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priyank's avatar
priyank committed
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एक गाय भी थी । पिछले साल पता नहीं कौन सी बीमारी लगी और वह चल बसी । गाय का मरना माई को बहुत खला । अब भी जब कभी उसकी याद आती माई का झुर्रियों वाला चेहरा लटक जाता है । गाय की मरते वक्त भी छटपटाहट उसकी आँखों के सामने घूम जाती है । खेत बँटाई पर है । कुछ न कुछ मिल ही जाता है ।  पेट काट कर माई ने जिस तरह उसे पाला है, वह अच्छी तरह समझता है । उसी के लिए माई देहात नहीं छोड़ रही, इसे भी वह समझता है ।
भाई अकेलापन न महसूस करने पाए इसलिए बच्चों को महीने दो महीने के लिए गाँव छोड़ आता है । खुद भी चला जाता है । ईद तो उसने हमेशा गाँव में ही मनाई । परदेश में कौन अपना होता है । कौन किसकी परवाह करता है ।  सोचते सोचते वह बिस्तर पर लेट गया ।  मोटी वाली नर्स इस बीच आई । दवा खिला कर चली गई ।  अगल बगल के मरीज़ों को करीम जानता है । एक तरफ महाराजदीन हैं तो दूसरी तरफ रहमत मियाँ । दोनों उदास रहते हैं । चेहरा पीला हो गया है । दाढ़ी बाल इस कदर बढ़ आये हैं कि सूरत पहचानी नहीं जाती । इनसे मिलने कोई नहीं आता ।
महाराजदीन कहता है कि उसके भगवान हैं जो रोज शाम सवेरे उनसे मिलने आते हैं । रहमत कुछ नहीं कहता । कहते कहते रुक जाता है । ये दोनों मिलने वालों को हसरत भरी निगाहों से देखते हैं । यहाँ अपना कोई नहीं है । बाल बच्चे देहात में रहते हैं । उन्हें खबर भी नहीं होगी । खबर देने से कोई फ़ायदा नहीं घर वालों को परेशानी में डालना उन्हें अच्छा न लगा होगा ।