Commit 513ae3b1 authored by Nayan Ranjan Paul's avatar Nayan Ranjan Paul

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महामारी के दौरान सामाजिक सेवाओं पर सरकारी व्यय में महत्वपूर्ण वृद्धि ।
बजट अनुमान 2021-22 सरकार के सामाजिक सेवा क्षेत्र के आवंटन में 9.8 प्रतिशत की वृद्धि दिखाता है ।
2021-22 में स्वास्थ्य व्यय आवंटन में 73 प्रतिशत की वृद्धि; शिक्षा में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी ।
जल जीवन मिशन के अंतर्गत 19/01/2022 तक 8 लाख से अधिक स्कूलों को नल से जल की आपूर्ति की गई ।
2019-20 में प्राथमिक, उच्च प्राथमिक तथा माध्यमिक स्तर पर पढ़ाई छोड़ने की दर में गिरावट ।
2019-20 में स्कूलों में 26.45 करोड़ बच्चों का नामांकन; पिछले वर्षों में सकल नामांकन अनुपात में गिरावट की प्रवृत्ति में कमी आई है ।
शिक्षा की स्थिति पर वार्षिक रिपोर्ट 2021 अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों के निजी से सरकारी स्कूलों में जाने का बदलाव दिखा ।
वर्ष 2021-22 की आर्थिक समीक्षा के अनुसार महामारी के दौरान सामाजिक सेवाओं पर सरकार के खर्च में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है ।
केन्‍द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज संसद में आर्थिक समीक्षा 2021-22 पेश की ।
2020-21 की तुलना में वर्ष 2021-22 में सामाजिक सेवा क्षेत्र के व्यय आवंटन में 9.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई ।
सामाजिक क्षेत्र व्यय
आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि केन्द्र तथा राज्य सरकारों ने 2021-22 (बजट अनुमान) में सामाजिक सेवा क्षेत्र पर खर्च के लिए कुल 71.61 लाख करोड़ रुपये निर्धारित किए थे ।
पिछले वर्ष (2020-21) का संशोधित व्यय बजट राशि से बढ़कर 54,000 करोड़ रुपये हो गया ।
आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि 2021-22 (संशोधित अनुमान) में इस क्षेत्र के कोषों में सकल घरेलू उत्पाद का 8.6 प्रतिशत बढ़ा, जबकि 2020-21 (बजट अनुमान) में यह 8.3 प्रतिशत थी ।
पिछले पांच वर्षों के दौरान कुल सरकारी व्यय में सामाजिक सेवाओं का हिस्सा लगभग 25 प्रतिशत रहा ।
यह 2021-22 (बजट अनुमान) में 26.6 प्रतिशत था ।
आर्थिक समीक्षा में यह भी कहा गया है कि स्वास्थ्य क्षेत्र में व्यय 2019-20 के 2.73 लाख करोड़ रुपये की तुलना में 2021-22 (बजट अनुमान) में बढ़कर 4.72 लाख करोड़ रुपये हो गया ।
इस तरह इसमें लगभग 73 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई ।
समीक्षा में कहा गया है कि शिक्षा क्षेत्र के लिए समान अवधि में यह वृद्धि 20 प्रतिशत की रही ।
शिक्षा
महामारी पूर्व वर्ष 2019-20 जिसके लिए डाटा उपलब्ध है, के मूल्यांकन से पता चलता है कि प्राथमिक तथा उच्च प्राथमिक को छोड़कर 2018-19 और 2019-20 के बीच मान्यता प्राप्त स्कूलों और कॉलेजों की संख्या बढ़ी है ।
जल जीवन मिशन के अंतर्गत स्कूलों में पेय जल तथा स्वच्छता, स्वच्छ भारत मिशन तथा समग्र शिक्षा योजना के अंतर्गत प्राथमिकता दिए जाने से आवश्यक संसाधन प्रदान किए गए और स्कूलों में परिसंपत्ति का सृजन हुआ ।
जल जीवन मिशन के अंतर्गत 19/01/2022 तक 8,39,443 स्कूलों को नल से जल आपूर्ति की गई ।
2012-13 से 2019-20 तक निरंतर रूप से सभी स्तरों पर शिक्षकों की उपलब्धता में सुधार हुआ है ।
आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि वर्ष 2019-20 में प्राथमिक, उच्च प्राथमिक तथा माध्यमिक स्तर पर पढ़ाई छोड़ने की दर में गिरावट आई ।
2019-20 में प्राथमिक स्तर पर बीच में पढ़ाई छोड़ने का प्रतिशत 1.45 प्रतिशत रहा, जबकि यह 2018-19 में 4.45 प्रतिशत था ।
यह गिरावट लड़कों और लड़कियों दोनों के लिए रही ।
इस गिरावट से पिछले दो वर्षों में पढ़ाई छोड़ने के प्रतिशत में वृद्धि की प्रवृत्ति के विपरीत है ।
आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि वर्ष 2019-20 में सभी स्तरों पर सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) और लैंगिक समानता में भी सुधार हुआ ।
वर्ष 2019-20 में स्कूलों में 26.45 करोड़ बच्चों का नामांकन हुआ ।
इससे 2016-17 और 2018-19 के बीच जीईआर में गिरावट की प्रवृत्ति में कमी लाने में मदद मिली ।
वर्ष के दौरान स्कूलों में लगभग 42 लाख अतिरिक्त बच्चों का नामांकन किया गया, जिसमें से 26 लाख बच्चे प्राथमिक से उच्च माध्यमिक स्तर के थे और एजुकेशन प्लस (यूडीआईएसएफ+) के लिए एकीकृत जिला सूचना प्रणाली के अनुसार पूर्व प्राथमिक में 16 लाख बच्चों का नामांकन किया गया ।
2019-20 में उच्च शिक्षा में कुल नामांकन अनुपात 27.1 प्रतिशत रहा, जोकि 2018-19 के 26.3 प्रतिशत से थोड़ा अधिक है ।
आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि सरकार ने उच्च शिक्षा इको-सिस्टम को क्रांतिकारी बनाने के लिए अनेक कदम उठाए हैं इन कदमों में नेशनल एप्रेंटिसशिप ट्रेनिंग योजना में संशोधन, एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट, ई-पीजी पाठशाला, उन्नत भारत अभियान तथा कमजोर वर्गों के लिए छात्रवृत्ति शामिल हैं ।
आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि शिक्षा प्रणाली पर महामारी का महत्वपूर्ण असर हुआ, जिससे भारत के स्कूलों और कॉलेजों के लाखों लोग प्रभावित हुए ।
समीक्षा में कहा गया है कि बार-बार लगाए जाने वाले लॉकडाउन के कारण शिक्षा क्षेत्र पर रियल टाइम प्रभाव का पता लगाना कठिन है क्योंकि नवीनतम उपलब्ध व्यापक आधिकारिक डाटा 2019-20 का है ।
इसमें शिक्षा की स्थिति पर वार्षिक रिपोर्ट (एएसईआर) 2021 की चर्चा है, जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा क्षेत्र के लिए महामारी के दौरान प्रभाव का आकलन किया गया है ।
एएसईआर में यह पाया गया कि महामारी के बावजूद 15 से 16 वर्ष की आयु में नामांकन में सुधार जारी रहा, क्योंकि नामांकित नहीं किए गए बच्चों की संख्या 2018 में 12.1 प्रतिशत से कम होकर 2021 में 6.6 प्रतिशत रह गई ।
लेकिन एएसईआर रिपोर्ट में यह भी पाया गया है कि महामारी के दौरान स्कूलों में 6 से 14 वर्ष के वर्तमान में नामांकित नहीं किए गए बच्चों का प्रतिशत 2018 के 2.5 प्रतिशत से बढ़कर 2021 में 4.6 प्रतिशत हो गया ।
आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि स्कूली बच्चों, उनके विषय तथा रिसर्च शेयरिंग की पहचान करने के लिए सरकार ने कोविड-19 कार्य योजना राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों के साथ साझा की है ।
एएसईआर रिपोर्ट में यह भी पाया गया है कि महामारी के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में सभी आयु समूहों में बच्चे निजी स्कूलों से सरकारी स्कूलों में गए हैं ।
इस बदलाव के संभावित कारणों में कम लागत के निजी स्कूलों का बंद होना, अभिभावकों की वित्तीय कठिनाइयां, सरकारी स्कूलों में निःशुल्क सुविधाएं और परिवारों का गांव की ओर वापस लौटना शामिल है ।
जुलाई, 2020 में सरकार ने प्रवासी श्रमिकों के बच्चों को मुख्य धारा में लाने, पहचान के अतिरिक्त किसी अन्य दस्तावेज की मांग किए बिना स्कूलों में आसानी से उनके प्रवेश की अनुमति का दिशा-निर्देश जारी किया है ।
यद्यपि 2018 के 36.5 प्रतिशत की तुलना में 2021 में 67.6 प्रतिशत स्मार्टफोन की उपलब्धता बढ़ी है, एएसईआर रिपोर्ट में कहा गया है कि उच्च कक्षा के बच्चों की तुलना में निचली कक्षाओं के बच्चों के लिए ऑनलाइन कार्य करना कठिन रहा ।
बच्चों को स्मार्टफोन की अनुपलब्धता तथा कनेक्टिविटी नेटवर्क की अनुपलब्धता जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन सभी नामांकित बच्चों को उनकी वर्तमान कक्षा के लिए (91.9 प्रतिशत) पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध कराई गई हैं ।
सरकारी और निजी दोनों प्रकार के स्कूलों में नामांकित बच्चों के लिए पिछले वर्ष में यह अनुपात बढ़ा है ।
आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि शिक्षा प्रणाली पर महामारी के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिए सरकार द्वारा कदम उठाए गए है, ताकि महामारी के दौरान निजी अध्ययनों में उभरी चिंताओं को दूर किया जा सके ।
सरकार द्वारा घरों पर पाठ्य पुस्तकों का वितरण, शिक्षकों द्वारा टेलीफोन से दिशा-निर्देश देने, टीवी तथा रेडियो के माध्यम से ऑनलाइन तथा डिजिटल सामग्री उपलब्ध कराने, टीएआरए इंटरएक्टिव चैटबॉट, राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद द्वारा जारी वैकल्पिक एकेडमिक कैलेडर के माध्यम से एक्टिविटी आधारित लर्निंग शामिल हैं ।
समीक्षा में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के दौरान विद्यार्थियों के लिए अन्य प्रमुख पहलों में पीएम ई-विद्या, नेशनल डिजिटल एजुकेशन आर्किटेक्चर, निपुण भारत मिशन आदि शामिल हैं ।
सकल घरेलू उत्‍पाद (जीडीपी) में सेवा क्षेत्र का योगदान 50 प्रतिशत ।
2021-22 की पहली छमाही के दौरान इस क्षेत्र में 10.8% की वृद्धि दर्ज की गई ।
समग्र सेवा क्षेत्र में 8.2% की वृद्धि होने की उम्मीद ।
वित्‍त वर्ष 2021-22 की पहली छमाही में 16.73 बिलियन डॉलर का एफडीआई अंतर्वाह प्राप्‍त हुआ ।
वित्‍त वर्ष 2021-22 की पहली छमाही में सेवा के शुद्ध निर्यात में 22.8 प्रतिशत वृद्धि ।
वित्‍त वर्ष 2020-21 में आईटी-बीपीएम क्षेत्र का राजस्‍व 2.26 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 194 बिलियन डॉलर तक पहुंचा ।
2021 में रिकॉर्ड 44 स्‍टार्टअप यूनिकॉर्न स्थिति तक पहुंचे ।
कार्गो क्षमता 2014 में 1052.23 एमटीपीए से बढ़कर 2021 में 1,246.86 एमटीपीए तक पहुंची ।
अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए वि‍विध सुधार किये गए ।
केन्‍द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने सोमवार को संसद में आर्थिक समीक्षा 2021-22 पेश करते हुए कहा कि भारत के सकल घरेलू उत्‍पाद में सेवा क्षेत्र का योगदान 50 प्रतिशत से अधिक रहा ।
समीक्षा में इस बात का भी उल्‍लेख किया गया है कि चालू वित्‍त वर्ष की पहली छमाही के दौरान सेवा क्षेत्र में क्रमबद्ध सुधार भी दर्ज किया गया ।
समीक्षा में कहा गया है, ‘2021-22 की प्रथम छमाही के दौरान सेवा क्षेत्र में कुल मिलाकर 10.8 प्रतिशत वर्ष-दर-वर्ष वृद्धि हुई ।’
वर्ष 2021-22 में समग्र सेवा क्षेत्र का जीवीए 8.2 प्रतिशत बढ़ने की आशा है ।
हालांकि, आर्थिक समीक्षा में इस बात पर विशेष जोर देते हुए कहा गया है कि ओमि‍क्रॉन वैरिएंट के फैलने के कारण विशेषकर उन क्षेत्रों में निकट भविष्‍य में कुछ हद तक अनिश्चितता रहने की संभावना है जिनमें मानव संपर्क आवश्यक होता है ।
सेवा क्षेत्र में एफडीआई प्रवाह
आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि भारत में सेवा क्षेत्र एफडीआई प्रवाह का सबसे बड़ा प्राप्‍तकर्ता रहा है ।
वर्ष 2021-22 की पहली छमाही के दौरान सेवा क्षेत्र को 16.73 बिलियन डॉलर का इक्विटी अंतर्वाह प्राप्‍त हुआ ।
समीक्षा में उल्‍लेख किया गया है, ‘वित्‍तीय, व्‍यापार, आउटसोर्सिंग, अनुसंधान एवं विकास, कुरियर, शिक्षा उप-क्षेत्र के साथ प्रौद्योगिकी परीक्षण एवं विश्‍लेषण में प्रबल एफडीआई अंतर्वाह दर्ज किया गया ।’
सेवा क्षेत्र में व्‍यापार
आर्थिक समीक्षा में इस बात को रेखांकित किया गया है कि वैश्विक सेवा निर्यात में भारत का प्रमुख स्‍थान रहा ।
वर्ष 2020 में वह शीर्ष 10 सेवा निर्यातक देशों में बना रहा ।
विश्‍व वाणिज्यिक सेवाओं के निर्यात में इसकी भागीदारी वर्ष 2019 में 3.4 प्रतिशत से बढ़कर 2020 में 4.1 प्रतिशत हो गई ।
आर्थिक समीक्षा में कहा गया, ‘व्‍यापारिक निर्यात की तुलना में भारत के सेवाओं के निर्यात पर कोविड-19 प्रेरित वैश्विक लॉकडाउन का प्रभाव कम गंभीर था ।’
समीक्षा में इस बात का उल्‍लेख किया गया है कि परिवहन सेवा के निर्यात पर कोविड-19 के प्रभाव के बावजूद सॉफ्टवेयर निर्यात, व्‍यापार और ट्रांसपोर्टेशन सेवाओं की सहायता की बदौलत सेवाओं के सकल निर्यात में दहाई के आंकड़े में वृद्धि दर्ज की गई, परिणामत: वित्‍त वर्ष 2021-22 की पहली छमाही में सेवाओं के शुद्ध निर्यात में 22.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई ।
उप-क्षेत्रवार प्रदर्शन
आईटी-बीपीएम (सूचना प्रौद्योगिकी-व्‍यापार प्रक्रिया प्रबंधन) क्षेत्र ।
आर्थिक समीक्षा में आईटी-बीपीएम सेवा को भारत के सेवा क्षेत्र के प्रमुख खंड के रूप में वर्णित किया गया है ।
नेस्‍कॉम के अनंतिम प्राक्‍कलनों के अनुसार वर्ष 2020-21 के दौरान आईटी-बीपीएम राजस्‍व (ई-कॉमर्स के अतिरिक्‍त) वर्ष-दर-वर्ष 2.26 प्रतिशत बढ़कर 1.38 लाख कर्मचारियों को जोड़ते हुए 194 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया ।
समीक्षा में कहा गया है कि आईटी-बीपीएम क्षेत्र के अंतर्गत आईटी सेवाओं की प्रबल हिस्‍सेदारी (>51%) है ।
आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि पिछले साल के दौरान अन्‍य सेवा प्रदाता विनियमों, दूरसंचार क्षेत्र के सुधारों और उपभोक्‍ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम 2020 सहित क्षेत्र में नवाचार और प्रौद्योगिकी को अपनाने के लिए कई नीतिगत पहल की गईं ।
समीक्षा में सुझाव दिया गया है, ’इससे प्रतिभा तक अभिगम का विस्‍तार होगा, रोजगार सृजन बढ़ेगा और इस क्षेत्र को विकास एवं नवाचार के अगले स्‍तर तक पहुंचाएगा ।’
स्‍टार्ट-अप्‍स और पेटेंट्स
आर्थिक समीक्षा में बताया गया है कि भारत में पिछले 6 वर्षों में स्‍टार्ट-अप्‍स की संख्‍या में उल्‍लेखनीय वृद्धि हुई है , इनमें से अधिकांश स्‍टार्ट-अप्‍स सेवा क्षेत्र से संबंधित हैं ।
10 जनवरी, 2022 तक सरकार भारत में 61,400 से ज्‍यादा स्‍टार्ट-अप्‍स को मान्‍यता दे चुकी है ।
इसके अलावा समीक्षा में बताया गया है कि भारत में 2021 में रिकॉर्ड 44 स्‍टार्ट-अप्‍स यूनिकॉर्न स्थिति तक पहुंचे ।
आर्थिक समीक्षा में इस बात का भी उल्‍लेख किया गया है कि बौद्धिक संपदा विशेषकर पेटेंट ज्ञान आधारित अर्थव्‍यवस्‍था की कुंजी है ।
‘भारत में दायर पेटेंट की संख्‍या 2010-11 में 39,400 से बढ़कर 2020-21 में 58,502 हो गई है और इसी अवधि के दौरान भारत में दिये गये पेटेंट 7,509 से बढ़कर 28,391 हो गए हैं ।’
पर्यटन क्षेत्र
आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि सामान्‍यत: जीडीपी वृद्धि, विदेशी मुद्रा आय और रोजगार में पर्यटन क्षेत्र का प्रमुख योगदान रहता है ।
हालांकि, कोविड-19 महामारी के कारण भारत सहित सभी जगहों पर वैश्विक यात्रा तथा पर्यटन को कमजोर करने वाला प्रभाव पड़ा है ।
आर्थिक समीक्षा में सुझाव दिया गया है कि अंतर्राष्‍ट्रीय पर्यटन का पुन: आरंभ होना काफी हद तक यात्रा प्रतिबंधों, सामंजस्‍यपूर्ण सुरक्षा तथा सुरक्षा प्रोटोकॉल तथा उपभोक्‍ताओं के विश्‍वास को बहाल करने में सहायता करने के लिए प्रभावी संचार के संदर्भ में देशों के बीच एक समन्वित प्रतिक्रिया पर निर्भर करता रहेगा ।
समीक्षा में कहा गया है कि वंदे भारत मिशन के तहत विशेष अंतर्राष्‍ट्रीय उड़ानें संचालित की जा रही हैं, जो वर्तमान में अपने 15वें चरण में है और 63.55 लाख यात्रियों को ले जा चुकी हैं ।
बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग सेवाएं
आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि बंदरगाहों का विकास अर्थव्‍यवस्‍था के लिए महत्‍वपूर्ण है ।
बंदरगाह आयात-निर्यात कार्गो का लगभग 90 प्रतिशत और मूल्‍य के हिसाब से 70 प्रतिशत संभालते हैं ।
समीक्षा में कहा गया है कि मार्च 2021 तक सभी बंदरगाहों की कुल कार्गो क्षमता बढ़कर 1,246.86 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) हो गई, जबकि मार्च 2014 में 1052.23 एमटीपीए थी ।
वर्ष 2020-21 में कोविड-19 के कारण उत्‍पन्‍न बाधाओं से प्रभावित होने के बाद अप्रैल-नवम्‍बर 2021 के दौरान 10.16 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज किये जाने के साथ वर्ष 2021-22 में बंदरगाह यातायात में भी वृद्धि हुई है ।
देश में बंदरगाह आधारित विकास को बढ़ावा देने के प्रति लक्षित सागरमाला कार्यक्रम का भी समीक्षा में उल्‍लेख किया गया है ।
वर्तमान में 5.53 लाख करोड़ रुपये की कुल 802 परियोजनाएं इस कार्यक्रम का अंग हैं ।
अंतरिक्ष क्षेत्र
आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि 1960 के दशक में अपनी स्‍थापना होने के बाद से ही भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का काफी विकास हुआ है ।
अंतरिक्ष क्षेत्र से संबंधित स्‍वदेशी तकनीक से निर्मित अंतरिक्ष परिवहन प्रणाली, समाज की विभिन्‍न आवश्‍यकताओं को पूरा करने के लिए उपग्रहों के बेड़े सहित अंतरिक्ष परिसंपत्तियों सहित सभी डोमेन में क्षमताओं का विकास किया गया है ।
समीक्षा में कहा गया है कि सरकार ने अंतरिक्ष आधारित सेवाएं प्रदान करने में निजी क्षेत्र की भागीदारी की परिकल्‍पना करते हुए वर्ष 2020 में अं‍तरिक्ष क्षेत्र में विभिन्‍न सुधार किए ।
इन सुधारों में न्‍यू स्‍पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) को सशक्‍त बनाना और वर्तमान आपूर्ति आधारित मॉडल को मांग आधारित मॉडल में बदलना, अंतरिक्ष विभाग के अंतर्गत स्‍वतंत्र नोडल एजेंसी अर्थात भारतीय राष्‍ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन तथा प्राधिकरण केन्‍द्र (इन-स्‍पेस) का सृजन तथा देश में अंतरिक्ष गतिविधियों के लिए एक पूर्वारनुमेय, दूरंदेशी, स्‍पष्‍ट एवं सक्षम नियामक व्‍यवस्‍था प्रदान करना शामिल है ।
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