Lecture 29 Chasing Sustainability - The Challenge - Part - 1-MzEtr-WI4gw 50 KB
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इस व्याख्यान में, हम ग्राउंड वाटर (ground Water) कंटेमीनेशन (contamination) से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करेंगे।
 जैसा कि आप सभी जानते हैं कि हम ग्राउंड वाटर (ground Water) का उपयोग कई उद्देश्यों के लिए करते हैं, एग्रिकल्चर (agriculture) के लिए, पीने के पानी के लिए इत्यादि।
 इस भूजल संदूषण पर जाने और चर्चा करने से पहले, मैं आपको दो बहुत अच्छी फिल्में देखने का सुझाव दूंगा; जूलिया रॉबर्ट्स अभिनीत Erin Brockovich है, यह एक सच्ची कहानी पर आधारित है।
 सैन फ्रांसिस्को (San Francisco) खाड़ी क्षेत्र से जुड़ने वाली नेचुरल गैस पाइपलाइन पर हिंकले कंप्रेसर स्टेशन (Hinkley Compressor Station) है, इसका निर्माण 1952 में किया गया था।
 और वे कूलिंग टावरों (cooling Tower) में जंग (Rust) से लड़ने के लिए हेक्सावलेंट (Hexavalent Chromium) का उपयोग कर रहे थे।
 कूलिंग टावरों (cooling Tower) से इस हेक्सावलेंट क्रोमियम (chromium) युक्त वेस्ट वाटर (wastewater) को साइट पर अनियोजित पॉण्ड(pond) में डाला जाता था।
 और चूंकि यह एक अनियोजित पॉण्ड (pond) है, इसलिए पॉण्ड (pond) से होने वाला परकोलेशन (percolation) अंततः ग्राउंड वाटर (ground Water) तक पहुंच गया, और यह कंटेमीनेट (contaminate) हो गया।
 इसने 1.6x3.2 किलोमीटर के क्षेत्र को कंटेमीनेट (contaminate) कर दिया।
 और उस कंटेमीनेशन (contamination) के कारण, कई अन्य समस्याएं पैदा हुईं, यह एक मुकदमा था, और 1996 में $ 333 मिलियन डॉलर का मुआवजा दिया गया था।
 और यह संयुक्त राज्य के इतिहास में एक प्रत्यक्ष-कार्रवाई मुकदमे में अब तक का सबसे बड़ा समझौता है।
 इस बारे में एक फिल्म है, और मैं सुझाव दूंगा कि आप इस फिल्म को देखें।
 जॉन ट्रवोल्टा (John Travolta) अभिनीत, ए सिविल एक्शन (a Civil Action) ।
 एनवायरनमेंट (Environment) पोल्युशन (pollution) के बारे में एक अदालत का मामला था जो मैसाचुसेट्स (Massachusetts) के वोबर्न (Woburn) में हुआ था।
 यह एक सच्ची कहानी थी जो 1980 में हुई थी; यह आरोप लगाया गया था कि कुछ इंडस्ट्रीज़ (Industries) द्वारा डिस्पोज़ (dispose) किये गए ट्राइक्लोरोइथिलीन (Trichloroethylene) ने ग्राउंड वाटर (ground Water) को कंटेमीनेट (contaminate) कर दिया और इससे ल्यूकेमिया (leukemia) और कैंसर (cancer) के घातक मामले और साथ ही साथ शहर के नागरिकों के बीच अन्य स्वास्थ्य समस्याओं की एक विस्तृत विविधता उत्पन्न हुई।
 तो, एक अदालत का मामला था; मेरा सुझाव है कि आप इन दोनों फिल्मों को देखें।
 अब ग्राउंड वाटर (ground Water) पोल्युशन (pollution) के कारण पर चर्चा करते हैं, हमारे पास बहुत सारी लैंडफिल (landfill) है, लैंडफिल्स (landfills) में लीचेट (leachate) होता है और अगर लाइनर्स सही तरीके से काम नहीं कर रहे हैं तो लैंडफिल (landfill) से लीचेट (leachate) नीचे जाएगा और फिर किसी भी एक्वाइफर्स (aquifers) को कंटेमीनेट (contaminate) कर सकता है।
 इसे हम एक अनक्न्फाइंड (Unconfined) एक्वाइफर (aquifer) कहते हैं, जो कि वाटर टेबल (Water Table) है, यहां का पानी एट्मोस्फेरिक प्रेसर (atmospheric Pressure) के संपर्क में है, इसलिए यह एक अनक्न्फाइंड एक्वाइफर (aquifer) है।
 जबकि यह हिस्सा जहाँ है जिसे हम एक क्न्फाइंड (confined) एक्वाइफर (aquifer) कहते हैं, इसके नीचे एक संकरी परत होती है, साथ ही ऊपर एक संकरी परत होती है, इसलिए यह लैंडफिल (landfill) की लीचेट (leachate) जा सकती है और अनक्न्फाइंड (Unconfined) एक्वाइफर (aquifer) को कंटेमीनेंट (contaminate) कर सकती है।
 और हम पीने या किसी अन्य उद्देश्य के लिए वेल (wells) के माध्यम से इस अनक्न्फाइंड (Unconfined) एक्वाइफर (aquifer) से पानी ले सकते हैं, इसलिए वेल (well) का पानी भी कंटेमीनेंट (contaminate) है।
 यह केवल लैंडफिल (landfill) नहीं है, बल्कि हमारे पास ऐसे टैंक हो सकते हैं जिनमें खतरनाक केमिकल (chemical) हो सकते हैं।
 अगर इन दबे हुए टैंकों से खतरनाक केमिकलों (chemicals) का लिकेज़ (leakage) होता है, तो यह हमारे अनक्न्फाइंड (Unconfined) एक्वाइफर (aquifer) को भी कंटेमीनेटेड(contaminated) कर सकता है।
 देश में कई इंडस्ट्रीज़(Industries) हैं, और इन इंडस्ट्रीज़ (Industries) से वेस्ट वाटर(wastewater), वेस्ट वाटर(wastewater) लैगून(lagoon) या वेस्ट वाटर (wastewater) तालाबों में संग्रहित किया जाता है, और इन वेस्ट वाटर(wastewater) तालाबों या वेस्ट वाटर (wastewater) लैगून (lagoon) से लीचेट (leachate) भी मिट्टी(Soil) के माध्यम से नीचे जा सकते हैं और फिर इस अनक्न्फाइंड(Unconfined) एक्वाइफर(aquifer) को कंटेमीनेट (contaminate) कर सकते हैं।
 इंजेकसन वेल्स (Injection wells) के माध्यम से शायद बहुत ही गहरे एक्विफर्स (aquifers) में ग्राउंड वाटर(ground Water) भंडारण के लिए या तो परशिएलय ट्रीटेड (partial Treated) वेस्ट वाटर(wastewater) या अनट्रीटेड (Untreated) वेस्ट वाटर (wastewater) को 'इंजेकसन’ (Injection) देते हैं।
 और इस इंजेकसन (Injection) वेल (wells) के आवरण लीक हो सकता है, और बहुत ही गहरे जलीय एक्विफर्स (aquifers) में लिकेज़ (leakage) हो सकता है।
 एक्वीफ़र्स (aquifers) पानी से चलने वाली परतें हैं, जो भूमिगत में ठीक हैं और आपका भूजल दूषित हो सकता है।
 या माइन रनऑफ (Mine Runoff) भी हो सकता है अगर इसे ठीक से प्रबंधित नहीं किया जाता है, तो यह ग्राउंड वाटर (ground Water) को कंटेमीनेट (contaminate) कर सकता है।
 घरों में सेप्टिक टैंक (septic tank) होते हैं; यदि ये सेप्टिक टैंक (septic tank) ठीक से काम नहीं कर रहे हैं, तो सेप्टिक टैंक (septic tank) से लिकेज़ (leakage) भी आपके ग्राउंडवाटर (ground Water) को कंटेमीनेट (contaminate) कर सकता है।
 ग्राउंडवाटर (ground Water) के पॉल्युशन (pollution) का एक और महत्वपूर्ण सोर्स (Source) एगरीकल्चर (agriculture) गतिविधियाँ हैं।
 खाद्य उत्पादन बढ़ाने और फसलों की सुरक्षा के लिए हम बहुत सारे फर्टिलाइजर (Fertilizer) और पेस्टिसाइड (pesticide) का उपयोग कर रहे हैं, जो कि बहुत सारे केमिकल (chemical) के अलावा और कुछ नहीं हैं, और उनमें से अधिकांश मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत खराब हैं।
 और अगर आप इस फर्टिलाइजर (Fertilizer) और पेस्टिसाइड (pesticide) का उपयोग बिना किसी नियंत्रण के, बिना किसी उचित ध्यान के करते हैं, तो सिंचाई के पानी या रेनवाटर(rain Water) के साथ ये चीजें जमीन में मिल सकती हैं और फिर ग्राउंड (ground Water) को कंटेमीनेट (contaminate) कर सकती हैं।
 तो, इस भूजल प्रदूषण के कई कारण हैं, क्योंकि हमारी सतह पर मानवजनित गतिविधियाँ हैं।
 एक दिलचस्प मामला था, तमिलनाडु क्रोमेट केमिकल्स लिमिटेड (Tamilnadu Chromate Chemicals Limited) , तमिलनाडु (Tamilnadu) में वेल्लोर (Vellore) जिले में रानीपेट (Ranipet) नामक एक जगह पर एक छोटा कारखाना था, आप उस कारखाने को यहाँ स्लाइड (slide) में देख सकते हैं।
 स्लज़ (Sludge) को किसी भी उचित ट्रीटमेंट (treatment) के बिना डंप (Dump) किया जाता था।
 क्रोमियम वेस्ट (chromium Waste) के लिए ट्रीटमेंट एरिया (treatment area) अभी भी है, यह लगभग 5 एकड़ भूमि है, जिस पर यह क्रोमियम (chromium) वेस्ट (waste) निपटाया जाता है, और यह बारिश के लिए खुला है और इसलिए जब भी वहाँ बारिश होती है तो हेक्सावलेंट क्रोमियम (Hexavalent Chromium) रेन वाटर (Rain Water) में बह जाता है और यह रेन वाटर (Rain Water) जमीन में घुस जाता है।
 और आप देख सकते हैं कि ग्राउंड वाटर (ground Water) क्रोमियम (chromium) लीचेट (leachate) से कंटेमीनेटेड (contaminated) है, इसलिए आप ग्राउंड वाटर (ground Water) को पीले रंग में देख सकते हैं, यह क्रोमियम (chromium) लीचेट (leachate) से पूरी तरह से कंटेमीनेटेड (contaminated) है।
 और एक बार जब यह ग्राउंड वाटर (ground Water) लेवल (level) में पहुंचता है, तो यह सिर्फ वहां नहीं रहता है, यह ग्राउंड वाटर (ground Water) के साथ आगे बढ़ना शुरू कर देता है।
 उदाहरण के लिए, यह डंपसाइट (Dumpsite) का स्थान है जहां मेरे एक सहकर्मी गए हैं, और फिर ग्राउंड वाटर (ground Water) में कन्संट्रेसन (concentration) मापा गया वहां क्रोमियम (chromium) प्रति लीटर 178 मिलीग्राम है।
 और प्रोफेसर लिगी फिलिप, मेरे सहयोगी जिन्होंने अन्य स्थानों में अपने छात्रों के साथ ग्राउंड वाटर (ground Water) स्तर को मापा है, यहां, यह लगभग 141 मिलीग्राम प्रति लीटर है, और यह सिर्फ यहां नहीं रुक रहा है, यह निचले वाटर लेवल (water Level) की ओर बढ़ना शुरू कर देता है।
 पलार (palar) नदी है, इसमें ग्राउंड वाटर (ground Water) बहुत अच्छा है।
 और एक बार जब यह प्लम (plume) इस पलार नदी तक पहुंच जाएगा, तो वह ग्राउंड वाटर (ground Water) भी कंटेमीनेटेड (contaminated) हो जाएगा।
 इसलिए, हमें स्लज़ (Sludge) को निपटाने के दौरान सावधानी बरतनी चाहिए, और फिर हमें यह भी सोचना होगा कि इस ग्राउंड वाटर (ground Water) के ट्रीटमेंट (Treatment) के तरीके क्या हैं, ताकि भविष्य में इस ग्राउंड वाटर (ground Water) का उपयोग किया जा सके।
 ग्राउंड वाटर (ground Water) पोल्युशन (pollution) को रोकने के विभिन्न तरीके क्या हैं? सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण बात, हमें एक्विफर्स (aquifers) की निगरानी करने की आवश्यकता है, इसका मतलब है कि हमें पानी के नमूनों को लगातार अंतराल पर किसी भी संभावित कंटेमीनेशन (contamination) के लिए विश्लेषण करना होगा।
 पोल्युशन (pollution) का स्तर क्या है, प्लम (plume) कितना दूर तक चला गया है, इसका परिवहन क्या है, इस कंटेमीनेटेड (contaminated) पदार्थ की अवस्था क्या है, इसके लिए हमें एक्विफर्स (aquifers) की निगरानी करने की आवश्यकता है।
 फिर हमें यह भी चिंता करनी होगी कि कौन सी जगहें हैं, जहां लिकेज़ (leakage) हो रहे हैं, इसलिए, हमारे पास एक लिकेज़ (leakage) पहचान प्रणाली और एक सोर्स डिटेक्शन सिस्टम (Source detection system) होना चाहिए, एनवायरनमेंट (Environment) फोरेंसिक (Forensic) भी बहुत महत्वपूर्ण है।
 एक बार जब हम पता लगा लेते हैं कि ग्राउंड वाटर (ground Water) कंटेमीनेटेड (contaminated) हो गया है, तो हमें यह पता लगाना होगा कि यह पोल्युशन (pollution) कहाँ से आ रहा है, इसलिए सोर्स (Source) की पहचान बहुत महत्वपूर्ण है, और यह आसान भी नहीं है, लेकिन ग्राउंड वाटर (ground Water) गुणवत्ता प्रबंधन के लिहाज से यह बहुत महत्वपूर्ण है।
 हमें वेस्ट डिस्पोसल (waste Disposal) पर बहुत कड़े नियम बनाने की जरूरत है।
 और हमें खतरनाक सामग्री का उचित स्टोरेज़ (Storage) करने की आवश्यकता है।
 जिन तरीकों से हम कंटेमीनेटेड (contaminated) ग्राउंड वाटर (ground Water) का ट्रीटमेंट (Treatment) कर सकते हैं उनमें से एक है जिसे हम पंप और ट्रीट (pump and treat method) मेथड कहते हैं।
 यहाँ आप जमीन से पानी को बाहर पंप (pump) करते हैं, और फिर आप उस पानी को उचित ट्रीटमेंट (Treatment) प्लांट (plant) में भेजते हैं और ट्रीटमेंट (Treatment) प्लांट (plant) को डिजाइन करते समय यह ध्यान रखते हैं कि हमारे पास किस तरह के कंटेमीनेटेड (contaminated) तत्व हैं।
 हम ट्रीटमेंट (Treatment) प्लांट (plant) में इस कंटेमीनेटेड (contaminated) ग्राउंड वाटर (ground Water) के ट्रीटमेंट (Treatment) के लिए या तो बायोलोजिकल मेथड (Biological Method) या केमिकल ट्रीटमेंट (chemical Treatment) का उपयोग कर सकते हैं और फिर उस ट्रीटेड (Treated) ग्राउंड वाटर (ground Water) को वापस एक्विफर् (aquifer) में डाल सकते हैं जिसे हम रिचार्ज वेल (well) कहते हैं।
 इसे ही हम पंप (pump) और ट्रीट (Treat) मेथड कहते हैं।
 लेकिन cहमारे पास इन-सीटू ट्रीटमेंट (Insitu Treatment) भी हो सकता है, जो कि इस चित्र में दिखाया गया है।
 यहां एक लैंडफिल (landfill) है, और यह लैंडफिल (landfill) लीक हो रही है, और लैंडफिल (landfill) से लीचेट (leachate) एक्वाइफर (aquifer) में आ गया है, और यहां एक पंपिंग (pumping) वेल (well) है, जो कुछ लाभकारी उद्देश्य के लिए पानी पंप (pump) कर रहा है।
 और क्योंकि यह पंप (pump) कर रहा है, ग्राउंड वाटर (ground Water) इस दिशा में बहेगा, इसके साथ ही पल्यूटेंट (pollutant) भी गति करता है, यह लीचेट जो यहां आया है, वह भी वेल (well) में जाने लगेगा, और आखिरकार हमें प्राप्त होता है इस वेल (well) से कंटेमीनेटेड (contaminated) पानी प्राप्त होता है इसलिए, हम इस स्थान और इस वेल (well) के बीच इन-सीटू बायोरेमेडिएशन (In-Situ Bioremediation) कर सकते है।
 हम इस स्थान पर क्रोमियम रिड्यूसिंग (chromium Reducing), बैक्टीरिया (Bacteria) को डाल सकते हैं।
 यह क्रोमियम रिड्यूसिंग (chromium Reducing) बैक्टीरिया (Bacteria) हेक्सावलेंट क्रोमियम (Hexavalent Chromium) को ट्राइवेलेंट क्रोमियम (Trivalent Chromium) में बदल सकता है, जिसकी घुलनशीलता कम होती है, और फिर यह बाहर निकल जाएगा, और यह सॉलिड (Solid) पदार्थों पर स्थिर हो जाएगा।
 तो, जो भी पानी नीचे की तरफ आता है वह हेक्सावलेंट क्रोमियम (Hexavalent Chromium) से मुक्त होगा।
 तो, इसे हम इन-सीटू बायोरेमेडिएशन (In-Situ Bioremediation) तकनीक कहते हैं।
 और इसके लिए हमारे पास पेरमेयबल रियक्टिव बायो-बेरियर (permeable Reactive Bio-Barriers) या पेरमेयबल रियक्टिव बेरियर (permeable Reactive Barriers) होना चाहिए।
 यहाँ, स्लाइड में यह एक बेरियर (Barriers) है जहाँ हमने उपयुक्त केमिकलों (chemicals) या बैक्टीरिया (Bacteria) को पेश किया है और जैसा ही प्लुम (plume) इस दिशा की ओर बढ़ रहा है, यह इस पर्मेयब्ल (permeable) बेरियर (Barrier) से होकर गुजरता है।
 रीएक्स्न (Reaction) इस पर्मेयब्ल (permeable) बेरियर (Barrier) में घटित होगा और फिर या तो क्ंटेमिनेंट डिग्रेडेड (contaminant Degraded) हो जाता है या क्ंटेमिनेंट (contaminant) हेक्सावैलेंट क्रोमियम (Hexavalent Chromium) के मामले में कम हानिकारक पदार्थों में बदल जाता है।
 ट्राइवेलेंट क्रोमियम (Trivalent Chromium) का बायोट्रांसफार्मेसन (Biotransformation) कर सकते हैं और फिर इस तरफ साफ पानी निकलता है।
 यह पर्मेयब्ल (permeable) रिएक्टिव बेरियर (Reactive Barrier) तकनीक है जिसे हम इन-सीटू (In-Situ) ट्रीटमेंट (Treatment) के लिए उपयोग कर सकते हैं।
 मेरे सहयोगी, प्रोफेसर लिगी फिलिप (Prof. Ligy Philip) ने कुछ प्रयोग किए हैं, प्रयोगशाला में एक पायलट पैमाने पर प्रयोग किए गए हैं, जहां हमने हेक्सावलेंट क्रोमियम (Hexavalent Chromium) से लदा हुआ पानी पेश किया है जिसमें आप पीले रंग को देखते हैं, और यह ग्राउंड वाटर (ground Water) के साथ नीचे की ओर जमीन में जा रहा है।
 और यहाँ आप एक पर्मेयब्ल (permeable) बेरियर (Barriers) डालते हैं और क्रोमियम रिड्यूसिंग (chromium Reducing) बैक्टीरिया (Bacteria) को पेश करते हैं, और यह क्रोमियम रिड्यूसिंग (chromium Reducing), बैक्टीरिया (Bacteria) Cr6 को Cr3 में बदल देता है।
 यह योजनाबद्ध डाइग्राम (Diagram) है, यहां एक इनलेट (Inlet) कक्ष है, एक बायो-बेरियर (Bio-Barriers) है।
 यह केवल 10 सेंटीमीटर मोटा है, यह कुल लंबाई लगभग 3 मीटर है।
 और एक आउटलेट चैंबर है, और फिर बायो-बैरियर (Bio-Barrier) के ऊपर की तरफ 10 मॉनीटरिंग (Monitoring) वेल (well) हैं।
 और फिर नीचे की तरफ 11 से 20 मॉनीटरिंग (Monitoring) वेल (well) हैं।
 हमने इन मॉनीटरिंग (Monitoring) वेल (well) से नमूने लिए थे और फिर हेक्सावेलेंट क्रोमियम (Hexavalent Chromium) की उपस्थिति या इसकी कन्संट्रेसन (concentration) क्या है, इसका विश्लेषण किया था।
 और उनके प्रयोगों से पता चला है कि बायो-बैरियर (Bio-Barrier) के अपस्ट्रीम (Upstream) में अंततः सफलता मिली, हेक्सावेलेंट क्रोमियम (Hexavalent Chromium) इन निगरानी वेल (well) तक पहुंच गया है, और कन्संट्रेसन (concentration) 45 मिलीग्राम प्रति लीटर था।
 जबकि नीचे की तरफ 11 से 20 के वेल (well) में कोई हेक्सावेलेंट क्रोमियम (Hexavalent Chromium) नहीं था, जिसका अर्थ है कि सभी हेक्सावेलेंट क्रोमियम (Hexavalent Chromium) बायो-बैरियर (Bio-Barrier) में ट्राइवेलेंट क्रोमियम (Trivalent Chromium) में परिवर्तित हो गए।
 यह सिर्फ एक उदाहरण है कि कोई कंटेमीनेटेड (contaminated) ग्राउंड वाटर (ground Water) का इन-सीटू (In-Situ) ट्रीटमेंट (Treatment) कैसे कर सकता है।
 तब यह प्रयोग क्षेत्र में किया गया था, आपके पास चार वेल (wells) थे, यह उसी साइट में है जो मैंने पहले दिखाया है, रानीपेट (Ranipet) में।
 इन वेल (wells) के माध्यम से, क्रोमियम (chromium) रेडूसिंग (reducing) बैक्टीरिया (Bacteria) के साथ-साथ उनके विकास के लिए सब्सट्रेट, एक कार्बन सोर्स (Source), उन्हें इन रिचार्ज (Recharge) वेल (wells) के माध्यम से ग्राउंड वाटर (ground Water) में पेश किया गया है।
 और फिर इन वेल (wells) के आसपास रिएक्टिव (Reactive) क्षेत्र बनाए।
 इसलिए, जब क्रोमियम (chromium) कंटेमीनेटेड (contaminated) पानी, ग्राउंड वाटर (ground Water) इन रिएक्टिव (Reactive) बेरियर (Barrier) से गुजरता है, तो यह साफ हो जाता है, और इन स्थानों पर ग्राउंड वाटर (ground Water) की निगरानी की जाती है।
 ग्राउंड वाटर (ground Water) काफी साफ है, जबकि ऊपर की तरफ क्रोमियम (chromium)-कंटेमीनेटेड (contaminated) पानी है।
 यह पायलट (pilot) अध्ययन के रूप में एक छोटी सी साइट के लिए किया गया था और बाद में, इस तकनीक को भारत के कुछ स्थलों पर स्थानांतरित और सफलतापूर्वक लागू किया गया।
 जैसा कि मैंने उल्लेख किया है, ग्राउंड वाटर (ground Water) कंटेमीनेशन (contamination) प्रबंधन के लिए, सोर्स (Source) की पहचान बहुत महत्वपूर्ण है, मैं आपको केवल यह समझाऊंगा कि समस्या क्या है, यह एक्वाइफर (aquifer) है, और यह मेरा अब्स्ट्रेक्सन पॉइंट (abstraction Point) है जहां से मैं वेल (wells) से पानी खींच रहा हूं, और फिर मुझे एक दिन पता चलता है कि यह पानी कंटेमीनेटेड (contaminated) है और मैं पानी का विश्लेषण करता हूं, और मुझे पता है कि कंटेमीनेंट (contaminant) क्या हैं।
 अब इस कंटेमीनेंट (contaminant) को वेल (well) में आने से नियंत्रित करने के लिए, मुझे यह जानना होगा कि यह कहां से आ रहा है।
 ताकि मैं वहां जा सकूं और फिर सोर्स (Source) पर कंटेमीनेशन (contamination) को रोक सकूं।
 इसलिए, मुझे सोर्स (Source) की पहचान करनी है, यह आसान नहीं है।
 यदि उस विशेष केमिकल (chemical) के आने के लिए केवल एक सोर्स (Source) है, तो केवल एक कारखाने से ही यह केमिकल आ रहा होगा, फिर यहाँ केमिकलों (chemicals) के संकेत और संभावित सोर्स (Source) को देखते हुए, हम यह बता पाएंगे कि यह कहाँ से आ रहा है ।
 लेकिन फिर इसके कई स्रोत हो सकते हैं, इस दूषित के लिए कई संभावित स्रोत, यह यहां उत्पन्न हो सकता है और फिर इस तरह से आगे बढ़ सकता है, यह यहां उत्पन्न हो सकता है और इस तरह से आगे बढ़ सकता है, या यह यहां उत्पन्न हो सकता है और इस तरह आगे बढ़ सकता है, और इतना ही नहीं, जो संदूषण मुझे यहाँ मिल रहा है वह शायद किसी स्थान पर बहुत पहले उत्पन्न हो गया था।
 इस स्थान पर हम कहते हैं, यह बहुत पहले ही उत्पन्न हो गया था, इस संदूषक ने कुछ समय के लिए यहाँ कदम रखा था, अगर मैं अभी जाता हूँ और इस विशेष स्रोत का निरीक्षण करता हूं, तो शायद पहले से ही लीक हो गया है।
इसलिए, वर्तमान में केवल स्रोत का निरीक्षण करने से, मैं यह कहने में सक्षम नहीं हो सकता कि यह संदूषण का स्रोत नहीं है।
 कुछ समय पहले उत्पन्न हुआ होगा।
 इसलिए, जब हम सोर्स (Source) पहचानने की समस्या के बारे में बात करते हैं, तो हमें विश्लेषण करना होगा, शायद कुछ क्षेत्र की जांच, ऐतिहासिक जांच और फिर मॉडलिंग (Modelling)।
 हमें सभी साधनों को एक साथ लाना होगा और फिर यह देखने की कोशिश करनी होगी कि यह कंटेमीनेंट (contaminant) कहां से उत्पन्न हुआ है और कब।
 यह एनवायरनमेंट (Environment) फोरेंसिक (Forensic) के विषय से संबंधित है।
 मैं इस बात का एक छोटा सा उदाहरण दूंगा कि जब हम कुछ सॉलिड (Solid) वेस्ट (waste) प्रबंधन समस्याओं का समाधान करने की कोशिश करते हैं, तो हमें यह विचार करना होगा कि वाटर पोल्युशन (water Pollution) पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है।
 ग्राउंड वाटर (ground Water) पोल्युशन (pollution) के लिए जिम्मेदार स्रोतों में एक स्त्रोत सॉलिड (Solid) वेस्ट (waste) डंपिंग साइटें (Dumping Sites) हो सकती हैं, ऐसी ही एक साइट को यहां के आंकड़े में दिखाया गया है।
 मैं चेन्नई शहर में एक केस स्टडी के संदर्भ में इसे समझाना चाहता हूं।
 यह देखना आसान है, कि ग्राउंड वाटर (ground Water) की रक्षा के संदर्भ में डंप साइट (Dump Site) का आकार कितना महत्वपूर्ण है।
 चेन्नई शहर से एकत्र किए गए सभी सॉलिड (Solid) कचरे को लेने और फिर कुथमबक्कम नामक एक जगह में एक इंजीनियर्ड (Engineered) लैंडफिल (landfill) साइट बनाने का प्रस्ताव था।
 लेकिन तब स्थानीय लोगों द्वारा चिंता व्यक्त की गई थी, क्या यह सभी सॉलिड (Solid) कचरे को वहां ले जाने और फिर लैंडफिल (landfill) साइट का वहाँ बनना एक अच्छा विचार होगा।
 अब इस इंजीनियर्ड (Engineered) लैंडफिल (landfill) साइट के लिए कई टेक्नोलोजी (Technology) हैं, लैंडफिल (landfill) जमीन में खोदा गया एक गड्ढा होता है, जिसमे उपयुक्त लाइनर सिस्टम (linear System) लगाकर लिकेज़ (leakage) या लीचेट (leachate) को जमीन में जाने से रोका जाता है और फिर इस लैंडफिल (landfill) के लिए एक उपयुक्त कवर लगाया जाता है।
 इस लैंडफिल (landfill) साइट में जो भी लीचेट(leachate) उत्पन्न होता है, उसे लीचेट (leachate) प्लांट में इकट्ठा किया जाता है जिसके बाद उसका ट्रीटमेंट (Treatment) किया जाता है इसके साथ ही लैंडफिल (landfill) से निकलने वाली गैस (gas) को भी इकट्ठा कर सकते हैं और उपयोग कर सकते है।
 यह एक सरल शब्दों में है, एक इंजीनियर लैंडफिल (engineered landfill) क्या है।
 और हम इन सभी निगरानी जांचों या निगरानी कुओं को भी डालते हैं, और हम नमूने लेते रहते हैं और फिर देखते हैं कि क्या भूजल, कोई भी रिसाव इस लैंडफिल साइट से निकल रहा है।
 कुछ सवाल हैं जो हमें लैंडफिल की साइटिंग (Siting) से पहले पूछना चाहिए।
 मिट्टी (Soil) के प्रकार क्या हैं और साइट(Site) पर क्या स्थितियां हैं, यह लैंडफिल (landfill) किन स्ट्रीम (Stream), लेक (lakes), रीवर (River) और रिसेर्वोइर (Reservoirs) के आसपास के क्षेत्र में मौजूद हैं जो सतह और उप-सतह के रनऑफ (Runoff) से प्रभावित हो सकते हैं।
 हाइड्रो-जीओलोजिकल (Hydro-geological) स्थितियां क्या मौजूद हैं, क्या उप-आधार में कोई अस्थिरता है, क्या मिट्टी (Soil) में कंटेमीनेंट (contaminant) पदार्थों को निकालने के लिए हाइ कटियन एक्स्चेंज (High Cation Exchange) क्षमता है।
अटेनुएट कंटामिनेंट्स (attenuate contaminants) का अर्थ है जैसे कि दूषित असंतृप्त क्षेत्र या संतृप्त क्षेत्र से होकर चलता है, इसकी सांद्रता कम होती रहती है जिसे हम अट्ठेनुअशन (attenuation) कहते हैं।
 आसपास के क्षेत्र में एकमात्र स्रोत एक्वीफर्स (aquifers) हैं? अगर पानी का कोई भी सोर्स (Source) सर्फ़ेस या सब-सर्फ़ेस पर है और आपके पास पानी का वही एकमात्र स्रोत है, तो उस सोर्स (Source) के पानी को कुछ ट्रीटमेंट (Treatment) के बाद पीने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
 तो, क्या पास में कोई एकमात्र सोर्स (Source) हैं? क्या आसपास के क्षेत्र में वेट लैंड (wet Land) हैं जो प्रभावित होंगे? इस लैंडफिल (landfill) की रोडवेज से कितनी निकटता है? क्या रोडवेज पर लोड की कोई सीमा है? क्या आसपास कोई हवाई अड्डा है? और डंप साइट पक्षी हिट का कारण बन सकती है।
 उथले गहराई पर कनफाइंड (confined) या अनकनफाइंड (Unconfined) एक्वाइफर (aquifer) हैं? क्योंकि यदि उथले गहराई पर एक एक्वाइफर (aquifer) होता है, तो एक्वाइफर (aquifer) के कंटैमिनेशन (contamination) होने का खतरा बहुत अधिक होगा।
 ग्राउंड वाटर (ground Water) स्तर क्या है? क्या ग्राउंड वाटर (ground Water) स्तर लैंडफिल (landfill) के आधार स्तर से ऊपर या इसके बहुत गहरे तक जा रहा है, हम लीचेट (leachate) का प्रबंधन करने के लिए क्या कर रहे हैं ? यदि लैंडफिल (landfill) खतरनाक केमिकलों (chemicals) के किसी भी उच्च कंसंट्रेशन (concentration) से कंटेमीनेटेड (contaminated) है तो, हम ऑपरेशन के दौरान आसपास के जल निकायों के कंटैमिनेशन (contamination) से कैसे निपटते हैं? उदाहरण के लिए, लीचेट (leachate) में ओरगनिक मैटर (Organic Matter), पैथोजन (pathogen), हैवि मेटल्स (Heavy Metals), पीसीबी & पीएएच {Polycyclic Aromatic Hydrocarbons (PAH) And Polychlorinated Biphenyls (PCB)}, पेस्टिसाइड (pesticide), डिटर्जेंट (Detergent) और उभरते पोल्लूटेंट (pollutant) वगैरह की उच्च कन्संट्रेसन (concentration) होती है।
 तो, हम इस लीचेट (leachate) को प्रबंधित करने के लिए क्या कर रहे हैं, क्या हम लीचेट (leachate) को ठीक से इकट्ठा कर रहे हैं और इसे ठीक से ट्रीटमंट (Treatment) कर रहे हैं, और फिर इसे डिसपोस (Dispose) कर रहे हैं।
 किसी भी लैंडफिल (landfill) के लिए कौन सा लीचेट मैनेजमेंट (leachate management) है? यह बहुत महत्वपूर्ण है।
 क्या कोई संपत्ति की सीमाएं हैं? क्या हम बफर जोन (Buffer Zone) के भीतर काम कर रहे हैं? अन्य सुविधाएं क्या हैं? वेल (wells), निवासों, स्कूलों, सार्वजनिक पार्कों से दूरी कितनी है ।
 सतह का पानी, लैंडफिल (landfill) से लेक (lakes), रीवर (River), या टैंक (Tank) की दूरी क्या है, क्या हम इस लैंडफिल (landfill) को फ़्लड (Flood) के मैदान में बना रहे हैं।
 200 साल की बाढ़ में 1 के भीतर की साइटों की तरह बाढ़ है जिसकी घटना की संभावना 200 में 1 है, इस विशेष स्थानों पर आने वाला है, अगर ऐसा है तो हमें वाशआउट (washout) को रोकने के लिए लैंडफिल (landfill) डिजाइन करना होगा।
 इसलिए, इन सभी मुद्दों पर विचार करने की आवश्यकता है, इससे पहले कि हम लैंडफिल (landfill) की साइटिंग (Siting) करें।
 लेकिन सॉलिड (Solid) वेस्ट (waste) प्रबंधन के एक हिस्से के रूप में लैंडफिल (landfill) की बहुत आवश्यकता है।
 और यदि हम उचित सॉलिड (Solid) वेस्ट (waste) प्रबंधन नहीं करते हैं, तो हम अपने पानी स्रोतों को भी पोललुटेड (pollute) करेंगे।
 इसलिए, ये सभी मुद्दे आपस में जुड़े हुए हैं, सॉलिड (Solid) वेस्ट (waste) प्रबंधन, पानी रिसोर्स (Resource) प्रबंधन, सार्वजनिक स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था, और, सामाजिक स्वीकृति आदि कारण है, जिसके वजह से लोग अपने घरों के आस पास डंप साइट नहीं रखना चाहते हैं।
 तो, हर कोई मेरे पिछवाड़े में नहीं कहता है।
 लेकिन अगर हर कोई मेरे पिछवाड़े में नहीं कहता है, तो हम इस कचरे को कहां ले जा रहे हैं, हम कैसे निपटाने जा रहे हैं, इसलिए आप स्थिरता के मुद्दों को देख सकते हैं, इस मामले में वे कैसे महत्वपूर्ण हैं।
 लैंडफिल (landfill) सिटिंग के लिए ग्राउंड वाटर(ground Water) के महत्व को संक्षेप में बताने के लिए, लगभग दो-तिहाई लैंडफिल (landfill) की सूचना दी गई है, अर्थात ग्राउंड वाटर(ground Water) कंटेमीनेशन (contamination) के परिणामस्वरूप विफलताएं बताई गई हैं।
 अधिकांशतः जहां भी ये विफलताऐं हुई हैं वे काफी प्रेसीपेटसन (precipitation) वाले क्षेत्रों में और शॉलौ सर्फ़िसियल (Shallow Surficial), हाइ पर्मिएबिलिटी(High Permeability) और सेंड(Sand) और ग्रेवेल(gravel) एक्विफर्स(aquifers) वाले क्षेत्रों में स्थित थे, और वे गुणवत्ता मानदंडों को पूरा करने में विफल रहे थे, इसलिए, यदि उचित वेस्ट वाटर(wastewater) सेपरेसन (Separation) योजना नहीं है, तो लैंडफिल (landfill) का उपयोग टॉक्सिक (Toxic) और नोन- टोक्सिक (Non-Toxic) दोनों वेस्ट (waste) के लिए किया जाएगा, जो लैंडफिल (landfill) ऑपरेशन के लिए अच्छा नहीं है।
 इन सभी मुद्दों पर विचार करना होगा।
 धन्यवाद।