054.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +K. 0. Sir = 5 Adarsh Sir ५ +Cr Paper) Rameshwat Slr WAKE. Tripathi Sir DR. KALIRSHID ALAM nage aa Paper +noe गः T + +1 1 | Paper +Sache, aevedio acu | राजव्यतस्था | नीतिज्ञास्त्र साद्रतित्ता w= +[sper evo i =sHier erent डाजज्यलस्था sired प्ारिक स॒स्स्ा + + + + + + + +Gaulam Anand J +दा Bind Paper +sprig ARIE ये +सागाजिक्र न्याग + +Dr. Raheash Singh Sir S SIR +lind Paper IH Paper + +ater, ory oa eT भूगोल + +| क्र dain +Med Payaqr +पर्गाएरण ग + +ATA + + + + + + + + + +The Hindu, Indian Express, +PIB, BBC & अन्य एहल्लपूर्ण ग्लोत + +साक्षात्कार कार्यक्रम gd मामिक +(INTERVIEW PROGRAMME) उपलब्ध +TEST SERIES EU Seu eae + +प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा ) ः ९ (! +ph RAS, BPSC... etc + +पत्राचार अध्ययन सामग्री की सुविधा उपलब्ध ( सम्पर्क सूत्र: 011-47058219 ) + +Delhl { Head Office) +996, First Floor, Dr. Mukherjee Nagar {Near Gandhi Vihar Bandh), Delhi - 110009 + +PH.: 011-47056219, 9911581653, 9717767797 + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +ETAT» GWALIOR ITS +10/14, Elgin Road, Civil Line, Allahabad 23 Aziz Complex, New Khera Pati Colony M-85, JP Phatak Under Pass +(U.P):- 211001, Ph:- 09984474888 Phoo! Bagh Gwalior (MP), Ph, ; 09753002277 Jaipur Ph. : 7580856503 +Website: www.nirmanias.com E-mail: nirmaniasO7?@gmail.com Eq oirman ias + + + +54 योजना, मार्च 2018 + +YH-791/2017 + + + +0055.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +आर्थिक समीक्षा 2017-18 +में इस तथ्य को स्वीकार +किया गया है कि फसल + +उत्पादन, पशुधन उत्पादन, +फसल संबंधी प्रसंस्करण +कार्य, कृषि, सामाजिक +वानिकी, मत्स्पपालन आदि +सहित कृषि विकास और +संबद्ध क्षेत्रों में महिलाओं की +निर्णायक भूमिका है और +यह ऐसा तथ्य है जिसे लम्बे +समय से उचित महत्त्व नहीं +दिया गया है। कृषि और +ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सतत्‌ +विकास के लिए कृषि और +खाद्य उत्पादन में महिलाओं +के योगदान को नकारा नहीं +जा सकता है। पुरुषों +द्वारा ग्रामों से हटकर शहरों +में प्रबसन बढ़ने के कारण +खेतिहरों उद्यमियों और +श्रमिकों के रूप में बहुविध +भूमिकाओं में महिलाओं की +बढ़ती संख्या से कृषि क्षेत्र +का “नारीकरण' हो गया है + +ऋतु सारस्वत + +८८ में किसी समुदाय की प्रगति +को महिलाओं ने जो प्रगति +हासिल की है उससे मापता + +हूं” बी.आर, आम्बेडकर का यह वक्तव्य, देश +के विकास का मापदण्ड होना चाहिए। देश +के लोग राष्ट्र की संपदा के जरूरी घटक हें +और समावेशी तथा सतत्‌ विकास के लिए +सामाजिक अवसंरचना यथा शिक्षा, स्वास्थ्य +और सामाजिक सुरक्षा, देश की केन्द्रीय +योजना का आधार होनी चाहिए। इस तथ्य +को स्वीकारते हुए बीते वर्षों में, सामाजिक +अवसरंचना, केन्द्रीय बजट की एक महत्वपूर्ण +हिस्सा रही है। शिक्षा, कौशल विकास, रोजगार, +स्वास्थ्य यों तो केद्ध की सर्वोच्च प्राथमिकता +में है। परन्तु इन घटकों पर विचार करते हुए, +महिलाओं के प्रति विशेष दृष्टि आवश्यक हो +जाती है क्योंकि 'स्त्री' का विकास व्यक्तिशः +नहीं होता, उसके विकास से परिवार और +समाज का विकास प्रत्यक्ष रूप से जुड़ा होता +है। अतः हर क्षेत्र में स्त्रियों से जुड़े अनानुपातिक +अंतरालों का पाटना अपरिहार्य हो जाता है। + +लैंगिक संवेदी बजट की चर्चा अधूरी है, +अगर उसे सिर्फ इस दृष्टि से विवेचित करने +की चेष्टा की जाए कि प्रत्यक्षतः महिलाओं +के हिस्से में कितनी राशि आवंटित हुई है। +सामाजिक अवसंरचना के प्रत्येक घटक में +आवंटित राशि, को महिलाओं के साथ जोड़ +कर उसका विश्लेषण ही, महिलाओं के +भविष्य में, सरकारी नीतियों की परिणति को +विश्लेषित करने का कारगर माध्यम है। इसके +साथ ही यह भी अपरिहार्य है कि हम बाल +हितों को महिलाओं के हितों के साथ ही +जोड़ कर देखें क्योंकि ये दोनों एक-दूसरे से +अन्तर्सम्बन्धित हैं। + +बीते दशकों में महिला सशक्तीकरण, +देश की केन्द्रीय नीतियों का आधार रहा +है और इसी दृष्टिकोण से केन्द्रीय बजट +2018-19 का विश्लेषण किया जाना चाहिए। +यों तो महिलाओं के बजट विश्लेषण की +चर्चा होते ही समाजशास्त्रियों से लेकर +अर्थशास्त्रियों द्वारा इस दृष्टिकोण को सामने +रखते हुए कि महिलाओं के घरेलू बजट के +लिए, क्या प्रावधान किए गए हैं, बजट को +विश्लेषित किये जाने की चेष्टा की जाती +है। परन्तु 2018-19 का केन्द्रीय बजट इस +दृष्टि से विशेष है कि सरकार ने लड़कियों +व महिलाओं को घरों तक सीमित रखने के +वनिस्पत मानव संसाधन के रूप में पहचाना +है। पिछले वित्त वर्ष में देश का लैंगिक बजट +1,13 311.32 करोड़ था जो इस वर्ष बढ़ाकर +1,21 961.32 करोड़ कर दिया गया हे। + +महिला सशकतीकरण का केन्द्र बिन्दु +आर्थिक आत्मनिर्भरता है क्योंकि स्वावलंबन +आत्मविश्वास को जाग्रत करता है। भारत +में आज भी, श्रम बल भागीदारी दर में +लिंग अंतराल 50 प्रतिशतांक से अधिक है। +आर्थिक कार्यकलापों में स्त्रियों की भागीदारी +में कमी अर्थव्यवस्था की संभावित संवृद्धि +पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है। यही कारण +है कि स्वरोजगार उद्यमों के सृजन के जरिए +महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण के +प्रयास किए जा रहे हैं और इसी दिशा में +केन्द्रीय बजट में महिलाओं के स्वर्य सहायता +समूहों के ऋण को पिछले वर्ष के मुकाबले +37 प्रतिशत बढ़ा दिया गया है। 2016-17 में +केन्द्र ने महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों +के लिए 42,500 करोड़ रुपये आवंटित किए +थे। उल्लेखनीय है कि स्वयं सहायता समूह + + + +लेखिका महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय अजमेर से संबद्ध महाविद्यालय में समाजशास्त्र की अध्यापिका हैं। विभिन्‍न पत्रिकाओं में लगभग 70 से अधिक आलेख प्रकाशित। +माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान सरकार की 6 पुस्तकों की सहलेखिका। लोकसभा चैनल में विशेषज्ञ के तौर पर वार्ताओं में wfasatra gc ; saraswatritu@yahoo.co.in + + + +योजना, मार्च 2018 55 + + + +0056.txt +<----------------------------------------------------------------------> +एक ऐसा माध्यम है जिसकी सहायता से +महिलाओं ने अपनी नई पहचान बनाई हे। +विभिन्‍न शोध यह सिद्ध करते हैं कि स्वयं +सहायता समूह बनने के बाद तथा इसकी +सदस्य बनने के बाद महिलाओं की सामाजिक +पूंजी (कल्चरल कैपिटल) में वृद्धि हुई है। +“मुद्रा योजना' अप्रैल 2015 में आरम्भ की +गई जिसमें 10.38 करोड मुद्रा ऋणों से उधार +के लिए 4.6 लाख करोड रु. स्वीकृत किए +गए। ऋण के 76 प्रतिशत खाते महिलाओं +के हैं। वर्तमान बजट में मुद्रा के अंतर्गत +उधार देने के लिए 3 लाख करोड़ रुपये +का लक्ष्य निर्धारित करने का प्रस्ताव है। +हाल ही में हुए दाबोस सम्मेलन में भी इस +बात का उल्लेख किया गया कि भारतीय +अर्थव्यवस्था में महिलाओं को लेकर समावेशी +नजरिया रखने की आवश्यकता है क्‍योंकि +यह महिला सशक्तीकरण महिलाओं के लिए +ही नहीं देश की अर्थव्यवस्था में भी महत्ती +भूमिका निभायेगा। भारत को अपनी आर्थिक +नीति में इस बात को याद रखना होगा कि +महिलाओं को अर्थव्यवस्था में जोड़ने से 27 +प्रतिशत तक की वृद्धि की संभावना होती है। +स्व-सहायता समूह, मुद्रा योजना के अलावा, +मनरेगा के लिए केन्द्रीय बजट ने 55 करोड +रुपये का उच्चतम आवंटन किया है। महात्मा +गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम +(मनरेगा) एक ऐसी महत्वपूर्ण योजना है जो +महिलाओं की नन्‍्यनूतम 33 प्रतिशत भागीदारी +निर्धारित करके आर्थिक कार्यकलाप में उनकी +भागीदारी सुनिश्चित करती है। वर्ष 2013-14 +से 2017-18 की प्रवृत्तियां यह दर्शाती हैं कि +कुल सृजित कार्य दिवस में महिलाओं की +भागीदारी 50 से अधिक रही है। + +2018-19 का केंद्रीय बजट इस दृष्टि +से भी अभूतपूर्व है कि इसमें कृषकों के +आर्थिक सुदृढ़करण के लिए अनेकानेक +प्रावधान किए गए हेैं। सामान्यतः कृषि के +लिए आवंटित बजट का विश्लेषण महिला +हितकारी पृष्ठभूमि में चर्चा योग्य नहीं माना +जाता परंतु यह एक भूल है। आर्थिक समीक्षा +2017-18 में इस तथ्य को स्वीकार किया +गया है कि फसल उत्पादन, पशुधन उत्पादन, +'फसल-पश्च कार्य कृषि, सामाजिक वानिकी, +मत्स्यपालन आदि सहित कृषि विकास और +संबद्ध क्षेत्रों में महिलाओं की निर्णायक +भूमिका है और यह ऐसा तथ्य है जिसे + + + +56 + +लम्बे समय से उचित महत्त्व नहीं दिया गया +है। कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सतत्‌ +विकास के लिए कृषि और खाद्य उत्पादन में +महिलाओं के योगदान को नकारा नहीं जा +सकता है। पुरुषों द्वारा ग्रामों से हटकर शहरी +प्रवसन बढ़ने के कारण खेतिहारों उद्यमियों +और श्रमिकों के रूप में बहुविध भूमिकाओं +में महिलाओं की बढ़ती संख्या से कृषि क्षेत्र +का “नारीकरण' हो गया है। वित्तमंत्री ने +2000 करोड़ की लागत से कृषि बाजार बनाने +की बात कही है साथ ही मछली पालन और +पशुपालन के लिए 10 हजार करोड़ के 2 फंड +बनाने की घोषणा की है। ये दोनों ही प्रावधान +महिला हितैषी हैं। कृषि क्षेत्र में महिलाओं +को मुख्यधारा में लाये जाने हेतु, सरकार ने +सभी चालू योजनाओं/कार्यक्रमों तथा विकास +कार्यकलापों में महिला लाभार्थियों हेतु बजट +आवंटन का कम से कम 30 प्रतिशत अलग +से रखने का प्रावधान किया है एवं कृषि में + +हाल ही में हुए दावोस सम्मेलन में +भी इस बात का उल्लेख किया गया +कि भारतीय अर्थव्यवस्था में महिलाओं +को लेकर समावेशी नजरिया रखने की +आवश्यकता है क्‍योंकि यह महिला +सशकतीकरण महिलाओं के लिए +ही नहीं देश की अर्थव्यवस्था में भी +महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा। + +महिलाओं की महत्त्वपूर्ण भूमिका को मान्यता +देते हुए कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय +ने प्रत्येक वर्ष 15: अक्टूबर को महिला +किसान दिवस घोषित किया है। महिलाओं +के आर्थिक सुदृढ़ीकरण की दिशा में, केन्द्रीय +बजट में, महिलाओं के रोजगार को प्रोत्साहन +करने तथा उन्हें अपेक्षाकृत अधिक वेतन प्राप्त +करने के लिए प्रावधान किए गए हैं, जिसके +तहत भविष्य निधि में महिला कर्मचारियों +के अंशदान को प्रथम तीन वर्षों के लिए +विद्यमान 12 प्रतिशत अथवा 10 प्रतिशत से +अब मालिक के अंशदान में किसी परिवर्तन +के बिना 8 प्रतिशत करने के लिए, कर्मचारी +भविष्य निधि और प्रकीर्ण उपबंध अधिनियम, +1952 में संशोधन करने की घोषणा की गई। +लैंगिक समता के आंतरिक मूल्यों पर संदेह +नहीं किया जा सकता, लेकिन वर्तमान में +ऐसी परिस्थितियां निर्मित हो रही हैं कि यदि + +महिलाएं और अधिक व्यक्तिगत क्षमता प्राप्त +कर सकें, और सामाजिक हेसियत प्राप्त कर +सके तथा श्रम बल में बराबर की भागीदार +बन सके तो आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण +लाभ हो सकता हे। + +केन्द्रीय बजट में वित्तमंत्री ने कहा, +‘SRA URI के तहत, महिलाओं के +लिए रोजगार के लाखों अवसर सृजित होंगे।' +गौरतलब है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 +में भारत की स्वास्थ्य प्रणाली की नींव के +रूप में स्वास्थ्य और ana oat at +परिकल्पना की गई है। ये 1.5 लाख केन्द्र, +स्वास्थ्य देख-रेख प्रणाली को लोगों के घरों +के पास लाएंगे तथा असंचारी रोगों और +मातृत्व तथा बाल स्वास्थ्य सेवाओं सहित +व्यापक स्वास्थ्य देख-रेख उपलब्ध कराएंगे। +वित्त मंत्री ने उललेखित किया कि आयुष्मान +भारत की यह पहल 2022 तक एक नए +भारत का निर्माण करेगी और इनसे सर्वर्धित +उत्पादकता और कल्याण में वृद्धि होगी और +इनमें मजदूरी की हानि और दरिद्रता से बचा +जा सकेगा जिससे प्रत्यक्ष रूप से महिलाओं +की आत्मनिर्भरता बढेगी। + +महिला एवं बाल विकास हेतु, आवंटित +राशि में बढोत्तरी की गई है। राष्ट्रीय पोषाहार +योजना में जहां 2017-18 में, 1,500 करोड +रुपये आवंटित हुए थे, वहीं वर्तमान बजट +में यह राशि दोगुनी कर दी गई है। कुपोषण +अभी भी सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण जोखिम संबंधी +कारक (14.6 प्रतिशत) बना हुआ है जिसके +परिणामस्वरूप देश में बीमारी का बोझ +बढ़ता है। राष्ट्रीय फोषाहार योजना, बाल +सरक्षण योजना, जिसमें पूर्व में 648 करोड़ +रु. आवंटित हुए थे। अब वर्तमान बजट में, +बढ़ाकर जिसे 725 करोड़ रुपये किया गया +है, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना जैसी अन्य +सरकारी नीतियों को अमल में लाकर नवजात +बच्चों से संबंधित बीमारियों और पोषकतत्त्वों +की कमी एवं अतिसार, fact wae +संक्रमण तथा अन्य सामान्य बीमारियों जो +बाल एवं मातृ-कुपोषण को प्रदर्शित करती है, +पर नियंत्रण करने का प्रयास किया गया है। + +पिछले वित्त वर्ष में (2017-18) में +अनेक मौजूदा कार्यक्रमों और योजनाओं का +विस्तार किया गया और अनेक नए कार्यक्रम +आरंभ किए गए ताकि देश में महिलाओं +एवं बच्चों के सर्वागीण विकास को संपोषित + +योजना, मार्च 2018 + + + +0057.txt +<----------------------------------------------------------------------> +किया जा सके। एकीकृत बाल विकास सेवा +(आईसीडीएस) योजना का लक्ष्य 6 वर्ष +तक की आयु के शिशुओं का समग्र विकास +करना और गर्भवती महिलाओं एवं स्तनपान +करवाने वाली माताओं की पोषण विषयक +जरूरतें पूरी करना है। प्रधानमंत्री मातृ वंदना +योजना के लिए 2400 करोड़ रुपये आवंटित +किए गए हैं। यह कार्यक्रम प्रत्येक गर्भवती +महिला एवं स्तनपान कराने वाली माताओं को +मजदूरी के नुकसान के लिए उन्हें क्षतिपूर्ति +करने के लिए 6,000 रुपये प्रदान करता है। + +हाल ही में एक छत के नीचे एकीकृत +बाल विकास सेवा योजना के तहत मंत्रालय +की शिशु केंद्रित चार योजनाएं जैसे (क) +आंगनबाड़ी सेवा (ख) किशोरी कन्या योजना +(ग) fy wo aa ak (a) we +शिशु सदन योजना के औचित्य-स्थापन, +पुनर्निर्माण एवं सातत्य का अनुमोदन सरकार +द्वारा किया गया है। स्वच्छ भारत अभियान +से संगति बनाते हुए, पुनर्सजित आंगनबाड़ी +सेवा योजना के तहत प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्र +पर शौचालय एवं स्वास्थ्यप्रद पेयजल सुविधा +की उपलब्धता पर विशेष ओर दिया गया है। +स्वच्छ भारत अभियान का स्वस्थ भारत से +सीधा संबध है। वित्त मंत्री ने बजट भाषण के +दोरान स्वच्छ भारत मिशन के बारे में कहा +कि, 'इस मिशन के तहत सरकार अब तक +6 करोड़ से ज्यादा शौचालयों का निर्माण +करा चुकी है। इन शौचालयों का सकारात्मक +प्रभाव नारी गरिमा, बेटियों की शिक्षा और +पूरे परिवार की स्वास्थ्य सुरक्षा पर स्पष्ट +रूप से पड़ रहा है। अगले वित्तीय वर्ष में +हमारा लगभग दो करोड़ शौचालय बनाने का +लक्ष्य है।' + +पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय द्वारा +आयोजित आधारभूत सर्वेक्षण के अनुसार +अक्टूबर 2014 में ग्रामीण क्षेत्रों में खुले में +शौच करने वाले लोगों की संख्या 55 करोड़ +थी। वर्ष 2014 से पहले देखी गई प्रवृत्ति की +तुलना में काफी तेज गति से घटकर जनवरी +2018 में 25 करोड रह गई। यूनिसेफ के +अनुसार, स्वच्छता की कमी भारत में वार्षिक +रूप से 100,000 से अधिक बच्चों की +मृत्यु और 48 प्रतिशत बच्चों के विकास में +रुकावट के लिए उत्तरदायी है। स्वच्छ भारत +अभियान, सिर्फ स्वस्थ देश के Ta को +साकार नहीं कर रहा अपितु यह महिलाओं + +योजना, मार्च 2018 + +की सुरक्षा में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा +रहा है। स्वच्छता अभियान के महिला एवं +बाल स्वास्थ्य पर जो दूरगामी प्रभाव पड़ेंगे +वह अभी “बजट विश्लेषण” करते समय +महिला आधारित प्रत्यक्ष प्रभावित नहीं हें, +परंतु स्वच्छता अभियान को महिला हितैषी न +मानना '“उअज्ञानता' ही हे। + +महिला सशक्तीकरण ‘fee’ के साथ +भी अपरिहार्य रूप से जुड़ा हुआ है। विकास +अध्ययन के लिए ब्रिटेन स्थित संस्थान आई. +डी.एस. द्वारा प्रकाशित अध्ययन के अनुसार +माताओं की शिक्षा और निर्णय लेने की उनकी +क्षमता, शिशु बाल मृत्यु दर को प्रभावित +करती है। यह तथ्य पश्चिम बंगाल के संबंध +से स्पष्ट है जहां महिला साक्षरता दर 50.8 +प्रतिशत से बढ़कर 71 प्रतिशत हुई एवं शिशु + +महिला सशक्तीकरण का केन्द्र +बिन्दु आर्थिक आत्मनिर्भरता है क्योंकि +स्वावलंबन आत्मविश्वास को जाग्रत +करता है। भारत में आज भी, श्रम +बल भागीदारी दर में लिंग अंतराल +50 प्रतिशतांक से अधिक है। आर्थिक +कार्यकलापों में स्त्रियों की भागीदारी में +कमी अर्थव्यवस्था की संभावित संवृद्द्ध +पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है। यही +कारण है कि स्वरोजगार उद्यमों के +सृजन के जरिए महिलाओं के आर्थिक +सशक्तीकरण के प्रयास किए जा रहे हैं + +मृत्यु दर एवं 5 वर्ष से कम बच्चों की मृत्यु +दर में गिरावट हुई है। बेटी बचाओ बेटी +पढ़ाओ के प्रति प्रतिबद्धता जाहिर करते हुए +280 रुपये करोड़ की राशि आवंटित की गई +है। साथ ही वित्त मंत्री ने जनवरी 2015 में +शुरू की गई सुकन्या समृद्धि खाता योजना +का भी उल्लेख किया। यह योजना शुरू करने +से लेकर नवंबर 2017 तक बालिका के +नाम से देश भर में 1.26 करोड खाते खोले +गए हैं जिनमें 19,183 करोड़ रुपये की राशि +प्राप्त हुई है। + +लैंगिक समानता सूचकांक विद्यालयी +शिक्षा में ऐसा उपयोगी सूचकांक हैं जो +शैक्षिक अवसरों की प्राप्ति में बालिकाओं के +साथ भेदभाव को दर्शाता है। उच्च शिक्षा में, +नामांकन में लैंगिक विषमताएं अभी भी बनी + +हुईं है जिनके बारे में सरकार उच्च शिक्षा में +महिलाओं की प्रवेश दर को सुधारने का निरंतर +Wat at el है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ +जैसे कार्यक्रमों के जरिए किये जाने वाले +सरकार के निरंतर प्रयत्नों के परिणामस्वरूप +प्राथमिक और माध्यमिक स्तरों के नामांकन +पर लैंगिक समानता सूचकांक (जी.पी.आई.) +में सुधार आया है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ +योजना का उद्देश्य बच्चियों के जीवन धारण, +रक्षण और शिक्षण को बढ़ावा देना है। इसका +मकसद मामले की गंभीरता के प्रति जागरूकता +उत्पन्न करने और सामाजिक मानसिकता +बदलने पर लक्षित व्यापक अभियान के जरिए +घटते शिशु लिंग अनुपात के मामले का +निराकरण करना है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ +एक ऐसी योजना है, जिसके दूरगामी प्रभाव +पडेंगे। विभिन्‍न शोध निरंतर इशारा कर रहे हैं +कि शिक्षित महिला अपने स्वास्थ्य को लेकर +जाग्रत रहती हैं। बालिका शिक्षा सरकार की +सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है और +इस हेतु राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान, +किशोरावस्था शिक्षा कार्यक्रम, राष्ट्रीय साधन +सह-मैरिट छात्रवृत्ति योजना संचालित हे। +सरकार की चिंता का विषय महिलाओं की +सुरक्षा है। + +राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो के रिकॉर्ड के +अनुसार महिलाओं पर होने वाले अपराधों के +आंकड़ों में निरंतर वृद्धि हो रही है। महिला +की सुरक्षा, समर्थ और जागरूकता वाले +कार्यक्रों की सहायता के लिए, स्थापित +निर्भया कोष में 500 करोड़ रुपये स्थानांतरित +किए गए हैं। इसके बाद कोष में कुल राशि +3,500 करोड़ रुपये तक हो जायेगी। + +पहले की ही तरह बेहद प्रभावशाली +प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना हेतु इस वर्ष भी +विस्तार की घोषणा की गई है। वित्त मंत्री +ने अपने बजट घोषणा पत्र में कहा “गरीब +महिलाओं को लकड़ी के धुएं से मुक्ति मिले, +इसलिए हमने प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना शुरू +की थी। शुरुआत में हमने 5 करोड़ गरीब +महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन का लक्ष्य +रखा था लेकिन इस योजना की गति देखकर +और महिलाओं में इसकी लोकप्रियता देखकर +हम इसका लक्ष्य बढ़ाने जा रहे हैं। अब +सरकार उज्ज्वला योजना के तहत 8 करोड +गरीब महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन +देगी!” आज भी देश के कई हिस्सों में + + + +57 + + + +0058.txt +<----------------------------------------------------------------------> +मिट्टी के चूल्हे पप लकड़ियों को जलाकर +खाना बनाया जाता है। लकडियों के जलने +से एक तरफ वातावरण दूषित होता है, तो +दूसरी तरफ चूल्हे से धुआं निकलने के कारण +महिलाओं को कई तरह की बीमारियों का +सामना करना पड़ता है। + +उज्ज्वला योजना के अतिरिक्त ' प्रधानमंत्री +सौभाग्य योजना एवं अमृत कार्यक्रम, +महिलाओं के सशक्‍्तीकरण में महत्वपूर्ण +भूमिका निभायेगा। प्रधानमंत्री सोभाग्य योजना +की शुरुआत देश के 4 करोड़ गरीबों के +घरों को बिना कोई शुल्क लिए बिजली +कनेक्शन से जोडे जाने के लिए हुई है। वहीं +अमृत कार्यक्रम 500 शहरों के सभी परिवारों +को जलापूर्ति की व्यवस्था पर केन्द्रित है। +अमृत योजना के अन्तर्गत 500 शहरों के +लिए 77,640 करोड़ रुपये की राज्य स्तरीय +योजनाएं अनुमोदित की गई हैं। अमृत योजना, +महिलाओं के श्रम हनन को रोकेगी क्योंकि +घरेलू उपयोग के लिए पानी का प्रबंध, +महिलाओं का ही दायित्व माना जाता है। + +महिला एवं बच्चों के सभी आवश्यक +आयामों को समायोजित करने की चेष्टा + + + +वित्त वर्ष 2018-19 के बजट में परिलक्षित +होती है। परन्तु महिला स्वावलंबन पर केंद्रित +बजट में, जिस घोषणा का अभाव खला वह +था महिलाओं के लिए, स्टार्टअप योजनाओं +के नियमों में ढिलाई का। आर्थिक सहायता +के संबंध में कौशल विकास एवं उद्यमिता +मंत्रालय की सकारात्मक सोच के बावजूद +अनेक अड्चने हैं। कौशल विकास एवं +उद्यमिता मंत्रालय के दिशानिर्देश में पापड +बनाने और सिलाई केन्द्र जैसे छोटे कामों के +लिए अधिक संसाधनों और अधिक जगह +जैसी पात्रता की शर्तें हैं, जिन्हें पूरा कर +पाना सहज नहीं कहा जा सकता। इसलिए +आवश्यकता है व्यावहारिक कमियों को दूर +करने की। + +स्त्री स्वावलंबन की दिशा में मील का +पत्थर सिद्ध होता 2018-19 का केन्द्रीय +बजट तभी अपने उद्देश्य को प्राप्त कर पायेगा +जब, घोषणाओं का क्रियान्वयन उससे संबंधित +विभागों द्वारा, ईमानदारी से किया जायेगा। +संदर्भ +* भारत सरकार के वित्त मंत्रालय की वेबसाइट +* महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की वेबसाइट + +SARVODAYA IAS +भारतीय अर्थव्यवस्था + +विश्व स्वास्थ्य संगठन को वेबसाइट + +आर्थिक समीक्षा 2017-18 + +www.mea. gov.inéspeeches-statements-h1. +htm + +Indiabudget.nic.inéub2018-19bséhbs. pdf +Dollar, David and Roberta Gatti, Gender +inequality, income and growth : are good +times for women? Vol. 1, Washington, DC +: Development Research Group, The World +Bank, 1999 + +Duflo, Esther, "Women empowerment and +economic development", Journal of Econic +Literature 50.4 (2012) : 1051-1079 +Lagarde C., "To Boost Growth : Employ +More Women", IMF Blog. N.p., 2016. +Web. + +Loko, Boileau, and Mame Astou Diouf. +"Revisting the Determinants of Productivity +Growth : What's New?" (2009) +www.deepawali.co.in beti.bachao.beti. +padhao.yojna.in + +संयुक्त राष्ट्र संघ की वेबसाइट + +मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार + +की वेबसाइट + +http://www.indiabudget. gov.inéhbspeecha. +asp + +http://www. indiabudget. gov.inéub2018- +198bséhbs.pdf + +Economic Survey 2018 + +केन्द्रीय बजट, आर्थिक सर्वेक्षण +http://mofapp.nic.in:8080ée +conomicsurveyépdfé167-185 Chapter_ +10 Economic Survey_2017-18.pdf + + + + +4 A.K.Arun + +New Batch + +Pre - Cum Mains + +303, TOP FLOOR BHANDARI HOUSE , MUKHERJEE NAGAR, DELHI-09 + +I + +t March +3:30 PM + + + +9773-71-72-00, 8130-953-963 + + + +58 + +योजना, मार्च 2018 + +YH-743/2/2017 + + + +0059.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +छोटी बचत योजनाओं के लिए बड़ी पहल + + + +आम तौर पर छोटी बचत +योजनाओं को लेकर यह +आलोचना की जाती है कि +यहां ब्याज दर काफी कम है। +नतीजतन लोग इन योजनाओं +के बजाए शेयर बाजार और +म्यूचुअल फंड में पैसा लगाते +हैं। ऐसे निवेशकों को लगता +है कि वे रातोंगात काफी +ज्यादा कमाई कर सकते हैं। +लेकिन वे भूल जाते हैं कि +शेयर बाजार में जोखिम बहुत +ही ज्यादा है और फायदे का +किसी तरह का पूर्वानुमान +लगाना बेहद मुश्किल है। +ज्यादातर लोग सुनी-सुनायी +बातों पर भी निवेश करते हैं +जिसमें हाथ जलने की खासी +आशंका होती है। छोटी बचत +योजनाओं में ऐसी कोई बात +नहीं होती + +शिशिर सिन्हा + +टी बचत योजनाएं भले ही +यहां बचत के साथ छोटी +शब्द जुड़ा हो, लेकिन फायदे + +के मामले में ये योजनाएं काफी बड़ी होती हैं। +एक ओर इनमें से कई जहां आयकर में राहत +दिलाने में मदद करती हैं तो वहीं भविष्य +की अनिश्चितताओं से निबटने का आधार भी +तैयार करती है। अब इन योजनाओं के लिए +आम बजट 2018-19 में बड़ा बदलाव करने +प्रस्ताव रखा गया है। इसके लिए अधिसूचना +जारी होने के बाद तमाम छोटी बचत योजनाएं + +एक कानून और एक नियम के दायरे में आ +जाएंगी। + +सबसे पहले तो जानना जरूरी है कि +ये छोटी बचत योजनाएं हैं क्‍या? ऐसी +योजनाओं में खासा लोकप्रिय नेशनल +सेविंग सर्टिफिकेट यानी एनएससी, पब्लिक +प्रॉविडेंट फंड यानी पीपीएफ, डाकघरों की +बचत योजनाएं, किसान विकास पत्र और +सुकन्या समृद्धि योजना मुख्य रूप से शामिल +हैं। डाकघर की बचत योजना और किसान +विकास पत्र को छोड़कर बाकी विभिन्न +योजनाओं का इस्तेमाल बचत के साथ टैक्स +बचाने में होता है। इन योजनाओं को सबसे +सुरक्षित माना जाता है, क्योंकि मूल रकम +और तय ब्याज की गारंटी सरकार देती +है। ये योजनाएं मुख्य रूप से डाकषघरों में +उपलब्ध हैं, लेकिन कई बैंकों में आप +पीपीएफ खाता भी खुलवा सकते हैं। छोटी +बचत योजनाओं पर हर तीन महीने के लिए +ब्याज दर तय किया जाता है और इसके +लिए समान अवधि के सरकारी बांड पर +ब्याज दर को आधार बनाया जाता हेै। + +बदलाव की जरूरत क्‍यों + +छोटी बचत योजनाओं के लिए तीन +प्रमुख कानून हैं: गवर्नमेंट सेविंग्स बैंक एक्ट +1873, गवर्नमेंट सेविंग्स सर्टिफिकेट एक्ट +1959 और पब्लिक प्रॉविडेंट फंड एक्ट +1968. इन तीन कानूनों के कई प्रावधान एक +समान नहीं है। इससे जमा हासिल करने वालों +के लिए तो दिकक्‍कतें होती ही हैं, जमा करने +वालों के बीच भारी भ्रम की स्थिति बनती है। +इसी के मद्देनजर विधि आयोग ने 1998 में +तीनों कानूनों को मिलाकर एक कानून बनाने +का सुझाव दिया। इस मामले में वित्तीय सेवा +विभाग और डाक विभाग से विचार-विमर्श +करने के बाद एकीकृत कानून, पोस्ट ऑफिस +सेविंग्स बैंक एक्ट बनाने का प्रस्ताव तैयार +हुआ। प्रस्तावित कानून सरकारी जमा प्रोत्साहन +कानून के नाम से जाना जाएगा। + +अब प्रस्तावित कानून के तहत कई +शब्दों की परिभाषा में सुधार किया जा रहा +है। मसलन, ‘are’, ‘yer’, “बैंकिंग +art’, ‘tater’, ‘aise’ at +परिभाषा में कमियों को दूर किया गया हे। +यही नहीं कुछ परिभाषा जैसे (सरकारी बचत +खाता के सचिव' को खत्म किया गया हे। +कई पुराने और बेकार हो चुके प्रावधानों +को हटा दिया गया है। ऐसे तमाम प्रयासों +के जरिए वित्त मंत्रालय का मानना है कि +अब सभी छोटी योजनाओं को नए कानून +के दायरे में लाने के बाद तमाम विवादों का +निबटारा संभव हो सकेगा। नयी व्यवस्था +में दो सामान्य कानून और आठ तरह के +नियमों के आधार पर एक सामान्य नियम +होगा। इसके जरिए एक ही कानून के तहत + + + +लेखक वरिष्ठ आर्थिक पत्रकार हैं। अग्रणी प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया समूहों के साथ काम कर चुके हैं। संप्रति एक राष्ट्रीय समाचार चैनल में आर्थिक मामलों के + +संपादक हैं। ईमेल: hblshishir@gmail.com + +योजना, मार्च 2018 + +59 + + + +0060.txt +<----------------------------------------------------------------------> +तालिका 1: छोटी बचत योजनाओं के तहत + +डाकपघरों में जमा +(2016-17 करोड़ रुपये में) + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +उद्देश्यों के आधार पर योजना विशेष के लिए खासियतों को अधिसूचित + +करना संभव हो सकेगा। वित्त मंत्रालय मानता है कि इन सब छोटी बचत + +योजनाओं में पैसा लगाना ज्यादा सरल व सहज हो जाएगा। + +कैसी कमियां होंगी दूर? +छोटी बचत योजनाओं में छोटों से और छोटों के लिए जमा करने को + +लेकर कई तरह की दिक्‍कतें हैं। इस बारे में स्पष्ट प्रावधान नहीं है कि + +छोटी बचत योजनाओं में छोटे यानी अल्पव्यस्क पैसा जमा करा सकते हें +या नहीं। अब यहां दो बातें साफ की गयी हैं: + +* बच्चों/अल्पवयस्कों की ओर से छोटी बचत योजनाओं में पैसा लगाने +को लेकर प्रस्तावित कानून में स्पष्ट प्रावधान होगा। इससे बच्चों के +बीच जमा की संस्कृति को विकसित करने में मदद मिलेगी। + +* बच्चों की तरफ से अभिभावक पैसा जमा कर सकते हें। प्रस्तावित +कानून के तहत ऐसे अभिभावकों के अधिकार और जिम्मेदारियां +स्पष्ट की जाएंगी। +मौजूदा कानून के तहत अल्पवयस्क के नाम खोले गए खातों में + +नामांकन को लेकर कोई प्रावधान नहीं है। कानून में यह भी कहा गया हे +कि खाताधारक की अगर मृत्यु हो जाए और वहां नामांकन नहीं है, साथ +ही रकम तय सीमा से ज्यादा है तो वह पैसा कानूनी उत्तराधिकारी को +सौंपा जा सकता है। इसके लिए अभिभावक को उत्तराधिकार प्रमाण-पत्र +लेना होता है। अब ऐसे तमाम झंझटों को दूर करने के लिए कुछ प्रावधान +किए गए हैं। मसलन, + +* अल्पवयस्कों के नाम खोले गए खातों में नामांकन का प्रावधान होगा + +* यदि अल्पवयस्क की मृत्यु हो जाए और उसके नाम के खाते में +नामांकन नहीं किया गया है तो वहां पर पूरी जमा रकम कानूनी +उत्तराधिकारी को दी जाएगी। + +* सबसे बड़ी बात यह है कि नामांकन अनिवार्य होगा, ताकि किसी भी +तरह की आकस्मिक परिस्थिति से निबटा जा सके। + +पब्लिक प्रॉविडेंट फंड के लिए बदलाव +पीपीएफ से जुड़े मौजूदा कानून के तहत खाता खोले जाने के पांच + +साल पूरे होने के पहले बंद कराने की अनुमति नहीं है, जबकि दूसरे +कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। यदि कोई जमाकर्ता वित्तीय स्थिति +या स्वास्थ्य कारणों से पांच साल के पहले खाता बंद कराना चाहे तो यह +उसके लिए मुमकिन नहीं होता है। मौजूदा व्यवस्था के तहत 15 साल +की मियाद वाले पीपीएफ में सातवें साल में पैसा निकालने की अनुमति +मिलती है, लेकिन वह चौथे साल के अंत में जमा रकम के 50 फीसदी +से ज्यादा नहीं हो सकता है। दूसरी ओर पांच कारोबारी साल के बाद +खाता बंद कराने की सूरत में दंड देना होता है। अब नयी व्यवस्था में ऐसी +परेशानियां दूर हो सकेंगी। पीपीएफ व दूसरी तमाम छोटी बचत योजनाओं +में खाता बंद करना ज्यादा आसान हो जाएगा। फिलहाल, नयी समय सीमा +क्या होंगी और उसके लिए क्‍या शर्तें पूरी करनी होगी, इसके लिए सरकार +अधिसूचना जारी करेगी जिसके बाद ही जमाकर्ताओं को नयी सुविधाओं +का फायदा मिल सकेगा। + +नामांकन से जुड़े अधिकार +मौजूदा कानूनों के प्रावधान के तहत यदि जमाकर्ता की मृत्यु हो जाए + +और वहां पर नामांकन किया गया है तो बकाया रकम नामित व्यक्ति को + +अदा कर दी जाती है। अब परेशानी यह है कि सर्वोच्च न्यायालय के एक + +स्रोत: नेशनल सेकिस इस्टीट्यूट फैसले के मुताबिक, नामित व्यक्ति को कानूनी उत्तारधिकारी के तरफ + +राज्य/केंद्र शासित प्रदेश | कुल जमा | शुद्ध जमा +अंडमान-निकोबार द्वीप समूह | 88.64 27.06 +आंध्र प्रदेश 16,366.27 | 1,196.41 +अरुणाचल प्रदेश 442.87 97.80 +असम 7 123.36 1,507.01 +बेस (आर्मी पोस्ट ऑफिस) | 1,033.94 158.36 +बिहार 20,565.69 | 2,890.64 +चंडीगढ़ 1,763.62 -989.90 +छत्तीसगढ़ 5,661.77 808.95 +दमन-दीव 158.49 12.21 +दिल्ली 16,843.03 | 2,027.67 +गोवा 969.49 42.02 +गुजरात 35,648.59 | 1,744.39 +हरियाणा 12,081.11 | 1,778.41 +हिमाचल प्रदेश 8,933.11 1 633.38 +जम्मू-कश्मीर 4,147.19 663.23 +झारखंड 8,776.30 1,042.43 +कनटिक 18,518.00 | 2,739.11 +केरल 11,968.50 | 1,717.41 +लक्षद्वीप 2.98 0.57 +मध्य प्रदेश 12,082.96 | 1,582.86 +महाराष्ट्र 34,223.87 | 2,902.19 +मणिपुर 180.43 37.06 +मेघालय 549,85 65.86 +मिजोरम 191.76 -5.50 +नगालैंड 144.57 27.21 +ओडिशा 11,971.17. | 2,300.49 +पुडडुचेरी 246.57 44.41 +पंजाब 22,326.66 |3,819.42 +राजस्थान 16,383.17 | 2,281.01 +सिक्किम 215.32 14.09 +तमिलनाडु 20,737.34 | 3,510.01 +तेलंगाना 12,533.36 | 630.89 +त्रिपुरा 1,651.36 344.72 +उत्तर प्रदेश 49,966.44 | 6,573.79 +उत्तराखंड 9,406.16 1,410.92 +पश्चिम बंगाल 62,419.20 | 5,644.04 +कुल 426 923.14 | 50,280.61 +60 + +योजना, मार्च 2018 + + + +0061.txt +<----------------------------------------------------------------------> +से बकाया प्राप्त करने की महज अनुमति +दी गयी है। मतलब कानून के प्रावधान और +सर्वोच्च अदालत के बीच विवाद की स्थिति। +अब प्रस्तावित कानून में नामांकन के जुडे +अधिकार को साफ कर दिया है जिससे आगे +किसी भी तरह से विवाद की स्थिति नहीं +बने। +विशक्षिप्तों, दिव्यांगों के खाते + +एक बड़ी परेशानी तब होती है जब +खातेदार दिव्यांग हो या फिर मानसिक रूप +से विक्षिप्त हो जाए। मौजूदा कानूनों के तहत +ऐसे खातों के परिचालन को लेकर कोई +स्पष्ट प्रावधान नहीं है। अब प्रस्तावित कानून +के जरिए इन खामियों को दूर करने की +कोशिश की जा रही हे। उम्मीद है कि जब +प्रस्तावित कानून के तहत नियम बनेंगे तो +वहां पर इस बात की स्पष्ट व्याख्या होगी कि +विक्षिप्त या दिव्यांगों के खातों का परिचालन +कौन कर सकता है, उसके लिए जरूरी शर्त +क्या होगी। +विविध प्रावधान + +मौजूदा कानून के तहत शिकायतों के +निबटारे के लिए स्पष्ट इंतजाम तो नहीं ही +है, साथ ही योजनाओं के लिए तकनीक का +इस्तेमाल और ब्याज दर तय करने के आधार +को लेकर साफ-साफ कुछ नहीं कहा गया +है। वित्त मंत्रालय का कहना है कि प्रस्तावित +कानून के तहत इन कमियों को दूर किया +जाएगा और नियमों में स्पष्ट व्याख्या की +जाएगी। यही नहीं शिकायतों के निबटारे के +लिए लोकपाल की नियुक्ति करने का भी +प्रावधान होगा। इससे छोटी बचत योजनाओं +से जुड़े विवादों का समुचित और तेजी से +निबटारा संभव हो सकेगा। +मौजूदा और नए जमाकर्ताओं»निवेशकों +पर असर + +कायदे-कानून में बदलाव की बात सामने +आने के बाद किसी भी जमाकर्ता के मन में +सबसे पहले यह सवाल आना स्वाभाविक हे +कि उनके हितों पर क्‍या असर पडेगा? क्‍या +आयकर में मिलने वाली छूट खत्म हो जाएगी? +अभी हर तीन महीने पर समान मियाद वाले +सरकारी बांड के ब्याज में बदलाव के आधार +पर छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दर में +बदलाव किया जाता है, क्‍या यह व्यवस्था +बदलेगी? वित्त मंत्रालय के मुताबिक इन सब +में कोई बदलाव नहीं होने वाला। आयकर + +योजना, मार्च 2018 + +में राहत और ब्याज दर + +तालिका 1: विभिन्‍न छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरें + + + +तय करने की मौजूदा + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +योजना ब्याज दर ब्याज दर +व्यवस्था पहले कौ (1 अक्टूबर-31 | (1 जनवरी-31 +तरह कायम रहेगी और दिसंबर, 2017) | मार्च, 2018) +जमाकर्ताओं को जो (फीसदी में) | (फीसदी में) +भरोसा दिलाया गया है, | सेविंग्स डिपॉजिट 4 4 +वह बरकरार रहेगा। 1 साल का टाइम डिपॉजिट | 6.8 6.6 +यहा एक नुद्दा यह |2 साल का टाइम डिपॉजिट | 6.9 6.7 +भी उठाया गया है कि [3 साल का टाइम डिपॉजिट | 7.1 6.9 +पब्लिक प्रॉविडेंट फंड [६ साल का टाइम डिपॉजिट [7.6 7.4 +यानी था कुकी की [5 साल का रेकरिंग डिपॉजिट | 7.1 6.9 +अब क्या कुर्कों की (६ साल का सीनियर 8.3 8.3 +जा सकेगी? दरअसल, सिटिसंस सेविंग्स योजना +इस आशंका के पीछे [ साल का एनएससी 7.8 7.6 +वजह पीपीएफ AM [ae प्रॉविडेंट फंड 7.8 7.6 +a amt eH Zi किसान विकास पत्र 7.5 +यह कहा जाने लगा (115 महोने में परिपक्व [7.3 +नह रहेगा 1 om (118 महीने में परिपक्व) +Gea समृद्धि योजना 8.3 8.1 + + + + + + + + + + + +प्रावधानों के तहत +मिलने वाली सुरक्षा भी नहीं रहेगी। इस समय +अगर किसी व्यक्ति के खिलाफ कानूनी +कार्रवाई कर चल-अचल संपत्ति जब्त की +जाती है तो उसमें पीपीएफ में जमा रकम +को शामिल नहीं किया जाता। वित्त मंत्रालय +के आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र +गर्ग ने ट्वीट कर साफ किया कि नई या +पुरानी पीपीएफ डिपॉजिट को जब्त किए जाने +से सुरक्षा मिलती रहेगी। इसका मतलब यह +हुआ कि पीपीएफ जमा को कुक नहीं किया +जा सकता। + +आम तौर पर छोटी बचत योजनाओं +को लेकर यह आलोचना की जाती है कि +यहां ब्याज दर काफी कम है। नतीजतन +लोग इन योजनाओं के बजाए शेयर बाजार +और म्यूचुअल फंड में पैसा लगाते हैं। ऐसे +निवेशकों को लगता है कि वे रातोंरगात काफी +ज्यादा कमाई कर सकते हैं। लेकिन वे भूल +जाते हैं कि शेयर बाजार में जोखिम बहुत +ही ज्यादा है और फायदे का किसी तरह का +पूर्वानुमान लगाना बेहद मुश्किल है। ज्यादातर +लोग सुनी-सुनायी बातों पर भी निवेश करते +हैं जिसमें हाथ जलने की खासी आशंका होती +है। छोटी बचत योजनाओं में ऐसी कोई बात +नहीं होती। यहां सब कुछ तय है, मूलधन +की वापसी, तीन-तीन महीने पर ब्याज दर +में होने वाले बदलाव और कुछ योजनाओं + +पर आयकर में राहत। वित्त मंत्रालय ने यह +भी साफ कर दिया है कि कानून में भले ही +बदलाव हो जाए, पुराने कानून भले ही खत्म +हो जाए, लेकिन जमाकर्ताओं के साथ ब्याज +और आयकर में रियायत को लेकर किए गए +वायदे में कोई बदलाव नहीं होगा। यहां यह +भी ध्यान रखना जरूरी है कि छोटी बचत +योजनाओं पर बैंकों की बचत योजनाओं और +मियादी जमा से कहीं ज्यादा ब्याज मिलता है। + +अंत में यह याद रखना जरूरी है कि +सरकार का मूल मंत्र है, “मिनिमम गवर्नमेंट, +मैक्सिमम गवर्नेंस।' दूसरे शब्दों में कहें तो +सरकार नहीं, शासन ज्यादा महत्वपूर्ण है। इसी +कोशिश में सरकार का जोर कानून के जाल +को खत्म करने और नियमों को सरल व +सहज बनाने पर है। छोटी बचत योजनाओं +को लेकर ताजा पहल इसी प्रयास का हिस्सा +है। इस प्रयास से बचत को बढ़ावा मिलेगा +ही, साथ ही बेहद आसानी से जमा करने +की भी सुविधा मिलेगी। सरकार का कहना +है कि वह छोटे बचतकर्ताओं और खास तौर +पर बालिकाओं के लिए की जाने वाली बचत +और बुजुर्गों की ओर से की जाने वाली बचत +से जुड़े हितों को बहुत ज्यादा प्राथमिकता +देती है। उम्मीद है कि कानून में फेरबदल +के बाद इस प्राथमिकता में भी कोई बदलाव +नहीं होगा। QO + +61 + + + +0062.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +MIT-SOG Government | MIT SCHOOL OF GOVERNMENT + +Kindling the flame of Democratic Leadership. + +Estd.: Sept. 2005 + +PUNE + + + + + +INDIA | or + +One-year full time residential +Master's Program In Government + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +rats MPG- 14, 2018-2019 ! rage +PROGRAM for a "| +AREER in PO ADMISSIONS OPEN : BATCH -14 COMMENCES August 1, 2018 +COURSE SYLLABUS: CAREER PROSPECTS +‘ound or: Ri 8 = Political Marketing and Branding Along with Contesting Elections += Political Economy other Career Prospects are - += Public Policy m Research / Policy Associate += Global Politics = Political Analyst +a, = Law, Public Administration & Governance = Political Strategist +™ Research Methods for Contemporary = Political Consultant +it हरि A Political issues : Compal लक य +7 oo Ay = i i i 7 +fe rs | ५ ay FA" Social Media handling = Social Media Managers +vr ‘ हु 1 m Constituency Managers +ELIGIBILITY: +Graduate from any faculty is eligible to apply for the selection process +of MPG-14. +Contact: 9850897039 / 91460 38942 eputcily Uae ocak +ey admissions@mitsog-.org titi शक्ति +Apply online at WWW.mitsog.org = BG +० MIT Campus, Paud Road, Kothrud, Pune - 411 038 “SRR eR of coe +same MIT - CIVIL SERVICES TRAINING INSTITUTE | PUNE +peneranaes| Sr. No. 124, Paud Road, Kothrud, Pune 411 038 + + + +1101 mr me Ca) a +aspirants appearing forthe examinations of UPSC + +TUNA की ०:11] ५, ०| 0 है| ५ +into Civil services for the post like District +Magistrate (IAS), Police Superintendent (IPS), and + + + +ds ee शनि + +UPSC Batches starts from 15th July 2018 + +UPSC 1Year Batch Prepare UPSC during graduation itself -UPSC Two Year Special Batch + + + +© Experienced Teaching Bureaucrats © Separate Batches for Address: + +faculty © Seminars & Mock Optional Subjects T ° +© Conducive Study Interview © 24X7Reading Room MIT-CST + +Environment and 6 Mentoring by IAS Rank © Excellent infrastructure + +Infrastructure Holders © Comprehensive Library Sr. No. 124 »Paud Road, +6 Free Guest Lecture of © Regular Test series + +Kothrud Pune 411038 +Contact : 7774023698 / 7774023699 = www.mitcst.com + + + +62 योजना, मार्च 2018 + +YH-778/2017 + + + +0063.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +न + +त्त मंत्री ने केंद्रीय बजट 2018-19 के भाषण में कहा +कि सरकार कीमती धातु को एक परिसंपत्ति श्रेणी के + +रूप में विकसित करने के लिए समावेशी स्वर्ण नीति बनाएगी। +स्वर्ण मौद्रीकरण योजना को भी नया रूप दिया जाएगा जिससे लोग +बाधामुक्त तरीके से गोल्ड डिपाजिट अकाउंट खोल सके। सरकार +देश में विनियमित गोल्ड एक्सचेंज की उपभोक्ता अनुकूल और +व्यापार कुशल प्रणाली की स्थापना भी करेगी। गोल्ड एक्सचेंज सोने +को अधिक पेशेवर और पारदर्शी रूप से प्रबंधित करने के लिए +एक अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण है। इससे स्वर्ण व्यापार में बिचौलियों की +समाप्ति के अलावा इस उद्योग को अधिक परिपक्व और डिजिटल +रूप से उन्नत बनाने में +निश्चित रूप से सहायता +मिलेगी। इससे ग्रामीण +भारत में किसी व्यापारी +द्वारा सोना खरीदना +आसान एवं व्यावहारिक +बन जाएगा। ग्रामीण क्षेत्र +भारतीय स्वर्ण उपभोग का +65 प्रतिशत से भी अधिक +कवर करता है। बिचौलियों +ने बड़ी मात्रा में बेहिसाब +नकद लेनदेन को प्रोत्साहित +किया जो अब इतिहास की +बात बन गई हे। + +स्वर्ण मौद्रीकरण +योजना केंद्रीय सरकार ने +बजट 2015-16 में प्रस्तुत की थी। इस योजना का उद्देश्य भारतीय +लोगों के घरों में रखे गए स्वर्ण भंडार को सुरक्षित करने के +साथ-साथ उसे उपयोग में लाना था। इस योजना का प्रमुख उद्देश्य +घरेलू मांग को कम करके देश के सोने के आयात को कम +करना था। संयोग से भारत, चीन के बाद सोने का दूसरा बड़ा +उपभोक्ता है। + +स्वर्ण मौद्रीकरण योजना स्वर्ण जमाकर्ताओं को उनके धातु +खातों में स्वर्ण जमा कर के ब्याज कमाने की सुविधा प्रदान करता +है। जेसे ही धातु खाते में स्वर्ण जमा कराया जाता है वैसे ही उस +पर ब्याज अर्जित होना शुरू हो जाता है। + +स्वर्ण मौद्रीकरण योजना की विशेषताएं निम्नलिखित हैं:- +सोने का आसान भंडारण + +यह योजना सोने का भंडारण करने में न सिर्फ उसकी सुरक्षा +प्रदान करती है बल्कि योजना परिपक्व होने पर धारक को धन या + +भौतिक स्वर्ण के रूप में वापस देने की सुविधा देती है। परंपरागत + +योजना, मार्च 2018 + + + + + +~ + +स्वर्ण मौद्रीकरण योजना + +रूप से, भारतीय लोग अपनी कीमती धातुओं को बेंकों के लॉकरों +में रखते हैं और वे बैंकों को उनकी लॉकर सुविधाओं के लिए +वार्षिक शुल्क का भुगतान करते हैं। इस स्वर्ण को शादी या +परिवार के कार्यक्रमों में पहनने के लिए या उसे बेचने के लिए +ही निकाला जाता हे। +निष्क्रिय स्वर्ण का उपयोग + +पुराने या बिना उपयोग वाले स्वर्ण को घर या बैंक लॉकर में +बेकार रखा जाता है। इस प्रकार सोना बेकार पड़ा रहता है और +इसका लाभकारी उपयोग नहीं हो पाता है। यहां तक कि इसको +बेचने के बाद यह तत्काल धन प्रदान करता है। स्वर्ण मौद्रीकरण +योजना न सिर्फ ब्याज का +धन अर्जित करेगी बल्कि +परिपक्वता पर सोने को +नकद में बदलने का भी +विकल्प प्रदान करती है जो +सोने की कीमत में बढ़ोतरी +का लाभ प्रदान करती हे। +जमा करने में लच्चीलापन + +स्वर्ण. मौद्रीकरण +योजना के अंतर्गत आभूषण, +जवाहरात, सिक्‍कों या सोने +की ईंट जैसे किसी भी रूप +में सोने को जमा कराया +जा सकता है। इस योजना +में रतलजड़ित सोने का जमा +कराने की अनुमति नहीं है। +मात्रा में लचीलापन + +स्वर्ण मौद्रीकरण योजना में किसी भी शुद्धता के न्यूनतम 30 +ग्राम सोने को जमा कराया जा सकता है। इसकी कोई अधिकतम +सीमा नहीं हे। +सुविधाजनक अवधियां + +स्वर्ण मौद्रीकरण योजना के अंतर्गत जमा अवधि की योजनाएं +उपलब्ध हैं, जिनमें 1 से 3 वर्ष की अल्पावधि भी शामिल है। +समयावधि समाप्त होने से पहले निकासी करने पर केवल नाममात्र +का शुल्क जुर्माने के रूप में लगाया जाता है। +आकर्षक ब्याज दर + +अक्सर घरों और लॉकरों में अनुपयोगी पड़ी रहने वाली वस्तु +जमा की अवधि के अनुसार 0.5 प्रतिशत से 2.5 प्रतिशत ब्याज +अर्जित कर सकती है। अल्पावधि के लिए जमा की दरों को +संबंधित बैंकों द्वारा तव किया जाता है जबकि मध्यम और दीर्घावधि +जमा की ब्याज दरें केन्द्र सरकार द्वारा तय की जाती है। QO + +63 + + + + + +0064.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + ++ + + + +64 + + + + + +६75 Ce + +VTA EL ; = ‘ ड़ क्र = VISIONIAS + +Classes also +available + +*फाउंडेशन कोर्स 2019 की + + + + + + + +» प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा के लिए +ane ays +aa ALL INDIA TEST SERIES +* प्रारंभिक परीक्षा के लिए Get the Benefit of Innovative Assessment +* मुख्य परीक्षा के लिए System from the leader in the Test Series +Program ++ इनोवेटिव क्लासरूम प्रोग्राम के घटक PRELIMS | MAINS +« प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा और निबंध के लिए v General Studies | “ General Studies +महत्वपूर्ण सभी टॉपिक का विस्तृत कवरेज (हिन्दी माध्यम में भी) (हिन्दी माध्यम में भी) +* योजनाबद्ध तैयारी हेतु करेंट ओरिएंटेड अप्रोच Y CSAT * 55559 (हिन्दी माध्यम में भी) +* नियमित क्लास टेस्ट एवं व्यक्तिगत मूल्यांकन (हिन्दी माध्यम में भी) v Philosophy v Sociology +* मौलिक अवधारणाओं की समझ के विकास एवं ¥ Geography + +विश्लेषणात्मक क्षमता निर्माण पर विशेष ध्यान + +* अंतर - विषयक समझ विकसित करने का प्रयास PHILOSOPHY Li +a + +* एनीमेशन, पॉवर प्वाइंट, वीडियो जैसी तकनीकी + +सुविधाओं का प्रयोग by Anoop Kumar Singh जाएं +* निबंध लेखन शैली की कक्षाएं @ JAIPUR | PUNE +¢ PT 365 Tang * MAINS 365 कक्षाएं > Includes comprehensive and updated study material +¢ PT eve Uh * मुख्य परीक्षा टेस्ट सीरीज > Answer Writing Program for Philosophy (QIP) +° निबंध टेस्ट सीरीज ° सीसैट टेस्ट सीरीज 500+ Selections 15 in top 20 + +* कॉम्प्रीहेंसिव स्टडी मटेरियल * करेंट अफेयर्स मैगजीन ॥ (5६ 2015 70+ Selections in Top 100 in CSE 2016 ++ PT 365 One Year Current Affairs for Prelims 9 + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + ++ MAINS 365 [EnglishMedium| | fe-) area | + + + + + + + +TINA ANMOLSHER SAUMYA ABHILASH +@ One Year Current Affairs for Mains DABI SINGH BEDI PANDEY +Uz) [ AIR-2 | (AIR-4 ] [ AIR-5 | + + + +ye va + + + + +A A pe कम Bal Uae ae) TS 17087२48/570 + +um 8468022022 | 9001949244 | 8007500096 | 9000104133 + +www.visionias.in 9650617807 | 9799974032 | 020-40040015 | 9494374078 + +DELHI * 2™ Floor, Apsara Arcade, Near Metro Gate 6, 1/8 B, Pusa Road, Karol Bagh + +¢ 635, Opp. Signature View Apartments, Banda Bahadur Marg, Mukherjee Nagar + +योजना, मार्च 2018 + +YH-737/12/2017 + + + +0065.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +बेहतरी का पर्याय बनेगी राष्ट्रीय स्वर्ण नीति + + + +स्वर्ण पर चर्चा राष्ट्रीय आय +या सकल घरेलू उत्पाद +(जीडीपी ) में इसके योगदान +को समझे बिना अधूरी है। +आज स्वर्ण भुगतान संतुलन +का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। +कुल आयात में स्वर्ण आयात +का हिस्सा 8.7 प्रतिशत है। +वित्त वर्ष 2013 के दौरान +राष्ट्रीय आय के लेखा-जोखा +के दौरान कीमती वस्तुओं के +वर्ग में, जिसमें स्वर्ण और +दूसरी कीमती धातुयें शामिल +थीं का जीडीपी में महज 2.5 +प्रतिशत का योगदान था, जो +देश में स्वर्ण की प्रच्चुर मात्रा में +उपलब्धता के मुकाबले बहुत +ही कम है। जीडीपी में इसके +योगदान को बढ़ाने के लिये +आवश्यक सुधारात्मक कदम +उठाने की जरूरत है + +सतीश सिंह + +त्त वर्ष 2018-19 के बजट +में केंद्रीय वित्त मंत्री ने यष्टीय +स्वर्ण नीति बनाने की घोषणा + +की, जिसके तहत स्वर्ण को परिसंपत्ति का +दर्जा दिया दिया जायेगा। वैसे, बजट में घोषित +राष्ट्रीय स्वर्ण नीति नई संकल्पना नहीं है। स्वर्ण +के लेन-देन को नियमित करने की प्रक्रिया +एक लंबे समय से चल रही है। वर्ष 1992 +में शुरू किये गये उदारीकरण की प्रक्रिया +के तहत स्वर्ण पर एक व्यापक नीति बनाने +के बारे में विचार किया गया था। उसके +बाद वर्ष 2013 में गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी +(एनबीएफसी) द्वारा स्वर्ण आयात करने और +स्वर्ण ऋण देने से संबंधित मुद्दों का अध्ययन +करने के लिए रिजर्व बैंक ने एक समूह का +गठन किया था। + +वर्ष 2015 में शुरू किये गये स्वर्ण +Fister योजना के ज्यादा लोकप्रिय नहीं +होने के कारण इस बार के बजट में इसमें +बदलाव का प्रस्ताव किया गया है। योजना +के आगाज के समय इसका मकसद था +परिवारों और संस्थानों में बिना उपयोग के +पडे स्वर्ण को मुख्यधारा में लाना, ताकि +स्वर्ण आयात, काले धन एवं तस्करी में कमी +आये। इस योजना के माध्यम से सरकार स्वर्ण +उपभोक्ताओं की आय भी बढ़ाना चाहती थी। +इस योजना के अंतर्गत लोग घर में बिना +उपयोग के पड़े स्वर्ण को निश्चित अवधि +के लिए बेंकों में जमा करा सकते थे, जिस +पर उन्हें एक निश्चित दर से ब्याज देने +का प्रस्ताव था। बहरहाल, इस योजना के +अपेक्षित परिणाम नहीं निकल सके। वित्त +मंत्री इस योजना को नये कलेवर में फिर से +लेकर आना चाहते हैं, जिसमें पुरानी खामियों + + + + + + + + + +की पुनरावृत्ति नहीं होगी। वित्त मंत्री यह भी +चाहते हैं कि देश के स्वर्ण एक्सचेंजों को +नियमित किया जाये तथा उन्हें उपभोक्ताओं +एवं कारोबारियों के अनुकूल बनाया जाये। + +राष्ट्रीय स्वर्ण नीति के तहत वृहद्‌ स्तर +पर काम करने एवं सुधार लाने का प्रस्ताव +है, ताकि स्वर्ण आयात एवं निर्यात में संतुलन +बनाया जा सके। स्वर्ण कारोबारी एक लंबे +समय से स्वर्ण पर लगने वाले आयात शुल्क +को कम करने की मांग रहे हैं। वहीं, रत्न एवं +आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जेजीईपीसी) +स्वर्ण आभूषण निर्यात में बढ़ोतरी करने के +लिये प्रयासरत है। ये दोनों चीजें मौजूदा +विसंगतियों को दूर किये बिना संभव नहीं +है। देश में स्वर्ण कारोबार को नियंत्रित करने +के लिए एक नियामक की जरूरत है, ताकि +इससे जुड़े गैर-कानूनी तत्वों एवं मौजूद +कमियों को दूर किया जा सके। + +स्वर्ण के मामले में प्राचीन काल से ही +भारत बड़े आयातक देशों में से एक रहा हे। +भारत में स्वर्ण का उत्पादन नहीं होता हे, +फिर भी, देश में संचय के माध्यम से स्वर्ण +इकठ्‌ठा किया जा रहा है। इसके संचय को +लेकर भारतीयों की दीवानगी सदियों पुरानी +है। मुख्य रूप से आयात के माध्यम से भारत +में स्वर्ण एकत्र किये जा हैं। + +आरंभ से स्वर्ण भारत की सभ्यता +एवं संस्कृति का अहम हिस्सा रहा है। इसे +सामाजिक रीति-रिवाजों, परंपराओं, नकदी का +विकल्प, संपाश्विक, मुद्रास्फीति से बचाव +आदि के संदर्भ में अपरिहार्य माना जाता है। +स्वर्ण आभूषण स्त्री धन के रूप में महिलाओं +को आर्थिक एवं सामाजिक रूप से सुरक्षित +बनाता है। स्री धन उसे कहते हैं, जिसे + + + +लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र, मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में मुख्य प्रबंधक के रूप में कार्यरत हैं और आर्थिक एवं बैंकिंग विषयों पर +आधारित पत्रिका आर्थिक दर्पण के संपादक हैं। इनके आलेख मुख्य रूप से आर्थिक व बैंकिंग विषयों पर अनेकानेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। +ईमेल: satish5249@gmail.com, oa singhsatish@sbi.co.in + +योजना, मार्च 2018 + + + +65 + + + +0066.txt +<----------------------------------------------------------------------> +सच कहा जाये तो देश में एक +ऐसी प्रणाली विकसित करने की +जरूरत है, जिसकी मदद से लोग +घर पर बिना उपयोग के पड़े भौतिक +स्वर्ण का समीच्चीन तरीके से उपयोग +कर सकें। इस आलोक में वर्ष 2015 +में शुरू की गई स्वर्ण मौद्रीकरण +योजना को प्रभावशाली तरीके से +अमलीजामा पहनाना लाभकारी हो +सकता है। + +विवाह के समय दुल्हन को उसके माता-पिता +उपहार के रूप में देते हैं। इस पीले धातु की +गतिशीलता अद्भुत है। भारत में इसे कालाधन, +तस्करी एवं अन्य काले कारनामों के लिये +मुफीद माना जाता है। भारतीय अर्थव्यवस्था +पर इसके प्रभाव को नजरंदाज नहीं किया जा +सकता है, क्योंकि इसका प्रभाव सीधे तोर पर +विनिमय दर प्रबंधन, राजकोषीय नीति और +समग्र वित्तीय स्थिरता आदि पर पड़ता है। +आजादी के समय से ही स्वर्ण नीति +के केंद्र में पांच तत्वों को रखा गया है। +पहला, स्वर्ण को दूसरी परिसंपत्ति में बदलना, +दूसरा, स्वर्ण की आपूर्ति का नियमन, तीसरा, +स्वर्ण तस्करी पर लगाम लगाना, चौथा, घरेलू +स्तर पर भौतिक स्वर्ण की मांग को कम +करना और पांचवां, घरेलू बाजार में स्वर्ण +की कीमत को निचले स्तर पर बनाये रखना +आदि। कालांतर में रिजर्व बैंक के अध्ययनों +के आधार पर इसमें विनिमय दर प्रबंधत और +वित्तीय स्थिरता को भी जोड़ा गया। माना जा +रहा है कि राष्ट्रीय स्वर्ण नीति के तहत इन +बिन्दुओं की अनदेखी नहीं की जायेगी। +स्वर्ण को विदेशी मुद्रा का विकल्प भी +माना जाता है। इसे वस्तु एवं वित्तीय परिसंपत्ति +का मिश्रण भी कहा जाता है। उदारीकरण +के इस दौर में स्वर्ण नीति पूंजीगत खाता +परिवर्तनीयता (सीएसी) से जुड़ी है। सीएसी +एक ऐसी वित्तीय व्यवस्था है, जो विदेशी +वित्तीय परिसंपत्तियों में स्थानीय वित्तीय +परिसंपत्तियों के आदान-प्रदान को स्वतंत्र रूप +से या देश में विनिमय दर निर्धारित करने की +क्षमता पर केंद्रित है। आम बोलचाल की भाषा +में पूर्ण सीएसी स्थानीय मुद्रा को राशि पर +बिना किसी प्रतिबंध के विदेशी मुद्रा के लिए +आदान-प्रदान करने की अनुमति देती है। यह +ज्यादातर विदेशी या घरेलू वित्तीय परिसंपत्तियों + +66 + +और देनदारियों में स्वामित्व के परिवर्तन के +लिए एक दिशा-निर्देश है। + +तायपोर समिति की रिपोर्ट में सीएसी के +लिये समग्र स्वर्ण नीति को लागू करना जरूरी +बताया गया है। लिहाजा, यह रिपोर्ट स्वर्ण एवं +स्वर्ण डेरीवेटिव से जुड़े एक व्यापक बाजार +को विकसित करने की सिफारिश करता है। +समिति की रिपोर्ट में स्वर्ण को एक वित्तीय +उत्पाद बनाने पर जोर दिया गया है। समिति के +मुताबिक बैंकों के माध्यम से स्वर्ण जमा व +स्वर्ण संचय योजना एवं म्यूचुअल फंड्स के +द्वारा एक्सचेंज ट्रेडेड गोल्ड फंड्स जैसे स्वर्ण +से जुडे वित्तीय उत्पादों को विकसित करने +की जरूरत है। कहा जा रहा है कि वित्तीय +सुधारों और सीएसी के बीच राष्ट्रीय स्वर्ण नीति +समायोजन स्थापित करने का काम करेगा। + +स्वर्ण पर चर्चा राष्ट्रीय आय या सकल +घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में इसके योगदान को +समझे बिना अधूरी है। आज स्वर्ण भुगतान +संतुलग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। कुल +आयात में स्वर्ण आयात का हिस्सा 8.7 प्रतिशत +है। वित्त वर्ष 2013 के दौरान राष्ट्रीय आय +के लेखा-जोखा के दौरान कीमती वस्तुओं +के वर्ग में, जिसमें स्वर्ण और दूसरी कीमती +धातुर्यें शामिल थीं का जीडीपी में महज 2.5 +प्रतिशत का योगदान था, जो देश में स्वर्ण की +प्रचुर मात्रा में उपलब्धता के मुकाबले बहुत +ही कम है। जीडीपी में इसके योगदान को +बढ़ाने के लिये आवश्यक सुधारात्मक कदम +उठाने की जरूरत है। + +संयुक्त राष्ट्र की राष्ट्रीय लेखा प्रणाली +1993 (यूएनएसएनए) के तहत जीडीपी +के व्यय पक्ष में एक अलग वस्तु के रूप +में कीमती चीजों को पेश किया गया है। +चूंकि, भारत विभिन्न प्रयोजनों के लिए सोने +का सबसे बड़ा आयातक और उपयोगकर्ता +है, इसलिए अर्थव्यवस्था में पूंजी निर्माण में +मूल्यवान वस्तुओं का बड़ा हिस्सा है। हमारी +स्वर्ण मांग में 75 प्रतिशत आभूषण शामिल +है। शेष 23 प्रतिशत सिक्के और बुलियन के +रूप में है, जबकि अन्य 2 प्रतिशत औद्योगिक +लेनदेन के रूप में। बावजूद इसके, स्वर्ण को +पूंजी निर्माण का हिस्सा नहीं माना जाता है। +यूएनएसएनए 1993 के अंतर्गत स्वर्ण को +तीन वर्गों में वर्गीकृत किया गया है। पहला, +मौद्रिक स्वर्ण, दूसरा, बहुमूल्य धातु के रूप +में और तीसरा, औद्योगिक उद्देश्यों की पूर्ति + +हेतु। पहली श्रेणी में केंद्रीय बेंक के पास +स्वर्ण को वित्तीय उद्देश्यों की पूर्ति के रूप +में रखा जाता है, जबकि अन्य दो श्रेणियों में +इसे गैर-मौद्रिक लेनदेन के रूप में इस्तेमाल +किया जाता है। + +यूएनएसएनए 1993 के तहत कीमती +सामानों को सकल पूंजी निर्माण (जीसीएफ ) +के तहत रखा जाता है, जिससे जीसीएफ का +प्रतिशत बढ़ जाता है, लेकिन बचत और निजी +अंतिम उपभोग व्यय (पीएफसीई) कम हो +जाता है। अस्तु, स्वर्ण खरीद को न तो भौतिक +बचत माना जाता है और न ही यह माना +जाता है कि इसका घरेलू स्तर पर खपत हुआ +है, जिसका प्रभाव राष्ट्रीय आय की गणना +और जीडीपी पर पड़ता है। केंद्रीय बैंक ने +वर्ष 2011 में जारी अपने वकिंग पेपर में इस +खामी को उजागर किया था। + +इसी तर्ज पर अतराष्ट्रीय मुद्रा कोष +(आईएमएफ) के भुगतान संतुलन मैन्युअल +बीपीएस 02 में स्वर्ण को मौद्रिक और +haf वर्ग में वर्गीकृत किया गया +है, लेकिन स्वर्ण आभूषण का वर्गीकरण +गेर-मौद्रिक वर्ग में नहीं करके उत्पाद आयात +के तहत किया गया है। स्वर्ण को उत्पाद के +वर्ग में शामिल करने से इसका इस्तेमाल लोगों +द्वारा किया जायेगा, लेकिन उसे पीएफसीई +में नहीं शामिल किया जायेगा। इससे राष्ट्रीय +आय की गणना और जीडीपी के आंकड़ों +के त्रुटिपूर्ण रवने की आशंका बनी रहती है। +लिहाजा, यूएनएसएनए 1993 की संकल्पना +को भारतीय संदर्भ में समीचीन नहीं कहा जा +सकता है, क्‍योंकि भारत में स्वर्ण को लेकर +रीति-रिवाज एवं प्राथमिकताएं अलग हैं। यहां +स्वर्ण बुलियन के रूप में हो या आभूषण + +सरकार ने बजट में राष्ट्रीय स्वर्ण +नीति का प्रस्ताव किया है। उम्मीद +है कि इस नीति की मदद से स्वर्ण +से जुड़ी समस्याओं का दीर्घकालिक +समाधान निकाला जा सकेगा और +स्वर्ण को म्यूचुअल फंड एवं पेंशन +फंड की तरह बचत के विकल्प +के रूप में विकसित किया जायेगा। +बैंकों में स्वर्ण खाते खोलने से +स्वर्ण के आयात में कमी आयेगी +और लोगों को बेकार पड़े स्वर्ण +आभूषणों से आय भी होगी। + +योजना, मार्च 2018 + + + +0067.txt +<----------------------------------------------------------------------> +के रूप में, दोनों स्थिति में भारतीय इसका +संचय करते हैं। + +स्वर्ण खरीद की राष्ट्रीय आय में गणना, +जीडीपी में योगदान, भुगतान संतुलन एवं +पूंजीगत खाते की परिवर्तनीयता के बीच +तालमेल बनाने की जरूरत है, ताकि भारत में +स्वर्ण की खरीद-फरोख्त को तारिक बनाया +जा सके। इसके आयात एवं निर्यात में संतुलन +स्थापित करने से देश में विदेशी मुद्रा की +बढ़ोतरी होगी, भुगतान संतुलन घाटे में कमी +आयेगी और कारोबारी आयात शुल्क देने +से बचेंगे। जरूरत इस बात की भी है कि + +राष्ट्रीय आय की गणना एवं जीडीपी में इसके +वास्तविक योगदान को दर्शाया जाये। + +सच कहा जाये तो देश में एक ऐसी +प्रणाली विकसित करने की जरूरत है, +जिसकी मदद से लोग घर पर बिना उपयोग +के पड़े भौतिक स्वर्ण का समीचीन तरीके से +उपयोग कर सकें। इस आलोक में वर्ष 2015 +में शुरू की गई स्वर्ण मोद्रीकरण योजना को +प्रभावशाली तरीके से अमलीजामा पहनाना +लाभकारी हो सकता हे। + +मौजूदा कमियों को दूर करने के लिये +सरकार ने बजट में राष्ट्रीय स्वर्ण नीति का + +प्रस्ताव किया है। उम्मीद है कि इस नीति +की मदद से स्वर्ण से जुड़ी समस्याओं का +दीर्घतालिक समाधान निकाला जा सकेगा +और स्वर्ण को म्यूचुअल फंड एवं पेंशन +फंड की तरह बचत के विकल्प के रूप +में विकसित किया जायेगा। बेंकों में स्वर्ण +खाते खोलने से स्वर्ण के आयात में कमी +आयेगी और लोगों को बेकार पड़े स्वर्ण +आभूषणों से आय भी होगी। प्रस्तावित नीति +को अमलीजामा पहनाने से स्वर्ण तस्करी और +स्वर्ण के जरिये कालेधन के सृजन पर भी +लगाम लगेगी। QO + + + + + +a + + + +UW न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के लिए +केंद्रीय बजट, 2018-19 में वर्ष 2017-18 की +तुलना में बजट आवंटन में 1210 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। +वर्ष 2017-18 में यह 6908.00 करोड़ रुपये था जो वर्ष +2018-19 में बढ़कर 7750.00 करोड रुपये हो गया है। +साथ ही योजनाओं के लिए बजट आवंटन में 2017-18 की +तुलना में 2018-19 में बजट आवंटन में 11.57 प्रतिशत की +वृद्धि हुई है। इसके अतिरिक्त बजट आवंटन में ओबीसी के +कल्याण के लिए वर्ष 2018-19 में 2017-18 की तुलना +में 41.03 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। +अनुसूचित जाति के लिए उद्यम पूंजी निधि की तर्ज +पर ही ओबीसी के लिए एक नई उद्यम पूंजी निधि योजना +200 करोड़ रुपये की आरंभिक कायिक निधि के साथ +आरंभ की जानी है। वर्ष 2018-19 में इसके लिए 140 +करोड़ रुपये निधि प्रदान की गई है। 13587 मैन्यूअल +स्कैवेंजर्स (हाथ से मैला ढोने वाले) और उनके अश्नितों +को कौशल विकास प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। 809 +मैन्युअल स्कैवेंजर्स और उनके अश्रितों को बैंक कर्ज +प्रदान किए गए हैं। +ओबीसी के लिए प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति हेतु, आय +पात्रता को 44,500 रुपये प्रतिवर्ष से बढ़ाकर 2.5 लाख +रुपये प्रति वर्ष कर दिया गया है। अनुसूचित जाति के +लिए प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति हेतु आय पात्रता को 2.00 +लाख रुपये से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये कर दिया गया +है। दिवा छात्रों के लिए वजीफे की राशि को 150 रुपये +से बढ़ाकर 225 रुपये कर दिया गया है और आवासीय + +छात्रों के लिए इसे 350 रुपये से बढ़ाकर 525 रुपये कर +दिया गया है। अनुसूचित जाति के लिए सर्वोच्च स्तरीय +शिक्षा हेतु छात्रवृत्ति राशि को 4.5 लाख रुपये से बढ़ाकर +6 लाख रुपये प्रति वर्ष कर दिया गया है। अनुसूचित जाति +और ओबीसी छात्रों के लिए आय पात्रता को 4.5 लाख +रुपये से बढ़ाकर 6 लाख रुपये प्रति वर्ष कर दिया गया है। +स्थानीय छात्रों के लिए वजीफे की राशि को 1500 रुपये +से बढ़ाकर 2500 रुपये और बाहरी छात्रों के लिए 3000 +रुपये से बढ़ाकर 5000 रुपये कर दिया गया है। ओबीसी +के लिए प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति हेतु, छात्रवृत्ति की दरों को +महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाया गया है। + +कक्षा पहली से पांचवी, कक्षा छठी से आठवीं और +कक्षा नौंवी से दसवीं के दिवा छात्रों की छात्रवृत्ति को 10 +माह के लिए क्रमश: 25 रुपये, 40 रुपये और 50 रुपये +की पूर्वोक्त दरों को संशोधित कर कक्षा पहली से दसवीं +को 10 महीने के लिए 100 रुपये प्रति माह कर दिया +गया है। + +कक्षा तीसरी से आठवीं और कक्षा नौंवी से दसवीं के +आवासीय छात्रों की पूर्वोक्त छात्रवृत्ति दरों को 10 माह के +लिए क्रमश: 200 रुपये और 250 रुपये से संशोधित कर +कक्षा तीसरी से दसवीं को 10 महीने के लिए 500 रुपये +प्रति माह कर दिया गया है। योजना के तहत सभी छात्रों को +तदर्थ अनुदान 500 रुपये प्रति वर्ष है। अनुसूचित जाति के +लिए राष्ट्रीय अध्येतावृत्ति के तहत, इस सहायता को बढ़ाकर +25,000 रुपये से बढ़ाकर 28,000/- रुपये प्रति छात्र कर +दिया गया है। Q + + + +योजना, मार्च 2018 + +67 + + + + + +0068.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +ee रकार देश भर में कारोबार सुगमता को बेहतर बनाने की +दिशा में लगातार प्रयासरत है। वित्त व कॉर्पोरेट मामलों +के मंत्री ने संसद में 2018-19 का बजट प्रस्तुत करते हुए कहा +कि प्रधानमंत्री ने न्यूनतम सरकार-अधिकतम प्रशासन (मिनिमम +गवर्नमेंट मैक्सिमम गवर्नेंस) कहते हुए हमेशा सुशासन के महत्व +पर जोर दिया है। उनके इस नजरिए ने सभी सरकारी एजेंसियों +को नीतियों, नियमों व प्रणालियों में कई सुधार लाने को प्रेरित +किया है। इस बदलाव से विगत तीन वर्षों में वर्ल्ड बैंक के व्यापार +grad सूचकाक में भारत का स्थान बेहतर हुआ है और अब +भारत पहली बार शीर्ष 100 सूची में आ गया है और इसका स्थान +42वां है। कारोबार सुगमता को सभी राज्यों में और बेहतर बनाने +के लिए भारत सरकार ने 372 विशिष्ट कारोबार सुधार कार्यों की +पहचान की है। सभी राज्यों ने इन सुधारों व बदलावों को एक +दूसरे के साथ रचनात्मक प्रतियोगिता के भाव से मिशन मोड में +लिया है। इस कार्यक्रम के तहत कार्य निष्पादन का मूल्यांकन +प्रयोक्ता (यूजर) की प्रतिक्रिया के आधार पर होगा। वाणिज्य +विभाग सभी हितथधारकों को लिंक करने के लिए एकल विंडो +ऑनलाइन मार्केट प्लेस के रूप में राष्टीय लॉजिस्टिक्स पोर्टल तैयार +कर रहा है। सरकार केंद्रीय मंत्रालयों व विभागों में ई ऑफिस + +व अन्य ई गवर्नेंस फलक शुरू करते हुए अपने कारोबार के +निपटान की प्रक्रिया को भी बदल रही है। महा लेखानियंत्रक द्वारा +सरकार के बजट, लेखा, व्यय व नकद प्रबंधन आदि कार्यों के +लिए वेब आधारित सरकार एकीकृत वित्तीय प्रबंधन सूचना प्रणाली +(जीआइएफएमआइएस) का प्रबंधन किया जा रहा है। + +केंद्रीय जन प्रबंध पोर्टल प्रबंधन संबंधी सभी सूचनाओं के +लिए एकल प्वॉइंट एक्सेस प्रदान करता है। लगभग 3.5 लाख +निविदाकार और वेंडर्स इस प्लेटफॉर्म पर पंजीकृत हैं। नवंबर 2017 +में ही इस पोर्टल के जरिए 2 लाख चालीस हजार करोड के मूल्य +के एक लाख से अधिक इलेट्रॉनिक बिड्स आमंत्रित किए गए। +सरकारी ई-माकेटप्लेस (जीईएम) पारदर्शी व प्रभावी तरीके से +सही गुणवत्ता व प्रमात्रा में सही मूल्य पर उपलब्ध कराता है। इस +प्लेटफॉर्म पर 780 खरीददार व पचास हजार विक्रेता हैं। तकरीबन +2 लाख लेनदेनों में 3000 करोड रुपये का लेनदेन कराने के +अलावा, इससे आधार मूल्य पर 25 प्रतिशत से अधिक बचत होगी। +सुगम एक्सेस के लिए अनुदान (ग्रांट्स) हेतु सभी विस्तृत मांग +से संबंधित लिंक 1019. 20ए.॥11 पर उपलब्ध होंगे। सरकार मशीन +द्वारा पठनीय प्रारूप में प्रकट सूचना प्रदान करने की व्यवहार्यता +पर भी विचार कर रही है। QO + + + + + + + +कन्याओं के लिए योजनाएं सही दिशा में: आर्थिक सर्वेक्षण + +ch मंत्री द्वारा 29 जनवरी, 2018 को संसद के पटल पर +प्रस्तुत किए गए आर्थिक सर्वेक्षण में एक ओर जेंडर एवं +पुत्र मेटा प्राथमिकता पर विशेष जोर दिया गया है जबकि दूसरी +ओर अन्य अर्थव्यवस्थाओं के सापेक्ष जेंडर परिणामों पर भारत के +प्रदर्शन का मूल्यांकन किया गया है। + +जेंडर समानता अंर्तनिहित रूप से बहुआयामी मुदझ्य है। +तदनुसार, जेंडर के तीन विशिष्ट आयामों में एजेंसी, प्रवृत्तियां +और परिणाम हैं। एजेंसी (प्रजनन पर महिलाओं का निर्णय +लेने की क्षमता, स्वयं पर खर्च करना, उनके परिवार पर +खर्च और उनकी गतिशीलता एवं स्वास्थ्य से संबंधित है), +प्रवृत्तियों (महिलाओं/पत्नियों) के विरुद्ध हिंसा के बारे में और +पुत्रों की आदर्श संख्या के सापेक्ष पुत्रियों की आदर्श संख्या +से संबंधित है) और परिणाम (अंतिम बच्चे के लिंग अनुपात +द्वारा जांची गई “पुत्र प्राथमिकता' महिला रोजगार, गर्भनिरोध का +विकल्प, शिक्षा स्तर, विवाह के समय आयु, पहले जन्म पर आयु +और महिलाओं द्वारा अनुभव की गई शारीरिक या लैंगिक हिंसा) +जिसका लक्ष्य समाज में महिलाओं की स्थिति, भूमिका और +सशकक्‍्तीकरण को दर्शाता है। + +आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 में यह नोट किया गया है कि + +जेंडर की चुनौती दीर्घकालीन है और शायद यह हजारों वर्ष पुरानी +समस्या है इसलिए इसके समाधान के लिए सभी हितधारक +सामूहिक रूप से जिम्मेदार हैं। + +इस प्रकार इस सर्वेक्षण में यह सिफारिश की गई है कि +भारत को सामाजिक प्राथमिकता का मुकाबला करना होगा, +यहां तक कि एक पुत्र के लिए प्राथमिकता पूरी हो जाए, जो +विकास में बाधक प्रतीत होता है। पुरूषों के पक्ष में मनमाने +लिंग अनुपात से 'मिसिंग” महिलाओं की पहचान हो पाई। बेटे +की चाहत में अनचाहे तौर पर लडकियां पैदा होती रहती हें +जिनकी संख्या औसतन 2 करोड़ 10 लाख हो जाती है। + +सर्वेक्षण में यह विचार अभिव्यक्त किया गया है कि इन +घृणित श्रेणियों को इतिहास बनाना समाज का उद्देश्य होना +चाहिए। सर्वेक्षण में सरकार के “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' और +“सुकन्या योजना' का भी जिक्र किया गया है। + +समृद्धि योजना में और अनिवार्य मातृत्व अवकाश नियम +सही दिशा में सही कदम है। सर्वेक्षण में बताया गया है कि जैसे +भारत व्यापार सुगमता से सूचकांकों में रैंक सुधारने के लिए +प्रतिबद्ध है उसी प्रकार जेंडर के क्षेत्र में भी प्रयास किया जाना +चाहिए। Q + + + +68 + +योजना, मार्च 2018 + + + + + +0069.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +सरकार बढ़ती जनसंख्या की +रोजगार आवश्यकताओं की +पूर्ति के लिए स्थानीय स्तर पर +उपलब्ध अवसरों के साथ बड़े +औद्योगिक प्रतिष्ठानों, लघु एवं +मध्यम उद्यमों तथा कृषि क्षेत्र में +रोजगार सृजन का प्रयास कर +रही है। देश की प्रगति और +रोजगार सृजन में लघु और मध्यम +उद्यम के योगदान को देखते हुए +वित्त मंत्री ने एमएसएमई क्षेत्र को +ऋण सहायता, पूंजी और ब्याज +सब्सिडी के लिए 3,794 करोड़ +रुपये का प्रावधान किया है। +वित्त मंत्री ने बताया कि रोजगार +सृजन को बढ़ावा देने के लिए +सरकार 3 वर्ष तक कर्मचारी +भविष्य निधि में नए कर्मचारियों +के वेतन का 8.33 प्रतिशत +अनुदान कर रही है + +देवाशीष उपाध्याय + +वाओं को देश का मूल्यवान +q मानव संसाधन मानते हुए +केंद्रीय वित्त मंत्री ने 2018-19 +के बजट में युवाओं में सक्षमता निर्माण, +कौशल विकास, रोजगार सृजन, स्वरोजगार +और स्थानीय स्तर पर उपलब्ध भौतिक व +प्राकृतिक संसाधनों के अनुरूप उद्योग स्थापना +हेतु अधारभूत अवसंरचना के विकास एवं 70 +लाख नयी नौकरियों के सृजन का लक्ष्य रखा +है। देश के तीव्र आर्थिक विकास में युवाओं +की बहुमुखी प्रतिभा, ऊर्जा, और रचनात्मक +क्षमता का उपयोग करने के लिए सरकार +साक्षरता दर में वृद्धि के साथ ही गुणात्मक +शिक्षा एवं कौशल उन्‍नयन के विकास पर +बल दे रही है। युवाओं के समेकित विकास +और समृद्धि तथा बेरोजगारी से मुक्ति दिलाने +हेतु सरकार कई योजनाएं संचालित कर +रही हैं। +गुणात्मक शिक्षा की दिशा में पहल +आजादी के बाद देश की साक्षरता दर में +तीत्र वृद्धि हुई है। शिक्षा के प्रसार के लिए +सरकार ने शिक्षा के अधिकार अधिनियम के +अंतर्गत 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को कक्षा +पहली से आठवीं तक निःशुल्क और अनिवार्य +शिक्षा की व्यवस्था की है। शैक्षिक व्यवस्था +को सुदृढ़ करने के लिए मोदी सरकार ने +बजट 2018-19 में शिक्षा के अधिकार के +दायरे को बढ़ाते हुए टुकड़ों में बंटी स्कूली +शिक्षा को एकत्रित करते हुए, नर्सरी से 12वीं +तक की शिक्षा को व्यावहारिक बनाने की +योजना बनाई है। बजट में शिक्षा की गुणवत्ता +सुधारने के लिए सरकार स्कूलों में प्रौद्योगिकी +के प्रयोग पर बल देने जा रही है। स्कूलों +में अब ब्लैकबोर्ड के स्थान पर डिजिटल +बोर्ड होगा, जिससे छात्रों को देश-दुनिया और + +अन्य समस्त विषयों से संबंधित जानकारी +ऑनलाइन प्राप्त हो सकेगी। गुणवत्तायुक्त +शिक्षा के लिए शिक्षकों को नियमित प्रशिक्षण +दिया जाना आवश्यक है। बजट में शिक्षकों +को प्रशिक्षित करने के लिए एकीकृत बीएड +कार्यक्रम शुरू करने का प्रस्ताव रखा गया है। +सरकारी स्कूलों में पढ़ा रहे तेरे लाख से +अधिक अप्रशिक्षित अध्यापकों को प्रशिक्षित +करने का प्रस्ताव है। अप्रशिक्षित शिक्षकों को +2019 तक प्रशिक्षित करने की समय सीमा +निर्धारित की गई है। सरकार ने जनजातीय +बच्चों को अच्छी गुणवत्त्तायुक्त शिक्षा देने +के लिए एकलव्य स्कूल खोलने का प्रस्ताव +रखा है। 2022 तक 50 प्रतिशत से अधिक +आदिवासी जनसंख्या और कम से कम 20 +हजार आदिवासी लोगों वाले क्षेत्र में नवोदय +विद्यालय की तर्ज पर एकलव्य विद्यालय +खोले जाएंगे। +उच्च शिक्षा हेतु बजटीय पहल + +सरकार उच्च शिक्षा के तीत्र विकास एवं +इसे रोजगारोन्मुख बनाने की दिशा में प्रयासरत +है, जिससे उच्च शिक्षा प्राप्त युवा वर्ग को +रोजगार की तलाश में भटकना न पड़े। + +2022 तक शिक्षा की आधारभूत +सुविधाओं और प्रणालियों को पुनः जानदार +बनाने के लिए जरूरी पहल की घोषणा +वित्त मंत्री ने बजट में की है। इसके अंतर्गत +स्वास्थ्य और शिक्षा सहित प्रमुख शैक्षिक +संस्थानों में अनुसंधान व प्रौद्योगिकी विकास +तथा आधारभूत अवसंरचना विकास के लिए +सरकार ने बजट में एक लाख करोड़ रुपये +के निवेश की व्यवस्था की है। इस पहल के +वित्तपोषण के लिए उच्चतर शिक्षा वित्तपोषण +एजेंसी (हेफा) को तैयार किया जाएगा। +सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा मिशन का बजट + + + +लेखक खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन, हाथरस में जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी हैं। ईमेल: dewashishupadhy@egmail.com + +योजना, मार्च 2018 + +69 + + + +0070.txt +<----------------------------------------------------------------------> +29,556 करोड़ से बढ़ाकर 32,613 करोड +कर दिया है। वित्त मंत्री ने रेलवे में प्रौद्योगिकी +उन्नयन के लिए बड़ोदरा में विशिष्ट रेलवे +विश्वविद्यालय की स्थापना का प्रस्ताव रखा +है। दो पूरी तरह से नए सुसज्जित स्कूलों +की स्थापना तथा आईआईटी/एनआईटी में +18 एसपीए निकायों की स्थापना का भी +प्रस्ताव है। सरकार ने प्रौद्योगिकी शिक्षा के +छात्रों के लिए प्रधानमंत्री अनुसंधान अध्ययन +(पीएमआरएफ ) आवास योजना आरंभ की +है। जिसके अंतर्गत प्रत्येक वर्ष श्रेष्ठ संस्थानों +के 1000 उत्कृष्ट बीटेक छात्रों की पहचान +कर अच्छी अध्येतावृत्ति के साथ आईआईटी/ +आईआईएमसी में पीएचडी की सुविधा +मुहैया की जाएगी। दूरस्थ शिक्षा की प्रसार +क्षमता एवं महत्ता को देखते हुए सरकार इसे +व्यावसायिक और रोजगारोन्मुखी बनाने का +प्रयास कर रही है। +प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना + +केंद्र सरकार कोशल भारत कुशल भारत +का लक्ष्य रख युवाओं को प्रौद्योगिकी रूप से +प्रशिक्षित करने और रोजगार सक्षमता निर्माण +एवं दक्षता विकास के लिए प्रधानयत्री कोशल +विकास योजना का संचालन कर रही है। +उद्यमिता मंत्रालय राष्ट्रीय कौशल विकास +निगम के माध्यम से कौशल विकास कार्यक्रम +को क्रियान्वित कर रहा है। कौशल विकास +योजना के अंतर्गत 34 विभिन कार्य क्षेत्रों में +युवाओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है। बजट +2018-19 में सरकार ने युवाओं को प्रशिक्षित +करने के लिए प्रत्येक जिले में कौशल विकास +प्रशिक्षण केंद्र खोलने का प्रस्ताव रखा है। अभी +तक 306 प्रधानमंत्री कोशल विकास केंद्र खोले +जा चुके हैं। बजट में कुशल कामगारों के +रोजगार और युवाओं के कौशल विकास के +लिए 5,071 करोड़ रुपये का प्रावधान किया +गया है। 2020 तक 50 लाख युवाओं को +बुनियादी प्रशिक्षण और छात्रवृत्ति देने के लिए +राष्ट्रीय प्रशिक्षु योजना आरंभ की जा रही है। +इसमें युवाओं को कारोबार एवं बाजार संबंधी +प्रशिक्षण देने के साथ स्वरोजगार के अवसर +उपलब्ध कराये जाएंगे। +राष्ट्रीय रोजगार नीति + +सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत +बनाकर आजीविका सृजन करने के लिए +ग्रामीण आधारभूत सुविधा निर्माण हेतु अधिक +धनराशि खर्च कर रही है। वर्ष 2018-19 में + +70 + +ग्रामीण क्षेत्र में आजीविका और आधारभूत +संसाधनों के विकास के लिए 14.34 लाख +करोड़ रुपये खर्च करने का प्रस्ताव है। देश +में औद्योगिक प्रतिष्ठानों का संजाल बिछाने के +लिए औद्योगिक विनियमावली को सकारात्मक +तथा लचीला बनाने के साथ कर रियायत, +कानूनी औपचारिकताएं व नियंत्रण को कम +किया जा रहा है, जिससे वैश्विक निवेशकों +को उद्यम स्थापना के लिए आकर्षित किया +जा सके। वित्त मंत्री ने बजट 2018-19 +में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका कार्यक्रम के +लिए 5,750 करोड़ रुपये का प्रस्ताव रखा +है। ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के आर्थिक +स्वावलंबन के लिए स्वयं सहायता समूहों +को दी जाने वाली ऋण राशि को बढ़ाकर +75,000 करोड़ रुपये कर दिया गया हे। +सरकार ने आधारभूत सुविधाओं के विकास +के लिए सड॒क, हवाई अड्डे, रेलवे, बंदरगाह + +2022 तक शिक्षा की आधारभूत +सुविधाओं और प्रणालियों को पुनः +जानदार बनाने के लिए जरूरी पहल +की घोषणा वित्त मंत्री ने बजट में +की है। इसके अंतर्गत स्वास्थ्य और +शिक्षा सहित प्रमुख शैक्षिक संस्थानों +में अनुसंधान व प्रौद्योगिकी विकास +तथा आधारभूत अवसंरचना विकास +के लिए सरकार ने बजट में एक लाख +करोड़ रुपये के निवेश की व्यवस्था +की है। + +के उनन्‍नयन का प्रस्ताव रखा है। इन क्षेत्रों में +भी बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन की संभावना +है। भारत में पर्यटन स्थलों की प्रचुरता हे, +जहां बडे पैमाने पर सैलानी आते हैं। पर्यटन +स्थलों पर आधारभूत सुविधाओं का विस्तार +कर रोजगार के सृजन का प्रस्ताव इस बार के +बजट में किया गया हे। +प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम + +देश की 65-70 प्रतिशत ग्रामीण +आबादी की अर्थव्यवस्था कृषि और +परंपरागत व्यावसायिक प्रणाली पर आधारित +है। आधुनिक वैज्ञानिक प्रौद्योगिकी के +तीव्र विकास के परिणामस्वरूप परंपरागत +व्यवसाय और कृषि क्षेत्र से दिन-प्रतिदिन +मानव श्रम शक्ति का पलायन हो रहा हे। +आधुनिक मशीनों द्वारा मानवीय श्रम शक्ति + +को प्रतिस्थापित करने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों +में कृषि प्रच्छन्‍न बेरोजगारी में वृद्धि हो रही +है। रोजगार की तलाश में ग्रामीण युवाओं का +पलायन शहरों की ओर हो रहा है। ऐसे में +युवाओं को रोजगार प्राप्त करने वाला होने +की बजाय रोजगार देने वाला बनाने के लिए +मोदी सरकार स्वरोजगार योजना के अन्तर्गत +उद्यमशीलता को प्रोत्साहित करने के लिए +स्टार्ट अप इंडिया और स्टैंड अप इंडिया के +लिए अनुकूल माहौल तैयार कर रही है। +सरकार ने प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम +का बजट 1,195 करोड़ से बढ़ाकर 1,800 +करोड़ कर दिया है। शिक्षा और स्वास्थ जैसे +सेवा क्षेत्र में रोजगार के व्यापक अवसर हें। +इन क्षेत्रों में युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान करने +हेतु प्रशिक्षण संस्थानों की स्थापना की जा +रही है। युवाओं को स्वावलंबी बनाने के +लिए युवा सक्षमता विकास योजना संचालित +की गई है। आमजन मानस को सस्ती दर +पर दवाइयां उपलब्ध कराने और युवाओं को +रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने हेतु जन +औषधि केन्द्र खोले जा रहे हैं। देश में 3000 +से अधिक जन औषधि केन्द्र खोले गये हें। +इसमें हजारों बेरोजगारों को रोजगार प्राप्त हुए +हैं। +सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम में रोजगार +सृजन + +सरकार बढ़ती जनसंख्या की रोजगार +आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए स्थानीय +स्तर पर उपलब्ध अवसरों के साथ बड़े +औद्योगिक प्रतिष्ठानों, लघु एवं मध्यम उद्यमों +तथा कृषि क्षेत्र में रोजगार सृजन का प्रयास +कर रही है। देश की प्रगति और रोजगार सृजन +में लघु और मध्यम उद्यम के योगदान को +देखते हुए वित्त मंत्री ने एमएसएमई क्षेत्र को +ऋण सहायता, पूंजी और ब्याज सब्सिडी के +लिए 3,794 करोड़ रुपये का प्रावधान किया +है। वित्त मंत्री ने बताया कि रोजगार सृजन +को बढावा देने के लिए सरकार 3 वर्ष तक +कर्मचारी भविष्य निधि में नए कर्मचारियों +के वेतन का 8.33 प्रतिशत अनुदान कर +रही है। कपड़ा, चमड़ा तथा फुटवियर जैसे +रोजगार देने बाले क्षेत्रों में सरकार 3 वर्ष +तक नए कर्मचारियों की भविष्य निधि में +12 प्रतिशत का अंशदान कर रही है। इसके +परिणाम स्वरुप औद्योगिक क्षेत्र में 70 लाख +नई औपचारिक नौकरियां सृजित होने की + +योजना, मार्च 2018 + + + +0071.txt +<----------------------------------------------------------------------> +संभावना है। वस्तु और परिधान के क्षेत्र में +रोजगार के अवसरों में वृद्धि के मकसद से +2018-19 के दौरान 7,148 करोड़ रुपये के +पैकेज का प्रस्ताव किया गया है। +खादी और ग्रामोद्योग में रोजगार संर्वधन +युवाओं को ग्रामीण स्तर पर रोजगार +उपलब्ध कराने हेतु सरकार बजट में खादी +और ग्रामोद्योग क्षेत्र में रोजगार सृजन को +बढावा दे रही है। बजट में खादी ग्रामोद्योग के +विकास के लिए सरकार 1,215 करोड़ रुपये +के प्रावधान किया है। इससे परंपरागत उद्योगों +के पुनर्सुजन एवं बाजार संवर्धन और विकास +सहायता योजना पर बल दिया जायेगा। ग्रामीण +स्तर पर स्वयं सहायता +समूह एवं सहकारी +समितियों के माध्यम +से रोजगार के अवसर +उपलब्ध कराने तथा +स्वरोजगार हेतु कौशल +विकास प्रशिक्षण और +आर्थिक एवं प्रौद्योगिकी +सहायता उपलब्ध कराने + + + + + + + + +की योजना संचालित की + +हो रही है। सरकार / कृषि एवं खाद्य + +Rea इंडिया और ७ प्रसंस्करण में रोजगार आत्मनिर्भरता +डिजिटल इंडिया योजना हेतु राष्ट्रीय +के अर्न्तगत युवाओं को योजनाएं +आधुनिक व्यावसायिक + +और रोजगारपरक + +प्रशिक्षण देकर आर्थिक +रूप से स्वावलंबी बनाने +की दिशा में प्रयासरत +है। स्थानीय स्तर पर +उपलब्ध संसाधनों के +आधार पर नवप्रर्वतन एवं +उद्यमिता के संवर्धन के एस्पायर योजना के +अन्तर्गत 80 आजीविका व्यवसाय इक्यूबेशन +केन्द्र की स्थापना की योजना है। सरकार +ने ग्राम एवं लघु उद्योग के विकास के +लिए 5,849 करोड़ रुपये और उद्यमिता एवं +कौशल विकास के लिए 340 करोड़ रुपये +का प्रावधान किया है। +कृषि क्षेत्र में रोजगार + +ग्रामीण स्तर पर कृषि का व्यावसायीकरण +और औद्योगीकरण कर कृषि में मौजूद प्रच्छन्‍न +बेरोजगारी को दूर किया जा सकता है। वित्त +मंत्री ने बजट में कृषि क्षेत्र से युवाओं का + +योजना, मार्च 2018 + +स्किल एवं डिजिटल +इंडिया योजना + + + + +प्रधानमंत्री रोजगार +सृजन कार्यक्रम + +पलायन रोकने के लिए फसल उत्पादन की +लागत से कम से कम 50 प्रतिशत अधिक +अर्थात्‌ उत्पादन लागत से डेढ़ गुना अधिक +मूल्य दिलाने की घोषणा की है। इसके लिए +न्यूनतम समर्थन मूल्य उत्पादन लागत से डेढ़ +गुना करने का निर्णय किया गया है। न्यूनतम +समर्थन मूल्य के दायरे में अभी तक कुछ ही +फसलें थीं। बजट 2018-19 में सभी फसलों +को न्यूनतम समर्थन मूल्य के दायरे में ला +दिया गया है। वित्त मंत्री ने कहा कि न्यूनतम +समर्थन मूल्य का लाभ सभी किसानों को +नहीं मिल पाता है, इसलिए न्यूनतम समर्थन +मूल्य बढ़ा देना ही पर्याप्त नहीं है। बाजार में + + + + + + + + + + +मेक इन +इंडिया योजना + +युवाओं + + + + +कृषि उत्पाद का मूल्य न्यूनतम समर्थन मूल्य +से कम होने की स्थिति में सरकार या तो +कृषि उत्पाद को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर +खरीदेगी अथवा किसी अन्य पुख्ता व्यवस्था +के अंतर्गत कृषकों को फसल का उचित +दाम दिलाएगी, जिससे किसानों को उपज की +गारंटी मिल सकेगी। + +कृषि आय बढ़ाने के लिए डेयरी, +पशुपालन, मत्स्य व पोल्ट्री इत्यादि के विकास +पर जोर दिया जा रहा है। किसान क्रेडिट +कार्ड की सुविधा का विस्तार मत्स्य एवं +पशुपालन तक कर दिया गया है। शीघ्र नष्ट + +ग्रामोद्योग में रोजगार + + + + + + + +होने वाली फसल जैसे टमाटर, प्याज और +आलू इत्यादि की कीमतों को अनिश्चितता +से बचाने के लिए सरकार आपरेशन फ्लड +की तर्ज पर “आपरेशन ग्रीन' आरंभ करने जा +रही है। “आपरेशन ग्रीन” किसान उत्पादक +संगठनों, कृषि संभार तंत्र, प्रसंस्करण ईकाइयों, +व्यावसायिक प्रबंधन में सामंजस्य स्थापित +करेगा। इसके लिए 500 करोड़ रुपये की +निधि की स्थापना की घोषणा की गई है। +किसानों को साहूकारों व सूदखोरों के चंगुल +से बचाने के लिए सरकार ने कृषि ऋण में +बढ़ोतरी कर 11 लाख करोड़ रुपये कर दिया +है। यह चालू वित्त वर्ष के मुकाबले एक +लाख करोड रुपये +अधिक हे। + +वर्तमान में कृषि +क्षेत्र में सबसे बड़ी +मुश्किल उत्पादकता +बढ़ाने की बजाय +फसल का समुचित +मूल्य दिलाना है। +वित्त मंत्री ने बताया +कि कृषि उत्पादों के +विपणन प्रणाली को +सुदृढ़ करने के लिए +585 एपीएमसी को +ई-नैम नेटवर्क से +संयोजित किया जा +रहा है। लघु एवं +सीमांत किसान जो +एपीएमसी या अन्य +थोक बाजार तक +नहीं पहुंच पाते हें, +उनके लिए मौजूदा +22,000 ग्रामीण +हाटों को “ग्रामीण कृषि बाजार' के रूप +में विकसित तथा उन्‍नत किया जाने का +प्रस्ताव है। इससे किसानों को अपने उत्पाद +राष्टीय स्तर पर बेचने की सुविधा प्राप्त हो +सकेगी। 22,000 ग्रामीण कृषि बाजार और +585 एपीएमसी में कृषि विपणन अवसंरचना +के विकास और उन्‍नयन के लिए बजट में +दो हजार करोड़ रुपये की स्थाई निधि के +साथ एक कृषि बाजार अवसरचना कोष की +स्थापना का प्रस्ताव है। 22,000 ग्रामीण कृषि +बाजार का विकास करने के लिए मनरेगा व +अन्य योजनाओं का उपयोग किया जाएगा। + + + + +खादी व + +War + + + + + +प्रधानमंत्री कौशल +विकास योजना + +71 + + + +0072.txt +<----------------------------------------------------------------------> +खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में रोजगार + +सरकार किसानों के आर्थिक समृद्धि और +2022 तक किसानों के आय दोगुना करने +के लिए ग्रामीण स्तर पर वैकल्पिक रोजगार +के अवसर सृजन करने के अतिरिक्त कृषि +प्रसंस्करण के प्रोत्साहन व आधुनिकौकरण +हेतु प्रयास कर रही है। कृषि प्रसंस्करण एवं +मूल्य संवर्धन प्रौद्योगिकी द्वारा स्थानीय स्तर पर +उपलब्ध कृषि उत्पादों को नष्ट होने से बचाने +के साथ प्रशिक्षित एवं अप्रशिक्षित युवाओं को +बडे पैमाने पर रोजगार के अवसर उपलब्ध +कराये जा सकते हैं। खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में +निवेश को बढावा देने के लिए. प्रधानमंत्री +कृषि संपदा योजना आरंभ की गई है। बजट +2018-19 में खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय के +तत्वाधान में संचालित प्रधानमंत्री कृषि संपदा +योजना के लिए 1,400 करोड़ रुपये आवंटित +किये गये हैं। कृषि उत्पादों के निर्यात को +बढ़ावा देने के लिए सभी 42 मेगा फूड पार्को +में अत्याधुनिक परीक्षण सुविधा स्थापित करने +की व्यवस्था का प्रस्ताव रखा गया है। +श्रमिकों के कल्याणार्थ योजना + +सरकार ने बजट में श्रम एवं रोजगार +मंत्रालय के अधीन श्रमिकों के रोजगार सृजन +कार्यक्रम के लिए 1797 करोड़ रुपये और +सामाजिक सुरक्षा के लिए 5,035 करोड रुपये +का प्रबंध किया है। श्रम एवं रोजगार मंत्रालय +असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की सामाजिक +सुरक्षा हेतु एलआईसी के माध्यम से आम +आदमी बीमा योजना संचालित कर रहा हे। +बजट में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार +गांरटी कार्यक्रम के लिए 55,000 करोड +का प्रावधान किया है। अकुशल श्रमिकों + +वर्तमान में कृषि क्षेत्र में सबसे बड़ी +मुश्किल उत्पादकता बढ़ाने की बजाय +'फसल का समुचित मूल्य दिलाना है। +वित्त मंत्री ने बताया कि कृषि उत्पादों +के विपणन प्रणाली को सुदृढ़ करने +के लिए 585 एपीएमसी को ई-नैम +नेटवर्क से संयोजित किया जा रहा है। +लघु एवं सीमांत किसान जो एपीएमसी +या अन्य थोक बाजार तक नहीं पहुंच +पाते हैं, उनके लिए मौजूदा 22,000 +ग्रामीण हाटों को “ग्रामीण कृषि बाजार ' +के रूप में विकसित तथा उन्नत किया +जाने का प्रस्ताव है + +72 + +को कौशल विकास और प्रशिक्षण देने के +साथ-साथ रोजगार के अवसर मुहैया कराने +का प्रयास किया जा रहा है। प्रधानमंत्री रोजगार +प्रोत्साहन योजना के लिए बजट में 1,652 +करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। +मेक इन इंडिया योजना + +देश में रोजगार सृजन और उद्यमशीलता +को बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री ने 'मेक इन +इंडिया” योजना का शुभारंभ किया है। इस +योजना में विनिर्माण, बुनियादी ढांचे और +सेवा गतिविधियों के 25 क्षेत्रों को सम्मिलित +किया गया है। मेक इन इंडिया उद्यमशीलता +को बढावा देने के लिए “इज ऑफ डूइंग +बिजनेस ' को सर्वाधिक मान्यता देता है। मेक +इन इंडिया पहल से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय +निवेशकों और व्यापारिक समुदाय में अद्भुत +उत्साह पैदा हुआ है। वित्त मंत्री ने बजट +2018-19 में लघु एवं मध्यम उद्यमियों को +बडी राहत देते हुए 250 करोड़ रुपये तक के +टर्नओोवर वाली कंपनियों के कारपोरेट tea +की दर 30 से घटाकर 25 प्रतिशत करने +की घोषणा की है। कर छूट मिलने से लघु +एवं मध्यम उद्यमों के पास निवेश के लिए +अधिक धनराशि होगी, इससे युवाओं के लिए +बडे पैमाने पर रोजगार का सृजन होगा। +मुद्रा योजना + +प्रधानमंत्री मोदी ने देश में रोजगार का +सृजन करने, स्वरोजगार के अवसर को बढ़ावा +देने और लघु एवं सूक्ष्म उद्यमों को आर्थिक +रूप से सुदृढ़ करने के लिए आसान शर्तों +पर त्वरित गति से ऋण सहायता उपलब्ध +कराने के लिए मुद्रा योजना शुरू की है। +मुद्रा योजना के अंतर्गत 10 लाख रुपये तक +का लोन बिना किसी गारंटी के प्रदान किया +जाता है। बजट 2018-19 में मुद्रा योजना +के अंतर्गत तीन लाख करोड़ रुपये ऋण +देने का निर्णय लिया है। स्थानीय स्तर पर +उपलब्ध संसाधनों एवं जरूरतों के आधार पर +गांव-गांव, शहर-शहर में छोटे व लघु उद्यमों +की स्थापना से देश की अर्थव्यवस्था के +विकास के साथ-साथ बेरोजगारी दर में भी +कमी आएगी। मुद्रा योजना का मुख्य लक्ष्य +“जिनके पास धन नहीं उसे धन उपलब्ध +कराकर स्वावलंबी बनाना है'। +खेलकूद प्रोत्साहन योजना + +देश में खेलकूद के क्षेत्र में करियर बनाने +तथा युवाओं को खेल के प्रति आकर्षित करने + +सरकार ने आधारभूत सुविधाओं के +विकास के लिए सड़क, हवाई अडडे, +रेलवे, बंदरगाह के उन्नयन का प्रस्ताव +रखा है। इन क्षेत्रों में भी बड़े पैमाने +पर रोजगार सृजन की संभावना है। +भारत में पर्यटन स्थलों की प्रचुरता है, +जहां बड़े पैमाने पर सैलानी आते हैं। +पर्यटन स्थलों पर आधारभूत सुविधाओं +का विस्तार कर रोजगार के सृजन का +प्रस्ताव इस बार के बजट में किया +गया है। + +के लिए सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम +उठाए हैं। प्रशिक्षण प्रतिष्ठानों में आधारभूत +अवसंरचना का विकास करने तथा प्रशिक्षित +प्रशिक्षकों की तैनाती करने के साथ-साथ +आधुनिक खेल उपकरणों से लैस करने का +प्रयास किया गया है। खेलो इंडिया प्रोजेक्ट के +लिए 2017-18 के बजट में आवंटित 350 +करोड़ की तुलना में वृद्धि करते हुए बजट +2018-19 में 520 करोड़ रुपये कर दिया +है। सरकार इस योजना के अंतर्गत देश में +खेलों के विकास का खाका तैयार कर रही +है। नेशनल स्पोर्ट्स फेडरेशन के बजट में 40 +करोड रुपये की वृद्धि करते हुए 342 करोड +रुपये कर दिया गया है। युवाओं को प्रोत्साहन +देने के लिए खिलाडियों को दिए जाने वाले +भत्ते में भी बढ़ोतरी कर दी गई है। + +देश के विकास एवं आर्थिक उन्‍नयन +में युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है। युवाओं +की सक्षमता का कुशल उपयोग कर देश +को वैश्विक स्तर पर आर्थिक रूप से समृद्ध +बनाया जा सकता है। आजादी के बाद से ही +मानव संसाधन विकास और सक्षमता निर्माण +की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए +गए हैं। मोदी सरकार युवाओं की महत्ता +को दृष्टिगत रखते हुए युवाओं के सर्वांगीण +(शारीरिक, मानसिक, शैक्षिक, सामाजिक +एवं कौशल) विकास के लिए प्रयत्नशील +है। वेश्विक सापेक्ष में देश की चुनौतियों +से निपटने के लिए सरकार बजट 2018 में +युवाओं के विकास और बेरोजगारी से मुक्ति +दिलाने हेतु अनेकों प्रस्ताव रखे हैं। जरूरत इन +प्रस्तावों और योजनाओं का जमीनी स्तर पर +ईमानदारीपूर्वक क्रियान्वयन और लागू करने +की है। | + +योजना, मार्च 2018 + + + +0073.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +oo मंत्री ने कहा कि पिछले तीन वर्षों के दौरान +सरकार के नीति निर्माण का मुख्य उद्देश्य नौकरी के +अवसरों का निर्माण तथा रोजगार के सृजन में सहायता करना +रहा है। उन्होंने उल्लेख किया कि हाल ही में किए गए +स्वतंत्र अध्ययन में इस वर्ष 70 लाख औपचारिक नौकरियों +के सृजन की बात सामने आई है। उन्होंने कहा कि आने +वाले तीन वर्षों के दौरान सरकार सभी क्षेत्रों में संलग्नक +नए कर्मचारियों के 12 प्रतिशत वेतन का कर्मचारी भविष्य +निधि (ईपीएफ) में योगदान करेगी। वित्त मंत्री ने स्थायी +अवधि के रोजगार की सुविधा को सभी क्षेत्रों के लिए +बढ़ाने की भी जानकारी दी। उन्होंने जोर दिया कि जल्द +ही सरकार एमएसएमई की गैर-कार्यनिष्पादन परिसम्पत्तियों +और दबावपूर्ण खातों की समस्या के प्रभावी समाधान के +उपायों की घोषणा करेगी। + +एमएसएमई पर कर के बोझ को कम करने तथा बड़े +पैमाने पर रोजगार सृजन के लिए वित्त मंत्री ने वित्तीय वर्ष +2016-17 में 250 करोड़ रुपए से कम का उत्पादन करने +वाली कंपनियों को 25 प्रतिशत की घटी हुई दर के लाभ +देने के उपायों की घोषणा भी की। वित्त मंत्री ने कहा, 'इससे +समस्त सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को लाभ होगा जो कर +विवरणी दायर करने वाली कंपनियों का 99 प्रतिशत हैं।' +उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि 99 प्रतिशत कंपनियों को +घटे हुए कॉर्पोरेट कर का लाभ मिलने से उनकी निवेश किए +जाने वाले अधिशेष में बढ़ोतरी होगी जिससे नई नौकरियों +का सृजन होगा। वित्त मंत्री ने औपचारिक क्षेत्र में अधिक +महिलाओं को रोजगार देने के लिए प्रोत्साहन देने के लिए +प्रयास करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इससे परिवारों +की आय में वृद्धि होगी। उन्होंने कहा, “महिलाओं के रोजगार + +रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के लिए नई पहल + +के पहले तीन वर्षों के दौरान उनके कर्मचारी अंशदान को +12 प्रतिशत की मौजूदा दर से घटाकर 8 प्रतिशत अथवा +10 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया गया है जिसमें कर्मचारी +भविष्य निधि एवं विविध प्रावधान अधिनियम, 1952 में +नियोकता के अंशदान में कोई परिवर्तन नहीं होगा।' + +वित्त मंत्री ने यह घोषणा की कि प्रधानमंत्री कौशल +केंद्र कार्यक्रम के तहत सरकार देश के प्रत्येक जिले में +महत्वाकांक्षी आदर्श कौशल केंद्रों की स्थापना कर रही +है। उन्होंने कहा कि उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और +कॉर्पोरेट कंपनियों को ट्रेड इलेक्ट्रॉनिक रिसीवेबल डिस्काउंटिंग +सिस्टम (टीआरईडीएस) में शामिल होने तथा इसे जीएसटीएन +से जोड़ने का प्रस्ताव किया है। उन्होंने कहा, 'बैंकों द्वारा +त्वरित निर्णय लेने के लिए एमएसएमई को ऑनलाइन ऋण +मंजूरी की सुविधा का पुनर्निर्माण किया जाएगा।' + +वित्त मंत्री ने पुनर्वित्तीयन नीति और गैर-बैंकिंग वित्त +कंपनियों एनबीएफसी के बेहतर पुनर्वित्तीयन के लिए मुद्रा +(एमयूडीआरए) द्वारा तय किए गए पात्रता मानदंड की समीक्षा +का हवाला दिया। इस संबंध में, वर्ष 2018-19 के लिए मुद्रा +के तहत ऋण देने हेतु 3 लाख करोड़ रुपए का लक्ष्य निर्धारित +करने का प्रस्ताव किया चूंकि पिछले सभी वर्षों में ऋण की +राशि लक्ष्य की तुलना में अधिक रही है। + +वित्त मंत्री ने वित्त मंत्रालय के तहत एक समूह का +उल्लेख किया जो फिनटैक कंपनियों की वृद्धि के लिए सही +वातावरण के निर्माण हेतु आवश्यक नीतिगत और संस्थागत +उपायों की जांच करेगी। उन्होंने यह भी बताया कि उद्यम +पूंजी निधि तथा उनकी वृद्धि और देश में वैकल्पिक निवेश +निधि के सफल संचालन के लिए वातावरण को सुदृढ़ करने +के लिए अतिरिक्त उपाय किए जाएंगे। Q + + + + + + + + + +श्र + +C लेखकों से अनुरोध है + + + +~ + + + +पर भेजी जा सकती है। + + + +लेख + +योजना, मार्च 2018 + +*« “योजना” विकास संबंधी विषयों पर केंद्रित मासिक है। पत्रिका में हर माह आगामी अंक का केंद्रीय विषय प्रकाशित किया +जाता है। लेखकों से अनुरोध है कि प्रकाशन हेतु केंद्रीय विषय के अनुसार ही रचनाएं भेजें। + +* रचनाएं भेजते समय रचना की प्रति अपने पास अवश्य रखें। सामान्यतः रचनाएं वापस नहीं भेजी जातीं। रचना की वापसी +के लिए यथाउचित मूल्य के टिकट और पता लिखा लिफाफा भेजें। + +* ई-मेल से Ae TM ach Taqe Microsoft Word H Krutidev 010 font 4 sq Ht yojanahindi@gmail.com + +* संपादकीय पत्र व्यवहार का पता हैः संपादक (योजना), प्रकाशन विभाग, कमरा नं. 648, सूचना भवन, सी.जी.ओ. +कॉम्प्लेक्स, लोदी रोड, नई दिल्‍ली-110003, फोन: 011-24365920 + +S + +73 + + + + + +0074.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +TT" सर्वेक्षण 2017-18 +के अनुसार, भारत का +सेवा क्षेत्र, भारत में जोड़े गए +सकल मूल्य (जीवीए) में 55.2 +प्रतिशत के अंश के साथ वर्ष +2017-18 में जीवीए विकास में +लगभग 72.5 प्रतिशत का योगदान +देते हुए भारत के आर्थिक +विकास का अहम गति प्रदाता +बना है जबकि वर्ष 2017-18 में +संपूर्ण सेवा क्षेत्र के विकास की +दर 8.3 प्रतिशत रहने की संभावना +है। 2017-18 की पहली छमाही +में सेवा क्षेत्र निर्यात में 16.2 +प्रतिशत की वृद्धि थी। प्रमुख सेवा +क्षेत्रवार प्रदर्श और इस क्षेत्र के + +विकास को बढावा देने के लिए सरकार की नई नीतियां + +निम्नानुसार हैं +पर्यटन + +भारत का पर्यटन क्षेत्र वर्ष 2016 में विदेशी पर्यटन +आगमन (एफटीए) में 9.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करके 8.8 +मिलियन और विदेशी विनिमय एफएफई में 8.8 प्रतिशत की +वृद्धि कर 22.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर के साथ बहुत अच्छा +प्रदर्शन कर रहा है। + +वर्ष 2017 के दौरान, एफटीए 15.6 प्रतिशत की वृद्धि के +साथ 10.2 मिलियन था जबकि वर्ष 2016 की तुलना में 20.8 +प्रतिशत की वृद्धि के साथ पर्यटन क्षेत्र में एफईई 27.7 बिलियन +अमेरीकी डॉलर था। + +वर्ष 2016 में घरेलू पर्यटक यात्राएं 12.7 प्रतिशत बढ़कर +1614 मिलियन थीं जबकि वर्ष 2015 में यह 1432 मिलियन थी। +वर्ष 2016 में तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और +कर्नाटक 5 शीर्ष गंतव्य राज्य थे। +आईटी-बीपीएम + +नासकॉम के आंकड़ों के अनुसार, भारत का सूचना +प्रौद्योगिकी-व्यापार प्रक्रिया प्रबंधन (आईटीबीपीएम) उद्योग वर्ष +2015-16 में 129.4 बिलियन अमेरीकी डॉलर से बढ़कर वर्ष +2016-17 में 8.1 प्रतिशत की वृद्धि से 139.9 बिलियन हो गया +(ई-कॉमर्स और हार्डवेयर को छोड़कर)। sat अवधि के दौरान +आईटी बीपीएम निर्यात 107.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर +116.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया। + +ई-कॉमर्स का बाजार वर्ष 2016-17 में 19.1 प्रतिशत की +वृद्धि से अनुमानित 33 बिलियन अमेरिकी डॉलर है। + + + +cconomic survey ZUN/-'6 +ag शी. + +A os + +रियल स्टेट + +भारतीय रियल स्टेट क्षेत्र ने वर्ष 2017 की पहली छमाही में +257 मिलियन अमेरिकी डॉलर के कुल विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के साथ +सुधार के संकेत दर्शाए हैं, जो 2016 में कुल एफडीआई का दोगुना है। +आर एंड डी + +पेशवर वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिकी कार्यकलाप जिसमें आर एंड +डी भी शामिल है, 2014-15 और 2015-16 में क्रमशः 17.5 +प्रतिशत और 41.1 प्रतिशत बढ़ा है। वैश्विक बाजार में लगभग 22 +प्रतिशत हिस्सा रखने वाली भारत की आर एंड डी सेवा कंपनियों +ने 12.7 प्रतिशत की वृद्धि की। + +यद्यपि आर एंड डी पर भारत का सकल व्यय जीडीपी का +एक प्रतिशत रहा है। वैश्विक नवाचार सूचकांक (जीआईआई) +2017 में भारत ने वर्ष 2016 में 86वें स्थान से सुधार करते हुए +127 देशों में से 60वां स्थान प्राप्त किया है। +अंतरिक्ष + +उपग्रह लॉन्चिंग के मामले में, मार्च 2017 तक भारत में +पीएसएलवी ने 254 उपग्रह सफलतापूर्वक लॉन्च किए। उपग्रह +लॉन्च सेवा के निर्यात से भारत की विदेशी विनिमय कमाई +में 2014-15 में 149 करोड़ रुपये से बढ़कर 2015-16 और +2016-17 में 394 करोड़ रुपये की महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है। + +वैश्विक उपग्रह लॉन्च सेवा राजस्व में भारत का हिस्सा वर्ष +2014-15 में 0.3 प्रतिशत से बढ़कर 2015-16 में 1.1 प्रतिशत +हो गया हे। + +अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा उनके एलईओ उपग्रहों को लॉन्च करने +के लिए पीएसएलवी, जीएसएलवी और जीएसएलवी मार्क-गाता +लॉन्च सेवा में अंतरिक्स के अधिक उपयोग की संभावना है। 0 + + + +74 + +योजना, मार्च 2018 + + + + + +0075.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + + + +se वाहाटी में 3-4 फरवरी, 2018 को अडवांटेज असम- +वेश्विक निवेशक शिखर सम्मेलन आयोजित किया + +Ta था। इसका लक्ष्य असम द्वारा उपलब्ध कराए जा +रहे भौगोलिक-रणनीतिक लाभों को सबके सामने प्रस्तुत +करना था। इस कार्यक्रम में इस राज्य द्वारा दक्षिण और +दक्षिण-पूर्वी एशिया में निर्यातोन्मुख विनिर्माण और सेवा +के संबंध में वृद्धिमान अर्थव्यवस्थाओं को दिए जा रहे +अवसरों को प्रदर्शित किया गया। + +शिखर सम्मेलन का उद्घाटन प्रधानमंत्री ने किया। अपने +उद्घाटन भाषण में प्रधानमंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर केंद्र +सरकार की 'एक्ट ईस्ट नीति' का मुख्य केंद्र है। "एक्ट ईस्ट +नीति! आसियान देशों के लोगों के आपसी संपर्क, व्यापार +संबंधों और अन्य संबंधों को बढ़ाने की परिकल्पना करती है। +उन्होंने जोर दिया कि पूर्वोत्तर क्षेत्र के संतुलित और त्वरित +विकास से भारत की वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा तथा केंद्र + + + +उल्लेख किया। उन्होंने एलईडी बल्ब बांटने के लिए उजाला +योजना का भी जिक्र किया जिससे लोगों के बिजली के बिल +में काफी बचत हो रही है। उन्होंने राष्ट्रीय बांस अभियान का +भी उल्लेख किया जिसे उन्होंने पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए विशेष +रूप से महत्वपूर्ण माना। + +दो दिवसीय शिखर सम्मेलन असम सरकार द्वारा निवेश +को बढ़ावा देने और सहायता करने के लिए की गई अब +तक की सबसे बड़ी पहल है। अधिकारियों ने बताया कि +सम्मेलन के दौरान 200 से ज्यादा एमओयू पर हस्ताक्षर +किए गए जिनकी निवेश राशि 100,000 करोड रुपए से +अधिक है। असम से मुख्य मंत्री ने व्यावसायिक समुदाय +से अनुरोध किया कि वे उनकी सरकार के भरोसेमंद, +प्रतिबद्ध और ईमानदार भागीदार बनें। उन्होंने असम के +सभी वर्गों के लोगों तथा बाहर के सभी हितधारकों का +आभार भी व्यक्त किया, जिन्होंने अपनी तरह का वैश्विक + + + +सरकार की योजनाएं लोगों के जीवन में गुणवत्तापूर्ण बदलाव +लाने के लिए बनाई गई हैं। प्रधानमंत्री ने लोगों को किफायती +मकान उपलब्ध कराने के लिए उठाए गए कदमों का भी + +निवेशक सम्मेलन 'अडवांटेज असम-इंडियाज एक्सप्रेसवे +टू आसियान”' को सफलतापूर्वक आयोजित करने में बिना +शर्त अपना योगदान दिया। QO + + + + + + + + diff --git a/Data Collected/Hindi/Yojana_magazine_OCRed_Hindi/Yojana_2021_May_.txt b/Data Collected/Hindi/Yojana_magazine_OCRed_Hindi/Yojana_2021_May_.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..6e7d4afb2bdb4535d201aee1c8e7428cc725da5b --- /dev/null +++ b/Data Collected/Hindi/Yojana_magazine_OCRed_Hindi/Yojana_2021_May_.txt @@ -0,0 +1,6468 @@ + +0001.txt +<----------------------------------------------------------------------> +ISSN-0971-8397 + +पी 8216 + + + + + +प्रमुख आलेख फोकस +नीति आयोग : संघवाद की नई परिभाषा गुजरात की विकास कथा +राजीव कुमार विजय रूपाणी +विशेष आलेख + +एक राष्ट्र-एक चुनाव महाराष्ट्र : साठ साल से +के एफ विल्फ्रेड ज्यादा का सफर + + + +0002.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +€ विकास पथ + +लेह से लक्षद्वीप तक एक राष्ट्र-एक कर' होगा।'' + +स्तु और सेवा कर (जीएसटी) क्रेडिट इनवॉयस प्रणाली +पर आधारित एक उपभोग टैक्स है। इसमें आपूर्ति श्रृंखला +में क्रेडिट के निर्बाध प्रवाह के साथ ही हर चरण में +सिर्फ मूल्य संवर्द्ध/ पर कर लगाया जाता है। इसमें भारत में बड़ी +संख्या में पहले से मौजूद वैसे उपभोग करों को शामिल कर लिया +गया है जिसका प्रबंधन केन्द्र और राज्य अलग-अलग करते थे। इसके +परिणामस्वरूप एक बेहद तार्किक कराधान ढांचे का जन्म हुआ है। +जीएसटी के आच्छादन तंत्र ने निस्संदेह केन्द्र और राज्य सरकारों +के कर प्रबंध को एकीकृत किया है। इस तरह करदाताओं के लिये +जीएसटी करों का एकल इंटरफेस बन गया है। इसने सूचना प्रौद्योगिकी +का एक ऐसा आधार तैयार किया है जिसमें मदों के स्तर पर आवक +और बहिर्गामी आपूर्ति के विवरण का मिलान होगा। इससे करों का +श्रृंखलाबद्ध प्रभाव खत्म होगा और विश्व बाजार में भारत से निर्यात +ज्यादा प्रतिस्पर्थी बनेगा। इसके साथ ही इसने वस्तुओं की अंतर-राज्यीय +ढुलाई के लिये जांच चौकियों की अरसे से चली आ रही प्रणाली + +“चाणक्य के चंद शब्द जीएसटी की समूची प्रक्रिया को अपने अंदर समेटे हैं। उन्होंने कहा था- “लक्ष्य बहुत +मुश्किल हो तो भी उसे तपस्या और कड़ी मेहनत से हासिल किया जा सकता है।' 29 राज्यों, 7 संघ शासित +प्रदेशों, केन्द्र के 7 और प्रांतों के 8 करों तथा अलग-अलग वस्तुओं के लिये विभिन्‍न टैक्सों का हिसाब लगायें +तो कुल 500 कर बैठते हैं। आज इन सभी करों को खत्म कर दिया जायेगा। अब गंगानगर से इटानगर और + +- प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी, + +संसद के केन्द्रीय कक्ष में 1 जुलाई, 2017 को राष्ट्र को जीएसटी समर्पित करते हुए + +को हमेशा के लिये खत्म कर दिया है। देश के औद्योगिक परिदृश्य +में बदलाव लाने वाला जीएसटी वित्तीय संघवाद का एक ऐसा प्रयोग +है जिसके बारे में पहले कभी नहीं सुना गया। + +जीएसटी से संबंधित कानूनों को हर चरण में कई दफा प्रतिक्रिया +के लिये सार्वजनिक मंच पर रखा गया। इससे सभी हितधारकों को +लोकतंत्र की सच्ची भावना के तहत इस बात पर विचार करने का +मौका मिला कि वे किस तरह के भविष्य की रचना में मददगार बनना +चाहते हैं। जीएसटी मुख्य रूप से वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर +लगाया जाने वाला कर है। अंतर-राज्यीय आपूर्ति की स्थिति में इसे +समेकित जीएसटी (आईजीएसटी) कहते हैं जिसे केन्द्र सरकार लगाती +है। इसका प्रबंध केन्द्र और राज्य मिल कर करते हैं और बाद में इसे +दोनों के बीच बांटा जाता है। राज्य के भीतर आपूर्ति में इस कर के दो +भाग होते हैं। इनमें से पहले भाग, केन्द्रीय जीएसटी (सीजीएसटी) को +केन्द्र सरकार लगाती है। दूसरे भाग राज्यीय जीएसटी (एसजीएसटी) +को राज्य या संघ शासित प्रदेश का प्रशासन लगाता है। + + + + + + + + + + + +ता सरकार ने एक +अधिकार प्राप्त समिति का अधिकार प्राप्त समिति जीएसटी को आईटी आधार +गठन कर जीएसटी पर ने पहला विमर्श पत्र प्रदान करने के लिए निजी +विचार-विमर्श शुरू किया जारी किया कंपनी जीएसटीएन का गठन +® * > +| 2000 | तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री ने 2007-08 | 2009 संविधान (115वां छत +के बजट भाषण में कहा कि जीएसटी संशोधन) विधेयक पेश संविधान (122वां +1 अप्रैल, 2010 से लागू किया जाएगा और बाद में निरस्त Ea संशोधन) विधेयक +ar लोकसभा में पेश +2015 Ea +जीएसटी परिषद ने कक 8. शक +दरों और नियमों की सीजीएसटी, आईजीएसटी जीएसटी परिषद्‌ + जीएसटी परिषद्‌ की संविधान (101वां +सिफारिश की यूटीजीएसटी और सीजीएसटी, एसजीएसटी, पहली बैठक संशोधन) विधेयक +क्षतिपूर्ति उपकर कानून... यूटीजीएसटी और कानून बना +पारित क्षतिपूर्ति उपकर कानून +की सिफारिश की +wai | Fa) El +छोड सभी राज्यों ने +एसजीएसटी कानून के के © +पारित किये जीएसटी परिषद्‌ को जीएसटी लागू. जम्मू-कश्मीर में एसजीएसटी कानून +18वीं बैठक संपन्‍न a पारित, जम्मू-कश्मीर में जीएसटी += लागू करने के लिए सीजीएसटी और +बाजार आईजीएसटी अध्यादेश जारी शेष कवर 3 पर. + + + + + + + + + + + + + + + +0003.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +Pc CS www.publicationsdivision.nic.in + +andra terre + +a3 10 कि SOP) + +: 05 | वैशाख-ज्येष्ठ, शक संवत्‌ 1943 | पृष्ठ : 60 + + + + + +वरिष्ठ संपादक : कुलश्रेष्ठ कमल +संपादक : डॉ ममता रानी + +संपादकीय कार्यालय +648 , सूचना भवन, सीजीओ परिसर, +लोधी रोड, नयी दिल्‍ली-110 003 + +उत्पादन अधिकारी : के रामालिंगम +आवरण : गजानन पी धोपे + +योजना का लक्ष्य देश के आर्थिक विकास से संबंधित +मुद्दों का सरकारी नीतियों के व्यापक संदर्भ में गहराई +से विश्लेषण कर इन पर विमर्श के लिए एक जीवंत +मंच उपलब्ध कराना है। + +योजना में प्रकाशित लेखों में व्यक्त विचार लेखकों के +अपने और व्यक्तिगत हैं। जरूरी नहीं कि ये लेखक +भारत सरकार के जिन मंत्रालयों, विभागों अथवा +संगठनों से संबद्ध हैं, उनका भी यही दृष्टिकोण हो। + +योजना में प्रकाशित विज्ञापनों की विषयवस्तु के लिए +योजना उत्तरदायी नहीं हैं। + +योजना में प्रकाशित आलेखों में प्रयुक्त मानचित्र व +प्रतीक आधिकारिक नहीं है, बल्कि सांकेतिक हैं। ये +मानचित्र या प्रतीक किसी भी देश का आधिकारिक +प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। + +योजना लेखकों द्वाया आलेखों के साथ अपने +विश्वसनीय स्रोतों से एकत्र कर उपलब्ध कराए +गए आंकडों/तालिकाओं/इन्फोग्राफिक्स के संबंध में +उत्तरदायी नहीं है। + +योजना घर मंगाने, शुल्क में छूट के साथ दरों व प्लान +की विस्तृत जानकारी के लिए पृष्ठ-55 पर देखें। + +योजना की सदस्यता का शुल्क जमा करने के बाद +पत्रिका प्राप्त होने में कम से कम 8 सप्ताह का समय +लगता है। इस अवधि के समाप्त होने के बाद ही +योजना प्राप्त न होने की शिकायत करें। + +योजना न मिलने की शिकायत या पुराने अंक मंगाने +के लिए नीचे दिए गए ई-मेल पर लिखें - + +pdjucir@gmail.com + +या संपर्क करें- दूरभाष; 011-24367453 +(सोमवार से शुक्रवार सभी कार्य दिवस पर +प्रात; 9:30 बजे से शाम 6:00 बजे तक) + + + +योजना की सदस्यता की जानकारी लेने तथा विज्ञापन +छपवाने के लिए संपर्क करें- +गौरव शर्मा, संपादक, पत्रिका एकांश +प्रकाशन विभाग, कमरा सं. 779, सातवां तल, +सूचना भवन, सीजीओ परिसर, +लोधी रोड, नयी दिल्‍ली-110003 + + + + + + + + + +इस अंक में + + + +59 कोविड 19 में राजकोषीय संघवाद +डॉ सज्जन एस यादव, सूरज के प्रधान .....27 + +कौशल विकास का बेहतर ढांचा + +प्रमुख आलेख +नीति आयोग ; संघवाद की नई परिभाषा +राजीव कुमार, उर्वशी प्रसाद, + +देवाशीष धर............................----०-७ 6 + + + + + +संघवाद की चुनौतियां और + + + + + + + +आगे का रास्ता +समीरा सौरभ ...........................-८-००-५-०-७ 38 +ला “५ रेडियो फ्रिक्वेंसी स्पेक्ट्रम आबंटन +ee डॉ प्रताप सी मोहंती, डॉ करुण रावत.......48 +गुजरात की विकास कथा +विजय रूपाणी ......................--७७-००० 11 AIST — TET PTET errs >? + + + + + + + + + + + +a आजादी का अमृत महोत्सव + +स्वतंत्रता के बाद मानव विकास में प्रगति +नरेश गुप्ता......... .... ,_न्‍--_-> 42 + +कि + + + + + +विशेष आलेख +एक राष्ट्र-एक चुनाव + +क्या आप जानते हैं? + +एक राष्ट्र-एक राशन कार्ड +(ओएनओआरसी) + +मेरा राशन मोबाइल ऐप..................- 57 + +विकास पथ + + + +प्रकाशन विभाग के देश भर में स्थित विक्रय केंद्रों की सूची के लिए देखें पृ.सं. 25 + + + +fj @DPD_India + + + +#4४| हिंदी, असमिया, बांग्ला, अंग्रेजी, गुजराती, कन्‍नड़, मलयालम, तमिल, तेलुगु, मराठी, ओडिया, +178 | पंजाबी तथा उर्दू में एक साथ प्रकाशित। + + + + + + + + + + + +0004.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + +आत्मनिर्भरता की ओर +योजना मार्च अंक अपने आप एक +विशेष अंक था, जिसके अन्तर्गत कई +आकर्षित करने वाले तत्व थे- आम बजट, +आत्मनिर्भरता की दिशा में भारत के कदम, +किसानों के बेहतरी के लिए बजट में किये +गये प्रावधान। इसके अलावा समावेशी विकास +पर भी अहम प्रस्तुति रही। मुझे इस अंक से +काफी सारी जानकारी एक ही स्थान पर मिल +गई हैं। अंक की प्रस्तुति के लिए योजना टीम +को धन्यवाद देता हूं। +- जितेंद्र कुमार +मुजफ्फरपुर, बिहार + +“जल जीवन मिशन' पर +“गागर में सागर' जैसा अंक +“जल' देखने में छोटा सा शब्द हे, + +लेकिन यह अपने आप में संपूर्ण संसार के +जीवन को समाहित किए हुए है। जीवन के +लिए पानी अमृत तुल्य है और इसे एक ऐसी +उपयोगी वस्तु माना जाता है जिस पर सबका +अधिकार है। + +“'योजना' का अप्रैल माह का अंक 'जल +जीवन मिशन' पर केन्द्रित रहा, जिसमें जल +के बारे में समग्र विश्लेषण बहुत ही रोचक +और ज्ञानवर्धक तरीके से प्रस्तुत किया गया। +संपादकीय में ऋग्वेद से लेकर वर्तमान तक +की स्थिति को बहुत ही कम शब्दों में +‘TR AH सागर' की भांति समझाया गया, +भारत दुनिया में भूजल का सबसे बड़ा +उपयोगकर्ता है इसकी भी जानकारी दी गई; +साथ ही इसमें जल जीवन मिशन के तहत +2024 तक प्रत्येक ग्रामीण परिवार को पाइप +लाइन से जल उपलब्ध कराने की जानकारी +भी प्रदान की गई। + +4 + + + + + + + + + + + +जल का महत्त्व प्रत्येक युग, प्रत्येक काल +एवं प्रत्येक स्थान पर रहा है एक ओर जहां +सभी प्राचीन संस्कृतियां नदियों के किनारे ही +फली फूली तो दूसरी ओर सभी बडे नगर +और औद्योगिक केंद्र भी नदियों के किनारे ही +स्थित हैं। संपूर्ण पृथ्वी के 71 प्रतिशत भाग +पर जल है, परन्तु उपयोग में आने वाला जल +बहुत कम है, पृथ्वी का जल स्तर लगातार +नीचे जा रहा है चारो तरफ कंक्रीट के जंगल +स्थापित हो गए हैं। ऐसे में भारत सरकार +द्वारा 'जल जीवन मिशन' प्रारंभ किया गया +जो आशा कि एक नई उम्मीद लेकर सामने +आया है। अटल भूजल योजना देश में उस +समय पर आई है जब हमारे करीब 22 +प्रतिशत भूजल संसाधन या तो नाजुक या +अत्यधिक दोहन वाली श्रेणी में आ चुके हें। + +कोई भी अभियान सिर्फ सरकार द्वारा +सफल नहीं बनाया जा सकता बल्कि उसके +लिए जन साधारण की अद्वितीय भूमिका होती +है। जन जागरूकता से किसी लक्ष्य को कैसे +प्राप्त किया जा सकता है इसका प्रत्यक्ष प्रमाण +“स्वच्छ भारत अभियान' है, इसी अभियान + +सहयोग के माध्यम से जल का भी उचित + +प्रबंधन करके सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त +किया जा सकता है। + +- माधवेन्द्र मिश्रा + +रायबरेली, उत्तर प्रदेश + +भारतीय साहित्य के प्रति रुचि बढ़ी +योजना का फरवरी 2021, “भारतीय +साहित्य” नामक विशेषांक प्रस्तुत करने के +लिये संपादकीय टीम का बहुत धन्यवाद। +योजना के इस अंक को पढ़कर भारतीय +साहित्य के प्रति प्रेम और रुचि बढ़ गयी है। +भारतीय साहित्य विश्व साहित्य में अपनी एक +अलग जगह बनाता है, और उसके प्रति जानने +के लिये सबको आकर्षित करता है। भारतीय +उप-महाद्वीप में रचित साहित्य की विविधता +को देखकर हर कोई आश्चर्यचकित हो जायेगा। +इक्कीसवी सदी में भारत के साहित्य के प्रति +और जागरूकता लाने के लिये यह अंक पूर्णता +प्रदान करता है। खास तौर से सिविल सर्विसेज +तथा प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठने वाले स्टूडेंट +के लिये यह अंक लाभकारी साबित होगा। + + + + + +की वजह से ग्रामीण स्वच्छता का कवरेज -योगिता गाडेकर +100 प्रतिशत पहुंच गया है। सरकार और जन संगमनेर, महाराष्ट्र +(— \ + +योजना के आगामी अंक + + + +जून 2021- स्वास्थ्य एवं पर्यावरण ' + + + + + +आज ही अपनी प्रति निकटतम पुस्तक विक्रेता +के पास सुरक्षित कराए + +शीघ्र आ रहा है - पूर्वोत्तर भारत पर केंद्रित अंक J + + + + + +योजना, मई 2021 + + + +0005.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + +योजना, मई 2021 + + + + + + + + + + + +एकता में अटू्ट शक्ति + + + +“देशीय सरकार में एकता और सहयोग अनिवार्य तत्व हैं।'” +- सरदार वलल्‍लभभाई पटेल + + + +कु दशक पूर्व जब हम संघीय संरचना की बात करते थे तो आम तौर पर मन में उसका एकआयामी चित्र +उभरता था जिसमें सभी राज्यों के शीर्ष पर केंद्र होता था। हमने शायद ही कभी इसे राज्यों के बीच तालमेल +के रूप में या फिर एक साथ विकसित होने और आगे बढ़ने की समान रणनीति के तौर पर देखा। हालांकि, यह +सहकारी और प्रतिस्पर्थी संघवाद पर आधारित संघीय संरचना का नव युगीन दृष्टिकोण है जिसे नीति आयोग के गठन +के साथ परिभाषित और पुनर्मूल्यांकित किया गया है। अनिवार्य रूप से संघवाद दो सरकारों- एक क्षेत्रीय स्तर पर और +दूसरा राष्ट्रीय स्तर पर - को समायोजित करने के लिए एक संस्थागत तंत्र है। प्रत्येक सरकार अपने क्षेत्र में स्वायत्त है। +भारतीय संविधान एक मजबूत केंद्र के साथ संघीय संरचना का प्रावधान प्रदान करता है। यह “फेडरेशन' यानी संघ +शब्द का प्रयोग नहीं करता है और भारत को “राज्यों का संघ” के रूप में वर्णित करता है जिसका अर्थ है कि कुछ +एकात्मक विशेषताओं के साथ 'सहकारी' स्वरूप। संघ, राज्य और समवर्ती सूचियां केंद्र और राज्य के दायित्वों और +कार्यों का सीमांकन करती हैं। + +गुजरात और महाराष्ट्र राज्य 1 मई को अपना स्थापना दिवस मना रहे हैं। संसद ने “बॉम्बे पुनर्गठन अधिनियम, +1960' पारित किया, जिसमें कहा गया था कि “नियत दिन (1 मई, 1960) से गुजरात राज्य के रूप में जाना जाने +वाला एक नया राज्य बनाया जाएगा जिसमें बंबई राज्य से निम्नलिखित क्षेत्र शामिल होंगे... और उसके बाद उक्त क्षेत्र +बंबई राज्य का हिस्सा नहीं रहेंगे शेष बंबई राज्य महाराष्ट्र राज्य के रूप में जाना जाएगा। दोनों राज्य पहली मई 2021 +को अपनी स्थापना के 61 वर्ष पूरे कर रहे हैं।” इन राज्यों पर प्रकाशित लेख पाठकों को पिछले छह दशकों के दौरान +उनके विकास और परिवर्तन की यात्रा पर ले जाते हैं। + +संघवाद को संसाधनों के विकेंद्रीकरण के साथ लगातार केंद्र और राज्यों के बीच एक कठिन संतुलन बनाए रखना +होता है, कमजोर कड़ी पर ध्यान देते हुए सभी को मजबूती प्रदान करना, स्वास्थ्य, स्वच्छता रैंकिंग आदि के रूप में +राज्यों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा पैदा करना है। इसके पीछे उद्देश्य है एक संस्कृति और मूल्यों और आपसी विश्वास +जैसे नैतिक गुणों की श्रेणी विकसित करना और लोगों और नीतियों के बीच सहयोग की भावना बढ़ाना। यह एकता +के साथ-साथ विविधता को स्वीकार करना और सराहना है और साथ ही सीमाओं का सम्मान करने के साथ-साथ +सीमाओं से परे जाना है। + +ऐसी संरचना के लिए दी जाने वाली सबसे आम उपमा है “मस्तिष्क' और 'शरीर के अंग'। जिस तरह से वे +एक दूसरे के साथ सम्पूर्ण सामंजस्य में काम करते हैं उसी प्रकार संघवाद की भावना, मन और आत्मा भी है। पूरे +शरीर के सुचारू संचालन और विकास के लिए प्रत्येक अंग दूसरे पर निर्भर है। विविधताओं और स्वायत्तता की +मांग के प्रति उत्तरदायी राज्य शासन विधि ही सहकारी संघवाद का आधार हो सकती है। + +हालिया महामारी ने हमें इस संबंध में कई सबक सिखाए हैं। सभी सीमाओं और संसाधनों की परिणति वायरस के +साथ सामूहिक संघर्ष में हुई है। जितना निर्बाध सामंजस्य केंद्र और राज्यों के बीच होगा और जितनी रचनात्मक सहमति +से वे दोनों एक दूसरे के सहयोगी और प्रतिपूरक होंगे उतना ही वे साथ साथ इस संकट से गुजरते हुए उसका मजबूती +से सामना करने में सक्षम होंगे। | + +5 + + + +0006.txt +<----------------------------------------------------------------------> +“सबसे पहले राज्य' दृष्टिकोण _ + +नीति आयोग : संघवाद की नई परिभाषा + +राजीव कुमार +उर्वशी प्रसाद +देवाशीष धर + +नीति आयोग विकास योजनाओं का निरूपण और उनकी समीक्षा करने के लिए राज्यों के साथ साझेदारी के +जरिए सहकारी और प्रतिस्पर्धी संघवाद को बढ़ावा देने के दोहरे अधिदेश का पालन करने के लिए प्रयथलशील +है। राज्यों के साथ साझेदारियों के जरिए सुधारों और नीतिगत पहलों को व्यापक और प्रभावपूर्ण तरीके से +लागू करने में भारत की सहायता करने की दिशा में इसे महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। + +ज्य की स्थायी विरासत राजनीतिक ताकत और +रा इच्छाशक्ति, प्रशासन और शासन के साथ-साथ हार्ड + +पावर (यानी सैन्य और आर्थिक संसाधन) और सॉफ्ट +पावर (यानी कूटनीति, संस्कृति आदि) सहित अनेक कारकों से +परिभाषित की गई है। राज्य इनमें से अपने पास उपयोग के लिए +उपलब्ध सबसे महत्वपूर्ण साधन- औपचारिक संस्थाओं के जरिए +अपनी भूमिका को परिभाषित करता है। ये सामाजिक-आर्थिक विकास +से संबंधित मौजूदा दौर की चुनौतियों को समझने और सुलझाने के +प्रति राज्य के दृष्टिकोण को प्रतिबिम्बित करती हैं। स्वाधीनता प्राप्ति +के बाद के दौर में विकास के प्रति भारत के दृष्टिकोण का उदाहरण +प्रकट करने वाली ऐसी एक संस्था-योजना आयोग थी। वर्ष 2015 में, +यह उत्तरदायित्व नीति आयोग को सौंप दिया गया। हालांकि भारत के +विकास के अति महत्वपूर्ण समान लक्ष्य के प्रति इन दोनों संस्थाओं +के अधिदेश और दृष्टिकोण में काफी अंतर है। + +दृष्टिकोण में फर्क नीति आयोग के गठन से संबंधित कैबिनेट +प्रस्ताव में प्रतिबिम्बित होता है, जिसमें महात्मा गांधी का यह उद्धरण +शामिल किया गया है- “निरंतर विकास जीवन का नियम है और +जो मनुष्य हठधर्मिता के कारण लगातार एक जैसा दिखने का प्रयास +करता है, ऐसे में वह स्वयं को भ्रामक स्थिति में ले जाता है।” +योजना आयोग ने विकास की राह दिखाने के लिए वित्तीय संसाधनों +को प्राथमिक लीवर के रूप में इस्तेमाल कर पंचवर्षीय योजनाओं के +माध्यम से संचालन किया। दूसरी ओर, नीति आयोग भारत के विकास +की रफ्तार में तेजी लाने के लिए प्रमुख रूप से इंटलेक्चुअल फायर +पावर (यानी किसी व्यक्ति की रणनीतिक रूप से सोचने और जटिल +समस्याओं का समाधान तलाशने की क्षमता) के साथ ही साथ राज्य +सरकारों, सामाजिक संगठनों और निजी क्षेत्र तथा नवोन्मेषकों के साथ +सार्थक भागीदारियां स्थापित करने के दायित्व और क्षमता के जरिए +संचालित होता है। + + + + + +श्री राजीव कुमार, नीति आयोग के उपाध्यक्ष हैं। ईमेल; एणा-॥र1छ800-॥7 +सुश्री उर्वशी प्रसाद और श्री देवाशीष धर नीति आयोग में सार्वजनिक नीति विशेषज्ञ हैं। + +6 + +योजना, मई 2021 + + + +0007.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + + + + + +जहां एक ओर योजना आयोग ने निधियों के संवितरणकर्ता के +रूप में कार्य किया, वहीं नीति आयोग समस्त हितधारकों विशेषकर +राज्यों- जो देश में आर्थिक विकास को प्रोत्साहन देने के प्रधान एजेंट +हैं, के साथ चिंतन साझेदार (थॉट पार्टनर) के रूप में कार्य करता +है। जहां एक ओर, योजना आयोग राज्यों की राजकोषीय संप्रभुता का +अतिक्रमण करता था, वहीं अब वे “टॉप-डाउन डायरेक्शन' का पालन +करने के लिए अधिदेशित होने के स्थान पर अपनी धनराशि का सर्वोत्तम +उपयोग करने का अधिकार रखते हैं। समूचे भारत के विकास की +रणनीति को एकपक्षीय रूप से निरूपित करने की केंद्र सरकार की +पद्धति का स्थान अब नीति आयोग की राज्य सरकारों के साथ मिलकर + +वितरण उपयोगिताओं +. की बेंचमार्किंग करना + +भारत में बिजली + +अक्टूबर 2020 + + + + + + + + +em am | | f LW: +यह सुनिश्चित किया f केंद्र और राज्य सरकारें टीम इंडिया में +समान साझेदारों के रूप में कार्य करें। + +नीति आयोग विकास योजनाओं का निरूपण और उनकी समीक्षा +करने के लिए राज्यों के साथ साझेदारी के जरिए सहकारी और +प्रतिस्पर्धी संघवाद को बढ़ावा देने के दोहरे अधिदेशों का पालन करने +के लिए प्रयत्तशील है। नीति आयोग ने राज्य सरकारों और केद्रीय +मंत्रालयों के बीच सीधे मुद्दों पर आधारित संवाद के लिए मंच भी +उपलब्ध कराया है और इस प्रकार लंबित मामलों के त्वरित समाधान +में भी सहायता प्रदान की है। पूर्वोत्तर के लिए नीति फोरम की स्थापना +की गई है और नीति फोरम द्वारा उपलब्ध कराए गए पांच स्तंभों सहित + +विकास योजनाएं तैयार करने की कार्यशैली +ले चुकी है, जिन्हें प्रत्येक राज्य के अनुरूप +और उसकी परिस्थितियों को ध्यान में रखकर +संचालित किया जाता है। भारत जैसे विशाल +और विविधताओं से भरपूर, महाद्वीपीय आयामों +से युक्त राष्ट्र के साथ यह दृष्टिकोण सर्वोत्कृष्ट +हो सकता है। + +योजना आयोग ने उल्लेखनीय रूप से, +भारतीय राज्यों के लिए “वन साइज फिट्स +ऑल' यानी 'सबके लिए एक जैसा' वाला +दृष्टिकोण अपनाया। दूसरी ओर, नीति आयोग +'सबसे पहले राज्य' दृष्टिकोण से मार्गदर्शित है। +उसके मूलभूत सिद्धांतों में सहकारी संघवाद +(केंद्र और राज्य सरकारों के बीच सहयोग) +और प्रतिस्पर्धी संघवाद (राज्यों के बीच स्वस्थ +प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहन) शामिल हैं। ध्यान देने +योग्य बात यह है कि दोहरे अधिदेशों वाले ये +दोनों स्तंभ एक-दूसरे के पूरक हैं तथा साझा +उद्देश्यों के लिए केंद्र और राज्यों का मार्गदर्शन +करते हुए, तथापि राज्य विशेष के अनुरूप +क्रमबद्ध रूप से लागू किए जा रहे हैं। इसलिए, +विकास को अवरुद्ध करने वाले दृष्टिकोण के +स्थान पर नीति आयोग ने विकेद्रीकृत और +बॉटम-अप रणनीति अपनाई है और इस प्रकार + +योजना, मई 2021 + +नीति आयोग देश भर में एक +नवाचार प्रणाली को प्रोत्साहन देने +पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है। +अटल नवाचार मिशन ( एआईएम ) +देश के कोने-कोने में नवाचार +एवं उद्यमिता को प्रोत्साहन देने +वाली नीति आयोग की एक प्रमुख +पहल है, जो आने वाले वर्षों में +भारत की नवाचार और उद्यमिता +संबंधी जरूरतों के बारे में विस्तृत +अध्ययन और विचार-विमर्श पर +आधारित है। एआईएम ने स्कूल, +विश्वविद्यालय, उद्योग के स्तरों +पर नवाचार एवं उद्यमिता की एक +समेकित प्रणाली की स्थापना के +प्रति समग्र वृष्टिकोण अपनाया है +तथा एनजीओ, उद्यम पूंजी और +निजी उद्योगों को जोड़ने का कार्य +प्रगति पर है। + +समग्र ढांचे के अंतर्गत पूर्वोत्तर परिषद को +साझेदारी से राज्यों द्वारा क्षेत्र विशेष से संबंधित +ठोस प्रस्तावों को लागू किया जा रहा है। इसके +अलावा, नीति आयोग ने द्वीपों के विकास के +लिए कुछ प्रमुख पहलों को निरूपित किया है, +जिन्हें उपयुक्त प्राधिकरणों द्वारा गृह मंत्रालय के +समग्र मार्गदर्शन के अंतर्गत कार्यान्वित किया +जा रहा है। + +यह इस बात की भी परिकल्पना करता +है कि आने वाले महीनों में पूर्वोत्तर के नीति +फोरम की तरह ही, निकटस्थ राज्यों की +अन्य क्षेत्रीय परिषदों का भी गठन किया जा +सकता है। इससे निकटस्थ राज्यों में से प्रत्येक +के विकास के पथ का निरूपण करते समय +समान क्षेत्रीय मसलों और चुनौतियों को शामिल +किया जा सकेगा। हिमालयी राज्य क्षेत्रीय परिषद्‌ +के गठन तथा इन राज्यों में स्थित तेरह केंद्रीय +विश्वविद्यालयों के गठबंधन की स्थापना के +साथ ही पहला कदम उठाया जा चुका है। ये +विश्वविद्यालय सभी 13 हिमालयी राज्यों के +समान मसलों के बारे में शोध कार्य कर रहे हैं। + +नीति आयोग अपने क्षेत्रवार सूचकांकों को +सार्वजनिक क्षेत्र में प्रस्तुत करने के माध्यम से +प्रतिस्पर्धी संघवाद को सैद्धांतिक रूप से बढ़ावा + +7 + + + +0008.txt +<----------------------------------------------------------------------> +इंडिया + +कि | और डैशबोर्ड-2020-21 + + + +देता है। जल, शिक्षा, स्वास्थ्य, नवाचार, निर्यात की तैयारी और सतत +विकास लक्ष्य (एसडीजी) ने महत्वपूर्ण रूप से सकारात्मक ध्यान आकृष्ट +किया है। ये सूचकांक तकनीकी मापदंडों के विस्तृत और कठिन विश्लेषण +पर आधारित हैं। उदाहरण के लिए, 'स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र की उपलब्धियां +(यानी पर्फोर्मेस्स इन हेल्थ इनिशिएटिव) ' से संबंधित सूचकांक स्वास्थ्य +के क्षेत्र में राज्यों की समग्र उपलब्धियों के साथ ही साथ स्वास्थ्य के क्षेत्र +में हुए बदलावों, शासन और प्रक्रियाओं में हुए वार्षिक सुधारों को प्रस्तुत +करता है। इसी तरह, संयुक्त जल प्रबंधन सूचकांक विस्तारपूर्वक यह +दर्शाता है कि समय के साथ राज्यों ने जल से संबंधित मामलों पर किस +प्रकार प्रगति की है, जिसमें उच्च प्रदर्शन करने वालों को मान्यता देने के +साथ-साथ सभी राज्यों की ओर से गहन संलग्नता और निवेश के लिए +क्षेत्रों की पहचान किया जाना शामिल है। 'स्कूल शिक्षा गुणवत्ता सूचकांक ' +का लक्ष्य भारत में शिक्षा संबंधी उपलब्धियों (शिक्षण, पहुंच, इक्विटी) में +सुधार लाने संबंधी फोकस को संस्थागत रूप प्रदान करना है। इस सूची में +स्कूल शिक्षा क्षेत्र की समग्र प्रभावशीलता और दक्षता को प्रभावित करने +वाले संकेत शामिल हें। + +इसने हमारे महत्वाकांक्षी “आकांक्षी जिला कार्यक्रम' में प्रतिस्पर्धा +का कारक जोड़ दिया है, जिसका उद्देश्य इन जिलों के शासन में सुधार +लाना तथा जमीनी स्तर पर सरकारी एजेंसियों और संगठनों के बीच +प्रभावी तालमेल पर ध्यान केंद्रित करते हुए मानव विकास संकेतकों +को बढ़ाकर राष्ट्रीय औसत तक ले जाना है। इन जिलों ने स्वास्थ्य +और पोषण, शिक्षा, कृषि और जल प्रबंधन, वित्तीय समावेशन, कौशल +विकास तथा मूलभूत बुनियादी सुविधाओं से संबंधित संकेतकों में +महत्वपूर्ण सुधार दर्शाया है और नीति आयोग द्वारा इनकी समयोचित +आधार पर निगरानी की जा रही है। इनके +अतिरिक्त, इन जिलों से शासन की अनेक +उत्कृष्ट पद्धतियां उभरकर सामने आई हैं, जिन्हें +बढ़ाया जा रहा है और कुछ राज्यों में ब्लॉक +स्तरों पर दोहराया जा रहा है। + +नीति आयोग ने केंद्र सरकार के उपयुक्त +मंत्रालयों द्वारा राज्य सरकारों की एजेंसियों के +साथ साझेदारी के साथ कार्यान्वयन के लिए + +निरंतर करा रहा है। सार्वभौमिक स्वास्थ्य, कृषि +क्षेत्र का आधुनिकीकरण, नवीकरणीय ऊर्जा, +इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, खनन क्षेत्र में सुधार, साथ +ही साथ महिलाओं और बच्चों के कुपोषण + +8 + +समूचे भारत के विकास की +रणनीति को एकपक्षीय रूप से +'िरूपित करने की केंद्र सरकार +की पद्धति का स्थान अब नीति +आयोग की राज्य सरकारों के साथ +मिलकर विकास योजनाएं तैयार +नई नीतिगत जानकारियां उपलब्ध कराई हैं औआ करने की कार्यशैली ले चुकी है, +जिन्हें प्रत्येक राज्य के अनुरूप +और उसकी परिस्थितियों को ध्यान +में रखकर निरूपित किया जाता है। + +के खिलाफ अभियान, कुछ ऐसे ही क्षेत्रों के उदाहरण हैं, जहां नीति +आयोग ने अपने छह वर्षों के अस्तित्व के दौरान महत्वपूर्ण नीतिगत +जानकारियां प्रदान की हैं। + +नीति आयोग राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक का मसौदा तैयार +करने, साथ ही साथ भारतीय चिकित्सा प्रणालियों और होम्योपैथी की +शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने से संबंधित विधेयकों का मसौदा तैयार +करने में सम्मिलित रहा है। संसद के दोनों सदन इन तीनों विधेयकों को +पारित कर चुके हैं, जिससे देश में विश्वस्तरीय चिकित्सा शिक्षा प्रणाली +तैयार करने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। नीति आयोग संभवत: स्वास्थ्य +से जुड़ी विश्व की सबसे बड़ी पहल आयुष्मान भारत का निरूपण और +निगरानी करने में पूरी तरह शामिल रहा है। इसी तरह पोषण अभियान +योजना में भी नीति आयोग ने प्रमुख भूमिका निभाई है। सरकार ने यह +योजना किसी व्यक्ति अथवा परिवार की पोषण की स्थिति को प्रभावित +करने वाले स्वच्छता और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच जैसे अनेक परस्पर +संबद्ध कारकों पर विचार करते हुए उचित संचालन ढांचा प्रदान करने +के लिए प्रारंभ की थी। नीति आयोग ने तीन राज्यों में एसएटीएच- +“मानव पूंजी परिवर्तन के लिए सतत कार्रवाई! (यानी 'सस्टेनेबल एक्शन +फॉर ट्रांसफॉर्मेंग ह्यूमम कैपिटल”) भी लागू की है, जिनकी उत्कृष्ट +पद्धतियों को अन्य राज्यों में भी दोहराया जा रहा है। प्रधानमंत्री कृषि +सिंचाई योजना का रोडमैप सभी राज्यों और संघशासित प्रदेशों के साथ +साझा किया गया है। + +नीति आयोग के दस्तावेज “नये भारत के लिये रणनीतिद्धे75' +(यानी 'स्ट्रेटजी फॉर न्यू इंडिया&)75 ') में अनेक नीतिगत सुझाव निहित +हैं। इस सात वर्षीय रणनीति की तैयारी, इस दस्तावेज में जानकारी +समाहित करने के लिए विषय विशेषज्ञों, राज्य +और केंद्र सरकार के मंत्रालयों/विभागों, उद्योग +जगत के प्रतिनिधियों तथा सामाजिक संगठनों +के साथ व्यापक रूप से विचार-विमर्श किए +जाने की आवश्यकता थी। कुल मिलाकर +सरकार के भीतर और बाहर के लगभग 1400 +हितधारकों के साथ परामर्श किया गया और +अनेक पुनरावृत्तियां की गईं, ताकि इस दस्तावेज +में सरकार का समग्र दृष्टिकोण परिलक्षित किया +जाना सुनिश्चित हो सके। + +नीति आयोग के मुख्य कार्यों और +महत्वपूर्ण अधिदेशों में से एक आउटपुट +आउटकम मॉनिटरिंग फ्रेमवर्क तैयार करना तथा + +योजना, मई 2021 + + + +0009.txt +<----------------------------------------------------------------------> +केंद्र सरकार की योजनाओं और पहलों का कड़े + +उद्यम पूंजी और निजी उद्योगों को जोड़ने + +ढंग से मूल्यांकन करना है। यह कार्य विकास पूर्वोत्तर के लिए नीति फोरम की का कार्य प्रगति पर है। एआईएम स्कूलों के +निगरानी एवं मूल्यांकन कार्यालय (डीएमईओ) स्थापना की गई है और नीति फोरम विद्यार्थियों में अटल टिंकरिंग लैब (एटीएल) + +ने किया। इसने केद्र द्वारा प्रायोजित 125 +योजनाओं का मूल्यांकन किया, ताकि उन्हें +14वें वित्त आयोग की अवधि से लेकर 15वें + +द्वारा उपलब्ध कराए गए पांच +स्तंभों सहित समग्र ढांचे के अंतर्गत + +के माध्यम से नवाचारी मानसिकता को बढ़ावा +दे रहा है, जो अटल उद्भवन केद्रों (एआईसी) +द्वारा प्रोत्साहित स्यार्ट-अप्स में योगदान करेंगे। + +वित्त आयोग की अवधि में जारी रखने के बारे पूर्वोत्तर परिषद की साझेदारी से अब तक 7100 से अधिक एटीएल को मंजूरी +में निर्णण लिया जा सके। डीएमईओ ने व्यय राज्यों द्वारा क्षेत्र विशेष से संबंधित दी गई है, जिनके तहत 110 आबकाक्षी जिलों +विभाग द्वारा 65 से ज्यादा मंत्रालयों/विभागों के ठोस प्रस्तावों को लागू किया सहित भारत के 90 प्रतिशत जिले कवर हो +लिए परिणाम बजट तैयार किए जाने का भी जा रहा है। इसके अलावा, नीति हे हैं। + +wert किया। इसके अतिरिक्त डीएमईओ ने आयोग ने द्वीपों के विकास के लिए ma वर्षों में भारत को इसी तरह के +प्र द्वारा सामयिक समीक्षा के लिए केंद्र कुछ प्रमुख पहलों को निरूपित “रे निरंतर जारी रखने होंगे, जिनमें केंद्र और + +सरकार के अवसंरचना से संबंधित विभागों की +प्रगति का भी जायजा लिया। इसके अलावा यह +परिणाम आधारित कार्य निष्पादन के मूल्यांकन +की दक्षता में सुधार लाने के लिए कार्यपद्धति +में सुधार ला रहा है और अपने मानव संसाधन +आधार पर मजबूत बना रहा है। + +सरकार के सभी स्तरों पर शासन में सुधार लाने के लिए डीएमईओ +समान क्षमता स्थापित करने के लिए राज्य सरकारों के साथ सहयोग +कर रहा है। इसके अतिरिक्त, नीति आयोग सभी राज्यों में एसडीजी +की प्रगति पर पैनी नजर बनाए हुए है। साथ ही प्रौद्योगिकी आधारित +समयोचित निगरानी क्षमताएं (यानी रियल-टाइम टेक्नोलॉजी-बेस्ड +मॉनिटरिंग केपेसिटीज) स्थापित करने के लिए उनके साथ संपर्क बनाए +हुए है, जिनसे प्रत्येक राज्य में विकास की प्रक्रिया में एसडीजी को +मुख्य धारा में लाने में मदद मिलेगी। + +नीति आयोग देश भर में एक नवाचार प्रणाली को प्रोत्साहन देने +पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है। अटल नवाचार मिशन (एआईएम) +देश के कोने-कोने में नवाचार एवं उद्यमिता को प्रोत्साहन देने वाली +नीति आयोग की एक प्रमुख पहल है, जो आने वाले वर्षों में भारत +की नवाचार और उद्यमिता संबंधी जरूरतों के बारे में विस्तृत अध्ययन +और विचार-विमर्श पर आधारित है। एआईएम ने स्कूल, विश्वविद्यालय, +उद्योग के स्तरों पर नवाचार एवं उद्यमिता की एक समेकित प्रणाली +की स्थापना के प्रति समग्र दृष्टिकोण अपनाया है तथा एनजीओ + + + + +आकांक्षी जिलों + +की कायापलट. A. +बेसलाइन बैंकिंग और रियल ps ees +टाइम मॉनिटरिंग डेशबोर्ड Sat 5 + +योजना, मई 2021 + +'किया है, जिन्हें उपयुक्त +प्राधिकरणों द्वारा गृह मंत्रालय +के समग्र मार्गदर्शन के अंतर्गत +कार्यान्वित किया जा रहा है। + +राज्य सरकारों दोनों को देश के सबसे जटिल +मसले सुलझाने तथा वृद्धि के लिए एक साथ +आना होगा। हमारी युवा आबादी की बढ़ती +महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए भारत +को अगले तीन दशकों के लिए सकल घरेलू +उत्पाद-जीडीपी को उच्च वृद्धि दर बनाए रखनी +होगी। इस लक्ष्य की प्राप्ति के प्रयासों के तहत, निरंतर और समावेशी +विकास सुनिश्चित कर सकने वाली नयी आधारशिला रखने की दिशा +में निरंतर ढांचागत सुधार महत्वपूर्ण होंगे। इन सुधारों को लाने तथा +नीतिगत कदमों को व्यापक और प्रभावपूर्ण ढंग से राज्यों की साझेदारी +के साथ लागू करने में भारत की सहायता करने में नीति आयोग को +एक अहम भूमिका निभानी होगी। + +सभी के लिए रोजगार के साधनों का सृजन करने वाली +त्वररित, निरंतर और स्वच्छ वृद्धि का लक्ष्य हासिल करने के लिए +उपयुक्त वास्तविक और सामाजिक अवसंरचना में निवेश करना पहली +आवश्यकता है। नीति आयोग अपनी बौद्धिक व्यापकता और गहराई के +साथ भारत को इन लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायता देने के लिए बहुत +उपयुक्त स्थिति में मौजूद है। पिछले छह वर्षों में केंद्र सरकार द्वारा कई +साहसी सुधार किए गए हैं। अब इन सुधारों को अक्षरश: लागू करना +तथा देश को वृद्धि के अगले मोर्चे तक पहुंचने में सहायता करना राज्यों +पर निर्भर करता है। + +उदाहरण के लिए, केद्र सरकार ने कृषि क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कानून +पास किया है। इस सुधार को लागू करने तथा पैदावार में उल्लेखनीय +बढ़ोतरी करने तथा किसानों की आमदनी दोगुनी करने का मार्ग प्रशस्त +करने का दायित्व अब राज्य सरकारों का है। इस प्रक्रिया में, अनुपालन +का बोझ घटाने, पुरातनिक कानूनों को समाप्त करने और निजी क्षेत्र +की भागीदारी की सभी संभावनाओं को अनुमति देने जैसे इन नवाचारी +सुधारों को अपने मुताबिक ढालने और लागू करने में राज्य नीति आयोग +पर एक साझेदार के रूप में भरोसा कर सकते हैं। आखिरकार भारत +को उच्च वृद्धि के पथ पर ले जाने और वृद्धि के फायदों का सभी में +समान रूप से वितरण सुनिश्चित करने का दायित्व केंद्र और राज्य दोनों +का ही है। सहकारी संघवाद को मजबूती प्रदान करने की दिशा में नीति +आयोग निरंतर अपना कार्य जारी रखेगा, इस प्रकार भारत की सफलता +सुनिश्चित करने के लिए केंद्र और राज्यों दोनों समान साझेदारों के रूप +में मिल-जुलकर कार्य करने में समर्थ बनाता रहेगा। हा + +9 + + + +0010.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + + +1४8४-५५ §=§=Prospect IAS + +ऑफलाइन / ऑनलाइन Institute for Civil Services Examination + +Prospect IAS + +Tee CRG ms Seeds + + + + + + + + + + + +Seppe +9 समसामयिक a 2. ] स्तरीय 7 लाइफ मैनेजमेंट ऑनलाइन व्यक्तिगत +< विश्लेषण. 48666 ““बयन-सामग्री ee ae ) डैशबोर्ड +#... अपनी विशिष्टताओं के साथ ?०५२०८ 1&$ आपकी सफलता की अधिकतम सम्भावना सुनिश्चित करता है। +ra क्र +og सभी विषयों के विभिन्न खण्डों का विशेषज्ञता आधारित अध्यापन & सामान्य अध्ययन (प्रारम्भिक तथा मुख्य परीक्षा हेतु) +ofa 0$६ विशेषज्ञों तथा अकादमिक फैकल्टी का बेहतरीन सन्तुलन one +Ay प्रभावी लेखन शैली के विकास हेतु भाषा-प्रवीणता का विशेष कोर्स ७ वैकल्पिक विषय : +शी हुए छ इतिहास ol & : न +899 माध्यम को दोष न देते हुए गुणवत्ता पर फोकस ७ भूगोल 3) a = +अभ्यर्थियों को औसत नहीं बल्कि विशिष्ट बनने का वातावरण & राजनीति विज्ञान तथा अन्‍्तरराष्ट्रीय सम्बन्ध हा P ke +(EQ Sever onenfia स्वीजन तथा नियमित प्रैक्टिस ° feet साहित्य anh: H +: fe-dt aan English mea & feu stem—stem aa €) भाषा-प्रवीणता का विशेष कोर्स + + + + + + + +ry 011-43584646 / +91 9821 9821 04 / +91 9821 9821 07 + +Qg B-18, 1* Floor, Opp. Aggarwal Sweets, Mukherjee Nagar, Delhi 110009 + + + + + +enquiry@prospectias.in e600 prospectias www.prospectias.in + + + +YH-1583/2021 + + + +10 योजना, मई 2021 + + + +0011.txt +<----------------------------------------------------------------------> +से आत्मनिर्भरता +हा + +गुजरात जब वृहत मुंबई +से अलग होकर एक +पृथक राज्य के रूप +में अस्तित्व में आया +उस समय हमारे सामने +अनेक चुनौतियां थीं। +उस वक्‍त गुजरात +के पास पर्याप्त खेती +योग्य जमीन, पशुपालन +योजनाएं और सिंचाई +के लिये पानी या +बिजली की सुविधाएं +नहीं थीं। अच्छी +सड़कों के जाल, सुगम +प्रशासन के लिये जरूरी +अवसंरचना, सरकारी +कार्यालय, प्रौद्योगिकी , +उद्योग, शैक्षिक संस्थान +तथा स्वास्थ्य सेवा जैसी +विभिन्न सुविधाओं को +विकसित करने की +जरूरत थी। + +गुजरात की विकास कथा + +विजय रूपाणी + +हली मई 1960 को स्थापना के बाद गुजरात राज्य 60 से अधिक वर्ष पूरे कर +7 चुका है। उसने सुशासन, जनोन्मुख प्रशासन, समग्र विकास, शांति और सुरक्षा तथा +जनकल्याण के लिये प्रभावी ढंग से काम करते हुए अपनी एक अलग पहचान + +बनायी है। इससे भारत और विश्व भर में मौजूद 6.5 करोड गुजरातियों के गौरव में वृद्धि हुई +है। व्यवसाय सुगमता को बढ़ावा देने के बाद अब गुजरात जीवन सहजता पर ध्यान केन्द्रित +कर रहा है। गुजरात राज्यों के लिये एक आदर्श और भारत का विकास इंजन बन गया है। +गुजरात को विकास का पर्याय माना जाने लगा है। + +गुजरात की पहचान उसके भूगोल, कला, सांस्कृतिक विरासत, शिक्षा, साहित्य, राजनीति, +तीर्थस्थलों, संत-सेवकों, महापुरुषों, परंपराओं, रिवाजों, खानपान, त्यौहारों, आतिथ्य, पर्यटन, +भाषाओं और बोलियों, प्राचीन और ऐतिहासिक स्थानों, शांति और सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा, +कानून व्यवस्था, उद्योगों, रोजुगार, कृषि, पशुपालन, आधुनिक अवसंरचनाओं इत्यादि से है। +महात्मा गांधी, सरदार पटेल और श्री नरेन्द्र मोदी जैसे कर्मठ, दूरदर्शा और निडर नेता गुजरात +की विशिष्टता बन गये हैं। + +गुजरात के पहले मुख्यमंत्री डॉ जीवराज मेहता थे। उनके बाद बलवंतराय मेहता, +हितेन्द्रभाई देसाई, घनश्यामभाई ओझा, चिमनभाई पटेल, बाबूभाई जे पटेल, माधवसिंह सोलंकी, +अमरसिंह चौधरी, छबीलदास मेहता, सुरेशचन्द्र मेहता, शंकरसिंह वाघेला, दिलीपभाई पारीख, +केशुभाई पटेल और श्री मोदी ने गुजरात की विकास यात्रा को आगे ले जाने के लिये काम +किया। गुजरात के दैदीप्यमान पुत्र और भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 2001 में राज्य के +सबसे कम उग्र के मुख्यमंत्री बने। उन्होंने लगातार 14 वर्षों तक इस पद पर रहते हुए राज्य +की सेवा की। + +श्री मोदी की देशव्यापी लोकप्रियता, कड़ी मेहनत और गुजरात के विकास पुरुष के रूप +में पहचान की बदौलत 2014 के लोकसभा चुनावों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को स्पष्ट +बहुमत मिला। इसके बाद 26 मई, 2014 को श्री मोदी ने भारत के प्रधानमंत्री का कार्यभार +ग्रहण किया। + +श्री मोदी ने गुजरात में अनेक योजनाएं लागू कीं। इनमें केवडिया में सबसे ऊंची प्रतिमा- +स्टैच्यू ऑफ यूनिटी, क्रांति तीर्थ मांडवी, कृषि महोत्सव, गरीब कल्याण मेला, चिंतन +शिविर, ज्योतिग्राम योजना, चरणका सोलर पार्क, महात्मा मंदिर-गांधीनगर, कन्या +केलवणी-शाला प्रवेशोत्सव, गुणोत्सव, मोढेरा सूर्य मंदिर में उत्तरा््द्ध महोत्सव, वाइब्रेंट +गुजरात निवेश सम्मेलन, अहमदाबाद में साबरमती नदी तट, वन महोत्सव-सांस्कृतिक +वनों का सृजन, आदिवासियों के लिये वनबंधु कल्याण योजना तथा नाविकों के वास्ते +सागरखेडू सर्वांगी कल्याण योजना प्रमुख हें। + +उनके कार्यकाल में कई विश्वविद्यालयों की स्थापना की गयी। इनमें पंडित दीनदयाल +पेट्रोलियम विश्वविद्यालय, गुजरात राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय अपराध विज्ञान +विश्वविद्यालय, रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय, लकुलीश योग विश्वविद्यालय, गुजरात प्रौद्योगिकी +विश्वविद्यालय, आई-क्रिएट, भारतीय शिक्षक शिक्षा संस्थान विश्वविद्यालय, बाल विश्वविद्यालय +और श्री गोविंद गुरु विश्वविद्यालय शामिल हैं। + + + +योजना, मई 2021 + +लेखक गुजरात के मुख्यमंत्री Zl ईमेल; vijayrupanicm@gmail.com + +11 + + + +0012.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +श्री मोदी के बाद श्रीमती आनंदीबेन पटेल गुजरात की पहली +महिला मुख्यमंत्री बनीं। उन्होंने महिला सशक्तीकरण को तरजीह देते +हुए लैंगिक समानता को बढ़ावा देने वाला बजट पेश किया। श्रीमती +पटेल ने यह सुनिश्चित करने के लिये अनेक योजनाएं चलायीं कि +आंगनवाडियों में बच्चों को पर्याप्त पोषण मिले। उनके कार्यकाल में +राज्यव्यापी मां अन्नपूर्णा योजना' शुरू की गयी। + +मैंने 7 अगस्त, 2016 को गुजरात की जनता की सेवा के लिये +राज्य के मुख्यमंत्री का पद संभाला। मैं बतौर मुख्यमंत्री 6.5 करोड़ +गुजरातियों के सहयोग से राज्य को उत्तम से सर्वोत्तम बनाने के लिये +कृतसंकल्प हूं। मेरी सरकार ने पिछले पांच वर्षों में जन कल्याण +के लिये 1700 से अधिक फैसले करते हुए +गुजरात की जनता की सेवा की हे। + +की जिनकी फसलें बेमौसम बारिश से +नष्ट हो गयी थीं। इसके बाद 2020 में +3700 करोड़ रुपये के राहत पैकेज की +घोषणा की गयी जिसका लाभ 56 +लाख किसानों को मिला। मछआरों और +नाविकों के कल्याण के लिये हाल ही +में 50000 करोड़ रुपये की सागरखेडू +सर्वांगी कल्याण योजना-2 की +घोषणा की गयी है। + +पशुपालकों की मदद के लिये 400 +से ज्यादा चलती-फिरती पशु क्लिनिक +शुरू की गयी हैं। इसके अलावा पशु +ह संबंधी सुविधाओं के लिये हर दिन +1s Se distal de ae करने वाले निःशुल्क +कं टेलीफोन नंबर 1960 आरंभ किया +- i गया है। राज्य में 514 पांजरापोलों और +गौशालाओं को 246 करोड़ रुपये से ज्यादा रकम की सहायता मुहैया +करायी गयी है। सूखा प्रभावित क्षेत्रों में छह लाख पशुओं के लिये +185 करोड़ रुपये से ज्यादा राशि सहायता के रूप में दी गयी है। + +गुजरात सरकार 2017 से आदिवासियों के उत्थान के लिये +पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) कानून को सख्ती से लागू +कर रही है। राज्य में 909 लाख से ज्यादा आदिवासियों को भूमि +और वन उपज के अधिकार दिये गये हैं। वन अधिकार कानून +के तहत आदिवासियों को 13 लाख एकड़ से अधिक जंगल की +जमीन दी गयी है। आदिवासी बच्चों के बीच शिक्षा के प्रसार के +लिये इन क्षेत्रों में 41 एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय बनाये +गये हैं। लगभग 765 आश्रम स्कूलों, आदर्श +आवासीय विद्यालयों और एकलव्य विद्यालयों + +सात पगला Get कल्याण ना +योजना' का लक्ष्य गुजरात के किसानों और +पशुपालकों को आत्मनिर्भर बनाना है। राज्य में +पिछले चार वर्षों में किसानों से समर्थन मूल्य +पर 17000 करोड़ रुपये से ज्यादा रकम के +कृषि उत्पादों की खरीद की गयी है। गुजरात में +किसानों को दिन में सिंचाई के लिये बिजली +मुहैया कराने के मकसद से 4500 करोड रुपये +की देश की पहली किसान सूर्योदय योजना +शुरू की गयी है। इस योजना के पहले चरण +का लाभ 4000 गांवों के किसानों को मिला + +“सात पगला खेडूत कल्याण ना +योजना ' का लक्ष्य गुजरात के +किसानों और पशुपालकों को +आत्मनिर्भर बनाना है। राज्य में +पिछले चार वर्षों में किसानों से +समर्थन मूल्य पर 17000 करोड़ +रुपये से ज्यादा रकम के कृषि +उत्पादों की खरीद की गयी है। +गुजरात में किसानों को दिन में +सिंचाई के लिये बिजली मुहैया + +में 1.35 लाख से ज्यादा छात्रों को आवास, +भोजन और शिक्षा की सुविधा मुहैया करायी +गयी है। जनजातीय संस्कृति को रेखांकित +करने के लिये जल्दी ही 70 एकड जमीन +पर 100 करोड़ रुपये की लागत से एक +आदिवासी राष्ट्रीय संग्रहालय की स्थापना +की जायेगी। + +अप्रैल और मई, 2020 में कोरोना की +वैश्विक महामारी के दौरान राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा +कानून के तहत 68.80 लाख और राज्य की +गरीबी से ऊपर की रेखा-1 के अधीन 61 + +है। राज्य में 15 लाख से अधिक किसानों +को ब्याज मुक्त ऋण प्रदान किया गया हेै। +प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के +तहत राज्य के कृषक परिवारों को प्रति वर्ष +6000 रुपये की वित्तीय सहायता मुहैया करायी +जा रही है। + +2019 में गुजरात सरकार ने उन किसानों +के लिये 3795 करोड रुपये की सहायता घोषित + +12 + +कराने के मकसद से 4500 करोड़ +रुपये की देश की पहली किसान +सूर्योदय योजना शुरू की गयी है। +इस योजना के पहले चरण का +लाभ 4000 गांवों के किसानों +को मिला है। + +लाख कार्ड धारकों को 2000 करोड रुपये के +खाद्यान्न मुफ्त में वितरित किये गये। पिछले +साल वंचित और कम आय वाले परिवारों को +सांथणी के रूप में 7500 एकड॒ जमीन मुहैया +करायी गयी। इसके अलावा कृषि भूमि हृदबंदी +कानून के तहत 27330 हेक्टेयर अतिरिक्त +भूमि 11692 लाभार्थियों को आवंटित कौ +गयी है। + +योजना, मई 2021 + + + +0013.txt +<----------------------------------------------------------------------> +प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत +2022 तक राज्य के शहरी क्षेत्रों में 764 लाख +परिवारों को मकान मुहैया कराने का लक्ष्य रखा +गया है। इनमें से पांच लाख से ज्यादा मकान +बन कर तैयार हो चुके हैं। सेवा सेतु कार्यक्रम +के जरिये आय और जाति प्रमाणपत्र, 7/12 तथा +8 ए जैसे जरूरी दस्तावेज नागरिकों को उनके +घर पर उपलब्ध कराये जा रहे हैं। डिजिटल + +के मंत्र के साथ डिजिटल सेवा सेतु की +शुरुआत की गयी है। इसके तहत तकरीबन 52 +सेवाओं और प्रमाणपत्रों को ऑनलाइन उपलब्ध +कराया गया है। + +के तहत मुख्यमंत्री प्रशिक्षुता ( एप्रेंटिसशिप ) +योजना की शुरुआत की गयी है। इस योजना +में छात्रों को अध्ययन के दौरान 3000 रुपये से 4500 रुपये तक +मासिक वजीफा प्रदान किया जाता है। पिछले दो वर्षों में 2.30 +लाख से अधिक युवा इस योजना का लाभ उठा चुके हैं। गुजरात +में पिछले चार वर्षों में दो लाख से ज्यादा युवकों और युवतियों को +सरकारी सेवाओं में नियुक्त किया गया है। राज्य के युवाओं को +प्रशिक्षण तथा यूपीएससी, जीपीएससी, गुजरात सेकंडरी सर्विस बोर्ड +इत्यादि प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी के लिये लगने वाले शुल्क में +सहायता मुहैया करायी जा रही है। इन कदमों के परिणामस्वरूप गुजरात +में बेरोजगारी दर भारत में सबसे कम-सिर्फ 3.5 प्रतिशत है। + +गुजरात केन्द्र सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार गैर-आरक्षित +आबादी के लिये 10 प्रतिशत आरक्षण लागू करने वाला पहला +राज्य बन गया है। गैर-आरक्षित विद्यार्थियों को महाविद्यालय में +अध्ययन के लिये 2020 तक चार प्रतिशत की ब्याज दर से अधिकतम +10 लाख रुपये ऋण की सुविधा मुहैया करायी गयी है। इस योजना +का लाभ 70 हजार से ज्यादा परिवार उठा चुके हैं। विदेश में शिक्षा +हासिल करने के लिये चार प्रतिशत की ब्याज दर से 15 लाख रुपये +तक का ऋण प्रदान किया जाता है। + +डिजिटल गुजरात के हिस्से के रूप में ज्ञानकुंज परियोजना +के जरिये 16 हजार कक्षाओं में आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध करायी +गयी हैं। विद्यार्थियों को 1000 रुपये की मामूली कीमत पर 10 हजार +टैबलेट वितरित किये गये हैं। कुल 9.50 लाख से अधिक विद्यार्थियों +को 12वीं कक्षा पास करने के बाद महाविद्यालय में उच्चतर तकनीकी +शिक्षा के लिये आधुनिक टेबलेट का तोहफा दिया गया है। शोध +योजना के तहत शोधार्थियों को अनुसंधान के लिये दो वर्षो तक 15 +हजार रुपये प्रति माह की सहायता दी जाती है। + +कलाकारों को मंच मुहैया कराने तथा कला और संस्कृति के +प्रचार के लिये राज्य में पहली बार कला महाकुंभ शुरू किया गया। +योग और संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिये राज्य योग बोर्ड और +संस्कृत बोर्ड का गठन किया गया है। गुजरात राज्य योग बोर्ड का +गठन करने वाला पहला प्रांत है। गुजरात में 2001 में विश्वविद्यालयों +की संख्या सिर्फ नौ थी जो 2021 में बढ़ कर 83 हो गयी है। + +योजना, मई 2021 + +मुख्यमंत्री महिला उत्कर्ष योजना के + +डिजिटल गुजरात के हिस्से के रूप तहत एक लाख महिलाओं के एक समूह का +में ज्ञानकुंज परियोजना के जरिये +16 हजार कक्षाओं में आधुनिक +सुविधाएं उपलब्ध करायी गयी +हैं। विद्यार्थियों को 1000 रुपये +की मामूली कीमत पर 10 हजार +इंडिया-गुजरात और ज्या मानवी त्या सुविधा टैबलेट वितरित किये गये हैं। कुल +9,50 लाख से अधिक विद्यार्थियों +को 12वीं कक्षा पास करने के +बाद महाविद्यालय में उच्चतर +धनार्जन के साथ ज्ञानार्जन के अनूठे विचार तकनीकी शिक्षा के लिये आधुनिक +टैबलेट का तोहफा दिया गया है। + +गठन किया जायेगा। इनमें से 50 हजार महिलाएं +ग्रामीण और बाकी शहरी क्षेत्रों से होंगी। कुल +10 लाख महिलाओं को राज्य सरकार से ब्याज +मुक्त ऋण प्रदान किया जायेगा। इसके लिये +1000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया +है। वहाली दिकरी योजना के अंतर्गत दो +लाख रुपये सालाना आमदनी वाले परिवारों की +पहली दो बेटियों को पहली जमात में दाखिले +के दौरान 4000 रुपये और नौवीं कक्षा में भर्ती +पर 6000 रुपये दिये जाते हैं। इन लड़कियों +की उम्र 18 वर्ष हो जाने पर विवाह के समय +एक लाख रुपये की सहायता प्रदान की जाती +है। अब तक 6000 से ज्यादा परिवारों को इस +योजना का लाभ मिल चुका है। गंगा स्वरूप +आर्थिक सहाय योजना के तहत विधवाओं को मिलने वाली मासिक +सहायता को बढ़ा कर 1250 रुपये किया गया है। इस योजना का लाभ +अब तक 10 लाख से ज्यादा महिलाओं को मिल चुका है। + +मां अमृतम-मां वात्सल्य योजना के अंतर्गत लाभार्थियों को +तीन लाख रुपये के बजाय अब पांच लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा +मिलता है। इस योजना में 70 लाख परिवारों के 3.5 करोड़ से ज्यादा +लाभार्थी पंजीकृत हैं। कोविड की मौजूदा वैश्विक महामारी के दौरान +1700 से ज्यादा धनवंतरि रथ 3300 से अधिक स्थानों पर सक्रिय हैं। +ढाई करोड से ज्यादा व्यक्तियों को उनके घरों में ही ओपीडी सुविधा +मुहैया करायी गयी है। भारत सरकार और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने +धनवंतरि रथ के माध्यम से किये गये कार्यों की सराहना की है। जनता +के स्वास्थ्य को तरजीह देते हुए पिछले पांच वर्षों में चिकित्सा की +पढ़ाई में 2170 सीटों का इजाफा किया गया है। पिछले पांच वर्षों +में नये चिकित्सा महाविद्यालय खोले गये हैं। राजकोट में 201 एकड +जमीन पर 1195 करोड रुपये के खर्च से 750 बिस्तरों वाला अखिल +भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान खोला जा रहा है जिसमें आधुनिक +चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध होंगी। + +आतंकवादी गतिविधियों पर लगाम कसने के लिये 2019 से +गुजरात आतंकवाद और संगठित अपराध नियंत्रण कानून में +उम्र कैद का प्रावधान किया गया है। इसी तरह जमीन हड्पने की +गतिविधियों की रोकथाम के लिये राज्य सरकार ने गुजरात भूमि +कब्जा प्रतिबंध कानून 2020 को लागू किया है। + +राज्य में एक साइबर आश्वस्त परियोजना शुरू की गयी है। +भारत की पहली साइबर अपराध रोकथाम इकाई गुजरात में स्थापित +की गयी है। विश्वास परियोजना के अंतर्गत 41 शहरों में 7000 कैमरों +का एक सी.सी.टीवी नेटवर्क लगाया गया है। नेत्रम कमान नियंत्रण +केन्द्र के जरिये 33 जिलों में नागरिकों को साइबर अपराध से सुरक्षा +प्रदान की गयी है। + +गुजरात नल से जल कार्यक्रम के तहत हर घर में पानी पहुंचाने +के लिये कृतसंकल्प है। पिछले दो वर्षों में 2 करोड़ 31 लाख घरों +में पानी उपलब्ध कराया गया है। नल से जल के तहत पांच जिलों + +13 + + + +0014.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +1 * _ ce ५ ——— 2019-20 में गुजरात को भारत में +— el हू: ऋ+ विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई ) + + + +में शत-प्रतिशत लक्ष्य हासिल कर लिया गया है। दूषित पानी को +इस्तेमाल के लायक बनाने के लिये गुजरात के शहरी क्षेत्रों में एक +जल ग्रिड की स्थापना की गयी है। गुजरात समुद्री जल को पीने +लायक बनाने के लिये विलवणीकरण संयंत्र लगाने वाला तमिलनाडु +के बाद दूसरा राज्य है। + +सौराष्ट्र क्षेत्र को हरा-भरा बनाने और 80 लाख व्यक्तियों को +नर्मदा नदी से पेयजल उपलब्ध कराने के लिये सौनी योजना शुरू कर +दी गयी है। इस योजना के पहले चरण में सौराष्ट्र के 22 जलाशयों +के दायरे में आने वाले 1,66,000 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा +मुहैया करायी गयी है। + +सुजलाम सुफलाम जल अभियान के अधीन पानी के संरक्षण +से संबंधित 41488 कार्य किये गये हैं। इससे जल भंडारण क्षमता में +42064 लाख घन फीट की बढ़ोतरी हुई है। इस अभियान से कुल +130.47 लाख मानव दिवस रोजगार का सृजन भी हुआ है। + +मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत 10,399 सड॒कों पर +27,064 किलोमीटर का काम 6,835 करोड +रुपये के व्यय से पूरा कर लिया गया है। +कुल 17,843 गांवों और 16,402 उपनगरों को +कंक्रीट की सड़कों से जोड़ा गया है। + +समर्पित नीतियों की बदौलत गुजरात एक +नीति-संचालित राज्य बन गया है। बंदरगाह, +पर्यटन, सौर ऊर्जा, एरोस्पेस और रक्षा, सूचना + +वाणिज्य, कपड़ा और वस्त्र, इलेक्ट्रॉनिक्स, +विरासत पर्यटन, पवन ऊर्जा, सामान्य प्रोत्साहन, +उत्पादन और जैव प्रौद्योगिकी जेसे क्षेत्रों में +नयी नीतियां लागू की गयी हैं। एक नयी +सौर और हाइब्रिड ऊर्जा नीति तथा बागवानी +और चिकित्सकीय पौधों को उपजाने के लिये +किराये पर जमीन देने का बागायत अभियान +शुरू किया गया हेै। + +14 + + + +कलाकारों को मंच मुहैया कराने +तथा कला और संस्कृति के प्रचार +के लिये राज्य में पहली बार कला +महाकुंभ शुरू किया गया। योग और +संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के +प्रौद्योगिकी, उद्योग, स्टार्टअप, कृषि और fay राज्य योग बोर्ड और संस्कृत +बोर्ड का गठन किया गया है। +गुजरात राज्य योग बोर्ड का गठन +करने वाला पहला प्रांत है। गुजरात +में 2001 में विश्वविद्यालयों की +संख्या सिर्फ नौ थी जो 2021 में +बढ़ कर 83 हो गयी है। + +के लिये सर्वश्रेष्ठ स्थान माना गया। इस +वित्त वर्ष में राज्य में 43000 करोड़ रुपये +से ज्यादा एफडीआई आया जो 2018-19 +, की तुलना में 3.5 गुना अधिक है। +; राज्य में अपनायी गयी पहले उत्पादन, +६ बाद में अनुमति की नीति से सूक्ष्म, +| लघु और मझोले उद्यमों (एमएसएमई) को +£ काफी लाभ हुआ है। उद्योगों को शुरुआती +तीन साल के लिये अनापत्ति प्रमाणपत्र +और अनुमतियां प्राप्त करने से छूट दी गयी +है। कुल 30 लाख से ज्यादा एमएसएमई +इकाइयों के लिये एक विशेष कमीशन दर +के निर्धारण से रोजुगार के 1.25 करोड़ से +ह अधिक अवसर पैदा हुए हैं। + +खदानों और खनिजों की नीलामी ऑनलाइन की जा रही है। +ब्रिनेत्र ड्रोन निगरानी प्रौद्योगिकी से इस काम में पारदर्शिता आयी +है। राज्य सरकार ने 1633 लाख रुपये से ज्यादा की आमदनी की है। +राज्य में 70 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन पर 13 औद्योगिक और तीन +लॉजिस्टिक पार्क बनाये जायेंगे। + +कोविड की मौजूदा वैश्विक महामारी के दौरान राज्य सरकार ने +14000 करोड़ रुपये का आत्मनिर्भर गुजरात पैकेज जारी किया। इस +पैकेज के तहत छोटे विक्रेताओं, दुकान मालिकों और कामगारों को +एक लाख रुपये तक कर्ज दो प्रतिशत ब्याज दर पर मुहैया कराया +गया। एक लाख से 2.5 लाख रुपये तक कर्ज पर ब्याज की दर चार +प्रतिशत निर्धारित की गयी। + +राज्य में पहली रो रो नौका सेवा भावनगर में घोघा से दक्षिण +गुजरात में दहेज तक शुरू की गयी। इससे इन दोनों स्थानों के बीच +दूरी 360 किलोमीटर से घट कर 31 किमी रह गयी है। प्रदूषण +घटाने और पर्यावरण के संरक्षण के मकसद से ई-रिक्शा की खरीद +के लिये 48000 रुपये की सब्सिडी दी गयी +है। नोवीं कक्षा से महाविद्यालय तक के छात्रों +को बैटरी चालित दोपहिया वाहन खरीदने के +लिये 12000 रुपये की सहायता दी जाती है। + +सौर छत लगाने के मामले में गुजरात +सबसे आगे है। राज्य में लगायी गयी 1.27 +लाख से ज्यादा सौर छतों से 886 मेगावाट +बिजली पैदा होती है। सौर ऊर्जा नीति के +तहत पिछले चार वर्षों में बिजली उत्पादन +क्षमता में 1925 मेगावाट की वृद्धि हुई है। +गुजरात में सौर छत परियोजना की क्षमता +देश में सबसे अधिक 611.46 मेगावाट +है। गुजगत की बिजली उत्पादन क्षमता में +37 प्रतिशत योगदान नवीकरणीय ऊर्जा +का है। विश्व का सबसे बड़ा हाइब्रिड +नवीकरणीय ऊर्जा पार्क कच्छ में बनाया जा + + + +योजना, मई 2021 + + + +0015.txt +<----------------------------------------------------------------------> +रहा है जिसकी क्षमता 30,000 मेगावाट होगी। + +भारत के कुल 2,300 सीएनजी स्टेशनों +में से 926 से ज्यादा गुजरात में हैं। गुजरात +सरकार ने आने वाले समय में 900 से ज्यादा +नये सीएनजी स्टेशन खोलने की योजना बनायी +है। विश्व का पहला सीएनजी टर्मिनल गुजरात +के भावनगर में बनाया जा रहा है जिसमें + +प्रशासनिक कार्यों की लाइव + +समीक्षा के लिये गांधीनगर में +इन-हाउस सीएम डैशबोर्ड शुरू +'किया गया है। इसमें 3000 से +ज्यादा प्रदर्शन संकेतक हैं जिनसे + +इन-हाउस सीएम डैशबोर्ड शुरू किया गया +है। इसमें 3000 से ज्यादा प्रदर्शन संकेतक +हैं जिनसे मुख्यमंत्री डिजिटल प्लेटफॉर्मों के +जरिये जिला स्तर पर जनहित गतिविधियों +की निगरानी कर सकते हें। मुख्यमंत्री साथे +मोकला मने कार्यक्रम में मुख्यमंत्री गांधीनगर +में अपने निवास पर वंचित और अल्पसंख्यक + +सालाना 60 लाख टन माल का संचालन होगा। मुख्यमंत्री डिजिटल प्लेटफॉर्मों के समुदायों के लोगों से मुलाकात करते हैं। वह + +राज्य में गैर-कृषि मंजूरी देने का जरिये जिला स्तर पर जनहित इन नागरिकों की शिकायतों को सुनने के बाद +अधिकार जिला पंचायत से लेकर कलक्टर गतिविधियों की निगरानी कर. "की जरूरतों और मांगों को पूरा करने के +को सौंप दिया गया है। मानचित्र और नक्शे सकते हैं। लिये फैसले और कार्यवाही करते हैं। + +ऑनलाइन उपलब्ध होने से यह प्रक्रिया ज्यादा +आसान और तेज हो गयी है। ऑनलाइन पोर्टल के जरिये 35,000 +से ज्यादा अर्जियां प्राप्त की गयी हैं। + +शहरों के समग्र विकास के लिये पिछले तीन वर्षों में 311 +शहरी योजनाओं (टीपी) और 40 विकास योजनाओं (डीपी) को +मंजूरी दी गयी है। इससे नागरिकों को अधिक सुविधाएं हासिल +हुई हैं। राज्य में पहली बार ऑनलाइन विकास अनुमति प्रणाली +(ओडीपीएस) शुरू की गयी है। श्रवण तीर्थ योजना के तहत 60 +साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों को गुजरात में यात्राधाम दर्शन के +लिये ले जाया जाता है। + +गुजरात के बनासकांठा में नड़ाबेट सीमा दर्शन पंजाब में +वाघा-अटारी के बाद सरहदी पर्यटन का सर्वश्रेष्ठ स्थल साबित हुआ +है। वर्ष 2020 में छह लाख से ज्यादा सैलानियों ने सीमा दर्शन का +आनंद लिया। गिरनार रोपवे की मदद से 6-7 घंटों की चढ़ाई 6-7 +मिनटों में पूरी की जा सकती है। + +गिर और देवलिया के अलावा अमरेली में खोला गया आंबरडी +सफारी पार्क भारत के गौरव एशियाई शेरों का निवास है। द्वारका से +12 किलोमीटर दूर शिवराजपुर समुद्र तट को विश्व स्तरीय पर्यटन +केन्द्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। यह “ब्लू फ्लैग बीच' +का तमगा पाने वाले भारत के आठ समुद्र तटों में से एक है। देश +का एकमात्र डायनासोर जीवाश्म पार्क बालासिनोर के रैयोली गांव +में स्थापित किया गया है। यह भारत का सबसे बड़ा और विश्व का +तीसरा सर्वाधिक विस्तार वाला डायनासोर जीवाश्म स्थल है। + +महात्मा गांधी के जीवन से संबंधित स्थलों को जोड़ने के लिये +93 करोड़ रुपये के खर्च से गांधी पर्यटक सर्किट का विकास किया +जा रहा है। इसमें दांडी कुटीर (गांधीनगर), कीर्ति मंदिर (पोरबंदर), +महात्मा गांधी संग्रहालय (अलफ्रेड हाई स्कूल, राजकोट) और राष्ट्रीय +नमक सत्याग्रह स्मारक (नवसारी) को शामिल किया गया है। + +अहमदाबाद में साबरमती तट से केवडिया में 182 मीटर ऊंची +स्टैच्यू ऑफ यूनिटी तक पहली समुद्री विमान सेवा शुरू की गयी +जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने किया। वर्ष 2020 में +43 लाख से ज्यादा सैलानियों ने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का दौरा किया जो +एक रिकॉर्ड है। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का दौरा करने वालों की संख्या +अमेरिका में स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी तक जाने वालों से कहीं अधिक हे +जिस पर हम सब को गर्व होना चाहिये। + +प्रशासनिक कार्यों की लाइव समीक्षा के लिये गांधीनगर में + +योजना, मई 2021 + +1960-61 के लिये गुजरात का पहला +बजट विधानसभा में 22 सितंबर, 1960 को पेश किया गया +जिसकी कुल राशि 1149286000 रुपये थी। वित्त वर्ष 2021-22 +के लिये राज्य का 77वां बजट 227029 करोड़ रुपये का रहा +जिससे गुजरात की आर्थिक संपन्‍नता का पता चलता है। + +देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में गुजगत का हिस्सा +आठ प्रतिशत है। राज्य सरकार के अथक प्रयासों के परिणामस्वरूप +गुजरात ने अप्रैल से सितंबर, 2020 तक 119000 करोड़ रुपये का +एफडीआई हासिल किया। एफडीआई की यह रकम इस काल में +समूचे देश में हुए कुल पूंजी निवेश का 53 प्रतिशत है। देश से कुल +निर्यात में गुजरात का हिस्सा 23 प्रतिशत से भी ज्यादा है। नीति आयोग +से जारी 2020 के निर्यात तैयारी सूचकांक में यह राज्य अव्वल स्थान +पर रहा। स्टार्टअप और लॉजिस्टिक्स रैंकिंग में भी गुजरात लगातार दो +वर्षों से चोटी पर है। + +देश की पहली बुलेट ट्रेन सेवा अहमदाबाद और मुंबई के +बीच शुरू की जायेगी। भारत की पहली स्मार्ट सिटी धोलेरा में +बनायी जा रही है। केन्द्र सरकार ने इसे छह स्मार्ट सिटी की सूची में +शामिल किया है। विश्वस्तरीय सरदार वल्‍लभभाई पटेल स्पोर्ट्स एंक्लेव +अहमदाबाद में बनाया जा रहा है जहां एशियाड और ओलंपिक कराये +जा सकेंगे। अहमदाबाद के मोटेरा में विश्व के सबसे बडे क्रिकेट +स्टेडियम “नरेन्द्र मोदी क्रिकेट स्टेडियम' का उद्घाटन हाल ही में +किया गया है। इसकी दर्शक क्षमता 1.25 लाख है। यूनेस्को ने चंपानेर +और रानी की वाव (पाटन) को विरासत स्थल घोषित किया है। +अहमदाबाद को भारत की पहली हेरिटेज सिटी का दर्जा दिया गया +है। विश्व के चोटी के 25 विकसित शहरों की फेहरिस्त में गुजरात +के सूरत, राजकोट, अहमदाबाद और बडोदरा शामिल हैं। + +भारतीय वन सर्वेक्षण की 2019 की रिपोर्ट के अनुसार गुजरात +के वृक्ष आच्छादन क्षेत्र में पिछले दो वर्षों में 10 हजार हेक्टेयर का +इजाफा हुआ है। वन के अलावा हरित क्षेत्र में भी इस काल में +396000 हेक्टेयर की वृद्धि दर्ज की गयी है। + +मैं गर्व के साथ कह सकता हूं कि स्थापना के समय से लेकर +अब तक गुजरात के विकास में अनेक गुजरातियों ने योगदान किया +है। हम उनकी कड़ी मेहनत के फल का उपभोग कर रहे हैं। हमें +इस विकास यात्रा को एकजुट होकर आगे बढ़ाना है। हमें गुजरात के +हर नागरिक के उत्थान और विकास के लिये अपने राज्य को उत्तम +से सर्वोत्तम बनाना है। = + +15 + + + +0016.txt +<----------------------------------------------------------------------> +ia. + +महाराष्ट्‌ : साठ साल से ज्यादा का सफर + +योजना टीम + +आधुनिक राज्य महाराष्ट्र, पश्चिम में अरब सागर से, उत्तर पश्चिम में गुजरात तथा केंद्रशासित प्रदेश दादरा +नगर हवेली से, उत्तर और उत्तर पूर्व में मध्य प्रदेश से, पूर्व में छत्तीसगढ़ से, दक्षिण में कर्नाटक से, दक्षिण +पूर्व से आंध्र प्रदेश और दक्षिण पश्चिम में गोवा से घिरा है। + +ज्य में मानव वास की पुरातनता +पाषाण काल (1.27 मिलियन +वर्ष पूर्व) तक जाती है। कई + +स्थल विभिन्‍न नदियों के किनारे और नदी +घाटियों में बताए गए हैं। कई ताम्रपाषाण +युगीन स्थलों की जानकारी प्राप्त हुई है और +इनामगांव (1300 ईसा पूर्व से 700 ईसा +पूर्व) जैसे कुछ की बड़े पैमाने पर खुदाई +की गई थी। +ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य + +ऐतिहासिक काल के दौरान (छठी +शताब्दी ईसा पूर्व के बाद) महाराष्ट्र में +मौर्यों का शासन (चौथी शताब्दी ईसा पूर्व +से दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व) देखा जाता +है। राज्य में अशोक के शिलालेखों के +अवशेष मिले हैं। राज्य पर एक लंबे समय +तक चलने वाला शासन सातवाहनों का था +(पहली शताब्दी ईसा पूर्व से तीसरी शताब्दी + + + +16 + +ई,)। यह राज्य का बहुत फलता-फूलता +दौर था। इस अवधि में पश्चिमी दुनिया +के साथ अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पूरे जोरों पर +था। महाराष्ट्र के बंदरगाहों ने इसमें प्रमुख +भूमिका निभाई। इसका परिणाम शिलाओं +को काटकर बनाई गई कई बौद्ध गुफाओं +जैसे कि भाजा, पितलखोर, कारला नासिक +आदि की खुदाई में देखा जा सकता है +जिसे मुख्य रूप से व्यापारिक समुदाय ने +संरक्षण दिया। पश्चिमी क्षत्रप गुजरात से +शासन कर रहे थे, लेकिन उन्होंने कुछ समय +के लिए सातवाहन क्षेत्र को जीत लिया था। +सातवाहनों ने इन शासकों को 78 ई. में +पराजित किया और उनकी भूमि पर फिर से +कब्जा किया। सातवाहन शासन का विस्तार +न केवल पूरे महाराष्ट्र में बल्कि आंध्र प्रदेश, +कर्नाटक और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों +में भी हुआ। + +सातवाहन शासन के पतन के बाद, +महाराष्ट्र के विभिन्‍न हिस्सों जैसे अबीर, +त्रिकुटका आदि में कई छोटे राज्य स्थापित +किए गए थे, लेकिन चौथी शताब्दी ई. में, +वाकाटक शासकों को प्रमुखता मिली। विदर्भ +में शासन करने वाली उनकी दो शाखाएं थीं। +उनके कुछ शासकों ने 5 वीं शताब्दी ई. में +अजंता में गुफा खुदाई की गतिविधियों में +सहायता की थी। + +महाराष्ट्र पर कुछ शासकों ने 6 वीं -7 +वीं शताब्दी ई. में कलचुरी (मध्य प्रदेश) +और पश्चिमी चालुक्य (कर्नाटक) की तरह +शासन किया था, लेकिन 8 वीं शताब्दी ईस्वी +में एक स्थाई शासन शुरू हुआ जब राष्ट्रकूट +सत्ता में आए। वे एलोरा में विश्व प्रसिद्ध +गुफाओं के निर्माण में भी शामिल थे। उनके +शासन का विस्तार न केवल महाराष्ट्र में +बल्कि कर्नाटक में भी हुआ था। एक समय + + + +५ +- + +योजना, मई 2021 + + + +0017.txt +<----------------------------------------------------------------------> +में, उन्होंने महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश राज्यों के +बीच पूरे क्षेत्र को जीत लिया था। + +यादव (10 वीं शताब्दी से 13 वीं +शताब्दी ई.तक) राज्य के अगले शासक थे। +मध्य और पूर्वी महाराष्ट्र के हिस्सों पर उनका +लंबे समय तक शासन रहा। शिलाहार शासक +पश्चिमी और दक्षिणी महाराष्ट्र में उनके लिए +समकालीन थे। यह अवधि महाराष्ट्र में मंदिर +निर्माण गतिविधि के उत्थान का प्रतीक है। कई +स्थानों पर प्रभावशाली मंदिरों का निर्माण किया +गया था जैसे होतल, निलंगा, खिद्रपुर, गोंडेश्वर +आदि। कुछ किले जैसे etait, tern ot +इस काल में बनाए गए थे। यादवों को दिल्ली +सल्तनत के अलाउद्दीन खिलजी ने हराया था। + +मुहम्मद बिन तुगलक ने कुछ समय के +लिए अपनी राजधानी को दिल्‍ली से दौलताबाद +(देवगिरी) स्थानांतरित कर दिया। तुगलक के +पतन के बाद, 14 वीं शताब्दी ई. में बहमनी +सल्तनत ने महाराष्ट्र पप शासन करना शुरू +कर दिया। फारुकी ने खानदेश क्षेत्र पर शासन +किया और 14 वीं - 15 वीं शताब्दी ई. में +गुजरात और आसपास के क्षेत्रों पर गुजरात +सुल्तानों ने शासन किया। बहमनी साम्राज्य +के विघटन के बाद, राज्य के विभिन्‍न हिस्सों +पर निजामशाही और आदिलशाही का शासन +था। 17 वीं शताब्दी ई. में, छत्रपति शिवाजी +ने महाराष्ट्र में अपना स्वतंत्र शासन स्थापित +किया। उसने 1674 ई. में एक सार्वभौम +शासक के रूप में खुद का राज्याभिषेक +किया। इस स्थानीय मराठा साम्राज्य ने 18 वीं +और 19 वीं शताब्दी ई. की शुरुआत में तब +तक खुद को विस्तारित किया, जब तक कि +1819 में अंग्रेजों ने इसे नहीं ले लिया। तब से +a Te A + + + +Pies. + +योजना, मई 2021 + +महाराष्टू, महिलाओं के अधिकारों +और भारत में नारीवादी आंदोलन +का अग्रणी भी है। 19 वीं +शताब्दी की शुरुआत से, राज्य के +विचारकों और सुधारकों ने बाल +विवाह और सती के खिलाफ +अभियान चलाया, साथ ही +महिलाओं की शिक्षा और विधवा +पुनर्विवाह को बनाए रखा। + +कई स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान के साथ, +महाराष्ट्र ने स्वतंत्रता के लिए संघर्ष में प्रमुख +भूमिका निभाई। पहली मई 1960 को, जनता + +Ee +oy + + + +ar race + + + +की मांग पर महाराष्ट्र को अलग मराठी भाषी +राज्य बनाया गया था। तब से यह राज्य देश +में सभी मोर्चों पर अग्रणी रहा है। +महाराष्ट्र 35 जिलों से बना है, जिन्हें छह +डिवीजनों में बांठा गया है, इनका विभाजन +निम्नानुसार हैः +1. अमरावती डिवीजन (विदर्भ) को 5 +जिलों में विभाजित किया गया है। ये +अमरावती, अकोला, बुलदाना, यवतमाल +और वाशिम हैं। +औरंगाबाद डिवीजन (मराठवाडा) +औरंगाबाद, बीड, हिंगोली, जालना, +लातूर, नांदेडू, उस्मानाबाद और परभणी। +3, कोंकण डिवीजनः मुंबई सिटी, मुंबई +उपनगर, रायगढ़, रत्नागिरी, सिंधुदुर्ग +और ठाणे। + + + + + +0018.txt +<----------------------------------------------------------------------> +4. नासिक डिवीजन: अहमदनगर, शथुले, + +जलगांव, नंदुरबार, और नासिक। +5. नागपुर डिवीजन: FSR, ARK, + +गढ़चिरोली, गोंदिया, नागपुर और वर्धा। +6. पुणे डिवीजनः कोल्हापुर, पुणे, सांगली, + +सतारा और सोलापुर। + +पश्चिमी घाट महाराष्ट्र की कई प्रमुख +नदियों का स्रोत हैं, जिनमें से गोदावरी और +कृष्ण प्रमुख हैं। ये नदियां अपनी सहायक +नदियों के साथ, पूर्व की ओर बहते हुए +अधिकांश मध्य और पूर्वी महाराष्ट्र में सिंचाई +करती हुई बंगाल की खाड़ी में मिल जाती हैं। +ये घाट कई छोटी नदियों के भी स्रोत हैं, जो +पश्चिम में अरब सागर में बहती हें। + +Hast रेंज, महाराष्ट्र को भौगोलिक रूप +से परिभाषित करने वाली है। औसतन 1000 +मीटर की ऊंचाई तक बढ़ते हुए इसके पश्चिम +में कोंकण है। पूर्व की ओर स्थलाकृति एक +परिवर्ती क्षेत्र से होकर गुजरती है जिसे मालवा +के पठार स्तर तक जाना जाता है। अरब सागर +और सह्ाद्रि श्रेणी के बीच स्थित कोंकण +संकीर्ण तटीय तराई क्षेत्र है, जो मुश्किल से +50 कि.मी. चौड़ा है। अत्यधिक विच्छेदित +और टूटा हुआ, कोंकण संकरी घाटियों और +निम्न पार्शव पठार के बीच वैकल्पिक है। +उत्तरी सीमा पर सतपुड़ा पहाड़ियां और पूर्वी +सीमा पर भामरगढ़-चिरोली-गाईखुरी रेंज, +भौतिक अवरोधों को आसान गति से रोकते हैं +और राज्य की प्राकृतिक सीमाओं के रूप में + +id + + + +18 + +iz : yt न +eee ate lg: sf ae +pd *. 7 oe ah. + +| मम हु ra TA +हर हा +. 1 + +महाराष्ट्र की राजधानी मुम्बई +को न केवल भारत की वित्तीय +राजधानी के रूप में देखा जाता +है लेकिन वास्तव में यह गेटवे +ऑफ इंडिया भी है जिसमें +धर्मनिरपेक्षता और प्रगतिशीलता +निहित है। यहां दुनिया का सबसे +बड़ा फिल्म उद्योग भी है, एक +ऐसा उद्योग जिसका कारोबार +कई छोटे देशों के सकल घरेलू +उत्पाद से अधिक है। + +भी कार्य करते हैं। राज्य की यह स्थलाकृति +इसकी भूवैज्ञानिक संरचना का परिणाम है। +प्राकृतिक संसाधन + +बसाल्ट चट्टान को छोड़कर अन्य +चट्टानें जैसे- लेटराइट तटीय आर्द्र और +उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में पाई जाती हैं। महाराष्ट्र +अयस्क भंडार में समृद्ध है। कोंकण नदियों +के तलषघर क्षेत्रों में ग्रेनाइट, ग्रेनाइट, शैल, +क्वार्टजाइट, कांग्लोमेरेट पाए जाते हैं। नांदेड +एक और क्षेत्र है जहां गुलाबी ग्रेनाइट पाए +जाते हैं। नागपुर क्षेत्र का कामती कोयले के +लिए प्रसिद्ध है। + +राज्य में पानी सबसे असमान रूप से +वितरित प्राकृतिक संसाधन है। बड़ी संख्या में + + + + + + + + +गांवों में पीने के पानी की कमी है, खासकर +गर्मियों के महीनों में, यहां तक कि गीले +कोंकण में भी। बुवाई क्षेत्र का केवल 11 +प्रतिशत सिंचित है। विदर्भ के पूर्वी पहाड़ी +क्षेत्र के समूचे ग्रेनिटिक-शैल इलाके में टैंक +सिंचाई होती है। तापी-पूर्णा जलोढ़ में नलकूप +और तटीय रेत में उथले कुएं, पानी के अन्य +मुख्य स्रोत हैं। पानी की कमी वाले गांवों के +लिए सरकार विशेष कुएं बना रही है। + +प्रमुख खनिज कोयला और मैंगनीज के +साथ और लौह अयस्क तथा चूना पत्थर +संभावित संपदा के साथ चंद्रपुर, गढ़चिरौली, +भंडारा, और नागपुर जिले मुख्य खनिज बेल्ट +बनाते हैं। + +महाराष्ट्र की आत्मा महानगरीय है। +हालांकि महाराष्ट्र के 80 फीसदी लोग +हिंदू धर्म के अनुयायी हैं, लेकिन राज्य +में विरासत स्थलों का जो खजाना है वह +अपनी बहु-विरासत को दर्शाता है जिसमें +जैन, बौद्ध, मुस्लिम और ईसाई संस्कृतियां +शामिल हैं। इसलिए चाहे भगवान गणेश के +आठ सुंदर अवतारों के लिए समर्पित कोंकण +बेल्ट में अष्टविनायक यात्रा है या पूर्व-ईसाई +बौद्ध युग से औरंगाबाद के पास अजंता और +एलोरा की गुफाएं, महिम का मदर मैरी +चर्च या मुंबई की हाजी अली मस्जिद , +ये सब मंदिरों, किलों, पुराने स्मारकों और +कलाओं का संचित खजाना हैं। सहयाद्रियों +के चट्टानी इलाके और हमलावर सेनाओं +के खिलाफ गढ़ों की आवश्यकता को +देखते हुए, किलों ने राज्य के इतिहास में +महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अर्थव्यवस्था +और सामाजिक-राजनीतिक ताने-बाने के +साथ स्वतःपूर्ण इकाइयां, महाराष्ट्र के किले +मुख्य रूप से छत्रपति शिवाजी के समय के +आसपास बनाए गए थे। प्रत्येक किला सैन्य +विजय का प्रतीक है, और यह रणनीति, युद्ध , +साजिश और योजना की एक कहानी बताता +है जो राजनीति विज्ञान, रक्षा रणनीतियों और +प्रबंधन के सभी छात्रों के लिए रुचिकर हे। +ये सभी डेक्कन क्षेत्र में एक उद्यमी नेता +की कहानी की फिर से रचना करते हैं +जो भाग्य, लोकप्रिय समर्थन और दृष्टिकोण +के साथ भारतीय इतिहास के सबसे बडे +राजाओं में से एक बन गया। भारत की +70 प्रतिशत से अधिक शिला-गुफा कला +महाराष्ट्र में देखने को मिलती है। इनमें से + +योजना, मई 2021 + + + +0019.txt +<----------------------------------------------------------------------> +औरंगाबाद के आसपास के क्षेत्र में अजंता +और एलोरा, विश्व प्रसिद्ध विरासत स्थल +हैं जो भारतीय कारीगरों द्वारा कई सौ साल +पहले हासिल किए गए कौशल का प्रदर्शन +करते हैं। अजंता दूसरी से पहली शताब्दी +ईसा पूर्व के बीच के समय से है, जबकि +एलोरा की खुदाई इसके लगभग 600 साल +बाद की गई थी। इन सभी को ठोस चट्टान +से उकेरा गया है और यह बौद्ध धर्म के सार +का महत्वपूर्ण भंडार है। इस बीच, एलीफेंटा +गुफाएं (मूल उत्पत्ति के), एलिफेंटा द्वीप, +या मुंबई हार्बर में घारापुरी, मुंबई के पूर्व में +10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गढ़ी गई +गुफाओं का जाल है, और ये भगवान शिव +को श्रद्धांजलि है। + +13 वीं और 17 वीं शताब्दी के बीच +पूरे देश में फैले मध्ययुगीन आंदोलन- भक्ति +आंदोलन ने महाराष्ट्र की मिट्टी में अनुनाद +पाया। इसमें सादगीपूर्ण और दिल से महसूस +की गई भक्ति से भगवान की वास्तविक +प्रकृति पर जोर दिया गया था। समाज के +तथाकथित निचले तबके के कई संतों के +अलावा ज्ञानेश्वर, नामदेव, तुकाराम और +चोखामेला जैसे संत कवि शामिल हैं, जिन्होंने +संगीत, कला और साहित्य में समृद्ध योगदान +दिया। वारकरी आंदोलन जिसमें हर साल +जून-जुलाई के महीने में किसान और विठोबा +(भगवान विष्णु का एक अवतार) के असंख्य +अनुयायी इकट्ठा होते हैं और पंढरपुर में +वार्षिक तीर्थयात्रा में भाग लेते हैं। ये तीर्थयात्रा +अपने दिवंगत संतों की पालकी के साथ +उनकी समाधि / आत्मज्ञान के स्थान से शुरू +होती है। वारकरी आषाढ़ी एकादशी के शुभ +दिन भगवान और संतों के नाम का जाप +करते हुए पंढरपुर पहुंचते हैं। अहिंसा, दान, +तपस्या और शाकाहार के मूल्यों का प्रचार +करते हुए, वारकरी आज भी एक अराजक +दुनिया में सहिष्णुता का प्रतीक हैं। दुनिया भर +से कई पर्यटक इस तीर्थयात्रा में भाग लेते हें +जो लोगों को एकजुट करती है। + +महाराष्ट्र की महिलाएं देश के बाकी +हिस्सों में प्रचलित छह गज की साड़ी की +बजाय नौ गज की साड़ी धारण करती हैं। +राज्य के विभिन्‍न थिएटर और सांस्कृतिक +उत्सवों में पोवाड़ा जैसे संगीतमय रूप, एक +महान शासक की वीरता की प्रशंसा करने +वाला गीत और लावणी जैसी सुंदर नृत्य विधा + +योजना, मई 2021 + + + +का आनंद लिया जा सकता है। कोली नृत्य +रूप राज्य के मछआरे-लोकनर्तकों के योगदान +को दर्शाता है। + +महाराष्ट्र, महिलाओं के अधिकारों और +भारत में नारीवादी आंदोलन का अग्रणी भी +है। 19 वीं शताब्दी की शुरुआत से, राज्य के +विचारकों और सुधारकों ने बाल विवाह और +सती के खिलाफ अभियान चलाया, साथ ही +महिलाओं की शिक्षा और विधवा पुनर्विवाह +को बनाए रखा। प्रमुख नामों में दिवंगत +न्यायमूर्ति एम जी रानाडे, उनकी पत्नी रमाबाई +रानाडे, सावित्रीबाई फुले और पंडिता रमाबाई +शामिल हैं, जैसे ही 1930 के दशक में पुणे +जैसे शहर (पूर्व के एक प्रमुख शैक्षिक केंद्र +और ऑक्सफोर्ड के रूप में भी जाना जाता +है) में महिलाओं को साइकिल से स्कूल +तथा कॉलेज जाते और अन्य काम करते +देखा जा सकता था। पुणे और मुंबई जैसे +शहर कई सक्रिय महिला अधिकार समूहों के +गढ़ हैं, जो महिलाओं के लिए समान अवसर +और उनके साथ उचित व्यवहार की वकालत +करते हैं। थोड़ा आश्चर्यजनक है कि भारत +की पहली महिला डॉक्टर स्वर्गीय आनंदी +बाई जोशी इसी राज्य से थीं। अहिल्याबाई + +होल्कर और रानी लक्ष्मीबाई जैसी योद्धा +रानियां इस बात की याद दिलाती हैं कि +महाराष्ट्र ने महिलाओं के उत्थान के लिए +कितना कुछ किया है। वर्ष 1885 में बंबई +में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना की +गई जिसके महासचिव एओ ट्ूम थे। पहला +भारतीय समाचार पत्र दर्पण भी यहीं से +निकला था। इसके मूल्य-आधारित दीवाली +अंक (दीवाली के त्योहार पर निकलने वाले +प्रकाशन) की परंपरा के अलावा, स्वतंत्र और +निष्पक्ष पत्रकारिता के मूल्य, जिनमें सामाजिक +रूप से प्रासंगिक कई विषय होते हैं, यहां के +शिक्षित और विवेकी मध्यम वर्ग के बारे में +बताते हैं। महाराष्ट्र की राजधानी मुम्बई को +न केवल भारत की वित्तीय राजधानी के रूप +में देखा जाता है लेकिन वास्तव में यह गेटवे +ऑफ इंडेया भी है जिसमें धर्मनिरपेक्षता +और प्रगतिशीलता निहित है। यहां दुनिया का +सबसे बड़ा फिल्म उद्योग भी है, एक ऐसा +उद्योग जिसका कारोबार कई छोटे देशों के +सकल घरेलू उत्पाद से अधिक है। इस उद्योग +के शहर में हर साल हजारों लोग आते हैं जो +इसे बड़ा बनाने की आशा करते हैं। हा + +स्रोत: www.maharashtratourism. gov.in + +19 + + + +0020.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +fe + +LPN + +Bee rea ae kL ar + +टीम वही, कोचिंग नई + + + + + + + +पत्रिका की विशेषताएँ : एक नज़ूर में + + + + + + + + + + + + + + +0 चर्चित विषयों पर महत्त्वपूर्ण लेख + +मासिक करेंट अफेयर्स संकलन +(सिविल सेवा परीक्षा के पाठ्यक्रम के अनुरूप ग्रस्तुतीकरण 2 + +0 + +महत्त्वपूर्ण तथ्य : एक नज़र में + +0 + +दर “Years of + +Feo 224 करेंट अफेयर्स आधारित मानचित्र अध्ययन + + + +उपयोगी अभ्यास प्रश्न + +निबंध खंड + +७0७ 0 0०७०७ + +महत्त्वपूर्ण पत्रिकाओं का सार-संग्रह +(योजना, कुरुक्षेत्र, डाउन दू अर्थ, ई.पी.डब्ल्यू. ) + + + + + +० सरल भाषा में दू-द-पॉइंट पाठ्य सामग्री + +० प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा के लिये समानरूप से उपयोगी + + + + + + + + + + + + + + + + + +eae किक रथ 00 एक जल 9... + +7428085758 + +सामान्य अध्ययन वैकल्पिक विष्वय +प्रथम एव दिलीय जे पुल इतिहास भूगोल. राजनीति विज्ञान +x coil छारा - छ्वारा - द्वारा - +६8४५४ अखिल मूर्ति Art गौरव राजेश सिश्रा +74:228085757 | मिस्ड-कॉल्ल करें: | ४४००७: ४४७४४/-5७151601॥1,/35 .0077 + +9555-124-1 24 + +631, भू-तल, सुखर्जी नगर, दिल्‍ली-110009 + + + +Follows us on: You Ge 1&2 + + + + + +20 + +योजना, मई 2021 + +YH-1572/2021 + + + +0021.txt +<----------------------------------------------------------------------> +एक राष्टर-एक चुनाव + +के एफ विल्फ्रेड + +लोकसभा और विधानसभाओं का एक साथ चुनाव कराने से श्रम और समय की बचत के साथ-साथ +चुनाव कराने में होने वाले खर्च की बचत होती है। अलग-अलग चुनाव कराने की बजाय चुनाव एक साथ +कराने से सरकार के अन्य महत्वपूर्ण कार्यों के ठप्प होने की समस्या का भी समाधान होता है। सभी सदनों +के कार्यकालों को एक साथ समाप्त करने की व्यवस्था करने के लिए या तो कुछ सदनों के कार्यकालों को +बढ़ाना पड़ेगा या फिर कुछ के कार्यकालों को समय से पूर्व समाप्त करना होगा। अथवा, दोनों ही उपाय +एक साथ करने पड़ सकते हैं। कुछ मामलों में तो कार्यकाल में तीन साल का विस्तार करना पड़ सकता है +या इतनी ही बढ़ोतरी करनी पड़ सकती है। सदनों के कार्यकाल के इस तरह से समापन या विस्तार के लिए +संविधान के संबंधित अनुच्छेदों में उपयुक्त संशोधन करने होंगे। + +रत के संविधान के निर्माण के समय चुनाव और +भा ४ आयोग से संबंधित प्रस्तावित अनुच्छेदों के + +बारे में संविधान सभा में विचार व्यक्त करते हुए +डॉ भीमराव अम्बेडकर ने कहा था कि प्रारूपण समिति के सामने +निर्वाचन आयोग को लेकर दो विकल्प थे- या तो इसका गठन +एक स्थायी संगठन के रूप में किया जाए या फिर इसे चुनावों से +पहले एक अस्थायी संगठन के तौर पर गठित किया जाए और चुनाव +प्रक्रिया के संपन्‍न होने के बाद इसे भंग कर दिया जाए। अंशकालिक +निर्वाचन आयोग की सोच इस संकल्पना पर आधारित थी कि सदनों +की इक्का-दुक्‍्का सीटों के लिए कभी कभार कराये जाने वाले +मध्यावधि चुनावों को छोड़कर आम चुनाव का आयोजन तो पांच +साल में एक बार ही कराना होगा, इसलिए स्थायी निर्वाचन आयोग +के गठन से बीच की चार साल की अवधि में आयोग के पास कोई +काम नहीं रहेगा। लेकिन समिति ने विधानसभाओं के मध्यावधि में +भंग किये जाने की स्थिति का पूर्वानुमान भी लगाया था और उसे +इस बात का अहसास था कि इस हालत में निर्वाचन आयोग को +तत्काल नये चुनाव कराने के लिए तैयार रहना भी आवश्यक होगा +और इसीलिए स्थायी निर्वाचन आयोग का गठन आवश्यक समझा +गया। बहस में भाग लेते हुए प्रोफेसर शिब्बन लाल सक्सेना ने कहा था +कि संविधान में लोकसभा और विधानसभाओं के लिए कोई निश्चित +कार्यकाल तय नहीं किया गया है और न ही निश्चित निर्वाचन चक्र की +व्यवस्था की गयी है इसलिए एक साथ चुनाव की व्यवस्था शुरुआती +वर्षों में तो संभव है, लेकिन बाद में कुछ राज्यों या किसी न किसी +एक राज्य के चुनाव के नियमित कार्यक्रमों की संभावना बनी रहेगी। + + + +प्रोफेसर सक्सेना के पूर्वानुमान के अनुसार संविधान लागू होने के +बाद दो दशकों तक तो लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव +एक साथ हुए। स्वतंत्र भारत के पहले आम चुनाव अक्तूबर 1951 +से करीब छह महीने के दौरान आयोजित किये गये। इसके बाद के +तीन निर्वाचन चक्रों में भी कुछ अपवादों को छोड़कर लोकसभा और +विधानसभाओं के चुनाव साथ-साथ ही आयोजित किये जाते रहे। +अपवाद वाले राज्यों में केरल शामिल था जहां 1960 में विधानसभा + + + + + + + + + + + + + + + +लेखक भारत के निर्वाचन आयोग के पूर्व प्रिंसिपल सेक्रेटरी हैं और इस समय इंडिया इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर डिमोक्रेसी एंड इलेक्शन मैनेजमेंट में परामर्शदाता हैं। + +ईमेल; wilfred.eci@gmail.com + +योजना, मई 2021 + +21 + + + +0022.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +_ + +का कार्यकाल समाप्त होने से + +पहले ही सदन को भंग कर दिये जाने + + + + + + + + + +लोकसभा चुनाव के साथ आयोजित किये जा सके हैं। अन्य राज्यों + +से मध्यावधि चुनाव कराना पड़ा था। इसी तरह नगालैंड और पांडिचेरी की विधानसभाओं के चुनाव अलग-अलग समय पर हुए हैं और +में 1962 के आम चुनाव के बाद ही विधानसभाओं का गठन हो अब तो हर साल विधानसभाओं के आम चुनाव के कम से कम दो +सका। देश में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव लगभग दौर होने लगे हैं। + +एक साथ आयोजित किये जाने का संयोग +1967 में बना। उस वर्ष भी नगालैंड और +पांडिचेरी को छोड़कर सभी विधानसभाओं के +चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ अयोजित +किये गये। 1967 में गठित चौथी लोकसभा +अपना कार्यकाल पूरा करने से पहले ही 1971 +में भंग कर दी गयी जिससे लोकसभा के +मध्यावध्चि चुनाव कराने पड़े। इस तरह देश +में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव +एक साथ कराने की परम्परा टूट गयी और +अलग-अलग चुनाव कराये जाने लगे। 1975 +में घोषित राष्ट्रीय आपात काल के दौरान +लोकसभा के कार्यकाल का विस्तार किया +गया और 1977 के लोकसभा चुनाव के +बाद कुछ राज्यों में विधानसभाओं को भंग +करना पड़ा जिससे एक साथ चुनाव कराने +का चक्र और भी गड़बड़ा गया। 1998 और +1999 में लोकसभा दो बार समय से पहले +भंग की गयी और उसके बाद के दो दशकों +में केवल चार राज्य विधानसभाओं के चुनाव + +22 + +लोकसभा और विधानसभाओं के +चुनाव तभी साथ हो सकते हैं जब +दोनों सदनों के कार्यकाल लगभग +एक साथ संपन्न हो रहे हों। जन +प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की +धारा 14 और 15 निर्वाचन आयोग +को सदन का कार्यकाल समाप्त +होने से छह महीने पहले किसी भी +समय चुनाव कराने की अधिसूचना +जारी करने का अधिकार देती +हैं। आयोग इससे पहले चुनावी +अधिसूचना जारी नहीं कर सकता। +चुनाव अधिसूचना जारी होने और +मतदान की तारीख के बीच 25 +दिन का न्यूनतम वैधानिक अंतराल +होना भी आवश्यक है। + +लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव +तभी साथ हो सकते हैं जब दोनों सदनों के +कार्यकाल लगभग एक साथ संपन्न हो रहे हों। +जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा +14 और 15 निर्वाचन आयोग को सदन का +कार्यकाल समाप्त होने से छह महीने पहले +किसी भी समय चुनाव कराने की अधिसूचना +जारी करने का अधिकार देती है। आयोग +इससे पहले चुनावी अधिसूचना जारी नहीं कर +सकता। चुनाव अधिसूचना जारी होने और +मतदान की तारीख के बीच 25 दिन का +न्यूनतम वैधानिक अंतराल होना भी आवश्यक +है। चुनाव की अधिसूचना जारी होने से कुछ +दिन पूर्व चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की +जाती है जो चुनाव से जुड़े सभी संबद्ध पक्षों +के लिए अग्रिम नोटिस की तरह होती है। +इसलिए अगर सदन का कार्यकाल तीन महीने +में पूरा होने वाला हो, तो नये सदनों के गठन +के लिए एक साथ चुनाव करवाना कानूनी +तौर पर संभव होगा। दूसरे शब्दों में लोकसभा + +योजना, मई 2021 + + + +0023.txt +<----------------------------------------------------------------------> +और विधानसभा के चुनाव साथ-साथ कराने +के बारे में विचार करने से पहले हमें प्रस्थान +बिंदु के रूप में ऐसी स्थिति में होना जरूरी +है जिसमें लोकसभा और सभी राज्यों तथा +केन्द्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं के +कार्यकाल साथ-साथ समाप्त हो रहे हों। +सदनों के कार्यकालों के बीच तालमेल + +लोकसभा और विधानसभाओं का +कार्यकाल आम तौर पर पांच साल का होता +है। संविधान के अनुच्छेद 83 की धारा (2) +में व्यवस्था है कि : लोकसभा यदि पहले ही +विघटित नहीं कर दी जाती है तो अपने प्रथम +अधिवेशन के लिए नियत तारीख से पांच +वर्ष तक बनी रहेगी, इससे अधिक नहीं और +पांच वर्ष की उक्त अवधि की समाप्ति का +परिणाम लोकसभा का विघटन होगा। अनुच्छेद 172(1) में +विधानसभाओं के बारे में भी इसी तरह के प्रावधान हैं। हालांकि ये +सदन पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा होने से पहले भी भंग किये जा +सकते है, (अनुच्छेद 85(2)(ख)) और 174 (2)(ख)), आपात +स्थिति की घोषणा लागू होने को छोड़कर किसी भी अन्य स्थिति +में पांच साल के कार्यकाल को बढाने का कोई प्रावधान नहीं है। + +सभी सदनों के कार्यकालों में एक-दूसरे के साथ तालमेल +कायम करने के लिए यह जरूरी है कि कई राज्यों के सदनों का +कार्यकाल बढ़ाया जाए या कुछ सदनों का कार्यकाल कम किया +जाए, अथवा ये दोनों ही उपाय एक साथ इस्तेमाल किये जाएं। +कार्यकालों का विस्तार और इसमें कटोती कुछ मामलों में तो दो से +तीन साल तक की हो सकती है। कार्यकाल में इस तरह की कटौती +या विस्तार संविधान के ऊपर बताये गये अनुच्छेदों में उपयुक्त +संशोधन करने होंगे। + +अगर लोकसभा और विधानसभाओं के कार्यकालों में एक बार + +्ा — a + + + +aayeerer + + + +योजना, मई 2021 + +लोकसभा और विधानसभाओं के +चुनाव अलग-अलग कराने के +बजाय एक साथ कराने के पक्ष में +दो प्रासंगिक कारण हैं: पहला- +एक साथ चुनाव कराने से श्रम, +समय और खर्च की बचत होती +है; और दूसरा- अलग-अलग +चुनाव कराने की बजाय एक साथ +चुनाव कराने से शासन संचालन +के ठप्प पड़ने की समस्या का +समाधान किया जा सकता है। + + + +के लिए तालमेल बिठा भी दिया जाए तो +भी हमें मध्यावधि में सदनों के भंग होने से +बचने और एक साथ चुनाव कराने के चक्र +को सुरक्षित रखने के लिए पर्याप्त वैधानिक +सुरक्षाओं की आवश्यकता होगी। चुनाव चक्र +को बनाए रखने के लिए कुछ देशों ने कानूनी +प्रावधान किये हैं जिनके तहत सत्तारूढ़ सरकार +के खिलाफ “अविश्वास प्रस्ताव” नहीं लाया +जा सकता। बल्कि इसके स्थान पर विपक्ष +अपने नामजद नेता के नेतृत्व वाली वैकल्पिक +सरकार के पक्ष में विश्वास मत का रचनात्मक +प्रस्ताव ला सकता है। इससे सदन के निश्चित +कार्यकाल को बनाए रखने में मदद मिलेगी +और सदन में गतिरोध की नौबत नहीं आयेगी +जिसका एकमात्र परिणति चुनाव में होती है। +एक साथ चुनाव कराने की वजह + +लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव अलग-अलग कराने के +बजाय एक साथ कराने के पक्ष में दो प्रासंगिक कारण हैं: पहला- +एक साथ चुनाव कराने से श्रम, समय और खर्च की बचत होती हे; +और दूसरा- अलग-अलग चुनाव कराने की बजाय एक साथ चुनाव +कराने से शासन संचालन के ठप्प पड़ने की समस्या का समाधान +किया जा सकता है। +खर्च का सवाल-बचत के क्षेत्र + +लोकसभा और विधानसभा चुनाव के लिए मतदान केन्द्र और +मतदाता सूचियां एक ही रहती हैं। किसी एक संसदीय निर्वाचन क्षेत्र +के अंतर्गत आने वाले सभी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों की मतदाता +सूचियां उस संसदीय निर्वाचन क्षेत्र की मतदाता सूचियां बन जाती +हैं। इस तरह दो चुनावों के लिए. अलग-अलग मतदाता सूचियां तैयार +करने में होने वाली काम ही दोहरावट नहीं होती जिससे अतिरिक्त +श्रम और खर्च की बचत होती है। + +हर अलग-अलग चुनाव कराने + +में लॉजिस्टिक्स से संबंधित तमाम +इंतजाम दो बार कराने पड़ते हैं +जबकि एक साथ चुनाव कराने में +सारे कार्य एक साथ पूरे हो जाते +हैं। किसी भी चुनाव को कराने +के लिए पीठासीन अधिकारी की +अध्यक्षता वाली चुनाव टीम गठित +की जाती है। इस दल के सदस्य +मुख्य रूप से सरकारी/सार्वजनिक +क्षेत्र के उपक्रमों के अधिकारी +और शिक्षक होते हैं। लोकसभा +और विधानसभाओं के चुनाव +साथ-साथ कराने से उसी चुनाव +टीम में कुछ और अधिकारियों +को शामिल करके सुचारू रूप से +कार्य निपटाया जा सकता है। इससे + +23 + + + +0024.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +परिवहन, आवास, प्रशिक्षण, मानदेय और मतदान में काम आने वाली +सामग्री के रखरखाव आदि के खर्च में बचत की जा सकती है। यानी +एक साथ चुनाव कराने से मानवसंसाधनों की भी किफायत की जा +सकेगी। साथ-साथ चुनाव कराने में एक बचत केन्द्रीय पुलिस बलों +की तैनाती के रूप में भी हो सकती है। अलग-अलग चुनाव कराने +में केन्द्रीय बलों की तैनाती और वापसी दो बार होगी जबकि एक +साथ चुनाव कराने से लगभग उतने ही सुरक्षा कर्मियों से दोनों चुनाव +अच्छी तरह कराए जा सकते हैं। +एक साथ चुनाव से अतिरिक्त खर्च + +एक साथ चुनाव कराने से होने वाली +बचत का उपयोग करके इलेक्ट्रोनिक मतदान +मशीनों (ई.वी.एम.) पर होने वाले खर्च को +बढ़ाया जा सकता है। इस समय ईवीएम के + +देश भर में लोकसभा और +विधानसभाओं के चुनाव एक +साथ आयोजित करने से अपने +लोकतांत्रिक अधिकार का उपयोग + +मशीनों की आवश्यकता अलग-अलग चुनाव +- कराने के मुकाबले दुगनी होगी। +इस समय देश भर में 10 लाख +« से अधिक मतदान केन्द्र बनाए जाते हैं। +see मतदाताओं की सख्या में वृद्धि से यह संख्या +और बढ़ सकती है। प्रत्येक मतदान केन्द्र +को एक कंट्रोल यूनिट, वीवीपैट प्रिंटर और +एक या एक से अधिक बैलटिंग यूनिट +उपलब्ध करायी जाती है (एक यूनिट में 16 +८“ -+> उम्मीदवारों के नाम ही आ पाते हैं इसलिए +:- _.. निवाचन क्षेत्र में उम्मीदवारों की संख्या के +--5 आधार पर बैलटिंग यूनिट उपलब्ध करायी +जाती हैं)। निर्वाचन आयोग की यह नीति +. रही है कि वह मतदान केन्द्रों में मशीनों में +किसी भी गड़बड़ी की आशंका को ध्यान +में रखते हुए कुछ अतिरिक्त यूनिट्स भी रखता है। कंट्रोल यूनिट +और बैलटिंग यूनिट के एक सैट का मूल्य 17,000 रुपये है और +वीवीपैट मशीन की कीमत 16,000 रुपये से अधिक है। प्रत्येक +मतदान केन्द्र पर एक मशीन की दर से अतिरिक्त ईवीएम समेत 10 +लाख से अधिक ईवीएम खरीदने पर 4000 करोड से ज्यादा की +लागत आयेगी। चुनाव में इन मशीनों का इस्तेमाल करने पर भंडारण +और सुरक्षा पर होने वाले आवर्ती खर्च पर भी काफी बड़ी राशि +खर्च करनी होगी। इस तरह ईवीएम मशीनों से +लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक +साथ कराने पर चुनाव खर्च में कोई बड़ी कमी +आने की संभावना नहीं है। +बहरहाल, राजनीतिक दलों के लिए +लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ-साथ + +तीन हिस्से होते हैं : कंट्रोल यूनिट, बैलटिंग. करने को आने वाले मतदाताओं कराने से चुनाव प्रचार के खर्च में काफी +यूनिट और वोटर वेरीफाएबल पेपर ऑडिट की संख्या काफी बढ़ाई जा सकती बचत हो सकती है। राजनीतिक पार्टियां + +ट्रेल (वीवीपैट-मतदान पुष्टि पर्ची) प्रिंटर। +ईवीएम मशीन का अनुमानित जीवन काल 15 +साल का होता है। एक चुनाव में एक मतदान +केन्द्र पर एक तरह की ईवीएम का उपयोग +किया जाता है। इस समय कुछ राज्यों को +छोड कर विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव +के साथ आयोजित नहीं किये जा रहे हें, +इसलिए दोनों चुनावों के लिए एक ही ईवीएम +का उपयोग किया जाता है। एक ही ईवीएम +का विभिन्‍न चुनावों में बार-बार इस्तेमाल +होने से कोई अतिरिक्त खर्च या मेहनत नहीं + +है क्योंकि पांच साल में एक +बार चुनावों के आयोजन से सभी +वर्गों के मतदाता बड़े उत्साहपूर्वक +मतदान में हिस्सा लेंगे। बार-बार + +चुनाव होने से मतदाताओं के +कुछ वर्गों में चुनाव के प्रति ऊब +पैदा हो जाती है। अगर एक साथ +चुनाव कराने का एक नियमित + +अक्र निर्धारित कर दिया जाए + +व्यापक चुनाव प्रचार करती हैं, खास तौर पर +आम चुनावों में। मतदाताओं से संपर्क साधने +के लिए वे कई तरीकों, जैसे जन सभाओं, +रैली, रोड शो, छोटी नुक्कडु सभाओं आदि +का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा +प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और अन्य +मंचों में विज्ञापन दिये जाते हैं, मतदाताओं +से व्यक्तिगत संपर्क साधा जाता है और कई +अन्य उपाय भी किये जाते हैं। एक साथ +चुनाव होने पर लोक संपर्क के ये सभी साधन +दोनों चुनावों में एक साथ काम आ जाएंगे। + +करनी ved we साथ चुनाव कराने के तो इससे मतदाताओं में ऊब और शीर्ष नेताओं की रैलियां आयोजित करने +लिए प्रत्येक मतदान केन्द्र में दो ईवीएम का शहरी मतदाताओं में आम तौर पर और जनसंचार माध्यमों में दिये जाने वाले + +होना जरूरी है-एक लोकसभा चुनाव के लिए +और दूसरी विधानसभा चुनाव के लिए। इसका +मतलब हुआ कि देश भर में एक साथ चुनाव +कराने के लिए संख्या की दृष्टि से ईवीएम + +24 + +देखी जाने वाली चुनाव के प्रति +अरुचि की समस्या का समाधान +किया जा सकता है। + +विज्ञापनों पर भारी लागत आती है। लोकसभा +और विधानसभाओं के चुनाव साथ कराने से +राजनीतिक पार्टियों का चुनाव प्रचार का खर्च +काफी कम किया जा सकता है। + +योजना, मई 2021 + + + +0025.txt +<----------------------------------------------------------------------> +आदर्श चुनाव आचार संहिता - शासन संचालन पर असर + +आदर्श चुनाव आचार संहिता (एम.सी.सी.) उम्मीवारों और +राजनीतिक दलों के व्यवहार से संबंधित दिशानिर्देश हैं जो निर्वाचन +आयोग द्वारा चुनाव की घोषणा की तारीख से लागू हो जाते हैं। इनका +एक महत्वपूर्ण पहलू सत्तारूढ़ पार्टी से संबंधित होता है। एम.सी.सी. +के तहत सरकारी संसाधनों का चुनावी गतिविधियों में उपयोग करने +तथा वित्तीय अनुदान और नयी योजनाओं की घोषणा करने आदि +पर रोक होती है ताकि मतदाता इनके प्रलोभन में आकर सत्तारूढ़ +पार्टी के पक्ष में वोट न डालें। ये सत्तारूढ़ पार्टी पर एक तरह की +बंदिशें हैं ताकि वे चुनाव से पहले सत्ता में रहने का फायदा उठाते +हुए मतदाताओं को अनुचित तरीके से अपने पक्ष में न कर सकें +और चुनाव में सभी उम्मीदवारों को बराबरी का मौका मिले। चुनाव +संबंधी ये पाबंदियां सिर्फ चुनाव आचार संहिता के लागू होने के बाद +की सीमित अवधि में नयी योजनाओं की घोषणाओं पर लागू होती +हैं। इनका असर पहले से चल रही योजनाओं , कार्यक्रमों और कार्य +पर नहीं पड़ेगा। अगर सभी चुनाव एक साथ हुए तो चुनाव आचार +संहिता के तहत लगने वाले प्रतिबंध भी एक साथ ही लग जाएंगे। + +लोकसभा चुनाव में आदर्श आचार संहिता केन्द्र और राज्य, +दोनों ही सरकारों पर लागू होती है। विधानसभा चुनाव में यह संहिता +उस समय सत्तारूढ़ राज्य सरकार पर लागू होती है जो पूरी तरह +युक्तिसंगत है। केन्द्र सरकार पर लगने वाली पाबंदियां उस राज्य से +संबंधित नयी योजनाओं की घोषणा को लेकर होती है जहां चुनाव +होने जा रहे हैं। उप चुनाव के दौरान आदर्श चुनाव आचार संहिता +संबंधित जिलों में ही लागू होती है। इस तरह चुनाव के दौरान आदर्श +आचार संहिता लागू होने से शासन संचालन पर न्यूनतम असर पड़ता +है। +स्थानीय निकायों के चुनाव + +यहां हमने स्थानीय निकाय चुनावों को चर्चा में शामिल नहीं +किया है जिनका आयोजन विभिन्‍न सांविधिक संगठनों, जैसे संबंधित +राज्यों के चुनाव आयोगों की निगरानी, दिशानिर्देश और नियंत्रण में + +किया जाता है। स्थानीय निकायों के चुनाव का आयोजन अन्य चुनावों +के साथ कराने के लिए उन्हीं चुनावकर्मियों को एक ही समय में +दो अलग-अलग प्राधिकारियों से चुनाव संबंधी दिशानिर्देश लेने होंगे, +हालांकि इसमें मुद्दे एक जैसे होंगे। यह भी संभव है सभी मामलों +में उन्हें अनिवार्य रूप से एक जैसे निर्देश मिलें। फिलहाल, स्थानीय +निकाय चुनावों के लिए अलग-अलग तरह के मतदान केन्द्र बनाये +जाते हैं। इतना ही नहीं, स्थानीय निकायों के चुनाव को चुनौती देने +के लिए न्यायिक संस्था जिला न्यायाधीश की अदालत तथा अन्य +निचली अदालतें होती हैं, जबकि संसद या विधानसभा चुनाव को +चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई उच्च न्यायालय में ही संभव +है। इसलिए ऐसी नौबत आ सकती है जब चुनाव को चुनौती देने +का आधार बना वही मुद्दा दो अलग-अलग अदालतों में उठे। यानी +एक ही मुद्दे को लेकर लोकसभा/विधानसभा चुनाव के लिए उच्च +न्यायालय में और स्थानीय निकाय के चुनाव के लिए जिला अदालत +में याचिका दी जा सकती है। + +देश भर में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ +आयोजित करने से अपने लोकतांत्रिक अधिकार का उपयोग करने +को आने वाले मतदाताओं की संख्या काफी बढ़ाई जा सकती है +क्योंकि पांच साल में एक बार चुनावों के आयोजन से सभी वर्गों +के मतदाता बडे उत्साहपूर्वक मतदान में हिस्सा लेंगे। बार-बार +चुनाव होने से मतदाताओं के कुछ वर्गों में चुनाव के प्रति ऊब +पैदा हो जाती है। अगर एक साथ चुनाव कराने का एक नियमित +चक्र निर्धारित कर दिया जाए तो इससे मतदाताओं में ऊब और +शहरी मतदाताओं में आम तौर पर देखी जाने वाली चुनाव के प्रति +अरुचि की समस्या का समाधान किया जा सकता है। मतदाताओं +की बेहतर भागीदारी से हमारे चुनावों की विश्वसनीयता और बढ़ेगी। +एक साथ चुनाव कराने के प्रस्ताव पर पहले भी चर्चाएं हुई हैं। +इसकी आवश्यकता/व्यवहार्यता, इसके फायदे और नुकसान को लेकर +भविष्य में विभिन्‍न स्तरों पप और अधिक छानबीन और विश्लेषण +किए जाने की जरूरत है। = + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +प्रकाशन विभाग के विक्रय केंद्र +नई दिल्‍ली | पुस्तक दीर्घा, सूचना भवन, सीजीओ कॉम्प्लेक्स, लोधी रोड 110003 | 011-24367260 +नवी मुंबई 701, सी- विंग, सातवीं मंजिल, केंद्रीय सदन, बेलापुर 400614 | 022-27570686 +कोलकाता | 8, TAS ईस्ट 700069 | 033-22488030 +चेन्नई “ए! विंग, राजाजी भवन, बसंत नगर 600090 | 044-24917673 +तिरुअन॑तपुरम | प्रेस रोड, नयी गवर्नमेंट प्रेस के निकट 695001 | 0471-2330650 +हेदराबाद कमरा सं. 204, दूसग तल, सीजीओ टावर, कवाडीगुड़ा, सिकंदरबाद | 500080. | 040-27535383 +बेंगलुरु फर्स्ट फ्लोर, 'एफ' विंग, केंद्रीय सदन, कोरामंगला 560034 | 080-25537244 +पटना बिहार राज्य कोऑपरेटिव बैंक भवन, अशोक राजपथ 800004 | 0612-2683407 +लखनऊ हॉल सं-1, दूसरा तल, केंद्रीय भवन, क्षेत्र-एच, अलीगंज 226024 | 0522-2325455 +अहमदाबाद | 4-सी, नेप्चून टॉवर, चौथी मंजिल, नेहरू ब्रिज कॉर्नर, आश्रम रोड | 380009 | 079-26588669 + + + + + + + + + +योजना, मई 2021 + +25 + + + +0026.txt +<----------------------------------------------------------------------> +== iif} +1१5 प्रिलिम्म-2021 + +करेंट अफेयर्स क्रेश कोर्स + +मोड : ऑनलाइन +(दृष्टि लनिंग ऐप के माध्यम से) + +आरंभ : 15 अप्रैल +कक्षाएँ : 30-35 (लगभग 100 घंटे) + +कोर्स की प्रमुख विशेषताएँ + +७ ये कक्षाएँ हमारे करेंट अफेयर्स के प्रसिद्ध अध्यापक श्री निशांत श्रीवास्तव द्वारा ली गई हें। + +७ ये कक्षाएँ लाइव स्ट्रीमिंग होंगी। इसके पश्चात्‌ आपके एकांउट में सुरक्षित भी रहेंगी। + +७ प्रत्येक वीडियो को एक वर्ष तक असीमित बार देखने की सुविधा। + +७ इस क्रेश कोर्स से प्रिलिम्स के करेंट अफेयर्स में पूछे जाने वाले 90% प्रश्न आसानी से कवर हो जाएंगे। + +-। ऑनलाइन फाउंडेशन कोर्स + +सामान्य अध्ययन ' (प्रिलिम्स + मेन्स) +डॉ. विकास दिव्यकीर्ति के मार्गदर्शन में + +मोड : पेन ड्राइव + +एडमिशन प्रारंभ + + + + + + + + + + + +अतिरिक्त जानकारी के लिये 9311406442 नंबर पर इंस्टॉलमेंद्स पर भी उपलब्ध ! | RR RD ee cons + +YH-1574/2021 + +CR CCR a ee ek me Cer Drishti Learning App + +26 योजना, मई 2021 + + + +0027.txt +<----------------------------------------------------------------------> +02] +कोविड 19 में राजकोषीय संघवाद + +डॉ सज्जन एस यादव +सूरज के प्रधान + +समूचा विश्व आज एक अभूतपूर्व युद्ध में उलझा हुआ है। इस युद्ध में उसका सामना एक नए और प्राणघाती +शत्रु से हो रहा है। यह शत्रु है-सिवेअर एक्यूट रेस्पिरेट्री सिंड्रोम कोरोना वायरस-2 ( सार्स-कोव-2 ) नाम का +बेहद संक्रामक विषाणु। इस विषाणु से उत्पन्न कोविड-19 रोग ने इस सदी का सबसे बड़ा स्वास्थ्य संकट +पैदा कर दिया, पूरी दुनिया में सबका जीवन उथल-पुथल कर दिया, अर्थव्यवस्थाओं को बर्बाद कर दिया, +परिवारों का नाश कर दिया, जिसके कारण लोगों की जान जा रही है और वे अशक्त हो रहे हैं। भारत +सरकार ने संकट की इस घड़ी का सामना करने के लिए राजकोषीय संघवाद की सच्ची भावना के साथ काम +'किया है। इस संक्रमण से लड़ने, आर्थिक गतिविधियों को स्फूर्ति देने और जन सेवाएं प्रदान करने के मानदंडों +के संरक्षण के लिए केंद्र सरकार ने अनेक उपाय अपनाकर राज्यों को पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराए हैं। + +ह महाआपदा नवंबर 2019 में चीन के Ger से शुरू +boa: और देखते ही देखते दुनिया भर में फैल गई। 30 +जनवरी 2020 को इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंताजनक + +जन स्वास्थ्य आपात स्थिति और 11 मार्च 2020 को वैश्विक महामारी +घोषित कर दिया गया। इस विषाणु ने जितनी बड़ी संख्या में लोगों +को शिकार बनाया वैसा पहले कभी नहीं हुआ। 8 अप्रैल 2021 तक +विश्व भर में कोरोना संक्रमण से 28 लाख 75 हजार 672 लोग काल +के गाल में समा गए। इन्हें मिला कर कुल 13 करोड़ 24 लाख 85 +हजार 386 लोगों के संक्रमित होने की पुष्टि हो चुकी थी। + +प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सरकार ने सहकारी संघवाद का मंत्र +अपनाकर कोविड-19 के खिलाफ अनुकरणीय संघर्ष किया हे। केढद्र +सरकार और राज्य सरकारों ने कंधे से कंधा मिलाकर ऐसे उपाय +अपनाए कि आम जन और आर्थिक गतिविधियों पर महामारी का कम +से कम असर पडे। + +शुरुआती चरणों में संक्रमण का फैलाव रोकने के लिए लॉकडाउन +और शारीरिक दूरी रखने के जो उपाय अपनाए गए उनके कारण +आर्थिक गतिविधियां लगभग ठप्प हो गई थीं। राजस्व वसूली में भारी +कमी हुई जबकि खर्चों में बेइंतेहा बढ़ोतरी होती गई। राज्यों को खर्चों +के लिए राजकोषीय सहायता की जरूरत थी। इसके लिए भारत सरकार +ने राजकोषीय संघवाद की सच्ची भावना के साथ काम किया। इस +संक्रमण से लड़ने, आर्थिक गतिविधियों को स्फूर्ति देने और जन सेवाएं +प्रदान करने के मानदंडों के संरक्षण के लिए केंद्र सरकार ने अनेक +उपाय अपनाकर राज्यों को पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराए हैं। + +राज्यों के लिए उधार सीमा में बढ़ोतरी + +राज्यों के राजकोषीय घाटे की पूर्ति के लिए उधार, वित्त +पोषण का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। भारत में राज्यों द्वारा ऋण लेने +की व्यवस्था भारतीय संविधान के अनुच्छेद 293 के प्रावधानों में +निहित है। + +राजकोषीय नियंत्रण के लिए केंद्र सरकार ने समझ-बूझ के साथ +राज्य सरकारों को यह छूट दी कि वे वित्त वर्ष में अपने सकल राज्य +घरेलू उत्पाद-जीएसडीपी के 3 प्रतिशत की कुल ऋण सीमा के अंदर +उधार ले सकते हैं। + +राजस्व प्राप्ति में भारी गिरावट के कारण राज्यों के वित्तीय साथनों +पर दबाव कम करने, पूंजीगत व्यय में भारी कटोती से बचने और +राजकोषीय प्रवाह में संकुचन को रोकने के लिए भारत सरकार ने 17 +मई 2020 को वित्त वर्ष 2020-21 के लिए राज्यों की ऋण सीमा +को उनके सकल राज्य घरेलू उत्पाद के अनुपात में 2 प्रतिशत और +बढ़ा दिया। इससे राज्यों को 4.28 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त +उधार लेने की सुविधा मिल गई। + +अतिरिक्त उधार सुविधा के आधे पर कोई शर्त नहीं थी जबकि +शेष राशि को निश्चित, मापने योग्य और व्यावहारिक सुधार उपायों के +साथ जोड़ा गया। चार जन केद्रित क्षेत्रों- “एक राष्ट्र-एक राशन कार्ड, +कारोबार में सुगमता, बिजली क्षेत्र और शहरी स्थानीय निकायों” को +सुधार उपायों के लिए चुना गया। सकल राज्य घरेलू उत्पाद चौथाई +प्रतिशत उधार अनुमति के लिए इनमें से प्रत्येक क्षेत्र में सुधार उपायों +को पूर्ण करना अनिवार्य हो गया। + + + +डॉ सज्जन एस यादव भारत सरकार के वित्त मंत्रालय में व्यय विभाग में संयुक्त सचिव और श्री सूरज के प्रधान इसी विभाग में संयुक्त निदेशक हैं। + +ईमेल; sajjan95@gmail.com, skpradhan.icoas@nic.in + +योजना, मई 2021 + +27 + + + +0028.txt +<----------------------------------------------------------------------> +अर्थोपाय अग्रिम में वृद्धि +भारतीय रिजर्व बैंक-आरबीआई अपने साथ +बैंकिंग करने वाले राज्यों को अर्थोपाय अग्रिम +यानी वेज एंड मींस एडवांस (डब्ल्यूएमए) +प्रदान करता है जिससे उन्हें अपनी राजस्व +प्राप्तियों और भुगतान के बीच नकदी के प्रवाह +में आई अस्थाई विसंगतियों को दूर करने में +मदद मिल सके। आरबीआई ने राज्यों के कुल +व्यय, राजस्व घाटे और उनकी वित्तीय स्थिति +सहित अनेक घटकों के आधार पर प्रत्येक +राज्य के लिए डब्ल्यूएमए की सीमा निर्धारित +कर रखी है। डब्ल्यूएमए. पर ब्याज आरबीआई +की रेपो दर के अनुसार लिया जाता है। +राज्यों को ओवरड्राफ्ट की सुविधा भी +दी जाती है जिसके तहत डब्ल्यूएमए की +सीमा से अधिक राशि निकाली जा सकती है। +ओवरड्राफ्ट पर ब्याज की दर अधिक होती है। +31 मार्च 2020 तक राज्यों की कुल +डब्ल्यूएमए सीमा 32 हजार 225 करोड़ रुपये +थी। केंद्र और राज्यों के अनुरोध पर आरबीआई ने 7 अप्रैल 2020 +को राज्यों के लिए डब्ल्यूएमए की सीमा 60 प्रतिशत बढ़ा दी। इससे +राज्यों को 19 हजार 335 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि उपलब्ध +हो सकी। शुरुआत में अभिवृद्धित सीमा 30 सितंबर 2020 तक वैध +थी जिसे बाद में 31 मार्च 2001 तक कर दिया गया। आरबीआई ने +राज्यों के लिए. ओवरड्ाफ्ट की अवधि भी बढ़ा कर एक तिमाही में +14 से 21 लगातार कार्य दिवस और 36 से 50 कार्य दिवस कर दी। +डब्ल्यूएमए की सीमा बढ़ने से राज्यों को कम ब्याज दर पर +आरबीआई से तत्काल अल्पकालिक उधार लेने की सुविधा मिल गई। +इससे उन्हें कोविड-19 पर नियंत्रण और उसका असर कम करने के +उपाय अपनाने के लिए बहुत राहत मिली। इस नीतिगत पहल से राज्य + + + +28 + +राजस्व प्राप्ति में भारी गिरावट के +कारण राज्यों के वित्तीय साधनों +पर दबाव कम करने, पूंजीगत +व्यय में भारी कटौती से बचने +और राजकोषीय प्रवाह में संकुचन +को रोकने के लिए भारत सरकार +ने 17 मई 2020 को वित्त वर्ष +2020-21 के लिए राज्यों की +ऋण सीमा को उनके सकल राज्य +घरेलू उत्पाद के अनुपात में 2 +प्रतिशत और बढ़ा दिया। इससे +राज्यों को 4.28 लाख करोड़ +रुपये की अतिरिक्त उधार लेने की +सुविधा मिल गई। + +बाजार से पैसा उधार लेने में अंतराल रखने +में समर्थ हुए। +कोविड-19 की अधिसूचित आपदा घोषित +और राज्य आपदा राहत कोष नियमों में +ढील + +राज्य आपदा राहत कोष-एसडीआरएफ +की स्थापना आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 +की धारा 48(1) के तहत की गई है। इससे +राज्य सरकारों को अधिसूचित आपदाओं +से निपटने के लिए मूल राशि उपलब्ध हो +जाती है। केंद्र सरकार सामान्य श्रेणी के +लिए एसडीआरएफ आवंटन का 75 प्रतिशत +और पूर्वोत्तर तथा पर्वतीय राज्यों के लिए 90 +प्रतिशत योगदान करती है। + +कोविड के बढ़ते मामलों को देखते हुए +भारत सरकार ने कोविड-19 को अधिसूचित +आपदा मानने का निर्णय लिया। राज्य +सरकारों को एसडीआरएफ की राशि, संगरोध +(क्वारन्टाइन) संबंधी उपायों, आवश्यक +उपकरणों की खरीद, संक्रमित और संगरोध (क्वारन्टाइन) शिविरों में +रह रहे लोगों के लिए अस्थाई आवास, भोजन, कपड़े और चिकित्सा +सुविधा और बस्ती नियंत्रण गतिविधियों पर खर्च करने की अनुमति दी +गई। शुरुआत में वर्ष के लिए एसडीआरएफ आवंटन की 25 प्रतिशत +राशि इस मद में खर्च करने की अनुमति दी गई जिसे बाद में बढ़ाकर +50 प्रतिशत कर दिया गया। + +इसके अलावा यह भी निर्णय लिया गया कि सभी राज्यों को +वर्ष 2020-21 के लिए एसडीआरएफ में केंद्रीय अंशदान की पहली +किस्त अग्रिम दे दी जाएगी। एसडीआरएफ के तहत राज्यों को +2020-21 में 11 हजार 92 करोड़ रुपये की राशि दी गई। +पूंजीगत व्यय के लिए राज्यों को वित्तीय सहायता + +- कोविड-19 के कारण आय और + +व्यय पर असर को देखते हुए राज्यों ने +पूंजीगत व्यय पर रोक लगा दी। पूंजीगत +व्यय का गुणात्मक प्रभाव बहुत अधिक +होता है, यह भविष्य में अर्थव्यवस्था +की उत्पादक क्षमता में इजाफा करता है +और परिणामस्वरूप आर्थिक वृद्धि दर +बढ़ती है। + +अतः केंद्र सरकार की प्रतिकूल +वित्तीय स्थिति के बावजूद वित्त मंत्री ने +अक्टूबर 2020 में राज्यों के पूंजीगत व्यय +के लिए 12 हजार करोड़ रुपये की वित्तीय +सहायता योजना की घोषणा की। आवंटन +के एक हिस्से को उन राज्यों के लिए +अलग रखा गया जो वित्त मंत्रालय द्वारा चुने +गए चार जन केंद्रित क्षेत्रों में से कम से +कम 3 में सुधार उपाय अपना लेंगे। + +योजना, मई 2021 + + + +0029.txt +<----------------------------------------------------------------------> +सारणी-1 राज्यों की दिए गए अतिरिक्त संसाधन + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +(करोड रुपये में) + +अतिरिक्त ऋण ( जीएसडीपी के | अतिरिक्त | जीएसटी के | एसडीआरएफ से | पूंजीगत + +2 प्रतिशत तक ) अर्थोपाय | कारण राजस्व | कोविड-19 संबंधी | व्यजय +wa संयुक्त सुधार उपाय से. | अग्रिम में कमी की | गतिविधियों के | के लिए | + +(1 प्रतिशत ) | जुड़ा (1 प्रतिशत) क्षेतिपूर्ति लिए राशि योजना +आंध्र प्रदेश 10,102 9,090 [906 | 2,311 560 688 23,657 +अरुणाचल प्रदेश 286 113 117 fo 125 233 874 +असम 3,738 1,680 564 994 386 450 7,812 +बिहार 6,462 1,292 852 3,905 708 843 14,062 +छत्तीससगढ़ 3,584 1,790 396 3,109 216 286 9,381 +गोवा 892 846 102 840 [७६ | [१8 | 2,784 +गुजरात 17,408 8,704 1,149 | 9,222 662 285 37,430 +हरियाणा 8,586 4,292 549 4,352 246 91 18,116 +हिमाचल प्रदेश 1,754 1,138 330 1,717 205 533 5,677 +झारखंड 3,530 |"... | 432 1,689 284 277 6,212 +कर्नाटक 18,036 9,919 1,191 | 12,407 396 305 42,254 +केरल 9,044 9,043 729 5,766 157 82 24,821 +मध्य प्रदेश 9,492 8,542 [960 | 4,542 910 1,320 | 25,766 +महाराष्ट्र 30,788 Oo 2,031 | 11,977 1,611 514 46,921 +मणिपुर 302 195 117 Oo 21 317 952 +मेघालय 388 154 105 112 33 200 992 +मिजोरम 264 Oo [१6 | fo 24 200 584 +नगालैंड 314 |"... | 123 Oo 21 200 658 +ओडिशा 5,716 4,000 591 3,822 802 472 15,403 +पंजाब 6,066 4,851 555 8,359 287 296 20,414 +राजस्थान 10,924 10,377 978 4,604 741 1002 | 28,626 +सिक्किम 312 61 जाम Oo 25 200 598 +तमिलनाडु 19,254 9,626 1,485 | 6,241 510 |" | 37,116 +तेलंगाना 10,034 7,524 648 2,380 225 358 21,169 +त्रिपुरा 594 533 153 226 34 300 1,840 +उत्तर प्रदेश 19,406 9,702 2,130 | 6,007 967 976 39,188 +उत्तराखंड 2,810 2,807 303 2,316 469 675 9,380 +पश्चिम बंगाल 13,574 |"... | 1,137. 4,431 506 630 20,278 +कुल 213,660 | 106,279 18,729 | 101,329 11,137 11,831 | 4,62,965 + + + + + + + +व्यय विभाग की योजना के तहत 27 राज्यों के 11 हजार 912 जीएसटी भरपाई निधि में कमी को पूरा करने के लिए विशेष +करोड रुपये के पूंजीगत व्यय प्रस्तावों को स्वीकृत किया गया। राज्यों उधार व्यवस्था +को 11 हजार 830 करोड़ रुपये की राशि दी गई। 11 राज्य योजना + +के भाग-3 के तहत अधिक आवंटन पाने के लिए भी पात्र हुए। + +योजना, मई 2021 + +जीएसटी में स्थानीय करों को शामिल करने और उसके कारण + +राजस्व घाटे में आशंका को देखते हुए जीएसटी (राज्यों को क्षतिपूर्ति) + +29 + + + +0030.txt +<----------------------------------------------------------------------> +अधिनियम, 2017 लागू किया गया। यह सहमति बनी कि जीएसटी पर +अमल के कारण राजस्व में जो भी कमी रहेगी उसकी भरपाई शुरू +के पांच वर्ष तक जीएसटी क्षतिपूर्ति निधि से की जाएगी। इस निधि +के लिए धनराशि कुछ चुनी हुई वस्तुओं पर उपकर लगाकर अर्जित +करने का प्रावधान किया गया। + +आर्थिक मंदी के कारण 2020-21 में जीएसटी क्षतिपूर्ति निधि +में 110 लाख करोड़ रुपये की कमी का अनुमान लगाया गया। राज्यों +के अनुरोध पर केंद्र सरकार ने अनुमानित कमी की भरपाई हेतु राज्यों +की ओर से उधार लेने के लिए विशेष व्यवस्था करने का निर्णय +लिया और उन्हें एक के बाद एक ऋण के रूप में यह राशि दे दी +जिसे भविष्य में क्षतिपूर्ति निश्चि में प्राप्त होने वाली राशि से चुकाने +का प्रावधान किया। +करों में राज्यों की हिस्सेदारी बरकरार रखना + +भारत के संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत स्थापित वित्त +आयोग सिफारिश करता है कि कर या शुल्क से प्राप्त कुल राशि में +से राज्यों को कितना प्रतिशत हिस्सा दिया जाए और कर या शुल्क +से प्राप्त राशि कैसे वितरित की जाए। 14वें वित्त आयोग ने पहली +बार केद्रीय विभाज्य पूल से राज्यों की हिस्सेदारी में बड़ी भारी वृद्धि +की सिफारिश की और उसे 32 प्रतिशत से बढ़ाकर 42 प्रतिशत +कर दिया। जम्मू-कश्मीर राज्य को जम्मू-कश्मीर तथा लद्बाख केद्र +शासित प्रदेशों के रूप में पुनर्गठित किए जाने के मद्देनजर 15वें + +की सिफारिश की। + +2020-21 की पहली तिमाही के दौरान केंद्र सरकार की सकल +कर राजस्व प्राप्ति में भारी कमी देखी गई। कमी के बावजूद केढद्र +सरकार ने इस अवधि के दौरान राज्यों के लिए करों में हिस्सेदारी +वर्ष 2020-21 के बजट अनुमानों के अनुसार ही रखी। इतना ही +नहीं, वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में राजस्व में उछाल आया तो केंद्र +सरकार ने राजकोषीय संघवाद की सच्ची भावना के अनुरूप राज्यों +को 45 हजार करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि प्रदान की। + +इस प्रकार वित्त वर्ष 2020-21 में महामारी के कारण लड्खड़ाते +संसाधनों के बावजूद केंद्र सरकार ने राज्यों को महामारी से लड़ने और +आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने हेतु आर्थिक रूप से सशक्त +किया। वित्त मंत्रालय की ओर से 2020-21 में राज्यों को दिए गए +अतिरिक्त संसाधनों का ब्यौरा सारणी-1 में दिया गया है। + +प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में कोविड-19 से भारत के +संघर्ष को विश्व भर काफी सराहना मिली है। अपने देश के लोगों +की जरूरतों का ध्यान रखने के अलावा 150 से अधिक देशों को भी +जुरूरी दवाएं, टीके, जांच किट, वेंटीलेटर और निजी सुरक्षा उपकरण +उपलब्ध कराए गए हैं। + +केद्र सरकार और राज्य सरकारों के उल्लेखनीय समन्वित प्रयासों +के साथ विषाणु से संघर्ष में हम सफल हो रहे हैं। इस सामूहिक संघर्ष +में देश ने सहकारी संघवाद और विकेद्रीकृत प्रशासन की नई ताकत + +वित्त आयोग ने कर राजस्व में उनकी हिस्सेदारी 41 प्रतिशत करने प्रदर्शित की है। | + +पत्रिकाओं की सदस्यता के संबंध में नोटिस + +कोविड-19 महामारी से उत्पन्न स्थितियों के कारण साधारण डाक से भेजी गई हमारी पत्रिकाओं की डिलिवरी न +हो पाने से संबंधित शिकायतें प्राप्त हो रही हैं। हमारे माननीय उपभोक्ताओं को योजना, क्रुक्षेत्र, बाल भारती और +आजकल पत्रिका की समय पर डिलिवरी सुनिश्चित करने के लिए यह निर्णय लिया गया है कि नए उपभोक्ताओं +को साधारण डाक से पत्रिकाओं का प्रेषण तत्काल प्रभाव से रोक दिया जाए। यह केवल नए उपभोक्ताओं के लिए +लागू होगा तथा मौजूदा उपभोक्ताओं को उनकी सदस्यता दरों के अनुसार पत्रिकाएं भेजी जाती रहेंगी। + +हमारी पत्रिकाओं के लिए नई सदस्यता दरें जिनमें रजिस्टर्ड डाक से पत्रिका भेजने का शुल्क भी शामिल है, +निम्नलिखित हैं- + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +योजना, कुरुक्षेत्र तथा आजकल +सदस्यता प्लान बाल भारती +(सभी भाषाएं ) +1 वर्ष रू. 434 रू, 364 +2 वर्ष रू. 838 रू, 708 +3 वर्ष रू. 1222 रू. 1032 + + + +वर्तमान परिस्थितियों में यह एक अस्थायी व्यवस्था है क्योंकि डाक विभाग साधारण डाक के वितरण में कठिनाइयों +का सामना कर रहा है। अतः जैसे ही देश में सामान्य स्थितियां बहाल हो जाएंगी पत्रिकाओं को पुनः साधारण डाक +से भेजना आरंभ कर दिया जाएगा। + + + + + + + +30 योजना, मई 2021 + + + +0031.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +YUSH KHARE + +UPSC 2018 +AIR 267 (RAILWAY SERVICES) + + + + + + + + + + + + + + += ONLINE & OFFLINE +Classes + +‘> Both ENGLISH & HINDI +Medium + +‘> More than 700 + +selections in UPSC +& STATE SERVICES + + + + + + + + +री + + + + + +a + +) + +UPSC + + + + + +W BATCHES // Online/Offiine + +(OFFLINE BATCH) (OFFLINE BATCH) +Foundation Batch - 10 May 2021 Integrated Batch - 10 May 2021 + +~ (ONLINE/LIVE ALL INDIA BATCH) (ONLINE BATCH) +Ne Foundation Batch - 10 May 2021 Integrated Batch - 10 May 2021 + + + +CGPSC + + + + + + + + + +योजना, मई 2021 + +Study Material & Current Affairs are same everywhere, +What makes us different is + +CATH PATH IAS ACADEMY + +{ (Since 2011) } + + + +RAIPUR : +Near C.M. House, Civil Lines, +Raipur (C.G.) 8224 922 922 + +HEAD OFFICE DELHI : +4/42, Radio Colony, Ramial Kapoor Marg, +Mukherjee Nagar, Delhi-09, 7828 11 22 22 + +BILASPUR : +Nalanda Library, Dayalband, +Bilaspur (C.G.) 9111 922 922 + +Fran P (9 +cay www.pathiasacademy.com (*) 8224 922 922 + + + + + + + + + +eg pathiasacademy@gmail.com + + + +31 + +YH-1573/2021 + + + +0032.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +@°VISIONIAS + + + + + + + + + +INSPIRING INNOVATION www.visionias.in +37 'N TOP 10 SELECTIONS IN CSE 2019 7_ Ohartiett Congratulations +from various programs of VISION IAS to all successful candidates +JATIN PRATIBHA VISHAKHA GANESH ABHISHEK RAVI YOU CAN +KISHORE VERMA YADAV KUMAR BASKAR' SARAF JAIN BE NEXT + + + +लाइव/ऑनलाइन व ऑफलाइन कक्षाएं + + + + + + + +.. ०. कोईक्लासनछटे “SSO ey ३ फाउंडेशन +& oe ree फाउंडेशन कोर्स + + + + + + + + + + +77 +डेली असाइनमें ++ डेली असाइनमेंट और अध्ययन - 1, AIA ST 2022 +रिवीजन करें a as ४9 a 4 प्रारंभिक एव +Ey Zs Fer Wer +PT 365 “a | ०5८ के सामान्य अध्ययन + +पाठ्यक्रम का व्यापक कवरेज + +cok 23 ard | 1:30 PM = +जयपुर: [बश + +व्यक्तित्व परीक्षण कार्यक्रम , अभ्यास ही सफलता +पान सिविल सेवा परीक्षा 2020 की चाबी है +A} # पूर्व-प्रशासनिक अधिकारियों / शिक्षाविदों के VisionlAS प्रारंभिक / मुख्य टेस्ट +साथ मॉक इंटरव्यू सेशन + +सीरीज हर 3 में से 2 सफल +6) अभ्यास 2021 + +4 उम्मीदवारों द्वारा चुना गया +_ 8 सामान्य अध्ययन ७& निबंध ७दर्शनशास्त्र +ऑल इंडिया 6$ प्रीलिम्स मॉक टेस्ट +सीरीज (ऑनलाइन/ऑफलाइन”) + +पट Eg +oe aS 2 ata 9, 23 4g ——, +fH 3 पंजीकृत x * Cc + +सरकारी नियमों और छात्रों की सुरक्षा के Re | + +DELHI ¢ 1st Floor, Apsara Arcade, Near Metro Gate 6,1/8 B, Pusa Road, Karol Bagh +e Contact : 8468022022, 9019066066 + +JAIPUR | PUNE | HYDERABAD | LUCKNOW | AHMEDABAD | CHANDIGARH | GUWAHATI +9001949244 " 8007500096 " 9000104133 8468022022 9909447040 8468022022 8468022022 + +संपूर्ण वर्ष के करेंट अफेयर्स को +सिर्फ 60 घंटों में कवर करती +कक्षाओं से ऑनलाइन जुडे + + + +/ प्रस्भ्णाए्क्रः + +१ प्रारंभ: + + + + + + + + + + + + + + + +सभी द्वारा पढ़ी गई एवं +सभी द्वारा अनुशंसित + + + +di VisionIAS Fhe atc +2 अफेयर्स पत्रिका + + + + + + + +32 योजना, मई 2021 + +YH-1582/2021 + + + +0033.txt +<----------------------------------------------------------------------> +कौशल विकास का बेहतर ढांचा + +जूथिका पाटणकर +डॉ मनीष मिश्र + +भारत में कौशल विकास अब भी काफी हद तक केंद्र सरकार से संरक्षित है। हालांकि, राज्य सरकारें भी +अब तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा व प्रशिक्षण के लिए बजटीय आवंटन बढ़ा रही हैं। कौशल विकास +की ज्यादातर योजनाओं में नियोजन और निगरानी का काम केंद्र सरकार करती है और राज्य सरकारों और +जिलों की कोई भूमिका नहीं होती। अगर हम आजीविका तथा बेहतर आर्थिक अवसर मुहैया कराने में लोगों +की सहभागिता सुनिश्चित कर उन्हें सशक्त बनाना चाहते हैं, तो इस स्थिति को बदलना होगा। + +छले एक दशक के दौरान +Li विभिन्न राज्यों में 700 से भी +ज्यादा जिला कौशल समितियां + +(डीएससी) स्थापित की गई हैं। हालांकि, +कौशल प्रशिक्षण योजनाओं के नियोजन, +उन्हें लागू करने और उनकी निगरानी में +अब तक इन समितियों की असरदार भूमिका +देखने को नहीं मिली है। इसमें थोड़ा वक्‍त +लग सकता है। अगर हमें इस सिलसिले में +विकेद्रीकरण का लक्ष्य हासिल करना हे, +तो जिला कौशल समितियों की क्षमता का +निर्माण जरूरी है। साथ ही, इन समितियों को +जिला स्तर पर कौशल विकास के प्रबंधन +का दायित्व संभालना होगा, ताकि संसाधनों +का अधिकतम और बेहतर उपयोग व स्थानीय +आकांक्षाओं की पूर्ति हो सके। इसके अलावा, +समाज के तमाम वंचित समुदायों को भी इस +प्रक्रिया का हिस्सा बनाना होगा। + +जिला कौशल समितियों की क्षमता +निर्माण जरूरतों को समझने के लिए सबसे +पहले हमें विकेंद्रित कौशल प्रबंधन प्रणाली +के कामकाज के बारे में जानना होगा। इसके +तहत, जिला स्तर पर मांग और आपूर्ति, +सामाजिक-आर्थिक स्थिति और कौशल से +जुड़ी आधारभूत संरचना को ध्यान में रखते +हुए कौशल प्रशिक्षण के लिए नियोजन की +बात है। विभिन्न गतिविधियों मसलन प्रशिक्षुओं + +की पहचान, उन्हें सलाह देने आदि के लिए +जिला कौशल समितियों को संसाधन भी +उपलब्ध कराना चाहिए। इसके अलावा, +योजनाओं की निगरानी और मूल्यांकन भी +जरूरी है, ताकि अपेक्षित नतीजों को हासिल +किया जा सके। + +जिला कौशल समिति में किसी जिले +के विकास से जुड़े तमाम अहम अधिकारी +शामिल होते हैं। इन अधिकारियों को अपने +विभागीय कार्यक्रमों, आर्थिक स्थिति व +जिले की संभावना, श्रम बल की प्रकृति +और प्रशासनिक प्रणालियों की बेहतर समझ + +होती है। ऐसे में हर तरह के कारोबार और +समुदाय के लिए कौशल प्रशिक्षण की बेहतर +सुविधा मुहैया कराई जा सकती है, जिससे +लोगों में रोजुगार हासिल करने की क्षमता +पैदा हो सकेगी। इस समिति के प्रमुख डीएम +होते हैं और यह जिले में उचित नियोजन +के जरिए बड़े पैमाने पर कौशल विकास +को आगे बढ़ाने के लिए उपयुक्त इकाई है। +जिला कौशल समिति को अधिकारों से लैस +कर इसे सशक्त बनाने के लिए हमें इसकी +क्षमता को बेहतर बनाना होगा। इन समितियों +के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम के तहत + + + + + + + +=o + + + + + + + +BRM WTR ARG Wa & BRIA fare dares A arn afaa 21 $c: juthikapatankar64@gmail.com +डॉ मनीष मिश्र इसी मंत्रालय के स्किल एक्विजिशन vs dest aac wi facies WAR (anc) & cis Hacds Z Ge: mancesh.mishra06@gmail.com + +योजना, मई 2021 + +33 + + + +0034.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + + + +1) ज्ञान के सृजन और प्रबंधन, 2) सामग्री +को स्थानीय जरूरतों के हिसाब से तैयार करने +और 3) प्रशिक्षण के जरिये ज्ञान के प्रसार, +4) बेहतर तौर-तरीकों के लिए अवसर मुहैया +कराने, 5) मूल्यांकन के साथ कार्रवाई योग्य +सुझावों पर फोकस करना होगा। + +छोटी अवधि के कौशल प्रशिक्षण +वाले राज्य कौशल मिशन या “संकल्प' की +सक्रियता पर्याप्त नहीं है, लिहाजा जिला +कौशल नियोजन पर ध्यान देना जरूरी है। +इसका मतलब यह है कि जिला कौशल +समिति में मौजूद लोगों का राज्य/जिलों में +पूरी तरह से इस्तेमाल नहीं किया जा सकता +है। जिला कौशल समितियों और संकल्प +के बीच विभिन्न संवादों के परिणामस्वरूप +कौशल प्रशिक्षण गतिविधियों के नियोजन +और निगरानी के मानक स्वरूप की जरूरत +है। इससे जिला कौशल समितियों को ठोस +और प्रामाणिक योजनाएं तैयार करने में मदद +मिलेगी और यह भी सुनिश्चित किया जा +सकेगा कि अलग-अलग जिलों में उन्हीं जिलों +की आवश्यकताओं के मद्देनजर बनीं योजनाएं +प्रभावी तरीके से काम कर सके। इसे ध्यान में +रखते हुए संकल्प ने डीएससी टूलकिट तैयार +किया है, जिसमें कौशल संबंधी गतिविश्वियों +के नियोजन और निगरानी के लिए ढांचा और +कौशल प्रशिक्षण के प्रबंधन के लिए उपयोगी +जानकारी से लैस लाइब्रेरी मौजूद है। कौशल +विकास ओर उद्यमशीलता मंत्रालय के मुख्य +कार्यक्रम प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना +में जिला कौशल समितियों की अहम भूमिका +है। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना को +असरदार ढंग से लागू करने में उप-समितियों + +उ4 + + + +और टूल किट की भी भूमिका है। + +इन कदमों के अलावा, हमें जिला +कौशल समिति समितियों से जुडे ज्ञान सृजन +और प्रसार की प्रक्रिया को संस्थागत स्वरूप +देना होगा। साथ ही, इन समितियों के सदस्यों +को अधिकारों और सुविधाओं से लैस करना +होगा, ताकि वे कौशल प्रबंधन के मामले में +अपने अनुभव और ज्ञान का इस्तेमाल कर +सके। हालांकि, प्रशिक्षण की सफलता राज्य +सरकार के विभागों के साथ तालमेल और +उनके सहयोग पर निर्भर करेगी। इसके तहत, +राज्य सरकारों को अपने जिला अधिकारियों +के लिए कोर्स की अनुमति देनी होगी और +बेहतर तरीके से काम को अंजाम देने के लिए +उन्हें प्रोत्साहित भी करना होगा। बहरहाल, +यह काम असंभव नहीं है, लेकिन सभी +आधिकारिक पक्षों के बीच ठीक से संवाद +नहीं होने की वजह से इसमें मुश्किल होगी। + +अगर राज्य और जिले इस तरह के +प्रस्तावित क्षमता निर्माण के मकसद को समझें +और इस दिशा में सक्रियता से काम करें, + +कौशल विकास और उद्यमशीलता +मंत्रालय के मुख्य कार्यक्रम +प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना +में जिला कौशल समितियों की +अहम भूमिका है। प्रधानमंत्री +कौशल विकास योजना को +असरदार ढंग से लागू करने में +उप-समितियों और दूल किट की +भी भूमिका है। + +तो समाधान मिल सकता है। जिला कौशल +समितियों के सदस्यों को प्रशिक्षण के लिए +तैनात कर ऐसा किया जा सकता है। राज्य, +प्रशिक्षित अधिकारियों के लिए भी कई तरह +के प्रोत्साहन पर विचार कर सकते हैं, मसलन +अधिकारियों की पसंद के मुताबिक उनकी +अगली तैनाती, उनकी पसंद के आधार पर +प्रतिनियुक्ति, देश के बेहतर संस्थानों में उनके +लिए कम से कम एक प्रशिक्षण कोर्स उपलब्ध +कराना आदि। जिला कौशल समितियों के +सदस्यों के लिए कौशल प्रबंधन और नेतृत्व +प्रशिक्षण का ढांचा तैयार करने तथा इसे +उपलब्ध कराने के लिए राज्य प्रशासनिक +प्रशिक्षण संस्थानों (एटीआई) से संपर्क किया +गया। इस संबंध में राज्य प्रशासनिक प्रशिक्षण +संस्थानों को जोड़ने के कई फायदे थे: जिला +अधिकारियों को छोटी अवधि के कोर्स के +लिए तैनात किया गया, क्योंकि इसका प्रचलन +ज्यादा है; भाषा से जुड़ी समस्या का भी +समाधान किया गया क्‍योंकि एटीआई राज्य +सरकार के अधिकारियों से उन्हीं की भाषा में +संवाद कर रहा था; संस्थानों को मजबूत करने +का संकल्प का मकसद इसलिए पूरा हो सका +क्योंकि संकल्प के वित्तीय संसाधनों का सही +ढंग से इस्तेमाल करके एटीआई को सहारा +दिया गया। एटीआई के सरकारी संस्थान होने +की वजह से जरूरी सामग्री उपलब्ध कराने में +कोई दिक्कत नहीं हुई। एटीआई का इस्तेमाल +सभी संबंधित पक्षों के लिए बेहतर विकल्प +साबित हुआ। + +एटीआई बेशक एक प्रशंसनीय और +आकर्षक विकल्प था, लेकिन इससे इस +समस्या का पूर्ण समाधान नहीं हो पाया कि +क्षमता निर्माण की प्रक्रिया में पूरी तरह से +जिला स्तर पर और आंशिक रूप से राज्य स्तर +पर अधिकारियों की सक्रियता का लक्ष्य किस +तरह हासिल किया जाए। हमें अलग-अलग +राज्यों और हर जिले में इस अभियान से जुड़ी +कमजोरियों की पहचान करने की जरूरत +है। साथ ही, इन कौशल विकास समितियों +को सशक्त और सक्रिय बनाने के लिए +उपाय करने होंगे। क्षमता निर्माण को सीधे +तौर पर कौशल विकास मंत्रालय से राज्यों +और जिला कौशल समितियों को स्थानांतरित +करना संभव नहीं है। इसे विकेद्रीकरण की +प्रक्रिया के तहत समन्वित तरीके से विकसित +करना होगा, ताकि सभी जिलों की जरूरतों + +योजना, मई 2021 + + + +0035.txt +<----------------------------------------------------------------------> +के आधार पर पाठ्यक्रम, प्रशिक्षण, माध्यम, +प्रक्रिया, व्यावहारिक शिक्षा का बेहतर ढांचा +तैयार किया जा सके। इसके साथ ही, +विशेषज्ञ संस्थानों और प्रशिक्षकों की भी मदद +ली जानी चाहिए, ताकि आइडिया के स्तर पर +सही मायने में सशक्तीकरण और प्रचार-प्रसार +हो सके। इसमें निजी और सार्वजनिक दोनों +तरह की इकाइयां भूमिका अदा कर सकती +हैं। देश में कई ऐसे संस्थान हैं, जिनके पास +क्षमता निर्माण में विशेषज्ञता है और वे इस +संबंध में योगदान कर सकते हैं। उदाहरण +के लिए, सार्वजनिक नीति से जुडे शोध +के क्षेत्र में काम करने वाले संस्थान (खास +तौर पर स्थानीय स्तर पर नियोजना से जुड़े +मामलों में) अपनी भूमिका निभा सकते हें +और कौशल विकास के क्षेत्र में विशेषज्ञता +पैदा कर सकते हैं। इस ज्ञान और विशेषज्ञता +का प्रसार एटीआई जैसे संस्थानों द्वारा किया +जा सकता है। इस तरह, कौशल विकास +समितियां आने वाले समय में कौशल और +कौशल प्रबंधन से जुड़ा भरोसेमंद डेटा तैयार +करने के लिए खुद से क्षमता विकसित कर +सकती हैं और कौशल प्रशिक्षण, क्षेत्र कौशल +परिषद और नियोक्‍ता इस डेटा का इस्तेमाल +कर सकते हैं। इस डेटा के आधार पर तैयार +प्रशिक्षण रणनीतियों से गड्बडियों को दूर +करने में मदद मिलेगी और कौशल प्रशिक्षण +के नतीजे बेहतर Bt AHA + +अब तक हमने क्षमता निर्माण की +जरूरत के बारे में बात की है। अब क्षमता + +राज्य, प्रशिक्षित अधिकारियों +के लिए भी कई तरह के +प्रोत्साहन पर विचार कर सकते +हैं, मसलन अधिकारियों की +पसंद के मुताबिक उनकी अगली +तैनाती, उनकी पसंद के आधार +पर प्रतिनियुक्ति, देश के बेहतर +संस्थानों में उनके लिए कम +से कम एक प्रशिक्षण कोर्स +उपलब्ध कराना आदि। जिला +कौशल समितियों के सदस्यों के +लिए कौशल प्रबंधन और नेतृत्व +प्रशिक्षण का ढांचा तैयार करने +तथा इसे उपलब्ध कराने के +लिए राज्य प्रशासनिक प्रशिक्षण +संस्थानों ( एटीआई ) से संपर्क +किया गया। + +निर्माण से जुड़ी सामग्री पर भी संक्षिप्त चर्चा +जरूरी है। हम इन उदाहरणों पर विचार करते +हैं जो क्षमता-निर्माण से जुड़ी सामग्री के कुछ +पहलूओं को दर्शाते हैं। सामाजिक-आर्थिक +विकास के लिए कौशल प्रशिक्षण को बढावा +देना एक बड़ा लक्ष्य प्रतीत होता है, लेकिन +कौशल प्रबंधन के विकेद्रीकरण के जरिये +इसे आसानी से हासिल किया जा सकता है। + +भारत में पारंपरिक तौर पर कौशल का मामला +जाति आधारित रहा है। बिना कमाई वाले और +बाजार के हिसाब से कम लोकप्रिय कौशल +आम तौर पर दुर्भाग्यपूर्ण रूप से गरीबों से +जुडे होते हैं और इन्हें कमतर माना जाता +है। इसका सबसे सटीक उदाहरण “सफाई +कर्मचारी' हैं। इस तरह के कार्यों को लेकर +मौजूद धारणाओं को कैसे दुरुस्त किया जा +सकता है? कचरे की सफाई, कूड़ा बीनना +और इसके निस्तारण जैसे कार्यों के लिए +किस तरह बेहतर पारिश्रमिक और अवसर +मुहैया कराए जा सकते हैं? इसका जवाब इन +कार्यों का मशीनीकरण है। हमें खतरनाक और +सामाजिक रूप से हीन समझे जाने वाले कार्यों +के लिए मशीन का इस्तेमाल करने संबंधी +कौशल प्रशिक्षण सुनिश्चित करना होगा। इस +तरह, इन कार्यों को सुरक्षित तरीके से अंजाम +दिया जा सकेगा और लोगों का सम्मान भी +बना रहेगा। मशीनीकरण से काम करने का +तरीका बदल जाएगा। यह काम से जुड़ी शर्तों +और योग्यताओं को बदल देगा और देखरेख +के स्तर पर अलग-अलग तरह की भूमिकाओं +की जरूरत होगी। ऐसे काम का तौर-तरीका +बदलने और करियर के तौर पर इसमें नई +संभावना उभरने से अन्य जातियों के लोग भी +इन कार्यों की तरफ आकर्षित होंगे और इनसे +जुड़े मौजूदा लोगों के कामकाजी माहौल का +स्तर भी बेहतर होगा। साथ ही, इन लोगों के +लिए विविध तथा अन्य जुड़े कार्यों की तरफ +रुख करने का मार्ग भी प्रशस्त होगा। इससे + + + + + +कि + +ese Skill india +zee Skil india + + + +a Skill India +dali dot dr etc a +ooo ae + +संकल्प + +1.32 लाख से ज्यादा: अनुसूचित जाति +4.70 लाख से ज्यादा: अनुसूचित जनजाति +31 लाख से ज्यादा: अन्य पिछड़ा वर्ग + + + + + + + +आजीविका संवर्धन के लिए कौशल अधिग्रहण +और ज्ञान जागरूकता + + + + + + + + + +संस्थानों को मजबूत बनाने, विकेंद्रीकृत नियोजन को +बढ़ावा देने और कौशल विकास कार्यक्रमों को लागू +करने के लिए अनोखी पहल + + + + + +0036.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + += ™ — - ; +a === 9 aon + +eal +HER +ra apa धा।वाा + +wy \ 000: 1 +समाज में मौजूद जाति व्यवस्था जैसी बुराइयों +को भी कम किया जा सकेगा और समतावादी +समाज की राह आसान होगी। हालांकि, इन +लक्ष्यों को हासिल करने के लिए सिर्फ +मशीनों से जुड़ा कौशल प्रशिक्षण पर्याप्त नहीं +होगा। इसके लिए दूर-दराज की भौगोलिक +और प्रशासनिक इकाइयों समेत अलग-अलग +जिलों में कौशल प्रशिक्षण से जुड़े नियोजन +और प्रबंधन पर ध्यान देना होगा। इससे इन +कार्यों में स्थायी तौर पर मशीनीकरण की +भूमिका हकीकत बनेगी और ऐसे कार्यों से +जुडे लोगों को दूसरे क्षेत्रों में अवसर के लिए +भी गुंजाइश बनेगी। + +सफाई के काम का उदाहरण ऐसा है +जो हर जगह मौजूद है। इसके अलावा भी +कुछ ऐसे कार्य हैं जिनका पारिश्रमिक काफी +कम है और इन कार्यों के लिए बेहतर माहौल +बनाने की खातिर नए. तरीके से कौशल +प्रशिक्षण की जरूरत है। जिला स्तर के कौशल +नियोजनकर्ताओं को सामाजिक न्याय और +आर्थिक विकास के लिए कौशल विकास को +बढावा देने के बारे में सीखना चाहिए। + +एक और अहम क्षेत्र में क्षमता निर्माण +की जरूरत है। इसके तहत, योजना बनाने +वालों के पास जिला कौशल योजनाओं के +अगले और पिछले जुड़ाव (लिंकेज) को +समझने की क्षमता होनी चाहिए, ताकि इन +योजनाओं को राज्य और राष्ट्रीय स्तर के +नियोजन और अवसरों से जोड़ा जा सके। +उदाहरण के तौर पर हम पर्यटन की बात करते +हैं- ज्यादातर जिलों में संबंधित अधिकारी इस +निष्कर्ष पर पहुंच जाते हैं कि जिला स्तर + +36 + + + +पर पर्यटन से संबंधित कौशल प्रशिक्षण से +पर्यटकों की आवक और आय में बढोतरी +होगी और इसके परिणामस्वरूप रोजगार भी +बढ़ेगा। हालांकि, यह सच नहीं है। + +अगर सिर्फ जिले के हिसाब से देखा +जाए तो लोगों के लिए पर्यटन और विरासत +का संरक्षण जटिल गतिविधियां हैं और सिर्फ +जिले के नजरिये से ज्यादा आय पैदा करने +वाला भी नहीं है। स्थानीय युवाओं को पर्यटन +में करियर के मौके मुहैया कराने के लिए +जिला नियोजनकर्ताओं के पास राष्ट्रीय और +राज्य स्तर पर पर्यटन के नक्शे, ठिकाने तथा +नीतियों के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए +और इस बडी तस्वीर को ध्यान में रखते हुए +उन्हें यह तय करने की कोशिश करनी चाहिए +कि उनका जिला किस तरह से भूमिका अदा +कर सकता है। अगर कौशल का प्रशिक्षण +सिर्फ संबंधित जिले से जुड़ी संभावनाओं तक +सीमित कर दिया जाए तो स्थानीय स्तर पर + +पर कौशल नियोजन के विकेद्रीकरण से +यह सुनिश्चित होना चाहिए कि जिले में +मौजूद उद्योगों, आर्थिक गतिविधियों, शिक्षा +के स्‍तर आदि के जरिये सभी लोगों की +संभावनाओं और आबकाक्षाओं को ध्यान में +रखा जाए। आम तौर पर इस बात के लिए +कौशल प्रशिक्षण प्रशासन की आलोचना की +जाती है कि इसमें अवसरों और प्रशिक्षुओं +के रुझानों और आकांक्षाओं के बीच संतुलन +बनाने पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जाता हे। +आधुनिक साधन (टूल) से लैस कई ऐसी +पेशेवर एजेंसियां हैं जो व्यवसाय आधारित +विषय के लिए लोगों की दिलचस्पी का +आकलन करती हैं। इन एजेंसियों के साथ +काम करने के लिए मनोवज्ञान और दिमाग +संबंधी विश्लेषण की थोड़ी सी समझ जरूरी +है। हालांकि, इस बारे में विशेषज्ञ होना +जरूरी नहीं है, लेकिन इतनी जानकारी होनी +चाहिए कि प्रशिक्षुओं की दिलचस्पी का पता +लगाने के लिए संबद्ध प्राधिकार एजेंसियों को +संबंधित टूल इस्तेमाल करने को कह सकें +और उपलब्ध कोर्स के विकल्पों पर बेहतर +सलाह दे सकें। उदाहरण के लिए, जिला +कौशल नियोजनकर्ताओं को उन कारणोबारों +के बीच अंतर करना सीखना होगा जिनसे +लोगों को आजीविका मिली है और जिनमें +स्थानीय ही नहीं बल्कि राज्य, राष्ट्रीय और +अंतरराष्ट्रीय स्तरों पर बेहतर संभावनाएं हैं, +लिहाजा इन कारोबारों के कौशल प्रशिक्षण के +लिए विशेषज्ञ की जरूरत होगी। + +जिला कौशल समितियों के सशक्तीकरण +और उनकी भूमिकाओं का दायरा बढ़ने से +वित्तीय संसाधनों की जरूरत होगी। साथ ही, +यह भी सवाल उठेगा कि किस तरह से ये + + + +मौजूद पर्यटन के ठिकानों को कमाऊ पर्यटक +स्थलों में बदला नहीं जा सकता और न +ही गाइड के तौर पर और परिवहन क्षेत्र में +स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध हो सकेगा। +किसी जिले में किस तरह के व्यापार और +पेशे के लिए बेहतर गुंजाइश बन सकेगी, +इसके लिए जिला कौशल समितियों को +कौशल प्रबंधन में प्रशिक्षण की जरूरत होगी। + +जिला कौशल नियोजन में भी जिले +की आबादी की सामाजिक-आर्थिक स्थिति, +स्थानीय समुदायों के कौशल इतिहास और +उनकी बदलती या उभरती आकांक्षाओं के +बारे में व्यापक समझ जरूरी है। जिला स्तर + +संसाधन जुटाए जाएं, मसलन क्या ये संसाधन +सरकारी बजटीय आवंटन से हासिल होने +चाहिए या इसके लिए समितियों को खुद से +आय पैदा करने के लिए नया मॉडल विकसित +करना चाहिए। इसके लिए वित्तीय प्रबंधन के +क्षेत्र में प्रशक्षण की जरूरत होगी। समितियों +का संवाद उद्योग जगत के प्रतिनिधियों +मसलन स्थानीय उद्योग और व्यापार चेंबर, +क्षेत्र कौशल परिषदों, व्यावसायिक सलाहकार +समेत तमाम विशेषज्ञों आदि से होना चाहिए। +व्यक्तिगत स्तर पर विकास, पारस्परिक संवाद +और अन्य विषयों से जुडे कोर्स भी इस दिशा +में कारगर कदम साबित होंगे। हा + +योजना, मई 2021 + + + +0037.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +An + +APs + +अही दिशा में + + + + + + + + + + + + +राजनीति विज्ञान + +व्यावहारिक दृष्टिकोण पर आधारित, आसानी से तैयार किया जाने +वाला, लोकप्रिय एंव अंकदायी विषय + +सामान्य अध्ययन, निबंध एवं साक्षात्कार की तैयारी +में सर्वाधिक सहायक विषय + +डा. जितेन्द्र + +दिल्‍्ली-इलाहाबाद के अग्रणी संस्थानों में 20 से अधिक वशों से अध्यापनरत + +SG ARAN + +# सम्पूर्ण पाठ्यक्रम का समकालीन प्रासंगिक मुद्‌दो व परीक्षा में पूछे गये प्रश्नो की प्रकृति को ध्यान में रखकर +अध्यापन # प्रत्येक कक्षा को पूरे कोर्स के दौरान अनगिनत बार देखने की सुविधा. ४ नियमित लाइव +डाउट क्लासेज व व्यक्तिगत ऑनलाइन परामर्श ५ 0णा०था, #909०1 & #्षाइशवश writing पर विशेष बल + +# पूर्व की परीक्षओं में पूछे गये व भविश्य के संभावित प्रश्नों की चर्चा व लेखन अभ्यास # प्रत्येक टॉपिक +की समाप्ति पर ७७9०४९० Notes # पूरे पाठ्यक्रम के दौरान 9 टेस्ट, मूल्यांकन व फीडबैक + +# मुख्य परीक्षा देने वाले छात्रों के लिए निशुल्क Revision a Practice batch + + + + + +७: |101::1०॥ ० की | A Special Batch for) (MES eS 0 + +G.S Pre + +Polity, 1.1२. | ॥०४॥-।॥॥५३“40/१७ + +Governance ग&७( 11010 +डा. जितेन्द्र श्रीवास्तव व (G.S Paper-ll) + +अनुभवी विशेषज्ञों दरा # 5 नह हिन्दी माध्यम +5766 -425099- २ 4500 ॥र२:--३ ०८ - ४ 23००१ 0६ Fee €+500 २ 499 + +Visit- Xplore IAS ०0076720077 00ण11090 +0८५५,“ ७1, कि ०09315683899 XPLORE IAS APP + +योजना, मई 2021 + + + + + + + + + + + + + + + + + +YH-1585/2021 + + + + + +0038.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +संघवाद की चुनौतियां और आगे का रास्ता + +समीरा सौरभ + +भारत जैसे विशाल और विविधताओं वाले देश को संघवाद के छह स्तंभों-राज्यों की स्वायत्तता, राष्ट्रीय +एकीकरण, केनन्‍्द्रीकरण, विकेन्द्रीकरण, राष्ट्रीयकरण और क्षेत्रीयकरण के बीच उच्चित संतुलन बनाना +आवश्यक है। धुर राजनीतिक केनन्‍्द्रीयकरण या अव्यवस्थित राजनीतिक विकेन्द्रीकरण, दोनों ही भारतीय +संघवाद को कमजोर कर सकते हैं। इनके बीच उचित संतुलन कायम करने से ही केन्द्र सरकार को राज्यों की +स्वायत्तता पर एक सीमा से अधिक दबाव डालने से रोकने के साथ-साथ राज्यों को ऐसी दिशा में भटकने +से भी रोका जा सकता है जिससे राष्ट्रीय एकता के लिए खतरा उत्पन्न हो। इन अतियों पर नियंत्रण करना +एक चुनौती है क्योंकि संघवाद को एक ओर राष्ट्रीय एकता की आवश्यकता को पूरा करना है तो दूसरी +ओर क्षेत्रीय स्वायत्तता का भी ध्यान रखना है। + +रतीय संविधान ने देश में ऐसी +भा राजनीतिक प्रणाली की व्यवस्था +की है जिसका स्वरूप संघीय है। + +यानी सरकार के दो स्तर हैं-राष्ट्रीय स्तर और +राज्य स्तर। इसके साथ ही भारतीय संविधान +में संघीय सरकार को राज्यों की तुलना में +अधिक शक्तिशाली बनाया गया है। इसलिए +भारत में “केन्द्रीकृत संघवाद' की स्थिति +दिखाई देती है। संविधान सभा में चर्चाओं के +दोरान प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने +आगाह किया था, “कमजोर केन्द्रीय सरकार + +देश के हितों के लिए हानिकारक होगी और +ऐसी केन्द्रीय सरकार शांति सुनिश्चित करने, +साझा सरोकार वाले अहम मसलों में तालमेल +कायम करने और अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में समन्वित +रूप से भारत की आवाज को उठाने में सक्षम +नहीं होगी।'' संविधान सभा के अन्य जानेमाने +सदस्यों ने भी भारत में धर्म, भाषा, जाति और +वंश की व्यापक विविधताओं को देखते हुए +अपना अस्तित्व बनाए रखने और राजनीतिक +ferad के लिए अधिक मजबूत संघीय +सरकार की मांग की। + +लेकिन यह निष्कर्ष निकालना गलत होगा +कि भारत का संवैधानिक ढांचा राज्यों की तुलना +में संघ सरकार को अधिक अधिकार संपन्न +बनाने की दिशा में झुका हुआ है। भारतीय +संविधान में कुछ अत्यंत महत्वपूर्ण संघीय +विशेषताएं हैं। आस्ट्रेलिया के संविधान विशेषज्ञ +के.सी. हवीयर ने एक बार भारतीय संविधान +को अर्थ-संघीय करार दिया था: “भारतीय +संघ अनुषंगी एकात्मक विशेषताओं वाले संघीय +राज्य की बजाय अनुषंगी संघीय विशेषताओं +वाला एकात्मक राज्य है।'” अर्ध-संघवाद में + + + + + +लेखिका भारत सरकार में निदेशक हैं। वह विदेश मंत्रालय और इंटरनेशनल लेबर स्टैंडर्ड्स में नीतियों के निर्माण और क्रियान्वयन में शामिल रही हैं। + +ईमेल; sameera.saurabh@gmail.com + +38 + +योजना, मई 2021 + + + +0039.txt +<----------------------------------------------------------------------> +विकेन्द्रीकीषण की अवसर-लागत जैसे अपने + + + +a + +मसले हो सकते हैं, जो बड़े पैमाने पर उत्पादन +से होने वाली किफायत का फायदा न उठाने, +विभिन क्षेत्राधिकारों के बीच पारस्परिक असर +और सरकार के एक स्तर से दूसरे स्तर पर +लागत स्थानांतरण के रूप में मूर्त रूप में सामने +आते हैं। +कोविड 19 के दौरान संघीय शासन +संचालन + +कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए +भारत में की गई कार्रवाई से देश के संघीय +ढांचे का संतुलल बदल कर रह गया है। +महामारी ने परम्परागत रूप से राज्यों के दायरे +में समझे जाने वाले क्षेत्रों में केन्द्र सरकार को +दूरगामी सुधार लागू करने का अधिकार दे +दिया है। केन्द्र सरकार की यह कार्रवाई इस +बात का संकेत देती है कि सरकार संघीय +शक्ति का फायदा उठाकर महत्वपूर्ण सुधारों +को लागू करना चाहती है। + +भारत के संविधान में केन्द्र और राज्यों +के बीच अधिकारों के आबंटन की विस्तृत +योजना दी गयी है यद्यपि इसमें भी एकात्मक +ढांचे का आधार भी विद्यमान है। संविधान +के अधिदेश से स्थापित वित्त आयोग केन्द्र +और राज्यों के बीच राजस्व के बंटवारे की +सिफारित करता है जिसमें केन्द्र परम्परागत +रूप से राजस्व पूल में से ज्यादातर राशि अपने +पास रखता है। लेकिन केन्द्र-राज्य संबंधों का +दायरा समय के साथ-साथ नयी परिस्थितियां +उत्पन्न होने से बदल गया है। उदाहरण के +लिए वस्तु और सेवा कर की शुरुआत के बाद +संबंधों में स्पष्ट बदलाव आए हैं। ये बदलाव +केन्द्र द्वारा राजनीतिक सत्ता के कभी-कभार + +योजना, मई 2021 + +बेढंगे तरीके से इस्तेमाल की वजह से भी होते +हैं। वैसे आम तौर पर बदलाव की आवश्यकता +को लेकर मोटे तौर पर सहमति भी रहती है। + +मौजूदा दौर में संघवाद का सबसे +महत्वपूर्ण क्षण भारत में कोविड-19 संकट के +प्रबंधन के लिए जमीनी स्तर पर राज्य सरकारों +की महत्वपूर्ण भूमिका का उजागर होना है। +प्रारंभिक चुनौतियों के बाद संघ सरकार ने +राज्यों को महामारी के प्रकोप से निपटने +और सामाजिक सुरक्षा के उपाय लागू करने, +उनकी स्वास्थ्य सुविओं को सुदृढ़ करने और +स्थानीय स्तर के लॉकडाउन का प्रबंधन करने +के लिए पर्याप्त गुंजाइश छोड़ी और स्वायत्तता +भी दी। चूंकि स्वास्थ्य राज्य का विषय है, +राज्यों ने अधिकतर मामलों में संघ सरकार के +साथ अपने राजनीतिक समीकरणों का ध्यान +रखे बिना अपने क्षेत्राधिकार में स्वास्थ्य सेवा +उपलब्ध कराने वाले मुख्य एजेंट और प्रशासन +करने वाले के रूप में कार्य किया और केन्द्र +की भूमिका समन्वयकारी रही। + +कोविड-19 के प्रारंभिक चरण में सरकार +की कार्रवाई ने भारत के संघीय ढांचे का +एकात्मकता की ओर झुकाव रेखांकित हुआ। +केन्द्र सरकार ने केन्द्रीय आपदा प्रबंधन कानून +के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए +राष्ट्रीय लॉकडाउन लागू किया और केन्द्रीय +गृह मंत्रालय ने महामारी पर नियंत्रण के लिए +राज्यों को विस्तृत दिशानिर्देश जारी किये। +यह कानून केन्द्र सरकार को आवश्यकता +पड़ने पर राज्यों और स्थानीय प्राधिकारियों की +शक्तियों को अपने हाथ में लेने का अधिकार +प्रदान करता है। राज्य सरकारों ने केन्द्र के +आदेशों का पालन किया, हालांकि उनके पास +1897 के महामारी संबंधी और भी विशिष्ट + +संविधान के अधिदेश से स्थापित +वित्त आयोग केन्द्र और राज्यों +के बीच राजस्व के बंटवारे की +'सिफारित करता है जिसमें केन्द्र +परम्परागत रूप से राजस्व पूल +में से ज्यादातर राशि अपने पास +रखता है। लेकिन केन्द्र-राज्य +संबंधों का दायरा समय के +साथ-साथ नयी परिस्थितियां +उत्पन्न होने से बदल गया है। + +कानून के तहत स्वतंत्र शक्तियां थीं। देशव्यापी +लॉकडाउन के शुरुआती दौर में राज्य सरकारों +ने केन्द्र से इसका प्रशासन जारी रखने अनुरोध +किया। ऐसा करके उन्होंने निर्णय लेने की +अपनी काफी बड़ी शक्ति और राजनीतिक +पूंजी का परित्याग कर दिया और इसे केन्द्र +सरकार को सौंप दिया। + +लॉकडाउन के बाद के चरणों में उनकी +स्वायत्तता बहाल होती दिखाई दी, लेकिन भारत +में केन्द्र के मुकाबले राज्यों को कामकाजी +शक्तियां कम हैं। चूंकि राष्ट्रीय लॉकडाउन +में लगभग सभी आर्थिक गतिविधियों को बंद +करना जरूरी था, इसलिए राज्य सरकारों के +राजस्व में जबरदस्त गिरावट आयी। यहां तक +कि लॉकडाउन से पहले ही, भारत के कई +राज्य अपने लिए निर्धारित वित्तीय घाटे की +सीमा को या तो तोड़ चुके थे या तोड़ने के +कगार पर थे। लॉकडाउन ने केन्द्र पर राज्यों +की वित्तीय निर्भता को और भी बढ़ा दिया। + +मई 2020 में भारत की वित्तमंत्री ने +लॉकडाउन के बाद भारत की अर्थव्यवस्था +के फिर से पटरी पर लौटने की प्रक्रिया +को आसान बनाने के उद्देश्य से सिलसिलेवार +अनेक सुधारों की घोषणा की। इन्हीं सुधारों में +से एक था राज्यों की उधार लेने की सीमा में +सशर्त वृद्धि। केन्द्र सरकार ने राज्यों सरकारों +की उधार लेने की सीमा उनके सकल घरेलू +उत्पाद के 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 5 प्रतिशत +कर दी। लेकिन इस सीमा की सिर्फ 0.5 +प्रतिशत राशि बिना शर्त है। इसके बाद एक +प्रतिशत और उधार लेने की अनुमति तभी दी +जाएगी जब ऋण राशि को विशेष सुधारों जैसे +ऋण सातत्य, रोजगार श्रुजन, बिजली क्षेत्र में +सुधार और शहरी विकास से जोड़ा जाएगा। +अंतिम 0.5 प्रतिशत की अनुमति तभी दी +जाएगी जब राज्य इन क्षेत्रों में प्रमुख मील के +पत्थर पार कर लेंगे। + +कृषि क्षेत्र में सुधारों का असर राज्यों की +स्वायत्तता पर पड़ सकता हे, लेकिन ये देश +के विकास और खुशहाली के लिए जरूरी +हैं। भारत में कृषि राज्यों का विषय है और +राज्य, केन्द्र सरकार द्वारा सुझाये गये मामूली +से सुधारों का भी विरोध करना शुरू कर +देते हैं। हाल के कृषि सुधारों से लंबे समय +से चली आ रही कृषि विपणन प्रणाली में +बदलाव आएगा जिसमें कृषि संबंधी व्यापारिक +गतिविधियों को राज्यों की सीमा के भीतर + +39 + + + +0040.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +ही सीमित कर दिया गया था और उसपर +राज्य का एकाधिकार हो गया था। इससे +कृषि के अधिक कार्यकुशल बनाने और कृषि +विपणन प्रणाली के विकास का रास्ता रुक गया +था। केन्द्र सरकार द्वारा पारित अध्यादेश इस +संबंध में राज्यों की शक्तियों का अतिक्रमण +करते थे, लेकिन केन्द्र को किसी एक राज्य +के हितों की चिंता करने की बजाय दीर्घावधि +समग्र दृष्टिकोण अपनाते हुए समूचे देश और +इसके नागरिकों के कल्याण का ध्यान रखना +होता है। + +पंजाब जैसे कुछ राज्यों ने सुधार के कुछ +विशिष्ट क्षेत्रों (कृषि) को लेकर अपना विरोध +दर्ज कराया, मगर ज्यादातर राज्यों ने इन उपायों +का कोई खास विरोध नहीं किया। दोनों उपाय, +यानी राज्यों की उधारी की सीमा बढ़ाना और +कृषि सुधार इस बात की मिसाल हैं कि केंद्र +बेहद जरूरी सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए +राज्यों की शक्तियों का उपयोग कर रहा हे। + +यह बात ध्यान देने की है कि कृषि और +श्रम बाजारों से संबंधित कुछ सुधार, राजनीतिक +वर्चस्व के पुराने दौर में बनी नीतियों को ध्वस्त +कर रहे हैं। इससे संकेत मिलता है कि भारत +में संघीय संबंध, संरचनात्मक बाधाएं न होकर +राजनीतिक शक्तियों पर अधिक निर्भर हैं। + +राजनीति में एक ही पार्टी की प्रमुखता न +होने पर राज्यों की शक्तियां केन्द्र की तुलना में +बढ़ती हैं और एक पार्टी का प्रभुत्व बढ़ने से +राज्यों की ताकत में गिरावट आती है। महामारी +के अन्य प्रभाव चाहे जो भी रह हों, इसने +संघीय संबंधों के नये दौर को और मजबूत +किया है जिससे राज्यों ने केन्द्र की सुधार +संबंधी प्राथमिकताओं को Weds At इस +तरह से स्वीकार किया है जैसा एक समूची +पीढ़ी में नहीं देखा गया था। + +40 + +पूरे देश के लिए कानून का प्रारूप तैयार +करते और उसे पारित कराने में राज्य सरकारों +के साथ परामर्श की प्रकिया केन्द्रीय स्थान +ग्रहण कर लेती है। लेकिन इतनी अधिक +विविधताओं में ऐसा कानून पारित कराने के +लिए साझा मंच खोजना अक्सर बड़ा मुश्किल +होता है जो सभी राज्यों को स्वीकार्य हो। +इसका कारण यह है कि कई बार समस्याएं +और मुद्दे किसी राज्य विशेष से संबंधित होते +हैं और ऐसे में राष्ट्रीय स्तर पर आम राय + +आर्थिक वैश्वीकरण ने राज्यों के +लिए यह संभव कर दिया है कि +वे विदेशी निवेशकों से कानूनी तौर +पर संवाद भले ही न कर सकें, +मगर वास्तविक अर्थ में तो बातचीत +कर ही सकते हैं। विदेशों में निवेश +प्रोत्साहन गतिविधियां इसी तथ्य की +ओर संकेत करती हैं। इस तरह की +पहल से कुछ राज्यों की केन्द्र पर +आर्थिक निर्भरता कम हुई है और +उन्हें अपने आर्थिक विकास में मदद +मिली है। विदेशी निवेशकों को +गुजरात में निवेश में मदद करने के +लिए 2014 में अमेरिका, चीन और +जापान में स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय +डेस्क खोलने का गुजरात सरकार +का फैसला सीधे तौर पर प्रत्यक्ष +विदेशी निवेश आकृष्ट करने का +किसी भी राज्य सरकार का शायद +पहला प्रयास था। + +कायम नहीं हो पाती। + +उदाहरण के लिए भारत अंतरराष्ट्रीय श्रम +संगठन (आइ.एल.ओ.) का सदस्य है और +हमने इसकी कई मूल संधियों, जैसे समान +पारिश्रमिक संधि, बाल श्रम के घृणित रूपों +को खत्म करने, जबरन मजदूरी प्रथा का +अंत करने, श्रमिकों की न्यूनतम आयु संबंधी +संधि के साथ-साथ जहाजरानी मजदूर संधि +जैसी अन्य संधियों का अनुमोदन किया है। +लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाध्यताओं वाली संधियों +का अनुमोदन करने से पहले, हमारी केन्द्रीय +सरकार के लिए सभी राज्य सरकारों के साथ +परामर्श करना और यह सुनिश्चित करना +जरूरी है कि राष्ट्रीय कानून और राज्यों के +अधिनियम अंतरराष्ट्रीय संधि के किसी प्रावधान +के खिलाफ न हों। इसके लिए अक्सर सभी +राज्य सरकारों के साथ जोरदार परामर्श किया +जाता है जिसमें कार्यशालाओं और सम्मेलनों +का आयोजन और सभी संबद्ध पक्षों के साथ +विचार-मंथन सत्र भी आयोजित किये जाते हैं। +जब सभी राज्य सरकारें प्रस्तावित कानून या +इसमें संभावित संशोधन को लेकर सहमत हो +जाती हैं, तभी केन्द्र अनुमोदन के बारे में अपने +प्रस्ताव को आगे बढ़ा सकता है। + +कई उदाहरणों में एक प्रस्तावित समय +सीमा के अंदर सभी राज्यों के साथ समान राय +कायम करना एक चुनौती बन जाता है। जहां +34 राज्यों ने भू-संपदा विनियमन अधिनियम +(रेर) के तहत नियमों की अधिसूचना +जारी कर दी है, पश्चिम बंगाल ने आवासन +उद्योग विनियामक प्राधिकरण (हीरा) नाम से +अपना अलग कानून बनाया है जिसे उच्चतम +न्यायालय में भी चुनौती दी जा चुकी है। + +इस तरह के उदाहरणों में अगर केन्द्र +की सत्तारूढ़ सरकार के साथ राज्य सरकार +के अच्छे संबंध नहीं है तो उसका राजनीतिक +झुकाव नीति निर्माण की प्रक्रिया पर असर +डाल सकता है। नये कानून का प्रारूप तैयार +करते समय या मौजूदा कानून में संशोधन करते +समय केन्द्र सरकार सभी राज्य सरकारों के +साथ परामर्श करती है और आज के जमाने में +तो विधेयकों के प्रारूप वेबसाइट पर ऑनलाइन +शेयर करने की सुविधा है जिससे ज्यादा से +ज्यादा लोग इनके बारे में जानकारी हासिल कर +संबद्ध पक्षों से परामर्श कर सकते हैं। उदाहरण +के लिए केन्द्र आदर्श किरायेदारी अधिनियम +का मसौदा तैयार कर रहा है जिसमें उसने + +योजना, मई 2021 + + + +0041.txt +<----------------------------------------------------------------------> +सभी राज्य सरकारों तथा इससे जुडे पक्षों को +शामिल किया है ताकि वे अपनी राय और +सुझाव दें। + +बाजार अर्थव्यवस्था को अपनाने से एक +नये युग का सूत्रपात हुआ जिसमें राज्यों ने +बाजार के नेतृत्व वाली देश की अर्थव्यवस्था +में नीतिगत रूप से महत्वपूर्ण स्थिति हासिल +कर ली। केन्द्र ने तो यहां तक किया है कि +1990 के दशक से राज्यों को विदेशी बेंकों/ +संस्थाओं से ऋण/प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के +लिए बातचीत शुरू करने को प्रोत्साहन दिया +है। केन्द्र की अनुदान सहायता को अब राज्यों +का खर्च चलाने का एकमात्र स्रोत नहीं माना +जाता। इसका नतीजा यह हुआ हे कि राज्यों +को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकृष्ट करने के +लिए एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा करनी पड़ रही +है। एक अच्छी बात यह हुई है कि अब केन्द्र +को एक बाधा की तरह नहीं देखा जाता बल्कि +मददगार माना जाता है। फिर भी प्रत्यक्ष विदेशी +निवेश के लिए स्वीकृति प्रदान करने का काम +केन्द्रीकृत रूप से उद्योग और आंतरिक व्यापार +प्रोत्साहन विभाग (डी.पी.आई.आई.टी.) के +हाथों में है। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की स्वीकृति +के लिए (डी.पी.आई.आई.टी.) केन्द्र में नोडल +मंत्रालय है। कई मामलों में तो डी.पी.आई. +आई.टी. को एफडीआई लाइसेंस के प्रस्ताव +को अन्य केन्द्रीय मंत्रालयों को भी भेजना पड़ +सकता है। ऐसे प्रस्ताव जिनसे जमीनी सीमा +संबंधी या सुरक्षा संबंधी मुद्दे उत्पन्न होते हैं, +उनमें अन्य नोडल मंत्रालयों की सहमति लेना +जरूरी है। +राज्यों की पैरा डिप्लोमैसी + +राज्यों की पैरा डिप्लोमैसी के उभर कर + +सामने आने के बाद विदेशी आर्थिक नीतियां + + + +योजना, मई 2021 + +अब केद्र के एकाधिकार का विषय नहीं +रह गयी हैं। आर्थिक वेश्वीकरण ने राज्यों के +लिए यह संभव कर दिया है कि वे विदेशी +निवेशकों से कानूनी तौर पर संवाद भले ही न +कर सकें, मगर वास्तविक अर्थ में तो बातचीत +कर ही सकते हैं। विदेशों में निवेश प्रोत्साहन +गतिविधियां इसी तथ्य की ओर संकेत करती +हैं। इस तरह की पहल से कुछ राज्यों की +केन्द्र पर आर्थिक निर्भरता कम हुई है और +उन्हें अपने आर्थिक विकास में मदद मिली +है। विदेशी निवेशकों को गुजरात में निवेश +में मदद करने के लिए 2014 में अमेरिका, +चीन और जापान में स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय डेस्क +खोलने का गुजरात सरकार का फेसला सीके +तौर पर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकृष्ट करने +का किसी भी राज्य सरकार का शायद पहला +प्रयास था। + +लेकिन इस तरह के प्रयास भी संप्रभुता +या देश की सुरक्षा के मुद्दे उठा सकते हैं +क्योंकि भारत चारों ओर से ऐसे पड़ोसियों +से घिरा है जिनमें से ज्यादातर भारत के प्रति +शत्रुतापूर्ण दृष्टिकोण रखते हैं। ऐसे में सुरक्षा +संबंधी आशंकाओं के बावजूद अपनी वैश्वीकृत +अर्थव्यवस्था को और अधिक खोलने की मांग +के साथ तालमेल करने की चुनौती हमारे +सामने है। + +इसलिए केन्द्र की भूमिका अधिक +जिम्मेदारी वाली और जटिल है। किसी विदेशी +संस्था को लाइसेंस देते वक्‍त प्रस्ताव की कई +कोणों से जांच की जाती है और सरकार को +ऐसा करते समय सिर्फ लाइसेंस से बढ़ने वाले +कारोबार या सरकारी खजाने में होने वाले +मुनाफे का ही विचार नहीं होता। हालांकि +जांच की जटिलता की सराहना नहीं की जा + +सकती, लेकिन केन्द्र पर यह आरोप लग +सकता है कि उसने बहुत अधिक समय लिया +और राज्य सरकार की अपेक्षाओं के अनुसार +काम नहीं किया। + +अक्सर राज्य सरकारों को ऐसा लग +सकता है कि केन्द्र उनके अधिकार क्षेत्र में +हस्तक्षेप कर रहा है, जबकि केन्द्र को व्यापक +दृष्टिकोण अपनाना होता है ताकि राज्यों के +रवैये के बावजूद अधिकतर या सभी नागरिकों +को लाभ पहुंचाया जा सके। संविधान के +अनुच्छेद 256 के अनुसार राज्यों के लिए यह +जरूरी है कि वे अपनी कार्यपालक शक्तियों +का उपयोग करते हुए संसद द्वारा बनाए गये +कानून और उस राज्य पर लागू होने वाले +मौजूदा कानूनों पर अमल सुनिश्चित करें। +अगर राज्य सरकार ऐसा करने में असफल +रहती है तो संघ अपनी कार्यपालक शक्तियों +का उपयोग करके राज्य को ऐसे निर्देश दे +सकता है जो भारत सरकार जरूरी समझती है। + +राष्ट्रपति संविधान के अनुच्छेद 356 के +तहत या अनुच्छेद 365 का संज्ञान लेकर ऐसे +राज्यों में राष्ट्रपति शासन लागू कर सकते हैं +जो केन्द्र के निर्देशों के अनुसार किसी कानून +को लागू करने से इनकार करते हैं। यही बात +Wak Tas TA भारत संघ में भी +स्पष्ट रूप से उभर कर सामने आयी जिससे +भारत के संघवाद को निर्णायक स्वरूप प्राप्त +हुआ हे। +निष्कर्ष : आगे का रास्ता + +भारत जैसे विशाल और विविध्वताओं +वाले देश को संघवाद के छह स्तंभों-राज्यों +की स्वायत्तता, राष्ट्रीय एकीकरण, केन्द्रीकरण, +विकेन्द्रीकरण, राष्ट्रीयकरण और क्षेत्रीयकरण +के बीच उचित संतुलन बनाना आवश्यक है। +धुर राजनीतिक केन्द्रीयकरण या अव्यवस्थित +राजनीतिक विकेन्द्रीकरण, दोनों ही भारतीय +संघवाद को कमजोर कर सकते हैं। इनके +बीच उचित संतुलन कायम करने से ही केन्द्र +सरकार को राज्यों की स्वायत्तता पर एक +सीमा से अधिक दबाव डालने से रोकने के +साथ-साथ राज्यों को ऐसी दिशा में भटकने +से भी रोका जा सकता है जिससे राष्ट्रीय +एकता के लिए खतरा उत्पन्न हो। इन अतियों +पर नियंत्रण करना एक चुनौती है क्योंकि +संघवाद को एक ओर राष्ट्रीय एकता की +आवश्यकता को पूरा करना है तो दूसरी ओर +क्षेत्रीय स्वायत्तता का भी ध्यान रखना है। शा + +41 + + + +0042.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +स्वतंत्रता के बाद मानव विकास में प्रगति + +नरेश गुप्ता + +भारत में योजनाबद्ध विकास का एक प्रमुख उद्देश्य गरीबी उन्मूलन रहा है। निम्न जीवन स्तर, अभाव , कुपोषण , +'निरक्षरता और मानव संसाधनों का अल्प विकास गरीबी के द्योतक हैं। 1150 और 1960 के दशक के दौरान +भौतिक बुनियादी ढांचे में बड़े निवेश को विकास के प्राथमिक साधन के रूप में देखा गया था। वास्तव में, +1960 के दशक के मध्य तक, दुनिया भर में विकास नीतियों का मुख्य जोर विकास प्रक्रिया में तेजी लाने +पर था क्योंकि अमीरों से गरीबों की ओर धन प्रवाह तंत्र को वितरणीय उद्देश्यों का ध्यान रखना था। + +मानव विकास की अवधारणा + +1990 में मानव कल्याण में सुधार के लिए व्यापक दृष्टिकोण +का समय आ गया था जो सभी लोगों के लिए मानव जीवन के +सभी पहलुओं के बारे में था। मानव विकास शब्द को विकास +अर्थशास्त्र साहित्य में मानव क्षमताओं तथा विकल्पों का विस्तार, +अधिक स्वतंत्रता देने और मानव अधिकारों की पूर्ति के रूप में +स्वीकार किया गया है। +मानव विकास रिपोर्ट और मानव विकास का मापन + +उपरोक्त दृष्टिकोण की शुरूआत ने मानव विकास रिपोर्टों की +वार्षिक श्रृंखला की शुरुआत को चिह्नित किया। संयुक्त राष्ट्र विकास +कार्यक्रम- यूएनडीपी की पहली मानव विकास रिपोर्ट 1990 में +प्रकाशित हुई थी। सकल राष्ट्रीय उत्पाद के विपरीत देश के समग्र +विकास का एकमात्र व्यापक रूप से प्रयुक्त +अन्य संकेतक - मानव विकास सूचकांक +(एचडीआई) , मानव विकास के तीन आयामों- +दीर्घायु, शिक्षा प्राप्ति और सम्मानजनक जीवन +के लिए आवश्यक संसाधनों पर अधिकार +के साथ देश की औसत उपलब्धियों को +दर्शाता है। + +हालांकि, मानव विकास सूचकांक +विकास के अभाव या वितरण संबंधी पहलुओं +खासकर असमानता के मुद्दे को प्रतिबिंबित +नहीं करता है, इसके लिए, पहली बार +1995 में, महिला पुरुष असमानताओं को +ध्यान में रखते हुए समग्र सूचकांकों को तैयार +किया गया। दूसरा, 1997 में, गरीबी की +बहुआयामिता को मापने के लिए एक समग्र +सूचकांक प्रस्तावित किया गया और बनाया + +गया था। तीसरा, ये समग्र सूचकांक क्षेत्रों, प्रांतों, लिंग, नस्लों, जातीय +समूहों और ग्रामीण-शहरी विभाजन के संदर्भ में अलग-अलग थे। + +1995 में जेंडर (महिला-पुरुष) संबंधी विकास सूचकांक +(जीडीआई) और जेंडर सशक्तीकरण माप (जीईएम) बना। जेंडर +संबंधी विकास सूचकांक, मानव विकास सूचकांक की तरह एक +समान आयामों और परिवर्ती कारकों में उपलब्धियों को मापता है, +लेकिन पुरुषों और महिलाओं के बीच उपलब्धियों में असमानता को +ध्यान में रखता है। जेंडर सशक्तीकरण माप इंगित करता है कि क्‍या +महिलाएं आर्थिक और राजनीतिक जीवन में सक्रिय रूप से भाग +लेने में सक्षम हैं। यह आर्थिक और राजनीतिक भागीदारी और निर्णय +लेने के प्रमुख क्षेत्रों में पुरुषों और महिलाओं के बीच असमानता को +मापते हुए भागीदारी पर ध्यान केंद्रित करता है। + + + + + +लेखक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी हैं। उन्होंने हाल में ह्यूमन डेवलपमेंट इन इंडिया पुस्तक लिखी 21 Ec: gupta naresh_06@yahoo.co.in + +42 + +योजना, मई 2021 + + + +0043.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +वर्ष 1997 में, बहु-आयामी गरीबी के समग्रता से आंकलन के +लिए मानव गरीबी सूचकांक की शुरुआत की गई थी। + +मानव विकास सूचकांक की संगणना की कार्यप्रणाली में 2010 +से बदलाव आया है। 2014 के मानव विकास सूचकांक ने न्यूनतम +और अधिकतम मूल्यों (गोलपोस्ट) में बदलाव की शुरुआत की, जो + +निश्चित होने के बजाय अब देखे गए मूल्यों + +पर निर्धारित किए गए हैं। वर्तमान में आयाम + +संकेतकों के लिए न्यूनतम और अधिकतम +स्तर निम्नानुसार हैं; + +* जीवन प्रत्याशा: न्यूनतम मान 20 वर्ष पर +निर्धारित है और अधिकतम 85 वर्ष पर +नियत किया गया हे। + +* दोनों शिक्षा परिवर्ती कारकों के लिए +न्यूनतम मान शून्य पर निर्धारित किया +गया है। स्कूल के औसत और अपेक्षित +वर्षों के लिए अधिकतम मान क्रमशः +15 और 18 वर्ष निर्धारित किया गया है। + +* प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय (2011 +पीपीपी ): न्यूनतम मूल्य 100 डॉलर है। +अधिकतम मूल्य 75,000 डॉलर तक है। + +मानव विकास में भारत की रैंकिंग +189 देशों में से, भारत मानव विकास + +सूचकांक 2020 में 131वें स्थान पर हे। + +0.645 के मानव विकास सूचकांक मूल्य के + +साथ, देश मध्यम मानव विकास श्रेणी में + +आता है। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम ने +अपनी रिपोर्ट में 1990 और 2019 के बीच +भारत की मानव विकास यात्रा के बारे में + +योजना, मई 2021 + +1, + +2020-21 के लिए आर्थिक +सर्वेक्षण के तहत 28.01,2021 को +जारी पहले न्यूनतम आवश्यकता +सूचकांक के अनुसार आवास, +पानी, स्वच्छता, बिजली और +खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन +जैसी न्यूनतम आवश्यकताओं की +उपलब्धता, देश के सभी राज्यों +में 2012 की तुलना में 2018 में +बेहतर हुई हैं। न्यूनतम आवश्यकता +सूचकांक को ग्रामीण, शहरी और +अखिल भारतीय स्तर के लिए पीने +के पानी, स्वच्छता, साफ-सफाई +और आवास की स्थिति पर +राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय - +एनएसओ (69 और 76 दौर ) के +डेटा का उपयोग करके विकसित +किया गया है। + +। ow : . +कुछ आंकड़े दिए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि 1990 के बाद से, +भारत का मानव विकास सूचकांक मान 0.429 से बढ़कर 0.645 +हो गया है, जिसमें 50 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई +है। इसी अवधि के दौरान, भारत में जन्म के समय जीवन प्रत्याशा +लगभग 12 वर्ष तक बढ़ी, जबकि स्कूली शिक्षा के औसत वर्षों + +में 3.5 वर्ष की वृद्धि देखी गई। इस दौरान, +स्कूली शिक्षा के अपेक्षित वर्षों में भी 4.5 +वर्ष तक की बढोत्तरी हुई। इसके अलावा, +इस अवधि के दौरान, भारत की प्रति व्यक्ति +सकल राष्ट्रीय आय में लगभग 274 प्रतिशत +की वृद्धि हुई। + +संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम ने दक्षिण +एशिया के अन्य देशों जैसे बांग्लादेश और +पाकिस्तान के साथ मानव विकास सूचकांक +में भारत की तुलना की। भारत के 131 वें +स्थान पर रैंक के मुकाबले, बांग्लादेश 133 +वें स्थान पर था, जबकि पाकिस्तान 154 +वें स्थान पर था। दक्षिण एशियाई क्षेत्र में, +भारत का मानव विकास सूचकांक उस क्षेत्र +के औसत से अधिक है, जो 0.641 पर है, +जबकि भारत मध्यम मानव विकास सूचकांक +श्रेणी के देशों में 0.631 के औसत मूल्य से +भी अधिक है। + +संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की +2017 की मानव विकास रिपोर्ट में, संयुक्त +राष्ट्र विकास कार्यक्रम के भारत के कट्री +डायरेक्टर, फ्रेंसाइन पिकअप ने भारत द्वारा +अपने मानव विकास सूचकांक मूल्य में सुधार + +43 + + + + + +0044.txt +<----------------------------------------------------------------------> +सतत विकास लक्ष्य ( एसडीजी ) + + + +लक्ष्य + +प्रयोजन + + + +1. अत्यधिक गरीबी और भूख को +मिटाना- + +1. +2. + +जिनकी आय प्रति दिन 1 डॉलर से कम है उनका अनुपात 1990 से 2015 तक आधा करना +भुखमरी के शिकार लोगों का अनुपात 1990 से 2015 तक आधा करना, + + + +2, सार्वभौमिक प्राथमिक शिक्षा प्राप्त +करना- + +3. + +सुनिश्चित करना कि, 2015 तक, हर जगह बच्चे- लड़के और लड॒कियां एकसमान रूप से +प्राथमिक स्कूली शिक्षा का समूचा पाठ्यक्रम पूर्ण करने में सक्षम बनें। + + + +3. लैंगिक समानता को बढ़ावा देना +और महिलाओं को सशक्त बनाना- + +2005 तक प्राथमिक और 2015 तक शिक्षा के सभी स्तरों पर स्कूली शिक्षा में लैंगिक +असमानता को दूर करना। + + + +4. बाल मृत्यु दर में कमी- + +1990 से 2015 तक पांच साल के बच्चों में मृत्यु दर दो-तिहाई तक कम करना। + + + +5. मातृ स्वास्थ्य में सुधार- + +1990 से 2015 तक मातृ मृत्यु अनुपात में तीन-चौथाई तक कमी करना। + + + +6. एचआईवी/एड्स, मलेरिया और +अन्य बीमारियों पर काबू पाना- + +2015 तक रोक दिया गया और एचआईवी/एड्स के प्रसार पर फिर से काबू पाना शुरू, + + + +2015 तक रोक दिया गया और मलेरिया तथा अन्य रोगों के प्रसार पर फिर से काबू पाना शुरू + + + +7, पर्यावरणीय संधारणीयता +सुनिश्चित करना- + +CLR IA [ATS + +सतत विकास के सिद्धांतों को देश की नीतियों तथा कार्यक्रमों के साथ एकीकृत करना और +पर्यावरणीय संसाधनों की हानि को रोकना, + + + +10. + +सुरक्षित पेयजल की निरंतर पहुंच से वंचित लोगों का अनुपात 2015 तक आधा करना + + + +11. + +2020 तक कम से कम 100 मिलियन झुग्गी निवासियों के जीवन में महत्वपूर्ण सुधार हासिल +किया गया हे + + + +8, विकास के लिए वैश्विक +साझेदारी विकसित करना - + + + +12. + +एक खुला, नियम-आधारित, पूर्वानुमानित, गैर-भेदभावपूर्ण व्यापार और वित्तीय प्रणाली विकसित +करना (जिसमें सुशासन, विकास और राष्ट्रीय तथा अंतर राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर गरीबी में कमी +के लिए प्रतिबद्धता शामिल है) + + + +13. + +अल्प विकसित देशों की विशेष जरूरतों को पूरा करना (निर्यात, आधिकारिक द्विपक्षीय +ऋण को रद्द करने और ऋण राहत कार्यक्रम को बढावा देने के लिए शुल्क-तथा कोटा- +मुक्त पहुंच और गरीबी घटाने के लिए प्रतिबद्ध देशों के लिए अधिक उदार आधिकारिक +विकास सहायता सहित) + + + +14. + +बंदरगाह विहीन देशों और छोटे द्वीप विकासशील देशों की आवश्यकताओं को पूरा करना +(छोटे द्वीप के सतत विकास के लिए कार्रवाई के कार्यक्रम और 22 वीं महासभा के प्रावधानों +की विशेष आवश्यकताओं के माध्यम से) + + + +15. + +लंबे समय में ऋण को सतत बनाने के लिए. राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय उपायों के माध्यम से +विकासशील देशों की ऋण समस्याओं से व्यापक रूप से निपटना + + + +16. + +विकासशील देशों के सहयोग से, युवाओं के सम्मानजनक और उत्पादक कार्यों के लिए रणनीति +विकसित और कार्यान्वित करना + + + +17. + +दवा कंपनियों के सहयोग से, विकासशील देशों में सस्ती आवश्यक दवाओं तक पहुंच प्रदान +करना + + + + + +18. + +निजी क्षेत्र के सहयोग से, नई प्रौद्योगिकियों, विशेष रूप से सूचना और संचार प्रौद्योगिकियों के +लाभ उपलब्ध कराना। + + + + + +के लिए की गई निरंतर प्रगति का उल्लेख किया। भारत सरकार +अपने सभी लोगों के जीवन स्तर में सुधार के लिए प्रतिबद्ध है। +भारत की राष्ट्रीय विकास योजनाओं जैसे बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, +स्वच्छ भारत, मेक इन इंडिया की सफलता और स्कूली शिक्षा तथा +स्वास्थ्य देखभाल को सार्वभौमिक बनाने के उद्देश्य से की गई +पहल, यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण होगी कि मानव विकास में +तेजी आए और सबका विकास की प्रधानमंत्री की परिकल्पना को + +44 + +साकार किया जा सके और सतत विकास लक्ष्यों के प्रमुख सिद्धांत- +“विकास में कोई छूटे नहीं' को भी प्राप्त किया जा सके। +सहस्राब्दी विकास लक्ष्य ( एमडीजी ) + +सितंबर 2000 में, संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख सम्मेलनों और शिखर +सम्मेलनों के एक दशक के दौरान, विश्व के 149 देशों के नेता +न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय में संयुक्त राष्ट्र सहस्राब्दी +विकास लक्ष्य घोषणा को अपनाने के लिए एक साथ आए। संयुक्त + +योजना, मई 2021 + + + +0045.txt +<----------------------------------------------------------------------> +राष्ट्र सहस्राब्दी विकास लक्ष्य, संयुक्त राष्ट्र के 189 सदस्य देशों +द्वारा सितंबर 2000 में निर्धारित आठ लक्ष्य हैं। ये देश वर्ष 2015 +तक इन्हें हासिल करने के लिए सहमत हुए थे। 8 उद्देश्य, 18 +लक्ष्य और 48 प्रदर्शन संकेतक हैं। निम्नलिखित आठ सहत्त्राब्दी +विकास उद्देश्य हैं; +1. अत्यधिक गरीबी और भूख को खत्म करने के लिए +2. वैश्विक प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने के लिए +3, महिलाओं को सशक्त बनाने और लैंगिक समानता को बढ़ावा +देने के लिए +4. बाल मृत्यु दर को कम करने के लिए +मातृ स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए +मलेरिया, एचआईवी / एड्स और अन्य बीमारियों से लड़ने +के लिए +पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए तथा +विकास के लिए एक सार्वभौमिक साझेदारी विकसित करने +के लिए। +सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को वैश्विक लक्ष्यों के रूप +में जाना जाता है। ये गरीबी को समाप्त करने, पृथ्वी की रक्षा करने +और सभी लोगों को शांति तथा समृद्धि का आनंद देने की कार्रवाई +करने के लिए सार्वभौमिक आहवान है। ये 17 लक्ष्य एक समावेशी +एजेंडा हैं। +लक्ष्य 1. गरीबी को उसके सभी रूपों में हर जगह समाप्त करना +लक्ष्य 2. भूख को समाप्त करना, खाद्य सुरक्षा तथा बेहतर पोषण +प्राप्त करना और टिकाऊ कृषि को बढावा देना +लक्ष्य 3. स्वस्थ जीवन सुनिश्चित करना और सभी उम्र के लोगों के +लिए भलाई को बढ़ावा देना +लक्ष्य 4. समावेशी तथा एकसमान गुणवत्ता वाली शिक्षा सुनिश्चित करना +और सभी के लिए जीवन भर सीखने के अवसरों को बढ़ावा देना +लक्ष्य 5. लेंगिक समानता हासिल करना और सभी महिलाओं तथा +लडकियों को सशक्त बनाना +लक्ष्य 6. सभी के लिए पानी और स्वच्छता की उपलब्धता और +स्थायी प्रबंधन सुनिश्चित करना +लक्ष्य 7. सस्ती, विश्वसनीय, टिकाऊ और आधुनिक ऊर्जा तक सभी +की पहुंच सुनिश्चित करना +लक्ष्य 8. सभी के लिए सतत, समावेशी और समग्र आर्थिक +विकास, पूर्ण तथा उत्पादक रोजुगार और सम्मानजनक कार्य को +बढावा देना +लक्ष्य 9. लचीले बुनियादी ढांचे का निर्माण, समावेशी तथा टिकाऊ +औद्योगीकरण और नवाचार को बढावा देना +लक्ष्य 10. देशों के बीच और उनके भीतर असमानता को कम करना +लक्ष्य 11. शहरों और मानव बस्तियों को समावेशी, सुरक्षित, लचीला +और टिकाऊ बनाना +लक्ष्य 12. स्थायी खपत और उत्पादन पैटर्न सुनिश्चित करना +लक्ष्य 13. जलवायु परिवर्तन और इसके प्रभावों से निपटने के लिए +तत्काल कार्रवाई करना +लक्ष्य 14, सतत विकास के लिए महासागरों, समुद्रों और समुद्री +संसाधनों का संरक्षण और निरंतर उपयोग करना + +योजना, मई 2021 + +लक्ष्य 15. स्थलीय पारिस्थितिकी प्रणालियों के स्थायी उपयोग की + +रक्षा, पुनर्स्थापना और बढ़ावा देना, वनों का सतत प्रबंधन करना और + +मरुस्थलीकरण से निपटना और भूमि की गिरावट तथा जैव विविधता + +में सुधार करना व इन्हें हो रहे नुकसान को रोकना + +लक्ष्य 16. स्थायी विकास के लिए शांतिपूर्ण और समावेशी समाज + +को बढ़ावा देना, सभी को न्याय प्रदान करना और सभी स्तरों पर + +प्रभावी, जवाबदेह तथा समावेशी संस्थाओं का निर्माण करना। + +लक्ष्य 17. कार्यान्वयन के साधनों को मजबूत करना और सतत + +विकास के लिए वैश्विक साझेदारी को पुनर्जीवित करना + +भारत में सहस्राब्दी विकास लक्ष्यों पप असर डालने वाले + +महत्वपूर्ण कार्यक्रम पहल / योजनाएं + +लक्ष्य 1: अत्यधिक गरीबी और भूख का उन्मूलन + +* राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना + +* प्रधानमंत्री आवास योजना - ग्रामीण + +* दीन दयाल अंत्योदय योजना - राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका +मिशन + +* प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना + +* जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन + +* दीन दयाल अंत्योदय योजना - राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन + +* राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन + +* एकीकृत बाल विकास सेवाएं + +* राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन + +लक्ष्य 2: सार्वभौमिक प्राथमिक शिक्षा हासिल करना + +* सर्व शिक्षा अभियान + +* सध्याहन भोजन योजना + +* एकीकृत बाल विकास सेवाओं के तहत छोटे बच्चों की देखभाल +और शिक्षा + +लक्ष्य 3: लैंगिक समानता और महिला सशक्तीकरण को + +बढ़ावा देना + +* सर्व शिक्षा अभियान + +* बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ + +* कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय योजना + +* माध्यमिक शिक्षा के लिए लडकियों को प्रोत्साहन + +* राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान + +* राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान + +* महिला समाख्या कार्यक्रम + +* साक्षर भारत + +© fam astral के सशक्तीकरण के लिए किशोरी शक्ति +योजना और राजीव गांधी योजना + +*« प्रशिक्षण और अधिकारिता कार्यक्रम के लिए सहायता + +* महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम + +लक्ष्य 4: बाल मृत्यु को कम करना + +* राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन + +* एकीकृत बाल विकास योजनाएं + +* राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम + +लक्ष्य 5: मातृ स्वास्थ्य सुधार + +* राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन + +45 + + + +0046.txt +<----------------------------------------------------------------------> +* हरित भारत के लिए राष्ट्रीय मिशन +* राष्ट्रीय क्लोरोफ्लूरोकार्बन खपत रोकने की योजना +* राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम +* स्वच्छ भारत अभियान +*« कायाकल्प और शहरी रूपांतरण के लिए अटल मिशन (अमृत) +* प्रधानमंत्री आवास योजना +लक्ष्य 8: विकास के लिए वैश्विक भागीदारी विकसित करना +प्रयोजन 18: निजी क्षेत्र के सहयोग से, नई तकनीकों विशेष रूप +से सूचना और संचार के लाभों को उपलब्ध कराना +47. प्रति 100 जनसंख्या पर टेलीफोन लाइनें और सेलुलर ग्राहक +48क. प्रति 100 जनसंख्या पर इंटरनेट सब्सक्राइबर +48ख. प्रति 100 जनसंख्या पर पर्सनल कंप्यूटर, +* राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क +* राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना +* स्टेट वाइड एरिया नेटवर्क +* डिजिटल इंडिया कार्यक्रम +न्यूनतम आवश्यकता सूचकांक + +2020-21 के लिए आर्थिक सर्वेक्षण के तहत 28,01.2021 +को जारी पहले न्यूनतम आवश्यकता सूचकांक के अनुसार आवास, +पानी, स्वच्छता, बिजली और खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन +जैसी न्यूनतम आवश्यकताओं की उपलब्धता, देश के सभी राज्यों में + + + +id + +« एकीकृत बाल विकास योजनाएं 2012 की तुलना में 2018 में बेहतर हुई हैं। न्यूनतम आवश्यकता +« इंदिरा गांधी मातृत्व सहयोग योजना सूचकांक को ग्रामीण, शहरी और अखिल भारतीय स्तर के लिए पीने +« प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व योजना के पानी, स्वच्छता, साफ-सफाई और आवास की स्थिति पर राष्ट्रीय +लक्ष्य 6 एचआईवी / एड्स, मलेरिया और अन्य रोगों की सांख्यिकी कार्यालय - एनएसओ (69 और 76 दौर) के डेटा का +रोकथाम उपयोग करके विकसित किया गया है। सूचकांक पांच आयामों - +*« राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम जल, स्वच्छता, आवास, सूक्ष्म पर्यावरण और अन्य सुविधाएं (रसोई +प्रयोजन 8: 2015 तक रोका गया और मलेरिया तथा अन्य बड़ी के प्रकार, आवास इकाई की वेंटिलेशन, एक बाथरूम, बिजली और +बीमारियों पर काबू पाने के लिए शुरू किया गया खाना पकाने के लिए ईंधन के प्रकार तक पहुंच जैसे संकेतकों +« राष्ट्रीय वेक्टर-जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम का उपयोग करके मूल्यांकन किया गया) पर 26 संकेतक का +« शहरी वेक्टर-जनित रोग योजना वर्णन करता है। न्यूनतम आवश्यकता सूचकांक तक पहुंच में सुधार +« संशोधित राष्ट्रीय टीबी नियंत्रण कार्यक्रम करने वाली सर्वेक्षण रिपोर्टों से स्वास्थ्य संकेतकों में सुधार हुआ है +लक्ष्य 7: पर्यावरणीय सततता सुनिश्चित करना और शिक्षा संकेतकों में भविष्य में सुधार के साथ सहसंबंध स्थापित +* राष्ट्रीय वनीकरण कार्यक्रम हुआ है। a + + + + + + + + + + +हमारी पत्रिकाएं + +पोजना, कुफक्षेत्र, आजकल, बाल भारती +में विज्ञापन देने हेतु + +a + +YOJANA + +संपर्क करें : +गौरव शर्मा, संपादक +प्रकाशन विभाग +सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार +सूचना भवन, सी जी ओ कॉम्प्लेक्स, लोधी रोड, नई दिल्‍ली-110003 +चूस्भाष : 011-24367453, मोबाइल : 7603716820 +ई मेल : 700|0एा20917191,007 + + + + + + + + + + + + + + + +46 योजना, मई 2021 + + + +0047.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + + + + + +प्रकाशन + + + +a uy +eT Muncy +if | + +Se , + +Republican +Ethic +Ih Kavitnl + +झष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द Prosigh ०४ +sae SI te 3 Sie + + + + + + + + + +SARDAR PATEL + +A PICTORIAL BOGRAPEY + + + + + + + + + + + +पूर्वोत्तट भारत के +स्वातंत्रय वीर + + + + + + + + + +चुनिंदा ई-बुक +एमेज़ॉन और गूगल प्ले +पर उपलब्ध + + + +मा गांधी साहित्य, भारतीय इतिहास, जाने-माने व्यक्तियों की जीवनियां, उनके भाषण और लेखन, +आधुनिक भारत के निर्माता शृंखला की पुस्तकें, कला एवं संस्कृति, बाल साहित्य + +i a +“9 +प्रकाशन विभाग +सूचना और प्रसारण मत्रालय, भारत सरकार +हमारी पुस्तकें ऑनलाइन खरीदने के लिए erat www.bharatkosh.gov.in We oy | +ऑर्डर के लिए कृपया संपर्क करें : फोन ; 011-24365609, ई-मेल : 09916550॥9(क्षा191.00॥1 +aqaige : www.publicationsdivision.nic.in + + + + + +[ @ DPD_India + + + + + + + + + + + + + + + + + +योजना, मई 2021 + + + +0048.txt +<----------------------------------------------------------------------> +रेडियो फ्रिक्वेंसी स्पेक्ट्स आबंटन + +डॉ प्रताप सी मोहंती +डॉ करुण रावत + + + +सेलुलर संचार के इस दौर में रेडियो फ़्रिक्वेंसी स्पेक्ट्म एक महत्वपूर्ण स्रोत है, जो हमारे दैनिक जीवन के +संचार संबंधी क्रियाकलापों और मनोरंजन का आधार है। चाहे यह टेलीविजन हो, सेल फोन हो या इंटरनेट +सेवा, ये सभी रेडियो फ्रिक्वेंसी स्पेक्ट्म से काम करते हैं और राजस्व उत्पत्ति का महत्वपूर्ण ala st eI + +रथ 2020 में अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार दो +ca अर्थशस्त्रियों- पॉल आर. मिलग्रोम और रॉबर्ट बी. +face को मिला था, जिन्होंने नीलामी के सिद्धांत को +प्रचलित किया, विशेषकर 1994 से जब से संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में +स्पेक्ट्रम नीलामी की शुरुआत हुई थी। दोनों ने कई प्रगतिशील और +महत्वपूर्ण प्रारूप और रूप-रेखाओं का विकास किया है। उनमें से + +एक है साइमलटेनिअस मल्टीपल राउंड ऑक्शन (एसएमआरए) +जो प्रिसटोन मैकएफी के साथ 1994 में संयुक्त राष्ट्र संघीय सूचना + +समिति (फेडरल कम्युनिकेशन कमीशन-एफसीसी) में सबसे ज्यादा +प्रचलित था। उनके द्वारा नीलामी के अन्य प्रारूप हैं - शेयर +नीलामी, कॉम्बीनीटोरियल क्लॉक नीलामी, और इंसेंटिव नीलामी। +वर्ष 2007 में प्रोफेसर रोजर बी मेयरसन और वर्ष 2014 में प्रोफेसर +जीन टिरोले को यह प्रतिष्ठित पुरस्कार क्रमश: मेकनिजम डिजाइन +के सिद्धांत और रेग्युलेशन और कॉम्पीटीशन नीति के लिए मिला +था, जिसका प्रयोग नीलामी सिद्धांत में एक लक्ष्य साधक के रूप +में किया गया। + + + +डॉ प्रताप सी मोहंती आईआईटी रुडकी में अर्थशास्त्र के असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। ईमेल: फाबब्क.ध1णाभ्रा॥ छोड, मा.१०- +डॉ करुण रावत आईआईटी रुडकी में इलेक्ट्रॉनिक एंड कम्युनिकेशन के एसोसिएट प्रोफेसर हैं, साथ ही वे रेडियो फ्रिक्वेंसी के विशेषज्ञ हैं। संपर्क; #8:/108प्रवाबणबा,०णा + +48 + +योजना, मई 2021 + + + +0049.txt +<----------------------------------------------------------------------> +1990 के दशक के शुरुआती दिनों और + +मल्टी ऑब्जेक्ट नीलामी का प्रयोग + +नीलामी में सूचना असममिति की भूमिका की + +1991 में मोबाइल कम्युनिकेशन की बढ़ती व्याख्या की थी। कई अन्य लेखकों ने भी +मांग को देखते हुए रोनाल्ड एच कोज के एक समान या विभाज्य वस्तुओं कॉमन- वैल्यू मॉडल को लागू किया जिसमें +1950 की व्याख्या के आधार पर संस्थानों विलसन (1977) , मिलग्रोम (1979- 1981) +के लिए ब्राडकास्टिंग लाइसेंस को मूल्य al सरकारी कर्ज ee और एंजेलब्रिच- विगांस एट आल (1983) और +क्रियाविधि के आधार पर तैयार किया गया थे या असमान वस्तु मासकीन और राइली (2000) शामिल हैं। + +जो कि काफी प्रभावशाली हुआ। इसने संयुक्त रेडियो आवृत्ति या बस रूट, जो स्पेक्ट्रम नीलामी में बोली लगाने वाले +राष्ट्र के फेडरल कम्युनिकेशन कमीशन या at प्रक हैं या उसके बदले आमतौर पर समपूरक लाइसेंस के संयोजन को + +(एफसीसी) को रेडियो स्पेक्ट्रम लाइसेंस की +नीलामी आबंटन के लिए निर्णय लेने की +भूमिका में मदद की। + +आमतौर पर नीलामी दो प्रकार की होते हैं: +एकल और विविध वस्तु नीलामी। पारम्परिक +नीलामी चार प्रकार के होते हैं - इंग्लिश +नीलामी, sate या डच नीलामी, फर्स्ट प्राइस +नीलामी, विकरे या सेकेंड प्राइस नीलामी। +आधुनिक शैली की नीलामी का विस्तार निजी +मॉडल और एक्स- आंते असिमेट्रिज (भविष्य की विषमता) में हो +गया है। विकरे ने यह भी पाया कि फर्स्ट-प्राइस नीलामी, असंयमित +बोली लगाने वालों के लिए अप्रभावी रहे हैं, सेकेंड प्राइस और इंग्लिश +नीलामी के विरोध में, जो कि हमेशा से प्रभावशाली रहे हैं। यह +राजस्व उत्पत्ति के मुद्दों के कारण होता है। + +मल्टी ऑब्जेक्ट नीलामी का प्रयोग एक समान या विभाज्य +वस्तुओं जैसे सरकारी कर्ज विद्युत और विविध या असमान वस्तुओं +जैसे रेडियो आवृत्ति या बस रूट, जो या तो पूरक हैं या उसके बदले +में हैं - उनके ऊपर लागू होता है। यह अपवादात्मक रूप से बड़े +मूल्यों मे शामिल होता है, और सरकारें बढ़ते राजस्व और स्पेक्ट्रम +के दक्षतापूर्ण आबंटन के बीच में चुनौतिपूर्ण दुविधा (ट्रेड ऑफ) +का सामना करती है। इस साल के नोबेल पुरस्कार विजेता ने संबद्ध +वस्तुओं के व्यापार में बाधा उत्पन्न करने वाले विषयों को उल्लेखनीय +ढंग से संबोधित किया है। विलसन (1979) का कार्य कॉमन वैल्यूज +मॉडल या सामान्य-मूल्य मॉडल जैसे शेयरों की नीलामी में प्रयोग +किया जाता है। + +1969 में विलसन ने नीलामी के सिद्धांत को विकसित करने +के लिए एक निर्णायक कदम उठाया, जिसमें उन्होंने 'बेज नश +संतुलन” का प्रयोग मिनरल राइट मॉडल में किया और परस्पर मूल्य +प्राप्त किया। 1967 में एक विस्तृत मॉडल में उन्होंने कॉमन- वैल्यू + + + + + + + + + +योजना, मई 2021 + +में हैं - उनके ऊपर लागू होता +है। यह अपवादात्मक रूप से बड़े +मूल्यों मे शामिल होता है, और +सरकारें बढ़ते राजस्व और स्पेक्ट्म +के दक्षतापूर्ण आबंटन के बीच में +अुनौतिपूर्ण दुविधा/टेड ऑफ का +सामना करती है। + +प्रमुखता देते हैं जो कि पूरक उत्पादों से ज्यादा +जटिल है। उदाहरण के लिए फोन-सेवा प्रदाता +प्राय: बड़े क्षेत्र को समाविष्ट करना चाहते हें +और इसलिए वे निकट के भौगोलिक क्षेत्रों के +लाइसेंस के लिए वरीयता देते हैं। कार्यक्षमता +केंद्रित होने के कारण संभावित समाधान यह +है कि विकरे- क्लार्क -ग्रोव्स (वीसीजी) +नीलामी का प्रयोग किया जाए। इसे निजी +मूल्यों की रूपरेखा में लागू किया जाता है +और सेकेंड प्राइस नीलामी का सामान्यकरण किया जाता है। बहु-वस्तु +नीलामी की शुरुआती डिजाइन में वृहत रूप से इन समस्याओं को +पृथक रखा गया हेै। + +जहां तक रेडियो फ्रिक्वेंसी की मांग का संबंध है, श्री मल्टीपल +राउंड भी प्रासंगिक है। ये हैं - एसएमआरए, जिनका विवरण +साइमलटेनियस असेंडिंग नीलामी (एसएए) के रूप में किया गया +है, कॉम्बीनेटोरियल क्लॉक नीलामी (सीएए) और इंसेंटिव नीलामी। +दो प्रस्ताव जिसमें एसएमआरए आधारित है वे मिलग्रोम और विलसन +और प्रिस्टोन मैक्ऐफी द्वारा हैं। 1994 में एफसीसी स्पेक्ट्रम ने नीलामी +के अपेक्षित मूल्य (जो कि 20 बिलियन डॉलर था) को दो बार +सफलतापूर्वक बढ़ाया था, और वर्ष 2000 में यूनाइटेड किग्डम द्वारा +श्री जी स्पेक्ट्रम को 34 बिलियन डॉलर तक बढ़ाया गया था। स्पेक्ट्रम +बिक्रि के लिए एसएमआरए नीलामी डिजाइन का प्रयोग विश्व भर +में किया जाता है। इसके कुछ संस्करण संयुक्त राष्ट्र, कनाडा, यू.के., +फिनलैंड भारत पोलैंड, जर्मनी, स्वीडन, नार्वे और स्पेन में लागू किये +गए हैं। वर्ष 2008 में यू.के. द्वारा रेडियो स्पेक्ट्रम लाइसेंस की बिक्री +के लिए सीसीए के स्वीकरण के बाद कई देशों ने इसका अनुसरण +किया, जिसमें ऑस्ट्रिया, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, डेनमार्क, आयरलैंड, +द नीदरलैंड्स, रोमानिया, स्‍लोवाकिया और स्वीटजरलैंड शामिल हैं। +मिलग्रोम ने अर्थशास्त्रियों के समूह का नेतृत्व किया जिन्होंने प्रसारण +टेलीविजन की जगह वायरलेस ब्राडबैंड सेवा में जाने की सलाह दी +थी, जिसका परिणाम यह हुआ कि एफसीसी को न्यू इंसेंटिव नीलामी +2017 में ग्रहण किया गया। + +नीलामी में दो सरोकार सामने आए। पहला, बेहतरीन लाभकारी +आपूर्तिकर्ताओं ने लागत को कम किया। दूसरा इसने धन को सख्त +कर (टैक्स) निर्धारण की जगह बाजार से उत्पन्न किया। अर्थशास्त्रियों +ने यह देखा कि प्रति इकाई कर (डॉलर में) ने सामाजिक डेडवेट +(सामाजिक भार) हानि को 0.17 से 0.56 डॉलर तक बढ़ाया था। +इसके विपरीत अधिकतम राजस्व का एक स्पेक्ट्रम लाइसेंस का सेट +बहुत ज्यादा अदूरदर्शी हो सकता है और इससे एकाधिकर को बढ़ावा + +49 + + + +0050.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +टेलीकॉम सेवा प्रदाता नेटवर्क में अर्जित अतिरिक्त +स्पेक्ट्म का विकास + +स्पेक्ट्रम के 800 मेगाहर्टज, 900 मेगाहर्टूज, 1800 मेगाहर्टज, 2100 मेगाहर्टज और 2300 मेगाहर्टज बैंड की बोली मार्च 2021 में +हुई थी। यह नीलामी साइमलटेनियस मल्टीपल राउंड एसेंडिंग (एसएमआरए) विधि द्वारा हुई थी। स्पैक्ट्रम की कुल संख्या, जिसके प्रयोग +का अधिकार इन बैंडों को है वह है 855.60 मेगाहर्टूज। इसमें भाग लेने वालों ने 700 मेगाहर्टज और 250 मेगाहर्टज में बोली नहीं लगाई +थी। इस नीलामी में तीन कंपनियों ने बोली लगाई थी - भारती एयरटेल लिमिटेड, वोडाफोन आइडिया लिमिटेड और रिलायंस जियो +इंफोकॉम लिमिटेड। + +बोली लगाने वालों द्वारा अर्जित स्पेक्ट्रम की संख्या और उनके द्वारा भुगतान का विवरण ; + +बीडर + + + +कुल संख्या ( मेगाहर्टज ) कुल रकम ( करोड़ में ) + + + + + + + +भारती एयरटेल लिमिटेड 355.45 18 698.75 +वोडाफोन आइडिया लमिटेड 11.80 1,993.40 +रिलायंस जियो इंफोकॉम लिमिटेड। 488,35 57,122.65 + + + + + + + + + + + +कुल 2308.80 मेगाहर्टज स्पेक्ट्रम को नीलामी के लिए रखा गया था, जिसमें वैसे स्पेक्ट्रम भी थे जो दिसंबर 2021 में समाप्त होने +वाले हैं। इस संख्या के लिए 855.60 मेगाहर्टज के स्पेक्ट्रम की बोली प्राप्त की गई था। स्पेक्ट्रम में 100 मेगाहर्टज और 2500 मेगाहर्टज +बैंड को छोड़कर लगभग 60 प्रतिशत स्पेक्ट्रम को नीलामी के लिए रखा गया था। वर्ष 2016 की स्पेक्ट्रम जो बेचे गए उनकी संख्या 41 +प्रतिशत थी और नीलामी के लिए रखे गए कुल स्पेक्ट्रम के मूल्य का यह 12 प्रतिशत था। 2021 में स्पेक्ट्रम नीलामी के संगत आंकड़े + +(कॉरस्पांडिंग फिगर) क्रमश: 37 प्रतिशत, और 19 प्रतिशत थे, जिसमें भागीदारों की संख्या तीन थी। +नीलामी के लिए रखे गए स्पेक्ट्रम इस प्रकार हैं - + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +बैंड नीलामी के लिए रखी गई संख्या | प्राप्त संख्या ( मेगाहर्टूज ) प्रतिशत +700 मेगाहर्ट्ज (जोड़ा) (पेयर्ड) 60s oO lo | + +800 मेगाहर्ट्ज (जोड़ा) 230 150 65.22 +900 मेगाहर्ट्ज (जोड़ा) 98.80 38.40 38.87 +1800 मेगाहर्टज (जोड़ा) 355 152.20 42.87 +2100 मेगाहर्टज (जोड़ा) 175 15 8.57 +2300 मेगाहर्टज (जोड़ा) 560 500 89.29 +2500 मेगाहर्टज (जोड़ा) 230 oO lo | + + + + + + + +नीलामी में अर्जित स्पेक्ट्रम यूसेज चार्जेज (स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क) के भुगतान की दर, लाइसेंस के एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (समायोजित +सकल राजस्व) का तीन प्रतिशत है जिसमें वायरलेस सेवा से अर्जित राजस्व शामिल नहीं है। नीलामी का समापन के बाद अंतिम +परिणाम सरकार के जांच और स्वीकृति का विषय होता है। + +इस नीलामी में टेलीकॉम सेवा प्रदाता नेटवर्क में अतिरिक्त स्पेक्ट्रम के प्रयोग के साथ यह आशा की जा सकती है कि इनकी सेवा +और गुणवत्ता से देशभर के टेलीकॉम ग्राहकों का अनुभव बेहतर होगा। + +केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा दूरसंचार विभाग के एक प्रस्ताव को स्वीकृत किया गया है जिसके तहत वे स्पेक्ट्रम नीलामी का आयोजन +कर स्पेक्ट्रम के सफल बीडर (बोली लगाने वाले) को व्यवसायिक मोबाइल सेवा प्रदान करने के लए नियुक्त कर सकते हैं। नीलामी के +जरिये स्पेक्ट्रम के प्रयोग का अधिकार जीतने के बाद अधिकृत टेलीकॉम सेवा प्रदाता इस बात के लिए सक्षम होंगे कि वे अपने नेटवर्क +क्षमता को बढ़ा सकते हैं जहां नये लोग भी अपनी सेवा शुरू कर सकते हैं। नीलामी में बोली लगाने वालों को कुछ मानदंडों का पालन +करना होता है जैसे- “ब्लाक साइज' - इसमें बोली लगाने वाले अपनी बोली जमा कर सकते हैं, “स्पेक्ट्रम कैंप' - जिसमें नीलामी के +समापन के बाद प्रत्येक बीडर स्पेक्ट्रम के अधिकतम संख्या को प्रयोग कर सकता है, 'रोल-आउट ऑब्लीगेशन' (दायित्व का पालन) और +“पेमेंट टर्म' (भुगतान की शर्ते) आदि। बोली की राशि के अलावा सफल बीडर्स को समायोजित सकल राजस्व का 3 प्रतिशत का भुगतान +करना पड़ता है। इसमें वायरलाइन सेवाएं नहीं हैं क्योंकि स्पेक्ट्रम के लिए स्पेक्ट्रम प्रयोग शुल्क को नीलामी के माध्यम से जीता जाता है। + +स्पेक्ट्रम नीलामी, सफल बीडर्स के लिए स्पेक्ट्रम नियुक्ति की प्रक्रिया एक पारदर्शी प्रक्रिया है। पर्याप्त स्पेक्ट्रम उपलब्धता से टेलीकॉम +सेवा की गुणवत्ता में बढ़ोत्तरी होगी। यह प्रासंगिक है कि आज के समय में टेलीकॉम विभाग आधारभूत संरचना प्रदान करने में अहम +है, साथ ही इसका आर्थिक विकास करने, प्रत्यक्ष और परोक्ष रोजगार उत्पन्न करने और डिजिंटल भारत के प्रसार से गहरा संबंध है। + + + + + +50 योजना, मई 2021 + + + + + +0051.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +स्पेक्ट्म नीलामी में बोली लगाने वाले आमतौर पर +समपूरक लाइसेंस के संयोजन को प्रमुखता देते हैं + +जो कि पूरक उत्पादों से ज्यादा जटिल है। उदाहरण + +के लिए फोन-सेवा प्रदाता प्रायः बड़े क्षेत्र को + +समाविष्ट करना चाहते हैं और इसलिए वे निकट +के भौगोलिक क्षेत्रों के लाइसेंस के लिए वरीयता +देते हैं। कार्यक्षमता केंद्रित होने के कारण संभावित + +समाधान यह है कि विकरे-क्लार्क-ग्रोव्स ( बीसीजी ) + +नीलामी का प्रयोग किया जाए। + + + +मिल सकता है। जहां तक यह जन कल्याण से संबद्ध है इन दोनों ही +सोच को अर्थशास्त्रियों द्वार अस्वीकार किया गया है। + +क्योंकि रेडियो स्पेक्ट्रम एक दुर्लभ वस्तु है, और वायरलेस +संचार की मांग में अत्यधिक बढ़ोतरी तथा स्पेक्ट्रम के प्रबंधन तथा +कुशलता से प्रयोग के संबंध में आंतरिक विरोध के कारण भारत +में सरकारी हस्तक्षेप आवश्यक हो गया। उदाहरण के लिए भारत में +नीलामी के दौरान (वर्ष 2010, 2012 और 2015) आक्रामक बोली +लगाने के परिणाम स्वरूप स्पेक्ट्रम मूल्यों में अत्यधिक उछाल आया +था। वर्ष 2017 में विश्व का औसत 50 मेगाहर्टज था, जिसकी + +तुलना में भारतीय ऑपरेटरों का स्पेक्ट्रम स्वामित्व का औसत 31 + +मेगाहर्टजु था। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (टीआरएआई) + +ने अगस्त 2018 में सभी स्पेक्ट्रम नीलामी की अनुशंसाओं को +प्रकाशित किया जिसमें विभिन्‍न बैंड हैं और भारत में अभी भी दो +बैंड की नीलामी होनी है, जो कि 3300- 3400 Hedy sik + +3400- 3600 मेगाहर्ट्जु है। ये बैंड कदाचित 5 जी सेवा के लिए + +प्राथमिक बैंड हो सकते हैं। स्पेक्ट्रम का मूल्य निर्धारण कौशल + +प्रोत्साहन के लिए एक अमूल्य अस्त्र है। + +1. द इंटरनैशनल टेली कम्युनिकेशन यूनियन (आईटीयू) ने स्पैक्ट्रम +के मूल्य निर्धारण के लिए चार विभिन्‍न दृष्टिकोणों को प्रस्तावित +किया है। जो इस प्रकार हैं - + +2. पूर्ववर्ती नीलामी के मूल्यों को यथाविधि सूची में लिखना + +3, उत्पादक अधिकता के आधार पर आकलन + +4. उत्पादन क्रिया दृष्टिकोण और + +राजस्व अधिकता दृष्टिकोण +भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (टीआएआई) समाश्रय + +विधि का प्रयोग करता है। भारत में स्पेक्ट्रम के आबंटन और + +प्रबंधन को लेकर राज्यों और संचालकों के बीच मतभेद होता +रहता है। हालांकि भारत “अर्थ सम्पत्ति अधिकार' का अनुसरण +करता आ रहा है, ताकि आधिकारिक प्रशासनिक प्रबंधन के स्थान +पर बाजार आधारित प्रबंधन हो सके। | + + + + + + + +is, कोचिड-19 हीकाकरण अभियान + + + + + +क स्वास्थ्य एवं परिवार +(1६. कल्याण मंत्रालय +५७-०० भारत सरकार + + + + + + + + + +के म्राथ जुड़ें । + +हि + + + + + +पूर्ण सुरक्षा के छिए +टीकाकरण के याद +मी पाँच सावचाजनियों +अवश्य बरतें! + + + + +wet af frets Bo Bt +सझादुल व पानी से घोए सा +सेनिदाइजर का प्रयोग + +मास्क सही से पहने + +ह 5 हू हे ते + +आपस मे & फीद (२ गज) +et शागेस्कि oft wend + +wre frend oz +gen परीक्षण करवाए + +लक्षण दिखने पर +जुरंत ay a दूसरी +से अलग करें + +देश + + + +(9 Helpline No.: 1075 (Tollfree) < montw.gev.in + + + +योजना, मई 2021 + +f @MoHFwindia + +WF E@MoHFW_NDIA EB mohtwindia + +US) @mohtewlndia + +51 + + + +0052.txt +<----------------------------------------------------------------------> +योजना - सही विकल्प + +बहुविकल्‍्प प्रश्नों का स्तंभ 'योजना-सही विकल्प' में चार विकल्पों में से कोई एक विकल्प सही है। विभिन्‍न +प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठने वाले प्रतिभागियों के लिए अपना ज्ञान एवं स्मरण शक्ति परखने का यह अच्छा +अवसर है। यदि उत्तर समझ न आए तो “योजना' को उलट कर सही उत्तर जाना जा सकता है। + +भारत में निम्नलिखित के आने का सही कालानुक्रम कया है? + +1) सोने के सिक्‍के 2) आहत मुद्रा चांदी के सिक्के +3) लोहे का हल 4) नगर संस्कृति + +नीचे दिए गये कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए- + +क) 3, 4, 1, 2 ख) 3, 4, 2, 1 + +ग) 4, 3, 1, 2 घ) 4, 3, 2, 1 + +. भारतीय प्रतीक पर उत्कीर्ण 'सत्यमेव जयते' लिया +गया है- +क) ऋग्वेद से +ग) भगवदगीता से + +ख) मत्स्य पुराण से +घ) मुण्डकोपनिषद्‌ से + +. प्रसिद्ध “गायत्री मंत्र' कहां से लिया गया है? +क) यजुर्वेद ख) अथर्ववेद +ग) ऋग्वेद घ) सामवेद + +1420 ई. में विजयनगर साम्राज्य में आने वाले इटली के +यात्री का क्‍या नाम था? + +क) डोमिंगो पायस ख) एडोआर्डो बारबोसा +ग) निकोलो डि कोण्टी घ) अब्दुररूज्जाक + +. कृष्णदेव राय ने कौन-सी पुस्तक लिखी थी? + +क) मिताक्षरा ख) राजतरंगिणी +TT) BE A घ) अमुक्‍त माल्यद +. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन असत्य है? + +क) 1856 ई. में ईश्वर चन्द्र विद्या सागर के प्रयासों से विधवा +पुनर्विवाह कानून बना। + +ख) इन्फेंट मैरिज प्रिवेंशन एक्ट, 1931 में लॉर्ड इर्विन के +कार्यकाल में बना। + +ग) वर्ष 1948 में शारदा एक्ट में बदलाव कर लड़की की +विवाह उम्र 16 और लड़के की 19 वर्ष कर दी गई। + +घ) 1891 में बहरामजी मालाबारी के प्रयासों से एज ऑफ +कंसेंट बना। + +52 + +7. + +8. + +10. + +निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिए- + +1) आदि ब्रह्म समाज देवेन्द्र नाथ टेगोर +2) भारतीय ब्रह्म समाज आत्माराम पांडुरंग +3) साधारण ब्रह्म समाज आनंद मोहन बोस + +नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए- +क) केवल 1 ख) केवल 2 और 3 +ग) केवल 2 और 3 घ) केवल 1 और 3 + +सूची-1 को सूची-2 से सुमेलित कीजिए तथा सूचियों के +नीचे दिए हुए कूट का प्रयोग करते हुए सही उत्तर का +चयन कीजिए- + +सूची-1 + +ए) अभिनव भारत समाज +बी) अनुशीलन समिति + +सूची-2 +1) श्री अरविन्द घोष +2) लाला हरदयाल + +सी) गदर पार्टी 3) सी. आर, दास +डी) स्वराज पार्टी 4) वी. डी. सावरकर +कूट- + +क) ए-4; बी-1; सी-3; डी-2 +ख) ए-1; बी-4; सी-3; डी-2 +ग) ए-1; बी-4; सी-2; डी-3 +घ) ए-4; बी-1; सी-2; डी-3 + +यदि आप कोहिमा से कोटटयम की यात्रा सड़क मार्ग से +करते हैं, तो आपको मूल स्थान और गंतव्य स्थान को +मिलाकर भारत के अंदर कम से कम कितने राज्यों में से +होकर गुजरना होगा? +क) 6 +ग) 8 + +ख) 7 +घ) 9 + +विश्व मौसम विज्ञान संगठन (वर्ल्ड मीटीअरलॉजिकल +आर्गनाइजेशन ) का मुख्यालय कहां स्थित है? + +क) वाशिंगटन ख) जेनेवा + +ग) मास्को घ) लंदन + + + +& 01 छे 6 & '8 ४ ८ 1 9 + +‘a ‘Ch ‘ph ६ & ट & | + Bae [BR + +योजना, मई 2021 + + + + + +0053.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + +गांधी साहित्य +के अग्रणी प्रकाशक + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +ee +, a कल्तूरी परिमल +JOSEPH J CORE A es निश्वास॒ पराटीकू +शांति का सक्ा gh आगे है £ न | _ +Cala the) . +ene न A iy +Bia - _. a ४ +| RENE 3 ee += er ii Be . Ss । +A Thought for the Day i a ~ j +i — +M AHATMA q +in the Feigagteps +ul + + + +ih Mahatma... +Gann gt sania + + + +a +MAHAL MA GANLIAL + + + +Romain Rolland GANDHI ‘Women in - —_— +And Gandhi CHAMPARAN, (; Vathey +Satyagraba +Correspondence J a Selected Lectures on +: Mahatma Gandhi + + + + + + +THE + +COLLECTED eee - - +WORKS THE +OF COLLECTED +MAHATMA ONG +GANDHI | MAHATMA + +53 +हट +mal 2 +rE +a + + + + + +प्रकाशन विभाग + +सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार +सूचना भवन, सी जी ओ कॉम्प्लेक्स, लोधी रोड, नई दिल्‍ली -110003 +ऑर्डर के लिए संपर्क करें : +wht : 011-24367260, ¥-1a : businesswng@gmail.com +हमारी पुस्तकें ऑनलाइन खरीदने के लिए grat www.bharatkosh.gov.in ue oy | +चुनिंदा ई-बुक एमेज़ॉन और गूगल प्ले पर उपलब्ध | + +adauige : www.publicationsdivision.nic.in vy फॉलो करें +हु @ DPD_India + + + + + + + + + +योजना, मई 2021 + +53 + + + + + +0054.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +लोक प्रशासन />ए७ »ए/॥५ + +भावी प्रशासकों की पहली पसंद +UPSC/IAS @ «uel State PCS 4 भी सर्वाधिक अंकदायी विषय +लोक प्रशासन पढ़िये और जानिये अपनी भावी जिम्मेदारियां +(जिला अधिकारी, पुलिस अधीक्षक, मुख्य सचिव, कैबिनेट सचिव) इत्यादि। + +वहक्ली पढिये जो आपको भविष्य में बनना हछि। + + + +लोक प्रशासन 5 60% समान्य अध्ययन GS + + + + + + + + + + + + + + + + +a2 अपनी २ +कियको देना ey 2 + +की anya यह Se 3 +Bitar Tt viel fom .* +॥ामाजी भाइयों, गर्ल (अउ्ड 58 eT +tot 9 zea wa a tr एस: +रनियाल Gaim wir) 323 faut Shit + +eT णु] - + +(FACS an + +ao zacee fare aio का +am ant i Pn, RAR अपने सी +PRET see AT wre waa, ae, +मित्रों एव मेरे मुरु श्री कप Bead sen, उनियाल + +1एंड 5 [AS DELH® Restt मुख, + + + + + + + + + + + + + + + + + + +a ~~ UNIYAL'S IAS ( ~~ ONIVAL'S iAS" +S.N. Uniyal With His Student —-— Batch 2009 | UNIYAL'S IAS™ = +Hukma Ram ACP z +Assistant Commissioner of Delhi Felice + +UNEYALS + + + +1 7 Batch 2009 __ +ag, 5-N. Uniyal's Studen 7 = +Ranu Sahu ] a = , हु a +— — Indian Administrative co गत "० +Service CG Cader - व जा पा, 5: +ee < +a ग्म the. हर हू = +7” + - +sheet Tab BE ar +erties +ee + +S.N. Uniyal With a ही न Z +Rajeev:Ranjanl AS an + +Indian Adminitrative Seryiceharkhand’Cader कक: +212 2800 हु + + +a (- E' +(— wae (7 UNIYAL'S IASI eS 7 +toh et Pat टि014० ०. J + + + +fal + + + + + + + + + + + + + +{fa tS ee With His Student + +UNIYAL'S IAS |” Brijesh Singh PCS +Batch 2011 {Provincial Civil Service, Chatisgarh + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +You are cordially Invited aia + + + + + + + + + + + + + + +Tyee +\ J) amie amt) +बेकार Gone गाए“ कि टड . ONE deel +योजना ee प्रकाशन विभाग । कुरुक्षेत्र +विकास को समर्पित मासिक । सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय 1 ग्रामीण विकास पर मासिक +(हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू व 10 अन्य भारतीय भाषाओं में) ! क ७ | भारत सरकार ! (हिंदी और अंग्रेजी) +आजकल ; रोजगार समाचार! बाल भारती +साहित्य एवं संस्कृति का मासिक । साप्ताहिक 1 बच्चों की मासिक पत्रिका +(हिंदी तथा उर्दू) ! (हिंदी, अंग्रेजी तथा उर्दू) ! (हिंदी) + +घर पर हमारी पत्रिकाएं मंगाना है काफी आसान... | + +आपको सिफ नीचे दिए गए 'भारत कोश' के लिंक पर जा कर पत्रिका के लिए ऑनलाइन डिजिटल भुगतान करना है- +https://bharatkosh. gov.in/Product/Product + + + + + + + + + + + +सदस्यता दरें +योजना, करुक्षेत्र, सदस्यता शुल्क में रजिस्टर्ड डाक का शुल्क भी +प्लान % बाल भारती रोज़गार समाचार 3 > + +आजकल (सभी भाषा) शामिल है। कोविड-19 महामारी के मद्देनज़र +वर्ष रजिस्टर्ड डाक रजिस्टर्ड डाक | मुद्रित प्रति (साधारण डाक) | ई-संस्करण | नए ग्राहकों को अब रोज़गार समाचार के +1 ₹ 434 ₹ 364 ₹ 530 ₹ 400. | अलावा सभी पत्रिकाएं केवल रजिस्टर्ड +2 ₹ 838 ₹ 708 = 1000 ₹750 | डाक से ही भेजी जाएंगी। पुराने ग्राहकों के + +3 ₹ 1222 ₹ 1032 ₹ 1400 ₹ 1050 | लिए मौजूदा व्यवस्था बनी रहेगी। + + + + + + + + + + + + + + + + + +ऑनलाइन के अलावा आप डाक द्वारा डिमांड ड्राफ्ट, भारतीय पोस्टल आर्डर या मनीआर्डर से भी प्लान के अनुसार निर्धारित राशि भेज सकते हैं| डिमांड ड्राफ्ट, +भारतीय पोस्टल ऑडर या मनीआर्डर 'अपर महानिदेशक, प्रकाशन विभाग, सचना एवं प्रसारण मंत्रालय” के पक्ष में नई दिल्‍ली में देय होना चाहिए| +रोज़गार समाचार की 6 माह की सदस्यता का प्लान भी उपलब्ध है, प्रिंट संस्करण रु, 265/-, ई-संस्करण रु. 200/-, कृपया ऑनलान भगतान के लिए +https://eneversion.nic.in/membership/login fei % जाएं। डिमांड Erg! ‘Employment News के पक्ष में नई दिल्‍ली में देय होना चाहिए] +अपने डीडी, पोस्टल आर्डर या मनीआर्डर के साथ नीचे दिया गया 'सदस्यता कृपन” या उसकी फोटो कॉपी में सभी विवरण भरकर हमें भेजे। भेजने का पता है. +संपादक, पत्रिका एकांश, प्रकाशन विभाग, कक्ष सं. 779, सूचना भवन, सीजीओ कॉम्प्लेक्स, लोधी रोड, नई दिल्‍ली-110003. +अधिक जानकारी के लिए इमेल करें- pdjucir@gmail.com +हमसे संपर्क करें- फोन: 011-24367453, (सोमवार से शुक्रवार सभी कार्य दिवस पर प्रात: साढ़े नौ बजे से शाम छह बजे तक) + +कृपया नोट करें कि पत्रिका भेजने में, सदस्यता शुल्क प्राप्त होने के बाद कम से कम आठ सप्ताह लगते हैं, +कृपया इतने समय प्रतीक्षा करें और पत्रिका न मिलने की शिकायत इस अवधि के बाद करें। + +>छऔ&<-“““पपपपपपपपपपपपप::औ&<--८“््पपपपपपपपपफपपै<-्प््प्पपपपपप्पै<--““्एप्पएपए +सदस्यता कृपन ( नई सदस्यता“नवीकरणपते में परिवर्तन) +कृपया मुझे 1/2/3 वर्ष के प्लान के तहत ..........................-----०-----न_न्‍_-_न_नन्‍नननन-नननन- पत्रिका ..................... भाषा में भेजें। +नाम ( साफ व बड़े अक्षरों में ) ..................-------«««_>_नन-ननगननननननननन नितिन नितिन लिन नननन लत लननन लत लन तनमन न नननन न +पता ; ................-------«_-_ननन-नननननननननननननिननिननननिननिननननननननननननननन नितिन निननिनिननिननिननिननिननिननिनननननननिननिननिनिननिनिनिननिननिननिननिननिनननन +हनन ननिन मनन न नननभननननन न भनन लत नितिन निभाना भननन न जिला .................०५«»न्‍ननननननननननत >>». पिन ५...५००->तननननननननन- +ईमेल .......................------«++>_-_न_नननननिनननननननिनननननननिननन न मोबाइल नं. ............................-------____न_-ननन-+ननननन +डीडी/पीओ/एमओ सं. .....................---------०>न_न्‍न्‍नअन्‍च्लच-न्‍- दिनांक ....................०- सदस्यता सं. ........................---- + +योजना, मई 2021 55 + + + +0056.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +अब उपलब्ध है + +ECONOMIC + +URVEY — + + + +_ 2020-21 + + + +Paget. + + + + + + + + + +इकोनॉमिक सर्वे 2020-21 (अंग्रेजी संस्करण) +मूल्य -₹ 595/- (पूरा सेट वाल्यूम-1 और 2) + +भारत के आर्थिक विकास की गहन समीक्षा से युक्‍त +इस पुस्तक में देश के औद्योगिक, कृषि, विनिर्माण इत्यादि +सभी क्षेत्रों के विस्तृत सांख्यिकीय आंकड़े दिए गए हैं। + +आज ही नजदीकी पुस्तक विक्रेता से खरीदें +ऑर्डर के लिए संपर्क करें : + +फोन : 011-24365609 + +ई-मेल : businesswng@gmail.com +aqarge : publicationsdivision.nic.in + +wy +fe a +प्रकाशन विभाग + +सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार +सूचना भवन, सी जी ओ कॉम्पलेक्स, +लोधी रोड, नई दिल्‍ली -110003 + + + +feaex ux biol et YF @DPD_Indla + + + + + + + + + +56 योजना, मई 2021 + + + + + +0057.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +एक राष्ट्र-एक राशन कार्ड ( ओएनओआरसी ) +मेरा राशन मोबाइल ऐप + + + +एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड प्रणाली की प्रमुख बातें Gne Nation Gne Raton Cara + +* देश में एक अपने तरह की लाभार्थी केंद्रित पहल + +* राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के अंतर्गत राशन # +कार्डों की राष्ट्रव्यापी पोर्टेबिलिटी हेतु तकनीक तथा डेटा से लैस बैग +प्रणाली mi + +* देश भर में किसी भी स्थान पर एनएफएसए प्रवासियों को खाद्य +सुरक्षा उपलब्ध कराना + +* राशन कार्ड विस्तृत विवरण और योग्यता की जानकारी देश भर में +किसी भी ई-प्वाइंट ऑफ सेल्स डिवाइस पर उपलब्ध + +राशन कार्डों की राज्यों के भीतर और राज्यों की सीमा से बाहर +पोर्टेबिलिटी की सुविधा। + + + + + + + + + + + + + + += किसी भी एफपीएस के चयन की सुविधा +आरसी) योजना पर केंद्रीय उपभोक्ता SF उपभोक्ता मामले, aan और सार्वजनिक विताण मंबलव|. उपलब्ध नहीं थी। अप्रैल 2020 से फरवरी +मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय 2021 के बीच ओ एन ओ आर सी के +ने मेरा राशन मोबाइल ऐप भी शुरू किया €. आसपास की राशन की दुकानें कई अंतर्ग लगभग 15.4 करोड पोटेबिलिटी +है। यह ऐप उन लोगों के लिए विशेष रूप निम्नलिखित दुकानें आपके वर्वेशान स्थान के पास ef ट्रांजैक्शंस रिकॉर्ड किए गए। +से लाभकारी होगा जो अपनी आजीविका Rae Breet के लिए नहा पर कितिके करें खाद्य एवं आपूर्ति विभाग क्षमता निर्माण +के लिए अपने मूल निवास स्थान से किसी वर्तमान स्थान का विवरण के लिए जिला स्तर के अधिकारियों, +अन्य स्थान पर जाते हैं। यह योजना आरंभ - - Be ; पक क्षेत्रीय कर्मचारियों और फेयर प्राइस शॉप +में चार राज्यों में अगस्त 2019 में शुरू की | | पक "BRK BHAVAN (एफपीएस) डीलरों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग + +‘GOVERNMENT OFFICES + +Ue राष्ट्र एक राशन कार्ड (ओएनओ + + + + + +गई थी और बहुत ही कम समय में दिसंबर : COMPLEX NH 44 HL और वेबकास्टिंग के माध्यम से लगातार +2020 तक 32 राज्यों और केंद्र शासित S00063, NO व्यवस्थित ढंग से प्रशिक्षित कर रहा है। + +प्रदेशों में इसे लागू कर दिया गया। बचे हुए || _ GOVERNMENT oFFizes खाद्य एवं आपूर्ति विभाग द्वारा ओ एन +4 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों असम, / ts 7478७ | | ओ आर सी में राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी +छत्तीसगढ़, दिल्‍ली और पश्चिम बंगाल में का राष्ट्रव्यापी अभियान राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा +भी अगले कुछ महीनों में इसके लागू होने जिला "पा 11, है. अधिनियम (एनएफएसए) के अंतर्गत +की संभावना है। इस योजना के अंतर्गत | दुकान संख्या :1674456 न चलाया जा रहा है। यह व्यवस्था सभी + +लगभग 69 करोड एनएफएसए लाभार्थी whose nae एनएफएसए लाभार्थियों को, विशेष रूप + +लाभान्वित हो रहे हैं जो कुल एनएफएसए | 3101, से प्रवासी लाभार्थियों को सहूलियत देती +जनसंख्या का लगभग 86 प्रतिशत है और fata : HYDERABAD श्र है। इसके अंतर्गत लाभार्थी अपने हिस्से +प्रतिमाह देश में औसतन 1.5 से 1.6 करोड़ er a 15 6609 ४ का पूरा राशन या उसका कुछ हिस्सा +लोगों को ओएनओआरसी से जोड़ा जा रहा दूरी ऐहवकान. बट एं-आखव9 Long-78.48202 देश की किसी भी सस्ती दर की दुकान +है। ओएनओआरसी प्रत्येक एनएफएसए यानी एफपीएस से लेने का अधिकारी है। +लाभार्थी के लिए एक उल्लेखनीय सुविधा बायोमेट्रिक या आधार प्रमाणन से यह लाभ +है। इसके तहत कोविड-19 महामारी के दौरान विशेष रूप से उठाया जा सकता है। इस सिस्टम की मदद से ही ऐसे प्रवासी +प्रवासी मजदूरों को लाभ पहुंचा और वे सब्सिडी पर खाद्यान्न प्राप्त श्रमिकों के परिवार के सदस्यों के घर वापसी की स्थिति में बचे +कर सके। लॉकडाउन के दौरान लाभार्थी जहां भी थे वहीं पर इस हुए राशन को उसी राशन कार्ड से अन्य स्थान से प्राप्त करने की +सुविधा का लाभ उठाते हुए खाद्यान्न प्राप्त कर सके। इसके अंतर्गत भी सुविधा मिलती है। हा + +योजना, मई 2021 57 + +Lat:17.4028 1005:78.4746 + + + + + + + + + + + + + +0058.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +अब प्रिंट संस्करण और ई-बुक संस्करण उपलब्ध + +भारत 2021 + + + + + + ++ + + + + + +भारत के प्रांतों, केंद्रशासित प्रदेशों, +भारत सरकार के मंत्रालयों और विभागों तथा +नीतियों, कार्यक्रमों और उपलब्धियों की +आधिकारिक जानकारी देने वाला +वार्षिक संदर्भ ग्रंथ +मूल्य: प्रिंट संस्करण ₹ 300/- ई-बुक संस्करण ₹ 225/- + +पुस्तकें खरीदने के लिए प्रकाशन विभाग की +वेबसाइट : ४७४५/.०५०168101501५ं801,.10-.11 पर जाएं + +ई-बुक एमेज़ॉन और गूगल प्ले पर उपलब्ध + +देश भर में प्रकाशन विभाग के विक्रय केन्द्रों और +पुस्तक विक्रेताओं से भी खरीद सकते हैं + +Ea +° +ऑर्डर के लिए संपर्क करें: प्रकाशन विभाग +फोन ; 011-24365609 सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, + +ईन्मेल : 9प96055ए७॥6(00791.०0॥. भारत सरकार + +पुस्तकें ऑ लिए सूचना भवन, सी जी ओ कॉम्पलेक्स, +हमारी पुस्तकें ऑनलाइन खरीदने के लिए लोघी रोड नई दिल्‍ली -110003 + + + +@7at www. bharatkosh.gov.in W oY! वेबसाइट : www.publicationsdivision.nic.in + + + +feqer पर फोलो करें + + + +iw + +@ DPD_India + + + + + + + + + +58 + +योजना, मई 2021 + + + +0059.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +mR 2 cA We... + +जीएसटी का सफर + +मार्च, 2021 में सकल जीएसटी राजस्व संग्रह 1,23 ,902 करोड +रुपये का रहा जो अब तक का रिकॉर्ड है। इसमें सीजीएसटी 22973 +करोड़ रुपये, एसजीएसटी 29,329 करोड़ रुपये और आईजीएसटी +62 ,842 करोड रुपये (वस्तुओं के आयात पर हासिल 31,097 +करोड़ रुपये समेत) रहा। सकल संग्रह में उपकर का हिस्सा 8,757 +करोड़ रुपये (वस्तुओं के आयात से हासिल 935 करोड रुपये +समेत) रहा। + +सरकार ने आईजीएसटी से नियमित निपटान के रूप में सीजीएसटी +में 21 879 करोड़ रुपये और एसजीएसटी में 17,230 करोड़ रुपये का +निपटारा किया है। इसके अतिरिक्त केन्द्र और राज्यों/संघ शासित प्रदेशों +के बीच 50:50 के अनुपात में आईजीएसटी के रूप में 28 ,000 करोड +रुपये का तदर्थ निपटारा किया गया है। मार्च, 2021 में नियमित और +तदर्थ निपटारे के बाद केन्द्र और राज्यों का कुल राजस्व सीजीएसटी +के लिये 58,852 करोड़ रुपये और एसजीएसटी का 60,559 करोड +रुपये रहा। केन्द्र ने मार्च, 2021 के दौरान 30,000 करोड़ रुपये की +क्षतिपूर्ति भी जारी की है। + +मार्च, 2021 में माल और सेवा कर से प्राप्त राजस्व जीएसटी +लागू होने के बाद से सबसे ज्यादा है। पिछले पांच महीनों में जीएसटी +राजस्व संग्रह में लगातार सुधार आया है। मार्च, 2021 में प्राप्त + +राजस्व पिछले साल इसी महीने के संग्रह से 27 प्रतिशत ज्यादा है। +पिछले साल इसी माह की तुलना में मार्च, 2021 में वस्तुओं के +आयात से प्राप्त राजस्व 70 प्रतिशत और स्वदेशी लेन-देन (सेवाओं +के आयात समेत) से हासिल जीएसटी 17 प्रतिशत अधिक रहा। +पिछले वित्त वर्ष की तिमाहियों की तुलना में 2020-21 में जीएसटी +राजस्व में वृद्धि की दर पहली तिमाही में (-) 41 प्रतिशत, दूसरी में +(-) 8 प्रतिशत, तीसरी में 8 प्रतिशत और आखिरी तिमाही में 14 +प्रतिशत दर्ज की गयी। इससे जीएसटी राजस्व के साथ ही समूची +अर्थव्यवस्था के उबरने के रुख का स्पष्ट संकेत मिलता है। + +पिछले लगातार छह महीनों में जीएसटी से प्राप्त राजस्व +100000 करोड रुपये से ज्यादा का रहा है। इस काल में जीएसटी +राजस्व में तेजी से बढ़ोतरी का रुख कोविड 19 की वेश्विक +महामारी के बाद अर्थव्यवस्था के तेज गति से उबरने का स्पष्ट +संकेत है। फर्जी बिलों के खिलाफ कड़ी निगरानी, जीएसटी, +आयकर और आयात कर सूचना प्रौद्योगिकी प्रणाली समेत अनेक +स्रोतों के आंकड़ों के गहन विश्लेषण तथा प्रभावशाली कराधान +व्यवस्था ने भी पिछले कुछ महीनों में टैक्स राजस्व में लगातार वृद्धि +में योगदान किया है। + +नीचे, चार्ट में वित्त वर्षों 2019-20 और 2020-21 में मासिक +सकल जीएसटी राजस्व के रुख को दर्शाया गया है। + + + + + + + +जीएसटी संग्रह के रुझान ( करोड़ रुपये में ) +140000 +120000 +m +et +100000 vs uw om र्श्न +. wi wo m += a a +o wn vay 4 +™ ' 3 पथ 7 o a +80000 ३४५३ | 9. Rua “ +8 8: fe 6° +० o +60000 ~ +uw +- +S +40000 +R +20000 ot +हे +a +0 +अप्रैल. मई जून जुलाई अगस्त सितंबर अक्टूब नवंबर दिसंबर जनवरी फरवरी मार्च +हक वित्त वर्ष 2019-20 में जीएसटी संग्रह ! । वित्त वर्ष 2020-21 में जीएसटी संग्रह + + + + + + + + + + + + + +0060.txt +<----------------------------------------------------------------------> +रजि.सं. डी.एल.( एस)-05/3231/2021-23 Licenced under U (DN)-55/2021-23 +Reg. No. DL(S)-05/3231/2021-23 at RMS, Delhi आर.एन.आई. 951/57 + +28 अप्रैल, 2021 को प्रकाशित +० 2-3 मई, 2021 को डाक द्वारा जारी R.N.I. 951/57 + +जान + +ह्‌र प्रौद्योगिकी दिभ्ञाण +PARTMENT OF +(ae So emer Vi + +VIGYAN PRASAR + +ST late l Fs) += SCIENCE + +The Nation’s Science Channel + + + +देश का अपना 24307 Beet Wgchs + +eee ee + +GETTHE ‘ww —— + +विज्ञान एवं ae +प्रौद्योगिकी + +चैनल + +“इंडिया सांइस”-इंटरनेट आधारित +ओवर-द-टॉप (ओटीटी) चैनल है। यह 2407 +वीडियो प्लेटफॉर्म जनमानस में विज्ञान और प्रौद्योगिकी है +संबंधी ज्ञान, लोकाचार, सांस्कृतिक पहलुओं और #रर +वैज्ञानिक जागरूकता के प्रसार के लिए प्रतिबद्ध है aaa + +हा +Eu += + + + +www. indiascience.in + +od ० ead + + + + + + + + + +प्रकाशक व मुद्रकः मोनीदीपा मुखर्जी, महानिदेशक, प्रकाशन विभाग, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ( भारत सरकार ) द्वारा + +प्रकाशन विभाग के लिए चन्दु प्रेस, डी-97, शकरपुर, दिल्‍ली-110092 द्वारा मुद्रित एवं प्रकाशन विभाग, सूचना भवन, +सी.जी.ओ. परिसर, लोधी रोड, नई दिल्‍ली-110003 से प्रकाशित। वरिष्ठ संपादक: कुलश्रेष्ठ कमल + + + + + + + + + + + +YH-1567/2021 + + diff --git a/Data Collected/Hindi/Yojana_magazine_OCRed_Hindi/Yojana_2021_November_.txt b/Data Collected/Hindi/Yojana_magazine_OCRed_Hindi/Yojana_2021_November_.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..df397b0ca0c74e664845acbc386bbcdf87522565 --- /dev/null +++ b/Data Collected/Hindi/Yojana_magazine_OCRed_Hindi/Yojana_2021_November_.txt @@ -0,0 +1,8440 @@ + +0001.txt +<----------------------------------------------------------------------> +ISSN-0971-8397 + + + +पंचायती राज + +इक +प्रमुख, आलेख हल + + + + + +हु ग्राम सभा, के, जरिए शासन में।जन भागीदारी|ह + +हे Pat Ket कुमार कक + +न + पंचायतों (का [सफर +ू कक डॉ चंद्र शेखर, कुमार छोड + + + +हि aoe “ + + + + + + + + + +0002.txt +<----------------------------------------------------------------------> +Perm + +डिजिटल पंचायतें : ई-ग्राम स्वराज पीएफएमएस इंटरफेस + +विशेषताएं +एप्लीकेशन ये सुविधाएं उपलब्ध कराती है +सिंगल इंटरफेस सार्वजनिक व्यय +की निगरानी + + + + +कार्य आधारित पर 6) +प्रवाह = 0 (+) तर्कसंगत बनाना +बेहतर रिपोरटिंग डा ही, + +©) () सुरक्षित करना + +Ge राज संस्थानों में ई-गवर्नेंस मजबूत बनाने के उद्देश्य + +से पंचायती राज के लिए नई विकसित सरलीकृत कार्य +आधारित अकाउंटिंग एप्लीकेशन का शुभारंभ प्रधानमंत्री ने +राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस पर 24 अप्रैल, 2020 को किया +था। यह एप्लीकेशन (प्रयोग) ई-पंचायत मिशन मोड परियोजना +(एमएमपी) की सभी मौजूदा एप्लीकेशन्स को समाहित करके +तैयार की गई है और इसमें ई-एफएमएस एप्लीकेशन्स को शामिल +कर लिया गया है जिनमें प्लान प्लस, एक्शन सॉफ्ट, पीआरआईए +सॉफ्ट और नेशनल एरिया डायरेक्टरी भी जोड़ ली गई हैं। यह +समूचा सिस्टम स्थानीय निकाय डायरेक्टरी (एलसीडी) सिस्टम के +साथ एरिया प्रोफाइलर एप्लीकेशन और सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन +प्रणाली (पीएफएमएस) पर आशभारित है। + +* ई-ग्राम स्वराज (ई-जीएस, कार्य आधारित अकाउंटिंग +सॉफ्टवेयर): ईजीएस पंचायती राज संस्थानों के लिए +विकसित कार्य-आधारित अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर है जो +पंचायतों के कामकाज (निगरानी और परिसंपत्ति प्रबंधन) +के विभिन्न अन्य पहलुओं सहित पंचायतों के नियोजन +और लेखा संबंधी आवश्यकताएं पूरी करने वाला एकल + +और ट्रैकिंग + +a थे +“a चल = + + + + + +a ई-ग्राम स्वगज-पीएफएमएस एकीकरण मॉड्यूल इन: +| ५9 + + + +ns + +इ-जीएस अकाउंटिंग + + + +* ई-ग्राम स्वराज (ईजीएसपीआई) इंटरफेस, 2018 में शुरू किया +गया : इसका उद्देश्य पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाना और +ईजीएस के अकाउंटिंग मॉड्यूल और सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन +प्रणाली को मिलाकर एक तंत्र बनाना था ताकि पंचायतों को +केंद्रीय वित्त आयोग के मद में ऑनलाइन भुगतान करने का +इंटरफेस उपलब्ध हो जाए। ग्राम पंचायतों की ओर से वेंडर्स/ +सेवाप्रदाताओं को वास्तविक भुगतान करने के लिए उपलब्ध +यह अपनी तरह का एकमात्र ई-जीएसपीआई इंटरफेस है। इस +प्रणाली में नियंत्रक और महालेखाकार (सीएजी) के कार्यालय +द्वारा निर्धारित मॉडल अकाउंटिंग सिस्टम अपनाया जाता है। इससे +पंचायती राज संस्थानों की साख बढ़ती है और ये संस्थान अधिक +मजबूत बनते हैं। + +* ई-ग्राम स्वराज पीएफएमएस एकीकरण ; ई-ग्राम स्वराज, +पीएफएमएस, और कोर बैंकिंग सिस्टम (सीबीएस) के बीच +डेटा एनेबलिंग के माध्यम से किया गया था। डेटाफ्लो का +विवरण ऊपर दिए गए चित्र में देखा जा सकता हे। +पिछले वित्त वर्ष में 21 राज्यों की 1 लाख 80 हजार से ज्यादा + +पंचायतों को शामिल किया गया और 1 लाख 53 हजार से ज्यादा + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +प्लेटफॉर्म है। पंचायतों ने ऑनलाइन भुगतान की व्यवस्था अपनाई। +ग्राम स्वराज में वार्षिक प्रगति + +वित्त वर्ष | ग्राम पंचायतों | सक्रिय ग्राम चलाई गई ई-जीएसपीआई में ऑनलाइन भुगतान की + +की कुल संख्या | पंचायतों की गतिविधियों की | शामिल ग्राम पंचायतों | सुविधा वाली ग्राम +संख्यां संख्या की संख्या पंचायतों की संख्या + +2017-18 |2,49,102 1,37,051 12,56,876 | जी), + +2018-19. |2,53,465 1,12,747 15,16,764 1,68,245 256 + +2019-20. | 2,55,714 1,14,361 14,80,526 1,69,951 1,03,961 + +2020-21 | 2,56,777 1,66,859 20,05,434 2,24,362 1,52,640 + +2021-22 = | 2,55,354 3,77,163 3,29,935 2,23,923 1,46,557 + + + + + + + + + + + + + +शेष कवर 3 पर... + + + + + +0003.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +Es कक... www.publicationsdivision.nic.in + +वर्ष : 65 | नवम्बर 2021 +अक : 11 | कार्तिक-अग्रहन, शक संबत्‌ 1943 + + + + + +वरिष्ठ संपादक : कुलश्रेष्ठ कमल +संपादक : डॉ ममता रानी + +संपादकीय कार्यालय +648 , सूचना भवन, सीजीओ परिसर, +लोधी रेड, नयी दिल्‍ली-110 003 + +उत्पादन अधिकारी : डी के सी हृदयनाथ +आवरण : गजानन पी धोपे + +योजना का लक्ष्य देश के आर्थिक विकास से संबंधित +मुद्दों का सरकारी नीतियों के व्यापक संदर्भ में गहराई +से विश्लेषण कर इन पर विमर्श के लिए एक जीवंत +मंच उपलब्ध कराना है। + +योजना में प्रकाशित लेखों में व्यक्त विचार लेखकों के +अपने और व्यक्तिगत हैं। जरूरी नहीं कि ये लेखक +भारत सरकार के जिन मंत्रालयों, विभागों अथवा +संगठनों से संबद्ध हैं, उनका भी यही दृष्टिकोण हो। + +योजना में प्रकाशित विज्ञापनों की विषयवस्तु के लिए +योजना उत्तरदायी नहीं हैं। + +योजना में प्रकाशित आलेखों में प्रयुक्त मानचित्र व +प्रतीक आधिकारिक नहीं है, बल्कि सांकेतिक हैं। ये +मानचित्र या प्रतीक किसी भी देश का आधिकारिक +प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। + +योजना लेखकों द्वारा आलेखों के साथ अपने +विश्वसनीय स्रोतों से एकत्र कर उपलब्ध कराए +गए आंकडों/तालिकाओं/इन्फोग्राफिक्स के संबंध में +उत्तरदायी नहीं है। + +योजना घर मंगाने, शुल्क में छूट के साथ दरों व प्लान +की विस्तृत जानकारी के लिए पृष्ठ-73 पर देखें। + +योजना की सदस्यता का शुल्क जमा करने के बाद +पत्रिका प्राप्त होने में कम से कम 8 सप्ताह का समय +लगता है। इस अवधि के समाप्त होने के बाद ही +योजना प्राप्त न होने की शिकायत करें। + +योजना न मिलने की शिकायत या पुराने अंक मंगाने +के लिए नीचे दिए गए ई-मेल पर लिखें - + +pdjucir@gmail.com +या संपर्क करें- दूरभाष : 011-24367453 + +(सोमवार से शुक्रवार सभी कार्य दिवस पर +प्रात: 9:30 बजे से शाम 6:00 बजे तक) + + + +योजना की सदस्यता की जानकारी लेने तथा विज्ञापन +छपवाने के लिए संपर्क करें- +अभिषेक चतुर्वेदी, संपादक, पत्रिका एकांश +प्रकाशन विभाग, कमर सं. 779, सातवां तल, +सूचना भवन, सीजीओ परिसर, लोधी रोड, +नयी दिल्‍्ली-110003 + + + + + + + + + + + + + + +प्रमुख आलेख +ग्राम सभा के जरिए शासन में +जन भागीदारी +सुनील कुमार........... | +-_-« 6 ; +— oe “oy Se +Vy a. ei A हे +लूँ - eo ae ee +अपशिष्ट प्रबंधन और ग्रामीण नियोजन +मुजम्मिल खान................-०००००००००००००००«०«>>+«> 38 + +सतत विकास लक्ष्यों का स्थानीयकरण +सुकन्या केयू, जॉय एलामोन..................- 43 + +डिजिटल स्थानीय शासन + + + + + +विशेष आलेख मयंक खरबंदा.........................५८५५७७०७७ 48 +पंचायतों का सफर लोगों की योजना +डॉ चंद्र शेखर कुमार इलोकार्थ त्रिवेदी ...........................८८५५०००० 54 +डॉ मोहम्मद तौकीर खान.................. 10 + + + + + + + +yojanahindi-dpd@gov.in + + + + + + + + +नारी विशेषांक पसंद आया +योजना-माह सितंबर-2021 अंक नारी +विशेषांक बहुत पसंद आया। इस अंक के +सभी आलेख पठनीय और सराहनीय है। +खासकर “खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली +भारतीय महिलाएं! के बारे में नई, ताजी बहुत +अच्छी जानकारी मिली। +डॉ रंजना कुमारी का आलेख “स्त्री-हत्या +की रोकथाम' एवं डॉक्टर के के त्रिपाठी +का विशेष आलेख “स्वयं सहायता समूह' +तथा “महिलाओं के स्वास्थ्य संबंधी' विषय +पर फोकस अंशु गुप्ता का भी आलेख बहुत +अच्छा लगा। +- विनोद कुमार तिवारी +प्रोफेसर कॉलोनी, फारबिसगंज, बिहार +नया समाजीकरण हो +सामाजिक मान्यताओं के आधार पर गढ़ी +महिलाओं के दोयम दर्ज की स्थिति कहीं न +कहीं 21वीं सदी में भी कायम हैं हालांकि +बहुत कुछ बदला भी है लेकिन इससे इंकार +नहीं किया जा सकता कि महिलाएं खुद को +पुरूषों के नजूरिए से ही देखती हैं उनका +स्वयं पर अधिकार न होना काफी दुखद प्रतीत +होता है। +नारी विशेषांक के संपादकीय में +यह सवाल कि “औरत के कमजोर होने! +का नहीं बल्कि 'सामाजिक ताने-बाने के +कमजोर ' होने का है- यह समझना होगा +कि जब एक बच्चा गर्भ में रहता है तो यह +ज्ञात नहीं होता कि बच्चा किस लिंग का है। +तब तो हम उस शरीर से ही प्यार कर रहे +होते हैं, तो दुनिया में आने के बाद भी हमें +शरीर से ही प्यार होना चाहिए न कि लिंग +के आधार पर। +20वीं सदी की फ्रांस की सामाजिक +दार्शनिक सिमोन द बठउआ आज भी प्रासंगिक +साबित हो रही हैं। बात यहां स्त्री-पुरुष + +4 + + + + + +eS yitaet + + + + + + + + + + + +समानता की नहीं है, सामाजिक बराबरी/न्याय +की है। महिलाओं का समाजीकरण ऐसा हुआ +है कि उनमें खुद के लिए एक हीन भावना +सी आ जाती है कि उन्हें सब कुछ ढककर +करना पड़ता है और पुरुष खुले आम कुछ +भी कर सकते हैं। जैसे- “मातृत्व” में ऐसी +स्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं। +एक और बड़ा सवाल- जब हम +महिलाएं किसी मुसीबत या समस्या में घिरी +होती हैं तो हमें मदद की गुहार भी पुरुषों +से लगाने की होती है। यह कहीं न कहीं +पितृसत्तात्मक समाज की मानसिकता से होकर +ही आई होती है। सवाल तो बहुत हें जिन्हें +कुछ पन्नों में नहीं समेटा जा सकता। +इन सब विचारों से एक बात अवश्य +निकल कर सामने आती है कि जब तक +सामाजिक मानसिकता में बदलाव नहीं +होगा सामाजिक न्याय/बराबरी का सवाल +हल नहीं होगा। +हमारी सरकार ने एक “नया भारत' का +स्वप्न संजोया है वेसे ही 'नया समाजीकरण' +हो जिसमें केवल “एक शरीर' होगा लिंग, +जाति, वर्ग इत्यादि नहीं। +- कल्पना +रायबरेली, उत्तर प्रदेश +लोक प्रशासन मतलब +जनता की सेवा +भारत के संघीय ढांचे को एक सूत्र +में पिरोने वाला यह लोक प्रशासन ही है। +अगस्त 2021 योजना के अंक ने जिस तरह +से शब्दों को समझाने के लिए पिरोया है वह +अद्भुत है। +मीनाक्षी गुप्ता के द्वारा लेख 'शासन में +ईमानदारी” वाकई में अतुलनीय है। सरदार +वल्लभभाई पटेल ने 10 अक्टूबर 1949 +को संविधान सभा में प्रशासनिक सेवाओं , +विशेषकर अखिल भारतीय सेवाओं का जो + +पुरजोर समर्थन किया था उसे हमें भी यह +सीख लेनी चाहिए कि जिस भावना के साथ +उन्होंने इस तथ्य को प्रस्तुत किया था उसी +भावना के अनुरूप हमें दिल लगाकर समाज +में व्याप्त हर बुराई को जड़ से मिटा देना +चाहिए ताकि उनके सपनों पर और आज +के नए भारत (न्यू इंडिया) पर हम खरा +उतर सके। +- गुलाब काजल +हथवाला, जींद, हरियाणा +यथार्थवाद को दिखाया है +योजना का नारी शक्ति पर आधारित +सितंबर अंक ने समाज में काफी यथार्थवाद +को दिखाया है और नारी सशक्तीकरण को +समाज में केसे बढ़ाया जा सकता है इस पर +भी सटीक चर्चा की है। +मुख्य रूप से बात करें तो डॉक्टर रंजना +कुमारी का आलेख “स्त्री हत्या की रोकथाम' +में दिखाया गया है कि घरेलू हिंसा के मामले +लॉकडाउन के बाद से बढ़ते जा रहे हैं। +पिछले लॉकडाउन में एक सर्वे के अनुसार +दिखाया गया था कि महिला का आत्महत्या +स्तर बढ़ रहा है। दहेज हत्या व बाल +हत्या की रोकथाम में सरकार प्रमुख कदम +उठा रही है- जैसे लोगों ने 1098 चाइल्ड +हेल्पलाइन से 898 बाल विवाह के आयोजन +पर रोक लगाई। मासिक धर्म पर आलेख +काफी ज्ञानवर्धक व यथार्थवादी है। परंतु मेरे +दृष्टिकोण से जो सोच हमारी मां बहन को +समाज में बोलने को लेकर बनी हुई है उसे +खत्म करना चाहिए। वह निःसंकोच अपने +परिवार के किसी सदस्य (जैसे मां-बाप या +भाई) को मासिक धर्म के बारे में बता सके। +अंक प्रस्तुति के लिए योजना टीम का +बहुत-बहुत धन्यवाद! +- मोहित कुमार +खेरा, औरैया, उत्तर प्रदेश + +योजना, नवम्बर 2021 + + + +0005.txt +<----------------------------------------------------------------------> +aD TTA + + + + + + + + + + + + + + + + + +जन भागीदारी + +50 के दशक में, सुप्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार फणीश्वरनाथ रेणु ने 'पंचलाइट' (पंचलैट) नामक कहानी लिखी। तत्कालीन ग्रामीण +समाज के संदर्भ में स्थापित यह कहानी एक ऐसे युग को दर्शाती है, जिसमें अधिकांश ग्रामीण भारत में बिजली नहीं थी। अधिकांश + +ग्रामीण घरों में ढिबरी या छोटा दीपक जलाते थे। पेट्रोमेक्स का खर्च हर कोई वहन नहीं कर पाता था अतः सार्वजनिक जगह या केंद्र में +रखे जाने के लिए पंचायत ही इसे खरीदती थी, इसलिए इसे पंचलाइट कहा जाता था। श्री रेणु की इस आंचलिक कहानी में बिहार के एक +पिछड़े गांव के परिवेश एवं जाति समीकरणों का चित्रण है जिसमें गांव में रहने वाली विभिन्‍न जातियां अलग-अलग टोलियां बनाकर रहती हैं। +उन्हीं में से एक टोली के पंचों ने पेट्रोमेक्स खरीदा, लेकिन उस टोली के किसी भी व्यक्ति को उसे जलाना नहीं आता था। इसके बावजूद +दूसरी टोली के व्यक्ति की मदद लेना सभी को नागवार गुजुर रहा था। तभी पेट्रोमेक्स जलाने की जानकारी रखने वाले गोधन का नाम सामने +आया, जिसका पंचायत ने हुक्का पानी बंद किया हुआ था। गोधन भी बहिष्कार से नाराज था किंतु मानमनोव्वल के बाद उसी ने पेट्रोमैक्स +(पंचलाइट) जलाकर गांव की उस टोली की “नाक' को बचाया। अज्ञानता और झूठी शान के अंधेरे में जी रहे इन ग्रामीणों का यथार्थवादी +चित्रण श्री रेणु ने किया था। लेकिन अब पंचायती राज व्यवस्था के संस्थागतकरण ने ग्रामीण भारत का चेहरा बदल दिया हे। + +आज पंचायतें शासन की आधारभूत संस्था हैं। 1993 में संविधान के 73वें संशोधन ने पंचायती राज व्यवस्था की नींव रखी, जैसा कि +हम आज देखते हैं। स्थानीय शासन की लोकतांत्रिक त्रि-स्तरीय प्रणाली का उद्देश्य गांवों के आर्थिक, सामुदायिक और सामाजिक विकास के +लिए पंचायतों को शक्तियों, धन और जिम्मेदारियों का हस्तांतरण करना है। उन्हें वित्तीय रूप से सुदृढ़ बनाए रखने के लिए केंद्र और राज्यों +के माध्यम से धन उपलब्ध कराया जाता है। इन पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई) में गांवों को आत्मनिर्भर और विकेन्द्रीकृत बनाने के लिए +महात्मा गांधी के “ग्राम स्वराज' के सपने को दृष्टिगत रखा गया है। ये संस्थान नियोजन और विकास की प्रक्रिया में “लोगों की भागीदारी' +को सुगम बनाते हैं। वे स्थानीय रूप से उपलब्ध संसाधनों की पहचान सुनिश्चित करते हैं और सहभागी योजना और अभिसरण के माध्यम +से सभी समुदायों की स्थानीय जरूरतों को पूरा करते हैं। + +राष्ट्रीय महत्व के विषयों पर प्रमुख योजनाओं के प्रभावी और कुशल कार्यान्वयन में पंचायतों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। भूमि के स्वामित्व +के लिए हाल ही में शुरू की गई स्वामित्व योजना जैसे कई सुधार हैं, जो वित्तीय लाभ और संसाधनों के बेहतर प्रबंधन को भी जोड़ रहे हं। + +प्रौद्योगिकी का इष्टतम उपयोग हमारे देश के ग्रामीण परिदृश्य को भी बदल रहा है। ई-पंचायतों के माध्यम से 2.5 लाख से अधिक +ग्रामीण निकायों को स्वचालित (ऑटोमेशन) करने की परियोजना के सराहनीय परिणाम मिल रहे हैं और इसके द्वारा लाए गए परिवर्तन की +उल्लेखनीय उपलब्धियां हैं। पंचायती राज मंत्रालय पंचायती राज संस्थानों को मजबूत करने और स्थानीय स्वशासन के समावेशी, समुदाय +संचालित और समग्र योजना प्रक्रिया के उद्देश्यों को पूरा करने की दिशा में प्रयास कर रहा है। + +कोविड-19 की पहली और दूसरी लहर के दौरान, शहरों से विपरीत प्रवास यानी गांव वापसी के कारण, पंचायतों ने ग्रामीण आबादी के +बीच वायरस के प्रसार को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। देश की 65 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है, इसलिए वायरस के कारण होने +वाली व्यापक तबाही के प्रबंधन में उनकी भूमिका अपरिहार्य थी। ग्राम पंचायतों ने वायरस के संचरण को धीमा करने और वायरस से जुड़ी +मृत्यु दर को कम करने के लिए, उनकी क्षमता अनुसार व्यापक व्यवस्था लागू की। जनभागीदारी और प्रभावी स्थानीय शासन के माध्यम से +वे आवश्यक स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने और समय पर टीकाकरण सुनिश्चित करने में सबसे आगे काम कर रहे हैं। महामारी ने इस बात +पर प्रकाश डाला है कि ग्रामीण आबादी की भलाई और सेवाओं के बेहतर वितरण के लिए पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई) के कार्यों +में कैसे सुधार आवश्यक है, जो देश के बाकी हिस्सों में बुनियादी सुविधाओं के लिए उन पर निर्भर है। पंचायत और उसके पदाधिकारियों +के कामकाज में पारदर्शिता, जिम्मेदारी और जवाबदेही लाना भी ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक विकास के इंजन के रूप में उनकी +भूमिका को मजबूत कर रहा है। + +योजना का यह विशेष अंक पंचायती राज प्रणाली के पीछे की दृष्टि और विचार तथा विभिन्न क्षेत्रों में दशकों में की गईं पहलें और +जमीन पर सफलता की उन कहानियों को एक साथ लाता है जिनसे प्रणाली को मजबूत करने में मदद मिली। यह हमारे गांवों के आत्मनिर्भर +होने की यात्रा दर्शाने का प्रयास है जो सभी के लिए एक प्रेरणाम्रोत हैं। | + +योजना, नवम्बर 2021 5 + + + +0006.txt +<----------------------------------------------------------------------> +ee + +ग्राम सभा के जरिए शासन में जन भागीदारी + +सुनील कुमार + +ग्राम पंचायत, पंचायती ढांचे में सबसे निचले स्तर पर मौजूद है। इसका मकसद ग्रामीण आबादी को ऐसे +अवसर मुहैया कराना है, ताकि वे ग्राम सभाओं जैसे मंच के माध्यम से स्थानीय स्तर पर शासन प्रणाली +में अपनी सहभागिता सुनिश्चित कर सकें। ये ग्राम सभाएं लोगों के लिए सीधा मंच मुहैया कराती हैं, जहां +गांवों “ग्राम पंचायत के वोटर शामिल होते हैं और उन्हें ग्रामीण कार्यक्रमों और परियोजनाओं की सीधे तौर +पर निगरानी और ग्राम पंचायतों की जवाबदेही सुनिश्चित करने का अधिकार होता है। + +रत में जूमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करने +भा में पंचायती राज संस्थानों की अहम भूमिका रही है। +संविधान के 73वें संशोधन के जूरिए इन संस्थानों के +लिए मजबूत बुनियाद तैयार की गई है। इसके तहत पंचायती राज +संस्थानों के रूप में स्थानीय स्तर पर नागरिकों की भागीदारी सुनिश्चित +की गई है। +ग्राम सभा का कामकाज +ग्राम सभा के तहत, गांवों में फैसले लेने की प्रक्रिया में वहां +के नागरिकों की सीधी भागीदारी की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। +यह नागरिकों के लिए सार्वजनिक मंच है जहां वे अपनी समस्या +के बारे में विस्तार से बता सकते हैं। साथ ही, यहां पर स्थानीय +समुदाय अपनी आकाक्षाओं के बारे में बात कर सकते हैं। हालांकि, +ग्राम सभा के कामकाज में भी चुनौतियां देखने को मिली हैं और +यहां नियमितता और पारदर्शिता का अभाव नजर आता है। न्यूनतम +भागीदारी, ग्राम सभा की बैठकों में अनियमितता, बेहतर कार्य सूची +का अभाव जैसी गड़बडियां आदि वजहों से ग्राम सभा का संचालन +प्रभावकारी तरीके से नहीं हो पाता है। कई मामलों में ऐसा देखा गया +है कि गांवों में रहने वाले कमजोर तबके के लोग खुलकर अपनी +राय नहीं रख पाते हैं। ग्राम पंचायत के निर्वाचित प्रतिनिधि, खास तौर +पर सरपंच अपने अधिकारों का मनमाना इस्तेमाल करते हैं, जिसकी + +अनुच्छेद 243 : ग्राम सभा को “ग्राम स्तर पर पंचायत के क्षेत्र में + +शामिल एक गांव से संबंधित मतदाता सूची में पंजीकृत व्यक्तियों +SC eC ie कै: CCL RN + + + +अनुच्छेद 243ए : एक ग्राम सभा ऐसी शक्तियों का प्रयोग कर + +सकती है और ग्राम स्तर पर ऐसे कार्य कर सकती है जो राज्य का +विधानमंडल कानून द्वारा प्रदान करे। + + + +वजह से ग्राम सभाओं में उनकी आलोचना नहीं हो पाती। इस तरह, +अक्सर ग्राम सभा की भूमिका महज्‌ एक सांकेतिक मंच के तौर पर +सिमट कर रह जाती हे। +राज्यों में ग्राम सभा + +कर्नाटक, केरल, बिहार, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों में ग्राम +पंचायतों के बडे आकार को देखते हुए इन राज्यों की पंचायतों में +वॉर्ड सभा आदि का अतिरिक्त ढांचा भी तैयार किया गया और ग्राम +सभा की बैठक से पहले वॉर्ड सभा की बैठक का नियम तय किया +गया है। पंचायती राज कानून के तहत, कुछ राज्यों और केंद्रशासित +प्रदेशों में यह भी प्रावधान किया गया है कि ग्राम पंचायतों से जुडे +निश्चित वोटों के आधार पर ग्राम सभा की विशेष बेठक बुलाई जा +सकती है। इनमें छत्तीसगढ़, गोवा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, केरल, +मध्य प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, +अंडमान और निकोबार, दमन और दीव, लक्षद्वीप शामिल हैं। ग्राम +सभा के अधिकारों और कामकाज के बारे में फैसला लेने के लिए +राज्यों को अधिकृत किया गया है, लिहाजा सालाना स्तर पर ग्राम सभा +की होने वाली बेठकों की संख्या अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग +हो सकती है। फिलहाल, ग्राम सभा की सालाना बैठकों के लिए तय +की गई संख्या 1 से 6 तक है। त्रिपुरा सरकार ने सालाना कम से कम +एक बैठक का प्रावधान किया है, जबकि छत्तीसगढ़ और तेलंगाना जैसे +राज्य में अधिकतम 6 बैठकों का प्रावधान किया गया है। ज़्यादातर +राज्यों/केद्रशासित प्रदेशों में बैठकों की अनिवार्य संख्या 2 से 4 है। + + + + + + + + + +संख्या ग्राम सभा की आवृत्ति | राज्य + +अधिकतम le क। छत्तीसगढ़, तेलंगाना +न्यूनतम 1 त्रिपुरा + +औसत 3 बाकी राज्य + + + + + + + + + + + +चित्र 1 : राज्यों में ग्राम सभा की बैठकों का वर्तमान परिदृश्य + + + +लेखक भारत सरकार के पंचायती राज मंत्रालय में सचिव हैं। ईमेल; ४००ए-1॥०एाह्धेएांए-आा + +6 + +योजना, नवम्बर 2021 + + + +0007.txt +<----------------------------------------------------------------------> +संबंधित राज्यों के पंचायती राज कानूनों +के मुताबिक बैठकों की निर्धारित अनिवार्य +संख्या के अलावा, राष्ट्रीय महत्व के दिनों +मसलन गणतंत्र दिवस, अंबेडकर जंयती, मजूदूर +दिवस, स्वतंत्रता दिवस और गांधी जयंती पर +भी ग्राम सभा की बैठकों का आयोजन किया +जाता है। पंचायती राज मंत्रालयों ने राज्यों +को इन विशेष बेठकों का बेहतर इस्तेमाल +करने की सलाह दी है, जिसके तहत केंद्र +सरकार की विभिन्न योजनाओं पर चर्चा की जा +सकती है, ताकि नागरिकों को इसके लाभकारी +पहलुओं के बारे में जानकारी दी जा सके। + +विभिन्न तरह के अभियानों +जैसे संविधान दिवस, कोरोना +जागरूकता अभियान, फिट इंडिया +अभियान, अंतरराष्ट्रीय योग दिवस +आदि को ध्यान में रखते हुए +भी ग्राम सभाओं का आयोजन +किया जाता है। ग्राम सभाओं का +नियमित तौर पर आयोजन बेहद +जरूरी है, क्योंकि इससे ग्राम सभा + +रही है। इन योजनाओं को प्रभावी तरीके से +लागू करने के लिए आम लोगों की गोलबंदी +और उनकी सक्रिय भागीदारी आवश्यक है। +ग्राम सभा इसके लिए आदर्श मंच मुहैया +कराती है, जिसके जरिये नागरिकों से सीधा +संवाद कर इन योजनाओं में उनकी भागीदारी +सुनिश्चित की जा सकती है। +डाडेरा ग्राम पंचायत, अयोध्या, उत्तर +प्रदेश + +पिछले कुछ साल में कुछ राज्यों ने +ग्राम सभा में लोगों की भागीदारी को बढावा +देकर इसका बेहतर इस्तेमाल सुनिश्चित किया + +इसके अलावा, विभिन्न तरह के अभियानों जैसे जैसे संस्थान में ग्रामीण लोगों का है। साथ ही, स्थानीय समस्याओं से निपटने +संविधान दिवस, कोरोना जागरूकता अभियान, भरोसा बढ़ता है। में सफलता हासिल की है। ऐसा ही एक + +फिट इंडिया अभियान, अंतरराष्ट्रीय योग दिवस +आदि को ध्यान में रखते हुए भी ग्राम सभाओं का आयोजन किया +जाता है। ग्राम सभाओं का नियमित तौर पर आयोजन बेहद जरूरी +है, क्योंकि इससे ग्राम सभा जैसे संस्थान में ग्रामीण लोगों का भरोसा +बढ़ता है। इसके अलावा, नियमित तौर पर ग्राम सभाओं का आयोजन +नहीं होने पर इन सभाओं में लोगों की भागीदारी में भी कमी आ +सकती है। कई राज्यों में ग्रामीणों और इससे जुड़े महत्वपूर्ण पक्षों +मसलन निर्वाचित प्रतिनिधियों, सरकारी अधिकारियों, विशेषज्ञों की +सभाओं में सीमित भागीदारी देखी गई है। ग्राम सभा को प्रभावी बनाने +में यह एक बड़ी बाधा है। +आवश्यकता और प्रासंगिकता + +ग्राम सभा की परिकल्पना एक विशिष्ट संस्थान के तौर पर +की गई थी, ताकि नागरिक जमीनी स्तर पर मौजूद समस्याओं को +प्रमुखता से पेश कर सके और संभावित समाधानों पर आम-सहमति +बना सके। ग्राम सभा के फैसले खुले, पारदर्शी और व्यापक +स्वीकार्यता वाले होते हैं। भारत सरकार स्वास्थ्य, शिक्षा, पोषण, +जल आपूर्ति और स्वच्छता से जुड़ी कई योजनाओं पर काम कर + +उदाहरण अयोध्या (उत्तर प्रदेश) के पुरा +प्रखंड स्थिति डाडेरा पंचायत का है। साल 2019 में प्रधानमंत्री के +आह्वान पर लोगों ने सामान्य जल और बारिश के पानी के संरक्षण +की जूरूरत महसूस की। नागरिकों ने उपेक्षित पड़े कुओं, गंदे +पानी, नालियों आदि के बेहतर प्रबंधन के लिए काम शुरू किया। +दरअसल, जल संरक्षण को लेकर इस पहल के बारे में फैसला ग्राम +सभा की बैठक के दौरान हुआ था। ग्राम सभा की बैठक के बाद +ग्राम पंचायत में 'जल शक्ति अभियान' शुरू किया गया, जिसके +तहत कई कदम उठाए गए, मसलन तालाब की खुदाई, गंदे पानी +का प्रबंधन, सार्वजनिक भवनों में बारिश के पानी का प्रबंधन आदि। +इन उपायों से न सिर्फ गांव की कृषि संबंधी पानी की जरूरतों को +पूरा करने में मदद मिली, बल्कि घटते भूजल स्तर को भी बेहतर +किया जा सका। इन उपायों के जरिये राजस्व के नए स्रोत भी तैयार +हुए। ग्राम पंचायतों ने तालाब की खुदाई के दौरान जमा हुई मिट्टी +की बिक्री की और तालाब में मछली और बत्तत् का पालन भी +शुरू हुआ। इसी तरह, गांव के लोगों द्वारा ग्राम सभा के माध्यम +से एक समस्या पर विचार किया गया और इसके समाधान के + + + +योजना, नवम्बर 2021 + + + +0008.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +koe” + +चित्र 3 : ग्रेवाटर हार्वेस्टिंग + +लिए आम-सहमति तैयार की गई। इस तरह की पहल से राजस्व के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की है, ताकि ग्राम पंचायतों के +का नया स्रोत भी पैदा हुआ और इसकी वजह से ग्राम पंचायत का लिए जूमीनी स्तर पर मौजूद चुनौतियों को समझा जा सके। इस +भी सशक्तीकरण हुआ। इस फैसले से ग्राम पंचायत को आत्मनिर्भ. सिलसिले में राज्यों की चुनौतियों को देखते हुए, राज्य/केद्रशासित +बनाने में मदद मिली और ग्रामीणों के लिए रोजुगार के स्रोत तैयार प्रदेशों को ये सुझाव पेश किए गए हैं: + +किए जा सके। देशभर में ऐसे कई उदाहरण हैं जहां ग्राम सभाओं 1. ग्राम सभाओं का नियमित आयोजन सुनिश्चित करनाः + + + +का असर महसूस किया जा सकता है। हालांकि, ग्राम पंचायतों की ग्राम पंचायतों को नियमित तौर पर ग्राम सभा की बैठकों +संख्या और इस हिसाब से ग्राम सभाओं के असर को देखा जाए, का आयोजन करना चाहिए। पंचायतों को हर साल कम से +तो इन सभाओं का असर सीमित रहा है। इस तरह, सक्रिय संस्थान कम 6 से 12 ऐसी बैठकों का आयोजन करना चाहिए। ग्राम +के तौर पर ग्राम सभाओं के अस्तित्व को बढावा देने की जरूरत सभाओं का आयोजन कितनी बार किया जाए, इस बात का +है, ताकि नागरिकों द्वारा इस मंच के माध्यम से स्थानीय मुद्दों से फैसला संबंधित पंचायत की आबादी, ग्राम सभा की बैठकों +निपटा जा सके। के आयोजन से जुडी प्रशासनिक जरूरतों आदि के आधार पर +ग्राम सभाओं का कामकाज प्रभावी बनाने के उपाय किया जा सकता है। + +ग्राम पंचायतों को प्रभावी बनाने के लिए, नियमित स्तर पर 2. एजेंडा/कार्रवाई रिपोर्ट (एक्शन टेकेन रिपोर्ट ) तैयार +ग्राम सभाओं की बैठक बुलाना जरूरी है। TT करना और उसका वितरण: ग्राम सभाओं + +साथ ही, पंचायतों को मजूबूत बनाने के लिए वित्त आयोग द्वारा आवंटित समग्र की बेठक से पहले हमेशा उसका एजेंडा +स्थानीय स्तर पर ग्राम सभाओं की स्वायत्तता अनुदान का इस्तेमाल पंचायतों से ( कार्य सूची) तैयार किया जाना चाहिए और +भी आवश्यक है। वित्त आयोग srr आवंटित जुड़ी विभिन्न जरूरतों के लिए इसमें पिछले बैठक से जुड़े पहलुओं और +समग्र अनुदान का इस्तेमाल पंचायतों से जुड़ी कार्रवाई रिपोर्ट, ग्राम पंचायत विकास योजना +विभिन्न जुरूरतों के लिए किया जा सकता है। किया जा सकता है। इस तरह की मंजूरी आदि को शामिल किया जाना +इस तरह की स्वायत्तता को मजबूत बनाने की की स्वायत्तता को मजबूत बनाने चाहिए। ग्राम सभा के एजेंडे में, आधारभूत +दिशा में यह अहम कदम है। पंचायती राज की दिशा में यह अहम कदम है। संरचना से जुडे कार्यों के चुनाव/मंजूरी/ +मंत्रालय, राज्यों/केद्रशासित प्रदेशों में मौजूद. पंचायती राज मंत्रालय, राज्यों/ प्रगति/निगरानी और गांव-स्तर के कर्मियों के +पंचायती राज से जुड़े संस्थानों के फंड, केंद्रशासित प्रदेशों में मौजूद प्रदर्शन की समीक्षा भी शामिल होनी चाहिए। +कामकाज आदि के विकेद्रीकरण की दिशा पंचायती राज से जुड़े संस्थानों 3. enn कैलेंडर तैयार करना: ग्राम +में काम कर रहा है। मंत्रालय का मकसद . सभाओं की बैठक के लिए राज्य के सभी +ज्यादा से ज्यादा विकेद्रीकरण के फंड, कामकाज आदि के पंचायतों कैलेंडर + +ज्यादा से ज़्यादा विकेद्रीकरण के साथ-साथ विकेंद्रीकरण में ग्राम पंचायतों को एक कैलेंडर तैयार करना +ग्राम सभाओं का सशक्तीकरण भी है। इसके विकेंद्रीकरण की दिशा में काम चाहिए। इस तरह का कैलेंडर बनाने से सभी +तहत ग्राम सभाओं को जरूरी संसाधन मुहैया कर रहा है। मंत्रालय का मकसद ग्राम सभाओं में सालाना कार्यक्रम से जुडी +कराए गए हैं, ताकि वे सही ढंग से अपना ज़्यादा से ज़्यादा विकेंद्रीकरण ॒ जानकारी मुहैया कराने और बैठकों के लिए +काम कर सके। पंचायती राज मंत्रालय ने के साथ-साथ ग्राम सभाओं का बेहतर तैयारी करने में मदद मिलेगी। सालाना +ग्राम सभाओं की भूमिका को पहचानते हुए कैलेंडर होने से ग्राम सभाओं में गांव के +राज्य स्तर पर मौजूद पंचायती राज विभागों __सशक्तीकरण भी है।_ लोगों की भागीदारी बढ़ेगी और पंचायतों + +8 योजना, नवम्बर 2021 + + + +0009.txt +<----------------------------------------------------------------------> +की बैठकों के लिए बेहतर ढंग से +कार्यक्रम तैयार किए जा सकेंगे। इस +सिलसिले में राज्यों के साथ केलेंडर +का नमूना साझा किया गया है, जिसमें +हर महीने ग्राम सभाओं के लिए कार्रवाई +का खाका पेश किया गया है। यह नमूना +पंचायती राज मंत्रालयों की वेबसाइट पर +भी उपलब्ध है। + +4. बेहतर ढंग से कार्यक्रम तैयार करना: +ग्राम सभाओं की बैठकों को वैकल्पिक +तौर पर (एक-एक करके) बुलाया +जाना चाहिए, ताकि किसी खास दिन + +ग्राम सभाओं की बैठक का समय +ग्रामीण आबादी के लिए अनुकूल +होना चाहिए, ताकि बड़ी संख्या +में लोग इसमें पहुंच सकें। संबंधित +राज्यों “नियमों के तहत, ग्राम +सभाओं से पहले महिला सभा/ 8. +वॉर्ड सभा/बाल सभा आदि + +का आयोजन किया जा सकता +है। ग्राम सभाओं की बैठकों के + +रोजगार सहायकों आदि की सेवाओं का +इस्तेमाल किया जाना चाहिए। ग्राम सभाओं +में लोगों की भागीदारी बढ़ाने के लिए +मेडिकल जांच, तकनीक से जुड़ी ग्रामीण +परियोजनाओं का इस्तेमाल, स्कूलों/स्वास्थ्य +केंद्रों का दौरा जैसी गतिविधियों का भी +सहारा लिया जा सकता है। + +वॉर्ड सदस्यों/निर्वाचित सदस्यों +को प्रोत्साहन: ग्राम पंचायतों के सभी +सदस्यों/निर्वाचित सदस्यों को उपसमितियों +का सदस्य बनाया जाना चाहिए। साथ ही, हर +वॉर्ड सदस्य को दो से ज़्यादा उपसमितियों + +सिर्फ चुनिंदा समूह (क्लस्टर) के लिए रुटीन तय होना चाहिए, का सदस्य नहीं बनाया जाना चाहिए। वॉर्ड +ग्राम पंचायतों की बैठक हो सके। ताकि अगली ग्राम सभा के समय सदस्यों/निर्वाचित प्रतिनिधियों को उनकी +इससे जिला/प्रखंड प्रशासन को ग्राम के बारे में लोगों को पहले से सेवाओं के लिए ग्राम पंचायतों के राजस्व +सभाएं आयोजित करने के लिए सीमित जानकारी हो। स्रोत/सरकारी फंडों से जुरूरी मेहनताना दिया + +संसाधनों के बेहतर इस्तेमाल में मदद + +मिलेगी। जिला/प्रखंड के ग्राम पंचायतों के एक समूह से जुड़ी +ग्राम सभाओं की बैठकों के लिए एक खास दिन (मसलन +महीने का पहला बुधवार) तय किया जा सकता है। इसी तरह, +बाकी समूहों (क्लस्टर) से जुड़ी ग्राम सभाओं की बैठक के +लिए महीने के अन्य दिन तय किए जा सकते हैं। + +5. बैठक के लिए अनुकूल समय: ग्राम सभाओं की बैठक +का समय ग्रामीण आबादी के लिए अनुकूल होना चाहिए, +ताकि बडी संख्या में लोग इसमें पहुंच सके। संबंधित राज्यों/ +नियमों के तहत, ग्राम सभाओं से पहले महिला सभा/वॉर्ड +सभा/बाल सभा आदि का आयोजन किया जा सकता है। ग्राम +सभाओं की बैठकों के लिए रुटीन तय होना चाहिए, ताकि +अगली ग्राम सभा के समय के बारे में लोगों को पहले से +जानकारी हो। + +6. प्रथम और द्वितीय वर्ग के अधिकारियों की मौजूदगी: जिला +प्रशासन को ग्राम सभाओं की सभी बैठकों में प्रथम वर्ग और +द्वितीय वर्ग के अधिकारियों की मौजूदगी सुनिश्चित करनी +चाहिए। ग्राम सभाओं में प्रशासनिक मौजूदगी के कारण यहां +शिकायतों के निपटारा जैसे मुद्दे पर चर्चा हो सकेगी। शिकायतें +दर्ज करने के लिए अलग सुविधा और उसके संभावित +निपयारा तंत्र से ग्राम सभा को अपनी मुख्य गतिविधियों पर +केंद्रित करने में मदद मिलेगी। + +7. ग्राम सभाओं में लोगों की भागीदारी बढ़ाना : ग्राम +सभाओं में सभी सक्षम नागरिकों की मौजूदगी सुनिश्चित +करने के लिए प्रयास किया जाना चाहिए। ग्राम सभाओं की +बैठक में कम से कम 10 प्रतिशत महिला और 30 प्रतिशत +पुरुषों की मौजूदगी जरूरी है। बैठकों में हिस्सा लेने के +लिए डिजिटल माध्यमों मसलन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग आदि +के इस्तेमाल पर भी विचार किया जा सकता है। ग्राम सभा +को लेकर लोगों की जागरूकता बढ़ाने के लिए निर्वाचित +प्रतिनिश्चियों, स्वयं सहायता समूहों, आशा कार्यकर्ताओं, + +योजना, नवम्बर 2021 + +जाना चाहिए। ग्राम पंचायत स्तर पर लागू +किए जाने वाले कार्यक्रमों और योजनाओं को सुचारु रूप +से चलाने और उनकी निगरानी के लिए स्थायी उपसमिति +बनाना भी जरूरी है। ज़्यादातर राज्यों में ग्राम पंचायतों ने +अलग-अलग तरह की स्थायी समितियां बनाई हैं जिनमें वित्तीय +और नियोजन स्थायी समिति, शिक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य +समिति, कृषि और पशु संसाधन विकास स्थायी समिति, उद्योग +और आधारभूत संरचना स्थायी समिति, महिला, बाल विकास +स्थायी समिति और सामाजिक कल्याण स्थायी समिति शामिल +हैं। ग्राम पंचायतों में बनाई गई उपसभितियों से ग्राम सभाओं + +की सक्रियता और बढेगी। +ग्राम पंचायतों की सक्रिय भूमिका सुनिश्चित करने के लिए +ग्राम सभाओं को असरदार बनाना जरूरी है। पंचायतों और उनके +कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही की भावना विकसित +करने में ग्राम सभा बेहतर माध्यम है। यह दीर्घकालिक अवधि +में, ग्राम पंचायतों को ग्रामीण इलाकों के सामाजिक-आर्थिक +विकास का इंजन बना सकता है। ग्राम सभाओं की सक्रिय +भूमिका से भारत को सतत विकास के लक्ष्यों को भी हासिल +करने में मदद मिलेगी और ग्राम पंचायत स्तर पर इस दिशा में +काम करना मुमकिन होगा। नियमित तौर पर ग्राम सभाओं की +बैठकों का आयोजन, एजेंडा तैयार करना और कार्रवाई रिपोर्ट, +जागरूकता फैलाना जैसे सुझाव ग्राम सभाओं को और प्रभावी +बनाने की दिशा में कारगर साबित हो सकते हैं। इसके अलावा, +पंचायती राज मंत्रालय एकीकृत और रियल-टाइम ऑनलाइन +प्रणाली विकसित करने की प्रक्रिया में है। यह प्रणाली न सिर्फ +ग्राम सभाओं के लिए प्रभावी कार्यक्रम तय करेगी, बल्कि फैसले +लेने की प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी के लिए नागरिकों को +सुझाव भी देगी। लोगों की सहभागिता सुनिश्चित कर ग्राम सभाएं +न सिर्फ गांवों के सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान करेंगी, +बल्कि इनसे देश के ग्रामीण क्षेत्रों में सामूहिक स्तर पर बडा +बदलाव का मार्ग भी प्रशस्त होगा। 7 + +9 + + + +0010.txt +<----------------------------------------------------------------------> +विशेष आलेख + +पंचायतों का सफर + +डॉ चंद्र शेखर कुमार +डॉ मोहम्मद तौकौर खान + +“भारत का भविष्य उसके गांवों में निहित है '” - महात्मा गांधी + +रतीय संविधान के खंड चार में राज्य के नीति निर्देशक +सिद्धांतों को रखा गया है। इस खंड में अनुच्छेद 40 +में ग्राम पंचायतों के गठन का प्रावधान है। 24 अप्रैल, +1993 को लागू 73वें संविधान संशोधन कानून, 1992 को संविधान +में खंड नौ के रूप में शामिल किया गया है। इस कानून में राज्यों को +पंचायतों के गठन की जिम्मेदारी सौंपी गयी है। इसके अनुसार ग्राम +पंचायतों के गठन के लिये राज्य जरूरी कदम उठायेंगे। साथ ही ग्राम +पंचायतों को स्वशासन की इकाइयों के रूप में काम करने में सक्षम +बनाने के लिये राज्य शक्तियां और अधिकार भी प्रदान करेंगे। +संसद ने 1996 में पंचायतों के लिये प्रावधान (अनुसूचित क्षीत्रों +में विस्तार) कानून पारित किया। इसके माध्यम से संविधान के खंड +नौ को कुछ अपवादों और बदलावों के साथ पांचवीं अनुसूची के क्षेत्रों +में भी लागू किया गया। इस कानून के जरिये विकास, योजना और +ऑडिट के काम ग्राम सभा को सौंपे गये हैं। साथ ही ग्राम सभा को +प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन और नियंत्रण तथा परंपराओं और रिवाजों +के अनुरूप न्याय करने का दायित्व भी दिया गया है। +इन कानूनों से पंचायती राज संस्थाओं- +पंचायती राज इंस्टीट्यूशंस (पीआरआई) को +संस्थागत रूप मिला है। इनसे देश में स्थानीय +शासन में सुधारों का मार्ग प्रशस्त हुआ है। इनमें +तीन स्तरीय पंचायतों के गठन की व्यवस्था +की गयी है। बीस लाख से कम आबादी +वाले राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में दो +स्तरीय पंचायतों का प्रावधान है। अनुच्छेद 243 +(जी) में पंचायतों को आर्थिक विकास और +सामाजिक न्याय के लिये अपने संसाधनों का +इस्तेमाल कर योजना निर्माण का अधिकार और +जिम्मेदारी दी गयी है। संविधान की ग्यारहवीं +अनुसूची में शामिल 29 विषयों से संबंधित +योजनाओं और कार्यक्रमों को लागू करने का +दायित्व भी पंचायतों को सौंपा गया है। संविधान + +पंचायती राज मंत्रालय का गठन +27 मई, 2004 को किया गया। +इसका मुख्य उद्देश्य संविधान के +खंड नौ और पंचायतों के लिये +प्रावधान ( अनुसूचित क्षेत्रों में +विस्तार ) कानून, 1996 पर अमल +की निगरानी करना है। पंचायतों +को राज्य का विषय रखा गया +है। लिहाजा, उनका कामकाज +संबंधित राज्य/संघ शासित प्रदेश +के पंचायती राज कानूनों से +निर्देशित होता है। + + + +“स्वामित्व ' की निगरानी में ड्रोन का परीक्षण + +का 73वां संशोधन महिला आरक्षण की व्यवस्था की वजह से भी एक +युगांतरकारी कानून है।' + +पंचायती राज मंत्रालय का गठन 27 मई, 2004 को किया गया। +इसका मुख्य उद्देश्य संविधान के खंड नौ और पंचायतों के लिये +प्रावधान (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) कानून, 1996 पर अमल की +निगरानी करना है। पंचायतों को राज्य का विषय रखा गया है। लिहाजा, +उनका कामकाज संबंधित राज्य/केंद्र शासित प्रदेश के पंचायती राज +कानूनों से निर्देशित होता है। पंचायती राज +मंत्रालय पंचायतों के कामकाज से संबंधित +सांवैधानिक लक्ष्यों को हासिल करने के लिये +राज्यों के साथ मिल कर काम करता है। +वह इस संबंध में नीतिगत मार्गदर्शन, परामर्श, +प्रौद्योगिकीय सहायता, क्षमता निर्माण और +प्रशिक्षण, प्रोत्साहन तथा वित्तीय समर्थन मुहैया +कराता है। + +पंचायती राज मंत्रालय 2004 में अपनी +स्थापना के समय से ही उपरोक्त हस्तक्षेपों +के जरिये पीआरआई और स्थानीय स्वशासन +को मजबूत बनाने के लिये लगातार काम कर +रहा है। + +भारत गांवों का देश है। हमारे देश की +65 प्रतिशत आबादी और 70 प्रतिशत कार्यबल + + + +डॉ चंद्र शेखर कुमार पंचायती राज मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव हैं। fA: os kumar@nic.in +डॉ मोहम्मद तौकीर खान पंचायती राज मंत्रालय में सलाहकार हैं। ईमेल; 18एरवप०ण-।ताथाद्धे 8०0. + +10 + +योजना, नवम्बर 2021 + + + +0011.txt +<----------------------------------------------------------------------> +तालिका-2.1: ग्रामीण जनसंख्या + + + + + + + + + +इकाई 1991 2001 2011 2020 ( अनुमानित ) +ग्रामीण जनसंख्या (करोड में) 62.9 74.2 83.3 89.7 +ग्रामीण जनसंख्या का अनुपात 74 प्रतिशत 72 प्रतिशत 69 प्रतिशत 65 प्रतिशत + + + +तालिका-2.2: भारत की अर्थव्यवस्था और कार्यबल में ग्रामीण क्षेत्रों का हिस्सा + + + +स्रोत: साख्यिकों और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +इकाई 1993.94 1999.2000 2004.2005 2011.12 +अर्थव्यवस्था 54.3 प्रतिशत 48.1 प्रतिशत 48.1 प्रतिशत 46.9 प्रतिशत +कार्यबल 77.8 प्रतिशत 76.1 प्रतिशत 74.6 प्रतिशत 70.9 प्रतिशत +स्रोत: नीति आयोग, 2017 +तालिका-2.3: पीआरआई की संख्या +इकाई 2005 2010 2015 2020 +जिला पंचायत 539 584 594 659 +मध्यवर्ती पंचायत 6103 6312 6332 6829 +ग्राम पंचायत 233886 238054 248154 255487 +कुल 240528 244950 255080 262975 + + + + + + + + + + + + + + + +ग्रामीण क्षेत्रों में रहता है। देश की अर्थव्यवस्था में ग्रामीण क्षेत्रों का +योगदान लगभग 46 प्रतिशत है (तालिका 2.1 और तालिका 2.2)। + +ग्रामीण आबादी में वृद्धि के साथ ही पीआरआई की संख्या में भी +समय के साथ इजाफा हो रहा है। ग्रामीण रिहायशी क्षेत्रों में विस्तार +के साथ ही नये जिले, तहसील और प्रखंड बन रहे हैं। इसके साथ ही +पीआरआई की संख्या भी 2005 में 2.41 लाख से बढ़ कर 2020 में +2.63 लाख हो गयी है (तालिका 2.3)। + +तलिका-2.4: निर्वाचिचित प्रतिनिधियों की संख्या + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +पीआरआई में निर्वाचित प्रतिनिधि होते हैं। इनमें निर्वाचित महिला +प्रतिनिधि भी शामिल हैं। पीआरआई में महिलाओं के लिये आरक्षण +और उनके कोटे में वृद्धि से भारत में शासन के क्षेत्र में अभूतपूर्व तौर +पर और बड़ी संख्या में महिलाएं आयी हैं। वर्ष 2005 में निर्वाचित +प्रतिनिधियों की संख्या 27.82 लाख थी। इनमें 37.46 प्रतिशत यानी +10.42 लाख महिला प्रतिनिधि थीं। वर्ष 2020 में निर्वाचित प्रतिनिधियों +की संख्या 31 लाख से अधिक हो गयी। इनमें महिला निर्वाचित +प्रतिनिधियों की संख्या 46 प्रतिशत यानी 14 लाख से ज्यादा है + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +तालिका 2,4)। + +वर्ष [निर्वाचित | निर्वाचित निर्वाचित महिला ' पंचायती va मंत्रालय ने पीआरआई में महिलाओं की भागीदारी + +प्रतिनिधि महिला प्रतिनिधि | प्रतिनिधियों का बढ़ा कर और उनके क्षमता निर्माण पर जोर देकर महिला सशक्तीकरण + +लाख में लाख में प्रतिशत में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। कुल 21 राज्यों- आंध्र प्रदेश, +2005 | 27.82 10.42 37.46 असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, +2010 | 28.51 10.48 36.75 कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, +2015 | 29.17 13.4 46.00 सिक्किम, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल + +ने पीआरआई में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण देने के लिये अपने +2020 [71.67 14.53 5.91 पंचायती राज कानूनों में प्रावधान किये हैं। +तलिका-2.5: ग्राम पंचायतों में बुनियादी अवसंरचना +वर्ष ग्राम पंचायतों | पंचायत भवन के साथ | कंप्यूटर के साथ ग्राम | इंटरनेट कनेक्टिविटी | सार्वजनिक सेवा केंद्र +की संख्या ग्राम पंचायत पंचायत के साथ ग्राम पंचायत" + +2005 233886 उपलब्ध नहीं उपलब्ध नहीं उपलब्ध नहीं उपलब्ध नहीं +2010 238054 164483 (69,09 प्रतिशत) 53568 (22.50 प्रतिशत) 97392 (40.91 प्रतिशत) 85000 (35.70 प्रतिशत) +2015 248154 196822 (79.31 प्रतिशत) 166827 (67.23 प्रतिशत) | 132539 (53.41 प्रतिशत) | 147798 (59.56 प्रतिशत) +2020 255487 198637*% (77.75 प्रतिशत) | 201741 (78.9 प्रतिशत) | 136693 (53.50 प्रतिशत) | 240592 (94.17 प्रतिशत) + + + + + +*सेवा को लिये तैयार/ब्रॉडनैंड व्यवस्था वाली ग्राम पंचायतें। बाकी पीआरआई इंटरनेट सेवाएं स्थानीय व्यवस्था को जरिये हासिल कर रही हैं। ++*++25060 से ज्यादा ग्राम पंचायत भवन निर्माण को विभिन्‍न चरणों में हैं जिससे अंतर में काफी कमी आयेगी। + +योजना, नवम्बर 2021 + +11 + + + +0012.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + +WA |* +rwae2 +karo । +no +20 on a +— — = +418882000 20002008 005 -20)0 1G 2015-20705 PORRIE + + + ++ [5वें वित्त आयोग की 2020-21 के लिये अतरिय रिपोर्ट में अनुशसत 60750 करोड़ रुपये शामिल + +रेखाचित्र-1 : ग्रामीण स्थानीय निकायों को लिये कन्द्रीय वित्त आयोग +के अनुदान (दसवां से 15वां वित्त आयोग) + +पंचायतों को ग्राम पंचायत भवन, कंप्यूटर, इंटरनेट और सार्वजनिक +सेवा केंद्र (सीएससी) जैसी बुनियादी अवसंरचनात्मक सुविधाएं मुहैया +कराने में भी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने काफी प्रगति की है +(तालिका 2.5)। इन अवसंरचनात्मक सुविधाओं की व्यवस्था भारत +सरकार की विभिन्‍न योजनाओं और राज्यों के अपने संसाधनों से की +जा रही है। +पंचायतों में ई-शासन तंत्र + +ग्रामीण स्थानीय निकायों- रूरल लोकल बॉडीज (आरएलबी) के +दायरे में देश की लगभग 65 प्रतिशत आबादी आती है। ग्रामीणों के +कल्याण के लिये सेवाओं के बेहतर वितरण के मकसद से पीआरआई +के कामकाज में सुधार जरूरी है। मंत्रालय ने विकेन्द्रित योजना और +बजट निर्माण, लेखांकन, योजनाओं के क्रियान्वयन और निगरानी तथा +वित्त हस्तांतरण जैसे पंचायतों के कामकाज के विभिन्‍न पहलुओं से +संबंधित ऐप विकसित किये हैं। प्रमाणपत्र और लाइसेंस जारी करने +समेत विभिन्‍न सेवाओं की डिलीवरी के लिये भी बड़ी संख्या में ऐप +बनाये गये हैं। अब इन सभी को ई-ग्रामस्वराज नामक एक सरल ऐप +में समाहित कर दिया गया है। विभिन्‍न ऐप में समय के साथ प्रगति +को तालिका 3.1 में दिखाया गया है। + +ई-ग्रामस्वराज उपयोगकर्ताओं के लिये बहुत सरल है। सूचना +और संचार प्रौद्योगिकी की अवसंरचना और मानव शक्ति में सुधार + +समेत विभिन्‍न बदलावों से इस पोर्टल का उपयोग बढ़ रहा है। इस +पोर्टल पर 2021-22 के लिये कुल 250077 ग्राम पंचायत विकास +योजनाएं अपलोड की गयी हैं। कुल 225153 ग्राम पंचायतों ने वित्त +वर्ष 2021-22 में लेखांकन के लिये ई-ग्रामस्वराज को अपनाया +है। इसके अलावा 222815 पीआरआई ऑनलाइन लेन-देन के लिये +ई-ग्रामस्वराज-पीएफएमएस इंटरफेस का इस्तेमाल कर रहे हैं। +ऊर्ध्वगामी योजना निर्माण + +पीआरआई को मजबूत करने के लिये मंत्रालय और राज्यों की +प्रमुख गतिविधियों में बुनियादी अवसंरचनाओं की व्यवस्था, ई-शासन +पर जोर, क्षमता निर्माण, केन्द्रित सूचना तथा शिक्षा और संचार अभियान +शामिल हैं। इनके लिये धन की व्यवस्था मंत्रालय के बजट आवंटन +और राज्यों के संसाधनों से की जाती है। स्थानीय आबादी के साथ +विचार-विमर्श से पीआरआई के प्रभावी योजना निर्माण के लिये ये +गतिविधियां जरूरी हैं। + +पिछड़ा क्षेत्र अनुदान कोष- बैकवर्ड रीजंस ग्रांट फंड्स +(बीआरजीएफ ) को 2006-07 से 2014-15 तक 272 चिह्नित पिछड़े +जिलों में लागू किया गया। इसका उद्देश्य पीआरआई के क्षमता निर्माण +के साथ स्थानीय अवसंरचना और विकास की अन्य आवश्यकताओं में +अंतर को दूर करना था। जिला योजना को तैयार करना बीआरजीएफ +का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। इस कोष से नौ वर्षों में लगभग 27638 +करोड रुपये राज्यों को मुहैया कराये गये जिनका इस्तेमाल बड़ी संख्या +में परियोजनाओं में किया गया। + +200292.20 करोड़ रुपये के अनुदान के उपयोग की चौदहवें +वित्त आयोग की सिफारिश को मंजूर किये जाने से बुनियादी स्तर +पर योजना निर्माण को मजबूती मिली। आयोग ने अपनी सिफारिश +में ग्राम पंचायत स्तर पर समग्र योजना बनाये जाने की बात कही है। +वित्त आयोग के विभिन्‍न अनुदानों पर धन के प्रवाह को रेखाचित्र-1 +में प्रदर्शित किया गया है। + +पंद्रहवें वित्त आयोग ने पंचायतों के सभी तीन स्तरों के aed +2020-21 के लिये अपनी अंतरिम रिपोर्ट में 60750 करोड़ रुपये +की अनुशंसा की। उसने 2021-26 के लिये अपनी अंतिम रिपोर्ट में +236805 करोड़ रुपये की अनुशंसा की है। साथ ही उसने कहा कि +अनुदानों के प्रभावी इस्तेमाल के लिये सभी तीन स्तरों पर योजना बनायी + +तलिका-3.1: ई-गव ऐप्लीकेशन अंगीकरण + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +वर्ष जीपीडीपी अपलोड करने | पीएफएमएस अपनाने | ग्राम पंचायतें जिनकी नागरिक घोषणापत्र के लिये +वाली ग्राम पंचायतें वाली ग्राम पंचायतें. | ऑडिट रिपोर्ट सृजित हैं | पंजीकृत ग्राम पंचायतें +2019.20 2,50,077 169,951 86,178 +2020.21 2 48 925 2,22 815 4,043* 1,19,961 +(ग्राम पंचायतें जिनको नागरिक घोषणापत्र मंजूर किये गये) ++2020-21 को लिये ऑडिट जारी है। +तलिका-5.1: पीआरआई की प्रशिक्षण उपलब्धि +प्रशिक्षण 2018.19 2019.20 2020.21 +आरजीएसए के तहत प्रशिक्षित निर्वाचित प्रतिनिधियों और अन्य | 43.05 लाख 33.98 लाख 33.34 लाख +हितधारकों की संख्या + + + + + + + + + + + + + +12 + +योजना, नवम्बर 2021 + + + +0013.txt +<----------------------------------------------------------------------> +जानी चाहिये। इसके अनुरूप 2015-16 से ग्राम पंचायत विकास योजना +तैयार की जा रही है। इसी तरह 2020-21 से प्रखंड पंचायत विकास +योजना और जिला पंचायत विकास योजना बनायी जा रही हे। +पीआरआई की क्षमता का निर्माण + +पीआरआई के लिये केन्द्रीय वित्त आयोग से बडे पैमाने पर +अनुदान तथा अन्य योजनाओं से धन और राज्यों के अपने संसाधनों +की उपलब्धता ने निर्वाचित प्रतिनिधियों और अन्य हितधारकों के +पर्याप्त क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण की जरूरत को रेखांकित किया +है ताकि योजनाओं को प्रभावशाली ढंग से बनाया और लागू किया +जा सके। इस दिशा में राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान (आरजीएसए) +एक अप्रैल, 2018 से शुरू किया गया। इसका उद्देश्य पीआरआई की +क्षमता को बढ़ाना और मजबूत करना है ताकि वे स्थानीय विकास की +आवश्यकताओं के प्रति ज्यादा जिम्मेदार बन सकें। + +पीआरआई के कामकाज से संबंधित सांवेधानिक और वैधानिक +प्रावधानों, ई-शासन, वित्तीय प्रबंधन, संवहनीय विकास लक्ष्यों- +सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (एसडीजी) के लिये प्रतिबद्धता और +आजीविका की समस्याओं जैसे विषयों पर प्रशिक्षण कार्यक्रमों का +आयोजन किया जा रहा है। इनसे पीआरआई को जन भागीदारी से +योजनाएं बनाने और प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने में मदद मिलती हे। +वे एसडीजी से जुड़ी स्थानीय समस्याओं के समाधान के लिये उपलब्ध +संसाधनों का कुशल और अधिकतम इस्तेमाल करने में सक्षम बनती +हैं। प्रशिक्षण की व्यवस्था राष्ट्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज +संस्थान तथा राज्य ग्रामीण विकास संस्थान बड़ी संख्या में अन्य संस्थानों +के सहयोग से करते हैं। इस मामले में हो रही प्रगति को तालिका 5.1 +में दिखाया गया है। + +पंचायतों को योजना और सेवाओं की डिलीवरी में उनके अच्छे +काम के लिये पुरस्कार और वित्तीय प्रोत्साहन दिये जाते हैं। इससे +पुरस्कार विजेता नवोन्मेषी कार्य और दूसरों के लिये अनुकरणीय मिसाल +कायम करने के लिये उत्साहित होते हैं। इसके परिणामस्वरूप स्थानीय +स्तर पर समग्र सुशासन के लिये वातावरण तैयार होता है। यह बड़ी +संख्या में पीआरआई के बीच जागरूकता पैदा करने और ज्ञान के +विस्तार का जरिया बन गया है। इसके अलावा सूचना, शिक्षा और संचार +(आईईसी) की गतिविधियां भी चलायी जा रही हैं। इन गतिविधियों का +लक्ष्य समर्थन, जागरूकता और प्रचार के जरिये पंचायतों की अंदरूनी +क्षमता का निर्माण और उनके कामकाज में सुधार के लिये सभी +उपलब्ध मीडिया मंचों का उपयोग कर बेहतर और ज्यादा प्रभावी संचार +है। इस दिशा में उपलब्धियों को तालिका 5.2 में प्रदर्शित किया गया हे। +कोषों , कार्यो और कर्मियों का विकेंद्रीकरण + +पंचायती राज मंत्रालय ग्यारहवीं अनुसूची में शामिल 29 विषयों +के विकेंद्रीकण के विभिन्‍न पहलुओं पर सांवैधानिक प्रावधानों के +लक्ष्य को पूरा करने के लिये राज्यों के साथ लगातार काम कर रहा +है। वह स्थानीय स्तर पर शासन के लक्ष्य को सही मायनों में हासिल +करने की दिशा में प्रयत्तनशील है। विषयों के विकेंद्रीकरण के लिहाज +से विभिन्‍न राज्यों के प्रदर्शन में काफी असमानता है। अध्ययनों के +अनुसार कई राज्यों में विकेंद्रीकरण बहुत अच्छा हुआ है। दूसरी ओर +अन्य राज्यों में इस दिशा में काम चल रहा है। मंत्रालय ने 2015-16 +में टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान के जरिये fasta का अध्ययन + +योजना, नवम्बर 2021 + +तलिका-5.2: प्रोत्साहन तथा सूचना, शिक्षा और संचार के आंकड़े + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +वर्ष | प्रतियोगिता में पुरस्कारों | तैयार किये गये +भाग लेने वाली | की संख्या | ऑडियो विजुअल +पंचायतों की और प्रिंट दस्तावेजों +अनुमानित संख्या की संख्या + +2019 | 40,000 246 15.4 लाख + +2020 | 58,000 306 2.7 लाख + +2021 | 74,000 326 15.6 लाख + +तलिका-6.1: मापदंडों का महत्व +संकेतक उप-संकेतक महत्व +कार्यो का हस्तांतरण 10 + +विकेन्द्रीकरण की | कर्मियों का हस्तांतरण 15 + +संचालनात्मक + +केंद्र (90) वित्त हस्तांतरण 50 + +पीआरआई की स्वायत्तता 15 + +विकेंद्रीकरण के | श्ैमता निर्माण 2 + +लिये सहायक [| सांवैधानिक प्रक्रिया का कार्यान्वयन | 5 + +तंत्र (10) जवाबदेही और पारदर्शिता की प्रणाली | 3 + +तलिका-7.1: 'स्वामित्व' में प्रगति + +गांवों की संख्या गांवों की संख्या | वितरित संपत्ति + +जिनमें ड्रोन सर्वेक्षण | जिनमें संपत्ति कार्ड | कार्डों की संख्या + +पूरा किया गया वितरित किये गये + +56 224 7332 827,231 + + + + + + + + + + + +कराया था। इसमें जमीनी स्तर पर वास्तविक स्थिति का विश्लेषण कर +व्यवहार में विकेंद्रीकरण का एक सूचकांक तैयार किया गया। इसमें जो +संकेतक चुने गये उनसे हस्तांतरित संस्थाओं, कार्यों और कर्मियों पर +पंचायतों के वास्तविक नियंत्रण की स्थिति के बारे में जानकारी मिलती +है। साथ ही उनकी वित्तीय स्वायत्तता, विकास कोष के उपयोग तथा +अवसंरचना और प्रशासनिक तंत्र की स्थिति के बारे में पता चलता +है। इन मानदंडों के महत्व की जानकारी तालिका 6.1 में दी गयी है। +रेखाचित्र-2 में व्यवहार में विकेंद्रीकरण के सामान्य सूचकांक में राज्यों +की रैंकिंग को दिखाया गया हे। + +ऊपर वर्णित विषयों पर राज्यों/संघ शासित प्रदेशों और पीआरआई +के साथ मंत्रालय का काम जारी रहेगा क्योंकि संभावनाओं का पूरा +इस्तेमाल किया जाना अभी बाकी है। इसके अलावा ग्रामीण इलाकों में +अवसंरचनात्मक बदलावों और जनता की बढ़ती आकांक्षाओं के मद्देनजर +नीचे वर्णित क्षेत्रों में पंचायतों के पुनर्विन्यास की आवश्यकता है। + +देश के समावेशी सामाजिक और आर्थिक विकास के लिये +ग्रामीणों के संपत्ति अधिकारों को सुनिश्चित करना जरूरी है। मंत्रालय ने +इस दिशा में 'स्वामित्व” योजना चलायी है। इसके जरिये ड्रोन सर्वेक्षण +प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर ग्रामीणों के मकानों के संपत्ति रिकॉर्ड +तैयार किये जा रहे हैं। अगले पांच वर्षों में छह लाख से ज्यादा गांवों +में से ज्यादातर को इस योजना के दायरे में लाने का लक्ष्य निर्धारित + +13 + + + +0014.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +जाना चाहिये ताकि राजस्व के उनके अपने स्रोतों में वृद्धि हो। + +मंत्रालय ने विभिन्‍न राज्यों की 34 ग्राम पंचायतों +को स्थानिक प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर समग्र योजना +निर्माण के लिये चुना है। यह चयन विभिन्‍न संसाधनों की +* उपलब्धता, विकास के संभावित क्षेत्रों और ग्रामीणों की + +Sa Rau जरूरतों को ध्यान में रखते हुए किया गया है। इसे प्रमुख + + + +निर्वाचित प्रतिनिधियों व हितधारकों की क्षमता निर्माण प्रक्रिया + +किया गया है। इस योजना की मौजूदा प्रगति को तालिका 7.1 में +दिखाया गया है। + +मुख्य तौर पर गरीबी उन्मूलन, खाद्य सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य, +पोषण, पेयजल और स्वच्छता से संबंधित एसडीजी लक्ष्यों का महत्व +बढ़ता जा रहा है। पंचायतों को ग्राम स्तर पर इन क्षेत्रों में काम कर रही +एजेंसियों के साथ मिल कर अपनी क्षमता में सुधार लाने की जरूरत है। + +नीति आयोग के एक परिपत्र” के अनुसार ग्रामीण अर्थव्यवस्था +में एक गौर करने योग्य संरचनात्मक बदलाव आ रहा है। रोजगार के +अवसर कृषि से निर्माण, मैनुफैक्चरिंग और सेवा क्षेत्रों की ओर जा +रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि प्रसंस्करण तथा सूक्ष्म, लघु और मझोले +उद्यमों में काफी संभावनाएं हैं। पंचायतों को इन्हें अपनी योजना में +समुचित स्थान देते हुए उन पर अमल के लिये संबंधित एजेंसियों और +हितधारकों के साथ काम करने की आवश्यकता है। इसलिये इन क्षेत्रों +में ग्रामीणों के कौशल विकास और ग्रामीण उद्यमिता संवर्द्धन पर जोर +देने की दरकार है। + +क्लिनवेल्ड पीट मार्विक गॉर्डलर (केपीएमजी) की एक रिपोर्ट +के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण, बीमा और डिजिटल भुगतान +सुविधाओं जैसी वित्तीय सेवाओं के विकास की अपार संभावनाओं का +दोहन किया जाना अभी बाकी है। इस दिशा में भी पंचायतों को विभिन्‍न +प्रकार के वित्तीय संस्थानों के साथ काम करने, महिला उद्यमिता निर्माण +और ग्रामीण आबादी के लिये उत्पाद अनुकूलन को बढ़ावा देने की +आवश्यकता है। + +ई-पंचायत के तहत ई-ग्रामस्वराज, ऑनलाइन भुगतान के लिये +पीएफएमएस समन्वय, नागरिक घोषणापत्र, ऑनलाइन ऑडिट और +सामाजिक ऑडिट जैसी मंत्रालय की नयी पहलकदमियों को प्रभावी +ढंग से लागू किया जाना चाहिये जिससे पीआरआई की दक्षता, +पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेंगी। + +पंचायत मजबूती मिलने के साथ ही विपदाओं/प्राकृतक आपदाओं +का सामना करने के लिये तैयार हैं। उन्होंने कोविड-19 की रोकथाम +और प्रबंधन में सक्रिय भूमिका निभायी है। इस दिशा में गतिविधियों +की समयबद्ध निगरानी के लिये मंत्रालय के डेशबोर्ड से इस बात की +पुष्टि होती है। + +पंचायतों को अन्य गतिविधियों के अलावा कर, टोल, शुल्क, +उपयोगकर्ता प्रशुल्क इत्यादि लगाने और संग्रह करने का अधिकार दिया + +14 + + + + +मंत्रालयों के संसाधनों के विलय के साथ आने वाले वर्षों +में बढ़ाया जा सकता है। +पंचायतों को योजना निर्माण के अभिन्‍न अंग के रूप +में जलवायु कार्ययोजना पर भी विचार करना चाहिये। +हैं नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग योजना निर्माण का आवश्यक +अंग होना चाहिये। तमिलनाडु में कोयंबटूर जिले की ओडनतुरै +ग्राम पंचायत ने इस दिशा में उल्लेखनीय प्रयास किया हे। +यह ग्राम पंचायत पवन ऊर्जा का उपयोग करने के अलावा इसे ग्रिड +को बेच कर सालाना 19 लाख रुपये अर्जित कर रही है। पीआरआई +कार्यों, कोषों और कर्मियों के क्रमिक विकेंद्रीकरण के जरिये संविधान +के जिम्मेदार और सशक्त स्थानीय स्वशासन के लक्ष्य को हासिल कर +सकें इसके लिये सभी हितधारकों की प्रतिबद्धता की जरूरत है। केंद्र +और राज्य सरकारों के प्रमुख कार्यक्रमों के दिशा-निर्देशों में पंचायतों +की भूमिका का स्पष्ट उल्लेख किया जाना चाहिये। + +पंचायती राज मंत्रालय ने पीआरआई को मजबूती देने और स्थानीय +प्रशासन का लक्ष्य हासिल करने की दिशा में लंबा सफर तय किया +है। बड़ी संख्या में पंचायतें अब बुनियादी अवसंरचनाओं से लैस हें। +लेकिन राज्यों के बीच असमानता बरकरार है। इस अंतर को भरने +के लिये प्रधानमंत्री की 75वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर की गयी +घोषणा के अनुरूप शत-प्रतिशत कामयाबी का दृष्टिकोण अपनाये +जाने की आवश्यकता है। पीआरआई में महिलाओं के प्रतिनिधित्व +में काफी इजाफा हुआ है। लेकिन उनकी प्रभावी भागीदारी के लिये +समुचित प्रशिक्षण और अनुभव यात्राओं की दरकार है। ई-शासन के +दूरदराज की पीआरआई तक पहुंचने के बावजूद सुधार की काफी +गुंजाइश बची हुई है। पंचायतों के सभी स्तरों पर योजनाएं तैयार किये +जाने से योजना निर्माण की प्रक्रिया सुचारु हुई है। स्थाई समितियों और +वार्ड सदस्यों की सक्रियता, ग्राम सभाओं के प्रभावी कामकाज और +महत्वपूर्ण हितधारकों की भागीदारी से ग्राम पंचायतें ज्यादा लोकतांत्रिक +बनेंगी और उनके कार्य अधिक समग्र और समावेशी होंगे। + +प्रदत्त गतिविधियों को पूरा करने और 73वें संविधान संशोधन के +लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये गतिविधि मैपिंग के जरिये पीआरआई को +कार्यों, कोषों और कर्मियों का क्रमिक विकेंद्रीकरण सुनिश्चित किया + +जाना चाहिये। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली देश की लगभग 65 + +प्रतिशत आबादी का जीवन आसान बनेगा। = + +संदर्भ: + +1. राघवेंद्र चट्टोपाध्याय और ईस्थर डफलो। “द इंपैक्ट ऑफ रिजर्वेशन इन द +पंचायती राज; एविडेंस फ्रॉम ए नेशनवाइड रैंडमाइज्ड एक्सपेरिमेंट' (नवंबर +2003) + +2. Ge de, wae श्रीवास्तव और जसपाल सिंह, 2017: चेंजेज इन रूरल +इकॉनोमी फॉर इंडिया, 1971 से 2012। लेसंस फॉर जॉब लेड ग्रोथ, इकोनॉमिक +एंड पॉलिटिकल वीकली, वर्ष 52, अंक 52, 2017 + +3... https://assets.kpmg/content/dam/kpmg/in/pdf/2020/12/india-s-rural- +economy. pdf + + + + + +योजना, नवम्बर 2021 + + + +0015.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +. Bag +गांधी साहित्य आज़ादीका + +अमृत महोत्सव +के अग्रणी प्रकाशक + +अति ET A + +heaton + +2 पूरी परिमल : + +कु . +ir +7 +a + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +aaah : : +2 ~ I ote Famine = “aa : +गांधी ore का है! | +न के rn हल 2 +L ee | +. r +: tote Sg +tenth — Malatinas.., +~ | — " +& 171 Reumon Bollsod etal rm 1K sien ip : 0 omc +oat ele qwerty + + + + + + + + + + + +दाह + + + +COLLECTED: | m +WORKS — +ns ont +MAHATMA w : +GANDHI VARATMA चुनिंदा ई' बुक +का oa GANDHI एमेज़ॉन और गूगल प्ले + +पर उपलब्ध + + + +- Lp +ef” +प्रकाशन विभाग +सूचना और प्रसारण मत्रालय, भारत सरकार +हमारी पुस्तकें ऑनलाइन खरीदने के लिए कृपया छथ्न.014/910051.00५.1 पर जाएं। + +ऑर्डर के लिए कृपया संपर्क करें : फोन : 011-24365609, ई-मेल : 0५॥1889070(60791.00॥ +बेवसाइट : www.publicationsdivision.nic.in + +(al /dpd_india Ww @DPD_India Fi /publicationsdivision + + + + + + + + + + + + + +योजना, नवम्बर 2021 15 + + + +0016.txt +<----------------------------------------------------------------------> +ग्रामीण स्थानीय निकाय + +वित्तीय अधिकारों का हस्तांतरण + +के एस सेठी +जी एस कृष्णन + +73वें संविधान संशोधन अधिनियम ने देश के ग्रामीण क्षेत्रों में निर्वाचित स्वशासी स्थानीय निकायों के माध्यम +से जमीनी स्तर के लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा और +संस्थागत ढांचा प्रदान किया है। इसने सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों की पंचायती राज संस्थाओं में लोगों +की भागीदारी, कानून के शासन, पारदर्शिता, जवाबदेही , निष्पक्षता, दक्षता और जवाबदेही बढ़ाकर सुशासन + +का आधार प्रदान किया। + +छले चार दशकों में, वैश्विक स्तर पर, राजनीतिक, +पि प्रशासनिक और वित्तीय अधिकारों को जमीनी स्तर या +सरकारों के निचले स्तर तक अधिक से अधिक हस्तांतरण + +की ओर रुझान बढ़ा है। भारत ने भी अपने ऐतिहासिक 73वें और 74वें +संवेधानिक संशोधनों के माध्यम से इस दिशा में कई उपाय किए हैं। +संवेधानिक संशोधन पंचायती राज संस्थानों को कार्यात्मक और वित्तीय +अधिकारों के विकेंद्रीकरण पर भी जोर दिया गया है। + +राज्य की विधायिका को कुछ करों, शुल्कों, पथ-करों आदि को +लगाने और एकत्र करने के लिए पंचायती राज संस्थानों को अधिकृत +करने के अधिकार प्रदान किए गए हैं और राज्य सरकार की शर्तों +के अनुरूप उन्हें कुछ राज्य-स्तरीय करों के राजस्व भी सौंपे गए हैं। +पंचायती राज संस्थानों को सहायता अनुदान भी प्रदान किया जा सकता +है। इन आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए, संविधान का अनुच्छेद +243-1 हर पांच साल में राज्य वित्त आयोग की स्थापना का आदेश +देता है, जो स्वयं स्रोत राजस्व के लिए राज्य कर का हिस्सा और +सहायता अनुदान के प्रावधान सहित वित्तीय हस्तांतरण के माध्यम से +पंचायत वित्त में सुधार की दिशा में सिफारिशें करता है। + +संविधान के 73वें संशोधन अधिनियम, 1993 के तहत शामिल +अनुच्छेद 280(3) (खख) के तहत, राज्य के वित्त आयोग द्वारा की +गई सिफारिशों के आधार पर केंद्रीय वित्त आयोग को राज्य में पंचायतों +के संसाधनों के पूरक के लिए राज्य की संचित निधि को बढ़ाने के +लिए सिफारिशें करनी होती हैं। +केंद्रीय वित्त आयोग की सिफारिशों + +ग्रामीण स्थानीय निकायों को वित्तीय हस्तांतरण के लिए सिफारिशें +दसवें वित्त आयोग (अवधि 1995-2000) से शुरू हुईं। बारहवें वित्त +आयोग (अवधि 2005-10) तक, ग्रामीण स्थानीय निकायों को +एकमुश्त आधार पर नाममात्र राशि का हस्तांतरण किया गया था। + +तेरहवें वित्त आयोग ने आमूल परिवर्तन करते हुए, पंचायती राज +संस्थाओं को एक छोटी सी एकमुश्त राशि देने के बजाय विभाज्य पूल +का एक प्रतिशत प्रदान किया है, अर्थात (क) विभाज्य पूल का 1.5 +प्रतिशत मूल अनुदान, और (ख) निष्पादन अनुदान, जो 2011-12 +से शुरू होकर चार वर्षों की अवधि के लिए प्रथम वर्ष में विभाज्य +पूल के 0.5 प्रतिशत की दर से और शेष तीन वर्षों में विभाज्य पूल +के एक प्रतिशत की दर से देय होगा। आयोग ने संविधान के पांचवीं +और छठी अनुसूची क्षेत्रों और भाग 9 और 11 के दायरे से छूट प्राप्त +क्षेत्रों के लिए, अवधि के दौरान कुल मूल अनुदान में से 20 रुपये +प्रति व्यक्ति, वार्षिक अलग विशेष क्षेत्र अनुदान की भी सिफारिश +की थी। इन क्षेत्रों के लिए, इसने 2011-12 के लिए प्रति व्यक्ति +10 रुपये और कुल मूल अनुदान में से 20 रुपये प्रति व्यक्ति के +विशेष क्षेत्र निष्पादन अनुदान की भी सिफारिश की थी। 13वें वित्त +आयोग के कुल 65160.76 करोड रुपये के आवंटन में से, राज्यों को +58256.63 करोड़ रुपये जारी किए गए थे। (15वें वित्त आयोग +अनुदानों के साथ स्मार्ट स्कूल सुविधाएं-जिला परिषद्‌ स्कूल, जीपी +लाखनवाडी , अमरावती, महाराष्ट्र )। + +चौदहवें वित्त आयोग ने संविधान के भाग 9 के तहत गठित देश +में ग्राम पंचायतों को कुल स्तर पर 488 रुपये प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष +की सहायता से 2,00,292.20 करोड़ रुपये की राशि की सिफारिश +की है। इसमें से 1,80 ,262.98 करोड़ रुपये मूल अनुदान के रूप में +थे और 20029.22 करोड़ रुपये 26 राज्यों के लिए निष्पादन अनुदान +के रूप में थे। गैर-भाग 9 क्षेत्र जहां पंचायतें मौजूद नहीं हैं, अनुदान +की सिफारिश नहीं की गई थी। 14वें वित्त आयोग द्वारा किया गया +आवंटन, 13वें वित्त आयोग के आवंटन से तीन गुना से अधिक था। +14वें वित्त आयोग ने विश्वास-आधारित दृष्टिकोण अपनाया और +सिफारिश की कि वित्तीय हस्तांतरण सीधे ग्राम पंचायतों को किया + + + + + +श्री के एस सेठी भारत सरकार के पंचायती राज मंत्रालय में संयुक्त सचिव हैं। ईमेल; |४वि-ग्ाणजञावांग्जा। +श्री जी एस कृष्णन पंचायती राज मंत्रालय में सलाहकार हैं। ईमेल: gs.krishnan@gov.in + +16 + +योजना, नवम्बर 2021 + + + +0017.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +आधारभूत सेवाओं की स्थिति में सुधार को लिए अनुद्यन का उपयोग + +जाए और इसे पंचायतों के अन्य स्तरों पर हिस्सेदारी दिए बिना किया +जाए क्‍योंकि वे ग्रामीण नागरिकों को बुनियादी सेवाओं के प्रावधान +के लिए जिम्मेदार हैं। प्रदान किए गए अनुदान का उपयोग पानी की +आपूर्ति, स्वच्छता, टंकी से निकाले गए कचरे का प्रबंधन, सीवरेज, +और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, तूफानी जल निकासी, सामुदायिक संपत्ति +के रखरखाव, सड़कों, पटरियों और स्ट्रीट-लाइटिंग सहित बुनियादी +सेवाओं की स्थिति में सुधार, कब्रिस्तान तथा श्मशान भूमि और +प्रासंगिक कानूनों के तहत उन्हें सौंपे गए कार्यों के अंतर्गत अन्य +बुनियादी सेवाओं के लिए किया जाना था। 14वें वित्त आयोग की अवधि +2015-20 के लिए, ग्रामीण स्थानीय निकायों को 1,83 248.54 करोड़ +रुपये (आवंटन का 91.49 प्रतिशत) जारी किए गए हें। + +पंद्रहवें वित्त आयोग ने गैर-भाग 9 राज्यों और पांचवीं तथा + +टाइड अनुदान का उपयोग (क) स्वच्छता और खुले में शौच +से मुक्ति की स्थिति बनाए रखने के लिए किया जाना है, और इसमें +घरेलू कचरे का प्रबंधन तथा उपचार, और विशेष रूप से मानव मल +तथा मल-जल प्रबंधन, और (ख) पेय-जल की आपूर्ति, जल संचयन +और जल पुनर्चक्रण शामिल होना चाहिए। + +ग्रामीण स्थानीय निकायों को 15वें वित्त आयोग का अनुदान +आवंटन वित्त वर्ष 2020-21 की अवधि के लिए 60,750 करोड +रुपये और 2021-22 से 2025-26 की अवधि के लिए 2,36,805 +करोड रुपये है। केंद्र द्वारा जारी 15वें वित्त आयोग के अनटाइड और +टाइड ग्रांट को राज्यों द्वारा पंचायतों / ग्रामीण पारंपरिक निकायों के +सभी स्तरों को 15वें वित्त आयोग की शर्तों पर पूर्व-निर्णित मानदंडों +और संबंधित राज्य द्वारा किए गए निर्धारण के आधार पर वितरित + + + +छठी अनुसूची क्षेत्रों के पारंपरिक निकायों + +किया जाता है। + +सहित पंचायती राज के सभी स्तरों को +हस्तांतरण की सिफारिश की है। 13वें +वित्त आयोग के अनुदान दो भागों में +प्रदान किए गए हैं, अर्थात्‌ (1) बेसिक +(अनटाइड) ग्रांट 2020-21 के लिए 50 + +ग्रामीण स्थानीय निकायों को 13वें +वित्त आयोग का अनुदान आवंटन +वित्त वर्ष 2020-21 की अवधि के +लिए 60,750 करोड़ रुपये और +2021-22 से 2025-26 की अवधि + +2020-21 के लिए 60,750 करोड +रुपये के आवंटन में से 60,640.25 करोड +रुपये (99.81 प्रतिशत) की राशि राज्यों को +पहले ही जारी की जा चुकी है। व्यय विभाग, +वित्त मंत्रालय ने पंचायती राज मंत्रालय की + +प्रतिशत और 2021-22 से 2025-26 के +लिए 40 प्रतिशत) और (2) टाइड ग्रांट +(बद्ध अनुदान)। (2021-22 के लिए 50 +प्रतिशत और 2021-22 से 2025-26 +के लिए 60 प्रतिशत)। वेतन और अन्य +स्थापना लागतों को छोड़कर, संविधान की +ग्यारहवीं अनुसूची में निहित उनन्‍्तीस विषयों +के तहत, मूल अनुदान अनटाइड (अबद्ध) +हैं और इन्हें ग्रामीण स्थानीय निकायों +द्वारा स्थान-विशिष्ट जरूरतों के लिए उपयोग +किया जा सकता है। + +के लिए 2,36 ,805 करोड़ रुपये है। +केंद्र द्वारा जारी 15वें वित्त आयोग के +अनटाइड और टाइड ग्रांट को राज्यों +द्वारा पंचायतों / ग्रामीण पारंपरिक +निकायों के सभी स्तरों को 15वें वित्त +आयोग की शर्तों पर पूर्व-निर्णित +मानदंडों और संबंधित राज्य द्वारा किए +गए निर्धारण के आधार पर वितरित +किया जाता है। + +सिफारिश पर 25 राज्यों को 13वें वित्त +आयोग के बेसिक (अनटाइड) अनुदान की +पहली किस्त के रूप में 8,923,8 करोड +रुपये की राशि मई 2021 में वित्त वर्ष +2021-22 के लिए जारी की है, जिसका +उपयोग अन्य के साथ-साथ कोविड-19 +महामारी से निपटने के लिए आवश्यक +विभिन्‍न रोकथाम और शमन उपायों के लिए +किया जा सकता है। इसके अलावा, वित्त +मंत्रालय ने पेयजल और स्वच्छता विभाग +की सिफारिश पर, वित्त वर्ष 2021-22 के + + + +योजना, नवम्बर 2021 + +17 + + + +0018.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +4,50,000.00 + +3,00,000L00 + +22000000 + +7.00 OC + +1 4] 0G + +करोड़ रुपये में + +1,00,006.00 + +0,000.00 + +10वां वि.आ. + +0.00 + +lidfas wvwatas 3a faa + +थ आवंटन. थ जारी + + + +राज्य वित्त आयोगों ने राज्यों के +शुद्ध कर पूल/राज्यों के स्वयं के राजस्व +से, राज्यों में ग्रामीण स्थानीय निकायों +को अंतरण का प्रस्ताव करने के लिए +अलग-अलग मानदंड अपनाए हैं। + +सामान्य तौर पर, क्रमिक राज्य +वित्त आयोग, राज्यों में ग्रामीण स्थानीय +निकायों के हस्तांतरण में वृद्धि का +प्रस्ताव करते रहे हैं। राज्य वित्त आयोग +द्वारा ग्रामीण स्थानीय निकायों को +प्रति व्यक्ति हस्तांतरण 2010-15 के +599.04 रुपये से बढ़ाकर 2015-2020 + + + + + +रेखाचित्र 1: केंद्रीय वित्त आयोग अनुदानों का आवंटन और जारी + +लिए अगस्त 2021 में 25 राज्यों को टाइड (बद्ध) अनुदान की पहली + +feet के रूप में 13385.70 करोड रुपये ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामीण + +स्थानीय निकायों द्वारा पानी और स्वच्छता से संबंधित गतिविधियों के +लिए जारी किए हैं। + +ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए सिफारिशें +अनुच्छेद 243-1 के अनुसार, राज्य वित्त आयोगों (एसएफसी) + +को पंचायतों की वित्तीय स्थिति की समीक्षा करने और निम्न कार्यों के + +बारे में सिफारिशें करने के लिए अधिकृत किया गया है : + +1. राज्य द्वारा लगाए जाने वाले करों, शुल्कों, पथ-करों और शुल्क +की शुद्ध आय का राज्य और पंचायतों के बीच वितरण, और +ऐसी आय का सभी स्तरों पर पंचायतों के बीच वितरण; + +2. करों, शुल्कों, पथ-करों और शुल्कों का निर्धारण जो पंचायतों +को सौंपा या विनियोजित किया जा सकता है; + +3. राज्यों की संचित निधि से पंचायतों को सहायता अनुदान; + +4. पंचायतों की वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए आवश्यक उपाय; + +5. पंचायतों की सुदृढ़ वित्तीय स्थिति के लिए कोई अन्य मामला। +सभी राज्यों में राज्य वित्त + +14वां वि.आ. 15वां वि.आ. +के दौरान कुल स्तर पर 1,179.63 रुपये +कर दिया गया है। +ग्रामीण स्थानीय निकायों के राजस्व +के अपने स्रोत + +हस्तांतरण का दायरा चूंकि राज्य सरकारों के लिए खुला रखा +गया था, राज्यों में ग्रामीण स्थानीय निकायों को सौंपे गए कार्यों +और कराधान अधिकारों में काफी भिन्‍नताएं हैं। हालांकि पंचायतों +के तीन स्तरों को अपने राजस्व सृजन के अधिकार दिए गए है +फिर भी सामान्य तौर पर ग्राम पंचायतों को अपने अधिकार क्षेत्र +में सबसे अधिक कर और गैर-कर लगाने का अधिकार है। राज्यों +में पंचायतों द्वारा कर/गैर-कर लगाने के संबंध में कुछ भिन्‍नता +हैं। अधिकांश राज्यों में, कुछ अपवादों को छोड़कर, घर, भवन +और भूमि पर कर अनिवार्य है। राज्यों में पानी की दर, प्रकाश +दर, स्वच्छता दर, जल निकासी दर जैसे उपयोगकर्ता शुल्कों के +संग्रह में भी भिन्‍नता हैं। + +विश्व बैंक के एक अध्ययन में पाया गया है कि राज्यों +के विधानों ने ग्रामीण स्थानीय निकायों को 78 प्रकार के कर, +अधिभार, उपकर, उपयोगकर्ता शुल्क और शुल्क निम्नानुसार प्रदान +किए हैं; + + + +आयोगों का गठन किया जा roo + +रहा है जो पंचायतों के कर bout + +आधार में सुधार और राज्य की soun + +शुद्ध कर प्राप्तियों को ग्रामीण | * 400 + +स्थानीय निकायों के साथ साझा E 7000 + +करने की दिशा में सिफारिशें 2000 + +कर रहे हैं। वे, राज्य सरकारों 1000 + +द्वारा पंचायतों को विभिन्‍न प्रकार हमे नी + +की अनुदान सहायता प्रदान करने EREEEE +की भी सिफारिश करते रहे हैं। ये = दे हे E E +अनुदान सामान्य प्रयोजन अनुदान, E E E +कुछ मानदंडों के आधार पर सशर्त E E + +ब्लॉक अनुदान, या योजनाओं के +लिए विशिष्ट प्रयोजन अनुदान + + + +हब 2010-11 से 2014-15 थ2015-16 से 2019-20 + +हि.प्र. (तीसरा, चोथा और sat +कर्नाटक ( +केरल ( + +तीसरा, चोथा और 5वां + +ओडिशा ( +पंजाब ( +सिक्किम ( +तमिलनाडू ( + + + + + +आदि के रूप में हो सकते हैं। + +18 + +रेखाचित्र 2 : य.वि,आ,. द्वाया ग्रामीण स्थानीय निकायों (आरएलबी) का प्रति व्यक्ति हस्तांतरण + +योजना, नवम्बर 2021 + + + +0019.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +यह देखा जा सकता है कि पंचायतों के विभिन्‍न स्तरों के लिए +विभिन्‍न प्रकार के करों को हस्तांतरित किया गया है। इन करों की + +योजना, नवम्बर 2021 + +राज्य वित्त आयोगों द्वारा अपनाए गए ग्रामीण स्थानीय निकायों को हस्तांतरण का आधार +हिस्सा स्वयं. | असम- 5वां जम्मू-कश्मीर | केरल-5वां पंजाब - 5वां | सिक्किम - | उत्तराखंड | तमिलनाडु - | पश्चिम +के शुद्ध कर | वि.आ. 2015-16 | - पहला वि.आ. 2016- [|वि.आ. राज्य |5वां वि.आ. |- चौथा |5वां वि.आ. |बंगाल - +राजस्व का में 15.5 प्रतिशत |वि.आ. वि. |2017 में के शुद्ध कुल | 2020-2025 |वि.आ. 2017-2022 | चौथा वि. +हिस्सा (संग्रह | 2016-17 में आ. राज्य राज्य के शुद्ध | कर राजस्व का | - राज्य के | चौथा - राज्य के |आ. राज्य के +के मूल्य का | 16.15 प्रतिशत | कर का 12.5 | ओटीआर का [40 प्रतिशत अपने कर |वि.आ. | अपने कर | अपने कर +शुद्ध) 2017-18 में प्रतिशत संग्रह | 20 प्रतिशत, राजस्व का | राज्य के | राजस्व का | राजस्व का +1450 प्रतिशत | मूल्य का बाद के सालों 4.5 प्रतिशत | अपने कर | 10 प्रतिशत | 2.5 +2018-19 में 14 | शुद्ध-संग्रह | में हर साल 1 राजस्व प्रतिशत +प्रतिशत 2019-20 | के मूल्य का | प्रतिशत तक का 11 +में 13.5 प्रतिशत | शुद्ध वृद्धि प्रतिशत +स्वयं के शुद्ध | बिहार 5वां वि. | छत्तीसगढ- | हरियाणा 5वां वि. | मध्य प्रदेश- | ओडिशा - राजस्थान - +कर राजस्व | आ. 2015-16 |2वां वि.आ. | आ. शहरी निकायों | चौथा वि.आ. | चौथा वि.आ. राज्य के | चौथा वि.आ. राज्य के +का हिस्सा में राज्य के अपने | शुद्ध कर की ओर से 2915-16 के | अपने कर राजस्व का अपने कर राजस्व का +(संग्रह और | शुद्ध कर राजस्व | राजस्व का | संग्रहित पंजीकरण | लिए राज्य के | शुद्ध 2.5 प्रतिशत शुद्ध 5 प्रतिशत +अन्य करों का 8.5 प्रतिशत | 80 प्रतिशत | फीस और स्टांप | शुद्ध स्वयं के +तथा शुल्कों | और 2016-17 ड्यूटी का 2 कर राजस्व का +के मूल्य का | से 2019-20 में प्रतिशत और बैट | 7.5 प्रतिशत, +शुद्ध ) 9 प्रतिशत संग्रह के मूल्य के | बाकि के चार +राज्य के अपने. | साल के लिए +कर राजस्व का [9 प्रतिशत +70 प्रतिशत +कुल राजस्व | गुजरात- दूसरा वि.आ. राज्य की | मणिपुर-तीसरा वि.आ. राज्य के स्वयं के कर गोवा - दूसरा वि.आ. राज्य के अपने +प्राप्तियों का | कुल राजस्व प्राप्तियों का 10 राजस्व, गैर-कर राजस्व और केंद्रीय करों में राजस्व का शुद्ध 2 प्रतिशत +हिस्सा प्रतिशत हिस्से का 10 प्रतिशत +कुल राजस्व | कर्नाटक-चौथा वि.आ. गैर-ऋण | महाराष्ट्र-चौथा वि.आ. राज्य के स्वयं के कर | उत्तर प्रदेश - चौथा वि.आ. राज्य के +प्राप्तियों का | स्वयं की राजस्व प्राप्तियां जीएसटी | और गैर-कर राजस्व का 40 प्रतिशत कर और संग्रह लागत का शुद्ध गैर-कर +हिस्सा क्षतिपूर्ति सहित लेकिन 14वें वि. राजस्व का 15 प्रतिशत +आ. के अनुदानों को छोड़कर +अन्य आंध्र प्रदेश-तीसरा वि.आ. प्रति हिमाचल प्रदेश - 5वां वि.आ. त्रिपुर- तीसरा वि.आ. कमी को पूरा +व्यक्ति अनुदानों और देयता कमी को पूरा करने का तरीका अपनाया। करने का तरीका अपनाया। आरएलबी +के तरीके से हस्तांतरण। यह कर्मचारियों के वेतन, सदस्यों के मानदेय, के स्थापना व्यय, रखरखाव व्यय और +2004-2005 के लिए केंद्रीय करों | कार्यालय व्यय, टीए/डीए व्यय को शामिल करके | विकास व्यय की आवश्यकता का +सहित कुल कर और गैर-कर प्राप्त की जाने वाली निधि आकलन करके पूर्व-हस्तांतरण अंतराल +राजस्व का 6.77 प्रतिशत है की गणना की। +लेवी के प्रकार नं. शब्दावली और पंचायतों के विभिन्‍न स्तरों के लिए आनुपातिक महत्व +ata अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग है। संपत्ति कर, भू-राजस्व पर +चल और अचल संपत्ति पर कर 13 उपकर, अतिरिक्त स्टांप शुल्क पर अधिभार, टोल, व्यवसायों पर कर, +अन्य कर 14 विज्ञापनों पर कर, गैर-मोटर वाहन कर, उपयोगकर्ता शुल्क और इसी +सरचार्ज और सेस 10 तरह के अन्य कर स्वयं स्रोत राजस्व में अधिकतम योगदान करते हैं, +शुल्क और लाइसेंस 29 फिर भी इनसे प्राप्त राशि पंचायतों a खर्च का लगभग 10 प्रतिशत +ही पूरा कर पाती है। अधिकांश राज्यों में, अधिकतम राजस्व की उगाही +उपयोगकर्ता शुल्क 12 संपत्ति कर से होती है। हालांकि, यह कर ज्यादातर, आकलन के वार्षिक +कुल 78 किराये के मूल्य पर आधारित है, और यह अपरिवर्तनीय है। कर्नाटक + +जैसे कुछ प्रगतिशील राज्यों ने कर संरचना में सुधार किया है और कर +आधार निर्धारित करने में इकाई क्षेत्र पद्धति का उपयोग कर रहे हें। + +19 + + + +0020.txt +<----------------------------------------------------------------------> +ग्राम पंचायत के स्वयं स्रोत राजस्व-ओएसआर की सफलता की कहानी + +बुधानूर, केरल राज्य के अलाप्पुझा जिले के चेंगन्नूर ब्लॉक का एक गांव +है। इसमें 14 वार्ड हैं। बुधन्नूर ग्राम पंचायत 18,563 की आबादी के साथ 19.2 +किर्मीः क्षेत्र को कवर करती है। इस पंचायत में 6,564 घर हैं और यह सराहनीय +है कि इस ग्राम पंचायत की साक्षरता दर 96.7 प्रतिशत है। यह ग्राम पंचायत +मुख्य रूप से कर संग्रह के माध्यम से राजस्व के अपने स्रोतों को अर्जित करने +पर ध्यान केंद्रित कर रही है। + +इसके लिए इस ग्राम पंचायत ने वित्त संबंधी स्थायी समिति का गठन करने; +करों का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी सभी संस्थानों, व्यक्तियों तथा व्यापारियों +को सूचीबद्ध करने; चूककर्ताओं को सलाह देने; घर-घर जाकर कर संग्रह के +लिए कुदुम्बश्नी स्ववंसेवकों और कर्मचारियों को शामिल करने; कर संग्रह शिविर +आदि आयोजित करने जैसी गतिविधियों के माध्यम से प्रभावी प्रयास किए हैं। +पंचायत के इन सभी प्रयासों के परिणामस्वरूप वर्ष 2016-17 के दौरान, इसने + + + +बुधानूर ग्राम पंचायत कर सग्रह की बेंठक का दृश्य + +करों के माध्यम से 33 ,43 ,925 रुपये, किराये से आय के रूप में 44 + +700 रुपये, शुल्क और उपयोगकर्ता शुल्क के माध्यम से 25,0141 + +रुपये, बिक्री तथा हायरिंग शुल्क के जरिए 78,800 रुपये और अन्य स्रोतों से 25,949 रुपये एकत्र किए। + +आगे का रास्ता + +ग्रामीण नागरिकों को स्वच्छता, पेयजल, प्राथमिक स्वास्थ्य, स्ट्रीट +लाइट, सड़कें आदि जैसी बुनियादी सेवाएं प्रदान करने की जिम्मेदारी +कुल मिलाकर ग्रामीण स्थानीय निकायों पर है। हालांकि उन्हें कुछ कर +और गैर-कर राजस्व एकत्र करने का अधिकार है, ज्यादातर मामलों में, +उनकी व्यय आवश्यकताओं की तुलना में उनके स्वयं के संसाधनों से +प्राप्त राणस्व काफी कम होता है। इसलिए, वे काफी हद तक राज्य +और केंद्र सरकार की वित्तीय सहायता पर निर्भर हैं। + +केंद्रीय वित्त आयोगों की सिफारिशों के कार्यान्वयन की निगरानी +के लिए नोडल मंत्रालय होने के नाते पंचायती राज मंत्रालय ने ग्रामीण +स्थानीय निकायों द्वारा अनुदानों के प्रभावी उपयोग को सुनिश्चित करने + +के लिए ई-ग्रामस्वराज और ऑडिटऑनलाइन जैसे कई सक्षम डिजिटल +तंत्र बनाए हैं। जहां ई-ग्रामस्वराज, ग्रामीण स्थानीय निकायों को +वास्तविक समय के डिजिटल माध्यमों के जरिए कार्यों के नियोजन, +निष्पादन, लेखांकन, निगरानी तथा नियंत्रण और वित्तीय लेनदेन की +पूरी प्रक्रिया के लिए सक्षम बनाता है, वहीं ऑडिटऑनलाइन पारदर्शिता +और जवाबदेही की दिशा में उनके खातों की ऑडिटऑनलाइन को +सक्षम बनाता है। + +संविधान में प्रावधान है कि केंद्रीय वित्त आयोग को राज्य वित्त +आयोगों की सिफारिशों के आधार पर राज्यों की समेकित निधि को +बढ़ाने के उपायों का सुझाव देना चाहिए। हालांकि, सभी केंद्रीय वित्त +आयोग प्रासंगिक अवधि के लिए राज्य वित्त आयोगों की रिपोर्टो + + + +1400.00 +1200.00 +1000.00 + +800.00 + +€ 600.00 + +400.00 + +200.00 +a I a + +BoE + +Badin erie fer का प्रति व्यक्ति व्यय + +0.00 + + + +ः ! + +हि ग्रामीण स्थानीय निकायों का प्रति व्यक्ति ओएसआर + +FE + + + + + +रेखाचित्र 3: ग्रामीण स्थानीय निकायों का प्रति व्यक्ति स्वयग्रोत राजस्व - ओएसआर निष्पादन + +20 + +योजना, नवम्बर 2021 + + + +0021.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +की अनुपलब्धता और समकालीन नहीं + +0.00 +बनाने के कारण विवश हैं, क्‍योंकि sao 0 +राज्य अलग-अलग समय पर और ' +अलग-अलग नियमितता के साथ राज्य 400.90 +वित्त आयोग का गठन करते रहे हैं। राज्य 400.00 + +स्तर पर अक्सर यह देखा गया है कि +राज्य वित्त आयोग की प्रमुख सिफारिशों +पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जाता है। कई +मामलों में, सिफारिशों को बिना कारण +बताए खारिज कर दिया जाता है या उन्हें +कार्रवाई रिपोर्ट के माध्यम से स्वीकार +कर लिया जाता है लेकिन लागू नहीं +किया जाता है, क्योंकि सरकारी आदेश +जारी नहीं किए जाते हैं। कुछ मामलों में, + +रुपये में + +21H +100.00 | +D.LRJ + +हिमाचल प्रदेश + + + +ग्रामीण स्थानीय निकायों का +क प्रति व्यक्ति व्यय + +जम्मू-कश्मीर # + +ग्रामीण स्थानीय निकायों का प्रति +ब व्यक्ति अपने स्रोत से राजस्व + + + + + +इन आदेशों के जारी होने के बावजूद, + +धनराशि जारी नहीं की जाती है। जैसा + +कि 15वें वित्त आयोग ने अब इसे राज्यों द्वारा अपने अनुदानों के आहरण +के लिए एक आवश्यक पात्रता बना दिया है, पंचायती राज मंत्रालय, +राज्य सरकारों के साथ मिलकर राज्य वित्त आयोगों के कामकाज को +सुव्यवस्थित करने और राज्य सरकारों द्वारा उनकी सिफारिशों को लागू +करने की दिशा में काम करेगा। + +ग्रामीण स्थानीय निकायों की अधिक से अधिक वित्तीय +स्वतंत्रता में योगदान करने के लिए, उनके स्वयं स्रोत राजस्व को भी +बढ़ाया जाना चाहिए। इससे पंचायतों के राजस्व तथा व्यय-संबंधी +निर्णयों के बीच की कड़ी भी मजबूत होगी, जो सेवाओं से संबंधित +प्रावधानों में दक्षता के साथ-साथ जवाबदेही को बढावा देने के +लिए भी आवश्यक है। इस दिशा में निम्नलिखित कार्यों पर विचार +किया जा रहा हैः + +1. पंचायती राज अधिनियमों/वित्तीय नियमों का अद्यतनीकरण +और उन्हें सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराना: वित्तीय नियमों, +सरकारी आदेशों /अधिसूचनाओं के साथ पंचायती राज संस्थान +अधिनियमों, कर तथा गैर-कर उद्ग्रहण, दर संरचना आदि +में परिवर्तन के संबंध में, अद्यतन/सरलीकृत किया जाए और +सार्वजनिक डोमेन में लाया जाए ताकि पंचायती राज संस्थाओं +को हस्तांतरित कराधान अधिकारों का प्रयोग करने में सक्षम +बनाया जा सके। + +2. संपत्ति कर लगाने के लिए आवश्यक संपत्तियों का बेहतर +मूल्यांकन: संपत्ति कर पंचायती राज संस्थाओं के लिए स्वयं +स्रोत राजस्व का एक प्रमुख स्रोत है। इस कर को लगाने के +लिए संपत्तियों के बाजार मूल्य का आकलन आवश्यक है। +वर्तमान में अपनाई जा रही विभिन्‍न विधियों में से वर्गीकृत +प्लिंथ क्षेत्र-आधारित मूल्यांकन सबसे वैज्ञानिक, पारदर्शी और +उपयोगकर्ता के अनुकूल तरीका प्रतीत होता है। + +3. विभिन्‍न छूटों पर पुनर्विचार: पंचायती राज संस्थाओं के +कराधान कानूनों/नियमों में कर-भुगतान करने वाले नागरिकों/ +संस्थाओं की विभिन्‍न श्रेणियों के लिए छूट दी गई हैं, जो अपनी +उपयोगिताओं से बाहर हो सकते हैं। इन छूटों पर फिर से विचार + +योजना, नवम्बर 2021 + +रेखाचित्र 4: ग्रामीण स्थानीय निकायों का प्रति व्यक्ति ओएसआर निष्पादन-पूर्वोत्तत और पर्वतीय राज्य + +करने के लिए राज्यों में एक विस्तृत विश्लेषण किया जाना है +और जहां तक संभव हो उन्हें समाप्त करना है। + +4. कर प्रशासन संरचना का विस्तार: पंचायती राज संस्थाओं, +विशेष रूप से ग्राम पंचायतों के पास वर्तमान में अधिकांश राज्यों +में प्रशासन के लिए बहुत कम कर्मचारी हैं और इससे उनकी कर +प्रशासन दक्षता अत्यधिक प्रभावित होती है। इस प्रमुख बाधा को +ध्यान में रखते हुए, कर प्रशासन और प्रवर्तन को स्वयं सहायता +समूहों या अन्य एजेंसियों को आउटसोर्स किया जा सकता है। +स्वयं स्रोत राजस्व बढ़ाने के साथ-साथ लक्ष्यों की प्राप्ति के +लिए विभिन्‍न हितधारकों को प्रोत्साहन भी दिया जा सकता है। + +5. प्रौद्योगिकी आधारित कर प्रशासन: राज्य स्तर पर ऑनलाइन +सिस्टम और एप्लिकेशन विकसित किए. जा सकते हैं और +पंचायती राज संस्थाओं को कर संग्रह, विशेष रूप से बड़े पैमाने +पर सार्वभौमिक कर जैसे संपत्ति कर और नागरिकों को विभिन्‍न +प्रमाण पत्र जारी करने के लिए शुल्क का संग्रह के डिजिटल +साधनों के लिए प्रदान किए जा सकते हैं। पानी, स्ट्रीट लाइट, +स्वच्छता शुल्क आदि जैसे उपयोगिता शुल्क संग्रह के लिए इसे +और भी विस्तारित किया जा सकता है। + +निष्कर्ष +पंचायती राज संस्थाएं ग्रामीण आबादी के आर्थिक विकास में + +महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और इस जिम्मेदारी को पूरा करने के + +लिए पर्याप्त वित्तीय हस्तांतरण उनके लिए बहुत आवश्यक है। इन +स्थानीय स्व-शासन संस्थानों को सौंपी जाने वाली भूमिका में बृद्धि को +देखते हुए, पंचायत वित्त की मात्रा में पर्याप्त बढ़ोत्तरी करना आवश्यक +है। यह उम्मीद की जाती है कि मध्यम अवधि में, पंचायतों को राजस्व +के अपने स्रोतों से प्राप्त राशि सहित सार्वजनिक व्यय का कम से कम + +10-20 प्रतिशत उपलब्ध होगा, जो समग्र स्तर पर उनके बजट का + +कम से कम 25 प्रतिशत होगा। इस प्रकार, इन संस्थाओं द्वारा निभाई + +जाने वाली महत्वपूर्ण भूमिका से संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों +की प्राप्ति में विकास का लंबा रास्ता तय किया जा सकेगा, जिसके +लिए हमारा देश पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। = + +21 + + + +0022.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +पंचायतों के लिए प्रोत्साहन + +डॉ बिजय कुमार बेहेरा + +पंचायती राज मंत्रालय हर वर्ष 24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय पंचायत +पुरस्कारों के अंतर्गत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाली पंचायतों »राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को 5 लाख रुपये से +50 लाख रुपये तक के नकद पुरस्कार तथा अन्य प्रोत्साहन देता है। पुरस्कार विजेताओं को और भी बढ़िया +काम करने की प्रेरणा मिलती है और उनके विशेष प्रयासों को देख-जान कर सभी राज्यों /केंद्रशासित प्रदेशों +के ग्रामीण समुदायों में भी अधिक लगन से काम करने की ललक पैदा होती है। इसी के परिणामस्वरूप +स्थानीय स्तर पर सर्वागीण सुशासन लाने का वातावरण बनता है। + +रस्कार हमेशा प्रेरणा का स्रोत होते हैं। इसी विचार +हट को ध्यान में रखते हुए और राज्यों को अधिकाधिक +विकेन्द्रीकरण अपनाने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से + +पंचायती राज मंत्रालय ने पंचायत सशक्तीकरण और जवाबदेही योजना +(पीईएआईएस) वर्ष 2005-06 में लागू की ताकि राज्यों/केद्रशासित +प्रदेशों को विकेन्द्रीकरण अपनाने की दिशा में प्रदर्शन के आधार पर +पुरस्कृत करके प्रोत्साहित किया जाए। इस योजना के माध्यम से राज्यों + +के अधिकार पंचायतों तक आबंटित करके विकेन्द्रीकरण की प्रक्रिया में +केन्द्रीय प्रयास भी शामिल हो गया। + +अनेक सीमाओं और बंधनों के बावजूद देशभर में कई पंचायतें +उल्लेखनीय कार्य कर रही हैं। इसी कारण 2011-12 में पंचायतों +को प्रोत्साहन देने के दूसरे अंग के तौर पर स्थानीय निकाय स्तर +पर जवाबदेही और प्रदर्शन को जोड़ लिया गया। पंचायतों को पर्याप्त +तकनीकी और प्रशासनिक सहायता उपलब्ध कराने, उनके बुनियादी + + + +लेखक भारत सरकार के पंचायती राज मंत्रालय में आर्थिक wees Sl LA: behera.bk@nic.in + +22 + +योजना, नवम्बर 2021 + + + +0023.txt +<----------------------------------------------------------------------> +ढांचे और ई-इनेबलमेंट को मजबूत बनाने, निचले स्तर तक अधिकार + +हस्तांतरित करने को बढ़ावा देने और उनकी कार्यकुशलता में सुधार लाने + +के उद्देश्य से 2013-14 में राजीव गांधी पंचायत सशक्तीकरण अभियान + +(आरजीपीएसए) को स्वीकृति देकर लागू कर दिया गया। इसके साथ + +ही पंचायती राज की तत्कालीन योजनाओं, जिनमें पीईएआईएस भी + +थी, का केंद्र-समर्पित योजना आरजीपीएसए में विलय कर दिया गया। +पंचायतों के लिए प्रोत्साहन की योजना भी आरजीपीएसए के तहत ही +चलाई जा रही थी। अधिक ध्यान देने वाली पहल के तौर पर अब +पंचायतों को प्रोत्साहन योजना की राशि 2016-17 से शुरू की गई +स्वतंत्र योजना राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान' के तहत मिल रही है। +राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार + +पंचायती राज मंत्रालय ने वर्ष 2008 में 22 से 24 अप्रैल तक + +संविधान में हुए 73वें संविधान संशोधन 1992 की, जो 24 अप्रैल, +1993 को लागू किया गया था, 15वीं वर्षगांठ मनाने के उद्देश्य से +जिला परिषदों और माध्यममिक पंचायतों के अध्यक्षों का राष्ट्रीय सम्मेलन +आयोजित किया। इस 15वीं वर्षगांठ के चार्टर में 'समग्र शासन से समग्र +प्रगति' के लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित किया गया था जिसे सम्मेलन में +पारित कर दिया गया और 24 अप्रैल, 2008 को तत्कालीन प्रधानमंत्री +ने जिला और माध्यमिक पंचायतों के अध्यक्षों को संबोधित भी किया। +इसी आधार पर हर वर्ष 24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस +मनाया जाता है। इसी दिन पंचायतों को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से +राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं। पुरस्कार पाने वाली पंचायतों +को अन्य सभी पंचायतों के लिए आदर्श माना जाता है जिनसे उन्हें +प्रेरणा मिलती है। + +पुरस्कारों की श्रेणियां + +1. नानाजी देशमुख राष्ट्रीय गौरव ग्राम सभा पुरस्कार +(एनडीआरजीजीएसपी) 2010 में शुरू किया गया था और इसका +उद्देश्य ग्रामसभा के सक्रिय योगदान से उल्लेखनीय सफलता अर्जित +करने वाली ग्राम पंचायत की सराहना करके उसे प्रोत्साहित करना +था जिसने विशेष रूप से गांव के सामाजिक-आर्थिक उत्थान के +लिए महत्वपूर्ण उपलब्धि प्राप्त की। इस पुरस्कार का मूल उद्देश्य +ग्रामसभा को जनसहयोग, सामूहिक निर्णय और सामाजिक ऑडिट +की संस्था के रूप में प्रचारित करना है। इस योजना में प्रत्येक +राज्यों/केद्रशासित प्रदेश की एक ग्राम पंचायत या ग्राम परिषद्‌ को +10 लाख रुपये का पुरस्कार दिया जाता है। + +2. दीनदयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तीकरण पुरस्कार (डीडीयूपीएसपी ) +2011 में शुरू किया गया था। यह पुरस्कार सेवाओं और सार्वजनिक +हित के कार्यों के क्षेत्र में सबसे अच्छा काम करने वाली पंचायत +को दिया जाता है। यह पुरस्कार (डीडीयूपीएसपी) सभी पंचायती +राज संस्थानों की सामान्य 2 श्रेणी और ग्राम पंचायतों की 9 विषय +आधारित श्रेणियों के लिए दिया जाता है। ये विषय आधारित +श्रेणियां हैं: + +* साफ-सफाई + +* नागरिक सेवाएं (पेयजल, स्ट्रीट लाइट, बुनियादी सुविधाएं) + +* प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन + +* सीमांत वर्ग की सेवा (महिलाएं, अनुसूचित जाति/अनुसूचित +जनजाति, विकलांगजन, वरिष्ठ जन) + +योजना, नवम्बर 2021 + +* सामाजिक क्षेत्र में प्रदर्शन + +* आपदा प्रबंधन + +* ग्राम पंचायतों को समर्थन देने वाले स्वैच्छिक संगठन/व्यक्ति + +* राजस्व जुयने के क्षेत्र में नवाचार + +* ई-गवर्नेंस + +यह पुरस्कार मोटे तौर पर प्रत्येक राज्य/केद्रशासित प्रदेश में +पंचायतों/ग्रामीण स्थानीय निकायों की संख्या के अनुपात में दिया जाता +है। इस पुरस्कार में जनसंख्या के आधार पर ग्राम पंचायत को 5 से 15 +लाख रुपये, ब्लॉक/इंटरमीडियट पंचायत को 25 लाख रुपये और जिला +पंचायत को 50 लाख रुपये दिये जाते हैं। + + + + + + + + + + + + + + + +पंचायत | राज्य/केंद्रशासित | पुरस्कारों की अनुमानित +का टीयर क क्षेत्र में पंचायतों | संख्या +(स्तर) | की संख्या +जिला ४50 1 +पंचायत >= 50 2 +इंटरमीडियट | <500 2 +पंचायत 500-1000 4 +>1000 6 +ग्राम पंचायत | ग्राम पंचायतों की | प्रत्येक राज्य में ग्राम पंचायतों + +कुल संख्या की कुल संख्या का 0.05 +प्रतिशत लेकिन कम से कम 3 +ग्राम पंचायतें। गोवा, सिक्किम, +त्रिपुरा, मेघालय और मणिपुर +जैसे छोटे राज्यों में ग्राम + +पंचायतों की संख्या 2 पर + + + + + + + + + +सीमित रखी गई है। + + + +पुरस्कारों की संख्या तय करने के मानदंड + +1. ग्राम पंचायत विकास योजना पुरस्कार (जीपीडीपीए) वर्ष 2018 +में शुरू किया गया। यह पुरस्कार देशभर की ग्राम पंचायतों में से +उन पंचायतों को दिया जाता है जिन्होंने पंचायती राज मंत्रालय के +दिशानिर्देशों के आधार पर राज्य/केद्रशासित प्रदेश के दिशानिर्देशों +के अनुरूप अपनी ग्राम पंचायत योजना विकसित की हो। यह +पुरस्कार हर राज्य/केंद्रशासित प्रदेश की एक ग्राम पंचायत को दिया +जाता है। पुरस्कार में 5 लाख रुपये दिए जाते हैं। + +2. बाल अनुकूल ग्राम पंचायत पुरस्कार वर्ष 2019 में उस सर्वश्रेष्ठ +कार्य करने वाली ग्राम पंचायत/जिला परिषद्‌ के लिए शुरू किया +गया जिसने बच्चों की स्वास्थ्य वृद्धि और विकास का वातावरण +बनाने को सामाजिक विकास का मुख्य अंग मानकर कार्य किया +हो। 5 लाख रुपये का यह पुरस्कार प्रत्येक राज्य/केद्रशासित प्रदेश +की एक ग्राम पंचायत/ग्राम परिषद को प्रदान किया जाता है। + +3. ई-पंचायत पुरस्कार: राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को पंचायत उद्यम +सुईट (पीईएस) एप्लीकेशंस/राज्य विशिष्ट एप्लीकेशंस अपनाकर +उन्हें लागू करने, पंचायतों की आंतरिक कार्यप्रवाह प्रक्रियाओं को +स्वचालित बनाने, सेवाओं को अधिक पारदर्शी तथा जवाबदेह +बनाकर उनकी इलेक्ट्रॉनिक डिलीवरी कराने तथा ई-पंचायत +एप्लीकेशंस को अपनाकर उन्हें लागू करने वाली पंचायतों को + +23 + + + +0024.txt +<----------------------------------------------------------------------> +प्रोत्साहन के रूप में दिया जाता है। इस पुरस्कार में कोई नकद + +प्रोत्साहन राशि नहीं दी जाती। +चयन के मानदंड और तौर-तरीके + +पंचायती राज मंत्रालय ने पंचायतों की जवाबदेही व्यवस्था और +उनकी पारदर्शी प्रणली के आकलन के वास्ते विभिन्न मानदंडों/संकेतकों +का प्रयोग करके पुरस्कारों के बारे में व्यापक प्रश्नावली तैयार की है। +खंड स्तरीय समिति, जिला स्तरीय समिति, राज्य पंचायत कार्य आकलन +समिति और क्षेत्र जांच दलों द्वारा किए गए व्यापक आकलन के आधार +पर और पंचायत द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी को ध्यान में रखकर +पंचायतों का चयन किया जाता है। राज्यों/केद्रशासित प्रदेशों से नामांकन +एक विशिष्टि समर्पित पोर्टल पर ऑनलाइन मंगाए जाते हैं ताकि कागजी +कार्यवाही में समय नष्ट न हो। फिर, पंचायती राज मंत्रालय द्वारा गठित +स्क्रीनिंग समिति पुरस्कृत की जाने वाली पंचायतों का चयन करती है। +पुरस्कारों की संख्या राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों से प्राप्त नामांकन के हिसाब +से तय होती है। + +पुरस्कार राशि का उपयोग जीतने वाली पंचायत सार्वजनिक हित +के कार्यों के लिए करती है जैसे लोगों के लिए आजीविका के साधन +जुटाना, परिसंपत्तियां बनाना, नागरिक सुविधाओं का निर्माण करना और +उनकी मरम्मत कराना और विभिन्न योजनाओं के लिए केन्द्र से मिलने +वाली राशि में भरपाई करना। +आउट-रीच + +प्रसन्नता की बात है कि राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार देशभर में +जागरूकता फैलाने और जानकारी के आदान- प्रदान का माध्यम बन +गए हैं जिससे पंचायतों की सफलताओं और उपलब्धियों को जन-जन +तक पहुंचाया जाना संभव हुआ है तथा राष्ट्रहित के कार्यों में लगे सभी +लाभार्थियों को प्रोत्साहन मिलता है। + +मंत्रालय देशभर की पंचायतों की भागीदारी बढ़ाने के लिए बराबर +प्रयास कर रहा है। देश में मौजूद 25 लाख पंचायतों को ध्यान में +रखते हुए पुरस्कार जीतने वाली पंचायतों कौ कामयाबी को प्रचारित +करना महत्वपूर्ण है। इससे अन्य पंचायतें भी प्रेरित होंगी। इसके लिए. +इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट और सोशल मीडिया की मदद से स्थानीय स्तर से +राष्ट्रीय स्तर तक प्रचार किया जाना चाहिए। +योजना की उपलब्धियां + +पंचायती राज मंत्रालय समय-समय पर पुरस्कारों के मानदंडों में + + + + + +कर काले के agp tee aaa + +SaneAe ahaa | + +24 + + + +संशोधन-परिवर्तन करता रहा है। इन वर्षों में प्राप्त की गई सफलताएं/ + +उपलब्धियां नीचे दी जा रही हैं: + +1. डीडीयूपीएसपी के तहत विषय-आधारित श्रेणियां बनाई गईं। वित्त +वर्ष 2015-16 से डीडीयूपीएसपी के अंतर्गत नौ विषय-आधारित +श्रेणियां निर्धारित की गईं ताकि पंचायतें ज्वलंत सामाजिक मुद्दों +पर ध्यान दें। + +2. अधिक पारदर्शिता और बेहतर कार्यकुशलता पर जोर दिया गया। +समूची प्रक्रिया को पारदर्शी और प्रभावी बनाने तथा कार्य तेजी +से निपटाने के उद्देश्य से राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों से कहा गया +कि पंचायतें परिषदों से नामांकन भेजने का पूर काम ऑनलाइन +निपटाने को कहें। 2016 से ही यह पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होती +आ रही है। + +3. ग्राम पंचायत विकास योजना पुरस्कार की शुरूआत की गई। उन +ग्राम पंचायतों को प्रोत्साहन देने के लिए यह पुरस्कार शुरू किया +गया जिन्होंने अपनी जीपीडीपी राज्य/केंद्रशासित प्रदेश के निर्दिष्ट +दिशानिर्देशों के अनुरूप तैयार की है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए +2018 में जीपीडीपीए नाम से नई योजना शुरू की गई थी। + +4. राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कारों के तहत पंचायतों की बढ़ती भागीदारी: +देशभर की पंचायतों में जागरूकता बढ़ाने और पंचायतों के बीच +प्रोत्साहन बढ़ाने के जोरदार प्रयासों के फलस्वरूप इन वर्षों में +स्पर्धा का स्तर बढ़ा है और कुल भागीदारों की संख्या पुरस्कार वर्ष +2021 में 74,000 हो गई जो पिछले वर्ष के मुकाबले 28 प्रतिशत +ज्यादा है। इससे राष्ट्रीय पुरस्कारों की आउटरीच का पता चलता ZI + +5. पुरस्कार विजेता को पुरस्कार राशि सीथे हस्तांतरिंत की गई- वर्ष +2021 से शुरू हुई पहल के तहत पुरस्कार जीतने वाली पंचायतों +को पुरस्कार राशि सीधे उनके खाते में हस्तांतरित करने की +व्यवस्था शुरू की गई ताकि अनावश्यक देरी न हो। + +2016-17 में इस योजना के लिए अलग बजट मद में व्यवस्था +करके कुल 1,519 पुरस्कार पंचायतों/राज्यों/केद्रशासित प्रदेशों को दिए +जा चुके हैं। + +इस अवधि में इन पुरस्कारों के लिए अनेक पहल/सुधार किए +गए हैं और पंचायतों की ओर से नामाकंन भेजे जाने से लेकर आगे +तक की समूची प्रक्रिया ऑनलाइन बना दी गई तथा विशेष क्षेत्रों पर +पंचायतों का ध्यान खींचने के लिए पुरस्कारों की नई श्रेणिया/विषय +शुरू किए गए हैं। हालांकि व्यापक विचार-विमर्श के बाद पुरस्कारों +की नई-नई श्रेणियां बनाई गईं और लक्ष्य प्राप्त करने के वास्ते पुरस्कार +प्रणाली में सुधार की प्रक्रिया लगातार जारी है और इसमें बदलती हुई +प्राथमिकताओं को पूरी तरह ध्यान में रखा जा रहा है। पहले की व्यवस्था +में ग्राममभा के आचरण और परिणाम पर खास ध्यान दिए बिना विकास +योजना तैयार करने और प्रक्रिया-आधारित पुरस्कार देने पर जोर रहता +था। ये प्राथमिकताएं व्यक्तिगत होती थीं और इनका मूल्यांकन बेहद +मुश्किल होता था। इसीलिए प्रदर्शन की गुणात्मकता को आधार मानकर +परिणाम-आधारित मानक अपनाए गए जो ठोस विकास का मूल +आधार होते हैं। पुरस्कार प्रक्रिया को सशक्त बनाने का एक अन्य पहलू +गुणात्मक विश्लेषण है जिसमें स्थायी विकास लक्ष्यों की पूर्ति में पंचायतों +की भूमिका पर ही पूरा ध्यान रहता है। इस प्रणाली की मांग बढ़ी है +और इस पर ध्यान भी केंद्रित किया जा रहा है। | + +योजना, नवम्बर 2021 + + + +0025.txt +<----------------------------------------------------------------------> +| » UNION +1.1 Mabie ti | + +OFFLINE / ONLINE / PENDRIVE COURSE +DEMO @ fe You “REUNION IAS" 2a! + +LA || 0 || | +हिन्दी माध्यम से चयनित YS be कर 8 woe gee iv ah +a5 “i = a Tm +rey - OSL _ eRe Te Sea 3S =o eH =r +RANK-246) =f + +योजना, नवम्बर 2021 25 + + + + + + + + + + + + + +0026.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +TF +जि +आज़ादीका + +अमृत महोत्सव + + + +स्वामित्व योजना + +आलोक प्रेम नागर + +संपत्तियों का स्वामित्व भू-संसाधनों पर आधारित आर्थिक वृद्धि का महत्वपूर्ण पहलू होता है और ग्रामीण +क्षेत्रों में यह ज़्यादा महत्व रखता है। देखा गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि स्वामित्व इस बात से तय होता है +कि वह किसके कब्जे में है और स्वामित्व के पर्याप्त दस्तावेजी प्रमाण नहीं होते हैं, जबकि प्रमाण होने पर +संपत्ति का इस्तेमाल ऋण या दूसरे वित्तीय लाभ प्राप्त करने में किया जा सकता है। आजादी से पहले विभिन्‍न +एजेंसियों द्वारा किए गए भूमि सर्वेक्षणों में कृषि योग्य भूमि पर जोर दिया गया, जिस कारण स्वामित्व के +अधिकार , सीमा तथा दूसरे विवाद अनसुलझे ही रह गए। + +निया में आर्थिक वृद्धि के लक्ष्य के साथ चलाई जाने +वाली अधिकतर आर्थिक गतिविधियों के लिए भूमि +आवश्यक संसाधन है। इसलिए भूमि संसाधनों का +प्रबंधन किसी भी देश की आर्थिक गतिविधियों का महत्वपूर्ण अंग +माना जाता है। +बैंक भू-संपत्ति को वित्तीय संपत्ति मानकर इसके बदले ऋण +तथा दूसरी वित्तीय सहायता देते हैं मगर कानूनी दस्तावेज नहीं होने +के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में संपत्ति का स्वामी लाभ नहीं उठा पाता। इन +ग्रामीणों के पास गैर-संस्थागत ऋणदाताओं से कर्ज लेने के अलावा +दूसरा कोई विकल्प नहीं रह जाता और वे ऋणदाता उनसे ऊंची दर +पर ब्याजु वसूल कर सकते हैं। जानकारी का अभाव होने के कारण +ग्रामीण जनता कर्ज के जाल में फंसती जाती है और साहूकारों की +दया पर आश्रित हो जाती है। उदाहरण के लिए संस्थागत ऋण हासिल +करने की बात करें तो सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय +के 2013 में कराए गए घरेलू संपत्ति एवं ऋणग्रस्तता सर्वेक्षण के +अनुसार 20 प्रतिशत परिवारों पर गैर-संस्थागत ऋणदाताओं का कर्ज +बकाया था, जबकि शहरी भारत में ऐसे परिवार केवल 10 प्रतिशत थे। +ग्रामीण भारत में गैर-कृषि संपत्ति अधिकारों की बात करें तो +ग्रामीण भारत में आवासीय भूमि के अधिकारों के रिकॉर्ड का सांख्यिकी +अनुमान प्रदान करने वाले सर्वेक्षण बहुत कम हैं क्योंकि राष्ट्रीय +परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण अथवा भारतीय मानव विकास सर्वेक्षण जैसे +सर्वेक्षणों में या तो कृषि भूमि ली जाती है अथवा आबादी भूमि को +अलग किए बगैर समूची भूमि शामिल की जाती है। +भारत में यह अहम बात है क्योंकि एक औसत परिवार की कुल +संपत्तियों में से 77 प्रतिशत रियल एस्टेट (जिसमें आवासीय इमारतें, +कृषि एवं गैर कृषि गतिविश्नियों के लिए प्रयुक्त इमारतें, मनोरंजक +सुविधाओं का निर्माण तथा ग्रामीण एवं शहरी भूमि शामिल होती हैं) + + + +के रूप में होती हैं। यह आंकडा अमेरिका में 40 प्रतिशत, चीन के +लिए 60 प्रतिशत, थाईलैंड में 50 प्रतिशत और ब्रिटेन में केवल 35 +प्रतिशत है।' + + + +परिसंपत्तियां +100% + +80% +60% +40% +20% +0% E £ E +| +नम रियल एस्टेट + +मम टिकाऊ सामान + +ee सोना +[___] वित्तीय संपत्तियां + +[___| सेवानिवृत्ति खाते + +स्रोत: भारतीय घरेलू वित्त, जुलाई 2017, आरबीआई + + + + + + + +चित्र 1: सपत्तियाँ प्रतिशत में +भारत में ग्रामीण आबादी वाले इलाकों में अधिकार के रिकॉर्ड +नहीं होने के कारण भूमि प्रशासन” का स्तर कम रहा है, संपत्तियों का +स्वामित्व अनुमानों पर आधारित होता है, संपत्ति विवाद लंबे समय से +अटके हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि बाजार में तरलता बहुत कम है। +स्वामित्व योजना +भूमि रिकॉर्ड की कमी और गांवों में आबादी क्षेत्र के सर्वेक्षण + + + + + +लेखक भारत सरकार के पंचायती राज मंत्रालय में संयुक्त सचिव हैं। ईमेल: 89-08847छ800.11 + +26 + +योजना, नवम्बर 2021 + + + +0027.txt +<----------------------------------------------------------------------> +का अभाव देखते हुए भारत के 6.62 लाख +गांवों में आधुनिकतम ड्रोन सर्वेक्षण प्रौद्योगिकी +का उपयोग कर ग्रामीण परिवार के मालिकों +को संपत्ति कार्ड के रूप में अधिकार के +रिकॉर्ड प्रदान करने की आवश्यकता महसूस +हुई, जिस कारण स्वामित्व (सर्वे ऑफ विलेज +आबादी एंड मैपिंग विद इंप्रवाइज़्ड टेक्नोलॉजी +इन विलेज एरियाजु) योजना का जन्म हुआ। +योजना का लक्ष्य गांवों में ग्रामीण आबादी +में मकान रखने वाले ग्रामीण परिवारों के +मालिकों को अधिकार का रिकॉर्ड उपलब्ध +कराना और संपत्ति स्वामियों को संपत्ति कार्ड +प्रदान करना है। इससे ऋण तथा अन्य वित्तीय +सेवाओं के लिए ग्रामीण आवासीय संपत्तियों का मुद्रीकरण करने में +मदद मिलेगी। +स्वामित्व योजना के प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार हें: +* ग्रामीण भारत के नागरिकों द्वारा संपत्ति का वित्तीय संपत्ति के +रूप में इस्तेमाल +* ग्रामीण नियोजन के लिए सटीक भूमि रिकॉर्ड तैयार करना +* ग्रामीण भारत के लिए एकीकृत भूमि प्रमाणन समाधान प्रदान +करना +* संपत्ति से जुडे विवादों में कमी का साधन बनना +* संपत्ति कर तय करने में मदद प्राप्त करना +* सर्वेक्षण के लिए बुनियादी ढांचे तथा जीआईएस (जियोग्राफिक +इन्फॉर्मेशन सिस्टम) मानचित्र तैयार करना, जिनका उपयोग कोई +भी विभाग अथवा एजेंसी कर सकेंगे। +सर्वेक्षण की चेन, क्रॉस स्टफ तथा थियोडोलाइट आधारित पुरानी +तकनीकों में आम तौर पर उपकरण तथा धरातल के बीच दृष्टि रेखा +होनी चाहिए और सर्वेक्षण की जाने वाली पूरी भूमि भी नजर आनी +चाहिए। साथ ही सर्वेक्षण करने वाले को संपत्तियों का सीमांकन करने + +योजना का लक्ष्य गांवों में ग्रामीण +आबादी में मकान रखने वाले +ग्रामीण परिवारों के मालिकों को +अधिकार का रिकॉर्ड उपलब्ध +कराना और संपत्ति स्वामियों +को संपत्ति कार्ड प्रदान करना +है। इससे ऋण तथा अन्य +वित्तीय सेवाओं के लिए ग्रामीण +आवासीय संपत्तियों का मुद्रीकरण +करने में मदद मिलेगी। + +के लिए मापने वाला उपकरण एक जगह से +दूसरी जगह ले जाना पड़ता है। भूमि सर्वक्षण +का यह तरीका श्रमसाध्य, समय बरबाद करे +वाला, महंगा होता है तथा इसमें मानवीय एवं +उपकरण की त्रुटियां संभव हैं। + +स्वामित्व योजना में बहुत बडे क्षेत्र का +एकदम सटीक सर्वेक्षण बहुत कम समय में +करने के लिए सर्व ग्रेड ड्रोन्स तथा कोर्स नेटवर्क +(कंटिन्यूअसली sites रेफरेंस स्टेशन्स) +का प्रयोग किया जाता है। ड्रोन सर्वेक्षण के +द्वारा तैयार 1:500 पैमाने के मानचित्र बहुत +सटीक होते हैं जैसे 3-5 सेंटीमीटर और इतनी +सटीकता पुराने तरीकों से नहीं मिलती। साथ +ही दृष्टि रेखा के बगैर ही बहुत कम खर्च में ऐसे मानचित्र मिल +जाते हैं, जिनका संपादन किया जा सकता है और जिनमें जियो टैग +भी जोडे जा सकते हें। + +उच्च रिजॉल्यूशन युक्त और सटीक चित्र आधारित मानचित्रों से +उन क्षेत्रों में संपत्ति स्वामित्व के सबसे टिकाऊ रिकॉर्ड तैयार करने +में मदद मिलती है, जिन क्षेत्रों में पीढ़ी दर पीढ़ी राजस्व रिकॉर्ड नहीं +होते हैं। ऐसे सटीक चित्र आधारित मानचित्र जमीन पर भौतिक माप +एवं भूमि खंडों को मापने की तुलना में बहुत कम समय में भूमि का +स्पष्ट सीमांकन उपलब्ध करा देते हैं। इतना ही नहीं, इन मानचित्रों +में माप की त्रुटियां आम तौर पर नहीं होती हैं, जो पुराने तरीके में +नजर आती हैं। + +इस योजना का पायलट फेज (परीक्षण चरण) 24 अप्रैल 2020 +को छह राज्यों - हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश +और उत्तराखंड में आरंभ किया गया। + +बाद में पंजाब तथा राजस्थान के एक सीमावर्ती जिले के गांवों +एवं आंध्र प्रदेश के कुछ गांवों को भी क्रियान्वयन के परीक्षण चरण +में जोड़ा गया। परीक्षण चरण में हरियाणा, मध्य प्रदेश, पंजाब और + + + + + +योजना, नवम्बर 2021 + + + +27 + + + +0028.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +परीक्षण चरण ( 2020-21) + + + + + +विस्तार का चरण ( 2021-25 ) + + + + + +चित्र 3: राज्यों में स्वामित्व योजना का विस्तार - परीक्षण चरण एवं विस्तार चरण + +राजस्थान में 210 कोर्स स्टेशन स्थापित किए जा रहे हैं। + +परीक्षण चरण का क्रियान्वयन सफल होने एवं वांछित परिणाम +मिलने के बाद 24 अप्रैल 2021 को सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों +में यह योजना आरंभ कर दी गई। अभी तक 28 राज्यों एवं केंद्रशासित +प्रदेशों ने अपने यहां स्वामित्व योजना के क्रियान्वयन के लिए भारतीय +सर्वेक्षण के साथ सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। तमिलनाडु परीक्षण +गांवों के लिए सहमति पत्र पर हस्ताक्षर के अंतिम चरण में है। + +भारत में ग्रामीण क्षेत्रों के सामाजिक-आर्थिक एवं जाति +जनगणना-2011 (एसईसीसी-2011) पर आधारित अनुमानों के +अनुसार योजना से लगभग 13.13 करोड +परिवारों (29 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के +ग्रामीण क्षेत्रों में उन परिवारों की संख्या पर +आधारित, जिन्होंने अपने घर होने की बात +कही है) को लाभ मिलने की संभावना है। +डीएफएस के साथ काम + +पंचायती राज मंत्रालय ने बैंक अधिकारियों +द्वारा स्वामित्व के दस्तावेज अथवा संपत्ति +कार्डों की जांच के लिए संपत्ति कार्डों को +कानूनी वैधता प्रदान कराने के प्रयास में वित्तीय +सेवा विभाग को भी साथ ले लिया है ताकि +ऋण तथा अन्य वित्तीय लाभों के लिए बैंक +संपत्ति कार्डों को मान्यता प्रदान कर दें। विभाग +ने बैंकों से पूछा कि यदि कोई स्वामी अपनी +संपत्ति का मुद्रीकरण कराना चाहे तो क्या बैंक +उसके राज्य के विभाग द्वारा उसे जारी संपत्ति +कार्ड प्रारूप पर कर्ज मुहैया कराएंगे। इसके + +28 + +स्वामित्व योजना में बहुत बड़े +क्षेत्र का एकदम सटीक सर्वेक्षण +बहुत कम समय में करने के लिए +सर्वे ग्रेड ड्रोन्स तथा कोर्स नेटवर्क +( कंटिन्यूअसली ऑपरेटेड रेफरेंस +ora) का प्रयोग किया जाता +है। उच्च रिजॉल्यूशन युक्त और +सटीक चित्र आधारित मानचित्रों +से उन क्षेत्रों में संपत्ति स्वामित्व +के सबसे टिकाऊ रिकॉर्ड तैयार +करने में मदद मिलती है, जिन +क्षेत्रों में पीढ़ी दर पीढ़ी राजस्व +रिकॉर्ड नहीं होते हैं। + +परिणामस्वरूप राज्यों ने अपने-अपने राज्य कानूनों/नियमों में संशोधन +किया है ताकि संपत्ति कार्ड को स्वामित्व का वैध कानूनी दस्तावेज +माना जाए और रहने के रूप में स्वीकार्य संपत्ति कार्ड प्रारूप तैयार +करने के लिए उन्होंने बैंकों के साथ काम किया। + +सफलता की कई कहानियां आई हैं, जहां संपत्ति स्वामियों ने +कर्ज लिए हैं, संपत्ति स्वामित्व के कारण भूमि अधिग्रहण के बदले +मुआवजा पाया है और लंबे समय से अटके संपत्ति विवाद सुलझ +गए हैं। +स्वामित्व: प्रमुख उपलब्धियां + +16 सितंबर 2021 को नौ राज्यों के +59,145 गांवों में ड्रोन की उड़ानें पूरी हो +चुकी हैं। हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर +प्रदेश और उत्तराखंड के 51 जिलों में भी ड्रोन +की उड़ानें पूरी हो गई हैं। 8 सितंबर 2021 +को हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, +राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब +के लगभग 17,000 गांवों में करीब 17 लाख +संपत्ति स्वामियों को संपत्ति कार्ड वितरित किए +जा चुके हैं। + +कई संपत्ति मालिकों ने घर बनाने अथवा +छोटे कारोबार शुरू करने के लिए संपत्ति कार्डों +की मदद से कर्ज लेना भी आरंभ कर दिया है। +योजना के क्रियान्वयन के दौरान ग्रामवासियों +में लंबे समय से चले आ रहे संपत्ति विवाद +सुलझने के उदाहरण भी सामने आए हें। + +ग्रामीण आबादी बाले क्षेत्रों में संपत्ति + +योजना, नवम्बर 2021 + + + +0029.txt +<----------------------------------------------------------------------> +स्वामी डिजिलॉकर एप्लिकेशन की मदद से अपने मोबाइल फोन पर +आधार सत्यापित संपत्ति कार्ड डाउनलोड कर सकते हैं। + + + + + + + + + + + + + + + +एसईसीसी-2011 के अनुसार उन परिवारों की संख्या की स्थिति, +जिनके पास अपने घर हैं: + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +पा कक के विश्वकर्मा के कलां में रहने वाले श्री हा राज्य/केंद्रशासित | कुल परिवार | उन परिवारों की +ढ़ हे oe ae oo का अधिग्रहण प्रदेश के नाम के संख्या, जिनके पास +/ चार-लेन की परियोजना लिए कर लिया गया। साथ कोड अपने मकान हैं +" + विरासत के तत्कालीन नियमों के कारण भूमि जप्मू-कश्मीर +स्वामित्व के कागजात नहीं होने के कारण उन्हें मुआवजा नहीं मिल | |' PRAT 10 01,006 15,83 548 +wall fed Wat ot cafes ar के अंतर्गत मूल्यांकन | |2. | हिमाचल प्रदेश 12,63 756 11 ,98 405 +होने के बाद उन्हें न केवल भूमि का स्वामित्व मिला बल्कि भूमि | |3. | पंजाब 32 69 467 31 65 651 +अधिग्रहण के जरिये 21.14 लाख रुपये से अधिक का मुआवजा +4. | हरियाणा 29 69 ,509 28,71 873 +भी मिला। +झारखंड 50,44 ,234 48 ,09 (680 +श्री रामगोपाल, श्री चंद्रभान एवं श्री हरिश्चंद्र , ग्राम वघेरा, 6. | ओडिशा 86,77 615 83 82 606 +तहसील तहरोली, जिला झांसी, उत्तर प्रदेश +eet गला झांसी , उत्तर » 7. | राजस्थान 1.02 23 073 | 9929,125 +उनके पुरखों की जूमीन का विवाद कई वर्षो से चल रहा था। अतीत +में विवाद सुलझाने के प्रयास सफल नहीं रहे और पुरखों की जमीन |8. | Wud 69 20 473 64 83 857 +का सीमांकन नहीं हो सका। स्वामित्व संपत्ति कार्ड (घरौनी में) के |9. | महाराष्ट्र 138,41,960 | 1,25,19,500 +सीमांकन गया +जरिये जूमीन का सीमांकन सफलतापूर्वक पूरा हो गया और उनके 10. | गोवा 2 20731 195.198 +बीच लंबे समय से चल रहा विवाद भी निपट गया। ः +11. | आंध्र प्रदेश 93 44,180 85 65 496 +श्री पवन, ग्राम हंडिया, तहसील हंडिया, जिला हरदा, मध्य प्रदेश | | 12. | कर्नाटक 80,48 ,664 73 15 ,290 +श्री पवन का एक कच्चा मकान था और गांव में मौजूद उनकी। | 13. | केरल 63,19 215 59 39 546 +छोटी सी जूतों की दुकान ही उनके परिवार की आय का इकलौता 14, | तमिलनाडु 1 00 88 119. 92 32 452 +स्रोत थी। स्वामित्व योजना के जरिये उन्हें मकान का अधिकार - Ss eae _ +अभिलेख (संपत्ति कार्ड) मिला और उसका प्रयोग कर उन्होंने। |15. | उत्तराखंड 14,79 742 13,74 986 +मकान की मरम्मत कराने तथा अपना कारोबार बढ़ाने के लिए। [y6. laa wes 260,15592 |2,56,02,680 +पिनोवा कैपिटल बैंक से 2,90,000 रुपये का कर्ज भी ले लिया। +: 17. | छत्तीसगढ़ 45 ,40 ,999 43 90 858 +आगे की राह 18. | मध्य प्रदेश 11288946 | 1,08,71,075 +सटीक मानचित्र बलले से ग्राम पंचायत और अन्य हितधारकों 19. | सिक्किम 88 723 72 242 +को भी कई अन्य लाभ होते हैं। सटीक भूमि रिकॉर्ड एवं जीआईएस +मानचित्र तैयार होने से पंचायतों को बेहतर ग्राम पंचायत विकास |20- | अरुणाचल प्रदेश | 2.01842 167,487 +योजना तैयार करने में मदद मिलेगी। 21. मणिपुर 4,48 ,163 4,29 ,433 +22, | fina 1,11,626 98 228 +« उत्तर प्रदेश 23, 1 त्रिपुरा 6 97 062 6 53,549 +उत्तराखड 24. | असम 57 A3 835 52,79,167 +४ महाराष्ट्र 25. | दमन-दीव 31 795 11 478 +मध्य प्रदेश 26. | दादरा एवं नागर | 45 352 30,947 +ब राजस्थान हवेली +' हरियाणा 27. | लक्षद्वीप 10,929 9,018 +० पंजाब 28. | पुदुच्चेरी 115249 [97684 +० कर्नाटक 29, | अंडमान-निकोबार | 68 481 46,799 +चित्र 4: उन यावों की Gen, Tel AIT BIS FT ह्ीपसमूह +वितरण हो चुका है 30. | कुल 13 87 20,938 | 13,13 87,858 + +योजना, नवम्बर 2021 + + + + + + + + + + + +29 + + + + + +0030.txt +<----------------------------------------------------------------------> +संपत्तियों के सटीक सीमांकन एवं पारदर्शी भूमि स्वामित्व +अधिकार के कारण ग्राम पंचायतें उन राज्यों में संपत्ति कर का निर्धारण +तथा संग्रह बेहतर ढंग से कर सकेंगी, जहां उन्हें यह कार्य दिया गया +है। इस प्रकार राजस्व का उनका अपना स्रोत तैयार होगा, जिसका +उपयोग विभिन्‍न विकास कार्यों में किया जा सकता है। + +कोर्स नेटवर्क नवाचार एवं सभी भूमि सर्वेक्षणों के लिए +अभूतपूर्व अवसर प्रदान करता है। योजना के दौरान सार्वजनिक +बुनियादी ढांचे के रूप में 567 कोर्स नेटवर्क की स्थापना से +किसी भी विभाग अथवा एजेंसी द्वारा दी जा रही जियो-पोजिशनिंग +सेवाओं एवं अन्य विकास गतिविधियों में मदद मिलेगी। + +कोर्स प्रणाली भूमि माप की व्यवस्था का कायाकल्प कर +सकती है। चेन, कंपस अथवा प्लेन टेबल सर्वेक्षण के तरीके +हटाकर अब हाथों में पकडे जाने वाले रोवर तथा एंटीना की +मदद से जियो-लोकेशन आधारित सटीक तरीकों का इस्तेमाल +किया जा सकता है। तब तक यह सर्वेक्षण के पुराने रिकॉर्ड की +जियो-रेफरेंसिंग की जा सकती है बशर्ते विरासत के पुराने रिकॉर्ड +के साथ उनके मेल की चुनौती पूरी की जा सके। + +योजना ने देश में ड्रोन व्यवस्था को भी रफ्तार दी है। इस +समय ड्रोन सर्वेक्षण करने के लिए विभिन्‍न राज्यों में करीब 119 +ड्रोन तैनात हैं और इनकी संख्या जल्द ही बढ़ाकर 300 की + +जाएगी। इसे ड्रोन विनिर्माण, पायलट प्रशिक्षण तथा ड्रोन को सर्विस +मॉडल के रूप में प्रयोग कर बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे +कुशल मानवशक्ति की आवश्यकताओं को प्रोत्साहन मिलेगा और +स्टार्टअप तथा एमएसएमई के लिए रास्ते खुलेंगे। नागर विमानन +मंत्रालय की उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना +सही समय पर दिया गया मौका है - एक ओर ड्रोन की लगातार +मांग बनी हुई है और दूसरी ओर आपूर्ति बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन +दिया जा रहा है। +इस प्रकार स्वामित्व योजना का लक्ष्य गांवों एवं उनके +निवासियों के सशक्तीकरण के माध्यम से ग्राम पंचायत का +सर्वागीण विकास है, जिससे अंत में ग्रामीण भारत आत्मनिर्भर +बन जाएगा। हा +संदर्भ +1. https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/PublicationReport/Pdfs/ +HFCRA28D0415E2144A009112DD314ECF5C07.PDF +2. भूमि प्रशासन को ऐसी प्रणाली के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, +जिनमें नियम, प्रक्रियाएं एवं ढांचे शामिल होते हैं, जिनसे भूमि तक पहुंच एवं +उसके उपयोग के विषय में निर्णय किए जाते हैं; वह तरीका शामिल होता हे, +जिसमें निर्णय क्रियान्वित तथा लागू किए जाते हैं और वह तरीका भी होता +है, जिसमें परस्पर स्पर्द्धी हितों - खाद्य एवं कृषि संगठन, भूमि प्रशासन एवं +नियोजन को संभाला जाता है। + + + +आज़ादीका +अमृत महोत्सव + + + +PANCHAYAT: RAJ +in India + +* Gr. Mahipal + + + + + + + +c= —l:.. i + +पंचायती राज इन इंडिया +(अंग्रेजी पुस्तक ) +लेखक: डॉ महिपाल +आईएसबीएन: 978-81-230-2789-0 +कीमत: 145 रुपये +प्रकाशक: प्रकाशन विभाग + +यः माना जाता है कि दर्ज इतिहास की शुरुआत से, पंचायतें +गांवों की रीढ़ रही हैं- विशेष रूप से भारतीय और सामान्य +रूप से दक्षिण एशियाई देशों में। किसी और से ज्यादा यह +गांधीजी का सपना था कि वे प्रत्येक गांव को सत्ता सौंपें, उनकी +तात्कालिक चिंता के विषयों पर कानून बनाएं। + +ग्रामीण पुनर्निर्माण में लोगों की भागीदारी को सूचीबद्ध करने +के लिए त्रिस्तरीय पंचायती राज प्रणाली की शुरूआत उस लक्ष्य +की ओर एक कदम है। यह पुस्तक इस प्रणाली को विभिन्न +दृष्टिकोणों से देखती है। यह व्यवस्थित रूप से नई पंचायती राज +प्रणाली की जमीनी वास्तविकताओं, सामान्य रूप से लोगों के +सशक्‍्तीकरण में इसके योगदान और ग्रामीण विकास पर इसके +प्रभाव को सामने लाता है। + +लेखक डॉ. महिपाल, जिन्हें ग्रामीण शासन की इस प्रणाली +के कामकाज का प्रत्यक्ष अनुभव है, पुस्तक में ज्वलंत तथ्य +सामने लाए हैं। छा + + + + + +आज़ादी का अयृत महोत्सव से जुड़ी अन्य किताबों के लिए, छफण़.एपणी्क्वांणाइवीएंडांणा.परंएवा पर जाएं। + + + + + +30 + +योजना, नवम्बर 2021 + + + +0031.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + + + + + + + +(@®°VISIONIAS el +भी उपलब्ध + +a INSPIRING INNOVATION www.visionias.in + +10 IN TOP 10 SELECTIONS IN CSE 2020 OD harticst Congratulations +from various programs of VISION IAS i to all candidates selected in CSE 2020 += भी [ anarra sam | JAIN ee you’ CAN + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +™ GS CLASSROOM FOUNDATION +COURSE 2018 + +css Ses लाइव/ऑनलाइन व ऑफलाइन कक्षाएं + +™ ABHYAAS TEST SERIES 2019, 2020 + +ot im Sere S फाउंडेशन कोर्स + +() + डेली असाइनमेंट और अध्ययन + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +कै 4 +- सामग्री के साथ पूर्णतः ott 654g ATT अध्ययन 2022 +रिवीजन करें 7७५/०८2::६८ प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा +शा ; i कक ee + + + + + + + + + +ess UPSC के सामान्य अध्ययन +me + +e's पाठ्यक्रम का व्यापक कवरेज + +४८ ५ ३) +MAINS 365 2 +@ “ +” ee HN + +संपूर्ण वर्ष के करेंट अफेयर्स को we दिल्ली: +AS “4:11 |1PM +IW + +सिर्फ 60 घंटों में कवर करती +कक्षाओं से ऑनलाइन जुड़ें 2 00० +“ 2023 ट्रायल += +मासिक समसामयिकी रिवीजन जयपुर: ०१. के + +सामान्य अध्ययन (प्रारंभिक + मुख्य परीक्षा) +है इस कोर्स में विभिन्‍न मानक स्रोतों, जैसे- द हिंदू, ० अभ्यास ही सफलता +की चाबी है + +इंडियन एक्सप्रेस, बिजनेस स्टैंडर्ड, 18, 1२8, &॥२. +राज्य सभा / लोक सभा टीवी, योजना आदि से प्रारंभिक +महत्वपूर्ण सामायिक मुद्दों को शामिल किया जाएगा। VisionlAS /मुख्य टेस्ट +सीरीज हर 3 में से 2 सफल ++ उम्मीदवारों द्वारा चुना गया + +_- 0) सामान्य अध्ययन ७ निबंध €७दर्शनशास्त्र + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +एडवांस्ड मुख्य परीक्षा +सामान्य अध्ययन कोर्स सभी द्वारा पढ़ी गई एवं +वाली समस्याओं से निपटने के लिए जटिल विषयों की समझ सभी SINT अनुशंसित +विकसित करने के साथ साथ उनके मध्य अंतर-संबंध स्थापित +DELHI ¢ 1st Floor, Apsara Arcade, Near Metro Gate 6,1/8 B, Pusa Road, Karol Bagh +¢ Contact : 8468022022, 9019066066 + +यह कार्यक्रम उन छात्रों पर केंद्रित है, जो आधारभूत ज्ञान तो +करना और विश्लेषणात्मक क्षमता में सुधार करना भी चाहते हैं। VisionIAS मासिक करेंट +JAIPUR | PUNE | HYDERABAD | LUCKNOW | AHMEDABAD | CHANDIGARH | GUWAHATI + +रखते हैं, परंतु मुख्य परीक्षा में अध्ययन के दौरान उत्पन्न होने +SME 19 siacae dj अफेयर्स पत्रिका +9001949244 ' 8007500096 9000104133 8468022022 9909447040 8468022022 8468022022 + + + + + + + +योजना, नवम्बर 2021 31 + +YH-1678/2021 + + + +0032.txt +<----------------------------------------------------------------------> +भागीदारी + +ग्राम पंचायत विकास योजनाएं + +रेखा यादव +कुणाल बंद्योपाध्याय + +विकेंद्रीकरण के समर्थकों द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार स्थानीय स्तर पर सत्ता और प्राधिकार का +हस्तांतरण कई तरह से स्थानीय शासन की व्यवस्था को बढ़ावा देने में सहायक हो सकता है। भारत में +सामुदायिक शासन का समृद्ध इतिहास रहा है। पंचायत प्रणाली स्थानीय स्वशासन की संस्थाओं के रूप में +विकसित हो रही है। पिछले दो दशकों में, संवेधानिक अधिदेश को साकार करने के लिए राज्यों और केंद्र +सरकार ने कई पहल की हैं। तब से पंचायती राज मंत्रालय, सम्मिलित और प्रभावी तरीके से विकेन्द्रीकृत +भागीदारी योजना को बढ़ावा देने सहित कई पहलों के माध्यम से पंचायती राज संस्थानों के क्षमता निर्माण + +के लिए प्रयास कर रहा है। + +कतांत्रिक विकेंद्रीकरण का सिद्धांत इस धारणा पर +आधारित है कि स्थानीय मामलों में समुदाय की अधिक +भागीदारी से सरकार द्वारा विशेष रूप से समाज में +गरीब और वंचित समूहों के जीवन में सुधार लाने के उद्देश्य से प्रदान +की जाने वाली सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार होगा। 73वें संविधान +संशोधन ने ग्रामीण भारत के लिए विकेन्द्रीकृत स्थानीय शासन +का औपचारिक त्रिस्तरीय ढांचा तैयार किया है जिसमें महिलाओं, +अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य सुविधाविहीन +समुदायों को शासन में भागीदार के रूप में शामिल करने पर विशेष +जोर दिया गया है। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 243जी पंचायत +प्रणाली की समावेशी, समुदाय संचालित और समग्र नियोजन प्रक्रिया +के माध्यम से आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय को अनिवार्य +करता है, जिससे ये संस्थान स्थानीय स्वशासन निकायों के रूप में +विकसित होते हैं। +पंचायती राज मंत्रालय अपनी स्थापना के बाद से, एक अभिसृत +और प्रभावी तरीके से विकेन्द्रीकृत भागीदारी योजना को बढ़ावा देने +सहित कई पहलों के माध्यम से पंचायती राज सस्थानों के क्षमता +निर्माण के लिए प्रयास कर रहा है। मंत्रालय, पंचायतों को पर्याप्त +प्राधिकार और अधिकार देने के लिए संवैधानिक अधिदेश की भावना +का पालन करते हुए देश के ग्रामीण क्षेत्रों के लिए आर्थिक विकास +और सामाजिक न्याय के लिए योजनाओं की तैयारी और कार्यान्वयन +के संबंध में, उन्हें स्थानीय स्वशासन की संस्थाओं के रूप में कार्य +करने में सक्षम बनाता है। पिछले कुछ दशकों में, इस अधिदेश का +पालन करने और निर्वाचित ग्राम पंचायतों के माध्यम से विकास कार्यों +पर लोगों के अधिक नियंत्रण के लिए ग्राम पंचायतों को अधिकारों + +के हस्तांतरण में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। +ग्राम पंचायत विकास योजना-जीपीडीपी: व्यापक नियोजन + +वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान व्यापक और सम्मिलित विकास +योजना के वाहक के रूप में, ग्राम पंचायत विकास योजना की तैयारी +को संस्थागत रूप दिया गया था। यह योजना प्रक्रिया गांव के समुदाय +के सदस्यों द्वारा विकेन्द्रीकृत नियोजन की सुविधा प्रदान करती है। +भारत सरकार और संबंधित राज्य सरकारों की विभिन्‍न योजनाओं के +साथ-साथ “स्वयं के स्रोतों से राजस्व' के माध्यम से उपलब्ध संसाधनों +का अभिसरण, ग्राम पंचायतों को ग्राम सभा की सक्रिय भागीदारी के +माध्यम से अपनी आवश्यकता-आधारित विकास योजनाएं बनाने का +अवसर प्रदान करता है। चौदहवें वित्त आयोग (एफएफसी) ने ग्राम +पंचायत स्तर पर जमीनी स्तर की योजना के महत्व को मान्यता देते +हुए, ग्रामीण स्थानीय निकायों (आरएलबी) को, 2015 और 2020 +तक पांच साल की अवधि में अपने क्षेत्रों में बुनियादी सेवाएं प्रदान +करने के लिए 2,00,292 करोड रुपये आवंटित किए। इसके बाद, +पंद्रहवें वित्त आयोग ने 2021-26 में ग्रामीण स्थानीय निकायों के +लिए 2,36,805 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जिसमें से अनुशंसित +अनुदान का 40 प्रतिशत टाइड फंड से और शेष 60 प्रतिशत अनटाइड +फंड से आवंटित किया जाएगा वेतन और अन्य स्थापना लागतों को +छोड़कर, ग्यारहवीं अनुसूची में सूचीबद्ध 29 विषयों के तहत महसूस +की गई जरूरतों के लिए अनटाइड अनुदान का उपयोग किया जा +सकता है। टाइड अनुदान के संबंध में, कुल अनुदान का 30 प्रतिशत +पेयजल, वर्षा जल संचयन और जल पुनर्चक्रण के लिए उपयोग किया +जाएगा, और कुल अनुदान का 30 प्रतिशत स्वच्छता और खुले में शौच +मुक्त (ओडीएफ ) स्थिति के रखरखाव के लिए उपयोग किया जाएगा। + + + +सुश्री रेखा यादव भारत सरकार के पंचायती राज मंत्रालय में संयुक्त सचिव हैं। ईमेल: 152&ऋ1०फाछे8०एना। + +श्री कुणाल बंद्योपाध्याय सलाहकार हैं। ईमेल: 1018101(ोा॥1०॥ + +32 + +योजना, नवम्बर 2021 + + + +0033.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +पंद्रहवें वित्त आयोग ने पंचायतों के सभी स्तरों और पांचवीं तथा छठी + +अनुसूची के पारंपरिक निकायों को ग्रामीण +स्थानीय निकाय अनुदान की सिफारिश की है। +सुशासन और समावेशी सामाजिक विकास के +लक्ष्य के अनुरूप, पंचायतों को इस विशाल +अखंडित निधि प्रवाह ने सभी राज्यों में ग्राम +स्तर पर विकेन्द्रीकृत नियोजन पर नए सिरे से +ध्यान केंद्रित करना आवश्यक किया है। + +ग्राम पंचायत विकास योजना के व्यापक + +उद्देश्य + +* ग्राम पंचायतों द्वारा शासित ग्रामीण क्षेत्रों +के एकीकृत और समावेशी विकास को +सुनिश्चित करना, जो न केवल बुनियादी +ढांचे के अनुरूप विकास के लिए बल्कि +सामाजिक, आर्थिक और सामुदायिक +विकास के लिए भी है। + +*» सहभागी नियोजन और निर्णय लेने की +प्रक्रियाओं में समुदाय को शामिल करना +और सक्षम बनाना। + +* स्थानीय रूप से उपलब्ध संसाधनों की +पहचान सुनिश्चित करना और सहभागी +नियोजन और अभिसरण के माध्यम से + +सभी समुदायों की स्थानीय जरूरतों को पूरा करना। + +* बुनियादी सामाजिक आवश्यकताओं के प्रावधान और गरिमामय +जीवन के लिए ग्राम पंचायत विकास योजना के निर्माण और +कार्यान्वयन में अनुसूचित जनजातियों, अनुसूचित जातियों तथा +अन्य वंचित समुदायों, अन्य पिछडे समुदायों, महिलाओं, बच्चों, +कमजोर समूहों और दिव्यांगों का समावेशन और कल्याण + +सुनिश्चित करना। + +* स्थानीय क्षेत्रों में सार्वजनिक सेवा वितरण में दक्षता और + +प्रभावकारिता में सुधार करना। + +* स्थानीय स्तर पर जवाबदेही उपायों को मजबूत करना। + +ग्राम पंचायत विकास योजना-योजनाओं और क्षेत्रों का अभिसरण +ग्राम पंचायत विकास योजना नियोजन प्रक्रिया व्यापक होनी + +चाहिए जिसमें संविधान की ग्यारहवीं अनुसूची में सूचीबद्ध 29 विषयों + +से संबंधित योजनाओं के साथ अभिसरण शामिल है। + +योजना, नवम्बर 2021 + +चित्र 1: संविधान की + +राष्ट्रीय महत्व + +वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान +व्यापक और सम्मिलित विकास +योजना के वाहक के रूप में, +ग्राम पंचायत विकास योजना की +तैयारी को संस्थागत रूप दिया +गया था। यह योजलना प्रक्रिया +गांव के समुदाय के सदस्यों द्वारा +विकेन्द्रीकृत नियोजन की सुविधा +प्रदान करती है। भारत सरकार और +संबंधित राज्य सरकारों की विभिन्‍न +योजनाओं के साथ-साथ 'स्वयं के +स्रोतों से राजस्व' के माध्यम से +उपलब्ध संसाधनों का अभिसरण , +ग्राम पंचायतों को ग्राम सभा की +सक्रिय भागीदारी के माध्यम से +अपनी आवश्यकता-आधारित +विकास योजनाएं बनाने का अवसर +प्रदान करता है। + +तैयार करने के लिए + +ग्यारहवीं सूची को विषयक्षेत्र + +के विषयों पर प्रमुख योजनाओं के प्रभावी +और कुशल कार्यान्वयन में पंचायतों की +महत्वपूर्ण भूमिका होती है। वित्त आयोग द्वारा +ग्राम पंचायतों को धन के वितरण के संदर्भ +में, पंचायती राज मंत्रालय ने ग्राम पंचायतों +द्वारा ग्राम पंचायत विकास योजना की तैयारी +को एक अनिवार्य गतिविधि बना दिया है। +मंत्रालय ने 2015 में आदर्श ग्राम पंचायत +विकास योजना दिशानिर्देश तैयार किए थे और +बाद में, नए पुनर्गठित व्यापक ग्राम पंचायत +विकास योजना दिशानिर्देश 2018 लागू किए +गए थे। संशोधित दिशा-निर्देशों के साथ-साथ +ग्राम पंचायत विकास योजना की तैयारी पर +अधिक जोर देने के लिए जन योजना अभियान +चलाकर विशेष बल दिया गया। कई पहलों +के माध्यम से नए सिरे से फोकस के साथ, +95 प्रतिशत से अधिक ग्राम पंचायतों ने (कुल +2.69 लाख ग्राम पंचायतें और तालुका स्थानीय +निकाय में से 2.56 लाख ने योजना प्रक्रिया +में भाग लिया और अपनी योजनाओं को +STMT Wee (https://egramswaraj. +gov.in/) T% अपलोड किया। + +वर्षों से, ग्राम पंचायतें, अधिक अभिसरण और सहभागी योजनाएं + +केंद्र सरकार और राज्यों की विभिन्‍न योजनाओं + + + +7रहफ़िजजी +250000 +240000 +240000 +220000 +210008 +200000 +10M) + + + +ग्राम पंचायत विकास योजनाएं + +ग्राम पंचायत विकास के लिए मंजूर की गई योजनाओं की संख्या + +बार18-॥9 92019-20 >स़््करा + +261) +aango7 . + +215664 + +aaoorT + + + ++ 2021-22 + + + +चित्र 2 : ग्राम पंचायत विकास योजनाओं at wen + +33 + + + +0034.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + +जल संरक्षण a महिला एवं _ प्रशासन और +2s Ale fant तकनीकी सहायता कृषि +समाज FETT | +सामाजिक वानिकी ___ =—— | Ea सास्कृतिक +और कृषि वानिकी 1% सांस्कृतिक + +1% a! गतिविधियां + + + + + +ग्रामीण आवास +1% +शिक्षा. ग्राम पंचायत +ग्रामीण विद्युतीकरण पे ey =. a aria संरचना +1% . 5, iS a ah +सड़कें है स्वास्थ्य +जी a, 1% +ir... - भूमि सुधार +“ee समुदाय +समुदाय प्रणाली mi +का रखरखाव +it + + + + + +चित्र 3: ग्राम पंचायत विकास योजनाओं में क्षेत्रीय निधि आवंटन का प्रतिशत-2021-22 + +विश्लेषण से यह निष्कर्ष नहीं निकलना चाहिए +कि जिन क्षेत्रों में निधि आवंटन का प्रतिशत +कम है, उन्हें स्थानीय स्तर पर पर्याप्त राशि नहीं +मिलती है। कई सरकारी विभाग ग्राम पंचायत +स्तर पर विकासात्मक कार्यक्रमों को लागू करते +हैं, लेकिन अक्सर कार्यक्रम अलग-अलग +विभागों द्वारा चलाए जाते हैं, इसलिए प्रयासों का +दोहराव हो सकता है, अत: अधिक अभिसरण +की आवश्यकता है। + +मनरेगा, दीनदयाल अंत्योदय योजना, +राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, स्वच्छ भारत +मिशन-ग्रामीण, पोषण आदि जैसी ग्राम पंचायत +स्तर पर लागू की जाने वाली सभी केंद्र प्रायोजित +योजनाओं के दिशानिर्देश स्पष्ट रूप से ग्राम +पंचायत स्तर पर योजना तैयार करने पर जोर + +का उपयोग कर रही हैं। अध्ययनों से पता चला है कि सार्वजनिक +एजेंसियों और उपलब्ध संसाधनों के बीच सहयोग, नागरिकों के लिए +सार्वजनिक सेवाएं पहुंचाने में 'सहयोगात्मक' परिणाम दे सकता है। +हालांकि, केंद्र और राज्य सरकारों के प्रयासों और संबंधित आदेशों +के बावजूद, कई केंद्र प्रायोजित योजनाओं का, ग्राम पंचायत विकास +योजना में अभिसरण वर्षों से परिलक्षित नहीं होता है। + +ग्राम पंचायत विकास योजना के लिए क्षेत्रीय निधि आवंटन कुछ +क्षेत्रों तक सीमित है जहां केंद्रीय या राज्य वित्त आयोग के फंड और +महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) जैसी +योजनाओं से मुख्य वित्त पोषण प्रदान किया जाता है। सड़क निर्माण, +पानी और स्वच्छता के क्षेत्रों में आवंटन का प्रतिशत, अन्य क्षेत्रों की +तुलना में अधिक है। यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि ग्राम पंचायतों +को इन क्षेत्रों से संबंधित अन्य योजनाओं या कार्यक्रमों से उपलब्ध +संसाधनों के अभिसरण की अधिक आवश्यकता है। हालांकि, इस + + + + + +reset | ' + + + +उ4 + + + +RE + +जीआईएस आधारित नियोजन +टू + + + +संकल्प लेना + +देते हैं। चूंकि ग्राम पंचायत विकास योजना एक +एकीकृत योजना दस्तावेज है, इसलिए आदर्श रूप से पंचायत के सभी +पहलुओं में इसके समग्र दृष्टिकोण को शामिल करना चाहिए। श्रम +बजट सहित संबंधित विभागों की सभी योजनाएं ग्राम पंचायत विकास +योजना से निर्गत होंगी, हालांकि स्वीकृत गतिविधियों का कार्यान्वयन +संबंधित विभागों द्वारा किया जा सकता है। इस तरह की एक एकीकृत +योजना विभिनन क्षेत्रों से अधिक धन को अवशोषित करने और +स्थानीय संसाधन जुटाने में मदद करती है, जिससे सेवा वितरण को +सुधारने में मदद मिलती है। ग्राम पंचायत विकास योजना के माध्यम +से विभिन्‍न संबंधित विभागों की सभी योजनाओं और कार्यक्रमों के +अभिसरण से, इनके दोहराव से बचा जा सकेगा, वित्तीय बोझ कम +होगा और वांछित परिणामों की उपलब्धि में तेजी आएगी। +क्षमता निर्माण की आवश्यकता + +स्थानीय लोकतंत्र और लोगों के नेतृत्व में विकास को मजबूत +करने के लिए, पंचायती राज मंत्रालय और राज्य सरकारें लगातार नया + + + + + + + +कोविड संबंधी उपाय + +चित्र 4: जन योजना अभियान को दौरान ग्राय पंचायत विकास योजनाओं की झलकियां + +हर + + + + + + + +योजना, नवम्बर 2021 + + + +0035.txt +<----------------------------------------------------------------------> +करने और हितधारकों के एक बडे वर्ग को नियोजन तथा विकास +प्रक्रिया में शामिल करने का प्रयास कर रही हैं। इस प्रक्रिया के हिस्से +के रूप में, मंत्रालय 2018 में शुरू किए गए राष्ट्रीय ग्राम स्वराज +अभियान की अपनी प्रमुख योजना के माध्यम से निर्वाचित प्रतिनिधियों +और अन्य हितधारकों के क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण पर बहुत जोर +देता है। पिछले 3 वर्षों में, इसने 110 लाख निर्वाचित प्रतिनिध्चियों और +हितधारकोंको प्रशिक्षित किया है। लगभग 57,89,185 व्यक्तियों को +ग्राम पंचायत विकास योजना से संबंधित प्रशिक्षण प्रदान किया गया +है। 2018 से, ग्राम पंचायत विकास योजना की तैयारी के लिए बड़े +पैमाने पर ये प्रयास देश भर में सालाना जन योजना अभियान (सबकी +योजना सबका विकास) के माध्यम से मिशन मोड में शुरू किए गए +हैं। यह अभियान विभिन्‍न संबद्ध मंत्रालयों/विभागों के अधिकारियों के +सक्रिय सहयोग से विशेष ग्राम सभाओं के माध्यम से ग्राम पंचायतों +द्वारा नियोजन के लिए एक गहन और संरचित प्रयास है। इसके अंतर्गत +मिशन अंत्योदय सर्वेक्षण पर आधारित कमियों को नियोजन के अगले +दौर में दूर करने के लिए सामने लाया जाता है और विभिन्‍न मंत्रालयों +की विभिन्‍न योजनाओं के बारे में जानकारी साझा की जाती है ताकि +सूचित योजना बनाई जा सके। +इब्नाहिमपुर, तेलंगाना की केस स्टडी + +तेलंगाना में सिद्दीपेट जिले के नारायणनारावपेट ब्लॉक के +इब्राहिमपुर गांव में हाल में ग्राम पंचायत द्वारा न्यूनतम शुल्क के साथ +सुरक्षित पेयजल, शत प्रतिशत स्वच्छता, जल संरक्षण, जैविक खाद, +मच्छर मुक्त गांव और गांव के घरों के लिए सोलर लाइट जैसी सेवाएं +उत्कृष्ट तरीके से प्रदान करने के प्रयासों की ओर ध्यान आकर्षित +करते हैं। सिद्दीपेट जिला मुख्यालय से करीब लगभग 25 किमी दूर +स्थित इस गांव की आबादी 1,119 है। इस ग्राम पंचायत ने पिछले +कुछ वर्षों में विकास गतिविश्चियों के लिए निर्मल पुरस्कार और +सर्वश्रेष्ठ ग्राम पंचायत पुरस्कार सहित कई पुरस्कार जीते हैं। + +कुछ साल पहले तक, इस ग्राम पंचायत में बुनियादी सुविधाएं +उपलब्ध नहीं थीं। यहां स्वास्थ्य, स्वच्छता, पेयजल जैसे क्षेत्रों में विशेष +विकास नहीं हुआ था, लेकिन व्यापक जागरूकता के साथ-साथ +युवाओं, महिला स्वयं सहायता समूहों और सक्रिय ग्राम सभाओं +की गहन सामुदायिक भागीदारी के कारण, +इब्राहिमपुर सतत विकास के लिए एक आदर्श +गांव में तब्दील हो गया। + +जागरूकता के लिए घर-घर जाना और +स्वच्छ भारत मिशन (गामीण) तथा मनरेगा +के अभिसरण के साथ शौचालयों के निर्माण +से यह ग्राम पंचायत खुले में शौच से मुक्त +पंचायत बन गई है और इस प्रकार नागरिकों +पर स्वास्थ्य व्यय का दबाव कम हो गया है। +स्वच्छ भारत मिशन (गामीण) के तहत, सूखे +और गीले कचरे को अलग-अलग करने के +लिए घर-घर जाकर कचरा संग्रहण के साथ +ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन की पहल +की गई। कचरे को खाद में तब्दील कर दिया +गया है जिसका उपयोग खेती के लिए किया + +योजना, नवम्बर 2021 + +स्वच्छ भारत मिशन ( गामीण ) +के तहत, सूखे और गीले कचरे +को अलग-अलग करने के लिए +घर-घर जाकर कचरा संग्रहण के +साथ ठोस और तरल अपशिष्ट +प्रबंधन की पहल की गई। कचरे +को खाद में तब्दील कर दिया गया +है जिसका उपयोग खेती के लिए +किया जाता है। ग्राम पंचायत ने +ग्राम क्षेत्र को प्लास्टिक मुक्त रखने +के लिए एकल उपयोग प्लास्टिक +पर प्रतिबंध लगा दिया है। + + + +4 + +चित्र 6: एनी टाइप वाटर मशीन तथा सोलर स्ट्रीट लाइट +जाता है। ग्राम पंचायत ने ग्राम क्षेत्र को प्लास्टिक मुक्त रखने के लिए +एकल उपयोग प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा दिया है। + +ग्राम पंचायत ने एक 'एनी टाइम वॉटर” मशीन भी स्थापित की +है, जिससे प्रत्येक व्यक्ति, रिचार्ज किया जा सकने वाला कार्ड स्वाइप +करने के बाद दिन में कम से कम दो से तीन बार 20 लीटर पानी +ले सकता है। ग्राम पंचायत 3 किलोवाट सौर ऊर्जा से संचालित है +और गांव में 50 से अधिक घर अपने घरेलू कामों के लिए सौर ऊर्जा +का उपयोग कर रहे हें। + +सामाजिक मोर्चे पर, स्कूलों में मध्याह भोजन का उचित +कार्यान्वयन से बच्चों का शत-प्रतिशत नामांकन सुनिश्चित हुआ है। +डिजिटल/ऑनलाइन कक्षाओं के लिए आधुनिक सुविधाओं के साथ +इनका निर्माण किया गया है। मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को शून्य पर +लाने के साथ, शत-प्रतिशत टीकाकरण लक्ष्य प्राप्त कर लिया गया +है। इब्राहिमपुर ने राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) के +तहत जननी सुरक्षा योजना के अभिसरण से गर्भवती महिलाओं के +लिए शत प्रतिशत संस्थागत प्रसव और नियमित चिकित्सा सुविधाएं +सुनिश्चित की हैं। + +ग्राम पंचायत ने अभिसरण के जरिए रोजगार के अवसर प्रदान +करके मजदूरी चाहने वालों के लिए आजीविका के साधन उपलब्ध +कराने का प्रयास किया है। राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन के तहत +ग्रामीणों को रियायती दरों पर 60 दुधारू पशु उपलब्ध कराए गए। +ग्राम पंचायत के सहयोग से ग्रामीण, दूध +बेचकर अपनी आजीविका चला रहे हैं। कई +केंद्रीय और राज्य योजनाओं- मनरेगा, स्वच्छ +भारत मिशन (ग्रामीण), दीनदयाल अंत्योदय +योजना, राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन, आदि +के अभिसरण के कारण, पशुओं के लिए +मवेशी आवास-गृह, वर्मीकम्पोस्ट इकाई सहित +कई विकासात्मक गतिविधियां संचालित की +गई हैं। इस पहल से स्वयं सहायता समूहों +के सदस्य और ग्रामीण लाभान्वित हो रहे हैं। +इब्राहिमपुर ने एक उदाहरण पेश किया है कि +कैसे गतिविधियों को बढ़ाया जा सकता है। +पशु खाद को कम्पोस्ट बनाने के लिए कच्चे +माल के रूप में इस्तेमाल किया गया है, और +यह खाद तथा वर्मीकम्पोस्ट, दोनों को स्थानीय + +35 + + + +0036.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + +बाजार में बेचा जा रहा है। इसे हारम कार्यक्रम के तहत गांव की +नर्सरी और वृक्षारोपण के लिए उपयोग किया जाता हेै। ग्राम पंचायत ने +पर्यावरण के अनुकूल और सतत ग्राम विकास के उद्देश्य से एक गांव +पार्क और श्मशान का भी निर्माण किया है। गांव में, स्वयं सहायता +समूह के सदस्य विभिन्‍न अर्ध-कुशल और कुशल कार्यों में भाग ले +रहे हैं और विभिन्‍न सरकारी योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं। + +स्थानीय स्वशासन के लिए एक मॉडल के रूप में, इब्राहिमपुर +ग्राम पंचायत, ग्राम सभा के नियमित संचालन के साथ भागीदारी शासन +मॉडल का पालन कर रही है। ग्रामसभा में नागरिक अपनी जरूरतों +और चुनौतियों के समाधान के तरीकों पर चर्चा करते हैं। ग्राम पंचायत +समितियां स्वयं सहायता समूहों और अन्य स्वैच्छिक संगठनों जैसे +समुदाय आधारित संगठनों के साथ नियमित रूप से परामर्श करके +लोकतांत्रिक तरीके से कार्य करती हैं। इब्राहिमपुर आजीविका विकास, +बढ़ी हुई पारिवारिक आय, सभी के लिए खाद्य सुरक्षा, बेहतर पोषण, +गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन नेटवर्क का उपयोग +करके आस-पास के शहरों में ग्रामीण उत्पादों के विपणन, निर्वाचित +प्रतिनिधियों के क्षमता-निर्माण और पंचायत क्षेत्र में विकास के हितधारकों +आदि में सुधार की योजना बनाने में संसाधनों के विवेकपूर्ण आवंटन के +साथ गरीबी मुक्त गांव बनने के लिए प्रतिबद्ध हे। + +व्यापक नियोजन, कार्यान्वयन और निगरानी के माध्यम से विकास +कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के लिए ग्राम पंचायतों को एक सर्वोत्तम +विकल्प के रूप में पहचाना जा रहा है। प्रभावी स्थानीय शासन न +केवल सरकारी संस्थानों के माध्यम से स्थानीय स्तर पर शासन करने +की प्रक्रिया को संदर्भित करता है बल्कि स्थानीय समुदायों और +स्थानीय अधिकारियों के बीच सहयोग और सामूहिक कार्रवाई भी +करता है। राष्ट्र के शासन में लोगों की भागीदारी लोकतंत्र का सार है। + +जैसा कि ऊपर बताया गया है, देश भर में 95 प्रतिशत से अधिक +ग्राम पंचायतें, ग्राम पंचायत विकास योजना तैयार कर रही हैं। हालांकि, +अब समय आ गया है कि योजनाओं की संख्या की बजाय गुणवत्ता पर +ध्यान केंद्रित किया जाए, ग्राम पंचायत विकास योजना को केवल इच्छा +सूची में रखने की बजाय सूचित सूची में शामिल किया जाए और इन्हें + +36 + +चित्र 7: मवेशियों को लिए सामुदयिक आश्रय + + + +कार्रवाई योग्य योजनाओं में बदलने के बाद उचित निगरानी की जाए। + +अधिक संधारणीय और समावेशी ग्राम पंचायत विकास योजना +के लिए पंचायती राज संस्थाओं- स्वंय सहायता समूहों के माध्यम से +निरंतर प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण और सामुदायिक जुड़ाव को बढ़ावा +देकर निर्वाचित प्रतिनिधियों, पदाधिकारियों, हितथधारकों के क्षमता +विकास सहित मौजूदा चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, मंत्रालय ने +कई पहल की हैं। इस प्रक्रिया के तहत गरीबी उन्मूलन योजनाओं +को ग्राम पंचायत विकास योजना में एकीकृत करने के लिए विशेष +प्रावधान शुरू किया गया है। ग्राम पंचायत विकास योजना प्रक्रिया में +सतत विकास के लक्ष्यों को एकीकृत करने के लिए सतत विकास +लक्ष्यों के स्थानीयकरण के लिए एक रूपरेखा तैयार की जा रही हे। +मिशन अंत्योदय मापदंडों, पंचायत निर्णय समर्थन प्रणाली, डेशबोर्ड, +ग्राम मानचित्र, सामाजिक लेखा परीक्षा आदि में ग्राम-स्तरीय गैप रिपोर्ट +पर विभिन्‍न व्यवस्थागत उपाय, अधिक सूचित नियोजन और निष्पादन +का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं। + +विकास कार्यक्रमों की योजना और कार्यान्वयन में अभिसरण और +समुदाय-आधारित संगठनों के एकीकरण के साथ, संबंधित मंत्रालयों के, +लोकतांत्रिक संस्थानों के साथ मिलकर विकास योजनाओं के जन-केंद्रित +दृष्टिकोण से भौतिक, वित्तीय, सामाजिक और पूंजी निर्माण संबंधी तथा +ग्रामीण स्तर पर दीर्घकालिक सतत विकास कार्यो के नेतृत्व से निश्चय +ही महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की जा सकती हैं। 7 + +संदर्भ + +lL अहमद, जे., देवराजन, एस., खेमानी, एस. और शाह, एस. (2005) , +“'डीसैंट्रलाइजेशन एण्ड सर्विस डिलिवरी', विश्व बैंक नीति अनुसंधान कार्य +पत्र; 3603: 1-27 + +2. डी, बंद्योपाध्याय, बी.एन. युगंधपर और अमिताभ मुखर्जी (2002), 'कन्वर्जेंस +ऑफ प्रोग्राम्स बाई एंपावरिंग एसएचजी एण्ड पीआरआई', आर्थिक और +राजनीतिक साप्ताहिक, वॉल्यूम। 37, नंबर 26 + +3. ग्राम पंचायत विकास योजनाओं की तैयारी के लिए दिशानिर्देश (2018, +पंचायती राज मंत्रालय भारत सरकार के पंद्रहवें वित्त आयोग की रिपोर्ट) +वेबसाइट https://egramswaraj.gov.in/; पंचायती राज मंत्रालय + +4. “तेलंगाना ग्रामीण विकास विभाग द्वारा 'ट्रांसफॉर्मिंग विलेजिस कन्वर्जेस ऑफ +मनरेगा-ऐन इन्स्पायरिंग एक्सपीरिएंस ऑफ इब्राहिमपुर।' + +योजना, नवम्बर 2021 + + + +0037.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +GAURAV BUDANIA + +Pp | OFFLINE! +Cc LONLINE + +Pera Lo + +MEDIUM + +PHILOSOPHY + +AR + +छदिल्‍ली (मुखर्जी नगर) की पढ़ाई सीधे आपक्रे घर नक + +दर्शनर्शास्त्रि धर्मेन्द्र सर + + + +Wrarcrea +thics +Paper-IV Ge धर्मन्द्र सर + +250 Marks + + + + + +# UPSC/UPPCS 14 BPSC 2 fau apatites Ava + +» Brat fanaa 2 Sal weal st Ta a eon | +& रिसीजन में आम्तान 6 G5 और नियंध में उपयोगी + +# अंकदायी एवं सफलतादायी थिपय + + + + + +English Medium + +eee | +250 Marks + +निबंध essay + +@ अमेन्द्र Gl wa fara + + + +o sree, ws, a, Sep BS Fee प्राप्माणिक,, प्राप्नगिक, स्प्पूर्ण प्रिटे्ठ नोट्स +Oo प्रसिदिन लेखन अध्यात्त + +9 केस स्टडी के प्रश्नों के स्पायान डेसु सिश्ञेष कश्मा सर +9 अध्यात्त हेतु 81 केस स्टडी + +ए# डॉपिक आग्रारित '/एशडाएता Bank Ta Freer +७ (1780 के स्राथ-साथ |॥77820, 7750, २४३ के लिए भो उपयोगी +Tests and Discussion + + + + + + + +© fai cers ait = विकप्चित काने पर खल + +© fate लेखन डेशु सारग्धिह सामग्री एवं महत्वपूर्ण सुवितियों का संग्रह + +0 प्रस्तावना, मध्य भ्राग एवं उपझ्ंहार लिखते हेतु विज्ेष अभ्यास सत्र + +Oo Tite: seni Question Bank + +० Teer feet we nie ro 3 Taat and Discussion + +0 07०50 के साथ-साथ (॥7750 , ॥#77387, ४5 एवं अन्य प्ररीक्षाओं +के लिए उपयोगी + + + + + +_ DELHICENTRE 7777 + +AUC amen cr met ea ct DAC EE] +Helpline NWo.: 9810172345, 750187505 + +JAIPUR CENTRE + +CT re ae ee ee शीपीजशा 59013, | वा +Helpline Wo: 72406-72406, 9571456769 + +» GAURAV BUDANIA | RANK-13 > DIVYA MISHRA | RANK-28 + +eee F AATHAR AAMIR KHAN + +योजना, नवम्बर 2021 + +Rem De a te ae 3 + + + +ubscribe our YouTube Channel + +37 + +YH-1676/2021 + + + +0038.txt +<----------------------------------------------------------------------> +अपशिष्ट प्रबंधन और ग्रामीण नियोजन + +मुजूम्मिल खान + +तेलंगाना में पल्‍ले और पट्टण प्रगति कार्यक्रम के जूरिये गांवों के सर्वांगीण विकास में लोगों की भागीदारी +सुनिश्चित की गई है। इससे जुड़ी गतिविधियों में अपशिष्ट प्रबंधन के लिए नियोजन, सफाई और गांवों +को आत्मनिर्भर बनाने और सतत जीवनशैली को बढ़ाना देने के लिए आधारभूत संरचना विकसित करना + +शामिल हैं। + +लंगाना के गांवों और शहरों में सर्वागीण विकास का +d लक्ष्य हासिल करने के लिए 2019 में वहां पल्‍्ले प्रगति +और पट्टण प्रगति जैसी योजनाएं शुरू की गईं। इन + +योजनाओं के विभिन्न चरणों के तहत तय किए गए विकास संबंधी +लक्ष्य स्वच्छता और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के दायरे में आते हैं। इनका +मकसद जुरूरी आधारभूत संरचना मुहैया कराना, जलवायु परिवर्तन +संबंधी प्रबंधन, वित्तीय प्रबंधन से जुड़ी शिक्षा का प्रसार, योजनाओं +में लोगों की ज़्यादा से ज़्यादा भागीदारी और समावेशी शासन प्रणाली +सुनिश्चित करना है। इन उपलब्धियों के जरिये सरकार राज्य की +ग्रामीण आबादी को सामाजिक, मनोवैज्ञानिक और शारीरिक मोर्चे पर +बेहतर माहौल मुहैया कराना चाहती है। + +ठोस अपशिष्ट प्रबंधन से जुड़ी पहल में खास तौर पर पंचायत +के इस्तेमाल के लिए ट्रैक्टर और ट्रॉली की खरीद के साथ-साथ +डीआरसीसी (सूखा संसाधन संग्रहण केंद्र) और कंपोस्ट शेड की +स्थापना जैसी गतिविधियां शामिल हैं। इन दोनों गतिविधियों का +मकसद सफाई-कर्मियों द्वारा नियमित तौर पर कचरा इकट्ठा नहीं +करने की समस्या, कचरा भराव क्षेत्र में अवैज्ञानिक तरीके से कचरे +का निपटान और लोगों के बीच ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के आधुनिक +तरीकों के बारे में जागरूकता की कमी आदि चुनौतियों से निपटना +है। प्ले प्रगति कार्यक्रम के चार चरणों को लागू किया जा चुका +है। इस कार्यक्रम के तहत नागरिकों को सूखे और गीले कचरे में +अंतर संबंधी जानकारी दी जाती है और एक बार ही इस्तेमाल किए +जा सकने वाले प्लास्टिक के कम से कम इस्तेमाल की अपील की +जाती है। इन चार चरणों में बड़े पैमाने पर लक्ष्यों को हासिल किया +गया है। जमीनी स्तर पर हासिल अनुभव से पता चलता है कि लोगों +के व्यवहार में बदलाव के लिए सफाई-कर्मियों ने उनके घर पर ही +सूखे और गीले कचरे को अलग करना शुरू किया, ताकि वे अगली +बार से खुद से ऐसा कर सके। साथ ही, कचरे को अलग-अलग +रखने के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए आकर्षक नारों का भी +सहारा लिया गया। उदाहरण के लिए, एक नारा कुछ इस तरह था- + +सभी गीले कचरे प्रकृति की तरफ से मिलते हैं, जबकि सूखा कचरा +मानव निर्मित होता है। + +इसी तरह, नियमित तौर पर घरों का कचरा इकट्ठा करने, सूखा +और गीला कचरा इकट्ठा करने के लिए अलग-अलग दिन तय +करने और हर वॉर्ड में दीवारों पर पेटिंग के जरिये सूचना फैलाने पर +जोर दिया गया। साथ ही, यह सुनिश्चित करने की भी कोशिश की +गई कि हर गांव में 500 लोगों पर कम से कम एक सफाई कर्मी +(बहुद्देश्यी कार्यकर्ता) हो। इन तमाम कोशिशों की वजह से कचरा +इकट्ठा करने में मानवाधिकारों पर आधारित नजरिया अपनाने में मदद +मिली। इसके अलावा, गांवों में पालतू जानवरों से फैलने वाले कचरे +से निपटने के लिए भी पहल की गई। इसके तहत, राष्ट्रीय ग्रामीण +रोजगार गारंटी कानून (नरेगा) के तहत बकरी और कई अन्य जानवरों +के लिए ठिकाना तैयार किए गए हैं। पशुओं के रहने के लिए तैयार +किए गए ये ठिकाने गांवों की रिहाइश से दूर हैं और इसके लिए निजी +लाभार्थियों की जमीन का इस्तेमाल किया गया है। इस तरह के प्रयासों +का मतलब यह भी है कि इन ठिकानों की सफाई, रखरखाव और + + + +—_— + + + +ee + + + +कंपोस्ट खाद बनाने को तरीका का प्रदर्शन + + + +लेखक भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं और सिद्दीपेट, तेलंगाना में एडिशनल कलेक्टर (स्थानीय निकाय) हैं। ईमेल: ्रपरट्थागरात्री.1ताब्राह्धि।48.80ए4॥ + +38 + +योजना, नवम्बर 2021 + + + +0039.txt +<----------------------------------------------------------------------> +Nace ai । +Lr a Ee areata ae La +ne ८ न + +Or a ee Ts न मन + +eae ah (ari... Ph eo ae EY + +जा nee) ou. fees | PURER tt | + +1 1 ed + + + +टन + +ate + +Sanches, ay + +L_ + + + +परिचयम समिति के वार्ड में दीवार पर सूचना + +सुरक्षा के लिए सीमित संख्या में लोगों को तैनात किया गया है। इसके +अलावा, संबंधित पशु चिकित्सकों के लिए टीकाकरण और स्वास्थ्य +जांच का काम भी आसान हो गया है। लोगों और पशुओं की रिहाइश +को अलग करने से स्वच्छता का बेहतर लक्ष्य हासिल करने में मदद +मिली है और इससे बीमारियों के फैलने का खतरा भी कम हुआ हे। + +अगले चरण के तहत कचरे को डीआरसीसी और कंपोस्ट +शेड तक पहुंचाने के लिए गांव के ट्रैक्टर का इस्तेमाल किया जाता +है। कंपोस्ट शेड में वर्मीकंपोस्टिंग का इस्तेमाल कर गीले कचरे से +कंपोस्ट तैयार किया जाता है। कंपोस्ट तैयार होने के दौरान इसकी +निगरानी और सूखे कचरे को अलग करने के लिए डीआरसीसी पर +खास तौर पर एक कर्मचारी को तैनात किया जाता है। प्लास्टिक और +शीशे के कचरे की बिक्री से मिलने वाली रकम का भुगतान कर्मचारी +के वेतन के तौर पर किया जाता है। कई जगहों पर डीआरसीसी के +कर्मचारी को पोशाक भी मिलती है। इससे न सिर्फ कर्मचारियों का +हौसला बढ़ता है, बल्कि उनमें सम्मान और मालिकाना हक की भावना + + + + + + + +०2.1 Ae, + +वेकुठ धामम्‌ (श्मशान घाट) + +भी पैदा होती है। इस तरह की पहल से कचरा पैदा करने और इसके +प्रसंस्करण को लेकर लोगों की मानसिकता में बदलाव आया है। पहले +जहां कचरे को पूरी तरह से बेकार माना जाता था, वहीं अब इसे +अब इस्तेमाल की जाने वाली संपत्ति के तौर पर देखा जाने लगा है। + +इसके अलावा, बुनियादी आधारभूत संरचना श्रेणी के तहत राज्य +के हर ग्राम पंचायत में शवदाह गृह/कृब्र का इंतजाम किया गया +है। ऐसे ढांचे में एक प्रतीक्षालय, महिलाओं और पुरुषों के लिए +अलग-अलग शौचालय, 'स्मृति वनम्‌', चिता के लिए स्थान शामिल +हैं। इस पहल के जरिए सामाजिक मेलजोल बढ़ाने की भी कोशिश +की गई है, जहां सभी धर्मों/जातियों के लोगों के अंतिम संस्कार के +लिए एक ही जगह पर सुविधा उपलब्ध कराई गई है। इसी तरह, +शव को अंतिम संस्कार वाले स्थल तक पहुंचाने के लिए सभी जिला +मुख्यालयों में 'वैकुठ रत्मम”' वाहन की तैनाती की गई है, जिसका +मुफ्त इस्तेमाल किया जा सकता है। + +इसके अलावा, आंगनवाड़ी और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जैसी + +पा कु त % & + +नए सिरे से बनाया गया आयनवाड़ी कोंद्र + +योजना, नवम्बर 2021 + +39 + + + +0040.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +मौजूदा सामाजिक आधारभूत संरचना को बेहतर बनाने के लिए भी +कार्यक्रम बनाए गए हैं और इसमें लोक कला कार्यक्रम पर विशेष +जोर दिया गया। इस तरह की कवायद का मकसद न सिर्फ ज़्यादा +उपयोगी और मजबूत सुविधाओं का निर्माण करना है, बल्कि ऐसी +सुविधाओं के जरिये गांवों में रहने वाले लोगों में नई ऊर्जा का संचार +करना है जिनका नियमित तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। इस तरह +के उपायों के साथ-साथ सीसी नालों, सोक पिट, सड॒कों की मरम्मत +और रखरखाव, बिजली से जुड़ी आधारभूत संरचनाओं (खंबे, तार +और ट्रांसफॉर्मर वगैरह) को बेहतर बनाने पर भी जोर दिया गया। +इन कोशिशों से बेहतर स्वास्थ्य, ऊर्जा की बचत और वित्तीय मोर्चे +पर सकारात्मक असर जैसे परिणाम देखने को मिले हैं। पल्‍्ले प्रगति +कार्यक्रम की शुरुआत के बाद से राज्य में डेंगू और अन्य संक्रामक +(खास तौर पर जानवरों से फैलने वाली) बीमारियों में भारी गिरावट +आई है। गौरतलब है कि राज्य में मिशन भागीरथ के तहत घर-घर +पीने का पानी पहुंचाने की योजना पर काम पहले ही पूरा हो चुका है। + +a es +वृक्षारोपण + +40 + +हरित और जलवायु परिवर्तन प्रबंधन +के लिए 'हरित हार्म' अभियान के +तहत राज्य के हर जिले में वृक्षारोपण +के लिए लक्ष्य आवंटित किए गए हैं। +सरकार ने साल 2021-22 के लिए +20 करोड से ज़्यादा पौथे लगाने का +लक्ष्य तय किया है। इस कार्यक्रम +के तहत मुख्य फोकस राज्य की +हर प्रमुख सडक, गांवों को जोड़ने +वाली सड़क और अंदरूनी सड़कों +पर अलग-अलग तरह के पेड-पोधे +लगाने पर है, ताकि सड॒कों के +आसपास का नजारा बेहतर हो सके +और आसपास के गांवों में प्रदूषण में +भी गिरावट हो। + +इस कार्यक्रम के तहत हर +ग्राम पंचायत में 1 एकड़ या इससे +ज़्यादा क्षेत्रफल में पार्क बनाने का +भी प्रस्ताव है। इन पार्कों में फुटपाथ, पेड़ पौधे, मनोरंजन की जगह +आदि मौजूद होंगे और ये एक तरह से गांवों की हरियाली, लोगों के +मनोरंजन आदि का भी केद्र होंगे। दरअसल, खाली या बंजर जमीन +पर ऐसे पार्क बनाने का प्रस्ताव है। इससे ऐसी जगहों पर हरियाली +का प्रसार भी हो सकेगा जहां इन चीजों का अभाव है। + +पल्‍ले प्रगति कार्यक्रम के तहत हाल में मंडल स्तर पर ग्रामीण +पार्क स्थापित करने का सिलसिला शुरू हुआ है। ये पार्क 10 एकड +या इससे ज़्यादा जमीन के दायरे में हैं और इनमें 30,000 से भी ज़्यादा +पौधे लगाए जाते हैं। ये पार्क मुख्य तौर पर मंडल मुख्यालय में मौजूद +होते हैं। ऐसे पार्क का मकसद न सिर्फ ग्रामीण इलाकों में पौधारोपण +है, बल्कि इसे रणनीतिक मकसद से सरकारी जमीन पर स्थापित +किया गया है, ताकि ऐसी जुमीन को अतिक्रमण से बचाया जा सके। + +इस अभियान के तहत राज्य के सभी गांवों के प्रत्येक घर में +6 पौधों का वितरण सुनिश्चित करने की बात है, ताकि घटरों में भी +हरियाली का माहौल बनाया जा सके। पौधों का नामकरण और इसे + + + +ee - ay पा +सिद्दीपेट जिले में ग्रायीण मियावाकी वृक्षारोपण + +योजना, नवम्बर 2021 + + + +0041.txt +<----------------------------------------------------------------------> +परिवार के अलग-अलग सदस्यों के हिसाब +से इसका वितरण जैसी नवाचारी गतिविधियों +से न सिर्फ पौधों का अस्तित्व बचे रहने +की ज़्यादा संभावना होती है, बल्कि इससे +जागरूकता भी बढ़ती है और पारिस्थितिकी व +समाज के बीच जुड़ाव मजबूत होता है। +वित्तीय अनुशासन संबंधी पहल के तहत, +ग्राम पंचायतों को फंडों का भुगतान तर्कसंगत +तरीके से किया जाता है और हर गांव को +महीने की पहली तारीख को फंड मिल जाता +है। इस बारे में पंचायत कार्यालय की दीवारों +पर भी जानकारी प्रदर्शित की जाती है और +इसे नियमित तौर पर अपडेट भी किया जाता +है। फंडों के नियमित भुगतान के साथ-साथ +सालाना और पांच साल के लिए विकास +योजनाएं भी तैयार की जाती हैं। ग्राम सभा +प्राथमिकताएं तय कर विकास योजनाओं के +कार्यान्वयन के लिए समयसीमा तय करती है। +इस तरह, बेहतर नतीजे देखने को मिलते हैं। इसके अलावा, कानून +बना कर संपत्ति कर का नियमित संग्रह जुरूरी कर दिया गया है। +इसके लिए नियमित तौर पर आकलन और मांग में भी संशोधन करना +जुरूरी है। इसी तरह, बिजली बिल का भुगतान, कर्ज की अदायगी +(खास तौर पर ग्रामीण ट्रैक्टरों को खरीदने के लिए लिया गया कर्ज) , +वेतन, सफाई संबंधी खर्चों का शुल्क के तौर पर वर्गीकरण किया +गया है और तेलंगाना पंचायती राज कानून, 2018 के तहत इन मदों में +नियमित तौर पर भुगतान जुरूरी है। संबंधित अधिकारी इसका सख्ती +से पालन भी सुनिश्चित करते हैं। इन शुल्कों का भुगतान समयसीमा +के भीतर नहीं होने पर कानून में दंडात्मक कार्रवाई का भी प्रावधान +किया गया है और जांच में गड़बड़ी पाए जाने पर सरपंच और पंचायत +सचिव को अयोग्य ठहराने की भी बात है। + +a a -_ = + + + +स्थायी समिति और ग्राय सभा की बैठक + +योजना, नवम्बर 2021 + +वित्तीय अनुशासन संबंधी पहल +के तहत, ग्राम पंचायतों at wet +का भुगतान तर्कसंगत तरीके से +किया जाता है और हर गांव +को महीने की पहली तारीख को +फंड मिल जाता है। इस बारे में +पंचायत कार्यालय की दीवारों पर +भी जानकारी प्रदर्शित की जाती +है और इसे नियमित तौर पर +अपडेट भी किया जाता है। फंडों +के नियमित भुगतान के साथ-साथ +सालाना और पांच साल के लिए +विकास योजनाएं भी तैयार की +जाती है। + +इसी तरह, संसाधनों, ऊर्जा की खपत +और पानी के उपयोग को लेकर सभी गांवों +का आकलन किया गया है, ताकि संसाधनों +के आवंटन में गड़बडियों और बाजार संबंधी +चुनौतियों का पता लगाया जा सके। उदाहरण +के लिए, ऊर्जा संबंधी जांच में सड॒कों पर +मौजूद सभी पुराने बल्‍बों के बदले एलईडी +बल्ब लगाए गए, ताकि बिजली की खपत +कम हो सके। साथ ही, कई गांवों में बिजली +के इस्तेमाल को तक॑संगत बनाकर 15-20 +प्रतिशत तक लागत की बचत मुमकिन हो +सकी। इन तमाम कोशिशों के जरिये न सिर्फ +सरकार की वित्तीय स्थिति और उसके उपयोग +को लेकर जागरूकता में बढ़ोतरी हुई, बल्कि +वित्तीय जिम्मेदारी और अनुशासन का पालन +सुनिश्चित करने में भी मदद मिली है, जो +स्थानीय निकायों के कामकाज को बेहतर ढंग +से लागू करने के लिए बेहद जरूरी है। प्ले +प्रगति कार्यक्रम के हालिया चरण में विकास संबधी गतिविधियों में +लोगों की भागीदारी बढ़ाने पर फोकस किया गया। तेलंगाना पंचायती +राज कानून 2018 के मुताबिक, हर गांव में 4 स्थायी समितियां बनाना +जुरूरी है और हर समिति क्रमशः: सफाई, हरित हारम, सड॒कों पर +बल्ब की सुविधा और अन्य काम की निगरानी करती है। कानून में +कहा गया है कि ये समितियां गैर-राजनीतिक इकाई होनी चाहिए +जो लोगों से ज़्यादा से ज़्यादा SHE HH HL) BA Mal A ऐसी +समितियों का गठन किया गया है और उनके सुझावों को पंचायत की +मासिक और ग्राम सभा की पाक्षिक बैठकों में पेश किया जाता है। यह +पाया गया है कि समिति के सदस्यों द्वारा निगगनी की वजह से विकास +कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के बेहतर नतीजे मिले हैं और जमीनी स्तर +पर नवाचार हो रहा है। उदाहरण के लिए, एक गांव की स्थायी समिति +की सिफारिश के आधार पर डीआरसीसी +और श्मशान स्थल पर महंगी घेराबंदी के +बजाय प्राकृतिक कांटे से घेराबंदी की गई +हैं, ओर बाद में संबंधित जिले के सभी गांवों में +4 इस नवाचार को आजुमाया गया जिससे ग्राम +पंचायतों को बड़ी रकम की बचत हुई। +स्वयं सहायता समूहों ने भी इन समितियों +में भागीदारी सुनिश्चित की है और इस तरह +विभिन्न मंचों के माध्यम से सामाजिक विषयों +पर सक्रिय चर्चा हुई है। इस तरह, अपशिष्ट +प्रबंधन और स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए फंड +आवंटन जैसे विषयों पर भी बेहतर चर्चा +मुमकिन हो सकी है। इन तमाम गतिविधियों +का मकसद संविधान के 73वें संशोधन में +कही गई बातों का पालन सुनिश्चित करना +है, ताकि गांवों को लोकतांत्रिक, सेहतमंद +और प्रगतिशील बनाया जा सके। | + +41 + + + +0042.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + +982 Cae ase 16] + +टीम वही, कोचिंग नई + + + +ब्रांड है निराधार, अनुभवी एवं गुणवत्तापूर्ण +शिक्षक हों चयन का आधार + + + + + +: - हि is ane +(IGNITED MINDS) 4 | +राजव्यवस्था, सामाजिक न्याय +काला एवं संंस्कति गवर्नेंस, आंतरिक सुरक्षा +भूगोल, पर्यावरण + +कहीं भी एडमिशन लेने से पहले फैकल्टी के विषय में विद्यार्थियों से चर्चा अवश्य कर लें! + +(DISCOVERY IAS) + + + + +(TRIUMPH IAS) + + + +सामान्य अध्यायान +फाउन्डेशन कोर्स ( प्रिलिम्स+मेन्स ) + +पांचवां बैच आरंभ : 15 नवंबर, शाम 3:00 बने + + + +के लिये ऑनलाइन/पेनड्राइव कोर्सेज भी उपलब्ध + + + +सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा 2022 +सामान्य डकष्ययल +आरंभ ४ नवंबर तृतीय सप्ताह +सामान्य अध्ययन प्रिनिग्स कोर्स एवं वैकल्पिक विषय (८8850 ५ /6 (० ०/० + +इतिहास, भूगोल एवं राननीति विज्ञान हिंदी एवं अंग्रेज़ी दोनों माध्यम + +कैस्ठ सीरीज़ + + + + + +9555-124-124 + + + +Website: sanskritilAS.com +636, भू-तल, डॉ. मुखर्जी नगर, दिल्‍ली-09 + + + + + +42 + +योजना, नवम्बर 2021 + +YH-1660/2021 + + + +0043.txt +<----------------------------------------------------------------------> +सतत विकास लक्ष्यों का स्थानीयकरण + +सुकन्या केयू +जॉय एलामोन + +डैशबोर्ड वास्तव में सरकार और अन्य हितार्थियों के लिए स्थायी विकास लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में +हो रही प्रगति को आंकने के उपकरण होते हैं और इनके माध्यम से क्रियान्वयन और आंकड़ों का अन्तर +सामने आ जाता है। इंटरएक्टिव डैशबोर्ड देश में सतत यानी टिकाऊ या स्थायी विकास लक्ष्यों की प्राप्ति +में हुई प्रगति का दृश्य प्रस्तुत करते हैं जिनके आधार पर कार्य से जुड़ी प्राथमिकताओं का पता चलता है। + +va के नेताओं के बीच सितम्बर, 2015 में स्थायी +विकास लक्ष्यों पप सहमति बनी थी ताकि विश्व में +ऊर्जा भरकर गरीबी और असमानता में wader aa +लाकर आने वाले 15 वर्ष की प्राथमिकताएं और कार्य-योजनाएं बनाई +जा सके। इन महत्वाकांक्षी लक्ष्यों का उद्देश्य गरीबी खत्म करके +असमानता को हमेशा के लिए मिटा देना है जिससे दुनिया के सामने +मुंह बाए खड़ी पर्यावरण-संबंधी चुनौतियों का टिकाऊ और पक्का हल +निकाला जा सके। इन प्रयासों के अंतर्गत विकास के लिए डेटा क्रान्ति +ने गति पकड़ ली है और इससे वैश्विक संसाधनों का दोहन करके +आवश्यकता का पता लगाकर उनकी पूर्ति के लिए अधिक विकास +का लक्ष्य हासिल किया जा सकेगा। डेटा क्रान्ति की मदद से वेश्विक +लक्ष्यों को 2030 तक पूरा करने की आशा बन जाएगी और इसके +लिए डेटा-चालित निर्णय प्रक्रिया, तथ्यों पर आधारित नीतियां और +विकास कार्यों की साझी जवाबदेही तथा सरकार और अन्य हितार्थियों +की ओर से समुचित निवेश को बढ़ावा देना होगा। +डेटा क्रान्ति का अर्थ है डेटा के प्रयोग से चलाए जाने वाले +किसी जटिल विकास एजेंडा की जरूरत के हिसाब से आवश्यक +क्रान्ति लाने वाले कार्य। इसके तहत डेटा तैयार करने, डेटा एक्सेस +करने और उसे प्रयोग करने में क्रांतिकारी सुधार लाने की प्रक्रिया +शामिल है। कई देशों में डेटा जुटाने (एकत्र करने) का काम उस देश +की सरकार की एजेंसी करती है और इसके लिए एजेंसी जनसंख्या के +पूर्व-निर्धारित वर्ग से आंकड़े प्राप्त करती है जिनका जटिल वैज्ञानिक +विधियों से विश्लेषण किया जाता है और राष्ट्रीय सकल अनुमान लगाए. +जाते हैं। आंकड़े एकत्र करने और उनका विश्लेषण करने में अत्यधिक +विशेषज्ञता की जरूरत होती है और इसीलिए अधिकांश नागरिक और +सरकारी अधिकारियों को इस कार्य से दूर कर दिया गया है, इनमें +से कुछ तो बस रिपोर्ट को पढ़ने तक की ही योग्यता रखते हैं। इसी +संदर्भ को देखते हुए डेटा क्रान्ति का विकेन्द्रीकरण करना जरूरी है +जिसमें पंचायतें ही विकास के डेटा की व्यवस्था संभालेंगी। + + + +पंचायत स्तर पर डेटा क्रान्ति से समुदाय ऐसे लक्ष्यों और +संकेतकों की पहचान करके उन्हें डिजाइन कर सकता है जो उन लोगों +के संदर्भ में विशेष महत्व रखते हैं। इससे ऐसा प्लेटफॉर्म तैयार हो +जाता है जिसकी मदद से लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में उस समुदाय +की प्रगति आंकी जा सकती है। सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि +विकास से जुडे मुद्दों पर हर व्यक्ति की आवाज या राय पूरी अहमियत +रखती है। कोई भी व्यक्ति पंचायत के आंकड़ों की जांच कर सकता +है और साथ ही लोगों के आंकड़े जोड़ सकता है तो असल तथ्यों पर +आधारित मुद्दों पर ध्यान आकृष्ट कराएंगे। + +संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों द्वारा सितम्बर, 2015 में पारित +क्रांतिकारी एजेंडा-2030 के तहत पृथ्वी के निवासियों और पृथ्वी +ग्रह की सुरक्षा और सभी के लिए समृद्धि का महत्वाकांक्षी कार्यक्रम +बनाया गया था। चूंकि ये लक्षिय वैश्विक हैं और सभी पर लागू होते हैं +इसलिए सभी देशों से अपेक्षा की जाती है कि वे अपनी प्राथमिकताएं +तय करके इस एजेंडे की भावना के अनुरूप अपनी राष्ट्रीय और +स्थानीय जरूरतों के मुताबिक स्थानीय स्थायी विकास लक्ष्य निर्धारित +कर लें। स्थायी विकास लक्ष्यों को स्थानीय रूप देने की इस प्रक्रिया +के लिए देशों, प्रान्तों (राज्यों) और पंचायतों के लिए नीति-निर्देश +और अन्य उपकरणों की जरूरत पडेगी। + +केरल इंस्टीट्यूट ऑफ लोकल एडमिनिस्ट्रेशन (केआईएलए) राज्य +सरकार के स्थानीय निकाय विभाग के अंतर्गत स्वशासी संगठन है। यह +मुख्य रूप से स्थानीय निकाय के कर्मचारियों और निर्वाचित प्रतिनिश्चियों +की क्षमता विकास के कार्यक्रम चलाता है। साथ ही केआईएलए +कार्य-शोध, प्रकाशनों, गोष्टियों, कार्यशालाओं, परामर्शदाता, दस्तावेज +तैयार करने, आपसी सहयोग और सूचना-सेवाएं भी उपलब्ध कराता है। + +इस संदर्भ में केआईएलए ने स्थानीय निकायों के लिए स्थायी +विकास लक्ष्य तय करने के लिए एक प्रशिक्षण टूलकिट विकसित +किया है। इस ट्रेनिंग टूलकिट में स्थानीय स्तर से राज्य स्तर तक का +सर्चेबुल यानी खोज सकने योग्य डेटाबेस है, यह डेटा की गुणवत्ता, + + + + + +सुश्री सुकन्या केयू केरल इंस्टीट्यूट ऑफ लोकल एडमिनिस्ट्रेशन (केआईएलए) at haedt wees 21 Gc: sukanya@kila.ac.in + +श्री जॉय एलामोन केआईएलए के vette Z1 Het: director@kila.ac.in +योजना, नवम्बर 2021 + +43 + + + +0044.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +विश्वसनीयता, उपलब्धता और तुलनात्मकता तथा अनुकूलता सुधारने + +में सहायक होता है, जिससे सभी हितार्थी संबद्ध क्षेत्र में अपने निजी + +डेटा तैयार कर सकते हैं। +कुल मिलाकर इससे स्थानीय निकायों को प्रत्येक संकेतक + +(मानक) के बारे में अपनी स्थिति की समीक्षा करके उसमें सुधार +या संशोधन करने में मदद मिलती है तथा प्रत्येक क्षेत्र में मौजूद +अंतराल का पता चल जाता है जिससे समाज की बेहतरी और जरूरी +बदलाव के जरिये स्थायी विकास लक्ष्यों की चुनौती से निपटने के +तरीके समझ में आते हैं और स्थायी विकास लक्ष्यों, देश की नीतियों, +देश की पंचवर्षीय योजना और स्थानीय निकाय विकास योजनाओं +में बेहतर तालमेल और सामंजस्य बनाने की सुनिश्चित व्यवस्था की +जा सकती है। + +स्थानीय निकाय स्तर पर डेटा क्रांति को सफल बनाने के उपाय + +1. आधार तैयार करें +यह जरूरी है कि स्थानीय डेटा क्रान्ति की प्रक्रिया के लिए + +आधार तैयार किया जाए- + +* समुदाय (लोगों) और विभिन्न विकास अधिकारियों के साथ +मजबूत संचार चैनल विकसित किए जाएं। + +* सामुदायिक मुद्दों पर चर्चा के लिए सामुदायिक बेठकें आयोजित +करने की परम्परा चलाएं ताकि लोग धीरे-धीरे अपनी झिझक +छोड॒कर सहज भाव से अपने परेशानी बताने लगें। + +* विभिन्न स्तरों के सरकारी अधिकारियों से मजबूत नजदीकी रिश्तें +बनाएं। + +* किसी अन्य स्रोत या माध्यम से आंकड़े एकत्र करने के दौरान +हुए हर तरह के अनुभव की समीक्षा करें और इन अनुभवों के +बारे में सभी लोगों की राय प्राप्त करें। + +2. समुदाय को संगठित करें +लोगों में प्रभाव रखने वाले सामुदायिक नेताओं और ऐसे + +स्वयंसेवकों की पहचान कर लें जो पंचायत स्तर की डेटा-पहल में +स्थानीय निकाय के अधिकारियों के साथ मिलकर काम करने को +राजी हो सकते हैं। इन लोगों से परस्पर भरोसे और निष्ठा पर आधारित +संबंध बनाएंगे तो इस प्रक्रिया को गति और बल मिलेगा। इसका यह +अर्थ भी है कि अन्य हितार्थियों को भी संगठित किया जाए। + +3. क्षमता निर्माण करें + +* डेटा एकत्र करने के विभिन्न उपकरणों के बारे में प्रशिक्षण +उपलब्ध कराएं- जैसे पेपर सर्वेक्षण, मोबाइल फोन एप्लीकेशन्स +आदि। + +* बातचीत करें और समुदाय के लिए सर्वाधिक महत्व वाले स्थायी +विकास लक्ष्यों को पहचानें। + +*« लक्ष्यों और संकेतकों का समुदाय के संदर्भ में विश्लेषण करें। + +4, डेटा एकत्र करें +समुदाय ने जिन लक्ष्यों और संकेतकों की समीक्षा की है उनके + +आधार पर सर्वे विकसित करें। डेटा एकत्र करने के अनगिनत तरीके + +हैं। इनमे शामिल हैं: + +* सेकेंडरी डेटा + +* ऐसे कागजात के जरिये सर्वक्षण जिन्हें समुदाय के सभी परिवारों +के सदस्य भरेंगे। + +* मोबाइल फोन सर्व ऐप्स (जहां स्मार्टफोन उपलब्ध है)। इनमें +ओपन डेटा किट (ओडीके) आदि शामिल हैं। +डेटा एकत्रीकरण के बारे में महत्वपूर्ण बात है कि कोशिश + +करके सुनिश्चित किया जाए कि हर संबद्ध व्यक्ति (प्रत्येक परिवार) + +से जानकारी जुटायी जाए। पेपर सर्वेक्षण के मामले में यह सुनिश्चित +करना बहुत ही महत्वपूर्ण है कि डेटा उचित फॉर्मेट (प्रारूप) में +डिजीटाइज किया जाए ताकि उनका बेहतर विश्लेषण किया जा सके। + +5. डेटा एकत्रीकरण प्रक्रिया पर प्राप्त फीडबैक +समुदाय डेटा एकत्रीकरण प्रक्रिया से संतुष्ट और आश्वस्त होना + +चाहिए। अक्सर इस प्रक्रिया को और सरल बनाने के लिए सर्वे और + +एप्लीकेशन डिजाइन दोबारा करना पड़ता है। + +6. लोगों के साथ मिलकर विश्लेषण करें +सामुदायिक डेटा का विश्लेषण काफी आसान होता है, क्योंकि + +यह व्यक्ति के बारे में या कम-से-कम अधिकतर परिवारों के बारे +में होता है। डेटा से उत्पन्न होने वाले नैरेटिव (विचारों) को इकट्ठा +करके उन पर मिलकर विचार करने से समुदाय आंकड़ों के उद्देश्य +को बेहतर तरीके से समझ पाता है जिससे वे उन विचारों के समर्थन +में चर्चा के मुद्दे तैयार कर पाते हैं और चुनौतियों को भी अच्छे ढंग +से समझ लेते हैं। + +7. विकास के लिए संपर्क स्थापित करें +eet के आधार पता चलता है कि स्थानीय निकायों के + + + +* स्थायी विकास लक्ष्यों के बारे में + +अधिकांश अधिकारियों के पास लोगों के + +प्रशिक्षण उपलब्ध कराएं- यह क्‍या है, डेटा एकत्रीकरण के बारे में लिए. विकास गतिविधियां लागू करने के +उनकी आवश्यकता क्‍यों है, समुदाय महत्वपूर्ण बात है कि कोशिश . संसाधन नहीं होते। लेकिन, डेटा की मदद +के लिए उनका क्या महत्व है, लक्ष्य करके सुनिश्चित किया जाए कि से अन्य संबद्ध सरकारी विभागों, विकास + +और संकेतक क्‍या हें। + +* डेटा के बारे में प्रशिक्षण उपलब्ध +कराएं- यह क्या है, समुदाय के लिए +इनका क्या उपयोग है, इन्हें कैसे एकत्र +किया जाये और इनका विश्लेषण कैसे +होता है। + +* स्मार्टफोन को डेटा जुटाने के उपकरण +के रूप में प्रयोग करने का प्रशिक्षण +उपलब्ध HUT! + +हर संबद्ध व्यक्ति ( प्रत्येक परिवार ) +से जानकारी जुटायी जाए। पेपर + +सर्वेक्षण के मामले में यह सुनिश्चित +करना बहुत ही महत्वपूर्ण है कि +डेटा उच्चित फॉर्मेट ( प्रारूप ) में + +'डिजीटाइज किया जाए ताकि उनका +बेहतर विश्लेषण किया जा सके। + +सहयोगियों और स्वयं लोगों (समुदाय) से +भी संपर्क स्थापित किए जा सकते हैं। +डेटा क्रान्ति : संकेतकों की भूमिका +स्थानीय, राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और वैश्विक +स्तर पर स्थायी विकास लक्ष्यों की निगरानी +प्रक्रिया में प्रगति मूलरूप से संकेतकों पर +निर्भर होती है। संकेतक फ्रेमवर्क (प्रारूप) +सशक्त होने पर लक्ष्यों के प्रबंधन का +उपकरण बनाया जा सकता है जिससे देशों + + + +44 + +योजना, नवम्बर 2021 + + + +0045.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +और विश्व समुदाय को विकास नीतियां अपने हिसाब से बनाकर + + + + + + + + + + + +आवश्यक आबंटन निर्धारित करने में आसानी हो जाती है। इनसे स्थायी कच्चा डेटा : संकेतकों के लिए कच्चा डेटा एकत्र किया गया + +विकास की दिशा में हुई प्रगति आंकने और स्थायी विकास लक्ष्यों को था और अनुपलब्ध डेटा का पता लगाया गया था। + +प्राप्त करने में सभी हितार्थियों की जवाबदेही सुनिश्चित करने में मदद + +मिलेगी। इसे अपनाकर क्रियाशील बनाने के लिए स्थानीय निकाय + +स्तर पर डैशबोर्ड विकसित करना होगा जो स्थायी विकास लक्ष्यों के + +संकेतक प्रारूप की निगरानी करेगा। लक्ष्य रण : प्रत्येक संकेतक के fer 2 2030 के लिए + +पंचायतों ५ के लिए डैशबोर्ड at é स्थानाय स्तर का लक्ष्य-मूल्य तय या गया था। +स्थायी विकास लक्ष्यों को स्थानीय रूप देने के लिए निगरानी | + +तंत्र बनाने के वास्ते निर्णय लेने वालों, नीति बनाने वालों और + +सेवा प्रदाताओं को इन सेवाओं में सुधार लाने के उद्देश्य से समय सामान्यीकरण : कच्चे डेटा को 0 से 100 के पैमाने की + +कसौटी पर आंका गया, इस मानक से यह पता चल गया कि + +पर सही जानकारी और डेटा की जरूरत होती है। इस जानकारी लक्ष्यों की पूर्ति से बे अभी कितनी दूर हैं। + +और संसाधनों तक एक्सेस होने से योजना बनाने और संसाधनों के + + + +आबंटन जैसे मौजूदा मुद्दों पर आवश्यक कार्रवाई करना आसान हो Y + +जाता है जिससे भविष्य में निवारक उपायों की योजना भी तैयार लक्ष्य स्कोर ( मान) : सामान्यीकृत स्कोर ( मानों ) के + +की जा सकती है। अंकगणितीय माध्य की गणना करके प्रत्येक सतत विकास लक्ष्य + +© sg crated से राज्य, जिला और स्थानीय स्तर के अधिकारी ( एसडीजी ) के तहत गिनती किए गए कुल स्कोर (मान) +लक्ष्य निर्धारित कर सकते हैं और स्थानीय विकास लक्ष्यों को | + + + +प्राप्त करने की दिशा में प्रगति को आंक सकते हैं। + +* भविष्य में तो सामान्य जन भी इस प्लेटफॉर्म तक एक्सेस कर सकल (स्थायी ) विकास लक्ष्य स्कोर : सभी लक्ष्यों के स्कोर + +के औसत आधार पर सकल स्थायी विकास लक्ष्यों का भारतीय + + + +सकेगे। सूचकांक निकाला गया। +* वे डेटा एकत्र करने, उनके विश्लेषण और स्थानीय और राज्य | +स्तर पर साझा करने की बेहतर समझ के साथ स्व-आकलन + + + +और समर्थन प्रयास भी करने लगेंगे। सकल स्थायी विकास लक्ष्य स्कोर : सभी लक्ष्यों के स्कोर के +*« इससे पर्यावरण, स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, रोजगार, उद्योग और ऊर्जा औसत आधार पर केरल के स्थायी लक्ष्य की प्रगति आंकी गई। + +आदि विभिन्न क्षेत्रों में स्थानीय स्तर पर डेटा के नवाचार संसाधनों +की पहचान करने में मदद मिलेगी। + + + + + + + + + +सतत विकास लक्ष्य - डेशबोर्ड बनाने की प्रक्रिया + + + + + +17 [एएफप्ताएप्र Alondable and clean energy fare hunger + +zz. +: la : है हुए, dat जल +wos ma : 5 + +Fico Sahu + +taal वन्य ‘the +7a El + +Q + +ID eal ena pr al SCH even + + + +Se feat Dog barges actus जिप्ये पाप ८-1 आ।। ny ere = one! precre enable ayer पथ या गढ़ + + + +हुए (कस 3 Sie निज लव ed ame we ig ad Sart 4% Bl + + + + + + + +ayaa) e oe + +1G) O/0 § + +9 coe rr ed ae a en ed ei BA cst - a im Hh +डेटा डैशबोर्ड +योजना, नवम्बर 2021 45 + + + + + +0046.txt +<----------------------------------------------------------------------> +* स्थानीय और राज्य स्तर पर स्थायी लक्ष्यों की पूर्ति की दिशा में +प्रगति की निगरानी में मदद मिलेगी। + +* डेटा डेशबोर्ड ऐसा उपकरण (दूल) है जो जानकारी को +इंटरएक्टिव इंट्यूटिव और विजुअल तरीके से प्रदर्शित करते +समय मुख्य क्षेत्रों के विभिन्न डेटा-सैटों की पूरी बारीकियों के +मॉनीटरिंग, आकलन, विश्लेषण और खोज के केद्रीयकृत और +इंटरएक्टिव तरीके उपलब्ध कराता है। + +* ऑनलाइन वातावरण में कार्यशील अंतर-दृष्टि विकसित करने +में यूजर्स की मदद के लिए ऐतिहासिक डिजाइन, अंतर-संबंध +और ट्रेंड्स का पता लगाने के लिए डेटा-सैट चुनकर उन्हें +विजुअल-ग्राफिक विधि से प्रस्तुत करने की प्रक्रिया को ही +ऑनलाइन डेटा विजुएलाइजेशन कहते हैं। +यह डेशबोर्ड का सामने वाला सिर है जिसमें हैं- + +* विभिन्न स्थायी लक्ष्यों की त्वरित सर्च (खोज) + +* क्लाउड-आधारित ओपनसोर्स स्थायी विकास लक्ष्य रिपोर्टिंग और +मॉनीटरिंग समाधान + +* लक्ष्य + +* संकेतक + +* स्थायी विकास लक्ष्य के कार्य (परफॉर्मेंस) को विषय के आधार +पर देख पाना + +* लक्ष्यों, उद्देश्यों और संकेतकों को एक्सपैंड (विस्तारित) या +कोलैप्स (लघु) करना ताकि स्थानीय निकायों के डेटा और +उनकी प्रगति देखी जा सके + +* प्रत्येक उद्देश्य का लक्ष्यों और संकेतकों के साथ ग्राफिकल +प्रदर्शन (परफोर्मेस) + +* चुने हुए संकेतक और उसके स्ट्रेटिफायर को विभिन्न चार्टो में +निर्धारित समयावधि पर देखने के कस्टमाइजेबल चार्ट + + + +Ko poverty + +॥ | + +एक + +Tee L Eng pee ES ape + +Qua) saeco nd pee bo ya + +ooh Ache on garde gc Or feet entgowa ett ad on + +Ta Poem < + + + + +Towa Cent sh +ah eee ke cas + +Hes joe + +Tauat L] Makes ord or. +[छ| ए>०1 छत अतः 7 कक; #न्‍मा कतवीतल कक... तय HE Drocre matinee cora cpio aret prekes patia a +Tat | Take ib otiin be obi chee here mcd Be anmcat + +abel fel Cor a ee oe Pcs ot + + + + + +Attondable and clean energy + +Der ES 2 eye eee ७ गे aay debe 2 eerie Deli nied GRE ee or v +thie Loc जज जमा ॥रीए झा "ी जाएं एंड अं कार +- आए: acd proceres teers) eatring एड्ाप:71॥ : टए के: कं + +Saco cota 7 71 पं +Dem bros: ecommerce 7 जयज़ाग्ज * +> Gee read LMA LB Ra PO, ]) वा लेक. जो nd PAO TORTS RA OT $. +Geek) Dhei 14:- दया शक डकार एएएएज UA ie AO" I IT + +++ anaes +Sra A he tale He यू पपटए + +THE posal caving eR Ter) 3 75a il pao +“Thee Lt aT PCa PRO BO Sal DM TOA GA OU ST Re AM ये हिला + +* एनीमेटिड चार्ट में मल्टीडाइमेंशनल (बहुदिशा) डेटा को +कस्टमाइज करना और देखना + +* संकेतकों की मदद से स्थानीय निकायों के रैंक/स्थिति को +कस्टमाइज करना और देखना + +* स्थानीय निकायों के लिए स्थायी विकास लक्ष्य मॉनीटरिंग रिपोर्ट +तैयार करना + +* चार्ट डाउनलोड करके उन्हें सोशल मीडिया पर साझा (शेयर) करना + +* डेशबोर्ड पर अपने विचार रजिस्टर करना और देखना + +* संपर्क + +* स्थायी विकास लक्ष्य इंटरएक्टिव डेटा डेशबोर्ड को क्षेत्रीय, +राष्ट्रीय, उप-राष्ट्रीया, और पंचायत स्तरों पर या विशेष स्थायी +विकास लक्ष्य के लिए भी कस्टमाइज्‌ यानी इच्छा अनुरूप किया +जा सकता है। + +स्थायी विकास लक्ष्यों की योजना और उसे मॉनीटर करना +निगरानी और आकलन प्लेटफॉर्म स्थायी विकास लक्ष्यों और + +पंचायत विकास योजनाओं तथा अन्य प्रारूपों को ट्रैक, मॉनीटर और + +रिपोर्ट करने में सहायता करने के लिए विकसित किया जाता है। यह + +यूजर फ्रेंडली और वेब-आधारित डिजिटल प्लेटफॉर्म है जो संचार और + +Te की खामियों को दूर करता है। आधुनिकतम संचार-पहल + +अपनाकर पंचायत विकास योजनाएं बनाने की प्रक्रिया को चुस्त और + +प्रभावी बनाया जाता है; इसके तहत स्थायी विकास लक्ष्यों और राष्ट्रीय + +परिणामों का संचार शामिल रहता है और निगरानी और आकलन चरण + +में इसका अहम प्रभाव पड़ता है क्योंकि इसमें उन्नत संचार चैनल और + +अधिक पारदर्शिता अपनाई जाती है और क्रियान्वयन पूरी तरह खुले रूप + +से होता है। यह प्लेटफॉर्म वन-स्टॉप-शॉप के रूप में सभी को व्यस्त + +रखता है जहां लोग नवीनतम जानकारी और सामग्री पा सकते हैं। +व्यापक रूप में यह प्लेटफॉर्म राष्ट्रीय और राज्य महत्व का + + + +- Raby Pe ede) ea eet eee = ey eae ts "८प + + + + + +डेशबोर्ड का स्क्रीनशॉट + +46 + +योजना, नवम्बर 2021 + + + +0047.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + + + + + + + + + + + +eo Se ert eye chara bind rs Py ao erat aa ere oar as kK न = +DB ore rp ey pm ga age 4 nm Er = +[| ata em rae ard ea ele ae aD dang cher pr ho जो Th KF v. = +Bowkaeworemmeamonenanmeign ag धच्णए Ts i] Zz +a गज ....$""".म.. कक. ४». स॑॑य —_ KP — — +iad Tne boone ant ae, 4. pumas ete] PRCT a AL करने * i] * = + + + + + + + +सतत विकास लक्ष्यों का डेशबोर्ड + +लक्ष्य-वार विश्लेषण हर वर्ष के लिए दर्शाता है। साथ ही ग्राम + +पंचायत, ब्लॉक पंचायत, जिला पंचायत स्तर पर भी वर्ष-वार स्थिति + +देखी जा सकती हे। +राष्ट्रीय संकेतकों के लक्ष्य +चित्र में राष्ट्रीय और राज्य स्तर के प्रत्येक लक्ष्य की प्रगति का +स्तर दर्शाया गया है; +स्थायी विकास लक्ष्यों की पूर्ति की दिशा में उपलब्धियों के +आधार पर पंचायत के कामकाज की प्रगति का आकलन करना। सभी +पंचायतों का प्रत्येक लक्ष्य के आधार पर आकलन किया जाता है। + +कम्पोजिट स्टोर भी निकाला जाता है जिसके आधार पर राज्यों/ +केंद्रशासित प्रदेशों का विविध लक्ष्यों की दिशा में उनकी प्रगति के +आधार पर आकलन किया जाता हे। + +*« राज्यों/केद्रशासित प्रदेशों के बीच वैश्विक लक्ष्यों की प्राप्ति की +दिशा में प्रगति के आधार पर स्वास्थ्य स्पर्धा को बढ़ावा देना। + +* राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को ऐसे क्षेत्रों की पहचान में मदद देना +जिन पर ज़्यादा ध्यान देने की जरूरत है। + +* राज्यों/केद्रशासित प्रदेशों को एक-दूसरे की सफलताओं से सीखने +के लिए प्रेरित करना। + +* राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों की सांख्यिकीय प्रणाली की खामियों को +उजागर करना और उन क्षेत्रों का पता लगाना जहां और ज्यादा +बार डेटा एकत्र करने की जरूरत हे। + +डेशबोर्ड के बड़े लाभ/अपेक्षित रचनात्मक परिणाम +केरल में स्थायी विकास लक्ष्य एजेंडा चलाने में डैशबोर्ड मुख्य + +भूमिका अदा करेगा। रैंकिंग के परिणाम मीडिया/डैशबोर्ड के माध्यम + +से लोगों तक शीघ्रता से पहुंच सकेंगे। यह स्थायी विकास लक्ष्यों के +प्रति कई स्तरों पर, जैसे कि सरकार, मीडिया, शोधकर्ता और नागरिक +संगठनों के स्तर पर जागरूकता पैदा करेगा। उच्च-स्तरीय समितियों +वाले कई सरकारी संस्थान स्थायी विकास लक्ष्य अपनाने की प्रक्रिया + +योजना, नवम्बर 2021 + +पर निगाह रखेंगे। डेशबोर्ड कुछ राज्यों/केद्रशासित प्रदेशों में स्थायी + +विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण को भी बढ़ावा देगा जिससे जिलों में + +स्पर्धा की भावना आएगी। +लक्ष्य, उद्देश्र और संकेतक के आधार पर राष्ट्रीय स्थायी विकास +लक्ष्यों की दिशा में प्रगति देखी जा सकती है: + +* डेटा अंतराल का पता लगाकर स्थायी विकास लक्ष्यों के +संकेतकों की संबंधित स्थानीय निकाय लक्ष्यों से तुलना करके +उनका विश्लेषण करना, + +*« स्थायी विकास लक्ष्य डेट की उपलब्धता और खामियों के आकलन +में सहयोग करना और क्षेत्रीय, राष्ट्रीय, उप-राष्ट्रीय तथा पंचायत स्तर +के स्थायी विकास लक्ष्य के आंकड़ों के मॉनीटरिंग डेशबोर्ड और +रिपोर्ट का डिजाइन तैयार करके उन्हें विकसित करना, + +*« राष्ट्रीय और राज्य औसत में पंचायत का स्थान, + +* जीपीडीपी (ग्राम पंचायत विकास योजना) के माध्यम से +कार्य-योजना तैयार करना, + +* जरूरी हो तो हर स्थानीय निकाय नए संकेतक जोड़ ले, + +* प्रत्येक के लिए स्वयं के स्थानीय लक्ष्य निर्धारित करना, + +* वार्षिक अपडेटिंग से मॉनीटरिंग में मदद मिलेगी, + +*« ये सभी उपाय स्वयं ही पंचायत स्तर पर किए जा सकते हैं, +ग्रामसभा में पेश किए जा सकते हैं। + +* स्थायी विकास लक्ष्यों की प्लानिंग और मॉनीटरिंग पर डेशबोर्ड। बना + +संदर्भ + +1. संयुक्त राष्ट्र (2014), पृष्ठ 6, ए वर्ल्ड काउंट्स : स्थायी विकास के लिए +डेटा क्रांति पर स्वतंत्र विशेषज्ञ परामर्श ग्रुप द्वारा स्थायी विकास के लिए डेटा +क्रांति लाना, न्यूयॉर्क। + +2, एलिजाबेथ, स्टुअर्ट और अन्य (2015)। द डेटा रेवोल्यू शन फाइंडिंग द्‌ +मिसिंग मिलियन्स, ओडीआई डेवलपमेंट प्रोग्रेस। + +3, केरल स्थानीय निकाय (केआईएलए) द्वारा 2009 में प्रकाशित- विकेद्रित +नियोजन और विकास के आकलन के लिए गठित समिति की रिपोर्ट। + +47 + + + +0048.txt +<----------------------------------------------------------------------> +डिजिटल स्थानीय शासन + +मयंक खरबंदा + +ई-पंचायत को राष्ट्रीय ई-शासन योजना-नेशनल ई-गवर्नेंस प्लान ( एनईजीपी ) के तहत चलाया जा रहा +है। यह मिशन के तौर पर चलायी जाने वाली परियोजनाओं-मिशन मोड प्रोजेक्ट्स (एमएमपी ) में से +एक है। इसका उद्देश्य पंचायती राज संस्थाओं -पंचायती राज इंस्टीट्यूशंस (पीआरआई ) के कामकाज में +आमूलचूल बदलाव लाकर उन्हें विकेन्द्रित स्वशासन निकायों के रूप में ज्यादा पारदर्शी , जवाबदेह और +प्रभावी बनाना है। इस परियोजना के जरिये देश भर की 2.5 लाख से ज्यादा पंचायतों की आंतरिक +कार्य प्रवाह प्रक्रिया को स्वचालित बनाया जा रहा है। इसका लाभ लगभग 30 लाख निर्वाच्चित सदस्यों +और पीआरआई कर्मियों को होगा। इससे स्थानीय शासन में सुधार आयेगा और जमीनी स्तर पर लोकतंत्र + +प्रभावी ढंग से काम कर सकेगा। + +चोगिकी ने हमें एक आपस में जुडी दुनिया में पहुंचा +wr दिया है। उदीयमान प्रौद्योगिकियां देश के आर्थिक और +सामाजिक विकास लक्ष्यों में लगातार तालमेल बना रही + +हैं। भारत ने अगले कुछ वर्षों में 50 खरब अमेरिकी डॉलर की +अर्थव्यवस्था बनने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। लेकिन +इसे प्राप्त करना तभी संभव है जब हमारे गांवों को स्थानीय शासन के +प्रौद्योगिकी आधारित ढांचे के साथ आर्थिक विकास के आत्मनिर्भर +केंद्रों में तब्दील कर दिया जाये। + +भारत सरकार वैश्विक महामारी की चुनौतियों का सामना करने +में प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर रही है। पीआरआई ने ग्रामीण क्षेत्रों में +कोविड 19 के प्रसार को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। इस +वैश्विक महामारी ने प्रौद्योगिकी और निर्णय लेने की डाटा आधारित +प्रक्रिया की महत्वपूर्ण भूमिका को स्थापित किया है। लिहाजा, +निचले स्तर तक सरकारी कामकाज में उदीयमान प्रौद्योगिकियों को +अपनाने की राष्ट्रीय कोशिशों में तेजी लाना महत्वपूर्ण है। पंचायतें +ग्रामीण नागरिकों और शासन व्यवस्था के बीच की कड़ी हैं। इसलिये +स्थानीय स्तर पर सामूहिक सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) +की संस्कृति लाने में वे प्रभावी भूमिका निभाती हैं। +इतिहास और मौजूदा स्थिति + +पंचायती राज मंत्रालय ने केंद्रीय मंत्रालयों, राज्यों के विभागों, +पंचायतों और नागरिकों समेत तमाम हितधारकों की सूचना और +सेवाओं की जरूरतों की पहचान के लिये सभी राज्यों और +केंद्रशासित प्रदेशों में विस्तृत अध्ययन कराया है। इससे 12 मूल +सार्वजनिक एप्लीकेशनों की पहचान की गयी जो पंचायत के + +कामकाज के सभी पहलुओं को अपने में समेटे हैं। इन पहलुओं में +योजना निर्माण, क्रियान्वयन, निगरानी, बजट व्यवस्था, अकाउंटिंग +और सामाजिक ऑडिट सरीखे आंतरिक मूल कार्यों के अलावा + + + +ई-पंचायत का कवरेज + + + +22 राज्य + +सभी जिला पंचायतें +सभी प्रखंड पंचायतें +सभी ग्राम पंचायतें + + + + + + + +रेखाचित्र 1 : ई-पंचायत + + + + + +लेखक पंचायती राज मंत्रालय की ई-पंचायत राष्ट्रीय कार्यक्रम प्रबंधन इकाई में सलाहकार 21 Sc: mayank kharbanda@nic.in + +48 + +योजना, नवम्बर 2021 + + + +0049.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +2012 + +200५ + +2001 + +2006 * राष्ट्रीय ई-शासन योजना + + + +2018 f + +पंचायत उद्यम समूह ( पीईएस ) +राष्ट्रीय आईएसएनए, बीपीआर , डीपीआर रिपोर्ट + +“ मिशन के तौर पर परियोजना : ई-पंचायत + +) ई-ग्रामस्वराज + +है जे a + +ई-वित्तीय प्रबंधन प्रणाली + + + + + +रेखाचित्र 2 : ई-पंचायत का सफर + +प्रमाणपत्र और लाइसेंस जारी करने जैसी नागरिक सेवाओं की +डिलीवरी भी शामिल है। +ये एप्लीकेशन मिल कर पंचायत उद्यम समूह (पीईएस) बनाते + +ई-शासन और आईसीटी हस्तक्षेप +पंचायती राज मंत्रालय पंचायतों को प्रभावी ढंग से काम करने में +मदद देने के उद्देश्य से सूचना और संचार प्रौद्योगिकी-इंफॉर्मेशन एंड + + + + + +हैं। ये सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन ई-शासन के सभी मानकों के अनुरूप +मुक्त स्रोत प्रौद्योगिकी पर आधारित हैं। ये पूरी तरह अंतर-संचालनीय +हैं ताकि उपयोगकर्ताओं को बार-बार डाटा की प्रविष्टि नहीं करनी +पडे। इनमें राज्यों की स्वीकार्यता और अंगीकरण सुनिश्चित करने +के लिये उनकी विशिष्ट जरूरतों को भी शामिल किया गया हेै। +इन एप्लीकेशनों के जरिये पंचायतों के पुनर्सीमांकन और विकेंद्रित +एकीकृत योजना निर्माण जैसी चुनौतियों का समाधान किया जा +रहा है। + +प्रधानमंत्री ने 24 अप्रैल, 2012 को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस + +कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी (आईसीटी) के उपयोग के लिये प्रतिबद्ध +है। वह पंचायतकर्मियों को रोजमर्रा के कामकाज में प्रौद्योगिकी का +इस्तेमाल करने में सक्षम बनाने के लिये प्रयत्तशील है। डिजिटल +तौर पर समावेशी समाज की जरूरत को शिद्दत से महसूस किया +जा रहा है जिसमें ग्रामीणों का बड़ा हिस्सा नयी प्रौद्योगिकियों का +लाभ उठाते हुए सूचना और सेवाओं को आजादी से हासिल और +साझा कर सके तथा विकास की प्रक्रिया में ज्यादा प्रभावी ढंग से +हिस्सा ले। पंचायती राज मंत्रालय ने नागरिकों के लिये सेवाओं की +सम्मिलित डिलीवरी को बढ़ावा देने के मकसद से विभिन्‍न आईसीटी + + + +के मौके पर एप्लीकेशनों के ई-पंचायत +समूह का शुभारंभ किया। + +डिजिटल तौर पर समावेशी समाज + +पहलकदमियों की शुरुआत की है जिनमें +से कुछ बड़ी पहलकदमियां इस प्रकार हैं- + +पीआरआई में ई-शासन को मजबूत की जरूरत को शिद्दत से महसूस * ई-ग्रामस्वराज ई-ग्रामस्वराज + +करने के मकसद से पंचायती राज के लिये जिसमें ग्रामीणों पीआरआई के लिये एक कार्य आधारित +अकाउंटिंग किया जा रहा है जिसमें ग्रामीणों का अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर + +सरल कार्य-आधारित अकाउंटिंग एप्लीकेशन प्रौद्योगिकियों सरल अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर है। यह योजना + +ई-ग्रामस्वराज विकसित किया गया है। इसमें. “डी हिस्सा नयी प्रौद्योगिकियों का निर्माण और अकाउंटिंग की सभी जरूरतों + +ई-पंचायत एमएमपी से संबंधित एप्लीकेशनों +के कार्यों को समाहित कर लिया गया है। + +को सम्मिलित कर लिया गया है जिनमें +प्लानप्लस, एक्शनसॉफ्ट, प्रियासॉफ्ट और +राष्ट्रीय संपदा निर्देशिका शामिल हैं। क्षेत्र +प्रोफाइलर एप्लीकेशन और स्थानीय शासन + +लाभ उठाते हुए सूचना और सेवाओं +को आजादी से हासिल और साझा +ई- ग्राम स्वराज में ई-एफएमएस एप्लीकेशनों कर सके तथा विकास की प्रक्रिया +में ज्यादा प्रभावी ढंग से हिस्सा ले। +पंचायती राज मंत्रालय ने नागरिकों के +लिये सेवाओं की सम्मिलित डिलीवरी + +के लिये एकीकृत प्लेटफॉर्म मुहैया कराता +है। निगरानी और संपदा प्रबंधन जैसे पंचायत +के कामकाज के विभिन्‍न अन्य पहलू भी +इसमें शामिल हैं। इस एप्लीकेशन को +विकसित करने का मकसद ग्राम पंचायत +विकास योजनाओं-ग्राम पंचायत डेवलपमेंट +प्लांस (जीपीडीपी) के तहत प्रस्तावित + +निर्देशिका को भी इसमें सम्मिलित किया को बढ़ावा देने के मकसद से प्रत्येक गतिविधि के लिये हरेक खर्च पर +गया है। इस तरह यह सार्वजनिक वित्तीय विभिन्‍न आईसीटी पहलकदमियों की नजर रखना है। ई-पग्रामस्वराज ग्राम पंचायत +प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) के साथ शुरुआत की है। के उपयोगकर्ताओं की डाटा प्रविष्टियों की + +व्यवस्था के लिये आधार बन गया है। + +संख्या घटाता है। इस तरह यह ई-शासन + + + +योजना, नवम्बर 2021 + +49 + + + +0050.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +. oY योजना निर्माण के लिए +हु/ प्लानप्लस + +(2 +9 + + + +निगरानी के लिए +एक्शन सॉफ्ट + +अकाउंटिंग के लिए +प्रिया सॉफ्ट + + + +पंचायत प्रोफाइल के +लिए एरियाप्रोफाइलर + +© + +सर्विसप्लस +राद्ीय पंचायत पोर्टल + +स्थानीय शासन निर्देशिका +स्थानीय शासनों की सभी जानकारियों +को एकत्र करती है और ग्राम पंचायत + +को विशिष्ट कोड देती हैं ग्राम मानचित्र + +७९०७ + +सेवा डिलीवरी के लिए + +प्रशिक्षण प्रबंधन पोर्टल + +स्थानिक योजना निर्माण के लिए + +राष्ट्रीय सम्पत्ति +निर्देशिका + +@ + +हे ॥ सामाजिक ऑडिट +bl + + + + + + + +एप्लीकेशनों में जटिलता को कम करता है। इसका इंटरफेस +उपयोगकर्ताओं के लिये ज्यादा सरल है और इसके जरिये +ग्राम पंचायतें अपनी कार्ययोजना की ट्रैकिंग और निगरानी तथा + +उनमें बदलाव आसानी से कर सकती +हैं। इस एप्लीकेशन से पारदर्शिता और +जवाबदेही आने के साथ ही जीपीडीपी +की समय पर निगरानी भी संभव हुई +है। एक मोबाइल ऐप भी शुरू किया +गया है जिसके माध्यम से पंचायतों +के निर्वाचित प्रतिनिध्चियों, कुल, जारी +और पूरा हो चुके कार्यों तथा आय +और व्यय के बारे में विभिन्‍न सूचनाएं +हासिल की जा सकती हैं। + +ई-ग्रामस्वराज-पीएफएमएस इंटरफेस +(ईजीएसपीआई ): पारदर्शिता और +जवाबदेही बढ़ाने के लिये 2018 में +ईजीएसपीआई की शुरुआत की गयी। +इसमें ई-ग्रामस्वगाज के अकाउंटिंग + +मॉड्यूल और सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणाली का समेकन किया +गया ताकि पंचायतों को केन्द्रीय वित्त आयोग के तहत व्यय के +ऑनलाइन भुगतान के लिये इंटरफेस मिल सके। ईजीएसपीआई + +रेखाचित्र 3 : पंचायत उद्यम समूह + +ग्राम पंचायतों के + + + +योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के +लिये जरूरी है कि कार्यों में प्रगति +की जमीन स्तर पर निगरानी की +जाये। इसके लिये काम खत्म होने +पर संपत्तियों की जियो-टैगिंग अत्यंत +महत्वपूर्ण है। पंचायती राज मंत्रालय +ने कार्य पूरा होने पर निर्मित संपत्ति +की जियो-टैग के साथ तस्वीरें लेने +में मदद के लिये मोबाइल आधारित +समाधान एमएक्शनसॉफ्ट विकसित +किया है। + + + +लिये एक अनूठा इंटरफेस है जिसके जरिये वे + +विक्रेताओं और सेवा प्रदाताओं को तुरंत भुगतान कर सकती हें। +अब तक 2021-22 के लिये 255994 जीपीडीपी तैयार की जा + +चुकी हैं। कुल 154098 ग्राम पंचायतों ने +ईजीएसपीआई के माध्यम से 42137 करोड +रुपये का भुगतान किया हे। +संपत्तियों की जियो-टैगिंग + +योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिये +जरूरी है कि कार्यों में प्रगति की जमीन स्तर +पर निगरानी की जाये। इसके लिये काम खत्म +होने पर संपत्तियों की जियो-टैगिंग अत्यंत +महत्वपूर्ण है। पंचायती राज मंत्रालय ने कार्य +पूरा होने पर निर्मित संपत्ति की जियो-टैग के +साथ तस्वीरें लेने में मदद के लिये मोबाइल +आधारित समाधान एमएक्शनसॉफ्ट विकसित +किया है। किसी भी संपत्ति की जियो-टैगिंग +कम-से-कम तीन चरणों में- कार्य शुरू +होने से पहले, इसके दौरान और काम खत्म + +होने के बाद की जाती है। एमएक्शनसॉफ्ट प्राकृतिक संसाधन +प्रबंधन, जल संचय, सूखे से बचाव, स्वच्छता, कृषि, तटबंधों +और सिंचाई की नहरों से संबंधित सभी कार्यों और संपत्तियों के + + + + + +* पंचायत की बुनियादी +प्रोफाइल + + + +*» जीआईएस आधारित + +गतिविधि»“योजना, fees भी भौतिक तुरंत भुगतान +कार्यों प्रगति का लेखाजोखा + +मं का दोहराव * संपत्ति के भू-निर्देशांक समेत + +नहीं उसके चरणबद्ध छायाचित्र + + + +2. पंचायत योजना निर्माण + + + +« पंचायत की योजना | +का निर्माण और मंजूरी॥ +* हर गतिविधि के लिए | +विशिष्ट पहचान I + + + +| | * ely} +. 3. भौतिक प्रगति 4, वित्तीय प्रगति 5. संपत्ति प्रबंधन +« गतिविधि की भौतिक [ *« गतिविधि की वित्तीय | _ * संपत्ति का विवरण +प्रगति पर नजर I प्रगति i रखती है +॥ 4 +I i +| 1 +tr ¥ +7. भू-टैगिंग | 8, पीएफएमएस + +* गतिविधि में हर संपत्ति के + +स्थानीय शासन निर्देशिका + + + + + + + + + + + +* आर-ई-ए-टी मॉड्यूल पर + + + + + +50 + +रेखाचित्र 4 : स्थानीय शासन निर्देशिका + +योजना, नवम्बर 2021 + + + +0051.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +ई-ग्राम स्वराज पर खाता बंदी + +ian + +oa 2M iit + +Trey + +2020-21 (वार्षिक खाता ) 2021-22 ( बार्षिक खाता ) + +लेन-देन के आंकड़े केंद्रीय वित्त आयोग ( संख्या करोड़ रु. में ) + +ue + +94 प्रतिशत +भुगतान सफलता +दर + +डर जज + + + +भुगतान शुरू किया भुगतान मंजूर + +Y ~ + +EG + +न + +89% + +ई-जीएसपीआई पर पीआरआई + +58% 1] + +ई-जीएसपीआई के जरिये +ऑनलाइन भुगतान के साथ +पीआरआई ( 2020-21) + + + + + + + + + +रेखाचित्र 5 : पीआरआई में वित्त + + + +14वें वित्त आयोग के खातों के वास्ते ऑडिट की जायेगी। लेकिन + +बारे में सूचनाओं का संग्रह मुहैया कराता है। + +* ग्राम मानचित्र : ग्राम मानचित्र एक भू-स्थानिक योजना निर्माण +एप्लीकेशन है जिसका शुभारंभ 2019 को किया गया। यह ग्राम +पंचायतों को भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी के उपयोग से अपने स्तर +पर ही योजनाएं बनाने में मदद करता है। इस एप्लीकेशन को +विभिनन मंत्रालयों के स्थानिक और गैर-स्थानिक आंकड़ों के साथ +समन्वित किया जा रहा है। इनमें जिला अस्पतालों, उप-जिला +अस्पतालों, सार्वजनिक सेवा केंद्रों और उपकेंद्रों (स्वास्थ्य +और परिवार कल्याण मंत्रालय), बैंक शाखाओं, एटीएम, बैंक +पत्राचार (वित्त मंत्रालय), डाक सुविधाओं (संचार मंत्रालय) , +स्कूलों (स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग), राशन की दुकानों +(उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय) , +पीने के पानी के स्रोतों (पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय) तथा +मनरेगा संपत्तियों (ग्रामीण विकास मंत्रालय) के आंकड़े शामिल +हैं। इस एप्लीकेशन को सामाजिक-आर्थिक जाति गणना रिपोर्ट, +मिशन अंत्योदय और ग्राम पंचायतों को संसाधन आवंटन से +भी जोड़ा गया है। ये सारी सूचनाएं एक जगह उपलब्ध होने से +ग्राम पंचायत के उपयोगकर्ताओं को योजना निर्माण के दौरान + +कई राज्यों ने अपनी 20 प्रतिशत से अधिक ग्राम पंचायतों की + +ऑडिट पूरी कर ली है। +निष्कर्ष + +राज्यों ने ई-ग्रामस्वराज, ईजीएसपीआई और ऑडिट ऑनलाइन +प्लेटफॉर्मों को तेजी से अपनाया है। इससे पंचायती राज संस्थाओं +के कामकाज में प्रौद्योगिकीय हस्तक्षेप की जबर्दस्त संभावना और +मांग का पता चलता है। पंचायती राज मंत्रालय शासन में सुधार के +लिये राज्यों के पंचायती राज विभागों के साथ लगातार काम कर +रहा है। कृत्रिम मेधा और मशीन लर्निंग जैसी उदीयमान प्रौद्योगिकियों +को देखते हुए मंत्रालय ई-ग्रामस्वराज पोर्टल में कई सुधार ला रहा +है। वह ग्राम मानचित्र जैसे मौजूदा प्लेटफॉर्मों के बेहतर उपयोग के +लिये प्रयत्नशील है। + +ग्राम पंचायतों को ग्यारहवीं अनुसूची के 29 क्षेत्रों से संबंधित +गतिविधियों की योजना बनाने और उसे लागू करने का दायित्व सौंपा +गया है। इसलिये ई-ग्रामस्वराज से 18 विभागों की योजनाओं के +लाभार्थियों की सूची एकत्र करने का प्रयास किया जा रहा है जिससे +ग्राम सभाओं की बैठकों की पारदर्शिता में इजाफा होगा। + + + +कार्यों को बेहतर ढंग से समझने में +सहूलियत होगी। + +*» ऑडिट ऑनलाइन : 15d वित्त +आयोग के सिफारिश के बाद पंचायतों +के वित्तीय प्रबंधन और पारदर्शिता +को मजबूत करने के लिये ऑडिट +ऑनलाइन का 15 अप्रैल, 2020 को +शुभारंभ किया गया। केंद्रीय वित्त +आयोगों ने कई दफा लेखापरीक्षित +अकाउंट की सार्वजनिक तौर पर +उपलब्धता सुनिश्चित करने पर जोर +दिया है। शुरुआत में फैसला किया +गया कि 2019-20 के लिये हर राज्य +की 20 प्रतिशत ग्राम पंचायतों की + +योजना, नवम्बर 2021 + +मंत्रालय का लक्ष्य ई-ग्रामस्वराज +पोर्टल को एक व्यापक प्लेटफॉर्म +बनाने का है जिससे ग्राम पंचायत +स्तर पर पारदर्शिता आने के अलावा +वित्तीय योजना निर्माण और उपयोग +में आसानी होगी। पंचायत स्तर के +उपयोगकर्ताओं के लिये कृत्रिम मेधा +और मशीन लर्निंग पर आधारित +चैटबॉट के सृजन जैसे अनेक अग्रणी +सुधारों की संभावना का पता लगाया +जा रहा है। + + + +मंत्रालय का लक्ष्य ई-ग्रामस्वराज पोर्टल +को एक व्यापक प्लेटफॉर्म बनाने का है +जिससे ग्राम पंचायत स्तर पर पारदर्शिता +आने के अलावा वित्तीय योजना निर्माण और +उपयोग में आसानी होगी। पंचायत स्तर के +उपयोगकर्ताओं के लिये कृत्रिम मेधा और +मशीन लर्निंग पर आधारित चैटबॉट के सृजन +जैसे अनेक अग्रणी सुधारों की संभावना +का पता लगाया जा रहा है। मंत्रालय के +ग्राम मानचित्र एप्लीकेशन को भू-स्थानिक +आधारित निर्णय के माध्यम के रूप में +देखा जा रहा है। यह भविष्य की स्थानिक +योजनाएं विकसित करने में ग्राम पंचायतों के +लिये मददगार होगा। पीएफएमएस प्लेटफॉर्म + +51 + + + +0052.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +O + +करता है + + + +6 + + + +सरकारी विभागों और पंचायती राज संस्थाओं की अंदरूनी और बाहरी +ऑडिट के लिए सुविधा प्रदान करता है + +टिप्पणियों की ऑनलाइन रिकॉर्डिंग के लिए प्लेटफार्म निर्मित + +टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया दर्ज करता है। ऑडिट प्रक्रिया को + +() सुचारु बनाता है ताकि ऑडिट जांच स्थानीय ऑडिट रिपोर्ट , +टिप्पणी के मसौदे , पैरा के मसौदे इत्यादि का जवाब ऑनलाइन +दिया जा सके + +TC) ऑडिट टिप्पणियों के समापन की निगरानी करता है + +C) विश्लेषण और निर्णय करने में सहायता के लिए विभिन्‍न रिपोर्टों और +ग्राफों को तैयार करता है + + + + + +रेखाचित्र 7 : ऑनलाइन ऑडिट + +से ई-ग्रामस्वताज का एकीकरण सफल रहा है। इसके बाद मंत्रालय +पंचायतों के लिये सरकारी ई-बाजार से जुड़े प्लेटफॉर्म के विकास के +लिये काम कर रहा है। इससे पंचायतें जमीनी स्तर पर जरूरतों को +पूरा करने के लिये विक्रेताओं और सेवा प्रदाताओं से विभिन्‍न प्रकार +की सेवाएं प्राप्त कर सकेंगी। + +मंत्रालय ने पिछले कुछ वर्षों में एकीकृत प्रणालियों को +सफलतापूर्वक स्थापित किया है। इससे पंचायती राज संस्थाओं में +पारदर्शिता और जवाबदेही आयी है। ई-ग्रामस्वराज से संबंधित आम +मुद्दों के समाधान के लिये एक चैटबॉट विकसित किया जा रहा है। + +कोविड 19 के बाद के समय में मजबूत शासन प्रणालियों की + +तौर पर समझा गया है। ग्राम पंचायतें निचले स्तर पर भरोसेमंद डाटा +एकत्र करने के लिये विशिष्ट स्थिति में हैं। इसलिये ग्राम पंचायतों +की क्षमता का उपयोग आवश्यक है। ई-पग्रामस्वराज जैसे प्लेटफॉर्म +ग्रामीण क्षेत्र में डाटा संग्रह और शासन के ढांचे को मजबूत कर +सकते हैं। ई-ग्रामस्वराज अन्य मंत्रालयों और विभागों की योजनाओं से +लाभार्थियों की सूचियों की साझेदारी के लिये उन्हें एक जगह लाने +का मंच बन सकता है। उपरोक्त हस्तक्षेपों से देश के स्थानीय शासन +का ढांचा सुदृढ़ होगा और पंचायत कर्मियों का प्रौद्योगिकीय कौशल +FSM SAH परिणामस्वरूप पंचायती राज संस्थाओं की कार्यकुशलता +और प्रभावशीलता सुधरेगी और भारत आने वाले वर्षों में आत्मनिर्भर + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +उपयोगिता और डाटा संग्रह और प्रबंधन की भूमिका को व्यापक बनने का लक्ष्य हासिल कर सकेगा। | +प्रकाशन विभाग के विक्रय केंद्र + +नई दिल्‍ली [| पुस्तक दीर्घा, सूचना भवन, सीजीओ कॉम्प्लेक्स, लोधी रोड 110003 | 011-24367260 +नवी मुंबई 701, सी- विंग, सातवीं मंजिल, केंद्रीय सदन, बेलापुर 400614 | 022-27570686 +कोलकाता |8, एसप्लानेड ईस्ट 700069 | 033-22488030 +चेन्नई *ए! विंग, राजाजी भवन, बसंत नगर 600090 | 044-24917673 +तिरुअनंतपुरम | प्रेस रोड, नयी गवर्नमेंट प्रेस के निकट 695001 | 0471-2330650 +हेदराबाद कमय सं. 204, दूसय तल, सीजीओ टावर, कवाडीगुड़ा, सिकंदराबाद | 500080 | 040-27535383 +बेंगलुरु फर्स्ट फ्लोर, 'एफ' विंग, केंद्रीय सदन, कोरामंगला 560034 | 080-25537244 +पटना बिहार राज्य कोऑपरेटिव बैंक भवन, अशोक राजपथ 800004 | 0612-2675823 +लखनऊ हॉल सं-1, दूसरा तल, केंद्रीय भवन, क्षेत्र-एच, अलीगंज 226024 | 0522-2325455 +अहमदाबाद | 4-सी, नेप्चून टॉवर, चौथी मंजिल, नेहरू ब्रिज कॉर्नर, आश्रम रोड. | 380009 | 079-26588669 +गुवाहाटी असम खाड़ी एवं ग्रामीण उद्योग बोर्ड, भूतल, एमआरडी रोड, चांदमारी | 781003 | 0361.2668237 +52 योजना, नवम्बर 2021 + + + +0053.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +apy} The Officer’s Academy + +Our wishes, Education to All + + + +Exclusive for BPSC & Other PCS Exam + +PT | MAINS | OPTIONAL | INTERVIEW + +BPSC 67th/68th &.7! + +* शिक्षकों की अनुभवी एवं बेहतरीन टीम ++ 511 घंटे से ज्यादा की क्लास + +* विशेष मेंटरशिप बैच (Success - 60} + +* बिहार स्पेशल एवं 1) की विशेष क्लास +* डिजिटल और इंटरएक्टिव क्लासरूम + + + + + + + +सामान्य अध्ययन + + + + + +* भूगोल +*LSW + +वैकल्पिक विषय कोर्स G0 TEST ८; ++ इतिहास *?७.09. | [FOr G7" 8780 | + + + + + +हिन्दी एवं अंग्रेजी माध्यम हेत्‌ू अलग-अलग बैच की सुविधा + + + + + + + + + +1.0 ;- 2M/23 , Opp Krishna Apt. Boring Road, Patna - 800001 87856956809 +का . स्टोर थे डाउनलोड nibfis- hips: /Aheoticersacademy A] 952 3986201 + + + + + + + + + +योजना, नवम्बर 2021 + +53 + +YH-1683/2021 + + + +0054.txt +<----------------------------------------------------------------------> +लोगों की योजना + +इलोकार्थ त्रिवेदी + +पंचायती राज संस्थान ग्रामीण स्तर पर लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण के प्रमुख माध्यम हैं और ग्रामीण विकास +तथा शक्तियों के विकेन्द्रीकरण का महत्वपूर्ण तंत्र उपलब्ध कराते हैं। ग्रामीण विकास की प्रक्रिया असल में +विभिन्‍न भौतिक, प्रौद्योगिकीय, आर्थिक, सामाजिक-सांस्कृतिक और संस्थागत कारकों का ही परिणाम होती +है। यह भी देखा गया है कि विभिन्‍न राज्यों में विकेन्द्रीकरण की प्रक्रिया परस्पर भिन्‍न है। + +चायती राज प्रणाली लम्बी विकास प्रक्रिया से अस्तित्व +ca: आई है और सही अर्थों में भारत के विकेंद्रित + +लोकतंत्र का दर्पण है। पंचायती राज संस्थाओं को +स्व-शासन संस्थान के रूप में देखा जा सकता है जिनके माध्यम +से योजना बनाने की प्रक्रिया और विकास कार्यो में लोगों की +सक्रिय भागीदारी प्राप्त की जा सकती है। ग्रामीण लोगों के +आर्थिक-सामाजिक कल्याण को सुधारने के उद्देश्य से ग्रामीण क्षेत्रों +का विकास वास्तव में बहु-आयामी और व्यापक अवधारणा है +जिसके अंतर्गत कृषि और अन्य संबद्ध गतिविश्चियों का विकास तथा +सामाजिक-आर्थिक अवस्थापना, सामुदायिक सेवाओं और सुविधाओं +का विकास और इन सबसे बढ़कर ग्रामीण क्षेत्र में मानव संसाधनों + +हैं जीपीडीपी निर्माण योजना + +का विकास किया जाता है। विभिन्‍न राज्यों में विकेन्द्रीकरण की +प्रक्रिया में काफी भिन्‍नता है। पंचायती राज मंत्रालय मिशन अंत्योदय +सर्वे का लाभ प्राप्त करने और योजना निर्माण की प्रक्रिया में +महत्वपूर्ण खामियों का पता लगाने के कार्य में ग्रामीण मंत्रालय के +सहयोग से काम करता है। + +पंचायती राज मंत्रालय ने “सबकी योजना सबका विकास +अभियान के अंतर्गत लोगों की पहली योजना इसी वर्ष 2 अक्तूबर +से शुरू की जो 31 जनवरी, 2022 तक चलेगी। अभियान का +वास्तविक उद्देश्य ऐसी समेकित एकल योजना तैयार करना है जिसमें +स्थानीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर ग्यारहवीं अनुसूची में +शामिल सभी 29 क्षेत्रों को समाहित किया जाए जिन्हें पंचायतों + +पंचायती राज मंत्रालय राज्य स्तर पर पीपीसी का समन्वय करता है। पंचायती राज विभाग समयबद्ध +तरीके से निम्नलिखित गतिविधियां लागू करने की समीक्षा करेगा + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +लाइन विभागों का समन्वय + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +लोगों योजना विकास [em ens +लोगों की योजना अभियान प्राथमिकताएं औ' योजना स्वीकृति के लिए +—~ fasta oma aT = प्राथमिकताएं और — +की शुरुआत (2 अक्टूबर ) परियोजनाकरण | ग्राम सभा +परिवेश निर्माण प्रक्रिया निर्धारित दिन को जीडीपी at अपलोड के +स्थिति विश्लेषण के लिए विशेष ग्राम सभा लिए अनिवार्य +सुविधा प्रदाता ( फैसिलिटेटर ) को सुविधाएं प्रदान करना +नियुक्ति मिशन अंत्योदय सर्वे जांच/ +पुष्टि | +गतिविधियों के खर्च | गतिविधियां —| means — | | ग्राम स्वराज ऐप में +की रिपोर्ट लागू करना योजना स्वीकृति गतिविधियों का निर्माण + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +चित्र / : जीपीडीपी निर्माण चक्र + + + +लेखक पंचायती राज मंत्रालय में सलाहकार हैं। ईमेल; कगत्का-रए०तांदेह०ए०णा।बलंगजा + +54 + +योजना, नवम्बर 2021 + + + +0055.txt +<----------------------------------------------------------------------> +अंतःक्षेप + +सामुदायिक लामबंदी एसडीजी 2.0 ( भूख ) + +_ पेड +=_y += ° +_ yf + +आशंकाएं कम करना + +साक्ष्य आधारित नियोजन + +गैप रिपोर्ट का उपयोग : संकट बाले क्षेत्रों में गैप +रिपोर्ट के आधार पर विकास का आंकलन करके + +साक्ष्य आधारित नियोजन + +* डेटा का इस्तेमाल : विश्लेषण को सरल बनाने +के लिए पंचायत डिसीजन सपोर्ट सिस्टम और +प्लानिंग एंड रिपोर्टिंग डैशबोर्ड विकसित किए + +गए हैं। + +i + +मदद करें। + +स्व-सहायता समूह और सामुवायिक एकजुटता + +वीवीआरपी पर अनिवार्य रूप से चर्चा होगी। +सामाजिक विकास बढ़ाने में स्व-सहायता समूह + + + +* लक्षित उपस्थिति 810 प्रतिशत + +समग्र विकास + +स्थायी विकास लक्ष्य + +स्व-सहायता समूह इस वर्ष के सभी योजना लक्ष्य +तय करेंगे। + +भुखमरी जड़ से मिटाने के लक्ष्य पर जोर। + +ग्राम पंचायत की योजना में कम से कम एक +संकल्प शामिल करना अनिवार्य + +समग्र योजना + +योजना में मात्र 3 या 4 क्षेत्र शामिल करना +पर्याप्त नहीं। + +कन्वर्जेन्स : केंद्र और राज्य स्तर की सभी +योजनाएं संसाधन कवरेज के तहत लाना। + +चित्र 2 : जीपीडीपी में सुधार को लिए फ्चायती राज मंत्रालय की कार्य योजना (अत:क्षेप) + +को सौंपा जाना है और इनमें अंतिम लक्ष्य के रूप में अन्य संबद्ध + +आर्थिक आयाम: गरीबी दूर करना और रोजगार के नए + +विभागों द्वारा चलाई जाने वाली विभिन्‍न अन्य स्कीमें और कार्यक्रम अवसर जुटाना। गरीबों और कम आय वाले परिवारों की भागीदारी + +भी शामिल किए जाएं। 2018 के बाद से 91 +प्रतिशत से ज्यादा पंचायतों ने आने वाले वर्ष +के लिए अपनी-अपनी ग्राम पंचायत विकास +योजनाएं सफलतापूर्वक बनाई हैं। पंचायती +राज मंत्रालय ने 95 प्रतिशत ग्राम पंचायतों में +ग्राम पंचायत विकास योजनाएं तैयार करके +रिकॉर्ड स्थापित किया है। + +इस अभियान के दौरान स्थानीय क्षेत्र +योजना को सशक्त बनाया गया है और अगले +वित्त वर्ष यानी 2022-23 की ग्राम पंचायत +विकास योजना तैयार करने के लिए गांवों के +स्तर पर ग्राम सभा बैठकें आयोजित की गई +हैं। पंचायती राज संस्थाओं तथा अन्य संबद्ध +सरकारी विभागों में समन्वय रखकर ग्राम स्तर +पर योजना बनाना जबरदस्त चुनौतीपूर्ण कार्य +है। अभियान में सक्रिय रूप से सहयोग करने +वाले कुछ प्रमुख विभाग हैं- ग्रामीण विकास +विभाग, शिक्षा विभाग, पेयजल और स्वच्छता +विभाग, स्वास्थ्य विभाग और कृषि विभाग। + +इन योजनाओं में सभी आर्थिक, +सामाजिक और भौतिक मानदंड कवर किए +जाएंगे और उनका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र में +सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन से क्रांति लाना +रहेगा। जीपीडीपी योजना प्रक्रिया का लक्ष्य +भारत के तीन परस्पर जुडे आयामों की +विकास संबंधी चुनौतियों से निपटना है। + +योजना, नवम्बर 2021 + +इस अभियान से 31 लाख +निर्वाच्चित पंचायत नेताओं और +स्वसहायता समूहों से जुड़ी 5.25 +करोड़ महिलाओं को दीनदयाल +अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण +आजीविका मिशन के तहत सशक्त +भूमिका सौंपी गई है। गांवों में +लगाए जाने वाले सार्वजनिक सूचना +बोर्डों के माध्यम से ग्राम पंचायतों +को विभिन्‍न योजनाओं के तहत +मिलने वाले फंडों के इस्तेमाल को +पारदर्शी बनाया जा सकेगा। मिशन +अंत्योदय की तरह ही सामाजिक +और आर्थिक विकास के आधार +पर ग्राम पंचायतों को दी जाने +वाली रैंकिंग से गांव और ग्राम +पंचायत स्तर पर रह जाने वाली +खामियों का पता लगाने में मदद +मिलेगी तथा जीपीडीपी के लिए +तथ्यों पर आधारित योजना बनाकर +उसे क्रियान्वित किया जा सकेगा। + +सुनिश्चित करने के लिए क्षमता और अवसर +उपलब्ध कराना ताकि देश में चल रही +आर्थिक विकास प्रक्रिया का लाभ प्राप्त +कर सकें। + +सामाजिक आयाम: कम आय वाले +परिवारों और वंचित वर्गों का सामाजिक +विकास, सामाजिक संकेतकों को ध्यान में +रखते हुए अक्षमताएं दूर करना, स्त्री-पुरुष +समानता को बढ़ावा देना और महिला +सशकक्‍्तीकरण पर जोर देना तथा कमजोर वर्गों +के लिए सुरक्षा व्यवस्था मुहैया कराना। + +राजनीतिक आयाम: अनुसूचित क्षेत्रों +में महिलाओं और अनुसूचित जाति एवं +अनुसूचित जनजाति समुदायों सहित गरीबों +और कम आय वाले सभी परिवारों को ग्राम +स्तर पर और उससे आगे भी समान रूप +से भाग लेने के अवसर उपलब्ध कराना। +इस अभियान से 31 लाख निर्वाचित पंचायत +नेताओं और स्वसहायता समूहों से जुड़ी 5.25 +करोड महिलाओं को दीनदयाल अंत्योदय +योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के +तहत सशक्त भूमिका सौंपी गई है। गांवों में +लगाए जाने वाले सार्वजनिक सूचना बोर्डों +के माध्यम से ग्राम पंचायतों को विभिन्‍न +योजनाओं के तहत मिलने वाले फडों के +इस्तेमाल को पारदर्शी बनाया जा सकेगा। + +55 + + + +0056.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + +कुल जीपीडीपी: 240922 + + + + + + + +गतिविधियों की कुल संख्या : 4366591 + + + +क्षेत्रवार गतिविधि आबंटन + +Boor +oa + +ह॥ बाजारों ओर मेलों का +MB सार्वजनिक वितरण प्रणाली +Mosc + +Howitt tage + +हल ग्रामोण आवास + +हर साफ-सफाई (सेतीटेशन) +है सार्वजनिक वानिको + +हा समाज कल्याण + + + +a 23 F + + + + + + + +गतिविधियों की कुल संख्या : 88 | + + + + + +कुल जीपीडीपी:1 + + + +क्षेत्रवार गतिविधि-वितरण + +हक प्रशासनिक ओर तकनीकी +समर्थन + +Bi sf + +Boo + +को शिक्षा + +Bost कार्यालय ढांचा + +हा सड़क + +हब ग्रामीण विद्युरीकण +हज साफ सफाई + +हज तकनीकी प्रशिक्षण +हर समाज कल्याण + + + + + +चित्र 3 : देशभर में गतिविधि आबंटन की विश्लेषणात्यक रिपोर्ट + +मिशन अंत्योदय की तरह ही सामाजिक और आर्थिक विकास के +आधार पर ग्राम पंचायतों को दी जाने वाली रैंकिंग से गांव और ग्राम +पंचायत स्तर पर रह जाने वाली खामियों का पता लगाने में मदद +मिलेगी तथा जीपीडीपी के लिए तथ्यों पर आधारित योजना बनाकर +उसे क्रियान्वित किया जा सकेगा। + +भारत की ग्रामीण आबादी के उत्थान में मदद के लिए +पंचायतों को अनिवार्य रूप से किसी एक विकास लक्ष्य को +अपना “संकल्प' बनाना होगा जिससे विकास गतिविश्नियां उस +लक्ष्य की पूर्ति को ध्यान में रखकर चलाई जाएं। जीपीडीपी में +गांवों की गरीबी दूर करने वाली योजना वीपीआरपी को शामिल +करना भी अनिवार्य बना दिया गया है। वीपीआरपी असल में ग्राम +विकास कार्यक्रम का अभिन्‍न अंग है जिसके तहत गरीबी दूर +करने से जुडी समस्याओं को निपटाया जाता है। इन समस्याओं +का पता स्व-सहायता समूह लगाते हैं जिन पर बाद में ग्राम सभा +में चर्चा की जाती है। सभी ग्राम पंचायतों को अनिवार्य रूप से +इस अभियान की अवधि में ग्राम सभा की दो बैठकें करानी होती +हैं। ग्राम पंचायतों से कहा जाता है कि लोगों को ग्राम सभा की +बैठकों में शामिल होने के वास्ते प्रेरित करने के लिए वे सोशल +और प्रिंट मीडिया का भरपूर इस्तेमाल करें। ग्राम सभा की बैठकों +के लिए न्यूनतम 10 प्रतिशत सदस्यों की उपस्थिति का अनिवार्य +कोरम तय किया गया है। + +स्थायी विकास के लिए आंकड़ों पर आधारित पहल के जरिये +जीआईएस-आधारित एप्लीकेशन “ग्राम मानचित्र' को सभी ग्राम +पंचायतों ने अपनाया है। ई-ग्राम स्वराज (ई-ग्राम स्वराज) को +सक्रिय करके परिसंपत्तियों की जियो-टेगिंग अनिवार्य बना दी गई है। + +राज्यों, जिलों, खंडों और ग्राम पचायतों में योजना बनाने की +स्थिति के विश्लेषण के लिए पंचायत को अनेक संसाधन मुहैया +कराए गए हैं। इन संसाधनों की मदद से पंचायती राज संस्थान ग्राम +पंचायतों द्वारा चलाई जा रही सभी गतिविधियों पर समग्र रूप से +नजर रख सकेंगे। + +56 + + + + + +संसाधन कोष में कुल फंड : 27 607 ,243 रु, +संसाधन कोष में कुल फंड : जमा 22761 + + + + + +संसाधन कोष-योजना बार +ह चोधा राज्य वित्त आयोग + +हैक ,रोत्साहन अनुदान (पश्चिम +बंगाल) + +हक महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार +गारंटी योजना (मनरेगा) + +हा निजी फड +हि राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान + +BB पंद्रहरवां वित्त आयोग + + + + + + + + + +चित्र 4 : पश्चिम बंगाल जीपीडीपी नयूना + +पश्चिम बंगाल के गांव की ग्राम विकास पंचायत योजना +(जीपीडीपी) का नमूना चित्र-4 में देखा जा सकता है। इस +ग्राम पंचायत ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए सड॒क, स्वच्छता, +प्रशासनिक समर्थन और पेयजल जैसी 83 गतिविधियां और जोड़ी +हैं। इस ग्राम पंचायत को संसाधन सहायता के रूप में 2.76 करोड +रुपये उपलब्ध कराए गए हैं जिसमें केंद्र सरकार की योजनाओं और +अन्य कोषों से मिलने वाली सहायता राशि भी शामिल है। + +पंचायती राज मंत्रालय ने सभी केंद्रीय और राज्य स्तर की +योजनाओं को शामिल करके समग्र योजना सुनिश्चित करने के +उद्देश्य से ग्राम पंचायतों को वर्षभर में सभी स्रोतों से मिलने वाली +सहायता राशि जोड़ना अनिवार्य कर दिया है। + +राष्ट्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज संस्थान भी पंचायती +राज संस्थानों को क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण समर्थन देने में सहयोग +कर रहा है। डेटा का उपयोग करने और योजनाओं के समन्वयन को +ध्यान में रखते हुए नोडल अधिकारियों और फेसिलिटेटर्स (सुविधा +प्रदाता) के प्रशिक्षण को बढ़ावा दिया जा रहा है। हा + +योजना, नवम्बर 2021 + + + +0057.txt +<----------------------------------------------------------------------> +India's Top Potential Training Institute for IAS + +SINCE-1989 +RA erg rl ty + + + +AT A GLANCE + +Heartiest Congratulations srsesssuit-tez + +Our achievers + + + +To all selected candidates in the CSE - 2020 368 + +We are proud to 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CSE - 2020 + + + + + +28 38) 847 .2॥॥ fo + +JAGRATI AWASTHI ANKITA JAIN —JIVANI KARTIKNAGJIBHAL += APALA MISHRA SATYAM GANDHI + + + + + + + + + + + + + + + + + +GAURAV BUDANIA RIA DABI + +ay + +VAISHALI JAIN SADAF CHOUDHARY VAIBHAV RAWAT PULKIT SINGH DIVYA MISHRA = PRAKHARK. SINGH DIVYANSHU CHOUDHARY © JAGAT SAI + +a, AIR A छत 9 ® [AR 2] AIR AIR cn AIR +anh 00 [37 = [38 we Md a7 + +NARAYANA SARMAVS$ SIMRANDEEP SINGH JM, AVINASH VK. NARWADE VARUNAAGRAWAL DIVYANSHU NIGAM VINAYAKCHAMADIA ABHISHEK SHUKLA + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +Details of our other UPSC Toppers 2020 will be updated soon on our website www. vajiraoinstitute.com..., +ADMISSION OPEN + +For Registration : +www. vajiraoinstitute.com + + + + + + + +Commencing from : Commencing from : + +15 Nov. & 25 Nov. 2021 15 November 2021 + + + + + +Salient Features + +Each part of General Studies covered in continuous classes. + +Facility to every students revise offline classes on Vajirao learning app. +Maximum opportunity for students to interact with the faculty. +Exclusive Study material (Notes, Booklet & CurrentAffairs Series) +Mains Exam Test Series questions according with UPSC pattern with +through coverage of the entire syllabus, detailed model answers. + +* Hostel facility available. + +Senior Expertfaculty. + +Subject wise Test. + +Dedicated CurrentAffairs classes. +E-library for every student. + +Test strictly based on UPSC 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स्वर्ण जयंती +ग्राम स्वराज योजना ( एसजीएसवाई ) का पुनर्गठन कर वित्त वर्ष 2010-11 में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका +मिशन-नेशनल रूरल लाइवलीहुड मिशन ( एनआरएलएम ) शुरू किया। + +we semua विविधतापूर्ण कृषि पारिस्थितिकी में विभिन्‍न + +UG से जुड़े गरीबों के लिये आवश्यकता आधारित +हस्तक्षेप को बढ़ावा देता है। यह महिला स्वयं सहायता + +समूहों (एसएचजी) की भागीदारी और नेतृत्व के जरिये विस्तार +सेवाओं के एक संवहनीय मॉडल के विकास की संभावना को व्यापक +बनाता है। एनआरएलएम का यह समावेशी दृष्टिकोण पश्चिम बंगाल +में निर्धन परिवारों की संगठन शक्ति, पारंपरिक बुद्धिमता, कौशल और +कृषक समुदाय की पसंद के विभिन्‍न स्तरों पर सेवा प्रदाताओं के साथ +मेल के लिये रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। एसएचजी अपरिहार्य +संगठन शक्ति के साथ उभरे हैं। राज्य ने एनआरएलएम के लक्ष्य को +प्राप्त करने में अपनी सामाजिक पूंजी को बढ़ाने की संभावना का +समुचित उपयोग किया है। +कृषि और संबंधित क्षेत्रों में मौजूदा चुनौतियां + +पश्चिम बंगाल भौगोलिक विविधता और ग्रामीण समुदाय की +आजीविका के स्वरूप के लिहाज से विशिष्ट राज्य है। राज्य के +ज्यादातर किसान सीमांत कृषक हैं। वे अपने जीवन « केस i +निर्वाह के लिये कृषि से संबंधित अनेक गतिविधियों मे + +a += + +Rik ad tomes mR +(2017-18) में कई ऐसे मुद्दों का जिक्र किया & +गया है जो आजीविका के अवसरों के लिये समुदाय हू +आधारित हस्तक्षेप की पृष्ठभूमि के तौर पर काफी जै' +प्रासंगिक हैं। छोटे और सीमांत किसानों की बढ़ती +संख्या तथा जमीन का घटता आकार एक प्रमुख +मुद्दा है। उर्वरक के इस्तेमाल में असंतुलन, सघन #ई +खेती तथा बीजों और पौधों की गुणवत्ता में कमी ८ +जैसे कारणों का जमीन की उर्वरता और उत्पादकता. * +पर विपरीत प्रभाव पड़ा है। इन वजहों से मवेशियों <.... +पर निर्भरता बढ़ी है। मवेशियों और पक्षियों (पोल्ट्री) + + + + + + +_ चेक wets +a toto >> eee vg es + +की उत्पादकता बढ़ाना एक बड़ी चुनौती है। बड़ी संख्या में जलाशय +अकुशल प्रबंधन और कम उत्पादन की समस्याओं से प्रभावित हें। +खेती की लागत बढ़ने के साथ ही उसमें श्रम की जरूरत भी घट रही +है। लिहाजा, बड़ी संख्या में ग्रामीण युवा खेती से राज्य के अंदर या +बाहर ज्यादा लाभकारी गैर-कृषि रोजगारों की ओर पलायन कर रहे हैं। + +राज्य में मौजूदा स्थिति में कृषक परिवारों की महिलाओं को +उत्पादन प्रणाली में प्राथमिकता मिल रही है। परिवारों के पुरुष ज्यादा +फायदेमंद रोजगार की तलाश में गांव से पलायन कर चुके हैं। दूसरी +ओर एसएचजी के जरिये सूक्ष्म ऋण प्रणाली तक महिलाओं की पहुंच +बढ़ी है। पश्चिम बंगाल सही मायनों में भूमिहीन या सीमांत कृषक +परिवारों के बड़े तबके को संगठित करना शुरू करने की स्थिति +में है। राज्य में मानव शक्ति और अप्रयुक्त प्राकृतिक संसाधनों के +लिहाज से अपार संभावनाएं मौजूद हैं। मौजूदा समस्याओं से निपटने +के लिये विस्तार की पारंपरिक प्रणाली पर निर्भर रहना उचित नहीं +होगा। इसके बजाय आधुनिक ज्ञान तक पहुंच बढ़ाने और संसाधनों + +ou ae a eh Pra tt + + + + + +; eT S +चित्र 1 : वर्षा आश्रय (रेन शेल्टर) बनाने का प्रशिक्षण + + + + + +लेखिका बी आर अंबेडकर इंस्टीट्यूट ऑफ पंचायत एंड रूरल डेवलपमेंट, पश्चिम बंगाल की सीनियर फैकल्टी मेंबर हैं। ईमेल; डप्श्नापाबबरणाणावापराए39178छोश्लाक्षो,०णा + +योजना, नवम्बर 2021 + +59 + + + +0060.txt +<----------------------------------------------------------------------> +के बेहतर प्रबंधन के लिये एसएचजी समुदाय और सेवा प्रदाताओं +की क्षमता का विकास आवश्यक है। इस उद्देश्य से आनंदधारा-वेस्ट +बंगाल स्टेट रूरल लाइवलीहुड मिशन (डब्ल्यूबीएसआरएलएम) ने +बीआर अंबेडकर इंस्टीट्यूट ऑफ पंचायत एंड रूरल डेवलपमेंट +(बीआरएआईपीआरडी ) के साथ मिल कर प्रभावी मॉडल की तलाश +शुरू की है। बीआरएआईपीआरडी को पहले एसआईपीआरडी के नाम +से जाना जाता था और उसने मॉडल की डिजाइनिंग और संसाधन +समूह के क्षमता विकास में अग्रणी भूमिका निभायी है। सहयोग की +यह भावना निर्धन कृषक परिवारों तक पहुंचने के लिये व्यवस्था की +क्षमता के निर्माण तथा पारंपरिक बुद्धिमता, नवोन्मेष और समुचित +प्रौद्योगेकियों के तार्किक उपयोग के बीच संबंध स्थापित करने के +सिद्धांत पर आधारित थी। + +समुदाय प्रबंधित संवहनीय कृषि विस्तार मॉडल +आनंदधारा के तहत 2015 में समुदाय प्रबंधित संवहनीय + +कृषि-कम्युनिटी मैनेज्ड सस्टेनेबल एग्रीकल्चर (सीएमएसए) की +शुरुआत की गयी। इसका मकसद कृषि आधारित आजीविकाओं में +सुधार लाकर निर्धन कृषक समुदाय की विशिष्ट जरूरतों को पूरा +करना है। इस पहल में समुदाय यानी एसएचजी को प्रोत्साहन और +समर्थन दिया जा रहा है। एनआरएलएम के अंतर्गत ग्रामीण पश्चिम +बंगाल में एसएचजी को खेती और कृषि आधारित आजीविका परिदृश्य +में प्रमुख हितधारकों और परिवर्तनकर्ताओं के रूप में बढ़ावा दिया जा +रहा है। पश्चिम बंगाल में सीएमएसए भागीदारी के उपाय के जरिये +अपने उद्देश्य को पूरा करने में कुछ खास सिद्धांतों का पालन करता +है। सीएमएसए की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं- + +* ग्राम पंचायत स्तर पर एसएचजी को संवहनीय प्रक्रिया के प्रसार, +संसाधन प्रबंधन और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण में समुदाय प्रबंधित +विस्तार प्रणाली के प्रमुख हितधारक का दर्जा दिया गया है। + +* प्रणाली में सुधार के लिये ज्ञान के आदान-प्रदान और कौशल के +हस्तांतरण को सभी गतिविधियों में मुख्य सिद्धांत माना गया हे। + +* सहूलियत के मकसद से प्रशिक्षित सामुदायिक ज्ञानसाधन +कर्मियों-कम्युनिटी रिसोर्स पर्सस (सीआरपी) के एक दल को +निर्धारित समय के लिये एसएचजी से संबद्ध किया जाता है। + +* अलग-अलग कृषि जलवायु क्षेत्र में इन एसएचजी के साथ +प्रक्रिया को सुगम बनाने में सक्षम सीआरपी के क्षमता निर्माण +के कदम उठाये जाते हैं। + +* पर्यावरण के अनुकूल और किफायती +प्रौद्योगिकी अपना कर तथा अप्रयुक्त +प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग से उत्पादन + +आनंदधारा के तहत 2015 +में समुदाय प्रबंधित संवहनीय + + + +res वि +ae ae +ys a +7 sf ar +d Be. a : + +छायाचित्र 2 : परिवारों को साथ काम करते ज्ञानसाधन कर्मी + +रहा है। टीम का नेतृत्व किसी वरिष्ठ सीआरपी के हाथों में होता +है। टीम को एक एसएचजी के सुपुर्द किया जाता है। एसएचजी +ही टीम के कामकाज की व्यवस्था और गांवों में उसके रहने का +इंतजाम करता है। टीम के कामकाज के क्षेत्र की पहचान करने का +दायित्व भी एसएचजी का ही है। वह उन परिवारों का चयन भी +करता है जिनके साथ टीम साल भर बिना किसी रुकावट के हर माह +कम-से-कम 15 दिनों तक काम करेगी। टीम के हर सदस्य के लिये +लगभग 150 परिवारों की पहचान की जाती है। सीआरपी ग्रामीण और +खास कर उन परिवारों से जान-पहचान बनाना शुरू करते हैं जिनके +साथ उन्हें अगले साल भर काम करना है। वे ग्रामीणों से आजीविका +से संबंधित सूचनाएं एकत्र कर हर परिवार के लिये ऐसी योजना +तैयार करते हैं जिसमें पुरुषों के साथ ही महिलाओं की भी भागीदारी +हो। योजना में सिर्फ परिवारों की कृषि आधारित गतिविधियों को +शामिल किया जाता है। सीआरपी फसल और भूमि पोषक प्रबंधन, +गैर-कीटनाशक प्रबंधन, प्रणाली दृष्टिकोण जैसे चिह्नित हस्तक्षेपों +में परिवार के प्रशिक्षण की योजना बनाते हैं। हरेक सीआरपी को +15 दिन के हर चक्र की समाप्ति के बाद पूरा हो चुके कार्यों के +बारे में रिपोर्ट एसएचजी को सौंपनी होती है। एसएचजी के साथ +विचार-विमर्श से टीम एक मौसम आधारित योजना तैयार करती है। +एसएचजी सदस्यों की मौसमी आजीविका योजना के आधार पर ऋण +की योजना बनायी जाती है। टीम विभिन्‍न सरकारी सहायता योजनाओं +में तालमेल के लिये संबंधित विभागों के साथ काम करती है। +सीएमएसए टीम को आम तौर पर किसी खास +प्रखंड में तीन वर्षों के लिये तैनात किया जाता +है। इस समय में वह 2500 से 3000 परिवारों + +mr a ean aan os te mat fie wean So at +*» संबंधित विभागों और शोध संस्थानों से एग्रीकल्चर ( सीएमएसए ) की प्रगतिशील महिला किसानों (पीएमके) की + +इनपुट और सेवाओं के मेल को उच्च +प्राथमिकता दी जा रही है। + +शुरुआत की गयी। इसका मकसद +कृषि आधारित आजीविकाओं में +जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन में अपनायी जा सुधार लाकर निर्धन कृषक समुदाय + +पहचान करती है जो उसके लौटने के बाद +अपने क्षेत्र की सेवा करने में सक्षम हों। +इस तरह एसएचजी आजीविका सामुदायिक + +रही कार्यप्रणाली की विशिष्ट जरूरतों को पूरा. कार्यकर्ता समूहों को विकसित करते हैं। राज्य +पश्चिम बंगाल में सीएमएसए को करना है। में सीएमएसए की मौजूदा स्थिति को तालिका + +सीआरपी की टीमों के जरिये लागू किया जा + +60 + +1 में दर्शाया गया है- + +योजना, नवम्बर 2021 + + + +0061.txt +<----------------------------------------------------------------------> +तालिका-1 + + + + + + + + + + + +सीआरपी की | प्रगतिशील महिला किसानों | 2015 से +कुल संख्या | समेत 2015 से विकसित | कवर किये +सामुदायिक कार्यकर्ताओं की | गये प्रखंडों +कुल संख्या की संख्या +598 7163 128 + + + + + +तालिका से पता चलता है कि विस्तार मॉडल में काफी बड़ी +संख्या में सीआरपी शामिल हैं। यह मॉडल महीने में कम-से-कम 15 +दिनों के लिये सफलतापूर्वक रोजुगार पैदा कर सकता है। इन सीआरपी +में से 53 वरिष्ठ सदस्यों को प्रखंडों में तैनात टीमों का नेतृत्व सौंपा +गया है। इन 53 वरिष्ठ सीआरपी में से 24 को दो प्रखंडों में टीम का +नेतृत्व दिया गया है। कुल सीआरपी में 70 प्रतिशत से ज्यादा महिलाएं +हैं। सीआरपी की टीम प्रशिक्षुओं के बीच से पीएमके के एक समूह +की पहचान करती है। इस समूह को समूचे साल लगातार सहायता दी +जाती है। तालिका से पता चलता है कि ऐसी 7163 पीएमके सीआरपी +टीम के जाने के बाद भी एसएचजी को सहायता प्रदान कर रही हैं। + +क्षेत्रीय स्तर पर जांच से परिवारों के कवरेज और आवश्यकता +आधारित प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल के लिहाज से +इस मॉडल के प्रभाव के स्तर का पता चलता +है। यह मॉडल कृषक परिवारों में पर्यावरण के +अनुकूल प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ाने में +सफल रहा है। राज्य के सभी कृषि जलवायु + +पाये गये हैं- + +* एसएचजी के शामिल होने से निर्धन +परिवारों की पहचान में आसानी होती है। +साथ ही कम समय में बड़ी संख्या में ऐसे +परिवारों तक पहुंच बनायी जा सकती है। + +* समुदाय के साथ 15 दिनों के लिये टीम +की मौजूदगी परिवारों की ताकत और अवसरों की पहचान तथा +किसी भी समय सेवाएं प्रदान करने में प्रभावी होती है। + + + +cu +Ty + +ALE ee ee +चित्र 4 : नकासीपाड़ा + +योजना, नवम्बर 2021 + + + + + +सामाजिक कवरेज + +ee + +अनुसूचित जाति :. + +गाय न 8 अनुसूचित जाति +थ अनुसूचित जनजाति +थ अल्पसंख्यक +* अल्पसंख्यक “ ma +o +1% अनुसूचित +जनजाति + +1% + + + + + +हर एसएचजी में एक साल गुजारने +के बाद सीआरपी टीम प्रगतिशील +महिला किसानों (पीएमके ) की +क्षेत्रों में निम्नलिखित अवलोकन आम तौर पर पहचान करती है जो उसके लौटने +के बाद अपने क्षेत्र की सेवा करने * +में सक्षम हों। इस तरह एसएचजी +आजीविका सामुदायिक कार्यकर्ता +समूहों को विकसित करते हैं। + + + +eae? senate =e +eae et a +डर की महिला किसान झिकू बीबी अपने एकीकृत खेत में + +चित्र 3 : परिवारों का वितरण-2016-19 को दोरशन सीएमएसए की पहलकदमियां + +* सीआरपी दल के सदस्य खुद भी किसान होते हैं। इसलिये +वे कृषि और संबंधित गतिविधियों से जुड़ी समस्याओं और +संभावनाओं को बेहतर ढंग से समझते हुए विस्तार कार्य में +प्रभावी साबित होते हैं। + +*» सीएमएसए में समूचे परिवार को +शामिल किये जाने से संवहनीय प्रक्रियाओं +और प्रौद्योगिकी के उपयोग के बारे में किसी +भी विचार-विमर्श में पुरुष और महिला, दोनों +सदस्यों की भागीदारी सुनिश्चित करने में +आसानी होती है। + +टीम समुदाय की जिन परंपराओं की + +पहचान करती है उनसे उसके सदस्यों के ज्ञान + +का भंडार समृद्ध होता है। + +सीआरपी टीम सदस्यों का नेटवर्क +किसानों के लाभ के लिये जैव-इनोकुलेंट, +मशरूम के बीजों और मछली के अंडों जैसे +महत्वपूर्ण कच्चे माल की आपूर्ति में मध्यस्थ की भूमिका निभा +सकता है। + +.. * किसानों को हर चरण में सीआरपी + +शक का साथ मिलने से तकनीकी विभागों, कृषि + +॥$ विज्ञान केंद्रों (केवीके ) और पंचायतों से सेवाएं + +Eien sk cen we साथ हासिल करना संभव + +oe + +“४४ किसानों की पसंद और उत्पादन पर प्रभाव + += सीआरपी और किसानों के साथ बातचीत + +से पता चलता है कि विभिन्‍न प्रौद्योगिकियों +pe और नयी फसलों की स्वीकार्यता में भिन्‍नता + +Pee है। कृषक परिवार उन सिद्धांतों, प्रौद्योगिकियों + +£ या फसलों को अपनाना चाहते हैं जिनसे श्रम + +: और कच्चे माल पर खर्च में कमी आये और + +म / परती जमीन से एक अतिरिक्त फसल ली जा + +5.1 सके। उनका झुकाव आसान तथा उत्पादन +बढ़ाने और फसल को नुकसान से बचाने वाली + +61 + + + +0062.txt +<----------------------------------------------------------------------> +वैसी प्रौद्योगिकियों और फसलों की ओर होता है +जिनसे घाटे में कमी आये और लाभ में इजाफा +हो। सीएमएसए के लक्ष्यों में ग्रामीण परिवारों +में पर्यावरण के अनुकूल प्रक्रियाओं को बढ़ावा +देना शामिल है। खेती के लिये ऑर्गेनिक पदार्थों +के इस्तेमाल की स्वीकार्यता के स्तर में काफी +अंतर है। खास तौर से फसल बचाव के उपायों +में रसायनों के इस्तेमाल में कमी काफी हद तक +संभव हुई है। सीआरपी जिन उपायों का प्रदर्शन ff +कर रहे हैं उनमें से गैर-कीटनाशक प्रबंधन-नॉन ॥ +पेस्टीसाइड्स मैनेजमेंट (एनपीएम) को कृषक +परिवारों ने प्राथमिकता दी है। + +सुधार की संभावना +जिन पहलुओं पर ज्यादा ध्यान देने की + +जरूरत हे वे हैं- + +* ओऑरर्गेनिक खेती के लिये जरूरी कच्चे माल की कम उपलब्धता +किसानों को पर्यावरण के अनुकूल तौरतरीकों को जारी रखने से +रोकती है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना +के तहत सामाजिक वानिकी कार्यक्रमों और बागवानी योजना में +जैव-कृषि के लिये उपयोगी पौधों को तरजीह दी जानी चाहिये। + +* पोलट्री चारा, पक्षियों और पशुओं का नियमित टीकाकरण, +मछलियों का भोजन, सरसों और दालों का प्रसंस्करण और +जलाशयों का अधिकतम उपयोग वे क्षेत्र हैं जिनमें सुधार की +जरूरत है। + +* एक साल का समय एसएचजी के तहत सभी परिवारों को बेहतर +परिणाम के वास्ते समुचित तौर-तरीके अपनाने और विभिन्‍न +तौर-तरीकों के साथ प्रयोग के लिये प्रोत्साहित करने के उद्देश्य +से अपर्याप्त है। + +* जेव-इनोकूलेंट, कृमि और अन्य उपयोगी सामग्रियों जैसे कच्चे +माल की आवश्यकता को देखते हुए सरकार को हस्तक्षेप करना +चाहिये। उसे खास तौर से केवीके की अवसंरचना का इस्तेमाल +करते हुए विकेंद्रित ढंग से बायो-प्रयोगशालाओं की स्थापना कर +इन सामग्रियों की उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिये। + +* कृषि और इससे संबंधित क्षेत्र में कच्चे माल के उत्पादन +और सेवा डिलीवरी में स्वरोजगार की व्यापक संभावना का +उपयोग किया जाना चाहिये। कुटीर उद्योगों की सही ढंग से +स्थापना कर उनके लिये समुचित वित्त प्रबंध किया जाये तो +उदीयमान क्षेत्रों में बडी संख्या में शिक्षित युवाओं को रोजगार +मिल सकता है। + +निष्कर्ष +विविधता और अलग-अलग जरूरतें हमारे देश में किसी भी + +विकास पहल के लिये चुनौती हैं। पिछले कुछ दशकों में सेवाओं के + +बेहतर प्रबंधन और प्रभावी डिलीवरी के लिये संस्थागत आधार को +मजबूत करने में समुदाय आधारित संस्थाओं को तरजीह दी गयी है। +परिवर्तन के लिये नवोन्मेष की समूची प्रक्रिया में सामुदायिक बुद्धिमता +को शामिल किया जा रहा है। सीएमएसए मॉडल को डिलीवरी के +अधोमुखी साधन के रूप में शुरू किया गया था। लेकिन यह निस्संदेह + +62 + + + +समुदाय की अपनी रणनीति के विकास की संभावना को व्यापक +बनाता है। इसमें ऋण की जरूरत को प्रशिक्षण और विस्तार से +जोड़ने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। देखना है कि क्‍या ये +एसएचजी भविष्य में इन सेवाओं को सदस्य परिवारों तक सीआरपी +और पीएमके की मदद से पहुंचाने के लिये एक आत्मनिर्भर राजस्व +मॉडल तैयार कर सकते हैं। पश्चिम बंगाल में सीएमएसए की सफलता +से जाहिर है कि कृषि और इससे संबंधित क्षेत्र में नयी पीढ़ी की +ग्रामीण विस्तार टीम को विकसित और मजबूत किया जाना चाहिये। +इससे संस्थाओं को सुदृढ़ बना कर और आजीविकाओं के विकास +के जरिये ग्रामीण निर्धनता घटाने के एनआरएलएम के व्यापक लक्ष्यों +को पूरा किया जा सकेगा। | + +धन्यवाद ज्ञापन +में सीआरपी टीमों तथा सीएमएसए की केन्रीय तकनीकी टीम के सदस्यों और + +डब्ल्यूबीएसआरएलएम-आनंदधारा को दल का आलेख में इस्तेमाल किये गये जरूरी + +वथ्यों और क्षेत्र स्तरीय सूचनाओं को मुहैया कराने को लिये धन्यवाद ज्ञापन करती हू। +संदर्भ + +lL गराई सुमन, गराई संचिता, मैती संजीत, मीणा ब्रजेंद्र, घोष एम एंड भकत, +aye एंड दत्त, तपन (2017)। इंपैक्ट ऑफ एक्सटेंशन इंटरवेंशंस इन +इंप्रूविंग लाइबलीहुड ऑफ डेयरी फार्मर्स ऑफ नादिया डिस्ट्रिक्ट ऑफ +वेस्ट बंगाल, इंडिया, ट्रॉपिकल एनिमल हेल्‍थ एंड प्रोडकशन। 49.10. +1007/एस11250.017.1244.5. + +2, मैती सुमन के (2021) चेंजेज एंड एफेक्ट्स ऑफ एग्रीकल्चर एक्सटेंशन +ऑन द एडप्टेशन ऑफ न्यू प्रैक्टिसेस बाई फार्मर्स: ए ज्योग्राफिकल स्टडी +ऑफ एगरा सबडिवीजन, पूर्व मेदिनीपुर, वेस्ट बंगाल, इंडिया, जेईटीआईआर +WRT, 2021, TY Sls, sth Uh! wwwéjetir.org (ISSN-2349-5162) + +3. मार्को फेरोनी एंड युआन झाऊ (2012), अचीवमेंट्स एंड चैलेंजेज इन +एग्रीकल्चर एक्टेंशन इन इंडिया, ग्लोबल जर्नल ऑफ इसमर्जिंग मार्केट +इकोनॉमीज 4(3) 319-346, इमर्जिंग मार्केट्स फोरम सेज पब्लिकेशंस +लॉस एंजेलिस, लंदन, न्यू देलही, सिंगापुर, वॉशिंगटन डीसी डीओआई: +10.1177/0974910112460435 http://eme.sagepub.com + +4, नाबार्ड, स्टेट फोकस पेपर, 2017-18 + +5. गॉय सव्यसाची (2020) आर्गेनिक एग्रीकल्चर इन इंडिया; ए क्रिटिकल +एनालिसिस, शोधगंगा, विश्व भारती विश्वविद्यालय कृषि विस्तार विभाग से +डाउनलोड, #1979:/0व1.1471116.16/10603/317210 + +6. सीएमएसए, बीआरएआईपीआरडी पर समीक्षा रिपोर्ट। + +योजना, नवम्बर 2021 + + + +0063.txt +<----------------------------------------------------------------------> +पत्रिकाओं की सदस्यता के संबंध में नोटिस + +कोविड-19 महामारी से उत्पन्न स्थितियों के कारण साधारण डाक से भेजी गई हमारी पत्रिकाओं की डिलिवरी न हो पाने से +संबंधित शिकायतें प्राप्त हो रही हैं। हमारे माननीय उपभोक्ताओं को योजना, कुरुक्षेत्र, बाल भारती और आजकल पत्रिका की +समय पर डिलिवरी सुनिश्चित करने के लिए यह निर्णय लिया गया है कि नए उपभोक्ताओं को साधारण डाक से पत्रिकाओं +का प्रेषण तत्काल प्रभाव से रोक दिया जाए। यह केवल नए उपभोक्ताओं के लिए लागू होगा तथा मौजूदा उपभोक्ताओं को +उनकी सदस्यता दरों के अनुसार पत्रिकाएं भेजी जाती रहेंगी। + +हमारी पत्रिकाओं के लिए नई सदस्यता दरें जिनमें रजिस्टर्ड डाक से पत्रिका भेजने का शुल्क भी शामिल है, निम्नलिखित हैं- + + + + + + + + + + + + + + + +योजना, क्‌रुक्षेत्र तथा आजकल +सदस्यता प्लान 5 . बाल भारती +(सभी भाषाएं ) +1 वर्ष रु, 434 रु, 364 +2 वर्ष रु, 838 रु, 708 +3 वर्ष रू, 1222 रू, 1032 + + + + + +वर्तमान परिस्थितियों में यह एक अस्थायी व्यवस्था है क्योंकि डाक विभाग साधारण डाक के वितरण में कठिनाइयों का सामना +कर रहा है। अतः जैसे ही देश में सामान्य स्थितियां बहाल हो जाएंगी पत्रिकाओं को पुनः साधारण डाक से भेजना आरंभ कर + +दिशा अगर हो सही तो पूरे होंगे सपने + +dha +MUST HAVE books for UPSC Prelim & Main Exams + + + + + + + + + + + + +Publication Inc + + + + + + + + + + + + + + + + + +wT: ह 5 at ot sh +a et ll ia uP +ey 2 fats pes ls Oe m1 LAS Mine +अश्ययज eter: दाल सम य चत्र 1- 4 ‘Yaar wre shea Papert +me | प्रएजीाए +ae sree a wy _ 3 +| प्रा +FREMIEGA Eee | [eo पा +a Sa aS: +Sipe | | SUpse ™ +Chil v UPSC fafa: fen AS Molin: +रत 0००. |. हिन्दी ह्लियार्य +01220208 whe seeag oars +or Visit +https://bit.ly/upsce-hindi + + + + + + + + + + + +Available at : dishapublication.com | amazon.in | flipkart.com | Leading Bookshops + + + + + + + +योजना, नवम्बर 2021 63 + +YH-1684/2021 + + + +0064.txt +<----------------------------------------------------------------------> +सूचना, शिक्षा और संचार + +आलोक पंडया + +पंचायत प्रणाली हमारी संस्कृति और सभ्यता का अभिन्न अंग रही है। पुरातनकाल से भारत में पंचायतों और +“पंच परमेश्वर' के न्याय के माध्यम से गांवों में एक आदर्श शासन व्यवस्था संचालित होती रही है, जिसने +हमारे ग्रामीण जीवन और वहां की अर्थव्यवस्था को इतना सशक्त बनाया कि दुनिया में आने वाले बड़े से +बड़े उतार-चढ़ाव और आपदाएं भी उसे प्रभावित नहीं कर पाएं हैं। सीमित संसाधनों के बावजूद इन प्राच्चीन +पंचायतों का अपना सूचना-संचार का एक तंत्र भी था। गांव में ढिंढोरा पिटवाकर या कोटवार के माध्यम + +से राज्यादेश को जन-जन तक पहुंचाया जाता था। + +तंत्रता के उपरांत संविधान के 73वें संशोधन के +माध्यम से देश में पंचायती राज व्यवस्था के +लिए बुनियादी ढांचे के साथ-साथ व्यवस्था को + +अधिदेशित करते हुए ग्राम पंचायतों को अत्यधिक सशक्त बनाया +गया है। पंचायतें आज ग्रामीण क्षेत्र में आर्थिक विकास और +सामाजिक न्याय के लिए उत्तरदायी संस्थान हैं और ग्राम रूपांतरण +के अभिकर्ता के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हें। + +पंचायतें शासन की सभी योजनाओं का अंतिम अभिसरण बिंदु +है। देश की लगभग 65 फीसदी आबादी तक सरकार की सभी +योजनाओं एवं कार्यक्रमों को पहुंचाने में पंचायतों की अहम भूमिका +रहती है। ऐसे में ग्राम पंचायतें न केवल पंचायती राज मंत्रालय +अपितु सभी मंत्रालय/विभागों की जानकारियों के प्रचार-प्रसार में +अपनी भूमिका निभाती हैं। + +विगत दो दशक में संचार के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन हुआ +है। देश के एक कोने से दूसरे कोने में अब सूचनाएं पहुंचाने का कार्य +कुछ ही क्षणों में हो जाता है। इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों ने संचार की पद्धति +में आमूलचूल परिवर्तन किया है। हमारे गांव भी इक्कीसवीं सदी के +संचार माध्यमों से अब अछूते नहीं है। टीवी, मोबाइल, इंटरनेट, सोशल +मीडिया अब ग्रामीण अंचलों में भी संचार के अनिवार्य माध्यम हैं। +बदलते दौर में संचार के अत्याधुनिकतम साधन अब पंचायती राज +संस्थाओं के लिए भी सबसे बेहतर साधन हैं। + +राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए +ग्राम पंचायतों की सूचना आवश्यकता को निर्मित करने और उनके +प्रोत्साहन एवं समर्थन का कार्य भारत सरकार का पंचायती राज +मंत्रालय करता है। आज के सूचना प्रौद्योगिकी युग में डिजिटल +कवरेज के दायरे में आने वाली पंचायतों की संख्या बहुत अधिक हे। +डिजिटल इंडिया के संकल्प की सिद्धि की दिशा में पंचायती राज + +संस्थाएं तेजी से अग्रसर हैं। पंचायती राज संस्थाओं में ई-गर्वनेंस +सिस्टम को लागू एवं सशक्त करने के लिए पंचायती राज मंत्रालय +द्वारा प्रारंभ किया गया ई-पंचायत मिशन मोड कार्यक्रम अत्यंत +प्रभावी एंव परिणामोत्पादक है। भारत सरकार के इस कदम से +जहां समाज के अंतिम छोर तक सुविधाओं को पहुंचाने में आसानी +हुई है, वहीं सूचनाओं के प्रसार के लिए यह माध्यम एक वरदान +साबित हुआ है। + +डिजिटल इंडिया के लक्ष्य को पूर्ण करने के लिए पंचायतों +को ऑप्टीकल फाइबर के माध्यम से जोड़ कर अत्याधुनिक संचार +सेवाओं को गांव-गांव तक पहुंचाया जा रहा है। भारत नेट परियोजना +के तहत अब तक 1,73,079 ग्राम पंचायतों में ऑप्टीकल फाइबर +पहुंचाया जा चुका है। डिजिटल सशक्तीकरण के अब पंचायतें भी +सूचना, संचार की दिशा में तीव्र गति से कार्य कर रही हैं। + +पंचायती राज संस्थाओं द्वारा सूचना, शिक्षा तथा संचार +(आईईसी) गतिविधियों के माध्यम से जनजागरुकता का सबसे + + + + + + + +गए साबुन और + += ते से हाथ +कई 3. धो कं + +a पर हैं? 2 + + + +लेखक पंचायती राज मंत्रालय में वरिष्ठ मीडिया सलाहकार हैं। ईमेल: ॥०६७थावएबछोे8०ए०णाबलंण,व1 + +64 + +योजना, नवम्बर 2021 + + + +0065.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +re i + +ae | कण्मवन + + + +ग्राम पंचायत का डिजिटल साक्षरता कोंद्र + +उत्कृष्ट उदाहरण कोविड-19 के संकटकाल में देखने को मिला +है। एक सुव्यवस्थित प्रचार प्रणाली का उपयोग कर पंचायती +राज मंत्रालय, राज्य की सरकारों एवं पंचायती राज संस्थाओं +ने ग्रामीण अंचल में कोरोना महामारी के प्रसार को रोकने में +महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कोविड-19 की आहट के साथ ही मार्च +2020 में मंत्रालय द्वारा इन विषय पर एक रणनीतिक कार्ययोजना तैयार +की गई। मंत्रालय का उद्देश्य पंचायतों के माध्यम से कोरोना महामारी +के प्रति ग्रामीणजनों को संवेदनशील बनाने के साथ ही ग्राम स्तर पर +ग्राम स्वास्थ्य एवं स्वच्छता समितियों को सक्रिय करना था। + +कोविड संकटकाल में आईसीसी गतिविधियों के माध्यम +से स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार की +समय-समय पर जारी की गई गाइडलाइन, अनुदेशों एवं सामाजिक +स्वास्थ्य उपायों को भी पंचायतों के माध्यम से ही गांवों में जन-जन +तक पहुंचाने कार्य किया गया है। + +पंचायती राज मंत्रालय द्वारा देश की सभी पंचायतों के सरपंचों, +अन्य जनप्रतिनिश्चियों एवं संबंधित अधिकारियों को बल्क एसएमएस +तथा व्हाट्सऐप ग्रुप के माध्यम से समय-समय पर कोविड-19 +की रोकथाम के लिए लॉकडाउन, सोशल डिस्टेंसिंग, मॉस्क एवं +सैनिटाइजर का उपयोग एवं इन विषयों के लिए ग्राम सभा का आयोजन +करने पर जागरूक किया गया। कोविड-19 +पर जागरूकता फैलाने और ग्राम स्वास्थ्य, +स्वच्छता एवं पोषण समितियों को सक्रिय +करने के लिए. ग्राम पंचायतों और पंचायत +समितियों की सुविधा के लिए अनुरोध करने +वाली एक और परामर्शिका दिनांक 13 मार्च, + +पंचायतें शासन की सभी +योजनाओं का अंतिम अभिसरण +बिंदु है। देश की लगभग 65 +फीसदी आबादी तक सरकार की + +शासित प्रदेशों के साथ साझा की गई। गांवों में सार्वजनिक स्थानों +पर वॉल पेटिंग्स, होर्डिंग्सो, बेनर्स के माध्यम से SRM प्रोटोकॉल, +Tice का उपयोग एवं हाथों को सैनेटाइज करने की जानकारी का +प्रदर्शन एक प्रभावी प्रयास साबित हुआ। + +पंचायतों को भेजी गई आईईसी सामग्री ग्रामीण क्षेत्र में +क्वारेंटाइन सेंटर स्थापित करने, रोगियों को प्राथमिक उपचार प्रदान +करने एवं शहरों के लौटने वाले प्रवासी श्रमिकों एवं जरूरतमंदों के +कल्याण के लिए प्रारंभ किए गए गरीब कल्याण रोजगार अभियान +एवं गरीब कल्याण योजना के क्रियान्वयन में काफी सहयोगी एवं +सार्थक साबित हुई। + +पंचायती राज मंत्रालय के सोशल मिडिया प्लेटफार्म के माध्यम +फेसबुक पेज एवं ट्वीटर हैंडलर भी इस संबंध में सक्रिय भूमिका +निभाते रहे हैं। कोविड-19 संक्रमण काल के दौरान पंचायतों द्वारा +अपनाई गई सर्वोत्कृष्ट प्रथाओं एवं नवाचार को भी सोशल मीडिया +के माध्यम पर साझा किया गया, ताकि अन्य पंचायतें भी उनका +अनुसरण करें। + +दुनिया के सबसे बडे कोविड-19 टीकाकरण अभियान के +सफल क्रियान्वयन में भी पचायतों द्वारा जागरुकता के लिए उठाए +गए कदमों की अहम भूमिका है। आपको स्मरण होगा कि प्रारंभ में +कतिपय दूरस्थम ग्रामीण अंचलों में टीकाकरण +को लेकर भ्रम, असमंजस, भय और विरोध +की स्थिति थी। पंचायती राज मंत्रालय +द्वारा जनवरी 2021 में ही सभी राज्यों को +इस संबंध में पंचायती राज मंत्रालय द्वारा पत्र +भेजा गया था। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा तैयार + +2020 को सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को सभी योजनाओं एवं कार्यक्रमों को की गईं सूचना, शिक्षा, संचार सामग्री को +जारी की गई। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण पहुंचाने में पंचायतों की अहम पंचायतों तक पहुंचाया गया। + +मंत्रालय द्वारा तैयार जागरूकता सामग्री भी +ग्राम पंचायतों के प्रसार के लिए राज्यों/केंद्र + +योजना, नवम्बर 2021 + +भूमिका रहती है। + +ग्राम सभा को हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था +की सबसे जमीनी और विकेद्रीकृत इकाई माना + +65 + + + +0066.txt +<----------------------------------------------------------------------> +गया है। ग्राम पंचायत के स्वशासन, पारदर्शी +और जवाबदेह कार्यप्रणाली के लिए ग्राम +सभा महत्वपूर्ण है। ग्राम सभा वह मंच है जो +प्रत्यक्ष, सहभागी लोकतंत्र को सुनिश्चित करता +है। ग्राम सभा को संविधान (अनुच्छेद 243) +द्वारा परिभाषित किया गया है, जिसमें एक +ग्राम पंचायत के क्षेत्र के एक गांव के सभी +पंजीकृत मतदाता शामिल हैं। ग्राम सभा, शासन +के निर्णयों को जन-जन तक पहुंचाने का एक +सशक्त माध्यम है। आईसीसी गतिविधियों को +ग्राम सभा के माध्यम से प्रसारित किए जाने +का कार्य पंचायतों द्वारा किया जा रहा है। + +14वें वित्त आयोग (अनुदान अवधि +2015-2020) की अनुशंसाओं में अनुदान +राशि के उपयोग हेतु ग्राम पंचायत विकास योजना निर्माण का +प्रावधान किया गया है। ग्राम पंचायत विकास योजनाओं का निर्माण में +अधिकाधिक जनभागीदारी सुनिश्चित हो और ग्राम सभाओं के माध्यम +से विकास योजना के लिए सुझाव आएं इस पर विगत वर्षों से बल +दिया जा रहा है। संचार, शिक्षा एवं सूचना गतिविधियों के माध्यम से +इस महत्वपूर्ण कार्य में जनभागीदारी को बढ़ाया जा रहा है। + +ऑन लाइन डैश बोर्ड आज के डिजिटल युग में सूचना एवं +संचार का सशक्त माध्यम है। आप अपने घर में बेठकर देश के +किसी भी कोने की रियल टाइम जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। +पंचायती राज मंत्रालय ने भी डैश बोर्ड निर्माण में अग्रणी भूमिका +निभाई है। पंचायती राज मंत्रालय द्वारा संचालित स्वामित्व योजना, +ई-ग्राम स्वराज, लोकल गर्वमेंट डायरेक्टरी, ग्राम पंचायत विकास +योजना, ऑडिट ऑनलाइन, राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार, सर्विस प्लस +एवं पंचायत चार्टर से संबंधित डेशबोर्ड संचालित हैं, जो संबंधित +योजना के अपडेट आंकड़ों एवं सूचनाओं को आमजन तक पहुंचा +रहे हैं। इन डेशबोर्ड में पंचायत स्तर पर योजना के क्रियान्वयन की +जानकारी प्राप्त की जा सकती है। + +ग्राम सभा वह मंच है जो प्रत्यक्ष, +सहभागी लोकतंत्र को सुनिश्चित +करता है। ग्राम सभा को संविधान +( अनुच्छेद 243 ) द्वारा परिभाषित +किया गया है, जिसमें एक ग्राम +पंचायत के क्षेत्र के एक गांव के +सभी पंजीकृत मतदाता शामिल हैं। +ग्राम सभा, शासन के निर्णयों को +जन-जन तक पहुंचाने का एक +सशक्त माध्यम है। + +18 जून 2021 को पंचायती राज मंत्रालय +द्वारा कोविड-19 से संबंधित उपायों के बारे +में रियल टाइम डेटा/सूचना की उपलब्धता +और वहां प्रभावी कोविड प्रबंधन सुनिश्चित +करने के लिए एक ऑनलाइन Sua +प्रारंभ किया गया है। यह डेशबोर्ड ग्रामीण +स्थानीय निकायों जैसे ग्राम पंचायतों द्वारा +ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण समिति +(वीएचएसएनसी ) द्वारा किए जा रहे कोविड +कंटेंमेंट एवं उपचार उपायों की जानकारी तो +प्रदान करता ही है पंचायत द्वारा कोविड-19 +के प्रति जागरुकता के लिए की जा रही +गतिविधियों का डाटा भी प्रदान करता है। + +डिजिटल युग में आज सोशल मीडिया +भी सूचना एवं संप्रेषण का महत्वपूर्ण माध्यम है। पंचायती राज +मंत्रालय के फेसबुक, ट्वीटर और यूट्यूब एकाउंट के माध्यम से +भी ग्रामीण अंचल तक योजनाओं, आयोजनों, सूचनाओं श्रेष्ठ प्रथाओं +एवं सफलता की कहानियों को पहुंचाया जा रहा है। ग्राम पंचायतों +द्वारा स्थापित कंप्यूटर प्रशिक्षण एवं सूचना केंद्र एक अनुकरणीय +प्रयास है, ये बच्चों को कंप्यूटर शिक्षा के साथ ही सरकार की +विभिन्न योजनाओं की जानकारी को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य +भी कर रहे हैं। + +पंचायती राज मंत्रालय द्वारा प्रकाशित त्रेमासिक पत्रिका ग्रामोदय +संकल्प भी पंचायतों तक संचार, शिक्षा एवं सूचनाएं पहुंचाने का एक +सशक्त माध्यम है। यह पत्रिका हिंदी एवं अंग्रेजी के साथ ही 11 +भारतीय भाषाओं में प्रकाशित होती है। ग्रामोदय संकल्प में पंचायती राज +मंत्रालय की योजनाओं को सरल माध्यम में जन-जन तक पहुंचाने के +साथ ही पंचायती राज संस्थाओं की गतिविधियां, पंचायतों द्वारा किए +गए नवाचार, सफलता की कहानियां और पंचायतों की श्रेष्ठ प्रथाओं +को प्रकाशित किया जाता है। यह पत्रिका मंत्रालय के अधिकारिक +पोर्टल पर डिजिटल फार्म में भी उपलब्ध है। = + + + + + + + + + + + + + +हमारी पत्रिकाएं + +पोजवा, कुरुक्षेत्र आजकल, बाल भारती +में विज्ञापन देने हेतु + +संपर्क करें +अभिषेक चतुर्वेदी, संपादक +प्रकाशन विभाग +सूचना एंवं प्रसारण मंत्रालय, मास संरकार +सूचना भवन, सी जी ओ कॉम्प्लेक्स, लोधी रोड, नई दिल्‍्ली-110103 +दृश्माद : 011-24387453, मोबाईल -9210510126 +# Fal: pdjucir@gmail.com + + + + + + + + + + + +66 + +योजना, नवम्बर 2021 + + + +0067.txt +<----------------------------------------------------------------------> +इष्टि |) +facch! ba +(ऑफलाइन बैच) +सामान्य अध्ययन + +(प्रिलिम्स + मेन्स) + +डॉ. विकास दिव्यकीर्ति +की ओरिएन्टेशन क्लास के साथ बैच प्रारंभ + + + +641, मुखर्जी नगर, दिल्‍ली-110009 GP 8750187501, 9311406441 + +लाइव ऑनलाइन क्लासेज़ + +17 नवंबर + +दृष्टि लर्निंग ऐप द्वारा Suez 3:00 we + +इस कोर्स में आप जुड़ेंगे सीधे दिल्‍ली के क्लासरूम से +और पढ़ेंगे उन्हीं अध्यापकों से जिनसे पढ़ते हैं दिल्‍ली ऑफलाइन बैच के विद्यार्थी + +अतिरिक्त जानकारी के लिये 9311406442 नंबर पर इंस्टीलमेंद्स पर भी उपलब्ध ! अपने एंड्रॉयड फोन पर इंस्टॉल करें +5. है. 318८ है. है: है“: Me | Drishti Learning App + + + +YH-1661/2021 + +योजना, नवम्बर 2021 67 + + + +0068.txt +<----------------------------------------------------------------------> +कोविड-19 के दौरान ग्रामीण प्रबंधन + +रामिन्दर कौर बटला +यतिका हसीजा + +भारत सरकार ने कोविड-19 संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए 24 मार्च 2020 को देशव्यापी तालाबंदी +की घोषणा की। पंजाब में, महामारी के प्रसार को कम करने के प्रयास पहले से ही शुरू किए जा चुके +थे। कुल 13262 ग्राम पंचायतों और कई गांवों के साथ, ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली राज्य की 65 प्रतिशत +से अधिक आबादी ने संक्रमण पर नियंत्रण और आजीविका बनाए रखने के लिए कई नए तरीके अपनाए। + +जाब के ग्रामीण इलाकों में इस संक्रमण पर नियंत्रण पाने +ue लिए ग्रामीण विकास विभाग और पंचायतें बढ़चढ +कर काम कर रही हैं। पंचायती राज संस्थाओं के सदस्यों +के साथ विभागीय अधिकारियों ने संक्रमण के प्रसार को रोकने में +महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रत्येक ग्राम पंचायत ने अपनी क्षमता के +अनुसार व्यापक उपाय लागू किए हैं, ताकि विषाणु के फैलने की +रफ्तार को धीमा किया जा सके, मृत्यु दर को कम किया जा सके, +और अंततः निम्न-स्तर की स्थिर स्थिति बनाए रखी जा सके तथा +पूरी तरह संचरण पर काबू पाया जा सके। घातक वायरस के खिलाफ +लड़ाई में पंचायती राज संस्थाओं को ग्रामीणों का समर्थन काबिले +तारीफ है। पंजाब में महामारी के खिलाफ जीत हासिल करने के +लिए, ग्रामीण विकास विभाग ने पंचायती राज संस्थाओं के साथ +निकट समन्वय से बडे पैमाने पर जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करने +के लिए कई निवारक उपाय किए हैं। विभाग ने कोविड मामलों के +प्रबंधन के लिए राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में समुदाय आधारित सेवाओं +और प्राथमिक स्तर के स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को सुनिश्चित किया। +विभाग ने राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर जारी किए गए स्वास्थ्य +प्रोटेकॉल और दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन करने के लिए +ग्रामीणों का आहवान किया। +महामारी की शुरुआत के बाद से, ग्राम पंचायतों ने फसलों पर +नियमित रूप से धूमन किया गया था। 13230 गांवों में 4.81 लाख +लीटर सोडियम हाइपोक्लोराइट घोल का छिड़काव कर यह कार्य पूरा +किया गया। ग्राम पंचायतों ने इस संबंध में युवाओं को आगे आकर +मुफ्त सेवा प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित किया। नतीजतन, यह कार्य +बडे पैमाने पर बिना किसी श्रम लागत के किया गया था। बाहरी +लोगों की आमद को रोकने के लिए पंचायतें ठिकरी पेहरा की एक +सदियों पुरानी अवधारणा के साथ आगे आईं। ग्रामीणों ने ठिकरी पेहरा +के माध्यम से प्रवेश और निकास बिंदुओं को सील करके निवासियों + +की सुरक्षा की। महिला सरपंच भी चौबीसों घंटे जुटी रहीं और उन्होंने +रात्रि गश्त में भी भाग लिया। + +संक्रमण को फैलने से रोकने और स्थिति को नियंत्रण में रखने +के लिए सुरक्षित दूरी के उपाय किए गए और आवाजाही पर प्रतिबंध +लागू किया गया था। ग्राम पंचायतों को उन स्थानों की पहचान करने +के लिए कहा गया जहां सुरक्षित दूरी का पालन किया जाना था। +लोगों के बीच दूरी बनाए रखने के लिए सभी सार्वजनिक स्थानों पर +दो मीटर की दूरी पर सफेद या लाल रंग से घेरे बनाए गए। लोगों +से सुरक्षित दूरी का पालन करने का अनुरोध करने के लिए गुरुद्वारों +के माध्यम से दैनिक घोषणाएं की गईं। राज्य के आर्थिक ढांचे की +रीढू-किसानों और खेतिहर मजदूरों ने फसल-कटाई का काम जारी +रखा। उन्होंने कटाई की प्रक्रिया के दौरान सुरक्षित दूरी के दिशा-निर्देशों +का सख्ती से पालन किया और अपने चेहरे को मास्क से ढका। +कटाई स्थलों पर स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए उचित व्यवस्था +की गई थी। + +ग्रामीण विकास विभाग और पंचायतों ने ग्राम पंचायतों के सरपंच/ + + + +सबसे कम उग्र की महिला सरपंच Terra ठाकुर द्वार ठिकरी पहरा + + + +Ue OK बटला स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल डेवलपमेंट एंड पंचायत, पंजाब की अपर निदेशक (Gara) @1 Ec: sirdpbO1@gmail.com + + + +यतिका हसिजा रूरल डेवलपमेंट एंड पंचायत विभाग, पंजाब में कंप्यूटर प्रोग्रामर हैं। + +68 + +योजना, नवम्बर 2021 + + + +0069.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +# _'' >> + +फसल कटाई को दौरान सोशल डिस्टेंसिंय का पालन करते किसान + +पंच को वंचितों, विशेष रूप से दैनिक वेतन भोगियों की बुनियादी +आवश्यकताओं और कोविड की आपात स्थिति में उपचार के लिए +पंचायत निधि से प्रति दिन 5000 रुपये तक, अधिकतम 50,000 रुपये +तक खर्च करने के लिए अधिकृत किया। +लॉकडाउन के दौरान रोजगार + +लंबे समय तक तालाबंदी के परिणामस्वरूप दैनिक वेतनभोगी +श्रमिकों का रोजगार नहीं रहा और आय का नुकसान हुआ। काम की +भारी मांग को पूरा करने के लिए विभाग ने मनरेगा योजना को लागू +करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। विभाग के अथक प्रयासों से, कार्य +मानव-दिवसों की संख्या अप्रैल 2020 की 2.7 लाख से लगभग 10 +गुना बढ़कर मई 2020 में 21.7 लाख हो गई। 2020-21 में उत्पन्न +मानव-दिवसों की कुल संख्या में 2019-20 की तुलना में 60 प्रतिशत +की वृद्धि हुई। इस पर 2020-21 में कुल 1241 करोड़ रुपये (अब +तक के सबसे अधिक) खर्च किए गए थे। + +श्री गुरु नाकक देवजी की 550वीं जयंती के उपलक्ष्य में प्रति +गांव 550 पौधे, 77 लाख पौधे लगाए गए और लगभग 26000 वन + + + + ऋओ “ढ़ 1 Sale +मनरेगा को जरिए रोजगार सजन +कार्य सृजित हुआ। इसने न केवल उन लोगों को काम दिया, जिनकी +महामारी के कारण नौकरी चली गई थी, बल्कि पारंपरिक तालाबों का +कायाकल्प भी किया। +ग्रामीण क्षेत्रों में स्वयं सहायता समूहों द्वारा मास्क बनाना +पंजाब में महिला स्वयं सहायता समूहों ने कोविड-19 महामारी +की असाधारण चुनौती का सामना किया है और संकट को एक +अवसर में बदल दिया है। बढ़ती मांग के बीच, इन समूहों की सदस्यों + + + +मित्र नियुक्त किए गए। नतीजतन, 2017 के +बाद से राज्य के कुल हरित क्षेत्र में 11363 +हेक्टेयर की वृद्धि हुई है। इसने संकट के +समय ग्रामीण गरीबों के लिए आजीविका +का साधन सुनिश्चित किया और निम्न +आर्थिक स्तर वाले लोगों को, इन पौधों का +पोषण करके आय का स्रोत उत्पन्न करने +में मदद की। . + +संक्रमण को फैलने से रोकने और +स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए +सुरक्षित दूरी के उपाय किए गए और + +आवाजाही पर प्रतिबंध लागू किया +गया था। ग्राम पंचायतों को उन स्थानों +की पहचान करने के लिए कहा गया + +ने उचित मूल्य पर मास्क, एप्रन और दस्ताने +बनाकर कोविड -19 की रोकथाम में +महत्वपूर्ण योगदान दिया। पंजाब राज्य ग्रामीण +आजीविका मिशन (पीएसआरएलएम) के +तहत अब तक 3838 स्वयं सहायता समूह +सदस्यों ने 6.45 लाख मास्क वितरित किए +हैं, जिससे इनकी बिक्री से 53.6 लाख +रुपये की आय हुई है। लॉकडाउन अवधि + +तालाब सफाई अभियान जहां सुरक्षित दूरी का पालन किया के दौरान, मास्क बनाने से इन स्वयं सहायता +विभाग ने राज्य में गांवों के तालाबों की जाना था। लोगों के बीच दूरी बनाए समूहों को आजीविका कमाने और राष्ट्र की + +सफाई के लिए एक अभियान शुरू किया रखने के लिए सभी सार्वजनिक स्थानों सेवा करने का अवसर मिला। + +है। यह अभियान तालाबों से पानी और वो मीटर की दूरी पर सफेद मिशन फतेह के तहत जागरूकता + +गाद निकालकर उन्हें मानसून के मौसम के तर | टर का दूद् पर सफद a अभियान + +लिए तैयार करने के लिए शुरू किया गया।_ लि रग से घेरे बनाए गए। लोगों विभाग ने 'मिशन फतेह' के तहत + +लगभग 7851 तालाबों से पानी निकाला से सुरक्षित दूरी का पालन करने का ग्राम पंचायतों को बड़े पैमाने पर घर-घर + +गया और 3699 तालाबों को गाद से मुक्त अनुरोध करने के लिए गुरुद्वारों के जाकर जनसंपर्क अभियान आयोजित करने + +किया गया, जिससे कुल 28.13 करोड़ रुपये माध्यम से दैनिक घोषणाएं की गईं। के लिए प्रोत्साहित किया, ताकि लोगों को + +के व्यय के साथ 9,92 लाख मानव-दिवस + +अनिवार्य चिकित्सा प्रोटोकॉल के बारे में + + + +योजना, नवम्बर 2021 + +69 + + + + + +0070.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +ग्राम पंचायत में मास्क बनाने का कास + +जागरूक किया जा सके, और उन्हें महामारी से बचाया जा सके। +इसे लोगों का, लोगों द्वारा और लोगों के लिए मिशन कहा गया। +पंचायत के मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता (आशा) और +आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, स्कूल शिक्षक, युवा स्वयंसेवक और स्वास्थ्य +कार्यकर्ता अभियान को चलाने के लिए बड़े पैमाने पर जुटे। इससे +पहले ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों ने सैंपलिंग और टीकाकरण का विरोध +किया था। इसलिए, समुदायों को इस बारे में जागरूक करना अधिक +महत्वपूर्ण था कि टीकाकरण क्‍या है और इसका उद्देश्य क्या है। इस +बारे में प्राथमिक जानकारी के अभाव में ग्रामीण अफवाहों और भ्रामक +जानकारी से गुमराह हो रहे थे। टीकाकरण के बारे में समय पर, +सटीक और पारदर्शी जानकारी का प्रसार करने के लिए ग्रामीण पंजाब +में एक प्रभावी संचार और जागरूकता कार्यनीति शुरू की गई थी। +इससे टीकों की झिझक से लड़ने में मदद मिली, आशंकाओं को कम + +Bi: + + + +| हि +ग्रामीण पंजाब में टीकाकरण अभियान + +70 + +किया गया, इसकी स्वीकृति सुनिश्चित की गई और अधिक नागरिकों +को इसका लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया गया। +ग्रामीण जनता को सजग बनाना + +ग्रामीण विकास विभाग और पंचायतों ने सूचना, शिक्षा और संचार +(आईईसी) गतिविधियों को पूरे जोश के साथ चलाया। विभाग ने राज्य +के सभी सरपंचों के साथ कई व्हाट्सएप ग्रुप बनाए थे। 12 अप्रैल +2020 से अब तक राज्य के सभी सरपंचों को ग्राम पंचायतों के स्तर +पर कोविड-19 से संबंधित सावधानियों और संबंधित उपायों के बारे में +एक दैनिक व्हाट्सऐप संदेश भेजा जा रहा है। मीडिया को जारी करने +के लिए सूचना और जनसंपर्क विभाग को दैनिक जागरुकता श्रव्य-दृश्य +संदेश भी भेजा गया। विभाग ने आईईसी गतिविधियों का प्रसार करने +के लिए फेसबुक और ट्विटर पर आधिकारिक पेज बनाए। यह ग्रामीण +आबादी को किसी भी तरह की दहशत से बचाने के लिए फर्जी खबरों +और अफवाहों पर लगाम लगाने की दिशा में भी एक कदम था। इसके +अलावा, गांव स्तर पर सरपंचों द्वारा पर्च तैयार किए गए तथा वितरित +किए गए और सार्वजनिक स्थानों पर चिपकाए गए थे। + +वायरस से संबंधित ई-लर्निंग सामग्री को क्षेत्रीय भाषा में +विकसित किया गया और सरपंचों, पंचों तथा गांवों में परिवारों को +बीमारी, इसके लक्षणों और रोकथाम के बारे में जागरूक करने के +लिए प्रसारित किया गया। विभाग ने महामारी का मुकाबला करने +और कोविड की झिझक को दूर करने के लिए अग्रिम पंक्ति के +कार्यकर्ताओं के क्षमता निर्माण के लिए विभिन्‍न ऑनलाइन प्लेटफार्मों +का उपयोग किया। +पृथकीकरण ( आइसोलेशन ) और उपचार + +विभाग ने लोगों को हल्के लक्षणों के मामले में भी परीक्षण +कराने, अपने को आइसोलेट करने और बाद में टीका लगवाने के लिए +प्रेरित किया। ग्राम पंचायतों में टेस्ट, ट्रैक एंड ट्रीट पर केंद्रित स्क्रीनिंग +कैंप आयोजित किए गए। सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) +और सहायक नर्स दाइयों (एएनएम) को रैपिड एंटीजन परीक्षण करने +के लिए प्रशिक्षित किया गया। विभाग ने ग्राम पंचायतों को कोविड +रोगियों की निरंतर निगरानी के लिए आइसोलेशन वार्ड स्थापित करने +के लिए प्रोत्साहित किया। मिशन तंदुरुस्त अभियान के तहत ग्राम +पंचायतों ने कोविड पॉजिटिव रोगियों को निःशुल्क उपयोगिता किट +प्रदान की। होम आइसोलेटेड मरीजों की लगातार निगरानी की जा रही +थी और उन्हें परिवार के प्रत्येक सदस्य के लिए आटा, चना और +चीनी युक्त भोजन किट दी गई थी। +ग्राम पंचायतों को प्रोत्साहन + +पंजाब सरकार के 'कोरोना मुक्त पिंड अभियान! के तहत 100 +प्रतिशत टीकाकरण लक्ष्य प्राप्त करने वाले प्रत्येक ब्लॉक के पहले गांव +को 10 लाख रुपये का विशेष विकास अनुदान देकर पंजाब सरकार +ग्रामीणों को टीका हिचकिचाहट छोड़ने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। + +विभाग ने पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों और +अधिकारियों को कोविड-19 महामारी की संभावित तीसरी लहर +को रोकने के लिए मिलकर काम करने का निर्देश दिया है। इसके +अलावा, ग्राम पंचायतों को 15वें वित्त आयोग अनुदान के अनटाइड +घटक को ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार पर खर्च +करने की सलाह दी गई है। = + +योजना, नवम्बर 2021 + + + +0071.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +co मम + + + + + + + + + + + + + + +. (प्र जि। Ay +' Heo kit ella + +गांधी साहित्य, भ्रारतीय इतिहास, +जाने-माने व्यक्तियों की जीतलियां, उनके श्राषण और लेखन, +आधुनिक भारत के निर्माता श्रृंखला की पुछ्तकें, + +कला एवं संस्कृति, बाल साहित्य चुनिंदा ई-बुक + +एमेज़ॉन और गूगल प्ले + +ra +A पर उपलब्ध +o's + +प्रकाशन विभाग +सूचना और प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार + +OI) Gare atta anted & foe Sua www.bharatkosh.govin पर जाएं। +ऑर्डर के लिए कृपया झंप्की करें ? फोन: 111-24385809, ई-मेल ; businesswng@gmail_com + +HEE : भरा publicationsdivision. nic.in + +i) (3) ] ‘dpd_india WF OPC _india Ei ipublicationsdiviaion + + + + + + + + + +योजना, नवम्बर 2021 + +71 + + + + + +0072.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + + + +पंडित मीमसेन जोशी +सेलिब्रेटिंग छिज सेन्टिनरी + +आज ही नजदीकी पुस्तक विक्रेता से खरीदें + +प्रकाशन विभाग +सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार + +हमारी पुस्तकें ऑनलाइन खरीदने के लिए कृपया www.bharatkosh.gov.in WW art | + +daaige > www.publicationsdivision. nic.in + +लि] tpc_incia w क्र Inia gi fpublicaiionsdlyision + + + +7 gE a + +प्रिंट और 7 आज़ादी का +अब प्रिंट और ई-बुक संस्करण उपलब्ध है अमृत महोत्सव +ra 1 rr lit है.) Lae ie i) दि | 1 +Palen LSE BST +1241 है] 10 110 : १. | +हा ea eM Do me les ri duis mile tal +Er om Led +Woy - = 310/- + +ऑर्डर के लिए कृपया संपर्क करें : फोन : 011-24365809, ई-मेल : businesswng@gmail.com + + + +72 + +योजना, नवम्बर 2021 + + + +0073.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +a + + + + + + + + + + + + + + + +es Kurukshetra BR i a eects ote) +योजना | LB प्रकाशन विभाग 1 कुरुक्षेत्र +विकास को समर्पित मासिक । ‘al ge] Go एवं प्रसारण मंत्रालय 1 ग्रामीण विकास पर मासिक +(हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू व 10 अन्य भारतीय भाषाओं में) ! का भारत सरकार ! (हिंदी और अंग्रेजी) +आजकल | रोजगार समाचार! बाल भारती +साहित्य एवं संस्कृति का मासिक । साप्ताहिक 1 बच्चों की मासिक पत्रिका +(हिंदी तथा उर्दू) ! (हिंदी, अंग्रेजी तथा उर्दू) ! (हिंदी) + +घर पर हमारी पत्रिकाएं मंगाना है काफी आसान... + +आपको सिफ नीचे दिए गए 'भारत कोश' के लिंक पर जा कर पत्रिका के लिए ऑनलाइन डिजिटल भुगतान करना है- +https://bharatkosh. gov.in/Product/Product + + + + + + + + + + + +सदस्यता दरें +योजना, करुक्षेत्र, सदस्यता शुल्क में रजिस्टर्ड डाक का शुल्क भी +| प्लान | 3 बाल भारती रोज़गार समाचार >> 3 + +आजकल (सभी भाषा) शामिल है। कोविड-19 महामारी के मद्देनज़र +वर्ष रजिस्टर्ड डाक रजिस्टर्ड डाक | मुद्रित प्रति (साधारण डाक) | ई-संस्करण | नए ग्राहकों को अब रोज़गार समाचार के +1 ₹ 434 ₹ 364 ₹ 530 ₹ 400. | अलावा सभी पत्रिकाएं केवल रजिस्टर्ड +2 ₹ 838 ₹ 708 ₹ 1000 ₹750 | डाक से ही भेजी जाएंगी। पुराने ग्राहकों के + +3 ₹ 1222 ₹ 1032 ₹ 1400 ₹ 1050 | लिए मौजूदा व्यवस्था बनी रहेगी। + + + + + + + + + + + + + + + + + +ऑनलाइन के अलावा आप डाक द्वारा डिमांड ड्राफ्ट, भारतीय पोस्टल आर्डर या मनीआर्डर से भी प्लान के अनुसार निर्धारित राशि भेज सकते हैं| डिमांड ड्राफ्ट, +भारतीय पोस्टल ऑडर या मनीआर्डर 'अपर महानिदेशक, प्रकाशन विभाग, सचना एवं प्रसारण मंत्रालय” के पक्ष में नई दिल्‍ली में देय होना चाहिए| +रोज़गार समाचार की 6 माह की सदस्यता का प्लान भी उपलब्ध है, प्रिंट संस्करण रु, 265/-, ई-संस्करण रु. 200/-, कपया ऑनलान भगतान के लिए +https://eneversion.nic.in/membership/login लिंक पर जाएं। डिमांड Erg! ‘Employment News के पक्ष में नई दिल्‍ली में देय होना चाहिए] +अपने डीडी, पोस्टल आर्डर या मनीआर्डर के साथ नीचे दिया गया 'सदस्यता कृपन” या उसकी फोटो कॉपी में सभी विवरण भरकर हमें भेजे। भेजने का पता है. +संपादक, पत्रिका एकांश, प्रकाशन विभाग, कक्ष सं. 779, सूचना भवन, सीजीओ कॉम्प्लेक्स, लोधी रोड, नई दिल्‍ली-110003. +अधिक जानकारी के लिए इमेल करें- pdjucir@gmail.com +हमसे संपर्क करें- फोन: 011-24367453, (सोमवार से शुक्रवार सभी कार्य दिवस पर प्रात: साढ़े नौ बजे से शाम छह बजे तक) + +कृपया नोट करें कि पत्रिका भेजने में, सदस्यता शुल्क प्राप्त होने के बाद कम से कम आठ सप्ताह लगते हैं, +कृपया इतने समय प्रतीक्षा करें और पत्रिका न मिलने की शिकायत इस अवधि के बाद करें। + +GE nnn nena nnn nnn GR nnn nnn nnn HE nnn nnn HE ce nec +कृपया मुझे 1/2/3 वर्ष के प्लान TT cc cccecccssessssssssesssssessssssneecsssseessssseeesees पत्रिका ....................- भाषा में भेजें। +नाम ( साफ व बड़े अक्षरों में ) ..................-------न«_नननन-नननननननननननननननन नमन न नग्न नननन नि नननन न ननननननि न +पता : ................----०+«>-नननन-न-ननननननिननननिननननिननननननननननननननननननन नितिन ननिननिननिनननिननिननिननिननिनन तन नन नितिन निनिननिननिननिननिननिनननननन +हनन ननिन मनन न नननभननननन न भनन लत नितिन निभाना भननन न जिला .................-००>न्‍्नन्‍नननननननतत>» पिन ५..५५०००-न्‍>नननननननननन- +ईमेल .......................------«+>>_-_-_ननिनननननननिननिनननननिननननन न मोबाइल नं. ..........................-------न्‍_-___नन_ननननननननन- +डीडी/पीओ/एमओ सं. ....................................--------------------- दिनांक ........................-- सदस्यता सं. ........................... + +योजना, नवम्बर 2021 73 + + + +0074.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +7 fairer +सूचना और प्रसारण मंत्रालय +भारत सरकार + +देश के सबसे Fy ASL प्रकाशन समूह संग ब्यापार का अवधच्चर +हमारी लोकप्रिय पत्रिकाओं ओर साप्ताहिक रोज़गार समाचार की विपणन एजेंसी +लेकर सुनिश्चित करें आकर्षक नियमित आय + +असीमित लाभ Ihe me (eb cee स्थापित ब्रांड का साथ +पहले दिन से आमदनी न्यूनतम निवेश-अधिकतम लाभ + +रोज़गार समाचार के एजेंसी धारकों के लिए लाभ मासिक पत्रिकाओं के एजेंसी धारकों के लिए लाभ + +Se + +1001-2000 SE + + + +विपणन एजेंसी पाना बेहद आसान +० किसी शेक्षणिक योग्यता की बाध्यता नहीं + +० कोर व्यावसायिक अनुभव जरूरी नहीं +० खरीद का न्यूनतम तीन गुना निवेश (पत्रिकाओं हेतु) अपेक्षित + + + + + + + + + + + +e रोज़गार समाचार "० पत्रिका एकक न. + +७ . THA: 011-24365610 ७ ० ई-मेलः pdjucir@gmail.com e + +* ई-मेलः sec-circulation-moib@gov.in . °. tala: 011-24367453 e° +Peoeeeseneeneeeeeeed ७ ७७७७७७७७७७७७७७७७७७७ + + + + + + + + + + + +पत्र भेजें : रोज़गार समाचार, कक्ष संख्या-779, 7वां तल, सूचना भवन, लोधी रोड, नई दिल्‍ली-110003 + + + +74 योजना, नवम्बर 2021 + + + +0075.txt +<----------------------------------------------------------------------> +कवर 2 का शेष + + + + + + + + + + + +तक Taare > +ई-जीएसपीआई की वर्तमान स्थिति ( 2020-21 ) wiles +पंचायती राज +ई ग्राम सभा खाता +2 36 033 “© ) +>» हिमाचल प्रदेश 6 8 of +उत्तराखंड +कि tae 96 +राजस्थान t, hk प्रतिशत 1,99 ,613 +Los oR प्रदेश 78 पीपीआई में शामिल +woos एं प्रतिशत पंचायती राज संस्थाएं, +al : मध्य प्रदेश +Tet ee &£ 2019-20 ( वार्षिकी ) 2020-21 (माह खाता) +“ महाराष्ट्र... (1 बंगाल हस्तांतरण विवरण (करोड रुपये में) +St ना 28,815 1,534,201 +pet at +en a" -: +गोबा i 2 2 राज्य 58% +‘ aa, 26,978 +t राय तमिलनाडु भुगतान सफलता ः +] दर 94 प्रतिशत +रा अच्छे प्रदर्शन करने वाले राज्य इजीएसपीआई के जरिए +Le भुगतान की प्रक्रिया शुरू भुगतान मंजूर इन इतान करने +वाले पंचायती राज संस्थाएं +ई-जीएसपीआई की वर्तमान स्थिति (2020-21) +नई उपलब्धियां पर पीएफएमएस से ईजीएस को अनुदानों की रिवर्स पुशिंग + +* पंचायतों ने अपने लाभार्थियों/वेंडरों को 55,000 करोड रुपये + +२5,०७0,ए%0 + +पु + +15,00,700. + +10,0000) + +5.06,000 + +अर्थात्‌ वापसी प्रयोग की सुविधा उपलब्ध होगी। + + + +से अधिक का भुगतान सफलतापूर्वक ऑनलाइन ट्रांसफर +किया। + +2.28 लाख पंचायतें ई-जीएसपीआई के जरिये भुगतान करने +के लिए ऑन बोर्ड तैयार हो चुकी हैं। + +1.5 लाख से ज्यादा पंचायतों ने पिछले वित्त वर्ष में ऑनलाइन +भुगतान किए। + +ई-ग्राम स्वराज में रसीद वाउचर स्वतः आएगा। + +सरकारी खजाने से ग्राम पंचायतों को दी जाने वाली सहायता +राशि को स्पष्ट दिखाने के लिए ट्रेजरी एकीकरण के आधार + +रिपोर्टिंग प्रगति = += +रे 3 s +ra ie “ ™ +te “ g +in 7 +| 8 z +ra += +ah + mS Bo +a m +Sam 2s mg Eg भाग +nao mF. utr £ a wh द्थि +TE wont wag! i Wont yt +a an ra ae +“a a “a रा a +- Ea = = a | | +2017-18 20h 19 2019-20 a2 wri" +ह ग्राम पंचायत संख्या गतिविधियों के साथ ग्राम पंचायत गतिविधियां शुरू की गईं + +ई-ग्राम स्वराज में वार्षिक प्रगति + +1,03,561 +पाएं फलों +चएएएए +हा + +ऑनलाइन भुगतान करते समय जीएसटी और टीडीएस को +ई-जीएसपीआई में जोड़ लिया जाएगा। + +भुगतान करने से पहले परिसंपत्तियों की जिओ- टैगिंग +अनिवार्य होगी। + +पीएफएमएस बेंकों द्वारा भुगतान फाइलों का समय पर +निपटान संबंधी उपाय कडाई से लागू होंगे। + +पंचायतों, बैंकों और पंचायती राज मंत्रालय यूजर्स के लिए, +भुगतान की स्थिति पता लगाने संबंधी तंत्र तैयार किया +जाएगा। + +ई-ग्रामस्वराज पीएफएमएस की प्रगति + +2,50.000 2.24362 273,925 +700,000 +1,598, 245 7,B5,55), +7 +35000 146,35 + +2016-19 2019-20 2020-21 ag1-22"* + +ग्राम पंचायत ऑनबोर्ड ईजीएसर्पआई की संख्या 1: ऑनलाइन ध्रुगतान के साथ ग्राम पंचायतों की संख्या + +ई-ग्राम स्वराज पीएफएसएस प्रदर्शन + +लेखक मोहित गुप्ता पंचायती राज मंत्रालय में सलाहकार हैं। ईमेल; ॥रणातो, डप०ए/4206छो॥1०.ा + + + + + + + + + +0076.txt +<----------------------------------------------------------------------> +रजि.सं., डी.एल.(एस)-05/3231/2021-23 + + + +Reg. No. DL(S)-05/3231/2021-23 at RMS, Delhi Licenced under U (DN)-55/2021-23 +eg. No. - 23a , Delhi +28 अक्टूबर, 2021 को प्रकाशित आर.एन.आई. 951/57 +० 2-3 नवम्बर, 2021 को डाक द्वारा जारी R.N.I. 951/57 +rm yee +Jog +व आज़ादीका a +अच उपलब्ध हैँ See Apia + +PANCHAYAT] RAJ +in India + +Dr. Mahipal + + + + +=, “2 ; e + +पंचायती राज इन इंडिया + +आज ही नजदीकी पुस्तक विक्रेता से खरीदें + +Ea +a4 +प्रकाशन विभाग + +सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार + +sare पते ऑनलाइन खरीदने के लिए कृपया werw.bharatkosh govin we ud} +Mist & fan BUT Ay we SATS 011-24365609, 4a ; businesswng@gmail.com +बैवसाइंट ¢ www. publicationsdivision.nicin + +जि idpa_mdia We Boro india BF J cvricatonssivicion + + + + + + + +प्रकाशक व मुद्रक : मोनीदीपा मुखर्जी, महानिदेशक, प्रकाशन विभाग, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ( भारत सरकार ) द्वारा + +प्रकाशन विभाग के लिए चन्दु प्रेस, डी-97 , शकरपुर, दिलली-110092 द्वारा मुद्रित एवं प्रकाशन विभाग, सूचना भवन, +सी.जी.ओ. परिसर, लोधी रोड, नई दिल्‍ली-110003 से प्रकाशित। वरिष्ठ संपादक : कुलश्रेष्ठ कमल + + + + + + + + + + diff --git a/Data Collected/Hindi/Yojana_magazine_OCRed_Hindi/Yojana_2021_October_.txt b/Data Collected/Hindi/Yojana_magazine_OCRed_Hindi/Yojana_2021_October_.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..12e17a1ea23b54389bd987b0588a5023ee5bf670 --- /dev/null +++ b/Data Collected/Hindi/Yojana_magazine_OCRed_Hindi/Yojana_2021_October_.txt @@ -0,0 +1,6858 @@ + +0001.txt +<----------------------------------------------------------------------> +ISSN-0971-8397 विशेषांक 7: 71 +|| aoc आज़ादीका + +|! अमृत महोत्सव + +alles | + + + +विज्ञान ओर प्रोद्योगिकी + +प्रमुख आलेख +कोविड-19 से मुकाबला + +डॉ शैलजा वैद्य गुप्ता + +विशेष आलेख +वैज्ञानिक संचार पर नये सिरे से विचार + +डॉ नकुल पाराशर + +फोकस +* परमाणु बिजली और ऊर्जा सुरक्षा +>» एम बलराम मूर्ति + + + + + + + +0002.txt +<----------------------------------------------------------------------> +a में भारत + +नव +er ere te 1 + +रत अंतरिक्ष क्षेत्र में उन्नत क्षमताओं वाले कुछ गिने-चुने +देशों में से एक है। अंतरिक्ष क्षेत्र में दूरगामी सुधार +किए गए हैं जिनका उद्देश्य अंतरिक्ष गतिविधियों की +पूरी श्रृंखला में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देना है। इन +सुधारों से, देश को अंतरिक्ष गतिविधियों के अगले चरण में तेजी +से ले जाने में मदद मिलेगी और इस क्षेत्र को नई ऊर्जा और +गतिशीलता प्राप्त होगी। इससे न केवल इस क्षेत्र का त्वरित विकास +होगा बल्कि भारतीय उद्योग वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में एक +महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनने में सक्षम होंगे। इस प्रकार इस प्रौद्योगिकी +क्षेत्र में बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर हैं और भारत वैश्विक +प्रौद्योगिकी महाशक्ति बन रहा है। +अंतरिक्ष क्षेत्र हमारे औद्योगिक आधार के तकनीकी विकास और +विस्तार में एक प्रमुख उत्प्रेक् भूमिका निभा सकता है। प्रस्तावित +सुधार अंतरिक्ष परिसंपत्तियों और गतिविधियों के सामाजिक-आर्थिक +उपयोग को बढ़ाएंगे, जिसमें अंतरिक्ष परिसंपत्ति, डेट और सुविधाओं +तक बेहतर पहुंच शामिल है। +नव निर्मित भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्द्धन और प्रमाणीकरण केंद्र +(इंडियन नेशनल स्पेस प्रमोशन एंड ऑथराइजेशन सेंटर-ग-82५(८) + +निजी कंपनियों को भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र में बुनियादी ढांचे का उपयोग करने +के लिए एक समान अवसर प्रदान करेगा। यह प्रोत्साहित करने वाली +नीतियों और एक अनुकूल नियामक वातावरण के माध्यम से अंतरिक्ष +गतिविधियों में निजी उद्योगों को बढ़ावा देगा और मार्गदर्शन करेगा। + +सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम “न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड +(एनएसआईएल) ' अंतरिक्ष गतिविधियों को “आपूर्ति संचालित' मॉडल +से “मांग संचालित' मॉडल में बदलने का प्रयास करेगा, जिससे हमारी +अंतरिक्ष परिसंपत्तियों का इष्टतटम उपयोग सुनिश्चित हो सके। + +ये सुधार अनुसंधान और विकास गतिविधियों, नई प्रौद्योगिकियों , +अन्वेषण मिशनों और मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम पर इसरो द्वारा +अधिक ध्यान केंद्रित करना सुनिश्चित करेंगे। + +हमारे देश में अंतरिक्ष अनुसंधान गतिविधियों की शुरुआत 1960 के +दशक भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक कहे जाने वाले डॉ विक्रम +साराभाई की सरपरस्ती में हुई थी। अंतरिक्ष अनुसंधान गतिविधियों को +संचालित करने के लिए 1962 में भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान +afafa (INCOSPAR) की स्थापना परमाणु ऊर्जा विभाग के +तत्वावधान में की गई थी। इसके बाद, अगस्त 1969 में भारतीय + +शेष कवर 3 पर... + + + + + +0003.txt +<----------------------------------------------------------------------> +वेबसाइट www.publicationsdivision.nic.in + +वर्ष : 65 +> (a) + +अक्टूबर 2021 +आश्विन-कार्तिक, शक संबत्‌ 1943 + + + + + +वरिष्ठ संपादक : कुलश्रेष्ठ कमल +संपादक : डॉ ममता रानी + + + +संपादकीय कार्यालय +648 , सूचना भवन, सीजीओ परिसर, +लोधी रेड, नयी दिल्‍ली-110 003 + +उत्पादन अधिकारी : डी के सी हृदयनाथ +आवरण : गजानन पी धोपे + +योजना का लक्ष्य देश के आर्थिक विकास से संबंधित +मुद्दों का सरकारी नीतियों के व्यापक संदर्भ में गहराई +से विश्लेषण कर इन पर विमर्श के लिए एक जीवंत +मंच उपलब्ध कराना है। + +योजना में प्रकाशित लेखों में व्यक्त विचार लेखकों के +अपने और व्यक्तिगत हैं। जरूरी नहीं कि ये लेखक +भारत सरकार के जिन मंत्रालयों, विभागों अथवा +संगठनों से संबद्ध हैं, उनका भी यही दृष्टिकोण हो। + +योजना में प्रकाशित विज्ञापनों की विषयवस्तु के लिए +योजना उत्तरदायी नहीं हैं। + +योजना में प्रकाशित आलेखों में प्रयुक्त मानचित्र व +प्रतीक आधिकारिक नहीं है, बल्कि सांकेतिक हैं। ये +मानचित्र या प्रतीक किसी भी देश का आधिकारिक +प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। + +योजना लेखकों द्वारा आलेखों के साथ अपने +विश्वसनीय स्रोतों से एकत्र कर उपलब्ध कराए +गए आंकडों/तालिकाओं/इन्फोग्राफिक्स के संबंध में +उत्तरदायी नहीं है। + +योजना घर मंगाने, शुल्क में छूट के साथ दरों व प्लान +की विस्तृत जानकारी के लिए पृष्ठ-65 पर देखें। + +योजना की सदस्यता का शुल्क जमा करने के बाद +पत्रिका प्राप्त होने में कम से कम 8 सप्ताह का समय +लगता है। इस अवधि के समाप्त होने के बाद ही +योजना प्राप्त न होने की शिकायत करें। + +योजना न मिलने की शिकायत या पुराने अंक मंगाने +के लिए नीचे दिए गए ई-मेल पर लिखें - +pdjucir@gmail.com +या संपर्क करें- दूरभाष : 011-24367453 + +(सोमवार से शुक्रवार सभी कार्य दिवस पर +प्रात; 9:30 बजे से शाम 6:00 बजे तक) + + + +योजना की सदस्यता की जानकारी लेने तथा विज्ञापन +छपवाने के लिए संपर्क करें- +अभिषेक चतुर्वेदी, संपादक, पत्रिका एकांश +प्रकाशन विभाग, कमर सं. 779, सातवां तल, +सूचना भवन, सीजीओ परिसर, लोधी रोड, +नयी दिल्‍्ली-110003 + +प्रमुख आलेख + +कोविड-19 से मुकाबला +डॉ शैलजा वैद्य गुप्ता ............ + + + +कोविड-19 से निपटने की भारतीय रणनीति +डॉ अलका शर्मा, डॉ ज्योति मलिक लोगानी +डॉ कामाक्षी चेत्री............................-७-५- 10 +वैक्सीन की खोज +गगनदीप कांग..................-००३३७०००३३००००००० 14 +फिट इंडिया मोबाइल ऐप.....................-- 17 +विशेष आलेख + +वैज्ञानिक संचार पर नये सिरे से विचार +St Aha INN. 18 +फोकस + +परमाणु बिजली और ऊर्जा सुरक्षा + +एम बलराम मूर्ति....... >> 22 + + + +हिमालयी क्षेत्र में बाढ़ + +प्रदीप श्रीवास्तव .......................-००५५०५००००० 26 +भूचुंबकत्व अनुप्रयोग + +प्रवीण बी गवली .....................--५५५०५०५००० 30 +कपड़ा उद्योग में नैनो तकनीक + +डॉ नेहा यशवंत हेबलकर ......................- 34 + +इस अंक में + + + + + + + + + + + +लाइट हाउस परियोजनाएं + +अमृत अभिजात......................५५५५५५५००००--०६ 38 +विज्ञान शिक्षा +निर्मिष कपूर............०००--०««न्‍नव_नननननननन+ 42 +पोषण और टीकाकरण +हेमंत कुमार मीणा, डॉ रिंकी ठाकुर........46 +विक्रय तथा विपणन में प्रौद्योगिकी +बालेन्दु शर्मा दाधीच......................-५५५५-५- 52 +कोविड-19 के अनुभव +हेमन्त कृष्णराव पाटीदार .......................« 56 +प्रकाशन विभाग को पुस्तक प्रकाशन +में उत्कृष्टता के लिए पुरस्कार................. 57 +एक भारत श्रेष्ठ भारत.....................५५००० 60 +राजभाषा पर कार्यशाला ..................५५८५५७७ 62 ++ iy महोत्सव +पुस्तक चर्चा : +सरदार पटेल - सचित्र जीवनी ...... 58 +योजना-सही विकल्प +महात्मा गांधी प्रश्नोत्तरी ... ........... 63 + +नियमित स्तंभ +विकास पथ : अंतरिक्ष में भारत ...कवर-2 + +क्या आप जानते हैं? +कृत्रिम मेधा और मशीन लर्निंग ......... 61 + + + +(__ अगला अंक : पंचायती राज) + + + + + + + +Seem) a a @DPD_India +Lc @dpd_india + +प्रकाशन विभाग के देश भर में स्थित विक्रय केंद्रों की सूची के लिए देखें पू.सं. 50 + + + + + + + + + +हिंदी, असमिया, बांग्ला, अंग्रेजी, गुजगती, कन्‍नडु, मलयालम, तमिल, तेलुगु, मराठी, ओडिया, +पंजाबी तथा उर्दू में एक साथ प्रकाशित। + + + +0004.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +x om + +‘a a + +आज़ादी का + +हमारे नए प्रकाह्वाल ** + +Py + + + + + +गांधी साहित्य, भारतीय इतिहास, +जाजेै-माने व्यक्तियाँ की जीवनियां, उनके भ्ाव्ृण और लेखन, +आधुनिक भाएत के निर्माता शृंखला की पुस्तकें, +कला एवं संस्कृति, घाल साहित्य + + + +चुनिंदा ई-बुक +[न शमेज़ॉन और गूगल प्ले +रा पर जपलब्ध +* +प्रकाशन विभाग +सूचना और प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार + +हमारी Wate ऑनज्राइन खरीदने के लिए een we. bharstkosh.gowin 8 ag | +ऑर्डर के लिए कृपया संपर्क करे : फोन : 91-24305879, 2a | businesswngdemall.cam +danse ; wet. publicationsdivision nic.in + +(0) opa_ nats WF @DPO_Inda Fi publigationsdivighon + + + + + +4 योजना, अक्टूबर 2021 + + + +0005.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + + + + + + + + + + + +अनंत संभावनाएं + +re fram महामारी के दौर ने विज्ञान और इसके आविष्कारों के प्रति आम आदमी का नजरिया बदल दिया है। विश्व +भर में जन-जीवन और गतिविधियों को कई बार लगभग थाम चुके वायरस के खिलाफ विज्ञान और प्रौद्योगिकी +ही उम्मीद की किरण के रूप में उभरी। वैज्ञानिक, चिकित्सक, आविष्कारकर्ता और तकनीकी विशेषज्ञ मिल-जुलकर विश्व +को इस आपदा से मुक्त करने में जुटे हैं। इस महामारी से पहले मानव-जाति पैसे, सत्ता, सफलता और तमाम भौतिकवादी +सुखों को जो महत्व देती रही थी, विज्ञान के महत्व का अहसास होने से अब वे प्राथमिकताएं बदल रही हैं। महामारी से +निजात दिला सकने वाले टीकों, इसे रोकने की कार्यनीतियों और इसकी लहरों पर नजर रखने के प्रयासों में, विज्ञान और +प्रौद्योगिकी ने लगातार सक्रिय नेतृत्व दिया हे। + +जब वायरस ने दुनिया के कामकाज के तरीके बदल दिए थे, प्रौद्योगिकी ने ही मानव-जाति की मदद करने की राह दिखाई +थी। कमियों के बावजूद ऑन-लाइन कक्षाओं ने विद्यार्थियों को शिक्षा पूरी करने का अवसर दिया था। कार्यालयों में घर से काम +करने (वर्क फ्रॉम होम) की व्यवस्थाएं की गईं। प्रौद्योगिकी के न रहते अगर ये संभव न हो पाता तो न जाने कितने रोजगार +समाप्त हो जाते, अथवा कर्मचारियों के दफ्तर आने की स्थिति में न जाने कितनी जिंदगियों के लिए संकट खड़ा हो जाता। +टेलीमेडिसिन ने हजारों जिंदगियां बचाईं। धन के डिजिटल लेनदेन की मदद से तेजी से कारोबार जारी रहा और मुद्रा के हाथों +से लेन-देन से होने वाले संक्रमण की आशंका बचाई। यात्राओं तथा बाजारों और सार्वजनिक स्थानों पर आने-जाने रोक लगाई +जा सकी तथा आरटी-पीसीआर टेस्ट, पीपीई किट, सेनीटाइजुर तथा टीके वाजिब कीमत पर सुलभ कराए गए। + +योजना का यह अंक वैज्ञानिक समुदाय, डॉक्टरों, इंजीनियरों और उन अनगिनत-अनाम लोगों की मानवीय सेवाओं को +समर्पित है जिन्होंने विज्ञान के विविध आयामों के अनुपम उपयोगों के जरिए हमारे जीवन की रक्षा की। कंप्यूटर पर इन +पंक्तियों को लिखते समय मेरे डेस्क पर सेनीटाइजुर की शीशी है, मोबाइल हैंडसेट है, स्टैपलर है, पेन है, और मेरे चेहरे पर +मुंह तथा नाक को ढकते हुए मास्क है। कुछ जिज्ञासु व्यक्तियों के बनाए इन आविष्कारों के बिना कैसे हमारा काम चल +रहा होता? मामूली मशीनों से लेकर जटिलतम यंत्रों तक, इन सभी आविष्कारों ने हमारे जीवन को निश्चित स्वरूप दिया है। + +विज्ञान विकास का जन्मदाता है। एक जिज्ञासु इतिहासकार की तरह यह हमें सटीक तरीके से हमारे अतीत से परिचित +कराता है, चमत्कारी भविष्य-वक्ता की तरह वह हमें जलवायु-परिवर्तन और उसके प्रभावों के प्रति आगाह करता है, और +एक सृजनशील कलाकार की तरह वह नवीनतम आविष्कारों के जरिए हमें भविष्य का नजारा दिखाता है। विज्ञान की +संभावनाएं अनंत हैं। + +वैज्ञानिक ज्ञान के इस अनंत विस्तार से युवा पीढ़ी को परिचय कराना हम सब की जिम्मेदारी है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण +और विवेकपूर्ण सोच विकसित करने से विज्ञान की दुनिया में कॉरिअर बनाने तक की यह यात्रा सबके लिए सुलभ +होनी चाहिए। 2020 की नई शिक्षा-नीति में विज्ञान को ज्ञान की अन्य शाखाओं से अलग नहीं रखने की दृष्टि है। इसमें +व्यावहारिक विज्ञान, कृत्रिम मेधा (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस), रोबोटिक्स जैसे विषयों पर ध्यान केन्द्रित किया गया है +और विद्यार्थियों के साथ कम आयु यानी बचपन से ही इंटरएक्टिव प्रयोगशालाओं के जरिए विज्ञान को मजेदार, रोचक +और जानकारीपूर्ण बनाने पर जोर दिया गया है। इस नीति में अनुसंधान के लिए धन मुहैया कराने और नवाचारों को +प्रोत्साहन देने का भी प्रावधान है। + +योजना के इस अंक में, विज्ञान और प्रौद्योगिकी की दुनिया के कुछ शानदार प्रसंग हैं। विज्ञान के कुछ चर्चित किंतु +अलपज्ञात क्षेत्रों - जैसे नेनोटेक्नोलॉजी, भूचुंबकीय, परमाणु ऊर्जा, पृथ्वी विज्ञान आदि के बारे में जानकारी दी गई है। आज +जब आप इस अंक को पढ़ रहे हैं, विश्व भर की प्रयोगशालाओं में अनेक आविष्कार, शोध, यहां तक कि सफल-असफल +प्रयोग जारी हैं। विज्ञान की सफलताओं की तरह, असफलताएं भी बहुत कुछ सिखाती हैं। हर नई सफलता या विफलता +के साथ, विज्ञान और प्रौद्योगिकी हमें अनंत संभावनाओं और मानवता के लिए नई उम्मीदों की ओर ले जाती है। = + + + + + + + +योजना, अक्टूबर 2021 5 + + + +0006.txt +<----------------------------------------------------------------------> +i ee + +कोविड-19 से मुकाबला + +डॉ शैलजा वैद्य गुप्ता + +विश्व स्वास्थ्य संगठन ( वर्ल्ड हेल्‍थ ऑर्गनाइजेशन - डब्ल्यूएचओ ) ने कोविड-19 को 30 जनवरी, 2020 को +“अंतरराष्ट्रीय चिंता का सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल' घोषित किया। इसके बाद इस रोग के फैलाव को +देखते हुए डब्ल्यूएचओ ने 11 मार्च, 2020 को इसे वैश्विक महामारी घोषित कर दिया। सार्स-कोब-2 से पैदा +कोविड-19 की वैश्विक महामारी कई मायनों में अभूतपूर्व है। इसने विश्व भर में स्वास्थ्य सेवा की तैयारियों +की कड़ी परीक्षा ली। इस संकट से मुकाबले की त्वरित प्रतिक्रिया कार्य योजना बनाने और लागू करने में हर +देश को संघर्ष करना पड़ा। प्रत्येक देश ने अपनी आर्थिक और स्वास्थ्य सेवा संबंधी विशिष्टताओं तथा वैज्ञानिक +तैयारियों के अनुकूल कार्य योजना के मॉडल विकसित किये। + +रत की जनसंख्या, घनी आबादी +भा वाले क्षेत्रों, विविधता और +स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों की + +स्थिति को देखते हुए देश के सामने चुनौतियां +कई गुना ज्यादा थीं। इस वैश्विक महामारी +के दौरान किसी भी अन्य देश क्वारंटाइन की +सरकार को भारत जैसी जटिल और विशाल +समस्या से रूबरू नहीं होना पड़ा। जांच, +रोगियों की पहचान, उनके एकांतवास की +व्यवस्था, मास्क और शारीरिक दूरी जैसे जन +स्वास्थ्य उपायों के क्रियान्वयन और चिकित्सा +सेवा से लेकर टीका विकास और उनकी +खरीद और डिलीवरी तक हर क्षेत्र में भारत +को विशाल, जटिल और निरंतर परिवर्तनशील +चुनौतियों का सामना करना पड़ा। + +भारत में वैज्ञानिक समुदाय ने इस संकट +का सामना अभूतपूर्व तेजी और जिम्मेदारी +के साथ किया। कोविड-19 को वेश्विक +महामारी घोषित किये जाने के फौरन बाद +21 और 24 मार्च, 2020 को नीति आयोग +के सदस्य डॉ वीके पॉल और भारत सरकार +के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार प्रो के विजय +wea की अध्यक्षता में अंतर-मंत्रालय +समिति की पहली बैठक आयोजित की गयी। +इस बैठक में आसन्‍न संकट का मुकाबला + +करने के लिये भारत की तैयारियों का जायजा +लिया गया। + +बैठक में वेब पोर्टल, रोगियों के संपर्क +में आये व्यक्तियों की पहचान के लिये +ऐप, हैंडबुक तथा आरटी-पीसीआर जांच +से संबंधित प्रयोगशाला नियमावली तैयार +करने के बारे में महत्वपूर्ण फैसले किये + +गये। इन फैसलों को तेजी से लागू किया +गया। नियामकों और नियामक विभागों से +कहा गया कि वे मंजूरी देने की प्रक्रिया में +ait ad, fearon went a fea +सुसंगत प्रोटोकॉल बनायें और कार्मिक सुरक्षा +उपकरणों - पर्सनेल प्रोटेकक्‍्शन इक्विपमेंट +(पीपीई) के मापदंडों का तत्काल मानकीकरण + +नोवेल कोरोना वायरस +(कोविड-19 ) + +हर चीज है पर्याप्त, हर रोज-हर किसी के लिए +घबराएं नहीं भागें नहीं जरूरत से ज्यादा जमा नहीं करें + +५# बाजार, दवाखानों ओर अस्पतालों में कम-से-कम एक मीटर +ee +- # अनिवार्य वस्तुओं/चिकित्सा सामग्री की खरीद के दौरान थेर्य +fe और शांति बनाये रखें + +४4 घरेलू सामान/चिकित्सा सामग्री खरीदने के लिए बार-बार +बाजार जाने से बचें + + + + +fi f आपकी सहायता में +~ +. + +हमारी मदद करें + + + + + + + + + + +A, +tt किसी से मिलने पर हाथ मिलाने या गले लगने से बचें + +—= ~ नहीं ~ +7. घर में गैरजरूरी भीड़ इकट्ठा नहीं करें +“end Ted sig erect नहीं + +हु घर में मेहमान नहीं बुलाएं और किसी के घर नहीं जाएं + +हर समय शारीरिक दूरी का पालन करें +ब्ांसी, बुखार या सांस लेने में तकलीफ ज॑से लखण होने पर एकांत मे रह +और हेल्पलाइन नंबरों पर तुरंत कॉल करे +'कोबिड-19 से संबंधित जानकारी के लिए + +स्वास्थ्य और परिवार CR Coe eer u CC cod +1075 (निःशुल्क)। 011-23978046, इमेल (01 9 101 9) शा], + + + + + + + + + + + + + + + + +लेखिका भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय में वरिष्ठ सलाहकार हैं। ईमेल: हभ्रा[4.95१&80ए.॥7 + +6 + +योजना, अक्टूबर 2021 + + + +0007.txt +<----------------------------------------------------------------------> +करें। उनसे कोविड प्रबंधन के लिये सूचना +प्रौद्योगिकी समर्थन को तुरंत प्राथमिकता के +आधार पर तैयार करने के लिये कहा गया। + +भारत कोविड-19 का प्रसार रोकने के +लिये सबसे पहले एहतियाती उपाय करने +वाले देशों में शामिल है। सरकार ने 30 मार्च, +2020 को मास्क के बारे में परामर्श जारी +किया। इस परामर्श का शीर्षक 'सार्स-कोव-2 +कोरोना वायरस का प्रसार रोकने के लिये +मुख ढकने : चेहरे और मुंह के घर में बने +बचाव आवरण (मास्क) पर नियमावली ' था। +मास्क के उपयोग के बारे में डब्ल्यूएचओ +और अमेरिका के रोग नियंत्रण केंद्र ने परामर्श +इसके बाद ही जारी किये। + +प्रधानमंत्री कार्यालय ने कोरोना टीके +(वेक्सीन) के अनुसंधान और विकास तथा +इनसे संबंधित विज्ञान और प्रौद्योगिकी के +विषयों पर 14 अप्रैल, 2020 को टीका कार्य +बल - वैक्सिन टास्क फोर्स (वीटीएफ) गठित +किया। टीके के विकास तथा इससे संबंधित +विज्ञान और प्रौद्योगिकी के अहम मसलों पर +विचार के लिये विशेषज्ञों और टीका कंपनियों +के साथ नियमित बैठकें की गयीं। वीटीएफ +और अन्य अधिकार प्राप्त समितियों के +कामकाज की निगरानी प्रधानमंत्री और उनका +कार्यालय लगातार कर रहे थे। + +वीटीएफ ने कोविड-19 की वेश्विक +महामारी से निपटने के लिये भारत के +वैज्ञानिक अनुसंधान और विकास की तत्काल +और महत्वपूर्ण कार्य योजना की रणनीति तैयार +की। इस रणनीति के छह प्रमुख स्तंभ हैं- +* टीका विकास +* पीपीई और वेंटिलेटर +° जांच, निगरानी और निदान +*« चिकित्सा विधान और औषधि +*« निगरानी : सीरो व्यापकता और जीनोम + +अनुक्रमण +* नियमन और नियामक समर्थन। +टीका विकास + +20 अप्रैल, 2020 को हुई वीटीएफ की +दूसरी बैठक में ही भारत बायोटेक, सीरम +इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, जाइडस कैडिला, +बायोलॉजिकल ई और मिनवैक्स की प्रस्तुतियों +की व्यवस्था की गयी। उद्योग को आश्वासन +दिया गया कि उसे नियामक, तकनीकी और +वित्तीय समेत सभी तरह की सहायता तेजी से +उपलब्ध करायी जायेगी। + +योजना, अक्टूबर 2021 + +खास तौर से झवास संबंधी स्वास्थ्य समेत +एहतियाती और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के + +आयुर्वेदिक साहित्य और वैज्ञानिक प्रकाशनों पर +आधारित आयुष मंत्रालय के परामर्श + +OF an प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के उपाय +६. दिन भर गुनगुना पानी पियें। +. रोजाना कम-से-कम 30 मिनट योगासन, +प्राणायाम और ध्यान का अभ्यास करें। +भोजन में हल्दी, धनिया और लहसुन +जैसे मसालों का उपयोग करें। + +प्रक्रियाएं + +9; सुबह और शाम दोनों नासिका +छिद्रों में तिल या नारियल का तेल + +7 =, +अथवा घी डालें। + +४ एक बड़ा चम्मच तिल या नारियल का तेल +मुंह में लें। इसे पियें नहीं। दो से तीन मिनट +मुंह में घुमाने के बाद फेंक दें। इसके बाद +। . गुनगुने पानी से कुल्ला करें। यह प्रक्रिया दिन ।ै +| में एक या दो बार की जा सकती है। + +कोविड-19 से बचाव 3 + +(= + +रोग sive +_ क्षमता बढ़ाने के +aman angie | TAT ) किये +जाने वाले उपाय + +भारत सरकार + +रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के आयुर्वेदिक नुस्खे @ + +“सुबह 10 ग्राम (एक छोटा चम्मच) च्यवनप्राश +लें। मधुमेह के रोगियों को शुगर फ्री च्यवनप्राश +लेना चाहिए। + +whe में एक या दो बार तुलसी, दालचीनी, +काली मिर्च, सौंठ और मुनक्का से बनी हर्बल +चाय/काढ़ा का सेवन करे। जरूरत होने पर +इसमें स्वादानुसार गुड़ और / या ताजे नींबू +का रस मिलायें + +& दिन में एक या दो बार सुनहरा +दूध पियें। इसे 150 मिलीलीटर +गर्म दूध में आधा छोटा चम्मच +हल्दी पाउडर डाल कर तैयार करें। + +सूखी खांसी» +गला खराब होने पर करें + +“दिन में एक बार पुदीने की ताजा +पत्तियों या अजवाइन के साथ +भाष लें। + +tit a ma में खिचाखिच होने पर दिन में +दो या तीन बार शक्कर या शहद में मिला कर +aM का पाउडर लें। + +“ 'सामान्य सूखी खांसी और गला खराब होने +पर आम तौर से ये उपाय कारगर हैं। लेकिन + +परेशानी बनी रहने की स्थिति में डॉक्टर से +परामर्श सबसे अच्छा है। + + + + + + + + + +भारत ने रिकॉर्ड समय में कोविड-19 के +टीके का विकास करते हुए उसका उत्पादन भी +शुरू कर दिया। सरकार, शिक्षा जगत और उद्योग +के सुसंगत और सामंजस्यपूर्ण मेल से भारतीय +विज्ञान की सबसे ज्यादा सफल कहानियों में + +भारत ने रिकॉर्ड समय में +कोविड-19 के टीके का विकास +करते हुए उसका उत्पादन भी +शुरू कर दिया। सरकार, शिक्षा +जगत और उद्योग के सुसंगत और +सामंजस्यपूर्ण मेल से भारतीय +विज्ञान की सबसे ज्यादा सफल +कहानियों में से एक कथा +लिखी गयी। जनवरी, 2021 +के पहले हफ्ते में कोविड-19 +के दो भारतीय टीकों- सीरम +इंस्टीट्यूट के कोविशील्ड और +भारत बायोटेक के कोवैक्सिन को +आपातकालीन इस्तेमाल के लिये +मंजूरी दे दी गयी। + +से एक कथा लिखी गयी। जनवरी, 2021 के +पहले हफ्ते में कोविड-19 के दो भारतीय +टीकों- सीरम इंस्टीट्यूट के कोविशील्ड और +भारत बायोटेक के कोवैक्सिन को आपातकालीन +इस्तेमाल के लिये मंजूरी दे दी गयी। कोवैक्सिन +को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद्‌ - +इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च +(आईसीएमआर) के सहयोग से विकसित +किया गया है। ये टीके कोविड-19 को वेश्विक +महामारी घोषित किये जाने के नौ महीने बाद +ही रिकॉर्ड समय में उपलब्ध हो चुके थे। यह +वक्‍त की कसौटी पर खरा उतरने की भारतीय +टीका उद्योग की क्षमता का सबूत है। इससे +टीका विकास और निर्माण में वैश्विक शक्ति +के रूप में भारत की छवि निखरी है। जाइडस +कैडिला के स्वदेशी जाइकोव-डी टीके को +अगस्त, 2021 में आपातकालीन इस्तेमाल की +इजाजत मिलने के बाद भारत की इस छवि में +और निखार आया है। + +भारत में ऐसी छोटी कंपनियों और +wees a भी उदय हुआ जो वायरस +सदृश्य कण - वायरस लाइक पार्टिकल +(वीएलपी) टीके के विकास में लगी हें। +इसके अलावा मिनवेक्स/भारतीय विज्ञान + +7 + + + +0008.txt +<----------------------------------------------------------------------> +आयुष मंत्रालय +भारत सरकार + +को शुगर फ्री च्यवनप्राश लेना चाहिए। + +7 5) सुबह 10 ग्राम (एक दोटा चम्मच च्यवनप्राश लें। मधुमेह के रोगियों + +मुनक्का से बनी हर्बल चाय/काढ़ा का सेवन करें। जरूरत होने पर + +र थम दिन में एक या दो बार तुलसी, दालचीनी, काली मिर्च, सौंठ और + +इसमें स्वादानुसार गुड़ या ताजे नींबू का रस मिलायें। + +3 © दिन में एक या दो बार सुनहरा दूध पियें। इसे 150 मिलीलीटर गर्म + +दूध में आधा छोटा चम्मच हल्दी पाउडर डाल कर तैयार करें। + +संस्थान, बेंगलूरू सार्स-कोव-2 के स्पाइक +प्रोटीन के तापरोधी अभिग्राहक बंधनकारी +प्रक्षेत्र - रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन (आरबीडी) +आधारित टीके का विकास कर रहा है। + +मौजूदा समय में लगभग 63.07 करोड़ +यानी 50 प्रतिशत भारतीयों को कोविड-19 के +टीके की पहली खुराक लगायी जा चुकी है। +यह संख्या विश्व की कुल आबादी का 8.2 +प्रतिशत है। इस उपलब्धि को अभूतपूर्व और +विस्मयकारी माना जा सकता है। टीकाकरण +की गति में तेजी आयी है और 27 अगस्त, +2021 को एक करोड से ज्यादा व्यक्तियों को +कोविड-19 का टीका लगाया गया। +पीपीई और वेंटिलेटर + +शुरुआत में भारत को मास्क और पीपीई +की घोर तंगी का सामना करना पड़ा। लेकिन +वह इस तंगी से तेजी से उबरते हुए जल्दी ही +गुणवत्तापूर्ण पीपीई का निर्यातक भी बन गया। +इस सफलता में रक्षा अनुसंधान और विकास +संगठन - डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट +ऑर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) तथा कपड़ा +मंत्रालय के दक्षिण भारत वस्त्र अनुसंधान +संघ - साउथ इंडिया टेक्सटाइल रिसर्च +एसोसिएशन (एसआईटीआरए) के प्रयासों + +8 + + + +की महत्वपूर्ण भूमिका रही। + +भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान - इंडियन +इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) , +कानपुर में पोषित एक स्टार्टअप ने एक विश्व +स्तरीय वेंटिलेटर डिजाइन किया और बनाया। +यह वेंटिलेटर परियोजना भारत में स्टार्टअप +पारिस्थितिकी के विकास का सबूत है। कई +अन्य कपनियों ने भी वेंटिलेटर समेत अनेक +उपकरणों का निर्माण किया है। इस काम +में आंध्र प्रदेश मेडटेक जोन (एएमटीजेड) , +विशाखापत्तमम की भूमिका खास तौर से +उल्लेखनीय है। +जांच, निगरानी और निदान + +जांच, निगरानी और निदान कोविड-19 +के प्रबंधन और रोकथाम के लिये जरूरी हैं। +इस रणनीति को प्रभावी ढंग से लागू किये +जाने से यात्रा और आजीविका से संबंधित +गतिविधियों को सामान्य बनाने में मदद +मिलती है। जांच की संख्या बढ़ाने के लिये +आसान नमूना संग्रह प्रोटोकॉल और किफायती +परीक्षण निदान की जरूरत होती है। विभिन्‍न +क्षेत्रों, अनुसंधान संस्थानों तथा सत्यापन, +प्रमाणन और निर्माण उद्योग ने मिल कर काम +करते हुए निदान किटों का विकास और + +निर्माण किया। + +वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान +परिषद-जीनशास्त्र और समेकन जीवविज्ञान +संस्थान, दिल्‍ली ने एफईएलयू-डीए, +एफएनसीएएस9 एडिटर लिंक्ड यूनिफॉर्म +डिटेक्शन जांच का विकास किया। उसने +टाटा हेल्‍थ के साथ साझेदारी में टाटा एमडी +चेक, सीआरआईएसपीआर फेलूदा सीएएस9 +आधारित नमूना संग्रह, जांच, रिपोर्ट और +निगरानी की समेकित प्रणाली का निर्माण +किया। आंकड़ों का प्रबंधन एक केन्द्रीय +क्लाउड में किया जा रहा हे। वहां से इसे +आईसीएमआर के डाटाबेस में सीधे प्रेषित +किया जा सकता है। आईसीएमआर ने +आईआईटी, दिल्‍ली में विकसित एकल जीन +पीसीआर निदान जांच का सत्यापन कर उसे +मंजूरी दे दी है। कोरोश्योर नाम से बाजार में +उपलब्ध यह जांच किफायती है। यह जांच +पीसीआर मशीनों के बेहद बुनियादी मॉडलों +के साथ भी की जा सकती हे। + +वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद +के हैदराबाद स्थित कोशिकीय और आणविक +जीवविज्ञान केन्द्र - सेंटर फॉर सेल्यूलर एंड +मोलिकुलर बायोलॉजी (सीसीएमबी) ने ड्राई +ag कलेक्शन-डायरेक्ट आरटी-पीसीआर +निदान प्रोटोकॉल विकसित किया है। इसे +आईसीएमआर से मंजूरी और सत्यापन मिल +चुका है। सीरो-निगरानी के काम में इसका +उपयोग किया जा रहा है। +चिकित्सा विधान और औषधि + +औषधि विकास की चार श्रेणियों को +प्राथमिकता दी गयी है। ये श्रेणियां हैं- +पुनर्डद्देशन, नये रसायन , पादप-फार्मास्यूटिकल +और पारंपरिक चिकित्सा ज्ञान से प्राप्त +औषधियां। केन्द्रीय औषधि मानक नियंत्रण +संगठन - सेंट्रल ड्रग weed aaa +ऑर्गनाइजेशन (सीडीएससीओ) ने जून, +2020 में कोविड-19 के गंभीर मामलों +में इलाज के लिये पांच दवाओं को मंजूरी +दी। ये दवाएं हैं- एंटीवायरल रेमडेसिविर +और फैविपिराविर, स्टीरॉयड डेक्सामेथासोन +तथा इम्यून सप्रेसेंट मोनोक्लोनल एंटीबॉडी +टोकीलिजुमैब और ईटोलिजुमैब। इसके +अलावा आयुर्वेदिक उत्पादों की उपलब्धता में +भी सुधार किया गया। + +हर देश को सिर्फ मौजूदा ही नहीं बल्कि +भविष्य के संकट से निपटने के लिये भी + +योजना, अक्टूबर 2021 + + + +0009.txt +<----------------------------------------------------------------------> +तैयारी करनी चाहिये। खरीद का प्रमुख स्रोत +एक ही होने के कारण लॉकडाउन के दौरान +सक्रिय फार्मास्यूटिकल संघटकों - ऐक्टिव +फार्मास्यूटिकल इनग्रेडिएंट्स (एपीआई) की +आपूर्ति श्रृंखला बुरी तरह प्रभावित हुई। इसलिये +औषधि डिजाइन में भारत की क्षमता को +समर्थन और दीर्घकालिक निवेश की जरूरत है। +वैश्विक महामारी के दौरान इस बात का ध्यान +रखा गया कि आयुर्वेदिक समेत सभी प्रकार +की संभावित दवाओं का सख्त क्लिनिकल +परीक्षण हो ताकि उनकी प्रभावोत्पादकता का +वैज्ञानिक सबूत उपलब्ध रहे। +निगरानी : सीरो व्यापकता और जीनोम +अनुक्रमण + +वीटीएफ ने वैश्विक महामारी की +शुरुआत में ही सीरो सर्वेक्षण के महत्व को +समझ लिया था। उसने सीरो सर्वक्षण के +लिये एक राष्ट्रीय योजना बनाने की सिफारिश +की। इसके बाद रोग के प्रसार के साक्ष्य +और संभावित समाधान मुहैया कराने के लिये +कोलार (कर्नाटक) और दिल्ली क्षेत्र में सीरो +सर्वेक्षण किये गये। + +सितंबर, 2020 में ब्रिटेन में कोविड-19 +वायरस के बी.1.1.7 वंश समूह का पता +चला जिसे अब अल्फा स्वरूप के नाम से +जाना जाता है। इसके परिणामस्वरूप ब्रिटेन में +कोरोना वायरस संक्रमण की चिंताजनक दूसरी +लहर शुरू हो गयी और बड़ी संख्या में मामले +सामने आने लगे। जल्दी ही इस समूह के पांच +जीन में लगभग 23 रूपांतर हो गये। इनमें से +17 प्रासंगिक और गैर-पर्याय स्वरूप रूपांतर +हैं। बढ़ी हुई संक्रामकता और विषाक्तता के +लिये दो महत्वपूर्ण रूपांतर जिम्मेदार हैं। बड़े +पैमाने पर निगरानी के जरिये आबादी में +संक्रमण में वृद्धि को शुरुआत में ही रोका +जा सकता है। सार्स-कोव-2 का अनुक्रमण +विस्तृत रूप से किये जाने के कारण ब्रिटेन +रूपांतोों की पहचान तेजी से करने में +सक्षम था। वीटीएफ ने वायरस निगरानी, +जीनोम अनुक्रमण और निरूपन के लिये +साम॑जस्यपूर्ण प्रोटोकॉलों के वास्ते साझा +मंच की जरूरत को दोहराया। इसके +परिणामस्वरूप. भारतीय सार्स-कोव-2 +जीनोमिक संघ की स्थापना की गयी। यह +संस्था देश में सार्स-कोव-2 के सक्रिय +स्वरूपों की बडे पैमाने पर प्रयोगशाला और +महामारी विज्ञान संबंधी निगरानी करती है। + +योजना, अक्टूबर 2021 + +सरकार की सबसे तेज प्रतिक्रिया +18 मई, 2020 की गजट +अधिसूचना में देखने को मिली। +इसके जरिये उद्योग को पहले +चरण के क्लिनिकल परीक्षण की +मंजूरी मिलने के बाद टीकों के +भंडारण की इजाजत भी दे दी +गयी। यह अधिसूचना उद्योग के +लिये समर्थकारी और विश्वास +पैदा करने वाली रही। नियामक +प्रक्रियाओं को आमूल सुधार की +जरिये स्थाई कुशल प्रणाली में +तब्दील करने की जरूरत को +समझते हुए अनुमतियां तेजी से +प्रदान करने की व्यवस्था की गयी। + +'नियमन और नियामक समर्थन + +सरकार की सबसे तेज प्रतिक्रिया 18 +मई, 2020 की गजट अधिसूचना में देखने को +मिली। इसके जरिये उद्योग को पहले चरण के +क्लिनिकल परीक्षण की मंजूरी मिलने के बाद +टीकों के भंडारण की इजाजत भी दे दी गयी। +यह अधिसूचना उद्योग के लिये समर्थकारी +और विश्वास पैदा करने वाली रही। + +नियामक प्रक्रियाओं को आमूल सुधार +की जरिये स्थाई कुशल प्रणाली में तब्दील +करने की जरूरत को समझते हुए अनुमतियां +तेजी से प्रदान करने की व्यवस्था की गयी। +वैश्विक महामारी के प्रकोप ने हमारी तैयारी +में खामियों को भी उजागर कर दिया। +चिहित परीक्षण स्थलों के अभाव में भारत +aan went में हिस्सा लेने के लिये +तैयार नहीं था। उद्योग और शिक्षा जगत दोनों +के लिये सामंजस्यपूर्ण सीटी प्रोटोकॉलों के +साथ क्लिनिकल परीक्षण अनुसंधान का ठोस +नेटवर्क टीका विकास की बुनियाद होता +है। वैश्विक महामारी के दौरान भारत में +कमजोर क्लिनिकल परीक्षण देखने को मिले। +इनमें से कुछ ही परीक्षणों का मकसद स्पष्ट +उत्तर ढूंढना था। इस स्थिति से सबक लेते +हुए भविष्य में ज्यादा व्यावहारिक अनुसंधान +व्यवस्था डिजाइन की जानी चाहिये। + +वीटीएफ ने सिफारिश की कि सरकार +को टीका विकास के तीसरे चरण के + +क्लिनिकल परीक्षण में उद्योग का समर्थन और +उसके साथ सहयोग करना चाहिये। कसौली +की केन्द्रीय औषधि प्रयोगशाला - सेंट्रल ड्रग +लैबोरेटरी (सीडीएल) की तरह परीक्षण और +प्रमाणन प्रयोगशालाएं देश के अन्य हिस्सों +में स्थापित करने की उसकी सिफारिश पर +अमल किया गया है। + +यह स्पष्ट था कि बडे पैमाने पर किसी +उत्पाद को तेजी से बाजार में लाने के लिये +खरीद प्रणाली को स्वदेश में विकसित उत्पादों +के अनुकूल होना चाहिये। अधिकांश भारतीय +किटों को खरीद के वैसे विशेष विवरणों +का सामना करना पड़ता है जिनका झुकाव +ज्यादातर स्थापित मानदंडों की तरफ है। + +अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देखें तो इस्तेमाल में +आसान परीक्षण बाजार में उभर रहे हैं। भारत +को इस मौके का फायदा उठाते हुए वैश्विक +बाजार के वास्ते अंतरराष्ट्रीय प्रमाणन और +मंजूरी के लिये आवेदन करना चाहिये। + +कोविड-19 से मुकाबले के दौरान कई +अन्य कोशिशों भी की गयीं जिनका जिक्र इस +आलेख में नहीं हुआ है। बेशक इस वैश्विक +महामारी ने हमें खराब वक्‍त दिखाया है। मगर +इस दौरान भारतीय विज्ञान और वैज्ञानिकों ने +उम्मीद की कसौटी पर खरा उतरते हुए उद्योग +के साथ सहयोग और तालमेल के जरिये हर +तरह से समाधान प्रस्तुत किया। + +कोविड-19 की वैश्विक महामारी +के दौरान इस रोग के टीके के विकास में +भारत की कामयाबी का इतिहास में जिक्र +होगा। आत्मनिर्भर भारत टीके के विकास +और उपयोग के लिये एकजुट हुआ। उसने +अभूतपूर्व राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाते हुए +शासन, शिक्षा जगत और उद्योग के बीच +सहयोग के जरिये देश की आबादी को +न्यायपूर्ण ढंग से और समानता के आधार पर +रिकॉर्ड समय में टीका उपलब्ध कराया। विश्व +के ज्यादातर देश ऐसा करने में नाकाम रहे +हैं। भारतीय वैज्ञानिक समुदाय टीकों, पीपीई, +वेंटिलेटर, निदान किट जैसी बहुत सारी चीजों +पर गर्व कर सकता है। लेकिन अभी काफी +कुछ और करने की जरूरत है। देश के शासन +और राजनीतिक नेतृत्व का ध्यान इस ओर है। +इसलिये विश्व को यह दिखा देने का समय +आ गया है कि भारतीय विज्ञान अब वेश्विक +वैज्ञानिक नेतृत्व में एक बड़ा भागीदार बनने +में सक्षम है। = + +9 + + + +0010.txt +<----------------------------------------------------------------------> +कोविड-19 से निपटने की भारतीय रणनीति + +डॉ अलका शर्मा +डॉ ज्योति मलिक लोगानी +डॉ कामाक्षी चैत्री + +जैवप्रौद्योगिकी विभाग-डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी (डीबीटी ) ने कोविड-19 से निपटने की एक +समन्वित रणनीति अपनायी है। डीबीटी , उसके स्वायत्त संस्थान और जैवप्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता +परिषद-बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंस काउंसिल ( बीआईआरएसी ) इस वैश्विक महामारी के शमन +की प्रभावी रणनीति विकसित करने के लिये पिछले साल भर से अथक प्रयास कर रहे हैं। वे स्वदेशी टीकों +के विकास, देखभाल के स्थान पर ही निदान और पारंपरिक ज्ञान आधारित उपचारों में सहयोग कर रहे हैं। +वे अनुसंधान के लिये संसाधनों की व्यवस्था के साथ ही सेवाएं भी मुहैया करा रहे हैं। डीबीटी-बीआईआरएसी +अनुसंधान समूह 100 से ज्यादा परियोजनाओं को सहयोग दे रहा है। पच्चास से ज्यादा स्टार्टअप उद्यामों ने +कोविड-19 से मुकाबले के लिये नवोन्मेषी उत्पाद विकसित किये हैं। + +विड-19 के सुरक्षित, प्रभावा और किफायती टीकों +को के विकास के लिये आत्मनिर्भर भारत 3.0 पैकेज +के तहत मिशन कोविड सुरक्षा शुरू की गयी + +है। पांच टीके- डीएनए टीका जाइकोव-डी, एमआरएनए टीका +एचजीसीओ-19, बायोलॉजिकल ई का सहायक-प्रोटीन उपइकाई +आधारित टीका कॉर्बेवैक्स, नाक से दिया जाने वाला टीका बीबीवी +154 और वायरस सदृश्य कण टीका जाइकोव-डी विकास के उन्नत +चरण में हैं। विश्व के पहले कोविंड-19 डीएनए टीके जाइकोव-डी +को जाइडस कैडिला ने विकसित किया है। मिशन के सहयोग से +विकसित इस टीके को 20 अगस्त, 2021 को राष्ट्रीय नियामक +प्राधिकरण-नेशनल रेगुलेटरी ऑथरिंटी (एनआरए) से आपातकालीन +इस्तेमाल की इजाजत मिल चुकी हे। + +भारत में कोविड-19 के कुल पांच टीकों को आपातकालीन +इस्तेमाल की इजाजत दी जा चुकी है। चार टीके क्लिनिकल विकास +के विभिन्‍न चरणों में हैं। इसके अलावा डीबीटी लगभग 100 करोड +रुपये के खर्च से तकरीबन 15 टीकों के विकास में उद्योग और +सार्वजनिक क्षेत्र की प्रयोगशालाओं को सहयोग दे रहा है। + +देश में टीके की मांग को पूरा करने के लिये कोवैक्सिन की +उत्पादन क्षमता बढ़ाने के मकसद से भारत बायोटेक इंडस्ट्रीज लिमिटेड +(बीबीआईएल) और सार्वजनिक क्षेत्र के तीन उपक्रमों को वित्तीय +सहायता दी जा रही है। कोवैक्सिन की मासिक उत्पादन क्षमता को +मौजूदा एक करोड़ खुराक से बढ़ा कर लगभग 10 करोड़ खुराक + +करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिये जिन तीन सार्वजनिक +उपक्रमों को सहायता दी जा रही है वे हैं- इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स +(हैदराबाद), हैफकिन बायोफार्मास्यूटिकल्स (मुंबई) और भारत +इम्यूनोलॉजिकल्स एंड बायोलॉजिकल्स (बुलंदशहर)। इसके अलावा +कोवैक्सिन उत्पादन के लिये बीबीआईएल से गुजरात कोविड वैक्सिन +कंसॉर्टियम (जीसीवीसी) को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की व्यवस्था की +जा रही है। जीसीवीसी में हेस्टर बायोसाइंसेज, ओमनीबीआरएक्स +बायोटेक्नोलॉजीजु प्राइवेट लिमिटेड और गुजरात बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च +सेंटर (जीबीआरसी ) शामिल हें। +टीका विकास के लिये वातावरण सुदृढ़ीकरण + +डीबीटी अपने संकेंद्रित मिशनों के तहत टीका विकास के +लिये वातावरण को मजबूत करने का प्रयास कर रहा है। टीकों का +परीक्षण देश भर में 54 क्लिनिकल ट्रायल स्थलों पर चल रहा हे। +इनमें सरकारी और निजी अस्पताल, क्लिनिक और प्रतिष्ठित शैक्षिक +संस्थान शामिल हैं। इनमें से हर स्थल से ऐसे 50 हजार से एक लाख +तक स्वस्थ वोलंटियर जुड़े हैं जिन पर लंबे समय तक नजर रखी जा +सकती है। ये स्थल श्रेष्ठ क्लिनिकल पद्धति, एक केन्द्रीय प्लेटफॉर्म +पर इलेक्ट्रॉनिक डाटा अभिग्रहण तथा चिकित्सकीय प्रस्तुतिकरण, +उपचार और परिणाम से संबंधित रोगियों के आंकड़े अभिग्रहीत करने +के लिये सुदृढ़ रोग रजिस्ट्री की संयोजित प्रणालियों से लैस हैं। + +कोविड सुरक्षा मिशन के तहत प्रतिरक्षाजनकता प्रयोगशालाओं को +आईआरएसएचए (पुणे) , सिंजीन इंटरनेशनल लिमिटेड (बेंगलूरू) और + + + + + +भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत बायोप्रौद्योगिकी विभाग में डॉ अल्का शर्मा वैज्ञानिक 'एच', डॉ ज्योति मलिक लोगानी वैज्ञानिक 'एफ' तथा + +डॉ कामाक्षी चैत्री वैज्ञानिक 'सी' हैं। ईमेल: ॥1.४.१0&)7०.॥1, ट्विटर: छो/93117418 + +10 + +योजना, अक्टूबर 2021 + + + +0011.txt +<----------------------------------------------------------------------> +टीएचएसटीआई (नयी दिल्ली) सहायता दे रहे + +डीबीटी अपने संकेंद्रित मिशनों + +लिये धन की व्यवस्था पीएम-केयर्स कोष से + +हैं। कोएलिशन फॉर एपिडेमिक प्रिपेयर्डनेस की गयी हे। +इनोवेशन (सीईपीआई) ने टीएचएसटीआई की के तहत टीका विकास के लिये पैक्ट कार्यक्रम + +प्रतिरक्षा परख प्रयोगशाला को कोविड-19 के +टीकों के केन्द्रीयकृत आकलन के लिये विश्व +की सात प्रयोगशालाओं में शामिल किया है। +सार्स-कोव-2 के नये स्वरूपों का इस्तेमाल +कर मान्य प्रतिरक्षा परख के विकास के लिये +टीएचएसटीआई में प्रयास चल रहे हें। +टीएचएसटीआई के वायरल निष्प्रभावन +परीक्षण जाइडस कैडिला, बायोलॉजिकल +ई, इंटस फार्मास्यूटिकल्स, प्रेमस बायोटेक, +मिनवैक्स और विरचोव बायोटेक को प्रदान किये गये हें। +आईआरएसएचए (पुणे) की प्रतिरक्षा परख प्रयोगशाला उनके आरएनए +टीकों के लिये जेनोवा बायोफार्मास्यूटिकल्स से प्रतिरक्षाजनकता परख +परीक्षण मुहैया करा रही है। +टीकों के पूर्व-क्लनिकल और क्लिनिकल विकास में तेजी +लाने के लिये पशु चैलेंज अध्ययन सुविधाओं ओर प्रतिरक्षा परख +प्रयोगशालाओं को सहायता दी जा रही है। सार्स-कोव-2 के लिये +पशु मॉडल सृजन मिशन के तहत जीवन विज्ञान संस्थान (भुवनेश्वर) , +इनस्टेम (बेंगलूरू) और भारतीय विज्ञान संस्थान (बेंगलूरू) को +मदद दी जा रही हे। पुनर्वितरण के लिये के-18 एचएसीई2 पारजीनी +(ट्रांसनीनिक) चूहा अभिजनक जोडियां इनस्टेम में उपलब्ध हें। +इसके अलावा डीबीटी-टीएचएसटीआई में पशु चैलेंज सुविधा +टीका निर्माताओं को हैम्स्टर चैलेंज सेवाएं मुहैया करा रही है। +जाइडस कैडिला, मिनवैक्स, बायोलॉजिकल ई, थेमिस मेडिकेयर और +वीआईएनएस बायोप्रोडक्ट्स लिमिटेड को हेम्स्टर संक्रमण मॉडल +आधारित टीका और एंटीवायरल परीक्षण सेवाएं प्रदान की गयी हैं। +डीबीटी प्रयोगशालाओं का सीडीएल के तौर पर उन्‍नयन +डीबीटी के दो स्वायत्त संस्थानों का टीका परीक्षण के लिये +उन्‍नयन कर उन्हें केन्द्रीय औषधि प्रयोगशाला-सेंट्रल ड्रग लैबोरेटरी +(सीडीएल) का दर्जा देने का फैसला किया गया है। ये हैं- राष्ट्रीय +पशु जैवप्रौद्योगिकी संस्थान, हैदराबाद और राष्ट्रीय कोशिका विज्ञान +केन्द्र, पुणे। यह फैसला टीकों का बैच परीक्षण बढ़ाने की जरूरत +को ध्यान में रखते हुए किया गया है। इस फैसले को लागू करने के + + + +योजना, अक्टूबर 2021 + +वातावरण को मजबूत करने +का प्रयास कर रहा है। टीकों +का परीक्षण देश भर में 54 +'क्लिनिकल टद्रायल स्थलों पर चल +रहा है। इनमें सरकारी और निजी +अस्पताल, क्लिनिक और प्रतिष्ठित +शैक्षिक संस्थान शामिल हैं। + + + +डीबीटी ने विदेश मंत्रालय के सहयोग +से क्लिनिकल परीक्षण विकास के लिये +साझेदारी-पार्टरशिप फॉर एडवांसिंग +क्लिनिकल ट्रायल्स (पैक्ट) कार्यक्रम शुरू +किया है। इसका मकसद पड़ोसी देशों में +टीका विकास गतिविधियों को बढ़ावा देना +है। इन देशों में क्लिनिकल परीक्षण क्षमता +बढ़ाने के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रमों का +आयोजन किया जा रहा है। श्रेष्ठ क्लिनिकल +प्रक्रिया, क्लिनिकल अनुसंधान में नेतिकता के पहलू, श्रेष्ठ +क्लिनिकल प्रयोगशाला प्रक्रिया तथा वैश्विक महामारी के दौरान नयी +टीका विकास और प्रतिरक्षा नीति पर प्रशिक्षण कार्यक्रमों की दो +श्रृंखलाएं आयोजित की जा चुकी हैं। +कोविड निदान और परीक्षण + +डीबीटी ने 'हब एंड wih’ मॉडल के तहत कोविड जांच को +बढ़ाने के लिये 21 शहरी॥क्षेत्रीय समूहों की पहचान की है। डीबीटी +के नो स्वायत्त संस्थानों को कोविड-19 की जांच के लिये मुख्य केन्द्र +के रूप में मान्यता दी गयी है। इन मुख्य केन्द्रों पर कुल 54 लाख +से ज्यादा नमूनों की जांच की जा चुकी है। + +दूरदराज के इलाकों में कोविड की जांच के लिये पहली संक्रामक +रोग सचल प्रयोगशाला विकसित और तैनात की गयी है। इस प्रयोगशाला +में 22500 से अधिक नमूनों की जांच की गयी है। आंध्र मेडटेक जोन +(एएमटीजेड) में स्थापित कोविड-19 मेडटेक मैनुफेक्चरिंग डेवलपमेंट +(कमांड) समूह को डीबीटी ने सहयोग दिया है। इस स्वदेशी निर्माण +केन्द्र ने प्रतेदिग लगभग 10 लाख आरटी-पीसीआर कोविड-19 निदान +जांच किट और तकरीबन एक लाख वीटीएम किट की उत्पादन क्षमता +हासिल कर ली है। एएमटीजेड अब तक 575 लाख आरटी-पीसीआर +जांच किट, 3.5 लाख कोविड एलिसा परीक्षण किट, 11 लाख वीटीएम +किट, 3000 आईआर थर्मोमीटर, 2000 से ज्यादा ऑक्सीमीटर और +4950 वेंटिलेटर बना चुका है। + +डीबीटी ने एक राष्ट्रीय बायोचिकित्सा संसाधन स्वदेशीकरण +समूह-नेशनल॒ बायोमेडिकल रिसोर्स इंडिजेनाइजेशन कसॉर्टियम +(एनबीआरआईसी) का गठन किया है। इसमें 300 से ज्यादा भारतीय +निर्माताओं को लगभग 15 बड़े आणविक जीवविज्ञान संघटकों/अभिकर्मकों +के निर्माण के लिये पंजीकृत किया गया है। एएमटीजेड-कमांड और +एनबीआरआईसी समूह आत्मनिर्भरता की जीवंत मिसालें हैं। +कोविड जीनशास्त्र + +1000 सार्स-कोव-2 आरएनए जीनोम सीक्वेंसिंग समूह ने देश +भर में एक हजार सार्स-कोव-2 जीनोम के अनुक्रमण का शुरुआती +लक्ष्य कुछ महीनों के रिकॉर्ड समय में ही हासिल कर लिया हे। +वायरस के रूपांतरों और चिंताजनक स्वरूपों-वेरिएंट्स ऑफ कसर्न +(वीओसी) के उद्भव और सामुदायिक प्रसार पर नजर रखने के +लिये भारतीय सार्स-कोव-2 जीनशास्त्र समूह-इंडियन सार्स-कोव-2 +जीनोमिक्स कसॉर्टियम (आईएनएसएसीओजी) की स्थापना की गयी + +11 + + + +0012.txt +<----------------------------------------------------------------------> +है। इस समूह में 28 क्षेत्रीय जीनोम अनुक्रमण + +पांच कोविड-19 जैव भंडारों का गठन + +प्रयोगशालाएं शामिल हैं। इस समूह के गठन डीबीटी ने विदेश मंत्रालय के कर उनमें जैवचिकित्सा अनुसंधानकर्ताओं के +का मकसद भारत में होने वाले कोविड-19. सहयोग से क्लिनिकल परीक्षण इस्तेमाल के लिये अब तक 40000 से ज्यादा +संक्रमणों से सार्स-कोब-2 का अनुक्रमण है। विकास के लिये साझेदारी- नमूनों का संग्रह किया गया है। नमूनों की + +आईएनएसएसीओजी के सहयोगी संस्थानों ने +30 अगस्त, 2021 तक 70420 नमूनों का +अनुक्रमण किया। कुल 51651 अनुक्रमों के +लिये पैंगोलिन वंशावली सूचना के साथ रैखिक + +पार्टनरशिप फॉर एडवांसिंग +'क्लिनिकल दायल्स ( पैक्ट ) +कार्यक्रम शुरू किया है। इसका + +साझेदारी के लिये दिशानिर्देश अधिसूचित +किये गये हैं। जैव भंडारों से निदान किटों के +सत्यापन तथा टीके के प्रभाव और प्रतिरक्षा +जनकता के आकलन में सहूलियत हुई है। + +सूची राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र-नेशनल सेंट... ऊसंद पड़ोसी देशों में टीका नियामक सरलीकरण +फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) को सौंपी विकास गतिविधियों को बढ़ावा डीबीटी ने पूरी सक्रियता दिखाते + +जा चुकी है। भारत से अब तक 46404 वायरल +जीनोम अनुक्रमों को वैश्विक अनुक्रम भंडार +“जीआईएसएआईडी' के साथ साझा किया जा +चुका है। इन 46404 में से 35014 वायरल +जीनोम अनुक्रमों को जीआईएसएआईडी में +आईएनएसएसीओजी के टेग के साथ साझा किया गया है। + +आईएनएसएसीओजी की गतिविधियों का विस्तार कर इनमें +निगरानी, लक्षित नमूना संग्रह, क्लिनिकल सह-संबंध के लिये +अस्पताल नेटवर्क के नमूनों के अनुक्रमण और पर्यावरणीय निगरानी से +संबंधित विभिन्‍न पहलुओं को शामिल किया गया है। +चिकित्सा विधान और जैव-भंडार + +जाइडस कैडिला ने डीबीटी-बीआईआरएसी के सहयोग से एंटी +वायरल औषधि विराफिन (पेगिलेटेड इंटरफेरॉन अल्फा-2बी) विकसित +की है। इस दवा को कोविड-19 के मामूली संक्रमण के इलाज के लिये +आपातकाल में सीमित इस्तेमाल के लिये मंजूरी दी गयी है। + +डीबीटी-आईसीजीईबी और सन फार्मा की साझा तौर पर विकसित +दवा एक्यूसीएच का दूसरे चरण का क्लिनिकल परीक्षण चल रहा है। +कोविड-19 के लिये क्लिनिकल परीक्षण की डीसीजीआई से मंजूरी +पाने वाली यह पहली पादप फार्मास्यूटिकल दवा है। आयुष मंत्रालय के +सहयोग से कोविड-19 के लिये प्राकृतिक उत्पादों से चिकित्सा विधान +विकसित किये जा रहे हैं। इसी तरह मोनोक्लोनल एंटी बॉडी आधारित +दवाओं पर भी काम चल रहा है। डीबीटी-बीआईआरएसी समर्थित +आईस्टेम रिसर्च प्राइवेट लिमिटेड ने रोग मॉडलिंग और कोविड-19 के +खिलाफ संभावित चिकित्सा विधानों के परीक्षण के लिये मानव इंड्यूस्ड +प्लूरीपोटेंट स्टेम सेल (आईपीएससी) से उत्पन्न फेफड़े के वायुमार्ग और +वायुकोशीय उपकला की कोशिकाओं का विकास किया है। + + + +कोविड-19 के लिए विज्ञान और +प्रौद्योगिकी से संबंधित कदम + +9-77 है चिकित्सा उपकरण और निदान । टीके । जैब चिकित्सा विधान । वानस्पतिकी + + + +६2171 :0०॥ है 6.18 उत्पादन संवर्द्धन सुविधाएं । त्वरित मंजूरियां । स्टार्टअप को सहायता । परामर्श + + + + + + + +12 + +देना है। इन देशों में क्लिनिकल +परीक्षण क्षमता बढ़ाने के लिये +प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन +किया जा रहा है। + +हुए कोविड-19 पर अनुसंधान में लगे +अनुसंधानकर्ताओं और उद्योगों की सहायता के +लिये अनेक कदम उठाये हैं। उसने तेजी और +सुगमता से मंजूरियों के लिये सीडीएससीओ +के साथ नजदीकी सहयोग से कोविड-19 से +संबंधित जैवसुरक्षा विनियम जारी किये हैं। अनुवांशिक परिवर्तन पर +समीक्षा समिति- रिव्यू कमेटी ऑन जेनेटिक मैनिपुलेशन (आरसीजीएम) +और डीसीजीआई ने कोविड-19 के लिये निम्नलिखित जैवसुरक्षा +विनियम जारी किये हैं- + +* त्वरित प्रतिक्रिया नियामक फ्रेमवर्क-इसका मकसद सभी नैदानिक +औषधियों और टीकों के लिये नियामक मंजूरियों में तेजी लाना है। + +* पुनःसंयोजक डीएनए अनुसंधान और जैव नियंत्रण विनियम और +दिशानिर्देश-ये अनुसंधान और विकास के उद्देश्य से कोविंड-19 +के नमूनों के प्रबंधन के लिये अंतरिम प्रयोगशाला जैवसुरक्षा +दिशानिर्देश हैं। + +* कोविड-19 टीका विकास के लिये त्वरित प्रतिक्रिया नियामक +फ्रेमवर्क- डीबीटी ने नीति आयोग के साथ मिल कर कोविड-19 +पर अनुसंधान के लिये जैव नमूनों और आंकड़ों की साझेदारी से +संबंधित ये दिशानिर्देश तैयार किये हैं। + +स्टार्टअप संस्थाओं को डीबीटी-बीआईआरएसी से मदद +डीबीटी से संबंधित सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम बीआईआरएसी + +ने पिछले नौ वर्षों में जैवप्रौद्योगिकीय नवोन्मेष और स्टार्टअप के लिये + +एक बहुत मजबूत और जीवंत पारिस्थितिकी का निर्माण किया है। +इसमें 4500 से ज्यादा स्टार्टअप, 60 जैव इंक्यूबेटर और सुस्थापित +शिक्षा उद्योग शामिल हैं। देश भर में फैले 50 बायोनेस्ट इंक्यूबेटरों +ने कोविड-19 के लिये 100 से ज्यादा स्टार्टअप समाधथानों को +परिपोषित किया है। बायोनेस्ट इंक्यूबेटरों ने मार्च 2020 से अब +तक 300 से ज्यादा आभासी कार्यक्रमों का आयोजन किया जिनमें +25000 से अधिक भागीदार शामिल हुए। ये कार्यक्रम व्यवसाय +परामर्श, वित्त व्यवस्था, उद्योग के साथ संपर्क, कानूनी सलाह तथा +कोविड-19 और उसके बाद के समय में स्थापित रहने से संबंधित +थे। डीबीटी-बीआईआरएसी समर्थित विभिन्‍न स्टार्टअप संस्थाओं के +कोविड-19 के लिये स्वदेश में विकसित पांच समाधानों को शुरू +किया गया है। कई अन्य समाधानों का भी शुभारंभ किया जा रहा है। +इनमें दूरस्थ रोगी निगरानी आईसीयू बिस्तर उपकरण और शीत श्रृंखला +लॉजिस्टिक्स के तहत दूरदराज के इलाकों में टीकों को पहुंचाने के +लिये टीका वाहक प्रणाली शामिल है। छा + +योजना, अक्टूबर 2021 + + + +0013.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +टीम दृष्टि की नई प्रस्तुति +अब दिल्‍ली क्लासरूम से लाइव ऑनलाइन क्लासेज़ + +155 फाउंडेशन लाडन बैच + +सामान्य अध्ययन (प्रिलिम्स + मेन्स) + + + + + +दृष्टि + +The Vision + + + + + + + + + + + + + + + +दृष्टि लर्निंग ऐप द्वारा + + + +021: ४1४71: (0 0 08 | + += अध्यापकों की 500+ लाइव कक्षाओं +के साथ ये सुविधाएँ एकदम निशुल्क + +3 वर्षों तक प्रिलिम्स टेस्ट सीरीज़ हैं 3 वर्षों तक प्रिलिम्स क्रैश कोर्स सभी टॉपिक्स के प्रिंटेड नोट्स +224000/- freon ₹45090/- निशुल्क ₹45090/-(9->) निशुल्क + +मुख्य परीक्षा के 24 टेस्ट 3 वर्षों तक करेंट अफेयर्स दुडे | प्रिलिम्स प्रेक्टिस सीरीज (6 बुक्स) +2400060/- निशुल्क ₹4320/- निशुल्क ₹4845/- निशुल्क +मेन्स कैप्सूल सीरीज़ (5 बुक्स) +=e + +ऑनलाइन फाउंडेशन कोर्स + +सामान्य अध्ययन (प्रिलिम्स + मेन्स) +डॉ. विकास दिव्यकीर्ति के मार्गदर्शन में + +मोड : पेन ड्राइव + +एडमिशन + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +छ्रारभ + + + + +अतिरिक्त जानकारी के लिये 9311406442 नंबर पर इंस्टॉलमेंद्स पर भी उपलब्ध ! अपने एंड्रॉयड फोन पर इंस्टॉल करें +5. है. 318८ है. है: है“: Me | Drishti Learning App + +योजना, अक्टूबर 2021 13 + +YH-1646/2021 + + + +0014.txt +<----------------------------------------------------------------------> +वैक्सीन की खोज + +गगनदीप कांग + +2020 का वर्ष वैक्सीन (टीका ) विज्ञान के लिए क्रांतिकारी रहा। वैक्सीन के इतिहास के 222 वर्षों में +पहली बार इतनी तेजी से और इतने प्लेटफॉर्मों पर संक्रमण फैलाने वाले वायरस को रोकने के लिए +टीके विकसित किए जा सके। जैव-चिकित्सा , इंजीनियरी और कंप्यूटर विज्ञान के सम्मिलित प्रयासों से +हमें वैक्सीनों (टीकों ) के लिए एंटीजेन खोजने और डिजाइन करने का अवसर मिला है। भविष्य में +ऐसे वायरसों के उभरने की चुनौती से मुकाबले के लिए हम जानवरों तथा मनुष्यों को संक्रमित करने +वाले कोरोना वायरसों का आनुवंशिक अनुक्रमण ( जेनेटिक सीक्वेंसिंग ) कर सकते हैं और इन वायरसों + +के नए प्रतिरूपों के उभरने पर नजर रख सकते हैं। + +यामक संस्थानों ने पिछले वर्षों में केवल एबोला की +रोकथाम के लिए पहले एडेनोवायरस-वैक्टर्ड टीका +(वेक्सीन) अनुमोदित किया और सार्स-कोव-2 + +(SARS-CoV-2) के लिए तीन स्वीकृत एडेनोवायरस-वैक्टर्ड टीके +उपलब्ध हैं। मैसेंजर आरएनए (ग़ारांप&) पर आधारित टीके बनाने +की टेक्नोलॉजी एक दशक से ज्यादा पुरानी है जिसके शक्तिशाली +रोग-प्रतिरोधक तथा शानदार संरक्षक परिणाम मिले हैं। नोवावेक्स +कंपनी ने पतंगे की कोशिकाओं में स्पाइक प्रोटीन डाल कर ज्यादा मात्रा +में प्रोटीन वैक्सीन बनाने की तकनीक विकसित की। प्रयोगशालाओं +के परीक्षणों (क्लीनिकल ट्रायल्स) में इस प्रक्रिया से प्राप्त टीके भी +मैसेंजर आरएनए टीकों जितने ही रोकथाम करने में सक्षम पाए गए +हैं। भारत में, कुछ ही समय पूर्व विश्व के पहले डीएनए टीके के +विवरण उपलब्ध हुए हैं। + +वैक्सीन इस वैश्विक महामारी से मुक्त होने का मार्ग हैं लेकिन +उनकी सफलता पर अब भी खतरा है क्योंकि वायरस के ऐसे +नए प्रतिरूपों (वेरिएंट्स) के पनपने का खतरा बना हुआ है जो +उस रोग-प्रतिरोधक प्रतिक्रिया से बच कर निकल सकते हैं जो +वायरस-आधारित टीकों अथवा सार्स-कोव-2 के पिछली पीढियों +के या पुराने वायरस प्रोटीन से पैदा होती है। कोरोना वायरस के +जिन प्रतिरूपों को हम जानते हैं, उनके आधार पर नये टीके बनाने +(उदाहरण के लिए, फाइजर-बायो एनटेक और मोडर्ना ने बीटा +प्रतिरूप पर आधारित वैक्सीन बना ली है और इसका परीक्षण भी कर +लिया है।) लेकिन अब कुछ वैज्ञानिकों ने ऐसे सार्वकालिक और सभी +कोरोना वायरसों के लिए प्रतिरोधक हो सकने वाली (यूनिवर्सल) +वैक्सीन बनाने के प्रयास शुरू कर दिए हैं जो न केवल सार्स-कोव-2 +और इसके प्रतिरूपों को रोकने के लिए प्रतिरक्षण देंगे, बल्कि कोरोना + +वायरस के भविष्य में विकसित हो सकने वाले खतरनाक प्रतिरूपों +से भी रक्षा कर सकेंगे। उल्लेखनीय है कि 5७1२5, MERS 3ik +सार्स-कोव-2 वायरस पिछले 20 सालों में ही पनपे हैं, इसलिए +पशुओं से मनुष्यों में नये कोरोना वायरस प्रतिरूपों से संक्रमण होने +की आशंका बनी हुई है। + +कोरोना वायरस के चार परिवार यानी प्रतिरूप हैं- अल्फा, बीटा, +गामा और डेल्टा। सार्स-कोव-2 एक बीटा कोरोना वायरस है। वास्तव +में मनुष्य को संक्रमित करने वाले सभी स्रात कोरोना वायरस अल्फा +अथवा बीटा परिवार के हैं। कोरोना वायरस की जीनीय विविधता +बहुत बड़ी है इसलिए इसके सभी परिवारों के सभी वायरसों से बचाने +वाली एक वेैक्सीन तैयार करना कठिन है। बीटा ake ase, +बल्कि विशेष रूप से इसके एक उप-समूह - सर्बेको वायरसों +(जिनमें एक-दूसरे से मिलते सार्स-कोव-1 ($/1२७-००५७-1) और +सार्स-कोव-2 शामिल हैं) - के लिए वैक्सीन बनाने के लिए +अनुसंधान चल रहा है। इस अनुसंधान के बाद, |शाग२७ जैसे अन्य +खतरनाक कोरोना वायरसों पर अनुसंधान को भी इसमें जोड़ा जाएगा + + + + + + + +लेखिका वेलकम ट्रस्ट रिसर्च लेबॉरेटरी डिबवीजन ऑफ गैस्ट्रोइंटेस्याइनल साइन्सेजु, क्रिश्वियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर में प्रोफेसर हैं। वेबसाइट: 8एथा5येणा०एल]ण७.३०॥॥ + +14 + +योजना, अक्टूबर 2021 + + + +0015.txt +<----------------------------------------------------------------------> +और फिर मनुष्य को संक्रमित करने वाले सभी कोरोना वायरसों के +रोग-प्रतिरोधण पर आगे अनुसंधान के बारे में विचार किया जाएगा। + +ऐसे चरण-बद्ध अनुसंधान की दिशा में विज्ञान और प्रौद्योगिकी +में प्रगति हुई है। जैब-चिकित्सा, इंजीनियरी और कंप्यूटर विज्ञान के +सम्मिलित प्रयासों से हमें वेक्सीनों (टीकों) के लिए एंटीजेन खोजने +और डिजाइन करने का अवसर मिला है। उत्कृष्ट सुपरकम्प्यूटिंग, +मशीन लर्निंग और प्रोटीन की संरचनाओं की मॉडलिंग कर पाने की +क्षमता होने से, अब हम अनेक प्रकार के कोरोना वायरसों के एक +जैसे एंटीजेन लक्ष्यों की पहचान कर सकते है। + +भविष्य में उभर सकने वाले वायरसों के प्रतिरोध के लिए कोरोना +वायरस फैलाने वाले पशुओं और मनुष्यों के आनुवांशिक अनुक्रमण +(जेनेटिक सीक्वेंसिंग) के विश्लेषण और वायरस के नए. प्रतिरूपों +(स्ट्रे) के उद्भव की मॉडलिंग करके योजना बनाई जा सकती +है। इन तरीकों से आने वाले समय का एकदम पूर्ण अंदाजा तो नहीं +लगाया जा सकता लेकिन इनसे ऐसे नए वायरसों का पता चल सकता +है जिनके प्रतिरोध के लिए तैयारी जुरूरी है। सार्स-कोव-2 से आगे +के वायरसों से प्रतिरक्षण की संभावनाओं की जांच के लिए अनेक +स्तर पर काम चल रहा है। + +अमेरिका के वाल्टर रीड इंस्टीट्यूट ने पशुओं में अध्ययन करते +सार्स-कोव-1 और सार्स-कोव-2 की प्रतिरोधक वैक्सीन तैयार कर +ली है। यह स्पाइक फेरिटिन नेनोपार्टिकल वैक्सीन के मनुष्यों पर +अध्ययन चल रहे हैं लेकिन यह तथा अन्य ताजा अध्ययनों में क्रॉस +रिएक्टिव इम्यून रिकोग्निशन यानी विभिन्न प्रकार के वायरसों के +खिलाफ रोग-प्रतिरक्षण पर ध्यान केन्द्रित किया गया है। ये अध्ययन +इस आकलन के लिए किए जा रहे हैं कि एक ही टीके से अनेक +प्रकार के वायरसों के खिलाफ रोग-प्रतिरक्षण कर पाने की कितनी +संभावनाएं हैं। + +नेनोपार्टिकल पर आधारित एक अन्य परीक्षण में स्पाइक प्रोटीन +के रिसेप्टर-बाइंडिंग डोमेन के विभिन्न हिस्सों +को लिया गया जो ग्राही मानव कोशिका से + +भविष्य में उभर सकने वाले + +स्वस्थ और सुरक्षित रहें + +कोविड-19 के मार्गनिर्देश का पालन करें + +५ | ye दि क्र + +औ #ती +४ +mw “ + +वैक्सीन नियमित रूप. मास्क पहनें +लगवाएं से हाथ धोएं + +न +@ + +५ ।2॥ +४ + +| + + + +रोक सकती हें। + +दूसरा तरीका कोशिकीय प्रतिक्रिया का है जिसमें टी-कोशिकाएं +संक्रमित कोशिकाओं को नष्ट कर संक्रमण को समाप्त कर सकती +हैं। हर एंटीबॉडी को पाने के विशिष्ट लक्षण होते हैं इसलिए व्यापक +एंटीबॉडी प्रतिक्रिया प्रेरित करने के लिए वेक्सीन में अनेक एंटीजेन +होने चाहिए। टी-कोशिकाएं कोशिकाओं में टूटे हुए कुछ वायरसों की +पहचान कर पाती हैं। + +एचआईवी का टीका तैयार करने के अनुसंधान में जुटे वैज्ञानिकों +ने यह महत्वपूर्ण खोज की थी कि व्यापक +तौर पर संक्रमणों को निष्प्रभावा कर पाने + +जुड़ते हैं। इस प्रक्रिया से उत्पन्न रोग-प्रतिरोधी वायरसों के प्रतिरोध के वाली एंटीबॉडी अनेक प्रकार के वायरसों +प्रतिक्रिया सार्स-कोव-1, सार्स-कोव-2 और लिए कोरोना वायरस फैलाने के प्रवेश को रोक सकती हैं। इन व्यापक +स फैलाने + +ariel act wt कोरोना वायरसों पर x पशुओं . मनुष्यों तौर पर संक्रमणों को निष्प्रभावा कर पाने + +, वाले पशुओं और मनुष्यों के एंटीबॉडी संक्रमित लोगों में +प्रभावी पाई गई। इस तरह के अन्य अनुसंधान आनुवांशिक जेनेटिक वाली एंटीबॉडी बहुत कम संक्रमित लोगों में +भी तेजी से किए जाने की संभावना है। इन का अनुक्रमण ( जेनेटिक पनपती हैं लेकिन उल्टी प्रतिक्रिया (रिवर्स +सभी का यही समान उद्देश्य है कि ज्यादा सीक्वेंसिंग ) के विश्लेषण और इंजीनियरिंग) के जरिए इन एंटीजेन को +से ज्यादा व्यापकत और अधिकतम समय तक वायरस के नए प्रतिरूपों (स्ट्रेंस) तैयार कर उनसे नियमित रूप से व्यापक +प्रभावी रोग-प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो के उद्भव की मॉडलिंग करके लक्षणों वाली एंटीबॉडी बनायी जा सकती हैं +और बेहतर तरीके से इस प्रतिरोधक क्षमता योजना बनाई जा सकती है। इन और एचआईवी के लिए इनका इस्तेमाल किया +का - शुरू में पशुओं में और बाद में मनुष्यों तरीकों भी गया है और अब सार्स-कोव-2 के लिए + +तरीकों से आने वाले समय का + +में - निश्चित निर्धारण हो सके। + +अनेक प्रकार के वायरसों से व्यापक +प्रतिरोधक प्रणाली दो तरीकों से विकसित हो +सकती है। पहला तरीका एंटीबॉडी प्रतिक्रिया +का है, जिसके अंतर्गत विभिन्न प्रोटीन की +पहचान कर सकने वाली एंटीबॉडी पैदा होती +है जो मानवीय कोशिका में वायरसों का प्रवेश + +योजना, अक्टूबर 2021 + +एकदम पूर्ण अंदाजा तो नहीं +लगाया जा सकता लेकिन इनसे +ऐसे नए वायरसों का पता चल +सकता है जिनके प्रतिरोध के लिए +तैयारी जरूरी है। + +भी शुरू कर दिया गया है। शोधकर्ताओं ने +पता लगाया है कि उक्त तरीके से निर्मित +रिएक्टिव एंटीबॉडीस्पाइक प्रोटीन के सब यूनिट +2 को निशाना बनाती है। इस प्रतिक्रिया को +प्रेरित करने वाले वायरस के दोनों हिस्सों के +लक्षणों को टीक से समझने और एंटीबॉडीज +द्वारा अनेक प्रकार के कोरोना वायरसों को + +15 + + + +0016.txt +<----------------------------------------------------------------------> +नष्ट किया जाना सुनिश्चित किए जाने के +लिए अभी और अनुसंधान जरूरी है। व्यापक +लक्षणों वाले संक्रमणों पर प्रभावी वैक्सीनों +में मुख्यतः टी-कोशिकाओं वाला तरीका +अपनाए जाने की संभावना है। स्पाइक प्रोटीन +के विभिन्न हिस्सों के लिए शोधकर्ता मैसेंजर +आरएनए (शाराप») वाला तरीका इस्तेमाल +कर रहे हैं क्योंकि यह प्रमाणित हो चुका है +कि स्पाइक-आधारित टीकों से टी-सेल वाली +प्रतिक्रिया होती है। एक अन्य तरीका यह +है स्पाइक प्रोटीन को न्यूक्लिओकैप्सिड जैसे +अन्य प्रमुख प्रोटीनों से जोड़ कर उपयोग किया +जाए। न्यूक्लिओकैप्सिड व्यापक टी-कोशिका +प्रतिक्रिया के मामले में स्पाइक प्रोटीन से +कम विविधतापूर्ण है। दूसरे प्रयासों में, +रिसेप्टर-बाइंडिंग डोमेन अथवा विभिन्न कोरोना +वायरसों से पैदा होने वाले स्पाइक प्रोटीनों को +नेनो-पार्टिकलों पर लगा देने अनेक प्रकार की +विशिष्ट एंटीबॉडी प्रतिक्रियाएं होती हैं। + +इन विभिन्न वेक्सीनों के प्रभाव का पहले +पशुओं पर आकलन किया जाना होगा। उसके +बाद ही इनका मनुष्यों पर परीक्षण किया जा +सकेगा। परीक्षणों की प्रक्रिया जटिल होगी + +इस वैश्विक महामारी का एक +प्रमुख निष्कर्ष यही है कि अनेक +तरीकों से प्रतिरक्षण पर काम +करना जूरूरी है। सभी वायरसों +पर असर कर सकने वाली +सार्वकालिक वैक्सीन विकसित +करना आसान काम नहीं है। +इंफ्लुएंजा की बीमारी के वायरस +इतने विविधतापूर्ण हैं जो बैक्सीन +विज्ञान के लिए दशकों से चुनौती +बने हुए हैं और अब तक इसकी +कोई पूर्ण प्रभावी वैक्सीन नहीं बन +पाई है। सार्सटकोव-2 वायरस के +fan trem टेक्नोलॉजी +की सफलता ने इस क्षेत्र में इस +क्षेत्र में अनुसंधान में नई जान +फूंक दी है और सार्स-कोव-2 +वायरस से प्रतिरक्षण से मिली नई +जानकारियों के बाद सभी प्रकार + +पहले सभी गलतियों को साफ करता चलता हे। + +यह देखने की बजाय कि कोई वेक्सीन +किसी रोग से प्रतिरक्षण देगी, यह समझने और +परीक्षण करने की निरंतर आवश्यकता रही है +कि क्‍या कोई नई आविष्कृत वैक्सीन सुरक्षित है। +अन्य वायरल संक्रमणों के मामलों में ऐसे मामले +रिकॉर्ड किए गए हैं जिनमें टीके के कमजोर +असर की वजह से टीका लगे व्यक्तियों को +गंभीर रूप से बीमार होने का खतरा हो गया। +इस प्रवृत्ति को एंटीबॉडी-आधारित रोगवृद्धि +(एंटीबॉडी-डिपेंडेंट एनहांसमेंट) कहते हैं। +हालांकि $५1२५-(०५७-2 की अब तक विकसित +वैक्सीनों के साथ ऐसा नहीं हुआ है, लेकिन +बाद में ऐसा होने की आशंका तो बनी ही रहेगी +जब कभी टीका लगाने से पैदा हुई एंटीबॉडी +कमजोर पढ़ जाएं, अथवा सभी प्रकार के +कोरोना वायरसों के लिए भविष्य में विकसित +होने वाले टीके के साथ ऐसा हो जाए। + +अगर हमें भावी वैश्विक तथा अन्य +महामारियों के लिए प्रभावी टीके विकसित +करने हैं तो अभी से ही अधिक गंभीरता से +अनुसंधान करना होगा। हमें समझना होगा कि +वायरल संक्रमणों का फैलाव और उससे मनुष्यों + +क्योंकि पशुओं को अनेक प्रकार के वायरसों. के इंफ्लुएंजा का सार्वकालिक का संक्रमित होना कोई कई बहुत दूर कौ +से संक्रमित करना पड़ेगा ताकि इस्तेमाल किए एक ही टीका विकसित करने के आशंका नहीं होती, और कभी भी ऐसे संक्रमण +जा रहे टीके की संक्रामण-प्रतिरोधक क्षमता अधिक प्रयास किए जा रहे हैं। का फैलाव हो सकता है। विश्व भर में ऐसे + +का जायजा लिया जा सके। हालांकि एक +वायरस के खिलाफ संक्रमण-प्रतिरक्षण के आकलन की प्रक्रिया भी +काफी कठिन होती है। + +साथ-साथ चल रहे प्रयासों से वैक्सीन विज्ञान की तत्काल +आवश्यकता और इसके बड़े फायदों का पता चलता है। इस वेश्विक +महामारी का एक प्रमुख निष्कर्ष यही है कि अनेक तरीकों से प्रतिरक्षण +पर काम करना जरूरी है। सभी वायरसों पर असर कर सकने वाली +सार्वकालिक वैक्सीन विकसित करना आसान काम नहीं है। इंफ्लुएंजा +की बीमारी के वायरस इतने विविधतापूर्ण हैं जो वेक्सीन विज्ञान के लिए. +दशकों से चुनौती बने हुए हैं और अब तक इसकी कोई पूर्ण प्रभावी +वैक्सीन नहीं बन पाई है। सार्स-कोव-2 वायरस के लिए मैसेंजरआरएनए +टेक्नोलॉजी की सफलता ने इस क्षेत्र में इस क्षेत्र में अनुसंधान में नई +जान फूंक दी है और सार्स-कोब-2 वायरस से प्रतिरक्षण से मिली नई +जानकारियों के बाद सभी प्रकार के इंफ्लुएंजा का सार्वकालिक एक ही +टीका विकसित करने के अधिक प्रयास किए जा रहे हैं। + +लेकिन सार्स-कोव-2 वायरस में विविधता कम है इसलिए इसके +लिए सार्वकालिक और विभिन्न प्रतिरूपों के लिए प्रतिरोधक टीका बना +पाने की अधिक संभावना है। इंफ्लुएंजा और कोरोना वायरस - दोनों +के वायरस नये-नये रूपों में परिवर्तित होते हैं, लेकिन सार्स-कोव-2 +में ऐसे उत्परिवर्तन अपेक्षाकृत धीमे होते हैं क्योंकि कोरोना वायरस में +एक प्रूफ-रीडिंग एंजाइम होता है जो वायरस के नये प्रतिरूप बनाने से + +16 + +संक्रमणों का पता लगाने और टीकों के लिए +बडे पैमाने पर प्रयास जारी हैं। भारत में भी अनुसंधान कार्य जारी हैं +लेकिन हमने वैक्सीन अनुसंधान का ऐसा कोई बड़ा कार्यक्रम नहीं +चलाया है जिसके अंतर्गत उद्योगों और सरकार द्वारा विशेषज्ञता के +विभिन्न क्षेत्रों में किए जा रहे शोध और अनुसंधान-कार्यों को आपस में +जोड़ा जा सके ताकि वेक्सीन विज्ञान में अपेक्षित प्रगति हो सके। भविष्य +के लिए उचित तैयारी के लिए बुनियादी ढांचे, मनुष्यों तथा संसाधनों +पर निवेश किया जाना जुरूरी है। भारत में अनेक उत्कृष्ट संस्थाएं और +समर्थ वैज्ञानिक हैं लेकिन, खास तौर से जीवविज्ञान में, हमारा ज्यादातर +शोध-कार्य प्रक्रियाओं और कार्य-प्रणालियों को समझने तक सीमित होता +है, उपचारों तथा उपयोग की नई टेक्नोलॉजी के विकास के लिए कम +होता है। मेडिकल शिक्षा संस्थाओं को भी ऐसे अनुसंधान से जोड़ने के +भी सीमित प्रयास ही हुए हैं। वेक्सीन विज्ञान की भावी प्रगति के लिए +ऐसी कार्यनीति और नेटवर्किंग की विधिवत स्थापना जुरूरी है। +वैश्विक स्वास्थ्य के लिए टीकों का होना प्राथमिकता है और +वर्तमान महामारी में हमने टीकों के महत्व को समझा है। भारत में, +हमें अगली चुनौतियों का मुकाबला कर पाने के लिए तेजी से प्रयास +करने होंगे ताकि हम तीव्रता से और अधिक मात्रा में टीके तैयार कर +सकें। बिना समुचित निवेश के, यह संभव नहीं हो सकेगा। इसलिए +हमें अभी से योजना बनानी होगी और उसे अमल में लाना होगा। +नहीं तो बहुत देर हो जाएगी। | + +योजना, अक्टूबर 2021 + + + +0017.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +फिट इंडिया मोबाइल ऐप + +इस ऐप से, नागरिक सरल परीक्षणों की एक श्रृंखला के माध्यम से अपने फिटनेस मानकों का +आकलन कर सकते हैं और नियमित आधार पर फिटनेस में सुधार के तरीके प्राप्त कर सकते हैं। +इसके अतिरिक्त, फिट इंडिया मोबाइल ऐप में दैनिक गतिविधि और फिटनेस लक्ष्य निर्धारित करना, +गतिविधि दैकर, पानी का सेवन, कैलोरी सेवन और स्‍लीप दैकर आदि जैसी विशेषताएं हैं। + + + +Fo + +FiT + +INDIA + +Mobile App + + + + + + + + + + + + + +FT FIT +म्राए + + + + + + + + + + + +20 19 में भारत को एक फिट और स्वस्थ राष्ट्र बनाने की दृष्टि से +फिट इंडिया मूवमेंट शुरू किया गया था। मुख्य संदेश यह है +कि फिटनेस आसान, मजेदार और मुफ्त है, और इसका अभ्यास कहीं भी +किया जा सकता है। एक साल बाद, फिट इंडिया आंदोलन की पहली +वर्षाांठ के अवसर पर, प्रधानमंत्री ने 'तीन आयु समूहों (1) 5-18 +वर्ष (2) 18-65 वर्ष, और (3) 65 वर्ष से अधिक उप्र के लिए +*आयु-उपयुकत फिटनेस प्रोटोकॉल' का शुभारंभ किया। यह एक विशेषज्ञ +समिति द्वार विकसित और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा +समर्थित है। इसके लिए अब फिट इंडिया ऐप लॉन्च किया गया है। यह +मुफ्त है और Uses SR aie दोनों प्लेटफॉर्म पर अंग्रेजी और +हिंदी में उपलब्ध है और यह बुनियादी स्मार्टफोन पर भी काम करता है। + +फिट इंडिया ऐप की अनूठी विशेषताएं प्रत्येक व्यक्ति को आयु +विशिष्ट फिटनेस परीक्षणों के आधार पर अपने फिटनेस स्कोर की जांच +करने के लिए सशक्त बनाना और योग प्रोटोकॉल सहित शारीरिक +गतिविधियों के माध्यम से अपने फिटनेस स्तर को बेहतर बनाने के बारे +में विशिष्ट सिफारिशें प्राप्त करना है। व्यक्तियों को फिटनेस परीक्षण करने +की प्रक्रिया के बारे में समझाने के लिए एनिमेटेड वीडियो प्रदान किए. +गए हैं। ये सुविधाएं आयु-उपयुक्त फिटनेस प्रोटोकॉल पर आधारित हें। + +“फिटनेस प्रोटोकॉल'' सुविधा विभिन्न आयु समूहों के उपयोगकर्ता +को विभिन्न व्यायाम करने के सुझाव देती है जो उन्हें बुनियादी फिटनेस +स्तरों को बनाए रखने में सक्षम होने में मदद करती है। प्रोटोकॉल में +ऐसे व्यायाम शामिल हैं जिनका सार्वभौमिक रूप से पालन किया जाता +है और स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा विधिवत पुष्टि की जाती है। + +हर किसी की उम्र, लिंग, वर्तमान जीवनशैली और शरीर की +संरचना के आधार पर अलग-अलग भोजन, गतिविधि और जलयोजन +की आवश्यकता होती है। फिट इंडिया मोबाइल ऐप की “माई प्लान! +सुविधा उपयोगकर्ताओं को उनकी वर्तमान जीवन शैली को परिभाषित +करने देती है- शारीरिक गतिविधि, पानी का सेवन, सोने के घंटे, +वर्तमान वजन और लक्षित वजन पर खर्च किया गया समय- एक +अनुकूलित भोजन योजना प्राप्त करने के लिए, उनके लिए जीवनशैली +में परिवर्तन के लक्ष्य हासिल करना। फिट इंडिया ऐप भारतीय भोजन +योजना, पानी के गिलास की संख्या और घंटों की नींद की सिफारिश +करता है। + +एप्लिकेशन की “गतिविधि ट्रैकर' सुविधा उपयोगकर्ताओं को +उनके दैनिक-गतिविधि स्तरों पर नजर रखने में मदद करती हे। +रीयल-टाइम स्टेप ट्रैकर व्यक्तियों को उनके दैनिक कदमों को ट्रैक +करने में मदद करता है और उन्हें अपने लिए उच्च लक्ष्य निर्धारित +करने के लिए प्रोत्साहित करता है। वे प्रति घंटा रिमाइंडर सेट कर +सकते हैं और समय के साथ फिटनेस स्कोर और दैनिक गतिविधि +की अपनी प्रगति को ट्रैक कर सकते हैं, फिटनेस और जीवनशैली में +बदलाव के लिए अधिक लोगों को प्रेरित करने के लिए दूसरों के साथ +अपनी फिटनेस और गतिविधि डेटा साझा कर सकते हैं। + +ऐप व्यक्तियों, स्कूलों, समूहों और संगठनों को विभिन्न फिट +इंडिया इवेंट्स, सर्टिफिकेशन प्रोग्राम आदि में भाग लेने के अवसर भी +प्रदान करता है। लोग इस प्लेटफॉर्म का उपयोग करके अपनी फिटनेस +की सफलता की कहानियों को साझा कर सकते हैं। 7 + + + +डाउनलोड लिंक + + + +एंड्रॉयड के fem: https://play.google.com/store/apps/details?id=com.sai fitIndia +आईओएस के लिए; ॥195:/9775.370010.00०1/75/8/[/ग-ावां4-10016-39[/141 581063890 + + + + + + + + + +योजना, अक्टूबर 2021 + +17 + + + +0018.txt +<----------------------------------------------------------------------> += + +वैज्ञानिक संचार पर aa fat a fae + +डॉ नकुल पाराशर + +विज्ञान को लोकप्रिय बनाने के भारत के एजेंडे को हितथारक आधारित अनेक दोतरफा तरीकों से पूरा किया +जा रहा है। यह एक-दूसरे को मजबूती देने वाले “'लोकनीति के तीन लक्ष्यों" को पूरा करने में ताकृतवर ज्ञान +आधारित साधन के तौर पर काम करता है। पहला लक्ष्य है नागरिकों को जानकारियों से लैस करना। इसमें +विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा वैज्ञानिक और ज्ञान प्रणालियों के विकास पर खास जोर दिया जा रहा है। दूसरा +लक्ष्य संचार क्षमता का निर्माण है जिसमें औपचारिक और अनौपचारिक शिक्षण और ज्ञानार्जन प्रणालियों +का उपयोग किया जा रहा है। तीसरा लक्ष्य वे कार्य हैं जो ज्ञान संवर्द्धन के बाद आते हैं। यह विज्ञान संचार +की अरैखिक विशिष्टता है जो विनियमों के अंतरसंबंधों, विकल्पों तक पहुंच की सहजता, उनके इस्तेमाल +की क्षमता तथा अधिकारों के उपयोग के लिये न्‍्यायसंगतता और न्याय के वातावरण से निर्धारित होती है। + +विड-19 ने दुनिया भर में हर किसी को प्रत्यक्ष या +को परोक्ष रूप से प्रभावित किया है। इसने जीवन के +सामान्य ढर्रें को बुरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। +नयी सामान्य स्थिति यानी न्यू नार्मल पर चर्चा होने लगी है। इन +सब के बीच समूची मानवता वैज्ञानिक समुदाय की ओर बेसब्री से +देख रही है। उसे उन टीकों का इंतजार है जो इस रोग का प्रभावी +ढंग से उन्मूलन कर सकेंगे। मौजूदा समय में चर्चा का मुख्य विषय +कोविड-19 और उससे निपटने के उपाय ही हैं। काफी अरसे से +विश्व में विज्ञान और प्रौद्योगिकी से संबंधित सूचनाओं को नीरस माना +जाता रहा था। लेकिन इस वैश्विक महामारी ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी +के कैसे, Bl, क्या और कब से वाकिफ रहने की जरूरत को फिर +से रेखांकित किया है। वैज्ञानिकों के लिये भी यह महत्वपूर्ण हो गया +है कि वे अनुसंधान के क्षेत्र की घटनाओं से समाज को समय पर +अवगत करायें। इसे हम वैज्ञानिक सामाजिक जिम्मेदारी - साइंटिफिक +सोशल रेस्पांसिबिलिटी (एसएसआर) कहते हैं। किसी भी समाज और +देश के लिये आगे बढ़ना महत्वपूर्ण है। नागरिकों के लिये जरूरी है +कि वे वैज्ञानिक सोच रखें तथा विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में +विकासक्रम से वाकिफ रहें। +हमारे संविधान में वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने और परिपोषित +करने तथा तार्किक सोच को बढ़ावा देने की बात कही गयी है। +विज्ञान प्रसार (विप्र) ने वैज्ञानिक संचार, प्रसार और विस्तार - साइंस +कम्युनिकेशन, पॉपुलराइजेशन एंड एक्सटेंशन (स्कोप) के साथ इस +सांवैधानिक लक्ष्य को पूरा करने का ster उठाया है। वह प्रिंट, +इलेक्ट्रॉनिक, डिजिटल और सोशल मीडिया समेत सभी संभव संचार +मंचों पर सक्रिय है। यह रचनात्मक, अंतर-विषयक और प्रभावी मंच + +विचार-विमर्श और ज्ञान के प्रसार को संभव बनाता है। इसने भारतीय +विज्ञान को वेश्विक वैज्ञानिक मानचित्र पर स्थान दिलाने में मदद की +है। विज्ञान प्रसार (विप्र) ने अपना कामकाज 1989 में शुरू किया +था। तब से वह स्कोप से संबंधित जरूरतों को पूरा करने में देश की +सेवा कर रहा हे। + +स्कोप को विज्ञान और प्रौद्योगिकी नवोन्मेष नीति, 2020 के +मसौदे में भी जगह दी गयी है। भारत सरकार की इस युगांतरकारी +नीतिगत पहल में वैज्ञानिक संचार को अंतिम छोर तक पहुंचाने के +लिये इसे स्थानीय और अतिस्थानीय संदर्भों के साथ भारतीय भाषाओं +में करने पर जोर दिया गया है। विप्र पिछले दो वर्षों से विभिन्‍न +भारतीय भाषाओं के जरिये विज्ञान को लोकप्रिय बनाने में लगा हे। +इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में प्रवेश + +विप्र अपनी शुरुआत के समय से ही वैज्ञानिक जागरूकता और +तार्किक ज्ञान को हर किसी तक पहुंचाने के लिये दृश्य-श्रव्य साधनों +का उपयोग कर रहा है जो सबसे ज्यादा प्रभावशाली हैं। उसके + + + + + +लेखक विज्ञान प्रसार के निदेशक Zl gaa : nakul parashar@vigyanprasar. gov.in, ट्विटर @VigyanPrasar + +18 + +योजना, अक्टूबर 2021 + + + +0019.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +a + +कार्यक्रम डीडी-राष्ट्रीय, दूरदर्शन के क्षेत्रीय केंद्रों और विभिन्‍न सोशल +मीडिया प्लेटफॉर्मों के जरिये प्रसारित किये जा रहे हैं। उसने 15 +जनवरी, 2020 को डीडी-साइंस की शुरुआत की। रविवार को छोड +हर दिन दिखाया जाने वाला घंटे भर का यह कार्यक्रम शाम पांच से +छह बजे तक दुरदर्शन के राष्ट्रीय चैनल पर प्रसारित किया जाता है। +उसी दिन इंटरनेट आधारित 2457 विज्ञान टीवी चैनल इंडिया साइंस +भी शुरू किया गया। विप्र सोशल मीडिया के दूरगामी प्रभाव का +'फायदा उठा रहा है और उसके कार्यक्रम कई प्लेटफॉर्मों पर देखे जा +सकते हैं। वह भारतीय वैज्ञानिकों, संस्थानों और प्रयोगशालाओं के +विशिष्ट कार्यों को रेखांकित करने के लिये एक साप्ताहिक कार्यक्रम +भी प्रसारित कर रहा है। +विज्ञान का भारतीय भाषाओं में प्रचार + +विप्र ने “विज्ञान भाषा' के तहत भारतीय भाषाओं के जरिये +वैज्ञानिक संचार के विस्तार के लिये एक व्यवस्थित नजरिया अपनाया +है। इसके तहत मासिक न्यूजलेटर, विज्ञान की लोकप्रिय किताबों और +अनुवादों के प्रकाशन तथा सोशल मीडिया पहल और फिल्‍म के +अलावा विज्ञान संचार की राज्यस्तरीय बैठकों, प्रशिक्षण कार्यशालाओं +तथा प्रदर्शनयों का आयोजन किया जा रहा + + + +हमारे संविधान में वैज्ञानिक + + + +ww : ae a “ +प्रचार में लगे जानेमाने लेखक इसमें योगदान करते हैं। इस पत्रिका में +आलेखों और फीचर के अलावा विज्ञान और प्रौद्योगिकी से संबंधित +समाचार भी प्रकाशित किये जाते हैं। +समाचार जगत की सहायता + +“इंडियन साइंस न्यूज एंड फीचर सर्विस” तथा “इंडिया साइंस +वायर' भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी में सफलता और प्रगति को +रेखांकित करते हैं। वे लगभग 500 मीडिया प्रतिष्ठानों को रोजाना +समाचार वितरित करते हैं। वैज्ञानिकों को वैसी लोकप्रिय विज्ञान कथाएं +और आलेख लिखने में मदद करना वक्‍त की जरूरत है जिन्हें आम +आदमी आसानी से समझ सके और जिनका इस्तेमाल मीडिया कर +पाये। विज्ञान प्रसार नियमित रूप से और सभी स्तरों पर वैज्ञानिकों +के लिये प्रशिक्षण कार्यशालाएं और लघु फिल्मकारों के वास्ते कक्षाएं +आयोजित करता है। इन आयोजनों का उद्देश्य यह है कि प्रिंट, +इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया इन वैज्ञानिकों और फिल्मकारों की +कृतियों का इस्तेमाल देश में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के संदेश के +प्रसार में कर सके। +राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विज्ञान फिल्म समारोह +फिल्में विज्ञान संचार के सबसे महत्वपूर्ण + +है। बांग्ला में विज्ञान कथा (2020), उर्दू साधनों में से एक हैं। विप्र पिछले दो दशकों +में तजस्सुस (2019), तमिल : अरिवियल दृष्टिकोण अपनाने और परिपोषित से इनका इस्तेमाल और संवर्द्धन कर रहा +पालागाई (2019), कन्‍नड में कूुटुहाली करने तार्किक सोच को है। विज्ञान संचार के लिये फिल्म निर्माण +(2019), असमिया में संधान, तेलुगु में करन तथा ताकक सांच के महत्व को रेखांकित करने तथा पेशेवर +विज्ञान वाणी (2021) और मैथिली में विज्ञान. बढ़ावा देने की बात कही गयी और शौकिया फिल्मकारों के कौशल में + +रत्नाकर (2021) जैसे मासिक न्यूजलेटर और +प्रकाशन विज्ञान के संदेश को जनसाधारण तक +पहुंचाते हुए समाज को लाभान्वित कर रहे हैं। +प्रिंट प्रकाशन के जरिये विज्ञान संचार + +है। विज्ञान प्रसार (विप्र ) ने +वैज्ञानिक संचार, प्रसार और +विस्तार - साइंस कम्युनिकेशन, + +वृद्धि के मकसद से विभिन्‍न कार्यक्रमों, + +पहुंच गतिविधियों, कार्यशालाओं और फिल्म + +समारोहों का आयोजन किया जा रहा हेै। +भारतीय अंतरराष्ट्रीय विज्ञान फिल्‍म समारोह + +विप्र के प्रकाशन अंग्रेजी और हिंदी के aan एड wr (आईएसएफएफआई) और भारतीय राष्ट्रीय +अलावा अन्य भारतीय भाषाओं में भी उपलब्ध ( 2 के साथ इस सावैधानिक विज्ञान फिल्‍म समारोह (एनएसएफएफआई) +हैं। उसने विभिन्‍न विषयों और मुद्दों पर लक्ष्य को पूरा करने का बीड़ा विप्र की प्रमुख गतिविधियों में शामिल हैं। ये + +300 पुस्तकें प्रकाशित की हैं। मशहूर विज्ञान +लेखक, संचारकर्मी और चित्रकार इसकी पहुंच +को मजबूत करते और विस्तार देते हैं। विप्र की +द्विभाषी मासिक पत्रिका ड्रीम 2047 वर्ष 1998 +से ही प्रसार में है। लेखन के जरिये विज्ञान के + +योजना, अक्टूबर 2021 + +उठाया है। वह प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक , +डिजिटल और सोशल मीडिया +समेत सभी संभव संचार मंचों पर +सक्रिय है। + +कार्यक्रम विज्ञान के प्रति उत्साही प्रतिभावान +युवा फिल्मकारों को आकर्षित करते हैं। श्याम +बेनेगल, अमोल पालेकर, अमिताभ बच्चन +और शेखर कपूर समेत फिल्‍म जगत की +अनेक प्रमुख हस्तियां आईएसएफएफआई और + +19 + + + +0020.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +एनएसएफएफआई से परामर्शदाता या +जूरी के अध्यक्ष के तौर पर जुड़ी रही हैं। +रेडियो के जरिये स्कोप + +रेडियो के जरिये विज्ञान और +प्रौद्योगनी को बढ़ावा देना 2008 +से ही विप्र के मुख्य कार्यक्रमों में +से एक रहा है। उसने 2018 से 19 ,॥छ70 +भाषाओं में कार्यक्रम बनाये ot fe gett! +आकाशवाणी के 117 से ज्यादा केन्रों से ६६ i +प्रसारित किया गया है। उसने सामुदायिक रेडियो की पहुंच और ताकत +का भी इस्तेमाल किया है। +नेटवर्क क्लबों के जरिये स्कोप + +fay स्कूलों में विज्ञान क्‍्लबों के नेटवर्क 'विपनेट' के जरिये +वैज्ञानिक संचार शुरू करने और उसे लोकप्रिय बनाने के लिये +कार्यरत है। ये क्लब देश भर में कौशल उन्नयन के लिये प्रशिक्षण, +जागरूकता शिविरों और विज्ञान कार्यशालाओं का आयोजन करते हैं। +विभिन्‍न राज्यों के शिक्षा और जनजातीय मामलों के विभाग और स्कूल +इस पहलकदमी में भागीदार हैं। इन क्लबों के सदस्यों को मासिक +न्यूजलेटर विपनेट क्यूरियोसिटी के जरिये ताजा सूचनाओं से अवगत +रखा जाता है। +अनुसंधान में स्कोप + +अनुसंधान के प्रसार के लिये लेखन कौशल संवर्द्धध - +ऑगुमेंटिंग राइटिंग स्किल्स फॉर आर्टिकुलेटिंग रिसर्च (अवसर) +परियोजना विज्ञान और प्रौद्योगिकी में पीएचडी +विद्वानों को छात्रवृत्ति या फेलोशिप कार्यक्रम के +दौरान लोकप्रिय विज्ञान लेख लिखने के लिये +प्रोत्साहित करती है। उनके आलेखों को पुस्तक +के रूप में प्रकाशित किया जाता है। +छात्रों के लिये स्कोप + +विप्र भारत की सबसे व्यापक प्रतिभा +खोज परीक्षा “विद्यार्थी विज्ञान मंथन' +(वीवीएम) में भागीदार है। सिर्फ डिजिटल +उपकरणों के माध्यम से होने वाली इस +परीक्षा को विज्ञान भारती (विभा) ने शुरू +किया है। छठी से ग्यारहवीं कक्षा के स्कूली +छात्रों के लिये वीवीएम का आयोजन + +20 + +& VIPNET + +स्कोप को विज्ञान और प्रौद्योगिकी +नवोन्मेष नीति, 2020 के मसौदे +में भी जगह दी गयी है। भारत +सरकार की इस युगांतरकारी +नीतिगत पहल में वैज्ञानिक संचार +को अंतिम छोर तक पहुंचाने +के लिये इसे स्थानीय और +अतिस्थानीय संदर्भों के साथ +भारतीय भाषाओं में करने पर जोर +दिया गया है। + + + + +gen समूचे देश में किया जाता है। शिक्षा +ee मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय शैक्षिक +Se अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद- +| नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल +मि। रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एनसीईआरटी) भी +वीवीएम में भागीदार है। इस कार्यक्रम +: का मुख्य उद्देश्य छात्रों को भारत की +विज्ञान और प्रौद्योगिकी की विरासत के +. बारे में शिक्षित करना है। +एंगेज विद साइंस + +wis faz AEA (www.engagewithscience.in) स्कूली +शिक्षकों और छात्रों के लिये संवाद का मंच है। इसका मकसद गेमों +और प्रोत्साहन आधारित प्रतियोगिताओं के जरिये शिक्षण और ज्ञानार्जन +को मजेदार बनाना हेै। +गैर-पेशेवर रेडियो स्टेशन + +विप्र गैर-पेशेवर या हैम रेडियो के माध्यम से संचार करने वाले +छात्रों और शौकिया संचालकों को तकनीकी समर्थन देने के अलावा +उनकी सूचना की जरूरतों को भी पूरा करता है। हैम रेडियो प्रणालियां +लचीली हैं और विपरीत परिस्थितियों में भी इनका संवहनीय ढंग से +इस्तेमाल किया जा सकता है। विप्र का हेम रेडियो स्टेशन आपदा +प्रभावित क्षेत्रों से काम करने वाले अन्य हेम रेडियो स्टेशनों की +सहायता करता है। मिसाल के तौर पर उत्तराखंड में आपदा के दौरान +विज्ञान प्रसार हैम रेडियो स्टेशन ने क्षेत्र को काफी सहायता मुहैया +करायी थी। + +विप्र विभिन्‍न साधनों के माध्यम से राष्ट्रीय +स्तर पर खगोल विज्ञान को लोकप्रिय बनाने में +लगा है। गणित को लोकप्रिय बनाने के लिये वह +हर साल एड्सैट के जरिये विभिन्‍न कार्यक्रमों, +कार्यशालाओं, रामानुजन यात्रा और पाईडे का +आयोजन करता है। वह 2013 से देश के +जनजातीय क्षेत्रों में विज्ञान संचार पर ध्यान केन्द्रित +कर रहा है। इसके लिये प्रशिक्षणों, कार्यशालाओं, +गतिविधि शिविरों और जागरूकता कार्यक्रमों का +आयोजन किया जा रहा है। इन कार्यक्रमों और +अन्य गतिविधियों के लिये फिल्‍म और रेडियो को +माध्यम के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। बन + +योजना, अक्टूबर 2021 + + + +0021.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +OFFLINE/ + + + +eT aS + +faccVENG. +MEDIUM + + + + + + + +ero Re) Rec Me Me mee Bd + + + +दर्शनशरस्त्रें धर्मेन्द्र सर | ५ upsc/uprcs एवं 8780 के लिए बेहतरीन विषय + +#) छोटा सिलेबस ® लाखों तथ्यों को रठने से छुटकारा +») रिवीजन में आसान +*) 55 और निबंध में उपयोगी +») अंकदायी एवं सफलतादायी विषय + +[ + + + + + + + + + + + +250 Marks + +250 Marks Bithiaa + +fora] +GS thics| निदयंध essay +SO st AT @ AAT AL wow tes + + + +० सारगर्भित, प्रामाणिक, प्रासंगिक, सम्पूर्ण प्रिंटेड नोद्स 0 निबंध लेखन की तकनीक विकसित करने पर बल + +० प्रतिदिन लेखन अभ्यास 0 निबंध लेखन हेतु सारगर्भित सामग्री एवं महत्वपूर्ण सूक्तियों का संग्रह +० केस स्टडी के प्रश्नों के समाधान हेतु विशेष कक्षा सत्र 0 प्रस्तावना, मध्य भाग एवं उपसंहार लिखने हेतु विशेष अभ्यास सत्र + +० अभ्यास हेतु 80 केस स्टडी 0 टॉपिक आधारित 0ए९७(४०॥ 8911 + +0० टॉपिक आधारित ७७७७४०7॥ 841 एवं शब्दकोश ० महत्वपूर्ण निबंधों के मॉडल उत्तर 0 3३1७७ बात छांडटप्छछ0ा +० ७०४० के साथ-साथ ७७७5८, 7०750, 1२५5 के लिए भी उपयोगी 0० ७7२5० के साथ-साथ ७7०9८, २०5०, 1२५७७ एवं अन्य परीक्षाओं +© Test and Discussion के लिए उपयोगी + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +JAIPUR CENTRE + + + +पढ़िए दिल्‍ली और राजस्थान की बेहतरीन 7०८ए१४१ से + +परे 8 ६५ 1.3 5 anakec + +|PRE | MAINS: £ सम्पूर्ण प्रिंटेड नोट्स और टेस्ट सीरीज $ + +RAS (Pre.) Test Series + + + +2580, HUDSON LANE, 31, Satya Vihar, Lal Kothi, +Kingsway Camp, GTB Nagar, Delhi-09 Near New Vidhan Sabha, Jaipur +Helpline No.: 9810172345, 8750187505) Helpline No.: 72406-72406, 9571456789 + + + +https://patanjaliias.in/ @ 8750187505 °o https://www.facebook.com/patanjaliiasclasses/ + +You > Ethics &l @? > Jitendra Kumar Soni IAS > Athar Aamir Khan +Aerie > Govind Jaiswal IASBZauCCR ACM ret की (1 11 | 1 + + + + + + + + + + + +योजना, अक्टूबर 2021 21 + +YH-1656/2021 + + + +0022.txt +<----------------------------------------------------------------------> +121: 0/:| + +परमाणु बिजली और ऊर्जा सुरक्षा + +एम बलराम मूर्ति + +ऊर्जा आर्थिक विकास का इंजन है। अतः जब देश विकास के रास्ते पर आगे बढ़ता है, तब देश +में उपलब्ध ऊर्जा के सभी संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल जुरूरी है। मानव के विकास के लिए ऊर्जा +आवश्यक है। आबादी में बढ़ोतरी व शहरीकरण और आध्ुनिकीकरण की प्रक्रिया तेज होने के साथ +ही ऊर्जा की मांग भी बढ़ रही है। दुनिया भर में ऊर्जा की खपत और आपूर्ति के लिए अभी भी बड़े +पैमाने पर जीवाएम ईंधन पर ही निर्भरता है। अर्थव्यवस्थाएं भी ऊर्जा पर निर्भर हैं। यही वजह है कि + +ऊर्जा सुरक्षा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। + +्जा सुरक्षा का मतलब उचित कीमत पर अलग-अलग +स्वरूप में ऊर्जा की नियमित और पर्याप्त उपलब्धता है। +सतत विकास में ऊर्जा का योगदान सुनिश्चित करने के +लिए यह सिलसिला लंबे समय तक जारी रहना चाहिए। भारत दुनिया +का एक प्रमुख ऊर्जा उपभोक्ता देश है और अपनी ईंधन जरूरतों के +लिए फिलहाल काफी हद तक आयात पर निर्भर है। देश के ऊर्जा +मिश्रण ढांचे में कोयले की हिस्सेदारी 55 प्रतिशत है और इसके +बड़े हिस्से का उत्पादन घरेलू स्तर पर ही होता है। इसके अलावा, +परमाणु ऊर्जा की हिस्सेदारी 3 प्रतिशत और अक्षय ऊर्जा स्रोतों का +हिस्सा 20 प्रतिशत है। भारत की अर्थव्यवस्था काफी तेजी से बढ़ रही +है और इस वजह से यहां ऊर्जा की मांग और आपूर्ति में बड़ा अंतर +है। इसके बावजूद, भारत की योजना 8 प्रतिशत सालाना विकास दर +हासिल करने की है। इसका मतलब यह है कि बिजली की मांग भी +इसी हिसाब से बढ़ेगी। अतः, बिजली की आपूर्ति के ज़्यादा से ज़्यादा +भरोसमंद साथनों की जुरूरत होगी, क्योंकि देश की तिहाई आबादी अब +भी देश के पांच बिजली ग्रिड में से किसी एक से भी नहीं जुड़ी हे। +आने वाले वर्षों में भी भारत को ऊर्जा की कमी का सामना करना +पड़ेगा। साथ ही, एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था के तौर पर भारत को +आर्थिक विकास और पर्यावरण की सुरक्षा के बीच संतुलन साधना होगा। +इसे ध्यान में रखते हुए ऊर्जा मिश्रण के ढांचे में बदलाव की जृरूरत +होगी। अभी ऊर्जा क्षेत्र में कोयले की सबसे ज़्यादा हिस्सेदारी है, जबकि +आने वाले समय में ऊर्जा के स्वच्छ और सतत साथनों को बढ़ावा देना +होगा। कुछ लोगों की राय में औद्योगीकरण और शहरीकरण की जूरूरतों +के हिसाब से परमाणु ऊर्जा ही एकमात्र कारगर साधन है। देश के कुल +ऊर्जा उत्पादन में इसकी हिस्सेदारी फिलहाल सिर्फ 3 प्रतिशत है, लेकिन +इसकी अहमियत बढ़ सकती है और इससे जीवाश्म ईंधन पर भारत की +निर्भरता घट सकती है। + +भारत में परमाणु ऊर्जा + +भारत में परमाणु ऊर्जा का व्यावसायिक उत्पादन 1969 में शुरू +हुआ। उस वक्‍त दो जल परमाणु भट्टियों को चालू किया गया था, +जिनकी क्षमता 210-210 मेगावाट थी। भारत के परमाणु कार्यक्रम की +परिकल्पना ईंधन चक्र के तौर पर की गई थी और इस लक्ष्य को तीन +चरणों में हासिल करना था। इन चरणों को एक-दूसरे इस तरह जोड़ा +गया था, ताकि पहले चरण में तैयार ईंधन का इस्तेमाल अगले चरण में +किया जा सके। इसका मकसद ईंधन का बेहतर इस्तेमाल और परमाणु +अपशिष्ट को कम से कम स्तर पर रखना था। भारत में तीन चरणों वाले +परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम का अंतिम उद्देश्य देश में मौजूद थोरियम-232 +के विशाल भंडार का बेहतर इस्तेमाल है। थोरियम के भंडार के मामले +में भारत का स्थान तीसरा है। हालांकि, थोरियम के प्राकृतिक स्वरूप का +इस्तेमाल ईंधन के तौर पर नहीं किया जा सकता है। इसे प्रतिक्रियाओं +की कई श्रृंखला के जरिये “विखंडनीय सामग्री' में रूपांतरित करना +होगा। थोरियम भंडारों से परमाणु ऊर्जा तैयार करने का प्रमुख श्रेय डॉ +होमी जहांगीर भाभा को जाता है। डॉ भाभा को तीन चरणों वाले भारतीय +परमाणु कार्यक्रम का जनक माना जाता है। +तीन चरणों का स्वेदशी परमाणु कार्यक्रम + +पहले चरण के तहत (कृपया चित्र 1 देखें), प्राकृतिक यूरेनियम +से ऊर्जा के उत्पादन के लिए, दबाव वाली भारी जल परमाणु भटिटियों +(प्रेशराइज्ड हेवी वाटर रिएक्टर) का इस्तेमाल किया जाएगा। ये +परमाणु भटिटियां न सिर्फ ऊर्जा का उत्पादन करती हैं, बल्कि विखंडनीय +प्लूटोनियम (पीयू)-239 भी तैयार करती हैं। दूसरे चरण के दौरान, +देश में विकसित फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (द्रुत प्रजनक परीक्षण रिएक्टर) +टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर ऊर्जा का उत्पादन किया जाता है। चक्र +के दूसरे चरण के आखिर में रिएक्टर द्वारा विखंडनीय सामग्री का +उत्पादन, खपत से ज़्यादा होता है, लिहाजा इसे “ब्रीडर' नाम दिया + + + +लेखक मद्रास परमाणु पॉवर स्टेशन, कलपक्कम में स्टेशन डायरेक्टर हैं। ईमेल: 5क1०फःछ्ाएल.००ा + +22 + +योजना, अक्टूबर 2021 + + + +0023.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +12 गीगावाट इलेक्ट्क + +प्राकृतिक 30 वाई +यूरेनियम teres tt ES act i थोरियम +बॉटर रिएक्टर | +डीपलीटेड यूरेनियम + + + + + + + + + + + +300 गीगावाट + +इलेक्ट्क, +30 वाई थोरियम +500 गीगावाट +| इलेक्ट्क, + +500 वाई + + + + + + + +चित्र 1 : तीन चरणों का स्वेदशी परमाणु कार्यक्रम + +गया है। चक्र के अंतिम चरण में, दूसरे चरण से लिए गए पीयू-239 +और थोरियम-232 का इस्तेमाल कर ऊर्जा और यूरेनियम-233 (एक +और विखंडनीय सामग्री) का इस्तेमाल किया जाता है। इस तरह +थोरियम-232 से यूरेनियम-233 का यह उत्पादन चक्र पूरा हो जाता +है। इसके बाद यूरेनियम-233 का इस्तेमाल ईंधन चक्र के बाकी हिस्से +के दौरान ईंधन के तौर पर किया जाता है। भारत बिजली उत्पादन में +परमाणु ऊर्जा की हिस्सेदारी में बड़े पैमाने पर बढ़ोतरी के लिए काम +कर रहा है। फिलहाल यह हिस्सा 3 प्रतिशत है, जिसे अगले दो-तीन +दशकों में बड़े पैमाने पर बढ़ाने की योजना है। मौजूदा परमाणु भटिटियों +के लिए ईंधन हासिल करने की खातिर भी बड़े निवेश की जरूरत + +फिलहाल, भारत में कुल 22 परमाणु भटिटियां चालू अवस्था में हैं और +इनकी कुल क्षमता 6,780 मेगावाट है। महाराष्ट्र के तारापुर में मौजूद +देश की पहली दो परमाणु भटिटियों में आयातित बॉयलिंग वॉटर रिएक्टर +तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, वहीं राजस्थान के रावतभाटा +में मौजूद राजस्थान परमाणु पावर स्टेशन में 220 मेगावाट क्षमता की +दो परमाणु भट्टियों को स्थापित करने के साथ ही प्रेशराइज्ड हैवी +वाटर रिएक्टर संयंत्र स्थापित करने की दिशा में काम शुरू किया +गया। इसके बाद, तमिलनाडु के कलपक्कम स्थित मद्रास परमाणु पावर +स्टेशन और 220 मेगावाट क्षमता के दो प्रेशराइज्ड हैवी वाटर रिएक्टर +स्थापित किए गए। यह परमाणु ऊर्जा विभाग का पहला पूर्ण स्वेदशी + + + +है। तकरीबन सभी परमाणु भटिटयां प्रेशराइज्ड +हैवी वाटर रिएक्टर तकनीक पर आधारित हें। +पिछले दो दशकों के दौरान, भारत ने फास्ट +रिएटक्टर और थोरियम ईंधन चक्र के मामले +में विशेषज्ञता हासिल की है। हमारा देश +परमाणु ऊर्जा तकनीक में दुनिया की बड़ी +ताकत बनने की दिशा में प्रयासरत है। + +भारत में परमाणु भटिटयां ( न्यूक्लियर +रिएक्टर ) + +(एनपीसीआईएल) , सार्वजनिक क्षेत्र का +एक उद्यम है जो परमाणु ऊर्जा विभाग के +तहत काम करता है। इसके पास देश में +परमाणु ऊर्जा के उत्पादन की जिम्मेदारी है। + +भारत में परमाणु भदिटयां +( न्यूक्लियर रिएक्टर ) भारतीय +परमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड +( एनपीसीआईएल ), सार्वजनिक क्षेत्र +का एक उद्यम है जो परमाणु ऊर्जा +विभाग के तहत काम करता है। +इसके पास देश में परमाणु ऊर्जा के +भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड उत्पादन की जिम्मेदारी है। फिलहाल, +भारत में कुल 22 परमाणु भदिटयां +चालू अवस्था में हैं और इनकी कुल +क्षमता 6,780 मेगावाट है। + +परमाणु संयंत्र था। इन परमाणु भटिटियों को +1983-85 के दौरान चालू किया गया था। +भारतीय परमाणु कार्यक्रम के इतिहास में यह +महत्वपूर्ण अवसर था और भारतीय वैज्ञानिकों +और इंजीनियरों के लिए भी गौरव का क्षण +था। इसके बाद, परमाणु ऊर्जा विभाग/ +भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड ने +परमाणु भट्टियों के डिजाइन में अहम बदलाव +करते हुए उत्तर प्रदेश के नरौरा (एनएपीएस-1 +और 2) , गुजरात के ककरापर (केएपीएस-1 +और 2), कर्नाटक के कैगा (केजीएस- +1 से 4) और राजस्थान के रावतभाटा +(आरएपीएस- 3 से 6) में 220 मेगावाट +की मानकीकृत प्रेशराइज्ड हैवी वाटर रिएक्टर + + + +योजना, अक्टूबर 2021 + +23 + + + +0024.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +इकाइयों को स्थापित किया। सन्‌ 1990 के +दशक में भारतीय परमाणु वैज्ञानिक और +इंजीनियर 220 मेगावाट की सीमा पार करने +में सफल रहे। लिहाजा, तारापुर संयंत्र में 2005 +और 2006 में 540 मेगावाट की दो परमाणु +भट्टियां स्थापित की गईं। साथ ही, भारत और +रूस ने मिलकर तमिलनाडु के कुडनकुलम मे +1,000 मेगावाट क्षमता वाली दो भरटिटियों का +निर्माण किया जो 2014 में चालू हुई + +निर्माणाधीन परियोजनाओं के पूरा +होने और मंजूरी मिलने के बाद, साल +2031 तक भारत की परमाणु ऊर्जा +क्षमता 22,480 मेगावाट तक पहुंच +जाने का अनुमान है। आने वाले समय +में परमाणु ऊर्जा से जुड़े और संयत्रों +पर काम शुरू हो सकता है। + +दूसरा चरण का हिस्सा है। इस संयंत्र को +भारतीय नाभिकीय विद्युत निगम लिमिटेड +(बीएचएवीआईएनआई) द्वारा तैयार किया जा +रहा है। इसके अलावा, सरकार ने 700-700 +मेगावाट की क्षमता वाले स्वदेशी प्रेशराइज्ड +वाटर रिएक्टर को प्रशासनिक और वित्तीय +मंजूरी दी है और इन्हें स्थापित किया जाना +है। परमाणु ऊर्जा से जुडे परियोजनाओं की +सूची नीचे दी गई है। + + + +देश में फिलहाल 22 परमाणु भटिटयां हैं +जिनकी कुल क्षमता 6,780 मेगावाट है। 220 मेगावाट वाले प्रेशराइज्ड हैवी +वाटर रिएक्टर के सफलतापूर्वक संचालन के आधार पर एनपीसीआईएल +ने इन्हें 700 मेगावाट क्षमता वाली भटिटियों में बदलने का फैसला किया। +700 मेगावाट वाले प्रेशराइज्ड हैवी वाटर रिएक्टर की श्रृंखला में पहली +परमाणु भट्टी ककरापर इकाई-3 में स्थापित की wel ae ved +जुलाई 2020 में स्थापित की गई और व्यावसायिक संचालन शुरू +करने से पहले फिलहाल इसकी जांच चल रही है। इसके अलावा, +8,000 मेगावाट क्षमता वाली कुल 10 परमाणु भटिटियां निर्माणाधीन +हैं। इसमें 500 मेगावाट का प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (प्रोटोटाइप +फास्ट ब्रीडर रिएक्टर) भी शामिल है जो परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के + +तारापुर 1 और 2 (25160 +मेगावाट ) बॉयलिंग वॉटर + +|, = + +कुंडनकलम 1 और 2 +( 251000 मेगावाट ) +वाटर रिएक्टर .। += .- : + +i a +तारापुर 3 और 4 ( 25540 + +-PHWRs iad) ders bt + +PHWRs "ae +वाटर रिएक्टर - पा + +24 + +राजस्थान 1 से 6 (10,02 ,0045220 +मेगावाट ) प्रेशराइज्ड हैवी वाटर रिएक्टर + +कैगा 1 से 4 (१220 _ +) प्रेशराइज्ड हैवी +वाटर रिएक्टर ५ + +ee me + +निर्माणाधीन परियोजनाओं के पूरा होने +और मंजूरी मिलने के बाद, साल 2031 तक भारत की परमाणु ऊर्जा +क्षमता 22,480 मेगावाट तक पहुंच जाने का अनुमान है। आने वाले +समय में परमाणु ऊर्जा से जुड़े और संयंत्रों पर काम शुरू हो सकता है। +परमाणु ऊर्जा की प्रासंगिकता + +इस बात को लेकर अक्सर सवाल खडे किए जाते हैं कि भारत +पिछले 50 साल से परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में काम कर रहा है, लेकिन +राष्ट्रीय स्तर पर ऊर्जा उत्पादन में इसकी हिस्सेदारी सिर्फ 2-3 प्रतिशत +क्यों है। क्या हमारा फोकस सौर और पवन ऊर्जा जैसे आधुनिक और +अक्षय ऊर्जा स्रोतों पर नहीं होना चाहिए? भारत की ऊर्जा मिश्रण संरचना +में परमाणु ऊर्जा को रखने का क्‍या तर्क है? गौरतलब है कि पिछले + +- मद्रास 1 और 2 ( 2४220 मेगावाट ) +प्रेशराइज्ड हैवी वाटर रिएक्टर + +नरोरा 1 और 2 (25220 +मेगावाट ) प्रेशराइज्ड हैवी +) mee reer + +ककरापर 1 और 2 + +(25220 मेगावाट ) + +प्रेशराइज्ड हैवी बाटर +रिएक्टर + +PHWRs + +a. i +S s+ § +ee. | + + + +योजना, अक्टूबर 2021 + + + +0025.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +राज्य जगह परियोजना क्षमता ( मेगावाट ) +निर्माणाधीन परियोजनाएं +गुजरात ककरापर काकरापार परमाणु ऊर्जा परियोजना-3 (*) - 4 |2 X 700 +राजस्थान रावतभाटा राजस्थान परमाणु ऊर्जा परियोजना-7-8 2 X 700 +तमिलनाडु कुंडनकलम कुंडनकलम परमाणु ऊर्जा परियोजना-3 जब 6 2 5 1000 +कलपक्कम प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर 1 X 500 +हरियाणा गोरखपुर गोरखपुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र-1-2 2 X 700 +इन परियोजनाओं को प्रशासनिक और वित्तीय मंजूरी मिल चुकी है +कर्नाटक कैगा कैगा-5-6 2 X 700 +हरियाणा गोरखपुर गोरखपुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र-3-4 2 X 700 +मध्य प्रदेश चुटका चुटका-1-2 2 X 700 +राजस्थान माही बांसवाड़ा माही बांसवाडा-1 जब 4 4 X 700 +इन परियोजनाओं को 'सैद्धांतिक' तौर पर मंजूरी मिल चुकी है +महाराष्ट्र जैतापुर कोवाडा-1 जब 6 6 X 1650 +आंध्र प्रदेश कोवाडा कोवाडा-1 जब 6 6 X 1208 +गुजरात छाया मिथि विरदी छाया मिथि विरदी-1 जव 6 6 X 1000 +पश्चिम बंगाल | BRAT हरिपुर-1 जव 6 6 X 1000 +मध्य प्रदेश भीमपुर भीमपुर-1 जब 4 4 X 700 +(*) - 10 जनवरी 2021 को ये ग्रिड से जुड़े थे ओर फिलहाल यह परीक्षण (टेस्ट रन) पर है। + + + + + +5 साल में देश के कुल ऊर्जा स्रोतों में अक्षय ऊर्जा की हिस्सेदारी 20 +प्रतिशत तक पहुंच गई है। + +इस मामले में पहला अहम मुद्दा स्रोतों की उपलब्धता है। फिलहाल, +देश के कुल ऊर्जा स्रोतों में ताप आधारित उत्पादन की हिस्सेदारी +तकरीबन 63 प्रतिशत है। इनमें से तकरीबन 55 प्रतिशत बिजली कोयले +से तैयार होती है, जबकि बाकी गैस से बनती है। इस पूरे मामले का +सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि भारत अपने जीवाश्म ईंधन के बड़े +हिस्से का आयात करता है। किसी बड़े और विकासशील अर्थव्यवस्था +के लिए, बड़े पैमाने पर ईंधन का आयात आर्थिक और सामारिक रूप +से संवेदनशील मसला है। + +ऊर्जा उत्पादन के मामले में एक और अहम पहलू कम से कम +कार्बन उत्सर्जन है। बिजली पैदा करने में बड़े पैमाने पर कोयले का +इस्तेमाल ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के लिहाज से खतरनाक +है। यह हमारे पर्यावरण के लिए बेहद नुकसानदेह है। भारत में प्रति +व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन 1-1.2 टन है, बल्कि अमेरिका में यह आंकड़ा +20 टन प्रति व्यक्ति है। अगर भारतीय अर्थव्यवस्था की निर्भरता कोयले +पर बनी रहती है, तो जाहिर तौर पर कार्बन के उत्सर्जन में बढ़ोतरी होगी। +इसका असर घरेलू पर्यावरण और स्वास्थ्य संबंधी मानकों पर पड़ेगा और +वैश्विक जिम्मेदारी को लेकर भी भारत की चिंताएं बढ़ेंगी। इस लिहाज +से परमाणु ऊर्जा एक सार्थक विकल्प है। + +अक्षय ऊर्जा पर्यावरण के अनुकूल और भारत के लिए स्वाभाविक +विकल्प है। हालांकि, इसकी सीमाओं को भी समझा जाना चाहिए। सौर +और पवन ऊर्जा के उत्पादन में जुमीन की भी जुरूरत पड़ती है। इसके +अलावा, परमाणु संयंत्र पूरी तरह से स्वेदशी तकनीक की मदद से तैयार + +योजना, अक्टूबर 2021 + +किए जा रहे हैं.वहीं सौर ऊर्जा वाले संयंत्र काफी हद तक आयातित +तकनीक और सामग्री पर निर्भर हैं, मसलन फोटो वोल्टिक सेल, +बैटरी और स्टोरेज। लिहाजा, अक्षय ऊर्जा पर बडे पैमाने पर निर्भरता +का विकल्प व्यावहारिक नहीं जान पड़ता है। इन तमाम चुनौतियों के +बावजूद, देश के ऊर्जा ढांचे में अक्षय ऊर्जा बेहद अहम है। +निष्कर्ष + +भारत एक विकासशील देश है और इसकी अर्थव्यवस्था में +विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों का दबदबा है जिनमें ऊर्जा की अहम भूमिका +है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से देश की ऊर्जा उत्पादन क्षमता में 100 +गुना बढ़ोतरी हुई है और आज यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा +बिजली उत्पादक देश है। यह उपलब्धि निश्चित तौर पर प्रशंसा योग्य +है। हालांकि, देश में प्रति व्यक्ति बिजली की खपत का स्तर अब भी +कम है। साल 2018-19 में यह आंकड़ा 1,181 किलोवाट था, जबकि +कनाडा और अमेरिका में यह आंकड़ा क्रमशः 17,179 और 13 338 +किलोवाट है। यहां तक चीन में भी प्रति व्यक्ति बिजली की खपत +भारत के मुकाबले दोगुने से भी ज्यादा यानी 3,000 किलोवाट है। हमें +अपने देश के नागरिकों को बेहतर जीवन मुहैया कराने के लिए बिजली +उत्पादन में बढ़ोतरी करनी होगी। ऐसे में हमारे देश के पास परमाणु +या अक्षय ऊर्जा चुनने का विकल्प नहीं है, बल्कि हमें ऊर्जा के सभी +उपलब्ध साधनों पर विचार करना होगा। देश की जनसंख्या में बढ़ोतरी +की रफ्तार, युवा आबादी की आबकाक्षाओं, ईंधन के स्वेदशी संसाधनों +की कमी और जलवायु परिवर्तन के मद्देनजर हमें दीर्घकालिक नजूरिये +और प्रतिबद्धता की जरूरत है, ताकि आगामी पीढ़ी के लिए. बिजली +का बेहतर इंतजाम सुनिश्चित किया जा सके। | + +25 + + + +0026.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +हिमालयी क्षेत्र में बाढ़ + +प्रदीप श्रीवास्तव + +हिमालय से निकलने वाली नदियां, विश्व जनसंख्या के 1/5 प्रतिशत भाग की जीवन रेखा हैं। बढ़ती आबादी +और शहरीकरण के कारण इस क्षेत्र में आने वाली बाढ़ अधिक विनाशकारी होती जा रही है। इस लेख में +बाढ़ निगरानी और बाढ़ मानचित्रण के नवीनतम उपायों का संक्षिप्त विवरण दिया गया है जो योजनाकारों +को बाढ़ शमन और आपदा जोखिम में कमी के लिए कार्यनीति तैयार करने में सहायक हो सकता है। + +मालय क्षेत्र पश्चिम से पूर्व की ओर लगभग 2400 +बात र किलोमीटर तक फैला हुआ है जिसकी चौड़ाई अलग-अलग +जगहों पर 200 से 400 किलोमीटर के बीच है। इस + +पर्वत की रचना इस प्रकार की है कि इसमें से सिंधु (पश्चिम) और +ब्रह्मपुत्र (पूर्व) नदियां निकलती हैं। गंगा नदी प्रणाली भी काफी हद +तक हिमालय के मध्य भाग से निकलती है। पिछले कुछ दशकों में, +शहरीकरण के कारण इस पर्वतीय क्षेत्र की आबादी में अत्यधिक वृद्धि +हुई है। पचास वर्षों (1961-2011) के दौरान, हिमालयी क्षेत्र में रहने +वाले लोगों की संख्या 19,9 मिलियन से बढ़कर 52.8 मिलियन हो गई +है और यदि यह इसी दर से बढ़ती रही, तो 2061 तक 260 मिलियन +तक हो जाने की संभावना है। इसी अवधि के दौरान, हिमालय की एक +महत्वपूर्ण सतह के गर्म होने की प्रवृत्ति की भविष्यवाणी की गई है +जिसके अनुसार समुद्र तल से 2000 मीटर ऊपर के क्षेत्र में तापमान +काफी बढ़ जाएगा। तापमान बढ़ने से, उपलब्ध वायुमंडलीय ऊर्जा +संग्रहण बढ़ेगा। इससे और पहाड़ के भुरभुराने तथा बढ़ते शहरीकरण +के कारण आपदाओं की आशंका बढ़ जाएगी। 2010 में लेह में, 2013 +में केदारनाथ में और 2021 में ऋषिगंगा में आई बाढ़ ऐसी ही कुछ +आपदाएं हैं जो संयुक्त रूप से अत्यधिक वर्षा, हिमालय का भूविज्ञान +और शहरीकरण के कारण हुई हैं। जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी +पैनल (आईपीसीसी-2019) की रिपोर्ट हिमालय में भीषण वर्षा की +घटनाओं की आवृत्ति में कुल मिलाकर वृद्धि का संकेत देती है और +इसके लिए जल तंत्र की घटनाओं को सावधानीपूर्वक समझने की + +आवश्यकता है क्‍योंकि वे इस क्षेत्र की परिवर्तनशील पार्वतिकी और +भूविज्ञान से प्रभावित होती हैं। बाढ़ निगरानी के उपलब्ध आंकड़े +मुश्किल से एक सौ साल के हैं जो बाढ़ मानचित्रण के लिए पर्याप्त +नहीं है और हिमालय की विभिन्‍न जलवायु स्थितियों में भीषण बाढ़ +संबंधी रिकॉर्ड फिर से तैयार किए जाने की आवश्यकता है। +हिमालय + +हिमालय पर्वत क्षेत्र, विवर्तनक रूप से, उत्तर और दक्षिण +से, लद्दाख के सिंधु सिवनी क्षेत्र (इंडस स्यूचर जोन-आईएसजैड) , +टेथियन हिमालय, उच्च हिमालयी क्रिस्टलीय क्षेत्र, लघु हिमालय और +बाहरी हिमालय के शिवालिक में विभाज्य है। सिंधु सिवनी क्षेत्र, +भारतीय ग्रीष्मकालीन मानसून (आईएसएम) के gfe Be aa +में स्थित है, जो समुद्र तल से लगभग 3000 मीटर ऊपर है, जहां +ज्यादातर पश्चिमी हवाओं के प्रभाव से कम वर्षा (-100 मिमी/वर्ष) +होती है। इस क्षेत्र से होकर बहने वाली सिंधु और जुंस्कार नदियां +इसलिए अपना अधिकांश प्रवाह पश्चिमी हवाओं, आंशिक रूप से +भारतीय ग्रीष्मकालीन मानसून और बर्फ तथा हिमनद के पिघलने से +प्राप्त करती हैं। हालांकि, इन नदियों में बाढ़, आमतौर पर भारतीय +ग्रीष्मकालीन मानसून और ऊपरी वायुमंडलीय प्रभावों की परस्पर क्रिया +के कारण होती है। यह क्षेत्र वनस्पतियों से रहित है और अत्यधिक +तापमान के कारण चट्टानें टूट जाती हैं जिससे पहाड़ी ढलानों पर मोटी +परत बन जाती है। अत्यधिक बर्फ पिघलने और बारिश की घटनाओं +के दौरान यह मलबा गिर जाता है, और छोटी तथा बड़ी नदियों को + + + +लेखक भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की के पृथ्वी faa faa a dag ZI He: pradeep@es iitrac.in + +26 + +योजना, अक्टूबर 2021 + + + +0027.txt +<----------------------------------------------------------------------> +टास्क + +हब + +आओ पड ao हु + +अवरुद्ध कर देता है जिससे बाढ़ आ जाती है। टेथियन बेल्ट में भी +इसी तरह की स्थिति होती है। यहां सिंधु सिवनी क्षेत्र की तुलना में +थोड़ी अधिक वर्षा होती है। उच्च हिमालयी क्रिस्टलीय क्षेत्र समुद्र तल +से 1800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और यहां भारतीय ग्रीष्मकालीन +मानसून की प्रचुर वर्षा होती है। खड़ी पहाड़ी ढलान और उच्च ढाल +वाली जल निकासी प्रणालियों के साथ गहरी घाटियां इस क्षेत्र की +विशेषता हैं। लघु हिमालय और बाहरी शिवालिक हिमालय शांत हैं +और यहां ग्रीष्मकालीन मानसून की अच्छी वर्षा होती है। हिमालय +की पार्वतिकी और भूविज्ञान ऐसा है कि, दक्षिण से उत्तर की ओर, +शिवालिक हिमालय के ऊपर पहला प्राकृतिक भूगौल संबंधी बदलाव +होता है और दूसरा उच्च हिमालयी क्रिस्टलीय क्षेत्र के आधार पर +होता है, जहां एक क्षेत्रीय अवगुण मौजूद होता है जिसे मेन सेंट्रल +भ्रस्ट (एमसीटी) कहा जाता है। प्राकृतिक भूगोल संबंधी दो बदलाव +आगामी ग्रीष्मकालीन मानसून वर्षा में रुकावट डालते हैं। इसलिए, +दक्षिणी फ्रंट में अधिक वर्षा (1500-2500 मिमी/वर्ष) वाले दो क्षेत्र +हैं जो दो प्राकृतिक भूगोल संबंधी बदलावों के साथ मेल खाते हैं। +अत्यधिक विकृत और भुरभुरी चटानों की विशेषता वाले मेन सेंट्रल + + + +eA aL ™ +क्यूमेक्स) की बाढ़ के लिए जाना जाता है, जहां गंगा और सिंधु मे +ऐतिहासिक रूप से भीषण बाढ़ (बहाव -104 क्यूमेक्स) आ चुकी +हैं। हिमालय में बाढ़ की तीव्रता भूविज्ञान, भौगोलिक स्थिति और वर्षा +वितरण द्वारा नियंत्रित होती है। +हिमालय में बाढ़ के कारण + +सामान्य तौर पर, हिमालय में भीषण बाढ़ (1) भारी वर्षा, (2) +भूस्खलन से बांध वाली झील के फटने (एलएलओएफ ), (3) +ग्लेशियल बांधित झील विस्फोट (जीएलओएफ), और (4) बादल +फटने के कारण आती है। अक्सर, गर्म और मजबूत मानसून के वर्षों +के दौरान, हिमालय के दक्षिणी फ्रंट पर लंबे समय तक वर्षा होती +है जिससे बाढ़ आ जाती है जो मानसून के मौसम में लगभग चरम +पर हो सकती है। इस तरह की बाढ़ में हफ्तों से लेकर महीनों तक +व्यापक हाइड्रोग्राफ हो सकते हैं। स्थिर मॉनसून ट्रफ के कारण होने +वाली ऐसी वर्षा के कारण भी पहाड़ की तेज ढाल वाले इलाके +में लगातार भूस्खलन हो सकते हैं, जहां मेन सेंट्रल श्रस्ट क्षेत्र के +आसपास का क्षेत्र सबसे कमजोर है। ऐसे वर्षों के दौरान, मेन सेंट्रल +भ्रस्ट भारतीय ग्रीष्मकालीन मानसून फ्रंट, आमतौर पर cera A gfe + + + +श्रस्ट फॉल्ट जोन में जहां तेज (40 डिग्री से + +छाया क्षेत्र यानी सिंधु सिवनी क्षेत्र के अंतर्गत + +अधिक) ढाल वाले पहाड़ हैं, और अधिक +वर्षा होती है, बड़े पैमाने पर बर्बादी और +भूस्खलन की आशंका रहती है। पार्वतिकी +और वर्षा वितरण का स्वरूप भीषण बाढ़ +की स्थिति में क्षति का प्रतिमान और कटाव +के हॉट स्पॉट तय करते हैं। एक और +महत्वपूर्ण बात यह है कि सिंधु, गंगा, और +मध्य हिमालय पर्वतमाला से बहने वाली +नदियों का उद्गम, वर्षा की कमी वाले +शुष्क क्षेत्रों में हैं जहां अत्यधिक वर्षा की +घटनाओं से हिमनद/मोराइन -बांधित झील +विस्फोट और बडे पैमाने पर बर्फ पिघलने +की संभावना हो सकती हैं जिससे बाढ़ +आ सकती है। हालांकि, ब्रह्मपुत्र के उद्गम +में, अलग-अलग पार्वतिकी और ऊंचाई +के कारण 1000 मिमी / और अनुप्रवाह +जलाशय में >3000 मिमी / सालाना मानसून +की वर्षा होती है। दो प्रणालियों के बीच +ये विपरीत विशेषताएं बाढ़ पैदा करती हैं +जिनमें विभिन्‍न परिमाण के बहाव होते हैं। +ब्रह्मपुत्र को मेगाफ्लड श्रेणी (बहाव -107 + +योजना, अक्टूबर 2021 + +गढ़वाल हिमालय में 2013 में +केदारनाथ की घटना, व्यापक वर्षा +के अलावा, चौराबारी हिमनद क्षेत्र +में झील के टूटने से हुई। भूस्खलन + +गतिविधि जो आमतौर पर मानसून या + +भूकंप के दौरान होती है, संभावित +रूप से लंबी अवधि के लिए छोटे +चैनलों को अवरोधित कर सकती +है जैसे बिरही गंगा की भूस्खलन + +अवरोधक झील ( गोहाना ताल ), 76 +साल ( 1893-1970 ) तक बनी रही। + +ये बांध दूट सकते हैं और नीचे के + +क्षेत्रों में बाढ़ का कारण बन सकते हैं। +1970 में बिरही गंगा के गोहना ताल +के टूटने से श्रीनगर ( गढ़वाल ) शहर + +तबाह हो गया और हरिद्वार में गंगा +नहर को काफी नुकसान पहुंचा। + + + +रहने वाले क्षेत्र में गहराई से प्रवेश करता +है, और वहां बाढ़ भी पैदा करता है। वर्षा +की इन घटनाओं के दौरान, हिमनदों और +भूस्खलन से बांधित झीलें टूट जाती हैं, बाढ +परिमाण बढ़ जाता है और बहु-शिखर बाढ़ +हाइड्रोग्राफ का कारण बनता है। ग्लेशियल +लेक आउटबर्स्ट फ्लड (जीएलओएफ) जल +निकायों के टूटने से उत्पन्न होते हैं जो +ग्लेशियरों के बढ़ने से नदियों पर बांध बनाने +या दो मोराइन पहाड़ियों (मोराइन-डैम्ड +लेक कही जाने वाली) के बीच पर्वतों +के अपवाह और हिमपात को रोकने के +कारण बनते हैं। काराकोरम हिमालय में +श्योक नदी अक्सर इस तरह के हिमनदों के +अवरोधन का गवाह बनती है। इस नदी में +जीएलओएफ की 1779 और 1932 में हुई +दो घटनाओं का प्रलेखों में वर्णन मिलता है। +गढ़वाल हिमालय में 2013 में केदारनाथ की +घटना, व्यापक वर्षा के अलावा, चौराबारी +हिमनद क्षेत्र में झील के टूटने से हुई। +भूस्खलन गतिविधि जो आमतौर पर मानसून + +27 + + + +0028.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +या भूकंप के दौरान होती है, संभावित रूप +से लंबी अवधि के लिए छोटे चैनलों को +अवरोधित कर सकती है जैसे बिरही गंगा की + +ज्यादातर मामलों में, बाढ़ के स्तर का +अवलोकन सौ वर्षो से अधिक पुराना + +बाढ़ प्रबंधन केंद्रों तक त्वरित रूप से प्रेषित +किया जा सके। रडार तीब्र वर्षा के स्थानों +और तूफान के अस्थायी विकास पर नजर + +भूस्खलन अवरोधक झील (गोहाना ताल), नहीं है जो बाढ़ की दीर्घकालिक . रखने में मदद कर सकता है। बाढ़ में वृद्धि के +76 साल (1893-1970) तक बनी रही। परिवर्तनशीलता और बड़ी घटनाओं के वेग से जलनिकासी नेटवर्क के दक्षतापूर्वक +ये बांध टूट सकते हैं और नीचे के क्षेत्रों चीछे के कारकों को समझने के लिए. WE के प्रवाह को चैनल तक पहुंचाने + +में बाढ़ का कारण बन सकते हैं। 1970 +में बिरही गंगा के गोहना ताल के टूटने से +श्रीनगर (गढ़वाल) शहर तबाह हो गया और +हरिद्वार में गंगा नहर को काफी नुकसान +पहुंचा। इसी तरह, सतलुज नदी घाटी +(हिमाचल हिमालय) में भी वर्ष 2000 +और 2005 में भूस्खलन झील विस्फोट से +आने वाली बाढ़ के कारण बडे पैमाने पर +तबाही देखी गई थी। हिमालयी क्षेत्रों में + +पर्याप्त नहीं हो सकता है। हम जानते हैं +कि क्‍या गढ़वाल हिमालय में 1970, +2013, 2021 की घटनाएं छिटपुट +हैं या वे एक दीर्घकालिक जलवायु +चअक्र के कारण हुई हैं। इसके लिए +भूवैज्ञानिक अभिलेखों की समझ की +आवश्यकता है। + +के बारे में पता लग सकता है। यह, जल +निकासी घनत्व, ढाल, और वनस्पति क्षेत्र, +आदि जैसे मापदंडों का कारक होगा और +वर्षा की घटना के चरम तथा हाइड्रोग्राफ के +बीच अंतराल को भी तय करेगा। सतर्कता +प्रणाली और निकासी को सक्रिय करने +के लिए इस समय अंतराल का आंकलन +महत्वपूर्ण है। इस संदर्भ में बाढ़ का कारण भी +महत्वपूर्ण है जैसे क्षेत्रीय भीषण वर्षा से + + + +बाढ़ की घटनाएं सामान्य हैं और ये प्राकृतिक सतह प्रक्रियाओं और +वर्षा वितरण के कारण होती हैं। हालांकि, बाढ़ की भयावहता समग्र +भूविज्ञान, भौगोलिक स्थिति, झीलों के जलग्रहण क्षेत्र में व्यापक +वितरण, भूस्खलन क्षेत्र और वर्षा के कारण होती है। +बाढ़ का मानचित्रण + +बाढ़ के मानचित्रण में चार तत्व होते हैं: (1) नदी के स्तर में +ऊर्ध्वाधर वृद्धि, (2) बाढ़ के बढ़ने की दर, (3) प्रवाह वेग, और +(4) नदी के बाद के समतल क्षेत्र में आने वाली पार्श्व बाढ़। पहले +बिंदु के लिए नदियों और नालों में बाढ़ के स्तर के सटीक माप की +आवश्यकता होती है जो सामान्य रूप से नदी मापक स्टेशनों पर किया +जाता है। इन स्टेशनों को अब अत्याधुनिक इंटरनेट ऑफ थिंग्स और +रडार से लैस किया जा सकता है ताकि डेटा को दूरस्थ स्थानों और + +बाढ़ के स्तर में धीरे-धीरे वृद्धि होगी जबकि ग्लेशियल झील विस्फोट +बाढ और भूस्खलन झील विस्फोट से बाढ़ के स्तर में तेजी से वृद्धि +होगी। इसलिए, विभिन्‍न स्तरों पर समग्र डेटा में बाढ़ का स्तर/वेग माप +शामिल होना चाहिए। + +ज्यादातर मामलों में, बाढ़ के स्तर का अवलोकन सौ वर्षों से +अधिक पुराना नहीं है जो बाढ़ की दीर्घकालिक परिवर्तनशीलता और +बड़ी घटनाओं के पीछे के कारकों को समझने के लिए. पर्याप्त नहीं +हो सकता है। हम जानते हैं कि क्‍या गढ़वाल हिमालय में 1970, +2013, 2021 की घटनाएं छिटपुट हैं या वे एक दीर्घकालिक जलवायु +चक्र के कारण हुई हैं। इसके लिए भूवैज्ञानिक अभिलेखों की समझ +की आवश्यकता है। सेंटीमीटर से मीटर तक के और रेत तथा गाद +से बने दलदल भूमि के जल संसाधन- स्लैक वाटर डिपॉजिट्स + + + +28 + +योजना, अक्टूबर 2021 + + + +0029.txt +<----------------------------------------------------------------------> +a ” a + +een rg ss. निया ५ > हा a 3 ee +(एसडब्ल्यूडी) व्यष्टि बाढ़ घटना के कारण होते हैं। सहायक नदियों +के जंक्शनों, चैनलों के व्यापक खंडों, छतों के ऊपर, गुफाओं और +नदियों के किनारे चटानी तटबंधों के पीछे होने वाली इस तरह की +घटनाएं आम है। ये वे स्थान हैं जहां बाढ़ की गति में अचानक +कमी आती है। इन तलछटों की ऊंचाई नदी के स्तर से ऊपर होती +है, जो बाढ़ में वृद्धि के स्तर के बारे में सूचित करती है और इन्हें +डिफरेंशियल ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (डीजीपीएस) का उपयोग +करके ठीक से मापा जा सकता है। इन तलछट को चारकोल स्पेक्स +पर ऑप्टिकली-स्टिम्युलेटेड ल्यूमिनेसेंस (ओएसएल) और सीएएमएस +डेटिंग तकनीकों का उपयोग करके दिनांकित किया जा सकता है। +eet वाटर डिपॉजिट की खोज सिंधु, सतलुज, गंगा और ब्रह्मपुत्र +नदियों में की गई है। + +सैटेलाइट इमेज और लिडार (लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग) +डेटा का उपयोग बाढ़ के परिमाण के मानचित्रण के लिए किया जा +सकता है। इस डेटा को उम्दा पैमानों पर सटीकता से तैयार करके +सार्थक उपयोग के मानचित्रण में मदद ली जा सकती है। बाढ़ के + + + +ce he + + + +Sank ED, +पर सामान्यीकृत विचार प्राप्त करने में मदद कर सकता है। +हिमालय में बाढ़ के नुकसान को कम करना + +बाढ़ एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और यह अपरिहार्य हैं, लेकिन +वैज्ञानिक रूप से ध्वनि डेटाबेस और मॉडल का उपयोग कर इससे +होने वाली क्षति को कम किया जा सकता है। हिमालय की स्थलाकृति +और पहले की बाढ़ की घटनाओं के प्रभावों और होने वाले नुकसान +की उचित समझ से हिमालय के नुकसान की भविष्यवाणी करने वाले +मॉडल तैयार करने में मदद मिल सकती है। यह मॉडल हिमालयी +क्षेत्र पप किए जाने वाले फोकस, परिमाण और ढांचागत विकास +के प्रकार को तय करने में मदद कर सकता है। इसके लिए सबसे +महत्वपूर्ण है विभिन्‍न स्तरों पर निगरानी करना, जैसे कि इन क्षेत्रों में +विभिन्‍न जल निकासी घाटियों में बाढ़ गेजिंग सिस्टम और रडार का +एक घना नेटवर्क स्थापित करना, इंटरनेट ऑफ थिंग्स- आईओटी +का उपयोग करके वास्तविक समय डेटा को सभी बाढ़ प्रबंधन केंद्रों +तक पहुंचाना। बड़े निगरानी नेटवर्क, ऐतिहासिक और भूवैज्ञानिक +अभिलेखागार का उपयोग करके डेटा संग्रह की लंबे समय की + + + +या + + + +वेग को आमतौर पर करंट मीटर, ध्वनिक +डॉपलर करंट प्रोफाइलर, ट्रेसस और फ्लोटर्स +का उपयोग करके मापा जाता है। डॉपलर +करंट प्रोफाइलर सबसे सटीक होगा क्योंकि +यह विभिन्‍न गहराइयों पर प्रवाह वेग को +माप सकता है और हलचल का औसत बता +सकता है। उपरोक्त के अलावा, एक अन्य +महत्वपूर्ण पहलू बाढ़ तलछट भार है क्योंकि +यह बाढ़ की प्लवनशीलता को बताता है +जो कि भीषण बाढ़ की स्थिति में बांधों, +पुलों और पुलियों जैसे बुनियादी ढांचों की +स्थिरता के लिए हानिकारक है। बाढ़ के +पानी के तलछट भार को, बाढ़ के दौरान +तलछट निगरानी गेज या लेजरइन-सीदू +rhein a ae da और ट्रांसमिसोमेट्री +या भौतिक रूप से नमूने द्वारा मापा जा +सकता है। सैटेलाइट डेटा भी तलछट भार + +बाढ़ एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और +यह अपरिहार्य हैं, लेकिन वैज्ञानिक +रूप से ध्वनि डेटाबेस और मॉडल का +उपयोग कर इससे होने वाली क्षति को +कम किया जा सकता है। हिमालय की +स्थलाकृति और पहले की बाढ़ की +घटनाओं के प्रभावों और होने वाले +नुकसान की उच्चित समझ से हिमालय +के नुकसान की भविष्यवाणी करने +वाले मॉडल तैयार करने में मदद मिल +सकती है। यह मॉडल हिमालयी क्षेत्र +पर किए जाने वाले फोकस , परिमाण +और ढांचागत विकास के प्रकार को +तय करने में मदद कर सकता है। + +श्रृंखला तैयार की जानी चाहिए। भूस्खलन +और हिमनद झील निगरानी प्रणाली स्थापित +की जानी चाहिए और उसे आईओटी के +माध्यम से बाढ़ प्रबंधन केंद्रों से जोड़ा जाना +चाहिए। बाढ़ के स्तर और बाढ़ हाइड्रोग्राफ +पर डेटा के संयोजन का उपयोग बाढ़ +के प्रबंधन और विनाश को कम करने +के लिए किया जा सकता है। सामाजिक +बुनियादी ढांचे के मानचित्रों के साथ +संयुक्त उपग्रह छवियों/लिडार का उपयोग +करके तैयार किए गए बाढ़ के नक्शों +का यदि जीआईएस प्लेटफॉर्म और कृत्रिम +बुद्धिमता (एआई) पर डेटासेट की लंबी +श्रृंखला का उपयोग करके विश्लेषण किया +जाता है, तो बाढ़ की घटनाओं और क्षति +पैटर्न के पूर्वानुमान मॉडल उपलब्ध कराए +जा सकते हैं। = + + + +योजना, अक्टूबर 2021 + +29 + + + +0030.txt +<----------------------------------------------------------------------> +भूचुंबकत्व अनुप्रयोग + +प्रवीण बी गवली + +भू-चुंबकत्व के सामाजिक अनुप्रयोग हैं और यह विज्ञान किसी न किसी रूप में पूरी मानवता के हितों से +जुड़ा है। इस धरती पर जीवधारियों का जीवन ही अनिवार्य रूप से भूचुंबकीय-दश्षेत्र से जुड़ा है। भूकंपों और +सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाओं की पूर्व-चेतावनी प्रणालियों में इसका उपयोग किए जाने के प्रयास किए +जा रहे हैं। भूचुंबकत्व के क्षेत्र में महत्वपूर्ण अनुसंधान 19वीं शताब्दी में शुरू हुआ। + +sata क्षेत्र धती के अंदर शुरू होता है और इसके +हट विविध घटकों तथा संरचनाओं से होकर गुजरता है। +इसलिए धरती के अंदर की हलचलों को समझने में + +इसकी बड़ी उपयोगिता है। कुछ संरचनाएं और पदार्थ विद्युत-चुंबकीय +तरंगों को आकर्षित, तो कुछ प्रतिकर्षित करती हैं। विद्युत-चुंबकीय +संचालक तथा इसे प्रतिकर्षित करने वाली संरचनाओं की सही समझ +होने से प्राकृतिक आपदाओं और प्राकृतिक संसाधनों के स्रोतों का पता +लगाने में मदद मिल सकती है। + +भारतीय भू-चुंबकत्व संस्थान (इंडियन इंस्टीट्यूट. ऑफ +जिओमैग्नेटिज्म-आईआईजी) की करीब दो शताब्दी पहले की गई +थी। भू-चुंबकत्व तथा संबंधित क्षेत्रों में अनुसंधान करने वाला यह +अग्रणी संस्थान है। निरंतर नवीन और उन्नत अनुसंधान करने से, +इस संस्थान को विश्व के श्रेष्ठतम संस्थानों में एक माना जाने लगा +है। चुंबकीय तथा वेद्युत-चुंबकीय विवरण जुटाने में यह विश्व के +अग्रणी संस्थानों में एक है। विश्व भर के चोटी के वैज्ञानिकों के बीच, +अपने अनुसंधान कार्यों के लिए इन विवरणों की भारी मांग रहती है। +भू-चुंबकत्व एक वैश्विक परिघटना है, इसलिए इसे स्थानीय तौर पर +टुकडों में नहीं समझा जा सकता। + +आईआईजी द्वारा किए जाने वाले अनुसंधान कार्यों का दायरा बड़ा +विस्तृत है। एक ओर, यह धरती की गहराइयों का अध्ययन करता है, +तो दूसरी ओर इसके विरट दायरे में सूर्य में चल रही क्रियाएं-प्रक्रियाएं +भी शामिल हैं। यह धरती की परतों का अध्ययन करता है, तो +वायुमंडलीय स्तरों का भी अध्ययन करता है। यह संस्थान भूकंपीय +तरंगों से पृथ्वी के बारे में जानकारी एकत्र करता है, तो बाधारहित +संचार के लिए रेडियो तरंगों का भी इस्तेमाल करता है। देखा जाए +तो पृथ्वी और सूर्य अथवा इन दोनों के बीच के स्थान का सब कुछ +आईआईजी की शोध के दायरे में आता है। + +1841 में, आदान (यमन) में कुछ चुंबकीय उपकरण लगाए +जाने थे लेकिन कुछ अप्रत्याशित परिस्थितियों में, ये उपकरण +कोलाबा (मुंबई) मौसम-विज्ञान वेधशाला (मेटिओरोलॉजिकल + + + +ऑब्जर्वेटरी-एमओ ) में लगाए गए। यहां एक परिसर बनाया गया और +चुंबकीय गणनाएं प्रारम्भ हो गईं। लेकिन कोलाबा के बढ़ते शहरीकरण, +खास तौर बिजली की ट्राम के शुरू होने से यहां से चुंबकीय गणनाएं +लेना कठिन हो गया और वेधशाला को अलीबाग (मुंबई) ले आया +गया। चुंबकीय वेधशाला को एक सतह से दूसरे स्थान पर ले जाना +और इसके स्थिति-सूचकांकों की निरंतरता बनाए रखना संभव है। +दो वर्ष तक, 1904 से 1906 तक कोलाबा और अलीबाग - दोनों +जगहों पर एक साथ गन्ना लेते हुए सूचकांकों की निरंतरता बनाए रखी +गई। उसके बाद से अलीबाग से निरंतर आंकड़े निरंतर लिए जाते +रहे और इन विवरणों के आधार पर एक निरंतर कोलाबा-अलीबाग +आंकड़ा श्रृंखला जुड़ती रही। ये आंकडे तो भू-चुंबकीय अनुसंधान के +लिए खजाने जैसे हैं। इतनी बड़ी अवधि के गतिशील विवरणों का यह +बेजोडु तथा अनूठा भंडार है। + +1971 में आईआईजी को एक अलग, स्वायत्त संस्थान बनाया +गया। भारत ने अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में खोज शुरू कर दिया + + + + + +चित्र 1: इमेजिग रिओमीटर, मेत्री, अंटार्काटिक + + + +लेखक इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ जिआओमैग्नेटिज़्म three aifteer Z1 Sac: pravin@iigs.iigm-res.in + +30 + +योजना, अक्टूबर 2021 + + + +0031.txt +<----------------------------------------------------------------------> +था। इसलिए भू-चुंबकीय आकड़ों के अध्ययन के लिए विशेषज्ञों +की आवश्यकता थी। पृथ्वी के पारभाषी क्षेत्र को भी ठीक से समझ +पाने की जरूरत थी। इसके लिए संस्थान की मौसम-वैज्ञानिक +वेधशालाओं (अलीबाग, नागपुर, विशाखापट्टनम, गुलमर्ग, राजकोट, +सिलचर, जयपुर, पुद्दुचेरि, पोर्टब्लेयर और अंटार्कटिका) से आंकड़े +और विवरण जुटाए गए। इस उद्देश्य के लिए निर्धारित अवधियों पर +सर्वेक्षण किए गए, (मनुष्य-निर्मित उपग्रहों, अंतरिक्ष में छोड़े गए +उपकरणों और वेधशालाओं में स्थित उपकरणों) से प्राप्त आकड़ों +को सुसंबद्ध किया गया; ओर मुख्यालय (नवी मुंबई परिसर), क्षेत्रीय +केन्द्रों (तिरुनेलवेली, प्रयागगाज और शिलाँग) तथा कई प्रयोगशालाओं +के वैज्ञानिकों ने इन आंकड़ों और विश्लेषणों को जमा किया और +इन्हें एकरूपता दी। + +धरती की बाहरी परत की चट्टानों में स्थित चुंबकीय खनिजों +के जरिए क्यूरी तापमान कीं गणना की जाती है जिससे पृथ्वी की +पपड़ी और आवरण के बीच चुंबकीय संक्रमण क्षेत्र का पता चलता +है। इन गणनाओं से महाद्वीपीय और महासागरीय क्षेत्रों के संरचनात्मक +ढांचे की क्षेत्रीय विकृतियों का भी पता चलता है। दूरसंवेदी चुंबकीय +आकड़ों की मदद से खनिजीय क्षेत्रों और भूविवर्तनीय दरारों का +भी वर्गीकरण आसान हो जाता है। आईआईजी में तैयार किया गया +कम्पोजीट चुंबकीय विसंगति (एनोमली) का नक्शा विशिष्ट महत्व का +है। इसकी मदद से वैश्य-विशेषज्ञ क्षेत्रीय भूगर्भ-विज्ञान (प्राकृतिक +संसाधनों के बारे में) तथा भारत में धरती की प्लेटों के विवर्तनीय +ढांचे (टेक्टोनिक फ्रेमवर्क) के बारे में (दरारों, जुड़ावों और कमजोर +प्लेटों आदि) महत्वपूर्ण जानकारी हासिल कर सकते हैं। चुंबकीय +खनिजों की जलवायु परिवर्तनों और पर्यावरणीय बदलावों को समझने में +महत्वपूर्ण भूमिका है। भौतिक-रासायनिक परिस्थितियों के अपरिवर्तित +रहने पर ये खनिज काफी स्थायी होते हैं, लेकिन इनमें बदलावों के +प्रति ये बहुत संवेदनशील होते हैं। वातावरण के साथ संतुलन बनाए +रखने के लिए ये पदार्थ अपने आप को बदल +लेते हैं। चुंबकीय खनिजों के स्वरूप में आए +परिवर्तनों की प्रयोगशाला में जांच करने से +मौसम और पर्यावरण के परिवर्तन के रुझान +का जायजा लिया जा सकता है। + +सौर चुम्बकत्व का पृथ्वी सहित आकाशीय +पिंडों पर असर पड़ता है। सूर्य से निकलते +ऊर्जावान कणों का पृथ्वी के चुंबकीयमंडल, +आयनमंडल, मध्यमण्डल और तापमंडल पर +असर पड़ता है। सूर्य की लपटों, सूर्य के +प्रभामंडल (कोरोना) से बड़ी मात्रा में निकलते +पुंज, तेज गति वाली सौर हवाएं और ऊर्जावान +कण - निरंतर गतिशील अवस्था में रहते हैं। +पृथ्वी का भी स्वरूप चुंबकीय है। पृथ्वी के +क्रोड और बाहरी आवरण की सीमा पर इसका +भू-चुंबकीय क्षेत्र निर्धारित और अनुकृत होता +है। इस चुंबकीय क्षेत्र की रेखाएं पृथ्वी की +विभिन्न परतों से होकर गुजरती हैं और हमारे +गृह को संरक्षण-कवच प्रदान करती हैं। यह + + + + + +योजना, अक्टूबर 2021 + +चुंबकीय खनिजों की जलवायु +परिवर्तनों और पर्यावरणीय बदलावों +को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका है। +भौतिक-रासायनिक परिस्थितियों +के अपरिवर्तित रहने पर ये खनिज +काफी स्थायी होते हैं, लेकिन +इनमें बदलावों के प्रति ये बहुत +संवेदनशील होते हैं। वातावरण के +साथ संतुलन बनाए रखने के लिए +ये पदार्थ अपने आप को बदल लेते +हैं। चुंबकीय खनिजों के स्वरूप में +आए. परिवर्तनों की प्रयोगशाला में +जांच करने से मौसम और पर्यावरण +के परिवर्तन के रुझान का जायजा +लिया जा सकता है। + + + +चित्र 2: चुबकीय-पुंज + +कवच हानिकारक विकिरणों को रोकता और विचलित कर देता है। +इसीलिए पृथ्वी पर जीवन सुरक्षित रहता है और वेद्युत संचार बना +रहता है। इन आवेशित कणों के परस्पर संपर्क से श्रुवीय क्षेत्रों में +प्रकाश-पुंज (औरोरा) बनते हैं। पृथ्वी पर चुंबकीय तूफान आने की +स्थिति में ये 'प्रकाशमयी पटिटिकाएं' ज्यादा सक्रिय हो जाती हैं। + +सौर हवाएं अंतरिक्ष में सभी दिशाओं में निरंतर प्रवाहित होती +रहती हैं। पृथ्वी पर इन तरंगों को महसूस किया जाता है। इनके परस्पर +संपर्क और वातावरण में वैद्युत चुंबकीय तरंगों को मौसम-वैज्ञानिक +वेधशालाओं में रिकॉर्ड किया जाता है। सूर्य की सतह और इसके +वातावरण में ऊष्मा और ऊर्जा के जटिल अंतर्सबंध से तापमान +में अंतर पैदा होता है। सूर्य के क्षेत्र में पैदा होने वाली तरंगें और +कण बहुत तेज गति से बाहर को निकलते हैं। इस गैसीय क्षेत्र और +इसके जटिल बलों (जैसे गुरुत्वीय तरंगों, अवरक्त किरणों, पराबेंगनी +किरणों और ऊंची तरंगों - जो एक डायनमोबन कर आवेशित आयनों +को पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में फैला देती हैं आदि) को समझने +के लिए ग्रहणशील दृष्टिकोण अपनाना होगा। +इन सभी बलों की वजह से आवेशहीन और +आवेशित कानों के बीच टकराव होता हे +जिससे वे आवेश का लेन-देन करते हैं ताकि +उनके बीच ऊर्जा और संवेग का हस्तांतरण हो +सके। इन वेधशालाओं में सौर चक्रों के पूर्ण +होने का समय और अवधि रिकॉर्ड करने के +भी प्रयास किए जाते हैं। विशेषज्ञ अब मानने +लगे हैं कि सूअर ऊर्जा के स्तर में परिवर्तनों +का पृथ्वी पर तापमान के घटने-बढ़ने पर +असर होता है। + +सौर प्रभाव से हवा की गति, ताप और +दाब में वेश्विक परिवर्तन होने से वायुमंडल +ज्वार बनते हैं। वे नियमित रूप से वायुमंडल में +सभी स्थानों पर होते हैं। ये रोज दो बार (एक +ज्वार-एक Wel sik et saat भाटा) +होते हैं। इनके अलावा बीच में छोटे ज्वार +उठते-थमते रहते हैं। सूर्य के विभिन्न ऊंचाइयों +पर विकिरण, इसके अवशोषण और तेज के + +31 + + + +0032.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +मंद पड़ने से परिचालित ये ज्वार सूर्यास्त की दिशा में पश्चिम की +ओर बढ़ते हैं। सूर्य के “निष्क्रिय' होने की स्थिति में भी ये प्रक्रियाएं +होती रहती हैं। लेकिन सौर 'तूफान' की स्थिति में ये चरम पर पहुंच +जाती हैं। आवेशित कणों और विकिरणों की उद्दाम क्रियाओं से कुछ +ही घंटों में वैश्विक तापमंडलीय प्रवाह एक नया स्वरूप ले लेता है। + +आयनमंडल और चुंबकीय मंडल परस्पर सम्बद्ध प्रणालियां हैं जो +सूर तरंगों से ऊर्जा और संबेग को ऊपरी वायुमंडल तक पहुंचाती हैं। +इन अति-सुचालक प्लाज्मा वाले क्षेत्रों विभिन्न धारा-युग्म प्रवाहित होते +रहते हैं। चुंबकीय स्पंदनों सहित, सेकेंडों से लेकर दिनों के अंतराल +में पैदा होने वाली इन तरंगों की वजह से ही भू-चुंबकीय क्षेत्र में +जमीनी परिवर्तन होते हैं। आयनमंडल और चुंबकीयमंडल के अध्ययन +से इन मंडलों और सौर हवाओं में ऊर्जा और संबेग के प्रवाह का +आकलन किया जाता है। ऐसे अध्ययनों से मेग्नेटोपौज की स्थिति में +पुनः चुंबकीय संपर्क, सौर हवाओं के दबाव + +में परिवर्तनों के चुंबकीयमंडल की प्रतिक्रिया, 2021 आईआईजी का स्वर्ण-जयंती +वर्ष है। 1971 में इस संस्था को +भू-चुंबकीय अनुसंधान का स्वतंत्र +कार्यभार दिया गया और तभी से +संतुलन की स्थिति में नहीं होते, इसलिए उनमें इसकी गौरव-यात्रा प्रारंभ हुईं। WAT +इंडेक्स रेंकिंग ने आईआईजी को +भू-विज्ञानों में बुनियादी महत्व का +कार्य कर रहे भारत के 10 प्रमुख +संस्थानों में माना है। भू-चुंबकत्व +निरंतर परिवर्तनशील है अतः इसका +निरंतर अध्ययन आवश्यक है। +अपनी धरती और सौरमंडल के बारे +में बेहतर जानकारी हासिल करने +के लिए इस भू-चुंबकत्व के क्षेत्र में +निरंतर अनुसंधान जूरूरी है। + +और विस्कस-लाइक इंटरएकशंस की प्रक्रिया +समझने में मदद मिलती है। + +पृथ्वी तथा अन्य ग्रहीय चुंबकीय मंडलों +में मिलने वाले प्लाज्मा अपनी तापगतिकीय + +कुछ मात्रा में मुक्त ऊर्जा होती है। ये मुक्त +ऊर्जा स्रोत विभिन्न भू-चुंबकीय सीमावर्ती परतों +(बाउड़ी लेयर्स) में, जैसे मेग्नेटोपौज बाउंड्री +लेयर, प्लाज्मा-शीट बाउंड्रीलेयर, पोलरकैप +बाउंड्री लेयर आदि में, अनेक प्रकार के +प्लाज्मामोड पैदा कर देते हैं। + +चुंबकीय खनिजों से पृथ्वी पर हुए +महाद्वीपीय विचलन के बारे में भी पता चलता +है। जीपीएस के आने से पहले, पुराचुंबकीय +अध्ययन ही पृथ्वी की प्लेटों के विचलन +की दिशा और मात्र को समझने का एकमात्र +भरोसेमंद और सटीक तरीका था। + +32 + +ध्रुवों के अपनी स्थिति से खिसकने (पोलरवांडरिंग) और +चुम्बकीय श्रुवों के आवेश बदलने (मैग्नेटिकरिवर्सल) की धारणाएं +भूवैज्ञानिकों को चकित करती रही हैं। महासागरों में चुंबकीय बैंडिंग +का पता चलने से पृथ्वी की सतह की प्लेटों की गतिशीलता (प्लेट +टेक्टोनिक्स) और समुद्रों के फैलाव (सीफ्लोसस्प्रेडिंग) की धारणाएं +बनीं। इस जानकारी से प्राकृतिक संसाधनों का पता लगाने के बारे +में वैज्ञानिकों के सोच में जबर्दस्त बदलाव आया। प्लेटों की सीमाएं +और इनके बीच की दरारों वाले इलाके खनिज-प्राप्ति के सबसे अच्छे +क्षेत्र नजर आए। पुराचुंबकत्व के अध्ययन से पता चला कि सभी +विविधतापूर्ण और दूर-दूर नजूर आने वाली प्लेटें एक ही विशाल +महाद्वीप - पेंजिया और बाद में, इसके बडे हिस्सों गोंडवानालेंड और +लौरासिया - से जुड़ी हैं। पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र की ऊर्जा को पैदा +करने वाले डायनामों के बारे में अब हम बहुत कुछ और काफी +स्पष्टता के साथ जानते हैं। चट्टानों के परिवर्तनों और चुंबकीय खनिजों +की तलछट से श्रुवीयता के परिवर्तनों की तुलना से चट्टानों और +तलछट (अवसाद) की उम्र निकली जाती है, गुरुत्व, विद्युत-आवेश, +भूकंपीय विचलन और जीपीएस आदि को आंकने की तकनीकों से +पृथ्वी की पपड़ी और आवरण के बारे में बहुत सी बातें पता चली हें। + +अपने क्षेत्र में अग्रणी बने रहने के लिए, आईआईजी पारंपरिक +और अपारंपरिक - दोनों तरह के सोच को आगे बढ़ाता रहा है ताकि +उपलब्ध जानकारी का सर्वोत्तम उपयोग हो सके। आईआईजी के पास +उपलब्ध दीर्घ-अवधि के विवरणों का बहुत महत्व है। इस संस्थान में +सौर प्रक्रियाओं, पृथ्वी में चल रही प्रक्रियाओं तथा चुंबकीय, आयन +और वायुमंडल से जुड़े आंकड़े हैं। निश्चित रूप से, विविध लेकिन +परस्पर सम्बद्ध क्षेत्रों के इन विवरणों से ऐसी नई दृष्टि और परिप्रेक्ष्य +मिल सकते हैं, जैसे पहले कभी सोचे भी नहीं गए हों। अनेक विषयों +के समन्वित अध्ययन से पृथ्वी की पपड़ी और सतह से जुड़ी अनेक +प्रक्रियाओं के बीच परस्पर निर्भरता का पता चला है। भूकंप-जन्य +तरंगें जब सतह पर या सतह के नीचे चलती +हैं तो वायुमंडल में विचलन पैदा करती हं। +इन विचलनों से आयनमण्डल से होते हुए +वायुमंडल में झटकों से तरंगें बनती हैं। सतह +और वायुमंडल में फैल रही इन तरंगों से +भूकंपशीलता के रुझान को समझने में मदद +मिलती है। + +2021 आईआईजी का स्वर्ण-जयंती वर्ष +है। 1971 में इस संस्था को भू-चुंबकीय +अनुसंधान का स्वतंत्र कार्यभार दिया गया और +तभी से इसकी गौरव-यात्रा प्रारंभ हुई। नेचर +इंडेक्स रेंकिंग ने आईआईजी को भू-विज्ञानों +में बुनियादी महत्व का कार्य कर रहे भारत के +10 प्रमुख संस्थानों में माना है। + +भू-चुंबकत्व निरंतर परिवर्तनशील है अतः +इसका निरंतर अध्ययन आवश्यक है। अपनी +धरती और सौरमंडल के बारे में बेहतर जानकारी +हासिल करने के लिए इस भू-चुंबकत्व के +क्षेत्र में निरंतर अनुसंधान जरूरी है। छा + +योजना, अक्टूबर 2021 + + + +0033.txt +<----------------------------------------------------------------------> +८ +Graw +Hill + +Because learning changes everything + +भारत की राजव्यवस्था +छठवां संशोधित संस्करण + +Coming Soon + +ISBN: 9789354601576 + +एम लक्ष्मीकांत + +" सिविल सेवा के उम्मीदवारों, कानून, राजनीति +विजान और सावजनिक प्रशासन के छात्रों के लिए +एकल सन्दर्भ पुस्तक + +" संबंधित परिशिष्टों के साथ पूरे भारतीय राजनीतिक +और संवैधानिक विस्तार का 80 अध्यायों में विवेचन + +" पिछले वर्षो के सवालों और प्रारंभिक और मुख्य +परीक्षाओं के लिए संशोधित अभ्यास प्रश्न + +" जम्मू और कश्मीर और लद्दाख के हालिया +घटनाक्रम, संवैधानिक व्याख्या, न्यायिक समीक्षा + +ISBN: 9789354601774 + +ISBN: 9789354601347 + +Toll free number: 18001035875 | support.india@mheducation.com | www.mheducation.co.in + +योजना, अक्टूबर 2021 + +‘aBueyo oj palqns 3919 59>[40, + + + +33 + +YH-1657/2021 + + + +0034.txt +<----------------------------------------------------------------------> +नवाचार + +कपड़ा उद्योग में नैनो तकनीक + +डॉ नेहा यशवंत हेबलकर + +नैनो तकनीक का इस्तेमाल विभिमन्न क्षेत्रों में किया जा रहा है। दरअसल, यह अपने बेहद सूक्ष्म आकार ( 100 +नैनोमीटर, 1 नैनोमीटर-1 मिलीमीटर के 10 लाख बराबर हिस्सों का एक हिस्सा ) के कारण पदार्थ के +भौतिक, रासायनिक, इलेक्ट्रॉनिक, थर्मल, चुंबकीय आदि गुणों को बदलने में सक्षम है। पदार्थ के 3-डी +ढांचे में जब आयामों को एक-एक करके घटाकर नैनो-आकार में लाया जाता है, तब इसके बाद बने नैनो +ढांचों को क्रमशः थिन-फिल्म , नैनो-वायर और क्वांटम-डॉट कहा जाता है। इस तरह , नैनो आयामों में आकार +और ढांचा तैयार कर, पदार्थ के गुणों में बदलाव किए जा सकते हैं, ताकि जुरूरी मकसद हासिल किया +जा सके। इस तरह की बेहतरीन प्रौद्योगिकी ने सभी क्षेत्रों में अपनी संभावनाओं को साबित किया है और + +कपड़ा उद्योग भी इस मामले में अपवाद नहीं है। + +पड़ा उद्योग कई तरह की जरूरतों को पूरा करता है, +जिसमें उपभोक्ता उत्पाद भी शामिल हैं। उपभोक्ता उत्पादों + +में पहनने वाले कपडे, घर से जुड़े साजो-सामान, बाथरूम +में इस्तेमाल की जाने वाली चीजें, ऑटोमोबाइल, सैन्य, बायोमेडिकल, +इलेक्ट्रॉनिक और प्रौद्योगिकी में काम आने वाले कपड़े आदि शामिल हैं। +एडवांस (बेहतर गुणवत्ता वाले) कपड़ों को स्मार्ट और इंटरैक्टिव होना +चाहिए यानी ये कपडे जूरूरतों के हिसाब से अपना प्रभाव छोड सकते + +हों। स्मार्ट इंटरैक्टिव कपडे, वातावरण में विद्युतीय, थर्मल, रासायनिक, +चुंबकीय या अन्य तरह के प्रभावों को समझ सकते हैं। साथ ही, इन +प्रभावों के हिसाब से खुद को ढाल सकते हैं या प्रतिक्रिया व्यक्त कर +सकते हैं। कपड़ों में नेनो प्रौद्योगिकी के विभिन्न इस्तेमाल के बारे में +रेखाचित्र-1 में बताया गया है। + +हम अब कपड़ों को लेकर नई पीढ़ी की उम्मीद और पसंद के +बारे में बात करते हैं। हालांकि, कपड़े का मुख्य मकसद सुरक्षा और + + + +जीवाणुरोधी, खुद से सफाई, +डियो, थर्मो-नियमन, दागरोधी, +बिना सिकुड़न वाला कपड़ा +उत्पाद +सिल्वर नेनो तकनीक, नेनो कॉपर, टाइटेनियम +डाइऑक्साइड, जिंक ऑक्साइड, सिलिकॉन +डाइऑक्साइड, पॉलीमर्स , फेज चेंज मैटीरियल + +आग से का + +ईएमआई से सुरक्षा +एयर फिल्टर +के तौर पर +नेनो सिलिका, मेटल, +सीएनटी, अर्द्ध॑च्चालक + +*» चालक +* चार्जिंग + +नैनो धातु, बहुलक का चालन, +पीजोइलेक्ट्िक सामग्रियां + + + +उपभोक्ता ly सैन्य + + + +* STR + +* चरम तापमान की अब्स्था में +उपयोगी कपड़े + +* गोपनीयता के तौर पर + +नेनो अर्द्धचालक, एरोजेल, +फोटोक्रॉमिक सामग्रियां + +उपयोग + +* घाव-चोट की मरहम-पटूटी + +* रिश्यू इंजीनियरिंग से जुड़ी +गतिविधियां + +* सूक्ष्मजीवीरोधी कपड़े + +सिल्वर नेनो तकनीक, नेनो कॉपर, +नेनो गोल्ड, नेनो फाइबर + +* सीट कवर +* एयरकंडीशनर में फिल्टर + +सिल्वर नेनो तकनीक, नेनो कॉपर, +नेनो गोल्ड, नेनो फाइबर + + + + + +चित्र 1 + +: कपड़ा उद्योग से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों ओर नैनो सामग्रियों में नेगी तकनीक का उपयोग + + + +लेखिका इंटरनेशनल एडवांस्ड रिसर्च सेंटर फॉर पाउडर मेटलर्जी एंड न्यू मटीरियल्स के सेंटर फॉर नैनोमटीरियल्स में वैज्ञानिक हैं। यह भारत सरकार के विज्ञान एवं +प्रौद्योगिकी विभाग से जुड़ी स्वायत्त संस्था है। ईमेल: neha@arci.res.in, ट्विटर: @arci_res_in + +34 + +योजना, अक्टूबर 2021 + + + +0035.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + +(a) + +बिना सिल्वर नेनो तकनीक +वाला कपड़ा + + + +सिल्वर नेनो तकनीक +वाला कपड़ा + +कपड़े के नीचे + + + + + +(at) + + + +चित्र 2 (अ) इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप से दिखने वाला 30-50 नैनोमीटर एजी कण, (ब) जीवाणुरोधी गतिविधियां: बिना सिल्वर नैनो तकनीक वाला कपड़े +में जीवाणुओं की बढ़ोतरी होती है, जबकि सिल्वर नैनो तकनीक से लैस कपड़े में जीवाणुओं की बढ़ोतरी नहीं होती है। + +सौंदर्य है, लेकिन जीवन शैली में बदलाव, प्रदूषण, पर्यावरण संबंधी माहौल में यह और अहम हो गया है। उदाहरण के लिए, परदे, चादरों, +चुनौतियां और कोविड महामारी जैसी आकस्मिक चुनौतियों की वजह मास्क व अस्पतालों और जांच केढद्रों में इस्तेमाल होने वाले एप्रन आदि + +से वस्त्र उद्योग में नई जरूरतें पैदा हुई हैं, जैसे + +में इन कपड़ों की अहम भूमिका है। खेलों में + +कि सुविधाओं में बढ़ोतरी, स्वच्छता, पराबैंगनी सिल्वर नेनो कणों का जीवाणुओं पहने जाने वाले कपड़ों, बच्चों से जुडे उत्पाद, +किरणों से बचाव, रोगाणुओं, विद्युत चुंबकीय में सफाई में इस्तेमाल होने वाले नैपकिन, घावों पर +क्षेत्र आदि से बचाव। काम के ज़्यादा घंटे और के सेल, सेल में मौजूद प्रोटीन लगाई जाने वाली पटि्टियां आदि में भी इनका +वायु प्रदूषण को वजह से हमारे पहने हुए और डीएनए से टकराव होता ‘ बेहतर इस्तेमाल हो सकता है। जस्ता, तांबा और +कपडे पसीना सोख लेते हैं और इस वजह से और इस वजह से सेल मर जाते हैं। उनके ऑक्साइड के साथ-साथ धातु नैनो कण +कीटाणु पैदा होते हैं। साथ ही, कपड़ों से सिल्वर कणों के बेहद छोटे होने का इस्तेमाल भी जीवाणुरोधी अवयव के तौर +gia भी आने लगती है। अगर इन कपड़ों में का फायदा यह है कि सिल्वर के पर किया जा सकता है। + +कीटाणुओं को पनपने से रोका जाए, तो कपड़ों हर छोटे कण को कपडे के बड़े एआरसीआई ने हाल में पाया कि चेहर + +में लंबे समय तक ताजगी बनी रहेगी। इस +लक्ष्य को हासिल करने में नेनो तकनीक अहम +भूमिका निभाती है। अंतरराष्ट्रीय पाउडर धातु +शोधन और नई सामग्री उन्नत शोध संस्थान +(एआरसीआई) ने नेनो सिल्वर-आधारित एक +सस्पेंशन तैयार किया है जिसका इस्तेमाल कर + +हिस्से पर फैलाया जा सकता है। +नैनो सिल्वर कण कपड़े पर मजबूत +रासायनिक संबंध स्थापित करते हैं +और इस तरह इन कपड़ों को ज़्यादा + +पर लगाए जाने वाले मास्क में तांबा-ऑक्साइड +नेनो-कणों और नेनो सिल्वर का इस्तेमाल करने +पर ऐसे मास्क कोरोना वायरस से बचाव में +ज़्यादा कारगर साबित हो सकते हैं। यह स्वेदशी +तकनीक मौजूदा वक्‍त की जुरूरत है और इसके +व्यावसायिक इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जा रहा + +कपडे में कीटाणुओं को पैदा होने से रोका जा +सकता है। नेनो सिल्वर में उसी तकनीक का इस्तेमाल किया जाता +है, जिसके तहत हम तांबा या चांदी के बर्तन में पीने का पानी रखते +हैं, ताकि इन धातुओं का बेहतर असर पानी में देखने को मिल सके। +दरअसल, इससे पानी में मौजूद सूक्ष्म-जीवाणु मर जाते हैं और इस तरह +पीने के पानी को सुरक्षित बनाया जा सकता है। + +सिल्वर नैनो कणों का जीवाणुओं के सेल, सेल में मौजूद प्रोटीन +और डीएनए से टकराव होता है और इस वजह से सेल मर जाते हैं।' +सिल्वर कणों के बेहद छोटे होने का फायदा यह है कि सिल्वर के +हर छोटे कण को कपड़े के बड़े हिस्से पर फैलाया जा सकता है। +नेनो सिल्वर कण कपड़े पर मजबूत रासायनिक संबंध स्थापित करते +हैं और इस तरह इन कपड़ों को ज़्यादा समय तक पहना जा सकता +है। रेखाचित्र 2 में सिल्वर नेनो कणों की तस्वीर को दिखाया गया +है, जो ट्रांसमिशन इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप के तहत है। साथ ही, इसमें +जीवाणु-रोधी गतिविधियों को भी प्रयोग के तौर पर पेश किया गया है। +सूक्ष्मजीवीरोधी कपड़े बेहद जुरूरी हैं। खास तौर पर महामारी के मौजूदा + +योजना, अक्टूबर 2021 + +समय तक पहना जा सकता है। + +है। इसी तरह, टाइटेनियम ऑक्साइड एक और +सूक्ष्मजीवीरोधी सामग्री है जिसके जुरिये “प्रकाश उत्प्रेरण' होता है। +आसान शब्दों में कहें, तो सक्रिय टाइटेनियम डाइऑक्साइड अर्द्धधालक + + + + + + + + + + + +A टाइटेनियम 9. +oF डाईऑक्साइड कण ( +“Fe +" —— ).५ +इलेक्ट्रॉन ९ + +oo इलेक्ट्रॉन हर ऑर्गेनिक यौगिक +बैंड दूरी ट्र व +५ का उद्मेरण 70, +॥,0 +fed h C = * ' +OH +H,0 +चित्र 3 : टाइटेनियय डाईऑक्साइड (टीआईआओटू) के नेनों करों में + +फोटो उत्प्रेरण का चित्र +35 + + + +0036.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +(बी) + + + +संसर्ग से पहले संसर्ग के बाद ++. +टाइटेनियम +डाइऑक्साइड + +te + +है अनुपचारित + +Cm पु Aan न +(सी) + + + + + + + + + + + + + +चित्र 4 : (ए) टाइटेनिया सूक्ष्यपोलकों की इलेक्ट्रॉग माइक्रोस्कोप इमेज (बी) सृक्ष्मगोलकों में व्यवस्थित रूप से मौजूद टाइटेनिया नैनोरॉड, +(सी) टाइटेनिया सूक्ष्मपोलकों की “अपने-आप सफाई! की सुविधा को सूती कपड़े में येथिलीन ब्लू रंग के साथ इस्तेमाल किया जाता है और इसके तहत +कपड़े को & घंटे तक धूप में रखा जाता है। कपड़े के रंग में ज़्यादा बदलाव नहीं होता। हालांकि, टीआईओटू से लैस कपड़ा गेथिलीन ब्लू को हल्का कर +देता है और कपड़े का रंग खत्म कर देता है। + +सामग्री है, जो (1) हवा में मामूली नमी मौजूद होने पर सूरज की +रोशनी की पराबैंगगी किरणों का अवशोषण कर लेती है (2) ऐसी बेहद +प्रतिक्रियाशील मूलक तैयार करती है जिससे जैविक प्रदूषणकारी तत्व +(कीटाणु समेत) कमजोर पड़ जाते हैं और (3) सतह (बाहरी हिस्से) +और आसपास को साफ रखती है। इस प्रक्रिया के बारे में सिलसिलेवार +ढंग से रेखाचित्र-3 में बताया गया है। नेनो कणों के आकार और +क्रिस्टल ढांचे में जुरूरत के हिसाब से बदलाव कर टाइटेनिया में मौजूद +ऊर्जा अंतगल को ठीक किया जा सकता है। ऊर्जा अंतराल को संतुलित +कर और धातु नेनो-कणों को सतह पर सक्रिय बनाकर फोटो उत्प्रेरण के +बेहतर प्रदर्शन का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। अतः, टाइटेनियम +ऑक्साइड से ढंका हुआ कोई भी सतह सूरज की किरणों के प्रभाव +में खुद से साफ हो जाता है। एआरसीआई में तैयार किया गया नए +तरह का टाइटेनियम डाइऑक्साइड सूक्ष्मगोलक 'अपने-आप सफाई' के +मामले में बेहतर साबित हुआ है। सिर्फ कुछ घंटों की सूरज की रोशनी +में यह जैविक प्रदूषणकारी तत्वों को साफ कर सकता है। रेखाचित्र-4 में +टाइटेनिया सूक्ष्ममोलकों और कपड़ों पर अपने-आप सफाई वाली उनकी +गतिविधियों के बारे में बताया गया है। यह तकनीक डिटर्जेंट, पानी +और बिजली की बचत करती है और हम इन चीजों का इस्तेमाल किए +बिना साफ कपड़े पहनकर ताजी हवा में सांस ले सकते हैं। इस उत्पाद +को सफलतापूर्वक व्यावसायिक रूप दिया जा चुका है और बाजार में +“सन वॉश (सूरज की रोशनी से gens)” en के तहत “अपने-आप +साफ होने वाले' कपडे पेश किए जा रहे हैं। यही टाइटेनिया सूरज की +रोशनी से निकलने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों से सुरक्षा देने +में भी प्रभावकारी है। बाजार में मौजूद 'वेयरबेल सनस्क्रीन' टैग वाले +कपडे टाइटेनिया सूक्ष्मगोलकों के इसी गुण पर आधारित हैं। ये कपड़े +घर के अंदर भी पहने जा सकते हैं और एलईडी लैंप से मिलने वाली +रोशनी के जरिये अपने-आप सफाई की सुविधा का इस्तेमाल किया +जा सकता है। साथ ही, टाइटेनिया में मौजूद ऊर्जा अंतराल में बदलाव +के लिए जरूरी कार्रवाई या सतह को इस तरह असरदार बना कर भी +यह लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। इसके तहत सतह को इस तरह +असरदार बनाया पड़ेगा कि यह टाइटेनिया प्रकाश से जुडे तरंग आयामों +(400-800 नेनोमीटर) को अवशोषित करे और फोटो उत्प्रेरण गतिविधि + +36 + +शुरू कर सके। एक और घटनाक्रम के तहत, टाइटेनिया के कणों को +कार्बन बिंदुओं (डॉट) के साथ मिलाया गया, ताकि दिखने वाले हल्के +सक्रिय टाइटेनिया में बढ़ोतरी हो सके। एयरकंडीशनर और वाहनों से +जुड़े धुआं निकलने वाले उपकरण में इस्तेमाल होने वाले कपडे में +नैनो-फाइबर का पतला कवर बेहद सूक्ष्म कणों को रोकता है और इस +तरह फिल्टर की गुणवत्ता बेहतर होती है। ऐसे फिल्टर के उत्पादन के +लिए “इलेक्ट्रो-स्पिनिंग”' तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। आम तौर +पर पहने जाने वाले कपडे से जुड़ी कुछ और जरूरतें हैं, जैसे कि थर्मों +संबंधी नियम जिसमें कपड़ा शरीर के तापमान में होने वाले बदलाव के +हिसाब से आराम मुहैया कराता है और सर्दी और गर्मा दोनों स्थितियों +में यह आरामदेह होता है। कपड़े को ऐसा बनाने के लिए उसमें फेज +चेंज मैटीरियल (पीसीएम) (स्थिति बदलाव सामग्री) को शामिल किया +जाता है। पीसीएम, बदलाव की हुए पांचवें चरण में + + + + +\ +५ +बेस मीडियम फाइबर नैनो फाइबर + +नैनो फाइबर माइक्रोन आकार के छेदों को ढंकता है +और बारीक कणों को पकड़ता है + + + + + +चित्र 5 इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप के जुरिये नैनों-फाइबर से लेंस एयर फिल्टर +वाला कपड़ा देखा जा सकता है। + +योजना, अक्टूबर 2021 + + + +0037.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +ऊष्मा को इकट्ठा कर इसे छोड़ता करता है। +इत्र/डियो/कीटनाशक भगाने वाले तरल पदार्थ से +भरे माइक्रोकैप्सूल को कपड़ों के साथ मिलाया +जा सकता है, ताकि ऊष्मा को धीरे-धीरे छोड़ा +जा सके। दाग और सिकुड़न रोकने की सुविधा +की भी ऐसी आम जूरूरतें है जिनकी लोगों को +अपेक्षा रहती है। + +कृत्रिम फाइबर से स्थिर आवेश तैयार +होता है। इन पर टाइटेनियम ऑक्साइड, जिंक +ऑक्साइड, एंटीमनी टिन ऑक्साइड (एटीओ) , +सिलिका जैसे सूक्ष्म आकार के ऑक्साइड कणों +के लेप से स्थिर-रोधी सामग्री मुहैया कराई जा +सकती है। कपड़ों की एक और श्रेणी है, जिसे + + + + + +(ए) + + + +(बी) + + + +तकनीकी कपड़ा कहा जाता है। इन कपड़ों का +इस्तेमाल खास तरह के उपयोग में किया जाता +है। उदाहरण के लिए, आग बुझाने वाले कर्मियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने +वाले कपडे इस तरह से तैयार किए जाते हैं कि वे आग से सुरक्षित हों। +इस तरह के कपडों को तैयार करने के लिए ऊंचे तापमान में भी स्थिर +रहने वाली सामग्रियों और आग से सुरक्षा प्रदान करने वाले सामग्रियों, +मसलन 'नैनोपोरस सिलिका एरोजेल' का इस्तेमाल किया जाता है। इसके +उलट शून्य और इससे कम तापमान में काम करने वाले कर्मचारियों को +कम तापमान से सुरक्षा वाले कपडों, टेंट, भोजन आदि की जुरूरत होती +है। इस मकसद के लिए भी 'सिलिका एरोजेल' इस्तेमाल किया जाता +है। दरअसल, कुछ खास खूबियों के कारण यह ऐसी परिस्थितियों में +भी उपयोगी हो सकता है। 'सिलिका एरोजेल' बेहद कम घनत्व वाली +नेनोपोरस सामग्री है, जिसमें निम्न तापमान से लेकर काफी ऊंचे तापमान +में ऊष्णता को अलग करने का गुण है। रेखाचित्र-6 में, ऊष्पमा को अलग +करने और आग से बचाव के मामले में 'सिलिका एरोजेल' के प्रदर्शन +के बारे में बताया गया है। इस कपड़े का इस्तेमाल 'पिजो-इलेक्ट्रिक +नेनोक्रिस्टल' के साथ सेंसर या चार्जर के तौर पर किया जा सकता है, +जो यांत्रिक लोड को विद्युतीय ऊर्जा में बदल सकती है। इस विद्युतीय +सिग्नल का इस्तेमाल दिल की धड़कन के बारे में पता करने या छोटी +बैटरी चार्ज करने में किया जा सकता है। तकनीकी कपड़ों से जुड़े +अन्य उदाहरणों में विद्युत-चुंबकीय क्षेत्र से बचाव, विद्युत चालन, जल +विकर्षक जैसी सुविधाएं वाले कपड़े शामिल हैं। इन एप्लिकेशन में +इस्तेमाल की जाने वाली नैनो-सामग्रियां मुख्य तौर पर कार्बन नैनो-ट्यूब, +धातु, धातु ऑक्साइड, अर्द्धधालक बहुलक आदि होते हैं। + +कपड़ों में नेनो-सामग्रियों का इस्तेमाल विभिन्न स्तरों पर किया जाता +है, मसलन फाइबर या धागे के स्तर पर, बुनाई की प्रक्रिया के दौरान +या सीधे कपडे पर भी। कपड़ों में नैनो-सामग्रियों के इस्तेमाल का सबसे +आसान तरीका तैयार ' भराई की प्रक्रिया' है, जहां सक्रिय नेनो-सामग्रियों +को कपडे में इस्तेमाल किए जाने वाले रासायनिक तत्वों के साथ +मिलाया जाता है। इस तरह नैनो-सामग्रियां इस तरल पदार्थ के साथ घुल +जाती हैं। इसके बाद 'हॉट रोलर' के जरिये अतिरिक्त तरल पदार्थ को +निचोड़ा जाता है। कपड़ों में ऊष्मा और दबाव का इस्तेमाल किया जाता +है, ताकि नैनो-सामग्री को इसके ऊपरी हिस्से पर स्थापित किया जा +सके। कृत्रिम और प्राकृतिक, दोनों तरह के फाइबर में नेनो-सामग्रियों + +योजना, अक्टूबर 2021 + +चित्र 6 : सिलिका एयेजेल शीट (ए) बेहतर तरीके से ऊष्पा को अलग करने की प्रक्रिया और +(बी) आग से बचाव से जुड़ी सुविधा को दिखा रही है। + +का इस्तेमाल किया जा सकता है। +कपड़ा उद्योग में नेनो प्रौद्योगिकी के लिए जुबरदस्त संभावनाएं + +हैं। स्मार्ट और बेहतर कपड़े देश की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका +निभा सकते हैं। हालांकि, वैज्ञानिक जटिलताओं और ऊंची लागत जैसी +चुनौतियों की वजह से ऐसे कपड़ों के इस्तेमाल की अपनी सीमाएं हैं। +नेनो-सामग्री वाले कपड़ों को पहनने और इसके अन्य इस्तेमाल के +हानिकारक प्रभावों का पता लगाने के लिए अध्ययन भी जरूरी है, ताकि +दीर्घ या सीमित अवधि में इससे जुड़े स्वास्थ्य संबंधी जोखिम को दूर +किया जा सके। उदाहरण के लिए, कपड़ों पर नैनो-सिल्वर के इस्तेमाल +से पहले इस सिलसिले में अध्ययन किया गया और जांच के बाद ही +इसे हरी झंडी दी गई। व्यावसायिक तौर पर शुरू करने से पहले यह भी +पुष्टि की गई कि यह प्रौद्योगिकी पर्यावरण के अनुकूल है। = +संदर्भ + +1... द एंटीबैक्टीरियल मेकेनिज़्म ऑफ सिल्वर नैनो पार्टिकल्स एंड इट्स एप्लिकेशन +इन डेंटिस्ट्री, आयरिस यिन, जिंग ढांग, आई, शुपिंग झाओ, मे ली मी, क्यू, ली, +चुंग हुंग चू, इंटरनेशनल जर्नल ऑफ नैनोमेडिसिन, 2020, 15, 2555/2562। + +2. सिंथेसिस एंड सरफेस केमिस्ट्री ऑफ नेनोसिल्वर पार्टिकल्स, रेवती जनार्दनन, +मुरुगन के. नेहा हेबलकर, टाया एन. राव, पॉलिहेड्न, 2009, 28, 2522/2530। + +3, सिल्का-सिल्वर कोर-शेल पार्टिकल्स फॉर एंटी-बैक्टीरियल टेक्सटाइल +एप्लिकेशन, के. निश्चल, टाटा एन, राव और नेहा हेबलकर, कॉलिड्स एंड +इंटरफेसेज-बी: बायोइंटरफेसेज, 2011, 203-208। + +4... एनवायरमेंटल एप्लिकेशंस ऑफ सेमीकंडक्टर फोटोकैटालिसिस, माइकल आर, +हॉफीमन, स्कॉट टी, मार्टिन, डब्ल्यू, चोई और डी. डब्ल्यू. बहमंट, केमिकल +रिव्यू, 1995, 95, 69-96 + +कुछ अन्य संदर्भ + +1. मॉरडर्न एप्लिकेशंस ऑफ नैनोटेक्नोलॉजी इन टेक्सटाइल्स, ए, पी. एस. साहनी +एंड बी. कॉन्डन के. वी. सिंह, एस. एस. पंग और जी. ली, डेविड हुई, +टेक्सटाइल रिसर्च जर्नल, 2008, 78(8), 731/739। + +2 सेलेक्टेड एप्लिकेशंस ऑफ नेनोटेक्नोलॉजी इन टेक्सयाइल्स, बॉन्ग वाईडब्ल्यूएच, +युएन सीडब्ल्यूएम, लैम एचएलआई ऑटेक्स रिसर्च जर्नल 2006, 6(1), 1-8। + +3, एप्लिकशन ऑफ नैनोटेक्नोलॉजी इन टेक्सटाइल इंजीनियरिंग: एन ओवबरव्यू, +जे, के. पात्रा एंड एस. गौंडा, जर्नल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी रिसर्च, +2013, 5(5), 104-111। + +4. एप्लिकशन ऑफ नैनोटेक्नोलॉजी फॉर हाई-परफॉर्मेंस टेक्सटाइल्स, जर्नल ऑफ +टेक्सटाइल एंड अपैरल टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट, लेई कियान, जुआन पी. +हिनेस्ट्रोजा 2004, 4(1), 1-71 + + + + + + + + + + + + + +37 + + + +0038.txt +<----------------------------------------------------------------------> +लाइट हाउस परियोजनाएं + +अमृत अभिजात + +प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 1 जनवरी 2021 को छह लाइट हाउस परियोजनाओं की आधारशिला रखी +थी। भारत में निर्माण कार्यों की परिकल्पना और क्रियान्वयन की प्रचलित अवधारणा में यह एक निर्णायक +बदलाव है। यह सरकारी कार्यक्रमों में पाठन के अंग के रूप में नवोन्मेष प्रौद्योगिकियों को अपनाने एवं +क्षेत्रों तथा लोगों में अधिक जागरूकता पैदा करने हेतु देश को नए सफर के लिए तैयार करने का भी +प्रतीक है। लाइट हाउस परियाजनाओं (एलएचपी ) को वैश्विक आवास प्रौद्योगिकी-चुनौती ( भारत ग्लोबल +हाउसिंग टेक्नोलॉजी चैलेंज- इंडिया जीएचटीसी-इंडिया ) के तहत परिकल्पित किया गया है तथा अधिक +परियोजनाओं को नवोन्मेष एवं वैकल्पिक प्रौद्योगिकियों के साथ शुरू किए जाने से ये गति, स्तर, कौशल, +पर्यावरण./“जलवायु पर असर तथा कदाचित लागत जैसे मूल मुद्दों का समाधान करेंगी। + +इए अब आवास कार्यक्रम के अंतर्गत जीएचटीसी- + +इंडिया में बड़े पैमाने पर परिकल्पित लाइट हाउस +परियोजनाओं के व्यापक परिदृश्य को देखते हैं। + +शहरी गरीबों की आवासीय जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत + +सरकार के निरंतर प्रयासों के तहत जून 2015 में प्रधानमंत्री आवास + +योजना-शहरी (पीएमएवाई-यू) शुरू की गई थी जिसका उद्देश्य वर्ष + +2022 तक सभी पात्र शहरी परिवारों को हर मौसम के अनुकूल + +पक्का किफायती मकान उपलब्ध कराना है। योजना के तहत अब + +तक 11 करोड़ 20 लाख मकानों की पुष्ट मांग को देखते हुए 11 + + + + + + + + + + + + +| Sele के निर्माण आशा-इंडिया ( किफायती + +Ea प्रौद्योगिकी हेतु प्रमाणित प्रस्तुति योग्य टिकाऊ आवासीय उत्प्रेरक ) के +भारत प्रौद्योगिकियों की पहचान जरिए इनक्यूबेशन ( रूपरेखा + +प्रदर्शनी व सम्मेलन करना और मुख्यधारा में तैयार करने ) तथा उत्प्रेरण +शामिल करना सहयोग हेतु संभावित भावी + +प्रौद्योगिकियों की पहचान करना + +करोड 20 लाख मकानों की स्वीकृति दी गई है; इनमें से 84 लाख +से अधिक मकानों का निर्माण चल रहा है तथा 50 लाख से अधिक +मकानों का निर्माण पूरा हो गया है और उन्हें लाभार्थियों को दे दिया +गया है। इस योजना ने बडे पैमाने पर निवेश अवसरों को उत्प्रेरित +किया है तथा औद्योगिक उत्पादन एवं रोजगार को अति आवश्यक +शक्ति प्रदान की है। + +इस बडे पैमाने पर मकानों के निर्माण से दुनियाभर से नई और +वैकल्पिक प्रौद्योगिकियों को आमंत्रित करने का अवसर मिलता है जो +आधुनिक भवन निर्माण सामग्रियों, प्रौद्योगिकियों एवं प्रक्रियाओं की + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +लेखक भारत सरकार के आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव एवं पीएमएवाई (शहरी): सभी के लिए आवास मिशन के मिशन निदेशक हें। + +ईमेल; jsfa-mhua@gov.in + +38 + +योजना, अक्टूबर 2021 + + + +0039.txt +<----------------------------------------------------------------------> +टिकाऊ + +विविध +भौगोलिक +जलवायु के + +अनुकूल + +पर्यावरण +अनुकूल + +एलएचपी +प्रौद्योगिकी +के लाभ + +आपदा सहने +में सक्षम + + + +. भारत में आवासीय निर्माण प्रौद्योगिकी में क्रांति + +शुरुआत के जरिए बड़ा बदलाव ला सकती हैं। मकानों की कमी को +व्यापक रूप से समयबद्ध ढंग से हल करने के लिए मकान निर्माण +की पारंपरिक व्यवस्था अपर्याप्त समझी गई इसलिए नई और उभरती, +आपदा सहने में सक्षम, पर्यावरण अनुकूल, किफायती एवं तीब्र निर्माण +प्रौद्योगेकियों को तलाशने की तत्काल आवश्यकता पड़ी। + +कई संबंधित पक्षों के साथ विचार-विमर्श के बाद ग्लोबल +हाउसिंग टेक्नोलॉजी चैलेंज- इंडिया (जीएचटीसी-इंडिया) की +शुरुआत जनवरी 2019 में हुई। + +इसके अतिरिक्त कड़े तकनीकी मूल्यांकन एवं विचार-विमर्श के +जरिए विश्वभर से 54 नवाचार प्रौद्योगिकियों को छांठा गया तथा देश +के विविध भौगोलिक जलवायु क्षेत्रों के लिए योग्यता के अनुसार छह +व्यापक श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया। + +इनमें से 6 विशिष्ट प्रौद्योगिकियों को देश के छह राज्यों में नवाचार +परियोजनाओं के निर्माण हेतु चुना गया। छह स्थलों यानी इंदौर (मध्य +प्रदेश), राजकोट (गुजरात), चेन्नई (तमिलनाडु), रांची (झारखंड), +अगरतला (त्रिपुरा) एवं लखनऊ (उत्तर प्रदेश) को आदर्श आवासीय +परियोजनाओं के निर्माण हेतु राष्ट्रीय चुनौती प्रक्रिया के माध्यम से चुना +गया जिसमें सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने भाग लिया। इनका +चुनाव मूल्यांकन प्रक्रिया के जरिए हुआ जिसने सहकारी संघवाद की +भावना को प्रदर्शित किया। लाइट हाउस परियोजनाओं में प्रत्येक स्थल +पर संबद्ध बुनियादी सुविधाओं के साथ लगभग 1,000 मकान बनेंगे +जिनका काम 12 महीने के भीतर पूरा किया जाना है। + +इन छह एलएचपी की शुरुआत नवाचार निर्माण प्रौद्योगिकियों, +सामग्रियों तथा प्रक्रियाओं को जानने, परिस्थिति अनुसार इनकी सहजता +तथा अनुकूलता देखने के लिए हुई जो भारत की भौगोलिक-जलवायु +एवं अन्य स्थितियों से मेल खाएं ताकि सार्वजनिक और निजी क्षेत्र +की अन्य विकास संबंधी परियोजनाओं में निर्माण के लिए इनका +उपयोग किया जा सके। विशेष ध्यान इस तथ्य पर दिया गया है कि +यह प्रौद्योगिकियां संसाधन-कुशल, टिकाऊ, जलवायु अनुसार ढलने में + +योजना, अक्टूबर 2021 + +सक्षम, किफायती तथा निर्माण कार्य को तेज गति दें। + +इन परियोजनाओं को लाइट हाउस इसलिए कहा जाता है +क्योंकि यह सभी क्षेत्रों अभियांत्रिकी/नियोजन/वास्तुशिल्प संस्थानों +के शिक्षकों एवं विद्यार्थियों, भवननिर्माताओं/डेवलपरों, नवोन्मेषकों , +नीति निर्माताओं के लिए मार्गदर्शक (प्रकाश स्तंभ) हैं, क्‍योंकि +वे स्थल को देख सकेंगे, चीजों को जान सकेगे तथा नवाचार +प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल सीख सकेंगे। यह नवाचार परियोजनाएं +प्रकाश स्तंभ की तरह हैं जो आवासीय और संस्थागत निर्माण +(विश्वविद्यालयों, यार्ड, अवसंरचना) में निर्माण उद्योग को दिशा +देंगी। लाइट हाउस परियोजनाओं में इस्तेमाल प्रौद्योगिकियां देश के +लिए नई हैं जिनका निर्माण क्षेत्र में सीमित उपयोग है। अतः विभिन्न +भौगोलिक जलवायु परिस्थितियों में इन प्रौद्योगिकियों को जानना, +मूल्यांकन करना, दस्तीवेजु तैयार करना, अनुकूलनता देखना एवं +मुख्यधारा में शामिल करना तथा संबंधित पक्षों के दिमाग में सही +तकनीकी जानकारी डालना सबसे महत्वपूर्ण है। + +इंदौर ., _ +प्रीफेबरिकेटिड सैंडविच +पैनल प्रणाली + + + + + + + +राजकोट oy wan! STAC +मोनोलिथिक . लाइट गेज स्टील. + +कंक्रीट निर्माण Bt - er प्रणाली एवं + +awa जी प्री-इंजीनियर्ड स्टील +\ रांची स्ट्रक्चरल प्रणाली +छल प्रस्तावित : Weare कंक्रीट ।॥ 7S ip रांची +! अंसेंबल्ड प्रीकास्ट प्रणाली 3डी प्रीकास्ट +7 - कॉम्पोनेंट्स वॉल्यूमेट्रिक + +39 + + + +0040.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +यह परियोजनाएं ऑनसाइट (स्थकल पर) और ऑफ-साइट +सीखने, प्रौद्योगिकियों को क्षेत्र (फील्ड) तक ले जाने में राह आसान +बनाने तथा इन्हें हुबहू आगे बढ़ाने में प्रत्यक्ष (लाइव) प्रयोगशालाओं +की तरह काम करेंगी। ऑनसाइट लर्निंग (स्थल पर सीखने) , विचार +विमर्श, प्रयोग तथा नवाचार को बढ़ावा देने हेतु बड़े स्तर पर लोगों +की भागीदारी और तकनीकी जागरूकता पैदा करने का इरादा है ताकि +भारतीय संदर्भ में इन वैश्विक प्रौद्योगिकियों को मुख्यधारा में शामिल +किया जा सके। + +इस एजेंडे को आगे बढ़ाते हुए आवासन और शहरी कार्य +मंत्रालय ने एक व्यापक रणनीति का प्रस्ताव किया है जिसमें युवाओं, +निर्माणकर्ताओं, विद्यार्थियों, शिक्षकों, उद्यमियों राज्यों/केंद्र शासित +प्रदेशों तथा अन्य संबंधित पक्षों को साथ लाना तथा स्थल पर नवाचार +प्रौद्योगिकियों के उपयोग से जुड़े ज्ञान और तकनीकी जानकारी को +व्यापक रूप से प्रचारित करना है। + +लाइट हाउस परियोजनाओं में नवाचार प्रौद्योगिकियों के इस्तेरमाल +के विभिन्न चरणों को सीखने के इच्छुक सभी संबंधित पक्षों के +निःशुल्क पंजीकरण हेतु सत्याग्रही और स्वच्छाग्रही की तर्ज पर +फरवरी 2021 में टेक्नोग्रही नाम का कार्यक्रम शुरू किया गया था। +टेक्‍्नोग्रही नए शहरी भारत के लिए शहरी परिदृश्य का कायाकल्प + +करने में नवोन्मेष और टिकाऊ प्रौद्योगिकियों के परिवर्तन वाहक होंगे। +उन्हें इस्तेमाल की जा रही प्रौद्योगिकियों की प्रत्यक्ष जानकारी मिलेगी +और फलस्वरूप वे मेक इन इंडिया दृष्टिकोण के लिए निर्माण क्षेत्र में +अपनी आवश्यकताओं के अनुसार उन्हें ढाल सकेगे और अपना सकेगे। + +अब तक 15,000 से अधिक टेक्नोग्रही पंजीकरण करा चुके हैं +जिन्हें लाइट हाउस परियोजनाओं के स्थल से वेबकास्टिंग और अन्य +मीडिया के जरिए नियमित अपडेट मिल रहे हैं। + +इन नवाचार प्रौद्योगिकियों से संबद्ध सभी के लिए उपलब्ध +निःशुल्क ई-मॉड्यूल प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम के जरिए इन प्रत्यक्ष +(लाइव) प्रयोगशालाओं का विस्तार किया गया है ताकि और अधिक +लोगों तक इसकी पहुंच हो सके। इस ई-मॉडयूल में श्रव्य-दृश्य +कक्षाएं, निर्माण स्थल की रिकॉर्डिंग, क्षेत्र विशेषज्ञों/डेवलपरों/परियोजना +अभियंताओं आदि से बातचीत शामिल हें। + +लाइट हाउस परियोजना क्षेत्र में नवाचार और वैकल्पिक +प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल को गति देने के मुख्य नीतिगत फैसले को +देखते हुए आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने प्रौद्योगिकी नवाचार +अनुदान (टीआईजी) शुरू किया है जिससे इसके असर को संतुलित +किया जा सके एवं व्यापकता से किफायत तथा अन्य संबंधित कारकों +से जुडे मुद्दों को समाहित किया जा सके। टीआईजी राज्यों को दिया + + + + + + + + + +| (Ay a 4 + +wae f | + +4 + + + +क्षेत्रीय कारक + +स्वीकार्यता +भुगतान के इच्छुक +स्वीकृतियां + + + + + + + +40 + +योजना, अक्टूबर 2021 + + + +0041.txt +<----------------------------------------------------------------------> +जाने वाला वित्तीय अनुदान है जो कि पीएमएवाई- यू के तहत मौजूदा +वित्तीय सहायता के अतिरिक्त है। + +नई और विकसित होती भवन निर्माण सामग्रियों एवं आवासीय +तथा भवन निर्माण प्रौद्योगिकियों के बारे में पेशेवरों की क्षमता बढ़ाने +के उद्देश्य से अल्पकालिक ऑनलाइन प्रमाण पत्र कार्यक्रम नवरीति +शुरू किया गया है। इसके अतिरिक्त भारत के आपदा आशंकित क्षेत्रों +से सम्बद्ध वलनरेबिलिटी एटलस ऑफ इंडिया के बारे में ऑनलाइन +पाठ्यक्रम, आपदा प्रबंधन तथा शमन से निपटने में शहरी प्रबंधकों, +राज्यों और राष्ट्रीय प्राधिकरणों के लिए लाभदायक होगा। वे इससे क्षेत्र +विशेष में आशंकित विविध प्रकार के खतरों का आकलन कर सकेगे +तथा इन्हें विस्तृत परियोजना रिपोर्ट डीपीआर में यानी डिजाइन बनाते +समय और निविदा दस्तावेजु में शामिल कर सकेगे। + +भारत में निर्माण उद्योग में तेजी से बदलाव हो रहा है जिसमें +नियमित आधार लगातार नई सामग्रियों, प्रौद्योगिकी तथा प्रक्रियाओं +को उपयोग में लाया जा रहा है। जीएचटीसी-इंडिया का उद्देश्य +आवास निर्माण क्षेत्र की तकनीकी चुनौतियों का समग्र रूप से +सामना करने के लिए एक तंत्र विकसित करना है। लाइट हाउस +परियोजनाओं के अलावा पीएमएवाई-यू तथा अन्य योजनाओं के +अंतर्गत राज्यों और केद्र शासित प्रदेशों द्वार नवाचार और वैकल्पिक +प्रौद्योगिकियों के उपयोग से लगभग 16 लाख मकानों का निर्माण +किया जा रहा है। + +जीएचटीसी-इंडिया के तहत चिह्नित 54 नवाचार प्रौद्योगिकियों में +से 39 का आकलन किया गया है और उन्हें भवन निर्माण सामग्री तथा +प्रौद्योगिकी संवर्धन परिषद (बीएमटीपीसी) के जरिए प्रदर्शन आकलन +प्रमाणीकरण योजना (पीएसीएस) के तहत प्रमाणित किया गया है। +केद्रीय लोक निर्माण विभाग ने इनमें से 29 प्रौद्योगिकियों के लिए दरों +की अनुसूची जारी की है। दरों की अनुसूची में मान्यता मिलने से इन +नवाचार प्रौद्योगिकियों का सार्वजनिक निर्माण कार्यों में व्यापक रूप से +इस्तेमाल संभव हो पाएगा। + +मंत्रालय आईआईटी/एनआईटी/एसपीए/सीईपीटी के स्नातक/ +स्नातकोत्तर विद्यार्थियों हेतु नवाचार प्रौद्योगिकियों को पाठ्यक्रम में + +शामिल करने के लिए भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के साथ काम +भी कर रहा है। आईटीआई/कौशल विकास परिषदों में शिल्पकारों, +मिस्तरियों, इलेक्ट्रीशियन, प्लंबर, बढ़ई आदि हेतु नई प्रौद्योगिकियों +के प्रशिक्षण तौर-तरीके तैयार करने के लिए कौशल विकास और +उद्यमिता मंत्रालय साथ मिलकर काम कर रहा है। + +यह आशा की जाती है कि निजी क्षेत्र, केंद्रीय लोक निर्माण +विभाग, एनबीसीसी, रक्षा, रेलवे आदि द्वारा विकसित परियोजनाओं +में नवोन्मेष प्रौद्योगिकियों की छाप बढ़ेगी। इसके अलावा यह कार्बन +उत्सर्जन कम करने, थर्मल कंफर्ट, सीएनडी (निर्माण और तोड़-फोड) +कचरे में कमी लाने, निर्माण समय को घटाने आदि जैसे जलवायु +परिवर्तन के मुद्दों का समाधान करने के भारत के दृढ़ संकल्प को +प्रदर्शित करेंगे। यह मकानों की कमी के मुद्दे को भी हल करेगा जिसमे +निर्माण समय घटाने में प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका है। अब +पहले की तरह इनमें कारोबार नहीं होगा इसलिए यह वित्तीय निवेश +माना जाएगा और निर्माण समय घटकर 12 महीने के आस-पास +रह जाएगा (अभी ऐसे निर्माण कार्य को पूरा होने में 24 से 36 +महीने लगते हैं)। यह लाइट हाउस, निर्माण पद्धतियों में नवोन्मेष, +उत्कृष्टता, परिस्थिति अनुकूल ढालने, आत्मनिर्भर बनने एवं लोगों की +आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए बेहतर मकान उपलब्ध कराने +के भारत के लक्ष्य को साकार करेंगे। + +इन लाइट हाउस परियोजनाओं के जरिए लाभार्थियों (मकान +मालिकों) को भावी, आकांक्षी, आधुनिक और गरिमापूर्ण मकानों में +बेहतर जीवन स्तर और माहौल मिल सकेगा। + +यह नवाचार प्रौद्योगिकियां अपनाने से नए शहरी एजेंडा तथा +पेरिस जलवायु समझौते में निहित संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों +को हासिल करने में योगदान हो सकेगा। + +भारत में निर्माण क्षेत्र की चाल जैसे-जैसे पनप रही है तथा +कल्पना से भी तेज गति से नवाचार से संचालित हो रही है उसे देखते +हुए यह आवश्यक है कि आधुनिक और वैकल्पिक प्रौद्योगिकियों का +इस्तेमाल व्यापक रूप से किया जाए जिससे समय व लागत की बचत +हो और गुणवत्ता और दीर्घकालिक कुशलता सुनिश्चित हो सके। बना + + + + + + + + + +niece | + +व. les + + + + + + + +हमारी पत्रिकाएं + +पोजवा, कुरुक्षेत्र आजकल, बाल भारती +में विज्ञापन देने हेतु + +संपर्क करें +अभिषेक चतुर्वेदी, संपादक +प्रकाशन विभाग +सूचना एंवं प्रसारण मंत्रालय, मास संरकार +सूचना भवन, सी जी ओ कॉम्प्लेक्स, लोधी रोड, नई दिल्‍्ली-110103 +दृश्माद : 011-24387453, मोबाईल -9210510126 +# Fal: pdjucir@gmail.com + + + + + + + + + + + +योजना, अक्टूबर 2021 + +41 + + + +0042.txt +<----------------------------------------------------------------------> +विज्ञान शिक्षा + +'निमिष कपूर + +नई शिक्षा नीति 2020 का लागू होना भारत की शिक्षा प्रणाली में एक बड़ा क्रांतिकारी कदम है। इस +नीति का उद्देश्य स्कूली शिक्षा में अनुभवजन्य तथा क्रियाशील शिक्षा, कला तथा खेल-एकीकृत शिक्षा और +जीवन कौशल पर आधारित शिक्षणशास्त्र जैसे नए आयामों को लागू करना है। इससे कक्षा की गतिविधियां , +योग्यता-आधारित शिक्षा में परिवर्तित हो जाएंगी। आज्ञापित विषय सूच्ची-प्रमुख अवधारणाओं , विच्ारों , +अनुप्रयोगों और समस्या-समाधान पर केंद्रित होगी। शिक्षण और शिक्षा को अधिक अंतःक्रियात्मक रूप से +संचालित किया जाएगा। प्रत्येक विषय में पाठन सामग्री को उसकी मूल अनिवार्यता तक कम कर दिया +जाएगा और महत्वपूर्ण सोच तथा अधिक समग्र और अनुसंधान, चर्चा तथा विश्लेषण-आधारित अध्ययन +को शामिल किया जाएगा। आने वाले समय में एप्लिकेशन, ऑनलाइन मॉड्यूल और आईसीटी से लैस + +पुस्तकालय प्रमुख भूमिका निभाएंगे। + +छले कुछ दशकों से भारत सरकार का विज्ञान और +पि प्रौद्योगिकी विभाग तथा उसके संस्थान स्कूली विद्यार्थियों +के लिए कई योजनाएं और कार्यक्रम चला रहे हैं, जो + +नई शिक्षा नीति में अंतर्निहित संरचना तथा कार्य बिंदुओं के साथ एक +स्पष्ट झलक और सहसंबंध दर्शाते हैं। आज ये कार्यक्रम नई शिक्षा +नीति के उद्देश्यों को पूरा करने में प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं। देश +के दूर-दराज के क्षेत्रों के बच्चों को इन कार्यक्रमों और योजनाओं से +जोड़ने के लिए जमीनी स्तर पर इनका प्रसार आवश्यक है। +इंस्पायर कार्यक्रम और मानक योजना + +इनोवेशन इन साइंस परस्यूट फॉर इंस्पायर्ड रिसर्च -इंस्पायर +कार्यक्रम, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के प्रमुख कार्यक्रमों में से +एक है। इसे विद्यार्थियों को विज्ञान को कॉरिअर के रूप में आगे +बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करने के वास्ते राष्ट्रीय नव-प्रवर्तक प्रतिष्ठान +द्वारा लागू किया गया है। इस योजना को स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम +की कार्य योजना-18 के साथ जोड़ा गया है जो विद्यार्थियों के लिए +नवाचार-केंद्रित कार्यक्रमों की शुरुआत करती है। + +इंस्पायर का उद्देश्य देश की युवा आबादी को विज्ञान की +रचनात्मक खोज के बारे में बताना, प्रारंभिक स्तर पर विज्ञान के +अध्ययन के लिए प्रतिभाओं को आकर्षित करना और विज्ञान तथा +प्रौद्योगिकी प्रणाली और अनुसंधान एवं विकास को मजबूत तथा +विस्तारित करने के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण मानव संसाधन पूल +का निर्माण करना है। इंस्पायर योजना में तीन कार्यक्रम शामिल हैं - +(क) विज्ञान के लिए प्रतिभाओं को उचित समय पर आकर्षित +करने के लिए योजना (ख) उच्च शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति और + + + +(ग) अनुसंधान कॉरिअर के लिए अवसर सुनिश्चित करना। + +विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, राष्ट्रीय नव-प्रवर्तक प्रतिष्ठान- भारत +के साथ मिलकर इंस्पायर पुरस्कारों के तहत मानक (मिलियन माइंड्स +आऑगमेंटिंग नेशनल एस्पिरेशंस एंड नॉलेज) स्कीम का कार्यान्वयन कर +रहा है। इसका उद्देश्य छठी से 10वीं कक्षा में पढ़ने वाले 10-15 वर्ष +की आयु वर्ग के विद्यार्थियों को प्रेरित करना है। योजना का उद्देश्य +स्कूली बच्चों में रचनात्मकता और नवीन सोच की संस्कृति को बढ़ावा +देने के लिए विज्ञान और सामाजिक अनुप्रयोगों में निहित दस लाख +मूल विचारों / नवाचारों को लक्षित करना है। इसके तहत स्कूल हर +साल अक्टूबर के मध्य तक विद्यार्थियों के पांच सर्वश्रेष्ठ मूल विचारों/ +नवाचारों को नामांकित कर सकते हैं। + +यह कार्यक्रम क्षेत्रीय कार्यशालाओं, श्रव्य-दृश्य उपकरणों और +साहित्य के माध्यम से देश भर के जिलों और स्कूलों तक पहुंचता + +meat ] + + + +लेखक वैज्ञानिक 'ई' हैं और विज्ञान प्रसार के प्रकाशन प्रभाग के प्रमुख @1 FA: nkapoor@vigyanprasar-gov-in, ACL: @VigyanPrasar + +42 + +योजना, अक्टूबर 2021 + + + +0043.txt +<----------------------------------------------------------------------> +Fee SE ieee Re a + +है। स्कूलों में एक आंतरिक विचार प्रतियोगिता आयोजित की जाती +है और ऑनलाइन ई-एमआईएएस (इंस्पायर पुरस्कार मानक योजना +का ई-प्रबंधन) पोर्टल के माध्यम से संबंधित प्रधानाचार्य द्वारा किसी +भी भारतीय भाषा में दो से तीन सर्वश्रेष्ठ मूल विचारों के नामांकन +प्रस्तुत किए जाते हैं। + +राष्ट्रीय नव-प्रवर्तक प्रतिष्ठान देश के प्रतिष्ठित शैक्षणिक +और प्रौद्योगिकी संस्थानों के समन्वय में प्रोटोटाइप के विकास +के लिए विद्यार्थियों को विशेषज्ञ परामर्श सहायता प्रदान करता +है। विचारों /नवाचारों का चयन नवीनता, सामाजिक प्रयोज्यता, + + + +विज्ञान ज्योति और एंगेज विद साइंस कार्यक्रम यानी विज्ञान +कार्यक्रमों से जुड़ें + +विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग अपनी दो पहल- विज्ञान ज्योति +और एंगेज विद साइंस यानी विज्ञान से जुड़ें को बढ़ावा दे रहा है। +दोनों कार्यक्रमों के अंतर्गत मेधावी लड़कियों को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, +इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) विषयों के साथ उच्च शिक्षा +प्राप्त करने के लिए एकसमान अवसर प्रदान किया जाता है। यह +ग्रामीण पृष्ठभूमि की छात्राओं को विज्ञान के क्षेत्र में स्कूल से लेकर +उनकी पसंद की नौकरी तक की यात्रा की योजना बनाने में मदद + + + +पर्यावरण अनुकूलता, उपयोग-सुगमता और + +मौजूदा समान प्रौद्योगिकियों पर तुलनात्मक विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग अपनी +दो पहल- विज्ञान ज्योति और एंगेज + +लाभ पर आधारित है। अंततः यह राष्ट्रीय + +करने के लिए भी अवसर प्रदान करता है। + +विज्ञान ज्योति कार्यक्रम के माध्यम +से कक्षा 9 से 12 तक की छात्राओं के +बीच विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग + +पुरस्कारों और भविष्य की दिशा के लिए . जुड़ें +शीर्ष 60 नवाचारों की संक्षिप्त सूची विद ea हे nly से दि और गणित (एसटीईएम) की पढ़ाई को +के साथ राष्ट्रीय स्तर की प्रदर्शनी और बढ़ावा tel el ; क्र उनकी उच्च शिक्षा में विशेष रूप से उन +परियोजना प्रतियोगिता में 1,000 सर्वश्रेष्ठ अंतर्गत मेधावी लड़कियों को विज्ञान, क्षेत्रों के शीर्ष कॉलेजों में जहां लडकियों +विचारों/नवाचारों को प्रदर्शित करता है। प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित का प्रतिनिधित्व बहुत कम है, बढ़ावा +चयनित ae जा हे ( एसटीईएम ) विषयों के साथ उच्चा दिया जाता है। विज्ञान mae * लक्ष्य +सहायता प्रदान जा , जिस एकसमान 2020-2025 तक 550 | 100 +विद्यार्थियों में रचनात्मकता को बढ़ावा देने शिक्षा प्राप्त करके लिए है। wart छात्राओं को यह सुविधा प्रदान करना है, +में मदद मिलती है। नतीजतन, मैनुअल वेस्ट. > सर प्रदान किया जाता ह। यह चदि्यार्थियों का चयन उनकी प्रतिशतता +लिफ्टिंग एंड डंपिंग कार्ट जैसे विचार में. ग्रामीण पृष्ठभूमि की छात्राओं को _ के आधार पर किया जाएगा। यह पहल +रुचि को देखते हुए इस प्रौद्योगीगी को विज्ञान के क्षेत्र में स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा में इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी +एक फर्म को हस्तांतरित कर दिया गया जो उनकी पसंद की नौकरी तक की यात्रा धाराओं के प्रति भरोसा और उत्साह पैदा +अब उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन की योजना बनाने में मदद करने के * महिलाओं के अल्प प्रतिनिधित्व से + +विभाग (डीपीआईआईटी) द्वारा मान्यता +प्राप्त स्टार्टअप है। + +लिए भी अवसर प्रदान करता है। + +जुड़ी बहुआयामी समस्याओं का समाधान +करने पर केंद्रित है। + + + +योजना, अक्टूबर 2021 + +43 + + + +0044.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +“7 === *) - + +Tp OR. + + + + + + + +संवादमूलक शिक्षा प्लेटफॉर्म का विस्तार - एंगेज विद साइंस +कार्यक्रम का विस्तार रुचि पैदा करने और हाई स्कूल के विद्यार्थियों को +उच्च शिक्षा संस्थानों से जोड़ कर विद्यार्थियों, शिक्षकों और वैज्ञानिकों + +की पहचान करने के लिए प्रतिस्पर्थी परीक्षण आयोजित करता है। + +विद्यार्थी विज्ञान मंथन में भाग लेने वाले विद्यार्थी बहु-स्तरीय +परीक्षण प्रक्रियाओं से गुजरते हैं जिनमें शामिल हैं- वस्तुनिष्ठ प्रकार +के प्रश्न उत्तर, विस्तारपूर्ण लेखन, प्रस्तुति और समूह चर्चा, रोल-प्ले, +प्रयोगात्मक परीक्षा और विज्ञान के तरीके। विद्यार्थी विज्ञान मंथन, +राष्ट्रीय और क्षेत्रीय विजेताओं (हिमालयी कहे जाने वाले) को किसी +भी प्रतिष्ठित राष्ट्रीय प्रयोगशाला या प्रमुख शोध संस्थान में कुछ +सप्ताहों के लिए व्यापक प्रशिक्षण सह इंटर्नशिप -सृजन में भाग लेने +का अवसर प्रदान करता है। विद्यार्थी विज्ञान मंथन राष्ट्रीय विजेताओं +को एक वर्ष के लिए 2000 रुपये प्रति माह की भास्कर छात्रवृत्ति +की शुरुआत कर रहा है। विद्यार्थी विज्ञान मंथन एक राष्ट्रीय स्तर की, +ऐप-आधारित, विज्ञान प्रतिभा खोज परीक्षा है जो ऑनलाइन आयोजित +की जाती है। इसके बारे में अधिक SER www.vwmorg.in पर +प्राप्त की जा सकती है। +किशोर वैज्ञानिक प्रोत्साहन योजना + +किशोर वैज्ञानिक प्रोत्साहन योजना, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग + + + +के साथ अभ्यास करने वाला समुदाय बनाने +के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग +की एक और पहल है। इस कार्यक्रम का +संचालन विज्ञान प्रसार कर रहा है। एंगेज +विद साइंस एक इंटरैक्टिव कार्यक्रम है जो +ओवर द टॉप यानी ओटीटी प्लेटफॉर्म पर +उपलब्ध है। + +देश के युवाओं में सीखने को प्रासंगिक +बनाने और उनमें वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा + +विद्यार्थियों में विज्ञान के प्रति रुचि +पैदा करने के उद्देश्य से, विद्यार्थी +विज्ञान मंथन कार्यक्रम पारंपरिक +से आधुनिक से लेकर विज्ञान और +प्रौद्योगिकी की दुनिया तक भारत के +योगदान के बारे में स्कूली बच्चों को +शिक्षित करना और कार्यशालाओं + +का एक प्रमुख कार्यक्रम है, जिसे विज्ञान +में शोध करियर बनाने के लिए बुनियादी +विज्ञान का अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों +को प्रोत्साहित करने के लिए भारतीय विज्ञान +संस्थान, बैंगलूरू द्वारा लागू किया गया है। +इसके अंतर्गत चयनित किशोर वैज्ञानिक +प्रोत्साहन योजना फेलो को पूर्व पी-एच.डी +स्तर या पांच साल, जो भी पहले हो, तक +फेलोशिप और आकस्मिक अनुदान प्रदान + +देने के लिए एंगेज विद साइंस की योजना तथा अन्य कार्यक्रमों के माध्यम से . किया जाता है। +बनाई गई है। यह उन स्कूली विद्यार्थियों को विद्यार्थियों को क्रियाशील प्रशिक्षण राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस +लाभ पहुंचाएगा जिन्हें कक्षा के बाहर अधिक प्रदान करना है। जिला और राज्य स्तर पर बाल विज्ञान + +ज्ञान की आवश्यकता है और सीखने के एक + +कांग्रेस के रूप में जानी जाने वाली राष्ट्रीय + + + +संवादमूलक तरीके से अधिक प्रभावित होते +हैं। इस बारे में अधिक जानकारी www.engagewithscience.in. +पर उपलब्ध है। +विद्यार्थी विज्ञान मंथन कार्यक्रम + +विद्यार्थी विज्ञान मंथन, छठी से 11वीं कक्षा तक के स्कूली +विद्यार्थियों के बीच विज्ञान को लोकप्रिय बनाने के लिए एक राष्ट्रीय +कार्यक्रम है, जिसकी अवधारणा विद्यार्थियों के बीच वैज्ञानिक योग्यता +के साथ तीव्र बुद्धि की पहचान के लिए की गई है। विज्ञान प्रसार +और राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) +के सहयोग से विज्ञान भारती, विद्यार्थी विज्ञान मंथन का आयोजन +कर रहा है। + +विद्यार्थियों में विज्ञान के प्रति रुचि पैदा करने के उद्देश्य से, +विद्यार्थी विज्ञान मंथन कार्यक्रम पारंपरिक से आधुनिक से लेकर +विज्ञान और प्रौद्योगिकी की दुनिया तक भारत के योगदान के बारे +में स्कूली बच्चों को शिक्षित करना और कार्यशालाओं तथा अन्य +कार्यक्रमों के माध्यम से विद्यार्थियों को क्रियाशील प्रशिक्षण प्रदान +करना है। विद्यार्थी विज्ञान मंथन, विद्यार्थियों को विज्ञान के क्षेत्र में +अपनी शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए तैयार करने के वास्ते विशषज्ञ +सलाहकार भी प्रदान करता है और वैज्ञानिक दिमाग वाले विद्यार्थियों + +44 + +बाल विज्ञान कांग्रेस, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की राष्ट्रीय विज्ञान +और प्रौद्योगिकी संचार परिषद (एनसीएसटीसी) का एक राष्ट्रव्यापी +विज्ञान संचार कार्यक्रम है। + +10-17 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों के लिए उपलब्ध बाल +विज्ञान कांग्रेस फोरम, बच्चों को वैज्ञानिक प्रक्रिया का उपयोग करते +हुए कुछ महत्वपूर्ण सामाजिक समस्याओं के बारे में सोचने, इसके +कारणों पर विचार करने और इनके समाधान के लिए प्रयास करने के +लिए प्रेरित करता है। इसमें बारीकी से अवलोकन करना, प्रासंगिक +प्रश्न उठाना, मॉडल बनाना, एक मॉडल के आधार पर समाधान की + + + +योजना, अक्टूबर 2021 + + + +0045.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +भविष्यवाणी करना, विभिन्‍न संभावित विकल्पों को आजमाना और +प्रयोग, फील्डवर्क, अनुसंधान तथा नवीन विचारों का उपयोग करके +किसी इष्टतम समाधान पर पहुंचना शामिल है। बाल विज्ञान कांग्रेस, +आविष्कार की भावना को प्रोत्साहित करती है। यह प्रतिभागियों को +प्रगति और विकास के कई पहलुओं पर सवाल उठाने और अपने +निष्कर्षों को व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित करती है। + +यह विज्ञान की सरल विधियों के उपयोग से, स्थानीय विशिष्ट +समस्या पर एक समूह गतिविधि है। अधिक जानकारी छ़फ़.1050- + +नवाचार और रचनात्मकता की भावना को प्रोत्साहित करना है। +साइंस क्लब से जुड़ने के लिए देखें वेबसाइट: www. +vigyanprasar. gov.in/vipnet. +जिज्ञासा कार्यक्रम +वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ने +सुनियोजित अनुसंधान प्रयोगशाला-आधारित शिक्षा पर ध्यान केंद्रित +करते हुए कक्षा शिक्षा का विस्तार करने के प्राथमिक उद्देश्य के +साथ, केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) के सहयोग से, एक + + + +1019.11. पर उपलब्ध है। +विज्ञान क्लब + +विज्ञान क्लबों के विज्ञान प्रसार नेटवर्क +के लिए एक संक्षिप्त शब्द, विपनेट, समाज +के विकास पर दूरगामी प्रभाव वाले देश +में लोकप्रिय विज्ञान आंदोलन को मजबूत +करने के लिए, at faa acral, समाजों, +संगठनों को जोड़ता है जो पहले से ही +स्थापित हैं, या स्थापित होने जा रहे हैं, +और विज्ञान संचार के लिए काम करने के +इच्छुक हैं। + +देश के किसी भी हिस्से में कार्यरत +कोई सक्रिय और पूरी तरह कार्यात्मक +विज्ञान क्लब संबद्धता के लिए विपनेट के +साथ केवल पंजीकरण करके इसका हिस्सा + +वैज्ञानिक और औद्योगिक +अनुसंधान परिषद ( सीएसआईआर ) +ने सुनियोजित अनुसंधान +प्रयोगशाला-आधारित शिक्षा पर +ध्यान केंद्रित करते हुए कक्षा शिक्षा +का विस्तार करने के प्राथमिक +उद्देश्य के साथ, केंद्रीय विद्यालय +संगठन ( केवीएस ) के सहयोग से, +एक छात्र-वैज्ञानिक कनेक्ट कार्यक्रम +जिज्ञासा शुरू किया है। जिज्ञासा +कार्यक्रम , स्कूली बच्चों और उनके + +छात्र-वैज्ञानिक कनेक्ट कार्यक्रम जिज्ञासा +शुरू किया है। जिज्ञासा कार्यक्रम, स्कूली +बच्चों और उनके शिक्षकों के बीच वैज्ञानिक +सोच के साथ-साथ जिज्ञासा की संस्कृति को +विकसित करने के लिए है। इस कार्यक्रम के +अंतर्गत सालाना 100,000 विद्यार्थियों और +लगभग 1,000 शिक्षकों को लक्षित करते हुए +1,151 केंद्रीय विद्यालयों को वैज्ञानिक और +औद्योगिक अनुसंधान परिषद की 38 राष्ट्रीय +प्रयोगशालाओं से जोड़े जाने की आशा है। +जिज्ञासा के बारे में अधिक जानकारी के +लिए देखें- ८शांगा2ए888.1150क्षा.108.11. +इन अभिनव कार्यक्रमों के साथ, +भारत सरकार ने स्कूलों, विश्वविद्यालयों, +अनुसंधान संस्थानों, उद्योग आदि को शामिल + +बन सकता है। विपनेट क्लब, नेटवर्क के शिक्षकों के बीच वैज्ञानिक सोच के करते हुए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाने के +स्थानीय गतिविधि केंद्रों के रूप में कामा साथ-साथ जिज्ञासा की संस्कृति को लिए देश भर में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के +करते हैं ताकि जमीनी स्तर पर विज्ञान और विकसित करने के लिए है। बारे में कई विद्यार्थी केंद्रित कार्यक्रमों के + +प्रौद्योगिकी के बारे में जानकारी का प्रसार + +साथ, नवाचार और उद्यमिता की संस्कृति + + + +किया जा सके। इसका उद्देश्य पारंपरिक शिक्षा और वैज्ञानिक सोच को +बढ़ावा देने के लिए नागरिकों तक पहुंचना और विशेष रूप से दूरदराज +के क्षेत्रों में विज्ञान को लोकप्रिय बनाने के लिए, जिज्ञासा, अनुसंधान, + +योजना, अक्टूबर 2021 + +को बढ़ावा देने के लिए अटल इनोवेशन मिशन (एआईएम) शुरू +किया है। नई शिक्षा नीति की शुरुआत से बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण +विकसित होगा और नए भारत के निर्माण का मार्ग प्रशस्त होगा। बना + +45 + + + +0046.txt +<----------------------------------------------------------------------> +स्वास्थ्य + +पोषण और टीकाकरण + +हेमंत कुमार मीणा +डॉ रिंकी ठाकुर + +स्वास्थ्य और विकास के लिए पोषण बहुत महत्वपूर्ण है। बेहतर पोषण का संबंध शिशु, बाल तथा मातृ +स्वास्थ्य, मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली, सुरक्षित गर्भावस्‍था तथा प्रसव, बीमारियों का कम जोखिम और लंबी उम्र +से है। कुपोषण हर रूप में मानव स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरे उत्पन्न करता है। + +ज दुनिया, विशेषकर निम्न और मध्यम आय वाले देश +कुपोषण के दोहरे बोझ का सामना कर रहे हैं जिसमें + +कुपोषण और मोटापा दोनों शामिल हैं। महिलाओं में +कुपोषण का अधिक खतरा होता है क्‍योंकि मासिक धर्म, गर्भावस्‍था +और स्तनपान के दौरान अधिक पोषण की आवश्यकता होती है। इसके +अलावा वे एचआईवी/एड्स, खाद्य असुरक्षा और गरीबी जैसे कुपोषण +के जोखिम वाले कारकों से अधिक प्रभावित होती हैं। महिलाओं की +पोषण स्थिति का परिवार के सभी सदस्यों की तंदुरुस्ती और पोषण पर +बड़ा प्रभाव पड़ता है। विकासशील देशों में हर साल, 6-60 महीने की +उप्र के लगभग 2.3 मिलियन बच्चों की मौत कुपोषण से जुड़ी होती है। +यह संख्या इस आयु वर्ग के बच्चों की मौत के मामलों का लगभग 41 +प्रतिशत है। व्यापक राष्ट्रीय पोषण सर्वेक्षण रिपोर्ट (2016 से 2018) के +अनुसार, 0-4 वर्ष की आयु के 35 प्रतिशत भारतीय बच्चे अविकसित +हैं, 17 प्रतिशत कमजोर हैं और 33 प्रतिशत कम वजन के हैं। महिलाओं +और बच्चों के स्वस्थ विकास के लिए भारत सरकार विभिनन स्वास्थ्य +तथा पोषण संबंधी कार्यक्रम और योजनाएं चला रही है। +पोषण पर सरकार की पहल + +सरकार आंगनवाड़ी सेवा योजना, पोषण अभियान, प्रधानमंत्री मातृ + +वंदना योजना और किशोरियों के लिए योजनाओं को एकीकृत बाल +विकास सेवा योजना (आईसीडीएस) के तहत लागू करती है। यह +योजना पूरे देश में 6 साल तक के बच्चों, गर्भवती महिलाओं, स्तनपान +कराने वाली माताओं और किशोरियों के लिए लक्षित कार्यक्रम लागू +करने के बारे में है। स्कूल जाने वाले बच्चों की पोषण संबंधी जरूरतों +को पूरा करने के लिए स्कूलों में मध्याहन भोजन का राष्ट्रीय कार्यक्रम +लागू किया जाता है। +आंगनवाड़ी सेवा योजना + +आंगनवाडी सेवा योजना भारत सरकार द्वारा 1975 में शुरू किए +गए प्रमुख कार्यक्रमों में से एक है। यह छोटी उम्र के बच्चों के + +विकास के लिए दुनिया के सबसे बड़े और अनूठे कार्यक्रमों में है। +इसके तहत छह सेवाओं -पूरक पोषण, स्कूल पूर्व अनौपचारिक शिक्षा, +पोषण तथा स्वास्थ्य शिक्षा, टीकाकरण, स्वास्थ्य जांच और रेफरल +सेवाओं का पैकेज प्रदान किया जाता है। योजना के लाभार्थी जन्म से +लेकर 6 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चे, गर्भवती महिलाएं और स्तनपान +कराने वाली माताएं हैं। एकीकृत बाल विकास सेवा योजना आंगनवाड़ी +केंद्रों के माध्यम से संचालित सबसे बड़ा आउटरीच कार्यक्रम है, जो +ग्रामीण स्तर पर स्वास्थ्य, पोषण और प्रारंभिक शिक्षा सेवाओं के लिए +आरंभिक स्तर के रूप में कार्य करता है। 15 अगस्त 2021 की स्थिति +के अनुसार परिचालित आंगनवाड़ी केंद्रों की संख्या 13.05 लाख थी। + +15 अगस्त 2021 तक प्राप्त जानकारी के अनुसार पूरक पोषण +कार्यक्रम के लाभार्थियों/बच्चों (6 महीने से 6 वर्ष) और गर्भवती +महिलाओं तथा स्तनपान कराने वाली माताओं की संख्या 10.70 करोड +थी। स्कूल पूर्व शिक्षा कार्यक्रम के लिए लाभार्थियों- बच्चों (3 से 6 +वर्ष) की संख्या 3.39 करोड़ थी। + +| + +eae + + + + + +श्री हेमंत कुमार मीणा नीति आयोग में उप सचिव और डॉ रिंकी ठाकुर अनुसंधान अधिकारी हैं। ईमेल: छ०१-ग्राछि8०ए४-॥ + +46 + +योजना, अक्टूबर 2021 + + + +0047.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +कोविन + +कोविड पर विजय + + + + + + + + + + + + + + + +पोषण अभियान +2018 में शुरू किया गया पोषण अभियान + +एक प्रमुख कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य कुपोषण + +के जटिल मुद्दे पर देश का ध्यान आकर्षित करना +और मिशन-मोड में इसका समाधान करने का +प्रयास करना है। इस अभियान के तहत प्रशिक्षण +तथा क्षमता निर्माण, बहु-क्षेत्रीय अभिसरण और +जन आंदोलन के माध्यम से पोषण व्यवहार +परिवर्तन तथा जीवन के पहले 1,000 दिनों के +लिए प्रभावी कार्यक्रम चलाए जाते हैं। इसका +लक्ष्य वर्ष 2022 तक 6 वर्ष से कम आयु के +बच्चों में विकास अवरोधन को 38.4 प्रतिशत से +कम कर 25 प्रतिशत तक करना हे। + +पोषण अभियान की प्रमुख विशेषताएं हैं: + +1. बच्चे के जीवन के पहले 1000 दिनों (लेकिन सीमित नहीं) पर +ध्यान देने के साथ उपायों का एक उच्च प्रभाव पैकेज। + +2. आईसीडीएस-सीएएस (अब पोषण ट्रैकर) प्रौद्योगिकी तथा +प्रबंधन का लाभ उठाकर पोषण-निगरानी के पुनश्ँ्रतिरूपण के +माध्यम से कार्यक्रमों के उच्च प्रभाव पैकेज के अंतरण को +सुदृढ़ बनाना। + +* और अधिक सीखने के दृष्टिकोण संबंधी तंत्र के माध्यम से +अग्रणी कार्यकर्ताओं की क्षमताओं में सुधार करना। +* अग्रणी कार्यबल के बीच अभिसरण कार्यों पर जोर देना। + +3. कुपोषण को दूर करने के लिए इसकी बहुआयामी प्रकृति और +विभिन्‍न योजनाओं के मानचित्रण पर जोर देने के लिए क्षेत्रीय +अभिसरण पर ध्यान केंद्रित करना। राज्य, जिला और ब्लॉक + +31 दिसंबर 2016 को शुरू की +गई, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना +4 + +एक मातृत्व लाभ कार्यक्रम है। इसके + +अंतर्गत गर्भवती और स्तनपान कराने + +वाली माताओं को पर्याप्त आराम +और बेहतर स्वास्थ्य बनाए रखने के +लिए, पारिश्रमिक के नुकसान की + +एवज में 5000 रुपये का आंशिक +मुआवजा नकद प्रोत्साहन के रूप में + +प्रदान किया जाता है। + +स्तर पर अभिसरण समितियां विकेंद्रीकृत +तथा अभिसरण नियोजन और कार्यान्वयन में +सहयोग करेंगी। +समुदाय-आधारित आयोजनों, जनसंचार +माध्यमों और अन्य दृष्टिकोणों का उपयोग +करने वाले, बडे पैमाने पर राष्ट्रीय पोषण +व्यवहार परिवर्तन अभियान के रूप में जन +आंदोलन के माध्यम से व्यवहार परिवर्तन +संचार और सामुदायिक लामबंदी को बढ़ाना। +अभियान ने प्रमुख आधार निर्धारित किए +हैं जो वांछित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए +अत्यंत महत्वपूर्ण हैं: + +प्रधानमंत्री. मातृ वंदना योजना +( पीएमएमवाीवाई ) + +31 दिसंबर 2016 को शुरू की गई, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना +एक मातृत्व लाभ कार्यक्रम है। इसके अंतर्गत गर्भवती और स्तनपान +कराने वाली माताओं को पर्याप्त आराम और बेहतर स्वास्थ्य बनाए +रखने के लिए, पारिश्रमिक के नुकसान की एवज में 5000 रुपये का +आंशिक मुआवजा नकद प्रोत्साहन के रूप में प्रदान किया जाता है। +यह मातृत्व लाभ योजना जनवरी 2017 में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के +प्रोत्साहन के साथ लागू की गई थी। गर्भवती महिलाओं और स्तनपान +कराने वाली माताओं को पहले जीवित बच्चे के लिए 5000 रुपये की +राशि तीन किस्तों में प्रदान की जाती है, जो मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य +से संबंधित शर्तों पर आधारित हें। + +प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना को आंगनवाड़ी सेवा योजना या +समाज कल्याण विभाग और स्वास्थ्य प्रणाली के मंच का उपयोग + + + + + +Ee +सीएएस + + + + + += +re निवारण +d — पा +ँ : प्रशिक्षण और +क्षमता निर्माण +eee! व्यवहार परिवर्तन : " +आईईसी प्रतिपालन + + + + + +चित्र 1 : पोषण अभियान को विभिन्‍न स्तंभ + +योजना, अक्टूबर 2021 + +47 + + + +0048.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +न गर्भधारण के पांच LA गर्भधारण के पहले छह ्‌ शिशु जन्म पंजीकरण और + +ate () महीने के अंदर अग्रिम महीने में कम-से-कम ww ‘ टीकाकरण के wae टीकों + +[ : ] पंक्ति के कार्यकर्ताओं 2] एक प्रसव-पूर्व जांच we की रसीद ( बीसीजी, , + +ieee Ss ome +1,000 रू, 2,000 रू, 2,000 रू, + +पीएमएमवीवाई के अंतर्गत कुल नकद राशि- 5,000 रू, + + + + + +चित्र 2 : पीएमएमवीवाईई के अतर्गत शर्तों को अनुरूप किस्तें + +करके कार्यान्वित किया जाता है। आवेदन करने वाली सभी पात्र +लाभार्थी जो शर्तों को पूरा करती हैं, उन्हें सक्षम प्राधिकारी के +अनुमोदन पर, उनके आवेदन पप्र में निर्दिष्ट व्यक्तिगत बैंक / डाकघर +खाते में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के माध्यम से भुगतान किया जाता है। +किस्तों में प्रदान किए जाने वाले योजना के लाभ को चित्र 1 में +सक्षेपित किया गया है। +प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना का +एक सफल मॉडल प्रस्तुत करती है। यह सुनिश्चित करती है कि +मातृत्व लाभ सीधे लाभार्थी के खाते में पहुंचे। 30 अप्रैल 20201 तक, +2.24 करोड से अधिक लाभार्थियों को योजना में नामांकित किया +गया है। +'किशोरियों के लिए योजना +भारत सरकार ने स्कूल न जाने वाली किशोरियों (11-14 वर्ष) +की बहुआयामी आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए, उन्हें स्कूल +प्रणाली में शामिल होने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से, वर्ष +2017-18 में उनके लिए एक पुनर्रचित योजना +के कार्यान्वयन को मंजूरी दी है। किशोरियों +को निम्नलिखित सेवाओं का एक पैकेज प्रदान +किया जाता है; +1. पोषण प्रावधान +2. आयरन और फोलिक एसिड (आईएफए) +सप्लीमेंट (अनुपूरक) +3, स्वास्थ्य जांच और रेफरल सेवाएं +4. पोषण और स्वास्थ्य शिक्षा +5. स्‍कूल न जाने वाली लड़कियों को +औपचारिक स्कूली शिक्षा में शामिल होने +के लिए मुख्यधारा में लाना +6. जीवन कौशल शिक्षा, परामर्श, आदि। +योजना के तहत पंजीकृत 11-14 वर्ष की +आयु की स्कूल न जाने वाली प्रत्येक किशोरी +को वर्ष में 300 दिनों के लिए 600 कैलोरी, + +लॉकडाउन के महीनों के दौरान, +राज्यों में आंगनवाड़ी केंद्र बंद कर +दिए गए थे। नवंबर 2020 में, +महिला और बाल विकास मंत्रालय +ने आंगनवाड़ी केंद्रों में कोविड-19 +सुरक्षा निर्देशों का पालन करते +हुए आंगनवाड़ी केंद्रों को खोलने +और नियंत्रण वाले क्षेत्रों के बाहर +सेवाओं को फिर से शुरू करने के +लिए दिशानिर्देश जारी किए। कुछ +राज्यों में गैर-नियंत्रण क्षेत्रों में ग्राम +स्वास्थ्य स्वच्छता पोषण दिवस +आंशिक रूप से जारी थे। मांग + +के रूप में जेसे भी संभव हो, दिया जाता है। + +पोषण से संबंधित एक या अन्य पहलुओं में संबोधित इन सभी +योजनाओं में देश में पोषण संबंधी परिणामों में सुधार करने की क्षमता +है। सरकार ने कुपोषण के उन्मूलन के लिए, पोषण संबंधी सामग्री, +वितरण, आउटरीच को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए मिशन +पोषण 2.0 की घोषणा की है, जिसमें स्वास्थ्य, आरोग्य और रोगों +तथा कुपोषण से बचाव पर जोर दिया गया है। +स्कूलों में मध्याहन भोजन का राष्ट्रीय कार्यक्रम + +स्कूल जाने वाले बच्चों के पोषण स्तर में सुधार के लिए शिक्षा +मंत्रालय द्वारा स्कूलों में मध्याहन भोजन का राष्ट्रीय कार्यक्रम लागू +किया जाता है, जिसमें बच्चों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, +2013 की अनुसूची-दो में दिए गए पोषण मानकों के अनुसार मध्याहन +भोजन दिया जाता है। मौजूदा परिस्थितियों (कोविड-19) में चूंकि +पका हुआ गर्म भोजन उपलब्ध कराना संभव नहीं है, इसलिए राज्यों/ +केंद्रशासित प्रदेशों को, महामारी के कारण स्कूल बंद रहने तक +सभी पात्र बच्चों को खाद्य सुरक्षा भत्ता (खाना +पकाने की लागत के बराबर जिसमें खाद्यान्न, +दालें , तेल आदि शामिल हैं) प्रदान करने की +सलाह दी गई है। +एनीमिया मुक्त भारत + +एनीमिया मुक्त भारत कार्यनीति के +तहत, बच्चों (5-9 वर्ष) और किशोरियो +तथा लड़कों (10-19 वर्ष) में एनीमिया +की रोकथाम और उपचार के लिए, राज्यों +और केंद्रशासित प्रदेशों को सहायता प्रदान +की जाती है। कार्यनीति में मलेरिया, +हीमोग्लोबिनोपैथी तथा फ्लोरोसिस पर विशेष +ध्यान देने और स्थानिक क्षेत्रों में एनीमिया +के गैर-पोषण संबंधी कारणों के समाधान के +साथ-साथ स्कूल प्लेटफॉर्म के माध्यम से +रोगनिरोधी आयरन फोलिक एसिड अनुपूरण, + +18-20 ग्राम प्रोटीन और सूक्ष्म पोषक तत्व की स्थिति में केंद्रों समय-समय पर कृमिहरण, एनीमिया का +स्वास्थ्य केंद्रों पर +युक्त पूरक पोषण प्रदान किया जाता है। पोषण, नियमित सेवाएं प्रदान की गई। डिजिटल तरीकों का परीक्षण और उपचार + +घर ले जाने के लिए राशन या गर्म पके भोजन + +48 + +का प्रावधान शामिल हैं। + +योजना, अक्टूबर 2021 + + + +0049.txt +<----------------------------------------------------------------------> +टीकाकरण पर सरकार की पहल +स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय + +भारत में सार्वभौमिक टीकाकरण + +कम से कम 90 प्रतिशत तक करने का लक्ष्य +है। सरकार ने देश भर में अधिक ध्यान देने की + +के राष्ट्रव्यापी टीकाकरण कार्यक्रम के माध्यम. कार्यक्रम दुनिया के सबसे बड़े. जरूरत वाले 201 जिलों की पहचान की है, +से शिशुओं, बच्चों और गर्भवती महिलाओं सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों में से हों देश के बिना टीकाकरण या आंशिक रूप +को कई टीके लगाए जाते हैं। भारत सरकार एक है। यह सालाना लगभग 2.9 से टीकाकरण वाले लगभग 50 प्रतिशत बच्चे +द्वारा 1985 में शुरू किया गया सार्वभौमिक कि है महिलाओं ° हैं। अधिक ध्यान देने की जरूरत वाले 201 +प्रतिरक्षण कार्यक्रम (यूआईपी) ऐसा ही एक करोड़ गर्भवती महिलाओं और 2.67 जिलों में से 82 बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान +टीकाकरण कार्यक्रम है। यह 1992 में बाल करोड़ नवजात शिशुओं को लक्षित और उत्तर प्रदेश में हैं। देश के गैर-टीकाकरण + +जीवन रक्षा और सुरक्षित मातृत्व कार्यक्रम का +एक हिस्सा बन गया और वर्तमान में 2005 +से राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत +प्रमुख क्षेत्रों में से एक है। इस कार्यक्रम में +12 बीमारियों के लिए टीकाकरण शामिल है- + +करता है। हर साल 1.2 करोड़ से + +अधिक टीकाकरण सत्र आयोजित + +किए जाते हैं। यह सबसे अधिक +'किफायती सार्वजनिक स्वास्थ्य + +या आंशिक रूप से टीकाकरण वाले लगभग 25 +प्रतिशत बच्चे इन्हीं राज्यों में हैं। + +* प्रयासों की प्रकृतिः सरकार ने +नियमित टीकाकरण की सावधिक गहनता +कार्ययीति का अब तक का सबसे बड़ा + +तपेदिक, डिप्थीरिया, काली खांसी, टेटनस, कार्यक्रमों में से एक है और वैक्सीन अनुप्रयोग शुरू किया। + +पोलियोमाइलाइटिस, खसरा, हेपेटाइटिस-बी, . से रोकथाम वाले रोगों (वीपीडी) « . सघन मिशन इन्द्रधनुष: सरकार ने +दस्त, जापानी एन्सेफलाइटिस, रूबेला, और पांच साल से कम आयु के _ नियमित टीकाकरण कार्यक्रम में छूट गए दो +निमोनिया (हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी) बच्चों की मृत्यु दर कम करने में वर्ष से कम उम्र के बच्चों और गर्भवती + +और न्यूमोकोकल रोग (न्यूमोकोकल निमोनिया +और मेनिन्जाइटिस)। 2007 में हेपेटाइटिस बी +को और 2017 में न्‍्यूमोकोकल को सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम +में शामिल किया गया। + +भारत में सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम दुनिया के सबसे बड़े +सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों में से एक है। यह सालाना लगभग +2.9 करोड़ गर्भवती महिलाओं और 2.67 करोड नवजात शिशुओं को +लक्षित करता है। हर साल 1.2 करोड़ से अधिक टीकाकरण सत्र +आयोजित किए जाते हैं। यह सबसे अधिक किफायती सार्वजनिक +स्वास्थ्य कार्यक्रमों में से एक है और वैक्सीन से रोकथाम वाले रोगों +(वीपीडी) और पांच साल से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर कम +करने में काफी हद तक सहायक है। +मिशन इन्द्रधनुष + +भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने +दिसंबर 2014 में मिशन इन्द्रधनुष का शुभारंभ किया। इसके अंतर्गत +विशेष अभियान के माध्यम से बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए + + + +योजना, अक्टूबर 2021 + +काफी हद तक सहायक है। + +महिलाओं तक पहुंचने के लिए 8 अक्टूबर, + +2017 को गहन मिशन इंद्रधनुष की शुरुआत +की। इसके तहत दिसंबर 2018 तक पूर्ण टीकाकरण कवरेज को +90 प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष्य था। हालांकि, देश के केवल +16 जिलों ने अब तक इस लक्ष्य को हासिल किया है। + +* सघन मिशन इंद्रधनुष 2.0: सघन मिशन इंद्रधनुष 2.0 की +निगरानी एक विशेष पहल प्रो-एक्टिव गवर्नेंस एंड टाइमली +seeder (प्रगति) यानी अति सक्रिय संचालन और समयबद्ध +कार्यान्वयन के तहत उच्चतम स्तर पर की जाती है। यह उन +जिलों को लक्षित करता है जिनमें टीकाकरण कवरेज 70 प्रतिशत +या उससे कम है। इसका उद्देश्य रोकी जा सकने वाली बच्चों +की मृत्यु को 2030 तक समाप्त करने के सतत विकास लक्ष्य +को प्राप्त करना हे। + +* सघन मिशन इंद्रधनुष 3.0: गहन मिशन इंद्रधनुष 3.0 का +उद्देश्य सभी उपलब्ध टीकों के साथ अगम्य आबादी तक पहुंच +सुनिश्चित करना और फरवरी से मार्च 2021 तक चिह्नित जिलों +और ब्लॉकों में बच्चों तथा गर्भवती महिलाओं के वेक्सीनेशन में +तेजी लाना है। इसके तहत उन बच्चों और गर्भवती महिलाओं पर +ध्यान केंद्रित किया जाएगा जो कोविड-19 महामारी के दौरान +टीके की खुराक लेने से चूक गए हैं। गहन मिशन इंद्रधनुष 3.0 +के दूसरे चरण के दौरान उनकी पहचान की जाएगी और उनका +टीकाकरण किया जाएगा। + +जन्म खुराक टीकाकरण प्रोटोकॉल +जन्म खुराक टीकाकरण सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम का + +अभिन्‍न अंग है। यह पोलियोमाइलाइटिस और बचपन में टीबी, +हेपेटाइटिस-बी के तीन वीपीडी से बचाव के लिए दिया जाता हे। +इसके लिए जन्म खुराक टीकाकरण प्रोटोकॉल विकसित किया गया +था और यह सुनिश्चित करने के लिए राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों के +साथ साझा किया गया था कि कोई भी संस्थागत प्रसव नवजात शिशु +जन्म खुराक से वंचित न रहे। + +49 + + + +0050.txt +<----------------------------------------------------------------------> +कोविड-19 टीकाकरण +दिसंबर 2019 में कोविड-19 महामारी + +एक अनूठा डिजिटल प्लेटफॉर्म , + +बच्चों, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली +महिलाओं को आयरन फोलिक एसिड अनुपूरक + +दुनिया भर में फेली। भारत सरकार ने महामारी से को-विन टीकाकरण गतिविधियों का घरेलू वितरण सुनिश्चित करें। गैर-नियंत्रित +निपटने के लिए अति सक्रियता से कदम उठाए में सहायता करता है। यह , क्षेत्रों में, अग्रिम पंक्ति जैसे आशा/एएनएम/ +और कोविड-19 प्रबंधन के सभी पहलुओं पर कार्यक्रम प्रबंधकों को पंजीकरण अआंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा सभी व्यक्तिगत +कार्रवाई के लिए स्वास्थ्य प्रणालियों की तैयारी और टीकाकरण के लिए प्रत्येक सुरक्षा उपायों और सामाजिक दूरी के मानदंडों +शुरू की। कोविडरोधी टीका बनाने में भारत के लाभार्थी की जानकारी के का पालन करते हुए ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता + +सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयासों को अनुसंधान और +विकास द्वारा दृढ़ता से समर्थन दिया गया था। +कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम में सार्वभौमिक +टीकाकरण कार्यक्रम के मौजूदा बुनियादी ढांचे +का उपयोग किया गया। एक अनूठा डिजिटल +प्लेटफॉर्म, को-विन टीकाकरण गतिविधियों में +सहायता करता है। यह, कार्यक्रम प्रबंधकों को +पंजीकरण और टीकाकरण के लिए प्रत्येक लाभार्थी की जानकारी +के साथ-साथ वेक्सीन के उपलब्ध स्टॉक, उनके भंडारण तापमान, +वास्तविक टीकाकरण प्रक्रिया, डिजिटल प्रमाण पत्र बनाने आदि में +मदद करता है। कोविड-19 और टीकाकरण प्रक्रिया पर आम जनता +के प्रश्नों के समाधान के लिए एक 24० राष्ट्रीय कॉल सेंटर की +स्थापना की गई थी। +कोविड-19 और स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता + +स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने कोविड-19 और स्कूल +बंद होने से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए 14 अप्रैल, 2020 को +कोविड-19 के प्रकोप के दौरान आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध +कराने के संबंध में सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को मार्गदर्शन +नोट जारी किए। महामारी के बीच प्रजनन, मातृ, नवजात, बच्चों, +किशोरों के लिए स्वास्थ्य तथा पोषण सेवाएं जारी रखने के लिए 24 +मई, 2020 को प्रावधान किया गया। राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को +सलाह दी गई कि वे लक्षित आयु समूहों यानी 6-59 महीने की आयु +के प्री-स्कूल बच्चों, 5-9 साल के बच्चों, 10-19 साल के किशोर + +साथ-साथ वैक्सीन के उपलब्ध +स्टॉक, उनके भंडारण तापमान, +वास्तविक टीकाकरण प्रक्रिया, +'डिजिटल प्रमाण पत्र बनाने आदि +में मदद करता है। + +पोषण दिवस (वीएचएसएनडी) के माध्यम से +आयरन फोलिक एसिड अनुपूरक की खुराक +का वितरण करने की सलाह दी गई। + +लॉकडाउन के महीनों के दौरान, राज्यों में +आंगनवाड़ी केंद्र बंद कर दिए गए थे। नवंबर +2020 में, महिला और बाल विकास मंत्रालय ने +आंगनवाड़ी केंद्रों में कोविड-19 सुरक्षा निर्देशों +का पालन करते हुए आंगनवाड़ी केंद्रों को खोलने और नियंत्रण वाले +क्षेत्रों के बाहर सेवाओं को फिर से शुरू करने के लिए दिशानिर्देश +जारी किए। कुछ राज्यों में गैर-नियंत्रण क्षेत्रों में ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता +पोषण दिवस आंशिक रूप से जारी थे। मांग की स्थिति में स्वास्थ्य +केंद्रों पर नियमित सेवाएं प्रदान की गईं। अप्रैल 2020 में, स्वास्थ्य और +परिवार कल्याण मंत्रालय ने घर-घर जाकर स्वास्थ्य और पोषण सेवाएं +प्रदान करने के दिशानिर्देश जारी किए। कई राज्यों ने घर-घर जाकर +आवश्यक सेवाएं जैसे कि लाभार्थियों को आहार अनुपूरकों का वितरण +और परामर्श सेवाएं उपलब्ध करवाई। निरंतर सेवाएं सुनिश्चित करने के +लिए अधिकांश राज्यों ने इस प्रकार की व्यवस्था की। + +महामारी के चुनौतीपूर्ण समय में, भारत सरकार सेवा वितरण में +खामियों को दूर करने और आवश्यक सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए +एकीकृत बाल विकास योजना और स्वास्थ्य सेवाओं के बीच अभिसरण +के लिए काम कर रही है। घर-घर संपर्क, समुदाय-आधारित कार्यक्रम, +जन-संचार और परिवारों तथा समुदायों की भागीदारी पर अधिक ध्यान +देकर जन आंदोलन का प्रचार करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +प्रकाशन विभाग के विक्रय केंद्र + +नई दिल्‍ली | पुस्तक दीर्घा, सूचना भवन, सीजीओ कॉम्प्लेक्स, लोधी रोड 110003 | 011-24367260 +नवी मुंबई |701, सी- विंग, सातवीं मंजिल, केंद्रीय सदन, बेलापुर 400614 | 022-27570686 +कोलकाता 8, एसप्लानेड ईस्ट 700069 | 033-22488030 +चेन्नई *ए' विंग, राजाजी भवन, बसंत नगर 600090 | 044-24917673 +तिरुअन॑ंतपुरम | प्रेस रोड, नयी गवर्नमेंट प्रेस के निकट 695001 | 0471-2330650 +हैदराबाद कमय सं 204, दूसय तल, सीजीओ टावर, कवाडीगुड़ा, सिकंदरबाद | 500080 | 040-27535383 +बेंगलुरु फर्स्ट फ्लोर, 'एफ' विंग, केंद्रीय सदन, कोरामंगला 560034 | 080-25537244 +पटना बिहार राज्य कोऑपरेटिव बैंक भवन, अशोक राजपथ 800004 | 0612-2675823 +लखनऊ हॉल सं-1, दूसरा तल, केंद्रीय भवन, क्षेत्र-एच, अलीगंज 226024 | 0522-2325455 +अहमदाबाद | 4-सी, नेप्चून टॉवर, चौथी मंजिल, नेहरू ब्रिज कॉर्नर, आश्रम रोड | 380009 | 079-26588669 +गुवाहाटी असम खाड़ी एवं ग्रामीण उद्योग बोर्ड, भूतल, एमआरडी रोड, चांदमारी | 781003 | 0361.2668237 +50 योजना, अक्टूबर 2021 + + + +0051.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +(@°VISIONIAS + + + + + + + + + + + +INSPIRING INNOVATION www. visionias.in +i N TOP 10 SELECTIONS IN CSE 2019 4_ Ohartiett Congratulations +from various programs of VISION IAS to all successful candidates +() +JATIN PRATIBHA VISHAKHA GANESH ABHISHEK RAVI YOU CAN +KISHORE VERMA YADAV KUMAR BASKAR SARAF JAIN BE NEXT + + + +लाइव/ऑनलाइन व ऑफलाइन कक्षाएं +a ee Se फाउंडेशन +wena, फाउंडेशन कोर्स + +डेली असाइनमेंट और अध्ययन PAL ‘ सामान्य अध्ययन 2022 + +४५ +सामग्री के साथ पूर्णतः हि ९,६०५) (+, + +रिवीजन करें OTe >4, प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा +oe. + +का x) 5 UPSC @ सामान्य अध्ययन +मासिक समसामयिकी रिवीजन |+-4815£३४६ पाठ्यक्रम का व्यापक कवरेज +सामान्य अध्ययन (प्रारंभिक + मुख्य परीक्षा) + +# इस कोर्स में विभिन्‍न मानक स्रोतों, जैसे- द हिंदू, +इंडियन एक्सप्रेस, बिजनेस स्टैंडर्ड, श8, २5, &1॥7, +राज्य समा / लोक सभा टीवी, योजना आदि से +महत्वपूर्ण सामायिक मुद्दों को शामिल किया जाएगा। + +च््य्य्पपः +एथिक्स केस स्टडीज + +ज नीतिशास्त्र पर आधारित साधारण से कठिन स्तर +तक की केस सस्‍्टडीज को हल करने संबंधी समझ +विकसित करने हेतु अभ्यर्थियों को निपुण करने के +लिए अवधारणात्मक स्पष्टता पर बल दिया जाएगा। + +27 अगस्त | 10 00४३ + +एडवांस्ड मुख्य परीक्षा +सामान्य अध्ययन कोर्स + +यह कार्यक्रम उन छात्रों पर केंद्रित है, जो आधारभूत ज्ञान तो —<<_ +रखते हैं, परंतु मुख्य परीक्षा में अध्ययन के दौरान उत्पन्न होने +वाली समस्याओं से निपटने के लिए जटिल विषयों की समझ + +RC Rae का Ge A है LS 6 पूँ॥ Vislonlas मासिक करेंट +४ +¢ 1st Floor, Apsara Arcade, Near Metro Gate 6,1/8 B, Pusa Road, Karol Bagh +¢ Contact : 8468022022, 9019066066 + + + + + + + + + + + + + + + + +$ अभ्यास ही सफलता +की चाबी है + +श्वांडा०1185 प्रारंभिक/मुख्य टेस्ट +सीरीज हर 3 में से 2 सफल ++ उम्मीदवारों द्वारा चुना गया + + + +- ७ सामान्य अध्ययन ७6 निबंध ७दर्शनशास्त्र + +सभी द्वारा पढ़ी गई एवं +सभी द्वारा अनुशंसित + + + + + + + + + +DELHI +JAIPUR | PUNE | HYDERABAD | LUCKNOW | AHMEDABAD | CHANDIGARH | GUWAHATI + +9001949244 ' 8007500096 " 9000104133 8468022022 9909447040 8468022022 8468022022 + + + + + + + +योजना, अक्टूबर 2021 51 + +YH-1658/2021 + + + +0052.txt +<----------------------------------------------------------------------> +विक्रय तथा विपणन में प्रौद्योगिकी + +बालेन्दु शर्मा दाधीच + +विक्रय और विपणन की दुनिया अब रजिस्टरों, वर्ड फाइलों, एक्सेल फाइलों और खाताबही के दायरे से +बाहर निकल चुकी हैं। एंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग ( ईआरपी ) और कस्टमर रिलेशनशिप मैनेजमेंट ( सीआरएम ) +जैसे आधुनिक समाधान ( सॉल्यूश़न ) आज के कारोबार और सेल्स की बुनियादी आवश्यकता हैं। ये आपकी +प्रक्रियाओं को सरल, सुगम, प्रभावी और आसानी से प्रबंध-योग्य बनाते हैं। वे विभिन्न विभागों को एक मंच पर +लाते हैं और सूचनाओं की पारदर्शिता को बढ़ाते हैं। इतना ही नहीं वे आपके ग्राहकों के साथ एक किस्म का +रिश्ता बनाने में भी मदद करते हैं। ग्राहक ने एक बार कोई उत्पाद खरीदा या सेवा ली तो उसके साथ आपका +ताल्‍लुक इतने भर से समाप्त नहीं हो जाता। बल्कि यह तो आपके और उसके रिश्ते की शुरुआत है। एक बार +उससे जुड़ाव होने के बाद आप इस रिश्ते को बनाए रखने, प्रगाढ़ करने और कारोबारी दृष्टि से लाभदायक +बनाने के लिए प्रौद्योगिकी का साथ लेते हैं जो आगे भी उसे जोड़ रखने में आपकी मदद करती है। + +शेवरों की सोशलनेटवर्किंग वेबसाइट लिंक्डइन ने हाल +हु । ही में एक रिपोर्ट साझा की जिसमें कहा गया कि भारत +में विक्रय (सेल्स) और विपणन (मार्केटिंग) के क्षेत्र + +में प्रौद्योगिकी की भूमिका लगातार महत्वपूर्ण होती जा रही है। स्थिति +यह है कि भारत में हर दस में से नौ शीर्ष सेल्स पेशेवर अपनी +बिक्री बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर रहे हैं। लिंक्डइन +ने भारत के 400 सेल्स पेशेवरों और 400 खरीददारों के बीच सर्वेक्षण +करवाया था जिसके नतीजे चौंकाने वाले रहे। ये आंकडे भारत जैसे +देश के नहीं बल्कि अमेरिका या ब्रिटेन जैसे देशों जैसे दिखाई दे रहे +थे। क्या सचमुच भारत में प्रौद्योगिकी तथा ऑनलाइन बिक्री का स्तर +इतना ऊपर उठ चुका है? + +यूं तो देश में पिछले एक दशक से डिजिटल कायाकल्प की +प्रक्रिया में तेजी आई हुई है लेकिन कोविड के संकट के बाद जो +परिस्थितियां पैदा हुईं उन्होंने इस प्रक्रिया को और तेज कर दिया है। +अब जनजीवन और कारोबार के हर क्षेत्र में प्रौद्योगिकी की भूमिका +पहले से कहीं ज्यादा ठोस और महत्वपूर्ण हो गई है। महामारी के +आगमन से पहले जो कंपनियां ऑनलाइन सेल्स में खास दिलचस्पी +नहीं रखती थीं, रिमोट तथा हाइब्रिड (दूरस्थ और संकर) कामकाज +की मौजूदा दुनिया में उससे दूरी पाट चुकी हैं। जब लोग घरों में केद +हों तो कारोबारों के सामने अपना अस्तित्व बचाने की चुनौती आ खड़ी +होना स्वाभाविक था। ऐसे में उन्होंने डिजिटल माध्यम को अपनाने पर +ध्यान केंद्रित किया। जिन्होंने ऐसा कर लिया, वे कारोबारी लिहाज से +पहले जैसे ही या उससे भी अधिक व्यस्त हो गए। जो ऐसा नहीं कर +सके, वे अप्रासंगिक होकर हाशिए पर चले TTI + +बहरहाल, आभासी सेल्स अब एक सामान्य बात बन चुकी हे +और बिक्री से लेकर सप्लाई लाइन और खरीददारी की प्रक्रिया से +लेकर भुगतान की प्रक्रिया तक को सुगम और काफी हद तक सुरक्षित +बनाया जा चुका है। ऐसे में लिंक्डइन के सर्वेक्षण में 74 फीसदी +खरीददार अगर यह कहते हैं कि महामारी के बाद खरीददारी की +प्रक्रिया ज्यादा आसान हो चुकी है तो इसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए। + +प्रौद्योगिकी ने अनेक स्तरों पर मदद की है, न सिर्फ बिक्री में +बल्कि विपणन में भी। विपणन से तात्पर्य बिक्रो के अनुकूल माहौल +बनाने वाली गतिविधियों से है जिनमें प्रचार-प्रसार, कार्यक्रमों का +आयोजन, पारंपरिक तथा सोशल मीडिया का प्रयोग, संचार आधारित + + + + + + + + + + + + + +लेखक जाने-माने तकनीक विशेषज्ञ हैं। ईमेल: balendusharmadadhichi@ gmail.com + +52 + +योजना, अक्टूबर 2021 + + + +0053.txt +<----------------------------------------------------------------------> +अभियान और ग्राहकों तक पहुंचने के प्रत्यक्ष + +डेटा अवश्य उपलब्ध है। अथाह मात्रा में पैदा + +तरीके शामिल हैं। इनमें कारोबारी अवसरों इन दिनों विक्रय और विपणन की उठने वाले डेटा को इकट्ठा करने और उसका +को तलाशना, पहचानना और उनका लाभ प्रक्रिया जिस चीज से सर्वाधिक विश्लेषण करने में आधुनिकतम तकनीकों की + +उठाना तो शामिल है ही, अवसरों को पैदा + +भूमिका है, जैसे कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस + +करने में भी प्रौद्योगिकी की भूमिका है। और प्रभावित हो रही है ae है- बिग डेटा एनालिटिक्स और क्लाउड कंप्यूटिंग +भी बहुत सारी प्रक्रियाएं आसान हो गई हैं, डेटा। हर एक व्यक्ति ऑनलाइन आदि। यह डेटा सेल्स और विपणन करने +जैसे कि अपने ग्राहकों के साथ संपर्क प्रगाह. और सोशल माध्यमों पर अपनी वाली कंपनियों के लिए बहुमूल्य है। वह न +करना, अपने उत्पादों या सेवाओं के प्रति लोगों सूचनाओं, अभिव्यक्ति, गतिविधियों सिर्फ लोगों की पसंद-नापसंद और इच्छाओं +को आकर्षित करना, अपने व्यापारिक दायरे और जिज्ञासाओं से अनगिनत मात्रा की दस्तावेजीकरण करता है बल्कि रुझानों को +का विस्तार करना, अपनी सेवाओं को ज्यादा में डेटा पैदा कर रहा है। जो भी भी स्पष्ट करता है। यदि कंपनियां अपने प्रचार + +सुनियोजित और सुसंगठित बनाना, व्यवस्थाओं +को सुव्यवस्थित करना आदि। आज अगर + +व्यक्ति कभी न कभी इंटरनेट पर + +अभियान को इन सूचनाओं के आधार पर +कस्टमाइज कर लेती हैं तो वे अपने कारोबारी + +ग्राहक के मन में किसी उत्पाद को खरीदने. आया है, उसके बारे में कुछ न अवसरों को कई गुना बढ़ा सकती हैं। इंटरनेट +की इच्छा पैदा होने से लेकर उसके घर पर कुछ डेटा अवश्य उपलब्ध है। से जुड़ा हुआ मीडिया आपको ऐसा करने की + +उत्पाद की डिलीवरी तक के बीच की दूरी +सिकुड़कर चंद घंटे तक आ पहुंची है, तो इसमें प्रौद्योगिकी की +महत्वपूर्ण भूमिका है। + +यह सब सिर्फ निजी क्षेत्र के लिए ही महत्वपूर्ण नहीं है +बल्कि सरकरी क्षेत्र की सेवाओं में भी प्रौद्योगिकी पर आधारित नए +तौर-तरीके लोकप्रिय हो रहे हैं। सरकारी क्षेत्र में सूचनाओं तथा सेवाओं +को सही लोगों तक तेज रफ्तार से और प्रभावी ढंग से पहुंचाने के +लिए प्रौद्योगिकी का प्रयोग रूपांतरकारी सिद्ध हो रहा है। + +इन दिनों विक्रय और विपणन की प्रक्रिया जिस चीज से +सर्वाधिक प्रभावित हो रही है वह है- डेटा। हर एक व्यक्ति ऑनलाइन +और सोशल माध्यमों पर अपनी सूचनाओं, अभिव्यक्ति, गतिविधियों +और जिज्ञासाओं से अनगिनत मात्रा में डेटा पैदा कर रहा है। जो भी +व्यक्ति कभी न कभी इंटरनेट पर आया हे, उसके बारे में कुछ न कुछ + +सुविधा भी देता है। + +टेलीविजन, रेडियो या प्रिंट मीडिया, अधिकांश मामलों में, एक +स्थान के लोगों के सामने एक ही किस्म की सामग्री (कन्टेन्ट और +विज्ञापन आदि) पेश करता है। लेकिन वह सामग्री हर एक दर्शक और +पाठक के अनुकूल हो, ऐसा जूुरूरी नहीं है। दूससाी ओर ऑनलाइन +माध्यमों पर आप हर एक व्यक्ति को अलग सूचना और अलग +विज्ञापन दिखा सकते हैं। जब आपको उस व्यक्ति की पसंद-नापसंद, +गतिविधियों, जुरूरतों आदि की पहले से जानकारी हो तो आप उसे +वही सूचनाएं दिखाएंगे जो उसके लिए ज्यादा अनुकूल हों और ज्यादा +आकर्षक हों। यही कारण है कि डेटा की उपलब्धता कारोबारी +अवसरों से जुड़ी हुई है। + +तकनीक ने प्रचार के माध्यमों को सुगम और सस्ता भी बनाया +है। किसी जमाने में एक अच्छी सी विज्ञापन फिल्‍म बनाने पर + + + +° + +टरनेट जहां सेल्स और विपणन के लिए अवसरों की खान है +Qaa इस पर निजता और साइबर सुरक्षा संबंधी चुनौतियों की +भी भरमार है। सेल्स और विपणन के लिए बडे पैमाने पर तकनीकी +और कारोबारी कंपनियां डेटा इकट्ठा करती हैं। इस डेटा का +इस्तेमाल मार्केटिंग के अभियानों को ज्यादा धारदार और असरदार +बनाने के लिए किया जाता है। इससे उत्पादों की बिक्री बढ़ाने में +भी मदद मिलती है। लेकिन कया कंपनियों को अपने लाभ के लिए +लोगों की निजता का उल्लंघन करने की खुली छूट दी जा सकती +है? यह एक अहम सवाल है और दुनिया की ज्यादातर सरकारें इस +तरह की खुली छूट के हक में नहीं हैं। भारत भी अपवाद नहीं है। + +इसके परिणामस्वरूप भारत में पिछली फरवरी में सूचना +प्रौद्योगिकी नियम 2021 लाए गए जो ऑनलाइन माध्यमों पर +बेरोकटोक लोगों की निजता का उल्लंघन करने की प्रवृत्ति पर +अंकुश लगाएंगे। इस संदर्भ में यूरोपीय संघ के सामान्य डेटा +संरक्षण विनियमन कानून को बहुत कारगर माना गया है जिसके +तहत ऑनलाइन माध्यमों पर सक्रिय विभिन्न पक्षकारों को कई +तरह से पाबंद किया गया है। भारत के ताजा नियमों, जिनका पूरा + + + +निजता और साइबर सुरक्षा के लिए विनियमन + +नाम “सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती संस्थानों के लिए दिशानिर्देश +और डिजिटल मीडिया नेतिकता संहिता) नियम 2021' है, में +भी उपभोक्ताओं और ग्राहकों के निजता तथा साइबर सुरक्षा के +अधिकार की सुरक्षा के लिए कुछ ठोस कदम उठाए गए हैं। + +इन नियमों के तहत ऑनलाइन माध्यमों पर सक्रिय सोशल +मीडिया संस्थानों को अपनी निजता नीति घोषित करनी होगी। अगर +कोई आपत्तिजनक सामग्री प्रकाशित की गई है तो उसे 36 घंटों के +भीतर हटाना होगा, लोगों की सूचनाओं को सुरक्षित रखना होगा, +जुरूरत पड़ने पर किसी सरकारी एजेंसी को 72 घंटे के भीतर ऐसे +डेटा तक पहुंच उपलब्ध करानी होगी, साइबर सुरक्षा से संबंधित +कोई घटना होती है तो उसकी सूचना संबंधित एजेंसियों को देनी +होगी और अपने यहां पर लोगों की शिकायतों का समाधान करने +के लिए एक शिकायत निवारण तंत्र बनाना होगा। इन कंपनियों को +हर महीने अनुपालन रिपोर्ट भी प्रकाशित करनी होगी। ये नियम इस +मायने में महत्वपूर्ण हैं कि ये उपभोक्ताओं को अपनी निजता और +ऑनलाइन सुरक्षा की तरफ से निश्चित होकर इंटरनेट पर मौजूद +सुविधाओं का यथोचित लाभ उठाने की आजादी देंगे। + + + + + +योजना, अक्टूबर 2021 + +53 + + + +0054.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +आठ-दस लाख की लागत आना सामान्य बात थी। लेकिन आज इसके +लिए आवश्यक अधिकांश तकनीके बहुत सस्ती दरों पर उपलब्ध हें +और उनका प्रयोग इतना आसान हो गया है कि, विशिष्ट परिस्थितियों +को छोड़कर, सामान्य लोग भी थोड़े से कौशल के आधार पर इस +प्रकार की सामग्री तैयार कर सकते हैं। इतना ही नहीं, उस सामग्री +का प्रसार भी बहुत आसान है। यदि आप एक दिलचस्प कहानी कह +सकते हैं तो आपका वीडियो, पॉडकॉस्ट, ब्लॉग या विज्ञापन अभियान +वायरल हो सकता है और देखते ही देखते लाखों लोगों तक पहुंच +सकता है। सेल्स और विपणन की दुनिया में इसे जीरो डॉलर मार्कोटिंग +भी कहा जाता है। प्रचार के ठिकाने भी बहुतायत से उभर आए हैं +और उनमें से अधिकांश का प्रयोग निःशुल्क किया जा सकता है। +ट्विटर, फेसबुक, यूट्यूब, इन्स्टाग्राम, ईमेल, ब्लॉग, ऑनलाइन समीक्षा, +व्हाट्सएप्प आदि ऐसे ही कुछ माध्यम हैं। + +विक्रय और विपणन की दुनिया अब रजिस्टरों, वर्ड फाइलों, एक्सेल +'फाइलों और खाताबही के दायरे से बाहर निकल +चुकी हैं। एंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग (ईआरपी) +और कस्टमर रिलेशनशिप मैनेजमेंट (सीआरएम) + +टेलीविजन, रेडियो या प्रिंट मीडिया, +अधिकांश मामलों में, एक स्थान + +आपके ब्रांड के साथ जुड़ाव महसूस करने लगता है। यह जुड़ाव आगे +भी बिक्री और विपणन में लाभदायक सिद्ध होता है। + +नए अवसरों की तलाश के लिए भी अनेक टूल आ चुके हैं। +fa का सेल्स नेविगेटर ऐसा ही एक टूल है जो सेल्स की +दुनिया के पेशेवरों को उनकी दिलचस्पी के क्षेत्र में हो रही घटनाओं +से परिचित कराता है और कौनसे नए कारोबारी अवसर पैदा हो रहे +हैं, उनकी जानकारी देता है। आपकी वेबसाइट, जो अब तक कंपनी +और उत्पादों की सूचनाएं मात्र दिया करती थी, अब एक सेल्समैन का +काम भी करने लगी है और इस काम में उसकी मदद कर रही है +आर्टिफिशियलइंटेलिजेंस। अनेक वेबसाइटों पर आपको चैटबॉट दिखाई +देंगे जो आपसे पूछते हैं कि मैं आपकी क्‍या मदद कर सकता हूं। आप +अपना सवाल लिखते हैं और जवाब प्रौद्योगिकी देती है। धीरे-धीरे वह +आपके तथा आपकी आवश्यकताओं के बारे में जुरूरी जानकारी इकट्ठी +करने के बाद आपको एक कुशल सेल्समैन के पास भेज देती है। इस +प्रक्रिया में जो गंभीर ग्राहक होते हैं वे अगले चरण तक पहुंचते हैं और +जो सिर्फ सूचना पाने तक सीमित रहते हैं उन्हें चैटबॉट ही संतुष्ट करके +भेज देता है। किसी वेबसाइट पर रोजाना अगर दस-पंद्रह हजार लोग +आकर चैटबॉट्स के साथ चर्चा करते होंगे तो आप ही सोचिए कि +प्रौद्योगिकी ने उस एक दिन में कितने लोगों का काम कर दिया होगा। +और उसने संभावित खरीददारों की पहचान भी कर ली। अब कंपनी +को कुछ दर्जन ग्राहक सेवा प्रदाता (कस्टमर केयरएक्जीक्यूटिव) लगाने +की जुरूरत नहीं रहेगी बल्कि उसका काम दो-चार से ही चल जाएगा। + +विपणन के क्षेत्र में स्वचालन (ऑटोमैशन) से भी क्रांति आ +रही है। एक ही संदेश को दर्जनों माध्यमों पर प्रसारित करना संभव +है और वह भी चंद मिनटों के भीतर। इन संदेशों को अलग-अलग +पाठक-दर्शक वर्ग के लिए कस्टमाइज करना भी संभव है ताकि +वह अधिक परिणाम दे सके। प्रौद्योगिकी यहां +भी दर्जनों लोगों का काम खुद ही स्वचालित +ढंग से करने लगी है। मानवीय दखल की + + + +जैसे आधुनिक समाधान (सॉल्यूशन) आज के के लोगों के सामने एक ही किस्म जरूरत तभी पड़ती है जबकि कोई अहम +कारोबार और सेल्स की बुनियादी आवश्यकता क्की सामग्री ( कन्टेन्ट और विज्ञापन निर्णय लेना हो या फिर मंथन या तुलना + +हैं। ये आपकी प्रक्रियाओं को सरल, सुगम, +प्रभावी और आसानी से प्रबंध-योग्य बनाते हें। +वे विभिन्न विभागों को एक मंच पर लाते हैं और +सूचनाओं की पारदर्शिता को बढ़ाते हैं। इतना ही +नहीं वे आपके ग्राहकों के साथ एक किस्म का +रिश्ता बनाने में भी मदद करते हैं। ग्राहक ने एक +बार कोई उत्पाद खरीदा या सेवा ली तो उसके +साथ आपका ताल्लुक इतने भर से समाप्त नहीं +हो जाता। बल्कि यह तो आपके और उसके +रिश्ते की शुरुआत है। एक बार उससे जुड़ाव + +आदि ) पेश करता है। लेकिन वह +सामग्री हर एक दर्शक और पाठक +के अनुकूल हो, ऐसा जरूरी नहीं +है। दूससी ओर ऑनलाइन माध्यमों +पर आप हर एक व्यक्ति को अलग +सूचना और अलग विज्ञापन दिखा +सकते हैं। जब आपको उस व्यक्ति +की पसंद-नापसंद , गतिविधियों, + +करने की जरूरत पडे। सोशललिजूनिंग, यानी +कि सोशल मीडिया पर क्‍या कुछ घटित हो +रहा है उसकी थाह रखना, भी आज सेल्स +और मार्केटिंग की दुनिया का अहम पहलू +है। इसके तहत लाखों ऑनलाइन ठिकानों पर +हो रही चर्चाओं का विश्लेषण करके उनमें +से निष्कर्ष निकाले जाते हैं और उन्हें उन +कंपनियों को भेजा जाता है जिनके लिए ये +रुझान अहमियत रखते हैं। + +सचमुच, आज सेल्स और मार्कोटिंग की + +होने के बाद आप इस रिश्ते को बनाए रखने, जरूरतों आदि की पहले से दुनिया हमारे माता-पिताओं के जमाने के +प्रगाढ़ करने और कारोबारी दृष्टि से लाभदायक. जानकारी हो तो आप उसे वही कारोबार जैसी नहीं रह गई है। वह अपने +बनाने के लिए प्रौद्योगिकी का साथ लेते हैं जो सूचनाएं दिखाएंगे जो उसके लिए परिमाण और परिणाम दोनों ही लिहाज से +आगे भी उसे जोड़ रखने में आपकी मदद करती ज्यादा अनुकूल हों और ज्यादा रूपांतरित हो चुकी है। जब हर कहीं डिजिटल +है। आप समय-समय पर उसे संदेश भेजते आकर्षक हों। रूपांतरण हो रहा है तो यह क्षेत्र तकनीक की + +हैं और उसका फीडबैक लेते हैं। वह व्यक्ति + +54 + +शक्ति से कैसे अछूता रह सकता है।. बन + +योजना, अक्टूबर 2021 + + + +0055.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +The Complete Administrative Culture + +टीम वही, कोचिंग नई +अखिल मूर्ति के निर्देशन में + +ब्रांड है निराधार, अनुभवी एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षक हों चयन का आधार + + + + + +श्री सीबीपी श्रीवास्तव +हु जज ea +राजव्यवस्था, सामाजिक न्याय +जाला एवं संस्कृति Sal + + + +छारा - अखिल मूर्ति पेगड्राइन /मोबाडल ऐप कोर्स + +>नून्गोल्ठ +ड्ारा - ऋमसार गौरलस पेजड्लाइव /मोबाइल ऐप कोर्स + +ब सप्ताह में 6 कक्षाएँ ( प्रतिदिन एक कक्षा ) संचालित होंगी। राजनीति विज्ञान + +छ संपूर्ण कोर्स की पाठ्य सामग्री कूरियर द्वारा आपके पते पर भेजी जाएगी। द्वारा - राजेश मसिश्मा_ पेगद्वाइल /मोबाकल ऐप कोर्स + + + + + + + + + +9555-124-124 Website: | Follow us on: +7428085757/58 | sanskritilIAS.com | ‘wi © @ ९. + + + + + +योजना, अक्टूबर 2021 + +55 + +YH-1645/2021 + + + +0056.txt +<----------------------------------------------------------------------> +कोविड-19 के अनुभव + + + +अगस्त 2021 में आयोजित प्रतियोगिता में सर्वश्रेष्ठ +रचना का प्रकाशन यहां किया जा रहा है। + +संबर 2019 का वक्‍त था। हमेशा की तरह मैं अखबार +पढ़कर औरों को सुनाता था कि कैसे एक महामारी +पांव पसारने के लिए तैयार खड़ी है। यह दीगर है कि + +कोई उस बात पर विश्वास नहीं करना चाहता था। मुझे याद है जब मैंने +अपने नानाजी को इससे अवगत कराया तो उन्होंने कहा कि हमें इससे +कुछ नहीं होगा। हम किसान हैं। बाद में जब मामाजी को कोरोना हुआ, +जब मौतों का आंकड़ा दिनो-दिन बढ़ने लगा और चारों ओर हाहाकार +सुनाई देने लगा तो उन्हें भी समझ में आया कि कोविड-19 महामारी +कोई सामान्य बीमारी नहीं बल्कि मानवजाति को निगलने के लिए सुरसा +बनकर आई राक्षसी है। + +दुनिया में सब कुछ ठहर-सा गया था। सरकारें लॉकडाउन लगाने +को विवश थीं, ताकि यथासम्भव जीवन बचाए जा सकें। मैं यूपीएससी +सीएसई की तैयारी कर रहा था। जैसे ही भारत में महामारी फैलने की +खबर सुनी सबसे पहले यही डर लगा कि कहीं परीक्षा स्थगित न हो +जाए। मगर ओ, हेनरी और सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन “अज्ञेय' की +कहानियों ने संबल दिया। फिर यही विचार आया कि परीक्षाएं तो और +आएंगी लेकिन आज मानवता को बचाने का समय है। समय-पुरुष दूर +कहीं खड़ा आवाज दे रहा है कि आओ! इस महायज्ञ की वेदी पर स्वयं +को अर्पित कर दो। यही समय की मांग है। + +इसके पश्चात मेरे गांव उबदी के सभी सेवाभावी साथी अपने +स्तर के सहयोग कार्यों में जुट गए। हमने छोटी-छोटी टोलियां बनाकर +गांव के विभिन्‍न स्थानों पर युवा साथियों को नियुक्त किया ताकि +ग्रामीणों को मास्क पहनने, नियमित हाथ थोने आदि जैसी गतिविद्ियों +से अवगत कराया जा सके। बाहर से आने वाले लोग यदि कोई गांब +में प्रवेश करते थे तो हम उन्हें उचित पूछताछ के बाद ही प्रवेश करने +देते थे। गांवों में ग्रामीणों द्वार चबूतरों और ओटलों पर बैठने की परम्परा +रही है। लेकिन इस कोविड-काल में यह जोखिम भरा हो सकता था, +अतः हमने लोगों को समझाया ताकि कोविड फेलने की हर संभावना को +समाप्त किया जा सके। हालांकि जो लोग महामारी की विभीषिका को +जान नहीं सकते थे, वे हमारे कार्यों का विरोध भी करते थे लेकिन हम +उन्हें प्रेम से समझाकर शांत कर देते थे। यदि लोग समझाने के बाद भी +ओटलों पर बैठना नहीं छोड़ते थे तो हम वहां जला तेल डाल देते AI +इस प्रकार विभिन्‍न तरकीबों और कार्यों के माध्यम से हमने महामारी को +फैलने से रोकने का प्रयास किया। इसके बावजूद गांव में कोविड-19 +के लगभग एक दर्जन मामले आ चुके थे। + +इन सब कार्यों के बाद जब मैं घर आता तो यह डर लगता था कि + + + + + + + +56 + +हेमनत कृष्णराव पाटीदार + +कहीं हमारे सगे-संबंधियों को हो न जाए। टी.वी. चलाओ या फोन, हर +जगह मौत का मंजर दिखाई पड़ता था। पापा डांटते थे ताकि इस चीजों +को देख-देख कर हम मानसिक रूप से बीमार न हो जाए। मैंने अखबार +तक पढ़ना छोड़ दिया था। अब करें तो क्‍या करें, यह बड़ा सवाल था। +हालांकि इतने भीषण अंधकार में भी आशा की किरण फूट ही पड़ी। +मुझे बचपन से ज्ञानवर्थक किताबें पढ़ने और कविता-कहानियां लिखने +का शौक था लेकिन कभी समय नहीं मिला तो कभी आर्थिक समस्या ने +स्वप्न जला दिया। लेकिन यह बहुत ही उपयुक्त समय था वह सब करने +का जिसे मैं अपने खाली वक्‍त में केवल सोचा करता था। सबसे पहले +मैंने अपनी मनपसंद किताबें पढ़ने की योजना बनाई। यह अविश्वसनीय +है लेकिन मार्च 2020 में 'गोदान' से शुरू हुई उपन्यास पठन की यह +यात्रा अगस्त 2021 तक लगभग 150 उपन्यासों तक पहुंच चुकी है। +मैंने बेकार के कार्यों में समय खर्च करने के बजाय अपने बौद्धिक शौक +पूरे करने में अपना समय व्यतीत किया। कविताएं-कहानियां तो लिखी +ही, साथ ही भारत सरकार के कौशल विभाग के ऑनलाइन माध्यम से +बहुत से व्यावसायिक कोर्स भी किए। + +इस महामारी के दौरान जब लोग घरों में कैद हो गए तो सतत +निकटता की वजह से मनमुटाव और आपसी कलह जैसी घटनाएं भी +देखने में आ रही थी। मेरे पिताजी शिक्षक हैं। इस प्रकार की घटना +हमारे मध्य न हो, इसीलिए वे माताजी को साथ लेकर दोपहर तक +खेतों की ओर चले जाते थे। रिश्तेदारों, स्वजनों से मिलना-जुलना +एकदम बंद हो गया था। लेकिन विगत महामारियों से विलग यहां +तकनीक ने बड़ा लाभ पहुंचाया। मोबाइल फोन, लैपटॉप के जरिए +वीडियो कॉल कर सभी से आभासी संबंध स्थापित किया जा सका। +इस प्रकार उत्कट जिजीविषा मेरे और मेरे जैसे सैकड़ों लोगों का जीवन +पटरी पर लाने में सफल रही। + +हालांकि विपदा की इस घडी में भी कुछ पशुबुद्धि मानवों ने अपने +पेट भरने में कोई कमी नहीं छोड़ी। एक ओर जहां भामाशाह अपनी +पसीने की कमाई को मानवता के संरक्षण में न्‍्योछावर कर रहे थे, वहीं +मानवता के भक्षक उसे उससे अपने घडे भर रहे थे। सकारात्मक दृष्टि +से देखें तो यह भी एक अवसर ही था। यदि रावण पैदा न होता तो राम +को श्रीराम कौन बनाता? यदि कंस का जन्म न हुआ होता तो श्रीकृष्ण +को गोकुल से मथुरा कौन लाता? पापियों के कारण ही पुण्यात्माओं की +पहचान होती है। महामारी अब भी समाप्त नहीं हुई है। समय-पुरुष आज +भी पुकार रहा है। हम जितना कर सकते हैं, करें। जिस दिन इतिहास +लिखा जायेगा, उसमें हमारा नाम “बचाने वालों में शामिल होगा। + + + +इनके आलेख भी सराहनीय रहे- रोहित पारीक, ऋभा कमल +शुक्ला, जीतेनद्र कुमार और ज्योत्स्ता गोस्वामी। + + + + + + + +योजना, अक्टूबर 2021 + + + +0057.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +प्रकाशन विभाग को पुस्तक प्रकाशन में उत्कृष्टता के लिए पुरस्कार + +प्रा उद्योग के एक प्रतिनिधि निकाय, फेडरेशन ऑफ इंडियन पब्लिशर्स द्वारा पुस्तक उत्पादन, 2021 में उत्कृष्टता के लिए प्रकाशन +विभाग, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की विभिन्न पत्रिकाओं और पुस्तकों को सम्मानित किया गया है। पुरस्कारों की श्रेणियों में सामान्य +और व्यापार पुस्तकें, कला और कॉफी टेबल पुस्तके, बाल साहित्य, संदर्भ पुस्तकें और कई भाषाओं में पत्रिकाएं शामिल हैं। + +प्रकाशन विभाग राष्ट्रीय महत्व के विषयों और भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत पर प्रकाश डालने वाली पुस्तकों और पत्रिकाओं +का भंडार है। 1941 में स्थापित, यह विभाग भारत सरकार के एक प्रमुख प्रकाशन संस्थान के रूप में उभरा है, जो गुणवत्ता प्रकाशनों के +साथ भारत की विरासत को प्रदर्शित करके विशिष्ट धाराओं में ज्ञान संसाधन को समृद्ध करता है। यह भूमि और लोगों, स्वतंत्रता आंदोलन +के इतिहास, बच्चों के साहित्य, कला, संस्कृति और इतिहास वनस्पतियों और जीवों, गांधी साहित्य, आधुनिक भारत के निर्माताओं की +जीवनी, राष्ट्रपतियों और प्रधानमंत्रियों के भाषण, समकालीन विज्ञान, अर्थव्यवस्था पर किताबें प्रकाशित करता है। हाल ही में प्रकाशन विभाग +ने आजादी का अमृत महोत्सव पुस्तकों की विशेष श्रृंखला का प्रकाशन किया है, जिसमें स्वातंत्रय समर प्रेरक व्यक्तित्वों तथा घटनाओं का +संकलन व लेखा जोखा है। पुस्तकों के अलावा, प्रकाशन विभाग 18 मासिक पत्रिकाओं को भी प्रकाशित करता है, जिसमें योजना (अंग्रेजी, +हिंदी और 11 अन्य भारतीय भाषाओं में), कुरुक्षेत्र (अंग्रेजी और हिंदी), बाल भारती (हिंदी), और आजकल (उर्दू और हिंदी) शामिल हें। + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +शीर्षक श्रेणी पुरस्कार +लोकतंत्र के स्वर-राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद सामान्य और व्यापार पुस्तकें (हिंदी) दूसरा +महात्मा गांधी: ए लाइफ भ्रू लेंस कला और कॉफी टेबल पुस्तके (अंग्रेजी) दूसरा +भारत के न्‍्यायालय- अतीत से वर्तमान तक | कला और कॉफी टेबल पुस्तके (क्षेत्रीय भाषाएं) (बांग्ला) प्रथम +मत्स्य कुमारी बच्चों की पुस्तकें (सामान्य रुचि) (0-10 वर्ष) (हिंदी) तीसरा +सत्याग्रह में महिलाएं बच्चों की पुस्तकें (सामान्य रुचि) (क्षेत्रीय भाषाएं) (गुजराती) प्रथम +आर्थिक सर्वेक्षण 2020-21 खंड-ा संदर्भ पुस्तकें (अंग्रेजी) तीसरा +कुरुक्षेत्र (सितंबर 2020) पत्रिकाएं और हाउस पत्रिकाएं (अंग्रेजी) तीसरा +योजना (जनवरी 2021) पत्रिकाएं और हाउस पत्रिकाएं (क्षेत्रीय भाषाएं) (पंजाबी) प्रथम + + + + + + + + + + + +खस्लमागांत्र 10४ ९ #करयआन'क ot hood Predera af] + + + + + +emcees se + +Sri + +(० ७ मै + + + +भारत सरकार को विदेश मत्रालय एवं शिक्षा मत्रालय में राज्य मंत्री डॉ राजकुमार रंजन सिह से पुरस्कार ग्रहण करती हुईं +प्रकाशन विभाग की अपर गह्ानिदेशक श्रीमती शुभा गुप्ता + + + + + + + +योजना, अक्टूबर 2021 57 + + + +0058.txt +<----------------------------------------------------------------------> +as wes + +__ सरदार wat + +भगाए स्वतंत्रता के 75 वर्ष मना रहा aera जौबनी coo, | tar fea ga we, waa oa FF +है। ऐसे में यह पुस्तक सरदार , #-| राष्ट्रीय और राजनीतिक सोच के आधार +पटेल के साहस, लगन और सकारात्मकता pee. पर बेहतर प्रणाली विकसित करने का मार्ग +की तस्वीर दर्शाती है। यह किताब पाठकों We Sal +को स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी यात्रा की भी यह किताब तस्‍वीरों के माध्यम से +याद दिलाती है। सरदार वल्‍लभभाई पटेल पटेल के जीवन के विभिन्न चरणों के +न सिर्फ जनता के बीच बेहद लोकप्रिय बारे में बताती है, मसलन उनके शुरुआती +थे, बल्कि कुशल राजनीतिज्ञ और सक्षम जीवन, कानूनी पेशा, बरदोली सत्याग्रह के +प्रशासक भी थे, जिन्होंने आजादी के बाद बाद का जीवन, स्वतंत्रता के बाद की +बनी नई सरकार की बड़ी-बड़ी चुनौतियों गतिविधि और देश को एकजुट करने से +से निपटने में सफलता हासिल की। उनका जुडे उनके कार्य आदि। +जन्म 31 अक्टूबर 1875 को हुआ था। राष्ट्र पुस्तक से लिए गए कुछ HT... +सेवा को समर्पित 33 वर्षों के दौरान उन्होंने मार्च 1932 से अप्रैल 1933 तक +कई बड़ी उपलब्धिया हासिल कीं। यह ४ गांधीजी ओर पटेल के जेल में साथ-साथ +किताब आजादी की लड़ाई के नायक और ॥ रहने के दिनों का दिलचस्प विवरण महादेव +राष्ट्रीय नेता सरदार वल्‍लभभाई पटेल के भाई ने दिया है। उन्होंने बताया है कि किस +जीवन के बारे में तस्वीरों के जरिये बयां तरह वल्लभभाई मां की तरह गांधीजी का +करती है, जो न सिर्फ स्वतंत्रता आंदोलन में संगठनकर्ता की भूमिका ख्याल रखते थे और किस तरह सबको हसाते रहते थे। गांधीजी +में थे, बल्कि स्वतंत्रता के बाद नए देश के निर्माणकर्ता भी थे। के शब्दों में- “मेरे कैंप में खास सुविधा प्राप्त विदूषक हैं। उनके +महात्मा गांधी ने उनके बारे में कहा था, “किसी भी तरह की अनायास किए गए मजाक मुझे हंसते-हंसते दोहरा कर देते हैं। उनकी +निराशा उन्हें लंबे समय तक उदास नहीं रख सकती और वह मुझे मौजूदगी में दुःख की मनहूसियत अपना मुंह छिपा लेती है। कितनी +लगातार दो मिनट तक भी उदास रहने नहीं देंगे।'” संसदीय गतिविधियों भी बड़ी निराशा उन्हें लंबे समय तक उदास नहीं रख सकती और वह +के शुरुआती दौर में सरदार पटेल का काम अमूल्य है, जिसके तहत मुझे भी दो मिनट के लिए भी उदास नहीं रहने देते। जेल से बाहर +उन्होंने प्रांतीय मंत्रालयों के कामकाज के लिए अखिल भारतीय ढांचा आने के बाद गांधीजी ने अपने प्रति सरदार पटेल की कोमल भावनाओं + + + + + + + + + + + + + + + + + +58 योजना, अक्टूबर 2021 + + + +0059.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + +परिचित था ही, लेकिन मुझे पता नहीं था कि उनमें मां जैसी खूबियां +भी हैं। मुझे जगा भी तकलीफ हो तो वह बिस्तर से उठ जाते थे। +मेरे आराम से जुड़ी हर बात पर पूरा ध्यान देते थे।'” लेकिन महात्मा +के प्रति प्रेम और वफादारी के बावजूद, जरूरी होने पर सरदार उनसे +असहमत भी हो सकते थे। उदाहरण के तौर पर, जब वललभभाई जेल +में थे तो गाधीजी की सहमति से गांधी विद्यापीठ के पुस्तकालय को +अहमदाबाद नगरपालिका को दे दिया गया था। वल्लभभाई ने 1934 +में जोर देकर इस पुस्तकालय को वापस विद्यापीठ को लौटाया। 1920 +के दशक में जब विद्यापीठ आर्थिक संकट से जूझ रहा था, उस समय +वल्लभभाई ने उसके लिए दस लाख रुपये जुटाए थे। विद्यापीठ गांवों +में सेवा करने को तत्पर युवाओं को प्रशिक्षित कर राष्ट्र की बहुमूल्य +सेवा कर रहा था। 1934 में सविनय अवज्ञा आंदोलन समाप्त हो जाने +के बाद, विद्यापीठ को पुनर्जीवित किया गया और वल्लभभाई इसके +कुलपति और गांधीजी के निधन के बाद कुलाधिपति बनाए गए। इस +तरह 1934 में वल्‍लभभाई ने जिस पुस्तकालय को बचा लिया, वह +आज अहमदाबाद के सबसे बडे पुस्तकालयों में एक है और यह +विद्यापीठ आज भी गांवों में काम करने के लिए सुप्रशिक्षित कार्यकर्ता +भेज रहा है। + +सरदार पटेल के जीवन का सबसे गौरवपूर्ण अध्याय तब शुरू +हुआ जब देश के प्रथम उपप्रधानमंत्री और गृहमंत्री के रूप में देश भर +में फैली 560 से ज्यादा रियासतों को भारतीय संघ में शामिल करने +की चुनौती उनके सामने आई। माउंटबेटन ने इस चुनौती के सिलसिले + +os +जि +आज़ादीका + +अमृत महोत्सव + +’ + + + +Cn! +i + + + + +‘ y ' 4 2 +| रे हु _ आन _— I +में उनसे कई बार चर्चा की थी। बाद में, माउंटबेटन ने लिखा, “हम +सभी खास तौर से 565 रियासतों के भविष्य को लेकर निरंतर संपर्क +में थे। ब्रिटिश सरकार ने मुझे निर्देश दिया था कि ब्रिटिश भारत की +सत्ता (राष्ट्रीय नेताओं को) सौंपे जाने पर इन रियासतों को भी उनकी +प्रभुसत्ता वापस मिल जाएगी। सिद्धांतत: इसका मतलब था कि भारतीय +उपमहाद्वीप में 565 स्वतंत्र संप्रभु देश बन जाएं... ऐसे कठिन दौर में +aera पटेल की उत्कृष्ट राजनैतिक प्रतिभा से ही इस समस्या +का समाधान निकल Aa’ + +सभी रियासतों के तत्कालीन सर्वोच्च ब्रिटिश सत्ता के साथ करार +थे और सभी रजवाड़े अपने अधिकारों और विशेषाधिकारों को कायम +रखना चाहते थे। विविध विचारों और व्यक्तियों वाले राजाओं के इस +हुजूम को उभरते नए भारत के अनुरूप ढालना बहुत बड़ा काम था। +सरदार पटेल ने इस रजवाड़ों को देशभक्ति की दुहाई दी और कहा, +“हम भारत के इतिहास के एक निर्णायक दौर में हैं। हम सब मिलकर +देश को महानता की नई ऊंचाइयों तक ले जा सकते हैं जबकि एकता +न रहने पर हमें नई विपत्तियों का सामना करना पड़ सकता है। मुझे +उम्मीद है कि भारतीय रियासतें इस बात को समझ लेंगी कि सभी +के काम में आपसी सहयोग से नहीं चलने और एकदम जरूरी साझा +जिम्मेदारियों को साथ नहीं निभाने का एकमात्र नतीजा ऐसी अराजकता +और गड़बड़ी में होगा जिसमें बडे-छोटे सब बरबाद हो जाएंगे।'' + +15 अक्टूबर 1950 को दिल का दौरा पड़ने से सरदार पटेल +का निधन हो गया। कृतज्ञ राष्ट्र ने 1991 में उन्हें मरणोपरांत देश के +सर्वोच्च सम्मान ' भारत रत्न' से विभूषित किया। | + +AIR का aya Teresa 4 Fest sea fHaral & fee, www.publicationsdivision.nic.in पर जाएं। + + + +योजना, अक्टूबर 2021 + +59 + + + + + + + +0060.txt +<----------------------------------------------------------------------> +$ एड भारत श्रेष्ठ भारत' कार्यक्रम का उद्देश्य राज्य/केंद्रशासित +प्रदेश की जोडियां बनाकर अलग-अलग राज्यों/केंद्रशासित + +प्रदेशों के लोगों के बीच आपसी संवाद और तालमेल को बढ़ावा देना +है। इसके तहत राज्य ऐसी गतिविधियों को अंजाम देते हैं, ताकि उनके +बीच भाषा, संस्कृति, परंपराओं और संगीत, पर्यटन व खान-पान, खेल +आदि के बारे में जानकारी का आदान-प्रदान हो सके। + +भारत एक अनोखा देश है, जिसका ताना-बाना विभिन्न भाषाई, +सांस्कृतिक और धार्मिक पहलुओं थागों से बुना हुआ है। हालांकि, इन +तमाम विभिन्नताओं के बावजूद हमारी राष्ट्रीय पहचान एक है। हमारे +पास सांस्कृतिक विकास की भी समृद्ध विरासत रही है। स्वतंत्रता +संग्राम का इतिहास भी इस बारे में काफी कुछ बताता है जो अहिसा +और न्याय के सिद्धांतों पर आधारित am + +आपसी तालमेल की भावना और हमारी साझा विरासत की वजह +से विभिन्नता में एकता स्थापित करने में मदद मिली है। इस आधार +पर ही राष्ट्रवाद की मशाल जल रही है जिसे भविष्य में और मजबूती +प्रदान करने की जुरूरत है। + +समय और तकनीक की वजह से संचार और संपर्क के मामले +में दूरियां कम हुई हैं। बेहतर संचार और संपर्क के इस दौर में +अलग-अलग क्षेत्रों के लोगों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान जरूरी +है, ताकि राष्ट्र-निर्माण के लिए मानवीय संपर्कों को मजबूत किया जा +सके। आपसी तालमेल और भरोसे की बुनियाद पर ही देश को मजबूत +बनाया जा सकता है। देश के सभी क्षेत्रों के नागरिकों को सांस्कृतिक + + + +(oD Up ura Sy ured +a ot + +तौर पर एकजुट महसूस करना चाहिए। उदाहरण के तौर पर, पूर्वोत्तर + +राज्यों के छात्र-छात्राओं को “अजनबी जमीन पर अजनबी' की तरह + +महसूस नहीं करना चाहिए या उत्तराखंड के किसी व्यक्ति को केरल +में बाहरी जैसा महसूस नहीं होना चाहिए। +“एक भारत श्रेष्ठ भारत! के लक्ष्य कुछ इस तरह हैं: + +* विभिन्नता में एकता के हमारे देश के मंत्र को आत्मसात करना +और देश के लोगों के बीच भावनात्मक संबंधों के मौजूदा ढांचे +को और मजबूत करना; + +* सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के बीच गहरा जुड़ाव +स्थापित कर राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देना। इसके लिए, राज्यों +के बीच योजनाबद्ध तरीके से साल भर जुड़ाव अभियान चलाने +की बात हे; + +* अलग-अलग राज्य की समृद्ध विरासत और पंरपराओं को +दिखाना, ताकि लोग भारत की विभिन्नता को समझते हुए एक +आम पहचान की भावना विकसित कर सकें; + +* दीर्घकालिक जुड़ाव स्थापित करना और + +* ऐसा माहौल तैयार करना जिसमें राज्य एक-दूसरे के बेहतर + +८ तोर-तरीकों और अनुभवों से सीख सके। +अलग-अलग राज्यों और केद्रशासित प्रदेशों के बीच +आपसी संवाद और आदान-प्रदान के जरिये सांस्कृतिक + +# विविधता का जश्न मनाया जाना चाहिए, ताकि पूरे + +देश में सामूहिक तौर पर एकता की भावना विकसित + +है हो सके। किसी एक राज्य या केद्रशासित प्रदेश का + +m किसी दूसरे राज्य/केंद्रशासित प्रदेश के साथ, एक खास + +अवधि के लिए जोड़ा बनाया जाता है। इस दौरान, ये + +राज्य एक-दूसरे के साथ भाषा, साहित्य, खान-पान, + +” त्योहार, सांस्कृतिक गतिविधियों, पर्यटन आदि के बारे + +में जानकारी का आदान-प्रदान करते हैं। राज्य/केंद्रशासित + +प्रदेश एक-दूसरे के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर करते हैं। +इसके तहत राज्यों के बीच उन गतिविधियों पर सहमति +बनती है, जिन्हें दोनों मिलकर अंजाम देंगे। आपसी +सलाह-मशवरे के जरिये हर जोड़े के लिए गतिविधि +संबंधी कैलेंडर बनाया जाता है, जिससे आपसी जुड़ाव +की प्रक्रिया का मार्ग प्रशस्त होता है। राज्यों की हर जोड़ी +के अलग-अलग लोगों के बीच सांस्कृतिक स्तर पर इस +तरह का संवाद वहां की अलग-अलग आबादी के बीच +आपसी तालमेल और सौहार्द को बढ़ाता है। इस तरह, +देश की एकता के लिए बेहतर और अनुकूल माहौल +तैयार होता है। = + +योजना, अक्टूबर 2021 + + + +0061.txt +<----------------------------------------------------------------------> +ae इंटेलिजेंस (एआई) या कृत्रिम मेधा प्रौद्योगिकियां +मानव इतिहास में परिवर्तन के सबसे शक्तिशाली जरिया +बनने की ओर अग्रसर हैं। एआई वैश्विक आर्थिक और तकनीकी +परिदृश्य के साथ-साथ हमारे दैनिक जीवन के हर पहलू को नया +आकार देगा। +स्वास्थ्य देखभाल + +एआई का दायरा दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। यह वही करता +है जो मनुष्य कर सकता है, लेकिन कम समय लेता है और कम +लागत पर इसे अधिक कुशलतापूर्वक करता है। इसकी एक बेहतरीन +तकनीक है जिसके माध्यम से यह स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में +रोगियों को ज्यादातर भाग में डॉक्टर के बिना लंबे समय तक जीवित +रहने में मदद करता है। ऐसे ही कई अन्य विभिन्न अनुप्रयोग हैं +जो एक स्वस्थ दिनचर्या का प्रबंधन करने और मानव के व्यवहार +पैटर्न को नियंत्रित रखने में मदद करते हैं। इतना ही नहीं, वे विभिन्न +लक्षणों की निगरानी, आपातकालीन देखभाल में सहायता के माध्यम +से बीमारियों का पता शुरुआती चरणों में ही लगाने में मदद करते हैं। + +इसके अलावा, रोबोटिक्स एक ऐसी शाखा है जिसका उपयोग +अब स्वास्थ्य सेवा में किया जाने लगा है क्‍योंकि रोबोट कठिन +और सटीक-आवश्यक सर्जरी में डॉक्टरों की मदद कर रहे हैं। +ये रोबोटिक्स पुनर्वास केद्रों में भी व्यायाम और उपचार के साथ +व्यक्तियों की सहायता करते हैं। एआई के कारण अनुसंधान क्षेत्र में +हालिया विकास देखा जा सकता है, क्‍योंकि इसे सही दिशा में लागू +करने से समय और जीवन की बचत के साथ-साथ क्षेत्र में लागत +और मानवशक्ति में कटौती होती है। कुछ मशीन लर्निंग तकनीकों +ने ऐसे एल्गोरिदम के निर्माण में सहायता प्रदान की है जो मानव +मस्तिष्क की तरह ही कार्य कर सकते हैं। +शिक्षा + +एआई यानी कृत्रिम मेथा शिक्षा क्षेत्र को कई तरह से मदद +करता है। यह शिक्षकों और विद्यार्थियों को कम समय में अधिक + + + +कृत्रिम मेधा ( आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ) और मशीन लर्निंग + + + +से अधिक सीखने की सुविधा देता है। कुछ अनुप्रयोग ऐसे हैं जो +विद्यार्थी-केंद्रित दृष्टिकोण के साथ प्रश्न पत्रों के अच्छे संयोजन +तैयार करने में मदद करते हैं, प्रत्येक विद्यार्थी पर व्यक्तिगत रूप +से ध्यान केंद्रित करते हैं, इसलिए शिक्षक के समय और अतिरिक्त +प्रयास को भी बचाते हैं। एआई प्रत्येक छात्र के लिए व्यक्तिगत +सामग्री उत्पन्न करने के लिए पर्याप्त स्मार्ट है ताकि उनकी शिक्षा +तेजु और आसान हो जाए। स्किल मैपिंग से विद्यार्थियों को यह +समझने में मदद मिलती है कि उन्हें किन क्षेत्रों में अधिक मेहनत +करनी है। माइक्रोलर्निंग विशेष कौशल या क्षेत्र प्रदान करता है जिसे +और बारीकी से समझने की आवश्यकता है। इसके अलावा, यह +एक 2457 उपलब्ध प्लेटफॉर्म है, जो विद्यार्थियों को दिन के किसी +भी समय, कुछ ही क्लिक के साथ अपनी पढ़ाई पर वापस जाने + +में मदद करता है। + +एयरलाइंस उद्योग +एआई राजस्व के प्रबंधन में मदद करता है क्योंकि यह यह +समझने के लिए आवश्यक विश्लेषण प्रदान करता है कि लक्षित +व्यक्तियों को सेवा या उत्पाद केसे बेचा जाता है, उन्हें समय पर +बजट के अनुकूल उत्पाद प्रदान करता है। एआई विमानन सेवाओं +में भी ग्राहक-केंद्रित दृष्टिकोण में मदद करता है, क्योंकि विमान +यात्रियों को अपनी यात्रा के दौरान देरी या अन्य मुद्दों का सामना +करना पडता है, जिसे उनके अनुप्रयोगों में संग्रहीत पूर्वानुमानित +डेटा और विश्लेषण द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है। यह एक +अच्छा उड़ान अनुभव सुनिश्चित करता है और लगातार तकनीकी +सहायता प्रदान करता है। इसके अलावा विभिन्न प्रश्न और निर्णय +जैसे कि कौन सा मार्ग लेना है आदि भी एआई और मशीन +लर्निंग की मदद से आसान हो जाते हैं। कुल मिलाकर, एआई +द्वारा प्रदान किए गए विश्लेषणों के कारण अच्छी ग्राहक सेवा +की बेहतर संभावना बन जाती है। = +Cafe aiff grt wate) + + + +योजना, अक्टूबर 2021 + +61 + + + + + +0062.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +. Gs राजभाषा समिति की दूसरी उपसमिति की संयोजक + +व सांसद प्रोफेसर रीता बहुगुणा जोशी ने प्रकाशन विभाग +की विभिन्‍न पुस्तकों, विशेष रूप से गांधी साहित्य के अंतर्गत +संपूर्ण गांधी वाइमय और कलेक्टेड वर्क्स ऑफ महात्मा गांधी +तथा इनके ई-संस्करण की प्रशंसा की है। 9 सितम्बर को प्रकाशन +विभाग में राजभाषा के संदर्भ में आजादी का अमृत महोत्सव पर +एकदिवसीय कार्यशाला को वर्चुअल यानी आभासी रूप से संबोधित +करते हुए श्रीमती जोशी ने प्रकाशन विभाग की विभिन्‍न पुस्तकों +के अलावा पत्रिकाओं- योजना, कुरुक्षेत्र आजकल, बाल भारती +की सराहना की। राजभाषा संबंधी महत्वपूर्ण संवैधानिक उपबंधों + +कार्यशाला को वर्चुअल यानी आभधासी रूप से संबोधित करते हुए प्रोफेसर रीवा बहुगुणा जोशी + + + + + +के अंतर्गत विनिर्दिष्ट अनुच्छेद-343 से अनुच्छेद-351 तक का +अनुपालन सुनिश्चित किया जाना चाहिए। साथ ही श्रीमती जोशी ने +राजभाषा अधिनियम 1963 (यथासंशोधित 1967) की धारा 3(3) +का अनिवार्य रूप से पालन करते हुए जारी होने वाले 14 प्रकार के +महत्वपूर्ण दस्तावेजों जैसे संकल्प, सामान्य आदेश, नियम, अधिसूचना, +आदेश आदि को अनिवार्यत: द्विभाषी जारी करने पर जोर देते हुए इन +दस्तावेजों पर हस्ताक्षरकर्ता की जिम्मेदारी सुनिश्चित करने की सलाह +भी दी। श्रीमती जोशी ने अधिक-से-अधिक सरकारी काम-काज +हिंदी में करने के लिए प्रकाशन विभाग के उच्च अधिकारियों को +स्वयं पहल करने की सलाह दी ताकि हिंदी के कार्य को बढ़ावा और +प्रोत्साहन मिल सके। + + + +की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि संघ की राजभाषा नीति + +a + + + +प्रकाशन विभाग की गहानिदेशक सुश्री मोनीदीपा मुखर्जी को साथ संसदीय राजभाषा समिति की +दूसरी उपसमिति के प्रतिनिधि और विभाग को अधिकारीगण + +62 + +संसदीय राजभाषा समिति की +दूसरी उपसमिति के अवर सचिव +डॉ आर एल मीणा, अनुसंधान +अधिकारी श्री कमल स्वरूप और +संयोजक के निजी सचिव श्री कविश +शर्मा ने भी कार्यशाला को संबोधित +किया। इस अवसर पर लघु प्रश्नोत्तरी +का आयोजन भी किया गया। +गृह मंत्रालय में सदस्य (राजभाषा) +श्री वी पी सिंह ने भी वर्चुअल रूप +से कार्यशाला को संबोधित किया। +इस अवसर पर योजना (हिंदी) और +कुरुक्षेत्र (हिंदी) के सितम्बर अंकों +का विमोचन भी किया गया। बन + +योजना, अक्टूबर 2021 + + + +0063.txt +<----------------------------------------------------------------------> +os +जि +आज़ादीका + +अमृत महोत्सव + + + +योजना - सही विकल्प + +बहुविकल्प प्रश्नों का स्तंभ “योजना-सही विकल्प' में चार विकल्पों में से कोई एक विकल्प सही है। इस +माह योजना-सही विकल्प महात्मा गांधी को समर्पित है। यदि उत्तर समझ न आए तो “योजना' को उलट + + + +कर सही उत्तर जाना जा सकता है। + +. “आने वाली पीढ़ियां शायद ही इस बात पर विश्वास करेंगी +कि हाड़-मांस का ऐसा भी कोई इंसान कभी इस धरती +पर आया था”', महात्मा गांधी के लिए यह शब्द किसने +कहे थे? + +प्रवासी भारतीय दिवस (एनआरआई दिवस ) 1915 में +महात्मा गांधी की दक्षिण अफ्रीका से भारत वापसी की याद +में मनाया जाता है। यह किस दिन मनाया जाता है? + +क) 30 जनवरी + +क) जवाहर लाल नेहरू ख) 9 जनवरी +ख) मार्टिन लूथर जूनियर ग) 31 जनवरी +ग) जॉर्ज ऑरवेल घ) 26 जनवरी +घ) अल्बर्ट आइंस्टीन + +. जातीय भेदभाव का विरोध करने के लिए महात्मा गांधी ने + +जालियांवाला बाग हत्याकांड के विरोध में महात्मा गांधी ने +कौन-सा पुरस्कार लौटाया था? + +दक्षिण अफ्रीका में विरोध का कौन-सा तरीका अपनाया? क) केसर-ए-हिंद +क) सत्याग्रह ख) नाइट की पदवी +ख) सशस्त्र क्रांति ग) हिंद केसरी + +ग) करो या मरो घ) राय बहादुर + +घ) भारत छोडो + +. महात्मा गांधी की हत्या कब हुई थी? + +महात्मा गांधी किस वर्ष भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष +बने? + +क) 15 अगस्त 1947 क) 1924 +ख) 6 जनवरी 1950 ख) 1919 +ग) 30 जनवरी 1948 ग) 1947 +घ) 2 अक्टूबर 1950 घ) 1932 + +. महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता की उपाधि किसने प्रदान की? + +महात्मा गांधी की हत्या किस शहर में हुई थी? + +क) सरदार पटेल क) नागपुर + +ख) लॉर्ड माउंटबेटन ख) नई दिल्‍ली + +ग) रानी विक्टोरिया ग) अहमदाबाद + +घ) नेताजी सुभाष चंद्र बोस घ) कोलकाता + +. महात्मा गांधी पहली बार भारतीय मुद्रा में किस वर्ष प्रकट 10. महात्मा गांधी किस वर्ष दक्षिण अफ्रीका से लौटे थे? + +हुए थे? क) 1930 + +क) 1947 ख) 1929 + +ख) 1950 ग) 1910 + +ग) 1969 घ) 1915 + +घ) 1975 + + + +& 0 & 6 “4 8 % ८ & 9 1 '५ ७६ ४ 1 ६ ५६ 'ट ४७ '[ + ०६ [डे + +योजना, अक्टूबर 2021 + +63 + + + +0064.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + + + + + +. Sag +गांधी साहित्य आज़ादीका + +अमृत महोत्सव +के अग्रणी प्रकाशक + +i या फफत नल. + +heaton + +४ पूरी परिमल : + +कु 2 +ir +7 +a + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + + +aaah : : +2 ~ जि ote Famine = पा : +गांधी ore का है! | +Hook Se 2 +L ee | +. r +: tote Sg +tenth — Malatinas.., +~ | — " +& 171 Reumon Bollsod etal rm 1K sien ip : 0 omc +oat ele qwerty + + + + + + + + + + + +दाह + + + +COLLECTED: | m +WORKS — +ns ont +MAHATMA w : +GANDHI VARATMA चुनिंदा ई' बुक +का oa GANDHI एमेज़ॉन और गूगल प्ले + +पर उपलब्ध + + + +- Lp +ef” +प्रकाशन विभाग +सूचना और प्रसारण मत्रालय, भारत सरकार +हमारी पुस्तकें ऑनलाइन खरीदने के लिए कृपया छथ्न.014/910051.00५.1 पर जाएं। + +ऑर्डर के लिए कृपया संपर्क करें : फोन : 011-24365609, ई-मेल : 0५॥1889070(60791.00॥ +बेवसाइट : www.publicationsdivision.nic.in + +(al /dpd_india Ww @DPD_India Fi /publicationsdivision + + + + + + + + + +64 + +योजना, अक्टूबर 2021 + + + +0065.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +a + + + + + + + + + + + + + + + +es Kurukshetra BR i a eects ote) +योजना | LB प्रकाशन विभाग 1 कुरुक्षेत्र +विकास को समर्पित मासिक । ‘al ge] Go एवं प्रसारण मंत्रालय 1 ग्रामीण विकास पर मासिक +(हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू व 10 अन्य भारतीय भाषाओं में) ! का भारत सरकार ! (हिंदी और अंग्रेजी) +आजकल | रोजगार समाचार! बाल भारती +साहित्य एवं संस्कृति का मासिक । साप्ताहिक 1 बच्चों की मासिक पत्रिका +(हिंदी तथा उर्दू) ! (हिंदी, अंग्रेजी तथा उर्दू) ! (हिंदी) + +घर पर हमारी पत्रिकाएं मंगाना है काफी आसान... + +आपको सिफ नीचे दिए गए 'भारत कोश' के लिंक पर जा कर पत्रिका के लिए ऑनलाइन डिजिटल भुगतान करना है- +https://bharatkosh. gov.in/Product/Product + + + + + + + + + + + +सदस्यता दरें +योजना, करुक्षेत्र, सदस्यता शुल्क में रजिस्टर्ड डाक का शुल्क भी +| प्लान | 3 बाल भारती रोज़गार समाचार >> 3 + +आजकल (सभी भाषा) शामिल है। कोविड-19 महामारी के मद्देनज़र +वर्ष रजिस्टर्ड डाक रजिस्टर्ड डाक | मुद्रित प्रति (साधारण डाक) | ई-संस्करण | नए ग्राहकों को अब रोज़गार समाचार के +1 ₹ 434 ₹ 364 ₹ 530 ₹ 400. | अलावा सभी पत्रिकाएं केवल रजिस्टर्ड +2 ₹ 838 ₹ 708 ₹ 1000 ₹750 | डाक से ही भेजी जाएंगी। पुराने ग्राहकों के + +3 ₹ 1222 ₹ 1032 ₹ 1400 ₹ 1050 | लिए मौजूदा व्यवस्था बनी रहेगी। + + + + + + + + + + + + + + + + + +ऑनलाइन के अलावा आप डाक द्वारा डिमांड ड्राफ्ट, भारतीय पोस्टल आर्डर या मनीआर्डर से भी प्लान के अनुसार निर्धारित राशि भेज सकते हैं| डिमांड ड्राफ्ट, +भारतीय पोस्टल ऑडर या मनीआर्डर 'अपर महानिदेशक, प्रकाशन विभाग, सचना एवं प्रसारण मंत्रालय” के पक्ष में नई दिल्‍ली में देय होना चाहिए| +रोज़गार समाचार की 6 माह की सदस्यता का प्लान भी उपलब्ध है, प्रिंट संस्करण रु, 265/-, ई-संस्करण रु. 200/-, कपया ऑनलान भगतान के लिए +https://eneversion.nic.in/membership/login लिंक पर जाएं। डिमांड Erg! ‘Employment News के पक्ष में नई दिल्‍ली में देय होना चाहिए] +अपने डीडी, पोस्टल आर्डर या मनीआर्डर के साथ नीचे दिया गया 'सदस्यता कृपन” या उसकी फोटो कॉपी में सभी विवरण भरकर हमें भेजे। भेजने का पता है. +संपादक, पत्रिका एकांश, प्रकाशन विभाग, कक्ष सं. 779, सूचना भवन, सीजीओ कॉम्प्लेक्स, लोधी रोड, नई दिल्‍ली-110003. +अधिक जानकारी के लिए इमेल करें- pdjucir@gmail.com +हमसे संपर्क करें- फोन: 011-24367453, (सोमवार से शुक्रवार सभी कार्य दिवस पर प्रात: साढ़े नौ बजे से शाम छह बजे तक) + +कृपया नोट करें कि पत्रिका भेजने में, सदस्यता शुल्क प्राप्त होने के बाद कम से कम आठ सप्ताह लगते हैं, +कृपया इतने समय प्रतीक्षा करें और पत्रिका न मिलने की शिकायत इस अवधि के बाद करें। + +GE nnn nena nnn nnn GR nnn nnn nnn HE nnn nnn HE ce nec +कृपया मुझे 1/2/3 वर्ष के प्लान TT cc cccecccssessssssssesssssessssssneecsssseessssseeesees पत्रिका ....................- भाषा में भेजें। +नाम ( साफ व बड़े अक्षरों में ) ..................-------न«_नननन-नननननननननननननननन नमन न नग्न नननन नि नननन न ननननननि न +पता : ................----०+«>-नननन-न-ननननननिननननिननननिननननननननननननननननननन नितिन ननिननिननिनननिननिननिननिननिनन तन नन नितिन निनिननिननिननिननिननिनननननन +हनन ननिन मनन न नननभननननन न भनन लत नितिन निभाना भननन न जिला .................-००>न्‍्नन्‍नननननननतत>» पिन ५..५५०००-न्‍>नननननननननन- +ईमेल .......................------«+>>_-_-_ननिनननननननिननिनननननिननननन न मोबाइल नं. ..........................-------न्‍_-___नन_ननननननननन- +डीडी/पीओ/एमओ सं. ....................................--------------------- दिनांक ........................-- सदस्यता सं. ........................... + +योजना, अक्टूबर 2021 65 + + + +0066.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + + + +7 fairer +सूचना और प्रसारण मंत्रालय +भारत सरकार + +देश के सबसे Fy ASL प्रकाशन समूह संग ब्यापार का अवधच्चर +हमारी लोकप्रिय पत्रिकाओं ओर साप्ताहिक रोज़गार समाचार की विपणन एजेंसी +लेकर सुनिश्चित करें आकर्षक नियमित आय + +असीमित लाभ Ihe me (eb cee स्थापित ब्रांड का साथ +पहले दिन से आमदनी न्यूनतम निवेश-अधिकतम लाभ + +रोज़गार समाचार के एजेंसी धारकों के लिए लाभ मासिक पत्रिकाओं के एजेंसी धारकों के लिए लाभ + +Se + +1001-2000 SE + + + +विपणन एजेंसी पाना बेहद आसान +० किसी शेक्षणिक योग्यता की बाध्यता नहीं + +० कोर व्यावसायिक अनुभव जरूरी नहीं +० खरीद का न्यूनतम तीन गुना निवेश (पत्रिकाओं हेतु) अपेक्षित + + + + + + + + + + + +e रोज़गार समाचार "० पत्रिका एकक न. +ब TAI: 011-24365610 ७ ० S-Aet: pdjucir@gmail.com ७ +* ई-मेलः sec-circulation-moib@gov.in . ° tala: 011-24367453 e° + + + + + + + + + + + +पत्र भेजें : रोज़गार समाचार, कक्ष संख्या-779, 7वां तल, सूचना भवन, लोधी रोड, नई दिल्‍ली-110003 + + + +66 योजना, अक्टूबर 2021 + + + +0067.txt +<----------------------------------------------------------------------> + + +a अनुसंधान संगठन (18२0-इसरो) की स्थापना ऐ (05708 +के स्थान पर की गई थी। तब से आज तक इसरो ने अंतरिक्ष को +आम आदमी की सेवा में समर्पित अपने मिशन को बरकरार रखा है। +इस प्रक्रिया में, यह दुनिया की छह सबसे बड़ी अंतरिक्ष एजेंसियों +में से एक बन गई है। भारत संचार उपग्रहों (इनसैट) और रिमोट +सेंसिंग (आईआरएस) उपग्रहों के सबसे बडे बेडे में से एक का + +रखरखाव करता है, जो क्रमश: तेज और विश्वसनीय संचार और पृथ्वी +अवलोकन की बढती मांग को पूरा करता है। + +भविष्य की तैयारी प्रौद्योगिकी में बढ़त बनाए रखने की कुजी हे +और इसरो देश की जरूरतों और महत्वाकांक्षाओं के विकसित होने के +साथ-साथ अपनी प्रौद्योगिकियों को अनुकूलित करने और बढ़ाने का +प्रयास कर रहा है। इस प्रकार, देश भारी लिफ्ट लांचर, मानव अंतरिक्ष +उड़ान परियोजनाओं , पुनः प्रयोज्य प्रक्षेपण वाहनों, अर्थ-क्रायोजेनिक + +oa) a +इंजन, सिंगल और टू-स्टेज टू ऑर्बिट (एसएसटीओ और टीएसटीओ) +वाहनों के विकास, अंतरिक्ष के लिए मिश्रित सामग्री के विकास और +उपयोग आदि के साथ आगे बढ़ रहा है। + +ऑरबिंटर, लैंडर और रोवर से युक्त देश में ही विकसित +चंद्रयान-2 अंतरिक्ष यान को 22 जुलाई 2019 को स्वदेशी भूस्थिर +उपग्रह प्रक्षेपण यान-जिओ सिंक्रोनाइजु लॉन्च व्हीकल-जीएसएलवी +मार्क-3-एम-1 (60७० शा ता-५1) मिशन पर सफलतापूर्वक +लॉन्च किया गया था। यह यान 20 अगस्त 2019 को सफलतापूर्वक +चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर गया। लैंडर “'विक्रम' को योजना के +अनुसार, 2 सितंबर 2019 को ऑ्बिटर से अलग कर दिया गया +था। दो सफल डी-ऑर्बिटिंग अभ्यास के बाद, चंद्रमा की सतह पर +सॉफ्ट लैंडिंग कराने के लिए लैंडर से 7 सितंबर 2019 को कार्य +लिया गया था। + +x +Ptr ee i Saad + +Pe ee बा 5 18] +| + +andi + + + + + +0068.txt +<----------------------------------------------------------------------> +रजि.सं., डी.एल.(एस)-05/3231/2021-23 + + + + + +Reg. No. DL(S)-05/3231/2021-23 at RMS, Delhi Licenced under U (DN)-55/2021-23 +eg. No. - -23 a , Delhi +28 सितम्बर, 2021 को प्रकाशित आर,.एन.आई. 951/57 +« 2-3 अक्टूबर, 2021 को डाक द्वारा जारी RN 951/57 +Tiago +; आज़ादी का +अब प्रिंट और ई-बुक संस्करण उपलब्ध है अमृत महोत्सव + + + +90 MSSM ost + +Celebrating his Centenary + +Pe aE ee De Bebo ih lel + + + +Ee ad + +मूल्य >₹ 31ए +पंडित मीमसेन जोशी +सैलित्रेटिंग हिज deat + +आज ही नजदीकी पुस्तक pa से खरीदें + +Ed +Od +प्रकाशन विभाग +सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, मास्त सरकार + +हमारी Gard atrarga wih @ fay goa www.bharatkosh.gov.in oT we | +ऑर्डर के लिए कृपया रांपर्क करें ; फोन ; 011-24967609, ई-मेल ¢ businesswag@amail.com +बंबंसाई 6 : waaw.publicationsdivision.nic.in + + + +fol fdpd_india WF @OPD_Inda Fi {pubtcatonsdivision + + + + + + + + + +प्रकाशक व मुद्रक : मोनीदीपा मुखर्जी, महानिदेशक, प्रकाशन विभाग, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ( भारत सरकार ) द्वारा + +प्रकाशन विभाग के लिए चन्दु प्रेस, डी-97 , शकरपुर, दिलली-110092 द्वारा मुद्रित एवं प्रकाशन विभाग, सूचना भवन, +सी.जी.ओ. परिसर, लोधी रोड, नई दिल्‍ली-110003 से प्रकाशित। वरिष्ठ संपादक : कुलश्रेष्ठ कमल + + + + + + + + + + diff --git a/Data Collected/Telugu/Yojana_Telugu.zip b/Data Collected/Telugu/Yojana_Telugu.zip new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..81db31461f46dcc4895a7d64e81ea01a34d8e1d8 Binary files /dev/null and b/Data Collected/Telugu/Yojana_Telugu.zip differ diff --git a/Data Collected/Urdu/Yojana_Urdu.zip b/Data Collected/Urdu/Yojana_Urdu.zip new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..3122c1597048d53ce4c072524c86671e356a9324 Binary files /dev/null and b/Data Collected/Urdu/Yojana_Urdu.zip differ